Pitra Paksh Pitra Dosh

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पतृ पतृ एवं एवं पतृ दोष पतृ दोष पतृ एवं पतृ दोष ¬ loZ fir` nsorkH;ks ue% ¬ loZ fir` nsorkH;ks ue% ¬ loZ fir` nsorkH;ks ue% ys[kd % iaŒ lqfcey T;ksfr"k fudsru] cjefl;k] fxfjMhg&815301 (>kj[k.M) Mob. : 9431155770, Web : www.jyotishniketan.com

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Page 1: Pitra Paksh Pitra Dosh

पत पपत पएवएव

पत दोषपत दोष

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पत दोषपत दोष

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ानमपरमपता परमर क रणा एव प गवर पता पिडत भनर पाय क शभाशीवाद स इनक त म हर गह व जन सामा हत पत प एव पत दोष पक का नपण करन का यास कर रह पत प म अपन पवजो का ा कस कर और पत दोष क नवत का ववचन कस िकया जाए | पत प और पत दोष म कब और कस कर ाइसी वषय पर मल स नचोड़ को नकाल आम जन सामा क लाभाथ हत क लए परभाषत करन का यास िकया

िह धम म माता ह िक शरीर न हो जान क बाद भी आा अजर-अमर रहती ह वह अपन काय क भोग भोगन क लए नाना कार क योनयो म वचरण करती ह

शाो म मोपरात मन क अवा भद स उसक काण क लए समय-समय पर िकए जान वाल को का नपण आ ह

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सामात जीवन म पाप और प दोनो होत ह िह माता क अनसार प का फल ग और पाप का फल नक होता ह नक म जीवाा को बत यातनाए भोगनी

पड़ती ह पाा मन योन तथा दवयोन को ा करती ह इन योनयो क बीच एक योन और होती ह वह ह त योन वाय प म यह जीवाा मन का मनशरीर ह जो अपन मोह या ष क कारण इस पी पर रहता ह पत योन त योन स ऊपर ह तथा पतलोक म रहती ह

यह जीवाा मन पत योन का मनशरीर ह जो अपन पारवारक मोह क लए अपन परवार कल खानदान स क तभावत रहता ह यही ा प म अपन परवार स मलन आत ह |

पत दोष म मन दखा ह क मन क जीवन म भोतक साधन तो ह पर भोग नही ह | इी सरचनाओ को मन दखा ह क सरल उपाए स दोष को नवत करन का यास

िकया जो सभी क लए लाभाथ होग

तो हमारा भी पतरो त इाओ अनकलता क अनसार ा समन अपण करत ह यही ा समन अपण करन वध का एक अत लघ याश िकया

इसक नमाण म सावधानी बरती गई ह िफर भी कराणवस कोई टी एव दोष या अ कारणवस टी हो गई हो तो मझ मा करग और भव क लए मागदशन करग जसस आग क अक म आवक सधार कर सक

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पत प म ा का मह ो ा श ा स बना ह जो ा का थम अनवाय त ह अथात पतरो क त

ा तो होनी ही चािहए भापद क पणमा प क तपदा तथ स अमावा तक का समय ा या महालय प कहलाता ह इस अवध क 16 िदन पतरो अथात

ा कम क लए वशष प स नधा रत िकए गए ह यही अवध पत प क नाम स जानी जाती ह

विदक परपरा क अनसार ववत पराण म यह नदश ह िक इस ससार म आकर जो सह पतप क दौरान

अपन पतरो को ापवक उनक िदवगत तथक िदन तपण

पडदान तलाजल और ाणो को भोजन करात

ह उनको इस जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होत ह व उ

श कम क कारण अपनी आा क भीतर एक तज और काश स आलोिकत होत ह म क उपरात भी ा करन वाल सदगह को गलोक वलोक और लोक क ा होती ह

भारतीय विदक वागमय क अनसार क मन को इस धरती पर जीवन लन क पात तीन कार क ऋण होत ह पहला दव ऋण दसरा ऋष ऋण और तीसरा पत ऋण पत प क ा यानी 16 ा साल क ऐस सनहर िदन ह जनम हम उपरो

तीनो ऋणो स म हो सकत ह ा िया म शामल होकर

महाभारत क सग क अनसार म क उपरात कण को चग न मो दन स

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इनकार कर िदया था कण न कहा िक मन तो अपनी सारी सदा सदव दान-प म ही समपत क ह िफर मर उपर यह कसा ऋण बचा आ ह चग न जवाब िदया िक राजन आपन दव ऋण और ऋष ऋण तो चका िदया ह लिकन आपक उपर अभी

पत ऋण बाक ह जब तक आप इस ऋण स म नही होग तब तक आपको मो मलना किठन होगा इसक उपरात धमराज न कण को यह वा दी िक आप 16

िदन क लए पनः पी पर जाइए और अपन ात और अात पतरो का ा तपण तथा पड दान वधवत करक आइए तभी आपको मो यानी ग लोक क ा

होगी

जो लोग दान ा तपण आिद नही करत माता-पता और बड बजग का आदर सार नही करत पतगण उनस हमशा नाराज रहत ह उनक नाराजगी आग चलकर

पतदोष का अभशाप बन जाती ह पतदोष म माता-पता क साथ साधारण मनमटाव स लकर उनपर हाथ उठाकर आमण करना या उनका मानसक और शारीरक प स पीिड़त करना जस धान कारण होत ह इसक कारण ही व या उनक परवार क अगली पीढी क अ सद अपन जीचन म रोगी दखी और मानसक क स पीिड़त रहत ह व नःसतान भी हो सकत ह

पत प म िकए गए काय स पवजो क आा को शात ा होती ह तथा कता को पत ऋण स म मलती ह आा क अमरता का सात तो य भगवान ी

क गीता म उपदशत करत ह आा जब तक अपन परम-आा स सयोग नही कर लती तब तक वभ योनयो म भटकती रहती ह और इस दौरान उस ा कम म

सत मलती ह

अपन पवजो क त ह वनता आदर व ा भाव स ही िकया जान वाला कम ही ा ह यह पत ऋण स म पान का सरल उपाय भी ह इस पतय भी कहा गया ह हर साल भापद पणमा स आन माह क अमावा तक क यह सोलह िदन ाकम क होत ह िक गया ा सह िदन का होता ह जो भापद पणमा स लकर अन मास क श प तपदा तक चलता ह |

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पत प सोलह िदन क समयावध होती ह जसम सनातन धमाल ाी िह जन अपन पवजो को भोजन अपण कर उ धाजल दत ह

दणी भारतीय अमात पा क अनसार पत प भापद क च मास म पड़ता ह और पण चमा क िदन या पण चमा क एक िदन बाद ार होता ह

उरी भारतीय पणमात पा क अनसार पत प अन क च मास म पड़ता ह और भापद म पण चमा क िदन या पण चमा क अगल िदन ार होता ह

यह च मास क सफ एक नामावली ह जो इस अलग-अलग करती ह पर उरी और दणी भारतीय लोग ा क वध समान िदन ही करत ह

पत प का अम िदन सवप अमावा या महालय अमावा क नाम स जाना जाता ह पत प म महालय अमावा सबस म िदन होता

महष पाराशर क अनसार दश काल तथा पा म हवाद वध स जो कम यव (तल) व दभ (कशा) क साथ मोार क साथ ापवक िकया जाता ह वह ा होता ह

भारतीय सत व सनातन धम म पत ऋण स म होन क लए अपन माता-पता व परवार क मतको क नयमत ा करन क अनवायता तपािदत क गई ह ा

कम को पतकम भी कहा गया ह व पतकम स ताय पतपजा भी ह

भापद क पणमा स लकर अमावा तक ऊपर क र तथा र क साथ पताण पी पर ा रहता ह ा क मलभत परभाषा यह ह िक त और पर क नम उनक आा क त क लए ा पवक जो अपत िकया जाए वह ा ह म क बाद दशगा और षोडशी-सपन तक मत क त सा रहती ह

सपन क बाद वह पतरो म सलत हो जाता ह

पतप भर म जो तपण िकया जाता ह उसस वह पताण य आापत होता ह प या उसक नाम स उसका परवार जो यव तथा चावल का प दता ह उसम स रत

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का अश लकर वह चलोक म अाण का ऋण चका दता ह

भापद क पणमा स वह च ऊपर क ओर होन लगता ह 16 िदन अपना-अपना भाग लकर श प क तपदा स उसी र क साथ रवाना हो जाता ह इसलए

इसको पतप कहत ह और इसी प म ा करन स वह परो को ा होता ह

शाो का नदशानसार ह िक माता-पता आिद क नम उनक नाम और गो का उारण कर मो ारा जो अ आिद अपत िकया जाता ह वह उनको ा हो जाता

ह यिद अपन कम क अनसार उनको दव योन ा होती ह तो वह अमत प म उनको ा होता ह उ गव लोक ा होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य प म पय प म दानव योन म मास क प म त योन म धर क प म और मन योन म अ आिद क प म उपल होता ह

जब पर यह सनत ह िक ा काल उपत हो गया ह तो व एक-दसर का रण करत ए मनोनय प स ा ल पर उपत हो जात ह और ाणो क साथ वाय

प म भोजन करत ह यह भी कहा गया ह िक जब सय का राश म आत ह तब पर अपन प-पौो क यहा आत ह

वशषतः आन-अमावा क िदन व दरवाज पर आकर बठ जात ह यिद उस िदन उनका ा नही िकया जाता तब व ाप दकर लौट जात ह अतः उस िदन प-प-

फल और जल-तपण स यथाश उनको त करना चािहए आन क अमावा को सव पतवजसनी अमावा कहत ह जो पतप क पह िदनो

तक ा तपण आिद नही कहत ह व अमावा को ही अपन पत क नम ाािद सप करत ह जन पत क तथ याद नही हो उनक नम ा तपण दान आिद

इसी अमावा को िकया जाता ह

अमावा क िदन सभी पत का वसजन होता ह अमावा क िदन पत अपन पािद क ार पर पदान एव ाािद क आशा म जात ह यिद वहा उ पदान या

तलाल आिद नही मलती ह तो व शाप दकर चल जात ह अतः ा का पराग नही करना चािहए

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ा का अधकार िकसा करन क लए मनत और ववत जस शाो म यही बताया गया ह िक

िदवगत पतरो क परवार म या तो प या कन प और अगर प न हो तो धवता (नाती) भतीजा भाजा या श ही तलाजल और पडदान दन क पा होत

ह कई ऐस पतर भी होत ह जनक प सतान नही होती ह या िफर जो सतानहीन होत ह ऐस पतरो क त आदर पवक अगर उनक भाई-भतीज भाज या अ चाचा-

ताऊ क परवार क पष सद पतप म ापवक त रखकर पडदान अदान और वदान करक ाणो स वधपवक ा करात ह तो पीिड़त आा को मो

मलता ह

मिहलाए भी ा कर सकती ह या नही आजकल इस को भी उठाया जा रहा ह विदक परपरा क अनसार मिहलाए य अनान सक और त आिद तो रख सकती

ह ा का परा आयोजन और खच कर सकती ह लिकन ा क वध को य नही कर सकती ह वधवा ी अगर सतानहीन हो तो अपन पत क नाम ा का सक

रखकर ाण या परोिहत परवार क पष सद स ही पडदान आिद का वधान परा करवा सकती ह इसी कार जन पतरो क काए ही वश परपरा म ह तो उ पतरो

क नाम त रखकर उसक दामाद या धवत नाती आिद ाहमण को बलाकर ाकम क नव करा सकत ह साध-सो क शगण या श वशष ा कर सकत

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पतप म वजत ो ह शभकाय

वस यह परा १६ िदन पतरो क क नाम सरत रहता ह शभ काय ना करन क पीछ यह कारण हो सकता ह िक हम पतरो क त स दखी होकर या उनक

जान क दख म उनक आा क शा क लए कोई अ उव और मगलकाय काय नही कर लिकन आज क समय क लहाज स कछ

शभ काय वजत नही ह अगर बत आवक हो तो शभ काय िकए जा सकत ह

जनम पजा पाठ निहत नही हो खरीदारी भी क जा

सकती ह ऐसा नही ह िक शभ काय करन स उनका फल भावत होगा यह

कवल हमारा अपन पतरो क त सान होता ह िक हम 16 िदन तक घर म कोई मागलक आयोजन नही कर अगर बना इदव क पजा रिहत कोई मागलक

आयोजन िकया भी जाए तो उसका कोई बरा भाव भी नही होता ह जो लोग अपन घर म पतरो का परी ा स पजन करत ह त वष ा करत ह तपण

करत ह उनक साथ पतरो का आशीवाद भी बना होता ह उनका कोई काम गलत नही होता उी लोगो क साथ कोई बरी घटना या अशभ होता ह जो ा

नही करत या उनक जीतजी अपन जीवन म पतरो को ठीक स सत नही करत उनक त ाहीन होकर उनका ा नही करत तपण नही करत या उनस

नफरत करत ह

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य शाीय सगत त ह क पत प म दवताओ क पजन या दवताओ क स करन पव अपन पतरो को स िकया जाय जो अधक काणद और सखकारी ह

ा प का िह धम ( सनातन धमाव लयो) क लए बड़ा मह िदन रहता ह ाचीन सनातन धम क अनसार हमार पवज दवत ह और इस धरा पर हमन जीवन

ा िकया ह और जस कार उोन हमारा लालन-पालन कर हम कताथ िकया ह उसस हम उनक ऋणी ह समपण और कतता क इसी भावना स ा प रत ह जो जातक को पतर ऋण स म माग िदखाता ह

भापद क पणमा स आन क अमावा तक सोलह िदनो तक का समय सोलह ा या ा पकहलाता ह शाो म दवकाय स पव पत काय करन का नदश

िदया गया ह ा स कवल पत ही त नही होत अपत सम दवी दवता स लकर वनतया तक त होती ह

गड़ पराण क अनसार पतर ऋण म माग रखा

कदव कवत समय ा कल क सीदत

आयः पान यशः ग कत प बल यम

पशन सौ धन धा ायात पतपजनात

दवकायादप सदा पतकाय वशत

दवताः पतणा िह पवमाायन शभम

अथात समयानसार ा करन स कल म कोई दखी नही रहता पतरो क पजा करक मन आय प यश ग कत प बल ी पश सख और धन-धा ा

करता ह दवकाय स भी पतकाय का वशष मह ह दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी और सखकारी ह

शाो म दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी कहा गया ह यही कारण ह िक दवपजन स पव पतर पजन िकए जान का वधान ह

दवताओ स पव पतपजन का वशष मह

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पततपण और ा व सक ा करन वाल का सासारक जीवन सखमय बनता ह तथा मो क भी ा होती ह

ऐसी माता ह िक ा न करन स पत धा स होकर अपन सग-सबधयो को क और शाप दत ह अपन कम क अनसार जीव अलग-अलग योनयो म भोग

भोगत ह जहा मो ारा सकत ह-क को पतर ा कर लत ह

पतरो क लए ा स िकए गए म कम को ा कहत ह तथा त करन क िया और दवताओ ऋषयो या पतरो को तडल या तल मत जल अपत करन क िया

को तपण कहत ह तपण करना ही पडदान करना ह

तपण करन क पव सक अत आवक ह |बना सक क िकए गए दव काय या पत काय सवथा थ ही ह सक इस कार िकया जाता ह यथा-

ॐ ववव ॐ नम परमान ी पराण पषोम ी वोराया वतमाना ी णो ितीय पराध ी त वराह क ववत

मरअावशततम कलयग कल थम चरण जीप भारतवष भरत ख आयावागत ावतक दश पदश (यद वदश म कही हो तो रखािकत क

ान पर उस दश शहर ाम का नाम बोल)

वतमान पराभव नाम सवर दणायन अमक ऋतौ (ऋत का नाम) महामागद मासानाम मासोम अमक मास (महीन का नाम) अमक प (श या क प का नाम) अमक तथौ (तथ का नाम) अमक वासर (वार का नाम) अमक न (न का नाम) अमक राश मत च (जस राश म च हो का नाम) अमक राश त सय (सय जस राश म त हो का नाम) अमक राश नत दवगरौ बहत (ग जस राश म त हो का नाम) अमक गौो (अपन गौ तथा य का नाम) अमक शमा वमा अह सम पत पतामहाना नाना गौाणा पतराना पासा नवपवक अय त सादनाथ ाण भोजनाक साकत ा पचबल कम च कर हाथ म जल लकर इतना कहकर जल छोड़ आमा यानी का भोजन दन क लए रखािकत क ान पर

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इद अ भवदो नम कह

अपनी घर क भाषा म ही ाथना कर- ह पतगण मर पास ा क लए उपय अ-धन नही ह तो कवल ा-भ इस आप ीकार हम आपक सतान ह हम

आशीवाद द तथा गलतयो एव कमयो क लए मा कर तथा परा करन क श दान कर

ॐ अयमा न ताम इद तलोदक त धा नमः ॐ मोमा अमत गमय

पतरो म अयमा ह अयमा पतरो क दव ह अयमा को णाम ह पता पतामह और पतामह ह माता मातामह और मातामह आपको भी बारबार णाम आप हम म स अमत क ओर ल चल

ह अ हमार सनातन य को सप करन वाल पतरो न जस दहात होन पर ऐय वाल ग को ा िकया ह वस ही यो म इन ऋचाओ का पाठ करत ए और

सम साधनो स य करत ए हम भी उसी ऐयवान ग को ा कर- यजवद तपण उपरात क ियाए ह- एक पडदान और दसरी ाण भोजन ाण क मख

स दवता ह को तथा पतर क को खात ह पतर रण मा स ही ा दश म आत ह तथा भोजनािद ा कर त होत ह एकाधक प हो और व अलग-अलग

रहत हो तो उन सभी को ा करना चािहए ाण भोजन क साथ पचबल कम भी होता ह जसका वशष मह ह

शाो म पाच तरह क बल बताई गई ह जसका ा म वशष मह ह1 गौ बल2 ान बल3 काक बल4 दवािद बल 5 पपीलका बल

यहा बल स ताय िकसी पश या पी क हा स नही ह ब ा क िदन जो भोजन बनाया जाता ह उसम स इनको भी खलाना चािहए इस ही बल कहा जाता ह

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तपण (ा) कम क सरल वधतपण (ा) अनयायी सभी िह धमाव ली उ ा पवजो क त सी ा

का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ारविदक-पौराणकतथभापद श प क पणमा स सवपत अमावा अथात आन क प अमावा तकअनाना-कम म पक ए चावल दध औरतल को मत करक जो प बनात ह प का अथ ह शरीर यह एक पारपरक वास ह िक हर पीढ़ी क भीतर मातकल तथा पतकल

दोनो म पहल क पीिढ़यो क समत गणस उपत होत ह यह तीकाक अनान जन जन लोगो क गणस (जी) ा करन वाल क अपनी दह म ह

उनक त क लए होता ह

अ जानकारी पराण क अनसार ा क परभाषा- जो कछ उचत काल पा एव ान क अनसार उचत (शाानमोिदत) वध ारा पतरो को ल करक

ापवक ाणो को िदया जाता ह ा कहलाता ह

ा पवजो क त सी ा का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ा सार म आवाहन पजन नमार क उपरा तपण िकया जाता ह जल म दध जौ चावल चन डाल कर तपण काय म य करत ह मल सक तो गगा जल भी डाल दना चािहए त क

लए तपण िकया जाता ह ग आाओ क त िकसी पदाथ स खान-पहनन आिद क व स नही होती ोिक ल शरीर क लए ही भौतक उपकरणो क

आवकता पड़ती ह मरन क बाद ल शरीर समा होकर कवल स शरीर ही रह जाता ह स शरीर को भख-ास सद-गम आिद क आवकता नही रहती

उसक त का वषय कोई खा पदाथ या हाड़-मास वाल शरीर क लए उपय उपकरण नही हो सकत स शरीर म वचारणा चतना और भावना क धानता

रहती ह इसलए उसम उ भावनाओ स बना अःकरण या वातावरण ही शादायक होता ह

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दशा एव रणा इस ससार म ल शरीर वाल को जस कार इय भोग वासना ता एव अहकार क पत म सख मलता ह उसी कार पतरो का स शरीर

शभ कम स उ सग का रसाादन करत ए त का अनभव करता ह उसक सता तथा आकाा का क ब ा ह ा भर वातावरण क सा म पतर अपनी अशा खोकर आन का अनभव करत ह ा ही इनक भख ह इसी स

उ त होती ह इसलए पतरो क सता क लए ा एव तपण िकय जात ह इन ियाओ का वध-वधान इतना सरल एव इतन कम खच का ह िक नधन स नधन

भी उस आसानी स स कर सकता ह तपण म धानतया जल का ही योग होता ह उस थोड़ा सगधत एव परप बनान क लए जौ तल चावल दध फल

जसी दो-चार मागलक वए डाली जाती ह कशाओ क सहार जौ क छोटी-सी अजल मोारपवक डालन मा स पतर त हो जात ह िक इस िया क साथ आवक ा कतता सावना म शभकामना का समय अव होना

चािहए यिद ाल इन भावनाओ क साथ क गयी ह तो तपण का उ परा हो जायगा पतरो को आवक त मलगी िक यिद इस कार क कोई ा

भावना तपण करन वाल क मन म नही होती और कवल लकर पीटन क मा पानी इधर-उधर फलाया जाता ह तो इतन भर स कोई वशष योजन पण न होगा इसलए

इन पत-कम क करन वाल यह ान रख िक इन छोट-छोट िया-को को करन क साथ-साथ िदवगत आाओ क उपकारो का रण कर उनक सणो तथा सम क

त ा कर

कतता तथा सान क भावना उनक त रख और यह अनभव कर िक यह जलाजल जस अिकचन उपकरणो क साथ अपनी ा क अभ करत ए

गीय आाओ क चरणो पर अपनी सावना क प चढ़ा रहा इस कार क भावनाए जतनी ही बल होगी पतरो को उतनी ही अधक त मलगी जस पतर

का गवास आ ह उसक िकय ए उपकारो क त कतता करना उसक अधर छोड़ ए पारवारक एव सामाजक उरदाय को परा करन म तर होना तथा अपन एव वातावरण को मगलमय ढाच म ढालना मरणोर सार का

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धान योजन ह गह श सतक नव का उ भी इसी क नम क जाती ह िक तपण म कवल इी एक पतर क लए नही पव काल म गजर ए अपन

परवार माता क परवार दादी क परवार क तीन-तीन पीढ़ी क पतरो क त का भी आयोजन िकया जाता ह इतना ही नही इस पी पर अवतरत ए सभी महान पषो

क आा क त इस अवसर पर ा करत ए अपनी सावना क ारा त करन का य िकया जाता ह तपण को छः भागो म वभ िकया गया ह-

दव-तपणऋष-तपणिद-मानव-तपणिद-पत-तपणयम-तपणमन-पत-तपणा सार करत ाल

(१) दव तपणम

दव शया ईर क व महान वभतया ह जो मानव-काण म सदा नःाथ भाव स यतनरत ह जल वाय सय

अ च वत तथा अवतारी ईर अगो क म आाए एव वा ब श तभा कणा दया सता

पवता जसी सवया सभी दव शयो म आती ह यप य िदखाई नही दती तो भी इनक अन उपकार ह यिद इनका लाभ न मल

तो मन क लए जीवत रह सकना भी सव न हो इनक त कतता क भावना करन क लए यह दव-तपण िकया जाता ह यजमान दोनो हाथो क अनामका

अगलयो म पवी धारण करॐ आग महाभागाः वदवा महाबलाः य तपणऽ विहताः सावधाना भव त

जल म चावल डाल कश-मोटक सीध ही ल योपवीत स (बाय क पर)

दव तपण

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सामा त म रख तपण क समय अज ल म जल भरकर सभी अगलयो क अ भाग क सहार अपत कर इस दवतीथ मा कहत ह क दवश क लए एक-एक अज ल जल डाल पवाभमख होकर दत चलॐ ादयो दवाः आग ग एतान जलालीन

ॐ तताम ॐ वतामॐ ताम

ॐ जापतततामॐ दवाताम

ॐ छास त ाम ॐ वदााम ॐ ऋषयाम

ॐ पराणाचाया ाम ॐ गवा ाम

ॐ इतराचाया ाम ॐ सवरः सावयवाम

ॐ दाम ॐ अरसामॐ दवानगााम

ॐ नागाामॐ सागरााम ॐ पवता ामॐ सरताम ॐ मनाामॐ यााम

ॐ रास त ामॐ पशाचााम

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ॐ सपणा ामॐ भतान त ाम ॐ पशवाम

ॐ वनतयाम ॐ ओषधयाम

ॐ भतामः चतवध ाम

(२) ऋष तपण

दसरा तपण ऋषयो क लए ह ास वस याव काायन अ जमद गौतम वाम नारद चरक

सत पाणनी दधीच आिद ऋषयो क त ा क अभ ऋष तपण ारा क जाती ह ऋषयो को भी

दवताओ क तरह दवतीथ स एक-एक अजल जल िदया जाता हनारद मन

ॐ मरीािद दशऋषयः आग ग एताजलालीन ॐ मरीचाताम ॐ अताम

ॐ अगराः तताम ॐ पलताम ॐ वसताम ॐ तताम

ॐ वसताम ॐ चताताम ॐ भगताम ॐ नारदताम

(३)द-मन तपण

तीसरा तपण िद मानवो क लए ह जो पण प स सम जीवन को लोक काण

ऋष तपण

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क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

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ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

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ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

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अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

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अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

31

त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

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इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

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पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 2: Pitra Paksh Pitra Dosh

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ानमपरमपता परमर क रणा एव प गवर पता पिडत भनर पाय क शभाशीवाद स इनक त म हर गह व जन सामा हत पत प एव पत दोष पक का नपण करन का यास कर रह पत प म अपन पवजो का ा कस कर और पत दोष क नवत का ववचन कस िकया जाए | पत प और पत दोष म कब और कस कर ाइसी वषय पर मल स नचोड़ को नकाल आम जन सामा क लाभाथ हत क लए परभाषत करन का यास िकया

िह धम म माता ह िक शरीर न हो जान क बाद भी आा अजर-अमर रहती ह वह अपन काय क भोग भोगन क लए नाना कार क योनयो म वचरण करती ह

शाो म मोपरात मन क अवा भद स उसक काण क लए समय-समय पर िकए जान वाल को का नपण आ ह

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1

सामात जीवन म पाप और प दोनो होत ह िह माता क अनसार प का फल ग और पाप का फल नक होता ह नक म जीवाा को बत यातनाए भोगनी

पड़ती ह पाा मन योन तथा दवयोन को ा करती ह इन योनयो क बीच एक योन और होती ह वह ह त योन वाय प म यह जीवाा मन का मनशरीर ह जो अपन मोह या ष क कारण इस पी पर रहता ह पत योन त योन स ऊपर ह तथा पतलोक म रहती ह

यह जीवाा मन पत योन का मनशरीर ह जो अपन पारवारक मोह क लए अपन परवार कल खानदान स क तभावत रहता ह यही ा प म अपन परवार स मलन आत ह |

पत दोष म मन दखा ह क मन क जीवन म भोतक साधन तो ह पर भोग नही ह | इी सरचनाओ को मन दखा ह क सरल उपाए स दोष को नवत करन का यास

िकया जो सभी क लए लाभाथ होग

तो हमारा भी पतरो त इाओ अनकलता क अनसार ा समन अपण करत ह यही ा समन अपण करन वध का एक अत लघ याश िकया

इसक नमाण म सावधानी बरती गई ह िफर भी कराणवस कोई टी एव दोष या अ कारणवस टी हो गई हो तो मझ मा करग और भव क लए मागदशन करग जसस आग क अक म आवक सधार कर सक

2

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पत प म ा का मह ो ा श ा स बना ह जो ा का थम अनवाय त ह अथात पतरो क त

ा तो होनी ही चािहए भापद क पणमा प क तपदा तथ स अमावा तक का समय ा या महालय प कहलाता ह इस अवध क 16 िदन पतरो अथात

ा कम क लए वशष प स नधा रत िकए गए ह यही अवध पत प क नाम स जानी जाती ह

विदक परपरा क अनसार ववत पराण म यह नदश ह िक इस ससार म आकर जो सह पतप क दौरान

अपन पतरो को ापवक उनक िदवगत तथक िदन तपण

पडदान तलाजल और ाणो को भोजन करात

ह उनको इस जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होत ह व उ

श कम क कारण अपनी आा क भीतर एक तज और काश स आलोिकत होत ह म क उपरात भी ा करन वाल सदगह को गलोक वलोक और लोक क ा होती ह

भारतीय विदक वागमय क अनसार क मन को इस धरती पर जीवन लन क पात तीन कार क ऋण होत ह पहला दव ऋण दसरा ऋष ऋण और तीसरा पत ऋण पत प क ा यानी 16 ा साल क ऐस सनहर िदन ह जनम हम उपरो

तीनो ऋणो स म हो सकत ह ा िया म शामल होकर

महाभारत क सग क अनसार म क उपरात कण को चग न मो दन स

3

इनकार कर िदया था कण न कहा िक मन तो अपनी सारी सदा सदव दान-प म ही समपत क ह िफर मर उपर यह कसा ऋण बचा आ ह चग न जवाब िदया िक राजन आपन दव ऋण और ऋष ऋण तो चका िदया ह लिकन आपक उपर अभी

पत ऋण बाक ह जब तक आप इस ऋण स म नही होग तब तक आपको मो मलना किठन होगा इसक उपरात धमराज न कण को यह वा दी िक आप 16

िदन क लए पनः पी पर जाइए और अपन ात और अात पतरो का ा तपण तथा पड दान वधवत करक आइए तभी आपको मो यानी ग लोक क ा

होगी

जो लोग दान ा तपण आिद नही करत माता-पता और बड बजग का आदर सार नही करत पतगण उनस हमशा नाराज रहत ह उनक नाराजगी आग चलकर

पतदोष का अभशाप बन जाती ह पतदोष म माता-पता क साथ साधारण मनमटाव स लकर उनपर हाथ उठाकर आमण करना या उनका मानसक और शारीरक प स पीिड़त करना जस धान कारण होत ह इसक कारण ही व या उनक परवार क अगली पीढी क अ सद अपन जीचन म रोगी दखी और मानसक क स पीिड़त रहत ह व नःसतान भी हो सकत ह

पत प म िकए गए काय स पवजो क आा को शात ा होती ह तथा कता को पत ऋण स म मलती ह आा क अमरता का सात तो य भगवान ी

क गीता म उपदशत करत ह आा जब तक अपन परम-आा स सयोग नही कर लती तब तक वभ योनयो म भटकती रहती ह और इस दौरान उस ा कम म

सत मलती ह

अपन पवजो क त ह वनता आदर व ा भाव स ही िकया जान वाला कम ही ा ह यह पत ऋण स म पान का सरल उपाय भी ह इस पतय भी कहा गया ह हर साल भापद पणमा स आन माह क अमावा तक क यह सोलह िदन ाकम क होत ह िक गया ा सह िदन का होता ह जो भापद पणमा स लकर अन मास क श प तपदा तक चलता ह |

4

पत प सोलह िदन क समयावध होती ह जसम सनातन धमाल ाी िह जन अपन पवजो को भोजन अपण कर उ धाजल दत ह

दणी भारतीय अमात पा क अनसार पत प भापद क च मास म पड़ता ह और पण चमा क िदन या पण चमा क एक िदन बाद ार होता ह

उरी भारतीय पणमात पा क अनसार पत प अन क च मास म पड़ता ह और भापद म पण चमा क िदन या पण चमा क अगल िदन ार होता ह

यह च मास क सफ एक नामावली ह जो इस अलग-अलग करती ह पर उरी और दणी भारतीय लोग ा क वध समान िदन ही करत ह

पत प का अम िदन सवप अमावा या महालय अमावा क नाम स जाना जाता ह पत प म महालय अमावा सबस म िदन होता

महष पाराशर क अनसार दश काल तथा पा म हवाद वध स जो कम यव (तल) व दभ (कशा) क साथ मोार क साथ ापवक िकया जाता ह वह ा होता ह

भारतीय सत व सनातन धम म पत ऋण स म होन क लए अपन माता-पता व परवार क मतको क नयमत ा करन क अनवायता तपािदत क गई ह ा

कम को पतकम भी कहा गया ह व पतकम स ताय पतपजा भी ह

भापद क पणमा स लकर अमावा तक ऊपर क र तथा र क साथ पताण पी पर ा रहता ह ा क मलभत परभाषा यह ह िक त और पर क नम उनक आा क त क लए ा पवक जो अपत िकया जाए वह ा ह म क बाद दशगा और षोडशी-सपन तक मत क त सा रहती ह

सपन क बाद वह पतरो म सलत हो जाता ह

पतप भर म जो तपण िकया जाता ह उसस वह पताण य आापत होता ह प या उसक नाम स उसका परवार जो यव तथा चावल का प दता ह उसम स रत

5

का अश लकर वह चलोक म अाण का ऋण चका दता ह

भापद क पणमा स वह च ऊपर क ओर होन लगता ह 16 िदन अपना-अपना भाग लकर श प क तपदा स उसी र क साथ रवाना हो जाता ह इसलए

इसको पतप कहत ह और इसी प म ा करन स वह परो को ा होता ह

शाो का नदशानसार ह िक माता-पता आिद क नम उनक नाम और गो का उारण कर मो ारा जो अ आिद अपत िकया जाता ह वह उनको ा हो जाता

ह यिद अपन कम क अनसार उनको दव योन ा होती ह तो वह अमत प म उनको ा होता ह उ गव लोक ा होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य प म पय प म दानव योन म मास क प म त योन म धर क प म और मन योन म अ आिद क प म उपल होता ह

जब पर यह सनत ह िक ा काल उपत हो गया ह तो व एक-दसर का रण करत ए मनोनय प स ा ल पर उपत हो जात ह और ाणो क साथ वाय

प म भोजन करत ह यह भी कहा गया ह िक जब सय का राश म आत ह तब पर अपन प-पौो क यहा आत ह

वशषतः आन-अमावा क िदन व दरवाज पर आकर बठ जात ह यिद उस िदन उनका ा नही िकया जाता तब व ाप दकर लौट जात ह अतः उस िदन प-प-

फल और जल-तपण स यथाश उनको त करना चािहए आन क अमावा को सव पतवजसनी अमावा कहत ह जो पतप क पह िदनो

तक ा तपण आिद नही कहत ह व अमावा को ही अपन पत क नम ाािद सप करत ह जन पत क तथ याद नही हो उनक नम ा तपण दान आिद

इसी अमावा को िकया जाता ह

अमावा क िदन सभी पत का वसजन होता ह अमावा क िदन पत अपन पािद क ार पर पदान एव ाािद क आशा म जात ह यिद वहा उ पदान या

तलाल आिद नही मलती ह तो व शाप दकर चल जात ह अतः ा का पराग नही करना चािहए

6

ा का अधकार िकसा करन क लए मनत और ववत जस शाो म यही बताया गया ह िक

िदवगत पतरो क परवार म या तो प या कन प और अगर प न हो तो धवता (नाती) भतीजा भाजा या श ही तलाजल और पडदान दन क पा होत

ह कई ऐस पतर भी होत ह जनक प सतान नही होती ह या िफर जो सतानहीन होत ह ऐस पतरो क त आदर पवक अगर उनक भाई-भतीज भाज या अ चाचा-

ताऊ क परवार क पष सद पतप म ापवक त रखकर पडदान अदान और वदान करक ाणो स वधपवक ा करात ह तो पीिड़त आा को मो

मलता ह

मिहलाए भी ा कर सकती ह या नही आजकल इस को भी उठाया जा रहा ह विदक परपरा क अनसार मिहलाए य अनान सक और त आिद तो रख सकती

ह ा का परा आयोजन और खच कर सकती ह लिकन ा क वध को य नही कर सकती ह वधवा ी अगर सतानहीन हो तो अपन पत क नाम ा का सक

रखकर ाण या परोिहत परवार क पष सद स ही पडदान आिद का वधान परा करवा सकती ह इसी कार जन पतरो क काए ही वश परपरा म ह तो उ पतरो

क नाम त रखकर उसक दामाद या धवत नाती आिद ाहमण को बलाकर ाकम क नव करा सकत ह साध-सो क शगण या श वशष ा कर सकत

7

पतप म वजत ो ह शभकाय

वस यह परा १६ िदन पतरो क क नाम सरत रहता ह शभ काय ना करन क पीछ यह कारण हो सकता ह िक हम पतरो क त स दखी होकर या उनक

जान क दख म उनक आा क शा क लए कोई अ उव और मगलकाय काय नही कर लिकन आज क समय क लहाज स कछ

शभ काय वजत नही ह अगर बत आवक हो तो शभ काय िकए जा सकत ह

जनम पजा पाठ निहत नही हो खरीदारी भी क जा

सकती ह ऐसा नही ह िक शभ काय करन स उनका फल भावत होगा यह

कवल हमारा अपन पतरो क त सान होता ह िक हम 16 िदन तक घर म कोई मागलक आयोजन नही कर अगर बना इदव क पजा रिहत कोई मागलक

आयोजन िकया भी जाए तो उसका कोई बरा भाव भी नही होता ह जो लोग अपन घर म पतरो का परी ा स पजन करत ह त वष ा करत ह तपण

करत ह उनक साथ पतरो का आशीवाद भी बना होता ह उनका कोई काम गलत नही होता उी लोगो क साथ कोई बरी घटना या अशभ होता ह जो ा

नही करत या उनक जीतजी अपन जीवन म पतरो को ठीक स सत नही करत उनक त ाहीन होकर उनका ा नही करत तपण नही करत या उनस

नफरत करत ह

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य शाीय सगत त ह क पत प म दवताओ क पजन या दवताओ क स करन पव अपन पतरो को स िकया जाय जो अधक काणद और सखकारी ह

ा प का िह धम ( सनातन धमाव लयो) क लए बड़ा मह िदन रहता ह ाचीन सनातन धम क अनसार हमार पवज दवत ह और इस धरा पर हमन जीवन

ा िकया ह और जस कार उोन हमारा लालन-पालन कर हम कताथ िकया ह उसस हम उनक ऋणी ह समपण और कतता क इसी भावना स ा प रत ह जो जातक को पतर ऋण स म माग िदखाता ह

भापद क पणमा स आन क अमावा तक सोलह िदनो तक का समय सोलह ा या ा पकहलाता ह शाो म दवकाय स पव पत काय करन का नदश

िदया गया ह ा स कवल पत ही त नही होत अपत सम दवी दवता स लकर वनतया तक त होती ह

गड़ पराण क अनसार पतर ऋण म माग रखा

कदव कवत समय ा कल क सीदत

आयः पान यशः ग कत प बल यम

पशन सौ धन धा ायात पतपजनात

दवकायादप सदा पतकाय वशत

दवताः पतणा िह पवमाायन शभम

अथात समयानसार ा करन स कल म कोई दखी नही रहता पतरो क पजा करक मन आय प यश ग कत प बल ी पश सख और धन-धा ा

करता ह दवकाय स भी पतकाय का वशष मह ह दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी और सखकारी ह

शाो म दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी कहा गया ह यही कारण ह िक दवपजन स पव पतर पजन िकए जान का वधान ह

दवताओ स पव पतपजन का वशष मह

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पततपण और ा व सक ा करन वाल का सासारक जीवन सखमय बनता ह तथा मो क भी ा होती ह

ऐसी माता ह िक ा न करन स पत धा स होकर अपन सग-सबधयो को क और शाप दत ह अपन कम क अनसार जीव अलग-अलग योनयो म भोग

भोगत ह जहा मो ारा सकत ह-क को पतर ा कर लत ह

पतरो क लए ा स िकए गए म कम को ा कहत ह तथा त करन क िया और दवताओ ऋषयो या पतरो को तडल या तल मत जल अपत करन क िया

को तपण कहत ह तपण करना ही पडदान करना ह

तपण करन क पव सक अत आवक ह |बना सक क िकए गए दव काय या पत काय सवथा थ ही ह सक इस कार िकया जाता ह यथा-

ॐ ववव ॐ नम परमान ी पराण पषोम ी वोराया वतमाना ी णो ितीय पराध ी त वराह क ववत

मरअावशततम कलयग कल थम चरण जीप भारतवष भरत ख आयावागत ावतक दश पदश (यद वदश म कही हो तो रखािकत क

ान पर उस दश शहर ाम का नाम बोल)

वतमान पराभव नाम सवर दणायन अमक ऋतौ (ऋत का नाम) महामागद मासानाम मासोम अमक मास (महीन का नाम) अमक प (श या क प का नाम) अमक तथौ (तथ का नाम) अमक वासर (वार का नाम) अमक न (न का नाम) अमक राश मत च (जस राश म च हो का नाम) अमक राश त सय (सय जस राश म त हो का नाम) अमक राश नत दवगरौ बहत (ग जस राश म त हो का नाम) अमक गौो (अपन गौ तथा य का नाम) अमक शमा वमा अह सम पत पतामहाना नाना गौाणा पतराना पासा नवपवक अय त सादनाथ ाण भोजनाक साकत ा पचबल कम च कर हाथ म जल लकर इतना कहकर जल छोड़ आमा यानी का भोजन दन क लए रखािकत क ान पर

