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Published in India by Prowess Publishing, YRK Towers, Thadikara Swamy Koil St, Alandur,
Chennai, Tamil Nadu 600016
Library of Congress Cataloging in Publication
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ISBN: 978-1-5457-5349-1
भोरह�रया भोजपुरी भजन-माला v
अनकु्रमणिका
प्रतिभा केहू के मोहिाज ना होखे xvii
प्रशस्ति पत्र xix
प्रशस्ति-पत्र xxi
तिशेष आभार xxiii
भ०सं० विषय पृष्ठ-सं०
१ गणशे-िंदना, रउरा मंगलकारी 1
२ सरस्विी िंदना: (मौललक रचना), जगि के मािा हईं 2
३ सरस्विी भजन, जग जननी जग 3
४ भजन (बजृलाल ब्रह्मबाबा), बाबा बजृलाल ब्रह्म 5
५ धन जन सब कुछ छोड़ि के 6
६ प्रार्थना, पार कर भि से 7
७ भजन, जब से, उर में बसल बा 8
८ भजन, का भइले हमसे कसूर 9
९ तनगु्थन, नइया खेि ए मलाहािा 11
१० भजन, तबहारी जी, प्रमेिे के 12
११ गुरु के मडहमा, गुरु के, देन 13
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vi ललन िसहं (व्ास)
१२ भजन, नािा जो़िब जडहये 14
१३ भजन, सब पाप कटेला 15
१४ मायािी संसार, जीि के जंजाल 16
१५ मनुष्य के नादानी, तनपटे नादान मूढ़ 17
१६ भजन, आिे सुतन भक्त के पुकार 18
१७ भजन (जन-जन के पुकार) 19
१८ चेिािनी, उमर िोरे डदन डदन तबिल जािा 20
१९ सतं्ग, अइल अकेला संगे 21
२० भजन, हरर जी से, लागल रह 22
२१ परोपकार, परम पुरुष परमेश्वर 23
२२ भजन, बनल बतिया बकेार में 24
२३ नासमझी, राम जाने कडहया ले 25
२४ अहंकार के निीजा, बाि बाि में अड़ि जइब 27
२५ तनगु्थन, आिे के बरेर अकेला 28
२६ भजन, काहे नर िन पाके 29
२७ तनराशा, भइनी तनराश जग में 30
२८ तनगु्थन, रहनी मगन बेखाबारािा 32
२९ मनुष्य के दबु्थलिा, कह ए संघतिया 33
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भोरह�रया भोजपुरी भजन-माला vii
३० भजन, मन खुद के बचा के 34
३१ भजन, छोड़ि िोहरा चरन के 35
३२ तनगु्थन, जग में दू डदन के 36
३३ गुरु िंदना, नाइला सर सौ बार 37
३४ भजन, रउरा, करुना तनधान हईं 38
३५ भजन, संि समागम हरर चचा्थ से 39
३६ भजन, मोरे मनिा रे 40
३७ भजन, जग जाडहर शास्त्रन में ललखल 41
३८ गंगा मडहमा, धन्य भूमम भारि के 42
३९ भजन (खेमटा), प्रभु के भजतनया में 43
४० तिश्वकमा्थ-भजन, शीश निाईं, अरज सुनाईंं 44
४१ भजन, कइल कमाई किनो 45
४२ भजन, जब िक माललक के 46
४३ भूल-भुलइया, मन के भुलाइ ललहल 47
४४ हिाशा के दद्थ, जजनीगी जहर भइलल 48
४५ भजन (पूिवी), करुणा के सागर हि 50
४६ भजन (खेमटा), मोरे कीि्थन भजन में 51
४७ भजन, िोरी तबसरे सुरतिया ना 52
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viii ललन िसंह (व्ास)
४८ भजन (भक्त के साध), ह ेप्रभु आपन 53
४९ भजन (पूिवी), अइसन स्वाद ना पिनी 54
५० भजन (हकीकि), जिन लउकिा 55
५१ छठी मइया के गीि, ढर-ढर लोर 57
५२ छठी मइया के गीि, बंहगी लेके चल 58
