(Not to be printed with the question paper) (क) खुचशमा फाद भं...

14
Page 1 of 14 Important Instructions for the School Principal (Not to be printed with the question paper) 1) This question paper is strictly meant for use in school based SA-II, March-2012 only. This question paper is not to be used for any other purpose except mentioned above under any circumstances. 2) The intellectual material contained in the question paper is the exclusive property of Central Board of Secondary Education and no one including the user school is allowed to publish, print or convey (by any means) to any person not authorised by the board in this regard. 3) The School Principal is responsible for the safe custody of the question paper or any other material sent by the Central Board of Secondary Education in connection with school based SA-II, March-2012, in any form including the print- outs, compact-disc or any other electronic form. 4) Any violation of the terms and conditions mentioned above may result in the action criminal or civil under the applicable laws/byelaws against the offenders/defaulters. Note: Please ensure that these instructions are not printed with the question paper being administered to the examinees.

Transcript of (Not to be printed with the question paper) (क) खुचशमा फाद भं...

  • Page 1 of 14

    Important Instructions for the School Principal

    (Not to be printed with the question paper)

    1) This question paper is strictly meant for use in school based SA-II, March-2012

    only. This question paper is not to be used for any other purpose except mentioned above under any circumstances.

    2) The intellectual material contained in the question paper is the exclusive property of Central Board of Secondary Education and no one including the user school is allowed to publish, print or convey (by any means) to any person not authorised by the board in this regard.

    3) The School Principal is responsible for the safe custody of the question paper or any other material sent by the Central Board of Secondary Education in connection with school based SA-II, March-2012, in any form including the print-outs, compact-disc or any other electronic form.

    4) Any violation of the terms and conditions mentioned above may result in the action criminal or civil under the applicable laws/byelaws against the offenders/defaulters.

    Note: Please ensure that these instructions are not printed with the

    question paper being administered to the examinees.

  • Page 2 of 14

    II, 2012

    IX

    (1)

    (2)

    (3)

    1.

    एक कुशर चचत्रकाय ने एक चचत्र प्रदशशनी भं यखा औय उस के नीचे चरख ददमा- ‘कृऩमा जहाॉ गर ती हो , वहाॉ चनशान रगा दीजजए। ’ अगरे ददन चचत्रकाय प्रसन्न भन से ऩहुॊचा तो मह देखकय हैयान यह गमा दक उसका चचत्र चनशानं से बया ऩड़ा था। उसने मह सऩने भं बी नहीॊ सोचा था दक उसका चचत्र रोगं के चनकारे दोषं से इतना ढक जाएगा। वह घय आकय दखुी भन से फठै गमा। चचत्रकाय की ऩत्नी उसे ऩयेशान देखकय फोरी, ‘क्मा फात है ?’ चचत्रकाय ने ऩत्नी को चचत्र ददखा ददमा। वह भसुकयाकय फोरी, ‘तो आऩ इसचरए ऩयेशान हं। रोगं की तो आदत होती है अच्छे कामश भं बी दोष ढूॉढ़ चनकारना। अफ आऩ दसूये चचत्र भं मह चरख दीजजए दक कृऩमा इस चचत्र के दोष दयू कय दीजजए।’ चचत्रकाय ने ऩत्नी की फात भानकय ऐसा ही दकमा। अगरे ददन जफ वह चचत्र देखने ऩहुॊचा तो दॊग यह गमा दक सचभचु चचत्र भं एक बी चनशान नहीॊ था। न ही दकसी ने दोष ढूॊढकय उसे दयू कयने की कोचशश की थी जफदक इस फाय चचत्रकाय ने सचभचु चचत्र भं गरती की थी।

    मह देखकय वह प्रसन्न भन से घय आमा औय ऩत्नी से फोरा ,‘तभु बफल्कुर ठीक कह यही थी| रोग दोष ढूॉढ़ना तो जानते हं दकॊ त ुउसभं सधुाय कयना नहीॊ। ’ उसकी ऩत्नी फोरी , ‘बफल्कुर सही कहा आऩने। आऩका मह चचत्र ऩहरे वारे चचत्र के भकुाफरे कुछ बी नहीॊ है। फयुाई ऩय चचाश सफ कयते हं, ऩय फयुाई को दयू कयना कोई नहीॊ चाहता। तबी तो दचुनमा भं इतनी फयुाई बयी ऩड़ी है।’

    (क) कुशर चचत्रकाय द वाया अऩने चचत्र के नीचे चरखे गए वाक्म से उसके स्वबाव के दकस गणु ऩय प्रकाश ऩड़ता है ?

