Gurutva Jyotish Aug-2012
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Transcript of Gurutva Jyotish Aug-2012
NON PROFIT PUBLICATION
गुरुत्व कामाारम द्राया प्रस्तुत भाससक ई-ऩत्रिका अगस्त- 2012
Font Help >> http://gurutvajyotish.blogspot.com
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enough of its achievements of our Goal. We Are World's Leading Mantra Siddha Kavach
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We are Also Thanks and Salute to SRI BHUPENDRA BHAI JOSHI (Founder and
Former Managing Director of GURUTVA KARYALAY) For her Bright Visionary in
Spiritual Subject. CHINTAN JOSHI
All Team Member of GURUTVA JARYALAY And GURUTVA JYOTISH
GURUTVA JYOTISH In July-2012 We are Successfully Published
Our 24th Edition of GURUTVA JYOTISH Monthly E-Magazine
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Received Lots of Suggestion and Feedback by our Readers. Our Some Readers Are Regularly
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Dear All Readers Thank You For Your Continued Support and Contributions.
Behind Our Success We are Also Thanks Our Freelance Graphics Designing Team
SWASTIK.N.JOSHI, Digital Graph, Deepak Joshi, Shriya Joshi, Manish Joshi, Ajay Sharma,
Ashish Patel And All Team Member of SWASTIK SOFTECH INDIA
Our Freelance Writers Swastik.N.Joshi, Deepak Joshi, Shriya Joshi, Vijay Thakur, Rakesh
Panda, Alok Sharma, Pt.Sri Bhagvandas Trivedi Jee, Shandip Sharma, E.t.c Team Member CHINTAN JOSHI
All Team Member of GURUTVA JARYALAY And GURUTVA JYOTISH
FREE E CIRCULAR ई- जन्भ ऩत्रिकागुरुत्व ज्मोसतष ऩत्रिका
अगस्त 2012
सॊऩादक अत्माधुसनक ज्मोसतष ऩद्धसत द्राया
उत्कृद्श बत्रवष्मवाणी के साथ
१००+ ऩेज भं प्रस्तुत
सिॊतन जोशी सॊऩका गुरुत्व ज्मोसतष त्रवबाग
गुरुत्व कामाारम
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
पोन E HOROSCOPE
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www.gurutvakaryalay.com http://gk.yolasite.com/ www.gurutvakaryalay.blogspot.com/ ऩत्रिका प्रस्तुसत सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी पोटो ग्राफपक्स फहॊदी/ English भं भूल्म भाि 750/- सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक आटा हभाये भखु्म सहमोगी GURUTVA KARYALAY
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
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स्वस्स्तक.ऎन.जोशी (स्वस्स्तक
सोफ्टेक इस्न्िमा सर)
बायतीम त्रवद्रानं के भतानुशाय अॊक त्रवऻान ज्मोसतष शास्त्र का एक असबऻ अॊग हं, क्मोफक सॊऩूणा ज्मोसतष शास्त्र एवॊ उसकी गणनाओॊ का भूख्म आधाय गस्णत हं औय गस्णत का भूख्म आधाय अॊक हं। हजायं वषा ऩूवा बायतीम त्रवद्रानो ने अऩने ऻान फर…6
अॊक ज्मोसतष भरूाॊक त्रवशेष भं
सवा कामा ससत्रद्ध कवि …19
त्रवशेष भं हभाये उत्ऩाद भूराॊक 1 स्वाभी सूमा 8 द्रादश भहा मॊि 11
भूराॊक 2 स्वाभी िन्रभा 12 सवा कामा ससत्रद्ध कवि 19
भूराॊक 3 स्वाभी गुरू 16 बाग्म रक्ष्भी फदब्फी 21
गणेश रक्ष्भी मॊि…37
भूराॊक 4 स्वाभी याहु 20 दगुाा फीसा मॊि 23
भूराॊक 5 स्वाभी फुध 24 भॊिससद्ध स्पफटक श्री मॊि 28
भूराॊक 6 स्वाभी शुक्र 27 कनकधाया मॊि 35
भूराॊक 7 स्वाभी केत ु 31 धन वतृ्रद्ध फिब्फी 36
भूराॊक 8 स्वाभी शसन 34 सयस्वती कवि औय मॊि 41
नवयत्न जफित श्रीमॊि.. 55
अॊक ज्मोसतष भूराॊक 9 स्वाभी भॊगर 38 सवाससत्रद्धदामक भुफरका 42
अॊक ज्मोसतष से जाने शुब यत्न 42 प्रद्ल कुॊ िरी त्रवद्ऴेषण 45
वास्तु एवॊ योग 44 44 ऩुरुषाकाय शसन मॊि 54
धन प्रासद्ऱ भं फाधक हं भकिी के जारे 48 48 नवयत्न जफित श्री मॊि 55
असधक भास का धासभाक भहत्व 49 49 श्री हनुभान मॊि 56
ऩरुुषाकाय शसन
मॊि…54
गुरु ऩुष्माभतृ मोग 53 भॊिससद्ध रक्ष्भी मॊिसूसि 57
स्थामी औय अन्म रेख भॊि ससद्ध दैवी मॊि सूसि 57
सॊऩादकीम 6 यासश यत्न 58
भाससक यासश पर 65 भॊि ससद्ध रूराऺ 59
यासश यत्न…58
अगस्त 2102 भाससक ऩॊिाॊग 69 भॊि ससद्ध दरुाब साभग्री 59
अगस्त-2012 भाससक व्रत-ऩवा-त्मौहाय 71 श्रीकृष्ण फीसा मॊि /कवि 60
अगस्त 2102 -त्रवशेष मोग 76 याभ यऺा मॊि 61
दैसनक शुब एवॊ अशुब सभम ऻान तासरका 76 जैन धभाके त्रवसशद्श मॊि 62
भॊि ससद्ध रूराऺ …59
फदन-यात के िौघफिमे 77 घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध भहामॊि 63
फदन-यात फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक 78 अभोद्य भहाभतृ्मुॊजम कवि 64
ग्रह िरन अगस्त -2012 79 याशी यत्न एवॊ उऩयत्न 64
सूिना 87 शसन ऩीिा सनवायक 70
हभाया उदे्दश्म 89 सवा योगनाशक मॊि/ 80
अभोद्य भहाभतृ्मुॊजम
कवि …64
भॊि ससद्ध कवि 82 YANTRA LIST 83 GEM STONE 85
गुरु ऩुष्म मोग के फाये भं त्रवद्रान ज्मोसतत्रषमो का कहना हं फक ऩुष्म नऺि भं धन प्रासद्ऱ,
िाॊदी, सोना, नमे वाहन, फही-खातं की खयीदायी एवॊ गुरु ग्रह से सॊफॊसधत वस्तुए अत्मासधक राब प्रदान कयती है।….53
त्रप्रम आस्त्भम
फॊध/ु फफहन
जम गुरुदेव
बायतीम त्रवद्रानं के भतानुशाय अॊक त्रवऻान ज्मोसतष शास्त्र का एक असबऻ अॊग हं, क्मोफक सॊऩूणा ज्मोसतष शास्त्र एवॊ उसकी गणनाओॊ का भूख्म आधाय गस्णत हं औय गस्णत का भूख्म आधाय अॊक हं। हजायं वषा ऩूवा बायतीम त्रवद्रानो ने अऩने ऻान फर एवॊ खोज से अॊकं के गूढ़ यहस्म को ऻात कय सरमा था। अॊक ज्मोसतष के आधाय ऩय फकसी भनुष्म के िरयिगत रऺण, जीवन भं घफटत होने वारी शुब-अशुब घटना आफद को असत सयरता से ऻात फकमा जा सकता हं। अॊक त्रवद्या बत्रवष्म ऻात कयने की सफसे सयर त्रवसध हं, रेफकन इस त्रवद्या के आधाय ऩय ज्मोसतष शास्त्र की तयह एकदभ स्स्टक बत्रवष्मवाणी कयना कफिन हं। अॊक शास्त्र के गूढ यहस्मं को उजागय कय उसे असत सयर भाध्मभ फनाने भं बायतीम त्रवद्रानो ने अऩना त्रवशेष मोगदान फदमा हं। आज के आधसुनक मुग भं सभम फदरने के साथ-साथ कुछ रोगं ने अॊक शास्त्र को ऩद्ळात्म देशं की देन भान सरमा जो की सिाई से ऩये हं। बायतीम त्रवद्रानो का भत हं की अॊक ज्मोसतष बत्रवष्म जानने की असत सयर प्रणारी होने के कायण सॊबवत इसका त्रवदेश भं असधक प्रिर यहा हं। क्मोफक अॊक ज्मोसतष भं ज्मोसतष शास्त्र के सभान असधक रम्फी गणनाएॊ मा ग्रहं का सूक्ष्भ अवरोकन आफद का सनयीऺण कयने की आवश्मक्ता नहीॊ होती हं। अॊक ज्मोसतष की गणनाएॊ अत्मॊत सयर होती हं, स्जसे कोई बी गस्णत का थोिा़ फहुत ऻान यखने वारा व्मत्रक्त बी आसानी से सभझ सकता हं। रेफकन ज्मोसतष शास्त्र की गणनाएॊ इतनी आसान नहीॊ होती। अॊकं के आधाय ऩय ही फदनाॊक औय भफहनं का सनणाम फकमा गमा हं। जानकायं का भत हं की हय फदनाॊक औय उससे प्राद्ऱ होने वारे भूराॊक फकसी ना फकसी ग्रह के प्रसतसनसधत्व कयते हं। भरूाॊक के स्वाभी ग्रह का प्रबाव सॊफॊसधत व्मत्रक्त के जीवन ऩय त्रवशेष रुऩ से ऩिता हं। भूराॊक व्मत्रक्त जन्भ तारयख से प्राद्ऱ होता हं। अॊक ज्मोसतष की भहत्वता को सभझते हुवे बायतीम त्रवद्रानं ने त्रवसबन्न यहस्मं को उजागय कयके भनुष्म के बूत, बत्रवष्म औय वताभान स्स्थती का आॊकरन कयने की सयर त्रवसध प्रदान की हं। इस अॊक ज्मोसतष त्रवशेष अॊक भं केवर भं भूराॊक से सॊफॊसधत जानकायीमा सॊरग्न की गई हं। ऩािकं के भागादशान के सरमे अॊक ज्मोसतष भरूाॊक त्रवशेषाॊक फक प्रस्तुसत फक गई हं। सबी ऩािको के भागादशान मा ऻानवधान के सरए भूराॊक से सॊफॊसधत त्रवसबन्न उऩमोगी जानकायी इस अॊक भं त्रवसबन्न ग्रॊथो एवॊ सनजी अनुबवो के आधाय ऩय सॊकसरत की गई हं। जानकाय एवॊ त्रवद्रान ऩािको से अनुयोध हं, मफद अॊक ज्मोसतष भं भूराॊक से सॊफॊसधत त्रवषम भं सभम, स्थान, वस्तु, स्स्थसत इत्माफद के सॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, सॊऩादन भं, फिजाईन भं, टाईऩीॊग भं, त्रप्रॊफटॊग भं, प्रकाशन भं कोई िफुट यह गई हो, तो उसे स्वमॊ सुधाय रं मा फकसी मोग्म जानकाय मा त्रवद्रान से सराह त्रवभशा कय रे । क्मोफक जानकाय भूराॊक त्रवदे्ऴषण कयने वारे एवॊ त्रवद्रानो के सनजी अनुबव व त्रवसबन्न ग्रॊथो भं वस्णात अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत जानकायीमं भं एवॊ त्रवद्रानो के स्वमॊ के अनुबवो भं सबन्नता होने के कायण अॊक ज्मोसतष भं परकथन की बाग्माॊक, नाभाॊक आफद प्रभुख ऩद्धसत का बी त्रवशेष भहत्व होने के कायण पर कथन भं सबन्नता सॊबव हं।
सिॊतन जोशी
7 अगस्त 2012
***** अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत त्रवशेष सूिना*****
ऩत्रिका भं प्रकासशत अॊक ज्मोसतष से सम्फस्न्धत सबी जानकायीमाॊ गुरुत्व कामाारम के असधकायं के साथ ही आयस्ऺत हं।
अॊक शास्त्र ऩय अत्रवद्वास यखन ेवार ेव्मत्रक्त अॊक ज्मोसतष के त्रवषम को भाि ऩिन साभग्री सभझ सकते हं।
अॊक ज्मोसतष का त्रवषम ज्मोसतष से सॊफॊसधत होन ेके कायण इस अॊकभं वस्णात सबी जानकायीमा बायसतम
अॊक शास्त्रं से प्रेरयत होकय सरखी गई हं।
अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत त्रवषमो फक सत्मता अथवा प्राभास्णकता ऩय फकसी बी प्रकाय फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हं।
अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत बत्रवष्मवाणी फक प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक
नहीॊ हं औय ना हीॊ प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव फक स्जन्भेदायी के फाये भं जानकायी देन ेहेत ुकामाारम मा सॊऩादक
फकसी बी प्रकाय से फाध्म हं।
अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत रेखो भं ऩािक का अऩना त्रवद्वास होना आवश्मक हं। फकसी बी व्मत्रक्त त्रवशेष को फकसी बी प्रकाय से इन त्रवषमो भं त्रवद्वास कयन ेना कयन ेका अॊसतभ सनणाम उनका स्वमॊ का होगा।
अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत ऩािक द्राया फकसी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।
अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत रेख अॊक शास्त्र के प्राभास्णक ग्रॊथो, हभाये वषो के अनबुव एव अनशुॊधान के
आधाय ऩय फदमे गम ेहं।
हभ फकसी बी व्मत्रक्त त्रवशेष द्राया अॊक ज्मोसतष ऩय त्रवद्वास फकए जान े ऩय उसके राब मा नकु्शान की स्जन्भेदायी नफहॊ रेते हं। मह स्जन्भेदायी अॊक ज्मोसतष ऩय त्रवद्वास कयन ेवार ेमा उसका प्रमोग कयन ेवार े
व्मत्रक्त फक स्वमॊ फक होगी।
क्मोफक इन त्रवषमो भं नसैतक भानदॊिं, साभास्जक, काननूी सनमभं के स्खराप कोई व्मत्रक्त मफद नीजी स्वाथा ऩसूता हेत ुअॊक ज्मोसतष का प्रमोग कताा हं अथवा अॊक ज्मोसतष का सकू्ष्भ अध्ममन कयन ेभे िफुट यखता हं
मा उससे िफुट होती हं तो इस कायण से प्रसतकूर अथवा त्रवऩरयत ऩरयणाभ सभरने बी सॊबव हं।
अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत जानकायी को भानकय उससे प्राद्ऱ होने वारे राब, हानी फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हं।
हभाये द्राया ऩोस्ट फकम ेगम ेअॊक ज्मोसतष ऩय आधारयत रेखं भं वस्णात जानकायी को हभन ेसकैिोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधगुण ने बी अऩने नीजी जीवन भं अनबुव फकमा हं। स्जस्से हभ अनेको फाय अॊक ज्मोसतष के आधाय ऩय स्स्टक उत्तय की प्रासद्ऱ हुई हं। असधक जानकायी हेतु आऩ कामाारम भं सॊऩका कय सकते
हं।
(सबी त्रववादो केसरमे केवर बुवनेद्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)
8 अगस्त 2012
भूराॊक 1 स्वाभी सूमा सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी
भूराॊक:- 1 स्वाभी ग्रह:- सूम सभि अॊक:- 2,3,9 शि ुअॊक:- 6,8 सभ-5- स्व अॊक-1 तत्व:- अस्ग्न
मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की 1, 10, 19 व 28 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 1 होता है।
भूराॊक 1 अॊक के व्मत्रक्त भेहनती, उद्यभी औय स्स्थय त्रविाय धाया वारे दृढ़ सनद्ळमी होते हं। व्मत्रक्त की प्रकृसत कामा ऺेि भं असधक स्स्थयता मुक्त होती हं।
भूराॊक 1 का स्वाभी ग्रह सूमा हं, इस सरए भूराॊक 1 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त के उऩय सूमा का त्रवशेष प्रबाव देखने को सभरता हं, क्मोफक 1 भूराॊक भं जन्भ रेने के कायण व्मत्रक्त के सबतय सूमा ग्रह की अनुकूरता के कायण सूमा ग्रह के गुणं का सभावेश अन्म ग्रहं की अऩेऺा बयऩूय भािा भं हो जाता हं। सूमा ग्रह के इस त्रवशेष प्रबात्रव गुणं के कायण ही व्मत्रक्त भं नेततृ्व की बावना बी प्रफर होती हं। एसे व्मत्रक्त स्जस कामा को बी अऩने हाथ भं रेते हं, उस कामा को अच्छी तयह सनबाते हं व्मत्रक्त के सबतय उस कामा को सॊऩन्न कयने का साभर्थमा त्रवशेष रुऩ से होता हं। व्मत्रक्त
अत्मासधक सहनशीर, सफहष्णु एवॊ गॊबीय होते हं। व्मत्रक्त के जीवन भं सनयॊतय उत्थान-ऩतन होत यहते हं तथा सॊघषा इनके जीवन का भुख्म अॊश होता हं। व्मत्रक्त का आसथाक ऩऺ भजफुत होता हं। व्मत्रक्त सनयॊतय धन अस्जात कयने वारा होता हं। भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त मफद नौकयी कयते हं तो वह शीध्र उच्ि ऩद ऩय आसीन होने का प्रमास कयते हं तथा मफद वह व्माऩायी हं तो फदन-यात ऩरयश्रभ कय अऩने व्माऩायी वगा भं प्रभुख स्थान फनाने भं सभथा होते हं। व्मत्रक्त िाहे व्माऩाय के ऺेि भं हो मा नौकयी के उसके नेततृ्व कयने भं कोई कभी नहीॊ आएगी। एसे व्मत्रक्त सनणाम रेने भं ितुय होते हं, स्वतॊि एवॊ स्वस्थ सिॊतन इनकी प्रभुख त्रवशेषता होती हं। इनका व्मत्रक्तत्व स्वत् ही दसूयं से अरग फदखाई देगा, फकसी के
दफाव भं मे व्मत्रक्त कामा नहीॊ कय सकते हं। व्मत्रक्त अऩने जीवन का असधकतय
सभम प्रत्मेक ऺेि भं ऩरयवतान कयने भं खिा कय देते हं ऩरयवतान इनका स्वाबाव होता हं, ऩूयानी जीवन शैरी ऩय िरने के अभ्मस्त नहीॊ होते हं। सुॊदय, सुरूसिऩूणा जीवन भं मे त्रवद्वास यखते हं।
व्मत्रक्त जीवन को जीना अच्छी तयह जानते हं।
भूराॊक 1 भं जन्भं व्मत्रक्त अत्मासधक अनुशासन त्रप्रम होते हं।
व्मत्रक्त को फकसी के दफाव भं मा फकसी के दफाव भं अॊदय यहकय कामा कयना ऩसॊद नहीॊ होता व्मत्रक्त स्वतॊिता त्रप्रम होते हं इस सरए व्मत्रक्त को अऩने उच्िासधकायी मा फकसी औय का हस्तऺेऩ ऩसॊद नहीॊ होता
9 अगस्त 2012
क्मा आऩके फच्िे कुसॊगती के सशकाय हं?
क्मा आऩके फच्िे आऩका कहना नहीॊ भान यहे हं? क्मा आऩके फच्िे घय भं अशाॊसत ऩदैा कय यहे हं?
घय ऩरयवाय भं शाॊसत एवॊ फच्िे को कुसॊगती से छुिाने हेतु फच्ि ेके नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा ितैन्म मुक्त वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फिब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भं स्थात्रऩत कय अल्ऩ ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं। मफद आऩ तो आऩ भॊि ससद्ध वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फिब्फी फनवाना िाहते हं, तो सॊऩका इस कय सकते हं।
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हं। स्जस प्रकाय ज्मोसतष ग्रॊथं भं उल्रेख हं की सूमा ग्रह की प्रधानता वारे व्मत्रक्त जीवन भं याजमोग का सुख बोगते हं (अथाात याजा के सभान सुख प्राद्ऱ कयने वारे होते हं) िीक उसी प्रकाय अॊक शास्त्र के अनुशाय बी भूराॊक एक वारे व्मत्रक्त बी जीवन भं अऩने कभा से याजा के सभान सुख को शीघ्र प्राद्ऱ कयने भं सऺभ होते हं।
भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त सूमा के प्रबाव से स्स्थय त्रविायधाया वारे अऩने सनद्ळम ऩय दृढ़ यहने वारे होते हं। इस सरए व्मत्रक्त जीवन भं जफ बी फकसी को अऩना विन देते हं, तो व्मत्रक्त उस विन को सनबाने का ऩूणा प्रमत्न कयता हं। व्मत्रक्त थोिे़ स्िद्दी स्वबाव के होते हं स्जस कायण व्मत्रक्तफकसी भहत्वऩूणा सनणाम रेने भं राऩयिाही फयते हं औय अऩने जीवन के फकसी भोि ऩय उसका खासभमाजा बुगतते हं। व्मत्रक्त अऩनी स्िद्द के कायण कबी कबी अनुसित कभं भं सरग्न हो जाते हं औय ऩारयवायीक रोगं एवॊ त्रप्रमजनो से अऩभासनत होते हं। क्मोफक एसे व्मत्रक्त के फदभाग भं एक फाय जो फात फिै जाती हं वह असधक सभम तक सनकरती नहीॊ। फपय िाहं वह फात सही हो मा गरत व्मत्रक्त उसी फात ऩय अि़े यहते हं।
भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त स्जससे सभिता कयते हं उसे ऩूणात् वपादायी से सनबाते हं, औय मफद फकसी से शितुा कयते हं तो उसे जल्द बुराते नहीॊ औय उस शितुाको रम्फे सभम तक स्खिने का प्रमत्न कयने से ऩीछे नहीॊ हटते। व्मत्रक्त सनयॊतय अऩने शि ु ऩऺ ऩय हात्रव होने का प्रमत्न कयते यहते हं औय असधकतय भाभरं भं व्मत्रक्त शि ुको ऩयेशान कयके मा ऩयास्जत कयके ही दभ रेते हं। व्मत्रक्त को गुद्ऱ शिओुॊ का हभेशाॊ खतया यहता हं, व्मत्रक्त के असधकतय शि ुउससे सीधे सबिने से कतयाते हं रेफकन उसके शि ुऩीछेसे वाय कयने की ताकभं यहते हं, इस सरए व्मत्रक्त को शि ुऩऺ से हभेशा सावधान यहना िाफहए, शि ुके त्रवषम भं व्मत्रक्त को फकसी बी प्रकाय की गरतफ़हभी, अपवाह मा उसे कभजो़य सभझ ने की बूर नहीॊ कयनी िाफहए क्मोफक जरूयत से असधक आत्भत्रवद्वास हानीकायक होता हं। इस सरए व्मत्रक्त को अऩनी यऺा हेतु हभेशा सिेत औय सजग यहना िाफहए।
भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त न्माम त्रप्रम एवॊ उदाय रृदम के होते हं, इस सरए व्मत्रक्त दसूयं की सहामता कयने भं बी तत्ऩय होते हं। व्मत्रक्त भं सभाज के सरए कुछ कय गुियने की बावना बी प्रफर होती हं, इस कायण व्मत्रक्त
10 अगस्त 2012
सनयॊतय अऩने कामा से ज्मादा दसूयं की कामं भं उरझा यहता हं। एसे व्मत्रक्त साभास्जक कामं से खफु नाभ औय मश प्राद्ऱ कयते हं। भूराॊक 1 वारे कुछ व्मत्रक्तमं भं कुछ भािा भं अहॊ बी ऩामा जाता हं। व्मत्रक्त के कभाऺ ेि के अनुशाय उसकी प्रशॊसा कयने वारे असधक होते हं स्जस कायण व्मत्रक्त को कबी फकसी सिज औय ऩैसं की कभी भहसूस नहीॊ होती। आवश्मक्ता ऩिने ऩय व्मत्रक्त को त्रवसबन्न स्त्रोत से ऩैसे की भदद बी सभर जाती है।
पे्रभ सॊफॊसधत भाभरं भं व्मत्रक्त असधक बावुक होते हं, मफद फकसी से एक फाय पे्रभ कयरे तो उसके सरए कुछ बी कयने को तैमाय हो जाते हं, पे्रभ के भाभरं भं एसे व्मत्रक्त उसित अनुसित कामा कयने से बी ऩीछे नहीॊ हटते।
भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त सुॊदय, स्वरुऩवान औय अच्छे देहधायी होते हं। इन रोगं की आखं तेजस्वी होती हं स्जसभं अद्भतु तेज होता है। भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त थोिे़ खिॉरे होते हं। भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त का अध्मात्भ की ओय त्रवशेष रुझान यहता है।
शुब फदन:
भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त के सरए शुब वषा 19, 28, 37, 46, 55, 64, 73 वाॊ वषा हं, हय भफहने की 1, 10, 19, 28 सतसथमाॊ शुब दामक होती हं, व्मत्रक्त के सरए यत्रववाय, सोभवाय व गुरुवाय का फदन शुब होता है। मफद सम्फस्न्धत तायीखं भं सम्फस्न्धत फदन का मोग हो तो वह फदन उसके सरए अभतृ ससद्ध मोग फन जाता है। व्मत्रक्त के सरए जनवयी, अप्रैर, जुराई एवॊ अक्टूफय, भाह शुब होता है। भािा, जून, ससतम्फय के भहीने भं सावधान यहं।
स्वास्र्थम्
भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त को तीव्र ज्वय, रृदम योग, आॉख का दखुना, िभा योग, िोट, कोढ़, भस्स्तश्क सॊफॊसध ऩयेषासन, अऩि, गफिआ, स्नामुत्रवकाय, आॊतं के योग तथा घुटने आफद की त्रषकामते होती हं। स्जन व्मत्रक्तमं का
भूराॊक-1 हं वे फकसी ना फकसी रूऩ भं रृदम से सॊफॊसध योगं से ऩीफित होते हं। फदर की धिकने औय यक्त प्रवाह असनमसभत हो जाता हं। आॉख का दखुना एवॊ दृस्श्ट दोश जैसे योग होते हं। उसित हं आऩ सभम-सभम ऩय आॉखं का ऩरयऺण कयवाते यहं।
उऩमुक्त आहाय्
फकशसभश, संप, केसय, रंग, जामपर, सॊतये, नीॊफू, भोसॊफी, खजूय, अदयक, जौ, ऩारक, गाजय आफद उऩमोगी हं। रृदम योग के नभक कभ खना िाफहमे। अनुकूर व्मवसाम:
व्मत्रक्त त्रफजरी, सिफकत्सा, याजदतू, त्रवऻान, आबूषण, नेततृ्व, सभरृी व्मवसाम, प्रधान ऩद, हुकुभत, श्रभशीर कामा, सैन्म त्रवबाग, सयकायी कामो की िेकेदायी, प्रशाससनक सेवा, खोज कामा, जहाजं से सॊफॊध यखने वारे कर-ऩुज ेतथा जवाहयात आफद व्मवसाम भं असधक सपर होते हं।
शुब फदशा:
भूराॊक 1 के व्मत्रक्त के सरए ईशान, वामव्म एवॊ दस्ऺण फदशा शुब होती है व्मत्रक्त के सरए भास्णक्म, भूॉगा, भोती एवॊ ऩोखयाज यत्न अनुकूर परादामी हंगे। ऩीरा हीया बी धायण कयना अनुकूर होगा। व्मत्रक्त के सरए दे्वत, गुराफी, ताम्रवणा एवॊ ऩीरा यॊग अनुकूर हं। भूराॊक 1 के व्मत्रक्त के सरए कद्श सनवायक उऩाम आऩका भूराॊक के स्वाभी ग्रह सूमा के शुब प्रबावो
की वतृ्रद्ध हेतु आऩ अऩनी अनासभका उॊगरी भं भास्णक धायण कय सकते हं। अऩने ऩूजा स्थान भं प्राण-प्रसतत्रद्षत भॊगर गणेश, सूमा मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं।
मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहेगा।
11 अगस्त 2012
द्रादश भहा मॊि
मॊि को असत प्रासिन एवॊ दरुाब मॊिो के सॊकरन से हभाये वषो के अनुसॊधान द्राया फनामा गमा हं। ऩयभ दरुाब वशीकयण मॊि,
बाग्मोदम मॊि
भनोवाॊसछत कामा ससत्रद्ध मॊि
याज्म फाधा सनवतृ्रत्त मॊि
गहृस्थ सुख मॊि
शीघ्र त्रववाह सॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि
सहस्त्राऺी रक्ष्भी आफद्ध मॊि
आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि
ऩूणा ऩौरुष प्रासद्ऱ काभदेव मॊि
योग सनवतृ्रत्त मॊि
साधना ससत्रद्ध मॊि
शिु दभन मॊि
उऩयोक्त सबी मॊिो को द्रादश भहा मॊि के रुऩ भं शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध ऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत एवॊ ितैन्म मुक्त फकमे जाते हं। स्जसे स्थाऩीत कय त्रफना फकसी ऩूजा अिाना-त्रवसध त्रवधान त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं।
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ग्रह शाॊसत के सरए व्रत उऩवास: यत्रववाय का व्रत: सूमा ग्रह को प्रसन्न कयने हेत ु यत्रववाय का व्रत फकमा जाता हं। सूमा का व्रत कयने से हिीमा भजफूत होती हं, ऩेट सॊफॊधी सबी योगो का त्रवनाश होता हं,
आॊखो फक योशनी फढती हं, व्मत्रक्त का साहय एवॊ ऺभता भं वतृ्रद्ध होकय उसका मश िायं औय फढता हं। यत्रववाय का व्रत कयने से सूमा के प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं।
ग्रह शाॊसत के सरए उऩमुक्त रुराऺ: आऩका भूराॊक स्वाभी सूमा हं अत् सूमा ग्रह के अशुब प्रबाव को दयू कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ के सरए 1
भुखी मा 12 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩके सरए उऩमुक्त यहेगा। आऩ 1 भुखी मा 12 भुखी रुराऺ के साथ भं 5 भुखी औय 3 भुखी रुराऺ बी धायण कयने से आऩको त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी।
शाॊसत के सरए दान
ग्रह:- सूमा
वाय:- यत्रववाय
सूमा ग्रह फक शाॊसत हेतु गेहूॉ, ताॉफा, घी, गुि, भास्णक्म, रार कऩिा, भसूयकी दार, कनेय मा कभर के पूर, गौ दान कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं
ग्रह शाॊसत के अन्म सयर उऩाम:
स्वास्र्थम सॊफॊसधत सभस्मा दयू कयने हेतु शुक्रवाय के फदन फहते ऩानी भं सात फादाभ औय एक नारयमर प्रवाफहत कयं।
कामा ससत्रद्ध हेतु सात शुक्रवाय कुएॊ भं फपटकयी का टुकिा िारं।
सशऺा से सॊफॊसधत सभस्मा दयू कयने के सरए कुते्त को योटी स्खराएॊ।
बाग्मोदम हेतु रार यॊग का रुभार अऩने ऩास यखं। सौबाग्म वतृ्रद्ध हेतु गणेश जी को सुखा भेवा िढाएॊ। अऩने भान-सम्भान एवॊ प्रसतद्षा फढाने हेतु सनमसभत
सूमा को अध्म दं औय रार िॊदन का टीका रगाएॊ।
***
12 अगस्त 2012
भूराॊक 2 स्वाभी िन्रभा
सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी भूराॊक 2
स्वाभी ग्रह:- िन्रभा
सभि अॊक:- 1,3,5, 9 शि ुअॊक:- -
सभ:-6,8-
स्व अॊक:-2 तत्व:- जर
मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की 2,11,20 व 29 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 2 होता है।
भूराॊक 2 अॊक के व्मत्रक्त असधक कल्ऩनाशीर औय िॊिर त्रविाय धाया वारे होते हं। व्मत्रक्त की प्रकृसत कामा ऺेि भं असधक करात्भक एवॊ करात्रप्रम होती हं।
व्मत्रक्त की शायीरयक फनावट भध्मभ फरशारी होते हुवे बी उनकी भानससक शत्रक्त प्रफर होती हं। भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त का फदभाग कामा ऺेि भं अन्म के भुकाफरे असधक तेज एवॊ फुत्रद्धभान होते हं। 2 भूराॊक वारं के सरए यत्रववाय सोभवाय, भॊगरवाय एवॊ गुरूवाय का फदन बी शुबसूिक होगा।
भूराॊक 2 का स्वाभी ग्रह िन्रभा हं, इस सरए भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त के उऩय िन्रभा का त्रवशेष प्रबाव देखने को सभरता हं, क्मोफक 2 भूराॊक भं
जन्भ रेने के कायण व्मत्रक्त के सबतय िन्र ग्रह की अनुकूरता के कायण िन्र ग्रह के गुणं का सभावेश अन्म ग्रहं की अऩेऺा असधक भािा भं हो जाता हं। िन्र ग्रह के इस त्रवशेष प्रबात्रव गुणं के कायण ही व्मत्रक्त असधक कल्ऩनाशीर, बावुक, स्नेहशीर, सरृदम एवॊ सयरसित्त होते हं। व्मस्क्त्त असधक सभम नई-नई कल्ऩनाओॊ की दसुनमा भं यभं यहते हं। एसे व्मत्रक्त न तो असधक सभम तक फकसी एक कामा ऩय स्स्थय यहते हं औय न ही रम्फे सभम तक फकसी त्रवषम ऩय सोि सकते हं। इनके भन-भस्स्तष्क भं सनत्म नमे-नमे त्रविाय सूझते यहते हं औय उन त्रविायं को फक्रमाशीर कयने के सरए मे जूझते हुए फदखाई देते हं। स्जस प्रकाय िन्रभाॊ स्स्थय नहीॊ
यहता अथाात घटता-फढ़ता फदखाई देता हं इसी प्रकाय भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे रोगं
के भहत्वऩूणा सनणाम मा मोजनाएॊ स्स्थय नहीॊ यहती इस कायण उनके असधकतय कामा मा मोजनाए ऩूणा होने से ऩहरे ही कोई नई मोजना मा कामा कयने हेतु प्रस्तुत हो जाते हं। भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे
व्मत्रक्त की प्राम् कल्ऩनाएॊ उच्ि कोफट की यहती है। व्मत्रक्त की
फुत्रद्ध एवॊ कुशरता से वह भहत्वऩूणा कामं भं दसूयं के भुकाफरे
आगे सनकर जाते हं। भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त असधय
स्वबाव के होते हं, व्मत्रक्त फकसी कामा को कयते सभम जल्दी जल्द घफया जाते हं, एसे भं कई फाय इनके सबतय कामा को ऩूणा कयने की त्रवरऺण शत्रक्तमाॊ छुऩी होने के
13 अगस्त 2012
