HINDI AS A SECOND LANGUAGE 0549/01...क अण ड और क ड मक ड आटद त हल...

16
This document has 16 pages. Blank pages are indicated. KI 181728/3 © UCLES 2020 [Turn over *4101049267* HINDI AS A SECOND LANGUAGE 0549/01 Paper 1 Reading and Writing February/March 2020 2 hours You must answer on the question paper. No additional materials are needed. INSTRUCTIONS Answer all questions. Use a black or dark blue pen. Write your name, centre number and candidate number in the boxes at the top of the page. Write your answer to each question in the space provided. Do not use an erasable pen or correction fluid. Do not write on any bar codes. Dictionaries are not allowed. INFORMATION The total mark for this paper is 60. The number of marks for each question or part question is shown in brackets [ ]. Cambridge IGCSE

Transcript of HINDI AS A SECOND LANGUAGE 0549/01...क अण ड और क ड मक ड आटद त हल...

  • This document has 16 pages. Blank pages are indicated.

    KI 181728/3© UCLES 2020 [Turn over

    *4101049267*

    HINDI AS A SECOND LANGUAGE 0549/01

    Paper 1 Reading and Writing February/March 2020

    2 hours

    You must answer on the question paper.

    No additional materials are needed.

    INSTRUCTIONS ● Answer all questions. ● Use a black or dark blue pen. ● Write your name, centre number and candidate number in the boxes at the top of the page. ● Write your answer to each question in the space provided. ● Do not use an erasable pen or correction fluid. ● Do not write on any bar codes. ● Dictionaries are not allowed.

    INFORMATION ● The total mark for this paper is 60. ● The number of marks for each question or part question is shown in brackets [ ].

    Cambridge IGCSE™

  • 2

    0549/01/F/M/20© UCLES 2020

    अभ्यास 1: प्रश्न 1-6

    ‘रयाजकुमयारी अमतृ कौर’ आलेख को ध्या्नपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत् तर दीजजए।

    राजकुमारी अमतृ कौर का जनम 2 फरवरी 1889 में कपूरथला के राज-पररवार में हुआ था। उनकी शिक्ा इंगललैण्ड में लड़ककयों के िरेबोन्न सकूल में हुई। अपनी योगयता के कारण वे सकूल की हलै्ड गल्न, करिकेट, हॉकी और लारिॉस दल की कपतान बनीं। उनहोंने ऑकसफो्ड्न ववशवववदयालय से सनातक की उपाधि प्ापत की।

    जब वे तीस वर्न की थीं, अमतृसर में जशलयाँवाला बाग की घटना से ववचशलत होकर उनहोंने ब्रिटटि िासन से टहदंसुतान की आज़ादी की लड़ाई में योगदान देने का ननशचय ककया और महातमा गाँिी से पूछा कक वे उसमें ककस प्कार से सहयोग दे सकती हैं। उनके व�ृ माता-वपता को उनके सवतंत्रता आदंोलन में सकरिय होने के ननण्नय पर आप�त त थी। इसशलए महातमा गाँिी ने उनहें मना कर टदया।

    कफर भी टहदंसुतान में स्सत्रयों की स्सथनत में बदलाव लाने के दृढ़ संकलप से उनहोंने ‘अखिल भारतीय मटहला सममेलन’ की सथापना की। यह संसथा स्सत्रयों के अधिकारों की टहमायती थी और बाल-वववाह, पदा्न तथा नारी-अशिक्ा जलैसी सामास्जक समसयाओ ंसे जूझ रही थी। 41 वर्न की उम्र में अपने वपता की मतृयु के बाद वे टहदंसुतान के सवतंत्रता संग्ाम से जुड़ीं। अपने राजमहल के ववलाशसता भरे जीवन के बदले में उनहोंने गाँिी जी की सधचव के रूप में उनके साबरमती आश्रम के सादे जीवन को अपनाया। महातमा गाँिी के ‘दां्डी माच्न’ और ‘भारत-छोड़ो’ आदंोलनों में सकरिय रूप से भाग लेने पर महातमा गाँिी के साथ तीन वरषों तक जेल में रहीं।

