Festivals Parv Tyohar-4 Hindi
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Transcript of Festivals Parv Tyohar-4 Hindi
गो�प मा�स
श्री�मद्भगवद्गी�ताम� भगवन श्री�कृ� ष्ण कृहता� ह�- मसान� मग�शी�र्षो�ऽहम�।द्वादशी मसा म� म� मग�शी�र्षो� हूं�। परम�श्वर श्री�कृ� ष्ण कृ यह कृथन हमर इसा ओर ध्यन आकृ� ष्ट कृरता ह- किकृ मग�शी�र्षो� (अगहन) म� अत्यन्ता दिदव्य ग4ण ह� और यह मसा उन्ह� अकिता कि7य ह-। इसा� कृरण मग�शी�र्षो� कृ8 ग8प मसा कृह जाता ह-। ऐसा� मन्यता ह- किकृ मग�शी�र्षो� म� ग8पव�र्षोधार�कृ� ष्ण कृ< आरधान कृरन� सा� भक्त कृ8 उनकृ< कृ� प अवश्य 7प्ता ह8ता� ह-।
स्कृन्दप4रणकृ� व-ष्णवखण्डम� वर्णिणEता मग�शी�र्षो�-महत्म्य म� य8ग�श्वर कृ� ष्ण कृ< जान्मस्थली� मथ4र कृ< यत्रा ह�ता4 मग�शी�र्षो� मसा कृ8 साव�परिर बताय गय ह-। श्री�हरिरब्रह्माजा�कृ8 बताता� ह� किकृ ता�थ�रजा 7यग म� एकृ हजार वर्षो� ताकृ किनवसा कृरन� सा� जा8 फली 7प्ता ह8ता ह-, वह मथ4रप4र�म� कृ� वली मग�शी�र्षो� म� वसा कृरन� सा� मिमली जाता ह-। भगवन कृ� इसा वक्तव्य कृ8 अकिताशीय8क्तिक्तपRण�मनकृर इसाम� किनकिहता सा�द�शी कृ< उप�क्षा कृरन उक्तिTता न ह8ग बल्किVकृ इसासा� यह स्पष्ट ह8ता ह- किकृ व� मन4ष्य कृ8 मग�शी�र्षो� मसा म� मथ4र कृ< ता�थ�यत्रा कृ� क्तिलीए 7�रण द� रह� ह� ताकिकृ द�र्घ�कृली ताकृ कृठो8र ताप कृरन� सा� मिमलीन� वली� प4ण्य कृ8 7ण� एकृ मह कृ� अVप सामय म� 7प्ता कृर साकृ� । साव�न्ताय�म�7भ4 यह जानता� थ� किकृ कृक्तिलीय4ग म� अमिधाकृ�शी ली8ग तापश्चय�,म�त्रा-प4रश्चरण, यज्ञादिद कृरन� म� असामथ� ह ग�। आल्किस्ताकृ जान भगवत्कृ� प 7प्ता कृरन� ह�ता4 सारली सा4गम उपय ख8जा�ग�। मग�शी�र्षो� म� मथ4र-यत्रा कृ< महत्ता भगवन न� सा�भवता:इसा�क्तिलीए बताई ह-।
मथ4र-मण्डली T^रसा� कृ8सा म� व्यप्ता ह-। भगवन किवष्ण4 यह� साद किनवसा कृरता� ह�। भRली8कृ म� म8क्षा 7दन कृरन� वली� साप्ता प4रिरय म� मथ4र कृ< अपन� एकृ अलीग किवक्तिशीष्ट मकिहम ह-। मथ4र कृ< यत्रा ताथ यह� स्नन-दन, दशी�न-पRजान सा� जान्म-जान्मन्तार कृ� पप भस्म ह8 जाता� ह�। मथ4र कृ< परिरक्रम सा� पग-पग पर अश्वम�धा यज्ञा कृ फली 7प्ता ह8ता ह-। ली�किकृन इसा महन प4र� कृ< यत्रा कृ सा^भग्य भगवन कृ< असा�म कृ� प ह8न� पर ह� मिमलीता ह-। भगवन श्री�कृ� ष्ण न� ता8 द्वापरय4गकृ� अ�किताम Tरण म� यह� अवतार क्तिलीय, किंकृEता4 यह क्षा�त्रा ता8 अनदिदकृलीसा� परम पवन मन जाता रह ह-।
का�त्या�यानी� मा�सिसका प जा�
ग8प कृ4 मरिरय न� श्री�कृ� ष्ण कृ8 पकिता कृ� रूप म� 7प्ता कृरन� कृ� क्तिलीए एकृ मसा ताकृ किनयमिमता रूप सा� किनयम व्रतादिद कृ पलीन कृरता� हुए कृत्ययन� द�व� कृ< पRजा कृ< थe। व्रता कृ� अ�ता म� कृ4 छ कि7य साखओं कृ� साथ श्री�कृ� ष्ण न� ग8किपय कृ� वस्त्रा-हरण किकृय� ताथ उन्ह� उनकृ< अभिभलीर्षो पRण� ह8न� कृ वरदन दिदय थ। यम4न कृ� ताट पर मथ4र कृ� साम�प (गjव क्तिसायर8) कृत्ययन� द�व� कृ मन्दिन्दर ह-।
व��दवन कृ� रधाबगम� भगवता� कृत्ययन� कृ प^रभिणकृ शीक्तिक्तप�ठो ह-। ता�त्राशीस्त्राकृ� ग्रं�थ कृ� अन4सार, ब्रजा म� साता� कृ� कृ� शी किगर� थ�। -ग8किपय कृ< कृत्ययन� पRजा श्री�मद्भगवता महप4रणकृ� दशीम स्कृ� धा म� ब्रजा कृ< ग8किपय द्वार श्री�कृ� ष्ण कृ8 7प्ता कृरन� कृ� उद्दे�श्य सा� भगवता� कृत्ययन� कृ< पRजा और व्रता कृरन� कृ वण�न मिमलीता ह-। इसा कृथ कृ सार यह ह- किकृ ब्रजा कृ< ग8किपय� य8ग�श्वर श्री�कृ� ष्ण पर म8किहता ह8न� कृ� कृरण उन्ह� पकिता रूप म� पन� कृ� क्तिलीए इच्छु4कृ थe। व� जाब यम4न ताट पर एकृत्रा हुई, ताभ� व��दद�व� उनकृ� सामन� एकृ तापल्किस्वन� कृ� रूप म� आई। उन्ह न� ग8किपय कृ8 कृत्ययन� द�व� कृ< आरधान कृ परमशी� दिदय।
उन्ह न� ग8किपय कृ8 ह�म�ता ऋता4 कृ� 7थम मसा मग�शी�र्षो� [अगहन] म� पRर� मह�न� व्रता रखन� कृ8 कृह, न्दिजासाम� कृ� वली फलीहर किकृय जाता ह-। ग8किपय� किनत्य साRय�दय ह8न� सा� पRव� ब्रह्माम4हूं त्ता�म� श्री�कृ� ष्ण कृ� नम कृ जाप
कृरता� हुए यम4न-स्नन कृरताe। व� बलीR सा� कृत्ययन� मता कृ< मRर्तिताE बनकृर उसा� फली-फR ली, धाRप-द�प, न-व�द्य अर्तिपEता कृरन� लीगe। इसा 7कृर ब्रजा कृ< कृ4 मरिरय�किवमिधा-किवधान सा� जागद�ब कृ< अT�न म� जा4ट गई। -कृत्ययन� म�त्रा ग8किपय� म� कृत्ययन� कृ< पRजा कृ� बद इसा म�त्रा कृ जाप कृरन� लीगe-
ह� कृत्ययन�! महमय! न�द ग8प कृ� प4त्रा श्री�कृ� ष्ण कृ8 हमर पकिता बन द�। हम आपकृ8 7णम कृरता� ह�।
यह म�त्रा श्री�मद्भगवता महप4रणकृ� दशीम स्कृ� धा कृ� 22 व� अध्यय कृ T^थ श्लो8कृ ह-। कृहता� ह� किकृ कृत्ययन� द�व� कृ� व्रता-अन4ष्ठान सा� ग8किपय कृ< मन8कृमन पRण� हुई। इसाकृ� बद यह किवधान कृन्यओं कृ� क्तिलीए मन8न4कृR ली वर पन� कृ साधान बन गय। आजा भ� य4वकिताय� अपन� भवन कृ� अन4रूप पकिता 7प्ता कृरन� कृ� क्तिलीए बड� श्रीद्धा कृ� साथ यह अन4ष्ठान कृरता� ह�।
रा�जा�न्द्र प्रस�द स्मा�ति�दिदवस
डuक्टर रजा�न्द्र 7साद भरताकृ� 7थम रष्ट्रपकिता थ�। (जान्म- 3 दिदसाम्बर, 1884, जा�रद�य� , किबहर, म�त्य4- 28 फ़रवर�, 1963, सादकृता आश्रीम, पटन)। रजा�न्द्र 7साद 7किताभशीली� और किवद्वान व्यक्तिक्त थ�।
रजा�न्द्र 7साद 7किताभशीली� और किवद्वान थ� और कृलीकृत्ता कृ� एकृ य8ग्य वकृ<ली कृ� यहj कृम सा�ख रह� थ�। रजा�न्द्र 7साद कृ भकिवष्य एकृ सा4�दर सापन� कृ< तारह थ। रजा�न्द्र 7साद कृ परिरवर उनसा� कृई आशीय� लीगय� ब-ठो थ। वस्ताव म� रजा�न्द्र 7साद कृ� परिरवर कृ8 उन पर गव� थ। ली�किकृन रजा�न्द्र 7साद कृ मन इन साब म� नहe थ। रजा�न्द्र 7साद कृ� वली धान और सा4किवधाय� पन� कृ� क्तिलीए आग� पढ़न नहe Tहता� थ�। एकृएकृ रजा�न्द्र 7साद कृ< दृमिष्ट म� इन T�ज़ों कृ कृ8ई मRVय नहe रह गय थ। रष्ट्र�य न�ता ग8खली�कृ� शीब्द रजा�न्द्र 7साद कृ� कृन म� बर-बर गRjजा उठोता� थ�।
रजा�न्द्र 7साद कृ< मता�भRमिम किवद�शी� शीसान म� जाकृड़ी� हुई थ�। रजा�न्द्र 7साद उसाकृ< प4कृर कृ8 कृ- सा� अनसा4न� कृर साकृता� थ�। ली�किकृन रजा�न्द्र 7साद यह भ� जानता� थ� किकृ एकृ तारफ द�शी और दूसार� ओर परिरवर कृ< किनष्ठा उन्ह� भिभन्न-भिभन्न दिदशीओं म� खeT रह� थ�। रजा�न्द्र 7साद कृ परिरवर यह नहe Tहता थ किकृ वह अपन कृय� छ8ड़ीकृर 'रष्ट्र�य आ�द8लीन' म� भग ली� क्य किकृ उसाकृ� क्तिलीए पRर� सामप�ण कृ< आवश्यकृता ह8ता� ह-। रजा�न्द्र 7साद कृ8 अपन रस्ता स्वय� T4नन पड़ी�ग। यह उलीझन मन उनकृ< आत्म कृ8 झकृझ8र रह� थ�।
रजा�न्द्र 7साद न� रता खत्म ह8ता�-ह8ता� मन ह� मन कृ4 छ ताय कृर क्तिलीय थ। रजा�न्द्र 7साद स्वथ� बनकृर अपन� परिरवर कृ8 साम्भालीन� कृ पRर भर अपन� बड़ी� भई पर नहe डली साकृता� थ�। रजा�न्द्र 7साद कृ� किपता कृ द�हन्ता ह8 T4कृ थ। रजा�न्द्र 7साद कृ� बड़ी� भई न� किपता कृ स्थन ली�कृर उनकृ मग�दशी�न किकृय थ और उच्च आदशी� कृ< 7�रण द� थ�। रजा�न्द्र 7साद उन्ह� अकृ� ली कृ- सा� छ8ड़ी साकृता� थ�? अगली� दिदन ह� उन्ह न� अपन� भई कृ8 पत्रा क्तिलीख, "म�न� साद आपकृ कृहन मन ह- और यदिद ईश्वर न� Tह ता8 साद ऐसा ह� ह8ग।" दिदली म� यह शीपथ ली�ता� हुए किकृ अपन� परिरवर कृ8 और दुख नहe द�ग� उन्ह न� क्तिलीख, "म� न्दिजातान कृर साकृता हूंj कृरूj ग और साब कृ8 7सान्न द�ख कृर 7सान्नता कृ अन4भव कृरूj ग।"
ली�किकृन उनकृ� दिदली म� उथली-प4थली मT� रह�। एकृ दिदन वह अपन� आत्म कृ< प4कृर सा4न�ग� और स्वय� कृ8 पRण�ताय अपन� मता�भRमिम कृ� क्तिलीए सामर्तिपEता कृर द�ग�। यह य4वकृ रजा�न्द्र थ� जा8 Tर दशीकृ पश्चता 'स्वता�त्रा भरता कृ� 7थम रष्ट्रपकिता' बन�।
किबहर 7न्ता कृ� एकृ छ8ट� सा� गjव जा�रद�यR म� 3 दिदसाम्बर, 1884 म� रजा�न्द्र 7साद कृ जान्म हुआ थ। एकृ बड़ी� सा�य4क्त परिरवर कृ� रजा�न्द्र 7साद साबसा� छ8ट� सादस्य थ�, इसाक्तिलीए वह साबकृ� दुलीर� थ�। रजा�न्द्र 7साद कृ� परिरवर कृ� सादस्य कृ� साम्बन्ध गहर� और म�दु थ�। रजा�न्द्र 7साद कृ8 अपन� मता और बड़ी� भई मह�न्द्र 7साद सा� बहुता स्न�ह थ।
रजा�न्द्र 7साद बद म� रष्ट्र�य आ�द8लीन म� शीमिमली ह8 गए। ताब वह पत्न� सा� और भ� कृम मिमली पता� थ�। वस्ताव म� किववह कृ� 7थम पTसा वर्षो� म� शीयद पकिता-पत्न� पTसा मह�न� ह� साथ-साथ रह� ह ग�। रजा�न्द्र 7साद अपन सार सामय कृम म� किबताता� और पत्न� बच्च कृ� साथ जा�रद�इ गjव म� परिरवर कृ� अन्य सादस्य कृ� साथ रहता� थe।
किब्रदिटशी शीसाकृ कृ� अन्यय कृ� 7किता हमर दब्बRपन अब किवर8धा म� बदली रह थ। सान� 1914 म� 7थम किवश्व य4द्धा आरम्भा ह8न� पर ली8ग कृ� क्तिलीय� नई कृदिठोनइयj उत्पन्न ह8 गई। जा-सा�- भर� कृर, खद्य पदथ� कृ< कृम� कृ<मता कृ बढ़न और ब�र8ज़ोंगर�। सा4धार कृ कृ8ई सा�कृ� ता नहe मिमली रह थ। जाब कृलीकृत्ता म� सान� 1917 कृ� दिदसाम्बर मह म� 'ऑली इ�किडय कृ�ग्रं�सा कृम�ट�' कृ अमिधाव�शीन हुआ ता8 भरता म� उथली-प4थली मT� हुई थ�। रजा�न्द्र 7साद भ� इसा अमिधाव�शीन म� शीमिमली हुए। उनकृ� साथ ह� एकृ सा�वली� र�ग कृ दुबली-पताली आदम� ब-ठो थ मगर उसाकृ< आjख� बड़ी� ता�ज़ों और Tमकृ<ली� थ�। रजा�न्द्र 7साद न� सा4न थ किकृ वह अफ़्री<कृसा� आय ह- ली�किकृन अपन� स्वभकिवकृ सा�कृ8T कृ� कृरण वह उसासा� बताT�ता न कृर साकृ� । यह व्यक्तिक्त और कृ8ई नहe महत्म ग�धा� ह� थ�। वह अभ�-अभ� दभिक्षाण अफ़्री<कृ म� सारकृर� दमन कृ� किवरूद्धा सा�र्घर्षो� कृरकृ� भरता ली^ट� थ�। रजा�न्द्र 7साद कृ8 उसा सामय पता नहe थ किकृ वह सा�वली प-न� आjख वली व्यक्तिक्त ह� उनकृ� भकिवष्य कृ� जा�वन कृ8 आकृर द�ग।