ऩसत-ऩत्नी भं करह सनवायण हेतु मफद ऩरयवायं भं सुख-सुत्रवधा के सभस्त साधान होते हुए बी छोटी-छोटी फातो भं ऩसत-ऩत्नी के त्रफि भे करह होता यहता हं, तो घय के स्जतने सदस्म हो उन सफके नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा ितैन्म मुक्त वशीकयण कवि एवॊ गहृ करह नाशक फिब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भं त्रफना फकसी ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं। मफद आऩ भॊि ससद्ध ऩसत वशीकयण मा ऩत्नी वशीकयण एवॊ गहृ करह नाशक फिब्फी फनवाना िाहते हं, तो सॊऩका आऩ कय सकते हं।
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फावजुद मह रोग आत्भ त्रवद्वास एवॊ सधयज की कभी के कायण कामा को अधयूा छोि देते हं।
व्मत्रक्त अऩनी कामा कुशरता से शीघ्र ही सभाज भं एक सम्भासनम एवॊ रोकत्रप्रम व्मत्रक्त फन सकते हं। व्मत्रक्त भं आत्भ त्रवद्वास की कभी होने के परस्वरूऩ मे तुयॊत सनणाम नहीॊ रे ऩाते। जीवन बय व्मत्रक्त के साभने िाहे छोटी से छोटी मा फिी से फिी सभस्मा हो, मे उसभं उरझे ही यहते हं।
भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त स्वाबाव से थोिे़ शॊकाशीर होते हं। व्मत्रक्त अऩने त्रप्रमजनं एवॊ आस्त्भमं के अनेक फाय शक की नियं से देखता हं, स्जस कायण उसे स्वजनं से त्रवयोध सहना ऩिता हं। व्मत्रक्त हभेशा दसूयं का ऩूया ध्मान यखते हं। व्मत्रक्त अऩने त्रप्रमजनो एवॊ फॊधओुॊ की बराई के सरए प्रमास यत यहता हं। व्मत्रक्त सहामता हेतु तत्ऩय होते हं व्मत्रक्त फकसी को भना नहीॊ कय सकते।
भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त दसूयं के भन की फात जान रेने भं सनऩुण होते हं। भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त प्रकृसत से सशद्श, उदाय, शाॊतसित्त, कल्ऩनाशीर, करापे्रभी, भदृबुाषी एवॊ थोिे व्माकुर स्वबाव के होते हं। असधकतय भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त भं स्त्रीगुणं की प्रधानता होती है।
भूराॊक 2 वारं के सरए फकसी बी कामा भं हभेशा शान्त यहना एवॊ एकाग्रता से कामा का सॊऩादन कयना अनुकूर यहेगा। क्मोकी व्मत्रक्त के फाय-फाय सनणाम फदरने वारे स्वबाव के कायण उसे शीघ्र सपरता नहीॊ सभरती हं।
व्मत्रक्त भं आत्भत्रवद्वास की कभी होने के कायण व्मत्रक्त थोिे से ऩरयश्रभ से मा कामा भं त्रफरम्फ होने से सनयाश एवॊ हताश हो जाते हं। इस सरए मफद व्मत्रक्त अऩनी फाय-फाय सनणाम फदरने वारी भानससकता मा आदत ऩय सनमॊिण कय रे तो उसे फकसी बी कामा भं सनस्द्ळत रूऩ से सपर सभर सकती हं।
भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त की खास फात होती हं की मह रोग जीवन भं फकसी भुसीफत तथा कफिन ऩरयस्स्थसतमं भं बी भुस्कयाते यहते हं। व्मत्रक्त फकसी बी फाधा, सॊकट मा ऩयेशानी से सफक रेकय उससे द्दढ़ सॊकल्ऩ, जोश औय रगन से अवश्म ऩूणा कयने का बी साभर्थमा यखता हं। भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त को ऩुयानी वस्तु से असधक रगाव होता हं।
व्मत्रक्त सभाज भं अऩना भान-प्रसतद्षा फनामे यखने का सनयॊतय प्रमास कयते हं। व्मत्रक्त को धन प्राद्ऱ कयने औय सॊग्रह कयने की इच्छा बी प्रफर होती हं।
14 अगस्त 2012
व्मत्रक्त के िॊिर स्वबाव अके कायण उसके स्वजन अनेक फाय उसकी बावनाओॊ की कदय नहीॊ कयते स्जस कायण व्मत्रक्त असधक उदास औय सनयाश फदखामी देता हं। भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त पे्रभ सॊफॊसधत भाभरं भं बी असधक कल्ऩनाशीर होते हं इस सरए व्मत्रक्त स्वजनं का त्रवयोध कयके मा सहन कयके ऩय स्त्री-ऩुरुष से सॊफॊध फनाने से ऩीछे नहीॊ यहते। व्मत्रक्त अनैसतक सॊऩका के ऩीछे अऩना सफ कुछ रुटाने से नहीॊ फहिफकिाते। व्मत्रक्त को ऩरयजनो से बावनात्भक सहमोग नहीॊ सभरने के कायण वह सयरता से ऩय स्त्री-ऩुरुष के िुॊगर भं पस जाते हं औय धीये-धीये उनका भन औय असधक फैिेन औय अशाॊत होता जाता हं। व्मत्रक्त के फॊधु-फाॊधव एवॊ सभिं का दामया असधक फिा होता हं।
शुब फदन:
शुब वषा 20,29,38,47,56,65,74 वाॊ वषा हं, सतसथ 2,11,20,29 शुब दामक होती हं, फकसी कामा भं सपरता प्राद्ऱ कयने के सरमे इन्हीॊ सतसथ का प्रमोग कयना िाफहमे, इन सतसथमं भं सोभवाय का फदन ऩिे तो फहुत शुब होता हं।
स्वास्र्थम्
व्मत्रक्त को तीव्र ज्वय, रृदम योग, आॉख का दखुना, िभा योग, िोट, कोढ़, भस्स्तश्क सॊफॊसध ऩयेषासन, अऩि, गफिआ, स्नामुत्रवकाय, आॊतं के योग तथा घुटने आफद की त्रषकामते होती हं। स्जन व्मत्रक्तमं का भूराॊक-1 हं वे फकसी ना फकसी रूऩ भं ऩेटकी त्रफभायी से ऩीफित होते हं। फदर की धिकने औय यक्त प्रवाह असनमसभत हो जाता हं। आॉख का दखुना एवॊ दृस्श्ट दोष जैसे योग होते हं। उसित हं आऩ सभम-सभम ऩय आॉखं का ऩरयऺण कयवाते यहं।
उऩमुक्त आहाय:
फकशसभश, संप, केसय, रंग, जामपर, सॊतये, नीॊफू, भोसॊफी, खजूय, अदयक, जौ, ऩारक, गाजय आफद उऩमोगी हं। रृदम योग के नभक कभ खना िाफहमे।
अनुकूर व्मवसाम:
व्मत्रक्त दरारी, होटर, तयर मा यसदाय ऩदाथा, जर मािा, तैयाकी, कागज, दवाई, भ्रभ कामा, सॊगीत, िीनी, सिफकत्सा, ऩिकारयता, नतृ्म, रेखन, बूसभ, अन्न, ऩानी, िाॊदी, िेयी, कृसश, बूगाब कामा, ऩषुऩारन, ट्रावेर, ट्राॊसऩोटा, यत्न, त्रवसबन्न करा, आफका टेक्िय आफद सॊफॊसधत कामो भं असधक सपर होते हं।
शुब फदशा:
भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त के सरए उत्तय, उत्तयऩूवा एवॊ ऩस्द्ळभ फदशाएॉ शुब सूिक हं। दे्वत, अॊगूयी, हया एवॊ क्रीभ यॊग अनुकूर एवॊ बाग्मवधाक हं। नीरा, रार, कारा यॊग प्रसतकूर परदामी हं।
भूराॊक 2 के व्मत्रक्त के सरए कद्श सनवायक उऩाम आऩका भूराॊक स्वाभी ग्रह िॊर के शुब प्रबावो की
वतृ्रद्ध हेतु आऩ अऩनी कसनत्रद्षका उॊगरी भं भोसत, िॊरकाॊत भस्ण धायण कय सकते हं।
अऩने ऩूजा स्थान भं प्राण-प्रसतत्रद्षत स्पफटक सशवसरॊग, िॊर मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं।
मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहेगा।
ग्रह शाॊसत के सरए व्रत उऩवास: सोभवाय का व्रत: िॊर ग्रह को प्रसन्न कयने हेतु सोभवाय का व्रत फकमा जाता हं। स्जस्से व्मत्रक्तने पेपिे के योग,
15 अगस्त 2012
नवयत्न जफित श्री मॊि शास्त्र विन के अनुसाय शुद्ध सुवणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि के िायं औय मफद नवयत्न जिवा ने ऩय मह नवयत्न जफित श्री मॊि कहराता हं। सबी यत्नो को उसके सनस्द्ळत स्थान ऩय जि कय रॉकेट के रूऩ भं धायण कयने से व्मत्रक्त को अनॊत एद्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ होती हं। व्मत्रक्त को एसा आबास होता हं जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हं। नवग्रह को श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहं की अशुब दशा का धायण कयने वारे व्मत्रक्त ऩय प्रबाव नहीॊ होता हं। गरे भं होने के कायण मॊि ऩत्रवि यहता हं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो जर त्रफॊद ुशयीय को रगते हं, वह गॊगा जर के सभान ऩत्रवि होता हं। इस सरमे इसे सफसे तेजस्वी एवॊ परदासम कहजाता हं। जैसे अभतृ से उत्तभ कोई औषसध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भं नहीॊ हं एसा शास्त्रोक्त विन हं। इस प्रकाय के नवयत्न जफित श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्राया शुब भुहूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयके फनावाए जाते हं।
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दभा, भानससक योग से भुत्रक्त भरती हं। व्मत्रक्तनी िॊरता दयू होती हं, नशे फक रत छुिाने हेतु राब प्राद्ऱ होता हं,
स्त्रीओॊ भं भाससक यक्त-स्त्राव फक ऩीिा कभ होती हं। सोभवाय का व्रत सशव को त्रप्रम हं इस सरमे अत्रववाफहत रिकीमो कं 16 सोभवाय का व्रत कयने से उत्तभ वय फक प्रासद्ऱ होती हं। सोभवाय का व्रत कयने से िॊर के प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं।
ग्रह शाॊसत के सरए उऩमुक्त रुराऺ: आऩका भूराॊक स्वाभी िॊर हं अत् िॊर ग्रह के अशुब प्रबाव को दयू कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ के सरए 3 नॊग मा 5 नॊग 2 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩके सरए उऩमुक्त यहेगा। आऩ 2 भुखी रुराऺ के साथ भं 3 भुखी औय 5 भुखी रुराऺ बी धायण कयने से आऩको त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी।
शाॊसत के सरए दान
ग्रह:- िॊर (वाय:- सोभवाय)
िॊर ग्रह फक शाॊसत हेतु भोती, िाॉदी, िावर, िीनी, जर से बया हुवा करश, सपेद कऩिा, दही, शॊख, सपेद पूर, साॉि आफद का दान कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं
ग्रह शाॊसत के अन्म सयर उऩाम:
अनावश्मक फकसी से वाद-त्रववाद से फिने हेतु रार िॊदन सशव भॊफदय भं दान कयं।
धन सॊिम हेतु फकसी देवी भॊफदय भं गुद्ऱ दान कयं औय अऩनी भाॊ की सेवा कयं।
कामा ससत्रद्ध हेतु सनमसभत ऩूजन के फाद िॊदन का टीका रगाएॊ।
स्वास्र्थम सॊफॊसधत सभस्मा दयू कयने हेतु फिे-फुजुगं फक फात का आदय, सम्भान कयं।
फकसी नमे कामा फक शुरुवात कयने से ऩूयव त्रऩतयं को माद कयं।
धन की इच्छा हो तो घय भं रार पूर के ऩौधे रगाएॊ।
16 अगस्त 2012
भूराॊक 3 स्वाभी गुरू
सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी भूराॊक 3
स्वाभी ग्रह:- गुरू
सभि अॊक- 1, 2, 9 शि ुअॊक- 6
सभ- 8
स्व अॊक:- 3 तत्व:- आकाश
मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की 3, 12, 21 व 30 तायीख को हुवा हं तो उनका भरूाॊक 3 होता है।
भूराॊक 3 अॊक के व्मत्रक्त असधक उत्साही, भहत्वाकाॊऺी औय अनुशासन त्रविाय धाया वारे होते हं। व्मत्रक्त की प्रकृसत कामा ऺेि भं असधक रुसिऩूणा होती हं।
भूराॊक 3 का स्वाभी ग्रह गुरु (फहृस्ऩसत) हं, इस सरए भूराॊक 3 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त के उऩय गुरु का त्रवशेष प्रबाव देखने को सभरता हं, क्मोफक 3 भूराॊक भं जन्भ रेने के कायण व्मत्रक्त के सबतय गुरु ग्रह की अनुकूरता के कायण गुरु ग्रह के गुणं का सभावेश अन्म ग्रहं की अऩेऺा असधक भािा भं हो जाता हं। गुरु ग्रह के इस त्रवशेष प्रबात्रव गुणं के कायण ही व्मत्रक्त के सबतय साहस, शत्रक्त एवॊ दृढ़ता का त्रवशेष रुऩसे देखने को सभरती हं। भूराॊक 3 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त श्रभ का प्रसतक तथा सॊघषा का जीवॊत
उदाहयण होते हं। क्मोफक भूराॊक 3 वारे व्मफकमं का जीवन सॊघषाभम होता है इससरए व्मत्रक्त को जीवन भं ऩग-ऩग ऩय सॊघषा कयना ऩिता हं।
भूराॊक 3 वारे व्मत्रक्त अऩने त्रविायं को व्मवस्स्थत रूऩ से असबव्मक्त कयने भं सनऩुणा होते हं।
व्मत्रक्त की आसथाक स्स्थसत उत्तभ नहीॊ होती औय व्मत्रक्त को ऩैसा सॊग्रह कयने भं कफिनाई होती हं। व्मत्रक्त अथक ऩरयश्रभ कय ऩैसा कभाने भे फदन-यात एक कय रगे यहते हं। ऩय असधकतय व्मत्रक्त स्जतना बी कभाते हं, उसके अनुरुऩ व्मम हं जाता हं। इससरए व्मत्रक्त को धन सॊग्रह कयने के अवसय कभ ही प्राद्ऱ होते हं। ऐसे व्मत्रक्त
की भहत्वकाॊऺाएॊ फिी होती हं। व्मत्रक्त असत शीघ्र उन्नसत के सशखय ऩय ऩहुॉिे, मही
इनकी भहत्वकाॊऺा होती हं।
भूराॊक 3 वारे व्मत्रक्त स्वबाव से मे शान्त, कोभर रृदम, भदृबुाषी एवॊ सत्मवक्ता होते हं। व्मत्रक्त अऩने उदे्दश्म को ऩूणा कयने हेतु कफिन से कफिन कद्शं को बी सहन
कयते हं अऩने रक्ष्म को प्राद्ऱ कयते हं। भूराॊक 3 वारे व्मत्रक्तमं
को छोटा ऩद मा छोटा कामा ऩसॊद नहीॊ होता।
व्मत्रक्त को स्वजनं से त्रवशेष राब की प्रासद्ऱ नहीॊ होतीॊ, फपय बी व्मत्रक्त अऩने स्वबाव के कायण आऩसी सॊफॊधं को फखतू्रफ सनबाते हं।
व्मत्रक्त अऩने कामा ऺेि भं त्रवशेष सफक्रम यहते हं। व्मत्रक्त भं अनुशासन व शासन प्रधान गुणं की असधकता
17 अगस्त 2012
होने के कायण उसके अधीनस्त कभािायी से त्रवयोध यहता हं। व्मत्रक्त अऩने कामा के प्रसत इतने सभत्रऩात होते हं की उन्हं अऩने कामा भं फकसी प्रकाय की िफुट मा राऩयवाही फयदास्त नहीॊ होती इस काय व्मत्रक्त अनेक रोगं को अऩना शि ुफना रेता हं। भूराॊक 3 वारे व्मत्रक्त की फुत्रद्ध अत्मॊत तीक्ष्ण औय कल्ऩनाशीर होती हं। इस भूराॊक वारे व्मत्रक्त असधक फोरने वारे होते हं।
व्मत्रक्त का साभास्जक का ऩद-प्रसतद्षा दसूयं को प्रबात्रवत कयने वारी होती हं व्मत्रक्त अऩने कामा भं इतने कूशर होते हं की वह अऩने कामा कयते-कयते दसूयं को पे्रयणा देने वारे स्रोत फन कय रोगं के आकषाण का केन्र फन जाते हं। व्मत्रक्त एक अच्छा व्मवसामी औय त्रवके्रता फन सकता हं।
व्मत्रक्त का व्मवहाय दसूयं के प्रसत भैत्रिऩूणा, स्नेहशीर औय साभास्जक होता हं। व्मत्रक्त थोिे फकसी त्रवशेष ऩरयस्स्थसतमं भं तुनक सभजाज हो सकते हं स्जसके कायण व्मत्रक्त के त्रविायं भं स्स्थयती की कभी हो जाती हं। भूराॊक 3 वारे व्मत्रक्त धासभाक त्रविायं के होने के कायण धभा-कभा के कामं भं फढ़-िढ़ कय फहस्सा रेते हं औय अऩना त्रवशेष मोगदान देने से ऩीछे नहीॊ यहते हं। व्मत्रक्त की त्रवद्या-अध्ममन औय फैसधक कामा भं त्रवशेष रुसि होती हं इस सरए व्मत्रक्त सनयॊतय इन त्रवषमं ऩय सिॊतन-भनन कयते यहते हं। व्मत्रक्त की तका -त्रवतका भं त्रवशेष रुसि होती हं।
भूराॊक 3 वारे व्मत्रक्त भानससक रूऩ से मे कापी सॊतुसरत एवॊ त्रवकससत होते हं तथा फकसी बी त्रवषम को सभझने ऺभता त्रवशेष रुऩ से होती है। गुरु के प्रबाव भं व्मत्रक्त धासभाक त्रविायं के होने के कायण भन से दसूयं का अफहत नहीॊ कयते हं।
भूराॊक 3 वारे व्मत्रक्त भं सकायात्भक गुणं की प्रियुता यहती हं। व्मत्रक्त हय ऩयेशानी मा भुससफत भं अऩना धमैा नहीॊ खोते। व्मत्रक्त अऩनी ऩयेशासनमाॊ फकसी को जल्द नहीॊ फताते उसे छुऩाकय यखने का प्रमास कयते हं,
इस सरए व्मत्रक्त त्रवऩरयत ऩरयस्स्थसतमं भं पसे होने के फावजुद भुस्कयाते यहते है। भूराॊक 3 वारे व्मत्रक्त शाॊत स्वबाव के होने के फावजूद बी कबी-कबी जल्दफाजी हो जाते हं, स्जस कायण फकसी भहत्वऩूणा कामा को ऩूणा कयने से ऩहरे उसे फीि भं ही छोि देते हं। व्मत्रक्त थोिे स्जद्दी स्वबाव के होते हं स्जस कायण छोटी-छोटी फातं ऩय बी अि जाते हं। व्मत्रक्त भं अऩने सभि औय शि ुको ऩहिान ने की ऺभता कभ होती हं, इस सरए उसके गुद्ऱ शि ुकी सॊख्मा असधक होती हं। व्मत्रक्त के जीवन भं प्राम् उताय-िढा़व होते यहते हं। व्मत्रक्त को फकसी भहत्वऩूणा सनणाम रेते सभम औय जोखभ बयं कामा को सॊऩन्न कयते सभम अत्मासधक सावधान यहना िाफहए। एसे कामा भं जल्दफादी मा राऩयवाही फिा़ नुकसान कय सकती हं।
शुब फदन:
शुब वषा 21,30,39,48,57,66,75 वाॊ वषा हं, सतसथ 3,12,21,30 शुब दामक होती हं, फकसी कामा भं सपरता प्राद्ऱ कयने के सरमे इन्हीॊ सतसथ का प्रमोग कयना िाफहमे, इन सतसथमं भं गुरूवाय का फदन ऩिे तो फहुत शुब होता हं।
स्वास्र्थम्
व्मत्रक्त को प्राम् हस्डिमं भं ददा यहता हं औय थकावट सी यहती हं। अत्मसधक ऩरयश्रसभ होते हं अत् असत ऩरयश्रभ कायण वे थके से यहते हं। स्नामु तॊि कभजोय हो जाता हं। भधभेुह, िभायोग, दाद, खाज, षूर, भूियाग, वीमादोष, स्भयण शत्रक्त की कभी, फोरने भं ऩयेषासन सॊबव, त्विा योग हो जाते हं।
उऩमुक्त आहाय:
िेयी, स्ट्रोफेयी, सेफ, नाशऩती, अनाय, अनानस, अॊगूय, पुफदना, गाजय, ऩारक एवॊ कयेरे, केसय, जामपर, रंग, फादाभ, अॊजीय आफद राबदामक यहते हं।
18 अगस्त 2012
अनुकूर व्मवसाम:
व्मवसाम- व्मत्रक्त वस्त्र, ऩान, अध्ममन, उऩदेशक, प्राध्माऩक, भॊिी, जज, ससिव, करका , सिफकत्सा, असबनेता, सेल्सभैन, स्टेनो, जर-जहाज, त्रषऺा, अदारती, याजदतू, वकारत, ऩुसरस, दषान, त्रवऻान, फंक, त्रवऻाऩन, दवाई आफद सॊफॊसधत कामो भं असधक सपर होते हं।
शुब फदशा:
व्मत्रक्त के सरए फदशा ईशान कोण एवॊ ऩूवा-उत्तय फदशा शुब होती हं। अनुकूर यॊग िभकीरा, गुराफी, हल्का जाभुनी हं।
भूराॊक 3 के व्मत्रक्त के सरए कद्श सनवायक उऩाम
कद्श सनवायक उऩाम
आऩक भूराॊक स्वाभी फहृस्ऩसत (गुरु) के शुब प्रबावो की वतृ्रद्ध हेत ुआऩ अऩनी तजानी उॊगरी भं ऩीरा ऩुखयाज धायण कय सकते हं। आऩ ऩुखयाज के फदरे उसका उऩयत् न सुनहरा बी धायण कय सकते हं।
अऩने ऩूजा स्थान भं प्राण-प्रसतत्रद्षत भॊगर गणेश, गुरु मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं।
मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहेगा।
ग्रह शाॊसत के सरए व्रत उऩवास:
गुरुवाय का व्रत: फहृस्ऩसत ग्रह को प्रसन्न कयने हेत ुगुरुवाय का व्रत फकमा जाता हं। गुरुवाय का व्रत कयने से धन - सॊऩत्रत्त फक प्रासद्ऱ होती हं घय भं सुख-शाॊसत औय सभतृ्रद्ध फढती हं। रिकी के त्रववाह भं आयही फाधाएॊ दयू होती हं। गुरुवाय का व्रत कयने से फहृस्ऩसत के प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं।
ग्रह शाॊसत के सरए उऩमुक्त रुराऺ:
आऩका भूराॊक स्वाभी गुरु हं अत् गुरु ग्रह के अशुब प्रबाव को दयू कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ के सरए 5 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩके सरए उऩमुक्त यहेगा। आऩ 5 भुखी रुराऺ के साथ भं 3 भुखी औय 2 भुखी रुराऺ बी धायण कयने से आऩको त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी।
शाॊसत के सरए दान
ग्रह:- फहृस्ऩसत (गुरु)
वाय:- गुरुवाय
फहृस्ऩसत ग्रह फक शाॊसत हेत ु ऩुखयाज, िने की दार, हल्दी, ऩीरा कऩिा, गुि, केसय, ऩीरा पूर, घी औय सोने की वस्तुओॊ का दान कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं
ग्रह शाॊसत के अन्म सयर उऩाम:
कामा भं सपरता हेत ु भाथे ऩय केसय औय िॊदन का सतरक रगाएॊ।
नौकयी भं ऩयेशानी आ यही हो तो ऩीऩर भं जर िढाएॊ।
आसथाक ऩयेशानी के सनवायण हेतु तेर भं िेहया देख कय तेर का दान कय दं।
बूसभ-बवन से सॊफॊसधत सभस्मा हेतु गामको हयी घास स्खराएॊ।
बाग्म वतृ्रद्ध हेतु हनुभान भॊफदय भं फेसन के रडिु का बोग रगाएॊ।
नौकयी-व्मवसाम भं उन्नसत हेत ु7 साफूत हल्दी को ऩीरे कऩिे भं फाॊध कय अऩने घय भं सुयस्ऺत यखदं।
स्वास्र्थम सॊफॊसधत सभस्मा के सनवायण हेतु स्नान के ऩानी भं रारिॊदन घीस कय सभराकय स्नान कयं।
19 अगस्त 2012
सवा कामा ससत्रद्ध कवि
स्जस व्मत्रक्त को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयन ेके फादबी उसे भनोवाॊसछत सपरताम ेएवॊ फकम ेगम ेकामा भं ससत्रद्ध (राब) प्राद्ऱ नहीॊ होती, उस व्मत्रक्त को सवा कामा ससत्रद्ध कवि अवश्म धायण कयना िाफहमे। कवि के प्रभखु राब: सवा कामा ससत्रद्ध कवि के द्राया सखु सभतृ्रद्ध औय नव ग्रहं के नकायात्भक प्रबाव को शाॊत कय धायण कयता व्मत्रक्त के जीवन से सवा प्रकाय के द:ुख-दारयर का नाश हो कय सखु-सौबाग्म एवॊ उन्नसत प्रासद्ऱ होकय जीवन भे ससब प्रकाय के शबु कामा ससद्ध होते हं। स्जसे धायण कयन ेसे व्मत्रक्त मफद व्मवसाम कयता होतो कायोफाय भे वतृ्रद्ध होसत हं औय मफद नौकयी कयता होतो उसभे उन्नसत होती हं।
सवा कामा ससत्रद्ध कवि के साथ भं सवाजन वशीकयण कवि के सभरे होन ेकी वजह से धायण कताा की फात का दसूये व्मत्रक्तओ ऩय प्रबाव फना यहता हं।
सवा कामा ससत्रद्ध कवि के साथ भं अद्श रक्ष्भी कवि के सभरे होने की वजह से व्मत्रक्त ऩय सदा भाॊ भहा रक्ष्भी की कृऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हं। स्जस्से भाॊ रक्ष्भी के अद्श रुऩ (१)-आफद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)- धमैा रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)-त्रवजम रक्ष्भी, (७)-त्रवद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का अशीवााद प्राद्ऱ होता हं।
सवा कामा ससत्रद्ध कवि के साथ भं तॊि यऺा कवि के सभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दयू होती हं, साथ ही नकायात्भक शत्रक्तमो का कोइ कुप्रबाव धायण कताा व्मत्रक्त ऩय नहीॊ होता। इस कवि के
प्रबाव से इषाा-दे्रष यखन ेवारे व्मत्रक्तओ द्राया होने वार ेददु्श प्रबावो से यऺा होती हं। सवा कामा ससत्रद्ध कवि के साथ भं शि ु त्रवजम कवि के सभरे होन ेकी वजह से शि ु से सॊफॊसधत
सभस्त ऩयेशासनओ से स्वत् ही छुटकाया सभर जाता हं। कवि के प्रबाव से शि ुधायण कताा व्मत्रक्त का िाहकय कुछ नही त्रफगाि सकते।
अन्म कवि के फाये भे असधक जानकायी के सरमे कामाारम भं सॊऩका कये: फकसी व्मत्रक्त त्रवशेष को सवा कामा ससत्रद्ध कवि देने नही देना का अॊसतभ सनणाम हभाये ऩास सुयस्ऺत हं।
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20 अगस्त 2012
भूराॊक 4 स्वाभी याहु
सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी भूराॊक 4
स्वाभी ग्रह: याहु
सभि अॊक- 1, 5 शि ुअॊक- 1, 7
सभ 3,6,8,9
स्व अॊक-4 मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास
की4,13,22 व 31 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 4 होता है।
भूराॊक 4 अॊक के व्मत्रक्त असधक क्रोसध एवॊ तनुकसभजाज रेफकन फक्रमाशीर त्रविाय धाया वारे होते हं। व्मत्रक्त की प्रकृसत कामा ऺेि भं दसूयं रोगं से त्रवऩयीत असधक साहस ऩूणा होती हं। मह भूराॊक 4 त्रवषेशत् उथर-ऩुथर का घोतक हं। भूराॊक-4 वारे व्मत्रक्त जीवन भं शाॊत होकय फैि जाएॊ, मह सॊबव नहीॊ हं। व्मत्रक्त की प्रकृसत के अनुशाय उसके बाग्मोदम भं सनयॊतय उताय-िढ़ाव होते यहते हं।
भूराॊक 4 का स्वाभी ग्रह याहु हं, इस सरए भूराॊक 4 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त के उऩय याहु का त्रवशेष प्रबाव देखने को सभरता हं, क्मोफक 4 भूराॊक भं जन्भ रेने के कायण व्मत्रक्त के सबतय याहु ग्रह की अनुकूरता के कायण याहु ग्रह के गणुं का सभावेश अन्म ग्रहं की अऩेऺा असधक भािा भं हो जाता हं। याहु ग्रह के इस
त्रवशेष प्रबात्रव गुणं के कायण ही व्मत्रक्त के सबतय सॊघषा औय साहस ऩूणा कामा कयने के त्रवशेष गुण ऩामे जाते हं। व्मत्रक्त की प्रभुखता होती हं की वह असॊबव कामा औय आद्ळमाजनक कामा को बी ऩूया कयने भं सभथा होते हं।
भूराॊक 4 के व्मत्रक्त अन्म रोगं के भुकाफरे असधक सॊघषाशीर होते हं, क्मोकी मह रोग दसूयं से अरग त्रविाय धाया यखते हं। व्मत्रक्त हय फकसी से अऩनी फात भनवाने का प्रमास कयता हं स्जस कायण व्मत्रक्त के सभि बी कबी-कबी शि ुफन जाते हं।
भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्त अच्छे सभाज सुधायक, ऩौयास्णक प्रथा का आधसुनक
प्रथा भं फदने वारे होते हं। व्मत्रक्त साभास्जक ऺेिं भं फदराव राने
भं अग्रणीम होते हं। व्मत्रक्त आसानी से फकसी से शीघ्र घुर-सभर नहीॊ ऩाते रेफकन एक फाय फकसी से सभिता कयरे तो उसे सनबाने का
प्रमत्न कयते हं।
भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्त अऩनी गरसतमं के कायण जीवन
ऩमान्त ऩयेशान यहता हं, व्मत्रक्त ऩय अऩने मा ऩयामे रोग जल्द त्रवद्ळास नहीॊ कय ऩाते। भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्त मा तो उन्नसत के सवोच्ि
सशखय ऩय हंगे मा फपय ऩतन के गहये गता भं होते हं। भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्त मफद आज उन्नसत की ऩयाकाद्षा ऩय हं तो वहीॊ कर गहयी खाई भं होते हं। व्मत्रक्त को फाय-फाय जेर मा कोटा-किहयी के िक्कय काटने ऩिते हं, इस प्रकाय की द्यटनाएॊ असधकाॊशत भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्तमं के जीवन भं ही घफटत होती हं।
21 अगस्त 2012
बाग्म रक्ष्भी फदब्फी सुख-शास्न्त-सभतृ्रद्ध की प्रासद्ऱ के सरमे बाग्म रक्ष्भी फदब्फी :- स्जस्से धन प्रसद्ऱ, त्रववाह मोग,
व्माऩाय वतृ्रद्ध, वशीकयण, कोटा किेयी के कामा, बूतपे्रत फाधा, भायण, सम्भोहन, तास्न्िक फाधा, शि ुबम, िोय बम जेसी अनेक ऩयेशासनमो से यऺा होसत है औय घय भे सुख सभतृ्रद्ध फक प्रासद्ऱ होसत है, बाग्म रक्ष्भी फदब्फी भे रघु श्री फ़र, हस्तजोिी (हाथा जोिी), ससमाय ससन्गी, त्रफस्ल्र नार, शॊख, कारी-सफे़द-रार गुॊजा, इन्र जार, भाम जार, ऩातार तुभिी जेसी अनेक दरुाब साभग्री होती है।
भूल्म:- Rs. 1050 से Rs. 8200 तक उप्रब्द्ध
गुरुत्व कामाारम सॊऩका : 91+ 9338213418, 91+ 9238328785
c
व्मत्रक्त अऩने जीवन भं अऩनी गोऩसनम नीसतमं से अिानक आद्ळमाजनक रुऩ से प्रगसत के सशखय ऩय होते हं। व्मत्रक्त फदन दोगुसन यात िौगुसन यफ्ताय से धन-वैबव प्राद्ऱ कयना िाहते हं। रेफकन व्मत्रक्त को धन सॊग्रह कयने भं कफिनाई होती हं। व्मत्रक्त की सोि एवॊ नजरयमा सभाज से सबन्न होता हं इस कायण व्मत्रक्त को सभाज भं रोक सनॊदा, आरोिना एवॊ त्रवयोध का साभना कयना ऩिता हं। भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्त की साभास्जक कामा भं त्रवशेष रुसि होती हं इस कायण व्मत्रक्त को सभाज भं अच्छा भान-सम्भान एवॊ ख्मासत प्राद्ऱ होती है। व्मत्रक्त के सबतय अद्भतु कामा दऺता होने के कायण मह दसूयं के सरए एक पे्रयणा स्त्रोत फन सकते हं। व्मत्रक्त के जीवन भं सपरता एवॊ असपरता प्राम् सभान रुऩ से िरने के कायण भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्त असधकतय सिॊसतत एवॊ तनाव ग्रस्त होते देखे जाते हं। व्मत्रक्त को सभाज भं अऩना ऩद-प्रसतद्षा फनाएॊ यखने के सरए सनयॊतय प्रमास यत यहना ऩिता हं। व्मत्रक्त हय सभम कुछ नमा कय फदखाने की िाह यखता हं, स्जसके सरए वह सनयॊतय नमे-नमे शोध एवॊ आत्रवष्काय कयने भं रगे यहते हं।
भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्त बौसतक सुख साधन एवॊ ऐशोआयाभ के ऩीछे असधक धन व्मम कयते हं स्जस कायण उनके सरए धन सॊग्रह कयना कफिन हो जाता हं। इस सरए व्मत्रक्त को मथा सॊबव अऩनं व्ममं ऩय सनमॊिण
कयके धन सॊमि कयने ऩय असधक ध्मान यखना िाफहए। व्मत्रक्त को धन सॊफॊसधत कामं भं फहसाफ साप-सुथया यखना िाफहए अन्मथा दसूयं को फदमा गमा ऩैसा मा उधायी वाऩस नहीॊ सभरेगी औय फकसी से उधाय सरमे धन मा साभान भं हेया-पेयी इत्माफद कयने से फिे अन्मथा स्जतने भूल्म की हेयापेयी होगी, आऩको उस्से कई गुना असधक का नुकसान उिाना ऩि सकता हं।
भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्त को फकसी बी प्रकाय के व्मसन औय नशे आफद से दयू यहना िाफहए, मफद व्मत्रक्त को एक फाय फकसी व्मसन की रत रग जाती हं तो वह जल्द नहीॊ छुटती व्मत्रक्त नशे का गुराभ हो जाता हं, औय अऩनी सॊसित जभा ऩूॊस्ज को नशे के ऩीछे ही खिा कय देता हं। इसके अरावा व्मत्रक्त को जुआ, धतृ क्रीिा, सट्टा, रॉटयी इत्माफद कामं से बी दयू यहना िाफहए नहीॊ तो व्मत्रक्त इस कामं भं अऩना सफ कुछ खो फैिता हं। व्मत्रक्त को ऩाऩािाय, अनैसतक इत्मादी कामा कयने वारे रोगं से दयू यहना िाफहए औय स्वमॊ बी दयू यहना िाफहए, अन्मथा व्मत्रक्त फकसी औय के फकमे गमे षिमॊि भं शीघ्र पॊ स सकते हं मा फकसी फिे सॊकट भं त्रफना विह पॊ स सकते हं। व्मत्रक्त को त्रफना कायण जेर की हवा खानी ऩि सकती हं, इस सरए फकसी एसे कामा जो सभाज औय कानून की नियं भं अनुसित औय अनैसतक हो उससे दयू यहना िाफहए।
22 अगस्त 2012
व्मत्रक्त को प्राम् पे्रभ प्रसॊगं भं असपरता, फदनाभी, धोखा आफद सभरते हं, इस सरए व्मत्रक्त को पे्रभ ऩसॊगं भं त्रवशेष सावधानी फयतनी िाफहए। अऩना व्मवहाय औय िरयि साप-सुथया यखं अन्मथा व्मत्रक्त को अऩने पे्रभी के साथ-साथ स्वजनं एवॊ सभाज से त्रवयोध एवॊ अऩभान सहना ऩि सकता हं।
भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्त कबी-कबी इतने स्वाथॉ हो जाते हं की वहॊ अऩने कामा-उदे्दश्म की ऩूसता के सरए उसित-अनुसित, नैसतक-अनैसतक सबी भूल्मं को ताक ऩय यख देते हं, औय केवर अऩने स्वाथा की ऩूसता भं ही रगे यहते हं, स्जस कायण व्मत्रक्त को प्राम् सभम कामा ऺेि भं असपरता का साभना कयना ऩिा़ता हं। इस सरए भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्त मफद अऩने स्वबाव तथा त्रविायधाया भं सुधाय कयते हं तो व्मत्रक्त हय ऺेि भं सपरता प्राद्ऱ कय सकते हं।
व्मत्रक्त गुस्सेर मा तुनकसभजाज कका श स्वबाव के होने के कायण व्मत्रक्त फात-फात भं सिि जाते हं। व्मत्रक्त के भन से अरग कामा हो जाने ऩय मे अऩने आऩे से फाहय हो जाते हं। रेफकन स्जतनी गसत से क्रोध िढ़ता हं, उतनी ही तीव्र गसत से वह उतय बी जाता हं। गुस्से भं व्मत्रक्त अऩना आऩा खं फेिते हं औय फकसे क्मा फोरना मा कहना िाफहए इस का होश नहीॊ होता स्जस कायण व्मत्रक्त हय फकसी से शितुा एवॊ त्रवयोध कय रेता हं। व्मत्रक्त के जीवन भं शिओुॊ की कभी नहीॊ होती, एक शि ु को ऩयास्त कयने ऩय दस नए शि ुऩैदा हो जामंगे हं। व्मत्रक्त के शि ुऩीि ऩीछे कुिक्र यिंगे, षिमॊि कयते यहंगे रेफकन भुॊह के साभने कुछ बी नहीॊ कय ऩाएॊगे।
शुब फदन:
शुब वषा 22,31,40,49,58,67,76 वाॊ वषा हं, सतसथ 4,13,22,31 वषा दामक होती हं, फकसी कामा भं सपरता प्राद्ऱ कयने के सरमे इन्हीॊ सतसथ का प्रमोग कयना िाफहमे,
इन सतसथमं भं शसनवाय का फदन ऩिे तो फहुत वषा होता हं।
स्वास्र्थम्
व्मत्रक्त प्राम् यक्त की कभी से ऩीफित यहते हं। यक्त की कभी से अनेक योग आ घेयते हं। ऐसे व्मत्रक्तमं को रोहतत्व मुक्त बोजन कयना िाफहमं। िरने-फपयने तथा ष्वास रेने भं कश्ट होना, पैपिो की खयाफी, असनरा, भ्रभ, फहस्ट्रीयीमा, शदॊ, ऩैयं का पटना ऩैयं भं ददा, ऩैयं की अन्म फीभारयमाॊ होती हं। गुदे से सॊफॊसध योग बी हो जाते हं। व्मत्रक्त भानससक रूऩ से बी अस्वस्थ एवॊ तनावग्रस्त यहता हं। ससय ददा बी ऩामा जाता हं।
उऩमुक्त आहाय्
रौकी, ककिी, खीया, अॊगूय, सेफ, अनानस, तुरसी, कारीसभिा एवॊ हल्दी उऩमंगी हं। नषीरी िीजं से ऩयहेज कयं तेज भसारेदाय बोजन से फिं, षाकाहाय ऩय असधक ध्मान दं।
अनुकूर व्मवसाम:
व्मत्रक्त इॊजीसनमय, सेल्सभैन, भुसनभ ;ब्ण।् द्ध, दारू, स्स्प्रट, तेर, केयोसीन, अका , ईि, वामु सेना, जर-जहाज, यॊग कामा, टेसरपोन, ओऩयेटय, करा, दजॉ, स्टेनो, त्रषल्ऩ काय, त्रवघुत, िेकेदाय, खदान, वकारत, येरवे, टेरीग्रापी, ऩिकारयता, तम्फाकू, रेखन, सॊऩादन, ट्राॊसऩोटा, याजनीसत, ज्मोसतष, फीभा, दरारी, ऩुयातत्व त्रवऻान आफद सॊफॊसधत कामो भं असधक सपर होते हं।
शुब फदशा:
व्मत्रक्त के सरए नौकत्म कोण एवॊ ऩस्द्ळतभ फदशा अनुकूर होती हं। व्मत्रक्त के सरए क्रीभयॊग, नीरा, सभसश्रत, खाकी, िभकदाय, नीरेयॊग के वस्त्र अनुकूर एवॊ बाग्मशारी होते हं।
23 अगस्त 2012
दगुाा फीसा मॊि शास्त्रोक्त भत के अनुशाय दगुाा फीसा मॊि दबुााग्म को दयू कय व्मत्रक्त के सोमे हुवे बाग्म को जगाने वारा भाना गमा हं। दगुाा फीसा मॊि द्राया व्मत्रक्त को जीवन भं धन से सॊफॊसधत सॊस्माओॊ भं राब प्राद्ऱ होता हं। जो व्मत्रक्त आसथाक सभस्मासे ऩयेशान हं, वह व्मत्रक्त मफद नवयािं भं प्राण प्रसतत्रद्षत फकमा गमा दगुाा फीसा मॊि को स्थासद्ऱ कय रेता हं, तो उसकी धन, योजगाय एवॊ व्मवसाम से सॊफॊधी सबी सभस्मं का शीघ्र ही अॊत होने रगता हं। नवयाि के फदनो भं प्राण प्रसतत्रद्षत दगुाा फीसा मॊि को अऩने घय-दकुान-ओफपस-पैक्टयी भं स्थात्रऩत कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं, व्मत्रक्त शीघ्र ही अऩने व्माऩाय भं वतृ्रद्ध एवॊ अऩनी आसथाक स्स्थती भं सुधाय होता देखंगे। सॊऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एवॊ ऩूणा िैतन्म दगुाा फीसा मॊि को शुब भुहूता भं अऩने घय-दकुान-ओफपस भं स्थात्रऩत कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं। भलू्म: Rs.730 से Rs.10900 तक
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भूराॊक 4 के व्मत्रक्त के सरए कद्श सनवायक उऩाम आऩका भूराॊक के स्वाभी ग्रह याहु के शुब प्रबावो
की वतृ्रद्ध हेतु आऩ अऩनी भध्मभा उॊगरी भं गोभेद धायण कय सकते हं। अऩने ऩूजा स्थान भं प्राण-प्रसतत्रद्षत याहु मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं।
मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहेगा।
ग्रह शाॊसत के सरए व्रत उऩवास: व्रत: याहु ग्रह के सरए कोई फदन सनस्द्ळत नहीॊ फकमा गमा हं, इस सरए याहु को प्रसन्न कयने हेतु शसनवाय के फदन व्रत फकमा जा सकता हं। याहु का व्रत कयने से शिओुॊ ऩय त्रवजम प्राद्ऱ हं, सयकायी कामं भं सहमोग प्राद्ऱ होता हं, याहु-केतु से सॊफॊसधत सबी योगो का शभन होता हं।
ग्रह शाॊसत के सरए उऩमुक्त रुराऺ: आऩका भूराॊक स्वाभी याहु हं अत् याहु ग्रह के अशुब प्रबाव को दयू कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ के सरए 8
भुखी रुराऺ धायण कयना आऩके सरए उऩमुक्त यहेगा। आऩ 8 भुखी रुराऺ के साथ भं 7 भुखी मा 14 भुखी औय 9 भुखी रुराऺ धायण कयने से बी आऩको त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी।
शाॊसत के सरए दान ग्रह:- याहु वाय:- शसनवाय याहु ग्रह फक शाॊसत हेत ु कारी वस्तु एवॊ गोभेद, नीरा कऩिा, कॊ फर, साफूत सयसं (याई), ऊनी कऩिा, कारे सतर व तेर का दान कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं
ग्रह शाॊसत के अन्म सयर उऩाम: भाता-त्रऩता एवॊ फिे-़फुजुगं का सम्भान कयं। सत्कभा कयते यहं आऩके सबी कामा स्वत् ससत्रद्ध
होते जामेगं। बगवान सशव, त्रवष्णु मा भाॉ दगुाा का स्भयण कयते
हुवे फदन की शुरुवात कयं। बोजन कयते सभम ससय ढक कय न यखं औय
दस्ऺण फदशा की ओय भुॊह कयके बोजन न कयं। फकसी से दवु्मावहाय न कयं।
24 अगस्त 2012
भूराॊक 5 स्वाभी फुध
सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी भूराॊक 5
स्वाभी ग्रह:- फुध
सभि अॊक:- 1, 6, 8 शि ुअॊक:- 2, 4
सभ:- 3, 9
स्व अॊक:- 5 तत्व:- ऩरृ्थवी
मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की 5,14 व 23 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 5 होता है।
भूराॊक 5 अॊक के व्मत्रक्त असधक सभरनसा औय फद्रस्वबाव की त्रविाय धाया वारे होते हं। व्मत्रक्त की कामा ऺेि भं रुसि नौकयी से असधक व्माऩाय भं होती हं। मफद व्मत्रक्त नौकयी ऩसॊद कयता हं तो असधकतय एसी ही नौकयी को िनुते हं जो रेन-देन, रेखा-जोखा, माॊत्रिक औय तकनीकी कामा, वास्णज्म, इत्माफद के कामा से जुिी हो। व्मत्रक्त थोिे वाक्ऩटुता एवॊ तका शीर होते हं, स्जससे व्मत्रक्त साभने वारे को सयरता से अऩनी फातं से प्रबात्रवत कय सकत हं, इस सरए मह रोग इनश्मोयंस, भाकेफटॊग आफद के कामं भं बी सपर हो सकते हं। भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त अऩने कामं को जल्दी सभाद्ऱ कयने हेतु तत्ऩय होते हं, इस सरए व्मत्रक्त प्राम् एसे ही कामं का िनुाव कयते हं स्जसभं कभ भेहनत से
असधक राब की प्रासद्ऱ होती हो, स्जस कामा भं सपरता जल्दी सभरे औय सनयॊतय उन्नत्रत्त व तयक्की सभरती यहं।
भूराॊक 5 का स्वाभी ग्रह फुध हं, इस सरए भूराॊक 5 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त के उऩय फुध का त्रवशेष प्रबाव देखने को सभरता हं, क्मोफक 5 भूराॊक भं जन्भ रेने के कायण व्मत्रक्त के सबतय फुध ग्रह की अनुकूरता के कायण फुध ग्रह के गणुं का सभावेश अन्म ग्रहं की अऩेऺा असधक भािा भं हो जाता हं। फुध ग्रह के इस त्रवशेष प्रबात्रव गुणं के कायण ही व्मत्रक्त नई से नई मुत्रक्तमाॉ आिभाने, नए से नए त्रविाय एवॊ सवाथा नूतन तको से कामा कयने वारे होते हं। व्मत्रक्त अऩने कामाऺ ेि
भं ऩूणात् फक्रमाशीर होते हं। क्मोकी मह रोग स्जस कामा को हाथ भं रेते हं
उसे ऩूया कयने के सरए ऩूणा रगन औय एकाग्रता से जुट जाते हं औय उस कामा को तफ तक नहीॊ छोिंगे जफ तक फक कामा ऩूणात् सॊऩन्न न हो जाए। भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त अऩने कामं भं असधक जल्दफाजी कयते हं व्मत्रक्त अऩने कामा को
जल्द ऩूणा कयने के िक्कय भं कबी-कबी फिा़ नुकसान कय देते हं।
भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त झुकते नहीॊ झुकाने भं असधक त्रवद्वास यखते हं। भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त की सफसे फिी़ खाससमत होते हं वह दसूयं को प्रबात्रवत कयने की करा, क्मोफक व्मत्रक्त कुछ ही ऺणो की फातिीत भं दसूयं को अऩना फना रेते हं, उसे अऩना स्थाई सभि बी फनाने भं सभथा होते हं।
25 अगस्त 2012
भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त का भस्स्तष्क तथा फुत्रद्ध प्रखय होती हं। इस भूराॊक वारे व्मत्रक्त फिे़ से फिे़ औय छोटे से छोटी सनणाम को त्रफना फकसी ऩयेशानी के तत्कार रे सकते हं। तत्कार सनणाम रेना व्मत्रक्त का सफसे फिा गुण होता हं। फकसी व्मत्रक्त को क्मा कहना नहीॊ कहना इसका तुयॊत औय ऩूवा सनणाम रेना इनकी त्रवशेषता होती हं।
भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त की दसूये व्मत्रक्तमं को ऩहिानने की शत्रक्त बी अफद्रतीम होती हं इस सरए मह रोग अऩरयसित व्मत्रक्त को बी एक ही निय भं देखते ही मे बाॊऩ जाते हं।
भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त फकसी फात ऩय असधक फदन तक सोि त्रविाय नहीॊ कय सकते, मफद व्मत्रक्त को त्रवऩरयत ऩरयस्स्थसतमाॊ असधक प्रबात्रवत कयती हं, फपय बी व्मत्रक्त उन फातं को शीघ्र बुर कय आगे फढ़ने भं त्रवद्वास यखते हं। इस सरए व्मत्रक्त फकसी बी प्रकाय कफिन से कफिन ऩरयस्स्थसत से बी शीघ्र भुक्त हो जाते हं।
भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त भं सििसििाऩन मा गुस्सा असधक होता है। इस सरए व्मत्रक्त का भन असधक िॊिर यहता हं औय कबी-कबी भानससक अशाॊसत एवॊ अस्स्थयता का अनुबव कय सकते हं।
भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त का प्रभुख गुण मह होता हं की वह कफिन औय त्रवऩयीत ऩरयस्स्थतमं को बी अऩने अनुकूर फनाने की अद्भतु ऺभता यखते है। व्मत्रक्त मफद एक फाय कोई सनणाम कय रे तो उसके साभने फकतने ही त्रवघ्न, फाधाएॉ आमे फपय बी व्मत्रक्त उस कामा को सॊऩन्न कयके ही छोिता हं। क्मोकी व्मत्रक्त कफिन ऩरयस्स्थसतमं भं बी अऩनी फहम्भत औय धमैा नहीॊ खोते हं, व्मत्रक्त एसी स्स्थसत भं औय बी असधक एकाग्र औय शाॊत होकय अऩने रक्ष्म की औय फढ़ते हं।
व्मत्रक्त अऩने जीवन भं एक से असधक आजीत्रवका से धन प्राद्ऱ कयंगे, मानी व्मत्रक्त के आम के स्तोि एक से असधक हंगे।
भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त की फोरने की शैरी दसूयं से रगत होती है व्मत्रक्त की फातं भं असधकतय कटाऺ होते हं। व्मत्रक्त तनाव, सिॊता के कायण हभेशा भानससक रुऩ से अशाॊत होते हं। व्मत्रक्त का क्रोध असधक होता हं फपय बी मह रोग ऺस्णक क्रोध के फाद उस ऩय ऩछतावा बी कयते हं। व्मत्रक्त थोिे स्जद्दी होते हं, एक फाय कोई सनणाम कय रे तो फाद भं उस सनणाम ऩय अिे यहते हं। व्मत्रक्त फुत्रद्धशारी होने के कायण सभाज भं अच्छा भान-सम्भान एवॊ ऩद प्रसतद्षा औय ख्मासत अस्जात कय रेते हं।
व्मत्रक्त को पे्रभ सॊफॊसधत भाभरो भं थोिा़ सावधान यहना िाफहए क्मोफक व्मत्रक्त इस भाभरे भं थोिे़ असधक बावुक होते हं स्जसके कायण ऩय स्त्री-ऩुरुष उन्हं अऩने भोह जार भं पसाॊ कय उन्हं फयफाद कय सकते हं। जीवन भं झूिे प्ररोबन एवॊ कल्ऩना से केवर दु् ख की ही प्रासद्ऱ होती हं। इस सरए नैसतक अनैसतक के त्रफि के पका को सभझ कय अऩनी सुझ-फुझ से सनणाम कयने िाफहए।
शुब फदन:
शुब वषा 23,32,41,50,59,68,77 वाॊ वषा हं, सतसथ 5,14,23 शुब दामक होती हं, फकसी कामा भं सपरता प्राद्ऱ कयने के सरमे इन्हीॊ सतसथ का प्रमोग कयना िाफहमे, इन सतसथमं भं फुधवाय का फदन ऩिे तो फहुत शबु होता हं।
स्वास्र्थम्
व्मत्रक्त प्राम् सदॊ, जुकाभ आफद से ऩीफित यहना ऩिता हं। नवास बे्रकिाउन का बी बम फना यहता हं। कण्ि योग, जीब सॊफॊसध योग, कॊ धे भं ददा, हस्डिमं सॊफॊसध योग, कान तथा ष्वास प्रफक्रमा सॊफॊसधत फीभारयमाॊ हुआ कयती हं। रृदम योग, भोतीझय, भूि योग, वीमा दोष, सभगॉ, नाससका योग, तीव्र ज्वय, ऩागरऩन, खाज-खजुरी, रकवा, ऩाॊवं की सूजन, भूच्छाा आना, नासूय, हैजा, भॊदास्ग्न, गरे के योग तथा त्विा सॊफॊसधत फीभारयमाॊ हुआ कयती हं।
26 अगस्त 2012
उऩमुक्त आहाय:
सेफ, केरा, िीकू, अनाय, अनानस, अॊगूय, ऩुफदना, गाजय, ऩारक, सबण्िी, फंगन, कयेरे, तुरसी, फादाभ, अॊजीय, केसय, अखयोट राबदामक यहते हं।
अनुकूर व्मवसाम:
व्मत्रक्त टेरीपोन त्रवबाग, ज्मोसतष, सेल्सभैन, फीभा, फंक, येल्वे इॊजीसनमयीॊग, सॊऩादन, तम्फाकू, भुसनभ, ऩिकारयता, अनुवाद, याजनीसत, ऩुस्तक त्रवके्रता, ऩुयातत्व त्रवऻान, आत्रवस्काय, त्रप्रॊटीॊग, रेखन, खोज, िाक, ऩमाटन त्रवबाग आफद सॊफॊसधत कामो भं असधक सपर होते हं।
शुब फदशा:
व्मत्रक्त के सरए ऩूवोतय एवॊ ऩस्द्ळभोत्तय फदशा शुबदामी यहती हं। व्मत्रक्त के सरए हया, दे्वत, बूया, कत्थई िभकदाय एवॊ भटभैरा यॊग अनुकूर एवॊ राबप्रद होता है।
भूराॊक 5 के व्मत्रक्त के सरए कद्श सनवायक उऩाम
आऩके भूराॊक के स्वाभी ग्रह फुध के शुब प्रबावो की वतृ्रद्ध हेतु आऩ अऩनी कसनत्रद्षका उॊगरी भं ऩन्न धायण कय सकते हं। ऩन्नाके फदरे उसका उऩयत्न ओनेऺ मा भयगि धायण कय सकते हं।
अऩने ऩूजा स्थान भं प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩन्ना गणेश(भयगि गणेश), फुध मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं।
मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहेगा।
ग्रह शाॊसत के सरए व्रत उऩवास: फुधवाय का व्रत: फुध ग्रह को प्रसन्न कयने हेतु फुधवाय का व्रत फकमा जाता हं। फुधवाय का व्रत व्मवसाम कयने वारो हेतु राबदामी होता हं। फुधवाय का व्रत गणेश जी एवॊ भाॊ दगुाा फक कृऩा प्रासद्ऱ हेतु फकमा जाता हं। इस व्रत के कयने से फुत्रद्धका त्रवकास होता हं, इस फदन व्रत के साथ दगुाा सद्ऱशतीका ऩाि कयने से भनोवाॊसछत पर फक
प्रासद्ऱ होती हं। फुधवाय का व्रत कयने से फुध के प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं।
ग्रह शाॊसत के सरए उऩमुक्त रुराऺ: आऩके भूराॊक का स्वाभी फुध हं अत् फुध ग्रह के अशुब प्रबाव को दयू कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ के सरए 4 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩके सरए उऩमुक्त यहेगा। आऩ 4 भुखी रुराऺ के साथ भं 6 भुखी मा 13 भुखी औय 7 भुखी मा 14 भुखी रुराऺ बी धायण कयने से आऩको त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी।
शाॊसत के सरए दान
ग्रह:- फुध, वाय:- फुधवाय
फुध ग्रह फक शाॊसत हेतु हये ऩन्ना, भूॉग, घी, हया कऩिा, िाॉदी, पूर, काॉसे का फतान, कऩूय का दान कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं
ग्रह शाॊसत के अन्म सयर उऩाम:
कामा ससत्रद्ध हेतु हये यॊग का रुभार हभेशा अऩने ऩास यखं।
फीभायी भं ऩैसा खिा हो यहा हो तो जरुय भॊद व्मत्रक्त को भीिा व नभकीन दोनं प्रकाय का बोजन कायएॊ।
घय भं करह होती हो तो नवयाि भं दगुाा सद्ऱशती का ऩाि कयं औय शुक्र ऩऺ की ितुथॉ को एक कुभायी कन्मा को बोजन कयाएॊ।
दफ्तय की ऩयेशासनमं से फिने के सरए 1 साफूत हल्दी की गाॊि रेकय उसे फहते ऩानी भं फहा दं औय 1 साफूत हल्दी की गाॊि को अऩने दफ्तय भं सुयस्ऺत यख रं।
बूसभ-बवन से सॊफॊसधत त्रववाद को सुरझाने के सरए यात भं फुजुगं को दधू ऩीराएॊ।
नौकयी-व्मवसाम के कामो भं त्रवध्न-फाधाएॊ आयही हो तो गयीफ व्मत्रक्त को कारा कॊ फर दान दं।
अऩने भान-सम्भान एवॊ प्रसतद्षा फढाने हेतु ऩानी भं थोिी फपटकयी िार कय स्नान कयं।
27 अगस्त 2012
भूराॊक 6 स्वाभी शुक्र
सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी
भूराॊक 6 स्वाभी ग्रह:- शुक्र
सभि अॊक-:- 5, 8 शि ुअॊक:- 1, 7
सभ:- 3, 9
स्व अॊक:- 6 तत्व:- जर
मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की 6, 15 व 24 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 6 होता है।
भूराॊक 6 अॊक के व्मत्रक्त असधक करा पे्रभी औय भनोयॊजन त्रप्रम त्रविाय धाया वारे होते हं। व्मत्रक्त की प्रकृसत करा ऺेि भं असधक रुसिऩूणा होती हं।
भूराॊक 6 का स्वाभी ग्रह शुक्र हं, इस सरए भूराॊक 6 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त के उऩय शुक्र का त्रवशेष प्रबाव देखने को सभरता हं, क्मोफक 6 भूराॊक भं जन्भ रेने के कायण व्मत्रक्त के सबतय शुक्र ग्रह की अनुकूरता के कायण शुक्र ग्रह के गुणं का सभावेश अन्म ग्रहं की अऩेऺा असधक भािा भं हो जाता हं। शकु्र ग्रह के इस त्रवशेष प्रबात्रव गुणं के कायण ही व्मत्रक्त फदधाामु, स्वस्थ, सफर, हॊसभुख एवॊ दसूयं को सॊभोफहत कयने का त्रवरऺण उनभं होता हं। भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त की प्राम् जन्भजात से ही करा के प्रसत त्रवशेष रूसि होती हं,
व्मत्रक्त का दसूयं के भुकाफरे असधक सुॊदय फदखना औय फने यहना इनका स्वाबाव होता हं।
भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त की बौसतक सुखं भं असधक रुसि होती हं इस सरए व्मत्रक्त जीवन जीने का सही आनॊद उिाते हं। मफद जीवन के फकसी भोि ऩय धन का अबाव हो तो बी व्मत्रक्त रृदम से उदाय एवॊ नीसतऻ होते हं।
भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त को दसूयं के सौन्दमा, सुख एवॊ प्रगसत से असधक ईस्मा होती हं। कबी-कबी दसूयं को आगे सनकरने की होि भं औय प्रसतस्ऩधाा भं व्मत्रक्त स्जद्दी हो जाते हं, व्मत्रक्त फकसी बी फकभत ऩय दसूयं से आगे
सनकरने के यासते खोजता हं। स्जसभं कबी-कबी अनुसित यास्ते अऩनाते हं
औय बायी नुकसान उिाते हं। भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त भं
दसूयं को अऩनी औय आकत्रषात औय प्रबात्रवत कयने की अद्भतु शत्रक्त होसत हं। व्मत्रक्त की फात कयने की शैरी अनूिी होती हं स्जस कायण व्मत्रक्त साभने वारे से अऩना काभ सनकारने भं
भाफहय होते हं।
भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त का आकषाक शयीय, नम्रवाणी, भोहक व्मत्रक्तत्व
तथा िेहये की सौम्मता सपरता भं त्रवशेष सहामक ससद्ध होते हं। इस सरए व्मत्रक्त प्राम् सबी ऺेि भं रोकत्रप्रम होते हं। भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त से की सॊगसत से रोग सुख-आनॊद का अनुबव कयते हं। व्मत्रक्त की रुसि करा पे्रभी होने से मह रोग असबनम, सॊसगत, भनोयॊजन, सौन्दमा प्रधान इत्माफद ऩय असधक धन व्मम कयते हं।
28 अगस्त 2012
भॊि ससद्ध स्पफटक श्री मॊि "श्री मॊि" सफसे भहत्वऩूणा एवॊ शत्रक्तशारी मॊि है। "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्मोफक मह अत्मन्त शुब फ़रदमी मॊि
है। जो न केवर दसूये मन्िो से असधक से असधक राब देने भे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय व्मत्रक्त के सरए पामदेभॊद सात्रफत होता है। ऩूणा प्राण-प्रसतत्रद्षत एवॊ ऩूणा ितैन्म मुक्त "श्री मॊि" स्जस व्मत्रक्त के घय भे होता है उसके सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फ़रदामी ससद्ध होता है उसके दशान भाि से अन-सगनत राब एवॊ सुख की प्रासद्ऱ होसत है। "श्री मॊि" भे सभाई अफरसतम एवॊ अरश्म शत्रक्त
भनुष्म की सभस्त शुब इच्छाओॊ को ऩूया कयने भे सभथा होसत है। स्जस्से उसका जीवन से हताशा औय सनयाशा दयू होकय वह
भनुष्म असफ़रता से सफ़रता फक औय सनयन्तय गसत कयने रगता है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौसतक सुखो फक प्रासद्ऱ होसत
है। "श्री मॊि" भनुष्म जीवन भं उत्ऩन्न होने वारी सभस्मा-फाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय सकायत्भक उजाा का सनभााण कयने भे सभथा है। "श्री मॊि" की स्थाऩन से घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थात्रऩत कयने से वास्तु दोष म वास्तु से
सम्फस्न्धत ऩयेशासन भे न्मुनता आसत है व सुख-सभतृ्रद्ध, शाॊसत एवॊ ऐद्वमा फक प्रसद्ऱ होती है। गुरुत्व कामाारम भे "श्री मॊि" 12 ग्राभ से 2250 Gram (2.25Kg) तक फक साइज भे उप्रब्ध है .
भलू्म:- प्रसत ग्राभ Rs. 9.10 से Rs.28.00
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भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त को सुन्दय वस्त्र धायण कयना औय बौसतक सुख-साधनो से सुसस्ज्जत भकान भं यहना ऩसॊद कयते है।
भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त अऩने ऩयामे सबी से अऩनी फात भनवाने ऩय असधक जोय देते हं, इन्हं अऩनी प्रशॊसा असधक त्रप्रम होती हं। व्मत्रक्त सभरनसाय स्वबाव के होने के कायण आसानी से दसूयं के फदर भं अऩने सरमे जगा फना रेते हं, मफह कायण हं की व्मत्रक्त शीघ्र अनजाने रोगं से सभिता स्थात्रऩत कय रेते हं स्जससे इनके सभिं के सॊख्मा फदन-प्रसतफदन फढ़ती यहती हं।
भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त अऩने जीवन भं सबी प्रकाय के बौसतक सुख-साधन प्राद्ऱ कयने की प्रफर इच्छा यखते हं इससरए सनयॊतय अऩने सुख-साधनं को जुटाने औय वतृ्रद्ध कयने भं ही रगे यहते हं।
भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त का त्रवऩयीत सरॊग के प्रसत आकषाण असधक होता हं स्जस कायण व्मत्रक्त के एक से असधक पे्रभ सॊफॊध हो सकते हं।
भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त पे्रभ सॊफॊधं भं आनॊद खोजते हुवे जीवन माऩन कयते हं। व्मत्रक्त करा पे्रभी होने के कायण करा के ऺेि को अऩनी आभदनी का स्त्रोत बी फना सकते हं।
ज्मोसतष शास्त्र के अनशुाय शुक्र ग्रह से प्रबात्रव जातक पे्रभी स्वबाव के होते हं, व्मत्रक्त की शायीरयक सुख प्राद्ऱ कयने की तीव्र होती हं इस कायण व्मत्रक्त शीघ्र त्रववाह कयने के सरए तैमाय होते हं, मफद त्रववाह नहीॊ होता तो त्रववाह से ऩूवा शायीरयक सुख प्राद्ऱ कयने की इच्छा यखते हं। कबी-कबी व्मत्रक्त शायीरयक सुख प्राद्ऱ कयने हेतु उसित-अनुसित भागा अऩना ने से ऩीछे नहीॊ यहतं।
29 अगस्त 2012
भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त को भौज-भस्स्त, खाने-ऩीने, घुभने-फपयने, बोग-त्रवरास का असधक शौक होता हं, इससरए उसका असधक धन इस कामा भं खिा हो जाता हं। व्मत्रक्त मफद अऩनी कभजोयीमं एवॊ आदतं ऩय सनमॊिण कयरे तो वह जीवन भं उिे स्थान ऩय आससत हो सकते हं एवॊ अच्छा भान सम्भान एवॊ प्रसतद्षा प्राद्ऱ कय सकते हं।
मफद व्मत्रक्त अऩनी फुयी आदतं का गुराभ फन जाता हं तो वह सभाज भं अऩना फना फनामा नाभ, ऩद, प्रसतद्षा सफ को सभट्टी भं सभरा देता हं। रोग उस्से धणृा कयने रगते हं। इस सरए व्मत्रक्त को हभेशा अनुसित कामा से दयू यहना िाफहए।
भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त स्वतॊिता त्रप्रम होते हं इस सरए वह रोग स्जन्दगी एवॊ कामाऺ ेि भं फकसी का अनुशासन मा हस्तऺेऩ ऩसॊद नहीॊ कयतं, व्मत्रक्त स्जन्दगी को अऩने अॊदाज से जीने का प्रमत्न कयते हं।
शुब फदन:
शुब वषा 15,24,33,42,51,60,69,78 वाॊ वषा हं, सतसथ 6,15,24 शुब दामक होती हं, फकसी कामा भं सपरता प्राद्ऱ कयने के सरमे इन्हीॊ सतसथ का प्रमोग कयना िाफहमे, इन सतसथमं भं शुक्रवाय का फदन ऩिे तो फहुत शबु होता हं।
स्वास्र्थम्
व्मत्रक्त पेपिो के योग से ग्रससत यहते हं। नाक, कान, आॉख, जीब, दाॊत, अॊगुरी, नाखनू, हस्डि, वीमा सॊफॊसध फीभारयमाॊ हुआ कयती हं। स्त्री को भाससक धभा सॊफॊसध योग होते हं। भूच्छाा आना, अजीणा, नऩुॊसकता, ज्वय सॊफॊसध योग यहते हं।
उऩमुक्त आहाय:
तयफूज, खयफूज, आभ, सेफ, नासऩती, अनाय, ऩारक, गाजय, पुरगोबी, इभरी, अॊजीय, अखयोट, गुरकॊ द आफद राबदामक होते हं।
अनुकूर व्मवसाम:
व्मत्रक्त वासतु करा, त्रषल्ऩकाय, फिजाईनय, सॊगीत, नाट्मकाय, फागवानी, वस्त्र, असबनेता, ईि, तेर, पूर,घफि, त्रप्रॊटीॊग, इॊजीसरमय,, जवाहयात, सेवा, आबूषण, सभिाई, त्रवदेषी भूरा, फकसी बी प्रकाय के खसनज खदान, होटर, रेखन, प्रकाशन, करा, दासवतृ्रत्त आफद सॊफॊसधत कामो भं असधक सपर होते हं।
शुब फदशा:
व्मत्रक्त के सरए अनुकूर फदशा ऩूवा है। व्मत्रक्त के सरए हल्का नीरा, आसभानी, हल्का ऩीरा, गुराफी यॊग, बी उऩमुक्त है, फकन्तु कारा, गहया रार यॊग अशुब सूिक है।
भूराॊक 6 के व्मत्रक्त के सरए कद्श सनवायक उऩाम भूराॊक 6 हं स्जसके स्वाभी ग्रह शुक्र के शुब
प्रबावो की वतृ्रद्ध हेतु आऩ अऩनी अनासभका उॊगरी भं हीया मा सपेद ऩुखयाज अथवा शुक्र के उऩयत्न जयकन, सपेद टोऩाज आफद अऩने साभर्थमा के अनुशाय धायण कय सकते हं।
अऩने ऩूजा स्थान भं प्राण-प्रसतत्रद्षत स्पफटक गणेश, शुक्र मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं।
मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहेगा।
ग्रह शाॊसत के सरए व्रत उऩवास: शुक्रवाय का व्रत: शुक्र ग्रह को प्रसन्न कयने हेतु शुक्रवाय का व्रत फकमा जाता हं। शुक्रवाय का व्रत कयने से व्मत्रक्त
30 अगस्त 2012
के संदमा भं वतृ्रद्ध होती हं, गुद्ऱ योगोभं राब होता हं, बोग-
त्रवरास फक सिज वस्तु भं वतृ्रद्ध होती हं। शुक्रवाय का व्रत कयने से शुक्र के प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं। ग्रह शाॊसत के सरए उऩमुक्त रुराऺ: आऩका भूराॊक 6 का स्वाभी शुक्र हं अत् शुक्र ग्रह के अशुब प्रबाव को दयू कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ के सरए एक नॊग 13 भुखी मा 6 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩके सरए उऩमुक्त यहेगा। आऩ 13 भुखी मा 6 भुखी रुराऺ के साथ भं 4 भुखी औय 7 भुखी मा 14 भुखी रुराऺ बी धायण कयने से आऩको त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी। शाॊसत के सरए दान
ग्रह:- शुक्र वाय:- शुक्रवाय
शुक्र ग्रह फक शाॊसत हेतु दे्वत यत्न, िाॉदी, िावर, दधू, सपेद कऩिा, घी, सपेद पूर, धूऩ, अगयफत्ती, इि, सपेद िॊदन दान
कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं
ग्रह शाॊसत के अन्म सयर उऩाम:
व्मवसामीक कामो भं त्रवध्न-फाधाएॊ आयही हो तो 21
गुरुवाय को गयीफ ब्राम्हण को बोजन कयाएॊ।
अऩाफहज व्मत्रक्त को दान दं।
नौकयी से सॊफॊसधत ऩयेशानी हो तो सनमभीत ऩीऩर भं जर िढ़ाएॊ औय कौए को भीिी योटी िारं।
योजगाय से सॊफॊसधत फदक्कत आयही हो तो भाथे ऩय केसय का टीका रगाएॊ।
बूसभ-बवन से सॊफॊसधत त्रववाद को सुरझाने के सरए श्री गणेश फक आयाधना कयं।
सशऺा से सॊफॊसधत सभस्मा दयू कयने के सरए गाम को हया िाया स्खराएॊ।
दाॊऩत्म जीवन की ऩयेशानीमाॊ दयू कयने के सरएॊ भॊगरवाय के फदन हनुभान भॊफदय भं शुद्ध घी का दो भुख वारा दीऩक जराएॊ औय रार पूर की भारा िढ़ाएॊ।
क्मा आऩको उच्ि असधकायी से ऩयेशानी हं?
क्मा आऩकी अऩने सहकभािायी से अनफन होती हं?
क्मा आऩके असधनस्थ कभािायी आऩकी फात नही भानते?
