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पपपपपप ------ पपप -2 आआआआआआ आआआआ आआआआआआआआआआ आआआआआआ आआ 108 आआआ पपपपप पपप पपपप पप, पपपपपपपप पप पपपपपपप पपपप पपपपपप पप, पपपपपपपपप पप पपपप ||1|| पपपपप पपपपपपपप, पपपपप पपप पपप पपपपपपपपपप पपपपपपपपप पप, पपप पपपपपप पप पपपप ||2|| पप पपपपप पपप पप पप, पपपपपपपप पपपपपप पपपपप पपपप पपपपपप पप, पप पप पपपपप पपप पप ||3|| पपपप पपप पपपपपपपप पपप, पपपप पपपप पपप पपपपपपपपपप पपप पपपप, पपप पपप पपपपपपपप ||4|| पपपप पपप पपपपपपप, पपपप पपप पपपप पपपपपपप पपपपपपपप पपप, पपपप पपपपपप पपपपपपपप ||5|| पपप पपप पपपपपप पप, पपप पपपप पप पपपपपपपपपप पपपपप पपप पपपप, पपपप पपपपपपप पपप पपपप ||6|| पपपप पपपप पपपपप पप, पपपपप पपपपप पपप पपपपपपपपप पपपप पपपपप पप, पपपपपपपप पपप पपपप ||7|| पपपपप पपप पपपपप, पपपपपपप पपप पपपपपपपपपप पपपपप पपपप पपप, पपपपपपप पपप पपपप ||8|| पपपप पपपप पपप पपपपप, पपपप पपपपपपपप पपप पपपपपप पप पपपप पपपप, पपपप पपपपपप पपपपप पप ||9|| पपप पप पपप पपप पपपपप, पपपप पप पप पपप पपपपपपप पपपपप पपप पपपप, पपपप पपपपप पप पपप ||10|| पपपप पप पप पपपप पप पप, पपपप पपपपप पपपपपप पपपपपप पप पपपपपपपपप पप, पपप पपपपपप पपपपप पप ||11|| पपपप पपपपपप पपपपप पप, पपप पपपपपप पपपप पपपपपपप पपपपपप पपपपप पप, पपपप पपपपप पपपपप पप ||12|| पपपप पपपप पपपप पपप, पपपप पपप पपपप पपपपपपपपप पपप पप पप, पपपप, पपपपप पप पपप ||13|| पपपपपपपपपप पपप पपपपप, पपपपपपपपप पप पपपपपपपप पप

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पजाए ------ भाग -2 आचारय शरी विदयासागर महाराज क 108 नाम अधरम13 रमल धोन को धरम13सागर ह गररमीन सरमान जञानी को जञानसागर ह गर ||1||आचारण रमहाशदध सवय सदा कर गरकरवात सशिशषयो स अतः आचाय13 ह गर ||2||आज ससार रम य ही पररमातरमा सवरप हशीत बाधा मिरमटान को य ही परखर धप ह ||3||करत यतित सवातरमा रम यात गर रह यतितरमहावरत सदा पाल अतः रह रमहावरती ||4||करन भद तिवजञान गर हस सरमान हगर चिचतारमणी पाय मिरमल चिचतितत वसतय ||5||कर शरमन अकषो का अतः शकर ह गरबरहम जञान सदा दत यात बरहमा रह गर ||6||करम13 लोहा गलान को धयान अगनि=न रह गरजञान अनन पचान को जठरागनि=न रह गर ||7||कारमना कर पण13 कारमधन अतः गरकलपिAपत वसत दत ह कAपतर अतः गर ||8||कद कद रमयी पषप गर आधयातरम बाग रमअतः हरम नरम भौर पान सगनद जञान य ||9||खद की खोज कर तिनतय खदा भी य रह अतःइषठ वसत सदा दत गर ईशवर भी अतः ||10||गर की ही कपा स तो खल भा=य सभवय कयात स भा=यदाता तो रह सगर तिवशव क ||11||गर चनदर लखग तो बढ सरमदर हरष13 हधरमN तिनध13न जीवो को गर अकषय तिवतत ह ||12||गर दत तिबना दारम अरमोल गण रतन हीरतनाकर अतः य ही रमानो ससार रम सही ||13||गररमदरा रह धयय धयातिनयो को सवधयान कोपजयपाद गर क ही पजनारथ13 रमनषय को ||14||

गर सरमान कोइ नहीनही रमहान आतरमायात तिSलोक रम य ही रह सही रमहातरमा ||15||गह तयाग तिकय यात अनगारी रह गरपाप करम13 कलको स अकलक रह गर ||16||घन बादल जस ह भवय-रमानव रमोर कोदीप सतमभ भवाबधी रमगर तिनगनिखल तिवशव को ||17||चीटी सवरप भकतो को गर गड सरमान हआतरम धयान लगान रम रमहारमर सरमान ह ||18||जञान-पदम गनिखलान को पदमबनध सरमानहफोडन करम13 पहाड को गर रमहान वजर ह ||19||तार जस सशिशषयो रम गर ही शभचनदर हसभी रमतिन सदा वद यात ही रमतिननदर ह ||20||तीरथ13 याSारथ13 भवयो को गर ही सब तीरथ13 हधरम13हीन अनारथो को गर ही तो सनारथ ह ||21||दःखी ससार रम रमाS सरमतभदर ह गरशिशषयो क तो सदा पास वरत रप रह गर ||22||धरा जस कषरमा धार अतः गर धरा रहमिरमथया तरम तिवनाशारथ13 जञान-भान गर रह ||23||धरम13 रतिहत अनधो को धरम13 आख रह गरपाप कीचड धोन को समयक नीर रह गर ||24||पचाचार रमयी तिनतय पचागनि=न कर तपयात तापस य ही ह इनही का ही कर जप ||25||पढन भवय जीवो को गर खली तिकताब हभकत रपी सभौरो को गर खला गलाब ह ||26||पढन तिनतय शिशषयो को अतः पाठक भी रहपाप तिपणड कर नाश यात पलपिणडत भी रह ||27||परिरगरह रमहापाप ऐस गर तिवचार कपण13 तयाग तिकय यात य अपरिरगरही रह ||28||पाS सव13 तज यात पाणी-पाS गर रहतज यान पदSाण पदयाSी अतः रह ||29||तिपता तAय सशिशषयो को पाल यात तिपता रहसभी कतिव इनह पजत यात कवीनदर य रह ||30||

पणयोदय तिनतिनततारथ13 गर दश13न ही रहयात सपणयदाता तो रमाS सगर ही रह ||31||पजत चकरवतN भी चकरवतN अतः यहीवर भाव नही राख वरागी भी सही यही ||32||तिबना रमाग सदा दत पररमारथ13 धरोहरअकारण जगत बनध रह यात गरवर ||33||भवय चातक जीवो को रमघ धारा रह गरतयाग धरम13 रह पास यात तयागी रह गर ||34||भवय सवण13सरमा होता गर पारस पाद सपापी भी बनता ईश सगर नारम रमS स ||35||भवयो को गर नौका ह भव सरमदर तरनरमोकष रमाग13 बटोही को गर पारथय स बन ||36||भवयो को तिनज आतरमा का दिदवय सवरप दखनगर तिनरम13ल आदश13 आतरम रप दिदखावन ||37||भा=य उदय आन रम गर कपा जरर हभा=योदय अतः रमानो तिनःसनदह गर रह ||38||भद तिवजञान तिवदया को पान वाल सतिवजञ कोरमाS सचच गरदव तिवदयासागर ही अहो ||39||रमन को गर जीत ह रमनसवी भी रह अतःपण13 यश तिकय परापत यशसवी भी रह अतः ||40||रमाता सरमान शिशषयो प रमरमता तिनतय ही करअतः रमाता रह य ही रमरमता अरमत स भर ||41||मिरमट दग13ण दग13नध गर सगनध-इS सकरम13 सप13 भगान को गर गारड रमS स ||42||रमोकष भिभकषा सदा रमाग यात भिभकष रह गरशातित पयास मिरमटान को शातितसागर ह गर ||43||रमोकष रमजिजल पान को गर सोपान रमोकष कारमSो क रमल ऊ रप गर ही ह अहो सदा ||44||रमोकष शररम कर तिनतय अतः शररमण कर गररमौन तिपरय रह भारी यात रमतिन रह गर ||45रमोकष शररम कर तिनतय अतः शररमण कर गररमौन तिपरय रह भारी यात रमतिन रह गर ||45||

रमोह नीद मिरमटान को शकनाद रह गरघोर तप कर तिनतय तपसवी भी अतः गर ||46||यरम ल कर रोगो का कर दरमन ही सदासयरमी ह अतः य ही पज इनह बन खदा ||47||राग रग दिदय तयाग वीतरागी रह गरपरतितरमा धारको को तो जिजन रमजिनदर रह गर ||48||राग रोग रह शीघर राज वदय अतः गरदया छाया सदा दत पशिरथको को अतः तर ||49||शिलय सनयास भोगो स सनयासी ह अरथ गरसवातरम-जञान रख पण13रमहाजञानी रह अतः ||50||वणा13तीत सव आतरमा को धयात वणN रह अतःसाधना रम सदा लीन रमहासाधक ह अतः ||51||शसS वसS नही पास दिदगमबर रह गरछोड सकल गररथो को यात तिनगरsरथ ह गर ||52||शात रमदरा गरजी की समयक दश13न हत हभवाबधिबध पार पान को गरदव स सत ह ||53||शिशषय रपी गढ रमरतित शरषठ शिशAपी रह गरकलात शिचतत कर शात अतः सत रह गर ||54|

आचाय13 जी स आचारय जी स रय पछ जग सारा

णमोकार नाम का रय कौन मतर परयारा

बोल मसकात मविनर सनो भाई सारhellip२ अनतानत ह रय पचरग परयार पवितस अकषर स शोभिभत ओhellip मतर ह विनराला इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

महामतर कहती इसको ह सारी जनताhellip२ पार लगाता उसको जो इस जपता

मतर ह रय ऐसा जिजसन ओhellip लाखो को तारा इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

पच परमषठी क गणो को परचारताhellip२ धम विशष को रय नही ह दलारता रय महामतर ह ओhellip तारण हारा इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

मनोरमा सती का शील था बचारयाhellip२ महामतर का रय णन गरथो न गारया ऐस महामतर को ओhellip नदन हमारा इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

पजा पादिठकापजा पीदिठका

पजा पीदिठका -जो पजा स पतिहला कहा जाता ह उस पजा पीदिठका कहत ह

ॐ जय जय जय नरमोऽसत नरमोऽसत नरमोऽसत

अरथ13 -ॐ = अरिरहत -अ +शिसदध भगवान का अशरीरी -अ+आचाय13 (अ)=आ + उपाधयाय (उ)=अ+साध (रमतिन) (रम) अरथा13त पञच पररमषठी की जय हो जयहो जयहोनरमसकार हो नरमसकार हो नरमसकार हो

जय और नरमसकार तीन बार रमन वचन काय स करत ह

णरमो अरिरहताणणरमो शिसदधाण णरमो आयरिरया ण णरमो उवजझायाण= णरमो लोए सवव साहण

अरथ13-

णरमो अरिरहताण-अरिरहतो को नरमसकार हो

णरमो शिसदधाण-शिसदधो को नरमसकार हो

णरमो आयरिरयाण-आचाय~ को नरमसकार हो

णरमो उवजझायाण=उपाधयायो को नरमसकार हो

णरमो लोए सवव साहण-लोक क सब तिनगर13नथ दिदगबर साध को नरमसकार हो

अब स लगभग १८००- १९०० वरष13 पव13 आचाय13 पषपदत जी और आचाय13 भतबशिल जी न रमहान गरनथ रषट खणडगरम की रचना करत सरमय आचाय13 पषपदत रमहाराज जी न उसक पररथरम रमगलाचारण क रप रम इस आय13खड गारथा को शिलखा ह वहा पर णरमो अरिरहताण शिलखा ह (न तिक अरहताण अरहताण) इसशिलए यही रमलपाठ हयही बोलना चातिहए यह रमहा रमS सब दखो को हरन वाला ह इसस पव13 पञच पररमषठी की वदना तो होती होगी तिकनत इस णरमोकार रमS की गारथा क रप रम नही होत होगी

ॐ हरी अनादिदरमलरमSभयो नरम(पषपाजशिल भिकषपत )

अरथ13- इस अनादिद रमल रमS को हरम नरमसकार करत हअजशिल रम पषप (पील चावल)लकर उनका कषपण करत ह अरथा13त तिवशव शातित की रमनोकारमना करता ह

चततारिर दणडक

चततारिर रमगल अरिरहता रमगल शिसदधा रमगल साह रमगल कवशिल पणणततो धमरमो रमगल

अरथ13 -चार रमगल कारी ह -अरिरहत भगवान रमगलकारी हशिसदध भगवान रमगलकारी ह तिनगर13नथ जन दिदगबर साध पररमषठी रमगलकारी ह और कवशिल भगवान दवारा कहा बताया धरम13 रमगलकारी ह रमगलकारी ndash सख दन वाला हआतरमा स लग करम13 बधो को नषट करन वाल य ही चार ह

चततारिर लोगततरमाअरिरहता लोगततरमाशिसदधा लोगततरमासाह लोगततरमाकवशिल पणणततो धमरमो लोगततरमो

अरथ13 -य चार लोक रम उततरमसव13शरषठ ह-अरिरहत भगवान लोक रम उततरम हशिसदध भगवान लोक रम उततरम हतिन- ग13ररथ दिदगबर जन साध लोक रम उततरम हकवशिल भगवान की दिदवय धवतिन दवारा बताया गया धरम13 लोक रम उततरम ह

चततारिर सरण पववजजामिरम- इन चारो की शरण को परापत होता ह

अरिरहनत सरण पववजजामिरम-अरिरहत भगवान की शरण को परापत होता ह

शिसदध सरण पववजजामिरम- शिसदध भगवान की शरण को परापत होता ह

साह सरण पववजजामिरम -तिनगर13नथ दिदगबर जन साध की शरण को परापत होता ह

कवशिलपणणतत धमरम सरण पववजजामिरम -कवशिल भगवान दवारा कह गय धरम13 को परापत होता ह

ॐ नरमोऽहsत सवहा (पषपाजशिल भिकषपत)

अरथ13- रम अरिरहत भगवान को सरमरतिपत करता ह तिवशव शातित की भावना स पषप अरतिपत करत ह

अपतिवS पतिवSो वा सलपितो दलपिोऽतिप वा

धयायतपच-नरमसकार सव13पापः पररमचयत १

शबदारथ13 ndash

अपतिवS-अपतिवS होपतिवSो-पतिवS होवा सलपितो-अचछी लपितित रम होदलपिोऽतिप-बरी लपितित रम होवा धयायतपच-नरमसकार-पञच नरमसकार रमS का धयान करन ससव13पापः-सरमसत पापो सपररमचयत-छट जाता ह

अरथ13-पतिवS और अपतिवSअचछी या बरी तिकसी भी अवा रमपञच नरमसकार रमS का धयान करन स सरमसत पाप नषट हो जात ह

अपतिवSः पतिवSो वा सवा13ा गतोऽतिप वा

यः सरमरत पररमातरमान स बाहयाभयतर शशिच २

शबदारथ13 -अपतिवSः-अपतिवS हो पतिवSो वा-पतिवS होसवा13ा-सब अवाओ को परापत हआ हो गतोऽतिप-गतितरमान हो वा यः -जोसरमरत -सरमरण करता हपररमातरमान -पररमातरमा णरमोकार रमS पञच पररममिषठयो कास -वह बाहया-बाहय अभयतर-आतरिरक शशिच-पतिवS हो जाता ह

अरथ13- अपतिवS अरथवा पतिवS हो गतितरमान हो तिकसी भी अवा को परापत हआ जो पररमातरमाणरमोकार रमS पञच पररममिषठयो का सरमरण करता वह बाहय और अतरग स पतिवS हो जाता ह

तिवशरष-

१-णरमोकार रमS की रचना कब हई

अब स लगभग १८००- १९०० वरष13 पव13 आचाय13 पषपदत जी और आचाय13 भतबशिल जी न रमहान गरनथ रषट खणडगरम की रचना करत सरमय आचाय13 पषपदत रमहाराज जी न उसक पररथरम रमगलाचारण क रप रम इस गारथा को रचा हइसस पव13 पञच पररमषठी की वदना तिकसी अनय रप रम होती होगी

२-चततारिर दडक तिकतना पराचीन ह

इसकी पराचीनता क तिवरषय रम कोई उAलख शासSो रम यही मिरमलता हयह गणधर दव क सरमय स ही परचलन रम ह ऐसा परतीत होता ह तिक इसक रशिचयता परणता गणधर दव ही हो

३-णरमो कार रमS बोलन का सरमय ndash

कही जा रह होघर रम परवश कर रह होसोन स पव13परातउठन क बाद कोई याSा परारमभ करत सरमयअसव हो तो लट लटसभी अवाओ रम णरमो कार रमS बोलचिचतन कर सकत ह रमरीज को हॉबधिटल ल जात सरमय इस रमS का चिचतवन कर

४-कया रमतिहलाय अशजिदध क दिदनो रम णरमो कार रमS बोल सकती ह

नही बोल भी नही सकती और जप भी नही सकती लट लट धयानचिचतवन रमन रम कर सकती ह

राकश करमार जन

आभार -पतिडत रतन लाल जन बनाड़ा

जन रमतिन

रषटखडगरम की रचना आचाय13 पषपदनत-भतवली दवारा रषट खणडागरम रचना ndash तिगरनार पव13त की चनदरगफा रम

आचाय13 पषपदनत-भतवली ndash गणधराचाय13 क पशचात अग-पव~ क एक दश जञाता धरसन हए य सौराषटर दश तिगरिरनार क सरमीप उज13यनत पव13त की चनदरगफा रम तिनवास करत रथ य परवादी

रप हाशिरथयो क सरमह का रमदनाश करन क शिलए शरषठ चिसह क सरमान रथ अषटाग रमहातिनमिरमतत क पारगारमी और शिलतिप शासS क जञाता रथ वत13रमान रम उपलबध शरत की रकषा का सवा13मिधक शरय इनही को परापत ह कहा जारथ ह तिक परवचन-वतसल धरसनाचाय13 न अग शरत क तिवचछदन हो जान क भय स रमतिहरमा नगरी रम सममिमरमशिलत दभिकषणा परथ क आचाय~ क पास एक पS भजा पS रम शिलख गए धरसन क आदश को सवीकार कर उन आचाय~ न शासS क अरथ13 को गरहण और धारण करन रम सरमरथ13 तिवतिवध परकार क चारिरS स उजजवल और तिनरम13ल तिवनय स तिवभतिरषत शील रपी रमाता क धारी सवा भावी दश कल जातित स शदध सरमसत कलाओ क पारगारमी एव आजञाकारी दो साधओ को आधर दश की वनया नदी क तट स रवाना तिकया इन दोनो रमतिनयो क रमाग13 रम आत सरमय धरसनाचाय13 न रातिS क तिपछल भाग रम सवपन रम कनदपषप चनदररमा और शख क सरमान शवत वण13 क दो बलो क अपन चरणो रम परणारम करत दखा परातः काल उकत दोनो साधओ क आन पर धरसनाचाय13 न उन दोनो की परीकषा ली और जब आचाय13 को उनकी यो=यता पर तिवशवास हो गया तब उनहोन अपना शरतोपदश दना परारभ तिकया जो आरषाढ़ शकला एकादशी को सरमापत हआ गर धरसन न इन दोनो शिशषयो का नारम पषपदनत और भतबली रखा गर क आदश स य शिशषय तिगरनार स चलकर अकलशवर आय और वही उनहोन वरषा13काल वयतीत तिकया अननतर पषपदनत आचाय13 बनवास दश को और भतबली तमिरमल दश की ओर चल गएपषपदनत न जिजनपाशिलत को दीकषा दकर उसक अधयापन हत सत पररपणा तक क सSो की रचना की और उनहोन उन सSो को सशोधनारथ13 भतबली क पास भज दिदया भतबशिल न जिजनपाशिलत क पास उन सSो को दखकर पषपदनत आचाय13 को अAपाय जानकर रमहाकरम13 परकतित पाहड का तिवचछन ना हो जाय इस धयय स आग दरवयपररमाणादिद आगरम की रचना की इन दोनो आचाय~ दवारा रशिचत गरनथ रषट खणडागरम कहलाता ह इस गरनथ की सतपररपणा क १७७ सS पषपदनत न और शरष सरमसत सS भतवली क दवारा रशिचत ह अतएव यह षट ह तिक शरत वयाखयाता धरसन ह और रचमियता पषपदनत तरथा भतबशिलइन आचाय~ क सरमय क समबनध रम तिनभिशचत रप स तो जञात नही ह पर इनदर-ननदी कत शरतावतार रम लोहाचाय13 क पशचात तिवनयदतत शरीदतत शिशवदतत और अह13दतत इन चार आरातीय -आचाय~ का उAलख मिरमलता ह और ततपशचात अह13द बशिल का तरथा अह13द बशिल क अननतर धरसनाचाय13 का नारम आता ह इनदरनजिनद क अनसार कनदकनद रषट खणडागरम क टीकाकार ह अतः पषपदनत और भतबशिल का सरमय कनदकनद क पव13 ह तिवदवानो न अनक पषट पररमाणो क आधार पर शिसदध तिकया ह तिक रषट खणडागरम की रचना पररथरम शती रम होनी चातिहएरषट खणडागरम (छकखडागरम) सS ndash इस आगरम गरनथ रम छह खणड ह- जीवटठाण खददाबध बधसामिरमतततिवचय वदना व=गणा और रमहाबनध इस गरनथ का तिवरषय सतोS बारहव दमिषटवाद शरताग क अनतग13त तिदवतीय पव13 आगरायणीय क चयनलबधिबध नारमक पञचरम अमिधकार क चतरथ13

पाहड़ करम13 परकतित को रमाना जाता हरषट खणडागरम जनागरम का एक रमहान गरनथ ह इसरम करम13 शिसदधात को तिवभिभनन दमिषट स सरमझान का शलाघनीय परयास तिकया गया ह

दव शासर गर पजा

कवल रतिव तिकरणो स जिजसका समपण13 परकाशिशत ह अतर |उस शरी जिजनवाणी रम होता तततवो का सदरतरम दश13न ||सददश13न बोध चरण परथ पर अतिवरल जो बड़त ह रमतिन गण |उन दव पररम आगरम गर को शत शत वदन शत शत वदन||ॐ हरी दव-शासS-गर-सरमह अS अवतर अवतर सवौरषट| अS तितषठ तितषठ ठः ठः |अS रमरम समिननतिहतो भव भव वरषट |इजिनदरय क भोग रमधर तिवरष सरम लावणयारमयी कचन काया |यह सब कछ जड़ की करीडा ह रम अब तक जान नही पाया ||रम भल सवय क वभव को पर रमरमता रम अटकाया ह |अब तिनरम13ल समयक नीर शिलए मिरमथया रमल धोन आया ह ||ॐ हरी दव-शासS-गरभयः जनरम-जरा-रमतय-तिवनाशाय जल तिनव13 0 सवाहा |1|जड़ चतन की सब परिरणतित परभ अपन अपन रम होती ह |अनकल कह परतितकल कह यह झठी रमन की वभितत ह ||परतितकल सयोगो रम करोमिधत होकर ससार बड़ाया ह |सतपत हदय परभ चदन सरम शीतलता पान आया ह ||ॐ हरी दवशासS गरभयः ससार-ताप-तिवनाशनायचदन तिनव13 0 सवाहा |2|उजजवल ह कठ धवल ह परभ पर स न लगा ह किकशिचत भी | तिफर भी अनकल लग उन पर करता अभिभरमान तिनरतर ही ||जड़ पर झक झक जाता चतन की रमाद13व की खतिडत काया | तिनज शाशवत अकषत तिनमिध पान अब दास चरण रज रम आया ||

ॐ हरी दवशासSगरभयः अकषयपदपरापतय अकषतान तिनव13 0 सवाहा |3|यह पषप सकोरमल तिकतना ह तन रम रमाया कछ शरष नही | तिनज अतर का परभ भद काह औस रम ऋजता का लश नही ||शिचनतन कछ तिफर सभारषण कछ वभितत कछ की कछ होती ह |लपिरता तिनज रम परभ पाऊ जो अतर का कालश धोती ह ||ॐ हरी दवशासSगरभयः कारमबाण-तिवधवसनाय पषप तिनव13 0 सवाहा |4|अब तक अगभिणत जड़ दरवयो स परभ भख न रमरी शात हई |तषणा की खाई खब भारी पर रिरकत रही वह रिरकत रही ||यग यग स इचछा सागर रम परभ गोत खाता आया ह |चरणो रम वयजन अरतिपत कर अनपरम रस पीन आया ह ||ॐ हरी दवशासSगरभयः कषधा-रोग-तिवनाशनाय नवदय तिनव13 0 सवाहा |5|रमर चतयनय सदन रम परभ शिचर वयापत भयकर अमिधयारा |शरत दीप बझा ह करनातिनमिध बीती नही कषटो की कारा ||अतएव परभो यह जञान परतीक सरमरतिपत करन आया ह |तरी अतर लौ स तिनज अतर दीप जलान आया ह ||ॐ हरी दवशासSगरभयः रमोहाधकारतिवनाशनाय दीप तिनव13 0 सवाहा |6|जड़ करम13 घरमाता ह रमझको यह मिरमथया भरातित रही रमरी |रम रागी दवरषी हो लता जब परिरणतित होती ह जड़ की ||यो भाव कररम या भाव रमरण सदिदओ स करता आया ह |तिनज अनपरम गध अनल स परभ पर गध जलान आया ह||ॐ हरी दवशासSगरभयः अषट करम13तिवधवसनाय धप तिनव13 0 सवाहा |7|जग रम जिजसको तिनज कहता रम वह छोड रमझ चल दता ह |रम आकल वयाकल हो लता वयाकल का फल वयाकलता ह|| रम शात तिनराकल चतन ह ह रमशिकतररमा सहचर रमरी |यह रमोह तड़क कर टट पड़ परभ सारथ13क फल पजा तरी||ॐ हरी दवशासSगरभयः रमोकषफलपरापतयफल तिनव13 0 सवाहा |8|कषण भर तिनज रस को पी चतन मिरमथयरमल को धो दता ह |कशामियक भाव तिवनषट तिकय तिनज आननद अरमत पीता ह ||अनपरम सख तब तिवलशिसत होता कवल रतिव जगरमग करता ह |

दश13न बल पण13 परगट होता यह ह अह13नत अवा ह ||यह अरघयय13 सरमप13ण करक परभ तिनज गण का अरघयय13 बनाऊगा| और तिनभिशचत तर सदश परभ अह13नत अवा पाउगा||ॐ हरी दवशासSगरभयः अनरघयय13पदपरापतय अरघययs तिनव13 0 सवाहा |9|

जयरमाला

भव वन रम जी भर घरम चका कण कण को जी भर भर दखा रमग सरम रमग तषणा क पीछ रमझको न मिरमली सच की रखा

(बारह भावना)झठ जग क सपन सार झठी रमन की सब आशाए तन जीवन यौवन अलपिर ह कषण भगर पल रम रमरझाए समराट रमहाबल सनानी उस कषण को टाल सकगा कया अशरण रमत काया रम हरतिरषत तिनज जीवन दल सकगा कयाससार रमहा दख सागर क परभ दखरमय सच आभसोन रम रमझको न मिरमला सच कषणभर भी कचन कामिरमनी परासदोन रमरम एकाकी एकतवा शिलय एकतवा शिलय सब ह आत तन धन को सारथी सरमझा रथा पर य भी छोड चल जातरमर न हए य रम इनस अतित भिभनना अखड तिनराला ह तिनज रम पर स अनयतवा शिलय तिनज सरमरस पीन वाला हजिजसक भिशरनगारोन रम रमरा यह रमहगा जीवन घल जाता अतयनता अशशिच जड़ काया स ईस चतन का कसा नातादिदन रात शभाशभ भावो स रमरा वयापार चला करता रमानस वाणी और काया स आसरव का दवार खला रहताशभ और अशभ की जवाला स झलसा ह रमरा अनतसतल शीतल सरमतिकत तिकरण फट सवर स जाग अनतब13लतिफर तप की शोधक वगनिनह जग करम~ की कतिड़या फट पड़ सवाsग तिनजातरम परदशो स अरमत क तिनझ13र फट पड़हरम छोड चल यह लोक तभी लोकानत तिवराज कषण रम जा तिनज लोक हरमारा वासा हो शोकानत बन तिफर हरमको कयाजाग रमरम दल13भ बोधी परभो दनregतरम सतवर तल जाव बस जञाता दषटा रह जाऊ रमद रमतसर रमोह तिवनश जावशिचर रकषक धरम13 हरमारा हो हो धरम13 हरमारा शिचर सारथी

जग रम न हरमारा कोई रथा हरम भी न रह जग क सारथीचरणो रम आया ह परभवर शीतलता रमझको मिरमल जाव रमरझाई जञानलता रमरी तिनज अनतब13ल स गनिखल जावसोचा करता ह भोगो स बझ जावगी इचछा जवाला परिरणारम तिनकलता ह लतिकन रमानो पावक रम घी डालातर चरणो की पजा स इजिनदरय सख को ही अभिभलारषा अब तक न सरमझ ह पाया परभ सचच सख की भी परिरभारषातरम तो अतिवकारी हो परभवर जग रम रहत जग स नयार अतएव झक तव चरणो रम जग क रमाभिणक रमोती सारसयादवाद रमयी तरी वाणी शभ नय क झरन झरत ह और उस पावन नौका पर लाखो पराणी भाव वारिरमिध तितरत हह गरवर शाशवत सख दश13क यह न=न सवरप तमहारा ह जग की नशवरता का सचचा दिद=दश13न करन वाला हजब जग तिवरषयो रम रच पच कर गातिफल तिनदरा रम सोता हो अरथवा वह शिशव क तिनषकटक परथ रम तिवषकनतक बोटा होहो अध13 तिनशा का सननाटा वन रम वनचारी चरत हो तब शात तिनराकल रमानस तरम तततवो का शिचनतन करत होकरत तप शल नदी तट पर तरतल वरषा13 की झातिड़यो रम सरमता रस पान तिकया करत सख दख दोनो की घतिडयो रमअनतजवा13ला हरती वाणी रमानो झरती हो फAझदिदया भाव बधन तड तड टट पड़ गनिखल जाव अतर की कशिलयातरम सा दानी कया कोई हो जग को द दी जग की तिनमिधया दिदन रात लटाया करत हो सरम शरम की अतिवनशवर रमभिणयाॐ हरी दवशासSगरभयः अनरघयय13पदपरापतय अरघययs तिनव13 0 सवाहा |

ह तिनरम13ल दव तमह परणारम ह जञानदीप आगरम परणारम ह शातित तयाग क रमरतितरमान शिशव परथ परथी गरवर परणारम||

शिसदध पजाऊरधवााधो ररयत सविनद सपर बरहम-सराविCत

गापरिरत-दिदगगतामबज-दल ततसलिध-ततानविनत |अतः पतर-तटषनाहत-रयत हरीकार-सविCत |द रधवारयारयवित रयः स मलिNसभगो रीभ-कणठी-रः ||

ॐ हरी शरी लिसदधचकरालिधपत लिसदधपरमविषठन अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी लिसदधचकरालिधपत लिसदधपरमविषठन अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी लिसदधचकरालिधपत लिसदधपरमविषठन अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

तिनरसतकरम13-समबनध सकषरम तिनतय तिनरारमयरम |वनदऽह पररमातरमानरमरमतत13रमनपदरवरम ||

(लिसदधरयनतर की सथापना कर नदन कर | )

शिसदधौ तिनवासरमनग पररमातरम-गमयहानयादिदभावरतिहत भव-वीत-कायरम |रवापगा-वर-सरो-यरमनोदभवानानीरय13ज कलशगर-वरशिसदध-चकररम ||

ॐ हरी लिसदधचकालिधपतरय लिसदधपरमविषठन जनमजरामतरय विनाशनारय जल विनपामीवित साहा |1|

आननद-कनद-जनक घन-करम13-रमकतसमयकतव-शरम13-गरिररम जननारतितवीतरम |सौरभय-वाशिसत-भव हरिर-चनदनानागनधय13ज परिररमलव13र-शिसदध-चकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन ससार ताप विनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा |2|

सवा13वगाहन-गण ससरमामिध-तिनषठशिसदध सवरप-तिनपण करमल तिवशालरम |सौगनधय-शाशिल-वनशाशिल ndash वराकषतानापजय13ज ndash शशिशतिनभव13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अकषरयपदपरापतरय अकषतान विनपामीवित साहा |3|

तिनतय सवदह- परिररमाणरमनादिदसजञदरवयानपकषरमरमत रमरणादयतीतरम |रमनदार ndash कनद ndash करमलादिद ndash वनतीनापषपय13ज शभतरम ndash व13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन कामबाण विरधवासनारय पषप विनपामीवित साहा |4|

ऊधव13-सवभाव-गरमन सरमनो-वयपतबरहमादिद-बीज-सतिहत गगनावभासरम |कषीरानन-साजय-वटक रसपण13गभreg ndashरतिनतय यज चरवरव13शिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन कषधारोगविनाशनारय नदय विनपामीवित साहा |5|

आतक-शोक-भयरोग-रमद परशानततिनदव13नदव-भाव-धरण रमतिहरमा-तिनवशरम |कप13र-वरतित-बहभिभः कनकावदात ndashदsup2पय13ज रशिचवरव13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन मोहानधकारविनाशनारय दीप विनपामीवित साहा |6|

पशयनसरमसत ndash भवन यगपमिननतानतSकाAय-वसत-तिवरषय तिनतिवड़ ndash परदीपरम |सददरवयगनध ndash घनसार ndash तिवमिरमभिशरतानाधपय13ज परिररमलव13र ndash शिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अCकमदहनारय धप विनपामीवित साहा |7|

शिसदधासरादिदपतित ndash यकष ndash नरनदरचकर ndashधयacuteय शिशव सकल ndash भवय ndash जनः सवनदयरम |नारतिmicroग ndash पग ndash कदली ndash फलनारिरकलःसोऽह यज वरफलव13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन मोकषफलपरापतरय फल विनपामीवित साहा |8|

गनधाढय सपयो रमधवरत-गणः सग वर चनदनपषपौघ तिवरमल सदकषत-चय रमय चर दीपकरम |धप गनधयत ददामिरम तिवतिवध शरषठ फल लबधयशिसदधाना यगपतकररमाय तिवरमल सनोततर वालपिञछतरम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जञानो पयो गतिवरमल तिवशदातरमरपसकषरम-सवभाव-पररम यदननतवीय13रम |करमmiddotघ-ककष-दहन सख-शसयबीजवनद सदा तिनरपरम वर-शिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

Sलोकयशवर-वनदनीय-चरणाः परापः भिशरय शाशवतीयानाराधय तिनरदध-चणड-रमनसः सनतोऽतिप तीरथsकरा |सतसमयकतव-तिवबोध-वीरययय13-तिवशदाऽवयाबाधतादयग13ण-य13कतासतातिनह तोषटवीमिरम सतत शिसदधान तिवशदधोदयान ||

जरयमाला

तिवराग सनातन शात तिनरश तिनरारमय तिनभ13य तिनरम13ल हस |सधारम तिवबोध-तिनधान तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध-सरमह ||

तिवदरिरत-ससतित-भाव तिनरग सरमारमत-परिरत दव तिवसग |अबध करषाय-तिवहीन तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिनवारिरत-दषकतकरम13-तिवपाश सदारमल-कवल-कशिल-तिनवास |भवोदमिध-पारग शात तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

अनत-सखारमत-सागर-धीर कलक-रजो-रमल-भरिर-सरमीर |तिवखलपिणडत-कारम तिवरारम-तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिवकार तिववरजिजत तरजिजतशोक तिवबोध-सनS-तिवलोतिकत-लोक |तिवहार तिवराव तिवरग तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

रजोरमल-खद-तिवरमकत तिवगाS तिनरतर तिनतय सखारमत-पाS |सदश13न राजिजत नारथ तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

नरारमर-वदिदत तिनरम13ल-भाव अनत रमनीशवर पजय तिवहाव |सदोदय तिवशव रमहश तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिवदभ तिवतषण तिवदोरष तिवतिनदर परापरशकर सार तिवतदर |तिवकोप तिवरप तिवशक तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

जरा-रमरणोलपिजझत-वीत-तिवहार तिवचिचतितत तिनरम13ल तिनरहकार |अशिचनतय-चरिरS तिवदप13 तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिववण13 तिवगध तिवरमान तिवलोभ तिवरमाय तिवकाय तिवशबद तिवशोभ |अनाकल कवल सव13 तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

घतता

असरम-सरमयसार चार-चतनय शिचहनपर-परणतित-रमकत पदमनदीनदर-वनदयरम |तिनगनिखल-गण-तिनकत शिसदधचकर तिवशदधसरमरतित नरमतित यो वा सतौतित सोऽभयतित रमशिकतरम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

अविbलल छद

अतिवनाशी अतिवकार पररम-रस-धारम होसरमाधान सव13जञ सहज अभिभरारम हो |शदधबदध अतिवरदध अनादिद अनत होजगत-शिशरोरमभिण शिसदध सदा जयवत हो ||

धयान अगनि=नकर करम13 कलक सब दहतिनतय तिनरजन दव सवरपी हव रह |जञायक जञयाकार रमरमतव तिनवार क |सो पररमातरम शिसदध नरम शिसर नाय क ||

अतिवचल जञान परकाशत गण अननत की खान |धयान धर सो पाइए पररम शिसदध भगवान ||

अतिवनाशी आननद रमय गण परण भगवान |शशिकत तिहय पररमातरमा सकल पदाररथ जान ||

इतरयाशीादः पषपाजलिल भिकषपत |

पच पररममिषट पजा

तितभयोअरिरहत शिसदध आचाय13 नरमनह उपाधयाय ह साध नरमनजय पञच पररम पररमषठी जय भव सागर तारण हार नरमनरमन-वच-काया पव13क करता ह शदध हदय स आहवानन रमरम हदय तिवराजो तितषठ तितषठ समिननकट होह रमर भगवन तिनज आतरमततव की परापतिपत हत ल अषट दरवय करता पजन तव चरणो की पजन स परभ तिनज शिसदध रप का हो दश13न ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पररममिषठन अS अवतर अवतर सवौरषट (आहवाननरम)अS तितषठ तितषठ ठठ(ापन )अS रमरम समिननतिहतो भवभव वरषट (समिननमिधकरण )

रम तो अनादिद स रोगी ह उपचार करान आया ह तरम सरम उजजवलता पान कोउजजवल जल भरकर लाया ह रम जनरम जरा रमत नाश कर ऐसी दो शशिकत हदय सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐहरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पचपररममिषठभयोजनरमजरारमतय तिवनाशनाय जल तिनव13पारमीतित सवाहा ||

ससार ताप रम जल जल कर रमन अगभिणत दःख पाय हतिनज शात सवभाव नही भाया पर क ही गीत सहाए ह शीतल चदन ह भट तमह ससार ताप नाशो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयोससारताप तिवनाशनाय चनदन तिनव13पारमीतित सवाहा ||

दःखरमय अरथाह भव सागर रम रमरी यह नौका भटक रही शभ-अशभ भाव क भवरो रम चतनय तिनज शशिकत अटक रही तदल ह धवल तमह अरतिपत अकषय पद परापत कर सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो

अकषय पद परापतय अकषत तिनव13पारमीतित सवाहा ||

रम कारम वयरथा स घायल हसख की न मिरमली तिकलपिञचत छाया चरणो रम पषप चढ़ाता हतरम को पाकर रमन हरषा13या ह रम कारम भाव तिवधवस कर ऐसा दो शील हदय सवारमीह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो कारमबाण तिवधवसाय पषप तिनव13पारमीतित सवाहा||

रम कषधा रोग स वयाकल ह चारो गतितयो रम भररमाया हजग क सार पदारथ13 पाकर भी तपत नही हो पाया ह नवदय सरमरतिपत करता ह यह कषधा रोग रमटो सवारमीह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो कषधा रोग तिवनाशनाय नवदय तिनव13पारमीतित सवाहा ||

रमोहानध रमहा-अजञानी रम तिनज को पर का कता13 रमाना मिरमथया तरम क कारण रमनतिनज आतरमसवरप न पतिहचाना रम दीप सरमप13ण करता ह रमोहानधकार कषय हो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो रमोहानधकार तिवनाशनाय दीप तिनव13पारमीतित सवाहा ||

करम~ की जवाला धधक रहीससार बढ़ रहा परतित पल सवर स आसरव को रोक तिनज13रा सरभिभ रमहक पल पल रम धप चढ़ा कर अब आठोकरम~ का हनन कर सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो अषटकरम13 तिवधवसनाय धप तिनव13पारमीतित सवाहा||

तिनज आतरमततव का रमनन कर चिचतवन कर तिनज चतन का दो शरदधा जञान चरिरS शरषठसचचा पद रमोकष तिनकतन का उततरम फल चरण चढ़ाता हतिनवा13ण रमहा फल हो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पचपररममिषठभयो रमोकष फल परापताय फल तिनव13पारमीतित सवाहा ||

जल चदन अकषत पषप दीपनवदय धप फल लाया ह अब तक क सशिचत करम~ का रम पज जलान आया ह यह अरघयय13 सरमरतिपत करता हअतिवचल अनरघयय13 पद दो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव भव दःख रमटो अनतया13रमीॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पचपररममिषठभयो अनरघयय13पद परापताय अरघययs तिनव13पारमीतित सवाहा ||जयरमाला जय वीतराग सव13जञ परभोतिनज धयान लीन गणरमय अपार अषटादश दोरष रतिहत जिजनवरअह13नत दव को नरमसकार अतिवकलअतिवकारीअतिवनाशीतिनजरपतिनरजनतिनराकार जय अजर अरमर ह रमशिकतकतभगवत शिसदध को नरमसकार छततीस सगण स तरम रमतिडततिनशचय रतनSय हदय धार ह रमशिकत वध क अनरागीआचाय13 सगर को नरमसकार एकादश अग पव13 चौदह कपाठी गण पचचीस धारबराहयातर रमतिन रमदरा रमहानशरी उपाधयाय को नरमसकार वरत सरमीतित गपतिपत चारिरS परबलवरा=य भावना हदय धार ह दरवय-भाव सयरम रमय रमनवरसव13 साध को नरमसकार बह पणय सयोग मिरमला नरतनजिजनशरत जिजनदव चरण दश13न हो समय=दश13न परापत रमझ तो सफल बन रमानव जीवन तिनज पर का भद जानकार रमतिनज को ही तिनज रम लीन कर अब भद जञान क दवारा रमतिनज आतरम सवय सवाधीन कर तिनज रम रतनSय धारण करतिनज परिरणतित को ही पतिहचान पर परणतित स हो तिवरमख सदातिनज जञान ततव को ही जान जब जञान-जञय-जञाता तिवकAप तजशकलधयान रम धयाऊगा जब चार घातितया कषय करकअरिरहत रमहापद पाऊगा ह तिनभिशचत शिसदध सवपद रमराह परभ कब इसको पाउगा समयक पजा फल पान कोअब तिनजसवभाव रम आऊगा अपन सवरप की परापतिपत हतह परभ रमन की ह पजन तब तक चरणो रम धयान रहजब तक न परापत हो रमशिकत सदन

ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13 साधपञचपररममिषठभयोऽनघ13 पद परापतय रमहाघs तिनव13पारमीतित सवाहा

ह रमगल रप अरमगल हररमगलरमय रमगल गान कर

रमगल रम पररथरम शरषठ रमगलनवकार रमS का धयान कर पषपाजशिल भिकषपत

नवदवता पजाअरिरहत लिसदधाचारय पाठक साध वितरभन नदय ह |

जिजनधम जिजनागम जिजनशवरा मरतित जिजनगरह नदय ह ||

नदता रय मानरय जग म हम सदा अचा कर |

आहन कर थाप रयहा मन म अतल शरदधा धर ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरय-समह

अतर अतर अतर-समोषत आवहान

अतर-वितषठ-वितषठ ठः ठः सथापन

अतर मम-सविहतो-भ-भ-षट सलिVलिधकरण

गगानदी का नीर तिनरम13ल बाहय रमल धोव सदा |

अतर रमलो क कषालन को नीर स पज रमदा ||

नवदवताओ की सदा जो भशिकत स अचा13 कर |

सब शिसजिदध नवतिनमिध रिरजिदध रमगल पाए शिशवकानता वर ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो जनम-जरा मतरय विनाशनारय जल विनपामिमवित साहा |

कपर मिरमभिशरत गध चनदन दह ताप तिनवारता |

तरम पाद पकज पजत रमन ताप तरनत ही वारता || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो ससार-ताप विनाशनारय चनदन विनपामिमवित साहा |

कषीरोदमिध क फन सरम शिसत तनदलो को ल क |

उततरम अखतिडत सौखय हत पज नव सचढाय क || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो अकषरय पद परापतरय अकषत विनपामिमवित साहा |

चपा चरमली कवडा नाना सगममिनधत ल शिलए |

भव क तिवजता आपको पजत सरमन अप13ण तिकय || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो काम-बाण विनाशनारय पषप विनपामिमवित साहा |

पायस रमधर पकवान रमोदक आदिद को भर रथाल रम |

तिनज आतरम अरमत सौखय हत पजह नत भाल रम || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो कषधा-रोग विनाशनारय नरधवारयम विनपामिमवित साहा |

कपर जयोतित जगरमग दीपक शिलया तिनज हारथ रम |

तअ आरती तरम वारती पाऊ सजञान परकाश रम || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो मोह-अनधकार विनाशनारय दीप विनपामिमवित साहा |

दश गध धप अनप सरभिभत अगनि=न रम खऊ सदा |

नीज आतरमगण सौरभ उठ हो करम13 सब रमझस तिवदा || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो अC-कम-दहनारय धप विनपामिमवित साहा |

अगर अरमरख आरम अरमतफल भराऊ रथाल रम |

उततरम अनपरम रमोकष फल क हत पज आज रम || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो महा-मोकष-फल परापतारय विनपामिमवित साहा |

जल गध अकषत पषप चार दीप सधप फलाघ13 ल |

दर रतनSय तिनमिध लाभ यह बस अघ13 स पजत मिरमल || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो अनघ पद परापतारय अघ_ विनपामिमवित साहा |

दोहा-

जलधारा स तिनतय रम जग रम शातित हत |

नव दवो को पजह शरदधा भशिकत सरमत ||

(शानतरय शावितधारा)

नानातिवमिध क सरमन लरमन रम बह हरषा13य |

रम पज नव दवता पषपाजशिल चढ़ाय ||

(दिदवय पषपाजलिल)

जावय-

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो नमः |

(९२७ या १०८ बार )

जरयमाला

शिचलपिचचनतारमणी रतन तीन लोक रम शरषठ हो |

गाऊ गण रमभिणरमाल जयवनत वदो सदा ||

जय जय शरी अरिरहत दव दव हरमार |

जय घातितया को घात सकल जत उबार ||१||

जय जय परशिसदद शिसदध की रम वदना कर |

जय अषट करम13 रमशिकत की रम अच13ना कर ||२||

आचाय13 दव गण छततीस धार रह ह |

दिदकषादी द असखय भवय तार रह ह ||

जवनत उपाधयाय गर जञान क धनी |

सनरमाग13 क उपदश की वरषा13 कर धनी ||३||

जय साध अठाईस गणो धर सदा |

तिनज आतरमा की साधना स चयत न हो कदा ||

य पञच पररम दव सदा वनददय हरमार |

ससार तिवरषय शिसनध स हरम भी उबार ||४||

जिजन धरम13 चकर सदा चलता ही रहगा |

जो इसकी शरण ल वो सदा सलझता ही रहगा ||

इसकी धवतिन तिपयरष का जो पान करग |

भव रोग दर कर वो रमशिकत कानत बनग ||५||

जिजन चतय की जो वदन तिSकाल कर ह |

व शिचतसवरप तिनतय आतरम लाभ कर ह ||

कतितरम अकरतितरम जिजनालयो को जो भज |

व करम13 शS जीत शिशवालय रम जा बस ||६||

नवदवताओ की जो तिनत आराधना कर |

व मरतयराज की भी तो तिवराधना कर ||

रम करम13 शS जीतन क हत ही जज |

समपण13 जञानरमती शिसजिदध हत ही भज ||७||

दोहा-

नव दवो की भशिकतवशकोदिट कोदिट परणारम |

भशिकत का फल रम चह तिनज पद रम तिवशरारम ||८||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो जरयमाला पणाध_ विनपामिमवित साहा |

जो भवय शरदधा भशिकत स नव दवताओ की भशिकत कर |

व सब अरमगल दोरष हर सख शातित रम झला कर ||

नवतिनमिध अतल भणडार ल तिफर रमोकष सख भी पावत |

सख शिसनध रम हो रम=न तिफर यहा पर कभी न आवत ||९||

इतरयाभिशादः

|| पषपाजलिल भिकषपत ||

समयक दश13न पजादोहा

लिसदध अC-गणमरय परगट मN-जी-सोपान |जञान चरिरत जिजह विबन अफल समरयक दश परधान ||ॐ हरी अCाग समरयगदशन अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी अCाग समरयगदशन अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी अCाग समरयगदशन अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

सोरठा ndashनीर सगध अपार तरषा हर रमल छय कर |समय=दश13न सार आठ अग पजौ सदा ||ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय जल विनपामीवित साहा |1|जल कशर घनसार ताप हर शीतल कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय चनदन विनपामीवित साहा |2|अछत अनप तिनहार दारिरद नाश सख भर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय अकषतान विनपामीवित साहा |3|पहप सवास उदार खद हर रमन शशिच कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय पषप विनपामीवित साहा |3|नवज तिवतिवध परकार छधा हर शिरथरता कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय नदय विनपामीवित साहा |5|दीप-जयोतित तरमहार घट पट परकाश रमहा | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय दीप विनपामीवित साहा |6|धप घरान-सखकार रोग तिवघन जड़ता हर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय धप विनपामीवित साहा |7|

शरीफल आदिद तिवरथार तिनहच सर-शिशव-फल कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय फल विनपामीवित साहा |8|जल गधाकषत चार दीप धप फल फल चर |समय=दश13न सार आठ अग पजौ सदा ||ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जरयमालादोहा ndash आप आप तिनहच लख तततव-परीतित वयोहार |रतिहत दोरष पचचीस ह सतिहत अषट गन सार |1|समयक दरशन-रतन गहीज जिजन-वच रम सदह न कीज |इह भव तिवभव-चाह दखदानी पर-भव भोग चह रमत परानी |2|परानी तिगलान न करिर अशशिच लगनिख धररम गर परभ परगनिखय |पर-दोरष ढतिकय धररम तिडगत को सशिरथर कर हरगनिखय |3|चह सघ को वातसAय कीज धररमकी परभावना |गन आठ सो गन आठ लतिहक इहा फर न आवना |4|ॐ हरी अCागसविहत पचविशवित दोषरविहत समरयगदशनारय पणारघयरय_विन 0 |इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

समयक जञान पजादोहा ndash

पच भद जाक परकट जञरय-परकाशन-भान |मोह ndash तपन ndash हर चदरमा सोई समरयक जञान ||ॐ हरी अCविध समरयगजञान अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी अCविध समरयगजञान अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी अCविध समरयगजञान अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

सोरठा ndash नीर सगध अपार तरषा हर रमल छय कर |समय=जञान तिवचार आठभद पजौ सदा ||

ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय जल विनपामीवित साहा |1|जल कशर घनसार ताप हर शीतल कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयरगजञानारय चदन विनपामीवित साहा |2|अछत अनप तिनहार दिदाद नाश सख भर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय अकषतान विनपामीवित साहा |3|पहप सवास उदार खद हर शशिच कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय पषप विनपामीवित साहा |4|नवज तिवतिवध परकार छधा हर शिरथरता कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय नदय विनपामीवित साहा |5|दीप-जयोतित तरम-हार घट-पट परकाश रमहा | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय दीप विनपामीवित साहा |6|धप घरान-सखकर रोग तिवघन जड़ता हर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय धप विनपामीवित साहा |7|शरीफल आदिद तिवरथार तिनहच सर-शिशव फल कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय फल विनपामीवित साहा |8|जल गधाकषत चार दीप धप फल फल चर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जरयमालादोहा ndash आप आप जान तिनयत गरनथ पठन वयौहार |सशय तिवभररम रमोह तिबन अषट अग गनकार ||समयक जञान-रतन रमन भाया आगरम तीजा नन बताया |अकषर शदध अरथ13 पतिहचानो अकषर अररथ उभय सग जानो ||जानो सकाल-पठन जिजनागरम नारम गर न शिछपाइय |तप रीतित गतिह बह रमौन दक तिवनय गण शिचत लाइय ||य आठ भद कररम उछदक जञान-दप13ण दखना |इस जञान ही सो भरत सीझ और सब पटपखना ||ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

समयक चारिरS पजादोहा ndash

विषरय-रोगा औषध महा द-कषारय जल-धार |तीथ_कर जाको धर समरयक चारिरतर सार ||ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतर अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

सोरठा ndash नीर सगनध अपार तरषा हर रमल छय कर |समयक चारिरत सार तरहतिवध पजौ सदा ||ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय जल विनपामीवित साहा |1|जल कशर घनसार ताप हर शीतल कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय चदन विनपामीवित साहा |2|अछत अनप तिनहार दारिरद नाश सख भर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय अकषतान विनपामीवित साहा |3|पहप सवास उदार खद हर शशिच कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय पषप विनपामीवित साहा |4|नवज तिवतिवध परकार छधा हर शिरथरता कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय नदय विनपामीवित साहा |5|दीप-जयोतित तरम-हार घट-पट परकाश रमहा | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय दीप विनपामीवित साहा |6|धप घरान-सखकर रोग तिवघन जड़ता हर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय धप विनपामीवित साहा |7|शरीफल आदिद तिवरथार तिनहच सर-शिशव फल कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय फल विनपामीवित साहा |8|जल गधाकषत चार दीप धप फल फल चर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जरयमाला

दोहा ndashआप आप शिरथर तिनयत नय तप सजरम वयौहार |सव-पर-दया दोनो शिलय तरहतिवध दखहार ||

चौपाई ndashसमयक चारिरत रतन सभालो पाच पाप तजिजक वरत पालो |पचसमिरमतित Sय गपतित गतिहज नरभव सफल करह तन छीज |छीज सदा तन को जतन यह एक सजरम पाशिलय |बह रAयो नरक-तिनगोद रमाही तिवरष-करषायतिन टाशिलय ||शभ कररम जोग सघाट आयो पार हो दिदन जात ह |lsquoदयानतrsquo धररम की नाव बठो शिशवपरी कशलात ह ||ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

समचचरय-जरयमाला

दोहा ndashसमयक दरशन-जञान-वरत इन तिबन रमकतित न होय |अनध पग अर आलसी जद जल दव-लोय || 1|

चौपाई

जाप धयान सशिरथर बन आव ताक कररम-बध कट जाव |तासो शिशव-तितय परीतित बढ़ाव जो समयक रतन-Sय धयाव |2|ताको चह गतित क दख नाही सो न पर भव-सागर रमाही |जनरम-जरा-रमत दोरष मिरमटाव जो समयक रतन-Sय धयाव |3|सोई दश लकषनको साध सो सोलह कारण आराध |सो पररमातरम पद उपजाव जो समयक रतन-Sय धयाव |4|सो शकर-चतिकरपद लई तीन लोक क सख तिवलसई |सो रागादिदक भाव बहाव जो समयक रतन-Sय धयाव |5|सोई लोकालोक तिनहार पररमानद दशा तिवसतार |आप तितर औरन तितरवाव जो समयक रतन-Sय धयाव |6|

दोहा ndashएक सवरप-परकाश तिनज वचन कहयो नकिह जाय |तीन भद वयोहार सब lsquoदयानतrsquo को सखदाय |7|ॐ हरी समरयगदशन समरयगजञान समरयक चारिरतरभरयः महारघयरय_ विनपामीवित साहा

रतनSय पजाचहगवित-फनी-विष-हरण-मभिण दःख-पाक-जल-धार |

भिश-सख-सधा-सरोरी समरयक-तररयी विनहार ||

ॐ हरी समरयक रतनतररय धम अतर अतर अतर सौषट (आवहान जरय)|

अतर वितषठ वितषठ ठ ठ (सथापन जरय) |

अतर मम सलिVविहतो भ भ षट (सविनविहलिधकरण जरय) |

कषीरोदमिध उनहार उजजवल जल अतित सोहनो |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय जनम-जरा-मतरय-विनाशारय जल विन साहा |

चनदन-कसर-गरी परिररमल-रमहा-सरग-रमय |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय भ-आताप-विनाशारय चनदन विन साहा |

तदल-अरमर-शिचतार वासरमती-सखदास क |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय अकषरय-पद-परापतारय अकषत विन साहा |

रमहक फल अपार अली गज जयो रथतित कर |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय काम-बाण-विरधवासनारय पषप विन साहा |

लाड बह तिवसतार चीकन मिरमषट सगध यकत |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय कषधा-रोग-विनाशारय नदय विन साहा |

दीप-रतनरमय सार जोत परकाश जगत रम |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय मोहानधकार-विनाशारय दीप विन साहा |

धप सवास तिवरथार चनदन अगर कपर की |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय अC-कम-दहनारय धप विन साहा |

फल शोभा अमिधकार लौग छआर जायफल |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय महा-मोकष-फल-परापतारय फल विन साहा |

आठ दरब तिनरधार उततरम सो उततरम शिलय |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय अनघ-पद-परापतारय अघ_ विन साहा |

समयक दश13न lsquoजञानrsquo वरत शिशव-रमग तीनो रमयी |

पार उतारन आन lsquoधयानातrsquo पजो वरत सतिहत ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय पणारघयरय_ विन साहा |

आदिदनारथ पजानाभिभरारय मरदवि क ननदन आदिदनाथ सामी महाराज

साथलिसभिदध त आप पधार मरधवारय लोक माविह जिजनराज

इनदरद सब मिमलकर आरय जनम महोतस करन काज

आहवानन सब विलिध मिमल करक अपन कर पज परभ पारय

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदर अतर अतर अतर सौषट

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठ ठ

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट

कषीरोदलिध को उजजल जल ल शरी जिजनर पद पजन जारय

जनम जरा दख मटन कारन लरयारय चढाऊ परभ क पारय

शरी आदिदनाथ क चरणकमल पर बलिल-बलिल जाऊ मन च कारय

ह करणाविनलिध भ दख मटो रयात म पजो परभ पारय

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विनपामीवित साहा

मलरयाविगरिर चनदन दाहविनकनदन कचन झारी म भर लरयारय

शरीजी क चरण चढाो भविजन भ आताप तरत मिमट जारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय ससारतापविनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा

शभशालिल अखविbत सौरभ मविbत परासक जल सौ धोकर लरयारय

शरीजी क चरण चढाो भविजन अकषरयपद को तरत उपारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विनपामीवित साहा

कमल कतकी बल चमली शरी गलाब क पषप मगारय

शरीजी क चरण चढाो भविजन कामबाण तरत विह नलिस जारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विनपामीवित साहा

नज लीना षट-रस भीना शरी जिजनर आग धरारय

थाल भराऊ कषधा नसाऊ जिजन गण गात मन हरषारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विनपामीवित साहा

जगमग जगमग होत दशो दिदश जरयोवित रही मजिनदर म छारय

शरी जी क सनमख करत आरती मोहवितमिमर नास दखदारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय मोहानधकारविनाशनारय दीप विनपामीवित साहा

अगर कपर सगनध मनोहर चनदन कट सगनध मिमलारय

शरी जी क सनमख खरय धपारयन कम जर चहगवित मिमदिट जारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विनपामीवित साहा

शरीफल और बदाम सपारी कला आदिद छहारा लरयारय

महामोकषफल पान कारन लरयारय चढाऊ परभ क पारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय मोकषफलपरापतरय फल विनपामीवित साहा

शलिच विनमल नीर गनध सअकषत पषप चर ल मन हरषारय

दीप धप फल अघ सलकर नाचत ताल मदग बजारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अनघपदपरापतरय अघ_ विनपामीवित साहा

पञचकलरयाणकाघ

सारथ लिसभिदध त चरय मरदी उर आरय

दोज अलिसत आषाढ की जज वितहार पारय

ॐ हरी आषाढक़षणवितीरयारया गभकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

चतदी नौमी दिदना जनमरया शरी भगान

सरपवित उतस अवितकरा म पजौ धरिर रधवारयान

ॐ हरी चतरकषणनमरया जनमकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

तणत ऋभिदध सब छाडिb क तप धारया न जारय

नौमी चतर Acirc असत Acirc कीAcirc जजAcirc वितहार पारय

ॐ हरी चतरकषणनमरया तपकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

फालगन दिद एकादशी उपजरयो कलजञान

इनदर आरय पजा करी म पजो इह थान

ॐ हरी फालगनकषणकादशरया जञानकलरयाणक परापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

माघ चतद भिश कषण की मोकष गरय भगान

भवि जीो को बोलिध क पहच भिशपर थान

ॐ हरी माघकषणचतदशरया मोकषकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

जरयमाला

आदीशवर महाराज Acirc म Acirc विनतीAcirc तमसAcirc कर

चारो गवित क माविह मAcirc दख Acirc पारयो सो सनो

अC कम Acirc मAcirc एकलो रयह दC महादख दत हो

कबह इतर विनगोद म मोक पटकत करत अचत हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ कबहक पटकरयो नरक म जठ जी महादख पारय हो

विनषठर विनरदई नारकी जठ करत परसपर घात हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ नरक तणा दख अब कह जठ करत परसपर घात हो

कोइरयक बारधवारयो खभसरयो पापी द मदगर की मार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

कोइरयक काट करोत सो पापी अगतणी दोरय फाड हो

परभ रयह विलिध दख भगतरया घणा विफर गवित पाई वितररयच हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

विहरणा बकरा बाछला पश दीन गरीब अनाथ हो

पकड कसाई जाल म पापी काट काट तन खारय हो

परभ म ऊट बलद भसा भरयो जाप लादिदरयो भार अपार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

नविह चालरयौ जब विगर परय पापी द सोटन की मार हो

परभ कोइरयक पणरय सजोग स म तो पारयो सग विनास हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

दागना सग रमिम रहयो जठ भोगविन को परकास हो

परभ सग अपसरा रमिम रहयो कर कर अवित अनराग हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

कबहक नदनन विष परभ कबहक नगह माविह हो

परभ रयह विलिधकाल गमारय क विफर माला गई मरझारय हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

द लिथती सब घट गई विफर उपजरयो सोच अपार हो

सोच करत तन खिखर पडयो विफर उपजरयो गरभ म जारय हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ गभतणा दख अब कह जठ सकडाई की ठौर हो

हलन चलन नविह कर सकरयो जठ सघन कीच घनघोर हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

माता खा चरपरोAcirc विफर Acirc लागAcirc तन Acirc सताप Acirc हो

परभ जो जननी तातो भख विफर उपज तन सताप हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

औध मख झलरयो रहयो फर विनकसन कौन उपारय हो

कदिठन-कदिठन कर नीसरयो जस विनसर जतरी म तार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ विफर विनकसत ही धरतरया पडयो विफर लागी भख अपार हो

रोरय-रोरय विबलखरयो घणो दख दन को नविह पार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ दख मटन समरथ धनी रयात लाग वितहार पारय हो

सक अरज कर परभ मोक भदलिध पार उतार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अनघपदपरापतरय महाघ_ विनपामीवित साहा

दोहा

शरीजी की मविहमा अगम ह कोई न पा पार

म मवित अलप अजञान ह कौन कर विसतार

विनती ऋषभ जिजनश की जो पढसी मन लरयारय

सरगो म सशरय नही विनहच भिशपर जारय

चनदरपरभ पजाचारचरन आचरन चरन लिचतहरन लिचनह चर |

चद-चद-तनचरिरत चद थल चहत चतर नर ||

चतक चb चकचरिर चारिर लिचदचकर गनाकर |

चचल चलिलत सरश चलनत चकर-धनरहर ||

चर अचर विहत तारन तरन सनत चहविक लिचर नद शलिच |

जिजनचद चरन चरचरयो चहत लिचतचकोर नलिच रचचिचच रलिच |1|

दोहाः- धनरष डढ़ सौ तग तन रमहासन नपनद |

रमात लकषरमना उर जय रथापौ चद जिजनद |2|

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदर अतर अतर अतर सौषट |

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

गगाहरद तिनररमल नीर हाटक भग भरा |

तरम चरन जजौ वरवीर रमटो जनरम जरा ||

शरी चदरनारथ दतित चद चरनन चद लस |

रमन वच तन जजत अरमद-आतरम-जोतित जग ||

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

शरीखणड कपर सचग कशर रग भरी |

घशिस परासक जल क सग भवआताप हरी ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

तदल शिसत सोरम सरमान सरम लय अतिनयार |

दिदय पज रमनोहर आन तरम पदतर पयार ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

सर दररम क सरमन सरग गमिधत अशिल आव |

ता सो पद पजत चग कारमतिवधा जाव ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

नवज नाना परकार इदिदरय बलकारी |

सो ल पद पजौ सार आकलता-हारी ||

शरी चदरनारथ दतित चद चरनन चद लस |

रमन वच तन जजत अरमद-आतरम-जोतित जग ||

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

तरम भजन दीप सवार तरम दिढग धारत हौ |

रमरम तितमिरमररमोह तिनरवार यह गण याचत हौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

दसगध हतासन रमाकिह ह परभ खवत हौ |

रमरम कररम दषट जरिर जाकिह या त सवत हौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

अतित उततरम फल स रमगाय तरम गण गावत हौ |

पजौ तनरमन हररषाय तिवघन नशावत हौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

सजिज आठो दरब पनीत आठो अग नरमौ |

पजौ अषटरम जिजन रमीत अषटरम अवतिन गरमौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली

कशिल पचरम चत सहात अली गरभागरम रमगल रमोद भली |

हरिर हरतिरषत पजत रमात तिपता हरम धयावत पावत शरम13शिसता ||

ॐ हरी चतरकषणा पचमरयागभमगलविbतारय शरीचनदरपरभजिजननदरारय अरघयरय_ विन0 |1|

कशिल पौरष एकादशिश जनरम लयो तब लोकतिवरष सख रथोक भयो |

सरईश जज तिगरिरशीश तब हरम पजत ह नत शीश अब ||

ॐ हरी पौषकषणकादशरया जनममगल मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |2|

तप ददधर शरीधर आप धरा कशिल पौरष इ=यारशिस पव13 वरा |

तिनज धयान तिवरष लवलीन भय धतिन सो दिदन पजत तिवरघयन गय ||

ॐ हरी पौषकषणकादशरया तपोमगल मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |3|

वर कवल भान उदयोत तिकयो तितहलोकतणो भररम रमट दिदयो |

कशिल फाAगन सपतमिरम इदर जज हरम पजकिह सव13 कलक भज ||

ॐ हरी फालगनकषणा सपतमरया कलजञान मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |4|

शिसत फाAगन सपतमिरम रमशिकत गय गणवत अनत अबाध भय |

हरिर आय जज तितत रमोद धर हरम पजत ही सब पाप हर ||

ॐ हरी फालगनशकला सपतमरया मोकषमगल मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |5|

जरयमाला

दोहाः- ह रमगाद अतिकत चरण तरम गण अगरम अपार |

गणधर स नकिह पार लकिह तौ को वरनत सार |1|

प तरम भगतित रमरम तिहय परर अतित उरमगाय |

तात गाऊ सगण तरम तरम ही होउ सहाय |2|

जय चदर जिजनदर दयातिनधान भवकानन हानन दव पररमान |

जय गरभ जनरम रमगल दिदनद भतिव-जीव तिवकाशन शरम13 कनद |3|

दशलकष पव13 की आय पाय रमनवाशिछत सख भोग जिजनाय |

लगनिख कारण हव जगत उदास चिचतयो अनपरकषा सख तिनवास |4|

तितत लोकातितक बोधयो तिनयोग हरिर शिशतिवका सजिज धरिरयो अभोग |

ताप तरम चदिढ़ जिजनचदराय ताशिछन की शोभा को कहाय |5|

जिजन अग सत शिसत चरमर ढार शिसत छS शीस गल गलक हार |

शिसत रतन जतिड़त भरषण तिवशिचS शिसत चनदर चरण चरच पतिवS |6|

शिसत तनदयतित नाकाधीश आप शिसत शिशतिवका काध धरिर सचाप |

शिसत सजस सरश नरश सव13 शिसत शिचतत रम चिचतत जात पव13 |7|

शिसत चदर नगर त तिनकशिस नारथ शिसत वन रम पहच सकल सारथ |

शिसत शिशला शिशरोरमभिण सवचछ छाह शिसत तप तितत धायAcirc तरम जिजनाह |8|

शिसत पय को पारण पररम सार शिसत चदरदतत दीनो उदार |

शिसत कर रम सो पय धार दत रमानो बाधत भवचिसध सत |9|

रमानो सपणय धारा परतचछ तितत अचरज पन सर तिकय ततचछ |

तिफर जाय गहन शिसत तप करत शिसत कवल जयोतित ज=यो अननत |10|

लतिह सनवसरन रचना रमहान जा क दरसन सब पाप हान |

जह तर अशोक शोभ उतग सब शोक तनो चर परसग |11|

सर सरमन वमिषट नभ त सहात रमन रमनरमरथ तजिज हशिरथयार जात |

बानी जिजनरमख सो गनिखरत सार रमन ततव परकाशन रमकर धार |12|

जह चौसठ चरमर अरमर ढरत रमन सजस रमघ झरिर लतिगय तत |

चिसहासन ह जह करमल जकत रमन शिशव सरवर को करमल शकल |13|

ददभिभ जिजत बाजत रमधर सार रमन कररमजीत को ह नगार |

शिशर छS तिफर Sय शवत वण13 रमन रतन तीन Sय ताप हण13 |14|

तन परभा तनो रमडल सहात भतिव दखत तिनज भव सात सात |

रमन दप13ण दयतित यह जगरमगाय भतिवजन भव रमख दखत स आय |15|

इतयादिद तिवभतित अनक जान बातिहज दीसत रमतिहरमा रमहान |

ता को वरणत नकिह लहत पार तो अतरग को कह सार |16|

अनअत गणतिनजत करिर तिवहार धररमोपदश द भवय तार |

तिफर जोग तिनरोध अघातितहान समरमदरथकी शिलय रमकतितरथान |17|

lsquoवनदावनrsquo वदत शीश नाय तरम जानत हो रमरम उर ज भाय |

ता त का कहौ स बार बार रमनवाशिछत कारज सार सार |18|

जय चद जिजनदा आनदकदा भवभयभजन राज ह |

रागा दिदक दवदा हरिर सब फदा रमकतित रमातिह शिरथतित साज ह |19|

ॐ हरी शरीचनदरपरभजिजनदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

आठो दरब मिरमलाय गाय गण जो भतिवजन जिजनचद जज |

ता क भव-भव क अघ भाज रमशिकतसार सख तातिह सज ||

जरम क Sास मिरमट सब ताक सकल अरमगल दर भज |

lsquoवनदावनrsquo ऐसो लगनिख पजत जा त शिशवपरिर राज रज ||

इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

रमहावीर सवारमीशरीमत ीर हर भपीर भर सखसागर अनाकलताई |

कहरिर अक अरीकरदक नरय हरिर पकवित मौलिल सआई ||म तमको इत थापत हौ परभ भलिN समत विहरय हरषाई |ह करणा-धन-धारक द इहा अब वितषठह शीघरविह आई ||ॐ हरी शरीदधमान जिजननदर अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी शरीदधमान जिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी शरीदधमान जिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

कषीरोदलिधसम शलिच नीर कचन भग भरौ |परभ विग हरो भपीर रयात धार करौ ||शरी ीर महा-अवितीर सनमवित नारयक हो |जरय दधमान गणधीर सनमवितदारयक हो ||ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

रमलयातिगर चनदनसार कसर सग घसौ |परभ भवआताप तिनवार पजत तिहय हलसौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

तदल शिसत-शशिशसरम शदध लीनो रथार भरी |तस पज धरौ अतिवरदध पावौ शिशवनगरी ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

सरतर क सरमन सरमत सरमन सरमन पयार |सो रमनरमरथ भजन हत पजौ पद रथार ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

रसरजजत सजजत सदय रमजजत रथार भरी |पद जजजत रजजत अदय भजजत भख अरी ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

तरमखतिडत रमतिडत नह दीपक नह दीपक जोवत हौ |तरम पदतर ह सखगह भररमतरम खोवत हौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

हरिरचदन अगर कपर चर सगध करा |तरम पदतर खवत भरिर आठो करम13 जरा ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

रिरत फल कल-वरजिजत लाय कचन भरौ |शिशव फलतिहत ह जिजनराय तरम दिढग भट धरौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

जल फल वस सजिज तिहरम रथार तन रमन रमोद धरौ |गण गाऊ भवदमिधतार पजत पाप हरौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली रमोतिह राखो हो शरणा शरी वदध13रमान जिजनरायजी रमोतिह राखो0 |गरभ साढ़ शिसत छटट शिलयो शिरथत तिSशला उर अघ हरना |सर सरपतित तितत सव करी तिनत रम पज भवतरना ||

रमोतिह राखो हो शरणा शरी वदध13रमान जिजनरायजी रमोतिह राखो हो शरणा |ॐ हरी आषाढशकलाषषठया गभमगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |1|

जनरम चत शिसत तरस क दिदन कणडलपर कन वरना |सरतिगरिर सरगर पज रचायो रम पजौ भवहरना |रमोतिह0ॐ हरी चतरशकलातररयोदशरया जनममगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |2|

रमगशिसर अशिसत रमनोहर दशरमी ता दिदन तप आचरना |नपतित कल घर पारन कीनो रम पजौ तरम चरना |रमोतिह0ॐ हरी मागशीषकषणादशमरया तपोमगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |3|

शकल दश वशाख दिदवस अरिर घात चतक कषय करना |कवल लतिह भतिव भवसर तार जजौ चरन सख भरना |रमोतिह0ॐ हरी शाखशकलादशमरया कलजञानमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |4|

कारतितक शयारम अरमावस शिशव तितय पावापर त वरना |गणफतिनवनद जज तितत बहतिवध रम पजौ भयहरना |रमोतिह0ॐ हरी कारतितककषणाअमासरयारया मोकषमगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |5|

जरयमालागणधर अशतिनधर चकरधर हलधर गदाधर वरवदा |अर चापधर तिवदयासधर तितरशलधर सवकिह सदा ||दखहरन आनदभरन तारन तरन चरन रसाल ह |सकरमाल गण रमतिनरमाल उननत भालकी जयरमला ह ||

जय तिSशलानदन हरिरकतवदन जगदानदन चदवर |भवतापतिनकदन तनकनरमदन रतिहत सपदन नयन धर ||

जय कवलभान-कला-सदन भतिव-कोक-तिवकाशन कदवन |जगजीत रमहारिरप रमोहहर रजजञान-दगावर चर कर |1|गभा13दिदक रमगल रमतिडत हो दखदारिरद को तिनत खतिडत हो |जग रमाकिह तमही सतपतिडत हो तरम ही भवभाव-तिवहतिडत हो |2|हरिरवश सरोजन को रतिव हो बलवत रमहत तमही कतिव हो |लतिह कवलधरम13 परकाश तिकयो अबलो सोई रमारग राजतितयो |3|पतिन आप तन गण रमाकिह सही सररम=न रह जिजतन सबही |तितनकी वतिनता गनगावत ह लय-तानतिनसो रमनभावत ह |4|पतिन नाचत रग उरमग-भरी तअ भशिकत तिवरष पग एरम धरी |झनन झनन झनन झनन सर लत तहा तनन तनन |5|घनन घनन घनघट बज दरमद दरमद दरमद मिरमरदग सज |गगनागन-गभ13गता सगता ततता ततता ततता अतता तिवतता |6|धगता धगता गतित बाजत ह सरताल रसालज छाजत ह |सनन सनन सनन नभ रम इकरप अनक ज धारिर भररम |7|तिकननर सर बीन बजावत ह तरमरो जस उजजवल गावत ह |करताल तिवरष करताल धर सरताल तिवशाल ज नाद कर |8|इन आदिद अनक उछाह भरी सरभशिकत कर परभजी तरमरी |तरमही जग जीवन क तिपत हो तरमही तिबनकारनत तिहत हो |9|तरमही सब तिवरघयन तिवनाशन हो तरमही तिनज आनदभासन हो |तरमही शिचतचिचतिततदायक हो जगरमाकिह तमही सब लायक हो |10|तरमर पन रमगल रमाकिह सही जिजय उततरम पनय शिलयो सबही |हरमतो तरमरी शरणागत ह तरमर गन रम रमन पागत ह |11|परभ रमो तिहय आप सदा बशिसय जबलो वस करम13 नही नशिसय |

