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Videha ‘िवदेह’ ᮧथम मैिथली पािक ई पिका १ नवबर अटूबर २००८ (वष १ मास ११ अंक २१) িরেদহ' পািkপিtকা Videha Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह Videha িবেদহ http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् 1 िवह नवĵर २००८ वष मास ११ अ ंक २१ 'िवह' नवĵर २००८ ( वष मास ११ २१ ) एिह अिछ:- .संपादकीय स ंश .ग@ ..कथा 1.भाषच¬ɑ यादव(अरित) 2.रामभस कापि "øमर" (हुगलीपर बहै त ग ंगा) ..िथली गजल एकर संरचना-धी¬ɑ ɣमिष ..õकाश च¬ɑ झा : िथली र ंगकम òी-इन-वन- म¬ɑ मलं िगया .. .जीवन झाक नाटकक सामािजक िववतन- ɣमश ंकर िस ंह (आगा ँ ).. राजकमल धरी पर - ◌ॉ. वश ंकर नवीन (आगा ँ ) ..यायावरी- लाश मार िमû (अर िदवा ंग घाटी: इद ु -िमसमी जनजाितक अȝपम स ंसार) .. .लघुकथा- मार मǦज कĿप . िनकी- ßोित . उपlास

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  • Videha ‘िवदहे’ थम मैिथली पािक्षक ई पि का १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अकं २१) িরেদহ' পািkক পিtকা Videha Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह Videha িবেদহ

    http://www.videha.co.in/ मानषुीिमह ससं्कृताम ्

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    िवदेह १ नव र २००८ वष र् १ मास ११ अकं २१

    'िवदेह' १ नव र २००८ ( वष र् १ मास ११ अकं २१ ) एिह अकंमे अिछ:-

    १.सपंादकीय सदंेश

    २.ग

    २.१.कथा 1.सुभाषच यादव(असुरिक्षत) 2.रामभरोस कापड़ि◌ " मर" (हगुलीपर बहैत गगंा)

    २.२.मैिथलीमे गजल आ एकर सरंचना-धीरे मिष र्

    २.३. काश च झा : मैिथली रगंकम र्मे ी-इन-वन- महे मलिंगया

    २.४. १.जीवन झाक नाटकक सामािजक िववतर्न- मशकंर िसहं (आगा)ँ२. . राजकमल चौधरी पर - ड◌ॉ. देवशकंर नवीन (आगा)ँ

    २.५.यायावरी- कैलाश कुमार िम (लोअर िदवागं घाटी: इद-ुिमसमी जनजाितक अ पम ससंार)

    २.६. १.लघकुथा- कुमार म ज क प २. दैिनकी- ोित ३. उप ास

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    २.७. चौकपर आणिवक समझौता:- कृपान झा

    २.८. १.नवे ुकुमार झा छिठपर २.नतून झा ा ि ितयापर

    ३.प ३.१.१.रामलोचन ठाकुर २.िनिमष झा ३. िजतमोहन झा

    ३.२. १. ी गगंेश गुजंनक- राधा (छठम खेप)२. ामल सुमन

    ३.३. १.राजे िवमल २.रेवतीरमण लाल ३.िदग र झा "िदनमिण"४.ब ु -चिरत

    ३.४. १. पा धी २. ोित

    ३.५. १.िव ान झा २.नवीननाथ झा ३.िवनीत उ ल

    ३.६. १.वषृेश च लाल २. धीरे मिष र् ३. िवभूित

    ३.७. १. रामभरोस कापड़ि◌ २. रोशन जनकपुरी ३.पकंज पराशर

    ३.८. १.वैकु झा २. िहमाशंु चौधरी

    ४. िमिथला कला-सगंीत(आगा)ँ

    ५. मिहला- ंभ

    ६. बालाना ंकृते- १. काश झा- बाल किवता २. बालकथा- गजे ठाकुर ३. देवीजी: ोित झा चौधरी

    ७. भाषापाक रचना लेखन (आगा)ँ

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    8. VI DEHA FOR NON RESI DENT MAI THI LS Fest i val s of Mi t hi l a( dat e-l i st )-

    8 1. . Or i gi nal Mai t hi l i st or y Si nur har by Shr i Shi vshankar " " Sr i ni vas t r ansl at ed i nt o Engl i sh by GAJENDRA THAKUR

    8 2. .The Comet -Engl i sh t r ansl at i on of Gaj endr a Thakur s Mai t hi l i ' Novel Sahasr abadhani by j yot i

    9. VI DEHA MAI THI LI SAMSKRI T EDUCATI ON cont d( .)

    िवदेह (िदनाकं १ नव र २००८)

    १.सपंादकीय (वष र्: १ मास:११ अकं:२१)

    मा वर,

    िवदेहक नव अकं (अकं २१, िदनाकं १ नव र २००८) ई पिब्लश भऽ गेल अिछ। एिह हेतु ल◌ॉग ऑन क ht t p wwwvi deha co i n:// . . . |

    पिहल कीितर्नारायण िम स ान किव हरेकृ झाकँे किवता स ं ह "एना कतेक िदन" पर ११.११.२००८ कँे िव ापित पव र्क अवसरपर देल जएति । एिह बेरक या ी चेतना पुर ार ी म र झाकँे भेटलि ।

    कीितर्नारायण िम क ज १७ जलुाई १९३७ ई. कँे ाम शोकहारा (बरौनी), िजला बेगसूरायमे भेलि । हनुकर कािशत कृित अिछ सीमा , हम वन निह िलखब (किवता स ं ह)। आखर पि काक ल ित स ादक।

    म ं र झा-ज ६ जनवरी १९४४ ई. ाम-लालगजं, िजला-मधबुनीमे। कािशत कृित: खािध, अि चनहार गाम, बहसल राितक इजोत (किवता स ं ह); एक बटे द ू(कथा स ं ह), ओझा लेखे गाम बताह (लिलत िनब )।

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    मैिथली कथा स ं हक िह ी अ वाद “कंुडली” नामस ँ कािशत। िद फू पैराडाइज (अं जीमे लिलत िनब ), कतेक डािर पर।

    हरेकृ झा, ज १० जलुाई १९५० ई. गाम- कोइलखमे। अिभय ं णक अ यण छोड़ि◌ मा र्वादी राजनीितमे सि य। अ क किवता आ आलोचना क िनब कािशत। अ वाद एव ंिवकास िवषयक शोध काय र्मे िच। तं लेखन। कृित एव ंजीवनक तादा बोधक अ णी किव। एना कतेक िदन (किवता स ं ह)।

    बकुर पुर ार: आस् िलयन िपता आऽ भारतीय माताक स ान ३३ वषीर्य बैचेलर ी अरिव अिडग ऑ फोडर्स ँिशक्षा ा कए छिथ आऽ सम् ित मु ईमे रहैत छिथ। िहनकर पिहल अं जी उप ास छि द ाइट टाइगर जािह पर िबटेन, आयरलै आऽ क◌ॉमनवेल्थ देशक वासी कँे देल जा रहल अं जी भाषाक उप ासक ५०,००० पौ डक “मैन बकुर” पुर ार भेटलि अिछ आऽ बेन ओकेरीक बाद ई पुर ार ा केिनहार ई सभस ँकम उ केर लेखक छिथ। द ाइट टाइगर- ई उप ास हाप र्र क◌ॉिल -रै डम हाउस ारा कािशत भेल आऽ काश आऽ अ ारक द ूतरहक भारतक ई वण र्न करैत अिछ। एकटा फम र्क मािलक बलराम जे शु मे गयास ँआयल बलराम हलवाई छलाह चीनी धानम ं ी वेन िजआबाओक भारत आगमनपर अपन अ िरत सात प (हिरमोहन झाक पाचँ प आ ासजीक द ूप जका)ँ केर मा मस ँअपन िख ा कहैत छिथ। ओऽ एकटा िर ा चालकक बेटा छिथ जे चाहक दोकानपर िकछु िदन काज केलाक बाद िद ीमे एकटा धिनकक ाइवर ब त छिथ। फेर ओकरा मािर कय उ ोगपित बिन जाइत छिथ। ाइवर सभ गप मािलकक सु त रहैत अिछ, कलक ाक िर ाबला सभक िख ा सेहो अिडग सुनलि आऽ िद ीक ाइवर लोकिनक सेहो आऽ

