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1256 GI/2017 (1) jftLVªh laö Mhö ,yö&33004@99 REGD. NO. D. L.-33004/99 vlk/kj.k EXTRAORDINARY Hkkx II—[k.M 3mi&[k.M (i) PART II—Section 3—Sub-section (i) izkf/dkj ls izdkf'kr PUBLISHED BY AUTHORITY la- 159] ubZ fnYyh] lkseokj] ekpZ 6] 2017@iQkYxqu 15] 1938 No. 159] NEW DELHI, MONDAY, MARCH 6, 2017/PHALGUNA 15, 1938 वािण᭔य एवं उोग मंालय, (औोिगक नीित और संवधᭅन िवभाग) अिधसूचना नई ᳰद᭨ली, 6 माचᭅ, 2017 सा.का.िन. 199(अ).—कितपय िनयमᲂ के ᮧाᱧप अथाᭅत ापार िचन िनयम 2015, ापार िचन अिधिनयम, 1999 (1999 का 47) कᳱ धारा 157 कᳱ उप-धारा (4) ᳇ारा ᮧदᱫ शिᲦयᲂ का ᮧयोग करते ᱟए भारत के राजप असाधारण , भाग II, ख᭛ड 3, उपख᭛ड (i), मᱶ तारीख 17 नव᭥बर, 2015 को भारत के वािण᭔य और उोग मंालय(औोिगक नीित और संवधᭅन िवभाग) कᳱ अिधसूचना सा.का.िन. 879(अ) को ᮧकािशत ᳰकए गए थे और िजनमᱶ उन सभी िᲦयᲂ से िजनके उनसे ᮧभािवत होने कᳱ संभावना है, उस तारीख से तीस ᳰदन कᳱ समाि के पूवᭅ जनता को उᲦ अिधसूचना उपल᭣ध कराई गई थी; और जबᳰक राजप कᳱ ᮧितयां जनता को तारीख 17 नवंबर 2015 को उपल᭣ध कराई गई थी; और जबᳰक अिधसूचना मᱶ उᲦ ᮧाᱧप िनयम पर िनद समय मᱶ िविभ िᲦयᲂ और पणधाᳯरयᲂ से आᭃेप और सुझाव ᮧा ᱟए है और आᭃेपᲂ और सुझाव पर के ᭠ीय सरकार ने िवचार कर िलया है; अतः अब, के᭠ीय सरकार, ापार िचन अिधिनयम 1999 (1999 का 47) कᳱ धारा 157 कᳱ ᳇ारा ᮧदᱫ शिᲦयᲂ का ᮧयोग करते ᱟए, ापार िचन िनयम 2002 के उन बातᲂ के िसवाए अिधᮓांत करते ᱟए अिधᮓमण ᳰकया गया है या लोप ᳰकया गया है िनिलिखत िनयम बनाती है, अथाᭅत- भाग-1 अ᭟याय-1 रंिभक 1. संिᭃ नाम और ᮧार᭥भ.—(1) इन िनयमᲂ का संिᭃ नाम ापार िचन िनयम, 2017 है। (2) ये राजप मᱶ ᮧकाशन कᳱ तारीख को ᮧवृᱫ हᲂगे।

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  • 1256 GI/2017 (1)

    jftLVªh laö Mhö ,yö&33004@99 REGD. NO. D. L.-33004/99

    vlk/kj.k EXTRAORDINARY

    Hkkx II— [k.M 3—mi&[k.M (i) PART II—Section 3—Sub-section (i)

    izkf/dkj ls izdkf'kr PUBLISHED BY AUTHORITY

    la- 159] ubZ fnYyh] lkseokj] ekpZ 6] 2017@iQkYxqu 15] 1938 No. 159] NEW DELHI, MONDAY, MARCH 6, 2017/PHALGUNA 15, 1938

    वािण य एव ंउ ोग मं ालय,

    (औ ोिगक नीित और सवंधन िवभाग)

    अिधसचूना

    नई द ली, 6 माच, 2017

    सा.का.िन. 199(अ).—कितपय िनयम के ा प अथात ापार िच न िनयम 2015, ापार िच न अिधिनयम, 1999 (1999 का 47) क धारा 157 क उप-धारा (4) ारा द शि य का योग करते ए भारत के राजप असाधारण , भाग II , ख ड 3, उपख ड (i), म तारीख 17 नव बर, 2015 को भारत के वािण य और उ ोग मं ालय(औ ोिगक नीित और संवधन िवभाग) क अिधसूचना सा.का.िन. 879(अ) को कािशत कए गए थे और िजनम उन सभी ि य से िजनके उनसे भािवत होने क संभावना है, उस तारीख से तीस दन क समाि के पूव जनता को उ अिधसूचना उपल ध कराई गई थी;

    और जब क राजप क ितयां जनता को तारीख 17 नवंबर 2015 को उपल ध कराई गई थी;

    और जब क अिधसूचना म उ ा प िनयम पर िन द समय म िविभ ि य और पणधा रय स ेआ ेप और सुझाव ा ए ह ैऔर आ ेप और सुझाव पर के ीय सरकार ने िवचार कर िलया ह;ै

    अतः अब, के ीय सरकार, ापार िच न अिधिनयम 1999 (1999 का 47) क धारा 157 क ारा द शि य का योग

    करते ए, ापार िच न िनयम 2002 के उन बात के िसवाए अिध ांत करते ए अिध मण कया गया ह ै या लोप कया गया ह ैिन िलिखत िनयम बनाती ह,ै अथात-

    भाग-1

    अ याय-1

    ारंिभक

    1. सिं नाम और ार भ.—(1) इन िनयम का संि नाम ापार िच न िनयम, 2017 ह।ै

    (2) ये राजप म काशन क तारीख को वृ ह गे।

  • 2 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)] 2. प रभाषाएं.—(1) इन िनयम म, जब तक क संदभ स ेअ यथा अपेि त न हो-

    (क) “अिधिनयम” से ापार िच न अिधिनयम, 1999 (1999 का 47) अिभ ेत ह;ै

    (ख) “अिभकता” से अिधिनयम क धारा 145 के अधीन काय करने के िलए ािधकृत कोई ि अिभ ेत है;

    (ग) " कसी ापार िच न के रिज ीकरण के िलए आवेदन"के अ तगत माल या सेवा के िलए वह ापार िच न ह ैजो उसम अ त व है;

    (घ) " ापार िच न रिज ी का समुिचत कायालय" से िनयम 4 म यथािविन द ापार िच न रिज ी का सुसंगत कायालय अिभ ेत ह;ै

    (ड.) "वग फ स" से कसी ापार िच न के रिज ीकरण के िलए कोई आवेदन फाइल करने के िलए िविहत फ स अिभ ेत ह;ै (च) "क वशन दशे" से धारा 154 क उपधारा (1) के अधीन उस प म घोिषत कोई दशे या दशे का समूह या दशे का संघ या

    दशे के अंदर सरकारी संगठन अिभ ेत है; (छ) "क वशन आवेदन" से धारा 154 के आधार पर बनाए गए कसी ापार िच न के रिज ीकरण के िलए कोई आवेदन

    अिभ ेत ह;ै (ज) " भागीय आवेदन" से अिभ ेत ह-ै

    (I) ापार िच न के रिज ीकरण के िलए आवेदन िजसके वग म व तु या सेवा के भाग के िलए अनुरोध कया ह;ै या

    (II) कसी ापार िच न के रिज ीकरण के िलए एकल आवेदन के िवभाजन के िलए कया गया आवेदन जो िवभािजत व तु या सेवा के िलए है;

    (झ) "िवभाजनीय फ स" से थम अनुसचूी क िवि सं या 14 के सामन ेिविहत फ स अिभ ेत ह;ै (ञ) " प" से ि तीय या तृतीय अनुसूची म दया गया प अिभ ेत ह;ै (ट) " ाफ य िन पण" से कागजप के प म द शत अथवा दशन यो य माल या सेवा के िलए कसी ापार िच न क

    समाकृित अिभ ेत है और इसम अिभकि पत व प म कया गया दशन भी समािव है;

