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    चचचा में क्यों?

    बाल श्रम एक वशै्विक चनुौती ह।ै बाल श्रम को लेकर अलग - अलग देशों ने कई क़दम उठाए हैं। बाल श्रम से श्वनपटने के श्वलए हर साल

    12 जनू को “श्ववि बाल श्रम श्वनषधे श्वदवस” (World Day Against Child Labour) मनाया जाता ह।ै इस बार के “श्ववि बाल श्रम

    श्वनषधे श्वदवस” का श्ववषय – “Children shouldn’t work in fields, but on dreams” ह।ै

    विश्व बचल श्रम विषेध वििस

    श्ववि बाल श्रम श्वनषधे श्वदवस की शरुुआत साल 2002 में ‘इटंरनेशनल लेबर आगनेाईजशेन’ द्वारा की गई थी। इस श्वदवस को मनाने का

    मक़सद बच्चों के अश्वधकारों की सरुक्षा की ज़रूरत को उजागर करना और बाल श्रम व अलग - अलग रूपों में बच्चों के मौश्वलक

    अश्वधकारों के उल्लंघनों को ख़त्म करना ह।ै

    हर साल 12 जनू को मनाए जाने वाले श्ववि बाल श्रम श्वनषधे श्वदवस के मौके पर संयकु्त राष्ट्र एक श्ववषय तय करता ह।ै इस मौके पर

    अलग - अलग राष्ट्रों के प्रश्वतश्वनश्वध, अश्वधकारी और बाल मज़दरूी पर लग़ाम लगाने वाले कई अतंराष्ट्रीय संगठन श्वहस्सा लेते हैं, जहां

    दशु्वनया भर में मौजदू बाल मज़दरूी की समस्या पर चचाा होती ह।ै

    इटंरिेशिल लेबर आरे्गिचईजेशि ILO क्यच है?

    इटंरनेशनल लेबर आगनेाईजेशन की स्थापना 1919 में हुई ह।ै ये संयकु्त राष्ट्र की एक एजेंसी के रूप में काम करती ह।ै इसका मखु्यालय

    जनेेवा में ह।ै इसका मक़सद श्ववि में श्रम मानकों को स्थाश्वपत करना और श्रश्वमकों की अवस्था और आवास में सधुार करना ह।ै

    United Nations Convention on the Rights of the Child

    बाल अश्वधकारों पर “संयकु्त राष्ट्र समझौता”(UNCRC) 1989 में बना एक क़ानूनी रूप से बाध्यकारी अतंरााष्ट्रीय समझौता ह।ै इस

    समझौते में जाश्वत, धमा को दरश्वकनार करते हुए हर बच्चे के नागररक, राजनीश्वतक, आश्वथाक, सामाश्वजक और सांस्कृश्वतक अश्वधकारों की

    स्थापना की गई ह।ै इस समझौते पर कुल 194 देशों ने हस्ताक्षर श्वकए हैं। समझौते के मतुाश्वबक़ (UNCRC) पर दस्तख़त करने वाले

    सभी दशेों का ये कताव्य ह ैश्वक वे बच्चों को श्वनिःशलु्क और ज़रूरी प्राथश्वमक श्वशक्षा प्रदान करे।

    बचल श्रम क्यच है?

    भचरतीय संविधचि के मुतचवबक़ श्वकसी उद्योग, कल - कारखाने या श्वकसी कंपनी में मानश्वसक या शारीररक श्रम करने वाले 5 - 14

    वषा उम्र के बच्चों को बाल श्रश्वमक कहा जाता ह।ै

    बाल श्रम : समस्या और श्वनदान

    (Child Labour: Problems and Solution)

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    संयुक्त रचष्ट्र संघ के मुतचवबक़ - 18 वषा से कम उम्र के श्रम करने वाले लोग बाल श्रश्वमक हैं।

    अंतरचाष्ट्रीय श्रम संर्गठि के मुतचवबक़ - बाल श्रम की उम्र 15 साल तय की गई ह।ै

    अमेररकच में - 12 साल या उससे कम उम्र के लोगों को बाल श्रश्वमक माना जाता ह।ै

    वकि - वकि रूपों में होतच है बचल श्रम ?

