Pitradosh Nivaran ki Puja by ACHARYA VINOD KUMAR JI

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Mantra For Pitra Dosh Nivaran & Pitra Shanti पपपपपपप पप पपपपपपपपप पप पपप पपपपप :-

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आज सोमवती अमावस्या है और यह पितर दोष दुर करने के लिये अतिउत्तम है। सोमवती अमावस्या की पूजा से बहुत जल्दी यह दोष समाप्त हो जाता है। नोकरी, विवाह और कोई भी परेशानी जीवन मे हो खत्म हो जाती है। आज के दिन पीपल के पेड के पास जाइये, उस ही पीपल देवता को एक जनेऊ दीजिये साथ ही दुसरा जनेऊ भगवान विष्णु जी के नाम से उसी पीपल के पेड को दीजिये, पीपल के पेड और भगवान विष्णु को नमस्कार कर प्रार्थना कीजिये, अब एक सौ आठ परिक्रमा उस पीपल के पेड की कारे दुध की बनी मिठाई को हर परिक्रमा के साथ पीपल को अर्पित करते जाईए। परिक्रमा करते समय “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र को जपते रहे। 108 परिक्रमा पूरी करने के बाद पीपल के पेड और भगवान विष्णु से फिर प्रार्थना करे कि जाने अन्जाने में हुये अपराधो के लिए उनसे क्षमा मांगिये। और अपने पितरो के कल्याण के लिए प्रार्थना करे। Contact Us ACHARYA VINOD KUMAR JI ADYATMIK SEWA MISSION, House No. – 1, Road No. – 13, Punjabi Bagh Extension, Near State Bank of India, Club Road, New Delhi. 110026 Mobile: +91-9958633529, +91-9310467616 Phone: 01149122122 E Mail- [email protected] Website- http://www.guruvinodji.com

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Mantra For Pitra Dosh Nivaran & Pitra Shanti

पि�तृ�दो�ष और पि�तृ�शां� पितृ के� लि�ए मं त्र :-

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पि�तृ�दो�ष क्या� है और कै से� है�तृ� है :- जब पिकेसी� भी� व्यलि� के� के� ड�� के� नवमं �र जब सी!र्य# और र�हू के� र्य�पितृ हो� रहो� हो� तृ� र्यहो सीमंझा� ज�तृ� हो' पिके उसीके� पि�तृ� दो�ष र्य�ग बन रहो� हो' | भी�रतृ�र्य सी स्के� पितृ मं+ ��र�णों- और शां�स्त्र- के� अन�सी�र सी!र्य# तृथा� र�हू जिजसी भी� भी�व मं+ ब'ठतृ� हो',  उसी भी�व के� सीभी� फ� नष्ट हो� ज�तृ� हो' | र्यहो र्य�ग व्यलि� के� के� ण्ड�� मं+ एके ऎसी� दो�ष हो' ज� सीभी� प्रके�र के� दु:खों- के� एके सी�था दो�न� के� क्षमंतृ� रखोंतृ� हो', इसी दो�ष के� पि�तृ� दो�ष के� न�मं सी� ज�न� ज�तृ� हो' |

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व्यलि� के� के� न्ड�� के� नवमं< भी�व अथाव� घर धमं# के� सी!चके हो' तृथा� र्यहो पि�तृ� के� घर भी� हो�तृ� हो' | इसीलि�ए अगर पिकेसी� के� के� ड�� मं+ नवमं< घर मं+ ग्रहो- पिके स्थिBपितृ ठCके नहोD हो' अथा�#तृ खोंर�ब ग्रहो- सी� ग्रलिसीतृ हो' तृ� इसीके� तृ�त्�र्य# हो' पिके ज�तृके के� �!व#ज- के� इच्छा�र्य+ अध!र� रहो गर्यD था� अतृ: इसी प्रके�र के� ज�तृके होमं�शां� तृन�व मं+ रहोतृ� हो' एव उसी� मं�नलिसीके, शां�र�रिरके तृथा� भीHपितृके सीमंस्र्य�ओं और सी केटों- के� सी�मंन� के�रणों �डतृ� हो' |अतृ: सी�ष्ट हो' पिके ज�तृके के� नव� भी�व र्य� नव+ भी�व के� मं�लि�के र�हु र्य� के� तृ� सी� ग्रलिसीतृ हो' तृ� र्यहो सीH प्रपितृशांतृ पि�तृ�दो�ष के� के�रणों- मं+ मं�न� ज�तृ� हो' |