मफद आऩको अऩने उच्ि असधकायी, सहकभािायी, असधनस्थ कभािायी से ऩयेशानी हं। आऩके अनूकुर कामा नहीॊ कयते मा आऩको कयने नहीॊ देते? वह आऩकी फात नहीॊ भानतं? त्रफना वजह आऩको ऩयेशान कयते हं? अन आवश्मक कामा आऩसे कयवाते हं। आऩका प्रभोशन रुकवादेते हं। उसित कामा कयने ऩय बी आऩके कामा भं नुक्श सनकारते हं? मफद आऩ इसी तयह फक फकसी सभस्मा से ग्रस्त हं तो आऩ उन असधकायी, सहकभॉ, असधनस्थकभॉ मा अन्म फकसी व्मत्रक्त त्रवशेष के नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा ितैन्म मुक्त वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फिब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय-ओफपस भं स्थात्रऩत कय अल्ऩ ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ
कय सकते हं। मफद आऩ भॊि ससद्ध वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फिब्फी फनवाना िाहते हं, तो सॊऩका कयं।
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31 अगस्त 2012
भूराॊक 7 स्वाभी केतु
सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी
भूराॊक 7
स्वाभी ग्रह:- केतु सभि अॊक:- 2, 6
शि ुअॊक:- 1, 9
सभ:- 3,4 5,8, स्व अॊक:- 7
मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की
7, 16 व 25 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 7 होता है।
भूराॊक 7 अॊक के व्मत्रक्त असधक सहनशीर औय सहमोगी त्रविाय धाया वारे होते हं भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त को ऩयखना कफिन होता हं क्मोफक इन रोगं के स्वबाव भं उताय-िढ़ाव होता यहता हं।
व्मत्रक्त की प्रकृसत कामा ऺेि भं आधायबूत एवॊ असधक रुसिऩूणा होती हं।
भूराॊक 7 का स्वाभी ग्रह केतु हं, इस सरए भूराॊक 7 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त के उऩय केतु का त्रवशेष प्रबाव देखने को सभरता हं, क्मोफक 7 भूराॊक भं जन्भ रेने के कायण व्मत्रक्त के सबतय केतु ग्रह की अनुकूरता के कायण केतु ग्रह के गुणं का सभावेश अन्म ग्रहं की अऩेऺा असधक भािा भं हो जाता हं। केत ु
ग्रह के इस त्रवशेष प्रबात्रव गुणं के कायण ही व्मत्रक्त की स्वतॊि त्रविाय धाया औय त्रवशार व्मत्रक्तत्व होता हं।
भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त दसूयं से जया हटके कामा कयने भं त्रवद्वास अयखते हं इसी सरमे इन भं त्रवशेष गुण होते हं की मह रोग वेस्ट भं से फेस्ट फना देते हं अथाात फेकाय मा व्मथा वस्तुओॊ भं से फहुउऩमोगी साभग्रीमाॊ प्राद्ऱ कय रेते मा फना रेते हं।
भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त का भन-भस्स्तष्क खारी मा सनस्ष्क्रम नहीॊ यह सकता, इस सरए वह हय ऺण कुछ ना कुछ सोिते ही यहते हं। इससरए व्मत्रक्त खारी सभम भं बी कुछ ना कुछ नमा कयने का अवसय खोजते यहते हं। भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त को अऩनी एवॊ दसूयं की स्वतॊिता
असधक त्रप्रम होती हं इस सरए व्मत्रक्त फकसी प्रकाय से स्वतॊिता बॊग हो मह फदाास्त
नहीॊ कय सकते। व्मत्रक्त के इस अनोखे गुण के कायण उसकी
सभाज भं भान-सम्भान एवॊ ऩद-प्रसतद्षा दसूयं के भुकाफरे जया हटके होती हं।
व्मत्रक्त की जान ऩेहिान ऊॉ िे औय फिे रोगं से
होने के कायण व्मत्रक्त जल्द उच्ि स्थान को प्राद्ऱ कयने भं
सभथा होता हं। व्मत्रक्त को अऩने सभिं एवॊ त्रप्रमजनं का ऩूणा सहमोग प्राद्ऱ
होता हं। भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त साहसी होने के कायण
साहससक कामो भं त्रवशेष रूसि यखते हं स्जसभं उन्हं सपारता बी सभरती हं। इसके अरावा व्मत्रक्त का झुकाव
32 अगस्त 2012
करा के प्रसत बी हो सकता हं स्जस कायण उसे करा के ऺेि भं बी सपरता प्राद्ऱ हो सकती हं।
भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त का आसथाक ऩऺ कभजोय होता हं स्जस कायण उन्हं धन सॊग्रह कयने भं कफिनाई होती हं। व्मत्रक्त को मािा-भ्रभण इत्माफद भं त्रवशेष रुसि होने के कायण व्मत्रक्त इस ऩय असधक धन व्मम कय सकते हं।
भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त का आत्भ त्रवद्ळास अच्छा होता हं, इस कायण व्मत्रक्त दसूयं के भन की फात ऩढ़ने भं बी भाफहय होते हं। इसके अरावा व्मत्रक्त भं दसूयं को अऩनी औय आकत्रषात कयने के गुण बी होते हं। स्जस कायण मह रोग प्राम् सभम रोगं से अऩना इस्च्छत काभ सनकार रेते हं।
भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त स्वतॊिता त्रप्रम होने के कायण उन्हं ऩुयानी रूफढ़वादी यीसत मा ऩयॊऩया असधक यास नहीॊ आती व्मत्रक्त इन यीसत मा ऩयॊऩयाओॊ के सरए ऩरयवतानशीर त्रविायधाया यखते हं।
प्राम् भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त दयूस्थ स्थानं मा देशं की मािा कयना असधक ऩसॊद कयते हं इस कायण असधकतय भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त एसी ही योजगाय के साधन खोजते हं स्जसभं उन्हं फाय-फाय मािा के अवसय प्राद्ऱ होते हं।
भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त काल्ऩसनक त्रविाय असधक कयने वारे एवॊ बावुक स्वबाव के होते हं, इस कायण व्मत्रक्त को अच्छे फुये की की ऩयख नहीॊ होती।
भूराॊक 7 वारे असधक तय रोगं को जल्दी से सनणाम रेने भं असपरता मा कद्श का अनुबव कयते हं। अनेक फाय व्मत्रक्त को िोस सनणाम के कायण ही असधक राब की प्रासद्ऱ बी होती हं।
भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त भं अऩने कामा ऺेि की व्मवस्था को सॊबारने की अद्भतु शत्रक्त होती हं, स्जस कायण मह रोग फकसी के दफाव भं मा फकसी के नेततृ्व
भं उसित कामा नहीॊ कय सकते मा अऩनी प्रसतबा नही फदखा सकतं मफद व्मत्रक्त फकसी कं अॊदय कामा कयता हं तो उसकी प्रगसत असधक नहीॊ हो सकती व्मत्रक्त स्वमॊ बी अऩनी प्रगसत को रुका हुवा मा फॊधा हुवा ऩाते हं।
व्मत्रक्त को साभास्जक कामा मा दसूयं के कामा भं सहामता मा हस्तऺेऩ कयने की आदत होती हं स्जस के कायण उन्हं कई फाय सनन्दा एवॊ फदनाभी से सम्भुस्खन होना ऩिा़ता हं, स्जस कायण व्मत्रक्त हभेशा दु् खी यहते हं।
भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त की सफसे फिी़ कभी होती हं की वह दसूयं के साभने स्वमॊ को असधक फुत्रद्धभान, शत्रक्तशारी एवॊ िाराक फदखाने का प्रमास कयते हं। स्जस कायण कई रोगं से शितुा कय फैिते हं। व्मत्रक्त को अऩनी खसुाभद कयने वारे रोग असधक यास आते हं व्मत्रक्त खसुाभत कताा ऩय कुछ बी देने भं सॊकोि नहीॊ कयते।
मफद भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त ददु्श प्रकृत्रत्त के रोगं से असधक सॊऩका भं यहते हं तो उनभं बी ददु्श प्रवतृ्रत्तमा जस्ल्द घय कय जाती हं। भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त त्रवदेश भ्रभण के बी असधक इच्छुक होते हं। भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त साभास्जक कामाकताा होने के कायण व्मत्रक्त साभास्जक कामा भं बी व्मस्त यहते हं। व्मत्रक्त का स्वबाव थोिा शॊकाशीर होता हं।
भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त भं त्रवऩरयत ऩरयस्स्थसत भं बी कद्शं एवॊ सॊकटं से रिने की अद्भतु सहनशत्रक्त होती हं। मफद व्मत्रक्त एक फाय कुछ कयने की िान रे तो उस रक्ष्म ऩय ऩहूॊि कय ही दभ रेते हं।
शबु वषा: 16,25,34,43,52,61,70 वाॊ वषा हं, सतसथ 6,15,24 शुब दामक होती हं, फकसी कामा भं सपरता प्राद्ऱ कयने के सरमे इन्हीॊ सतसथ का प्रमोग कयना िाफहमे, इन सतसथमं भं सोभवाय मा शसनवाय का फदन ऩिे तो फहुत शुब होता हं।
33 अगस्त 2012
स्वास्र्थम्
व्मत्रक्त को िभायोग घेये यहते हं। खजुरी मा दाद होनेकी सॊबावना फनी यही हं। िभा सॊफॊसध त्रषकामत होती ही यहती हं। आॉख, उदय तथा पेपिं से सॊफॊसध फीभारयमाॊ, गुद्ऱ तथा कफिन योग एवॊ पोिे आफद की त्रषकामते यहती हं। अत्मासधक तनाव, सदैव फकसी सिॊता भं यहते हं, फदहजभी एवॊ कब्ज की सशकामत, नीॊद बी कभ आती हं।
उऩमुक्त आहाय:
सेफ, अॊगूय, ककिी, प्माज, भूरी, गाजय, टभाटय, ऩारक, इभरी एवॊ संप उऩमोगी हं।
अनुकूर व्मवसाम:
व्मत्रक्त फपल्भ, तैयाकी, वामुसेना, ऩमाटन, जर-जहाज, िेयी, ड्राईत्रवॊग, दवाई, जासूसी, तयर ऩदाथा, कुस्ती, यफि, प्रास्टीक, करा, जादगुय, पूटनीसत, बूसभगत ऩदाथा, अनुवाद, रेखन, सॊऩादन, ऩिकारयता, याजनीसत आफद सॊफॊसधत कामो भं असधक सपर होते हं।
शुब फदशा:
व्मत्रक्त के सरए अनुकूर फदशा वामव्म एवॊ ऩस्द्ळभ है। व्मत्रक्त के सरए हल्का ऩीरा, सपेद, नीरा, आसभानी, गुराफी, आफद यॊग शुबसूिक है।
भूराॊक 7 के व्मत्रक्त के सरए कद्श सनवायक उऩाम आऩका भूराॊक के स्वाभी ग्रह केतु के शुब प्रबावो
की वतृ्रद्ध हेतु आऩ अऩनी भध्मभा उॊगरी भं रहसुसनमा ( केटस आई) धायण कय सकते हं। अऩने ऩूजा स्थान भं प्राण-प्रसतत्रद्षत केतु मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं।
मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहेगा।
ग्रह शाॊसत के सरए व्रत उऩवास: व्रत: केतु ग्रह के सरए कोई फदन सनस्द्ळत नहीॊ फकमा गमा हं, इस सरए केतु को प्रसन्न कयने हेतु भॊगरवाय मा शसनवाय के फदन व्रत फकमा जा सकता हं। केतु का व्रत कयने से आकस्स्भक दधुाटना आफद से यऺा होती औय दु् ख दरयरता, आसध-व्मासध का अॊत होता हं। ग्रह शाॊसत के सरए उऩमुक्त रुराऺ: आऩका भूराॊक स्वाभी केतु हं अत् केतु ग्रह के अशुब प्रबाव को दयू कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ के सरए 9 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩके सरए उऩमुक्त यहेगा। आऩ 9 भुखी रुराऺ के साथ भं 7 भुखी मा 14 भुखी औय 4 भुखी रुराऺ धायण कयने से बी आऩको त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी। शाॊसत के सरए दान ग्रह:- केतु वाय:- भॊगरवाय केतु फक शाॊसत हेतु सात प्रकाय के वैदमूा, अनाज, काजर, झॊिा, ऊनी कऩिा, सतर आफद का दान कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं ग्रह शाॊसत के अन्म सयर उऩाम: भाता-त्रऩता एवॊ फिे-़फुजुगं का सम्भान कयं। अस्ऩतार, अनाथारम आफद भं सनस्वाथा सेवा कयॆॊ। बगवान सशव, त्रवष्णु मा भाॉ दगुाा का स्भयण कयते
हुवे फदन की शुरुवात कयं। बोजन कयते सभम ससय ढक कय न यखं औय
दस्ऺण फदशा की ओय भुॊह कयके बोजन न कयं। सपाई कभािायी से दवु्मावहाय न कयं।
34 अगस्त 2012
भूराॊक 8 स्वाभी शसन
सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी भूराॊक 8
स्वाभी ग्रह:- शसन
सभि अॊक:- 5, 6 शि ुअॊक:- 1, 7, 9
सभ:- 3
स्व अॊक:- 8 तत्व:- वामु
मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की 8, 17 व 26 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 8 होता है।
भूराॊक 8 अॊक के व्मत्रक्त का जीवन असधक सॊघषाभम औय कफिनाईमं से बया होता हं इस सरए कबी-कबी मह रोग हताश औय सनयाशा त्रविाय धाया वारे होते हं। व्मत्रक्त को कामा ऺेि भं धीये-धीये उन्नसत प्राद्ऱ होती हं।
भूराॊक 8 का स्वाभी ग्रह शसन हं, इस सरए भूराॊक 8 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त के उऩय शसन का त्रवशेष प्रबाव देखने को सभरता हं, क्मोफक 8 भूराॊक भं जन्भ रेने के कायण व्मत्रक्त के सबतय शसन ग्रह की अनुकूरता के कायण शसन ग्रह के गुणं का सभावेश अन्म ग्रहं की अऩेऺा असधक भािा भं हो जाता हं। शसन ग्रह के इस त्रवशेष प्रबात्रव गुणं के कायण ही व्मत्रक्त को जीवन भं त्रवसबन्न
त्रवघ्न, फाधा, ऩयेशानीमं से जूझते हुए सपरता प्राद्ऱ होती है।
भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त फिी़ से फिी़ ऩयेशानी एवॊ िनुौसतमं से नहीॊ घफयाते। व्मत्रक्त हय ऩरयस्स्थसतमं का दृढ़ताऩूवाक साभना कयने के सरए तैमाय होते हं। भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त को सपरता-असपरता से ज्मादा िनुौसतमं का साभना कयने भं रुसि यहती हं।
व्मत्रक्त के असधक सफर औय सजग व्मत्रक्तत्व होने के कायण फहुत से उताय-िढ़ाव देखने के फाद बी वहॉ टूटते नहीॊ, उसका व्मत्रक्तत्व सही शब्दं भं रिीरा हं जो ऩरयस्स्थसत के अनुरूऩ अऩने आऩको ढार रेने की ऺभता
यखता हं। सेवाबावी, भन भं करूणा, त्रविायं भं शाॊसत होती हं।
भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त का सफसे फिा शि ुउनकी कामा के प्रसत अरुसि, आरस्म औय कामा को कर ऩय छोि देने की आदत है।
ज्मोसतष के अनुशाय शसन ग्रह न्माम के देवता हं, इस कायण व्मत्रक्त भं न्मामोसित
गुण स्वत् ऩामे जाते हं, व्मत्रक्त का मही गुण उसे सभाज भं उसे नाभ,
मश, भान-सम्भान प्राद्ऱ कयाने भं सहामक होगा। व्मत्रक्त के न्माम त्रप्रम स्वबाव से सनयॊतय उसके त्रवयोसध एवॊ शि ुऩऺ की वतृ्रद्ध होती यहती हं। रेफकन शि ुऩऺ से व्मत्रक्त को त्रवशेष हानी नहीॊ होगी।
भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त फदखावे से ज्मादा कुछ कयने भं असधक त्रवद्वास यखते हं। इस कायण आऩसी
35 अगस्त 2012
कनकधाया मॊि आज के मगु भं हय व्मत्रक्त असतशीघ्र सभदृ्ध फनना िाहता हं। धन प्रासद्ऱ हेत ु प्राण-प्रसतत्रद्षत कनकधाया मॊि के साभन ेफिैकय कनकधाया स्तोि का ऩाि कयन ेसे त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं। इस कनकधाया मॊि फक ऩजूा अिाना कयन ेसे ऋण औय दरयरता से शीघ्र भतु्रक्त सभरती हं। व्माऩाय भ ं
उन्नसत होती हं, फेयोजगाय को योजगाय प्रासद्ऱ होती हं।
श्री आफद शॊकयािामा द्राया कनकधाया स्तोि फक यिना कुछ इस प्रकाय फक हं, स्जसके श्रवण एवॊ ऩिन कयन ेसे आस-ऩास के वामभुॊिर भं त्रवशेष अरौफकक फदव्म उजाा उत्ऩन्न होती हं। फिक उसी प्रकाय से कनकधाया मॊि अत्मॊत दरुाब मॊिो भं से एक मॊि हं स्जसे भाॊ रक्ष्भी फक प्रासद्ऱ हेत ुअिकू प्रबावा शारी भाना गमा हं। कनकधाया मॊि को त्रवद्रानो ने स्वमॊससद्ध तथा सबी प्रकाय के ऐद्वमा प्रदान कयने भं सभथा भाना हं। जगद्गरुु शॊकयािामा ने दरयर ब्राह्मण के घय कनकधाया स्तोि के ऩाि से स्वणा वषाा कयाने का उल्रेख ग्रॊथ शॊकय फदस्ग्वजम भ ंसभरता हं। कनकधाया भॊि:- ॐ वॊ श्रीॊ वॊ ऐॊ ह्रीॊ-श्रीॊ क्रीॊ कनक धायम ैस्वाहा' | भूल्म: Rs.550 से Rs.8200 तक
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सॊफॊधो के भाभरो भं रोग इन्हं िॊिा, किोय रृदम मा ऩत्थय फदर भान रेते हं। रेफकन वास्तत्रवकता इससे त्रवऩरयत होती हं। भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त फदर से दमारु एवॊ बावुक होते हं। भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त अऩने काभ से ही काभ यखने भं त्रवद्वास कयते हं उन्हं दसूयं की िाऩरूसी मा ख़शुाभद ऩसॊद नहीॊ होती हं। व्मत्रक्त के इस व्मवहाय के रोग कायण उसकी आरोिना बी खफु कयते हं। रेफकन भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त फकसी की ऩयवाह नहीॊ कयते।
भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त स्जस कामा को हाथ भं रेते हं तो उसभं ऩूयी तयह िूफ कय कामा कयने का प्रमास कयते हं रेफकन कबी-कबी भानससक अशाॊसत एवॊ द्रॊद के कायण एकाग्र हो कय कामा कयने भं असभथा हो जाते हं।
भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त को प्राम् फकसी त्रवषम वस्तु से त्रवशेष भोह मा रगाव नहीॊ होता सभरगमा तो फिक नहीॊ सभरे तो ज्मादा अपसोस नहीॊ कयतं। व्मत्रक्त को धन सॊऩत्रत्त आफद का भोह बी असधक नहीॊ होता इस कायण जीवन भं मफद धन-सॊऩत्रत्त फकसी को देनी ऩिे़ तो देने भं असधक सॊकोि बी नहीॊ कयते। व्मत्रक्त अऩने ऩरयश्रभ एवॊ भेहनत से उसे ऩुन् प्राद्ऱ कयने भं त्रवद्वास यखते हं।
भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त अन्म रोगं के भुकाफरे अत्मासधक ऩरयश्रसभ एवॊ सॊघषाशीर होते हं। मफद कायण हं की फकसी कामा भं िाहं स्जतना श्रभ, त्माग अथवा फसरदान देना ऩिे़ उससे ऩीछे नहीॊ होते। व्मत्रक्त फिी़ से फिी़ िनुौसतमं को सयरता से ऩाय कय उन्नसत के सशखय ऩय ऩहूॊि ने भं सभथा होते हं।
36 अगस्त 2012
भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त का स्वबाव सेवाबावी होता हं इनके इसी स्वबाव के कायण साभास्जक कामा भं बी त्रवशेष रुसि होती हं रेफकन व्मत्रक्त को सभाज भं फकमे गमे कामं से त्रवशेष राब नहीॊ सभरता। असधकतय रोग भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त को असपर तथा उदासीन भानते हं, रेफकन वास्तव भं भरूाॊक 8 वारे व्मत्रक्त मफद अऩने कामा ऩय त्रवशेष ध्मान दे एवॊ ऩूणा रगन एवॊ ऩरयश्रभ से कामा कयं तो मह रोग अन्म रोगं के भुकाफरे असधक सपरता प्राद्ऱ कय सकते हं इसभं जया बी सॊदेह नहीॊ हं। क्मोफक भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त अत्मासधक भहत्वाकाॊऺी औय अऩनी धनु के ऩक्के होते हं, व्मत्रक्त की महीॊ भहत्वकाॊऺा उसे उच्ि ऩद ऩहूॊिा देती हं।
भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त सभिता सनबाने भं अव्वर होते हं। मफद कोई इन्हं छर कयं तो मह उसे आसानी से भाप बी नहीॊ कयते, व्मत्रक्त उसे दॊि देकय ही छोिता हं।
भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त प्राम् सभम हताश औय सनयाश होते हं क्मंकी मह रोग छोटी-छोटी फातं को फदर से रगा कय फैि जाते हं।
भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त उस्म्भद से कहीॊ असधक िाराक होते हं, इन्हं कोई आसानी से िग नहीॊ सकता। व्मत्रक्त अऩने हो मा ऩयामे हय फकसी को शॊकाशीर नियं से देखता हं। इस कायण व्मत्रक्त को सनॊदा एवॊ अऩभान का साभना कयना ऩिता हं।
भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त को धन की कभी नहीॊ होती व्मत्रक्त को जीवन भं धन सभरता यहता है।
भूराॊक 8 त्रवद्वास का अॊक भाना गमा हं। भूराॊक 8
वारे व्मत्रक्त का स्वाबाव सहमोगी स्वबाव के होते हं, व्मत्रक्त मफद फकसी का सभि औय सहमोगी होता हं तो प्रत्मेक रूऩ से उसे सहामता ऩहुॉिाते यहते हं, भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त उसके जीवन की ढार फनकय यहते हं औय त्रवशार वृऺ की तयह अऩनी शीतर छामा से उसे सुख ऩहुॉिाते यहते हं। ऩयत ुजफ व्मत्रक्त फकसी ऩय क्रोसधत हो मा शितुा कय रेते हं, तफ प्रिॊि रूऩ धायण कय रेते हं, सबी प्रकाय से उसे नद्श कयने ऩय उतय हो जाते हं।
शुब फदन:
शुब वषा 17,26,35,44,53,62,71 वाॊ वषा हं, सतसथ 8,17,26 शुब दामक होती हं, फकसी कामा भं सपरता प्राद्ऱ कयने के सरमे इन्हीॊ सतसथ का प्रमोग कयना िाफहमे, इन सतसथमं भं शसनवाय का फदन ऩिे तो फहुत शबु होता हं।
स्वास्र्थम्
व्मत्रक्त को स्जगय से सॊफॊसध योग रगे यहते हं। व्मत्रक्त के रीवय कभजोय होन की वजह से अन्म अनेक फीभारयमाॊ आकय घेय रेती हं। व्मसनं से हयदभ दयू यहना िाफहमे। दफुारता, ऩेट ददा, दॊत योग, त्विा योग, ऩाॊव तथा घुटनं से सॊफॊसधत फीतारयमाॊ, आॉख, कान, गफिमा, रकवा, जोिं भं ददा तथा घाव आफद की त्रषकामते बी होती यहती हं। स्त्री धभा सॊफॊसधत त्रवसबन्न फीतारयमाॊ हो जाती हं।
धन वतृ्रद्ध फिब्फी धन वतृ्रद्ध फिब्फी को अऩनी अरभायी, कैश फोक्स, ऩजूा स्थान भं यखन े से धन वतृ्रद्ध होती हं स्जसभं कारी हल्दी, रार- ऩीरा-सपेद रक्ष्भी कायक हकीक (अकीक), रक्ष्भी कायक स्पफटक यत्न, 3 ऩीरी कौिी, 3 सपेद
कौिी, गोभती िक्र, सपेद गुॊजा, यक्त गुॊजा, कारी गुॊजा, इॊर जार, भामा जार, इत्मादी दरुाब वस्तुओॊ को शबु
भहुता भं तेजस्वी भॊि द्राया असबभॊत्रित फकम जाता हं। भलू्म भाि Rs-730
37 अगस्त 2012
उऩमुक्त आहाय:
सॊतया, ऩऩीता, अनानस, नीॊफू, ककिी, खीया, गाजय, टभाटय, ऩारक, ईसफगोर, संप एवॊ अजवामन उऩमोगी हं।
अनुकूर व्मवसाम:
व्मत्रक्त इॊजीसनमय, कसयत, खेरकूद, सैन्म, रघु उघोग, ज्मोसतष, वैऻासनक, अध्माऩक, नगयऩासरका, धभा-कभा, िेकेदायी, वकारत, गािान, फागवानी, कोमरा, खान, ऩषुऩारन, रोहा, रकिी, ऩुसरस, जेर आफद सॊफॊसधत कामो भं असधक सपर होते हं।
शुब फदशा:
व्मत्रक्त के सरए अनुकूर फदशा ऩस्द्ळभ औय नौऋत्म कोण है। व्मत्रक्त के सरएगहया, बूया, कारा, गहया नीरा, जाभुनी, हया औय सपेद यॊग शुबता सूिक हं।
भूराॊक 8 के व्मत्रक्त के सरए कद्श सनवायक उऩाम
आऩके भूराॊक स्वाभी शसन के शुब प्रबावो की वतृ्रद्ध हेतु आऩ अऩनी भध्मभा उॊगरी भं सनरभ धायण कय सकते हं। जो सनरभ धायण कयने भं असभथा हो वे कटेरा मा नीरी धायण कय राबप्राद्ऱ कय सकते हं।
अऩने ऩूजा स्थान भं प्राण-प्रसतत्रद्षत शसन गणेश, शसन मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं।
मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहेगा।
ग्रह शाॊसत के सरए व्रत उऩवास:
शसनवाय का व्रत: शसन ग्रह को प्रसन्न कयने हेतु शसनवाय का व्रत फकमा जाता हं। शसनवाय का व्रत कयने से सॊऩत्रत्त भं वतृ्रद्ध होती हं, खोमा हुवा धन ऩून् प्राद्ऱ होता हं। सशऺा प्रासद्ऱ भं आयहे फाधा त्रवघ्न दयू होते हं। ऩेटा औय ऩैय के योग भं राब प्राद्ऱ होता हं, ऩूयाने योग बी सथक होजाते हं।
शसनवाय का व्रत कयने से शसन के प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं।
ग्रह शाॊसत के सरए उऩमुक्त रुराऺ:
आऩका भूराॊक स्वाभी शसन हं अत् शसन ग्रह के अशुब प्रबाव को दयू कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ के सरए 7 भुखी मा 14 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩके सरए उऩमुक्त यहेगा। आऩ भुखी मा 14 भुखी रुराऺ के साथ भं 4 भुखी रुराऺ औय 6 भुखी मा 13 भुखी बी धायण कयने से आऩको त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी।
शाॊसत के सरए दान
ग्रह:- शसन, वाय:- शसनवाय
शसन ग्रह फक शाॊसत हेतु सनरभ, कारा कऩिा, साफुत उिद, रोहा, मथा सॊबव दस्ऺणा, तेर, कारा ऩुष्ऩ, कारे सतर, िभिा, कारे कॊ फर का दान कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं
ग्रह शाॊसत के अन्म सयर उऩाम:
स्वास्र्थम राब हेतु शसनवाय के फदन योटी ऩय सयसो का तेर रगाकय कुते्त औय कौएॊ को स्खराएॊ।
आसथाक राब के सरमे अऩने घय भं ऩीरे पूर का ऩौधा रगाएॊ।
बूसभ-बवन से सॊफॊसधत कामो भं सपरता हेत ुिीटीओॊ को िीनी िारं.
सशऺा से सॊफॊसधत सभस्मा दयू कयने के सरए गणऩसत जी की ऩूजा कयं।
दाॊऩत्म सुख भं वतृ्रद्ध हेतु यात को ताॊफे के ऩाि भं जरबयकय यख रे औय सुफह भं उस जर को रार ऩुष्ऩ वारे ऩौधं भं िारदं।
बाग्म वतृ्रद्ध हेतु शुक्रवाय के फदन घय भं सपेद सभद्षान ऩाकाएॊ औय ऩरयवाय के साथ भं खाएॊ।
38 अगस्त 2012
भूराॊक 9 स्वाभी भॊगर
सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी भूराॊक 9 स्वाभी ग्रह:- भॊगर सभि अॊक:- 1, 2, 3, 4, 7 शि ुअॊक:- 5 सभ:- 6, 8 स्व अॊक:- 9 तत्व:- अस्ग्न
मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की 9, 18 व 27 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 9 होता है। भूराॊक 9 अॊक के व्मत्रक्त का जीवन असधक साहसी औय अनुशासन त्रप्रम त्रविाय धाया वारे होते हं। व्मत्रक्त को कामा ऺेि भं एकासधकाय वारे ऺेिं का िनुाव कयना ऩसॊद कयता हं।
भूराॊक 9 का स्वाभी ग्रह भॊगर हं, इस सरए भूराॊक 9 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त के उऩय भॊगर का त्रवशेष प्रबाव देखने को सभरता हं, क्मोफक 9 भूराॊक भं जन्भ रेने के कायण व्मत्रक्त के सबतय भॊगर ग्रह की अनुकूरता के कायण भॊगर ग्रह के गुणं का सभावेश अन्म ग्रहं की अऩेऺा असधक भािा भं हो जाता हं। भॊगर ग्रह के इस त्रवशेष प्रबात्रव गुणं के कायण ही व्मत्रक्त को जीवन भं शायीरयक औय भानससक रूऩ से धनी होते हं। इनका साहस कबी-कबी इतना असधक असधक हो जाता हं फक दसु्साहस का रूऩ धायण कय रेता हं।
भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त अऩने अद्भतु एवॊ िनुौती-बये कामो से सभाज भं नाभ अभय कय जाते हं। भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त ऊऩय से िाहं प्रिॊि, किोय एवॊ त्रवस्पोटक फदखाई देते हो, रेफकन अॊदय से एकदभ कोभर रृदम के होते हं। भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त अनुशासन को जीवन भं सवोऩरय भानते हं औय अनुशासन व्मवस्था से हय कामा को ऩूया कयने भं त्रवद्वास यखते हं।
भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त जॊग भं मा भुकाफरे भं हायकय, ऩयास्त होकय मा नीिा देखकय जीने वारे नहीॊ।
व्मत्रक्त हय जॊग का िॊट कय साभना कयने भं भाहीय होते हं।
भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त धीये-धीये धआुॊ छोिती रकिी की तयह मे जीॊदगी व्मतीत कयना नहीॊ नहीॊ जानते, भगय फारूद की तयह बबक कय जीना औय जरना जानते हं। ऺण-बय के सरए ही सही, ऩय उस एक ऺण भं ही दसुनमाॉ को
िकािंध कयने भं त्रवद्वास यखते हं।
ज्मोसतष भं भॊगर ग्रह को सेनाऩसत भाना गमा हं, इस कायण भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त के अॊदय बी सेनाऩसत, भुस्खमा, नेता फकसी सॊस्था का प्रभुख आफद फनने का नेततृ्व कयने का त्रवशेष गुण होता हं।
भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त अदम्म साहसी होने के कायण फकसी बी भुस्श्कर मा ऩयेशानी भं त्रविसरत नहीॊ होती मह रोग उस कफिनाईमं को आसानी से ऩाय कय रेते हं।
39 अगस्त 2012
भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त स्वबाव से थोिे तेज होते हं, व्मत्रक्त हय कामा को पुतॉ एवॊ जल्दफाजी से ऩुया कयने का प्रमत्न कयते हं।
भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त स्वबाव से साहसी होने से मे फकसी भुस्श्कर से भुस्श्कर कामा को बी कयने से नहीॊ फहिफकिाते भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त के उिे ऩद एवॊ प्रसतद्षा के कायण उनके इदा-सगदा एसं रोग भॊियाते यहते हं जो उनकी खशुाभद मा िाऩरूसी कयते हो स्जस कायण उन्हं कबी-कबी नुकसान बी उिाना ऩिता हं।
भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त को क्रोध शीघ्र आता हं स्जस कायण रोगं से त्रवयोध कय फैिते हं। व्मत्रक्त से शितुा कभ रोगं से ही होती हं क्मोफक भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त अऩने शिओुॊ का दभन कयने के सरए सदैव तैमाय ही होते हं। व्मत्रक्त का स्वबाव से उग्र होते हुवे बी उनकी प्रकृसत िॊिर होती हं। भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त मफद अऩने कामा ऺेि भं त्रवशेष ध्मान दे औय नीसत से कामा कयं तो उनके बाग्म के फर से उनके सुख साधनो भं सनयॊतय
वतृ्रद्ध होती यहेगी। भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त साहसी, ऩयाक्रभी तथा सॊघषाशीर होते हं। इस कायण इन्हं सॊघषा के ऩद्ळात सपरता अवश्म सभरती है।
भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त को हभेशा सजग औय सतका यहना िाफहए अन्मथा जीवन भं व्मफक के साथ िोट, घाव, शस्त्राघात, दघुाटना इत्माफद घटनाएॊ होती यहती है।
भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त को फकसी से वाद-त्रववाद इत्माफद मथा सॊबव टारना िाफहए अन्मथा मह रोग जीवन ऩमान्त झगिे वाद-त्रववाद कोटा-किहयी, थाना-ऩुसरस आफद के िक्कयं भं ही उरझ कय यह जाते हं। क्मोफक भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त उग्र स्वबाव के होने के कायण मह रोग जल्द फकसी से बी सबि़ जाते हं। व्मत्रक्त अऩने से ज्मादा फरशारी व्मत्रक्त से सबि नं भं बी नहीॊ कतयाते। भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त छोटे-फिे़ फकसी प्रकाय के वाद-त्रववाद भं अग्रस्त हो जाते हं। व्मत्रक्त को अऩनी सनॊदा मा आरोिना सुनना ऩसॊद नहीॊ होता।
क्मा आऩको उच्ि असधकायी से ऩयेशानी हं?
क्मा आऩकी अऩने सहकभािायी से अनफन होती हं?
क्मा आऩके असधनस्थ कभािायी आऩकी फात नही भानते?
