saaye me dhoop

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भभभभभभ / भभभभ भभभ भभभ / भभभभभभभ भभभभभ भभभभभभभ भभभभ भभभभभ भभभभभभभ भभ भभभभभभ भभ भभभभभभ भभभभ भभभभ भभभभभ ; भभभभभ , भभ भभभभभभभ भभभभ भभभभ भभ भभभभ भभभ भभभभभभ भभ . भभभ भभभभभ—भभभ भभभभभभभ भभ भभभ भभभभभ भभभभभभ भभ भभभभभभ भभ भभभभभभ भभभभ भभ . भभभभ भभभभ भभ भभ भभभभ ‘भभभ’ भभभभ ‘भभभभ’ भभभभ भभ , ’ भभभभ’ भभभभ ‘भभभभभ’ भभभभ भभ . भभ भभभ भभभभभ भभभभ भभभभभ , भभभभभ भभ भभभभभभ भभ भभभभभभ भभभभ भभभभभभभभभभ भभभभ , भभभभभभभभ भभभभ भभभ भभ . भभ भभभ भभभभभभभ भभभ भभभभ भभ भभ ’भभभ’ भभ भभभ ‘भभभ’ भभभभभ भभ भभभ भभ भभभभभभ भभ भभभ , भभभभभ भभभभभ भभभभभ भभभभभभ भभ भभ भभभ भभभ भभभभभभभभ भभभभ भभ , भभभ भभभ भभभ भभ भभभभभभ भभभ भभभ—भभभ भभभ भभभ . भभभभभ भभ ‘भभभभ’ भभभभभभ भभभ ‘भभभ’ भभभभ भभ भभभभ भभभभ भभ ; भभभ भभभ भभभ भभभभ भभभभभभ भभ ‘भभभभभभभभ’ भभभभभ भभभ ‘भभभभभभ’ भभ भभभ भभ भभ ‘भभभ’ ‘भभभ’ भभ भभ भभ . भभ भभभभभ भभ भभभभभभ भभभभ—भभभभ भभभभभभभ भभ भभभभभ भभ भभ भभभभ भभ भभभ भभभ भभभ भभ भभभभभ भभभभभभ भभ भभभभ भभभभ भभभभभभभ भभभभ भभ . भभभभ भभभभ भभ भभभभभ भभभ भभभ भभ भभ भभ भभभभभ भभभभभभ भभ भभभभभभभ भभ भभभभभभभ भभभभभ भभ भभभभ . भभभभभ भभ भभभभभभभ भभ भभभभ भभभ भभभभ भभ भभभ भभभभ भभभ भभभभभ भभभ . भभ भभभभभ भभ भभभभ भभभभ भभभभभभ , भभभभभ भभभभ भभ , भभभभभभ भभभभ—भभभभ भभभभभ भभभभभभभभभ भभ भभभभभ—भभभभ भभ भभ . भभभभभभ भभभ भभ भभभभभभ भभभभभभ भभ भभभभ भभ भभ भभभभभभभभ भभ भभभ भभभभभभ भभ भभभभ भभभभभभ भभ भभ भभभभ भभ भभभभभभभ भभ . भभभभभ भभभभ भभभभभभभभ भभ भभभभभभ भभ भभभभभ भभ भभभभभभ भभ भभभभ भभभ भभभभभ भभभ भभभभ भभभभभ भभ भभ , भभ भभभभ भभभभ भभभभभ भभभभ भभभभभ भभ . भभभभ भभभभ भभभभ भभ भभ भभ भभभभ—भभभभभभभभभ भभभ भभ भभभभभभ भभ भभभ भभभभभभभ भभभभभ भभ भभभभभ

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poetry of dushyant kumar

Transcript of saaye me dhoop

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भू�मि�का� / सा�ये � धू�प / दुष्ये�त का� ��र

…मैं� स्वी�का�र कारता� हूँ�

— किका ग़ज़लों� का� भू�मि�का� का� ज़रूरत नहीं� हीं�न� चा�किहींए; लोंकिकान, एका का! कि"येत इनका� भू�षा� का बा�र � ज़रूर� हीं!. — का� छ उर्दू) दाँ�+ दाँ�स्त� न का� छ उर्दू) शब्दाँ� का प्रये�ग पर एतर�ज़ किकाये� हीं! . ‘ ’ ‘ ’ उनका� काहींन� हीं! किका शब्दाँ शहींर नहीं� शह्र हीं�त� हीं!, ’ ’ ‘ ’ वज़न नहीं� वज़्न हीं�त� हीं!.

— किका �4 उर्दू) नहीं� जा�नत�, लोंकिकान इन शब्दाँ� का� प्रये�ग येहीं�+ अज्ञा�नत�वश नहीं�, जा�नबा�झकार किकाये� गये� हीं!. ’ ’ येहीं का�ई ��श्कि;कालों का�� नहीं� था� किका शहींर ‘ ’ का� जागहीं नगर लिलोंखकार इसा दाँ�षा सा ��लि? प� लों�+, किंकाAत� �4न उर्दू) शब्दाँ� का� उसा रूप � इस्त��लों किकाये� हीं!, — जिजासा रूप � व किहींन्दाँD � घु�लों मि�लों गये हीं4. ‘ ’ ‘ ’ उर्दू) का� शह्र किहींन्दाँD � शहींर लिलोंख� और बा�लों� जा�त� हीं! ; ‘ ’ ‘ ’ ‘ ’ ‘ ’ ठीHका उसा� तरहीं जा!सा किहींन्दाँD का� ब्रा�ह्मण उर्दू) � किबारहीं�न हीं� गये� हीं! और ॠत� रुत हीं� गई हीं!.

— — किका उर्दू) और किहींन्दाँD अपन अपन सिंसाAहीं�सान सा उतरकार जाबा आ� आदाँ�� का बा�चा आत� हीं4 त� उन� "र्क़) कार प�न� बाड़ा� ��श्कि;कालों हीं�त� हीं!. �र� न�येत और का�लिशश येहीं� रहीं� हीं! किका इन दाँ�न� भू�षा�ओं का� ज़्ये�दाँ� सा ज़्ये�दाँ� र्क़र�बा लों� साका�+ . इसालिलोंए ये ग़ज़लों उसा भू�षा� � लिलोंख� गई हीं4 जिजासा �4 बा�लोंत� हूँ+.

— किका ग़ज़लों का� किवधू� बाहुत प�र�न�, किंकाAत� किवधू� हीं!, — — जिजासा� बाड़ा बाड़ा उर्दू) �हीं�रलिथाये� न का�व्य रचान� का� हीं!. किहींन्दाँD � भू� �हीं�काकिव किनर�लों� सा लोंकार आजा का ग�तका�र� और नये काकिवये� तका अनका काकिवये� न इसा किवधू� का� आज़��ये� हीं!. पर�त� अपन� सा��र्थ्यये) और सा���ओं का� जा�नन का बा�वजा�दाँ इसा किवधू� � उतरत हुए ��झ सा�का�चा त� हीं!, पर उतन� नहीं� जिजातन� हीं�न� चा�किहींए था�. — श�येदाँ इसाका� का�रण येहीं हीं! किका पत्र पकित्रका�ओं � इसा सा�ग्रहीं का� का� छ ग़ज़लों पढ़कार और सा�नकार किवभिभून्न व�दाँ�, रुलिचाये� और वग\ का� सा]जानश�लों प्रकितभू�ओं न अपन पत्र�, —��तव्य� एव� टि_प्पभिणये� सा ��झ एका सा�खदाँ आत्� किवश्वा�सा टिदाँये� हीं!. इसा न�त �4 उन साबाका� अत्ये�त आभू�र� हूँ+.

… और काम्लोंश्वार ! वहीं इसा अ"सा�न � न हीं�त� त� येहीं लिसालोंलिसालों� येहीं�+ तका न आ प�त�. —�4 त�  

हीं�था� � अ�ग�र� का� लिलोंए सा�चा रहीं� था�,

का�ई ��झ अ�ग�र� का� त�सा�र बात�ए.

— दुष्यन्ता का� मैं�र

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काहीं�+ त� तये था� लिचार�ग़�+ हींर एका घुर का लिलोंए / दुष्ये�त का� ��र

काहीं�+ त� तये था� लिचार�ग़�+ हींर एका घुर का लिलोंए

काहीं�+ लिचार�ग़ �येस्सार नहीं� शहींर का लिलोंए 

येहीं�+ दाँरख़त� का सा�ये � धू�प लोंगत� हीं!