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    िख ाक ◌ॊट बना लेलि । समालोचनाक ि ित: िह ीक अखबार सभ ई पुर ार ा भेलाक बादो एिह पु कक समीक्षा एकटा चीप टी.वी. सीिरयलक पटकथाक पमे कएलि । मैिथलीक समालोचनाक तँ गपे छोड़◌ू, अं जीक अखबार सभ मुदा नीक समीक्षा कएलक। िद ीक िचड़ि◌याघरमे एकटा ाइट टाइगर छैक गे िटक ुटेशनक पिरणाम जे एक पीढ़◌ीमे एक बेर अबैत छैक निहयो अबैत छैक। बलराम हलवाईक िख ा सेहो ाइट टाइगर जका ँिवरल भेटत बेशी तँ कमाइ-खाइमे िजनगी िबता दैत छिथ। एकर हाडर्बाउ ड िकताब २०,००० क◌ॉपी िबका चकुल अिछ। पे ुइन इि या जे ई िकताब छपबास ँइ ार कए छल कहलक जे ◌ॉसवडर् पुर ारस ँिकताबक िब ीमे १००० क◌ॉपीक विृ होइत छैक, बकुर भेटलापर १०,००० क◌ॉपी बेशी िबकाइत छैक आऽ सािह अकादमी भेटलापर अं जी िकताब १० क◌ॉपी बेशी िबकाइत अिछ!

    एिह अकंमे:

    ी ग गेश गुजंन जीक ग -प िमि त "राधा" जे िक मैिथली सािह क एकटा नव कीितर्मान िस होएत, केर छठम खेप पढ़◌ू। सुभाष च यादव आऽ मर जीक कथा, महेश िम "िवभूित"- ी पकंज पराशर- िवनीत उ ल- ामल जीक प आऽ मशकंर िसहं जीक शोध लेख अिछ।, िजतमोहन, रामलोचन ठाकुर,िनिमष झा,राजे िवमल, रेवतीरमण लाल, िदग र झा "िदनमिण", पा धी , ोित,िव ान झा, नवीननाथ झा, िवनीत उ ल,वषृेश च लाल, धीरे मिष र्,िवभूित,महे मलिंगया, कुमार म ज क प, कृपान झा. रामभरोस कापड़ि◌ रोशन जनकपुरी, पकंज पराशर,वैकु झा, काश झा आ िहमाशंु चौधरी जीक रचनास ँसुशोिभत ई अकं अिछ।

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    ी राजकमल चौधरीक रचनाक िववेचन कए रहल छिथ ी देवशकंर नवीन जी।

    ोितजी प , बालानाकंृते केर देवीजी श ृखंला, बालानाकंृते लेल िच कला आऽ सह बाढ़िनक अं जी अ वाद ुत कए छिथ।

    िशवशकंर ीिनवास केर मैिथली कथाक अ जी अ वाद सेहो ुत कएल गेल अिछ।

    भारतक िव नाथन आन वल्डर् चेस ितयोिगता िजतलि तँ भारत अपन च यान-१ या ा सेहो शु कएलक। मुदा सगंमे असमक बम िव ोट, उड़◌ीसाक नन बला ार आ मालेगावँ िव ोट मोरक पएर िस भेल।

    शेष ायी ंभ यथावत अिछ।

    सगंिह "िवदेह" कँे एखन धिर (१ जनवरी २००८ स ँ३० अ ूबर २००८) ६२ देशस ँ१,०८,३१२ बेर देखल गेल अिछ (गगूल ए लेिट डाटा)- ध वाद पाठकगण।

    अप क रचना आऽ िति याक तीक्षामे।

    गजे ठाकुर

    ggaj endr a vi deha co i n@ . . ggaj endr a yahoo co i n@ . .

    अिंतका काशन की नवीनतम पु कंे उप ास

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    कहानी-स ं ह

    रेल की बात : हिरमोहन झा म.ू सिज १२५.०० पे.बै. ७०.००

    छिछया भर छाछ : महेश ·टारे म.ू सिज २००.०० पे.बै. १००.००

    कोहरे मे ंकंदील : अवधेश ीत म.ू सिज २००.०० पे.बै. १००.००

    शहर की आिखरी िचिडय़◌ा : काश का म.ू सिज २००.०० पे.बै. १००.००

    पीले कागज◌ ़की उजली इबारत : कैलाश बनवासी म.ू सिज २००.०० पे.बै. १००.००

    नाच के बाहर : गौरीनाथ म.ू सिज २००.०० पे.बै. १००.००

    आइस-पाइस : अशोक भौिमक म.ू सिज १८०.०० पे.बै. ९०.००

    भेम का भे मागँता कु ाड◌◌़ी ईमान : स नारायण पटेल म.ू सिज २००.०० पे.बै. ९०.००

    कुछ भी तो मानी नहीं : मनीषा कुल म.ू सिज २००.०० पे.बै. १००.००

    बड◌़कू चाचा : सुनीता जैन म.ू सिज १९५.००

    किवता-स ं ह

    या : शलैेय म.ू १६०.००

    कुआर्न किवताए ँ: म ज कुमार ीवा व म.ू १५०.००

    कब लौटेगा नदी के उस पार गया आदमी :

    मोनालीसा हँस रही थी : अशोक भौिमक म.ू सिज २००.०० पे.बै. ८०.००

    इितहास, स् ी-िवमश र् और िचतंन

    िडजा र : मीिडया ए पािलिटकस : पु सनू वाजपेयी म.ू सिज ३००.०० पे.बै. १६०.००

    एकंर की नज◌़र से : पु सनू वाजपेयी म.ू सिज ३५०.०० पे.बै. १७५.००

    पालकालीन स ं ृित : मजं ुकुमारी म.ू २२५.००

    स् ी : सघंष र् और सजृन : ीधरम म.ू २००.००

    अथ िनषाद कथा : भवदेव पा ेय म.ू १८०.००

    शी का

    बादल सरकार : जीवन और रगंमचं : अशोक भौिमक

    िकसान और िकसानी : अिनल चमिडय़◌ा

    माइ ो ोप (उप ास) : राजे कुमार क िजया

    प ृ ीपु (उप ास) : लिलत अ वाद : महा काश

    मोड◌़ पर (उप ास) : धमूकेतु अ वाद : णा र्

    मोला ज◌़ (उप ास) : िपयैर ला मरू अ वाद : सुनीता जैन

    ा कोई है (कहानी-स ं ह) : शलैेय

    एक साथ िह ी, मैिथली मे ंसि य आपका काशन

    अिंतका काशन

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    भोलानाथ कुशवाहा म.ू २२५.००

    जीना चाहता हँू : भोलानाथ कुशवाहा म.ू ३००.००

    लाल िरज्बबन का फलुबा : सुनीता जैन म.ू १९०.००

    लओंू के बेहाल िद ंमे ं: सुनीता जैन म.ू १९५.००

    फैटंेसी : सुनीता जैन म.ू १९०.००

    द:ुखमय अराकचक : ाम चैत म.ू १९०.००

    सी-56/यजूीएफ-4, शालीमार गाडर्न, एकसटेशंन-I I

    गािजयाबाद-201005 (उ. .)

