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433 GI/2018 (1) jftLVªh laö Mhö ,yö&33004@99 REGD. NO. D. L.-33004/99 vlk/kj.k EXTRAORDINARY Hkkx II—[k.M 3mi&[k.M (ii) PART II—Section 3—Sub-section (ii) izkf/dkj ls izdkf'kr PUBLISHED BY AUTHORITY la- 293] ubZ fnYyh] jfookj] tuojh 21] 2018@ek?k 1] 1939 No. 293] NEW DELHI, SUNDAY, JANUARY 21, 2018/MAGHA 1, 1939

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  • 433 GI/2018 (1)

    jftLVªh laö Mhö ,yö&33004@99 REGD. NO. D. L.-33004/99

    vlk/kj.k

    EXTRAORDINARY

    Hkkx II—[k.M 3—mi&[k.M (ii)

    PART II—Section 3—Sub-section (ii)

    izkf/dkj ls izdkf'kr

    PUBLISHED BY AUTHORITY

    la- 293] ubZ fnYyh] jfookj] tuojh 21] 2018@ek?k 1] 1939

    No. 293] NEW DELHI, SUNDAY, JANUARY 21, 2018/MAGHA 1, 1939 िविध और � यािविध और � यािविध और � यािविध और � याय मं�ालय य मं�ालय य मं�ालय य मं�ालय ((((िवधायी िवभागिवधायी िवभागिवधायी िवभागिवधायी िवभाग)))) अिधसूचनाअिधसूचनाअिधसूचनाअिधसूचना नई �द� ली, 20 जनवरी, 2018 काकाकाका....आआआआ. . . . 340340340340(अ)(अ)(अ)(अ)....————रा� �पित �ारा �कया गया िन� निलिखत आदेश सव�साधारण क� जानकारी के िलए !कािशत �कया जाता ह ै:-- 20 जनवरी, 2018 आदेश आदेश आदेश आदेश भारत िनवा�चन आयोग को, �द�ली रा)ीय राजधानी रा*य+े, शासन अिधिनयम, 1991 (िजसे इसम3 इसके प4ात् "जी.एन.सी.टी.डी. अिधिनयम" कहा गया ह)ै क� धारा 15 क� उपधारा 4 के अधीन, तारीख 10 नवंबर, 2015 को िनद>श �कया गया था �क @या रा)ीय राजधानी रा*य+े, िवधानसभा (िजसे इसम3 इसके प4ात् "एन.सी.टी." कहा गया ह)ै के Aी !वीन कुमार और बीस अDय सदEय, जी.एन.सी.टी.डी. अिधिनयम क� धारा 15 क� उपधारा (1)(क) के अधीन िवधानसभा के सदEय रहने से िनर�हता से IEत हो गए हJ । िवधान सभा सदEयL के नाम और उनके पद िनM !कार से हJ:- �म सं.�म सं.�म सं.�म सं. िवधानसभा सद�यिवधानसभा सद�यिवधानसभा सद�यिवधानसभा सद�य का नाम का नाम का नाम का नाम िन� के संसदीय सिचविन� के संसदीय सिचविन� के संसदीय सिचविन� के संसदीय सिचव 1. Aी आदश� शाNी सूचना और ौ�ोिगक� मं�ी 2. सुAी अ�का लांबा पय�टन मं�ी 3. Aी अिनल कुमार बाजपेई �वा��य मं�ी (पूव�) 4. Aी अवतार Oसह गु� ारा िनवा�चन मं�ी 5. Aी जरनैल Oसह (रजौरी गाड�न)* िव�ुत मं�ी 6. Aी जरनैल Oसह (ितलक नगर) िवकास मं�ी 7. Aी कैलाश गहलौत िविध मं�ी

  • 2 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)]

    8. Aी मदन लाल सतक�ता मं�ी 9. Aी मनोज कुमार खा� और नाग$रक आपू&त मं�ी 10. Aी नरेश यादव 'म मं�ी 11. Aी िनितन Qयागी मिहला, बाल और समाज क-याण मं�ी 12. Aी !वीन कुमार िश0ा मं�ी 13. Aी राजेश गुRा �वा��य मं�ी (उ2र) 14. Aी राजेश ऋिष �वा��य मं�ी (दि0ण) 15. Aी संजीव झा प$रवहन मं�ी 16. सुAी सVरता Oसह रोजगार मं�ी 17. Aी शरद कुमार चौहान राज�व मं�ी 18. Aी िशव चरण गोयल िव2 मं�ी 19. Aी सोम दW उ�ोग मं�ी 20. Aी सुखवीर Oसह दलाल भाषा और अ.जा./ अ.जन.जा./ अ.िप.व. क-याण मं�ी 21. Aी िवजेDX गग� िवजय लोक िनमा�ण िवभाग मं�ी * 'ी जरनैल 8सह, िवधानसभा िनवा�चन 0े�, रजौरी गाड�न ने 17 जनवरी, 2017 को ?यागप� दे @दया था और अैल, 2017 को इस $रिC को भरने के िलए उपचुनाव Eए थे और इस कार से उनक� िनर�हता का F नहG रहता ह ै। उY िनद>श म3, उY िवधानसभा सदEयL क� िनर�हता का !Z Aी !शांत पटेल (िजसे इसम3 इसके प4ात् "याची" कहा गया ह)ै �ारा, भारत के रा)पित के सम+, तारीख 19 जून, 2015 को फाइल क� गई यािचका से उठा था । याची �ारा जी.एन.सी.टी.डी. अिधिनयम, 1991 क� धारा 15 क� उपधारा (1)(क) के अधीन Aी !वीन कुमार और �द�ली िवधानसभा के 20 अDय सदEयL (िजDह3 इसम3 इसके प4ात् !Qयथ^ कहा गया ह)ै क� �द�ली रा)ीय राजधानी +े, सरकार के अधीन संसदीय सिचव के _प म3 लाभ का पद लेने के आधार पर िनर�हता क� वांछा क� गई ह ै। !Qयथ^, जी.एन.सी.टी.डी. आदेश, तारीख 13 माच�, 2015 �ारा �द�ली सरकार के मंि,यL के संसदीय सिचव के _प म3 िनयुY �कए गए थे । याची ने, तारीख 19 जून, 2015 क� यािचका, माननीय रा)पित के सम+ तारीख 22 जून, 2015 को फाइल क� थी । और, Aी !शांत पटेल क� उY यािचका, भारत के संिवधान के अनुbछेद 191(1)(क) के अधीन यथा अपेि+त राय लेने के िलए भारत िनवा�चन आयोग को िनcदd क� गई थी । और भारत िनवा�चन आयोग, भारत के संिवधान, जी.एन.सी.टी.डी. अिधिनयम और पूव� म3 �दए गए Dयाियक िनण�यL म3 यथा अंतeवd िविध को fयान म3 रखते gए तhयL और पVरिEथितयL क� पूण�तः परी+ा के प4ात् इस िन�कष� पर पgचंा ह ै�क संसदीय सिचव का काया�लय िजस पर िनMिलिखत बीस िवधान सभा सदEय, तारीख 13 माच�, 2015 के जी.एन.सी.टी.डी. आदेश �ारा िनयुY �कए गए थे, �द�ली रा)ीय राजधानी +े, क� सरकार के अधीन िलया गया लाभ का पद ह ैऔर इस !कार िनवा�चन आयोग ने राय दी �क िनMिलिखत िवधानसभा सदEय जी.एन.सी.टी.डी. अिधिनयम क� धारा 15 क� उपधारा (1)(क) के अधीन िनर�िहत होने के दायी हJ :- jम सं. िवधानसभा सदEय का नाम jम सं. 1. Aी आदश� शाNी (ए.सी.-33 �ारका) 2. सु'ी अ-का लांबा (ए.सी.-20 चांदनी चौक) 3. Aी अिनल कुमार बाजपेई (ए.सी.-61 गांधी नगर) 4. 'ी अवतार 8सह (ए.सी.-51 कालकाजी)