चालों� येहीं�+ सा चालों और उम्र भूर का लिलोंए 

न हीं� का��ज़ त� प�+ओं सा प_ ढँ+का लोंग

ये लों�ग किकातन ��न�लिसाबा हीं4 इसा सा"र का लिलोंए 

ख़�दाँ� नहीं� न साहीं� आदाँ�� का� ख़्व�बा साहीं�

का�ई हींसा�न नज़�र� त� हीं! नज़र का लिलोंए 

व� ��त�इन हीं4 किका पत्थर किपघुलों नहीं� साकात�

�4 बार्क़र�र हूँ+ आव�ज़ � असार का लिलोंए 

तर� किनज़�� हीं! लिसालों दाँ जाkबा�न श�येर का�

ये एहींकितये�त ज़रूर� हीं! इसा बाहींर का लिलोंए 

जिजाए+ त� अपन बाग़�चा � ग�लों��हींर का तलों

�र त� ग़!र का� गलिलोंये� � ग�लों��हींर का लिलोंए

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का! सा ��ज़र सा��न आन लोंग हीं4 / दुष्ये�त का� ��र का! सा ��ज़र सा��न आन लोंग हीं4

ग�त- ग�त लों�ग लिचाल्लों�न लोंग हीं4 

अबा त� इसा त�लों�बा का� प�न� बादाँलों दाँ� ये का+ वलों का फू� लों का� म्हींलों�न लोंग हीं4 

व� सालों�बा� का र्क़र�बा आए त� हीं�का�र्क़�येदाँ- र्क़�न�न सा�झ�न लोंग हीं4 

एका र्क़किब्रास्त�न � घुर मि�लों रहीं� हीं! जिजासा� तहींख़�न� � तहींख़�न लोंग हीं4 

�छलिलोंये� � खलोंबालों� हीं! अबा सा"�न उसा तर" जा�न सा र्क़तर�न लोंग हीं4 

�nलोंव� सा डाँ�+_ ख� कार अहींलों-�र्क़तबा किफूर उसा� आयेत का� दाँ�हींर�न लोंग हीं4 

अबा नई तहींज़�बा का पश- नज़र हीं� आदाँ�� का� भू�लों कार ख�न लोंग हीं4

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ये सा�र� जिजास्� झ�का कार बा�झ सा दुहींर� हुआ हीं�ग� / दुष्ये�त का� ��र

ये सा�र� जिजास्� झ�का कार बा�झ सा दुहींर� हुआ हीं�ग�[1]

�4 साजादाँ � नहीं� था� आपका� धू�ख� हुआ हीं�ग� 

येहीं�+ तका आत-आत सा�ख जा�त� हीं4 काई नटिदाँये�+

��झ ��लों�� हीं! प�न� काहीं�+ ठीहींर� हुआ हीं�ग� 

ग़ज़बा ये हीं! किका अपन� �nत का� आहीं_ नहीं� सा�नत

व� साबा का साबा पर�श�+ हीं4 वहीं�+ पर क्ये� हुआ हीं�ग� 

त�म्हीं�र शहींर � ये श�र सा�न-सा�न कार त� लोंगत� हीं!

किका इ�सा�न� का जा�गलों � का�ई हीं�+का� हुआ हीं�ग� 

काई "�र्क़ [2] किबात� कार �र गये� जा� उसाका बा�र �

व� साबा काहींत हीं4 अबा, ऐसा� नहीं�,ऐसा� हुआ हीं�ग� 

येहीं�+ त� लिसा") ग�+ग और बाहींर लों�ग बासात हीं4

ख़�दाँ� जा�न वहीं�+ पर किकासा तरहीं जालोंसा�[3] हुआ हीं�ग� 

चालों�, अबा ये�दाँग�र� का� अ+धूर� का�ठीर� ख�लों

का�-अजा-का� एका व� चाहींर� त� पहींचा�न� हुआ हीं�ग�

शब्दा�र्थ�:

1. ↑ अपन मि�त्र का .प� श��गलों� का� सा�र्पिपAत जिजान्हीं�न �तलों का� किवचा�र टिदाँये�

2. ↑ भू�जान न मि�लोंन पर भू�ख रहींन का� स्थिtकित

3. ↑ उत्साव

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इसा नदाँD का� धू�र सा ठी� डाँ� हींव� आत� त� हीं! / दुष्ये�त का� ��र

इसा नदाँD का� धू�र सा ठी� डाँ� हींव� आत� त� हीं!

न�व जाजा)र हीं� साहीं�, लोंहींर� सा _कार�त� त� हीं! 

एका सिंचाAग�र� काहीं� सा ढँ�+ढँ लों�ओ दाँ�स्त�

इसा टिदाँये � तलों सा भू�ग� हुई बा�त� त� हीं! 

एका ख+डाँहींर का हृदाँये-सा�,एका जा�गलों� फू� लों-सा�

आदाँ�� का� प�र ग�+ग� हीं� साहीं�, ग�त� त� हीं! 

एका चा�दाँर सा�+झ न सा�र नगर पर डाँ�लों दाँD

येहीं अ+धूर का� साड़ाका उसा भू�र तका जा�त� त� हीं! 

किनव)सान �!दाँ�न � लों_D हुई हीं! जा� नदाँD

पत्थर� सा ओ_ � जा�-जा� का बाकितये�त� त� हीं! 

दुख नहीं� का�ई किका अबा उपलोंश्किwये� का न�� पर

और का� छ हीं� ये� न हीं�, आका�श-सा� छ�त� त� हीं!

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दाँख, दाँहींलों�ज़ सा का�ई नहीं� जा�न व�लों� / दुष्ये�त का� ��र

दाँख, दाँहींलों�ज़ सा का�ई नहीं� जा�न व�लों�

ये ख़तरन�का साचा�ई नहीं� जा�न व�लों� 

किकातन� अच्छा� हीं! किका सा�+सा� का� हींव� लोंगत� हीं!

आग अबा उनसा बा�झ�ई नहीं� जा�न व�लों� 

एका त�लों�बा-सा� भूर जा�त� हीं! हींर बा�रिरश �

�4 सा�झत� हूँ+ ये ख�ई नहीं� जा�न व�लों� 

चा�ख़ किनकालों� त� हीं! हीं�ठी� सा �गर �द्ध� हीं!

बा�दाँ का�र� का� सा�न�ई नहीं� जा�न व�लों� 

त� परश�न हीं!, त� परश�न न हीं�

इन ख़�दाँ�ओं का� ख़�दाँ�ई नहीं� जा�न व�लों� 

आजा साड़ाका� प चालों आओ त� टिदाँलों बाहींलोंग�

चान्दाँ ग़ज़लों� सा तन्हीं�ई नहीं� जा�न व�लों�

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ख+डाँहींर बाचा हुए हीं4, इ��रत नहीं� रहीं� / दुष्ये�त का� ��र

ख+डाँहींर बाचा हुए हीं4, इ��रत नहीं� रहीं�

अच्छा� हुआ किका सार प का�ई छत नहीं� रहीं� 

का! सा� �श�लों लों का चालों त�रग� � आप

जा� र�शन� था� व� भू� सालों��त नहीं� रहीं� 

हीं�न त��� उम्र अका लों सा"र किकाये�

हीं� पर किकासा� ख़�दाँ� का� इन�येत नहीं� रहीं� 

�र चा�न � का�ई नश�न नहीं� रहीं�

ये� ये�+ काहीं� किका बार्क़) का� दाँहींशत नहीं� रहीं� 

हीं�का� पत� नहीं� था� हीं� अबा पत� चालों�

इसा ��ल्का � हीं��र� हींर्क़� �त नहीं� रहीं� 

का� छ दाँ�स्त� सा व!सा �र�लिसा� नहीं� रहीं

का� छ दु;�न� सा व!सा� अदाँ�वत नहीं� रहीं� 

किहींम्�त सा साचा काहीं� त� बा�र� ��नत हीं4 लों�ग

र�—र� का बा�त काहींन का� आदाँत नहीं� रहीं� 

सा�न � जिज़न्दाँग� का अलों���त हीं4 अभू�

ग� जिज़न्दाँग� का� का�ई ज़रूरत नहीं� रहीं�

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परिरन्दाँ अबा भू� पर त�लों हुए हीं4 / दुष्ये�त का� ��र

परिरन्दाँ अबा भू� पर त�लों हुए हीं4

हींव� � सानसान� घु�लों हुए हीं4 

त�म्हीं� का�ज़�र पड़ात जा� रहीं हीं�

त�म्हीं�र ख़्व�बा त� श�लों हुए हीं4 

ग़ज़बा हीं! साचा का� साचा काहींत नहीं� व�

र्क़| र�न—ओ—उपकिनषादाँ} ख�लों हुए हीं4 

�ज़�र� सा दुआए+ ��+गत हीं�

अर्क़�दाँ किकासा र्क़दाँर प�लों हुए हीं4 

हीं��र हीं�था त� का�_ गए था

हीं��र प�+व भू� छ�लों हुए हीं4 

काभू� किका;त�, काभू� बातख़, काभू� जालों

लिसाये�सात का काई चा�लों हुए हीं4 

हीं��र� र्क़दाँ लिसा�_ कार मि�_ गये� हीं!

