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ि िवदे Videha িবেদহ िवदेह ᮧथम मैिथली पािक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवह õथम िथली पािक 'िवदेह' 'िवदेह' ५० अंक १५ जनबरी २०१० (वष मास २५ अंक ५०)http://www.videha.co.in / मानुषीिमह संकृताम् 1 'िवदह' ५० अंक १५ जनबरी २०१० (वष मास २५ अंक ५०) ििवदह Videha িবেদহ http://www.videha.co.in िवदह Ćथम मिथली पािक पिÿका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदह Ćथम मिथली पािक पिÿका नव अंक दखबाक लल पơ सभक िरĄश कए दख। Always refresh the pages for viewing new issue of VIDEHA. Read in your own scriptRoman(Eng)Gujarati Bangla Oriya Gurmukhi Telugu Tamil Kannada Malayalam Hindi एिह अंकम अिछ:- िवशष: Ćबोध सĦमान २०१० लल चयिनत जीवकाĠतस विरơ पÿकार मिथलीक उदीयमान किव िवनीत उĜपलक सााĜकार . संपादकीय संदश . गń

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  • िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदहे थम मैिथली पािक्षक ई पि का Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक 'िवदेह'

    'िवदेह' ५० म अंक १५ जनबरी २०१० (वषर् ३ मास २५ अंक ५०)http://www.videha.co.in/ मानषुीिमह संस्कृताम ्

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    'िवदेह' ५० म अंक १५ जनबरी २०१० (वषर् ३ मास २५ अंक ५०)

    िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ http://www.videha.co.in िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पि का Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पि का नव अंक देखबाक लेल पृ सभकेँ िर ेश कए देखू। Always refresh the pages for viewing new issue of VIDEHA. Read in your own scriptRoman(Eng)Gujarati Bangla Oriya Gurmukhi Telugu Tamil Kannada Malayalam Hindi

    एिह अंकमे अिछ:-

    िवशेष:

    बोध स मान २०१० लेल चयिनत जीवका तसँ विर प कार आ मैिथलीक उदीयमान किव िवनीत

    उ पलक साक्षा कार

    १. सपंादकीय संदेश

    २. ग

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    २.१.जगदीश साद मंडल- -दूटा कथा

    २.२.१.परमे वर कापिड़ कथा- धुमग जर २. आशीष चमन- कथा- पछता रोटी ३.ेमशंकर िसंह-जयका त िम जीवन आ सािह य–साधना

    २.३.१ कमला चौधरी-कथा--गुणनफल २.दुग न द मंडल बकलेल (कथाक दोसर आ

    अि तम भाग)

    २.४.१. बोध स मान २०१० लेल चयिनत जीवका तसँ विर प कार आ मैिथलीक उदीयमान किव

    िवनीत उ पलक साक्षा कार २. सुशा त झा-िवकासक तेजीमे कहॴ छुिट नै जाय िमिथला

    ३. नवे कुमार झा-पचास वषर्क भेल ादेिशक समाचार एकांश/1993 मे ारंभ भेल छल मैिथली मे

    समाचारक सारण/ सताक ाि त बनल भाजपाक उ े य ४. केदार कानन-जगदीश साद मंडलक

    पछताबा पर एक दृि ट

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    २.५..१. डॉ. कैलाश कुमार िम -सखी कु ती २. िबिपन झा-के करत िमिथलाक्षरक रक्षा ३.

    फूलच झा वीण- मैिथलीक बाल सािह य

    २.६.१. यामसु दर शिश-नमन गुरुदेव- (सािह यकार डा़. धीरे वर झा िधरे क ६ अम वािषर्कीपर िवशेष)

    २. सुजीत कुमार झा हारैत हारैत नेपाल प कार महासंघक के ीय अ यक्ष

    २.७. कुमार मनोज क यप-कथा- अ हेर

    २.८. १.डा.रमान द झा ‘रमण’-त ानाथझा/ सुभ झा ज मशतवािषर्की २. ऋृिष विश - जुआनी िज दाबाद ३. िशवशंकर ीिनवास- पि डत ओ हुनक पु

    ३. प

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    ३.१. कालीकांत झा "बुच" 1934-2009- आगाँ

    ३.२.१. ी काली नाथ ठाकुर-सून िमिथला चल…..। २.एकइसम सदीक नाम- ेम िवदेह ललन

    ३. िवनीत ठाकुर- जाढ़

    ३.३.१.पूिणर्याँ किव व. शा तक किवता २. सुिदप कुमार झा-दूटा रचना

    ३.४.१.एक भुम जोड़ एक स य बराबर दू क्षण- अयो यानाथ चौधरी २. हमर माय- डॉ.

    शेफािलका वम ३.नवका साल, पुरने हाल ! धीरे ेमिषर्

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    ३.५.१. सतीश च झा २.मधेशक आवाज-वौएलाल साह ३.िहमांशु चौधरी -पाथर

    ४. -क्षिणका- शांत िम -हड़ािह

    ३.६.१. अरिव द ठाकुर-गजल २. महे कुमार िम -प ३.इ कलाव

    सुरे लाभ

    ३.७. िशव कुमार झा-िकछु प

    ३.८.१. कुमार पवन-निह िबसरैछ/ काि तँ रिव छै २. रोशन जनकपुरी-च ाल आ सड़क

    ३.ओम कुमार झा-थर-थर कािपँ रहल छौ तोहर पयर ४. राजदेव मंडल-किवता

    ४. िमिथला कला-संगीत-क पनाक िच कला

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    ५. ग -प भारती -पाखलो (धारावािहक)-भाग-७- मूल उप यास-कॲकणी-लेखक-तुकाराम रामा शेट, िह दी

    अनुवाद- डॉ. शभंु कुमार िसहं, ी सेबी फन डीस, मैिथली अनुवाद-डॉ. शंभु कुमार िसहं

    ६. बालानां कृते-१. संग- आशीष चौधरी २. जगदीश साद मडंल-िकछु लघुकथा

    ३. देवांशु व सक मैिथली िच - ृखंला (कॉिमक्स)

    ७. भाषापाक रचना-लेखन -[मानक मैिथली], [िवदेहक मैिथली-अं ेजी आ अं ेजी मैिथली कोष (इटंरनेटपर

    पिहल बेर सचर्-िडक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सवर्र आधािरत -Based on ms-sql server Maithili-English and

    English-Maithili Dictionary.]

    8.VIDEHA FOR NON RESIDENTS

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    8.1. Sindhu Poudyal-Indo-Nepal Relations: A Personal Reflection

    िवदेह ई-पि काक सभटा पुरान अंक ( ेल, ितरहुता आ देवनागरी मे ) पी.डी.एफ. डाउनलोडक लले नीचाँक िलंकपर उपल ध

    अिछ। All the old issues of Videha e journal ( in Braille, Tirhuta and Devanagari versions ) are

    available for pdf download at the following link.