तबलो तरम धयान तिहय वरतो तबलो शरतचिचतन शिचतत रतो |12|तबलो वरत चारिरत चाहत हो तबलो शभभाव सगाहत हो |तबलो सतसगतित तिनतत रहो तबलो रमरम सजरम शिचतत गहो |13|जबलो नकिह नाश करौ अरिरको शिशव नारिर वरौ सरमता धरिरको |यह दयो तबलो हरमको जिजनजी हरम जाचत ह इतनी सनजी |14|घतताः- शरीवीर जिजनशा नमिरमत सरशा नाग नरशा भगतित भरा |lsquoवनदावनrsquo धयाव तिवघन नशाव वाशिछत पाव शरम13 वरा ||ॐ हरी शरीदधमान जिजननदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

दोहाः- शरी सनरमतित क जगल पद जो पज धरिर परीत |वनदावन सो चतर नर लह रमशिकत नवनीत ||इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

चौबीस जिजन पजावरषभ अजिजत सभ अभीनदन समवित पदम सपास जिजनरारय

चनद पहप शीतल शररयास नमिम ास पज पजिजत सर रारय

विमल अनत धरम जस उजजल शावित कथ अर मडिलल मनारय

मविन सवरत नमिम नमिम पाशव परभ धमान पद पषप चढारय

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन समह अतर अतर अतर सौषट

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन समह अतर वितषठ वितषठ ठ ठ

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन समह अतर मम सलिVविहतो भ भ षट

रमतिनरमन सरम उजजवल नीर परासक गध भरा

भरिर कनक कटोरी धीर दीनी धार धरा

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो जनम जरा मतरय विनाश-नारय जल विनपामिमवित साहा

गोशीर कपर मिरमलाय कसर रग भरी

जिजन चरनन दत चढ़ाय भव आताप हरी

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो भ ताप विनाश-नारय चनदन विनपामिमवित साहा

तदल शिसत सोरम सरमान सनदर अतिनयार

रमकता फल की उनरमान पनज धरौ पयार

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो अकषरय पद पराप-तारय अकषतान विनपामिमवित साहा

वरकज कदब करड सरमन सगध भर

जिजन अगर धरौ गण रमद कारम कलक हर

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो काम बाण विरधवा-सनारय पषप विनपामिमवित साहा

रमन रमोदन रमोदक आदिद सनदर सधय बन

रस परिरत परासक सवाद जजत कषधादिद हन

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो कषधा रोग विनाश नारय नदय विनपामिमवित साहा

तरम खडन दीप जगाय धारो तरम आग

सब तितमिरमर रमोह कषय जाय जञान कला जाग

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो मोहानधकार विनाश-नारय दीप विनपामिमवित साहा

दश गध हताशन रमातिह ह परभ खवत हो

मिरमस धरम कररम जरिर जातिह तरम पद सवत हो

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो अC कम दहनारय धप विनपामिमवित साहा

शशिच पकव सरस फल सार सब ऋत क Aयायो

दखत दग रमन को पयार पजत सख पायो

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो मोकष फल परापतारय विनपामिमवित साहा

जल फल आठो शशिच सार ताको अघ13 करो

तरमको अरपो भव तार भव तरिर रमोकष वरो

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चतरतिशवित तीथ_-करभरयो अनघ पद पराप-तारय अघ_ विनपामिमवित साहा

जरयमाला

शरी रमत तीररथ नारथ पद रमारथ नाय तिहतहत

गाऊ गण रमाला अब अजर अरमर पद दत

जय भव तरम भजन जन रमन कजन रजन दिदन रमतिन सवचछ करा

शिशव रमग परकाशक अरिर-गण नाशक चौबीसौ जिजन राज वरा

जय रिररषभ दव ऋतिरष गन नरमत जय अजिजत जीत वस अरिर तरत

जय सभव भव भय करत चर जय अभिभनदन आनद पर

जय सरमतित सरमतित दायक दयाल जय पदरम पदरम दतित तन रसाल

जय जय सपास भव-पास नाश जय चद चद तन-दतित परकाश

जय पषप-दत दतित-दत सत जय शीतल शीतल गन तिनकत

जय शरय नारथ नत सहस भजज जय वासव पजिजत वास पजज

जय तिवरमल तिवरमल पद दन हार जय जय अनत गन गन अपार

जय धरम13 धरम13 शिशव शरम13 दत जय शातित शातित पषटी करत

जय करथ करथ वादिदक रखय जय अर जिजन वस अरिर छय करय

जय रमलपिAल रमAल हत रमोह रमAल जय रमतिन सवरत वरत शAल दAल

जय नमिरम तिनत वासव-नत सपरम जय नरमी नारथ वररष-चकर-नरम

जय पारस नारथ अनारथ नारथ जय वध13रमान शिशव नगर सारथ

चौबीस जिजनदा आनद कदा पाप तिनकदा सख कारी

तितन-पद जग-चदा उदय अरमदा वासव वदा तिहत धारी

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन-भरयो महारघयरय विनपामिमवित साहा

सोरठा

भशिकत रमशिकत दातार चौबीसौ जिजन-राज-वर

तितन-पद रमन-वच-धार जो पज सो शिशव लह

सोलहकारण भावना पजासोलह कारण भारय तीथ_कर ज भरय |

हरष इनदर अपार मरप ल गरय ||पजा करिर विनज धनरय लखरयो बह चासौ|हमह षोbश कारन भा भासौ ||ॐ हरी दशनविशदधरयादिद षोbशकारणाविन अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी दशनविशदधरयादिद षोbशकारणाविन अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी दशनविशदधरयादिद षोbशकारणाविन अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

कचन-झारी विनरमल नीर पजो जिजनर गन-गभीर|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||दरशविशभिदध भाना भारय सोलह तीथ_कर-पद-दारय|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||

ॐ हरी 1 दशनविशभिदध 2 विनरयसमपVता 3 शीलवरतषनतीचार 4अभीकषणजञानोपरयोग 5 सग 6 शलिNतसतरयाग 7 शलिNतसतप 8 साधसमालिध 9 रयातरयकरण 10 अहद भलिN 11 आचारयभलिN 12 बहशरतभलिN 13 परचनभलिN 14 आशरयकापरिरहाभिण 15 मागपरभाना 16 परचनातसलरय इवितषोbशकारणभरयः जल विनपामीवित साहा |1|

चदन घसौ कपर मिमलारय पजौ शरीजिजनरक पारय |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः ससारतापविनाशनारय चनदन विन0|2|

तदल धल सगध अनप पजौ जिजनर वितह जग-भप|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अकषरय पदपरापतरय अकषतान विन0|3|

फल सगनध मधप-गजार पजौ-जिजनर जग-आधार |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||दरशविशभिदध भाना भारय सोलह तीथ_कर-पद-दारय |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः कामबाणविरधवासनारय पषप विन0|4|

सद नज बहविलिध पकान पजौ शरीजिजनर गणखान|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः कषधारोगविनाशनारय नदय विन0|5|

दीपक-जरयोवित वितमिमर छरयकार पज शरीजिजन कलधार|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः मोहानधकारविनाशनारय दीप विन0|6|

अगर कपर गध शभ खरय शरीजिजनर आग महकरय |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अCकमदहनारय धप विन0|7|

शरीफल आदिद बहत फलसार पजौ जिजन ालिछत-दातार |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः मोकषफलपरापतरय फल विन0|8|

जल फल आठो दर चढारय lsquoदयानतrsquo रत करौ मन लारय|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0|9|

परतरयक भाना क अरघयरय (सरया तईसा)दशन शदध न होत जो लग तो लग जी मिमथरयाती कहा |काल अनत विफर भ म महादःखनको कह पार न पा ||दोष पचीस रविहत गण-अमबलिध समरयगदरशन शदध ठरा |lsquoजञानrsquo कह नर सोविह बडो मिमथरयात तज जिजन-मारग रधवारया ||ॐ हरी दशन विशभिदध भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |1|

द तथा गररारय तथा तप सरयम शील वरतादिदक-धारी |पापक हारक कामक छारक शलरय-विनारक कम-विनारी ||

धम क धीर कषारयक भदक पच परकार ससार क तारी |lsquoजञानrsquo कह विनरयो सखकारक भा धरो मन राखो विचारी ||ॐ हरी विनरयसमपVता भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |2|

शील सदा सखकारक ह अवितचार-विरजिजत विनमल कीज |दान द कर तस स विषानल भत विपशाच पतीज ||शील बडो जग म हलिथरयार ज शीलको उपमा काह की दीज |lsquoजञानrsquo कह नविह शील बराबर तात सदा दढ शील धरीज ||ॐ हरी विनरवितचार शीलवरत भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |3|

जञान सदा जिजनराज को भाविषत आलस छोड पढ जो पढा |ादश दोउ अनकह भद सनाम मती शरवित पचम पा ||चारह भद विनरनतर भाविषत जञान अभीकषण शदध कहा |lsquoजञानrsquo कह शरत भद अनक ज लोकालोक विह परगट दिदखा ||ॐ हरी अभीकषण जञानोपरयोग भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |4|

भरात न तात न पतर कलतर न सगम दजन रय सब खोटो |मजिनदर सनदर कारय सखा सबको हमको इमिम अतर मोटो ||भाउ क भा धरी मन भदन नाविह सग पदारथ छोटो |lsquoजञानrsquo कह भिश-साधन को जसो साह को काम कर ज बणोटो ||ॐ हरी सग भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |5|

पातर चतरतिध दख अनपम दान चतरतिध भास दीज |शलिN-समान अभरयागत को अवित आदर स परभिणपतरय करीज ||दत ज नर दान सपातरविह तास अनकविह कारण सीझ |बोलत lsquoजञानrsquo दविह शभ दान ज भोग सभमिम महासख लीज ||ॐ हरी शलिNतसतरयाग भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |6|

कम कठोर विगरान को विनज शलिN-समान उपोषण कीज |बारह भद तप तप सनदर पाप जलाजलिल काह न दीज ||भा धरी तप घोर करी नर जनम सदा फल काह न लीज |lsquoजञानrsquo कह तप ज नर भात ताक अनकविह पातक छीज ||ॐ हरी शलिNतसतप भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |7|

साधसमालिध करो नर भाक पणरय बडो उपज अघ छीज |साध की सगवित धमको कारण भलिN कर परमारथ सीज ||साधसमालिध कर भ छटत कीरतित-छटा तरलोक म गाज |lsquoजञानrsquo कह रयह साध बडो विगरिरशरग गफा विबच जारय विराज ||ॐ हरी साधसमालिध भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |8|

कम क रयोग वयथा उदरय मविन पग कनत सभषज कीज |विपतत-कफाविनल (ात) सास भगनदर ताप को शल महागद छीज ||भोजन साथ बनारय क औषध पथरय कपथरय विचार क दीज |lsquoजञानrsquo कह विनत यरयातरय कर तस द पतीज ||ॐ हरी रयातरयकरण भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

द सदा अरिरहनत भजो जई दोष अठारा विकरय अवित दरा |पाप पखाल भरय अवित विनमल कम कठोर विकए चकचरा ||दिदवय-अननत-चतCरय शोभिभत घोर मिमथरयानध-विनारण सरा |lsquoजञानrsquo कह जिजनराज अराधो विनरनतर ज गण-मजिनदर परा ||ॐ हरी अहद भलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |10|

दत ही उपदश अनक स आप सदा परमारथ-धारी |दश विदश विहार कर दश धम धर भ-पार- उतारी ||ऐस अचारज भा धरी भज सो भिश चाहत कम विनारी |lsquoजञानrsquo कह गर-भलिN करो नर दखत ही मनमाविह विचारी ||ॐ हरी आचारय भलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |11|

आगम छनद पराण पढात साविहत तक वितक बखान |कावय कथा न नाटक पजन जरयोवितष दयक शासतर परमान ||ऐस बहशरत साध मनीशवर जो मन म दोउ भा न आन |बोलत lsquoजञानrsquo धरी मन सान ज भागरय विशष त जञानविह सान ||ॐ हरी बहशरवितभलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |12|

ादश अग उपाग सदागम ताकी विनरतर भलिN करा |द अनपम चार कह तस अथ भल मन माविह ठरा ||पढ बहभा लिलखो विनज अकषर भलिN करी बविड पज रचा |lsquoजञान कह जिजन आगम-भलिN कर सद-बभिदध बहशरत पा ||ॐ हरी परचनभलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |13|

भा धर समता सब जीस सतोतर पढ मख स मनहारी |कारयोतसग कर मन परीतस दन द-तणो भ तारी ||रधवारयान धरी मद दर करी दोउ बर कर पडकममन भारी |lsquoजञानrsquo कह मविन सो धननत ज दशन जञान चरिरतर उघारी ||ॐ हरी आशरयकापरिरहाभिण भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |14|

जिजन-पजा रच परमारथस जिजन आग नतरय महोतस ठाण |गात गीत बजात ढोल मदगक नाद सधाग बखाण ||सग परवितषठा रच जल-जातरा सद गर को साहमो कर आण |lsquoजञानrsquo कह जिजन माग-परभान भागरय-विशषस जानविह जाण ||ॐ हरी मागपरभाना भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |15|

गौर भा धरो मन स मविन-पग को विनत तसल कीज |शीलक धारक भवय क तारक तास विनरतर सनह धरीज ||धन रयथा विनजबालक को अपन जिजरय छोविड न और पतीज |lsquoजञानrsquo कह भवि लोक सनो जिजन तसल भा धर अघ छीज ||ॐ हरी परचन-ातसलरय भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |16|

जापरय मतर -ॐ हरी दशनविशदधरय नमः ॐ हरी विनरयसमपVतारय नमः ॐ हरी शीलवरतारय नमःॐ हरी अभीकषणजञानोपरयोगारय नमः ॐ हरी सगारय नमः ॐ हरी शलिNतसतरयागारय नमःॐ हरी शलिNतसतपस नमः ॐ हरी साधसमारधवारय नमः ॐ हरी रयातरयकरणारय नमःॐ हरी अहद भकतरय नमः ॐ हरी आचारयभकतरय नमः ॐ हरी बहशरतभकतरय नमःॐ हरी परचनभकतरय नमः ॐ हरी आशरयकापरिरहाणरय नमः ॐ हरी मागपरभानारय नमःॐ हरी परचनातसलरय नमः |16|

जयरमालारषोडश कारण गण कर हर चतरगतित-वास |पाप पणय सब नाशक जञान-भान परकाश||

चौपाई दरश तिवशजिदध धर जो कोई ताको आवागरमन न होई |तिवनय रमहाधार पराणी शिशव-वतिनता की सखी बखानी |1|

शील सदा दढ़ जो नर पाल सो औरनकी आपद टाल |जञानाभयास कर रमनरमाही ताक रमोह-रमहातरम नाही |2|जो सवग-भाव तिवसतार सरग-रमकतित-पद आप तिनहार |दान दय रमन हररष तिवशरष इह भव जस परभव सख पख |3|जो तप तप खप अभिभलारषा चर कररम-शिशखर गर भारषा |साध-सरमामिध सदा रमन लाव तितह जग भोग भोतिग शिशव जाव |4|तिनश-दिदन वयावतय करया सो तिनहच भव-नीर तितरया |जो अरहत-भगतित रमन आन सो जन तिवरषय करषाय न जान |5|जो आचारज-भगतित कर ह सो तिनरम13ल आचार धर ह |बहशरतवत-भगतित जो करई सो नर सपरन शरत धरई |6|परवचन-भगतित कर जो जञाता लह जञान पररमानद-दाता |रषट आवशय काय सो साध सोही रतन-Sय आराध |7|धररम-परभाव कर ज जञानी तितन शिशव-रमारग रीतित तिपछानी |वतसल अग सदा जो धयाव सो तीरथsकर पदवी पाव |8|

दोहाएही सोलह भावना सतिहत धर वरत जोय |दव-इनदर-नर-वदय lsquoदयानतrsquo शिशव-पद होय ||ॐ हरी दश13नतिवशदधयादिद रषोडशकारणभयः पणारघययs तिनव13पारमीतित सवाहा |सनदर रषोडशकारण भावना तिनरम13ल शिचतत सधारक धार |करम13 अनक हन अतित ददध13र जनरम जरा भय रमतय तिनवार ||दःख दरिरदर तिवपभितत हर भव-सागर को पार उतार |lsquoजञानrsquo कह यही रषोडशकारण करम13 तिनवारण शिसदध स धार ||इतयाशीवा13द (पषपाजचिल भिकषपत)

ननदीशवर दिदप पजासरब पर म बडो अढाई पर ह |

ननदीशवर सर जाविह लरय ास दरब ह ||

हम शलिN सो नाविह इहा करी थापना |

पज जिजनगरह-परवितमा ह विहत आपना ||

ॐ हरी शरी-ननदीशवर-ीप ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमा-समह

अतर अतर अतर सौषट | अतर वितषठ ठ ठ | अतर मम सलिVविहतो भभ षट |

कचन रमभिण रमय शरगार तीररथ-नीर भरा |

तितह धार दई तिनरवार जारमन रमरण जरा ||

ननदीशवर-शरीजिजन-धारम बावन पज करो |

वस दिदन परतितरमा अभिभरारम आनद-भाव धरो ||

ननदीशवर दवीप रमहान चारो दिदशिश सोह |

बावन जिजन रमजिनदर जान सरनर रमन रमोह ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो जनम-जरा-मतरय विनाशनारय जल विनपामीवित साहा |

भव-तप-हर शीतल वाससो चनदन नाही |

परभ यह गण कीज साच आयो तरम ठाही || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो ससार-ताप-विनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा |

उततरम अकषत जिजनराज पज धर सोह |

सब जीत अकष सरमाज तरम सरम अर को ह || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो अकषरय-पद-परापतारय अकषत विनपामीवित साहा |

तरम कारम तिवनाशक दव धयाऊ फलनसौ |

लह शील लचछरमी एव छट सलनससौ || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो काम-बाण विरधवासनारय पषप विनपामीवित साहा |

नवज इजिनदरय बलकार सो तरमन चरा |

चर तरम दिढग सोह सार अचरज ह परा || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो कषधा-रोग विनाशनारय नदय विनपामीवित साहा |

दीपक की जयोतित-परकाश तरम तन रमातिह लस |

टट कररमन की राश जञान-कणी दरश || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो मोहानधकार विनाशनारय दीप विनपामीवित साहा |

कषणागर-धप-सवास दश-दिदशिश नारिर वर |

अतित हरष13 भाव परकाश रमानो नतय कर || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो अCकम दहनारय धप विनपामीवित साहा |

बह तिवमिध फल ल तितह काल आननद नाचत ह |

तरम शिशव फल दह दयाल ततिह हरम जाचत ह || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो महा-मोकष-फल परापतारय फल विनपामीवित साहा |

यह अरघ तिकयो तिनज-हत तरमको अरपत हो |

lsquoधानतrsquo तिकजयो शिशव खत भमिरम सरमप13त हो || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो अनघ-पद-परापतारय अघ_ विनपामीवित साहा |

जरयमाला

कारतितक फालगन साढक अनत आठ दिदन माविह |

ननदीशवर सर जात ह हम पज इह ठाही ||

एक सौ Sसठ कोडी जोजन रमहा |

लाख चौरशिसया एक दिदश रम लहा ||

आठरमो दवीप ननदीशवर भासवर |

भौन बावन परतितरमा नरमो सखकर ||

चार दिदशिश चार अनजनतिगरी राजही |

सहस चौरशिसया एक दिदश छाजातिह ||

ढोल सरम गोल ऊपर तल सनदर || भौन ||

इक इक चार दिदशिश चार शभ बावरी |

एक इक लाख जोजन अरमल-जल भरी ||

चह दिदशा चार वन लाख जोजन वर || भौन ||

सोल वापीन रममिध सोल तिगरी दमिधरमख |

सहस दश रमहा जोजन लखत ही सख ||

बावरी कौन दो रमातिह दो रतितकर || भौन ||

शल बततीस एक सहस जोजन कह |

चार सोल मिरमल सव13 बावन लह ||

एक इक सीस पर एक जिजनरमजिनदर || भौन ||

तिबमब अठ एक सौ रतनरमयी सोहही |

दव दवी सरव नयन रमन रमोहही ||

पाच स धनरष तारम पदम-आसन पर || भौन ||

लाल-नख-रमख नयन शयारम अर शवत ह |

शयारम-रग भौह शिसर-कश छतिव दत ह ||

वचन बोलत रमनो हसत कालरष हररम || भौन ||

कोदिट-शशिश भान दतित-तज शिछप जात ह |

रमहा-वराग-परिरणारम ठहरात ह ||

वचन नकिह कह लगनिख होत समयक धर |

भौन बावन परतितरमा नरमो सखकर ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो जरयमाला पणाघ_ विनपामीवित साहा |

ननदीशवर ीप अघ

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प पभि म उततर दभिकषण चार अनजनविगरी सोलह दलिधमख बततीस रवितकर बान पत डिसथत बान जिजनचतरयालरयभरयो पाच हजार छह सौ सोलह जिजन विबमबभरयो पणाघ_ विनपामीवित साहा |

ननदीशवर-जिजन धारम परतितरमा-रमतिहरमा को कह |

lsquoधानतrsquo लीनो नारम यही भगतित शिशव-सख कर ||

इतरयाभिशाद || पषपाजलिल भिकषपत ||

पचरमर पजातीथ_करोक नहन ndash जलत भरय तीरथ शमदा

तात परदचछन दत सर ndash गन पच मरन की सदा |दो जललिध ढाई ीप म सब गनत-मल विराजहीपजौ असी जिजनधाम ndash परवितमा होविह सख दख भाजही ||

ॐ हरी पचमरसमबनधिनध अससी जिजनचतरयालरयसथजिजनपरवितमा-समह अतर अतर अतरसौषट |ॐ हरी पचमरसमबनधिनध अससी जिजनचतरयालरयसथजिजनपरवितमा-समह अतर वितषठ वितषठ ठः

ठः |ॐ हरी पचमरसमबनधिनध अससी जिजनचतरयालरयसथजिजनपरवितमा-समह अतर मम सलिVविहतो भ भ पषट

शीतल-मिरमषट-सवास मिरमलाय जल सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||पाचो रमर असी जिजनधारम सब परतितरमा जी को करौ परणारम |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||ॐ हरी सदशन-विजरय-अचल-मनदर-विदयनमालिल-पचमरसमबनधिनध-जिजनचतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः जल विनमीवित साहा |1|

जल कशर करपर मिरमलाय गध सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः चनदनविन0 साहा |2|

अरमल अखड सगध सहाय अचछत सो पजौ जिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः अकषतान विन0 साहा |3|

वरन अनक रह रमहकाय फल सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः पषप विन0 साहा |4|

रमन वाशिछत बह तरत बनाय चर सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः नदय विन0 |5|

तरम-हर उजजवल जयोतित जगाय दीप सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः दीप विन0 साहा |6|

खऊ अगर अरमल अमिधकाय धपसो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः धप विन0 साहा |7|

सरस सवण13 सगध सभाय फलसो पजौ शरी जिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः फल विन0 साहा |8|

आठ दरबरमय अरघ बनाय lsquoदयानतrsquo पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||पाचो रमर असी जिजन धारम सब परतितरमा जी को करौ परणारम |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः अरघयरय_ विन0 साहा |9|

जरयमालापररथरम सदश13न-सवामिरम तिवजय अचल रमदर कहा |तिवदयनरमाली नामिरम पच रमर जग रम परगट ||

पररथरम सदश13न रमर तिवराज भदर शाल वन भ पर छाज |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |1|ऊपर पच-शतकपर सोह नदन-वन दखत रमन रमोह |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |2|साढ़ बासठ सहस ऊचाई वन सरमनस शोभ अमिधकाई |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |3|ऊचा जोजन सहस-छतीस पाणडक-वन सोह तिगरिर-सीस |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |4|चारो रमर सरमान बखान भ पर भदरशाल चह जान |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |5|ऊच पाच शतक पर भाख चारो नदनवन अभिभलाख |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |6|साढ़ पचपन सहस उतगा वन सोरमनस चार बहरगा |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |7|उचच अठाइस सहस बताय पाडक चारो वन शभ गाय |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |8|सर नर चारन वदन आव सो शोभा हरम किकह रमख गाव |चतयालय अससी सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |9|

दोहा -पच रमर की आरती पढ़ सन जो कोय |lsquoदयानतrsquo फल जान परभ तरत रमहासख होय ||ॐ हरी पचमरसमबनधिनध जिजनचतरयालरयसथ जिजनविबमबभरयः पणारघयरय_ विन0 साहा |इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

शातितनारथ पजा

रया भ कानन म चतरानन पाप पनानन घरी हमरी |

आतम जानन मानन ठानन बान न होन दई सठ मरी ||

तामद भानन आपविह हो रयह छान न आन न आनन टरी |

आन गही शरनागत को अब शरीपतजी पत राखह मरी ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदर अतर अतर अतर सौषट |

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

तिहरमतिगरिर गतगगा धार अभगा परासक सगा भरिर भगा |

जर-जनरम-रमतगा नाशिश अघगा पजिज पदगा रमद किहगा ||

शरी शापतिनत जिजनश नतशकरश वरषचकरश चकरश |

हतिन अरिरचकरश ह गनधश दयाऽरमतश रमकरश ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

वर बावन चनदन कदली ननदन घन आननदन सतिहत घसौ |

भवताप तिनकनदन ऐराननदन वदिद अरमदन चरन बसौ ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

तिहरमकर करिर लजजत रमलय ससजजत अचछत जजजत भरिर रथारी |

दखदारिरद गजजत सदपद सजजत भवभय भजजत अतितभारी ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

रमदार सरोज कदली जोज पज भरोज रमलयभर |

भरिर कचनरथारी तरमदिढग धारी रमदनतिवदारी धीरधर ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

पकवान नवीन पावन कीन रषटरस भीन सखदाई |

रमनरमोदन हार छधा तिवदार आग धार गनगाई ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

तरम जञान परकाश भररमतरम नाश जञय तिवकास सखरास |

दीपक उजिजयारा यात धारा रमोह तिनवारा तिनज भास ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

चनदन करपर करिर वर चर पावक भर रमातिह जर |

तस धरम उड़ाव नाचत जाव अशिल गजाव रमधर सर ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

बादारम खजर दातिड़रम पर किनबक भर ल आयो |

ता सो पद जजजौशिशवफल सजजौ तिनजरस रजजौ उरमगायो ||

शरी शापतिनत जिजनश नतशकरश वरषचकरश चकरश |

हतिन अरिरचकरश ह गनधश दयाऽरमतश रमकरश ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

वस दरवय सवारी तरम दिढग धारी आननदकारी दग-पयारी |

तरम हो भव तारी करनाधारी या त रथारी शरनारी ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली

छनदः- अशिसत सातय भादव जातिनय गरभ रमगल ता दिदन रमातिनय |

सशिच तिकयो जननी पद चच13न हरम कर इत य पद अच13न ||

ॐ हरी भादरपदकषणा सपतमरया गभमगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |1|

जनरम जठ चतद13शिश शयारम ह सकल इनदर स आगत धारम ह |

गजपर गज-साजिज सब तब तिगरिर जज इत रम जजिजहो अब ||

ॐ हरी जरयषठकषणाचतदशरया जनममगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |2|

भव शरीर सभोग असार ह इमिरम तिवचार तब तप धार ह |

भररमर चौदशिश जठ सहावनी धररम हत जजौ गन पावनी ||

ॐ हरी जरयषठकषणाचतदशरया तपोमगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |3|

शकलपौरष दश सखरास ह पररम-कवल-जञान परकाश ह |

भवसरमदर उधारन दव की हरम कर तिनत रमगल सवकी ||

ॐ हरी पौषशकलादशमरया कलजञानमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |4|

अशिसत चौदशिश जठ हन अरी तिगरिर सरमदरथकी शिशव-तितय वरी |

सकल इनदर जज तितत आय क हरम जज इत रमसतक नाय क ||

ॐ हरी जरयषठकषणाचतदशरया मोकषमगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |5|

जरयमाला

शापतिनत शापतिनतगन रमतिडत सदा जातिह धयावत सपतिडत सदा |

रम तितनह भगत रमतिडत सदा पजिजहौ कलरष हतिडत सदा ||

रमोचछ हत तरम ही दयाल हो ह जिजनश गन रतन रमाल हो |

रम अब सगन-दारम ही धरौ धयावत तरत रमशिकत-तितय वरौ ||

जय शापतिनतनारथ शिचदरपराज भवसागर रम अदभत जहाज |

तरम तजिज सरवाररथशिसजिदध रथान सरवाररथजत गजपर रमहान |1|

तितत जनरम शिलयो आननद धार हरिर ततशिछन आयो राजदवार |

इनदरानी जाय परसतित रथान तरम को कर रम ल हररष रमान |2|

हरिर गोद दय सो रमोदधार शिसर चरमर अरमर ढारत अपार |

तिगरिरराज जाय तितत शिशला पाड ता प रथापयो अभिभरषक रमाड |3|

तत पचरम उदमिध तनो स वारिर सर कर कर करिर Aयाय उदार |

तब इनदर सहसकर करिर अननद तरम शिसर धारा ढारयो सरमनद |4|

अघ घघ धतिन होत घोर भभभभ भभ धध धध कलश शोर |

दरमदरम दरमदरम बाजत रमदग झन नन नन नन नन नपरग |5|

तन नन नन नन नन तनन तान घन नन नन घटा करत धवान |

तारथई रथई रथई रथई सचाल जत नाचत नावत तरमकिह भाल |6|

चट चट चट अटपट नटत नाट झट झट झट हट नट रथट तिवराट |

इमिरम नाचत राचत भगतित रग सर लत जहा आननद सग |7|

इतयादिद अतल रमगल स ठाठ तितत बनयो जहा सर तिगरिर तिवराट |

पतिन करिर तिनयोग तिपतसदन आय हरिर सौपयो तरम तितत वदध रथाय |8|

पतिन राजरमाकिह लतिह चकररतन भो=यो छहखणड करिर धररम जतन |

पतिन तप धरिर कवल रिरजिदध पाय भतिव जीवतिन को शिशवरमग बताय |9|

शिशवपर पहच तरम ह जिजनश गण-रमतिडत अतल अननत भरष |

रम धयावत हौ तिनत शीश नाय हरमरी भवबाधा हर जिजनाय |10|

सवक अपनो तिनज जान जान करणा करिर भौभय भान भान |

यह तिवघन रमल तर खड खड शिचतशिचपतिनतत आननद रमड रमड |11|

छनदः- शरीशापतिनत रमहता शिशवतितयकता सगन अनता भगवता |

भव भररमन हननता सौखय अननता दातार तारनवनता ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

शापतिनतनारथ जिजन क पदपकज जो भतिव पज रमन वच काय |

जनरम जनरम क पातक ता क ततशिछन तजिज क जाय पलाय ||

रमनवाशिछत सख पाव सो नर बाच भगतितभाव अतित लाय |

ता त lsquoवनदावनrsquo तिनत वद जा त शिशवपरराज कराय ||

इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

सपाशव13नारथ पजाजरय जरय जिजविनद गविनद इनद नरिरद गन लिचतन कर |

तन हरीहर मनसम हरत मन लखत उर आननद भर ||नप सपरवितषठ रिरषठ इC मविहषठ भिशC पथी विपररया |वितन ननदक पद नद नद अमद थापत जतविकररया ||ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदर अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

उजजल जल शलिच गध मिमलारय कचनझारी भरकर लारय |दरया विनलिध हो जरय जगबध दरया विनलिध हो ||तम पद पजौ मनचकारय द सपारस भिशपररारय |दरया विनलिध हो जरय जगबध दरया विनलिध हो ||ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

रमलयातिगर चदन घशिस सार लीनो भवतप भजनहार |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

दवजीर सखदास अखड उजजवल जलछाशिलत शिसत रमड |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

परासक सरमन सगमिधत सार गजत अशिल रमकरधवजहार |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

छधाहरण नवज वर लाय हरौ वदनी तमह चढ़ाय |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

जवशिलत दीप भरकरिर नवनीत तरम दिढग धारत हौ जगरमीत |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

दशतिवमिध गनध हताशन रमाकिह खवत करर कररम जरिर जाकिह |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम पद पजौ रमनवचकाय दव सपारस शिशवपरराय |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

शरीफल कला आदिद अनप ल तरम अगर धरौ शिशवभप |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

आठो दरब साजिज गनगाय नाचत राचत भगतित बढ़ाय |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0

ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयालीसकल भादव छटठ स जातिनय गरभ रमगल ता दिदन रमातिनय |करत सव शची रशिच रमात की अरघ लय जजौ वस भात की ||ॐ हरी भादरपदशकलाषषठीदिदन गभमगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |1|

सकल जठ दवादशिश जनरमय सकल जीव स आननद तनरमय |तिSदशराज जज तिगरिरराजजी हरम जज पद रमगल साजजी ||ॐ हरी जरयषठशकलाादशरया जनममगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |2|

जनरम क तितशिरथ प शरीधर न धरी तप सरमसत पररमादन को हरी |नप रमहनदर दिदयो पय भाव सौ हरम जज इत शरीपद चाव सो ||ॐ हरी जरयषठशकलाादशरया तपोमगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |3|

भररमर फागन छटठ सहावनो पररम कवलजञान लहावनो |सरमवसन13 तिवरष वरष भागनिखयो हरम जज पद आननद चाखनो ||ॐ हरी फालगनकषणा षषठीदिदन कलजञानपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |4|

अशिसत फागन सातय पावनो सकल करम13 तिकयो छय भावनो |तिगरिर सरमदरथकी शिशव जात ह जजत ही सब तिवरघयन तिवलात ह ||ॐ हरी फालगनकषणा सपतमीदिदन मोकषमगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |5|

जयरमालादोहाः- तग अग धन दोय सौ शोभा सागरचनद |मिरमथयातपहर सगनकर जय सपास सखकद |1|

जयतित जिजनराज शिशवराज तिहतहत हो |पररम वराग आननद भरिर दत हो ||

गभ13 क पव13 रषटरमास धनदव न |नगर तिनररमातिप वाराणसी सव रम |2|गगन सो रतन की धार बह वररषही |कोतिड़ Sअदध13 Sवार सब हररषही ||तात क सदन गनवदन रचना रची |रमात की सव13तिवमिध करत सवा शची |3|भयो जब जनरम तब इनदर-आसन चAयो |होय चतिकत तब तरिरत अवमिधत लगनिख भAयो ||सपत पग जाय शिशर नाय वनदन करी |चलन उरम=यो तब रमातिन धतिन धतिन घरी |4|सात तिवमिध सन गज वरषभ ररथ बाज ल |गनधरव नतयकारी सब साज ल ||गशिलत रमद गणड ऐरावती साजिजयो |लचछ जोजन सतन वदन सत राजिजयो |5|वदन वसदनत परतितदनत सरवर भर |ता स रममिध शतक पनबीस करमशिलतिन खर ||करमशिलनी रमधय पनवीस फल करमल |करमल-परतित-करमल रमह एक सौ आठ दल |6|सव13दल कोड़ शतबीस पररमान ज |ता स पर अपछरा नचकिह जतरमान ज ||तततता तततता तिवततता तारथई |धगतता धगतता धगतता रम लई |7|धरत पग सनन नन सनन नन गगन रम |नपर झनन नन झनन नन पगन रम ||नचत इतयादिद कई भातित सो रमगन रम |कई तितत बजत बाज रमधर पगन रम |8|कई दरम दरम ददरम दरम रमदगतिन धन |कई झAलरिर झनन झझनन झझन ||कई ससागरत सारतिग ससागर सर |कई बीना पटह बशिस बाज रमधर |9|कई तनतन तनन तनन तान पर |शदध उचचारिर सर कई पाठ फर ||

कइ झतिक झतिक तिफर चकर सी भामिरमनी |धगगता धगगता परम13 शोभा बनी |10|कई शिछन तिनकट शिछन दर शिछन रथल-लघ |धरत वतिकरयक परभाव सो तन सभग ||कई करताल-करताल तल रम धन |तत तिवतत घन सतिरषरिर जात बाज रमन |11|इनदर आदिदक सकल साज सग धारिरक |आय पर तीन फरी करी पयार त ||सशिचय तब जाय परसतरथल रमोद रम |रमात करिर नीद लीनो तमह गोद रम |12|आन-तिगरवान नारथकिह दिदयो हारथ रम |छS अर चरमर वर हरिर करत रमारथ रम ||चढ़ गजराज जिजनराज गन जातिपयो |जाय तिगरिरराज पाडक शिशला रथातिपयो |13|लय पचरम उदमिध-उदक कर कर सरतिन |सरन कलशतिन भर सतिहत चरचिचत परतिन ||सहस अर आठ शिशर कलश ढार जब |अघघ घघ घघघ घघ भभभ भभ भौ तब |14|धधध धध धधध धध धतिन रमधर होत ह |भवय जन हस क हरस उदयोत ह ||भयो इमिरम नहौन तब सकल गन रग रम |पोशिछ शरगार कीनो शची अग रम |15|आतिन तिपतसदन शिशश सौतिप हरिर रथल गयो |बाल वय तरन लतिह राज सख भोतिगयो ||भोग तज जोग गतिह चार अरिर को हन |धारिर कवल पररम धररम दइ तिवध भन |16|नाशिश अरिर शरष शिशवरथान वासी भय |जञानदग अरिर शरष शिशवरथान वासी भय |दीन जन की करण सन लीजिजय |धररम क ननद को पार अब कीजिजय |17|घतता13ः- जय करनाधारी शिशवतिहतकारी तारन तरन जिजहाजा हो |

सवत तिनत वनद रमनआनद भवभय रमटनकाजा हो |18|ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

दोहाः- शरी सपाशव13 पदजगल जो जज पढ़ यह पाठ |अनरमोद सो चतर नर पाव आननद ठाठ ||इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

शीतलनारथ पजाशीतलनाथ नमौ धरिर हाथ स माथ जिजनहो भ गाथ मिमटारय |

अचरयत त चरयत मात सननद क ननद भरय पर बददल आरय ||

श इकषाक विकरयो जिजन भविषत भवयन को भ पार लगारय |

ऐस कपाविनलिध क पद पकज थापत हौ विहरय हष बढारय ||

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदर अतर अतर अतर सौषट |

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

दवापगा स वर वारिर तिवशदध लायो

भगार हरम भरिर भशिकत तिहय बढ़ायो |

रागादिददोरष रमल रमद13न हत यवा

चचAElig पदाबज तव शीतलनारथ दवा ||

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

शरीखड सार वर ककरम गारिर लीनो |

क सग सवचछ मिघशिस भशिकत तिहय धरीनो ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

रमकता-सरमान शिसत तदल सार राज |

धारत पज कशिलकज सरमसत भाज |रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

शरी कतकी पररमख पषप अदोरष लायो |

नौरग जग करिर भग स रग पायो ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

नवदय सार चर चार सवारिर लायो |

जाबनद-परभतित भाजन शीश नायो ||

रागादिददोरष रमल रमदद13न हत यवा |

चचAElig पदाबज तव शीतलनारथ दवा ||

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

सनह परपरिरत सदीपक जोतित राज |

सनह परपरिरत तिहय जजतऽघ भाज ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

कषणागर पररमख गध हताश रमाही |

खवौ तवागर वसकरम13 जरत जाही ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

तिनमबामर कक13 दिट स दातिड़रम आदिद धारा |

सौवण13-गध फल सार सपकव पयारा ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

शभ शरी-फलादिद वस परासक दरवय साज |

नाच रच रमचत बजजत सजज बाज ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली

आठ वदी चत सगभ13 रमाही आय परभ रमगलरप रथाही |

सव शची रमात अनक भवा चचAElig सदा शीतलनारथ दवा ||

ॐ हरी चतरकषणाऽCमरया गभमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |1|

शरी रमाघ की दवादशिश शयारम जायो भलोक रम रमगल सार आयो |

शलनदर प इनदर फतिननदर जजज रम धयान धारौ भवदःख भजज ||

ॐ हरी माघकषणा ादशरया जनममगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |2|

शरी रमाघ की दवादशिश शयारम जानो वरा=य पायो भवभाव हानो |

धयायो शिचदाननद तिनवार रमोहा चचAElig सदा चन13 तिनवारिर कोहा ||

ॐ हरी माघकषणा ादशरया तपोमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |3|

चतद13शी पौरष वदी सहायो ताही दिदना कवल लबधिबध पायो |

शोभ सरमोसतय बखातिन धरमs चचौ सदा शीतल परम13 शरमs ||

ॐ हरी पौषकषणाचतदशरया कल जञानमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |4|

कवार की आठ शदध बदधा भय रमहा रमोकष सरप शदधा |

समरमद त शीतलनारथ सवारमी गनाकर ता स पद नरमारमी ||

ॐ हरी आभिशवनशकलाऽCमरया मोकषमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |5|

जरयमाला

आप अनत गनाकर राज वसततिवकाशन भान सरमाज |

रम यह जातिन गही शरना ह रमोह रमहारिरप को हरना ह |1|

दोहाः- हरम वरन तन तग धन-नवव अतित अभिभरारम |

सर तर अक तिनहारिर पद पतिन पतिन करौ परणारम |2|

जय शीतलनारथ जिजननद वर भव दाह दवानल रमघझर |

दख-भभत-भजन वजर सरम भव सागर नागर-पोत-परम |3|

कह-रमान-रमयागद-लोभ हर अरिर तिवरघयन गयद रमकिगद वर |

वरष-वारिरधवषटन समिषटतिहत परदमिषट तिवनाशन सषट तिपत |4|

सरमवसरत सजत राजत हो उपरमा अभिभरारम तिवराजत हो |

वर बारह भद सभा शिरथत को तितत धरम13 बखातिन तिकयो तिहत को |5|

पहल रमतिह शरी गणराज रज दतितय रमतिह कAपसरी ज सज |

तिSतितय गणनी गन भरिर धर चवरथ तितय जोतितरष जोतित भर |6|

तितय-किवतरनी पन रम गतिनय छह रम भवनसर तितय भतिनय |

भवनश दशो शिरथत सततरम ह वस-किवतर उततरम ह |7|

नव रम नभजोतितरष पच भर दश रम दिदतिवदव सरमसत खर |

नरवनद इकादश रम तिनवस अर बारह रम पश सव13 लस |8|

तजिज वर पररमोद धर सब ही सरमता रस रम=न लस तब ही |

धतिन दिदवय सन तजिज रमोहरमल गनराज असी धरिर जञानबल |9|

सबक तिहत तततव बखान कर करना-रमन-रजिजत शरम13 भर |

वरन रषटदरवय तन जिजतन वर भद तिवराजत ह तिततन |10|

पतिन धयान उभ शिशवहत रमना इक धरम13 दती सकल अधना |

तितत धरम13 सधयान तणो गतिनयो दशभद लख भररम को हतिनयो |11|

पहलोरिर नाश अपाय सही दतितयो जिजन बन उपाया गही |

तिSतित जीवतिवरष तिनजधयावन ह चवरथो स अजीव ररमावन ह |12|

पनरमो स उद बलटारन ह छहरमो अरिर-राग-तिनवारन ह |

भव तयागन चिचतन सपतरम ह वसरमो जिजतलोभ न आतरम ह |13|

नवरमो जिजन की धतिन सीस धर दशरमो जिजनभातिरषत हत कर |

इमिरम धरम13 तणो दश भद भनयो पतिन शकलतणो चद यरम गनयो |14|

सपरथकत-तिवतक13 -तिवचार सही सइकतव-तिवतक13 -तिवचार गही |

पतिन सकषरमतिकरया-परतितपात कही तिवपरीत-तिकरया-तिनरवतत लही |15|

इन आदिदक सव13 परकाश तिकयो भतिव जीवनको शिशव सवग13 दिदयो |

पतिन रमोकषतिवहार तिकयो जिजनजी सखसागर रम=न शिचर गनजी |16|

अब रम शरना पकरी तरमरी समिध लह दयातिनमिध जी हरमरी |

भव वयामिध तिनवार करो अब ही रमतित ढील करो सख दयो सब ही |17|

शीतल जिजन धयाऊ भगतित बढ़ाऊ जयो रतनSय तिनमिध पाऊ |

भवदद नशाऊ शिशवरथल जाऊ फर न भव वन रम आऊ |18|

दिदढ़ररथ सत शरीरमान पचकAयाणक धारी

तितन पद जगपदम जो जज भशिकतधारी |

सहजसख धन धानय दीघ13 सौभा=य पाव

अनकररम अरिर दाह रमोकष को सो शिसधाव ||

इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

कतितरम अकतितरम जिजन चतयालयकतरयाकवितरम-चार-चतरय-विनलरयान विनतरय वितरलोकी-गतान

द भान-वयतर-दयवितरान सगामराासगान |सदगधाकषत-पषप-दाम-चरकः सददीपधपः फलरनीरादय रयज परणमरय भिशरसा दषकमणा शातरय ||

ॐ हरी वितरलोक समबनधिनध कवितरमाकवितरम-चतरयालरयभरयः अरघयरय_ विन 0 साहा

षष-षानतर-पतष नदीशवर रयाविन च मदरष |रयावित चतरयारयतनाविन लोक साभिण द जिजनपगाना ||

अविन ndash तल ndash गताना कवितरमाकवितरमाणान ndash भन ndash गताना दिदवय ndash माविनकाना |इह मनज ndash कताना दराजारचिचतानाजिजनर ndash विनलरयाना भातोऽह समरामिम ||

जब-धातविक-पषकरादध-सधा-कषतर तररय रय भाःचनदराभोज-भिशखविb-कणठ-कनक-परागघनाभा जिजनाः |समरयगजञान-चरिरतर-लकषण-धरा दगधाCकमनधनाः |भतानागत-तमान-समरय तभरयो-जिजनभरयो-नमः ||

शरीमन मरौ कलादरौ रजत-विगरिरर शालमलौ जबकषकषार चतरयकष रवितकर रलिचक कbल मानषाक |इषाकारऽनजनादरौ दलिध-मख-भिशखर वयनतर सगलोकजरयोवितलकऽभिभद भन मविहतल रयाविन चतरयालरयाविन ||

ौ कदद-तषार-हार-धलौ ाविदरनील-परभौौ बधक-सम-परभौ जिजनषौ ौ च विपररयगपरभौ |

शषाः षोbश जनम-मतरय-रविहताः सतपत-हम-परभाःत सजञान-दिदाकराः सरनताः लिसदधिदध पररयचछत नः ||

ॐ हरी कवितरमाकवितरम- चतरयालरय समबनधिनध चतरविशवित जिजनविबमबभरयोऽरघयरय_ विनपामीवित साहा ||

इचछामिम भलिN

इचछामिरम भत चइयभभितत काओस=गो कओ तससालोचउ |अहलोय तितरिरयलोय उडढलोयममिमरम तिकदिटटरमातिकदिटटरमाभिणजाभिण जिजणचइयाभिण ताभिण सववाभिण तीसतिव लोयसभवणवाशिसय वाण-किवतर-जोयशिसय-कपपवाशिसय भिततचउतिवहा दवाः सपरिरवारा दिदववण गधण दिदववण पफफणदिदववण धवण दिदववण चणणण दिदववण वासणदिदववण णहाणण भिणचचकाल अचचतित पजजतित वदतित णरमससतित |अहरमतिव इह सतो ततथ सताइ भिणचचकाल अचचमिरम पजजमिरमवदामिरम णरमससामिरम | दकखकखओ कमरमकखओ बोतिहलाहोसगइगरमण सरमातिहरमरण जिजणगणसपतती होउ रमजझ |अरथ पौवा13मिहनक-रमाधयामिहनक-आपरामिहनक-दववदनाया-पवा13चाया13नकररमण सकल-करम13-कषयारथs भावपजा-वदना-सतव-सरमतशरीपचरमहागर-भचिकत कायोतसगs करोमयहरम ||

(इस परकार आशीवा13द रप पषपाजशिल कषपण कर)

जाव अरिरहताण भयवताण पजजवास करमिरमताव काय पावकमरम दचचरिरय वोससरामिरम |णरमो अरिरहताण णरमो शिसदधाण णरमो आइरिरयाण |णरमो उवजझायाण णरमो लोए सववसाहण ||

(नौ बार णरमोकार रमS 27 शवासोचछवासो रम जाप कर)

शातित पाठशावितनाथ मख शभिश उनहारी शीलगणवरत सरयमधारी

लखन एक सौ आठ विराज विनरखत नरयन कमल दल लाज

पचम चकरतordf पदधारी सोलम तीथ_कर सखकारी

इनदर नरनदर पजरय जिजननारयक नमो शावितविहत शावित विधारयक

दिदवय विटप पहपन की रषा ददभिभ आसन ाणी सरसा

छतर चमर भामbल भारी रय त परावितहारय मनहारी

शावित जिजनश शावित सखदाई जगत पजरय पजो लिसरनाई

परम शावित दीज हम सबको पढ जिजनह पविन चार सघ को

पज जिजनह मकटहार विकरीट लाक इनदरादिदद अर पजरयपदाबज जाक

सो शावितनाथ र श जगतपरदीप मर लिलए करह शावित सदा अनप

सपजको को परवितपालको को रयतीनको को रयवितनारयको को

राजा परजा राषटर सदश को ल कीज सखी ह जिजन शावित को द

हो सारी परजा को सख बलरयत हो धमधारी नरशा

हो रषा समरय प वितलभर न रह वयालिधरयो का अनदशा

हो चोरी न जारी ससमरय परत हो न दषकाल भारी

सार ही दश धार जिजनर षको जो सदा सौखरयकारी

घावित कम जिजन नाश करिर पारयो कलराज

शावित करो त जगत म षभादिदक जिजनराज

(तीन बार शावित धारा द)

शासतरो का हो पठन सखदा लाभ ततसगवित का

सततो का सजस कहक दोष ढाक सभी का

बोल परयार चन विहतक आपका रप रधवारयाऊ

तौलौ सऊ चरण जिजनक मोकष जौलौ न पाऊ

तब पद मर विहरय म मम विहरय तर पनीत चरणो म

तबलौ लीन रहौ परभ जबलौ पारया न मलिN पद मन

अकषर पद मातरा स दविषत जो कछ कहा गरया मझस

कषमा करो परभ सो सब करणा करिरपविन छडाह भदःख स

ह जगबनध जिजनशवर पाऊ तब चरण शरण बलिलहारी

मरणसमालिध सदलभ कमreg का कषरय सबोध सखकारी

(पषपाजलिल कषपण)

(रयहा नौ बार णमोकार मतर का जाप कर)

शातित तिवधान पजाशरी शानविनतनाथ विधान भाषा (विहनदी)

परसताना

अरिरहनत जिजनशवर की अनपम छवि शानविनत सधा धर क उर म

भिशनाथ विनरजन कमजरयी बन जारय बस परभ भिशपर म१

मविननाथ तपोविनलिध सरिर सधी तपलीन रह विनत ही न म

शरत-जञान-सधा बरसात ह गर पाठकनद सभवयन म २

रतनतररय की लिचर जरयोवित जग तप-जाला कम विनाश कर

भ-भोग शरीर विरN सदा इजिनदररय सख की नविह आश कर ३

गनधकटी म विराजिजत परभ ह दिदवय रधवाविन उनकी तो खिखरी

गणराज न गथ क जञान-समन ादश अगो की माल री ४

मगलमरय लोक जिजनोततम ह मगलमरय लिसदध सनातन ह

मगलमरय सरिर सतत धनी मगलमरय पाठक क गन ह ५

मगलमरय ह साध जन जञान सधा रस लीन

जिजन परणीत र धम ह मगलमरय साधीन ६

सब ीपो क मरधवारय म जमब ीप अनप

लण नीर-विनलिध सतजहा खावितका-रप ७

पीछ धातविक-ीप ह दवितरय ीप शरवित सार

कालोदलिध चह ओर ह परिरखा क उनहार ८

पषकर नामक ीप ह कालोदलिध क पार

ताको आधौ भाग ल ढाई ीप समहार ९

ढाई ीप वितरकाल क असखरयात जिजनराज

नदनीरय ज लोक क नदो धम जहाज १०

चनदरकला सम जरयोवित मनोहर अग परभ क राजत ह

पदम पनीत-परभा-सम उजजल दह मनोजञ विराजत ह

कणठ-मरयर सकञचन नीरद तलरय सशोभिभत अग विभा

तीथशवर चौबीस अलौविककरप-विमगध सरनदरसभा ११

भत भविषरयत तमान क चौबीसो जिजनराज

रतनतररय स भविषत अनपमजग म रह विराज १२

अरिरहनत लिसदध वितरलोक पजिजत धमरधवाज आचारय को

मविननद क भिशकषापरदारयकपजरयपाठक आरय को १३

उन साधओ को जो विनरनतर जञान-रधवारयान-परीन ह

तप शानविनत की शलिच साधना म जो सदा तललीन ह १४

करक परणाम वितररयोग स म शानविनतनाथ विधान को

परारभ करता ह बढान भलिN-शरदधा-जञान को १५

लोक क सब गणधरो को भलिN शरदधा भा स

कनदकनदादिदक दिदगमबर मविनरो को चा स १६

करता परणाम विनरय सविहत म धम की हो विनत विजरय

विनरतिरघयन हो रयह पाठ परा ह रयही मरी विनरय १७

शानविनतनाथ भगान क गण ह अपरमपार

ाचसपवित णन कर तो भी पारय न पार १८

शानविनतनाथ विधान का फल

रयह शानविनतनाथ विधान विकसन कब कहा करयो कर विकरया

फल परानविपत जो उसको हई नरभ सफल उसन विकरया १

ततानत उसका म परसग सविहत रयहा णन कर

कलरयाण हो सनकर जगत का रधवारयान रयह मन म धर २

भरत-कषतर क आरय-खणb म भारत भ विखरयात सदश

मथरा नगर हा का शासक सरयश का वितलक नरश ३

राजनीवित म विनपण नरयारयविपररय ीर परजा का पालक भप

साम-दाम क दणb भद स शासन-सचालक अनरप ४

एक बार जब दरयोग स दरतिपाक न विकरया परकोप

गराम दता न करोलिधत होविकरया उपदर शानविनत विलोप ५

महाभरयकर वयालिध विषम अवित फलाई जब विकVर न

दिदन-परवितदिदन अवितपरबल ग स लोग लग परवितदिदन मरन ६

रोग परताडिbत हो जनता अर शासक न मथरा छोडी

वयाधी न कालकपाण लिलए सब जन की विहममत तोडी ७

शकल तररयोदशी क दिदन सहसा सठ समवित हा आए

बादल षा दख सत मन म अवित ही हषाए ८

मथरा नगरी म परश कर मिमल नही तहा नर-नारी

सनी नगरी दख- समवित तब हए दखिखत मन म भारी ९

दख जिजनालरय पज जिजनशवर मविन नारयक क रयग नद

दशन नदन भलिN विनरय कर विनज मन म अवित आननद १०

परशन विकरया तब सठ समवित न नाथ उपारय बता दीज

होगी शानविनत मनीशवर कस विलिधपक समझा दीज ११

चारण ऋभिदधधारी मविनर कह चन अवित सखदाई

शानविनतनाथ जिजन शानविनत विधारयक पज रचो मन हषाई १२

मतरोचचार ॐ नमोऽहत भगत शरी शानविनतनाथारय ॐ हरा हरी हर हरौ हर अ लिस आ उ सा अमकसरय सपदर शानतिनत लकषमीलाभ च कर कर नम (साहा)

विधान क जाप मतर का फल

इस मनतर राज क जपन स मन शदध शानत हो जाता ह

होत ह विरघयन विनC सभी शभ पणरयकोष भर जाता ह १३

धन समपवित अलिधकार परापत हो रयह तो ह साधारण बात

मन मजिनदर म जञान सरय का होता उजजल दिदवय परभात १४

विधान का समरय

इसका विलिध विधान ह भवयो सनो शदध मन स धर रधवारयान

सोलह दिदसी शकलपकष मपरथमदिदस स करो विधान १५

जिजन पजा क प रयनतर का ससथापन पजन शभ कारय

सहसमनतर का जाप करो विनतषोbसदिदन तक सविलिध सआरय १६

पजा क महा विधान म दीप धप फल पषप सगनध

भलिNभारयत करो समरतिपतअशभकम का होरय न बनध १७

शरी शानविनतनाथ सतन

ससार सागर म भटकत पराभिणरयो को ह परभो

आपक ही रयग चरणशभ शरण द सकत विभो

दाानविगन दख-सनताप की सतर ध-ध जल रही

अनराग मारया मोह की छलना विनरनतर छल रही १

करोलिधत भजगम क bस बह पराभिणरयो क गातर म

गारडी-विदया परशम करती ह रयथा कषण मातर म

परभ आपक चरणामबजो का रधवारयान करत भलिN स

सब विरघयन बाधाए विलरयहोती विनजातम शलिN स २

तपत सण क तलरय आप क दिदवय चरण का विनमल रधवारयान

भ-सागर म पड पराभिणरयो क तारण विहत बनता रयान

गीता छद

जरयो रयामिमनी क घन-वितमिमर म लपत भ-आलोक हो

उदयद दिदाकर रडिशमरया करती परकाभिशत लोक को ३

जब तक नही होता उदरय रवि रडिशम का ससार म

तब तक कमलशरी सपत रहती ह सतत कासार म

जब तक नही होती कपा भगान क रयगचरण की

तब तक नही रयह टटती जजीर जीन-मरण की ४

समरथ लोक-अलोक क विजञान म जिजनर परभो

तररयछतर की सषमा विराजिजत जञान म दिदनकर परभो

हो पापकषरय कषणमातर म पदपदम क गणगान स

दपानध लिसह-गजनदर भाग सहज जिजनक रधवारयान स ५

परतरयष ला क ललिलत उजजल दिदाकर सा विमल

जिजननाथ भा-मणbल तमहारा सोहता सरणिणम कमल

दिदवयागनाओ क नरयन मन कर परफडिललत मोहता

तरलोकरय क तम-तोम को करता विदरिरत सोहता ६

बाधारविहत शाशवत विनराकल अनरयतम सख समपदा

नाथ क चरणारविनदो क समागम स सदा

परापत करत भN जन ह भलिN क आधार स

आ रय करया रयदिद पार हो ससार ndash पाराार स ७

ह शानविनतनाथ जिजननदर तर भN विनत पात कपा

भदख स सनतपत जन क हत बन जाती परपा

दर होत दख-दारण नाथ की शभ भलिN स

जरयो घनवितमिमर ह दर होता रविविकरण की शलिN स ८

शरी शानविनतनाथ जिजननदर क इस ससतन को भा स

जो भवयजन पढत विनरनतर ह विनरय स चा स

परिरणाम उनक हो विमल सब विरघयन बाधाए टल

कलरयाण मजिनदर क पलिथक मलिN क पथ पर चल९

विधान परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन ndash मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

सण कलश म जल ल जो विनत जिजन पद पजन करत ह

विन रय ही राजवितलक कीअनमोल समपदा रत ह १

ॐ हरा हरी हर हरौ हर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय जनम जरा मतरय विनाशनारय जल विनपामीवित साहा

कशर कपर चनदन ारा जिजनर क चरणो का अचन

जो करत ह सगreg तक म सरभिभत होत ह उनक तन २

ॐ भरा भरी भर भरौ भर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय ससारताप विनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा

परभ क चरण कमल की पजा विनमल अकषत स करत

कामद सा पा शरीर दीघ आरय जीन धरत ३

ॐ मरा मरी मर मरौ मर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अकषरय पद परापतरय अकषतान विनपामीवित साहा

जो कनद चमली क ारा करत परभ पद पङकज- पजन

पषपोततर विमान ारा समपण सफल करत जीन ४

ॐ रा री र रौ र जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय कामबाण-विरधवानारय पषप विनपामीवित साहा

उजजल सण पातर म लकर सदय पक नदय विमल

अरतिपत करत परभ चरणो म पा जात कलप कष क फल ५

ॐ घरा घरी घर घरौ घर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय कषधारोग विनाशनारय नदय विनपामीवित साहा

उजजल कपर दीप ारा जिजनर की सौमरय आरती स

उदभालिसत कल जोवित जग उसम सनदीपत भारती स ६

ॐ ा ी ौ जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विनपामीवित साहा

चनदन कपर धप ारा जिजनर की शभर अचना स

पाऊ विनरोगतन कानविनतमरयी परभ की विनभिश रयाम नदना स ७

ॐ शरा शरी शर शरौ शर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अCकम विनाशनारय धप विनपामीवित साहा

शरीफल कदली इतरयादिदक स शरी जिजनक चरणो का पजन

मनालिछत फल पात ह पजन जो करत ह भवि जन ८

ॐ खरा खरी खर खरौ खर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय मोकषफल परापतरय फल विनपामीवित साहा

अC दरवय मरय अघररय विमल ल शानविनतनाथ परभ का पजन

करत ह जो भवय शतनदरो स जिनदत हो दिदवय चरण ९

ॐ अ हरा लिस हरी आ हर उ हरौ सा हर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपद परापतरय अघररय विनपामीवित साहा

जरयमाला

जञानरप ओकार नमसत हरी मरधवारय परभ शानविनत नमसत

सनातकरतिष अरिरहनत नमसत दरया धम-परिरपण नमसत१

एकानक-सरप नमसत शरी मचचकराधीश नमसत

शानविनत दीनविपत भिश रप नमसत जञान गभ विनज रप नमसत२

नाना भाषा बोध नमसत आशा पाश विहीन नमसत

पान-गण गण गीत नमसत अC कम-विरधवास नमसत ३

तीथ_कर पद पत नमसत पर सकलप- विहीन नमसत

मलिN ध क कनत नमसत समरयक चारिरत दकष नमसत ४

आतम सभा लीन नमसत रतनतररय- सरयN नमसत

आतम बोध परिरपण नमसत उभरय लोक सखदारय नमसत ५

करणा सागर नाथ नमसत ाणी विशव विहतारय नमसत

शानविनतनाथ परमश नमसत तीवर गरल-हर दकष नमसत ६

करश अतस नमसत ऋविष लिचत हरतिषत करण नमसत

कल करमकारिर जिजननदर नमसतसदा विलिचतर सरप नमसत ७

हरी बीज रशामिरय नमसत धीर ीर भननदर नमसत

विरघयनविनाशक शानविनत नमसत पराभिण नाथ त नाम नमसत ८

भरय हता विनभordfक नमसत दिदवय धनी भिश रप नमसत

धम धरधर धीर नमसत विनज चतनरय लीन नमसत ९

शानविनत जिजनाCक को जो भविजन धार विनतरय हदरय म

सख समपवित ऐशवरय परापत हो सशरय नही विजरय म १०

ॐ हरी जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

परथम लरय पजा परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तबकषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

ह बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन१

ॐ हरी अशोकतरसतपरावितहारय-मचचिणbतारय अशोकतररयNपदपरदारय हमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

भ बीजाकषर का आशररय लकरता शानविनतनाथ पजन २

ॐ हरी सरपषपविCसतपरावितहारय मचचिणbतारय सरपषपविCरयNपदपरदारय भमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

म बीजाकषर का आशररय लकरता शानविनतनाथ पजन३

ॐ हरी दिदवयरधवाविनसतपरावितहारय मचचिणbतारय दिदवयरधवाविनरयNपदपरदारय ममलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

र बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन ४

ॐ हरी चामरोततोलनसतपरावितहारय मचचिणbतारय चामरोततोलनरयNपदपरदारय मलवररय_ बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

घ बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन५

ॐ हरी लिसहासनसतपरावितहारय मचचिणbतारय लिसहासनरयNपदपरदारय रघयमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

झ बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन६

ॐ हरी भामbलसतपरावितहारय मचचिणbतारय भामbलरयNपदपरदारय झमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

स बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन ७

ॐ हरी दनदभिभसतपरावितहारय मचचिणbतारय दनदभिभरयNपदपरदारय समलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

ख बीजाकषर का आशररय लकरता शानविनतनाथ पजन८

ॐ हरी छतरतररयसतपरावितहारय मचचिणbतारय छतरतररयरयNपदपरदारय खमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

ह भ म र घ झ स ख बीजरयत णन कर भरपर

सतोतर अघररय स पजत विरघयन ग हो दर ९

ॐ हरी अCपरावितहारय सविहतारय अCबीजमbनमचचिणbतारय सविरघयनशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय पणाघररय विनपामीवित साहा

वितीरय लरय पजा परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

भलिN भा रयत परभ पजन को इनदर जिजनालरय जा

तीथ_कर पदी क कारण शरी जिजनक गण गा

शरी जिजन परभ क पद पङकज की पजा इनदर रचा

दशन जञान अननत सखामत बल विकरम पा १

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमानस अहतपरमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अC कम स मN विनरजन लिसदध सरपी राज

कषामिरयक समरयक आदिद गणोततम सीमातीत विराज

भत भविषरयत तमान क लिसदध अननत विनरजन

विनजसरप म लीन परभ का करता पजन दन २

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमान सलिसदध-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पञचाचार- विभविषत गरर आतम-जरयोवित जगा

जञान तपो विनलिध कम दलन को रधवारयान-कठार उठा

शानविनत सधाकर की शलिच शीतल रडिशम-परकाश परसार

सघ चतरतिध क अलिधनारयक काम-महारिरप मार३

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमान-साचारय-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझतविनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

ादश अग विभविषत मविनर पाठक साध सधी क

मान विमदन करत विनमद आतम सधा रस पी क

रधवारयाना-रधवारयरयन विनरनतर जिजनक भिश-साधन दशा

इCा-विनC सरयोग विरयोग हष-विषाद नशा ४

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद- तमान-सपाठक-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जञान रधवारयान तप लीन विनरनतर समता-सादक रयोगी

विषरयातीत-सरप जिजतजिनदररयआतम सरस क भोगी

रधवारयान कपाण लिलए मविन रयोगी कम-महारिरप मार

गण Ÿोणी रयत कर विनजरा विनज गण रप विचार ५

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमान-ससाध-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पचचीस दोषो स रविहत अCाङग समरयग दशनम

अहनत आगम गररो काम करो विनत अचनम ६

ॐ हरी जगदापविनाशनहत शदधसमरयकतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान-बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

ादशाङग जिजननदर-ाणी जञान ndash दोष ndash विरजिजतम

समरयखिगभविषत आतम जरयोवित परकाश को शत नदनम ७

ॐ हरी जगदापविनाशनहत शदधसमरयजञानामलतर-खणbोडिजझत-विनदान-बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

गनविपतरया तररय समिमवित पाचो और पञच महावरतम

तरह परकार चरिरतर समरयक का करो म पजनम ८

ॐ हरी जगदापविनाशनहत शदधसमरयकताचारिरतरामलतर-खणbोडिजझत-विनदान-बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जञानारणी पञच परकवितरया परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी ९

ॐ हरी जञानारण-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

दशनारणी कम परकवित न परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी१०

ॐ हरी दशनारण-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

दनीरय विलिध सखदख दारयक परभ न उभरय विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी११

ॐ हरी दनीरय-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अCा-विशवित परकवित मोह की परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १२

ॐ हरी परचणbमोहनीरय-कमबध-बधनकत सवित ततकम-विपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

आरय कम की परकवित चार ह परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १३

ॐ हरी आरय-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनत नाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नाम कम की परकवित नवित तररय परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १४

ॐ हरी नाम-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनत नाथारय अघररय विनपामीवित साहा

गोतर कम की परकवित शभाशभ परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागरपजो पद अविनाशी १५

ॐ हरी गोतर-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अनतरारय विलिध पञच परकवितरया परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १६

ॐ हरी अतरारय-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

दशन जञान चरण स भविषत पञच परम पद पाऊ

शानविनतनाथ जिजन क चरणो म विनत परवित अघ चढाऊ १७

ॐ हरी पचपरमविषठ-पदपरदारय दशन-जञान-चारिरतर-कारकारय अCकमविनारणारय शरीशानविनतनाथारय पणाघररय विनपामीवित साहा

ततीरय लरय पजा परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

विनज-परिरार सविहत असरो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा १

ॐ हरी असरकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत नागो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा २

ॐ हरी नागकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत विदयत क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ३

ॐ हरी विदयतकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत सपण क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ४

ॐ हरी सपणकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत पाक क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ५

ॐ हरी अनविगनकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत मारत क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ६

ॐ हरी ातकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत मघो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ७

ॐ हरी सतविनतकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत सागर क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ८

ॐ हरी उदलिधकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत ीपो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ९

ॐ हरी ीपकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत दिदकसर क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १०

ॐ हरी दिदककमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत विकVर क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ११

ॐ हरी विकVरनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विकमपरषो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १२

ॐ हरी विकमपरषनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

महोरगो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १३

ॐ हरी महोरगनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

गध क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १४

ॐ हरी गनधनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

रयकषसरो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १५

ॐ हरी रयकषनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

राकषसगण क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १६

ॐ हरी राकषसनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भतसरो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १७

ॐ हरी भतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

सरविपशाच क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १८

ॐ हरी विपशाचनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जरयोवितविषरयो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १९

ॐ हरी चदरनामकनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जरयोवितविषद परतीनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २०

ॐ हरी भासकरनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इदरामर सौधम सग क भN जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा २१

ॐ हरी सौधमनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इदरामर ईशान सग क भN जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २२

ॐ हरी ईशाननदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

सनत सग क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २३

ॐ हरी सनतकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इनदरामर माहनदर सग क भN जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २४

ॐ हरी माहनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

बरहमसग क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २५

ॐ हरी बरहमनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लानत क सर इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २६

ॐ हरी लानतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शकर सग क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २७

ॐ हरी शकरनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथपदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शतारनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २८

ॐ हरी शतारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

आनतनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २९

ॐ हरी आनतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराणतनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ३०

ॐ हरी पराणतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

आरणनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ३१

ॐ हरी आरणनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अचरयतनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ३२

ॐ हरी अचरयतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

बततीस इनदरो स परपजिजत शानविनतनाथ जिजनश को

परिरपण अघ चढारय पाऊह परभो भिशलोक को ३३

ॐ हरी चतरणिणकारयदनदरपजिजतारय शरीशानविनतनाथारय पणाघररय विनपामीवित साहा

चतथ लरय पजा परारभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

सतवितलका छद

मन क विकार सब नाशन हत तरी

पजा परशात करती लगती न दरी

ह शानविनतनाथ भगन भतापहारी

सादर परणाम तमको अघ नाशकारी १

ॐ हरी मानलिसक विकारोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

ाणी पररयतनकत दोष विनारन को

पजा समथ भविजनम सधारन को

ह शानविनतनाथ भगन भतापहारी

सादर परणाम तमको अघ नाशकारी २

ॐ हरी ाचविनक विकारोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

कारया कठार कत पाप परणाशकारी

अचन सशN सतर परदोषहारी

ह शानविनतनाथ भगन भतापहारी

सादर परणाम तमको अघ नाशकारी ३

ॐ हरी कामिरयक-पापोदभोपदरविनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

राजरयशरी पर गह नाश सो होरय उपदर भारी

उनक नाशन हत परभ की पजा मगलकारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ४

ॐ हरी राज-लकषमी-पर-गह-पदभरCोद-भोपदर-विनारकारय शरी शानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पपारजिजत कम उदरय सो घोर विपलितत सता

लकषमी हीन दरिरदरी नर विनत तीवर महा दख पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ५

ॐ हरी दारिरदरोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भीम भगदर कC जलोदर आदिदक रोग घनर

वयालिध उपदर कम विनाशन हत जजो पद तर

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ६

ॐ हरी भीम-भगदर-गलिलतकषठ-गलम-जलोदर-रN-विपतत-कफ-ात-सफोटकादयप-दर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इC विरयोग अविनC रयोग स जी महा दख पा

विनज परिरणवित को भल मोही आत रौदर उपजा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ७

ॐ हरी इCविरयोगाविनCसरयोगोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विनज सना ा पर सना कत घोर उपदर आ

धमाराधन रधवारयान विमख तब पराभिण महा दख पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ८

ॐ हरी सचकर-परचकरोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

नाना आरयध दह विनाशक घोर उपदर आ

आत रौदर की परिरणवित वयाप कोई नही बचा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ९

ॐ हरी विविधारयधोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जलचर पराणी दC नकर औ मतसरय महा भरयकारी

कम उदरय जल बीच सतावयाकल हो नरनारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १०

ॐ हरी दCजलचरजीोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

न पत क मरधवारय चतषपद लिसह गजादिदक परानी

आकरामक न विनतरय सता कर दC मनमानी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ११

ॐ हरी वयाघर-लिसह-गजादिदक-न-पत-ालिसशवापदादयपदर-विनारकारय शरीशानविनत नाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भचर खचर करर जी कत तीवर उपदर आ

आशापाश बधा रयह पराणी परपरणवित लिलपटा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार १२

ॐ हरी भचर-गगनचर-करर-जीोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भीम भजगम भि क भीषण घोर विषल पराणी

विषम हलाहल दत दशन स पीडिbत हो जग पराणी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १३

ॐ हरी वयाल-भि कादिद-विष-ददरधरोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नख शगादिदक तीकषण विषल जीो क दखकारी

कम असाता पररिरत पराणी भगत दख अवित भारी

शानविनतनाथ क पद पकज जोमन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १४

ॐ हरी दCजी-पद-कर-नखोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

न पशओ क दाढ सीग नख अवित विकराल घनर

चच तb दतादिदक कत दख घोर असाता घर

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १५

ॐ हरी चच-तb-दाढ-कटकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

दाानल न मरधवारय भरयकर खग मग कष जला

जी असाता कमदरय स घोर महा दख पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार१६

ॐ हरी दाानलोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

घोर परचb पन का दजरय ग भरयकर धा

सागर मरधवारय परचb लहर की भीम भर लहरा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १७

ॐ हरी परचणb-पनोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नौका पोत सफोट उदलिध म दारण दख परदाता

सागर मरधवारय पतन जब हो कम विपाक असाता

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १८

ॐ हरी नौका-सफोट-पतनोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

न पत भमbल मरधवारय उदिदत उपदर भारी

परभ पजा स दर सभी हो फल हो मगलकारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १९

ॐ हरी न-नग-मदिदनी-भरयकरोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

सरिरता सागर कप सरोर झील जलाशरय ापी

इनक उपसगreg स रकषण पाता पीडिbत पराणी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २०

ॐ हरी नदी-सरोरानधिEcirc-कप-हदोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विदयतपात भरयकर षा ओला पाला पानी

द विपाक अनक उपदर पीडा की मनमानी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २१

ॐ हरी विदयतपातादिद-भीमामब-षटयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

रयदधसथल क मरधवारय शतर दल श अनक चला

कम असात अकाल मरण दख सब ही पराणी पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २२

ॐ हरी सगराम-सथलादिदविनकटोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

bाविकविन शाविकविन भत परत अर चोर विपशाच घनर

कमreg क परिरपाक विषम सो रहत विनशदिदन घर

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २३

ॐ हरी bाविकनी-शाविकनी-भत-विपशाचादिदभरय विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

उचचाटन सममोहन थमभन घोर उपदर आ

विदया दC विविध रपो म आकर विनतरय सता

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २४

ॐ हरी मोहन-सतमभनोचचाटन-परमख-दCविदयोपदर विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

दC नगरह कत पीडाए कम उदरय स आ

अजञानी मिमथरयाती मरख कगर कद मना

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २५

ॐ हरी दCगरहादयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लोह शखला क दढ बधन अग उपाग दखा