हीं��र प!रहींन झ�लों हुए हीं4 

चाढ़�त� किफूर रहीं� हूँ+ जा� चाढ़�व

त�म्हीं�र न�� पर बा�लों हुए हीं4

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अप�किहींजा व्यथा� का� वहींन कार रहीं� हूँ+ / दुष्ये�त का� ��र

अप�किहींजा व्यथा� का� वहींन कार रहीं� हूँ+

त�म्हीं�र� काहींन था�, काहींन कार रहीं� हूँ+ 

ये दाँरव�ज़� ख�लों त� ख�लोंत� नहीं� हीं!

इसा त�ड़ान का� जातन कार रहीं� हूँ+ 

अ+धूर � का� छ जिज़न्दाँग� हीं�� कार दाँD

उजा�लों � अबा ये हींवन कार रहीं� हूँ+ 

व सा�बा�धू अबा तका बाहींसा � _+ग हीं4

जिजान्हीं र�त-टिदाँन स्�रण कार रहीं� हूँ+ 

�4 अहींसा�सा तका भूर गये� हूँ+ लोंबा�लोंबा

तर आ+सा�ओं का� न�न कार रहीं� हूँ+ 

सा��लों�चाका� का� दुआ हीं! किका �4 किफूर

साहीं� श�� सा आचा�न कार रहीं� हूँ+

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भू�ख हीं! त� साब्रा कार / दुष्ये�त का� ��र

भू�ख हीं! त� साब्रा कार र�_D नहीं� त� क्ये� हुआ 

आजाकालों टिदाँल्लों� � हीं! ज़र-ए-बाहींसा ये ��दाँदाँ}आ ।

�nत न त� धूर दाँबा�चा� एका चा�त किका तरहीं 

ज़िंज़Aदाँग� न जाबा छ� आ त� "�सालों� रखकार छ� आ । 

किगड़ाकिगड़ा�न का� येहीं�� का�ई असार हीं�त� नहीं� 

प_ भूरकार ग�लिलोंये�� दाँ�, आहीं भूरकार बादाँदुआ । 

क्ये� वज़हीं हीं! प्ये�सा ज्ये�दाँ� तज़ लोंगत� हीं! येहीं�+ 

लों�ग काहींत हीं4 किका पहींलों इसा जागहीं पर था� का�+ आ । 

आप दाँस्त�न पहींनकार छ� रहीं हीं4 आग का� 

आप का भू� ख़�न का� र�ग हीं� गये� हीं! सा�+वलों� । 

इसा अ�ग�ठीH तका गलों� सा का� छ हींव� आन त� दाँ� 

जाबा तलोंका खिखलोंत नहीं� ये का�येलों दाँग धू�+आ । 

दाँ�स्त, अपन ��ल्का किका किकास्�त प र�जा�दाँ� न हीं� 

उनका हीं�था� � हीं! किंपAजार�, उनका किंपAजार � सा�आ । 

इसा शहींर � व� का�ई बा�र�त हीं� ये� व�रदाँ�त 

अबा किकासा� भू� बा�त पर ख�लोंत� नहीं� हीं4 खिखड़ाकिकाये�+ ।

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ये रnशन� हीं! हींर्क़�र्क़त � एका छलों, लों�ग� / दुष्ये�त का� ��र

ये रnशन� हीं! हींर्क़�र्क़त � एका छलों, लों�ग�

किका जा!सा जालों � झलोंकात� हुआ �हींलों, लों�ग� 

दाँरख़्त हीं4 त� परिरन्दाँ नज़र नहीं� आत

जा� ��स्तहींर्क़ हीं4 वहीं� हींर्क़ सा बादाँख़लों, लों�ग� 

व� घुर � �ज़ प का�हींन� टि_का�ये बा!ठीH हीं!

था�� हुई हीं! वहीं� उम्र आजाकालों ,लों�ग� 

किकासा� भू� र्क़n� का� त�र�ख़ का उजा�लों �

त�म्हीं�र टिदाँन हीं4 किकासा� र�त का� नकालों ,लों�ग� 

त��� र�त रहीं� �हींव-ए-ख़्व�बा दाँDव�न�

किकासा� का� न�दाँ � पड़ात� रहीं� ख़लोंलों, लों�ग� 

ज़रूर व� भू� किकासा� र�स्त सा ग�ज़र हीं4

हींर आदाँ�� ��झ लोंगत� हीं! हीं� शकालों, लों�ग� 

टिदाँख जा� प�+व का त�ज़� किनश�न साहींर� �

त� ये�दाँ आए हीं4 त�लों�बा का का+ वलों, लों�ग� 

व काहीं रहीं हीं4 ग़ज़लोंग� नहीं� रहीं श�येर

�4 सा�न रहीं� हूँ+ हींर इका लिसाम्त सा ग़ज़लों, लों�ग�.

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काहीं� प धू�प / दुष्ये�त का� ��र

काहीं� प धू�प का� चा�दाँर किबाछ� का बा!ठी गए

काहीं� प श�� लिसारहीं�न लोंग� का बा!ठी गए ।

जालों जा� रत � तलोंव त� हीं�न ये दाँख�

बाहुत सा लों�ग वहीं� छ_प_� का बा!ठी गए ।

खड़ा हुए था अलों�व� का� आ�चा लोंन का�

साबा अपन� अपन� हींथालों� जालों� का बा!ठी गए ।

दुका�नदाँ�र त� �लों � लों�_ गए ये�र�

त��शबा�न दुका�न लोंग� का बा!ठी गए ।

लोंहूँ लों�हीं�न नज़�र� का� जिज़क्र आये� त�

शर�फू लों�ग उठी र्दूर जा� का बा!ठी गए ।

ये सा�चा कार किका दाँरख्त� � छ��व हीं�त� हीं!

येहीं�+ बाबा�लों का सा�ए � आका बा!ठी गए ।

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आजा साड़ाका� पर लिलोंख हीं4 सा4काड़ा� न�र न दाँख / दुष्ये�त का� ��र

आजा साड़ाका� पर लिलोंख हीं4 सा4काड़ा� न�र न दाँख

घुर अ+धूर� दाँख त� आका�श का त�र न दाँख 

एका दाँरिरये� हीं! येहीं�+ पर र्दूर तका फू! लों� हुआ

आजा अपन बा�जा�ओं का� दाँख पतव�र न दाँख 

अबा येर्क़�नन ठी�सा हीं! धूरत� हींर्क़�र्क़त का� तरहीं

येहीं हींर्क़�र्क़त दाँख, लोंकिकान ख़n" का ��र न दाँख 

व साहीं�र भू� नहीं� अबा जा�ग लोंड़ान� हीं! त�झ

का_ चा�का जा� हीं�था ,उन हीं�था� � तलोंव�र न दाँख 

टिदाँलों का� बाहींलों� लों इजा�ज़त हीं! �गर इतन� न उड़ा

र�ज़ सापन दाँख, लोंकिकान इसा र्क़दाँर प्ये�र न दाँख 

ये धू�+धूलोंका� हीं! नज़र का�,त� �हींज़ ��ये�सा हीं!

र�ज़न� का� दाँख,दाँDव�र� � दाँDव�र न दाँख 

र�ख, किकातन� र�ख हीं! चा�र� तर" किबाखर� हुई

र�ख � सिंचाAग�रिरये�+ हीं� दाँख, अ+ग�र न दाँख.