    फोन : 0120-6475212

    (िवज्ञापन)

    २.सदंेश

    १. ी ो. उदय नारायण िसहं "निचकेता"- जे काज अहा ँकए रहल छी तकर चरचा एक िदन मैिथली भाषाक इितहासमे होएत। आन भए रहल अिछ, ई जािन कए जे एतेक गोट मैिथल "िवदेह" ई जन र्लकँे पढ़ि◌ रहल छिथ।

    २. ी ड◌ॉ. गगंेश गुजंन- एिह िवदेह-कम र्मे लािग रहल अहाकँ स ेदनशील मन, मैिथलीक ित समिप र्त मेहनितक अमतृ रगं, इितहास मे एक टा िविश फराक अ ाय आरभं करत, हमरा िव ास अिछ। अशेष शुभकामना आ बधाइक स , स ेह|

    ३. ी रामा य झा "रामरगं"- "अपना" िमिथलास ँसबंिंधत...िवषय व ुस ँअवगत भेलह ुँ।...शेष सभ कुशल अिछ।

    ४. ी जे ि पाठी, सािह अकादमी- इटंर ट पर थम मैिथली पािक्षक पि का "िवदेह" केर लेल बाधाई आऽ शुभकामना ीकार क ।

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    ५. ी फु कुमार िसहं "मौन"- थम मैिथली पािक्षक पि का "िवदेह" क काशनक समाचार जािन क क चिकत मुदा बेसी आ ािदत भेलह ुँ। कालच कँे पकड़ि◌ जािह दरूदिृ क पिरचय देलह ुँ , ओिह लेल हमर मगंलकामना।

    ६. ी ड◌ॉ. िशव साद यादव- ई जािन अपार हष र् भए रहल अिछ, जे नव सचूना- ाि क मे मैिथली प कािरताकँे वेश िदअएबाक साहिसक कदम उठाओल अिछ। प कािरतामे एिह कारक नव योगक हम ागत करैत छी, सगंिह "िवदेह"क सफलताक शुभकामना।

    ७. ी आ ाचरण झा- को प -पि काक काशन- ताहूमे मैिथली पि काक काशनमे के कतेक सहयोग करताह- ई तऽ भिव कहत। ई हमर ८८ वष र्मे ७५ वष र्क अ भव रहल। एतेक पैघ महान यज्ञमे हमर ापणू र् आहिुत ा होयत- यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।

    ८. ी िवजय ठाकुर, िमिशगन िव िव ालय- "िवदेह" पि काक अकं देखलह ुँ , स ूण र् टीम बधाईक पा अिछ। पि काक मगंल भिव हेतु हमर शुभकामना ीकार कएल जाओ।

    ९. ी सुभाषच यादव- ई-पि का ’िवदेह’ क बारेमे जािन स ता भेल। ’िवदेह’ िनर र प िवत-पुि त हो आऽ चतुिद र्क अपन सुगधं पसारय से कामना अिछ।

    १०. ी मैिथलीपु दीप- ई-पि का ’िवदेह’ केर सफलताक भगवतीस ँकामना। हमर पणू र् सहयोग रहत।

    ११.ड◌ॉ. ी भीमनाथ झा- ’िवदेह’ इ टर ट पर अिछ तँे ’िवदेह’ नाम उिचत आर कतेक पे ँएकर िववरण भए सकैत अिछ। आइ-काि मोनमे उ ेग रहैत अिछ, मुदा शी पणू र् सहयोग देब।

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    १२. ी रामभरोस कापड़ि◌ मर, जनकपुरधाम- "िवदेह" ऑनलाइन देिख रहल छी। मैिथलीकँे अ रा र्ष् ीय जगतमे पह ुँचेलह ुँ तकरा लेल हािद र्क बधाई। िमिथला र सभक सकंलन अपवू र्। पालोक सहयोग भेटत से िव ास करी।

    १३. ी राजन न लालदास- ’िवदेह’ ई-पि काक मा मस ँबड़ नीक काज कए रहल छी, नाितक एिहठाम देखलह ुँ। एकर वािष र्क अ ंक जखन ि ट िनकालब तँ हमरा पठायब। कलक ामे बहतु गोटेकँे हम साइटक पता िलखाए दे िछयि । मोन तँ होइत अिछ जे िद ी आिब कए आशीवा र्द दैतह ुँ , मुदा उमर आब बेशी भए गेल। शुभकामना देश-िवदेशक मैिथलकँे जोड़बाक लेल।

    १४. ड◌ॉ. ी मशकंर िसहं- अहा ँमैिथलीमे इटंर टपर पिहल पि का "िवदेह" कािशत कए अपन अ ुत मा भाषा रागक पिरचय देल अिछ, अहाकँ िनः ाथ र् मा भाषा रागस ँ िरत छी, एकर िनिम जे हमर सेवाक योजन हो, तँ सिूचत करी। इटंर टपर आ ोपातं पि का देखल, मन फिु त भ' गेल।

    (c)२००८. सवा र्िधकार लेखकाधीन आऽ जतय लेखकक नाम निह अिछ ततय सपंादकाधीन।

    िवदेह (पािक्षक) सपंादक- गजे ठाकुर। एतय कािशत रचना सभक क◌ॉपीराइट लेखक लोकिनक लगमे रहति , मा एकर थम काशनक/ आका र्इवक/ अं जी-स ं ृत अ वादक ई- काशन/ आका र्इवक अिधकार एिह ई पि काकँे छैक। रचनाकार अपन मौिलक आऽ अ कािशत रचना (जकर मौिलकताक सपंणू र् उ रदािय लेखक गणक म छि ) ggaj endr a yahoo co i n@ . . आिक ggaj endr a vi deha com@ . कँे मेल अटैचमे क पमे ँ do. c docx r t f, . , . वा t xt. फ◌ॉमे र्टमे पठा सकैत छिथ। रचनाक सगं रचनाकार अपन सिंक्ष पिरचय आ’ अपन नै कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अतंमे टाइप रहय, जे ई रचना मौिलक अिछ, आऽ पिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक्षक) ई पि काकँे देल जा रहल अिछ। मेल ा होयबाक बाद यथासभंव शी ( सात िदनक भीतर) एकर काशनक अकंक सचूना देल जायत। एिह ई पि काकँे ीमित ल ी ठाकुर ारा मासक 1 आ’ 15 ितिथकँे ई कािशत कएल जाइत अिछ।

  • Videha ‘िवदहे’ थम मैिथली पािक्षक ई पि का १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अकं २१) িরেদহ' পািkক পিtকা Videha Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह Videha িবেদহ

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    महत् पणू र् सचूना (१):महत् पणू र् सचूना: ीमान ्निचकेताजीक नाटक " एं ी: मा िवश" केर 'िवदेह' मे ई- कािशत प देिख कए एकर ि टं पमे काशनक लेल 'िवदेह' केर समक्ष " ुित काशन" केर ाव आयल छल। ी निचकेता जी एकर ि टं प करबाक ीकृित दए देलि । ि टं प हाडर्बाउ ड (I SBN NO978 . -81-907729-0-7 म ू .१२५/- य.ूएस. ड◌ॉलर ४०) आऽ पेपरबैक I SBN No 978( . -81-907729-1-4 म ू . ७५/- यएूस.ड◌ॉलर २५/-) मे ुित काशन, १/७, ि तीय तल, पटेल नगर (प.) नई िद ी-११०००८ ारा छापल गेल अिछ। e-mai l : shr ut i publ i. cat i on shr ut i@ -publ i cat i on com. websi t e: ht t p wwwshr ut i:// . -publ i cat i on com.

    महत् पणू र् सचूना:(२) 'िवदेह' ारा कएल गेल शोधक आधार पर १.मैिथली-अं जी श कोश २.अं जी-मैिथली श कोश आऽ ३.िमिथलाक्षरस ँदेवनागरी पा ुिलिप िल ा रण-प ी- ब डाटाबेश ुित पिब्लकेशन ारा ि ट फ◌ॉम र्मे कािशत करबाक आ ह ीकार कए लेल गेल अिछ। पु क-ाि क िविधक आऽ पोथीक म ू क सचूना एिह प ृ पर शी देल जायत।

    महत् पणू र् सचूना:(३) 'िवदेह' ारा धारावािहक पे ई- कािशत कएल जा' रहल गजे ठाकुरक 'सह बाढ़िन'(उप ास), 'ग -गु '(कथा स ं ह) , 'भालसिर' (प स ं ह), 'बालाना ंकृते', 'एका ी स ं ह', 'महाभारत' 'ब ु चिरत' (महाका )आऽ 'या ा व ृ ातं' िवदेहमे सपंणू र् ई- काशनक बाद ि टं फ◌ॉम र्मे कािशत होएत। काशकक, काशन ितिथक, पु क- ाि क िविधक आऽ पोथीक म ू क सचूना एिह प ृ पर शी देल जायत।