५३ छठी मइया के गीि (सोहर), मन में अटल 59
५४ छठी मइया के गीि (पारम्पररक), सूप नररयर 60
५५ देिी भजन (सीरंजनी), आहो जग जननी 61
५६ देिी-भजन, टन-टन घंटा 62
५७ देिी भजन, हाहाकार मचल बा सबके 63
५८ देिी भजन, किने के सब कुछ 64
५९ देिी-भजन, मंगल करनी 65
६० देिी-गीि, लाले-लाले चुनरी 66
६१ देिी भजन, देिी माई हो 67
६२ देिी-भजन, छोटी मुटी नीममया 68
६३ िैष्णि देिी भजन, सुतन के सोहरि 70
६४ भजन, शैर-माई के ममिा के किना बखान ह 71
६५ देिी-भजन, रचना पालन िहूी कर 72
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भोरह�रया भोजपुरी भजन-माला ix
६६ देिी-भजन, जनम-जनम के भाग्य 73
६७ देिी-भजन, मइहर िाली माई 74
६८ देिी भजन, (शैर-) जय हो भिानी 75
६९ देिी-भजन, जय बोल जय बोल 77
७० देिी-भजन, चारु ओरर चचिईं 78
७१ देिी-भजन, ि ूकल्ानी 79
७२ देिी-भजन, जनम जनम के कीडट 80
७३ देिी भजन, डदन राति अंखखयन के 81
७४ देिी-गीि, भोर ही से खा़ि 82
७५ देिी-भजन (िैष्णौ देिी), िोहरे चरन के 83
७६ देिी-भजन, पि्थि के पुिरी 84
७७ देिी-भजन, जगमग जरे दीप 85
७८ देिी-भजन, माई शरन में 86
७९ देिी-भजन, जय-जय मा ँ 87
८० देिी-भजन, जय हो शेरािाली 89
८१ देिी-भजन (very fast धनु), दूर-दूर से 90
८२ देिी-भजन, गइया के गोबरे 91
८३ देिी-भजन, िोरे चरन शरन 92
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x ललन िसहं (व्ास)
८४ हनुमान-भजन, जय हो अंजनीकुमार 93
८५ हनुमान जी की आरिी, गाि, पिन-िनय 94
८६ हनुमान-भजन, शंकर सुिन केशरीनंदन 96
८७ भोला-भजन, आजा ह ेबाबा 97
८८ भोला भजन, भोलेजी से मागँी 98
८९ भोला भजन, कडहया ले नेडहया 99
९० भोला भजन, महा मृतंुजय महादेि एह 100
९१ भोला भजन, अतिनाशी कैलाश के 101
९२ भोला भजन, कडहया ले असरे 102
९३ शशि तििाह, हाला बा चल 103
९४ भोला भजन, पुआ-पू़िी छोड़ि 105
९५ भोला भजन (सोहर), गेरुआ में िन मन 106
९६ भोला भजन, िोहरा चरन के 107
९७ भोला भजन, चल चल सखी 108
९८ भोला भजन, कडहया ले जजनीगी 109
९९ भोला भजन, भीर भइल भोला 110
१०० भोला भजन, हर हर महादेि् 111
१०१ भोला भजन, रडह रडह मनिा 112
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भोरह�रया भोजपुरी भजन-माला xi
१०२ भोला भजन (कािँर गीि), लचके कमररया 113
१०३ कृष्ण-जन्म की पूि्थ-संध्ा, असुर तनकंदन 114
१०४ कृष्ण-जन्म, सुतनये देिकी 115
१०५ कृष्ण-जन्म सोहर, भादो के अष्टमी 116
१०६ पूिना-बध, झलेू पलना 117
१०७ पूिना-बध, पूिना बतन के 119
१०८ श्ाम भजन, कान्ा, हमरा गली 120
१०९ भरम में, आिाना डदन से बा़ि 122
११० कृष्ण-भजन, यमुना के िट पर 123
१११ धनु: बगल िाली, घर से ललया के जाली 124
११२ कृष्ण-लीला, सुन ए यशोदा 126
११३ कृष्ण-लीला, यमुना के िट पर िंशीिट 128
११४ श्ीकृष्ण-लीला, झठूहंू के लाहारा 129
११५ पूिवी, बतन के कसइया कंस करे तनरिंश 131
११६ कृष्ण-सुदामा, डहि से दागा 132
