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आआआ आआ आआआ आआआआ आआआआआ आआआआ आआआ आआआआ आआआआआ आआ आआआआआ आआ आआआआआ आआ आआआ आआ आआ आआ आआआआ आआआआआआ आआ आआआआआआआआ आआआआआआआआ आआआआआआआ आआआ आआ आआआआआआ आआ आआआआ आआ , आआ आआआआ आआआआआआ आआआआ आआआआआआ आआ आआआ आआआआआआआआ आआआआआआआ आआ आआआआ आआआआ आआ आआआआ आआ आआ आआआआआ आआआ आआ आआआआआ आआआआआ आआ आआ आआ आआआआआआ आआ आआआ आआआ आआआआआआआआ आआआ आआ आआ आआ आआआआ आआआआ आआ आआ आआआ आआआआआआआआ आआआआआआआ आआआ आआआ आआआआ आआ आआआआआआ आआआ आआआ आआ आआआआ , आआ आआआ आआआ आआ आआआ आआआआ आआ आआ आआआआआआआ आआआआआ आआआआ आआ आआआआआ आआआआआआआ आआआ आआआआ आआ आआआआआआआ आआआआआआ आआआआआआ आआ आआआआआआ आआआआआआ. आआआआआआआ आआआ आआआआआ आआ आआआआआ आआआ आआआ आआ आआआआआ आआआ आआ आआआ आआआआआ आआ आआ आआआ आआआआआआआ आआ आआआआ आआआआ आआ आआआआ आआ , आआ आआ आआआआआ आआआआ आआआआआ आआ आआआआ आआ आआआआआआआआआआआ आआ आआआ आआआआआआआ आआ आआआआ आआ आआआआआ आआआआआआआ आआ आआआआआ आआआ आआआआआआआ आआआ आआआआआआआआआ आआ आआआआ आआआआ आआआ आआ आआ आआआआ आआ आआआ आआआआ आआआ आआआ आआ आआआआआ आआआ आआआआआआआआ आआआआ आआआआ आआआआआ आआ आआआ आआ आआआ आआ आआआआआआ , आआआआ,

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आपस की� बा�त

विगत दि नों� मे�रे� प�स की�फी� स� �श औरे की�ल्स यह जा�नोंनों� की� लि�ए आए थे� की� प�रे वि�य� स� सम्बा�धि"त प्रमे�णि%की स�मेग्री' कीह� स� उप�ब्ध ह* सकीत' ह+ , त* मे�रे� भा�इय� प�रे वि�य� की� लि�ए प्रमे�णि%की स�मेग्री' की� �गभाग अकी�� स� रेहत� ह+ औरे बा�जा�रे मे/ जा* स�मे�नों धिमे�त� ह+ * भा' ओरिरेजानों� ह* ऐस' की*ई ग्य�रे�टी6 नोंह' ह+ । औरे एकी बा�त* सत्य ह+ की� यदि प्रमे�णि%की स�मेग्री' नोंह' धिमे� प�त' त* वि�य� सफी� नोंह' ह* सकीत' , इस लि�ए यदि आप मे/ जिजास� भा' जा* स�मेग्री' चा�विहए मे:झे� आप स<लिचात कीरिरेय�ग� मे= आपकी* * स�मेग्री' उप�ब्ध कीरे�नों� की� प्रय�स कीरूँ? ग�. क्य<�विकी की: छ स�मे�नों त* हमे�रे� �श मे/ कीमे मे�त्र मे/ ह' सह' धिमे�त� ह+ परे की: छ स�मेग्री' की� आय�त बा�हरे स� ह*त� ह+ , औरे जा* स�मे�नों यह�? धिमे�त� ह+ उसमे� भा' व्या�प�रिरेय� की� की: छ की�रे'गरे' ह* जा�त' ह+ जिजासस� स�मेग्री' की� ग:%� मे/ न्य<नोंत� आनों� स्�भा�विकी ह+ जा+स� प�रे मे/ एकी त* +स� भा' *ष ह*त� ह= ऊपरे स� बा�जा�रे मे/ व्या�प�रे' उसमे� अपनों� थे*ड़े� स� ��भा की� लि�ए औरे ज्य� � , स'स�, रे��ग�, जास्त�, की+ विJयमे , आदि धिमे�� �त� ह= औरे इनों अश:द्ध "�त:ओं औरे त�प�न्तरे की� की�रे% बा�जा�रे मे/ उप�ब्ध प�रे प<%M रूँप स� ष�J ह* जा�त� ह+ अबा चा�ह� की*ई ��ख सरे पटीकी� यह प�रे �"नों कीरे ह' नोंह' सकीत� . �*ग बा�जा�रे स� प�रे� �� ��कीरे की�धिमेय� की� की*लिशश कीरेत� रेहत� ह= नों त* औषधि" ह' प्रमे�णि%की बानों सकीत' ह+ औरे नों ह' �*ह �" की� वि�य� ह* प�त' ह+ . की: छ ऐस� ह' अन्य स�मेविग्रीय� की� लि�ए भा' ह*त� ह+ चा�ह� * ज्रा�भ्रकी ह*, रेक्त ग�"की ह* , की�यमे हरेत�� ह*, श्वे�त ग:रु ह* (जिजासकी� द्वा�रे� की+ स' भा' नोंस्पवित स� रेस औरे दू" विनोंकी��� जा� सकीत� ह+) . एकी बा�त त* तय ह+ की� यदि स�मेग्री' प्रमे�णि%की ह* त* वि�य� सफी� ह*त' ह' ह+ . यदि आप चा�ह/ग� त* अष्ट स�स्कीX त प�रे (य� विफीरे अ�ग अ�ग स�स्की�रे� यथे� पह�� ,दूसरे� स�स्की�रे य:क्त प�रे ) भा' मे= आपकी* उप�ब्ध कीरे�नों� की� प्रय�स कीरूँ? ग� , मे�रे� उद्दे�श्य आपकी� सफी�त� औरे इस विद्या� की� प्रस�रे ह+ जिजासमे� मे= आपकी� सहय*ग ह' चा�हूँ?ग� .ह���?विकी मे:झे� इस बा�त की� बा�ह दुः^ख ह+ की� इतनों' दुः�Mभा विद्या� की� लि�ए जा* ग्री:प बानों�य� गय� उसकी� की: � स स्य ६ मेह'नों� मे/ लिसर्फ़M १६ ह' ह= . मे�रे� एकी आत्मे'य धिमेत्र की� �रे�जिजानों' ग:दिटीकी� भा' उनोंकी� विनों bश�नों:स�रे मे=नों� बानों� कीरे रेख' ह+ परे उनोंकी� एड्रे�स ��ख प्रय�स की� बा� भा' उप�ब्ध नोंह' ह* प�य� ह+ , औरे नों ह' उन्ह/ मे�रे� मे�ल्स धिमे� रेह� ह�ग� क्य<�विकी यदि उन्ह/ धिमे�त� त* * की��टी�क्टी जारूँरे कीरेत�. उनोंकी� प<?जा' मे�रे� प�स स�लिचात, स:रेणिdत ह+. ख+रे आप �*ग* की* य� आपकी� विकीस' धिमेत्र की* जिजानोंकी� रुलिचा प�रे विज्ञा�नों� मे/ ह* औरे � इस परे मे�हनोंत कीरेकी� सकी�रे�त्मेकी परिरे%�मे चा�हत� ह+ त* आप स�मेग्री' की� लि�ए जारूँरे बात�इय�ग� . एकी बा�त औरे की� यह�? परे बा�त �य-वि�य की� नोंह' ह* रेह' अविपत: उप�ब्धत� की� ह* रेह' ह+ , आप की* सफी�त� धिमे�� बास इस' की�मेनों� की� सफी�त� की� लि�ए स ग:रु � स� प्र�थेMनों� कीरेत� हूँ?.

****आरिरेफी****

स ग:रु � औरे प�रे विज्ञा�नों

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भा�रेत'य श�स्त्र� मे/ प�रे की� दूसरे' स�ज्ञा� “ रेस” भा' कीह' गय' ह+ औरे इस अथेM की� वि�चानों� कीरेत� हुए कीह� गय� ह+:

“जा* समेस्त "�त:ओं की* अपनों� मे/ समे�विहत कीरे ��त� ह+ तथे� बा:ढा�प� रे*ग मेXत्य: की� समे�प्तिiत की� लि�ए रेस प<Mकी ग्रीह% विकीय� जा�त� ह+ * “रेस ह+”

इश्वेरे की� लि�ए भा' कीह� गय� ह+ की� “ रेस* + स^ ”

स्त:त^ प्र�चा'नों की��मे स� ह' ऋविषय� की� प्रय�स स� ह' प�रे की� प्रय*ग की� �, �*ह लिसजिद्ध औरे औषधि"य� की� लि�ए ह' नोंह' अविपत: की�य�कील्प, विलिशष्ट विद्या�ओं की� प्र�प्तिiत औरे सहजा समे�धि" अस्था� की* प्र�iत कीरेनों� की� लि�ए भा' विकीय� गय� ह+.

यह�? तकी कीह� गक्य� ह+ की� विबानों� रेस लिसद्ध हुए व्यालिक्त की+ स� मे:लिक्त प्र�iत कीरे सकीत� ह+.

भा�रेत'य रेस�यनों लिसद्ध� नों� स्%M विनोंमे�M% की� अ��� स�"नों� जागत मे/ प�रे की� प्रय*ग कीरे �य: गमेनों लिसजिद्ध, श<न्य लिसजिद्ध, अदृश्य लिसजिद्ध, �ह �:iत वि�य� भा' लिसद्ध की�.

औरे इन्ह' रेस लिसद्ध� की� की�रे% भा�रेत'य रेस�यनों विद्या� स:दूरे �श� मे/ पहुचा'.जिजास� की�य�विगरे' की� नों�मे दि य� गय�.

प�रे की� मेहत्ता� इतनों' अधि"की व्या�पकी रेह' की� �गभाग सभा' सम्प्र �य की� स�"की� नों� इसकी� अपनों� अपनों� तरे'की� स� प्रय*ग कीरे सम्प्र �य� की* समेXद्ध शलिक्त स�पनों बानों�य�.

यद्याविप इनों सभा' की� मे<� रुलिचा त* स्%M विनोंमे�M% मे/ थे' , किंकीpत: इन्ह्ने� यह भा' अनों:भा विकीय� की� की: छ विश�ष वि�य�ओं की� द्वा�रे� यदि प�रे की� भाd% कीरे लि�य� जा�ए शरे'रे की� की�य�कील्प ह* जा�त� ह+.

औरे यह वि�य� तभा' ह* पवित ह+ जाबा की� प�रे की� अन् रे की� विष की* ८ स�स्की�रे� की रे विनोंकी�� कीरे उस� अमेXत मे/ बा � दि य� जा�त� ह+ . तथे� ऐस� प�रे यदि विश�ष विधि"य� की� द्वा�रे� विकीस' की: श� रेस ज्ञा�त� की� �ख रे�ख मे/ यदि उलिचात मे�त्र मे/ ग्री�हमे विकीय� जा�ए त* स�रे� शरे'रे की� की�य�कील्प ह* जा�त� ह+, औरे यह वि�य� इतनों' त'व्र ह*त' ह+ की� जिजासमे� षt य� मेह'नों* नोंह' बाल्किल्की की: छ हफ्त� की� ह' समेय पय�Miत ह*त� ह+.