    15 अगसत 1947 में भारत की सवािीनता प्ास्पत के बाद वे मबं्त्रमण्डल की प्थम सवास्थय-मतं्री ननयुकत हुईं। वे मंत्रालय की एकमात्र मटहला सदसय तथा ‘ववशव-सवास्थय-परररद’ की पहली मटहला प्िान भी बनीं। उनके ‘मलेररया शमटाओ’ अशभयान के तहत लगभग 40,000 लोगों की जान बची। वप्संटन ववशवववदयालय ने उनको ्डॉकटर ऑफ लॉ की मानद उपाधि से सममाननत ककया। उनका मुखय उ�ेशय नारी-आतमननभ्नरता और उनहें मतदान का अधिकार टदलाने पर कें टरित था। 68 वर्न की उम्र में उनहोंने धचककतसा ववज्ान के प्शिक्ण और अनुसंिान के शलए ‘अखिल भारतीय धचककतसा ववज्ान संसथान’ की सथापना की जो आज तक धचककतसा ववज्ान और अनुसंिान के शलए भारतवर्न का सवा्नधिक प्नतस््ठित संसथान माना जाता हलै। स्सत्रयों को अधिकार टदलाने और भारत की सवािीनता-संग्ाम में अपना जीवन समवप्नत करने वाली राजकुमारी अमतृ कौर आज लगभग भुला दी गई हैं।

  • 3

    0549/01/F/M/20© UCLES 2020 [Turn over

    1 अमतृ कौर का जनम ककस पररवार में हुआ था?

    ..................................................................................................................................................... [1]

    2 उनके ववदयाथथी जीवन की ककनहीं दो उपलस््ियों के बारे में शलिें।

    • .......................................................................................................................................................

    • .................................................................................................................................................. [2]

    3 उनहोंने टहदंसुतान की आज़ादी की लड़ाई में भाग लेने का ननशचय कयों ककया?

    ..................................................................................................................................................... [1]

    4 उनके माता-वपता उनके ननण्नय के ववरु� कयों थे?

    ..........................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................... [1]

    5 अमतृ कौर के जीवन के दो उ�ेशय कया थे?

    • .......................................................................................................................................................

    • .................................................................................................................................................. [2]

    6 धचककतसा के क्ेत्र में उनकी सबसे बड़ी उपलस््ि कया थी?

    ..................................................................................................................................................... [1]

    [पूणाांक 8]

  • 4

    0549/01/F/M/20© UCLES 2020

    अभ्यास 2: प्रश्न 7-15

    ‘गगलहरी’ के बयारे में छपे इस लेख को ध्या्न से पिें। प्रश्न 7 से 15 कया उत् तर दे्ेन के ललए उ्नके ्नीचे ढ़दए गए अ्नुचछेदों (A से D) में से सही अ्नुचछेद चु्न कर उसके सयाम्ेन के कोष्ठक में सही कया न्नशया्न लगयाएँ। अ्नुचछेदों को एक से अगिक बयार चु्नया जया सकतया है।

    A धगलहरी मूरक पररवार की एक छोटी, चुसत, टदनचर, सतनपायी और चंचल सवभाव वाली सदसय हलै। यह मरुसथल, दलदल, घाटी, पहाड़, अथा्नत हर प्कार की भौगोशलक स्सथनत और जलवायु में रह सकती हलै। धगलहरी अमरीका, यूरेशिया और अफ्ीका में सबसे अधिक पाई जाती हलै। धगलहररयों की तीन प्जानतयाँ हैं – वकृ्-धगलहरी, भूशम-धगलहरी और उड़ाकू-धगलहरी। वकृ्-धगलहरी पेड़ के तने के कटाव में नतनके, सूिे पत त े और घास से घोंसला बना कर रहती हलै। भूशम-धगलहरी िरती में ब्बल िोद कर अपना घोंसला बनाती हलै और उड़ाकू-धगलहरी पेड़ों के झुरमुठि में रहती हलै। वह प�क्यों की तरह से ऊँची उड़ान तो नहीं भर सकती, लेककन एक पेड़ से तीन से पाँच फीट की दरूी तक के दसूरे पेड़ पर हवा में छलांग लगाने में माटहर होती हलै। अधिकांि धगलहररयाँ सव्नहारी होती हैं। यह ज़यादातर दाना, फल, बीज, पेड़ की छाल, झड़बेरी, प�क्यों के अण्ड ेऔर कीड़ ेमकौड़ ेआटद िाती हलै। फलों के पेड़ से फल कुतर कर बरबाद करने, गमलों में नए लगाए पौिों की शम�ी िोद कर न्ट करने और धचड़ड़यों को टदए अनाज के दानें और उनके घोंसले से अण्ड ेचुराने के कारण धगलहररयाँ बाग और िशलहान के शलए ववधवंसक मानी जाती हैं और कुछ देिों में इनको मारना गलैरकानूनी नहीं हलै।