पीडिbत जी महा दख पाकर हाहाकार मचा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २६

ॐ हरी शखलादयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अलप आरय कत कम रयोग स जनम मरण दख भारी

मन म वयापत परचb विकलता दखिखरया सब ससारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २७

ॐ हरी अलपमतरयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कम उदरय दरणिभकष उपदर अVाभा सता

जठरानल की भीषण जाला पराणी को विबलखा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २८

ॐ हरी दरणिभकषोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अतरारय रयह लाभ विरोधी कम उदरय जब आ

वयापारादिदक भिदध न हो धन समपलितत नशा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २९

ॐ हरी वयापारभिदध-रविहतरयोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

सबधी परिरार भरात सत बन अकारण बरी

घोर उपदर कर विनरतर वयाप विपद घनरी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ३०

ॐ हरी बधतोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अकटमबी सतान विबना विनत अवित सकलभिशत हो

मिमथरया मोह उदरय स पररिरत पराणी रो धो

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ३१

ॐ हरी अकटमबतोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पाप उदरय अपकीरतित दखद हो आकलता उपजा

मन सताप महा दख जाला सब सख शानविनत जला

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ३२

ॐ हरी अपकीतररयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विशव विहतारय उदार भाना विनमल मगलकारी

समरयकदशन जञान चरिरत रयह हो सद विहतकारी

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३३

ॐ हरी समपणकलरयाण-मगलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लिचतामभिण क तलरय लाभपरद शानविनत परभ को रधवारया

कर अचना विनतरय चा स अवितशरय शभ फल पा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३४

ॐ हरी लिचतामभिणसमान-लिचवितत-फलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कलपकष क समफल दाता पाप-ताप विनशारय

शानविनत जिजनशवर का आराधन शभ मगल महकाए

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३५

ॐ हरी कलपकषोपमकचचिलपताथ-फलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कामधन क तलरय अनपम स मनोरथ दाता

रयही अचना मगलकारी सख आनद परदाता

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३६

ॐ हरी कामधनपमकामनापण-फलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

परम समजजल रधवारयान धर तो मट पथ की बाधा

रयही अचना मगलकारी हर लती दख बाधा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३७

ॐ हरी परमोजजल-धमरधवारयान-बाधारविहतारय-अनदयबोधपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

तरलोकरय क सब पराभिणरयो को नतर का उतस कर

मनलिसज सदश सौनदरय पा जो परभ पजा कर

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३८

ॐ हरी कामदसरपपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कपर चदन अगर पकज तलरय सरभिभत दह हो

रयदिद शानविनत जिजन की अचना म अमल विन ल नह हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३९

ॐ हरी सगलिधतशरीरपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भवयामबजो को विनत परफडिललतनाथ का भामणbलम

रवि रडिशमत करता परकाभिशत शानविनतजिजन गणमbलम

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४०

ॐ हरी तरलोकरयनाथाहलाद-कारक-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कषीर सागर की समजजल अमल लहरो स धल

दता गात विनरतर आपक सदगण विमल

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४१

ॐ हरी परमोजजल-गणगण-सविहत-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

ाचसपवित क तलरय विनमल विशद-परवितभादामिरयविन

आपकी ह अचना जरयो परणिणमा की चादनी

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४२

ॐ हरी ाचसपवितसमान-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नविनलिध चतदश रतन का सामिमत जो चकरश को

नर द इदर नरनदर दिदत पजता तीथश को

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरीशानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४३

ॐ हरी चकररतित-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपद-परापतरय अघररय विनपामीवित साहा

दोनो कलो की कीरतित को विनज गण विभविषत जो कर

मलिN रमा रती उनह जो शानविनतजिजन पजा कर

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४४

ॐ हरी उभरयकल-कमल-विकासन-परवितविषठत-गणमचचिणbतारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अचना शभभा स अरिरहत की जो विनत कर

शराकोततम वरतधरन सद बभिदध को नर र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४५

ॐ हरी शराक-सततकरण-बभिदधपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शारदी न जरयोतसना सम कीरतित का विसतार हो

परभ अचना ही मातर इक जो पराण का आधार हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४६

ॐ हरी परमोजजल-कीरतितपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कलरयाण कतररी राज लकषमी धनद सम नर र

जिजन राज की शभ भाना स जो सतत पजा कर

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४७

ॐ हरी कलरयाणकर-राजधनदसम-लकषमीपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

वितरय_च नारक भ कभी जिजन भN को मिमलता नही

नर द भ शभ लोक म परभ भN पात हर कही

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४८

ॐ हरी नरक-वितरय_च-गवितरविहत-नर-सर-गवितसविहत-भपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भाना षोbश विमल परभ अचना स परापत हो

तीथ_कर पदी मिमल जिजसस विक विन रय आपत हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४९

ॐ हरी षोbशकारण-भाना-साधन-बलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

लोक दलभ सपन सोलह नाथ माता दखती

एक जननी पद परस पजा सविहत अलोकती

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५०

ॐ हरी जिजनजननी-तलरयकजननी-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

तीथश न सर शल पर होता विशद अभिभषक ह

जिजन अचना का हदरय जिजनक परकट विमल विक ह

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश कीम विनत कर आराधना ५१

ॐ हरी मरभिशखर-सनानरयN-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

ससार भोग शरीर स विनद दीकषा दारयकम

नर जनम परभ की अचना स मिमल शभभिश कारकम

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५२

ॐ हरी लिसदधसाभिकष-दीकषाकारिर-भपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजन चदर क सालोक शासन क असीम परभा स

सहनन जर षभ तथा नाराच पजन भा स

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५३

ॐ हरी जरषभनाराच-सहनन-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

रतनतररयामत स विभविषत रधवारयान क उपरयोग स

विनमल रयथा विखरयात हो जिजन अचना क रयोग स

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५४

ॐ हरी रयथाखरयात-रतनतररयाचरण-रयN-बलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विनज रधवारयान म तललीन आतम साद अमत चख सक

तीथश शानविनत जिजनश पजन स विनजातम लख सक

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५५

ॐ हरी सातम-रधवारयानामत-सादसविहत-भपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

राजती बारह सभा जिजन समसरण सदा

तरलोकरय पवित की अचना स परापत होती सख परदा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५६

ॐ हरी समसरण-विभवित-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजनराज परभ की दिदवय रधवाविन दिदनरात म चौबार हो

जिजसका शरण कर भविक को कलरय अपरपार हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५७

ॐ हरी सतकलजञान-विभवित-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अC कमreg स रविहत गण अC रयत परमातमा

विनभरय विनरजन लिसदध पद पाता सधी धमातमा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५८

ॐ हरी विनरजन-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लिचतत को आनद दती नाथ की दिदवयाचना

परभ क पजारी की कर सर लोक म सर दना

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५९

ॐ हरी लिचदानद-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजनक विमल मखचदर स अमतचन अनपम झर

तरलोकरय की विनलिधरया सकल परभ क पजारी को र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६०

ॐ हरी चनानद-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजननाथ क तन की अलौविकक दिदवय अण अण की परभा

दखकर होती परफडिललत हष स बारह सभा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६१

ॐ हरी कारयानद-करण-समथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

साथ गreg का परशाधक नाथ मनसा लिचतनम

तीथश की दिदवयाचना का ह महत अवितशरय फलम

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश कीम विनत कर आराधना ६२

ॐ हरी अथग-लिसभिदध-साधन-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

परभ क गणो का ससतन विनज ाभिण ीणा स कर

काम ग परसालिधनी उतकC मविहमा को र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना६३

ॐ हरी कामग-लिसभिदध-साधन-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

जिजननाथ पजा स सफल विनज दह को जो नर कर

आ रय करया रयदिद मोकष लकषमी को सहज ही र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६४

ॐ हरी मोकष-परषाथ-लिसभिदध-साधन-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विनरचिलपत शरी जिजनराज चौसठ ऋभिदधरयो क नाथ ह

शत इदर क झकत सतत पद पकजो म माथ ह

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश कीम विनत कर आराधना ६५

ॐ हरी चतषविषठ-ऋभिदधसमानागारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शत एक विशवित तीथकर जिजनचदर की पजा करो

विरघयनौघ क शानतरयथ म पणाघररय चरणो म धरो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६६

ॐ हरी शतकिशवित-कोषठ-सथाविपतारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अरिरहत क अवितरिरN कोई ह नही जग म शरण

ससार सागर म परभ क चरण ह तारण तारण

इतीCपराथना कता पषपाजिल भिकषपत

(विनमनाविकत मतर का १०८ बार जाप रया आहवितरया द)

ॐ हरी जगचछानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय नम सपदर-शानतिनत कर कर साहा

जरयमाला

शानविनतनाथ भगान क गण ह अपरपार

विनराधार ससार म भNो क आधार १

पचम शरी चकरीश ह ादश रवितनाथ

षोbश तीथश को सदा नाऊ माथ २

पदधरिर छनद

जरय शानविनत परभो लिचदरपराज जग जल विनलिध म अदभत जहाज

जरय कम विनाशक शानविनतनाथ जरय विरघयन विनाशक शानविनतनाथ

जरय गण ारिरलिध ह शानविनतनाथ जरय मलिNध क पराणनाथ

जरय आतम विहतकर शानविनतनाथ जरय कम विनाशक शानविनतनाथ

जरय पाप विनाशक शानविनतनाथ भनतररय-जञारयक शानविनतनाथ

जरय समरयक दारयक शानविनतनाथ भिशमाग-विधारयक शानविनतनाथ

जरय भगहभजन शानविनतनाथ जरय अलख विनरजन शानविनतनाथ

जरय ऐरासत शरी शानविनतनाथ वितरभनतराता विहत शानविनतनाथ

जरय शानविनतनाथ भिश क दारयक जरय विहत-सदशक अघहारक

जरय जनम-जरा-मत-सहारक जरय रोगशोक हर सखदारयक

भिश सख क साधन शानविनतनाथ भ भरय क भजक शानविनतनाथ

जरय मानबली क मद मदक जरय शानविनतनाथ गण गणधक

कमreg क दख सहारक हो भरय भत विपशाच विनारक हो

नगरहकत बाधा दर करो वयालादिद विपवित चकचर करो

जरय भवय सरोज दिदाकर हो जरय भिश सख पदम परभाकर हो

भवि जीन तारण कारण हो शरी शानविनतनाथ भिश नारयक हो

ॐ हरी जगचछानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय जरयमाला-पणाघररय विनपामीवित साहा

नम

ॐ हरी शरीमनत भगनत कपालसनत शरीषभादिद ndash महाीरपरयनत-चतरविशवित -तीथङक iuml रपरमद आदयाना आदय जमबीप भरतकषतर आरयखणb helliphelliphelliphelliphelliphelliphellipनानविमन नगरhelliphelliphelliphelliphellipमासानामततमhelliphellip मास शभपकष helliphellipवितथौhelliphellip ासरhelliphellip मनरयारयिरयका-शराक-शराविकाणा सकलकमकषरयाथ_ अनघपदपरापतरय समपणाघररय विनपामीवित साहा

चतरतिवश तीरथsकर सवतित पाठशरीषभो नः सचचिसत सचचिसत शरीअजिजतः |

शरीसभः सचचिसतसचचिसत शरीअभिभनदनः |शरीसमवितः सचचिसत सचचिसत शरीपदमपरभः |शरीसपाशवः सचचिसत सचचिसत शरीचनदरपरभः |शरीपषपदतः सचचिसत सचचिसत शरीशीतलः |शरी शररयानसः सचचिसत सचचिसत शरीासपजरयः | शरीविमल सचचिसत सचचिसत शरीअनतः |शरीधमः सचचिसत सचचिसत शरीशानविनतः |शरीकथः सचचिसत सचचिसत शरीअरहनाथः |शरीमडिललः सचचिसत सचचिसत शरीमविनसवरतः |शरीनमिमः सचचिसत सचचिसत शरीनमिमनाथः |शरीपाशवः सचचिसत सचचिसत शरीदधमानः |

इवित शरीचतरविशवित तीथ_कर-सचचिसत मगल विधान पषपाजलिल भिकषपामिम |

तिनवा13ण काडदोहा

ीतराग दौ सदा भासविहत लिसरनारयकह काb विनाण की भाषा सगम बनारय

अCापद आदीशवर सामी बास पजरय चपापरनामीनमिमनाथसामी विगरनार दो भा भगवित उरधार १

चरम तीथ_कर चरम शरीर पाापरी सामी महाीरभिशखर सममद जिजनसर बीस भा सविहत दौ विनशदीस २

रदतरारय रइद मविनद सारयरदतत आदिदगणदनगरतारर मविन उठकोविb दौ भा सविहत करजोविड ३

शरी विगरनार भिशखर विखरयात कोविb बहततर अर सौ सातसब परदमन कमार भारय अविनरदध आदिद नम तस पारय ४

रामचदर क सत ीर लाbनरिरद आदिद गण धीरपाचकोविड मविन मलिN मझार पााविगरिर बदौ विनरधार ५

पाb तीन दरविb राजान आठकोविड मविन मलिNपरयानशरी शतरजरय विगरिर क सीस भा सविहत दौ विनशदीस ६

ज बलभदर मलिN म गए आठकोविड मविन औरह भरयशरी गजपथ भिशखर सविशाल वितनक चरण नम वितह काल ७

राम हण सगरी सbील गगाखरय नीलमहानीलकोविड विनणरयान मलिN परयान तगीविगरी दौ धरिररधवारयान ८

नग अनग कमार सजान पाच कोविड अर अध परमानमलिN गए सोनाविगरिर शीश त दौ वितरभनपवित इस ९

राण क सत आदिदकमार मलिN गए रातट सारकोविड पच अर लाख पचास त दौ धरिर परम हलास १०

रा नदी लिसदधरकट पभि म दिदशा दह जहा छट चकरी दश कामकमार उठकोविड दौ भपार ११

बडानी बडनरयर सचग दभिकषण दिदभिश विगरिरचल उतगइदरजीत अर कभ ज कण त दौ भसागर तण १२

सरण भदर आदिद मविन चार पााविगरिरर भिशखर मझारचलना नदी तीर क पास मलिN गरय बदौ विनत तास १३

फलहोडी बडगराम अनप पभि म दिदशा दरोणविगरिर रपगर दततादिद मविनसर जहा मलिN गए बदौ विनत तहा १४

बाली महाबाली मविन दोरय नागकमार मिमल तररय होरय

शरी अCापद मलिN मझार त बदौ विनतसरत सभार १५

अचलापर की दशा ईसान जहा मढविगरिर नाम परधानसाड तीन कोविड मविनरारय वितनक चरण नम लिचतलारय १६

शसथल न क दिढग होरय पभि म दिदशा कनथविगरिर सोरयकलभषण दिदभिशभषण नाम वितनक चरणविन कर परणाम १७

जशरथराजा क सत कह दश कलिलग पाच सो लहकोदिटभिशला मविनकोदिट परमान दन कर जौर जगपान १८

समसरण शरी पाशवजिजनदर रलिसदीविगरिर नरयनानदरदततादिद पच ऋविषराज त दौ विनत धरम जिजहाज १९

सठ सदशन पटना जान मथरा स जमब विनाणचरम कलिल पचमकाल त दौ विनत दीनदरयाल २०

तीन लोक क तीरथ जहा विनत परवित दन कीज तहामनचकारय सविहत लिसरनारय दन करविह भविक गणगारय २१

सत सतरहसो इकताल आभिशवन सदी दशमी सविशालlsquoभरयाrsquo दन करविह वितरकाल जरय विनाण काb गणमाल २२

सवयमभ सतोS किहदीसवयभसतोS-भारषा

रमल (ससकत) रचना आचाय13 सरमतभदरभारषा (तिहनदी) अनवाद कतिवशरी दयानतरायतिवदवानो योतिगयो और तयागी-तपबधिसवयो क पजय सवारमी आचाय13 सरमतभदर सोतसाह रमतिन जीवन वयतीत कर रह रथ उस सरमय असाता वदनीय करम13 क परबल उदय स उनह lsquoभसरमकrsquo नारम का रमहारोग हो गया रमतिनचया13 क दौरान इस रोग का शरमन होना असभव जानकर उनहोन अपन गर स सAलखना धारण करन की आजञा चाही| गर रमहाराज न कहा तिक आप क दवारा जिजन-शासन की तिवशरष परभावना होनी ह सAलखना का सरमय अभी नही आया हरोग-शरमन हत पौमिषटक भोजन की आजञा लकर आपन दिदगमबर वरष का तयाग तिकया और काची रम रमशिलन वरषधारी दिदगमबर रह राजा न उनह सही-सही परिरचय बतान क शिलए कहा सरमतभदर न कहा तिक रम आचाय13 ह शासSारचिरथयो रम शरषठ ह पलपिणडत ह जयोतितरषी ह वदय ह कतिव ह रमातिSक-तातिSक ह ह राजन इस सपण13 पथवी रम रम आजञा शिसदध ह अमिधक कया कह शिसदध सारसवत ह और अब आपक समरमख जन-वादी खड़ा ह जिजसकी शशिकत हो रमझस शासSारथ13 कर लउनहोन चौबीस तीरथक13 रो का सतवन शर तिकया जब व आठव तीरथsकर चनदरपरभ का सतवन कर रह रथ तब चनदरपरभ भगवान की रमरतित परकट हो गरइ13इ सतवन पण13 हआ यह सतवन lsquoसवयभसतोSrsquo क नारम स परशिसदध ह यह करथा बर नमिरमदतत करथाकोश क आधार पर ह

(चौपारइ13इ छनद)राजतिवरष जगलतिन सख तिकयो राजतयाग भतिव शिशवपद शिलयो |सवयबोध सवयभ भगवान वद आदिदनारथ गणखान ||१||

इनदर कषीरसागर जल लाय रमर नहवाय गाय बजाय |रमदन तिवनाशक सख करतार वद अजिजत अजिजत-पदकार ||२||

शकलधयान करिर कररम तिवनाशिश घातित-अघातित सकल दख राशिश |लहयो रमकतितपद सख अतिवकार वद सभव भव-दख टार ||३||

रमाता पभिशचरम रयन रमझार सपन दख सोलह सार |भप-पशिछ फल सतिन हररषाय वद अभिभनदन रमन लाय ||४||

सब कवादवादी सरदार जीत सयादवाद-धतिन धार |जनधररम-परकाशक सवारम सरमतितदव पद करह परणारम ||५||

गभ13 अगाऊ धनपतित आय करी नगर-शोभा अमिधकाय |बरस रतन पचदश-रमास नरम पदरमपरभ सख की राश ||६||

इनदर फणीनदर नरनदर तिSकाल बानी सतिन-सतिन होकिह खशाल |दवादश सभा जञान-दातार नरम सपारसनारथ तिनहार ||७||

सगन शिछयाशिलस ह तरम रमाकिह दोरष-अठारह कोऊ नाकिह |रमोह-रमहातरम-नाशक दीप नरम चदरपरभ राख सरमीप ||८||

दवादशतिवध तप कररम तिवनाश तरहतिवध-चारिरS परकाश |तिनज अतिनचछ भतिव इचछकदान वद पषपदत रमन-आन ||९||

भतिव-सखदाय सरग त आय दशतिवमिध धररम कहयो जिजनराय |आप-सरमान सबतिन सख दह वद शीतल धरम13-सनह ||१०||

सरमता-सधा कोप-तिवरष-नाश दवादशाग-वानी परकाश |चार सघ-आनद-दातार नरम शरयास जिजनशवर सार ||११||

रतनSय शिसरा रमकटा तिवसाला सोभ काता सगना रमभिण रमाला रमशिकतनारा भतता13 भगवान वासपजय वद धारा धयाना 12

पररम सरमामिध-सवरप जिजनश जञानी-धयानी तिहत-उपदश |करम13 नाशिश शिशव-सख-तिवलसत वद तिवरमलनारथ भगवत ||१३||

अतर-बातिहर परिरगरह टारिर पररम दिदगबर-वरत को धारिर |सव13जीव-तिहत-राह दिदखाय नरम अनत वचन रमनलाय ||१४||

सात तततव पचासतितकाय नव-पदारथ13 छह दरवय बताय |लोक अलोक सकल परकाश वद धरम13नारथ अतिवनाश ||१५||

पचरम चकरवरतित तिनमिधभोग कारमदव दवादशरम रमनोग |शातितकरण सोलरम-जिजनराय शातितनारथ वद हररषाय ||१६ ||

बह रथतित कर हररष नकिह होय किनद दोरष गह नकिह कोय |शीलवान परबरहम-सवरप वद करथनारथ शिशवभप ||१७||

दवादश-गण पज सखदाय रथतित-वदना कर अमिधकाय |जाकी तिनज-रथतित कबह न होय वद अर जिजनवर-पद दोय ||१८||

परभव रतनSय-अनराग इहभव बयाह-सरमय वराग |बाल-बरहम-परन-वरत धार वद रमलपिAलनारथ जिजनसार ||१९||

तिबन उपदश सवय वराग रथतित लोकात कर पग लाग |नरम शिसदध कतिह सब वरत लकिह वद रमतिनसवरत वरत दकिह ||२०||

शरावक तिवदयावत तिनहार भगतित-भाव सो दिदयो अहार |बरसी रतन-राशिश ततकाल वद नमिरम परभ दीनदयाल ||२१||

सब जीवतिन की बदी छोतिड़ राग-दवरष दव-बधन तोर |राजल तजिज शिशव-तितय सो मिरमल नमिरमनारथ वद सख तिनल ||२२||

दतय तिकयो उपसग13 अपार धयान दगनिख आयो फतिनधार |गयो करमठ-शठ रमख कर शयारम नरम रमरसरम पारस सवारम ||२३||

भव-सागर त जीव अपार धररम-पोत रम धर तिनहार |डबत काढ़ दया-तिवचार वदध13रमान वद बह-बार ||२४||

(दोहा)चौबीसो पद-करमल-जग वद रमन वच काय |lsquoदयानतrsquo पढ़ सन सदा सो परभ कयो न सहाय |

दिदपतरयौहार ससकवित और सभरयता क परतीक ह तथा उनका समबनध भी पराचीन महततपण घटनाओ स जbा हआ ह| दीपाली हमार दश का परलिसदध तरयौहार ह| सभी लोग इस परम और उतसाह स मनात ह| इसस कई धम की कथारय जbी ह| कहा जाता ह विक मरयादा परषोततम शरी राम चनदर जी ारा दशहर क दिदन राण का ध करक इस दिदन अरयोरधवारया पधार थ पर विानो का मत ह विक इसका कोई शासतरीरय आधार नही ह| इसी दिदन शरी कषण जी न नरकासर का ध विकरया था| सतरही शताबदी म लिसखो क छठ गर शरी हरगोविबनद लिसह जी मगल बादशाह की कद स छट थ| इसी दिदन उVसी शताबदी म आरय समाज क ससथापक सामी दरयानद सरसती न तथा सामी रामकषण परम हस न शरीर तरयाग विकरया था| इस परकार सभी धम म अपनी-अपनी मानरयतानसार इस वितलिथ का महतत ह| मगर इस प का सीधा और सचचा समबनध जन धम क 24 तीथ_कर भगन महाीर सामी जी स ह| कारतितक कषण अमासरया की सपरभात की शभ बला म भगन महाीर सामी न चारो अघवितरया कमreg को भी नC करक विनाण परापत विकरया था| भगान क विनाण कलरयाणक की इनदरादिद न आकर बड धम धाम स पजा की थी| समराट शरभिणक आदिद नरनदरो न भी अपनी परजा क साथ महान विनाणोतस मनारया था| तभी स रयह प मनारया जाता ह| जन धम विकसी जावित ण सपरदारय रया पथ विशष का नाम नही ह करयोविक जन धम का परवितपादन करन ाल सभी 24 तीथ_कर कषवितररय थ और उनक अलिधकाश भिशषरय बराहमण थ| जन धम उस सत सरप का परवितपादन करता ह जो अनादिदकाल स ह और अनतकाल तक रहगा| जन धम पराणी मातर का धम ह| तीथ_कर महाीर न मान जीन की परतरयक विकररया को अविहसा क माप दb ारा मापा ह| एक जनम की साधना स कोई तीथ_कर नही बन सकता रयह तो अनक भो की साधना का फल ह| इस पद को पाना कोई साधारण बात नही इसक लिलए आतमा का पण विकास और परम विशभिदध आशरयक ह| भगान महाीर का सनदश कल विशववयापी ही नही अविपत साजाविनक और सकालिलक भी ह| उनक सनदश को हम रयदिद सकषप म कह तो विचारो म अनकात ाणी म सरयादाद आचरण म अविहसा और वयहार म अपरिरगरह क रप म वयN कर सकत ह|

इस पनीत भारत सधरा पर अबस 2600 ष पहल विबहार क कणbलपर गराम म माता वितरशला (विपररयकरिरणी) की ककषी स भगान महाीर न जनम लिलरया था| घर म रहत हए भी धमान सामी अतरयत विनरचिलपत रहत थ| कभी-कभी भोजन करत चलत विफरत हए भी अनतासतत म विनमगन हए परतीत होत थ| जब सामामिरयक म होत थ तो उनकी विनशछल शात मदरा दखत ही बनती थी| अपन जीन म उनहोन अविहसा विशवमतरी और आतमोदधार का उतकC आदश उपडिसथत विकरया था| ह आजनम बरहमचारी रह 30 ष की भरी जानी म उनहोन दीकषा ली| 12 ष की कठोर साधना क उपरात दधर तपकर 42 ष की आरय म आतमा क परबल शतर चार घावितरया कम का नाश कर लोका लोक परकाशक कल जञान परापत कर लिलरया और भवय जीो को दिदवय-रधवानी ारा आतमा क उदधार का माग बतारया| 72 ष की आरय क अत म कारतितक कषण अमासरया को परात काल मोकष लकषमी को परापत विकरया| उसी दिदन शाम को भगान क परथम गणधर शरी गौतम सामी को कल जञान परापत हआ था| तब दो न आकर कल जञान रपी लकषमी की पजा की थी| गणनाम ईशा = गणश गणधरा रय दोनो परयारयाची नाम गौतम सामी क ही ह| तब स इन दोनो आतमाओ महाीर सामी और गौतम सामी की समवित म रयह दीपाली प समसत भारत ष म मनारया जाता ह| भगान महाीर सामी क विनाण क उपलकषरय म लोग परातकाल सतवित पाठ पढत ह| मजिनदर जी म जाकर विनाण पजा विनाण काb महाीराCक पढकर विनाण लाb चढात ह| अपन घरो को खब सजात ह परसपर मिमतरो और समबनधिनधरयो म मिमठाई बाटत ह| सरधवारया क समरय पजरय गौतम सामी क कल जञान कलरयाणक की खशी म जलती दीपो की पलिNरयो स घर क अनदर और बाहर रौशनी करत ह| भजन आरती करक भगान क गणो का गान करत ह| सचची लकषमी तो आतमा क गणो का पण विकास कल जञान हो जाना तथा मोकष परानविपत ही ह| हम उस दिदन महाीर सामी गौतम सामी और कल जञान रपी लकषमी की पजा करनी चाविहए| इन गणो की पजा करन स रपरया पसा आदिद सासारिरक लकषमी परापत होना तो साधारण सी बात ह| जन धम अविहसा परधान धम ह| इस धम क अनसार धारयिमक प की तो बात ही करया लौविकक कारय म भी विहसा को कोई सथान नही ह| लोग तो आवितशबाजी छbाकर दिदाली मनात ह मगर इस कारय म असखरयात जीो की विहसा होना साभाविक ही ह| अत इस दिदन महाीर भगान क विनाण कलरयाणक क पान असर पर आवितशबाजी छbाना पणतरया बद होना चाविहए| अविहसा परमोधम रयतोधम सतोजरय

कछ लोग इस पवितर दिदन जआ खलत ह रयह मिमथरयात पोषक कपरथा तथा अधारयिमक परवित ह| हम शासतरानसार समरयक दशन को पC करन ाली विकररयाओ ारा दीपाली मनानी चाविहए| इस उपरयN उददशरय को बहत लोग जानकार भी रपरयो-पसो की पजा करत ह रयह उनकी विनतात भल ह| उनह रयह ासतविक रहसरय को समझ लना चाविहए विक धन का लाभ तो लाभ अनतरारय कम क कषरयोपशरय स होता ह और लाभतरारय कम का कषरयोपषम शभ विकररयाओ स ही हो सकता ह| रपरया पसो की पजा स नही| दीपाली हमारा राषटरीरय प ह सभी का तरयौहार ह अत हम इस प को बडी शरदधा और भलिN स मनाना चाविहए| दीपाली प कस मनारय -

परात काल सनानादिद करक पवितर सतर पहनकर जिजननदर द क मदिदर जी म परीार क साथ पहचकर जिजननदर द की पजा दना करनी चाविहए| भगान महाीर सामी की पजन करक विनाण काb पढन क बाद महाीर सामी क मोकष कलरयाणक का अघ बोलकर विनाण लाb अघ सविहत चढाना चाविहए|

सरसवती पजादोहा

जनम जरा मत कषरय कर हर कनरय जb रीवित

भ सगरसो ल वितर पज जिजन च परीवित

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसतरय पषपाजलिल विनपामीवित साहा

छीरो दमिध गगा तिवरमल तरगा सशिलल अभगा सख सगा

भरिर कचन झारी धारी तिनकारी तरषा तिनवारी तिहत चगा

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती-दवय जल विनपामीवित साहा

कर-पर रमगाया चनदन आया कशर लाया रग भरी

शारत-पद वदो रमन अभिभनदो पाप तिनकदो दाह हरी

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय चदनम विनपामीवित साहा

सख दास करमोद धारक रमोद अतित अन रमोद चद-सरम

बह भशिकत बढ़ाई कीरतित गाई होह सहाई रमात रमरम

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय अकषतान विनपामीवित साहा

बह फल सवास तिवरमल परकाश आनद रास लाय धर

रमरम कारम मिरमटायो शील बढ़ायो सख उपजायो दोरष हर

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय पषप विनपामीवित साहा

पकवान बनाया बह धत लाया सब तिवध भाया मिरमषठ रमहा

पज रथतित गाऊ परीतित बढ़ाऊ कषधा नशाऊ हरष13 लहा

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय नरधवारयम विनपामीवित साहा

कर दीपक जोत तन कषय होत जयोतित उदोत तरमकिह चढ़

तरम हो परकाशक भररम तिवनाशक हरम घट भासक जञान बढ़

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय दीप विनपामीवित साहा

शभ गध दशोकर पाव करम धर धप रमनोहर खवत ह

सब पाप जलावपणय करमाव दास कहाव सवत ह

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय धपम विनपामीवित साहा

बादारम छहारी लोग सपारी शरी फल भारी Aयावत ह

रमन वाशिछत दाता रमट असाता तरम गन रमाता धयावत ह

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय फलम विनपामीवित साहा

नयनन सख कारी रमद गन धारी उजजवल भारी रमोल धर

शभ गध समहारा वसन तिनहारा तरम तन धारा जञान कर

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय अरघयरयम विनपामीवित साहा

जल चदन अकषत फल चर अर दीप धप अतित फल लाव

पजा को ठानत जो तरम जानत सो नर दयानत सख पाव

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय अरघयरयम विनपामीवित साहा

जयरमाला

सोरठा

ओकार धवतिन सार दवाद-शाग वाणी तिवरमल

नरमो भशिकत उर धार जञान कर जड़ता हर

पहलो आचा रग बखानो पद अषटा-दश सहस पररमानो

दजो सS कत अभिभलारष पद छततीस सहस गर भारष

तीजो ठाना अग सजान सहस बयाशिलस पद सरधान

चौरथो सरम वायाग तिनहार चौसठ सहस लाख इक धाररम

पचरम वयाखया परजञपतिपत दरस दोय लाख अटठाइस सहस

छटठो जञात करथा तिवसतार पाच लाख छपपन हजजार

सपतरम उपास काधय नग सततर सहस =यार लख भग

अषटरम अत कत दस ईस सहस अठाइस लाख तईस

नवरम अनततर दश सतिवशाल लाख बानव सहस चवाल

दशरम परशन वयाकरण तिवचार लाख तितरानव सोल हजार

=यारस सS तिवपाक स भाख एक कोड चौरासी लाख

चार कोतिड़ अर पदरह लाख दो हजार सब पद गर शाख

दवादश दमिषट वाद पन भद इक सो आठ कोतिड़ पन वद

अड़सठ लाख सहस छपपन ह सतिहत पच पद मिरमथया हन ह

इक सौ बारह कोतिड़ बखानो लाख तितरासी ऊपर जानो

ठावन सहस पच अमिधकान दवादश अग सव13 पद रमान

साढ़ इकावन आठ तिह लाख सहस चरासी छह सौ भाख

साढ़ इकीस शलोक बताय एक एक पद क य गाय

दोहा

जा बानी क जञान त सझ लोक अलोक

जञानत जग जय-वत हो सदा दत ह धोक

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय महारघयरयम विनपामीवित साहा

अघा13वलीविरधवारयमान बीस तीथ_कर अघ

जल फल आठो दरवय अरघ कर परीवित धरी हगणधर इनदरनह त थवित परी न करी ह दयानत सक जानक (हो) जगत लह विनकार

सीमधर जिजन आदिद द बीस विदह मझार शरी जिजनराज हो भ तारण तरण जहाज

ॐ हरी विदयमानविशविततीथ_करभरयः अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 1

कवितम-अकवितम चतरयालरय अघ

कतयाकतिSरम-चार-चतय-तिनलयान तिनतय तिSलोकी-गतानवद भावन-वयतर-दयतितवरान सवगा13रमरावासगान सदगधाकषत-पषप-दारम-चरकः सददीपधपः फलरनीरादयशच यज परणमय शिशरसा दषकरम13णा शातय

ॐ हरी वितरलोक समबनधिनध कवितरमाकवितरम-चतरयालरयभरयः अरघयरय_ विनपामीवित साहा 2

लिसदध परमषठी अघ

गनधाढय सपयो रमधवरत-गणः सग वर चनदन पषपौघ तिवरमल सदकषत-चय रमय चर दीपकरम धप गनधयत ददामिरम तिवतिवध शरषठ फल लबधय शिसदधाना यगपतकररमाय तिवरमल सनोततर वालपिञछतरम

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 3

तीस चौबीसी का अघ

दरवय आठो ज लीना ह अघ13 कर रम नवीना ह

पजता पाप छीना ह भानरमल जोड़ तिकना ह

दीप अढ़ाई सरस राज कषS दस ता तिवरष छाज

सातशत बीस जिजनराज पजता पाप सब भाज

ॐ हरी पञचभरत-पचरात-समबनधी-दशकषतरानतगत-भत-भविषरयत-तमान-समबनधी-तीस-चौबीसी क सात सौ बीस जिजनदरभरयो-अघयम विनपामिमवित साहा 4

शरी आदिदनाथ जी अघ

शशिच तिनरम13ल नीर गध सअकषत पषप चर ल रमन हरषा13य

दीप धप फल अघ13 सलकर नाचत ताल रमदग बजाय

शरी आदिदनारथ क चरण करमल पर बशिल बशिल जाऊ रमन वच काय

ह करणातिनमिध भव दःख रमटो यात रम पजो परभ पाय

ॐ हरी शरी आदिदनाथजिजननदरारय अनघपदपरापतारय अघ_ विनपामिमवित साहा 5

शरी अजिजतनाथ जी अघ

जलफल सब सजज बाजत बजज गनगनरजज रमनरमजज तअ पदजगरमजज सजजन जजज त भवभजज तिनजकजज शरी अजिजत जिजनश नतनाकश चकरधरश ख=गश रमनवाशिछतदाता तिSभवनSाता पजौ खयाता ज=गश ॐ हरी शरीअजिजतनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 6

शरी समभनाथ जी अघ

जल चदन तदल परसन चर दीप धप फल अघ13 तिकया तरमको अरपौ भाव भगतितधर ज ज ज शिशव ररमतिन तिपया सभव जिजन क चरन चरचत सब आकलता मिरमट जाव तिनज तिनमिध जञान दरश सख वीरज तिनराबाध भतिवजन पाव ॐ हरी शरीसभनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 7

शरी अभिभननदन नाथ जी अघ

अषट दरवय सवारिर सनदर सजस गाय रसाल ही नचत रजत जजौ चरन जग नाय नाय सभाल ही कलरषताप तिनकद शरीअभिभननद अनपरम चनद ह पद वद वनद जज परभ भवदद फद तिनकद ह ॐ हरी शरीअभिभननदन जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 8

शरी समवितनाथ जी अघ

जल चदन तदल परसन चर दीप धप फल सकल मिरमलाय नाशिच राशिच शिशरनाय सरमरचौ जय जय जय 2 जिजनराय हरिरहर वदिदत पापतिनकदिदत सरमतितनारथ तिSभवनक राय

तरम पद पदम सदम शिशवदायक जजत रमदिदतरमन उदिदत सभाय ॐ हरी शरीसमवितनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 9

शरी पदमपरभ जी अघ

जल फल आदिद मिरमलाय गाय गन भगतित भाव उरमगाय जजौ तरमकिह शिशवतितय वर जिजनवर आवागरमन मिरमटाय रमन वचन तन Sयधार दत ही जनरम-जरा-रमत जाय पजौ भाव सो शरी पदरमनारथ पद-सार पजौ भाव सो ॐ हरी शरीपदमपरभजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 10

शरी सपाशवनाथ जी अघ

आठो दरब साजिज गनगाय नाचत राचत भगतित बढ़ाय दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो तरम पद पजौ रमनवचकाय दव सपारस शिशवपरराय दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 11

शरी चदरपरभ जी अघ

सजिज आठो दरब पनीत आठो अग नरमौ

पजौ अषटरम जिजन रमीत अषटरम अवतिन गरमौ

शरी चदरनारथ दतित चद चरनन चद लस

रमन वच तन जजत अरमद-आतरम-जोतित जग

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 12

शरी पषपदत जी अघ

जल फल सकल मिरमलाय रमनोहर रमनवचतन हलसाय

तरम पद पजौ परीतित लाय क जय जय तिSभवनराय

रमरी अरज सनीज पषपदनत जिजनराय रमरी अरज सनीज

ॐ हरी शरीपषपदनत जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 13

शरी शीतलनाथ जी अघ

शभ शरी-फलादिद वस परासक दरवय साज

नाच रच रमचत बजजत सजज बाज रागादिददोरष रमल रमदद13न हत यवा

चचAElig पदाबज तव शीतलनारथ दवा

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 14

शरी शररयासनाथ जी अघ

जलरमलय तदल सरमनचर अर दीप धप फलावली

करिर अरघ चरचौ चरन जग परभ रमोतिह तार उतावली

शरयासनारथ जिजननद तिSभवन वनद आननदकनद ह

दखदद फद तिनकद परनचनद जोतितअरमद ह

ॐ हरी शरीशररयासनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 15

शरी ासपजरय जी अघ

जल फल दरव मिरमलाय गाय गन आठो अग नरमाई

शिशवपदराज हत ह शरीपतित तिनकट धरौ यह लाई

वासपजय वसपज-तनज-पद वासव सवत आई

बाल बरहमचारी लगनिख जिजन को शिशव तितय सनरमख धाई

ॐ हरी शरीासपजरयजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 16

शरी विमलनाथ जी अघ

आठो दरब सवार रमनसखदायक पावन

जजौ अरघ भर रथार तिवरमल तिवरमल शिशवतितय ररमण

ॐ हरी शरीविमलनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 17

शरी अननतनाथ जी अघ

शशिच नीर चनदन शाशिलशदन सरमन चर दीवा धरौ

अर धप फल जत अरघ करिर करजोरजग तिवनतित करौ

जगपज पररम पनीत रमीत अनत सत सहावनो

शिशव कत वत रमहत धयावौ भरत वनत नशावनो

ॐ हरी शरीअनतनाथजिजनदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 18

शरी धमनाथ जी अघ

आठो दरब साज शशिच शिचतहर हरतिरष हरतिरष गनगाई

बाजत दरमदरम दरम रमदग गत नाचत ता रथई रथाई

पररमधररम-शरम-ररमन धररम-जिजन अशरन शरन तिनहारी

पजौ पाय गाय गन सनदर नाचौ द द तारी

ॐ हरी शरीधमनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 19

शरी शावितनाथ जी अघ

वस दरवय सवारी तरम दिढग धारी आननदकारी दग-पयारी

तरम हो भव तारी करनाधारी या त रथारी शरनारी

शरी शापतिनत जिजनश नतशकरश वरषचकरश चकरश

हतिन अरिरचकरश ह गनधश दयाऽरमतश रमकरश

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 20

शरी कनथनाथ जी अघ

जल चदन तदल परसन चर दीप धप लरी

फलजत जनन करौ रमन सख धरिर हरो जगत फरी

करथ सन अरज दास करी नारथ सन अरज दासकरी

भवशिसनध पयAcirc हौ नारथ तिनकारो बाह पकर रमरी

ॐ हरी शरीकथनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 21

शरी अरहनाथ जी अघ

सशिच सवचछ पटीर गधगहीर तदलशीर पषप-चर

वर दीप धप आनदरप ल फल भप अघ13 कर

परभ दीन दयाल अरिरकल काल तिवरद तिवशाल सकरमाल

हरिर रमरम जजाल ह जगपाल अरगन रमाल वरभाल

ॐ हरी शरीअरहनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 22

शरी मडिललनाथ जी अघ

जल फल अरघ मिरमलाय गाय गन पजौ भगतित बढ़ाई

शिशवपदराज हत ह शरीधर शरन गहो रम आई

राग-दोरष-रमद-रमोह हरन को तरम ही हो वरवीरा

यात शरन गही जगपतितजी वतिग हरो भवपीरा

ॐ हरी शरीमडिललनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 23

शरी मविनसवरतनाथ जी अघ

जलगध आदिद मिरमलाय आठो दरब अरघ सजौ वरौ

पजौ चरन रज भगतितजत जात जगत सागर तरौ

शिशवसारथ करत सनारथ सवरतनारथ रमतिनगन रमाल ह

तस चरन आननदभरन तारन तरन तिवरद तिवशाल ह

ॐ हरी शरीमविनसवरतजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 24

शरी नमिमनाथ जी अघ

जल फलादिद मिरमलाय रमनोहर अरघ धारत ही भवभय हर जजत हौ नमिरम क गण गाय क जगपदामबज परीतित लगाय क ॐ हरी शरीनमिमनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 25

शरी नमिमनाथ जी अघ

जल फल आदिद साज शशिच लीन आठो दरब मिरमलाय अषटरम शिछतित क राज कारन को जजौ अग वस नाय

दाता रमोकष क शरीनमिरमनारथ जिजनराय दाता0 ॐ हरी शरीनमिमनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 26

शरी पाशवनाथ जी अघ

नीर गध अकषतान पषप चार लीजिजय दीप धप शरीफलादिद अघ13 त जजीजिजय

पाशव13नारथ दव सव आपकी कर सदा दीजिजए तिनवास रमोकष भशिलय नही कदा ॐ हरी शरीपाशवनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 27

शरी महाीर सामी जी अघ

जल फल वस सजिज तिहरम रथार तन रमन रमोद धरौ गण गाऊ भवदमिधतार पजत पाप हरौ

शरी वीर रमहा-अतितवीर सनरमतित नायक हो जय वदध13रमान गणधीर सनरमतितदायक हो ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 28

शरी बाहबली सामी जी अघ

ह शदध तिनराकल शिसदधो सरम भवलोक हरमारा वासा ना

रिरप रागर दवरष लग पीछ यात शिशवपद को पाया ना

तिनज क गण तिनज रम पान को परभ अघ13 सजोकर लाया ह

ह बाहबली तरम चरणो रम सख समपतित पान आया ह

ॐ हरी शरी-बाहबली-जिजननदरारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 29

पञच बालरयवित जी अघ

सजिज वसतिवमिध दरवय रमनोजञ अरघ बनावत ह

वसकरम13 अनादिद सयोग तातिह नशावत ह

शरी वास-पजय-रमAली-नरम पारस वीर अती

नरम रमन-वच-तन धरी पररम पाचो बालयतित

ॐ हरी शरी-पचबालरयवित-तीथ_करभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 30

सोलहकारण भाना अघ

जल फल आठो दरव चढ़ाय lsquoदयानतrsquo वरत करौ रमन लायपररम गर हो जय जय नारथ पररम गर हो

दरशतिवशजिदध भावना भाय सोलह तीरथsकर-पद-दायपररम गर हो जय जय नारथ पररम गर हो

ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित 31

पचमर जी अघ

आठ दरबरमय अरघ बनाय lsquoदयानतrsquo पजौ शरीजिजनराय रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय पाचो रमर असी जिजन धारम सब परतितरमा जी को करौ परणारम रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः अरघयरय_ विनपामीवित साहा 32

ननदीशवर ीप अघ

यह अरघ तिकयो तिनजहत तरमको अरपत हो

धानत तिकजयो शिशवखत भमिरम सरमरपत हो

ननदीशवर शरीजिजनधारम बावन पज करो

वस दिदन परतितरमा अभिभरारम आनद भाव धरो

(ननदीशवर दीप रमहान चारो दिदशिश सोह

बावन जिजन रमजिनदर जान सर-नर-रमन-रमोह )

ॐ हरी शरी-ननदीशवर-ीप प-पभि मोततर-दभिकषण-दिदश -पचास-जिजनालरय-डिसथत जिजन परवितमाभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 33

दशलकषण धम अघ

आठो दरब सवार धानत अमिधक उछाह सो

भाव-आताप तिनवारदस लचछन पजो सदा

ॐ हरी शरी-उततम-कषमादिद-दशलकषण-धमारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 34

रतनतररय अघ

आठ दरब तिनराधार उततरम सो उततरम तिकय

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज

ॐ हरी शरी-समरयग-रतनतररयारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 35

सपतरतिष अघ

जल गध अकषत पषप चरवर दीप धप स लावना

फल लशिलत आठो दरवय मिरमभिशरत अघ13 कीज पावना

रमनवादिद चारिरSऋजिदध धारक रमतिनन की पजा कर

ता कर पातक हर सार सकल आनद तिवसतर

ॐ हरी शरी-मनादिदसपतरतिषभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 36

विनाण कषतर जी अघ

जल गध अकषत पषप चर फल दीप धपायन धरौ

धानत करो तिनरभय जगत सो जोर कर तिवनती करौ

समरमदिदगरिर तिगरनार चपा पावापर कलाश को

पजो सदा चौबीस जिजन तिनवा13ण भमिरम तिनवास को

ॐ हरी शरी-चतरविश-तीथ_कर-विनाण-कषतरभरयो अघ विनापमिमवित साहा 37

शरी सममद भिशखर जी अघ

जल गधाकषत फल स नवज लीजिजय

दीप धप फल अघ13 स लकर चढ़ाइए

पजो शिशखर समरमद स रमन वच काय ज

नरकादिद दःख टर अचल पद पाय ज

ॐ हरी शरी-सममद-भिशखर-लिसदधकषतर-पत बीस-तीथ_कर-आदिद-असखरयात-मविन-मलिN-परापतारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 38

सरसती (जिजनाणी) जी अघ

जलचनदन अकषत फल चर चत दीप धप अतित फल लावपजा को ठानत जो तरम जानत सो नर दयानत सखपाव

तीरथsकर की धवतिन गनधर न सतिन अग रच चतिन जञानरमईसो जिजनवर वानी शिशवसखदानी तिSभवन पजय भईऊ हरी शरी जिजनमखोदभभसरसतीदवय अरधवारयम विनपामीवित साहा 39

शरी ऋविषमbल अघ

जल फलादिदक दरवय लकर अघ13 सनदर कर शिलया

ससार रोग तिनवार भगवन वारिर तरम पद रम दिदया

जहा सभग ऋतिरषरमडल तिवराज पजी रमन वाच तन सदा

तितस रमनोवाशिछत मिरमळत सब सख सवपन रम दःख नतिह कदा

ॐ हरी शरी-सपदर-विनाशन-समथारय ऋविषमbलारय अरघयम विनापमिमवित साहा 40

शरी भरतशवर सामी जी अघ

भरतशवर रमहाराज रथारा गण गाऊ

रथा घर रम ही वराग चरणो रम धयाऊ

रम अषट दरवय ल आय पजा क शिलए

रम पजा भाव रचाय भव भव दःख हर

ॐ हरी शरी भरतशवरारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 41

शरी गौतम सामी जी अघ

भरतशवर रमहाराज रथारा गण गाऊ

रथा घर रम ही वराग चरणो रम धयाऊ

रम अषट दरवय ल आय पजा क शिलए

रम पजा भाव रचाय भव भव दःख हर

ॐ हरी शरी महाीर-समिमन गौतमादिद-एकादश-गणधरभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 42

शरी जमब सामी जी अघ

रमरथरा चौरासी धारम स तिनवा13ण गय

रम पज जमबसवारमी अतितरम रमोकष गए

ॐ हरी शरी जमब-सामी-मलिN-परापतारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 43

अतरारयनाशरय अघ

लाभ की अतराय क वश जीव सख ना लह

जो कर कषट उतपात सगर करम13वस तिवररथा रह

नही जोर वाको चल इक शिछन दीन सौ जग रम तिफर

अरहत शिसदधस अधर धरिरक लाभ यौ करम13 कौ हर

ऊ हरी लाभातरारयकम रविहताभरयाम अहतलिसदध परमविषठभरयाम अरघयरयम विनपामीवित साहा 44

शरी मानसतभ जी अघ

जल गनधादिद दरवय मिरमलाकर तिनज तिनज पजो चाव रम

रमान सतमभ प बठ भगवन उनको पज भाव स

ॐ हरी शरी मान-सतमभोपरिर-विराजमान-चतमख-जिजनविबमबभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 45

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गर सरमान कोइ नहीनही रमहान आतरमायात तिSलोक रम य ही रह सही रमहातरमा ||15||गह तयाग तिकय यात अनगारी रह गरपाप करम13 कलको स अकलक रह गर ||16||घन बादल जस ह भवय-रमानव रमोर कोदीप सतमभ भवाबधी रमगर तिनगनिखल तिवशव को ||17||चीटी सवरप भकतो को गर गड सरमान हआतरम धयान लगान रम रमहारमर सरमान ह ||18||जञान-पदम गनिखलान को पदमबनध सरमानहफोडन करम13 पहाड को गर रमहान वजर ह ||19||तार जस सशिशषयो रम गर ही शभचनदर हसभी रमतिन सदा वद यात ही रमतिननदर ह ||20||तीरथ13 याSारथ13 भवयो को गर ही सब तीरथ13 हधरम13हीन अनारथो को गर ही तो सनारथ ह ||21||दःखी ससार रम रमाS सरमतभदर ह गरशिशषयो क तो सदा पास वरत रप रह गर ||22||धरा जस कषरमा धार अतः गर धरा रहमिरमथया तरम तिवनाशारथ13 जञान-भान गर रह ||23||धरम13 रतिहत अनधो को धरम13 आख रह गरपाप कीचड धोन को समयक नीर रह गर ||24||पचाचार रमयी तिनतय पचागनि=न कर तपयात तापस य ही ह इनही का ही कर जप ||25||पढन भवय जीवो को गर खली तिकताब हभकत रपी सभौरो को गर खला गलाब ह ||26||पढन तिनतय शिशषयो को अतः पाठक भी रहपाप तिपणड कर नाश यात पलपिणडत भी रह ||27||परिरगरह रमहापाप ऐस गर तिवचार कपण13 तयाग तिकय यात य अपरिरगरही रह ||28||पाS सव13 तज यात पाणी-पाS गर रहतज यान पदSाण पदयाSी अतः रह ||29||तिपता तAय सशिशषयो को पाल यात तिपता रहसभी कतिव इनह पजत यात कवीनदर य रह ||30||

पणयोदय तिनतिनततारथ13 गर दश13न ही रहयात सपणयदाता तो रमाS सगर ही रह ||31||पजत चकरवतN भी चकरवतN अतः यहीवर भाव नही राख वरागी भी सही यही ||32||तिबना रमाग सदा दत पररमारथ13 धरोहरअकारण जगत बनध रह यात गरवर ||33||भवय चातक जीवो को रमघ धारा रह गरतयाग धरम13 रह पास यात तयागी रह गर ||34||भवय सवण13सरमा होता गर पारस पाद सपापी भी बनता ईश सगर नारम रमS स ||35||भवयो को गर नौका ह भव सरमदर तरनरमोकष रमाग13 बटोही को गर पारथय स बन ||36||भवयो को तिनज आतरमा का दिदवय सवरप दखनगर तिनरम13ल आदश13 आतरम रप दिदखावन ||37||भा=य उदय आन रम गर कपा जरर हभा=योदय अतः रमानो तिनःसनदह गर रह ||38||भद तिवजञान तिवदया को पान वाल सतिवजञ कोरमाS सचच गरदव तिवदयासागर ही अहो ||39||रमन को गर जीत ह रमनसवी भी रह अतःपण13 यश तिकय परापत यशसवी भी रह अतः ||40||रमाता सरमान शिशषयो प रमरमता तिनतय ही करअतः रमाता रह य ही रमरमता अरमत स भर ||41||मिरमट दग13ण दग13नध गर सगनध-इS सकरम13 सप13 भगान को गर गारड रमS स ||42||रमोकष भिभकषा सदा रमाग यात भिभकष रह गरशातित पयास मिरमटान को शातितसागर ह गर ||43||रमोकष रमजिजल पान को गर सोपान रमोकष कारमSो क रमल ऊ रप गर ही ह अहो सदा ||44||रमोकष शररम कर तिनतय अतः शररमण कर गररमौन तिपरय रह भारी यात रमतिन रह गर ||45रमोकष शररम कर तिनतय अतः शररमण कर गररमौन तिपरय रह भारी यात रमतिन रह गर ||45||

रमोह नीद मिरमटान को शकनाद रह गरघोर तप कर तिनतय तपसवी भी अतः गर ||46||यरम ल कर रोगो का कर दरमन ही सदासयरमी ह अतः य ही पज इनह बन खदा ||47||राग रग दिदय तयाग वीतरागी रह गरपरतितरमा धारको को तो जिजन रमजिनदर रह गर ||48||राग रोग रह शीघर राज वदय अतः गरदया छाया सदा दत पशिरथको को अतः तर ||49||शिलय सनयास भोगो स सनयासी ह अरथ गरसवातरम-जञान रख पण13रमहाजञानी रह अतः ||50||वणा13तीत सव आतरमा को धयात वणN रह अतःसाधना रम सदा लीन रमहासाधक ह अतः ||51||शसS वसS नही पास दिदगमबर रह गरछोड सकल गररथो को यात तिनगरsरथ ह गर ||52||शात रमदरा गरजी की समयक दश13न हत हभवाबधिबध पार पान को गरदव स सत ह ||53||शिशषय रपी गढ रमरतित शरषठ शिशAपी रह गरकलात शिचतत कर शात अतः सत रह गर ||54|

आचाय13 जी स आचारय जी स रय पछ जग सारा

णमोकार नाम का रय कौन मतर परयारा

बोल मसकात मविनर सनो भाई सारhellip२ अनतानत ह रय पचरग परयार पवितस अकषर स शोभिभत ओhellip मतर ह विनराला इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

महामतर कहती इसको ह सारी जनताhellip२ पार लगाता उसको जो इस जपता

मतर ह रय ऐसा जिजसन ओhellip लाखो को तारा इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

पच परमषठी क गणो को परचारताhellip२ धम विशष को रय नही ह दलारता रय महामतर ह ओhellip तारण हारा इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

मनोरमा सती का शील था बचारयाhellip२ महामतर का रय णन गरथो न गारया ऐस महामतर को ओhellip नदन हमारा इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

पजा पादिठकापजा पीदिठका

पजा पीदिठका -जो पजा स पतिहला कहा जाता ह उस पजा पीदिठका कहत ह

ॐ जय जय जय नरमोऽसत नरमोऽसत नरमोऽसत

अरथ13 -ॐ = अरिरहत -अ +शिसदध भगवान का अशरीरी -अ+आचाय13 (अ)=आ + उपाधयाय (उ)=अ+साध (रमतिन) (रम) अरथा13त पञच पररमषठी की जय हो जयहो जयहोनरमसकार हो नरमसकार हो नरमसकार हो

जय और नरमसकार तीन बार रमन वचन काय स करत ह

णरमो अरिरहताणणरमो शिसदधाण णरमो आयरिरया ण णरमो उवजझायाण= णरमो लोए सवव साहण

अरथ13-

णरमो अरिरहताण-अरिरहतो को नरमसकार हो

णरमो शिसदधाण-शिसदधो को नरमसकार हो

णरमो आयरिरयाण-आचाय~ को नरमसकार हो

णरमो उवजझायाण=उपाधयायो को नरमसकार हो

णरमो लोए सवव साहण-लोक क सब तिनगर13नथ दिदगबर साध को नरमसकार हो

अब स लगभग १८००- १९०० वरष13 पव13 आचाय13 पषपदत जी और आचाय13 भतबशिल जी न रमहान गरनथ रषट खणडगरम की रचना करत सरमय आचाय13 पषपदत रमहाराज जी न उसक पररथरम रमगलाचारण क रप रम इस आय13खड गारथा को शिलखा ह वहा पर णरमो अरिरहताण शिलखा ह (न तिक अरहताण अरहताण) इसशिलए यही रमलपाठ हयही बोलना चातिहए यह रमहा रमS सब दखो को हरन वाला ह इसस पव13 पञच पररमषठी की वदना तो होती होगी तिकनत इस णरमोकार रमS की गारथा क रप रम नही होत होगी

ॐ हरी अनादिदरमलरमSभयो नरम(पषपाजशिल भिकषपत )

अरथ13- इस अनादिद रमल रमS को हरम नरमसकार करत हअजशिल रम पषप (पील चावल)लकर उनका कषपण करत ह अरथा13त तिवशव शातित की रमनोकारमना करता ह

चततारिर दणडक

चततारिर रमगल अरिरहता रमगल शिसदधा रमगल साह रमगल कवशिल पणणततो धमरमो रमगल

अरथ13 -चार रमगल कारी ह -अरिरहत भगवान रमगलकारी हशिसदध भगवान रमगलकारी ह तिनगर13नथ जन दिदगबर साध पररमषठी रमगलकारी ह और कवशिल भगवान दवारा कहा बताया धरम13 रमगलकारी ह रमगलकारी ndash सख दन वाला हआतरमा स लग करम13 बधो को नषट करन वाल य ही चार ह

चततारिर लोगततरमाअरिरहता लोगततरमाशिसदधा लोगततरमासाह लोगततरमाकवशिल पणणततो धमरमो लोगततरमो

अरथ13 -य चार लोक रम उततरमसव13शरषठ ह-अरिरहत भगवान लोक रम उततरम हशिसदध भगवान लोक रम उततरम हतिन- ग13ररथ दिदगबर जन साध लोक रम उततरम हकवशिल भगवान की दिदवय धवतिन दवारा बताया गया धरम13 लोक रम उततरम ह

चततारिर सरण पववजजामिरम- इन चारो की शरण को परापत होता ह

अरिरहनत सरण पववजजामिरम-अरिरहत भगवान की शरण को परापत होता ह

शिसदध सरण पववजजामिरम- शिसदध भगवान की शरण को परापत होता ह

साह सरण पववजजामिरम -तिनगर13नथ दिदगबर जन साध की शरण को परापत होता ह

कवशिलपणणतत धमरम सरण पववजजामिरम -कवशिल भगवान दवारा कह गय धरम13 को परापत होता ह

ॐ नरमोऽहsत सवहा (पषपाजशिल भिकषपत)

अरथ13- रम अरिरहत भगवान को सरमरतिपत करता ह तिवशव शातित की भावना स पषप अरतिपत करत ह

अपतिवS पतिवSो वा सलपितो दलपिोऽतिप वा

धयायतपच-नरमसकार सव13पापः पररमचयत १

शबदारथ13 ndash

अपतिवS-अपतिवS होपतिवSो-पतिवS होवा सलपितो-अचछी लपितित रम होदलपिोऽतिप-बरी लपितित रम होवा धयायतपच-नरमसकार-पञच नरमसकार रमS का धयान करन ससव13पापः-सरमसत पापो सपररमचयत-छट जाता ह

अरथ13-पतिवS और अपतिवSअचछी या बरी तिकसी भी अवा रमपञच नरमसकार रमS का धयान करन स सरमसत पाप नषट हो जात ह

अपतिवSः पतिवSो वा सवा13ा गतोऽतिप वा

यः सरमरत पररमातरमान स बाहयाभयतर शशिच २

शबदारथ13 -अपतिवSः-अपतिवS हो पतिवSो वा-पतिवS होसवा13ा-सब अवाओ को परापत हआ हो गतोऽतिप-गतितरमान हो वा यः -जोसरमरत -सरमरण करता हपररमातरमान -पररमातरमा णरमोकार रमS पञच पररममिषठयो कास -वह बाहया-बाहय अभयतर-आतरिरक शशिच-पतिवS हो जाता ह

अरथ13- अपतिवS अरथवा पतिवS हो गतितरमान हो तिकसी भी अवा को परापत हआ जो पररमातरमाणरमोकार रमS पञच पररममिषठयो का सरमरण करता वह बाहय और अतरग स पतिवS हो जाता ह

तिवशरष-

१-णरमोकार रमS की रचना कब हई

अब स लगभग १८००- १९०० वरष13 पव13 आचाय13 पषपदत जी और आचाय13 भतबशिल जी न रमहान गरनथ रषट खणडगरम की रचना करत सरमय आचाय13 पषपदत रमहाराज जी न उसक पररथरम रमगलाचारण क रप रम इस गारथा को रचा हइसस पव13 पञच पररमषठी की वदना तिकसी अनय रप रम होती होगी

२-चततारिर दडक तिकतना पराचीन ह

इसकी पराचीनता क तिवरषय रम कोई उAलख शासSो रम यही मिरमलता हयह गणधर दव क सरमय स ही परचलन रम ह ऐसा परतीत होता ह तिक इसक रशिचयता परणता गणधर दव ही हो

३-णरमो कार रमS बोलन का सरमय ndash

कही जा रह होघर रम परवश कर रह होसोन स पव13परातउठन क बाद कोई याSा परारमभ करत सरमयअसव हो तो लट लटसभी अवाओ रम णरमो कार रमS बोलचिचतन कर सकत ह रमरीज को हॉबधिटल ल जात सरमय इस रमS का चिचतवन कर

४-कया रमतिहलाय अशजिदध क दिदनो रम णरमो कार रमS बोल सकती ह

नही बोल भी नही सकती और जप भी नही सकती लट लट धयानचिचतवन रमन रम कर सकती ह

राकश करमार जन

आभार -पतिडत रतन लाल जन बनाड़ा

जन रमतिन

रषटखडगरम की रचना आचाय13 पषपदनत-भतवली दवारा रषट खणडागरम रचना ndash तिगरनार पव13त की चनदरगफा रम

आचाय13 पषपदनत-भतवली ndash गणधराचाय13 क पशचात अग-पव~ क एक दश जञाता धरसन हए य सौराषटर दश तिगरिरनार क सरमीप उज13यनत पव13त की चनदरगफा रम तिनवास करत रथ य परवादी

रप हाशिरथयो क सरमह का रमदनाश करन क शिलए शरषठ चिसह क सरमान रथ अषटाग रमहातिनमिरमतत क पारगारमी और शिलतिप शासS क जञाता रथ वत13रमान रम उपलबध शरत की रकषा का सवा13मिधक शरय इनही को परापत ह कहा जारथ ह तिक परवचन-वतसल धरसनाचाय13 न अग शरत क तिवचछदन हो जान क भय स रमतिहरमा नगरी रम सममिमरमशिलत दभिकषणा परथ क आचाय~ क पास एक पS भजा पS रम शिलख गए धरसन क आदश को सवीकार कर उन आचाय~ न शासS क अरथ13 को गरहण और धारण करन रम सरमरथ13 तिवतिवध परकार क चारिरS स उजजवल और तिनरम13ल तिवनय स तिवभतिरषत शील रपी रमाता क धारी सवा भावी दश कल जातित स शदध सरमसत कलाओ क पारगारमी एव आजञाकारी दो साधओ को आधर दश की वनया नदी क तट स रवाना तिकया इन दोनो रमतिनयो क रमाग13 रम आत सरमय धरसनाचाय13 न रातिS क तिपछल भाग रम सवपन रम कनदपषप चनदररमा और शख क सरमान शवत वण13 क दो बलो क अपन चरणो रम परणारम करत दखा परातः काल उकत दोनो साधओ क आन पर धरसनाचाय13 न उन दोनो की परीकषा ली और जब आचाय13 को उनकी यो=यता पर तिवशवास हो गया तब उनहोन अपना शरतोपदश दना परारभ तिकया जो आरषाढ़ शकला एकादशी को सरमापत हआ गर धरसन न इन दोनो शिशषयो का नारम पषपदनत और भतबली रखा गर क आदश स य शिशषय तिगरनार स चलकर अकलशवर आय और वही उनहोन वरषा13काल वयतीत तिकया अननतर पषपदनत आचाय13 बनवास दश को और भतबली तमिरमल दश की ओर चल गएपषपदनत न जिजनपाशिलत को दीकषा दकर उसक अधयापन हत सत पररपणा तक क सSो की रचना की और उनहोन उन सSो को सशोधनारथ13 भतबली क पास भज दिदया भतबशिल न जिजनपाशिलत क पास उन सSो को दखकर पषपदनत आचाय13 को अAपाय जानकर रमहाकरम13 परकतित पाहड का तिवचछन ना हो जाय इस धयय स आग दरवयपररमाणादिद आगरम की रचना की इन दोनो आचाय~ दवारा रशिचत गरनथ रषट खणडागरम कहलाता ह इस गरनथ की सतपररपणा क १७७ सS पषपदनत न और शरष सरमसत सS भतवली क दवारा रशिचत ह अतएव यह षट ह तिक शरत वयाखयाता धरसन ह और रचमियता पषपदनत तरथा भतबशिलइन आचाय~ क सरमय क समबनध रम तिनभिशचत रप स तो जञात नही ह पर इनदर-ननदी कत शरतावतार रम लोहाचाय13 क पशचात तिवनयदतत शरीदतत शिशवदतत और अह13दतत इन चार आरातीय -आचाय~ का उAलख मिरमलता ह और ततपशचात अह13द बशिल का तरथा अह13द बशिल क अननतर धरसनाचाय13 का नारम आता ह इनदरनजिनद क अनसार कनदकनद रषट खणडागरम क टीकाकार ह अतः पषपदनत और भतबशिल का सरमय कनदकनद क पव13 ह तिवदवानो न अनक पषट पररमाणो क आधार पर शिसदध तिकया ह तिक रषट खणडागरम की रचना पररथरम शती रम होनी चातिहएरषट खणडागरम (छकखडागरम) सS ndash इस आगरम गरनथ रम छह खणड ह- जीवटठाण खददाबध बधसामिरमतततिवचय वदना व=गणा और रमहाबनध इस गरनथ का तिवरषय सतोS बारहव दमिषटवाद शरताग क अनतग13त तिदवतीय पव13 आगरायणीय क चयनलबधिबध नारमक पञचरम अमिधकार क चतरथ13

पाहड़ करम13 परकतित को रमाना जाता हरषट खणडागरम जनागरम का एक रमहान गरनथ ह इसरम करम13 शिसदधात को तिवभिभनन दमिषट स सरमझान का शलाघनीय परयास तिकया गया ह

दव शासर गर पजा

कवल रतिव तिकरणो स जिजसका समपण13 परकाशिशत ह अतर |उस शरी जिजनवाणी रम होता तततवो का सदरतरम दश13न ||सददश13न बोध चरण परथ पर अतिवरल जो बड़त ह रमतिन गण |उन दव पररम आगरम गर को शत शत वदन शत शत वदन||ॐ हरी दव-शासS-गर-सरमह अS अवतर अवतर सवौरषट| अS तितषठ तितषठ ठः ठः |अS रमरम समिननतिहतो भव भव वरषट |इजिनदरय क भोग रमधर तिवरष सरम लावणयारमयी कचन काया |यह सब कछ जड़ की करीडा ह रम अब तक जान नही पाया ||रम भल सवय क वभव को पर रमरमता रम अटकाया ह |अब तिनरम13ल समयक नीर शिलए मिरमथया रमल धोन आया ह ||ॐ हरी दव-शासS-गरभयः जनरम-जरा-रमतय-तिवनाशाय जल तिनव13 0 सवाहा |1|जड़ चतन की सब परिरणतित परभ अपन अपन रम होती ह |अनकल कह परतितकल कह यह झठी रमन की वभितत ह ||परतितकल सयोगो रम करोमिधत होकर ससार बड़ाया ह |सतपत हदय परभ चदन सरम शीतलता पान आया ह ||ॐ हरी दवशासS गरभयः ससार-ताप-तिवनाशनायचदन तिनव13 0 सवाहा |2|उजजवल ह कठ धवल ह परभ पर स न लगा ह किकशिचत भी | तिफर भी अनकल लग उन पर करता अभिभरमान तिनरतर ही ||जड़ पर झक झक जाता चतन की रमाद13व की खतिडत काया | तिनज शाशवत अकषत तिनमिध पान अब दास चरण रज रम आया ||

ॐ हरी दवशासSगरभयः अकषयपदपरापतय अकषतान तिनव13 0 सवाहा |3|यह पषप सकोरमल तिकतना ह तन रम रमाया कछ शरष नही | तिनज अतर का परभ भद काह औस रम ऋजता का लश नही ||शिचनतन कछ तिफर सभारषण कछ वभितत कछ की कछ होती ह |लपिरता तिनज रम परभ पाऊ जो अतर का कालश धोती ह ||ॐ हरी दवशासSगरभयः कारमबाण-तिवधवसनाय पषप तिनव13 0 सवाहा |4|अब तक अगभिणत जड़ दरवयो स परभ भख न रमरी शात हई |तषणा की खाई खब भारी पर रिरकत रही वह रिरकत रही ||यग यग स इचछा सागर रम परभ गोत खाता आया ह |चरणो रम वयजन अरतिपत कर अनपरम रस पीन आया ह ||ॐ हरी दवशासSगरभयः कषधा-रोग-तिवनाशनाय नवदय तिनव13 0 सवाहा |5|रमर चतयनय सदन रम परभ शिचर वयापत भयकर अमिधयारा |शरत दीप बझा ह करनातिनमिध बीती नही कषटो की कारा ||अतएव परभो यह जञान परतीक सरमरतिपत करन आया ह |तरी अतर लौ स तिनज अतर दीप जलान आया ह ||ॐ हरी दवशासSगरभयः रमोहाधकारतिवनाशनाय दीप तिनव13 0 सवाहा |6|जड़ करम13 घरमाता ह रमझको यह मिरमथया भरातित रही रमरी |रम रागी दवरषी हो लता जब परिरणतित होती ह जड़ की ||यो भाव कररम या भाव रमरण सदिदओ स करता आया ह |तिनज अनपरम गध अनल स परभ पर गध जलान आया ह||ॐ हरी दवशासSगरभयः अषट करम13तिवधवसनाय धप तिनव13 0 सवाहा |7|जग रम जिजसको तिनज कहता रम वह छोड रमझ चल दता ह |रम आकल वयाकल हो लता वयाकल का फल वयाकलता ह|| रम शात तिनराकल चतन ह ह रमशिकतररमा सहचर रमरी |यह रमोह तड़क कर टट पड़ परभ सारथ13क फल पजा तरी||ॐ हरी दवशासSगरभयः रमोकषफलपरापतयफल तिनव13 0 सवाहा |8|कषण भर तिनज रस को पी चतन मिरमथयरमल को धो दता ह |कशामियक भाव तिवनषट तिकय तिनज आननद अरमत पीता ह ||अनपरम सख तब तिवलशिसत होता कवल रतिव जगरमग करता ह |

दश13न बल पण13 परगट होता यह ह अह13नत अवा ह ||यह अरघयय13 सरमप13ण करक परभ तिनज गण का अरघयय13 बनाऊगा| और तिनभिशचत तर सदश परभ अह13नत अवा पाउगा||ॐ हरी दवशासSगरभयः अनरघयय13पदपरापतय अरघययs तिनव13 0 सवाहा |9|

जयरमाला

भव वन रम जी भर घरम चका कण कण को जी भर भर दखा रमग सरम रमग तषणा क पीछ रमझको न मिरमली सच की रखा

(बारह भावना)झठ जग क सपन सार झठी रमन की सब आशाए तन जीवन यौवन अलपिर ह कषण भगर पल रम रमरझाए समराट रमहाबल सनानी उस कषण को टाल सकगा कया अशरण रमत काया रम हरतिरषत तिनज जीवन दल सकगा कयाससार रमहा दख सागर क परभ दखरमय सच आभसोन रम रमझको न मिरमला सच कषणभर भी कचन कामिरमनी परासदोन रमरम एकाकी एकतवा शिलय एकतवा शिलय सब ह आत तन धन को सारथी सरमझा रथा पर य भी छोड चल जातरमर न हए य रम इनस अतित भिभनना अखड तिनराला ह तिनज रम पर स अनयतवा शिलय तिनज सरमरस पीन वाला हजिजसक भिशरनगारोन रम रमरा यह रमहगा जीवन घल जाता अतयनता अशशिच जड़ काया स ईस चतन का कसा नातादिदन रात शभाशभ भावो स रमरा वयापार चला करता रमानस वाणी और काया स आसरव का दवार खला रहताशभ और अशभ की जवाला स झलसा ह रमरा अनतसतल शीतल सरमतिकत तिकरण फट सवर स जाग अनतब13लतिफर तप की शोधक वगनिनह जग करम~ की कतिड़या फट पड़ सवाsग तिनजातरम परदशो स अरमत क तिनझ13र फट पड़हरम छोड चल यह लोक तभी लोकानत तिवराज कषण रम जा तिनज लोक हरमारा वासा हो शोकानत बन तिफर हरमको कयाजाग रमरम दल13भ बोधी परभो दनregतरम सतवर तल जाव बस जञाता दषटा रह जाऊ रमद रमतसर रमोह तिवनश जावशिचर रकषक धरम13 हरमारा हो हो धरम13 हरमारा शिचर सारथी

जग रम न हरमारा कोई रथा हरम भी न रह जग क सारथीचरणो रम आया ह परभवर शीतलता रमझको मिरमल जाव रमरझाई जञानलता रमरी तिनज अनतब13ल स गनिखल जावसोचा करता ह भोगो स बझ जावगी इचछा जवाला परिरणारम तिनकलता ह लतिकन रमानो पावक रम घी डालातर चरणो की पजा स इजिनदरय सख को ही अभिभलारषा अब तक न सरमझ ह पाया परभ सचच सख की भी परिरभारषातरम तो अतिवकारी हो परभवर जग रम रहत जग स नयार अतएव झक तव चरणो रम जग क रमाभिणक रमोती सारसयादवाद रमयी तरी वाणी शभ नय क झरन झरत ह और उस पावन नौका पर लाखो पराणी भाव वारिरमिध तितरत हह गरवर शाशवत सख दश13क यह न=न सवरप तमहारा ह जग की नशवरता का सचचा दिद=दश13न करन वाला हजब जग तिवरषयो रम रच पच कर गातिफल तिनदरा रम सोता हो अरथवा वह शिशव क तिनषकटक परथ रम तिवषकनतक बोटा होहो अध13 तिनशा का सननाटा वन रम वनचारी चरत हो तब शात तिनराकल रमानस तरम तततवो का शिचनतन करत होकरत तप शल नदी तट पर तरतल वरषा13 की झातिड़यो रम सरमता रस पान तिकया करत सख दख दोनो की घतिडयो रमअनतजवा13ला हरती वाणी रमानो झरती हो फAझदिदया भाव बधन तड तड टट पड़ गनिखल जाव अतर की कशिलयातरम सा दानी कया कोई हो जग को द दी जग की तिनमिधया दिदन रात लटाया करत हो सरम शरम की अतिवनशवर रमभिणयाॐ हरी दवशासSगरभयः अनरघयय13पदपरापतय अरघययs तिनव13 0 सवाहा |

ह तिनरम13ल दव तमह परणारम ह जञानदीप आगरम परणारम ह शातित तयाग क रमरतितरमान शिशव परथ परथी गरवर परणारम||