११७ द्ोपदी-चीर-हरण (पूबवी), बतन के बचेारी 134
११८ कृष्ण-लीला, साचँ मान हमरो 136
११९ बधाई-गीि, भइले यशोदा का लालना 137
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xii ललन िसंह (व्ास)
१२० श्ाम-भजन, चचि के चुरा के 138
१२१ श्ाम तिरह गीि, श्ाम तबना 140
१२२ श्ाम-तिरह गीि: (पूबवी), प्रीतिया लगा के होई 141
१२३ कुब्ा पर कृपा, प्रमे के प्ाला 142
१२४ कृष्ण तिरह गीि, एक डदन बरीस लाग े 144
१२५ धनु: पारम्पररक पीड़ियंा गीि, प्रीतिया लगाइ तबसराइ 146
१२६ श्ाम-तिरह, जोड़ि ललहल नािा 147
१२७ राम-केिट-प्रसंग, मागँी नाि न 148
१२८ लक्ष्मण के शक्क्त लागला पर भगिान 150
१२९ श्ीरामजी के आरिी, उिार ए सखी 152
१३० सेिरी के तनष्ा, सुतन के अिइया 153
१३१ देश भक्क्त गीि (खेमटा), इ तिरंगा ह 155
१३२ राष्टट्ीय गीि, दोसरा से कम 156
१३३ देश भक्क्त-गीि, अपना ििन 156
१३४ अिीि के याद, सोचच-सोचच रह े 157
१३५ इन्ातनयि के खून, गं्र के ललखल 159
१३६ राष्टट्ीय-गीि, झर-झर लोर 160
१३७ राष्टट्ीय गीि (आजादी के जश्न), देशिा के शान 161
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भोरह�रया भोजपुरी भजन-माला xiii
१३८ राष्टट्ीय गीि, दतुनया में अइसन 163
१३९ राष्टट्ीय गीि, आपुस में फूट भइल 164
१४० आजादी के उन्माद, सखी हो आज 165
१४१ देश के स्थिति, कहे के ि कहिालो 166
१४२ संगीि के सजाईं, संगीि के सजाईं 167
१४३ आखखरी-प़िाि, डहयरा हहरे हर 169
१४४ गीि, बटेी बोझ ना हइ सर के 170
१४५ बमेारी ना महामारी, जानािा महा प्रलय हो जाई 172
१४६ माई के काराजा (गजल), छोड़ि िोहारा के 174
१४७ दम्भ, फे़ि रुख ना जहिा ँ 175
१४८ फज्थ, रह ेके बा दतुनया में 176
१४९ पुत्रहीनं गृहम ्शून्यम ् 177
१५० लोक-गीि, शहर ना सोहाला सइंया 178
१५१ रस ही अलग ह, अल्ह़ि जिानी के 179
१५२ शशक्ा पररयोजना गीि, हार में मशाल लेके 180
१५३ हाला बा हिाला के, रायफल बनू्क ससक्सर 182
१५४ गीि, बझुाि ेनइखे 183
१५५ डोली से तिदाई, अब नाही ममली डोललया कहार 184
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xiv ललन िसंह (व्ास)
१५६ भ्ूण-हता, कहले कहाि नाही ं 185
१५७ सोहर, कईके गिन अगहन में 186
१५८ डदल, आदमी के डदल दररया ह 188
१५९ आपन बाि, बहुि ेडदलदार ममलल 189
१६० बटेी के तिदाई-गीि, ए माई, किने कसूरिा 191
१६१ गीि, माई के जीउिा जइसे गाइके 192
१६२ बटेी के तिदाई गीि, हामारा अभामगनी 194
१६३ दददे-डदल, प्रीतिया लगा लेला केहू 195
१६४ तनगु्थन, आस नइखे तिश्वास नइखे 196
१६५ लोक गीि, घर अइले परदेशी 197
१६६ लोक गीि, बीि ेजतन असो के 198
१६७ िर के आरिी, जूटल शुभ लगन शुभ घररया 199
१६८ अब भोर हो गइल, संिररया रे 200
१६९ गजल, सच्ी साधना 201
१७० दोतिी के दहलीज, बतन के आपन 202
१७१ भजन, जब टूटी जाई 203
१७२ गज़ल, आपन अब िक रहल 205
१७३ गीि, मनिा में भइल काहे 206
