Videha Maithili Fortnightly e Magazine व देह Videha ·...

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Videha ‘िवदेह’ ᮧथम मैिथली पािᭃक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषᭅ २ मास १३ अंक २५) ' Videha Maithili Fortnightly e Magazine वदेह वदेह वदेह वदेह Videha http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम् मानुषीिमह संकृ ताम् मानुषीिमह संकृ ताम् मानुषीिमह संकृ ताम् 1 िवदेह ०१ जनवरी २००९ वषᭅ २ मास १३ अंक २५ 'िवदेह' ०१ जनवरी २००९ (वषᭅ २ मास १३ अंक २५) एिह अंकमे अिछ:- एिह अंकमे अिछ:-

Transcript of Videha Maithili Fortnightly e Magazine व देह Videha ·...

  • Videha ‘िवदहे’ थम मैिथली पाि क ई पि का ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५) �����' ��� ���� Videha Maithili Fortnightly e Magazine ����� ����� ����� ����� �वदेह �वदेह �वदेह �वदेह Videha ��������������������

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    िवदहे ०१ जनवरी २००९ वष २ मास १३ अंक २५

    'िवदहे' ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५) एिह अंकमे अिछ:-

    एिह अंकमे अिछ:-

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    िच : योित झा चौधरी

    ११११....संपादक य संदशे

    २२२२....ग

    २२२२....११११....१. सुभाषच यादव २. तृ णा- राजे िवमल,३.अिमत कुमार झा, बुढ़ी माता ((((कथाकथाकथाकथा))))

    २२२२....२२२२....उप यास- केदारनाथ चौधरी

    २२२२....३३३३....१. यामसु दर शिश-िवचार २.अंकुर काशीनाथ झा, नेताजी पर तामश कयैक उठैत अिछ

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    २२२२....४४४४.११११. . . . अयो यानाथ चौधरीअयो यानाथ चौधरीअयो यानाथ चौधरीअयो यानाथ चौधरी----द ूपद ूपद ूपद ूप २२२२....एकद तएकद तएकद तएकद त हाथी आ नौलखा हार हाथी आ नौलखा हार हाथी आ नौलखा हार हाथी आ नौलखा हार----बषृेश च बषृेश च बषृेश च बषृेश च लाल लाल लाल लाल ३३३३....कुमार मनोज कुमार मनोज कुमार मनोज कुमार मनोज

    क यपक यपक यपक यप---- नव वष नव वष नव वष नव वष ४४४४....एतएतएतएत’’’’ आ ओआ ओआ ओआ ओतततत’’’’---- अनलका त अनलका त अनलका त अनलका त ५५५५.... मेच िममेच िममेच िममेच िम ---- अनाम कथाअनाम कथाअनाम कथाअनाम कथा ((((कथाकथाकथाकथा))))

    २२२२....६६६६.... आलखेआलखेआलखेआलखे---- रपोताजरपोताजरपोताजरपोताज- १.डॉ.बलभ िम , २.नरेश मोहन झा ३.नागे झा,४.डॉ. र े र िम ५. योित

    ६.िजते झा-जनकपुर ७.उमेश कुमार ८.नवे द ुकुमार झा ९.मुखीलाल चौधरी

    २.७. डॉडॉडॉडॉ....शभं ुकुमार सहशभं ुकुमार सहशभं ुकुमार सहशभं ुकुमार सह---- ितयोगी परी ाितयोगी परी ाितयोगी परी ाितयोगी परी ा

    २.८. िमिथला मंथन- सुशा त झा

    २.९. भानस भात-नीिलमा

    ३३३३....प

    ३३३३....११११.... १.आशीष अनिच हार २.मधुप

    ३३३३....२२२२.... १.महशे िम "िवभूित"

    ३.३.-१. योित-२.स तोषस तोषस तोषस तोष िमिमिमिम ३३३३....नवीननाथ झानवीननाथ झानवीननाथ झानवीननाथ झा

    ३.४. िवनीत उ पल

    ३.५. पकंज पराशरपकंज पराशरपकंज पराशरपकंज पराशर

    ३३३३....६६६६.... १.िबनीत ठाकुर २.िनिमष झा ३.अमरे यादव

    ४४४४. . . . िमिथला कला-संगीत-छिव झा/ कुमुद सह

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    ५५५५.... ग -प भारती (तेलुगु कथा, गुजराती प )

    ६६६६.... बालानां कृत-े१.उमेश कुमार-२. योित झा चौधरी

    ७७७७.... भाषापाक रचना लेखन- १.कृिष-म य श दावली २.बसैटी (अर रया) िबहार, िशव मि दरक िमिथला र

    िशलालेखक दवेनागरी पा तरण।मानक-मैिथली

    8. VIDEHA FOR NON RESIDENT MAITHILS (Festivals of Mithila date-list)-

    The Comet-English translation of Gajendra Thakur's Maithili Novel Sahasrabadhani by

    jyoti

    ११११....सपंादक यसपंादक यसपंादक यसपंादक य

    िच : ीित ठाकुर

    ि य पाठकगण,

    िवदहेक नव अंक ई पि लश भऽ गेल अिछ। एिह हतेु लॉग ऑन क http://www.videha.co.in |

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    एिह अ ◌ंकसँ डॉ श भ ुकुमार सहक आलेख ितयोगी परे ाथ क लेल शु कएल गेल अिछ।

    रंगकम मीला झा ना वृि एिह मह वपूण ना वृि क संचालनक भार मैलोरंग कँे दले गेल । मीला झा

    मेमो रयल ट,घ घौर आ ओकर बंध यासी ी ीनारायण झा ारा ।

    रंगकम मीला झा ना वृि क थापना थम मिहला बाल ना िनदशक मीला झाक मृितमे भेल अिछ । मीला जी जीवन पयत भंिगमा, पटना संग जूिड़ बाल रंगकम के बढ़ावा दतै रहलीह । मीलाजीक मृित मे

    थािपत मीला झा मेमो रयल ट, घ घौर नकर बाल रंगमंच मे अिव मरणीय योगदानक लेल एिह

    ना वृि क थापना केलक अिछ । एकर मूल मे मैिथली रंगमंच पर मिहला रंगकम क ो साहन संग नकर सामािजक स मान अिछ । एिह ना वृि क संचालनक भार ट ारा लोक कलाक लेल सम पत सं था मैलोरंग के दान कयल गेल अिछ । वष 2006 सँ िनयिमत प सँ ई ना वृि योित व स ( द ली), रंजू झा

    (जनकपुर), वाित सह (पटना), ि यंका झा (पटना), वंदना ड े(सहरसा) के दान कयल गेल छिन ।

    वष 2008क लेल समूचा िमिथला (भारत+नेपाल) मे चालीस गणमा य रंगकम /सं कृितकम कँे नामक अनुशंसाक लेल प पठाओल गेल छलिन । ओही अनुशंसाक आधार पर थम : मधुिमता ीवा तव (मधुबनी),

    ि तीय : वंदना ठाकुर (कोलकाता), तृतीय : नेहा वमा ( द ली), आ चतथू : िवजया ल मी िशवानी (पटना)

    अयलीह । कछु पा रवा रक कारण सँ वंदना जी एिह बेर िवतरण समारोह मे अयबा सँ असमथ भ’ गेलीह तेँ