    िवदेह ई-पि काक सभटा पुरान अंक ेल, ितरहुता आ देवनागरी रूपमे

    Videha e journal's all old issues in Braille Tirhuta and Devanagari versions

    िवदेह आर.एस.एस.फीड।

    "िवदेह" ई-पि का ई-प सँ ा त करू।

    अपन िम केँ िवदेहक िवषयमे सूिचत करू।

    ↑ िवदेह आर.एस.एस.फीड एनीमेटरकेँ अपन साइट/ लॉगपर लगाऊ।

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    लॉग "लेआउट" पर "एड गाडजेट" मे "फीड" सेलेक्ट कए "फीड यू.आर.एल." मे

    http://www.videha.co.in/index.xml टाइप केलासँ सेहो िवदेह फीड ा त कए सकैत छी। गूगल रीडरमे पढ़बा लले

    http://reader.google.com/ पर जा कऽ Add a Subscription बटन िक्लक करू आ खाली थानमे

    http://www.videha.co.in/index.xml पे ट करू आ Add बटन दबाऊ।

    मैिथली देवनागरी वा िमिथलाक्षरमे निह देिख/ िलिख पािब रहल छी, (cannot see/write Maithili in

    Devanagari/ Mithilakshara follow links below or contact at

    [email protected]) तँ एिह हेतु नीचाँक िलंक सभ पर जाऊ। संगिह िवदेहक तंभ मैिथली

    भाषापाक/ रचना लेखनक नव-पुरान अंक पढ़ू।

    http://devanaagarii.net/

    http://kaulonline.com/uninagari/ (एतए बॉक्समे ऑनलाइन देवनागरी टाइप करू, बॉक्ससँ कॉपी करू

    आ वडर् डॉक्युमे टमे पे ट कए वडर् फाइलकेँ सेव करू। िवशेष जानकारीक लेल

    [email protected] पर स पकर् करू।)(Use Firefox 3.0 (from

    WWW.MOZILLA.COM )/ Opera/ Safari/ Internet Explorer 8.0/ Flock 2.0/ Google

    Chrome for best view of 'Videha' Maithili e-journal at http://www.videha.co.in/ .)

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    Go to the link below for download of old issues of VIDEHA Maithili e magazine in .pdf format

    and Maithili Audio/ Video/ Book/ paintings/ photo files. िवदेहक परुान अंक आ ऑिडयो/ वीिडयो/ पोथी/

    िच कला/ फोटो सभक फाइल सभ (उच्चारण, बड़ सुख सार आ दूव क्षत मं सिहत) डाउनलोड करबाक हेतु नीचाँक िलंक पर

    जाऊ।

    VIDEHA ARCHIVE िवदेह आक इव

    भारतीय डाक िवभाग ारा जारी किव, नाटककार आ धमर्शा ी िव ापितक टा प। भारत आ नेपालक मािटमे पसरल िमिथलाक

    धरती ाचीन कालिहसँ महान पुरुष ओ मिहला लोकिनक कमर्भूिम रहल अिछ। िमिथलाक महान पुरुष ओ मिहला लोकिनक िच

    'िमिथला र ' मे देख।ू

    गौरी-शंकरक पालवंश कालक मूि र्, एिहमे िमिथलाक्षरमे (१२०० वषर् पूवर्क) अिभलेख अंिकत अिछ। िमिथलाक भारत आ नेपालक

    मािटमे पसरल एिह तरहक अ या य ाचीन आ नव थाप य, िच , अिभलेख आ मूि र्कलाक़ हेतु दखेू 'िमिथलाक खोज'

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    िमिथला, मैिथल आ मैिथलीसँ स बि धत सूचना, स पकर्, अ वेषण संगिह िवदेहक सचर्-इंजन आ यूज सिवर्स आ िमिथला, मैिथल आ

    मैिथलीसँ स बि धत वेबसाइट सभक सम संकलनक लेल देखू "िवदेह सूचना संपकर् अ वेषण"

    िवदेह जालवृ क िडसकसन फोरमपर जाऊ।

    "मैिथल आर िमिथला" (मैिथलीक सभसँ लोकि य जालवृ ) पर जाऊ।

    १. संपादकीय

    २. मैिथलीक वॉट Strenghth- Weakness- Opportunity- Threat (SWOT) एनेलेिसस आ

    िवदेह मैिथली सािह य आ दोलन

    ३. मैनेजमे टमे एकटा िवषए छैक वॉट अनेिलिसस। मैिथलीक वतर्मान सम याकेँ आ िवदेह मैिथली सािह य

    आ दोलनक कायर्योजनाकेँ एिह कसौटीपर कसै छी।

    ४. Strenghth- शिक्त, साम यर्, बल –

    ५. मैिथली लेल हृदएमे अिग्न छि ह, से सभक हृदएमे, पर पर एक दोसराक िवरोधी िकएक ने होथु।

    जनक बीचमे एिह भाषाक आरोह, अवरोह आ भािषक वैिश यकेँ लऽ कऽ आदर अिछ आ एिह मे मैिथली

    निह बजिनहार भाषािवद् सि मिलत छिथ। आ याि मक आ सां कृितक मह वक कारण सेहो मैिथली

    मह वपूणर् अिछ। एिह भाषामे एकटा आ तिरक शिक्त छै। बहुत रास सं था, जािहमे िकछु जाितवादी आ

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    सां दाियक सं था सेहो सि मिलत अिछ, एकर िवकास लेल त पर अिछ। एिह भाषाक जनिनहार भारत

    आ नेपाल दू देशमे तँ रिहते छिथ आब आन-आन देश- देशमे सेहो पसरल छिथ।

    ६.

    ७. Weakness- यूनता, दुबर्लता, मूखर्ता –

    ८. शंसा पर परा जािहमे दोसराक िन दा सेहो एिहमे सि मिलत अिछ, एकरे अ तगर्त अबैत अिछ- माने

    आ म शंसाक।

    ९. पर पर शंसा सेहो एिहमे शािमल अिछ। सरकारपर आल बन, ाथिमकताक अज्ञान- जकर कारणसँ

    महाकिव बनबा/ बनेबा लेल किव समीक्षक जान अरोपने छिथ- जखन भाषा मिर रहल अिछ।

    कायर्योजनाक प अभाव अिछ आ जेना-तेना िकछु मैिथली लेल कऽ देबा लेल सभ य छिथ, कऽ

    रहल छिथ। वयं मैिथली निह बािज बाल-बच्चाकेँ मैिथलीसँ दूर रखबाक जेना अिभयान चलल अिछ आ

    एिहमे मीिडया, काटूर्न आ िशक्षा- णालीक संग ए े खाढ़ीमे भेल अ यिधक वास अपन योगदान देलक

    अिछ। मैिथलीक कायर्कत लोकिनक कएक ुवमे बँटल रहबाक कारण समथर्नपरक लॉिबइंग कतक

    अभाव अिछ। मैिथलीकेँ एिहअँ की लाभक बदला अपन/ अ पन लोकक की लाभ एिह लेल लोक बेशी

    िचि तत छिथ। मैिथली छा क संख्याक अभाव। उ पाद उ म रहला उ र सेहो िव यकौशलक

    आव यकता होइत छै। मैिथलीमे उ म उ पादक अभाव तँ अिछए, िव यकौशलक सेहो अभाव अिछ।

    १०. Opportunity- अवसर, योग, अवकाश –

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    ११. िविश िवषयक लेखनक अभाव, मा कथा-किवताक स बल। मैिथलीमे िच -शृंखला, िच कथा, िवज्ञान,

    समाज िवज्ञान, आ या म, भौितक, रसायन, जीव, वा य आिदक पोथीक अभाव अिछ। ताड़ थक

    संगणकक उपयोग कऽ काशन निह भऽ रहल अिछ। छा शिक्तक योग यून अिछ। सं या िव ालय

    आ िच कला-संगीतक मा यमसँ िशक्षा निह देल जा रहल अिछ। दूर थ िशक्षाक मा यमसँ/ अ तज लक