    बचल मज़िूर - व ेबच्चे जो कारखानों, कायाशालाओ,ं प्रश्वतष्ठानों, खानों और घरेल ूश्रम जसेै सेवा के्षत्र में मज़दरूी या श्वबना मज़दरूी में

    काम कर रह ेहैं।

    र्गली - मोहल्ले के बच्चे - कूड़ा बीनने वाले, अखबार और फेरी लगाने वाले और भीख मांगने वाले

    बंधुआ बच्चे - व ेबच्चे श्वजन्हें या तो उनके माता-श्वपता ने पैसों की ख़ाश्वतर श्वगरवी रखा ह ैया जो कज़ा को चकुाने के चलने मज़बरून

    काम कर रह ेहैं

    िवकिं र्ग वचल्रि - व ेबच्चे जो कृश्वष में और घर-गहृस्थी के काम में पाररवाररक श्रम का श्वहस्सा हैं

    यौि शोषण के वलए इस्तेमचल वकए र्गए बच्चे - हजारों बाश्वलक बच्चे और नाबाश्वलक लड़श्वकयां यौन शोषण की जद में हैं

    घरेलू र्गवतविवधयों में लरे्ग बच्चे - घरेल ूसहायता के रूप में काम। इसमें लड़श्वकयों का शोषण सबसे ज़्यादा ह ै- बच्चे छोटे भाई-

    बहनों की दखेभाल, खाना पकाने, साफ-सफाई और ऐसी अन्य घरेल ूगश्वतश्ववश्वधयों में लग ेहुए हैं

    बचल श्रम से सम्बंवधत कुछ आंकड़े

    संयकु्त राष्ट्र की ररपोटा के मतुाश्वबक़ दशु्वनया में कुल -152 श्वमश्वलयन बच्चे बाल मज़दरूी करते हैं।

    अतंरााष्ट्रीय श्रम संगठन ILO मतुाश्वबक़ - दशु्वनया भर में बाल श्रम में शाश्वमल 152 श्वमश्वलयन बच्चों में से 73 श्वमश्वलयन बच्च े

    खतरनाक काम करते हैं।

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    इन ख़तरनाक कामों में मनैअुल सफाई, श्वनमााण, कृश्वष, खदानों, कारखानों और फेरी वाला व घरेलू सहायक जसैे काम शाश्वमल

    ह।ै

    बीते कुल सालों में ख़तरनाक कामों में शमुार 5 से 11 वषा की उम्र के बच्चों की संख्या बढ़कर 19 श्वमश्वलयन हो गई ह।ै

    2011 की जनगणना के अनसुार भारत में क़रीब 43 लाख से अश्वधक बच्चे बाल मज़दरूी करते हुए पाए गए।

    UNISEF के अनसुार दशु्वनया भर के कुल बाल मज़दरूों में 12 प्रश्वतशत की श्वहस्सेदारी अकेल ेभारत की ह।ै

    ग़रैसरकारी आकंड़ों के मतुाश्वबक़ भारत में - क़रीब - 5 करोड़ बाल मज़दरू हैं।

    बचल श्रम के कचरण

    बढ़ती जनसँख्या

    ग़रीबी

    खाद्य असरुक्षा

    अश्वशक्षा

    बेरोज़गारी

    अनाथ

    मौजदूा क़ाननूों का लाग ून होना

    सस्ता श्रम

    बचल श्रम से उत्पन्ि समस्यच

    बचल श्रम एक सचमचवजक, आवथाक और रचष्ट्रीय समस्यच है। इसके चलते -

    बच्चे श्वशक्षा से दरू हो जाते हैं

    स्वास््य पर बरुा असर

    बच्चों से दवु्यावहार

    श्ववस्थापन और असरुश्वक्षत प्रवासन

    यौन शोषण के श्वलए ग़रै क़ाननूी ख़रीद - फ़रोख़्त (चाइल्ड पोनाग्राफी)

    श्वभक्षावशृ्वि,

    मानवअगंों का कारोबार

    बाल अपराध

    खले कूद और मनोरंजन जसैे ज़रूरी गश्वतश्ववश्वधयां प्रभाश्ववत

    इन सब के चलते बच्चों का शरीररक और मानश्वसक श्ववकास प्रभाश्ववत होता ह ैजोश्वक बच्चों के व्यश्वक्तत्व के श्ववकास में मशु्वककलें खड़ी