    महत् पणू र् सचूना (४): "िवदेह" केर २५म अकं १ जनवरी २००९, ई- कािशत तँ होएबे करत, सगंमे एकर ि टं स ं रण सेहो िनकलत जािहमे पुरान २४ अकंक चनुल रचना सि िलत कएल जाएत।

    मह पणू र् सचूना (५): १५-१६ िसत र २००८ कँे इि रा गाधँी राष् ीय कला के , मान िसहं रोड नई िद ीमे होअयबला िबहार महो वक आयोजन बाढ़ि◌क कारण अिनि तकाल लेल िगत कए देल गेल अिछ।

    मैलोरगं अपन सा ं ृितक काय र् मकँे बाढ़ि◌कँे देखैत अिगला सचूना धिर िगत कए देलक अिछ।

    २.ग

    २.१.कथा 1.सुभाषच यादव(असुरिक्षत) 2.रामभरोस कापड़ि◌ " मर" (हगुलीपर बहैत गगंा)

    २.२.मैिथलीमे गजल आ एकर सरंचना-धीरे मिष र्

    २.३. काश च झा : मैिथली रगंकम र्मे ी-इन-वन- महे मलिंगया

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    २.४. १.जीवन झाक नाटकक सामािजक िववतर्न- मशकंर िसहं (आगा)ँ२. . राजकमल चौधरी पर - ड◌ॉ. देवशकंर नवीन (आगा)ँ

    २.५.यायावरी- कैलाश कुमार िम (लोअर िदवागं घाटी: इद-ुिमसमी जनजाितक अ पम ससंार)

    २.६. १.लघकुथा- कुमार म ज क प २. दैिनकी- ोित ३. उप ास

    २.७. चौकपर आणिवक समझौता:- कृपान झा

    २.८. १.नवे ुकुमार झा छिठपर २.नतून झा ा ि ितयापर

    कथा

    १. सुभाषच यादव २. ी रामभरोस कापड़ि◌ “ मर”

    िच ी सुभाषच यादव छायाकार: ी साकेतान

    सुभाष च यादव, कथाकार, समीक्षक एव ं अ वादक, ज ०५ माच र् १९४८, मा क दीवानगजं,सुपौलमे। पै क ान: बलबा-मेनाही, सुपौल- मधबुनी। आरि क िशक्षा दीवानगजं एव ंसुपौलमे। पटना क◌ॉलेज, पटनास ँ बी.ए.। जवाहरलाल ह िव िव ालय, नई िद ीस ँ िह ीमे एम.ए. तथा पी.एह.डी.। १९८२ स ँ अ ापन। सम् ित: अ क्ष, ातको र िह ी िवभाग, भूपे नारायण मडंल िव िव ालय, पि मी पिरसर, सहरसा, िबहार। मैिथली, िह ी, बगंला, स ं ृत, उद ू र्, अं जी, ेिनश एव ंं च भाषाक ज्ञान।

    काशन: घरदेिखया (मैिथली कथा-स ं ह), मैिथली अकादमी, पटना, १९८३, हाली (अं जीस ँ मैिथली अ वाद), सािह अकादमी, नई िद ी, १९८८, बीछल कथा (हिरमोहन झाक कथाक चयन एव ं भूिमका), सािह अकादमी, नई िद ी, १९९९, िबहाड़ि◌ आउ (बगंला स ँमैिथली अ वाद), िकसुन सकं लोक, सुपौल, १९९५, भारत-िवभाजन और िह ी उप ास (िह ी आलोचना), िबहार राष् भाषा पिरषद,् पटना, २००१, राजकमल चौधरी का सफर (िह ी जीवनी) साराशं काशन, नई िद ी, २००१, मैिथलीमे करीब स िर टा

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    कथा, तीस टा समीक्षा आ िह ी, बगंला तथा अं जी मे अ क अ वाद कािशत।

    भूतपवू र् सद : सािह अकादमी परामश र् मडंल, मैिथली अकादमी काय र्-सिमित, िबहार सरकारक सा ं ृितक नीित-िनधा र्रण सिमित।

    असुरिक्षत नस ँउतिर कs ओ ेशनमे टागंल घड़◌ी देखलक। पौ द।ू ओ ठमिक कsसोचय लागल । की करय ? चिल जाय ? या राित ए िह िबता िलअय? भिर र ा ओ अही गुनधनु मे पड़ल रहल आ अख छ पाचँ कS रहल अिछ। ेशन स ँघरक बीस-प ीस िमनटक र ा ओकरा ब भारी लािग रहल छलै। जाड़क एिह िनसबद राित मे सड़क़ एकदम सुनसान हेतै। समय साल ब खराब छै। कखन की भSजेतै तकर को ठेकान निह।

    ओना ओकरा लग तेहन िकछु निह रहै। पचास-सािठ टा टाका, एगो दामी च िर आ िप नावला कपड़◌ा। लेिकन जँ ईहो सब िछना गेलै तऽ फेर ओ ज ी कीिन निहसकत। ओ ेशनक िसमटीवला ठरल बेचं पर बैिस गेल आ सोचय लागल।

    परस ूखन जाइतो काल ओ राितए मे गेल रहय। जतय गेल रहय, ओतु ासीधा गाड़◌ी राितए मे भेटै छै आ ओतय स ँसाझँमे चिल कS एतय अखन द ूबजेराितमे पह ुँचल अिछ। जिहया जाइत रहय, तिहया साझँे स ँओकर मन भारी रहै। मनमे अ क तरहक आशकंा आ भय समा गेल रहै। न एक बजे राितमे रहै। एिह जड़कालामे एतेक राितकँे ेशन गेनाइ ओकरा पहाड़ बझुाइत रहै। ओना ओजतेक बेर िनकलैत अिछ, ओकरा लगैत रहैत छैक भS सकैत छै ई ओकर अिंतमया ा होइ।

    जाइत काल ओ बहतु िचि त आ उि रहय । घरक लोक ओकरा खा-पी कSथोड़◌ ेकाल सिूत रहS कहलकै। फेर बारह बजे उठत आ चल जायत। लेिकन ओबझुैत रहय ओकरा िन निह हेतै। जँ कदािचत िन पड़ि◌यो गेल तS बारहबजे उिठ जायत तकर कोन गारटंी! आ जँ उिठयो गेल तS सीड़क तर गरमागेला पर िबछौन छोड़ S मे कतेक आलस आ क हेतै ! मुदा ई सब बातको तेहन बात निह रहै। ओकरा सबस ँबेसी िच ा एिह बातक रहै जे एतेक राितकS ओ जायत कोना? जाड़क एिह सुनसान राितमे असकरे ेशन जायब ओकराभयावह बझुाइत रहै। एतेक राित कS िर ा भेटै छै, सड़क पर ए ो टाआदमी।

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    ओ तय केलक जे आठ बजे िनकिल जायत। शेनक बगल वला ह◌ॉलमे आिखरीशो िस मा देखत आ न पकड़ि◌ लेत। ह◌ॉलमे जाड़◌ो स ँबचल रहत। घरकलोक ओकर एिह िनण र्य स ँअचिंभत भेल। पिह किहयो ओ एना निह कय रहय। ओकर िचतंा आ डर देिख कS घरक लोक िवरोध निह केलकै। ओ अपन िनि त कयल काय र् मक अ सार घरस ँआठ बजे िनकिल गेल। िसतलहरी तेहन रहै जेएतेक सबेरे सबटा दोकान ब भऽ गेल छलै। सड़क पर ओकरा दइुए टा आदमीभेटलै। एकटा के भेदी दिृ स ँतऽ ओ डेराइयो गेल रहय। ह◌ॉल पर ओ सवा आठ बजे पह ुँ िच गेल आ बजे धािर टौआइत रहल। घर पर रिहतय तऽआराम करैत रिहतय। ह◌ॉल पर बइसइयोक ठहार निह रहै। ओ देबालक टेकले ठाढ◌़ रहल। आब ओकरा न छुटबाक िचतंा हअुय लगलैक। खोचंावला, पानवला आ गेटकी स ँपता लगेलक िस मा कखन खतम हेतै; फ़ि◌िलम लबंा तऽ छै?