Page 14: saaye me dhoop

�रन� लोंग� रहींग� येहीं�+ जा� त� लों�जिजाए / दुष्ये�त का� ��र

�रन� लोंग� रहींग� येहीं�+ जा� त� लों�जिजाए

ऐसा� भू� क्ये� परहींज़, ज़र�—सा� त� लों�जिजाए

अबा रिरन्दाँ बाचा रहीं हीं4 ज़र� तज़ रक़्सा हीं�

�हींकि"लों सा उठी लिलोंए हीं4 न��ज़� त� लों�जिजाए

पत्तों� सा चा�हींत हीं� बाजा सा�ज़ का� तरहीं

पड़ा� सा पहींलों आप उदाँ�सा� त� लों�जिजाए

ख़���श रहीं का त��न हीं��र साव�लों पर

कार दाँD हीं! शहींर भूर � ��न�दाँD त� लों�जिजाए

ये रnशन� का� दाँदाँ), ये लिसारहींन ,ये आरज़�,

ये चा�ज़ जिज़न्दाँग� � नहीं� था� त� लों�जिजाए

किफूरत� हीं! का! सा—का! सा साव�लों� का सा�था व�

उसा आदाँ�� का� जा���तलों�श� त� लों�जिजाए.

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प�र�न पड़ा गये डाँर, फू का दाँ� त�� भू� / दुष्ये�त का� ��रप�र�न पड़ा गये डाँर, फू का दाँ� त�� भू�

ये काचार� आजा बा�हींर फू का दाँ� त�� भू�

लोंप_ आन लोंग� हीं! अबा हींव�ओं �

ओसा�र और छप्पर फू का दाँ� त�� भू�

येहीं�+ ��सा�� सापन जा� नहीं� प�त

इन्हीं का�� का� � लोंग� कार फू का दाँ� त�� भू�

त�म्हीं भू� इसा बाहीं�न ये�दाँ कार लोंग

इधूर दाँ�—चा�र पत्थर फू का दाँ� त�� भू�

ये ��रत बा�लों साकात� हीं! अगर चा�हीं�

अगर का� छ बा�लों का� छ स्वर फू का दाँ� त�� भू�

किकासा� सा�वदाँन� का का�� आए+ग

येहीं�+ _�_ हुए पर फू का दाँ� त�� भू�.

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�त काहीं�, आका�श � का� हींर� घुन� हीं! / दुष्ये�त का� ��र�त काहीं�, आका�श � का� हींर� घुन� हीं!,

येहीं किकासा� का� व्यलि?गत आलों�चान� हीं! ।

सा�ये) हीं�न भू� नहीं� दाँख� सा�बाहीं सा,

क्ये� कार�ग, सा�ये) का� क्ये� दाँखन� हीं! ।

इसा साड़ाका पर इसा र्क़दाँर का�चाड़ा किबाछD हीं!,

हींर किकासा� का� प�+व घु�_न� तका सान� हीं! ।

पक्ष औ' प्रकितपक्ष सा�सादाँ � ��खर हीं4,

बा�त इतन� हीं! किका का�ई प�लों बान� हीं!

र? वषा\ सा नसा� � खnलोंत� हीं!,

आप काहींत हीं4 क्षभिणका उत्तोंजान� हीं! ।

हीं� गई हींर घु�_ पर प�र� व्यवt�,

शnका सा डाँ�बा जिजासा भू� डाँ�बान� हीं! ।

दाँ�स्त� ! अबा ��चा पर सा�किवधू� नहीं� हीं!,

आजाकालों नपर्थ्यये � सा�भू�वन� हीं! ।

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चा��दाँन� छत प चालों रहीं� हीं�ग� / दुष्ये�त का� ��रचा��दाँन� छत प चालों रहीं� हीं�ग� 

अबा अका लों� _हींलों रहीं� हीं�ग� 

किफूर �र� जिज़क्र आ गये� हीं�ग� 

बा") -सा� व� किपघुलों रहीं� हीं�ग� 

कालों का� सापन� बाहुत सा�हीं�न� था� 

ये उदाँ�सा� न कालों रहीं� हीं�ग� 

सा�चात� हूँ+ किका बा�दाँ का�र � 

एका श�अ-सा� जालों रहीं� हीं�ग� 

तर गहींन� सा� खनखन�त� था� 

बा�जार का� "सालों रहीं� हीं�ग� 

जिजान हींव�ओं न त�झ का� दुलोंर�ये� 

उन � �र� ग़ज़लों रहीं� हीं�ग� 

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इसा र�स्त का न�� लिलोंख� एका श�� और / दुष्ये�त का� ��र

इसा र�स्त का न�� लिलोंख� एका श�� और

ये� इसा� रnशन� का� कार� इन्तज़�� और 

आ+धू� � लिसा") हीं� हीं� उखड़ा कार नहीं� किगर

हीं�सा जा�ड़ा� हुआ था� का�ई एका न�� और 

�रघु_ � भू�ड़ा हीं! ये� �ज़�र� � भू�ड़ा हीं!

अबा ग�लों खिखलों� रहीं� हीं! त�म्हीं�र� किनज़�� और 

घु�_न� प रख का हीं�था खड़ा था न��ज़ �

आ—जा� रहीं था लों�ग ज़ह्न � त��� और 

हीं�न भू� पहींलों� बा�र चाख� त� बा�र� लोंग�

काड़ाव� त�म्हीं लोंगग� �गर एका जा�� और 

हीं!र�+ था अपन अक्सा प घुर का त��� लों�ग

श�श� चा_ख़ गये� त� हुआ एका का�� और 

उनका� काहीं� जाहीं�+ � टिठीका�न� नहीं� रहीं�

हीं�का� त� मि�लों गये� हीं! अदाँबा � ��का�� और

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हीं� गई हीं! प�र पव)त- सा� किपघुलोंन� चा�किहींए / दुष्ये�त का� ��र

हीं� गई हीं! प�र पव)त-सा� किपघुलोंन� चा�किहींए,

इसा किहीं��लोंये सा का�ई ग�ग� किनकालोंन� चा�किहींए।

आजा येहीं दाँDव�र, परदाँ� का� तरहीं किहींलोंन लोंग�,

शत) लोंकिकान था� किका ये बा�किनये�दाँ किहींलोंन� चा�किहींए।

हींर साड़ाका पर, हींर गलों� �, हींर नगर, हींर ग�+व �,

हीं�था लोंहींर�त हुए हींर लों�श चालोंन� चा�किहींए।

लिसाफू) हीं�ग��� खड़ा� कारन� �र� �कासादाँ नहीं�,

�र� का�लिशश हीं! किका ये सा�रत बादाँलोंन� चा�किहींए।

�र सा�न � नहीं� त� तर सा�न � साहीं�,

हीं� काहीं� भू� आग, लोंकिकान आग जालोंन� चा�किहींए।

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�र ग�त त�म्हीं�र प�सा साहीं�र� प�न आए+ग / दुष्ये�त का� ��र

�र ग�त त�म्हीं�र प�सा साहीं�र� प�न आए+ग

�र बा�दाँ त�म्हीं ये �र� ये�दाँ टिदाँलों�न आए+ग

हींnलों—हींnलों प�+व किहींलों�ओ,जालों सा�ये� हीं! छड़ा� �त

हीं� साबा अपन—अपन दाँDपका येहीं� लिसार�न आए+ग

था�ड़ा� आ+चा बाचा� रहींन दाँ�, था�ड़ा� धू�आ+ किनकालोंन दाँ�

कालों दाँख�ग� काई ��सा�कि"र इसा� बाहीं�न आए+ग

उनका� क्ये� ��लों�� किवरूकिपत इसा लिसाकात� पर क्ये� बा�त�

व आये त� येहीं�+ श�ख-सा�किपये�+ उठी�न आए+ग

रहीं—रहीं आ+ख� � चा�भूत� हीं! पथा का� किनजा)न दाँ�पहींर�

आग और बाढ़ त� श�येदाँ दृ;ये सा�हीं�न आए+ग

�लों � भू_का हीं�त त� का�ई घुर पहु+चा� जा�त�

हीं� घुर � भू_का हीं4 का! सा ठीnर-टिठीका�न आए+ग

हीं� क्ये� बा�लों इसा आ+धू� � काई घुर�दाँ _�_ गए

इन असाफूलों किनर्मि�Aकितये� का शव कालों पहींचा�न जा�ए+ग.