    करता ह।ै

    बचल श्रम के वलए संिैधचविक प्रचिधचि

    संश्ववधान ने बाल मज़दरूी पर लगाम लगान ेके श्वलए कई क़ाननू बनाए हैं।

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    अनचु्छेद 15 (3) - बच्चों के श्वलए अलग से क़ाननू बनाने का अश्वधकार दतेा ह ै

    अनचु्छेद 21 - (6 -14) वषा के बच्चों को श्वनिःशलु्क और अश्वनवाया श्वशक्षा का अश्वधकार

    अनचु्छेद 23 - बच्चों की ख़रीद और श्वबक्री पर रोक लगाता ह ै

    अनचु्छेद 24 - 14 वषा से कम उम्र के बच्चों को ख़तरनाक कामों में प्रश्वतबन्ध

    अनचु्छेद 39 - नीश्वत श्वनदशेक श्वसद्ांत के अतंगात आने वाला ये अनचु्छेद में बच्चों के स्वास््य और उनके शारीररक श्ववकास

    के श्वलए ज़रूरी सशु्ववधाएं उपलब्ध करान ेका आदशे दतेा ह।ै

    अनछेुद 45 - नीश्वत श्वनदशेक श्वसद्ांत के अतंगात आने वाला इस अनचु्छेद में भी 6 वषा से कम उम्र के बच्चों की दखेभाल

    और श्वशक्षा की श्वज़म्मदेारी राज्यों की ह।ै

    अनचु्छेद 51 A - माता श्वपता पर बच्चों की श्वशक्षा के श्वलए अवसर प्रदान करने का एक मौश्वलक कताव्य श्वनधााररत करता ह ै

    बचल अवधकचरों को सुरवित रखिे के वलए क़चिूि

    कारखाना अश्वधश्वनयम 1948 - 14 साल तक की आयु वाले बच्चों को कारखाने में काम करन ेसे रोकता ह।ै

    खदान अश्वधश्वनयम 1952 - 18 साल से कम आयु वाल ेबच्चों को खदानों में काम करन ेपर प्रश्वतबन्ध लगाता ह ै

    अनैश्वतक तस्करी (बचाव) अश्वधश्वनयम 1956

    बाल श्रम अश्वधश्वनयम 1986 - 14 साल से कम उम्र के बच्चों को जीवन जोश्वखम में डालन ेव्यवसायों में काम करन ेपर रोक

    लगाता ह।ै

    राष्ट्रीय बाल श्रम नीश्वत 1987

    श्वकशोर न्याय दखेभाल और संरक्षण अश्वधश्वनयम 2000 - बच्चों के रोज़गार को दडंनीय

    बाल श्वववाह श्वनषधे अश्वधश्वनयम 2006

    राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग 2007 - बाल अश्वधकारों के उल्लंघन के जड़ेु मसले को सलुझाने का काम

    श्वनिःशलु्क और अश्वनवाया बाल श्वशक्षा का अश्वधकार अश्वधश्वनयम 2009

    लैंश्वगक अपराधों से बालकों का संरक्षण अश्वधश्वनयम 2012

    श्वकशोर न्याय (बालकों की दखेरेख और संरक्षण) अश्वधश्वनयम 2015

    बचल श्रम को रोकिे के वलए सरकचरी योजिचए ं

    बाल श्वफल्म सोसायटी 1955

    एकीकृत बचल संरिण योजिच (ICPS) 2009 -10

    ICPS के तहत अलग - अलग बाल संरक्षण कायाक्रम शरुू श्वकए गए हैं। इनमें -

    1. बाल न्याय के श्वलए कायाक्रम 2. फुटपाथ पर रहन ेवाले बच्चों के श्वलए एकीकृत कायाक्रम 3. एक ही जगह श्ववस्ततृ श्वनयमों और नए कायाक्रमों सश्वहत दशे के भीतर बच्चों को गोद दनेे को बढ़ावा दनेे के श्वलए गहृों (श्वशश ु

    गहृ) को सहायता दने ेकी योजना

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    राष्ट्रीय बाल भवन राष्ट्रीय

    खाद्य सरुक्षा अश्वधश्वनयम 2013

    बचल श्रम (विषेध एिं विवियमि) संशोधि विधेयक 2016

    ज़रूरत के श्वहसाब से 1986 के बाल मज़दरूी क़ाननू में संशोधन श्वकया गया ह।ै बाल श्रम संशोधन श्वबल 2012 में राज्य सभा में पेश