स ग:रु � Jw. नों�रे�य% त्ता श्री'मे��' जा' की� य*ग �नों प�रे जागत मे/ की*ई नोंह' भा<� सकीत� . विणिभानोंy लिशविरे� ,ग्री�थे* मे/ उन्ह�नों� प�रे की� ऐस� ऐस� स<त्र प्रकीटी विकीए ह= जिजान्ह/ स:नोंकीरे औरे वि�य� रूँप मे/ कीरेकी� आ मे' ��त� टी�� अ�ग:�' बा�नों� की* विश ह* ह' जा�त� ह+. प�रे की� १०८ स�स्की�रे� स� समे�जा की� परिरेचाय सबास� पह�� उन्ह�नों� ह' कीरे�य� . � १०८ स�स्की�रे जिजानोंकी� विश्जाय मे/ �*ग* नों� कीभा' स:नों� भा' नोंह' , स ग:रु � नों� इनों स�स्की�रे� की* प्रत्यd कीरेकी� भा' दि ख�य�.

“ स्�मे' विनोंखिख��श्वेरे�नों� जा' नों� हस्त� हुए कीह� ‘इतनों� ह' क्य<? ! अनों�त शलिक्त स�पनों इस प�रे स� , हमे जा* चा�ह� कीरे सकीत� ह= – ह� मे/ उड़े सकीत� ह=, अदृश्य ह* सकीत� ह= , स*नों� की� ढा�रे �ग� सकीत� ह=, अdय य|नों की� रे �नों प्र�iत कीरे सकीत� ह=, य|विगकी

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शलिक्त प्र�iत कीरेकी� परेकी�य� प्र�श कीरे सकीत� ह=”.“मे�रे' बा�त स:नोंकीरे स्�मे' जा' ग�भा'रे ह* गए , की: छ स*चात� रेह� , विफीरे बा*�� की� प�रे की* बा:भा:णिdत कीरेनों� जा* त��वित्रकी वि�य� ह+ , उसस� त* इतनों� स*नों� बानों सकीत� ह+ की� – स्स*नों� की� ��की� ह' बानों जा�ए.

‘रे�% लिश भाक्त थे� . लिश की� ह' तत् प�रे ह+ रे�% नों� मे�त्र* की� द्वा�रे� प�रे की* बा:भा:णिdत कीरे प�रेस बानों�कीरे स्%M की� ��की� बानों�ई थे'.’

विनोंखिख��श्वेरे�नों� जा' नों� बात�य� की� ‘स:द्ध विकीय� हुआ प�रे शरे'रे मे/ दि व्व्या वि�य�ओं स� यदि प्र�श कीरे� दि य� जा�ए त* विहमे��य की� बाफी~�' चा*दिटीय� परे त:मे नों�ग� शरे'रे घू<मे सकीत� ह*, ठण्J की� की*ई प्रभा� त:मे परे नोंह' पड़े�ग�.उन्ह�नों� +स� कीरेकी� मे:झे� दि ख�य� भा' . उन्ह�नों� प�रे की� ग:दिटीकी� मे:झे� �कीरे कीह� ,’ इस� मेचा मे/ रेख कीरे चा�ह� जिजातनों' दूरे की� य�त्र� कीरे* ,थेकी�नों नोंह' ह*ग', की*ई छ< टी की� विबामे�रे' नोंह' ह*ग', भा<ख iय�स नोंह' �ग�ग', यदि इस� ग�� मे/ "�रे% कीरेकी� परेकी�य� प्र�श विकीय� जा�ए त* शरे'रे की� 6घूMकी�� तकी रेd� कीरेत' ह+, यदि की*ई इस� विनोंग� �� औरे की����तरे मे/ उसकी� मेXत्य: ह* जा�ए त* श मे/ ��बा� समेय तकी की*ई परिरेतMनों नोंह' ह*ग�.

( उड़ेत� हुए स�न्य�स' स� स�भा�रे)

चा�ह� लिसद्ध स<टी बानों�नों� की� तरे'की� ह* य� विफीरे प�रे की� ग*पनों'य स<त्र� की� लिशष्य� की* ज्ञा�नों कीरे�नों� . कीभा' भा' स ग:रु � नों� की*ई कीमे' नोंह' की�. उन्ह�नों� लिसद्ध स<टी बानों�नों� की� सरे�तमे वि"�नों भा' बात�य�.

चा�ह� * सवित्र की: ष्ठ स� विनों �नों ह* य� कीX पत� की� स:न् रेत� मे/ परिरेतMनों .

चा�द्रो* य जा� बानों�नों� की� वि"�नों भा' उन्ह�नों� लिशष्य� क्�� स�मेनों� १९८९ मे/ बात�य� .जिजासकी� द्वा�रे� प�रे बा�"नों की� वि�य� अत्यन्त सरे�त� स� ह* जा�त' ह+ औरे यह जाबा सम्पू<%M रे*ग� स� �ह की* मे:क्त रेखत� ह+.

प�रे द्वा�रे� ग|रे�न्गनों� की� विनोंमे�M% जिजासकी� उपय*ग स� एकी दि नों मे/ ह' ग*रे�पनों प्र�iत विकीय� जा� सकीत� ह+. जाबाविकी बा�जा�रे मे/ उप�ब्ध बाड़े� स� बाड़े� उत्प� भा' ऐस� नोंह' कीरे प�ए ह=.

प<ज्य ग:रु � की� कीX प� स� �रे�%स' की एकी स�"की नों� त�लि�य� की��J द्वारे� प�रे की* स:द्ध स्%M मे/ परिरेर्तितpत कीरे दि य� थे�.

उन्ह�नों� बात�य� की� प�रे ६ प्रकी�रे स� फी� �यकी ह+ – शMनों, स्पशM,भाd%,स्मेरे%,प<जानों ए� �नों . प�रे की* इतनों� पवित्र मेनों गय� ह+ की� इसकी� किंनोंp � कीरेनों� ��� भा' परेमे प�प' मेनों गय� ह+.

अष्ट स�स्की�रिरेत प�रे की� ग:दिटीकी� य� मे:दिद्रोकी� की� विनोंमे�M% कीरे "�रे% कीरेनों� स� शरे'रे ज्रा त:�' ह* जा�त� ह+, यह ग:दिटीकी� स�"की की* मे�नोंलिसकी य� श�रे'रिरेकी व्या�धि"य� स� भा' मे:क्त रेखत' ह=. औरे सम्मे*हनों की� आभा� �त' ह+ . य* भा' प�रे की� सम्मे*हनों औरे श'कीरे% की� वि�य�ओं मे/ एकी प्रमे:ख स्था�नों ह+ औरे अत्यन्त उचाy की*दिटी की� श'कीरे% स�"नों�य� प�रे ग:दिटीकी� की* श'कीरे% ग:दिटीकी� की� रूँप मे/ परिरेर्तितpत कीरे की� ह' की� जा�त' ह+ .

रेस लिसद्ध स�"की ८ स�स्की�रे� स� य:क्त प�रे �नों� मे/ अत्यन्त विहचाविकीचा�हटी की� अनों:भा कीरेत� ह= . परे स ग:रु � नों� इनों स�स्की�रे� स� य:क्त प�रे की� ग:वितकी�ए औरे मे:दिद्रोकी�ए उप�ब्ध कीरे�ईं.

इसकी� अवितरिरेक्त प�रे की� विग्रीह बानों�नों� की� वि"�नों औरे उनोंस� की+ स� ��भा प�य� जा� सकीत� ह+ की|नों की|नों स' वि�य�य/ कीरेनों� चा�विहए , यह सबानों भा' स�"की* की* समेझे�य�.

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उन्ह�नों� बात�य� की� प�रे की� विग्रीह* की� इतनों' मेहत्ता� क्य<? ह+, क्य<�विकी "नों मे�नों जा'नों की� अविनों�यM अ�ग ह+ उसकी� विबानों� जा'नों स:चा�रूँ रूँप स� नोंह' चा� सकीत� . औरे एकी मे�त्र प�रे ह' * "�त: ह+ अdय ह+ . तथे� अपनों' चा�चा�त� मे/ �क्ष्मे' की� चा�चा�त� की* समे�विहत विकीए हुए ह+ . इस लि�ए उसकी* बा�"नों कीरेत� ह' स्त^ ह' �क्ष्मे' की� बा�"नों ह*नों� �गत� ह+ औरे एनों' "�त:ओ की� भा�वित इसकी� शलिक्त समेय की� स�थे कीमेजा*रे नोंह' ह*त' जा+स� की� एनों' य�त्र* की� जा* त�म्बा� आदि स� बानों� ह* उनोंकी� चा+तन्यत� की: छ षt तकी ह' रेह प�त' ह+ परे प�रे आजा'नों प्रभा� श��' रेहत� ह+.

प�रे लिशलिं�pग की� स्था�पनों �स्त: *ष दूरे कीरेत� ह+ औरे उसकी� विनोंमे�M% विधि" परे पह�� भा' बाहुत की: छ लि�ख� जा� चा:की� ह+. इनोंकी� स्था�पनों कीरे यदि विनोंत्य जा� चाढा�त� हुए ‘ॐ नोंमे^ लिश�य’ की� ११ बा�रे जाप कीरे ह जा� थे*ड़े� प' �/ त* की: छ ह' दि नों� मे/ अप<M य|नों की� प्र�प्तिiत ह*त' ह+. तथे� ऐस� प�रे लिशलिं�pग परे विश�ष मेन्त्र स� स*मे�रे की* की: बा�रे स�"नों� कीरेनों� स� अdय सम्पू�त' की� प्र�प्तिiत ह*त' ह+. त्र�टीकी कीरेत� हुए यदि प�रे �श्वेरे परे यदि प<M जान्मे शMनों स�"नों� की� जा�ए त* विनोंश्चय ह' ऐस� सम्भ ह*त� ह+ . �य: गमेनों औरे श<न्य आसनों की� लिसजिद्ध की� त* प�रे लिशलिं�pग आ"�रे ह' ह+ .

प�रे �क्ष्मे' की� विषय मे/ भा' बाहुत की: छ बात�य� जा� चा:की� ह+, यदि प�रे �क्ष्मे' की� प<जानों कीरेकी� स|न् यM �क्ष्मे' मेन्त्र की� जाप विकीय� जा�ए त* अप<M स:न् रेत� प्र�iत ह*त' ह+.

प�रे श्री'य�त्र की� विनोंमे�M% कीरे यदि भा<गभा�य मे�त्र* स� उस� लिसद्ध कीरे की� भानों बानों�त� समेय यदि भा<धिमे मे/ बा� दि य� जा�ए त* भानों स + �क्ष्मे' की� विवि" रूँप� स� भारे� रेहत� ह+.

श�य आप �*ग* की* य� ह*ग� की� आजा स� १२-१५ स�� पह�� बा�रे*जाग�रे' हमे�रे� �श की� सबास� बाड़े' समेस्य� थे' परे स yग्री: � द्वा�रे� जाबास� रे�स्त्र-पवित भानों मे/ प�रे �श्वेरे की� स्था�पनों� कीरेनों� की� बा� आजा हमे�रे� �श की+ स� प्रगवित कीरे रेह� ह+ आप सभा' �ख सकीत� ह=, +णिश्वेकी मे�J' की� इस |रे मे/ बाड़े� बाड़े� विकीलिसत �श की� ग��' की� कीग�रे परे पहुचा गए परे . हमे�रे� �श आजा भा' स'नों� त�नों� खड़े� ह+ .

प�रे दुःग�M औरे प�रे कीलि� जा+स� जादिटी� विग्रीह� की� विनोंमे�M% तभा' सम्भ ह* प�टी� ह+ जाबा �लि�त� सहस्त्रनों�मे औरे नों�%M मेन्त्र की� जाप कीरेत� हुए इन्ह� बानों�य� जा�ए बा� मे/ की+ स� उन्ह/ अणिभालिसक्त विकीय� जा�ए यह वि"�नों भा' उन्ह�नों� समेझे�य�. ऐस� चा+तन्य विग्रीह की� स�मेनों� ‘दुःग�M द्वा�वित्रन्स्न्ना�मे मे���’ की� पथे कीरेनों� परे की+ स' भा' व्या�धि" ह* उसस� आजा'नों मे:लिक्त धिमे�त' ह' ह+.