ग�धा� जा� न� अपन 7थम 7य8ग किबहर कृ� Tम्पारन न्दिज़ोंली� म� किकृय जाहj कृ� र्षोकृ कृ< दशी बहुता ह� दयन�य थ�। किब्रदिटशी ली8ग न� बहुता सार� धारता� पर न�ली कृ< ख�ता� आरम्भा कृर द� थ� जा8 उनकृ� क्तिलीय� लीभदयकृ थ�। भRख�, न�ग�, कृ� र्षोकृ किकृरय�दर कृ8 न�ली उगन� कृ� क्तिलीय� ज़ोंबरदस्ता� कृ< जाता�। यदिद व� उनकृ< आज्ञा नहe मनता� ता8 उन पर जा4म�न किकृय जाता और क्रR रता सा� यतानएj द� जाता� एव� उनकृ� ख�ता और र्घर कृ नष्ट कृर दिदय जाता थ। जाब भ� झगड़ी हई कृ8ट� म� प�शी हुआ, ताब-ताब वस्ताव म� रजा�न्द्र 7साद न� साद किबन फ़<सा क्तिलीय� इन कृ� र्षोकृ कृ 7किताकिनमिधात्व किकृय। ली�किकृन किफर भ� वह किनरन्तार जानवर जा-सा� स्थिस्थकिता म� रहता� आ रह� थ�। ग�धा�जा� कृ8 Tम्पारन म� ह8 रह� दमन पर किवश्वसा नहe हुआ और वस्ताकिवकृता कृ पता लीगन� वह कृलीकृत्ता अमिधाव�शीन कृ� बद स्वय� किबहर गय�। महत्म ग�धा� कृ� साथ Tम्पारन कृ एकृ कृ� र्षोकृ न�ता थ। जा8 पहली� उन्ह� रजा�न्द्र 7साद जा� कृ� र्घर पटन म� ली� आय। र्घर म� कृ� वली न^कृर थ। ग�धा�जा� कृ8 एकृ किकृसान म4वस्थिक्कृली सामझकृर उसान� बड़ी� रूखई सा� उन्ह� बहर ब-ठोन� कृ� क्तिलीय� कृह। कृ4 छ सामय बद ग�धा� जा� अपन� Tम्पारन कृ< यत्रा पर Tली दिदय�। न�ली कृर साहब और यहj कृ� सारकृर� अमिधाकृरिरय कृ8 डर थ किकृ ग�धा�जा� कृ� आन� सा� गड़ीबड़ी न ह8 जाय�। इसाक्तिलीय� उन्ह� सारकृर� आद�शी दिदय गय किकृ तात्कृली न्दिज़ोंली छ8ड़ी कृर Tली� जाय�। ग�धा�जा� न� वहj सा� जान� सा� इ�कृर कृर दिदय और उत्तार दिदय किकृ वह आ�द8लीन कृरन� नहe आय�। कृ� वली पRछताछ सा� जानन Tहता� ह�। बहुता बड़ी� सा�ख्य म� प�किड़ीता किकृसान उनकृ� पसा अपन� दुख कृ< कृहकिनय� ली�कृर आन� लीग�। अब उन्ह� कृTहर� म� प�शी ह8न� कृ� क्तिलीय� कृह गय।
बबR रजा�न्द्र 7साद कृ< ख़्यकिता किकृ वह बहुता सामर्तिपEता कृय�कृता� ह�, ग�धा� जा� कृ� पसा पहुjT T4कृ< थe। ग�धा� जा� न� रजा�न्द्र 7साद कृ8 Tम्पारन कृ< स्थिस्थकिता बताता� हुए एकृ तार भ�जा और कृह किकृ वह ता4रन्ता कृ4 छ स्वय�सा�वकृ कृ8 साथ ली�कृर वहj आ जाय�। बबR रजा�न्द्र 7साद कृ ग�धा� जा� कृ� साथ यह पहली साम्पाकृ� थ।
वह उनकृ� अपन� जा�वन म� ह� नहe बल्किVकृ भरता कृ< रष्ट्र�यता कृ� इकिताहसा म� भ�, एकृ नय म8ड़ी थ। रजा�न्द्र 7साद ता4रन्ता Tम्पारन पहुjT� और ग�धा� जा� म� उनकृ< दिदलीTस्प� जाग�। पहली� बर मिमलीन� पर उन्ह� ग�धा� जा� कृ< शीक्ली य बताT�ता किकृसा� न� भ� 7भकिवता नहe किकृय थ। ह�, वह अपन� न^कृर कृ ग�धा� जा� सा� किकृय� दुव्य�वहर सा� न्दिजासाकृ� बर� म� उन्ह न� सा4न थ, बहुता दुख� थ�।
उसा रता ग�धा� जा� न� जागकृर वइसारuय और भरता�य न�ताओं कृ8 पत्रा क्तिलीख� और कृTहर� म� प�शी कृरन� कृ� क्तिलीय� अपन बयन भ� क्तिलीख। उन्ह न� कृ� वली एकृ बर रूकृ कृर बबR रजा�न्द्र 7साद और उनकृ� साक्तिथय सा� पRछ किकृ यदिद उन्ह� जा�ली भ�जा दिदय गय ता8 व� क्य कृर�ग�। एकृ स्वय�सा�वकृ न� ह�साता� हुए कृह किकृ ताब उनकृ कृम भ� खत्म ह8 जाय�ग और व� साब अपन� र्घर Tली� जाय�ग�। इसा सामय इसा बता न� रजा�न्द्र 7साद जा� कृ� दिदली कृ8 छR क्तिलीय और उसाम� हलीTली मT गई। यह एकृ ऐसा आदम� ह- जा8 इसा 7न्ता कृ किनवसा� नहe ह- और किकृसान कृ� अमिधाकृर कृ� क्तिलीय� जा�-जान सा� सा�र्घर्षो� कृर रह ह-। वह न्यय कृ� क्तिलीय� जा�ली जान� कृ8 भ� ता-यर ह-। और यहj हमर� जा-सा� 'किबहर�' जा8 अपन� क्षा�त्रा कृ� किकृसान कृ< मदद कृरन� पर गव� कृरता� ह� ली�किकृन किफर भ� हम साब र्घर Tली� जाय�ग�। इसा अजा�ब8ग़र�ब स्थिस्थकिता न� उन्ह� T�कृ दिदय। वह इसा छ8ट� सा� आदम� कृ8 आश्चय�Tकिकृता सा� ताकृता� रह�। न्दिजान ली8ग कृ8 वह जानता� थ� उनम� सा� किकृसा� न� भ� कृभ� जा�ली जान� ताकृ कृ सापन नहe द�ख थ। वकृ<ली कृ� क्तिलीए जा�ली एकृ गन्द शीब्द थ। जा�ली कृ� वली अपरमिधाय कृ� क्तिलीए थ। अपरधा� भ� जा�ली कृ< साख़्ता� सा� बTन� कृ� क्तिलीए अमिधाकृरिरय कृ8 बड़ी�-बड़ी� रकृम� द�ता� थ�, और यह आदम� जान� कृह� सा� आकृर जा�ली जान� कृ< बता कृर रह थ। उसाकृ भ� ता8 र्घर और परिरवर ह8ग। अगली� सा4बह ताकृ ग�धा� जा� कृ� किन:स्वथ� उदहरण न� बबR रजा�न्द्र 7साद और उनकृ� साक्तिथय कृ दिदली जा�ता क्तिलीय थ। अब व� उनकृ� साथ जा�ली जान� कृ� क्तिलीए ता-यर थ�। कृTहर� म� ग�धा� जा� न� कृह किकृ उन्ह न� Tम्पारन छ8ड़ीन� कृ अमिधाकृरिरय कृ आद�शी अपन� आत्म कृ< आवज़ों सा4नकृर ह� नहe मन थ। वह जा�ली जान� कृ8 ता-यर ह�। बबR रजा�न्द्र 7साद और उनकृ� साथ� जाब ताकृ किगरफ़्तार नहe कृर क्तिलीय� जाता� और उनकृ स्थन अन्य न�ता नहe ली� ली�ता� पRछताछ कृ कृम जार� रख�ग�। उसा दिदन दूर-दूर कृ� गjव सा� इतान� ली8ग कृTहर� म� ग�धा�जा� कृ8 सा4नन� आय� किकृ वहj कृ दरवज़ों ह� टRट गय।
यह एकृ Tमत्कृर कृ� सामन थ। ग�धा� जा� कृ किनडरता सा� ह8कृर सात्य और न्यय पर अड़ी� रहन� सा� सारकृर बहुता 7भकिवता हुई। म4क़दम वपसा ली� क्तिलीय गय और वह अब पRछताछ कृ� क्तिलीए स्वता�त्रा थ�। यहj ताकृ कृ< अमिधाकृरिरय कृ8 भ� उनकृ< मदद कृरन� कृ� क्तिलीय� कृह गय। यह सात्यग्रंह कृ< पहली� किवजाय थ�। स्वधा�नता सा�र्घर्षो� म� ग�धा� जा� कृ यह महत्त्वपRण� य8गदन थ। सात्यग्रंह न� हम� क्तिसाखय किकृ किनभ�य ह8कृर दमनकृर� कृ� किवरूद्धा अपन� अमिधाकृर कृ� क्तिलीए अकिंहEसात्मकृ तार�कृ� सा� अड़ी� रह8।
रजा�न्द्र 7साद Tम्पारन आ�द8लीन कृ� द^रन ग�धा�जा� कृ� वफ़दर साथ� बन गय�। क़्रर�ब 25,000 किकृसान कृ� बयन क्तिलीख� गय� और अन्ताता� यह कृम उन्ह� ह� सा�प दिदय गय। किबहर और उड़ी�सा कृ< सारकृर न� अन्ताता8गत्व इन रिरप8ट� कृ� आधार पर एकृ अमिधाकिनयम पसा कृरकृ� Tम्पारन कृ� किकृसान कृ8 लीम्ब� वर्षो� कृ� अन्यय सा� छ4 टकृर दिदलीय। सात्यग्रंह कृ< वस्ताकिवकृ साफलीता ली8ग कृ� हृदय पर किवजाय थ�। ग�धा�जा� कृ� आदशी�वद, साहसा और व्यवहरिरकृ साकिक्रयता सा� 7भकिवता ह8कृर रजा�न्द्र 7साद अपन� पRर� जा�वन कृ� क्तिलीय� उनकृ� सामर्तिपEता अन4यय� बन गय�। वह यद कृरता� ह�, 'हमर� सार� दृमिष्टकृ8ण म� परिरवता�न ह8 गय थ...हम नय� किवTर, नय साहसा और नय कृय�क्रम ली�कृर र्घर ली^ट�।' बबR रजा�न्द्र 7साद कृ� हृदय म� मनवता कृ� क्तिलीय� असा�म दय थ�। 'स्वथ� सा� पहली� सा�व' शीयद यह� उनकृ� जा�वन कृ ध्य�य थ। जाब सान� 1914 म� ब�गली और किबहर कृ� ली8ग बढ़ सा� प�किड़ीता हुए ता8 उनकृ< दयली4 7कृ� किता ली8ग कृ< व�दन सा� बहुता 7भकिवता हुई। उसा सामय वह स्वय�सा�वकृ बन नव म� ब-ठोकृर दिदन-रता प�किड़ीता कृ8 भ8जान और कृपड़ी ब�टता�। रता कृ8 वह किनकृट कृ� र�लीव� स्ट�शीन पर सा8 जाता�। इसा मनव�य कृय� कृ� क्तिलीय� जा-सा� उनकृ< आत्म भRख� थ� और यहe सा� उनकृ� जा�वन म� किनस्स्वथ� सा�व कृ आरम्भा हुआ।
ग�धा�जा� कृ� किनकृट सा�ब�धा कृ� कृरण उनकृ� प4रन� किवTर म� एकृ क्रन्तिन्ता आई और वह साब T�जा कृ8 नय� दृमिष्टकृ8ण सा� द�खन� लीग�। उन्ह न� महत्म ग�धा� कृ� मनव�य किवकृसा और सामजा सा4धार कृय� म� भरसाकृ साहयता कृ<। उन्ह न� महसाRसा किकृय, "किवद�शी� ताकृता कृ हम पर रजा कृरन� कृ मRली कृरण हमर� कृमज़ों8र� और सामन्दिजाकृ ढां�T� म� दरर� ह�।" अस्प�श्यता कृ अभिभशीप जा8 7T�न सामय सा� Tली आ रह थ भरता�य सामजा कृ< एकृ ऐसा� कृ4 र�किता थ� न्दिजासाकृ� द्वार न�T� जाकिताय कृ8 ऐसा� दूर रख जाता थ मन व� कृ8ई छR ता कृ< ब�मर� ह । उन्ह� म�दिदर कृ� भ�तार जान� नहe दिदय जाता थ। यहj ताकृ कृ< ग�व म� कृ4 ए सा� पन� भ� नहe भरन� द�ता� थ�।
ली�किकृन सामजा कृ� बदलीन� सा� पहली� अपन� कृ8 बदलीन� कृ साहसा ह8न Tकिहय�। "यह बता साT थ�," रजा�न्द्र 7साद न� स्व�कृर किकृय, "म� ब्रह्माण कृ� अलीव किकृसा� कृ छ4 आ भ8जान नहe खता थ। Tम्पारन म� ग�धा�जा� न� उन्ह� अपन� प4रन� किवTर कृ8 छ8ड़ी द�न� कृ� क्तिलीय� कृह। आख़ि�रकृर उन्ह न� सामझय किकृ जाब व� साथ-साथ एकृ ध्य�य कृ� ली�य� कृय� कृरता� ह� ता8 उन साबकृ< कृ� वली एकृ जाकिता ह8ता� ह- अथ�ता व� साब साथ� कृय�कृता� ह�।"
ड. रजा�न्द्र 7साद जा� न� साद जा�वन अपनय और न^कृर कृ< सा�ख्य कृम कृरकृ� एकृ कृर द�। वह स्मरण कृरता� ह�, "साT ता8 यह ह- किकृ हम साब कृ4 छ स्वय� ह� कृरता� थ�। यहj ताकृ कृ< अपन� कृमर� म� झड़ू लीगन, रसा8ईर्घर साफ़ कृरन, अपन बता�न म�जान-धा8न, अपन सामन उठोन और अब गड़ी� म� भ� ता�सार� दजा� म� यत्रा कृरन अपमनजानकृ नहe लीगता थ।" द�शी न� ग�धा� जा� कृ� हरिरजान आ�द8लीन म� बहुता उत्साह दिदखय। किबहर न� 7किताज्ञा कृ< किकृ वह इसा कृ4 र�किता कृ8 और हरिरजान कृ� कृVयण कृ� क्तिलीय� किकृय� कृय� द्वार हटय�ग�। दभिक्षाण भरता कृ8 उन्ह न� "अस्प�श्यता कृ गढ़" कृह। रजा�न्द्र 7साद वह� सा�. रजाग8पलीTर� कृ� साथ गय� और बहुता 7यसा किकृय किकृ म�दिदर कृ� द्वार हरिरजान कृ� क्तिलीय� ख8ली दिदय� जाय�। उन्ह� कृ4 छ साफलीता भ� मिमली�। उन्ह न� ग�व कृ� कृ4� ए कृ उपय8ग कृरन� कृ� अमिधाकृर कृ� क्तिलीए भ� लीड़ीई कृ<। इसा सा4किवधा कृ8 भ� अन्य सा4किवधाओं कृ� साथ स्व�कृर कृर क्तिलीय गय।
जानवर� सान� 1934 म� किबहर कृ8 एकृ भ�यकृर भRकृम्पा न� झिंझEझ8ड़ी दिदय। जा�वन और साम्पाभित्ता कृ< बहुता हकिन हुई। रजा�न्द्र 7साद अपन� अस्वस्थता कृ� बद भ� रहता कृय� म� जा4ट गय�। वह उन ली8ग कृ� क्तिलीय� न्दिजानकृ� र्घर नष्ट ह8 गय� थ�, भ8जान, कृपड़ी और दवइय� इकृट्ठी� कृरता�। भRकृम्पा कृ� पश्चता किबहर म� बढ़ और मली�रिरय कृ 7कृ8प हुआ। न्दिजासासा� जानता कृ< ताकृली�फ� और भ� बढ़ गई। इसा भRकृम्पा और बढ़ 7भकिवता क्षा�त्रा म� कृम कृरन� म� ग�धा� जा� न� रजा�न्द्र 7साद कृ साथ दिदय।
कृ4 छ सामय पश्चता उत्तार-पभिश्चम म� कृ8यट नगर म�, मई सान� 1935 म� भय�कृर भRकृम्पा आय और उसा क्षा�त्रा म� भ�र्षोण किवनशी ली�ली हुई। सारकृर� 7किताबन्ध कृ� कृरण रजा�न्द्र 7साद ता4रन्ता वह� पहु�T न साकृ� । उन्ह न� प�जाब और सिंसाEधा म� रहता कृम�दिटय� बन द� जा8 भRकृम्पा द्वार ब�र्घर और वह� सा� आय� ली8ग कृ8 रहता द�न� कृ कृम कृरन� लीग�। रजा�न्द्र 7साद बड़ी� किहम्मता सा� साम्प्रदमियकृ तानव कृ8 कृम कृरन�, स्त्रिस्त्राय कृ< स्थिस्थकिता म� सा4धार और ग�व म� खद� और उद्य8ग कृ किवकृसा एव� रष्ट्र कृ� अन्य किनम�ण कृय� म� लीग� रह�। यह कृय� वह अपन� जा�वन कृ� अ�किताम दिदन ताकृ कृरता� रह�। उनकृ< मनवता आदम� कृ� भ�तार कृ< अच्छुई कृ8 छR जाता� थ�।
रजा�न्द्र 7साद न� अन्य न�ताओं कृ� साथ रष्ट्र किनम�ण कृ अकिता किवशीली कृय� ली� क्तिलीय। उसा सामय उनकृ� भ�तार जाली रह� रष्ट्र�यता कृ< ज्वली कृ8 कृ8ई नहe ब4झ साकृता थ। रजा�न्द्र 7साद ग�धा� जा� कृ� बहुता किनष्ठावन अन4यय� थ�। उन्ह न� स्वय� कृ8 पRर� तारह स्वधा�नता सा�ग्रंम कृ� क्तिलीए सामर्तिपEता कृर दिदय। उन्ह� और पRर� भरता