    मा यमसँ मैिथलीक पढ़ाइक अ यिधक आव यकता अिछ। मैिथलीमे अनुवाद आ वतर्मान िवषय सभपर

    पु तक लेखन आ अ कािशत ताड़ थ सभक काशनक आव यकता अिछ। मैिथलीक मा यमसँ

    ारि भक िशक्षाक आव यकता अिछ। वासी मैिथल लेल भाषा पाठन-लेखन-स पादन पा य मक

    आव यकता अिछ।

    १२. Threat- भीिषका, समभा यिवपद् –

    १३. हताशा, आ महीनता, िशक्षासँ िन कासन, पार पिरक पाठशालामे िशक्षाक मा यमक रूपमे मैिथलीक अभाव,

    िवरल शा ज्ञ, ताड़प क उपेक्षा आ िवदेशमे िब ी, भाषा शैिथ य, सां कृितक दूषण आ पिरणाम वरूप

    भाषा दूषण, मुख्यधारासँ दूर भेनाइ आ मा दू जाितक भाषा भेनाइ, िशक्षक म य ज्ञान तरक ास,

    राजनैितक वाथर्वश मैिथलीक िवरोध ई सभ िवपदा हमरा सभक सोझाँ अिछ।

    १४. िवदेहक मैिथली सािह य आ दोलन मैिथलीकेँ जनभाषा बनएबाक ममे लागल अिछ। पािक्षक रूपेँ मासमे

    दू बेर एिहपर िविच ता होइत अिछ। नकारा मक िच तन, परदूषण आ अभाव भाषण ारा ई आ दोलन

    निह अवरोिधत होएत आ एकरा यून करबाक आव यकता अिछ। ई सभटा ऊपरविणर्त िब दु ब धन-

    िवज्ञानक कायर्योजनाक िवषय अिछ, आ भाषणक निह कायर्क आव यकता अिछ आ से हम सभ कऽ

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    रहल छी। स भाषण, मैिथली मा यमसँ पाठन, नव सव गीन सािह यक िनम ण लेल सभकेँ एकमुखी, एक

    तरीय आ एक य सँ यास करए पड़त। धनक अभाव तखने होइत अिछ जखन सरकारी सहायतापर

    आस लगेने रहब। सावर्जिनक सहायताक अवल ब धरू, दाताक अभाव निह वीकारकत क अभाव

    अिछ।

    १५.

    १६. बोध स मान २०१० जीवका तकेँ भेटलि ह।

    १७.

    १८. एिह बेरुका पुर कार चयन ि यामे २१ गोटेक शुरुआती दौड़मे छलाह। पिहल बेरमे ७ गोटे बहार

    भेलाह (लेबल १), दोसर बेर आठ गोटे बहार भेलाह (लेबल २), तेसर दौड़मे मा छह गोटे बचलाह

    (लेबल ३)। ओिह छह गोटेक म एिह कारसँ रहल:-

    १९. जीवका त: ४८ अंक

    २०. सोमदेव: २२ अंक

    २१. भीमनाथ झा: १७ अंक

    २२. रमान द रेणु: १७ अंक

    २३. च भानु िसंह: १२ अंक

    २४. च नाथ िम अमर: १२ अंक

    २५.

    २६. जज एिह कारेँ रहिथ:

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    २७. एल-१- १०/१०

    २८. एल.२- ९/१०

    २९. एल.३- १०/१०

    ३०.

    ३१. सभ िमला कऽ २९/३० जज जािहमे २६ गोट जज िरपीट निह छलाह, माने २६ िविभ गोटे जज

    छलाह।

    ३२.

    ३३. सभटा वोट एिह तरहेँ रहल:

    ३४.

    ३५. 30 x 3 = 90 आ 30 x 2 = 60 आ 30 x 1 = 30 = 180

    ३६.

    ३७. वोट छह टा कम माने १७४ टा देल गेल, जािहमे छह गोटे जे ऊपरमे रहलिथ हुनका एिह मे सँ १३१

    टा वोट भेटलि ह।

    ३८. जीवका तकेँ १७४ मे ४८ वोट भेटलि ह-२७.५९% ( संगिह १३१ मे सँ ४८ भेल- ३६.६४%)

    ३९.

    ४०. अंितम लेबलमे दसमे सँ आठटा जज हुनका पिहल वोट देलि ह।

    ४१.

    ४२. जीवका तजीकेँ बधाई।

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    ४३. मैिथली प कािरताक िवकास कें यान मे रािख तथा युवा प कार कें ो सािहत करबाक उ यें वषर्

    २०१० सं ५०००/- टाका रािशक िमिथला दशर्न प कािरता पुर कार आरभ कयल गेल अिछ.

    ४४.

    ४५. समकालीन सम या स पिकर्त सािह येतर आलेख जे िमिथला दशर्न मे कािशत होयत तकरे आधार पर

    ई पुर कार दले जायत. साल भिरक िविभ अंक मे कािशत आलेख मे जे सव म होयत तकेर

    लेखक कें पुर कृत कायल जायत. एिह स दभर् मे स पादक मंडलक िनणर्य अंितम होयत.

    ४६.

    ४७. थम िमिथला दशर्न प कािरता पुर कार वि त foundation दत बोध सािह य स मानक संगिह

    फरवरी २०११ मे दान कयल जायत.

    ४८.

    ४९. रंगकम मीला झा ना यवृि – 09

    ५०.

    ५१.

    ५२. थम :

    ५३. ि यकंा झा (जनकपुर )

    ५४. सु ीि यंका झाक ज म ाचीन िमिथलाक राजधानी जनकपुर धाम नेपाल मे भेलि ह । संगिह जनकपुरे

    के ई अपन कमर्भूिम बनेली । ि भूवन िव िव ालयक जनकपुर कै पस स’कॉमसर् िवषय स’अंतर नातक

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    'िवदेह' ५० म अंक १५ जनबरी २०१० (वषर् ३ मास २५ अंक ५०)http://www.videha.co.in/ मानषुीिमह संस्कृताम ्

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    तक अहाँ अपन पढ़ाई केलहु । ि यंका के रंगमंच धरोहिरक रूप मे हुनकर िपता ी रमेश झा स’

    ा त भेलि ह । िहनक िपता मैिथली रंगमंचक अित मह वपूणर् ह ताक्षर छिथ ।

    ५५.

    ५६. ि यंका अपन जीवनक छोटपने स’ मैिथली रंगमंच पर अपन मह वपणूर् उपि थित देब’ लगलीह । अहाँ

    तुित िवधाक लेल कतेको तरहक िशक्षण ा त केने छी जािह मे मह वपूणर् सं थान अिछ गुरुकुल,

    आरोहण, एक्सन एड, िश पी आिद । संगिह मैिथली रंगमंचक सु िस सं था िमनाप, जनकपुर स’

    लगातार मैिथली रंगकमर् क’ रहल छी ।

    ५७.

    ५८. ि यंका अखन तक लगभग 6 टा मैिथली नाटकक लगभग 37 टा तुित आ 10 टा मैिथली सड़क

    नाटकक लगभग 5 सौ स’ बेसी तुित क’ चुकल छिथ । िहनका ारा कयल गेल मुख नाटक

    अिछ : ओ खाली मुँह देखै छै, छुतहा घैल, ओकरा ऑगनक बारहमासा, सुिनते करैये हरान, हाय रे

    हमर घरबाली आ बिगया । संगिह सड़क नाटक अिछ : िचि हयौ नेपाल, लेहुआयल आँचर, नै आब नै,

    ककर लाल, कॲटा िसंगार आिद ।

    ५९.