    शो टिुटते एक गोटय स ँ टाइम पुछलक। सवा बारह। गाड़◌ी निह छुटतै । तइयो ओ अपन चािल तेज केलक आ ेशन िदस जाइ वला रेलामे सि या गेल।ेशन पह ुँ िच कऽ ओकरा पता चललै गाड़ ी बहतु लेट छै। द ू स ँ पिह निह

    खलुतै। ओ िटकट कटेलक आ िसमटी वला बेचं पर बइस कऽ तीक्षा करय लागल।भिरसक इएह बेचं रहै, जइ पर अखन बइसल सोिच रहल अिछ। आ सोिच की रहल अिछ, परसु ा बात मोन पाड़ि◌ रहल अिछ।

    सोचबाक लेल छइहो की? गुडंा-बदमाशक डर। पिह को डर निह रहै। ओबहतु-बहतु राित कऽ कतयस ँकतय गेल अिछ। िन:शकं। बेधड◌़क। लेिकन आब राित कऽ िनकलबाक साहस निह होइत छै। अखबारमे रोज लटूपाट आ ह ाक समाचार पढ़ि◌-पढ़ि◌ कऽ आ लोकक अ भव सुिन-सुिन कऽ जी मे डर समा गेल छै।

    ओ उधेड़बनु मे पड़ल िकछु तय निह कऽ पािब रहल अिछ जे की करय। घर चिलजाय िक ेश पर भोर कऽ िलअय। िर ा भिरस े भेटतै। भेिटयो जेतै तऽ िर ावलाकँे गुडंा की

    गुदानतै ! जँ िर ेवला गुडंा िनकिल गेल, तखन ओ की करत ? आब ककरो पर भरोस निह रहलै।

    ढील पड़ि◌ गेल मफलरकँे ओ किस कऽ लपेटलक आ च िरस ँमड़ू◌ी आ टागंकँे नीक जका ँझापँलक । मुदा एिह झापँ-तोपस ँजाड़ निह भागलै। िनफाह ेटफाम र् पर

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    पिछया सट-सट लगै आ सौसंे शरीर कँे छेद चल जाइत रहै । पोन ठिर कऽपािन भऽ गेल छलै । ओ छ -छन अपन आसन बदिल रहल छल। पिछला द ूराितस ँओ सिूत निह सकल आ नमे झमारल गेल। थकनी आ जगरनामे और बेसी जाड़होइ छै। घर चल जइतय तऽ सीड़कमे गरमा कऽ सिूत रिहयत।

    ओ िवचारलक जे टहिल कऽ िर ा देख आबय । भेटलै तऽ चल जायत ।लेिकन िर ा पड़◌ाव पर ो क ह ुनिह रहै । अ ारमे एकटा िर ा लागल छलै। देखलक सीट पर एक गोटय घोकड़◌ी लगा कऽ पड़ल अिछ । ओ एक-द ूबेर हाक देलकै । मुदा ओ आदमी निह उठलै । ओ फेर पेशोपेश मे पड़ि◌ गेल । क क दरू पर एक आदमी असकरे चलल जाइत रहै । ओकरा पर नजिर पड़ि◌ते ओ झटिक कऽ िवदा भेल जेना ओकरा पकड़ि◌ लेत आ सगं-सगं घर धिर पह ुँ िच जायत । ओ थोड़बे दरू झटकल गेल होयत िक ओकर चािल मदं पड़ि◌ गेलै । को ज री निह जे ओ आदमी ओ रे जेतै, जे र ओकरा गेनाइ छै । लेिकन को अज्ञात रणावश ओ धीरे-धीरे बढ़◌तै गेल । आगा ँजा कऽ एकटा मोड़ रहै । जखन ओ मोड़ पर घमूल आ िहयासलक तऽ ओिह आदमी के दरू-दरू धिर को पता निह रहै । निह जािन ओ आदमी कतय अलोिपत भऽ गेलै । कतह ु कायलओकर तीक्षा तऽ कऽ रहल छै ! अचानक ओकर देह डरस ँिसहिर उठलै । ई डर बेसी काल िटकलै निह । ओ क क और आगा ँबढ़ल तऽ ओकर कलेजा िथर हअुय लगलै ।

    जाड़क पीयर मिलन इजोिरया पसरल छलै । भिरसक पिछयाक कार कुहेस निहरहै । ै मे लागल भोरका बस दरूे स ँदेखा रहल छलै । अपराधक एकटाअ ा ईहो रहै । एिहठाम कैक बेर कैक आदमी के सामान िधनायल रहै । ै कघेरा लग पह ुँ िचते ओकर आशकंा बढ़ि◌ गेलै । ै िनजर्न आ सुनसान पड़ल छलै । राित कऽ ई जगह बड़ भयाओन लगैत रहै ।

    ै स ँ िनकिल गेला पर ओकर डर किम गेलै ।लेिकन अखन ओ अदहे दरूआयल छल । बचलहा र ा बहतु दरू बभुाइत रहै । पुिलसो कतह ुनिह छलै । सड◌़क कातक दोकान दौड़◌ी, घर-दआुर सब बदं रहै । ए ो टा कुकूरो निहदेखाइत रहै । जाड◌़मे ओहो सब दबुकल होयत । नमडोिरया सड़क पर ओ असकरे चल जा रहल छल । कैक बेर अप ज ु ाक आवाज सुिन कऽ लगै ो पछुअय आिब रहल अिछ आ जी स िसन रिह जाइ । खट-खट सुिन कऽ छाती धड़िक उठै ।

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    ओकर घर अदहोक अदहा रिह गेल छलै । ओकरा भरोस भेल चल जाइत रहैजे आब ओ बिच गेल । आब िकछु निह हेतै । ओ सकुशल घर पह ुँ िच जायत । ठीक तख ओ आवाज सुनलक । आवाज पाछा ँस ँआयल छलै । ो िकछु बाजल रहै । ओकर जी सनाक िसन उठलै । ओ पलिट कऽ ताकलक। मुदा ो देखेलै निह । ओकरा भेलै ो अपन घरमे िकछु बाजल होयत। ओ बढ़◌ैत गेल। ’

    “के छी ?” - पाछा ँस ँ ो पुछलकै ।

    ओ ध ुिम कऽ देखलक । एक आदमी ठाढ़ छलै । ओ को जवाब निह देलक आ बढ़◌ैत रहल।

    ’अय के िछअय ? ठाढ़ रहऽ।’ - ओकर एिह आदेशस ँओ भयभीत भऽ गेल आ अपन चािल तेज कऽ देलक । ओ आदमी अपराधी बझुा रहल छ्लै । अखन जँ ओ आदमी आिबकऽ ओकरा घेिर लै तऽ ओ कतबो िचिचआयत ो निह एतै। आब राित-िबराित मुसीबत मे पड़ल लोकक लेल ो निह िनकलै छै । ओ दसे डेग आग ूबढ़ल होयत िक पलिट कऽ ताकलक। तािकते ओ आतंिकत भऽ उठल। ओआदमी दौड़ल आिब रहल छलै ।

    ओ भागल । ओ भागल जा रहल अिछ ।

    ी रामभरोस कापड़ि◌ “ मर” (१९५१- ) ज -बघचौरा, िजला ध षा ( पाल)। सम् ित-जनकपुरधाम, पाल। ि भुवन िव िव ालयस ँ एम.ए., पी.एच.डी. (मानद)। हाल: धान स ादक: गामघर सा ािहक, जनकपुर ए स दैिनक, आजंरु मािसक, आगंन अ र्वािष र्क ( काशक पाल ज्ञा ित ान, कमलादी)।