कृ8 ग�धा� कृ� रूप म� आ�द8लीन कृ� क्तिलीय� नय न�ता और सात्यग्रंह व असाहय8ग कृ� रूप म� एकृ नय अस्त्रा मिमली।
किवश्व इकिताहसा म� ऐसा उदहरण नहe मिमली�ग जाह� इतान� किनरस्त्रा ली8ग अकिंहEसा अपनकृर इतान� बहदुर� सा� लीड़ी� ह । सात्य और न्यय कृ� आदशी� कृ8 धारण कृरकृ� उनकृ किब्रदिटशी शीसान कृ8 किहलीन� कृ किनश्चय दृढ़ ह8ता जा रह थ।
सारकृर न� अपन� दमनकृर� अस्त्रा सा� इसा उत्साह कृ8 दबन� कृ 7यसा किकृय। मT� सान� 1919 म� रuली�ट एक्ट पसा किकृय गय। इसाकृ� द्वार जाजा रजान�किताकृ म4क़दम कृ8 जाRर� कृ� किबन सा4न साकृता� थ� और सा�द�हस्पद रजान�किताकृ ली8ग कृ8 किबन किकृसा� 7किक्रय कृ� जा�ली म� डली जा साकृता थ।
ली8ग कृ असा�ता8र्षो बढ़ता गय। ग�धा�जा� न� पRर� द�शी म� छ अ7¢ली सान� 1919 कृ8 हड़ीताली ब4लीई। "सार कृम ठोप्प ह8 गय...यहj ताकृ कृ< ग�व म� भ� किकृसान न� हली एकृ ओर रख दिदय�", रजा�न्द्र 7साद न� दिटप्पण� कृ<।
ली�किकृन सारकृर कृ अत्यTर बढ़ता ह� गय। अम�तासारकृ� जाक्तिलीयjवली बग़ म� 13 अ7�ली, 1919 म� एकृ किवर8धा साभ म� ढां�र सार� किनरस्त्रा ली8ग मर� गय� और कृई र्घयली हुए।
रजा�न्द्र 7साद इसा बता सा� बहुता क्र8मिधाता ह8 उठो� और उन्ह न� किनभ�कृता सा� किबहर कृ< जानता सा� ग�धा�जा� कृ� न�ता�त्व म� असाहय8ग आ�द8लीन कृ8 स्व�कृर कृरन� कृ< अप�ली कृ<। यह ऐसा सामय थ जाब द�शी कृ� क्तिलीय� कृ8ई भ� बक्तिलीदन बहुता बड़ी नहe थ। बबR रजा�न्द्र 7साद न� अपन� फलीता�-फR लीता� वकृलीता छ8ड़ीकृर पटन कृ� किनकृट सानअ 1921 म� एकृ न�शीनली कृuली�जा ख8ली। हज़ोंर छत्रा और 78फ़� सार न्दिजान्ह न� सारकृर� सा�स्थओं कृ बकिहष्कृर किकृय थ यहj आ गय�। किफर इसा कृuली�जा कृ8 ग�ग किकृनर� सादकृता आश्रीमम� ली� जाय गय। अगली� 25 वर्षो� कृ� क्तिलीय� यह रजा�न्द्र 7साद जा� कृ र्घर थ।
किबहर म� असाहय8ग आ�द8लीन 1921 म� दवनली कृ< तारह फ- ली गय। रजा�न्द्र 7साद दूर-दूर कृ< यत्राय� कृरता�, साव�जाकिनकृ साभय� ब4लीता�, न्दिजासासा� साबसा� साहयता ली� साकृ� और धान इकृट्ठी कृर साकृ� । उनकृ� क्तिलीय� यह एकृ नय अन4भव थ। "म4झ� अब र8ज़ों साभओं म� ब8लीन पड़ीता थ इसाक्तिलीय� म�र स्वभकिवकृ सा�कृ8T दूर ह8 गय..." साधारणताय क़्रर�ब 20,000 ली8ग इन साभओं म� उपस्थिस्थता ह8ता�। उनकृ� न�ता�त्व म� ग�व म� सा�व सामिमकिताय और प�Tयता कृ सा�गठोन किकृय गय। ली8ग सा� अन4र8धा किकृय गय किकृ किवद�शी� कृपड़ी कृ बकिहष्कृर कृर� और खद� पहन� व Tख� कृतान आरम्भा कृर�।
यह अकिनवय� थ किकृ रजान�किता कृ दृश्य बदली�। रजा�न्द्र 7साद न� जागरूकृता कृ वण�न इसा 7कृर किकृय ह-, "अब रजान�किता क्तिशीभिक्षाता और व्यवसाय� ली8ग कृ� कृमर सा� किनकृलीकृर द�हता कृ< झ8पकिड़ीय म� 7व�शी कृर गई थ� और इसाम� किहस्सा ली�न� वली� थ� किकृसान।"
सारकृर न� इसाकृ� उत्तार म� अपन दमन Tक्र Tलीय। हज़ोंर ली8ग न्दिजानम� लीली लीजापता रय, जावहर लीली न�हरू, द�शीबन्ध4 क्तिTतार�जान दसा और म^लीन अब4ली कृलीम आज़ोंद जा-सा� 7क्तिसाद्धा न�ता किगरफ्तार कृर क्तिलीय� गय�। आ�द8लीन कृ अन8खपन थ उसाकृ अकिंहEसाकृ ह8न। ली�किकृन फ़रवर� सान� 1922 म� ग�धा�जा� न� 'साकिवनय अवज्ञा आ�द8लीन' कृ< प4कृर द� किकृन्ता4 T^र� T^र, उत्तार 7द�शी म� किंहEसाकृ र्घटनय� ह8न� पर ग�धा� जा� न� साकिवनय अवज्ञा आ�द8लीन स्थकिगता कृर दिदय। उन्ह� लीग किकृ किंहEसा न्ययसा�गता नहe ह-। और रजान�किताकृ साफलीता कृ8
कृ4 छ सामय कृ� क्तिलीय� स्थकिगता किकृय जान ह� अच्छु ह-। न्दिजासासा� न-किताकृ असाफलीता सा� बT जा साकृ� । कृई न�ताओं न� आ�द8लीन कृ8 स्थकिगता कृरन� कृ� क्तिलीय� ग�धा� जा� कृ< कृड़ी� आली8Tन कृ< ली�किकृन रजा�न्द्र 7साद न� दृढ़ता कृ� साथ उनकृ साथ दिदय। उन्ह� ग�धा�जा� कृ< ब4न्दिद्धामत्ता पर पRण� किवश्वसा थ।
नमकृ सात्यग्रंह कृ आरम्भा ग�धा� जा� न� साम4द्र ताट कृ< ओर यत्रा कृरकृ� ड�ड� म� किकृय। न्दिजासासा� नमकृ क़नRन कृ उVली�र्घन वह कृर साकृ� । ड�ड�, साबरमता� आश्रीम सा� 320 किकृली8म�टर दूर थ�। नमकृ कृ< ज़ोंरूरता हव और पन� कृ< तारह साब कृ8 ह- और उन्ह न� महसाRसा किकृय किकृ नमकृ पर कृर लीगन अमन4किर्षोकृ कृय� थ। यह पRर� रष्ट्र कृ8 साकिक्रय ह8न� कृ सा�कृ� ता थ। किबहर म� नमकृ सात्यग्रंह कृ आरम्भा रजा�न्द्र 7साद कृ� न�ता�त्व म� हुआ। प4क्तिलीसा आक्रमण कृ� बवजाRद नमकृ क़नRन कृ� उVलीर्घ�न कृ� क्तिलीय� पटन म� न�सा तालीब T4न गय। स्वय�सा�वकृ कृ� दली उत्साहपRव�कृ एकृ कृ� बद एकृ आता� और नमकृ बनन� कृ� क्तिलीय� किगरफ्तार कृर क्तिलीय� जाता�। रजा�न्द्र 7साद न� अकिंहEसाकृ रहन� कृ� क्तिलीय� स्वय�सा�वकृ सा� अप�ली कृ<। कृई स्वय�सा�वकृ गम्भा�र रूप सा� र्घयली हुए।
नमकृ सात्यग्रंह कृ� 7किता प4क्तिलीसा कृ� अत्यTर इतान� बढ़ गय� किकृ जानता म� र8र्षो उत्पन्न ह8 गय क्य किकृ वह उलीट कृर प4क्तिलीसा कृ8 मरता� नहe थ� और सारकृर कृ8 अ�ता म� प4क्तिलीसा कृ8 वह� सा� हटन पड़ी। अब स्वय�सा�वकृ नमकृ बन साकृता� थ�। रजा�न्द्र 7साद न� उसा किनर्मिमEता नमकृ कृ8 ब�Tकृर धान इकृट्ठी किकृय। न्दिजासा क़नRन कृ8 वह न्ययसा�गता नहe सामझता� थ� उसा� ता8ड़ीन� सा� कृ8ई भ� T�ज़ों उन्ह� र8कृ नहe साकृता� थ�। एकृ बर ता8 वह प4क्तिलीसा कृ< लीदिठोय द्वार गम्भा�र रूप सा� र्घयली ह8 गय� थ�। उन्ह� छ� मह�न� कृ< जा�ली हुई। यह उनकृ< पहली� जा�ली यत्रा थ�।
रजा�न्द्र 7साद इ�किडयन न�शीनली कृ�ग्रं�सा कृ� एकृ सा� अमिधाकृ बर अध्यक्षा रह�। अक्तR बर सान� 1934 म� बम्बई म� हुए इ�किडयन न�शीनली कृ�ग्रं�सा कृ� अमिधाव�शीन कृ< अध्यक्षाता रजा�न्द्र 7साद न� कृ< थ�। उन्ह न� ग�धा� जा� कृ< सालीह सा� अपन� अध्यक्षा�य भर्षोण कृ8 अन्तिन्ताम रूप दिदय। साह� बता कृ सामथ�न कृरन साभ कृ< कृर�वई म� 7किताकिबस्त्रिम्बता ह8ता ह-। जाब ग�धा�जा� न� उनसा� पRछ किकृ उन्ह न� प�किडता मदनम8हन मलीव�य जा-सा� गणमन्य न�ता कृ8 दूसार� बर ब8लीन� सा� कृ- सा� मन कृर दिदय ता8 उन्ह न� उत्तार म� कृह किकृ ऐसा किनण�य उन्ह न� कृ�ग्रं�सा कृ� अध्यक्षा ह8न� कृ� नता� क्तिलीय थ न किकृ रजा�न्द्र 7साद कृ� रूप म�।
अपन� अध्यक्षा�य भर्षोण म� उन्ह न� साक्र<य, गकिताशी�ली, अ�किहसात्मकृ, सामRकिहकृ कृय� और अ�ताह�न बक्तिलीदन कृ8 स्वधा�नता कृ मRVय बताता� हुए उन पर ज़ों8र दिदय। अपन� ब�मर� कृ� बवजाRद कृ�ग्रं�सा अध्यक्षा कृ< ह-क्तिसायता सा� उन्ह न� बहुता द^र� किकृए।
कृ�ग्रं�सा कृ< स्वण� जायन्ता� (सान 1885-1935) मनई गई और कृ�ग्रं�सा अध्यक्षा न� अपन� सा�द�शी म� कृह, "यह दिदन स्मरण कृरन� और अपन� किनश्चय कृ8 द8हरन� कृ ह- किकृ हम पRण� स्वरज्य ली�ग�, जा8 स्वग�य कितालीकृ कृ� शीब्द म� हमर जान्म क्तिसाद्धा अमिधाकृर ह-।"
श्री� सा4भर्षोT�द्र ब8सा कृ� अ7-ली सान� 1939 म� कृ�ग्रं�सा अध्यक्षाता (कित्राप4र�) सा� त्यगपत्रा द�न� कृ� बद रजा�न्द्र 7साद किफर अध्यक्षा T4न� गय�। वह अपन बहुता सार सामय कृ�ग्रं�सा कृ� भ�तार� झगड़ी कृ8 किनबटन� म� लीगता�। कृकिव रव�न्द्रनथ ट-ग8र न� उन्ह� क्तिलीख, "अपन� मन म� म4झ� पRण� किवश्वसा ह- किकृ ता4म्हर व्यक्तिक्तत्व र्घयली आत्मओं पर मरहम कृ कृम कृर�ग और अकिवश्वसा और गड़ीबड़ी कृ� वतावरण कृ8 शीन्तिन्ता और एकृता कृ� वतावरण म� बदली द�ग।"
हमर� स्वता�त्राता कृ� इकिताहसा म� सान� 1939-47 ताकृ कृ� वर्षो� बड़ी� महत्त्वपRण� थ�। हम धा�र�-र्घ�र� स्व-7शीसान कृ< ओर बढ़ रह� थ�। इसा सामय साम्प्रदमियकृ दुभ�वनओं कृ� रूप म� एकृ उपद्रव� तात्त्व उत्पन्न ह8 गय थ। यह द�खकृर रजा�न्द्र 7साद कृ8 बहुता किनरशी हुई किकृ यह भवन बढ़ता� जा रह� ह-। जा�रद�ई म� उन्ह न� अपन� सा�र्घर्षो� कृ� अन्तिन्ताम द^र कृ� द^रन द8न साम्प्रदय कृ8 शीन्ता रहन� कृ< 7थ�न कृरता� हुए कृह, "यह ता8 अकिनवय� ह- किकृ दली म� किवTर कृ< भिभन्नता ह8 ली�किकृन इसाकृ अथ� यह नहe किकृ हम एकृ-दूसार� कृ क्तिसार फ8ड़ी द�।"
म4हम्मद अली� न्दिजान्न न� पकिकृस्तान कृ8 अपन� पट¥, म4स्थिस्लीम ली�ग कृ ध्य�य र्घ8किर्षोता कृर दिदय थ। ली�किकृन किवभजान कृ किवTर रजा�न्द्र 7साद कृ� क्तिसाद्धा�ता और दृमिष्टकृ8ण कृ� किबVकृ4 ली किवरूद्धा थ। उन्ह� इसा किवTर म� कृ8ई ऐसा व्यवहरिरकृ हली नहe मिमली। जाब भ� किबहर म� साम्प्रदमियकृ द�ग� ह8ता�, रजा�न्द्र 7साद ता4रन्ता वह� पहु�Tता�। उन्ह� वह� कृ� हृदय किवदरकृ दृश्य द�खकृर बड़ी धाक्कृ लीग। वह हम�शी किवव�कृपRण� बता� कृरता�।
किद्वाता�य किवश्वय4द्धा कृ< सामन्तिप्ता पर किब्रट�न न� महसाRसा किकृय किकृ अब भरता कृ� साथ और अमिधाकृ सामय क्तिTपकृ� रहन कृदिठोन ह-। किब्रदिटशी 7धानम�त्रा� क्ली�म�ट एटली� न� र्घ8र्षोण कृ< किकृ वह भरता�य न�ताओं कृ� साथ द�शी कृ� किवधान और सात्ता कृ< ताबद�ली� कृ� बर� म� किवTर-किवमशी� कृर�ग�। स्वधा�नता किनकृट ह� दिदखई द� रह� थ�।
सान 1946 म� भरता आन� वली� किब्रदिटशी कृ- किबन�ट मिमशीन कृ� 7यसा असाफली रह� थ�। यद्यकिप कृ� न्द्र�य और 7�ता�य किवधान म�डली कृ� T4नव और एकृ अ�तारिरम रष्ट्र�य सारकृर बनन� कृ 7स्ताव स्व�कृर कृर क्तिलीय गय थ।
सान 1946 म� जावहर लीली न�हरू कृ� न�ता�त्व म� बरह म�कित्राय कृ� साथ एकृ अ�तारिरम सारकृर बन�। रजा�न्द्र 7साद कृ� किर्षो और खद्य म�त्रा� किनय4क्त हुए। यह कृम उन्ह� पसान्द थ और वह ता4रन्ता कृम म� जा4ट गय�। द�शी म� इसा सामय खद्य पदथ� कृ< बहुता कृम� थ� और उन्ह न� खद्य पदथ� कृ उत्पदन बढ़न� कृ� क्तिलीय� एकृ य8जान बनई।
ली�किकृन सा�म्प्रदमियकृता कृ< सामस्य कृ8 सा4लीझय नहe जा साकृ। सान� 1946 म�, कृलीकृत्ता म� साम्प्रदमियकृ द�ग� आरम्भा हुय� और किफर पRर� ब�गली और किबहर म� फ- ली गय�। रजा�न्द्र 7साद न� जावहर लीली न�हरू कृ� साथ द�गग्रंस्ता क्षा�त्रा कृ द^र कृरता� हुए, ली8ग सा� अपन मनक्तिसाकृ सा�ता4लीन एव� किवव�कृ बनए रखन� कृ< अप�ली कृ<, "मनवता कृ< म�ग ह- किकृ पगलीपन, लीRटमर व आगजान� और हत्यकृ�ड कृ8 ता4रन्ता बन्द किकृय जाय�..."