    ६०. ि तीय :

    ६१. रूपम ी ( सहरसा )

    ६२. सु ी रूपम ीक ज म सहरसा में भेलि ह । अहाँ नातक मे पढ़ैत छी संगिह संगीत स’ सेहो भाकर

    क’ रहल छी । रंगमंच स’ लगाव अहाँ के सुजीक यास स’ 1995 स’ भेल । रूपम ी िविभ

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    सं था संग रंगमंच क’ रहल छिथ । जािह मे मुख अिछ इ टा, पंच कोसी । िहनका ारा कयल गेल

    मह वपूणर् ना य तुित अिछ : मधु ावणी, किनया पुतरा, पाँच प । रूपम ीक ि य नाटककार

    छिथ महे मलंिगया आ ि य िनदशक छिथन उ पल झा । मैिथली रंगमंच में काज क’र’ में नीक

    लगैत अिछ । 2003 में खगौल, पटना मे अहाँके सवर् े अिभने ी स’ स मािनत कयल गेल, तरंग

    महो सव मे उ कृ नृ यक लेल ि तीय पुर कार रा पित ीमती ितभा िसंहदेवी पाटील स’ अहाँ हण

    केलहुँ ।

    ६३.

    ६४. तृतीय :

    ६५. क पना िम ा ( िद ली )

    ६६. सु ी क पना िम ाक ज म िमिथलाक नागदह गाम मे भेलि ह । बच्चे स’ क पना जीक लगाव संगीत

    स’ भ’ गेलि ह । अहाँ शा ीय संगीतक िशक्षण याग िव ापीठ संगीत सिमित, इलाहाबाद स’ ा त

    केलहुँ । अहाँक िशक्षा िदक्षा बेगूसराय मे भेल । पिहने िहनक झुकाव मैिथली संगीत िदस भेल,

    त पचात ई अिभनय िदस सेहो आकिषर्त भेलीह । अहाँ िद ली ि थत िमिथलांगन सं था स’ रंगकमर् क’

    रहल छी । मैिथलीक संग भोजपुरी, िह दी मे सेहो अहाँ लगातार अपन पहचान बनेबा मे सफल भेलहुँ

    अिछ । रंगमंचक संग अहाँ लगातार िफ म, टेलीिवजनक लेल काज क’ रहल छी । क पना जी

    कतेको मैिथली ना य तुित मे अपन अिभनय ितभा देखा चुकल छिथ । जािह मे मुख अिछ :

    जट जिटन, उगना हॉ ट, सामा चकेबा आिद । िहनक इच्छा छिन जे मिहला कलाकारक ित िमिथला

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    समाजक नजिरया मे बदलाव अयबाक चाही । क पना जीक ि य िनदशक छिथ संजय चौधरी आ ि य

    नाटककार महे मलंिगया ।

    पंकज पराशर उफर् अरुण कमल उफर् डगलस कलेनर उफर् उदयका त उफर् ISP 220.227.163.105 , 164.100.8.3 , 220.227.174.243 उफर्.....

    पकंज पराशरकेँ बैन कए िवदेह सािह य आ दोलनसँ। िनकालल जा रहल अिछ। कारण नीचाँक िलंकपर दले गेल अिछ।

    http://www.box.net/shared/75xgdy37dr िवदेहमे िकछु अनोिनमस ई-मेल अएलाक बाद ओकर इ क्वायरीक बाद चेतना सिमित ारा पंकज पराशरकेँ देल स मानकेँ वापस लेबा लेल आ एिह लेखककेँ बैन करबा लेल ई हमर (चेतना सिमितक आजीवन मे बरक हैिसयतसँ) आिधकािरक अनुरोध अिछ आ इ क्वायरीक िव तृत िविवचन नीचा देल जा रहल अिछ। कृपया चेतना सिमित एिह िवषयपर अपन आपात बैसकी करए आ उिचत िनणर्य लए से अनुरोध। -गजे ठाकुर इ क्वायरीक िववरण:

    पाठकक सूचनाक बाद ई पता चलल अिछ (आ ओकर स यापन कएल गेल) जे एिह लेखकक ई एिह तरहक पिहल कृ य निह अिछ। ई लेखक पिहने सेहो Douglas Kellner क Technopolitics क पंिक्तशः अनुवाद मूल लेखकक रूपमे नामसँ ज्ञानरंजनक िह दी पि का "पहल"मे धोखासँ छपबओलक। तकर पता चललाक बाद "पहल"मे एिह लेखकक रचनाक काशन ब द भऽ गेल। एिह स ब धमे िव तृत आलेख िवदेहक अगला अंकक स पादकीयमे दले जाएत। २.एिह सभ घटनाक बाद पंकज पराशरकेँ िवदेहसँ बैन कएल जा रहल अिछ। िवदेह आक इवसँ "िवलि बत कइक यगुमे िनब " पोथीकेँ हटाओल जा रहल अिछ । काशककेँ सहेो उिचत पुिलिसया कायर्वाही (यिद आव यक हुअए तँ) लेल एिह सम त घटना मक सूचना दऽ देल गले अिछ। ३.पाठक डगलस केलनरसँ ई-मेल [email protected] पर "पहल" पि का वा तकर स पादक ी ज्ञानरंजनसँ [email protected], [email protected] वा [email protected] पर आ दैिनक जागरणसँ [email protected], [email protected], [email protected], [email protected] पर स पकर् कए िव तृत जानकारी लऽ सकैत छिथ। डगलस केलनरक आिटर्कल गूगल सचर्पर technopolitics टाइप कए तािक सकै छी आ पिढ़ सकै छी। पहल पि काक वेबसाइट www.deshkaal.com पर सेहो पहल पि काक पुरान अंक सभ आ ते-आ ते देबाक ार भ भेल अिछ। िव तृत जानकारीक लेल सुधी पाठकगण अहाँक ध यवाद। भिव यमे सेहो एिह घटनाक पुनरावृि निह हुअए तािह लेल अहाँक पारखी नजिरक आस आगाँ सेहो रहत। एिह तरहक कोनो घटनाक जानकारी हमर ई-प [email protected] पर अव य पठाबी।

    blackmailer pankaj parashar ke viruddha google ke likhit complain usa sthit karyalaya me official channel se patha del gel chhai aa google ke Douglas Kellner se sampark karbak lel kahi del gel chhai. ehi blackmailer ke sabhta pseudo id identify kay lel gel achhi.

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    2. blackmailer pankaj parashar dvara pseudo id se kholal blog http://matipani.blogspot.com/ delete bhay chukal achhi.

    muda ee te maatra prarambh achhi.

    In Indian Constitution we all have certain rights, If somebody in the name of freedom of expression, in the name of Literary Criticism(????) and in the name of freedom on web is blackmailing you or abusing you then remember that the freedom is available to you too and all these are punishable cognizable offences.

    SAY NO TO BLACKMAIL. FOR FURTHER INFORMATION contact me at [email protected]

    2.ANNOUNCEMENT:NATASHA FOR KIDS: IN MAITHILI WE HAVE CHEATS LIKE PANKAJ PARASHAR BUT AT THE SAME TIME WE HAVE CREATIVE PEOPLES TOO LIKE DEVANSHU VATS. VIDEHA ANNOUNCES FIRST EVER MAITHILI COMICS NATASHA BY DEVANSHU VATS- the pdf version will be sent through email to you all in a few days, the print version is available (48 cartoon sories) for just Rs. 50/- HOWEVER THE PDF VERSION can be downloaded and printed without any restriction. SO SHARE THIS NEWS WITH ALL THE MAITHILI SPEAKING KIDS IN YOUR VICINITY. and congratulate Devanshu Vats on email [email protected]

    3.VIDEHA LANGUAGE AND LITERATURE MOVEMENT IS HERE TO STAY. WE CARE FOR YOU BUT AT THE SAME TIME WE ARE STERN WITH THE INTELLECTUAL PROPERTY RIGHT THIEFS. LET THEM TRY AGAIN WE WILL EMERGE EVEN STRONGER.