    B वकृ्-धगलहररयों की 70 से भी अधिक प्जानतयाँ हैं, कुछ चूहों स्जतनी छोटी और कुछ ब्बस्ललयों स्जतनी बड़ी। उनमें से सबसे अधिक पहचानी जाने वाली यूरोप की लाल धगलहरी और उससे कुछ बड़ी उत तरी अमरीका की सलेटी रंग की धगलहरी हलै। सबसे बड़ी धगलहररयों में मलेशिया की काले और पीले चम्न वाली जायंट धगलहरी आती हलै। सलेटी धगलहरी उत तरी अमरीका से उननीसवीं सदी में यूरोप में लाई गई और बहुत जलदी ही उसकी संखया बढ़ती गई। लाल धगलहरी की अपेक्ा सलेटी धगलहरी की अतयधिक आरिामक प्कृनत के फलसवरूप यूरोप की लाल धगलहरी की आबादी की संखया घटने लगी। लाल धगलहरी की गणना अब एक संर�क्त प्जानत और सलेटी धगलहरी की एक ववदेिी आरिामक समसया के रूप में की जाती हलै।

    C मादा धगलहरी वर्न में दो बार प्सव करती हलै। िीत ऋतु में फरवरी या माच्न और ग्ी्म ऋतु में जून या जुलाई के महीने में 39 टदनों के गभ्नकाल के बाद प्ाय: 4-6 शििुओ ंको जनम देती हलै। जनम के समय शििु ननतांत असहाय, बहरे, अिें और 1-2 औसं वजन के होत ेहैं। कुछ तो पूरी तरह पनप नहीं पाने के कारण िीघ्र ही मर जात ेहैं। मादा धगलहरी बचे हुए शििुओ ंकी देिभाल और पालन-पोरण अपना दिू वपला कर करती हलै। 3 सपताह के होने पर उनके िरीर में रोए� उगने और िीरे-िीरे उनको टदिाई देना आरमभ होता हलै। 4 सपताह के धगलहरी के बचचे के दाँत ननकलने लगत ेहैं उसके अगले चार दाँत आजीवन बढ़त ेरहत ेहैं। 10 सपताह का पूण्न ववकशसत धगलहरी का बचचा अपनी माँ का घोंसला छोड़ कर अपने शलए अलग घोंसला बना लेता हलै। धगलहरी की औसत आयु 12 वर्न हलै, पर जंगल में वह 15 वरषों तक जी सकती हलै।

    D प्कृनत में धगलहरी के अनेक ित्रओु ंमें लोमड़ी, ब्बलली, भेड़ड़या, धग�, उललू आटद हैं। धगलहरी की नज़र मनु्य से भी तज़े होती हलै। वह छोटी से छोटी चीज़ को भी बड़ी आसानी से देि सकती हलै और ख़तरा महसूस होने पर तुरंत पेड़ पर चढ़ जाती हलै। अपने साथी को ख़तरे का संकेत देने के शलए वह अपने िरीर स्जतनी लमबी रोंयेदार पँूछ का इसतमेाल करती हलै। कुछ प्जानतयाँ सीटी बजाकर या दाँत ककटककटाकर अपने साधथयों को आगाह करती हैं। धगलहरी फुतथी से 20 मील प्नत घणटे की रफतार से दौड़ सकती हलै। िहरों में उसे रात के समय गाड़ी के नीचे कुचलने का भी ख़तरा होता हलै।

  • 5

    0549/01/F/M/20© UCLES 2020 [Turn over

    ्नीचे ढ़दए गए रकतव्ों (7-15) को पढ़िए तथया कोष्ठक में सही कया न्नशया्न लगया कर बतयाइए कक कौ्न सया अ्नुचछेद ककस रकतव् से समबबंगित है।

    उदयाहरण: धगलहरी बहुत चंचल और चुसत जानवर हलै।

    A B C D

    7 सलेटी धगलहरी मूल रूप से अमरीका में पाई जाती थी।

    A B C D [1]

    8 धगलहरी टदन के समय जागती और रात को सोती हलै।

    A B C D [1]

    9 धगलहरी पालतू जानवर नहीं हलै।

    A B C D [1]