शिसदध पजाऊरधवााधो ररयत सविनद सपर बरहम-सराविCत

गापरिरत-दिदगगतामबज-दल ततसलिध-ततानविनत |अतः पतर-तटषनाहत-रयत हरीकार-सविCत |द रधवारयारयवित रयः स मलिNसभगो रीभ-कणठी-रः ||

ॐ हरी शरी लिसदधचकरालिधपत लिसदधपरमविषठन अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी लिसदधचकरालिधपत लिसदधपरमविषठन अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी लिसदधचकरालिधपत लिसदधपरमविषठन अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

तिनरसतकरम13-समबनध सकषरम तिनतय तिनरारमयरम |वनदऽह पररमातरमानरमरमतत13रमनपदरवरम ||

(लिसदधरयनतर की सथापना कर नदन कर | )

शिसदधौ तिनवासरमनग पररमातरम-गमयहानयादिदभावरतिहत भव-वीत-कायरम |रवापगा-वर-सरो-यरमनोदभवानानीरय13ज कलशगर-वरशिसदध-चकररम ||

ॐ हरी लिसदधचकालिधपतरय लिसदधपरमविषठन जनमजरामतरय विनाशनारय जल विनपामीवित साहा |1|

आननद-कनद-जनक घन-करम13-रमकतसमयकतव-शरम13-गरिररम जननारतितवीतरम |सौरभय-वाशिसत-भव हरिर-चनदनानागनधय13ज परिररमलव13र-शिसदध-चकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन ससार ताप विनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा |2|

सवा13वगाहन-गण ससरमामिध-तिनषठशिसदध सवरप-तिनपण करमल तिवशालरम |सौगनधय-शाशिल-वनशाशिल ndash वराकषतानापजय13ज ndash शशिशतिनभव13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अकषरयपदपरापतरय अकषतान विनपामीवित साहा |3|

तिनतय सवदह- परिररमाणरमनादिदसजञदरवयानपकषरमरमत रमरणादयतीतरम |रमनदार ndash कनद ndash करमलादिद ndash वनतीनापषपय13ज शभतरम ndash व13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन कामबाण विरधवासनारय पषप विनपामीवित साहा |4|

ऊधव13-सवभाव-गरमन सरमनो-वयपतबरहमादिद-बीज-सतिहत गगनावभासरम |कषीरानन-साजय-वटक रसपण13गभreg ndashरतिनतय यज चरवरव13शिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन कषधारोगविनाशनारय नदय विनपामीवित साहा |5|

आतक-शोक-भयरोग-रमद परशानततिनदव13नदव-भाव-धरण रमतिहरमा-तिनवशरम |कप13र-वरतित-बहभिभः कनकावदात ndashदsup2पय13ज रशिचवरव13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन मोहानधकारविनाशनारय दीप विनपामीवित साहा |6|

पशयनसरमसत ndash भवन यगपमिननतानतSकाAय-वसत-तिवरषय तिनतिवड़ ndash परदीपरम |सददरवयगनध ndash घनसार ndash तिवमिरमभिशरतानाधपय13ज परिररमलव13र ndash शिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अCकमदहनारय धप विनपामीवित साहा |7|

शिसदधासरादिदपतित ndash यकष ndash नरनदरचकर ndashधयacuteय शिशव सकल ndash भवय ndash जनः सवनदयरम |नारतिmicroग ndash पग ndash कदली ndash फलनारिरकलःसोऽह यज वरफलव13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन मोकषफलपरापतरय फल विनपामीवित साहा |8|

गनधाढय सपयो रमधवरत-गणः सग वर चनदनपषपौघ तिवरमल सदकषत-चय रमय चर दीपकरम |धप गनधयत ददामिरम तिवतिवध शरषठ फल लबधयशिसदधाना यगपतकररमाय तिवरमल सनोततर वालपिञछतरम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जञानो पयो गतिवरमल तिवशदातरमरपसकषरम-सवभाव-पररम यदननतवीय13रम |करमmiddotघ-ककष-दहन सख-शसयबीजवनद सदा तिनरपरम वर-शिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

Sलोकयशवर-वनदनीय-चरणाः परापः भिशरय शाशवतीयानाराधय तिनरदध-चणड-रमनसः सनतोऽतिप तीरथsकरा |सतसमयकतव-तिवबोध-वीरययय13-तिवशदाऽवयाबाधतादयग13ण-य13कतासतातिनह तोषटवीमिरम सतत शिसदधान तिवशदधोदयान ||

जरयमाला

तिवराग सनातन शात तिनरश तिनरारमय तिनभ13य तिनरम13ल हस |सधारम तिवबोध-तिनधान तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध-सरमह ||

तिवदरिरत-ससतित-भाव तिनरग सरमारमत-परिरत दव तिवसग |अबध करषाय-तिवहीन तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिनवारिरत-दषकतकरम13-तिवपाश सदारमल-कवल-कशिल-तिनवास |भवोदमिध-पारग शात तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

अनत-सखारमत-सागर-धीर कलक-रजो-रमल-भरिर-सरमीर |तिवखलपिणडत-कारम तिवरारम-तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिवकार तिववरजिजत तरजिजतशोक तिवबोध-सनS-तिवलोतिकत-लोक |तिवहार तिवराव तिवरग तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

रजोरमल-खद-तिवरमकत तिवगाS तिनरतर तिनतय सखारमत-पाS |सदश13न राजिजत नारथ तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

नरारमर-वदिदत तिनरम13ल-भाव अनत रमनीशवर पजय तिवहाव |सदोदय तिवशव रमहश तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिवदभ तिवतषण तिवदोरष तिवतिनदर परापरशकर सार तिवतदर |तिवकोप तिवरप तिवशक तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

जरा-रमरणोलपिजझत-वीत-तिवहार तिवचिचतितत तिनरम13ल तिनरहकार |अशिचनतय-चरिरS तिवदप13 तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिववण13 तिवगध तिवरमान तिवलोभ तिवरमाय तिवकाय तिवशबद तिवशोभ |अनाकल कवल सव13 तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

घतता

असरम-सरमयसार चार-चतनय शिचहनपर-परणतित-रमकत पदमनदीनदर-वनदयरम |तिनगनिखल-गण-तिनकत शिसदधचकर तिवशदधसरमरतित नरमतित यो वा सतौतित सोऽभयतित रमशिकतरम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

अविbलल छद

अतिवनाशी अतिवकार पररम-रस-धारम होसरमाधान सव13जञ सहज अभिभरारम हो |शदधबदध अतिवरदध अनादिद अनत होजगत-शिशरोरमभिण शिसदध सदा जयवत हो ||

धयान अगनि=नकर करम13 कलक सब दहतिनतय तिनरजन दव सवरपी हव रह |जञायक जञयाकार रमरमतव तिनवार क |सो पररमातरम शिसदध नरम शिसर नाय क ||

अतिवचल जञान परकाशत गण अननत की खान |धयान धर सो पाइए पररम शिसदध भगवान ||

अतिवनाशी आननद रमय गण परण भगवान |शशिकत तिहय पररमातरमा सकल पदाररथ जान ||

इतरयाशीादः पषपाजलिल भिकषपत |

पच पररममिषट पजा

तितभयोअरिरहत शिसदध आचाय13 नरमनह उपाधयाय ह साध नरमनजय पञच पररम पररमषठी जय भव सागर तारण हार नरमनरमन-वच-काया पव13क करता ह शदध हदय स आहवानन रमरम हदय तिवराजो तितषठ तितषठ समिननकट होह रमर भगवन तिनज आतरमततव की परापतिपत हत ल अषट दरवय करता पजन तव चरणो की पजन स परभ तिनज शिसदध रप का हो दश13न ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पररममिषठन अS अवतर अवतर सवौरषट (आहवाननरम)अS तितषठ तितषठ ठठ(ापन )अS रमरम समिननतिहतो भवभव वरषट (समिननमिधकरण )

रम तो अनादिद स रोगी ह उपचार करान आया ह तरम सरम उजजवलता पान कोउजजवल जल भरकर लाया ह रम जनरम जरा रमत नाश कर ऐसी दो शशिकत हदय सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐहरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पचपररममिषठभयोजनरमजरारमतय तिवनाशनाय जल तिनव13पारमीतित सवाहा ||

ससार ताप रम जल जल कर रमन अगभिणत दःख पाय हतिनज शात सवभाव नही भाया पर क ही गीत सहाए ह शीतल चदन ह भट तमह ससार ताप नाशो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयोससारताप तिवनाशनाय चनदन तिनव13पारमीतित सवाहा ||

दःखरमय अरथाह भव सागर रम रमरी यह नौका भटक रही शभ-अशभ भाव क भवरो रम चतनय तिनज शशिकत अटक रही तदल ह धवल तमह अरतिपत अकषय पद परापत कर सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो

अकषय पद परापतय अकषत तिनव13पारमीतित सवाहा ||

रम कारम वयरथा स घायल हसख की न मिरमली तिकलपिञचत छाया चरणो रम पषप चढ़ाता हतरम को पाकर रमन हरषा13या ह रम कारम भाव तिवधवस कर ऐसा दो शील हदय सवारमीह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो कारमबाण तिवधवसाय पषप तिनव13पारमीतित सवाहा||

रम कषधा रोग स वयाकल ह चारो गतितयो रम भररमाया हजग क सार पदारथ13 पाकर भी तपत नही हो पाया ह नवदय सरमरतिपत करता ह यह कषधा रोग रमटो सवारमीह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो कषधा रोग तिवनाशनाय नवदय तिनव13पारमीतित सवाहा ||

रमोहानध रमहा-अजञानी रम तिनज को पर का कता13 रमाना मिरमथया तरम क कारण रमनतिनज आतरमसवरप न पतिहचाना रम दीप सरमप13ण करता ह रमोहानधकार कषय हो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो रमोहानधकार तिवनाशनाय दीप तिनव13पारमीतित सवाहा ||

करम~ की जवाला धधक रहीससार बढ़ रहा परतित पल सवर स आसरव को रोक तिनज13रा सरभिभ रमहक पल पल रम धप चढ़ा कर अब आठोकरम~ का हनन कर सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो अषटकरम13 तिवधवसनाय धप तिनव13पारमीतित सवाहा||

तिनज आतरमततव का रमनन कर चिचतवन कर तिनज चतन का दो शरदधा जञान चरिरS शरषठसचचा पद रमोकष तिनकतन का उततरम फल चरण चढ़ाता हतिनवा13ण रमहा फल हो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पचपररममिषठभयो रमोकष फल परापताय फल तिनव13पारमीतित सवाहा ||

जल चदन अकषत पषप दीपनवदय धप फल लाया ह अब तक क सशिचत करम~ का रम पज जलान आया ह यह अरघयय13 सरमरतिपत करता हअतिवचल अनरघयय13 पद दो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव भव दःख रमटो अनतया13रमीॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पचपररममिषठभयो अनरघयय13पद परापताय अरघययs तिनव13पारमीतित सवाहा ||जयरमाला जय वीतराग सव13जञ परभोतिनज धयान लीन गणरमय अपार अषटादश दोरष रतिहत जिजनवरअह13नत दव को नरमसकार अतिवकलअतिवकारीअतिवनाशीतिनजरपतिनरजनतिनराकार जय अजर अरमर ह रमशिकतकतभगवत शिसदध को नरमसकार छततीस सगण स तरम रमतिडततिनशचय रतनSय हदय धार ह रमशिकत वध क अनरागीआचाय13 सगर को नरमसकार एकादश अग पव13 चौदह कपाठी गण पचचीस धारबराहयातर रमतिन रमदरा रमहानशरी उपाधयाय को नरमसकार वरत सरमीतित गपतिपत चारिरS परबलवरा=य भावना हदय धार ह दरवय-भाव सयरम रमय रमनवरसव13 साध को नरमसकार बह पणय सयोग मिरमला नरतनजिजनशरत जिजनदव चरण दश13न हो समय=दश13न परापत रमझ तो सफल बन रमानव जीवन तिनज पर का भद जानकार रमतिनज को ही तिनज रम लीन कर अब भद जञान क दवारा रमतिनज आतरम सवय सवाधीन कर तिनज रम रतनSय धारण करतिनज परिरणतित को ही पतिहचान पर परणतित स हो तिवरमख सदातिनज जञान ततव को ही जान जब जञान-जञय-जञाता तिवकAप तजशकलधयान रम धयाऊगा जब चार घातितया कषय करकअरिरहत रमहापद पाऊगा ह तिनभिशचत शिसदध सवपद रमराह परभ कब इसको पाउगा समयक पजा फल पान कोअब तिनजसवभाव रम आऊगा अपन सवरप की परापतिपत हतह परभ रमन की ह पजन तब तक चरणो रम धयान रहजब तक न परापत हो रमशिकत सदन

ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13 साधपञचपररममिषठभयोऽनघ13 पद परापतय रमहाघs तिनव13पारमीतित सवाहा

ह रमगल रप अरमगल हररमगलरमय रमगल गान कर

रमगल रम पररथरम शरषठ रमगलनवकार रमS का धयान कर पषपाजशिल भिकषपत

नवदवता पजाअरिरहत लिसदधाचारय पाठक साध वितरभन नदय ह |

जिजनधम जिजनागम जिजनशवरा मरतित जिजनगरह नदय ह ||

नदता रय मानरय जग म हम सदा अचा कर |

आहन कर थाप रयहा मन म अतल शरदधा धर ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरय-समह

अतर अतर अतर-समोषत आवहान

अतर-वितषठ-वितषठ ठः ठः सथापन

अतर मम-सविहतो-भ-भ-षट सलिVलिधकरण

गगानदी का नीर तिनरम13ल बाहय रमल धोव सदा |

अतर रमलो क कषालन को नीर स पज रमदा ||

नवदवताओ की सदा जो भशिकत स अचा13 कर |

सब शिसजिदध नवतिनमिध रिरजिदध रमगल पाए शिशवकानता वर ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो जनम-जरा मतरय विनाशनारय जल विनपामिमवित साहा |

कपर मिरमभिशरत गध चनदन दह ताप तिनवारता |

तरम पाद पकज पजत रमन ताप तरनत ही वारता || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो ससार-ताप विनाशनारय चनदन विनपामिमवित साहा |

कषीरोदमिध क फन सरम शिसत तनदलो को ल क |

उततरम अखतिडत सौखय हत पज नव सचढाय क || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो अकषरय पद परापतरय अकषत विनपामिमवित साहा |

चपा चरमली कवडा नाना सगममिनधत ल शिलए |

भव क तिवजता आपको पजत सरमन अप13ण तिकय || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो काम-बाण विनाशनारय पषप विनपामिमवित साहा |

पायस रमधर पकवान रमोदक आदिद को भर रथाल रम |

तिनज आतरम अरमत सौखय हत पजह नत भाल रम || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो कषधा-रोग विनाशनारय नरधवारयम विनपामिमवित साहा |

कपर जयोतित जगरमग दीपक शिलया तिनज हारथ रम |

तअ आरती तरम वारती पाऊ सजञान परकाश रम || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो मोह-अनधकार विनाशनारय दीप विनपामिमवित साहा |

दश गध धप अनप सरभिभत अगनि=न रम खऊ सदा |

नीज आतरमगण सौरभ उठ हो करम13 सब रमझस तिवदा || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो अC-कम-दहनारय धप विनपामिमवित साहा |

अगर अरमरख आरम अरमतफल भराऊ रथाल रम |

उततरम अनपरम रमोकष फल क हत पज आज रम || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो महा-मोकष-फल परापतारय विनपामिमवित साहा |

जल गध अकषत पषप चार दीप सधप फलाघ13 ल |

दर रतनSय तिनमिध लाभ यह बस अघ13 स पजत मिरमल || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो अनघ पद परापतारय अघ_ विनपामिमवित साहा |

दोहा-

जलधारा स तिनतय रम जग रम शातित हत |

नव दवो को पजह शरदधा भशिकत सरमत ||

(शानतरय शावितधारा)

नानातिवमिध क सरमन लरमन रम बह हरषा13य |

रम पज नव दवता पषपाजशिल चढ़ाय ||

(दिदवय पषपाजलिल)

जावय-

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो नमः |

(९२७ या १०८ बार )

जरयमाला

शिचलपिचचनतारमणी रतन तीन लोक रम शरषठ हो |

गाऊ गण रमभिणरमाल जयवनत वदो सदा ||

जय जय शरी अरिरहत दव दव हरमार |

जय घातितया को घात सकल जत उबार ||१||

जय जय परशिसदद शिसदध की रम वदना कर |

जय अषट करम13 रमशिकत की रम अच13ना कर ||२||

आचाय13 दव गण छततीस धार रह ह |

दिदकषादी द असखय भवय तार रह ह ||

जवनत उपाधयाय गर जञान क धनी |

सनरमाग13 क उपदश की वरषा13 कर धनी ||३||

जय साध अठाईस गणो धर सदा |

तिनज आतरमा की साधना स चयत न हो कदा ||

य पञच पररम दव सदा वनददय हरमार |

ससार तिवरषय शिसनध स हरम भी उबार ||४||

जिजन धरम13 चकर सदा चलता ही रहगा |

जो इसकी शरण ल वो सदा सलझता ही रहगा ||

इसकी धवतिन तिपयरष का जो पान करग |

भव रोग दर कर वो रमशिकत कानत बनग ||५||

जिजन चतय की जो वदन तिSकाल कर ह |

व शिचतसवरप तिनतय आतरम लाभ कर ह ||

कतितरम अकरतितरम जिजनालयो को जो भज |

व करम13 शS जीत शिशवालय रम जा बस ||६||

नवदवताओ की जो तिनत आराधना कर |

व मरतयराज की भी तो तिवराधना कर ||

रम करम13 शS जीतन क हत ही जज |

समपण13 जञानरमती शिसजिदध हत ही भज ||७||

दोहा-

नव दवो की भशिकतवशकोदिट कोदिट परणारम |

भशिकत का फल रम चह तिनज पद रम तिवशरारम ||८||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो जरयमाला पणाध_ विनपामिमवित साहा |

जो भवय शरदधा भशिकत स नव दवताओ की भशिकत कर |

व सब अरमगल दोरष हर सख शातित रम झला कर ||

नवतिनमिध अतल भणडार ल तिफर रमोकष सख भी पावत |

सख शिसनध रम हो रम=न तिफर यहा पर कभी न आवत ||९||

इतरयाभिशादः

|| पषपाजलिल भिकषपत ||

समयक दश13न पजादोहा

लिसदध अC-गणमरय परगट मN-जी-सोपान |जञान चरिरत जिजह विबन अफल समरयक दश परधान ||ॐ हरी अCाग समरयगदशन अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी अCाग समरयगदशन अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी अCाग समरयगदशन अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

सोरठा ndashनीर सगध अपार तरषा हर रमल छय कर |समय=दश13न सार आठ अग पजौ सदा ||ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय जल विनपामीवित साहा |1|जल कशर घनसार ताप हर शीतल कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय चनदन विनपामीवित साहा |2|अछत अनप तिनहार दारिरद नाश सख भर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय अकषतान विनपामीवित साहा |3|पहप सवास उदार खद हर रमन शशिच कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय पषप विनपामीवित साहा |3|नवज तिवतिवध परकार छधा हर शिरथरता कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय नदय विनपामीवित साहा |5|दीप-जयोतित तरमहार घट पट परकाश रमहा | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय दीप विनपामीवित साहा |6|धप घरान-सखकार रोग तिवघन जड़ता हर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय धप विनपामीवित साहा |7|

शरीफल आदिद तिवरथार तिनहच सर-शिशव-फल कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय फल विनपामीवित साहा |8|जल गधाकषत चार दीप धप फल फल चर |समय=दश13न सार आठ अग पजौ सदा ||ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जरयमालादोहा ndash आप आप तिनहच लख तततव-परीतित वयोहार |रतिहत दोरष पचचीस ह सतिहत अषट गन सार |1|समयक दरशन-रतन गहीज जिजन-वच रम सदह न कीज |इह भव तिवभव-चाह दखदानी पर-भव भोग चह रमत परानी |2|परानी तिगलान न करिर अशशिच लगनिख धररम गर परभ परगनिखय |पर-दोरष ढतिकय धररम तिडगत को सशिरथर कर हरगनिखय |3|चह सघ को वातसAय कीज धररमकी परभावना |गन आठ सो गन आठ लतिहक इहा फर न आवना |4|ॐ हरी अCागसविहत पचविशवित दोषरविहत समरयगदशनारय पणारघयरय_विन 0 |इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

समयक जञान पजादोहा ndash

पच भद जाक परकट जञरय-परकाशन-भान |मोह ndash तपन ndash हर चदरमा सोई समरयक जञान ||ॐ हरी अCविध समरयगजञान अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी अCविध समरयगजञान अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी अCविध समरयगजञान अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

सोरठा ndash नीर सगध अपार तरषा हर रमल छय कर |समय=जञान तिवचार आठभद पजौ सदा ||

ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय जल विनपामीवित साहा |1|जल कशर घनसार ताप हर शीतल कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयरगजञानारय चदन विनपामीवित साहा |2|अछत अनप तिनहार दिदाद नाश सख भर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय अकषतान विनपामीवित साहा |3|पहप सवास उदार खद हर शशिच कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय पषप विनपामीवित साहा |4|नवज तिवतिवध परकार छधा हर शिरथरता कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय नदय विनपामीवित साहा |5|दीप-जयोतित तरम-हार घट-पट परकाश रमहा | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय दीप विनपामीवित साहा |6|धप घरान-सखकर रोग तिवघन जड़ता हर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय धप विनपामीवित साहा |7|शरीफल आदिद तिवरथार तिनहच सर-शिशव फल कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय फल विनपामीवित साहा |8|जल गधाकषत चार दीप धप फल फल चर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जरयमालादोहा ndash आप आप जान तिनयत गरनथ पठन वयौहार |सशय तिवभररम रमोह तिबन अषट अग गनकार ||समयक जञान-रतन रमन भाया आगरम तीजा नन बताया |अकषर शदध अरथ13 पतिहचानो अकषर अररथ उभय सग जानो ||जानो सकाल-पठन जिजनागरम नारम गर न शिछपाइय |तप रीतित गतिह बह रमौन दक तिवनय गण शिचत लाइय ||य आठ भद कररम उछदक जञान-दप13ण दखना |इस जञान ही सो भरत सीझ और सब पटपखना ||ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

समयक चारिरS पजादोहा ndash

विषरय-रोगा औषध महा द-कषारय जल-धार |तीथ_कर जाको धर समरयक चारिरतर सार ||ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतर अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

सोरठा ndash नीर सगनध अपार तरषा हर रमल छय कर |समयक चारिरत सार तरहतिवध पजौ सदा ||ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय जल विनपामीवित साहा |1|जल कशर घनसार ताप हर शीतल कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय चदन विनपामीवित साहा |2|अछत अनप तिनहार दारिरद नाश सख भर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय अकषतान विनपामीवित साहा |3|पहप सवास उदार खद हर शशिच कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय पषप विनपामीवित साहा |4|नवज तिवतिवध परकार छधा हर शिरथरता कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय नदय विनपामीवित साहा |5|दीप-जयोतित तरम-हार घट-पट परकाश रमहा | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय दीप विनपामीवित साहा |6|धप घरान-सखकर रोग तिवघन जड़ता हर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय धप विनपामीवित साहा |7|शरीफल आदिद तिवरथार तिनहच सर-शिशव फल कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय फल विनपामीवित साहा |8|जल गधाकषत चार दीप धप फल फल चर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जरयमाला

दोहा ndashआप आप शिरथर तिनयत नय तप सजरम वयौहार |सव-पर-दया दोनो शिलय तरहतिवध दखहार ||

चौपाई ndashसमयक चारिरत रतन सभालो पाच पाप तजिजक वरत पालो |पचसमिरमतित Sय गपतित गतिहज नरभव सफल करह तन छीज |छीज सदा तन को जतन यह एक सजरम पाशिलय |बह रAयो नरक-तिनगोद रमाही तिवरष-करषायतिन टाशिलय ||शभ कररम जोग सघाट आयो पार हो दिदन जात ह |lsquoदयानतrsquo धररम की नाव बठो शिशवपरी कशलात ह ||ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

समचचरय-जरयमाला

दोहा ndashसमयक दरशन-जञान-वरत इन तिबन रमकतित न होय |अनध पग अर आलसी जद जल दव-लोय || 1|

चौपाई

जाप धयान सशिरथर बन आव ताक कररम-बध कट जाव |तासो शिशव-तितय परीतित बढ़ाव जो समयक रतन-Sय धयाव |2|ताको चह गतित क दख नाही सो न पर भव-सागर रमाही |जनरम-जरा-रमत दोरष मिरमटाव जो समयक रतन-Sय धयाव |3|सोई दश लकषनको साध सो सोलह कारण आराध |सो पररमातरम पद उपजाव जो समयक रतन-Sय धयाव |4|सो शकर-चतिकरपद लई तीन लोक क सख तिवलसई |सो रागादिदक भाव बहाव जो समयक रतन-Sय धयाव |5|सोई लोकालोक तिनहार पररमानद दशा तिवसतार |आप तितर औरन तितरवाव जो समयक रतन-Sय धयाव |6|

दोहा ndashएक सवरप-परकाश तिनज वचन कहयो नकिह जाय |तीन भद वयोहार सब lsquoदयानतrsquo को सखदाय |7|ॐ हरी समरयगदशन समरयगजञान समरयक चारिरतरभरयः महारघयरय_ विनपामीवित साहा

रतनSय पजाचहगवित-फनी-विष-हरण-मभिण दःख-पाक-जल-धार |

भिश-सख-सधा-सरोरी समरयक-तररयी विनहार ||

ॐ हरी समरयक रतनतररय धम अतर अतर अतर सौषट (आवहान जरय)|

अतर वितषठ वितषठ ठ ठ (सथापन जरय) |

अतर मम सलिVविहतो भ भ षट (सविनविहलिधकरण जरय) |

कषीरोदमिध उनहार उजजवल जल अतित सोहनो |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय जनम-जरा-मतरय-विनाशारय जल विन साहा |

चनदन-कसर-गरी परिररमल-रमहा-सरग-रमय |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय भ-आताप-विनाशारय चनदन विन साहा |

तदल-अरमर-शिचतार वासरमती-सखदास क |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय अकषरय-पद-परापतारय अकषत विन साहा |

रमहक फल अपार अली गज जयो रथतित कर |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय काम-बाण-विरधवासनारय पषप विन साहा |

लाड बह तिवसतार चीकन मिरमषट सगध यकत |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय कषधा-रोग-विनाशारय नदय विन साहा |

दीप-रतनरमय सार जोत परकाश जगत रम |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय मोहानधकार-विनाशारय दीप विन साहा |

धप सवास तिवरथार चनदन अगर कपर की |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय अC-कम-दहनारय धप विन साहा |

फल शोभा अमिधकार लौग छआर जायफल |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय महा-मोकष-फल-परापतारय फल विन साहा |

आठ दरब तिनरधार उततरम सो उततरम शिलय |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय अनघ-पद-परापतारय अघ_ विन साहा |

समयक दश13न lsquoजञानrsquo वरत शिशव-रमग तीनो रमयी |

पार उतारन आन lsquoधयानातrsquo पजो वरत सतिहत ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय पणारघयरय_ विन साहा |

आदिदनारथ पजानाभिभरारय मरदवि क ननदन आदिदनाथ सामी महाराज

साथलिसभिदध त आप पधार मरधवारय लोक माविह जिजनराज

इनदरद सब मिमलकर आरय जनम महोतस करन काज

आहवानन सब विलिध मिमल करक अपन कर पज परभ पारय

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदर अतर अतर अतर सौषट

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठ ठ

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट

कषीरोदलिध को उजजल जल ल शरी जिजनर पद पजन जारय

जनम जरा दख मटन कारन लरयारय चढाऊ परभ क पारय

शरी आदिदनाथ क चरणकमल पर बलिल-बलिल जाऊ मन च कारय

ह करणाविनलिध भ दख मटो रयात म पजो परभ पारय

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विनपामीवित साहा

मलरयाविगरिर चनदन दाहविनकनदन कचन झारी म भर लरयारय

शरीजी क चरण चढाो भविजन भ आताप तरत मिमट जारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय ससारतापविनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा

शभशालिल अखविbत सौरभ मविbत परासक जल सौ धोकर लरयारय

शरीजी क चरण चढाो भविजन अकषरयपद को तरत उपारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विनपामीवित साहा

कमल कतकी बल चमली शरी गलाब क पषप मगारय

शरीजी क चरण चढाो भविजन कामबाण तरत विह नलिस जारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विनपामीवित साहा

नज लीना षट-रस भीना शरी जिजनर आग धरारय

थाल भराऊ कषधा नसाऊ जिजन गण गात मन हरषारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विनपामीवित साहा

जगमग जगमग होत दशो दिदश जरयोवित रही मजिनदर म छारय

शरी जी क सनमख करत आरती मोहवितमिमर नास दखदारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय मोहानधकारविनाशनारय दीप विनपामीवित साहा

अगर कपर सगनध मनोहर चनदन कट सगनध मिमलारय

शरी जी क सनमख खरय धपारयन कम जर चहगवित मिमदिट जारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विनपामीवित साहा

शरीफल और बदाम सपारी कला आदिद छहारा लरयारय

महामोकषफल पान कारन लरयारय चढाऊ परभ क पारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय मोकषफलपरापतरय फल विनपामीवित साहा

शलिच विनमल नीर गनध सअकषत पषप चर ल मन हरषारय

दीप धप फल अघ सलकर नाचत ताल मदग बजारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अनघपदपरापतरय अघ_ विनपामीवित साहा

पञचकलरयाणकाघ

सारथ लिसभिदध त चरय मरदी उर आरय

दोज अलिसत आषाढ की जज वितहार पारय

ॐ हरी आषाढक़षणवितीरयारया गभकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

चतदी नौमी दिदना जनमरया शरी भगान

सरपवित उतस अवितकरा म पजौ धरिर रधवारयान

ॐ हरी चतरकषणनमरया जनमकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

तणत ऋभिदध सब छाडिb क तप धारया न जारय

नौमी चतर Acirc असत Acirc कीAcirc जजAcirc वितहार पारय

ॐ हरी चतरकषणनमरया तपकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

फालगन दिद एकादशी उपजरयो कलजञान

इनदर आरय पजा करी म पजो इह थान

ॐ हरी फालगनकषणकादशरया जञानकलरयाणक परापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

माघ चतद भिश कषण की मोकष गरय भगान

भवि जीो को बोलिध क पहच भिशपर थान

ॐ हरी माघकषणचतदशरया मोकषकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

जरयमाला

आदीशवर महाराज Acirc म Acirc विनतीAcirc तमसAcirc कर

चारो गवित क माविह मAcirc दख Acirc पारयो सो सनो

अC कम Acirc मAcirc एकलो रयह दC महादख दत हो

कबह इतर विनगोद म मोक पटकत करत अचत हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ कबहक पटकरयो नरक म जठ जी महादख पारय हो

विनषठर विनरदई नारकी जठ करत परसपर घात हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ नरक तणा दख अब कह जठ करत परसपर घात हो

कोइरयक बारधवारयो खभसरयो पापी द मदगर की मार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

कोइरयक काट करोत सो पापी अगतणी दोरय फाड हो

परभ रयह विलिध दख भगतरया घणा विफर गवित पाई वितररयच हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

विहरणा बकरा बाछला पश दीन गरीब अनाथ हो

पकड कसाई जाल म पापी काट काट तन खारय हो

परभ म ऊट बलद भसा भरयो जाप लादिदरयो भार अपार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

नविह चालरयौ जब विगर परय पापी द सोटन की मार हो

परभ कोइरयक पणरय सजोग स म तो पारयो सग विनास हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

दागना सग रमिम रहयो जठ भोगविन को परकास हो

परभ सग अपसरा रमिम रहयो कर कर अवित अनराग हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

कबहक नदनन विष परभ कबहक नगह माविह हो

परभ रयह विलिधकाल गमारय क विफर माला गई मरझारय हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

द लिथती सब घट गई विफर उपजरयो सोच अपार हो

सोच करत तन खिखर पडयो विफर उपजरयो गरभ म जारय हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ गभतणा दख अब कह जठ सकडाई की ठौर हो

हलन चलन नविह कर सकरयो जठ सघन कीच घनघोर हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

माता खा चरपरोAcirc विफर Acirc लागAcirc तन Acirc सताप Acirc हो

परभ जो जननी तातो भख विफर उपज तन सताप हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

औध मख झलरयो रहयो फर विनकसन कौन उपारय हो

कदिठन-कदिठन कर नीसरयो जस विनसर जतरी म तार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ विफर विनकसत ही धरतरया पडयो विफर लागी भख अपार हो

रोरय-रोरय विबलखरयो घणो दख दन को नविह पार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ दख मटन समरथ धनी रयात लाग वितहार पारय हो

सक अरज कर परभ मोक भदलिध पार उतार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अनघपदपरापतरय महाघ_ विनपामीवित साहा

दोहा

शरीजी की मविहमा अगम ह कोई न पा पार

म मवित अलप अजञान ह कौन कर विसतार

विनती ऋषभ जिजनश की जो पढसी मन लरयारय

सरगो म सशरय नही विनहच भिशपर जारय

चनदरपरभ पजाचारचरन आचरन चरन लिचतहरन लिचनह चर |

चद-चद-तनचरिरत चद थल चहत चतर नर ||

चतक चb चकचरिर चारिर लिचदचकर गनाकर |

चचल चलिलत सरश चलनत चकर-धनरहर ||

चर अचर विहत तारन तरन सनत चहविक लिचर नद शलिच |

जिजनचद चरन चरचरयो चहत लिचतचकोर नलिच रचचिचच रलिच |1|

दोहाः- धनरष डढ़ सौ तग तन रमहासन नपनद |

रमात लकषरमना उर जय रथापौ चद जिजनद |2|

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदर अतर अतर अतर सौषट |

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

गगाहरद तिनररमल नीर हाटक भग भरा |

तरम चरन जजौ वरवीर रमटो जनरम जरा ||

शरी चदरनारथ दतित चद चरनन चद लस |

रमन वच तन जजत अरमद-आतरम-जोतित जग ||

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

शरीखणड कपर सचग कशर रग भरी |

घशिस परासक जल क सग भवआताप हरी ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

तदल शिसत सोरम सरमान सरम लय अतिनयार |

दिदय पज रमनोहर आन तरम पदतर पयार ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

सर दररम क सरमन सरग गमिधत अशिल आव |

ता सो पद पजत चग कारमतिवधा जाव ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

नवज नाना परकार इदिदरय बलकारी |

सो ल पद पजौ सार आकलता-हारी ||

शरी चदरनारथ दतित चद चरनन चद लस |

रमन वच तन जजत अरमद-आतरम-जोतित जग ||

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

तरम भजन दीप सवार तरम दिढग धारत हौ |

रमरम तितमिरमररमोह तिनरवार यह गण याचत हौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

दसगध हतासन रमाकिह ह परभ खवत हौ |

रमरम कररम दषट जरिर जाकिह या त सवत हौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

अतित उततरम फल स रमगाय तरम गण गावत हौ |

पजौ तनरमन हररषाय तिवघन नशावत हौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

सजिज आठो दरब पनीत आठो अग नरमौ |

पजौ अषटरम जिजन रमीत अषटरम अवतिन गरमौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली

कशिल पचरम चत सहात अली गरभागरम रमगल रमोद भली |

हरिर हरतिरषत पजत रमात तिपता हरम धयावत पावत शरम13शिसता ||

ॐ हरी चतरकषणा पचमरयागभमगलविbतारय शरीचनदरपरभजिजननदरारय अरघयरय_ विन0 |1|

कशिल पौरष एकादशिश जनरम लयो तब लोकतिवरष सख रथोक भयो |

सरईश जज तिगरिरशीश तब हरम पजत ह नत शीश अब ||

ॐ हरी पौषकषणकादशरया जनममगल मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |2|

तप ददधर शरीधर आप धरा कशिल पौरष इ=यारशिस पव13 वरा |

तिनज धयान तिवरष लवलीन भय धतिन सो दिदन पजत तिवरघयन गय ||

ॐ हरी पौषकषणकादशरया तपोमगल मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |3|

वर कवल भान उदयोत तिकयो तितहलोकतणो भररम रमट दिदयो |

कशिल फाAगन सपतमिरम इदर जज हरम पजकिह सव13 कलक भज ||

ॐ हरी फालगनकषणा सपतमरया कलजञान मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |4|

शिसत फाAगन सपतमिरम रमशिकत गय गणवत अनत अबाध भय |

हरिर आय जज तितत रमोद धर हरम पजत ही सब पाप हर ||

ॐ हरी फालगनशकला सपतमरया मोकषमगल मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |5|

जरयमाला

दोहाः- ह रमगाद अतिकत चरण तरम गण अगरम अपार |

गणधर स नकिह पार लकिह तौ को वरनत सार |1|

प तरम भगतित रमरम तिहय परर अतित उरमगाय |

तात गाऊ सगण तरम तरम ही होउ सहाय |2|

जय चदर जिजनदर दयातिनधान भवकानन हानन दव पररमान |

जय गरभ जनरम रमगल दिदनद भतिव-जीव तिवकाशन शरम13 कनद |3|

दशलकष पव13 की आय पाय रमनवाशिछत सख भोग जिजनाय |

लगनिख कारण हव जगत उदास चिचतयो अनपरकषा सख तिनवास |4|

तितत लोकातितक बोधयो तिनयोग हरिर शिशतिवका सजिज धरिरयो अभोग |

ताप तरम चदिढ़ जिजनचदराय ताशिछन की शोभा को कहाय |5|

जिजन अग सत शिसत चरमर ढार शिसत छS शीस गल गलक हार |

शिसत रतन जतिड़त भरषण तिवशिचS शिसत चनदर चरण चरच पतिवS |6|

शिसत तनदयतित नाकाधीश आप शिसत शिशतिवका काध धरिर सचाप |

शिसत सजस सरश नरश सव13 शिसत शिचतत रम चिचतत जात पव13 |7|

शिसत चदर नगर त तिनकशिस नारथ शिसत वन रम पहच सकल सारथ |

शिसत शिशला शिशरोरमभिण सवचछ छाह शिसत तप तितत धायAcirc तरम जिजनाह |8|

शिसत पय को पारण पररम सार शिसत चदरदतत दीनो उदार |

शिसत कर रम सो पय धार दत रमानो बाधत भवचिसध सत |9|

रमानो सपणय धारा परतचछ तितत अचरज पन सर तिकय ततचछ |

तिफर जाय गहन शिसत तप करत शिसत कवल जयोतित ज=यो अननत |10|

लतिह सनवसरन रचना रमहान जा क दरसन सब पाप हान |

जह तर अशोक शोभ उतग सब शोक तनो चर परसग |11|

सर सरमन वमिषट नभ त सहात रमन रमनरमरथ तजिज हशिरथयार जात |

बानी जिजनरमख सो गनिखरत सार रमन ततव परकाशन रमकर धार |12|

जह चौसठ चरमर अरमर ढरत रमन सजस रमघ झरिर लतिगय तत |

चिसहासन ह जह करमल जकत रमन शिशव सरवर को करमल शकल |13|

ददभिभ जिजत बाजत रमधर सार रमन कररमजीत को ह नगार |

शिशर छS तिफर Sय शवत वण13 रमन रतन तीन Sय ताप हण13 |14|

तन परभा तनो रमडल सहात भतिव दखत तिनज भव सात सात |

रमन दप13ण दयतित यह जगरमगाय भतिवजन भव रमख दखत स आय |15|

इतयादिद तिवभतित अनक जान बातिहज दीसत रमतिहरमा रमहान |

ता को वरणत नकिह लहत पार तो अतरग को कह सार |16|

अनअत गणतिनजत करिर तिवहार धररमोपदश द भवय तार |

तिफर जोग तिनरोध अघातितहान समरमदरथकी शिलय रमकतितरथान |17|

lsquoवनदावनrsquo वदत शीश नाय तरम जानत हो रमरम उर ज भाय |

ता त का कहौ स बार बार रमनवाशिछत कारज सार सार |18|

जय चद जिजनदा आनदकदा भवभयभजन राज ह |

रागा दिदक दवदा हरिर सब फदा रमकतित रमातिह शिरथतित साज ह |19|

ॐ हरी शरीचनदरपरभजिजनदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

आठो दरब मिरमलाय गाय गण जो भतिवजन जिजनचद जज |

ता क भव-भव क अघ भाज रमशिकतसार सख तातिह सज ||

जरम क Sास मिरमट सब ताक सकल अरमगल दर भज |

lsquoवनदावनrsquo ऐसो लगनिख पजत जा त शिशवपरिर राज रज ||

इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

रमहावीर सवारमीशरीमत ीर हर भपीर भर सखसागर अनाकलताई |

कहरिर अक अरीकरदक नरय हरिर पकवित मौलिल सआई ||म तमको इत थापत हौ परभ भलिN समत विहरय हरषाई |ह करणा-धन-धारक द इहा अब वितषठह शीघरविह आई ||ॐ हरी शरीदधमान जिजननदर अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी शरीदधमान जिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी शरीदधमान जिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

कषीरोदलिधसम शलिच नीर कचन भग भरौ |परभ विग हरो भपीर रयात धार करौ ||शरी ीर महा-अवितीर सनमवित नारयक हो |जरय दधमान गणधीर सनमवितदारयक हो ||ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

रमलयातिगर चनदनसार कसर सग घसौ |परभ भवआताप तिनवार पजत तिहय हलसौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

तदल शिसत-शशिशसरम शदध लीनो रथार भरी |तस पज धरौ अतिवरदध पावौ शिशवनगरी ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

सरतर क सरमन सरमत सरमन सरमन पयार |सो रमनरमरथ भजन हत पजौ पद रथार ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

रसरजजत सजजत सदय रमजजत रथार भरी |पद जजजत रजजत अदय भजजत भख अरी ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

तरमखतिडत रमतिडत नह दीपक नह दीपक जोवत हौ |तरम पदतर ह सखगह भररमतरम खोवत हौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

हरिरचदन अगर कपर चर सगध करा |तरम पदतर खवत भरिर आठो करम13 जरा ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

रिरत फल कल-वरजिजत लाय कचन भरौ |शिशव फलतिहत ह जिजनराय तरम दिढग भट धरौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

जल फल वस सजिज तिहरम रथार तन रमन रमोद धरौ |गण गाऊ भवदमिधतार पजत पाप हरौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली रमोतिह राखो हो शरणा शरी वदध13रमान जिजनरायजी रमोतिह राखो0 |गरभ साढ़ शिसत छटट शिलयो शिरथत तिSशला उर अघ हरना |सर सरपतित तितत सव करी तिनत रम पज भवतरना ||

रमोतिह राखो हो शरणा शरी वदध13रमान जिजनरायजी रमोतिह राखो हो शरणा |ॐ हरी आषाढशकलाषषठया गभमगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |1|

जनरम चत शिसत तरस क दिदन कणडलपर कन वरना |सरतिगरिर सरगर पज रचायो रम पजौ भवहरना |रमोतिह0ॐ हरी चतरशकलातररयोदशरया जनममगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |2|

रमगशिसर अशिसत रमनोहर दशरमी ता दिदन तप आचरना |नपतित कल घर पारन कीनो रम पजौ तरम चरना |रमोतिह0ॐ हरी मागशीषकषणादशमरया तपोमगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |3|

शकल दश वशाख दिदवस अरिर घात चतक कषय करना |कवल लतिह भतिव भवसर तार जजौ चरन सख भरना |रमोतिह0ॐ हरी शाखशकलादशमरया कलजञानमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |4|

कारतितक शयारम अरमावस शिशव तितय पावापर त वरना |गणफतिनवनद जज तितत बहतिवध रम पजौ भयहरना |रमोतिह0ॐ हरी कारतितककषणाअमासरयारया मोकषमगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |5|

जरयमालागणधर अशतिनधर चकरधर हलधर गदाधर वरवदा |अर चापधर तिवदयासधर तितरशलधर सवकिह सदा ||दखहरन आनदभरन तारन तरन चरन रसाल ह |सकरमाल गण रमतिनरमाल उननत भालकी जयरमला ह ||

जय तिSशलानदन हरिरकतवदन जगदानदन चदवर |भवतापतिनकदन तनकनरमदन रतिहत सपदन नयन धर ||

जय कवलभान-कला-सदन भतिव-कोक-तिवकाशन कदवन |जगजीत रमहारिरप रमोहहर रजजञान-दगावर चर कर |1|गभा13दिदक रमगल रमतिडत हो दखदारिरद को तिनत खतिडत हो |जग रमाकिह तमही सतपतिडत हो तरम ही भवभाव-तिवहतिडत हो |2|हरिरवश सरोजन को रतिव हो बलवत रमहत तमही कतिव हो |लतिह कवलधरम13 परकाश तिकयो अबलो सोई रमारग राजतितयो |3|पतिन आप तन गण रमाकिह सही सररम=न रह जिजतन सबही |तितनकी वतिनता गनगावत ह लय-तानतिनसो रमनभावत ह |4|पतिन नाचत रग उरमग-भरी तअ भशिकत तिवरष पग एरम धरी |झनन झनन झनन झनन सर लत तहा तनन तनन |5|घनन घनन घनघट बज दरमद दरमद दरमद मिरमरदग सज |गगनागन-गभ13गता सगता ततता ततता ततता अतता तिवतता |6|धगता धगता गतित बाजत ह सरताल रसालज छाजत ह |सनन सनन सनन नभ रम इकरप अनक ज धारिर भररम |7|तिकननर सर बीन बजावत ह तरमरो जस उजजवल गावत ह |करताल तिवरष करताल धर सरताल तिवशाल ज नाद कर |8|इन आदिद अनक उछाह भरी सरभशिकत कर परभजी तरमरी |तरमही जग जीवन क तिपत हो तरमही तिबनकारनत तिहत हो |9|तरमही सब तिवरघयन तिवनाशन हो तरमही तिनज आनदभासन हो |तरमही शिचतचिचतिततदायक हो जगरमाकिह तमही सब लायक हो |10|तरमर पन रमगल रमाकिह सही जिजय उततरम पनय शिलयो सबही |हरमतो तरमरी शरणागत ह तरमर गन रम रमन पागत ह |11|परभ रमो तिहय आप सदा बशिसय जबलो वस करम13 नही नशिसय |

तबलो तरम धयान तिहय वरतो तबलो शरतचिचतन शिचतत रतो |12|तबलो वरत चारिरत चाहत हो तबलो शभभाव सगाहत हो |तबलो सतसगतित तिनतत रहो तबलो रमरम सजरम शिचतत गहो |13|जबलो नकिह नाश करौ अरिरको शिशव नारिर वरौ सरमता धरिरको |यह दयो तबलो हरमको जिजनजी हरम जाचत ह इतनी सनजी |14|घतताः- शरीवीर जिजनशा नमिरमत सरशा नाग नरशा भगतित भरा |lsquoवनदावनrsquo धयाव तिवघन नशाव वाशिछत पाव शरम13 वरा ||ॐ हरी शरीदधमान जिजननदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

दोहाः- शरी सनरमतित क जगल पद जो पज धरिर परीत |वनदावन सो चतर नर लह रमशिकत नवनीत ||इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

चौबीस जिजन पजावरषभ अजिजत सभ अभीनदन समवित पदम सपास जिजनरारय

चनद पहप शीतल शररयास नमिम ास पज पजिजत सर रारय

विमल अनत धरम जस उजजल शावित कथ अर मडिलल मनारय

मविन सवरत नमिम नमिम पाशव परभ धमान पद पषप चढारय

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन समह अतर अतर अतर सौषट

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन समह अतर वितषठ वितषठ ठ ठ

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन समह अतर मम सलिVविहतो भ भ षट

रमतिनरमन सरम उजजवल नीर परासक गध भरा

भरिर कनक कटोरी धीर दीनी धार धरा

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो जनम जरा मतरय विनाश-नारय जल विनपामिमवित साहा

गोशीर कपर मिरमलाय कसर रग भरी

जिजन चरनन दत चढ़ाय भव आताप हरी

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो भ ताप विनाश-नारय चनदन विनपामिमवित साहा

तदल शिसत सोरम सरमान सनदर अतिनयार

रमकता फल की उनरमान पनज धरौ पयार

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो अकषरय पद पराप-तारय अकषतान विनपामिमवित साहा

वरकज कदब करड सरमन सगध भर

जिजन अगर धरौ गण रमद कारम कलक हर

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो काम बाण विरधवा-सनारय पषप विनपामिमवित साहा

रमन रमोदन रमोदक आदिद सनदर सधय बन

रस परिरत परासक सवाद जजत कषधादिद हन

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो कषधा रोग विनाश नारय नदय विनपामिमवित साहा

तरम खडन दीप जगाय धारो तरम आग

सब तितमिरमर रमोह कषय जाय जञान कला जाग

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो मोहानधकार विनाश-नारय दीप विनपामिमवित साहा

दश गध हताशन रमातिह ह परभ खवत हो

मिरमस धरम कररम जरिर जातिह तरम पद सवत हो

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो अC कम दहनारय धप विनपामिमवित साहा

शशिच पकव सरस फल सार सब ऋत क Aयायो

दखत दग रमन को पयार पजत सख पायो

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो मोकष फल परापतारय विनपामिमवित साहा

जल फल आठो शशिच सार ताको अघ13 करो

तरमको अरपो भव तार भव तरिर रमोकष वरो

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चतरतिशवित तीथ_-करभरयो अनघ पद पराप-तारय अघ_ विनपामिमवित साहा

जरयमाला

शरी रमत तीररथ नारथ पद रमारथ नाय तिहतहत

गाऊ गण रमाला अब अजर अरमर पद दत

जय भव तरम भजन जन रमन कजन रजन दिदन रमतिन सवचछ करा

शिशव रमग परकाशक अरिर-गण नाशक चौबीसौ जिजन राज वरा

जय रिररषभ दव ऋतिरष गन नरमत जय अजिजत जीत वस अरिर तरत

जय सभव भव भय करत चर जय अभिभनदन आनद पर

जय सरमतित सरमतित दायक दयाल जय पदरम पदरम दतित तन रसाल

जय जय सपास भव-पास नाश जय चद चद तन-दतित परकाश

जय पषप-दत दतित-दत सत जय शीतल शीतल गन तिनकत

जय शरय नारथ नत सहस भजज जय वासव पजिजत वास पजज

जय तिवरमल तिवरमल पद दन हार जय जय अनत गन गन अपार

जय धरम13 धरम13 शिशव शरम13 दत जय शातित शातित पषटी करत

जय करथ करथ वादिदक रखय जय अर जिजन वस अरिर छय करय

जय रमलपिAल रमAल हत रमोह रमAल जय रमतिन सवरत वरत शAल दAल

जय नमिरम तिनत वासव-नत सपरम जय नरमी नारथ वररष-चकर-नरम

जय पारस नारथ अनारथ नारथ जय वध13रमान शिशव नगर सारथ

चौबीस जिजनदा आनद कदा पाप तिनकदा सख कारी

तितन-पद जग-चदा उदय अरमदा वासव वदा तिहत धारी

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन-भरयो महारघयरय विनपामिमवित साहा

सोरठा

भशिकत रमशिकत दातार चौबीसौ जिजन-राज-वर

तितन-पद रमन-वच-धार जो पज सो शिशव लह

सोलहकारण भावना पजासोलह कारण भारय तीथ_कर ज भरय |

हरष इनदर अपार मरप ल गरय ||पजा करिर विनज धनरय लखरयो बह चासौ|हमह षोbश कारन भा भासौ ||ॐ हरी दशनविशदधरयादिद षोbशकारणाविन अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी दशनविशदधरयादिद षोbशकारणाविन अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी दशनविशदधरयादिद षोbशकारणाविन अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

कचन-झारी विनरमल नीर पजो जिजनर गन-गभीर|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||दरशविशभिदध भाना भारय सोलह तीथ_कर-पद-दारय|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||

ॐ हरी 1 दशनविशभिदध 2 विनरयसमपVता 3 शीलवरतषनतीचार 4अभीकषणजञानोपरयोग 5 सग 6 शलिNतसतरयाग 7 शलिNतसतप 8 साधसमालिध 9 रयातरयकरण 10 अहद भलिN 11 आचारयभलिN 12 बहशरतभलिN 13 परचनभलिN 14 आशरयकापरिरहाभिण 15 मागपरभाना 16 परचनातसलरय इवितषोbशकारणभरयः जल विनपामीवित साहा |1|

चदन घसौ कपर मिमलारय पजौ शरीजिजनरक पारय |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः ससारतापविनाशनारय चनदन विन0|2|

तदल धल सगध अनप पजौ जिजनर वितह जग-भप|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अकषरय पदपरापतरय अकषतान विन0|3|

फल सगनध मधप-गजार पजौ-जिजनर जग-आधार |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||दरशविशभिदध भाना भारय सोलह तीथ_कर-पद-दारय |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः कामबाणविरधवासनारय पषप विन0|4|

सद नज बहविलिध पकान पजौ शरीजिजनर गणखान|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः कषधारोगविनाशनारय नदय विन0|5|

दीपक-जरयोवित वितमिमर छरयकार पज शरीजिजन कलधार|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः मोहानधकारविनाशनारय दीप विन0|6|

अगर कपर गध शभ खरय शरीजिजनर आग महकरय |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अCकमदहनारय धप विन0|7|

शरीफल आदिद बहत फलसार पजौ जिजन ालिछत-दातार |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः मोकषफलपरापतरय फल विन0|8|

जल फल आठो दर चढारय lsquoदयानतrsquo रत करौ मन लारय|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0|9|

परतरयक भाना क अरघयरय (सरया तईसा)दशन शदध न होत जो लग तो लग जी मिमथरयाती कहा |काल अनत विफर भ म महादःखनको कह पार न पा ||दोष पचीस रविहत गण-अमबलिध समरयगदरशन शदध ठरा |lsquoजञानrsquo कह नर सोविह बडो मिमथरयात तज जिजन-मारग रधवारया ||ॐ हरी दशन विशभिदध भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |1|

द तथा गररारय तथा तप सरयम शील वरतादिदक-धारी |पापक हारक कामक छारक शलरय-विनारक कम-विनारी ||

धम क धीर कषारयक भदक पच परकार ससार क तारी |lsquoजञानrsquo कह विनरयो सखकारक भा धरो मन राखो विचारी ||ॐ हरी विनरयसमपVता भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |2|

शील सदा सखकारक ह अवितचार-विरजिजत विनमल कीज |दान द कर तस स विषानल भत विपशाच पतीज ||शील बडो जग म हलिथरयार ज शीलको उपमा काह की दीज |lsquoजञानrsquo कह नविह शील बराबर तात सदा दढ शील धरीज ||ॐ हरी विनरवितचार शीलवरत भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |3|

जञान सदा जिजनराज को भाविषत आलस छोड पढ जो पढा |ादश दोउ अनकह भद सनाम मती शरवित पचम पा ||चारह भद विनरनतर भाविषत जञान अभीकषण शदध कहा |lsquoजञानrsquo कह शरत भद अनक ज लोकालोक विह परगट दिदखा ||ॐ हरी अभीकषण जञानोपरयोग भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |4|

भरात न तात न पतर कलतर न सगम दजन रय सब खोटो |मजिनदर सनदर कारय सखा सबको हमको इमिम अतर मोटो ||भाउ क भा धरी मन भदन नाविह सग पदारथ छोटो |lsquoजञानrsquo कह भिश-साधन को जसो साह को काम कर ज बणोटो ||ॐ हरी सग भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |5|

पातर चतरतिध दख अनपम दान चतरतिध भास दीज |शलिN-समान अभरयागत को अवित आदर स परभिणपतरय करीज ||दत ज नर दान सपातरविह तास अनकविह कारण सीझ |बोलत lsquoजञानrsquo दविह शभ दान ज भोग सभमिम महासख लीज ||ॐ हरी शलिNतसतरयाग भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |6|

कम कठोर विगरान को विनज शलिN-समान उपोषण कीज |बारह भद तप तप सनदर पाप जलाजलिल काह न दीज ||भा धरी तप घोर करी नर जनम सदा फल काह न लीज |lsquoजञानrsquo कह तप ज नर भात ताक अनकविह पातक छीज ||ॐ हरी शलिNतसतप भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |7|

साधसमालिध करो नर भाक पणरय बडो उपज अघ छीज |साध की सगवित धमको कारण भलिN कर परमारथ सीज ||साधसमालिध कर भ छटत कीरतित-छटा तरलोक म गाज |lsquoजञानrsquo कह रयह साध बडो विगरिरशरग गफा विबच जारय विराज ||ॐ हरी साधसमालिध भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |8|

कम क रयोग वयथा उदरय मविन पग कनत सभषज कीज |विपतत-कफाविनल (ात) सास भगनदर ताप को शल महागद छीज ||भोजन साथ बनारय क औषध पथरय कपथरय विचार क दीज |lsquoजञानrsquo कह विनत यरयातरय कर तस द पतीज ||ॐ हरी रयातरयकरण भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

द सदा अरिरहनत भजो जई दोष अठारा विकरय अवित दरा |पाप पखाल भरय अवित विनमल कम कठोर विकए चकचरा ||दिदवय-अननत-चतCरय शोभिभत घोर मिमथरयानध-विनारण सरा |lsquoजञानrsquo कह जिजनराज अराधो विनरनतर ज गण-मजिनदर परा ||ॐ हरी अहद भलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |10|

दत ही उपदश अनक स आप सदा परमारथ-धारी |दश विदश विहार कर दश धम धर भ-पार- उतारी ||ऐस अचारज भा धरी भज सो भिश चाहत कम विनारी |lsquoजञानrsquo कह गर-भलिN करो नर दखत ही मनमाविह विचारी ||ॐ हरी आचारय भलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |11|

आगम छनद पराण पढात साविहत तक वितक बखान |कावय कथा न नाटक पजन जरयोवितष दयक शासतर परमान ||ऐस बहशरत साध मनीशवर जो मन म दोउ भा न आन |बोलत lsquoजञानrsquo धरी मन सान ज भागरय विशष त जञानविह सान ||ॐ हरी बहशरवितभलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |12|

ादश अग उपाग सदागम ताकी विनरतर भलिN करा |द अनपम चार कह तस अथ भल मन माविह ठरा ||पढ बहभा लिलखो विनज अकषर भलिN करी बविड पज रचा |lsquoजञान कह जिजन आगम-भलिN कर सद-बभिदध बहशरत पा ||ॐ हरी परचनभलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |13|

भा धर समता सब जीस सतोतर पढ मख स मनहारी |कारयोतसग कर मन परीतस दन द-तणो भ तारी ||रधवारयान धरी मद दर करी दोउ बर कर पडकममन भारी |lsquoजञानrsquo कह मविन सो धननत ज दशन जञान चरिरतर उघारी ||ॐ हरी आशरयकापरिरहाभिण भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |14|

जिजन-पजा रच परमारथस जिजन आग नतरय महोतस ठाण |गात गीत बजात ढोल मदगक नाद सधाग बखाण ||सग परवितषठा रच जल-जातरा सद गर को साहमो कर आण |lsquoजञानrsquo कह जिजन माग-परभान भागरय-विशषस जानविह जाण ||ॐ हरी मागपरभाना भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |15|

गौर भा धरो मन स मविन-पग को विनत तसल कीज |शीलक धारक भवय क तारक तास विनरतर सनह धरीज ||धन रयथा विनजबालक को अपन जिजरय छोविड न और पतीज |lsquoजञानrsquo कह भवि लोक सनो जिजन तसल भा धर अघ छीज ||ॐ हरी परचन-ातसलरय भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |16|

जापरय मतर -ॐ हरी दशनविशदधरय नमः ॐ हरी विनरयसमपVतारय नमः ॐ हरी शीलवरतारय नमःॐ हरी अभीकषणजञानोपरयोगारय नमः ॐ हरी सगारय नमः ॐ हरी शलिNतसतरयागारय नमःॐ हरी शलिNतसतपस नमः ॐ हरी साधसमारधवारय नमः ॐ हरी रयातरयकरणारय नमःॐ हरी अहद भकतरय नमः ॐ हरी आचारयभकतरय नमः ॐ हरी बहशरतभकतरय नमःॐ हरी परचनभकतरय नमः ॐ हरी आशरयकापरिरहाणरय नमः ॐ हरी मागपरभानारय नमःॐ हरी परचनातसलरय नमः |16|

जयरमालारषोडश कारण गण कर हर चतरगतित-वास |पाप पणय सब नाशक जञान-भान परकाश||

चौपाई दरश तिवशजिदध धर जो कोई ताको आवागरमन न होई |तिवनय रमहाधार पराणी शिशव-वतिनता की सखी बखानी |1|

शील सदा दढ़ जो नर पाल सो औरनकी आपद टाल |जञानाभयास कर रमनरमाही ताक रमोह-रमहातरम नाही |2|जो सवग-भाव तिवसतार सरग-रमकतित-पद आप तिनहार |दान दय रमन हररष तिवशरष इह भव जस परभव सख पख |3|जो तप तप खप अभिभलारषा चर कररम-शिशखर गर भारषा |साध-सरमामिध सदा रमन लाव तितह जग भोग भोतिग शिशव जाव |4|तिनश-दिदन वयावतय करया सो तिनहच भव-नीर तितरया |जो अरहत-भगतित रमन आन सो जन तिवरषय करषाय न जान |5|जो आचारज-भगतित कर ह सो तिनरम13ल आचार धर ह |बहशरतवत-भगतित जो करई सो नर सपरन शरत धरई |6|परवचन-भगतित कर जो जञाता लह जञान पररमानद-दाता |रषट आवशय काय सो साध सोही रतन-Sय आराध |7|धररम-परभाव कर ज जञानी तितन शिशव-रमारग रीतित तिपछानी |वतसल अग सदा जो धयाव सो तीरथsकर पदवी पाव |8|

दोहाएही सोलह भावना सतिहत धर वरत जोय |दव-इनदर-नर-वदय lsquoदयानतrsquo शिशव-पद होय ||ॐ हरी दश13नतिवशदधयादिद रषोडशकारणभयः पणारघययs तिनव13पारमीतित सवाहा |सनदर रषोडशकारण भावना तिनरम13ल शिचतत सधारक धार |करम13 अनक हन अतित ददध13र जनरम जरा भय रमतय तिनवार ||दःख दरिरदर तिवपभितत हर भव-सागर को पार उतार |lsquoजञानrsquo कह यही रषोडशकारण करम13 तिनवारण शिसदध स धार ||इतयाशीवा13द (पषपाजचिल भिकषपत)

ननदीशवर दिदप पजासरब पर म बडो अढाई पर ह |

ननदीशवर सर जाविह लरय ास दरब ह ||

हम शलिN सो नाविह इहा करी थापना |

पज जिजनगरह-परवितमा ह विहत आपना ||

ॐ हरी शरी-ननदीशवर-ीप ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमा-समह

अतर अतर अतर सौषट | अतर वितषठ ठ ठ | अतर मम सलिVविहतो भभ षट |

कचन रमभिण रमय शरगार तीररथ-नीर भरा |

तितह धार दई तिनरवार जारमन रमरण जरा ||

ननदीशवर-शरीजिजन-धारम बावन पज करो |

वस दिदन परतितरमा अभिभरारम आनद-भाव धरो ||

ननदीशवर दवीप रमहान चारो दिदशिश सोह |

बावन जिजन रमजिनदर जान सरनर रमन रमोह ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो जनम-जरा-मतरय विनाशनारय जल विनपामीवित साहा |

भव-तप-हर शीतल वाससो चनदन नाही |

परभ यह गण कीज साच आयो तरम ठाही || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो ससार-ताप-विनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा |

उततरम अकषत जिजनराज पज धर सोह |

सब जीत अकष सरमाज तरम सरम अर को ह || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो अकषरय-पद-परापतारय अकषत विनपामीवित साहा |

तरम कारम तिवनाशक दव धयाऊ फलनसौ |

लह शील लचछरमी एव छट सलनससौ || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो काम-बाण विरधवासनारय पषप विनपामीवित साहा |

नवज इजिनदरय बलकार सो तरमन चरा |

चर तरम दिढग सोह सार अचरज ह परा || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो कषधा-रोग विनाशनारय नदय विनपामीवित साहा |

दीपक की जयोतित-परकाश तरम तन रमातिह लस |

टट कररमन की राश जञान-कणी दरश || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो मोहानधकार विनाशनारय दीप विनपामीवित साहा |

कषणागर-धप-सवास दश-दिदशिश नारिर वर |

अतित हरष13 भाव परकाश रमानो नतय कर || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो अCकम दहनारय धप विनपामीवित साहा |

बह तिवमिध फल ल तितह काल आननद नाचत ह |

तरम शिशव फल दह दयाल ततिह हरम जाचत ह || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो महा-मोकष-फल परापतारय फल विनपामीवित साहा |

यह अरघ तिकयो तिनज-हत तरमको अरपत हो |

lsquoधानतrsquo तिकजयो शिशव खत भमिरम सरमप13त हो || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो अनघ-पद-परापतारय अघ_ विनपामीवित साहा |

जरयमाला

कारतितक फालगन साढक अनत आठ दिदन माविह |

ननदीशवर सर जात ह हम पज इह ठाही ||

एक सौ Sसठ कोडी जोजन रमहा |

लाख चौरशिसया एक दिदश रम लहा ||

आठरमो दवीप ननदीशवर भासवर |

भौन बावन परतितरमा नरमो सखकर ||

चार दिदशिश चार अनजनतिगरी राजही |

सहस चौरशिसया एक दिदश छाजातिह ||

ढोल सरम गोल ऊपर तल सनदर || भौन ||

इक इक चार दिदशिश चार शभ बावरी |

एक इक लाख जोजन अरमल-जल भरी ||

चह दिदशा चार वन लाख जोजन वर || भौन ||

सोल वापीन रममिध सोल तिगरी दमिधरमख |

सहस दश रमहा जोजन लखत ही सख ||

बावरी कौन दो रमातिह दो रतितकर || भौन ||

शल बततीस एक सहस जोजन कह |

चार सोल मिरमल सव13 बावन लह ||

एक इक सीस पर एक जिजनरमजिनदर || भौन ||

तिबमब अठ एक सौ रतनरमयी सोहही |

दव दवी सरव नयन रमन रमोहही ||

पाच स धनरष तारम पदम-आसन पर || भौन ||

लाल-नख-रमख नयन शयारम अर शवत ह |

शयारम-रग भौह शिसर-कश छतिव दत ह ||

वचन बोलत रमनो हसत कालरष हररम || भौन ||

कोदिट-शशिश भान दतित-तज शिछप जात ह |

रमहा-वराग-परिरणारम ठहरात ह ||

वचन नकिह कह लगनिख होत समयक धर |

भौन बावन परतितरमा नरमो सखकर ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो जरयमाला पणाघ_ विनपामीवित साहा |

ननदीशवर ीप अघ

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प पभि म उततर दभिकषण चार अनजनविगरी सोलह दलिधमख बततीस रवितकर बान पत डिसथत बान जिजनचतरयालरयभरयो पाच हजार छह सौ सोलह जिजन विबमबभरयो पणाघ_ विनपामीवित साहा |

ननदीशवर-जिजन धारम परतितरमा-रमतिहरमा को कह |

lsquoधानतrsquo लीनो नारम यही भगतित शिशव-सख कर ||

इतरयाभिशाद || पषपाजलिल भिकषपत ||

पचरमर पजातीथ_करोक नहन ndash जलत भरय तीरथ शमदा

तात परदचछन दत सर ndash गन पच मरन की सदा |दो जललिध ढाई ीप म सब गनत-मल विराजहीपजौ असी जिजनधाम ndash परवितमा होविह सख दख भाजही ||

ॐ हरी पचमरसमबनधिनध अससी जिजनचतरयालरयसथजिजनपरवितमा-समह अतर अतर अतरसौषट |ॐ हरी पचमरसमबनधिनध अससी जिजनचतरयालरयसथजिजनपरवितमा-समह अतर वितषठ वितषठ ठः

ठः |ॐ हरी पचमरसमबनधिनध अससी जिजनचतरयालरयसथजिजनपरवितमा-समह अतर मम सलिVविहतो भ भ पषट

शीतल-मिरमषट-सवास मिरमलाय जल सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||पाचो रमर असी जिजनधारम सब परतितरमा जी को करौ परणारम |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||ॐ हरी सदशन-विजरय-अचल-मनदर-विदयनमालिल-पचमरसमबनधिनध-जिजनचतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः जल विनमीवित साहा |1|

जल कशर करपर मिरमलाय गध सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः चनदनविन0 साहा |2|

अरमल अखड सगध सहाय अचछत सो पजौ जिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः अकषतान विन0 साहा |3|

वरन अनक रह रमहकाय फल सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः पषप विन0 साहा |4|

रमन वाशिछत बह तरत बनाय चर सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः नदय विन0 |5|

तरम-हर उजजवल जयोतित जगाय दीप सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः दीप विन0 साहा |6|

खऊ अगर अरमल अमिधकाय धपसो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः धप विन0 साहा |7|

सरस सवण13 सगध सभाय फलसो पजौ शरी जिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः फल विन0 साहा |8|

आठ दरबरमय अरघ बनाय lsquoदयानतrsquo पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||पाचो रमर असी जिजन धारम सब परतितरमा जी को करौ परणारम |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः अरघयरय_ विन0 साहा |9|

जरयमालापररथरम सदश13न-सवामिरम तिवजय अचल रमदर कहा |तिवदयनरमाली नामिरम पच रमर जग रम परगट ||

पररथरम सदश13न रमर तिवराज भदर शाल वन भ पर छाज |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |1|ऊपर पच-शतकपर सोह नदन-वन दखत रमन रमोह |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |2|साढ़ बासठ सहस ऊचाई वन सरमनस शोभ अमिधकाई |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |3|ऊचा जोजन सहस-छतीस पाणडक-वन सोह तिगरिर-सीस |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |4|चारो रमर सरमान बखान भ पर भदरशाल चह जान |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |5|ऊच पाच शतक पर भाख चारो नदनवन अभिभलाख |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |6|साढ़ पचपन सहस उतगा वन सोरमनस चार बहरगा |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |7|उचच अठाइस सहस बताय पाडक चारो वन शभ गाय |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |8|सर नर चारन वदन आव सो शोभा हरम किकह रमख गाव |चतयालय अससी सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |9|

दोहा -पच रमर की आरती पढ़ सन जो कोय |lsquoदयानतrsquo फल जान परभ तरत रमहासख होय ||ॐ हरी पचमरसमबनधिनध जिजनचतरयालरयसथ जिजनविबमबभरयः पणारघयरय_ विन0 साहा |इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

शातितनारथ पजा

रया भ कानन म चतरानन पाप पनानन घरी हमरी |

आतम जानन मानन ठानन बान न होन दई सठ मरी ||

तामद भानन आपविह हो रयह छान न आन न आनन टरी |

आन गही शरनागत को अब शरीपतजी पत राखह मरी ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदर अतर अतर अतर सौषट |

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

तिहरमतिगरिर गतगगा धार अभगा परासक सगा भरिर भगा |

जर-जनरम-रमतगा नाशिश अघगा पजिज पदगा रमद किहगा ||

शरी शापतिनत जिजनश नतशकरश वरषचकरश चकरश |

हतिन अरिरचकरश ह गनधश दयाऽरमतश रमकरश ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

वर बावन चनदन कदली ननदन घन आननदन सतिहत घसौ |

भवताप तिनकनदन ऐराननदन वदिद अरमदन चरन बसौ ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

तिहरमकर करिर लजजत रमलय ससजजत अचछत जजजत भरिर रथारी |

दखदारिरद गजजत सदपद सजजत भवभय भजजत अतितभारी ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

रमदार सरोज कदली जोज पज भरोज रमलयभर |

भरिर कचनरथारी तरमदिढग धारी रमदनतिवदारी धीरधर ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

पकवान नवीन पावन कीन रषटरस भीन सखदाई |

रमनरमोदन हार छधा तिवदार आग धार गनगाई ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

तरम जञान परकाश भररमतरम नाश जञय तिवकास सखरास |

दीपक उजिजयारा यात धारा रमोह तिनवारा तिनज भास ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

चनदन करपर करिर वर चर पावक भर रमातिह जर |

तस धरम उड़ाव नाचत जाव अशिल गजाव रमधर सर ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

बादारम खजर दातिड़रम पर किनबक भर ल आयो |

ता सो पद जजजौशिशवफल सजजौ तिनजरस रजजौ उरमगायो ||

शरी शापतिनत जिजनश नतशकरश वरषचकरश चकरश |

हतिन अरिरचकरश ह गनधश दयाऽरमतश रमकरश ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

वस दरवय सवारी तरम दिढग धारी आननदकारी दग-पयारी |

तरम हो भव तारी करनाधारी या त रथारी शरनारी ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली

छनदः- अशिसत सातय भादव जातिनय गरभ रमगल ता दिदन रमातिनय |

सशिच तिकयो जननी पद चच13न हरम कर इत य पद अच13न ||

ॐ हरी भादरपदकषणा सपतमरया गभमगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |1|

जनरम जठ चतद13शिश शयारम ह सकल इनदर स आगत धारम ह |

गजपर गज-साजिज सब तब तिगरिर जज इत रम जजिजहो अब ||

ॐ हरी जरयषठकषणाचतदशरया जनममगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |2|

भव शरीर सभोग असार ह इमिरम तिवचार तब तप धार ह |

भररमर चौदशिश जठ सहावनी धररम हत जजौ गन पावनी ||

ॐ हरी जरयषठकषणाचतदशरया तपोमगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |3|

शकलपौरष दश सखरास ह पररम-कवल-जञान परकाश ह |

भवसरमदर उधारन दव की हरम कर तिनत रमगल सवकी ||

ॐ हरी पौषशकलादशमरया कलजञानमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |4|

अशिसत चौदशिश जठ हन अरी तिगरिर सरमदरथकी शिशव-तितय वरी |

सकल इनदर जज तितत आय क हरम जज इत रमसतक नाय क ||

ॐ हरी जरयषठकषणाचतदशरया मोकषमगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |5|

जरयमाला

शापतिनत शापतिनतगन रमतिडत सदा जातिह धयावत सपतिडत सदा |

रम तितनह भगत रमतिडत सदा पजिजहौ कलरष हतिडत सदा ||

रमोचछ हत तरम ही दयाल हो ह जिजनश गन रतन रमाल हो |

रम अब सगन-दारम ही धरौ धयावत तरत रमशिकत-तितय वरौ ||

जय शापतिनतनारथ शिचदरपराज भवसागर रम अदभत जहाज |

तरम तजिज सरवाररथशिसजिदध रथान सरवाररथजत गजपर रमहान |1|

तितत जनरम शिलयो आननद धार हरिर ततशिछन आयो राजदवार |

इनदरानी जाय परसतित रथान तरम को कर रम ल हररष रमान |2|

हरिर गोद दय सो रमोदधार शिसर चरमर अरमर ढारत अपार |

तिगरिरराज जाय तितत शिशला पाड ता प रथापयो अभिभरषक रमाड |3|

तत पचरम उदमिध तनो स वारिर सर कर कर करिर Aयाय उदार |

तब इनदर सहसकर करिर अननद तरम शिसर धारा ढारयो सरमनद |4|

अघ घघ धतिन होत घोर भभभभ भभ धध धध कलश शोर |

दरमदरम दरमदरम बाजत रमदग झन नन नन नन नन नपरग |5|

तन नन नन नन नन तनन तान घन नन नन घटा करत धवान |

तारथई रथई रथई रथई सचाल जत नाचत नावत तरमकिह भाल |6|

चट चट चट अटपट नटत नाट झट झट झट हट नट रथट तिवराट |

इमिरम नाचत राचत भगतित रग सर लत जहा आननद सग |7|

इतयादिद अतल रमगल स ठाठ तितत बनयो जहा सर तिगरिर तिवराट |

पतिन करिर तिनयोग तिपतसदन आय हरिर सौपयो तरम तितत वदध रथाय |8|

पतिन राजरमाकिह लतिह चकररतन भो=यो छहखणड करिर धररम जतन |

पतिन तप धरिर कवल रिरजिदध पाय भतिव जीवतिन को शिशवरमग बताय |9|

शिशवपर पहच तरम ह जिजनश गण-रमतिडत अतल अननत भरष |

रम धयावत हौ तिनत शीश नाय हरमरी भवबाधा हर जिजनाय |10|

सवक अपनो तिनज जान जान करणा करिर भौभय भान भान |

यह तिवघन रमल तर खड खड शिचतशिचपतिनतत आननद रमड रमड |11|

छनदः- शरीशापतिनत रमहता शिशवतितयकता सगन अनता भगवता |

भव भररमन हननता सौखय अननता दातार तारनवनता ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