    (ठ) "जरनल" से महािनयं क, एक व अिभक प और ापार िच न के शासक य वेबसाइट पर उपल ध ापार िच न जरनल अिभ ेत ह;ै

    (ड) "अिधसूिचत तारीख" से यह तारीख अिभ ेत ह ैिजसको ये िनयम वृत होते ह; (ढ) "पुरानी िविध" स ेअिधिनयम के ार भ के ठीक पूव िव मान ापार और प य व तु िच न अिधिनयम, 1958 और उसके

    अधीन बनाए गए िनयम अिभ ेत ह;ै

    (ण) "िवरोध" से यथाि थित कसी ापार िच न या सामुिहक िच न या माणीकरण ापार िच न के रिज ीकरण के िलए कोई िवरोध अिभ ेत ह ै और भारत को नािमत कसी अंतररा ीय रिज ीकरण क संर ा अनुदान का िवरोध और रिज ीकृत ापार िच न म प रवतन का िवरोध शािमल है;

    (त) "भारत म कारबार का मु य थान" से िनयम 3 म यथा िविन द भारत म कारबार का सुसंगत थान अिभ ेत ह;ै (थ) " काशन" स े ापार िच न जरनल म कािशत करना अथवा महािनयं क, एक व अिभक प और ापार िच न के

    शासक य वेबसाइट पर उपल ध करना अिभ ेत ह;ै (द) "रिज ीकृत ापार िच न अिभक ा" से यह ापार िच न अिभक ा अिभ ेत ह ैिजसका नाम िनयम 142 के अधीन रखे

    गए ापार िच न अिभक ा के रिज टर म वा तव म िवि है; (ध) "नवीकरण" स ेयथाि थित कसी ापार िच न या कसी माणीकरण ापार िच न या समूिहक िच न के रिज ीकरण का

    नवीकरण अिभ ेत ह ैऔर उसके अ तगत है; (न) "अनुसूची" से इन िनयम क अनुसूची अिभ ेत ह;ै (प) "धारा" से अिधिनयम क कोई धारा अिभ ेत ह;ै (फ) लघु उ म का अथ ह:ै

  • ¹Hkkx IIµ[k.M 3(i)º Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 3

    (i) व तु के िनमाण और उ पादन करने वाली कसी उ म के संदभ एक उ म जहाँ संयं और मशीनरी म िनवेश सू म, लघु और म यम उ म िवकास अिधिनयम, 2006 (2006 का 27) क धारा 7 क उप-धारा (1) का खंड (क) के तहत

    म यम उ म के िलए िनधा रत सीमा से अिधक ना हो; और (ii) सेवा उपल ध कराने या दान करने का काय करने वाले कसी उ म के संदभ एक उ म जहाँ यं िनवेश सू म, लघु

    और म यम उ म िवकास अिधिनयम, 2006 क धारा 7 क उप-धारा (1) का खंड (ख) के तहत म यम उ म के िलए िनधा रत सीमा से अिधक ना हो।

    ा या: "उ म" से उ ोग (िवकास और िविनयमन) अिधिनयम, 1951 (1951 का 65) क थम अनुसूची म िन द कसी उ ोग से कसी भी कार संब व तु के िनमाण या उ पादन अथवा ऐसे उ ोग म सेवा उपल ध कराने या

    दान करने म संिल ऐसे औ ोिगक िनकाय या वसाय संब या कसी अ य ित ान, कसी भी नाम से ात, का अिभ ाय ह।ै (iii) कसी िवदशेी उ म के संदभ म, एक उ म जो उपयु खंड (i) और (ii) म यथा उि लिखत अपे ा को

    पूरा करता हो। ा या: संयं और मशीनरी म िनवेश क गणना करते समय भारतीय रजव बक के िवदशेी मु ा का सदंभ दर

    लागू होगा। (ब) "िविनदश" से उस माल या सेवा का अिभधान अिभ ेत ह ै िजनके संबंध म ापार िच न या ापार

    िच न के रिज ीकृत उपयोगकता का रिज ीकरण कया जाता ह ैया कए जाने क थापना क जाती है; (भ) " टाट-अप" का आशय है, (i) टाट-अप इंिडया पहल के तहत स म ािधकारी ारा मा यता ा भारत क एक इकाई।

    (ii) िवदशेी इकाई के संदभ म, टाट-अप इंिडया पहल के अनुसार टन-ओवर और अपने िनमाण/पंजीकरण क अविध संबंधी मानदडं पूरा करने और इस िवषयक उ ोषणा दािखल करने वाली एक इकाई।

    ा या: टन-ओवर क गणना करते समय भारतीय रजव बक के िवदशेी मु ा का संदभ दर लागू होगा। (म) उस सभी अ य श द और पद के, जो इन िनयम म यु ह और प रभािषत नह ह क तु अिधिनयम म

    या माल का भौगोिलक उपदशन (रिज ीकरण और संर ण) अिधिनयम, 1999(1999 का 48), ितिल यिधकार अिधिनयम, 1957 (1957 का 14) म प रभािषत ह,ै वे ही अथ ह गे जो क उन अिधिनयम म मश: उनके ह।

    (2) इन िनयम म, अ यथा उपद शत के िसवाय, कसी धारा के ित िनदश अिधिनयम म उस धारा के ित िनदश ह,ै कसी िनयम के ित िनदश उन िनयम म उस िनयम के ित िनदश ह,ै कसी अनुसूची के ित िनदश इन िनयम क उस अनुसूची

    के ित िनदश ह ैऔर कसी प के ित िनदश यथा थित, इन िनयम क ि तीय या तृतीय अनुसूची म व णत उस प के ित िनदश ह।ै 3. भारत म कारबार का मु य थान-“भारत म कारबार के मु य थान” से िन िलिखत अिभ ेत है-

    (i) जहां कोई ि ापार िच न से संब माल या सेवा का कारबार करता है वहां- (क) जहां कारबार भारत म केवल एक ही थान म कया जाता है, वहां वह थान, (ख) य द कारबार भारत म एक से अिधक थान पर कया जाता ह ैतो वह थान, िजसका वह ि भारत म

    कारबार के मु य थान के प म उ लेख कर; (ii) जहां कोई ि कसी ापार िच न से संब माल या सेवा का कारबार नह करता ह,ै वहां

    (क) जहां वह भारत म कोई अ य कारबार केवल एक थान म कर रहा है, वहां वह थान, (ख) य द वह भारत म कोई अ य कारबार एक से अिधक थान म कर रहा ह,ै वह थान, िजसका वह भारत म

    कारबार के मु य थान के प म उ लेख कर; और (iii) जहां कोई ि भारत म कोई कारबार नह करता ह ै क तु उसका भारत म िनवास थान है, वहां भारत म ऐसा

    िनवास थान। 4. ापार िच न रिज ी का समुिचत कायालय- धारा 18 के अधीन ापार िच न रिज ीकरण के िलए या धारा 21 के अधीन

    िवरोध क सूचना दनेे या धारा 47 के अधीन कसी ापार िच न को हटाने के िलए या धारा 57 के अधीन कसी ापार िच न के रिज ीकरण को र करने या उसम प रवतन करने के िलए या अिधिनयम या िनयम के अधीन क ह अ य कायवािहय के िलए आवेदन करने के योजन के िलए " ापार िच न रिज ी का समुिचत कायालय"-

  • 4 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)]

    (अ) अिधसूिचत तारीख को ापार िच न रिज टर म कसी ापार िच न के संबंध म रिज ी का वह कायालय होगा िजसक रा य े ीय सीमा के भीतर-

    (i) ऐसी तारीख को रिज टर म यथा िव ापार िच न के रिज कृत व वधारी का भारत म कारबार का मु य थान ि थत ह,ै

    (ii) जहां रिज ीकृत व वधारी के भारत म कारबार के मु य थान के बारे म रिज टर म कोई िवि नह है,

    वहां ऐसी तारीख को रिज टर म यथा िव भारत म तामील के िलए पते म उि लिखत थान ि थत है;