    10 धगलहरी अपनी पँूछ से अपने साधथयों को संकट से सचेत करती हलै।

    A B C D [1]

    11 धगलहरी फल और फूलों को नुकसान पहँुचाती हलै।

    A B C D [1]

    12 धगलहरी के नवजात बचचे पूरी तरह से माँ पर ननभ्नर होत ेहैं।

    A B C D [1]

    13 सलेटी धगलहरी के कारण लाल धगलहरी के अस्सततव पर ख़तरा आया।

    A B C D [1]

  • 6

    0549/01/F/M/20© UCLES 2020

    14 धगलहरी अपने को सुर�क्त रिने में माटहर होती हलै।

    A B C D [1]

    15 नर धगलहरी अपने बचचों को पालने में हाथ नहीं बँटाता।

    A B C D [1]

    [पूणाांक 9]

  • 7

    0549/01/F/M/20© UCLES 2020 [Turn over

    BLANK PAGE

  • 8

    0549/01/F/M/20© UCLES 2020

    अभ्यास 3: प्रश्न 16-19

    ‘पलयाज्टिक और प्या्वररण–सुरक्या’ के बयारे में न्नम्नललखखत आलेख को ध्या्नपूर्वक पढ़िए।

    पलास्सटक एक ऐसा चमतकारी पदाथ्न हलै स्जसका उपयोग दलैननक जीवन के प्योग में आने वाले उपकरणों से लेकर अतंररक् यान तक में ककया जाता हलै। इसके उपयोग की अधिकता का कारण आसानी से, ससत ेदाम में बनाया जाना तथा टटकाऊपन हलै। दभुा्नगय से उसकी यही वविरेताएँ पया्नवरण की सुरक्ा के शलए एक कटठिन समसया पलैदा कर रही हैं। यह िायद लापरवाही से समुरि में फें के गए कचरों में सबसे अधिक नुक़सान-दायक पदाथ्न हलै। पलास्सटक न आसानी से गलता हलै और न ही सड़ता हलै। पलास्सटक से बनी चीज़ों के समुरि में ववघटन की गनत के परीक्ण से वलैज्ाननकों ने यह नन्कर्न ननकाला कक समुरि में धगराए गए पलास्सटक के धगलास और दसूरे पात्रों को पानी में ववयोस्जत होने में 40 वर्न, बड़ी बोतलों और कनेसटरों को 400 वर्न तथा बचचों को पहनाए जाने वाली लंगोटी को 450 वर्न तक का समय चाटहए। इसको जलाने से ननकली दवूरत गलैस ओज़ोन परत को, जो प्ृथवी और पया्नवरण को सूय्न की ख़तरनाक पराबैंगनी ककरणों से बचाने के शलए सुरक्ा कवच का काम करती हलै, हानन पँहुचाती हलै। प्कृनत, पिु-पक्ी और मनु्य के अस्सततव पर इसके समभाववत दु् पररणामों को देित ेहुए पया्नवरण के संरक्क इसके उपयोग पर प्शन धचनह लगा रहे हैं।

    अनुमानत: संसार के समुरिों में लगभग 165 करोड़ टन पलास्सटक का कचरा भरा हुआ हलै। इनमें पलास्सटक की थलैशलयाँ, िादय पदाथषों के उपयोग कर के फें कने वाले ड़्ड्बे, बोतलें, मछली पकड़ने के जाल के टुकड़ ेआटद हैं। द�क्ण सपेन के समुरि तट पर मतृ पाए गए लगभग 33 फीट लमबे और छ: टन से भी भारी एक िुरिाणु वहेल का िव-परीक्ण करने पर उस नर वहेल की आतँों में पलास्सटक की थलैशलयाँ, राकफया के बोरे, मछली के जाल, रससी के टुकड़ ेपानी की बड़ी बोतलें आटद का 29 ककलो कचरा शमला। इतने सारे पलास्सटक को पचा पाना या िरीर से बाहर न ननकाल सकना उसकी मौत का कारण बना। समुरिी कछुए और मछशलयाँ पानी में तलैरती पलास्सटक की थलैशलयों को सवाटद्ट जलैली कफि समझ कर ननगल जात ेहैं और वह उनके गले में फँस कर शवास प्णाली को अवरु� कर देती हलै। िादय-िृंिला दवारा यह पलास्सटक मनु्यों की आतँों में पहँुच कर नाना प्कार के रोग उतपनन करता हलै। मछली के जाल के टुकड़ों से उलझ कर न जाने ककतने जल-जंतुओ ंका दम घुट जाता हलै। वलैज्ाननकों को 10 में से 9 मतृ जल-प�क्यों के पेट में फँसा हुआ पलास्सटक शमला। पलास्सटक के ववववि उपकरण समुरि के 40 प्नतित जीवों की मतृयु के कारण माने जात ेहैं।