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इद अ भवदो नम कह

अपनी घर क भाषा म ही ाथना कर- ह पतगण मर पास ा क लए उपय अ-धन नही ह तो कवल ा-भ इस आप ीकार हम आपक सतान ह हम

आशीवाद द तथा गलतयो एव कमयो क लए मा कर तथा परा करन क श दान कर

ॐ अयमा न ताम इद तलोदक त धा नमः ॐ मोमा अमत गमय

पतरो म अयमा ह अयमा पतरो क दव ह अयमा को णाम ह पता पतामह और पतामह ह माता मातामह और मातामह आपको भी बारबार णाम आप हम म स अमत क ओर ल चल

ह अ हमार सनातन य को सप करन वाल पतरो न जस दहात होन पर ऐय वाल ग को ा िकया ह वस ही यो म इन ऋचाओ का पाठ करत ए और

सम साधनो स य करत ए हम भी उसी ऐयवान ग को ा कर- यजवद तपण उपरात क ियाए ह- एक पडदान और दसरी ाण भोजन ाण क मख

स दवता ह को तथा पतर क को खात ह पतर रण मा स ही ा दश म आत ह तथा भोजनािद ा कर त होत ह एकाधक प हो और व अलग-अलग

रहत हो तो उन सभी को ा करना चािहए ाण भोजन क साथ पचबल कम भी होता ह जसका वशष मह ह

शाो म पाच तरह क बल बताई गई ह जसका ा म वशष मह ह1 गौ बल2 ान बल3 काक बल4 दवािद बल 5 पपीलका बल

यहा बल स ताय िकसी पश या पी क हा स नही ह ब ा क िदन जो भोजन बनाया जाता ह उसम स इनको भी खलाना चािहए इस ही बल कहा जाता ह

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तपण (ा) कम क सरल वधतपण (ा) अनयायी सभी िह धमाव ली उ ा पवजो क त सी ा

का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ारविदक-पौराणकतथभापद श प क पणमा स सवपत अमावा अथात आन क प अमावा तकअनाना-कम म पक ए चावल दध औरतल को मत करक जो प बनात ह प का अथ ह शरीर यह एक पारपरक वास ह िक हर पीढ़ी क भीतर मातकल तथा पतकल

दोनो म पहल क पीिढ़यो क समत गणस उपत होत ह यह तीकाक अनान जन जन लोगो क गणस (जी) ा करन वाल क अपनी दह म ह

उनक त क लए होता ह

अ जानकारी पराण क अनसार ा क परभाषा- जो कछ उचत काल पा एव ान क अनसार उचत (शाानमोिदत) वध ारा पतरो को ल करक

ापवक ाणो को िदया जाता ह ा कहलाता ह

ा पवजो क त सी ा का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ा सार म आवाहन पजन नमार क उपरा तपण िकया जाता ह जल म दध जौ चावल चन डाल कर तपण काय म य करत ह मल सक तो गगा जल भी डाल दना चािहए त क

लए तपण िकया जाता ह ग आाओ क त िकसी पदाथ स खान-पहनन आिद क व स नही होती ोिक ल शरीर क लए ही भौतक उपकरणो क

आवकता पड़ती ह मरन क बाद ल शरीर समा होकर कवल स शरीर ही रह जाता ह स शरीर को भख-ास सद-गम आिद क आवकता नही रहती

उसक त का वषय कोई खा पदाथ या हाड़-मास वाल शरीर क लए उपय उपकरण नही हो सकत स शरीर म वचारणा चतना और भावना क धानता

रहती ह इसलए उसम उ भावनाओ स बना अःकरण या वातावरण ही शादायक होता ह

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दशा एव रणा इस ससार म ल शरीर वाल को जस कार इय भोग वासना ता एव अहकार क पत म सख मलता ह उसी कार पतरो का स शरीर

शभ कम स उ सग का रसाादन करत ए त का अनभव करता ह उसक सता तथा आकाा का क ब ा ह ा भर वातावरण क सा म पतर अपनी अशा खोकर आन का अनभव करत ह ा ही इनक भख ह इसी स

उ त होती ह इसलए पतरो क सता क लए ा एव तपण िकय जात ह इन ियाओ का वध-वधान इतना सरल एव इतन कम खच का ह िक नधन स नधन

भी उस आसानी स स कर सकता ह तपण म धानतया जल का ही योग होता ह उस थोड़ा सगधत एव परप बनान क लए जौ तल चावल दध फल

जसी दो-चार मागलक वए डाली जाती ह कशाओ क सहार जौ क छोटी-सी अजल मोारपवक डालन मा स पतर त हो जात ह िक इस िया क साथ आवक ा कतता सावना म शभकामना का समय अव होना

चािहए यिद ाल इन भावनाओ क साथ क गयी ह तो तपण का उ परा हो जायगा पतरो को आवक त मलगी िक यिद इस कार क कोई ा

भावना तपण करन वाल क मन म नही होती और कवल लकर पीटन क मा पानी इधर-उधर फलाया जाता ह तो इतन भर स कोई वशष योजन पण न होगा इसलए

इन पत-कम क करन वाल यह ान रख िक इन छोट-छोट िया-को को करन क साथ-साथ िदवगत आाओ क उपकारो का रण कर उनक सणो तथा सम क

त ा कर

कतता तथा सान क भावना उनक त रख और यह अनभव कर िक यह जलाजल जस अिकचन उपकरणो क साथ अपनी ा क अभ करत ए

गीय आाओ क चरणो पर अपनी सावना क प चढ़ा रहा इस कार क भावनाए जतनी ही बल होगी पतरो को उतनी ही अधक त मलगी जस पतर

का गवास आ ह उसक िकय ए उपकारो क त कतता करना उसक अधर छोड़ ए पारवारक एव सामाजक उरदाय को परा करन म तर होना तथा अपन एव वातावरण को मगलमय ढाच म ढालना मरणोर सार का

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धान योजन ह गह श सतक नव का उ भी इसी क नम क जाती ह िक तपण म कवल इी एक पतर क लए नही पव काल म गजर ए अपन

परवार माता क परवार दादी क परवार क तीन-तीन पीढ़ी क पतरो क त का भी आयोजन िकया जाता ह इतना ही नही इस पी पर अवतरत ए सभी महान पषो

क आा क त इस अवसर पर ा करत ए अपनी सावना क ारा त करन का य िकया जाता ह तपण को छः भागो म वभ िकया गया ह-

दव-तपणऋष-तपणिद-मानव-तपणिद-पत-तपणयम-तपणमन-पत-तपणा सार करत ाल

(१) दव तपणम

दव शया ईर क व महान वभतया ह जो मानव-काण म सदा नःाथ भाव स यतनरत ह जल वाय सय

अ च वत तथा अवतारी ईर अगो क म आाए एव वा ब श तभा कणा दया सता

पवता जसी सवया सभी दव शयो म आती ह यप य िदखाई नही दती तो भी इनक अन उपकार ह यिद इनका लाभ न मल

तो मन क लए जीवत रह सकना भी सव न हो इनक त कतता क भावना करन क लए यह दव-तपण िकया जाता ह यजमान दोनो हाथो क अनामका

अगलयो म पवी धारण करॐ आग महाभागाः वदवा महाबलाः य तपणऽ विहताः सावधाना भव त

जल म चावल डाल कश-मोटक सीध ही ल योपवीत स (बाय क पर)

दव तपण

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सामा त म रख तपण क समय अज ल म जल भरकर सभी अगलयो क अ भाग क सहार अपत कर इस दवतीथ मा कहत ह क दवश क लए एक-एक अज ल जल डाल पवाभमख होकर दत चलॐ ादयो दवाः आग ग एतान जलालीन

ॐ तताम ॐ वतामॐ ताम

ॐ जापतततामॐ दवाताम

ॐ छास त ाम ॐ वदााम ॐ ऋषयाम

ॐ पराणाचाया ाम ॐ गवा ाम

ॐ इतराचाया ाम ॐ सवरः सावयवाम

ॐ दाम ॐ अरसामॐ दवानगााम

ॐ नागाामॐ सागरााम ॐ पवता ामॐ सरताम ॐ मनाामॐ यााम

ॐ रास त ामॐ पशाचााम

15

ॐ सपणा ामॐ भतान त ाम ॐ पशवाम

ॐ वनतयाम ॐ ओषधयाम

ॐ भतामः चतवध ाम

(२) ऋष तपण

दसरा तपण ऋषयो क लए ह ास वस याव काायन अ जमद गौतम वाम नारद चरक

सत पाणनी दधीच आिद ऋषयो क त ा क अभ ऋष तपण ारा क जाती ह ऋषयो को भी

दवताओ क तरह दवतीथ स एक-एक अजल जल िदया जाता हनारद मन

ॐ मरीािद दशऋषयः आग ग एताजलालीन ॐ मरीचाताम ॐ अताम

ॐ अगराः तताम ॐ पलताम ॐ वसताम ॐ तताम

ॐ वसताम ॐ चताताम ॐ भगताम ॐ नारदताम

(३)द-मन तपण

तीसरा तपण िद मानवो क लए ह जो पण प स सम जीवन को लोक काण

ऋष तपण

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क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

17

ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

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ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

euqampfir`ampriZk

19

अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

20

अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

21

इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

22

इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

23

त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

24

पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

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त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

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नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

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ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

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पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

42

13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 3: Pitra Paksh Pitra Dosh

ानमपरमपता परमर क रणा एव प गवर पता पिडत भनर पाय क शभाशीवाद स इनक त म हर गह व जन सामा हत पत प एव पत दोष पक का नपण करन का यास कर रह पत प म अपन पवजो का ा कस कर और पत दोष क नवत का ववचन कस िकया जाए | पत प और पत दोष म कब और कस कर ाइसी वषय पर मल स नचोड़ को नकाल आम जन सामा क लाभाथ हत क लए परभाषत करन का यास िकया

िह धम म माता ह िक शरीर न हो जान क बाद भी आा अजर-अमर रहती ह वह अपन काय क भोग भोगन क लए नाना कार क योनयो म वचरण करती ह

शाो म मोपरात मन क अवा भद स उसक काण क लए समय-समय पर िकए जान वाल को का नपण आ ह

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1

सामात जीवन म पाप और प दोनो होत ह िह माता क अनसार प का फल ग और पाप का फल नक होता ह नक म जीवाा को बत यातनाए भोगनी

पड़ती ह पाा मन योन तथा दवयोन को ा करती ह इन योनयो क बीच एक योन और होती ह वह ह त योन वाय प म यह जीवाा मन का मनशरीर ह जो अपन मोह या ष क कारण इस पी पर रहता ह पत योन त योन स ऊपर ह तथा पतलोक म रहती ह

यह जीवाा मन पत योन का मनशरीर ह जो अपन पारवारक मोह क लए अपन परवार कल खानदान स क तभावत रहता ह यही ा प म अपन परवार स मलन आत ह |

पत दोष म मन दखा ह क मन क जीवन म भोतक साधन तो ह पर भोग नही ह | इी सरचनाओ को मन दखा ह क सरल उपाए स दोष को नवत करन का यास

िकया जो सभी क लए लाभाथ होग

तो हमारा भी पतरो त इाओ अनकलता क अनसार ा समन अपण करत ह यही ा समन अपण करन वध का एक अत लघ याश िकया

इसक नमाण म सावधानी बरती गई ह िफर भी कराणवस कोई टी एव दोष या अ कारणवस टी हो गई हो तो मझ मा करग और भव क लए मागदशन करग जसस आग क अक म आवक सधार कर सक

2

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पत प म ा का मह ो ा श ा स बना ह जो ा का थम अनवाय त ह अथात पतरो क त

ा तो होनी ही चािहए भापद क पणमा प क तपदा तथ स अमावा तक का समय ा या महालय प कहलाता ह इस अवध क 16 िदन पतरो अथात

ा कम क लए वशष प स नधा रत िकए गए ह यही अवध पत प क नाम स जानी जाती ह

विदक परपरा क अनसार ववत पराण म यह नदश ह िक इस ससार म आकर जो सह पतप क दौरान

अपन पतरो को ापवक उनक िदवगत तथक िदन तपण

पडदान तलाजल और ाणो को भोजन करात

ह उनको इस जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होत ह व उ

श कम क कारण अपनी आा क भीतर एक तज और काश स आलोिकत होत ह म क उपरात भी ा करन वाल सदगह को गलोक वलोक और लोक क ा होती ह

भारतीय विदक वागमय क अनसार क मन को इस धरती पर जीवन लन क पात तीन कार क ऋण होत ह पहला दव ऋण दसरा ऋष ऋण और तीसरा पत ऋण पत प क ा यानी 16 ा साल क ऐस सनहर िदन ह जनम हम उपरो

तीनो ऋणो स म हो सकत ह ा िया म शामल होकर

महाभारत क सग क अनसार म क उपरात कण को चग न मो दन स

3

इनकार कर िदया था कण न कहा िक मन तो अपनी सारी सदा सदव दान-प म ही समपत क ह िफर मर उपर यह कसा ऋण बचा आ ह चग न जवाब िदया िक राजन आपन दव ऋण और ऋष ऋण तो चका िदया ह लिकन आपक उपर अभी

पत ऋण बाक ह जब तक आप इस ऋण स म नही होग तब तक आपको मो मलना किठन होगा इसक उपरात धमराज न कण को यह वा दी िक आप 16

िदन क लए पनः पी पर जाइए और अपन ात और अात पतरो का ा तपण तथा पड दान वधवत करक आइए तभी आपको मो यानी ग लोक क ा

होगी

जो लोग दान ा तपण आिद नही करत माता-पता और बड बजग का आदर सार नही करत पतगण उनस हमशा नाराज रहत ह उनक नाराजगी आग चलकर

पतदोष का अभशाप बन जाती ह पतदोष म माता-पता क साथ साधारण मनमटाव स लकर उनपर हाथ उठाकर आमण करना या उनका मानसक और शारीरक प स पीिड़त करना जस धान कारण होत ह इसक कारण ही व या उनक परवार क अगली पीढी क अ सद अपन जीचन म रोगी दखी और मानसक क स पीिड़त रहत ह व नःसतान भी हो सकत ह

पत प म िकए गए काय स पवजो क आा को शात ा होती ह तथा कता को पत ऋण स म मलती ह आा क अमरता का सात तो य भगवान ी

क गीता म उपदशत करत ह आा जब तक अपन परम-आा स सयोग नही कर लती तब तक वभ योनयो म भटकती रहती ह और इस दौरान उस ा कम म

सत मलती ह

अपन पवजो क त ह वनता आदर व ा भाव स ही िकया जान वाला कम ही ा ह यह पत ऋण स म पान का सरल उपाय भी ह इस पतय भी कहा गया ह हर साल भापद पणमा स आन माह क अमावा तक क यह सोलह िदन ाकम क होत ह िक गया ा सह िदन का होता ह जो भापद पणमा स लकर अन मास क श प तपदा तक चलता ह |

4

पत प सोलह िदन क समयावध होती ह जसम सनातन धमाल ाी िह जन अपन पवजो को भोजन अपण कर उ धाजल दत ह

दणी भारतीय अमात पा क अनसार पत प भापद क च मास म पड़ता ह और पण चमा क िदन या पण चमा क एक िदन बाद ार होता ह

उरी भारतीय पणमात पा क अनसार पत प अन क च मास म पड़ता ह और भापद म पण चमा क िदन या पण चमा क अगल िदन ार होता ह

यह च मास क सफ एक नामावली ह जो इस अलग-अलग करती ह पर उरी और दणी भारतीय लोग ा क वध समान िदन ही करत ह

पत प का अम िदन सवप अमावा या महालय अमावा क नाम स जाना जाता ह पत प म महालय अमावा सबस म िदन होता

महष पाराशर क अनसार दश काल तथा पा म हवाद वध स जो कम यव (तल) व दभ (कशा) क साथ मोार क साथ ापवक िकया जाता ह वह ा होता ह

भारतीय सत व सनातन धम म पत ऋण स म होन क लए अपन माता-पता व परवार क मतको क नयमत ा करन क अनवायता तपािदत क गई ह ा

कम को पतकम भी कहा गया ह व पतकम स ताय पतपजा भी ह

भापद क पणमा स लकर अमावा तक ऊपर क र तथा र क साथ पताण पी पर ा रहता ह ा क मलभत परभाषा यह ह िक त और पर क नम उनक आा क त क लए ा पवक जो अपत िकया जाए वह ा ह म क बाद दशगा और षोडशी-सपन तक मत क त सा रहती ह

सपन क बाद वह पतरो म सलत हो जाता ह

पतप भर म जो तपण िकया जाता ह उसस वह पताण य आापत होता ह प या उसक नाम स उसका परवार जो यव तथा चावल का प दता ह उसम स रत

5

का अश लकर वह चलोक म अाण का ऋण चका दता ह

भापद क पणमा स वह च ऊपर क ओर होन लगता ह 16 िदन अपना-अपना भाग लकर श प क तपदा स उसी र क साथ रवाना हो जाता ह इसलए

इसको पतप कहत ह और इसी प म ा करन स वह परो को ा होता ह

शाो का नदशानसार ह िक माता-पता आिद क नम उनक नाम और गो का उारण कर मो ारा जो अ आिद अपत िकया जाता ह वह उनको ा हो जाता

ह यिद अपन कम क अनसार उनको दव योन ा होती ह तो वह अमत प म उनको ा होता ह उ गव लोक ा होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य प म पय प म दानव योन म मास क प म त योन म धर क प म और मन योन म अ आिद क प म उपल होता ह

जब पर यह सनत ह िक ा काल उपत हो गया ह तो व एक-दसर का रण करत ए मनोनय प स ा ल पर उपत हो जात ह और ाणो क साथ वाय

प म भोजन करत ह यह भी कहा गया ह िक जब सय का राश म आत ह तब पर अपन प-पौो क यहा आत ह

वशषतः आन-अमावा क िदन व दरवाज पर आकर बठ जात ह यिद उस िदन उनका ा नही िकया जाता तब व ाप दकर लौट जात ह अतः उस िदन प-प-

फल और जल-तपण स यथाश उनको त करना चािहए आन क अमावा को सव पतवजसनी अमावा कहत ह जो पतप क पह िदनो

तक ा तपण आिद नही कहत ह व अमावा को ही अपन पत क नम ाािद सप करत ह जन पत क तथ याद नही हो उनक नम ा तपण दान आिद

इसी अमावा को िकया जाता ह

अमावा क िदन सभी पत का वसजन होता ह अमावा क िदन पत अपन पािद क ार पर पदान एव ाािद क आशा म जात ह यिद वहा उ पदान या

तलाल आिद नही मलती ह तो व शाप दकर चल जात ह अतः ा का पराग नही करना चािहए

6

ा का अधकार िकसा करन क लए मनत और ववत जस शाो म यही बताया गया ह िक

िदवगत पतरो क परवार म या तो प या कन प और अगर प न हो तो धवता (नाती) भतीजा भाजा या श ही तलाजल और पडदान दन क पा होत

ह कई ऐस पतर भी होत ह जनक प सतान नही होती ह या िफर जो सतानहीन होत ह ऐस पतरो क त आदर पवक अगर उनक भाई-भतीज भाज या अ चाचा-

ताऊ क परवार क पष सद पतप म ापवक त रखकर पडदान अदान और वदान करक ाणो स वधपवक ा करात ह तो पीिड़त आा को मो

मलता ह

मिहलाए भी ा कर सकती ह या नही आजकल इस को भी उठाया जा रहा ह विदक परपरा क अनसार मिहलाए य अनान सक और त आिद तो रख सकती

ह ा का परा आयोजन और खच कर सकती ह लिकन ा क वध को य नही कर सकती ह वधवा ी अगर सतानहीन हो तो अपन पत क नाम ा का सक

रखकर ाण या परोिहत परवार क पष सद स ही पडदान आिद का वधान परा करवा सकती ह इसी कार जन पतरो क काए ही वश परपरा म ह तो उ पतरो

क नाम त रखकर उसक दामाद या धवत नाती आिद ाहमण को बलाकर ाकम क नव करा सकत ह साध-सो क शगण या श वशष ा कर सकत

7

पतप म वजत ो ह शभकाय

वस यह परा १६ िदन पतरो क क नाम सरत रहता ह शभ काय ना करन क पीछ यह कारण हो सकता ह िक हम पतरो क त स दखी होकर या उनक

जान क दख म उनक आा क शा क लए कोई अ उव और मगलकाय काय नही कर लिकन आज क समय क लहाज स कछ

शभ काय वजत नही ह अगर बत आवक हो तो शभ काय िकए जा सकत ह

जनम पजा पाठ निहत नही हो खरीदारी भी क जा

सकती ह ऐसा नही ह िक शभ काय करन स उनका फल भावत होगा यह

कवल हमारा अपन पतरो क त सान होता ह िक हम 16 िदन तक घर म कोई मागलक आयोजन नही कर अगर बना इदव क पजा रिहत कोई मागलक

आयोजन िकया भी जाए तो उसका कोई बरा भाव भी नही होता ह जो लोग अपन घर म पतरो का परी ा स पजन करत ह त वष ा करत ह तपण

करत ह उनक साथ पतरो का आशीवाद भी बना होता ह उनका कोई काम गलत नही होता उी लोगो क साथ कोई बरी घटना या अशभ होता ह जो ा

नही करत या उनक जीतजी अपन जीवन म पतरो को ठीक स सत नही करत उनक त ाहीन होकर उनका ा नही करत तपण नही करत या उनस

नफरत करत ह

8

य शाीय सगत त ह क पत प म दवताओ क पजन या दवताओ क स करन पव अपन पतरो को स िकया जाय जो अधक काणद और सखकारी ह

ा प का िह धम ( सनातन धमाव लयो) क लए बड़ा मह िदन रहता ह ाचीन सनातन धम क अनसार हमार पवज दवत ह और इस धरा पर हमन जीवन

ा िकया ह और जस कार उोन हमारा लालन-पालन कर हम कताथ िकया ह उसस हम उनक ऋणी ह समपण और कतता क इसी भावना स ा प रत ह जो जातक को पतर ऋण स म माग िदखाता ह

भापद क पणमा स आन क अमावा तक सोलह िदनो तक का समय सोलह ा या ा पकहलाता ह शाो म दवकाय स पव पत काय करन का नदश

िदया गया ह ा स कवल पत ही त नही होत अपत सम दवी दवता स लकर वनतया तक त होती ह

गड़ पराण क अनसार पतर ऋण म माग रखा

कदव कवत समय ा कल क सीदत

आयः पान यशः ग कत प बल यम

पशन सौ धन धा ायात पतपजनात

दवकायादप सदा पतकाय वशत

दवताः पतणा िह पवमाायन शभम

अथात समयानसार ा करन स कल म कोई दखी नही रहता पतरो क पजा करक मन आय प यश ग कत प बल ी पश सख और धन-धा ा

करता ह दवकाय स भी पतकाय का वशष मह ह दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी और सखकारी ह

शाो म दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी कहा गया ह यही कारण ह िक दवपजन स पव पतर पजन िकए जान का वधान ह

दवताओ स पव पतपजन का वशष मह

9

पततपण और ा व सक ा करन वाल का सासारक जीवन सखमय बनता ह तथा मो क भी ा होती ह

ऐसी माता ह िक ा न करन स पत धा स होकर अपन सग-सबधयो को क और शाप दत ह अपन कम क अनसार जीव अलग-अलग योनयो म भोग

भोगत ह जहा मो ारा सकत ह-क को पतर ा कर लत ह

पतरो क लए ा स िकए गए म कम को ा कहत ह तथा त करन क िया और दवताओ ऋषयो या पतरो को तडल या तल मत जल अपत करन क िया

को तपण कहत ह तपण करना ही पडदान करना ह

तपण करन क पव सक अत आवक ह |बना सक क िकए गए दव काय या पत काय सवथा थ ही ह सक इस कार िकया जाता ह यथा-

ॐ ववव ॐ नम परमान ी पराण पषोम ी वोराया वतमाना ी णो ितीय पराध ी त वराह क ववत

मरअावशततम कलयग कल थम चरण जीप भारतवष भरत ख आयावागत ावतक दश पदश (यद वदश म कही हो तो रखािकत क

ान पर उस दश शहर ाम का नाम बोल)

वतमान पराभव नाम सवर दणायन अमक ऋतौ (ऋत का नाम) महामागद मासानाम मासोम अमक मास (महीन का नाम) अमक प (श या क प का नाम) अमक तथौ (तथ का नाम) अमक वासर (वार का नाम) अमक न (न का नाम) अमक राश मत च (जस राश म च हो का नाम) अमक राश त सय (सय जस राश म त हो का नाम) अमक राश नत दवगरौ बहत (ग जस राश म त हो का नाम) अमक गौो (अपन गौ तथा य का नाम) अमक शमा वमा अह सम पत पतामहाना नाना गौाणा पतराना पासा नवपवक अय त सादनाथ ाण भोजनाक साकत ा पचबल कम च कर हाथ म जल लकर इतना कहकर जल छोड़ आमा यानी का भोजन दन क लए रखािकत क ान पर

10

इद अ भवदो नम कह

अपनी घर क भाषा म ही ाथना कर- ह पतगण मर पास ा क लए उपय अ-धन नही ह तो कवल ा-भ इस आप ीकार हम आपक सतान ह हम

आशीवाद द तथा गलतयो एव कमयो क लए मा कर तथा परा करन क श दान कर

ॐ अयमा न ताम इद तलोदक त धा नमः ॐ मोमा अमत गमय

पतरो म अयमा ह अयमा पतरो क दव ह अयमा को णाम ह पता पतामह और पतामह ह माता मातामह और मातामह आपको भी बारबार णाम आप हम म स अमत क ओर ल चल

ह अ हमार सनातन य को सप करन वाल पतरो न जस दहात होन पर ऐय वाल ग को ा िकया ह वस ही यो म इन ऋचाओ का पाठ करत ए और

सम साधनो स य करत ए हम भी उसी ऐयवान ग को ा कर- यजवद तपण उपरात क ियाए ह- एक पडदान और दसरी ाण भोजन ाण क मख

स दवता ह को तथा पतर क को खात ह पतर रण मा स ही ा दश म आत ह तथा भोजनािद ा कर त होत ह एकाधक प हो और व अलग-अलग

रहत हो तो उन सभी को ा करना चािहए ाण भोजन क साथ पचबल कम भी होता ह जसका वशष मह ह

शाो म पाच तरह क बल बताई गई ह जसका ा म वशष मह ह1 गौ बल2 ान बल3 काक बल4 दवािद बल 5 पपीलका बल

यहा बल स ताय िकसी पश या पी क हा स नही ह ब ा क िदन जो भोजन बनाया जाता ह उसम स इनको भी खलाना चािहए इस ही बल कहा जाता ह

11

तपण (ा) कम क सरल वधतपण (ा) अनयायी सभी िह धमाव ली उ ा पवजो क त सी ा

का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ारविदक-पौराणकतथभापद श प क पणमा स सवपत अमावा अथात आन क प अमावा तकअनाना-कम म पक ए चावल दध औरतल को मत करक जो प बनात ह प का अथ ह शरीर यह एक पारपरक वास ह िक हर पीढ़ी क भीतर मातकल तथा पतकल

दोनो म पहल क पीिढ़यो क समत गणस उपत होत ह यह तीकाक अनान जन जन लोगो क गणस (जी) ा करन वाल क अपनी दह म ह

उनक त क लए होता ह

अ जानकारी पराण क अनसार ा क परभाषा- जो कछ उचत काल पा एव ान क अनसार उचत (शाानमोिदत) वध ारा पतरो को ल करक

ापवक ाणो को िदया जाता ह ा कहलाता ह

ा पवजो क त सी ा का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ा सार म आवाहन पजन नमार क उपरा तपण िकया जाता ह जल म दध जौ चावल चन डाल कर तपण काय म य करत ह मल सक तो गगा जल भी डाल दना चािहए त क

लए तपण िकया जाता ह ग आाओ क त िकसी पदाथ स खान-पहनन आिद क व स नही होती ोिक ल शरीर क लए ही भौतक उपकरणो क

आवकता पड़ती ह मरन क बाद ल शरीर समा होकर कवल स शरीर ही रह जाता ह स शरीर को भख-ास सद-गम आिद क आवकता नही रहती

उसक त का वषय कोई खा पदाथ या हाड़-मास वाल शरीर क लए उपय उपकरण नही हो सकत स शरीर म वचारणा चतना और भावना क धानता

रहती ह इसलए उसम उ भावनाओ स बना अःकरण या वातावरण ही शादायक होता ह

12

दशा एव रणा इस ससार म ल शरीर वाल को जस कार इय भोग वासना ता एव अहकार क पत म सख मलता ह उसी कार पतरो का स शरीर

शभ कम स उ सग का रसाादन करत ए त का अनभव करता ह उसक सता तथा आकाा का क ब ा ह ा भर वातावरण क सा म पतर अपनी अशा खोकर आन का अनभव करत ह ा ही इनक भख ह इसी स

उ त होती ह इसलए पतरो क सता क लए ा एव तपण िकय जात ह इन ियाओ का वध-वधान इतना सरल एव इतन कम खच का ह िक नधन स नधन

भी उस आसानी स स कर सकता ह तपण म धानतया जल का ही योग होता ह उस थोड़ा सगधत एव परप बनान क लए जौ तल चावल दध फल

जसी दो-चार मागलक वए डाली जाती ह कशाओ क सहार जौ क छोटी-सी अजल मोारपवक डालन मा स पतर त हो जात ह िक इस िया क साथ आवक ा कतता सावना म शभकामना का समय अव होना

चािहए यिद ाल इन भावनाओ क साथ क गयी ह तो तपण का उ परा हो जायगा पतरो को आवक त मलगी िक यिद इस कार क कोई ा

भावना तपण करन वाल क मन म नही होती और कवल लकर पीटन क मा पानी इधर-उधर फलाया जाता ह तो इतन भर स कोई वशष योजन पण न होगा इसलए

इन पत-कम क करन वाल यह ान रख िक इन छोट-छोट िया-को को करन क साथ-साथ िदवगत आाओ क उपकारो का रण कर उनक सणो तथा सम क

त ा कर

कतता तथा सान क भावना उनक त रख और यह अनभव कर िक यह जलाजल जस अिकचन उपकरणो क साथ अपनी ा क अभ करत ए

गीय आाओ क चरणो पर अपनी सावना क प चढ़ा रहा इस कार क भावनाए जतनी ही बल होगी पतरो को उतनी ही अधक त मलगी जस पतर

का गवास आ ह उसक िकय ए उपकारो क त कतता करना उसक अधर छोड़ ए पारवारक एव सामाजक उरदाय को परा करन म तर होना तथा अपन एव वातावरण को मगलमय ढाच म ढालना मरणोर सार का

13

धान योजन ह गह श सतक नव का उ भी इसी क नम क जाती ह िक तपण म कवल इी एक पतर क लए नही पव काल म गजर ए अपन

परवार माता क परवार दादी क परवार क तीन-तीन पीढ़ी क पतरो क त का भी आयोजन िकया जाता ह इतना ही नही इस पी पर अवतरत ए सभी महान पषो

क आा क त इस अवसर पर ा करत ए अपनी सावना क ारा त करन का य िकया जाता ह तपण को छः भागो म वभ िकया गया ह-

दव-तपणऋष-तपणिद-मानव-तपणिद-पत-तपणयम-तपणमन-पत-तपणा सार करत ाल

(१) दव तपणम

दव शया ईर क व महान वभतया ह जो मानव-काण म सदा नःाथ भाव स यतनरत ह जल वाय सय

अ च वत तथा अवतारी ईर अगो क म आाए एव वा ब श तभा कणा दया सता

पवता जसी सवया सभी दव शयो म आती ह यप य िदखाई नही दती तो भी इनक अन उपकार ह यिद इनका लाभ न मल

तो मन क लए जीवत रह सकना भी सव न हो इनक त कतता क भावना करन क लए यह दव-तपण िकया जाता ह यजमान दोनो हाथो क अनामका

अगलयो म पवी धारण करॐ आग महाभागाः वदवा महाबलाः य तपणऽ विहताः सावधाना भव त

जल म चावल डाल कश-मोटक सीध ही ल योपवीत स (बाय क पर)

दव तपण

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सामा त म रख तपण क समय अज ल म जल भरकर सभी अगलयो क अ भाग क सहार अपत कर इस दवतीथ मा कहत ह क दवश क लए एक-एक अज ल जल डाल पवाभमख होकर दत चलॐ ादयो दवाः आग ग एतान जलालीन

ॐ तताम ॐ वतामॐ ताम

ॐ जापतततामॐ दवाताम

ॐ छास त ाम ॐ वदााम ॐ ऋषयाम

ॐ पराणाचाया ाम ॐ गवा ाम

ॐ इतराचाया ाम ॐ सवरः सावयवाम

ॐ दाम ॐ अरसामॐ दवानगााम

ॐ नागाामॐ सागरााम ॐ पवता ामॐ सरताम ॐ मनाामॐ यााम

ॐ रास त ामॐ पशाचााम

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ॐ सपणा ामॐ भतान त ाम ॐ पशवाम

ॐ वनतयाम ॐ ओषधयाम

ॐ भतामः चतवध ाम

(२) ऋष तपण

दसरा तपण ऋषयो क लए ह ास वस याव काायन अ जमद गौतम वाम नारद चरक

सत पाणनी दधीच आिद ऋषयो क त ा क अभ ऋष तपण ारा क जाती ह ऋषयो को भी

दवताओ क तरह दवतीथ स एक-एक अजल जल िदया जाता हनारद मन

ॐ मरीािद दशऋषयः आग ग एताजलालीन ॐ मरीचाताम ॐ अताम

ॐ अगराः तताम ॐ पलताम ॐ वसताम ॐ तताम

ॐ वसताम ॐ चताताम ॐ भगताम ॐ नारदताम

(३)द-मन तपण

तीसरा तपण िद मानवो क लए ह जो पण प स सम जीवन को लोक काण

ऋष तपण

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क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

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ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

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ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

euqampfir`ampriZk

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अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

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अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

31

त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

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क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

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पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

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गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

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- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 4: Pitra Paksh Pitra Dosh

सामात जीवन म पाप और प दोनो होत ह िह माता क अनसार प का फल ग और पाप का फल नक होता ह नक म जीवाा को बत यातनाए भोगनी

पड़ती ह पाा मन योन तथा दवयोन को ा करती ह इन योनयो क बीच एक योन और होती ह वह ह त योन वाय प म यह जीवाा मन का मनशरीर ह जो अपन मोह या ष क कारण इस पी पर रहता ह पत योन त योन स ऊपर ह तथा पतलोक म रहती ह

यह जीवाा मन पत योन का मनशरीर ह जो अपन पारवारक मोह क लए अपन परवार कल खानदान स क तभावत रहता ह यही ा प म अपन परवार स मलन आत ह |

पत दोष म मन दखा ह क मन क जीवन म भोतक साधन तो ह पर भोग नही ह | इी सरचनाओ को मन दखा ह क सरल उपाए स दोष को नवत करन का यास

िकया जो सभी क लए लाभाथ होग

तो हमारा भी पतरो त इाओ अनकलता क अनसार ा समन अपण करत ह यही ा समन अपण करन वध का एक अत लघ याश िकया

इसक नमाण म सावधानी बरती गई ह िफर भी कराणवस कोई टी एव दोष या अ कारणवस टी हो गई हो तो मझ मा करग और भव क लए मागदशन करग जसस आग क अक म आवक सधार कर सक

2

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पत प म ा का मह ो ा श ा स बना ह जो ा का थम अनवाय त ह अथात पतरो क त

ा तो होनी ही चािहए भापद क पणमा प क तपदा तथ स अमावा तक का समय ा या महालय प कहलाता ह इस अवध क 16 िदन पतरो अथात

ा कम क लए वशष प स नधा रत िकए गए ह यही अवध पत प क नाम स जानी जाती ह

विदक परपरा क अनसार ववत पराण म यह नदश ह िक इस ससार म आकर जो सह पतप क दौरान

अपन पतरो को ापवक उनक िदवगत तथक िदन तपण

पडदान तलाजल और ाणो को भोजन करात

ह उनको इस जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होत ह व उ

श कम क कारण अपनी आा क भीतर एक तज और काश स आलोिकत होत ह म क उपरात भी ा करन वाल सदगह को गलोक वलोक और लोक क ा होती ह

भारतीय विदक वागमय क अनसार क मन को इस धरती पर जीवन लन क पात तीन कार क ऋण होत ह पहला दव ऋण दसरा ऋष ऋण और तीसरा पत ऋण पत प क ा यानी 16 ा साल क ऐस सनहर िदन ह जनम हम उपरो

तीनो ऋणो स म हो सकत ह ा िया म शामल होकर

महाभारत क सग क अनसार म क उपरात कण को चग न मो दन स

3

इनकार कर िदया था कण न कहा िक मन तो अपनी सारी सदा सदव दान-प म ही समपत क ह िफर मर उपर यह कसा ऋण बचा आ ह चग न जवाब िदया िक राजन आपन दव ऋण और ऋष ऋण तो चका िदया ह लिकन आपक उपर अभी

पत ऋण बाक ह जब तक आप इस ऋण स म नही होग तब तक आपको मो मलना किठन होगा इसक उपरात धमराज न कण को यह वा दी िक आप 16

िदन क लए पनः पी पर जाइए और अपन ात और अात पतरो का ा तपण तथा पड दान वधवत करक आइए तभी आपको मो यानी ग लोक क ा

होगी

जो लोग दान ा तपण आिद नही करत माता-पता और बड बजग का आदर सार नही करत पतगण उनस हमशा नाराज रहत ह उनक नाराजगी आग चलकर

पतदोष का अभशाप बन जाती ह पतदोष म माता-पता क साथ साधारण मनमटाव स लकर उनपर हाथ उठाकर आमण करना या उनका मानसक और शारीरक प स पीिड़त करना जस धान कारण होत ह इसक कारण ही व या उनक परवार क अगली पीढी क अ सद अपन जीचन म रोगी दखी और मानसक क स पीिड़त रहत ह व नःसतान भी हो सकत ह

पत प म िकए गए काय स पवजो क आा को शात ा होती ह तथा कता को पत ऋण स म मलती ह आा क अमरता का सात तो य भगवान ी

क गीता म उपदशत करत ह आा जब तक अपन परम-आा स सयोग नही कर लती तब तक वभ योनयो म भटकती रहती ह और इस दौरान उस ा कम म

सत मलती ह

अपन पवजो क त ह वनता आदर व ा भाव स ही िकया जान वाला कम ही ा ह यह पत ऋण स म पान का सरल उपाय भी ह इस पतय भी कहा गया ह हर साल भापद पणमा स आन माह क अमावा तक क यह सोलह िदन ाकम क होत ह िक गया ा सह िदन का होता ह जो भापद पणमा स लकर अन मास क श प तपदा तक चलता ह |

4

पत प सोलह िदन क समयावध होती ह जसम सनातन धमाल ाी िह जन अपन पवजो को भोजन अपण कर उ धाजल दत ह

दणी भारतीय अमात पा क अनसार पत प भापद क च मास म पड़ता ह और पण चमा क िदन या पण चमा क एक िदन बाद ार होता ह

उरी भारतीय पणमात पा क अनसार पत प अन क च मास म पड़ता ह और भापद म पण चमा क िदन या पण चमा क अगल िदन ार होता ह

यह च मास क सफ एक नामावली ह जो इस अलग-अलग करती ह पर उरी और दणी भारतीय लोग ा क वध समान िदन ही करत ह

पत प का अम िदन सवप अमावा या महालय अमावा क नाम स जाना जाता ह पत प म महालय अमावा सबस म िदन होता

महष पाराशर क अनसार दश काल तथा पा म हवाद वध स जो कम यव (तल) व दभ (कशा) क साथ मोार क साथ ापवक िकया जाता ह वह ा होता ह

भारतीय सत व सनातन धम म पत ऋण स म होन क लए अपन माता-पता व परवार क मतको क नयमत ा करन क अनवायता तपािदत क गई ह ा

कम को पतकम भी कहा गया ह व पतकम स ताय पतपजा भी ह

भापद क पणमा स लकर अमावा तक ऊपर क र तथा र क साथ पताण पी पर ा रहता ह ा क मलभत परभाषा यह ह िक त और पर क नम उनक आा क त क लए ा पवक जो अपत िकया जाए वह ा ह म क बाद दशगा और षोडशी-सपन तक मत क त सा रहती ह