    (iii) य द संयु रिज ीकृत व वधा रय के मामले म उस व वधारी का भारत म कारबार का मु य थान ि थत ह ैिजसका नाम ऐसी तारीख को भारत म ऐसे कारबार का थान रखने वाले के प म रिज टर म सबसे पहले िव कया जाता है;

    (iv) जहां संयु रिज ीकृत व वधा रय म से कसी को भी भारत म मु य थान रखने वाले के प म रिज टर म नह दखाया जाता ह,ै वहां ऐसी तारीख को रिज टर म यथा िव संयु व वधा रय के भारत म तामील के िलए पते म

    उि लिखत थान ि थत है;

    (v) य द ापार िच न के रिज ीकृत व वधारी का या संयु रिज ीकरण क दशा म ापार िच न के संयु व वधा रय म स े कसी का भारत म कारबार का कोई मु य थान रिज टर म िव नह है और रिज टर म भारत म तामील के िलए कोई पता नह दया गया है, तो ापार िच न रिज ी के कायालय का वह थान जहां ापार िच न के

    रिज ीकरण के िलए आवेदन कया गया था, ि थत ह;ै और

    (आ) उस ापार िच न के संबंध म, िजसके िलए रिज ीकरण कोई आवेदन अिधसूिचत तारीख को लि बत ह ैया अिधसूिचत तारीख को या उसके प ात ् कया गया है ापार िच न रिज ी का वह कायालय िजसक रा य े ीय सीमा के भीतर-

    (i) आवेदक के आवेदन म कट कए गए प म आवेदक का भारत म कारबार का मु य थान या संयु आवेदक क दशा म, उस आवेदक का भारत म कारबार का मु य थान ि थत है िजसका नाम कारबार का ऐसा थान रखने वाले के प म आवेदन म सबसे पहले उि लिखत ह;ै

    (ii) जहां यथाि थित, न तो आवेदक का और न संयु आवेदक म से कसी का भारत म कारबार का मु य थान ह ैवहां आवेदन म, यथा िविन द भारत म तामील के िलए पते म उि लिखत थान ि थत ह;ै

    5. कारबार के मु य थान म या तामील के िलए पते म प रवतन के कारण समुिचत कायालय क अिधका रता म प रवतन न होना- कसी ऐसे प रवतन से जो-

    (अ) अिधसूिचत तारीख को रिज टर म कसी ापार िच न के संबंध म कसी रिज ीकृत व वधारी के या संयु

    रिज ीकृत व वधा रय म से कसी के भारत म कारबार के मु य थानम या भारत म तामील के िलए पते म, उस तारीख के प ातवत कया गया है या भावी कया गया ह,ै या

    (आ) कसी ापार िच न के संबंध म, िजसके रिज ीकरण के िलए कोई आवेदन अिधसूिचत तारीख को लंिबत ह ैया उस तारीख को अथवा उसके प ात् कया गया ह ैरिज ीकरण के िलए आवेदक के या रिज ीकरण के िलए संयु आवेदक म से कसी के भारत म कारबार के मु य थान म या भारत म तामील के िलए पते म, यथाि थित, उस तारीख को या ऐसा आवेदन फाइल करने क तारीख को कया गया या भावी कया गया है, ापार िच न रिज ी के समुिचत कायालय क अिधका रता पर भाव नह पड़ेगा।

    6. रिज टर म समुिचत कायालय क िवि - अिधसूिचत तारीख को या उसके प ात ्रिज टर म कए गए येक ापार िच न के संबंध म रिज ार रिज टर म ापार िच न रिज ी के समुिचत कायालय क िवि कराएगा और रिज ार इस कार क गई िवि म कसी भी समय कोई गलती ठीक कर सकेगा। 7. लंिबत आवेदन और कायवािहय का ापार िच न रिज ी के समुिचत कायालय को ह तांत रत करना- ापार िच न के संबंध म अिधसूिचत तारीख को रिज ार के सम लंिबत येक आवेदन और कायवाही क बाबत यह समझा जाएगा क वह

    ापार िच न रिज ी के समुिचत कायालय को ह तांत रत करा दी गई ह।ै 8. द तावेज को छोड़ना, आ द- अिधसूिचत तारीख को ापार िच न रिज ार म कसी ापार िच न के संबंध म, िजसके रिज ीकरण के िलए कोई आवेदन लि बत ह,ै अिधिनयम या िनयम ारा ािधकृत या अपेि त सभी आवेदन रिज ी के समुिचत

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    कायालय म कए जाएंगे, सूचना क तामील वहां क जाएगी, िववरण या अ य द तावेज वहां दए या भेजे जाएंगे, या फ स का संदाय वहां कया जाएगा।

    बशत परंतु रिज ार जरनल म अिधसूचना जारी कर ापार िच न के रिज ीकरण के िलए आवेदन के अित र कोई प या द तावेज ापार िच न रिज ी के कसी अ य कायालय म दािखल करने क अनुमित द।े 9. नो टस आ द का जारी कया जाना- अिधिनयम या िनयम के अधीन कसी आवेदन, िवषय या कायवाही से संबंिधत नो टस या संसूचना अ य या रिज ार ारा ािधकृत कसी अ य अिधकारी ारा जारी क जा सकेगी। 10. फ स- (1) अिधिनयम और िनयम के अधीन आवेदन , िवरोध , रिज ीकरण, नवीकरण, व रत परी ा या रपोट या क ह अ य िवषय के संबंध म दी जाने वाली फ स, वे ह गी जो क थम अनुसूची म िविन द ह।

    (2)जहां कसी िवषय के संबंध म िनयम के अधीन फ स दी जानी अपेि त है, वहां उससे संबंिधत प या आवेदन या ाथना या यािचका के साथ िविहत फ स होगी।

    (3)फ स इले ोिनक मा यम से या नकद दी जा सकेगी या ापार िच न के रिज ार को संबोिधत मनीआडर से या

    अनुसूिचत बक ारा बक ा ट ारा या उ बक पर बककार चेक ारा उस थान पर, जहां ापार िच न रिज ी का समुिचत कायालय अवि थत है, भेजी जा सकेगी और य द वह डाक ारा भेजी जाती ह ैतो उस समय संद क गई समझी जाएगी जब मनीआडर या उिचत प से संबोिधत बक ा ट या बककार चेक कायालय म ा होगा।

    (4) बक ा ट और बककार चैक रेखां कत ह गे और ापार िच न रिज ी के समुिचत कायालय म रिज ार को संदये ह गे और इ ह उस थान के अनुसूिचत बक पर िलखा जाएगा जहां क ापार िच न रिज ी का समुिचत कायालय अवि थत ह।ै

    (5)जहां कसी द तावेज के फाइल करने के संबंध म कोई फ स संदये है और जहां द तावेज िबना फ स के या अपया फ स के साथ फाइल कया जाता ह,ै वहां यह समझा जाएगा क ऐसा द तावेज इन िनयम के अधीन क ह कायवािहय के

    योजन के िलए फाइल नह कया गया ह।ै 11. प- (1) ि तीय और तृतीय अनुसूिचय म दए प का योग उन सभी मामल म कया जाएगा िजनम वे लागू होते ह और अ य मामल म लागू करने के िलए उ ह रिज ार के िनदश के अनुसार उपांत रत कया जा सकेगा।

    (2) कोई प जब ापार िच न रिज ी म फाइल कया जाएगा तब उसके साथ िविहत फ स होगी। (3) इस िनयम के तहत अनुसूची म यथा िनधा रत प के उपयोग क अपे ा इसके ित प के उपयोग से भी पूण

    होती ह ैिजसम प के िलए आव यक सभी सूचना िनिहत हो और ऐसे प के उपयोग संबंधी िनदेश का अनुपालन कया गया हो।