    ई म बदिल गेल आ वंदना जीक थान अिगला बेरक लले सुरि त राखल गेल अिछ ।

    रंगकम मीला झा ना वृि -2008

    तृतीय :िवजया ल मी िशवानी : पटना

    िशवानीक ज म दरभंगाक रिसयड़ी गाम मे भेलिन । ई िपछला तीन साल स ँलगातार मैिथली रंगमंच स ँजुड़ल छिथ । िशवानी अ रपन, भंिगमा सन िचर-प रिचत रंग सं था सँ जुड़ल छिथ । एिह बीच अहाँ नदी ग िगयायल

    जाय, िमना ी, घु घू, आिग धध क रहल अिछ, स े कोना हते ै ?, अलख िनरंजन आ द मह वपूण नाटक मे

    अिभनय करैत अपन नीक छिव बनेल अिछ । मनोज मनुज, कौशल कशोर दास आ अरिव द अ कू जीक

    िनदशन मे काज करैत िशवानीक इ छा छिन ज े व र रंग िनदशक कुणाल जीक िनदशन मे सेहो नाटक करी ।

    व र रंगकम ेमलता िम जी सन रंगकम बनबाक िहनक मोन छिन । िवजया ल मी िशवानीजीक कहब छिन जे - समकालीन सम या मैिथली नाटक मे एयबाक चाही जकर अखन तक कमी अिछ । पा रजात हरण

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    िहनकर ि य नाटक छिन आ िशवानी नबका तु रया के कह’ चाहतै छिथ जे इमानदारी सँ रंगकम करबाक चाही

    ि तीय :नेहा वमा : नई द ली

    नेहाक ज म बेगूसरायक यू चाण य नगर मे भेलैन । ई ब े सँ रंगमंच स ँजूड़ल रहलीह अिछ । नवतरंग, इ टा,

    या ीक संग काय करैत एखन मैलोरंग द ली सँ रंगकम क’ रहल छिथ । नेहा अिनल पतंग, परवेज़ यूशुफ,

    संतोष राणा, िवजय सह पाल, अिभषेक, मनोज मधुकर आ काश झाक िनदशन मे नाटक केलीह अिछ ।

    िहनका ारा कयल गेल मुख नाटक अिछ सामा-चकेवा, जट-ज टन, डोम कछ, गोरखधंधा, काठक लोक, कमल

    मुखी किनया, एक छल राजा आ द । आगू लगातार मैिथली रंगमंच स ँजुड़ल रहबाक िहनकर इ छा छिन ।

    िहनकर ि य नाटककार आ िनदशक महे मलंिगया छिथन आ रंजू झा (जनकपुर) क अिभनय िहनका भािवत करैत छिन । काठक लोक ि य नाटक आ गितशील सोचक संग बेसी युवा के होबाक कारण मैलोरंग नहेाक मनपसंद रंग सं था छिन । अपन आ मसमपण आ सं कारक संग रंगकम सँ जुड़बाक िहनकर आ ह छिन नबका कलाकारक लेल । नेहा सी. सी. आर. टी. ारा जूिनयर कॉल शप ा कयने छिथ । अखन रा ीय कथक के सँ कथक मे पो ट िड लोमाक संग खैरागढ़ िव िव ालय सँ एम. ए. क’ रहल छिथ ।

    थम : मधुिमता ीवा तव : मधुबनी

    मधुिमताक ज म मधुबनीक सूरत गंज मुह लामे भेलिन । बचपने सँ िहनका नृ य आक षत करैत छलिन । िवगत दस साल सँ ई मैिथली रंगमंच पर स य छिथ । मधबुनीक इ टा संग रंगकम करैत अहाँ इ टाक रा य आ रा ीय तरक महो सव मे सेहो िशरकत केने छी संगिह अहाँ स ग आ ामा िडभीजन संग सेहो संब छी । मुकािभनयक लेल अहा ँ इंटर कॉलेज यूथ फे टीवल-03 मे तेसर आ वष 06 मे लोक नृ यक लेल पहील थान

    ा केने छी । अहा ँओकरा आङनक बारहमासा, ओ रजनल काम, टूटल तागक एकटा ओर, छुतहा घैल, गोनूक

    गबाह, दलुहा पागल भ’ गेलै, िबजिलया भौजी, िबरज-ूिबलटू संग कतेको िह दीक नाटक केने छी । मंचीय नाटक

    संग नु ड़ नाटक मे सेहो मधिुमता ब ढ़ च ढ़ क’ भाग लैत रहलीह अिछ । िझिझया, झड़नी, जट ज टन डोम कछ

    एहन कतकेो लोक नृ य, एकल अिभनय, फ म िस रयल आ द मे अिभनय क’चुकल मधुिमता नेह युवा के ,

    एस.एस.बी संग कतेको सं था सँ स मािनत कयल गेल छिथ ।

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    संगिह "िवदहे" कँे एखन ध र (१ जनवरी २००८ सँ ३० दस बर २००८) ७० दशेक ६७३ ठामसँ १,३६,८७४

    बेर दखेल गेल अिछ (गूगल एनेले ट स डाटा)- ध यवाद पाठकगण।

    अपनेक रचना आऽ ित याक ती ामे।

    गजे ठाकुर, नई द ली। फोन-09911382078

    [email protected] [email protected]

    २२२२....सदंशेसदंशेसदंशेसदंशे

    ११११.... ी ोी ोी ोी ो. . . . उदय नारायण सह उदय नारायण सह उदय नारायण सह उदय नारायण सह """"निचकेतानिचकेतानिचकेतानिचकेता""""- जे काज अहाँ कए रहल छी तकर चरचा एक दन मैिथली भाषाक इितहासमे होएत। आन द भए रहल अिछ, ई जािन कए जे एतेक गोट मैिथल "िवदहे" ई जनलकँे प ढ़ रहल

    छिथ।

    २२२२.... ी डॉी डॉी डॉी डॉ. . . . गंगशे गुजंनगंगशे गुजंनगंगशे गुजंनगंगशे गुजंन- एिह िवदहे-कममे लािग रहल अहाँक स वेदनशील मन, मैिथलीक ित सम पत

    मेहनितक अमृत रंग, इितहास मे एक टा िविश फराक अ याय आरंभ करत, हमरा िव ास अिछ। अशेष

    शुभकामना आ बधाइक स ग, स ेह|

    ३३३३.... ी रामा य झा ी रामा य झा ी रामा य झा ी रामा य झा """"रामरंगरामरंगरामरंगरामरंग""""- "अपना" िमिथलासँ संबंिधत...िवषय व तसुँ अवगत भले ।ँ...शेष सभ कुशल अिछ।

    ४४४४.... ी जे ि पाठीी जे ि पाठीी जे ि पाठीी जे ि पाठी, , , , सािह य अकादमीसािह य अकादमीसािह य अकादमीसािह य अकादमी- इंटरनेट पर थम मैिथली पाि क पि का "िवदहे" केर लेल बाधाई

    आऽ शुभकामना वीकार क ।

    ५५५५.... ी फु लकुमार सह ी फु लकुमार सह ी फु लकुमार सह ी फु लकुमार सह """"मौनमौनमौनमौन""""- थम मैिथली पाि क पि का "िवदहे" क काशनक समाचार जािन कनेक च कत मुदा बेसी आ ला दत भेल ।ँ कालच कँे पकिड़ जािह दरूदिृ क प रचय दले ,ँ ओिह लेल हमर

    मंगलकामना।

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    ६६६६.... ी डॉी डॉी डॉी डॉ. . . . िशव साद यादविशव साद यादविशव साद यादविशव साद यादव- ई जािन अपार हष भए रहल अिछ, जे नव सचूना- ाि तक े मे मैिथली

    प का रताकँे वेश दअएबाक साहिसक कदम उठाओल अिछ। प का रतामे एिह कारक नव योगक हम वागत करैत छी, संगिह "िवदहे"क सफलताक शुभकामना।