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आजा व�र�न अपन� घुर दाँख� / दुष्ये�त का� ��रआजा व�र�न अपन� घुर दाँख�

त� काई बा�र झ�+का कार दाँख�

प�+व _�_ हुए नज़र आये

एका ठीहींर� हुआ सा"र दाँख�

हीं�श � आ गए काई सापन

आजा हीं�न व� ख+डाँहींर दाँख�

र�स्त� का�_ कार गई किबाल्लों�

प्ये�र सा र�स्त� अगर दाँख�

न�लिलोंये� � हींये�त दाँख� हीं!

ग�लिलोंये� � बाड़ा� असार दाँख�

उसा परिंरAदाँ का� चा�_ आई त�

आपन एका-एका पर दाँख�

हीं� खड़ा था किका ये ज़�� हीं�ग�

चालों पड़ा� त� इधूर-उधूर दाँख�.

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व� किनग�हीं सालों�बा हीं! / दुष्ये�त का� ��रव� किनग�हीं सालों�बा हीं!

हीं� बाहुत बादाँनसा�बा हीं4

आइये आ+ख ��+दाँ लों

ये नज़�र अजा�बा हीं4

जिज़न्दाँग� एका खत हीं!

और सा�+सा जार�बा हीं4

लिसालोंलिसालों ख़त्� हीं� गए

ये�र अबा भू� रर्क़�बा हीं!

हीं� काहीं� का नहीं� रहीं

घु�_ औ’ घुर र्क़र�बा हीं4

आपन लोंn छ� ई नहीं�

आप का! सा अदाँDबा हीं4

उ" नहीं� का� उजाड़ा गए

लों�ग साचा��चा ग़र�बा हीं4.

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बा�ए+ सा उड़ाका दाँ�ईं टिदाँश� का� गरुड़ा गये� / दुष्ये�त का� ��र

बा�ए+ सा उड़ाका दाँ�ईं टिदाँश� का� गरुड़ा गये�

का! सा� शग�न हुआ हीं! किका बारगदाँ उखड़ा गये�

इन ख+डाँहींर� � हीं�ग� तर� लिसासाकिकाये�+ ज़रूर

इन ख+डाँहींर� का� ओर सा"र आप ��ड़ा गये�

बाच्चे छलों�+ग ��र का आग किनकालों गये

रलों � फू+ सा का बा�प किबाचा�र� किबाछ� ड़ा गये�

दुख का� बाहुत साहींजा का रखन� पड़ा� हीं�

सा�ख त� किकासा� काप�र का� टि_किकाये�-सा� उड़ा गये�

लोंकार उ��ग सा�ग चालों था हीं+सा�—ख�श�

पहु+चा नदाँD का घु�_ त� �लों� उजाड़ा गये�

जिजान आ+सा�ओं का� सा�धू� तअल्लों�र्क़ था� प_ सा

उन आ+सा�ओं का सा�था तर� न�� जा�ड़ा गये�.

=====================

अ"व�हीं हीं! ये� साचा हीं! ये का�ई नहीं� बा�लों�

�4न भू� सा�न� हीं! अबा जा�एग� तर� डाँ�लों�

इन र�हीं� का पत्थर भू� ��न�सा था प�+व� सा

पर �4न प�का�र� त� का�ई भू� नहीं� बा�लों�

लोंगत� हीं! ख़�दाँ�ई � का� छ तर� दाँख़लों भू� हीं!

इसा बा�र कि"ज़�ओं न व� र�ग नहीं� घु�लों�

आखिख़र त� अ+धूर का� जा�ग�र नहीं� हूँ+ �4

इसा र�ख � किपन्हीं� हीं! अबा भू� वहीं� श�लों�

सा�चा� किका त� सा�चाग� ,त�न किकासा� श�येर का�

दाँस्तका त� सा�न� था� पर दाँरव�ज़� नहीं� ख�लों�.

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अगर ख़�दाँ� न कार साचा ये ख़्व�बा हीं� जा�ए / दुष्ये�त का� ��र

अगर ख़�दाँ� न कार साचा ये ख़्व�बा हीं� जा�ए

तर� साहींर हीं� �र� आ"त�बा हीं� जा�ए

हुज़�र! आरिरज़�-ओ-रुख़सा�र क्ये� त��� बादाँन

�र� सा�न� त� ��जास्थिस्सा� ग�लों�बा हीं� जा�ए

उठी� का फू का दाँ� खिखड़ाका� सा सा�ग़र-ओ-��न�

ये कितशनग� जा� त�म्हीं दाँस्तये�बा हीं� जा�ए

व� बा�त किकातन� भूलों� हीं! जा� आप कारत हीं4

सा�न� त� सा�न का� धूड़ाकान रबा�बा हीं� जा�ए

बाहुत र्क़र�बा न आओ येर्क़� नहीं� हीं�ग�

ये आरज़� भू� अगर का��ये�बा हीं� जा�ए

ग़लोंत काहूँ+ त� �र� आर्क़बात किबागड़ात� हीं!

जा� साचा काहूँ+ त� ख़�दाँD बानर्क़�बा हीं� जा�ए.

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ज़िंज़Aदाँग�न� का� का�ई �र्क़सादाँ नहीं� हीं! / दुष्ये�त का� ��रज़िंज़Aदाँग�न� का� का�ई �र्क़सादाँ नहीं� हीं!

एका भू� र्क़दाँ आजा आदाँ�र्क़दाँ नहीं� हीं!

र�� जा�न किकासा जागहीं हीं�ग र्क़बा�तर

इसा इ��रत � का�ई ग�म्बादाँ नहीं� हीं!

आपसा मि�लों कार हीं� अक्सार लोंग� हीं!

हुस्न � अबा जाज़्बा�—ए—अ�ज़दाँ नहीं� हीं!

पड़ा—पnधू हीं4 बाहुत बाnन त�म्हीं�र

र�स्त� � एका भू� बारगदाँ नहीं� हीं!

�!कादाँ का� र�स्त� अबा भू� ख�लों� हीं!

लिसा") आ�दाँ—रफ़्त हीं� ज़�येदाँ नहीं�

इसा चा�न का� दाँख कार किकासान काहीं� था�

एका प�छD भू� येहीं�+ श�येदाँ नहीं� हीं!.

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ये साचा हीं! किका प�+व� न बाहुत काष्ट उठी�ए / दुष्ये�त का� ��र

ये साचा हीं! किका प�+व� न बाहुत काष्ट उठी�ए

पर प�+व� किकासा� तरहीं सा र�हीं� प त� आए

हीं�था� � अ�ग�र� का� लिलोंए सा�चा रहीं� था�

का�ई ��झ अ�ग�र� का� त�सा�र बात�ए

जा!सा किकासा� बाच्चे का� खिखलों�न न मि�लों हीं�

किफूरत� हूँ+ काई ये�दाँ� का� सा�न सा लोंग�ए

चाट्टा�न� सा प�+व� का� बाचा� कार नहीं� चालोंत

साहीं� हुए प�+व� सा लिलोंप_ जा�त हीं4 सा�ए

ये� पहींलों भू� अपन�—सा� येहीं�+ का� छ त� नहीं� था�

अबा और नज़�र हीं� लोंगत हीं4 पर�ए.

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— जा�न किकासा किकासाका� ख़्ये�लों आये� हीं! / दुष्ये�त का� ��र

जा�न किकासा—किकासाका� ख़्ये�लों आये� हीं!

इसा सा��दाँर � उबा�लों आये� हीं!

एका बाच्चे� था� हींव� का� झ�का�

सा�" प�न� का� ख�ग�लों आये� हीं!

एका ढँलों� त� वहीं� अ_का� था�

एका त� और उछ�लों आये� हीं!

कालों त� किनकालों� था� बाहुत साजा—धूजा का

आजा लोंn_� त� किनढँ�लों आये� हीं!

ये नज़र हीं! किका का�ई �nसा� हीं!

ये साबा� हीं! किका वबा�लों आये� हीं!

इसा अ+धूर � टिदाँये� रखन� था�

त� उजा�लों � बा�लों आये� हीं!

हीं�न सा�चा� था� जाव�बा आएग�

एका बाहूँदाँ� साव�लों आये� हीं!

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ये जाkबा�+ हीं�सा सा� नहीं� जा�त� / दुष्ये�त का� ��रये जाkबा�+ हीं�सा सा� नहीं� जा�त�

जिज़न्दाँग� हीं! किका जा� नहीं� जा�त�

इन सा"�लों� � व� दाँर�र हीं4

जिजान� बासा कार न�� नहीं� जा�त�

दाँखिखए उसा तर" उजा�लों� हीं!