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मं�ख्र्यतृर्य�: पि�तृ�दो�ष इसी आध�पिनके र्य�ग मं+ पि�तृर- के� प्रपितृ अनदो�खों� और खों!न के� रिरश्तृ� के� हो�केर भी� उन्हो+ भी���न� ज'सी� आज के� इसी स्व�था#व�दोP सीभ्र्यतृ� पिके दो�न हो' | आजके� के� इसी आध�पिनकेरणों के� र्य�ग मं+ न ज�न� पिकेतृन� हो� ��ग र�ज अके�� मं�त्र्य� के� लिशांके�र हो� ज�तृ� हो' अतृ: इसी प्रके�र के� के� ग�� मं+ सीमं�र्य� हुए �रिरजन- के� इच्छा�ए अध!र� रहो ज�तृ� हो' और व� मं�त्र्य���के के� ब धन सी� मं�� नहोD हो�केर र्यहो� भीटोंकेतृ� रहोतृ� हो' और र्यहो आशां� केरतृ� हो' पिके उनके� �रिरजन उनके� लि�ए श्रा�द्धकेमं# तृथा� तृ�#णों�दिदो केर उनके� इसी ब धन सी� मं�� केर�एUग� | �र जब उनके� �रिरजन- द्वा�र� उनके� तृ�#णों व श्रा�द्ध नहोD पिकेर्य� ज�तृ� हो' और र्यहो�U तृके उन्हो+ र्य�दो केरन� तृके के� सीमंर्य भी� उनके� ��सी नहोD हो�तृ� हो' तृब भीटोंकेतृ� हुए �रिरजन- अथा�#तृ पि�तृर- के� सी�था खों!न के� रिरश्तृ� हो�न� फ�स्वरू� भी� उनके� पितृरस्के�र केरन� के� फ� उन्हो+ इसी पि�तृ�दो�ष के� रू� मं+ प्र�प्तृ हो�तृ� हो' |

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पि�तृ�दो�ष पि�वा�रण पि�तृ�शां��पितृ कै� उ��या  :-

पि�तृ�दो�ष और पि�तृ�शां� पितृ के� लि�र्य� श्रा�मंद्भगवद्गीPतृ� के� ��ठ केरन� सीबसी� उत्तमं रहोतृ� हो' तृथा� पि�तृ�दो�ष और पि�तृ�शां� पितृ के� लि�ए श्रा� के� ष्णों चरिरत्र केथा� श्रा�मंद्भ�गवतृ मंहो���र�णों के� ��ठ पिवद्वा�न ब्रा�ह्मणों- सी� केरव�न� च�पिहोए |और सी�था हो� पि�तृ� �!ज� भी� केरव�न� च�पिहोए |

पि�तृ�दो�ष और पि�तृ�शां� पितृ के� लि�र्य� सीबसी� �हो�� श्रा� के� ष्णों के� �!ज� केरन� च�पिहोए और भीगवद्गीPतृ� के� 12 व+ और 13व+ अध्र्य�र्य के� ��ठ, सी केल्� के� सी�था केरन� च�पिहोए और इसी ��ठ के� पि�तृर- के� सीमंर्पि�cतृ केरन� च�पिहोए |

इसी� तृरहो ग्रहोशां� पितृ र्य�  सीभी� ग्रहो- के� शां� पितृ के� लि�ए पिनच� लि�खों� इसी मं त्र के� 1008 आहुपितृर्य�U दो�न� च�पिहोए :-

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In Hindi:-

"ओमं< नमं� भीगवतृ� व�सी�दो�व�र्य"

In English:-

"Ohm Namo Bhagawate Vasudeway"

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पि�तृ�दो�ष पिनव�रणों पि�तृ�शां� पितृ के� उ��र्य के� लि�ए इसी मं त्र के� भी� पि�तृर- के� लिचत्र के� सीम्मं�खों ब'ठकेर श्रा�द्ध� और भीलि� के� सी�था होवन केर� और इसी मं त्र के� ज�� केर� |

In Hindi:-

ऊँU श्रा� सीव#पि�तृ� दो�ष पिनव�रणों�र्य के��शांमं< हो हो सी�खों शां� पितृमं< दो�पिहो फटोंस्व�हो�: |

In English:-

Ohm Shree Sarva Pitra Dosh Nivarnaay Kaleshm Han Han Sukh Shantim Dehi Fat Svahaa: |

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इन दो�न- मंन्त्र- के� र्यज्ञ र्य� होवन मं+ आहुपितृर्य�U दो�न� च�पिहोए व प्रपितृदिदोन सी ध्र्य�के�� मं+ इसी मं त्र के� ज�� केरन� सी� आ�के� जन्मं के� ड�� मं+ स्थिBतृ अपिनष्टके�रके ग्रहो भी� आ�के� के� छ भी� अपिनष्ट नहोD केर+ग� | 

(जर्य व�सी�दो�व�र्य नमंi )

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