सपन क बाद वह पतरो म सलत हो जाता ह

पतप भर म जो तपण िकया जाता ह उसस वह पताण य आापत होता ह प या उसक नाम स उसका परवार जो यव तथा चावल का प दता ह उसम स रत

5

का अश लकर वह चलोक म अाण का ऋण चका दता ह

भापद क पणमा स वह च ऊपर क ओर होन लगता ह 16 िदन अपना-अपना भाग लकर श प क तपदा स उसी र क साथ रवाना हो जाता ह इसलए

इसको पतप कहत ह और इसी प म ा करन स वह परो को ा होता ह

शाो का नदशानसार ह िक माता-पता आिद क नम उनक नाम और गो का उारण कर मो ारा जो अ आिद अपत िकया जाता ह वह उनको ा हो जाता

ह यिद अपन कम क अनसार उनको दव योन ा होती ह तो वह अमत प म उनको ा होता ह उ गव लोक ा होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य प म पय प म दानव योन म मास क प म त योन म धर क प म और मन योन म अ आिद क प म उपल होता ह

जब पर यह सनत ह िक ा काल उपत हो गया ह तो व एक-दसर का रण करत ए मनोनय प स ा ल पर उपत हो जात ह और ाणो क साथ वाय

प म भोजन करत ह यह भी कहा गया ह िक जब सय का राश म आत ह तब पर अपन प-पौो क यहा आत ह

वशषतः आन-अमावा क िदन व दरवाज पर आकर बठ जात ह यिद उस िदन उनका ा नही िकया जाता तब व ाप दकर लौट जात ह अतः उस िदन प-प-

फल और जल-तपण स यथाश उनको त करना चािहए आन क अमावा को सव पतवजसनी अमावा कहत ह जो पतप क पह िदनो

तक ा तपण आिद नही कहत ह व अमावा को ही अपन पत क नम ाािद सप करत ह जन पत क तथ याद नही हो उनक नम ा तपण दान आिद

इसी अमावा को िकया जाता ह

अमावा क िदन सभी पत का वसजन होता ह अमावा क िदन पत अपन पािद क ार पर पदान एव ाािद क आशा म जात ह यिद वहा उ पदान या

तलाल आिद नही मलती ह तो व शाप दकर चल जात ह अतः ा का पराग नही करना चािहए

6

ा का अधकार िकसा करन क लए मनत और ववत जस शाो म यही बताया गया ह िक

िदवगत पतरो क परवार म या तो प या कन प और अगर प न हो तो धवता (नाती) भतीजा भाजा या श ही तलाजल और पडदान दन क पा होत

ह कई ऐस पतर भी होत ह जनक प सतान नही होती ह या िफर जो सतानहीन होत ह ऐस पतरो क त आदर पवक अगर उनक भाई-भतीज भाज या अ चाचा-

ताऊ क परवार क पष सद पतप म ापवक त रखकर पडदान अदान और वदान करक ाणो स वधपवक ा करात ह तो पीिड़त आा को मो

मलता ह

मिहलाए भी ा कर सकती ह या नही आजकल इस को भी उठाया जा रहा ह विदक परपरा क अनसार मिहलाए य अनान सक और त आिद तो रख सकती

ह ा का परा आयोजन और खच कर सकती ह लिकन ा क वध को य नही कर सकती ह वधवा ी अगर सतानहीन हो तो अपन पत क नाम ा का सक

रखकर ाण या परोिहत परवार क पष सद स ही पडदान आिद का वधान परा करवा सकती ह इसी कार जन पतरो क काए ही वश परपरा म ह तो उ पतरो

क नाम त रखकर उसक दामाद या धवत नाती आिद ाहमण को बलाकर ाकम क नव करा सकत ह साध-सो क शगण या श वशष ा कर सकत

7

पतप म वजत ो ह शभकाय

वस यह परा १६ िदन पतरो क क नाम सरत रहता ह शभ काय ना करन क पीछ यह कारण हो सकता ह िक हम पतरो क त स दखी होकर या उनक

जान क दख म उनक आा क शा क लए कोई अ उव और मगलकाय काय नही कर लिकन आज क समय क लहाज स कछ

शभ काय वजत नही ह अगर बत आवक हो तो शभ काय िकए जा सकत ह

जनम पजा पाठ निहत नही हो खरीदारी भी क जा

सकती ह ऐसा नही ह िक शभ काय करन स उनका फल भावत होगा यह

कवल हमारा अपन पतरो क त सान होता ह िक हम 16 िदन तक घर म कोई मागलक आयोजन नही कर अगर बना इदव क पजा रिहत कोई मागलक

आयोजन िकया भी जाए तो उसका कोई बरा भाव भी नही होता ह जो लोग अपन घर म पतरो का परी ा स पजन करत ह त वष ा करत ह तपण

करत ह उनक साथ पतरो का आशीवाद भी बना होता ह उनका कोई काम गलत नही होता उी लोगो क साथ कोई बरी घटना या अशभ होता ह जो ा

नही करत या उनक जीतजी अपन जीवन म पतरो को ठीक स सत नही करत उनक त ाहीन होकर उनका ा नही करत तपण नही करत या उनस

नफरत करत ह

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य शाीय सगत त ह क पत प म दवताओ क पजन या दवताओ क स करन पव अपन पतरो को स िकया जाय जो अधक काणद और सखकारी ह

ा प का िह धम ( सनातन धमाव लयो) क लए बड़ा मह िदन रहता ह ाचीन सनातन धम क अनसार हमार पवज दवत ह और इस धरा पर हमन जीवन

ा िकया ह और जस कार उोन हमारा लालन-पालन कर हम कताथ िकया ह उसस हम उनक ऋणी ह समपण और कतता क इसी भावना स ा प रत ह जो जातक को पतर ऋण स म माग िदखाता ह

भापद क पणमा स आन क अमावा तक सोलह िदनो तक का समय सोलह ा या ा पकहलाता ह शाो म दवकाय स पव पत काय करन का नदश

िदया गया ह ा स कवल पत ही त नही होत अपत सम दवी दवता स लकर वनतया तक त होती ह

गड़ पराण क अनसार पतर ऋण म माग रखा

कदव कवत समय ा कल क सीदत

आयः पान यशः ग कत प बल यम

पशन सौ धन धा ायात पतपजनात

दवकायादप सदा पतकाय वशत

दवताः पतणा िह पवमाायन शभम

अथात समयानसार ा करन स कल म कोई दखी नही रहता पतरो क पजा करक मन आय प यश ग कत प बल ी पश सख और धन-धा ा

करता ह दवकाय स भी पतकाय का वशष मह ह दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी और सखकारी ह

शाो म दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी कहा गया ह यही कारण ह िक दवपजन स पव पतर पजन िकए जान का वधान ह

दवताओ स पव पतपजन का वशष मह

9

पततपण और ा व सक ा करन वाल का सासारक जीवन सखमय बनता ह तथा मो क भी ा होती ह

ऐसी माता ह िक ा न करन स पत धा स होकर अपन सग-सबधयो को क और शाप दत ह अपन कम क अनसार जीव अलग-अलग योनयो म भोग

भोगत ह जहा मो ारा सकत ह-क को पतर ा कर लत ह

पतरो क लए ा स िकए गए म कम को ा कहत ह तथा त करन क िया और दवताओ ऋषयो या पतरो को तडल या तल मत जल अपत करन क िया

को तपण कहत ह तपण करना ही पडदान करना ह

तपण करन क पव सक अत आवक ह |बना सक क िकए गए दव काय या पत काय सवथा थ ही ह सक इस कार िकया जाता ह यथा-

ॐ ववव ॐ नम परमान ी पराण पषोम ी वोराया वतमाना ी णो ितीय पराध ी त वराह क ववत

मरअावशततम कलयग कल थम चरण जीप भारतवष भरत ख आयावागत ावतक दश पदश (यद वदश म कही हो तो रखािकत क

ान पर उस दश शहर ाम का नाम बोल)

वतमान पराभव नाम सवर दणायन अमक ऋतौ (ऋत का नाम) महामागद मासानाम मासोम अमक मास (महीन का नाम) अमक प (श या क प का नाम) अमक तथौ (तथ का नाम) अमक वासर (वार का नाम) अमक न (न का नाम) अमक राश मत च (जस राश म च हो का नाम) अमक राश त सय (सय जस राश म त हो का नाम) अमक राश नत दवगरौ बहत (ग जस राश म त हो का नाम) अमक गौो (अपन गौ तथा य का नाम) अमक शमा वमा अह सम पत पतामहाना नाना गौाणा पतराना पासा नवपवक अय त सादनाथ ाण भोजनाक साकत ा पचबल कम च कर हाथ म जल लकर इतना कहकर जल छोड़ आमा यानी का भोजन दन क लए रखािकत क ान पर

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इद अ भवदो नम कह

अपनी घर क भाषा म ही ाथना कर- ह पतगण मर पास ा क लए उपय अ-धन नही ह तो कवल ा-भ इस आप ीकार हम आपक सतान ह हम

आशीवाद द तथा गलतयो एव कमयो क लए मा कर तथा परा करन क श दान कर

ॐ अयमा न ताम इद तलोदक त धा नमः ॐ मोमा अमत गमय

पतरो म अयमा ह अयमा पतरो क दव ह अयमा को णाम ह पता पतामह और पतामह ह माता मातामह और मातामह आपको भी बारबार णाम आप हम म स अमत क ओर ल चल

ह अ हमार सनातन य को सप करन वाल पतरो न जस दहात होन पर ऐय वाल ग को ा िकया ह वस ही यो म इन ऋचाओ का पाठ करत ए और

सम साधनो स य करत ए हम भी उसी ऐयवान ग को ा कर- यजवद तपण उपरात क ियाए ह- एक पडदान और दसरी ाण भोजन ाण क मख

स दवता ह को तथा पतर क को खात ह पतर रण मा स ही ा दश म आत ह तथा भोजनािद ा कर त होत ह एकाधक प हो और व अलग-अलग

रहत हो तो उन सभी को ा करना चािहए ाण भोजन क साथ पचबल कम भी होता ह जसका वशष मह ह

शाो म पाच तरह क बल बताई गई ह जसका ा म वशष मह ह1 गौ बल2 ान बल3 काक बल4 दवािद बल 5 पपीलका बल

यहा बल स ताय िकसी पश या पी क हा स नही ह ब ा क िदन जो भोजन बनाया जाता ह उसम स इनको भी खलाना चािहए इस ही बल कहा जाता ह

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तपण (ा) कम क सरल वधतपण (ा) अनयायी सभी िह धमाव ली उ ा पवजो क त सी ा

का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ारविदक-पौराणकतथभापद श प क पणमा स सवपत अमावा अथात आन क प अमावा तकअनाना-कम म पक ए चावल दध औरतल को मत करक जो प बनात ह प का अथ ह शरीर यह एक पारपरक वास ह िक हर पीढ़ी क भीतर मातकल तथा पतकल

दोनो म पहल क पीिढ़यो क समत गणस उपत होत ह यह तीकाक अनान जन जन लोगो क गणस (जी) ा करन वाल क अपनी दह म ह

उनक त क लए होता ह

अ जानकारी पराण क अनसार ा क परभाषा- जो कछ उचत काल पा एव ान क अनसार उचत (शाानमोिदत) वध ारा पतरो को ल करक

ापवक ाणो को िदया जाता ह ा कहलाता ह

ा पवजो क त सी ा का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ा सार म आवाहन पजन नमार क उपरा तपण िकया जाता ह जल म दध जौ चावल चन डाल कर तपण काय म य करत ह मल सक तो गगा जल भी डाल दना चािहए त क

लए तपण िकया जाता ह ग आाओ क त िकसी पदाथ स खान-पहनन आिद क व स नही होती ोिक ल शरीर क लए ही भौतक उपकरणो क

आवकता पड़ती ह मरन क बाद ल शरीर समा होकर कवल स शरीर ही रह जाता ह स शरीर को भख-ास सद-गम आिद क आवकता नही रहती

उसक त का वषय कोई खा पदाथ या हाड़-मास वाल शरीर क लए उपय उपकरण नही हो सकत स शरीर म वचारणा चतना और भावना क धानता

रहती ह इसलए उसम उ भावनाओ स बना अःकरण या वातावरण ही शादायक होता ह

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दशा एव रणा इस ससार म ल शरीर वाल को जस कार इय भोग वासना ता एव अहकार क पत म सख मलता ह उसी कार पतरो का स शरीर

शभ कम स उ सग का रसाादन करत ए त का अनभव करता ह उसक सता तथा आकाा का क ब ा ह ा भर वातावरण क सा म पतर अपनी अशा खोकर आन का अनभव करत ह ा ही इनक भख ह इसी स

उ त होती ह इसलए पतरो क सता क लए ा एव तपण िकय जात ह इन ियाओ का वध-वधान इतना सरल एव इतन कम खच का ह िक नधन स नधन

भी उस आसानी स स कर सकता ह तपण म धानतया जल का ही योग होता ह उस थोड़ा सगधत एव परप बनान क लए जौ तल चावल दध फल

जसी दो-चार मागलक वए डाली जाती ह कशाओ क सहार जौ क छोटी-सी अजल मोारपवक डालन मा स पतर त हो जात ह िक इस िया क साथ आवक ा कतता सावना म शभकामना का समय अव होना

चािहए यिद ाल इन भावनाओ क साथ क गयी ह तो तपण का उ परा हो जायगा पतरो को आवक त मलगी िक यिद इस कार क कोई ा

भावना तपण करन वाल क मन म नही होती और कवल लकर पीटन क मा पानी इधर-उधर फलाया जाता ह तो इतन भर स कोई वशष योजन पण न होगा इसलए

इन पत-कम क करन वाल यह ान रख िक इन छोट-छोट िया-को को करन क साथ-साथ िदवगत आाओ क उपकारो का रण कर उनक सणो तथा सम क

त ा कर

कतता तथा सान क भावना उनक त रख और यह अनभव कर िक यह जलाजल जस अिकचन उपकरणो क साथ अपनी ा क अभ करत ए

गीय आाओ क चरणो पर अपनी सावना क प चढ़ा रहा इस कार क भावनाए जतनी ही बल होगी पतरो को उतनी ही अधक त मलगी जस पतर

का गवास आ ह उसक िकय ए उपकारो क त कतता करना उसक अधर छोड़ ए पारवारक एव सामाजक उरदाय को परा करन म तर होना तथा अपन एव वातावरण को मगलमय ढाच म ढालना मरणोर सार का

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धान योजन ह गह श सतक नव का उ भी इसी क नम क जाती ह िक तपण म कवल इी एक पतर क लए नही पव काल म गजर ए अपन

परवार माता क परवार दादी क परवार क तीन-तीन पीढ़ी क पतरो क त का भी आयोजन िकया जाता ह इतना ही नही इस पी पर अवतरत ए सभी महान पषो

क आा क त इस अवसर पर ा करत ए अपनी सावना क ारा त करन का य िकया जाता ह तपण को छः भागो म वभ िकया गया ह-

दव-तपणऋष-तपणिद-मानव-तपणिद-पत-तपणयम-तपणमन-पत-तपणा सार करत ाल

(१) दव तपणम

दव शया ईर क व महान वभतया ह जो मानव-काण म सदा नःाथ भाव स यतनरत ह जल वाय सय

अ च वत तथा अवतारी ईर अगो क म आाए एव वा ब श तभा कणा दया सता

पवता जसी सवया सभी दव शयो म आती ह यप य िदखाई नही दती तो भी इनक अन उपकार ह यिद इनका लाभ न मल

तो मन क लए जीवत रह सकना भी सव न हो इनक त कतता क भावना करन क लए यह दव-तपण िकया जाता ह यजमान दोनो हाथो क अनामका

अगलयो म पवी धारण करॐ आग महाभागाः वदवा महाबलाः य तपणऽ विहताः सावधाना भव त

जल म चावल डाल कश-मोटक सीध ही ल योपवीत स (बाय क पर)

दव तपण

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सामा त म रख तपण क समय अज ल म जल भरकर सभी अगलयो क अ भाग क सहार अपत कर इस दवतीथ मा कहत ह क दवश क लए एक-एक अज ल जल डाल पवाभमख होकर दत चलॐ ादयो दवाः आग ग एतान जलालीन

ॐ तताम ॐ वतामॐ ताम

ॐ जापतततामॐ दवाताम

ॐ छास त ाम ॐ वदााम ॐ ऋषयाम

ॐ पराणाचाया ाम ॐ गवा ाम

ॐ इतराचाया ाम ॐ सवरः सावयवाम

ॐ दाम ॐ अरसामॐ दवानगााम

ॐ नागाामॐ सागरााम ॐ पवता ामॐ सरताम ॐ मनाामॐ यााम

ॐ रास त ामॐ पशाचााम

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ॐ सपणा ामॐ भतान त ाम ॐ पशवाम

ॐ वनतयाम ॐ ओषधयाम

ॐ भतामः चतवध ाम

(२) ऋष तपण

दसरा तपण ऋषयो क लए ह ास वस याव काायन अ जमद गौतम वाम नारद चरक

सत पाणनी दधीच आिद ऋषयो क त ा क अभ ऋष तपण ारा क जाती ह ऋषयो को भी

दवताओ क तरह दवतीथ स एक-एक अजल जल िदया जाता हनारद मन

ॐ मरीािद दशऋषयः आग ग एताजलालीन ॐ मरीचाताम ॐ अताम

ॐ अगराः तताम ॐ पलताम ॐ वसताम ॐ तताम

ॐ वसताम ॐ चताताम ॐ भगताम ॐ नारदताम

(३)द-मन तपण

तीसरा तपण िद मानवो क लए ह जो पण प स सम जीवन को लोक काण

ऋष तपण

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क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

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ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

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ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

euqampfir`ampriZk

19

अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

20

अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

21

इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

22

इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

23

त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

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त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

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नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

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ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

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पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 5: Pitra Paksh Pitra Dosh

पत प म ा का मह ो ा श ा स बना ह जो ा का थम अनवाय त ह अथात पतरो क त

ा तो होनी ही चािहए भापद क पणमा प क तपदा तथ स अमावा तक का समय ा या महालय प कहलाता ह इस अवध क 16 िदन पतरो अथात

ा कम क लए वशष प स नधा रत िकए गए ह यही अवध पत प क नाम स जानी जाती ह

विदक परपरा क अनसार ववत पराण म यह नदश ह िक इस ससार म आकर जो सह पतप क दौरान

अपन पतरो को ापवक उनक िदवगत तथक िदन तपण

पडदान तलाजल और ाणो को भोजन करात

ह उनको इस जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होत ह व उ

श कम क कारण अपनी आा क भीतर एक तज और काश स आलोिकत होत ह म क उपरात भी ा करन वाल सदगह को गलोक वलोक और लोक क ा होती ह

भारतीय विदक वागमय क अनसार क मन को इस धरती पर जीवन लन क पात तीन कार क ऋण होत ह पहला दव ऋण दसरा ऋष ऋण और तीसरा पत ऋण पत प क ा यानी 16 ा साल क ऐस सनहर िदन ह जनम हम उपरो

तीनो ऋणो स म हो सकत ह ा िया म शामल होकर

महाभारत क सग क अनसार म क उपरात कण को चग न मो दन स

3

इनकार कर िदया था कण न कहा िक मन तो अपनी सारी सदा सदव दान-प म ही समपत क ह िफर मर उपर यह कसा ऋण बचा आ ह चग न जवाब िदया िक राजन आपन दव ऋण और ऋष ऋण तो चका िदया ह लिकन आपक उपर अभी

पत ऋण बाक ह जब तक आप इस ऋण स म नही होग तब तक आपको मो मलना किठन होगा इसक उपरात धमराज न कण को यह वा दी िक आप 16

िदन क लए पनः पी पर जाइए और अपन ात और अात पतरो का ा तपण तथा पड दान वधवत करक आइए तभी आपको मो यानी ग लोक क ा

होगी

जो लोग दान ा तपण आिद नही करत माता-पता और बड बजग का आदर सार नही करत पतगण उनस हमशा नाराज रहत ह उनक नाराजगी आग चलकर

पतदोष का अभशाप बन जाती ह पतदोष म माता-पता क साथ साधारण मनमटाव स लकर उनपर हाथ उठाकर आमण करना या उनका मानसक और शारीरक प स पीिड़त करना जस धान कारण होत ह इसक कारण ही व या उनक परवार क अगली पीढी क अ सद अपन जीचन म रोगी दखी और मानसक क स पीिड़त रहत ह व नःसतान भी हो सकत ह

पत प म िकए गए काय स पवजो क आा को शात ा होती ह तथा कता को पत ऋण स म मलती ह आा क अमरता का सात तो य भगवान ी

क गीता म उपदशत करत ह आा जब तक अपन परम-आा स सयोग नही कर लती तब तक वभ योनयो म भटकती रहती ह और इस दौरान उस ा कम म

सत मलती ह

अपन पवजो क त ह वनता आदर व ा भाव स ही िकया जान वाला कम ही ा ह यह पत ऋण स म पान का सरल उपाय भी ह इस पतय भी कहा गया ह हर साल भापद पणमा स आन माह क अमावा तक क यह सोलह िदन ाकम क होत ह िक गया ा सह िदन का होता ह जो भापद पणमा स लकर अन मास क श प तपदा तक चलता ह |

4

पत प सोलह िदन क समयावध होती ह जसम सनातन धमाल ाी िह जन अपन पवजो को भोजन अपण कर उ धाजल दत ह

दणी भारतीय अमात पा क अनसार पत प भापद क च मास म पड़ता ह और पण चमा क िदन या पण चमा क एक िदन बाद ार होता ह

उरी भारतीय पणमात पा क अनसार पत प अन क च मास म पड़ता ह और भापद म पण चमा क िदन या पण चमा क अगल िदन ार होता ह

यह च मास क सफ एक नामावली ह जो इस अलग-अलग करती ह पर उरी और दणी भारतीय लोग ा क वध समान िदन ही करत ह

पत प का अम िदन सवप अमावा या महालय अमावा क नाम स जाना जाता ह पत प म महालय अमावा सबस म िदन होता

महष पाराशर क अनसार दश काल तथा पा म हवाद वध स जो कम यव (तल) व दभ (कशा) क साथ मोार क साथ ापवक िकया जाता ह वह ा होता ह

भारतीय सत व सनातन धम म पत ऋण स म होन क लए अपन माता-पता व परवार क मतको क नयमत ा करन क अनवायता तपािदत क गई ह ा

कम को पतकम भी कहा गया ह व पतकम स ताय पतपजा भी ह

भापद क पणमा स लकर अमावा तक ऊपर क र तथा र क साथ पताण पी पर ा रहता ह ा क मलभत परभाषा यह ह िक त और पर क नम उनक आा क त क लए ा पवक जो अपत िकया जाए वह ा ह म क बाद दशगा और षोडशी-सपन तक मत क त सा रहती ह

सपन क बाद वह पतरो म सलत हो जाता ह

पतप भर म जो तपण िकया जाता ह उसस वह पताण य आापत होता ह प या उसक नाम स उसका परवार जो यव तथा चावल का प दता ह उसम स रत

5

का अश लकर वह चलोक म अाण का ऋण चका दता ह

भापद क पणमा स वह च ऊपर क ओर होन लगता ह 16 िदन अपना-अपना भाग लकर श प क तपदा स उसी र क साथ रवाना हो जाता ह इसलए

इसको पतप कहत ह और इसी प म ा करन स वह परो को ा होता ह

शाो का नदशानसार ह िक माता-पता आिद क नम उनक नाम और गो का उारण कर मो ारा जो अ आिद अपत िकया जाता ह वह उनको ा हो जाता

ह यिद अपन कम क अनसार उनको दव योन ा होती ह तो वह अमत प म उनको ा होता ह उ गव लोक ा होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य प म पय प म दानव योन म मास क प म त योन म धर क प म और मन योन म अ आिद क प म उपल होता ह

जब पर यह सनत ह िक ा काल उपत हो गया ह तो व एक-दसर का रण करत ए मनोनय प स ा ल पर उपत हो जात ह और ाणो क साथ वाय

प म भोजन करत ह यह भी कहा गया ह िक जब सय का राश म आत ह तब पर अपन प-पौो क यहा आत ह

वशषतः आन-अमावा क िदन व दरवाज पर आकर बठ जात ह यिद उस िदन उनका ा नही िकया जाता तब व ाप दकर लौट जात ह अतः उस िदन प-प-

फल और जल-तपण स यथाश उनको त करना चािहए आन क अमावा को सव पतवजसनी अमावा कहत ह जो पतप क पह िदनो

तक ा तपण आिद नही कहत ह व अमावा को ही अपन पत क नम ाािद सप करत ह जन पत क तथ याद नही हो उनक नम ा तपण दान आिद

इसी अमावा को िकया जाता ह

अमावा क िदन सभी पत का वसजन होता ह अमावा क िदन पत अपन पािद क ार पर पदान एव ाािद क आशा म जात ह यिद वहा उ पदान या

तलाल आिद नही मलती ह तो व शाप दकर चल जात ह अतः ा का पराग नही करना चािहए

6

ा का अधकार िकसा करन क लए मनत और ववत जस शाो म यही बताया गया ह िक

िदवगत पतरो क परवार म या तो प या कन प और अगर प न हो तो धवता (नाती) भतीजा भाजा या श ही तलाजल और पडदान दन क पा होत

ह कई ऐस पतर भी होत ह जनक प सतान नही होती ह या िफर जो सतानहीन होत ह ऐस पतरो क त आदर पवक अगर उनक भाई-भतीज भाज या अ चाचा-

ताऊ क परवार क पष सद पतप म ापवक त रखकर पडदान अदान और वदान करक ाणो स वधपवक ा करात ह तो पीिड़त आा को मो

मलता ह

मिहलाए भी ा कर सकती ह या नही आजकल इस को भी उठाया जा रहा ह विदक परपरा क अनसार मिहलाए य अनान सक और त आिद तो रख सकती

ह ा का परा आयोजन और खच कर सकती ह लिकन ा क वध को य नही कर सकती ह वधवा ी अगर सतानहीन हो तो अपन पत क नाम ा का सक

रखकर ाण या परोिहत परवार क पष सद स ही पडदान आिद का वधान परा करवा सकती ह इसी कार जन पतरो क काए ही वश परपरा म ह तो उ पतरो

क नाम त रखकर उसक दामाद या धवत नाती आिद ाहमण को बलाकर ाकम क नव करा सकत ह साध-सो क शगण या श वशष ा कर सकत

7

पतप म वजत ो ह शभकाय

वस यह परा १६ िदन पतरो क क नाम सरत रहता ह शभ काय ना करन क पीछ यह कारण हो सकता ह िक हम पतरो क त स दखी होकर या उनक

जान क दख म उनक आा क शा क लए कोई अ उव और मगलकाय काय नही कर लिकन आज क समय क लहाज स कछ

शभ काय वजत नही ह अगर बत आवक हो तो शभ काय िकए जा सकत ह

जनम पजा पाठ निहत नही हो खरीदारी भी क जा

सकती ह ऐसा नही ह िक शभ काय करन स उनका फल भावत होगा यह

कवल हमारा अपन पतरो क त सान होता ह िक हम 16 िदन तक घर म कोई मागलक आयोजन नही कर अगर बना इदव क पजा रिहत कोई मागलक

आयोजन िकया भी जाए तो उसका कोई बरा भाव भी नही होता ह जो लोग अपन घर म पतरो का परी ा स पजन करत ह त वष ा करत ह तपण

करत ह उनक साथ पतरो का आशीवाद भी बना होता ह उनका कोई काम गलत नही होता उी लोगो क साथ कोई बरी घटना या अशभ होता ह जो ा

नही करत या उनक जीतजी अपन जीवन म पतरो को ठीक स सत नही करत उनक त ाहीन होकर उनका ा नही करत तपण नही करत या उनस

नफरत करत ह

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य शाीय सगत त ह क पत प म दवताओ क पजन या दवताओ क स करन पव अपन पतरो को स िकया जाय जो अधक काणद और सखकारी ह

ा प का िह धम ( सनातन धमाव लयो) क लए बड़ा मह िदन रहता ह ाचीन सनातन धम क अनसार हमार पवज दवत ह और इस धरा पर हमन जीवन

ा िकया ह और जस कार उोन हमारा लालन-पालन कर हम कताथ िकया ह उसस हम उनक ऋणी ह समपण और कतता क इसी भावना स ा प रत ह जो जातक को पतर ऋण स म माग िदखाता ह

भापद क पणमा स आन क अमावा तक सोलह िदनो तक का समय सोलह ा या ा पकहलाता ह शाो म दवकाय स पव पत काय करन का नदश

िदया गया ह ा स कवल पत ही त नही होत अपत सम दवी दवता स लकर वनतया तक त होती ह

गड़ पराण क अनसार पतर ऋण म माग रखा

कदव कवत समय ा कल क सीदत

आयः पान यशः ग कत प बल यम

पशन सौ धन धा ायात पतपजनात

दवकायादप सदा पतकाय वशत

दवताः पतणा िह पवमाायन शभम

अथात समयानसार ा करन स कल म कोई दखी नही रहता पतरो क पजा करक मन आय प यश ग कत प बल ी पश सख और धन-धा ा

करता ह दवकाय स भी पतकाय का वशष मह ह दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी और सखकारी ह

शाो म दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी कहा गया ह यही कारण ह िक दवपजन स पव पतर पजन िकए जान का वधान ह

दवताओ स पव पतपजन का वशष मह

9

पततपण और ा व सक ा करन वाल का सासारक जीवन सखमय बनता ह तथा मो क भी ा होती ह

ऐसी माता ह िक ा न करन स पत धा स होकर अपन सग-सबधयो को क और शाप दत ह अपन कम क अनसार जीव अलग-अलग योनयो म भोग

भोगत ह जहा मो ारा सकत ह-क को पतर ा कर लत ह

पतरो क लए ा स िकए गए म कम को ा कहत ह तथा त करन क िया और दवताओ ऋषयो या पतरो को तडल या तल मत जल अपत करन क िया

को तपण कहत ह तपण करना ही पडदान करना ह

तपण करन क पव सक अत आवक ह |बना सक क िकए गए दव काय या पत काय सवथा थ ही ह सक इस कार िकया जाता ह यथा-

ॐ ववव ॐ नम परमान ी पराण पषोम ी वोराया वतमाना ी णो ितीय पराध ी त वराह क ववत

मरअावशततम कलयग कल थम चरण जीप भारतवष भरत ख आयावागत ावतक दश पदश (यद वदश म कही हो तो रखािकत क

ान पर उस दश शहर ाम का नाम बोल)

वतमान पराभव नाम सवर दणायन अमक ऋतौ (ऋत का नाम) महामागद मासानाम मासोम अमक मास (महीन का नाम) अमक प (श या क प का नाम) अमक तथौ (तथ का नाम) अमक वासर (वार का नाम) अमक न (न का नाम) अमक राश मत च (जस राश म च हो का नाम) अमक राश त सय (सय जस राश म त हो का नाम) अमक राश नत दवगरौ बहत (ग जस राश म त हो का नाम) अमक गौो (अपन गौ तथा य का नाम) अमक शमा वमा अह सम पत पतामहाना नाना गौाणा पतराना पासा नवपवक अय त सादनाथ ाण भोजनाक साकत ा पचबल कम च कर हाथ म जल लकर इतना कहकर जल छोड़ आमा यानी का भोजन दन क लए रखािकत क ान पर

10

इद अ भवदो नम कह

अपनी घर क भाषा म ही ाथना कर- ह पतगण मर पास ा क लए उपय अ-धन नही ह तो कवल ा-भ इस आप ीकार हम आपक सतान ह हम

आशीवाद द तथा गलतयो एव कमयो क लए मा कर तथा परा करन क श दान कर

ॐ अयमा न ताम इद तलोदक त धा नमः ॐ मोमा अमत गमय

पतरो म अयमा ह अयमा पतरो क दव ह अयमा को णाम ह पता पतामह और पतामह ह माता मातामह और मातामह आपको भी बारबार णाम आप हम म स अमत क ओर ल चल

ह अ हमार सनातन य को सप करन वाल पतरो न जस दहात होन पर ऐय वाल ग को ा िकया ह वस ही यो म इन ऋचाओ का पाठ करत ए और

सम साधनो स य करत ए हम भी उसी ऐयवान ग को ा कर- यजवद तपण उपरात क ियाए ह- एक पडदान और दसरी ाण भोजन ाण क मख

स दवता ह को तथा पतर क को खात ह पतर रण मा स ही ा दश म आत ह तथा भोजनािद ा कर त होत ह एकाधक प हो और व अलग-अलग

रहत हो तो उन सभी को ा करना चािहए ाण भोजन क साथ पचबल कम भी होता ह जसका वशष मह ह

शाो म पाच तरह क बल बताई गई ह जसका ा म वशष मह ह1 गौ बल2 ान बल3 काक बल4 दवािद बल 5 पपीलका बल

यहा बल स ताय िकसी पश या पी क हा स नही ह ब ा क िदन जो भोजन बनाया जाता ह उसम स इनको भी खलाना चािहए इस ही बल कहा जाता ह

11

तपण (ा) कम क सरल वधतपण (ा) अनयायी सभी िह धमाव ली उ ा पवजो क त सी ा

का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ारविदक-पौराणकतथभापद श प क पणमा स सवपत अमावा अथात आन क प अमावा तकअनाना-कम म पक ए चावल दध औरतल को मत करक जो प बनात ह प का अथ ह शरीर यह एक पारपरक वास ह िक हर पीढ़ी क भीतर मातकल तथा पतकल

दोनो म पहल क पीिढ़यो क समत गणस उपत होत ह यह तीकाक अनान जन जन लोगो क गणस (जी) ा करन वाल क अपनी दह म ह

उनक त क लए होता ह

अ जानकारी पराण क अनसार ा क परभाषा- जो कछ उचत काल पा एव ान क अनसार उचत (शाानमोिदत) वध ारा पतरो को ल करक

ापवक ाणो को िदया जाता ह ा कहलाता ह

ा पवजो क त सी ा का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ा सार म आवाहन पजन नमार क उपरा तपण िकया जाता ह जल म दध जौ चावल चन डाल कर तपण काय म य करत ह मल सक तो गगा जल भी डाल दना चािहए त क

लए तपण िकया जाता ह ग आाओ क त िकसी पदाथ स खान-पहनन आिद क व स नही होती ोिक ल शरीर क लए ही भौतक उपकरणो क

आवकता पड़ती ह मरन क बाद ल शरीर समा होकर कवल स शरीर ही रह जाता ह स शरीर को भख-ास सद-गम आिद क आवकता नही रहती

उसक त का वषय कोई खा पदाथ या हाड़-मास वाल शरीर क लए उपय उपकरण नही हो सकत स शरीर म वचारणा चतना और भावना क धानता

रहती ह इसलए उसम उ भावनाओ स बना अःकरण या वातावरण ही शादायक होता ह

12

दशा एव रणा इस ससार म ल शरीर वाल को जस कार इय भोग वासना ता एव अहकार क पत म सख मलता ह उसी कार पतरो का स शरीर

शभ कम स उ सग का रसाादन करत ए त का अनभव करता ह उसक सता तथा आकाा का क ब ा ह ा भर वातावरण क सा म पतर अपनी अशा खोकर आन का अनभव करत ह ा ही इनक भख ह इसी स

उ त होती ह इसलए पतरो क सता क लए ा एव तपण िकय जात ह इन ियाओ का वध-वधान इतना सरल एव इतन कम खच का ह िक नधन स नधन

भी उस आसानी स स कर सकता ह तपण म धानतया जल का ही योग होता ह उस थोड़ा सगधत एव परप बनान क लए जौ तल चावल दध फल

जसी दो-चार मागलक वए डाली जाती ह कशाओ क सहार जौ क छोटी-सी अजल मोारपवक डालन मा स पतर त हो जात ह िक इस िया क साथ आवक ा कतता सावना म शभकामना का समय अव होना

चािहए यिद ाल इन भावनाओ क साथ क गयी ह तो तपण का उ परा हो जायगा पतरो को आवक त मलगी िक यिद इस कार क कोई ा

भावना तपण करन वाल क मन म नही होती और कवल लकर पीटन क मा पानी इधर-उधर फलाया जाता ह तो इतन भर स कोई वशष योजन पण न होगा इसलए

इन पत-कम क करन वाल यह ान रख िक इन छोट-छोट िया-को को करन क साथ-साथ िदवगत आाओ क उपकारो का रण कर उनक सणो तथा सम क

त ा कर

कतता तथा सान क भावना उनक त रख और यह अनभव कर िक यह जलाजल जस अिकचन उपकरणो क साथ अपनी ा क अभ करत ए

गीय आाओ क चरणो पर अपनी सावना क प चढ़ा रहा इस कार क भावनाए जतनी ही बल होगी पतरो को उतनी ही अधक त मलगी जस पतर

का गवास आ ह उसक िकय ए उपकारो क त कतता करना उसक अधर छोड़ ए पारवारक एव सामाजक उरदाय को परा करन म तर होना तथा अपन एव वातावरण को मगलमय ढाच म ढालना मरणोर सार का

13

धान योजन ह गह श सतक नव का उ भी इसी क नम क जाती ह िक तपण म कवल इी एक पतर क लए नही पव काल म गजर ए अपन

परवार माता क परवार दादी क परवार क तीन-तीन पीढ़ी क पतरो क त का भी आयोजन िकया जाता ह इतना ही नही इस पी पर अवतरत ए सभी महान पषो

क आा क त इस अवसर पर ा करत ए अपनी सावना क ारा त करन का य िकया जाता ह तपण को छः भागो म वभ िकया गया ह-

दव-तपणऋष-तपणिद-मानव-तपणिद-पत-तपणयम-तपणमन-पत-तपणा सार करत ाल

(१) दव तपणम

दव शया ईर क व महान वभतया ह जो मानव-काण म सदा नःाथ भाव स यतनरत ह जल वाय सय

अ च वत तथा अवतारी ईर अगो क म आाए एव वा ब श तभा कणा दया सता

पवता जसी सवया सभी दव शयो म आती ह यप य िदखाई नही दती तो भी इनक अन उपकार ह यिद इनका लाभ न मल

तो मन क लए जीवत रह सकना भी सव न हो इनक त कतता क भावना करन क लए यह दव-तपण िकया जाता ह यजमान दोनो हाथो क अनामका

अगलयो म पवी धारण करॐ आग महाभागाः वदवा महाबलाः य तपणऽ विहताः सावधाना भव त

जल म चावल डाल कश-मोटक सीध ही ल योपवीत स (बाय क पर)

दव तपण

14

सामा त म रख तपण क समय अज ल म जल भरकर सभी अगलयो क अ भाग क सहार अपत कर इस दवतीथ मा कहत ह क दवश क लए एक-एक अज ल जल डाल पवाभमख होकर दत चलॐ ादयो दवाः आग ग एतान जलालीन

ॐ तताम ॐ वतामॐ ताम

ॐ जापतततामॐ दवाताम

ॐ छास त ाम ॐ वदााम ॐ ऋषयाम

ॐ पराणाचाया ाम ॐ गवा ाम

ॐ इतराचाया ाम ॐ सवरः सावयवाम

ॐ दाम ॐ अरसामॐ दवानगााम

ॐ नागाामॐ सागरााम ॐ पवता ामॐ सरताम ॐ मनाामॐ यााम

ॐ रास त ामॐ पशाचााम

15

ॐ सपणा ामॐ भतान त ाम ॐ पशवाम

ॐ वनतयाम ॐ ओषधयाम

ॐ भतामः चतवध ाम

(२) ऋष तपण

दसरा तपण ऋषयो क लए ह ास वस याव काायन अ जमद गौतम वाम नारद चरक

सत पाणनी दधीच आिद ऋषयो क त ा क अभ ऋष तपण ारा क जाती ह ऋषयो को भी

दवताओ क तरह दवतीथ स एक-एक अजल जल िदया जाता हनारद मन

ॐ मरीािद दशऋषयः आग ग एताजलालीन ॐ मरीचाताम ॐ अताम

ॐ अगराः तताम ॐ पलताम ॐ वसताम ॐ तताम

ॐ वसताम ॐ चताताम ॐ भगताम ॐ नारदताम

(३)द-मन तपण

तीसरा तपण िद मानवो क लए ह जो पण प स सम जीवन को लोक काण

ऋष तपण

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क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

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ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

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ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

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अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

20

अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

31

त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

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इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

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आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

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पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 6: Pitra Paksh Pitra Dosh

इनकार कर िदया था कण न कहा िक मन तो अपनी सारी सदा सदव दान-प म ही समपत क ह िफर मर उपर यह कसा ऋण बचा आ ह चग न जवाब िदया िक राजन आपन दव ऋण और ऋष ऋण तो चका िदया ह लिकन आपक उपर अभी