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    मौिलक कृित: ब कोठरी: औनाइत ध ुआँ (किवता स ं ह), निह, आब निह (दीघ र् किवता), तोरा सगंे जएबौ रे कुजबा (कथा स ं ह, मैिथली अकादमी पटना, १९८४), मोमक पघलैत अधर (गीत, गजल स ं ह, १९८३), अ न अनिच ार (किवता स ं ह, १९९० ई.), रानी च ावती (नाटक), एकटा आओर बस (नाटक), मिहषासुर मुदा र्बाद एव ंअ नाटक (नाटक स ं ह), अ तः (कथा-स ं ह), मैिथली स ं ृित बीच रमाउंदा (सा ं ृितक िनब सभक स ं ह), िबसरल-िबसरल सन (किवता-स ं ह), जनकपुर लोक िच (िमिथला पेिंट स), लोक ना : जट-जिटन (अ स ान)। पाली कृित: आजको ध षा, जनकपुरधाम र यस का सा ं ृितक स दाह (आलेख-स ं ह), मरका उ ृ नाटकह (अ वाद)। स ादन: मैिथली प स ं ह ( पाल राजकीय ज्ञा ित ान), लाबाक धान (किवता स ं ह), माथरुजीक “ि शुली” ख का (किव . मथरुान चौधरी “माथरु”), पालमे मैिथली प कािरता, मैिथली लोक न ृ : भाव, भंिगमा एव ंप (आलेख स ं ह)। गामघर सा ािहकक २६ वष र्स ँ स ादन- काशन,

    “अच र्ना” सािहि क स ं हक १५ वष र् धिर स ादन- काशन। “आजँरु” मैिथली मािसकक स ादन काशन, “अजंलुी” पाली मािसक/ पािक्षकक स ादन काशन।

    अ वाद: भयो, अब भयो (“निह आब निह”क म ाजाकी ारा कयल पाली अ वाद)

    स ान: पाल ज्ञा ित ान ारा पिहल बेर १९९५ ई.मे घोिषत ५० हजार टाकाक मायादेवी ज्ञा पुर ारक पिहल ा कता र्। धानम ं ी ाराशि प एव ं पुर ार दान। िव ापित सेवा स ं ान दिरभ ा ारा स ािनत, मैिथली सािह पिरषद, वीरगजं ारा स ािनत, “आकृित” जनकपुर ारा स ािनत, दीघ र् प कािरता सेवाक लेल पाल प कार महासघंध षा ारा स ािनत, िज ा िवकास सिमित ध षा ारा दीघ र् प कािरता सेवाक लेल पुर ृत एव ं स ािनत, पाली मैिथली सािह पिरषद ारा २०५९ सालक अ रा र्िष् य मैिथली स ेलन मु ई ारा “िमिथला र ” ारा स ािनत, शेखर काशन “पटना” ारा “शेखर स ान”, मध ुिरमा पाल (काठमा ौ) ारा २०६३ सालक मध ुिरमा स ान ा । काठमा ूमे आयोिजत साकर् रीय किव

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    गो ीमे मैिथली भाषाक ितिनिध । सामािजक सेवा : अ क्ष-तराई जनजाित अ यन ित ान, जनकपुर, अ क्ष- जनकपुर लिलत कला ित ान, जनकपुर, उपा क्ष- मैिथली ज्ञा ित ान, जनकपुर, उपकुलपित- मैिथली अकादमी, पाल, उपा क्ष- पाल मैिथली थाई सा ं ृितक पिरषद, सिचव- दीनानाथ भगवती समाज क ाण गुठी, जनकपुर, सद - िज ा वाल क ाण सिमित, ध षा, सद - मैिथली िवकास कोष, ध षा, राष् ीय पाष र्द- पाल प कार महासघं, ध षा।

    हगुली पर बहैत गगंा- रामभरोस कापड़ि◌ “ मर”

    हीरामन आइ फिंस गेल अिछ ठेठर बाली बाईक सगं। ओिह ठाम तं हीरामनक मएक तरफा रहैक, ठेठरबाली बाई मा सहा भुित देखौ रहैक। ए तं बातबीगड़ि◌ गेल छै। दनु ू िदश आिग लािग गेल छै आ हीरबाके िभतर छट-प ी उिठ गेल छै- आब कोना कऽ रहत ग सोनाबाईके िवना ओ...।

    कएकटा िस मा देख रहय जािहमे बाइक म बरोविर असपल होइतगेलै आ कतेक त एिह ससंारे स ं िवदा भऽ गेल रहय। आ तए ँ ए र टपबास ंपिह ओ कएक बेर सोच रहय। कतौ मन मीिल गेल तं...।

    दत्ु-हमरा सन सनके के पितअएतै। कनी म रजंन करब आ घ ुिरआएब- हीरा मनके तोष दैत...स् ीटक वगंला न.ं४ मे पैिस गेल रहय। समय अपरा क तीन बजेक रहैक। दरब ा पर एकसिर ठाढ़ि◌ सोना ओकरा िकए नीक लागल रहैक। स वतः एह ुदआुरे जे आन दरब ाक बाई सभ बटोहीकँे जवद र् ी हाक पाड़◌कै। निह आब चाहवलाक देहमे रगड़◌ा लैक, जेबीमे हाथ धरैक, ध ा मारैक मुदा जखन ओ एिह दहुािर पर आएल त गुम सुम ठाढ़ अठार- उ ैस वष र्क पी ाम सन अ सुभग हीरा ओकरा अपना िदश आकिष र्त कऽ लेलकै आ ओ ओठमिक गेल रहय। हीराके एख मोन गुद-गुदा जाइछै सोनाक तखनका मु ीके रण करैत। ओ लोटपोट भऽ गेल रहय आ आिंखक दरब ा दऽ सोनाक दयमे जेना पैिस जाए चाह रहय।

    सोना ओकरा लऽ द ू महला पर सजाओल एकटा कोठरीमे लऽ गेलै। ओकोठरीमे जएबास ंपवू र् घरक वातावरणके जंचबाक लेल नजिर िखरौ रहय- आठ, दश कोठरी आर रहैक, जािहमे हंसी, मजाकक र आिब रहल छलैक। मा ाहक ओ रो

  • Videha ‘िवदहे’ थम मैिथली पािक्षक ई पि का १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अकं २१) িরেদহ' পািkক পিtকা Videha Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह Videha িবেদহ

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    फसंल रहैक। सोना वाचंल छलीह एह ुदआुरे जे ओकर रगं ओतेक साफ निह रहैक,आ आन छौड़◌ी जका ंलब-लब ओ करैत छल। ाहककंे बझुाइक एिह म ुआएलछौड़◌ीमे को जान निह हयतैक स वतः, तए ंओ चपुचाप ाहकक तीक्षामे सभस ँअ धिर बैसल करए। बादमे ओकरा सोना स ँपता चललै, सभ के ाहक भेिट गेलाक वादे हारल-फरुल लोक ओकरा लग अबैक। एिहस ंएक बात त ज र रहैक-सोना आन बाई जका ंतोड़ल-मचोड़ल निह गेिल रहय, वाचंल छलीह। ओकर अ हारक तेज एख दपदप करैक आ सएह तेज हीराके ओकरा िदश आकिष र्त कए रहैक।

    पिहल साझं सोनाक सगं महज ाहक भऽ वीतबऽ चाहैत रहय हीरा। थािकहािर गेल छल एिह महानगरमे। बाप मायके कमाएक नाम पर द ूहजार टका लऽकलक ा आिब गेल रहय। ओकर गौआं सभ ए कमाइ छै, कह रहैक को सेठक बगंलापर िलखापढ़◌ी के काम छै िदआ देबौ।

    मन त रहै जे िवदेशे उड़ि◌ जाइ, बड़ लोक ओकरो गामके अरब गेलैए। िवदेशमे पाइ त होइ छै, मुदा क ो कम निह छैक। घर-पिरवार स ँदरू। ओ सोच रहय- उड़◌ानक बात बादमे देखल जएतै। एक बेर गौएं ँसभकबातके भजा ली आ कलक ा चिल आएल, से आइ प ह िदन भऽ गेल छै, मुदा ओइ सेठक ओइ ठाम काम निह भऽ सकल। ओ आबे-आबे ताबे दोसरके रिख ले रहय। ओ बौआ गेल रहय आ फेरस ंसिरआ कऽ काम खोजऽ पड़ि◌ रहल छलैक। रहबालेऽ गौआक खोली रहैक आ खएबा ले सेहो किहयो काल ओकरे सभके ओिहठाम खा लैक। मुदा कलक ामे खच र् त होइते छैक। काम निह भेटौक त कतेक िदन िटकत ओ...।