    (i) आत्भबवश्वास (ii) बवनम्रता

    44011

  • Page 3 of 14

    (iii) अहॊकाय (iv) चनऩणुता

    (ख) चचत्रकाय दखुी क्मं हो उठा था ?

    (i) उसके चचत्र को ऩसॊद नहीॊ दकमा गमा था (ii) उसभं अचधक गरचतमाॉ चनकारी गई थीॊ (iii) उसे दोषं की उम्भीद नहीॊ थी (iv) वह चचत्र को साफ़ ही देखना चाहता था

    (ग) चचत्रकाय की ऩत्नी ने भानव-स्वबाव के दकस अवगणु की चचाश की है? (i) दसूयं की प्रशॊसा न कयना (ii) जरन का बाव (iii) ईर्षमाश का बाव (iv) दसूयं भं कभी ढूॉढ़ना

    (घ) अगरे ददन चचत्रकाय को हैयानी क्मं हुई ?

    (i) चचत्र भं चनशान न देखकय (ii) चचत्र को साप-सथुया देखकय (iii) कोई दोष न होने ऩय (iv) रोगं की भानचसकता ऩय

    (ङ) दचुनमा से फयुाई कैसे हटाई जा सकती है ?

    (i) फयुाई ऩय चचाश कयने स े (ii) दसूयं को उनकी कचभमाॉ फताकय (iii) फयुाइमं का शोय भचाकय (iv) फयुाई दयू कयने का प्रमास कयके

    2.

    ऩावशती बऩता के साथ जो भामके आमीॊ तो ससयुार का नाभ बी जुफान ऩय नहीॊ रामीॊ। जवान हुई, रेदकन गाॉव को ऩता बी न चरा दक वे कफ अधेकड़ हो गई। भाॉ-बऩता जवान होने तक न यहे थे। फड़े बाई याभयथ ने भाॉ-फाऩ का अबाव खटकन ेन ददमा। याभयथ के अकेरा फेटा था, जजसने ऩढ़ -चरखकय जो एक फाय गाॉव से फाहय ऩयै यखा तो कानऩयु से ददल्री औय ददल्री से अभरयका जा फसा। वहीॊ शादी कय री।

  • Page 4 of 14

    याभयथ ने फेटे की माद के स्थान ऩय ऩत्थय यख चरमा, रेदकन ऩत्नी को न सभझा सके। वह फेटे की यट रगाती अर्द्शबवजऺप्त हो गई औय एक ददन वह बी ऩचत औय ननद को छोड़ गई। घय भं फहन-बाई फचे। एक गंई की खेती थी, जजसे याभयथ नौकय की भदद से स्वमॊ कयते थे, रेदकन ऩत्नी औय ऩतु्र के जाने के फाद फटाई ऩय देने रगे। तीन वषं से याभयथ का झुकाव अध्मात्भ की ओय हुआ तो वे खेत-घय का बाय फहन ऩय छोड़ भहीनं हरयद्वाय-ऋबषकेश भं बफताने रगे। गाॉव आत,े भहीना-दो-भहीना यहते औय दपय ऩहाड़ं की ओय रौट जाते ।

    (क) ऩावशती भामके से ऩनु् ससयुार क्मं नहीॊ गई ?

    (i) वह ससयुार जाना नहीॊ चाहती थी (ii) वह भामके भं ही यहना चाहती थी। (iii) वह जवान हो चुकी थी (iv) वह फढू़ी होने रगी थी

    (ख) माद के स्थान ऩय ऩत्थय यख ददमा का तात्ऩमश है -

    (i) माद दकमा (ii) बरुा ददमा (iii) जी कड़ा कय चरमा (iv) फाहय बेज ददमा

    (ग) याभयथ की ऩत्नी की भतृ्म ुका कायण क्मा था ?

    (i) ऩतु्र की माद (ii) ऩचत का असहमोग (iii) गॊबीय फीभायी (iv) ऩतु्र का वाऩस न रौटना

    (घ) ऩत्नी व ऩतु्र के जाने के फाद याभयथ का ध्मान दकस ओय झुका?

    (i) फहन की ओय (ii) ऩतु्र की ओय (iii) खेती-फाड़ी की ओय (iv) अध्मात्भ की ओय

    (ङ) याभयथ अऩना अचधकाॊश सभम हरयद्वाय भं क्मं व्मतीत कयना चाहते थे ? (i) फसने के इच्छा के कायण ।

  • Page 5 of 14

    (ii) घय ऩय भन न रगने का कायण । (iii) ऩरयवाय के सदस्मं से भन बय जाने के कायण । (iv) अध्मात्भ के प्रचत रगाव के कायण ।

    3.