पत ऋण बाक ह जब तक आप इस ऋण स म नही होग तब तक आपको मो मलना किठन होगा इसक उपरात धमराज न कण को यह वा दी िक आप 16

िदन क लए पनः पी पर जाइए और अपन ात और अात पतरो का ा तपण तथा पड दान वधवत करक आइए तभी आपको मो यानी ग लोक क ा

होगी

जो लोग दान ा तपण आिद नही करत माता-पता और बड बजग का आदर सार नही करत पतगण उनस हमशा नाराज रहत ह उनक नाराजगी आग चलकर

पतदोष का अभशाप बन जाती ह पतदोष म माता-पता क साथ साधारण मनमटाव स लकर उनपर हाथ उठाकर आमण करना या उनका मानसक और शारीरक प स पीिड़त करना जस धान कारण होत ह इसक कारण ही व या उनक परवार क अगली पीढी क अ सद अपन जीचन म रोगी दखी और मानसक क स पीिड़त रहत ह व नःसतान भी हो सकत ह

पत प म िकए गए काय स पवजो क आा को शात ा होती ह तथा कता को पत ऋण स म मलती ह आा क अमरता का सात तो य भगवान ी

क गीता म उपदशत करत ह आा जब तक अपन परम-आा स सयोग नही कर लती तब तक वभ योनयो म भटकती रहती ह और इस दौरान उस ा कम म

सत मलती ह

अपन पवजो क त ह वनता आदर व ा भाव स ही िकया जान वाला कम ही ा ह यह पत ऋण स म पान का सरल उपाय भी ह इस पतय भी कहा गया ह हर साल भापद पणमा स आन माह क अमावा तक क यह सोलह िदन ाकम क होत ह िक गया ा सह िदन का होता ह जो भापद पणमा स लकर अन मास क श प तपदा तक चलता ह |

4

पत प सोलह िदन क समयावध होती ह जसम सनातन धमाल ाी िह जन अपन पवजो को भोजन अपण कर उ धाजल दत ह

दणी भारतीय अमात पा क अनसार पत प भापद क च मास म पड़ता ह और पण चमा क िदन या पण चमा क एक िदन बाद ार होता ह

उरी भारतीय पणमात पा क अनसार पत प अन क च मास म पड़ता ह और भापद म पण चमा क िदन या पण चमा क अगल िदन ार होता ह

यह च मास क सफ एक नामावली ह जो इस अलग-अलग करती ह पर उरी और दणी भारतीय लोग ा क वध समान िदन ही करत ह

पत प का अम िदन सवप अमावा या महालय अमावा क नाम स जाना जाता ह पत प म महालय अमावा सबस म िदन होता

महष पाराशर क अनसार दश काल तथा पा म हवाद वध स जो कम यव (तल) व दभ (कशा) क साथ मोार क साथ ापवक िकया जाता ह वह ा होता ह

भारतीय सत व सनातन धम म पत ऋण स म होन क लए अपन माता-पता व परवार क मतको क नयमत ा करन क अनवायता तपािदत क गई ह ा

कम को पतकम भी कहा गया ह व पतकम स ताय पतपजा भी ह

भापद क पणमा स लकर अमावा तक ऊपर क र तथा र क साथ पताण पी पर ा रहता ह ा क मलभत परभाषा यह ह िक त और पर क नम उनक आा क त क लए ा पवक जो अपत िकया जाए वह ा ह म क बाद दशगा और षोडशी-सपन तक मत क त सा रहती ह

सपन क बाद वह पतरो म सलत हो जाता ह

पतप भर म जो तपण िकया जाता ह उसस वह पताण य आापत होता ह प या उसक नाम स उसका परवार जो यव तथा चावल का प दता ह उसम स रत

5

का अश लकर वह चलोक म अाण का ऋण चका दता ह

भापद क पणमा स वह च ऊपर क ओर होन लगता ह 16 िदन अपना-अपना भाग लकर श प क तपदा स उसी र क साथ रवाना हो जाता ह इसलए

इसको पतप कहत ह और इसी प म ा करन स वह परो को ा होता ह

शाो का नदशानसार ह िक माता-पता आिद क नम उनक नाम और गो का उारण कर मो ारा जो अ आिद अपत िकया जाता ह वह उनको ा हो जाता

ह यिद अपन कम क अनसार उनको दव योन ा होती ह तो वह अमत प म उनको ा होता ह उ गव लोक ा होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य प म पय प म दानव योन म मास क प म त योन म धर क प म और मन योन म अ आिद क प म उपल होता ह

जब पर यह सनत ह िक ा काल उपत हो गया ह तो व एक-दसर का रण करत ए मनोनय प स ा ल पर उपत हो जात ह और ाणो क साथ वाय

प म भोजन करत ह यह भी कहा गया ह िक जब सय का राश म आत ह तब पर अपन प-पौो क यहा आत ह

वशषतः आन-अमावा क िदन व दरवाज पर आकर बठ जात ह यिद उस िदन उनका ा नही िकया जाता तब व ाप दकर लौट जात ह अतः उस िदन प-प-

फल और जल-तपण स यथाश उनको त करना चािहए आन क अमावा को सव पतवजसनी अमावा कहत ह जो पतप क पह िदनो

तक ा तपण आिद नही कहत ह व अमावा को ही अपन पत क नम ाािद सप करत ह जन पत क तथ याद नही हो उनक नम ा तपण दान आिद

इसी अमावा को िकया जाता ह

अमावा क िदन सभी पत का वसजन होता ह अमावा क िदन पत अपन पािद क ार पर पदान एव ाािद क आशा म जात ह यिद वहा उ पदान या

तलाल आिद नही मलती ह तो व शाप दकर चल जात ह अतः ा का पराग नही करना चािहए

6

ा का अधकार िकसा करन क लए मनत और ववत जस शाो म यही बताया गया ह िक

िदवगत पतरो क परवार म या तो प या कन प और अगर प न हो तो धवता (नाती) भतीजा भाजा या श ही तलाजल और पडदान दन क पा होत

ह कई ऐस पतर भी होत ह जनक प सतान नही होती ह या िफर जो सतानहीन होत ह ऐस पतरो क त आदर पवक अगर उनक भाई-भतीज भाज या अ चाचा-

ताऊ क परवार क पष सद पतप म ापवक त रखकर पडदान अदान और वदान करक ाणो स वधपवक ा करात ह तो पीिड़त आा को मो

मलता ह

मिहलाए भी ा कर सकती ह या नही आजकल इस को भी उठाया जा रहा ह विदक परपरा क अनसार मिहलाए य अनान सक और त आिद तो रख सकती

ह ा का परा आयोजन और खच कर सकती ह लिकन ा क वध को य नही कर सकती ह वधवा ी अगर सतानहीन हो तो अपन पत क नाम ा का सक

रखकर ाण या परोिहत परवार क पष सद स ही पडदान आिद का वधान परा करवा सकती ह इसी कार जन पतरो क काए ही वश परपरा म ह तो उ पतरो

क नाम त रखकर उसक दामाद या धवत नाती आिद ाहमण को बलाकर ाकम क नव करा सकत ह साध-सो क शगण या श वशष ा कर सकत

7

पतप म वजत ो ह शभकाय

वस यह परा १६ िदन पतरो क क नाम सरत रहता ह शभ काय ना करन क पीछ यह कारण हो सकता ह िक हम पतरो क त स दखी होकर या उनक

जान क दख म उनक आा क शा क लए कोई अ उव और मगलकाय काय नही कर लिकन आज क समय क लहाज स कछ

शभ काय वजत नही ह अगर बत आवक हो तो शभ काय िकए जा सकत ह

जनम पजा पाठ निहत नही हो खरीदारी भी क जा

सकती ह ऐसा नही ह िक शभ काय करन स उनका फल भावत होगा यह

कवल हमारा अपन पतरो क त सान होता ह िक हम 16 िदन तक घर म कोई मागलक आयोजन नही कर अगर बना इदव क पजा रिहत कोई मागलक

आयोजन िकया भी जाए तो उसका कोई बरा भाव भी नही होता ह जो लोग अपन घर म पतरो का परी ा स पजन करत ह त वष ा करत ह तपण

करत ह उनक साथ पतरो का आशीवाद भी बना होता ह उनका कोई काम गलत नही होता उी लोगो क साथ कोई बरी घटना या अशभ होता ह जो ा

नही करत या उनक जीतजी अपन जीवन म पतरो को ठीक स सत नही करत उनक त ाहीन होकर उनका ा नही करत तपण नही करत या उनस

नफरत करत ह

8

य शाीय सगत त ह क पत प म दवताओ क पजन या दवताओ क स करन पव अपन पतरो को स िकया जाय जो अधक काणद और सखकारी ह

ा प का िह धम ( सनातन धमाव लयो) क लए बड़ा मह िदन रहता ह ाचीन सनातन धम क अनसार हमार पवज दवत ह और इस धरा पर हमन जीवन

ा िकया ह और जस कार उोन हमारा लालन-पालन कर हम कताथ िकया ह उसस हम उनक ऋणी ह समपण और कतता क इसी भावना स ा प रत ह जो जातक को पतर ऋण स म माग िदखाता ह

भापद क पणमा स आन क अमावा तक सोलह िदनो तक का समय सोलह ा या ा पकहलाता ह शाो म दवकाय स पव पत काय करन का नदश

िदया गया ह ा स कवल पत ही त नही होत अपत सम दवी दवता स लकर वनतया तक त होती ह

गड़ पराण क अनसार पतर ऋण म माग रखा

कदव कवत समय ा कल क सीदत

आयः पान यशः ग कत प बल यम

पशन सौ धन धा ायात पतपजनात

दवकायादप सदा पतकाय वशत

दवताः पतणा िह पवमाायन शभम

अथात समयानसार ा करन स कल म कोई दखी नही रहता पतरो क पजा करक मन आय प यश ग कत प बल ी पश सख और धन-धा ा

करता ह दवकाय स भी पतकाय का वशष मह ह दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी और सखकारी ह

शाो म दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी कहा गया ह यही कारण ह िक दवपजन स पव पतर पजन िकए जान का वधान ह

दवताओ स पव पतपजन का वशष मह

9

पततपण और ा व सक ा करन वाल का सासारक जीवन सखमय बनता ह तथा मो क भी ा होती ह

ऐसी माता ह िक ा न करन स पत धा स होकर अपन सग-सबधयो को क और शाप दत ह अपन कम क अनसार जीव अलग-अलग योनयो म भोग

भोगत ह जहा मो ारा सकत ह-क को पतर ा कर लत ह

पतरो क लए ा स िकए गए म कम को ा कहत ह तथा त करन क िया और दवताओ ऋषयो या पतरो को तडल या तल मत जल अपत करन क िया

को तपण कहत ह तपण करना ही पडदान करना ह

तपण करन क पव सक अत आवक ह |बना सक क िकए गए दव काय या पत काय सवथा थ ही ह सक इस कार िकया जाता ह यथा-

ॐ ववव ॐ नम परमान ी पराण पषोम ी वोराया वतमाना ी णो ितीय पराध ी त वराह क ववत

मरअावशततम कलयग कल थम चरण जीप भारतवष भरत ख आयावागत ावतक दश पदश (यद वदश म कही हो तो रखािकत क

ान पर उस दश शहर ाम का नाम बोल)

वतमान पराभव नाम सवर दणायन अमक ऋतौ (ऋत का नाम) महामागद मासानाम मासोम अमक मास (महीन का नाम) अमक प (श या क प का नाम) अमक तथौ (तथ का नाम) अमक वासर (वार का नाम) अमक न (न का नाम) अमक राश मत च (जस राश म च हो का नाम) अमक राश त सय (सय जस राश म त हो का नाम) अमक राश नत दवगरौ बहत (ग जस राश म त हो का नाम) अमक गौो (अपन गौ तथा य का नाम) अमक शमा वमा अह सम पत पतामहाना नाना गौाणा पतराना पासा नवपवक अय त सादनाथ ाण भोजनाक साकत ा पचबल कम च कर हाथ म जल लकर इतना कहकर जल छोड़ आमा यानी का भोजन दन क लए रखािकत क ान पर

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इद अ भवदो नम कह

अपनी घर क भाषा म ही ाथना कर- ह पतगण मर पास ा क लए उपय अ-धन नही ह तो कवल ा-भ इस आप ीकार हम आपक सतान ह हम

आशीवाद द तथा गलतयो एव कमयो क लए मा कर तथा परा करन क श दान कर

ॐ अयमा न ताम इद तलोदक त धा नमः ॐ मोमा अमत गमय

पतरो म अयमा ह अयमा पतरो क दव ह अयमा को णाम ह पता पतामह और पतामह ह माता मातामह और मातामह आपको भी बारबार णाम आप हम म स अमत क ओर ल चल

ह अ हमार सनातन य को सप करन वाल पतरो न जस दहात होन पर ऐय वाल ग को ा िकया ह वस ही यो म इन ऋचाओ का पाठ करत ए और

सम साधनो स य करत ए हम भी उसी ऐयवान ग को ा कर- यजवद तपण उपरात क ियाए ह- एक पडदान और दसरी ाण भोजन ाण क मख

स दवता ह को तथा पतर क को खात ह पतर रण मा स ही ा दश म आत ह तथा भोजनािद ा कर त होत ह एकाधक प हो और व अलग-अलग

रहत हो तो उन सभी को ा करना चािहए ाण भोजन क साथ पचबल कम भी होता ह जसका वशष मह ह

शाो म पाच तरह क बल बताई गई ह जसका ा म वशष मह ह1 गौ बल2 ान बल3 काक बल4 दवािद बल 5 पपीलका बल

यहा बल स ताय िकसी पश या पी क हा स नही ह ब ा क िदन जो भोजन बनाया जाता ह उसम स इनको भी खलाना चािहए इस ही बल कहा जाता ह

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तपण (ा) कम क सरल वधतपण (ा) अनयायी सभी िह धमाव ली उ ा पवजो क त सी ा

का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ारविदक-पौराणकतथभापद श प क पणमा स सवपत अमावा अथात आन क प अमावा तकअनाना-कम म पक ए चावल दध औरतल को मत करक जो प बनात ह प का अथ ह शरीर यह एक पारपरक वास ह िक हर पीढ़ी क भीतर मातकल तथा पतकल

दोनो म पहल क पीिढ़यो क समत गणस उपत होत ह यह तीकाक अनान जन जन लोगो क गणस (जी) ा करन वाल क अपनी दह म ह

उनक त क लए होता ह

अ जानकारी पराण क अनसार ा क परभाषा- जो कछ उचत काल पा एव ान क अनसार उचत (शाानमोिदत) वध ारा पतरो को ल करक

ापवक ाणो को िदया जाता ह ा कहलाता ह

ा पवजो क त सी ा का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ा सार म आवाहन पजन नमार क उपरा तपण िकया जाता ह जल म दध जौ चावल चन डाल कर तपण काय म य करत ह मल सक तो गगा जल भी डाल दना चािहए त क

लए तपण िकया जाता ह ग आाओ क त िकसी पदाथ स खान-पहनन आिद क व स नही होती ोिक ल शरीर क लए ही भौतक उपकरणो क

आवकता पड़ती ह मरन क बाद ल शरीर समा होकर कवल स शरीर ही रह जाता ह स शरीर को भख-ास सद-गम आिद क आवकता नही रहती

उसक त का वषय कोई खा पदाथ या हाड़-मास वाल शरीर क लए उपय उपकरण नही हो सकत स शरीर म वचारणा चतना और भावना क धानता

रहती ह इसलए उसम उ भावनाओ स बना अःकरण या वातावरण ही शादायक होता ह

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दशा एव रणा इस ससार म ल शरीर वाल को जस कार इय भोग वासना ता एव अहकार क पत म सख मलता ह उसी कार पतरो का स शरीर

शभ कम स उ सग का रसाादन करत ए त का अनभव करता ह उसक सता तथा आकाा का क ब ा ह ा भर वातावरण क सा म पतर अपनी अशा खोकर आन का अनभव करत ह ा ही इनक भख ह इसी स

उ त होती ह इसलए पतरो क सता क लए ा एव तपण िकय जात ह इन ियाओ का वध-वधान इतना सरल एव इतन कम खच का ह िक नधन स नधन

भी उस आसानी स स कर सकता ह तपण म धानतया जल का ही योग होता ह उस थोड़ा सगधत एव परप बनान क लए जौ तल चावल दध फल

जसी दो-चार मागलक वए डाली जाती ह कशाओ क सहार जौ क छोटी-सी अजल मोारपवक डालन मा स पतर त हो जात ह िक इस िया क साथ आवक ा कतता सावना म शभकामना का समय अव होना

चािहए यिद ाल इन भावनाओ क साथ क गयी ह तो तपण का उ परा हो जायगा पतरो को आवक त मलगी िक यिद इस कार क कोई ा

भावना तपण करन वाल क मन म नही होती और कवल लकर पीटन क मा पानी इधर-उधर फलाया जाता ह तो इतन भर स कोई वशष योजन पण न होगा इसलए

इन पत-कम क करन वाल यह ान रख िक इन छोट-छोट िया-को को करन क साथ-साथ िदवगत आाओ क उपकारो का रण कर उनक सणो तथा सम क

त ा कर

कतता तथा सान क भावना उनक त रख और यह अनभव कर िक यह जलाजल जस अिकचन उपकरणो क साथ अपनी ा क अभ करत ए

गीय आाओ क चरणो पर अपनी सावना क प चढ़ा रहा इस कार क भावनाए जतनी ही बल होगी पतरो को उतनी ही अधक त मलगी जस पतर

का गवास आ ह उसक िकय ए उपकारो क त कतता करना उसक अधर छोड़ ए पारवारक एव सामाजक उरदाय को परा करन म तर होना तथा अपन एव वातावरण को मगलमय ढाच म ढालना मरणोर सार का

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धान योजन ह गह श सतक नव का उ भी इसी क नम क जाती ह िक तपण म कवल इी एक पतर क लए नही पव काल म गजर ए अपन

परवार माता क परवार दादी क परवार क तीन-तीन पीढ़ी क पतरो क त का भी आयोजन िकया जाता ह इतना ही नही इस पी पर अवतरत ए सभी महान पषो

क आा क त इस अवसर पर ा करत ए अपनी सावना क ारा त करन का य िकया जाता ह तपण को छः भागो म वभ िकया गया ह-

दव-तपणऋष-तपणिद-मानव-तपणिद-पत-तपणयम-तपणमन-पत-तपणा सार करत ाल

(१) दव तपणम

दव शया ईर क व महान वभतया ह जो मानव-काण म सदा नःाथ भाव स यतनरत ह जल वाय सय

अ च वत तथा अवतारी ईर अगो क म आाए एव वा ब श तभा कणा दया सता

पवता जसी सवया सभी दव शयो म आती ह यप य िदखाई नही दती तो भी इनक अन उपकार ह यिद इनका लाभ न मल

तो मन क लए जीवत रह सकना भी सव न हो इनक त कतता क भावना करन क लए यह दव-तपण िकया जाता ह यजमान दोनो हाथो क अनामका

अगलयो म पवी धारण करॐ आग महाभागाः वदवा महाबलाः य तपणऽ विहताः सावधाना भव त

जल म चावल डाल कश-मोटक सीध ही ल योपवीत स (बाय क पर)

दव तपण

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सामा त म रख तपण क समय अज ल म जल भरकर सभी अगलयो क अ भाग क सहार अपत कर इस दवतीथ मा कहत ह क दवश क लए एक-एक अज ल जल डाल पवाभमख होकर दत चलॐ ादयो दवाः आग ग एतान जलालीन

ॐ तताम ॐ वतामॐ ताम

ॐ जापतततामॐ दवाताम

ॐ छास त ाम ॐ वदााम ॐ ऋषयाम

ॐ पराणाचाया ाम ॐ गवा ाम

ॐ इतराचाया ाम ॐ सवरः सावयवाम

ॐ दाम ॐ अरसामॐ दवानगााम

ॐ नागाामॐ सागरााम ॐ पवता ामॐ सरताम ॐ मनाामॐ यााम

ॐ रास त ामॐ पशाचााम

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ॐ सपणा ामॐ भतान त ाम ॐ पशवाम

ॐ वनतयाम ॐ ओषधयाम

ॐ भतामः चतवध ाम

(२) ऋष तपण

दसरा तपण ऋषयो क लए ह ास वस याव काायन अ जमद गौतम वाम नारद चरक

सत पाणनी दधीच आिद ऋषयो क त ा क अभ ऋष तपण ारा क जाती ह ऋषयो को भी

दवताओ क तरह दवतीथ स एक-एक अजल जल िदया जाता हनारद मन

ॐ मरीािद दशऋषयः आग ग एताजलालीन ॐ मरीचाताम ॐ अताम

ॐ अगराः तताम ॐ पलताम ॐ वसताम ॐ तताम

ॐ वसताम ॐ चताताम ॐ भगताम ॐ नारदताम

(३)द-मन तपण

तीसरा तपण िद मानवो क लए ह जो पण प स सम जीवन को लोक काण

ऋष तपण

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क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

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ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

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ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

euqampfir`ampriZk

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अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

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अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

25

2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

29

सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

30

पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

31

त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

42

13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

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उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

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गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 7: Pitra Paksh Pitra Dosh

पत प सोलह िदन क समयावध होती ह जसम सनातन धमाल ाी िह जन अपन पवजो को भोजन अपण कर उ धाजल दत ह

दणी भारतीय अमात पा क अनसार पत प भापद क च मास म पड़ता ह और पण चमा क िदन या पण चमा क एक िदन बाद ार होता ह

उरी भारतीय पणमात पा क अनसार पत प अन क च मास म पड़ता ह और भापद म पण चमा क िदन या पण चमा क अगल िदन ार होता ह

यह च मास क सफ एक नामावली ह जो इस अलग-अलग करती ह पर उरी और दणी भारतीय लोग ा क वध समान िदन ही करत ह

पत प का अम िदन सवप अमावा या महालय अमावा क नाम स जाना जाता ह पत प म महालय अमावा सबस म िदन होता

महष पाराशर क अनसार दश काल तथा पा म हवाद वध स जो कम यव (तल) व दभ (कशा) क साथ मोार क साथ ापवक िकया जाता ह वह ा होता ह

भारतीय सत व सनातन धम म पत ऋण स म होन क लए अपन माता-पता व परवार क मतको क नयमत ा करन क अनवायता तपािदत क गई ह ा

कम को पतकम भी कहा गया ह व पतकम स ताय पतपजा भी ह

भापद क पणमा स लकर अमावा तक ऊपर क र तथा र क साथ पताण पी पर ा रहता ह ा क मलभत परभाषा यह ह िक त और पर क नम उनक आा क त क लए ा पवक जो अपत िकया जाए वह ा ह म क बाद दशगा और षोडशी-सपन तक मत क त सा रहती ह

सपन क बाद वह पतरो म सलत हो जाता ह

पतप भर म जो तपण िकया जाता ह उसस वह पताण य आापत होता ह प या उसक नाम स उसका परवार जो यव तथा चावल का प दता ह उसम स रत

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का अश लकर वह चलोक म अाण का ऋण चका दता ह

भापद क पणमा स वह च ऊपर क ओर होन लगता ह 16 िदन अपना-अपना भाग लकर श प क तपदा स उसी र क साथ रवाना हो जाता ह इसलए

इसको पतप कहत ह और इसी प म ा करन स वह परो को ा होता ह

शाो का नदशानसार ह िक माता-पता आिद क नम उनक नाम और गो का उारण कर मो ारा जो अ आिद अपत िकया जाता ह वह उनको ा हो जाता

ह यिद अपन कम क अनसार उनको दव योन ा होती ह तो वह अमत प म उनको ा होता ह उ गव लोक ा होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य प म पय प म दानव योन म मास क प म त योन म धर क प म और मन योन म अ आिद क प म उपल होता ह

जब पर यह सनत ह िक ा काल उपत हो गया ह तो व एक-दसर का रण करत ए मनोनय प स ा ल पर उपत हो जात ह और ाणो क साथ वाय

प म भोजन करत ह यह भी कहा गया ह िक जब सय का राश म आत ह तब पर अपन प-पौो क यहा आत ह

वशषतः आन-अमावा क िदन व दरवाज पर आकर बठ जात ह यिद उस िदन उनका ा नही िकया जाता तब व ाप दकर लौट जात ह अतः उस िदन प-प-

फल और जल-तपण स यथाश उनको त करना चािहए आन क अमावा को सव पतवजसनी अमावा कहत ह जो पतप क पह िदनो

तक ा तपण आिद नही कहत ह व अमावा को ही अपन पत क नम ाािद सप करत ह जन पत क तथ याद नही हो उनक नम ा तपण दान आिद

इसी अमावा को िकया जाता ह

अमावा क िदन सभी पत का वसजन होता ह अमावा क िदन पत अपन पािद क ार पर पदान एव ाािद क आशा म जात ह यिद वहा उ पदान या

तलाल आिद नही मलती ह तो व शाप दकर चल जात ह अतः ा का पराग नही करना चािहए

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ा का अधकार िकसा करन क लए मनत और ववत जस शाो म यही बताया गया ह िक

िदवगत पतरो क परवार म या तो प या कन प और अगर प न हो तो धवता (नाती) भतीजा भाजा या श ही तलाजल और पडदान दन क पा होत

ह कई ऐस पतर भी होत ह जनक प सतान नही होती ह या िफर जो सतानहीन होत ह ऐस पतरो क त आदर पवक अगर उनक भाई-भतीज भाज या अ चाचा-

ताऊ क परवार क पष सद पतप म ापवक त रखकर पडदान अदान और वदान करक ाणो स वधपवक ा करात ह तो पीिड़त आा को मो

मलता ह

मिहलाए भी ा कर सकती ह या नही आजकल इस को भी उठाया जा रहा ह विदक परपरा क अनसार मिहलाए य अनान सक और त आिद तो रख सकती

ह ा का परा आयोजन और खच कर सकती ह लिकन ा क वध को य नही कर सकती ह वधवा ी अगर सतानहीन हो तो अपन पत क नाम ा का सक

रखकर ाण या परोिहत परवार क पष सद स ही पडदान आिद का वधान परा करवा सकती ह इसी कार जन पतरो क काए ही वश परपरा म ह तो उ पतरो

क नाम त रखकर उसक दामाद या धवत नाती आिद ाहमण को बलाकर ाकम क नव करा सकत ह साध-सो क शगण या श वशष ा कर सकत

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पतप म वजत ो ह शभकाय

वस यह परा १६ िदन पतरो क क नाम सरत रहता ह शभ काय ना करन क पीछ यह कारण हो सकता ह िक हम पतरो क त स दखी होकर या उनक

जान क दख म उनक आा क शा क लए कोई अ उव और मगलकाय काय नही कर लिकन आज क समय क लहाज स कछ

शभ काय वजत नही ह अगर बत आवक हो तो शभ काय िकए जा सकत ह

जनम पजा पाठ निहत नही हो खरीदारी भी क जा

सकती ह ऐसा नही ह िक शभ काय करन स उनका फल भावत होगा यह

कवल हमारा अपन पतरो क त सान होता ह िक हम 16 िदन तक घर म कोई मागलक आयोजन नही कर अगर बना इदव क पजा रिहत कोई मागलक

आयोजन िकया भी जाए तो उसका कोई बरा भाव भी नही होता ह जो लोग अपन घर म पतरो का परी ा स पजन करत ह त वष ा करत ह तपण

करत ह उनक साथ पतरो का आशीवाद भी बना होता ह उनका कोई काम गलत नही होता उी लोगो क साथ कोई बरी घटना या अशभ होता ह जो ा

नही करत या उनक जीतजी अपन जीवन म पतरो को ठीक स सत नही करत उनक त ाहीन होकर उनका ा नही करत तपण नही करत या उनस

नफरत करत ह

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य शाीय सगत त ह क पत प म दवताओ क पजन या दवताओ क स करन पव अपन पतरो को स िकया जाय जो अधक काणद और सखकारी ह

ा प का िह धम ( सनातन धमाव लयो) क लए बड़ा मह िदन रहता ह ाचीन सनातन धम क अनसार हमार पवज दवत ह और इस धरा पर हमन जीवन

ा िकया ह और जस कार उोन हमारा लालन-पालन कर हम कताथ िकया ह उसस हम उनक ऋणी ह समपण और कतता क इसी भावना स ा प रत ह जो जातक को पतर ऋण स म माग िदखाता ह

भापद क पणमा स आन क अमावा तक सोलह िदनो तक का समय सोलह ा या ा पकहलाता ह शाो म दवकाय स पव पत काय करन का नदश

िदया गया ह ा स कवल पत ही त नही होत अपत सम दवी दवता स लकर वनतया तक त होती ह

गड़ पराण क अनसार पतर ऋण म माग रखा

कदव कवत समय ा कल क सीदत

आयः पान यशः ग कत प बल यम

पशन सौ धन धा ायात पतपजनात

दवकायादप सदा पतकाय वशत

दवताः पतणा िह पवमाायन शभम

अथात समयानसार ा करन स कल म कोई दखी नही रहता पतरो क पजा करक मन आय प यश ग कत प बल ी पश सख और धन-धा ा

करता ह दवकाय स भी पतकाय का वशष मह ह दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी और सखकारी ह

शाो म दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी कहा गया ह यही कारण ह िक दवपजन स पव पतर पजन िकए जान का वधान ह

दवताओ स पव पतपजन का वशष मह

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पततपण और ा व सक ा करन वाल का सासारक जीवन सखमय बनता ह तथा मो क भी ा होती ह

ऐसी माता ह िक ा न करन स पत धा स होकर अपन सग-सबधयो को क और शाप दत ह अपन कम क अनसार जीव अलग-अलग योनयो म भोग

भोगत ह जहा मो ारा सकत ह-क को पतर ा कर लत ह

पतरो क लए ा स िकए गए म कम को ा कहत ह तथा त करन क िया और दवताओ ऋषयो या पतरो को तडल या तल मत जल अपत करन क िया

को तपण कहत ह तपण करना ही पडदान करना ह

तपण करन क पव सक अत आवक ह |बना सक क िकए गए दव काय या पत काय सवथा थ ही ह सक इस कार िकया जाता ह यथा-

ॐ ववव ॐ नम परमान ी पराण पषोम ी वोराया वतमाना ी णो ितीय पराध ी त वराह क ववत

मरअावशततम कलयग कल थम चरण जीप भारतवष भरत ख आयावागत ावतक दश पदश (यद वदश म कही हो तो रखािकत क

ान पर उस दश शहर ाम का नाम बोल)

वतमान पराभव नाम सवर दणायन अमक ऋतौ (ऋत का नाम) महामागद मासानाम मासोम अमक मास (महीन का नाम) अमक प (श या क प का नाम) अमक तथौ (तथ का नाम) अमक वासर (वार का नाम) अमक न (न का नाम) अमक राश मत च (जस राश म च हो का नाम) अमक राश त सय (सय जस राश म त हो का नाम) अमक राश नत दवगरौ बहत (ग जस राश म त हो का नाम) अमक गौो (अपन गौ तथा य का नाम) अमक शमा वमा अह सम पत पतामहाना नाना गौाणा पतराना पासा नवपवक अय त सादनाथ ाण भोजनाक साकत ा पचबल कम च कर हाथ म जल लकर इतना कहकर जल छोड़ आमा यानी का भोजन दन क लए रखािकत क ान पर

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इद अ भवदो नम कह

अपनी घर क भाषा म ही ाथना कर- ह पतगण मर पास ा क लए उपय अ-धन नही ह तो कवल ा-भ इस आप ीकार हम आपक सतान ह हम

आशीवाद द तथा गलतयो एव कमयो क लए मा कर तथा परा करन क श दान कर

ॐ अयमा न ताम इद तलोदक त धा नमः ॐ मोमा अमत गमय

पतरो म अयमा ह अयमा पतरो क दव ह अयमा को णाम ह पता पतामह और पतामह ह माता मातामह और मातामह आपको भी बारबार णाम आप हम म स अमत क ओर ल चल

ह अ हमार सनातन य को सप करन वाल पतरो न जस दहात होन पर ऐय वाल ग को ा िकया ह वस ही यो म इन ऋचाओ का पाठ करत ए और

सम साधनो स य करत ए हम भी उसी ऐयवान ग को ा कर- यजवद तपण उपरात क ियाए ह- एक पडदान और दसरी ाण भोजन ाण क मख

स दवता ह को तथा पतर क को खात ह पतर रण मा स ही ा दश म आत ह तथा भोजनािद ा कर त होत ह एकाधक प हो और व अलग-अलग

रहत हो तो उन सभी को ा करना चािहए ाण भोजन क साथ पचबल कम भी होता ह जसका वशष मह ह

शाो म पाच तरह क बल बताई गई ह जसका ा म वशष मह ह1 गौ बल2 ान बल3 काक बल4 दवािद बल 5 पपीलका बल

यहा बल स ताय िकसी पश या पी क हा स नही ह ब ा क िदन जो भोजन बनाया जाता ह उसम स इनको भी खलाना चािहए इस ही बल कहा जाता ह

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तपण (ा) कम क सरल वधतपण (ा) अनयायी सभी िह धमाव ली उ ा पवजो क त सी ा

का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ारविदक-पौराणकतथभापद श प क पणमा स सवपत अमावा अथात आन क प अमावा तकअनाना-कम म पक ए चावल दध औरतल को मत करक जो प बनात ह प का अथ ह शरीर यह एक पारपरक वास ह िक हर पीढ़ी क भीतर मातकल तथा पतकल

दोनो म पहल क पीिढ़यो क समत गणस उपत होत ह यह तीकाक अनान जन जन लोगो क गणस (जी) ा करन वाल क अपनी दह म ह

उनक त क लए होता ह

अ जानकारी पराण क अनसार ा क परभाषा- जो कछ उचत काल पा एव ान क अनसार उचत (शाानमोिदत) वध ारा पतरो को ल करक

ापवक ाणो को िदया जाता ह ा कहलाता ह

ा पवजो क त सी ा का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ा सार म आवाहन पजन नमार क उपरा तपण िकया जाता ह जल म दध जौ चावल चन डाल कर तपण काय म य करत ह मल सक तो गगा जल भी डाल दना चािहए त क

लए तपण िकया जाता ह ग आाओ क त िकसी पदाथ स खान-पहनन आिद क व स नही होती ोिक ल शरीर क लए ही भौतक उपकरणो क

आवकता पड़ती ह मरन क बाद ल शरीर समा होकर कवल स शरीर ही रह जाता ह स शरीर को भख-ास सद-गम आिद क आवकता नही रहती

उसक त का वषय कोई खा पदाथ या हाड़-मास वाल शरीर क लए उपय उपकरण नही हो सकत स शरीर म वचारणा चतना और भावना क धानता

रहती ह इसलए उसम उ भावनाओ स बना अःकरण या वातावरण ही शादायक होता ह

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दशा एव रणा इस ससार म ल शरीर वाल को जस कार इय भोग वासना ता एव अहकार क पत म सख मलता ह उसी कार पतरो का स शरीर

शभ कम स उ सग का रसाादन करत ए त का अनभव करता ह उसक सता तथा आकाा का क ब ा ह ा भर वातावरण क सा म पतर अपनी अशा खोकर आन का अनभव करत ह ा ही इनक भख ह इसी स

उ त होती ह इसलए पतरो क सता क लए ा एव तपण िकय जात ह इन ियाओ का वध-वधान इतना सरल एव इतन कम खच का ह िक नधन स नधन

भी उस आसानी स स कर सकता ह तपण म धानतया जल का ही योग होता ह उस थोड़ा सगधत एव परप बनान क लए जौ तल चावल दध फल

जसी दो-चार मागलक वए डाली जाती ह कशाओ क सहार जौ क छोटी-सी अजल मोारपवक डालन मा स पतर त हो जात ह िक इस िया क साथ आवक ा कतता सावना म शभकामना का समय अव होना

चािहए यिद ाल इन भावनाओ क साथ क गयी ह तो तपण का उ परा हो जायगा पतरो को आवक त मलगी िक यिद इस कार क कोई ा

भावना तपण करन वाल क मन म नही होती और कवल लकर पीटन क मा पानी इधर-उधर फलाया जाता ह तो इतन भर स कोई वशष योजन पण न होगा इसलए

इन पत-कम क करन वाल यह ान रख िक इन छोट-छोट िया-को को करन क साथ-साथ िदवगत आाओ क उपकारो का रण कर उनक सणो तथा सम क

त ा कर

कतता तथा सान क भावना उनक त रख और यह अनभव कर िक यह जलाजल जस अिकचन उपकरणो क साथ अपनी ा क अभ करत ए

गीय आाओ क चरणो पर अपनी सावना क प चढ़ा रहा इस कार क भावनाए जतनी ही बल होगी पतरो को उतनी ही अधक त मलगी जस पतर

का गवास आ ह उसक िकय ए उपकारो क त कतता करना उसक अधर छोड़ ए पारवारक एव सामाजक उरदाय को परा करन म तर होना तथा अपन एव वातावरण को मगलमय ढाच म ढालना मरणोर सार का

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धान योजन ह गह श सतक नव का उ भी इसी क नम क जाती ह िक तपण म कवल इी एक पतर क लए नही पव काल म गजर ए अपन

परवार माता क परवार दादी क परवार क तीन-तीन पीढ़ी क पतरो क त का भी आयोजन िकया जाता ह इतना ही नही इस पी पर अवतरत ए सभी महान पषो

क आा क त इस अवसर पर ा करत ए अपनी सावना क ारा त करन का य िकया जाता ह तपण को छः भागो म वभ िकया गया ह-

दव-तपणऋष-तपणिद-मानव-तपणिद-पत-तपणयम-तपणमन-पत-तपणा सार करत ाल

(१) दव तपणम

दव शया ईर क व महान वभतया ह जो मानव-काण म सदा नःाथ भाव स यतनरत ह जल वाय सय

अ च वत तथा अवतारी ईर अगो क म आाए एव वा ब श तभा कणा दया सता

पवता जसी सवया सभी दव शयो म आती ह यप य िदखाई नही दती तो भी इनक अन उपकार ह यिद इनका लाभ न मल

तो मन क लए जीवत रह सकना भी सव न हो इनक त कतता क भावना करन क लए यह दव-तपण िकया जाता ह यजमान दोनो हाथो क अनामका

अगलयो म पवी धारण करॐ आग महाभागाः वदवा महाबलाः य तपणऽ विहताः सावधाना भव त

जल म चावल डाल कश-मोटक सीध ही ल योपवीत स (बाय क पर)

दव तपण

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सामा त म रख तपण क समय अज ल म जल भरकर सभी अगलयो क अ भाग क सहार अपत कर इस दवतीथ मा कहत ह क दवश क लए एक-एक अज ल जल डाल पवाभमख होकर दत चलॐ ादयो दवाः आग ग एतान जलालीन

ॐ तताम ॐ वतामॐ ताम

ॐ जापतततामॐ दवाताम

ॐ छास त ाम ॐ वदााम ॐ ऋषयाम

ॐ पराणाचाया ाम ॐ गवा ाम

ॐ इतराचाया ाम ॐ सवरः सावयवाम

ॐ दाम ॐ अरसामॐ दवानगााम

ॐ नागाामॐ सागरााम ॐ पवता ामॐ सरताम ॐ मनाामॐ यााम

ॐ रास त ामॐ पशाचााम

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ॐ सपणा ामॐ भतान त ाम ॐ पशवाम

ॐ वनतयाम ॐ ओषधयाम

ॐ भतामः चतवध ाम

(२) ऋष तपण

दसरा तपण ऋषयो क लए ह ास वस याव काायन अ जमद गौतम वाम नारद चरक

सत पाणनी दधीच आिद ऋषयो क त ा क अभ ऋष तपण ारा क जाती ह ऋषयो को भी

दवताओ क तरह दवतीथ स एक-एक अजल जल िदया जाता हनारद मन

ॐ मरीािद दशऋषयः आग ग एताजलालीन ॐ मरीचाताम ॐ अताम

ॐ अगराः तताम ॐ पलताम ॐ वसताम ॐ तताम

ॐ वसताम ॐ चताताम ॐ भगताम ॐ नारदताम

(३)द-मन तपण

तीसरा तपण िद मानवो क लए ह जो पण प स सम जीवन को लोक काण

ऋष तपण

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क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

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ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

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ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

euqampfir`ampriZk

19

अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

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अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

31

त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

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आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

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उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

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आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

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गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

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- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

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गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 8: Pitra Paksh Pitra Dosh

का अश लकर वह चलोक म अाण का ऋण चका दता ह

भापद क पणमा स वह च ऊपर क ओर होन लगता ह 16 िदन अपना-अपना भाग लकर श प क तपदा स उसी र क साथ रवाना हो जाता ह इसलए