    REGARDS GAJENDRA THAKUR

    VIDEHA GAJENDRA THAKUR said... अ तज लपर लकैमेिलंग िवरु गूगल, िच ाजगत आ लोगवानीकेँ सूिचत करू, साइबर ाइम आ लैकमेिलंग रोकबा लेल सेहो ढेर रास ावधान छै, िवशेष जानकारी [email protected] पर स पकर् करू। अहाँसँ प कार, यूजपेपर, पि का आ िह दीक गणमा य लेखकगण/ ोफेसर/ िव िव ालय आिदकेँ एिह घटनासँ सूिचत करेबाक अनुरोध अिछ। िवशेष जानकारी लेबाक आ देबाक लेल [email protected] पर सूिचत करू। Reply 01/26/2010 at 01:56 PM 2 VIDEHA GAJENDRA THAKUR said... you may also brought this episode before [email protected] Thanks readers. Reply 01/26/2010 at 12:25 AM 3 VIDEHA GAJENDRA THAKUR said... But this time he has not used his name as maithil, mithila aa subodhkant but as Pankaj Parashar [email protected]

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    Reply 01/25/2010 at 09:48 PM 4 VIDEHA GAJENDRA THAKUR said... The same blackmail letter has been sent by the blackmailer to my email address which has been spammed through ISP ISP address 220.227.163.105 , 164.100.8.3 aa 220.227.174.243 and has been forwarded for taking Police action immediately. Reply 01/25/2010 at 09:45 PM 5 VIDEHA GAJENDRA THAKUR said... Professor Kellner has thanked me for this detective work, but it all your efforts dear reader. Reply 01/25/2010 at 08:21 PM

    Douglas Kellner Philosophy of Education Chair Social Sciences and Comparative Education University of California-Los Angeles Box 951521, 3022B Moore Hall Los Angeles, CA 90095-1521 Fax 310 206 6293 Phone 310 825 0977 http://www.gseis.ucla.edu/faculty/kellner/kellner.html 6 VIDEHA GAJENDRA THAKUR said... pahal=- 86, aarambh -23 aa arunkamalak naye ilake me ka sambandhit prishtha pathebak lel dhanyavad pathakgan. Reply 01/25/2010 at 08:16 PM 7 VIDEHA GAJENDRA THAKUR said... http://www.gseis.ucla.edu/courses/ed253a/newDK/intell.htm ehi link par douglas kellner ke lekhak anuvad pahal-86 ke page 125-131 par achhi- soochnak lel dhanyad pathakgan. Reply 01/24/2010 at 08:16 PM 8 VIDEHA GAJENDRA THAKUR said...

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    ehi ghatnakram me kono pathak lag je Arun Kamal jik kavita "Naye Ilake Me" hoinh aa Aarambh (ank 23, maithili magazine editor Sh. Rajmohan Jha (March 2000) me prakashist maithili kavita "Sanjh Hoit Gam Me" te kripya [email protected] par soochit karathi- Dhanyavad. Reply 01/24/2010 at 08:02 PM 9 VIDEHA GAJENDRA THAKUR said... ehi ghatnakram me bahut ras aar jankari aa dher ras samarthan debak lel dhanyavad pathakgan. Reply 01/23/2010 at 11:40 PM 10 VIDEHA GAJENDRA THAKUR said... िवदेहक पाठकक सूचनाक बाद ई पता चलल अिछ (आ ओकर स यापन कएल गेल) जे एिह लेखकक ई एिह तरहक पिहल कृ य निह अिछ। ई लेखक पिहने सेहो Douglas Kellner क Technopolitics क पंिक्तशः अनुवाद मूल लेखकक रूपमे नामसँ ज्ञानरंजनक िह दी पि का "पहल"मे धोखासँ छपबओलक। तकर पता चललाक बाद "पहल"मे एिह लेखकक रचनाक काशन ब द भऽ गेल। एिह स ब धमे िव तृत आलेख िवदेहक अगला अंकक स पादकीयमे दले जाएत। २.एिह सभ घटनाक बाद पंकज पराशरकेँ िवदेहसँ बैन कएल जा रहल अिछ। िवदेह आक इवसँ "िवलि बत कइक यगुमे िनब " पोथीकेँ हटाओल जा रहल अिछ आ एकटा इनक्वायरी ारा एिह पोथीक ( डगलस केलनर बला घटना मक बाद) जाँच िकछु चुनल लेखक-पाठक ारा कएल जएबा धिर रहत। काशककेँ सहेो उिचत पुिलिसया कायर्वाही (यिद आव यक हुअए तँ) लेल एिह सम त घटना मक सूचना दऽ दले गेल अिछ। ३.पाठक डगलस केलनरसँ ई-मेल [email protected] पर "पहल" पि का वा तकर स पादक ी ज्ञानरंजनसँ [email protected], [email protected] वा [email protected] पर आ दैिनक जागरणसँ [email protected], [email protected], [email protected], [email protected] पर स पकर् कए िव तृत जानकारी लऽ सकैत छिथ। डगलस केलनरक आिटर्कल गूगल सचर्पर technopolitics टाइप कए तािक सकै छी आ पिढ़ सकै छी। पहल पि काक वेबसाइट www.deshkaal.com पर सेहो पहल पि काक पुरान अंक सभ आ ते-आ ते देबाक ार भ भेल अिछ। िव तृत जानकारीक लेल सुधी पाठकगण अहाँक ध यवाद। भिव यमे सेहो एिह घटनाक पुनरावृि निह हुअए तािह लेल अहाँक पारखी नजिरक आस आगाँ सेहो रहत। एिह तरहक कोनो घटनाक जानकारी हमर ई-प [email protected] पर अव य पठाबी। Reply 01/22/2010 at 12:03 PM 11 VIDEHA GAJENDRA THAKUR said... out of these three addresses of the spammer i.e. [email protected], [email protected] and [email protected] the address [email protected], is fails verification test and addresses [email protected] and [email protected] stands verified and confirmed. Reply 01/21/2010 at 10:00 PM 12

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    VIDEHA GAJENDRA THAKUR said... the htpps host matches reliance communications and the corresponding email gamghar at gmail dot com and maithilaurmithila at gmail dot com is fake ids related with the actual spammers id [email protected], [email protected] and [email protected] Reply 01/21/2010 at 08:50 PM 13 VIDEHA GAJENDRA THAKUR said... The office premise has been located, the blackmailer works in Dainik Jagran, Process to file complaint against Cyber Crime Act is being initiated and the organisation being taken into confidence. Reply 01/21/2010 at 06:13 PM 14 VIDEHA GAJENDRA THAKUR said... maithil, mithila aa subodhkant nam se abhadra aa blackmail karay bala blackmailer ke cheenhi lel gel achhi,ISP address 220.227.163.105 , 164.100.8.3 aa 220.227.174.243 aa ban kayal ja rahal achhi, agan ohi organisation se seho sampark kayal jaayat jatay se ee email aayal achhi. Reply 01/18/2010 at 11:19 PM 15 VIDEHA GAJENDRA THAKUR said... comment moderation lagoo kayal ja rahal achhi Reply 01/18/2010 at 09:27 PM 16 सुबोधकांत said... ist Pankaj Parashar told Pranav (Son of Maithili Story writer Sh. Pradip Bihari) to translate that article (and also one by Noam Chomsky) and he promised him to publish that hindi article as translation.The young boy translated it and handed over to him but after six months Pankaj Parashar told Pranav that the translation was not upto mark and was rejected and the translation of Noam Chomsky was misplaced. Then Pranav by chance saw that article in Hindi magazine PAHAL (86th issue) and started weeping, then when everybody saw it it was detected that Pankaj Parashar was shown as author of that article, the editor of Pahal banned him and said that a pirated article of Noam Chomsky that was sent to him by Pankaj Parashar will not be published. Arun Kamal's Poem and its blatant translation in Maithili and a series of these act by Pankaj Parashar led me to ban him the he started abusing me through false ids like [email protected], and [email protected] and ISPs 220.227.163.105 , 164.100.8.3 aa 220.227.174.243 2.from ISP 220.227.174.243 of Dainik Jagran he abused many times earlier too to others .doc is attached.