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भोरह�रया भोजपुरी भजन-माला xv
१७४ राष्टट्ीय-गीि, झर-झर लोर ढरे 207
१७५ मानििा के लोप, सगरो बा मचल देख 208
१७६ राष्टट्ीय-गीि, भारि मा ँके चरण-धलूल से 209
१७७ जमाना के दोष, बदलल जमाना 211
१७८ तिरडहनी के दद्थ, अइले िसंि कंि 212
१७९ कललयगु के फेरा, का का ि ेदेखइब े 213
१८० द ुडदनिा नािा, चल चल सखखया छो़ि 214
१८१ कललयगुी इयारी, िाह रे इयारी 216
१८२ देिी गीि, नि नि रुप में नि दगुा्थ के 217
१८३ आसरा के दीया, राि डदन हम 218
१८४ हिा के झोकंा, आइल झोकंा अइसन 219
१८५ गजल, सोच में बानी नादानी 220
१८६ लोक-गीि (खेमटा), कहीलंा ििन मान तपया 221
१८७ अहंकार के निीजा, िोहरे तिनाश खातिर 222
१८८ राष्टट्ीय गीि, गािँे-गािँे शहर-शहर 223
१८९ बरखा बहार, ररमजझम बरसन लाग े 224
१९० कजरी, मोरे रामा झलूा झलुावे िनिारी 225
१९१ कजरी, मोरे रामा ररम जझम 226
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xvi ललन िसंह (व्ास)
१९२ भोला भजन, बोल बम बोल बम 227
१९३ आरिी, आरिी उिारी ंरघुबर के 228
१९४ सोहर, काहािंा में जनमे कन्इया 229
१९५ राष्टट्ीय गीि, हार में तिरंगा 231
१९६ नािा स्वारर के, जग में स्वाररिश बा नािा 232
१९७ भोला भजन, चल सखी देखख आईं 233
१९८ कृष्ण-तिरह-गीि (पूिवी), प्रीतिया लगा के गइल 234
१९९ मिलब के यार, मिलब के एह दतुनया में 236
२०० भजन, भजन में मन िोहरो ना लागल 237
२०१ तनगु्थन, डोललया कहार ले 238
२०२ तनगु्थन, जग झूठा 239
२०३ देिी भजन, चलु चलु सखखया रे 240
२०४ तनगु्थन, कब का हो जाई भाई 242
२०५ दहजे के दंश, ब़िका जातन अइनी दअुरा पर 243
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भोरह�रया भोजपुरी भजन-माला 1
गिेश-िंदना—(१)
रउरा मंगलकारी तिघ्नहारी, हईं ए गनेश जी,
मािा पाि्थिी तपिा मत्रपुरारी ए गनेश जी।
सब देििन में रउरा, पहीले पुजाईंला,
तबग़िल काम रउरा, पल में बनाईंला।
देनी, किनो संकट के रउरा, टारी ए गनेश जी,
मािा पाि्थिी तपिा ।
हईं लम्ोदर गजिदन तिनायक,
ससमधि सदन रउरा, सब तिसध लायक।
एकदंि राउर मूस के, सिारी ए गनेश जी,
मािा पाि्थिी तपिा ।
मडहमा बढ़ाई डदहनी, बाप महिारी के,
ज ेके बचाइतब ओहके, दतुनया में मारी के।
छोड़ि रउरा के दोसर के, उबारी ए गनेश जी,
मािा पाि्थिी तपिा ।
बमुधि बल से लक्ष्मी रउरा, घर में बसाईंला,
लडुिन के भोग रउरा, प्रमे से लगाईंला।
रउरा एको पल “ललन” के जतन, तबसारी ंए गनेश जी,
मािा पाि्थिी तपिा ।
# # #
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2 ललन िसहं (व्ास)
सरस्विी िंदना: (मौललक रचना)—(२)
जगि के मािा हईं, केहू ना समान रउरा।
जगि के मािा हईं, केहू ना समान रउरा,
सभा में आ बचा ली,ं आज शान मान रउरा,
जगि के मािा ।
नजर के कोर राउर,
बनािे तबग़िल बाउर।
मूढ़ भी ग्यानी बने,
नीच भी मानी बने।
अइसने महान रउरा, जगि के मािा हईं ,
केहू ना ।