इसको पतप कहत ह और इसी प म ा करन स वह परो को ा होता ह

शाो का नदशानसार ह िक माता-पता आिद क नम उनक नाम और गो का उारण कर मो ारा जो अ आिद अपत िकया जाता ह वह उनको ा हो जाता

ह यिद अपन कम क अनसार उनको दव योन ा होती ह तो वह अमत प म उनको ा होता ह उ गव लोक ा होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य प म पय प म दानव योन म मास क प म त योन म धर क प म और मन योन म अ आिद क प म उपल होता ह

जब पर यह सनत ह िक ा काल उपत हो गया ह तो व एक-दसर का रण करत ए मनोनय प स ा ल पर उपत हो जात ह और ाणो क साथ वाय

प म भोजन करत ह यह भी कहा गया ह िक जब सय का राश म आत ह तब पर अपन प-पौो क यहा आत ह

वशषतः आन-अमावा क िदन व दरवाज पर आकर बठ जात ह यिद उस िदन उनका ा नही िकया जाता तब व ाप दकर लौट जात ह अतः उस िदन प-प-

फल और जल-तपण स यथाश उनको त करना चािहए आन क अमावा को सव पतवजसनी अमावा कहत ह जो पतप क पह िदनो

तक ा तपण आिद नही कहत ह व अमावा को ही अपन पत क नम ाािद सप करत ह जन पत क तथ याद नही हो उनक नम ा तपण दान आिद

इसी अमावा को िकया जाता ह

अमावा क िदन सभी पत का वसजन होता ह अमावा क िदन पत अपन पािद क ार पर पदान एव ाािद क आशा म जात ह यिद वहा उ पदान या

तलाल आिद नही मलती ह तो व शाप दकर चल जात ह अतः ा का पराग नही करना चािहए

6

ा का अधकार िकसा करन क लए मनत और ववत जस शाो म यही बताया गया ह िक

िदवगत पतरो क परवार म या तो प या कन प और अगर प न हो तो धवता (नाती) भतीजा भाजा या श ही तलाजल और पडदान दन क पा होत

ह कई ऐस पतर भी होत ह जनक प सतान नही होती ह या िफर जो सतानहीन होत ह ऐस पतरो क त आदर पवक अगर उनक भाई-भतीज भाज या अ चाचा-

ताऊ क परवार क पष सद पतप म ापवक त रखकर पडदान अदान और वदान करक ाणो स वधपवक ा करात ह तो पीिड़त आा को मो

मलता ह

मिहलाए भी ा कर सकती ह या नही आजकल इस को भी उठाया जा रहा ह विदक परपरा क अनसार मिहलाए य अनान सक और त आिद तो रख सकती

ह ा का परा आयोजन और खच कर सकती ह लिकन ा क वध को य नही कर सकती ह वधवा ी अगर सतानहीन हो तो अपन पत क नाम ा का सक

रखकर ाण या परोिहत परवार क पष सद स ही पडदान आिद का वधान परा करवा सकती ह इसी कार जन पतरो क काए ही वश परपरा म ह तो उ पतरो

क नाम त रखकर उसक दामाद या धवत नाती आिद ाहमण को बलाकर ाकम क नव करा सकत ह साध-सो क शगण या श वशष ा कर सकत

7

पतप म वजत ो ह शभकाय

वस यह परा १६ िदन पतरो क क नाम सरत रहता ह शभ काय ना करन क पीछ यह कारण हो सकता ह िक हम पतरो क त स दखी होकर या उनक

जान क दख म उनक आा क शा क लए कोई अ उव और मगलकाय काय नही कर लिकन आज क समय क लहाज स कछ

शभ काय वजत नही ह अगर बत आवक हो तो शभ काय िकए जा सकत ह

जनम पजा पाठ निहत नही हो खरीदारी भी क जा

सकती ह ऐसा नही ह िक शभ काय करन स उनका फल भावत होगा यह

कवल हमारा अपन पतरो क त सान होता ह िक हम 16 िदन तक घर म कोई मागलक आयोजन नही कर अगर बना इदव क पजा रिहत कोई मागलक

आयोजन िकया भी जाए तो उसका कोई बरा भाव भी नही होता ह जो लोग अपन घर म पतरो का परी ा स पजन करत ह त वष ा करत ह तपण

करत ह उनक साथ पतरो का आशीवाद भी बना होता ह उनका कोई काम गलत नही होता उी लोगो क साथ कोई बरी घटना या अशभ होता ह जो ा

नही करत या उनक जीतजी अपन जीवन म पतरो को ठीक स सत नही करत उनक त ाहीन होकर उनका ा नही करत तपण नही करत या उनस

नफरत करत ह

8

य शाीय सगत त ह क पत प म दवताओ क पजन या दवताओ क स करन पव अपन पतरो को स िकया जाय जो अधक काणद और सखकारी ह

ा प का िह धम ( सनातन धमाव लयो) क लए बड़ा मह िदन रहता ह ाचीन सनातन धम क अनसार हमार पवज दवत ह और इस धरा पर हमन जीवन

ा िकया ह और जस कार उोन हमारा लालन-पालन कर हम कताथ िकया ह उसस हम उनक ऋणी ह समपण और कतता क इसी भावना स ा प रत ह जो जातक को पतर ऋण स म माग िदखाता ह

भापद क पणमा स आन क अमावा तक सोलह िदनो तक का समय सोलह ा या ा पकहलाता ह शाो म दवकाय स पव पत काय करन का नदश

िदया गया ह ा स कवल पत ही त नही होत अपत सम दवी दवता स लकर वनतया तक त होती ह

गड़ पराण क अनसार पतर ऋण म माग रखा

कदव कवत समय ा कल क सीदत

आयः पान यशः ग कत प बल यम

पशन सौ धन धा ायात पतपजनात

दवकायादप सदा पतकाय वशत

दवताः पतणा िह पवमाायन शभम

अथात समयानसार ा करन स कल म कोई दखी नही रहता पतरो क पजा करक मन आय प यश ग कत प बल ी पश सख और धन-धा ा

करता ह दवकाय स भी पतकाय का वशष मह ह दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी और सखकारी ह

शाो म दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी कहा गया ह यही कारण ह िक दवपजन स पव पतर पजन िकए जान का वधान ह

दवताओ स पव पतपजन का वशष मह

9

पततपण और ा व सक ा करन वाल का सासारक जीवन सखमय बनता ह तथा मो क भी ा होती ह

ऐसी माता ह िक ा न करन स पत धा स होकर अपन सग-सबधयो को क और शाप दत ह अपन कम क अनसार जीव अलग-अलग योनयो म भोग

भोगत ह जहा मो ारा सकत ह-क को पतर ा कर लत ह

पतरो क लए ा स िकए गए म कम को ा कहत ह तथा त करन क िया और दवताओ ऋषयो या पतरो को तडल या तल मत जल अपत करन क िया

को तपण कहत ह तपण करना ही पडदान करना ह

तपण करन क पव सक अत आवक ह |बना सक क िकए गए दव काय या पत काय सवथा थ ही ह सक इस कार िकया जाता ह यथा-

ॐ ववव ॐ नम परमान ी पराण पषोम ी वोराया वतमाना ी णो ितीय पराध ी त वराह क ववत

मरअावशततम कलयग कल थम चरण जीप भारतवष भरत ख आयावागत ावतक दश पदश (यद वदश म कही हो तो रखािकत क

ान पर उस दश शहर ाम का नाम बोल)

वतमान पराभव नाम सवर दणायन अमक ऋतौ (ऋत का नाम) महामागद मासानाम मासोम अमक मास (महीन का नाम) अमक प (श या क प का नाम) अमक तथौ (तथ का नाम) अमक वासर (वार का नाम) अमक न (न का नाम) अमक राश मत च (जस राश म च हो का नाम) अमक राश त सय (सय जस राश म त हो का नाम) अमक राश नत दवगरौ बहत (ग जस राश म त हो का नाम) अमक गौो (अपन गौ तथा य का नाम) अमक शमा वमा अह सम पत पतामहाना नाना गौाणा पतराना पासा नवपवक अय त सादनाथ ाण भोजनाक साकत ा पचबल कम च कर हाथ म जल लकर इतना कहकर जल छोड़ आमा यानी का भोजन दन क लए रखािकत क ान पर

10

इद अ भवदो नम कह

अपनी घर क भाषा म ही ाथना कर- ह पतगण मर पास ा क लए उपय अ-धन नही ह तो कवल ा-भ इस आप ीकार हम आपक सतान ह हम

आशीवाद द तथा गलतयो एव कमयो क लए मा कर तथा परा करन क श दान कर

ॐ अयमा न ताम इद तलोदक त धा नमः ॐ मोमा अमत गमय

पतरो म अयमा ह अयमा पतरो क दव ह अयमा को णाम ह पता पतामह और पतामह ह माता मातामह और मातामह आपको भी बारबार णाम आप हम म स अमत क ओर ल चल

ह अ हमार सनातन य को सप करन वाल पतरो न जस दहात होन पर ऐय वाल ग को ा िकया ह वस ही यो म इन ऋचाओ का पाठ करत ए और

सम साधनो स य करत ए हम भी उसी ऐयवान ग को ा कर- यजवद तपण उपरात क ियाए ह- एक पडदान और दसरी ाण भोजन ाण क मख

स दवता ह को तथा पतर क को खात ह पतर रण मा स ही ा दश म आत ह तथा भोजनािद ा कर त होत ह एकाधक प हो और व अलग-अलग

रहत हो तो उन सभी को ा करना चािहए ाण भोजन क साथ पचबल कम भी होता ह जसका वशष मह ह

शाो म पाच तरह क बल बताई गई ह जसका ा म वशष मह ह1 गौ बल2 ान बल3 काक बल4 दवािद बल 5 पपीलका बल

यहा बल स ताय िकसी पश या पी क हा स नही ह ब ा क िदन जो भोजन बनाया जाता ह उसम स इनको भी खलाना चािहए इस ही बल कहा जाता ह

11

तपण (ा) कम क सरल वधतपण (ा) अनयायी सभी िह धमाव ली उ ा पवजो क त सी ा

का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ारविदक-पौराणकतथभापद श प क पणमा स सवपत अमावा अथात आन क प अमावा तकअनाना-कम म पक ए चावल दध औरतल को मत करक जो प बनात ह प का अथ ह शरीर यह एक पारपरक वास ह िक हर पीढ़ी क भीतर मातकल तथा पतकल

दोनो म पहल क पीिढ़यो क समत गणस उपत होत ह यह तीकाक अनान जन जन लोगो क गणस (जी) ा करन वाल क अपनी दह म ह

उनक त क लए होता ह

अ जानकारी पराण क अनसार ा क परभाषा- जो कछ उचत काल पा एव ान क अनसार उचत (शाानमोिदत) वध ारा पतरो को ल करक

ापवक ाणो को िदया जाता ह ा कहलाता ह

ा पवजो क त सी ा का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ा सार म आवाहन पजन नमार क उपरा तपण िकया जाता ह जल म दध जौ चावल चन डाल कर तपण काय म य करत ह मल सक तो गगा जल भी डाल दना चािहए त क

लए तपण िकया जाता ह ग आाओ क त िकसी पदाथ स खान-पहनन आिद क व स नही होती ोिक ल शरीर क लए ही भौतक उपकरणो क

आवकता पड़ती ह मरन क बाद ल शरीर समा होकर कवल स शरीर ही रह जाता ह स शरीर को भख-ास सद-गम आिद क आवकता नही रहती

उसक त का वषय कोई खा पदाथ या हाड़-मास वाल शरीर क लए उपय उपकरण नही हो सकत स शरीर म वचारणा चतना और भावना क धानता

रहती ह इसलए उसम उ भावनाओ स बना अःकरण या वातावरण ही शादायक होता ह

12

दशा एव रणा इस ससार म ल शरीर वाल को जस कार इय भोग वासना ता एव अहकार क पत म सख मलता ह उसी कार पतरो का स शरीर

शभ कम स उ सग का रसाादन करत ए त का अनभव करता ह उसक सता तथा आकाा का क ब ा ह ा भर वातावरण क सा म पतर अपनी अशा खोकर आन का अनभव करत ह ा ही इनक भख ह इसी स

उ त होती ह इसलए पतरो क सता क लए ा एव तपण िकय जात ह इन ियाओ का वध-वधान इतना सरल एव इतन कम खच का ह िक नधन स नधन

भी उस आसानी स स कर सकता ह तपण म धानतया जल का ही योग होता ह उस थोड़ा सगधत एव परप बनान क लए जौ तल चावल दध फल

जसी दो-चार मागलक वए डाली जाती ह कशाओ क सहार जौ क छोटी-सी अजल मोारपवक डालन मा स पतर त हो जात ह िक इस िया क साथ आवक ा कतता सावना म शभकामना का समय अव होना

चािहए यिद ाल इन भावनाओ क साथ क गयी ह तो तपण का उ परा हो जायगा पतरो को आवक त मलगी िक यिद इस कार क कोई ा

भावना तपण करन वाल क मन म नही होती और कवल लकर पीटन क मा पानी इधर-उधर फलाया जाता ह तो इतन भर स कोई वशष योजन पण न होगा इसलए

इन पत-कम क करन वाल यह ान रख िक इन छोट-छोट िया-को को करन क साथ-साथ िदवगत आाओ क उपकारो का रण कर उनक सणो तथा सम क

त ा कर

कतता तथा सान क भावना उनक त रख और यह अनभव कर िक यह जलाजल जस अिकचन उपकरणो क साथ अपनी ा क अभ करत ए

गीय आाओ क चरणो पर अपनी सावना क प चढ़ा रहा इस कार क भावनाए जतनी ही बल होगी पतरो को उतनी ही अधक त मलगी जस पतर

का गवास आ ह उसक िकय ए उपकारो क त कतता करना उसक अधर छोड़ ए पारवारक एव सामाजक उरदाय को परा करन म तर होना तथा अपन एव वातावरण को मगलमय ढाच म ढालना मरणोर सार का

13

धान योजन ह गह श सतक नव का उ भी इसी क नम क जाती ह िक तपण म कवल इी एक पतर क लए नही पव काल म गजर ए अपन

परवार माता क परवार दादी क परवार क तीन-तीन पीढ़ी क पतरो क त का भी आयोजन िकया जाता ह इतना ही नही इस पी पर अवतरत ए सभी महान पषो

क आा क त इस अवसर पर ा करत ए अपनी सावना क ारा त करन का य िकया जाता ह तपण को छः भागो म वभ िकया गया ह-

दव-तपणऋष-तपणिद-मानव-तपणिद-पत-तपणयम-तपणमन-पत-तपणा सार करत ाल

(१) दव तपणम

दव शया ईर क व महान वभतया ह जो मानव-काण म सदा नःाथ भाव स यतनरत ह जल वाय सय

अ च वत तथा अवतारी ईर अगो क म आाए एव वा ब श तभा कणा दया सता

पवता जसी सवया सभी दव शयो म आती ह यप य िदखाई नही दती तो भी इनक अन उपकार ह यिद इनका लाभ न मल

तो मन क लए जीवत रह सकना भी सव न हो इनक त कतता क भावना करन क लए यह दव-तपण िकया जाता ह यजमान दोनो हाथो क अनामका

अगलयो म पवी धारण करॐ आग महाभागाः वदवा महाबलाः य तपणऽ विहताः सावधाना भव त

जल म चावल डाल कश-मोटक सीध ही ल योपवीत स (बाय क पर)

दव तपण

14

सामा त म रख तपण क समय अज ल म जल भरकर सभी अगलयो क अ भाग क सहार अपत कर इस दवतीथ मा कहत ह क दवश क लए एक-एक अज ल जल डाल पवाभमख होकर दत चलॐ ादयो दवाः आग ग एतान जलालीन

ॐ तताम ॐ वतामॐ ताम

ॐ जापतततामॐ दवाताम

ॐ छास त ाम ॐ वदााम ॐ ऋषयाम

ॐ पराणाचाया ाम ॐ गवा ाम

ॐ इतराचाया ाम ॐ सवरः सावयवाम

ॐ दाम ॐ अरसामॐ दवानगााम

ॐ नागाामॐ सागरााम ॐ पवता ामॐ सरताम ॐ मनाामॐ यााम

ॐ रास त ामॐ पशाचााम

15

ॐ सपणा ामॐ भतान त ाम ॐ पशवाम

ॐ वनतयाम ॐ ओषधयाम

ॐ भतामः चतवध ाम

(२) ऋष तपण

दसरा तपण ऋषयो क लए ह ास वस याव काायन अ जमद गौतम वाम नारद चरक

सत पाणनी दधीच आिद ऋषयो क त ा क अभ ऋष तपण ारा क जाती ह ऋषयो को भी

दवताओ क तरह दवतीथ स एक-एक अजल जल िदया जाता हनारद मन

ॐ मरीािद दशऋषयः आग ग एताजलालीन ॐ मरीचाताम ॐ अताम

ॐ अगराः तताम ॐ पलताम ॐ वसताम ॐ तताम

ॐ वसताम ॐ चताताम ॐ भगताम ॐ नारदताम

(३)द-मन तपण

तीसरा तपण िद मानवो क लए ह जो पण प स सम जीवन को लोक काण

ऋष तपण

16

क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

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ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

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ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

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अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

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अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

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त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

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नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

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पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

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इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

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ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

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आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

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क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

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पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

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म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

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ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

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उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

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आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

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गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

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- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

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गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 9: Pitra Paksh Pitra Dosh

ा का अधकार िकसा करन क लए मनत और ववत जस शाो म यही बताया गया ह िक

िदवगत पतरो क परवार म या तो प या कन प और अगर प न हो तो धवता (नाती) भतीजा भाजा या श ही तलाजल और पडदान दन क पा होत

ह कई ऐस पतर भी होत ह जनक प सतान नही होती ह या िफर जो सतानहीन होत ह ऐस पतरो क त आदर पवक अगर उनक भाई-भतीज भाज या अ चाचा-

ताऊ क परवार क पष सद पतप म ापवक त रखकर पडदान अदान और वदान करक ाणो स वधपवक ा करात ह तो पीिड़त आा को मो

मलता ह

मिहलाए भी ा कर सकती ह या नही आजकल इस को भी उठाया जा रहा ह विदक परपरा क अनसार मिहलाए य अनान सक और त आिद तो रख सकती

ह ा का परा आयोजन और खच कर सकती ह लिकन ा क वध को य नही कर सकती ह वधवा ी अगर सतानहीन हो तो अपन पत क नाम ा का सक

रखकर ाण या परोिहत परवार क पष सद स ही पडदान आिद का वधान परा करवा सकती ह इसी कार जन पतरो क काए ही वश परपरा म ह तो उ पतरो

क नाम त रखकर उसक दामाद या धवत नाती आिद ाहमण को बलाकर ाकम क नव करा सकत ह साध-सो क शगण या श वशष ा कर सकत

7

पतप म वजत ो ह शभकाय

वस यह परा १६ िदन पतरो क क नाम सरत रहता ह शभ काय ना करन क पीछ यह कारण हो सकता ह िक हम पतरो क त स दखी होकर या उनक

जान क दख म उनक आा क शा क लए कोई अ उव और मगलकाय काय नही कर लिकन आज क समय क लहाज स कछ

शभ काय वजत नही ह अगर बत आवक हो तो शभ काय िकए जा सकत ह

जनम पजा पाठ निहत नही हो खरीदारी भी क जा

सकती ह ऐसा नही ह िक शभ काय करन स उनका फल भावत होगा यह

कवल हमारा अपन पतरो क त सान होता ह िक हम 16 िदन तक घर म कोई मागलक आयोजन नही कर अगर बना इदव क पजा रिहत कोई मागलक

आयोजन िकया भी जाए तो उसका कोई बरा भाव भी नही होता ह जो लोग अपन घर म पतरो का परी ा स पजन करत ह त वष ा करत ह तपण

करत ह उनक साथ पतरो का आशीवाद भी बना होता ह उनका कोई काम गलत नही होता उी लोगो क साथ कोई बरी घटना या अशभ होता ह जो ा

नही करत या उनक जीतजी अपन जीवन म पतरो को ठीक स सत नही करत उनक त ाहीन होकर उनका ा नही करत तपण नही करत या उनस

नफरत करत ह

8

य शाीय सगत त ह क पत प म दवताओ क पजन या दवताओ क स करन पव अपन पतरो को स िकया जाय जो अधक काणद और सखकारी ह

ा प का िह धम ( सनातन धमाव लयो) क लए बड़ा मह िदन रहता ह ाचीन सनातन धम क अनसार हमार पवज दवत ह और इस धरा पर हमन जीवन

ा िकया ह और जस कार उोन हमारा लालन-पालन कर हम कताथ िकया ह उसस हम उनक ऋणी ह समपण और कतता क इसी भावना स ा प रत ह जो जातक को पतर ऋण स म माग िदखाता ह

भापद क पणमा स आन क अमावा तक सोलह िदनो तक का समय सोलह ा या ा पकहलाता ह शाो म दवकाय स पव पत काय करन का नदश

िदया गया ह ा स कवल पत ही त नही होत अपत सम दवी दवता स लकर वनतया तक त होती ह

गड़ पराण क अनसार पतर ऋण म माग रखा

कदव कवत समय ा कल क सीदत

आयः पान यशः ग कत प बल यम

पशन सौ धन धा ायात पतपजनात

दवकायादप सदा पतकाय वशत

दवताः पतणा िह पवमाायन शभम

अथात समयानसार ा करन स कल म कोई दखी नही रहता पतरो क पजा करक मन आय प यश ग कत प बल ी पश सख और धन-धा ा

करता ह दवकाय स भी पतकाय का वशष मह ह दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी और सखकारी ह

शाो म दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी कहा गया ह यही कारण ह िक दवपजन स पव पतर पजन िकए जान का वधान ह

दवताओ स पव पतपजन का वशष मह

9

पततपण और ा व सक ा करन वाल का सासारक जीवन सखमय बनता ह तथा मो क भी ा होती ह

ऐसी माता ह िक ा न करन स पत धा स होकर अपन सग-सबधयो को क और शाप दत ह अपन कम क अनसार जीव अलग-अलग योनयो म भोग

भोगत ह जहा मो ारा सकत ह-क को पतर ा कर लत ह

पतरो क लए ा स िकए गए म कम को ा कहत ह तथा त करन क िया और दवताओ ऋषयो या पतरो को तडल या तल मत जल अपत करन क िया

को तपण कहत ह तपण करना ही पडदान करना ह

तपण करन क पव सक अत आवक ह |बना सक क िकए गए दव काय या पत काय सवथा थ ही ह सक इस कार िकया जाता ह यथा-

ॐ ववव ॐ नम परमान ी पराण पषोम ी वोराया वतमाना ी णो ितीय पराध ी त वराह क ववत

मरअावशततम कलयग कल थम चरण जीप भारतवष भरत ख आयावागत ावतक दश पदश (यद वदश म कही हो तो रखािकत क

ान पर उस दश शहर ाम का नाम बोल)

वतमान पराभव नाम सवर दणायन अमक ऋतौ (ऋत का नाम) महामागद मासानाम मासोम अमक मास (महीन का नाम) अमक प (श या क प का नाम) अमक तथौ (तथ का नाम) अमक वासर (वार का नाम) अमक न (न का नाम) अमक राश मत च (जस राश म च हो का नाम) अमक राश त सय (सय जस राश म त हो का नाम) अमक राश नत दवगरौ बहत (ग जस राश म त हो का नाम) अमक गौो (अपन गौ तथा य का नाम) अमक शमा वमा अह सम पत पतामहाना नाना गौाणा पतराना पासा नवपवक अय त सादनाथ ाण भोजनाक साकत ा पचबल कम च कर हाथ म जल लकर इतना कहकर जल छोड़ आमा यानी का भोजन दन क लए रखािकत क ान पर

10

इद अ भवदो नम कह

अपनी घर क भाषा म ही ाथना कर- ह पतगण मर पास ा क लए उपय अ-धन नही ह तो कवल ा-भ इस आप ीकार हम आपक सतान ह हम

आशीवाद द तथा गलतयो एव कमयो क लए मा कर तथा परा करन क श दान कर

ॐ अयमा न ताम इद तलोदक त धा नमः ॐ मोमा अमत गमय

पतरो म अयमा ह अयमा पतरो क दव ह अयमा को णाम ह पता पतामह और पतामह ह माता मातामह और मातामह आपको भी बारबार णाम आप हम म स अमत क ओर ल चल

ह अ हमार सनातन य को सप करन वाल पतरो न जस दहात होन पर ऐय वाल ग को ा िकया ह वस ही यो म इन ऋचाओ का पाठ करत ए और

सम साधनो स य करत ए हम भी उसी ऐयवान ग को ा कर- यजवद तपण उपरात क ियाए ह- एक पडदान और दसरी ाण भोजन ाण क मख

स दवता ह को तथा पतर क को खात ह पतर रण मा स ही ा दश म आत ह तथा भोजनािद ा कर त होत ह एकाधक प हो और व अलग-अलग

रहत हो तो उन सभी को ा करना चािहए ाण भोजन क साथ पचबल कम भी होता ह जसका वशष मह ह

शाो म पाच तरह क बल बताई गई ह जसका ा म वशष मह ह1 गौ बल2 ान बल3 काक बल4 दवािद बल 5 पपीलका बल

यहा बल स ताय िकसी पश या पी क हा स नही ह ब ा क िदन जो भोजन बनाया जाता ह उसम स इनको भी खलाना चािहए इस ही बल कहा जाता ह

11

तपण (ा) कम क सरल वधतपण (ा) अनयायी सभी िह धमाव ली उ ा पवजो क त सी ा

का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ारविदक-पौराणकतथभापद श प क पणमा स सवपत अमावा अथात आन क प अमावा तकअनाना-कम म पक ए चावल दध औरतल को मत करक जो प बनात ह प का अथ ह शरीर यह एक पारपरक वास ह िक हर पीढ़ी क भीतर मातकल तथा पतकल

दोनो म पहल क पीिढ़यो क समत गणस उपत होत ह यह तीकाक अनान जन जन लोगो क गणस (जी) ा करन वाल क अपनी दह म ह

उनक त क लए होता ह

अ जानकारी पराण क अनसार ा क परभाषा- जो कछ उचत काल पा एव ान क अनसार उचत (शाानमोिदत) वध ारा पतरो को ल करक

ापवक ाणो को िदया जाता ह ा कहलाता ह

ा पवजो क त सी ा का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ा सार म आवाहन पजन नमार क उपरा तपण िकया जाता ह जल म दध जौ चावल चन डाल कर तपण काय म य करत ह मल सक तो गगा जल भी डाल दना चािहए त क

लए तपण िकया जाता ह ग आाओ क त िकसी पदाथ स खान-पहनन आिद क व स नही होती ोिक ल शरीर क लए ही भौतक उपकरणो क

आवकता पड़ती ह मरन क बाद ल शरीर समा होकर कवल स शरीर ही रह जाता ह स शरीर को भख-ास सद-गम आिद क आवकता नही रहती

उसक त का वषय कोई खा पदाथ या हाड़-मास वाल शरीर क लए उपय उपकरण नही हो सकत स शरीर म वचारणा चतना और भावना क धानता

रहती ह इसलए उसम उ भावनाओ स बना अःकरण या वातावरण ही शादायक होता ह

12

दशा एव रणा इस ससार म ल शरीर वाल को जस कार इय भोग वासना ता एव अहकार क पत म सख मलता ह उसी कार पतरो का स शरीर

शभ कम स उ सग का रसाादन करत ए त का अनभव करता ह उसक सता तथा आकाा का क ब ा ह ा भर वातावरण क सा म पतर अपनी अशा खोकर आन का अनभव करत ह ा ही इनक भख ह इसी स

उ त होती ह इसलए पतरो क सता क लए ा एव तपण िकय जात ह इन ियाओ का वध-वधान इतना सरल एव इतन कम खच का ह िक नधन स नधन

भी उस आसानी स स कर सकता ह तपण म धानतया जल का ही योग होता ह उस थोड़ा सगधत एव परप बनान क लए जौ तल चावल दध फल

जसी दो-चार मागलक वए डाली जाती ह कशाओ क सहार जौ क छोटी-सी अजल मोारपवक डालन मा स पतर त हो जात ह िक इस िया क साथ आवक ा कतता सावना म शभकामना का समय अव होना

चािहए यिद ाल इन भावनाओ क साथ क गयी ह तो तपण का उ परा हो जायगा पतरो को आवक त मलगी िक यिद इस कार क कोई ा

भावना तपण करन वाल क मन म नही होती और कवल लकर पीटन क मा पानी इधर-उधर फलाया जाता ह तो इतन भर स कोई वशष योजन पण न होगा इसलए

इन पत-कम क करन वाल यह ान रख िक इन छोट-छोट िया-को को करन क साथ-साथ िदवगत आाओ क उपकारो का रण कर उनक सणो तथा सम क

त ा कर

कतता तथा सान क भावना उनक त रख और यह अनभव कर िक यह जलाजल जस अिकचन उपकरणो क साथ अपनी ा क अभ करत ए

गीय आाओ क चरणो पर अपनी सावना क प चढ़ा रहा इस कार क भावनाए जतनी ही बल होगी पतरो को उतनी ही अधक त मलगी जस पतर

का गवास आ ह उसक िकय ए उपकारो क त कतता करना उसक अधर छोड़ ए पारवारक एव सामाजक उरदाय को परा करन म तर होना तथा अपन एव वातावरण को मगलमय ढाच म ढालना मरणोर सार का

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धान योजन ह गह श सतक नव का उ भी इसी क नम क जाती ह िक तपण म कवल इी एक पतर क लए नही पव काल म गजर ए अपन

परवार माता क परवार दादी क परवार क तीन-तीन पीढ़ी क पतरो क त का भी आयोजन िकया जाता ह इतना ही नही इस पी पर अवतरत ए सभी महान पषो

क आा क त इस अवसर पर ा करत ए अपनी सावना क ारा त करन का य िकया जाता ह तपण को छः भागो म वभ िकया गया ह-

दव-तपणऋष-तपणिद-मानव-तपणिद-पत-तपणयम-तपणमन-पत-तपणा सार करत ाल

(१) दव तपणम

दव शया ईर क व महान वभतया ह जो मानव-काण म सदा नःाथ भाव स यतनरत ह जल वाय सय

अ च वत तथा अवतारी ईर अगो क म आाए एव वा ब श तभा कणा दया सता

पवता जसी सवया सभी दव शयो म आती ह यप य िदखाई नही दती तो भी इनक अन उपकार ह यिद इनका लाभ न मल

तो मन क लए जीवत रह सकना भी सव न हो इनक त कतता क भावना करन क लए यह दव-तपण िकया जाता ह यजमान दोनो हाथो क अनामका

अगलयो म पवी धारण करॐ आग महाभागाः वदवा महाबलाः य तपणऽ विहताः सावधाना भव त

जल म चावल डाल कश-मोटक सीध ही ल योपवीत स (बाय क पर)

दव तपण

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सामा त म रख तपण क समय अज ल म जल भरकर सभी अगलयो क अ भाग क सहार अपत कर इस दवतीथ मा कहत ह क दवश क लए एक-एक अज ल जल डाल पवाभमख होकर दत चलॐ ादयो दवाः आग ग एतान जलालीन

ॐ तताम ॐ वतामॐ ताम

ॐ जापतततामॐ दवाताम

ॐ छास त ाम ॐ वदााम ॐ ऋषयाम

ॐ पराणाचाया ाम ॐ गवा ाम

ॐ इतराचाया ाम ॐ सवरः सावयवाम

ॐ दाम ॐ अरसामॐ दवानगााम

ॐ नागाामॐ सागरााम ॐ पवता ामॐ सरताम ॐ मनाामॐ यााम

ॐ रास त ामॐ पशाचााम

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ॐ सपणा ामॐ भतान त ाम ॐ पशवाम

ॐ वनतयाम ॐ ओषधयाम

ॐ भतामः चतवध ाम

(२) ऋष तपण

दसरा तपण ऋषयो क लए ह ास वस याव काायन अ जमद गौतम वाम नारद चरक

सत पाणनी दधीच आिद ऋषयो क त ा क अभ ऋष तपण ारा क जाती ह ऋषयो को भी

दवताओ क तरह दवतीथ स एक-एक अजल जल िदया जाता हनारद मन

ॐ मरीािद दशऋषयः आग ग एताजलालीन ॐ मरीचाताम ॐ अताम

ॐ अगराः तताम ॐ पलताम ॐ वसताम ॐ तताम

ॐ वसताम ॐ चताताम ॐ भगताम ॐ नारदताम

(३)द-मन तपण

तीसरा तपण िद मानवो क लए ह जो पण प स सम जीवन को लोक काण

ऋष तपण

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क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

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ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

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ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

euqampfir`ampriZk

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अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

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अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

30

पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

31

त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

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पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

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इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

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क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

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पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

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ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

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उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

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आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

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गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 10: Pitra Paksh Pitra Dosh

पतप म वजत ो ह शभकाय

वस यह परा १६ िदन पतरो क क नाम सरत रहता ह शभ काय ना करन क पीछ यह कारण हो सकता ह िक हम पतरो क त स दखी होकर या उनक

जान क दख म उनक आा क शा क लए कोई अ उव और मगलकाय काय नही कर लिकन आज क समय क लहाज स कछ

शभ काय वजत नही ह अगर बत आवक हो तो शभ काय िकए जा सकत ह

जनम पजा पाठ निहत नही हो खरीदारी भी क जा

सकती ह ऐसा नही ह िक शभ काय करन स उनका फल भावत होगा यह

कवल हमारा अपन पतरो क त सान होता ह िक हम 16 िदन तक घर म कोई मागलक आयोजन नही कर अगर बना इदव क पजा रिहत कोई मागलक

आयोजन िकया भी जाए तो उसका कोई बरा भाव भी नही होता ह जो लोग अपन घर म पतरो का परी ा स पजन करत ह त वष ा करत ह तपण

करत ह उनक साथ पतरो का आशीवाद भी बना होता ह उनका कोई काम गलत नही होता उी लोगो क साथ कोई बरी घटना या अशभ होता ह जो ा

नही करत या उनक जीतजी अपन जीवन म पतरो को ठीक स सत नही करत उनक त ाहीन होकर उनका ा नही करत तपण नही करत या उनस

नफरत करत ह

8

य शाीय सगत त ह क पत प म दवताओ क पजन या दवताओ क स करन पव अपन पतरो को स िकया जाय जो अधक काणद और सखकारी ह

ा प का िह धम ( सनातन धमाव लयो) क लए बड़ा मह िदन रहता ह ाचीन सनातन धम क अनसार हमार पवज दवत ह और इस धरा पर हमन जीवन

ा िकया ह और जस कार उोन हमारा लालन-पालन कर हम कताथ िकया ह उसस हम उनक ऋणी ह समपण और कतता क इसी भावना स ा प रत ह जो जातक को पतर ऋण स म माग िदखाता ह

भापद क पणमा स आन क अमावा तक सोलह िदनो तक का समय सोलह ा या ा पकहलाता ह शाो म दवकाय स पव पत काय करन का नदश

िदया गया ह ा स कवल पत ही त नही होत अपत सम दवी दवता स लकर वनतया तक त होती ह

गड़ पराण क अनसार पतर ऋण म माग रखा

कदव कवत समय ा कल क सीदत

आयः पान यशः ग कत प बल यम

पशन सौ धन धा ायात पतपजनात

दवकायादप सदा पतकाय वशत

दवताः पतणा िह पवमाायन शभम

अथात समयानसार ा करन स कल म कोई दखी नही रहता पतरो क पजा करक मन आय प यश ग कत प बल ी पश सख और धन-धा ा

करता ह दवकाय स भी पतकाय का वशष मह ह दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी और सखकारी ह

शाो म दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी कहा गया ह यही कारण ह िक दवपजन स पव पतर पजन िकए जान का वधान ह

दवताओ स पव पतपजन का वशष मह

9

पततपण और ा व सक ा करन वाल का सासारक जीवन सखमय बनता ह तथा मो क भी ा होती ह

ऐसी माता ह िक ा न करन स पत धा स होकर अपन सग-सबधयो को क और शाप दत ह अपन कम क अनसार जीव अलग-अलग योनयो म भोग

भोगत ह जहा मो ारा सकत ह-क को पतर ा कर लत ह

पतरो क लए ा स िकए गए म कम को ा कहत ह तथा त करन क िया और दवताओ ऋषयो या पतरो को तडल या तल मत जल अपत करन क िया

को तपण कहत ह तपण करना ही पडदान करना ह

तपण करन क पव सक अत आवक ह |बना सक क िकए गए दव काय या पत काय सवथा थ ही ह सक इस कार िकया जाता ह यथा-

ॐ ववव ॐ नम परमान ी पराण पषोम ी वोराया वतमाना ी णो ितीय पराध ी त वराह क ववत

मरअावशततम कलयग कल थम चरण जीप भारतवष भरत ख आयावागत ावतक दश पदश (यद वदश म कही हो तो रखािकत क

ान पर उस दश शहर ाम का नाम बोल)

वतमान पराभव नाम सवर दणायन अमक ऋतौ (ऋत का नाम) महामागद मासानाम मासोम अमक मास (महीन का नाम) अमक प (श या क प का नाम) अमक तथौ (तथ का नाम) अमक वासर (वार का नाम) अमक न (न का नाम) अमक राश मत च (जस राश म च हो का नाम) अमक राश त सय (सय जस राश म त हो का नाम) अमक राश नत दवगरौ बहत (ग जस राश म त हो का नाम) अमक गौो (अपन गौ तथा य का नाम) अमक शमा वमा अह सम पत पतामहाना नाना गौाणा पतराना पासा नवपवक अय त सादनाथ ाण भोजनाक साकत ा पचबल कम च कर हाथ म जल लकर इतना कहकर जल छोड़ आमा यानी का भोजन दन क लए रखािकत क ान पर

10

इद अ भवदो नम कह

अपनी घर क भाषा म ही ाथना कर- ह पतगण मर पास ा क लए उपय अ-धन नही ह तो कवल ा-भ इस आप ीकार हम आपक सतान ह हम

आशीवाद द तथा गलतयो एव कमयो क लए मा कर तथा परा करन क श दान कर

ॐ अयमा न ताम इद तलोदक त धा नमः ॐ मोमा अमत गमय

पतरो म अयमा ह अयमा पतरो क दव ह अयमा को णाम ह पता पतामह और पतामह ह माता मातामह और मातामह आपको भी बारबार णाम आप हम म स अमत क ओर ल चल

ह अ हमार सनातन य को सप करन वाल पतरो न जस दहात होन पर ऐय वाल ग को ा िकया ह वस ही यो म इन ऋचाओ का पाठ करत ए और

सम साधनो स य करत ए हम भी उसी ऐयवान ग को ा कर- यजवद तपण उपरात क ियाए ह- एक पडदान और दसरी ाण भोजन ाण क मख

स दवता ह को तथा पतर क को खात ह पतर रण मा स ही ा दश म आत ह तथा भोजनािद ा कर त होत ह एकाधक प हो और व अलग-अलग

रहत हो तो उन सभी को ा करना चािहए ाण भोजन क साथ पचबल कम भी होता ह जसका वशष मह ह

शाो म पाच तरह क बल बताई गई ह जसका ा म वशष मह ह1 गौ बल2 ान बल3 काक बल4 दवािद बल 5 पपीलका बल

यहा बल स ताय िकसी पश या पी क हा स नही ह ब ा क िदन जो भोजन बनाया जाता ह उसम स इनको भी खलाना चािहए इस ही बल कहा जाता ह

11

तपण (ा) कम क सरल वधतपण (ा) अनयायी सभी िह धमाव ली उ ा पवजो क त सी ा

का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ारविदक-पौराणकतथभापद श प क पणमा स सवपत अमावा अथात आन क प अमावा तकअनाना-कम म पक ए चावल दध औरतल को मत करक जो प बनात ह प का अथ ह शरीर यह एक पारपरक वास ह िक हर पीढ़ी क भीतर मातकल तथा पतकल

दोनो म पहल क पीिढ़यो क समत गणस उपत होत ह यह तीकाक अनान जन जन लोगो क गणस (जी) ा करन वाल क अपनी दह म ह

उनक त क लए होता ह

अ जानकारी पराण क अनसार ा क परभाषा- जो कछ उचत काल पा एव ान क अनसार उचत (शाानमोिदत) वध ारा पतरो को ल करक

ापवक ाणो को िदया जाता ह ा कहलाता ह

ा पवजो क त सी ा का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ा सार म आवाहन पजन नमार क उपरा तपण िकया जाता ह जल म दध जौ चावल चन डाल कर तपण काय म य करत ह मल सक तो गगा जल भी डाल दना चािहए त क

लए तपण िकया जाता ह ग आाओ क त िकसी पदाथ स खान-पहनन आिद क व स नही होती ोिक ल शरीर क लए ही भौतक उपकरणो क