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    अिवनाशकेँ सेहो 220.227.174.243 आइ.एस.पी.सँ एिह कारक ई-प अबैत रहै मुदा ओ मािमला खतम कs दनेे रहिथन। ओ िट पणी सभ एतेक घृिणत छैक जे एतए निह दले जा रहल अिछ।

    संगिह "िवदेह" केँ एखन धिर (१ जनवरी २००८ सँ १४ जनबरी २०१०) ९३ देशक १,०४२ ठामसँ

    ३६,७१७ गोटे ारा िविभ आइ.एस.पी.सँ २,१९,८९१ बेर देखल गेल अिछ (गूगल एनेलेिटक्स डाटा)-

    ध यवाद पाठकगण।

    गजे ठाकरु नई िद ली। फोन-09911382078

    [email protected]

    [email protected]

    २. ग

    २.१.जगदीश साद मंडल- -दूटा कथा

    २.२.१.परमे वर कापिड़ कथा- धुमग जर २. आशीष चमन- कथा- पछता रोटी ३.ेमशंकर िसंह-जयका त िम जीवन आ सािह य–साधना

    २.३.१ कमला चौधरी-कथा--गुणनफल २.दुग न द मंडल बकलेल (कथाक दोसर आ

    अि तम भाग)

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    २.४.१. बोध स मान २०१० लेल चयिनत जीवका तसँ विर प कार आ मैिथलीक उदीयमान किव

    िवनीत उ पलक साक्षा कार २. सुशा त झा-िवकासक तेजीमे कहॴ छुिट नै जाय िमिथला

    ३. नवे कुमार झा-पचास वषर्क भेल ादेिशक समाचार एकांश/1993 मे ारंभ भेल छल मैिथली मे

    समाचारक सारण/ सताक ाि त बनल भाजपाक उ े य ४. केदार कानन-जगदीश साद मंडलक

    पछताबा पर एक दृि ट

    २.५..१. डॉ. कैलाश कुमार िम -सखी कु ती २. िबिपन झा-के करत िमिथलाक्षरक रक्षा ३.

    फूलच झा वीण- मैिथलीक बाल सािह य

    २.६.१. यामसु दर शिश-नमन गुरुदेव- (सािह यकार डा़. धीरे वर झा िधरे क ६ अम वािषर्कीपर िवशेष)

    २. सुजीत कुमार झा हारैत हारैत नेपाल प कार महासंघक के ीय अ यक्ष

    २.७. कुमार मनोज क यप-कथा- अ हेर

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    २.८. १.डा.रमान द झा ‘रमण’-त ानाथझा/ सुभ झा ज मशतवािषर्की २. ऋृिष विश - जुआनी िज दाबाद ३. िशवशंकर ीिनवास- पि डत ओ हुनक पु

    २.१.जगदीश साद मंडल- -दूटा कथा

    जगदीश साद मंडल- -दूटा कथा

    जगदीश साद मंडल1947- गाम-बेरमा, तमुिरया, िजला-मधुबनी। एम.ए.। कथा (गामक िजनगी-कथा सं ह), नाटक(िमिथलाक

    बेटी-नाटक), उप यास(मौलाइल गाछकफूल, जीवन संघषर्, जीवनमरण, उ थान-पतन,िजनगीक जीत- उप यास)। माक्सर्वादक गहन अ ययन। मुदा सीिलंगसँ बचबाक लेल क युिन ट

    आ दोलनमे गेिनहार लोक सभसँ भेँट भेने मोहभंग। िहनकर कथामे गामक लोकक िजजीिवषाक वणर्न आ नव दृि कोण दृि गोचर होइत अिछ।

    दूटा कथा

    ठेलाबला

    टाबरक घड़ीमे बारह बजेक घंटी बिजतिह भोलाक िन टूिट गेलिन। ओछाइन परसँ उिठ सड़कपर

    आिब िहयासय लगला तँ देखलिन जे डंडी-तराजू माथसँ किनये पिछम झुकल अिछ। मेघनक दुआरे सतभैया

    झँपाएल। िजमहर साफ मेघ रहए ओ हुरका तरेगण हँसैत मुदा जेमहर मेघोन रहए ओ हुरका मिलन। गाड़ी-

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    'िवदेह' ५० म अंक १५ जनबरी २०१० (वषर् ३ मास २५ अंक ५०)http://www.videha.co.in/ मानषुीिमह संस्कृताम ्

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    सबारीसँ सड़क सुनसान। मुदा िबजलीक इजोत पसरल। ग तीक िसपाही टहलैत रहए। सड़क परसँ भोला

    आिब ओछाइनपर पिड़ रहला। मुदा मन उचला-चाल करैत रहिन। िसनेमाक रील जेकाँ पैछला िजनगी मनमे

    नचैत रहए। जिहना चुि पर चढ़ल बरतनक पािन तरसँ उपर अबैत तिहना भोलोक मनक खुशी हृदएसँ

    िनकिल िचड़ै जेकाँ अकासमे उड़ैत अिछ। िकएक निह खुशी अओतैक ? हराएल व तु जे भेिट गेलैक

    अिछ। मन गेलिन परसुका प पर। जे गामसँ दुनू बेटा पठौने रहिन। असंभव काज बुिझ िव ासे निह होइत

    रहिन। प तँ निह पढ़ल होइत रहिन मुदा पढ़बै काल जे पाँती सभ सुनने रहिथ, ओिहना आँिखक आगू

    नचैत रहिन। प उघािर आँिख गड़ा देखै लगलिथ। ‘‘बाबू, पाँच तारीखकेँ दुनू भाइ वाइन करै जाएब।

    इच्छा अिछ जे घरसँ िवदा हेबा काल अहाँकेँ गोर लािग घरसँ िनकली। तेँ पाँच तारीखकेँ दस बजेसँ

    पिहनिह अपने गाम पहुँिच जाइ।’’ प क बात मनमे अिबतिह भोला गाम आ शहरक बीचक सीमापर लसिक

    गेलाह। मनमे ऐलिन, समाजसँ िनकिल छातीपर ठेला घीिच, दूटा िशक्षक समाजकेँ देिलऐक, की ओिह

    समाजक आरो ऋण बाकी छैक ? जँ निह तँ िकएक ने छाती लगाओताह। जािहसँ मनमे खुशी उपकलिन जे

    जिहना गामसँ धोती गोलगोलाटा दू टाका लऽ कऽ िनकलल छलहुँ, तिहना देहक कपड़ा, सनेस, चाह-पानक

    खचर् छोिड़ िकछु निह एिहठाम लऽ जाएब। िचड़ै टाँिह देलकै, फेर ओछाइन परसँ उिठ िनकललाह, तँ

    देखलिखन जे बाँस भिर ऊपर भुरुकबा आिब गेल अिछ। चो े घुिर कऽ आिब संगी-साथीकेँ उठा अपन सभ

    िकछु बाँिट देलिखन, अपनाले खाली िटकटक खचर्, सनेसटा पाँकेट खचर् िमला सए रुपैया रािख, कपड़ा