जिजासा तर" रnशन� नहीं� जा�त�

श�� का� छ पड़ा किगर गए वरन�

बा�� तका चा�+दाँन� नहीं� जा�त�

एका आदाँत-सा� बान गई हीं! त�

और आदाँत काभू� नहीं� जा�त�

�येकाश� �ये ज़रूर हीं! लोंकिकान

इतन� काड़ाव� किका प� नहीं� जा�त�

��झका� ईसा� बान� टिदाँये� त��न

अबा लिशका�येत भू� का� नहीं� जा�त�

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त��का� किनहींरत� हूँ+ सा�बाहीं सा ऋतम्बार� / दुष्ये�त का� ��र

त��का� किनहीं�रत� हूँ+ सा�बाहीं सा ऋतम्बार�अबा श�� हीं� रहीं� हीं! �गर �न नहीं� भूर� 

ख़रग�श बान का दाँnड़ा रहीं हीं4 त��� ख़्व�बाकिफूरत� हीं! चा�+दाँन� � का�ई साचा डाँर�—डाँर� 

पnधू झ�लोंसा गए हीं4 �गर एका बा�त हीं!�र� नज़र � अबा भू� चा�न हीं! हींर�—भूर� 

लोंम्बा� सा�र�ग-सा हीं! तर� जिज़न्दाँग� त� बा�लों�4 जिजासा जागहीं खड़ा� हूँ+ वहीं�+ हीं! का�ई लिसार� 

��था प हीं�था रख का बाहुत सा�चात हीं� त��ग�ग� र्क़सा� बात�ओ हीं� काये� हीं! ��जार�

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र�ज़ जाबा र�त का� बा�रहीं का� गजार हीं�त� हीं! / दुष्ये�त का� ��र

र�ज़ जाबा र�त का� बा�रहीं का� गजार हीं�त� हीं!

ये�तन�ओं का अ+धूर � सा"र हीं�त� हीं!

का�ई रहींन का� जागहीं हीं! �र सापन� का लिलोंए

व� घुर�दाँ� हीं� साहीं�, मि�ट्टाD का� भू� घुर हीं�त� हीं!

लिसार सा सा�न � काभू� प_ सा प�ओं � काभू�

इका जागहीं हीं� त� काहीं दाँदाँ) इधूर हीं�त� हीं!

ऐसा� लोंगत� हीं! किका उड़ाकार भू� काहीं�+ पहु+चाग

हीं�था � जाबा का�ई _�_� हुआ पर हीं�त� हीं!

सा!र का व�स्त साड़ाका� प किनकालों आत था

अबा त� आका�श सा पथार�व का� डाँर हीं�त� हीं!

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बा�ढ़ का� सा�भू�वन�ए+ सा��न हीं4 / दुष्ये�त का� ��रबा�ढ़ का� सा�भू�वन�ए+ सा��न हीं4,और नटिदाँये� का किकान�र घुर बान हीं4 ।

चा�ड़ा-वन � आ+मिधूये� का� बा�त �त कार,इन दाँरख्त� का बाहुत न�जाkका तन हीं4 ।

इसा तरहीं _�_ हुए चाहींर नहीं� हीं4,जिजासा तरहीं _�_ हुए ये आइन हीं4 ।

आपका र्क़�लों�न दाँखग किकासा� टिदाँन,इसा सा�ये त� प�+व का�चाड़ा � सान हीं4 ।

जिजासा तरहीं चा�हीं� बाजा�ओ इसा साभू� �,हीं� नहीं� हीं4 आदाँ��, हीं� झ�नझ�न हीं4 ।

अबा तड़ापत�-सा� ग़ज़लों का�ई सा�न�ए,हीं�सा"र ऊँ+ घु हुए हीं4, अन�न हीं4 ।

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हीं�लों�त-जिजास्�, — सा�रत जा�+ और भू� ख़र�बा / दुष्ये�त का� ��र

हीं�लों�त जिजास्�, सा�रत�—जा�+ और भू� ख़र�बा

चा�र� तर" ख़र�बा येहीं�+ और भू� ख़र�बा

नज़र� � आ रहीं हीं4 नज़�र बाहुत बा�र

हीं�ठी� प आ रहीं� हीं! जाkबा�+ और भू� ख़र�बा

प�बा�दाँ हीं� रहीं� हीं! रव�येत सा रnशन�

लिचा�न� � घु�_ रहीं� हीं! धू�आ+ और भू� ख़र�बा

��रत सा+व�रन सा किबागड़ात� चालों� गई

पहींलों सा हीं� गये� हीं! जाहीं�+ और भू� ख़र�बा

रnशन हुए चार�ग त� आ+ख नहीं� रहीं�

अ�धू� का� रnशन� का� ग���+ और भू� ख़र�बा

आग किनकालों गए हीं4 मिघुसा_त हुए र्क़दाँ�

र�हीं� � रहीं गए हीं4 किनश�+ और भू� ख़र�बा

सा�चा� था� उनका दाँश � �+हींग� हीं! ज़िंज़Aदाँग�

पर ज़िंज़Aदाँग� का� भू�व वहीं�+ और भू� ख़र�बा

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ये जा� शहींत�र हीं! पलोंका� प उठी� लों� ये�र� / दुष्ये�त का� ��र

ये जा� शहींत�र हीं! पलोंका� प उठी� लों� ये�र�

अबा का�ई ऐसा� तर�का� भू� किनका�लों� ये�र�

दाँदाँ�—टिदाँलों वक़्त प प!ग़�� भू� पहु+चा�एग�

इसा र्क़बा�तर का� ज़र� प्ये�र सा प�लों� ये�र�

लों�ग हीं�था� � लिलोंए बा!ठी हीं4 अपन किंपAजार

आजा सा!ये�दाँ का� �हींकि"लों � बा�लों� लों� ये�र�

आजा सा�वन का� उधूड़ा� त� ज़र� दाँखग

आजा सा�र्दूका सा व� ख़त त� किनका�लों� ये�र�

रहींन���ओं का� अदाँ�ओं प कि"दाँ� हीं! दुकिनये�

इसा बाहींकात� हुई दुकिनये� का� सा+भू�लों� ये�र�

का! सा आका�श � सा�र�ख़ हीं� नहीं� साकात�

एका पत्थर त� तबा�येत सा उछ�लों� ये�र�

लों�ग काहींत था किका ये बा�त नहीं� काहींन का�

त��न काहीं दाँD हीं! त� काहींन का� साज़� लों� ये�र�

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धू�प ये अठीखलिलोंये�+ हींर र�ज़ कारत� हीं! / दुष्ये�त का� ��र

धू�प ये अठीखलिलोंये�+ हींर र�ज़ कारत� हीं!

एका छ�ये� सा�टिढ़ये�+ चाढ़त�—उतरत� हीं!

येहीं टिदाँये� चाnर�स्त का� ओ_ � लों लों�

आजा आ+धू� ग�+व सा हीं� कार ग�ज़रत� हीं!

का� छ बाहुत गहींर� दाँर�र पड़ा गईं �न �

��त अबा येहीं �न नहीं� हीं! एका धूरत� हीं!

काnन श�सान सा काहींग�, काnन प�छग�

एका लिचाकिड़ाये� इन धू��का� सा लिसाहींरत� हीं!

�4 त�म्हीं छ� कार ज़र�—सा� छड़ा दाँत� हूँ+

और ग�लों� प�+ख�र� सा ओसा झरत� हीं!

त�� काहीं� पर झ�लों हीं� �4 एका नnका� हूँ+

इसा तरहीं का� काल्पन� �न � उभूरत� हीं!

Page 35: saaye me dhoop

पका गई हीं4 आदाँत बा�त� सा सार हीं�ग� नहीं� / दुष्ये�त का� ��र

पका गई हीं4 आदाँत बा�त� सा सार हीं�ग� नहीं�

का�ई हीं�ग��� कार� ऐसा ग�ज़र हीं�ग� नहीं�

इन टिठीठी�रत� उ+गलिलोंये� का� इसा लोंप_ पर साका लों�

धू�प अबा घुर का� किकासा� दाँDव�र पर हीं�ग� नहीं�

बा�+दाँ _पका� था� �गर व� बा�+दाँ�—बा�रिरश और हीं!