    (4) रिज ार जनता को जरनल म अथवा शासक य वेबसाइट पर आमसूचना दनेे के प ात ्ऐसे प को िविन द कर सकेगा जो इलै ािनक तरीके से तुत कए जाने अपेि त ह । उसके प ात् ऐसे प को ऐसी रीित म पूरा कया जाएगा जो कं यूटर म अ तव तु के िनवेश को वत: ही जैसे सं तीक अिभ ान या मवी ण ारा अनु ात करने के िलए िविन द कया जा सके। 12. द तावेज का आकार आ द-(1) क ह अ य ऐसे िनदशे के जो रिज ार ारा दए जाएं, अधीन रहते ए, ापार िच न को छोड़कर वे सभी आवेदन, सूचनाएं, िववरण या अ य द तावेज, जो ापार िच न रिज ी को या वहां या रिज ार के पास या उसको कए जाने, तामील कए जान,े छोड़े जाने या भेजे जाने या संद कए जान ेके िलए अिधिनयम या िनयम ारा ािधकृत या अपेि त ह,ै A-4 या िलगल आकार के मजबूत कागज पर केवल एक ओर गहरी अिमट याही म सुपा अ र म अं ेजी और िह दी म टाइप कए और ट आउट कए जाएंगे और कागज म बाई ओर कम से कम 4 सटीमीटर का हािशया होगा।

    (2) य द रिज ार कसी समय अपे ा करता है तो द तावेज क दसूरी ितया,ं िजनके अ तगत ापार िच न क ितया ंभी है ापार िच न रिज ी म फाइल क जाएंगी।

    (3) रिज ार जरनल म जनता को सूिचत करने के प ात ्सभी आवेदन , सूचना , िववरण या अ य द तावेज और

    प के, जो िनयम के अधीन इलै ािनक रीित स ेसम प बनाए जाने के िलए अपेि त ह, आकार म प रवतन कर सकेगा। (4) रिज ार जरनल म जनता को सूचना दए जाने के प ात् आवेदन , सूचना , िववरण और अ य द तावेज को

    इलै ािनक रीित ारा ऐसे मागदशक िस ातं और अनुदशे के अधीन रहते ए, जो वह जरनल म िविन द करे, फाइल करने क अनु ा द ेसकेगा। 13. द तावेज पर ह ता र करना- (1) इस अिधिनयम और िनयम के तहत ह ता र कए जाने वाले द तावेज पर आवेदक या िवरोधकता या इस योजन के िलए स यक ािधकृत ि ारा ह ता र कया जाएगा।

  • 6 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)]

    (2) कसी द तावेज पर ह ता र के साथ िह दी म या ह ता र अं ेजी म ह, तो बड़े अ र म ह ता रकता का नाम होगा।

    (3) द तावेज ऑनलाइन फाइल करने क ि थित म "ह ता रत" कहने म अंक य आंगुिलक ह ता र शािमल ह।ै 14. द तावेज क तामील-(1) पण िचपके ए सभी आवेदन, नो टसे, कथन, कागजप या अ य द तावेज, जो ापार िच न रिज ी को या वहां या रिज ार या कसी अ य ि के पास या उसको कए जाने, तामील कए जान,े छोड़ जाने या भेजे जाने के िलए अिधिनयम या िनयम ारा ािधकृत या अपेि त ह, हाथ से दए या डाक स ेऐसे प ारा भेजे जा सकगे िजसके िलए डाक महसूल द े दया गया है अथवा रिज ार ारा िन द तरीके से इलै ािनक प म दािखल कए जा सकगे।

    (2) इस कार भेजा गया कोई आवेदन या कोई द तावेज उस समय कया गया तामील कया गया व छोड़ दया गया या भेज दया गया समझा जाएगा जब वह प िजसम वह आवेदन या द तावेज ह,ै डाक से साधारण अनु म म प रद कर दया जाता।

    (3) ऐसा भेजा जाना सािबत करना पया होगा क प पर उिचत प से पता िलख कर उसे डाक म डाल दया गया था।

    (4) ापार िच न रिज ी के पास कोई आवेदन फाइल करने के प ात ्कोई ि उससे संबंिधत प ाचार करते समय िन िलिखत िविश यां दगेा, अथात्:-

    (क) आवेदन क सं या या सं याएं, य द कोई हो;

    (ख) फाइल करने क तारीख और थान: (ग) यथाि थित, समुिचत वग या कोई वग, िजसके या िजनके संबंध म आवेदन कया गया हो। (घ) संसूचना के िलए पता; और (ड़) संबंिधत अिभकता का कोड, य द कोई हो, और संबंिधत व वधारी का कोड, य द आबं टत कया गया

    हो। (5) रिज ार जरनल के मा यम से जनता को सूिचत करने के बाद इस यो य के िलए द गेटवे के ऑनलाइन

    मा यम से आवेदन, सूचना, कथन या अ य द तावेज, अथवा उन द तावेज िजनके िलए कसी फ स का संदाय अपेि त नह है, इस उ े य के िलए ािधकृत ई-मेल के मा यम स े वीकार कर सकेगा। 15. आवेदक और अ य ि य के पत क िविशि यां-(1) आवेदक और अ य ि य के पूरे नाम और पते दए जाएंगे और उसके साथ उनक राि कता, अजीिवका और ऐसी अ य िविशि यां ह गी जो उनक पहचान के िलए आव यक ह।ै

    (2) कसी भागीदारी फम क दशा म, उसके येक भागीदार के पूरे नाम और रा ीयता का कथन दया जाएगा।

    (3) क वशन दशे म कसी आवेदन क दशा म और भारत म कारबार का काई मु य थान न रखने वाले ि य क दशा म, उनके अपने दशे म उनके पते भारत म तामील के िलए उनके पते के अित र दए जाएंगे।

    (4) कसी िनगम िनकाय या फम क दशा म, यथाि थित, िनगमन देश या रिज ीकरण क कृित दी जाएगी। 16. कसी आवेदन म भारत म कारबार के मु य थान का कथन- (1) ापार िच न के रिज ीकरण के िलए येक आवेदन म आवेदक के भारत म कारबार के मु य थान का, य द कोई हो, या संयु आवेदक क दशा म, संयु आवेदक म से ऐसे आवेदक के, िजनका भारत म कारबार का मु य थान है, ऐसे कारबार के मु य थान का उ लेख कया जाएगा।

    (2) िनयम 17, िनयम 18, और िनयम 20 के उपबंध के अधीन रहते ए, कसी ापार िच न के रिज ीकरण के संबंध म कसी आवेदक को, संयु आवेदक क दशा म संयु आवेदक को आवेदन म उसके ारा दए गए उसके भारत म कारबार के मु य थान के पत ेपर कोई िलिखत संसूचना संबोिधत क जाती है तो वह उिचत प से संबोिधत क गई समझी जाएगी। 17. तामील के िलए पता- (1) अिधिनयम और िनयम के तहत कसी कायवाही से संबि धत येक आवेदक या िवरोधकता या अ य ि रिज ार को भारत म तामील के िलए पता उपल ध कराएगा िजसम भारत का एक डाक का पता और एक मा य ई-मेल पता शािमल होगा और उस पते को उस आवेदक या िवरोधकता या ि का तामील के िलए पता माना जाएगा: परंतु क ापार िच ह अिभकता के िलए भी भारत म रिज ीकृत एक मोबाईल नंबर दनेा आव यक होगा।

    (2) य द कसी ि को भारत म तामील के िलए उसके ारा दए गए पते पर पूव प से िलिखत संसूचना स बोिधत क जाती है तो वह उिचत प से स बोिधत क गई समझी जाएगी।

    (3) जब तक क उपिनयम (1) म अपेि त प म भारत म तामील के िलए कोई पता नह दया जाता ह ैतब तक रिज ार अिधिनयम या िनयम के ारा अपेि त प म कोई सूचना भेजने के िलए बा य नह होगा और कायवािहय म कोई

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    प ातवत आदशे या िविनि य इस आधार पर गत नह कया जाएगा क सूचना क तामील म कोई कमी थी उसको तामील नह क गई थी। 18. रिज ार ारा द तावेज सं ेषण- (1) आवेदन या िवरोध मामले या रिज ीकृत ापार िच न से संबंिधत सभी संवाद और द तावेज रिज ार ारा संब प के पते पर प चँाया या डाक ारा भेजा जाएगा अथवा ई-मेल ारा ेिषत कया जाएगा।