लीम्ब� वर्षो� ताकृ �Rन पसा�न एकृ कृर कृ� और दुख उठोन� कृ� पश्चता 15 अगस्ता, सान� 1947 कृ8 आज़ोंद� मिमली�, यद्यकिप रजा�न्द्र 7साद कृ� अखण्ड भरता कृ सापन किवभजान सा� ख�किडता ह8 गय थ।
हमन� अपन� स्वता�त्राता 7प्ता कृर ली� थ� परन्ता4 अभ� हम� नय� क़नRन बनन� थ� न्दिजासासा� नय� रष्ट्र कृ शीसान Tलीय जा साकृ� ।
स्वधा�नता सा� पहली� जा4लीई सान� 1946 म� हमर सा�किवधान बनन� कृ� क्तिलीए एकृ सा�किवधान साभ कृ सा�गठोन किकृय गय।
रजा�न्द्र 7साद कृ8 इसाकृ अध्यक्षा किनय4क्त किकृय गय थ। यह उनकृ< किनस्स्वथ� रष्ट्र सा�व कृ� 7किता श्रीद्धा�जाली� थ� न्दिजासाकृ� वह स्वय� मRता�रूप थ�।
भरता�य सा�किवधान साभ कृ 7थम अमिधाव�शीन 9 दिदसाम्बर सान� 1946 कृ8 हुआ। सा�किवधान साभ कृ� परिरश्रीम सा� 26 नवम्बर सान� 1949 कृ8 भरता कृ< जानता न� अपन� कृ8 सा�किवधान
दिदय न्दिजासाकृ आदशी� थ न्यय, स्वधा�नता, बरबर� और बन्ध4त्व और साबसा� ऊपर रष्ट्र कृ< एकृता न्दिजासाम� कृ4 छ मRलीभRता अमिधाकृर किनकिहता ह�। भकिवष्य म� भरता कृ� किवकृसा कृ< दिदशी, किपछड़ी� वग�,
मकिहलीओं कृ< उन्नकिता और किवशी�र्षो क्षा�त्रा कृ� क्तिलीए किवशी�र्षो 7वधान ह�। न्दिजासासा� व्यक्तिक्त कृ< 7किताष्ठा और अ�तार�ष्ट्र�य शीन्तिन्ता कृ8 बढ़व द�न भ� सास्त्रिम्मक्तिलीता ह-।
भरता 26 जानवर� सान� 1950 म� गणता�त्रा बन और रजा�न्द्र 7साद उसाकृ� 7थम रष्ट्रपकिता बन�।
रष्ट्रपकिता बनन� पर भ� उनकृ रष्ट्र कृ� 7किता सामर्तिपEता जा�वन Tलीता रह। व�द्धा और नजा§कृ स्वस्थ्य कृ� बवजाRद उन्ह न� भरता कृ< जानता कृ� साथ अपन किनजा� साम्पाकृ� क़यम रख। वह वर्षो� म� सा� 150 दिदन र�लीगड़ी� द्वार यत्रा कृरता� और आमता^र पर छ8ट�-छ8ट� स्ट�शीन पर रूकृकृर सामन्य ली8ग सा� मिमलीता�।
ज्ञान कृ� 7किता लीगव ह8न� कृ� कृरण रजा�न्द्र 7साद "धान� और दरिरद्र द8न कृ� र्घर म� 7कृशी लीन Tहता� थ�।" क्तिशीक्षा ह� ऐसा� Tब� थ� जा8 मकिहलीओं कृ8 स्वता�त्राता दिदली साकृता� थ�। क्तिशीक्षा कृ अथ� थ व्यक्तिक्तत्व कृ पRण� किवकृसा न किकृ कृ4 छ प4स्ताकृ कृ रटन। वह मनता� थ� किकृ क्तिशीक्षा जानता कृ< मता�भर्षो म� ह8न� Tकिहए। यदिद हम� आधा4किनकृ किवश्व कृ� साथ अपन� गकिता बनय� रखन� ह- ता8 अ�ग्रं�ज़ों� कृ< उप�क्षा नहe कृरन� Tकिहए। उन्ह न� स्वय� भ� कृई किवक्तिशीष्ट प4स्ताकृ� क्तिलीखe। न्दिजानम�
उनकृ< आत्मकृथ (1946), Tम्पारन म� सात्यग्रंह (1922), इ�किडय किडवइड�ड (1946), महत्म ग�धा� ए�ड किबहर, साम र�मिमकिनसान्सा�जा (1949), बपR कृ� क़दम म� (1954) भ� सास्त्रिम्मक्तिलीता ह�।
व�रा स�वराकारा स्मा�ति�दिदवस
किवनयकृ दम8दर सावरकृर (जान्म- 28 मई, 1883, भगRर गjव, नक्तिसाकृ; म�त्य4- 26 फ़रवर�, 1966, म4म्बई भरता) न क्तिसाफ़� एकृ क्र�किताकृर� थ� बल्किVकृ एकृ भर्षोकिवद, ब4न्दिद्धावद�, कृकिव, अ7किताम क्र�किताकृर�, दृढां रजान�ता, सामर्तिपEता सामजा सा4धारकृ, दशी�किनकृ, द्रष्ट, महन कृकिव और महन इकिताहसाकृर और ओजास्व� आदिद वक्त भ� थ�। उनकृ� इन्हe ग4ण न� महनताम ली8ग कृ< श्री�ण� म� उच्च पयदन पर लीकृर खड़ी कृर दिदय।
व�र सावरकृर कृ पRर नम किवनयकृ दम8दर सावरकृर थ। अ�ग्रं�ज़ों� सात्ता कृ� किवरुद्धा भरता कृ< स्वता�त्राता कृ� क्तिलीए सा�र्घर्षो� कृरन� वली� किवनयकृ दम8दर सावरकृर साधारणताय व�र सावरकृर कृ� नम सा� किवख्यता थ�। व�र सावरकृर कृ जान्म 28 मई 1883 कृ8 नक्तिसाकृ कृ� भगRर गjव म� हुआ। उनकृ� किपता दम8दरप�ता गjव कृ� 7किताख़िष् ठोता व्यक्तिक्तय म� जान� जाता� थ�। जाब किवनयकृ न^ साली कृ� थ� ताभ� उनकृ< मता रधाबई कृ द�ह�ता ह8 गय थ। किवनयकृ दम8दर सावरकृर, 20 वe शीताब्द� कृ� साबसा� बड़ी� किहन्दूवद� थ�। उन्ह� किहन्दू शीब्द सा� ब�हद लीगव थ। वह कृहता� थ� किकृ उन्ह� स्वतान्त्राय व�र कृ< जागह किहन्दू सा�गठोकृ कृह जाए। उन्ह न� जा�वन भर किहन्दू किहन्द� किहन्दुस्तान कृ� क्तिलीए कृय� किकृय। वह अख़िखली भरता किहन्दू महसाभ कृ� 6 बर रष्ट्र�य अध्यक्षा T4न� गए। 1937 म� व� 'किहन्दू महसाभ' कृ� अध्यक्षा T4न� गए और 1938 म� किहन्दू महसाभ कृ8 रजान�किताकृ दली र्घ8किर्षोता
किकृय थ। 1943 कृ� बद ददर, म4�बई म� रह�। बद म� व� किनद�र्षो क्तिसाद्धा हुए और उन्ह न� रजान�किता सा� सा�न्यसा ली� क्तिलीय।
व�र सावरकृर न� क्तिशीवजा� हईस्कृR ली नक्तिसाकृ सा� 1901 म� म-दिªकृ कृ< पर�क्षा पसा कृ<। बTपन सा� ह� व� पढ़कृR थ�। बTपन म� उन्ह न� कृ4 छ कृकिवताएj भ� क्तिलीख� थe। फ़ग्य4�सान कृuली�जा प4ण� म� पढ़न� कृ� द^रन भ� व� रष्ट्रभक्तिक्त सा� ओता-78ता ओजास्व� भर्षोण द�ता� थ�। जाब व� किवलीयता म� क़नRन कृ< क्तिशीक्षा 7प्ता कृर रह� थ�, ताभ� 1910 ई. म� एकृ हत्यकृ�ड म� साहय8ग द�न� कृ� रूप म� एकृ जाहज़ों द्वार भरता रवन कृर दिदय� गय�।
1940 ई. म� व�र सावरकृर न� पRन म� ‘अभिभनव भरता�’ नमकृ एकृ ऐसा� क्र�किताकृर� सा�गठोन कृ< स्थपन कृ<, न्दिजासाकृ उद्दे�श्य आवश्यकृता पड़ीन� पर बली-7य8ग द्वार स्वता�त्राता 7प्ता कृरन थ। आज़ोंद� कृ� वस्ता� कृम कृरन� कृ� क्तिलीए उन्ह न� एकृ ग4प्ता सा8सायट� बनई थ�, जा8 'मिमत्रा म�ली' कृ� नम सा� जान� गई।
1910 ई. म� एकृ हत्यकृ�ड म� साहय8ग द�न� कृ� रूप म� व�र सावरकृर एकृ जाहज़ों द्वार भरता रवन कृर दिदय� गय�। परन्ता4 फ़्री�सा कृ� मसा�ली�ज़ों बन्दरगह कृ� साम�प जाहज़ों सा� व� साम4द्र म� कृR दकृर भग किनकृली�, किकृन्ता4 प4न� पकृड़ी� गय� और भरता लीय� गय�। भरता कृ< स्वता�त्राता कृ� क्तिलीए किकृए गए सा�र्घर्षो� म� व�र सावरकृर कृ नम ब�हद महत्त्वपRण� रह ह-। महन द�शीभक्त और क्र�किताकृर� सावरकृर न� अपन सा�पRण� जा�वन द�शी कृ� क्तिलीए सामर्तिपEता कृर दिदय। अपन� रष्ट्रवद� किवTर सा� जाहj सावरकृर द�शी कृ8 स्वता�त्रा कृरन� कृ� क्तिलीए किनरन्तार सा�र्घर्षो� कृरता� रह� वहe दूसार� ओर द�शी कृ< स्वता�त्राता कृ� बद भ� उनकृ जा�वन सा�र्घर्षो� सा� मिर्घर रह।
एकृ किवशी�र्षो न्ययलीय द्वार उनकृ� अभिभय8ग कृ< सा4नवई हुई और उन्ह� आजा�वन कृली�पन� कृ< दुहर� साज़ों मिमली�। सावरकृर 1911 सा� 1921 ताकृ अ�डमन जा�ली (सा�VयRलीर जा�ली) म� रह�। 1921 म� व� स्वद�शी ली^ट� और किफर 3 साली जा�ली भ8ग�। 1937 ई. म� उन्ह� म4क्त कृर दिदय गय थ, परन्ता4 भरता�य रष्ट्र�य कृ�ग्रं�सा कृ8 उनकृ सामथ�न न 7प्ता ह8 साकृ 1947 म� इन्ह8न� भरता किवभजान कृ किवर8धा किकृय। महत्म रमTन्द्र व�र (किहन्दू महसाभ कृ� न�ता एव� सान्ता) न� उनकृ सामथ�न किकृय। और 1948 ई. म� महत्म ग�धा� कृ< हत्य म� उनकृ हथ ह8न� कृ सा�द�ह किकृय गय। इतान� म4ल्किश्क़ली कृ� बद भ� व� झ4कृ� नहe और उनकृ द�शी7�म कृ जाज़्ब बरकृरर रह और अदलीता कृ8 उन्ह� तामम आर8प सा� म4क्त कृर बर� कृरन पड़ी।
सावरकृर भरता कृ� पहली� व्यक्तिक्त थ� न्दिजान्ह न� किब्रदिटशी साम्राज्य कृ� कृ� न्द्र ली�दन म� उसाकृ� किवरूद्धा क्र�किताकृर� आ�द8लीन सा�गदिठोता किकृय थ।
सावरकृर भरता कृ� पहली� व्यक्तिक्त थ� न्दिजान्ह न� सान� 1905 कृ� ब�ग-भ�ग कृ� बद सान� 1906 म� 'स्वद�शी�' कृ नर द�, किवद�शी� कृपड़ी कृ< ह8ली� जालीई थ�।
सावरकृर भरता कृ� पहली� व्यक्तिक्त थ� न्दिजान्ह� अपन� किवTर कृ� कृरण ब-रिरस्टर कृ< किडग्रं� ख8न� पड़ी�। सावरकृर पहली� भरता�य थ� न्दिजान्ह न� पRण� स्वता�त्राता कृ< म�ग कृ<। सावरकृर भरता कृ� पहली� व्यक्तिक्त थ� न्दिजान्ह न� सान� 1857 कृ< लीड़ीई कृ8 भरता कृ 'स्वधा�नता सा�ग्रंम'
बताता� हुए लीगभग एकृ हज़ोंर प�ष्ठा कृ इकिताहसा 1907 म� क्तिलीख। सावरकृर भरता कृ� पहली� और दुकिनय कृ� एकृमत्रा ली�खकृ थ� न्दिजानकृ< किकृताब कृ8 7कृक्तिशीता ह8न� कृ�
पहली� ह� किब्रदिटशी और किब्रदिटशीसाम्राज्यकृ< सारकृर न� 7किताब�मिधाता कृर दिदय थ। सावरकृर दुकिनय कृ� पहली� रजान�किताकृ कृ- द� थ�, न्दिजानकृ ममली ह�ग कृ� अ�तारष्ट्र�य न्ययलीय म�
Tली थ। सावरकृर पहली� भरता�य रजान�किताकृ कृ- द� थ�, न्दिजासान� एकृ अछR ता कृ8 म�दिदर कृ प4जार� बनय थ। सावरकृर न� ह� वह पहली भरता�य झ�ड बनय थ, न्दिजासा� जाम�न� म� 1907 कृ< अ�तार�ष्ट्र�य
सा8शीक्तिलीस्ट कृ�ग्रं�सा म� म-डम कृम न� फहरय थ। सावरकृर व� पहली� कृकिव थ�, न्दिजासान� कृलीम-कृग़ज़ों कृ� किबन जा�ली कृ< द�वर पर पत्थर कृ� ट4कृड़ी सा�
कृकिवताय� क्तिलीखe। कृह जाता ह- उन्ह न� अपन� रT� दसा हज़ोंर सा� भ� अमिधाकृ प�क्तिक्तय कृ8 7T�न
व-दिदकृ साधान कृ� अन4रूप वर्षो�स्म�किता म� सा4रभिक्षाता रख, जाब ताकृ वह किकृसा� न किकृसा� तारह द�शीवक्तिसाय ताकृ नहe पहुT गई।
उन्ह न� अन�कृ ग्रं�थ कृ< रTन कृ<, न्दिजानम� ‘भरता�य स्वता�त्र्य य4द्धा’, म�र आजा�वन कृरवसा’ और ‘अण्डमन कृ< 7किताध्वकिनयj’ (साभ� अ�ग्रं�ज़ों� म�) अमिधाकृ 7क्तिसाद्धा ह�।
जा�ली म� 'किंहEदुत्व' पर शी8धा ग्रं�थ क्तिलीख। 1909 म� क्तिलीख� प4स्ताकृ 'द इ�किडयन वuर ऑफ़ इ�किडप�ड�सा-1857' म� सावरकृर न� इसा लीड़ीई कृ8
किब्रदिटशी सारकृर कृ� ख़ि�लीफ आज़ोंद� कृ< पहली� लीड़ीई र्घ8किर्षोता कृ< थ�।
सावरकृर एकृ 7ख्यता सामजा सा4धारकृ थ�। उनकृ दृढ़ किवश्वसा थ, किकृ सामन्दिजाकृ एव� साव�जाकिनकृ सा4धार बरबर� कृ महत्त्व रखता� ह� व एकृ दूसार� कृ� पRरकृ ह�। सावरकृर जा� कृ< म�त्य4 26 फ़रवर�, 1966 म� म4म्बई म� हुई थ�।
स्व�मा� काराप�त्री� प�ण्याति�सि�
धाम� साम्राट स्वम� कृरपत्रा� जा� महरजा एकृ 7ख्यता भरता�य सा�ता एव� सान्यसा� रजान�ता थ�। धाम�सा�र्घ व अख़िखली भरता�य रम रज्य परिरर्षोद नमकृ रजान-किताकृ पट¥ कृ� सा�स्थपकृ महमकिहम स्वम� कृरपत्रा� कृ8 "किहन्दू धाम� साम्राट" कृ< उपमिधा मिमली�। स्वम� कृरपत्रा� एकृ साच्च� स्वद�शी7�म� व किहन्दू धाम� 7वता�कृ थ�। इनकृ वस्ताकिवकृ नम 'हर नरयण ओझ' थ।
स्वम� श्री� कृ जान्म सा�वता�1964 किवक्रम� (सान� 1907 ईस्व�) म� श्रीवण मसा, शी4क्ली पक्षा, किद्वाता�य कृ8 ग्रंम भटन�, न्दिजाली 7तापगढ़ उत्तार 7द�शी म� सानतान धाम� सारयRपर�ण ब्रह्माण स्व. श्री� रमकिनमिधा ओझ एव� परमधार्मिमEकृ सा4सा�स्त्रिस्क्रता स्व. श्री�मता� क्तिशीवरन� जा� कृ� आjगन म� हुआ। बTपन म� उनकृ नम 'हरिर नरयण' रख गय।
स्वम� श्री� 8-9 वर्षो� कृ< आय4 सा� ह� सात्य कृ< ख8जा ह�ता4 र्घर सा� पलीयन कृरता� रह�। वस्ता4ता� 9 वर्षो� कृ< आय4 म� सा^भग्यवता� कृ4 मर� महद�व� जा� कृ� साथ किववह सा�पन्न ह8न� कृ� पशीTता 16 वर्षो� कृ< अVपय4 म� ग�हत्यग कृर दिदय। उसा� वर्षो� स्वम� ब्रह्मान�द सारस्वता� जा� महरजा सा� न-मिष्ठाकृ ब्रह्माTर� कृ< द�क्षा ली�। हरिर नरयण सा� ' हरिरहर T-तान्य ' बन�।
न-मिष्ठाकृ ब्रह्म्Tरिरय प�किडता श्री� जा�वन दत्ता महरजा जा� सा� सा�स्त्रिस्क्रताध्यय्न र्षोड�दशी�नTय� प�किडता स्वम� श्री� किवश्व�श्वरश्रीम जा� महरजा सा� व्यकृरण शीस्त्रा, दशी�न शीस्त्रा, भगवता, न्ययशीस्त्रा, व�द�ता अध्ययन, श्री� अT4त्म4न� जा� महरजा सा� अध्ययन ग्रंहण किकृय।
17 वर्षो� कृ< आय4 सा� किहमलीय गमन 7र�भ कृर अख�ड साधान, आत्मदशी�न, धाम� सा�व कृ सा�कृVप क्तिलीय। कृशी� धाम म� क्तिशीखसाRत्रा परिरत्यग कृ� बद किवद्वाता, सा�न्यसा 7प्ता किकृय। एकृ ढांई गज़ों कृपड़ी एव� द8 ली�ग8ट� मत्रा रखकृर भय�कृर शी�ता8ष्ण वर्षो� कृ साहन कृरन इनकृ 18 वर्षो� कृ< आय4 म� ह� स्वभव बन गय थ। कित्राकृली स्नन, ध्यन, भजान, पRजान, ता8 Tलीता ह� थ। किवद्यध्ययन कृ< गकिता इतान� ता�व्र थ� किकृ सा�पRण� वर्षो� कृ पठ्यक्रम र्घ�ट और दिदन म� हृदय�गम कृर ली�ता�। ग�गताट पर फR� सा कृ< झ पड़ी� म� एकृकृ< किनवसा, र्घर म� भिभक्षाग्रंहण कृरन�, T^ब�सा र्घ�ट म� एकृ बर। भRमिमशीयन, किनरवण Tरण (पद) यत्रा। ग�गताट नखर म� 7त्य�कृ 7कितापद कृ8 धाRप म� एकृ लीकृड़ी� कृ< किकृली गड कृर एकृ ट�ग सा� खड़ी� ह8कृर तापस्य रता रहता�। T^ब�सा र्घ�ट� व्यता�ता ह8न� पर जाब साRय� कृ< धाRप सा� कृ<ली कृ< छय उसा� स्थन पर पड़ीता�, जाहj 24 र्घ�ट� पRव� थ�, ताब दूसार� प-र कृ आसान बदलीता�। ऐसा� कृठो8र साधान और र्घर म� भिभक्षा कृ� कृरण "कृरपत्रा�" कृहलीए।
24 वर्षो� कृ< आय4 म� परम तापस्व� 1008 श्री� स्वम� ब्रह्मान�द सारस्वता� जा� महरजा सा� किवमिधावता दण्ड ग्रंहण कृर "अभिभनवशी�कृर" कृ� रूप म� 7कृट्य हुआ। एकृ सा4न्दर आश्रीम कृ< सा�रTन कृर पRण� रूप सा� सा�न्यसा� बन कृर "परमह�सा परिरब्रजाकृTय� 1008 श्री� स्वम� हरिरहरन�द सारस्वता� श्री� कृरपत्रा� जा� महरजा" कृहलीए।
अख़िखली भरता�य रम रज्य परिरर्षोद भरता कृ< एकृ परम्पारवद� किहन्दू पट¥ थ�। इसाकृ< स्थपन स्वम� कृरपत्रा� न� सान� 1948 म� कृ< थ�। इसा दली न� सान� 1952 कृ� 7थम ली8कृसाभ T4नव म� 3 सा�ट� 7प्ता कृ< थ�। सान� 1952, 1957 एवम� 1962 कृ� किवधानसाभ T4नव म� किहन्द� क्षा�त्रा (म4ख्यता: रजास्थन) म� इसा दली न� दजा�न सा�ट� हक्तिसाली कृ< थ�।
साम्पाRण� द�शी म� प-दली यत्राएj कृरता� धाम� 7Tर कृ� क्तिलीए सान 1940 ई० म� "अख़िखली भरता�ए धाम� सा�र्घ" कृ< स्थपन कृ< न्दिजासाकृ दयर सा�कृ4 क्तिTता नहe किकृन्ता4 वह आजा भ� 7ण� मत्रा म� सा4ख शी�किता कृ� क्तिलीए 7यत्नशी�ली ह�। उसाकृ< दृमिष्ट म� सामस्ता जागता और उसाकृ� 7ण� साव�श्वर, भगवन कृ� अ�शी ह� य रूप ह�। उसाकृ� क्तिसाद्धा�ता म� अधार्मिमEकृ कृ नहe अधाम� कृ� नशी कृ8 ह� 7थमिमकृता द� गई ह-। यदिद मन4ष्य स्वय� शी�ता और सा4ख� रहन Tहता ह- ता8 और कृ8 भ� शी�ता और सा4ख� बनन� कृ 7यत्न आवश्यकृ ह-। इसाक्तिलीए धाम� सा�र्घ कृ� हर कृय� कृ8 आदिद अ�ता म� धाम� कृ< जाय ह8, अधाम� कृ नशी ह8, 7भिणय म� साद्भवन ह8, किवश्व कृ कृVयण ह8, ऐसा� पकिवत्रा जायकृर कृ 7य8ग ह8न Tकिहए।
मर्घ शी4क्ली Tता4द�शी� सा�वता 2038 (7 फरवर 1962) कृ8 कृ� दरर्घट वरणसा� म� स्व�च्छु सा� उनकृ� प�T 7ण मह7ण म� किवली�न ह8 गए। उनकृ� किनद�शीन4सार उनकृ� नश्वर पर्थिथEव शीर�र कृ कृ� दरर्घट स्थिस्थता श्री� ग�ग महरन� कृ8 पवन ग8द म� जाली सामधा� द� गई|
आशा� दशामा� व्र�-का�� इसा व्रता कृ� कृरन� सा� मन8कृमनए� पRण� ह8ता� ह�. कृन्य श्री�ष्ठा वर 7प्ता कृरता� ह-, ब्रह्माण किनर्तिवEघ्न यज्ञा सा�पन्न कृर पता� ह�, र8ग� र8गम4क्त ह8 जाता ह-, और पकिता कृ� यत्रा 7वसा पर जान� पर और जाVद� न आन� पर स्त्रा� इसा व्रता कृ� द्वार अपन� पकिता कृ8 शी�घ्र 7प्ता कृर साकृता� ह-. क्तिशीशी4 र8ग म� इसा व्रता सा� लीभ ह8ता ह-.भगवन श्री�कृ� ष्ण कृहता� ह-- पथ�, अब म� आपसा� आशीदशीम� व्रता-कृथ एव� उसाकृ� किवधान कृ वण�न कृर रह हूंj. 7T�न कृली म� किनर्षोधा द�शी म� एकृ रजा रज्य कृरता� थ�, उनकृ नम नली थ. उनकृ� भई प4ष्कृर न� जाब उन्ह� द्य4ता (जाRआ) म� हर दिदय ताब रजा नली अपन� रन� दमय�ता� कृ� साथ रज्य सा� बहर Tली� गए. व� 7कितादिदन एकृ वन सा� दुसार� वन म� किवTरण कृरता� रहता� थ�. कृ� वली जाली पर ग4जार कृर रह� थ�. साRनसान जा�गली म� र्घ4ट� रहन ह� इनकृ भग्य बन TRकृ थ. एकृ बर रजा न� स्वण� सा� कृन्तिन्ता वली� कृ4 छ पभिक्षाय कृ8 द�ख. उन्ह� पकृड़ीन� कृ< इच्छु सा� रजा न� उनकृ� ऊपर वस्त्रा फ- लीय परन्ता4 क्तिTकिडय उनकृ वस्त्रा ली�कृर उड़ी गई. इसासा� रजा बड़ी� दुख� हुए. दमय�ता� क्र8धा कृर साकृता� ह�, इसा�क्तिलीए दमय�ता� कृ8 गढ़� किनद्र म� छ8ड़ीकृर रजा नली Tली� गए.दमय�ता� न� किनद्र सा� उठोकृर नली कृ8 न पकृर अत्य�ता दुख� ह8 गय� और तारह-तारह कृ< आशी�कृओं सा� उनकृ मन भर गय. व8 फफकृ-फफकृ कृर उसा किनजा�न जा�गली म� र8न� लीगe. वह इधार-उधार पRर� जा�गली म� रजा नली कृ< ख8जा म� भटकृन� लीगe. इसा 7कृर कृई दिदन और कृई रता� ब�ता गयe. भटकृता� हुए व8 एकृ नगर T�दिदद�शी पहुjTe. वह� वह उन्मत्ता-सा� रहन� लीगe और अपन मनक्तिसाकृ सा�ता4लीन भ� धा�र�-धा�र� ख8न� लीगe. छ8ट�-छ8ट� बच्च� उन्ह� कृ^ता4हलीवशी र्घ�र� रहता� थ�. एकृदिदन उसा द�शी कृ< रजामता कृ< नजार दमय�ता� पर पड़ी�. उसा सामय T�द्रम कृ< र�ख कृ� सामन उनकृ शीर�र ट�ढ़ ह8 TRकृ थ, ली�किकृन उनकृ म4खम�डली Tमकृ रह थ. रजामता कृ� पRछन� पर दमय�ता� न� कृह-म� किववकिहता हूंj. म� न किकृक्तिसासा कृ� Tरण धा8ता� हूंj और न ह� जाRठो भक्षाण कृरता� हूंj. यहj रहता� हुए यदिद कृ8ई म4झ� 7प्ता कृरन� कृ< कृ8क्तिशीशी कृर�ग ता8 व8
आपकृ� द्वार द�ड कृ भग� ह8न Tकिहए. रजामता, इसा 7किताज्ञा कृ� साथ म� यहj रह साकृता� हूंj. रजामता न� इसा� स्व�कृर कृर क्तिलीय. कृ4 छ सामय ब�ता जान� कृ� पश्चता एकृ ब्रह्माण उसा� अपन� साथ अपन� परिरवर म� ली� आय. साभ� कृ4 छ उपलीब्ध रहन� कृ� बद भ� रजा नली कृ� किबन उसाकृ जा�वन साRन थ. एकृ बर दमय�ता� न� ब्रह्माण सा� कृह कृ< आप कृ8ई ऐसा दन-व्रता आदिद म4झ� कृह� न्दिजासासा� म� अपन ख8य सा4हग किफर सा� 7प्ता कृर साकृR� . ताब उसा किवद्वान ब्रह्माण न� उसा� आशी दशीम� कृ व्रता रखन� कृ< सालीह द�. ताब दमय�ता� न� किवमिधा पRव�कृ आशी दशीम� कृ व्रता पRजान किकृय और रजा नली कृ8 7प्ता किकृय. भगवन श्री� कृ� ष्ण न� आग� कृह- ह� रजान, इसा व्रता कृ� 7भव सा� रजाप4त्रा अपन रज्य, कृ� किर्षो, ख�ता�, वकिनकृ व्यपर म� लीभ, प4त्राथ� प4त्रा ताथ मन4ष्य धाम�, अथ�, कृम कृ< क्तिसान्दिद्धा 7प्ता कृरता� ह�.