ज ेपािल हरदम ठोकर,
दया पा अइसन ओकर।
जहा ँओकरे पर झमूे,
चरन ओकरे आ चूमे।
हईं दयािान रउरा, जगि के मािा हईं,
केहू ना ।
छुिि ममट्ी हो मँूगा,
बनेला िक्ता गूँ गा।
मति के फेरर देनी,
होनी के टेरर देनी।
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भोरह�रया भोजपुरी भजन-माला 3
करी ंकल्ान रउरा जगि के मािा हईं,
केहू ना ।
“ललन” तबनिी बा मोरी,
ग्यान से भरर दी ंझोरी।
िाणी में िाणी आईं,
लगन डदल के पुराईं।
मोरे अरमान रउरा, जगि के मािा हईं,
केहू ना ।
संिाद: नाम मंररा मंद मति, चेरर कैकयी केरर।
अयश तपटारी िाडह करर, गई मगरा मति फेरर।।
एहीजा भी मति फेरे िाला काम सरस्विी ही कइली हा।
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सरस्विी भजन—(३)
धनु: (बागी बललया बरामद होके आइल बा)
जग जननी जग जाडहर िोहसे, राख सभा बीच पानी,
स्वर के देिी स्वर में समाजा, कही ंजगुल जोरर पानी,
बानी, बानी असरे में फेरब ूनजर जननी,
लेब ूकडहयो ना कडहयो खबर जननी।।
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4 ललन िसहं (व्ास)
उजबुकु गंिार बानी तनपटे नादान हो।
बमुधिया के हीन बानी, कुछु के ना ज्ान हो।
काललयो दास से ब़ि हमरा के, मूरख लोगिा जाने,
कइद माफ जो भइल होखे, भूल जाने अनजाने,
जाने, जाने कब होई दया के असर जननी,
लेब ूकडहयो ना कडहयो खबर जननी।।
ममिा के आचंर माई, कबले ओढ़इब?ू
अन्री कोठररया में डदयना जरइब।ू
काया कल्प होखे में माई, अब कािना डदन लागी?
मन के मइलल धोिाई कडहया, इ भूि भािंरर भागी?
जागी, जामग जाई भाग कबले संिर जननी,
लेब ूकडहयो ना कडहयो खबर जननी।।
िहरा ईशारा तबन डहले ना एको पािा,
िहरा से बडढ़के के बा भाग्य तिधािा।
जकेरे पर ि ूफेर नजर उ बनेला पंडडि ज्ानी,
“ललन” लगन बा अभी बनाल आपन दया तनशानी,
जानी, जानी छो़िब ूना एकउ कसर जननी,
लेब ूकडहयो ना कडहयो खबर जननी।।
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भोरह�रया भोजपुरी भजन-माला 5
भजन (बृजलाल ब्रह्मबाबा)—(४)
(धनु: लागे िाली बतिया ना बोल मोरे राजा हो)
बाबा बजृलाल ब्रह्म, बाबा के शरतनया, गोहार करीलंा, हो गोहार करीलंा,
जोरर हारािा, नाइ मारािा, इजहार करीलंा, हो पुकार करीलंा।
श्धिा तिस्वास राखख, आिे ज ेपाजँारािा,
ितनको ना शक ओकर, पूजलेा आसारािा हो पूजलेा आसारािा।
मडहमा महान जाने, गइँया जािारािा, बार-बार करीलंा हो पुकार करीलंा।
जोरर हारािा, नाइ मारािा ।
काम जब ना करेले, दिइया ओझइया,
कई देले चंगा बाबा, लेि ेइनीकर नइया हो, लेि ेइनीकर नइया।
दीन दखुखयन पर हरदम, रहेले सहइया नमस्ार करीलंा, नमस्ार करीलंा।
जोरर हारािा, नाइ मारािा ।
रोिि ज ेआिे बाबा, दर से हँसि जाला,
करसु चमत्ार गुनिा, घर-घर में गािाला,
घर-घर में गािाला।
सभ केहू कहे इनीकर, लीला ह तनराला,
हम तबचार करीलंा, हो तबचार करीलंा,
जोरर हारािा, नाइ मारािा ।
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6 ललन िसहं (व्ास)