    सोना बाई टोकैत छै त ओकर तं ा भंग भऽ जाइत छै- की सोचऽ लगलह।ु आउ , आ ाहक खोज पड़तै ।

    हीरा ब ेस ंभावकु भावक रहल अिछ। चौबीस-प ीस वष र्क उमेर भऽ गेलै, बाप-माय कतबो वीआहक लेल कहैत छैक ओकरा अपन मनमे की फरुै छै कीनिह, वरोबिर मना करैत आएल अिछ। नारीक ित अ स ान रखैत अिछ हीरा...। आइ उएह नारीक सगं...।

    “की भेल बाब ूसाहेब, आउ सेज पर”- कहैत सोना अपन साड़◌ी खोलऽ लागल। साड़◌ी खोललाक बाद ब्लाउज खोललक आ िनचाकं साया सेहो। हीरा एखचपुचाप ठाढ़ सोनाक देहयि िनहािर रहल छलै। ओ भरल। बजैत अिछ- ओह हवसी सभ अबैत अिछ। दा पीबैत अिछ, िसकरेट जड़बैत अिछ आ ठठु्ठा कख

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    कऽ स ेदनशील अगं पर रगड़ि◌ िछलिमला दैत अिछ। चैत अिछ, िनछोड़◌ैत अिछ आ घटंो तबाह कए रहैछ। ओकरा हम िकछु किह सकैत िछऐक हमर बाई। मोट पाइ दे रहैछ ओ। इएह छै एिह ग ीक जीवन आ स ...।’ क क काल चु भऽ सोना हीरा िदश तकैत बजैत अिछ- अहा ँएिह थालो कादोस ँभरल िवशाल दलदली मैदानमे अपना वैसबाले एक हाथ सु ल ठाम खोजऽ आएल छी- ई अहाकं भोलापन अिछ आ अहाकं इएह भोलापन हमरा िभतर धिर िहला देलक अिछ। हमएखन धिर िसहरन महशसू कऽ रहल छी। ई सुखा भूितक िसहरन िथक जे आइ धिरहमरा निह भेटल छल, पता निह अहामँे की अिछ, आइस ँअहा ँहमर गिहंकी छी, हम चाहब अहा ँिन आबी, कमस ँकम एक बेर।

    हीरा त आर सद र् भऽ जाइत अिछ। ई की भऽ रहल छैक। उनटाहगुली बहऽ लगलै ए । हम कोना ए आिब सकै छी। आइ एक िदन अएबालेकतेक िह त जटुौ छी, ई त सभ िदन कहैत अिछ। निह, कतह ुफेर स ँ ि या चिरत देखाओत त ई...।

    सोना हीराके गुनधनु करैत देिख फेर टोकैत छैक- अहा ँसोचैत हयब, हमर फीश िदनह ुं कोना दऽ सकब। बाबजूी, हमरा लेल आ ाहक सभ छैक । हम तािह महक अपन िह ास ँ बाइके अहाकँ िह ाक पाइ दऽ देबै, अहा ँ ओिहना अिबयौ, हमरा नीक लागत।

    आब हीराके मोन मािन जाइत छैक जे को लाइ-लपेट सोनाक मनमेनिह छै। साचंे ओ बाघ, िसहंक हंेजक िवच को अप सन हिरन खोजऽ चाहैतअिछ, जकरा सगं सुख दखुक गप कऽ सकए, मोनक पीड़◌ाकँे बािँट सकए।

    ओ आ ि दऽ दैत छैक। ओकर करी, सगंमे घटल जाइत पाइ, िकछु सुिध निह रहैछ ओकरा। ओ सोनाकंे छातीस ँसटा लैत अिछ। पिहल बेर सोनाकंेछातीस ँलगा ओकरा अपन क बोध होइत छैक, राहत भेटैत छैक।

    मैिथलीमे गजल आ एकर सरंचना

    धीरे मिष र् (१९६७- )मैिथली भाषा, सािह , कला, स ं ृित आिद िविभ क काजमे समान पे ँिनर र सि य ि क पमे िच ल जाइत छिथ धीरे मिष र्। िव.स.ं२०२४ साल भादब १८ गते िसरहा िजलाक गोिव पुर-१, ब ीपुर गाममे ज लेिनहार मिष र्क पणू र् नाम धीरे

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    झा िछयिन। सरल आ सु भाषा-शलैीमे िलखिनहार मिष र् कथा, किवताक अितिर लेख, िनब , अ वाद आ प कािरताक मा मस ँमैिथली आ पाली दनु ूभाषाक मे सुपिरिचत छिथ। पालक ूली कक्षा १,२,३,४,९ आ १०क ऐि क मैिथली तथा १० कक्षाक ऐि क िह ी िवषयक पा पु कक लेखन

    सेहो कए छिथ। सािहि क मे िहनक एक स ािदत आ एक अनिूदत कृित कािशत छिन। मिष र् लेखनक अितिर स ीत, अिभनय आ समाचार-वाचन स ँसेहो स छिथ। पालक पिहल मैिथली टेिलिफ िमिथलाक था आ ऐितहािसक मैिथली टेिल ृ ला महाकिव िव ापित सिहत अ को नाटकमे अिभनय आ िनदेर्शन कऽ चकुल मिष र्कँे पालस ँ पिहलबेर मैिथली गीतक कैसेट किलयुगी दिुनया िनकालबाक य सेहो जाइत छिन। िहनक र स ीतमे आधा दजर्नस ँअिधक कैसेट एलबम बाहर भऽ चकुल अिछ। काि पुरस ँहे ो िमिथला काय र् म ुत कता र् जोड़◌ी पा-धीरे क धीरे क अबाज गामक ब ा-ब ा िच तै अिछ। “प व” मैिथली सािहि क पि का आ “समाज” मैिथली सामािजक पि काक स ादन।

    मैिथलीमे गजल आ एकर सरंचना-धीरे मिष र्

    प-र एव ंचािल- कृित देखलापर गीत आ गजल दनु ूसहोदरे बझुाइत छैक। मुदा मैिथलीमे गीत अित ाचीन का शलैीक पमे चलैत आएल अिछ, जखन िक गजल अपेक्षाकृत अ नवीन पमे। एखन दनुकँूे एकठाम देखलापर एना लगैत छैक जेना गीत-गजल को कु क मेलामे एक-दोसरास ँ िबछुड़ि◌ गेल छल। मेलामे भोितआइत-भासतै गजल अरबिदस पह ुँ िच गेल। गजल ओ रे पलल-बढ़ल आ जखन बेस जआुन भऽ गेल तँ अपन िबछुड़ल सहोदरकँे तकैत गीतक गाम िमिथलाधिर सेहो पह ुँ िच गेल। जखन दनुकू भेट भेलैक तँ िकछु समय दनुमूे अपिरचयक अव ा बनल रहलैक। िमिथलाक मािटमे पोसाएल गीत एकरा अपन जगह क ा करऽ आएल ित ीक पमे सेहो देखलक। मुदा जखन दनु ूएक-दोसराकँे लगस ँ िहयाकऽ देखलक तखन बझुबामे अएलैक-आिह रे बा, हमरासभमे एना बैर िकएक, हम दनु ूतँ सहोदरे छी! तकरा बाद िमिथलाक धरतीपर डेगस ँडेग िमला दनु ूपणू र् ा भावे ँिनर र आगा ँबढ़◌ैत रहल अिछ।

    गीत आ गजलक प देखलापर दनुकू भावमे अपन पोसुआ जगहक ानीयताक असिर परूापरू देखबामे अबैत अिछ। गीत एना लगैत छैक जेना र िबर ी फूलकँे स ैिँतकऽ सजाओल सेजौट हो। िमिथलाक गीतमे काटँोसन बात जँ कहल जाइछ तँ फूलेसन मोलायम भावमे। एकरा हम एहू तरहँे किह सकैत छी जे गीत फूलक लतमारापर चलबैत लोककँे भावक ऊँचाइधिर पह ुँचबैत अिछ। एिहमे िमिथलाक लोक वहार एव ंमानवीय भाव मुख भूिमका िनवा र्ह करैत आएल अिछ। जािह भाषाक गािरयोमे िरदम आ मधरुता होइत छैक, ओिह भूिमपर पोसाएल गीतक प कटाह-धराह भइए निह सकैत अिछ। कही जे गीतमे तँ लालीगुरासँक फूलजका ँओ ताकत

