राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से...
Transcript of राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से...
राम‐नाम एक िच न
िवनोबा
सव‐सवा‐सघ‐ काशन राजघाट वाराणसी
राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg
ावना
राम‐नाम स ी गाधीजी क िवचारो का स ह ठीक उसी समय मर हाथ लगा जब िक
मझ उसकी ज रत थी सव दय मािसक प म समालोचनाथ अनक प क आती रहती ह
उ ीम स एक राम‐नाम प क भी आयी अ प को को तो म कम ही दख पाता लिकन
इसक िच न म म लीन हो गया
मानो मर िलए बाप न अपना स श इस प क क प म िदया म डढ़‐दो वष स
भारत‐या ा कर रहा था तीस वष अनकिवध रचना क काय म िबताय िच न भी तरह‐
तरह का हो पाया उसका िन ष लोगो को समझा रहा था िफर भी या ा का मझ उतना िवशष
अनभव न होन स अिनयिमतता हो गयी और जल म मझ जो पट‐दद श आ था उसन िफर
स जोर िकया इस तरह मानो ई र न मझ ाकितक उपचार और राम‐नाम का योग करन
का यह अवसर िदया lsquoसदा‐सवदा सि िध म रहनवाल कपाल न मानो भ का धय आजमाना
चाहा य ही पढ़ायी ई िव ा की ग परी ा िलया करत ह वसा ही यह सग मझ िदखाई
पड़न लगा
इस काल म मन अपन अवा र काय अलग रख िदय थ ोिक वह िव ाम का समय
माना गया था पर lsquoसव दय क स ादन का काम करता ही रहा िफर lsquoगीताईʼ का कोश भी
परा करना था उसम भी कछ समय दता था इसक िसवा अ हलचल अिधकतर ब ही थी
उस समय भारतन कमार ा ारा िकया गया बाप क राम‐नाम‐स ी िवचारो का स ह मर
हाथ आया मझ लगा ध र न मर रोग क िलए िद व ी ही भजी और म उसका आ था
स सवन करन लगा
उन िवचारो को पचान क िलए मन जो िच न िकया वही लख क प म सव दय म
िह ी म िकया म ायः अपना सारा वाडमय मल मराठी म ही िलखा करता ोिक
वह भाषा मझ आती ह लिकन यह लख मल िह ी म ही िलखा कारण इन िवचारो की
आधारभत मल िह ी की पोथी (lsquoराम‐नाम) ही मर सामन थी उसीक अनसार िच न भी म
िह ी म करता वही आज प काकार कािशत हो रहा ह िजसक िलए यह मरी ावना ह
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यह िह ी लख पढ़कर ब तो न अ स ोषजनक उ ार िकय ब तो न िलखा
िक इस लख न उनक जीवन को नयी िदशा दी एक न तो िलखा ldquoबाप क राम‐नाम िवषयक
िवचार म सदा स ही पढ़ता आ रहा िफर भी मर दय म व भलीभाित अिकत नही हो पात
थ आपक इस लख स सशय िछ न ही हो गयाrdquo ही यह िसफ लख का गौरव ह िफर भी
इस पाठक को यह जो अनभव आ वह मरी क ना स अतीत नही हम दखत ही ह िक मानव
को सम स जो लाभ नही होता वह सम स पोषण पानवाल मघ स होता ह यह भी उसी तरह
की बात ह िविश पचन यो को पौि क अ सीध पच नही पाता उस ही पचाकर िदया जाय
तो पचता ह
िजस तरह नाम‐ रण की ा मन अपन दय म बठायी और उसका अनभव भी
िकया उसी रीित स इस लख म भी मन उस पाठको क सम त िकया ह उसन मर िच न
और अनभव को ठीक‐ठीक जोड़न का अवसर िदया और ठीक मझ भी उसस लाभ आ
तलसीदास न ाव था म हनमान‐बा क िलखा उसस उनका रोग िमटन म मदद िमली
ऐसा कहा जाता ह बड़ी उपमा छोटी चीज को िकस तरह शोभा दगी िफर भी मर िलए यह
लख हनमान ‐बा क ही आ ह
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मरा राम कौन
आप लोग उस सवश मान भगवान की गलामी मजर कर इसस कोई मतलब नही
िक आप उस िकस नाम स पकारत ह तब आप िकसी इ ान या इ ानो क सामन घटन नही
िटकायग यह कहना नादानी ह िक म रामmdashमहज एक आदमीmdashको भगवान क साथ िमलाता
मन कई बार खलासा िकया ह िक मरा राम खद भगवान ही ह वह पहल था आज भी मौजद
ह आग भी हमशा रहगा न कभी वह पदा आ न िकसीन उस बनाया इसिलए आप जदा‐
जदा धम को बरदा कर और उनकी इ त कर म खद मितयो को नही मानता मगर म
मितपजको की उतनी ही इ त करता िजतनी औरो कौ जो लोग मितयो को पजत ह व भी
उसी एक भगवान को पजत ह जो हर जगह ह जो उगली स कट ए नाखन म भी ह मर ऐस
मसलमान दो ह िजनक नाम रहीम करीम रहमान ह जब म उ रहीम करीम और रहमान
कहकर पकारा तो ा म उ खदा मान लता
lsquoह रजन सवक ndash मो० क० गाधी २‐६‐lsquo४६
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अन म
१ अ रग‐ वश
२ ि िवध म या
३ राम‐नाम का उपचार
४ ि िवध िच ा
५ नाम‐साफ
प रिश
१ स भ‐ थ‐सची
२ उ खत यो की सची
३ मख श ो की सची
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१ अ रग‐ वश
बाप न समय‐समय पर राम‐नाम क बार म जो भी िवचार कट िकय थ उनका एक
छोटा‐सा स ह भारतन कमार ा न तयार िकया ह और नवजीवन‐ काशन‐म र न इस
कािशत िकया ह इसम कछ तो बाप क लख ह कछ उनक भाषण ह और कछ प ह
प रिश म बाप क आ खरी जीवन म राम‐नाम िकस तरह अ बा ओत‐ ोत था उसका
बयान करनवाली एक रण‐कथा जोड़ी गयी ह
यह प क थोड़ म सब कछ ह त‐चया का िववरण करनवाली बाप की मगल‐ भात
जस एक िचर न‐सािह क तौर पर रह जानवाली प क ह वसी यह चीज ह इसका थोड़ा
िच न म यहा करना चाहता
नाम‐िन पण म अभद
परम र क नाम की मिहमा सब धम न गायी ह य िप हर धम की जीवन की तरफ
दखन की अपनी‐अपनी ि होती ह तथािप इस िवषय म न उनम कोई ि ‐भद ह न िवचार‐
भद भगवान क अनक गणो क अनसार अनक नामो की क ना करक अपनी‐अपनी िच
और आव कता क अन प उस‐उस नाम का जप या सब नामो का स िलत जप करन की
था सब धम न चलायी ह और दिनयाभर क सब स ो न अपन अनभव स उसकी पि की ह
सगण‐िनगण का भद भी यहा िमट गया ह नानक का lsquoजपजी और ानदव का ह रपाठ दो
िविभ न स दाय क होत ए भी नाम‐िन पण म कोई िभ नता नही रखत lsquoभागवत भगवान
क मगल‐नाम गाती ह और करान अ ाह क अ ा उल ा की त ीह (जपमाला) करता
ह एक स त और दसरा अरबी इतना ही फक ह
भारत म नाम‐रस की िवपलता
भारत की हर भाषा म नाम‐रस स भरा सािह िवपल ह नाम रसायन क सवन म कोई
भाषा िकसी भाषा स िपछड़ी नही ह तलसीदास चत तकाराम नरसी महता या न ा वार
िभ न‐िभ न भाषाओ म िलखत ह लिकन मानो एक‐दसर क तजम कर रह ह तलसीदास की
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रामायण म तो राम स भी नाम को बतलाया ह और दोनो की तलना करनवाली एक परम‐
मधर छोटी‐सी नामायन ही उ ोन िलख डाली गाधीजी न वही स ित पायी ह और उसका
अथ अपन अनभव स हमार सामन खोल िदया ह
वदो म नाम‐मिहमा
नामानभित का थम उ ार जो हम वाडमय म िमलता ह वह वद ह ॠ द म lsquoनाम
श तो सौ‐एक बार आया होगा लिकन सार वद का सार परम र‐नाम ही ह ऐसी उपिनषदो
न घोषणा की ह
सव वदा यत पद आमन
‐ldquoसार वद ई र क नाम का ही आमनन करत हrdquo इसी पर स वद को lsquoआ ाय यान
परम र क नाम का आमनन करनवाला ऐसी स ा िमली ह आमनन यान िव त मनन यही
ा स तो न ढ़ की ह व व भ तकाराम कहता ह
वद अन बोिलला अथ इतकािच सािधला िवठोबािस शरण जाव िनज‐िन ा नाम गाव
ldquoय िप वद न अन ा ान िकया ह तथािप सार यही ह िक िव ल की शरण जाना
और उसका नाम िन ापवक गानाrdquo वह स त नही जानता था िफर भी उस वद‐सार का पता
चल गया ह इतना ही नही वह आ िव ासपवक कहता ह
वदाचा तो अथ आ ासी च ठावा यरानी वहावा भार माथा
‐ldquoवद का भावाथ हम ही जानत हmdashदसर तो भारवाही हldquo व व तकाराम न जो वद‐
सार जाना था वही तिमल क शव‐िशरोमिण ान सबधर को मालम आ था
वद ना गनम मय पो ळावद नादन‐नामम नमः िशवायव
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ldquoचारो वदो म अगर कोई सारभत स ह तो िशव भगवान का नाम हrdquo यह िसफ दसरो
की सा ी का या ा का िवषय नही ह वद य अपन बार म यही कहत ह
ॠचो अ र परम ोमन यस तत न वद िकम ॠचा क र ित
‐ldquoवद की सारी ॠचाए यान वद‐म एक अ र मmdashएक परम र नाम म जो िक दय
क परम आकाश म िछपा आ ह िबठाय ए ह उसको जो नही जानगा वह वद क म लकर
या करगा rdquo वह अ र lsquoॐʼ माना गया वही सबम रम‐रिहया राम ह |
गाधीजी स बार‐बार पछा गया ह िक त ारा राम कौन‐सा ह तो उ ोन इसी परम
रमणीय सवा यामी आ ाराम का िनदश िकया ह लोग पछत ह ldquo ा वह दशरथ‐न न ह
rdquo तो म जवाब दता िक दशरथ न अपन न न को िजसका नाम िदया था वही वह ह वह
िव ‐न न ह इसिलए दशरथ‐न न भी ह वह िव प ह िव ातीत ह
तका ण ज ज बोला त त साज या िव ला
तकाराम कहता ह ldquoिव ल क िलए जो भी बोल शोभता हldquo
एक दफा तकाराम को परम र पर ग ा आया तो वह ई र स कहन
लगा ldquoह ई र आज म तझ गािलया दता त गधा ह त क ा ह त भारवाही बल हrdquo या
िव क सह नाम ही िव क ह और य नाम िकसी दसर क ह िव ‐सह नाम म पहला
नाम ही lsquoिव म िदया ह सारा िव ह रनाम ह समझनवाल समझ ल
वद म परम र का lsquoचा ‐नाम गानवाल कई म ह लिकन उन सबम नीच का म भ ‐
जनो म िव त ह
मता अम त भ र नाम मनामह
िव ासो जातवदस
‐ ldquoपरम र हम मरण‐धम ह त अमत‐ प ह हम ान क उ क (िव ) ह त
जाननवाला ानमय ह हम (अ ) तर िवशाल नाम का मनन करत हrdquo म म भ र यान
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िवशाल की तलना म अ श का अ ाहार समझ लना ह हम दख सकत ह िक इसम नाम
क मनन का िज ह न िक कवल उसक उ ारण का और यही गाधीजी बार‐बार दोहरात
जात ह ldquoराम‐नाम दय स लना ह िसफ वाणी स नही राम‐नाम कवल बा ि या
नही ह वह अ ःशोधन का एक साधन हrdquo नाम‐िच न क इस सवमा म म उपिनषद
की यह स िस ाथना यी िछपी ई ह
असतो मा सद गमय
तमसो मा ोितर गमय
म ोर मा अमत गमय
‐जो असत वही सकिचत या अ ह जो सत वही इस म म िनिद भ र ह बाकी
दो ाथनाए तो कट की ह
lsquoनाम श का अथ
हम अपना मनन आग चलाय इसक पहल जरा यह भी दख ल िक नाम श का
अ राथ ा होता ह नाम श नम धात स बना ह िजसस न ता और नम ार सािधत
ह भ को नाम अस स स म ल जायगा इसक अ ल उस वह न बनायगा न ता क
िबना स शोधन नही होता इसिलए सार व ािनक न होत ह न ता क िबना िच शोधन नही
होता इसिलए सार आ ा क न होत ह बाप की वह अदभत ाथना ldquoह न ता क दव तरी
अपनी न ता त हम द rdquo यहा याद आय बगर नही रहती वह हम सबको म कहन जा रहा था
िन ात रणीय िक िन ‐िनर र रणीय ह न ता क उपासक ी िकशोरलालभाई
न िलखा था ldquoई र क िलए गाधीजी का यह स ोधन धािमक सािह म अनठा ह | उ ोन
ई र को चौदह भवनो क ामी गोलोक वक या बिह क िनवासी वगरह नही कहा पर
परम श िनरहकार का लौिकक भाषा म अनवाद कर न ता क दव कहाldquo िकशोरलालभाई
का यह कथन साधारणत ठीक ह लिकन जब हम नाम श का अ राथ भावाथ और
अनभवाथ दखत ह तो बाप क उस िवशषण को अनठा कस कह सकत ह
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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही
करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो
का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह
तत नम इ पासीत
न अ कामा
‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक
सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को
न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह
नम इत उ नम आ िववास
नमो दाधार पिथवी उत ाम
‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण
िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता
का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा
ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर
खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह
गौरिस ग त अ ो अ ायत भव
ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण
स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह
रहा ह
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२ ि िवध म या
एक आ ाियका
अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम
क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐
िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर
बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐
शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना
ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय
का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख
रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर
उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया
म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन
दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी
परम र का नाम अिमट रहगा
( १ ) भय‐म
इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म
२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत
पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म
व कहत ह
ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त
मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह
वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास
नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम
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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया
म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स
आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला
ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और
लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग
आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और
ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर
जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार
करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा
का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo
अभय‐ वतन
इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई
एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता
का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही
नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही
हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श
था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित
राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर
महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर
यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह
राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय
ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच
क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न
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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही
चािहए जो दय म म रखना चाहत
ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार
द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक
हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन
लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐
एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत
दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़
रखना चािहए
( २ ) िवकार‐म
ि िवध उपाय
अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण
साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को
जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष
कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना
क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत
ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ
करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता
ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय
ह
(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश
सवथा ाग करना
(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए
नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया
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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क
िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo
ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि
स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह
ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न
भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए
उसको उतना आधार दन की ldquo
िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान
की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला
ह व िलखत ह
ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता
ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर
म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह
पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग
रहत हldquo
यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब
िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल
िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध
भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर
नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना
चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा
उपाय बताया ह
(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम
कहत ह
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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा
सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह
नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा
करगldquo
तीनो का स प राम‐नाम
साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की
ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह
ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर
र ा तो राम‐नाम ही हldquo
िफर तौल सभालकर कहत ह
ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत
ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo
इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह
ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo
य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत
ह उस ो की क ना
( ३ ) रोग‐म
िवकार‐म का बा काश
अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह
उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय
का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह
सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह
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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐
पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo
िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म
रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐
म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग
हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा
दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह
ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo
मन की दबलता
अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह
ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया
यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ
ए व कभी न होतldquo
िफर दबारा िलखत ह
ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी
और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र
अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo
यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत
ह
ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर
िव ास क क पन की वजह स हldquo
______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम
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उनकी ा
उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली
बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी
काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम
मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय
उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी
थी और वह फौरन मर गल उतर गयी
गीता का आदश प ष
इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ
इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही
गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका
बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐
उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह
ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक
जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता
स हणीय ा
जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक
ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही
कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती
ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल
होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम
अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा
लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता
ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो
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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब
भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता
एक शा ीय ा ा द रही ह
जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash
यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब
करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न
आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी
ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा
लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ
िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म
उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह
आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी
न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह
गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस
व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो
यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा
लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक
इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह
इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह
थ क ल ण
इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण
आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण
गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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ावना
राम‐नाम स ी गाधीजी क िवचारो का स ह ठीक उसी समय मर हाथ लगा जब िक
मझ उसकी ज रत थी सव दय मािसक प म समालोचनाथ अनक प क आती रहती ह
उ ीम स एक राम‐नाम प क भी आयी अ प को को तो म कम ही दख पाता लिकन
इसक िच न म म लीन हो गया
मानो मर िलए बाप न अपना स श इस प क क प म िदया म डढ़‐दो वष स
भारत‐या ा कर रहा था तीस वष अनकिवध रचना क काय म िबताय िच न भी तरह‐
तरह का हो पाया उसका िन ष लोगो को समझा रहा था िफर भी या ा का मझ उतना िवशष
अनभव न होन स अिनयिमतता हो गयी और जल म मझ जो पट‐दद श आ था उसन िफर
स जोर िकया इस तरह मानो ई र न मझ ाकितक उपचार और राम‐नाम का योग करन
का यह अवसर िदया lsquoसदा‐सवदा सि िध म रहनवाल कपाल न मानो भ का धय आजमाना
चाहा य ही पढ़ायी ई िव ा की ग परी ा िलया करत ह वसा ही यह सग मझ िदखाई
पड़न लगा
इस काल म मन अपन अवा र काय अलग रख िदय थ ोिक वह िव ाम का समय
माना गया था पर lsquoसव दय क स ादन का काम करता ही रहा िफर lsquoगीताईʼ का कोश भी
परा करना था उसम भी कछ समय दता था इसक िसवा अ हलचल अिधकतर ब ही थी
उस समय भारतन कमार ा ारा िकया गया बाप क राम‐नाम‐स ी िवचारो का स ह मर
हाथ आया मझ लगा ध र न मर रोग क िलए िद व ी ही भजी और म उसका आ था
स सवन करन लगा
उन िवचारो को पचान क िलए मन जो िच न िकया वही लख क प म सव दय म
िह ी म िकया म ायः अपना सारा वाडमय मल मराठी म ही िलखा करता ोिक
वह भाषा मझ आती ह लिकन यह लख मल िह ी म ही िलखा कारण इन िवचारो की
आधारभत मल िह ी की पोथी (lsquoराम‐नाम) ही मर सामन थी उसीक अनसार िच न भी म
िह ी म करता वही आज प काकार कािशत हो रहा ह िजसक िलए यह मरी ावना ह
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यह िह ी लख पढ़कर ब तो न अ स ोषजनक उ ार िकय ब तो न िलखा
िक इस लख न उनक जीवन को नयी िदशा दी एक न तो िलखा ldquoबाप क राम‐नाम िवषयक
िवचार म सदा स ही पढ़ता आ रहा िफर भी मर दय म व भलीभाित अिकत नही हो पात
थ आपक इस लख स सशय िछ न ही हो गयाrdquo ही यह िसफ लख का गौरव ह िफर भी
इस पाठक को यह जो अनभव आ वह मरी क ना स अतीत नही हम दखत ही ह िक मानव
को सम स जो लाभ नही होता वह सम स पोषण पानवाल मघ स होता ह यह भी उसी तरह
की बात ह िविश पचन यो को पौि क अ सीध पच नही पाता उस ही पचाकर िदया जाय
तो पचता ह
िजस तरह नाम‐ रण की ा मन अपन दय म बठायी और उसका अनभव भी
िकया उसी रीित स इस लख म भी मन उस पाठको क सम त िकया ह उसन मर िच न
और अनभव को ठीक‐ठीक जोड़न का अवसर िदया और ठीक मझ भी उसस लाभ आ
तलसीदास न ाव था म हनमान‐बा क िलखा उसस उनका रोग िमटन म मदद िमली
ऐसा कहा जाता ह बड़ी उपमा छोटी चीज को िकस तरह शोभा दगी िफर भी मर िलए यह
लख हनमान ‐बा क ही आ ह
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मरा राम कौन
आप लोग उस सवश मान भगवान की गलामी मजर कर इसस कोई मतलब नही
िक आप उस िकस नाम स पकारत ह तब आप िकसी इ ान या इ ानो क सामन घटन नही
िटकायग यह कहना नादानी ह िक म रामmdashमहज एक आदमीmdashको भगवान क साथ िमलाता
मन कई बार खलासा िकया ह िक मरा राम खद भगवान ही ह वह पहल था आज भी मौजद
ह आग भी हमशा रहगा न कभी वह पदा आ न िकसीन उस बनाया इसिलए आप जदा‐
जदा धम को बरदा कर और उनकी इ त कर म खद मितयो को नही मानता मगर म
मितपजको की उतनी ही इ त करता िजतनी औरो कौ जो लोग मितयो को पजत ह व भी
उसी एक भगवान को पजत ह जो हर जगह ह जो उगली स कट ए नाखन म भी ह मर ऐस
मसलमान दो ह िजनक नाम रहीम करीम रहमान ह जब म उ रहीम करीम और रहमान
कहकर पकारा तो ा म उ खदा मान लता
lsquoह रजन सवक ndash मो० क० गाधी २‐६‐lsquo४६
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अन म
१ अ रग‐ वश
२ ि िवध म या
३ राम‐नाम का उपचार
४ ि िवध िच ा
५ नाम‐साफ
प रिश
१ स भ‐ थ‐सची
२ उ खत यो की सची
३ मख श ो की सची
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१ अ रग‐ वश
बाप न समय‐समय पर राम‐नाम क बार म जो भी िवचार कट िकय थ उनका एक
छोटा‐सा स ह भारतन कमार ा न तयार िकया ह और नवजीवन‐ काशन‐म र न इस
कािशत िकया ह इसम कछ तो बाप क लख ह कछ उनक भाषण ह और कछ प ह
प रिश म बाप क आ खरी जीवन म राम‐नाम िकस तरह अ बा ओत‐ ोत था उसका
बयान करनवाली एक रण‐कथा जोड़ी गयी ह
यह प क थोड़ म सब कछ ह त‐चया का िववरण करनवाली बाप की मगल‐ भात
जस एक िचर न‐सािह क तौर पर रह जानवाली प क ह वसी यह चीज ह इसका थोड़ा
िच न म यहा करना चाहता
नाम‐िन पण म अभद
परम र क नाम की मिहमा सब धम न गायी ह य िप हर धम की जीवन की तरफ
दखन की अपनी‐अपनी ि होती ह तथािप इस िवषय म न उनम कोई ि ‐भद ह न िवचार‐
भद भगवान क अनक गणो क अनसार अनक नामो की क ना करक अपनी‐अपनी िच
और आव कता क अन प उस‐उस नाम का जप या सब नामो का स िलत जप करन की
था सब धम न चलायी ह और दिनयाभर क सब स ो न अपन अनभव स उसकी पि की ह
सगण‐िनगण का भद भी यहा िमट गया ह नानक का lsquoजपजी और ानदव का ह रपाठ दो
िविभ न स दाय क होत ए भी नाम‐िन पण म कोई िभ नता नही रखत lsquoभागवत भगवान
क मगल‐नाम गाती ह और करान अ ाह क अ ा उल ा की त ीह (जपमाला) करता
ह एक स त और दसरा अरबी इतना ही फक ह
भारत म नाम‐रस की िवपलता
भारत की हर भाषा म नाम‐रस स भरा सािह िवपल ह नाम रसायन क सवन म कोई
भाषा िकसी भाषा स िपछड़ी नही ह तलसीदास चत तकाराम नरसी महता या न ा वार
िभ न‐िभ न भाषाओ म िलखत ह लिकन मानो एक‐दसर क तजम कर रह ह तलसीदास की
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रामायण म तो राम स भी नाम को बतलाया ह और दोनो की तलना करनवाली एक परम‐
मधर छोटी‐सी नामायन ही उ ोन िलख डाली गाधीजी न वही स ित पायी ह और उसका
अथ अपन अनभव स हमार सामन खोल िदया ह
वदो म नाम‐मिहमा
नामानभित का थम उ ार जो हम वाडमय म िमलता ह वह वद ह ॠ द म lsquoनाम
श तो सौ‐एक बार आया होगा लिकन सार वद का सार परम र‐नाम ही ह ऐसी उपिनषदो
न घोषणा की ह
सव वदा यत पद आमन
‐ldquoसार वद ई र क नाम का ही आमनन करत हrdquo इसी पर स वद को lsquoआ ाय यान
परम र क नाम का आमनन करनवाला ऐसी स ा िमली ह आमनन यान िव त मनन यही
ा स तो न ढ़ की ह व व भ तकाराम कहता ह
वद अन बोिलला अथ इतकािच सािधला िवठोबािस शरण जाव िनज‐िन ा नाम गाव
ldquoय िप वद न अन ा ान िकया ह तथािप सार यही ह िक िव ल की शरण जाना
और उसका नाम िन ापवक गानाrdquo वह स त नही जानता था िफर भी उस वद‐सार का पता
चल गया ह इतना ही नही वह आ िव ासपवक कहता ह
वदाचा तो अथ आ ासी च ठावा यरानी वहावा भार माथा
‐ldquoवद का भावाथ हम ही जानत हmdashदसर तो भारवाही हldquo व व तकाराम न जो वद‐
सार जाना था वही तिमल क शव‐िशरोमिण ान सबधर को मालम आ था
वद ना गनम मय पो ळावद नादन‐नामम नमः िशवायव
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ldquoचारो वदो म अगर कोई सारभत स ह तो िशव भगवान का नाम हrdquo यह िसफ दसरो
की सा ी का या ा का िवषय नही ह वद य अपन बार म यही कहत ह
ॠचो अ र परम ोमन यस तत न वद िकम ॠचा क र ित
‐ldquoवद की सारी ॠचाए यान वद‐म एक अ र मmdashएक परम र नाम म जो िक दय
क परम आकाश म िछपा आ ह िबठाय ए ह उसको जो नही जानगा वह वद क म लकर
या करगा rdquo वह अ र lsquoॐʼ माना गया वही सबम रम‐रिहया राम ह |
गाधीजी स बार‐बार पछा गया ह िक त ारा राम कौन‐सा ह तो उ ोन इसी परम
रमणीय सवा यामी आ ाराम का िनदश िकया ह लोग पछत ह ldquo ा वह दशरथ‐न न ह
rdquo तो म जवाब दता िक दशरथ न अपन न न को िजसका नाम िदया था वही वह ह वह
िव ‐न न ह इसिलए दशरथ‐न न भी ह वह िव प ह िव ातीत ह
तका ण ज ज बोला त त साज या िव ला
तकाराम कहता ह ldquoिव ल क िलए जो भी बोल शोभता हldquo
एक दफा तकाराम को परम र पर ग ा आया तो वह ई र स कहन
लगा ldquoह ई र आज म तझ गािलया दता त गधा ह त क ा ह त भारवाही बल हrdquo या
िव क सह नाम ही िव क ह और य नाम िकसी दसर क ह िव ‐सह नाम म पहला
नाम ही lsquoिव म िदया ह सारा िव ह रनाम ह समझनवाल समझ ल
वद म परम र का lsquoचा ‐नाम गानवाल कई म ह लिकन उन सबम नीच का म भ ‐
जनो म िव त ह
मता अम त भ र नाम मनामह
िव ासो जातवदस
‐ ldquoपरम र हम मरण‐धम ह त अमत‐ प ह हम ान क उ क (िव ) ह त
जाननवाला ानमय ह हम (अ ) तर िवशाल नाम का मनन करत हrdquo म म भ र यान
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िवशाल की तलना म अ श का अ ाहार समझ लना ह हम दख सकत ह िक इसम नाम
क मनन का िज ह न िक कवल उसक उ ारण का और यही गाधीजी बार‐बार दोहरात
जात ह ldquoराम‐नाम दय स लना ह िसफ वाणी स नही राम‐नाम कवल बा ि या
नही ह वह अ ःशोधन का एक साधन हrdquo नाम‐िच न क इस सवमा म म उपिनषद
की यह स िस ाथना यी िछपी ई ह
असतो मा सद गमय
तमसो मा ोितर गमय
म ोर मा अमत गमय
‐जो असत वही सकिचत या अ ह जो सत वही इस म म िनिद भ र ह बाकी
दो ाथनाए तो कट की ह
lsquoनाम श का अथ
हम अपना मनन आग चलाय इसक पहल जरा यह भी दख ल िक नाम श का
अ राथ ा होता ह नाम श नम धात स बना ह िजसस न ता और नम ार सािधत
ह भ को नाम अस स स म ल जायगा इसक अ ल उस वह न बनायगा न ता क
िबना स शोधन नही होता इसिलए सार व ािनक न होत ह न ता क िबना िच शोधन नही
होता इसिलए सार आ ा क न होत ह बाप की वह अदभत ाथना ldquoह न ता क दव तरी
अपनी न ता त हम द rdquo यहा याद आय बगर नही रहती वह हम सबको म कहन जा रहा था
िन ात रणीय िक िन ‐िनर र रणीय ह न ता क उपासक ी िकशोरलालभाई
न िलखा था ldquoई र क िलए गाधीजी का यह स ोधन धािमक सािह म अनठा ह | उ ोन
ई र को चौदह भवनो क ामी गोलोक वक या बिह क िनवासी वगरह नही कहा पर
परम श िनरहकार का लौिकक भाषा म अनवाद कर न ता क दव कहाldquo िकशोरलालभाई
का यह कथन साधारणत ठीक ह लिकन जब हम नाम श का अ राथ भावाथ और
अनभवाथ दखत ह तो बाप क उस िवशषण को अनठा कस कह सकत ह
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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही
करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो
का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह
तत नम इ पासीत
न अ कामा
‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक
सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को
न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह
नम इत उ नम आ िववास
नमो दाधार पिथवी उत ाम
‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण
िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता
का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा
ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर
खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह
गौरिस ग त अ ो अ ायत भव
ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण
स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह
रहा ह
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२ ि िवध म या
एक आ ाियका
अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम
क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐
िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर
बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐
शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना
ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय
का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख
रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर
उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया
म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन
दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी
परम र का नाम अिमट रहगा
( १ ) भय‐म
इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म
२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत
पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म
व कहत ह
ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त
मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह
वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास
नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम
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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया
म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स
आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला
ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और
लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग
आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और
ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर
जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार
करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा
का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo
अभय‐ वतन
इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई
एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता
का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही
नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही
हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श
था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित
राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर
महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर
यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह
राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय
ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच
क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न
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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही
चािहए जो दय म म रखना चाहत
ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार
द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक
हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन
लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐
एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत
दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़
रखना चािहए
( २ ) िवकार‐म
ि िवध उपाय
अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण
साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को
जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष
कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना
क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत
ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ
करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता
ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय
ह
(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश
सवथा ाग करना
(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए
नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया
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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क
िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo
ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि
स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह
ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न
भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए
उसको उतना आधार दन की ldquo
िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान
की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला
ह व िलखत ह
ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता
ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर
म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह
पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग
रहत हldquo
यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब
िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल
िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध
भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर
नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना
चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा
उपाय बताया ह
(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम
कहत ह
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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा
सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह
नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा
करगldquo
तीनो का स प राम‐नाम
साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की
ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह
ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर
र ा तो राम‐नाम ही हldquo
िफर तौल सभालकर कहत ह
ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत
ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo
इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह
ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo
य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत
ह उस ो की क ना
( ३ ) रोग‐म
िवकार‐म का बा काश
अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह
उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय
का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह
सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह
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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐
पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo
िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म
रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐
म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग
हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा
दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह
ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo
मन की दबलता
अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह
ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया
यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ
ए व कभी न होतldquo
िफर दबारा िलखत ह
ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी
और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र
अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo
यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत
ह
ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर
िव ास क क पन की वजह स हldquo
______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम
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उनकी ा
उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली
बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी
काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम
मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय
उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी
थी और वह फौरन मर गल उतर गयी
गीता का आदश प ष
इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ
इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही
गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका
बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐
उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह
ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक
जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता
स हणीय ा
जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक
ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही
कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती
ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल
होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम
अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा
लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता
ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो
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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब
भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता
एक शा ीय ा ा द रही ह
जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash
यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब
करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न
आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी
ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा
लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ
िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म
उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह
आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी
न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह
गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस
व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो
यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा
लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक
इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह
इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह
थ क ल ण
इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण
आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण
गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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यह िह ी लख पढ़कर ब तो न अ स ोषजनक उ ार िकय ब तो न िलखा
िक इस लख न उनक जीवन को नयी िदशा दी एक न तो िलखा ldquoबाप क राम‐नाम िवषयक
िवचार म सदा स ही पढ़ता आ रहा िफर भी मर दय म व भलीभाित अिकत नही हो पात
थ आपक इस लख स सशय िछ न ही हो गयाrdquo ही यह िसफ लख का गौरव ह िफर भी
इस पाठक को यह जो अनभव आ वह मरी क ना स अतीत नही हम दखत ही ह िक मानव
को सम स जो लाभ नही होता वह सम स पोषण पानवाल मघ स होता ह यह भी उसी तरह
की बात ह िविश पचन यो को पौि क अ सीध पच नही पाता उस ही पचाकर िदया जाय
तो पचता ह
िजस तरह नाम‐ रण की ा मन अपन दय म बठायी और उसका अनभव भी
िकया उसी रीित स इस लख म भी मन उस पाठको क सम त िकया ह उसन मर िच न
और अनभव को ठीक‐ठीक जोड़न का अवसर िदया और ठीक मझ भी उसस लाभ आ
तलसीदास न ाव था म हनमान‐बा क िलखा उसस उनका रोग िमटन म मदद िमली
ऐसा कहा जाता ह बड़ी उपमा छोटी चीज को िकस तरह शोभा दगी िफर भी मर िलए यह
लख हनमान ‐बा क ही आ ह
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मरा राम कौन
आप लोग उस सवश मान भगवान की गलामी मजर कर इसस कोई मतलब नही
िक आप उस िकस नाम स पकारत ह तब आप िकसी इ ान या इ ानो क सामन घटन नही
िटकायग यह कहना नादानी ह िक म रामmdashमहज एक आदमीmdashको भगवान क साथ िमलाता
मन कई बार खलासा िकया ह िक मरा राम खद भगवान ही ह वह पहल था आज भी मौजद
ह आग भी हमशा रहगा न कभी वह पदा आ न िकसीन उस बनाया इसिलए आप जदा‐
जदा धम को बरदा कर और उनकी इ त कर म खद मितयो को नही मानता मगर म
मितपजको की उतनी ही इ त करता िजतनी औरो कौ जो लोग मितयो को पजत ह व भी
उसी एक भगवान को पजत ह जो हर जगह ह जो उगली स कट ए नाखन म भी ह मर ऐस
मसलमान दो ह िजनक नाम रहीम करीम रहमान ह जब म उ रहीम करीम और रहमान
कहकर पकारा तो ा म उ खदा मान लता
lsquoह रजन सवक ndash मो० क० गाधी २‐६‐lsquo४६
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अन म
१ अ रग‐ वश
२ ि िवध म या
३ राम‐नाम का उपचार
४ ि िवध िच ा
५ नाम‐साफ
प रिश
१ स भ‐ थ‐सची
२ उ खत यो की सची
३ मख श ो की सची
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१ अ रग‐ वश
बाप न समय‐समय पर राम‐नाम क बार म जो भी िवचार कट िकय थ उनका एक
छोटा‐सा स ह भारतन कमार ा न तयार िकया ह और नवजीवन‐ काशन‐म र न इस
कािशत िकया ह इसम कछ तो बाप क लख ह कछ उनक भाषण ह और कछ प ह
प रिश म बाप क आ खरी जीवन म राम‐नाम िकस तरह अ बा ओत‐ ोत था उसका
बयान करनवाली एक रण‐कथा जोड़ी गयी ह
यह प क थोड़ म सब कछ ह त‐चया का िववरण करनवाली बाप की मगल‐ भात
जस एक िचर न‐सािह क तौर पर रह जानवाली प क ह वसी यह चीज ह इसका थोड़ा
िच न म यहा करना चाहता
नाम‐िन पण म अभद
परम र क नाम की मिहमा सब धम न गायी ह य िप हर धम की जीवन की तरफ
दखन की अपनी‐अपनी ि होती ह तथािप इस िवषय म न उनम कोई ि ‐भद ह न िवचार‐
भद भगवान क अनक गणो क अनसार अनक नामो की क ना करक अपनी‐अपनी िच
और आव कता क अन प उस‐उस नाम का जप या सब नामो का स िलत जप करन की
था सब धम न चलायी ह और दिनयाभर क सब स ो न अपन अनभव स उसकी पि की ह
सगण‐िनगण का भद भी यहा िमट गया ह नानक का lsquoजपजी और ानदव का ह रपाठ दो
िविभ न स दाय क होत ए भी नाम‐िन पण म कोई िभ नता नही रखत lsquoभागवत भगवान
क मगल‐नाम गाती ह और करान अ ाह क अ ा उल ा की त ीह (जपमाला) करता
ह एक स त और दसरा अरबी इतना ही फक ह
भारत म नाम‐रस की िवपलता
भारत की हर भाषा म नाम‐रस स भरा सािह िवपल ह नाम रसायन क सवन म कोई
भाषा िकसी भाषा स िपछड़ी नही ह तलसीदास चत तकाराम नरसी महता या न ा वार
िभ न‐िभ न भाषाओ म िलखत ह लिकन मानो एक‐दसर क तजम कर रह ह तलसीदास की
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रामायण म तो राम स भी नाम को बतलाया ह और दोनो की तलना करनवाली एक परम‐
मधर छोटी‐सी नामायन ही उ ोन िलख डाली गाधीजी न वही स ित पायी ह और उसका
अथ अपन अनभव स हमार सामन खोल िदया ह
वदो म नाम‐मिहमा
नामानभित का थम उ ार जो हम वाडमय म िमलता ह वह वद ह ॠ द म lsquoनाम
श तो सौ‐एक बार आया होगा लिकन सार वद का सार परम र‐नाम ही ह ऐसी उपिनषदो
न घोषणा की ह
सव वदा यत पद आमन
‐ldquoसार वद ई र क नाम का ही आमनन करत हrdquo इसी पर स वद को lsquoआ ाय यान
परम र क नाम का आमनन करनवाला ऐसी स ा िमली ह आमनन यान िव त मनन यही
ा स तो न ढ़ की ह व व भ तकाराम कहता ह
वद अन बोिलला अथ इतकािच सािधला िवठोबािस शरण जाव िनज‐िन ा नाम गाव
ldquoय िप वद न अन ा ान िकया ह तथािप सार यही ह िक िव ल की शरण जाना
और उसका नाम िन ापवक गानाrdquo वह स त नही जानता था िफर भी उस वद‐सार का पता
चल गया ह इतना ही नही वह आ िव ासपवक कहता ह
वदाचा तो अथ आ ासी च ठावा यरानी वहावा भार माथा
‐ldquoवद का भावाथ हम ही जानत हmdashदसर तो भारवाही हldquo व व तकाराम न जो वद‐
सार जाना था वही तिमल क शव‐िशरोमिण ान सबधर को मालम आ था
वद ना गनम मय पो ळावद नादन‐नामम नमः िशवायव
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ldquoचारो वदो म अगर कोई सारभत स ह तो िशव भगवान का नाम हrdquo यह िसफ दसरो
की सा ी का या ा का िवषय नही ह वद य अपन बार म यही कहत ह
ॠचो अ र परम ोमन यस तत न वद िकम ॠचा क र ित
‐ldquoवद की सारी ॠचाए यान वद‐म एक अ र मmdashएक परम र नाम म जो िक दय
क परम आकाश म िछपा आ ह िबठाय ए ह उसको जो नही जानगा वह वद क म लकर
या करगा rdquo वह अ र lsquoॐʼ माना गया वही सबम रम‐रिहया राम ह |
गाधीजी स बार‐बार पछा गया ह िक त ारा राम कौन‐सा ह तो उ ोन इसी परम
रमणीय सवा यामी आ ाराम का िनदश िकया ह लोग पछत ह ldquo ा वह दशरथ‐न न ह
rdquo तो म जवाब दता िक दशरथ न अपन न न को िजसका नाम िदया था वही वह ह वह
िव ‐न न ह इसिलए दशरथ‐न न भी ह वह िव प ह िव ातीत ह
तका ण ज ज बोला त त साज या िव ला
तकाराम कहता ह ldquoिव ल क िलए जो भी बोल शोभता हldquo
एक दफा तकाराम को परम र पर ग ा आया तो वह ई र स कहन
लगा ldquoह ई र आज म तझ गािलया दता त गधा ह त क ा ह त भारवाही बल हrdquo या
िव क सह नाम ही िव क ह और य नाम िकसी दसर क ह िव ‐सह नाम म पहला
नाम ही lsquoिव म िदया ह सारा िव ह रनाम ह समझनवाल समझ ल
वद म परम र का lsquoचा ‐नाम गानवाल कई म ह लिकन उन सबम नीच का म भ ‐
जनो म िव त ह
मता अम त भ र नाम मनामह
िव ासो जातवदस
‐ ldquoपरम र हम मरण‐धम ह त अमत‐ प ह हम ान क उ क (िव ) ह त
जाननवाला ानमय ह हम (अ ) तर िवशाल नाम का मनन करत हrdquo म म भ र यान
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िवशाल की तलना म अ श का अ ाहार समझ लना ह हम दख सकत ह िक इसम नाम
क मनन का िज ह न िक कवल उसक उ ारण का और यही गाधीजी बार‐बार दोहरात
जात ह ldquoराम‐नाम दय स लना ह िसफ वाणी स नही राम‐नाम कवल बा ि या
नही ह वह अ ःशोधन का एक साधन हrdquo नाम‐िच न क इस सवमा म म उपिनषद
की यह स िस ाथना यी िछपी ई ह
असतो मा सद गमय
तमसो मा ोितर गमय
म ोर मा अमत गमय
‐जो असत वही सकिचत या अ ह जो सत वही इस म म िनिद भ र ह बाकी
दो ाथनाए तो कट की ह
lsquoनाम श का अथ
हम अपना मनन आग चलाय इसक पहल जरा यह भी दख ल िक नाम श का
अ राथ ा होता ह नाम श नम धात स बना ह िजसस न ता और नम ार सािधत
ह भ को नाम अस स स म ल जायगा इसक अ ल उस वह न बनायगा न ता क
िबना स शोधन नही होता इसिलए सार व ािनक न होत ह न ता क िबना िच शोधन नही
होता इसिलए सार आ ा क न होत ह बाप की वह अदभत ाथना ldquoह न ता क दव तरी
अपनी न ता त हम द rdquo यहा याद आय बगर नही रहती वह हम सबको म कहन जा रहा था
िन ात रणीय िक िन ‐िनर र रणीय ह न ता क उपासक ी िकशोरलालभाई
न िलखा था ldquoई र क िलए गाधीजी का यह स ोधन धािमक सािह म अनठा ह | उ ोन
ई र को चौदह भवनो क ामी गोलोक वक या बिह क िनवासी वगरह नही कहा पर
परम श िनरहकार का लौिकक भाषा म अनवाद कर न ता क दव कहाldquo िकशोरलालभाई
का यह कथन साधारणत ठीक ह लिकन जब हम नाम श का अ राथ भावाथ और
अनभवाथ दखत ह तो बाप क उस िवशषण को अनठा कस कह सकत ह
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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही
करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो
का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह
तत नम इ पासीत
न अ कामा
‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक
सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को
न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह
नम इत उ नम आ िववास
नमो दाधार पिथवी उत ाम
‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण
िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता
का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा
ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर
खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह
गौरिस ग त अ ो अ ायत भव
ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण
स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह
रहा ह
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२ ि िवध म या
एक आ ाियका
अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम
क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐
िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर
बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐
शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना
ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय
का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख
रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर
उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया
म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन
दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी
परम र का नाम अिमट रहगा
( १ ) भय‐म
इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म
२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत
पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म
व कहत ह
ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त
मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह
वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास
नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम
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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया
म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स
आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला
ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और
लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग
आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और
ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर
जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार
करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा
का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo
अभय‐ वतन
इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई
एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता
का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही
नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही
हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श
था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित
राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर
महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर
यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह
राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय
ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच
क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न
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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही
चािहए जो दय म म रखना चाहत
ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार
द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक
हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन
लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐
एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत
दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़
रखना चािहए
( २ ) िवकार‐म
ि िवध उपाय
अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण
साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को
जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष
कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना
क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत
ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ
करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता
ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय
ह
(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश
सवथा ाग करना
(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए
नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया
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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क
िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo
ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि
स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह
ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न
भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए
उसको उतना आधार दन की ldquo
िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान
की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला
ह व िलखत ह
ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता
ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर
म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह
पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग
रहत हldquo
यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब
िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल
िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध
भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर
नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना
चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा
उपाय बताया ह
(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम
कहत ह
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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा
सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह
नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा
करगldquo
तीनो का स प राम‐नाम
साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की
ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह
ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर
र ा तो राम‐नाम ही हldquo
िफर तौल सभालकर कहत ह
ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत
ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo
इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह
ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo
य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत
ह उस ो की क ना
( ३ ) रोग‐म
िवकार‐म का बा काश
अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह
उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय
का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह
सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह
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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐
पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo
िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म
रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐
म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग
हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा
दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह
ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo
मन की दबलता
अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह
ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया
यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ
ए व कभी न होतldquo
िफर दबारा िलखत ह
ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी
और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र
अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo
यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत
ह
ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर
िव ास क क पन की वजह स हldquo
______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम
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उनकी ा
उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली
बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी
काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम
मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय
उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी
थी और वह फौरन मर गल उतर गयी
गीता का आदश प ष
इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ
इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही
गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका
बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐
उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह
ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक
जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता
स हणीय ा
जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक
ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही
कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती
ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल
होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम
अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा
लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता
ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो
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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब
भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता
एक शा ीय ा ा द रही ह
जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash
यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब
करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न
आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी
ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा
लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ
िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म
उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह
आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी
न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह
गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस
व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो
यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा
लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक
इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह
इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह
थ क ल ण
इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण
आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण
गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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मरा राम कौन
आप लोग उस सवश मान भगवान की गलामी मजर कर इसस कोई मतलब नही
िक आप उस िकस नाम स पकारत ह तब आप िकसी इ ान या इ ानो क सामन घटन नही
िटकायग यह कहना नादानी ह िक म रामmdashमहज एक आदमीmdashको भगवान क साथ िमलाता
मन कई बार खलासा िकया ह िक मरा राम खद भगवान ही ह वह पहल था आज भी मौजद