भगो� सिंस$ह-स�खद�व-रा�जागो�रु शाह�द दिदवस
भगतासिंसाEह कृ जान्म 27 क्तिसाता�बर, 1907 कृ8 प�जाब कृ� न्दिज़ोंली लीयलीप4र म� ब�ग गjव (पकिकृस्तान) म� हुआ थ, एकृ द�शीभक्त क्तिसाख परिरवर म� हुआ थ, न्दिजासाकृ अन4कृR ली 7भव उन पर पड़ी थ। भगतासिंसाEह कृ� किपता 'सारदर किकृशीन सिंसाEह' एव� उनकृ� द8 TT 'अजा�तासिंसाEह' ताथ 'स्वण�सिंसाEह' अ�ग्रं�ज़ों कृ� ख़ि�लीफ ह8न� कृ� कृरण जा�ली म� बन्द थ� । न्दिजासा दिदन भगतासिंसाEह प-द हुए उनकृ� किपता एव� TT कृ8 जा�ली सा� रिरह किकृय गय । इसा शी4भ र्घड़ी� कृ� अवसार पर भगतासिंसाEह कृ� र्घर म� ख4शी� और भ� बढ़ गय� थ� । भगतासिंसाEह कृ< दद� न� बच्च� कृ नम 'भग� वली' (अच्छु� भग्य वली) रख । बद म� उन्ह� 'भगतासिंसाEह' कृह जान� लीग । व� 14 वर्षो� कृ< आय4 सा� ह� प�जाब कृ< क्रन्तिन्ताकृर� सा�स्थओं म� कृय� कृरन� लीग� थ�। ड�.ए.व�. स्कृR ली सा� उन्ह न� नवe कृ< पर�क्षा उत्ता�ण� कृ<। 1923 म� इ�टरम�किडएट कृ< पर�क्षा पसा कृरन� कृ� बद उन्ह� किववह बन्धन म� बjधान� कृ< ता-यरिरयj ह8न� लीग� ता8 व� लीह^र सा� भगकृर कृनप4रआ गय�।सा4खद�व थपर कृ जान्म प�जाबकृ� शीहर लीयलीप4र म� श्री�य4ता� रमलीली थपर व श्री�मता� रVली� द�व� कृ� र्घर किवक्रम� साम्वता 1964 कृ� फVग4न मसा म� शी4क्ली पक्षा साप्ताम� तादन4सार 15 मई 1907 कृ8 अपरन्ह प^न� ग्यरह बजा� हुआ थ । जान्म सा� ता�न मह पRव� ह� किपता कृ स्वग�वसा ह8 जान� कृ� कृरण इनकृ� ताऊ अक्तिTन्तारम न� इनकृ पलीन प8र्षोण कृरन� म� इनकृ< मता कृ8 पRण� साहय8ग किकृय। सा4खद�व कृ< ताय� जा� न� भ� इन्ह� अपन� प4त्रा कृ< तारह पली। इन्ह न� भगता सिंसाEह, कृuमर�ड रमTन्द्र एवम� भगवता� Tरण ब8हरकृ� साथ लीह^र म� न^जावन भरता साभकृ गठोन किकृय थ ।लीली लीजापता रय कृ< म^ता कृ बदली ली�न� कृ� क्तिलीय� जाब य8जान बन� ता8 साण्डसा� कृ वधा कृरन� म� इन्ह न� भगता सिंसाEह ताथ रजाग4रु कृ पRर साथ दिदय थ। यह� नहe, सान� 1929 म� जा�ली म� कृ- दिदय कृ� साथ अमनव�य व्यवहर किकृय� जान� कृ� किवर8धा म� रजान�किताकृ बन्दिन्दय द्वार कृ< गय� व्यपकृ हड़ीताली म� बढां-Tढांकृर भग भ� क्तिलीय थ |क्तिशीवरम हरिर रजाग4रु कृ जान्म भद्रपद कृ� कृ� ष्णपक्षा कृ< त्राय8दशी� साम्वता� 1965 (किवक्रम�) तादन4सार सान� 1908 म� प4ण� न्दिजाली कृ� ख�ड गjव म� हुआ थ । 6 वर्षो� कृ< आय4 म� किपता कृ किनधान ह8 जान� सा� बहुता छ8ट� उम्रा म� ह� य� वरणसा� किवद्यध्ययन कृरन� एव� सा�स्कृ� तासा�खन� आ गय� थ� । इन्ह न� किहन्दूधाम�-ग्रं�न्थों ताथ व�द8 कृ अध्ययन ता8 किकृय ह� लीर्घ4 क्तिसाद्धान्ता कृ^म4द� जा-सा स्थिक्लीष्ट ग्रंन्थों बहुता कृम आय4 म� कृण्ठोस्थ कृर क्तिलीय थ। इन्ह� कृसारता (व्ययम) कृ ब�हद शी^कृ थ और छत्रापकिता क्तिशीवजा� कृ< छपमर य4द्धा-शी-ली� कृ� बड� 7शी�साकृ थ� ।
द�शी कृ< स्वता�त्राता कृ� क्तिलीए अख़िखली भरता�य स्तार पर क्रन्तिन्ताकृर� दली कृ प4नग�ठोन कृरन� कृ श्री�य सारदर भगतासिंसाEह कृ8 ह� जाता ह-। उन्ह न� कृनप4र कृ� '7ताप' म� 'बलीव�ता सिंसाEह' कृ� नम सा� ताथ दिदVली� म� 'अजा4�न' कृ� साम्पादकृ<य किवभग म� 'अजा4�न सिंसाEह' कृ� नम सा� कृ4 छ सामय कृम किकृय और अपन� कृ8 'न^जावन भरता साभ' सा� भ� साम्बद्धा रख।
1919 म� रuली�क्ट एक्ट कृ� किवर8धा म� सा�पRण� भरता म� 7दशी�न ह8 रह� थ� और इसा� वर्षो� 13 अ7-ली कृ8 जाक्तिलीय�वली बग़ कृण्ड हुआ । इसा कृण्ड कृ सामTर सा4नकृर भगतासिंसाEह लीह^र सा� अम�तासार पहु�T�। द�शी पर मर-मिमटन� वली� शीह�द कृ� 7किता श्रीध्द�जाक्तिली द� ताथ रक्त सा� भ�ग� मिमट्टी� कृ8 उन्ह न� एकृ ब8ताली म� रख क्तिलीय, न्दिजासासा� साद-व यह यद रह� किकृ उन्ह� अपन� द�शी और द�शीवक्तिसाय कृ� अपमन कृ बदली ली�न ह- ।1920 कृ� महत्म ग�धा� कृ� असाहय8ग आ�द8लीन सा� 7भकिवता ह8कृर 1921 म� भगतासिंसाEह न� स्कृR ली छ8ड़ी दिदय। असाहय8ग आ�द8लीन सा� 7भकिवता छत्रा कृ� क्तिलीए लीली लीजापता रय न� लीह^र म� 'न�शीनली कृuली�जा' कृ< स्थपन कृ< थ�। इसा� कृuली�जा म� भगतासिंसाEह न� भ� 7व�शी क्तिलीय। 'प�जाब न�शीनली कृuली�जा' म� उनकृ< द�शीभक्तिक्त कृ< भवन फलीन�-फR लीन� लीग�। इसा� कृuली�जा म� ह� यशीपली, भगवता�Tरण, सा4खद�व, ता�थ�रम, झण्डसिंसाEह आदिद क्र�किताकृरिरय सा� सा�पकृ� हुआ। कृuली�जा म� एकृ न�शीनली नटकृ क्लीब भ� थ। इसा� क्लीब कृ� मध्यम सा� भगतासिंसाEह न� द�शीभक्तिक्तपRण� नटकृ म� अभिभनय भ� किकृय। य� नटकृ थ�-
1. रण 7ताप,2. भरता-दुद�शी और3. साम्राट Tन्द्रग4प्ता।
व� 'Tन्द्रशी�खर आज़ोंद' जा-सा महन क्रन्तिन्ताकृर� कृ� साम्पाकृ� म� आय� और बद म� उनकृ� 7गढ़ मिमत्रा बन गय�। 1928 म� 'सा�डसा� हत्यकृण्ड' कृ� व� 7म4ख नयकृ थ�। 8 अ7-ली, 1929 कृ8 ऐकिताहक्तिसाकृ 'असा�म्बली� बमकृण्ड' कृ� भ� व� 7म4ख अभिभय4क्त मन� गय� थ�। जा�ली म� उन्ह न� भRख हड़ीताली भ� कृ< थ�। वस्ताव म� इकिताहसा कृ एकृ अध्यय ह� भगतासिंसाEह कृ� साहसा, शी^य�, दृढ़ साकृ� Vप और बक्तिलीदन कृ< कृहकिनय सा� भर पड़ी ह-।23 मT� 1931 कृ< रता भगता सिंसाEह, सा4खद�व और रजाग4रु द�शीभक्तिक्त कृ8 अपरधा कृहकृर फ�सा� पर लीटकृ दिदए गए। यह भ� मन जाता ह- किकृ म�त्य4द�ड कृ� क्तिलीए 24 मT� कृ< सा4बह ह� ताय थ�, ली�किकृन जान र8र्षो सा� डर� सारकृर न� 23-24 मT� कृ< मध्यरकित्रा ह� इन व�र कृ< जा�वनली�ली सामप्ता कृर द� और रता कृ� अ�धा�र� म� ह� साताली4जा कृ� किकृनर� उनकृ अ�किताम सा�स्कृर भ� कृर दिदय। 'लीह^र र्षोड़ीय�त्रा' कृ� म4क़दम� म� भगतासिंसाEह कृ8 फ़jसा� कृ< साज़ों मिमली� ताथ कृ� वली 24 वर्षो� कृ< आय4 म� ह�, 23 मT� 1931 कृ< रता म� उन्ह न� हjसाता�-हjसाता� सा�सार सा� किवद ली� ली�। भगतासिंसाEह कृ� उदय सा� न कृ� वली अपन� द�शी कृ� स्वता�त्राता सा�र्घर्षो� कृ8 गकिता मिमली� वरन� नवय4वकृ कृ� क्तिलीए भ� 7�रण स्रो8ता क्तिसाद्धा हुआ। व� द�शी कृ� सामस्ता शीह�द कृ� क्तिसारम^र थ�। 24 मT� कृ8 यह सामTर जाब द�शीवक्तिसाय कृ8 मिमली ता8 ली8ग वह� पहु�T�, जाह� इन शीह�द कृ< पकिवत्रा रख और कृ4 छ अस्थिस्थय� पड़ी� थe। द�शी कृ� द�वन� उसा रख कृ8 ह� क्तिसार पर लीगए उन अस्थिस्थय कृ8 सा�भली� अ�ग्रं�ज़ों� साम्राज्य कृ8 उखड़ी फ� कृन� कृ सा�कृVप ली�न� लीग�। द�शी और किवद�शी कृ� 7म4ख न�ताओं और पत्रा न� अ�ग्रं�ज़ों� सारकृर कृ� इसा कृली� कृरनम� कृ< ता�व्र किंनEद कृ<।
गो�रु गो�राखनी�� जायान्��
महय8ग� ग8रखनथ मध्यय4ग (11 वe शीताब्द� अन4मकिनता) कृ� एकृ किवक्तिशीष्ट महप4रुर्षो थ�। ग8रखनथ कृ� ग4रु मत्स्य�न्द्रनथ (मछ�दरनथ) थ�। इन द8न न� नथ साम्प्रदय कृ8 सा4व्यवस्थिस्थता कृर इसाकृ किवस्तार किकृय। इसा साम्प्रदय कृ� साधाकृ ली8ग कृ8 य8ग�, अवधाRता, क्तिसाद्धा, और्घड़ी कृह जाता ह-।
ग4रु ग8रखनथ हठोय8ग कृ� आTय� थ�। कृह जाता ह- किकृ एकृ बर ग8रखनथ साममिधा म� ली�न थ�। इन्ह� गहन
साममिधा म� द�खकृर मj पव�ता� न� भगवन क्तिशीव सा� उनकृ� बर� म� पRछ। क्तिशीवजा� ब8ली�, ली8ग कृ8 य8ग क्तिशीक्षा द�न� कृ� क्तिलीए ह� उन्ह न� ग8रखनथ कृ� रूप म� अवतार क्तिलीय ह-। इसाक्तिलीए ग8रखनथ कृ8 क्तिशीव कृ अवतार भ� मन जाता ह-। इन्ह� T^रसा� क्तिसाद्धा म� 7म4ख मन जाता ह-। इनकृ� उपद�शी म� य8ग और शी-व ता�त्रा कृ साम�जास्य ह-। य� नथ साकिहत्य कृ� आरम्भाकृता� मन� जाता� ह�। ग8रखनथ कृ< क्तिलीख� गद्य-पद्य कृ< Tली�सा रTनओं कृ परिरTय 7प्ता ह-। इनकृ< रTनओं ताथ साधान म� य8ग कृ� अ�ग किक्रय-य8ग अथ�ता� ताप, स्वध्यय और ईश्वर 7भिणधान कृ8 अमिधाकृ महत्व दिदय ह-। ग8रखनथ कृ मनन थ किकृ क्तिसान्दिद्धाय कृ� पर जाकृर शीRन्य साममिधा म� स्थिस्थता ह8न ह� य8ग� कृ परम लीक्ष्य ह8न Tकिहए। शीRन्य साममिधा अथ�ता� साममिधा सा� म4क्त ह8 जान और उसा परम क्तिशीव कृ� सामन स्वय� कृ8 स्थकिपता कृर ब्रह्माली�न ह8 जान, जाहj पर परम शीक्तिक्त कृ अन4भव ह8ता ह-। हठोय8ग� कृ4 दरता कृ8 T4न^ता� द�कृर कृ4 दरता कृ� सार� किनयम सा� म4क्त ह8 जाता ह- और जा8 अदृश्य कृ4 दरता ह-, उसा� भ� लीjर्घकृर परम शी4द्धा 7कृशी ह8 जाता ह-।
ग8रखनथ कृ� जा�वन सा� साम्ब�मिधाता एकृ र8Tकृ कृथ इसा 7कृर ह-- एकृ रजा कृ< कि7य रन� कृ स्वग�वसा ह8 गय। शी8कृ कृ� मर� रजा कृ ब4र हली थ। जा�न� कृ< उसाकृ< इच्छु ह� सामप्ता ह8 गई। वह भ� रन� कृ< क्तिTता म� जालीन� कृ< ता-यर� कृरन� लीग। ली8ग सामझ-ब4झकृर थकृ गए पर वह किकृसा� कृ< बता सा4नन� कृ8 ता-यर नहe थ। इतान� म� वह� ग4रु ग8रखनथ आए। आता� ह� उन्ह न� अपन� ह�ड� न�T� पटकृ द� और जा8र-जा8र सा� र8न� लीग गए। रजा कृ8 बहुता आश्चय� हुआ। उसान� सा8T किकृ वह ता8 अपन� रन� कृ� क्तिलीए र8 रह ह-, पर ग8रखनथ जा� क्य र8 रह� ह�। उसान� ग8रखनथ कृ� पसा आकृर पRछ, 'महरजा, आप क्य र8 रह� ह�?' ग8रखनथ न� उसा� तारह र8ता� हुए कृह, 'क्य कृरू� ? म�र साव�नशी ह8 गय। म�र� ह�ड� टRट गई ह-। म� इसा� म� भिभक्षा म�गकृर खता थ। ह�ड� र� ह�ड�।' इसा पर रजा न� कृह, 'ह�ड� टRट गई ता8 इसाम� र8न� कृ< क्य बता ह-? य� ता8 मिमट्टी� कृ� बता�न ह�। साधा4 ह8कृर आप इसाकृ< इतान� सिंTEता कृरता� ह�।' ग8रखनथ ब8ली�, 'ता4म म4झ� सामझ रह� ह8। म� ता8 र8कृर कृम Tली रह हूं� ता4म ता8 मरन� कृ� क्तिलीए ता-यर ब-ठो� ह8।' ग8रखनथ कृ< बता कृ आशीय सामझकृर रजा न� जान द�न� कृ किवTर त्यग दिदय।
कृह जाता ह- किकृ रजाकृ4 मर बप्प रवली जाब किकृशी8र अवस्थ म� अपन� साक्तिथय कृ� साथ रजास्थन कृ� जा�गली म� क्तिशीकृर कृरन� कृ� क्तिलीए गए थ�, ताब उन्ह न� जा�गली म� सा�ता ग4रू ग8रखनथ कृ8 ध्यन म� ब-ठो� हुए पय। बप्प रवली न� सा�ता कृ� नजाद�कृ ह� रहन शी4रू कृर दिदय और उनकृ< सा�व कृरता� रह�। ग8रखनथ जा� जाब ध्यन सा� जाग� ता8 बप्प कृ< सा�व सा� ख4शी ह8कृर उन्ह� एकृ तालीवर द� न्दिजासाकृ� बली पर ह� क्तिTत्ता^ड़ी रज्य कृ< स्थपन हुई।