    श्वकया श्वजसे साल 2016 में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों से पाररत कर श्वदया गया। ये संशोधन बच्चों को कुछ श्ववशषे प्रकार

    के व्यवसायों में काम पर करने पर रोक लगाता ह ैऔर दसूरे व्यवसायों में बच्चों के काम करने की श्वस्थश्वत को श्वनयश्वमत करता ह।ै बाल

    श्रम क़ाननू 2016 में ये छूट दी गई ह ैश्वक 14 वषा से कम उम्र के बच्चे पाररवाररक व्यवसाय में काम कर सकते हैं। इसके अलावा श्वबल

    में "श्वकशोर" शब्द के ज़ररए 14 से 18 वषा की आय ुके बच्चों को भी पररभाश्वषत श्वकया गया। जहां पहले बाल श्रम अश्वधश्वनयम 1986

    में 83 के्षत्रों को खतरनाक घोश्वषत श्वकया गया था तो संशोधन के बाद अब केवल तीन के्षत्रों को ही ख़तरनाक बताया गया जहां श्वकशोर

    बच्चे काम नहीं कर सकते। श्वबल में श्वदए गए ख़तरनाक कामों में खनन, ज्वलनशील पदाथा और खतरनाक प्रश्वक्रयाओ ंमें श्वकशोरों को

    काम पर रखने पर रोक ह।ै

    बचल श्रम संशोधि अवधवियम, 2017

    बाल श्रम क़ाननू 2016 के आते ही इसकी आलोचना की गई। आलोचना की वजहों में - ख़तरनाक व्यवसायों की संख्या को 83 से

    घटाकर तीन कर श्वदया जाना और बच्चों को पाररवाररक उद्यमों में काम करने इजाज़त दनेे जैसे फैसले शाश्वमल थे। इसके बाद इस क़ाननू

    में कुछ ज़रूरी बदलाव श्वकए गए। बदलावों के मतुाश्वबक़ –

    इसके बाद इस क़ाननू में कुछ ज़रूरी बदलाव श्वकए गए। बदलावों के मतुाश्वबक़ बच्चे अब स्कूल के बाद केवल तीन घटें ही

    पाररवाररक उद्यमों में मदद कर सकें ग।े

    बच्चे शाम 7 और सबुह 8 बज ेके बीच पाररवाररक उद्यमों में मदद नहीं कर सकें ग।े

    बच्चे या श्वकशोरों को एक कलाकार के रूप में एक श्वदन में केवल 5 घटें और श्वबना आराम के 3 घटें तक काम करन ेकी

    इजाज़त दी गई ह।ै

    श्वकसी भी ऑश्वडयो-श्ववज़अुल मीश्वडया श्वनमााता या श्वकसी वाश्वणश्वज्यक व्यवसाय श्वजसमें बच्चे या श्वकशोरों की भागीदारी हो,

    ऐसा करन ेके श्वलए हर 6 महीने में श्वज़ला मश्वजस्रेट से मज़ंरूी लेनी होगी।

    श्वकसी भी बच्चे या श्वकशोर को श्वबना उसकी इच्छा और सहमश्वत के श्वकसी भी ऑश्वडयो श्ववजअुल और स्पोटटास जसैी

    गश्वतश्ववश्वधयों में भाग लेने के श्वलय ेनहीं कहा जाएगा।

    रचष्ट्रीय बचल श्रम पररयोजिच NCLP

    बाल मज़दरूी से आज़ाद कराए गए बच्चों के पनुवाास के श्वलए सरकार ने राष्ट्रीय बाल श्रम पररयोजना लाग ूकी थी। इस पररयोजना का

    मक़सद बाल मज़दरूी से आज़ाद कराए गए बच्चों का श्ववशेष स्कूलों में दाश्वख़ला कराया जाता ह।ै जहां उन्हें औपचाररक श्वशक्षा प्रणाली

    में डालने से पहले श्वशक्षा, व्यवसाश्वयक प्रश्वशक्षण, पौश्विक आहार और स्वास््य जसेै महत्वपूणा सशु्ववधाए ँप्रदान की जाती हैं।

    बाल श्रम के श्वलए काम कर रह ेकुछ गरै सरकारी संगठन भारत में कुछ गरै सरकारी संगठन भी बाल मज़दरूी को रोकने के श्वलए काम