आवकता पड़ती ह मरन क बाद ल शरीर समा होकर कवल स शरीर ही रह जाता ह स शरीर को भख-ास सद-गम आिद क आवकता नही रहती

उसक त का वषय कोई खा पदाथ या हाड़-मास वाल शरीर क लए उपय उपकरण नही हो सकत स शरीर म वचारणा चतना और भावना क धानता

रहती ह इसलए उसम उ भावनाओ स बना अःकरण या वातावरण ही शादायक होता ह

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दशा एव रणा इस ससार म ल शरीर वाल को जस कार इय भोग वासना ता एव अहकार क पत म सख मलता ह उसी कार पतरो का स शरीर

शभ कम स उ सग का रसाादन करत ए त का अनभव करता ह उसक सता तथा आकाा का क ब ा ह ा भर वातावरण क सा म पतर अपनी अशा खोकर आन का अनभव करत ह ा ही इनक भख ह इसी स

उ त होती ह इसलए पतरो क सता क लए ा एव तपण िकय जात ह इन ियाओ का वध-वधान इतना सरल एव इतन कम खच का ह िक नधन स नधन

भी उस आसानी स स कर सकता ह तपण म धानतया जल का ही योग होता ह उस थोड़ा सगधत एव परप बनान क लए जौ तल चावल दध फल

जसी दो-चार मागलक वए डाली जाती ह कशाओ क सहार जौ क छोटी-सी अजल मोारपवक डालन मा स पतर त हो जात ह िक इस िया क साथ आवक ा कतता सावना म शभकामना का समय अव होना

चािहए यिद ाल इन भावनाओ क साथ क गयी ह तो तपण का उ परा हो जायगा पतरो को आवक त मलगी िक यिद इस कार क कोई ा

भावना तपण करन वाल क मन म नही होती और कवल लकर पीटन क मा पानी इधर-उधर फलाया जाता ह तो इतन भर स कोई वशष योजन पण न होगा इसलए

इन पत-कम क करन वाल यह ान रख िक इन छोट-छोट िया-को को करन क साथ-साथ िदवगत आाओ क उपकारो का रण कर उनक सणो तथा सम क

त ा कर

कतता तथा सान क भावना उनक त रख और यह अनभव कर िक यह जलाजल जस अिकचन उपकरणो क साथ अपनी ा क अभ करत ए

गीय आाओ क चरणो पर अपनी सावना क प चढ़ा रहा इस कार क भावनाए जतनी ही बल होगी पतरो को उतनी ही अधक त मलगी जस पतर

का गवास आ ह उसक िकय ए उपकारो क त कतता करना उसक अधर छोड़ ए पारवारक एव सामाजक उरदाय को परा करन म तर होना तथा अपन एव वातावरण को मगलमय ढाच म ढालना मरणोर सार का

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धान योजन ह गह श सतक नव का उ भी इसी क नम क जाती ह िक तपण म कवल इी एक पतर क लए नही पव काल म गजर ए अपन

परवार माता क परवार दादी क परवार क तीन-तीन पीढ़ी क पतरो क त का भी आयोजन िकया जाता ह इतना ही नही इस पी पर अवतरत ए सभी महान पषो

क आा क त इस अवसर पर ा करत ए अपनी सावना क ारा त करन का य िकया जाता ह तपण को छः भागो म वभ िकया गया ह-

दव-तपणऋष-तपणिद-मानव-तपणिद-पत-तपणयम-तपणमन-पत-तपणा सार करत ाल

(१) दव तपणम

दव शया ईर क व महान वभतया ह जो मानव-काण म सदा नःाथ भाव स यतनरत ह जल वाय सय

अ च वत तथा अवतारी ईर अगो क म आाए एव वा ब श तभा कणा दया सता

पवता जसी सवया सभी दव शयो म आती ह यप य िदखाई नही दती तो भी इनक अन उपकार ह यिद इनका लाभ न मल

तो मन क लए जीवत रह सकना भी सव न हो इनक त कतता क भावना करन क लए यह दव-तपण िकया जाता ह यजमान दोनो हाथो क अनामका

अगलयो म पवी धारण करॐ आग महाभागाः वदवा महाबलाः य तपणऽ विहताः सावधाना भव त

जल म चावल डाल कश-मोटक सीध ही ल योपवीत स (बाय क पर)

दव तपण

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सामा त म रख तपण क समय अज ल म जल भरकर सभी अगलयो क अ भाग क सहार अपत कर इस दवतीथ मा कहत ह क दवश क लए एक-एक अज ल जल डाल पवाभमख होकर दत चलॐ ादयो दवाः आग ग एतान जलालीन

ॐ तताम ॐ वतामॐ ताम

ॐ जापतततामॐ दवाताम

ॐ छास त ाम ॐ वदााम ॐ ऋषयाम

ॐ पराणाचाया ाम ॐ गवा ाम

ॐ इतराचाया ाम ॐ सवरः सावयवाम

ॐ दाम ॐ अरसामॐ दवानगााम

ॐ नागाामॐ सागरााम ॐ पवता ामॐ सरताम ॐ मनाामॐ यााम

ॐ रास त ामॐ पशाचााम

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ॐ सपणा ामॐ भतान त ाम ॐ पशवाम

ॐ वनतयाम ॐ ओषधयाम

ॐ भतामः चतवध ाम

(२) ऋष तपण

दसरा तपण ऋषयो क लए ह ास वस याव काायन अ जमद गौतम वाम नारद चरक

सत पाणनी दधीच आिद ऋषयो क त ा क अभ ऋष तपण ारा क जाती ह ऋषयो को भी

दवताओ क तरह दवतीथ स एक-एक अजल जल िदया जाता हनारद मन

ॐ मरीािद दशऋषयः आग ग एताजलालीन ॐ मरीचाताम ॐ अताम

ॐ अगराः तताम ॐ पलताम ॐ वसताम ॐ तताम

ॐ वसताम ॐ चताताम ॐ भगताम ॐ नारदताम

(३)द-मन तपण

तीसरा तपण िद मानवो क लए ह जो पण प स सम जीवन को लोक काण

ऋष तपण

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क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

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ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

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ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

euqampfir`ampriZk

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अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

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अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

30

पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

31

त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

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पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

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क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

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ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

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उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

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आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

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गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 11: Pitra Paksh Pitra Dosh

य शाीय सगत त ह क पत प म दवताओ क पजन या दवताओ क स करन पव अपन पतरो को स िकया जाय जो अधक काणद और सखकारी ह

ा प का िह धम ( सनातन धमाव लयो) क लए बड़ा मह िदन रहता ह ाचीन सनातन धम क अनसार हमार पवज दवत ह और इस धरा पर हमन जीवन

ा िकया ह और जस कार उोन हमारा लालन-पालन कर हम कताथ िकया ह उसस हम उनक ऋणी ह समपण और कतता क इसी भावना स ा प रत ह जो जातक को पतर ऋण स म माग िदखाता ह

भापद क पणमा स आन क अमावा तक सोलह िदनो तक का समय सोलह ा या ा पकहलाता ह शाो म दवकाय स पव पत काय करन का नदश

िदया गया ह ा स कवल पत ही त नही होत अपत सम दवी दवता स लकर वनतया तक त होती ह

गड़ पराण क अनसार पतर ऋण म माग रखा

कदव कवत समय ा कल क सीदत

आयः पान यशः ग कत प बल यम

पशन सौ धन धा ायात पतपजनात

दवकायादप सदा पतकाय वशत

दवताः पतणा िह पवमाायन शभम

अथात समयानसार ा करन स कल म कोई दखी नही रहता पतरो क पजा करक मन आय प यश ग कत प बल ी पश सख और धन-धा ा

करता ह दवकाय स भी पतकाय का वशष मह ह दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी और सखकारी ह

शाो म दवताओ स पहल पतरो को स करना अधक काणकारी कहा गया ह यही कारण ह िक दवपजन स पव पतर पजन िकए जान का वधान ह

दवताओ स पव पतपजन का वशष मह

9

पततपण और ा व सक ा करन वाल का सासारक जीवन सखमय बनता ह तथा मो क भी ा होती ह

ऐसी माता ह िक ा न करन स पत धा स होकर अपन सग-सबधयो को क और शाप दत ह अपन कम क अनसार जीव अलग-अलग योनयो म भोग

भोगत ह जहा मो ारा सकत ह-क को पतर ा कर लत ह

पतरो क लए ा स िकए गए म कम को ा कहत ह तथा त करन क िया और दवताओ ऋषयो या पतरो को तडल या तल मत जल अपत करन क िया

को तपण कहत ह तपण करना ही पडदान करना ह

तपण करन क पव सक अत आवक ह |बना सक क िकए गए दव काय या पत काय सवथा थ ही ह सक इस कार िकया जाता ह यथा-

ॐ ववव ॐ नम परमान ी पराण पषोम ी वोराया वतमाना ी णो ितीय पराध ी त वराह क ववत

मरअावशततम कलयग कल थम चरण जीप भारतवष भरत ख आयावागत ावतक दश पदश (यद वदश म कही हो तो रखािकत क

ान पर उस दश शहर ाम का नाम बोल)

वतमान पराभव नाम सवर दणायन अमक ऋतौ (ऋत का नाम) महामागद मासानाम मासोम अमक मास (महीन का नाम) अमक प (श या क प का नाम) अमक तथौ (तथ का नाम) अमक वासर (वार का नाम) अमक न (न का नाम) अमक राश मत च (जस राश म च हो का नाम) अमक राश त सय (सय जस राश म त हो का नाम) अमक राश नत दवगरौ बहत (ग जस राश म त हो का नाम) अमक गौो (अपन गौ तथा य का नाम) अमक शमा वमा अह सम पत पतामहाना नाना गौाणा पतराना पासा नवपवक अय त सादनाथ ाण भोजनाक साकत ा पचबल कम च कर हाथ म जल लकर इतना कहकर जल छोड़ आमा यानी का भोजन दन क लए रखािकत क ान पर

10

इद अ भवदो नम कह

अपनी घर क भाषा म ही ाथना कर- ह पतगण मर पास ा क लए उपय अ-धन नही ह तो कवल ा-भ इस आप ीकार हम आपक सतान ह हम

आशीवाद द तथा गलतयो एव कमयो क लए मा कर तथा परा करन क श दान कर

ॐ अयमा न ताम इद तलोदक त धा नमः ॐ मोमा अमत गमय

पतरो म अयमा ह अयमा पतरो क दव ह अयमा को णाम ह पता पतामह और पतामह ह माता मातामह और मातामह आपको भी बारबार णाम आप हम म स अमत क ओर ल चल

ह अ हमार सनातन य को सप करन वाल पतरो न जस दहात होन पर ऐय वाल ग को ा िकया ह वस ही यो म इन ऋचाओ का पाठ करत ए और

सम साधनो स य करत ए हम भी उसी ऐयवान ग को ा कर- यजवद तपण उपरात क ियाए ह- एक पडदान और दसरी ाण भोजन ाण क मख

स दवता ह को तथा पतर क को खात ह पतर रण मा स ही ा दश म आत ह तथा भोजनािद ा कर त होत ह एकाधक प हो और व अलग-अलग

रहत हो तो उन सभी को ा करना चािहए ाण भोजन क साथ पचबल कम भी होता ह जसका वशष मह ह

शाो म पाच तरह क बल बताई गई ह जसका ा म वशष मह ह1 गौ बल2 ान बल3 काक बल4 दवािद बल 5 पपीलका बल

यहा बल स ताय िकसी पश या पी क हा स नही ह ब ा क िदन जो भोजन बनाया जाता ह उसम स इनको भी खलाना चािहए इस ही बल कहा जाता ह

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तपण (ा) कम क सरल वधतपण (ा) अनयायी सभी िह धमाव ली उ ा पवजो क त सी ा

का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ारविदक-पौराणकतथभापद श प क पणमा स सवपत अमावा अथात आन क प अमावा तकअनाना-कम म पक ए चावल दध औरतल को मत करक जो प बनात ह प का अथ ह शरीर यह एक पारपरक वास ह िक हर पीढ़ी क भीतर मातकल तथा पतकल

दोनो म पहल क पीिढ़यो क समत गणस उपत होत ह यह तीकाक अनान जन जन लोगो क गणस (जी) ा करन वाल क अपनी दह म ह

उनक त क लए होता ह

अ जानकारी पराण क अनसार ा क परभाषा- जो कछ उचत काल पा एव ान क अनसार उचत (शाानमोिदत) वध ारा पतरो को ल करक

ापवक ाणो को िदया जाता ह ा कहलाता ह

ा पवजो क त सी ा का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ा सार म आवाहन पजन नमार क उपरा तपण िकया जाता ह जल म दध जौ चावल चन डाल कर तपण काय म य करत ह मल सक तो गगा जल भी डाल दना चािहए त क

लए तपण िकया जाता ह ग आाओ क त िकसी पदाथ स खान-पहनन आिद क व स नही होती ोिक ल शरीर क लए ही भौतक उपकरणो क

आवकता पड़ती ह मरन क बाद ल शरीर समा होकर कवल स शरीर ही रह जाता ह स शरीर को भख-ास सद-गम आिद क आवकता नही रहती

उसक त का वषय कोई खा पदाथ या हाड़-मास वाल शरीर क लए उपय उपकरण नही हो सकत स शरीर म वचारणा चतना और भावना क धानता

रहती ह इसलए उसम उ भावनाओ स बना अःकरण या वातावरण ही शादायक होता ह

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दशा एव रणा इस ससार म ल शरीर वाल को जस कार इय भोग वासना ता एव अहकार क पत म सख मलता ह उसी कार पतरो का स शरीर

शभ कम स उ सग का रसाादन करत ए त का अनभव करता ह उसक सता तथा आकाा का क ब ा ह ा भर वातावरण क सा म पतर अपनी अशा खोकर आन का अनभव करत ह ा ही इनक भख ह इसी स

उ त होती ह इसलए पतरो क सता क लए ा एव तपण िकय जात ह इन ियाओ का वध-वधान इतना सरल एव इतन कम खच का ह िक नधन स नधन

भी उस आसानी स स कर सकता ह तपण म धानतया जल का ही योग होता ह उस थोड़ा सगधत एव परप बनान क लए जौ तल चावल दध फल

जसी दो-चार मागलक वए डाली जाती ह कशाओ क सहार जौ क छोटी-सी अजल मोारपवक डालन मा स पतर त हो जात ह िक इस िया क साथ आवक ा कतता सावना म शभकामना का समय अव होना

चािहए यिद ाल इन भावनाओ क साथ क गयी ह तो तपण का उ परा हो जायगा पतरो को आवक त मलगी िक यिद इस कार क कोई ा

भावना तपण करन वाल क मन म नही होती और कवल लकर पीटन क मा पानी इधर-उधर फलाया जाता ह तो इतन भर स कोई वशष योजन पण न होगा इसलए

इन पत-कम क करन वाल यह ान रख िक इन छोट-छोट िया-को को करन क साथ-साथ िदवगत आाओ क उपकारो का रण कर उनक सणो तथा सम क

त ा कर

कतता तथा सान क भावना उनक त रख और यह अनभव कर िक यह जलाजल जस अिकचन उपकरणो क साथ अपनी ा क अभ करत ए

गीय आाओ क चरणो पर अपनी सावना क प चढ़ा रहा इस कार क भावनाए जतनी ही बल होगी पतरो को उतनी ही अधक त मलगी जस पतर

का गवास आ ह उसक िकय ए उपकारो क त कतता करना उसक अधर छोड़ ए पारवारक एव सामाजक उरदाय को परा करन म तर होना तथा अपन एव वातावरण को मगलमय ढाच म ढालना मरणोर सार का

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धान योजन ह गह श सतक नव का उ भी इसी क नम क जाती ह िक तपण म कवल इी एक पतर क लए नही पव काल म गजर ए अपन

परवार माता क परवार दादी क परवार क तीन-तीन पीढ़ी क पतरो क त का भी आयोजन िकया जाता ह इतना ही नही इस पी पर अवतरत ए सभी महान पषो

क आा क त इस अवसर पर ा करत ए अपनी सावना क ारा त करन का य िकया जाता ह तपण को छः भागो म वभ िकया गया ह-

दव-तपणऋष-तपणिद-मानव-तपणिद-पत-तपणयम-तपणमन-पत-तपणा सार करत ाल

(१) दव तपणम

दव शया ईर क व महान वभतया ह जो मानव-काण म सदा नःाथ भाव स यतनरत ह जल वाय सय

अ च वत तथा अवतारी ईर अगो क म आाए एव वा ब श तभा कणा दया सता

पवता जसी सवया सभी दव शयो म आती ह यप य िदखाई नही दती तो भी इनक अन उपकार ह यिद इनका लाभ न मल

तो मन क लए जीवत रह सकना भी सव न हो इनक त कतता क भावना करन क लए यह दव-तपण िकया जाता ह यजमान दोनो हाथो क अनामका

अगलयो म पवी धारण करॐ आग महाभागाः वदवा महाबलाः य तपणऽ विहताः सावधाना भव त

जल म चावल डाल कश-मोटक सीध ही ल योपवीत स (बाय क पर)

दव तपण

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सामा त म रख तपण क समय अज ल म जल भरकर सभी अगलयो क अ भाग क सहार अपत कर इस दवतीथ मा कहत ह क दवश क लए एक-एक अज ल जल डाल पवाभमख होकर दत चलॐ ादयो दवाः आग ग एतान जलालीन

ॐ तताम ॐ वतामॐ ताम

ॐ जापतततामॐ दवाताम

ॐ छास त ाम ॐ वदााम ॐ ऋषयाम

ॐ पराणाचाया ाम ॐ गवा ाम

ॐ इतराचाया ाम ॐ सवरः सावयवाम

ॐ दाम ॐ अरसामॐ दवानगााम

ॐ नागाामॐ सागरााम ॐ पवता ामॐ सरताम ॐ मनाामॐ यााम

ॐ रास त ामॐ पशाचााम

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ॐ सपणा ामॐ भतान त ाम ॐ पशवाम

ॐ वनतयाम ॐ ओषधयाम

ॐ भतामः चतवध ाम

(२) ऋष तपण

दसरा तपण ऋषयो क लए ह ास वस याव काायन अ जमद गौतम वाम नारद चरक

सत पाणनी दधीच आिद ऋषयो क त ा क अभ ऋष तपण ारा क जाती ह ऋषयो को भी

दवताओ क तरह दवतीथ स एक-एक अजल जल िदया जाता हनारद मन

ॐ मरीािद दशऋषयः आग ग एताजलालीन ॐ मरीचाताम ॐ अताम

ॐ अगराः तताम ॐ पलताम ॐ वसताम ॐ तताम

ॐ वसताम ॐ चताताम ॐ भगताम ॐ नारदताम

(३)द-मन तपण

तीसरा तपण िद मानवो क लए ह जो पण प स सम जीवन को लोक काण

ऋष तपण

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क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

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ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

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ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

euqampfir`ampriZk

19

अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

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अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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28

पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

29

सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

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त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

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ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

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पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

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इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

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ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

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आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

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ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

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गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 12: Pitra Paksh Pitra Dosh

पततपण और ा व सक ा करन वाल का सासारक जीवन सखमय बनता ह तथा मो क भी ा होती ह

ऐसी माता ह िक ा न करन स पत धा स होकर अपन सग-सबधयो को क और शाप दत ह अपन कम क अनसार जीव अलग-अलग योनयो म भोग

भोगत ह जहा मो ारा सकत ह-क को पतर ा कर लत ह

पतरो क लए ा स िकए गए म कम को ा कहत ह तथा त करन क िया और दवताओ ऋषयो या पतरो को तडल या तल मत जल अपत करन क िया

को तपण कहत ह तपण करना ही पडदान करना ह

तपण करन क पव सक अत आवक ह |बना सक क िकए गए दव काय या पत काय सवथा थ ही ह सक इस कार िकया जाता ह यथा-

ॐ ववव ॐ नम परमान ी पराण पषोम ी वोराया वतमाना ी णो ितीय पराध ी त वराह क ववत

मरअावशततम कलयग कल थम चरण जीप भारतवष भरत ख आयावागत ावतक दश पदश (यद वदश म कही हो तो रखािकत क

ान पर उस दश शहर ाम का नाम बोल)

वतमान पराभव नाम सवर दणायन अमक ऋतौ (ऋत का नाम) महामागद मासानाम मासोम अमक मास (महीन का नाम) अमक प (श या क प का नाम) अमक तथौ (तथ का नाम) अमक वासर (वार का नाम) अमक न (न का नाम) अमक राश मत च (जस राश म च हो का नाम) अमक राश त सय (सय जस राश म त हो का नाम) अमक राश नत दवगरौ बहत (ग जस राश म त हो का नाम) अमक गौो (अपन गौ तथा य का नाम) अमक शमा वमा अह सम पत पतामहाना नाना गौाणा पतराना पासा नवपवक अय त सादनाथ ाण भोजनाक साकत ा पचबल कम च कर हाथ म जल लकर इतना कहकर जल छोड़ आमा यानी का भोजन दन क लए रखािकत क ान पर

10

इद अ भवदो नम कह

अपनी घर क भाषा म ही ाथना कर- ह पतगण मर पास ा क लए उपय अ-धन नही ह तो कवल ा-भ इस आप ीकार हम आपक सतान ह हम

आशीवाद द तथा गलतयो एव कमयो क लए मा कर तथा परा करन क श दान कर

ॐ अयमा न ताम इद तलोदक त धा नमः ॐ मोमा अमत गमय

पतरो म अयमा ह अयमा पतरो क दव ह अयमा को णाम ह पता पतामह और पतामह ह माता मातामह और मातामह आपको भी बारबार णाम आप हम म स अमत क ओर ल चल

ह अ हमार सनातन य को सप करन वाल पतरो न जस दहात होन पर ऐय वाल ग को ा िकया ह वस ही यो म इन ऋचाओ का पाठ करत ए और

सम साधनो स य करत ए हम भी उसी ऐयवान ग को ा कर- यजवद तपण उपरात क ियाए ह- एक पडदान और दसरी ाण भोजन ाण क मख

स दवता ह को तथा पतर क को खात ह पतर रण मा स ही ा दश म आत ह तथा भोजनािद ा कर त होत ह एकाधक प हो और व अलग-अलग

रहत हो तो उन सभी को ा करना चािहए ाण भोजन क साथ पचबल कम भी होता ह जसका वशष मह ह

शाो म पाच तरह क बल बताई गई ह जसका ा म वशष मह ह1 गौ बल2 ान बल3 काक बल4 दवािद बल 5 पपीलका बल

यहा बल स ताय िकसी पश या पी क हा स नही ह ब ा क िदन जो भोजन बनाया जाता ह उसम स इनको भी खलाना चािहए इस ही बल कहा जाता ह

11

तपण (ा) कम क सरल वधतपण (ा) अनयायी सभी िह धमाव ली उ ा पवजो क त सी ा

का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ारविदक-पौराणकतथभापद श प क पणमा स सवपत अमावा अथात आन क प अमावा तकअनाना-कम म पक ए चावल दध औरतल को मत करक जो प बनात ह प का अथ ह शरीर यह एक पारपरक वास ह िक हर पीढ़ी क भीतर मातकल तथा पतकल

दोनो म पहल क पीिढ़यो क समत गणस उपत होत ह यह तीकाक अनान जन जन लोगो क गणस (जी) ा करन वाल क अपनी दह म ह

उनक त क लए होता ह

अ जानकारी पराण क अनसार ा क परभाषा- जो कछ उचत काल पा एव ान क अनसार उचत (शाानमोिदत) वध ारा पतरो को ल करक

ापवक ाणो को िदया जाता ह ा कहलाता ह

ा पवजो क त सी ा का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ा सार म आवाहन पजन नमार क उपरा तपण िकया जाता ह जल म दध जौ चावल चन डाल कर तपण काय म य करत ह मल सक तो गगा जल भी डाल दना चािहए त क

लए तपण िकया जाता ह ग आाओ क त िकसी पदाथ स खान-पहनन आिद क व स नही होती ोिक ल शरीर क लए ही भौतक उपकरणो क

आवकता पड़ती ह मरन क बाद ल शरीर समा होकर कवल स शरीर ही रह जाता ह स शरीर को भख-ास सद-गम आिद क आवकता नही रहती

उसक त का वषय कोई खा पदाथ या हाड़-मास वाल शरीर क लए उपय उपकरण नही हो सकत स शरीर म वचारणा चतना और भावना क धानता

रहती ह इसलए उसम उ भावनाओ स बना अःकरण या वातावरण ही शादायक होता ह

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दशा एव रणा इस ससार म ल शरीर वाल को जस कार इय भोग वासना ता एव अहकार क पत म सख मलता ह उसी कार पतरो का स शरीर

शभ कम स उ सग का रसाादन करत ए त का अनभव करता ह उसक सता तथा आकाा का क ब ा ह ा भर वातावरण क सा म पतर अपनी अशा खोकर आन का अनभव करत ह ा ही इनक भख ह इसी स

उ त होती ह इसलए पतरो क सता क लए ा एव तपण िकय जात ह इन ियाओ का वध-वधान इतना सरल एव इतन कम खच का ह िक नधन स नधन

भी उस आसानी स स कर सकता ह तपण म धानतया जल का ही योग होता ह उस थोड़ा सगधत एव परप बनान क लए जौ तल चावल दध फल

जसी दो-चार मागलक वए डाली जाती ह कशाओ क सहार जौ क छोटी-सी अजल मोारपवक डालन मा स पतर त हो जात ह िक इस िया क साथ आवक ा कतता सावना म शभकामना का समय अव होना

चािहए यिद ाल इन भावनाओ क साथ क गयी ह तो तपण का उ परा हो जायगा पतरो को आवक त मलगी िक यिद इस कार क कोई ा

भावना तपण करन वाल क मन म नही होती और कवल लकर पीटन क मा पानी इधर-उधर फलाया जाता ह तो इतन भर स कोई वशष योजन पण न होगा इसलए

इन पत-कम क करन वाल यह ान रख िक इन छोट-छोट िया-को को करन क साथ-साथ िदवगत आाओ क उपकारो का रण कर उनक सणो तथा सम क

त ा कर

कतता तथा सान क भावना उनक त रख और यह अनभव कर िक यह जलाजल जस अिकचन उपकरणो क साथ अपनी ा क अभ करत ए

गीय आाओ क चरणो पर अपनी सावना क प चढ़ा रहा इस कार क भावनाए जतनी ही बल होगी पतरो को उतनी ही अधक त मलगी जस पतर

का गवास आ ह उसक िकय ए उपकारो क त कतता करना उसक अधर छोड़ ए पारवारक एव सामाजक उरदाय को परा करन म तर होना तथा अपन एव वातावरण को मगलमय ढाच म ढालना मरणोर सार का

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धान योजन ह गह श सतक नव का उ भी इसी क नम क जाती ह िक तपण म कवल इी एक पतर क लए नही पव काल म गजर ए अपन

परवार माता क परवार दादी क परवार क तीन-तीन पीढ़ी क पतरो क त का भी आयोजन िकया जाता ह इतना ही नही इस पी पर अवतरत ए सभी महान पषो

क आा क त इस अवसर पर ा करत ए अपनी सावना क ारा त करन का य िकया जाता ह तपण को छः भागो म वभ िकया गया ह-

दव-तपणऋष-तपणिद-मानव-तपणिद-पत-तपणयम-तपणमन-पत-तपणा सार करत ाल

(१) दव तपणम

दव शया ईर क व महान वभतया ह जो मानव-काण म सदा नःाथ भाव स यतनरत ह जल वाय सय

अ च वत तथा अवतारी ईर अगो क म आाए एव वा ब श तभा कणा दया सता

पवता जसी सवया सभी दव शयो म आती ह यप य िदखाई नही दती तो भी इनक अन उपकार ह यिद इनका लाभ न मल

तो मन क लए जीवत रह सकना भी सव न हो इनक त कतता क भावना करन क लए यह दव-तपण िकया जाता ह यजमान दोनो हाथो क अनामका

अगलयो म पवी धारण करॐ आग महाभागाः वदवा महाबलाः य तपणऽ विहताः सावधाना भव त

जल म चावल डाल कश-मोटक सीध ही ल योपवीत स (बाय क पर)

दव तपण

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सामा त म रख तपण क समय अज ल म जल भरकर सभी अगलयो क अ भाग क सहार अपत कर इस दवतीथ मा कहत ह क दवश क लए एक-एक अज ल जल डाल पवाभमख होकर दत चलॐ ादयो दवाः आग ग एतान जलालीन

ॐ तताम ॐ वतामॐ ताम

ॐ जापतततामॐ दवाताम

ॐ छास त ाम ॐ वदााम ॐ ऋषयाम

ॐ पराणाचाया ाम ॐ गवा ाम

ॐ इतराचाया ाम ॐ सवरः सावयवाम

ॐ दाम ॐ अरसामॐ दवानगााम

ॐ नागाामॐ सागरााम ॐ पवता ामॐ सरताम ॐ मनाामॐ यााम

ॐ रास त ामॐ पशाचााम

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ॐ सपणा ामॐ भतान त ाम ॐ पशवाम

ॐ वनतयाम ॐ ओषधयाम

ॐ भतामः चतवध ाम

(२) ऋष तपण

दसरा तपण ऋषयो क लए ह ास वस याव काायन अ जमद गौतम वाम नारद चरक

सत पाणनी दधीच आिद ऋषयो क त ा क अभ ऋष तपण ारा क जाती ह ऋषयो को भी

दवताओ क तरह दवतीथ स एक-एक अजल जल िदया जाता हनारद मन

ॐ मरीािद दशऋषयः आग ग एताजलालीन ॐ मरीचाताम ॐ अताम

ॐ अगराः तताम ॐ पलताम ॐ वसताम ॐ तताम

ॐ वसताम ॐ चताताम ॐ भगताम ॐ नारदताम

(३)द-मन तपण

तीसरा तपण िद मानवो क लए ह जो पण प स सम जीवन को लोक काण

ऋष तपण

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क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

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ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

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ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

euqampfir`ampriZk

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अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

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अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

29

सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

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त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

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ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

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पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

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इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

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ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

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आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

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क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 13: Pitra Paksh Pitra Dosh

इद अ भवदो नम कह

अपनी घर क भाषा म ही ाथना कर- ह पतगण मर पास ा क लए उपय अ-धन नही ह तो कवल ा-भ इस आप ीकार हम आपक सतान ह हम

आशीवाद द तथा गलतयो एव कमयो क लए मा कर तथा परा करन क श दान कर

ॐ अयमा न ताम इद तलोदक त धा नमः ॐ मोमा अमत गमय

पतरो म अयमा ह अयमा पतरो क दव ह अयमा को णाम ह पता पतामह और पतामह ह माता मातामह और मातामह आपको भी बारबार णाम आप हम म स अमत क ओर ल चल

ह अ हमार सनातन य को सप करन वाल पतरो न जस दहात होन पर ऐय वाल ग को ा िकया ह वस ही यो म इन ऋचाओ का पाठ करत ए और

सम साधनो स य करत ए हम भी उसी ऐयवान ग को ा कर- यजवद तपण उपरात क ियाए ह- एक पडदान और दसरी ाण भोजन ाण क मख

स दवता ह को तथा पतर क को खात ह पतर रण मा स ही ा दश म आत ह तथा भोजनािद ा कर त होत ह एकाधक प हो और व अलग-अलग

रहत हो तो उन सभी को ा करना चािहए ाण भोजन क साथ पचबल कम भी होता ह जसका वशष मह ह

शाो म पाच तरह क बल बताई गई ह जसका ा म वशष मह ह1 गौ बल2 ान बल3 काक बल4 दवािद बल 5 पपीलका बल

यहा बल स ताय िकसी पश या पी क हा स नही ह ब ा क िदन जो भोजन बनाया जाता ह उसम स इनको भी खलाना चािहए इस ही बल कहा जाता ह

11

तपण (ा) कम क सरल वधतपण (ा) अनयायी सभी िह धमाव ली उ ा पवजो क त सी ा

का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ारविदक-पौराणकतथभापद श प क पणमा स सवपत अमावा अथात आन क प अमावा तकअनाना-कम म पक ए चावल दध औरतल को मत करक जो प बनात ह प का अथ ह शरीर यह एक पारपरक वास ह िक हर पीढ़ी क भीतर मातकल तथा पतकल

दोनो म पहल क पीिढ़यो क समत गणस उपत होत ह यह तीकाक अनान जन जन लोगो क गणस (जी) ा करन वाल क अपनी दह म ह

उनक त क लए होता ह

अ जानकारी पराण क अनसार ा क परभाषा- जो कछ उचत काल पा एव ान क अनसार उचत (शाानमोिदत) वध ारा पतरो को ल करक

ापवक ाणो को िदया जाता ह ा कहलाता ह

ा पवजो क त सी ा का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ा सार म आवाहन पजन नमार क उपरा तपण िकया जाता ह जल म दध जौ चावल चन डाल कर तपण काय म य करत ह मल सक तो गगा जल भी डाल दना चािहए त क

लए तपण िकया जाता ह ग आाओ क त िकसी पदाथ स खान-पहनन आिद क व स नही होती ोिक ल शरीर क लए ही भौतक उपकरणो क

आवकता पड़ती ह मरन क बाद ल शरीर समा होकर कवल स शरीर ही रह जाता ह स शरीर को भख-ास सद-गम आिद क आवकता नही रहती

उसक त का वषय कोई खा पदाथ या हाड़-मास वाल शरीर क लए उपय उपकरण नही हो सकत स शरीर म वचारणा चतना और भावना क धानता

रहती ह इसलए उसम उ भावनाओ स बना अःकरण या वातावरण ही शादायक होता ह

12

दशा एव रणा इस ससार म ल शरीर वाल को जस कार इय भोग वासना ता एव अहकार क पत म सख मलता ह उसी कार पतरो का स शरीर

शभ कम स उ सग का रसाादन करत ए त का अनभव करता ह उसक सता तथा आकाा का क ब ा ह ा भर वातावरण क सा म पतर अपनी अशा खोकर आन का अनभव करत ह ा ही इनक भख ह इसी स

उ त होती ह इसलए पतरो क सता क लए ा एव तपण िकय जात ह इन ियाओ का वध-वधान इतना सरल एव इतन कम खच का ह िक नधन स नधन

भी उस आसानी स स कर सकता ह तपण म धानतया जल का ही योग होता ह उस थोड़ा सगधत एव परप बनान क लए जौ तल चावल दध फल

जसी दो-चार मागलक वए डाली जाती ह कशाओ क सहार जौ क छोटी-सी अजल मोारपवक डालन मा स पतर त हो जात ह िक इस िया क साथ आवक ा कतता सावना म शभकामना का समय अव होना

चािहए यिद ाल इन भावनाओ क साथ क गयी ह तो तपण का उ परा हो जायगा पतरो को आवक त मलगी िक यिद इस कार क कोई ा

भावना तपण करन वाल क मन म नही होती और कवल लकर पीटन क मा पानी इधर-उधर फलाया जाता ह तो इतन भर स कोई वशष योजन पण न होगा इसलए

इन पत-कम क करन वाल यह ान रख िक इन छोट-छोट िया-को को करन क साथ-साथ िदवगत आाओ क उपकारो का रण कर उनक सणो तथा सम क

त ा कर

कतता तथा सान क भावना उनक त रख और यह अनभव कर िक यह जलाजल जस अिकचन उपकरणो क साथ अपनी ा क अभ करत ए

गीय आाओ क चरणो पर अपनी सावना क प चढ़ा रहा इस कार क भावनाए जतनी ही बल होगी पतरो को उतनी ही अधक त मलगी जस पतर

का गवास आ ह उसक िकय ए उपकारो क त कतता करना उसक अधर छोड़ ए पारवारक एव सामाजक उरदाय को परा करन म तर होना तथा अपन एव वातावरण को मगलमय ढाच म ढालना मरणोर सार का

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धान योजन ह गह श सतक नव का उ भी इसी क नम क जाती ह िक तपण म कवल इी एक पतर क लए नही पव काल म गजर ए अपन

परवार माता क परवार दादी क परवार क तीन-तीन पीढ़ी क पतरो क त का भी आयोजन िकया जाता ह इतना ही नही इस पी पर अवतरत ए सभी महान पषो

क आा क त इस अवसर पर ा करत ए अपनी सावना क ारा त करन का य िकया जाता ह तपण को छः भागो म वभ िकया गया ह-

दव-तपणऋष-तपणिद-मानव-तपणिद-पत-तपणयम-तपणमन-पत-तपणा सार करत ाल

(१) दव तपणम

दव शया ईर क व महान वभतया ह जो मानव-काण म सदा नःाथ भाव स यतनरत ह जल वाय सय

अ च वत तथा अवतारी ईर अगो क म आाए एव वा ब श तभा कणा दया सता

पवता जसी सवया सभी दव शयो म आती ह यप य िदखाई नही दती तो भी इनक अन उपकार ह यिद इनका लाभ न मल

तो मन क लए जीवत रह सकना भी सव न हो इनक त कतता क भावना करन क लए यह दव-तपण िकया जाता ह यजमान दोनो हाथो क अनामका

अगलयो म पवी धारण करॐ आग महाभागाः वदवा महाबलाः य तपणऽ विहताः सावधाना भव त

जल म चावल डाल कश-मोटक सीध ही ल योपवीत स (बाय क पर)

दव तपण

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सामा त म रख तपण क समय अज ल म जल भरकर सभी अगलयो क अ भाग क सहार अपत कर इस दवतीथ मा कहत ह क दवश क लए एक-एक अज ल जल डाल पवाभमख होकर दत चलॐ ादयो दवाः आग ग एतान जलालीन

ॐ तताम ॐ वतामॐ ताम

ॐ जापतततामॐ दवाताम

ॐ छास त ाम ॐ वदााम ॐ ऋषयाम

ॐ पराणाचाया ाम ॐ गवा ाम

ॐ इतराचाया ाम ॐ सवरः सावयवाम

ॐ दाम ॐ अरसामॐ दवानगााम

ॐ नागाामॐ सागरााम ॐ पवता ामॐ सरताम ॐ मनाामॐ यााम

ॐ रास त ामॐ पशाचााम

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ॐ सपणा ामॐ भतान त ाम ॐ पशवाम

ॐ वनतयाम ॐ ओषधयाम

ॐ भतामः चतवध ाम

(२) ऋष तपण

दसरा तपण ऋषयो क लए ह ास वस याव काायन अ जमद गौतम वाम नारद चरक

सत पाणनी दधीच आिद ऋषयो क त ा क अभ ऋष तपण ारा क जाती ह ऋषयो को भी

दवताओ क तरह दवतीथ स एक-एक अजल जल िदया जाता हनारद मन

ॐ मरीािद दशऋषयः आग ग एताजलालीन ॐ मरीचाताम ॐ अताम

ॐ अगराः तताम ॐ पलताम ॐ वसताम ॐ तताम

ॐ वसताम ॐ चताताम ॐ भगताम ॐ नारदताम

(३)द-मन तपण

तीसरा तपण िद मानवो क लए ह जो पण प स सम जीवन को लोक काण

ऋष तपण

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क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

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ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

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ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

euqampfir`ampriZk

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अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

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अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

31

त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

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पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

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इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

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क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

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पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

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ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

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उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

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आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 14: Pitra Paksh Pitra Dosh

तपण (ा) कम क सरल वधतपण (ा) अनयायी सभी िह धमाव ली उ ा पवजो क त सी ा

का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ारविदक-पौराणकतथभापद श प क पणमा स सवपत अमावा अथात आन क प अमावा तकअनाना-कम म पक ए चावल दध औरतल को मत करक जो प बनात ह प का अथ ह शरीर यह एक पारपरक वास ह िक हर पीढ़ी क भीतर मातकल तथा पतकल

दोनो म पहल क पीिढ़यो क समत गणस उपत होत ह यह तीकाक अनान जन जन लोगो क गणस (जी) ा करन वाल क अपनी दह म ह

उनक त क लए होता ह

अ जानकारी पराण क अनसार ा क परभाषा- जो कछ उचत काल पा एव ान क अनसार उचत (शाानमोिदत) वध ारा पतरो को ल करक

ापवक ाणो को िदया जाता ह ा कहलाता ह

ा पवजो क त सी ा का तीक ह पतरो क नम वधपवक जो कम ा स िकया जाता ह उसी को ा कहत ह ा सार म आवाहन पजन नमार क उपरा तपण िकया जाता ह जल म दध जौ चावल चन डाल कर तपण काय म य करत ह मल सक तो गगा जल भी डाल दना चािहए त क

लए तपण िकया जाता ह ग आाओ क त िकसी पदाथ स खान-पहनन आिद क व स नही होती ोिक ल शरीर क लए ही भौतक उपकरणो क

आवकता पड़ती ह मरन क बाद ल शरीर समा होकर कवल स शरीर ही रह जाता ह स शरीर को भख-ास सद-गम आिद क आवकता नही रहती