ग8रखनथ जा� न� न�पली और पकिकृस्तान म� भ� य8ग साधान कृ<। पकिकृस्तान कृ� सिंसाEधा 7न्ता म� स्थिस्थता ग8रख पव�ता कृ किवकृसा एकृ पय�टन स्थली कृ� रूप म� किकृय जा रह ह-। इसाकृ� किनकृट ह� झ�लीम नद� कृ� किकृनर� रjझ न� ग8रखनथ सा� य8ग द�क्षा ली� थ�। न�पली म� भ� ग8रखनथ सा� साम्ब�मिधाता कृई ता�थ� स्थली ह�। उत्तार7द�शी कृ� ग8रखप4र शीहर कृ नम ग8रखनथ जा� कृ� नम पर ह� पड़ी ह-। यहj पर स्थिस्थता ग8रखनथ जा� कृ म�दिदर दशी�न�य ह-।
शातिनी प्रद�ष व्र�जाब 7द8र्षो व्रता शीकिनवर कृ� दिदन पड़ीता ह-, ता8 इसा� शीकिन 7द8र्षो व्रता कृ� नम सा� जान जाता ह-। शीकिनद�व नवग्रंह म� सा� एकृ ह� और शीस्त्रा म� वण�न ह- किकृ इनकृ कृ8प अत्यन्ता भय�कृर ह8ता ह-। किकृन्ता4 प4रण कृ� अन4सार शीकिन 7द8र्षो व्रता कृरन� सा� शीकिन द�व कृ 7कृ8प शीन्ता ह8 जाता ह-। न्दिजान ली8ग पर साढ़�साता� और ढां-य कृ 7भव ह8, उनकृ� क्तिलीए शीकिन 7द8र्षो व्रता कृरन किवशी�र्षो किहताकृर� मन गय ह-। इसा दिदन किवमिधा-किवधान सा� यह व्रता कृरन शीकिनद�व कृ< कृ� प 7प्ता कृरन� कृ एकृ शीस्त्रासाम्मता आसान उपय ह-। ऐसा कृरन� सा� न क्तिसाफ़� शीकिन कृ� कृरण ह8न� वली� पर�शीकिनयj दूर ह8ता� ह�, बल्किVकृ शीकिनद�व कृ आशी�व�द भ� मिमलीता ह- न्दिजासासा� साभ� मन8कृमनएj पRर� ह8ता� ह�। शीकिन 7द8र्षो वली� दिदन जा8 जाताकृ शीकिन कृ< वस्ता4ओं जा-सा� ली8ह, ता-ली, किताली, कृली�
उड़ीद, कृ8यली और कृम्बली आदिद कृ दन कृरता ह-, शीकिन-म�दिदर म� जाकृर ता-ली कृ दिदय जालीता ह- ताथ उपवसा कृरता ह-, शीकिनद�व उसासा� 7सान्न ह8कृर उसाकृ� सार� दु�ख कृ8 हर ली�ता� ह�।
शीस्त्रा म� वर्णिणEता ह- किकृ सा�तान कृ< कृमन रखन� वली� दम्पाभित्ता कृ8 शीकिन 7द8र्षो व्रता अवश्य रखन Tकिहए। इसाम� कृ8ई सा�शीय नहe ह- किकृ यह व्रता शी�घ्र ह� सा�तान द�न� वली ह-। सा�तान-7न्तिप्ता कृ� क्तिलीए शीकिन 7द8र्षो वली� दिदन सा4बह स्नन कृरन� कृ� पश्चता पकिता-पत्न� कृ8 मिमलीकृर क्तिशीव-पव�ता� और पव�ता�-नन्दन गण�शी कृ< पRजा-अT�न कृरन� Tकिहए और क्तिशीवसिंलीEग पर जालीभिभर्षो�कृ कृरन Tकिहए। इसाकृ� उपरन्ता शीकिनद�व कृ< कृ� प 7प्ता कृरन� कृ� क्तिलीए किकृसा� प�पली कृ� व�क्षा कृ< जाड़ी म� जाली Tढ़न Tकिहए। साथ ह� उन्ह� पRर� दिदन किबन अन्न-जाली ग्रंहण किकृए उपवसा कृरन Tकिहए। ऐसा कृरन� सा� जाVद� ह� सा�तान कृ< 7न्तिप्ता ह8ता� ह-।
शीकिन 7द8र्षो व्रता म� साधाकृ कृ8 सा�ध्य-कृली म� भगवन कृ भजान-पRजान कृरन Tकिहए और क्तिशीवसिंलीEग कृ जाली और किबVव कृ< पभित्ताय सा� अभिभर्षो�कृ कृरन Tकिहए। साथ ह� इसा दिदन महम�त्य4�जाय-म�त्रा कृ� जाप कृ भ� किवधान ह-। इसा दिदन 7द8र्षो व्रता कृथ कृ पठो कृरन Tकिहए और पRजा कृ� बद भभRता कृ8 मस्ताकृ पर लीगन Tकिहए। शीस्त्रा कृ� अन4सार जा8 साधाकृ इसा तारह शीकिन 7द8र्षो व्रता कृ पलीन कृरता ह-, उसाकृ� साभ� कृष्ट सामप्ता ह8 जाता� ह� और साम्पाRण� इच्छुएj पRर� ह8ता� ह�।
अक्षया नीवमा�कृर्तिताEकृ मसा कृ� शी4क्ली पक्षा कृ< नवम� कृ8 अक्षाय नवम� रूप म� मनय जाता ह-, इसा� आ�वली नवम� भ� कृहता� ह�| अक्षाय नवम� कृ� दिदन स्नन, पRजान, ताप�ण ताथ अन्नदन कृरन� सा� हर मन8कृमन पRर� ह8ता� ह-। इसा दिदन किकृय गय जाप, ताप, दन इत्यदिद व्यक्तिक्त कृ8 साभ� पप सा� म4क्त कृरता ह- ताथ साभ� इच्छुओं कृ< पRर्तिताE कृरन� वली ह8ता ह-| मन्यता ह- किकृ द्वापरय4ग कृ आर�भ भ� इसा� दिदन हुआ थ| इसा दिदन आ�वली� कृ� व�क्षा कृ< पRजा कृरन� कृ किवधान ह-| धार्मिमEकृ मन्यताओं कृ� अन4सार आ�वली� कृ� व�क्षा म� साभ� द�वताओं कृ किनवसा ह8ता ह- ताथ यह फली भगवन किवष्ण4 कृ8 भ� अकिता कि7य ह-|
अक्षया नीवमा� का� माहत्व-
कृर्तिताEकृ शी4क्ली पक्षा कृ< आ�वली नवम� कृ धार्मिमEकृ महत्व बहुता मन गय ह-| एकृ बर भगवन किवष्ण4 सा� पRछ गय किकृ कृक्तिलीय4ग म� मन4ष्य किकृसा 7कृर सा� पप म4क्त ह8 साकृता ह-। भगवन न� इसा 7श्न कृ� जावब म� कृह किकृ जा8 7ण� अक्षाय नवम� कृ� दिदन म4झ� एकृग्रं ह8 कृर ध्यन कृर�ग, उसा� तापस्य कृ फली मिमली�ग। यह� नहe शीस्त्रा म� ब्रह्मा हत्य कृ8 र्घ8र पप बताय गय ह-। यह पप कृरन� वली अपन� दुष्कृम� कृ फली अवश्य भ8गता ह-, ली�किकृन अगर वह अक्षाय नवम� कृ� दिदन स्वण�, भRमिम, वस्त्रा एव� अन्नदन कृर� और वह आ�वली� कृ� व�क्षा कृ� न�T� ली8ग कृ8 भ8जान कृरए, ता8 इसा पप सा� म4क्त ह8 साकृता ह-।
आजा किकृय गय ग^, स्वण� ताथ वस्त्रा कृ दन अम8र्घ फलीदयकृ ह8ता ह-| इन वस्ता4ओं कृ दन द�न� सा� ब्रह्माण हत्य, ग^ हत्य जा-सा� महपप सा� बT जा साकृता ह-| Tरकृ सा�किहता म� इसाकृ� महत्व कृ8 व्यक्त किकृय गय ह-| न्दिजासाकृ� अन4सार कृर्तिताEकृ शी4क्ली नवम� कृ� दिदन ह� महर्तिर्षोE च्यवन कृ8 आ�वली कृ� सा�वन सा� प4नन�व ह8न� कृ वरदन 7प्ता हुआ थ|
अक्षया नीवमा� का+ का��-
7T�न सामय कृ< बता ह-, कृशी� नगर� म� एकृ व-श्य रहता थ| वह बहुता ह� धाम� कृम� कृ8 मनन� वली धाम�त्म प4रूर्षो थ, किंकृEता4 उसाकृ� कृ8ई सा�तान न थ�| इसा कृरण उसा वभिणकृ कृ< पत्न� बहुता दुख� रहता� थ�| एकृ बर किकृसा� न� उसाकृ< पत्न� कृ8 कृह किकृ यदिद वह किकृसा� बच्च� कृ< बक्तिली भ-रव बब कृ� नम पर Tढां¾ए ता8 उसा� अवश्य प4त्रा कृ< 7न्तिप्ता ह8ग�| स्त्रा� न� यह बता अपन� पकिता सा� कृह� पर�ता4 वभिणकृ न� ऐसा कृय� कृरन� सा� मन कृर दिदय, किंकृEता4 उसाकृ< पत्न� कृ� मन म� यह बता र्घर कृर गई ताथ सा�तान 7न्तिप्ता कृ< इच्छु कृ� क्तिलीए उसान� किकृसा�
बच्च� कृ< बली� द� द�, पर�ता4 इसा पप कृ परिरणम अच्छु कृ- सा� ह8 साकृता थ अता: उसा स्त्रा� कृ� शीर�र म� कृ8ढ़ उत्पन्न ह8 गय और म�ता बच्च� कृ< आत्म उसा� सातान� लीग�|
उसा स्त्रा� न� यह बता अपन� पकिता कृ8 बताई| हलीjकिकृ पहली� ता8 पकिता न� उसा� खRब दुत्कृर ली�किकृन किफर उसाकृ< दशी पर उसा� दय भ� आई| वह अपन� पत्न� कृ8 ग�ग स्नन एव� पRजान कृ� क्तिलीए कृहता ह-, ताब उसाकृ< पत्न� ग�ग कृ� किकृनर� जा कृर ग�ग जा� कृ< पRजा कृरन� लीगता� ह-| एकृ दिदन मj ग�ग व�द्धा स्त्रा� कृ व�शी धारण किकृए उसा स्त्रा� कृ� सामक्षा आता� ह- और उसा सा�ठो कृ< पत्न� कृ8 कृहता� ह- किकृ यदिद वह मथ4र म� जाकृर कृर्तिताEकृ नवम� कृ व्रता एव� पRजान कृर� ता8 उसाकृ� साभ� पप सामप्ता ह8 जाए�ग�| ऎसा सा4नकृर वभिणकृ कृ< पत्न� मथ4र म� जाकृर किवमिधा किवधान कृ� साथ नवम� कृ पRजान कृरता� ह- और भगवन कृ< कृ� प सा� उसाकृ� साभ� पप क्षाय ह8 जाता� ह� ताथ उसाकृ शीर�र पहली� कृ< भjकिता स्वस्थ ह8 जाता ह-, उसा� सा�तान रूप म� प4त्रा रत्न कृ< 7न्तिप्ता ह8ता� ह-|
7ता:कृली स्नन कृर आ�वली� कृ� व�क्षा कृ< पRजा कृ< जाता� ह-| पRजा कृरन� कृ� क्तिलीए आjवली� कृ� व�क्षा कृ< पRव� दिदशी कृ< ओर उन्म4ख ह8कृर शी8ड�र्षो8पTर पRजान कृर�| दकिहन� हथ म� जाली, Tवली, प4ष्प आदिद ली�कृर व्रता कृ सा�कृVप कृर� किफर आ�वली� कृ� व�क्षा कृ� न�T� पRव� दिदशी कृ< ओर म4ख कृरकृ� ऊj धात्र्य- नम: म�त्रा सा� आवहनदिद र्षो8डशी8पTर पRजान कृरकृ� आ�वली� कृ� व�क्षा कृ< जाड़ी म� दूधा कृ< धार किगरता� हुए किपतार कृ ताप�ण कृर�. आ�वली� कृ� व�क्षा कृ� न�T� ब्रह्माण- भ8जान भ� कृरन Tकिहए और अन्ता म� स्वय� भ� आ�वली� कृ� व�क्षा कृ� न�T� ब-ठोकृर भ8जान कृरन Tकिहए। किपतार कृ� शी�ताकिनवरण कृ� क्तिलीए यथशीक्तिक्त कृ� बली आदिद ऊण�वस्त्रा भ� सात्पत्रा ब्रह्माण कृ8 द�न Tकिहए। अगर र्घर म� आ�वली� कृ व�क्षा न ह8 ता8 किकृसा� बग�T� म� य गमली� म� आ�वली� कृ प^धा लीग कृर यह कृय� साम्पान्न कृरन Tकिहए|नवम� कृ� दिदन य4गली उपसान कृरन� सा� भक्त शीन्तिन्ता, साद्भव, सा4ख और व�शी व�न्दिद्धा कृ� साथ प4नजा�न्म कृ� ब�धान सा� म4क्तिक्त 7प्ता कृरन� कृ अमिधाकृर� बनता ह-। 7भ4 कृ दिदय धाम� ह� जा�व कृ8 किनयम कृ< सा�ख द�ता ह-। जा8 मन4ष्य क़नRन कृ� द�ड सा� नहe डरता� उन्ह� यह रह दिदखता ह-। किनयम सा� साक्षात्कृर कृरन� कृ� क्तिलीए 7भ4 न� अक्षाय नवम� परिरक्रम कृर असात्य कृ शी�खनद और एकृदशी� परिरक्रम कृरकृ� अभय कृरन� कृ� क्तिलीए 7भ4 श्री� कृ� ष्ण न� ब्रजावक्तिसाय कृ व�हद सामगम किकृय।
मा�ला� ख�टू श्या�माजा�
खटR श्यम बब�र�कृकृ� रूप ह-। श्री�कृ� ष्णन� ह� बब�र�कृ कृ8 खटRश्यमजा� नम दिदय थ। भगवन श्री�कृ� ष्ण कृ� कृलीय4ग� अवतार खटR श्यमजा� खटR म� किवरन्दिजाता ह�। व�र र्घट8त्कृT और म^रव� कृ8 एकृ प4त्रारतान कृ< 7न्तिप्ता हुई न्दिजासाकृ� बली बब्बर शी�र कृ< तारह ह8न� कृ� कृरण इनकृ नम बब�र�कृ रख गय। बब�र�कृ कृ8 आजा हम खटR कृ� श्यम, कृलीय4ग कृ� अवतार, श्यम सारकृर, ता�न बणधार�, शी�शी कृ� दन�, खटR नर�शी व अन्य अनकिगनता नम सा� जानता� व मनता� ह�। कृ� ष्ण व�र बब�र�कृ कृ� महन बक्तिलीदन सा� कृफ़< 7सान्न हुय� और वरदन दिदय किकृ कृक्तिलीय4ग म� ता4म श्यम नम सा� जान� जाओग�, क्य किकृ कृक्तिलीय4ग म� हर� हुय� कृ साथ द�न� वली ह� श्यम नम धारण कृरन� म� सामथ� ह-। खटRनगर ता4म्हर धाम बन�ग और उनकृ शी�शी खटRनगर म� दफ़नय गय।
ब्रह्माण न� बलीकृ बब�र�कृ सा� दन कृ< अभिभलीर्षो व्यक्त कृ<, इसा पर व�र बब�र�कृ न� उन्ह� वTन दिदय किकृ अगर व8 उनकृ< अभिभलीर्षो पRण� कृरन� म� सामथ� ह8ग ता8 अवश्य कृर�ग। कृ� ष्ण न� उनसा� शी�शी कृ दन मjग। बलीकृ बब�र�कृ क्षाण भर कृ� क्तिलीय� Tकृर गय, परन्ता4 उसान� अपन� वTन कृ< दृढ़ता जाताई। बलीकृ बब�र�कृ न� ब्रह्माण सा� अपन� वस्ताकिवकृ रूप सा� अवगता कृरन� कृ< 7थ�न कृ< और कृ� ष्ण कृ� बर� म� सा4न कृर बलीकृ न� उनकृ� किवरट रूप कृ� दशी�न कृ< अभिभलीर्षो व्यक्त कृ<, कृ� ष्ण न� उन्ह� अपन किवरट रूप दिदखय। उन्ह न� बब�र�कृ कृ8 सामझय किकृ य4द्धा आरम्भा ह8न� सा� पहली� य4द्धाभRमिम कृ< पRजा कृ� क्तिलीय� एकृ व�य�व�र क्षाकित्राय कृ�
शी�शी कृ� दन कृ< आवश्यकृता ह8ता� ह-, उन्ह न� बब�र�कृ कृ8 य4द्धा म� साबसा� व�र कृ< उपमिधा सा� अली�कृ� ता किकृय, अता-व उनकृ शी�शी दन म� मjग। बब�र�कृ न� उनसा� 7थ�न कृ< किकृ वह अ�ता ताकृ य4द्धा द�खन Tहता ह-, श्री� कृ� ष्ण न� उनकृ< यह बता स्व�कृर कृर ली�। फVग4न मह कृ< द्वादशी� कृ8 उन्ह न� अपन� शी�शी कृ दन दिदय। भगवन न� उसा शी�शी कृ8 अम�ता सा� साeT कृर साबसा� ऊj T� जागह पर रख दिदय, ताकिकृ वह महभरता य4द्धा द�ख साकृ� । उनकृ क्तिसार य4द्धाभRमिम कृ� साम�प ह� एकृ पहड़ी� पर सा4शी8भिभता किकृय गय, जाहj सा� बब�र�कृ साम्पाRण� य4द्धा कृ जायजा ली� साकृता� थ�।
खटR कृ< स्थपन रजा खट्टीव�ग न� कृ< थ�। खट्टीव� न� ह� बभ्रु4वहन कृ� बब�र�कृद्धा कृ� द�वर� म� बब�र�कृ कृ� क्तिसार कृ< 7ण 7किताष्ठा कृरवई थ�। खटR कृ< स्थपन कृ� किवर्षोय म� अन्य मता 7Tक्तिलीता ह-। कृई किवद्वान इसा� महभरता कृ� पहली� कृ मनता� ह� ता8 कृई इसा� ईसा पRव� कृ� सामय कृ मनता� ह- ली�किकृन कृ4 ली मिमलीकृर किवद्वान कृ< एकृमता रय यह ह- किकृ बभ4�रवहन कृ� द�वर� म� क्तिसार कृ< 7किताम कृ< स्थपन महभरता कृ� पश्चता� हुई।
उनकृ शी�शी खटR म� दफ़नय गय थ और बद म� वहj साफ़� द सा�गमरमर कृ खटR श्यमजा� म�दिदर बनवय गय थ। एकृ बर एकृ गय उसा स्थन पर आकृर अपन� स्तान सा� दुग्धा कृ< धार स्वता� ह� बह रह� थ�, बद म� ख4दय� कृ� बद वह शी�शी 7कृट हुआ, न्दिजासा� कृ4 छ दिदन कृ� क्तिलीय� एकृ ब्रह्माण कृ8 सा4प4द� कृर दिदय गय। एकृ बर खटR कृ� रजा कृ8 स्वप्न म� मन्दिन्दर किनम�ण कृ� क्तिलीय� और वह शी�शी मन्दिन्दर म� सा4शी8भिभता कृरन� कृ� क्तिलीय� 7�रिरता किकृय गय। तादन्तार उसा स्थन पर मन्दिन्दर कृ किनम�ण किकृय गय और कृर्तिताEकृ मह कृ< एकृदशी� कृ8 शी�शी मन्दिन्दर म� सा4शी8भिभता किकृय गय, न्दिजासा� बब श्यम कृ� जान्मदिदन कृ� रूप म� मनय जाता ह-। खटR श्यम जा� कृ म4ख्य म�दिदर रजास्थन कृ� सा�कृर न्दिज़ोंली� कृ� गjव खटR म� बन हुआ ह-।
श्री� खटR श्यम म�दिदर जायप4र सा� उत्तार दिदशी म� वय रeगसा ह8कृर 80 किकृली8म�टर दूर पड़ीता ह-। रeगसा पभिश्चम� र�लीव� कृ जा�क्शन ह-। दिदVली�, अहमदबद, जायप4र आदिद सा� आन� वली� यकित्राय कृ8 पहली पड़ीव रeगसा ह� ह8ता ह-। रeगसा सा� साभ� भक्तजान खटR-श्यम-धाम प-दली अथव जा�प , बसा आदिद द्वार 7स्थन कृरता� ह�।
यह म�दिदर फरवर� और मच्र मह�न म� लीगन� वली� खटRश्यमजा� म�ली� कृ� क्तिलीए 7क्तिसाद्धा ह-। यह म�ली इसा क्षा�त्रा कृ� किवभिभन्न ली8कृन�त्य , सा�ग�ता ताथ कृलीओं कृ8 7दर्थिशीEता कृरता ह�। भरता�य कृ- ली�डर कृ� अन4सार फVग4न म� सा4द� दशीम� और द्वादशी� कृ� ब�T यहj ता�न दिदवसा�य वर्तिर्षोEकृ म�ली लीगता ह-।
श्यम म�दिदर बहुता ह� 7T�न ह-। श्यम म�दिदर कृ< आधारक्तिशीली सान� 1720 म� रख� गई थ�। इकिताहसाकृर प�किडता झबरमVली शीम� कृ� म4ताकिबकृ सान� 1679 म� और�गजा�ब कृ< सा�न न� इसा म�दिदर कृ8 नष्ट कृर दिदय थ। इसा म�दिदर कृ< रक्षा कृ� क्तिलीए उसा सामय अन�कृ रजापRता न� अपन 7ण8त्साग� किकृय थ। खटR कृ� श्यम म�दिदर म� भ�म कृ� प^त्रा और र्घट8त्कृT कृ� प4त्रा बब�र�कृ कृ< पRजा श्यम कृ� रूप म� कृ< जाता� ह-। ऐसा मन जाता ह- किकृ महभरता य4द्धा कृ� सामय भगवन श्री�कृ� ष्ण न� बब�र�कृ कृ8 वरदन दिदय थ किकृ कृलीय4ग म� उसाकृ< पRजा श्यम (कृ� ष्ण स्वरूप) कृ� नम सा� ह8ग�। खटR कृ� श्यम म�दिदर म� श्यम कृ� मस्ताकृ स्वरूप कृ< पRजा ह8ता� ह-, जाबकिकृ पसा ह� म� स्थिस्थता रeगसा म� धाड़ी स्वरूप कृ< पRजा कृ< जाता� ह-।
हज़ोंर श्रीद्धाली4 यहj पदयत्रा कृरकृ� पहुjTता� ह�, वहe कृई ली8ग द�डवता कृरता� हुए खटR नर�शी कृ� दरबर म� हन्दिज़ोंर� द�ता� ह�। यहj कृ� एकृ दुकृनदर रमT�द्र T�जार कृ� म4ताकिबकृ नवम� सा� द्वादशी� ताकृ भरन� वली� म�ली� म� लीख श्रीद्धाली4 आता� ह�। 7त्य�कृ एकृदशी� और रकिववर कृ8 भ� यहj भक्त कृ< ली�ब� कृतार� लीग� ह8ता� ह�। जा�वन कृ� सामस्ता पप सामप्ता ह8 जाता� ह� और 7भ4 कृ� दशी�न मत्रा सा� उसाकृ� जा�वन म� ख4क्तिशीयj और सा4ख शीन्तिन्ता कृ भ�डर भरन 7रम्भा ह8 जाता ह-
य� महन पण्डव भ�म कृ� प4त्रा र्घट8त्कृT और नग कृन्य अकिहलीवता� कृ� प4त्रा थ�। बVयकृली सा� ह� व� बहुता व�र और महन य8द्धा थ�। उन्ह न� य4द्धा कृली अपन� मj सा� सा�ख�। भगवन क्तिशीव कृ< र्घ8र तापस्य कृरकृ� उन्ह� 7सान्न किकृय और ता�न अभ�द्य बण 7प्ता किकृय� और ता�न बणधार� कृ 7क्तिसाद्धा नम 7प्ता किकृय। अख़िग्न द�व न� 7सान्न ह8कृर उन्ह� धान4र्षो 7दन किकृय, जा8 किकृ उन्ह� ता�न8 ली8कृ म� किवजाय� बनन� म� सामथ� थ।
बलीकृ व�र बब�र�कृ कृ� जान्म कृ� पश्चता� र्घट8त्कृT इन्ह� भगवन श्री� कृ� ष्ण कृ� पसा ली�कृर गए थ� और भग्वन श्री� कृ� ष्ण न� व�र बब�र�कृ कृ8 बताय कृ< जा�वन कृ साव�त्ताम उपय8ग, पर8पकृर और किनब�ली कृ साथ द�न ह8ता ह-। व�र बब�र�कृ न� वपसा आकृर किवजाय नमकृ ब्रह्माण कृ क्तिशीष्य बनकृर अस्त्रा-शीस्त्रा किवद्य ज्ञान हक्तिसाली किकृय और उनकृ� यज्ञा कृ8 रक्षासा सा� बTकृर, उनकृ यज्ञा सा�पRण� कृरय। किवजाय नम कृ� उसा ब्रह्माण कृ यज्ञा सा�पRण� कृरवन� पर मj भगवता� व भगवन क्तिशीव शी�कृर बब�र�कृ सा� बहुता 7सान्न हुए और उनकृ� सामन� 7कृट ह8कृर ता�न बण 7दन किकृए न्दिजासासा� ता�न8 ली8कृ म� किवजाय 7प्ता कृ< जा साकृता� थ�।
महभरता कृ य4द्धा 7रम्भा ह8न� पर व�र बब�र�कृ न� अपन� मता कृ� सामन� य4द्धा म� भग ली�न� कृ< इच्छु 7कृट कृ< और ताब इनकृ< मता न� इन्ह� य4द्धा म� भग ली�न� कृ< आज्ञा द� द� और यह वTन क्तिलीय कृ< ता4म य4द्धा म� हरन� वली� पक्षा कृ साथ किनभओग�। जाब बब�र�कृ य4द्धा म� भग ली�न� पहुjT� ताब भगवन श्री� कृ� ष्ण न� बब�र�कृ सा� शी�शी दन म� मjग क्तिलीय और उन्ह� यह सामझय किकृ य4द्धा आरम्भा ह8न� सा� पहली� य4द्धाभRमिम कृ< पRजा कृ� क्तिलीय� एकृ व�य�व�र क्षाकित्राय कृ� शी�शी कृ� दन कृ< आवश्यकृता ह8ता� ह-, उन्ह न� बब�र�कृ कृ8 य4द्धा म� साबसा� व�र कृ< उपमिधा सा� अली�कृ� ता किकृय, अता-व उनकृ शी�शी दन म� मjग। श्री� कृ� ष्ण न� ऐसा इसाक्तिलीए किकृय क्य8किकृ अगर बब�र�कृ य4द्धा म� भग ली�ता� ता8 कृ^रव कृ< सामन्तिप्ता कृ� वली 18 दिदन म� महभरता य4द्धा म� नहe ह8 साकृता� थ� और य4द्धा किनर�तार Tलीता रहता।
व�र बब�र�कृ न� भगवन श्री� कृ� ष्ण कृ� कृहन� पर जान-कृVयण, पर8पकृर और धाम� कृ< रक्षा कृ� क्तिलीए अपन� शी�शी कृ दन 7सान्न ह8 कृर द� दिदय और कृलीय4ग म� भगवन श्री� कृ� ष्ण कृ� अकिता कि7य नम श्री� श्यम नम सा� पR�जा� जान� कृ वरदन 7प्ता किकृय। बब�र�कृ कृ< य4द्धा द�खन� कृ< इच्छु भगवन श्री� कृ� ष्ण न� बब�र�कृ कृ� शी�शी कृ8 ऊj T� पव�ता पर रखकृर पRर� कृ< थ�। य4द्धा सामप्ता ह8 जान� कृ� बद साभ� प�डव8 कृ� पRछन� पर बब�र�कृ कृ� शी�शी न� उत्तार दिदय कृ< यह य4द्धा कृ� वली भगवन श्री� कृ� ष्ण कृ< किनकिता कृ� कृरण जा�ता गय ह- और इसा य4द्धा म� क्तिसाफ़� भगवन श्री� कृ� ष्ण कृ सा4दशी�न Tक्र Tलीता थ और द्र^पद� T�ड� कृ रूप धारण कृर पकिपय कृ लीहूं प� रह� थ�। भगवन श्री� कृ� ष्ण न� बब�र�कृ कृ� शी�शी कृ8 अम�ता सा� साeT और कृलीय4ग कृ अवतार� बनन� कृ आशी�व�द 7दन किकृय।
आजा यह साT हम अपन� आjख सा� द�ख रह� ह� कृ< उसा य4ग कृ� बब�र�कृ आजा कृ� य4ग कृ� श्यम ह� और कृलीय4ग कृ� सामस्ता 7ण� श्यम जा� कृ� दशी�न मत्रा सा� सा4ख� ह8 जाता� ह� उनकृ� जा�वन म� ख4क्तिशीय और साम्पादओं कृ< बहर आन� लीगता� ह- और खटR श्यम जा� कृ8 किनर�तार भजान� सा� 7ण� साब 7कृर कृ� सा4ख पता ह- और अ�ता म� म8क्षा कृ8 7प्ता ह8 जाता ह-।
प�त्रीद� एका�दशा�
किंहEदू धाम� म� एकृदशी� कृ व्रता महत्वपRण� स्थन रखता ह-। 7त्य�कृ वर्षो� T^ब�सा एकृदक्तिशीयj ह8ता� ह�। जाब अमिधाकृमसा य मलीमसा आता ह- ताब इनकृ< सा�ख्य बढ़कृर 26 ह8 जाता� ह-। व-सा� ता8 श्रीवण शी4क्ली एकृदशी�
कृ नम प4त्राद ह-, ली�किकृन यह प^र्षोशी4क्ली मÄ भ� पडता� ह-| इसाकृ� सा4नन� मत्रा सा� वजाप�य यज्ञा कृ फली मिमलीता ह-।
एकृ बर कृ< बता ह-, श्री� य4मिधामिष्ठार कृहन� लीग� किकृ ह� भगवन! श्रीवण शी4क्ली एकृदशी� कृ क्य नम ह-? व्रता कृरन� कृ< किवमिधा ताथ इसाकृ महत्म्य कृ� प कृरकृ� कृकिहए। मधा4साRदन कृहन� लीग� किकृ इसा एकृदशी� कृ नम प4त्राद ह-। अब आप शी�कितापRव�कृ इसाकृ< कृथ सा4किनए। इसाकृ� सा4नन� मत्रा सा� ह� वयप�य� यज्ञा कृ फली मिमलीता ह-।
द्वापर य4ग कृ� आर�भ म� मकिहष्मकिता नम कृ< एकृ नगर� थ�, न्दिजासाम� मह�न्दिजाता नम कृ रजा रज्य कृरता थ, ली�किकृन प4त्राह�न ह8न� कृ� कृरण रजा कृ8 रज्य सा4खदयकृ नहe लीगता थ। उसाकृ मनन थ किकृ न्दिजासाकृ� सा�तान न ह8, उसाकृ� क्तिलीए यह ली8कृ और परली8कृ द8न ह� दु:खदयकृ ह8ता� ह�। प4त्रा सा4ख कृ< 7न्तिप्ता कृ� क्तिलीए रजा न� अन�कृ उपय किकृए पर�ता4 रजा कृ8 प4त्रा कृ< 7न्तिप्ता नहe हुई।
व�द्धावस्थ आता� द�खकृर रजा न� 7जा कृ� 7किताकिनमिधाय कृ8 ब4लीय और कृह- ह� 7जाजान ! म�र� खजान� म� अन्यय सा� उपजा�न किकृय हुआ धान नहe ह-। न म�न� कृभ� द�वताओं ताथ ब्रह्माण कृ धान छ�न ह-। किकृसा� दूसार� कृ< धार8हर भ� म�न� नहe ली�, 7जा कृ8 प4त्रा कृ� सामन पलीता रह। म� अपरमिधाय कृ8 प4त्रा ताथ बjधाव कृ< तारह द�ड द�ता रह। कृभ� किकृसा� सा� र्घ�ण नहe कृ<। साबकृ8 सामन मन ह-। साज्जन कृ< साद पRजा कृरता हूंj। इसा 7कृर धाम�य4क्त रज्य कृरता� हुए भ� म�र� प4 त्रा नहe ह-। सा8 म� अत्य�ता दु:ख प रह हूंj, इसाकृ क्य कृरण ह-?