    (2) इस कार ेिषत कोई संवाद या द तावेज उस प के डाक क साधारण या ारा दान कए जान ेअथवा ई-मेल ारा भेजे जान ेके समय दान कया गया माना जाएगा।

    (3) इसे दान कया आ मािणत करने के िलए, यह मािणत करना पया होगा क प पर उपयु पता िलखकर उसे डाक म दया गया है या संब प ारा द ई-मेल आईडी पर ई-मेल सं ेषण कया गया ह।ै

    19. अिधकरण- (1) धारा 145 के योजन के िलए कसी अिभकता का ािधकार प ा. िच.-एम म िन पा दत कया जाएगा।

    (2) ऐसे ािधकार क दशा म कायवाही या मामले से संबंिधत कसी द तावेज क अिभकता पर तामील, उसे इस कार ािधकृत करने वाले ि पर तामील समझी जाएगी; कायवाही या मामले क बाबत ऐसे ि को क जान ेके िलए िन द सभी

    संसूचनाएं, ऐसे अिभकता को संबोिधत क जाएंगी, और रिज ार के सम उससे संबंिधत सभी हािज रयां ऐसे अिभकता ारा या उसक माफत क जा सकगी।

    (3) कसी िविश मामले म रिज ार कसी आवेदक, िवरोधकता, व वधारी, रिज ीकृत उपयोगकता या अ य ि के ि गत ता र या उसक उपि थित क अपे ा कर सकेगा।

    (4) अिभकता ारा कायवाही से अथवा कसी अ य काय स ेिजसके िलए वह ािधकृत हो ितहरण के मामले म, ऐसे आवेदन या िवरोध के संदभ म जहाँ भारत म वसाय का कोई मूल थान उि लिखत ना हो, आवेदक या िवरोधकता वैसे ितहरण क तारीख से दो महीने क अविध के भीतर भारत म सेवाथ पता दान करेगा। य द वह उस अविध के भीतर भारत म सेवाथ पता

    दान करने म असफल रहता है तो यह माना जाएगा क उसने आवेदन या िवरोध यथाि थित का प र याग कर दया ह।ै (5) उस आवेदन या िवरोध क बाबत जहाँ भारत म वसाय का मूल थान उि लिखत ना हो, आवेदक या िवरोधकता

    ारा ािधकार के ितसंहरण के मामले म, आवेदक या िवरोधकता, यथाि थित उस ितसंहरण से दो महीने क अविध के भीतर भारत म सेवाथ पता उपल ध कराएगा। य द वह उस अविध के भीतर भारत म सेवाथ पता दान करने म असफल रहता ह ैतो यह माना जाएगा क उसने यथाि थित आवेदन या िवरोध का प र याग कर दया ह।ै 20. माल और सेवा का वग करण-(1) ापार िच न के रिज ीकरण के योजन के िलए माल और सेवाएं उस रीित म वग कृत क जाएगी जो िव बौि क स पदा संगठन (वायपो) ारा कािशत "माल और सेवा के अंतरा ीय वग करण (एनआईसीई वग करण)" क वतमान सं करण म िविन द ह।ै

    (2) रिज ार, यथासा य, माल और सेवा के वग करण क वण म अनु मिणका म भारतीय मूल के माल या सेवा क पहचान करेगा और उ ह सि मिलत करेगा। 21. सुिभ ता के बारे म रिज ार ारा ारंिभक सलाह-(1) धारा 133 क उपधारा (1) के अधीन रिज ार ारा ारंिभक सलाह के िलए कोई आवेदन माल या सेवा के संबंध म िनयम 20 के उप िनयम (2) के तहत रिज ार ारा यथा कािशत और

    थम अनुसूची क िवि सं या 14 म यथा िन द फ स के साथ प ा. िच.-एम म कया जाएगा और उसके साथ ापार िच न के तीन पदशेन ह गे। 22. कोई ि रिज ार से प- (1) ा. िच.-सी म तलाशी करवाने के िलए और ितिल यिधकार अिधिनयम, 1957 (1957 का 14) क धारा 45 क उपधारा (1) के अधीन इस भाव का माणप जारी करने के िलए िनवेदन कर सकेगा क ऐसी

    कला मक कृित के िजसे ितिल यिधकार अिधिनयम, 1957 (1957 का 14) के अधीन ितिल यिधकार के प म रिज ीकृत कराने के िलए चाहा गया है, तद प या इतना सम प िजसस ेधोखा हो जाए, कोई ापार िच न अिधिनयम, 1999 (1999 का 47) के अधीन ापार िच न के प म आवेदक से िभ कसी ि के नाम म रिज ीकृत नह कया गया ह ैया क आवेदक से िभ कसी ि ारा पुन: रिज ीकरण के िलए उस अिधिनयम के अधीन कोई आवेदन नह कया गया ह।ै माणप सामा यत: िनवेदन क तारीख से कायकरण के 30 दन के भीतर जारी कए जाएंगे;

    पर तु रिज ार आवेदक से अपे ा के िववरण के िलए मांग कर सकेगा और य द अपे ा का उस िववरण के ऐसे मांगे जाने क तारीख से दो मास के भीतर अनुपालना नह कया जाता ह ैतो प ा. िच.- सी पर उस िनवेदन के बारे म यह माना जा सकेगा क उसका प र याग कर दया गया ह।ै

  • 8 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)]

    (2) रिज ार ऊपर व णत उपिनयम (1) के अधीन जारी कए गए माणप को सूचना दनेे और उन आधार का कथन करने के प ात ्िजन पर रिज ार माणप को र करने क थापना करता ह ैऔर सुनवाई के िलए युि यु अवसर दान करने के प ात,् र कर सकेगा।

    (3) उप िनयम (1) के पर तुक या उप िनयम (2) के अधीन रहते ए, रिज ार ऐसी तलाशी के िलए थम अनुसूची म िन द आवेदन शु क के संदाय पर प ा. िच.- सी म ा िनवेदन पर ितिल यिधकार अिधकार, 1957 (1957 का 14) क धारा 45 क उपधारा (1) के अधीन व रत माणप साधारणतया सात दन के भीतर जारी करेगा।

    (4) यथाि थित, प ा. िच.-सी म उस िनवेदन का प र याग करने से पूव मांगी गई अपे ा के िववरण क अननुपालना के िलए रिज ार उस मामले म सुनवाई के अवसर क थापना करेगा।

    अ याय 2 ापार िच न के रिज ीकरण के िलए या

    23. आवेदन का ा प और ह ता र करना- (1) ापार िच न के रिज ीकरण के िलए माल या सेवा से संबंिधत आवेदन ा.िच.-ए पर दािखल कया जाएगा और आवेदन पर आवेदक या उसके अिभकता ारा ह ता र कए जाएंगे।

    (2) माल या सेवा के िलए कसी ापार िच न के रिज ीकरण के िलए येक आवेदन म-

    (क) ापार िच न को, य द आव यक हो तो, पया स मता के साथ श द म व णत करके प कया जाएगा ता क आवेदक का अिधकार अवधा रत कया जा सके;

    (ख) ापार िच न का ाफ य नमनू म िच ण करने म समथ होगा; (ग) इसे तीन िवमा वाले ापार िच न के प म समझा जाएगा, य द आवेदन म इस आशय का िववरण

    अंत व है;

    (घ) इसे रंग समंजन वाला ापार िच न समझा जाएगा, य द आवेदन म इस आशय का िववरण अंत व ह;ै (3) धारा 22 के परंतुक के अधीन आवेदन को िवभािजत करने के िलए प ा.िच.-एम म संशोधन कया जाएगा। (4) य द वह ृंखला ापार िच न नह है तो कतन ेभी वग या वग के माल या सेवा के िलए केवल एक ापार

    िच न क बाबत एक ही आवेदन कया जाएगा। (5) कसी वग म सि मिलत सभी माल या सेवा या कसी वग म माल या सेवा के कसी वृहत क म क बाबत