    ७७७७.... ी आ ाचरण झाी आ ाचरण झाी आ ाचरण झाी आ ाचरण झा- कोनो प -पि काक काशन- ता मे मैिथली पि काक काशनमे के कतेक सहयोग करताह- ई तऽ भिव य कहत। ई हमर ८८ वषमे ७५ वषक अनुभव रहल। एतेक पैघ महान य मे हमर ापूण आ ित ा होयत- यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।

    ८८८८. ी िवजय ठाकुरी िवजय ठाकुरी िवजय ठाकुरी िवजय ठाकुर, िमिशगन िव िव ालय- "िवदहे" पि काक अंक दखेल ,ँ स पूण टीम बधाईक पा अिछ।

    पि काक मंगल भिव य हतेु हमर शुभकामना वीकार कएल जाओ।

    ९९९९. . . . ीीीी सभुाषच यादवसभुाषच यादवसभुाषच यादवसभुाषच यादव---- ई-पि का ’िवदहे’ क बारेमे जािन स ता भेल। ’िवदहे’ िनर तर प लिवत-पुि पत हो

    आऽ चतु दक अपन सुगंध पसारय से कामना अिछ।

    १०१०१०१०.... ीीीी मिैथलीपु दीपमिैथलीपु दीपमिैथलीपु दीपमिैथलीपु दीप- ई-पि का ’िवदहे’ केर सफलताक भगवतीसँ कामना। हमर पूण सहयोग रहत।

    ११११११११....डॉडॉडॉडॉ. . . . ी भीमनाथ झाी भीमनाथ झाी भीमनाथ झाी भीमनाथ झा- ’िवदहे’ इ टरनेट पर अिछ तेँ ’िवदहे’ नाम उिचत आर कतेक पँे एकर िववरण भए

    सकैत अिछ। आइ-काि ह मोनमे उ गे रहतै अिछ, मुदा शी पूण सहयोग दबे।

    १२१२१२१२.... ी रामभरोस कापिड़ मरी रामभरोस कापिड़ मरी रामभरोस कापिड़ मरी रामभरोस कापिड़ मर, जनकपुरधाम- "िवदहे" ऑनलाइन दिेख रहल छी। मैिथलीकँे अ तरा ीय

    जगतमे प चँेल ँतकरा लेल हा दक बधाई। िमिथला र सभक सकंलन अपूव। नेपालोक सहयोग भेटत से िव ास करी।

    १३१३१३१३. . . . ी राजन दन लालदासी राजन दन लालदासी राजन दन लालदासी राजन दन लालदास---- ’िवदहे’ ई-पि काक मा यमसँ बड़ नीक काज कए रहल छी, नाितक एिहठाम

    दखेल ।ँ एकर वा षक अ ◌ंक जखन ि ट िनकालब तँ हमरा पठायब। कलक ामे ब त गोटेकँे हम साइटक पता िलखाए दनेे िछयि ह। मोन त ँहोइत अिछ जे द ली आिब कए आशीवाद दतै ,ँ मुदा उमर आब बेशी भए गेल।

    शुभकामना दशे-िवदशेक मैिथलकँे जोड़बाक लेल।

    १४१४१४१४. . . . डॉडॉडॉडॉ. . . . ी ेमशकंर सही ेमशकंर सही ेमशकंर सही ेमशकंर सह- अहाँ मैिथलीमे इंटरनेटपर पिहल पि का "िवदहे" कािशत कए अपन अ भुत

    मातृभाषानुरागक प रचय दले अिछ, अहाँक िनः वाथ मातृभाषानरुागसँ े रत छी, एकर िनिम जे हमर

    सेवाक योजन हो, तँ सूिचत करी। इंटरनेटपर आ ोपांत पि का दखेल, मन फुि लत भ' गेल।

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    २२२२....ग

    २२२२....११११....१. सुभाषच यादव २. तृ णा- राजे िवमल,३.अिमत कुमार झा, बुढ़ी माता ((((कथाकथाकथाकथा))))

    २२२२....२२२२....उप यास- केदारनाथ चौधरी

    २२२२....३३३३....१. यामसु दर शिश-िवचार २.अंकुर काशीनाथ झा, नेताजी पर तामश कयैक उठैत अिछ

    २२२२....४४४४.११११. . . . अयो यानाथ चौधरीअयो यानाथ चौधरीअयो यानाथ चौधरीअयो यानाथ चौधरी----द ूपद ूपद ूपद ूप २२२२....एकद तएकद तएकद तएकद त हाथी आ नौलखा हार हाथी आ नौलखा हार हाथी आ नौलखा हार हाथी आ नौलखा हार----बषृेश च बषृेश च बषृेश च बषृेश च लाल लाल लाल लाल ३३३३....कुमार मनोज कुमार मनोज कुमार मनोज कुमार मनोज

    क यपक यपक यपक यप---- नव वष नव वष नव वष नव वष ४४४४....एतएतएतएत’’’’ आ ओआ ओआ ओआ ओतततत’’’’---- अनलका त अनलका त अनलका त अनलका त ५५५५.... मेच िममेच िममेच िममेच िम ---- अनाम कथाअनाम कथाअनाम कथाअनाम कथा ((((कथाकथाकथाकथा))))

    २२२२....६६६६.... आलखेआलखेआलखेआलखे---- रपोताजरपोताजरपोताजरपोताज- १.डॉ.बलभ िम , २.नरेश मोहन झा ३.नागे झा,४.डॉ. र े र िम ५. योित

    ६.िजते झा-जनकपुर ७.उमेश कुमार ८.नवे द ुकुमार झा ९.मुखीलाल चौधरी

    २.७. डॉडॉडॉडॉ....शभं ुकुमार सहशभं ुकुमार सहशभं ुकुमार सहशभं ुकुमार सह---- ितयोगी परी ाितयोगी परी ाितयोगी परी ाितयोगी परी ा

    २.८. िमिथला मंथन- सुशा त झा

    २.९. भानस भात-नीिलमा

    कथा

    १. एकटा ेम कथा-सुभाषच यादव २. तृ णा- राजे िवमल,३.अिमत कुमार झा, बुढ़ी माता

    िच ी सुभाषच यादव छायाकार: ी साकेतान द

    सुभाष च यादव, कथाकार, समी क एवं अनुवादक, ज म ०५ माच १९४८, मातृक दीवानगंज, सुपौलमे।

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    पैतृक थान: बलबा-मेनाही, सुपौल- मधुबनी। आरि भक िश ा दीवानगंज एवं सुपौलमे। पटना कॉलेज, पटनासँ बी.ए.। जवाहरलाल नहे िव िव ालय, नई द लीस ँिह दीमे एम.ए. तथा पी.एह.डी.। १९८२ स ँअ यापन। स ित: अ य , ातको र िह दी िवभाग, भूपे नारायण मंडल िव िव ालय, पि मी प रसर, सहरसा, िबहार। मैिथली, िह दी, बंगला, सं कृत, उद,ू अं ेजी, पेिनश एवं च भाषाक ान।

    काशन: घरदिेखया (मैिथली कथा-सं ह), मैिथली अकादमी, पटना, १९८३, हाली (अं ेजीस ँ मैिथली अनुवाद), सािह य अकादमी, नई द ली, १९८८, बीछल कथा (ह रमोहन झाक कथाक चयन एवं भूिमका), सािह य अकादमी, नई द ली, १९९९, िबहािड़ आउ (बंगला सँ मैिथली अनुवाद), कसुन सकं प लोक, सुपौल, १९९५, भारत-िवभाजन और िह दी उप यास (िह दी आलोचना), िबहार रा भाषा प रषद,् पटना, २००१, राजकमल चौधरी का सफर (िह दी जीवनी) सारांश काशन, नई द ली, २००१, मैिथलीमे करीब स र टा कथा, तीस टा समी ा आ िह दी, बंगला तथा अं ेजी मे अनेक अनुवाद कािशत।

    भूतपूव सद य: सािह य अकादमी परामश मंडल, मैिथली अकादमी काय-सिमित, िबहार सरकारक सां कृितक नीित-िनधारण सिमित।

    एकटा ेम कथा

    किहयो-किहयो ओिह लड़क क फोन अबै । रसीभर उठा कऽ 'हलो’ किहते ओ हरसँ आवाज अबै- 'कन,े ेमी कँे बजा दबैे ?’