    तभु बीख अन्न की द्वाय-द्वाय ऩय भाॉग यहे,

    तभु बीख द्रव्म की द्वाय-द्वाय ऩय भाॉग यहे।

    क्मा आसानी से चभरी तमु्हं मह आज़ादी ?

    तभु कज़श काढ़कय सभझे भाय छराॊग यहे ?

    मह कौभ देश का जफ-जफ कज़श चुकाएगी,

    इस आज़ादी की माद हभेशा आएगी।

    फेदड़माॉ कज़श की औय न फाॉधो ऩाॉवं भ,ं

    क्मा इससे हभको नीॊद चैन की आएगी ?

    है एक गरुाभी हटी, दसूयी दपय आई,

    मह भज़श हभाया औय फढ़ गमा सारं का।

    ऩीछे झॊडा पहयाना ऐ झॊडेवारो

    ऩहरे जवाफ दो भेये चॊद सवारं का।

    (1) ऩद्याॊश का उचचत शीषशक हो सकता है - (क) आज़ादी (ख) गरुाभी (ग) कज़श (घ) झॊडा (2) ‘भाय छराॉग यहे’ का आशम है : (क) प्रगचत के दावे कयना (ख) उछर कूद भचाना (ग) आगे फढ़ना (घ) फहुत तयक्की कयना (3) इस कबवता भं कबव ने दकस सभस्मा ऩय प्रकाश डारा

    है ?

  • Page 6 of 14

    (क) जनसॊख्मा की सभस्मा ऩय (ख) बवदेशं से ऋण सभस्मा ऩय (ग) दहेज की सभस्मा ऩय (घ) भ्रष्टाचाय की सभस्मा ऩय (4) कबव ने कज़श को दकसके सभान फतामा है ? (क) सहामता के सभान (ख) प्रगचत के सभान (ग) फेदड़मं के सभान (घ) उऩहाय के सभान (5) ‘ऩीछे झॊडा पहयाना’ का क्मा अथश है ? (क) खुचशमाॉ फाद भं भनाना (ख) सारं फाद झॊडा पहयाना (ग) झॊडा न पहयाना (घ) सभहू के ऩीछे झॊडा रेकय चरना ।

    4.

    चतनका-चतनका राकय चचदड़मा

    यचती है आवास नमा।

    इसी तयह से यच जाता है

    सजृन का आकाश नमा।

    भानव औय दानव भं मूॉ तो

    बेद नज़य नहीॊ आएगा।

    एक ऩंछता फहते आॉस ू

    जी बयकय एक रुराएगा।

    यचने से ही आ ऩाता है

    जीवन भं बवश्वास नमा।

    कुछ तो इस धयती ऩय केवर

    खून फहाने आते हं।

    आग बफछाते हं याहं भ ं

  • Page 7 of 14

    दपय खुद बी जर जाते हं।

    जो खुद चभटने वारे होत े

    वे यचते इचतहास नमा।

    भॊत्र नाश का ऩढ़ा कयं कुछ

    द्वाय-द्वाय ऩय जा कय के।

    पूर जखरानेवारे यहत े

    घय-घय पूर जखरा कय के।

    (1) घयं भं पूर कौन जखराता है ? (क) भानव औय दानव (ख) ऩयोऩकायी रोग (ग) सज्जनं का सभहू (घ) भॊत्र ऩढ़नेवारे

    (2) याह भं आग बफछानेवारं के साथ क्मा हुआ ? (क) वे नष्ट हो गए। (ख) वे खुश हुए। (ग) वे उसी आग भं जर गए। (घ) वे इचतहास यच गए।

    (3) भानव औय दानव भं क्मा अॊतय है ? (क) एक दु् ख घटाता है दसूया फढ़ाता है। (ख) एक भानव है दसूया याऺस है। (ग) याऺस औय भनरु्षम भं फहुत अॊतय है। (घ) एक डयाता है, दसूया डयता है।

    (4) ‘सजृन का आकाश’ का आशम है - (क) नए आकाश का फनना (ख) चचदड़मा की तयह नव-चनभाशण (ग) आकाश का दपय से सजृन (घ) चचदड़मा का नमा घंसरा

  • Page 8 of 14

    (5) कबवता का सॊदेश है - (क) भानव औय दानव दोनं ही इस सॊसाय भं हं। (ख) याहं भं आग नहीॊ बफछानी चादहए। (ग) घय-घय भं पूर जखराने चादहए। (घ) खुद चभटकय बी दसूयं का बरा कयना चादहए।

    5.

    2

    1

    1

    6.