मफद आऩको अऩने उच्ि असधकायी, सहकभािायी, असधनस्थ कभािायी से ऩयेशानी हं। आऩके अनूकुर कामा नहीॊ कयते मा आऩको कयने नहीॊ देते? वह आऩकी फात नहीॊ भानतं? त्रफना वजह आऩको ऩयेशान कयते हं? अन आवश्मक कामा आऩसे कयवाते हं। आऩका प्रभोशन रुकवादेते हं। उसित कामा कयने ऩय बी आऩके कामा भं नुक्श सनकारते हं? मफद आऩ इसी तयह फक फकसी सभस्मा से ग्रस्त हं तो आऩ उन असधकायी, सहकभॉ, असधनस्थकभॉ मा अन्म फकसी व्मत्रक्त त्रवशेष के नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा ितैन्म मुक्त वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फिब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय-ओफपस भं स्थात्रऩत कय अल्ऩ ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ
कय सकते हं। मफद आऩ भॊि ससद्ध वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फिब्फी फनवाना िाहते हं, तो सॊऩका कयं।
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40 अगस्त 2012
भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त पे्रभसॊफॊधो के असधक इच्छुक होते हं। भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त पे्रभ भं अॊधे हो जाते हं महीॊ कायण हं की मह रोग अऩने पे्रभी के सरए सफ कुछ न्मोछावय कय देते हं। मही कायण हं की भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त को कोई बी स्त्री मा ऩुरुष आसानी से भूखा फना सकती है। भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त का दाॊऩत्म जीवन असधक सुखभम नहीॊ यहता। इस सरए गहृस्थ जीवन भं न्मुनासधक रूऩ से त्रवऩयीतता फनी यहती हं। परस्वरूऩ व्मत्रक्त फात-फात भं झल्रा उिते हं, क्रोसधत हो जाना आफद सॊबव हं, अत् व्मत्रक्त मफद अऩने आऩ ऩय ऩूणा सनमॊिण यखं, तो सनस्द्ळत तौय ऩय अऩना जीवन सपर, उन्नत एवॊ श्रदे्ष फना सकते हं।
शुब फदन:
शुब वषा 18,27,36,45,54,63,72 वाॊ वषा हं, सतसथ 9,18,27 शुब दामक होती हं, फकसी कामा भं सपरता प्राद्ऱ कयने के सरमे इन्हीॊ सतसथ का प्रमोग कयना िाफहमे, इन सतसथमं भं भॊगरवाय का फदन ऩिे तो फहुत शुब होता हं।
स्वास्र्थम्
व्मत्रक्त िभायोग तथा नासायॊध्र से सॊफॊसधत जुकाभ आफद योगं से ऩीफित हो सकते हं। भस्स्तश्क सॊफॊसधत योग, जननेस्न्रम सॊफॊसधत योग, भूि योग, यक्त एवॊ त्विा योग, खाज- खजुरी, पोिे, सूजन, नासूय, अषा तथा वीमा सॊफॊसधत त्रवकाय होते हं।
उऩमुक्त आहाय:
सॊतया, अभरूद, अॊगूय, केरा, ककिी, खीया, ऩारक, आरू, प्माज, रहसुन, अदयक उऩमोगी हं। सभिा से ऩयहेज कयना िाफहमे।
अनुकूर व्मवसाम:
व्मत्रक्त सेना, ऩुसरस, कैसभस्ट, भषीनयी, अस्ग्नशभन, वकारत, सॊगिन, सॊिारक, सनमॊिण, सिफकत्सक, ज्मासतष, गोरा-फारूद, धासभाक कामा, इॊजीसनमय, औषसध आफद सॊफॊसधत कामो भं असधक सपर होते हं।
सरए गुराफी, गहया रार, सपेद, तथा ऩीरा यॊग अनुकूर एवॊ शुबप्रद है। इनके सरए अनुकूर यत्न, रुफी, गायनेट, भूॉगा, भास्णक, यत्न धायण कयना राबप्रद एवॊ बाग्मोन्नसत कायक होते हं। इनके सरए ऩूवा, उत्तयऩूवा एवॊ उत्तय ऩस्द्ळभ फदशा अनुकूर होती है।
शुब फदशा:
व्मत्रक्त के सरए अनुकूर फदशा दस्ऺण औय अस्ग्न कोण है। व्मत्रक्त के सरए गुराफी, गहया रार, सपेद, तथा ऩीरा यॊग अनुकूर एवॊ शुबप्रद है।
भूराॊक 9 के व्मत्रक्त के सरए कद्श सनवायक उऩाम: भूराॊक 9 स्वाभी भॊगर ग्रह के शुब प्रबावो की
वतृ्रद्ध हेतु आऩ अऩनी अनासभका उॊगरी भं भूॊगा धायण कय सकते हं।
अऩने ऩूजा स्थान भं प्राण-प्रसतत्रद्षत भॊगर गणेश मॊि, भॊगर मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं।
मफद जीवन भं आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहेगा।
भॊगरवाय का व्रत: भॊगर ग्रह को प्रसन्न कयने हेतु भॊगरवाय का व्रत
फकमा जाता हं। स्जस व्मत्रक्त स्वबाव उग्रता मुक्त मा फहॊसात्भक, असधक गुस्से वारा हो उनके भॊगरवाय का व्रत कयने से भन शाॊत होता हं। भॊगरवाय का व्रत कयने से
41 अगस्त 2012
गणऩतीजी, हनुभानजी बी प्रसन्न होते हं। भॊगरवाय का व्रत कयने से बूत-पे्रत फाधा दयू होती हं, व्मत्रक्त के सबी सॊकट दयू हो जाते हं। भूराॊक 9 वारी अत्रववाफहत रिको के व्रत कयने से उसफक फुत्रद्ध औय फर का त्रवकास होता हं। भॊगरवाय का व्रत कयने से भॊगर के प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं।
ग्रह शाॊसत के सरए उऩमुक्त रुराऺ: आऩके भूराॊक का स्वाभी भॊगर हं अत् भॊगर
ग्रह के अशुब प्रबाव को दयू कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ के सरए ऩाॊि दाने 3 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩके सरए उऩमुक्त यहेगा। आऩ 3 भुखी रुराऺ के साथ भं 1 भुखी मा 12 भुखी औय 5 भुखी रुराऺ बी धायण कयने से आऩको त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी।
ग्रह शाॊसत के सरए दान
ग्रह:- भॊगर
वाय:- भॊगरवाय
भॊगर ग्रह फक शाॊसत हेत ुभूॊगा, भसूय, घी, गुि, रार कऩिा, यक्त िॊदन, गेहूॉ, केसय, ताॉफा, रार पूर का दान कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं
ग्रह शाॊसत के अन्म सयर उऩाम:
भूराॊक 9 के रोगं को फकसी बी प्रकाय के दु् खो एवॊ सॊकटो के सनवायण हेतु श्री गणेश जी फक आयाधना अवश्म कयनी िाफहमे।
हय भॊगरवाय को हनुभान जी को फेसन के रडिू का बोग रगामे औय रडिू के प्रसाद को भॊफदय भं फाॊटदं। हनुभान जी के दशान कयते सभम ऩहरे ऩैय देखं फपय अऩनी नजय उऩयकी औय कयते हुवे भुख देखं।
धन वतृ्रद्ध हेतु भछसरमं को आटे फक गोरीमा फनाकय स्खरामे औय ऩस्ऺमं को दाना िारे।
सशऺा से सॊफॊसधत सभस्मा दयू कयने के सरए रार पूर के ऩौधे रगाएॊ।
स्वास्र्थम राब हेतु रार योरी(कूभकूभ) िार कय सूमा को जर िढ़ाएॊ।
त्रवद्या प्रासद्ऱ हेतु सयस्वती कवि औय मॊि आज के आधसुनक मगु भं सशऺा प्रासद्ऱ जीवन की भहत्वऩणूा आवश्मकताओॊ भं से एक है। फहन्द ू
धभा भं त्रवद्या की असधद्षािी देवी सयस्वती को भाना जाता हं। फच्िो की फतु्रद्ध को कुशाग्र एवॊ तीव्र हो, फच्िो की फौत्रद्धक ऺभता औय स्भयण शत्रक्त का त्रवकास हो इस सरए सयस्वती कवि अत्मॊत राबदामक हो सकता हं। सयस्वती कवि को देवी सयस्वती के ऩयॊभ दरूाब तेजस्वी भॊिो द्राया ऩणूा भॊिससद्ध औय ऩणूा ितैन्ममकु्त फकमा जाता हं। स्जस्से जो फच्िे भॊि जऩ अथवा ऩजूा-अिाना नहीॊ कय सकते वह त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सके औय जो फच्िे ऩजूा-अिाना कयते हं, उन्हं देवी सयस्वती की कृऩा शीघ्र प्राद्ऱ हो इस सरमे सयस्वती कवि अत्मॊत राबदामक होता हं।
सयस्वती कवि : भलू्म: 460 औय 550 सयस्वती मॊि :भलू्म : 370 से 1900 तक
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42 अगस्त 2012
अॊक ज्मोसतष से जाने शुब यत्न
आरोक शभाा
जन्भ सतसथ भूॊराॊक स्वाभी ग्रह शबु यत्न अन्म शबु यत्न
1, 10, 19, 28 1 समूा भास्णक्म भोसत, भूॊगा, ऩखुयाज
2, 11, 20, 29 2 िॊर भोती भास्णक्म, भूॊगा, ऩखुयाज
3, 12, 21, 30 3 गुरू ऩखुयाज भास्णक्म, भोसत, भूॊगा 4, 13, 22, 31 4 याहु गोभेद हीया, सनरभ, रहससुनमा 5, 14, 23 5 फधु ऩन्ना भास्णक्म, हीया, सनरभ
6, 15, 24 6 शकु्र हीया ऩन्ना, सनरभ
7, 16, 25 7 केत ु रहससुनमा हीया, सनरभ, गोभेद
8, 17, 26 8 शसन नीरभ ऩन्ना, हीया, 9, 18, 27 9 भॊगर भूॊगा भास्णक्म, भोसत, ऩखुयाज
सवाससत्रद्धदामक भुफरका इस भफुरका भं भूॊगे को शबु भहूुता भं त्रिधात ु (सवुणा+यजत+ताॊफ)ं भं जिवा कय उसे शास्त्रोक्त त्रवसध-
त्रवधान से त्रवसशद्श तेजस्वी भॊिो द्राया सवाससत्रद्धदामक फनाने हेत ुप्राण-प्रसतत्रद्षत एवॊ ऩणूा ितैन्म मकु्त फकमा जाता हं। इस भफुरका को फकसी बी वगा के व्मत्रक्त हाथ की फकसी बी उॊगरी भं धायण कय सकते हं। महॊ भफुरका कबी फकसी बी स्स्थती भं अऩत्रवि नहीॊ होती। इस सरए कबी भफुरका को उतायन ेकी आवश्मक्ता नहीॊ हं। इसे धायण कयने से व्मत्रक्त की सभस्माओॊ का सभाधान होने रगता हं। धायणकताा को जीवन भं सपरता प्रासद्ऱ एवॊ उन्नसत के नमे भागा प्रसस्त होते यहते हं औय जीवन भं सबी प्रकाय की ससत्रद्धमाॊ बी शीध्र प्राद्ऱ होती हं।
भलू्म भाि- 6400/-
(नोट: इस भुफरका को धायण कयने से भॊगर ग्रह का कोई फुया प्रबाव साधक ऩय नहीॊ होता हं।) GURUTVA KARYALAY
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43 अगस्त 2012
ऩत्रिका सदस्मता (Magazine Subscription)
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44 अगस्त 2012
वास्तु एवॊ योग
सिॊतन जोशी
बवन के उत्तय-ऩस्द्ळभ
बाग(वामव्म कोण) का सॊफॊध वामु तत्त्व के साथ होता हं। वामु का प्राण के साथ सॊफॊध हं। इस सरमे बवन के वामव्म कोण के ज्मादा से ज्मादा स्थानको खलु्रा याखना
िाफहमे। इस कोने भं बायी साभन नफहॊ यखना िाफहमे मा बायी बवन का सनभााण नफहॊ कयना िाफहमे अन्मथा द्वास से सॊफॊसधत ऩयेशानी, वामुत्रवकाय तथा भानससक योग होने फक सॊबावना असधक फढ़ जाती हं। स्जस बवन के वामव्म कोण फक सतह उत्तय-ऩूवा फक सतह से थोिी
ऊिाई ऩय एवॊ दस्ऺण-ऩस्द्ळभ फक सतह से थोिी नीिी हो वह बवन सनवास हेतु शुब होता हं।
स्जस बवन भं उत्तय फदशा फक जगह असधक होतो ऩरयवाय भं भफहरा वगा भं त्विा सॊफॊधी योग एस्क्झभा, एरजॉ इत्माफद होने का खतया फढ जाता हं।
मफद बवन के ऩस्द्ळभ भं जगह उत्तय से असधक होतो ऩुरुष वगा के सरमे शायीरयक कद्श होने का खतया फढ जाता हं।
बवन के उत्तय-ऩूवा (ईशान कोण) का सॊफॊध जर तत्त्व के साथ होता हं।
स्जस बवन का ईशान कोण बायी हो तो बवन भं येहने वारे रोगो के शयीय भं जर तत्व के असॊतुरन के कायण त्रवसबन्न प्रकाय के योग एवॊ ऩयेशासनमाॊ उतऩन्न होती हं।
100 से असधक जैन मॊि
हभाये महाॊ जैन धभा के सबी प्रभखु, दरुाब एवॊ शीघ्र प्रबावशारी मॊि ताम्र ऩि, ससरवय (िाॊदी) ओय गोल्ि (सोन)े
भे उऩरब्ध हं। हभाये महाॊ सबी प्रकाय के मॊि कोऩय
ताम्र ऩि, ससरवय (िाॊदी) ओय गोल्ि
(सोने) भे फनवाए जाते है। इसके अरावा आऩकी आवश्मकता अनुशाय आऩके द्राया प्राद्ऱ (सिि, मॊि, फििाईन) के अनुरुऩ मॊि बी फनवाए जाते है.
गुरुत्व कामाारम द्राया उऩरब्ध कयामे गमे सबी मॊि अखॊफित एवॊ 22 गेज शुद्ध कोऩय(ताम्र ऩि)- 99.99 टि शुद्ध ससरवय (िाॊदी) एवॊ 22 केयेट गोल्ि (सोने) भे फनवाए जाते है। मॊि के त्रवषम भे असधक जानकायी के सरमे हेतु सम्ऩका कयं। GURUTVA KARYALAY
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45 अगस्त 2012
मफद बवन का ईशान कोणस्जतना होसके खरुा एवॊ हरका यखा जामे उतना शुब होता हं। मफद बवन भं ईशान कोण भं यसोई घय होतो घयके सदस्मो भं ऩेट से सॊफॊसधत योग एवॊ ऩरयवाय के सदस्मो के
त्रफिभं तनाव होता हं। ईशान कोण भं बूसभगत जर बॊिाय मा घयभं आनेवारे ऩानी फक राइन इस फदशा भे होतो असत उत्तभ होता हं। मफद घयभं फीभायी घय कय गई होतो योगी को घय के ईशान कोण फक औय भुख कयके दवाई का सेवन कयाने से
योग जल्द थीक होजाता हं। मफद बवन का ईशान कोण कटा हो तो बवन भं सनवास कयने वारे रोग यक्त-त्रवकाय एवॊ मौन योग हो सकता हं
एवॊ व्मत्रक्त फक प्रजनन ऺभता कभजोय होसकती हं। मफद ईशान कोण से उत्तय का बाग ऊॊ िा होम तो ऩरयवाय भं स्त्री वगा का स्वास्र्थम ऩय खयाफ असय होता हं। मफद ईशान कोण से ऩूवानुॊ का बाग ऊॊ िा होम तो ऩरयवाय भं ऩुरुषो के स्वास्र्थम ऩय खयाफ असय होता हं। बवन के ऩूवॉ-दस्ऺण (अस्ग्न कोण) का सॊफॊध अस्ग्न तत्व के साथ होता हं। स्जस बवन के अस्ग्न कोण भं यसोई घयको वास्तु फक रत्रद्श से शुब
भानागमा हं। स्जस बवन के अस्ग्न कोण भं जर बॊिाय मा स्त्रोत हो वहा सनवास
कयने वारे उदय योग एवॊ त्रऩत्त त्रवकाय होने फक सॊबावना होती हं। बवन के दस्ऺण-ऩूवा फदशाभे मफद दस्ऺण का स्थान ज्मादा होतो
ऩरयवाय के ऩुरुष सदस्मो भं भानससक ऩयेशानी होती हं। वास्तुशास्त्र के अनुसाय बवन का केन्र स्थान(ब्रह्म स्थान) को ज्मदा
भहत्व फहमा गमा हं। जो वास्तु भं आकाश तत्त्व से सॊफॊध यखता हं। इस सरमे इस स्थान को मथा सॊबव खारी यखना आवश्मक हं स्जस्से ऩरयवाय के रोगो का स्वाश्र्थम उत्तभ होता हं एवॊ ऩरयवाय का त्रवकास शीघ्र होता हं।
बवन के ब्रह्म स्थान ऩय फकसी बी प्रकाय फक अस्वच्छता होने से ऩरयवाय के सदस्मो के स्वास्र्थम ऩय फुया असय देखा गमा हं।
बवन के ब्रह्म स्थान ऩय शौिारम, ऩगसथमाॊ (सीिी), गटय, सेफ्टी टेन्क आफद होने से सदस्मो भं कान फक ऩयेशानी, फदनाभी, धन हासन एवॊ ऩरयवाय के त्रवकास भं रुकावट होते देखा गमा हं।
प्रद्ल कुण्िरी से अऩने फकसी बी प्रद्लं का स्स्टक उत्तय प्राद्ऱ फकस्जए। क्मा आऩ अत्माधसुनक ज्मोसतष प्रणारी से अऩने बत्रवष्म से सॊफॊसधत प्रश् नो का स्स्टक उत्तय प्राद्ऱ कयना िाहते हं तो आऩ गुरुत्व कामाारम भं सॊऩका कय सकते हं। हभाये प्रद्ल ज्मोसतष त्रवशेऻ आऩके द्राया ऩूछे गमे प्रद्ल का ग्रहं के अधाय ऩय उनकी सूक्ष्भ गणना कय उसके स्स्टक परादेश से आऩको अवगत कयाने का प्रमास कयंगे। 3 प्रद्ल भाि :550
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46 अगस्त 2012
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47 अगस्त 2012
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48 अगस्त 2012
धनप्रासद्ऱ भं फाधक हं भकिी के जारे
सिॊतन जोशी
भकिी के जारे ज्मादातय घय, ओफपस, दकुान इत्माफद जगहो ऩय ऩामे जाते हं, त्रवद्रानो के भतानुशाय वास्तुशास्त्र के अनुशाय भकिी के जारे अशुब होते हं। भकिी के जारे से बवन भं सनवास कताा की आसथाक उन्नसत फासधत होती हं, आसथाक अबाव होने रगता हं, स्वास्र्थम से सॊफॊधी ऩयेशासनमाॊ होने की सॊबावनाएॊ फढजाती हं।
भकिी के जारे अशुब क्मं भाने जाते हं?
वास्तु के अनुसाय स्जस बवन भं भकिी के जारे होते हं,
िीक सनमसभत साप-सपाई नहीॊ होती, उस बवन भं सनवास मा व्मवसाम कयने वारो को धन की कभी फनी यहती हं। भकिी के जारे की अशुबता के कायण व्मत्रक्त िाहे स्जतना धन कभा रं रेफकन फित कय ऩाता, धन की कभी फनी यहती हं। आम से व्मम असधक होने रगते हं। अनावश्मक खिा फढजाते हं, घय भं योग-त्रफभायी क्रेश
इत्माफद घय कय जाते हं शीघ्र सभाद्ऱ नहीॊ होते।
भकिी के जारे को दरयरता का प्रतीक भाना जाता हं। भकिी के जारे से घय की फयकत प्रबात्रवत होती हं। भकिी के जारे होते हं वहाॊ अरक्ष्भी सनवास कयती हं धन की देवी भहारक्ष्भी वहाॊ सनवास नहीॊ कयती हं। स्जस घय भं मा बवन भं सनमसभत साप-सपाई होती यहती हं उस घय भं देवी रक्ष्भी की कृऩा फयसती हं, ऎसा शास्त्रोक्त त्रवधान हं।
अऩने घय, दकुान, ओफपस इत्मादी भं साप-सपाई के उऩयाॊत मफद भकिी के जारे रटकते हं, तो जारे को देखते ही उसे उन्हं तुयॊत सनकार दं। भकिी के जारे सनकरते ही धन का आगभन होगा औय अनावस्मक खिा कभ हंगे औय धन का सॊिम होने रगेगा। त्रवद्रानो के भतानुशाय भकिी के जारे स्वास्र्थम के सरए बी नुक्शानकायी होते हं। इसी सरए भकिी के जारे बवन भं नहीॊ यहने देना िाफहए।
भानाजाता हं भकिी के जारे फुयी शत्रक्तमं को अऩनी औय आकत्रषात कयते हं, घय भं सकायात्भक उजाा खत्भ होती हं औय नकायात्भक उजाा का प्रबाव फढने रगता हं। स्जससे घय के सदस्मं के स्वास्र्थम ऩय फुया प्रबाव ऩिने रगता हं। इस सरमे बवन से भकिी के जारे फदखते ही हटा देने िाफहए।
नोट: हय शसनवाय, अभावस्मा को घयकी साप-सपाई कयना असधक राबप्रद होता हं। इस फदन घय से ऩूयाना कफाि-बॊगाय(अनावश्मक सिज-वस्तु) इत्मादी बी सनकार दं।
49 अगस्त 2012
असधक भास का धासभाक भहत्व सिॊतन जोशी
बायतीम ऩॊिाॊग (खगोरीम गणना) के अनुसाय हय तीसये वषा एक असधक भास होता है। मह सौय औय िॊर भास को एक सभान राने की गस्णतीम प्रफक्रमा है। शास्त्रंक्त भतानुशाय ऩुरुषोत्तभ भास भं फकए गए जऩ, तऩ, दान से अनॊत ऩुण्मं की प्रासद्ऱ होती है। सूमा की फायह सॊक्राॊसत होती हं औय इसी आधाय ऩय हभाये िॊर ऩय आधारयत 12 भाह होते हं। हय तीन वषा के अॊतयार ऩय असधक भास मा भरभास आता है। शास्त्रं भं उल्रेख हं:
मस्स्भन िाॊरे न सॊक्रास्न्त: सो असधभासो सनगह्यते ति भॊगर कामाासन नैव कुमाात कदािन।्
मस्स्भन भासे फद्र सॊक्रास्न्त ऺम: भास: स कर्थमत ेतस्स्भन शुबास्ण कामाास्ण मत्नत: ऩरयवजामेत।।
ऩॊिाॊग भं असधक भास क्मा हं? त्रवद्रानो के भतानुशाय एक सौय वषा औय िाॊर वषा के त्रफि भं साभॊजस्म स्थात्रऩत कयने के सरए हय तीसये वषा ऩॊिाॊगं भं एक िान्रभास की वतृ्रद्ध होती है। इसी को असधक भास मा असधभास मा भरभास कहते हं। सौय वषा का भान 365 फदन, 15 घिी, 22 ऩर औय 57 त्रवऩर हं। जफफक िाॊरवषा 354 फदन, 22 घिी, 1 ऩर औय 23 त्रवऩर का होता है। इस प्रकाय दोनं वषाभानं भं प्रसतवषा 10 फदन, 53 घटी, 21 ऩर (अथाात रगबग 11 फदन) का अन्तय ऩिता है। इस अन्तय भं सभानता राने के सरए िाॊरवषा 12 भासं के स्थान ऩय 13 भास का हो जाता है। वास्तव भं मह स्स्थसत स्वमॊ ही उत्त्ऩन्न हो जाती है, क्मंफक स्जस िॊरभास भं सूमा सॊक्राॊसत नहीॊ ऩिती, उसी को असधक भास की सॊऻा दे दी जाती है तथा स्जस िॊरभास भं दो सूमा सॊक्राॊसत का सभावेश हो जाम, उसे ऺमभास कहाॉ जाता है। प्राम् ऺमभास कासताक, भागा व
ऩौस भासं भं होता है। स्जस वषा ऺम भास ऩिता है, उसी वषा असध-भास बी ऩिता है ऩयन्तु मह स्स्थसत 19 वषं मा 141 वषं के ऩद्ळात ्आती है। असधक भास के सॊदबा भं त्रवसबन्न भत
असधक भास को कई नाभं से जाना जाता है - असधभास, भरभास, ऩुरुषोत्तभभास, भसरम्रुि, सॊसऩा, अॊहस्ऩसत मा अॊहसस्ऩसत। इनकी व्माख्मा आवश्मक है। मह स्ऩद्श है फक फहुत प्रािीन कार से असधक भास अशुब िहयामे गए हं।
ऐतयेम ब्राह्मण भं उल्रेख हं की देवं ने सोभ की रता 13वं भास भं ख़यीदी, जो व्मत्रक्त इसे फेिता है वह ऩसतत है, 13वाॉ भास परदामक नहीॊ होता।
तैतयीम सॊफहता भं 13 वं भास को सॊसऩा एवॊ अॊहस्ऩसत कहा गमा है।
ऋग्वेद के अनुशाय अॊहस ् का अथा ऩाऩ फतामा गमा है। मह असतरयक्त भास है, अत् असधभास मा असधक भास नाभ ऩि गमा है। इसे भरभास इससरए कहा जाता है फक भानं मह कार का भर है।
50 अगस्त 2012
अथवावेद भं भसरम्रुि फतामा गमा है, रेफकन इसका अथा स्ऩद्श नहीॊ है।
कािसॊफहता भं असधक भास का उल्रेख फकमा गमा है।
ऩद्ळात्कारीन साफहत्म भं भसरम्रुि का अथा है िोय फतामा गमा हं।
भरभासतत्त्व भं मह व्मुत्ऩत्रत्त है् भरी सन ्म्रोिसत गच्छतीसत भसरम्रुि्
अथाात ्भसरन (गॊदा) होने ऩय मह आगे फढ़ जाता है।
सॊसऩा एवॊ अॊहसस्ऩसत शब्द का वणान वाजसनेमी सॊफहता भं तथा अॊहसस्ऩसतम वाजसनेमी सॊफहता भं सभरता हं।
अॊहसस्ऩसत का शास्ब्दक अथा है ऩाऩ का स्वाभी।
ऩौयास्णक गॊथं भं सॊसऩा एवॊ अॊहसस्ऩसत के अॊतय को स्ऩद्श शब्दं भं त्रवबास्जत फकमा गमा हं। जफ एक वषा भं दो असधभास हं औय एक ऺम भास हो तो दोनं असधभासं भं प्रथभ सॊसऩा कहा जाता है औय मह त्रववाह को छोिकय अन्म धासभाक कृत्मं के सरए अशुब भाना जाता है।
अॊहसस्ऩसत ऺम भास तक सीसभत है। कुछ ऩुयाणं भं गॊथकायं ने असधभास को ऩुरुषोत्तभ भास कहा है औय सम्बव है, असधभास की अशुबता को कभ कयने के सरए ऐसा नाभ फदमा गमा हं, क्मोफक बगवान त्रवष्णु को ऩुरुषोत्तभ कहा जाता हं।
त्रवसबन्न ग्रन्थं भं असधभास के त्रवषम त्रवसबन्न जानकायीमा प्राद्ऱ होती है-
असधभास भं वस्जात कामा के सॊदबा भं अस्ग्न ऩुयाण भं उल्रेख फकमा गमा है वैफदक ऩद्धसत से अस्ग्न को प्रज्वसरत कयना, भूसता प्रसतद्षा, मऻ, दान, व्रत, सॊकल्ऩ के साथ वेद-ऩाि, साॉि छोिना (वषृोत्सगा), ििूाकयण, उऩनमन, नाभकयण, असबषेक आफद कामा असधभास भं नहीॊ कयने िाफहए।
हेभाफर भं वस्जात एवॊ भान्म कृत्मं का उल्रेख कयते हुए कहाॊ हं भरभास भं सनत्म कभं एवॊ नैसभत्रत्तक कभं
(कुछ त्रवसशद्श अवसयं ऩय फकए जाने वारे कभं) को सुिारु रुऩ से कयते यहना िाफहए, मथा सन्ध्मा, ऩूजा, ऩॊिभहामऻ (ब्रह्ममऻ, वैद्वदेव आफद), अस्ग्न भं हत्रव िारना (अस्ग्नहोि के रूऩ भं), ग्रहण-स्नान नैसभत्रत्तक है, अन्त्मेत्रद्श कभा बी आकस्स्भक अथाात नैसभत्रत्तक हं। मफद शास्त्र कहता है फक मह कृत्म (मथा सोभ मऻ) नहीॊ कयना िाफहए तो उसे असधभास भं स्थसगत कय देना िाफहए। मह बी साभान्म सनमभ है फक
काम्म कभा(जो सनत्म नहीॊ फकमा जाता, जो केवर फकसी पर की प्रासद्ऱ के सरए
फकमा जाता है) उसे नहीॊ कयना िाफहए। कुछ अऩवाद बी हं, मथा कुछ कभा, जो कभा
असधभास के ऩूवा ही आयम्ब हो गए हं (मथा 12 फदनं वारा प्राजाऩत्म प्रामस्द्ळत, एक भास वारा िन्रामण व्रत), असधभास तक बी िराए जा सकते हं। मफद दसुबऺ हो, वषाा न हो यही हो तो उसके सरए कायीयी इत्रद्श असधभास भं कयना वस्जात नहीॊ है, क्मंफक ऐसा न कयने से हासन हो जाने की सम्बावना यहती है। इस का त्रववयण कारसनणाम-कारयका भं वस्णात हं।
51 अगस्त 2012
कुछ जानकायं का कथ हं की भरभास की प्रसतफदन मा कभ से कभ एक फदन ब्राह्मणं को 33 अऩूऩं (ऩूओॊ) का दान कयना िाफहए।
वाऩी एवॊ तिाग (फावरी एवॊ तराफ) खदुवाना, कूऩ फनवाना, मऻ कभा, भहादान एवॊ व्रत जैसे कभा को केवर शुद्ध भासं भं ही कयना िाफहए।
गबा का कृत्म (ऩुॊसवन जैसे सॊस्काय), ब्माज रेना, ऩारयश्रसभक देना, भास-श्राद्ध (अभावस्मा ऩय), आफिक दान, अन्त्मेत्रद्श फक्रमा, नव-श्राद्ध, भघा नऺि की िमोदशी ऩय श्राद्ध, सोरह श्राद्ध, िान्र एवॊ सौय ग्रहणं ऩय स्नान, सनत्म एवॊ नैसभत्रत्तक कृत्म होने के कायण मह कभा असधभास एवॊ शुद्ध भास, दोनं भं फकए जा सकते हं,
असधक भास भं फकमे जाने वारे कभा
इस भाह भं व्रत, दान, ऩूजा, हवन, ध्मान कयने से ऩाऩ कभा सभाद्ऱ हो जाते हं औय फकए गए ऩुण्मं का पर कई गुणा असधक प्राद्ऱ होता है। देवी बागवत ऩुयाण भं उल्रेख हं की भरभास भं फकए गमे सबी शुब कभो का पर अनॊत गुना प्राद्ऱ होता है। इस भाह भं बागवत कथा श्रवण कयने का त्रवशेष भहत्व है। ऩुरुषोत्तभ भास भं तीथा स्थरं ऩय स्नान का बी त्रवशेष भहत्त्व है। ऩुरुषोत्तभ भास भं शबु कामा वस्जात क्मं?
फहन्द ु ऩॊिाॊग भं सतसथ, वाय, नऺि एवॊ मोग के असतरयक्त सबी भास के कोई न कोई देवता मा स्वाभी हं, ऩयॊतु भरभास मा असधक भास का कोई स्वाभी नहीॊ होता, अत: इस भाह भं सबी प्रकाय के भाॊगसरक कामा, शुब एवॊ त्रऩत ृकामा वस्जात भाने जाते हं। ऩयुाण भं वस्णात ऩरुुषोत्तभ भास का नाभ कयण
असधक भास स्वाभी के ना होने ऩय त्रवष्णुरोक ऩहुॊिे औय बगवान श्रीहरय से अनुयोध फकमा फक सबी भाह अऩने स्वासभमं के आसधऩत्म भं हं औय उनसे प्राद्ऱ
असधकायं के कायण वे स्वतॊि एवॊ सनबाम यहते हं। एक भ ंही बाग्महीन हूॉ स्जसका कोई स्वाभी नहीॊ है, अत: हे प्रबु भुझे इस ऩीिा से भुत्रक्त फदराइए। असधक भास की प्राथाना को सुनकय श्री हरय ने कहा हे भरभास भेये अॊदय स्जतने बी सद्गणु हं वह भं तुम्हं प्रदान कय यहा हूॊ औय भेया त्रवख्मात नाभ ऩुरुषोत्तभ भं तुम्हं दे यहा हूॊ औय तुम्हाया भं ही स्वाभी हूॊ। तबी से भरभास का नाभ ऩुरुषोत्तभ भास हो गमा औय बगवान श्री हरय की कृऩा से ही इस भास भं बगवान का कीतान, बजन, दान-ऩुण्म कयने वारे भतृ्मु के ऩद्ळात श्री हरय धाभ को प्राद्ऱ होते हं। शास्त्रंक्त भत
असन्क्रास्न्तभासोऽसधभास् स्पुट् स्माद् फद्रसन्क्रस्न्तभास् ऺमाख्म् कदासित ्। ( ज्मोसत्शास्त्र )
द्रात्रिॊशत्रद्भगातैभााफदानै् षोिशसबस्तथा । घफटकानाॊ ितुष्केण ऩतसत ह्यसधभासक् ॥
(वससद्षससद्धान्त)
वरुण् सूमो बानुस्तऩनद्ळण्िो यत्रवगाबस्स्तद्ळ । अमाभफहयण्मयेतोफदवाकया सभित्रवष्णू ि ॥ ( ज्मोसत्शास्त्र)
न कुमाादसधके भासस काम्मॊ कभा कदािन । ( स्भतृ्मन्तय)
वाप्मायाभतिागकूऩबवनायम्बप्रसतदे्ष व्रता
यम्बोत्सगावधूप्रवेशनभहादानासन सोभाद्शके । गोदानाग्रमणप्रऩाप्रथभकोऩाकभावेदव्रतॊ
नीरोद्राहभथासतऩन्नसशशुसॊस्कायान ्सुयस्थाऩनभ ्॥ दीऺोभौस्जजत्रववाहभुण्िनभऩूव ंदेवतीथेऺ णॊ
सॊन्मासास्ग्नऩरयग्रहौ नऩृसतसॊदशाासबषेकौ गभभ ्। िातुभाास्मसभावतृी श्रवणमोवधेॊ ऩयीऺाॊ त्मजेद्
वदृ्धत्वास्तसशशुत्व इज्मससतमोन्मूानासधभासे तथा ॥ (भुहूतासिन्ताभस्ण)
धभाग्रॊथं भं वस्णात असधक (ऩुरुषोत्तभ) भास भं त्माज्म कभा
धभाग्रॊथं भं असधक भास भं पर-प्रासद्ऱ की काभना से फकए जाने वारे सभस्त नैसभत्रत्तक कभा वस्जात कहे गए हं। स्जसभं त्रववाह, भुण्िन, मऻोऩवीत, गहृ-प्रवेश,
52 अगस्त 2012
द्रादश भहा मॊि
मॊि को असत प्रासिन एवॊ दरुाब मॊिो के सॊकरन से हभाये वषो के अनुसॊधान द्राया फनामा गमा हं। ऩयभ दरुाब वशीकयण मॊि,
बाग्मोदम मॊि
भनोवाॊसछत कामा ससत्रद्ध मॊि
याज्म फाधा सनवतृ्रत्त मॊि
गहृस्थ सखु मॊि
शीघ्र त्रववाह सॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि
सहस्त्राऺी रक्ष्भी आफद्ध मॊि
आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि
ऩणूा ऩौरुष प्रासद्ऱ काभदेव मॊि
योग सनवतृ्रत्त मॊि
साधना ससत्रद्ध मॊि
शि ुदभन मॊि
उऩयोक्त सबी मॊिो को द्रादश भहा मॊि के रुऩ भं शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध ऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत एवॊ ितैन्म मुक्त फकमे जाते हं। स्जसे स्थाऩीत कय त्रफना फकसी ऩूजा अिाना-त्रवसध त्रवधान त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं।
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गहृायम्ब, नमे व्माऩाय का शुबायॊब, नववध ु का प्रवेश, दीऺा-ग्रहण, देव-प्रसतद्षा, सकाभ मऻाफद का अनुद्षान, अद्शका श्राद्ध तथा फहुभूल्म वस्तु, बूसभ, आबूषण, वस्त्र, गािी आफद का खयीदना अथाात ् सभस्त काम्म (साॊसारयक) कभं का सनषेध फकमा गमा है। असधक भास भं केवर बगवान ऩुरुषोत्तभ (श्रीहरय) की प्रसन्नता के सरए फकमे जाने वारे सनष्काभ बाव के व्रत, उऩवास, स्नान, दान मा ऩूजनाफद फकए जाते हं। असधक भास भं ऩुरुषोत्तभ-भाहात्म्म का ऩाि, बगवान ् त्रवष्णु अथवा श्रीकृष्ण की उऩासना, जऩ, व्रत, दानाफद कृत्म कयना िाफहए।
भहत्रषा वाल्भीफक के अनुसाय ऩुरुषोत्तभ भास भं गेहूॊ, िावर, भूॊग, जौ, भटय, सतर, ककिी, फथआु, कटहर, केरा, घी, आभ, जीया, संि, सुऩायी, इभरी, आॊवरा, संधानभक आफद का सेवन कयना िाफहए। ऩयन्तु मह ध्मान यहे फक ऩुरुषोत्तभ भास भं उिद, याई, प्माज, रहसुन, गाजय, भूरी, गोबी, दार, शहद, सतर का तेर, ताभससक बोजन, ऩयामा अन्न, भसारा-तम्फाकू,
भफदया सवाथा त्माग दं। केवर एक सभम सास्त्वक बोजन, सनत्म बजन-सॊकीतान तथा मथासम्बव बूसभ ऩय शमन कयना िाफहए।
त्रवद्रानो नं असधक भास भं वस्जात कृत्मं को त्रवस्ताय से फताते हुए कहाॊ हं की जो ऩहरे कबी न देखे हुए देव औय तीथंका सनयीऺण, सॊन्मास, अस्ग्नऩरयग्रह ( अस्ग्नका स्थामी स्थाऩन); याजाके दशान, असबषेक, प्रथभ मािा, िातुभाासीम व्रतंका प्रथभायम्ब, कणा-वेध औय ऩयीऺा मे सफ काभ असधभासभं औय गुरु मा शुक्रके अस्त तथा उनके सशशुत्व औय फारत्वके तीन तीन फदनंभे औय न्मून भासभं बी सवाथा वस्जात हं। इनके असतरयक्त तीव्र ज्वयाफद प्राणघातक योगाफदकी सनवतृ्रत्तके रुरजऩाफद अनुद्षान; कत्रऩरषद्षी जैसे अरभ्म मोगंके प्रमोग् अनावतृ्रद्शके अवसयभं वषाा कयानेके ऩुयद्ळयण; वषटकायवस्जात आहुसतमंका हवन; ग्रहणसम्फन्धी श्राद्ध; दान औय जऩाफद; ऩुिजन्भके कृत्म औय त्रऩतभृयणके श्राद्धफद तथा गबााधान, ऩुॊसवन औय सीभन्त जैसे सॊस्काय औय सनमत अवसधभं सभाद्ऱ कयनेके ऩूवाागत प्रमोगाफद फकमे जा सकते हं ।
53 अगस्त 2012
16 अगस्त समूोदम से सामॊ 7.20 तक
गुरु ऩुष्माभतृ मोग सिॊतन जोशी
हय फदन फदरने वारे नऺि भे ऩुष्म नऺि बी एक नऺि है, एवॊ अन्दाज से हय २७वं फदन ऩुष्म नऺि होता है। मह स्जस वाय को आता है, इसका नाभ बी उसी प्रकाय यखा जाता है।
इसी प्रकाय गुरुवाय को ऩुष्म नऺि होने से गुरु ऩुष्म मोग कहाजात है। गुरु ऩुष्म मोग के फाये भं त्रवद्रान ज्मोसतत्रषमो का कहना हं फक ऩुष्म नऺि भं धन प्रासद्ऱ, िाॊदी, सोना, नमे वाहन,
फही-खातं की खयीदायी एवॊ गुरु ग्रह से सॊफॊसधत वस्तुए अत्मासधक राब प्रदान कयती है। हय व्मत्रक्त अऩने शुब कामो भं सपरता हेतु इस शुब भहूता का िमन कय सफसे उऩमुक्त राब प्राद्ऱ कय सकता
है औय अशुबता से फि सकता है। अऩने जीवन भं फदन-प्रसतफदन सपरता की प्रासद्ऱ के सरए इस अद्भतु भहूता
वारे फदन फकसी बी नमे कामा को जेसे नौकयी, व्माऩाय मा ऩरयवाय से जुिे कामा, फॊध हो िकेु कामा शुरू कयने के सरमे एवॊ जीवन के कोई बी अन्म भहत्वऩूणा ऺेि भं कामा कयने से 99.9% सनस्द्ळत सपरता की सॊबावना होसत है।
गुरुऩुष्माभतृ मोग फहोत कभ फनता है जफ गुरुवाय के फदन ऩुष्म नऺि होता है । तफ फनता है गुरु ऩुष्म मोग।
गुरुवाय के फदन शुब कामो एवॊ आध्मात्भ से सॊफॊसधत कामा कयना असत शुब एवॊ भॊगरभम होता है।
ऩुष्म नऺि बी सबी प्रकाय के शुब कामो एवॊ आध्मात्भ से जुिे कामो के सरमे असत शुब भाना गमा है। जफ गुरुवाय के फदन ऩुष्म नऺि होता तफ मह मोग फन जाता है अद्भतु एवॊ अत्मॊत शुब पर प्रद अभतृ मोग। एक साधक के सरए फेहद पामदेभॊद होता हं गुरुऩुष्माभतृ मोग। इस फदन त्रवद्रान एवॊ गुढ यहस्मो के जानकाय भाॊ भहारक्ष्भी की साधना कयने की सराह देते है। मह मोग त्रवशेष साधना के सरमे असत शुब एवॊ शीघ्र ऩयीणाभ देने वारा होता है। भाॊ भहारक्ष्भी का आह्वान कयके अत्मॊत सयरता से उनकी कृऩा रत्रद्श से सभतृ्रद्ध औय शाॊसत प्राद्ऱ फक जासकती है।
ऩषु्म नऺि का भहत्व क्मं हं?