    रिज ीकरण के िलए आवेदन क दशा म रिज ार उस आवेदन को वीकार करने से मना कर सकेगा अब तक क उसका यह समाधान नह हो जाता है क यह िविनदश उस िच न के उपयोग को यायसंगत ठहराता है जो आवेदक न े दया ह,ै या उसे वह दनेा चाहता ह ैऔर यह तब जब वह रिज ीकृत कर दया जाता ह;ै

    परंतु ापार िच न के रिज ीकरण के िलए आवेदन करते समय आवेदन म िलिखत माल और सेवा के नाम, जहाँ तक संभव हो िनयम 20 के उपिनयम (2) के तहत रिज ार ारा कािशत माल और सेवा के वग करण के अनु प हो।

    (6) जहां आवेदक एक से अिधक वग के िलए एकल आवेदन फाइल करता है, और रिज ार अवधा रत करता है क आवे दत माल या सेवा उन वग या वग के अित र वग या वग के अंतगत आते ह, तो वह उस आवेदक को पहले से आवे दत वग या वग के माल या सेवा के िविनदश तक िनबंिधत कर सकेगा या उपयु फ स के साथ प ा. िच.-एम पर आवेदन दािखल कर अित र वग या वग को जोड़ने के िलए आवेदन म संशोधन कर सकेगा।

    बशत क सभी माल या सेवाएँ िन द वग के अित र कसी वग म आते ह, रिज ार ा. िच. -एम प अनुरोध दािखल कर वग के सुधार क अनुमित द ेसकता ह।ै 24. क वशन ठहराव के अधीन आवेदन-(1) जहां धारा 154 के अधीन कसी क वशन दशे म स यक प से फाइल कए गए कसी

    ापार िच न के रिज ीकरण के िलए कसी आवेदन के कारण पू व ा के अिधकार का दावा कया जाता है वहां रिज ी या ापार िच न कायालय के स म ािधकारी ारा माणप के िलए और उस आवेदन म िच न, दशे या दशे म ापार िच न

    रिज ीकरण के आवेदन के साथ फाइल कया जाएगा और आवेदन के फाइल करने क तारीख या तारीख क िविशि या ंऔर ऐसी अ य िविशि या,ं जो रिज ार ारा अपेि त ह , सि मिलत ह गी।

    (2) जब तक क रिज ीकरण के िलए उस आवेदन को फाइल करने के समय ऐसा माण प फाइल नह कया गया ह ैआवेदन के अंतगत आन ेवाले उस आवेदन के फाइल करने क तारीख, दशे, िच न क समाकृित और माल और सेवा को रिज ार

  • ¹Hkkx IIµ[k.M 3(i)º Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 9

    के समाधान के िलए मािणत करते ए या स यािपत करते ए ऐसे आवेदन के फाइल करने के दो मास के भीतर वह फाइल कया जाएगा।

    (3) आवेदन म क वशन आवेदन के फाइल करने क तारीख, उस क वशन दशे का नाम, जहां यह फाइल कया गया,

    म सं., य द कोई हो, और ऐसा कोई िववरण िजसम यह उपद शत कया गया हो क पू व ा का दावा कया गया ह,ै सि मिलत ह गे:

    पर तु और क जहां आवेदक न ेउसी ापार िच न क बाबत धारा 154 के अधीन एक से अिधक पू व ा दावे फाइल कए ह,

    वहां रिज ार, क वशन दशे म कए गए पूवतर आवेदन क तारीख को, पू व ा क तारीख के प म लेगा: पर तु यह और भी क ऐसी पू व ा तारीख क वशन आवेदन के तहत नह आने वाले माल या सेवा के िलए अनुम नह होगी

    जो पहले िन द कए गए ह,

    पर तु यह भी क िनयम 23 (1) के तहत दािखल ापार िच न के रिज ीकरण के आवेदन म उि लिखत सभी माल या सेवा के संदभ म केवल एकल पू व ा का दावा कया जाय। 25. आवेदन म उपयोगकता का कथन- (1) जब तक क ापार िच न का उपयोग करने क थापना न क गई ह , ापार िच न को रिज ीकृत करने के िलए आवेदन म उस कालाविध का, िजसके दौरान म और उस ि का िजसने आवेदन म उि लिखत माल या सेवा के संबंध म इसका उपयोग कया है, िववरण अंत व होगा।

    (2) आवेदन क तारीख के पूव ापार िच न के उपयोग का दावा करने क ि थित म आवेदक ऐेसे उपयोग के समथन म सहायक द तावेज के साथ एक शपथ प फाइल करेगा। 26. िच न क पण- (1) ापार िच न के रिज ीकरण के िलए येक आवेदन म और जहां क आवेदन क अित र ितयां अपेि त ह, वहां अ य ितय म िच न क पण उस थान (8 स.मी x 8 स.मी.) दी जाएगी जो क आवेदन म उस योजन के िलए िनयम ह,ै

    (2) य द आवेदन म इस भाव का एक कथन शािमल है क आवेदक िच न के एक सुिभ िवशेषता के प म रंग के

    सम वय का दावा करने का इ छुक है, उस आवेदन के साथ िच न का रंग संयोजन तुत कया जाएगा। (3) जहाँ आवेदन म इस भाव का एक कथन शािमल है क ापार िच न एक ि आयामी िच न है, वहां उस िच न

    क तुित म दो आयामी ा फक या फोटो ा फक तुित िन प म सि मिलत होगी, अथात:- (i) द तुित म ापार िच न के तीन िविभ दृ य शािमल ह गे; (ii) जहाँ रिज ार यह समझता है क आवेदक ारा द िच न क तुित म ि आयामी िच न के िववरण पूरी

    तरह द शत नह कए गए ह, वह आवेदक को दो महीने के भीतर उस िच न के पाँच पृथक दृ य तुत करने और उस िच न को श द म व णत करने को कहगेा;

    (iii) जहाँ रिज ार यह समझता है क उपबंध (ii) म इंिगत िच न के िविभ दृ य और/या वणन अब भी ि आयामी िच न के िववरण का पया दशन नह कर रहा ह,ै वह आवेदक को उस ापार िच न का नमूना उपल ध कराने को कहगेा।

    (4) (i) जहाँ ापार िच न के रिज करण के िलए आवेदन म व तु के आकार या उसक पै कग शािमल हो, द तुित म उस िच न के पाँच पृथक दृ य तुत और उसका शाि दक िववरण शािमल होगा-

    (ii) य द रिज ार यह िवचार करता ह ै क उपबंध (i) के िच न के िविभ दृ य और िववरण अब भी व तु के आकार या उसक पै कग के िववरण का पया दशन नह करता ह ैतो वह आवेदक को उस व तु या पै कग, यथाि थित का नमूना

    तुत करने को कहेगा। (5) जहाँ ापार िच न के रिज ीकरण के िलए आवेदन म ापार िच न के प म विन शािमल ह,ै उसक तुित

    MP3 फॉमट म दािखल क जाएगी जो अिधकतम तीस सेके ड क होगी और वैसे मा यम म अिभिलिखत क गई होगी िजसे आसानी और प ता से सुना जा सके और उसके साथ उसके संकेतन क ाफ य तुित भी होगी।

    (6) य द रिज ार िच न क कसी तुित से समाधान नह होता ह ैतो वह कसी भी समय दसूरी तुित क अपे ा कर सकता है जो उसे समाधान कर सके और कायवाही के पहले आवेदन के साथ ित थािपत हो सके। 27. ापार िच न क ृंखला:- (1) जहां क धारा 15 क उपधारा (3) के अधीन ापार िच न के रिज ीकरण के िलए आवेदन कया जाता ह,ै वहां येक ापार िच न क समाकृित क ितया ंआवेदन के साथ िनयम 26 म उपव णत रीित म भेजी जाएंगी। रिज ार य द इस बात से समाधान है क वह िच न एक म का अनुसरण करते ह तो वह आवेदन पर आगे कायवाही करेगा।

  • 10 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)]

    (2) ापार िच न जनरल म आवेदन के काशन के पूव कसी भी समय उपिनयम (1) के अधीन आवेदन करने वाला आवेदक उस अविल के एक या अिधक िच न क बाबत यथाि थित थम आवेदन या आवेदन म उस आवेदन के िवभाजन का