शापतिनतनारथ जिजन क पदपकज जो भतिव पज रमन वच काय |

जनरम जनरम क पातक ता क ततशिछन तजिज क जाय पलाय ||

रमनवाशिछत सख पाव सो नर बाच भगतितभाव अतित लाय |

ता त lsquoवनदावनrsquo तिनत वद जा त शिशवपरराज कराय ||

इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

सपाशव13नारथ पजाजरय जरय जिजविनद गविनद इनद नरिरद गन लिचतन कर |

तन हरीहर मनसम हरत मन लखत उर आननद भर ||नप सपरवितषठ रिरषठ इC मविहषठ भिशC पथी विपररया |वितन ननदक पद नद नद अमद थापत जतविकररया ||ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदर अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

उजजल जल शलिच गध मिमलारय कचनझारी भरकर लारय |दरया विनलिध हो जरय जगबध दरया विनलिध हो ||तम पद पजौ मनचकारय द सपारस भिशपररारय |दरया विनलिध हो जरय जगबध दरया विनलिध हो ||ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

रमलयातिगर चदन घशिस सार लीनो भवतप भजनहार |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

दवजीर सखदास अखड उजजवल जलछाशिलत शिसत रमड |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

परासक सरमन सगमिधत सार गजत अशिल रमकरधवजहार |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

छधाहरण नवज वर लाय हरौ वदनी तमह चढ़ाय |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

जवशिलत दीप भरकरिर नवनीत तरम दिढग धारत हौ जगरमीत |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

दशतिवमिध गनध हताशन रमाकिह खवत करर कररम जरिर जाकिह |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम पद पजौ रमनवचकाय दव सपारस शिशवपरराय |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

शरीफल कला आदिद अनप ल तरम अगर धरौ शिशवभप |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

आठो दरब साजिज गनगाय नाचत राचत भगतित बढ़ाय |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0

ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयालीसकल भादव छटठ स जातिनय गरभ रमगल ता दिदन रमातिनय |करत सव शची रशिच रमात की अरघ लय जजौ वस भात की ||ॐ हरी भादरपदशकलाषषठीदिदन गभमगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |1|

सकल जठ दवादशिश जनरमय सकल जीव स आननद तनरमय |तिSदशराज जज तिगरिरराजजी हरम जज पद रमगल साजजी ||ॐ हरी जरयषठशकलाादशरया जनममगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |2|

जनरम क तितशिरथ प शरीधर न धरी तप सरमसत पररमादन को हरी |नप रमहनदर दिदयो पय भाव सौ हरम जज इत शरीपद चाव सो ||ॐ हरी जरयषठशकलाादशरया तपोमगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |3|

भररमर फागन छटठ सहावनो पररम कवलजञान लहावनो |सरमवसन13 तिवरष वरष भागनिखयो हरम जज पद आननद चाखनो ||ॐ हरी फालगनकषणा षषठीदिदन कलजञानपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |4|

अशिसत फागन सातय पावनो सकल करम13 तिकयो छय भावनो |तिगरिर सरमदरथकी शिशव जात ह जजत ही सब तिवरघयन तिवलात ह ||ॐ हरी फालगनकषणा सपतमीदिदन मोकषमगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |5|

जयरमालादोहाः- तग अग धन दोय सौ शोभा सागरचनद |मिरमथयातपहर सगनकर जय सपास सखकद |1|

जयतित जिजनराज शिशवराज तिहतहत हो |पररम वराग आननद भरिर दत हो ||

गभ13 क पव13 रषटरमास धनदव न |नगर तिनररमातिप वाराणसी सव रम |2|गगन सो रतन की धार बह वररषही |कोतिड़ Sअदध13 Sवार सब हररषही ||तात क सदन गनवदन रचना रची |रमात की सव13तिवमिध करत सवा शची |3|भयो जब जनरम तब इनदर-आसन चAयो |होय चतिकत तब तरिरत अवमिधत लगनिख भAयो ||सपत पग जाय शिशर नाय वनदन करी |चलन उरम=यो तब रमातिन धतिन धतिन घरी |4|सात तिवमिध सन गज वरषभ ररथ बाज ल |गनधरव नतयकारी सब साज ल ||गशिलत रमद गणड ऐरावती साजिजयो |लचछ जोजन सतन वदन सत राजिजयो |5|वदन वसदनत परतितदनत सरवर भर |ता स रममिध शतक पनबीस करमशिलतिन खर ||करमशिलनी रमधय पनवीस फल करमल |करमल-परतित-करमल रमह एक सौ आठ दल |6|सव13दल कोड़ शतबीस पररमान ज |ता स पर अपछरा नचकिह जतरमान ज ||तततता तततता तिवततता तारथई |धगतता धगतता धगतता रम लई |7|धरत पग सनन नन सनन नन गगन रम |नपर झनन नन झनन नन पगन रम ||नचत इतयादिद कई भातित सो रमगन रम |कई तितत बजत बाज रमधर पगन रम |8|कई दरम दरम ददरम दरम रमदगतिन धन |कई झAलरिर झनन झझनन झझन ||कई ससागरत सारतिग ससागर सर |कई बीना पटह बशिस बाज रमधर |9|कई तनतन तनन तनन तान पर |शदध उचचारिर सर कई पाठ फर ||

कइ झतिक झतिक तिफर चकर सी भामिरमनी |धगगता धगगता परम13 शोभा बनी |10|कई शिछन तिनकट शिछन दर शिछन रथल-लघ |धरत वतिकरयक परभाव सो तन सभग ||कई करताल-करताल तल रम धन |तत तिवतत घन सतिरषरिर जात बाज रमन |11|इनदर आदिदक सकल साज सग धारिरक |आय पर तीन फरी करी पयार त ||सशिचय तब जाय परसतरथल रमोद रम |रमात करिर नीद लीनो तमह गोद रम |12|आन-तिगरवान नारथकिह दिदयो हारथ रम |छS अर चरमर वर हरिर करत रमारथ रम ||चढ़ गजराज जिजनराज गन जातिपयो |जाय तिगरिरराज पाडक शिशला रथातिपयो |13|लय पचरम उदमिध-उदक कर कर सरतिन |सरन कलशतिन भर सतिहत चरचिचत परतिन ||सहस अर आठ शिशर कलश ढार जब |अघघ घघ घघघ घघ भभभ भभ भौ तब |14|धधध धध धधध धध धतिन रमधर होत ह |भवय जन हस क हरस उदयोत ह ||भयो इमिरम नहौन तब सकल गन रग रम |पोशिछ शरगार कीनो शची अग रम |15|आतिन तिपतसदन शिशश सौतिप हरिर रथल गयो |बाल वय तरन लतिह राज सख भोतिगयो ||भोग तज जोग गतिह चार अरिर को हन |धारिर कवल पररम धररम दइ तिवध भन |16|नाशिश अरिर शरष शिशवरथान वासी भय |जञानदग अरिर शरष शिशवरथान वासी भय |दीन जन की करण सन लीजिजय |धररम क ननद को पार अब कीजिजय |17|घतता13ः- जय करनाधारी शिशवतिहतकारी तारन तरन जिजहाजा हो |

सवत तिनत वनद रमनआनद भवभय रमटनकाजा हो |18|ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

दोहाः- शरी सपाशव13 पदजगल जो जज पढ़ यह पाठ |अनरमोद सो चतर नर पाव आननद ठाठ ||इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

शीतलनारथ पजाशीतलनाथ नमौ धरिर हाथ स माथ जिजनहो भ गाथ मिमटारय |

अचरयत त चरयत मात सननद क ननद भरय पर बददल आरय ||

श इकषाक विकरयो जिजन भविषत भवयन को भ पार लगारय |

ऐस कपाविनलिध क पद पकज थापत हौ विहरय हष बढारय ||

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदर अतर अतर अतर सौषट |

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

दवापगा स वर वारिर तिवशदध लायो

भगार हरम भरिर भशिकत तिहय बढ़ायो |

रागादिददोरष रमल रमद13न हत यवा

चचAElig पदाबज तव शीतलनारथ दवा ||

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

शरीखड सार वर ककरम गारिर लीनो |

क सग सवचछ मिघशिस भशिकत तिहय धरीनो ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

रमकता-सरमान शिसत तदल सार राज |

धारत पज कशिलकज सरमसत भाज |रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

शरी कतकी पररमख पषप अदोरष लायो |

नौरग जग करिर भग स रग पायो ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

नवदय सार चर चार सवारिर लायो |

जाबनद-परभतित भाजन शीश नायो ||

रागादिददोरष रमल रमदद13न हत यवा |

चचAElig पदाबज तव शीतलनारथ दवा ||

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

सनह परपरिरत सदीपक जोतित राज |

सनह परपरिरत तिहय जजतऽघ भाज ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

कषणागर पररमख गध हताश रमाही |

खवौ तवागर वसकरम13 जरत जाही ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

तिनमबामर कक13 दिट स दातिड़रम आदिद धारा |

सौवण13-गध फल सार सपकव पयारा ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

शभ शरी-फलादिद वस परासक दरवय साज |

नाच रच रमचत बजजत सजज बाज ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली

आठ वदी चत सगभ13 रमाही आय परभ रमगलरप रथाही |

सव शची रमात अनक भवा चचAElig सदा शीतलनारथ दवा ||

ॐ हरी चतरकषणाऽCमरया गभमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |1|

शरी रमाघ की दवादशिश शयारम जायो भलोक रम रमगल सार आयो |

शलनदर प इनदर फतिननदर जजज रम धयान धारौ भवदःख भजज ||

ॐ हरी माघकषणा ादशरया जनममगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |2|

शरी रमाघ की दवादशिश शयारम जानो वरा=य पायो भवभाव हानो |

धयायो शिचदाननद तिनवार रमोहा चचAElig सदा चन13 तिनवारिर कोहा ||

ॐ हरी माघकषणा ादशरया तपोमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |3|

चतद13शी पौरष वदी सहायो ताही दिदना कवल लबधिबध पायो |

शोभ सरमोसतय बखातिन धरमs चचौ सदा शीतल परम13 शरमs ||

ॐ हरी पौषकषणाचतदशरया कल जञानमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |4|

कवार की आठ शदध बदधा भय रमहा रमोकष सरप शदधा |

समरमद त शीतलनारथ सवारमी गनाकर ता स पद नरमारमी ||

ॐ हरी आभिशवनशकलाऽCमरया मोकषमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |5|

जरयमाला

आप अनत गनाकर राज वसततिवकाशन भान सरमाज |

रम यह जातिन गही शरना ह रमोह रमहारिरप को हरना ह |1|

दोहाः- हरम वरन तन तग धन-नवव अतित अभिभरारम |

सर तर अक तिनहारिर पद पतिन पतिन करौ परणारम |2|

जय शीतलनारथ जिजननद वर भव दाह दवानल रमघझर |

दख-भभत-भजन वजर सरम भव सागर नागर-पोत-परम |3|

कह-रमान-रमयागद-लोभ हर अरिर तिवरघयन गयद रमकिगद वर |

वरष-वारिरधवषटन समिषटतिहत परदमिषट तिवनाशन सषट तिपत |4|

सरमवसरत सजत राजत हो उपरमा अभिभरारम तिवराजत हो |

वर बारह भद सभा शिरथत को तितत धरम13 बखातिन तिकयो तिहत को |5|

पहल रमतिह शरी गणराज रज दतितय रमतिह कAपसरी ज सज |

तिSतितय गणनी गन भरिर धर चवरथ तितय जोतितरष जोतित भर |6|

तितय-किवतरनी पन रम गतिनय छह रम भवनसर तितय भतिनय |

भवनश दशो शिरथत सततरम ह वस-किवतर उततरम ह |7|

नव रम नभजोतितरष पच भर दश रम दिदतिवदव सरमसत खर |

नरवनद इकादश रम तिनवस अर बारह रम पश सव13 लस |8|

तजिज वर पररमोद धर सब ही सरमता रस रम=न लस तब ही |

धतिन दिदवय सन तजिज रमोहरमल गनराज असी धरिर जञानबल |9|

सबक तिहत तततव बखान कर करना-रमन-रजिजत शरम13 भर |

वरन रषटदरवय तन जिजतन वर भद तिवराजत ह तिततन |10|

पतिन धयान उभ शिशवहत रमना इक धरम13 दती सकल अधना |

तितत धरम13 सधयान तणो गतिनयो दशभद लख भररम को हतिनयो |11|

पहलोरिर नाश अपाय सही दतितयो जिजन बन उपाया गही |

तिSतित जीवतिवरष तिनजधयावन ह चवरथो स अजीव ररमावन ह |12|

पनरमो स उद बलटारन ह छहरमो अरिर-राग-तिनवारन ह |

भव तयागन चिचतन सपतरम ह वसरमो जिजतलोभ न आतरम ह |13|

नवरमो जिजन की धतिन सीस धर दशरमो जिजनभातिरषत हत कर |

इमिरम धरम13 तणो दश भद भनयो पतिन शकलतणो चद यरम गनयो |14|

सपरथकत-तिवतक13 -तिवचार सही सइकतव-तिवतक13 -तिवचार गही |

पतिन सकषरमतिकरया-परतितपात कही तिवपरीत-तिकरया-तिनरवतत लही |15|

इन आदिदक सव13 परकाश तिकयो भतिव जीवनको शिशव सवग13 दिदयो |

पतिन रमोकषतिवहार तिकयो जिजनजी सखसागर रम=न शिचर गनजी |16|

अब रम शरना पकरी तरमरी समिध लह दयातिनमिध जी हरमरी |

भव वयामिध तिनवार करो अब ही रमतित ढील करो सख दयो सब ही |17|

शीतल जिजन धयाऊ भगतित बढ़ाऊ जयो रतनSय तिनमिध पाऊ |

भवदद नशाऊ शिशवरथल जाऊ फर न भव वन रम आऊ |18|

दिदढ़ररथ सत शरीरमान पचकAयाणक धारी

तितन पद जगपदम जो जज भशिकतधारी |

सहजसख धन धानय दीघ13 सौभा=य पाव

अनकररम अरिर दाह रमोकष को सो शिसधाव ||

इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

कतितरम अकतितरम जिजन चतयालयकतरयाकवितरम-चार-चतरय-विनलरयान विनतरय वितरलोकी-गतान

द भान-वयतर-दयवितरान सगामराासगान |सदगधाकषत-पषप-दाम-चरकः सददीपधपः फलरनीरादय रयज परणमरय भिशरसा दषकमणा शातरय ||

ॐ हरी वितरलोक समबनधिनध कवितरमाकवितरम-चतरयालरयभरयः अरघयरय_ विन 0 साहा

षष-षानतर-पतष नदीशवर रयाविन च मदरष |रयावित चतरयारयतनाविन लोक साभिण द जिजनपगाना ||

अविन ndash तल ndash गताना कवितरमाकवितरमाणान ndash भन ndash गताना दिदवय ndash माविनकाना |इह मनज ndash कताना दराजारचिचतानाजिजनर ndash विनलरयाना भातोऽह समरामिम ||

जब-धातविक-पषकरादध-सधा-कषतर तररय रय भाःचनदराभोज-भिशखविb-कणठ-कनक-परागघनाभा जिजनाः |समरयगजञान-चरिरतर-लकषण-धरा दगधाCकमनधनाः |भतानागत-तमान-समरय तभरयो-जिजनभरयो-नमः ||

शरीमन मरौ कलादरौ रजत-विगरिरर शालमलौ जबकषकषार चतरयकष रवितकर रलिचक कbल मानषाक |इषाकारऽनजनादरौ दलिध-मख-भिशखर वयनतर सगलोकजरयोवितलकऽभिभद भन मविहतल रयाविन चतरयालरयाविन ||

ौ कदद-तषार-हार-धलौ ाविदरनील-परभौौ बधक-सम-परभौ जिजनषौ ौ च विपररयगपरभौ |

शषाः षोbश जनम-मतरय-रविहताः सतपत-हम-परभाःत सजञान-दिदाकराः सरनताः लिसदधिदध पररयचछत नः ||

ॐ हरी कवितरमाकवितरम- चतरयालरय समबनधिनध चतरविशवित जिजनविबमबभरयोऽरघयरय_ विनपामीवित साहा ||

इचछामिम भलिN

इचछामिरम भत चइयभभितत काओस=गो कओ तससालोचउ |अहलोय तितरिरयलोय उडढलोयममिमरम तिकदिटटरमातिकदिटटरमाभिणजाभिण जिजणचइयाभिण ताभिण सववाभिण तीसतिव लोयसभवणवाशिसय वाण-किवतर-जोयशिसय-कपपवाशिसय भिततचउतिवहा दवाः सपरिरवारा दिदववण गधण दिदववण पफफणदिदववण धवण दिदववण चणणण दिदववण वासणदिदववण णहाणण भिणचचकाल अचचतित पजजतित वदतित णरमससतित |अहरमतिव इह सतो ततथ सताइ भिणचचकाल अचचमिरम पजजमिरमवदामिरम णरमससामिरम | दकखकखओ कमरमकखओ बोतिहलाहोसगइगरमण सरमातिहरमरण जिजणगणसपतती होउ रमजझ |अरथ पौवा13मिहनक-रमाधयामिहनक-आपरामिहनक-दववदनाया-पवा13चाया13नकररमण सकल-करम13-कषयारथs भावपजा-वदना-सतव-सरमतशरीपचरमहागर-भचिकत कायोतसगs करोमयहरम ||

(इस परकार आशीवा13द रप पषपाजशिल कषपण कर)

जाव अरिरहताण भयवताण पजजवास करमिरमताव काय पावकमरम दचचरिरय वोससरामिरम |णरमो अरिरहताण णरमो शिसदधाण णरमो आइरिरयाण |णरमो उवजझायाण णरमो लोए सववसाहण ||

(नौ बार णरमोकार रमS 27 शवासोचछवासो रम जाप कर)

शातित पाठशावितनाथ मख शभिश उनहारी शीलगणवरत सरयमधारी

लखन एक सौ आठ विराज विनरखत नरयन कमल दल लाज

पचम चकरतordf पदधारी सोलम तीथ_कर सखकारी

इनदर नरनदर पजरय जिजननारयक नमो शावितविहत शावित विधारयक

दिदवय विटप पहपन की रषा ददभिभ आसन ाणी सरसा

छतर चमर भामbल भारी रय त परावितहारय मनहारी

शावित जिजनश शावित सखदाई जगत पजरय पजो लिसरनाई

परम शावित दीज हम सबको पढ जिजनह पविन चार सघ को

पज जिजनह मकटहार विकरीट लाक इनदरादिदद अर पजरयपदाबज जाक

सो शावितनाथ र श जगतपरदीप मर लिलए करह शावित सदा अनप

सपजको को परवितपालको को रयतीनको को रयवितनारयको को

राजा परजा राषटर सदश को ल कीज सखी ह जिजन शावित को द

हो सारी परजा को सख बलरयत हो धमधारी नरशा

हो रषा समरय प वितलभर न रह वयालिधरयो का अनदशा

हो चोरी न जारी ससमरय परत हो न दषकाल भारी

सार ही दश धार जिजनर षको जो सदा सौखरयकारी

घावित कम जिजन नाश करिर पारयो कलराज

शावित करो त जगत म षभादिदक जिजनराज

(तीन बार शावित धारा द)

शासतरो का हो पठन सखदा लाभ ततसगवित का

सततो का सजस कहक दोष ढाक सभी का

बोल परयार चन विहतक आपका रप रधवारयाऊ

तौलौ सऊ चरण जिजनक मोकष जौलौ न पाऊ

तब पद मर विहरय म मम विहरय तर पनीत चरणो म

तबलौ लीन रहौ परभ जबलौ पारया न मलिN पद मन

अकषर पद मातरा स दविषत जो कछ कहा गरया मझस

कषमा करो परभ सो सब करणा करिरपविन छडाह भदःख स

ह जगबनध जिजनशवर पाऊ तब चरण शरण बलिलहारी

मरणसमालिध सदलभ कमreg का कषरय सबोध सखकारी

(पषपाजलिल कषपण)

(रयहा नौ बार णमोकार मतर का जाप कर)

शातित तिवधान पजाशरी शानविनतनाथ विधान भाषा (विहनदी)

परसताना

अरिरहनत जिजनशवर की अनपम छवि शानविनत सधा धर क उर म

भिशनाथ विनरजन कमजरयी बन जारय बस परभ भिशपर म१

मविननाथ तपोविनलिध सरिर सधी तपलीन रह विनत ही न म

शरत-जञान-सधा बरसात ह गर पाठकनद सभवयन म २

रतनतररय की लिचर जरयोवित जग तप-जाला कम विनाश कर

भ-भोग शरीर विरN सदा इजिनदररय सख की नविह आश कर ३

गनधकटी म विराजिजत परभ ह दिदवय रधवाविन उनकी तो खिखरी

गणराज न गथ क जञान-समन ादश अगो की माल री ४

मगलमरय लोक जिजनोततम ह मगलमरय लिसदध सनातन ह

मगलमरय सरिर सतत धनी मगलमरय पाठक क गन ह ५

मगलमरय ह साध जन जञान सधा रस लीन

जिजन परणीत र धम ह मगलमरय साधीन ६

सब ीपो क मरधवारय म जमब ीप अनप

लण नीर-विनलिध सतजहा खावितका-रप ७

पीछ धातविक-ीप ह दवितरय ीप शरवित सार

कालोदलिध चह ओर ह परिरखा क उनहार ८

पषकर नामक ीप ह कालोदलिध क पार

ताको आधौ भाग ल ढाई ीप समहार ९

ढाई ीप वितरकाल क असखरयात जिजनराज

नदनीरय ज लोक क नदो धम जहाज १०

चनदरकला सम जरयोवित मनोहर अग परभ क राजत ह

पदम पनीत-परभा-सम उजजल दह मनोजञ विराजत ह

कणठ-मरयर सकञचन नीरद तलरय सशोभिभत अग विभा

तीथशवर चौबीस अलौविककरप-विमगध सरनदरसभा ११

भत भविषरयत तमान क चौबीसो जिजनराज

रतनतररय स भविषत अनपमजग म रह विराज १२

अरिरहनत लिसदध वितरलोक पजिजत धमरधवाज आचारय को

मविननद क भिशकषापरदारयकपजरयपाठक आरय को १३

उन साधओ को जो विनरनतर जञान-रधवारयान-परीन ह

तप शानविनत की शलिच साधना म जो सदा तललीन ह १४

करक परणाम वितररयोग स म शानविनतनाथ विधान को

परारभ करता ह बढान भलिN-शरदधा-जञान को १५

लोक क सब गणधरो को भलिN शरदधा भा स

कनदकनदादिदक दिदगमबर मविनरो को चा स १६

करता परणाम विनरय सविहत म धम की हो विनत विजरय

विनरतिरघयन हो रयह पाठ परा ह रयही मरी विनरय १७

शानविनतनाथ भगान क गण ह अपरमपार

ाचसपवित णन कर तो भी पारय न पार १८

शानविनतनाथ विधान का फल

रयह शानविनतनाथ विधान विकसन कब कहा करयो कर विकरया

फल परानविपत जो उसको हई नरभ सफल उसन विकरया १

ततानत उसका म परसग सविहत रयहा णन कर

कलरयाण हो सनकर जगत का रधवारयान रयह मन म धर २

भरत-कषतर क आरय-खणb म भारत भ विखरयात सदश

मथरा नगर हा का शासक सरयश का वितलक नरश ३

राजनीवित म विनपण नरयारयविपररय ीर परजा का पालक भप

साम-दाम क दणb भद स शासन-सचालक अनरप ४

एक बार जब दरयोग स दरतिपाक न विकरया परकोप

गराम दता न करोलिधत होविकरया उपदर शानविनत विलोप ५

महाभरयकर वयालिध विषम अवित फलाई जब विकVर न

दिदन-परवितदिदन अवितपरबल ग स लोग लग परवितदिदन मरन ६

रोग परताडिbत हो जनता अर शासक न मथरा छोडी

वयाधी न कालकपाण लिलए सब जन की विहममत तोडी ७

शकल तररयोदशी क दिदन सहसा सठ समवित हा आए

बादल षा दख सत मन म अवित ही हषाए ८

मथरा नगरी म परश कर मिमल नही तहा नर-नारी

सनी नगरी दख- समवित तब हए दखिखत मन म भारी ९

दख जिजनालरय पज जिजनशवर मविन नारयक क रयग नद

दशन नदन भलिN विनरय कर विनज मन म अवित आननद १०

परशन विकरया तब सठ समवित न नाथ उपारय बता दीज

होगी शानविनत मनीशवर कस विलिधपक समझा दीज ११

चारण ऋभिदधधारी मविनर कह चन अवित सखदाई

शानविनतनाथ जिजन शानविनत विधारयक पज रचो मन हषाई १२

मतरोचचार ॐ नमोऽहत भगत शरी शानविनतनाथारय ॐ हरा हरी हर हरौ हर अ लिस आ उ सा अमकसरय सपदर शानतिनत लकषमीलाभ च कर कर नम (साहा)

विधान क जाप मतर का फल

इस मनतर राज क जपन स मन शदध शानत हो जाता ह

होत ह विरघयन विनC सभी शभ पणरयकोष भर जाता ह १३

धन समपवित अलिधकार परापत हो रयह तो ह साधारण बात

मन मजिनदर म जञान सरय का होता उजजल दिदवय परभात १४

विधान का समरय

इसका विलिध विधान ह भवयो सनो शदध मन स धर रधवारयान

सोलह दिदसी शकलपकष मपरथमदिदस स करो विधान १५

जिजन पजा क प रयनतर का ससथापन पजन शभ कारय

सहसमनतर का जाप करो विनतषोbसदिदन तक सविलिध सआरय १६

पजा क महा विधान म दीप धप फल पषप सगनध

भलिNभारयत करो समरतिपतअशभकम का होरय न बनध १७

शरी शानविनतनाथ सतन

ससार सागर म भटकत पराभिणरयो को ह परभो

आपक ही रयग चरणशभ शरण द सकत विभो

दाानविगन दख-सनताप की सतर ध-ध जल रही

अनराग मारया मोह की छलना विनरनतर छल रही १

करोलिधत भजगम क bस बह पराभिणरयो क गातर म

गारडी-विदया परशम करती ह रयथा कषण मातर म

परभ आपक चरणामबजो का रधवारयान करत भलिN स

सब विरघयन बाधाए विलरयहोती विनजातम शलिN स २

तपत सण क तलरय आप क दिदवय चरण का विनमल रधवारयान

भ-सागर म पड पराभिणरयो क तारण विहत बनता रयान

गीता छद

जरयो रयामिमनी क घन-वितमिमर म लपत भ-आलोक हो

उदयद दिदाकर रडिशमरया करती परकाभिशत लोक को ३

जब तक नही होता उदरय रवि रडिशम का ससार म

तब तक कमलशरी सपत रहती ह सतत कासार म

जब तक नही होती कपा भगान क रयगचरण की

तब तक नही रयह टटती जजीर जीन-मरण की ४

समरथ लोक-अलोक क विजञान म जिजनर परभो

तररयछतर की सषमा विराजिजत जञान म दिदनकर परभो

हो पापकषरय कषणमातर म पदपदम क गणगान स

दपानध लिसह-गजनदर भाग सहज जिजनक रधवारयान स ५

परतरयष ला क ललिलत उजजल दिदाकर सा विमल

जिजननाथ भा-मणbल तमहारा सोहता सरणिणम कमल

दिदवयागनाओ क नरयन मन कर परफडिललत मोहता

तरलोकरय क तम-तोम को करता विदरिरत सोहता ६

बाधारविहत शाशवत विनराकल अनरयतम सख समपदा

नाथ क चरणारविनदो क समागम स सदा

परापत करत भN जन ह भलिN क आधार स

आ रय करया रयदिद पार हो ससार ndash पाराार स ७

ह शानविनतनाथ जिजननदर तर भN विनत पात कपा

भदख स सनतपत जन क हत बन जाती परपा

दर होत दख-दारण नाथ की शभ भलिN स

जरयो घनवितमिमर ह दर होता रविविकरण की शलिN स ८

शरी शानविनतनाथ जिजननदर क इस ससतन को भा स

जो भवयजन पढत विनरनतर ह विनरय स चा स

परिरणाम उनक हो विमल सब विरघयन बाधाए टल

कलरयाण मजिनदर क पलिथक मलिN क पथ पर चल९

विधान परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन ndash मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

सण कलश म जल ल जो विनत जिजन पद पजन करत ह

विन रय ही राजवितलक कीअनमोल समपदा रत ह १

ॐ हरा हरी हर हरौ हर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय जनम जरा मतरय विनाशनारय जल विनपामीवित साहा

कशर कपर चनदन ारा जिजनर क चरणो का अचन

जो करत ह सगreg तक म सरभिभत होत ह उनक तन २

ॐ भरा भरी भर भरौ भर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय ससारताप विनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा

परभ क चरण कमल की पजा विनमल अकषत स करत

कामद सा पा शरीर दीघ आरय जीन धरत ३

ॐ मरा मरी मर मरौ मर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अकषरय पद परापतरय अकषतान विनपामीवित साहा

जो कनद चमली क ारा करत परभ पद पङकज- पजन

पषपोततर विमान ारा समपण सफल करत जीन ४

ॐ रा री र रौ र जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय कामबाण-विरधवानारय पषप विनपामीवित साहा

उजजल सण पातर म लकर सदय पक नदय विमल

अरतिपत करत परभ चरणो म पा जात कलप कष क फल ५

ॐ घरा घरी घर घरौ घर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय कषधारोग विनाशनारय नदय विनपामीवित साहा

उजजल कपर दीप ारा जिजनर की सौमरय आरती स

उदभालिसत कल जोवित जग उसम सनदीपत भारती स ६

ॐ ा ी ौ जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विनपामीवित साहा

चनदन कपर धप ारा जिजनर की शभर अचना स

पाऊ विनरोगतन कानविनतमरयी परभ की विनभिश रयाम नदना स ७

ॐ शरा शरी शर शरौ शर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अCकम विनाशनारय धप विनपामीवित साहा

शरीफल कदली इतरयादिदक स शरी जिजनक चरणो का पजन

मनालिछत फल पात ह पजन जो करत ह भवि जन ८

ॐ खरा खरी खर खरौ खर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय मोकषफल परापतरय फल विनपामीवित साहा

अC दरवय मरय अघररय विमल ल शानविनतनाथ परभ का पजन

करत ह जो भवय शतनदरो स जिनदत हो दिदवय चरण ९

ॐ अ हरा लिस हरी आ हर उ हरौ सा हर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपद परापतरय अघररय विनपामीवित साहा

जरयमाला

जञानरप ओकार नमसत हरी मरधवारय परभ शानविनत नमसत

सनातकरतिष अरिरहनत नमसत दरया धम-परिरपण नमसत१

एकानक-सरप नमसत शरी मचचकराधीश नमसत

शानविनत दीनविपत भिश रप नमसत जञान गभ विनज रप नमसत२

नाना भाषा बोध नमसत आशा पाश विहीन नमसत

पान-गण गण गीत नमसत अC कम-विरधवास नमसत ३

तीथ_कर पद पत नमसत पर सकलप- विहीन नमसत

मलिN ध क कनत नमसत समरयक चारिरत दकष नमसत ४

आतम सभा लीन नमसत रतनतररय- सरयN नमसत

आतम बोध परिरपण नमसत उभरय लोक सखदारय नमसत ५

करणा सागर नाथ नमसत ाणी विशव विहतारय नमसत

शानविनतनाथ परमश नमसत तीवर गरल-हर दकष नमसत ६

करश अतस नमसत ऋविष लिचत हरतिषत करण नमसत

कल करमकारिर जिजननदर नमसतसदा विलिचतर सरप नमसत ७

हरी बीज रशामिरय नमसत धीर ीर भननदर नमसत

विरघयनविनाशक शानविनत नमसत पराभिण नाथ त नाम नमसत ८

भरय हता विनभordfक नमसत दिदवय धनी भिश रप नमसत

धम धरधर धीर नमसत विनज चतनरय लीन नमसत ९

शानविनत जिजनाCक को जो भविजन धार विनतरय हदरय म

सख समपवित ऐशवरय परापत हो सशरय नही विजरय म १०

ॐ हरी जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

परथम लरय पजा परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तबकषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

ह बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन१

ॐ हरी अशोकतरसतपरावितहारय-मचचिणbतारय अशोकतररयNपदपरदारय हमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

भ बीजाकषर का आशररय लकरता शानविनतनाथ पजन २

ॐ हरी सरपषपविCसतपरावितहारय मचचिणbतारय सरपषपविCरयNपदपरदारय भमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

म बीजाकषर का आशररय लकरता शानविनतनाथ पजन३

ॐ हरी दिदवयरधवाविनसतपरावितहारय मचचिणbतारय दिदवयरधवाविनरयNपदपरदारय ममलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

र बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन ४

ॐ हरी चामरोततोलनसतपरावितहारय मचचिणbतारय चामरोततोलनरयNपदपरदारय मलवररय_ बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

घ बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन५

ॐ हरी लिसहासनसतपरावितहारय मचचिणbतारय लिसहासनरयNपदपरदारय रघयमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

झ बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन६

ॐ हरी भामbलसतपरावितहारय मचचिणbतारय भामbलरयNपदपरदारय झमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

स बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन ७

ॐ हरी दनदभिभसतपरावितहारय मचचिणbतारय दनदभिभरयNपदपरदारय समलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

ख बीजाकषर का आशररय लकरता शानविनतनाथ पजन८

ॐ हरी छतरतररयसतपरावितहारय मचचिणbतारय छतरतररयरयNपदपरदारय खमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

ह भ म र घ झ स ख बीजरयत णन कर भरपर

सतोतर अघररय स पजत विरघयन ग हो दर ९

ॐ हरी अCपरावितहारय सविहतारय अCबीजमbनमचचिणbतारय सविरघयनशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय पणाघररय विनपामीवित साहा

वितीरय लरय पजा परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

भलिN भा रयत परभ पजन को इनदर जिजनालरय जा

तीथ_कर पदी क कारण शरी जिजनक गण गा

शरी जिजन परभ क पद पङकज की पजा इनदर रचा

दशन जञान अननत सखामत बल विकरम पा १

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमानस अहतपरमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अC कम स मN विनरजन लिसदध सरपी राज

कषामिरयक समरयक आदिद गणोततम सीमातीत विराज

भत भविषरयत तमान क लिसदध अननत विनरजन

विनजसरप म लीन परभ का करता पजन दन २

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमान सलिसदध-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पञचाचार- विभविषत गरर आतम-जरयोवित जगा

जञान तपो विनलिध कम दलन को रधवारयान-कठार उठा

शानविनत सधाकर की शलिच शीतल रडिशम-परकाश परसार

सघ चतरतिध क अलिधनारयक काम-महारिरप मार३

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमान-साचारय-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझतविनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

ादश अग विभविषत मविनर पाठक साध सधी क

मान विमदन करत विनमद आतम सधा रस पी क

रधवारयाना-रधवारयरयन विनरनतर जिजनक भिश-साधन दशा

इCा-विनC सरयोग विरयोग हष-विषाद नशा ४

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद- तमान-सपाठक-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जञान रधवारयान तप लीन विनरनतर समता-सादक रयोगी

विषरयातीत-सरप जिजतजिनदररयआतम सरस क भोगी

रधवारयान कपाण लिलए मविन रयोगी कम-महारिरप मार

गण Ÿोणी रयत कर विनजरा विनज गण रप विचार ५

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमान-ससाध-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पचचीस दोषो स रविहत अCाङग समरयग दशनम

अहनत आगम गररो काम करो विनत अचनम ६

ॐ हरी जगदापविनाशनहत शदधसमरयकतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान-बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

ादशाङग जिजननदर-ाणी जञान ndash दोष ndash विरजिजतम

समरयखिगभविषत आतम जरयोवित परकाश को शत नदनम ७

ॐ हरी जगदापविनाशनहत शदधसमरयजञानामलतर-खणbोडिजझत-विनदान-बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

गनविपतरया तररय समिमवित पाचो और पञच महावरतम

तरह परकार चरिरतर समरयक का करो म पजनम ८

ॐ हरी जगदापविनाशनहत शदधसमरयकताचारिरतरामलतर-खणbोडिजझत-विनदान-बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जञानारणी पञच परकवितरया परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी ९

ॐ हरी जञानारण-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

दशनारणी कम परकवित न परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी१०

ॐ हरी दशनारण-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

दनीरय विलिध सखदख दारयक परभ न उभरय विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी११

ॐ हरी दनीरय-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अCा-विशवित परकवित मोह की परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १२

ॐ हरी परचणbमोहनीरय-कमबध-बधनकत सवित ततकम-विपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

आरय कम की परकवित चार ह परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १३

ॐ हरी आरय-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनत नाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नाम कम की परकवित नवित तररय परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १४

ॐ हरी नाम-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनत नाथारय अघररय विनपामीवित साहा

गोतर कम की परकवित शभाशभ परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागरपजो पद अविनाशी १५

ॐ हरी गोतर-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अनतरारय विलिध पञच परकवितरया परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १६

ॐ हरी अतरारय-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

दशन जञान चरण स भविषत पञच परम पद पाऊ

शानविनतनाथ जिजन क चरणो म विनत परवित अघ चढाऊ १७

ॐ हरी पचपरमविषठ-पदपरदारय दशन-जञान-चारिरतर-कारकारय अCकमविनारणारय शरीशानविनतनाथारय पणाघररय विनपामीवित साहा

ततीरय लरय पजा परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

विनज-परिरार सविहत असरो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा १

ॐ हरी असरकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत नागो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा २

ॐ हरी नागकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत विदयत क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ३

ॐ हरी विदयतकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत सपण क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ४

ॐ हरी सपणकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत पाक क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ५

ॐ हरी अनविगनकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत मारत क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ६

ॐ हरी ातकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत मघो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ७

ॐ हरी सतविनतकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत सागर क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ८

ॐ हरी उदलिधकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत ीपो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ९

ॐ हरी ीपकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत दिदकसर क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १०

ॐ हरी दिदककमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत विकVर क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ११

ॐ हरी विकVरनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विकमपरषो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १२

ॐ हरी विकमपरषनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

महोरगो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १३

ॐ हरी महोरगनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

गध क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १४

ॐ हरी गनधनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

रयकषसरो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १५

ॐ हरी रयकषनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

राकषसगण क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १६

ॐ हरी राकषसनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भतसरो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १७

ॐ हरी भतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

सरविपशाच क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १८

ॐ हरी विपशाचनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जरयोवितविषरयो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १९

ॐ हरी चदरनामकनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जरयोवितविषद परतीनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २०

ॐ हरी भासकरनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इदरामर सौधम सग क भN जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा २१

ॐ हरी सौधमनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इदरामर ईशान सग क भN जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २२

ॐ हरी ईशाननदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

सनत सग क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २३

ॐ हरी सनतकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इनदरामर माहनदर सग क भN जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २४

ॐ हरी माहनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

बरहमसग क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २५

ॐ हरी बरहमनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लानत क सर इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २६

ॐ हरी लानतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शकर सग क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २७

ॐ हरी शकरनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथपदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शतारनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २८

ॐ हरी शतारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

आनतनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २९

ॐ हरी आनतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराणतनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ३०

ॐ हरी पराणतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

आरणनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ३१

ॐ हरी आरणनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अचरयतनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ३२

ॐ हरी अचरयतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

बततीस इनदरो स परपजिजत शानविनतनाथ जिजनश को

परिरपण अघ चढारय पाऊह परभो भिशलोक को ३३

ॐ हरी चतरणिणकारयदनदरपजिजतारय शरीशानविनतनाथारय पणाघररय विनपामीवित साहा

चतथ लरय पजा परारभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

सतवितलका छद

मन क विकार सब नाशन हत तरी

पजा परशात करती लगती न दरी

ह शानविनतनाथ भगन भतापहारी

सादर परणाम तमको अघ नाशकारी १

ॐ हरी मानलिसक विकारोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

ाणी पररयतनकत दोष विनारन को

पजा समथ भविजनम सधारन को

ह शानविनतनाथ भगन भतापहारी

सादर परणाम तमको अघ नाशकारी २

ॐ हरी ाचविनक विकारोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

कारया कठार कत पाप परणाशकारी

अचन सशN सतर परदोषहारी

ह शानविनतनाथ भगन भतापहारी

सादर परणाम तमको अघ नाशकारी ३

ॐ हरी कामिरयक-पापोदभोपदरविनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

राजरयशरी पर गह नाश सो होरय उपदर भारी

उनक नाशन हत परभ की पजा मगलकारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ४

ॐ हरी राज-लकषमी-पर-गह-पदभरCोद-भोपदर-विनारकारय शरी शानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पपारजिजत कम उदरय सो घोर विपलितत सता

लकषमी हीन दरिरदरी नर विनत तीवर महा दख पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ५

ॐ हरी दारिरदरोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भीम भगदर कC जलोदर आदिदक रोग घनर

वयालिध उपदर कम विनाशन हत जजो पद तर

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ६

ॐ हरी भीम-भगदर-गलिलतकषठ-गलम-जलोदर-रN-विपतत-कफ-ात-सफोटकादयप-दर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इC विरयोग अविनC रयोग स जी महा दख पा

विनज परिरणवित को भल मोही आत रौदर उपजा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ७

ॐ हरी इCविरयोगाविनCसरयोगोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विनज सना ा पर सना कत घोर उपदर आ

धमाराधन रधवारयान विमख तब पराभिण महा दख पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ८

ॐ हरी सचकर-परचकरोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

नाना आरयध दह विनाशक घोर उपदर आ

आत रौदर की परिरणवित वयाप कोई नही बचा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ९

ॐ हरी विविधारयधोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जलचर पराणी दC नकर औ मतसरय महा भरयकारी

कम उदरय जल बीच सतावयाकल हो नरनारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १०

ॐ हरी दCजलचरजीोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

न पत क मरधवारय चतषपद लिसह गजादिदक परानी

आकरामक न विनतरय सता कर दC मनमानी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ११

ॐ हरी वयाघर-लिसह-गजादिदक-न-पत-ालिसशवापदादयपदर-विनारकारय शरीशानविनत नाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भचर खचर करर जी कत तीवर उपदर आ

आशापाश बधा रयह पराणी परपरणवित लिलपटा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार १२

ॐ हरी भचर-गगनचर-करर-जीोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भीम भजगम भि क भीषण घोर विषल पराणी

विषम हलाहल दत दशन स पीडिbत हो जग पराणी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १३

ॐ हरी वयाल-भि कादिद-विष-ददरधरोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नख शगादिदक तीकषण विषल जीो क दखकारी

कम असाता पररिरत पराणी भगत दख अवित भारी

शानविनतनाथ क पद पकज जोमन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १४

ॐ हरी दCजी-पद-कर-नखोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

न पशओ क दाढ सीग नख अवित विकराल घनर

चच तb दतादिदक कत दख घोर असाता घर

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १५

ॐ हरी चच-तb-दाढ-कटकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

दाानल न मरधवारय भरयकर खग मग कष जला

जी असाता कमदरय स घोर महा दख पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार१६

ॐ हरी दाानलोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

घोर परचb पन का दजरय ग भरयकर धा

सागर मरधवारय परचb लहर की भीम भर लहरा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १७

ॐ हरी परचणb-पनोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नौका पोत सफोट उदलिध म दारण दख परदाता

सागर मरधवारय पतन जब हो कम विपाक असाता

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १८

ॐ हरी नौका-सफोट-पतनोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

न पत भमbल मरधवारय उदिदत उपदर भारी

परभ पजा स दर सभी हो फल हो मगलकारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १९

ॐ हरी न-नग-मदिदनी-भरयकरोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

सरिरता सागर कप सरोर झील जलाशरय ापी

इनक उपसगreg स रकषण पाता पीडिbत पराणी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २०

ॐ हरी नदी-सरोरानधिEcirc-कप-हदोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विदयतपात भरयकर षा ओला पाला पानी

द विपाक अनक उपदर पीडा की मनमानी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २१

ॐ हरी विदयतपातादिद-भीमामब-षटयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

रयदधसथल क मरधवारय शतर दल श अनक चला

कम असात अकाल मरण दख सब ही पराणी पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २२

ॐ हरी सगराम-सथलादिदविनकटोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

bाविकविन शाविकविन भत परत अर चोर विपशाच घनर

कमreg क परिरपाक विषम सो रहत विनशदिदन घर

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २३

ॐ हरी bाविकनी-शाविकनी-भत-विपशाचादिदभरय विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

उचचाटन सममोहन थमभन घोर उपदर आ

विदया दC विविध रपो म आकर विनतरय सता

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २४

ॐ हरी मोहन-सतमभनोचचाटन-परमख-दCविदयोपदर विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

दC नगरह कत पीडाए कम उदरय स आ

अजञानी मिमथरयाती मरख कगर कद मना

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २५

ॐ हरी दCगरहादयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लोह शखला क दढ बधन अग उपाग दखा

पीडिbत जी महा दख पाकर हाहाकार मचा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २६

ॐ हरी शखलादयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अलप आरय कत कम रयोग स जनम मरण दख भारी

मन म वयापत परचb विकलता दखिखरया सब ससारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २७

ॐ हरी अलपमतरयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कम उदरय दरणिभकष उपदर अVाभा सता

जठरानल की भीषण जाला पराणी को विबलखा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २८

ॐ हरी दरणिभकषोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अतरारय रयह लाभ विरोधी कम उदरय जब आ

वयापारादिदक भिदध न हो धन समपलितत नशा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २९

ॐ हरी वयापारभिदध-रविहतरयोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

सबधी परिरार भरात सत बन अकारण बरी

घोर उपदर कर विनरतर वयाप विपद घनरी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ३०

ॐ हरी बधतोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अकटमबी सतान विबना विनत अवित सकलभिशत हो

मिमथरया मोह उदरय स पररिरत पराणी रो धो

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ३१

ॐ हरी अकटमबतोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पाप उदरय अपकीरतित दखद हो आकलता उपजा

मन सताप महा दख जाला सब सख शानविनत जला

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ३२

ॐ हरी अपकीतररयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विशव विहतारय उदार भाना विनमल मगलकारी

समरयकदशन जञान चरिरत रयह हो सद विहतकारी

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३३

ॐ हरी समपणकलरयाण-मगलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लिचतामभिण क तलरय लाभपरद शानविनत परभ को रधवारया

कर अचना विनतरय चा स अवितशरय शभ फल पा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३४

ॐ हरी लिचतामभिणसमान-लिचवितत-फलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कलपकष क समफल दाता पाप-ताप विनशारय

शानविनत जिजनशवर का आराधन शभ मगल महकाए

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३५

ॐ हरी कलपकषोपमकचचिलपताथ-फलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कामधन क तलरय अनपम स मनोरथ दाता

रयही अचना मगलकारी सख आनद परदाता

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३६

ॐ हरी कामधनपमकामनापण-फलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

परम समजजल रधवारयान धर तो मट पथ की बाधा

रयही अचना मगलकारी हर लती दख बाधा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३७

ॐ हरी परमोजजल-धमरधवारयान-बाधारविहतारय-अनदयबोधपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

तरलोकरय क सब पराभिणरयो को नतर का उतस कर

मनलिसज सदश सौनदरय पा जो परभ पजा कर

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३८

ॐ हरी कामदसरपपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कपर चदन अगर पकज तलरय सरभिभत दह हो

रयदिद शानविनत जिजन की अचना म अमल विन ल नह हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३९

ॐ हरी सगलिधतशरीरपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भवयामबजो को विनत परफडिललतनाथ का भामणbलम

रवि रडिशमत करता परकाभिशत शानविनतजिजन गणमbलम

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४०

ॐ हरी तरलोकरयनाथाहलाद-कारक-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कषीर सागर की समजजल अमल लहरो स धल

दता गात विनरतर आपक सदगण विमल

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४१

ॐ हरी परमोजजल-गणगण-सविहत-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

ाचसपवित क तलरय विनमल विशद-परवितभादामिरयविन

आपकी ह अचना जरयो परणिणमा की चादनी

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४२

ॐ हरी ाचसपवितसमान-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नविनलिध चतदश रतन का सामिमत जो चकरश को

नर द इदर नरनदर दिदत पजता तीथश को

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरीशानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४३

ॐ हरी चकररतित-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपद-परापतरय अघररय विनपामीवित साहा

दोनो कलो की कीरतित को विनज गण विभविषत जो कर

मलिN रमा रती उनह जो शानविनतजिजन पजा कर

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४४

ॐ हरी उभरयकल-कमल-विकासन-परवितविषठत-गणमचचिणbतारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अचना शभभा स अरिरहत की जो विनत कर

शराकोततम वरतधरन सद बभिदध को नर र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४५

ॐ हरी शराक-सततकरण-बभिदधपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शारदी न जरयोतसना सम कीरतित का विसतार हो

परभ अचना ही मातर इक जो पराण का आधार हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४६

ॐ हरी परमोजजल-कीरतितपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कलरयाण कतररी राज लकषमी धनद सम नर र

जिजन राज की शभ भाना स जो सतत पजा कर

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४७

ॐ हरी कलरयाणकर-राजधनदसम-लकषमीपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

वितरय_च नारक भ कभी जिजन भN को मिमलता नही

नर द भ शभ लोक म परभ भN पात हर कही

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४८

ॐ हरी नरक-वितरय_च-गवितरविहत-नर-सर-गवितसविहत-भपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भाना षोbश विमल परभ अचना स परापत हो

तीथ_कर पदी मिमल जिजसस विक विन रय आपत हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४९

ॐ हरी षोbशकारण-भाना-साधन-बलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

लोक दलभ सपन सोलह नाथ माता दखती

एक जननी पद परस पजा सविहत अलोकती

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५०

ॐ हरी जिजनजननी-तलरयकजननी-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

तीथश न सर शल पर होता विशद अभिभषक ह

जिजन अचना का हदरय जिजनक परकट विमल विक ह

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश कीम विनत कर आराधना ५१

ॐ हरी मरभिशखर-सनानरयN-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

ससार भोग शरीर स विनद दीकषा दारयकम

नर जनम परभ की अचना स मिमल शभभिश कारकम

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५२

ॐ हरी लिसदधसाभिकष-दीकषाकारिर-भपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजन चदर क सालोक शासन क असीम परभा स

सहनन जर षभ तथा नाराच पजन भा स

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५३

ॐ हरी जरषभनाराच-सहनन-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

रतनतररयामत स विभविषत रधवारयान क उपरयोग स

विनमल रयथा विखरयात हो जिजन अचना क रयोग स

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५४

ॐ हरी रयथाखरयात-रतनतररयाचरण-रयN-बलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विनज रधवारयान म तललीन आतम साद अमत चख सक

तीथश शानविनत जिजनश पजन स विनजातम लख सक

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५५

ॐ हरी सातम-रधवारयानामत-सादसविहत-भपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

राजती बारह सभा जिजन समसरण सदा

तरलोकरय पवित की अचना स परापत होती सख परदा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५६

ॐ हरी समसरण-विभवित-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजनराज परभ की दिदवय रधवाविन दिदनरात म चौबार हो

जिजसका शरण कर भविक को कलरय अपरपार हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५७

ॐ हरी सतकलजञान-विभवित-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अC कमreg स रविहत गण अC रयत परमातमा

विनभरय विनरजन लिसदध पद पाता सधी धमातमा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५८

ॐ हरी विनरजन-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लिचतत को आनद दती नाथ की दिदवयाचना

परभ क पजारी की कर सर लोक म सर दना

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५९

ॐ हरी लिचदानद-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजनक विमल मखचदर स अमतचन अनपम झर

तरलोकरय की विनलिधरया सकल परभ क पजारी को र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६०

ॐ हरी चनानद-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजननाथ क तन की अलौविकक दिदवय अण अण की परभा

दखकर होती परफडिललत हष स बारह सभा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६१

ॐ हरी कारयानद-करण-समथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

साथ गreg का परशाधक नाथ मनसा लिचतनम

तीथश की दिदवयाचना का ह महत अवितशरय फलम

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश कीम विनत कर आराधना ६२

ॐ हरी अथग-लिसभिदध-साधन-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

परभ क गणो का ससतन विनज ाभिण ीणा स कर

काम ग परसालिधनी उतकC मविहमा को र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना६३

ॐ हरी कामग-लिसभिदध-साधन-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

जिजननाथ पजा स सफल विनज दह को जो नर कर

आ रय करया रयदिद मोकष लकषमी को सहज ही र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६४

ॐ हरी मोकष-परषाथ-लिसभिदध-साधन-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विनरचिलपत शरी जिजनराज चौसठ ऋभिदधरयो क नाथ ह

शत इदर क झकत सतत पद पकजो म माथ ह

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश कीम विनत कर आराधना ६५

ॐ हरी चतषविषठ-ऋभिदधसमानागारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शत एक विशवित तीथकर जिजनचदर की पजा करो

विरघयनौघ क शानतरयथ म पणाघररय चरणो म धरो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६६

ॐ हरी शतकिशवित-कोषठ-सथाविपतारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अरिरहत क अवितरिरN कोई ह नही जग म शरण

ससार सागर म परभ क चरण ह तारण तारण

इतीCपराथना कता पषपाजिल भिकषपत

(विनमनाविकत मतर का १०८ बार जाप रया आहवितरया द)

ॐ हरी जगचछानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय नम सपदर-शानतिनत कर कर साहा

जरयमाला

शानविनतनाथ भगान क गण ह अपरपार

विनराधार ससार म भNो क आधार १

पचम शरी चकरीश ह ादश रवितनाथ

षोbश तीथश को सदा नाऊ माथ २

पदधरिर छनद

जरय शानविनत परभो लिचदरपराज जग जल विनलिध म अदभत जहाज

जरय कम विनाशक शानविनतनाथ जरय विरघयन विनाशक शानविनतनाथ

जरय गण ारिरलिध ह शानविनतनाथ जरय मलिNध क पराणनाथ

जरय आतम विहतकर शानविनतनाथ जरय कम विनाशक शानविनतनाथ

जरय पाप विनाशक शानविनतनाथ भनतररय-जञारयक शानविनतनाथ

जरय समरयक दारयक शानविनतनाथ भिशमाग-विधारयक शानविनतनाथ

जरय भगहभजन शानविनतनाथ जरय अलख विनरजन शानविनतनाथ

जरय ऐरासत शरी शानविनतनाथ वितरभनतराता विहत शानविनतनाथ

जरय शानविनतनाथ भिश क दारयक जरय विहत-सदशक अघहारक

जरय जनम-जरा-मत-सहारक जरय रोगशोक हर सखदारयक

भिश सख क साधन शानविनतनाथ भ भरय क भजक शानविनतनाथ

जरय मानबली क मद मदक जरय शानविनतनाथ गण गणधक

कमreg क दख सहारक हो भरय भत विपशाच विनारक हो

नगरहकत बाधा दर करो वयालादिद विपवित चकचर करो

जरय भवय सरोज दिदाकर हो जरय भिश सख पदम परभाकर हो

भवि जीन तारण कारण हो शरी शानविनतनाथ भिश नारयक हो

ॐ हरी जगचछानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय जरयमाला-पणाघररय विनपामीवित साहा

नम

ॐ हरी शरीमनत भगनत कपालसनत शरीषभादिद ndash महाीरपरयनत-चतरविशवित -तीथङक iuml रपरमद आदयाना आदय जमबीप भरतकषतर आरयखणb helliphelliphelliphelliphelliphelliphellipनानविमन नगरhelliphelliphelliphelliphellipमासानामततमhelliphellip मास शभपकष helliphellipवितथौhelliphellip ासरhelliphellip मनरयारयिरयका-शराक-शराविकाणा सकलकमकषरयाथ_ अनघपदपरापतरय समपणाघररय विनपामीवित साहा

चतरतिवश तीरथsकर सवतित पाठशरीषभो नः सचचिसत सचचिसत शरीअजिजतः |

शरीसभः सचचिसतसचचिसत शरीअभिभनदनः |शरीसमवितः सचचिसत सचचिसत शरीपदमपरभः |शरीसपाशवः सचचिसत सचचिसत शरीचनदरपरभः |शरीपषपदतः सचचिसत सचचिसत शरीशीतलः |शरी शररयानसः सचचिसत सचचिसत शरीासपजरयः | शरीविमल सचचिसत सचचिसत शरीअनतः |शरीधमः सचचिसत सचचिसत शरीशानविनतः |शरीकथः सचचिसत सचचिसत शरीअरहनाथः |शरीमडिललः सचचिसत सचचिसत शरीमविनसवरतः |शरीनमिमः सचचिसत सचचिसत शरीनमिमनाथः |शरीपाशवः सचचिसत सचचिसत शरीदधमानः |

इवित शरीचतरविशवित तीथ_कर-सचचिसत मगल विधान पषपाजलिल भिकषपामिम |

तिनवा13ण काडदोहा

ीतराग दौ सदा भासविहत लिसरनारयकह काb विनाण की भाषा सगम बनारय

अCापद आदीशवर सामी बास पजरय चपापरनामीनमिमनाथसामी विगरनार दो भा भगवित उरधार १

चरम तीथ_कर चरम शरीर पाापरी सामी महाीरभिशखर सममद जिजनसर बीस भा सविहत दौ विनशदीस २

रदतरारय रइद मविनद सारयरदतत आदिदगणदनगरतारर मविन उठकोविb दौ भा सविहत करजोविड ३

शरी विगरनार भिशखर विखरयात कोविb बहततर अर सौ सातसब परदमन कमार भारय अविनरदध आदिद नम तस पारय ४

रामचदर क सत ीर लाbनरिरद आदिद गण धीरपाचकोविड मविन मलिN मझार पााविगरिर बदौ विनरधार ५

पाb तीन दरविb राजान आठकोविड मविन मलिNपरयानशरी शतरजरय विगरिर क सीस भा सविहत दौ विनशदीस ६

ज बलभदर मलिN म गए आठकोविड मविन औरह भरयशरी गजपथ भिशखर सविशाल वितनक चरण नम वितह काल ७

राम हण सगरी सbील गगाखरय नीलमहानीलकोविड विनणरयान मलिN परयान तगीविगरी दौ धरिररधवारयान ८

नग अनग कमार सजान पाच कोविड अर अध परमानमलिN गए सोनाविगरिर शीश त दौ वितरभनपवित इस ९

राण क सत आदिदकमार मलिN गए रातट सारकोविड पच अर लाख पचास त दौ धरिर परम हलास १०

रा नदी लिसदधरकट पभि म दिदशा दह जहा छट चकरी दश कामकमार उठकोविड दौ भपार ११

बडानी बडनरयर सचग दभिकषण दिदभिश विगरिरचल उतगइदरजीत अर कभ ज कण त दौ भसागर तण १२

सरण भदर आदिद मविन चार पााविगरिरर भिशखर मझारचलना नदी तीर क पास मलिN गरय बदौ विनत तास १३

फलहोडी बडगराम अनप पभि म दिदशा दरोणविगरिर रपगर दततादिद मविनसर जहा मलिN गए बदौ विनत तहा १४

बाली महाबाली मविन दोरय नागकमार मिमल तररय होरय

शरी अCापद मलिN मझार त बदौ विनतसरत सभार १५

अचलापर की दशा ईसान जहा मढविगरिर नाम परधानसाड तीन कोविड मविनरारय वितनक चरण नम लिचतलारय १६

शसथल न क दिढग होरय पभि म दिदशा कनथविगरिर सोरयकलभषण दिदभिशभषण नाम वितनक चरणविन कर परणाम १७

जशरथराजा क सत कह दश कलिलग पाच सो लहकोदिटभिशला मविनकोदिट परमान दन कर जौर जगपान १८

समसरण शरी पाशवजिजनदर रलिसदीविगरिर नरयनानदरदततादिद पच ऋविषराज त दौ विनत धरम जिजहाज १९

सठ सदशन पटना जान मथरा स जमब विनाणचरम कलिल पचमकाल त दौ विनत दीनदरयाल २०

तीन लोक क तीरथ जहा विनत परवित दन कीज तहामनचकारय सविहत लिसरनारय दन करविह भविक गणगारय २१

सत सतरहसो इकताल आभिशवन सदी दशमी सविशालlsquoभरयाrsquo दन करविह वितरकाल जरय विनाण काb गणमाल २२

सवयमभ सतोS किहदीसवयभसतोS-भारषा

रमल (ससकत) रचना आचाय13 सरमतभदरभारषा (तिहनदी) अनवाद कतिवशरी दयानतरायतिवदवानो योतिगयो और तयागी-तपबधिसवयो क पजय सवारमी आचाय13 सरमतभदर सोतसाह रमतिन जीवन वयतीत कर रह रथ उस सरमय असाता वदनीय करम13 क परबल उदय स उनह lsquoभसरमकrsquo नारम का रमहारोग हो गया रमतिनचया13 क दौरान इस रोग का शरमन होना असभव जानकर उनहोन अपन गर स सAलखना धारण करन की आजञा चाही| गर रमहाराज न कहा तिक आप क दवारा जिजन-शासन की तिवशरष परभावना होनी ह सAलखना का सरमय अभी नही आया हरोग-शरमन हत पौमिषटक भोजन की आजञा लकर आपन दिदगमबर वरष का तयाग तिकया और काची रम रमशिलन वरषधारी दिदगमबर रह राजा न उनह सही-सही परिरचय बतान क शिलए कहा सरमतभदर न कहा तिक रम आचाय13 ह शासSारचिरथयो रम शरषठ ह पलपिणडत ह जयोतितरषी ह वदय ह कतिव ह रमातिSक-तातिSक ह ह राजन इस सपण13 पथवी रम रम आजञा शिसदध ह अमिधक कया कह शिसदध सारसवत ह और अब आपक समरमख जन-वादी खड़ा ह जिजसकी शशिकत हो रमझस शासSारथ13 कर लउनहोन चौबीस तीरथक13 रो का सतवन शर तिकया जब व आठव तीरथsकर चनदरपरभ का सतवन कर रह रथ तब चनदरपरभ भगवान की रमरतित परकट हो गरइ13इ सतवन पण13 हआ यह सतवन lsquoसवयभसतोSrsquo क नारम स परशिसदध ह यह करथा बर नमिरमदतत करथाकोश क आधार पर ह

(चौपारइ13इ छनद)राजतिवरष जगलतिन सख तिकयो राजतयाग भतिव शिशवपद शिलयो |सवयबोध सवयभ भगवान वद आदिदनारथ गणखान ||१||

इनदर कषीरसागर जल लाय रमर नहवाय गाय बजाय |रमदन तिवनाशक सख करतार वद अजिजत अजिजत-पदकार ||२||

शकलधयान करिर कररम तिवनाशिश घातित-अघातित सकल दख राशिश |लहयो रमकतितपद सख अतिवकार वद सभव भव-दख टार ||३||

रमाता पभिशचरम रयन रमझार सपन दख सोलह सार |भप-पशिछ फल सतिन हररषाय वद अभिभनदन रमन लाय ||४||

सब कवादवादी सरदार जीत सयादवाद-धतिन धार |जनधररम-परकाशक सवारम सरमतितदव पद करह परणारम ||५||

गभ13 अगाऊ धनपतित आय करी नगर-शोभा अमिधकाय |बरस रतन पचदश-रमास नरम पदरमपरभ सख की राश ||६||

इनदर फणीनदर नरनदर तिSकाल बानी सतिन-सतिन होकिह खशाल |दवादश सभा जञान-दातार नरम सपारसनारथ तिनहार ||७||

सगन शिछयाशिलस ह तरम रमाकिह दोरष-अठारह कोऊ नाकिह |रमोह-रमहातरम-नाशक दीप नरम चदरपरभ राख सरमीप ||८||

दवादशतिवध तप कररम तिवनाश तरहतिवध-चारिरS परकाश |तिनज अतिनचछ भतिव इचछकदान वद पषपदत रमन-आन ||९||

भतिव-सखदाय सरग त आय दशतिवमिध धररम कहयो जिजनराय |आप-सरमान सबतिन सख दह वद शीतल धरम13-सनह ||१०||

सरमता-सधा कोप-तिवरष-नाश दवादशाग-वानी परकाश |चार सघ-आनद-दातार नरम शरयास जिजनशवर सार ||११||

रतनSय शिसरा रमकटा तिवसाला सोभ काता सगना रमभिण रमाला रमशिकतनारा भतता13 भगवान वासपजय वद धारा धयाना 12

पररम सरमामिध-सवरप जिजनश जञानी-धयानी तिहत-उपदश |करम13 नाशिश शिशव-सख-तिवलसत वद तिवरमलनारथ भगवत ||१३||

अतर-बातिहर परिरगरह टारिर पररम दिदगबर-वरत को धारिर |सव13जीव-तिहत-राह दिदखाय नरम अनत वचन रमनलाय ||१४||

सात तततव पचासतितकाय नव-पदारथ13 छह दरवय बताय |लोक अलोक सकल परकाश वद धरम13नारथ अतिवनाश ||१५||

पचरम चकरवरतित तिनमिधभोग कारमदव दवादशरम रमनोग |शातितकरण सोलरम-जिजनराय शातितनारथ वद हररषाय ||१६ ||

बह रथतित कर हररष नकिह होय किनद दोरष गह नकिह कोय |शीलवान परबरहम-सवरप वद करथनारथ शिशवभप ||१७||

दवादश-गण पज सखदाय रथतित-वदना कर अमिधकाय |जाकी तिनज-रथतित कबह न होय वद अर जिजनवर-पद दोय ||१८||

परभव रतनSय-अनराग इहभव बयाह-सरमय वराग |बाल-बरहम-परन-वरत धार वद रमलपिAलनारथ जिजनसार ||१९||

तिबन उपदश सवय वराग रथतित लोकात कर पग लाग |नरम शिसदध कतिह सब वरत लकिह वद रमतिनसवरत वरत दकिह ||२०||

शरावक तिवदयावत तिनहार भगतित-भाव सो दिदयो अहार |बरसी रतन-राशिश ततकाल वद नमिरम परभ दीनदयाल ||२१||

सब जीवतिन की बदी छोतिड़ राग-दवरष दव-बधन तोर |राजल तजिज शिशव-तितय सो मिरमल नमिरमनारथ वद सख तिनल ||२२||

दतय तिकयो उपसग13 अपार धयान दगनिख आयो फतिनधार |गयो करमठ-शठ रमख कर शयारम नरम रमरसरम पारस सवारम ||२३||

भव-सागर त जीव अपार धररम-पोत रम धर तिनहार |डबत काढ़ दया-तिवचार वदध13रमान वद बह-बार ||२४||

(दोहा)चौबीसो पद-करमल-जग वद रमन वच काय |lsquoदयानतrsquo पढ़ सन सदा सो परभ कयो न सहाय |

दिदपतरयौहार ससकवित और सभरयता क परतीक ह तथा उनका समबनध भी पराचीन महततपण घटनाओ स जbा हआ ह| दीपाली हमार दश का परलिसदध तरयौहार ह| सभी लोग इस परम और उतसाह स मनात ह| इसस कई धम की कथारय जbी ह| कहा जाता ह विक मरयादा परषोततम शरी राम चनदर जी ारा दशहर क दिदन राण का ध करक इस दिदन अरयोरधवारया पधार थ पर विानो का मत ह विक इसका कोई शासतरीरय आधार नही ह| इसी दिदन शरी कषण जी न नरकासर का ध विकरया था| सतरही शताबदी म लिसखो क छठ गर शरी हरगोविबनद लिसह जी मगल बादशाह की कद स छट थ| इसी दिदन उVसी शताबदी म आरय समाज क ससथापक सामी दरयानद सरसती न तथा सामी रामकषण परम हस न शरीर तरयाग विकरया था| इस परकार सभी धम म अपनी-अपनी मानरयतानसार इस वितलिथ का महतत ह| मगर इस प का सीधा और सचचा समबनध जन धम क 24 तीथ_कर भगन महाीर सामी जी स ह| कारतितक कषण अमासरया की सपरभात की शभ बला म भगन महाीर सामी न चारो अघवितरया कमreg को भी नC करक विनाण परापत विकरया था| भगान क विनाण कलरयाणक की इनदरादिद न आकर बड धम धाम स पजा की थी| समराट शरभिणक आदिद नरनदरो न भी अपनी परजा क साथ महान विनाणोतस मनारया था| तभी स रयह प मनारया जाता ह| जन धम विकसी जावित ण सपरदारय रया पथ विशष का नाम नही ह करयोविक जन धम का परवितपादन करन ाल सभी 24 तीथ_कर कषवितररय थ और उनक अलिधकाश भिशषरय बराहमण थ| जन धम उस सत सरप का परवितपादन करता ह जो अनादिदकाल स ह और अनतकाल तक रहगा| जन धम पराणी मातर का धम ह| तीथ_कर महाीर न मान जीन की परतरयक विकररया को अविहसा क माप दb ारा मापा ह| एक जनम की साधना स कोई तीथ_कर नही बन सकता रयह तो अनक भो की साधना का फल ह| इस पद को पाना कोई साधारण बात नही इसक लिलए आतमा का पण विकास और परम विशभिदध आशरयक ह| भगान महाीर का सनदश कल विशववयापी ही नही अविपत साजाविनक और सकालिलक भी ह| उनक सनदश को हम रयदिद सकषप म कह तो विचारो म अनकात ाणी म सरयादाद आचरण म अविहसा और वयहार म अपरिरगरह क रप म वयN कर सकत ह|

इस पनीत भारत सधरा पर अबस 2600 ष पहल विबहार क कणbलपर गराम म माता वितरशला (विपररयकरिरणी) की ककषी स भगान महाीर न जनम लिलरया था| घर म रहत हए भी धमान सामी अतरयत विनरचिलपत रहत थ| कभी-कभी भोजन करत चलत विफरत हए भी अनतासतत म विनमगन हए परतीत होत थ| जब सामामिरयक म होत थ तो उनकी विनशछल शात मदरा दखत ही बनती थी| अपन जीन म उनहोन अविहसा विशवमतरी और आतमोदधार का उतकC आदश उपडिसथत विकरया था| ह आजनम बरहमचारी रह 30 ष की भरी जानी म उनहोन दीकषा ली| 12 ष की कठोर साधना क उपरात दधर तपकर 42 ष की आरय म आतमा क परबल शतर चार घावितरया कम का नाश कर लोका लोक परकाशक कल जञान परापत कर लिलरया और भवय जीो को दिदवय-रधवानी ारा आतमा क उदधार का माग बतारया| 72 ष की आरय क अत म कारतितक कषण अमासरया को परात काल मोकष लकषमी को परापत विकरया| उसी दिदन शाम को भगान क परथम गणधर शरी गौतम सामी को कल जञान परापत हआ था| तब दो न आकर कल जञान रपी लकषमी की पजा की थी| गणनाम ईशा = गणश गणधरा रय दोनो परयारयाची नाम गौतम सामी क ही ह| तब स इन दोनो आतमाओ महाीर सामी और गौतम सामी की समवित म रयह दीपाली प समसत भारत ष म मनारया जाता ह| भगान महाीर सामी क विनाण क उपलकषरय म लोग परातकाल सतवित पाठ पढत ह| मजिनदर जी म जाकर विनाण पजा विनाण काb महाीराCक पढकर विनाण लाb चढात ह| अपन घरो को खब सजात ह परसपर मिमतरो और समबनधिनधरयो म मिमठाई बाटत ह| सरधवारया क समरय पजरय गौतम सामी क कल जञान कलरयाणक की खशी म जलती दीपो की पलिNरयो स घर क अनदर और बाहर रौशनी करत ह| भजन आरती करक भगान क गणो का गान करत ह| सचची लकषमी तो आतमा क गणो का पण विकास कल जञान हो जाना तथा मोकष परानविपत ही ह| हम उस दिदन महाीर सामी गौतम सामी और कल जञान रपी लकषमी की पजा करनी चाविहए| इन गणो की पजा करन स रपरया पसा आदिद सासारिरक लकषमी परापत होना तो साधारण सी बात ह| जन धम अविहसा परधान धम ह| इस धम क अनसार धारयिमक प की तो बात ही करया लौविकक कारय म भी विहसा को कोई सथान नही ह| लोग तो आवितशबाजी छbाकर दिदाली मनात ह मगर इस कारय म असखरयात जीो की विहसा होना साभाविक ही ह| अत इस दिदन महाीर भगान क विनाण कलरयाणक क पान असर पर आवितशबाजी छbाना पणतरया बद होना चाविहए| अविहसा परमोधम रयतोधम सतोजरय

कछ लोग इस पवितर दिदन जआ खलत ह रयह मिमथरयात पोषक कपरथा तथा अधारयिमक परवित ह| हम शासतरानसार समरयक दशन को पC करन ाली विकररयाओ ारा दीपाली मनानी चाविहए| इस उपरयN उददशरय को बहत लोग जानकार भी रपरयो-पसो की पजा करत ह रयह उनकी विनतात भल ह| उनह रयह ासतविक रहसरय को समझ लना चाविहए विक धन का लाभ तो लाभ अनतरारय कम क कषरयोपशरय स होता ह और लाभतरारय कम का कषरयोपषम शभ विकररयाओ स ही हो सकता ह| रपरया पसो की पजा स नही| दीपाली हमारा राषटरीरय प ह सभी का तरयौहार ह अत हम इस प को बडी शरदधा और भलिN स मनाना चाविहए| दीपाली प कस मनारय -

परात काल सनानादिद करक पवितर सतर पहनकर जिजननदर द क मदिदर जी म परीार क साथ पहचकर जिजननदर द की पजा दना करनी चाविहए| भगान महाीर सामी की पजन करक विनाण काb पढन क बाद महाीर सामी क मोकष कलरयाणक का अघ बोलकर विनाण लाb अघ सविहत चढाना चाविहए|

सरसवती पजादोहा

जनम जरा मत कषरय कर हर कनरय जb रीवित

भ सगरसो ल वितर पज जिजन च परीवित

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसतरय पषपाजलिल विनपामीवित साहा