    ई सुिनत ेख झ आ तामस स ँजी ज र जाय ।ख झ आ तामस खाली ओही लड़क क फोनस ँ होइत हो, से बात निह। तामस सब पर होइ जे ककरो बजा दबेा लेल फोन करै । ओ तऽ क ना लड़ कए रहय । फोन जँ लड़क आ जनीजाितक हो तऽ मरद-पु खक रवैया ओ ना कने लरम आ मोलायम होइत छै ।

    जिहया पिहल बेर ओकर फोन आयल रह ैतऽ हम पुछने रिहअइ- 'अहाँ के छी ?’ हमर मतलब ओकर नामसँ रहय । ले कन ओ अपन नाम निह बतेलक । बाजल- 'हम नया बजारसँ बािज रहल छी । खाली एतबे कहला सँ ओ बूिझ जेतै ।’

    'फोने पर रहब आ क फेर करब ?'-हम अनमनायल जकाँ पुछिलऐ ।

    'पाँच िमनटमे फेर करै छी ।' –किह कऽ ओ फोन रािख दलेक ।

    हम मन मा र कऽ ओिह कोठली गेल ,ँ जकर िखड़क सँ ेमीक कोठली दखेाइत रह ै । ओकर मकान हमर

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    मकानक पंजरामे रह ै। ' ेमी ! रे, ेमी !' हम द-ूतीन बेर जोर सँ हाक दिेलऐ । ओ कोठलीसँ बाहर िनकलल तऽ कहिलऐ- 'नया बजारसँ फोन छौ ।’ ओ हमर घर दस आबय लागल । आब या तऽ ओ छहरदवेाली फािन कऽ चो े चल आयत या कने आगाँ ब ढ़ कऽ िबना फानने भीतर चल आयत कऐ तऽ ओिहठाम छहरदवेालीक ऊँचाइ भ रए ठग न छै ।

    ओ घर ढु कते रहय क फोनक घंटी बजऽ लगलै । फोन सुनऽ लेल बाहर सँ यो अबै तऽ हम ओिह कोठलीस ँिनकिल जाइ । आन लोकक फोन सूनब या ओकरा पर पहरेदारी करब हमरा िश आचरण निह बुझाइत रहय । कोठलीसँ बाहर िनकलतै आ घरक भीतर ए हर सँ ओ हर जाइत-अबैत जे सनुबा मे आयल तािह सँ ई बुझायल जे ेमी साँझ खन ओिह लड़क सँ भट करत ै। ओ लड़क के छलै आ ेमी स ँओकरा कोन काज छल,ै से जनबाक इ छा तऽ ब रहय, मगर ेमी सँ ई सब पूछब मोस कल छलै । ओ अठारह-बीस सालक जवान रहय आ हम ओकर बापक उमेर के । ओ ना ओ घु ा वभावक लड़का रह ै। ओ इंटरक िव ाथ छलै, ले कन पढ़ाइमे ओकर मन निह लगै । ओ टी.भी. दखेय, गाना सुनय, केट खेलय आ दोस-मिहम सँ ग प लड़ाबय ।

    निह जािन ओिह दन साँझकँे ेमी ओिह लड़क सँ भट केलकै क निह; ले कन दइुए-चा र दनक बाद लड़क फेर फोन केलकै । वएह पुरान आ ह । बाजक ओहने ढंग । कने संकोच, कने घबराहट आ कने डर । बेर-बेर पुछलो पर ने तऽ ओ अपन नाम बतेलकैआ ने काम । तखन एतबा ज र कहलकै ज ेओ ेमीक मामा कत’ सँ बािज रहल अिछ । तऽ क ओ ेमीक मिमऔत बहीन िछऐ ? जँ मिमऔत बहीन िछऐ तऽ बेर-बेर वएह टा कऐ फोन करै छै ? यो दोसर कऐ निह करै छै ? मामा, मामी, मिमऔत भाइ -एिह मे सँ यो तऽ किहयो क रतइ । हमर मन मे कतेको सवाल आबय, मगर जवाब कोनो निह । संदहे आ असमंजस उपलाइत रहय ।

    आइ-काि ह लड़क क घरक लोक दलफेक किसमक लड़का सभक फोनस ँ चितत आ फरीशान रहतै अिछ । मगर एतय मामला उ टे छलै।

    किहयो काल हमरा बुझाय जेना ेमीक िच लड़क मे निह छै। फेर सोची ज ेस ेरिहतइ तऽ ेमीक उदासीनता लड़क सँ ब त दन ध र िछपल निह रिहतइ । जँ ेमी ओकरा निह चािहितऐ तऽ लड़क बेर-बेर फोन कऐ क रतइ ?

    तकर बाद फोन आयब ब भऽ गेलै । कछु दनक बाद पता लागल ज े ेमी मोबाइल क न लेलक अिछ । आब ओ लड़क सीध े ेमीसँ सब तरहक ग प करैत हतै । भ रसक इएह सोिच कऽ ेमी मोबाइल कनन ेहो। हमरा लागल जेना हमर कछु िछना गेल हो । हमरा लेल आब ई मामला सभ दनक लेल अ ात आ रह यमय भऽ गेल रहय ।

    ले कन निह, जीवनमे कोनो चीज अंितम निह होइत छै। भ रसक एक साल बीतल हतेै । एक दन सांझुक पाँच बजे फोनक घंटी बजऽ लगलै । हते ैककरो । हम अ यमन क भाव स ँसोचल ँ। कैकटा भटकल फोन अबैत

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    रहतै छै । मगर निह, ओ हरसँ कोनो लड़क क आवाज एलइ, पातर-मधुर आवाज आ फोन क ट गेलै। हम सोचमे पड़ल रही क फोनक घंटी फेर बज्ऽ लगलइ ।

    हलो !'-हम रसीभर उठा कऽ कहिलऐ । '

    कन,े ेमीकँे बजा दबैे ?'