ऐसा� बा�रिरश का� काभू� उनका� ख़बार हीं�ग� नहीं�

आजा �र� सा�था दाँ� व!सा ��झ ��लों�� हीं!

पत्थर� � चा�ख़ हींर्पिगAज़ का�रगर हीं�ग� नहीं�

आपका _�काड़ा� का _�काड़ा कार टिदाँये जा�येग पर

आपका� त�ज़�� � का�ई कासार हीं�ग� नहीं�

लिसा") श�येर दाँखत� हीं! र्क़हींर्क़हीं� का� अस्थिस्लोंयेत

हींर किकासा� का प�सा त� ऐसा� नज़र हीं�ग� नहीं�

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— एका काबा�तर लिचाठ्ठीH लों कार पहींलों� पहींलों� बा�र उड़ा� / दुष्ये�त का� ��र

एका काबा�तर लिचाठ्ठीH लों कार पहींलों�—पहींलों� बा�र उड़ा�

�nसा� एका ग�लोंलों लिलोंये था� प_—सा न�चा आन किगर�

बा�जार धूरत�, झ�लोंसा पnधू, किबाखर का�+_ तज़ हींव�

हीं�न घुर बा!ठी—बा!ठी हीं� सा�र� ��ज़र दाँख किकाये�

चाट्टा�न� पर खड़ा� हुआ त� छ�प रहीं गई प�+व� का�

सा�चा� किकातन� बा�झ उठी� कार �4 इन र�हीं� सा ग�ज़र�

साहींन का� हीं� गये� इकाठ्ठी� इतन� सा�र� दुख �न �

काहींन का� हीं� गये� किका दाँख� अबा �4 त�झ का� भू�लों गये�

धू�र— धू�र भू�ग रहीं� हीं4 सा�र� ईं_ प�न� �

इनका� क्ये� ��लों�� किका आग चालों कार इनका� क्ये� हीं�ग�

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ये धू�ए+ का� एका घुर� किका �4 जिजासा� रहीं रहीं� हूँ+ / दुष्ये�त का� ��र

ये धू�ए+ का� एका घुर� किका �4 जिजासा� रहीं रहीं� हूँ+

��झ किकासा र्क़दाँर नये� हीं!, �4 जा� दाँदाँ) साहीं रहीं� हूँ+

ये ज़��न तप रहीं� था� ये �का�न तप रहीं था

तर� इ�तज़�र था� जा� �4 इसा� जागहीं रहीं� हूँ+

�4 टिठीठीका गये� था� लोंकिकान तर सा�था—सा�था था� �4

त� अगर नदाँD हुई त� �4 तर� सातहीं रहीं� हूँ+

तर सार प धू�प आई त� दाँरख़्त बान गये� �4

तर� जिज़न्दाँग� � अक्सार �4 का�ई वजाहीं रहीं� हूँ+

काभू� टिदाँलों � आरज़�—सा�, काभू� ��+हीं � बाद्दु�आ—सा�

��झ जिजासा तरहीं भू� चा�हीं�, �4 उसा� तरहीं रहीं� हूँ+

�र टिदाँलों प हीं�था रक्ख�, �र� बाबासा� का� सा�झ�

�4 इधूर सा बान रहीं� हूँ+, �4 इधूर सा ढँहीं रहीं� हूँ+

येहीं�+ काnन दाँखत� हीं!, येहीं�+ काnन सा�चात� हीं!

किका ये बा�त क्ये� हुई हीं!,जा� �4 श’र काहीं रहीं� हूँ+

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त��न इसा त�लों�बा � र�हूँ पकाड़ान का लिलोंए / दुष्ये�त का� ��र

त��न इसा त�लों�बा � र�हूँ पकाड़ान का लिलोंए

छ�_D—छ�_D �छलिलोंये�+ चा�र� बान�कार फू का दाँ�

हीं� हीं� ख� लोंत सा�बाहीं का� भू�ख लोंगत� हीं! बाहुत

त��न बा�सा� र�टि_ये�+ न�हींका उठी� कार फू का दाँ�

जा�न का! सा� उ+गलिलोंये�+ हीं4, जा�न क्ये� अ+दाँ�ज़ हीं4

त��न पत्तों� का� छ�आ था� जाड़ा किहींलों� कार फू का दाँD

इसा अहीं�त का अ+धूर � धू�आ+—सा� भूर गये�

त��न जालोंत� लोंकाकिड़ाये�+ श�येदाँ बा�झ� कार फू का दाँ�

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— लोंफ़्ज़ एहींसा�सा सा छ�न लोंग, ये त� हींदाँ हीं! / दुष्ये�त का� ��र

लोंफ़्ज़ एहींसा�सा—सा छ�न लोंग, ये त� हींदाँ हीं!

लोंफ़्ज़ ��न भू� छ� प�न लोंग, ये त� हींदाँ हीं!

आप दाँDव�र उठी�न का लिलोंए आए था

आप दाँDव�र उठी�न लोंग, ये त� हींदाँ हीं!

ख़���श� श�र सा सा�नत था किका घुबार�त� हीं!

ख़���श� श�र �चा�न लोंग, ये त� हींदाँ हीं!

आदाँ�� हीं�ठी चाबा�ए त� सा�झ आत� हीं!

आदाँ�� छ�लों चाबा�न लोंग, ये त� हींदाँ हीं!

जिजास्� पहींर�व� � छ� प जा�त था, पहींर�व� �—

जिजास्� न�ग नज़र आन लोंग, ये त� हींदाँ हीं!

लों�ग तहींज़�बा—ओ—त�द्दु�न का सालों�र्क़ सा�ख

लों�ग र�त हुए ग�न लोंग, ये त� हींदाँ हीं!

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ये श"र्क़ श�� हीं� रहीं� हीं! अबा / दुष्ये�त का� ��रये श"र्क़ श�� हीं� रहीं� हीं! अबा

और हींर ग�� हीं� रहीं� हीं! अबा

जिजासा तबा�हीं� सा लों�ग बाचात था

व� सार आ� हीं� रहीं� हीं! अबा

अज़�त—��ल्का इसा लिसाये�सात का

हीं�था न�लों�� हीं� रहीं� हीं! अबा

शबा ग़न��त था�, लों�ग काहींत हीं4

सा�ब्हीं बादाँन�� हीं� रहीं� हीं! अबा

जा� किकारन था� किकासा� दाँर�चा का�

�रर्क़ज़ बा�� हीं� रहीं� हीं! अबा

कितश्ना�—लोंबा तर� फू� साफू� सा�हीं_ भू�

एका प!ग़�� हीं� रहीं� हीं! अबा

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एका ग�किड़ाये� का� काई काठीप�तलिलोंये� � जा�न हीं! / दुष्ये�त का� ��र

एका ग�किड़ाये� का� काई काठीप�तलिलोंये� � जा�न हीं!

आजा श�येर येहीं त��श� दाँखकार हीं!र�न हीं!

ख़�सा साड़ाका बा�दाँ हीं4 तबा सा �रम्�त का लिलोंए

येहीं हीं��र वक़्त का� साबासा साहीं� पहींचा�न हीं!

एका बा�ढ़� आदाँ�� हीं! ��ल्र्क़ � ये� ये� काहीं�—

इसा अ+धूर� का�ठीर� � एका रnशनदाँ�न हीं!

�स्लोंहींत—आ�ज़ हीं�त हीं4 लिसाये�सात का र्क़दाँ�

त� न सा�झग� लिसाये�सात, त� अभू� न�दाँ�न हीं!

इसा र्क़दाँर प�बान्दाँD—ए—�ज़हींबा किका सादाँर्क़ आपका

जाबा सा आज़�दाँD मि�लों� हीं! ��ल्र्क़ � र�ज़�न हीं!

कालों न���इश � मि�लों� व� चा�थाड़ा पहींन हुए

�4न प�छ� न�� त� बा�लों� किका किहींन्दुस्त�न हीं!

��झ� रहींत हीं4 कार�ड़ा� लों�ग चा�प का! सा रहूँ+

हींर ग़ज़लों अबा साल्तनत का न�� एका बाये�न हीं!