छीरो दमिध गगा तिवरमल तरगा सशिलल अभगा सख सगा

भरिर कचन झारी धारी तिनकारी तरषा तिनवारी तिहत चगा

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती-दवय जल विनपामीवित साहा

कर-पर रमगाया चनदन आया कशर लाया रग भरी

शारत-पद वदो रमन अभिभनदो पाप तिनकदो दाह हरी

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय चदनम विनपामीवित साहा

सख दास करमोद धारक रमोद अतित अन रमोद चद-सरम

बह भशिकत बढ़ाई कीरतित गाई होह सहाई रमात रमरम

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय अकषतान विनपामीवित साहा

बह फल सवास तिवरमल परकाश आनद रास लाय धर

रमरम कारम मिरमटायो शील बढ़ायो सख उपजायो दोरष हर

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय पषप विनपामीवित साहा

पकवान बनाया बह धत लाया सब तिवध भाया मिरमषठ रमहा

पज रथतित गाऊ परीतित बढ़ाऊ कषधा नशाऊ हरष13 लहा

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय नरधवारयम विनपामीवित साहा

कर दीपक जोत तन कषय होत जयोतित उदोत तरमकिह चढ़

तरम हो परकाशक भररम तिवनाशक हरम घट भासक जञान बढ़

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय दीप विनपामीवित साहा

शभ गध दशोकर पाव करम धर धप रमनोहर खवत ह

सब पाप जलावपणय करमाव दास कहाव सवत ह

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय धपम विनपामीवित साहा

बादारम छहारी लोग सपारी शरी फल भारी Aयावत ह

रमन वाशिछत दाता रमट असाता तरम गन रमाता धयावत ह

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय फलम विनपामीवित साहा

नयनन सख कारी रमद गन धारी उजजवल भारी रमोल धर

शभ गध समहारा वसन तिनहारा तरम तन धारा जञान कर

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय अरघयरयम विनपामीवित साहा

जल चदन अकषत फल चर अर दीप धप अतित फल लाव

पजा को ठानत जो तरम जानत सो नर दयानत सख पाव

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय अरघयरयम विनपामीवित साहा

जयरमाला

सोरठा

ओकार धवतिन सार दवाद-शाग वाणी तिवरमल

नरमो भशिकत उर धार जञान कर जड़ता हर

पहलो आचा रग बखानो पद अषटा-दश सहस पररमानो

दजो सS कत अभिभलारष पद छततीस सहस गर भारष

तीजो ठाना अग सजान सहस बयाशिलस पद सरधान

चौरथो सरम वायाग तिनहार चौसठ सहस लाख इक धाररम

पचरम वयाखया परजञपतिपत दरस दोय लाख अटठाइस सहस

छटठो जञात करथा तिवसतार पाच लाख छपपन हजजार

सपतरम उपास काधय नग सततर सहस =यार लख भग

अषटरम अत कत दस ईस सहस अठाइस लाख तईस

नवरम अनततर दश सतिवशाल लाख बानव सहस चवाल

दशरम परशन वयाकरण तिवचार लाख तितरानव सोल हजार

=यारस सS तिवपाक स भाख एक कोड चौरासी लाख

चार कोतिड़ अर पदरह लाख दो हजार सब पद गर शाख

दवादश दमिषट वाद पन भद इक सो आठ कोतिड़ पन वद

अड़सठ लाख सहस छपपन ह सतिहत पच पद मिरमथया हन ह

इक सौ बारह कोतिड़ बखानो लाख तितरासी ऊपर जानो

ठावन सहस पच अमिधकान दवादश अग सव13 पद रमान

साढ़ इकावन आठ तिह लाख सहस चरासी छह सौ भाख

साढ़ इकीस शलोक बताय एक एक पद क य गाय

दोहा

जा बानी क जञान त सझ लोक अलोक

जञानत जग जय-वत हो सदा दत ह धोक

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय महारघयरयम विनपामीवित साहा

अघा13वलीविरधवारयमान बीस तीथ_कर अघ

जल फल आठो दरवय अरघ कर परीवित धरी हगणधर इनदरनह त थवित परी न करी ह दयानत सक जानक (हो) जगत लह विनकार

सीमधर जिजन आदिद द बीस विदह मझार शरी जिजनराज हो भ तारण तरण जहाज

ॐ हरी विदयमानविशविततीथ_करभरयः अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 1

कवितम-अकवितम चतरयालरय अघ

कतयाकतिSरम-चार-चतय-तिनलयान तिनतय तिSलोकी-गतानवद भावन-वयतर-दयतितवरान सवगा13रमरावासगान सदगधाकषत-पषप-दारम-चरकः सददीपधपः फलरनीरादयशच यज परणमय शिशरसा दषकरम13णा शातय

ॐ हरी वितरलोक समबनधिनध कवितरमाकवितरम-चतरयालरयभरयः अरघयरय_ विनपामीवित साहा 2

लिसदध परमषठी अघ

गनधाढय सपयो रमधवरत-गणः सग वर चनदन पषपौघ तिवरमल सदकषत-चय रमय चर दीपकरम धप गनधयत ददामिरम तिवतिवध शरषठ फल लबधय शिसदधाना यगपतकररमाय तिवरमल सनोततर वालपिञछतरम

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 3

तीस चौबीसी का अघ

दरवय आठो ज लीना ह अघ13 कर रम नवीना ह

पजता पाप छीना ह भानरमल जोड़ तिकना ह

दीप अढ़ाई सरस राज कषS दस ता तिवरष छाज

सातशत बीस जिजनराज पजता पाप सब भाज

ॐ हरी पञचभरत-पचरात-समबनधी-दशकषतरानतगत-भत-भविषरयत-तमान-समबनधी-तीस-चौबीसी क सात सौ बीस जिजनदरभरयो-अघयम विनपामिमवित साहा 4

शरी आदिदनाथ जी अघ

शशिच तिनरम13ल नीर गध सअकषत पषप चर ल रमन हरषा13य

दीप धप फल अघ13 सलकर नाचत ताल रमदग बजाय

शरी आदिदनारथ क चरण करमल पर बशिल बशिल जाऊ रमन वच काय

ह करणातिनमिध भव दःख रमटो यात रम पजो परभ पाय

ॐ हरी शरी आदिदनाथजिजननदरारय अनघपदपरापतारय अघ_ विनपामिमवित साहा 5

शरी अजिजतनाथ जी अघ

जलफल सब सजज बाजत बजज गनगनरजज रमनरमजज तअ पदजगरमजज सजजन जजज त भवभजज तिनजकजज शरी अजिजत जिजनश नतनाकश चकरधरश ख=गश रमनवाशिछतदाता तिSभवनSाता पजौ खयाता ज=गश ॐ हरी शरीअजिजतनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 6

शरी समभनाथ जी अघ

जल चदन तदल परसन चर दीप धप फल अघ13 तिकया तरमको अरपौ भाव भगतितधर ज ज ज शिशव ररमतिन तिपया सभव जिजन क चरन चरचत सब आकलता मिरमट जाव तिनज तिनमिध जञान दरश सख वीरज तिनराबाध भतिवजन पाव ॐ हरी शरीसभनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 7

शरी अभिभननदन नाथ जी अघ

अषट दरवय सवारिर सनदर सजस गाय रसाल ही नचत रजत जजौ चरन जग नाय नाय सभाल ही कलरषताप तिनकद शरीअभिभननद अनपरम चनद ह पद वद वनद जज परभ भवदद फद तिनकद ह ॐ हरी शरीअभिभननदन जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 8

शरी समवितनाथ जी अघ

जल चदन तदल परसन चर दीप धप फल सकल मिरमलाय नाशिच राशिच शिशरनाय सरमरचौ जय जय जय 2 जिजनराय हरिरहर वदिदत पापतिनकदिदत सरमतितनारथ तिSभवनक राय

तरम पद पदम सदम शिशवदायक जजत रमदिदतरमन उदिदत सभाय ॐ हरी शरीसमवितनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 9

शरी पदमपरभ जी अघ

जल फल आदिद मिरमलाय गाय गन भगतित भाव उरमगाय जजौ तरमकिह शिशवतितय वर जिजनवर आवागरमन मिरमटाय रमन वचन तन Sयधार दत ही जनरम-जरा-रमत जाय पजौ भाव सो शरी पदरमनारथ पद-सार पजौ भाव सो ॐ हरी शरीपदमपरभजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 10

शरी सपाशवनाथ जी अघ

आठो दरब साजिज गनगाय नाचत राचत भगतित बढ़ाय दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो तरम पद पजौ रमनवचकाय दव सपारस शिशवपरराय दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 11

शरी चदरपरभ जी अघ

सजिज आठो दरब पनीत आठो अग नरमौ

पजौ अषटरम जिजन रमीत अषटरम अवतिन गरमौ

शरी चदरनारथ दतित चद चरनन चद लस

रमन वच तन जजत अरमद-आतरम-जोतित जग

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 12

शरी पषपदत जी अघ

जल फल सकल मिरमलाय रमनोहर रमनवचतन हलसाय

तरम पद पजौ परीतित लाय क जय जय तिSभवनराय

रमरी अरज सनीज पषपदनत जिजनराय रमरी अरज सनीज

ॐ हरी शरीपषपदनत जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 13

शरी शीतलनाथ जी अघ

शभ शरी-फलादिद वस परासक दरवय साज

नाच रच रमचत बजजत सजज बाज रागादिददोरष रमल रमदद13न हत यवा

चचAElig पदाबज तव शीतलनारथ दवा

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 14

शरी शररयासनाथ जी अघ

जलरमलय तदल सरमनचर अर दीप धप फलावली

करिर अरघ चरचौ चरन जग परभ रमोतिह तार उतावली

शरयासनारथ जिजननद तिSभवन वनद आननदकनद ह

दखदद फद तिनकद परनचनद जोतितअरमद ह

ॐ हरी शरीशररयासनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 15

शरी ासपजरय जी अघ

जल फल दरव मिरमलाय गाय गन आठो अग नरमाई

शिशवपदराज हत ह शरीपतित तिनकट धरौ यह लाई

वासपजय वसपज-तनज-पद वासव सवत आई

बाल बरहमचारी लगनिख जिजन को शिशव तितय सनरमख धाई

ॐ हरी शरीासपजरयजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 16

शरी विमलनाथ जी अघ

आठो दरब सवार रमनसखदायक पावन

जजौ अरघ भर रथार तिवरमल तिवरमल शिशवतितय ररमण

ॐ हरी शरीविमलनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 17

शरी अननतनाथ जी अघ

शशिच नीर चनदन शाशिलशदन सरमन चर दीवा धरौ

अर धप फल जत अरघ करिर करजोरजग तिवनतित करौ

जगपज पररम पनीत रमीत अनत सत सहावनो

शिशव कत वत रमहत धयावौ भरत वनत नशावनो

ॐ हरी शरीअनतनाथजिजनदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 18

शरी धमनाथ जी अघ

आठो दरब साज शशिच शिचतहर हरतिरष हरतिरष गनगाई

बाजत दरमदरम दरम रमदग गत नाचत ता रथई रथाई

पररमधररम-शरम-ररमन धररम-जिजन अशरन शरन तिनहारी

पजौ पाय गाय गन सनदर नाचौ द द तारी

ॐ हरी शरीधमनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 19

शरी शावितनाथ जी अघ

वस दरवय सवारी तरम दिढग धारी आननदकारी दग-पयारी

तरम हो भव तारी करनाधारी या त रथारी शरनारी

शरी शापतिनत जिजनश नतशकरश वरषचकरश चकरश

हतिन अरिरचकरश ह गनधश दयाऽरमतश रमकरश

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 20

शरी कनथनाथ जी अघ

जल चदन तदल परसन चर दीप धप लरी

फलजत जनन करौ रमन सख धरिर हरो जगत फरी

करथ सन अरज दास करी नारथ सन अरज दासकरी

भवशिसनध पयAcirc हौ नारथ तिनकारो बाह पकर रमरी

ॐ हरी शरीकथनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 21

शरी अरहनाथ जी अघ

सशिच सवचछ पटीर गधगहीर तदलशीर पषप-चर

वर दीप धप आनदरप ल फल भप अघ13 कर

परभ दीन दयाल अरिरकल काल तिवरद तिवशाल सकरमाल

हरिर रमरम जजाल ह जगपाल अरगन रमाल वरभाल

ॐ हरी शरीअरहनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 22

शरी मडिललनाथ जी अघ

जल फल अरघ मिरमलाय गाय गन पजौ भगतित बढ़ाई

शिशवपदराज हत ह शरीधर शरन गहो रम आई

राग-दोरष-रमद-रमोह हरन को तरम ही हो वरवीरा

यात शरन गही जगपतितजी वतिग हरो भवपीरा

ॐ हरी शरीमडिललनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 23

शरी मविनसवरतनाथ जी अघ

जलगध आदिद मिरमलाय आठो दरब अरघ सजौ वरौ

पजौ चरन रज भगतितजत जात जगत सागर तरौ

शिशवसारथ करत सनारथ सवरतनारथ रमतिनगन रमाल ह

तस चरन आननदभरन तारन तरन तिवरद तिवशाल ह

ॐ हरी शरीमविनसवरतजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 24

शरी नमिमनाथ जी अघ

जल फलादिद मिरमलाय रमनोहर अरघ धारत ही भवभय हर जजत हौ नमिरम क गण गाय क जगपदामबज परीतित लगाय क ॐ हरी शरीनमिमनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 25

शरी नमिमनाथ जी अघ

जल फल आदिद साज शशिच लीन आठो दरब मिरमलाय अषटरम शिछतित क राज कारन को जजौ अग वस नाय

दाता रमोकष क शरीनमिरमनारथ जिजनराय दाता0 ॐ हरी शरीनमिमनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 26

शरी पाशवनाथ जी अघ

नीर गध अकषतान पषप चार लीजिजय दीप धप शरीफलादिद अघ13 त जजीजिजय

पाशव13नारथ दव सव आपकी कर सदा दीजिजए तिनवास रमोकष भशिलय नही कदा ॐ हरी शरीपाशवनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 27

शरी महाीर सामी जी अघ

जल फल वस सजिज तिहरम रथार तन रमन रमोद धरौ गण गाऊ भवदमिधतार पजत पाप हरौ

शरी वीर रमहा-अतितवीर सनरमतित नायक हो जय वदध13रमान गणधीर सनरमतितदायक हो ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 28

शरी बाहबली सामी जी अघ

ह शदध तिनराकल शिसदधो सरम भवलोक हरमारा वासा ना

रिरप रागर दवरष लग पीछ यात शिशवपद को पाया ना

तिनज क गण तिनज रम पान को परभ अघ13 सजोकर लाया ह

ह बाहबली तरम चरणो रम सख समपतित पान आया ह

ॐ हरी शरी-बाहबली-जिजननदरारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 29

पञच बालरयवित जी अघ

सजिज वसतिवमिध दरवय रमनोजञ अरघ बनावत ह

वसकरम13 अनादिद सयोग तातिह नशावत ह

शरी वास-पजय-रमAली-नरम पारस वीर अती

नरम रमन-वच-तन धरी पररम पाचो बालयतित

ॐ हरी शरी-पचबालरयवित-तीथ_करभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 30

सोलहकारण भाना अघ

जल फल आठो दरव चढ़ाय lsquoदयानतrsquo वरत करौ रमन लायपररम गर हो जय जय नारथ पररम गर हो

दरशतिवशजिदध भावना भाय सोलह तीरथsकर-पद-दायपररम गर हो जय जय नारथ पररम गर हो

ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित 31

पचमर जी अघ

आठ दरबरमय अरघ बनाय lsquoदयानतrsquo पजौ शरीजिजनराय रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय पाचो रमर असी जिजन धारम सब परतितरमा जी को करौ परणारम रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः अरघयरय_ विनपामीवित साहा 32

ननदीशवर ीप अघ

यह अरघ तिकयो तिनजहत तरमको अरपत हो

धानत तिकजयो शिशवखत भमिरम सरमरपत हो

ननदीशवर शरीजिजनधारम बावन पज करो

वस दिदन परतितरमा अभिभरारम आनद भाव धरो

(ननदीशवर दीप रमहान चारो दिदशिश सोह

बावन जिजन रमजिनदर जान सर-नर-रमन-रमोह )

ॐ हरी शरी-ननदीशवर-ीप प-पभि मोततर-दभिकषण-दिदश -पचास-जिजनालरय-डिसथत जिजन परवितमाभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 33

दशलकषण धम अघ

आठो दरब सवार धानत अमिधक उछाह सो

भाव-आताप तिनवारदस लचछन पजो सदा

ॐ हरी शरी-उततम-कषमादिद-दशलकषण-धमारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 34

रतनतररय अघ

आठ दरब तिनराधार उततरम सो उततरम तिकय

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज

ॐ हरी शरी-समरयग-रतनतररयारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 35

सपतरतिष अघ

जल गध अकषत पषप चरवर दीप धप स लावना

फल लशिलत आठो दरवय मिरमभिशरत अघ13 कीज पावना

रमनवादिद चारिरSऋजिदध धारक रमतिनन की पजा कर

ता कर पातक हर सार सकल आनद तिवसतर

ॐ हरी शरी-मनादिदसपतरतिषभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 36

विनाण कषतर जी अघ

जल गध अकषत पषप चर फल दीप धपायन धरौ

धानत करो तिनरभय जगत सो जोर कर तिवनती करौ

समरमदिदगरिर तिगरनार चपा पावापर कलाश को

पजो सदा चौबीस जिजन तिनवा13ण भमिरम तिनवास को

ॐ हरी शरी-चतरविश-तीथ_कर-विनाण-कषतरभरयो अघ विनापमिमवित साहा 37

शरी सममद भिशखर जी अघ

जल गधाकषत फल स नवज लीजिजय

दीप धप फल अघ13 स लकर चढ़ाइए

पजो शिशखर समरमद स रमन वच काय ज

नरकादिद दःख टर अचल पद पाय ज

ॐ हरी शरी-सममद-भिशखर-लिसदधकषतर-पत बीस-तीथ_कर-आदिद-असखरयात-मविन-मलिN-परापतारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 38

सरसती (जिजनाणी) जी अघ

जलचनदन अकषत फल चर चत दीप धप अतित फल लावपजा को ठानत जो तरम जानत सो नर दयानत सखपाव

तीरथsकर की धवतिन गनधर न सतिन अग रच चतिन जञानरमईसो जिजनवर वानी शिशवसखदानी तिSभवन पजय भईऊ हरी शरी जिजनमखोदभभसरसतीदवय अरधवारयम विनपामीवित साहा 39

शरी ऋविषमbल अघ

जल फलादिदक दरवय लकर अघ13 सनदर कर शिलया

ससार रोग तिनवार भगवन वारिर तरम पद रम दिदया

जहा सभग ऋतिरषरमडल तिवराज पजी रमन वाच तन सदा

तितस रमनोवाशिछत मिरमळत सब सख सवपन रम दःख नतिह कदा

ॐ हरी शरी-सपदर-विनाशन-समथारय ऋविषमbलारय अरघयम विनापमिमवित साहा 40

शरी भरतशवर सामी जी अघ

भरतशवर रमहाराज रथारा गण गाऊ

रथा घर रम ही वराग चरणो रम धयाऊ

रम अषट दरवय ल आय पजा क शिलए

रम पजा भाव रचाय भव भव दःख हर

ॐ हरी शरी भरतशवरारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 41

शरी गौतम सामी जी अघ

भरतशवर रमहाराज रथारा गण गाऊ

रथा घर रम ही वराग चरणो रम धयाऊ

रम अषट दरवय ल आय पजा क शिलए

रम पजा भाव रचाय भव भव दःख हर

ॐ हरी शरी महाीर-समिमन गौतमादिद-एकादश-गणधरभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 42

शरी जमब सामी जी अघ

रमरथरा चौरासी धारम स तिनवा13ण गय

रम पज जमबसवारमी अतितरम रमोकष गए

ॐ हरी शरी जमब-सामी-मलिN-परापतारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 43

अतरारयनाशरय अघ

लाभ की अतराय क वश जीव सख ना लह

जो कर कषट उतपात सगर करम13वस तिवररथा रह

नही जोर वाको चल इक शिछन दीन सौ जग रम तिफर

अरहत शिसदधस अधर धरिरक लाभ यौ करम13 कौ हर

ऊ हरी लाभातरारयकम रविहताभरयाम अहतलिसदध परमविषठभरयाम अरघयरयम विनपामीवित साहा 44

शरी मानसतभ जी अघ

जल गनधादिद दरवय मिरमलाकर तिनज तिनज पजो चाव रम

रमान सतमभ प बठ भगवन उनको पज भाव स

ॐ हरी शरी मान-सतमभोपरिर-विराजमान-चतमख-जिजनविबमबभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 45

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पणयोदय तिनतिनततारथ13 गर दश13न ही रहयात सपणयदाता तो रमाS सगर ही रह ||31||पजत चकरवतN भी चकरवतN अतः यहीवर भाव नही राख वरागी भी सही यही ||32||तिबना रमाग सदा दत पररमारथ13 धरोहरअकारण जगत बनध रह यात गरवर ||33||भवय चातक जीवो को रमघ धारा रह गरतयाग धरम13 रह पास यात तयागी रह गर ||34||भवय सवण13सरमा होता गर पारस पाद सपापी भी बनता ईश सगर नारम रमS स ||35||भवयो को गर नौका ह भव सरमदर तरनरमोकष रमाग13 बटोही को गर पारथय स बन ||36||भवयो को तिनज आतरमा का दिदवय सवरप दखनगर तिनरम13ल आदश13 आतरम रप दिदखावन ||37||भा=य उदय आन रम गर कपा जरर हभा=योदय अतः रमानो तिनःसनदह गर रह ||38||भद तिवजञान तिवदया को पान वाल सतिवजञ कोरमाS सचच गरदव तिवदयासागर ही अहो ||39||रमन को गर जीत ह रमनसवी भी रह अतःपण13 यश तिकय परापत यशसवी भी रह अतः ||40||रमाता सरमान शिशषयो प रमरमता तिनतय ही करअतः रमाता रह य ही रमरमता अरमत स भर ||41||मिरमट दग13ण दग13नध गर सगनध-इS सकरम13 सप13 भगान को गर गारड रमS स ||42||रमोकष भिभकषा सदा रमाग यात भिभकष रह गरशातित पयास मिरमटान को शातितसागर ह गर ||43||रमोकष रमजिजल पान को गर सोपान रमोकष कारमSो क रमल ऊ रप गर ही ह अहो सदा ||44||रमोकष शररम कर तिनतय अतः शररमण कर गररमौन तिपरय रह भारी यात रमतिन रह गर ||45रमोकष शररम कर तिनतय अतः शररमण कर गररमौन तिपरय रह भारी यात रमतिन रह गर ||45||

रमोह नीद मिरमटान को शकनाद रह गरघोर तप कर तिनतय तपसवी भी अतः गर ||46||यरम ल कर रोगो का कर दरमन ही सदासयरमी ह अतः य ही पज इनह बन खदा ||47||राग रग दिदय तयाग वीतरागी रह गरपरतितरमा धारको को तो जिजन रमजिनदर रह गर ||48||राग रोग रह शीघर राज वदय अतः गरदया छाया सदा दत पशिरथको को अतः तर ||49||शिलय सनयास भोगो स सनयासी ह अरथ गरसवातरम-जञान रख पण13रमहाजञानी रह अतः ||50||वणा13तीत सव आतरमा को धयात वणN रह अतःसाधना रम सदा लीन रमहासाधक ह अतः ||51||शसS वसS नही पास दिदगमबर रह गरछोड सकल गररथो को यात तिनगरsरथ ह गर ||52||शात रमदरा गरजी की समयक दश13न हत हभवाबधिबध पार पान को गरदव स सत ह ||53||शिशषय रपी गढ रमरतित शरषठ शिशAपी रह गरकलात शिचतत कर शात अतः सत रह गर ||54|

आचाय13 जी स आचारय जी स रय पछ जग सारा

णमोकार नाम का रय कौन मतर परयारा

बोल मसकात मविनर सनो भाई सारhellip२ अनतानत ह रय पचरग परयार पवितस अकषर स शोभिभत ओhellip मतर ह विनराला इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

महामतर कहती इसको ह सारी जनताhellip२ पार लगाता उसको जो इस जपता

मतर ह रय ऐसा जिजसन ओhellip लाखो को तारा इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

पच परमषठी क गणो को परचारताhellip२ धम विशष को रय नही ह दलारता रय महामतर ह ओhellip तारण हारा इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

मनोरमा सती का शील था बचारयाhellip२ महामतर का रय णन गरथो न गारया ऐस महामतर को ओhellip नदन हमारा इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

पजा पादिठकापजा पीदिठका

पजा पीदिठका -जो पजा स पतिहला कहा जाता ह उस पजा पीदिठका कहत ह

ॐ जय जय जय नरमोऽसत नरमोऽसत नरमोऽसत

अरथ13 -ॐ = अरिरहत -अ +शिसदध भगवान का अशरीरी -अ+आचाय13 (अ)=आ + उपाधयाय (उ)=अ+साध (रमतिन) (रम) अरथा13त पञच पररमषठी की जय हो जयहो जयहोनरमसकार हो नरमसकार हो नरमसकार हो

जय और नरमसकार तीन बार रमन वचन काय स करत ह

णरमो अरिरहताणणरमो शिसदधाण णरमो आयरिरया ण णरमो उवजझायाण= णरमो लोए सवव साहण

अरथ13-

णरमो अरिरहताण-अरिरहतो को नरमसकार हो

णरमो शिसदधाण-शिसदधो को नरमसकार हो

णरमो आयरिरयाण-आचाय~ को नरमसकार हो

णरमो उवजझायाण=उपाधयायो को नरमसकार हो

णरमो लोए सवव साहण-लोक क सब तिनगर13नथ दिदगबर साध को नरमसकार हो

अब स लगभग १८००- १९०० वरष13 पव13 आचाय13 पषपदत जी और आचाय13 भतबशिल जी न रमहान गरनथ रषट खणडगरम की रचना करत सरमय आचाय13 पषपदत रमहाराज जी न उसक पररथरम रमगलाचारण क रप रम इस आय13खड गारथा को शिलखा ह वहा पर णरमो अरिरहताण शिलखा ह (न तिक अरहताण अरहताण) इसशिलए यही रमलपाठ हयही बोलना चातिहए यह रमहा रमS सब दखो को हरन वाला ह इसस पव13 पञच पररमषठी की वदना तो होती होगी तिकनत इस णरमोकार रमS की गारथा क रप रम नही होत होगी

ॐ हरी अनादिदरमलरमSभयो नरम(पषपाजशिल भिकषपत )

अरथ13- इस अनादिद रमल रमS को हरम नरमसकार करत हअजशिल रम पषप (पील चावल)लकर उनका कषपण करत ह अरथा13त तिवशव शातित की रमनोकारमना करता ह

चततारिर दणडक

चततारिर रमगल अरिरहता रमगल शिसदधा रमगल साह रमगल कवशिल पणणततो धमरमो रमगल

अरथ13 -चार रमगल कारी ह -अरिरहत भगवान रमगलकारी हशिसदध भगवान रमगलकारी ह तिनगर13नथ जन दिदगबर साध पररमषठी रमगलकारी ह और कवशिल भगवान दवारा कहा बताया धरम13 रमगलकारी ह रमगलकारी ndash सख दन वाला हआतरमा स लग करम13 बधो को नषट करन वाल य ही चार ह

चततारिर लोगततरमाअरिरहता लोगततरमाशिसदधा लोगततरमासाह लोगततरमाकवशिल पणणततो धमरमो लोगततरमो

अरथ13 -य चार लोक रम उततरमसव13शरषठ ह-अरिरहत भगवान लोक रम उततरम हशिसदध भगवान लोक रम उततरम हतिन- ग13ररथ दिदगबर जन साध लोक रम उततरम हकवशिल भगवान की दिदवय धवतिन दवारा बताया गया धरम13 लोक रम उततरम ह

चततारिर सरण पववजजामिरम- इन चारो की शरण को परापत होता ह

अरिरहनत सरण पववजजामिरम-अरिरहत भगवान की शरण को परापत होता ह

शिसदध सरण पववजजामिरम- शिसदध भगवान की शरण को परापत होता ह

साह सरण पववजजामिरम -तिनगर13नथ दिदगबर जन साध की शरण को परापत होता ह

कवशिलपणणतत धमरम सरण पववजजामिरम -कवशिल भगवान दवारा कह गय धरम13 को परापत होता ह

ॐ नरमोऽहsत सवहा (पषपाजशिल भिकषपत)

अरथ13- रम अरिरहत भगवान को सरमरतिपत करता ह तिवशव शातित की भावना स पषप अरतिपत करत ह

अपतिवS पतिवSो वा सलपितो दलपिोऽतिप वा

धयायतपच-नरमसकार सव13पापः पररमचयत १

शबदारथ13 ndash

अपतिवS-अपतिवS होपतिवSो-पतिवS होवा सलपितो-अचछी लपितित रम होदलपिोऽतिप-बरी लपितित रम होवा धयायतपच-नरमसकार-पञच नरमसकार रमS का धयान करन ससव13पापः-सरमसत पापो सपररमचयत-छट जाता ह

अरथ13-पतिवS और अपतिवSअचछी या बरी तिकसी भी अवा रमपञच नरमसकार रमS का धयान करन स सरमसत पाप नषट हो जात ह

अपतिवSः पतिवSो वा सवा13ा गतोऽतिप वा

यः सरमरत पररमातरमान स बाहयाभयतर शशिच २

शबदारथ13 -अपतिवSः-अपतिवS हो पतिवSो वा-पतिवS होसवा13ा-सब अवाओ को परापत हआ हो गतोऽतिप-गतितरमान हो वा यः -जोसरमरत -सरमरण करता हपररमातरमान -पररमातरमा णरमोकार रमS पञच पररममिषठयो कास -वह बाहया-बाहय अभयतर-आतरिरक शशिच-पतिवS हो जाता ह

अरथ13- अपतिवS अरथवा पतिवS हो गतितरमान हो तिकसी भी अवा को परापत हआ जो पररमातरमाणरमोकार रमS पञच पररममिषठयो का सरमरण करता वह बाहय और अतरग स पतिवS हो जाता ह

तिवशरष-

१-णरमोकार रमS की रचना कब हई

अब स लगभग १८००- १९०० वरष13 पव13 आचाय13 पषपदत जी और आचाय13 भतबशिल जी न रमहान गरनथ रषट खणडगरम की रचना करत सरमय आचाय13 पषपदत रमहाराज जी न उसक पररथरम रमगलाचारण क रप रम इस गारथा को रचा हइसस पव13 पञच पररमषठी की वदना तिकसी अनय रप रम होती होगी

२-चततारिर दडक तिकतना पराचीन ह

इसकी पराचीनता क तिवरषय रम कोई उAलख शासSो रम यही मिरमलता हयह गणधर दव क सरमय स ही परचलन रम ह ऐसा परतीत होता ह तिक इसक रशिचयता परणता गणधर दव ही हो

३-णरमो कार रमS बोलन का सरमय ndash

कही जा रह होघर रम परवश कर रह होसोन स पव13परातउठन क बाद कोई याSा परारमभ करत सरमयअसव हो तो लट लटसभी अवाओ रम णरमो कार रमS बोलचिचतन कर सकत ह रमरीज को हॉबधिटल ल जात सरमय इस रमS का चिचतवन कर

४-कया रमतिहलाय अशजिदध क दिदनो रम णरमो कार रमS बोल सकती ह

नही बोल भी नही सकती और जप भी नही सकती लट लट धयानचिचतवन रमन रम कर सकती ह

राकश करमार जन

आभार -पतिडत रतन लाल जन बनाड़ा

जन रमतिन

रषटखडगरम की रचना आचाय13 पषपदनत-भतवली दवारा रषट खणडागरम रचना ndash तिगरनार पव13त की चनदरगफा रम

आचाय13 पषपदनत-भतवली ndash गणधराचाय13 क पशचात अग-पव~ क एक दश जञाता धरसन हए य सौराषटर दश तिगरिरनार क सरमीप उज13यनत पव13त की चनदरगफा रम तिनवास करत रथ य परवादी

रप हाशिरथयो क सरमह का रमदनाश करन क शिलए शरषठ चिसह क सरमान रथ अषटाग रमहातिनमिरमतत क पारगारमी और शिलतिप शासS क जञाता रथ वत13रमान रम उपलबध शरत की रकषा का सवा13मिधक शरय इनही को परापत ह कहा जारथ ह तिक परवचन-वतसल धरसनाचाय13 न अग शरत क तिवचछदन हो जान क भय स रमतिहरमा नगरी रम सममिमरमशिलत दभिकषणा परथ क आचाय~ क पास एक पS भजा पS रम शिलख गए धरसन क आदश को सवीकार कर उन आचाय~ न शासS क अरथ13 को गरहण और धारण करन रम सरमरथ13 तिवतिवध परकार क चारिरS स उजजवल और तिनरम13ल तिवनय स तिवभतिरषत शील रपी रमाता क धारी सवा भावी दश कल जातित स शदध सरमसत कलाओ क पारगारमी एव आजञाकारी दो साधओ को आधर दश की वनया नदी क तट स रवाना तिकया इन दोनो रमतिनयो क रमाग13 रम आत सरमय धरसनाचाय13 न रातिS क तिपछल भाग रम सवपन रम कनदपषप चनदररमा और शख क सरमान शवत वण13 क दो बलो क अपन चरणो रम परणारम करत दखा परातः काल उकत दोनो साधओ क आन पर धरसनाचाय13 न उन दोनो की परीकषा ली और जब आचाय13 को उनकी यो=यता पर तिवशवास हो गया तब उनहोन अपना शरतोपदश दना परारभ तिकया जो आरषाढ़ शकला एकादशी को सरमापत हआ गर धरसन न इन दोनो शिशषयो का नारम पषपदनत और भतबली रखा गर क आदश स य शिशषय तिगरनार स चलकर अकलशवर आय और वही उनहोन वरषा13काल वयतीत तिकया अननतर पषपदनत आचाय13 बनवास दश को और भतबली तमिरमल दश की ओर चल गएपषपदनत न जिजनपाशिलत को दीकषा दकर उसक अधयापन हत सत पररपणा तक क सSो की रचना की और उनहोन उन सSो को सशोधनारथ13 भतबली क पास भज दिदया भतबशिल न जिजनपाशिलत क पास उन सSो को दखकर पषपदनत आचाय13 को अAपाय जानकर रमहाकरम13 परकतित पाहड का तिवचछन ना हो जाय इस धयय स आग दरवयपररमाणादिद आगरम की रचना की इन दोनो आचाय~ दवारा रशिचत गरनथ रषट खणडागरम कहलाता ह इस गरनथ की सतपररपणा क १७७ सS पषपदनत न और शरष सरमसत सS भतवली क दवारा रशिचत ह अतएव यह षट ह तिक शरत वयाखयाता धरसन ह और रचमियता पषपदनत तरथा भतबशिलइन आचाय~ क सरमय क समबनध रम तिनभिशचत रप स तो जञात नही ह पर इनदर-ननदी कत शरतावतार रम लोहाचाय13 क पशचात तिवनयदतत शरीदतत शिशवदतत और अह13दतत इन चार आरातीय -आचाय~ का उAलख मिरमलता ह और ततपशचात अह13द बशिल का तरथा अह13द बशिल क अननतर धरसनाचाय13 का नारम आता ह इनदरनजिनद क अनसार कनदकनद रषट खणडागरम क टीकाकार ह अतः पषपदनत और भतबशिल का सरमय कनदकनद क पव13 ह तिवदवानो न अनक पषट पररमाणो क आधार पर शिसदध तिकया ह तिक रषट खणडागरम की रचना पररथरम शती रम होनी चातिहएरषट खणडागरम (छकखडागरम) सS ndash इस आगरम गरनथ रम छह खणड ह- जीवटठाण खददाबध बधसामिरमतततिवचय वदना व=गणा और रमहाबनध इस गरनथ का तिवरषय सतोS बारहव दमिषटवाद शरताग क अनतग13त तिदवतीय पव13 आगरायणीय क चयनलबधिबध नारमक पञचरम अमिधकार क चतरथ13

पाहड़ करम13 परकतित को रमाना जाता हरषट खणडागरम जनागरम का एक रमहान गरनथ ह इसरम करम13 शिसदधात को तिवभिभनन दमिषट स सरमझान का शलाघनीय परयास तिकया गया ह

दव शासर गर पजा

कवल रतिव तिकरणो स जिजसका समपण13 परकाशिशत ह अतर |उस शरी जिजनवाणी रम होता तततवो का सदरतरम दश13न ||सददश13न बोध चरण परथ पर अतिवरल जो बड़त ह रमतिन गण |उन दव पररम आगरम गर को शत शत वदन शत शत वदन||ॐ हरी दव-शासS-गर-सरमह अS अवतर अवतर सवौरषट| अS तितषठ तितषठ ठः ठः |अS रमरम समिननतिहतो भव भव वरषट |इजिनदरय क भोग रमधर तिवरष सरम लावणयारमयी कचन काया |यह सब कछ जड़ की करीडा ह रम अब तक जान नही पाया ||रम भल सवय क वभव को पर रमरमता रम अटकाया ह |अब तिनरम13ल समयक नीर शिलए मिरमथया रमल धोन आया ह ||ॐ हरी दव-शासS-गरभयः जनरम-जरा-रमतय-तिवनाशाय जल तिनव13 0 सवाहा |1|जड़ चतन की सब परिरणतित परभ अपन अपन रम होती ह |अनकल कह परतितकल कह यह झठी रमन की वभितत ह ||परतितकल सयोगो रम करोमिधत होकर ससार बड़ाया ह |सतपत हदय परभ चदन सरम शीतलता पान आया ह ||ॐ हरी दवशासS गरभयः ससार-ताप-तिवनाशनायचदन तिनव13 0 सवाहा |2|उजजवल ह कठ धवल ह परभ पर स न लगा ह किकशिचत भी | तिफर भी अनकल लग उन पर करता अभिभरमान तिनरतर ही ||जड़ पर झक झक जाता चतन की रमाद13व की खतिडत काया | तिनज शाशवत अकषत तिनमिध पान अब दास चरण रज रम आया ||

ॐ हरी दवशासSगरभयः अकषयपदपरापतय अकषतान तिनव13 0 सवाहा |3|यह पषप सकोरमल तिकतना ह तन रम रमाया कछ शरष नही | तिनज अतर का परभ भद काह औस रम ऋजता का लश नही ||शिचनतन कछ तिफर सभारषण कछ वभितत कछ की कछ होती ह |लपिरता तिनज रम परभ पाऊ जो अतर का कालश धोती ह ||ॐ हरी दवशासSगरभयः कारमबाण-तिवधवसनाय पषप तिनव13 0 सवाहा |4|अब तक अगभिणत जड़ दरवयो स परभ भख न रमरी शात हई |तषणा की खाई खब भारी पर रिरकत रही वह रिरकत रही ||यग यग स इचछा सागर रम परभ गोत खाता आया ह |चरणो रम वयजन अरतिपत कर अनपरम रस पीन आया ह ||ॐ हरी दवशासSगरभयः कषधा-रोग-तिवनाशनाय नवदय तिनव13 0 सवाहा |5|रमर चतयनय सदन रम परभ शिचर वयापत भयकर अमिधयारा |शरत दीप बझा ह करनातिनमिध बीती नही कषटो की कारा ||अतएव परभो यह जञान परतीक सरमरतिपत करन आया ह |तरी अतर लौ स तिनज अतर दीप जलान आया ह ||ॐ हरी दवशासSगरभयः रमोहाधकारतिवनाशनाय दीप तिनव13 0 सवाहा |6|जड़ करम13 घरमाता ह रमझको यह मिरमथया भरातित रही रमरी |रम रागी दवरषी हो लता जब परिरणतित होती ह जड़ की ||यो भाव कररम या भाव रमरण सदिदओ स करता आया ह |तिनज अनपरम गध अनल स परभ पर गध जलान आया ह||ॐ हरी दवशासSगरभयः अषट करम13तिवधवसनाय धप तिनव13 0 सवाहा |7|जग रम जिजसको तिनज कहता रम वह छोड रमझ चल दता ह |रम आकल वयाकल हो लता वयाकल का फल वयाकलता ह|| रम शात तिनराकल चतन ह ह रमशिकतररमा सहचर रमरी |यह रमोह तड़क कर टट पड़ परभ सारथ13क फल पजा तरी||ॐ हरी दवशासSगरभयः रमोकषफलपरापतयफल तिनव13 0 सवाहा |8|कषण भर तिनज रस को पी चतन मिरमथयरमल को धो दता ह |कशामियक भाव तिवनषट तिकय तिनज आननद अरमत पीता ह ||अनपरम सख तब तिवलशिसत होता कवल रतिव जगरमग करता ह |

दश13न बल पण13 परगट होता यह ह अह13नत अवा ह ||यह अरघयय13 सरमप13ण करक परभ तिनज गण का अरघयय13 बनाऊगा| और तिनभिशचत तर सदश परभ अह13नत अवा पाउगा||ॐ हरी दवशासSगरभयः अनरघयय13पदपरापतय अरघययs तिनव13 0 सवाहा |9|

जयरमाला

भव वन रम जी भर घरम चका कण कण को जी भर भर दखा रमग सरम रमग तषणा क पीछ रमझको न मिरमली सच की रखा

(बारह भावना)झठ जग क सपन सार झठी रमन की सब आशाए तन जीवन यौवन अलपिर ह कषण भगर पल रम रमरझाए समराट रमहाबल सनानी उस कषण को टाल सकगा कया अशरण रमत काया रम हरतिरषत तिनज जीवन दल सकगा कयाससार रमहा दख सागर क परभ दखरमय सच आभसोन रम रमझको न मिरमला सच कषणभर भी कचन कामिरमनी परासदोन रमरम एकाकी एकतवा शिलय एकतवा शिलय सब ह आत तन धन को सारथी सरमझा रथा पर य भी छोड चल जातरमर न हए य रम इनस अतित भिभनना अखड तिनराला ह तिनज रम पर स अनयतवा शिलय तिनज सरमरस पीन वाला हजिजसक भिशरनगारोन रम रमरा यह रमहगा जीवन घल जाता अतयनता अशशिच जड़ काया स ईस चतन का कसा नातादिदन रात शभाशभ भावो स रमरा वयापार चला करता रमानस वाणी और काया स आसरव का दवार खला रहताशभ और अशभ की जवाला स झलसा ह रमरा अनतसतल शीतल सरमतिकत तिकरण फट सवर स जाग अनतब13लतिफर तप की शोधक वगनिनह जग करम~ की कतिड़या फट पड़ सवाsग तिनजातरम परदशो स अरमत क तिनझ13र फट पड़हरम छोड चल यह लोक तभी लोकानत तिवराज कषण रम जा तिनज लोक हरमारा वासा हो शोकानत बन तिफर हरमको कयाजाग रमरम दल13भ बोधी परभो दनregतरम सतवर तल जाव बस जञाता दषटा रह जाऊ रमद रमतसर रमोह तिवनश जावशिचर रकषक धरम13 हरमारा हो हो धरम13 हरमारा शिचर सारथी

जग रम न हरमारा कोई रथा हरम भी न रह जग क सारथीचरणो रम आया ह परभवर शीतलता रमझको मिरमल जाव रमरझाई जञानलता रमरी तिनज अनतब13ल स गनिखल जावसोचा करता ह भोगो स बझ जावगी इचछा जवाला परिरणारम तिनकलता ह लतिकन रमानो पावक रम घी डालातर चरणो की पजा स इजिनदरय सख को ही अभिभलारषा अब तक न सरमझ ह पाया परभ सचच सख की भी परिरभारषातरम तो अतिवकारी हो परभवर जग रम रहत जग स नयार अतएव झक तव चरणो रम जग क रमाभिणक रमोती सारसयादवाद रमयी तरी वाणी शभ नय क झरन झरत ह और उस पावन नौका पर लाखो पराणी भाव वारिरमिध तितरत हह गरवर शाशवत सख दश13क यह न=न सवरप तमहारा ह जग की नशवरता का सचचा दिद=दश13न करन वाला हजब जग तिवरषयो रम रच पच कर गातिफल तिनदरा रम सोता हो अरथवा वह शिशव क तिनषकटक परथ रम तिवषकनतक बोटा होहो अध13 तिनशा का सननाटा वन रम वनचारी चरत हो तब शात तिनराकल रमानस तरम तततवो का शिचनतन करत होकरत तप शल नदी तट पर तरतल वरषा13 की झातिड़यो रम सरमता रस पान तिकया करत सख दख दोनो की घतिडयो रमअनतजवा13ला हरती वाणी रमानो झरती हो फAझदिदया भाव बधन तड तड टट पड़ गनिखल जाव अतर की कशिलयातरम सा दानी कया कोई हो जग को द दी जग की तिनमिधया दिदन रात लटाया करत हो सरम शरम की अतिवनशवर रमभिणयाॐ हरी दवशासSगरभयः अनरघयय13पदपरापतय अरघययs तिनव13 0 सवाहा |

ह तिनरम13ल दव तमह परणारम ह जञानदीप आगरम परणारम ह शातित तयाग क रमरतितरमान शिशव परथ परथी गरवर परणारम||

शिसदध पजाऊरधवााधो ररयत सविनद सपर बरहम-सराविCत

गापरिरत-दिदगगतामबज-दल ततसलिध-ततानविनत |अतः पतर-तटषनाहत-रयत हरीकार-सविCत |द रधवारयारयवित रयः स मलिNसभगो रीभ-कणठी-रः ||

ॐ हरी शरी लिसदधचकरालिधपत लिसदधपरमविषठन अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी लिसदधचकरालिधपत लिसदधपरमविषठन अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी लिसदधचकरालिधपत लिसदधपरमविषठन अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

तिनरसतकरम13-समबनध सकषरम तिनतय तिनरारमयरम |वनदऽह पररमातरमानरमरमतत13रमनपदरवरम ||

(लिसदधरयनतर की सथापना कर नदन कर | )

शिसदधौ तिनवासरमनग पररमातरम-गमयहानयादिदभावरतिहत भव-वीत-कायरम |रवापगा-वर-सरो-यरमनोदभवानानीरय13ज कलशगर-वरशिसदध-चकररम ||

ॐ हरी लिसदधचकालिधपतरय लिसदधपरमविषठन जनमजरामतरय विनाशनारय जल विनपामीवित साहा |1|

आननद-कनद-जनक घन-करम13-रमकतसमयकतव-शरम13-गरिररम जननारतितवीतरम |सौरभय-वाशिसत-भव हरिर-चनदनानागनधय13ज परिररमलव13र-शिसदध-चकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन ससार ताप विनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा |2|

सवा13वगाहन-गण ससरमामिध-तिनषठशिसदध सवरप-तिनपण करमल तिवशालरम |सौगनधय-शाशिल-वनशाशिल ndash वराकषतानापजय13ज ndash शशिशतिनभव13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अकषरयपदपरापतरय अकषतान विनपामीवित साहा |3|

तिनतय सवदह- परिररमाणरमनादिदसजञदरवयानपकषरमरमत रमरणादयतीतरम |रमनदार ndash कनद ndash करमलादिद ndash वनतीनापषपय13ज शभतरम ndash व13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन कामबाण विरधवासनारय पषप विनपामीवित साहा |4|

ऊधव13-सवभाव-गरमन सरमनो-वयपतबरहमादिद-बीज-सतिहत गगनावभासरम |कषीरानन-साजय-वटक रसपण13गभreg ndashरतिनतय यज चरवरव13शिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन कषधारोगविनाशनारय नदय विनपामीवित साहा |5|

आतक-शोक-भयरोग-रमद परशानततिनदव13नदव-भाव-धरण रमतिहरमा-तिनवशरम |कप13र-वरतित-बहभिभः कनकावदात ndashदsup2पय13ज रशिचवरव13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन मोहानधकारविनाशनारय दीप विनपामीवित साहा |6|

पशयनसरमसत ndash भवन यगपमिननतानतSकाAय-वसत-तिवरषय तिनतिवड़ ndash परदीपरम |सददरवयगनध ndash घनसार ndash तिवमिरमभिशरतानाधपय13ज परिररमलव13र ndash शिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अCकमदहनारय धप विनपामीवित साहा |7|

शिसदधासरादिदपतित ndash यकष ndash नरनदरचकर ndashधयacuteय शिशव सकल ndash भवय ndash जनः सवनदयरम |नारतिmicroग ndash पग ndash कदली ndash फलनारिरकलःसोऽह यज वरफलव13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन मोकषफलपरापतरय फल विनपामीवित साहा |8|

गनधाढय सपयो रमधवरत-गणः सग वर चनदनपषपौघ तिवरमल सदकषत-चय रमय चर दीपकरम |धप गनधयत ददामिरम तिवतिवध शरषठ फल लबधयशिसदधाना यगपतकररमाय तिवरमल सनोततर वालपिञछतरम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जञानो पयो गतिवरमल तिवशदातरमरपसकषरम-सवभाव-पररम यदननतवीय13रम |करमmiddotघ-ककष-दहन सख-शसयबीजवनद सदा तिनरपरम वर-शिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

Sलोकयशवर-वनदनीय-चरणाः परापः भिशरय शाशवतीयानाराधय तिनरदध-चणड-रमनसः सनतोऽतिप तीरथsकरा |सतसमयकतव-तिवबोध-वीरययय13-तिवशदाऽवयाबाधतादयग13ण-य13कतासतातिनह तोषटवीमिरम सतत शिसदधान तिवशदधोदयान ||

जरयमाला

तिवराग सनातन शात तिनरश तिनरारमय तिनभ13य तिनरम13ल हस |सधारम तिवबोध-तिनधान तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध-सरमह ||

तिवदरिरत-ससतित-भाव तिनरग सरमारमत-परिरत दव तिवसग |अबध करषाय-तिवहीन तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिनवारिरत-दषकतकरम13-तिवपाश सदारमल-कवल-कशिल-तिनवास |भवोदमिध-पारग शात तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

अनत-सखारमत-सागर-धीर कलक-रजो-रमल-भरिर-सरमीर |तिवखलपिणडत-कारम तिवरारम-तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिवकार तिववरजिजत तरजिजतशोक तिवबोध-सनS-तिवलोतिकत-लोक |तिवहार तिवराव तिवरग तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

रजोरमल-खद-तिवरमकत तिवगाS तिनरतर तिनतय सखारमत-पाS |सदश13न राजिजत नारथ तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

नरारमर-वदिदत तिनरम13ल-भाव अनत रमनीशवर पजय तिवहाव |सदोदय तिवशव रमहश तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिवदभ तिवतषण तिवदोरष तिवतिनदर परापरशकर सार तिवतदर |तिवकोप तिवरप तिवशक तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

जरा-रमरणोलपिजझत-वीत-तिवहार तिवचिचतितत तिनरम13ल तिनरहकार |अशिचनतय-चरिरS तिवदप13 तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिववण13 तिवगध तिवरमान तिवलोभ तिवरमाय तिवकाय तिवशबद तिवशोभ |अनाकल कवल सव13 तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

घतता

असरम-सरमयसार चार-चतनय शिचहनपर-परणतित-रमकत पदमनदीनदर-वनदयरम |तिनगनिखल-गण-तिनकत शिसदधचकर तिवशदधसरमरतित नरमतित यो वा सतौतित सोऽभयतित रमशिकतरम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

अविbलल छद

अतिवनाशी अतिवकार पररम-रस-धारम होसरमाधान सव13जञ सहज अभिभरारम हो |शदधबदध अतिवरदध अनादिद अनत होजगत-शिशरोरमभिण शिसदध सदा जयवत हो ||

धयान अगनि=नकर करम13 कलक सब दहतिनतय तिनरजन दव सवरपी हव रह |जञायक जञयाकार रमरमतव तिनवार क |सो पररमातरम शिसदध नरम शिसर नाय क ||

अतिवचल जञान परकाशत गण अननत की खान |धयान धर सो पाइए पररम शिसदध भगवान ||

अतिवनाशी आननद रमय गण परण भगवान |शशिकत तिहय पररमातरमा सकल पदाररथ जान ||

इतरयाशीादः पषपाजलिल भिकषपत |

पच पररममिषट पजा

तितभयोअरिरहत शिसदध आचाय13 नरमनह उपाधयाय ह साध नरमनजय पञच पररम पररमषठी जय भव सागर तारण हार नरमनरमन-वच-काया पव13क करता ह शदध हदय स आहवानन रमरम हदय तिवराजो तितषठ तितषठ समिननकट होह रमर भगवन तिनज आतरमततव की परापतिपत हत ल अषट दरवय करता पजन तव चरणो की पजन स परभ तिनज शिसदध रप का हो दश13न ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पररममिषठन अS अवतर अवतर सवौरषट (आहवाननरम)अS तितषठ तितषठ ठठ(ापन )अS रमरम समिननतिहतो भवभव वरषट (समिननमिधकरण )

रम तो अनादिद स रोगी ह उपचार करान आया ह तरम सरम उजजवलता पान कोउजजवल जल भरकर लाया ह रम जनरम जरा रमत नाश कर ऐसी दो शशिकत हदय सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐहरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पचपररममिषठभयोजनरमजरारमतय तिवनाशनाय जल तिनव13पारमीतित सवाहा ||

ससार ताप रम जल जल कर रमन अगभिणत दःख पाय हतिनज शात सवभाव नही भाया पर क ही गीत सहाए ह शीतल चदन ह भट तमह ससार ताप नाशो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयोससारताप तिवनाशनाय चनदन तिनव13पारमीतित सवाहा ||

दःखरमय अरथाह भव सागर रम रमरी यह नौका भटक रही शभ-अशभ भाव क भवरो रम चतनय तिनज शशिकत अटक रही तदल ह धवल तमह अरतिपत अकषय पद परापत कर सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो

अकषय पद परापतय अकषत तिनव13पारमीतित सवाहा ||

रम कारम वयरथा स घायल हसख की न मिरमली तिकलपिञचत छाया चरणो रम पषप चढ़ाता हतरम को पाकर रमन हरषा13या ह रम कारम भाव तिवधवस कर ऐसा दो शील हदय सवारमीह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो कारमबाण तिवधवसाय पषप तिनव13पारमीतित सवाहा||

रम कषधा रोग स वयाकल ह चारो गतितयो रम भररमाया हजग क सार पदारथ13 पाकर भी तपत नही हो पाया ह नवदय सरमरतिपत करता ह यह कषधा रोग रमटो सवारमीह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो कषधा रोग तिवनाशनाय नवदय तिनव13पारमीतित सवाहा ||

रमोहानध रमहा-अजञानी रम तिनज को पर का कता13 रमाना मिरमथया तरम क कारण रमनतिनज आतरमसवरप न पतिहचाना रम दीप सरमप13ण करता ह रमोहानधकार कषय हो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो रमोहानधकार तिवनाशनाय दीप तिनव13पारमीतित सवाहा ||

करम~ की जवाला धधक रहीससार बढ़ रहा परतित पल सवर स आसरव को रोक तिनज13रा सरभिभ रमहक पल पल रम धप चढ़ा कर अब आठोकरम~ का हनन कर सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो अषटकरम13 तिवधवसनाय धप तिनव13पारमीतित सवाहा||

तिनज आतरमततव का रमनन कर चिचतवन कर तिनज चतन का दो शरदधा जञान चरिरS शरषठसचचा पद रमोकष तिनकतन का उततरम फल चरण चढ़ाता हतिनवा13ण रमहा फल हो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पचपररममिषठभयो रमोकष फल परापताय फल तिनव13पारमीतित सवाहा ||

जल चदन अकषत पषप दीपनवदय धप फल लाया ह अब तक क सशिचत करम~ का रम पज जलान आया ह यह अरघयय13 सरमरतिपत करता हअतिवचल अनरघयय13 पद दो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव भव दःख रमटो अनतया13रमीॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पचपररममिषठभयो अनरघयय13पद परापताय अरघययs तिनव13पारमीतित सवाहा ||जयरमाला जय वीतराग सव13जञ परभोतिनज धयान लीन गणरमय अपार अषटादश दोरष रतिहत जिजनवरअह13नत दव को नरमसकार अतिवकलअतिवकारीअतिवनाशीतिनजरपतिनरजनतिनराकार जय अजर अरमर ह रमशिकतकतभगवत शिसदध को नरमसकार छततीस सगण स तरम रमतिडततिनशचय रतनSय हदय धार ह रमशिकत वध क अनरागीआचाय13 सगर को नरमसकार एकादश अग पव13 चौदह कपाठी गण पचचीस धारबराहयातर रमतिन रमदरा रमहानशरी उपाधयाय को नरमसकार वरत सरमीतित गपतिपत चारिरS परबलवरा=य भावना हदय धार ह दरवय-भाव सयरम रमय रमनवरसव13 साध को नरमसकार बह पणय सयोग मिरमला नरतनजिजनशरत जिजनदव चरण दश13न हो समय=दश13न परापत रमझ तो सफल बन रमानव जीवन तिनज पर का भद जानकार रमतिनज को ही तिनज रम लीन कर अब भद जञान क दवारा रमतिनज आतरम सवय सवाधीन कर तिनज रम रतनSय धारण करतिनज परिरणतित को ही पतिहचान पर परणतित स हो तिवरमख सदातिनज जञान ततव को ही जान जब जञान-जञय-जञाता तिवकAप तजशकलधयान रम धयाऊगा जब चार घातितया कषय करकअरिरहत रमहापद पाऊगा ह तिनभिशचत शिसदध सवपद रमराह परभ कब इसको पाउगा समयक पजा फल पान कोअब तिनजसवभाव रम आऊगा अपन सवरप की परापतिपत हतह परभ रमन की ह पजन तब तक चरणो रम धयान रहजब तक न परापत हो रमशिकत सदन

ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13 साधपञचपररममिषठभयोऽनघ13 पद परापतय रमहाघs तिनव13पारमीतित सवाहा

ह रमगल रप अरमगल हररमगलरमय रमगल गान कर

रमगल रम पररथरम शरषठ रमगलनवकार रमS का धयान कर पषपाजशिल भिकषपत

नवदवता पजाअरिरहत लिसदधाचारय पाठक साध वितरभन नदय ह |

जिजनधम जिजनागम जिजनशवरा मरतित जिजनगरह नदय ह ||

नदता रय मानरय जग म हम सदा अचा कर |

आहन कर थाप रयहा मन म अतल शरदधा धर ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरय-समह

अतर अतर अतर-समोषत आवहान

अतर-वितषठ-वितषठ ठः ठः सथापन

अतर मम-सविहतो-भ-भ-षट सलिVलिधकरण

गगानदी का नीर तिनरम13ल बाहय रमल धोव सदा |

अतर रमलो क कषालन को नीर स पज रमदा ||

नवदवताओ की सदा जो भशिकत स अचा13 कर |

सब शिसजिदध नवतिनमिध रिरजिदध रमगल पाए शिशवकानता वर ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो जनम-जरा मतरय विनाशनारय जल विनपामिमवित साहा |

कपर मिरमभिशरत गध चनदन दह ताप तिनवारता |

तरम पाद पकज पजत रमन ताप तरनत ही वारता || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो ससार-ताप विनाशनारय चनदन विनपामिमवित साहा |

कषीरोदमिध क फन सरम शिसत तनदलो को ल क |

उततरम अखतिडत सौखय हत पज नव सचढाय क || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो अकषरय पद परापतरय अकषत विनपामिमवित साहा |

चपा चरमली कवडा नाना सगममिनधत ल शिलए |

भव क तिवजता आपको पजत सरमन अप13ण तिकय || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो काम-बाण विनाशनारय पषप विनपामिमवित साहा |

पायस रमधर पकवान रमोदक आदिद को भर रथाल रम |

तिनज आतरम अरमत सौखय हत पजह नत भाल रम || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो कषधा-रोग विनाशनारय नरधवारयम विनपामिमवित साहा |

कपर जयोतित जगरमग दीपक शिलया तिनज हारथ रम |

तअ आरती तरम वारती पाऊ सजञान परकाश रम || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो मोह-अनधकार विनाशनारय दीप विनपामिमवित साहा |

दश गध धप अनप सरभिभत अगनि=न रम खऊ सदा |

नीज आतरमगण सौरभ उठ हो करम13 सब रमझस तिवदा || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो अC-कम-दहनारय धप विनपामिमवित साहा |

अगर अरमरख आरम अरमतफल भराऊ रथाल रम |

उततरम अनपरम रमोकष फल क हत पज आज रम || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो महा-मोकष-फल परापतारय विनपामिमवित साहा |

जल गध अकषत पषप चार दीप सधप फलाघ13 ल |

दर रतनSय तिनमिध लाभ यह बस अघ13 स पजत मिरमल || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो अनघ पद परापतारय अघ_ विनपामिमवित साहा |

दोहा-

जलधारा स तिनतय रम जग रम शातित हत |

नव दवो को पजह शरदधा भशिकत सरमत ||

(शानतरय शावितधारा)

नानातिवमिध क सरमन लरमन रम बह हरषा13य |

रम पज नव दवता पषपाजशिल चढ़ाय ||

(दिदवय पषपाजलिल)

जावय-

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो नमः |

(९२७ या १०८ बार )

जरयमाला

शिचलपिचचनतारमणी रतन तीन लोक रम शरषठ हो |

गाऊ गण रमभिणरमाल जयवनत वदो सदा ||

जय जय शरी अरिरहत दव दव हरमार |

जय घातितया को घात सकल जत उबार ||१||

जय जय परशिसदद शिसदध की रम वदना कर |

जय अषट करम13 रमशिकत की रम अच13ना कर ||२||

आचाय13 दव गण छततीस धार रह ह |

दिदकषादी द असखय भवय तार रह ह ||

जवनत उपाधयाय गर जञान क धनी |

सनरमाग13 क उपदश की वरषा13 कर धनी ||३||

जय साध अठाईस गणो धर सदा |

तिनज आतरमा की साधना स चयत न हो कदा ||

य पञच पररम दव सदा वनददय हरमार |

ससार तिवरषय शिसनध स हरम भी उबार ||४||

जिजन धरम13 चकर सदा चलता ही रहगा |

जो इसकी शरण ल वो सदा सलझता ही रहगा ||

इसकी धवतिन तिपयरष का जो पान करग |

भव रोग दर कर वो रमशिकत कानत बनग ||५||

जिजन चतय की जो वदन तिSकाल कर ह |

व शिचतसवरप तिनतय आतरम लाभ कर ह ||

कतितरम अकरतितरम जिजनालयो को जो भज |

व करम13 शS जीत शिशवालय रम जा बस ||६||

नवदवताओ की जो तिनत आराधना कर |

व मरतयराज की भी तो तिवराधना कर ||

रम करम13 शS जीतन क हत ही जज |

समपण13 जञानरमती शिसजिदध हत ही भज ||७||

दोहा-

नव दवो की भशिकतवशकोदिट कोदिट परणारम |

भशिकत का फल रम चह तिनज पद रम तिवशरारम ||८||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो जरयमाला पणाध_ विनपामिमवित साहा |

जो भवय शरदधा भशिकत स नव दवताओ की भशिकत कर |

व सब अरमगल दोरष हर सख शातित रम झला कर ||

नवतिनमिध अतल भणडार ल तिफर रमोकष सख भी पावत |

सख शिसनध रम हो रम=न तिफर यहा पर कभी न आवत ||९||

इतरयाभिशादः

|| पषपाजलिल भिकषपत ||

समयक दश13न पजादोहा

लिसदध अC-गणमरय परगट मN-जी-सोपान |जञान चरिरत जिजह विबन अफल समरयक दश परधान ||ॐ हरी अCाग समरयगदशन अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी अCाग समरयगदशन अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी अCाग समरयगदशन अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

सोरठा ndashनीर सगध अपार तरषा हर रमल छय कर |समय=दश13न सार आठ अग पजौ सदा ||ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय जल विनपामीवित साहा |1|जल कशर घनसार ताप हर शीतल कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय चनदन विनपामीवित साहा |2|अछत अनप तिनहार दारिरद नाश सख भर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय अकषतान विनपामीवित साहा |3|पहप सवास उदार खद हर रमन शशिच कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय पषप विनपामीवित साहा |3|नवज तिवतिवध परकार छधा हर शिरथरता कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय नदय विनपामीवित साहा |5|दीप-जयोतित तरमहार घट पट परकाश रमहा | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय दीप विनपामीवित साहा |6|धप घरान-सखकार रोग तिवघन जड़ता हर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय धप विनपामीवित साहा |7|

शरीफल आदिद तिवरथार तिनहच सर-शिशव-फल कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय फल विनपामीवित साहा |8|जल गधाकषत चार दीप धप फल फल चर |समय=दश13न सार आठ अग पजौ सदा ||ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जरयमालादोहा ndash आप आप तिनहच लख तततव-परीतित वयोहार |रतिहत दोरष पचचीस ह सतिहत अषट गन सार |1|समयक दरशन-रतन गहीज जिजन-वच रम सदह न कीज |इह भव तिवभव-चाह दखदानी पर-भव भोग चह रमत परानी |2|परानी तिगलान न करिर अशशिच लगनिख धररम गर परभ परगनिखय |पर-दोरष ढतिकय धररम तिडगत को सशिरथर कर हरगनिखय |3|चह सघ को वातसAय कीज धररमकी परभावना |गन आठ सो गन आठ लतिहक इहा फर न आवना |4|ॐ हरी अCागसविहत पचविशवित दोषरविहत समरयगदशनारय पणारघयरय_विन 0 |इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

समयक जञान पजादोहा ndash

पच भद जाक परकट जञरय-परकाशन-भान |मोह ndash तपन ndash हर चदरमा सोई समरयक जञान ||ॐ हरी अCविध समरयगजञान अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी अCविध समरयगजञान अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी अCविध समरयगजञान अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

सोरठा ndash नीर सगध अपार तरषा हर रमल छय कर |समय=जञान तिवचार आठभद पजौ सदा ||

ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय जल विनपामीवित साहा |1|जल कशर घनसार ताप हर शीतल कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयरगजञानारय चदन विनपामीवित साहा |2|अछत अनप तिनहार दिदाद नाश सख भर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय अकषतान विनपामीवित साहा |3|पहप सवास उदार खद हर शशिच कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय पषप विनपामीवित साहा |4|नवज तिवतिवध परकार छधा हर शिरथरता कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय नदय विनपामीवित साहा |5|दीप-जयोतित तरम-हार घट-पट परकाश रमहा | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय दीप विनपामीवित साहा |6|धप घरान-सखकर रोग तिवघन जड़ता हर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय धप विनपामीवित साहा |7|शरीफल आदिद तिवरथार तिनहच सर-शिशव फल कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय फल विनपामीवित साहा |8|जल गधाकषत चार दीप धप फल फल चर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जरयमालादोहा ndash आप आप जान तिनयत गरनथ पठन वयौहार |सशय तिवभररम रमोह तिबन अषट अग गनकार ||समयक जञान-रतन रमन भाया आगरम तीजा नन बताया |अकषर शदध अरथ13 पतिहचानो अकषर अररथ उभय सग जानो ||जानो सकाल-पठन जिजनागरम नारम गर न शिछपाइय |तप रीतित गतिह बह रमौन दक तिवनय गण शिचत लाइय ||य आठ भद कररम उछदक जञान-दप13ण दखना |इस जञान ही सो भरत सीझ और सब पटपखना ||ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

समयक चारिरS पजादोहा ndash

विषरय-रोगा औषध महा द-कषारय जल-धार |तीथ_कर जाको धर समरयक चारिरतर सार ||ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतर अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

सोरठा ndash नीर सगनध अपार तरषा हर रमल छय कर |समयक चारिरत सार तरहतिवध पजौ सदा ||ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय जल विनपामीवित साहा |1|जल कशर घनसार ताप हर शीतल कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय चदन विनपामीवित साहा |2|अछत अनप तिनहार दारिरद नाश सख भर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय अकषतान विनपामीवित साहा |3|पहप सवास उदार खद हर शशिच कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय पषप विनपामीवित साहा |4|नवज तिवतिवध परकार छधा हर शिरथरता कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय नदय विनपामीवित साहा |5|दीप-जयोतित तरम-हार घट-पट परकाश रमहा | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय दीप विनपामीवित साहा |6|धप घरान-सखकर रोग तिवघन जड़ता हर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय धप विनपामीवित साहा |7|शरीफल आदिद तिवरथार तिनहच सर-शिशव फल कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय फल विनपामीवित साहा |8|जल गधाकषत चार दीप धप फल फल चर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जरयमाला

दोहा ndashआप आप शिरथर तिनयत नय तप सजरम वयौहार |सव-पर-दया दोनो शिलय तरहतिवध दखहार ||

चौपाई ndashसमयक चारिरत रतन सभालो पाच पाप तजिजक वरत पालो |पचसमिरमतित Sय गपतित गतिहज नरभव सफल करह तन छीज |छीज सदा तन को जतन यह एक सजरम पाशिलय |बह रAयो नरक-तिनगोद रमाही तिवरष-करषायतिन टाशिलय ||शभ कररम जोग सघाट आयो पार हो दिदन जात ह |lsquoदयानतrsquo धररम की नाव बठो शिशवपरी कशलात ह ||ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

समचचरय-जरयमाला

दोहा ndashसमयक दरशन-जञान-वरत इन तिबन रमकतित न होय |अनध पग अर आलसी जद जल दव-लोय || 1|

चौपाई

जाप धयान सशिरथर बन आव ताक कररम-बध कट जाव |तासो शिशव-तितय परीतित बढ़ाव जो समयक रतन-Sय धयाव |2|ताको चह गतित क दख नाही सो न पर भव-सागर रमाही |जनरम-जरा-रमत दोरष मिरमटाव जो समयक रतन-Sय धयाव |3|सोई दश लकषनको साध सो सोलह कारण आराध |सो पररमातरम पद उपजाव जो समयक रतन-Sय धयाव |4|सो शकर-चतिकरपद लई तीन लोक क सख तिवलसई |सो रागादिदक भाव बहाव जो समयक रतन-Sय धयाव |5|सोई लोकालोक तिनहार पररमानद दशा तिवसतार |आप तितर औरन तितरवाव जो समयक रतन-Sय धयाव |6|

दोहा ndashएक सवरप-परकाश तिनज वचन कहयो नकिह जाय |तीन भद वयोहार सब lsquoदयानतrsquo को सखदाय |7|ॐ हरी समरयगदशन समरयगजञान समरयक चारिरतरभरयः महारघयरय_ विनपामीवित साहा

रतनSय पजाचहगवित-फनी-विष-हरण-मभिण दःख-पाक-जल-धार |

भिश-सख-सधा-सरोरी समरयक-तररयी विनहार ||

ॐ हरी समरयक रतनतररय धम अतर अतर अतर सौषट (आवहान जरय)|

अतर वितषठ वितषठ ठ ठ (सथापन जरय) |

अतर मम सलिVविहतो भ भ षट (सविनविहलिधकरण जरय) |

कषीरोदमिध उनहार उजजवल जल अतित सोहनो |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय जनम-जरा-मतरय-विनाशारय जल विन साहा |

चनदन-कसर-गरी परिररमल-रमहा-सरग-रमय |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय भ-आताप-विनाशारय चनदन विन साहा |

तदल-अरमर-शिचतार वासरमती-सखदास क |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय अकषरय-पद-परापतारय अकषत विन साहा |

रमहक फल अपार अली गज जयो रथतित कर |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय काम-बाण-विरधवासनारय पषप विन साहा |

लाड बह तिवसतार चीकन मिरमषट सगध यकत |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय कषधा-रोग-विनाशारय नदय विन साहा |

दीप-रतनरमय सार जोत परकाश जगत रम |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय मोहानधकार-विनाशारय दीप विन साहा |

धप सवास तिवरथार चनदन अगर कपर की |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय अC-कम-दहनारय धप विन साहा |

फल शोभा अमिधकार लौग छआर जायफल |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय महा-मोकष-फल-परापतारय फल विन साहा |

आठ दरब तिनरधार उततरम सो उततरम शिलय |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय अनघ-पद-परापतारय अघ_ विन साहा |

समयक दश13न lsquoजञानrsquo वरत शिशव-रमग तीनो रमयी |

पार उतारन आन lsquoधयानातrsquo पजो वरत सतिहत ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय पणारघयरय_ विन साहा |

आदिदनारथ पजानाभिभरारय मरदवि क ननदन आदिदनाथ सामी महाराज

साथलिसभिदध त आप पधार मरधवारय लोक माविह जिजनराज

इनदरद सब मिमलकर आरय जनम महोतस करन काज

आहवानन सब विलिध मिमल करक अपन कर पज परभ पारय

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदर अतर अतर अतर सौषट

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठ ठ

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट

कषीरोदलिध को उजजल जल ल शरी जिजनर पद पजन जारय

जनम जरा दख मटन कारन लरयारय चढाऊ परभ क पारय

शरी आदिदनाथ क चरणकमल पर बलिल-बलिल जाऊ मन च कारय

ह करणाविनलिध भ दख मटो रयात म पजो परभ पारय

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विनपामीवित साहा

मलरयाविगरिर चनदन दाहविनकनदन कचन झारी म भर लरयारय

शरीजी क चरण चढाो भविजन भ आताप तरत मिमट जारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय ससारतापविनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा

शभशालिल अखविbत सौरभ मविbत परासक जल सौ धोकर लरयारय

शरीजी क चरण चढाो भविजन अकषरयपद को तरत उपारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विनपामीवित साहा

कमल कतकी बल चमली शरी गलाब क पषप मगारय

शरीजी क चरण चढाो भविजन कामबाण तरत विह नलिस जारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विनपामीवित साहा

नज लीना षट-रस भीना शरी जिजनर आग धरारय

थाल भराऊ कषधा नसाऊ जिजन गण गात मन हरषारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विनपामीवित साहा

जगमग जगमग होत दशो दिदश जरयोवित रही मजिनदर म छारय

शरी जी क सनमख करत आरती मोहवितमिमर नास दखदारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय मोहानधकारविनाशनारय दीप विनपामीवित साहा

अगर कपर सगनध मनोहर चनदन कट सगनध मिमलारय

शरी जी क सनमख खरय धपारयन कम जर चहगवित मिमदिट जारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विनपामीवित साहा

शरीफल और बदाम सपारी कला आदिद छहारा लरयारय

महामोकषफल पान कारन लरयारय चढाऊ परभ क पारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय मोकषफलपरापतरय फल विनपामीवित साहा

शलिच विनमल नीर गनध सअकषत पषप चर ल मन हरषारय

दीप धप फल अघ सलकर नाचत ताल मदग बजारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अनघपदपरापतरय अघ_ विनपामीवित साहा

पञचकलरयाणकाघ

सारथ लिसभिदध त चरय मरदी उर आरय

दोज अलिसत आषाढ की जज वितहार पारय

ॐ हरी आषाढक़षणवितीरयारया गभकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

चतदी नौमी दिदना जनमरया शरी भगान

सरपवित उतस अवितकरा म पजौ धरिर रधवारयान

ॐ हरी चतरकषणनमरया जनमकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

तणत ऋभिदध सब छाडिb क तप धारया न जारय

नौमी चतर Acirc असत Acirc कीAcirc जजAcirc वितहार पारय

ॐ हरी चतरकषणनमरया तपकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

फालगन दिद एकादशी उपजरयो कलजञान

इनदर आरय पजा करी म पजो इह थान

ॐ हरी फालगनकषणकादशरया जञानकलरयाणक परापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

माघ चतद भिश कषण की मोकष गरय भगान

भवि जीो को बोलिध क पहच भिशपर थान

ॐ हरी माघकषणचतदशरया मोकषकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

जरयमाला

आदीशवर महाराज Acirc म Acirc विनतीAcirc तमसAcirc कर

चारो गवित क माविह मAcirc दख Acirc पारयो सो सनो

अC कम Acirc मAcirc एकलो रयह दC महादख दत हो

कबह इतर विनगोद म मोक पटकत करत अचत हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ कबहक पटकरयो नरक म जठ जी महादख पारय हो

विनषठर विनरदई नारकी जठ करत परसपर घात हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ नरक तणा दख अब कह जठ करत परसपर घात हो

कोइरयक बारधवारयो खभसरयो पापी द मदगर की मार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

कोइरयक काट करोत सो पापी अगतणी दोरय फाड हो

परभ रयह विलिध दख भगतरया घणा विफर गवित पाई वितररयच हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

विहरणा बकरा बाछला पश दीन गरीब अनाथ हो

पकड कसाई जाल म पापी काट काट तन खारय हो

परभ म ऊट बलद भसा भरयो जाप लादिदरयो भार अपार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

नविह चालरयौ जब विगर परय पापी द सोटन की मार हो

परभ कोइरयक पणरय सजोग स म तो पारयो सग विनास हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

दागना सग रमिम रहयो जठ भोगविन को परकास हो

परभ सग अपसरा रमिम रहयो कर कर अवित अनराग हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

कबहक नदनन विष परभ कबहक नगह माविह हो

परभ रयह विलिधकाल गमारय क विफर माला गई मरझारय हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

द लिथती सब घट गई विफर उपजरयो सोच अपार हो

सोच करत तन खिखर पडयो विफर उपजरयो गरभ म जारय हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ गभतणा दख अब कह जठ सकडाई की ठौर हो

हलन चलन नविह कर सकरयो जठ सघन कीच घनघोर हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

माता खा चरपरोAcirc विफर Acirc लागAcirc तन Acirc सताप Acirc हो

परभ जो जननी तातो भख विफर उपज तन सताप हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

औध मख झलरयो रहयो फर विनकसन कौन उपारय हो

कदिठन-कदिठन कर नीसरयो जस विनसर जतरी म तार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ विफर विनकसत ही धरतरया पडयो विफर लागी भख अपार हो

रोरय-रोरय विबलखरयो घणो दख दन को नविह पार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ दख मटन समरथ धनी रयात लाग वितहार पारय हो

सक अरज कर परभ मोक भदलिध पार उतार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अनघपदपरापतरय महाघ_ विनपामीवित साहा