    पलास्सटक के तंतुओ ंसे उलझने से प्वाल-शभस्त तयों (कोरल रीफस) के लुपत होने की आिंका हलै। वलैज्ाननकों का ववशवास हलै कक पलास्सटक के टुकड़ ेरोगवाहक सूक्म जीवाणुओ ंको आकवर्नत कर सकत ेहैं स्जसकी वजह से उनसे नघरी प्वाल शभस्त तयों में मारक संरिामक रोग लगने का ख़तरा बढ़ जाता हलै। प्वाल शभस्त तयाँ केवल उनहीं सथलों में बनती हैं जहाँ पर जल ननम्नल और उ्ण होता हलै। दलैननक उपयोग का अधिकांि पलास्सटक पौली ववनाइल कलोराइ्ड स्जसे पी वी सी कहत ेहैं, से बनता हलै। इससे पानी के अदंर बीसफेनल नामक ववराकत गलैस ननकलती हलै स्जसका दु् प्भाव जीव-जंतुओ ंकी प्जनन क्मता और शवसन प्णाली पर होता हलै। इस गलैस के पानी में शमलने से पक्ाघात, हडड़्डयों का क्य, चम्न रोग और कैं सर जलैसी घातक बीमाररयों की संभावना बढ़ती हलै। जमीन में दबे पलास्सटक से ननकले रसायन शम�ी तथा आस-पास के जल स्ोतों और भूजल में ररस सकता हलै और दवूरत पानी पीने से सथलचारी जीवों के सवास्थय के शलए संकट हो सकता हलै।

    वत्नमान और भवव्य की पीटढ़यों को इन ख़तरों से सुर�क्त रिने के शलए पया्नवरण-सुरक्ा संसथाएँ और अलग-अलग देिों की सरकारें सकरिय हैं। कुछ देिों की सरकारों दवारा पलास्सटक की थलैशलयों के प्योग को सीशमत करने का ननण्नय, पीने के काम आने वाले पलास्सटक के सट्ॉ और चममच पर प्नतबनि, घरेलू वयवहार में आने वाले पलास्सटक के उपकरणों के ररसाइककल करने की योजना आटद अनेक सकारातमक कदम उठिाए गए हैं। अमरीका में अतंररक्-उपकरणों तथा िादय-पदाथ्न के ड़्ड्बों के शलए पी वी सी के उपयोग पर प्नतबनि लगाया गया हलै। पया्नवरण की सुरक्ा के शलए पलास्सटक एक बहुत बड़ी चुनौती हलै स्जसका सामना करने का दानयतव ककसी एक वयस्कत या देि का नहीं वरन समपूण्न मानवता का हलै। इसके शलए सामूटहक जागरूकता और प्नतब�ता की ज़रूरत हलै।

  • 9

    0549/01/F/M/20© UCLES 2020 [Turn over

    अभ्यास 3: प्रश्न 16-19

    ‘पलयाज्टिक और प्या्वररण-सुरक्या’ आलेख के आियार पर ्नीचे ढ़दए गए प्रत््ेक शीर्वक (16 से 19) के अबंतग्वत सबंक्क्पत ्नोटि ललखें।

    8

    [पूणाांक 9]

    अभ्यास 4 में आप आलेख और अप्ेन ्नोटस के आियार पर ‘पलयाज्टिक और प्या्वररण-सुरक्या’ शीर्वक लेख कया सयारयाबंश ललखेंगे।

    16 पलास्सटक के प्चलन के कारण

    • .................................................................................................................................

    • ............................................................................................................................ [2]

    17 समुरिी जीव-जंतुओ ंपर समभाववत दु् प्भाव

    • .................................................................................................................................

    • .................................................................................................................................

    • ............................................................................................................................ [3]

    18 मानव सवास्थय और पया्नवरण की सुरक्ा पर ितरे

    • .................................................................................................................................

    • ............................................................................................................................ [2]

    19 समसया के समािान के प्यतन

    • .................................................................................................................................