प�रे ग%पवित, तथे� प�रे अन्नाप<%M की� विनोंमे�M% की� ग*पनों'य विधि"य�� भा' स ग:रु � नों� लिशविरे� मे/ बात�य' जिजासस� स�"की की* समेस्त स:ख� की� प्र�प्तिiत ह*त' ह' ह+. औरे भा' बाहुत की: छ ग:रूँजा' नों� प्र �नों विकीय� लिशष्य� की*.

क्य� क्य� बात�ऊ …॥ इतनों� की: छ ह+ मे�रे� स ग:रु � की� बा�रे मे/ बा*�नों� की� लि�ए की� शब् मे|नों ह* जा�त� ह=। आजा हमे जिजास परेम्पूरे� स� जा:ड़े� हुए ह= , उस परे गM कीरेनों� स� बाड़े� स:चा आरे आनों की: छ नोंह' ह+. बास हमे/ इस परेम्पूरे� की* आग� बाढ़ा�नों� ह+. यह' स�कील्प हमे �/ , यह' हमे स ग:रु � स� प्र�थेMनों� कीरे�.

****आरिरेफी****

रेस श�स्त्र की� अद्भु�त ग्रीन्थ

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प�रे त�त्र ब्रह्मा�ण्J की� सM श्री�ष्ठ त�त्र ह+ इसमे� की*ई * मेत नोंह' ह+. ऐस� मे= इस लि�ए नोंह' कीह रेह� हूँ? की� मे= ख़ु: रेस श�स्त्र की� अभ्य�स कीरेत� हूँ? बाल्किल्की इस लि�ए मे= ऐस� कीह रेह� हूँ? क्य<�विकी यह एकी मे�त्र * त�त्र ह+ जिजासकी� द्वा�रे� सXजानों , प��नों औरे स�ह�रे की� वि�य� स�पनों ह*त' ह+. स ग:रु � कीहत� ह= की� ६४ त�त्र� मे/ यह सबास� मेहत्प<%M औरे अप्तिन्तमे त�त्र ह+ मेत�बा इस त�त्र तकी पहुचानों� की� लि�ए आपकी* स�रे' चा:नों|वितय� प�रे कीरेनों' पड़ेत' ह=, अपनों� आपकी* स�विबात कीरेमे� पड़ेत� ह+ , औरे यदि इस बा�त की* ग़�त मे�नोंत� ह= त* बात�इए की� आजा ऐस� विकीतनों� �*ग ह= जा* प्रमे�णि%की रूँप स� १८ स�स्की�रे कीरेकी� दि ख� सकीत� ह=.

स ग:रु � की� विरे�टी मेविहमे� की� एकी पह�: यह भा' रेह� ह+ की� उन्ह�नों� सबास� पह�� समे�जा की� स�मेनों� उनों १०८ स�स्की�रे� की� विषय मे/ बात�य� जिजानोंकी� विषय मे/ कीभा' �*ग* नों� स:नों� भा' नोंह' थे�. आखिख़ुरे ऐस� क्य<? थे�? इसकी� जाह यह रेह' ह+ की� प�रे ८ स�स्की�रे की� बा� शलिक्त �� ह*कीरे आपकी* भा|वितकी औरे श�रे'रिरेकी उप�ल्किब्धय�� �त� ह+ , यह त* ठ�की ह+ परे १८ की� बा� त* * विपरे'त वि�य� कीरेनों� �गत� ह+ औरे उस� स�भा��नों� औरे विनोंय�त्र% मे/ रेखनों� बाहुत कीदिठनों की�यM य� य� कीह� की� �गभाग अस�भा ह' ह* जा�त� ह+ . यदि इस� विनोंय�वित्रत कीरे लि�य� जा�ए त* स�"की की* ब्रह्मा�ण्J की� � रेहस्य उप�ब्ध ह* जा�त� ह= जिजानोंकी� विषय मे/ श�य कील्पनों� भा' नोंह' की� जा� सकीत'.

स ग:रु � नों� स्%M तन्त्र� मे/ कीह� ह+ की� यदि मे:झे� २-४ लिशष्य भा' धिमे� जा�ए त* मे= भा�रेत की* उसकी� आर्थिथेpकी ग|रे प:नों^ दि �� सकीत� हूँ?, स�थे ह' स�थे उनों ग्री�थे* की* भा' विफीरे स� समे�जा की� स�मेनों� रेख� जा� सकी� जा* प�रे जागत की� दुः�Mभा ग्रीन्थ ह=.

रेस श�स्त्र की� अध्यनों कीरेनों� ��� स�"की* की� लि�ए यह ग्रीन्थ अविनों�यM ह= क्य<�विकी यह स�रे� ग्रीन्थ नों लिसर्फ़M प्रमे�णि%की ह= बाल्किल्की की���त'त भा' ह=.

इनों ग्री�थे� मे/ र्णि%pत वि�य�य/ स�"की� की* विल्किस्मेत कीरे �त' ह= . अ�ग अ�ग सम्प्र �य की� ग:iत वि�य�ओं की* समेझेनों� औरे वि�य�त्मेकी रूँप स� कीरेनों� की� आनों� ह' औरे ह+. वि �श� मे/ �*ग रेस त�त्र की* लिसर्फ़M शMनों श�स्त्र तकी ह' रेख� हुए ह= परे हमे�रे� यह�? इनोंकी� कीई बा�रे प्रमे�णि%की रूँप स� दि ग् शMनों भा' कीरे�य� ह+. यह ग्रीन्थ ह=:

स्%M तन्त्र�

स्%M लिसजिद्ध

स्%M तन्त्र� (परेश:रे�मे )

आनों� कीन्

रेस�नोंM

रेस रेत्नों�कीरे – विनोंत्य नों�थे

रेस रेत्नों�कीरे – नों�ग�जा:Mनों

रेस ह्र य त�त्र

रेस स�रे

रेस की�मे"�नों: (�*ह प� )

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ग*रेख स�विहत� (भा<वित प्रकीरे%)

ज्रा* नों

श+�* की कील्प

की�की चा�दि श्वेरे'

रेस�न्द्रो मे�ग�

रेस*वि£शत

रेस लिंचाpत� मेणि%

रेस चा<J�मेणि%

रेस�न्द्रो लिंचाpत�मेणि%

रेस�न्द्रो चा<J�मेणि%

रेस स�की� त कीलि�की�

रेस पद्देवित

रे*द्रोय�मे�

�*ह सMस्

रेस�न्द्रो स�रे

औरे भा' अनों�की ग्रीन्थ ह= जिजान्ह/ प्र�iत कीरे अध्यनों कीरेमे� ह' चा�विहए क्य<�विकी जाबा आप इनोंकी� अध्यनों कीरे/ग� तभा' आप हमे�रे' ग|रेश��' परेम्पूरे� की� मे<ल्य� की* समेझे प�ए�ग�. ****आरिरेफी****

Alchemicle stages

rasa vada or metallic alchemy is never the end by itself,nor was it ever meant for the economic prosperity of any individual.on the other hand,it was only a means and a step preparatory for the higher processing of mercury into "rasa linga" which is said to possess extraordinary cosmogenic and biogenic energies required for the highest human aspirations comprising of 1.longvity 2.perpetual good health 3.happiness and wealth energy 4.freedom and liberation from bondagerasa linga is fused and cristalized ,mercury cone with other minerals technically caled"odes" and sarcastically called

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'philosphers stone'. quite a number of these odes are described in printed manuals like 'ras kamdhenu' and 'rasarnava tantra' and classified in to khechari,bhuchari and other miscellaneous groups according to their nature and properties. the method of the therapeutic action on the human bodies of the odes is styled'deha vada' and that property will be prossessed only by the odes made with mercury,which was well possessed for 'loha vedha' or prossessing the property of converting itself into golds, as well as converting baser metals like copper and lead in to gold,therefore ,lohavedha or convertibility of mercury in to gold is only a test for the perfection of the prossessing for fitness for employment in the clinical procedure of deha vedha, through the further process vof rasa bandhana.again ,as each ode is valued many hundred times more than its weight in gold,it will be terribly uneconomic and the aspirant is forbidden from entertaining ideas of commercialisation of the knowledge of the art of utilizing the gold for his personal and domestic economy. being a branch of artharva veda ,there are quite a number of printed books and cartloads af palmleaf manuscripts in private and public libraries ,each containing scores of yogas for making gold and rasa lingas.but need more practice in this field under master.if u want success.

प�रे की� मेहत्ता�

स ग:रु � कीहत� ह= की� � �*ग "न्य ह= जिजान्ह�नों� जा'नों मे/ प�रे की� शMनों विकीए ह* औरे जा* प�रे �श्वेरे की� स�"नों� मे/ रेत ह*. क्य<�विकी प�रे �श्वेरे औरे प�रे �क्ष्मे' की� मे�ध्यमे स� ह' जा'नों की� � उन्चा+य�? हमे/ प्र�iत ह*त' ह= जिजानोंकी� चा�हत हमे/ ह*त' ह+.

प�रे लिशलिं�pग स�स�रे की� दुः�Mभा लिशलिं�pग ह*त� ह+ यदि उस दि व्व्या श:भ्र प्र�विहत प�रे की* स्%M ग्री�स �कीरे भाव्या आबाद्ध बानों�य� जा�ए . औरे यह ग्री�स �नों� की� वि�य� ३२ बा�रे ह*नों' चा�विहए . क्य<�विकी ऐस� स्%M ग्री�स दि य� प�रे ह' जा'नों मे/ भा|वितकीत� औरे आध्य�त्मित्मेकीत� की� समे��श कीरेत� ह+. यह�? परे स ग:रु � नों� बाहुत ह' विश�ष बा�त कीह' ह+ की� स्%M ग्री�स की� बाग+रे प�रे प<%Mत� � ह' नोंह' सकीत� . विफीरे चा�ह� उस विनोंबा�जा (विबानों� ग्री�स लि�ए हुए) की� आप लिशलिं�pग य� प� bश्वेरे' बानों�ओ य� विफीरे उस� भास्मे कीरे* क्य<�विकी श�स्त्र कीहत� ह+ की� विनोंबा�जा प�रे की* भास्मे कीरेनों� ��� नोंरेकी ग�मे' ह*त� ह+ * लिश हत्य� की� *ष' ह*त� ह+. औरे यह ग्री�स �नों� की� वि�य� विजाय की�� स� प्र�रेम्भ ह*नों' चा�विहए. तथे� जाह� परे प�रे लिशलिं�pग स्था�विपत ह* य� विनोंमे�Mणि%त ह* रेह� ह* ह परे आग्नों�य की*% मे/ प� bश्वेरे' स्था�विपत ह*नों� चा�विहए.

भाग�नोंy लिश की� दि व्व्या ३२ रूँप� की* तभा' आबाधि"कीरे% विकीय� जा� सकीत� ह+ जाबा उनोंकी� प्रत्य�की रूँप की� जाप द्वा�रे� ग्री�स दि य� जा�ए. इस' प्रकी�रे ह'रेकी ग्री�स भा' ३२ बा�रे �क्ष्मे' की� ३२ रूँप� की� स्था�पनों� की� लि�ए दि य� जा�त� ह+ औरे यह प<%M प्रवि�य� १६ घू�टी* मे/ ह*त' ह+ प्रत्य�की घू�टी� मे/ २ बा�रे लिश चा+तन्य ह*त� ह= औरे * बा�रे �क्ष्मे'.