    पहीिर, धमर्शालाकेँ गोड़ लािग हँसैत िनकिल गेलाह।

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    जखन आठे बखर्क भोला रहिथ तखनिह माए मिर गेलिखन।। तीिनये मासक पछाित िपता रघुनी

    चुमाओन कऽ लेलिखन। ओना पिहलुको प ीसँ चािर स तान भेल रहिन। मुदा खाली भोलेटा जीिवत रहल।

    स मायक पिरवारमे ऐने भोलाकेँ सुखे भेलिन। ओना गामक जिनजाितयो आ पुरुखोकेँ होइत जे स माय भोलाकेँ

    अलबा-दोलबा कऽ घरसँ भगा देतैक, निह तँ पिरवारमे िभनौज जरुर कराइये देतीह। मुदा सबहक अनुमान

    गलत भेलिन। भोला घरसँ सोलह ी ी भऽ गेलाह। ी िसफर् काजे टामे भेला, मान-दान बिढ़ये गेलिन।

    दुनू साँझ भानस होइतिह माए फुटा कऽ भोलाले सीकपर थारी साँिठ कऽ रािख दैत छलीह। भलेही भोला

    िदनुका खेनाइ साँझमे आ रौतुका खेनाइ भोरमे िकएक ने खािथ।

    परोप ामे जािलम िसंह आ उ म च दक नाच जोर पकड़ने। सभ गाममे तँ नाच पाट निह मुदा एक

    गाममे नाच भेने चािर कोसक लोक देखै अबैत।

    भोलाक गामक िवषौलक नाच पाट सभसँ सु दर अिछ। जेहने नगेड़ा बजौिनहार तेहने िबपटा। जािहसँ

    पाट क ित ा िदनानुिदन बिढ़तिह जाइत। घरसँ ी भेने भोला नाचक परमानेंट देिखिनहार भऽ गेलाह। नाचो

    भिर रौतुका, निह िक एक घंटा, दू घंटा, तीन घंटाक। जेहने देिखिनहार िज ी, तेहने निचिनहारो। गामक

    बूढ़-बुढ़ानुससँ लऽ कऽ छौँड़ा-मारिड़ घर भिर मन मनोरंजन करैत। मनोरंजनो स ता। ने नाच पाट केँ रुपैआ

    िदअए पड़ैत आ ने खाइ-पीबैक कोनो झंझट। ओना गामक बारह-चौदह आना लोकक हालतो रि ये। मुदा जे

    िकसान पिरवार छल ओ अपना ऐठाम मासमे एक-दू िदन जरुर नाच करबैत छलाह। ओ नटुआकेँ खाइयोले

    दैत छलिथ आ कोनो-कोनो समानो कीिनकेँ दैत छलिखन। भोलो नाच पाट क अंग बिन गेल, िड ी सेदैक

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    िज मा भेिट गेलैक। िड ी सेदैक िज मा भेिटतिह काजो बिढ़ गेलैक। घूरक लेल जारनोक ओिरयान करै

    पड़ैत छलै। अपना काजमे भोला म त रहै लगल। मुदा एतबेसँ ओकर मन शा त निह भेलैक। काजक

    सृजन ओ अपनोहु करै लगल। टेजक आगूमे जे छोटका िधया-पूता बैिस पी-पाह करैत, ओकरो सभपर

    िनगरानी करै लगल। आब ओ चुपचाप एकठाम निह बैसैत। घूिम-घूिमकेँ महिफलोक िनगरानी करै लगल।

    आरो काज बढ़ैलक। नटुआ सभकेँ बीड़ी सेहो लगबै लगल। बीड़ी सुनगबैत-सुनगबैत अपनो बीड़ी पीब सीिख

    लेलक। िकछुए िदनक पछाित भोला बीड़ीक नमहर िपयाक भऽ गेल। िकएक तँ ए े-दू दम जँ पीबए तैयो

    भिर राितमे तीस-पैंतीस दम भऽ जाइत छलैक। जािहसँ भिर राित मूड बनल रहैत छलैक।

    बीड़ीक कसगर चहिट भोलाकेँ लािग गेलै। राितमे तँ नटुऐ सभसँ काज चिल जाइत छलैक मुदा

    िदनमे जखन अमलक तलक जोर करैत तँ मन छटपटाए लगैत छलैक। मूडे भंगिठ जाइत छलैक। मूड

    बनबैक दुआरे भोला बापक राखल बीड़ी चोरा-चोरा पीबै लगल। जिहक चलैत सभ िदन िकछु निह िकछु

    बापक हाथे मािर खाइत। एक िदन ए ेटा बीड़ी रघुनीकेँ रहिन। भोला चोरा कऽ पीिब लेलक। कोदािर पािड़

    रघुनी गामपर अएलाह तँ बीड़ी पीबैक मन भेलिन। खोिलया परसँ अनै गेलाह तँ बीड़ी निह देखलिन। चोटपर

    भोला पकड़ा गेलै। सभ तामस रघुनी भोलापर उतािड़ देलिखन। मािर खाए भोला कनैत उ र मुहेक रा ता

    पकड़लक। किनये आगू बढ़ल आिक किरया काकाक नजिर पड़लिन। भोलाक कानब सुिन ओ बुिझ गेलिखन

    जे भीतिरया मािर लागल छै। चुचुकािरकेँ पुछलिखन- ‘‘की भेलौ रौ भोला?’’

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    किरया काकाक बात सुिन भोला आरो िहचुिक-िहचुिक कनै लगल। िहचुकैत भोला किनये जोरसँ

    काकाकेँ कहलकिन, जे कानबक अवाजमे हरा गेलैक। काका भोलाक बात निह बुझलिखन। मुदा

    िबगड़लिखन निह, दिहना डेन पकिड़ रघनुीकेँ कहै बढ़लिथ। काकाकेँ देिख रघुिनयोक मन पिघल गेलैक।

    काका कहलिखन- ‘‘रघुनी, भोला बच्चा अिछ िकऐक तँ िवआह निञ भेलै अए। तेँ नीक हेतह जे िवआह

    करा दहक। अपन भार उतिड़ जेतह। पिरवारक बोझ पड़तै अपने सुधरत। अखन मारने दोषी हेबह, समाज

    अबल जोड़तह जे बाप कुभेला करैत छैक। जिनजाितक मुँह रोिक सकबहक ओ कहतह जे ‘‘माइ मुइने

    बाप िप ी।’’

    किरया काकाक िवचार रघुनीक करेजकेँ छेिद देलक। आँिखमे नोर आिब गेलैक। अखन धिर जे

    आँिख रघुनीक किरया काकापर छलैक ओ भोलाक गाल पड़क सुखल नोरक टघारपर पहुँिच अटिक गेलैक।

    मािरक चोट भोलाक देहमे िनजाइये गेलैक जे संग-संग िवआहक बात सुिन मनमे खुिशयो उपकलै। बुि क

    िहसाबसँ भलेही भोला बुिड़बक अिछ मुदा नाचमे मेल-फीमेल गीत तँ गिबतिह अिछ।

    िपताक हैिसयतसँ रघुनी किरया काकाकेँ कहलिखन- ‘‘काका, हम तँ ओते छह-पाँच निह बुझैत िछऐ,

    काि ये चलह कतौ लड़की ठेमा कऽ िवआह कइये देबै।’’

    ‘‘बड़बिढ़या’’ किह किरयाकाका रा ता घेलिन।

    भोलाक िवआह भेला आठे िदन भेल छलैक िक पाँच गोटेक संग ससुर आिब रघुनीकेँ कहलकिन-

    ‘‘िवआहसँ पिहने हम सभ निह बुझिलऐक, परसू पता लागल जे लड़का नाच पाट मे रहै अए। नटुआ-फटुआ