उसक त का वषय कोई खा पदाथ या हाड़-मास वाल शरीर क लए उपय उपकरण नही हो सकत स शरीर म वचारणा चतना और भावना क धानता

रहती ह इसलए उसम उ भावनाओ स बना अःकरण या वातावरण ही शादायक होता ह

12

दशा एव रणा इस ससार म ल शरीर वाल को जस कार इय भोग वासना ता एव अहकार क पत म सख मलता ह उसी कार पतरो का स शरीर

शभ कम स उ सग का रसाादन करत ए त का अनभव करता ह उसक सता तथा आकाा का क ब ा ह ा भर वातावरण क सा म पतर अपनी अशा खोकर आन का अनभव करत ह ा ही इनक भख ह इसी स

उ त होती ह इसलए पतरो क सता क लए ा एव तपण िकय जात ह इन ियाओ का वध-वधान इतना सरल एव इतन कम खच का ह िक नधन स नधन

भी उस आसानी स स कर सकता ह तपण म धानतया जल का ही योग होता ह उस थोड़ा सगधत एव परप बनान क लए जौ तल चावल दध फल

जसी दो-चार मागलक वए डाली जाती ह कशाओ क सहार जौ क छोटी-सी अजल मोारपवक डालन मा स पतर त हो जात ह िक इस िया क साथ आवक ा कतता सावना म शभकामना का समय अव होना

चािहए यिद ाल इन भावनाओ क साथ क गयी ह तो तपण का उ परा हो जायगा पतरो को आवक त मलगी िक यिद इस कार क कोई ा

भावना तपण करन वाल क मन म नही होती और कवल लकर पीटन क मा पानी इधर-उधर फलाया जाता ह तो इतन भर स कोई वशष योजन पण न होगा इसलए

इन पत-कम क करन वाल यह ान रख िक इन छोट-छोट िया-को को करन क साथ-साथ िदवगत आाओ क उपकारो का रण कर उनक सणो तथा सम क

त ा कर

कतता तथा सान क भावना उनक त रख और यह अनभव कर िक यह जलाजल जस अिकचन उपकरणो क साथ अपनी ा क अभ करत ए

गीय आाओ क चरणो पर अपनी सावना क प चढ़ा रहा इस कार क भावनाए जतनी ही बल होगी पतरो को उतनी ही अधक त मलगी जस पतर

का गवास आ ह उसक िकय ए उपकारो क त कतता करना उसक अधर छोड़ ए पारवारक एव सामाजक उरदाय को परा करन म तर होना तथा अपन एव वातावरण को मगलमय ढाच म ढालना मरणोर सार का

13

धान योजन ह गह श सतक नव का उ भी इसी क नम क जाती ह िक तपण म कवल इी एक पतर क लए नही पव काल म गजर ए अपन

परवार माता क परवार दादी क परवार क तीन-तीन पीढ़ी क पतरो क त का भी आयोजन िकया जाता ह इतना ही नही इस पी पर अवतरत ए सभी महान पषो

क आा क त इस अवसर पर ा करत ए अपनी सावना क ारा त करन का य िकया जाता ह तपण को छः भागो म वभ िकया गया ह-

दव-तपणऋष-तपणिद-मानव-तपणिद-पत-तपणयम-तपणमन-पत-तपणा सार करत ाल

(१) दव तपणम

दव शया ईर क व महान वभतया ह जो मानव-काण म सदा नःाथ भाव स यतनरत ह जल वाय सय

अ च वत तथा अवतारी ईर अगो क म आाए एव वा ब श तभा कणा दया सता

पवता जसी सवया सभी दव शयो म आती ह यप य िदखाई नही दती तो भी इनक अन उपकार ह यिद इनका लाभ न मल

तो मन क लए जीवत रह सकना भी सव न हो इनक त कतता क भावना करन क लए यह दव-तपण िकया जाता ह यजमान दोनो हाथो क अनामका

अगलयो म पवी धारण करॐ आग महाभागाः वदवा महाबलाः य तपणऽ विहताः सावधाना भव त

जल म चावल डाल कश-मोटक सीध ही ल योपवीत स (बाय क पर)

दव तपण

14

सामा त म रख तपण क समय अज ल म जल भरकर सभी अगलयो क अ भाग क सहार अपत कर इस दवतीथ मा कहत ह क दवश क लए एक-एक अज ल जल डाल पवाभमख होकर दत चलॐ ादयो दवाः आग ग एतान जलालीन

ॐ तताम ॐ वतामॐ ताम

ॐ जापतततामॐ दवाताम

ॐ छास त ाम ॐ वदााम ॐ ऋषयाम

ॐ पराणाचाया ाम ॐ गवा ाम

ॐ इतराचाया ाम ॐ सवरः सावयवाम

ॐ दाम ॐ अरसामॐ दवानगााम

ॐ नागाामॐ सागरााम ॐ पवता ामॐ सरताम ॐ मनाामॐ यााम

ॐ रास त ामॐ पशाचााम

15

ॐ सपणा ामॐ भतान त ाम ॐ पशवाम

ॐ वनतयाम ॐ ओषधयाम

ॐ भतामः चतवध ाम

(२) ऋष तपण

दसरा तपण ऋषयो क लए ह ास वस याव काायन अ जमद गौतम वाम नारद चरक

सत पाणनी दधीच आिद ऋषयो क त ा क अभ ऋष तपण ारा क जाती ह ऋषयो को भी

दवताओ क तरह दवतीथ स एक-एक अजल जल िदया जाता हनारद मन

ॐ मरीािद दशऋषयः आग ग एताजलालीन ॐ मरीचाताम ॐ अताम

ॐ अगराः तताम ॐ पलताम ॐ वसताम ॐ तताम

ॐ वसताम ॐ चताताम ॐ भगताम ॐ नारदताम

(३)द-मन तपण

तीसरा तपण िद मानवो क लए ह जो पण प स सम जीवन को लोक काण

ऋष तपण

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क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

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ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

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ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

euqampfir`ampriZk

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अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

20

अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

31

त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

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पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

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ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

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गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 15: Pitra Paksh Pitra Dosh

दशा एव रणा इस ससार म ल शरीर वाल को जस कार इय भोग वासना ता एव अहकार क पत म सख मलता ह उसी कार पतरो का स शरीर

शभ कम स उ सग का रसाादन करत ए त का अनभव करता ह उसक सता तथा आकाा का क ब ा ह ा भर वातावरण क सा म पतर अपनी अशा खोकर आन का अनभव करत ह ा ही इनक भख ह इसी स

उ त होती ह इसलए पतरो क सता क लए ा एव तपण िकय जात ह इन ियाओ का वध-वधान इतना सरल एव इतन कम खच का ह िक नधन स नधन

भी उस आसानी स स कर सकता ह तपण म धानतया जल का ही योग होता ह उस थोड़ा सगधत एव परप बनान क लए जौ तल चावल दध फल

जसी दो-चार मागलक वए डाली जाती ह कशाओ क सहार जौ क छोटी-सी अजल मोारपवक डालन मा स पतर त हो जात ह िक इस िया क साथ आवक ा कतता सावना म शभकामना का समय अव होना

चािहए यिद ाल इन भावनाओ क साथ क गयी ह तो तपण का उ परा हो जायगा पतरो को आवक त मलगी िक यिद इस कार क कोई ा

भावना तपण करन वाल क मन म नही होती और कवल लकर पीटन क मा पानी इधर-उधर फलाया जाता ह तो इतन भर स कोई वशष योजन पण न होगा इसलए

इन पत-कम क करन वाल यह ान रख िक इन छोट-छोट िया-को को करन क साथ-साथ िदवगत आाओ क उपकारो का रण कर उनक सणो तथा सम क

त ा कर

कतता तथा सान क भावना उनक त रख और यह अनभव कर िक यह जलाजल जस अिकचन उपकरणो क साथ अपनी ा क अभ करत ए

गीय आाओ क चरणो पर अपनी सावना क प चढ़ा रहा इस कार क भावनाए जतनी ही बल होगी पतरो को उतनी ही अधक त मलगी जस पतर

का गवास आ ह उसक िकय ए उपकारो क त कतता करना उसक अधर छोड़ ए पारवारक एव सामाजक उरदाय को परा करन म तर होना तथा अपन एव वातावरण को मगलमय ढाच म ढालना मरणोर सार का

13

धान योजन ह गह श सतक नव का उ भी इसी क नम क जाती ह िक तपण म कवल इी एक पतर क लए नही पव काल म गजर ए अपन

परवार माता क परवार दादी क परवार क तीन-तीन पीढ़ी क पतरो क त का भी आयोजन िकया जाता ह इतना ही नही इस पी पर अवतरत ए सभी महान पषो

क आा क त इस अवसर पर ा करत ए अपनी सावना क ारा त करन का य िकया जाता ह तपण को छः भागो म वभ िकया गया ह-

दव-तपणऋष-तपणिद-मानव-तपणिद-पत-तपणयम-तपणमन-पत-तपणा सार करत ाल

(१) दव तपणम

दव शया ईर क व महान वभतया ह जो मानव-काण म सदा नःाथ भाव स यतनरत ह जल वाय सय

अ च वत तथा अवतारी ईर अगो क म आाए एव वा ब श तभा कणा दया सता

पवता जसी सवया सभी दव शयो म आती ह यप य िदखाई नही दती तो भी इनक अन उपकार ह यिद इनका लाभ न मल

तो मन क लए जीवत रह सकना भी सव न हो इनक त कतता क भावना करन क लए यह दव-तपण िकया जाता ह यजमान दोनो हाथो क अनामका

अगलयो म पवी धारण करॐ आग महाभागाः वदवा महाबलाः य तपणऽ विहताः सावधाना भव त

जल म चावल डाल कश-मोटक सीध ही ल योपवीत स (बाय क पर)

दव तपण

14

सामा त म रख तपण क समय अज ल म जल भरकर सभी अगलयो क अ भाग क सहार अपत कर इस दवतीथ मा कहत ह क दवश क लए एक-एक अज ल जल डाल पवाभमख होकर दत चलॐ ादयो दवाः आग ग एतान जलालीन

ॐ तताम ॐ वतामॐ ताम

ॐ जापतततामॐ दवाताम

ॐ छास त ाम ॐ वदााम ॐ ऋषयाम

ॐ पराणाचाया ाम ॐ गवा ाम

ॐ इतराचाया ाम ॐ सवरः सावयवाम

ॐ दाम ॐ अरसामॐ दवानगााम

ॐ नागाामॐ सागरााम ॐ पवता ामॐ सरताम ॐ मनाामॐ यााम

ॐ रास त ामॐ पशाचााम

15

ॐ सपणा ामॐ भतान त ाम ॐ पशवाम

ॐ वनतयाम ॐ ओषधयाम

ॐ भतामः चतवध ाम

(२) ऋष तपण

दसरा तपण ऋषयो क लए ह ास वस याव काायन अ जमद गौतम वाम नारद चरक

सत पाणनी दधीच आिद ऋषयो क त ा क अभ ऋष तपण ारा क जाती ह ऋषयो को भी

दवताओ क तरह दवतीथ स एक-एक अजल जल िदया जाता हनारद मन

ॐ मरीािद दशऋषयः आग ग एताजलालीन ॐ मरीचाताम ॐ अताम

ॐ अगराः तताम ॐ पलताम ॐ वसताम ॐ तताम

ॐ वसताम ॐ चताताम ॐ भगताम ॐ नारदताम

(३)द-मन तपण

तीसरा तपण िद मानवो क लए ह जो पण प स सम जीवन को लोक काण

ऋष तपण

16

क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

17

ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

18

ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

euqampfir`ampriZk

19

अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

20

अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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Near Savera Chitra Mandir Giridih (Jharkhand)Ph 06532-25025152 0754408025152

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

31

त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

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नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

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उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

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ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 16: Pitra Paksh Pitra Dosh

धान योजन ह गह श सतक नव का उ भी इसी क नम क जाती ह िक तपण म कवल इी एक पतर क लए नही पव काल म गजर ए अपन

परवार माता क परवार दादी क परवार क तीन-तीन पीढ़ी क पतरो क त का भी आयोजन िकया जाता ह इतना ही नही इस पी पर अवतरत ए सभी महान पषो

क आा क त इस अवसर पर ा करत ए अपनी सावना क ारा त करन का य िकया जाता ह तपण को छः भागो म वभ िकया गया ह-

दव-तपणऋष-तपणिद-मानव-तपणिद-पत-तपणयम-तपणमन-पत-तपणा सार करत ाल

(१) दव तपणम

दव शया ईर क व महान वभतया ह जो मानव-काण म सदा नःाथ भाव स यतनरत ह जल वाय सय

अ च वत तथा अवतारी ईर अगो क म आाए एव वा ब श तभा कणा दया सता

पवता जसी सवया सभी दव शयो म आती ह यप य िदखाई नही दती तो भी इनक अन उपकार ह यिद इनका लाभ न मल

तो मन क लए जीवत रह सकना भी सव न हो इनक त कतता क भावना करन क लए यह दव-तपण िकया जाता ह यजमान दोनो हाथो क अनामका

अगलयो म पवी धारण करॐ आग महाभागाः वदवा महाबलाः य तपणऽ विहताः सावधाना भव त

जल म चावल डाल कश-मोटक सीध ही ल योपवीत स (बाय क पर)

दव तपण

14

सामा त म रख तपण क समय अज ल म जल भरकर सभी अगलयो क अ भाग क सहार अपत कर इस दवतीथ मा कहत ह क दवश क लए एक-एक अज ल जल डाल पवाभमख होकर दत चलॐ ादयो दवाः आग ग एतान जलालीन

ॐ तताम ॐ वतामॐ ताम

ॐ जापतततामॐ दवाताम

ॐ छास त ाम ॐ वदााम ॐ ऋषयाम

ॐ पराणाचाया ाम ॐ गवा ाम

ॐ इतराचाया ाम ॐ सवरः सावयवाम

ॐ दाम ॐ अरसामॐ दवानगााम

ॐ नागाामॐ सागरााम ॐ पवता ामॐ सरताम ॐ मनाामॐ यााम

ॐ रास त ामॐ पशाचााम

15

ॐ सपणा ामॐ भतान त ाम ॐ पशवाम

ॐ वनतयाम ॐ ओषधयाम

ॐ भतामः चतवध ाम

(२) ऋष तपण

दसरा तपण ऋषयो क लए ह ास वस याव काायन अ जमद गौतम वाम नारद चरक

सत पाणनी दधीच आिद ऋषयो क त ा क अभ ऋष तपण ारा क जाती ह ऋषयो को भी

दवताओ क तरह दवतीथ स एक-एक अजल जल िदया जाता हनारद मन

ॐ मरीािद दशऋषयः आग ग एताजलालीन ॐ मरीचाताम ॐ अताम

ॐ अगराः तताम ॐ पलताम ॐ वसताम ॐ तताम

ॐ वसताम ॐ चताताम ॐ भगताम ॐ नारदताम

(३)द-मन तपण

तीसरा तपण िद मानवो क लए ह जो पण प स सम जीवन को लोक काण

ऋष तपण

16

क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

17

ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

18

ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

euqampfir`ampriZk

19

अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

20

अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

21

इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

22

इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

23

त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

24

पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

25

2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

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त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

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ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

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पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

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इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

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ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

42

13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 17: Pitra Paksh Pitra Dosh

सामा त म रख तपण क समय अज ल म जल भरकर सभी अगलयो क अ भाग क सहार अपत कर इस दवतीथ मा कहत ह क दवश क लए एक-एक अज ल जल डाल पवाभमख होकर दत चलॐ ादयो दवाः आग ग एतान जलालीन

ॐ तताम ॐ वतामॐ ताम

ॐ जापतततामॐ दवाताम

ॐ छास त ाम ॐ वदााम ॐ ऋषयाम

ॐ पराणाचाया ाम ॐ गवा ाम

ॐ इतराचाया ाम ॐ सवरः सावयवाम

ॐ दाम ॐ अरसामॐ दवानगााम

ॐ नागाामॐ सागरााम ॐ पवता ामॐ सरताम ॐ मनाामॐ यााम

ॐ रास त ामॐ पशाचााम

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ॐ सपणा ामॐ भतान त ाम ॐ पशवाम

ॐ वनतयाम ॐ ओषधयाम

ॐ भतामः चतवध ाम

(२) ऋष तपण

दसरा तपण ऋषयो क लए ह ास वस याव काायन अ जमद गौतम वाम नारद चरक

सत पाणनी दधीच आिद ऋषयो क त ा क अभ ऋष तपण ारा क जाती ह ऋषयो को भी

दवताओ क तरह दवतीथ स एक-एक अजल जल िदया जाता हनारद मन

ॐ मरीािद दशऋषयः आग ग एताजलालीन ॐ मरीचाताम ॐ अताम

ॐ अगराः तताम ॐ पलताम ॐ वसताम ॐ तताम

ॐ वसताम ॐ चताताम ॐ भगताम ॐ नारदताम

(३)द-मन तपण

तीसरा तपण िद मानवो क लए ह जो पण प स सम जीवन को लोक काण

ऋष तपण

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क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

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ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

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ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

euqampfir`ampriZk

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अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

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अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

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त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

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पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

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इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

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क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

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पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

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गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 18: Pitra Paksh Pitra Dosh

ॐ सपणा ामॐ भतान त ाम ॐ पशवाम

ॐ वनतयाम ॐ ओषधयाम

ॐ भतामः चतवध ाम

(२) ऋष तपण

दसरा तपण ऋषयो क लए ह ास वस याव काायन अ जमद गौतम वाम नारद चरक

सत पाणनी दधीच आिद ऋषयो क त ा क अभ ऋष तपण ारा क जाती ह ऋषयो को भी

दवताओ क तरह दवतीथ स एक-एक अजल जल िदया जाता हनारद मन

ॐ मरीािद दशऋषयः आग ग एताजलालीन ॐ मरीचाताम ॐ अताम

ॐ अगराः तताम ॐ पलताम ॐ वसताम ॐ तताम

ॐ वसताम ॐ चताताम ॐ भगताम ॐ नारदताम

(३)द-मन तपण

तीसरा तपण िद मानवो क लए ह जो पण प स सम जीवन को लोक काण

ऋष तपण

16

क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

17

ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

18

ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

euqampfir`ampriZk

19

अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

20

अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

21

इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

22

इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

31

त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

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आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

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उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

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म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

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ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

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उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

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आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

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गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

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- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

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गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 19: Pitra Paksh Pitra Dosh

क लए अपत नही कर सक पर अपना अपन परजनो का भरण-पोषण करत ए लोकमगल क लए अधकाधक ाग-बलदान करत रह व िद मानव ह राजा हर रदव शव जनक पाव शवाजी महाराणा ताप भामाशाह तलक जस महापष इसी णी म आत ह िद मन तपण उराभमख िकया

जाता ह जल म जौ डाल जनऊ क क माला क तरह रख कश हाथो म आड़ कर ल कशो क म भाग स जल िदया जाता ह अज ल म जल भरकर कना (छोटी

उगली) क जड़ क पास स जल छोड़ इस ाजाप तीथ मा कहत ह क सोधन क साथ दो-दो अजल जल द-ॐ सनकादयः िदमानवाः आग ग एताजलालीन ॐ सनकाताम2ॐ सननताम2 ॐ सनातनताम2 ॐ कपलताम2 ॐ आसरताम2 ॐ वोढताम2 ॐ पशखताम2

(४) द-पत-तपण

चौथा तपण िद पतरो क लए ह जो कोई लोकसवा एव तपया तो नही कर सक पर अपना चर हर स आदश बनाय रह उस पर िकसी तरह क आच न आन दी

अनकरण पररा एव ता क स पीछ वालो क लए छोड़ गय ऐस लोग भी मानव मा क लए वनीय ह उनका तपण भी ऋष एव िद मानवो क तरह ही

ापवक करना चािहए इसक लए दणाभमख हो वामजान (बाया घटना मोड़कर बठ) जनऊ अपस (दािहन क पर सामा स उी त म) रख कशा दहर कर ल जल म तल डाल अजल म जल लकर दािहन हाथ क अगठ क सहार जल गराए इस पत तीथ मा कहत ह क पत को तीन-तीन अजल जल दॐ कवाडादयो दपतरः आग ग एतान जलालन

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ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

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ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

euqampfir`ampriZk

19

अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

20

अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

21

इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

22

इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

24

पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

25

2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

26

का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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28

पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

30

पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

31

त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

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पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

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इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 20: Pitra Paksh Pitra Dosh

ॐ कवाडनल ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ सोमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ यमताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अयमा ताम इद सतल जल (गगाजल वा) त ाधा नमः3 ॐ अााः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ सोमपाः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3 ॐ बिहषदः पतरताम इद सतल जल (गगाजल वा) तः ाधा नमः3

(५) यम तपण

यम नयण-का शयो को कहत ह ज-मरण क वा करन वाली श को यम कहत ह म को रण रख मरन क समय पााप न करना पड़ इसका ान रख और उसी कार क अपनी गतवधया नधारत कर तो समझना चािहए िक यम को स करन वाला तपण िकया जा रहा ह रा शासन को भी यम कहत ह अपन शासन को परप एव बनान क लए क नागरक को जो क पालन करता ह उसका रण भी यम तपण ारा िकया जाता ह अपन इय नहका एव कमाग पर चलन स रोकन वाल ववक को यम कहत ह इस भी नरतर प करत चलना हर भावनाशील का क ह इन क क त यम-तपण ारा क जाती ह िद पत तपण क तरह पततीथर स तीन-तीन अजल जल

यमो को भी िदया जाता हॐ यमािदचतदशदवाः आग ग एतान जलालन ॐ यमाय नमः3 ॐ धमराज ाय नमः3 ॐ मव नमः3 ॐ अकाय नमः3 ॐ ववताय ॐ कालाय नमः3 ॐ सवभतयाय नमः3 ॐ औदराय नमः3

18

ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

euqampfir`ampriZk

19

अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

20

अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

21

इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

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त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

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नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

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ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

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वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

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- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

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गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

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नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 21: Pitra Paksh Pitra Dosh

ॐ दाय नमः3 ॐ नीलाय नमः3 ॐ परमन नमः3 ॐ वकोदराय नमः3 ॐ चाय नमः3 ॐ चगपताय नमः3

तात न मो स यम दवता को नमार कर-ॐ यमाय धमराज ाय मव चाकाय चववताय कालाय सवभतयाय चऔदराय दाय नीलाय परमनवकोदराय चाय चगाय व नमः

(६) मन-पत-तपण

इसक बाद अपन परवार स सत िदवगत नर-नारयो का म आता ह

पता बाबा परबाबा माता दादी परदादी

नाना परनाना बढ़ नाना नानी परनानी बढ़ीनानी

पतनी प पी चाचा ताऊ मामा भाई बआ मौसी बिहन सास ससर ग गपतनी श म आिद

यह तीन वशावलया तपण क लए ह पहल गो तपण िकया जाता ह-

गोोाः अत पतरः आग ग एतान जलालीन

अता (पता) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

इद सतल जल त धा नमः3

अतामह (दादा) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

euqampfir`ampriZk

19

अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

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अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

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त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

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क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

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पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 22: Pitra Paksh Pitra Dosh

अपतामहः (परदादा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अाता (माता) अमक दवी दा अमक सगोा गायीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (दादी) अमक दवी दा अमक सगोा सावीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अतामही (परदादी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनमाता (सौतली मा) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अ तपण

ितीय गो तपण

इसक बाद ितीय गो मातामह आिद का तपण कर यहा यह भी पहल क भात नलखत वाो को तीन-तीन बार पढ़कर तल सिहत जल क तीन-तीन अज लया

पततीथ स द तथा-अातामहः (नाना) अमकशमा अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (परनाना) अमकशमार अमकसगोो पताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामहः (बढ़ परनाना) अमकशमार अमकसगोो आिदपताम इद सतल जल त धा नमः3

20

अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

21

इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

22

इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

23

त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

24

पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

25

2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

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त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

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नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

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ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

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पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

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इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

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ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

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आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

42

13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 23: Pitra Paksh Pitra Dosh

अातामही (नानी) अमक दवी दा अमक सगोा लीपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा पा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अमातामही (बढ़ी परनानी) अमक दवी दा अमक सगोा आिदापा तताम इद सतल जल त धा नमः3

इतर तपण

जनको आवक ह कवल उी क लए तपण कराया जाए-अतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (बटा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

सतल जल त धा नमः3

अाः (बटी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अत ः (चाचा) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3 अातल ः (मामा) अमकशमार अमकसगोो वसपतामइद सतल जल त धा नमः3 अदाता (अपना भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

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इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

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त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

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पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

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त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

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नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

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ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

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उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

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ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

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उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

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आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

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गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 24: Pitra Paksh Pitra Dosh

इद सतल जल त धा नमः3

अापतनाता (सौतला भाई) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अतभ गनी (बआ) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अाातभ गनी (मौसी) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अदाभगनी (अपनी बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अापतनभगनी (सौतली बिहन) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरः (सर) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद शरपतनी (सास) अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम इद सतल जल त धा नमः3 अ अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आचायपतनी अमक दवी दा अमक सगोा वसपा तताम

22

इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

23

त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

24

पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

25

2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

26

का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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28

पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

30

पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

31

त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

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इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

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क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

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पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

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गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 25: Pitra Paksh Pitra Dosh

इद सतल जल त धा नमः3

अत शः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अखा अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद आपषः (सानीय पष) अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

अद पतः अमकशमार अमकसगोो वसपताम इद सतल जल त धा नमः3

न म स पवर वध स ाणमा क त क लए जल धार छोड़-ॐ दवासराथा या नागा गवरा साः पशाचा गकाः साः काारवः खगाः

जलचरा भनलया वावाधारा जवः ीतमत यााश मनानाखलाः नरकष समष यातनास च य ताः तषामाायनायतद दीयत सलल मया य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः

त सवर तमाया य चाोयकाणः आपय दवषपतमानवाः

23

त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

24

पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

25

2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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28

पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

29

सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

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त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

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ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

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पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

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इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

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ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

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क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 26: Pitra Paksh Pitra Dosh

त पतरः सवर मातमातामहादयः

अतीतकलकोटीना सीपनवासनाम आभवनाोकाद इदम तलोदकम

य बावाऽबावा वा यऽ जन बावाः त सवर तमाया मया दन वारणा

व-नीडन

श व जल म डबोए और बाहर लाकर म को पढ़त ए अपस भाव स अपन बाय भाग म भम पर उस व को नचोड़[2]

ॐ य क चाल जाता अपा गोणो मताः त ग मया द वनीडनोदकम

भी तपण

अ म भी तपण िकया जाता ह ऐस परमाथ परायण महामानव जोन उ उो क लए अपना वश चलान का मोह नही िकया भी उनक तनध मान गय

ह ऐसी सभी ााओ को जलदान द-

ॐ वयापदगोाय साकतवराय च गगापाय भीाय दाऽह तलोदकम अपाय ददातत सलल भीवमण

24

पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

25

2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

26

का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

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त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

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ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

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पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

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ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

42

13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 27: Pitra Paksh Pitra Dosh

पत प म अतलाभकारी य दानपतप अमावा बरसी पर दस दान महादान मान गए ह

िह धम म दान को बत ही अहम और जरी माना गया ह खासतौर पर परो क सता क लए हम ा पउनक बरसी और अमावा को जो भी पण ा स

उनक नमत दान करत ह उसस हम अपन परो का सदव आशीवाद ा होता ह |

पतरो क सता क लए ाप म िकए जान वाल दान न कवल कालसप दोष एव हमार पतदोष को ख करत ह वरन हमार जीवन क सभी सकटो को दर करत ए हम

धनयश सफलता दीघ आयपारवारक सख शात और सम भौतक सख सपदाओ को दान करत ह

कहत ह परो क नमत उनक गो तथा नाम का उारण करक जो भी वए उ अपत क जाती ह वह उ उनक योन क िहसाब स ा होती ह हमार पतरो क

पर योन म होन पर उ स प म दव लोक म होन पर अमत प म गव लोक म होन पर भो प म पश योन म तण प म सप योन म वाय प म य योन म पय प म दानव योन म मास प म त योन म धर प म तथा यिद हमार पर मन योन म हो तो उ अ धन आिद क प म ा होता ह अथात

हमार ारा िदया गया दान और ा कम कतई नल नही होता ह पतप म हम वस तो कछ भी अपनी ा स दान कर सकत ह लिकन खासतौर पर नीच बताय गए दान महादान मान गए ह

1 तल का दान सण ा कम म तल का बत ही ादा मह ह काल तल भगवान व को अत य ह ा प म कछ भी दान करत समय हाथ म काला

तल लकर ही दान करना चािहए इसस दान का सण फल हमार पतरो को ा होता ह परो क नमत ा म काल तलो का दान हमारी तथा हमार पर परवार क

हर कार क सकटो स रा करता ह

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2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

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त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

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नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

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पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

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ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

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पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

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इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

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ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

42

13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 28: Pitra Paksh Pitra Dosh

2 घी का दान पतरो क ा म गाय क घी को अपनी साम क अनसार सपा ाहमण को दान दना अत ही मगलकारी माना जाता ह

3 ण का दान ण दान स परवार म कलह दर होती ह परवार क सभी सदो क म आपसी म और सौहा का वातावरण उ होता ह अगर ण दान सभव न हो सक तो अपनी ा और साम क अनसार यथाश धन का दान भी िकया जा सकता ह

4अदान अदान म आप कोई भी अनाज का दान द सकत ह यह दान पण ा स सक सिहत करन पर मन क सभी इाए पण होती ह

5व दान शाो क अनसार पतरो को भी हम मनो क तरह ही सद गम का एहसास होता ह इसस बचन हत पतरगण अपन वशजो स व क इा रखत ह

जो अपन पतरो क नम व का दान करत ह उन पर पतरो क हमशा कपा बनी रहती ह पतरो को धोती एव दपा का दान करना सबस उम माना गया ह व

दान स यमदतो का भय भी समा हो जाता ह वस व दान म आप धोतीकरतागमछा बनयानमाल आिद िकसी भी तरह क वो का दान कर सकत

ह पर ान रह क यह व नए और बलकल साफ होन चािहए

6 चादी का दान ा म चादी क दान का बत ादा मह ह पराणो म लखा ह िक पतरो का नवास च क ऊपरी भाग म ह शाो क अनसार पतरो को चादी क

वए अत य ह चादी चावल दध क दान स स पतर बत खश होत ह इन वओ क दान स न कवल वश क व होती ह वरन मन क सभी इाए भी

अव ही पण होती ह

7 भम दान ा प म िकसी भी गरीब को भम का दान को ाई सप और अतल वभव दता ह महाभारत म कहा गया ह िक भलवश बड़ स बड़ा पाप हो जान पर भम दान करन स को पाप स म मल जाती ह भम दान स

दानकता को अय प मलता ह ऐसा माना जाता ह क िक पतरो क नम भम दान करन स पतरो को पतर लोक म रहन क लए उचत ान मलता ह अगर भम

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का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

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त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

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म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

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उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 29: Pitra Paksh Pitra Dosh

का दान सभव न हो तो इसक ान पर पर मी क कछ टकड़ उचत दणा क साथ िकसी बतन थाली म रखकर िकसी भी यो ाण को दान िदया जा सकता ह ापवक मी का दान करन स भी पतर सत हो जात ह भम दान स यश मान-सान एव ायी सप म व होती ह

8गड़ का दान गड़ क दान स हमार पत अत शी स होत ह इस दान स को धन सख सप क ा होती ह

9 गौ दान गौ दान तो हमशा स ही सभी दानो म माना जाता ह लिकन ा प म िकया गया गौ दान हर सख और ऐय दान करन वाला माना गया ह गड़ पराण म कहा गया ह िक म क समय जो गाय क पछ पकड़कर गौ दान करत ह उ

म क बाद वतरणी नदी पार करन म कोई भी परशानी नही होती ह वतरणी नदी यमलोक क रा म पड़ती ह जसम भयानक जीव-ज नवास करत ह जो पापी को घोर पीड़ा दत ह इसीलए पत प म गाय का दान करन स पतर बत ही

स होत ह और अपन वशजो को हदय स आशीवाद दत ह अगर आप गौ दान करन म असमथ हो तो अपनी यथाश उसक ान म धन का दान द सकत ह

10 नमक का दान पतरो क सता क लए नमक क दान का बत मह ह इस दान क पहल ाण दवता म अपन पतरो क छव दखत ए उ पण ा और ह

स भोजन कराए और उसक बाद उ दान द कर उनका आशीवाद लकर उनक सत क ाथन ा करत ए उनस अपन जान अनजान म िकय गए िकसी भी अपराध क लए मा माग

तो आप सभी दर न कर इन रगो स दोी करक साह क क िदन क िहसाब स कपड़ पहनना श कर नय ही आप अपन अर नया आवास और उजा का सचार पाएग

इनक अतर आप अपनी ा और साम स अपन परो क पसद क फल बर छाता चल पखा मी का घड़ा आिद का दान भी िकसी यो ाण को

कर सकत ह याद रह पतरो क नमत िकया जान वाला दान कवल ाहमण को ही 27

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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28

पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

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पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

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त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

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उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

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म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 30: Pitra Paksh Pitra Dosh

दना चािहए ोिक उ ा का अश माना जाता ह और उी को दी गयी वओ का ही प ा होता ह आप िकसी गरीब असहाय क मदद तो कर सकत ह वह भी

बत ही उम ह लिकन पतरो का दान सदव यो ाण को ही द िकसी और को नही पत पअमावा और अपन िदवगत परजनो क बरसी को ाण को अपन

पतरो का य भोजन पण ा और आदर दत ए अव कराए इसस आप और आपक परवार पर आपक परो क सदव कपा अव ही बनी रहगी

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28

पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

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सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

30

पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

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त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

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उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

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आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

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गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 31: Pitra Paksh Pitra Dosh

पतप ा म ह य महपण बात धम थो क अनसार ा क सोलह िदनो म लोग अपन पतरो को जल दत

ह तथा उनक मतथ पर ा करत ह ऐसी माता ह िक पतरो का ऋण ा ारा चकाया जाता ह वष क िकसी भी मास तथा तथ म गवासी ए पतरो क

लए पतप क उसी तथ को ा िकया जाता ह

पणमा पर दहात होन स भापद श पणमा को ा करन का वधान ह इसी िदन स महालय (ा) का ारभ भी माना जाता ह ा का अथ ह ा स जो कछ िदया जाए पतप म ा करन स पतगण वषभर तक स रहत ह धम

शाो म कहा गया ह िक पतरो का प दान करन वाला गह दीघाय प-पौािद यश ग प बल ली पश सख-साधन तथा धन-धा आिद क ा करता ह

ा म पतरो को आशा रहती ह िक हमार प-पौािद हम प दान तथा तलाजल दान कर सत करग इसी आशा क साथ व पतलोक स पीलोक पर

आत ह यही कारण ह िक िहद धम शाो म क िहद गह को पतप म ा अव प स करन क लए कहा गया ह

ा स जड़ी कई ऐसी बात ह जो बत कम लोग जानत ह मगर य बात ा करन स पव जान लना बत जरी ह ोिक कई बार वधपवक ा न करन स पत ाप

भी द दत ह आज हम आपको ा स जड़ ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

1 य तो एक आम माता ह िक जस भी तथ को िकसी मिहला या पष का नधन आ हो उसी तथ को सबधत का ा िकया जाता ह लिकन आपक जानकारी क लए हम आपको ा स जड़ी कछ वशष बात बता रह ह जो इस कार ह-

29

सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

30

पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

31

त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

42

13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 32: Pitra Paksh Pitra Dosh

सौभावती ी का ा नवमी क िदन िकया जाता ह यिद कोई सासी ह तो उसका ा ादशी क िदन

िकया जाता ह शाघात या िकसी अ दघटना म मार गए का ा

चतदशी क िदन िकया जाता ह यिद हम अपन िकसी पवज क नधन क तथ नही मालम हो तो

उनका ा अमावा क िदन िकया जाता ह इसीलए इस सवपत अमावा भी कहा जाता ह

आन श क तपदा को भी ा करन का वधान ह इस िदन दादी और नानी का ा िकया जाता ह

2 ा क दौरान यह सात चीज वजत मानी गई- दतधावन ताल भण तल मदन उपवास सभोग औषध पान और परा भण

3 ा म ील क पाो का नषध ह 4 ा म रगीन प को भी नषध माना गया ह

5 गदा और बासा अ चना मसर गाजर लौक कड़ा बग न हीग शलजम मास लहसन ाज काला नमक जीरा आिद भी ा म नष मान गए ह

6 सक लकर ाण भोजन कराए या सीधा इािद द ाण को दणा अव द

7 भोजन कसा ह यह न पछ8 ाण को भी भोजन क शसा नही करनी चािहए

9 ाकम म गाय का घी दध या दही काम म लना चािहए यह ान रख िक गाय को बा ए २१ िदन स अधक हो चक ह दस िदन क अदर बछड़

को ज दन वाली गाय क दध का उपयोग ा कम म नही करना चािहए

10 ा म चादी क बतन ो का उपयोग व दान पदायक तो ह ही रासो का नाश करन वाला भी माना गया ह पतरो क लए चादी क बतन म सफ

30

पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

31

त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

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ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

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पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

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आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

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क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 33: Pitra Paksh Pitra Dosh

पानी ही िदए जाए तो वह अय तकारक होता ह पतरो क लए अ प और भोजन क बतन भी चादी क हो तो और भी माना जाता ह

11 ा म ाण को भोजन करवात समय परोसन क बतन दोनो हाथो स पकड़ कर लान चािहए एक हाथ स लाए अ पा स परोसा आ भोजन रास छन लत ह

12 ाण को भोजन मौन रहकर एव जनो क शसा िकए बगर करना चािहए ोिक पतर तब तक ही भोजन हण करत ह जब तक ाण मौन

रहकर भोजन कर

13 जो पत श आिद स मार गए हो उनका ा म तथ क अतर चतदशी को भी करना चािहए इसस व स होत ह

14 ा ग प स करना चािहए

15 ा म ाण को भोजन करवाना आवक ह जो बना ाण क ा कम करता ह उसक घर म पतर भोजन नही करत ाप दकर लौट

जात ह ाण हीन ा स मन महापापी होता ह

16 ा म जौ कागनी मटर और सरसो का उपयोग रहता ह तल क माा अधक होन पर ा अय हो जाता ह वाव म तल पशाचो स

ा क रा करत ह कशा (एक कार क घास) रासो स बचात ह

17 दसर क भम पर ा नही करना चािहए वन पवत पतीथ एव मिदर दसर क भम नही मान जात ोिक इन पर िकसी का ाम नही माना

गया ह अत इन ानो पर ा िकया जा सकता ह

18 चाह मन दवकाय म ाण का चयन करत समय न सोच लिकन पत काय म यो ाण का ही चयन करना चािहए ोिक ा म पतरो क

31

त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

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पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

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इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

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ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

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आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

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म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

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का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

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क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

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पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 34: Pitra Paksh Pitra Dosh

त ाणो ारा ही होती ह

19 जो िकसी कारणवश एक ही नगर म रहनी वाली अपनी बिहन जमाई और भानज को ा म भोजन नही कराता उसक यहा पतर क

साथ ही दवता भी अ हण नही करत

20 ा करत समय यिद कोई भखारी आ जाए तो उस आदरपवक भोजन करवाना चािहए जो ऐस समय म घर आए याचक को भगा दता ह

उसका ा कम पण नही माना जाता और उसका फल भी न हो जाता ह

21 शप म रा म य िदनो (एक ही िदन दो तथयो का योग)म तथा अपन जिदन पर कभी ा नही करना चािहए धम थो क अनसार

सायकाल का समय रासो क लए होता ह यह समय सभी काय क लए निदत ह अत शाम क समय भी ाकम नही करना चािहए

22 ा म स पतगण मनो को प धन वा आय आरो लौिकक सख मो और ग दान करत ह ा क लए शप क अपा कप माना गया ह

23 रा को रासी समय माना गया ह अत रात म ा कम नही करना चािहए दोनो साओ क समय भी ाकम नही करना चािहए िदन क

आठव मत (कतपकाल) म पतरो क लए िदया गया दान अय होता ह

24 ा म य चीज होना महपण ह- गगाजल दध शहद दौिह कश और तल कल क प पर ा भोजन नषध ह सोन चादी कास ताब क पा उम ह इनक अभाव म पल उपयोग क जा सकती ह

25 तलसी स पतगण स होत ह ऐसी धामक माता ह िक पतगण गड़ पर सवार होकर व लोक को चल जात ह तलसी स पड क पजा करन

स पतर लोग लयकाल तक सत रहत ह32

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

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उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 35: Pitra Paksh Pitra Dosh