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    5. Aी जरनैल Oसह (ए.सी.-29 ितलक नगर) 6. 'ी कैलाश गहलौत (ए.सी.-35 नजफगढ़) 7. Aी मदन लाल (ए.सी.-42 कEतूरवा नगर) 8. 'ी मनोज कुमार (ए.सी.-56 कJडली) 9. Aी नरेश यादव (ए.सी.-45 महरौली) 10. 'ी िनितन ?यागी (ए.सी.-58 लLमी नगर) 11. Aी !वीन कुमार (ए.सी.-41 जंगपुरा) 12. 'ी राजेश गुMा (ए.सी.-17 वजीरपुर) 13. Aी राजेश ऋिष (ए.सी.-30 जनकपुरी) 14. 'ी संजीव झा (ए.सी.-2 बुराड़ी) 15. सुAी सVरता Oसह (ए.सी.-64 रोहतास नगर) 16. 'ी शरद कुमार चौहान (ए.सी.-1 नरेला) 17. Aी िशव चरण गोयल (ए.सी.-25 मोती नगर) 18. 'ी सोम द2 (ए.सी.-19 सदर बाजार) 19. 'ी सुखवीर 8सह दलाल (ए.सी.-8 मंुडका) 20. 'ी िवजेOदर गग� िवजय (ए.सी.-39 राजेOR नगर) और Aी जरनैल Oसह, िवधानसभा िनवा�चन +े,-27, रजौरी गाड�न से पूव� िवधान सभा सदEय, िजनक� जी.एन.सी.टी.डी. तारीख 13 माच�, 2015 के आदेश �ारा संसदीय सिचव के _प म3 भी िनयुिY क� गई थी, के संदभ� म3, यह fयान �दया जाए �क उDहLने तारीख 17 जनवरी, 2017 को �द�ली रा)ीय राजधानी रा*य+े, क� िवधानसभा म3 उनके पद से Qयागप, दे �दया था और उनक� VरिY को भरने के िलए अ!ैल, 2017 को उपचुनाव gआ था और इस !कार से उनक� िनर�हता का !Z नहl रहता ह ै। भारत िनवा�चन आयोग �ारा तारीख 19 जनवरी, 2018 को दी गई राय क� !ित, उपाबंध सिहत, इसम3 संलn ह ै। अब इसिलए, भारत िनवा�चन आयोग �ारा oY क� गई राय को fयान म3 रखते gए, मामल ेपर िवचार करते gए, मJ, रामनाथ कोOवद, भारत का रा)पित, �द�ली रा)ीय राजधानी रा*य+े, शासन अिधिनयम, 1991 क� धारा 15 क� उपधारा (4) के अधीन मुझे !दW शिYयL का !योग करते gए, एतद् �ारा अिभिनधा�Vरत करता p ं�क �द�ली िवधानसभा के पूवqY बीस सदEय उY िवधानसभा के सदEय होने से िनर�िहत हो गए हJ । भारत का रा)पित भारत िनवा�चन आयोग िनवा�चन सदन अशोक रोड, नई �द� ली -110001 2015 का िनद�श मामला सं0 5 2015 का िनद�श मामला सं0 5 2015 का िनद�श मामला सं0 5 2015 का िनद�श मामला सं0 5 [भारत के रा� �भारत के रा� �भारत के रा� �भारत के रा� �पित से !द" लीपित से !द" लीपित से !द" लीपित से !द" ली रा� �ी रा� �ी रा� �ी रा� �ीय राजधानी रा% यय राजधानी रा% यय राजधानी रा% यय राजधानी रा% य&े� शासन अिधिनयम&े� शासन अिधिनयम&े� शासन अिधिनयम&े� शासन अिधिनयम,,,, 1991 के अधीन िनद�श1991 के अधीन िनद�श1991 के अधीन िनद�श1991 के अधीन िनद�श] संदभ� : 2015 का िनदTश मामला सं0 5 – भारत के माननीय राU Vपित से @द- ली राU Vीय राजधानी राW य0े� शासन अिधिनयम, 1991 क� धारा 15(4) के अधीन ाX त िनदTश िजसमY @द- ली राU Vीय राजधानी राW य0े� शासन अिधिनयम,1991 क� धारा 15(1)(क) के अधीन @द- ली िवधान सभा के 'ी वीण कुमार और बीस अO य सद� य क� अिभकिथत िनरह�ता के Z न पर भारत िनवा�चन आयोग क� राय मांगी गई ह ै।

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    रायरायरायराय संि&) तसंि&) तसंि&) तसंि&) त त* य त* य त* य त* य 1. यह भारत के माननीय रा� �पित से !ाr त िनद>श तारीख 10.11.2015 ह ैिजसम3 �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, शासन अिधिनयम, 1991 (िजसे इसम3 इसके पs चात् ''जीएनसीटीडी अिधिनयम'' कहा गया ह)ै क� धारा 15(4) के अधीन भारत िनवा�चन आयोग क� राय इस !s न पर मांगी गई ह ै �क @ या �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, (िजसे इसम3 इसके पs चात् ''एनसीटी'' कहा गया ह)ै क� िवधान सभा के Aी !वीण कुमार और बीस अD य सदE य, �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, शासन अिधिनयम क� धारा 15(1)(क) के अधीन, उस सभा के सदE य होने के िलए िनरह�ता से IE त हो गए हJ। िवधान सभा सदE यL और उनके पदL के नाम िन� नानुसार हJ:-- �म सं�म सं�म सं�म सं.... िवधान सभा सद� यिवधान सभा सद� यिवधान सभा सद� यिवधान सभा सद� य का नाम का नाम का नाम का नाम िन+ निन+ निन+ निन+ निलिखत का संसदीय सिचविलिखत का संसदीय सिचविलिखत का संसदीय सिचविलिखत का संसदीय सिचव 1. Aी. आदश� शाE ,ी सूचना और !ाtोिगक� मं,ी 2. सुAी. अ� का लांबा पय�टन मं,ी 3. Aी अिनल कुमार वाजपेयी E वाE h य मं,ी (पूव^) 4. Aी अवतार Oसह गुu�ारा िनवा�चन मं,ी 5. Aी जरनैल Oसह (रजौरी गाड�न)* िवtुत मं,ी 6. Aी जरनैल Oसह (ितलक नगर) िवकास मं,ी 7. Aी कैलाश गहलोत िविध मं,ी 8. Aी मदन लाल सतक�ता मं,ी 9. Aी मनोज कुमार खाt और नागVरक आपूeत मं,ी 10. Aी नरेश यादव Aम मं,ी 11. Aी िनितन Q यागी मिहला और बाल तथा समाज क� याण मं,ी 12. Aी !वीण कुमार िश+ा मं,ी 13. Aी राजेश गुr ता E वाE h य मं,ी (उQ तरी) 14. Aी राजेश ऋिष E वाE थ मं,ी (दि+णी) 15. Aी संजीव झा पVरवहन मं,ी 16. सुAी सVरता Oसह रोजगार मं,ी 17. Aी शरद कुमार चौहान राजE व मं,ी 18. Aी िशव चरण गोयल िवQ त मं,ी 19. Aी सोम दQ त उtोग मं,ी 20. Aी सुखबीर Oसह दलाल भाषा और अनु.जाित/अनु.जनजाित/अD य िपछड़ा वग� मं,ी 21. Aी िवजेD X गग� िवजय लोक िनमा�ण िवभाग मं,ी * रजौरी गाड�न के िवधान सभा िनवा�चन 0े� से 'ी जरनैल 8सह, िवधान सभा सद� य ने 17.01.2017 को ? याग प� दे @दया था और अैल, 2017 मY Eई इस $रि] त को भरने के िलए उपिनवा�चन Eए थे और इसिलए, उसक� िनरह�ता पर कोई Z न ही नहG ह।ै 2. उ@ त िनद>श म3, भारत के रा� �पित के सम+ उ@ त िवधान सभा सदE यL क� िनरह�ता का !s न Aी !शांत पटेल (िजसे इसम3 इसके पs चात् ''याची'' कहा गया ह)ै �ारा फाइल क� गई तारीख 19.06.2015 क� यािचका के कारण उठा था िजसके