    प ा. िच.-एम पर िनवेदन कर सकेगा और रिज ार य द उसका यह समाधान हो जाता है क िनवे दत िवभाजन धारा 15 क उपधारा (3) के अनु प ह ैउस आवेदन या आवेदन को तदनुसार भागीय फ स के भुगतान के बाद िवभािजत करेगा। 28. िल यांतर और अनुवाद:- जहां कसी ापार िच न म एक या अिधक श द और/या सं या िह दी या अं ेजी िलिप से िभ िलिप के ह, आवेदक आवेदन म येक वैसे श द और सं या का सटीक िल यांतर और अनुवाद अं ेजी या िह दी म तुत करेगा और यह भी बताएगा क वह श द और/या सं या कस भाषा का ह।ै 29. जीिवत ि य या हाल ही म मृतक ि य के नाम और पण- जहां क कसी ि का नाम या पण ापार िच न म दी ई है, वहां आवेदक अपने से यह अपे ा रिज ार ारा कये जाने पर यथाि थित उस अव था म, िजसम क वह ि जीिवत

    ह,ै ऐसे ि क उस अव था म, िजसम क उसक मृ यु उस तारीख के पूव बीस वष के अ दर हो गई थी, िजसको क ापार िच न के रिज ीकरण के िलए आवेदन दया गया था, उसके वै ितिनिध को इस बात के िलए िलिखत स मित क उसके नाम या उसक समाकृित का ऐसा उपयोग कया जा सकता ह,ै रिज ार को दगेा और य द ऐसी स मित नह दी जाती तो ापार िच न के रिज ीकरण के िलए आवेदन पर कोई कायवाही करने स ेरिज ार इंकार कर सकेगा। 30. ापार िच न पर माल या सेवा का नाम या वणन:- (1) जहाँ कसी माल या सेवा का नाम या अिभवणन ापार िच न म दया आ है, वहां रिज ार ऐसे दए नाम या अिभवणन वाले माल या सेवा से िभ कसी माल या सेवा के संबंध म ऐसे

    ापार िच न का रिज ीकरण करने से इंकार कर सकेगा। (2) जहाँ क कसी माल या सेवा का नाम वणन ापार िच न म दया आ है और वह नाम और वणन उपयोग म

    लाये जाने म प रव तत होता रहता ह,ै वहां रिज ार उन माल या सेवा और अ य माल या सेवा के िलए िच न के रिज ीकरण के िलए अनु ा तब द ेसकेगा जब क आवेदक यह वचन द े क नाम और अिभवणन म प रवतन उस सूरत म कया जायेगा िजसम क वह नामां कत या व णत माल या सेवा से िभ ऐसी माल या सेवा पर उपयोग म लाया जाता है जो क िविनदश के अंतगत आ जाती है; इस भांित दया गया वचन आवेदन के उस िव ापन म सि मिलत कया जायेगा जो क जनरल म

    धारा 20 के अधीन कया जाता ह।ै 31. किमया-ँ जहां िनयम 10 के उपिनयम (2) के अधीन कसी ापार िच न के रिज ीकरण के िलए कोई आवेदन अिधिनयम या िनयम उपबंध म से क ह अपे ा को पूरा नह करता है वहां रिज ार किमय के उपचार के िलए आवेदक को उनक सूचना भेजेगा और य द उस सूचना क तारीख स ेएक मास के भीतर उसको इस कार अिधसूिचत कसी कमी का उपचार करने म असफल रहता है तो आवेदन को प र य समझा जाएगा। 32. आवेदन क अिभ वीकृित - कसी माल या सेवा के बारे म ापार िच न के रिज ीकरण के िलए येक आवेदन क ाि क अिभ वीकृत िस टम जिनत इले ोिनक रसीद दकेर या ऐसे रसीद को इस योजन के िलए दए गए ई-मेल पते पर भेजकर क जाएगी। 33. परी ण, वीकृित का िवरोध, सुनवाई.—(1) रिज ार, अिधिनयम के उपबंध के अनुसार आवेदन का परी ण कराएगा जहाँ पंजीकृत या रिज ीकरण के िलए आवे दत पूव के ापार िच न म खोज भी संचािलत क जाएगी ता क यह सुिनि त कया जा सके क आवे दत ापार िच न के सम प या छद ्म प से समान कोई िच न उसी व तु या सेवा या समान व तु या सेवा के संदभ म अिभिलिखत ह ैया नह । आवेदन क वीकृित के पूव रिज ार कसी भी समय पूव िच न के पुन: खोज सिहत उस आवेदन का पुन: परी ण करवा सकता ह,ै क तु वह ऐसा करने के िलए बा य नह ह।ै

    (2) य द कसी ापार िच न के रिज ीकरण के िलए आवेदन और आवेदक ारा उपल ध कराए जाने वाले कसी सा य के योग या सुिभ ता या कसी अ य मामले पर िवचार करते ए, रिज ार को आवेदन क वीकृित म कोई आपि ह।ै या वह उसे धारा 18 क उपधारा (4) के तहत कुछ शत , संशोधन , सुधार या सीमा के अधीन उसे वीकार करने का ताव करता ह,ै जैसा उसे उपयु लगे, रिज ार वह िलिखत आपि या ताव एक परी ण रपोट के प म आवेदन को ेिषत करेगा।

    (3) य द कसी ापार िच न के रिज ीकरण के िलए आवेदन और आवेदक ारा उपल ध कराए जाने वाले कसी सा य के योग या सुिभ ता या कसी अ य मामले पर िवचार करते ए, रिज ार आवेदन को रिज ीकरण के िलए पूणतया वीकार करता ह,ै तो वह इस वीकृित क सूचना आवेदक को ेिषत करेगा और धारा 20 क उपधारा (1) के तहत उस आवेदन का

    िव ापन वीकृत प म करेगा। (4) य द, परी ण रपोट क वीकृित क तारीख से एक महीने के भीतर आवेदक उस संवाद का यु र दनेे या

    सुनवाई के िलए आवेदन करने म असफल रहता है तो रिज ार उस आवेदन को प र य मान लेगा।

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    (5) उपयु समय के भीतर परी ण रपोट का यु र ा होने क ि थित म, उस पर स यक िवचार कया जाएगा और य द रिज ार पंजीकरण हतेु आवेदन वीकार कर तो वह इस वीकृित क सूचना आवेदक को दगेा और उस आवेदन को धारा 20 (1) के तहत वीकृत प म िव ािपत कराएगा।

    (6) य द परी ण रपोट का यु र संतोष द न हो या जहाँ आवेदक ने सुनवाई का अनुरोध कया हो, रिज ार आवेदक को सुनवाई का अवसर दान करेगा और िनयम 115 के तहत उसका संचालन करेगा।

    (7) आवेदक के सुनवाई क िनि त तारीख को उपि थत न होना और कायालय को कोई आपि ा न होन े क ि थित म, रिज ार उस आवेदन को प र य मान लेगा।

    (8) जहाँ आवेदक न ेपरी ण रपोट का यु र उपयु अविध के भीतर तुत कया ह ैया सुनवाई म उपि थत होकर अपना ितवेदन दया है, रिज ार उपयु आदशे पा रत करेगा। 34. आवेदन का व रत िनपटान-(1) आवेदन क शासक य सं या ा होने के बाद, आवेदक प ा.िच.- एम पर थम अनुसूची म यथा िन द आवेदन शु क का भुगतान कर ापार िच न के रिज ीकरण हतेु कए गए आवेदन के व रत िनपटान का अनुरोध कर सकता ह।ै वैसे आवेदन का व रत परी ण साधारणतया आवेदन दािखल करने क तारीख से तीन महीन ेके भीतर कया जाएगा। उसके बाद, िन िलिखत कायवािहयाँ अथात् परी ण रपोट के यु र पर िवचार, कारण बताओ सुनवाई क

    तारीख तय करना, य द अपेि त हो, आवेदन का काशन और उसका िवरोध, य द कोई हो, से आवेदन का अंितम िनपटान तक का काय भी ापार िच न जरनलम रिज ार ारा इस संबंध म दशािनदशे कािशत कर व रत कया जाएगा।