    • ............................................................................................................................ [2]

  • 10

    0549/01/F/M/20© UCLES 2020

    अभ्यास 4: प्रश्न 20

    अभयास 3 के आलेि में दलैननक जीवन में पलास्सटक की उपयोधगता, उसके प्योग की बहुतायत से होने वाली संभाववत समसयाओं और समािानों के उपाय का वण्नन हलै। अभयास 3 के आलेि और अपने बनाए नोटस के आिार पर उसका सारांि शलिें। आपका सारािं 100 शबदों से अधिक नहीं होना चाटहए।

    आप यथासंभव अप्ेन शबदों में शलिें।

    आपको अबंतर््व तु के ललए अधिकतम 4 अकं और सटिीक और सबंक्क्पत भयारया-शलैी के ललए अधिकतम 6 अकं टदए जाएंगे।

    पलयाज्टिक की उप्ोगगतया, सम््याएँ और समयािया्न

  • 11

    0549/01/F/M/20© UCLES 2020 [Turn over

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ........................................................................................................................................................... [10]

    [पूणाांक 10]

  • 12

    0549/01/F/M/20© UCLES 2020

    अभ्यास 5: प्रश्न 21

    गमथी की छुट�यों में आप अपने शमत्रों के साथ एक वपकननक आयोस्जत कर रहे / रही हैं। शमत्र को ई-मेल दवारा आमंब्त्रत करें। आपके ई-मेल में ननमनशलखित बातें सस्ममशलत होनी चाटहएं:

    • वपकननक के आयोजन की सूचना• शमत्र को आमंत्रण देना • आमंत्रण के उत तर की अपेक्ा।

    आपकया ई-मेल लगभग 120 शबदों में हो्नया चयाढ़हए। आपको पता शलिने की आवशयकता ्नहीबं हलै।

    आपको 3 अकं अतंव्नसतु के शलए और 5 अकं सटिीक भारा और िलैली के शलए टदए जाएंगे।

  • 13

    0549/01/F/M/20© UCLES 2020 [Turn over

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ..................................................................................................................................................................

    ............................................................................................................................................................. [8]

    [पूणाांक 8]

  • 14

    0549/01/F/M/20© UCLES 2020

    अभ्यास 6: प्रश्न 22

    ‘16-18 रर्व के ककशोर-ककशोरर्ों को मतदया्न कया अगिकयार लमल्नया चयाढ़हए।’

    आप कहाँ तक इस मत से सहमत हैं? अपने ववचारों को समझात ेहुए सकूल पब्त्रका के शलए अपना लेि लगभग 200 ि्दों में शलखिए। आपका लेि ववरय की जानकारी पर केस्नरित होना चाटहए।

    ऊपर दी गई ढ़टिपपखण्याँ आपके लेख्न के ललए ढ़दशया प्रदया्न कर सकती हैं। इ्नके मयाध्म से आप अप्ेन वरचयारों को वर्तयार दीजजए।

    ललखखत प्र्तुनत पर अबंत्वर्तु के ललए 8 अबंक तक और सटिीक भयारया के ललए भी 8 अबंक तक ढ़दए जयाएबंगे।

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    मैं इतना पररपकव नहीं कक मतदान का दानयतव समहाल सकँू।

    अपने बेहतर भवव्य के शलए मुझ ेमतदान का अधिकार शमलना चाटहए।

  • 15

    0549/01/F/M/20© UCLES 2020 [Turn over

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ..........................................................................................................................................................

    ................................................................................................................................................... [16]

    [पूणाांक 16]

  • 16

    0549/01/F/M/20© UCLES 2020

    Permission to reproduce items where third-party owned material protected by copyright is included has been sought and cleared where possible. Every reasonable effort has been made by the publisher (UCLES) to trace copyright holders, but if any items requiring clearance have unwittingly been included, the publisher will be pleased to make amends at the earliest possible opportunity.

    To avoid the issue of disclosure of answer-related information to candidates, all copyright acknowledgements are reproduced online in the Cambridge Assessment International Education Copyright Acknowledgements Booklet. This is produced for each series of examinations and is freely available to download at www.cambridgeinternational.org after the live examination series.

    Cambridge Assessment International Education is part of the Cambridge Assessment Group. Cambridge Assessment is the brand name of the University of Cambridge Local Examinations Syndicate (UCLES), which itself is a department of the University of Cambridge.

    BLANK PAGE