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    �ारा याची ने �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, सरकार के मंि,यL के संसदीय सिचवL के _प म3 �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, सरकार के अधीन लाभ का पद धारण करने के आधारL पर �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, शासन अिधिनयम क� धारा 15(1)(क) के अधीन �द� ली िवधान सभा के Aी !वीण कुमार और बीस सदE यL (िजD ह ेइसम3 इसके पs चात् ''!Q यथ^'' कहा गया ह)ै क� िनरह�ता क� मांग क� ह।ै 3. !Q यeथयL को �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, सरकार के आदेश तारीख 13.03.2015 �द� ली सरकार के मंि,यL के संसदीय सिचवL के _प म3 िनयु@ त �कया गया था। याची ने 22.06.2015 को भारत के माननीय रा� �पित के सम+ तारीख 19.06.2015 क� यािचका फाइल क� थी। उसके पs चात् �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, सरकार ने 23.06.2015 को �द� ली िवधान सभा सदE य (िनरह�ता का हटाना) (संशोधन) िवधेयक, 2015 पुर:E थािपत �कया था। िवधेयक 24.06.2015 को �द� ली िवधान सभा �ारा पाVरत �कया गया था। तथािप, भारत के माननीय रा� �पित ने 07.06.2016 को इस िवधेयक को अनुमित देने से इंकार कर �दया था। �द� ली िवधान सभा सदE य (िनरह�ता का हटाना) (संशोधन) िवधेयक, 2015 का उxेs यL और कारणL का कथन िन� नानुसार ह:ै ''''''''उ�े� य�उ�े� य�उ�े� य�उ�े� य� और कारण� का कथन और कारण� का कथन और कारण� का कथन और कारण� का कथन �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, शासन अिधिनयम,1991 क� धारा 15 क� उपधारा (1) का खंड (क) यह उपबंध करता ह ै�क कोई y यि@ त, िवधान सभा का सदE य चुने जाने के िलए और सदE य होने के िलए िनरeहत होगा य�द वह भारत सरकार या �कसी रा* य क� सरकार या संघ रा* य+े, क� सरकार के अधीन ऐसे पद को छोड़कर िजसको धारण करने वाले का िनरeहत न होना संसद ्या �कसी रा* य के िवधान-मंडल या �द� ली िवधाना सभा या �कसी अD य संघ रा* य+े, �ारा बनाई गई िविध �ारा घोिषत �कया ह,ै कोई लाभ का पद धारण करता ह।ै �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, शासन अिधिनयम,1991 क� धारा 15 के उपबंध अिधक या कम jमश: संसद ्के �कसी भी सदन या रा* य के िवधान-मंडल के �कसी भी सदन क� सदE यता के िलए िनरह�ता से संबंिधत संिवधान के अनुb छेद 102 और अनुb छेद 191 म3 के उपबंधL के अनु_प हJ । 1997 म3, �द� ली िवधान सभा ने �द� ली िवधान सभा सदE य (िनरह�ता का हटाना) अिधिनयम, 1997 (1997 का �द� ली अिधिनयम 6) नाम से |ात एक िविध कुछ पदL को �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, क� िवधान सभा के सदE य को चुने जाने के िलए या सदE य होने के िलए िनरह�ता से िनरeहत होने के िलए छूट !दान करने के उxेs य से अिधिनयिमत क� थी। उ@ त अिधिनयम से संल} न अनुसूची jम सं~ या 7 पर उि� लिखत मु~ यमं,ी के संसदीय सिचव के पद के अितVर@ त, मं,ी के संसदीय सिचव का पद भी सि� मिलत �कया जाना ह।ै यह घोिषत करने के िलए �द� ली िवधान सभा (िनरह�ता का हटाना) अिधिनयम, 1997 का संशोधन करना आवs यक समझा गया था �क �द� ली िवधान सभा सदE य (िनरह�ता का हटाना) अिधिनयम, 1997, �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, सरकार के मु~ यमं,ी और मं,ी का पद िनरeहत नहl होगा और �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, क� िवधान सभा का सदE य चुने जाने के िलए या सदE य होने के िलए कभी भी िनरeहत gआ नहl समझा जाएगा। तदनुसार, इन आशयL को !भावी करने के िलए उ@ त अिधिनयम क� अनुसूची का संशोधन करने का !E ताव ह।ै िवधेयक पूवq@ त उxेs यL क� !ािr त के िलए ह'ै'। 4. वत�मान मामल ेम3 काय�वािहयां 24.06.2016 को !ारंभ हो गई थl िजसके �ारा आयोग ने इस मामल ेम3 प+कारL के _प म3 मुकदमा चलाने के िलए कितपय तृतीय प+कारL �ारा फाइल �कए गए हE त+ेप आवेदनL पर िवचार �कया था। सभी संबंिधत प+कारL को 14.07.2016 तथा 21.07.2016 को सुना गया था और इन आवेदनL का िनपटान करने वाला आदेश 26.07.2016 को पाVरत �कया गया था। आयोग ने आदेश तारीख 26.07.2016 (उपाबंध 1, पृ� ठ ...... से ......) �ारा यह अिभिनधा�Vरत �कया �क िनद>श के प+कारL पर रा� �पतीय िनद>श �ारा िनण�य �कया गया ह ैऔर इसिलए मुकदमा चलाने के िलए आवेदन चलाने यो} य नहl ह।ै 5. तQ पs चात् 10.08.2016, 19.08.2016 और 29.08.2016 को सुनवाइयां क� गई थl िजसके �ारा !Q यeथयL ने ऐसी िनरह�ता के असंगत !s नL को उठाए जाने के िलए आयोग के तारीख 04.12.2015 क� सूचना के उQ तर म3 याची �ारा फाइल �कए गए तारीख 28.12.2015 के उQ तर को, िजसको उD हLने 'ि�तीय यािचका' कहा ह,ै चुनौती दी थी। आयोग ने तारीख 16.09.2016 के आदेश (उपाबंध 2, पृ� ठ .......से .....) �ारा इस !ारंिभक मुxे पर िविनs चय �कया था िजसके �ारा आयोग ने यह अिभिनधा�Vरत �कया �क याची �ारा उसके अपने उQ तर म3 उठाए गए !s न उसक� तारीख 19.06.2015 क� मूल यािचका म3 उठाए गए !s नL को मा, दोहराना था। तथािप, !Q यeथयL �ारा उठाए गए आ+ेपL को f यान मे रखते gए, आयोग ने याची �ारा फाइल �कए गए उQ तर से कुछ पैरा को हटाने का आदेश �दया था और याची �ारा फाइल �कए गए कुछ दE तावेजL को अिभलेख पर न लेने के िलए िनदेश �दया था और िवषय पर अंितम सुनवाई के िलए तारीख िनयत क� थी।

  • 6 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)]

    6. जब वत�मान िनद>श के अधीन कार�वािहयां आयोग के सम+ चल रहl थl तब उ@ त िनयुि@ त के आदेश तारीख 13.03.2015 को चुनौती देने वाली रा� �ीय मुि@ त मोचा� बनाम �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, सरकार और अD य नामक 2015 क� Vरट यािचका (िसिवल) सं0 4714 माननीय �द� ली उच् च D यायालय के सम+ फाइल क� गई थी। माननीय �द� ली उb च D यायालय ने तारीख 08.09.2016 के आदेश �ारा तारीख 13.03.2015 के उ@ त िनयुि@ त आदेश को इस आधार पर अपाE त कर �दया था �क इसे उप रा* यपाल को उसके अिभमतL । सहमित के िलए सरकार के िविनs चय को संसूिचत �कए िबना पाVरत �कया गया था। उb च D यायालय का आदेश िनद>श क� सुिवधा के िलए नीचे दोहराया गया ह:ै-- ''1. जनिहत मुकदमा के माf यम से यह यािचका �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, सरकार के मंि,यL के संसदीय सिचवL के _प म3 उसम3 नािमत �द� ली िवधान सभा के सदE यL को िनयु@ त करने वाले तारीख 13.03.2015 के �द� ली सरकार के आदेश को चुनौती देते gए फाइल क� गई थी। 2. चुनौती के आधारL म3 से एक आधार यह ह ै�क उ@ त आदेश भारत के संिवधान के अनुb छेद 239कक के अपे+ानुसार उप रा* यपाल को उसके अिभमतL/सहमित के िलए िविनs चय संसूिचत �कए िबना पाVरत �कया गया था। 3. Vरट यािचका (िसिवल) सं0 5888/2015 और �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, सरकार बनाम भारत सरकार और अD य नामक बैच म3 इस D यायालय ने िनण�य तारीख 04.08.2016 �ारा उसी मुxे पर िवचार करते gए यह अिभिनधा�Vरत �कया �क-- ''उन िवषयL, िजनके संबंध म3 िविध बनाने क� शि@ त संिवधान के अनुb छेद 239कक के खंड (3)(क) के अधीन �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, क� िवधान सभा को !दQ त क� गई ह,ै के संबंध म3 भी सांिवधािनक E क�म के अधीन मंि,-पVरषद ्का िविनs चय उप रा* यपाल को संसूिचत करना अिनवाय� ह ैऔर केवल आदेश वहां जारी �कया जा सकता ह ैजहां उप रा* यपाल िभD न अिभमत नहl अपनाता ह ैऔर �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, सरकार के कारबार संy यवहार िनयम, 1993 के अf याय 5 के साथ पVठत संिवधान के अनुb छेद 239कक के खंड (4) के परंतुक के अनुसार केD Xीय सरकार को कोई िनद>श अपेि+त नहl ह।ै'' 4. याची का िविनcद� ट अिभवाक् �क तारीख 13.03.2015 का आ+ेिपत आदेश उप रा* यपाल को उसके अिभमतL/सहमित के िलए िविनs चय संसूिचत �कए िबना पाVरत �कया गया था, !Q यeथयL क� ओर से पेश gए िव�ान काउंसलL �ारा इसका िवरोध नहl �कया गया ह।ै 5. अत:, म3 याची के िवदवान काउंसेल के िनवेदन म3 बल �दखाई नहl पड़ता ह ै �क मुxा �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, सरकार बनाम भारत संघ और अD य नामक बैच म3 �कए गए िविनs चय के अंतग�त पूण�तया आता ह।ै तदनुसार, Vरट यािचका म3 उठाए गए अD य !ितवादL का अf ययन �कए िबना, तारीख 13.03.2015 का आ+ेिपत आदेश अपाE त �कया जाता ह।ै तदनुसार, Vरट यािचका अनु|ात क� जाती ह।ै कोई लागत नहl । मु~ य D यायमूeत संगीता धlगरा सहगल, D यायमूeत। 8 िसतंबर, 2016/वीएलडी'' 7. आयोग ने �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, सरकार से !Q यथ^ िवधान सभा सदE यL के संबंध म3 िवE तृत जानकारी मांगी थी और इसे प, सं0 फा.सं.एफ-17/57/2012/जीएडी/!धान सिचव/4034 तारीख 20.09.2016 �ारा 2500 पृ� ठL के समथ�नकारी दE तावेजL के साथ !ाr त �कया गया था। 23.09.2016 को gई सुनवाई म3 प+कारL ने �द� ली रा� �ीय राजधानी रा* य+े, सरकार �ारा फाइल �कए गए उ@ त उQ तर क� !ित के िलए अनुरोध �कया था। इसक� एक !ित सभी !Q यeथयL को पVरदQ त क� गई थी और याची को y यि@ तगत _प से भारत िनवा�चन आयोग के प, तारीख 29.09.2016 �ारा तथा प+कारL से इसके िलए उनके उQ तर 07.10.2016 और 14.10.2016 को या उससे पहले !E तुत करने के िलए कहा गया था। !Q यeथयL ने 17.10.2016 को अपना उQ तर !E तुत �कया और याची ने 24.10.2016 को अपना !Q युQ तर !E तुत �कया था। 8. अपने िनवेदनL म3 और 15.11.2016, 22.11.2016, 07.12.2016, 16.12.2016 और 27.03.2017 को आयोग के सम+ gई सुनवाइयL म3 !Q यeथयL ने इस आधार पर वत�मान िनद>श मामल ेक� संपोषणीयता के बारे म3 !ारंिभक आ+ेप उठाए थे �क माननीय �द� ली उb च D यायालय �ारा तारीख 08.09.2016 के आदेश के पाVरत �कए जाने के पs चात्, िजसके �ारा उb च D यायालय ने तारीख 13.03.2015 के िनयुि@ त आदेश को अपाE त �कया ह,ै अिभकिथत िनरह�ता का !s न ही नहl उठता ह।ै