    (2) रिज ार ापार िच न आवेदन के व रत िनपटान या के िलए आवेदन क सं या ापार िच न जरनल म इसे कािशत कर सीिमत कर सकता ह।ै 35. रिज ीकरण के िलए आवेदन का याहरण करने क नो टस- ापार िच न के रिज ीकरण के िलए आवेदन का याहरण धारा 133 क उपधारा (2) या िनयम 24 के उपिनयम (2) के अधीन करने क इस योजन स ेसूचना क आवेदन फाइल करने के अवसर पर दी गई कसी फ स का ितसंदाय करा िलया जाए िनयम 33 के उपिनयम (2) म व णत संसूचना क ाि क तारीख से एक मास के भीतर िलिखत प म दी जाएगी। 36. रिज ार का िनणय - (1) िनयम 33, 34 या िनयम 41 के तहत रिज ार के िनणय क िलिखत संसूचना आवेदक को दी जाएगी और य द आवेदक ऐसे िनणय क अपील करने का आशय रखता ह,ै तो वह ऐसी संसूचना क ाि क तारीख से प ह दन के भीतर प ा. िच.-एम पर रिज ार से यह अपे ा करने वाला आवेदन कर सकेगा क रिज ार अपने िनणय के आधार का और उन सामि य का िजनका उपयोग उसने अपना िविन य करने के िलए कया है, िलिखत कथन द।े

    (2) उस दशा म िजसम क रिज ार ऐसी कोई अपे ाएं करता ह ैआवेदक को िजनक बाबत कोई आपि नह ह,ै

    आवेदक उन अपे ा का अनुवतन रिज ार ारा उपिनयम (1) के अधीन िलिखत कथन दए जाने से पूव करेगा। (3) िजस तारीख को िलिखत कथन उपधारा (1) के अधीन आवेदक ारा ा होता है, वह तारीख अपील के योजन

    के िलए वह तारीख समझी जाएगी िजसको रिज ार ने अपना िविन य कया ह।ै 37. आवेदन म शुि और संशोधन- ापार िच न के रिज ीकरण के िलए आवेदक, अपने आवेदन म या त संबंधी कसी गलती को शु करने के िलए या अपने आवेदन म कोई संशोधन करने के िलए आवेदन उसके साथ िविहत फ स दकेर अपने आवेदन के

    ित हण के या तो पूव या प ात ् कतु िच न के रिज ीकरण से पूव प ा. िच.-एम म कर सकेगा: पर तु ऐसा कोई संशोधन अनु ात नह कया जाएगा जो मूल ापार िच न को सारभूत प से प रवतन करने या माल या

    सेवा के ऐस ेनए िविनदश को रखने का भाव रखता हो जो मूल आवेदन म समािव नह कया गया हो। 38. वीकार को रिज ार ारा ितसंदाय कर लेना- (1) य द रिज ार को आवेदन के ित हण के संबंध म कोई आपि आवेदन

    के ित हण के प ात् कतु ापार िच न के रिज ीकरण से पूव इस आधार पर क वह गलती स े ित हीत कर िलया गया है, या उस िच न मामले क उन अव था म ित हीत नह कया जाना चािहए था, या रिज ार यह थापना करता ह ै क वह िच न केवल उन शत , मयादा , िवभाजन के अधीन भी, या उन शत या मयादा के िजन पर क आवेदन ित हीत कया गया है अित र या उससे िभ शत पर रिज ीकृत कया जाना चािहए, तो रिज ार ऐसी आपि क िलिखत संसूचना आवेदक को दगेा।

    (2) आवेदक जब तक क रिज ार क अपे ा का अनुपालन करने क दिृ से अपन ेआवेदन को संशोधन उपिनयम (1) म व णत संसूचना क ाि क तारीख से तीस दन के भीतर या सुनवाई के िलए आवेदन नह कर दतेा ह,ै आवेदन के

    ित हण क बाबत यह समझा जायेगा क रिज ार ने उसे य त कर िलया है और आवेदन क बाबत ऐसी कायवाही क जायेगी मानो क उसे ित हीत नह कया गया हो।

  • 12 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(i)]

    (3) जहां क रिज ार को आवेदक उपिनयम (2) म उि लिखत कालाविध के भीतर यह सूिचत करता है क मेरी यह इ छा ह ै क मेरी सुनवाई हो तो आवेदक को रिज ार उस तारीख क नो टस दगेा िजसको रिज ार उसक सुनवाई करेगा। जब तक क आवेदक इससे अ पकाल वाली सूचना के िलए स मत न हो जाये, ऐसी सुनवाई क तारीख सूचना क तारीख से कम से कम पं ह दन बाद क रखी जाएगी। आवेदक यह कथन कर सकेगा क वह अपनी व वैयि क सुनवाई कराना नह चाहता और वह वे बात पेश कर सकेगा िज ह क वह वांछनीय समझता है।

    (4) रिज ार आवेदक क सुनवाई के प ात ्या य द आवेदक ने कोई बात उसके सम िलिखत प म पेश क है तो उन पर िवचार करने के प ात ्ऐस ेआदशे द ेसकेगा जैसे क वह ठीक समझता ह।ै

    आवेदन का िव ापन

    39. िव ापन क रीित-(1) ापार िच न के रिज ीकरण के िलए येक आवेदन क बाबत धारा 20 क उपधारा (1) म यह

    अपे ा क जाती है क उसे िव ािपत कया जाए या उस धारा क उपधारा (2) ारा उसे पुन: िव ािपत कया जाए उसे जरनल म िव ािपत कया जाएगा। 40. आवेदन म शुि या संशोधन करने क अिधसूचना- रिज ार इस आवेदन क दशा म िजसे धारा 20 क उपधारा (2) का खंड

    (ख) लागू है, उस सूरत म िजसम क वह ऐसा िविन य करता है, आवेदन को पुन: िव ािपत कराने के बजाय आवेदन क सं या, वह वग िजसम वह कया गया ह,ै आवेदक का नाम और उसके कारबार का भारत म मु य थान का पता, य द कोई हो, या जहां आवेदन का कोई कारबार का भारत म मु य थान नह है वहां भारत म तामील के िलए उसका पता, उस जरनल क सं या िजसम यह िव ािपत कया गया है और आवेदन म क गई शुि या संशोधन उपव णत करने वाली अिधसूचना जरनल म द ेसकेगा: परंतु ापार िच न या माल और/या सेवा क बाबत िव ापन म ु ट (छोटी वतनी भूल के अित र ) या ेणी या ापार िच न के उपयोग का कथन के संदभ म या कसी अ य संदभ म िजसे रिज ार ठीक समझे, वह पूव के िव ापन को िनर त करते ए उस ापार िच न का पुन: िव ापन करेगा।

    41. िच न के िव ापन क िविशि यां दनेे के िलए रिज ार से िनवेदन- प ा. िच.-एम म कोई ि रिज ार से यह िनवेदन कर सकेगा क रिज ार उस जरनल क सं या, तारीख क जानकादी दे िजसम प म िविन द उस ापार िच न का िव ापन आ था िजसका रिज ीकरण चाहा गया है और रिज ार िनवेदन करने वाले ि को ऐसी िविशि या ंदगेा।

    रिज ीकरण का िवरोध 42. िवरोध क नो टस- (1) ापार िच न के रिज ीकरण के िवरोध क नो टस धारा 21 क उपधारा (1) के अधीन, िनयम 43 म यथा िन द िववरण के साथ, ापार िच न के रिज ीकरण के िलए आवेदन िव ािपत या पुन व ािपत करने वाले ापार िच न जरनल के काशन क तारीख चार मास के अंदर प ा.िच.-ओ म दी जाएगी।

    (2) जहां िवरोध क नो टस माल और सेवा के िविभ वग के ापार िच न के रिज ीकरण के िलए कसी एकल आवेदन क बाबत फाइल कया गया ह,ै वहां येक ऐसे वग क बाबत उस पर फ स दी जाएगी िजसके सबंध म व �