    अरे ! ई तऽ वएह लड़क िछऐ । अपन नाम आ काम बतेने िबना ेमीकँे बजा दबेाक अनुरोध करयवाली । ओ ब त दनक बाद फोन केनेछल, त ख झ तऽ निह भेल, ले कन मनमे थोड़ ेउदासीनता पस र गेल ।

    'दखेइ िछअइ।'-हम कहिलऐ ।

    'पाँच िमनट मे हम फेर करै छी ।'

    'ठीक छै ।'—हम िवर सन कहिलऐ।

    दिेखऐ या नइँ दिेखऐ, एिह दिुवधामे पड़ल-पड़ल हम ओिह कोठलीमे प चँ गेल रही, जािह कोटलीक िखड़क स ँेमीक कोठली दखेाइत रह ै। ले कन पिहने जकाँ हम ेमीकँे हाक निह दिेलऐ । आइ-काि ह ेमीक माय-बाप

    एतिह छै । िखड़क स ँओिह पार त कते ओ दनुू अभरल । मकानक मर मत होइत रह ै। ेमीक कत अता-पता निह छलै । भ रसक कोठलीक भीतर हो । हम ठाढ़ भेल दखैेत रहिलऐ । भऽ सकैत अिछ ेमी कोठलीसँ बाहर िनकिल आबय । आयल तऽ फोन दआ कहबै ।एक बेर भले जन सँ पुिछऐ ेमी छै क निह, फेर छोिड़ दिेलऐ । सोचल ँफोन उठेबे ने करबै । ले कन एहन भऽ निह सकल । ओ पांच िमनटक अंदरे फोन केलकै आ हम उठाइयो लेिलऐ ।

    ' ेमी निह छै । कत िनकलल छै । ओकर माय-बाप आयल छै । घरक काज चिल रहल छै ।’—अपन िन ामे खोटक अनुभव करैत हम एक साँसमे ई सब किह गेिलऐ । ओ िनराशा आ सोचमे डूबल बाजल—'अ छाऽ !’ हम पुछिलऐ-'अहाँ के बािज रहल छी ?’एकर ओ सोझ जवाब निह दलेक । बातकँे ओ जिहना घुमेनाइ- फरेनाइ शु केलकै, हमरा बुझा गेल ओ पिहनिह जकाँ सवालकँे टा र दते । ले कन आब ओ बेसी अनभुवी, पटु आ िसयान भऽ गेल छल । ओकरामे साहस आ िनभ कता आिब गेल छल ै।

    'अकल, हम नया बजारसँ बािज रहल छी ।'-ओ आवाज सँ हमर उमेर ठेकना ललेक, त अंकल किह रहल अिछ;हम सोचल ँ। ओकर अंकल कहनाइ कने खटकल, फेर लगले सामा य भऽ गेल ँ।

    'ठीक छै, नया बजारसँ बािज रहल छी, मगर छी के, से न बताउ ?’-अपन वरमे ब त नरमी अनैत हम धीरे-

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    धीरे कहिलऐ ।

    'हम ेमीक मिमऔत बहीनक सखी भिेलऐ ।’-आब ओ सहज भेल जाइत रहय । तइयो अपन नाम तऽ ओ निहए ँबतेने रहय । हमरा लागल ओ ज र नाज-नखरावाली, शोख आ चंचल होयत। ओकर गप करबाक ढंग मोहक रह।ै

    'अहाँ अपन नाम निह कहब ?’-हम जेना गोहा र केिलऐ ।

    ' रतु ।हमर नाम रतु अिछ ।’-हमर अ यथना सँ जनेा ओ पिघल गेल रहय । आब ओकरा कोनो हड़बड़ी निह छलै आ ओ िनचने सँ ग प कऽ रहल छल ।

    ' कछु कहबाक हो तऽ क , हम ओकरा किह दबैे ।’-हम े रत केिलऐ । ओ सोचमे पिड़ गेल फेर पुछलक- 'अहाँकँे ओकर नवका मोबाइल न बर बूझल अिछ ?’

    हम कहिलऐ- ' , मगर हम पूिछ कऽ राखब ।

    ' 'ओकरा किह दबैे काि ह एगारह बजे फोन करबै ।’

    मन पड़ल काि ह तऽ हमरा दस बजे कत िनकलबाक अिछ, त कहिलऐ-'एगारह बजे निह, दस बजे करब।’

    'ठीक छै ।’-ओ किह तऽ दलेकै, ले कन हमरा लागल जेना ओकरा अपन बात पर संदहे होइ । ओ फोन रािख दलेक । फोन पर रहल ओकर संग आब छू ट गेल छल ।आइ ओ बड़ी काल ध र आ मीय जकाँ ग प केन ेरहय । फोन रािख दलेाक बादो हम ओ िह ठाढ़ रिह गेल रही, जेना कछु और कहबाक हो, कछु और सनुबाक हो । हमरा छगु ता भेल, ओिह लड़क लले हम कऐ उदास भऽ रहल छी ?

    दस बज े। काि ह दस बजे। कोनो मं जक इ हमर भीतर बजतै रहल आब ेमी कँे ताकय पड़त । काि ह दस बजे सँ पिहने बतबय पड़त जे ओकर फोन आबऽ वला छै । साँझे मे किह दनेाइ ठीक हतेै । भोरमे छु ी निह रहत ।जँ ओ िखड़क सँ दखेा गेल, तखन तऽ कोनो बाते निह, निह तऽ ओकर खोजमे च र काटय पड़त । साँझ कँे बेसी काल ओ करानाक एकटा दोकानमे बैसल रहतै अिछ । पिहने ओ िह दखेबै ।निह भेटल तऽ ओकर घर जाय पड़त । ले कन घर पर तऽ ओकर माय-बाप छै ! माय-बापकँे लड़क क फोन दआ कहब ठीक निह हते ै । खैर, दखेल जेत ै। अखन तऽ ब त समय छै । भऽ सकैत छै ओ िखड़क सँ दखेाइए जाय । हम बेर-बेर िखड़क लग जाय लगल ँ। ओतय जाइ, कनी काल ठाढ़ रही आ था क कऽ घू र जाइ । अपन छाह ेजका ँओ लड़क हमर संग-संग चिल रहल छल, ेमी नामक रौदमे कखनो पैघ आ कखनो छोट होइत । रतु आ ेमीक चु बक व हमरा आिव कऽ लेने छल । ओिह दन ेमी निह भेटल । राित मे हम सपना दखैेत छी जे ओ दनुू आयल अिछ । घरमे हम असकर छी । दनुू कँे कोठलीमे बैसा कऽ हम बाहरमे टहिल रहल छी । कोनो चीजक खसला सँ िन टू ट जाइत

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    अिछ। रौद भऽ गेल छै । मन पड़तै अिछ आइ दस बजे रतुक फोन एतै । ेमीकँे कहबाक अिछ । हम िबछान छोिड़ उ ठ जाइत छी।

    तृ णा- राजे िवमल

    आइ फेर ब -बदला भेलैए कहाँ दन!...गे दाइ, गे दाए!