  • ¹Hkkx IIµ[k.M 3(ii)º Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 7

    9. आयोग के सम+ संचािलत काय�वािहयL के दौरान और उनके िलिखत िनवेदनL म3, !Q यeथयL ने यह !ितवाद �कया �क संसदीय सिचवL का पद माननीय �द� ली उb च D यायालय के आदेश के पs चात् अिE तQ वहीन हो गया ह ैऔर िनद>श मामला िन� फल और िन� !भावी हो गया ह ैऔर यह �क माननीय �द� ली उb च D यायालय ने िनयुि@ त आदेश को अपाE त करके इसे अवैध, असंवैधािनक तथा आरंभ से ही शूD य के _प म3 घोिषत �कया ह ै िजसका अिभ!ाय यह ह ै �क अिभकिथत िनरह�ता के िलए एकमा, आधार िवtमान नहl ह ै। !Q यeथयL के अनुसार, उb च D यायालय के आदेश का आवs यक उपिसांत यह ह ै�क संसदीय सिचवL का ''पद कभी भी िवtमान नहl था और, इस !कार, �कसी लाभ और पाVरणािमक िनरह�ता का !s न ही नहl उठता ह।ै 10. आयोग के सम+ संचािलत काय�वािहयL के दौरान और अपने िलिखत िनवेदनL म3 याची ने यह िनवेदन �कया ह ै�क उb च D यायालय के आदेश के पs चात् संसदीय सिचवL के पद क� अिE तQ वहीनता के बारे म3 !Q यथ^ का !ितवाद गलत ह।ै याची �ारा यह !ितवाद �कया गया ह ै�क �द� ली उb च D यायालय ने केवल िनयुि@ त आदेश को 'अपाE त' �कया ह ैऔर इसे ''आरंभ से ही शूD य'' होना अिभिनधा�Vरत नहl �कया ह।ै याची ने पंजाब रा* य बनाम गuुदेव Oसह [(1991)4 एसएसी 1] म3 माननीय उb चतम D यायालय के िनण�य का भी उ� लेख �कया ह ैजो पंजाब रा* य के पुिलस पदािधकारी क� बरखाE तगी से संबंिधत ह,ै िजसम3 शीष� D यायालय ने यह अिभिनधा�Vरत �कया ह ै�क: ''5 य�द कोई अिधिनयम शूD य या अिधकारातीत ह,ै इसे इस !कार घोिषत करना D यायालय के िलए यह पया�r त ह ैऔर यह E वत:ही समाr त हो जाता ह।ै इसे अपाE त �कए जाने क� आवs यकता नहl ह।ै y यिथत प+कार मा, घोषणा क� मांग कर सकता ह ै�क यह शूD य ह ैऔर उस पर आबकर नहl ह।ै कोई घोषणा मा, काय क� िवtमान िE थित क� घोषणा करती ह ैऔर उसको अिभखंिडत नहl करती ह ैिजससे �क काय क� एक नई िE थित उQ पD न हो सके। 6. �कD तु �फर भी आ+ेिपत बखा�E तगी आदेश म3 कम से कम यह तब तक वE तुत: !वत�न म3 नहl होती ह ैजब तक इसे स+म िनकाय या D यायालय �ारा शूD य या अकृतता के _प म3 घोिषत नहl �कया जाता ह।ै'' (बल �दया गया ह)ै 11.याची ने यह !Eतुत �कया �क �कसी अDय !ितकूल अिभoिY क� अनुपिEथित म3 माननीय �द�ली उ Dयायालय �ारा तारीख 8.9.2016 कोक पाVरत आदेश केवल सुनाए जाने क� ितिथ से भूतल+ी _प म3 !भआवी होगा, जो 8.9.2016 ह ै। उDहLने राजEथान उ Dयायालय के छोती लाल बनाम राज बहादरू (ए.आई.आर. राज. 227) के िनण�य को भी िनcदd �कया ह,ै िजसम3 यह कहा गया था �क यtिप िनयुिY अिनयिमत थी, िजसे अनुbछेद 102 के अधीन एक oिY िनह�रता से नहl बच सकेगा । याची ने आग ेयह कहा �क !ितवादी िवधानसभा सदEयL को िनरह� ठहराया जा सकेगा, य�द वे एक िमनट के िलए भी पदधाVरत �कए थे । चंू�क, वत�मान मामल ेम3, !ितवादी न अपनी िनयुिY क� ितिथ से लाभ !ाR �कया ह,ै जो 13.3.2015 से 8.9.2016 तक जो �द�ली उ Dयायालय �ारा िनयुिY को रx करने का आदेश �दया गया था । ऐसे पद को धारण करने वाल ेoिY को िनरह�ता को तब से माना जाएगा जब उसने लाभ का पद !ाR �कया । 12. आयोग ने 23.6.2017 के आदेश के अनुसार यह देखा �क �द�ली सरकार के िनयुिY आदेश का पVरशीलन यह दशा�ता ह ै�क उY आदेश �ारा �द�ली सरकार के मंि,यL के संसदीय सिचवL के _प म3 !ितवा�दयL क� िनयुिY क� गई थी । उस पूरे आदेश म3 कहl भी यह उि�लिखत नहl ह ै�क �द�ली सरकार के आदेश �ारा संसदीय सिचवL के �कसी पद को सृिजत �कया गया । यह आदेश !ितवा�दयL को केवल संसदीय सिचवL के _प म3 िनयुिY के बारे म3 कहता ह ै। यह एक पूवा�नुमान ह ै�क संसदीय सिचवL का पद या तो पहल े से ही िवtमान थे सरकार �ारा पृथकतः सृिजत �कए गए थे, जो इन िनयुिYयL को 13.3.2015 को सरकार �ारा सृिजत �कए गए थे । आयोग,माननीय �द�ली उ Dयायालय के 8.9.2016 के आदेश म3 कुछ भी नहl पाया �क Dयायालय ने केवल !ितवा�दयL क� िनयुिY को रx �कया ह,ै बि�क संसदीय सिचवL के पद के सृजन को भी । !ितवा�दयL का यह तक� ह ै�क तारीख 8.9.2016 के माननीय उ Dयायालय के आदेश के अनुसार संसदीय सिचवL का पद 13.3.2015 से !ारंभतः अिEतQवहीन हो गया ह,ै अतः Eवीकाय� नहl ह ै । यह !कटतः और पूण�तः Eपd ह ै �क तारीख 8.9.2016 के उ Dयायालय के आदेश �ारा केवल !ितवा�दयL क� संसदीय सिचवL के _प म3 क� गई िनयुिY को रx �कया गया ह ै और यह �कसी अDय िनव�चन को Eवीकार नहl करता ह ै । य�द !ितवादी इस तक� म3 सफल थे �क माननीय उ Dयायालय संसदीय सिचवL के पद के सृजन को रx करता ह,ै तो िसि का भार �क !ितवा�दयL पर ह ैिजसे वे उसे पूरा करने म3 असफल हो गए हJ । यािचकाकता� अपने तक� म3 सही ह ै�क आयोग, माननीय उ Dयायालय के आदेश म3 कोई शद जोड़ या घटा नहl सकता ह,ै जैसा�क !ितवा�दयL �ारा कहा गया ह ै। 13. आयोग ने तारीख 23.6.2017 के आदेश करा यह धाVरत �कया �क केवल अनुमान ह ै�क माननीय उ Dयायालय �ारा जारी �कए गए तारीख 8.9.2016 के आदेश से वैधता हो सकती ह ै�क यह !ितवा�दयL का संसदीय सिचवL के _प म3 केवल िनयुिY थी, जो तारीख 13.3.2015 के जी.एन.सी.टी.डी. के आदेश �ारा रx �कया गया था, न �क संसदीय सिचवL के पद से । वत�मान मामले म3, यह सुEपd ह ै�क !ितवादी, संसदीयसिचवL के पद का तhयतः धारणकता� थे, हालां�क, एक िनयुिY