शास्त्रो भं ऩुष्म नऺि को नऺिं का याजा फतामा गमा हं। स्जसका स्वाभी शसन ग्रह हं। शसन को ज्मोसतष भं स्थासमत्व का प्रतीक भाना गमा हं। अत् ऩुष्म नऺि सफसे शुब नऺिो भं से एक हं।
मफद यत्रववाय को ऩुष्म नऺि हो तो यत्रव ऩुष्म मोग औय गुरुवाय को हो तो औय गुरु ऩुष्म मोग कहराता हं। शास्त्रं भं ऩुष्म मोग को 100 दोषं को दयू कयने वारा, शुब कामा उदे्दश्मो भं सनस्द्ळत सपरता प्रदान कयने वारा
एवॊ फहुभूल्म वस्तुओॊ फक खयीदायी हेतु सफसे श्रदे्ष एवॊ शुब परदामी मोग भाना गमा है। गुरुवाय के फदन ऩुष्म नऺि के सॊमोग से सवााथा अभतृससत्रद्ध मोग फनता है। शसनवाय के फदन ऩुष्म नऺि के
सॊमोग से सवााथाससत्रद्ध मोग होता है। ऩुष्म नऺि को ब्रह्माजी का श्राऩ सभरा था। इससरए शास्त्रोक्त त्रवधान से ऩुष्म नऺि भं त्रववाह वस्जात भाना गमा है। 3
54 अगस्त 2012
सॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत 22 गेज शुद्ध स्टीर भं सनसभात अखॊफित
ऩुरुषाकाय शसन मॊि ऩरुुषाकाय शसन मॊि (स्टीर भं) को तीव्र प्रबावशारी फनान ेहेत ुशसन की कायक धात ुशदु्ध स्टीर(रोहे) भं फनामा गमा हं। स्जस के प्रबाव से साधक को तत्कार राब प्राद्ऱ होता हं। मफद जन्भ कुॊ िरी भं शसन प्रसतकूर होन ेऩय व्मत्रक्त को अनेक कामं भं असपरता प्राद्ऱ होती है, कबी व्मवसाम भं घटा, नौकयी भं ऩयेशानी, वाहन दघुाटना, गहृ क्रेश आफद ऩयेशानीमाॊ फढ़ती जाती है ऐसी स्स्थसतमं भं प्राणप्रसतत्रद्षत ग्रह ऩीिा सनवायक शसन मॊि की अऩने को व्मऩाय स्थान मा घय भं स्थाऩना कयन े से अनेक राब सभरते हं। मफद शसन की ढ़ैमा मा साढे़साती का सभम हो तो इसे अवश्म ऩजूना िाफहए। शसनमॊि के ऩजून भाि से व्मत्रक्त को भतृ्म,ु कजा, कोटाकेश, जोिो का ददा, फात योग तथा रम्फे सभम के सबी प्रकाय के योग से ऩयेशान व्मत्रक्त के सरम ेशसन मॊि असधक राबकायी होगा। नौकयी ऩेशा आफद के रोगं को ऩदौन्नसत बी शसन द्राया ही सभरती है अत् मह मॊि असत उऩमोगी मॊि है स्जसके द्राया शीघ्र ही राब ऩामा जा सकता है। भलू्म: 1050 से 8200
सॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत
22 गेज शुद्ध स्टीर भं सनसभात अखॊफित
शसन तैसतसा मॊि शसनग्रह से सॊफॊसधत ऩीिा के सनवायण हेतु त्रवशेष राबकायी मॊि।
भलू्म: 550 से 8200
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55 अगस्त 2012
नवयत्न जफित श्री मॊि
शास्त्र विन के अनुसाय शुद्ध सुवणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि के िायं औय मफद नवयत्न जिवा ने ऩय मह नवयत्न जफित श्री मॊि कहराता हं। सबी यत्नो को उसके सनस्द्ळत स्थान ऩय जि कय रॉकेट के रूऩ भं धायण कयने से व्मत्रक्त को अनॊत एद्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ होती हं। व्मत्रक्त को एसा आबास होता हं जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हं। नवग्रह को श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहं की अशुब दशा का धायणकयने वारे व्मत्रक्त ऩय प्रबाव नहीॊ होता हं।
गरे भं होने के कायण मॊि ऩत्रवि यहता हं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो जर त्रफॊद ुशयीय को रगते हं, वह गॊगा जर के सभान ऩत्रवि होता हं। इस सरमे इसे सफसे तेजस्वी एवॊ परदासम कहजाता हं। जैसे अभतृ से उत्तभ कोई औषसध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भं नहीॊ हं एसा शास्त्रोक्त विन हं। इस प्रकाय के नवयत्न जफित श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्राया शुब भहूुता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयके फनावाए जाते हं। असधक जानकायी हेत ुसॊऩका कयं।
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56 अगस्त 2012
भॊि ससद्ध वाहन दघुाटना नाशक भारुसत मॊि
ऩौयास्णक ग्रॊथो भं उल्रेख हं की भहाबायत के मुद्ध के सभम अजुान के यथ के अग्रबाग ऩय भारुसत ध्वज एवॊ भारुसत मन्ि रगा हुआ था। इसी मॊि के प्रबाव के कायण सॊऩूणा मुद्ध के दौयान हिायं-राखं प्रकाय के आग्नेम अस्त्र-शस्त्रं का प्रहाय होने के फाद बी अजुान का यथ जया बी ऺसतग्रस्त नहीॊ हुआ। बगवान श्री कृष्ण भारुसत मॊि के इस अद्भतु यहस्म को जानते थे फक स्जस यथ मा वाहन की यऺा स्वमॊ श्री भारुसत नॊदन कयते हं, वह दघुाटनाग्रस्त कैसे हो सकता हं। वह यथ मा वाहन तो वामुवेग से, सनफाासधत रुऩ से अऩने रक्ष्म ऩय त्रवजम ऩतका रहयाता हुआ ऩहुॊिेगा। इसी सरमे श्री कृष्ण नं अजुान के यथ ऩय श्री भारुसत मॊि को अॊफकत कयवामा था।
स्जन रोगं के स्कूटय, काय, फस, ट्रक इत्माफद वाहन फाय-फाय दघुाटना ग्रस्त हो यहे हो!, अनावश्मक वाहन को नुऺान हो यहा हं! उन्हं हानी एवॊ दघुाटना से यऺा के उदे्दश्म से अऩने वाहन ऩय भॊि ससद्ध श्री भारुसत मॊि अवश्म रगाना िाफहए। जो रोग ट्रान्स्ऩोफटंग (ऩरयवहन) के व्मवसाम से जुिे हं उनको श्रीभारुसत मॊि को अऩने वाहन भं अवश्म स्थात्रऩत कयना िाफहए, क्मोफक, इसी व्मवसाम से जुिे सैकिं रोगं का अनुबव यहा हं की श्री भारुसत मॊि को स्थात्रऩत कयने से उनके वाहन असधक फदन तक अनावश्मक खिो से एवॊ दघुाटनाओॊ से सुयस्ऺत यहे हं। हभाया स्वमॊका एवॊ अन्म त्रवद्रानो का अनुबव यहा हं, की स्जन रोगं ने श्री भारुसत मॊि अऩने वाहन ऩय रगामा हं, उन रोगं के वाहन फिी से फिी दघुाटनाओॊ से सुयस्ऺत यहते हं। उनके वाहनो को कोई त्रवशेष नुक्शान इत्माफद नहीॊ होता हं औय नाहीॊ अनावश्मक रुऩ से उसभं खयाफी आसत हं।
वास्तु प्रमोग भं भारुसत मॊि: मह भारुसत नॊदन श्री हनुभान जी का मॊि है। मफद कोई जभीन त्रफक नहीॊ यही हो, मा उस ऩय कोई वाद-त्रववाद हो, तो इच्छा के अनुरूऩ वहॉ जभीन उसित भूल्म ऩय त्रफक जामे इस सरमे इस भारुसत मॊि का प्रमोग फकमा जा सकता हं। इस भारुसत मॊि के प्रमोग से जभीन शीघ्र त्रफक जाएगी मा त्रववादभुक्त हो जाएगी। इस सरमे मह मॊि दोहयी शत्रक्त से मुक्त है। भारुसत मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्व कामाारम भं सॊऩका कयं। भूल्म Rs- 255 से 10900 तक
श्री हनुभान मॊि शास्त्रं भं उल्रेख हं की श्री हनुभान जी को बगवान सूमादेव ने ब्रह्मा जी के आदेश ऩय हनुभान जी को अऩने तेज का सौवाॉ बाग प्रदान कयते हुए आशीवााद प्रदान फकमा था, फक भं हनुभान को सबी शास्त्र का ऩूणा ऻान दूॉगा। स्जससे मह तीनोरोक भं सवा श्रदे्ष वक्ता हंगे तथा शास्त्र त्रवद्या भं इन्हं भहायत हाससर होगी औय इनके सभन फरशारी औय कोई नहीॊ होगा। जानकायो ने भतानुशाय हनुभान मॊि की आयाधना से ऩुरुषं की त्रवसबन्न फीभारयमं दयू होती हं, इस मॊि भं अद्भतु शत्रक्त सभाफहत होने के कायण व्मत्रक्त की स्वप्न दोष, धातु योग, यक्त दोष, वीमा दोष, भूछाा, नऩुॊसकता इत्माफद अनेक प्रकाय के दोषो को दयू कयने भं अत्मन्त राबकायी हं। अथाात मह मॊि ऩौरुष को ऩुद्श कयता हं। श्री हनुभान मॊि व्मत्रक्त को सॊकट, वाद-त्रववाद, बूत-पे्रत, द्यूत फक्रमा, त्रवषबम, िोय बम, याज्म बम, भायण, सम्भोहन स्तॊबन इत्माफद से सॊकटो से यऺा कयता हं औय ससत्रद्ध प्रदान कयने भं सऺभ हं। श्री हनुभान मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्व कामाारम भं सॊऩका कयं। भूल्म Rs- 730 से 10900 तक
GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
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57 अगस्त 2012
भॊि ससद्ध त्रवशेष दैवी मॊि सूसि आद्य शत्रक्त दगुाा फीसा मॊि (अॊफाजी फीसा मॊि) सयस्वती मॊि
भहान शत्रक्त दगुाा मॊि (अॊफाजी मॊि) सद्ऱसती भहामॊि(सॊऩूणा फीज भॊि सफहत) नव दगुाा मॊि कारी मॊि
नवाणा मॊि (िाभुॊिा मॊि) श्भशान कारी ऩूजन मॊि
नवाणा फीसा मॊि दस्ऺण कारी ऩूजन मॊि
िाभुॊिा फीसा मॊि ( नवग्रह मुक्त) सॊकट भोसिनी कासरका ससत्रद्ध मॊि
त्रिशूर फीसा मॊि खोफिमाय मॊि
फगरा भुखी मॊि खोफिमाय फीसा मॊि
फगरा भुखी ऩूजन मॊि अन्नऩूणाा ऩूजा मॊि
याज याजेद्वयी वाॊछा कल्ऩरता मॊि एकाॊऺी श्रीपर मॊि
भॊि ससद्ध त्रवशेष रक्ष्भी मॊि सूसि श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि) भहारक्ष्भमै फीज मॊि
श्री मॊि (भॊि यफहत) भहारक्ष्भी फीसा मॊि श्री मॊि (सॊऩूणा भॊि सफहत) रक्ष्भी दामक ससद्ध फीसा मॊि
श्री मॊि (फीसा मॊि) रक्ष्भी दाता फीसा मॊि
श्री मॊि श्री सूक्त मॊि रक्ष्भी गणेश मॊि
श्री मॊि (कुभा ऩदृ्षीम) ज्मेद्षा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि रक्ष्भी फीसा मॊि कनक धाया मॊि
श्री श्री मॊि (श्रीश्री रसरता भहात्रिऩुय सुन्दमै श्री भहारक्ष्भमं श्री भहामॊि) वैबव रक्ष्भी मॊि (भहान ससत्रद्ध दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि) अॊकात्भक फीसा मॊि
ताम्र ऩि ऩय सवुणा ऩोरीस (Gold Plated)
ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीस (Silver Plated)
ताम्र ऩि ऩय (Copper)
साईज भूल्म साईज भूल्म साईज भूल्म
1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9”
12” X12”
460 820
1650 2350 3600 6400 10800
1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9”
12” X12”
370 640 1090 1650 2800 5100 8200
1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9”
12” X12”
255 460 730
1090 1900 3250 6400
मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी हेतु सॊऩका कयं। GURUTVA KARYALAY
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58 अगस्त 2012
यासश यत्न
भेष यासश: वषृब यासश: सभथनु यासश: कका यासश: ससॊह यासश: कन्मा यासश: भूॊगा हीया ऩन्ना भोती भाणेक ऩन्ना
Red Coral
(Special)
Diamond
(Special) Green Emerald
(Special)
Naturel Pearl
(Special)
Ruby
(Old Berma)
(Special)
Green Emerald
(Special)
5.25" Rs. 1050 10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 9100 5.25" Rs. 910 2.25" Rs. 12500 5.25" Rs. 9100
6.25" Rs. 1250 20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 12500 6.25" Rs. 1250 3.25" Rs. 15500 6.25" Rs. 12500
7.25" Rs. 1450 30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 7.25" Rs. 1450 4.25" Rs. 28000 7.25" Rs. 14500
8.25" Rs. 1800 40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 19000 8.25" Rs. 1900 5.25" Rs. 46000 8.25" Rs. 19000
9.25" Rs. 2100 50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 23000 9.25" Rs. 2300 6.25" Rs. 82000 9.25" Rs. 23000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000 10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000
** All Weight In Rati All Diamond are Full
White Colour. ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati
तुरा यासश: वसृ्द्ळक यासश: धन ुयासश: भकय यासश: कुॊ ब यासश: भीन यासश: हीया भूॊगा ऩुखयाज नीरभ नीरभ ऩुखयाज
Diamond
(Special) Red Coral
(Special)
Y.Sapphire
(Special)
B.Sapphire
(Special)
B.Sapphire
(Special)
Y.Sapphire
(Special)
10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 1050 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000
20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 1250 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000
30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 1450 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000
40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 1800 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000
50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 2100 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000
All Diamond are Full White Colour.
** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati
* उऩमोक्त वजन औय भलू्म से असधक औय कभ वजन औय भलू्म के यत्न एवॊ उऩयत्न बी हभाये महा व्माऩायी भलू्म ऩय उप्रब्ध हं।
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59 अगस्त 2012
भॊि ससद्ध दरुाब साभग्री हत्था जोिी- Rs- 370 घोिे की नार- Rs.351 भामा जार- Rs- 251
ससमाय ससॊगी- Rs- 370 दस्ऺणावतॉ शॊख- Rs- 550 इन्र जार- Rs- 251
त्रफल्री नार- Rs- 370 भोसत शॊख- Rs- 550 धन वतृ्रद्ध हकीक सेट Rs-251
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भॊि ससद्ध रूराऺ
Rudraksh List Rate In
Indian Rupee Rudraksh List
Rate In
Indian Rupee
एकभुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा) 2800, 5500 आि भुखी रूराऺ (नेऩार) 820,1250
एकभुखी रूराऺ (नेऩार) 750,1050, 1250, आि भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा) 1900
दो भुखी रूराऺ (हरयराय, याभेद्वय) 30,50,75 नौ भुखी रूराऺ (नेऩार) 910,1250
दो भुखी रूराऺ (नेऩार) 50,100, नौ भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा) 2050
दो भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा) 450,1250 दस भुखी रूराऺ (नेऩार) 1050,1250
तीन भुखी रूराऺ (हरयराय, याभेद्वय) 30,50,75, दस भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा) 2100
तीन भुखी रूराऺ (नेऩार) 50,100, ग्मायह भुखी रूराऺ (नेऩार) 1250,
तीन भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा) 450,1250, ग्मायह भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा) 2750,
िाय भुखी रूराऺ (हरयराय, याभेद्वय) 25,55,75, फायह भुखी रूराऺ (नेऩार) 1900,
िाय भुखी रूराऺ (नेऩार) 50,100, फायह भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा) 2750,
ऩॊि भुखी रूराऺ (नेऩार) 25,55, तेयह भुखी रूराऺ (नेऩार) 3500, 4500,
ऩॊि भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा) 225, 550, तेयह भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा) 6400,
छह भुखी रूराऺ (हरयराय, याभेद्वय) 25,55,75, िौदह भुखी रूराऺ (नेऩार) 10500
छह भुखी रूराऺ (नेऩार) 50,100, िौदह भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा) 14500
सात भुखी रूराऺ (हरयराय, याभेद्वय) 75, 155, गौयीशॊकय रूराऺ 1450
सात भुखी रूराऺ (नेऩार) 225, 450, गणेश रुराऺ (नेऩार) 550
सात भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा) 1250 गणेश रूराऺ (इन्िोनेसशमा) 750
रुराऺ के त्रवषम भं असधक जानकायी हेत ुसॊऩका कयं।
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60 अगस्त 2012
श्रीकृष्ण फीसा मॊि
फकसी बी व्मत्रक्त का जीवन तफ आसान फन जाता हं जफ उसके िायं औय का भाहोर उसके अनुरुऩ उसके वश भं हं। जफ कोई व्मत्रक्त का आकषाण दसुयो के उऩय एक िुम्फकीम प्रबाव िारता हं, तफ रोग उसकी सहामता एवॊ सेवा हेतु तत्ऩय होते है औय उसके प्राम् सबी कामा त्रफना असधक कद्श व ऩयेशानी से सॊऩन्न हो जाते हं। आज के बौसतकता वाफद मुग भं हय व्मत्रक्त के सरमे दसूयो को अऩनी औय खीिने हेतु एक प्रबावशासर िुॊफकत्व को कामभ यखना असत आवश्मक हो जाता हं। आऩका आकषाण औय व्मत्रक्तत्व आऩके िायो ओय से रोगं को आकत्रषात कये इस सरमे सयर उऩाम हं, श्रीकृष्ण फीसा मॊि। क्मोफक बगवान श्री कृष्ण एक अरौफकव एवॊ फदवम िुॊफकीम व्मत्रक्तत्व के धनी थे। इसी कायण से श्रीकृष्ण फीसा मॊि के ऩजून एवॊ दशान से आकषाक व्मत्रक्तत्व प्राद्ऱ होता हं। श्रीकृष्ण फीसा मॊि के साथ व्मत्रक्तको दृढ़ इच्छा शत्रक्त एवॊ उजाा प्राद्ऱ होती हं, स्जस्से व्मत्रक्त हभेशा एक बीि भं हभेशा आकषाण का कंर यहता हं। मफद फकसी व्मत्रक्त को अऩनी प्रसतबा व आत्भत्रवद्वास के स्तय भं वतृ्रद्ध, अऩने सभिो व ऩरयवायजनो के त्रफि भं रयश्तो भं सुधाय कयने की ईच्छा होती हं उनके सरमे श्रीकृष्ण फीसा मॊि का ऩूजन एक सयर व सुरब भाध्मभ सात्रफत हो सकता हं। श्रीकृष्ण फीसा मॊि ऩय अॊफकत शत्रक्तशारी त्रवशेष येखाएॊ, फीज भॊि एवॊ अॊको से व्मत्रक्त को अद्द्द्भतु आॊतरयक शत्रक्तमाॊ प्राद्ऱ होती हं जो व्मत्रक्त को सफसे आगे एवॊ सबी ऺेिो भं अग्रस्णम फनाने भं सहामक ससद्ध होती हं। श्रीकृष्ण फीसा मॊि के ऩूजन व सनमसभत दशान के भाध्मभ से बगवान श्रीकृष्ण का आशीवााद प्राद्ऱ कय सभाज भं स्वमॊ का अफद्रतीम स्थान स्थात्रऩत कयं। श्रीकृष्ण फीसा मॊि अरौफकक ब्रह्माॊिीम उजाा का सॊिाय कयता हं, जो एक प्राकृत्रत्त भाध्मभ से व्मत्रक्त के बीतय सद्दबावना, सभतृ्रद्ध, सपरता, उत्तभ स्वास्र्थम, मोग औय ध्मान के सरमे एक शत्रक्तशारी भाध्मभ हं!
श्रीकृष्ण फीसा मॊि के ऩजून से व्मत्रक्त के साभास्जक भान-सम्भान व ऩद-प्रसतद्षा भं वतृ्रद्ध होती हं।
त्रवद्रानो के भतानुशाय श्रीकृष्ण फीसा मॊि के भध्मबाग ऩय ध्मान मोग कंफरत कयने से व्मत्रक्त फक िेतना शत्रक्त जाग्रत होकय शीघ्र उच्ि स्तय को प्राद्ऱहोती हं ।
जो ऩुरुषं औय भफहरा अऩने साथी ऩय अऩना प्रबाव िारना िाहते हं औय उन्हं अऩनी औय आकत्रषात कयना िाहते हं। उनके सरमे श्रीकृष्ण फीसा मॊि उत्तभ उऩाम ससद्ध हो सकता हं।
ऩसत-ऩत्नी भं आऩसी प्रभ की वतृ्रद्ध औय सुखी दाम्ऩत्म जीवन के सरमे श्रीकृष्ण फीसा मॊि राबदामी होता हं। भलू्म:- Rs. 730 से Rs. 10900 तक उप्रब्द्ध
श्रीकृष्ण फीसा कवि
श्रीकृष्ण फीसा कवि को केवर त्रवशेष शुब भुहुता भं सनभााण फकमा जाता हं। कवि को त्रवद्रान कभाकाॊिी ब्राहभणं द्राया शुब भुहुता भं शास्त्रोक्त
त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशद्श तेजस्वी भॊिो द्राया ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा ितैन्म
मुक्त कयके सनभााण फकमा जाता हं। स्जस के पर स्वरुऩ धायण कयता व्मत्रक्त को शीघ्र ऩूणा राब प्राद्ऱ होता हं। कवि को गरे भं धायण कयने से वहॊ अत्मॊत प्रबाव शारी होता हं। गरे भं धायण कयने से कवि हभेशा रृदम के ऩास यहता हं स्जस्से व्मत्रक्त ऩय उसका राब असत तीव्र एवॊ शीघ्र ऻात होने रगता हं।
भूरम भाि: 1900
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61 अगस्त 2012
याभ यऺा मॊि
याभ यऺा मॊि सबी बम, फाधाओॊ से भतु्रक्त व कामो भं सपरता प्रासद्ऱ हेत ुउत्तभ मॊि हं। स्जसके प्रमोग से धन राब होता हं व व्मत्रक्त का सवागंी त्रवकाय होकय उसे सखु-सभतृ्रद्ध, भानसम्भान की प्रासद्ऱ होती हं। याभ यऺा मॊि सबी प्रकाय के अशबु प्रबाव को दयू कय व्मत्रक्त को जीवन की सबी प्रकाय की कफिनाइमं से यऺा कयता हं। त्रवद्रानो के भत से जो व्मत्रक्त बगवान याभ के बक्त हं मा श्री हनभुानजी के बक्त हं उन्हं अऩने सनवास स्थान, व्मवसामीक स्थान ऩय याभ यऺा मॊि को अवश्म स्थाऩीत कयना िाफहमे स्जससे आने वारे सॊकटो से यऺा हो उनका जीवन सखुभम व्मतीत हो सके एवॊ उनकी सभस्त आफद बौसतक व आध्मास्त्भक भनोकाभनाएॊ ऩणूा हो सके।
ताम्र ऩि ऩय सुवणा ऩोरीस (Gold Plated)
ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीस (Silver Plated)
ताम्र ऩि ऩय (Copper)
साईज भलू्म साईज भलू्म साईज भलू्म
1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9”
12” X12”
460 820 1650 2350 3600 6400 10800
1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9”
12” X12”
370 640 1090 1650 2800 5100 8200
1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9”
12” X12”
255 460 730 1090 1900 3250 6400
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62 अगस्त 2012
जैन धभाके त्रवसशद्श मॊिो की सूिी श्री िौफीस तीथकंयका भहान प्रबात्रवत िभत्कायी मॊि श्री एकाऺी नारयमेय मॊि
श्री िोफीस तीथकंय मॊि सवातो बर मॊि
कल्ऩवृऺ मॊि सवा सॊऩत्रत्तकय मॊि
सिॊताभणी ऩाद्वानाथ मॊि सवाकामा-सवा भनोकाभना ससत्रद्धअ मॊि (१३० सवातोबर मॊि)
सिॊताभणी मॊि (ऩसंफिमा मॊि) ऋत्रष भॊिर मॊि
सिॊताभणी िक्र मॊि जगदवल्रब कय मॊि
श्री िके्रद्वयी मॊि ऋत्रद्ध ससत्रद्ध भनोकाभना भान सम्भान प्रासद्ऱ मॊि
श्री घॊटाकणा भहावीय मॊि ऋत्रद्ध ससत्रद्ध सभतृ्रद्ध दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि
श्री घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध भहामॊि (अनबुव ससद्ध सॊऩणूा श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि)
त्रवषभ त्रवष सनग्रह कय मॊि
श्री ऩद्मावती मॊि ऺुरो ऩरव सननााशन मॊि श्री ऩद्मावती फीसा मॊि फहृच्िक्र मॊि श्री ऩाद्वाऩद्मावती ह्रंकाय मॊि वॊध्मा शब्दाऩह मॊि ऩद्मावती व्माऩाय वतृ्रद्ध मॊि भतृवत्सा दोष सनवायण मॊि श्री धयणेन्र ऩद्मावती मॊि काॊक वॊध्मादोष सनवायण मॊि
श्री ऩाद्वानाथ ध्मान मॊि फारग्रह ऩीिा सनवायण मॊि
श्री ऩाद्वानाथ प्रबकुा मॊि रधुदेव कुर मॊि
बक्ताभय मॊि (गाथा नॊफय १ से ४४ तक) नवगाथात्भक उवसग्गहयॊ स्तोिका त्रवसशद्श मॊि
भस्णबर मॊि उवसग्गहयॊ मॊि
श्री मॊि श्री ऩॊि भॊगर भहाश्रतृ स्कॊ ध मॊि
श्री रक्ष्भी प्रासद्ऱ औय व्माऩाय वधाक मॊि ह्रीॊकाय भम फीज भॊि
श्री रक्ष्भीकय मॊि वधाभान त्रवद्या ऩट्ट मॊि
रक्ष्भी प्रासद्ऱ मॊि त्रवद्या मॊि
भहात्रवजम मॊि सौबाग्मकय मॊि
त्रवजमयाज मॊि िाफकनी, शाफकनी, बम सनवायक मॊि
त्रवजम ऩतका मॊि बतूाफद सनग्रह कय मॊि
त्रवजम मॊि ज्वय सनग्रह कय मॊि
ससद्धिक्र भहामॊि शाफकनी सनग्रह कय मॊि
दस्ऺण भखुाम शॊख मॊि आऩत्रत्त सनवायण मॊि
दस्ऺण भखुाम मॊि शिुभखु स्तॊबन मॊि मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी हेतु सॊऩका कयं।
GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
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63 अगस्त 2012
घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध भहामॊि को स्थाऩीत कयन ेसे साधक की सवा भनोकाभनाएॊ ऩणूा होती हं। सवा प्रकाय के योग बतू-प्रेत आफद उऩरव से यऺण होता हं। जहयीरे औय फहॊसक प्राणीॊ से सॊफॊसधत बम दयू होते हं। अस्ग्न बम, िोयबम आफद दयू होते हं।
ददु्श व असयुी शत्रक्तमं से उत्ऩन्न होन ेवार ेबम से मॊि के प्रबाव से दयू हो जाते हं। मॊि के ऩजून से साधक को धन, सखु, सभतृ्रद्ध, ऎद्वमा, सॊतत्रत्त-सॊऩत्रत्त आफद की प्रासद्ऱ होती हं। साधक की सबी प्रकाय की सास्त्वक इच्छाओॊ की ऩसूता होती हं। मफद फकसी ऩरयवाय मा ऩरयवाय के सदस्मो ऩय वशीकयण, भायण, उच्िाटन इत्माफद जाद-ूटोन े वारे प्रमोग फकम ेगम ंहोतो इस मॊि के प्रबाव से स्वत् नद्श हो जाते हं औय बत्रवष्म भं मफद कोई प्रमोग कयता हं तो यऺण होता हं। कुछ जानकायो के श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि से जुिे अद्द्द्भतु अनबुव यहे हं। मफद घय भं श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि स्थात्रऩत फकमा हं औय मफद कोई इषाा, रोब, भोह मा शितुावश मफद अनसुित कभा
कयके फकसी बी उदे्दश्म से साधक को ऩयेशान कयन ेका प्रमास कयता हं तो मॊि के प्रबाव से सॊऩणूा ऩरयवाय का यऺण तो होता ही हं, कबी-कबी शि ुके द्राया फकमा गमा अनसुित कभा शि ुऩय ही उऩय उरट वाय होते देखा हं। भूल्म:- Rs. 1650 से Rs. 10900 तक उप्रब्द्ध
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64 अगस्त 2012
अभोद्य भहाभतृ्मुॊजम कवि अभोद्य् भहाभतृ्मुॊजम कवि व उल्रेस्खत अन्म साभग्रीमं को शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से त्रवद्रान ब्राह्मणो द्राया सवा राख भहाभतृ्मुॊजम भॊि जऩ एवॊ दशाॊश हवन द्राया सनसभात कवि अत्मॊत प्रबावशारी होता हं।
अभोद्य् भहाभतृ्मुॊजम कवि कवि फनवाने हेतु:
अऩना नाभ, त्रऩता-भाता का नाभ, गोि, एक नमा पोटो बेजे
याशी यत्न एवॊ उऩयत्न
त्रवशेष मॊि
हभायं महाॊ सबी प्रकाय के मॊि सोने-िाॊफद-ताम्फे भ ं आऩकी आवश्मक्ता के अनशुाय फकसी बी बाषा/धभा के मॊिो को आऩकी आवश्मक फिजाईन के अनुशाय २२ गेज शुद्ध ताम्फे भं अखॊफित फनाने की त्रवशेष सतु्रवधाएॊ उऩरब्ध हं। सबी साईज एवॊ भलू्म व क्वासरफट के
असरी नवयत्न एवॊ उऩयत्न बी उऩरब्ध हं। हभाये महाॊ सबी प्रकाय के यत्न एवॊ उऩयत्न व्माऩायी भलू्म ऩय उऩरब्ध हं। ज्मोसतष कामा से जुि़े फध/ुफहन व यत्न व्मवसाम से जुिे रोगो के सरम ेत्रवशेष भलू्म ऩय यत्न व अन्म साभग्रीमा व अन्म सतु्रवधाएॊ उऩरब्ध हं।
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अभोद्य् भहाभतृ्मुॊजम कवि
दस्ऺणा भाि: 10900
65 अगस्त 2012
भाससक यासश पर
सिॊतन जोशी
भेष: 1 से 15 अगस्त 2012 : आसथाक रेन-देन के त्रवषम भं असधक रुझान यख सकते हं। व्माऩाय उद्योग से जुि़े रोगो को नमे अवसय प्राद्ऱ हंगे। कामा फक असधकता औय व्मस्तता से भानससक शाॊसत भं कभी यहेगी। िर-अिर सॊऩत्रत्त मा फकसी घयेरू भाभरं भं फदराव हो सकता है। ऩरयवाय औय रयश्तेदायं से आस्त्भमता के अनुबव भं कभी यह सकती हं। भनोनुकूर जीवन साथी फक प्रासद्ऱ हेतु सभम उसित नहीॊ हं।
16 से 31 अगस्त 2012 : भहत्व के कामो के सरमे आऩको कजा रेना ऩि सकता हं जो राब प्रद ससद्ध हो सकता हं। ऩूणा ऩरयश्रभ एवॊ किी भेहनत से फकमे गमे कामो भं सपरता प्राद्ऱ कय सकते हं। कामा फक व्मस्तता के कायण त्रवश्राभ का अबाव यहेगा। इद्श
सभिो के साथा सॊफन्धं के सरमे प्रसतकूर सभम हं। सभिं ऩय अॊधात्रवद्वास कयने के कायण आऩके ऩरयवय भं त्रववाद फढ सकते है।
वषृब: 1 से 15 अगस्त 2012 : बूसभ-बवन से सॊफॊसधअ भाभरो भं त्रवशेष धन राब के मोग फन यहे हं। अऩनी वाणी एवॊ क्रोध ऩय सनमॊिण यखे अन्मथा फने-फनामे रयश्ते व कामा दोनो त्रफगि सकते हं। आऩके रुके हुए कामा ऩूणा हंगे। इद्श सभिं एवॊ सॊफॊधीमं धनराब प्राद्ऱ होगा। ऩुयानी स्वास्र्थम सॊफॊसधत सभस्माओॊ का सनवायण होगा। दाॊऩत्म जीवन सुखभम यहने के मोग हं।
16 से 31 अगस्त 2012 : अऩने स्वबाव भं दमा, भदृतुा व त्रवनम्रता राने का प्रमास कयं। अऩने दृत्रद्शकोण भं सकायात्भक सोि से आऩ भुस्श्कर से भुस्श्कर सभस्माओॊ के सुरझाने भं सपर हंगे। मफद साझेदायी भं व्मवसाम कयने के सोि यहे है, तो सभम अनुकूर हं रेफकन अऩने सनणाम ऩय ऩनु् त्रविाय कयना िाफहए स्जससे आऩके सॊफॊध खयाफ नहीॊ हो। शि ु ऩऺ ऩय आऩका दफदफा यहेगा।
सभथनु: 1 से 15 अगस्त 2012 : आसथाक ऩऺ साभान्म से उत्तभ यहेगा। अनावश्मक आऩके स्वबाव भं सििसििा ऩन आसकता हं। अऩने क्रोध ऩय सनमॊिण यखे। अनािश्मक खिा कयने से फिे अन्मथा फिा नुकसान सॊबव हं। ऩरयवाय औय रयश्तेदायं से आस्त्भमता के अनुबव भं कभी यह सकती हं। इद्श सभिं के सहमोग से नमे सभि फन सकते हं। अऩनी ऺभता से आऩ स्स्थती ऩय ऩूवा से सनमॊिण यख सकते हं।
16 से 31 अगस्त 2012 : आरस्म के कायण आऩके भहत्व ऩूणा कामा प्राबात्रवत होस अकते हं सावधानी वत।े अनावश्मक सिन्ता से भकु्त होकय अऩने कामा ऩय ध्मान रगाना उसित होगा। व्मवसासमक मािा भं सपरता प्राद्ऱ हो सकती है।
66 अगस्त 2012
कोटा-किहयी के कामो भं त्रवजम प्राद्ऱ हो सकती हं। आऩका आध्मास्त्भक जीवन उच्ि स्तय का हो सकता हं।
कका : 1 से 15 अगस्त 2012 : ऩूणा ऩरयश्रभ एवॊ किी भेहनत से फकमे गमे कामो भं सनस्द्ळत सपरता प्राद्ऱ कय सकते हं। आसथाक स्स्थती साभान्म यहेगी। आऩकी आभदनी ऩानी के जैसे खिा हो सकती हं। ऩारयवारयक भाहोर छोटी-छोटी घटनाओॊ के कायण तनावऩूणा हो सकता हं। जीवन साथी से आस्त्भमता की कभी भहसूस कय सकते हं। अत्मासधक बागदौि के कायण आऩको उजाा व उसाह की कभी भहसूस हो सकती हं।
16 से 31 अगस्त 2012 : व्मवसामीक मािाएॊ सपर होगी। आसथाक स्स्थती भं सुधाय होने के अच्छे सॊकेत हं। सॊतान सुख की प्रासद्ऱ हेतु सभम उत्तभ ससद्ध होगा। आऩ धासभाक आमोजन भं त्रवशेष रुसि रे सकते हं। पे्रभ सॊफॊधं भं सपरता प्राद्ऱ कय सकते हं। भानससक तनाव भहसूस कय सकते हं। ऩरयवाय भं भाॊगसरक कामा हो सकते हं एवॊ शुब सभािाय फक प्रासद्ऱ हो सकती हं।
ससॊह: 1 से 15 अगस्त 2012 : आसथाक स्स्थती थोिी कभजोय हो सकती हं। स्जस कायण आऩको भहत्वऩूणा कामो के सरए कजा रेना ऩि सकता हं। जीवनसाथी से अऩने सॊफॊध भधयु यखने का प्रमास कयं। शिओुॊ ऩय आऩका प्रबाव यहेगा। आऩके त्रवयोधी एवॊ शि ु ऩऺ ऩयास्त हंगे। त्रवऩयीत सरॊग के प्रसत आऩका असधक आकषाण ऩयेशानीमाॊ खिी कय सकता हं।
16 से 31 अगस्त 2012 : साभास्जक भान-सम्भान औय ऩद-प्रसतद्षा भं वतृ्रद्ध होगी। ऩूवा कार भं फकमे गमे कामा एवॊ रुके हुवे कामा से आकस्स्भक धन राब प्राद्ऱ होगा। इद्शसभि एवॊ ऩरयवाय के रोगो का सहमोग प्राद्ऱ होगा। कोटा-किहयी के कामो भं त्रवरॊफ सॊबव हं। सभिवगा एवॊ इद्शवगा के रोगो ऩय आऩका व्मम फढेगा। जीवन साथी से सहमोग प्राद्ऱ होगा। शुब सभािाय की प्रासद्ऱ हो सकती हं।
कन्मा: 1 से 15 अगस्त 2012 : फकमे गमे ऩूॊस्ज सनवेश द्राया आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ के मोग फन यहे है। आऩको इद्श सभि एवॊ साथी के कायण व्मम फढ सकते हं। आऩके साभस्जक भान-सम्भान भं वतृ्रद्ध होगी। फकसी व्मत्रक्त त्रवशेष से वाद-त्रववाद से फिने का प्रमास कये। नमे रोगो की सभिता से राब प्राद्ऱ कय सकते हं। जीवनसाथी से साथ व्मवहाय कूशर यहं।
16 से 31 अगस्त 2012 : अऩने कामाऺ ेि भं आत्भत्रवद्वास के फर ऩय अऩनी आम भं वतृ्रद्ध कय सकते हं। नौकयी-व्मवसाम का तेजी से त्रवस्ताय हो सकता हं। अऩनी असधक खिा कयने फक प्रवतृ्रत्त ऩय सनमॊिण कयने का प्रमास कयं। कोटा-किहयी के कामो भं असतरयक्त सावधानी फयते। पे्रभ सॊफॊसधत भाभरो भं बी सपरता प्राद्ऱ कय सकते है। दाॊऩत्म जीवन सुखभम यहेगा।
67 अगस्त 2012