    रजदबेाके ब िस किलया आ दबेलरैनाके ब सोनावती। िस किलया ओना छै मोस कलसँ अढ़ाइ हाथक मौगी मुदा सउँसे गोर दहेमे गजगज मासु करै छै। दिेखते होएत जे काँचे िचबा जाइ। टोिङ दबैे, ब दऽ सोिनत फे क दतेै। दहेपर जेना इ ी कएल होइ; िछहलैत आऽ गतानल अंगअंग। दबेलरैनके मँुहस ँतँ किहया सऽ ने लेर चूबैत रह-ैलसलस। दबेलरैना-ब सोनाबती, रोलल-छोलल, पोरगर करची सन लचलच करैत दहे। रजदबेाके ततराटक लािग जाइक- दखैेक तँ दिेखते। ए े टोलमे दसे घरक तऽ फरक हएतै दनुूक घरमे। िछनरझ पबाली सोनावितयो केहन मन सरभसी जे जखने रजदबेास ँनयन िमलै क छ दऽ िब िँस उठै अंग-अंग- जेना लौका लौ क गेल होइ भीतरे भीतर। उपर सऽ सतबरती ज ेबनैय। रजदबेा माने राजदवे मंडल, अंचल अ पतालमे चपरासी अिछ। बाप ओकरा जनमऽ सँ पिहनिह सरग िसधा र गेल रहिथ ह। पोसल केऽ तऽ माए। एकटा बहीन रह ैचचंिलया। सभ कह ैकुमरठे ली। सउँसे गाम अनघोलकएने रह ैछ ड़ी। किहयो खेसारीक झारमे पकड़ल जाइक, किहयो राह र खेतमे केयो दिेख लैक। किहने कते आिग भगवान दहेमे दनेे रहिथ ह। चंचिलयाक माय कह ैजे ई दहेक आिग थोड़बे रहकै, पेटक आिग रह,ै पेटक। आब जे रहौक, मुदा ओ मारिल गेिल। ओकरा लऽ कऽ द ूटा मनसामे झगड़ा भऽ गेलैक। जग दसबा कह ैजे हमर धरबी अिछ, मनमोहना र साबला कह ैजे ह मर माल अिछ। चंचिलया दु ूकँे दहू ैछिल। से बरदा स निह भेल ैमनमोहना र साबलाकँे। ताड़ीक झ कमे र साक पुरना चेनसँ तेना ने ततारऽ लगलै जे होशे ने रहलै। सउँसे दहेसँ सोिनत बिह रहल छलै आ ओ मँुह बािब दनेे छिल। प रवारमे िवधवा माय छलै, वयं छल, िस किलया छलै आऽ पाँच बरखक बेटा रह।ै बेटा ब सु र आ बड़ ठोला! चंचिलया तऽ संसारस ँउ ठए गेलै। आब प रवारक सुखाएल आँतक घघरा िमझएबाक लेल सोिनत सुखएबाक िज मेबारी रजबेक छलै। जूआमे चुपचाप का ह लगा दलेक आ बहए लागल। ब रह ैचमिचकनी, फरदबेाल आ फसलीटीबाली। रोज गमकौआ तेल चाही, ो-पाउडर चाही। रङसँ ठोर नइँ रङब, िलपे सी चाही। िसनेमामे चसकिल। जी-मँुह चिलते रहइ। पनिपयाइमे घुघनी-मुरही, कचरी भ र पोख। दसुंझी। रोज-रोज माछु-मासु गमकैत रहउ आङनभ र- ने कछु तऽ डोका-कक र। आ क कछुएक झोर। कतेक दनसँ एक जोर परबा पोसक लेल रगड़ा कए रहिल छिल साँयसँ। छम क कए एमहर, छम क कए ओमहर। राित-राित भ र झूलन दखेए, सलहसेक नाचमे खतबैया टोलक झुल फया या नटुआक नाच आ सतरोहनाक िबपटइ दिेख-दिेख कऽ लहालोट भऽ जाए। रजबाकँे ई सभ सतखे ली मौिगक ल छन बुझाइक, तेँ रोज बतकुटौअिल होइ। र साबला दबेलरैनासँ यारी रह ैरजदबेाकँे। दबेलरैना िसकिलयाके बड़ पिस । कारण रह ैज ेदबेलरैना सेहो

    सलहसेक नाचमे ढोल कया रह।ै ईह ढोलक बजबैकाल ओकर कनहा जे उपर-नीचाँ होइ छल- गुम-गुमुक-गुमुक...गुम गुमुक गुमुक! .. बेर-बेर झुलफ मँुहपर खिस पड़ ैजकरा ओ ओिहना छोिड़ दकै। मँुहपर बुन कआएल ओसक बँूद सन पसेना! ओ मोनिह मोन अपन साँय रजदबेासँ दबेलरैनाक िमलान करै। ... कहाँ दबेलरैना, कहाँ

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    रजदबेा। रजदबेाक मँुहपर चौबीस घंटा जेना िवपि के झपसी लधने रह।ै घोघनमँुहा एक र ी ने सोहाइ िस किलयाकँे। मगर करओ तऽ क करओ? िसङार-पटार कए एका तमे एसगर िबछाओनपर पिड़ रहय आ क पना करए-साँय जे बदलत!ै दबेलरैना फुलपे ट पेि ह कऽ, चसमा पेि ह कऽ बाबू-भैया नािहत जे र शापर बै ठकऽ र सा चलबइ हइ तऽ िसनेमाके गोिबना माउत कऽर हइ। .. मानली जे ताड़ी-दा पीबै हइ, त क भेलइ। सुनइ िछऐ जे कहाँदनु ताड़ी-दा पीलै हइ मनसासनु तऽ ओकरा दहेपर राछ छी सबार भऽ जाइ छै, मौगीके छोड़ने ने छोड़ ैछै।..धौर, केनाकऽ सकैत होतै दबेलरैना ब ।..रजदबेा ला ध -सन! िबछाओनोपर जाएत त खाली घरेके समे सा। ..रङ आ लस!! .. दहेो हाथ छूबैतऽ ख झा कऽ छूटत!..

    दबेलरैनाके बँसरुीके आवाज सुनएलै। ..दा पीकऽ अबै छै तऽ आङनमे बैिसकऽ बँसरुी टेरऽ लगै छै।..अहाहाहा..क राग, क तान।..सोनाबतीके तऽ लीरीबीरी कऽ द ैछै। फेर दनु ूपरानीमे मँुहाठु ी होइत-होइत िपटािपटौअल शु भऽ जाइत छै।..सोनाबतीके कहब छै जे मरदाबा जे कमाइ हए स ेतऽ दा पानीमे उड़ा द ैहए, िसनेमामे गमा द ैहए आ सूतऽ लागी हरान रह ैहए।..पेटमे अ नैआ..

    “मनसा तऽ रजदबेो हइ”- सोचैए िस किलया- “ओकरा सतूऽ के मन नै होइ हइ?..केरबा आमसन मँुह लटकओने रहएै!” िस किलयाके अपने हसँी लािग जाइ छै।

    “दोसजी कहाँ गेलिखन”?- अरे, ई बारह बजे राितमे सोनाबती!!..

    “क हइ, ह”े?- बाँसक फ क खोिलकऽ िस किलया बाहर अबैत अिछ।..छ ड़ाक बाप तऽ नै एलैगऽ अ पताल सऽ।..लैटिडपटी (नाइट ूटी) हइ।..”

    “बहीन क किहयो दखुके बात। आइ फेनू मनसा मारलकगऽ।“

    “कइला?”

    “धुर। क जान गेिलऐ कोन बढ़म कटास हइ दहेपर।..हमर तऽ जान लऽ लेलक।..अ -पानी ज र गेलै, जी-जाँघमे ख त फुकन ेरह ैछै चौबीस घटंा।– बलू, चल नऽ सतूऽ।..सतुना बेमारी धऽ लेलकैगऽ।“..सोनाबती घौलेघौले बजतै रहल। जोर-जोरस ँघोल-चाउर भेलै त ँबु ढ़या रजदबेामाइ टुघ र कऽ अङनामे आएल- गे, क भेलउ गऽ? चुप, लबरी। साँइयो ब के बातके क ँएते घोलफच ा भेलै गऽ?”

    सोनाबती घेओना पसारल क। र ी र ी कऽ फाटल, सतरह ठामसँ िगरह बा हल अपन नूआ आ अिङया दखेओल क। घरबाली अ बे ेक मरै छै आ ओ दा -ताड़ी पीिबकए बेम भेल रह ैछै। घरमे लाल बु ी नं द ैछै। दा पी कऽ सेजपर ओकर ग ग मे दाँत गड़ा द ैछै!