  • 8 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)]

    आदेश के तरीके �ारा,जो !�jयाQमक और कानूनी चूकL से IEत पाया गया था और अतः माननीय �द�ली उ Dयायालय �ारा रx �कया गया और इसीिलए उनक� िनरह�ता का !Z पोषणीय ह ै। 14. आयोग के उपयु�Y नोट �कए गए आदेश को !ितवा�दयL �ारा 2017 क� Vरट यािचका (िसिवल) सं~या 6632, 6633 और 6635-6638 के माfयम से माननीय �द�ली उ Dयायालय के सम+ चुनौती दी गई । िजसम3, आज तक कोई Eथगनादेश पाVरत नहl �कया गया, इस आयोग ने यह िनण^त �कया �क इस संदeभत मामल ेम3 जांच के संचालन क� !�jया क� जाने और इसक� राय क� िवरचना क� जाए । प+कारL �ारा उठाएगए !ारंिभक मुxे और उसके Dयायिनण�यन । 15. आयोग,तारीख 28.9.2017 के प, �ारा प+कारL को नोVटस जारी करके उDह3 जी.एन.सी.टी.डी. �ारा फाइल �कए गए दEतावेजL के िलिखत उWर के यौरे देने के िलए बुलाया गया और नोVटस म3 आग ेयह नोट �कया गया �क य�द !ितवादी, अपने िलिखत तक� देने म3 असफल रहते हJ, तो आयोग यह मान लगेा �क इस मामले म3 उनके पास कहने के िलए कुछ नहl ह ैऔर आयोग, इसके उपलबध अिभलखेL के सायL और दEतावेजL के आधार पर !ितवादी के �कसी आग ेके िनद>शL के िबना मामले का िनण�य करेगा । 16. !ितवा�दयL ने 16.10.2017 को अपना जवाब !Eतुत �कया और याची ने 23.10.2017 को इसके जवाब म3 अपना !QयुWर !Eतुत�कया । !ितवा�दयL ने इसके जवाब म3 यह !Eतुत �कया �क तारीख 28.9.2017 का उY प, आयोग �ारा जवाबL क� अनिभ|ता म3 जारी �कया गया ह ैऔर !ितवा�दयL �ारा पूव� म3 !ाथ�नाप, फाइल �कया गया ह ै।उDहLने आग ेयह !Eतुत �कया �क, तब भी, इन िवषयL को केवल आयोग �ारा िवचार �कया जाएगा, य�द उ Dयायालय के !ितवा�दयL �ारा फाइल क� गई यािचका को रx कर देता ह ै। 17. अपने िलिखत जबाव म3 !ितवा�दयL ने यह !Eतुत �कया �क चंू�क उ Dयायालय पहले ही िनण^त कर चुका ह ै �क संसदीय सिचव के पद पर उनक� gई िनयुिY अवैध और शूDय ह,ै और चंू�क !ितवा�दयL क� यािचका आयोग �ारा जारी �कए गए आदेश को चुनोती दी गई ह,ै जो उ Dयायालय के सम+लंिबत ह,ै स�पूण� दEतावेजी साय के साथ िलिखत कत�कL को फाइल करने क� !�jया अब तक नहl पgचंी ह ैऔर न ही आवsयक ह ै। 18. !QयeथयL ने यह और दलील दी �क चंू�क तारीख 23.1.2017 के आयोग के आदेश Dयायाधीन ह,ै !QयeथयL ने आयोग से !ाथ�ना क� �क वह उस िवषय म3 कोई सुनवाई न करे @यL�क वह िनरथ�क हो जाएगी य�द उ Dयायालय यािचका का िनण�य !QयeथयL के प+ म3 देता ह ै। 19. !QयeथयL ने यह और दलील दी�क आयोग ने तारीख 23.6.2017 के आदेश �ारा पोषणीयता के मुxे का िविन4य �कया, तथािप कुछ अDय !ारंिभक मुxे शेष ह,ै िजनका िविन4य �कया जाना ह ैऔर मामल ेके गुणागणु को उनका िविन4य �कए जाने से पूव� नहl सुनाजा सकता ह ै। !QयeथयL ने िविनcदdता आयोग का fयान अपने !QयुWर क� और आकृd �कया िजसम3 उDहLने यह आ+ेप �कया था �क िविध क� दिृd म3 तारीक 10.11.2015 का िनद>श कोई िनद>श नहl ह ै। 20. !QयeथयL ने आगे यह दलील दी �क उसके पास अिधकार ह ैऔर अतः वे यािचकाकता�/पVरवादी का समुिचत चरण पर !ित-परी+ा क� मांग करते हJ । 21. !QयeथयL ने आग ेयह दलील �क मीिडया Vरपोट� के माfयम से !Qयथ^ यह जान पाए �क िनवा�चन आयुY इस मामले क� सुनवाई से Eवयं को बचा रह ेहJ और इस तhय के आलोकर म3 यह Eपd नहl ह ैमामल ेक� सुनवाई का कोरम कैसे होगा । चंू�क !QयeथयL के महQवपूण� संवैधािनक अिधकार अंिnदंड ह,ै यह मामला पूण� कोरम �ारा सुना जाना आवsयक ह ै। 22. !QयeथयL क� दलील यह !कट करती ह ै�क आयोग के सम+ पहले से ही दी गई दलील म3 आग ेऔर कुछ जोड़ने के िलए नहl ह ै। 23. !Qयथ^ कोई नया और िविशd !ाथिमक मुxा उठाने म3 असफल हो चुका ह,ै जो �क इस मामले म3 अंितम राय देने के पहल ेिनण^त �कया जाने वाला ह ैऔर तारीख 23.6.2012 के आयोग के आदेश के संचालन के �कसी Eथगनादेश क� अनुपिEथित म3, वत�मान आदेश म3 जारी रहने म3 कोई िविधक बाधा नहl ह ै। 24. याची/पVरवादी क� !ित-परी+ा के िलए !QयeथयL �ारा मांग �कए जाने पर, यह पाया गया �क िनcदd मामलL म3 परवादी वीसल लोवर के समान ह ैऔर उनक� !ित-परी+ा क� अनुमित �दया जाना िविध क� !�jया का मजाक बनाएगा । इसके अितVरY, पVरवादी क� !ितपरी+ा करने क� आवsयकता नहl ह ै�क वह न तो अपने वैयिYक _प से पदीय +मता म3 कोई सूचना देने क� िEथित म3 ह,ै जहां वह अपने पVरवाद पर िवास करता ह ैन ही उस !�jया म3 वह एक सा+ी ह ै। अतः िशकायतकता� क� !ित-परी+ा क� आवsयकता नहl ह ैऔर यह मांग अनावsयक िवलंब करने वाली मानी जाएगी ।