दोहा

शरीजी की मविहमा अगम ह कोई न पा पार

म मवित अलप अजञान ह कौन कर विसतार

विनती ऋषभ जिजनश की जो पढसी मन लरयारय

सरगो म सशरय नही विनहच भिशपर जारय

चनदरपरभ पजाचारचरन आचरन चरन लिचतहरन लिचनह चर |

चद-चद-तनचरिरत चद थल चहत चतर नर ||

चतक चb चकचरिर चारिर लिचदचकर गनाकर |

चचल चलिलत सरश चलनत चकर-धनरहर ||

चर अचर विहत तारन तरन सनत चहविक लिचर नद शलिच |

जिजनचद चरन चरचरयो चहत लिचतचकोर नलिच रचचिचच रलिच |1|

दोहाः- धनरष डढ़ सौ तग तन रमहासन नपनद |

रमात लकषरमना उर जय रथापौ चद जिजनद |2|

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदर अतर अतर अतर सौषट |

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

गगाहरद तिनररमल नीर हाटक भग भरा |

तरम चरन जजौ वरवीर रमटो जनरम जरा ||

शरी चदरनारथ दतित चद चरनन चद लस |

रमन वच तन जजत अरमद-आतरम-जोतित जग ||

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

शरीखणड कपर सचग कशर रग भरी |

घशिस परासक जल क सग भवआताप हरी ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

तदल शिसत सोरम सरमान सरम लय अतिनयार |

दिदय पज रमनोहर आन तरम पदतर पयार ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

सर दररम क सरमन सरग गमिधत अशिल आव |

ता सो पद पजत चग कारमतिवधा जाव ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

नवज नाना परकार इदिदरय बलकारी |

सो ल पद पजौ सार आकलता-हारी ||

शरी चदरनारथ दतित चद चरनन चद लस |

रमन वच तन जजत अरमद-आतरम-जोतित जग ||

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

तरम भजन दीप सवार तरम दिढग धारत हौ |

रमरम तितमिरमररमोह तिनरवार यह गण याचत हौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

दसगध हतासन रमाकिह ह परभ खवत हौ |

रमरम कररम दषट जरिर जाकिह या त सवत हौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

अतित उततरम फल स रमगाय तरम गण गावत हौ |

पजौ तनरमन हररषाय तिवघन नशावत हौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

सजिज आठो दरब पनीत आठो अग नरमौ |

पजौ अषटरम जिजन रमीत अषटरम अवतिन गरमौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली

कशिल पचरम चत सहात अली गरभागरम रमगल रमोद भली |

हरिर हरतिरषत पजत रमात तिपता हरम धयावत पावत शरम13शिसता ||

ॐ हरी चतरकषणा पचमरयागभमगलविbतारय शरीचनदरपरभजिजननदरारय अरघयरय_ विन0 |1|

कशिल पौरष एकादशिश जनरम लयो तब लोकतिवरष सख रथोक भयो |

सरईश जज तिगरिरशीश तब हरम पजत ह नत शीश अब ||

ॐ हरी पौषकषणकादशरया जनममगल मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |2|

तप ददधर शरीधर आप धरा कशिल पौरष इ=यारशिस पव13 वरा |

तिनज धयान तिवरष लवलीन भय धतिन सो दिदन पजत तिवरघयन गय ||

ॐ हरी पौषकषणकादशरया तपोमगल मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |3|

वर कवल भान उदयोत तिकयो तितहलोकतणो भररम रमट दिदयो |

कशिल फाAगन सपतमिरम इदर जज हरम पजकिह सव13 कलक भज ||

ॐ हरी फालगनकषणा सपतमरया कलजञान मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |4|

शिसत फाAगन सपतमिरम रमशिकत गय गणवत अनत अबाध भय |

हरिर आय जज तितत रमोद धर हरम पजत ही सब पाप हर ||

ॐ हरी फालगनशकला सपतमरया मोकषमगल मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |5|

जरयमाला

दोहाः- ह रमगाद अतिकत चरण तरम गण अगरम अपार |

गणधर स नकिह पार लकिह तौ को वरनत सार |1|

प तरम भगतित रमरम तिहय परर अतित उरमगाय |

तात गाऊ सगण तरम तरम ही होउ सहाय |2|

जय चदर जिजनदर दयातिनधान भवकानन हानन दव पररमान |

जय गरभ जनरम रमगल दिदनद भतिव-जीव तिवकाशन शरम13 कनद |3|

दशलकष पव13 की आय पाय रमनवाशिछत सख भोग जिजनाय |

लगनिख कारण हव जगत उदास चिचतयो अनपरकषा सख तिनवास |4|

तितत लोकातितक बोधयो तिनयोग हरिर शिशतिवका सजिज धरिरयो अभोग |

ताप तरम चदिढ़ जिजनचदराय ताशिछन की शोभा को कहाय |5|

जिजन अग सत शिसत चरमर ढार शिसत छS शीस गल गलक हार |

शिसत रतन जतिड़त भरषण तिवशिचS शिसत चनदर चरण चरच पतिवS |6|

शिसत तनदयतित नाकाधीश आप शिसत शिशतिवका काध धरिर सचाप |

शिसत सजस सरश नरश सव13 शिसत शिचतत रम चिचतत जात पव13 |7|

शिसत चदर नगर त तिनकशिस नारथ शिसत वन रम पहच सकल सारथ |

शिसत शिशला शिशरोरमभिण सवचछ छाह शिसत तप तितत धायAcirc तरम जिजनाह |8|

शिसत पय को पारण पररम सार शिसत चदरदतत दीनो उदार |

शिसत कर रम सो पय धार दत रमानो बाधत भवचिसध सत |9|

रमानो सपणय धारा परतचछ तितत अचरज पन सर तिकय ततचछ |

तिफर जाय गहन शिसत तप करत शिसत कवल जयोतित ज=यो अननत |10|

लतिह सनवसरन रचना रमहान जा क दरसन सब पाप हान |

जह तर अशोक शोभ उतग सब शोक तनो चर परसग |11|

सर सरमन वमिषट नभ त सहात रमन रमनरमरथ तजिज हशिरथयार जात |

बानी जिजनरमख सो गनिखरत सार रमन ततव परकाशन रमकर धार |12|

जह चौसठ चरमर अरमर ढरत रमन सजस रमघ झरिर लतिगय तत |

चिसहासन ह जह करमल जकत रमन शिशव सरवर को करमल शकल |13|

ददभिभ जिजत बाजत रमधर सार रमन कररमजीत को ह नगार |

शिशर छS तिफर Sय शवत वण13 रमन रतन तीन Sय ताप हण13 |14|

तन परभा तनो रमडल सहात भतिव दखत तिनज भव सात सात |

रमन दप13ण दयतित यह जगरमगाय भतिवजन भव रमख दखत स आय |15|

इतयादिद तिवभतित अनक जान बातिहज दीसत रमतिहरमा रमहान |

ता को वरणत नकिह लहत पार तो अतरग को कह सार |16|

अनअत गणतिनजत करिर तिवहार धररमोपदश द भवय तार |

तिफर जोग तिनरोध अघातितहान समरमदरथकी शिलय रमकतितरथान |17|

lsquoवनदावनrsquo वदत शीश नाय तरम जानत हो रमरम उर ज भाय |

ता त का कहौ स बार बार रमनवाशिछत कारज सार सार |18|

जय चद जिजनदा आनदकदा भवभयभजन राज ह |

रागा दिदक दवदा हरिर सब फदा रमकतित रमातिह शिरथतित साज ह |19|

ॐ हरी शरीचनदरपरभजिजनदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

आठो दरब मिरमलाय गाय गण जो भतिवजन जिजनचद जज |

ता क भव-भव क अघ भाज रमशिकतसार सख तातिह सज ||

जरम क Sास मिरमट सब ताक सकल अरमगल दर भज |

lsquoवनदावनrsquo ऐसो लगनिख पजत जा त शिशवपरिर राज रज ||

इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

रमहावीर सवारमीशरीमत ीर हर भपीर भर सखसागर अनाकलताई |

कहरिर अक अरीकरदक नरय हरिर पकवित मौलिल सआई ||म तमको इत थापत हौ परभ भलिN समत विहरय हरषाई |ह करणा-धन-धारक द इहा अब वितषठह शीघरविह आई ||ॐ हरी शरीदधमान जिजननदर अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी शरीदधमान जिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी शरीदधमान जिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

कषीरोदलिधसम शलिच नीर कचन भग भरौ |परभ विग हरो भपीर रयात धार करौ ||शरी ीर महा-अवितीर सनमवित नारयक हो |जरय दधमान गणधीर सनमवितदारयक हो ||ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

रमलयातिगर चनदनसार कसर सग घसौ |परभ भवआताप तिनवार पजत तिहय हलसौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

तदल शिसत-शशिशसरम शदध लीनो रथार भरी |तस पज धरौ अतिवरदध पावौ शिशवनगरी ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

सरतर क सरमन सरमत सरमन सरमन पयार |सो रमनरमरथ भजन हत पजौ पद रथार ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

रसरजजत सजजत सदय रमजजत रथार भरी |पद जजजत रजजत अदय भजजत भख अरी ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

तरमखतिडत रमतिडत नह दीपक नह दीपक जोवत हौ |तरम पदतर ह सखगह भररमतरम खोवत हौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

हरिरचदन अगर कपर चर सगध करा |तरम पदतर खवत भरिर आठो करम13 जरा ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

रिरत फल कल-वरजिजत लाय कचन भरौ |शिशव फलतिहत ह जिजनराय तरम दिढग भट धरौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

जल फल वस सजिज तिहरम रथार तन रमन रमोद धरौ |गण गाऊ भवदमिधतार पजत पाप हरौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली रमोतिह राखो हो शरणा शरी वदध13रमान जिजनरायजी रमोतिह राखो0 |गरभ साढ़ शिसत छटट शिलयो शिरथत तिSशला उर अघ हरना |सर सरपतित तितत सव करी तिनत रम पज भवतरना ||

रमोतिह राखो हो शरणा शरी वदध13रमान जिजनरायजी रमोतिह राखो हो शरणा |ॐ हरी आषाढशकलाषषठया गभमगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |1|

जनरम चत शिसत तरस क दिदन कणडलपर कन वरना |सरतिगरिर सरगर पज रचायो रम पजौ भवहरना |रमोतिह0ॐ हरी चतरशकलातररयोदशरया जनममगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |2|

रमगशिसर अशिसत रमनोहर दशरमी ता दिदन तप आचरना |नपतित कल घर पारन कीनो रम पजौ तरम चरना |रमोतिह0ॐ हरी मागशीषकषणादशमरया तपोमगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |3|

शकल दश वशाख दिदवस अरिर घात चतक कषय करना |कवल लतिह भतिव भवसर तार जजौ चरन सख भरना |रमोतिह0ॐ हरी शाखशकलादशमरया कलजञानमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |4|

कारतितक शयारम अरमावस शिशव तितय पावापर त वरना |गणफतिनवनद जज तितत बहतिवध रम पजौ भयहरना |रमोतिह0ॐ हरी कारतितककषणाअमासरयारया मोकषमगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |5|

जरयमालागणधर अशतिनधर चकरधर हलधर गदाधर वरवदा |अर चापधर तिवदयासधर तितरशलधर सवकिह सदा ||दखहरन आनदभरन तारन तरन चरन रसाल ह |सकरमाल गण रमतिनरमाल उननत भालकी जयरमला ह ||

जय तिSशलानदन हरिरकतवदन जगदानदन चदवर |भवतापतिनकदन तनकनरमदन रतिहत सपदन नयन धर ||

जय कवलभान-कला-सदन भतिव-कोक-तिवकाशन कदवन |जगजीत रमहारिरप रमोहहर रजजञान-दगावर चर कर |1|गभा13दिदक रमगल रमतिडत हो दखदारिरद को तिनत खतिडत हो |जग रमाकिह तमही सतपतिडत हो तरम ही भवभाव-तिवहतिडत हो |2|हरिरवश सरोजन को रतिव हो बलवत रमहत तमही कतिव हो |लतिह कवलधरम13 परकाश तिकयो अबलो सोई रमारग राजतितयो |3|पतिन आप तन गण रमाकिह सही सररम=न रह जिजतन सबही |तितनकी वतिनता गनगावत ह लय-तानतिनसो रमनभावत ह |4|पतिन नाचत रग उरमग-भरी तअ भशिकत तिवरष पग एरम धरी |झनन झनन झनन झनन सर लत तहा तनन तनन |5|घनन घनन घनघट बज दरमद दरमद दरमद मिरमरदग सज |गगनागन-गभ13गता सगता ततता ततता ततता अतता तिवतता |6|धगता धगता गतित बाजत ह सरताल रसालज छाजत ह |सनन सनन सनन नभ रम इकरप अनक ज धारिर भररम |7|तिकननर सर बीन बजावत ह तरमरो जस उजजवल गावत ह |करताल तिवरष करताल धर सरताल तिवशाल ज नाद कर |8|इन आदिद अनक उछाह भरी सरभशिकत कर परभजी तरमरी |तरमही जग जीवन क तिपत हो तरमही तिबनकारनत तिहत हो |9|तरमही सब तिवरघयन तिवनाशन हो तरमही तिनज आनदभासन हो |तरमही शिचतचिचतिततदायक हो जगरमाकिह तमही सब लायक हो |10|तरमर पन रमगल रमाकिह सही जिजय उततरम पनय शिलयो सबही |हरमतो तरमरी शरणागत ह तरमर गन रम रमन पागत ह |11|परभ रमो तिहय आप सदा बशिसय जबलो वस करम13 नही नशिसय |

तबलो तरम धयान तिहय वरतो तबलो शरतचिचतन शिचतत रतो |12|तबलो वरत चारिरत चाहत हो तबलो शभभाव सगाहत हो |तबलो सतसगतित तिनतत रहो तबलो रमरम सजरम शिचतत गहो |13|जबलो नकिह नाश करौ अरिरको शिशव नारिर वरौ सरमता धरिरको |यह दयो तबलो हरमको जिजनजी हरम जाचत ह इतनी सनजी |14|घतताः- शरीवीर जिजनशा नमिरमत सरशा नाग नरशा भगतित भरा |lsquoवनदावनrsquo धयाव तिवघन नशाव वाशिछत पाव शरम13 वरा ||ॐ हरी शरीदधमान जिजननदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

दोहाः- शरी सनरमतित क जगल पद जो पज धरिर परीत |वनदावन सो चतर नर लह रमशिकत नवनीत ||इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

चौबीस जिजन पजावरषभ अजिजत सभ अभीनदन समवित पदम सपास जिजनरारय

चनद पहप शीतल शररयास नमिम ास पज पजिजत सर रारय

विमल अनत धरम जस उजजल शावित कथ अर मडिलल मनारय

मविन सवरत नमिम नमिम पाशव परभ धमान पद पषप चढारय

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन समह अतर अतर अतर सौषट

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन समह अतर वितषठ वितषठ ठ ठ

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन समह अतर मम सलिVविहतो भ भ षट

रमतिनरमन सरम उजजवल नीर परासक गध भरा

भरिर कनक कटोरी धीर दीनी धार धरा

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो जनम जरा मतरय विनाश-नारय जल विनपामिमवित साहा

गोशीर कपर मिरमलाय कसर रग भरी

जिजन चरनन दत चढ़ाय भव आताप हरी

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो भ ताप विनाश-नारय चनदन विनपामिमवित साहा

तदल शिसत सोरम सरमान सनदर अतिनयार

रमकता फल की उनरमान पनज धरौ पयार

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो अकषरय पद पराप-तारय अकषतान विनपामिमवित साहा

वरकज कदब करड सरमन सगध भर

जिजन अगर धरौ गण रमद कारम कलक हर

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो काम बाण विरधवा-सनारय पषप विनपामिमवित साहा

रमन रमोदन रमोदक आदिद सनदर सधय बन

रस परिरत परासक सवाद जजत कषधादिद हन

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो कषधा रोग विनाश नारय नदय विनपामिमवित साहा

तरम खडन दीप जगाय धारो तरम आग

सब तितमिरमर रमोह कषय जाय जञान कला जाग

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो मोहानधकार विनाश-नारय दीप विनपामिमवित साहा

दश गध हताशन रमातिह ह परभ खवत हो

मिरमस धरम कररम जरिर जातिह तरम पद सवत हो

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो अC कम दहनारय धप विनपामिमवित साहा

शशिच पकव सरस फल सार सब ऋत क Aयायो

दखत दग रमन को पयार पजत सख पायो

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो मोकष फल परापतारय विनपामिमवित साहा

जल फल आठो शशिच सार ताको अघ13 करो

तरमको अरपो भव तार भव तरिर रमोकष वरो

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चतरतिशवित तीथ_-करभरयो अनघ पद पराप-तारय अघ_ विनपामिमवित साहा

जरयमाला

शरी रमत तीररथ नारथ पद रमारथ नाय तिहतहत

गाऊ गण रमाला अब अजर अरमर पद दत

जय भव तरम भजन जन रमन कजन रजन दिदन रमतिन सवचछ करा

शिशव रमग परकाशक अरिर-गण नाशक चौबीसौ जिजन राज वरा

जय रिररषभ दव ऋतिरष गन नरमत जय अजिजत जीत वस अरिर तरत

जय सभव भव भय करत चर जय अभिभनदन आनद पर

जय सरमतित सरमतित दायक दयाल जय पदरम पदरम दतित तन रसाल

जय जय सपास भव-पास नाश जय चद चद तन-दतित परकाश

जय पषप-दत दतित-दत सत जय शीतल शीतल गन तिनकत

जय शरय नारथ नत सहस भजज जय वासव पजिजत वास पजज

जय तिवरमल तिवरमल पद दन हार जय जय अनत गन गन अपार

जय धरम13 धरम13 शिशव शरम13 दत जय शातित शातित पषटी करत

जय करथ करथ वादिदक रखय जय अर जिजन वस अरिर छय करय

जय रमलपिAल रमAल हत रमोह रमAल जय रमतिन सवरत वरत शAल दAल

जय नमिरम तिनत वासव-नत सपरम जय नरमी नारथ वररष-चकर-नरम

जय पारस नारथ अनारथ नारथ जय वध13रमान शिशव नगर सारथ

चौबीस जिजनदा आनद कदा पाप तिनकदा सख कारी

तितन-पद जग-चदा उदय अरमदा वासव वदा तिहत धारी

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन-भरयो महारघयरय विनपामिमवित साहा

सोरठा

भशिकत रमशिकत दातार चौबीसौ जिजन-राज-वर

तितन-पद रमन-वच-धार जो पज सो शिशव लह

सोलहकारण भावना पजासोलह कारण भारय तीथ_कर ज भरय |

हरष इनदर अपार मरप ल गरय ||पजा करिर विनज धनरय लखरयो बह चासौ|हमह षोbश कारन भा भासौ ||ॐ हरी दशनविशदधरयादिद षोbशकारणाविन अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी दशनविशदधरयादिद षोbशकारणाविन अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी दशनविशदधरयादिद षोbशकारणाविन अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

कचन-झारी विनरमल नीर पजो जिजनर गन-गभीर|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||दरशविशभिदध भाना भारय सोलह तीथ_कर-पद-दारय|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||

ॐ हरी 1 दशनविशभिदध 2 विनरयसमपVता 3 शीलवरतषनतीचार 4अभीकषणजञानोपरयोग 5 सग 6 शलिNतसतरयाग 7 शलिNतसतप 8 साधसमालिध 9 रयातरयकरण 10 अहद भलिN 11 आचारयभलिN 12 बहशरतभलिN 13 परचनभलिN 14 आशरयकापरिरहाभिण 15 मागपरभाना 16 परचनातसलरय इवितषोbशकारणभरयः जल विनपामीवित साहा |1|

चदन घसौ कपर मिमलारय पजौ शरीजिजनरक पारय |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः ससारतापविनाशनारय चनदन विन0|2|

तदल धल सगध अनप पजौ जिजनर वितह जग-भप|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अकषरय पदपरापतरय अकषतान विन0|3|

फल सगनध मधप-गजार पजौ-जिजनर जग-आधार |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||दरशविशभिदध भाना भारय सोलह तीथ_कर-पद-दारय |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः कामबाणविरधवासनारय पषप विन0|4|

सद नज बहविलिध पकान पजौ शरीजिजनर गणखान|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः कषधारोगविनाशनारय नदय विन0|5|

दीपक-जरयोवित वितमिमर छरयकार पज शरीजिजन कलधार|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः मोहानधकारविनाशनारय दीप विन0|6|

अगर कपर गध शभ खरय शरीजिजनर आग महकरय |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अCकमदहनारय धप विन0|7|

शरीफल आदिद बहत फलसार पजौ जिजन ालिछत-दातार |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः मोकषफलपरापतरय फल विन0|8|

जल फल आठो दर चढारय lsquoदयानतrsquo रत करौ मन लारय|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0|9|

परतरयक भाना क अरघयरय (सरया तईसा)दशन शदध न होत जो लग तो लग जी मिमथरयाती कहा |काल अनत विफर भ म महादःखनको कह पार न पा ||दोष पचीस रविहत गण-अमबलिध समरयगदरशन शदध ठरा |lsquoजञानrsquo कह नर सोविह बडो मिमथरयात तज जिजन-मारग रधवारया ||ॐ हरी दशन विशभिदध भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |1|

द तथा गररारय तथा तप सरयम शील वरतादिदक-धारी |पापक हारक कामक छारक शलरय-विनारक कम-विनारी ||

धम क धीर कषारयक भदक पच परकार ससार क तारी |lsquoजञानrsquo कह विनरयो सखकारक भा धरो मन राखो विचारी ||ॐ हरी विनरयसमपVता भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |2|

शील सदा सखकारक ह अवितचार-विरजिजत विनमल कीज |दान द कर तस स विषानल भत विपशाच पतीज ||शील बडो जग म हलिथरयार ज शीलको उपमा काह की दीज |lsquoजञानrsquo कह नविह शील बराबर तात सदा दढ शील धरीज ||ॐ हरी विनरवितचार शीलवरत भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |3|

जञान सदा जिजनराज को भाविषत आलस छोड पढ जो पढा |ादश दोउ अनकह भद सनाम मती शरवित पचम पा ||चारह भद विनरनतर भाविषत जञान अभीकषण शदध कहा |lsquoजञानrsquo कह शरत भद अनक ज लोकालोक विह परगट दिदखा ||ॐ हरी अभीकषण जञानोपरयोग भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |4|

भरात न तात न पतर कलतर न सगम दजन रय सब खोटो |मजिनदर सनदर कारय सखा सबको हमको इमिम अतर मोटो ||भाउ क भा धरी मन भदन नाविह सग पदारथ छोटो |lsquoजञानrsquo कह भिश-साधन को जसो साह को काम कर ज बणोटो ||ॐ हरी सग भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |5|

पातर चतरतिध दख अनपम दान चतरतिध भास दीज |शलिN-समान अभरयागत को अवित आदर स परभिणपतरय करीज ||दत ज नर दान सपातरविह तास अनकविह कारण सीझ |बोलत lsquoजञानrsquo दविह शभ दान ज भोग सभमिम महासख लीज ||ॐ हरी शलिNतसतरयाग भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |6|

कम कठोर विगरान को विनज शलिN-समान उपोषण कीज |बारह भद तप तप सनदर पाप जलाजलिल काह न दीज ||भा धरी तप घोर करी नर जनम सदा फल काह न लीज |lsquoजञानrsquo कह तप ज नर भात ताक अनकविह पातक छीज ||ॐ हरी शलिNतसतप भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |7|

साधसमालिध करो नर भाक पणरय बडो उपज अघ छीज |साध की सगवित धमको कारण भलिN कर परमारथ सीज ||साधसमालिध कर भ छटत कीरतित-छटा तरलोक म गाज |lsquoजञानrsquo कह रयह साध बडो विगरिरशरग गफा विबच जारय विराज ||ॐ हरी साधसमालिध भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |8|

कम क रयोग वयथा उदरय मविन पग कनत सभषज कीज |विपतत-कफाविनल (ात) सास भगनदर ताप को शल महागद छीज ||भोजन साथ बनारय क औषध पथरय कपथरय विचार क दीज |lsquoजञानrsquo कह विनत यरयातरय कर तस द पतीज ||ॐ हरी रयातरयकरण भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

द सदा अरिरहनत भजो जई दोष अठारा विकरय अवित दरा |पाप पखाल भरय अवित विनमल कम कठोर विकए चकचरा ||दिदवय-अननत-चतCरय शोभिभत घोर मिमथरयानध-विनारण सरा |lsquoजञानrsquo कह जिजनराज अराधो विनरनतर ज गण-मजिनदर परा ||ॐ हरी अहद भलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |10|

दत ही उपदश अनक स आप सदा परमारथ-धारी |दश विदश विहार कर दश धम धर भ-पार- उतारी ||ऐस अचारज भा धरी भज सो भिश चाहत कम विनारी |lsquoजञानrsquo कह गर-भलिN करो नर दखत ही मनमाविह विचारी ||ॐ हरी आचारय भलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |11|

आगम छनद पराण पढात साविहत तक वितक बखान |कावय कथा न नाटक पजन जरयोवितष दयक शासतर परमान ||ऐस बहशरत साध मनीशवर जो मन म दोउ भा न आन |बोलत lsquoजञानrsquo धरी मन सान ज भागरय विशष त जञानविह सान ||ॐ हरी बहशरवितभलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |12|

ादश अग उपाग सदागम ताकी विनरतर भलिN करा |द अनपम चार कह तस अथ भल मन माविह ठरा ||पढ बहभा लिलखो विनज अकषर भलिN करी बविड पज रचा |lsquoजञान कह जिजन आगम-भलिN कर सद-बभिदध बहशरत पा ||ॐ हरी परचनभलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |13|

भा धर समता सब जीस सतोतर पढ मख स मनहारी |कारयोतसग कर मन परीतस दन द-तणो भ तारी ||रधवारयान धरी मद दर करी दोउ बर कर पडकममन भारी |lsquoजञानrsquo कह मविन सो धननत ज दशन जञान चरिरतर उघारी ||ॐ हरी आशरयकापरिरहाभिण भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |14|

जिजन-पजा रच परमारथस जिजन आग नतरय महोतस ठाण |गात गीत बजात ढोल मदगक नाद सधाग बखाण ||सग परवितषठा रच जल-जातरा सद गर को साहमो कर आण |lsquoजञानrsquo कह जिजन माग-परभान भागरय-विशषस जानविह जाण ||ॐ हरी मागपरभाना भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |15|

गौर भा धरो मन स मविन-पग को विनत तसल कीज |शीलक धारक भवय क तारक तास विनरतर सनह धरीज ||धन रयथा विनजबालक को अपन जिजरय छोविड न और पतीज |lsquoजञानrsquo कह भवि लोक सनो जिजन तसल भा धर अघ छीज ||ॐ हरी परचन-ातसलरय भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |16|

जापरय मतर -ॐ हरी दशनविशदधरय नमः ॐ हरी विनरयसमपVतारय नमः ॐ हरी शीलवरतारय नमःॐ हरी अभीकषणजञानोपरयोगारय नमः ॐ हरी सगारय नमः ॐ हरी शलिNतसतरयागारय नमःॐ हरी शलिNतसतपस नमः ॐ हरी साधसमारधवारय नमः ॐ हरी रयातरयकरणारय नमःॐ हरी अहद भकतरय नमः ॐ हरी आचारयभकतरय नमः ॐ हरी बहशरतभकतरय नमःॐ हरी परचनभकतरय नमः ॐ हरी आशरयकापरिरहाणरय नमः ॐ हरी मागपरभानारय नमःॐ हरी परचनातसलरय नमः |16|

जयरमालारषोडश कारण गण कर हर चतरगतित-वास |पाप पणय सब नाशक जञान-भान परकाश||

चौपाई दरश तिवशजिदध धर जो कोई ताको आवागरमन न होई |तिवनय रमहाधार पराणी शिशव-वतिनता की सखी बखानी |1|

शील सदा दढ़ जो नर पाल सो औरनकी आपद टाल |जञानाभयास कर रमनरमाही ताक रमोह-रमहातरम नाही |2|जो सवग-भाव तिवसतार सरग-रमकतित-पद आप तिनहार |दान दय रमन हररष तिवशरष इह भव जस परभव सख पख |3|जो तप तप खप अभिभलारषा चर कररम-शिशखर गर भारषा |साध-सरमामिध सदा रमन लाव तितह जग भोग भोतिग शिशव जाव |4|तिनश-दिदन वयावतय करया सो तिनहच भव-नीर तितरया |जो अरहत-भगतित रमन आन सो जन तिवरषय करषाय न जान |5|जो आचारज-भगतित कर ह सो तिनरम13ल आचार धर ह |बहशरतवत-भगतित जो करई सो नर सपरन शरत धरई |6|परवचन-भगतित कर जो जञाता लह जञान पररमानद-दाता |रषट आवशय काय सो साध सोही रतन-Sय आराध |7|धररम-परभाव कर ज जञानी तितन शिशव-रमारग रीतित तिपछानी |वतसल अग सदा जो धयाव सो तीरथsकर पदवी पाव |8|

दोहाएही सोलह भावना सतिहत धर वरत जोय |दव-इनदर-नर-वदय lsquoदयानतrsquo शिशव-पद होय ||ॐ हरी दश13नतिवशदधयादिद रषोडशकारणभयः पणारघययs तिनव13पारमीतित सवाहा |सनदर रषोडशकारण भावना तिनरम13ल शिचतत सधारक धार |करम13 अनक हन अतित ददध13र जनरम जरा भय रमतय तिनवार ||दःख दरिरदर तिवपभितत हर भव-सागर को पार उतार |lsquoजञानrsquo कह यही रषोडशकारण करम13 तिनवारण शिसदध स धार ||इतयाशीवा13द (पषपाजचिल भिकषपत)

ननदीशवर दिदप पजासरब पर म बडो अढाई पर ह |

ननदीशवर सर जाविह लरय ास दरब ह ||

हम शलिN सो नाविह इहा करी थापना |

पज जिजनगरह-परवितमा ह विहत आपना ||

ॐ हरी शरी-ननदीशवर-ीप ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमा-समह

अतर अतर अतर सौषट | अतर वितषठ ठ ठ | अतर मम सलिVविहतो भभ षट |

कचन रमभिण रमय शरगार तीररथ-नीर भरा |

तितह धार दई तिनरवार जारमन रमरण जरा ||

ननदीशवर-शरीजिजन-धारम बावन पज करो |

वस दिदन परतितरमा अभिभरारम आनद-भाव धरो ||

ननदीशवर दवीप रमहान चारो दिदशिश सोह |

बावन जिजन रमजिनदर जान सरनर रमन रमोह ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो जनम-जरा-मतरय विनाशनारय जल विनपामीवित साहा |

भव-तप-हर शीतल वाससो चनदन नाही |

परभ यह गण कीज साच आयो तरम ठाही || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो ससार-ताप-विनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा |

उततरम अकषत जिजनराज पज धर सोह |

सब जीत अकष सरमाज तरम सरम अर को ह || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो अकषरय-पद-परापतारय अकषत विनपामीवित साहा |

तरम कारम तिवनाशक दव धयाऊ फलनसौ |

लह शील लचछरमी एव छट सलनससौ || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो काम-बाण विरधवासनारय पषप विनपामीवित साहा |

नवज इजिनदरय बलकार सो तरमन चरा |

चर तरम दिढग सोह सार अचरज ह परा || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो कषधा-रोग विनाशनारय नदय विनपामीवित साहा |

दीपक की जयोतित-परकाश तरम तन रमातिह लस |

टट कररमन की राश जञान-कणी दरश || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो मोहानधकार विनाशनारय दीप विनपामीवित साहा |

कषणागर-धप-सवास दश-दिदशिश नारिर वर |

अतित हरष13 भाव परकाश रमानो नतय कर || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो अCकम दहनारय धप विनपामीवित साहा |

बह तिवमिध फल ल तितह काल आननद नाचत ह |

तरम शिशव फल दह दयाल ततिह हरम जाचत ह || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो महा-मोकष-फल परापतारय फल विनपामीवित साहा |

यह अरघ तिकयो तिनज-हत तरमको अरपत हो |

lsquoधानतrsquo तिकजयो शिशव खत भमिरम सरमप13त हो || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो अनघ-पद-परापतारय अघ_ विनपामीवित साहा |

जरयमाला

कारतितक फालगन साढक अनत आठ दिदन माविह |

ननदीशवर सर जात ह हम पज इह ठाही ||

एक सौ Sसठ कोडी जोजन रमहा |

लाख चौरशिसया एक दिदश रम लहा ||

आठरमो दवीप ननदीशवर भासवर |

भौन बावन परतितरमा नरमो सखकर ||

चार दिदशिश चार अनजनतिगरी राजही |

सहस चौरशिसया एक दिदश छाजातिह ||

ढोल सरम गोल ऊपर तल सनदर || भौन ||

इक इक चार दिदशिश चार शभ बावरी |

एक इक लाख जोजन अरमल-जल भरी ||

चह दिदशा चार वन लाख जोजन वर || भौन ||

सोल वापीन रममिध सोल तिगरी दमिधरमख |

सहस दश रमहा जोजन लखत ही सख ||

बावरी कौन दो रमातिह दो रतितकर || भौन ||

शल बततीस एक सहस जोजन कह |

चार सोल मिरमल सव13 बावन लह ||

एक इक सीस पर एक जिजनरमजिनदर || भौन ||

तिबमब अठ एक सौ रतनरमयी सोहही |

दव दवी सरव नयन रमन रमोहही ||

पाच स धनरष तारम पदम-आसन पर || भौन ||

लाल-नख-रमख नयन शयारम अर शवत ह |

शयारम-रग भौह शिसर-कश छतिव दत ह ||

वचन बोलत रमनो हसत कालरष हररम || भौन ||

कोदिट-शशिश भान दतित-तज शिछप जात ह |

रमहा-वराग-परिरणारम ठहरात ह ||

वचन नकिह कह लगनिख होत समयक धर |

भौन बावन परतितरमा नरमो सखकर ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो जरयमाला पणाघ_ विनपामीवित साहा |

ननदीशवर ीप अघ

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प पभि म उततर दभिकषण चार अनजनविगरी सोलह दलिधमख बततीस रवितकर बान पत डिसथत बान जिजनचतरयालरयभरयो पाच हजार छह सौ सोलह जिजन विबमबभरयो पणाघ_ विनपामीवित साहा |

ननदीशवर-जिजन धारम परतितरमा-रमतिहरमा को कह |

lsquoधानतrsquo लीनो नारम यही भगतित शिशव-सख कर ||

इतरयाभिशाद || पषपाजलिल भिकषपत ||

पचरमर पजातीथ_करोक नहन ndash जलत भरय तीरथ शमदा

तात परदचछन दत सर ndash गन पच मरन की सदा |दो जललिध ढाई ीप म सब गनत-मल विराजहीपजौ असी जिजनधाम ndash परवितमा होविह सख दख भाजही ||

ॐ हरी पचमरसमबनधिनध अससी जिजनचतरयालरयसथजिजनपरवितमा-समह अतर अतर अतरसौषट |ॐ हरी पचमरसमबनधिनध अससी जिजनचतरयालरयसथजिजनपरवितमा-समह अतर वितषठ वितषठ ठः

ठः |ॐ हरी पचमरसमबनधिनध अससी जिजनचतरयालरयसथजिजनपरवितमा-समह अतर मम सलिVविहतो भ भ पषट

शीतल-मिरमषट-सवास मिरमलाय जल सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||पाचो रमर असी जिजनधारम सब परतितरमा जी को करौ परणारम |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||ॐ हरी सदशन-विजरय-अचल-मनदर-विदयनमालिल-पचमरसमबनधिनध-जिजनचतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः जल विनमीवित साहा |1|

जल कशर करपर मिरमलाय गध सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः चनदनविन0 साहा |2|

अरमल अखड सगध सहाय अचछत सो पजौ जिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः अकषतान विन0 साहा |3|

वरन अनक रह रमहकाय फल सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः पषप विन0 साहा |4|

रमन वाशिछत बह तरत बनाय चर सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः नदय विन0 |5|

तरम-हर उजजवल जयोतित जगाय दीप सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः दीप विन0 साहा |6|

खऊ अगर अरमल अमिधकाय धपसो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः धप विन0 साहा |7|

सरस सवण13 सगध सभाय फलसो पजौ शरी जिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः फल विन0 साहा |8|

आठ दरबरमय अरघ बनाय lsquoदयानतrsquo पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||पाचो रमर असी जिजन धारम सब परतितरमा जी को करौ परणारम |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः अरघयरय_ विन0 साहा |9|

जरयमालापररथरम सदश13न-सवामिरम तिवजय अचल रमदर कहा |तिवदयनरमाली नामिरम पच रमर जग रम परगट ||

पररथरम सदश13न रमर तिवराज भदर शाल वन भ पर छाज |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |1|ऊपर पच-शतकपर सोह नदन-वन दखत रमन रमोह |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |2|साढ़ बासठ सहस ऊचाई वन सरमनस शोभ अमिधकाई |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |3|ऊचा जोजन सहस-छतीस पाणडक-वन सोह तिगरिर-सीस |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |4|चारो रमर सरमान बखान भ पर भदरशाल चह जान |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |5|ऊच पाच शतक पर भाख चारो नदनवन अभिभलाख |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |6|साढ़ पचपन सहस उतगा वन सोरमनस चार बहरगा |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |7|उचच अठाइस सहस बताय पाडक चारो वन शभ गाय |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |8|सर नर चारन वदन आव सो शोभा हरम किकह रमख गाव |चतयालय अससी सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |9|

दोहा -पच रमर की आरती पढ़ सन जो कोय |lsquoदयानतrsquo फल जान परभ तरत रमहासख होय ||ॐ हरी पचमरसमबनधिनध जिजनचतरयालरयसथ जिजनविबमबभरयः पणारघयरय_ विन0 साहा |इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

शातितनारथ पजा

रया भ कानन म चतरानन पाप पनानन घरी हमरी |

आतम जानन मानन ठानन बान न होन दई सठ मरी ||

तामद भानन आपविह हो रयह छान न आन न आनन टरी |

आन गही शरनागत को अब शरीपतजी पत राखह मरी ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदर अतर अतर अतर सौषट |

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

तिहरमतिगरिर गतगगा धार अभगा परासक सगा भरिर भगा |

जर-जनरम-रमतगा नाशिश अघगा पजिज पदगा रमद किहगा ||

शरी शापतिनत जिजनश नतशकरश वरषचकरश चकरश |

हतिन अरिरचकरश ह गनधश दयाऽरमतश रमकरश ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

वर बावन चनदन कदली ननदन घन आननदन सतिहत घसौ |

भवताप तिनकनदन ऐराननदन वदिद अरमदन चरन बसौ ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

तिहरमकर करिर लजजत रमलय ससजजत अचछत जजजत भरिर रथारी |

दखदारिरद गजजत सदपद सजजत भवभय भजजत अतितभारी ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

रमदार सरोज कदली जोज पज भरोज रमलयभर |

भरिर कचनरथारी तरमदिढग धारी रमदनतिवदारी धीरधर ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

पकवान नवीन पावन कीन रषटरस भीन सखदाई |

रमनरमोदन हार छधा तिवदार आग धार गनगाई ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

तरम जञान परकाश भररमतरम नाश जञय तिवकास सखरास |

दीपक उजिजयारा यात धारा रमोह तिनवारा तिनज भास ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

चनदन करपर करिर वर चर पावक भर रमातिह जर |

तस धरम उड़ाव नाचत जाव अशिल गजाव रमधर सर ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

बादारम खजर दातिड़रम पर किनबक भर ल आयो |

ता सो पद जजजौशिशवफल सजजौ तिनजरस रजजौ उरमगायो ||

शरी शापतिनत जिजनश नतशकरश वरषचकरश चकरश |

हतिन अरिरचकरश ह गनधश दयाऽरमतश रमकरश ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

वस दरवय सवारी तरम दिढग धारी आननदकारी दग-पयारी |

तरम हो भव तारी करनाधारी या त रथारी शरनारी ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली

छनदः- अशिसत सातय भादव जातिनय गरभ रमगल ता दिदन रमातिनय |

सशिच तिकयो जननी पद चच13न हरम कर इत य पद अच13न ||

ॐ हरी भादरपदकषणा सपतमरया गभमगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |1|

जनरम जठ चतद13शिश शयारम ह सकल इनदर स आगत धारम ह |

गजपर गज-साजिज सब तब तिगरिर जज इत रम जजिजहो अब ||

ॐ हरी जरयषठकषणाचतदशरया जनममगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |2|

भव शरीर सभोग असार ह इमिरम तिवचार तब तप धार ह |

भररमर चौदशिश जठ सहावनी धररम हत जजौ गन पावनी ||

ॐ हरी जरयषठकषणाचतदशरया तपोमगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |3|

शकलपौरष दश सखरास ह पररम-कवल-जञान परकाश ह |

भवसरमदर उधारन दव की हरम कर तिनत रमगल सवकी ||

ॐ हरी पौषशकलादशमरया कलजञानमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |4|

अशिसत चौदशिश जठ हन अरी तिगरिर सरमदरथकी शिशव-तितय वरी |

सकल इनदर जज तितत आय क हरम जज इत रमसतक नाय क ||

ॐ हरी जरयषठकषणाचतदशरया मोकषमगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |5|

जरयमाला

शापतिनत शापतिनतगन रमतिडत सदा जातिह धयावत सपतिडत सदा |

रम तितनह भगत रमतिडत सदा पजिजहौ कलरष हतिडत सदा ||

रमोचछ हत तरम ही दयाल हो ह जिजनश गन रतन रमाल हो |

रम अब सगन-दारम ही धरौ धयावत तरत रमशिकत-तितय वरौ ||

जय शापतिनतनारथ शिचदरपराज भवसागर रम अदभत जहाज |

तरम तजिज सरवाररथशिसजिदध रथान सरवाररथजत गजपर रमहान |1|

तितत जनरम शिलयो आननद धार हरिर ततशिछन आयो राजदवार |

इनदरानी जाय परसतित रथान तरम को कर रम ल हररष रमान |2|

हरिर गोद दय सो रमोदधार शिसर चरमर अरमर ढारत अपार |

तिगरिरराज जाय तितत शिशला पाड ता प रथापयो अभिभरषक रमाड |3|

तत पचरम उदमिध तनो स वारिर सर कर कर करिर Aयाय उदार |

तब इनदर सहसकर करिर अननद तरम शिसर धारा ढारयो सरमनद |4|

अघ घघ धतिन होत घोर भभभभ भभ धध धध कलश शोर |

दरमदरम दरमदरम बाजत रमदग झन नन नन नन नन नपरग |5|

तन नन नन नन नन तनन तान घन नन नन घटा करत धवान |

तारथई रथई रथई रथई सचाल जत नाचत नावत तरमकिह भाल |6|

चट चट चट अटपट नटत नाट झट झट झट हट नट रथट तिवराट |

इमिरम नाचत राचत भगतित रग सर लत जहा आननद सग |7|

इतयादिद अतल रमगल स ठाठ तितत बनयो जहा सर तिगरिर तिवराट |

पतिन करिर तिनयोग तिपतसदन आय हरिर सौपयो तरम तितत वदध रथाय |8|

पतिन राजरमाकिह लतिह चकररतन भो=यो छहखणड करिर धररम जतन |

पतिन तप धरिर कवल रिरजिदध पाय भतिव जीवतिन को शिशवरमग बताय |9|

शिशवपर पहच तरम ह जिजनश गण-रमतिडत अतल अननत भरष |

रम धयावत हौ तिनत शीश नाय हरमरी भवबाधा हर जिजनाय |10|

सवक अपनो तिनज जान जान करणा करिर भौभय भान भान |

यह तिवघन रमल तर खड खड शिचतशिचपतिनतत आननद रमड रमड |11|

छनदः- शरीशापतिनत रमहता शिशवतितयकता सगन अनता भगवता |

भव भररमन हननता सौखय अननता दातार तारनवनता ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

शापतिनतनारथ जिजन क पदपकज जो भतिव पज रमन वच काय |

जनरम जनरम क पातक ता क ततशिछन तजिज क जाय पलाय ||

रमनवाशिछत सख पाव सो नर बाच भगतितभाव अतित लाय |

ता त lsquoवनदावनrsquo तिनत वद जा त शिशवपरराज कराय ||

इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

सपाशव13नारथ पजाजरय जरय जिजविनद गविनद इनद नरिरद गन लिचतन कर |

तन हरीहर मनसम हरत मन लखत उर आननद भर ||नप सपरवितषठ रिरषठ इC मविहषठ भिशC पथी विपररया |वितन ननदक पद नद नद अमद थापत जतविकररया ||ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदर अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

उजजल जल शलिच गध मिमलारय कचनझारी भरकर लारय |दरया विनलिध हो जरय जगबध दरया विनलिध हो ||तम पद पजौ मनचकारय द सपारस भिशपररारय |दरया विनलिध हो जरय जगबध दरया विनलिध हो ||ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

रमलयातिगर चदन घशिस सार लीनो भवतप भजनहार |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

दवजीर सखदास अखड उजजवल जलछाशिलत शिसत रमड |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

परासक सरमन सगमिधत सार गजत अशिल रमकरधवजहार |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

छधाहरण नवज वर लाय हरौ वदनी तमह चढ़ाय |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

जवशिलत दीप भरकरिर नवनीत तरम दिढग धारत हौ जगरमीत |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

दशतिवमिध गनध हताशन रमाकिह खवत करर कररम जरिर जाकिह |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम पद पजौ रमनवचकाय दव सपारस शिशवपरराय |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

शरीफल कला आदिद अनप ल तरम अगर धरौ शिशवभप |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

आठो दरब साजिज गनगाय नाचत राचत भगतित बढ़ाय |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0

ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयालीसकल भादव छटठ स जातिनय गरभ रमगल ता दिदन रमातिनय |करत सव शची रशिच रमात की अरघ लय जजौ वस भात की ||ॐ हरी भादरपदशकलाषषठीदिदन गभमगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |1|

सकल जठ दवादशिश जनरमय सकल जीव स आननद तनरमय |तिSदशराज जज तिगरिरराजजी हरम जज पद रमगल साजजी ||ॐ हरी जरयषठशकलाादशरया जनममगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |2|

जनरम क तितशिरथ प शरीधर न धरी तप सरमसत पररमादन को हरी |नप रमहनदर दिदयो पय भाव सौ हरम जज इत शरीपद चाव सो ||ॐ हरी जरयषठशकलाादशरया तपोमगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |3|

भररमर फागन छटठ सहावनो पररम कवलजञान लहावनो |सरमवसन13 तिवरष वरष भागनिखयो हरम जज पद आननद चाखनो ||ॐ हरी फालगनकषणा षषठीदिदन कलजञानपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |4|

अशिसत फागन सातय पावनो सकल करम13 तिकयो छय भावनो |तिगरिर सरमदरथकी शिशव जात ह जजत ही सब तिवरघयन तिवलात ह ||ॐ हरी फालगनकषणा सपतमीदिदन मोकषमगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |5|

जयरमालादोहाः- तग अग धन दोय सौ शोभा सागरचनद |मिरमथयातपहर सगनकर जय सपास सखकद |1|

जयतित जिजनराज शिशवराज तिहतहत हो |पररम वराग आननद भरिर दत हो ||

गभ13 क पव13 रषटरमास धनदव न |नगर तिनररमातिप वाराणसी सव रम |2|गगन सो रतन की धार बह वररषही |कोतिड़ Sअदध13 Sवार सब हररषही ||तात क सदन गनवदन रचना रची |रमात की सव13तिवमिध करत सवा शची |3|भयो जब जनरम तब इनदर-आसन चAयो |होय चतिकत तब तरिरत अवमिधत लगनिख भAयो ||सपत पग जाय शिशर नाय वनदन करी |चलन उरम=यो तब रमातिन धतिन धतिन घरी |4|सात तिवमिध सन गज वरषभ ररथ बाज ल |गनधरव नतयकारी सब साज ल ||गशिलत रमद गणड ऐरावती साजिजयो |लचछ जोजन सतन वदन सत राजिजयो |5|वदन वसदनत परतितदनत सरवर भर |ता स रममिध शतक पनबीस करमशिलतिन खर ||करमशिलनी रमधय पनवीस फल करमल |करमल-परतित-करमल रमह एक सौ आठ दल |6|सव13दल कोड़ शतबीस पररमान ज |ता स पर अपछरा नचकिह जतरमान ज ||तततता तततता तिवततता तारथई |धगतता धगतता धगतता रम लई |7|धरत पग सनन नन सनन नन गगन रम |नपर झनन नन झनन नन पगन रम ||नचत इतयादिद कई भातित सो रमगन रम |कई तितत बजत बाज रमधर पगन रम |8|कई दरम दरम ददरम दरम रमदगतिन धन |कई झAलरिर झनन झझनन झझन ||कई ससागरत सारतिग ससागर सर |कई बीना पटह बशिस बाज रमधर |9|कई तनतन तनन तनन तान पर |शदध उचचारिर सर कई पाठ फर ||

कइ झतिक झतिक तिफर चकर सी भामिरमनी |धगगता धगगता परम13 शोभा बनी |10|कई शिछन तिनकट शिछन दर शिछन रथल-लघ |धरत वतिकरयक परभाव सो तन सभग ||कई करताल-करताल तल रम धन |तत तिवतत घन सतिरषरिर जात बाज रमन |11|इनदर आदिदक सकल साज सग धारिरक |आय पर तीन फरी करी पयार त ||सशिचय तब जाय परसतरथल रमोद रम |रमात करिर नीद लीनो तमह गोद रम |12|आन-तिगरवान नारथकिह दिदयो हारथ रम |छS अर चरमर वर हरिर करत रमारथ रम ||चढ़ गजराज जिजनराज गन जातिपयो |जाय तिगरिरराज पाडक शिशला रथातिपयो |13|लय पचरम उदमिध-उदक कर कर सरतिन |सरन कलशतिन भर सतिहत चरचिचत परतिन ||सहस अर आठ शिशर कलश ढार जब |अघघ घघ घघघ घघ भभभ भभ भौ तब |14|धधध धध धधध धध धतिन रमधर होत ह |भवय जन हस क हरस उदयोत ह ||भयो इमिरम नहौन तब सकल गन रग रम |पोशिछ शरगार कीनो शची अग रम |15|आतिन तिपतसदन शिशश सौतिप हरिर रथल गयो |बाल वय तरन लतिह राज सख भोतिगयो ||भोग तज जोग गतिह चार अरिर को हन |धारिर कवल पररम धररम दइ तिवध भन |16|नाशिश अरिर शरष शिशवरथान वासी भय |जञानदग अरिर शरष शिशवरथान वासी भय |दीन जन की करण सन लीजिजय |धररम क ननद को पार अब कीजिजय |17|घतता13ः- जय करनाधारी शिशवतिहतकारी तारन तरन जिजहाजा हो |

सवत तिनत वनद रमनआनद भवभय रमटनकाजा हो |18|ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

दोहाः- शरी सपाशव13 पदजगल जो जज पढ़ यह पाठ |अनरमोद सो चतर नर पाव आननद ठाठ ||इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

शीतलनारथ पजाशीतलनाथ नमौ धरिर हाथ स माथ जिजनहो भ गाथ मिमटारय |

अचरयत त चरयत मात सननद क ननद भरय पर बददल आरय ||

श इकषाक विकरयो जिजन भविषत भवयन को भ पार लगारय |

ऐस कपाविनलिध क पद पकज थापत हौ विहरय हष बढारय ||

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदर अतर अतर अतर सौषट |

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

दवापगा स वर वारिर तिवशदध लायो

भगार हरम भरिर भशिकत तिहय बढ़ायो |

रागादिददोरष रमल रमद13न हत यवा

चचAElig पदाबज तव शीतलनारथ दवा ||

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

शरीखड सार वर ककरम गारिर लीनो |

क सग सवचछ मिघशिस भशिकत तिहय धरीनो ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

रमकता-सरमान शिसत तदल सार राज |

धारत पज कशिलकज सरमसत भाज |रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

शरी कतकी पररमख पषप अदोरष लायो |

नौरग जग करिर भग स रग पायो ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

नवदय सार चर चार सवारिर लायो |

जाबनद-परभतित भाजन शीश नायो ||

रागादिददोरष रमल रमदद13न हत यवा |

चचAElig पदाबज तव शीतलनारथ दवा ||

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

सनह परपरिरत सदीपक जोतित राज |

सनह परपरिरत तिहय जजतऽघ भाज ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

कषणागर पररमख गध हताश रमाही |

खवौ तवागर वसकरम13 जरत जाही ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

तिनमबामर कक13 दिट स दातिड़रम आदिद धारा |

सौवण13-गध फल सार सपकव पयारा ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

शभ शरी-फलादिद वस परासक दरवय साज |

नाच रच रमचत बजजत सजज बाज ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली

आठ वदी चत सगभ13 रमाही आय परभ रमगलरप रथाही |

सव शची रमात अनक भवा चचAElig सदा शीतलनारथ दवा ||

ॐ हरी चतरकषणाऽCमरया गभमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |1|

शरी रमाघ की दवादशिश शयारम जायो भलोक रम रमगल सार आयो |

शलनदर प इनदर फतिननदर जजज रम धयान धारौ भवदःख भजज ||

ॐ हरी माघकषणा ादशरया जनममगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |2|

शरी रमाघ की दवादशिश शयारम जानो वरा=य पायो भवभाव हानो |

धयायो शिचदाननद तिनवार रमोहा चचAElig सदा चन13 तिनवारिर कोहा ||

ॐ हरी माघकषणा ादशरया तपोमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |3|

चतद13शी पौरष वदी सहायो ताही दिदना कवल लबधिबध पायो |

शोभ सरमोसतय बखातिन धरमs चचौ सदा शीतल परम13 शरमs ||

ॐ हरी पौषकषणाचतदशरया कल जञानमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |4|

कवार की आठ शदध बदधा भय रमहा रमोकष सरप शदधा |

समरमद त शीतलनारथ सवारमी गनाकर ता स पद नरमारमी ||

ॐ हरी आभिशवनशकलाऽCमरया मोकषमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |5|

जरयमाला

आप अनत गनाकर राज वसततिवकाशन भान सरमाज |

रम यह जातिन गही शरना ह रमोह रमहारिरप को हरना ह |1|

दोहाः- हरम वरन तन तग धन-नवव अतित अभिभरारम |

सर तर अक तिनहारिर पद पतिन पतिन करौ परणारम |2|

जय शीतलनारथ जिजननद वर भव दाह दवानल रमघझर |

दख-भभत-भजन वजर सरम भव सागर नागर-पोत-परम |3|

कह-रमान-रमयागद-लोभ हर अरिर तिवरघयन गयद रमकिगद वर |

वरष-वारिरधवषटन समिषटतिहत परदमिषट तिवनाशन सषट तिपत |4|

सरमवसरत सजत राजत हो उपरमा अभिभरारम तिवराजत हो |

वर बारह भद सभा शिरथत को तितत धरम13 बखातिन तिकयो तिहत को |5|

पहल रमतिह शरी गणराज रज दतितय रमतिह कAपसरी ज सज |

तिSतितय गणनी गन भरिर धर चवरथ तितय जोतितरष जोतित भर |6|

तितय-किवतरनी पन रम गतिनय छह रम भवनसर तितय भतिनय |

भवनश दशो शिरथत सततरम ह वस-किवतर उततरम ह |7|

नव रम नभजोतितरष पच भर दश रम दिदतिवदव सरमसत खर |

नरवनद इकादश रम तिनवस अर बारह रम पश सव13 लस |8|

तजिज वर पररमोद धर सब ही सरमता रस रम=न लस तब ही |

धतिन दिदवय सन तजिज रमोहरमल गनराज असी धरिर जञानबल |9|

सबक तिहत तततव बखान कर करना-रमन-रजिजत शरम13 भर |

वरन रषटदरवय तन जिजतन वर भद तिवराजत ह तिततन |10|

पतिन धयान उभ शिशवहत रमना इक धरम13 दती सकल अधना |

तितत धरम13 सधयान तणो गतिनयो दशभद लख भररम को हतिनयो |11|

पहलोरिर नाश अपाय सही दतितयो जिजन बन उपाया गही |

तिSतित जीवतिवरष तिनजधयावन ह चवरथो स अजीव ररमावन ह |12|

पनरमो स उद बलटारन ह छहरमो अरिर-राग-तिनवारन ह |

भव तयागन चिचतन सपतरम ह वसरमो जिजतलोभ न आतरम ह |13|

नवरमो जिजन की धतिन सीस धर दशरमो जिजनभातिरषत हत कर |

इमिरम धरम13 तणो दश भद भनयो पतिन शकलतणो चद यरम गनयो |14|

सपरथकत-तिवतक13 -तिवचार सही सइकतव-तिवतक13 -तिवचार गही |

पतिन सकषरमतिकरया-परतितपात कही तिवपरीत-तिकरया-तिनरवतत लही |15|

इन आदिदक सव13 परकाश तिकयो भतिव जीवनको शिशव सवग13 दिदयो |

पतिन रमोकषतिवहार तिकयो जिजनजी सखसागर रम=न शिचर गनजी |16|

अब रम शरना पकरी तरमरी समिध लह दयातिनमिध जी हरमरी |

भव वयामिध तिनवार करो अब ही रमतित ढील करो सख दयो सब ही |17|

शीतल जिजन धयाऊ भगतित बढ़ाऊ जयो रतनSय तिनमिध पाऊ |

भवदद नशाऊ शिशवरथल जाऊ फर न भव वन रम आऊ |18|

दिदढ़ररथ सत शरीरमान पचकAयाणक धारी

तितन पद जगपदम जो जज भशिकतधारी |

सहजसख धन धानय दीघ13 सौभा=य पाव

अनकररम अरिर दाह रमोकष को सो शिसधाव ||

इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

कतितरम अकतितरम जिजन चतयालयकतरयाकवितरम-चार-चतरय-विनलरयान विनतरय वितरलोकी-गतान

द भान-वयतर-दयवितरान सगामराासगान |सदगधाकषत-पषप-दाम-चरकः सददीपधपः फलरनीरादय रयज परणमरय भिशरसा दषकमणा शातरय ||

ॐ हरी वितरलोक समबनधिनध कवितरमाकवितरम-चतरयालरयभरयः अरघयरय_ विन 0 साहा

षष-षानतर-पतष नदीशवर रयाविन च मदरष |रयावित चतरयारयतनाविन लोक साभिण द जिजनपगाना ||

अविन ndash तल ndash गताना कवितरमाकवितरमाणान ndash भन ndash गताना दिदवय ndash माविनकाना |इह मनज ndash कताना दराजारचिचतानाजिजनर ndash विनलरयाना भातोऽह समरामिम ||

जब-धातविक-पषकरादध-सधा-कषतर तररय रय भाःचनदराभोज-भिशखविb-कणठ-कनक-परागघनाभा जिजनाः |समरयगजञान-चरिरतर-लकषण-धरा दगधाCकमनधनाः |भतानागत-तमान-समरय तभरयो-जिजनभरयो-नमः ||

शरीमन मरौ कलादरौ रजत-विगरिरर शालमलौ जबकषकषार चतरयकष रवितकर रलिचक कbल मानषाक |इषाकारऽनजनादरौ दलिध-मख-भिशखर वयनतर सगलोकजरयोवितलकऽभिभद भन मविहतल रयाविन चतरयालरयाविन ||

ौ कदद-तषार-हार-धलौ ाविदरनील-परभौौ बधक-सम-परभौ जिजनषौ ौ च विपररयगपरभौ |

शषाः षोbश जनम-मतरय-रविहताः सतपत-हम-परभाःत सजञान-दिदाकराः सरनताः लिसदधिदध पररयचछत नः ||

ॐ हरी कवितरमाकवितरम- चतरयालरय समबनधिनध चतरविशवित जिजनविबमबभरयोऽरघयरय_ विनपामीवित साहा ||

इचछामिम भलिN

इचछामिरम भत चइयभभितत काओस=गो कओ तससालोचउ |अहलोय तितरिरयलोय उडढलोयममिमरम तिकदिटटरमातिकदिटटरमाभिणजाभिण जिजणचइयाभिण ताभिण सववाभिण तीसतिव लोयसभवणवाशिसय वाण-किवतर-जोयशिसय-कपपवाशिसय भिततचउतिवहा दवाः सपरिरवारा दिदववण गधण दिदववण पफफणदिदववण धवण दिदववण चणणण दिदववण वासणदिदववण णहाणण भिणचचकाल अचचतित पजजतित वदतित णरमससतित |अहरमतिव इह सतो ततथ सताइ भिणचचकाल अचचमिरम पजजमिरमवदामिरम णरमससामिरम | दकखकखओ कमरमकखओ बोतिहलाहोसगइगरमण सरमातिहरमरण जिजणगणसपतती होउ रमजझ |अरथ पौवा13मिहनक-रमाधयामिहनक-आपरामिहनक-दववदनाया-पवा13चाया13नकररमण सकल-करम13-कषयारथs भावपजा-वदना-सतव-सरमतशरीपचरमहागर-भचिकत कायोतसगs करोमयहरम ||

(इस परकार आशीवा13द रप पषपाजशिल कषपण कर)

जाव अरिरहताण भयवताण पजजवास करमिरमताव काय पावकमरम दचचरिरय वोससरामिरम |णरमो अरिरहताण णरमो शिसदधाण णरमो आइरिरयाण |णरमो उवजझायाण णरमो लोए सववसाहण ||

(नौ बार णरमोकार रमS 27 शवासोचछवासो रम जाप कर)

शातित पाठशावितनाथ मख शभिश उनहारी शीलगणवरत सरयमधारी

लखन एक सौ आठ विराज विनरखत नरयन कमल दल लाज

पचम चकरतordf पदधारी सोलम तीथ_कर सखकारी

इनदर नरनदर पजरय जिजननारयक नमो शावितविहत शावित विधारयक

दिदवय विटप पहपन की रषा ददभिभ आसन ाणी सरसा

छतर चमर भामbल भारी रय त परावितहारय मनहारी

शावित जिजनश शावित सखदाई जगत पजरय पजो लिसरनाई

परम शावित दीज हम सबको पढ जिजनह पविन चार सघ को

पज जिजनह मकटहार विकरीट लाक इनदरादिदद अर पजरयपदाबज जाक

सो शावितनाथ र श जगतपरदीप मर लिलए करह शावित सदा अनप

सपजको को परवितपालको को रयतीनको को रयवितनारयको को

राजा परजा राषटर सदश को ल कीज सखी ह जिजन शावित को द

हो सारी परजा को सख बलरयत हो धमधारी नरशा

हो रषा समरय प वितलभर न रह वयालिधरयो का अनदशा

हो चोरी न जारी ससमरय परत हो न दषकाल भारी

सार ही दश धार जिजनर षको जो सदा सौखरयकारी

घावित कम जिजन नाश करिर पारयो कलराज

शावित करो त जगत म षभादिदक जिजनराज

(तीन बार शावित धारा द)

शासतरो का हो पठन सखदा लाभ ततसगवित का

सततो का सजस कहक दोष ढाक सभी का

बोल परयार चन विहतक आपका रप रधवारयाऊ

तौलौ सऊ चरण जिजनक मोकष जौलौ न पाऊ

तब पद मर विहरय म मम विहरय तर पनीत चरणो म

तबलौ लीन रहौ परभ जबलौ पारया न मलिN पद मन

अकषर पद मातरा स दविषत जो कछ कहा गरया मझस

कषमा करो परभ सो सब करणा करिरपविन छडाह भदःख स

ह जगबनध जिजनशवर पाऊ तब चरण शरण बलिलहारी

मरणसमालिध सदलभ कमreg का कषरय सबोध सखकारी

(पषपाजलिल कषपण)

(रयहा नौ बार णमोकार मतर का जाप कर)

शातित तिवधान पजाशरी शानविनतनाथ विधान भाषा (विहनदी)

परसताना

अरिरहनत जिजनशवर की अनपम छवि शानविनत सधा धर क उर म

भिशनाथ विनरजन कमजरयी बन जारय बस परभ भिशपर म१

मविननाथ तपोविनलिध सरिर सधी तपलीन रह विनत ही न म

शरत-जञान-सधा बरसात ह गर पाठकनद सभवयन म २

रतनतररय की लिचर जरयोवित जग तप-जाला कम विनाश कर

भ-भोग शरीर विरN सदा इजिनदररय सख की नविह आश कर ३

गनधकटी म विराजिजत परभ ह दिदवय रधवाविन उनकी तो खिखरी

गणराज न गथ क जञान-समन ादश अगो की माल री ४

मगलमरय लोक जिजनोततम ह मगलमरय लिसदध सनातन ह

मगलमरय सरिर सतत धनी मगलमरय पाठक क गन ह ५

मगलमरय ह साध जन जञान सधा रस लीन

जिजन परणीत र धम ह मगलमरय साधीन ६

सब ीपो क मरधवारय म जमब ीप अनप

लण नीर-विनलिध सतजहा खावितका-रप ७

पीछ धातविक-ीप ह दवितरय ीप शरवित सार

कालोदलिध चह ओर ह परिरखा क उनहार ८

पषकर नामक ीप ह कालोदलिध क पार

ताको आधौ भाग ल ढाई ीप समहार ९

ढाई ीप वितरकाल क असखरयात जिजनराज

नदनीरय ज लोक क नदो धम जहाज १०

चनदरकला सम जरयोवित मनोहर अग परभ क राजत ह

पदम पनीत-परभा-सम उजजल दह मनोजञ विराजत ह

कणठ-मरयर सकञचन नीरद तलरय सशोभिभत अग विभा

तीथशवर चौबीस अलौविककरप-विमगध सरनदरसभा ११

भत भविषरयत तमान क चौबीसो जिजनराज

रतनतररय स भविषत अनपमजग म रह विराज १२

अरिरहनत लिसदध वितरलोक पजिजत धमरधवाज आचारय को

मविननद क भिशकषापरदारयकपजरयपाठक आरय को १३

उन साधओ को जो विनरनतर जञान-रधवारयान-परीन ह

तप शानविनत की शलिच साधना म जो सदा तललीन ह १४

करक परणाम वितररयोग स म शानविनतनाथ विधान को

परारभ करता ह बढान भलिN-शरदधा-जञान को १५

लोक क सब गणधरो को भलिN शरदधा भा स

कनदकनदादिदक दिदगमबर मविनरो को चा स १६

करता परणाम विनरय सविहत म धम की हो विनत विजरय

विनरतिरघयन हो रयह पाठ परा ह रयही मरी विनरय १७

शानविनतनाथ भगान क गण ह अपरमपार

ाचसपवित णन कर तो भी पारय न पार १८

शानविनतनाथ विधान का फल

रयह शानविनतनाथ विधान विकसन कब कहा करयो कर विकरया

फल परानविपत जो उसको हई नरभ सफल उसन विकरया १

ततानत उसका म परसग सविहत रयहा णन कर

कलरयाण हो सनकर जगत का रधवारयान रयह मन म धर २

भरत-कषतर क आरय-खणb म भारत भ विखरयात सदश

मथरा नगर हा का शासक सरयश का वितलक नरश ३

राजनीवित म विनपण नरयारयविपररय ीर परजा का पालक भप

साम-दाम क दणb भद स शासन-सचालक अनरप ४

एक बार जब दरयोग स दरतिपाक न विकरया परकोप

गराम दता न करोलिधत होविकरया उपदर शानविनत विलोप ५

महाभरयकर वयालिध विषम अवित फलाई जब विकVर न

दिदन-परवितदिदन अवितपरबल ग स लोग लग परवितदिदन मरन ६

रोग परताडिbत हो जनता अर शासक न मथरा छोडी

वयाधी न कालकपाण लिलए सब जन की विहममत तोडी ७

शकल तररयोदशी क दिदन सहसा सठ समवित हा आए

बादल षा दख सत मन म अवित ही हषाए ८

मथरा नगरी म परश कर मिमल नही तहा नर-नारी

सनी नगरी दख- समवित तब हए दखिखत मन म भारी ९

दख जिजनालरय पज जिजनशवर मविन नारयक क रयग नद

दशन नदन भलिN विनरय कर विनज मन म अवित आननद १०

परशन विकरया तब सठ समवित न नाथ उपारय बता दीज

होगी शानविनत मनीशवर कस विलिधपक समझा दीज ११

चारण ऋभिदधधारी मविनर कह चन अवित सखदाई

शानविनतनाथ जिजन शानविनत विधारयक पज रचो मन हषाई १२

मतरोचचार ॐ नमोऽहत भगत शरी शानविनतनाथारय ॐ हरा हरी हर हरौ हर अ लिस आ उ सा अमकसरय सपदर शानतिनत लकषमीलाभ च कर कर नम (साहा)

विधान क जाप मतर का फल

इस मनतर राज क जपन स मन शदध शानत हो जाता ह

होत ह विरघयन विनC सभी शभ पणरयकोष भर जाता ह १३

धन समपवित अलिधकार परापत हो रयह तो ह साधारण बात

मन मजिनदर म जञान सरय का होता उजजल दिदवय परभात १४

विधान का समरय

इसका विलिध विधान ह भवयो सनो शदध मन स धर रधवारयान

सोलह दिदसी शकलपकष मपरथमदिदस स करो विधान १५

जिजन पजा क प रयनतर का ससथापन पजन शभ कारय

सहसमनतर का जाप करो विनतषोbसदिदन तक सविलिध सआरय १६

पजा क महा विधान म दीप धप फल पषप सगनध

भलिNभारयत करो समरतिपतअशभकम का होरय न बनध १७

शरी शानविनतनाथ सतन

ससार सागर म भटकत पराभिणरयो को ह परभो

आपक ही रयग चरणशभ शरण द सकत विभो

दाानविगन दख-सनताप की सतर ध-ध जल रही

अनराग मारया मोह की छलना विनरनतर छल रही १

करोलिधत भजगम क bस बह पराभिणरयो क गातर म

गारडी-विदया परशम करती ह रयथा कषण मातर म

परभ आपक चरणामबजो का रधवारयान करत भलिN स

सब विरघयन बाधाए विलरयहोती विनजातम शलिN स २

तपत सण क तलरय आप क दिदवय चरण का विनमल रधवारयान

भ-सागर म पड पराभिणरयो क तारण विहत बनता रयान

गीता छद

जरयो रयामिमनी क घन-वितमिमर म लपत भ-आलोक हो

उदयद दिदाकर रडिशमरया करती परकाभिशत लोक को ३

जब तक नही होता उदरय रवि रडिशम का ससार म

तब तक कमलशरी सपत रहती ह सतत कासार म

जब तक नही होती कपा भगान क रयगचरण की

तब तक नही रयह टटती जजीर जीन-मरण की ४

समरथ लोक-अलोक क विजञान म जिजनर परभो

तररयछतर की सषमा विराजिजत जञान म दिदनकर परभो

हो पापकषरय कषणमातर म पदपदम क गणगान स

दपानध लिसह-गजनदर भाग सहज जिजनक रधवारयान स ५

परतरयष ला क ललिलत उजजल दिदाकर सा विमल

जिजननाथ भा-मणbल तमहारा सोहता सरणिणम कमल

दिदवयागनाओ क नरयन मन कर परफडिललत मोहता

तरलोकरय क तम-तोम को करता विदरिरत सोहता ६

बाधारविहत शाशवत विनराकल अनरयतम सख समपदा

नाथ क चरणारविनदो क समागम स सदा

परापत करत भN जन ह भलिN क आधार स

आ रय करया रयदिद पार हो ससार ndash पाराार स ७

ह शानविनतनाथ जिजननदर तर भN विनत पात कपा

भदख स सनतपत जन क हत बन जाती परपा

दर होत दख-दारण नाथ की शभ भलिN स

जरयो घनवितमिमर ह दर होता रविविकरण की शलिN स ८

शरी शानविनतनाथ जिजननदर क इस ससतन को भा स

जो भवयजन पढत विनरनतर ह विनरय स चा स

परिरणाम उनक हो विमल सब विरघयन बाधाए टल

कलरयाण मजिनदर क पलिथक मलिN क पथ पर चल९

विधान परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन ndash मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

सण कलश म जल ल जो विनत जिजन पद पजन करत ह

विन रय ही राजवितलक कीअनमोल समपदा रत ह १

ॐ हरा हरी हर हरौ हर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय जनम जरा मतरय विनाशनारय जल विनपामीवित साहा

कशर कपर चनदन ारा जिजनर क चरणो का अचन

जो करत ह सगreg तक म सरभिभत होत ह उनक तन २

ॐ भरा भरी भर भरौ भर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय ससारताप विनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा

परभ क चरण कमल की पजा विनमल अकषत स करत

कामद सा पा शरीर दीघ आरय जीन धरत ३

ॐ मरा मरी मर मरौ मर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अकषरय पद परापतरय अकषतान विनपामीवित साहा

जो कनद चमली क ारा करत परभ पद पङकज- पजन

पषपोततर विमान ारा समपण सफल करत जीन ४

ॐ रा री र रौ र जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय कामबाण-विरधवानारय पषप विनपामीवित साहा

उजजल सण पातर म लकर सदय पक नदय विमल

अरतिपत करत परभ चरणो म पा जात कलप कष क फल ५

ॐ घरा घरी घर घरौ घर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय कषधारोग विनाशनारय नदय विनपामीवित साहा

उजजल कपर दीप ारा जिजनर की सौमरय आरती स

उदभालिसत कल जोवित जग उसम सनदीपत भारती स ६

ॐ ा ी ौ जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विनपामीवित साहा

चनदन कपर धप ारा जिजनर की शभर अचना स

पाऊ विनरोगतन कानविनतमरयी परभ की विनभिश रयाम नदना स ७

ॐ शरा शरी शर शरौ शर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अCकम विनाशनारय धप विनपामीवित साहा

शरीफल कदली इतरयादिदक स शरी जिजनक चरणो का पजन

मनालिछत फल पात ह पजन जो करत ह भवि जन ८

ॐ खरा खरी खर खरौ खर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय मोकषफल परापतरय फल विनपामीवित साहा

अC दरवय मरय अघररय विमल ल शानविनतनाथ परभ का पजन

करत ह जो भवय शतनदरो स जिनदत हो दिदवय चरण ९

ॐ अ हरा लिस हरी आ हर उ हरौ सा हर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपद परापतरय अघररय विनपामीवित साहा

जरयमाला

जञानरप ओकार नमसत हरी मरधवारय परभ शानविनत नमसत

सनातकरतिष अरिरहनत नमसत दरया धम-परिरपण नमसत१

एकानक-सरप नमसत शरी मचचकराधीश नमसत

शानविनत दीनविपत भिश रप नमसत जञान गभ विनज रप नमसत२

नाना भाषा बोध नमसत आशा पाश विहीन नमसत

पान-गण गण गीत नमसत अC कम-विरधवास नमसत ३

तीथ_कर पद पत नमसत पर सकलप- विहीन नमसत

मलिN ध क कनत नमसत समरयक चारिरत दकष नमसत ४

आतम सभा लीन नमसत रतनतररय- सरयN नमसत

आतम बोध परिरपण नमसत उभरय लोक सखदारय नमसत ५

करणा सागर नाथ नमसत ाणी विशव विहतारय नमसत

शानविनतनाथ परमश नमसत तीवर गरल-हर दकष नमसत ६

करश अतस नमसत ऋविष लिचत हरतिषत करण नमसत

कल करमकारिर जिजननदर नमसतसदा विलिचतर सरप नमसत ७

हरी बीज रशामिरय नमसत धीर ीर भननदर नमसत

विरघयनविनाशक शानविनत नमसत पराभिण नाथ त नाम नमसत ८

भरय हता विनभordfक नमसत दिदवय धनी भिश रप नमसत

धम धरधर धीर नमसत विनज चतनरय लीन नमसत ९

शानविनत जिजनाCक को जो भविजन धार विनतरय हदरय म

सख समपवित ऐशवरय परापत हो सशरय नही विजरय म १०

ॐ हरी जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

परथम लरय पजा परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तबकषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

ह बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन१

ॐ हरी अशोकतरसतपरावितहारय-मचचिणbतारय अशोकतररयNपदपरदारय हमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

भ बीजाकषर का आशररय लकरता शानविनतनाथ पजन २

ॐ हरी सरपषपविCसतपरावितहारय मचचिणbतारय सरपषपविCरयNपदपरदारय भमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