ह आग भी हमशा रहगा न कभी वह पदा आ न िकसीन उस बनाया इसिलए आप जदा‐
जदा धम को बरदा कर और उनकी इ त कर म खद मितयो को नही मानता मगर म
मितपजको की उतनी ही इ त करता िजतनी औरो कौ जो लोग मितयो को पजत ह व भी
उसी एक भगवान को पजत ह जो हर जगह ह जो उगली स कट ए नाखन म भी ह मर ऐस
मसलमान दो ह िजनक नाम रहीम करीम रहमान ह जब म उ रहीम करीम और रहमान
कहकर पकारा तो ा म उ खदा मान लता
lsquoह रजन सवक ndash मो० क० गाधी २‐६‐lsquo४६
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अन म
१ अ रग‐ वश
२ ि िवध म या
३ राम‐नाम का उपचार
४ ि िवध िच ा
५ नाम‐साफ
प रिश
१ स भ‐ थ‐सची
२ उ खत यो की सची
३ मख श ो की सची
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१ अ रग‐ वश
बाप न समय‐समय पर राम‐नाम क बार म जो भी िवचार कट िकय थ उनका एक
छोटा‐सा स ह भारतन कमार ा न तयार िकया ह और नवजीवन‐ काशन‐म र न इस
कािशत िकया ह इसम कछ तो बाप क लख ह कछ उनक भाषण ह और कछ प ह
प रिश म बाप क आ खरी जीवन म राम‐नाम िकस तरह अ बा ओत‐ ोत था उसका
बयान करनवाली एक रण‐कथा जोड़ी गयी ह
यह प क थोड़ म सब कछ ह त‐चया का िववरण करनवाली बाप की मगल‐ भात
जस एक िचर न‐सािह क तौर पर रह जानवाली प क ह वसी यह चीज ह इसका थोड़ा
िच न म यहा करना चाहता
नाम‐िन पण म अभद
परम र क नाम की मिहमा सब धम न गायी ह य िप हर धम की जीवन की तरफ
दखन की अपनी‐अपनी ि होती ह तथािप इस िवषय म न उनम कोई ि ‐भद ह न िवचार‐
भद भगवान क अनक गणो क अनसार अनक नामो की क ना करक अपनी‐अपनी िच
और आव कता क अन प उस‐उस नाम का जप या सब नामो का स िलत जप करन की
था सब धम न चलायी ह और दिनयाभर क सब स ो न अपन अनभव स उसकी पि की ह
सगण‐िनगण का भद भी यहा िमट गया ह नानक का lsquoजपजी और ानदव का ह रपाठ दो
िविभ न स दाय क होत ए भी नाम‐िन पण म कोई िभ नता नही रखत lsquoभागवत भगवान
क मगल‐नाम गाती ह और करान अ ाह क अ ा उल ा की त ीह (जपमाला) करता
ह एक स त और दसरा अरबी इतना ही फक ह
भारत म नाम‐रस की िवपलता
भारत की हर भाषा म नाम‐रस स भरा सािह िवपल ह नाम रसायन क सवन म कोई
भाषा िकसी भाषा स िपछड़ी नही ह तलसीदास चत तकाराम नरसी महता या न ा वार
िभ न‐िभ न भाषाओ म िलखत ह लिकन मानो एक‐दसर क तजम कर रह ह तलसीदास की
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रामायण म तो राम स भी नाम को बतलाया ह और दोनो की तलना करनवाली एक परम‐
मधर छोटी‐सी नामायन ही उ ोन िलख डाली गाधीजी न वही स ित पायी ह और उसका
अथ अपन अनभव स हमार सामन खोल िदया ह
वदो म नाम‐मिहमा
नामानभित का थम उ ार जो हम वाडमय म िमलता ह वह वद ह ॠ द म lsquoनाम
श तो सौ‐एक बार आया होगा लिकन सार वद का सार परम र‐नाम ही ह ऐसी उपिनषदो
न घोषणा की ह
सव वदा यत पद आमन
‐ldquoसार वद ई र क नाम का ही आमनन करत हrdquo इसी पर स वद को lsquoआ ाय यान
परम र क नाम का आमनन करनवाला ऐसी स ा िमली ह आमनन यान िव त मनन यही
ा स तो न ढ़ की ह व व भ तकाराम कहता ह
वद अन बोिलला अथ इतकािच सािधला िवठोबािस शरण जाव िनज‐िन ा नाम गाव
ldquoय िप वद न अन ा ान िकया ह तथािप सार यही ह िक िव ल की शरण जाना
और उसका नाम िन ापवक गानाrdquo वह स त नही जानता था िफर भी उस वद‐सार का पता
चल गया ह इतना ही नही वह आ िव ासपवक कहता ह
वदाचा तो अथ आ ासी च ठावा यरानी वहावा भार माथा
‐ldquoवद का भावाथ हम ही जानत हmdashदसर तो भारवाही हldquo व व तकाराम न जो वद‐
सार जाना था वही तिमल क शव‐िशरोमिण ान सबधर को मालम आ था
वद ना गनम मय पो ळावद नादन‐नामम नमः िशवायव
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ldquoचारो वदो म अगर कोई सारभत स ह तो िशव भगवान का नाम हrdquo यह िसफ दसरो
की सा ी का या ा का िवषय नही ह वद य अपन बार म यही कहत ह
ॠचो अ र परम ोमन यस तत न वद िकम ॠचा क र ित
‐ldquoवद की सारी ॠचाए यान वद‐म एक अ र मmdashएक परम र नाम म जो िक दय
क परम आकाश म िछपा आ ह िबठाय ए ह उसको जो नही जानगा वह वद क म लकर
या करगा rdquo वह अ र lsquoॐʼ माना गया वही सबम रम‐रिहया राम ह |
गाधीजी स बार‐बार पछा गया ह िक त ारा राम कौन‐सा ह तो उ ोन इसी परम
रमणीय सवा यामी आ ाराम का िनदश िकया ह लोग पछत ह ldquo ा वह दशरथ‐न न ह
rdquo तो म जवाब दता िक दशरथ न अपन न न को िजसका नाम िदया था वही वह ह वह
िव ‐न न ह इसिलए दशरथ‐न न भी ह वह िव प ह िव ातीत ह
तका ण ज ज बोला त त साज या िव ला
तकाराम कहता ह ldquoिव ल क िलए जो भी बोल शोभता हldquo
एक दफा तकाराम को परम र पर ग ा आया तो वह ई र स कहन
लगा ldquoह ई र आज म तझ गािलया दता त गधा ह त क ा ह त भारवाही बल हrdquo या
िव क सह नाम ही िव क ह और य नाम िकसी दसर क ह िव ‐सह नाम म पहला
नाम ही lsquoिव म िदया ह सारा िव ह रनाम ह समझनवाल समझ ल
वद म परम र का lsquoचा ‐नाम गानवाल कई म ह लिकन उन सबम नीच का म भ ‐
जनो म िव त ह
मता अम त भ र नाम मनामह
िव ासो जातवदस
‐ ldquoपरम र हम मरण‐धम ह त अमत‐ प ह हम ान क उ क (िव ) ह त
जाननवाला ानमय ह हम (अ ) तर िवशाल नाम का मनन करत हrdquo म म भ र यान
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िवशाल की तलना म अ श का अ ाहार समझ लना ह हम दख सकत ह िक इसम नाम
क मनन का िज ह न िक कवल उसक उ ारण का और यही गाधीजी बार‐बार दोहरात
जात ह ldquoराम‐नाम दय स लना ह िसफ वाणी स नही राम‐नाम कवल बा ि या
नही ह वह अ ःशोधन का एक साधन हrdquo नाम‐िच न क इस सवमा म म उपिनषद
की यह स िस ाथना यी िछपी ई ह
असतो मा सद गमय
तमसो मा ोितर गमय
म ोर मा अमत गमय
‐जो असत वही सकिचत या अ ह जो सत वही इस म म िनिद भ र ह बाकी
दो ाथनाए तो कट की ह
lsquoनाम श का अथ
हम अपना मनन आग चलाय इसक पहल जरा यह भी दख ल िक नाम श का
अ राथ ा होता ह नाम श नम धात स बना ह िजसस न ता और नम ार सािधत
ह भ को नाम अस स स म ल जायगा इसक अ ल उस वह न बनायगा न ता क
िबना स शोधन नही होता इसिलए सार व ािनक न होत ह न ता क िबना िच शोधन नही
होता इसिलए सार आ ा क न होत ह बाप की वह अदभत ाथना ldquoह न ता क दव तरी
अपनी न ता त हम द rdquo यहा याद आय बगर नही रहती वह हम सबको म कहन जा रहा था
िन ात रणीय िक िन ‐िनर र रणीय ह न ता क उपासक ी िकशोरलालभाई
न िलखा था ldquoई र क िलए गाधीजी का यह स ोधन धािमक सािह म अनठा ह | उ ोन
ई र को चौदह भवनो क ामी गोलोक वक या बिह क िनवासी वगरह नही कहा पर
परम श िनरहकार का लौिकक भाषा म अनवाद कर न ता क दव कहाldquo िकशोरलालभाई
का यह कथन साधारणत ठीक ह लिकन जब हम नाम श का अ राथ भावाथ और
अनभवाथ दखत ह तो बाप क उस िवशषण को अनठा कस कह सकत ह
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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही
करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो
का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह
तत नम इ पासीत
न अ कामा
‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक
सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को
न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह
नम इत उ नम आ िववास
नमो दाधार पिथवी उत ाम
‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण
िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता
का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा
ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर
खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह
गौरिस ग त अ ो अ ायत भव
ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण
स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह
रहा ह
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२ ि िवध म या
एक आ ाियका
अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम
क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐
िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर
बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐
शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना
ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय
का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख
रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर
उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया
म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन
दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी
परम र का नाम अिमट रहगा
( १ ) भय‐म
इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म
२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत
पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म
व कहत ह
ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त
मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह
वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास
नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम
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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया
म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स
आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला
ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और
लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग
आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और
ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर
जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार
करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा
का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo
अभय‐ वतन
इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई
एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता
का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही
नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही
हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श
था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित
राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर
महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर
यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह
राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय
ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच
क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न
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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही
चािहए जो दय म म रखना चाहत
ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार
द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक
हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन
लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐
एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत
दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़
रखना चािहए
( २ ) िवकार‐म
ि िवध उपाय
अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण
साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को
जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष
कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना
क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत
ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ
करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता
ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय
ह
(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश
सवथा ाग करना
(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए
नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया
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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क
िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo
ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि
स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह
ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न
भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए
उसको उतना आधार दन की ldquo
िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान
की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला
ह व िलखत ह
ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता
ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर
म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह
पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग
रहत हldquo
यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब
िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल
िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध
भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर
नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना
चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा
उपाय बताया ह
(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम
कहत ह
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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा
सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह
नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा
करगldquo
तीनो का स प राम‐नाम
साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की
ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह
ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर
र ा तो राम‐नाम ही हldquo
िफर तौल सभालकर कहत ह
ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत
ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo
इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह
ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo
य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत
ह उस ो की क ना
( ३ ) रोग‐म
िवकार‐म का बा काश
अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह
उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय
का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह
सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह
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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐
पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo
िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म
रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐
म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग
हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा
दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह
ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo
मन की दबलता
अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह
ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया
यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ
ए व कभी न होतldquo
िफर दबारा िलखत ह
ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी
और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र
अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo
यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत
ह
ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर
िव ास क क पन की वजह स हldquo
______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम
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उनकी ा
उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली
बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी
काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम
मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय
उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी
थी और वह फौरन मर गल उतर गयी
गीता का आदश प ष
इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ
इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही
गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका
बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐
उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह
ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक
जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता
स हणीय ा
जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक
ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही
कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती
ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल
होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम
अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा
लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता
ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो
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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब
भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता
एक शा ीय ा ा द रही ह
जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash
यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब
करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न
आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी
ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा
लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ
िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म
उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह
आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी
न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह
गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस
व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो
यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा
लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक
इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह
इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह
थ क ल ण
इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण
आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण
गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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अन म
१ अ रग‐ वश
२ ि िवध म या
३ राम‐नाम का उपचार
४ ि िवध िच ा
५ नाम‐साफ
प रिश
१ स भ‐ थ‐सची
२ उ खत यो की सची
३ मख श ो की सची
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१ अ रग‐ वश
बाप न समय‐समय पर राम‐नाम क बार म जो भी िवचार कट िकय थ उनका एक
छोटा‐सा स ह भारतन कमार ा न तयार िकया ह और नवजीवन‐ काशन‐म र न इस
कािशत िकया ह इसम कछ तो बाप क लख ह कछ उनक भाषण ह और कछ प ह
प रिश म बाप क आ खरी जीवन म राम‐नाम िकस तरह अ बा ओत‐ ोत था उसका
बयान करनवाली एक रण‐कथा जोड़ी गयी ह
यह प क थोड़ म सब कछ ह त‐चया का िववरण करनवाली बाप की मगल‐ भात
जस एक िचर न‐सािह क तौर पर रह जानवाली प क ह वसी यह चीज ह इसका थोड़ा
िच न म यहा करना चाहता
नाम‐िन पण म अभद
परम र क नाम की मिहमा सब धम न गायी ह य िप हर धम की जीवन की तरफ
दखन की अपनी‐अपनी ि होती ह तथािप इस िवषय म न उनम कोई ि ‐भद ह न िवचार‐
भद भगवान क अनक गणो क अनसार अनक नामो की क ना करक अपनी‐अपनी िच
और आव कता क अन प उस‐उस नाम का जप या सब नामो का स िलत जप करन की
था सब धम न चलायी ह और दिनयाभर क सब स ो न अपन अनभव स उसकी पि की ह
सगण‐िनगण का भद भी यहा िमट गया ह नानक का lsquoजपजी और ानदव का ह रपाठ दो
िविभ न स दाय क होत ए भी नाम‐िन पण म कोई िभ नता नही रखत lsquoभागवत भगवान
क मगल‐नाम गाती ह और करान अ ाह क अ ा उल ा की त ीह (जपमाला) करता
ह एक स त और दसरा अरबी इतना ही फक ह
भारत म नाम‐रस की िवपलता
भारत की हर भाषा म नाम‐रस स भरा सािह िवपल ह नाम रसायन क सवन म कोई
भाषा िकसी भाषा स िपछड़ी नही ह तलसीदास चत तकाराम नरसी महता या न ा वार
िभ न‐िभ न भाषाओ म िलखत ह लिकन मानो एक‐दसर क तजम कर रह ह तलसीदास की
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रामायण म तो राम स भी नाम को बतलाया ह और दोनो की तलना करनवाली एक परम‐
मधर छोटी‐सी नामायन ही उ ोन िलख डाली गाधीजी न वही स ित पायी ह और उसका
अथ अपन अनभव स हमार सामन खोल िदया ह
वदो म नाम‐मिहमा
नामानभित का थम उ ार जो हम वाडमय म िमलता ह वह वद ह ॠ द म lsquoनाम
श तो सौ‐एक बार आया होगा लिकन सार वद का सार परम र‐नाम ही ह ऐसी उपिनषदो
न घोषणा की ह
सव वदा यत पद आमन
‐ldquoसार वद ई र क नाम का ही आमनन करत हrdquo इसी पर स वद को lsquoआ ाय यान
परम र क नाम का आमनन करनवाला ऐसी स ा िमली ह आमनन यान िव त मनन यही
ा स तो न ढ़ की ह व व भ तकाराम कहता ह
वद अन बोिलला अथ इतकािच सािधला िवठोबािस शरण जाव िनज‐िन ा नाम गाव
ldquoय िप वद न अन ा ान िकया ह तथािप सार यही ह िक िव ल की शरण जाना
और उसका नाम िन ापवक गानाrdquo वह स त नही जानता था िफर भी उस वद‐सार का पता
चल गया ह इतना ही नही वह आ िव ासपवक कहता ह
वदाचा तो अथ आ ासी च ठावा यरानी वहावा भार माथा
‐ldquoवद का भावाथ हम ही जानत हmdashदसर तो भारवाही हldquo व व तकाराम न जो वद‐
सार जाना था वही तिमल क शव‐िशरोमिण ान सबधर को मालम आ था
वद ना गनम मय पो ळावद नादन‐नामम नमः िशवायव
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ldquoचारो वदो म अगर कोई सारभत स ह तो िशव भगवान का नाम हrdquo यह िसफ दसरो
की सा ी का या ा का िवषय नही ह वद य अपन बार म यही कहत ह
ॠचो अ र परम ोमन यस तत न वद िकम ॠचा क र ित
‐ldquoवद की सारी ॠचाए यान वद‐म एक अ र मmdashएक परम र नाम म जो िक दय
क परम आकाश म िछपा आ ह िबठाय ए ह उसको जो नही जानगा वह वद क म लकर
या करगा rdquo वह अ र lsquoॐʼ माना गया वही सबम रम‐रिहया राम ह |
गाधीजी स बार‐बार पछा गया ह िक त ारा राम कौन‐सा ह तो उ ोन इसी परम
रमणीय सवा यामी आ ाराम का िनदश िकया ह लोग पछत ह ldquo ा वह दशरथ‐न न ह
rdquo तो म जवाब दता िक दशरथ न अपन न न को िजसका नाम िदया था वही वह ह वह
िव ‐न न ह इसिलए दशरथ‐न न भी ह वह िव प ह िव ातीत ह
तका ण ज ज बोला त त साज या िव ला
तकाराम कहता ह ldquoिव ल क िलए जो भी बोल शोभता हldquo
एक दफा तकाराम को परम र पर ग ा आया तो वह ई र स कहन
लगा ldquoह ई र आज म तझ गािलया दता त गधा ह त क ा ह त भारवाही बल हrdquo या
िव क सह नाम ही िव क ह और य नाम िकसी दसर क ह िव ‐सह नाम म पहला
नाम ही lsquoिव म िदया ह सारा िव ह रनाम ह समझनवाल समझ ल
वद म परम र का lsquoचा ‐नाम गानवाल कई म ह लिकन उन सबम नीच का म भ ‐
जनो म िव त ह
मता अम त भ र नाम मनामह
िव ासो जातवदस
‐ ldquoपरम र हम मरण‐धम ह त अमत‐ प ह हम ान क उ क (िव ) ह त
जाननवाला ानमय ह हम (अ ) तर िवशाल नाम का मनन करत हrdquo म म भ र यान
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िवशाल की तलना म अ श का अ ाहार समझ लना ह हम दख सकत ह िक इसम नाम
क मनन का िज ह न िक कवल उसक उ ारण का और यही गाधीजी बार‐बार दोहरात
जात ह ldquoराम‐नाम दय स लना ह िसफ वाणी स नही राम‐नाम कवल बा ि या
नही ह वह अ ःशोधन का एक साधन हrdquo नाम‐िच न क इस सवमा म म उपिनषद
की यह स िस ाथना यी िछपी ई ह
असतो मा सद गमय
तमसो मा ोितर गमय
म ोर मा अमत गमय
‐जो असत वही सकिचत या अ ह जो सत वही इस म म िनिद भ र ह बाकी
दो ाथनाए तो कट की ह
lsquoनाम श का अथ
हम अपना मनन आग चलाय इसक पहल जरा यह भी दख ल िक नाम श का
अ राथ ा होता ह नाम श नम धात स बना ह िजसस न ता और नम ार सािधत
ह भ को नाम अस स स म ल जायगा इसक अ ल उस वह न बनायगा न ता क
िबना स शोधन नही होता इसिलए सार व ािनक न होत ह न ता क िबना िच शोधन नही
होता इसिलए सार आ ा क न होत ह बाप की वह अदभत ाथना ldquoह न ता क दव तरी
अपनी न ता त हम द rdquo यहा याद आय बगर नही रहती वह हम सबको म कहन जा रहा था
िन ात रणीय िक िन ‐िनर र रणीय ह न ता क उपासक ी िकशोरलालभाई
न िलखा था ldquoई र क िलए गाधीजी का यह स ोधन धािमक सािह म अनठा ह | उ ोन
ई र को चौदह भवनो क ामी गोलोक वक या बिह क िनवासी वगरह नही कहा पर
परम श िनरहकार का लौिकक भाषा म अनवाद कर न ता क दव कहाldquo िकशोरलालभाई
का यह कथन साधारणत ठीक ह लिकन जब हम नाम श का अ राथ भावाथ और
अनभवाथ दखत ह तो बाप क उस िवशषण को अनठा कस कह सकत ह
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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही
करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो
का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह
तत नम इ पासीत
न अ कामा
‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक
सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को
न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह
नम इत उ नम आ िववास
नमो दाधार पिथवी उत ाम
‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण
िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता
का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा
ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर
खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह
गौरिस ग त अ ो अ ायत भव
ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण
स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह
रहा ह
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२ ि िवध म या
एक आ ाियका
अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम
क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐
िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर
बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐
शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना
ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय
का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख
रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर
उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया
म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन
दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी
परम र का नाम अिमट रहगा
( १ ) भय‐म
इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म
२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत
पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म
व कहत ह
ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त
मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह
वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास
नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम
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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया
म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स
आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला
ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और
लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग
आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और
ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर
जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार
करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा
का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo
अभय‐ वतन
इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई
एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता
का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही
नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही
हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श
था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित
राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर
महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर
यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह
राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय
ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच
क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न
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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही
चािहए जो दय म म रखना चाहत
ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार
द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक
हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन
लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐
एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत
दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़
रखना चािहए
( २ ) िवकार‐म
ि िवध उपाय
अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण
साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को
जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष
कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना
क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत
ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ
करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता
ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय
ह
(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश
सवथा ाग करना
(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए
नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया
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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क
िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo
ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि
स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह
ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न
भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए
उसको उतना आधार दन की ldquo
िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान
की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला
ह व िलखत ह
ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता
ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर
म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह
पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग
रहत हldquo
यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब
िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल
िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध
भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर
नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना
चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा
उपाय बताया ह
(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम
कहत ह
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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा
सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह
नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा
करगldquo
तीनो का स प राम‐नाम
साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की
ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह
ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर
र ा तो राम‐नाम ही हldquo
िफर तौल सभालकर कहत ह
ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत
ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo
इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह
ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo
य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत
ह उस ो की क ना
( ३ ) रोग‐म
िवकार‐म का बा काश
अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह
उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय
का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह
सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह
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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐
पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo
िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म
रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐
म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग
हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा
दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह
ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo
मन की दबलता
अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह
ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया
यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ
ए व कभी न होतldquo
िफर दबारा िलखत ह
ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी
और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र
अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo
यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत
ह
ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर
िव ास क क पन की वजह स हldquo
______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम
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उनकी ा
उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली
बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी
काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम
मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय
उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी
थी और वह फौरन मर गल उतर गयी
गीता का आदश प ष
इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ
इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही
गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका
बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐
उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह
ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक
जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता
स हणीय ा
जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक
ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही
कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती
ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल
होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम
अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा
लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता
ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो
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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब
भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता
एक शा ीय ा ा द रही ह
जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash
यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब
करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न
आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी
ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा
लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ
िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म
उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह
आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी
न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह
गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस
व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो
यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा
लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक
इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह
इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह
थ क ल ण
इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण
आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण
गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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१ अ रग‐ वश
बाप न समय‐समय पर राम‐नाम क बार म जो भी िवचार कट िकय थ उनका एक
छोटा‐सा स ह भारतन कमार ा न तयार िकया ह और नवजीवन‐ काशन‐म र न इस
कािशत िकया ह इसम कछ तो बाप क लख ह कछ उनक भाषण ह और कछ प ह
प रिश म बाप क आ खरी जीवन म राम‐नाम िकस तरह अ बा ओत‐ ोत था उसका
बयान करनवाली एक रण‐कथा जोड़ी गयी ह
यह प क थोड़ म सब कछ ह त‐चया का िववरण करनवाली बाप की मगल‐ भात
जस एक िचर न‐सािह क तौर पर रह जानवाली प क ह वसी यह चीज ह इसका थोड़ा
िच न म यहा करना चाहता
नाम‐िन पण म अभद
परम र क नाम की मिहमा सब धम न गायी ह य िप हर धम की जीवन की तरफ
दखन की अपनी‐अपनी ि होती ह तथािप इस िवषय म न उनम कोई ि ‐भद ह न िवचार‐
भद भगवान क अनक गणो क अनसार अनक नामो की क ना करक अपनी‐अपनी िच
और आव कता क अन प उस‐उस नाम का जप या सब नामो का स िलत जप करन की
था सब धम न चलायी ह और दिनयाभर क सब स ो न अपन अनभव स उसकी पि की ह
सगण‐िनगण का भद भी यहा िमट गया ह नानक का lsquoजपजी और ानदव का ह रपाठ दो
िविभ न स दाय क होत ए भी नाम‐िन पण म कोई िभ नता नही रखत lsquoभागवत भगवान
क मगल‐नाम गाती ह और करान अ ाह क अ ा उल ा की त ीह (जपमाला) करता
ह एक स त और दसरा अरबी इतना ही फक ह
भारत म नाम‐रस की िवपलता
भारत की हर भाषा म नाम‐रस स भरा सािह िवपल ह नाम रसायन क सवन म कोई
भाषा िकसी भाषा स िपछड़ी नही ह तलसीदास चत तकाराम नरसी महता या न ा वार
िभ न‐िभ न भाषाओ म िलखत ह लिकन मानो एक‐दसर क तजम कर रह ह तलसीदास की
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रामायण म तो राम स भी नाम को बतलाया ह और दोनो की तलना करनवाली एक परम‐
मधर छोटी‐सी नामायन ही उ ोन िलख डाली गाधीजी न वही स ित पायी ह और उसका
अथ अपन अनभव स हमार सामन खोल िदया ह
वदो म नाम‐मिहमा
नामानभित का थम उ ार जो हम वाडमय म िमलता ह वह वद ह ॠ द म lsquoनाम
श तो सौ‐एक बार आया होगा लिकन सार वद का सार परम र‐नाम ही ह ऐसी उपिनषदो
न घोषणा की ह
सव वदा यत पद आमन
‐ldquoसार वद ई र क नाम का ही आमनन करत हrdquo इसी पर स वद को lsquoआ ाय यान
परम र क नाम का आमनन करनवाला ऐसी स ा िमली ह आमनन यान िव त मनन यही
ा स तो न ढ़ की ह व व भ तकाराम कहता ह
वद अन बोिलला अथ इतकािच सािधला िवठोबािस शरण जाव िनज‐िन ा नाम गाव
ldquoय िप वद न अन ा ान िकया ह तथािप सार यही ह िक िव ल की शरण जाना
और उसका नाम िन ापवक गानाrdquo वह स त नही जानता था िफर भी उस वद‐सार का पता
चल गया ह इतना ही नही वह आ िव ासपवक कहता ह
वदाचा तो अथ आ ासी च ठावा यरानी वहावा भार माथा
‐ldquoवद का भावाथ हम ही जानत हmdashदसर तो भारवाही हldquo व व तकाराम न जो वद‐
सार जाना था वही तिमल क शव‐िशरोमिण ान सबधर को मालम आ था
वद ना गनम मय पो ळावद नादन‐नामम नमः िशवायव
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ldquoचारो वदो म अगर कोई सारभत स ह तो िशव भगवान का नाम हrdquo यह िसफ दसरो
की सा ी का या ा का िवषय नही ह वद य अपन बार म यही कहत ह
ॠचो अ र परम ोमन यस तत न वद िकम ॠचा क र ित
‐ldquoवद की सारी ॠचाए यान वद‐म एक अ र मmdashएक परम र नाम म जो िक दय
क परम आकाश म िछपा आ ह िबठाय ए ह उसको जो नही जानगा वह वद क म लकर
या करगा rdquo वह अ र lsquoॐʼ माना गया वही सबम रम‐रिहया राम ह |
गाधीजी स बार‐बार पछा गया ह िक त ारा राम कौन‐सा ह तो उ ोन इसी परम
रमणीय सवा यामी आ ाराम का िनदश िकया ह लोग पछत ह ldquo ा वह दशरथ‐न न ह
rdquo तो म जवाब दता िक दशरथ न अपन न न को िजसका नाम िदया था वही वह ह वह
िव ‐न न ह इसिलए दशरथ‐न न भी ह वह िव प ह िव ातीत ह
तका ण ज ज बोला त त साज या िव ला
तकाराम कहता ह ldquoिव ल क िलए जो भी बोल शोभता हldquo
एक दफा तकाराम को परम र पर ग ा आया तो वह ई र स कहन
लगा ldquoह ई र आज म तझ गािलया दता त गधा ह त क ा ह त भारवाही बल हrdquo या
िव क सह नाम ही िव क ह और य नाम िकसी दसर क ह िव ‐सह नाम म पहला
नाम ही lsquoिव म िदया ह सारा िव ह रनाम ह समझनवाल समझ ल
वद म परम र का lsquoचा ‐नाम गानवाल कई म ह लिकन उन सबम नीच का म भ ‐
जनो म िव त ह
मता अम त भ र नाम मनामह
िव ासो जातवदस
‐ ldquoपरम र हम मरण‐धम ह त अमत‐ प ह हम ान क उ क (िव ) ह त
जाननवाला ानमय ह हम (अ ) तर िवशाल नाम का मनन करत हrdquo म म भ र यान
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िवशाल की तलना म अ श का अ ाहार समझ लना ह हम दख सकत ह िक इसम नाम
क मनन का िज ह न िक कवल उसक उ ारण का और यही गाधीजी बार‐बार दोहरात
जात ह ldquoराम‐नाम दय स लना ह िसफ वाणी स नही राम‐नाम कवल बा ि या
नही ह वह अ ःशोधन का एक साधन हrdquo नाम‐िच न क इस सवमा म म उपिनषद
की यह स िस ाथना यी िछपी ई ह
असतो मा सद गमय
तमसो मा ोितर गमय
म ोर मा अमत गमय
‐जो असत वही सकिचत या अ ह जो सत वही इस म म िनिद भ र ह बाकी
दो ाथनाए तो कट की ह
lsquoनाम श का अथ
हम अपना मनन आग चलाय इसक पहल जरा यह भी दख ल िक नाम श का
अ राथ ा होता ह नाम श नम धात स बना ह िजसस न ता और नम ार सािधत
ह भ को नाम अस स स म ल जायगा इसक अ ल उस वह न बनायगा न ता क
िबना स शोधन नही होता इसिलए सार व ािनक न होत ह न ता क िबना िच शोधन नही
होता इसिलए सार आ ा क न होत ह बाप की वह अदभत ाथना ldquoह न ता क दव तरी
अपनी न ता त हम द rdquo यहा याद आय बगर नही रहती वह हम सबको म कहन जा रहा था
िन ात रणीय िक िन ‐िनर र रणीय ह न ता क उपासक ी िकशोरलालभाई
न िलखा था ldquoई र क िलए गाधीजी का यह स ोधन धािमक सािह म अनठा ह | उ ोन
ई र को चौदह भवनो क ामी गोलोक वक या बिह क िनवासी वगरह नही कहा पर
परम श िनरहकार का लौिकक भाषा म अनवाद कर न ता क दव कहाldquo िकशोरलालभाई
का यह कथन साधारणत ठीक ह लिकन जब हम नाम श का अ राथ भावाथ और
अनभवाथ दखत ह तो बाप क उस िवशषण को अनठा कस कह सकत ह
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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही
करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो
का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह
तत नम इ पासीत
न अ कामा
‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक
सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को
न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह
नम इत उ नम आ िववास
नमो दाधार पिथवी उत ाम
‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण
िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता
का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा
ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर
खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह
गौरिस ग त अ ो अ ायत भव
ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण
स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह
रहा ह
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२ ि िवध म या
एक आ ाियका
अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम
क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐
िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर
बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐
शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना
ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय
का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख
रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर
उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया
म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन
दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी
परम र का नाम अिमट रहगा
( १ ) भय‐म
इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म
२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत
पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म
व कहत ह
ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त
मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह
वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास
नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम
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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया
म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स
आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला
ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और
लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग
आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और
ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर
जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार
करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा
का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo
अभय‐ वतन
इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई
एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता
का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही
नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही
हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श
था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित
राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर
महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर
यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह
राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय
ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच
क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न
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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही
चािहए जो दय म म रखना चाहत
ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार
द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक
हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन
लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐
एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत
दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़
रखना चािहए
( २ ) िवकार‐म
ि िवध उपाय
अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण
साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को
जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष
कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना
क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत
ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ
करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता
ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय
ह
(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश
सवथा ाग करना
(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए
नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया
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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क
िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo
ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि
स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह
ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न
भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए
उसको उतना आधार दन की ldquo
िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान
की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला
ह व िलखत ह
ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता
ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर
म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह
पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग
रहत हldquo
यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब
िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल
िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध
भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर
नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना
चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा
उपाय बताया ह
(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम
कहत ह
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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा
सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह
नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा
करगldquo
तीनो का स प राम‐नाम
साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की
ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह
ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर
र ा तो राम‐नाम ही हldquo
िफर तौल सभालकर कहत ह
ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत
ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo
इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह
ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo
य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत
ह उस ो की क ना
( ३ ) रोग‐म
िवकार‐म का बा काश
अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह
उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय
का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह
सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह
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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐
पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo
िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म
रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐
म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग
हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा
दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह
ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo
मन की दबलता
अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह
ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया
यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ
ए व कभी न होतldquo
िफर दबारा िलखत ह
ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी
और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र
अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo
यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत
ह
ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर
िव ास क क पन की वजह स हldquo
______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम
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उनकी ा
उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली
बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी
काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम
मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय
उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी
थी और वह फौरन मर गल उतर गयी
गीता का आदश प ष
इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ
इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही
गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका
बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐
उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह
ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक
जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता
स हणीय ा
जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक
ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही
कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती
ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल
होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम
अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा
लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता
ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो
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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब
भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता
एक शा ीय ा ा द रही ह
जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash
यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब
करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न
आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी
ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा
लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ
िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म
उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह
आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी
न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह
गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस
व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो
यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा
लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक
इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह
इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह
थ क ल ण
इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण
आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण
गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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रामायण म तो राम स भी नाम को बतलाया ह और दोनो की तलना करनवाली एक परम‐
मधर छोटी‐सी नामायन ही उ ोन िलख डाली गाधीजी न वही स ित पायी ह और उसका
अथ अपन अनभव स हमार सामन खोल िदया ह
वदो म नाम‐मिहमा
नामानभित का थम उ ार जो हम वाडमय म िमलता ह वह वद ह ॠ द म lsquoनाम
श तो सौ‐एक बार आया होगा लिकन सार वद का सार परम र‐नाम ही ह ऐसी उपिनषदो
न घोषणा की ह
सव वदा यत पद आमन
‐ldquoसार वद ई र क नाम का ही आमनन करत हrdquo इसी पर स वद को lsquoआ ाय यान
परम र क नाम का आमनन करनवाला ऐसी स ा िमली ह आमनन यान िव त मनन यही
ा स तो न ढ़ की ह व व भ तकाराम कहता ह
वद अन बोिलला अथ इतकािच सािधला िवठोबािस शरण जाव िनज‐िन ा नाम गाव
ldquoय िप वद न अन ा ान िकया ह तथािप सार यही ह िक िव ल की शरण जाना
और उसका नाम िन ापवक गानाrdquo वह स त नही जानता था िफर भी उस वद‐सार का पता
चल गया ह इतना ही नही वह आ िव ासपवक कहता ह
वदाचा तो अथ आ ासी च ठावा यरानी वहावा भार माथा
‐ldquoवद का भावाथ हम ही जानत हmdashदसर तो भारवाही हldquo व व तकाराम न जो वद‐
सार जाना था वही तिमल क शव‐िशरोमिण ान सबधर को मालम आ था
वद ना गनम मय पो ळावद नादन‐नामम नमः िशवायव
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ldquoचारो वदो म अगर कोई सारभत स ह तो िशव भगवान का नाम हrdquo यह िसफ दसरो
की सा ी का या ा का िवषय नही ह वद य अपन बार म यही कहत ह
ॠचो अ र परम ोमन यस तत न वद िकम ॠचा क र ित
‐ldquoवद की सारी ॠचाए यान वद‐म एक अ र मmdashएक परम र नाम म जो िक दय
क परम आकाश म िछपा आ ह िबठाय ए ह उसको जो नही जानगा वह वद क म लकर
या करगा rdquo वह अ र lsquoॐʼ माना गया वही सबम रम‐रिहया राम ह |
गाधीजी स बार‐बार पछा गया ह िक त ारा राम कौन‐सा ह तो उ ोन इसी परम
रमणीय सवा यामी आ ाराम का िनदश िकया ह लोग पछत ह ldquo ा वह दशरथ‐न न ह
rdquo तो म जवाब दता िक दशरथ न अपन न न को िजसका नाम िदया था वही वह ह वह
िव ‐न न ह इसिलए दशरथ‐न न भी ह वह िव प ह िव ातीत ह
तका ण ज ज बोला त त साज या िव ला
तकाराम कहता ह ldquoिव ल क िलए जो भी बोल शोभता हldquo
एक दफा तकाराम को परम र पर ग ा आया तो वह ई र स कहन
लगा ldquoह ई र आज म तझ गािलया दता त गधा ह त क ा ह त भारवाही बल हrdquo या
िव क सह नाम ही िव क ह और य नाम िकसी दसर क ह िव ‐सह नाम म पहला
नाम ही lsquoिव म िदया ह सारा िव ह रनाम ह समझनवाल समझ ल
वद म परम र का lsquoचा ‐नाम गानवाल कई म ह लिकन उन सबम नीच का म भ ‐
जनो म िव त ह
मता अम त भ र नाम मनामह
िव ासो जातवदस
‐ ldquoपरम र हम मरण‐धम ह त अमत‐ प ह हम ान क उ क (िव ) ह त
जाननवाला ानमय ह हम (अ ) तर िवशाल नाम का मनन करत हrdquo म म भ र यान
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िवशाल की तलना म अ श का अ ाहार समझ लना ह हम दख सकत ह िक इसम नाम
क मनन का िज ह न िक कवल उसक उ ारण का और यही गाधीजी बार‐बार दोहरात
जात ह ldquoराम‐नाम दय स लना ह िसफ वाणी स नही राम‐नाम कवल बा ि या
नही ह वह अ ःशोधन का एक साधन हrdquo नाम‐िच न क इस सवमा म म उपिनषद
की यह स िस ाथना यी िछपी ई ह
असतो मा सद गमय
तमसो मा ोितर गमय
म ोर मा अमत गमय
‐जो असत वही सकिचत या अ ह जो सत वही इस म म िनिद भ र ह बाकी
दो ाथनाए तो कट की ह
lsquoनाम श का अथ
हम अपना मनन आग चलाय इसक पहल जरा यह भी दख ल िक नाम श का
अ राथ ा होता ह नाम श नम धात स बना ह िजसस न ता और नम ार सािधत
ह भ को नाम अस स स म ल जायगा इसक अ ल उस वह न बनायगा न ता क
िबना स शोधन नही होता इसिलए सार व ािनक न होत ह न ता क िबना िच शोधन नही
होता इसिलए सार आ ा क न होत ह बाप की वह अदभत ाथना ldquoह न ता क दव तरी
अपनी न ता त हम द rdquo यहा याद आय बगर नही रहती वह हम सबको म कहन जा रहा था
िन ात रणीय िक िन ‐िनर र रणीय ह न ता क उपासक ी िकशोरलालभाई
न िलखा था ldquoई र क िलए गाधीजी का यह स ोधन धािमक सािह म अनठा ह | उ ोन
ई र को चौदह भवनो क ामी गोलोक वक या बिह क िनवासी वगरह नही कहा पर
परम श िनरहकार का लौिकक भाषा म अनवाद कर न ता क दव कहाldquo िकशोरलालभाई
का यह कथन साधारणत ठीक ह लिकन जब हम नाम श का अ राथ भावाथ और
अनभवाथ दखत ह तो बाप क उस िवशषण को अनठा कस कह सकत ह
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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही
करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो
का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह
तत नम इ पासीत
न अ कामा
‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक
सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को
न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह
नम इत उ नम आ िववास
नमो दाधार पिथवी उत ाम
‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण
िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता
का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा
ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर
खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह
गौरिस ग त अ ो अ ायत भव
ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण
स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह
रहा ह
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२ ि िवध म या
एक आ ाियका
अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम
क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐
िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर
बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐
शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना
ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय
का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख
रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर
उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया
म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन
दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी
परम र का नाम अिमट रहगा
( १ ) भय‐म
इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म
२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत
पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म
व कहत ह
ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त
मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह
वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास
नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम
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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया
म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स
आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला
ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और
लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग
आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और
ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर
जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार
करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा
का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo
अभय‐ वतन
इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई
एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता
का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही
नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही
हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श
था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित
राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर
महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर
यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह
राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय
ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच
क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न
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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही
चािहए जो दय म म रखना चाहत
ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार
द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक
हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन
लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐
एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत
दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़
रखना चािहए
( २ ) िवकार‐म
ि िवध उपाय
अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण
साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को
जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष
कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना
क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत
ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ
करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता
ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय
ह
(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश
सवथा ाग करना
(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए
नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया
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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क
िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo
ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि
स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह
ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न
भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए
उसको उतना आधार दन की ldquo
िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान
की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला
ह व िलखत ह
ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता
ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर
म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह
पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग
रहत हldquo
यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब
िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल
िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध
भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर
नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना
चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा
उपाय बताया ह
(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम
कहत ह
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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा
सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह
नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा
करगldquo
तीनो का स प राम‐नाम
साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की
ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह
ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर
र ा तो राम‐नाम ही हldquo
िफर तौल सभालकर कहत ह
ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत
ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo
इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह
ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo
य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत
ह उस ो की क ना
( ३ ) रोग‐म
िवकार‐म का बा काश
अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह
उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय
का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह
सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह
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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐
पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo
िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म
रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐
म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग
हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा
दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह
ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo
मन की दबलता
अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह
ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया
यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ
ए व कभी न होतldquo
िफर दबारा िलखत ह
ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी
और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र
अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo
यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत
ह
ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर
िव ास क क पन की वजह स हldquo
______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम
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उनकी ा
उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली
बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी
काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम
मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय
उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी
थी और वह फौरन मर गल उतर गयी
गीता का आदश प ष
इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ
इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही
गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका
बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐
उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह
ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक
जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता
स हणीय ा
जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक
ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही
कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती
ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल
होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम
अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा
लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता
ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो
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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब
भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता
एक शा ीय ा ा द रही ह
जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash
यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब
करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न
आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी
ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा
लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ
िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म
उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह
आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी
न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह
गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस
व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो
यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा
लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक
इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह
इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह
थ क ल ण
इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण
आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण
गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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ldquoचारो वदो म अगर कोई सारभत स ह तो िशव भगवान का नाम हrdquo यह िसफ दसरो
की सा ी का या ा का िवषय नही ह वद य अपन बार म यही कहत ह
ॠचो अ र परम ोमन यस तत न वद िकम ॠचा क र ित
‐ldquoवद की सारी ॠचाए यान वद‐म एक अ र मmdashएक परम र नाम म जो िक दय
क परम आकाश म िछपा आ ह िबठाय ए ह उसको जो नही जानगा वह वद क म लकर
या करगा rdquo वह अ र lsquoॐʼ माना गया वही सबम रम‐रिहया राम ह |
गाधीजी स बार‐बार पछा गया ह िक त ारा राम कौन‐सा ह तो उ ोन इसी परम
रमणीय सवा यामी आ ाराम का िनदश िकया ह लोग पछत ह ldquo ा वह दशरथ‐न न ह
rdquo तो म जवाब दता िक दशरथ न अपन न न को िजसका नाम िदया था वही वह ह वह
िव ‐न न ह इसिलए दशरथ‐न न भी ह वह िव प ह िव ातीत ह
तका ण ज ज बोला त त साज या िव ला
तकाराम कहता ह ldquoिव ल क िलए जो भी बोल शोभता हldquo
एक दफा तकाराम को परम र पर ग ा आया तो वह ई र स कहन
लगा ldquoह ई र आज म तझ गािलया दता त गधा ह त क ा ह त भारवाही बल हrdquo या
िव क सह नाम ही िव क ह और य नाम िकसी दसर क ह िव ‐सह नाम म पहला
नाम ही lsquoिव म िदया ह सारा िव ह रनाम ह समझनवाल समझ ल
वद म परम र का lsquoचा ‐नाम गानवाल कई म ह लिकन उन सबम नीच का म भ ‐
जनो म िव त ह
मता अम त भ र नाम मनामह
िव ासो जातवदस
‐ ldquoपरम र हम मरण‐धम ह त अमत‐ प ह हम ान क उ क (िव ) ह त
जाननवाला ानमय ह हम (अ ) तर िवशाल नाम का मनन करत हrdquo म म भ र यान
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िवशाल की तलना म अ श का अ ाहार समझ लना ह हम दख सकत ह िक इसम नाम
क मनन का िज ह न िक कवल उसक उ ारण का और यही गाधीजी बार‐बार दोहरात
जात ह ldquoराम‐नाम दय स लना ह िसफ वाणी स नही राम‐नाम कवल बा ि या
नही ह वह अ ःशोधन का एक साधन हrdquo नाम‐िच न क इस सवमा म म उपिनषद
की यह स िस ाथना यी िछपी ई ह
असतो मा सद गमय
तमसो मा ोितर गमय
म ोर मा अमत गमय
‐जो असत वही सकिचत या अ ह जो सत वही इस म म िनिद भ र ह बाकी
दो ाथनाए तो कट की ह
lsquoनाम श का अथ
हम अपना मनन आग चलाय इसक पहल जरा यह भी दख ल िक नाम श का
अ राथ ा होता ह नाम श नम धात स बना ह िजसस न ता और नम ार सािधत
ह भ को नाम अस स स म ल जायगा इसक अ ल उस वह न बनायगा न ता क
िबना स शोधन नही होता इसिलए सार व ािनक न होत ह न ता क िबना िच शोधन नही
होता इसिलए सार आ ा क न होत ह बाप की वह अदभत ाथना ldquoह न ता क दव तरी
अपनी न ता त हम द rdquo यहा याद आय बगर नही रहती वह हम सबको म कहन जा रहा था
िन ात रणीय िक िन ‐िनर र रणीय ह न ता क उपासक ी िकशोरलालभाई
न िलखा था ldquoई र क िलए गाधीजी का यह स ोधन धािमक सािह म अनठा ह | उ ोन
ई र को चौदह भवनो क ामी गोलोक वक या बिह क िनवासी वगरह नही कहा पर
परम श िनरहकार का लौिकक भाषा म अनवाद कर न ता क दव कहाldquo िकशोरलालभाई
का यह कथन साधारणत ठीक ह लिकन जब हम नाम श का अ राथ भावाथ और
अनभवाथ दखत ह तो बाप क उस िवशषण को अनठा कस कह सकत ह
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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही
करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो
का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह
तत नम इ पासीत
न अ कामा
‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक
सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को
न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह
नम इत उ नम आ िववास
नमो दाधार पिथवी उत ाम
‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण
िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता
का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा
ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर
खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह
गौरिस ग त अ ो अ ायत भव
ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण
स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह
रहा ह
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२ ि िवध म या
एक आ ाियका
अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम
क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐
िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर
बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐
शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना
ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय
का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख
रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर
उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया
म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन
दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी
परम र का नाम अिमट रहगा
( १ ) भय‐म
इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म
२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत
पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म
व कहत ह
ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त
मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह
वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास
नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम
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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया
म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स
आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला
ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और
लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग
आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और
ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर
जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार
करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा
का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo
अभय‐ वतन
इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई
एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता
का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही
नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही
हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श
था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित
राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर
महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर
यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह
राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय
ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच
क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न
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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही
चािहए जो दय म म रखना चाहत
ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार
द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक
हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन
लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐
एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत
दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़
रखना चािहए
( २ ) िवकार‐म
ि िवध उपाय
अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण
साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को
जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष
कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना
क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत
ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ
करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता
ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय
ह
(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश
सवथा ाग करना
(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए
नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया
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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क
िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo
ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि
स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह
ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न
भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए
उसको उतना आधार दन की ldquo
िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान
की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला
ह व िलखत ह
ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता
ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर
म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह
पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग
रहत हldquo
यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब
िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल
िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध
भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर
नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना
चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा
उपाय बताया ह
(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम
कहत ह
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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा
सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह
नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा
करगldquo
तीनो का स प राम‐नाम
साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की
ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह
ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर
र ा तो राम‐नाम ही हldquo
िफर तौल सभालकर कहत ह
ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत
ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo
इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह
ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo
य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत
ह उस ो की क ना
( ३ ) रोग‐म
िवकार‐म का बा काश
अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह
उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय
का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह
सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह
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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐
पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo
िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म
रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐
म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग
हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा
दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह
ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo
मन की दबलता
अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह
ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया
यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ
ए व कभी न होतldquo
िफर दबारा िलखत ह
ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी
और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र
अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo
यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत
ह
ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर
िव ास क क पन की वजह स हldquo
______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम
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उनकी ा
उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली
बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी
काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम
मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय
उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी
थी और वह फौरन मर गल उतर गयी
गीता का आदश प ष
इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ
इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही
गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका
बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐
उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह
ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक
जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता
स हणीय ा
जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक
ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही
कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती
ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल
होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम
अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा
लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता
ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो
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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब
भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता
एक शा ीय ा ा द रही ह
जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash
यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब
करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न
आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी
ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा
लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ
िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म
उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह
आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी
न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह
गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस
व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो
यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा
लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक
इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह
इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह
थ क ल ण
इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण
आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण
गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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िवशाल की तलना म अ श का अ ाहार समझ लना ह हम दख सकत ह िक इसम नाम
क मनन का िज ह न िक कवल उसक उ ारण का और यही गाधीजी बार‐बार दोहरात
जात ह ldquoराम‐नाम दय स लना ह िसफ वाणी स नही राम‐नाम कवल बा ि या
नही ह वह अ ःशोधन का एक साधन हrdquo नाम‐िच न क इस सवमा म म उपिनषद
की यह स िस ाथना यी िछपी ई ह
असतो मा सद गमय
तमसो मा ोितर गमय
म ोर मा अमत गमय
‐जो असत वही सकिचत या अ ह जो सत वही इस म म िनिद भ र ह बाकी
दो ाथनाए तो कट की ह
lsquoनाम श का अथ
हम अपना मनन आग चलाय इसक पहल जरा यह भी दख ल िक नाम श का
अ राथ ा होता ह नाम श नम धात स बना ह िजसस न ता और नम ार सािधत
ह भ को नाम अस स स म ल जायगा इसक अ ल उस वह न बनायगा न ता क
िबना स शोधन नही होता इसिलए सार व ािनक न होत ह न ता क िबना िच शोधन नही
होता इसिलए सार आ ा क न होत ह बाप की वह अदभत ाथना ldquoह न ता क दव तरी
अपनी न ता त हम द rdquo यहा याद आय बगर नही रहती वह हम सबको म कहन जा रहा था
िन ात रणीय िक िन ‐िनर र रणीय ह न ता क उपासक ी िकशोरलालभाई
न िलखा था ldquoई र क िलए गाधीजी का यह स ोधन धािमक सािह म अनठा ह | उ ोन
ई र को चौदह भवनो क ामी गोलोक वक या बिह क िनवासी वगरह नही कहा पर
परम श िनरहकार का लौिकक भाषा म अनवाद कर न ता क दव कहाldquo िकशोरलालभाई
का यह कथन साधारणत ठीक ह लिकन जब हम नाम श का अ राथ भावाथ और
अनभवाथ दखत ह तो बाप क उस िवशषण को अनठा कस कह सकत ह
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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही
करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो
का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह
तत नम इ पासीत
न अ कामा
‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक
सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को
न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह
नम इत उ नम आ िववास
नमो दाधार पिथवी उत ाम
‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण
िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता
का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा
ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर
खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह
गौरिस ग त अ ो अ ायत भव
ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण
स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह
रहा ह
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२ ि िवध म या
एक आ ाियका
अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम
क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐
िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर
बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐
शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना
ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय
का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख
रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर
उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया
म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन
दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी
परम र का नाम अिमट रहगा
( १ ) भय‐म
इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म
२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत
पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म
व कहत ह
ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त
मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह
वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास
नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम
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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया
म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स
आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला
ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और
लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग
आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और
ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर
जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार
करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा
का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo
अभय‐ वतन
इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई
एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता
का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही
नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही
हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श
था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित
राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर
महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर
यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह
राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय
ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच
क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न
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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही
चािहए जो दय म म रखना चाहत
ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार
द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक
हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन
लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐
एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत
दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़
रखना चािहए
( २ ) िवकार‐म
ि िवध उपाय
अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण
साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को
जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष
कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना
क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत
ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ
करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता
ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय
ह
(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश
सवथा ाग करना
(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए
नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया
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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क
िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo
ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि
स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह
ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न
भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए
उसको उतना आधार दन की ldquo
िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान
की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला
ह व िलखत ह
ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता
ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर
म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह
पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग
रहत हldquo
यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब
िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल
िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध
भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर
नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना
चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा
उपाय बताया ह
(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम
कहत ह
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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा
सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह
नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा
करगldquo
तीनो का स प राम‐नाम
साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की
ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह
ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर
र ा तो राम‐नाम ही हldquo
िफर तौल सभालकर कहत ह
ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत
ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo
इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह
ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo
य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत
ह उस ो की क ना
( ३ ) रोग‐म
िवकार‐म का बा काश
अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह
उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय
का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह
सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह
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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐
पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo
िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म
रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐
म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग
हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा
दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह
ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo
मन की दबलता
अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह
ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया
यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ
ए व कभी न होतldquo
िफर दबारा िलखत ह
ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी
और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र
अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo
यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत
ह
ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर
िव ास क क पन की वजह स हldquo
______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम
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उनकी ा
उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली
बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी
काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम
मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय
उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी
थी और वह फौरन मर गल उतर गयी
गीता का आदश प ष
इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ
इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही
गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका
बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐
उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह
ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक
जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता
स हणीय ा
जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक
ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही
कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती
ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल
होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम
अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा
लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता
ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो
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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब
भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता
एक शा ीय ा ा द रही ह
जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash
यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब
करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न
आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी
ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा
लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ
िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म
उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह
आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी
न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह
गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस
व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो
यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा
लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक
इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह
इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह
थ क ल ण
इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण
आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण
गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही
करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो
का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह
तत नम इ पासीत
न अ कामा
‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक
सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को
न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह
नम इत उ नम आ िववास
नमो दाधार पिथवी उत ाम
‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण
िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता
का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा
ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर
खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह
गौरिस ग त अ ो अ ायत भव
ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण
स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह
रहा ह
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२ ि िवध म या
एक आ ाियका
अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम
क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐
िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर
बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐
शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना
ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय
का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख
रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर
उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया
म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन
दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी
परम र का नाम अिमट रहगा
( १ ) भय‐म
इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म
२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत
पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म
व कहत ह
ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त
मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह
वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास
नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम
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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया
म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स
आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला
ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और
लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग
आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और
ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर
जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार
करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा
का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo
अभय‐ वतन
इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई
एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता
का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही
नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही
हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श
था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित
राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर
महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर
यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह
राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय
ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच
क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न
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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही
चािहए जो दय म म रखना चाहत
ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार
द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक
हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन
लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐
एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत
दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़
रखना चािहए
( २ ) िवकार‐म
ि िवध उपाय
अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण
साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को
जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष
कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना
क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत
ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ
करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता
ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय
ह
(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश
सवथा ाग करना
(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए
नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया
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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क
िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo
ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि
स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह
ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न
भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए
उसको उतना आधार दन की ldquo
िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान
की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला
ह व िलखत ह
ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता
ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर
म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह
पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग
रहत हldquo
यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब
िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल
िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध
भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर
नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना
चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा
उपाय बताया ह
(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम
कहत ह
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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा
सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह
नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा
करगldquo
तीनो का स प राम‐नाम
साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की
ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह
ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर
र ा तो राम‐नाम ही हldquo
िफर तौल सभालकर कहत ह
ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत
ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo
इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह
ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo
य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत
ह उस ो की क ना
( ३ ) रोग‐म
िवकार‐म का बा काश
अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह
उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय
का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह
सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह
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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐
पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo
िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म
रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐
म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग
हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा
दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह
ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo
मन की दबलता
अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह
ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया
यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ
ए व कभी न होतldquo
िफर दबारा िलखत ह
ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी
और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र
अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo
यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत
ह
ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर
िव ास क क पन की वजह स हldquo
______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम
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उनकी ा
उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली
बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी
काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम
मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय
उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी
थी और वह फौरन मर गल उतर गयी
गीता का आदश प ष
इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ
इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही
गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका
बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐
उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह
ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक
जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता
स हणीय ा
जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक
ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही
कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती
ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल
होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम
अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा
लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता
ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो
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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब
भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता
एक शा ीय ा ा द रही ह
जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash
यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब
करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न
आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी
ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा
लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ
िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म
उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह
आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी
न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह
गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस
व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो
यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा
लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक
इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह
इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह
थ क ल ण
इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण
आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण
गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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२ ि िवध म या
एक आ ाियका
अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम
क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐
िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर
बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐
शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना
ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय
का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख
रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर
उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया
म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन
दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी
परम र का नाम अिमट रहगा
( १ ) भय‐म
इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म
२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत
पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म
व कहत ह
ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त
मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह
वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास
नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम
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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया
म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स
आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला
ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और
लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग
आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और
ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर
जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार
करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा
का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo
अभय‐ वतन
इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई
एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता
का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही
नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही
हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श
था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित
राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर
महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर
यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह
राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय
ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच
क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न
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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही
चािहए जो दय म म रखना चाहत
ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार
द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक
हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन
लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐
एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत
दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़
रखना चािहए
( २ ) िवकार‐म
ि िवध उपाय
अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण
साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को
जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष
कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना
क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत
ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ
करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता
ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय
ह
(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश
सवथा ाग करना
(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए
नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया
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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क
िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo
ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि
स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह
ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न
भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए
उसको उतना आधार दन की ldquo
िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान
की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला
ह व िलखत ह
ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता
ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर
म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह
पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग
रहत हldquo
यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब
िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल
िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध
भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर
नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना
चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा
उपाय बताया ह
(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम
कहत ह
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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा
सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह
नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा
करगldquo
तीनो का स प राम‐नाम
साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की
ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह
ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर
र ा तो राम‐नाम ही हldquo
िफर तौल सभालकर कहत ह
ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत
ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo
इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह
ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo
य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत
ह उस ो की क ना
( ३ ) रोग‐म
िवकार‐म का बा काश
अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह
उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय
का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह
सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह
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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐
पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo
िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म
रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐
म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग
हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा
दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह
ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo
मन की दबलता
अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह
ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया
यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ
ए व कभी न होतldquo
िफर दबारा िलखत ह
ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी
और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र
अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo
यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत
ह
ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर
िव ास क क पन की वजह स हldquo
______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम
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उनकी ा
उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली
बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी
काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम
मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय
उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी
थी और वह फौरन मर गल उतर गयी
गीता का आदश प ष
इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ
इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही
गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका
बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐
उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह
ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक
जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता
स हणीय ा
जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक
ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही
कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती
ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल
होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम
अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा
लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता
ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो
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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब
भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता
एक शा ीय ा ा द रही ह
जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash
यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब
करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न
आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी
ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा
लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ
िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म
उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह
आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी
न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह
गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस
व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो
यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा
लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक
इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह
इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह
थ क ल ण
इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण
आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण
गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया
म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स
आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला
ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और
लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग
आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और
ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर
जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार
करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा
का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo
अभय‐ वतन
इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई
एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता
का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही
नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही
हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श
था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित
राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर
महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर
यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह
राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय
ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच
क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न
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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही
चािहए जो दय म म रखना चाहत
ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार
द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक
हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन
लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐
एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत
दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़
रखना चािहए
( २ ) िवकार‐म
ि िवध उपाय
अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण
साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को
जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष
कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना
क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत
ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ
करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता
ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय
ह
(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश
सवथा ाग करना
(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए
नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया
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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क
िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo
ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि
स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह
ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न
भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए
उसको उतना आधार दन की ldquo
िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान
की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला
ह व िलखत ह
ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता
ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर
म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह
पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग
रहत हldquo
यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब
िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल
िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध
भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर
नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना
चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा
उपाय बताया ह
(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम
कहत ह
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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा
सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह
नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा
करगldquo
तीनो का स प राम‐नाम
साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की
ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह
ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर
र ा तो राम‐नाम ही हldquo
िफर तौल सभालकर कहत ह
ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत
ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo
इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह
ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo
य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत
ह उस ो की क ना
( ३ ) रोग‐म
िवकार‐म का बा काश
अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह
उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय
का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह
सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह
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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐
पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo
िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म
रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐
म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग
हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा
दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह
ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo
मन की दबलता
अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह
ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया
यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ
ए व कभी न होतldquo
िफर दबारा िलखत ह
ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी
और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र
अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo
यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत
ह
ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर
िव ास क क पन की वजह स हldquo
______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम
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उनकी ा
उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली
बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी
काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम
मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय
उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी
थी और वह फौरन मर गल उतर गयी
गीता का आदश प ष
इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ
इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही
गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका
बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐
उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह
ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक
जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता
स हणीय ा
जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक
ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही
कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती
ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल
होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम
अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा
लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता
ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो
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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब
भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता
एक शा ीय ा ा द रही ह
जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash
यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब
करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न
आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी
ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा
लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ
िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म
उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह
आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी
न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह
गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस
व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो
यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा
लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक
इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह
इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह
थ क ल ण
इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण
आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण
गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही
चािहए जो दय म म रखना चाहत
ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार
द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक
हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन
लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐
एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत
दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़
रखना चािहए
( २ ) िवकार‐म
ि िवध उपाय
अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण
साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को
जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष
कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना
क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत
ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ
करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता
ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय
ह
(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश
सवथा ाग करना
(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए
नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया
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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क
िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo
ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि
स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह
ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न
भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए
उसको उतना आधार दन की ldquo
िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान
की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला
ह व िलखत ह
ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता
ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर
म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह
पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग
रहत हldquo
यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब
िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल
िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध
भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर
नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना
चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा
उपाय बताया ह
(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम
कहत ह
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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा
सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह
नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा
करगldquo
तीनो का स प राम‐नाम
साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की
ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह
ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर
र ा तो राम‐नाम ही हldquo
िफर तौल सभालकर कहत ह
ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत
ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo
इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह
ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo
य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत
ह उस ो की क ना
( ३ ) रोग‐म
िवकार‐म का बा काश
अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह
उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय
का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह
सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह
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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐
पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo
िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म
रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐
म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग
हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा
दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह
ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo
मन की दबलता
अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह
ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया
यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ
ए व कभी न होतldquo
िफर दबारा िलखत ह
ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी
और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र
अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo
यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत
ह
ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर
िव ास क क पन की वजह स हldquo
______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम
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उनकी ा
उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली
बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी
काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम
मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय
उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी
थी और वह फौरन मर गल उतर गयी
गीता का आदश प ष
इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ
इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही
गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका
बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐
उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह
ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक
जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता
स हणीय ा
जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक
ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही
कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती
ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल
होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम
अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा
लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता
ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो
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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब
भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता
एक शा ीय ा ा द रही ह
जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash
यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब
करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न
आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी
ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा
लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ
िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म
उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह
आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी
न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह
गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस
व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो
यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा
लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक
इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह
इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह
थ क ल ण
इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण
आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण
गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क
िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo
ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि
स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह
ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न
भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए
उसको उतना आधार दन की ldquo
िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान
की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला
ह व िलखत ह
ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता
ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर
म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह
पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग
रहत हldquo
यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब
िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल
िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध
भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर
नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना
चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा
उपाय बताया ह
(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम
कहत ह
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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा
सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह
नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा
करगldquo
तीनो का स प राम‐नाम
साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की
ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह
ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर
र ा तो राम‐नाम ही हldquo
िफर तौल सभालकर कहत ह
ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत
ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo
इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह
ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo
य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत
ह उस ो की क ना
( ३ ) रोग‐म
िवकार‐म का बा काश
अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह
उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय
का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह
सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह
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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐
पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo
िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म
रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐
म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग
हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा
दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह
ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo
मन की दबलता
अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह
ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया
यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ
ए व कभी न होतldquo
िफर दबारा िलखत ह
ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी
और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र
अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo
यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत
ह
ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर
िव ास क क पन की वजह स हldquo
______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम
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उनकी ा
उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली
बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी
काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम
मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय
उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी
थी और वह फौरन मर गल उतर गयी
गीता का आदश प ष
इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ
इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही
गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका
बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐
उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह
ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक
जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता
स हणीय ा
जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक
ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही
कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती
ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल
होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम
अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा
लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता
ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो
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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब
भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता
एक शा ीय ा ा द रही ह
जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash
यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब
करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न
आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी
ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा
लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ
िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म
उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह
आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी
न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह
गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस
व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो
यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा
लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक
इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह
इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह
थ क ल ण
इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण
आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण
गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा
सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह
नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा
करगldquo
तीनो का स प राम‐नाम
साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की
ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह
ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर
र ा तो राम‐नाम ही हldquo
िफर तौल सभालकर कहत ह
ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत
ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo
इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह
ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo
य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत
ह उस ो की क ना
( ३ ) रोग‐म
िवकार‐म का बा काश
अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह
उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय
का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह
सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह
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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐
पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo
िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म
रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐
म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग
हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा
दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह
ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo
मन की दबलता
अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह
ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया
यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ
ए व कभी न होतldquo
िफर दबारा िलखत ह
ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी
और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र
अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo
यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत
ह
ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर
िव ास क क पन की वजह स हldquo
______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम
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उनकी ा
उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली
बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी
काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम
मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय
उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी
थी और वह फौरन मर गल उतर गयी
गीता का आदश प ष
इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ
इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही
गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका
बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐
उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह
ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक
जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता
स हणीय ा
जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक
ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही
कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती
ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल
होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम
अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा
लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता
ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो
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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब
भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता
एक शा ीय ा ा द रही ह
जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash
यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब
करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न
आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी
ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा
लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ
िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म
उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह
आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी
न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह
गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस
व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो
यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा
लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक
इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह
इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह
थ क ल ण
इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण
आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण
गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐
पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo
िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म
रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐
म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग
हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा
दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह
ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo
मन की दबलता
अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह
ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया
यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ
ए व कभी न होतldquo
िफर दबारा िलखत ह
ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी
और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र
अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo
यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत
ह
ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर
िव ास क क पन की वजह स हldquo
______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम
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उनकी ा
उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली
बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी
काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम
मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय
उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी
थी और वह फौरन मर गल उतर गयी
गीता का आदश प ष
इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ
इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही
गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका
बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐
उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह
ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक
जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता
स हणीय ा
जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक
ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही
कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती
ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल
होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम
अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा
लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता
ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो
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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब
भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता
एक शा ीय ा ा द रही ह
जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash
यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब
करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न
आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी
ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा
लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ
िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म
उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह
आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी
न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह
गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस
व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो
यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा
लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक
इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह
इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह
थ क ल ण
इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण
आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण
गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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उनकी ा
उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली
बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी
काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम
मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय
उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी
थी और वह फौरन मर गल उतर गयी
गीता का आदश प ष
इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ
इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही
गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका
बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐
उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह
ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक
जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता
स हणीय ा
जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक
ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही
कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती
ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल
होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम
अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा
लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता
ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो
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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब
भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता
एक शा ीय ा ा द रही ह
जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash
यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब
करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न
आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी
ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा
लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ
िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म
उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह
आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी
न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह
गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस
व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो
यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा
लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक
इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह
इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह
थ क ल ण
इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण
आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण
गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब
भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता
एक शा ीय ा ा द रही ह
जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash
यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब
करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न
आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी
ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा
लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ
िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म
उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह
आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी
न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह
गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस
व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो
यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा
लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक
इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह
इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह
थ क ल ण
इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण
आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण
गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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एक िवशष भाव
लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस
प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह
ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा
िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक
शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता
इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत
ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo
यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक
करन का य िकया ह
ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो
शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह
उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय
ऊ गामी बनता हrdquo
िद पा र
ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका
सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म
पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी
िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म
सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म
बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह
िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण
कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo
यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार
म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा
योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और
बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह
इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह
ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप
हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र
आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo
राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक
पयायमा ह
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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३ राम‐नाम का उपचार
ावहा रक िविनयोग
इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐
नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक
िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐
म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब
हम दखग
मलायम भिमका
जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ
मलायम हो गयी ह व िलखत ह
ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी
होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी
उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम
नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता
और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo
तीन िवचार
अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह
१ भ को बीमारी नही होगी
२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा
३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा
इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता
का सौ पा र ह
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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इलाज स भी बड़ा चम ार
उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा
ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह
जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का
चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान
की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ
िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को
िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo
ब वादी का समाधान
राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह
बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट
उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक
चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास
न मानत लिकन इसी कारण
यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह
साधना की िनशानी
साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम
नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा
गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को
म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो
जाता ह एक जगह व िलखत ह
ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना
की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती
नहीldquo
दसरी जगह एक प म व िलखत ह
ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना
भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo
एक तीसरी जगह िलखत ह
ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही
की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo
यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क
नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम
का उपचार म ह
उपचार क तीन स
बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार
म तीन स ो म रखगा
१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी
सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह
२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए
मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा
छोड़नी होगी
३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स
डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए
इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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िबखरी ई सचनाए
अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए
ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo
ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo
ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo
ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा
ही जायldquo
ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo
ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका
िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo
जीवन‐चया
इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह
(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और
िनराहार
(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता
(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन
(ई) यो प र म और िव ाम की व था
(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स
परम र का िनर र रण करना
यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह
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४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg
४ ि िवध िच ा
व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क
प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर
लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन
इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग
पहली िच ा सकामता
पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह
ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना
चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए
इसका जप होता आ हमन दखा हldquo
कथन क दो कार
भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न
िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक
ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो
सननवाल म कछ अ मान लता ह
गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह
रहा ह
िन ाम ई र‐भ
यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ
ान म लकर पाठक मझ माफ करग
गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज
ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन
म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व
एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही
आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही
ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही
ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन
म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो
और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह
सकाम दवता‐भ
गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता
नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज
उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह
जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत
हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल
ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक
भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का
नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह
ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला
िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय
क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या
मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो
ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐
श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी
एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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का कमणा िस यज इह दवता
‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता
न यह िवचार िवशद िकया ह
राम‐नाम दिषत होगा
राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए
फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह
रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो
सवथा यो ही ह
एकाितक अथ न कर
लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम
लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी
म शा हो सकती ह
मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और
डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय
व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया
और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और
भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए
तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo
मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo
उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo
मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह
लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा
ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही
िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक
मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह
एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार
बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को
यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह
भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी
िभ ह
पाव थान कामना नही
यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको
अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी
रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए
रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ
पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी
चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या
शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की
िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त
ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको
नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार
स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा
कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह
दसरी िच ा वहम का डर
यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही
दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा
ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात
आप कर रह ह rdquo
ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ
होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक
इस बात पर रोशनी डािलयrdquo
कदरत की करतत
बाप इसका जवाब दत ह
ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की
उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी
अ ा कर दती हrdquo
तलना क िलए दो की ज रत
यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन
स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम
उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल
ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब
दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo
श िवचार का आरो पर भाव
आग बाप िलखत ह
ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म
ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा
हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ
क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो
सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल
ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo
जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह
गिणत का स
दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह
ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या
फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo
सा शा
मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क
दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़
िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन
िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा
ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क
हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग
दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान
ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )
ना कता क ल ण
लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म
करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक
करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क
उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस
कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली
म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का
यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही
सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क
योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य
जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर
िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क
बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह
बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क
म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई
ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo
इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म
राम‐नाम क चार स डरता rdquo
राम‐नाम की मयादा
िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह
ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही
ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान
और हलका बन जाता हrdquo
ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत
क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय
हrdquo
ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी
कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
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- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम
लना बकार हrdquo
ईसाई‐िव ान
पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक
ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप
ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत
ह
ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह
मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान
सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक
मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo
यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास
की तरफ ह
लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह
उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह
ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान
राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo
मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क
ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo
राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह
की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ
अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन
यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण
िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार
का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको
दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और
इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर
इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की
आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार
यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम
नही ह
आ ‐ य की पराका ा
इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस
नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की
िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार
िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और
लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर
िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म
ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और
तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा
जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और
दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह
िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को
हम िछपा नही सकत |rdquo
ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह
यह उ ोन इस तरह कट िकया ह
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत
राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐
नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo
साधना का िवधायक प
आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को
जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन
सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था
आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह
इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो
क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को
दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह
आ ‐शोधन की ि या
साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐
दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की
तीसरी िच ा मौ खकता
तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम
कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी
आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र
और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो
मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash
र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए
राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक
िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg
की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg
‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी
आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता
नामो ारण का त वाद
कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही
होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता
ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क
उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना
ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही
नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा
पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़
जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या
ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह
तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी
एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह
बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस
होगा
ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह
ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए
िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी
चािहएldquo
सब धम म धम
lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत
ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन
महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg
की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर
नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का
िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह
सवागमानामा आचार थम प रक त
आचार भवो धम धम मर त
सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी
परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क
िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा
धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन
जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह
वन नाम सह ण प ष सततो त
‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo
उ ारणवाद का सार हण
लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन
तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा
उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान
पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन
स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार
क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद
िकया हः
रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार
lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार
इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल
िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय
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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg
की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg
‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg
ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म
कोई खास िवशषता ह
उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई
जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह
स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट
मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या
कस यह जानना आव क नही
एक और वचन जो इसस भी अिधक ह
ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय
तक उतर आयगाldquo
तकाराम न यही कहा था
नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो
‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक
काला र म वह अपना काम कर लगा
उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की
मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही
कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह
राम‐नाम की गाड़ी
साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ
टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐
नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह
ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार
नही ह
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg
की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg
‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
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- राम‐नाम एक चिनतन13
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- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
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५ नाम‐साफ
व ािनको की आका ा
लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा
सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी
एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग
मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न
प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया
ह बाप िलखत ह
ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का
जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब
मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo
श स पर
lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई
िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम
दो नाम य िदय ह
श ाितग श सह
ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की
ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी
ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही
ठीक नही
बाप उ र दत ह
ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए
तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
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- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
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क र कितवाद
लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम
समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित
करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह
लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही
अपन मन म अिधक कर ल
कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही
ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म
ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त
दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क
दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक
कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क
बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह
त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही
मो दायक ह
जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र
होत ह वस ही यह भी क र ह
ऊची उड़ान
बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह
ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी
बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय
ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह
वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg
की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg
‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
- Cover Page13
- राम‐नाम एक चिनतन13
-
- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
- Back-cover13
-
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय
म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo
आग कहत ह
ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही
ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी
तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद
अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता
लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo
त ीर स ास की
इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम
कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश
िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह
ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर
दती हrdquo
यहा हम स ास क करीब प च चक ह
स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी
गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही
ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत
रह
ि यातीत श
स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन
ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही
ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
‐ गाधीजी
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- परसतावना13
- मरा राम कौन
- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह
जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती
ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव
का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन
पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती
ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम
म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और
न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब
योग साध िलया सब काम कर िलया
स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत
कतक ता
शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन
होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह
अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन
कतक ता चित
ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐
कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo
यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह
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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार
कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
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- अनकरम13
- १ अनतरग-परवश13
- २ तरिविध मकतिया13
- ३ राम‐नाम का उपचार
- ४ तरिविध चिनता13
- ५ नाम-साफलय13
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कर मन को अव ही िनिवकार करता ह
‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल
द
‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र
उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह
‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह
‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क
िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय
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