  • ¹Hkkx IIµ[k.M 3(ii)º Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 9

    25. Aी ओम !काश रावत ने इस मामले को पहले क� तैनाितयL के दौरान कुछ राजनीितक नेता के साथ उनके संगम के िनराधार आरोपL के कारण Eवयं को इस मामल ेक� सुनवाई करने से अलग कर िलया । तथािप, मु~य िनवा�चन आयुY क� पहल पर वह इस मामले क� जांच करने के िलए और िनवा�चन आयुY के पद पर Aी सुनील अरोड़ा के साथ 1.9.2017 से सि�मिलत होने के िलए तैयार हो गए । इस राय को देने के िलए एक पूण� गणपूeत उपलध हो गई थी चंू�क यह अिभलेख पर उपलध सभी दलीलL और दEतावेजL क� जांच पर आधाVरत था । यह भी एक तhय ह ै �क एक िनवा�चन आयुY के िवu िनराधार आरोप लगाने के प4ात्, िजसका पVरणाम उनके �ारा Eवयं को अलग करने के _प म3 gआ । !QयeथयL ने यह िविशd दलील दी �क आयोग पूण� गणपूeत के अभाव म3 इस मामले म3 अIसर नहl हो सकता ह ै। !QयeथयL का पूवqY कृQय इस बात का साय ह ै�क उनका आशय और मंतo यह सुिनि4त करना था �क वत�मान मामला और आग ेनहl बढे । तथािप, यह नोट करना सुसंगत ह ै �क िनवा�चन आयोग (िनवा�चन आयुYL क� सेवा शत और कारबार का संoवहार) अिधिनयम, 1961 क� धारा 10 के अनुसार आयोग को अपने कारबार का संoवहार करने के िलए !�jया को िविनयिमत करने के िलए पूण� EवायWा ह ैऔर ऐसा िविन4य बgमत �ारा या एकमत _प से भी िलया जा सकता ह ै। लोक !ितिनिधQव अिधिनयम, 1951 क� धारा 146ख के अनुसार भी आयोग को अपनी !�jया का िविन4य करने के िलए पूण� EवायWा ह ै। अत: यह आवsयक नहl ह ै�क य�द कोई िनवा�चन आयोग Eवयं को यहां तक �क भागत: �कसी जांच और सुनवाई से �कसी मामले म3 अलग करता ह ैतब ऐसे िविशd संदभ� मामले म3 कोई राय आयोग के शेष सदEयL �ारा िवरिचत नहl क� जा सकती ह ै। िविध क� ऐसी िEथित िवtमान नहl ह ैऔर यह बgत खतरनाक ह ै@यL�क �कसी मामले म3 कोई िहत रखने वाला प+कार �कसी आधारहीन प+पात के आरोप को �कसी एक या अDय िनवा�चन आयेाग के िवu लगा सकता ह ैऔर तब ऐसे मामले का िविन4य ऐसे िनवा�चन आयोग क� सेवािनवृW तक नहl �कया जा सकता ह ै। ऐसी िEथित न केवल िनवा�चन आयोग के काय� को पंगु करेगी कतु िविध के उपबंधL को भी अकाय� बना देगी । 26. चंू�क !QयeथयL ने मामले के गुणागुण पर कोई सारवान दलील नहl दी ह,ै आयोग ने प+कारL को दसूरे नोVटस क� अंितम अवसर के _प म3 तारीख 2.11.17 के प, �ारा प+कारL को जीएनसीटीडी �ारा पूeत क� गई सूचना के संबंध म3 !QयeथयL �ारा धाVरत लाभ के पद से संबंिधत तhयL क� बाबत तामील क� और !QयeथयL ने तारीख 20.11.17 के !QयुWर म3 उDहLने उनके 16.10.17 के !QयुWर म3 दी गई दलीलL को दोहराया तथा यािचयL ने 15.12.2017 को अपनी िलिखत दलील3 फाइल क� । 27. ऐसी पVरिEथितयL म3 जहां !QयeथयL ने Eपd _प से यह कथन �कया ह ै�क उDहLने पहले ही अपनी दलील दी ह ै�क वे कोई और दलील जीएनसीटीडी �ारा उपलध कराए गए यौरL पर उDह3 अनेक अवसर !दान करने और काफ� समय बीत जाने के बावजूद नहl दी ह,ै यह !तीत होता ह ै �क उनके पास कहने के िलए और कुछ नहl ह ै । इसिलए, आयोग ने इस िवषय म3 काय�वािहयL को समाR करने का और वत�मान िनद>श पर अपनी राय देने का िविन4य �कया ह ै। गणुागणु के आधार पर प&कार0 1ारा दी गई दलील3 गणुागणु के आधार पर प&कार0 1ारा दी गई दलील3 गणुागणु के आधार पर प&कार0 1ारा दी गई दलील3 गणुागणु के आधार पर प&कार0 1ारा दी गई दलील3 28. याची ने यह दलील दी �क !QयeथयL क� यह दलील �क संसदीय सिचव के पद को केवल इस कारण से ‘लाभ का पद’ नहl कहा जा सकता �क उसम3 कोई धनीय या िवWीय फायदा नहl ह,ै �कसी गुणागणु या सार से रिहत ह ै । ‘लाभ का पद’ एक तकनीक� पद ह,ै िजसको संिवधान या �कसी िविध म3 पVरभािषत नहl �कया गया ह ैऔर िविभ Dयायालय के िनण�य म3 कितपय जांच और कारकL क� पहचान यह अवधाVरत करने के िलए क� ह ै �क ‘लाभ का पद’ @या गVठत करता ह,ै िजनका सारांश नीचे �दए अनुसार ह ै: (i) @या उY एमपी या एमएलए कोई पद धारण करता ह ै? (ii) @या वह एक ऐसा पद ह,ै िजस पर लाभ अeजत होता ह ै? (iii) @या पद सरकार के अधीन ह ै? (iv) @या पद धारक �कDहl काय�पालक कृQयL का िनव�हन करता ह ै? (v) @या सरकार ने एक िविध अिधिनयिमत करके उस पद के धारक को िनरह�ता से छूट !दान क� ह ै? (vi) @या सरकार ने िनयुिY क� ह ै? (vii) @या सरकार को पद धारक को पद से हटाने या पदbयुत करने का अिधकार ह ै? (viii) @या सरकार पाVरAिमक का संदाय करती ह ै? (ix) पद धारक के @या कृQय हJ ?

  • 10 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)]