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    िव मान छैक जे माछ खाइत काल जँ गऽरमे काटँ अटिक गेल तँ तकरो गलाकऽ समा कऽ दैत छैक।

    गजलक बगय-बािन देखबामे भलिह गीतेजका ँ सुरेबगर लगैक, एिहमे गीतसन नरमाहिट निह होइत छैक। उसराह म भूिममे पोसाएल भेलाक कार गजलक भाव िकछु उ ठ होइत छैक। ई क र इ ामीसभक स ितमे बेसी रहल अिछ, तँे एकर भावमे “जब कुछ न चलेगी तो ये तलवार चलेगा” सन तेज तेवरबेसी देखबामे अबैत छैक। य िप गजलकँे मक अिभ ि क सश मा म मानल जाइत छैक। गजल किहतिहँदेरी लोकक मन-मि मे ममय माहौल नािच उठैत छैक, एिह बातस ँ हम कतह ु असहमत निह छी। मुदा गजलमे मक बात सेहो बेस धरगर अ ाजमे कहल जाइत छैक। कहबाक ता य र् जे गजल त आिरजका ँसीधे बेध दैत छैक ल कँे। लाइलपटमे बेसी निह रहैत छैक गजल। िमिथलाक स भर्मे गीत आ गजलक ए िह तरहँे जँ अ र देखबऽ चाही तँ ई कहल जा सकैत अिछ जे गजल फूलक पणपय र् त आिरजका ँकरैत अिछ, जखन िक गीत त आिर सेहो फूलजका ँभँजैत अिछ।

    मैिथलीमे स ं ा क पे ँगजल आनिह िवधाजका ँभलिह कम िलखल जाइत रहल हो, मुदा गुणव ाक दिृ ए ँई िह ी वा पाली गजलस ँकतह ुक को झसू निह देखबामे अबैत अिछ। एकर कारण इहो भऽ सकैत छैक जे िह ी, पाली आ मैिथली तीन ूभाषामे गजलक वेश ए िह मुहू र्मे भेल छैक। गजलक ीग श करौिनहार िह ीक भारते ु, पालीक मोतीराम भ आ मैिथलीक प.ं जीवन झा ए िह कालख क ासभ छिथ।

    मैिथलीयोमे गजल आब एतबा िलखल जा चकुल अिछ जे एकर सरंचनाक मादे िकछु कहनाइ िदनिहमे िडिबया बारबजका ँलगैत अिछ। एह मे यदाकदा गजलक नामपर िकछु एह पािँतसभ प पि कामे अभिर जाइत अिछ, जकरा देखलापर मोन िकछु झझुआुन भइए जाइत छैक। कतेकोगोटेक रचना देखलापर एह बझुाइत अिछ, जेना ओलोकिन द-ूद ूपािँतवला तुकब ीक एकटा समहूकँे गजल बझूैत छिथ। हमरा ज त ओलोकिन गजलकँे दरूेस ँदेिखकऽ ओिहमे अपन पाि छाटँब शु कऽ दैत छिथ। जँ मैिथली सािह क गुणधम र्कँे आ सात कऽ चलैत को ि एकबेर द-ूचािरटा गजल ढ स ँदेिख िलअए, तँ हमरा ज त ओकरामे गजलक सरंचना ित को तरहक ि िवधा निह रिह जएतैक।

    तँे सामा तः गजलक स मे नव िजज्ञासुक लेल जँ िकछु कहल जाए तँ िवना को पािरभािषक श क योग कए हम एिह तरहँे अपन िवचार राखऽ चाहैत छी- गजलक पिहल द ूपािँतक अ ा ास िमलल रहैत छैक। अि म एक, द ूवा अिधक श सभ पािँतमे सिझया रहलहपुर साझी श स ँपिह क श मेअ ास वा कही तुकब ी

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    िमलल रहबाक चाही। अ द-ूद ूपािँतमे पिहल पािँत अ ासक दिृ ए ँ रहैत अिछ। मुदा दोसर पािँत वा कही जे पिछला पािँत ायीवला अ ासकँे पछुअबैत चलैत छैक।

    ई तँ भेल गजलक मुह-कानक सरंचनास ी बात। मुदा खािल मुहे-कानपर ान देल जाए आ ओकर क जँ गोिङआइत वा बौआइत रिह जाए तँ देखबामे गजल लिगतो यथाथ र्मे ओ गीजल भऽ जाइत अिछ। तँे ुितकरणमे िकछु रह , िकछु रोमा क स समधानल चोटजका ँ गजलक श सभ ताल-मा ाक वाहमय साचँमे खचाखच बैसतै चिल जएबाक चाही। गजलक पािँतकँे अथ र्व ाक िहसाबे ँजँ देखल जाए तँ किह सकैत छी जे हऽरक िसराउरजका ँई चलैत चिल जाइत छैक। हऽरक पिहल िसराउर जािह तरहँे धरतीक छाती चीिरकऽ ओिहमे को चीज जनमाओल जा सकबाक आधार दान करैत छैक, तिहना गजलक पिहल पािँत क ना वा िवषयव ुक उठान करैत अिछ, दोसर पािँत हऽरक दोसर िसराउरक काय र्शलैीक अ करण करैत पिहलमे खसाओल बीजकँे आव क मा मे तोपन दऽकऽ पुनः आग ूबढ़बाक मा शस् करैत अिछ। गजलक ेक द-ूपािँत अपनहमुे त रहैत अिछ आ एक-दोसराक स तादा ािपत करैत सम मे सेहो एकटा िविश अथ र् दैत अिछ। एकरा दोसर तरहँे एहनुा कहल जा सकैत अिछ जे गजलक पिहल पािँत कनसारस ँ िनकालल लालोलाल लोह रहैत अिछ, दोसर पािँत ओकरा िनिद र् आकारिदस बढ़एबाक लेल पड़ऽ वला घनक समधानल चोट भेल करैत अिछ।

    गीतक सजृनमे िस ह मैिथलसभ थोड़◌ ेबगय-बािन बिुझतिहँ आसानीस ँगजलक सजृन करऽ लगैत छिथ। स वतः तँे आरसी साद िसहं, रवी नाथ ठाकुर, ड◌ॉ महे , माकर् ेय वासी, ड◌ॉ. ग ेश गु न, ड◌ॉ. बिु नाथ िम आिद मलूतः गीत क ि रिहतह ुगजलमे सेहो कलम चलौलिन। ओहन िस ह ि सभक लेल हमर ई गजल िलखबाक तौर-तिरकाक मादे िकछु कहब हा ा द भऽ सकैत अिछ, मुदा नविसखआुसभकँे भिरसक ई िकछु सहज बझुाइक।

    मैिथलीमेकलम चलौिनहारसभम ायः सभ एक-आध हाथ गजलोमे अजमबैत पाओल गेलाह अिछ। जनकिव वै नाथ िम “या ी” सेहो “भगवान हमर ई िमिथला” शीष र्क किवता पणू र्तः गजलक सरंचनामे िलख छिथ। मुदा िसयाराम झा “सरस”, . कलान भ , ड◌ॉ.राजे िवमल सन िकछु सािह कार खाटँी गजलकारक पमे िच ल जाइत छिथ। ओना सोमदेव, ड◌ॉ.केदारनाथ लाभ, ड◌ॉ.तारान िवयोगी, ड◌ॉ.रामचैत धीरज, बाबा वै नाथ, ड◌ॉ. िवभूित आन , डा.धीरे धीर, फजलुर र्हमान हाशमी, रमेश, बैकु िवदेह, डा.रामदेव झा, रोशन जनकपुरी, प.ं िन ान िम , देवश र नवीन, ामसु र शिश, जनाद र्न ललन, िजयाउर र्रहमान जाफरी, अिजतकुमार

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