26 रशमी कबल ऊन लकड़ी तण पण कश आिद क आसन ह आसन म लोहा िकसी भी प म य नही होना चािहए

27 चना मसर उड़द कलथी स मली काला जीरा कचनार खीरा काला उड़द काला नमक लौक बड़ी सरसो काल सरसो क पी और बासी

अपव फल या अ ा म नषध ह

28 भव पराण क अनसार ा 12 कार क होत ह जो इस कार ह-1- न 2- नमक 3- का 4- व 5- सपन 6- पावण 7- गोी 8- शथ 9- कमाग 10- दवक 11- यााथ 12- पयथ

29 ा क मख अग इस कार ह-

तपण- इसम दध तल कशा प गध मत जल पतरो को त करन हत िदया जाता ह ा प म इस न करन का वधान ह

भोजन व प दान- पतरो क नम ाणो को भोजन िदया जाता ह ा करत समय चावल या जौ क प दान भी िकए जात ह

वदान- व दान दना ा का म ल भी ह

दणा दान- य क पी दणा ह जब तक भोजन कराकर व और दणा नही दी जाती उसका फल नही मलता

30 ा तथ क पव ही यथाश वान ाणो को भोजन क लए बलावा द ा क िदन भोजन क लए आए ाणो को दण िदशा म बठाए

31 पतरो क पसद का भोजन दध दही घी और शहद क साथ अ स बनाए गए पकवान जस खीर आिद ह इसलए ाणो को ऐस भोजन करान का

वशष ान रख

32 तयार भोजन म स गाय क कौए दवता और चीटी क लए थोड़ा सा भाग

33

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

42

13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 36: Pitra Paksh Pitra Dosh

नकाल

इसक बाद हाथ जल अत यानी चावल चन फल और तल लकर ाणो स सक ल

33 क और कौए क नम नकाला भोजन क और कौए को ही कराए िकत दवता और चीटी का भोजन गाय को खला सकत ह इसक बाद ही ाणो

को भोजन कराए परी त स भोजन करान क बाद ाणो क मक पर तलक लगाकर यथाश कपड़ अ और दणा दान कर आशीवाद पाए

34 ाणो को भोजन क बाद घर क ार तक पर सान क साथ वदा करक आए ोिक ऐसा माना जाता ह िक ाणो क साथ-साथ पतर लोग भी

चलत ह ाणो क भोजन क बाद ही अपन परजनो दोो और रदारो को भोजन कराए

35 पता का ा प को ही करना चािहए प क न होन पर पी ा कर सकती ह पी न होन पर सगा भाई और उसक भी अभाव म सपडो

( एक ही परवार क) को ा करना चािहए एक स अधक प होन पर सबस बड़ा प ा करता ह

इस कार आप पतरो को स कर उनका आशीवाद लकर अपन क दर कर सकत ह य भी यह का कत ह जस पण कर पर परवार को सखी एव ऐयवान बना सकत ह इस बात का वशष ान रख िक ा करत समय सक अव ल

34

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

42

13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 37: Pitra Paksh Pitra Dosh

पतदोष होता ा ह

आज क इस वतम ान परप म यह बत ही सनन को आता ह क आपको पत दोष ह | पर यह पत दोष होता ा ह

हमार पवज पतर जो िक अनक कार क ककारक योनयो म

अत अशात असत का अनभव करत ह एव उनक सत या

मो िकसी कारणवश नही हो पाता तो हमस व आशा करत ह िक हम उनक सत या मो का कोई साधन

या उपाय कर जसस उनका अगला ज हो सक एव उनक सत या मो हो सक उनक भटकती ई आा को सतानो स अनक आशाए होती ह एव यिद

उनक उन आशाओ को पण िकया जाए तो व आशवाद दत ह यिद पतर असत रह तो सतान क कली दषत हो जाती ह एव व अनक कार क क

परशानीया उ करत ह फलप को तथा दभाो का सामना करना पडता ह

पवजो का ह ऋण

क मन जातक पर उसक ज क साथ ही तीन कार क ऋण अथात दव ऋण ऋष ऋण और मातपत ऋण अनवाय प स चकान बाकारी हो जात ह

35

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

42

13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 38: Pitra Paksh Pitra Dosh

ज क बाद इन बाकारी होन जान वाल ऋणो स यिद यास पवक म ा न क जाए तो जीवन क ायो का अथ अधरा रह जाता ह ोतष क

अनसार इन दोषो स पीिड़त कडली शापत कडली कही जाती ह ऐस अपन मातप अथात माता क अतर माना मामा-मामी मौसा-मौसी नाना-नानी तथा पत प अथात दादा-दादी चाचा-चाची ताऊ ताई आिद को क व दख दता ह और उनक अवहल ना व तरार करता ह

जकली म यिद च पर रा कत या शन का भाव होता ह तो जातक मात ऋण स पीिड़त होता ह चमा मन का तनध ह ह अतः ऐस

जातक को नरर मानसक अशात स भी पीिड़त होना पड़ता ह ऐस को मात ऋण स म क पात ही जीवन म शात मलनी सभव होती ह

पत ऋण क कारण को मान ता क अभाव स पीिड़त

होन क साथ-साथ सतान क ओर स क सतानाभाव सतान का ा खराब होन या सतान का सदव बरी सगत जसी तयो म रहना पड़ता ह यिद सतान

अपग मानसक प स व या पीिड़त ह तो का सण जीवन उसी पर कत हो जाता ह

ज पी म यिद सय पर शन रा-कत क या यत ारा भाव हो तो जातक क कडली म पत ऋण क त मानी जाती ह

माता-पता क अतर हम जीवन म अनक यो का सहयोग व सहायता ा होती ह गाय बकरी आिद पशओ स दध मलता ह फल फल व

अ साधनो स हमारा जीवन सखमय होता ह इ बनान व इनका जीवन चलान 36

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

42

13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 39: Pitra Paksh Pitra Dosh

म यिद हमन अपनी ओर स िकसी कार का सहयोग नही िदया तो इनका भी ऋण हमार ऊपर हो जाता ह जन काण क काय म च लकर हम इस ऋण स उस ऋण हो सकत ह

दव ऋण अथात दवताओ क ऋण स भी हम पीिड़त होत ह हमार लए सवथम दवता ह हमार माता-पता पर हमार इदव का ान भी हमार जीवन म महपण ह भ व शानदार बगला बना लता ह अपन ावसायक ान का भी वार कर लता ह िक उस जगत क ामी क

ान क लए सबस अ म सोचता ह या सोचता ही नही ह

जसक अनका स सम ऐय वभव व सकल पदाथ ा होता ह उसक लए घर म

कोई ान नही होगा तो को दव ऋण स पीिड़त होना पड़गा

नई पीढ़ी क वचारधारा म परवतन हो जान क कारण न तो कल दवता पर आा रही ह और न ही लोग भगवान को मानत ह फलप ईर भी अपनी अ श स उ नाना कार क क दान करत ह

ऋष ऋण क वषय म भी लखना आवक ह जस ऋष क गो म हम ज ह उसी का तपण करन स हम वचत हो जात ह हम लोग अपन गो को भल

चक ह अतः हमार पवजो क इतनी उपा स उनका ाप हम पीढ़ी दर पीढ़ी परशान करगा इसम कतई सदह नही करना चािहए जो लोग इन ऋणो स म

होन क लए उपाय करत ह व ायः अपन जीवन क हर म सफल हो जात ह परवार म ऋण नही ह रोग नही ह गह श नही ह पी-पत क वचारो म

सामज व एकपता ह सतान माता-पता का सान करती ह परवार क सभी 37

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

42

13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 40: Pitra Paksh Pitra Dosh

लोग परर मल जल कर म स रहत ह अपन सख-दख बाटत ह अपन अनभव एक-दसर को बतात ह ऐसा परवार ही सखी परवार होता ह दसरी ओर कोई-कोई परवार तो इतना शापत होता ह िक उसक मनस परवार क सा दी जाती ह

सार क सार सद तीथ याा पर जात ह अथवा कही सर सपाट पर मण क लए नकल जात ह और गाड़ी क दघटना म सभी एक साथ म को ा करत ह पीछ बच जाता ह परवार का कोई एक सद सम जीवन उनका शोक मनान क लए इस कार परा का परा वश ही शापत होता ह इस कार क लोग कारण तलाशत ह जब सखी थ तब न जान िकस-िकस का िहा हड़प लया था िकस क सप पर अधकार जमा लया था िकसी नधन कमजोर पड़ोसी को दख िदया था अथवा अपन व माता-पता क अवहल ना और ददशा भी क और उसक आा स आह नकलती रही िक जा तरा वश ही समा हो जाए कोई पानी दन वाला भी न रह तर वश म अतएव अपन सखी जीवन म भी मन को डर कर चलना चािहए

मन को पत ऋण उतारन का सतत यास करना चािहए जस परवार म कोई दखी होकर आहा करता ह या उस आहा क लए ववश िकया जाता ह तो इस परवार का बाद म ा हाल होगा इस पर वचार कर आहा करना

सरल नही ह अपन जीवन को कोई य ही तो नही मटा दता उसक आा तो वही भटकगी वह आप को कस चन स सोन दगी थोड़ा वचार कर िकसी का का

अथवा ी का बलाार िकया जाए तो वह आप को ाप ो न दगी इस पर वचार कर वह यिद आहा करती ह तो कसर िकसका ह उसक आा पर

वश को ाप दगी सीधी आा क ाप स बचना सहज नही ह आपक वश को इस भगतना ही पड़गा यही त बाधा दोष व यही पत दोष ह इस समझ

38

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

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13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 41: Pitra Paksh Pitra Dosh

पतदोष क लण व हानया

यिद िकसी जातक क कडली म पदोष होता ह तो उस अनक कार क परशानया हानया उठानी पडती ह जो लोग अपन पतरो क लए तपण एव

ा नही करत उ रास भत-त पशाच डािकनी-शािकनी हमरास

आिद वभ कार स पीिडत करत रहत ह - घर म कलह अशात रहती ह

रोग-पीडाए पीछा नही छोडती ह घर म आपसी मतभद बन रहत ह काय म अनक कार क बाधाए उ हो जाती ह अकाल म का भय बना रहता ह सकट अनहोनीया अमगल क आशका बनी रहती ह सतान क ा म वलब होता ह घर म धन का अभाव भी रहता ह अनक कार क महादखो का सामना करना पडता ह परवार एव सग-सयो मो को भी वशष क क ा होती ह परवार म अशा वश व म कावट आकक बीमारी धन स

बरकत न होना | सभी भौतक सखो क होत ए भी मन असत रहना आद परशानयो स

म नही मलना |

पत दोष एक अ बाधा ह य बाधा पतरो ारा होन क कारण

होती ह |पतरो क होन क बत स कारण हो सकत ह आपक आचरण

सिकसी परजन ारा क गयी गलती स ा आिद कम ना करन स अ

कम आिद म ई िकसी िट क कारण भी हो सकता ह |

39

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

42

13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 42: Pitra Paksh Pitra Dosh

इसक अलावा मानसक अवसादापार म नान परम क अनसार फल न

मलना ववािहक जीवन म समाएकरअर म समाए या स म कह तो जीवन क हर म और उसक परवार को बाधाओ का सामना करना

पड़ता ह पत दोष होन पर अनकल हो क त गोचर दशाए होन पर भी शभ फल नही मल पातिकतना भी पजा पाठ दवी दवताओ क अचना क

जाए उसका शभ फल नही मल पातापत दोष दो कार स भावत करता ह -

१अधोगत वाल पतरो क कारण२ उगत वाल पतरो क कारण

अधोगत वाल पतरो क दोषो का म कारण परजनो ारा िकया गया गलत

आचरणपरजनो क अत इाए जायदाद क त मोह और उसका गलत

लोगो ारा उपभोग होन परववाहािदम परजनो ारा गलत नणय परवार क

िकसी यजन को अकारण क दन पर पतर हो जात ह परवार जनो को ाप द दत ह और अपनी श स नकाराक फल दान करत ह|

उ गत वाल पतर सामातः पतदोष उ नही करत पर उनका िकसी भी प म अपमान होन पर अथवा परवार क पारपरक रीत-रवाजो का

नवहन नही करन पर वह पतदोष उ करत ह |इनक ारा उ पतदोष स क भौतक एव आाक उत

बलकल बाधत हो जाती ह िफर चाह िकतन भीयास ो ना िकय जाए

िकतन भी पजा पाठ ो ना िकय जाएउनका कोई भी काय य पतदोष सफल

नही होन दता | पत दोष नवारण क लए सबस पहल य जानना ज़री होता ह िक िकस गह

क कारण और िकस कार का पत दोष उ हो रहा ह

40

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

42

13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 43: Pitra Paksh Pitra Dosh

ज क समय अपनी कली भी बत स योगो को लकर पदा होता ह

यह योग बत अ हो सकत ह बत खराब भी हो सकत ह मत फल

दान करन वाल हो सकत ह या क पास सभी कछ होत ए भी वह

परशान रहता ह | सब कछ होत भी दखी होता ह इसका ा कारण हो सकता ह कई बार को अपनी परशानयो का कारण नही समझ आता

तब वह ोतषीय सलाह लता ह तब उस पता चलता ह िक उसक कली म पत-दोष बन रहा ह और इसी कारण वह परशान ह |

पत दोष होन पर को जीवन म तमाम तरह क परशानया उठानी पड़ती ह जस घर म सदो का बमार रहना मानसक परशानी सान का ना होना

का का अधक होना या प का ना होना पारवारक सदो म वचारक

मतभद होना जीवकोपाजन म अरता या पया आमदनी होन पर भी धन

का ना कना क काय म अचानक कावट आना सर पर कज का भार होना सफलता क करीब पचकर भी असफल हो जाना यास करन पर भी मनवाछत फल का ना मलना आकक दघटना क आशका तथा वावा म बत दख ा होना आिद

बत स लोगो क कली म कालसप योग भी दखा जाता ह वतः कालसप योग भी पत दोष क कारण ही होता जसक वजह स मन क जीवन म तमाम

मसीबतो एव अरता का सामना करना पड़ता ह | जकडली म कछ ऐस

दोष होत ह जसक कारण उपरो क भोगना पड़ता ह |

बहतपराशर होरा शा क अनसार ज कडली म 14 कार क शापत योग

हो सकत ह | जनम पत दोष मात दोष ात दोष मातल दोष त दोष

आिद को मख माना गया ह इन शाप या दोषो क कारण को ा

हान आथक सकट वसाय म कावट सतान सबधी समा आिद का

41

आपक जकडली स पता चलगा कपत दोष ह या नही

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

42

13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

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आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

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गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 44: Pitra Paksh Pitra Dosh

सामना करना पड़ सकता ह पत दोष क बत स कारण हो सकत ह | उनम स

ज कली क आधार पर कछ कारणो का उख िकया जा रहा ह जो नलखत ह - 1 लश क अम ान म त अथवा अमष क ल म त 2 पचमश क अम म त या अमश क पचम म त 3 नवमश क अम म त या अमश क नवम म त 4 ततीयश यतथश या दशमश क उपरो तया ततीयश व अमश

का सबध होन पर छोट भाई बहनो चतथ क सबध स माता एकादश क सबध स बड़ भाई दशमश क सबध स पता क कारण पत दोष क उ होती ह

5 सय मगल व शन पाचव भाव म त हो या ग-रा बारहव भाव म त हो

6 रा कत क पचम नवम अथवा दशम भाव म त या इनस सबधत होना

7 रा या कत क सय स यत या सबध (पता क परवार क ओर स दोष)

8 रा या कत का चमा क साथ यत या ारा सबध (माता क ओर स दोष) च रा प क आय क लए हानकारक

9 रा या कत क बहत क साथ यत अथवा सबध (दादा अथवा ग क ओर स दोष)

10 मगल क साथ रा या कत क यत या सबध (भाई क ओर स दोष) 11 वक ल या वक राश म ज भी एक कारण होता ह ोिक वह

राश च क अम ान स सबधत ह 12 शन-रा चतथ या पचम भाव म हो तो मात दोष होता ह मगल रा

चतथ ान म हो तो मामा का दोष होता ह

42

13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 45: Pitra Paksh Pitra Dosh

13 यिद रा श क यत हो तो जातक ाहमण का अपमान करन स

पीिड़त होता ह मोट तौर पर रा सय पता का दोष रा च माता का दोष रा बहत दादा का दोष रा-शन सप और सतान का दोष

होता ह 14 वानो न अपन थो म वभ दोषो का उदाहरण िदया ह और पतर

दोष का सबध बहत (ग) स बताया ह अगर ग ह पर दो बर हो का असर हो तथा ग 4-8-

12व भाव म हो या नीच राश म हो तथा अश ो ारा नधन हो तो यह

दोष पण प स घटता ह और यह पतर दोष पछल पवज (बाप दादा परदादा) स चला आता ह जो सात पीिढ़यो तक चलता रहता ह

१5 रा चमा व सय पीिड़त होन स कई असा व मभीर कार क बीमारया जस दमा शगर इािद जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती ह पतर

दोष का भाव घर क यो पर भी अधक रहता ह१6 चौथ ान म रा दसव ान म शन-मगल हो तो उसक नवास ान म

त का वास रहता ह इसक कारण धन हान सतान हान ी को क इािद होता ह

१7 अगर दसर चौथ पचम छठ सातव ादश रव क साथ रा या ग क साथ रा या तीनो एक जगह हो तो धन क लए िकसी क हा करना

वधवा ी का धन जायदाद आिद हड़प लन स घर म पागलपन दरता लोगो क लापता हो जान जसी घटनाए होती ह ऐसी हालत म

वहा पशाच त का नवास होता ह पाच पीढ़ी तक यह दख दता ह १8 रा अगर च या श क साथ हो तो िकसी ी का ाप सात पीढ़ी तक

चलता ह महारोग यरोग गमाला रोग साप का काटना इािद घटनाए होती ह

19 रा क साथ शन आहा का कारक ह तग होकर कोई खन क र

43

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 46: Pitra Paksh Pitra Dosh

म आहा कर ल तो सात पीढ़ी तक चलता ह औलाद व औरत न बच धन हान होती ह य ह त दोष

२0 इस कार - थम भाव स खानदानी दोष दह पीड़ा ितीय भाव आकाश दवी ततीय भाव अ दोष चतथ भाव त दोष

पचम भाव दवी दवताओ का दोष छठा भाव ह दोष

सातवो भाव ली दवी दोष आठवा भाव नाग दवता दोष नवम भाव धम ान दोष दशम भाव पतर दोष लाभ भाव ह दशा य भाव पछल ज का हम दोष होता ह

22 कोई ह िकसी घर म पीिड़त हो सय दो हो ारा पीिड़त हो तो जस घर म होगा वही दोष होगा

23 ज कडली म च-रा च-कत च-बध च-शन आिद क यत स मात दोष होता ह यह दोष भी पत दोष क ही भात ह

24 इन योगो म च-रा और सय-रा क यत को हण योग कहत ह 25 यिद बध क यत रा क साथ ह तब यह जड़ योग बनता ह इन योगो क

भावप भाव ामी क त क अनसार ही अशभ फल मलत ह26 वस च क यत रा क साथ कभी भी शभ नही मानी जाती ह इस यत

क भाव स माता या पी को क होता ह मानसक तनाव रहता ह आथक परशानया ग रोग भाई-बाधवो स वर-वरोध परजनो

44

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 47: Pitra Paksh Pitra Dosh

का वहार परायो जसा होन क फल मल सकत ह27 ज कली म दशम भाव का ामी छठ आठव अथवा बारहव

भाव म हो और इसका रा क साथ सबध या यत हो रही हो तब

भी पत दोष का योग बनता ह

28 यिद ज कडली म आठव या बारहव भाव म ग व रा का योग बन

रहा हो तथा पचम भाव म सय-शन या मगल आिद र हो क त

हो तब पत दोष क कारण सतान क या सतान स सख म कमी रहती ह

29 बारहव भाव का ामी ल म त हो अम भाव का ामी पचम

भाव म हो और दशम भाव का ामी अम भाव म हो तब यह भी पत

दोष क कडली बनती ह और इस दोष क कारण धन हान या सतान क

कारण क होता ह

30 ज कली क पहल दसर चौथ पाचव सातव नौव या दसव भाव म यिद सय-रा या सय-शन एक साथ त हो तब यह पत दोष

माना जाता ह इन भावो म स जस भी भाव म यह योग बनगा उसी भाव स सबधत फलो म को क या सबधत सख म कमी हो

सकती ह

31 सय यिद नीच का होकर रा या शन क साथ ह तब पत दोष क अशभ

फलो म और अधक व होती ह

32 िकसी जातक क कडली म लश यिद छठ आठव या बारहव भाव म त ह और रा ल म ह तब यह भी पत दोष का योग होता ह

33 जो ह पत दोष बना रह ह यिद उन पर छठ आठव या बारहव भाव

क ामी क या यत हो जाती ह तब इस भाव स को वाहन दघटना चोट र न रोग ऊपरी बाधा तर म कावट

बनत कामो म व अपयश क ा धन हान आिद अन फलो

45

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 48: Pitra Paksh Pitra Dosh

क मलन क सभावना बनती ह

34 पत दोष क कारण कई यो को सतान ा म बाधा तथा कावटो का सामना करना पड़ता ह इन बाधाओ क नवारण क लए

कछ उपाय ह जो नलखत ह - यिद िकसी क कडली म सय-रा सय-शन आिद योग क

कारण पत दोष बन रहा ह तब उसक लए नारायण बल नाग बल

गया म ा आन क प म पतरो का ा पत तपण ाण

भोजन तथा दानािद करन स शात ा होती ह

35 इन योगो क अतर कडली म कई योग ऎस भी बन जात ह जो कई

कार स क पचान का काम करत ह जस पचमश रा क साथ यिद

क भावो (6 8 12) म त ह और पचम भाव शन या कोई अ

र ह भी ह तब सतान सख म कमी हो सकती ह शन तथा रा क

साथ अ शभ हो क मलन स कई तरह क अशभ योग बनत ह जो पत दोष क ही तरह बर फल दान करत ह

इन दोषो क नराकारण क लए सवथम जकडली का उचत तरीक स वषण कर और यह ात करन क चा कर िक यह

दोष िकस िकस ह स बन रहा ह उसी दोष क अनप उपाय करन स

आपक क समा हो जायग

46

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

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उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 49: Pitra Paksh Pitra Dosh

पत दोष नवारण क सरल उपाए ोतष म पतदोष का बत मह माना जाता ह ाचीन ोतष थो म

पतदोष सबस बड़ा दोष माना गया ह इसस पीिड़त का जीवन अत

कमय हो जाता ह जस जातक क कडली म यह दोष होता ह उस धन अभाव

स लकर मानसक श तक का सामना करना पड़ता ह पतदोष स पीिड़त

जातक क उत म बाधा रहती ह आमतौर पर पतदोष क लए खचल उपाय

बताए जात ह लिकन यिद िकसी जातक क कडली म पत दोष बन रहा ह और वह महग उपाय करन म असमथ ह तो भी परशान होन क कोई बात नही

पतदोष का भाव कम करन क लए ऐस कई आसान स व सरल उपाय भी ह जनस इसका भाव कम हो सकता ह जो नखत ह -

1 याद रख घर क सभी बड़ बजग को हमशा म सान और पण अधकार िदया जाय घर क महपण मसलो पर उनस सलाह

मशवरा करत ए उनक राय का भी पण आदर िकया जाय तिदन

उनका अभवादन करत ए उनका आशीवाद लन उ पण प स

स एव सत रखन स भी नत प स प दोष म लाभ मलता ह 2 अपन ात अात पवजो क त ईर उपासना क बाद उनक त

कतता का भाव रखन उनस अपनी जान अनजान म क गयी भलो क मा मागन स भी प स होत ह

3 सोमवती अमावा को दध क खीर बना पतरो को अपत करन स भी इस दोष म कमी होती ह

4 सोमवती अमावा क िदन यिद कोई पीपल क पड़ पर मीठा जल मान एव जनऊ अपत करत य ldquoऊ नमो भगवत वासदवाए

नमःrdquo म का जाप करत ए कम स कम सात या 108 परमा कर तात अपन अपराधो एव िटयो क लय मा माग तो पत दोष स

47

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

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ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

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- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 50: Pitra Paksh Pitra Dosh

उ सम समाओ का नवारण हो जाता ह5 क अमावा को गाय को पाच फल भी खलान चािहए6 अमावा को बबल क पड़ पर सा क समय भोजन रखन स भी

पर स होत ह7 क अमावा को एक ाण को भोजन करान व दणा व

भट करन स पत दोष कम होता ह 8 पत दोष स पीिड़त को तिदन शव लग पर जल चढ़ाकर

महामजय का जाप करना चािहए 9 मा काली क नयमत उपासना स भी पत दोष म लाभ मलता ह10 आप चाह िकसी भी धम को मानत हो घर म भोजन बनन पर सवथम

परो क नाम क खान क थाली नकालकर गाय को खलान स उस

घर पर परो का सदव आशीवाद रहता ह घर क मखया को भी चािहए िक वह भी अपनी थाली स पहला ास परो को नमन करत

य कौओ क लय अलग नकालकर उस खला द11 घर म कभी-कभी गीता पाठ करवात रहना चािहए 12 क अमावा को ाहमण भोजन अव करवाय

13 ाहमण भोजन म पवजो क मनपसद खान क वए अव बनायी जाए

14 ाहमण भोजन म खीर अव बनाए 15 यो एव पव ाहमण को ा म चादी क पा म भोजन करवाय 16 ण दणा सिहत दान करन स अत उम फल क ा होती ह

17 घर क दण िदशा क दीवार पर अपन गय परजनो का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनक पजा त करना चािहए उनस आशीवाद ा करन स पतदोष स म मलती ह

18 अपन गय परजनो क नवाण तथ पर जरतमदो अथवा गणी

48

ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

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पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

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ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

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उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

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आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

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गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

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वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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ाणो को भोजन कराए भोजन म मताा क कम स कम एक पसद क व अव बनाए

19 इसी िदन अगर हो सक तो अपनी सामान सार गरीबो को व और अ आिद दान करन स भी यह दोष मटता ह

20 पीपल क व पर दोपहर म जल प अत दध गगाजल काल तल चढ़ाए और गय परजनो का रण कर उनस आशीवाद माग

21 शाम क समय म दीप जलाए और नाग ो महामजय म या स या पत ो व नवह ो का पाठ कर इसस भी पत दोष क शात होती ह

22 सोमवार ातकाल म ान कर नग पर शव मिदर म जाकर आक क 21 प की ली बप क साथ शवजी क पजा कर 21 सोमवार करन स पतदोष का भाव कम होता ह

23 तिदन इ दवता व कल दवता क पजा करन स भी पत दोष का शमन होता ह

24 कडली म पतदोष होन स िकसी गरीब का का ववाह या उसक बीमारी म सहायता करन पर भी लाभ मलता ह

25 ाणो को तीकाक गोदान गम म पानी पलान क लए कए खदवाए या राहगीरो को शीतल जल पलान स भी पतदोष स छटकारा

मलता ह26 पव पीपल तथा बरगद क पड़ लगाए व भगवान क म जाप

ीमागवत गीता का पाठ करन स भी परो को शात मलती ह और दोष म कमी आती ह

27 पतरो क नाम पर गरीब वाथयो क मदद करन तथा िदवगत परजनो क नाम स अताल मिदर वालय धमशाला आिद का

नमाण करवान स भी अत लाभ मलता ह

49

28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

50

उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

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गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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28 पतरो क नमत घर म दीपक अगरबी को ातकाल पजा क समय ऊ पतय नम कम स कम 21 बार उारण कर

29 पश-पयो को खाना खलाय 30 ी मद भागवत गीता का ारहवा अाय का पाठ कर

31 प प अथवा अमावा क िदन पतरो को ान करक सामनसार ाण पजन क बाद गरीबो को दान करन स पतर खश होत ह ाण

क माम स पतप म िदय ऐ दान-प का फल िदवगत पतरो क आा क शात क लए िकया जाता ह ववत पराण क अनसार

पडदान तलाजली और ाणो को पण ा स भोजन करान स जीवन म सभी सासारक सख और भोग ा होता ह

32 िह माता क अनसार म क बाद भी गलोक क ा होती ह इसक लए सनचत होकर ह स दवताओ का क स पतगणो का

तथा अ ारा बधओ का भडारा कर 33 शनवार क िदन पीपल क जड़ म गगा जल कला तल चढाय पीपल

और बरगद क व क पजा करन स पत दोष क शा होती ह 34 याद रखए पवजो क त अपन कत ो का पालन करन उ पण प

स सत करन उनको स रखन वाल पर हमशा दवी कपा बनी रहती हउसक काय म कोई भी अवरोध नही होता ह

उसक सव जयजयकार होती ह 35 ओम नमो भगवत वासदवाय क एक माला का न जाप कर

36 जब भी िकसी तीथ पर जाए तो अपन पतरो क लए तीन बार अज ल म जल स उनका तपण अव ही कर

37 पतप म अपन पतरो क याद म व वशषकर पीपल लगाकर उसक पण ा स सवा करन स भी पतदोष समा होता ह

38 आपको जस रववार को सात पड़ रही ह या अमावा पड़ रही ह

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उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

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म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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उस िदन ाणो को भोजन कराना चािहए तथा लाल वओ का दान करना चािहए उ यथा सभव दणा भी दनी चािहए पतरो का तपण

करन स पत दोष क भाव म कमी आती ह39 भगवान भोलनाथ क तीर या तमा क सम बठ कर या घर म

ही भगवान भोलनाथ का ान कर न म क एक माला न जाप करन स सम कार क पत- दोष सकट बाधा आिद

शात होकर शभ क ा होती ह |म जाप ातः या सायकाल कभी भी कर सकत ह

म ॐ तषाय वह महादवाय च धीमिह तो ः चोदयात |

40 पत दोष जनत सतान क को दर करन क लए हरवश पराण का वण कर या य नयमत प स पाठ कर |

41 तिदन दगा सशती या सर का का पाठ करन स भी इस दोष म कमी आती ह |

42 सय पता ह अतः ता क लोट म जल भर कर उसम लाल फल

लाल चन का चरा रोली आिद डाल कर सय दव को अ दकर ११ बार ॐ घण सयाय नमः म का जाप करन स पतरो

क सता एव उनक ऊ गत होती ह |

43- िकसी मिदर क परसर म पीपल अथवा बड़ का व लगाए और रोज़

उसम जल डाल उसक दख -भाल कर जस-जस व फलता -फलता जाएगापत -दोष दर होता जाएगाोिक इन वो पर ही

सार दवी -दवता इतर -योनया पतर आिद नवास करत ह |44- एक माह बीतन पर जो अमावा आय उस िदन एक योग और कर

-- इसक लए िकसी दसी गाय या दध दन वाली गाय का थोडा सा गौ -

51

म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

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उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

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आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

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गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

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वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

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- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

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गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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म ा कर| उस थोड़ एनी जल म मलकर इस जल को पीपल व

क जड़ो म डाल द |इसक बाद पीपल व क नीच ५ अगरबी एक

नारयल और श घी का दीपक लगाकर अपन पवजो स ा पवक

अपन काण क कामना करऔर घर आकर उसी िदन दोपहर म कछ गरीबो को भोजन करा द |ऐसा करन पर पत दोष शात हो

जायगा| 45 घर म कआ हो या पीन का पानी रखन क जगह हो उस जगह क

शता का वशष ान रखोक य पत ान माना जाता ह | इसक

अलावा पशओ क लए पीन का पानी भरवान तथा ाऊ लगवान अथवा आवारा को को जलबी खलान स भी पत दोष शात हो

जायगा |46 अगर िकसी वशष कामना को लकर िकसी परजन क आा पत

दोष उ करती ह तो तो ऐसी त म मोह को ाग कर उसक सदगत क लए गज मो ो का पाठ करना चािहए|

47 पत दोष दर करन का अत सरल उपाय इसक लए सधत को अपन घर क वाय कोण (N -W )म न सरसोका

तल म बराबर माा म अगर का तल मलाकर दीपक पर पत प म न लगाना चािहए िदया पीतल का हो तो ादा अा ह दीपक

कम स कम १० मनट न जलना आवक ह लाभ ा क लए |

48 प दोष नवारण म

म 1 -- ॐ सव पत दवताो नमः म २-- ॐ थम पत नारायणाय नमः पदोष क शात करन पर सभी परशानीया अपन-आप

समा होन लगती ह मानव सफल सखी एव ऐयपण जीवन

तीत करता ह

52

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 55: Pitra Paksh Pitra Dosh

पष स

सहशीषा पषः सहाः सहपातस भम वतो वातशागलम१

पष एवदम यत भतम य भम उतामतशानो यदना तरोहत२

एतावान मिहमातो ाया पषःपादोऽ वा भतान पादामत िदव३

पाददः उदत पषः पादोहा भवात पनः ततो वङ ामाशनान शन अभ४

तात वराडजायत वराजो अधपषःसहातो अरत पात भममथॊ परः५

यत पषण हवषा दवा यमततवसो अा सीदाम ी इद शरधव६

साासरधयः स समधः कताःदवा य ताना अबष पश७

त य बहष ौष जातमतः तन दवा अयज साा ऋषय य८

ताावतः सभत पषदापशा वायानारााा य९

53

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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Page 56: Pitra Paksh Pitra Dosh

ताावत ऋचः सामान जरछदास जर ताजादजायत१०

तादा अजायत य क चोभयादतःगावो ह जर ताााता अजावयः११

यष दधः कतधा कयनमख िकम कौ बा का उ पादा उत१२

ाणोऽ मखामासीा राजः कतःऊ तद यः पा शो अजायत१३

चमा मनसो जातोः सय अजायतमखािदा ाणाायरजायत१४

नाा आसीदतर शी ौः समवतत पा भमदशः ोाथा लोका अकयन१५

वदाहमतम पषम महाम आिदवणम तमस पारसवा ण पाण वज धीरो नामान का भवददा१६

धाता परामदाजहार शवान तशततमवम वान अमत इह भवत नाा अयनाय वत१७

यन यमयजत दवाान धमा ण थमाासनत ह नाक मिहमानः सचत य पव सााः सत दवा१८

54

उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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उिदताम अवर उरास उमाः पतरः सोासःअसम यऽ ईयर-वका ॠता नो ऽव पतरो हवष1

अगरसो नः पतरो नवा अथवनो भगवः सोासःतषा वयम समतो ययानाम अप भ सौमनस ाम2

य नः पव पतरः सोासो ऽनिहर सोमपीथ वसाःतभर यमः सरराणो हवी उश उशः तकामम अ3

सोम चिकतो मनीषा रजम अन नष पथामतव णीती पतरो न दवष रम अभज धीराः4

या िह नः पतरः सोम पव कमा ण चः पवमान धीराःवन अवातः परधीन ऽरपोण वीरभः अः मघवा भवा नः5

सोम पत भः सवदानो ऽन ावा-पथवीऽ आ ततत तऽ इो हवषा वधम वय ाम पतयो रयीणाम6

बहषदः पतरः ऊ-वा गमा वो हा चकमा जषमतऽ आगत अवसा शम नाथा नः शयोर ऽरपो दधात7

आह पत सवदान ऽअव नपात च वमण च वोःबहषदो य धया सत भज पः तऽ इहागमाः8

उपताः पतरः सोासो बहष नधष यषतऽ आ गम तऽ इह व अध व त ऽव-अान9

पत-सम

55

आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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आ य नः पतरः सोासो ऽााः पथभ-दवयानःअन य धया मदो ऽध व त ऽव-अान10

अााः पतर एह गत सदःसदः सदत स-णीतयःअा हवीष यतान बह-था रयम सव-वीर दधातन11

यऽ अाा यऽ अनाा म िदवः धया मादयतः राड-सनीतम एताम यथा-वश त कयात12

अाान ॠतमतो हवामह नाराश-स सोमपीथ यऽ आशःत नो वासः सहवा भव वय ाम पतयो रयीणाम13

आा जान दणतो नष इमम यम अभ गणीत वमा िहस पतरः कन चो य आगः पषता कराम14

आसीनासोऽ अणीनाम उप रयम ध दाशष माय पः पतरः त वः यत तऽ इह ऊजम दधात15

ओम शात शातशात

56

गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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गजली त ा प का शभ दन

अली त क सरल पजा वध

अपन वश क व और गत क

लए िह धम क या जीवका त करती ह | आन

मास क क प क अमी तथ

को प क आय आरो लाभ

तथा सववध काणाथ जीवका (जतया) या जीमतवाहन त का वधान ह ायः या इस त को करती ह यह त दोष ापनी अमी तथ को िकया जाता ह

वत जनो न जीमतवाहन क पजन

का वधान दोष काल म नधा रत

िकया ह दोष समय ीभः पो जीमत वाहनः ातः काल ानािद को स नव होकर ती जीवका त का सक लकर और नराहार रहत ए

दोषकाल म करती ह

इसी िदन दीपावली क रा क तरह ली कामना हत गजली पजन का वधान भी ह |

ा प म य तो शभ काय वजत होत ह नई वए खरीदना नए परधान

पहनना भी नषध होता ह लिकन इन 16 कड़व िदनो म अमी का िदन वशष

प स शभ माना गया ह ा प म आन वाली अमी को ली जी का

57

वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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वरदान ा ह यह िदन वशष इसलए भी ह िक इस इस िदन हाथी पर सवार मा ली क पजा-अचना क जाती ह

ा प म आपका कोई अन क दशा ह ज कोई र क अत दसा ह

और उसम अन का यातर होन पर भी या गोचर भी अर होन स आथक

क रहता ह | तो ा प म गज ली जी का अनान वशष लाभकारी रहग ा | इश पाठ को अपन पतरो का रण करक श करना चािहय |

पजन क सरल वध शाम क समय ान कर घर क दवालय म एक चौक पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर कसर मल चन स अदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रख

- कलश क पास ही स कमल बनाकर उस पर माता ली क मत तत

कर मी का हाथी बाजार स लाकर या घर म बना कर उस णाभ षणो स

सजाए सहागन अपन आभषण सोना हाथी पर रखन स पजा का वशष लाभ

मलता ह

- माता ली क मत क सामन ीय भी रख कमल क फल स पजन कर

- इसक अलावा सोन- चादी क स मठाई फल भी रख

- इसक बाद माता ली क आठ पो क इन मो क साथ ककम अत और फल चढ़ात ए पजा कर-- ॐ आलय नम

- ॐ वालय नम

- ॐ सौभालय नम

- ॐ अमतलय नम

- ॐ कामलय नम

58

- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

59

गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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- ॐ सलय नम

- ॐ भोगलय नम

- ॐ योगलय नम

(21 times )िफर अली ो का पाठ कर |- इसक बाद धप और घी क दीप स पजा कर नव या भोग लगाए महाली जी क आरती कर

ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

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गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

60

नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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ASTALAXMI STOTRAM

अली ोम आद ली

समनसवत सर माधव च सहोदर हम मय

मनगणमत मोदायन मलभाषणी वदनत

पड़कजवासन दवसपजत सणवषण शायत जयजय ह मधसदन कामन आिदली सदा पालय माम 1

धाली

अिहकल कषनाशन कामन विदकपण वदमय

ीरसम मलपण मनवासन मनत

मलदायन अजवासन दवगणात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धाल सदा पालय माम 2

धयली

जयवरवणन वव भागव मपण ममय

सरगणपजत शीफ़लद ानवकासन शानत

भवभयहारण पापमोचन साधजनात पादयत

जयजय ह मधसदन कामन धयल सदा पालय माम 3

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गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

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नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

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गजली

जयजय दगतनाशन कामन सवफ़लद शामय रथगज तरगपदािद समावत परजनमत लोकनत

हरहर सपजत सवत तापनवारण पादयत

जयजय ह मधसदन कामन गजल पण पालय माम 4

सानली अिहखग वािहन मोिहन चिण रागववधन ानमय गणगणवारध लोकिहतषण रस भषत गाननत

सकल सरासर दवमनीर मानववत पादयत जयजय ह मधसदन कामन सानल पालय माम 5

वजयली जय कमलासन सतदायन ानवकासन गानमय अनिदनमचत कमधसर - भषत वासत वानत

कनकधरात वभव वत शर दशक मा पद जयजय ह मधसदन कामन वजयल सदा पालय माम 6

वाली णत सरर भारत भागव शोकवनाशन रमय मणमयभषत कण वभषण शासमावत हामख

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नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

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नवनधदायन कलमलहारण कामत फ़लद हयत जय जय ह मधसदन कामन वाल सदा पालय माम 7

धनली धमधम धधम धधम धधम दभ नाद सपणम य

घमघम घघम घघम घघम शननाद सवानत

वदपराणतहास सपजत विदकमाग दशयत जयजय ह मधसदन कामन धनि पण पालय माम 8

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