    (x) @या सरकार कृQयL के िन�पादन पर �कसी िनयं,ण का िनव�हन का !योग करती ह ै? (xi) @या पद के कत�oL और वैयिYक िहत के बीच �कसी दं क� संभावना ह ै? 29. याची ने दलील दी ह ै�क !Qयथ^ पूवqY सभी जांच म3 असफल gए हJ िसवाय धनीय लाभ क� जांच के, जो एक महQवपूण� जांच ह ैकतु वह केवल एकमा, जांच नहl ह ैऔर चंू�क संसदीय सिचव का पद �द�ली संघ रा*य+े, क� सरकार के अधीन एक पद था और यह लाभ अeजत करने म3 स+म था, इसे ‘लाभ का पद’ अवsय घोिषत �कया जाना चािहए और इस संबंध म3 उसने माननीय उतम Dयायालय �ारा एम रमrपा बनाम संगrपा [एआईआर 1958 एससी 937 ; 1959 एससीआर 1167] म3 �कए गए िनMिलिखत पय�वे+ण का अवलंब िलया ह ै: “कोई ‘लाभ का पद’ एक ऐसा पद ह,ै जो लाभ या धनीय अिभलाभ अeजत करने म3 स+म ह ै। दसूरी ओर य�द �कसी पद से वाEतव म3 लाभ उदभूत नहl होता ह ैतो इस बात के होते gए भी �क लाभ कैसे उदभूत होता ह ैवह एक लाभ का पद ह”ै। 30. याची ने एमएन कौल एंड एसएच सकधर, क� !िस पुEतक, िजसे सबसे पहले लोक सभा सिचवालय म3 2001 म3 !कािशत �कया था और उसका शीष�क “संसद ्क� पित और !�jया : लोक सभा के िवशेष संदभ� म3, का अवलंब िलया िजसका !ाय उरण िलया जाता ह ैऔर उस पर भारतीय िवधान मंडलL से संबंिधत मामलL म3 िनभ�र �कया जाता ह ै । िवशेषतया याची ने िनMिलिखत उरणL का अवलंब िलया ह ै:” “इस बात क� जांच करने के िलए �क @या कोई पद लाभ का पद ह ैया नहl । केवल पVरलिधयां ही नहl िजसे कोई एमएलए !ाR करता ह ैया संभवत: वह !ाR करेगा य�द वह उस पद को धारण करता ह,ै को उस !Z का अवधारण करने के िलए ही नहl देखा जाना चािहए । मामल ेके अDय पVर!ेय जैसे !ािEथित, शिY या संर+कता, जो उस पद का धारक उपयोग करता ह,ै भी ऐसे सुसंगत कारक हJ, िजDह3 लेख3 म3 िलया जाना चािहए । तथािप, धारक को कोई धनीय फायदा न हो । […] लाभ का साधारणतया िनव�चन धनीय अिभलाभ के अथ� म3 �कया जाता ह ै। कतु कुछ मामलL म3 धनीय लाभ से िभ फायद3 भी उसके अथ� के अंतग�त आते हJ […] ‘लाभ पद’ का अिनवाय�ता अथ� नकद म3 कोई पाVरAिमक नहl ह ैकतु िन:संदेह इसका अथ� �कसी !कार क� संर+ता या अिभलाभ ह,ै जो मूत� ह ैया िजसे अनुभव �कया जा सकता है” [2009 संEकरण, पृ 78-79] [याची �ारा बल क� पूeत क� गई ह]ै। 31. याची ने यह और दलील दी �क 26.02.2015 को उप मु~यमं,ी ने सिचव से मु~यमं,ी को नीचे �दए गए अनुसार संसूिचत करते gए एक नोट भेजा : “यह िविन4य �कया गया ह ै�क िनMिलिखत माननीय एमएलए (21) को संबंिधत मंि,यL का संसदीय सिचव िनयुY �कया जाए”। तथािप, उY नोट इस संबंध म3 पूण�तया मौन था �क यह िविन4य �कसने िलया, कब िलया और िविन4य कैसे िलया गया, वह पृभूिम, िजसम3 ऐसेिविन4य क� आवsयकता पड़ी, एमएलए का िनयुिY के िलए कैसे चयन �कया गया था, @या वह मं,ी, िजनके साथ ऐसे एमएलए क� संसदीय सिचवL के _प म3 िनयुिY क� गई थी, से परामश� आ�द �कया गया था । 32. याची ने यह िनवेदन �कया ह ै�क तारीख 13.3.2015 को संसदीय सिचवL क� िनयुि@ त का आदेश अिधसूिचत �कया गया था और इसम3 यह किथत �कया गया था �क वह अितVर@ त उपलि धयL के हकदार नहl हLग,े तथािप वे िन� निलिखत दो सुिवधा के हकदार हLगे : (i) सरकारी पVरवहन (शासक�य काय� के िलए) (ii) काया�लय के िलए E थान (मं,ी के काया�लय म3) 33. याची ने यह और िनवेदन �कया ह ै�क यह न तो तारीख 13.3.2015 के िनयुि@ त के आदेश म3 उि� लिखत �कया गया ह ैन ही उसके पs चात् �कसी दE तावेज म3 �क संसदीय सिचवL के कत�y यL क� !कृित @ या होगी । तारीख 13.3.2015 का आदेश केवल यह कहता ह ै�क संसदीय सिचव मंि,यL �ारा समनुदेिशत कृQ यL का पालन कर3गे । पVरणामE वuप, कई संसदीय सिचव, मंि,यL के कमरL म3, बैठकL म3 उपिE थत gए हJ, िजसम3 से कुछ पुनeवलोकन बैठक3 या सलाहकारी या परामश^ !कृित क� बैठक3 थl । कुछ बैठकL म3, नीित बनाने के या काय�कारी िविनs चय �कए गए थे और कुछ मामलL म3 संसदीय सिचवL क� अf य+ता म3 सिमित ने “िविनs चय �कया” और िवचाराधीन िवषयL पर िसफाVरश नहl क� थी । कुछ मामलL म3, मं,ी ने अनुपिE थित के बावजूद उसक� संवैधािनक बाf यता अं�कत क�, संसदीय सिचवL ने ऐसी बैठकL क� अf य+ता क� थी, जहां महQ वपूण� िविनs चय �कए गए थे। इस !कार, कई मामलL म3, संसदीय सिचवL ने मंि,यL के आवs यक और संवैधािनक कृQ यL का पालन �कया या उD ह3 पालन करने क� अनु|ा दी गई, जो िनरह�ता को आकeषत करता ह ै। 34. याची ने यह और िनवेदन �कया ह ै�क यtिप एक संसदीय सिचव ने कोई लाभ !ाr त �कया ह ैजो उसके पद को “लाभ का पद” बना देता ह ैतब यह तh य इस कोVट म3 आता ह ै�क संसदीय सिचव का पद “लाभ का पद” के _प म3 धाVरत हJ इस !कार

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    और इसिलए सभी संसदीय सिचव िनरeहत �कए जान के िलए दायी हLगे �क उनके सभी पद लाभ !ाr त करने क� संभाy यता के साथ लाभ के पद थे । याची ने इस संबंध म3 उb चतम D यायालय के जया बb चन बनाम भारत संघ (2006) 5सीसी 266 के िनण�य पर भरोसा �कया ह ैजहां यह िनण�य �दया गया था �क जहां धनीय लाभ पद के संबंध म3 “!ाr त करने यो} य” ह ैवहां वह लाभ का पद हो जाता ह।ै 35. याची ने यह और िनवेदन �कया ह ै �क �द� ली सरकार ने वह कमरे और काया�लय E थान E वीकार �कए ह ैजो संसदीय सिचवL या िवधानसभा सदE यL को सरकार के िविभD न िवभागL जैसे �क जलबोड�, िवकास, पVरवहन, E वाE h य िवभाग आ�द, �ारा आबंVटत �कए गए थे। वे लोक िनमा�ण िवभाग �ारा स* जा सामIी आ�द के साथ सुसि* जत �कए गए थे । उपयोिगता िबल जैसे �क िबजली और पानी !भार भी सरकार �ारा संदQ त �कए गए थे । संससदीय सिचवL को काया�लय कमरे इस !कार उदारता और लापरवाही के साथ �दए गए थे �क एक संसदीय सिचव ने न केवल एक बि� क चार सुसि* जत काया�लय (अथा�त् िवधान सभा भवन म3 एक काया�लय, सीपीओ भवन म3 दो कमरे और अuणाआिसफ अली अE पताल म3 एक कमरा) !ाr त �कए थे । यह समझ के परे ह ै �क @ यL इस संसदीय सिचव को िविभD न E थानL पर चार कमरL/काया�लयL क� आवs यकता होनी चािहए थी और @ यL �द� ली सरकार ने उD ह3 सुसि* जत करने के िलए लोक धन खच� �कया था । 36. याची ने यह और िनवेदन �कया ह ै�क !ारंभ म3 तारीख 13.3.2015 के आदेश �ारा संसदीय सिचवL को मं,ी काया�लय म3 कमरे �दए गए थे । तथािप तारीख 22.9.2015 के आदेश �ारा !Q यeथयL को अनD य _प से �द� ली िवधान सभा म3 पदािभिहत काया�लय �दए गए थे, िजसके िलए लोक िनमा�ण िवभाग ने लोक राजकोष से 11,75,828 uपये क� रकम खच� क� थी । इसके अितVर@ त, जीएनसीटीडी ने अपने !Q युQ तर के पैरा 10 म3 यह भी !कट �कया ह ै�क पVरवहन मं,ी ने अपने चार संसदीय सिचवL के िलए काया�लय कमरे का िविनमा�ण करवाया था, केटीएस इंटरकाम, कंr यूटर आ�द लगवाए थे और इसके अितVर@ त उस पर 3, 73, 871 uपये क� रकम y यय क� गई थी। इसिलए, पीड लूडी ने न केवल उ@ त काया�लयL पर सारभूत रकम खच� क� ; ले�कन �द� ली िवधान सभा म3 अनD य काया�लयL के उपबंधL, और 21 संसदीय सिचवL क� हकदाVरयL म3 िवचारणीय वृि भी क� थी । 37. याची ने यह और िनवेदन �कया ह ै�क �द� ली सरकार ने उसके प, (फा. सं. 18.7.2016 संसदीय सिचव/जीएडी/!शा. 428-429) तारीख 11.2.2016 �ारा उपरा* यपाल को यह सूिचत �कया था �क “�द� ली िवधान सभा पVरसर म3 संसदीय सिचवL क� बैठक क� y यवE था और कुछ सुिवधाएं (िवधानसभा सदE यL को !दान क� जाने वाली सुिवधा से िभD न) �द� ली िवधान सभा सिचवालय �ारा !दान क� जा सकती ह ै।” तदनुसार 21 िवधानसभा सदE यL के िलए �द� ली िवधासभा पVरसर म3 कमरे/केिबनL का िविनमा�ण �कया गया था । 23.9.2015 को िवधानसभा सिचवालय ने 21 संसदीय सिचवL का नाम और !Q येक को आबंVटत कमरा सं. अंतeव� ट करने वाला एक काया�लय आदेश ( सं. 16(50)/2014-15/एलएएस/सीपी/5437-5442) जारी �कया था । 38. याची ने यह और िनवेदन �कया ह ै�क िवधान सभा सिचवालय ने संसदीय सिचवL को कमरा आंबVटत करने के िलए एक आदेश जारी �कया था । िवधान सभा सिचवालय ने Aी िववेक गग� �ारा दािखल आरटीआई आवेदन के !Q युQ तर तारीख 27.1.2016 म3 यह E वीकार �कया था �क कमरे आंबंVटत �कए गए हJ । तारीख 23 फरवरी, 2016 के प, म3, िवधान सभा सिचवालय ने उपरा* यपाल के सिचव को यह !Q युQ तर �दया �क “िवधान सभा पVरसर म3 मंि,यL के संसदीय सिचवL के िलए साज-स* जा के साथ कुछ कमरे अिभिनिs चत �कए हJ” । तथािप भारत िनवा�चन आयोग ने जब जीएनसीटीडी को नोVटस जारी �कया तब िवधान सभा सिचवालय ने दसूरा आधार िलया । 39. याची ने यह और िनवेदन �कया ह ै �क संसदीय सिचवL को दी गई सुिवधाएं और भQ ते केवल इस !भाव क� िविध के अिधिनयमन �ारा !दान �कया जा सकता था और अD यथा नहl । सदE यL के िविभD न !वग� जैसे �क मं,ी िवप+ के नेता, अf य+, उपाf य+ और मु~ य सचेतक आ�द को सुिवधाएं, भQ ते आ�द केवल िवधायन के �ारा !दान �कए गए हJ । तथािप, संसदीय सिचवL को िबना �कसी िविध म3 समथ�न के सुिवधाएं और भQ ते !दान �कए गए थे । 40. याची ने यह और िनवेदन �कया ह ै�क तारीख 13.3.2015 का िनयुि@ त का आदेश िवधान सभा सदE यL को िन� न !दान करता ह ैऔर उसका हकदार बनाता ह ै– (क) संबंध मं,ी काया�लय म3 काय� के िलए E थान और, (ख) सरकारी पVरवहन या चालक सिहत कार परंतु यह उ@ त् िवधान सभा सदE यL पर कोई कत�y य या उQ तरदाियQ व नहl अिधरोिपत करता ह।ै इसिलए, !Q यथ^ िवधान सभा सदE यL को िबना कोई कत�y य या उQ तरदाियQ व समनुदेिशत �कए कार और काया�लय E थान �दया गया था । जीएनसीटीडी �ारा अपने तारीख 20.9.2016 (पैरा 7) के !Q युQ तर म3 यह तh य भी E वीकार �कया गया ह,ै जहां यह E वीकार