    (i) ________

    (ii) ________

    (iii) ________

    (iv) ________

    (i) ________

    (ii) ________

    (iii) ________

    (iv) ________

    2

    2

    7.

    (i)

    2

    2

  • Page 9 of 14

    (ii)

    (iii)

    (iv)

    8.

    (i)

    (ii)

    (i)

    (ii)

    2

    2

    9.

    (i)

    (ii)

    (i) __________

    (ii) __________

    (iii) __________

    (iv) __________

    2

    2

    10.

    भेये हाथं से प्रसाद बी

    बफखय गमा हा! सफका सफ,

    हाम ! अबागी फेटी तझु तक

    कैसे ऩहुॉच सके मह अफ।

    न्मामारम रे गए भझेु व,े

    सात-ददवस का दॊड-बवधान

    भझुको हुआ ; हुआ था भझुसे

  • Page 10 of 14

    देवी का भहान अऩभान!

    (i) बऩता के भुॉह से ‘हाम !’ क्मं चनकरा? (क) बऩता के हाथ से प्रसाद चगय गमा था। (ख) बऩता को प्रसाद नहीॊ चभरा था। (ग) बऩता फेटी को प्रसाद नहीॊ दे ऩामा था। (घ) रोगं ने देवी का अऩभान दकमा था। (ii) बऩता के हाथ से प्रसाद चगय गमा, क्मंदक : (क) बीड़ के कायण बऩता नीचे चगय ऩड़ा (ख) बीड़ ने प्रसाद पंकने के चरए कहा था (ग) बीड़ ने बऩता की बऩटाई कय दी (घ) बीड़ भं बऩता के हाथ कॉ ॊऩ यहे थे (iii) दकस आधाय ऩय न्मामारम ने बऩता को दॊदडत दकमा? (क) चोयी के कायण (ख) दकसी को ऩीटने के कायण (ग) जूते चुयाने के कायण (घ) भॊददय भं प्रवेश के कायण (iv) बक्तों के अनसुाय अऩभान सहना ऩड़ा था : (क) बऩता को (ख) देवी को (ग) न्मामारम को (घ) ऩजुायी को (v) फेटी को ‘अबागी’ क्मं कहा है? (क) उसका बाग्म खयाफ था (ख) वह फीभाय थी (ग) उसकी अॊचतभ इच्छा ऩयूी नहीॊ हो सकी थी (घ) उसका बऩता जेर बेज ददमा गमा था

    महॉ ॊ योज कुछ फन यहा है

  • Page 11 of 14

    योज कुछ घट यहा है

    महॉ ॊ स्भचृत का बयोसा नहीॊ

    एक ही ददन भं ऩयुानी ऩड़ जाती है दचुनमा

    जैसे वसॊत का गमा ऩतझड़ को रौटा हूॉ

    जैसे फसैाख का गमा बादो को रौटा हूॉ

    अफ मही है उऩाम दक हय दयवाजा खटखटाओ

    औय ऩछूो-क्मा मही है वो घय?

    (i) कबव को बयोसा नहीॊ है : (क) फस्ती ऩय (ख) यास्तं ऩय (ग) फस्ती की ऩहचान ऩय (घ) अऩनी माद ऩय (ii) ‘योज कुछ घट यहा है’ से तात्ऩमश है दक : (क) जनसॊख्मा घट यही है। (ख) आभदनी घट यही है। (ग) दघुशटना घट यही है। (घ) कुछ चनभाशण हो यहा है (iii) क्मं ऩछूना ऩड़ता है-`क्मा मही है वो घय` ? (क) दयवाजे फदर गए (ख) शहय फदर गमा (ग) ऩहचान फदर गई (घ) आगॊतकु फदर गमा (iv) जैसे फसॊत का गमा ऩतझड़ का रौटा हूॉ-का आशम है : (क) जल्दी रौटा है। (ख) जाड़ं भं रौटा है। (ग) फहुत देय से रौटा है। (घ) रौटा ही नहीॊ है। (v) एक ही ददन भं दचुनमा ऩयुानी क्मं ऩड़ जाती है? (क) प्रचतऺण ऩरयवतशन के कायण (ख) कोई उऩाम न सझूने के कायण

  • Page 12 of 14

    (ग) सभम कभ होने के कायण (घ) स्भचृत ऩय बयोसा न होने के कायण

    11. चनम्नचरजखत प्रश्नों भं से दकन्हीॊ दो प्रश्नों के उत्तय सॊऺेऩ भं चरजखए —

    (क) अचतचथ के ज्मादा ददन तक दटकने के कायण रेखक के व्मवहाय भं क्मा ऩरयवतशन आमा ?