    “इ स!” रजदबेाब के मँुहसँ अनायासे बहार भऽ गेलै। भीतर चीनीक गरम पाक जेना टघ र रहल छलै। ओ

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    ग ग दबेलरैनाक हबकबाक क पनामे हरेा गेिल।

    “ह ेबहीन!..मनसा नै भोगतओ तँ ई दहे लऽ कऽ क करबा।..एक दन अँिचयापर तऽ सबहक दहे जरै छै!”- रजदबेा-ब समझओलकै। रजदबेामाइ दरुदरुओलकै। ताबत िड टीसऽ रजदबेो घू र अएलै। आङनमे ठहाठिह इजो रयामे चमकैत सोनाबतीक मँुह चमकैत दखेलक। नयन िमललै, सोनावती िव िँस दले क, जेना रजनीगंधा फूल झरझरा गेलै। मोन ाण गमैक उठलै। रजदबेा बाजल क छु न। बस पुछलकै- “क भेलौ गऽ भौजी?” सोनावती फेर सउँसे खेरहा दोहरओल क।...

    िस किलया चौल कएलकै- “साँय बदलबे?”

    “सह ेतऽ न ेउपाइ हइ।..तोहर डागदरसनके साँय हउ गज ैछे।..अ पतालमे काम करै हउ। ने दा , ने पानी। घरिगरह थी डबेन ेहउ। भ रमँुह कोनो छ ड़ी मौगी जरे बोलबो ने करइ हउ। अपन काम से काम। एहन महाभारथ पु ख हमर भागमे कहा?ँ..”

    िस किलयाक दहे ज र गेलै- हइ गोबरके चोत महाभारत कहाँदनु! मनसरभसी। अपना साँय महकै छिन आ छ ड़ाक बाप जरे केना रिसया-रिसया, िसिलया बितआइ हए।

    “बहीन, तौ ँघर जा।..तोहर साँयके दोसरकँे स हा र दते ओ? जे अपन साइँयो के कसमे ने रखलक, से मौगी किथके?” आ िस किलया रजदबेाक बाँिह पकिड़ घर दिश घीचय लागिल। रजदबेामाइके िप लह र गेलै। सोनाब ी किनकाल थरभसाएिल, फेर बाजिल-“दोस जी!..हम आइ घरे न जबे..फेन “िन मन सऽ कूटत।..” ओकर आकृित कातर छलै।

    “अहाँ जाउ। लोक फरेब जोड़त”।

    रजदबेा समझओलकै। ओ घू र गेिल। सभ अ पन-अ पन फ क लगा लेलक। मुदा, भोरे उठल रजदबेा जँगलझार लेऽ तँ दखेलक जे दबेलरैनाके ब दरब ापर एकटा फेकल तरकु ीपर घराएिल छै, घर न गेलउ।..किनकाल ओ टुकुर-टुकुर ओकर मँुह तकैत रहल। केना िनभरे भऽकऽ सूतिल छै, दधुपीबा िप आजेकाँ। नूआ-ँब तर अ त-

    त। िबन तेलकँूड़क ज ा पड़ल, भु ल भऽ गेल पैघ पैघ केश, भुँइयापर एमहर-ओमहर ज ड़ जेका ँलेटाएल।

    ओकरा दवेलरैनापर ब तामस भेलै। सोन-सनक सोनावती अ -व बे ेक झाम भऽ गेलै- बीझ लागल ताम-सन। एखनो जँ नहा धो दले जाइक आ िसङार कऽ द ैतऽ झकाझक भऽ जएतै। मुदा दोस तऽ दा पीकऽ म त रह ैछै। सलहसेक नाचमे ओकर ढोलकक गुमक पर खतबैया टोलक कतकेो छ ड़ी-मौगी ओकरापर जान दओ छै। दोसजी, ख ा-पैन, चर-चाँचर, राह र-कुिसयारक खेत, भुसु ला घर, पोख रक भीर ज िह पओलक, त िह छ ड़ी-मौगी लऽकऽ...। राम-राम।..एहन गुनम तीके एना कािह कटबै हइ, दोसजी िन मन निह करै हइ!

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    बड़ समझओलकै रजबा सोनाबतीके। सोनाबती न गेलै। दबेलरैनाके ध -सन। खोजैत-खोजैत ए े बेर सु ज जखन नीचा ँअएलै तऽ बँसुरी टेरैत आएल। सोनाबतीके भ रपाँज पकिड़ कए चु माचाटी लेबए लागल।– सबहक सामने! द िपबाके कोन लाज आ बीज। रजबामाइके हँ सी लािग गेलै। सोनाब ी मनसाकँे धकेिल दलेकै, मनसा धाँय दऽ चा नाल िच खसल। िब े आङनमे।..चटाक!...मनसा उ ठकए एक चाट दलेकै। मौगी घेओना पसारल क। मनसाकँे ध -सन।..दोसजी अ पतालमे रह।ै

    िस किलयाक बेटाके “मगो ू टी”क खाली िड बा कत सड़कपर फेकल भे ट गेल रह।ै ओ ओिहमे पािन धऽधऽ पीबै छल। िस किलयाक नज र पड़लै-“केहन लगइ हउ?” छ ड़ा हिँस दलेकै- आमके रस न हता!..पीबे?”

    िस किलयाक मोन भेल-ै एक बेर ओहो पीिब कए दखैेत। ओ बड़का-बड़का बाबू-भैया सबके पीबैत दखेने रह।ै..मुदा, ओइमे तऽ पतरसु ी फ फ लागल रह,ै एइमे कहाँ हइ?.. ओ बड़ा ललचाएल दिृ सँ ू टीक िड बाकँे दिेख रहिल छिल।

    “दोि तनी, पीयब?”-दवेलरैना टुभ दऽ पूिछ बैसल। दोि तनीक आँिखमे ू टीक लालच, पितसँ उलहन, अभावज य वेदना ल ाबाज दवेलरैनाकँे झक् दऽ लौ क गेलै।

    “चलू दोि तनी, ू टयो पीयब, िसनेमो दखेब आ होडरोमे खाएब। घूमैत-घूमैत राित तओले हिल आएब”।– दवेलरैना बजलै आ फेर कोन जादकेू बान लगलै किहन,े िस किलया चट दऽ ओकर र सापर बैिस गेिल। सभ मँुह ेतकैत रिह गेलै। ओ जे गेलै िस किलया स ेफेर ६ महीना न घुरलै। सोनाबती रजबाके घरसऽ टकसऽ के नाम न लै। पऽर भेल, पंचैती भेल। दनुू मौगीमे सँ कोनो अपन-अपन साँय लग घुरबाक लेल तैयार निह भेिल।

    छओ मासक बाद दनुू अपन-अपन मनसा लग कनतै-कनैत घूरिल-ढाक क ढाक िसकाइत ननेे। िस किलया आ सोनाबती एक दोसरक गरदिन पकिड़ झहरा दमेए लागिल। िस किलयाक घेओनाक आशय छल- दबेलरैनाके मँुह महकै छै, ओ बदमास अिछ, गु डा अिछ, िनसेबाज अिछ, लापरवाह अिछ; वाथ अिछ आ द-आ द। सोनावती छाती पी टपी ट बेयान करै छिल- रजबा गु मा अिछ, ब सँ बेसी मायक मानै अिछ, दनराित पाइ लेऽ खटै अिछ आ सभ पाइसँ घरे चलबै अिछ, ब ले किहयो कचरी- मुरही नै अनने अिछ। किहयो िसनेमा न जाइ अिछ, ब क चु मा न लतै अिछ..आ द...आ द...