इस प्रकी�रे जा* प�रे प्र�iत ह*त� ह+ उसस� विनोंमे�Mणि%त विग्रीह अविद्वाय्त'य ह*त� ह+ प<%Mत� �यकी ह*त� ह+ औरे ऐस� ह' लिशलिं�pग औरे �क्ष्मे' परे की� गय' स�"नों� फी�'भा<त ह*त' ह' ह+ . +स� भा' जा* �*ग दूकी�नों स� प�रे की� विग्रीह खरे' कीरे स्था�विपत कीरेत� ह= उन्ह/ की*ई अनों:की< �त� इस' लि�ए नोंह' धिमे�त' क्य<�विकी जाबा प�रे अष्ट स�स्की�रे की� बा� बा:भा:णिdत ह*त� ह+ त* उस� भा*जानों �नों� अविनों�यM ह+ , आप ख़ु: ह' स*लिचाय� की� जा* ख़ु: भा<ख� ह* * आप की* तXप्तिiत की+ स� � सकीत� ह+. औरे दूसरे' बा�त दुःकी�नों� परे धिमे�नों� ��� विग्रीह प�रे स� नोंह' बाल्किल्की स'स� स� य� जास्त� स� विनोंर्मिमेpत ह*त� ह= जिजानोंमे� नों�मे मे�त्र की� प�रे ह*त� ह+ , नों उनोंमे�

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चा�तनों� ह*त' ह+ नों ह' की*ई स�स्की�रे. अबा * आपकी* प<%Mत� की+ स� � सकीत� ह=. यह जा'नों की� स|भा�ग्य ह*त� ह+ की� जा'वित ग:रु स� इनों विग्रीह� की* प्र�iत कीरे अपनों� घूरे मे/ स्था�विपत कीरे/ औरे ऐश्वेयM स�"नों�त्मेकी स्टी�रे की� उच्चत� की� प्र�प्तिiत कीरे� जा* ह*त' ह' ह+. इनों ६४ दि व्या �क्ष्मे'- लिश रूँप� की� आ��� उनोंमे� ४ औरे विलिशष्ट लिश रूँप� की� भा' स्था�पनों� ह*त' ह+. इस प्रकी�रे ६४ त�त्र� की� दि व्व्या शलिक्तय� स� यह विग्रीह स�य:क्त ह* जा�त� ह=. यदि इनों प्रवि�य�ओं स� य:क्त प�रे �श्वेरे औरे प� bश्वेरे' घूरे मे/ स्था�विपत ह* तबा की+ स� भा' बा:रे� ग्रीह प्रभा�, त�त्र प्रभा�, प<M जान्म्क्रिन्म्�त *ष� स� स yफ्हकी की* मे:लिक्त धिमे�त' ह+.

औरे ऐस� विग्रीह ह' आपकी* * अनों:की< �त� औरे प<%Mत� �त� ह+ जा+स� की� आप चा�हत� ह=. ऐस' प� bश्वेरे' ह' आग्नों�य की*% मे/ स्%�Mत' बानोंकीरे स्था�विपत ह*त' ह+ औरे ख:लिशय� की� बा�रिरेश कीरेत' ह=.

ऐस� प�रे लिशलिं�pग परे ह' श+ ग:रु स�"नों� , प<M जान्मे शMनों स�"नों� ,तथे� सiत �*की भा� नों स�"नों� ह*त' ह+ जा* की� स ग:रु � द्वा�रे� विश्वे की� श्री�ष्ट 6d�ए� मे/ भा' 6 हुय' ह+.एकी मेहत्प<%M बा�त य� रेखिखय� , ऐस� विग्रीह प<%M श:भ्र औरे + 6iयमे�नों ह*त� ह= जा* सम्मे*हनों dमेत� औरे दि व्व्या त�जा स� आपकी* आi��वित कीरे �त� ह= , त* आइय� औरे स ग:रु � स� इनों विग्रीह� की* प्र�iत कीरे जा'नों की* सफी� बानों�य/****आरिरेफी****

दि व्या तत् प�रे

प्र�चा'नों भा�रेत की� समेXजिद्ध की� आ"�रे प�रे थे� . "�त: परिरेतMनों की� प्रवि�य� मे/ विनोंप:% हमे�रे� प<Mजा� नों� इस �श की* स*नों� स� सजा� दि य� थे� , इसकी� मेत�बा यह नोंह' की� ऐस� उन्ह�नों� लिसर्फ़M �*ह लिसजिद्ध स� ऐस� विकीय� थे� बाल्किल्की कीई दि व्या स�"नों�ओं स� उन्ह�नों� श्री' औरे सम्पून्नात� की* बा�?" कीरे रेख� थे� जिजासस� उनोंकी� जा'नों मे/ विकीस' भा' प्रकी�रे की� न्य<नोंत� नोंह' थे' , यह अ�ग बा�त ह+ की� हमेनों� अपनों� प<Mजा� की� थे�त' की* स�भा� कीरे नोंह' रेख� रेनों� आजा हमे�रे' ऐस' दुः Mश� त* कीमे स� कीमे नोंह' ह*त'. सम्पू<%M ब्रह्मा�ण्J मे/ प�रे ह' एकीमे�त्र तत् ह+ जिजासकी� द्वा�रे� मे*d औरे ऐश्वेयM *नों� ह' प�ए जा� सकीत� ह=. इस' विद्या� की� द्वा�रे� की�य:ग मे/ भा' जागत ग:रु आ 6 श�कीरे�चा�यM नों� स्%M ष�M कीरे� कीरे दि ख�य� थे� . उनोंकी� ग:रु � श्री' ग*विन् प� �चा�यM की� प�रे �*ह लिसजिद्ध परे लि�ख� रेस ह्र य त�त्र ग्रीन्थ विख्य�त ह+ .जिजासमे� 6 गय' वि�य�य� आजा भा' उतनों' ह' सत्य ह= जिजातनों' तबा रेह' ह�ग'.

प�रे बा�"नों की� दि व्या वि�य� की� मेन्त्र स�"नों� द्वा�रे� य*ग कीरेकी� कीई अद्भु�त परिरे%�मे प्र�iत विकीए जा� सकीत� ह= . स ग:रु � नों� बात�य� ह+ की� यदि स�"नों� स्था� की� ईश�नों की*% मे/ यदि चा+तन्य औरे विजाय की�� मे/ विनोंर्मिमेpत प�रे �श्वेरे औरे आग्नों�य की*% मे/ यदि रे�जास मे�त्र� स� प�रे �क्ष्मे' की� स्था�पनों� यदि की� जा�ए त* प�रे �क्ष्मे' की� स्रुप स्%�Mत' मे/ बा � जा�त� ह+ . औरे तबा स�"की की* जिजास ऐश्वेयM की� प्र�प्तिiत ह*त' ह+ उसकी� %Mनों सहजा नोंह' ह+ .प:रे�तनों की�� की� उस' परेम्पूरे� की* स ग:रु � नों� आजा भा' जा'वित रेख� रेख� ह+ . की|नों स� ऐस� ज्ञा�नों रेह� जा* की� उन्ह�नों� लिशष्य� की* नों दि य� ह*.

प�रे की� सtपरिरे ह*नों� की� मेहत्त् प<%M की�रे% थे� उसकी� आत्मे स्रुप ह*नों� , उसकी� दि व्या ह*नों�. जाबा हमे प�रे की� श:जिद्ध की�रेनों कीरेत� ह= त* हमे�रे� भा' श:जिद्धकीरे% ह*त� ह+ , प�रे की� चा�चा�त� की� स�थे हमे�रे� मेनों की� चा�चा�त� भा' आबाद्ध ह*त' जा�त' ह+ .आप ख़ु: ह' स*चा� की� यदि अस'धिमेत शलिक्त श��' प�रे औरे ऐस' ह' शलिक्त स� परिरेप<%M हमे�रे� मेनों परे हमे�रे� विनोंय�त्र% ह* जा�ए . उनोंकी� चा�चा�त� हमे�रे� की�बा< मे/ आ जा�ए त* विफीरे क्य� अस�भा ह+ हमे�रे� लि�ए. क्य<�विकी सभा' लिसजिद्धय� की� मे<� त* लिचात की� एकी�ग्रीत� ह' ह+ नों.

दि व्या नोंस्पवितय� की� स�स्की�रे औरे मे�त्र� की� य*ग प�रे की� स�थे आपकी* भा' चा+तन्यत� � जा�त� ह+ . यह' की�रे% ह+ की� जाबा हमे ऐस� दि व्या प�रे विग्रीह� की* घूरे मे/ स्था�विपत कीरेत� ह= त* स्त^ ह' सकी�रे�त्मेकी उजा�M , आकीषM% , त�जा स� हमे�रे� व्यालिक्तत् भा' भारेत� चा�� जा�त� ह+ , औरे इसमे� की*ई अवितशय*लिक्त भा' नोंह' ह+ . क्य<�विकी यदि आपनों� स्%M तन्त्र� पढ़ा6 ह*ग' त* स ग:रु � नों� बात�य� ह+ की� आठ स�स्की�रे� स� य:क्त प�रे स� बानों' ग:दिटीकी� सभा' त�त्र� की� प्रभा�� की* दूरे कीरे की� श'कीरे% छमेत� �त' ह+.

Page 9: Parad Ras Tantra Books and Sadhna.pdf

जाग विख्य�त ह+ की� यदि व्यालिक्त ब्रह्मा हत्य� की� भा' *ष' ह* य� की+ स� भा' प�प उसनों� विकीए ह* तबा भा' प�रे की� स्पशM , शMनों प<जानों सभा' *ष� स� मे:क्त कीरे �त� ह+.

प�रे �क्ष्मे'

जा'नों मे/ मे�नोंलिसकी औरे भा|वितकी उन्नावित की� लि�ए "नों की� उपय*विगत� की* नों�की�रे� नोंह' जा� सकीत�. क्य<�विकी कीह�त ह+ की� “शत्र: की* समे�iत कीरेनों� ह* त* उसकी� आर्थिथेpकी प्रगवित की� स*सM की* ह' ख़ुत्मे कीरे * * ख़ु: ह' ख़ुत्मे ह* जा�एग�”.

स ग:रु � नों� कीभा' भा' यह नोंह' कीह� की� रिरेद्रो रेहनों� मे/ म्ह%त� ह+. नों ह' जिजातनों� ह+ उतनों� मे/ स:ख' रेह* जा+स� �क्य� की* लिशष्य� की* दि य� .भा�ग्य की* स|भा�ग्य मे/ बा �नों� औरे जा'नों स्टी�रे की* उचा� उठ�नों� की� लि�ए ह' उन्ह�नों� प्रत्य�की लिशविरे मे/ "नों स|भा�ग्य स� सम्बा�धि"त स�"नों�ए� लिशष्य� औरे स�"की� की* कीरे�ई.इन्ह' स�"नों� मे/ प�रे �क्ष्मे' जा* श्री' की� ह' प्रवितकी ह+ की� प्रय*ग स्था�पनों प<%M प्रभा� �यकी ह+. जिजास घूरे मे/ भा' प� bश्वेरे' स्था�विपत ह*त' ह= ,उस स्था�नों परे रिरेद्रोत� रेह ह' नोंह' सकीत' , ऐश्वेयM स|भा�ग्य की* ह परे आनों� ह' पड़ेत� ह+ , मे:झे� अपनों� जा'नों मे/ जा* भा' सफी�त� उन्नावित की� प्र�प्तिiत हुय' ह+ ,उसकी� मे<� मे/ भागत' प� bश्वेरे' की� स�"नों� औरे स्था�पनों की� अभा<तप<M य*ग �नों ह+.

हमे/ प� bश्वेरे' स� औरे आर्थिथेpकी उन्नावित स� सम्बा�धि"त की: छ बा�त* की� जा�नोंकी�रे' ह*नों' चा�विहए :

प�रे �क्ष्मे' की� विनोंमे�M% विश:द्ध प्र स� ह*नों� चा�विहए क्य<�विकी प�रे चा�चा� ह*त� ह+ औरे �क्ष्मे' भा' चा�चा� ह*त' ह= , इस लि�ए प�रे की� बा�"नों की� स�थे �क्ष्मे' भा' अबा�" ह*त� जा�त' ह=.प� bश्वेरे' की� विनोंमे�M% श्री�ष्ठ "नों प्र �यकी य*ग मे/ ह*नों� चा�विहए.