    कर रह ेहैं।

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    बचपन बचाओ ंआदंोलन

    कैलाश सत्याथी श्वचल्रेन फाउंडेशन

    CRY - Child Rights and You

    प्रथम संगठन

    चाइल्ड फण्ड

    तलाश एसोश्वसएशन

    RIDE India,

    बचल मज़िूरी से होिे िचले रोर्ग

    बीड़ी उद्योग - टी. बी. िासनली – शोथ

    हस्तकरघा उद्योग - दमा, टी. बी. िासनली – शोथ, रीढ़ की हडटडी की बीमारी

    जरी एव ंकढ़ाई - आखँों में त्रशु्वट एव ंखराबी

    रून व श्वहरा कश्वटंग - आखँों में त्रशु्वट एव ंखराबी

    कागज के टुकड़े को बटोरना - श्वसश्वलकोश्वसस, सदी एव ंखाँसी

    पत्थर एव ंस्लेट खनन - श्वसश्वलकोश्वसस

    चड़ूी उद्योग - ताप आघात (प्रहार), चमा-रोग, िासदोष, कंजंकटीवाइश्वटस

    कृश्वष उद्योग - चरटम- रोग, कीटनाशक दवाईयों एवं मशीनों का द:ुप्रभाव, स्नाय ुसंबंधी जश्वटलता एव ंअत्यश्वधक उिेजना, ऐठन

    ईटं भट्टी - श्वसश्वलकोश्वसस, ऐठन

    माश्वचस उद्योग - आग से दघुाटना, तरंुत मतृ्यु

    शीशा एव ंपावरफुल उद्योग -दमा, िासनली- शोथ, तपेश्वदक, आखँों में खराबी, जलना इत्याश्वद .

    बचल श्रम से जुड़े कुछ ज़रूरी तथ्य

    भारत में बाल मजदरूों की संख्या सबसे ज्यादा ह ै।

    भारतीय बाल मजदरू औसतन 12 घटें प्रश्वतश्वदन काम करते हैं ।

    भारत के सकल राष्ट्रीय उत्पाद (जी.एन.पी. ) का 20% योगदान बाल मजदरूों द्वारा होता ह ै।

    तश्वमलनाडू में श्वशवकाशी द ेमाश्वचस फैक्ट्री में 45,000 बच्चे काम करते हैं श्वजसमें से नब्बे प्रश्वतशत (90%) काम करन ेवाल े

    14 वषा से कम उम्र की लडकीयाँ हैं ।

    श्वदल्ली के 18% बच्चे बाल मजदरूी करके अपना जीश्ववकापाजान करते हैं ।

    आरे्ग की रचह

    बाल श्रम ग़रीबी, बेरोज़गारी और कम मज़दरूी का एक दषु्ट्चक्र ह।ै

    पररवारों की आश्वथाक श्वस्थश्वत में सधुार लान ेऔर बच्चों को काम पर न भजेने के श्वलए सरकार को सामाश्वजक सरुक्षा कायाक्रमों

    और नकद हस्तांतरण की श्वदशा में ठोस प्रयास करने होंग।े

    शशै्वक्षक संस्थानों और श्वशक्षा की गणुविा में सधुार की ज़रूरत साथ ही श्वशक्षा की प्रासंश्वगकता को सशु्वनश्वित करन ेके श्वलए

    शशै्वक्षक बशु्वनयादी ढांच ेमें बदलाव की ज़रूरत ह।ै

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    बाल श्रम से श्वनपटने के मौजदूा भारतीय क़ाननूों में एकरूपता लान ेकी ज़रूरत ह।ै

    श्वन: शलु्क और अश्वनवाया श्वशक्षा को प्रभावी बनाना होगा।

    सावाजश्वनक श्वहत और बच्चों के बड़े पैमाने पर जागरूकता और बाल शटरम के ख़तरे को रोकने के श्वलए एक राष्ट्रीय अश्वभयान

    शरुू करन ेकी ज़रूरत ह।ै

    बाल मज़दरूी को रोकने के श्वलए माता - श्वपता को जागरूक और श्वशश्वक्षत करन ेकी ज़रूरत।

    व्यश्वक्तगत स्तर पर भी हने बाल श्रम रोकना होगा क्ट्यूंश्वक य ेहम सभी का नैश्वतक दाश्वयत्व ह।ै

    सामाश्वजक क्रांश्वत की ज़रूरत।

    By: Anurag Pandey

    (Dhyeya IAS)

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