हारर राडक आइल बानी, दतुनया का डर से,
बाबा हो बचइह हमके, बाउर नजर से हो, बाउर नजर से।
नेडहया के डोर ना टूटे, “ललन”, अबर से, इंिजार करीलंा, इंिजार करीलंा,
करी ंसपना साकार हो पुकार करीलंा, हो पुकार करीलंा,
जोरर हारािा नाइ मारािा ।
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तनगु्थन
धन जन सब कुछ छोड़ि के—(५)
धन जन सब कुछु छोड़ि के, एक डदन डोली उडठ जाई,
धन जन सब कुछु छोड़ि के, एक डदन डोली उडठ जाई,
का होई कामाईल धन संगोरर के, जबडक संगही ना जाई।
डदनािा धाराईल रह,े गरभे में माई का,
ब्रह्भा के ललखल टाकँी, केहुओ ममटाई का?
तप्रय पररजन से, मँुह मोड़ि के, एक डदन डोली उडठ जाई,
रही सभे बइठले अगोरर के, नाही रोकले रोकाई।
गािाना के डदनािा, मुहुि्थ तनयाराई,
करे के ना परी खुदे, हो जाई तिदाई,
जोरल सनेडहया के िोड़ि के, एक डदन डोली उडठ जाई
का होई तपजं़िा झंझोरर के,
सुगना जब उड़ि जाई।
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भोरह�रया भोजपुरी भजन-माला 7
धनी भा गरीब होई, ममली मरकीन हो,
डट्ेस मखमली नाही,ं ममली टेरलीन हो,
नािा “ललन” तपयिे से जोड़ि के, एक डदन डोली उडठ जाई,
संइया ँपूछीहें अखँखया गं़िोरर के, िब का देब ि ूसफाई?
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प्रार्थना—(६)
पार कर भि से मोरी नइया, रघुरइया आजा,
आहो रघुरइया आजा, आहो रघुरइया आजा,
बहलेा पिन चउअइया, रघुरइया आजा।।
गहरी नडदया, अगम बहे धारा,
बहुि ेचकोह नाही,ं लउके डकनारा।
ना बा पििार ना खेिइया, रघुरइया आजा।।
चारु ओरर चचिईं, ना डदखेला सहारा,
जीि घब़िािा बानी, बनल बचेारा।
डहिो ममि होखे ना सहइया, रघुरइया आजा।।
नाम लेि कादो भि, ससनु् सुखाला,
जनम जनम के महा, पाप भी धोिाला।
बरेर-बरेर परिानी पइया,ं रघुरइया आजा।।
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8 ललन िसहं (व्ास)
धीरीजा के बाधं नार, अब टूटल जािा,
पुरजन पररजन, सब छूटल जािा।
“ललन” दीन दखुखयन के भइया, रघुरइया आजा।
बहलेा पिन चउअइया, रघुरइया आजा।।
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भजन—(७)
जब से, उर में बसल बा, सकल नार के,
उनुके धनु में पागल मन, मगन हो गइल।
सुख सोहरि ब़िाई, ममली ना ममली,
हमरा खातिर रिन धन, भजन हो गइल,
जब से, —
बहु मंजजला अटंारी, सिारी भी ना,
पद पदिी भी ना, असधकारी भी ना।
बस एक ही भरोसा बा, तिश्वास भी,
जान प्रभु से पीरीतिया, सघन हो गइल,
जब से, —
जब िक उिरी ना रुप धन, मद के नशा,
िब िक संिरी ना किई, जीिन के दशा।
भूलल प्रभु के रमिल मन, जंजाल में,
मान, मानि जीिन के, पिन हो गइल,
जब से, —
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भोरह�रया भोजपुरी भजन-माला 9
खुद अपना के चचन्, चचन्ाि जनी,
कडह के अइल का कइल, बिाि िनी।
पाके अनमोल रिन, ना जिन कइल,
मन बउरे में काहें, मगन हो गइल?