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बाहुत सा+भू�लों का रक्ख� त� प�ए��लों हुई / दुष्ये�त का� ��र

बाहुत सा+भू�लों का रक्ख� त� प�ए��लों हुई

साड़ाका प फू का दाँD त� ज़िंज़Aदाँग� किनहीं�लों हुई

बाड़ा� लोंग�व हीं! इसा ��ड़ा का� किनग�हीं� सा

किका साबासा पहींलों येहीं� रnशन� हींलों�लों हुई

का�ई किनजा�त का� सा�रत नहीं� रहीं�, न साहीं�

�गर किनजा�त का� का�लिशश त� एका मि�सा�लों हुई

�र ज़ह्न प ज़��न का� व� दाँबा�बा पड़ा�

जा� एका स्लों_ था� व� ज़िंज़Aदाँग� साव�लों हुई

सा��द्र और उठी�, और उठी�, और उठी�

किकासा� का व�स्त ये चा�+दाँन� वबा�लों हुई

उन्हीं पत� भू� नहीं� हीं! किका उनका प�+व� सा

व� ख़�+ बाहीं� हीं! किका ये गदाँ) भू� ग�लों�लों हुई

�र� जाkबा�न सा किनकालों� त� लिसा") नज़्� बान�

त�म्हीं�र हीं�था � आई त� एका �श�लों हुई

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व� आदाँ�� नहीं� हीं! ��काम्�लों बाये�न हीं! / दुष्ये�त का� ��र

व� आदाँ�� नहीं� हीं! ��काम्�लों बाये�न हीं!

��था प उसाका चा�_ का� गहींर� किनश�न हीं!

व कार रहीं हीं4 इ;र्क़ प सा�जा�दाँ� ग�फ़्तग�

�4 क्ये� बात�ऊँ+ �र� काहीं� और ध्ये�न हीं!

सा���न का� छ नहीं� हीं! फू_हीं�लों हीं! �गर

झ�लों � उसाका प�सा का�ई सा�किवधू�न हीं!

उसा लिसारकिफूर का� ये� नहीं� बाहींलों� साका ग आप

व� आदाँ�� नये� हीं! �गर सा�वधू�न हीं!

किफूसालों जा� इसा जागहीं त� लों�ढ़कात चालों गए

हीं�का� पत� नहीं� था� किका इतन� ढँलों�न हीं!

दाँख हीं4 हीं�न दाँnर काई अबा ख़बार नहीं�

प!र� तलों ज़��न हीं! ये� आसा��न हीं!

व� आदाँ�� मि�लों� था� ��झ उसाका� बा�त सा

ऐसा� लोंग� किका व� भू� बाहुत बाजाkबा�न हीं!

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किकासा� का� क्ये� पत� था� इसा अदाँ� पर �र मि�_ग हीं� / दुष्ये�त का� ��र

किकासा� का� क्ये� पत� था� इसा अदाँ� पर �र मि�_ग हीं�

किकासा� का� हीं�था उठ्ठी� और अलोंका� तका चालों� आये�

व� बारग;त� था का� छ हीं�सा उन्हीं क्ये�कार येर्क़� आत�

चालों� अच्छा� हुआ एहींसा�सा पलोंका� तका चालों� आये�

जा� हीं�का� ढँ�+ढँन किनकालों� त� किफूर व�पसा नहीं� लोंn_�

तसाव्व�र ऐसा ग़!र—आबा�दाँ हींलोंका� तका चालों� आये�

लोंगन ऐसा� खर� था� त�रग� आड़ा नहीं� आई

ये सापन� सा�ब्हीं का हींल्का धू�+धूलोंका� तका चालों� आये�

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हीं�न लोंग� हीं! जिजास्� � जा��किबाश त� दाँखिखये / दुष्ये�त का� ��र

हीं�न लोंग� हीं! जिजास्� � जा��किबाश त� दाँखिखये

इसा पर का_ परिंरAदाँ का� का�लिशश त� दाँखिखये

ग�+ग किनकालों पड़ा हीं4, जाkबा�+ का� तलों�श �

सारका�र का खिख़लों�" ये सा�जिज़श त� दाँखिखये

बारसा�त आ गई त� दाँरकान लोंग� ज़��न

सा�ख� �चा� रहीं� हीं! ये बा�रिरश त� दाँखिखये

उनका� अप�लों हीं! किका उन्हीं हीं� �दाँदाँ कार

चा�का� का� पसालिलोंये� सा ग�ज़�रिरश त� दाँखिखये

जिजासान नज़र उठी�ई वहीं� शख़्सा ग�� हुआ

इसा जिजास्� का कितलिलोंस्� का� बा�टिदाँश त� दाँखिखये

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�4 जिजासा ओढ़त�- किबाछ�त� हूँ+ / दुष्ये�त का� ��र

�4 जिजासा ओढ़त�-किबाछ�त� हूँ+व� ग़ज़लों आपका� सा�न�त� हूँ+ 

एका जा�गलों हीं! तर� आ+ख� ��4 जाहीं�+ र�हीं भू�लों जा�त� हूँ+ 

त� किकासा� रलों-सा� ग�ज़रत� हीं!�4 किकासा� प�लों-सा� थारथार�त� हूँ+ 

हींर तर" ऐतर�ज़ हीं�त� हीं!�4 अगर रnशन� � आत� हूँ+ 

एका बा�ज़� उखड़ा गये� जाबासाऔर ज़्ये�दाँ� वज़न उठी�त� हूँ+ 

�4 त�झ भू�लोंन का� का�लिशश �आजा किकातन र्क़र�बा प�त� हूँ+ 

काnन ये "�सालों� किनभू�एग��4 "रिर;त� हूँ+ साचा बात�त� हूँ+

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अबा किकासा� का� भू� नज़र आत� नहीं� का�ई दाँर�र / दुष्ये�त का� ��र

अबा किकासा� का� भू� नज़र आत� नहीं� का�ई दाँर�रघुर का� हींर दाँDव�र पर लिचापका हीं4 इतन इ;तहीं�र 

आप बाचा कार चालों साका ऐसा� का�ई सा�रत नहीं�रहींग�ज़र घुर हुए ��दाँ� खड़ा हीं4 बाश���र 

र�ज़ अखबा�र� � पढ़कार येहीं ख़्ये�लों आये� हीं�इसा तर" आत� त� हीं� भू� दाँखत "स्लों—बाहीं�र 

�4 बाहुत का� छ सा�चात� रहींत� हूँ+ पर काहींत� नहीं�बा�लोंन� भू� हीं! �न� साचा बा�लोंन� त� दाँरकिकान�र 

इसा लिसार सा उसा लिसार तका साबा शर�का —जा��) हीं4आदाँ�� ये� त� ज़��नत पर रिरहीं� हीं! ये� "र�र 

हीं�लोंत—इन्सा�न पर बारहीं� न हीं� अहींलों—वतनव� काहीं� सा जिज़न्दाँग� भू� ��+ग लों�येग उधू�र 

रnनर्क़ -जान्नत ज़र� भू� ��झका� र�सा आई नहीं��4 जाहींन्न�� � बाहुत ख़�श था� �र परवरटिदाँग�र 

दाँस्तका� का� अबा किकाव�ड़ा� पर असार हीं�ग� ज़रूरहींर हींथालों� ख़�न सा तर और ज़्ये�दाँ� बार्क़र�र

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त�म्हीं�र प�+व का न�चा का�ई ज़��न नहीं� / दुष्ये�त का� ��र

त�म्हीं�र प�+व का न�चा का�ई ज़��न नहीं�का��लों ये हीं! किका किफूर भू� त�म्हीं येर्क़�न नहीं� 

�4 बापन�हीं अ+धूर� का� सा�ब्हीं का! सा काहूँ+�4 इन नज़�र� का� अ+धू� त��शबा�न नहीं� 

तर� जाkबा�न हीं! झ�ठीH ज्म्हूँरिरयेत का� तरहींत� एका ज़लों�लों-सा� ग�लों� सा बाहींतर�न नहीं� 

त�म्हीं� सा प्ये�र जात�ये त�म्हीं� का� ख� जा�ए+अदाँDबा ये� त� लिसाये�सा� हीं4 पर का��न नहीं� 

त�झ र्क़सा� हीं! ख़�दाँD का� बाहुत हींलों�का न कारत� इसा �श�न का� प�ज़�) हीं! त� �श�न नहीं� 

बाहुत �शहूँर हीं! आए+ ज़रूर आप येहीं�+ये ��ल्का दाँखन लों�येर्क़ त� हीं! हींसा�न नहीं� 

ज़र�-सा� तnर-तर�र्क़� � हींर-फू र कार�त�म्हीं�र हीं�था � का�लोंर हीं�, आस्त�न नहीं