प� bश्वेरे' की� विनोंमे�M% की� लि�ए प�रे मे Mनों कीरेत� समेय तथे� उनोंकी� अ�ग* की* बानोंत� समेय रे�जास मे�त्र की� जाप २०००० बा�रे ह*नों� चा�विहए इसमे� १०००० मे�त्र खरे� कीरेत� हुए स�मे�न्य रूँप स� तथे� १०००० बा�रे �*मे वि�*मे रूँप स� मे�त्र की� प्रत्य�की %M की� स्था�पनों उनोंकी� अ�ग� मे/ कीरेनों� चा�विहए. रे�जास मे�त्र जा* की� आ"�रेभा<त मे�त्र य� प<%M %�Mत्मेकी मे�त्र कीह��त� ह+ की� विबानों� इनोंकी� विनोंमे�M% कीरेनों� परे चा+तन्यत� की� आभा� रेहत� ह+ तथे� यह एकी विग्रीह मे�त्र ह*त' ह= जिजास� घूरे मे/ रेखनों� परे की*ई ��भा नोंह' ह*त� . य�ह' जाह ह+ की� जाबा आप विकीस' दुःकी�नों स� इस प्रकी�रे की� मे<र्तितp खरे' त� ह= त* की*ई ��भा नोंह' ह*त� भा�� ह' आप उनोंकी� विकीतनों' भा' प<जा� कीरे �/.

प� bश्वेरे' की� स्था�पनों आग्नों�य दि श� मे/ ह*नों� चा�विहए.

इसकी� बा� आप सद्दे ग:रु � स� इनोंकी� मे�त्र प्र�iत कीरे प्रय*ग कीरे� , यदि प्रय*ग नोंह' भा' कीरे पत� तबा भा' इनोंकी� स्था�पनों उन्नावित की� पथे परे आपकी* अग्रीसरे कीरेत� ह' ह+.

आप इनों बा�त* की� ध्य�नों रेख� औरे �ख� की� की+ स� सम्पून्नात� आपकी� ग�� मे/ रेमे��� J��त' ह+।****arif****

प�रे विज्ञा�नों� औरे की�� ज्ञा�नों

Page 10: Parad Ras Tantra Books and Sadhna.pdf

ष¬ स� �*ग प�रे की� ऊपरे परिरेश्रीमे कीरे रेह� ह=. ��ख* रुपय� की� स*नों� खरे' खरे' कीरे जा�� J��� परे नोंत'जा� �ह' श<न्य . षt परिरेश्रीमे कीरे भास्मे बानों�ई परे * ह+ की� �"नों कीरेनों� की* ह' त+य�रे नोंह' … अबा ग�त' विकीसकी� ह+ क्य� वि�य� की* दूष% �. नोंह' यह त* उलिचात नोंह' ह*ग� क्य<? की� यदि वि�य� ग़�त ह*त' त* उस' वि�य� की� प्रय*ग कीरे जिजातनों� रेस- लिसद्ध हुए ह= उन्ह�नों� सफी�त� की+ स� प्र�iत कीरे'.

असफी�त� की� स'भा<त ह*कीरे स�"की इस विज्ञा�नों� की* ह' ग़�त बात�नों� �गत� ह+ जाबाविकी ऐस� नोंह' ह+ . इन्ह' की�रे%� स� इस विज्ञा�नों� की* ग:रु की� मे�गM शMनों मे/ कीरेनों� की� लि�ए कीह� गय� ह+ क्य<�विकी श�स्त्र� मे/ सबा की: छ त* नोंह' लि�ख� गय� ह+ नों.

त�त्र की� अन्य भा�ग* की� तरेह प�रे त�त्र मे/ भा' ज्य*वितष की� द्वा�रे� सह' समेय की� चायनों की* मेहत्त् प<%M मेनों गय� ह+ औरे उस परे श*" विकीय� गय� ह+ . श्री�ष्ट मे:हूँतM मे/ की� गय' रेस वि�य� सफी� ह*त' ह' ह+ . की: छ ख�स नोंdत्र� औरे की��� मे/ की� गय' वि�य� स� रेस लिसजिद्ध की� प्र�प्तिiत ह*त' ह+. जा+स� हस्त नोंdत्र औरे स्%M लिसजिद्ध मे:हूँतM, �" वि�य� लिसद्ध मे:हूँतM, ऐस� ह' चायविनोंत सiत�ह की� दि स� मे/ भा' इनों कीरिरेय� की* स�प�दि त विकीय� जा�त� ह+ .

प�रे कीमेM मे/ सफी�त� प�नों� की� लि�ए की*मे� दि स� की* चायविनोंत कीरे �< रे दि स की* त्य�ग दि य� जा�त� ह+ . इस' प्रकी�रे जान्मे की:� J�' की� द्वा�रे� औरे हस्त परिरेd% कीरे यह भा' �ख� जा�त� ह+ की� स�"की की� ग्रीह उस� रेस की�य¬ की� लि�ए अनों:की< �त� �त� ह= य� नोंह' , कीह' स�"की ग्" हस्त त* नोंह' ह+ , उसकी� की:� J�' मे/ रेस की�य¬ की� सफी�त� की� य*ग ह+ य� नोंह'.

इसकी� अवितरिरेक्त प्रत्य�की स�स्की�रे मे/ मे�त्र� की� भा' प्रय*ग विकीय� गय� ह+ जिजासस� प�रे शलिक्त स�पनों ह* कीरे सफी�त� � नोंस्पवितय� की� उजा�M औरे मे�त्र� की� उजा�M स� स�पनों ह*कीरे रेस�न्द्रो बानों सकी� .जा+स� की� प�रे की� नों�प:न्शा�कीत� , उसकी� श� yत� की* दूरे कीरेनों� की� लि�ए उसकी� स�स्की�रे कीरेत� समेय विनोंम्नों मे�त्र की� प्रय*ग विकीय� जा�त� ह+ :

नोंमेस्त� विश्वे रुपय� +श्वेनों�स<M मे:तMय�नोंमेस्त� जा� रुपय� स:त्रत� प:ष� नोंमे^ .यल्किस्मेनों सb लिं�pग �ह� ओत प्र*त व्यान्म्क्रिस्थात�नोंमे^ परे�जाय स्रुपय� नोंमे* व्या�कीX त मे:तMय�.नोंमे^ परेत् स्रुपय� नोंमेस्त� ब्रह्मा मे:तMय�नोंमेस्त� सM रुपय� सM �क्श्यत� मे:तMय� .

इस' प्रकी�रे प्रत्य�की स�स्की�रे प�रे की� पd छ� नों की� मे�त्र अ�ग अ�ग ह= जा* की� स�"की की* उसकी� अणिभास्ठ �त� ह= औरे की�� ज्ञा�नों मे�त्र ज्ञा�नों की� द्वा�रे� रेस वि�य� प<%M ह*त' ह+ तथे� स�"की की* रेस लिसजिद्ध धिमे�त' ह+ .

त* आइय� औरे सद्गु�रु की� चारे%� मे/ विनों� नों कीरे� औरे इनों ग*पनों'य स<त्र� की* प्र�iत कीरेकी� लिसद्धत� की� औरे की मे आग� कीरे� .

****आरिरेफी****

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Friday, November 28, 2008

प�रे �श्वेरे औरे रे�स�श्वेरे' 6d�

Page 11: Parad Ras Tantra Books and Sadhna.pdf

जिजास विज्ञा�नों� की� द्वा�रे� जा'नों मे/ आमे<�-चा<� परिरेतMनों विकीय� जा� सकीत� ह+ . त�त्र की� * श्री�ष्ट त� रूँल्किiसर्फ़M प�रे विज्ञा�नों� मे/ ह' दृधिष्टग*चारे ह*त� ह+ . त�त्र की� इस प्रभा�ग स� जा'नों की* प<%M रूँप स� स��रे� जा�त� ह+ औरे जा'नों की� सणिभाश्री�ष्ठ उद्दे�श्य इस स� प<रे� विकीए जा� सकीत� ह+.

यह लिशष्य� की� स|भा�ग्य ह+विकी आजा भा' हमे�रे� मेध्य मे/ इस दि व्या� स�"नों� की� समेस्त स<त्र� की* प्र �नों कीरेनों���� तत्ज्ञा स ग:रु � की� रूँप मे/ ह= .

मे:झे� यह त* नोंह' पत� की� आप मे�रे' बा�त� की* विकीतनों� ज्य� � समेझेत� ह�ग�. परे यदि मे:झे� की: छ धिमे�� ह+ त* आप भा' उस विषय की* सद्गु�रु स� प्र�iत कीरे सकीत� ह=.मे= बा�रे बा�रे आप �*ग* स� विनों नों कीरेत� हूँ? की� आप प�रे औरे उसकी� मेहत्त् की* समेझे� ........

इस ब्रह्मा�ण्J मे/ प�रे ह' * "�त: ह+ जा* की� प<%M रूँपस� प्रकीX वित की� प�चाभा<त� की* स्रूँविपत कीरेत� ह+:सwलि�J - ( पXथ्')liquid- water (jal)chanchal-air (vayu)light(tez)- fire (agni)sukshma - sky (aakash)

अपनों� इन्ह' स्रूँप� की� की�रे% यह भाग�नोंy लिश की� पञ्चा कीX त्य� की� सञ्चा��नों भा' कीरेत� ह+ .

श्रीXधिष्टप��नोंस�ह�रेवितरे*भा�अनों:ग्रीह

अबा त* की*ई अभा�ग� ह' ह*ग� जा* कीX प� की� इनों पd� की* प्र�iत नों कीरे�.

यदि हमे अपनों� जा'नों ऐश्वेयM औरे दि व्यात् की� रे�ग� स� भारेनों� चा�हत�ह= त* हमे/ प�रे �श्वेरे की� स्था�पनों� कीरेनों� चा�विहए औरे उनोंकी� प<जानों कीरेमे� चा�विहए.उनोंकी� प<जानों स� सM वि" मेनों*रेथे प<रे� ह*त� ह= .

जिजानों स�"की� की� अणिभा��ष� रेस विज्ञा�नों� मे/ सफी�त� प�नों� की� ह+ � रेस�श्वेरे ग�यत्र' मे�त्र की� जाप अधि"की स� अधि"की कीरे/.

प�रे �श्वेरे की� २ प्रकी�रे ह*त� ह= :१.सकी� प�रे �श्वेरे- इनोंकी� विनोंमे�M% ग*ल्ड, लिसल्रे,अभ्रकी औरे रेत्नों� आदि की� द्वा�रे� प�रे बा�"नों कीरेकी� ह*त� ह+. इनों "�त:ओं की� ग्री�स्सनों की� की�रे% स�"की की* ऐश्वेय�M औरे मे*d *नों� की� प्र�प्तिiत ह*त' ह+ .जिजासस� जा'नों की� सभा' पd स�रे जा�त� ह=.

g २. विनोंष्की� प�रे �श्वेरे â€" इनोंकी� विनोंमे�Mन्प<%M रूँप स� दि व्या� नोंस्पवितय� औरे प�रे की� द्वा�रे� ह*त� ह+ .यह रेस�श्वेरे य*विगय� की� मेध्य अध्य�त्मित्मेकी उजा�M �नों� की� लि�ए विख्य�त ह+. औरे इनोंकी� स�"नों� भा' उन्ह/ ह' फी�'भा<त ह= क्य�विकी एकी मेय�Mदि त जा'नों की� प��नों गXहस्था� की� लि�ए सम्भ�व्नों�ह' ह+.