तुरा: 1 से 15 अगस्त 2012 : आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ के मोग फनेगं स्जस्से आसथाक स्स्थती भं सुधाय होगा। अऩनी असधक खिा कयने फक प्रवतृ्रत्त ऩय सनमॊिण कयने का प्रमास कयं। कोटा-किहयी के कामो भं सपरता प्राद्ऱ हो सकती हं। दयूस्थानो की व्मवास्मीक मािाएॊ राबप्रद यहेगी। ऩरयवाय के रोग एवॊ सभि वगा का ऩूणा सहमोग प्राद्ऱ होगा। वाहन से सावधान यहे आकस्स्भक दघुाटना हो सकती हं।
16 से 31 अगस्त 2012 : व्मवसाम भं धन प्रासद्ऱ के नमे भागा प्राद्ऱ हो सकते हं।आऩके बौसतक सुख-साधनो भं वतृ्रद्ध होगी। स्जस कायण आऩकी आम के अनुरुऩ खिा के मोग बी फन सकते हं। बूसभ-बवन से सॊफॊसधत भाभरो भं सिॊता यह सकती हं। पे्रभ सॊफॊधो
भं सपरता प्राद्ऱ होगी।आऩका साभास्जक जीवन उच्ि स्तय का हो सकता हं। ऩरयवाय के फकसी सदस्म का स्वस्र्थम कभजोय हो सकता हं।
वसृ्द्ळक: 1 से 15 अगस्त 2012 : धन सॊफॊधी ऩूयानी सभस्माओॊ का सभाधान सॊबव हं। बूसभ-बवन से सॊफॊसधअ भाभरो भं आऩकी भहत्वऩूणा रुसि हो सकती है। दाॊऩत्म जीवन सुखभम यहेगा। ऩरयवाय भं फकसी सदस्म के स्जद्दी स्वबाव के कायण आऩके ऩरयवाय भं भानससक अशाॊसत का भाहोर हो सकता है। पे्रभ प्रसॊग भं सपरता प्राद्ऱ होगी, अनैसतक कभा व अनुसित कामो से फिे।
16 से 31 अगस्त 2012 : नौकयी-व्मवसाम भं उन्नसत के मोग फन यहे हं। धनराब के उत्तभ मोग फन यहे हं साथ ही अनावश्मक खिा बी फढ़ सकता हं। भहत्व के कामो के सरमे इद्श सभिं एवॊ सॊफॊधीमं से आऩको कजा रेना ऩि सकता हं। भौसभ के फदराव से आऩको सदॊ-जुकाभ की सभस्मा हो सकती हं। त्रवऩयीत सरॊग के प्रसत आऩका असधक आकषाण आऩकी भानससक शाॊसत छीन सकता हं।
धन:ु 1 से 15 अगस्त 2012 : अऩने भहत्वऩूणा कामो को कुशरता से ऩूया कयने का प्रमास कयं। खिा आवश्मक्ता से असधक हो सकता हं खिा ऩय सनमॊिण कयने का प्रमास कयं। व्मवासाम भं साझेदायी की मोजना फना यहे हं तो सभम प्रसतकूर सात्रफत हो सकता हं। अऩने त्रप्रमजनो से वाद-
त्रववाद भं उरझने से फिने का प्रमास कये। पे्रभ सॊफॊसधत भाभरो भं बी सपरता प्राद्ऱ कय सकते है।
16 से 31 अगस्त 2012 : अऩने इद्श सभिं मा ऩरयवाय के फकसी सदस्मके साथ भं भतबेद सॊबव हं। आऩके उच्िासधकायी एवॊ सहकभॉमं से सॊफॊध प्रसतकूर होने के सॊकेत हं। शि ु ऩऺ से सावधान यहं आऩ ऩय झूिे आयोऩ रग सकते है। अत् व्मवहय कूशर
यहे। खाने- ऩीने का ध्मान यखे नहीॊ तो स्वास्र्थम नयभ हो सकता है। जीवन साथी से सहमोग प्राद्ऱ होगा।
68 अगस्त 2012
भकय: 1 से 15 अगस्त 2012 : व्मवसाम से सॊफॊसधत का कामं से कफिन ऩरयश्रभ के उऩयाॊत सपता प्रासद्ऱ के सॊकेत हं। बूसभ-बवन सॊफॊसधत कामा एवॊ सनणामं को थोिे सभम के सरए स्थसगत कयना ऩि सकता हं। खाने- ऩीने का ध्मान यखे नहीॊ तो स्वास्र्थम नयभ हो सकता है। पे्रभ सॊफॊसधत भाभरो भं बी सपरता प्राद्ऱ कय सकते है। जीवन साथी का ऩूणा सहमोग प्राद्ऱ होगा।
16 से 31 अगस्त 2012 : मफद आऩ नौकयी भं हं तो ऩदौन्नसत हो सकती हं। अऩने सॊसित धन से ऩूॊस्ज सनवेश कयने हेतु सभम प्रसतकूर सात्रफत हो सकता हं। व्मवसासमक मािा राबदामक ससद्ध होगी। अऩने त्रप्रमजनो से वाद-त्रववाद भं उरझने से फिने का प्रमास कये। धासभाक कामो भं त्रवशेष रुसि यख सकते हं। ऩरयवाय के फकसी
सदस्म का स्वास्र्थम आऩकी सिॊता का त्रवषम हो सकता हं।
कुॊ ब: 1 से 15 अगस्त 2012 : नौकयी/व्मवसाम के भहत्व ऩूणा कामो भं आऩको असतरयक्त सावधानी यखनी िाफहमे अन्मथा कुछ कामो भं नुक्शान सॊबव है। ऩरयवाय के सदस्मं से छोटी-छोटी फातं भं त्रववाद हो सकते हं। नमे रोगो से सभिता राबप्रद हो सकती हं। खिा आवश्मक्ता से असधक हो सकता हं खिा ऩय सनमॊिण कयने का प्रमास कयं। पे्रभ सॊफॊसधत भाभरो भं बी सपरता प्राद्ऱ कय सकते है।
16 से 31 अगस्त 2012 : अऩने कामाऺ ेि भं इस दौयान आवश्मकता से असधक सॊघषा कयना ऩि सकता है। अत्मासधक व्मस्तता औय बागदौि के कायण आऩके स्वास्र्थम भं सगयावट हो सकती हं। ऋण देने से फिं अन्मथा धन की ऩुन् प्रासद्ऱ भं त्रवरॊफ हो सकता हं। ऩरयवाय भं फकसी सदस्म के स्वबाव के कायण आऩके ऩरयवाय भं भानससक अशाॊसत का भाहोर हो सकता है।
भीन: 1 से 15 अगस्त 2012 : नौकयी-व्मवसाम भं धन राब की प्रासद्ऱ हो सकती हं। कामाऺ ेि भं आऩके जोश एवॊ उत्साह भं वतृ्रद्ध होगी। आऩके साभास्जक भान-सम्भान औय ऩद-प्रसतद्षा भं वतृ्रद्ध होगी। फकसी से वाद-त्रववाद कयने से फिे। ऩरयवाय के फकसी सदस्म का स्वास्र्थम कभजोय हो सकता हं। जीवन साथी के साथ व्मवहाय अच्छा यखे अन्मथा सभस्माओॊ का साभना कय सकते हं।
16 से 31 अगस्त 2012 : नौकयी, व्माऩाय, ऩूॊजी सनवेश इत्माफद से आकस्स्भक रुऩ से धन प्रासद्ऱ हो सकती हं। ऩैतकृ सॊऩत्रत्त की प्रासद्ऱ हेतु राबप्रद यहेगा। कोटा-किहयी के कामो
भं सपरता प्राद्ऱ कय सकते हं। नमे रोगो की सभिता से राब प्राद्ऱ कय सकते हं। धासभाक मािा मा दयुस्थ स्थानो की मािा होने के मोग हं। पे्रभ सॊफॊसधत भाभरो भं अनफन हो सकती हं।
69 अगस्त 2012
अगस्त 2012 भाससक ऩॊिाॊग
फद वाय भाह ऩऺ सतसथ सभासद्ऱ नऺि सभासद्ऱ मोग सभासद्ऱ कयण सभासद्ऱ िॊर यासश सभासद्ऱ
1 फुध श्रावण शुक्र ितुदाशी 10:59:28 उत्तयाषाढ़ 22:19:10 प्रीसत 23:42:36 वस्णज 10:59:28 भकय -
2 गुरु श्रावण शुक्र ऩूस्णाभा 08:57:13 श्रवण 21:16:55 आमुष्भान 21:12:13 फव 08:57:13 भकय -
3 शुक्र शुद्ध.बारऩद कृष्ण एकभ 07:22:10 धसनद्षा 20:42:47 सौबाग्म 19:06:13 कौरव 07:22:10 भकय 08:56:00
4 शसन शुद्ध.बारऩद कृष्ण फद्रतीमा 06:18:58 शतसबषा 20:47:06 शोबन 17:29:17 गय 06:18:58 कुॊ ब -
5 यत्रव शुद्ध.बारऩद कृष्ण ततृीमा 05:54:13 ऩूय.्बारऩद 21:31:43 असतगॊि 16:25:10 त्रवत्रद्श 05:54:13 कुॊ ब 15:16:00
6 सोभ शुद्ध.बारऩद कृष्ण ितुथॉ 06:12:36 उ.बारऩद 22:58:32 सुकभाा 15:55:43 फारव 06:12:36 भीन -
7 भॊगर शुद्ध.बारऩद कृष्ण ऩॊिभी 07:15:02 येवसत 25:06:36 धसृत 15:59:06 तैसतर 07:15:02 भीन 25:06:00
8 फुध शुद्ध.बारऩद कृष्ण षद्षी 08:57:47 अस्द्वनी 27:45:35 शूर 16:31:32 वस्णज 08:57:47 भेष -
9 गुरु शुद्ध.बारऩद कृष्ण सद्ऱभी 11:11:27 बयणी 30:47:05 गॊि 17:24:35 फव 11:11:27 भेष -
10 शुक्र शुद्ध.बारऩद कृष्ण अद्शभी 13:42:01 बयणी 06:46:42 वतृ्रद्ध 18:27:57 कौरव 13:42:01 भेष 13:34:00
11 शसन शुद्ध.बारऩद कृष्ण नवभी 16:13:30 कृसतका 09:53:49 ध्रवु 19:29:26 गय 16:13:30 वषृ -
12 यत्रव शुद्ध.बारऩद कृष्ण दशभी 18:30:56 योफहस्ण 12:48:45 व्माघात 20:20:37 त्रवत्रद्श 18:30:56 वषृ 26:09:00
13 सोभ शुद्ध.बारऩद कृष्ण एकादशी 20:22:06 भगृसशया 15:22:06 हषाण 20:47:25 फव 07:30:32 सभथनु -
14 भॊगर शुद्ध.बारऩद कृष्ण द्रादशी 21:34:50 आरा 17:18:54 वज्र 20:47:58 कौरव 09:02:58 सभथनु -
15 फुध शुद्ध.बारऩद कृष्ण िमोदशी 22:10:04 ऩुनवासु 18:40:04 ससत्रद्ध 20:17:34 गय 09:57:53 सभथनु 12:23:00
16 गुरु शुद्ध.बारऩद कृष्ण ितुदाशी 22:04:59 ऩुष्म 19:20:56 व्मसतऩात 19:15:18 त्रवत्रद्श 10:12:29 कका -
17 शुक्र शुद्ध.बारऩद कृष्ण अभावस्मा 21:25:13 अदे्ऴषा 19:27:06 वरयमान 17:44:54 ितुष्ऩाद 09:48:39 कका 19:27:00
18 शसन अ.बारऩद शुक्र एकभ 20:14:30 भघा 19:02:19 ऩरयग्रह 15:49:12 फकस्तुघ्न 08:53:53 ससॊह -
19 यत्रव अ.बारऩद शुक्र फद्रतीमा 18:41:17 ऩू.पाल्गुनी 18:15:02 सशव 13:33:47 फारव 07:30:02 ससॊह 24:00:00
20 सोभ अ.बारऩद शुक्र ततृीमा 16:50:16 उ.पाल्गुनी 17:10:53 ससत्रद्ध 11:03:23 गय 16:50:16 कन्मा -
70 अगस्त 2012
21 भॊगर अ.बारऩद शुक्र ितुथॉ 14:49:51 हस्त 15:56:25 साध्म 08:23:36 त्रवत्रद्श 14:49:51 कन्मा 27:16:00
22 फुध अ.बारऩद शुक्र ऩॊिभी 12:43:49 सििा 14:35:23 शुक्र 26:49:26 फारव 12:43:49 तुरा -
23 गुरु अ.बारऩद शुक्र षद्षी 10:34:58 स्वाती 13:14:20 ब्रह्म 24:01:13 तैसतर 10:34:58 तुरा -
24 शुक्र अ.बारऩद शुक्र सद्ऱभी 08:27:59 त्रवशाखा 11:52:21 इन्र 21:13:55 वस्णज 08:27:59 तुरा 06:13:00
25
शसन अ.बारऩद शुक्र अद्शभी-नवभी
06:21:00 अनुयाधा 10:33:11 वैधसृत 18:28:30 फव 06:21:00 वसृ्द्ळक -
26 यत्रव अ.बारऩद शुक्र दशभी 26:20:34 जेद्षा 09:17:46 त्रवषकुॊ ब 15:45:53 तैसतर 15:18:42 वसृ्द्ळक 09:17:00
27 सोभ अ.बारऩद शुक्र एकादशी 24:29:31 भूर 08:06:05 प्रीसत 13:07:58 वस्णज 13:23:54 धनु -
28 भॊगर अ.बारऩद शुक्र द्रादशी 22:47:51 ऩूवााषाढ़ 07:02:51 आमुष्भान 10:37:32 फव 11:36:36 धनु 12:49:00
29 फुध अ.बारऩद शुक्र िमोदशी 21:20:13 उत्तयाषाढ़ 06:09:55 सौबाग्म 08:15:32 कौरव 10:01:28 भकय -
30 गुरु अ.बारऩद शुक्र ितुदाशी 20:11:21 धसनद्षा 29:17:55 शोबन 06:06:40 गय 08:42:17 भकय 17:22:00
31 शुक्र अ.बारऩद शुक्र ऩूस्णाभा 19:27:47 शतसबषा 29:27:47 सुकभाा 26:45:36 त्रवत्रद्श 07:46:32 कुॊ ब -
शसन ऩीिा सनवायक सॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत 22 गेज शुद्ध स्टीर भं सनसभात अखॊफित ऩौरुषाकाय शसन मॊि
ऩुरुषाकाय शसन मॊि (स्टीर भं) को तीव्र प्रबावशारी फनाने हेतु शसन की कायक धातु शुद्ध स्टीर(रोहे) भं फनामा गमा हं। स्जस के प्रबाव से साधक को तत्कार राब प्राद्ऱ होता हं। मफद जन्भ कुॊ िरी भं शसन प्रसतकूर होने ऩय व्मत्रक्त को अनेक कामं भं असपरता प्राद्ऱ होती है, कबी व्मवसाम भं घटा, नौकयी भं ऩयेशानी, वाहन दघुाटना, गहृ क्रेश आफद ऩयेशानीमाॊ फढ़ती जाती है ऐसी स्स्थसतमं भं प्राणप्रसतत्रद्षत ग्रह ऩीिा सनवायक शसन मॊि की अऩने को व्मऩाय स्थान मा घय भं स्थाऩना कयने से अनेक राब सभरते हं। मफद शसन की ढ़ैमा मा साढे़साती का सभम हो तो इसे अवश्म ऩूजना िाफहए। शसनमॊि के ऩूजन भाि से व्मत्रक्त को भतृ्मु, कजा, कोटाकेश, जोिो का ददा, फात योग तथा रम्फे सभम के सबी प्रकाय के योग से ऩयेशान व्मत्रक्त के सरमे शसन मॊि असधक राबकायी होगा। नौकयी ऩेशा आफद के रोगं को ऩदौन्नसत बी शसन द्राया ही सभरती है अत् मह मॊि असत उऩमोगी मॊि है स्जसके द्राया शीघ्र ही राब ऩामा जा सकता है।
भलू्म: 1050 से 8200
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71 अगस्त 2012
अगस्त-2012 भाससक व्रत-ऩवा-त्मौहाय
फद वाय भाह ऩऺ सतसथ सभासद्ऱ प्रभुख व्रत-त्मोहाय
1 फुध श्रावण शुक्र ितुदाशी 10:59:28 ऩूस्णाभा व्रत, श्रीसत्मनायामण कथा-ऩूजा, फरबर ऩूजा, कुरधभा-कृत्म,
श्रीअभयनाथ त्रवशेष दशान 2 फदन, रोकभान्म सतरक स्भसृत फदवस,
2 गुरु श्रावण शुक्र ऩूस्णाभा 08:57:13
स्नान-दान हेतु उत्तभ श्रावणी ऩूस्णाभा, यऺाफॊधन (याखी), वैफदक उऩाकभा (श्रावणी), सॊस्कृत फदवस, गामिी जमॊती, झूरनमािा सभाऩन, कोफकरा व्रत ऩूणा, नायमरी ऩूस्णाभा, रव-कुश जमॊती, श्रीदाऊजी एवॊ येवती भाता का बव्म शृॊगाय (ब्रज), फहृस्ऩसत भहाऩूजा, गामिी ऩुयद्ळयण प्रायॊब
3 शुक्र शुद्ध.बारऩद कृष्ण एकभ 07:22:10 बारऩद भं िातुभाास के व्रती हेतु दही वस्जात, श्रीभहारक्ष्भी व्रत-ऩूजा, अशून्मशमन व्रत, फहॊिोरा सभाद्ऱ,
4 शसन शुद्ध.बारऩद कृष्ण फद्रतीमा 06:18:58 त्रवॊध्मािरी बीभिण्िी जमॊती,
5 यत्रव शुद्ध.बारऩद कृष्ण ततृीमा 05:54:13 कज्जरी (कजयी) तीज, तीजिी (ससन्धी), फूढ़ी तीज, गोऩूजा ततृीमा, सातूिी तीज, सॊकद्शी श्रीगणेशितुथॉ व्रत (िॊ.उ.या.8.46), फहुरा ितुथॉ,
6 सोभ शुद्ध.बारऩद कृष्ण ितुथॉ 06:12:36 श्रीभहाकार सवायी (उज्जैन), नागऩॊिभी (गुज), गोगा ऩॊिभी,
7 भॊगर शुद्ध.बारऩद कृष्ण ऩॊिभी 07:15:02 यऺाऩॊिभी (उिी), हरषद्षी व्रत (भतान्तय से), िॊरषद्षी व्रत,
8 फुध शुद्ध.बारऩद कृष्ण षद्षी 08:57:47 हरषद्षी व्रत (ररही छि), िम्ऩाषद्षी, याॊधण छि (गुज), भहाव्मसतऩात यात्रि 11.07 फजे स,े हयदेव जमॊती,
9 गुरु शुद्ध.बारऩद कृष्ण सद्ऱभी 11:11:27
शीतरा सद्ऱभी, िॊियी का ऩूजन, काराद्शभी व्रत, श्रीकृष्णावताय अद्शभी व्रत,
भोहयात्रि, आद्याकारी जमॊती, भहाव्मसतऩात प्रात: 6.32 फजे तक, दवूााद्शभी व्रत, नागासाकी फदवस,
10 शुक्र शुद्ध.बारऩद कृष्ण अद्शभी 13:42:01 श्रीकृष्ण-जन्भाद्शभी व्रत, गोकुराद्शभी श्रीकृष्ण का जन्भोत्सव, सॊत ऻानेद्वय जमॊती,
11 शसन शुद्ध.बारऩद कृष्ण नवभी 16:13:30 नन्दोत्सव दसध काॊदौ
12 यत्रव शुद्ध.बारऩद कृष्ण दशभी 18:30:56 श्रीकृष्ण-योफहणी व्रत,
13 सोभ शुद्ध.बारऩद कृष्ण एकादशी 20:22:06 अजा (जमा) एकादशी व्रत,
14 भॊगर शुद्ध.बारऩद कृष्ण द्रादशी 21:34:50 गोवत्स द्रादशी,
15 फुध शुद्ध.बारऩद कृष्ण िमोदशी 22:10:04 प्रदोष व्रत, भाससक सशवयात्रि व्रत, कसरमुगाफद सतसथ, स्वतॊिता फदवस, मोगी अयत्रवॊद जमॊती,
16 गुरु शुद्ध.बारऩद कृष्ण ितुदाशी 22:04:59 अघोय ितुदाशी, ससॊह-सॊक्रास्न्त सामॊ 5.58 फजे तक, भनसा ऩजूा ऩूणा (फॊ),
72 अगस्त 2012
क्मा आऩ फकसी सभस्मा से ग्रस्त हं? आऩके ऩास अऩनी सभस्माओॊ से छुटकाया ऩाने हेतु ऩूजा-अिाना, साधना, भॊि जाऩ इत्माफद कयने का सभम नहीॊ हं? अफ आऩ अऩनी सभस्माओॊ से फीना फकसी त्रवशेष ऩूजा-अिाना, त्रवसध-त्रवधान के आऩको अऩने कामा भं सपरता प्राद्ऱ कय सके एवॊ आऩको अऩने जीवन के सभस्त सुखो को प्राद्ऱ कयने का भागा प्राद्ऱ हो सके इस सरमे गुरुत्व कामाारत द्राया हभाया उदे्दश्म शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशद्श तेजस्वी भॊिो द्राया ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा ितैन्म मकु्त त्रवसबन्न प्रकाय के
मन्ि- कवि एवॊ शुब परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहोिाने का है।
श्रीयाभकृष्ण ऩयभहॊस स्भसृत फदवस,
17 शुक्र शुद्ध.बारऩद कृष्ण अभावस्मा 21:25:13
स्नान-दान-श्राद्ध हेतु उत्तभ बारऩदी अभावस्मा, कुशोत्ऩाटनी (कुशग्रहणी) अभावस, त्रऩिौयी अभावस, सती-ऩूजा, ससॊहाफद नववषाायॊब (केयर), भदनरार धीॊगया शहीद फदवस
18 शसन अ.बारऩद शुक्र एकभ 20:14:30 ऩुरुषोत्तभ भास (असधक भास) प्रायॊब, त्रवद्रानं के भत से इस भास भं धभााफद कामा से अनॊत ऩुण्मपर की प्रासद्ऱ,
19 यत्रव अ.बारऩद शुक्र फद्रतीमा 18:41:17 नवीन िॊर दशान,
20 सोभ अ.बारऩद शुक्र ततृीमा 16:50:16 सद्भावना फदवस,
21 भॊगर अ.बारऩद शुक्र ितुथॉ 14:49:51 अॊगायकी वयदत्रवनामक ितुथॉ व्रत (िॊ.उ.या.9.10) , साभवेदी उऩाकभा, वैधसृत भहाऩात यात्रि 10.47 से शेषयात्रि 4.10 फजे तक,
22 फुध अ.बारऩद शुक्र ऩॊिभी 12:43:49 सूमा सामन कन्मा यासश भं यात्रि 10.38 फजे, सौय शयद् ऋतु प्रायॊब,
स्कन्दषद्षी व्रत
23 गुरु अ.बारऩद शुक्र षद्षी 10:34:58 -
24 शुक्र अ.बारऩद शुक्र सद्ऱभी 08:27:59 -
25 शसन अ.बारऩद शुक्र अद्शभी-नवभी
06:21:00 श्रीदगुााद्शभी व्रत, श्रीअन्नऩूणााद्शभी व्रत
26 यत्रव अ.बारऩद शुक्र दशभी 26:20:34 -
27 सोभ अ.बारऩद शुक्र एकादशी 24:29:31 कभरा (ऩुरुषोत्तभी) एकादशी व्रत, भदय टेयेसा जमॊती,
28 भॊगर अ.बारऩद शुक्र द्रादशी 22:47:51 श्माभफाफा द्रादशी, एकादशी व्रत (सनम्फाका )
29 फुध अ.बारऩद शुक्र िमोदशी 21:20:13 प्रदोष व्रत, ओनभ (केयर)
30 गुरु अ.बारऩद शुक्र ितुदाशी 20:11:21 -
31 शुक्र अ.बारऩद शुक्र ऩूस्णाभा 19:27:47 स्नान-दान-व्रत हेतु उत्तभ ऩुरुषोत्तभी ऩूस्णाभा, श्रीसत्मनायामण ऩूजा-कथा
73 अगस्त 2012
गणेश रक्ष्भी मॊि प्राण-प्रसतत्रद्षत गणेश रक्ष्भी मॊि को अऩने घय-दकुान-ओफपस-पैक्टयी भं ऩूजन स्थान, गल्रा मा अरभायी भं स्थात्रऩत कयने व्माऩाय भं त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं। मॊि के प्रबाव से बाग्म भं उन्नसत, भान-प्रसतद्षा एवॊ व्माऩय भं वतृ्रद्ध होती हं एवॊ आसथाक स्स्थभं सुधाय होता हं। गणेश रक्ष्भी मॊि को स्थात्रऩत कयने से बगवान गणेश औय देवी रक्ष्भी का सॊमुक्त आशीवााद प्राद्ऱ होता हं। Rs.730 से Rs.10900 तक
भॊगर मॊि से ऋण भुत्रक्त भॊगर मॊि को जभीन-जामदाद के त्रववादो को हर कयने के काभ भं राब देता हं, इस के असतरयक्त व्मत्रक्त को ऋण भुत्रक्त हेतु भॊगर साधना से असत शीध्र राब प्राद्ऱ होता हं। त्रववाह आफद भं भॊगरी जातकं के कल्माण के सरए भॊगर मॊि की ऩूजा कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं। प्राण प्रसतत्रद्षत भॊगर मॊि के ऩूजन से बाग्मोदम, शयीय भं खनू की कभी, गबाऩात से फिाव, फुखाय, िेिक, ऩागरऩन, सूजन औय घाव, मौन शत्रक्त भं वतृ्रद्ध, शि ुत्रवजम, तॊि भॊि के ददु्श प्रबा, बूत-पे्रत बम, वाहन दघुाटनाओॊ, हभरा, िोयी इत्मादी से फिाव होता हं। भलू्म भाि Rs- 730
कुफेय मॊि कुफेय मॊि के ऩूजन से स्वणा राब, यत्न राब, ऩैतकृ सम्ऩत्ती एवॊ गिे हुए धन से राब प्रासद्ऱ फक काभना कयने वारे व्मत्रक्त के सरमे कुफेय मॊि अत्मन्त सपरता दामक होता हं। एसा शास्त्रोक्त विन हं। कुफेय मॊि के ऩूजन से एकासधक स्त्रोि से धन का प्राद्ऱ होकय धन सॊिम होता हं।
ताम्र ऩि ऩय सुवणा ऩोरीस (Gold Plated)
ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीस (Silver Plated)
ताम्र ऩि ऩय (Copper)
साईज भूल्म साईज भूल्म साईज भूल्म
1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9”
12” X12”
460 820
1650 2350 3600 6400 10800
1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9”
12” X12”
370 640 1090 1650 2800 5100 8200
1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9”
12” X12”
255 460 730 1090 1900 3250 6400
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74 अगस्त 2012
नवयत्न जफित श्री मॊि शास्त्र विन के अनुसाय शुद्ध सुवणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि के िायं औय मफद नवयत्न जिवा ने ऩय मह नवयत्न जफित श्री मॊि कहराता हं। सबी यत्नो को उसके सनस्द्ळत स्थान ऩय जि कय रॉकेट के रूऩ भं धायण कयने से व्मत्रक्त को अनॊत एद्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ होती हं। व्मत्रक्त को एसा आबास होता हं जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हं। नवग्रह को श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहं की अशुब दशा का धायण कयने वारे व्मत्रक्त ऩय प्रबाव नहीॊ होता हं। गरे भं होने के कायण मॊि ऩत्रवि यहता हं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो जर त्रफॊद ुशयीय को रगते हं, वह गॊगा जर के सभान ऩत्रवि होता हं। इस सरमे इसे सफसे तेजस्वी एवॊ परदासम कहजाता हं। जैसे अभतृ से उत्तभ कोई औषसध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भं नहीॊ हं एसा शास्त्रोक्त विन हं। इस प्रकाय के नवयत्न जफित श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्राया शुब भुहूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयके फनावाए जाते हं।
अद्श रक्ष्भी कवि अद्श रक्ष्भी कवि को धायण कयन े से व्मत्रक्त ऩय सदा भाॊ भहा रक्ष्भी की कृऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हं। स्जस्से भाॊ रक्ष्भी के अद्श रुऩ (१)-आफद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)-धैयीम रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)-त्रवजम रक्ष्भी, (७)-त्रवद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का स्वत् अशीवााद प्राद्ऱ होता हं। भलू्म भाि: Rs-1250
भॊि ससद्ध व्माऩाय वतृ्रद्ध कवि व्माऩाय वतृ्रद्ध कवि व्माऩाय के शीघ्र उन्नसत के सरए उत्तभ हं। िाहं कोई बी व्माऩाय हो अगय उसभं राब के स्थान ऩय फाय-फाय हासन हो यही हं। फकसी प्रकाय से व्माऩाय भं फाय-फाय फाॊधा उत्ऩन्न हो यही हो! तो सॊऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत भॊि ससद्ध ऩूणा ितैन्म मुक्त व्माऩात वतृ्रद्ध मॊि को व्मऩाय स्थान मा घय भं स्थात्रऩत कयने से शीघ्र ही व्माऩाय वतृ्रद्ध एवॊ सनतन्तय राब प्राद्ऱ होता हं। भलू्म भाि: Rs.730 & 1050
भॊगर मॊि
(त्रिकोण) भॊगर मॊि को जभीन-जामदाद के त्रववादो को हर कयने के काभ भं राब देता हं, इस के असतरयक्त व्मत्रक्त को ऋण भुत्रक्त हेतु भॊगर साधना से असत शीध्र राब प्राद्ऱ होता हं। त्रववाह आफद भं भॊगरी जातकं के कल्माण के सरए भॊगर मॊि की ऩूजा कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं। भलू्म भाि Rs- 730
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75 अगस्त 2012
त्रववाह सॊफॊसधत सभस्मा क्मा आऩके रिके-रिकी फक आऩकी शादी भं अनावश्मक रूऩ से त्रवरम्फ हो यहा हं मा उनके वैवाफहक जीवन भं खसुशमाॊ कभ होती जायही हं औय सभस्मा असधक फढती जायही हं। एसी स्स्थती होने ऩय अऩने रिके-रिकी फक कुॊ िरी का अध्ममन अवश्म कयवारे औय उनके वैवाफहक सुख को कभ कयने वारे दोषं के सनवायण के उऩामो के फाय भं त्रवस्ताय से जनकायी प्राद्ऱ कयं।
सशऺा से सॊफॊसधत सभस्मा क्मा आऩके रिके-रिकी की ऩढाई भं अनावश्मक रूऩ से फाधा-त्रवघ्न मा रुकावटे हो यही हं? फच्िो को अऩने ऩूणा ऩरयश्रभ एवॊ भेहनत का उसित पर नहीॊ सभर यहा? अऩने रिके-रिकी की कुॊ िरी का त्रवस्ततृ अध्ममन अवश्म कयवारे औय उनके त्रवद्या अध्ममन भं आनेवारी रुकावट एवॊ दोषो के कायण एवॊ उन दोषं के सनवायण के उऩामो के फाय भं त्रवस्ताय से जनकायी प्राद्ऱ कयं।
क्मा आऩ फकसी सभस्मा से ग्रस्त हं? आऩके ऩास अऩनी सभस्माओॊ से छुटकाया ऩाने हेत ुऩूजा-अिाना, साधना, भॊि जाऩ इत्माफद कयने का सभम नहीॊ हं? अफ आऩ अऩनी सभस्माओॊ से फीना फकसी त्रवशेष ऩूजा-अिाना, त्रवसध-त्रवधान के आऩको अऩने कामा भं सपरता प्राद्ऱ कय सके एवॊ आऩको अऩने जीवन के सभस्त सुखो को प्राद्ऱ कयने का भागा प्राद्ऱ हो सके इस सरमे गुरुत्व कामाारत द्राया हभाया उदे्दश्म शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशद्श तेजस्वी भॊिो द्राया ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा ितैन्म मुक्त त्रवसबन्न प्रकाय के
मन्ि- कवि एवॊ शुब परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहोिाने का हं।
ज्मोसतष सॊफॊसधत त्रवशेष ऩयाभशा ज्मोसत त्रवऻान, अॊक ज्मोसतष, वास्तु एवॊ आध्मास्त्भक ऻान सं सॊफॊसधत त्रवषमं भं हभाये 30 वषो से असधक वषा के अनुबवं के साथ ज्मोसतस से जुिे नमे-नमे सॊशोधन के आधाय ऩय आऩ अऩनी हय सभस्मा के सयर सभाधान प्राद्ऱ कय सकते हं।
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ओनेक्स जो व्मत्रक्त ऩन्ना धायण कयने भे असभथा हो उन्हं फुध ग्रह के उऩयत्न ओनेक्स को धायण कयना िाफहए। उच्ि सशऺा प्रासद्ऱ हेतु औय स्भयण शत्रक्त के त्रवकास हेतु ओनेक्स यत्न की अॊगूिी को दामं हाथ की सफसे छोटी उॊगरी मा रॉकेट फनवा कय गरे भं धायण कयं। ओनेक्स यत्न धायण कयने से त्रवद्या-फुत्रद्ध की प्रासद्ऱ हो होकय स्भयण शत्रक्त का त्रवकास होता हं।
76 अगस्त 2012
अगस्त 2012 -त्रवशेष मोग
कामा ससत्रद्ध मोग
2 सूमोदम से प्रात: 8.57 16 सूमोदम से सामॊ 7.20 तक
5 यात्रि 9.30 से यातबय 19 सामॊ 6.14 से यातबय 11 प्रात: 9.52 से फदन-यात 24 फदन 11.51 से यातबय 13 सूमोदम से देय यात 3.20 तक 26 प्रात: 9.17 से फदन-यात
अभतृ मोग 7/8 यात्रि 1.06 से सूमोदम तक 13 सूमोदम से फदन 3.20 तक
11 प्रात: 9.52 से फदन-यात 16 सूमोदम से सामॊ 7.20 तक
त्रिऩषु्कय मोग (तीन गनुा) मोग 14 सामॊ 5.18 से यात्रि 9.35 तक 28 प्रात: 7.02 से यात्रि 10.46 तक
19 सामॊ 6.14 से 6.40 तक
गुरु ऩषु्माभतृ मोग
16 सूमोदम से सामॊ 7.20 तक
मोग पर :
कामा ससत्रद्ध मोग भे फकमे गम ेशबु कामा भे सनस्द्ळत सपरता प्राद्ऱ होती हं, एसा शास्त्रोक्त विन हं। त्रिऩषु्कय मोग भं फकम ेगमे शबु कामो का राब तीन गुना होता हं। एसा शास्त्रोक्त विन हं। गुरु ऩषु्माभतृ मोग भं फकम ेगम ेफकम ेगम ेशबु कामा भे शबु परो की प्रासद्ऱ होती हं, एसा शास्त्रोक्त विन हं।
दैसनक शुब एवॊ अशुब सभम ऻान तासरका गुसरक कार
(शुब) मभ कार (अशुब)
याहु कार
(अशुब) वाय सभम अवसध सभम अवसध सभम अवसध
यत्रववाय 03:00 से 04:30 12:00 से 01:30 04:30 से 06:00
सोभवाय 01:30 से 03:00 10:30 से 12:00 07:30 से 09:00
भॊगरवाय 12:00 से 01:30 09:00 से 10:30 03:00 से 04:30
फुधवाय 10:30 से 12:00 07:30 से 09:00 12:00 से 01:30
गुरुवाय 09:00 से 10:30 06:00 से 07:30 01:30 से 03:00
शुक्रवाय 07:30 से 09:00 03:00 से 04:30 10:30 से 12:00
शसनवाय 06:00 से 07:30 01:30 से 03:00 09:00 से 10:30
77 अगस्त 2012
फदन के िौघफिमे
सभम यत्रववाय सोभवाय भॊगरवाय फुधवाय गुरुवाय शुक्रवाय शसनवाय 06:00 से 07:30 उदे्रग अभतृ योग राब शुब िर कार
07:30 से 09:00 िर कार उदे्रग अभतृ योग राब शुब
09:00 से 10:30 राब शुब िर कार उदे्रग अभतृ योग
10:30 से 12:00 अभतृ योग राब शुब िर कार उदे्रग
12:00 से 01:30 कार उदे्रग अभतृ योग राब शुब िर
01:30 से 03:00 शुब िर कार उदे्रग अभतृ योग राब
03:00 से 04:30 योग राब शुब िर कार उदे्रग अभतृ
04:30 से 06:00 उदे्रग अभतृ योग राब शुब िर कार
यात के िौघफिमे
सभम यत्रववाय सोभवाय भॊगरवाय फुधवाय गुरुवाय शुक्रवाय शसनवाय 06:00 से 07:30 शुब िर कार उदे्रग अभतृ योग राब
07:30 से 09:00 अभतृ योग राब शुब िर कार उदे्रग
09:00 से 10:30 िर कार उदे्रग अभतृ योग राब शुब
10:30 से 12:00 योग राब शुब िर कार उदे्रग अभतृ
12:00 से 01:30 कार उदे्रग अभतृ योग राब शुब िर
01:30 से 03:00 राब शुब िर कार उदे्रग अभतृ योग
03:00 से 04:30 उदे्रग अभतृ योग राब शुब िर कार
04:30 से 06:00 शुब िर कार उदे्रग अभतृ योग राब
शास्त्रोक्त भत के अनुशाय मफद फकसी बी कामा का प्रायॊब शुब भुहूता मा शुब सभम ऩय फकमा जामे तो कामा भं सपरता प्राद्ऱ होने फक सॊबावना ज्मादा प्रफर हो जाती हं। इस सरमे दैसनक शुब सभम िौघफिमा देखकय प्राद्ऱ फकमा जा सकता हं। नोट: प्राम् फदन औय यात्रि के िौघफिमे फक सगनती क्रभश् सूमोदम औय सूमाास्त से फक जाती हं। प्रत्मेक िौघफिमे फक अवसध 1
घॊटा 30 सभसनट अथाात िेढ़ घॊटा होती हं। सभम के अनुसाय िौघफिमे को शुबाशुब तीन बागं भं फाॊटा जाता हं, जो क्रभश् शुब,
भध्मभ औय अशुब हं। िौघफिमे के स्वाभी ग्रह * हय कामा के सरम ेशबु/अभतृ/राब का
िौघफिमा उत्तभ भाना जाता हं।
* हय कामा के सरम ेिर/कार/योग/उदे्रग का िौघफिमा उसित नहीॊ भाना जाता।
शुब िौघफिमा भध्मभ िौघफिमा अशुब िौघफिमा िौघफिमा स्वाभी ग्रह िौघफिमा स्वाभी ग्रह िौघफिमा स्वाभी ग्रह
शुब गुरु िय शुक्र उदे्बग सूमा अभतृ िॊरभा कार शसन राब फुध योग भॊगर
78 अगस्त 2012
फदन फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक
वाय 1.घॊ 2.घॊ 3.घॊ 4.घॊ 5.घॊ 6.घॊ 7.घॊ 8.घॊ 9.घॊ 10.घॊ 11.घॊ 12.घॊ
यत्रववाय समूा शकु्र फधु िॊर शसन गुरु भॊगर समूा शकु्र फधु िॊर शसन
सोभवाय िॊर शसन गुरु भॊगर समूा शकु्र फधु िॊर शसन गुरु भॊगर समूा भॊगरवाय भॊगर समूा शकु्र फधु िॊर शसन गुरु भॊगर समूा शकु्र फधु िॊर
फधुवाय फधु िॊर शसन गुरु भॊगर समूा शकु्र फधु िॊर शसन गुरु भॊगर
गुरुवाय गुरु भॊगर समूा शकु्र फधु िॊर शसन गुरु भॊगर समूा शकु्र फधु
शकु्रवाय शकु्र फधु िॊर शसन गुरु भॊगर समूा शकु्र फधु िॊर शसन गुरु
शसनवाय शसन गुरु भॊगर समूा शकु्र फधु िॊर शसन गुरु भॊगर समूा शकु्र
यात फक होया – सूमाास्त से सूमोदम तक
यत्रववाय गुरु भॊगर समूा शकु्र फधु िॊर शसन गुरु भॊगर समूा शकु्र फधु
सोभवाय शकु्र फधु िॊर शसन गुरु भॊगर समूा शकु्र फधु िॊर शसन गुरु
भॊगरवाय शसन गुरु भॊगर समूा शकु्र फधु िॊर शसन गुरु भॊगर समूा शकु्र
फधुवाय समूा शकु्र फधु िॊर शसन गुरु भॊगर समूा शकु्र फधु िॊर शसन
गुरुवाय िॊर शसन गुरु भॊगर समूा शकु्र फधु िॊर शसन गुरु भॊगर समूा शकु्रवाय भॊगर समूा शकु्र फधु िॊर शसन गुरु भॊगर समूा शकु्र फधु िॊर
शसनवाय फधु िॊर शसन गुरु भॊगर समूा शकु्र फधु िॊर शसन गुरु भॊगर
होया भुहूता को कामा ससत्रद्ध के सरए ऩूणा परदामक एवॊ अिकू भाना जाता हं, फदन-यात के २४ घॊटं भं शुब-अशुब सभम को सभम से ऩूवा ऻात कय अऩने कामा ससत्रद्ध के सरए प्रमोग कयना िाफहमे।
त्रवद्रानो के भत से इस्च्छत कामा ससत्रद्ध के सरए ग्रह से सॊफॊसधत होया का िनुाव कयन ेसे त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं। सूमा फक होया सयकायी कामो के सरमे उत्तभ होती हं। िॊरभा फक होया सबी कामं के सरमे उत्तभ होती हं। भॊगर फक होया कोटा-किेयी के कामं के सरमे उत्तभ होती हं। फुध फक होया त्रवद्या-फुत्रद्ध अथाात ऩढाई के सरमे उत्तभ होती हं। गुरु फक होया धासभाक कामा एवॊ त्रववाह के सरमे उत्तभ होती हं। शुक्र फक होया मािा के सरमे उत्तभ होती हं। शसन फक होया धन-रव्म सॊफॊसधत कामा के सरमे उत्तभ होती हं।
79 अगस्त 2012
ग्रह िरन अगस्त -2012 Day Sun Mon Ma Me Jup Ven Sat Rah Ket Ua Nep Plu
1 03:15:07 09:00:06 05:21:58 03:09:54 01:16:13 02:00:19 05:29:48 07:08:53 01:08:53 11:14:21 10:08:19 08:13:27
2 03:16:04 09:14:12 05:22:34 03:09:18 01:16:24 02:01:09 05:29:52 07:08:44 01:08:44 11:14:21 10:08:18 08:13:26
3 03:17:01 09:28:02 05:23:10 03:08:46 01:16:34 02:01:59 05:29:55 07:08:33 01:08:33 11:14:20 10:08:16 08:13:24
4 03:17:59 10:11:34 05:23:46 03:08:19 01:16:44 02:02:50 05:29:59 07:08:22 01:08:22 11:14:19 10:08:15 08:13:23
5 03:18:56 10:24:44 05:24:22 03:07:56 01:16:54 02:03:42 06:00:03 07:08:12 01:08:12 11:14:18 10:08:13 08:13:22
6 03:19:54 11:07:33 05:24:58 03:07:39 01:17:03 02:04:34 06:00:07 07:08:04 01:08:04 11:14:17 10:08:12 08:13:21