  • 12 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)]

    �कया गया था �क वहां �कसी न आदेश �ारा, न ही �कसी संब मं,ी �ारा मं,ी के संसदीय सिचवL �ारा पालन �कए जाने वाले कत�y य या काय� क� !कृित को िविनcद� ट �कया था । जीएनसीटीडी ने यह और E वीकार �कया ह ै�क संसदीय सिचवL के कत�y य पहली बार सीड लपूी सं. 4714/2015 म3 माननीय �द� ली उb च D यायालय के सम+ जीएनसीटीडी �ारा दािखल तारीख 6/10/2015 के !ित शपथ प, म3 साथ ही साथ तारीख 13.06.2015 को भारत िनवा�चन आयोग के सम+ जीएडी �ारा दािखल आवेदन म3 E प� ट क� गई थी, इस !कार !Q यथ^ एनएलए को !दान क� गई सुिवधाएं जैसे �क काया�लय का E थान और सरकारी यान/चालक सिहत कार िजसका y यय, इन संसदीय सिचवL �ारा पालन �कए जाने वाल ेकत�y यL/उQ तरदाियQ वL को जाने िबना, लोक राजकोष से �कया गया था । इस !कार उ@ त महQ वपूण� !सुिवधाएं लाभ के पद के िसांत के अधीन यथािवचाVरत �कए गए “लाभ”, के समान ह ै। इसके अितVर@ त, !Q यeथयL को उ@ त सुिवधा/भQ तL का हकदार बनाना , !Q यथ^ िवधायकL के कत�y य और िहत के मf य मतभेद घVटत करने म3 समथ� !सुिवधा थी – ऐसी सुE प� ट ,ुVट अनुbछेद 102/191 और जीएनसीटीडी अिधिनयम,1991 क�धारा 15 के अधीन िनरह�ता को आकeषत करती ह ै। 41. याची ने यह और िनवेदन �कया ह ै�क पद “लाभ का पद” ह ै�क नहl इसका परी+ण करने के िलए वाE तिवक परी+ा यह जांच करना ह ै �क @ या कत�y यL और y यि@ तगत िहत के मf य मतभेद क� कोई संभावना ह ै । इस संबंध म3 उसने माननीय उb चतम D यायालय के अशोक कुमार भाचाय� बनाम अजय िवs वास (1985) 1एससीसी 151 �ारा �कए गए अवलोकन पर िवs वास �कया ह ैजो िन� नानुसार ह ै: “16. अनुb छेद 102(1)(क) के उपबंध के पीछे वाE तिवक िसांत यह ह ै�क िनवा�िचत सदE य के कत�y य और िहतL के मf य कोई मतभेद नहl होना चािहए । सरकार िविभD न +े,L म3 �jयाकलापL और िविभD न उपायL को िनयंि,त करती ह ै। परंतु यह िनण�य करना �क सरकार के िनयं,ण के अधीन कोई !ािधकारी या E थानीय !ािधकाVरयL के कम�चारी, सरकारी कम�चारी होत gए सरकार के अधीन लाभ का पद धारण करते हJ या नहl, कम�चाVरयL के ऊपर सरकार �ारा �कए जाने वाले िनयं,ण के उपाय और !कृित !Q येक मामले के तh यL और पVरिE थितयL के !काश म3 िनण^त �कया जाना चािहए ता�क उसक� y यि@ तगत िहत और कत�y यL के मf य संभािवत मतभेद को टाला जा सके । 20. जैसा �क हमने पूव� म3 उ� लेख �कया ह ै �क उपबंधL जैसे �क अनुb छेद 102(1) (क) और अनुb छेद 191 (1) (क) के उपबंधL को अिधिनयिमत करने का उxेs य यह ह ै�क y यि@ त जो िवधानसभा या संसद के िलए िनवा�िचत �कया जाता ह,ै वह अपने कत�y यL का िनडरता से �कसी सरकारी दबाव के अधीन gए िबना िनव�हन करने के िलए E वतं, होना चािहए । खंड (क) के अधीन !यु@ त पद “सरकारी के अधीन लाभ का पद” एक ऐसी अिभy यिY ह ैजो सरकार के अधीन धारण �कए गए पद से अिधक महQ वपूण� ह ै िजसे संिवधान के भाग 14 के अधीन िनपटाया जाता ह ै । E थानीय !ािधकारी के ऊपर सरकार �ारा िनयं,ण के उपाय को कत�y य और िहत के मf य संभािवत मतभेदL को दरू करने तथा िनवा�िचत िनकायL क� शुता को बनाए रखने के jम म3 िनण^त �कया जाना चािहए । िविभD न मामलL क� और उQ तर !देश आधार भूत िश+ा अिधिनयम, 1972 क� िविभD न धारा के उपबंधL क�, िवशेषकर अिधिनयम क� धारा 13 के संबंध म3, समी+ा करने के पs चात् कोट� ने अंितम उि� लिखत मामल ेम3 यह िनण�य �दया ह ै�क िनयं,ण के उपाय यह थे �क उQ तर !देश िश+ा बोड� जो सरकार से वाE तिवक uप म3 E वतं, नहl था और बोड� का !Q येक कम�चारी वाE तव म3 रा* य सरकार के अधीन लाभ का पद धारण कर रहा था । उQ तर !देश आधार भूत िश+ा अिधिनयम, 1972 और धारा 4,6,7,13 और 19 के कथन और उxेs य जो सभी इस िविनs चय के िवE तार म3 E थािपत �कए गएह ैइस िन� कष� को आरोf य बनाते हJ ।” (जोर �दया ग