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रेस विज्ञा�नों� मे/ सफी�त� औरे लिस yध्ह*नों� की� लि�ए रे�स�श्वेरे' 6d� अविनों�यM ह' ह+ , इस दि व्व्या 6d� की� द्वा�रे� स�"की की� शरे'रे मे/ ग:रु उनों दि व्या� बा'जा मे�त्र� औरे शलिक्त की� स्था�पनों कीरे �त� ह+ जिजासकी� द्वा�रे� स�"की की* सफी�त� धिमे�त' ह' ह+ , औरे � रेहस्य भा' ज्ञा�त ह* जा�त� ह= जा* की�� प�त्र की� मेय�M � की� की�रे% ग:iत रेख� जा�त� ह=.

इस 6d� की� ५ चारे% ह*त� ह=.:

१.समे�य� 6d�२. स�"की 6d�३. विनों�M% 6d�४. आचा�यM 6d�५. लिसद्ध 6d�

इस 6d� की� बा� आपकी* सद्गु�रु स� प�रे की� रेस�न्द्रो स्त*त्र , विनोंष्की� रेस्स्त*त्र औरे रे�स�श्वेरे' मे�त्र की� प्रप्तिiतह*त' ह+ जिजासकी� द्वा�रे� प�रे की� �दुः�Mभा बा�"नों प्रवि�य� सहजा ह* जा�त' ह+ .....

रेस�श्वेरे ग�यत्र' मे�त्र :ऍमे रेस�श्वेरे�य विद्मह� रेस अ�की: श�य "'मेविह तन्ना*ह स:त^ प्रचा* य�त

अबा मे= त* लिसर्फ़M यह' कीह सकीत� हूँ? ki yadi अभा' भा' हमे नोंह' जा�ग� त* हमे�रे� दुःभा�Mग्य की� *ष' हमे ह' ह= औरे की*ई नोंह'.......

****आरिरेफी****

Alchemical stages

rasa vada or metallic alchemy is never the end by itself,nor was it ever meant for the economic prosperity of any individual।on the other hand,it was only a means and a step preparatory for the higher processing of mercury into "rasa linga" which is said to possess extraordinary cosmogenic and biogenic energies required for the highest human aspirations comprising of 1.longvity 2.perpetual good health 3.happiness and wealth energy 4.freedom and liberation from bondagerasa linga is fused and cristalized ,mercury cone with other minerals technically caled"odes" and sarcastically called 'philosphers stone'. quite a number of these odes are described in printed manuals like 'ras kamdhenu' and 'rasarnava tantra' and classified in to khechari,bhuchari and other miscellaneous groups according to their nature and properties. the method of the therapeutic action on the human bodies of the odes is styled'deha vada' and that property will be prossessed only by the odes made with mercury,which was well possessed for 'loha vedha' or prossessing the property of converting itself into golds, as well as converting baser metals like copper and lead in to gold,therefore ,lohavedha or convertibility of mercury in to gold is only a test for the perfection of the prossessing for fitness for employment in the clinical procedure of deha vedha, through the further process vof rasa bandhana.again ,as each ode is valued many hundred times more than its weight in gold,it will be terribly uneconomic and the aspirant is forbidden from entertaining ideas of commercialisation of the knowledge of the art of utilizing the gold for his personal and domestic economy. being a branch of artharva veda ,there are quite a number of

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printed books and cartloads af palmleaf manuscripts in private and public libraries ,each containing scores of yogas for making gold and rasa lingas.but need more practice in this field under master.if u want success. ****आरिरेफी****

कीच्छप श्री' य�त्र की� ग<ढ़ा रेहस्य

* यन्त्र जा* भा|वितकी समेXजिद्ध औरे ऐश्वेय�M की� प्रवितकी मेनों जा�त� ह+ औरे जा* सM वि" मेनों*की�मेनों� की� प<र्तितp कीरेत� ह+ विनोंणिश्चत ह' लिसर्फ़M श्री'य�त्र ह' ह* सकीत� ह+.हजा�रे* ��ख* ष¬ स� सम्पूनोंत� की� प्रवितकी यह' रेह� ह+.कीभा' स ग:रु � नों� बात�य� थे� की� जाह� �क्ष्मे' स�"नों� स� प्र�iत "नों उनोंकी� चा��चाल्य ग:%� की� की�रेनों सहजा ह' नोंह' प�स मे/ रुकीत� औरे उस� स्था�ई कीरेनों� की� लि�ए उसकी� अबाजिद्धकीरे% आश्यकी ह*त� ह+ ह' श्री'विद्या� य� श्री'य�त्र स� प्र�iत "नों औरे ऐश्वेय�M नों लिसर्फ़M रे �यकी ह*त� ह= अविपत: श:भात� की� स�थे स्था�ई भा' ह*त� ह= .आखिख़ुरे क्य� ह+ श्री'य�त्र की� ज्य�धिमेत'य स�रेचानों� मे/ जा* की� आजा भा' अबा<झे पह��' बानोंकीरे वि �श' श*"कीत�Mओं की� स�मेनों� रे�ख' हुय' ह+.यह त* विनोंत��त सत्य ह+ की� इसकी� प्रत्य�की रे�ख� मे/ कीई कीई शलिक्तय�� जा* की� जा'नों की* श्री�ष्टत� �त' ह= आबाद्ध ह=.औरे जाबा इस यन्त्र रे�जा की� स�थे श्री' स<क्त की� सम्बान्ध ह* जा�त� ह+ त* विफीरे आभा� की* त* समे�iत ह*नों� ह' ह+.परे इसकी� विणिभानोंy भा�ड़े� मे/ स� प्रत्य�की भा� एकी अ�ग प्रभा� स� य:क्त ह+. स ग:रु � नों� बात�य� थे� की� प्रत्य�की रे�ष्ट्र की� भा|वितकी अध्य�त्मित्मेकी उन्नावित की� स<त्र� की� अ�कीनों विकीस' आकीX वित की� रूँप मे/ कीरे दि य� जा�त� थे� औरे उस रेहस्य की* समेझे कीरे त नों:रूँप वि�य� कीरेनों� परे � स<त्र स�की�रे ह* जा�त� ह= औरे ऐश्वेय�M की� प्र�प्तिiत ह*त' ह' ह+.हमे�रे� रे�ष्ट्र की� स�·ग¸ उन्नावित की� ग:ह्य स<त्र� की� अ�कीनों श्री'य�त्र की� रूँप मे/ विकीय� गय� ह+.यह त* हमे सभा' जा�नोंत� ह= की� श्री'य�त्र की� स�"नों� स� सफी�त� की� प्र�प्तिiत ह*त' ह+.परे श्री'य�त्र की� सबास� बाड़े� रेहस्य त* यह ह+ की� उसमे� प�रेस , लिसद्ध स<त औरे स्%M विनोंमे�M% की� स<त्र ह= जा* ज्य�धिमेत'य रूँप मे/ अ�विकीत ह= औरे ह' श्री' स<क्त उनों वि�य�ओं की� श�खिब् की रूँप स� अ�कीनों ह+. औरे स ग:रु � नों� स्नों�Mत�न्त्रमे, स्%Mलिसजिद्ध, अल्चा�मे' त�त्र मे/ इसकी� उल्��ख भा' विकीय� ह+.श्री' यन्त्र की� स:मे�रु कीच्छप भा� की� ऊपरे तविनोंकी विचा�रे कीरे/ग� त* आप की* स्य� ह' समेझे मे/ आ जा�एग� की� * रेहस्य क्य� ह+ बास आपनों� रेल्किस्ज्ञा�नों की� थे*ड़े� अभ्य�स विकीय� ह* ...... अरे� भा�ई कीच्छप स:मे�रु यन्त्र की� आकीX वित की+ स' ह*त' ह+ ?........अरे� नों'चा� एकी कीच्छप ह*त� ह+,उसकी� ऊपरे स:मे�रु आकीरे मे/ यन्त्र जा* उस कीच्छप की� प'ठ परे अन्म्क्रिस्थात ह*त� ह+ .औरे उस स:मे�रु की� सtच्च विबान्दुः मे/ ऐश्वेयM �त्र' �क्ष्मे' अन्म्क्रिस्थात ह=.रेस त�त्र मे/ कीच्छप यन्त्र की� बाहुत मेहत् प<%M स्था�नों ह+,जिजासकी� द्वा�रे� लिश 'यM की� शलिक्त रे�जा स� वि�य� कीरे' जा�त' ह+ मेत�बा ग�"की जा�रे% कीरे�य� जा�त� ह+ औरे तबा प�रे रेस�न्द्रो पथे परे अग्रीसरे ह*त� ह+.इस' �मे मे/ दि व्या� नोंस्पवितय� य� लिसद्ध तत्� स� वि�य� कीरे�कीरे प�रे की* लिसद्ध स:त� औरे स्%M मे/ परिरेर्तितpत विकीय� जा�त� ह+ औरे यह सबा ह*त� ह+ इस' कीच्छप श्री'य�त्र मे/.जिजासमे� यन्त्र भा<धिमे की� नों'चा� ह*त� ह+ जा* की� नों'चा� स� प�नों' मे/ हल्की� स� J<बा� रेहत� ह+.औरे उस यन्त्र की� ऊपरे अजास्र य� विनोंणिश्चत मे�त्र मे/ अखिग्नों की� प्रय*ग विकीय� जा�त� ह+,औरे यह' अखिग्नों जिजासकी� प्रवितकी उध्Mमे:ख' वित्रकी*% ह+ उस कीच्छप जा* की� भा<धिमे मे/ छ:प� हुआ ह+ परे अन्म्क्रिस्थात रेहत� ह+ .अबा जाबा उस अखिग्नों की� द्वा�रे� उस यन्त्र मे/ लिसद्ध रेस की� मे�थेनों ह*त� ह+ त* उस अखिग्नों रुप' पMत की� श'षM परे �क्ष्मे' की* उपन्म्क्रिस्थात ह*नों� ह' पड़ेत� ह+.औरे अपनों� रे �नों स� स�"की की* उसकी� अणिभास्था फी� �नों� ह' पड़ेत� ह+।

****आरिरेफी*****

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स्%M रेहस्यमे

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आप सभा' की� मे= आभा�रे मे�नोंत� हूँ? की� आप �*ग* मे/ प्र�चा'नोंतमे वि"�ओं की* जा�नोंनों� औरे अपनों�नों� की� ��की ह+. मे=नों� विपछ�� मे�� मे/ स्%M रेहश्यमे की� बा�रे� मे/ बा�त की� थे'. मे�रे� उद्दे�श्य विकीस' प्रकी�रे की� प्रचा�रे कीरेनों� नोंह' ह+.यह हमे सभा' ग:रु भा�इय� की� जिजाम्मे� �रे' ह+ की� यदि हमे�रे� प�स की*ई ज्ञा�नों ह+ त* हमे उस� हमे अपनों� प�स नों रेख कीरे उस� औरे भा' भा�इय� की* �. य� रेखिखय� की� कीभा' भा' स ग:रु � नों� की: छ छ:प�य� नोंह' बाल्किल्की जिजासनों� जा* की: छ भा' मे�?ग� उस� सहषM ह' उन्ह�नों� � दि य� .क्य�विकी ठहरे� हुआ प�नों' भा' बा बा< �नों� �गत� ह+. विफीरे हमे सबा त* जिजा�त ग्रीन्थ बान्ना� की� रे�ह परे अग्रीसरे ह=.प�रे विज्ञा�नों� की� दुःगMवित की� एकी सबास� बाड़े� की�रे% �*ग* की� स�चाय' प्रकीX वित की� ह*नों� ह+. ग:रु � नों� बाहुत स�रे� लिशष्य� की* इस विघ्य�? की� ज्ञा�नों दि य� थे�. परे नों जा�नों� क्य� उन्ह�नों� इस विघ्य�? की* आग� नोंह' बाढा�य�.रेस विघ्य�? दि व्या� ओउरे परिरेश्रीमे स� भारे� हुआ ह+.इस� लिसर्फ़M पढ़ा कीरे नोंह' समेझे� जा� सकीत� बाल्किल्की इस� आत्मेस�त कीरेनों� की� लि�ए �ग�त�रे औरे अथेकी परिरेश्रीमे की� जारुरेत ह+,तभा' आप इसमे� सफी� ह* सकीत� ह=.विकीत�बा/ लिसर्फ़M पथे दि ख� सकीत' ह=.७०० पXष्ठ� मे/ लि�खिखत स्%M रेहस्यमे मे/ २१ अध्य�य ह=:-:-****** introduction१.रेस लिसल्किध्" प्र �त� स्�मे' विनोंखिख��श्वेरे�नों� जा'२.रे�स�श्वेरे' स�"नों� ए� उसकी� प्रय*ग3.कीच्छप स:मे�रु श्री' यन्त्र(स्%M विनोंमे�M% की� ग:iत रेहस्य)४.रेस श*"नों (41 विधि"य�� )५.रेस स� रेस�न्द्रो तकी (एकी आत्मे'य य�त्र�)६.प�श्च�त्य भा�रेत'य रेस पद्धवित७.रेस स्%M स�म्य� ८.रेस श�स्त्र की� दि व्या स�"नों�य�

९ "�त: परिरेतMनों सम्भ ह+8. अष्ट स�स्की�रे (क्य�विकी प�रे जा'वित- जा�ग्रीत ह+)११ लिसद्ध स<त ( नों�थे य*विगय� की� दि व्या विधि"य�� )१२.अखिग्नों स्था�धियत् एकी अविनों�यM कीमेM१३.९ स� १८ तकी स�स्की�रे(जा�रे% स� �"नों य*ग)१४.लिसध्" रेस विनोंमे�M%१५.प�रे परेस ग:दिटीकी� (विनोंमे�M% ए� स�"नों�)१६.दि व्या� नोंस्पवितय�? जा* उप�ब्ध ह=( परिरेचाय रे�ग'नों लिचात्र� की� स�थे )१७..स्%M विनोंमे�M% की� ५१ प्रय*ग१८.की�� ज्ञा�नों औरे रेस विज्ञा�नों�

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१९.लिसध्" रेस ए� की�य�कील्प२०.मेXत्य:�जाय' ग:दिटीकी�,अघू*रे "� � ग:दिटीकी�,भा<चारे' ग:दिटीकी�,ख�चारे' ग:दिटीकी�, आदि

२१.क्य� प�रेस बानों सकीत� ह+औरे भा' बाहुत की: छ ह+ उनों स�"की� की� लि�ए जा* बा �नों� चा�हत� ह= अपनों� भा�ग्य अपनों� परिरेश्रीमे स�.आप जा* भा' जा�नोंकी�रे' रेस विज्ञा�नों की� बा�रे� मे/ चा�ह/ग� अश्य �नों� की� प्रय�स कीरूँ? ग�.प्र�थेMनों� की�जिजाय�ग� की� स ग:रु � मे�रे� इस प्रयत्नों की* स�थेMकी कीरे�।

**** आरिरेफी****

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change to gold

आ":विनोंकी रेस�यनों श�स्त्र की� दृधिष्ट स� प्रत्य�की तत्त् की� अपनों� एक्परेमे�%: स�घूटीनों ह*त� ह+,जा* की� उस तत्त् की� अपनों' विश�षत� प्र �नों कीरेत� ह+ औरे विकीस' अन्य तत्त् की� परेमे�%: स� +णिभान्य प्र शMनों मे/ मे कीरेत� ह+.विकीस' भा' तत्त् की� परेमे�%: एकी जा+स� ह*त� ह=(अय:स*त*प अप� ह+).मे*टी� रूँप मे/ परेमे�%: स�घूटीनों स|रेमे�J� की� स�घूटीनों की� जा+स� ह*त� ह+.�*JM रुथेरेफी*JM की� लिसद्ध��त की� अनों:स�रे प्रत्य�की परेमे�%: की� एकी की� न्द्रो य� नों�णिभाकी ह*त� ह+, इस्नों�भा' की� विनोंमे�M% ह*त� ह+ * तरेह की� ह+' की�नों* स� :1. protons(+ prapranu)2.nutrons(- prapranu)इस की� न्द्रो की� आस प�स अ�ग अ�ग कीd�ओं मे/ ए��क्ट्रों�स नों�मे की� �गभाग भा�रे विह'नों -विध्य:त�त्मेकी की% �ग�त�रे गवित कीरेत� ह=.प�रे की� प्रत्य�की परेमे�%: की� स/टीरे मे/ ८० प्र*टी*नों औरे १२० नों�उत्र*नों ह*त� ह=,इस तरेह इकी�ई की� भारे २०० ह*त� ह+,औरे स/टीरे की� ८० ए��क्ट्रों�स चाक्कीरे �गत� रेहत� ह=.ग*ल्ड की� परेमे�%: अ�की ७९ ह+ औरे परेमे�%: भारे १९७.......मेत�बा प�रे ज्य� � कीरे'बा ह+ ग*ल्ड की� ,तबा त* इस� ग*ल्ड मे/ बा �� जा� सकीत� ह+ प�रे की� परेमे�%: की* १ प्र*टी*नों स� इस तरेह विद्ध विकीय� जा�ए की� ह स/टीरे मे/ स/टीरे मे/ d% भारे ठहरे कीरे ह�लि�यमे की� रूँप मे/ बाह�रे आ जा�ए त* प�रे की� ग*ल्ड बानों जा�एग�:

80 hg200+ip1=79 au 197+he4

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parad ke परेमे�%: स/टीरे मे/ स� २ - ३ + - विद्या:त की% बा�हरे विनोंकी�नों� की� लि�ए उस स/टीरे की* त�जा ठ*कीरे �गनों� परे ह' यह ट्रों��स्मे:टी�शनों ह*ग�.यह की�मे पढानों� मे/ त* सरे� �गत� ह+,परे ह+ बाहुत कीदिठनों,इस'लि�ए प�रे की� ८-१८ स�स्की�रे विकीए जा�त� ह=। शत ग:नों ग�"की की� जा�रे%,�मे% ,खरे� ,प:टी तथे� विबाJ� आदि की� द्वा�रे� उनोंकी� अनों:,रे�नों<,परेमे�%: की* भा� कीरे स:dमे�वितस:क्ष्मे� कीरेनों�.यदि हमे इस जा�नोंकी�रे' की* ध्य�नों मे/ रेखकीरे वि�य� कीरे/ग� त* हमे/ सफी� ह*नों� ह' ह+.औरे इस ज्ञा�नों की* आत्मेस�त कीरे अपनों' ��इफी की* ह+ल्थ औरे �अल्थ स� भारे ��नों� ह+.प�रे स�स्की�रे आदि नों�क्स्टी ��ख मे/.........

****ARIF****

की�धिमेय� की� उद्दे�श्य

ज्ञा�नों �नों �नों� ��� सद्गु�रु ह' ब्रह्मा,विष्%:, औरे स �लिश ह= अथे�Mत अविचा� विनोंयमे�नों:स�रे विश्वे की� उत्प� की,स�रेdकी औरे स�ह�रेकी जा* � मेनों� गए ह= उनोंकी� शलिक्त स ग:रु � की� ह्र य मे/ अन्म्क्रिस्थात रेहत' ह+.इनों त'नों �*की* मे/ उनोंस� य��: की*ई नोंह' ह+, औरे उनोंकी� चारे%� मे/ नोंतमेस्तकी रेहत� हुए जा* भा' ज्ञा�नों की� य�चानों� कीरेत� ह+ उस� रेस लिसजिद्ध की� फी� प्र�iत ह*त� ह' ह+.'' we are told that a man can receive the secret knowledge only through divine inspiration or frm the lips of a master,and also that no one can complete the work except with the help of god.''

�मे स�प्र �य की� प्रबा� सरिरेत� की� प्र�ह मे/ बाहत� हुए समे�जा की� उद्ध�रे कीरेनों� की� लि�ए इस श्री' विद्या� की� (रेस विद्या� की�) सनों�तनों सत्य समे�जा की* दि य� गय� थे� हमे�रे� ऋविषय� द्वा�रे�.

विणिभान्ना रे*ग� की� विनोंXणित्ता की� लि�ए रेस की� प्रय*ग कीरे की� रे*ग मे:क्त समे�जा की� विनोंमे�M% इस विद्या� की� उद्दे�श्य थे�.

विनों"Mनोंत� रूँप' मेह�प�प की* नोंष्ट कीरेनों� की� लि�ए इस रेस विद्या� की� प्र�कीट्य विकीय� गय� .जिजासस� जा'नों मे/ रिरेद्रोत� औरे गरे'बा' की� श�प स�"की की* नों प'विड़ेत कीरे�.

"यथे� �ह� तथे� �*ह�"इस ब्रह्मा�ण्J मे/ जा* श�श्वेत ह+ * रेस ह' ह+ .......यह सXधिष्ट विद्या:तy औरे प्रकी�स की� परिरे%�मे स्रुप ह+.विद्या:त, जा�,औरे पXथ्' की� की�य¬ मे/ प्र�श कीरेकी� स<क्ष्मेतमे,स:क्ष्मे, स्था<�, स्था:ल्तमे आदि विणिभान्ना रूँप� की* "�रे% कीरेत' रेहत' ह+.इस विद्या:त की� चा�द्रो विकीरे% की� स�थे सत्मिम्मे�नों ह*कीरे जा* स्था<� रूँप��तरे ह*त� ह+,ह प�रे बानों जा�त� ह+.उस प�रे की� स्था<� रूँप विनों�श ह*नों� परे प:नों^ मे<� स<क्ष्मेतमे रूँप मे/ वि�'नों ह* जा�त� ह+.इसकी� आ��� दूसरे� तत्त् स<यM विकीरे% ह+ ह विद्या:त की� स�थे सत्मिम्मेलि�त ह*कीरे स्था<� रूँप "�रे% कीरे रेक्त ग�"की बानों जा�त� ह+.यह' * रेस लिसद्ध� की� मे:ख्य� द्रोव्या ह=.विश:द्ध प्र की* स्%M, अभ्रकी की� ग्री�स �कीरे उस� रेस�न्द्रो बानों�कीरे उसस� हरेग|रे' रेस य� लिसद्ध रेस की� विनोंमे�M% विकीय� जा�त� ह+.इस लिसद्ध रेस की* ह' अ�ग अ�ग �श* मे/ अ�ग अ�ग नों�मे स� जानों जा�त� ह+.ग्री'की- उनोंमेchina- ching chinwestern country-etarnal waterislamic country- aaftaabइस� व्ह�इटी रे*स,रे�J रे*स,विफी�*स*फी� रे' स स्टी*नों.एलि�न्म्क्रिक्सरे वित,अकी�Mनों:स, स*� ऑर्फ़ मे+टीरे भा' कीहत� ह=.जा'� की* रे*ग मे:क्त औरे रिरेद्रोत� स� मे:क्त कीरेनों� की� लि�ए ह' रेस लिसद्ध इस हरे ग|रे' रेस की� विनोंमे�M% कीरेनों� की� लि�ए अथेकी

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प्रयत्नों कीरेत� रेहत� ह= . ****ARIF****

Alchemy and Precious stones

...It is indeed very difficult to believe the Mercury could at all be converted in to Gold or Tin be converted in to silver.This science of Dhatuvad has not been lost even to-day. The fact is that the sadhus and siddhs ,well versed in it, do not come forword in the public.The success of siddhi also depends upon religion and Mantra-shastras along with Prayogas. It has been so ordained by the sciptures and the guiding preceptor that a person endowed with this Swarna –siddhi should not use its wealth in the least of himself. It has been prescribed to be used for the protection and nourishment of Siddhas knowing Vedas, cows, religion, scriptures,religiou s places etc.Dhatuvad is also embodied in many mss. Of Tantra such as Dattatreya tantra,Rudrayamal tantra, Uddish tantra , Harmekhla tantra etc.... A very intresting part of Alchemy is called Ratna shastra. Ratna shastra is ourunrivalled wonderful science. To give an instance if 5 to 10 tolas of any of the pure Diamonds, Rubies , Emralds or Pearl taken in a powdered form and rendered in to Dravan with Mercury Ash are heated by a special process . they will constitute one large unit of stone of about equal weight. After crystallizing it, single Jewel will bring 25 to 70 lakhs of rupees, wheras in powdered form,it would have fetched aboud very diffrencive marjin. Means very very low but after crystallizing very very high cost.