रजा मह�न्दिजाता कृ< इसा बता कृ8 किवTरन� कृ� क्तिलीए म� त्रा� ताथ 7जा कृ� 7किताकिनमिधा वन कृ8 गए। वहj बड़ी�-बड़ी� ऋकिर्षो-म4किनय कृ� दशी�न किकृए। रजा कृ< उत्ताम कृमन कृ< पRर्तिताE कृ� क्तिलीए किकृसा� श्री�ष्ठा तापस्व� म4किन कृ8 द�खता�-किफरता� रह�। एकृ आश्रीम म� उन्ह न� एकृ अत्य�ता वय8व�द्धा धाम� कृ� ज्ञाता, बड़ी� तापस्व�, परमत्म म� मन लीगए हुए किनरहर, न्दिजाता�द्र�य, न्दिजातात्म, न्दिजाताक्र8धा, सानतान धाम� कृ� गRढ़ तात्व कृ8 जानन� वली�, सामस्ता शीस्त्रा कृ� ज्ञाता महत्म ली8मशी म4किन कृ8 द�ख, न्दिजानकृ कृVप कृ� व्यता�ता ह8न� पर एकृ र8म किगरता थ।
साबन� जाकृर ऋकिर्षो कृ8 7णम किकृय। उन ली8ग कृ8 द�खकृर म4किन न� पRछ किकृ आप ली8ग किकृसा कृरण सा� आए ह�? किन:सा�द�ह म� आप ली8ग कृ किहता कृरूj ग। म�र जान्म कृ� वली दूसार कृ� उपकृर कृ� क्तिलीए हुआ ह-, इसाम� सा�द�ह मता कृर8।
ली8मशी ऋकिर्षो कृ� ऐसा� वTन सा4नकृर साब ली8ग ब8ली�- ह� महर्षो�! आप हमर� बता जानन� म� ब्रह्मा सा� भ� अमिधाकृ सामथ� ह�। अता: आप हमर� इसा सा�द�ह कृ8 दूर कृ<न्दिजाए। मकिहष्मकिता प4र� कृ धाम�त्म रजा मह�न्दिजाता 7जा कृ प4त्रा कृ� सामन पलीन कृरता ह-। किफर भ� वह प4त्राह�न ह8न� कृ� कृरण दु:ख� ह-।
उन ली8ग न� आग� कृह किकृ हम ली8ग उसाकृ< 7जा ह�। अता: उसाकृ� दु:ख सा� हम भ� दु:ख� ह�। आपकृ� दशी�न सा� हम� पRण� किवश्वसा ह- किकृ हमर यह सा�कृट अवश्य दूर ह8 जाएग क्य किकृ महन प4रुर्षो कृ� दशी�न मत्रा सा� अन�कृ कृष्ट दूर ह8 जाता� ह�। अब आप कृ� प कृरकृ� रजा कृ� प4त्रा ह8न� कृ उपय बतालीएj।
यह वता� सा4नकृर ऋकिर्षो न� थ8ड़ी� द�र कृ� क्तिलीए न�त्रा ब�द किकृए और रजा कृ� पRव� जान्म कृ व�त्ता�ता जानकृर कृहन� लीग� किकृ यह रजा पRव� जान्म म� एकृ किनधा�न व-श्य थ। किनधा�न ह8न� कृ� कृरण इसान� कृई ब4र� कृम� किकृए। यह एकृ
गjव सा� दूसार� गjव व्यपर कृरन� जाय कृरता थ। एकृ सामय ज्य�ष्ठा मसा कृ� शी4क्ली पक्षा कृ< द्वादशी� कृ� दिदन मध्यह्न कृ� सामय वह जाबकिकृ वह द8 दिदन सा� भRख-प्यसा थ, एकृ जालीशीय पर जाली प�न� गय। उसा� स्थन पर एकृ तात्कृली कृ< ब्यह� हुई प्यसा� ग^ जाली प� रह� थ�।
रजा न� उसा प्यसा� गय कृ8 जाली प�ता� हुए हट दिदय और स्वय� जाली प�न� लीग, इसा�क्तिलीए रजा कृ8 यह दु:ख साहन पड़ी। एकृदशी� कृ� दिदन भRख रहन� सा� वह रजा हुआ और प्यसा� ग^ कृ8 जाली प�ता� हुए हटन� कृ� कृरण प4त्रा किवय8ग कृ दु:ख साहन पड़ी रह ह-। ऐसा सा4नकृर साब ली8ग कृहन� लीग� किकृ ह� ऋकिर्षो! शीस्त्रा म� पप कृ 7यभिश्चता भ� क्तिलीख ह-। अता: न्दिजासा 7कृर रजा कृ यह पप नष्ट ह8 जाए, आप ऐसा उपय बताइए।
ली8मशी म4किन कृहन� लीग� किकृ श्रीवण शी4क्ली पक्षा कृ< एकृदशी� कृ8 न्दिजासा� प4त्राद एकृदशी� भ� कृहता� ह�, ता4म साब ली8ग व्रता कृर8 और रकित्रा कृ8 जागरण कृर8 ता8 इसासा� रजा कृ यह पRव� जान्म कृ पप अवश्य नष्ट ह8 जाएग, साथ ह� रजा कृ8 प4त्रा कृ< अवश्य 7न्तिप्ता ह8ग�। ली8मशी ऋकिर्षो कृ� ऐसा� वTन सा4नकृर म�कित्राय साकिहता सार� 7जा नगर कृ8 वपसा ली^ट आई और जाब श्रीवण शी4क्ली एकृदशी� आई ता8 ऋकिर्षो कृ< आज्ञान4सार साबन� प4त्राद एकृदशी� कृ व्रता और जागरण किकृय।
इसाकृ� पश्चता द्वादशी� कृ� दिदन इसाकृ� प4ण्य कृ फली रजा कृ8 दिदय गय। उसा प4ण्य कृ� 7भव सा� रन� न� गभ� धारण किकृय और 7सावकृली सामप्ता ह8न� पर उसाकृ� एकृ बड़ी ता�जास्व� प4त्रा उत्पन्न हुआ।
इसाक्तिलीए ह� रजान! इसा श्रीवण शी4क्ली एकृदशी� कृ नम प4त्राद पड़ी। अता: सा�तान सा4ख कृ< इच्छु हक्तिसाली कृरन� वली� इसा व्रता कृ8 अवश्य कृर�। इसाकृ� महत्म्य कृ8 सा4नन� सा� मन4ष्य साब पप सा� म4क्त ह8 जाता ह- और इसा ली8कृ म� सा�तान सा4ख भ8गकृर परली8कृ म� स्वग� कृ8 7प्ता ह8ता ह-।
श्री��1ला2गो स्व�मा�
श्री�ता-ली�गस्वम� अध्यत्म जागता कृ< ऐसा� अकिताकिवक्तिशीष्ट किवभRकिता ह�, न्दिजानकृ< ता4लीन किकृसा� अन्य सा� कृर पन सा�भव नहe लीगता। य� एकृ परमक्तिसाद्धाय8ग� और जा�वन्म4क्त प4रुर्षो थ�। इन महप4रुर्षो कृ जान्म दभिक्षाण भरता कृ� एकृ सा�पन्न ब्रह्माण परिरवर म� सान� 1607 ई. कृ� जानवर� मह म� प^र्षो-शी4क्ली-एकृदशी�कृ� पवन दिदन हुआ थ। इनकृ� किपता न�सिंसाEहधारऔर मता किवद्यवता� द�व� किन:सा�तान ह8न� कृ� कृरण बहुता दु:ख� व सिंTEकिताता रहता� थ�। प4त्रा-7न्तिप्ता कृ< कृमन सा� उन द8न न� ग^र�शी�कृर कृ< आरधान एव� ब्रह्माण कृ< सा�व बड� श्रीद्धा सा� कृ<। स्वम�जा�कृ आकिवभ�व इसा� कृ� फलीस्वरूप हुआ। किपता न� नमकृरण किकृय ता-ली�गधार। मता किवद्यवता� न� एकृ दिदन क्तिशीवT�न कृरता� सामय द�ख किकृ क्तिशीवसिंलीEगसा� एकृ दिदव्य ज्य8किता किनकृली कृर उनकृ� प4त्रा म� सामकिवष्ट ह8 गई। इसासा� 7भकिवता ह8कृर म� न� इनकृ नम क्तिशीवरम रख दिदय।
बTपन सा� ह� इनम� सा�सारिरकृ किवर्षोय कृ� 7किता व-रग्य ताथ अध्यत्म कृ< ओर 7व�भित्ता थ�। य4ववस्थ आता�-आता� भ^किताकृता सा� इनकृ< उदसा�नता स्पष्ट दिदखलीई पडन� लीग�। मता-किपता न� ता-ली�गधारकृ8 किववह कृ� ब�धान म� ब�धान Tह, ली�किकृन इन्ह न� व-रग्य कृ< अकिता ता�व्र भवन कृ� कृरण इसाकृ< साम्मकिता नहe द�। ता-ली�गधारजाब 40 वर्षो� कृ� थ�, ताब उनकृ� किपता कृ द�हवसान ह8 गय। व� अपन� मता कृ< सा�व कृरता� हुए ईश्वर कृ� सिंTEतान म� किनमग्न ह8 गए। 52 वर्षो� कृ< अवस्थ म� मताश्री� कृ स्वग�वसा ह8 जान� पर य� सा�सारिरकृ दमियत्व सा� पRर� तारह म4क्त ह8 गए। न्दिजासा श्मशीन म� मता कृ दह-सा�स्कृर हुआ थ, उसा� किनजा�न स्थन पर व� रहन� लीग�। उनकृ� अन4जा श्री�धार न� उन्ह� र्घर वपसा लीन� कृ बहुता 7यसा किकृय किकृन्ता4 ता-ली�गधार न मन�। ताब श्री�धार न� अपन� बड� भई कृ� क्तिलीए वह� एकृ कृ4 ट� बनव द�। ता-ली�गधारन� वहj 20 वर्षो� ताकृ अत्यन्ता कृठो8र साधान कृ<। सान� 1679 म� इनकृ< भ�ट स्वम� भग�रथनन्दसारस्वता� नमकृ महय8ग�सा� हुई, न्दिजानकृ� साथ व� रजास्थन कृ� सा47क्तिसाद्धा ता�थ�
प4ष्कृर आ गए। वहe पर भग�रथनन्दन� सान� 1685 ई.म� इन्ह� द�क्षा द� और इनकृ नम गणपकिता स्वम� ह8 गय। 10 वर्षो� ताकृ ग4रु-क्तिशीष्य द8न न� प4ष्कृर म� एकृ साथ ताप किकृय। सान� 1695 ई. म� ग4रु कृ� द�ह त्यग द�न� कृ� द8 वर्षो� बद व� ता�थ�टन कृ� क्तिलीए किनकृली पड�। सान� 1697 ई. म� रम�श्वर कृ< दशी�न-यत्रा म� जाब इन्ह न� एकृ म�ता ब्रह्माण कृ8 प4न:जा�किवता कृर दिदय ताब ली8ग न� पहली� बर इनकृ< अली^किकृकृ शीक्तिक्त कृ साक्षात्कृर किकृय। वहj सा� कृ�जा�वरम,कृ�T�प4रम,क्तिशीवकृशी�,नक्तिसाकृ ह8कृर सान� 1699 ई. म� व� सा4दमप4र�पहु�T�। वह� इनकृ< सा�व म� रता किनधा�न-किनप4त्रा ब्रह्माण कृ� धानवन-प4त्रावन ह8 जान� पर इनकृ< ख्यकिता Tर ओर फ- ली गई। दशी�नर्थिथEय कृ< भ�ड कृ� कृरण साधान म� किवघ्न उपस्थिस्थता ह8ता द�खकृर व� यह� सा� Tली पड�। सान� 1701 ई. म� 7भसा क्षा�त्रा सा� द्वारकृप4र�ह8कृर व� न�पली पहु�T गए और वह� एकृ वन म� य8ग-साधान कृरन� लीग�। न�पली-नर�शी इनकृ दशी�न कृरन� आए और इनकृ� भक्त बन गए। ली8ग कृ< भर� सा�ख्य म� एकृकित्राता ह8ता द�ख व� यह� सा� भ� 7स्थन कृरकृ� सान� 1707 ई. म� भ�मरथ�ता�थ� पहु�T�। वह� श्री��ग�र�मठो कृ� स्वम� किवद्यनन्दसारस्वता� सा� इन्ह न� सा�न्यसा कृ< द�क्षा ली�। भ�मरथ�सा� उत्तारख�ड जाता� सामय व� कृ� दरनथ, बदरिरकृश्रीम,ग4प्ताकृशी�,कित्राय8ग�नरयणआदिद स्थन पर भ� इन्ह न� तापस्य कृ<।
उनकृ� जा-सा� क्तिसाद्धा प4रुर्षो कृ� क्तिलीए कृहe पहु�T जान असा�भव न थ। उनकृ< गकिता प�थ्व� कृ� अकितारिरक्त जाली और वय4 म� भ� थ�। व� इच्छुमत्रासा� किकृसा� भ� स्थन पर पहु�T साकृन� म� सामथ� थ�। सान� 1710 ई. म� स्वम�जा�मनसार8वर Tली� गए और वह� व� द�र्घ�कृली ताकृ साधानरतारह�। यह� एकृ किवधाव कृ< 7थ�न पर उसाकृ� म�ता प4त्रा कृ� शीर�र कृ8 स्पशी� कृरकृ� स्वम� जा� न� उसा� प4नजा�किवता कृर दिदय। सान� 1726 ई. म� स्वम� जा� नम�द कृ� ताट पर स्थिस्थता मकृ� ण्ड�य ऋकिर्षो कृ� आश्रीम म� आकृर रहन� लीग�। वह� कृ� सा47क्तिसाद्धा सा�ता खकृ< बब और अन्य ली8ग न� द�ख किकृ स्वम� जा� कृ� द्वार पRजान कृरता� सामय नम�द म� दूधा 7वकिहता ह8न� लीगता थ। सान� 1733 ई. म� स्वम� जा� ता�थ�रजा 7यग आ गए और वह� एकृ�ता म� साधानली�नह8 गए। यह� उन्ह न� यकित्राय सा� खTखT भर� एकृ नव कृ8 अपन� य^किगकृ शीक्तिक्त सा� ग�गजा�म� डRबन� सा� बTय।
7यगरजा म� 4 वर्षो� रहन� कृ� उपर�ता सान� 1737 ई. म� ता-ली�गस्वम�कृशी� पधार� और यहe 150 वर्षो� ताकृ रह�। वरणसा� म� स्वम�जा�अस्सा� र्घट, हन4मन र्घट और दशीश्वम�धार्घट आदिद स्थन पर रहन� कृ� बद सान� 1800 ई. म� प�Tग�गर्घट पर आकृर किंबEदुमधावजा� कृ� म�दिदर म� रहन� लीग�। वहe पसा म� एकृ महरष्ट्र�यनब्रह्माण म�गलीदसाभट्टी एकृ कृ8ठोÈ म� रहता� थ�। व� किनत्य ग�ग-स्नन कृरकृ� बब किवश्वनथ जा� कृ< पRजा कृरन� कृ� बद ह� र्घर ली^टता� थ�। म�गलीदसा7कितादिदन यह द�खकृर बड� आश्चय�Tकिकृता ह8ता� थ�, किकृ जा8 मली उन्ह न� श्री�कृशी�किवश्वनथकृ8 Tढांई थ�, वह� स्वम�जा�कृ� गली� म� पड� हुई ह-। कृई बर पर�क्षा कृरन� पर भट्टीजा�यह जान गए किकृ स्वम� जा� साक्षाता� क्तिशीव-स्वरूप ह�। व� अन4नय-किवनय कृरकृ� स्वम� जा� कृ8 अपन� कृ8ठोÈ म� ली� आए। स्वम�जा�साद ख4ली� आसामन कृ� न�T� रहता� थ� अता:कृ8ठोÈ कृ� आ�गन म� ब�द�बनकृर उसापरउनकृ� रहन� कृ< व्यवस्थ कृ< गई। कृली�तार म� यह स्थन ता-ली�गस्वम�कृ� मठो कृ� नम सा� किवख्यता ह8 गय। ता-ली�गस्वम�दिदगम्बरवस्थम� रहता� थ�। एकृ स्त्रा� अपन� पकिता कृ� स्वस्थ ह8न� कृ< कृमन सा� 7कितादिदन जाब बब किवश्वनथ कृ� दशी�न-पRजान ह�ता4 जाता� थ�, ताब वह रस्ता� म� स्वम� जा� कृ8 द�खकृर अपशीब्द कृह द�ता� थ�। एकृ रता श्री�कृशी�किवश्वनथन� उसासा� स्वप्न म� कृह- ता4म उसा स्वम� कृ< अवह�लीन और अपमन मता कृर8। व� ह� ता4म्हर� पकिता कृ8 ठोÈकृ कृर�ग�। स्वम� जा� कृ वस्ताकिवकृ परिरTय 7प्ता ह8ता� ह� उसा स्त्रा� कृ� मन म� उनकृ� 7किता श्रीद्धा कृ< भवन जाग उठोÈ। ता-ली�गस्वम�कृ� द्वार 7दत्ता भस्म लीगन� सा� उसाकृ पकिता र8ग-म4क्त ह8 गय। इसा 7कृर स्वम�जा�न� न जान� किकृतान� ली8ग कृ8 र8ग-शी8कृ, कृष्ट-सा�ताप और सा�कृट सा� म4क्त कृरकृ� नवजा�वन 7दन किकृय। व� अत्यन्ता उदर और पर8पकृर� थ�। एकृ बर उज्ज-नकृ� महरजा जाब कृशी� कृ< ग�ग म� न^कृ-किवहर कृर रह� थ�, ताब उन्ह न� स्वम�जा�कृ8 ग�गजा�पर आसान जामए द�ख। श्री�रमकृ� ष्णपरमह�सा न� जाब उन्ह� भ�र्षोण गम� म� तापता� र�ता पर ली�ट� द�ख, ता8 व� स्वय� ख�र बनकृर लीए और स्वम�जा�कृ8 उसाकृ भ8ग लीगय। परमह�साद�वउनकृ< दिदव्यता सा� इतान� 7भकिवता हुए किकृ उन्ह न� ता-ली�गस्वम�कृ8 साTली किवश्वनथ कृ नम द� दिदय। एकृ अ�ग्रं�जा अफसार न� वस्त्राह�न रहन� कृ� कृरण इन्ह� हवलीता म� ब�द कृर दिदय किकृन्ता4 दूसार� दिदन साब�र� यह द�ख गय किकृ हवलीता कृ ताली ता8 ब�द ह- ली�किकृन स्वम� जा� हjसाता� हुए बहर टहली रह� ह�। श्री�ता-ली�गस्वम�कृ� Tमत्कृर कृ8 द�खकृर ली8ग द�ग रह जाता� थ�। भरता�य य8ग और अध्यत्म कृ< पताकृ Tर तारफ लीहर कृर सान� 1887 ई. म� 280 वर्षो� प�थ्व� पर ली�ली कृरन� कृ� उपर�ता अपन� जान्मकिताक्तिथ प^र्षो-शी4क्ली-
एकृदशी�कृ� दिदन ह� कृशी� कृ� य� साTली किवश्वनथ ब्रह्माली�न ह8 गए और प�छ� छ8ड गए अपन� साद्गीÉण और य8ग-शीक्तिक्त कृ 7कृशी, जा8 हम� आजा भ� ईश्वर और धाम� सा� जा4डन� कृ< 7�रण द� रह ह-।