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    लड़काक संग अपन बेटीकेँ हम निह जाए देब। तेँ ई संबंध निह रहत। अपना सभमे तँ खुजले अिछ। अहूँ

    अपन बेटाकेँ िबयािह िलअ आ हमहूँ अपना बेटीक दोसर िवआह कऽ देब।’’ किह पाँचो गोटे चिल गेलाह।

    ससुरक बात सुिन भोलाक बुि ये हरा गेलै। जिहना जोरगर िबरड़ो उठलापर सभ िकछु अ हरा जाइत

    छैक तिहना भोलोक मन अ हरा गेल। दुिनयाँ अ हार लगै लगलैक। ओना तीन मास पिहनिह नाच पाट टुिट

    गेल छलैक। एकटा नटुआ एकटा लड़की लऽ कऽ पड़ा गेल छलैक, जािहसँ गाम दू फाँक भऽ गेलैक। दू

    ुपमे गाम बँटा गेलैक। सैाँसे गाममे सनासनी चलै लगलैक। तािह परसँ भोला आरो दू फाँक भऽ गेल।

    पा डु रोगी जेकाँ भोलाक देहक खून तरे-तर सुखै लगलैक। मुदा की करैत बेचारा? िकछु फुड़बे निह करैत

    छलैक। ग्लािनसँ मन कसाइन होअए लगलैक। मने-मन अपनाकेँ िध ारै लगल। कोन सुगराहा भगवान हमरा

    ज म देलिन जे बहुओ छोिड़ देलक। िवचारलक जे एिह गामसँ कतौ चिलये जाएब नीक होएत।

    घरसँ भोला पड़ा गेल। संगी-साथीक मुँहसँ िद ली, कलक ा, ब बइक िवषयमे सुननिह रहए।

    जािहसँ गािड़योक भाँज बुझले रहए। ने जेबीमे पाइ रहए, ने बटखरचा। िसफर् दुइयेटा टाका संगमे रहए।

    अबधािर कऽ कलक ाक गाड़ी पकिड़ लेलक।

    हबड़ा टेशन गाड़ी पहुँचते भोला उतिड़ िबदा भेल। िटकट निह रहनहुँ ए ो िमिसया डर मनमे निह

    रहैक। िनरमली-सकरीक बीच किहयो िटकट निह कटबैत छल। एक बेर पनरह अग तकेँ िसमिरया धिर

    िबना िटकटे घुिर आएल रहए। लेटफामर्क गेटपर दूटा िसपाहीक संग टी.टी. िटकट ओसुलैत। भोलाकेँ देिख

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    टी.टी.क मनमे भेलै जे दरभंिगया छी भीख मंगै आएल अिछ। िटकट निह मंगलकै। िसपािहयोकेँ बुिझ पड़लै

    जे जेबीमे िकछु छैक निह। िटकटेबला या ी जेकाँ भोलो गेट पार भऽ गेल।

    सड़कपर आिब आँिख उठा कऽ तकलक तँ नमहर-नमहर कोठा चौरगर सड़क, हजारो छोटका-बड़का

    गाड़ी आ लोकक भीड़ भोला देखलक। मनमे भेलै जे भिरसक आँिखमे ने िकछु भऽ गेल अिछ। जिहना

    आँिख गड़बड़ भेने ए े चान सात बुिझ पड़ैत तिहना। दुनू हाथे दुनू आँिख मीिड़ फेर देखलक तँ ओिहना।

    भीड़ देिख मनमे एलै जे जखन ए े लोकक गुजर-बसर चलैत छै तँ हमर िकएक ने चलत। आगू बिढ़

    लोकक बोली अकानै लगल। तेँ ककरो बाजब बुझबे निह करैत। अखन धिर बुझैत जे जिहना गाए-महीस

    सभ ठाम ए े रंग बजैत अिछ तिहना ने मनुक्खो बजैत होएत। मुदा से निह देिख भेलैक जे भिरसक हम

    मनुक्खक जेिरमे हरा ने तँ गेलहुँहेँ। फेर मनमे एलै जे लोक तँ संगीक बीच हराइत अिछ, असकरमे कोना

    हराएत। िविच ि थितमे पिड़ गेल। ने आगू बढ़ैक साहस होइ आ ने ककरोसँ िकछु पूछैक। िहया हािर

    उ र मूहे िबदा भेल। सड़कक िकनछिरये सभमे खाइ-पीबैक छोट-छोट दोकान पितआनी लागल देखलक।

    भुख लगले रहै मुदा अपन पाइ आ बोली सुिन िह मते ने होइत। जेबी टोबलक तँ दूटकही रहबे करै। मन

    पड़लैक मधुबनीक टेशन कातक होटल, जिहमे पाँच रुपैये लेट दैत। ई तँ सहजिह कलक ा छी। एिहठाम

    तँ आरो बेसी महग हेबे करत। एकटा दोकानक आगूमे ठाढ़ भऽ गर अँटबै लगल जे निह भात-रोटी तँ एक

    िगलास सतुऐ पीिब लेब। बगए देिख दोकानदारे कहलक- ‘‘आबह, आबह बौआ। ठाढ़ िकएक छह?’’

    अपन बोली सुिन भोला घुसुिक कऽ दोकान लग पहुँिच पुछलक- ‘‘दादा, कोना खुआबै छहक?’’

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    तीन मास पिहने धिर आठे आनामे खुआबै छेिलऐक। अखन बारह आनामे खुआबै िछऐ।’’

    भोलाक मनमे संतोष भेल। पाइयेबला गिहकी जेकाँ बाजल- ‘‘कुरुड़ करैले पािन लाबह।’’

    भिर पेट खा आगू बढ़ल। ओना तँ रंग-िवरंगक ब तु देखैत मुदा भोलाक नजिर िसफर् दुइये ठाम

    अँटकैत। देवाल सभमे साटल िसनेमाक पो टरपर आ सड़कपर चलतै ठेलापर। जािह पो टरमे डा स करैत

    देखए ओिह ठाम अटिक सोचए जे ई नतर्की मौगी छी आिक पुरुख। गाम-घरमे तँ पुरुखे मौगी बिन डा स

    करैत अिछ। फेर मन पड़लै संगीक मूहे सुनल ओ बात जे कहने रहए स य हिर द िफ ममे मद मौिगओक

    रौल केने रहए। गुनधुन करैत बढ़ल तँ अपने जेकाँ छौड़ाकेँ ठेला ठेलने जाइत देिख सोचै लगल जे ई काज

    तँ हमरो बुते भऽ सकैत अिछ। गाड़ीक ाइवरी तँ करै निह अबै अिछ। िबना िसखने िरक्शो कोना चलाओल

    हएत ? ततमत करैत आगू बढ़ल। सड़कक बगलेमे एकटा ठेलाबलाकेँ चाह पीबैत देखलक। ओिहठाम जा

    कऽ ठाढ़ भऽ गेल। चाह पीिब ठेलाबला पुछलक- ‘‘कोन गाँ रहै छह?’’

    ‘‘िवषौल।’’

    ‘‘हमहूँ तँ सुखेते रहै छी। चलह हमरा संगे।’’

    गप-सप करैत दुनू गोटे धमर्त लाक पुरना धमर्शाला लग पहुँचल, ठेलाकेँ सड़केपर छोिड़ दीनमा भोलाकेँ

    धमर्शालाक भीतर लऽ जा कऽ कहलक- ‘‘समांग असकरे कतौ जैहह निह। हरा जेबह। हम एक ीप मारने

    अबै छी।’’

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    टंकीपर हाथ-