So that's only miracle of Alchemy tantra.If sadhak like all of you evincing intrest in our ancient lore come forword to encourage us. We can be very help ful to our country by carring on research in this secret science....yours ****ARIF****

मे�रे' य�त्र�

जाबा भा' बा�त प्र�चा'नों विद्या�ओं की� ह*त' ह+ मे:झे� यह J�की कीरे दुः^ख ह*त� ह+ की� हमे�रे' त्मे�Mविनोंकी प'ढा6 की� नों त* अपनों� इवितह�स परे की*ई ध्य�नों ह+ औरे नों ह' उनों ग:iत प:रे�तनों रेहस्य� की* समेझेनों� की� लि�ए की*ई जा<नों<नों.स ग:रु � नों� अपनों� प<रे� जा'नों इनों दि व्या दुः�Mभा ज्ञा�नों की* प:नोंजा�नों �नों� मे/ �ग� दि य� ,परे उनोंकी� इस प्रय�स की* समे�जा य� हमे विकीतनों� समेझे प�ए�ग� यह त* आनों� ��� समेय ह' बात�एग�. क्य<�विकी समेय स� बा�हतरे परे'dकी की*ई नोंह¸ ह*त� .

Page 18: Parad Ras Tantra Books and Sadhna.pdf

मे�रे� जा'नों मे/ मे:झे� इन्ह' विद्या�ओं की* आत्मेस�त कीरेनों� ह+ यह त* उस' समेय विनों"�Mरिरेत ह* गय� थे� जाबा स ग:रु � नों� मे�रे' अ�ग:�' पकीड़े' थे' औरे मे:झे� � इस पथे परे ��कीरे चा�� थे�, मे:झे� य� ह+ � हमे�श� य�ह' कीहत� थे� की� अबाकी� बा�रे ख*नों� की� की*ई रे मेत रेख* क्य<�विकी अबा ह�थे मे=नों� पकीJ� ह+. तबा स� आजा तकी उनोंकी� स्पशM हमे�श� मेहस<स कीरेत� रेह� हूँ? . जाबा भा' की*ई कीदिठनों�ई ई त* उन्ह�नों� उसकी� विनोंरे�कीरे% भा' त:�रेत ह' कीरे दि य� . प�रे की� ग:iत स� ग:iत स<त्र भा' सहजा उप�ब्ध ह* गए.यह�? बा�त आत्मे-प्र�चानों� की� नोंह¸ ह* रेह' ह+ , मे= त* बास इतनों� कीहनों� चा�हत� हूँ? की� एकी बा�रे स*चा* त* की� हमेनों� क्य� � � विकीय� थे� अपनों� ग:रु औरे अपनों� आप स� . की� जा'नों की* प<%M कीरेनों� की� की*ई असरे नोंह¸ छ*J/ग�. विफीरे � � � कीह� गए. क्य� की�� की� गतM मे/ समे�कीरे � भा' इवितह�स मे/ बा � गए?मे:झे� यह त* नोंह¸ पत� की� की|नों ह+ जा* इस रे�ह परे चा��ग� , परे मे:झे� नोंह¸ रुकीनों� ह+ औरे चा�त� जा�नों� ह+ क्य<�विकी बाहुत स�रे� बा�विकी ह+ औरे जा'नों की� प� उसकी� बाविनोंस्बात कीह' कीमे ह' ह*त� ह= . अभा' तकी जा* भा' धिमे�� ह+ * विनोंश्चय ह' ख़ु:श' �त� ह+ औरे प्र�रिरेत कीरेत� ह+ औरे आग� बाढ़ानों� की� लि�ए क्य<�विकी ह�रे त* स�भा ह' नोंह¸ ह+ यदि सद्गु�रु की� रे हस्त सरे परे ह* त*.मे:झे� इस दि व्या दुः�Mभा ज्ञा�नों की� द्वा�रे� ग:रु, �श समे�जा की� ऋ% उतरेनों� ह+ .क्य:की� य� सबा इन्ह' की� आश'ष स� ह' त* प्र�iत हुआ ह+ औरे आग� भा' ह*ग�,"मे�रे ह' J��� बा�मे|त य� दुःविनोंय� * ह+ , हमे जा* जिजान् � ह= त* जा'नों� की� हुनोंरे रेखत� ह="

विनोंखिख�

Prepration of Alchemical Mercury

dear all,hi,Vaise to Sadgurudev ne apne granthon me paarad aur uske sodhan va samskarno ke vishay me saral va sahaj bhasha me bahut kuchh likha hai par mera yeh lekh un sadhako ke liye hai jo is vishay me abhi jude hain ya judna chah rahe hain. Pichhle lekh me maine alchemical mercury ke bare me kaha tha.Iska kya matlab hua ???........

Alchemical mercury se matlab hota hai aisa mercury jo kam se kam 665 degree c par fire par ruke kyunki ek baat yaad rakhiye jo mercury is taap par ruk jata hai wo kisi bhi taap par ruk sakta hai. Lekin is taap par laaane ke liye pahle mercury ko uske galnaank 357 degree par lana padega . jo ki market se liya hua mercury se possible nahi hai.

Iska kaaran :..........

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Natural mercury 7 kanchukiyon ya aavran se mukt hota hai. Is karan yeh vedhan kar hi nahi sakta .are siddhi si baat hai ki kanchukon ya vastron ke sath prajnan sambhav hi nahi hai. Is karan iske kanchuko ko door kar ise veeryavaan banaya jata hai .natural mercury shand rahta hai (isme vedhak sakti nahi hoti ) yahi karan hai ki bahut se sadhak market ke parad ko bagair ready kiye alchemy karte hain aur asafal hokar is vidhya ko hi dosh dete hain .kyunki shand mercury ek aisi jameen ke saman hota hai jo ki banjar hai. Aur ise upjau banane ke liye iska upchhar( samskaar) hona avshayak hota hai.

Yeh kanchukiyan kya hoti hai???.........

Bhedi,Dravi,Malkari,Dhvankshi,Parpatika,Andhkari, Paatnika

In kanchukiyon ke ya asuddhiyon ke karan parad bhakshan se alag alag vikar bhi hamari body me hote jate hain.Vishdosh- natural mercury me arsenic, antimony,lead sulphide jaise vishaile tatv hote hain.is liye inka sevan mrityu bhi de sakta hai.

Mal dosh-natural mercury me paarad se alag dhatuyen jaise tin,zink,lead aadi bhi rahti hain isi liye aise parad ka bhakshan murchaa deta hai.

Vahni dosha-stones,arsenic, aadi aagneya guno se yukt hta hai. Aur rudra virya se tatparya (rudra yani ugra) agni roop hota hai.

Asahy agni- anya dhatuon ka mishran isme hone ki vajah se yeh apne swabhavik taap 357 deg. Ko bhi nahi bardast kar pata aur uske pahle hi udne lagta hai. Mishrit dhatuyen jaise ki bross hamesha copper ke taap se kahi neeche ke taap par melt ho jati hain.

Chapalya- iske garbh me chapal hone ki wajah se jo ki 268 deg. Par melt hoti ha khud bhi cahpal jaisa nature le leta hai.

Giridosh-parvaton se utpann hone ki wajah se isme alloy mix hote hain .aur sthan bhed ke karan har jagah ke mercury me iska effect bhi deffrent hi hote hain.Mad va darp-mishritta iska sabse bada avgun hoti hai jiski wajah se sharir me sfot hota hai aur sevan se kusth ho sakta hai.

In karanon ke alava vyapari bhi apna art dikha kar isme ar mixing kar dete hain taki unhe arthik phayada ho sake.

Means vijatiy dravyon ke aavran ko kanchuki kaha jata hai . aur yehi karan hai ki natural mercury se alchemy possible nahi hoti hai.

Kachhap yantra ke rahasya me maine bataya tha ki uske upar sumeru arthat agni roopi trikon hota hai. Aur fire ke use se pavitrta ya vishon se mukti milti hai.

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Mercury amrit hai yadi uska sodhan kar ke un samskaron ko kiya jaye jisse iske andar vyapt vish samapt hota hai.Phir jo mercury milta hai use alchemical mercury kaha jata hai aur yehi mercury metal aur physic dono par effect (positive) deta hai..

Vaise alchemical mercury ko devolop karne ke liye sabse saral va anubhavi tarika hai hingul ya cinnabar se mercury ko nikaal kar uspar samskaar karna .Hingul (singraf) lekar use lemon juice ya neem ke patron ke juice se kharal kar len 6 hour aur phir damru yantra ya vidhyadhar yantra ke dwara isme se parad ka paatan kar len .is tarah nikala gaya parad kanchuki mukt hota hai.aur vishech gunkaari bhi kyunki lemon me citric acid hota hai aur neem ras me organic sulphur.jo is mercury ko gandhak jarit bhi karta hai.

Is parad par samskaar se iska gunadhaan hota hai.

Lekin yadi aap aisa karne me asamarth hain to market ke mercury ko 5% nitric acid mile huye jal me kharal kar len. Ya salt,termaric( haldi) , aloyvera, aur eent ka powder lekar usme 6 hour kharal kar len aur baad me suddh jal se dhakar mercury nikal len .aur aage ke samskaar kar sake.

Upar ke dono mercury ko aage ke samskaar ke pahle aloyvera juice, chitrak, red musturd, kantkaari, triphala kvath, me 3 days tak mardan ya kharal kar ke suddh jal se dhakar nikalna chahiye....... Ab aapke paas jo mercury hai us par aap samskaar karke aap alchemical mercury bana kar use kar success pa sakte hain . kyonki isme wahi quality hai jiske liye kaha gaya hai ki…..

“Mercury is a silver-white liquid metal, with a slight bluish in thin films it transmits violet light.”........aapka****ARIF****

transmutation into gold

dear all,

... It is indeed very difficult to believe that mercury could be all be converted in to gold or tin can be converted in to silver.yet it is certain that alchemy is as true a science as any other branch.What is alchemy????“alchemy is an ancient science concerned with the transmutation of base metals, the more reactive metals into gold and with the discovery of both a single cure for all diseases and a way to prolong life in definity”gurudev said “ when mercury and sulphur are perfectly pure and combine in the most appropriate natural equilibrium then the product is the most perfect of metals that is gold.The transmutation of copper or iron into gold by siddhsuta”

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In march 1942 the official organ of the all India ayurvedic congress that great alchemist pandit Krishna pal shastri of varanasi demonstrated before the late mahadev bhai desai (the secretary of mahatma Gandhi) by converting mercury to gold. For a second time he demostreted in December 1942 again he had converted 10 tolas of mercury into gold. This gold was sold there and then. In 1947 again in birla house in the presence of saith jugal kishore birla and a number of prominent other people by converting 36 pounds of metallic mercury into gold, the goldsmith tested this gold with acids and other methods and it was found quite pure. which was after all critical evalution autioned and sold away for Rupees 75,000/- and the amount was given over on the spot in charity. Thus the manufacture of gold from mercury is no longer a myth or fiction and that it is a solid fact was proved to this hilt.

For transmutation the mercury is not available in market. The alchemical mercury is prepaired in your on laboratory(if you are interested in our ancient science) ......so we read the prepration of alchemical mercury in next article.....yours****ARIF****