जब से, —
लागे कीि्थन भजन मे ना, कौ़िी छदाम,
ममली एहीजो भा ओहीजो, अलौडकक आराम।
मुक्त होइब िहंुू, कुल पररिार भी,
भाि उम़िल ि गद-गद, “ललन” हो गइल,
जब से, —
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भजन—(८)
का भइले हमसे कसूर हो, नजररया से दूर कइल भगिन
दूर कइल भगिन हो दूर कइल भगिन,
नजररया से ।
पाप पुण्य के इ दू डगररया,
जगह जगह माया के नगररया।
िहूी ि बनिल हजूर हो, नजररया से दूर ।
का भइले हमसे ।
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10 ललन िसहं (व्ास)
ओही रे डगररया में, हम भूलल गइनी,
ओही रे नगररया में हम अझरुइनी।
फंसस गइनी होके मजबरू हो, नजररया से दूर ।
बालापन हम खेलल गँििनी,
मति जिानी में मौज उ़ििनी।
सीखनी ना नीमन सहूर हो, नजररया से दूर ।
किने अधम नीच पािकी के िरल,
ग्ाह के मारर गजराज के उबरल।
मोरा बरेी हो गइल तनठूर हो, नजररया से दूर ।
गरीबनेिाज हि दखुखयन के भइया,
बीच भँिर से मोरी पार कर नइया।
भि के मलाहािा मसहूर हो, नजररया से दूर ।
“ललन” अनारी के आस पुराि,
कर जोरर तबनइला दगुु्थन दरुाि।
भर भाि भक्क्त भरपूर हो, नजररया से दूर ।
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भोरह�रया भोजपुरी भजन-माला 11
वनगु्थन—(९)
नइया खेि ए मलाहािा भइया धीरे-धीरे।
डगमग डोलतिया नइया बसुेमार,
हो मलाहािा भइया धीरे-धीरे।
नइया खेि ।
छप-छप करे जल नइया के कोर हो,
उठल िफूान चउिइया के जोर हो।
जल अगम बहलेा जोरदार,
हो मलाहािा भाइया धीरे-धीरे।
नइया खेि ।
अिघट घाट पाट लमहर लागिा,
देखख के चकोह िन रररर कापँिा।
कइसे पार लागी बोझल भारी भार,
हो मलाहािा भइया धीरे धीरे।
नइया खेि ।
जजनीगी के रंग भंग हो जाई जानािा,
“व्ास ललन” मन काहे पछिािा।
अब एकही बा आसरा िोहार,
हो मलाहािा भाइया धीरे-धीरे।
नाइया खेि ।
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12 ललन िसहं (व्ास)
भजन—(१०)
तबहारी जी, प्रमेिे के भोग लगािे,
ओहीज ेिास करे भक्त जहँिा, हरर चचा्थ तनि गािे,
तबहारी जी ।
भाि अभाि भले हो अटंारी मेि्ा ममष्ान्न ना भािे,
ना भािे, मेिा ममष्ान्न नाभािे।
बासी साग तिदरु घर जाके, अहगरर के प्रभु पािे,
तबहारी जी ।
ऊँच जाति भारी िपसी के, ऋतषगन दम्भ देखािे,
देखािे, ऋतषगन दम्भ देखािे।
सब के टारर सेिरी के बइररया, खा तनज धाम ससधािे,
तबहारी जी ।
द्ोपदी होके अधीर सभा में, कृष्ण कृष्ण गोहरािे,
गोहरािे, कृष्ण कृष्ण गोहरािे।
सुनि टेर ना देर लगािे, नंगे पउँिा धािे,
तबहारी जी ।
प्रमे दीिानी मीरा रानी, श्ाम सुन्र के रीझािे,
रीझािे, श्ाम सुन्र के रीझािे।
कहे “ललन” राणा तिष प्रभुजी, छन में अम्िृ बनािे,
तबहारी जी ।
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