    (ख) याभन ने ऐसा क्मं कहा दक बवचबन्न प्राकृचतक घटनाओॊ की छानफीन एक वऻैाचनक दृबष्ट से कयं ?

    (ग) भोती को कॊ ठ भं फॉ ॊधा जाता है, रेदकन भातशु्री को गरे भं क्मं नहीॊ फॉ ॊधते ?

    12. भहादेव जी एक साधायण व्मबक्तो होते हुए बी असाधायण व्मबक्तोत्व के धनी थे - स्ऩष्ट कीजजए।

    ‘धभश की आड़’ ऩाठ भं रेखक ने जजन भदु दं को उठामा है , वे भदु दे आज बी हं। क्मा आऩ इससे सहभत हं ? तकश ऩणूश उत्तय दं ।

    13.

    याभन की खोज बौचतकी के ऺेत्र भं एक क्राॊचत के सभान थी। इसका ऩहरा ऩरयणाभ तो मह हुआ दक प्रकाश की प्रकृचत के फाये भं आइॊस्टाइन के बवचायं का प्रामोचगक प्रभाण चभर गमा। आइॊस्टाइन के ऩवूशवती वऻैाचनक प्रकाश को तयॊग के रूऩ भं भानते थे , भगय आइॊस्टाइन ने फतामा दक प्रकाश अचत सकू्ष्भ कणं की तीव्र धाया के सभान है। इन अचत सकू्ष्भ कणं की तरुना आइॊस्टाइन ने फरुेट से की औय इन्हं पोटॉ ॊन नाभ ददमा। याभन के प्रमोगं ने आइॊस्टाइन की धायणा का प्रत्मऺ प्रभाण दे ददमा , क्मंदक एकवणीम प्रकाश के वणश भं ऩरयवतशन मह साफ़तौय ऩय प्रभाजणत कयता है दक प्रकाश की दकयण तीव्रगाभी सकू्ष्भ कणं के प्रवाह के रूऩ भं व्मवहाय कयती है।

    (क) आइॊस्टाइन कौन था ?

    (ख) आइॊस्टाइन नं क्मा प्रचतऩाददत दकमा ?

    (ग) याभन ने आइॊस्टाइन की धायणा को कैसे प्रभाजणत दकमा?

    अथवा

    1

    2

    2

  • Page 13 of 14

    अऩने खयाशटं से एक औय यात गुॊजामभान कयने के फाद कर जो दकयण तमु्हाये बफस्तय ऩय आएगी वह तमु्हाये महाॉ आगभन के फाद ऩाॉचवं समूश की ऩरयचचत दकयण होगी। आशा है, वह तमु्हं चूभंगी औय तभु घय रौटने का सम्भानऩणूश चनणशम रे रोगे। भेयी सहनशीरता की वह अॊचतभ सफुह होगी। उसके फाद भ ंस्टंड नहीॊ कय सकूॉ गा औय रड़खड़ा जाऊॉ गा। भेये अचतचथ, भ ंजानता हूॉ दक अचतचथ देवता होता है , ऩय आजखय भ ंबी भनरु्षम हूॉ। भ ंकोई तमु्हायी तयह देवता नहीॊ। एक देवता औय एक भनरु्षम अचधक देय तक साथ नहीॊ यहते। देवता दशशन देकय रौट जाता है। तभु रौट जाओ अचतचथ ! इसी भं तमु्हाया देवत्व सयुजऺत यहेगा। मह भनरु्षम अऩनी कयनी ऩय उतये, उसके ऩवूश तभु रौट जाओ।

    (क) रेखक ने ऐसा क्मं कहा, मह भनरु्षम अऩनी कयनी ऩय उतये, इससे ऩहरे रौट जाओ।

    (ख) देवत्व कफ तक सयुजऺत यह सकता है ?

    (ग) अचतचथ को सम्भानऩवूशक चनणशम रेने की फात क्मं कही है ?

    1

    2

    2

    14. दकन्हीॊ तीन प्रश्नों के उत्तय दीजजए।

    (क) कबव के दृबष्टकोण भ ंअगीत बी गीत है। स्ऩष्ट कीजजए।

    (ख) कबव ने अऩनी कबवता भं फाय-फाय ‘अजग्नऩथ’ शब्द का प्रमोग क्मं दकमा है? (ग) जो हाथ खुशफ ूयचते हं उन्हं गॊदी गचरमं भं क्मं यहना ऩड़ता है? (घ) सजुखमा के बऩता की बववशता अऩने शब्दं भं चचबत्रत कीजजए।

    9

    15.

    3+3=6

    16.

    4

  • Page 14 of 14

    17.

    5

    18.