7 03:20:51 11:20:01 05:25:35 03:07:28 01:17:13 02:05:27 06:00:10 07:07:58 01:07:58 11:14:15 10:08:10 08:13:20
8 03:21:49 00:02:13 05:26:11 03:07:23 01:17:23 02:06:20 06:00:14 07:07:54 01:07:54 11:14:14 10:08:09 08:13:19
9 03:22:46 00:14:11 05:26:48 03:07:25 01:17:32 02:07:14 06:00:19 07:07:52 01:07:52 11:14:13 10:08:07 08:13:18
10 03:23:44 00:26:02 05:27:25 03:07:33 01:17:41 02:08:09 06:00:23 07:07:52 01:07:52 11:14:12 10:08:05 08:13:17
11 03:24:41 01:07:50 05:28:01 03:07:49 01:17:50 02:09:04 06:00:27 07:07:52 01:07:52 11:14:10 10:08:04 08:13:15
12 03:25:39 01:19:41 05:28:38 03:08:11 01:18:00 02:09:59 06:00:31 07:07:51 01:07:51 11:14:09 10:08:02 08:13:14
13 03:26:37 02:01:41 05:29:16 03:08:41 01:18:08 02:10:56 06:00:36 07:07:49 01:07:49 11:14:08 10:08:01 08:13:13
14 03:27:34 02:13:53 05:29:53 03:09:17 01:18:17 02:11:52 06:00:40 07:07:45 01:07:45 11:14:06 10:07:59 08:13:12
15 03:28:32 02:26:21 06:00:30 03:10:01 01:18:26 02:12:49 06:00:45 07:07:38 01:07:38 11:14:05 10:07:57 08:13:11
16 03:29:29 03:09:08 06:01:07 03:10:51 01:18:35 02:13:47 06:00:49 07:07:28 01:07:28 11:14:03 10:07:56 08:13:11
17 04:00:27 03:22:14 06:01:45 03:11:48 01:18:43 02:14:45 06:00:54 07:07:17 01:07:17 11:14:02 10:07:54 08:13:10
18 04:01:25 04:05:39 06:02:23 03:12:51 01:18:51 02:15:43 06:00:59 07:07:04 01:07:04 11:14:00 10:07:53 08:13:09
19 04:02:23 04:19:19 06:03:00 03:14:00 01:18:59 02:16:42 06:01:03 07:06:52 01:06:52 11:13:59 10:07:51 08:13:08
20 04:03:20 05:03:11 06:03:38 03:15:16 01:19:07 02:17:41 06:01:08 07:06:42 01:06:42 11:13:57 10:07:49 08:13:07
21 04:04:18 05:17:12 06:04:16 03:16:37 01:19:15 02:18:40 06:01:13 07:06:34 01:06:34 11:13:55 10:07:48 08:13:06
22 04:05:16 06:01:18 06:04:54 03:18:03 01:19:23 02:19:40 06:01:18 07:06:29 01:06:29 11:13:54 10:07:46 08:13:05
23 04:06:14 06:15:26 06:05:33 03:19:34 01:19:31 02:20:41 06:01:23 07:06:26 01:06:26 11:13:52 10:07:44 08:13:05
24 04:07:12 06:29:35 06:06:11 03:21:10 01:19:38 02:21:41 06:01:28 07:06:25 01:06:25 11:13:50 10:07:43 08:13:04
25 04:08:10 07:13:42 06:06:49 03:22:50 01:19:45 02:22:42 06:01:34 07:06:25 01:06:25 11:13:48 10:07:41 08:13:03
26 04:09:07 07:27:47 06:07:28 03:24:33 01:19:53 02:23:43 06:01:39 07:06:24 01:06:24 11:13:47 10:07:39 08:13:02
27 04:10:05 08:11:48 06:08:06 03:26:20 01:20:00 02:24:45 06:01:44 07:06:22 01:06:22 11:13:45 10:07:38 08:13:02
28 04:11:03 08:25:46 06:08:45 03:28:09 01:20:06 02:25:47 06:01:50 07:06:17 01:06:17 11:13:43 10:07:36 08:13:01
29 04:12:01 09:09:37 06:09:24 04:00:01 01:20:13 02:26:49 06:01:55 07:06:09 01:06:09 11:13:41 10:07:34 08:13:01
30 04:12:59 09:23:18 06:10:03 04:01:54 01:20:20 02:27:52 06:02:01 07:05:59 01:05:59 11:13:39 10:07:33 08:13:00
31 04:13:57 10:06:47 06:10:42 04:03:49 01:20:26 02:28:54 06:02:06 07:05:47 01:05:47 11:13:37 10:07:31 08:12:59
80 अगस्त 2012
सवा योगनाशक मॊि/कवि भनुष्म अऩने जीवन के त्रवसबन्न सभम ऩय फकसी ना फकसी साध्म मा असाध्म योग से ग्रस्त होता हं। उसित
उऩिाय से ज्मादातय साध्म योगो से तो भुत्रक्त सभर जाती हं, रेफकन कबी-कबी साध्म योग होकय बी असाध्म होजाते हं, मा कोइ असाध्म योग से ग्रससत होजाते हं। हजायो राखो रुऩमे खिा कयने ऩय बी असधक राब प्राद्ऱ नहीॊ हो ऩाता। िॉक्टय द्राया फदजाने वारी दवाईमा अल्ऩ सभम के सरमे कायगय सात्रफत होती हं, एसी स्स्थती भं राब प्रासद्ऱ के सरमे व्मत्रक्त एक िॉक्टय से दसूये िॉक्टय के िक्कय रगाने को फाध्म हो जाता हं।
बायतीम ऋषीमोने अऩने मोग साधना के प्रताऩ से योग शाॊसत हेतु त्रवसबन्न आमुवये औषधो के असतरयक्त मॊि, भॊि एवॊ तॊि का उल्रेख अऩने ग्रॊथो भं कय भानव जीवन को राब प्रदान कयने का साथाक प्रमास हजायो वषा ऩूवा फकमा था। फुत्रद्धजीवो के भत से जो व्मत्रक्त जीवनबय अऩनी फदनिमाा ऩय सनमभ, सॊमभ यख कय आहाय ग्रहण कयता हं, एसे व्मत्रक्त को त्रवसबन्न योग से ग्रससत होने की सॊबावना कभ होती हं। रेफकन आज के फदरते मुग भं एसे व्मत्रक्त बी बमॊकय योग से ग्रस्त होते फदख जाते हं। क्मोफक सभग्र सॊसाय कार के अधीन हं। एवॊ भतृ्मु सनस्द्ळत हं स्जसे त्रवधाता के अरावा औय कोई टार नहीॊ सकता, रेफकन योग होने फक स्स्थती भं व्मत्रक्त योग दयू कयने का प्रमास तो अवश्म कय सकता हं। इस सरमे मॊि भॊि एवॊ तॊि के कुशर जानकाय से मोग्म भागादशान रेकय व्मत्रक्त योगो से भुत्रक्त ऩाने का मा उसके प्रबावो को कभ कयने का प्रमास बी अवश्म कय सकता हं।
ज्मोसतष त्रवद्या के कुशर जानकय बी कार ऩुरुषकी गणना कय अनेक योगो के अनेको यहस्म को उजागय कय सकते हं। ज्मोसतष शास्त्र के भाध्मभ से योग के भूरको ऩकिने भे सहमोग सभरता हं, जहा आधसुनक सिफकत्सा शास्त्र अऺभ होजाता हं वहा ज्मोसतष शास्त्र द्राया योग के भूर(जि) को ऩकि कय उसका सनदान कयना राबदामक एवॊ उऩामोगी ससद्ध होता हं।
हय व्मत्रक्त भं रार यॊगकी कोसशकाए ऩाइ जाती हं, स्जसका सनमभीत त्रवकास क्रभ फद्ध तयीके से होता यहता हं। जफ इन कोसशकाओ के क्रभ भं ऩरयवतान होता है मा त्रवखॊफिन होता हं तफ व्मत्रक्त के शयीय भं स्वास्र्थम सॊफॊधी त्रवकायो उत्ऩन्न होते हं। एवॊ इन कोसशकाओ का सॊफॊध नव ग्रहो के साथ होता हं। स्जस्से योगो के होने के कायण व्मत्रक्त के जन्भाॊग से दशा-भहादशा एवॊ ग्रहो फक गोिय स्स्थती से प्राद्ऱ होता हं।
सवा योग सनवायण कवि एवॊ भहाभतृ्मुॊजम मॊि के भाध्मभ से व्मत्रक्त के जन्भाॊग भं स्स्थत कभजोय एवॊ ऩीफित ग्रहो के अशुब प्रबाव को कभ कयने का कामा सयरता ऩूवाक फकमा जासकता हं। जेसे हय व्मत्रक्त को ब्रह्माॊि फक उजाा एवॊ ऩरृ्थवी का गुरुत्वाकषाण फर प्रबावीत कताा हं फिक उसी प्रकाय कवि एवॊ मॊि के भाध्मभ से ब्रह्माॊि फक उजाा के सकायात्भक प्रबाव से व्मत्रक्त को सकायात्भक उजाा प्राद्ऱ होती हं स्जस्से योग के प्रबाव को कभ कय योग भुक्त कयने हेत ुसहामता सभरती हं।
योग सनवायण हेतु भहाभतृ्मुॊजम भॊि एवॊ मॊि का फिा भहत्व हं। स्जस्से फहन्द ूसॊस्कृसत का प्राम् हय व्मत्रक्त भहाभतृ्मुॊजम भॊि से ऩरयसित हं।
81 अगस्त 2012
कवि के राब : एसा शास्त्रोक्त विन हं स्जस घय भं भहाभतृ्मुॊजम मॊि स्थात्रऩत होता हं वहा सनवास कताा हो नाना प्रकाय फक
आसध-व्मासध-उऩासध से यऺा होती हं। ऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एवॊ ऩणूा ितैन्म मुक्त सवा योग सनवायण कवि फकसी बी उम्र एवॊ जासत धभा के रोग िाहे स्त्री
हो मा ऩुरुष धायण कय सकते हं। जन्भाॊगभं अनेक प्रकायके खयाफ मोगो औय खयाफ ग्रहो फक प्रसतकूरता से योग उतऩन्न होते हं। कुछ योग सॊक्रभण से होते हं एवॊ कुछ योग खान-ऩान फक असनमसभतता औय अशुद्धतासे उत्ऩन्न होते हं। कवि
एवॊ मॊि द्राया एसे अनेक प्रकाय के खयाफ मोगो को नद्श कय, स्वास्र्थम राब औय शायीरयक यऺण प्राद्ऱ कयने हेतु सवा योगनाशक कवि एवॊ मॊि सवा उऩमोगी होता हं।
आज के बौसतकता वादी आधसुनक मुगभे अनेक एसे योग होते हं, स्जसका उऩिाय ओऩयेशन औय दवासे बी कफिन हो जाता हं। कुछ योग एसे होते हं स्जसे फताने भं रोग फहिफकिाते हं शयभ अनुबव कयते हं एसे योगो को योकने हेतु एवॊ उसके उऩिाय हेतु सवा योगनाशक कवि एवॊ मॊि राबादासम ससद्ध होता हं।
प्रत्मेक व्मत्रक्त फक जेसे-जेसे आमु फढती हं वैसे-वसै उसके शयीय फक ऊजाा कभ होती जाती हं। स्जसके साथ अनेक प्रकाय के त्रवकाय ऩैदा होने रगते हं एसी स्स्थती भं उऩिाय हेतु सवायोगनाशक कवि एवॊ मॊि परप्रद होता हं।
स्जस घय भं त्रऩता-ऩुि, भाता-ऩुि, भाता-ऩुिी, मा दो बाई एक फह नऺिभे जन्भ रेते हं, तफ उसकी भाता के सरमे असधक कद्शदामक स्स्थती होती हं। उऩिाय हेतु भहाभतृ्मुॊजम मॊि परप्रद होता हं।
स्जस व्मत्रक्त का जन्भ ऩरयसध मोगभे होता हं उन्हे होने वारे भतृ्मु तुल्म कद्श एवॊ होने वारे योग, सिॊता भं उऩिाय हेतु सवा योगनाशक कवि एवॊ मॊि शुब परप्रद होता हं। नोट:- ऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एवॊ ऩूणा ितैन्म मुक्त सवा योग सनवायण कवि एवॊ मॊि के फाये भं असधक जानकायी हेत ुसॊऩका कयं।
Declaration Notice We do not accept liability for any out of date or incorrect information. We will not be liable for your any indirect consequential loss, loss of profit, If you will cancel your order for any article we can not any amount will be refunded or Exchange. We are keepers of secrets. We honour our clients' rights to privacy and will release no information
about our any other clients' transactions with us. Our ability lies in having learned to read the subtle spiritual energy, Yantra, mantra and promptings
of the natural and spiritual world. Our skill lies in communicating clearly and honestly with each client. Our all kawach, yantra and any other article are prepared on the Principle of Positiv energy, our
Article dose not produce any bad energy.
Our Goal Here Our goal has The classical Method-Legislation with Proved by specific with fiery chants
prestigious full consciousness (Puarn Praan Pratisthit) Give miraculous powers & Good effect All types of Yantra, Kavach, Rudraksh, preciouse and semi preciouse Gems stone deliver on your door step.
82 अगस्त 2012
भॊि ससद्ध कवि
भॊि ससद्ध कवि को त्रवशेष प्रमोजन भं उऩमोग के सरए औय शीघ्र प्रबाव शारी फनान ेके सरए तेजस्वी भॊिो द्राया शबु भहूता भं शबु फदन को तैमाय फकम ेजाते हं. अरग-अरग कवि तैमाय कयन ेकेसरए अरग-अरग तयह के
भॊिो का प्रमोग फकमा जाता हं.
क्मं िनु ेभॊि ससद्ध कवि?
उऩमोग भं आसान कोई प्रसतफन्ध नहीॊ कोई त्रवशेष सनसत-सनमभ नहीॊ कोई फयुा प्रबाव नहीॊ कवि के फाये भं असधक जानकायी हेत ु
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call Us - 9338213418, 9238328785
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(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)
(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)
भॊि ससद्ध कवि सूसि
सवा कामा ससत्रद्ध 4600/- ऋण भुत्रक्त 910/- त्रवघ्न फाधा सनवायण 550/-
सवा जन वशीकयण 1450/- धन प्रासद्ऱ 820/- निय यऺा 550/-
अद्श रक्ष्भी 1250/- तॊि यऺा 730/- दबुााग्म नाशक 460/-
सॊतान प्रासद्ऱ 1250/- शि ुत्रवजम 730/- * वशीकयण (२-३ व्मत्रक्तके सरए) 1050/-
स्ऩे- व्माऩय वतृ्रद्ध 1050/- त्रववाह फाधा सनवायण 730/- * ऩत्नी वशीकयण 640/-
कामा ससत्रद्ध 1050/- व्माऩय वतृ्रद्ध 730/-- * ऩसत वशीकयण 640/-
आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ 1050/- सवा योग सनवायण 730/- सयस्वती (कऺा +10 के सरए) 550/-
नवग्रह शाॊसत 910/- भस्स्तष्क ऩतृ्रद्श वधाक 640/- सयस्वती (कऺा 10 तकके सरए) 460/-
बूसभ राब 910/- काभना ऩूसता 640/- * वशीकयण ( 1 व्मत्रक्त के सरए) 640/-
काभ देव 910/- त्रवयोध नाशक 640/- योजगाय प्रासद्ऱ 550/-
ऩदं उन्नसत 910/- योजगाय वतृ्रद्ध 730/-
*कवि भाि शबु कामा मा उदे्दश्म के सरमे
83 अगस्त 2012
YANTRA LIST EFFECTS
Our Splecial Yantra 1 12 – YANTRA SET For all Family Troubles
2 VYAPAR VRUDDHI YANTRA For Business Development
3 BHOOMI LABHA YANTRA For Farming Benefits
4 TANTRA RAKSHA YANTRA For Protection Evil Sprite
5 AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA For Unexpected Wealth Benefits
6 PADOUNNATI YANTRA For Getting Promotion
7 RATNE SHWARI YANTRA For Benefits of Gems & Jewellery
8 BHUMI PRAPTI YANTRA For Land Obtained
9 GRUH PRAPTI YANTRA For Ready Made House
10 KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA -
Shastrokt Yantra
11 AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA Blessing of Durga
12 BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL) Win over Enemies
13 BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL) Blessing of Bagala Mukhi
14 BHAGYA VARDHAK YANTRA For Good Luck
15 BHAY NASHAK YANTRA For Fear Ending
16 CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta) Blessing of Chamunda & Navgraha
17 CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA Blessing of Chhinnamasta
18 DARIDRA VINASHAK YANTRA For Poverty Ending
19 DHANDA POOJAN YANTRA For Good Wealth
20 DHANDA YAKSHANI YANTRA For Good Wealth
21 GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra) Blessing of Lord Ganesh
22 GARBHA STAMBHAN YANTRA For Pregnancy Protection
23 GAYATRI BISHA YANTRA Blessing of Gayatri
24 HANUMAN YANTRA Blessing of Lord Hanuman
25 JWAR NIVARAN YANTRA For Fewer Ending
26 JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA YANTRA
For Astrology & Spritual Knowlage
27 KALI YANTRA Blessing of Kali
28 KALPVRUKSHA YANTRA For Fullfill your all Ambition
29 KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA) Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga
30 KANAK DHARA YANTRA Blessing of Maha Lakshami
31 KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA -
32 KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in work
33 SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in all work
34 KRISHNA BISHA YANTRA Blessing of Lord Krishna
35 KUBER YANTRA Blessing of Kuber (Good wealth)
36 LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA For Obstaele Of marriage
37 LAKSHAMI GANESH YANTRA Blessing of Lakshami & Ganesh
38 MAHA MRUTYUNJAY YANTRA For Good Health
39 MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA Blessing of Shiva
40 MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA) For Fullfill your all Ambition
41 MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA For Marriage with choice able Girl
42 NAVDURGA YANTRA Blessing of Durga
84 अगस्त 2012
YANTRA LIST EFFECTS
43 NAVGRAHA SHANTI YANTRA For good effect of 9 Planets
44 NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA For good effect of 9 Planets
45 SURYA YANTRA Good effect of Sun
46 CHANDRA YANTRA Good effect of Moon
47 MANGAL YANTRA Good effect of Mars
48 BUDHA YANTRA Good effect of Mercury
49 GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA) Good effect of Jyupiter
50 SUKRA YANTRA Good effect of Venus
51 SHANI YANTRA (COPER & STEEL) Good effect of Saturn
52 RAHU YANTRA Good effect of Rahu
53 KETU YANTRA Good effect of Ketu
54 PITRU DOSH NIVARAN YANTRA For Ancestor Fault Ending
55 PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA For Pregnancy Pain Ending
56 RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA For Benefits of State & Central Gov
57 RAM YANTRA Blessing of Ram
58 RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA Blessing of Riddhi-Siddhi
59 ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA For Disease- Pain- Poverty Ending
60 SANKAT MOCHAN YANTRA For Trouble Ending
61 SANTAN GOPAL YANTRA Blessing Lorg Krishana For child acquisition
62 SANTAN PRAPTI YANTRA For child acquisition
63 SARASWATI YANTRA Blessing of Sawaswati (For Study & Education)
64 SHIV YANTRA Blessing of Shiv
65 SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA) Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & Peace
66 SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth
67 SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA For Bad Dreams Ending
68 VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA For Vehicle Accident Ending
69 VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE MAHALAKSHAMI YANTRA)
Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All Successes
70 VASTU YANTRA For Bulding Defect Ending
71 VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA For Education- Fame- state Award Winning
72 VISHNU BISHA YANTRA Blessing of Lord Vishnu (Narayan)
73 VASI KARAN YANTRA Attraction For office Purpose
74 MOHINI VASI KARAN YANTRA Attraction For Female
75 PATI VASI KARAN YANTRA Attraction For Husband
76 PATNI VASI KARAN YANTRA Attraction For Wife
77 VIVAH VASHI KARAN YANTRA Attraction For Marriage Purpose
Yantra Available @:- Rs- 255, 370, 460, 550, 640, 730, 820, 910, 1250, 1850, 2300, 2800 and Above…..
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85 अगस्त 2012
GURUTVA KARYALAY NAME OF GEM STONE GENERAL MEDIUM FINE FINE SUPER FINE
SPECIAL
Emerald (ऩन्ना) 200.00 500.00 1200.00 1900.00 2800.00 & above Yellow Sapphire (ऩुखयाज) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above Blue Sapphire (नीरभ) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above White Sapphire (सफे़द ऩुखयाज) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above Bangkok Black Blue(फंकोक नीरभ) 100.00 150.00 200.00 500.00 1000.00 & above Ruby (भास्णक) 100.00 190.00 370.00 730.00 1900.00 & above Ruby Berma (फभाा भास्णक) 5500.00 6400.00 8200.00 10000.00 21000.00 & above Speenal (नयभ भास्णक/रारिी) 300.00 600.00 1200.00 2100.00 3200.00 & above Pearl (भोसत) 30.00 60.00 90.00 120.00 280.00 & above Red Coral (4 यसत तक) (रार भूॊगा) 75.00 90.00 12.00 180.00 280.00 & above
Red Coral (4 यसत से उऩय)( रार भूॊगा) 120.00 150.00 190.00 280.00 550.00 & above White Coral (सफे़द भूॊगा) 20.00 28.00 42.00 51.00 90.00 & above Cat’s Eye (रहसुसनमा) 25.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above Cat’s Eye Orissa (उफिसा रहसुसनमा) 460.00 640.00 1050.00 2800.00 5500.00 & above Gomed (गोभेद) 15.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above Gomed CLN (ससरोनी गोभेद) 300.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above Zarakan (जयकन) 350.00 450.00 550.00 640.00 910.00 & above Aquamarine (फेरुज) 210.00 320.00 410.00 550.00 730.00 & above Lolite (नीरी) 50.00 120.00 230.00 390.00 500.00 & above Turquoise (फफ़योजा) 15.00 30.00 45.00 60.00 90.00 & above Golden Topaz (सुनहरा) 15.00 30.00 45.00 60.00 90.00 & above Real Topaz (उफिसा ऩुखयाज/टोऩज) 60.00 120.00 280.00 460.00 640.00 & above Blue Topaz (नीरा टोऩज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above White Topaz (सफे़द टोऩज) 60.00 90.00 120.00 240.00 410.00& above Amethyst (कटेरा) 20.00 30.00 45.00 60.00 120.00 & above Opal (उऩर) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above Garnet (गायनेट) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above Tourmaline (तुभारीन) 120.00 140.00 190.00 300.00 730.00 & above Star Ruby (सुमाकान्त भस्ण) 45.00 75.00 90.00 120.00 190.00 & above Black Star (कारा स्टाय) 15.00 30.00 45.00 60.00 100.00 & above Green Onyx (ओनेक्स) 09.00 12.00 15.00 19.00 25.00 & above Real Onyx (ओनेक्स) 60.00 90.00 120.00 190.00 280.00 & above Lapis (राजवात) 15.00 25.00 30.00 45.00 55.00 & above Moon Stone (िन्रकान्त भस्ण) 12.00 21.00 30.00 45.00 100.00 & above Rock Crystal (स्फ़फटक) 09.00 12.00 15.00 30.00 45.00 & above Kidney Stone (दाना फफ़यॊगी) 09.00 11.00 15.00 19.00 21.00 & above Tiger Eye (टाइगय स्टोन) 03.00 05.00 10.00 15.00 21.00 & above Jade (भयगि) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above Sun Stone (सन ससताया) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Diamond (हीया) (.05 to .20 Cent )
50.00 (Per Cent )
100.00 (Per Cent )
200.00 (PerCent )
370.00 (Per Cent)
460.00 & above (Per Cent )
Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus
86 अगस्त 2012
BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION We are mostly engaged in spreading the ancient knowledge of Astrology, Numerology, Vastu and Spiritual
Science in the modern context, across the world. Our research and experiments on the basic principals of various ancient sciences for the use of common man.
exhaustive guide lines exhibited in the original Sanskrit texts
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Please book an appointment with Our expert Astrologers for an internet chart . We would require your birth details and basic area of questions so that our expert can be ready and give you rapid replied. You can indicate the area of question in the special comments box. In case you want more than one person reading, then please mention in the special comment box . We shall confirm before we set the appointment. Please choose from :
PHONE/ CHAT CONSULTATION Consultation 30 Min.: RS. 1250/-*
Consultation 45 Min.: RS. 1900/-*
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How Does it work Phone/Chat Consultation
This is a unique service of GURUATVA KARYALAY where we offer you the option of having a personalized discussion with our expert astrologers. There is no limit on the number of question although time is of consideration.
Once you request for the consultation, with a suggestion as to your convenient time we get back with a confirmation whether the time is available for consultation or not.
We send you a Phone Number at the designated time of the appointment
We send you a Chat URL / ID to visit at the designated time of the appointment
You would need to refer your Booking number before the chat is initiated
Please remember it takes about 1-2 minutes before the chat process is initiated.
Once the chat is initiated you can commence asking your questions and clarifications
We recommend 25 minutes when you need to consult for one persona Only and usually the time is sufficient for 3-5 questions depending on the timing questions that are put.
For more than these questions or one birth charts we would recommend 60/45 minutes Phone/chat is recommended
Our expert is assisted by our technician and so chatting & typing is not a bottle neck
In special cases we don't have the time available about your Specific Questions We will taken some time for properly Analysis your birth chart and we get back with an alternate or ask you for an alternate.
All the time mentioned is Indian Standard Time which is + 5.30 hr ahead of G.M.T.
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87 अगस्त 2012
सूिना ऩत्रिका भं प्रकासशत सबी रेख ऩत्रिका के असधकायं के साथ ही आयस्ऺत हं।
रेख प्रकासशत होना का भतरफ मह कतई नहीॊ फक कामाारम मा सॊऩादक बी इन त्रविायो से सहभत हं।
नास्स्तक/ अत्रवद्वासु व्मत्रक्त भाि ऩिन साभग्री सभझ सकते हं। ऩत्रिका भं प्रकासशत फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का उल्रेख महाॊ फकसी बी व्मत्रक्त त्रवशेष मा फकसी बी स्थान मा
घटना से कोई सॊफॊध नहीॊ हं।
प्रकासशत रेख ज्मोसतष, अॊक ज्मोसतष, वास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मास्त्भक ऻान ऩय आधारयत होने के कायण मफद फकसी के रेख, फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का फकसी के वास्तत्रवक जीवन से भेर होता हं तो मह भाि एक सॊमोग हं।
प्रकासशत सबी रेख बायसतम आध्मास्त्भक शास्त्रं से पे्ररयत होकय सरमे जाते हं। इस कायण इन त्रवषमो फक सत्मता अथवा प्राभास्णकता ऩय फकसी बी प्रकाय फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हं।
अन्म रेखको द्राया प्रदान फकमे गमे रेख/प्रमोग फक प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हं। औय नाहीॊ रेखक के ऩते फिकाने के फाये भं जानकायी देने हेत ुकामाारम मा सॊऩादक फकसी बी प्रकाय से फाध्म हं।
ज्मोसतष, अॊक ज्मोसतष, वास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मास्त्भक ऻान ऩय आधारयत रेखो भं ऩािक का अऩना त्रवद्वास होना आवश्मक हं। फकसी बी व्मत्रक्त त्रवशेष को फकसी बी प्रकाय से इन त्रवषमो भं त्रवद्वास कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम स्वमॊ का होगा।
ऩािक द्राया फकसी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।
हभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे सबी रेख हभाये वषो के अनुबव एवॊ अनुशॊधान के आधाय ऩय सरखे होते हं। हभ फकसी बी व्मत्रक्त
त्रवशेष द्राया प्रमोग फकमे जाने वारे भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी स्जन्भेदायी नफहॊ रेते हं। मह स्जन्भेदायी भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने वारे व्मत्रक्त फक स्वमॊ फक होगी। क्मोफक इन त्रवषमो भं नैसतक
भानदॊिं , साभास्जक , कानूनी सनमभं के स्खराप कोई व्मत्रक्त मफद नीजी स्वाथा ऩूसता हेत ुप्रमोग कताा हं अथवा प्रमोग के कयने भे िफुट होने ऩय प्रसतकूर ऩरयणाभ सॊबव हं।
हभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे सबी भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकिोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधगुण ऩय प्रमोग फकमे हं
स्जस्से हभे हय प्रमोग मा भॊि-मॊि मा उऩामो द्राया सनस्द्ळत सपरता प्राद्ऱ हुई हं।
ऩािकं फक भाॊग ऩय एक फह रेखका ऩून् प्रकाशन कयने का असधकाय यखता हं। ऩािकं को एक रेख के ऩून् प्रकाशन से राब प्राद्ऱ हो सकता हं।
असधक जानकायी हेतु आऩ कामाारम भं सॊऩका कय सकते हं।
(सबी त्रववादो केसरमे केवर बुवनेद्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)
88 अगस्त 2012
FREE E CIRCULAR
गुरुत्व ज्मोसतष ऩत्रिका अगस्त -2012 सॊऩादक
सिॊतन जोशी सॊऩका गुरुत्व ज्मोसतष त्रवबाग
गुरुत्व कामाारम
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89 अगस्त 2012
हभाया उदे्दश्म त्रप्रम आस्त्भम
फॊध/ु फफहन
जम गुरुदेव
जहाॉ आधसुनक त्रवऻान सभाद्ऱ हो जाता हं। वहाॊ आध्मास्त्भक ऻान प्रायॊब हो जाता हं, बौसतकता का आवयण ओढे व्मत्रक्त
जीवन भं हताशा औय सनयाशा भं फॊध जाता हं, औय उसे अऩने जीवन भं गसतशीर होने के सरए भागा प्राद्ऱ नहीॊ हो ऩाता क्मोफक
बावनाए फह बवसागय हं, स्जसभे भनुष्म की सपरता औय असपरता सनफहत हं। उसे ऩाने औय सभजने का साथाक प्रमास ही श्रदे्षकय
सपरता हं। सपरता को प्राद्ऱ कयना आऩ का बाग्म ही नहीॊ असधकाय हं। ईसी सरमे हभायी शुब काभना सदैव आऩ के साथ हं। आऩ
अऩने कामा-उदे्दश्म एवॊ अनुकूरता हेत ुमॊि, ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न औय दरुाब भॊि शत्रक्त से ऩूणा प्राण-प्रसतत्रद्षत सिज वस्तु का हभंशा प्रमोग कये जो १००% परदामक हो। ईसी सरमे हभाया उदे्दश्म महीॊ हे की शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशद्श तेजस्वी भॊिो द्राया ससद्ध
प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा ितैन्म मुक्त सबी प्रकाय के मन्ि- कवि एवॊ शुब परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहोिाने का हं।
सूमा की फकयणे उस घय भं प्रवेश कयाऩाती हं। जीस घय के स्खिकी दयवाजे खुरे हं।
GURUTVA KARYALAY
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(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)
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90 अगस्त 2012
AUG
2012