    दनुू अपन-अपन ओ रिजनल साँय लग घू र गेिल।

    मनोिव ानक ोफेसर स यनारायण यादव कहलैि ह- यार, जे भेटैत छै, तकर मोल न ैबुझाइ छै। जकर पित गंभीर छै ओकरा चंचल पितक लेल मोन पिनआइ छै, जकर चंचल छै से गंभीर पितक लेल िसहाइए..इएह म छै...नो वन इज परफे ट..

    एक दन िस किलया आ सोनावती सुन ूएक-एकटा कोनो मनसा संगे उरह र गेलै- ओहो ए े दन। रजदबेामाइ भोरेसँ आसमान माथपर उठा लेल क- “जुआनी क र ने उमताइ हइ..फेनू बा ह हइ क नै।..समाज आ पिलवारके

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    ब हन टू ट जतइ तऽ मनसा-मौगी िजनगी भ र अिहना भड़ँिछ-भँड़िछ कए म र जतइ...

    ो. स यनारायणक ा या छैि ह-

    यान इज पोिल यामस बाइ नेचर..इट इज सोसाइटी ि वच यानलाइजजे से स एनज ..सओ मँुह, सओ बात!..सबस ँबड़का स य जे सोनाबती, िसन किलया दनु ूउरह र गेल!

    अिमत कुमार झा, चैनपुर, सहरसा

    बुढ़ी माता

    अपन प रवार- मा,ँ बाबूजी, भाइ, बिहन) संग पटनाक शेखपुरामे रहतै रही, बाबूजी पी.ड लू. डी. मे एस.डी.ओ. एकटा िस ईमानदार अिधकारी रहिथ, सभसँ पैघ भैया पी.एच.ई.डी.दमुकामे पो टेड रहिथ। हम सट जेिवयस कूल, गाँधी मैदानसँ बारहमा करैत रही, पढ़ाइ-िलखाइमे ब त नीक रही, पढ़ाइ-िलखाइक अलावा कोनो काज निह रहए, ओइ पढ़ाइ-िलखाइक कारण हम ब त कम उ मे नीक पद- मैनेजर िबरला ुप-पर छी, हमर कछु दो त रहए जे ओिह समयक पैघ राजनीितक प रवारसँ संबंिधत छलाह- एिह िवषयमे बादमे कहब- आइक ितिथमे सहेो ब त पैध थानपर छिथ। बारहमाक संगिह राम मनोहर राय, एस.पी.वमा रोड, पटनासँ मेिडकल ए सक तयैारी सेहो करैत रही।

    मु य घटना मोन पड़तै अिछ जनवरी १९९५ क – को चग लास ५.३० बजे भोरे सँ होइत रहए, हम घरस ँअ हारे- ४.३०-४.४५ िनकलैत रही। पटनामे जनवरी मासमे ब त ठ डी पड़तै छैक, ओिह समयमे आर बेशी ठंडी पड़तै रहए। ठंडा, ऊपरसँ अ हार सुनसान र ता, ब त डर सहेो लगैत रहए, ले कन एक नया जोशमे सभ कछु िबस र जाइत रही। ११ जनवरी १९९५ कँे को चगमे ’मो ुल टे ट’ रहए, ई कारण हम ४ बजे घरस ँ

    को चग िनकिल पड़ल -ँ कारण ठंढाक कारण लेट निह होए। हम जिहना पुनाइचक-हड़ताली मोड़क बीच मेन

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    रेलवे लाइन लग प चँल ,ँ अचानक एक टा घोघ तनन,े क रया क बल ओढ़ने बुढ़ी माता सामना आिब गेिल, हम त ँडरसँ साइ कलस ँखिस पड़ल ,ँ दखेल ँतँ ओ ब त बुढ़ आरो कमर लगसँ झुकल लागल। हम उ ठ कऽ ठाढ़ भेल ,ँ गरदा सभ झािड़ कऽ जिहना चलय लऽ चाहल ँतँ ओऽ आवाज दलेक,..सुन..अ..बौवा...

    डरसँ हालत खराब भऽ गेल..चा दससँ सनसन जकेा ँ अवाज महसूस अ लागल। डरल-डरल ओकरा लग गेल .ँ.।

    पुछलक...कतए जाऽ रहल छी!!! ताऽ तक ओऽ अपन घोघ निह हटेने रहए।

    डरसँ अबाज तँ ज दी निह िनकलल...;ले कन िह मत कऽ कए जवाब दले ,ँ को चग जाइ छी।

    फेर पुछलक..कथी के पढ़ाइ करैत छी..!! बातसँ अपनापन लागल।

    हम कहल -ँडॉ टरीक तैयारी करैत छी..

    अ छा बैस..दोसर पढ़ाइमे मोन निह लागए छौ- िनदश दतै-..कनी दरे क जो तखन जिहये।

    ताऽ तक समय लगभग ४.४५ भऽ गेल रहए..एक द ूटा आदमी सभ सड़कपर सेहो नज र आबए लागल। लेट होइत रहए एिह कारण िह मत कए कऽ कहल .ँ..हमरा लेट भऽ रहल यऽ..हमर आइ परी ा अिछ।

    कोनो बात निह..जवाब भेटल

    बड़ असमंजसमे पिड़ गेल .ँ.क करी..निञ .करी..एक मोन होय रहए, चलैत लोककँे अवाज दी, मुदा सड़क फेर सुनसान भऽ गेल।

    तखने ओऽ अपन घोघ हटेलक.. नकर...चेहराकँे दिेखते लगभग बेहोश भऽ गेल .ँ.बुढ़—झुर दार चेहरा...ओिहपर मद जकेाँ...दाढ़ी...मोँछ...ह ेभगवान आइ-ध र एहन निञ दखेने रही...हमर हाव-भावकँे दिेख ओऽ बजली...हमरा दिेख कए डर लागए छौ..निञ डर। हम दोसर कओ निञ िछयौ...पता निञ कए ओऽ कछु अपन जेकाँ लागए लागल...ताऽ तक लगभग ५ से ऊपर टाइम भऽ गेल...रोडपर दधू/ यूजपेपर बला हॉकर सभ नज र आबए लागल...

    कछु कालक बाद अवाज भेटल- आब तू जो..घुरैत काल अिबहे.ँ..हम हवाक भाँित/ तीर सँ बेशी तेजीस ँिनकलल .ँ..ब त लेट भऽ गेल रही...साइ कलकँे अपन मतास ँ बेशी तेजीसँ चलबए शु कए दले ,ँ जिहना गाँधी मैदान/ स जी बागक मँुहपर प चँल .ँ..दखेल ँ ज े जबरद त ए सीडे ट भेल रहए, पूरा र ता पुिलस लॉक कऽ दने ेरहए- ए सीडट लगभग २० िमनट पिहने भेल रहए, जािहमे चा र टा लोक आऽ एकटा चाहक

    दोकानदार मारल गेल...ओऽ चा टा हमरे इं टी ूटक छा रहए ज े नीक चाह पीबए खाितर कल रहए

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    ले कन...!!

    हम ँओिह चाहबलाक दोकानपर रोज कैत रही- अगर बुढ़ीमाता निञ भे टतए त ँहम ँओिह समयमे चाहक दोकानेपर रिहत ँ...फेर पता निञ...)- चाह िपबैक तँ आदित निह रहए मुदा ठंढ़ाक चलते पीिब लैत रही।

    क ना इं टी ूट प चँल .ँ.ओिहठाम घटनाक सूचना प िँच गेल रहए...इं टी ूट द ू दनुका लेल ब द कऽ दले गेल। छा क घरबलाकँे सहेो सूिचत कए दले गेल, हम ँ बुझल मोनसँ घर घ