म बीजाकषर का आशररय लकरता शानविनतनाथ पजन३

ॐ हरी दिदवयरधवाविनसतपरावितहारय मचचिणbतारय दिदवयरधवाविनरयNपदपरदारय ममलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

र बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन ४

ॐ हरी चामरोततोलनसतपरावितहारय मचचिणbतारय चामरोततोलनरयNपदपरदारय मलवररय_ बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

घ बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन५

ॐ हरी लिसहासनसतपरावितहारय मचचिणbतारय लिसहासनरयNपदपरदारय रघयमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

झ बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन६

ॐ हरी भामbलसतपरावितहारय मचचिणbतारय भामbलरयNपदपरदारय झमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

स बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन ७

ॐ हरी दनदभिभसतपरावितहारय मचचिणbतारय दनदभिभरयNपदपरदारय समलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

ख बीजाकषर का आशररय लकरता शानविनतनाथ पजन८

ॐ हरी छतरतररयसतपरावितहारय मचचिणbतारय छतरतररयरयNपदपरदारय खमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

ह भ म र घ झ स ख बीजरयत णन कर भरपर

सतोतर अघररय स पजत विरघयन ग हो दर ९

ॐ हरी अCपरावितहारय सविहतारय अCबीजमbनमचचिणbतारय सविरघयनशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय पणाघररय विनपामीवित साहा

वितीरय लरय पजा परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

भलिN भा रयत परभ पजन को इनदर जिजनालरय जा

तीथ_कर पदी क कारण शरी जिजनक गण गा

शरी जिजन परभ क पद पङकज की पजा इनदर रचा

दशन जञान अननत सखामत बल विकरम पा १

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमानस अहतपरमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अC कम स मN विनरजन लिसदध सरपी राज

कषामिरयक समरयक आदिद गणोततम सीमातीत विराज

भत भविषरयत तमान क लिसदध अननत विनरजन

विनजसरप म लीन परभ का करता पजन दन २

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमान सलिसदध-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पञचाचार- विभविषत गरर आतम-जरयोवित जगा

जञान तपो विनलिध कम दलन को रधवारयान-कठार उठा

शानविनत सधाकर की शलिच शीतल रडिशम-परकाश परसार

सघ चतरतिध क अलिधनारयक काम-महारिरप मार३

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमान-साचारय-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझतविनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

ादश अग विभविषत मविनर पाठक साध सधी क

मान विमदन करत विनमद आतम सधा रस पी क

रधवारयाना-रधवारयरयन विनरनतर जिजनक भिश-साधन दशा

इCा-विनC सरयोग विरयोग हष-विषाद नशा ४

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद- तमान-सपाठक-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जञान रधवारयान तप लीन विनरनतर समता-सादक रयोगी

विषरयातीत-सरप जिजतजिनदररयआतम सरस क भोगी

रधवारयान कपाण लिलए मविन रयोगी कम-महारिरप मार

गण Ÿोणी रयत कर विनजरा विनज गण रप विचार ५

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमान-ससाध-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पचचीस दोषो स रविहत अCाङग समरयग दशनम

अहनत आगम गररो काम करो विनत अचनम ६

ॐ हरी जगदापविनाशनहत शदधसमरयकतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान-बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

ादशाङग जिजननदर-ाणी जञान ndash दोष ndash विरजिजतम

समरयखिगभविषत आतम जरयोवित परकाश को शत नदनम ७

ॐ हरी जगदापविनाशनहत शदधसमरयजञानामलतर-खणbोडिजझत-विनदान-बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

गनविपतरया तररय समिमवित पाचो और पञच महावरतम

तरह परकार चरिरतर समरयक का करो म पजनम ८

ॐ हरी जगदापविनाशनहत शदधसमरयकताचारिरतरामलतर-खणbोडिजझत-विनदान-बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जञानारणी पञच परकवितरया परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी ९

ॐ हरी जञानारण-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

दशनारणी कम परकवित न परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी१०

ॐ हरी दशनारण-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

दनीरय विलिध सखदख दारयक परभ न उभरय विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी११

ॐ हरी दनीरय-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अCा-विशवित परकवित मोह की परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १२

ॐ हरी परचणbमोहनीरय-कमबध-बधनकत सवित ततकम-विपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

आरय कम की परकवित चार ह परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १३

ॐ हरी आरय-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनत नाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नाम कम की परकवित नवित तररय परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १४

ॐ हरी नाम-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनत नाथारय अघररय विनपामीवित साहा

गोतर कम की परकवित शभाशभ परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागरपजो पद अविनाशी १५

ॐ हरी गोतर-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अनतरारय विलिध पञच परकवितरया परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १६

ॐ हरी अतरारय-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

दशन जञान चरण स भविषत पञच परम पद पाऊ

शानविनतनाथ जिजन क चरणो म विनत परवित अघ चढाऊ १७

ॐ हरी पचपरमविषठ-पदपरदारय दशन-जञान-चारिरतर-कारकारय अCकमविनारणारय शरीशानविनतनाथारय पणाघररय विनपामीवित साहा

ततीरय लरय पजा परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

विनज-परिरार सविहत असरो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा १

ॐ हरी असरकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत नागो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा २

ॐ हरी नागकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत विदयत क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ३

ॐ हरी विदयतकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत सपण क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ४

ॐ हरी सपणकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत पाक क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ५

ॐ हरी अनविगनकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत मारत क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ६

ॐ हरी ातकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत मघो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ७

ॐ हरी सतविनतकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत सागर क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ८

ॐ हरी उदलिधकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत ीपो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ९

ॐ हरी ीपकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत दिदकसर क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १०

ॐ हरी दिदककमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत विकVर क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ११

ॐ हरी विकVरनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विकमपरषो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १२

ॐ हरी विकमपरषनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

महोरगो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १३

ॐ हरी महोरगनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

गध क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १४

ॐ हरी गनधनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

रयकषसरो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १५

ॐ हरी रयकषनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

राकषसगण क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १६

ॐ हरी राकषसनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भतसरो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १७

ॐ हरी भतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

सरविपशाच क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १८

ॐ हरी विपशाचनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जरयोवितविषरयो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १९

ॐ हरी चदरनामकनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जरयोवितविषद परतीनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २०

ॐ हरी भासकरनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इदरामर सौधम सग क भN जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा २१

ॐ हरी सौधमनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इदरामर ईशान सग क भN जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २२

ॐ हरी ईशाननदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

सनत सग क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २३

ॐ हरी सनतकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इनदरामर माहनदर सग क भN जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २४

ॐ हरी माहनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

बरहमसग क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २५

ॐ हरी बरहमनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लानत क सर इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २६

ॐ हरी लानतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शकर सग क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २७

ॐ हरी शकरनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथपदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शतारनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २८

ॐ हरी शतारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

आनतनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २९

ॐ हरी आनतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराणतनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ३०

ॐ हरी पराणतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

आरणनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ३१

ॐ हरी आरणनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अचरयतनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ३२

ॐ हरी अचरयतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

बततीस इनदरो स परपजिजत शानविनतनाथ जिजनश को

परिरपण अघ चढारय पाऊह परभो भिशलोक को ३३

ॐ हरी चतरणिणकारयदनदरपजिजतारय शरीशानविनतनाथारय पणाघररय विनपामीवित साहा

चतथ लरय पजा परारभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

सतवितलका छद

मन क विकार सब नाशन हत तरी

पजा परशात करती लगती न दरी

ह शानविनतनाथ भगन भतापहारी

सादर परणाम तमको अघ नाशकारी १

ॐ हरी मानलिसक विकारोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

ाणी पररयतनकत दोष विनारन को

पजा समथ भविजनम सधारन को

ह शानविनतनाथ भगन भतापहारी

सादर परणाम तमको अघ नाशकारी २

ॐ हरी ाचविनक विकारोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

कारया कठार कत पाप परणाशकारी

अचन सशN सतर परदोषहारी

ह शानविनतनाथ भगन भतापहारी

सादर परणाम तमको अघ नाशकारी ३

ॐ हरी कामिरयक-पापोदभोपदरविनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

राजरयशरी पर गह नाश सो होरय उपदर भारी

उनक नाशन हत परभ की पजा मगलकारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ४

ॐ हरी राज-लकषमी-पर-गह-पदभरCोद-भोपदर-विनारकारय शरी शानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पपारजिजत कम उदरय सो घोर विपलितत सता

लकषमी हीन दरिरदरी नर विनत तीवर महा दख पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ५

ॐ हरी दारिरदरोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भीम भगदर कC जलोदर आदिदक रोग घनर

वयालिध उपदर कम विनाशन हत जजो पद तर

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ६

ॐ हरी भीम-भगदर-गलिलतकषठ-गलम-जलोदर-रN-विपतत-कफ-ात-सफोटकादयप-दर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इC विरयोग अविनC रयोग स जी महा दख पा

विनज परिरणवित को भल मोही आत रौदर उपजा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ७

ॐ हरी इCविरयोगाविनCसरयोगोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विनज सना ा पर सना कत घोर उपदर आ

धमाराधन रधवारयान विमख तब पराभिण महा दख पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ८

ॐ हरी सचकर-परचकरोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

नाना आरयध दह विनाशक घोर उपदर आ

आत रौदर की परिरणवित वयाप कोई नही बचा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ९

ॐ हरी विविधारयधोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जलचर पराणी दC नकर औ मतसरय महा भरयकारी

कम उदरय जल बीच सतावयाकल हो नरनारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १०

ॐ हरी दCजलचरजीोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

न पत क मरधवारय चतषपद लिसह गजादिदक परानी

आकरामक न विनतरय सता कर दC मनमानी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ११

ॐ हरी वयाघर-लिसह-गजादिदक-न-पत-ालिसशवापदादयपदर-विनारकारय शरीशानविनत नाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भचर खचर करर जी कत तीवर उपदर आ

आशापाश बधा रयह पराणी परपरणवित लिलपटा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार १२

ॐ हरी भचर-गगनचर-करर-जीोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भीम भजगम भि क भीषण घोर विषल पराणी

विषम हलाहल दत दशन स पीडिbत हो जग पराणी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १३

ॐ हरी वयाल-भि कादिद-विष-ददरधरोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नख शगादिदक तीकषण विषल जीो क दखकारी

कम असाता पररिरत पराणी भगत दख अवित भारी

शानविनतनाथ क पद पकज जोमन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १४

ॐ हरी दCजी-पद-कर-नखोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

न पशओ क दाढ सीग नख अवित विकराल घनर

चच तb दतादिदक कत दख घोर असाता घर

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १५

ॐ हरी चच-तb-दाढ-कटकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

दाानल न मरधवारय भरयकर खग मग कष जला

जी असाता कमदरय स घोर महा दख पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार१६

ॐ हरी दाानलोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

घोर परचb पन का दजरय ग भरयकर धा

सागर मरधवारय परचb लहर की भीम भर लहरा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १७

ॐ हरी परचणb-पनोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नौका पोत सफोट उदलिध म दारण दख परदाता

सागर मरधवारय पतन जब हो कम विपाक असाता

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १८

ॐ हरी नौका-सफोट-पतनोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

न पत भमbल मरधवारय उदिदत उपदर भारी

परभ पजा स दर सभी हो फल हो मगलकारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १९

ॐ हरी न-नग-मदिदनी-भरयकरोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

सरिरता सागर कप सरोर झील जलाशरय ापी

इनक उपसगreg स रकषण पाता पीडिbत पराणी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २०

ॐ हरी नदी-सरोरानधिEcirc-कप-हदोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विदयतपात भरयकर षा ओला पाला पानी

द विपाक अनक उपदर पीडा की मनमानी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २१

ॐ हरी विदयतपातादिद-भीमामब-षटयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

रयदधसथल क मरधवारय शतर दल श अनक चला

कम असात अकाल मरण दख सब ही पराणी पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २२

ॐ हरी सगराम-सथलादिदविनकटोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

bाविकविन शाविकविन भत परत अर चोर विपशाच घनर

कमreg क परिरपाक विषम सो रहत विनशदिदन घर

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २३

ॐ हरी bाविकनी-शाविकनी-भत-विपशाचादिदभरय विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

उचचाटन सममोहन थमभन घोर उपदर आ

विदया दC विविध रपो म आकर विनतरय सता

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २४

ॐ हरी मोहन-सतमभनोचचाटन-परमख-दCविदयोपदर विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

दC नगरह कत पीडाए कम उदरय स आ

अजञानी मिमथरयाती मरख कगर कद मना

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २५

ॐ हरी दCगरहादयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लोह शखला क दढ बधन अग उपाग दखा

पीडिbत जी महा दख पाकर हाहाकार मचा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २६

ॐ हरी शखलादयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अलप आरय कत कम रयोग स जनम मरण दख भारी

मन म वयापत परचb विकलता दखिखरया सब ससारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २७

ॐ हरी अलपमतरयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कम उदरय दरणिभकष उपदर अVाभा सता

जठरानल की भीषण जाला पराणी को विबलखा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २८

ॐ हरी दरणिभकषोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अतरारय रयह लाभ विरोधी कम उदरय जब आ

वयापारादिदक भिदध न हो धन समपलितत नशा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २९

ॐ हरी वयापारभिदध-रविहतरयोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

सबधी परिरार भरात सत बन अकारण बरी

घोर उपदर कर विनरतर वयाप विपद घनरी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ३०

ॐ हरी बधतोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अकटमबी सतान विबना विनत अवित सकलभिशत हो

मिमथरया मोह उदरय स पररिरत पराणी रो धो

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ३१

ॐ हरी अकटमबतोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पाप उदरय अपकीरतित दखद हो आकलता उपजा

मन सताप महा दख जाला सब सख शानविनत जला

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ३२

ॐ हरी अपकीतररयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विशव विहतारय उदार भाना विनमल मगलकारी

समरयकदशन जञान चरिरत रयह हो सद विहतकारी

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३३

ॐ हरी समपणकलरयाण-मगलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लिचतामभिण क तलरय लाभपरद शानविनत परभ को रधवारया

कर अचना विनतरय चा स अवितशरय शभ फल पा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३४

ॐ हरी लिचतामभिणसमान-लिचवितत-फलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कलपकष क समफल दाता पाप-ताप विनशारय

शानविनत जिजनशवर का आराधन शभ मगल महकाए

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३५

ॐ हरी कलपकषोपमकचचिलपताथ-फलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कामधन क तलरय अनपम स मनोरथ दाता

रयही अचना मगलकारी सख आनद परदाता

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३६

ॐ हरी कामधनपमकामनापण-फलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

परम समजजल रधवारयान धर तो मट पथ की बाधा

रयही अचना मगलकारी हर लती दख बाधा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३७

ॐ हरी परमोजजल-धमरधवारयान-बाधारविहतारय-अनदयबोधपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

तरलोकरय क सब पराभिणरयो को नतर का उतस कर

मनलिसज सदश सौनदरय पा जो परभ पजा कर

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३८

ॐ हरी कामदसरपपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कपर चदन अगर पकज तलरय सरभिभत दह हो

रयदिद शानविनत जिजन की अचना म अमल विन ल नह हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३९

ॐ हरी सगलिधतशरीरपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भवयामबजो को विनत परफडिललतनाथ का भामणbलम

रवि रडिशमत करता परकाभिशत शानविनतजिजन गणमbलम

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४०

ॐ हरी तरलोकरयनाथाहलाद-कारक-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कषीर सागर की समजजल अमल लहरो स धल

दता गात विनरतर आपक सदगण विमल

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४१

ॐ हरी परमोजजल-गणगण-सविहत-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

ाचसपवित क तलरय विनमल विशद-परवितभादामिरयविन

आपकी ह अचना जरयो परणिणमा की चादनी

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४२

ॐ हरी ाचसपवितसमान-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नविनलिध चतदश रतन का सामिमत जो चकरश को

नर द इदर नरनदर दिदत पजता तीथश को

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरीशानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४३

ॐ हरी चकररतित-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपद-परापतरय अघररय विनपामीवित साहा

दोनो कलो की कीरतित को विनज गण विभविषत जो कर

मलिN रमा रती उनह जो शानविनतजिजन पजा कर

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४४

ॐ हरी उभरयकल-कमल-विकासन-परवितविषठत-गणमचचिणbतारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अचना शभभा स अरिरहत की जो विनत कर

शराकोततम वरतधरन सद बभिदध को नर र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४५

ॐ हरी शराक-सततकरण-बभिदधपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शारदी न जरयोतसना सम कीरतित का विसतार हो

परभ अचना ही मातर इक जो पराण का आधार हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४६

ॐ हरी परमोजजल-कीरतितपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कलरयाण कतररी राज लकषमी धनद सम नर र

जिजन राज की शभ भाना स जो सतत पजा कर

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४७

ॐ हरी कलरयाणकर-राजधनदसम-लकषमीपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

वितरय_च नारक भ कभी जिजन भN को मिमलता नही

नर द भ शभ लोक म परभ भN पात हर कही

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४८

ॐ हरी नरक-वितरय_च-गवितरविहत-नर-सर-गवितसविहत-भपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भाना षोbश विमल परभ अचना स परापत हो

तीथ_कर पदी मिमल जिजसस विक विन रय आपत हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४९

ॐ हरी षोbशकारण-भाना-साधन-बलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

लोक दलभ सपन सोलह नाथ माता दखती

एक जननी पद परस पजा सविहत अलोकती

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५०

ॐ हरी जिजनजननी-तलरयकजननी-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

तीथश न सर शल पर होता विशद अभिभषक ह

जिजन अचना का हदरय जिजनक परकट विमल विक ह

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश कीम विनत कर आराधना ५१

ॐ हरी मरभिशखर-सनानरयN-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

ससार भोग शरीर स विनद दीकषा दारयकम

नर जनम परभ की अचना स मिमल शभभिश कारकम

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५२

ॐ हरी लिसदधसाभिकष-दीकषाकारिर-भपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजन चदर क सालोक शासन क असीम परभा स

सहनन जर षभ तथा नाराच पजन भा स

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५३

ॐ हरी जरषभनाराच-सहनन-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

रतनतररयामत स विभविषत रधवारयान क उपरयोग स

विनमल रयथा विखरयात हो जिजन अचना क रयोग स

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५४

ॐ हरी रयथाखरयात-रतनतररयाचरण-रयN-बलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विनज रधवारयान म तललीन आतम साद अमत चख सक

तीथश शानविनत जिजनश पजन स विनजातम लख सक

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५५

ॐ हरी सातम-रधवारयानामत-सादसविहत-भपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

राजती बारह सभा जिजन समसरण सदा

तरलोकरय पवित की अचना स परापत होती सख परदा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५६

ॐ हरी समसरण-विभवित-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजनराज परभ की दिदवय रधवाविन दिदनरात म चौबार हो

जिजसका शरण कर भविक को कलरय अपरपार हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५७

ॐ हरी सतकलजञान-विभवित-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अC कमreg स रविहत गण अC रयत परमातमा

विनभरय विनरजन लिसदध पद पाता सधी धमातमा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५८

ॐ हरी विनरजन-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लिचतत को आनद दती नाथ की दिदवयाचना

परभ क पजारी की कर सर लोक म सर दना

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५९

ॐ हरी लिचदानद-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजनक विमल मखचदर स अमतचन अनपम झर

तरलोकरय की विनलिधरया सकल परभ क पजारी को र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६०

ॐ हरी चनानद-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजननाथ क तन की अलौविकक दिदवय अण अण की परभा

दखकर होती परफडिललत हष स बारह सभा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६१

ॐ हरी कारयानद-करण-समथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

साथ गreg का परशाधक नाथ मनसा लिचतनम

तीथश की दिदवयाचना का ह महत अवितशरय फलम

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश कीम विनत कर आराधना ६२

ॐ हरी अथग-लिसभिदध-साधन-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

परभ क गणो का ससतन विनज ाभिण ीणा स कर

काम ग परसालिधनी उतकC मविहमा को र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना६३

ॐ हरी कामग-लिसभिदध-साधन-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

जिजननाथ पजा स सफल विनज दह को जो नर कर

आ रय करया रयदिद मोकष लकषमी को सहज ही र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६४

ॐ हरी मोकष-परषाथ-लिसभिदध-साधन-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विनरचिलपत शरी जिजनराज चौसठ ऋभिदधरयो क नाथ ह

शत इदर क झकत सतत पद पकजो म माथ ह

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश कीम विनत कर आराधना ६५

ॐ हरी चतषविषठ-ऋभिदधसमानागारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शत एक विशवित तीथकर जिजनचदर की पजा करो

विरघयनौघ क शानतरयथ म पणाघररय चरणो म धरो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६६

ॐ हरी शतकिशवित-कोषठ-सथाविपतारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अरिरहत क अवितरिरN कोई ह नही जग म शरण

ससार सागर म परभ क चरण ह तारण तारण

इतीCपराथना कता पषपाजिल भिकषपत

(विनमनाविकत मतर का १०८ बार जाप रया आहवितरया द)

ॐ हरी जगचछानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय नम सपदर-शानतिनत कर कर साहा

जरयमाला

शानविनतनाथ भगान क गण ह अपरपार

विनराधार ससार म भNो क आधार १

पचम शरी चकरीश ह ादश रवितनाथ

षोbश तीथश को सदा नाऊ माथ २

पदधरिर छनद

जरय शानविनत परभो लिचदरपराज जग जल विनलिध म अदभत जहाज

जरय कम विनाशक शानविनतनाथ जरय विरघयन विनाशक शानविनतनाथ

जरय गण ारिरलिध ह शानविनतनाथ जरय मलिNध क पराणनाथ

जरय आतम विहतकर शानविनतनाथ जरय कम विनाशक शानविनतनाथ

जरय पाप विनाशक शानविनतनाथ भनतररय-जञारयक शानविनतनाथ

जरय समरयक दारयक शानविनतनाथ भिशमाग-विधारयक शानविनतनाथ

जरय भगहभजन शानविनतनाथ जरय अलख विनरजन शानविनतनाथ

जरय ऐरासत शरी शानविनतनाथ वितरभनतराता विहत शानविनतनाथ

जरय शानविनतनाथ भिश क दारयक जरय विहत-सदशक अघहारक

जरय जनम-जरा-मत-सहारक जरय रोगशोक हर सखदारयक

भिश सख क साधन शानविनतनाथ भ भरय क भजक शानविनतनाथ

जरय मानबली क मद मदक जरय शानविनतनाथ गण गणधक

कमreg क दख सहारक हो भरय भत विपशाच विनारक हो

नगरहकत बाधा दर करो वयालादिद विपवित चकचर करो

जरय भवय सरोज दिदाकर हो जरय भिश सख पदम परभाकर हो

भवि जीन तारण कारण हो शरी शानविनतनाथ भिश नारयक हो

ॐ हरी जगचछानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय जरयमाला-पणाघररय विनपामीवित साहा

नम

ॐ हरी शरीमनत भगनत कपालसनत शरीषभादिद ndash महाीरपरयनत-चतरविशवित -तीथङक iuml रपरमद आदयाना आदय जमबीप भरतकषतर आरयखणb helliphelliphelliphelliphelliphelliphellipनानविमन नगरhelliphelliphelliphelliphellipमासानामततमhelliphellip मास शभपकष helliphellipवितथौhelliphellip ासरhelliphellip मनरयारयिरयका-शराक-शराविकाणा सकलकमकषरयाथ_ अनघपदपरापतरय समपणाघररय विनपामीवित साहा

चतरतिवश तीरथsकर सवतित पाठशरीषभो नः सचचिसत सचचिसत शरीअजिजतः |

शरीसभः सचचिसतसचचिसत शरीअभिभनदनः |शरीसमवितः सचचिसत सचचिसत शरीपदमपरभः |शरीसपाशवः सचचिसत सचचिसत शरीचनदरपरभः |शरीपषपदतः सचचिसत सचचिसत शरीशीतलः |शरी शररयानसः सचचिसत सचचिसत शरीासपजरयः | शरीविमल सचचिसत सचचिसत शरीअनतः |शरीधमः सचचिसत सचचिसत शरीशानविनतः |शरीकथः सचचिसत सचचिसत शरीअरहनाथः |शरीमडिललः सचचिसत सचचिसत शरीमविनसवरतः |शरीनमिमः सचचिसत सचचिसत शरीनमिमनाथः |शरीपाशवः सचचिसत सचचिसत शरीदधमानः |

इवित शरीचतरविशवित तीथ_कर-सचचिसत मगल विधान पषपाजलिल भिकषपामिम |

तिनवा13ण काडदोहा

ीतराग दौ सदा भासविहत लिसरनारयकह काb विनाण की भाषा सगम बनारय

अCापद आदीशवर सामी बास पजरय चपापरनामीनमिमनाथसामी विगरनार दो भा भगवित उरधार १

चरम तीथ_कर चरम शरीर पाापरी सामी महाीरभिशखर सममद जिजनसर बीस भा सविहत दौ विनशदीस २

रदतरारय रइद मविनद सारयरदतत आदिदगणदनगरतारर मविन उठकोविb दौ भा सविहत करजोविड ३

शरी विगरनार भिशखर विखरयात कोविb बहततर अर सौ सातसब परदमन कमार भारय अविनरदध आदिद नम तस पारय ४

रामचदर क सत ीर लाbनरिरद आदिद गण धीरपाचकोविड मविन मलिN मझार पााविगरिर बदौ विनरधार ५

पाb तीन दरविb राजान आठकोविड मविन मलिNपरयानशरी शतरजरय विगरिर क सीस भा सविहत दौ विनशदीस ६

ज बलभदर मलिN म गए आठकोविड मविन औरह भरयशरी गजपथ भिशखर सविशाल वितनक चरण नम वितह काल ७

राम हण सगरी सbील गगाखरय नीलमहानीलकोविड विनणरयान मलिN परयान तगीविगरी दौ धरिररधवारयान ८

नग अनग कमार सजान पाच कोविड अर अध परमानमलिN गए सोनाविगरिर शीश त दौ वितरभनपवित इस ९

राण क सत आदिदकमार मलिN गए रातट सारकोविड पच अर लाख पचास त दौ धरिर परम हलास १०

रा नदी लिसदधरकट पभि म दिदशा दह जहा छट चकरी दश कामकमार उठकोविड दौ भपार ११

बडानी बडनरयर सचग दभिकषण दिदभिश विगरिरचल उतगइदरजीत अर कभ ज कण त दौ भसागर तण १२

सरण भदर आदिद मविन चार पााविगरिरर भिशखर मझारचलना नदी तीर क पास मलिN गरय बदौ विनत तास १३

फलहोडी बडगराम अनप पभि म दिदशा दरोणविगरिर रपगर दततादिद मविनसर जहा मलिN गए बदौ विनत तहा १४

बाली महाबाली मविन दोरय नागकमार मिमल तररय होरय

शरी अCापद मलिN मझार त बदौ विनतसरत सभार १५

अचलापर की दशा ईसान जहा मढविगरिर नाम परधानसाड तीन कोविड मविनरारय वितनक चरण नम लिचतलारय १६

शसथल न क दिढग होरय पभि म दिदशा कनथविगरिर सोरयकलभषण दिदभिशभषण नाम वितनक चरणविन कर परणाम १७

जशरथराजा क सत कह दश कलिलग पाच सो लहकोदिटभिशला मविनकोदिट परमान दन कर जौर जगपान १८

समसरण शरी पाशवजिजनदर रलिसदीविगरिर नरयनानदरदततादिद पच ऋविषराज त दौ विनत धरम जिजहाज १९

सठ सदशन पटना जान मथरा स जमब विनाणचरम कलिल पचमकाल त दौ विनत दीनदरयाल २०

तीन लोक क तीरथ जहा विनत परवित दन कीज तहामनचकारय सविहत लिसरनारय दन करविह भविक गणगारय २१

सत सतरहसो इकताल आभिशवन सदी दशमी सविशालlsquoभरयाrsquo दन करविह वितरकाल जरय विनाण काb गणमाल २२

सवयमभ सतोS किहदीसवयभसतोS-भारषा

रमल (ससकत) रचना आचाय13 सरमतभदरभारषा (तिहनदी) अनवाद कतिवशरी दयानतरायतिवदवानो योतिगयो और तयागी-तपबधिसवयो क पजय सवारमी आचाय13 सरमतभदर सोतसाह रमतिन जीवन वयतीत कर रह रथ उस सरमय असाता वदनीय करम13 क परबल उदय स उनह lsquoभसरमकrsquo नारम का रमहारोग हो गया रमतिनचया13 क दौरान इस रोग का शरमन होना असभव जानकर उनहोन अपन गर स सAलखना धारण करन की आजञा चाही| गर रमहाराज न कहा तिक आप क दवारा जिजन-शासन की तिवशरष परभावना होनी ह सAलखना का सरमय अभी नही आया हरोग-शरमन हत पौमिषटक भोजन की आजञा लकर आपन दिदगमबर वरष का तयाग तिकया और काची रम रमशिलन वरषधारी दिदगमबर रह राजा न उनह सही-सही परिरचय बतान क शिलए कहा सरमतभदर न कहा तिक रम आचाय13 ह शासSारचिरथयो रम शरषठ ह पलपिणडत ह जयोतितरषी ह वदय ह कतिव ह रमातिSक-तातिSक ह ह राजन इस सपण13 पथवी रम रम आजञा शिसदध ह अमिधक कया कह शिसदध सारसवत ह और अब आपक समरमख जन-वादी खड़ा ह जिजसकी शशिकत हो रमझस शासSारथ13 कर लउनहोन चौबीस तीरथक13 रो का सतवन शर तिकया जब व आठव तीरथsकर चनदरपरभ का सतवन कर रह रथ तब चनदरपरभ भगवान की रमरतित परकट हो गरइ13इ सतवन पण13 हआ यह सतवन lsquoसवयभसतोSrsquo क नारम स परशिसदध ह यह करथा बर नमिरमदतत करथाकोश क आधार पर ह

(चौपारइ13इ छनद)राजतिवरष जगलतिन सख तिकयो राजतयाग भतिव शिशवपद शिलयो |सवयबोध सवयभ भगवान वद आदिदनारथ गणखान ||१||

इनदर कषीरसागर जल लाय रमर नहवाय गाय बजाय |रमदन तिवनाशक सख करतार वद अजिजत अजिजत-पदकार ||२||

शकलधयान करिर कररम तिवनाशिश घातित-अघातित सकल दख राशिश |लहयो रमकतितपद सख अतिवकार वद सभव भव-दख टार ||३||

रमाता पभिशचरम रयन रमझार सपन दख सोलह सार |भप-पशिछ फल सतिन हररषाय वद अभिभनदन रमन लाय ||४||

सब कवादवादी सरदार जीत सयादवाद-धतिन धार |जनधररम-परकाशक सवारम सरमतितदव पद करह परणारम ||५||

गभ13 अगाऊ धनपतित आय करी नगर-शोभा अमिधकाय |बरस रतन पचदश-रमास नरम पदरमपरभ सख की राश ||६||

इनदर फणीनदर नरनदर तिSकाल बानी सतिन-सतिन होकिह खशाल |दवादश सभा जञान-दातार नरम सपारसनारथ तिनहार ||७||

सगन शिछयाशिलस ह तरम रमाकिह दोरष-अठारह कोऊ नाकिह |रमोह-रमहातरम-नाशक दीप नरम चदरपरभ राख सरमीप ||८||

दवादशतिवध तप कररम तिवनाश तरहतिवध-चारिरS परकाश |तिनज अतिनचछ भतिव इचछकदान वद पषपदत रमन-आन ||९||

भतिव-सखदाय सरग त आय दशतिवमिध धररम कहयो जिजनराय |आप-सरमान सबतिन सख दह वद शीतल धरम13-सनह ||१०||

सरमता-सधा कोप-तिवरष-नाश दवादशाग-वानी परकाश |चार सघ-आनद-दातार नरम शरयास जिजनशवर सार ||११||

रतनSय शिसरा रमकटा तिवसाला सोभ काता सगना रमभिण रमाला रमशिकतनारा भतता13 भगवान वासपजय वद धारा धयाना 12

पररम सरमामिध-सवरप जिजनश जञानी-धयानी तिहत-उपदश |करम13 नाशिश शिशव-सख-तिवलसत वद तिवरमलनारथ भगवत ||१३||

अतर-बातिहर परिरगरह टारिर पररम दिदगबर-वरत को धारिर |सव13जीव-तिहत-राह दिदखाय नरम अनत वचन रमनलाय ||१४||

सात तततव पचासतितकाय नव-पदारथ13 छह दरवय बताय |लोक अलोक सकल परकाश वद धरम13नारथ अतिवनाश ||१५||

पचरम चकरवरतित तिनमिधभोग कारमदव दवादशरम रमनोग |शातितकरण सोलरम-जिजनराय शातितनारथ वद हररषाय ||१६ ||

बह रथतित कर हररष नकिह होय किनद दोरष गह नकिह कोय |शीलवान परबरहम-सवरप वद करथनारथ शिशवभप ||१७||

दवादश-गण पज सखदाय रथतित-वदना कर अमिधकाय |जाकी तिनज-रथतित कबह न होय वद अर जिजनवर-पद दोय ||१८||

परभव रतनSय-अनराग इहभव बयाह-सरमय वराग |बाल-बरहम-परन-वरत धार वद रमलपिAलनारथ जिजनसार ||१९||

तिबन उपदश सवय वराग रथतित लोकात कर पग लाग |नरम शिसदध कतिह सब वरत लकिह वद रमतिनसवरत वरत दकिह ||२०||

शरावक तिवदयावत तिनहार भगतित-भाव सो दिदयो अहार |बरसी रतन-राशिश ततकाल वद नमिरम परभ दीनदयाल ||२१||

सब जीवतिन की बदी छोतिड़ राग-दवरष दव-बधन तोर |राजल तजिज शिशव-तितय सो मिरमल नमिरमनारथ वद सख तिनल ||२२||

दतय तिकयो उपसग13 अपार धयान दगनिख आयो फतिनधार |गयो करमठ-शठ रमख कर शयारम नरम रमरसरम पारस सवारम ||२३||

भव-सागर त जीव अपार धररम-पोत रम धर तिनहार |डबत काढ़ दया-तिवचार वदध13रमान वद बह-बार ||२४||

(दोहा)चौबीसो पद-करमल-जग वद रमन वच काय |lsquoदयानतrsquo पढ़ सन सदा सो परभ कयो न सहाय |

दिदपतरयौहार ससकवित और सभरयता क परतीक ह तथा उनका समबनध भी पराचीन महततपण घटनाओ स जbा हआ ह| दीपाली हमार दश का परलिसदध तरयौहार ह| सभी लोग इस परम और उतसाह स मनात ह| इसस कई धम की कथारय जbी ह| कहा जाता ह विक मरयादा परषोततम शरी राम चनदर जी ारा दशहर क दिदन राण का ध करक इस दिदन अरयोरधवारया पधार थ पर विानो का मत ह विक इसका कोई शासतरीरय आधार नही ह| इसी दिदन शरी कषण जी न नरकासर का ध विकरया था| सतरही शताबदी म लिसखो क छठ गर शरी हरगोविबनद लिसह जी मगल बादशाह की कद स छट थ| इसी दिदन उVसी शताबदी म आरय समाज क ससथापक सामी दरयानद सरसती न तथा सामी रामकषण परम हस न शरीर तरयाग विकरया था| इस परकार सभी धम म अपनी-अपनी मानरयतानसार इस वितलिथ का महतत ह| मगर इस प का सीधा और सचचा समबनध जन धम क 24 तीथ_कर भगन महाीर सामी जी स ह| कारतितक कषण अमासरया की सपरभात की शभ बला म भगन महाीर सामी न चारो अघवितरया कमreg को भी नC करक विनाण परापत विकरया था| भगान क विनाण कलरयाणक की इनदरादिद न आकर बड धम धाम स पजा की थी| समराट शरभिणक आदिद नरनदरो न भी अपनी परजा क साथ महान विनाणोतस मनारया था| तभी स रयह प मनारया जाता ह| जन धम विकसी जावित ण सपरदारय रया पथ विशष का नाम नही ह करयोविक जन धम का परवितपादन करन ाल सभी 24 तीथ_कर कषवितररय थ और उनक अलिधकाश भिशषरय बराहमण थ| जन धम उस सत सरप का परवितपादन करता ह जो अनादिदकाल स ह और अनतकाल तक रहगा| जन धम पराणी मातर का धम ह| तीथ_कर महाीर न मान जीन की परतरयक विकररया को अविहसा क माप दb ारा मापा ह| एक जनम की साधना स कोई तीथ_कर नही बन सकता रयह तो अनक भो की साधना का फल ह| इस पद को पाना कोई साधारण बात नही इसक लिलए आतमा का पण विकास और परम विशभिदध आशरयक ह| भगान महाीर का सनदश कल विशववयापी ही नही अविपत साजाविनक और सकालिलक भी ह| उनक सनदश को हम रयदिद सकषप म कह तो विचारो म अनकात ाणी म सरयादाद आचरण म अविहसा और वयहार म अपरिरगरह क रप म वयN कर सकत ह|

इस पनीत भारत सधरा पर अबस 2600 ष पहल विबहार क कणbलपर गराम म माता वितरशला (विपररयकरिरणी) की ककषी स भगान महाीर न जनम लिलरया था| घर म रहत हए भी धमान सामी अतरयत विनरचिलपत रहत थ| कभी-कभी भोजन करत चलत विफरत हए भी अनतासतत म विनमगन हए परतीत होत थ| जब सामामिरयक म होत थ तो उनकी विनशछल शात मदरा दखत ही बनती थी| अपन जीन म उनहोन अविहसा विशवमतरी और आतमोदधार का उतकC आदश उपडिसथत विकरया था| ह आजनम बरहमचारी रह 30 ष की भरी जानी म उनहोन दीकषा ली| 12 ष की कठोर साधना क उपरात दधर तपकर 42 ष की आरय म आतमा क परबल शतर चार घावितरया कम का नाश कर लोका लोक परकाशक कल जञान परापत कर लिलरया और भवय जीो को दिदवय-रधवानी ारा आतमा क उदधार का माग बतारया| 72 ष की आरय क अत म कारतितक कषण अमासरया को परात काल मोकष लकषमी को परापत विकरया| उसी दिदन शाम को भगान क परथम गणधर शरी गौतम सामी को कल जञान परापत हआ था| तब दो न आकर कल जञान रपी लकषमी की पजा की थी| गणनाम ईशा = गणश गणधरा रय दोनो परयारयाची नाम गौतम सामी क ही ह| तब स इन दोनो आतमाओ महाीर सामी और गौतम सामी की समवित म रयह दीपाली प समसत भारत ष म मनारया जाता ह| भगान महाीर सामी क विनाण क उपलकषरय म लोग परातकाल सतवित पाठ पढत ह| मजिनदर जी म जाकर विनाण पजा विनाण काb महाीराCक पढकर विनाण लाb चढात ह| अपन घरो को खब सजात ह परसपर मिमतरो और समबनधिनधरयो म मिमठाई बाटत ह| सरधवारया क समरय पजरय गौतम सामी क कल जञान कलरयाणक की खशी म जलती दीपो की पलिNरयो स घर क अनदर और बाहर रौशनी करत ह| भजन आरती करक भगान क गणो का गान करत ह| सचची लकषमी तो आतमा क गणो का पण विकास कल जञान हो जाना तथा मोकष परानविपत ही ह| हम उस दिदन महाीर सामी गौतम सामी और कल जञान रपी लकषमी की पजा करनी चाविहए| इन गणो की पजा करन स रपरया पसा आदिद सासारिरक लकषमी परापत होना तो साधारण सी बात ह| जन धम अविहसा परधान धम ह| इस धम क अनसार धारयिमक प की तो बात ही करया लौविकक कारय म भी विहसा को कोई सथान नही ह| लोग तो आवितशबाजी छbाकर दिदाली मनात ह मगर इस कारय म असखरयात जीो की विहसा होना साभाविक ही ह| अत इस दिदन महाीर भगान क विनाण कलरयाणक क पान असर पर आवितशबाजी छbाना पणतरया बद होना चाविहए| अविहसा परमोधम रयतोधम सतोजरय

कछ लोग इस पवितर दिदन जआ खलत ह रयह मिमथरयात पोषक कपरथा तथा अधारयिमक परवित ह| हम शासतरानसार समरयक दशन को पC करन ाली विकररयाओ ारा दीपाली मनानी चाविहए| इस उपरयN उददशरय को बहत लोग जानकार भी रपरयो-पसो की पजा करत ह रयह उनकी विनतात भल ह| उनह रयह ासतविक रहसरय को समझ लना चाविहए विक धन का लाभ तो लाभ अनतरारय कम क कषरयोपशरय स होता ह और लाभतरारय कम का कषरयोपषम शभ विकररयाओ स ही हो सकता ह| रपरया पसो की पजा स नही| दीपाली हमारा राषटरीरय प ह सभी का तरयौहार ह अत हम इस प को बडी शरदधा और भलिN स मनाना चाविहए| दीपाली प कस मनारय -

परात काल सनानादिद करक पवितर सतर पहनकर जिजननदर द क मदिदर जी म परीार क साथ पहचकर जिजननदर द की पजा दना करनी चाविहए| भगान महाीर सामी की पजन करक विनाण काb पढन क बाद महाीर सामी क मोकष कलरयाणक का अघ बोलकर विनाण लाb अघ सविहत चढाना चाविहए|

सरसवती पजादोहा

जनम जरा मत कषरय कर हर कनरय जb रीवित

भ सगरसो ल वितर पज जिजन च परीवित

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसतरय पषपाजलिल विनपामीवित साहा

छीरो दमिध गगा तिवरमल तरगा सशिलल अभगा सख सगा

भरिर कचन झारी धारी तिनकारी तरषा तिनवारी तिहत चगा

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती-दवय जल विनपामीवित साहा

कर-पर रमगाया चनदन आया कशर लाया रग भरी

शारत-पद वदो रमन अभिभनदो पाप तिनकदो दाह हरी

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय चदनम विनपामीवित साहा

सख दास करमोद धारक रमोद अतित अन रमोद चद-सरम

बह भशिकत बढ़ाई कीरतित गाई होह सहाई रमात रमरम

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय अकषतान विनपामीवित साहा

बह फल सवास तिवरमल परकाश आनद रास लाय धर

रमरम कारम मिरमटायो शील बढ़ायो सख उपजायो दोरष हर

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय पषप विनपामीवित साहा

पकवान बनाया बह धत लाया सब तिवध भाया मिरमषठ रमहा

पज रथतित गाऊ परीतित बढ़ाऊ कषधा नशाऊ हरष13 लहा

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय नरधवारयम विनपामीवित साहा

कर दीपक जोत तन कषय होत जयोतित उदोत तरमकिह चढ़

तरम हो परकाशक भररम तिवनाशक हरम घट भासक जञान बढ़

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय दीप विनपामीवित साहा

शभ गध दशोकर पाव करम धर धप रमनोहर खवत ह

सब पाप जलावपणय करमाव दास कहाव सवत ह

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय धपम विनपामीवित साहा

बादारम छहारी लोग सपारी शरी फल भारी Aयावत ह

रमन वाशिछत दाता रमट असाता तरम गन रमाता धयावत ह

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय फलम विनपामीवित साहा

नयनन सख कारी रमद गन धारी उजजवल भारी रमोल धर

शभ गध समहारा वसन तिनहारा तरम तन धारा जञान कर

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय अरघयरयम विनपामीवित साहा

जल चदन अकषत फल चर अर दीप धप अतित फल लाव

पजा को ठानत जो तरम जानत सो नर दयानत सख पाव

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय अरघयरयम विनपामीवित साहा

जयरमाला

सोरठा

ओकार धवतिन सार दवाद-शाग वाणी तिवरमल

नरमो भशिकत उर धार जञान कर जड़ता हर

पहलो आचा रग बखानो पद अषटा-दश सहस पररमानो

दजो सS कत अभिभलारष पद छततीस सहस गर भारष

तीजो ठाना अग सजान सहस बयाशिलस पद सरधान

चौरथो सरम वायाग तिनहार चौसठ सहस लाख इक धाररम

पचरम वयाखया परजञपतिपत दरस दोय लाख अटठाइस सहस

छटठो जञात करथा तिवसतार पाच लाख छपपन हजजार

सपतरम उपास काधय नग सततर सहस =यार लख भग

अषटरम अत कत दस ईस सहस अठाइस लाख तईस

नवरम अनततर दश सतिवशाल लाख बानव सहस चवाल

दशरम परशन वयाकरण तिवचार लाख तितरानव सोल हजार

=यारस सS तिवपाक स भाख एक कोड चौरासी लाख

चार कोतिड़ अर पदरह लाख दो हजार सब पद गर शाख

दवादश दमिषट वाद पन भद इक सो आठ कोतिड़ पन वद

अड़सठ लाख सहस छपपन ह सतिहत पच पद मिरमथया हन ह

इक सौ बारह कोतिड़ बखानो लाख तितरासी ऊपर जानो

ठावन सहस पच अमिधकान दवादश अग सव13 पद रमान

साढ़ इकावन आठ तिह लाख सहस चरासी छह सौ भाख

साढ़ इकीस शलोक बताय एक एक पद क य गाय

दोहा

जा बानी क जञान त सझ लोक अलोक

जञानत जग जय-वत हो सदा दत ह धोक

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय महारघयरयम विनपामीवित साहा

अघा13वलीविरधवारयमान बीस तीथ_कर अघ

जल फल आठो दरवय अरघ कर परीवित धरी हगणधर इनदरनह त थवित परी न करी ह दयानत सक जानक (हो) जगत लह विनकार

सीमधर जिजन आदिद द बीस विदह मझार शरी जिजनराज हो भ तारण तरण जहाज

ॐ हरी विदयमानविशविततीथ_करभरयः अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 1

कवितम-अकवितम चतरयालरय अघ

कतयाकतिSरम-चार-चतय-तिनलयान तिनतय तिSलोकी-गतानवद भावन-वयतर-दयतितवरान सवगा13रमरावासगान सदगधाकषत-पषप-दारम-चरकः सददीपधपः फलरनीरादयशच यज परणमय शिशरसा दषकरम13णा शातय

ॐ हरी वितरलोक समबनधिनध कवितरमाकवितरम-चतरयालरयभरयः अरघयरय_ विनपामीवित साहा 2

लिसदध परमषठी अघ

गनधाढय सपयो रमधवरत-गणः सग वर चनदन पषपौघ तिवरमल सदकषत-चय रमय चर दीपकरम धप गनधयत ददामिरम तिवतिवध शरषठ फल लबधय शिसदधाना यगपतकररमाय तिवरमल सनोततर वालपिञछतरम

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 3

तीस चौबीसी का अघ

दरवय आठो ज लीना ह अघ13 कर रम नवीना ह

पजता पाप छीना ह भानरमल जोड़ तिकना ह

दीप अढ़ाई सरस राज कषS दस ता तिवरष छाज

सातशत बीस जिजनराज पजता पाप सब भाज

ॐ हरी पञचभरत-पचरात-समबनधी-दशकषतरानतगत-भत-भविषरयत-तमान-समबनधी-तीस-चौबीसी क सात सौ बीस जिजनदरभरयो-अघयम विनपामिमवित साहा 4

शरी आदिदनाथ जी अघ

शशिच तिनरम13ल नीर गध सअकषत पषप चर ल रमन हरषा13य

दीप धप फल अघ13 सलकर नाचत ताल रमदग बजाय

शरी आदिदनारथ क चरण करमल पर बशिल बशिल जाऊ रमन वच काय

ह करणातिनमिध भव दःख रमटो यात रम पजो परभ पाय

ॐ हरी शरी आदिदनाथजिजननदरारय अनघपदपरापतारय अघ_ विनपामिमवित साहा 5

शरी अजिजतनाथ जी अघ

जलफल सब सजज बाजत बजज गनगनरजज रमनरमजज तअ पदजगरमजज सजजन जजज त भवभजज तिनजकजज शरी अजिजत जिजनश नतनाकश चकरधरश ख=गश रमनवाशिछतदाता तिSभवनSाता पजौ खयाता ज=गश ॐ हरी शरीअजिजतनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 6

शरी समभनाथ जी अघ

जल चदन तदल परसन चर दीप धप फल अघ13 तिकया तरमको अरपौ भाव भगतितधर ज ज ज शिशव ररमतिन तिपया सभव जिजन क चरन चरचत सब आकलता मिरमट जाव तिनज तिनमिध जञान दरश सख वीरज तिनराबाध भतिवजन पाव ॐ हरी शरीसभनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 7

शरी अभिभननदन नाथ जी अघ

अषट दरवय सवारिर सनदर सजस गाय रसाल ही नचत रजत जजौ चरन जग नाय नाय सभाल ही कलरषताप तिनकद शरीअभिभननद अनपरम चनद ह पद वद वनद जज परभ भवदद फद तिनकद ह ॐ हरी शरीअभिभननदन जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 8

शरी समवितनाथ जी अघ

जल चदन तदल परसन चर दीप धप फल सकल मिरमलाय नाशिच राशिच शिशरनाय सरमरचौ जय जय जय 2 जिजनराय हरिरहर वदिदत पापतिनकदिदत सरमतितनारथ तिSभवनक राय

तरम पद पदम सदम शिशवदायक जजत रमदिदतरमन उदिदत सभाय ॐ हरी शरीसमवितनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 9

शरी पदमपरभ जी अघ

जल फल आदिद मिरमलाय गाय गन भगतित भाव उरमगाय जजौ तरमकिह शिशवतितय वर जिजनवर आवागरमन मिरमटाय रमन वचन तन Sयधार दत ही जनरम-जरा-रमत जाय पजौ भाव सो शरी पदरमनारथ पद-सार पजौ भाव सो ॐ हरी शरीपदमपरभजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 10

शरी सपाशवनाथ जी अघ

आठो दरब साजिज गनगाय नाचत राचत भगतित बढ़ाय दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो तरम पद पजौ रमनवचकाय दव सपारस शिशवपरराय दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 11

शरी चदरपरभ जी अघ

सजिज आठो दरब पनीत आठो अग नरमौ

पजौ अषटरम जिजन रमीत अषटरम अवतिन गरमौ

शरी चदरनारथ दतित चद चरनन चद लस

रमन वच तन जजत अरमद-आतरम-जोतित जग

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 12

शरी पषपदत जी अघ

जल फल सकल मिरमलाय रमनोहर रमनवचतन हलसाय

तरम पद पजौ परीतित लाय क जय जय तिSभवनराय

रमरी अरज सनीज पषपदनत जिजनराय रमरी अरज सनीज

ॐ हरी शरीपषपदनत जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 13

शरी शीतलनाथ जी अघ

शभ शरी-फलादिद वस परासक दरवय साज

नाच रच रमचत बजजत सजज बाज रागादिददोरष रमल रमदद13न हत यवा

चचAElig पदाबज तव शीतलनारथ दवा

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 14

शरी शररयासनाथ जी अघ

जलरमलय तदल सरमनचर अर दीप धप फलावली

करिर अरघ चरचौ चरन जग परभ रमोतिह तार उतावली

शरयासनारथ जिजननद तिSभवन वनद आननदकनद ह

दखदद फद तिनकद परनचनद जोतितअरमद ह

ॐ हरी शरीशररयासनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 15

शरी ासपजरय जी अघ

जल फल दरव मिरमलाय गाय गन आठो अग नरमाई

शिशवपदराज हत ह शरीपतित तिनकट धरौ यह लाई

वासपजय वसपज-तनज-पद वासव सवत आई

बाल बरहमचारी लगनिख जिजन को शिशव तितय सनरमख धाई

ॐ हरी शरीासपजरयजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 16

शरी विमलनाथ जी अघ

आठो दरब सवार रमनसखदायक पावन

जजौ अरघ भर रथार तिवरमल तिवरमल शिशवतितय ररमण

ॐ हरी शरीविमलनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 17

शरी अननतनाथ जी अघ

शशिच नीर चनदन शाशिलशदन सरमन चर दीवा धरौ

अर धप फल जत अरघ करिर करजोरजग तिवनतित करौ

जगपज पररम पनीत रमीत अनत सत सहावनो

शिशव कत वत रमहत धयावौ भरत वनत नशावनो

ॐ हरी शरीअनतनाथजिजनदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 18

शरी धमनाथ जी अघ

आठो दरब साज शशिच शिचतहर हरतिरष हरतिरष गनगाई

बाजत दरमदरम दरम रमदग गत नाचत ता रथई रथाई

पररमधररम-शरम-ररमन धररम-जिजन अशरन शरन तिनहारी

पजौ पाय गाय गन सनदर नाचौ द द तारी

ॐ हरी शरीधमनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 19

शरी शावितनाथ जी अघ

वस दरवय सवारी तरम दिढग धारी आननदकारी दग-पयारी

तरम हो भव तारी करनाधारी या त रथारी शरनारी

शरी शापतिनत जिजनश नतशकरश वरषचकरश चकरश

हतिन अरिरचकरश ह गनधश दयाऽरमतश रमकरश

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 20

शरी कनथनाथ जी अघ

जल चदन तदल परसन चर दीप धप लरी

फलजत जनन करौ रमन सख धरिर हरो जगत फरी

करथ सन अरज दास करी नारथ सन अरज दासकरी

भवशिसनध पयAcirc हौ नारथ तिनकारो बाह पकर रमरी

ॐ हरी शरीकथनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 21

शरी अरहनाथ जी अघ

सशिच सवचछ पटीर गधगहीर तदलशीर पषप-चर

वर दीप धप आनदरप ल फल भप अघ13 कर

परभ दीन दयाल अरिरकल काल तिवरद तिवशाल सकरमाल

हरिर रमरम जजाल ह जगपाल अरगन रमाल वरभाल

ॐ हरी शरीअरहनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 22

शरी मडिललनाथ जी अघ

जल फल अरघ मिरमलाय गाय गन पजौ भगतित बढ़ाई

शिशवपदराज हत ह शरीधर शरन गहो रम आई

राग-दोरष-रमद-रमोह हरन को तरम ही हो वरवीरा

यात शरन गही जगपतितजी वतिग हरो भवपीरा

ॐ हरी शरीमडिललनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 23

शरी मविनसवरतनाथ जी अघ

जलगध आदिद मिरमलाय आठो दरब अरघ सजौ वरौ

पजौ चरन रज भगतितजत जात जगत सागर तरौ

शिशवसारथ करत सनारथ सवरतनारथ रमतिनगन रमाल ह

तस चरन आननदभरन तारन तरन तिवरद तिवशाल ह

ॐ हरी शरीमविनसवरतजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 24

शरी नमिमनाथ जी अघ

जल फलादिद मिरमलाय रमनोहर अरघ धारत ही भवभय हर जजत हौ नमिरम क गण गाय क जगपदामबज परीतित लगाय क ॐ हरी शरीनमिमनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 25

शरी नमिमनाथ जी अघ

जल फल आदिद साज शशिच लीन आठो दरब मिरमलाय अषटरम शिछतित क राज कारन को जजौ अग वस नाय

दाता रमोकष क शरीनमिरमनारथ जिजनराय दाता0 ॐ हरी शरीनमिमनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 26

शरी पाशवनाथ जी अघ

नीर गध अकषतान पषप चार लीजिजय दीप धप शरीफलादिद अघ13 त जजीजिजय

पाशव13नारथ दव सव आपकी कर सदा दीजिजए तिनवास रमोकष भशिलय नही कदा ॐ हरी शरीपाशवनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 27

शरी महाीर सामी जी अघ

जल फल वस सजिज तिहरम रथार तन रमन रमोद धरौ गण गाऊ भवदमिधतार पजत पाप हरौ

शरी वीर रमहा-अतितवीर सनरमतित नायक हो जय वदध13रमान गणधीर सनरमतितदायक हो ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 28

शरी बाहबली सामी जी अघ

ह शदध तिनराकल शिसदधो सरम भवलोक हरमारा वासा ना

रिरप रागर दवरष लग पीछ यात शिशवपद को पाया ना

तिनज क गण तिनज रम पान को परभ अघ13 सजोकर लाया ह

ह बाहबली तरम चरणो रम सख समपतित पान आया ह

ॐ हरी शरी-बाहबली-जिजननदरारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 29

पञच बालरयवित जी अघ

सजिज वसतिवमिध दरवय रमनोजञ अरघ बनावत ह

वसकरम13 अनादिद सयोग तातिह नशावत ह

शरी वास-पजय-रमAली-नरम पारस वीर अती

नरम रमन-वच-तन धरी पररम पाचो बालयतित

ॐ हरी शरी-पचबालरयवित-तीथ_करभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 30

सोलहकारण भाना अघ

जल फल आठो दरव चढ़ाय lsquoदयानतrsquo वरत करौ रमन लायपररम गर हो जय जय नारथ पररम गर हो

दरशतिवशजिदध भावना भाय सोलह तीरथsकर-पद-दायपररम गर हो जय जय नारथ पररम गर हो

ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित 31

पचमर जी अघ

आठ दरबरमय अरघ बनाय lsquoदयानतrsquo पजौ शरीजिजनराय रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय पाचो रमर असी जिजन धारम सब परतितरमा जी को करौ परणारम रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः अरघयरय_ विनपामीवित साहा 32

ननदीशवर ीप अघ

यह अरघ तिकयो तिनजहत तरमको अरपत हो

धानत तिकजयो शिशवखत भमिरम सरमरपत हो

ननदीशवर शरीजिजनधारम बावन पज करो

वस दिदन परतितरमा अभिभरारम आनद भाव धरो

(ननदीशवर दीप रमहान चारो दिदशिश सोह

बावन जिजन रमजिनदर जान सर-नर-रमन-रमोह )

ॐ हरी शरी-ननदीशवर-ीप प-पभि मोततर-दभिकषण-दिदश -पचास-जिजनालरय-डिसथत जिजन परवितमाभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 33

दशलकषण धम अघ

आठो दरब सवार धानत अमिधक उछाह सो

भाव-आताप तिनवारदस लचछन पजो सदा

ॐ हरी शरी-उततम-कषमादिद-दशलकषण-धमारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 34

रतनतररय अघ

आठ दरब तिनराधार उततरम सो उततरम तिकय

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज

ॐ हरी शरी-समरयग-रतनतररयारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 35

सपतरतिष अघ

जल गध अकषत पषप चरवर दीप धप स लावना

फल लशिलत आठो दरवय मिरमभिशरत अघ13 कीज पावना

रमनवादिद चारिरSऋजिदध धारक रमतिनन की पजा कर

ता कर पातक हर सार सकल आनद तिवसतर

ॐ हरी शरी-मनादिदसपतरतिषभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 36

विनाण कषतर जी अघ

जल गध अकषत पषप चर फल दीप धपायन धरौ

धानत करो तिनरभय जगत सो जोर कर तिवनती करौ

समरमदिदगरिर तिगरनार चपा पावापर कलाश को

पजो सदा चौबीस जिजन तिनवा13ण भमिरम तिनवास को

ॐ हरी शरी-चतरविश-तीथ_कर-विनाण-कषतरभरयो अघ विनापमिमवित साहा 37

शरी सममद भिशखर जी अघ

जल गधाकषत फल स नवज लीजिजय

दीप धप फल अघ13 स लकर चढ़ाइए

पजो शिशखर समरमद स रमन वच काय ज

नरकादिद दःख टर अचल पद पाय ज

ॐ हरी शरी-सममद-भिशखर-लिसदधकषतर-पत बीस-तीथ_कर-आदिद-असखरयात-मविन-मलिN-परापतारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 38

सरसती (जिजनाणी) जी अघ

जलचनदन अकषत फल चर चत दीप धप अतित फल लावपजा को ठानत जो तरम जानत सो नर दयानत सखपाव

तीरथsकर की धवतिन गनधर न सतिन अग रच चतिन जञानरमईसो जिजनवर वानी शिशवसखदानी तिSभवन पजय भईऊ हरी शरी जिजनमखोदभभसरसतीदवय अरधवारयम विनपामीवित साहा 39

शरी ऋविषमbल अघ

जल फलादिदक दरवय लकर अघ13 सनदर कर शिलया

ससार रोग तिनवार भगवन वारिर तरम पद रम दिदया

जहा सभग ऋतिरषरमडल तिवराज पजी रमन वाच तन सदा

तितस रमनोवाशिछत मिरमळत सब सख सवपन रम दःख नतिह कदा

ॐ हरी शरी-सपदर-विनाशन-समथारय ऋविषमbलारय अरघयम विनापमिमवित साहा 40

शरी भरतशवर सामी जी अघ

भरतशवर रमहाराज रथारा गण गाऊ

रथा घर रम ही वराग चरणो रम धयाऊ

रम अषट दरवय ल आय पजा क शिलए

रम पजा भाव रचाय भव भव दःख हर

ॐ हरी शरी भरतशवरारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 41

शरी गौतम सामी जी अघ

भरतशवर रमहाराज रथारा गण गाऊ

रथा घर रम ही वराग चरणो रम धयाऊ

रम अषट दरवय ल आय पजा क शिलए

रम पजा भाव रचाय भव भव दःख हर

ॐ हरी शरी महाीर-समिमन गौतमादिद-एकादश-गणधरभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 42

शरी जमब सामी जी अघ

रमरथरा चौरासी धारम स तिनवा13ण गय

रम पज जमबसवारमी अतितरम रमोकष गए

ॐ हरी शरी जमब-सामी-मलिN-परापतारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 43

अतरारयनाशरय अघ

लाभ की अतराय क वश जीव सख ना लह

जो कर कषट उतपात सगर करम13वस तिवररथा रह

नही जोर वाको चल इक शिछन दीन सौ जग रम तिफर

अरहत शिसदधस अधर धरिरक लाभ यौ करम13 कौ हर

ऊ हरी लाभातरारयकम रविहताभरयाम अहतलिसदध परमविषठभरयाम अरघयरयम विनपामीवित साहा 44

शरी मानसतभ जी अघ

जल गनधादिद दरवय मिरमलाकर तिनज तिनज पजो चाव रम

रमान सतमभ प बठ भगवन उनको पज भाव स

ॐ हरी शरी मान-सतमभोपरिर-विराजमान-चतमख-जिजनविबमबभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 45

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रमोह नीद मिरमटान को शकनाद रह गरघोर तप कर तिनतय तपसवी भी अतः गर ||46||यरम ल कर रोगो का कर दरमन ही सदासयरमी ह अतः य ही पज इनह बन खदा ||47||राग रग दिदय तयाग वीतरागी रह गरपरतितरमा धारको को तो जिजन रमजिनदर रह गर ||48||राग रोग रह शीघर राज वदय अतः गरदया छाया सदा दत पशिरथको को अतः तर ||49||शिलय सनयास भोगो स सनयासी ह अरथ गरसवातरम-जञान रख पण13रमहाजञानी रह अतः ||50||वणा13तीत सव आतरमा को धयात वणN रह अतःसाधना रम सदा लीन रमहासाधक ह अतः ||51||शसS वसS नही पास दिदगमबर रह गरछोड सकल गररथो को यात तिनगरsरथ ह गर ||52||शात रमदरा गरजी की समयक दश13न हत हभवाबधिबध पार पान को गरदव स सत ह ||53||शिशषय रपी गढ रमरतित शरषठ शिशAपी रह गरकलात शिचतत कर शात अतः सत रह गर ||54|

आचाय13 जी स आचारय जी स रय पछ जग सारा

णमोकार नाम का रय कौन मतर परयारा

बोल मसकात मविनर सनो भाई सारhellip२ अनतानत ह रय पचरग परयार पवितस अकषर स शोभिभत ओhellip मतर ह विनराला इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

महामतर कहती इसको ह सारी जनताhellip२ पार लगाता उसको जो इस जपता

मतर ह रय ऐसा जिजसन ओhellip लाखो को तारा इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

पच परमषठी क गणो को परचारताhellip२ धम विशष को रय नही ह दलारता रय महामतर ह ओhellip तारण हारा इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

मनोरमा सती का शील था बचारयाhellip२ महामतर का रय णन गरथो न गारया ऐस महामतर को ओhellip नदन हमारा इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

पजा पादिठकापजा पीदिठका

पजा पीदिठका -जो पजा स पतिहला कहा जाता ह उस पजा पीदिठका कहत ह

ॐ जय जय जय नरमोऽसत नरमोऽसत नरमोऽसत

अरथ13 -ॐ = अरिरहत -अ +शिसदध भगवान का अशरीरी -अ+आचाय13 (अ)=आ + उपाधयाय (उ)=अ+साध (रमतिन) (रम) अरथा13त पञच पररमषठी की जय हो जयहो जयहोनरमसकार हो नरमसकार हो नरमसकार हो

जय और नरमसकार तीन बार रमन वचन काय स करत ह

णरमो अरिरहताणणरमो शिसदधाण णरमो आयरिरया ण णरमो उवजझायाण= णरमो लोए सवव साहण

अरथ13-

णरमो अरिरहताण-अरिरहतो को नरमसकार हो

णरमो शिसदधाण-शिसदधो को नरमसकार हो

णरमो आयरिरयाण-आचाय~ को नरमसकार हो

णरमो उवजझायाण=उपाधयायो को नरमसकार हो

णरमो लोए सवव साहण-लोक क सब तिनगर13नथ दिदगबर साध को नरमसकार हो

अब स लगभग १८००- १९०० वरष13 पव13 आचाय13 पषपदत जी और आचाय13 भतबशिल जी न रमहान गरनथ रषट खणडगरम की रचना करत सरमय आचाय13 पषपदत रमहाराज जी न उसक पररथरम रमगलाचारण क रप रम इस आय13खड गारथा को शिलखा ह वहा पर णरमो अरिरहताण शिलखा ह (न तिक अरहताण अरहताण) इसशिलए यही रमलपाठ हयही बोलना चातिहए यह रमहा रमS सब दखो को हरन वाला ह इसस पव13 पञच पररमषठी की वदना तो होती होगी तिकनत इस णरमोकार रमS की गारथा क रप रम नही होत होगी

ॐ हरी अनादिदरमलरमSभयो नरम(पषपाजशिल भिकषपत )

अरथ13- इस अनादिद रमल रमS को हरम नरमसकार करत हअजशिल रम पषप (पील चावल)लकर उनका कषपण करत ह अरथा13त तिवशव शातित की रमनोकारमना करता ह

चततारिर दणडक

चततारिर रमगल अरिरहता रमगल शिसदधा रमगल साह रमगल कवशिल पणणततो धमरमो रमगल

अरथ13 -चार रमगल कारी ह -अरिरहत भगवान रमगलकारी हशिसदध भगवान रमगलकारी ह तिनगर13नथ जन दिदगबर साध पररमषठी रमगलकारी ह और कवशिल भगवान दवारा कहा बताया धरम13 रमगलकारी ह रमगलकारी ndash सख दन वाला हआतरमा स लग करम13 बधो को नषट करन वाल य ही चार ह

चततारिर लोगततरमाअरिरहता लोगततरमाशिसदधा लोगततरमासाह लोगततरमाकवशिल पणणततो धमरमो लोगततरमो

अरथ13 -य चार लोक रम उततरमसव13शरषठ ह-अरिरहत भगवान लोक रम उततरम हशिसदध भगवान लोक रम उततरम हतिन- ग13ररथ दिदगबर जन साध लोक रम उततरम हकवशिल भगवान की दिदवय धवतिन दवारा बताया गया धरम13 लोक रम उततरम ह

चततारिर सरण पववजजामिरम- इन चारो की शरण को परापत होता ह

अरिरहनत सरण पववजजामिरम-अरिरहत भगवान की शरण को परापत होता ह

शिसदध सरण पववजजामिरम- शिसदध भगवान की शरण को परापत होता ह

साह सरण पववजजामिरम -तिनगर13नथ दिदगबर जन साध की शरण को परापत होता ह

कवशिलपणणतत धमरम सरण पववजजामिरम -कवशिल भगवान दवारा कह गय धरम13 को परापत होता ह

ॐ नरमोऽहsत सवहा (पषपाजशिल भिकषपत)

अरथ13- रम अरिरहत भगवान को सरमरतिपत करता ह तिवशव शातित की भावना स पषप अरतिपत करत ह

अपतिवS पतिवSो वा सलपितो दलपिोऽतिप वा

धयायतपच-नरमसकार सव13पापः पररमचयत १

शबदारथ13 ndash

अपतिवS-अपतिवS होपतिवSो-पतिवS होवा सलपितो-अचछी लपितित रम होदलपिोऽतिप-बरी लपितित रम होवा धयायतपच-नरमसकार-पञच नरमसकार रमS का धयान करन ससव13पापः-सरमसत पापो सपररमचयत-छट जाता ह

अरथ13-पतिवS और अपतिवSअचछी या बरी तिकसी भी अवा रमपञच नरमसकार रमS का धयान करन स सरमसत पाप नषट हो जात ह

अपतिवSः पतिवSो वा सवा13ा गतोऽतिप वा

यः सरमरत पररमातरमान स बाहयाभयतर शशिच २

शबदारथ13 -अपतिवSः-अपतिवS हो पतिवSो वा-पतिवS होसवा13ा-सब अवाओ को परापत हआ हो गतोऽतिप-गतितरमान हो वा यः -जोसरमरत -सरमरण करता हपररमातरमान -पररमातरमा णरमोकार रमS पञच पररममिषठयो कास -वह बाहया-बाहय अभयतर-आतरिरक शशिच-पतिवS हो जाता ह

अरथ13- अपतिवS अरथवा पतिवS हो गतितरमान हो तिकसी भी अवा को परापत हआ जो पररमातरमाणरमोकार रमS पञच पररममिषठयो का सरमरण करता वह बाहय और अतरग स पतिवS हो जाता ह

तिवशरष-

१-णरमोकार रमS की रचना कब हई

अब स लगभग १८००- १९०० वरष13 पव13 आचाय13 पषपदत जी और आचाय13 भतबशिल जी न रमहान गरनथ रषट खणडगरम की रचना करत सरमय आचाय13 पषपदत रमहाराज जी न उसक पररथरम रमगलाचारण क रप रम इस गारथा को रचा हइसस पव13 पञच पररमषठी की वदना तिकसी अनय रप रम होती होगी

२-चततारिर दडक तिकतना पराचीन ह

इसकी पराचीनता क तिवरषय रम कोई उAलख शासSो रम यही मिरमलता हयह गणधर दव क सरमय स ही परचलन रम ह ऐसा परतीत होता ह तिक इसक रशिचयता परणता गणधर दव ही हो

३-णरमो कार रमS बोलन का सरमय ndash

कही जा रह होघर रम परवश कर रह होसोन स पव13परातउठन क बाद कोई याSा परारमभ करत सरमयअसव हो तो लट लटसभी अवाओ रम णरमो कार रमS बोलचिचतन कर सकत ह रमरीज को हॉबधिटल ल जात सरमय इस रमS का चिचतवन कर

४-कया रमतिहलाय अशजिदध क दिदनो रम णरमो कार रमS बोल सकती ह

नही बोल भी नही सकती और जप भी नही सकती लट लट धयानचिचतवन रमन रम कर सकती ह

राकश करमार जन

आभार -पतिडत रतन लाल जन बनाड़ा

जन रमतिन

रषटखडगरम की रचना आचाय13 पषपदनत-भतवली दवारा रषट खणडागरम रचना ndash तिगरनार पव13त की चनदरगफा रम

आचाय13 पषपदनत-भतवली ndash गणधराचाय13 क पशचात अग-पव~ क एक दश जञाता धरसन हए य सौराषटर दश तिगरिरनार क सरमीप उज13यनत पव13त की चनदरगफा रम तिनवास करत रथ य परवादी

रप हाशिरथयो क सरमह का रमदनाश करन क शिलए शरषठ चिसह क सरमान रथ अषटाग रमहातिनमिरमतत क पारगारमी और शिलतिप शासS क जञाता रथ वत13रमान रम उपलबध शरत की रकषा का सवा13मिधक शरय इनही को परापत ह कहा जारथ ह तिक परवचन-वतसल धरसनाचाय13 न अग शरत क तिवचछदन हो जान क भय स रमतिहरमा नगरी रम सममिमरमशिलत दभिकषणा परथ क आचाय~ क पास एक पS भजा पS रम शिलख गए धरसन क आदश को सवीकार कर उन आचाय~ न शासS क अरथ13 को गरहण और धारण करन रम सरमरथ13 तिवतिवध परकार क चारिरS स उजजवल और तिनरम13ल तिवनय स तिवभतिरषत शील रपी रमाता क धारी सवा भावी दश कल जातित स शदध सरमसत कलाओ क पारगारमी एव आजञाकारी दो साधओ को आधर दश की वनया नदी क तट स रवाना तिकया इन दोनो रमतिनयो क रमाग13 रम आत सरमय धरसनाचाय13 न रातिS क तिपछल भाग रम सवपन रम कनदपषप चनदररमा और शख क सरमान शवत वण13 क दो बलो क अपन चरणो रम परणारम करत दखा परातः काल उकत दोनो साधओ क आन पर धरसनाचाय13 न उन दोनो की परीकषा ली और जब आचाय13 को उनकी यो=यता पर तिवशवास हो गया तब उनहोन अपना शरतोपदश दना परारभ तिकया जो आरषाढ़ शकला एकादशी को सरमापत हआ गर धरसन न इन दोनो शिशषयो का नारम पषपदनत और भतबली रखा गर क आदश स य शिशषय तिगरनार स चलकर अकलशवर आय और वही उनहोन वरषा13काल वयतीत तिकया अननतर पषपदनत आचाय13 बनवास दश को और भतबली तमिरमल दश की ओर चल गएपषपदनत न जिजनपाशिलत को दीकषा दकर उसक अधयापन हत सत पररपणा तक क सSो की रचना की और उनहोन उन सSो को सशोधनारथ13 भतबली क पास भज दिदया भतबशिल न जिजनपाशिलत क पास उन सSो को दखकर पषपदनत आचाय13 को अAपाय जानकर रमहाकरम13 परकतित पाहड का तिवचछन ना हो जाय इस धयय स आग दरवयपररमाणादिद आगरम की रचना की इन दोनो आचाय~ दवारा रशिचत गरनथ रषट खणडागरम कहलाता ह इस गरनथ की सतपररपणा क १७७ सS पषपदनत न और शरष सरमसत सS भतवली क दवारा रशिचत ह अतएव यह षट ह तिक शरत वयाखयाता धरसन ह और रचमियता पषपदनत तरथा भतबशिलइन आचाय~ क सरमय क समबनध रम तिनभिशचत रप स तो जञात नही ह पर इनदर-ननदी कत शरतावतार रम लोहाचाय13 क पशचात तिवनयदतत शरीदतत शिशवदतत और अह13दतत इन चार आरातीय -आचाय~ का उAलख मिरमलता ह और ततपशचात अह13द बशिल का तरथा अह13द बशिल क अननतर धरसनाचाय13 का नारम आता ह इनदरनजिनद क अनसार कनदकनद रषट खणडागरम क टीकाकार ह अतः पषपदनत और भतबशिल का सरमय कनदकनद क पव13 ह तिवदवानो न अनक पषट पररमाणो क आधार पर शिसदध तिकया ह तिक रषट खणडागरम की रचना पररथरम शती रम होनी चातिहएरषट खणडागरम (छकखडागरम) सS ndash इस आगरम गरनथ रम छह खणड ह- जीवटठाण खददाबध बधसामिरमतततिवचय वदना व=गणा और रमहाबनध इस गरनथ का तिवरषय सतोS बारहव दमिषटवाद शरताग क अनतग13त तिदवतीय पव13 आगरायणीय क चयनलबधिबध नारमक पञचरम अमिधकार क चतरथ13

पाहड़ करम13 परकतित को रमाना जाता हरषट खणडागरम जनागरम का एक रमहान गरनथ ह इसरम करम13 शिसदधात को तिवभिभनन दमिषट स सरमझान का शलाघनीय परयास तिकया गया ह

दव शासर गर पजा

कवल रतिव तिकरणो स जिजसका समपण13 परकाशिशत ह अतर |उस शरी जिजनवाणी रम होता तततवो का सदरतरम दश13न ||सददश13न बोध चरण परथ पर अतिवरल जो बड़त ह रमतिन गण |उन दव पररम आगरम गर को शत शत वदन शत शत वदन||ॐ हरी दव-शासS-गर-सरमह अS अवतर अवतर सवौरषट| अS तितषठ तितषठ ठः ठः |अS रमरम समिननतिहतो भव भव वरषट |इजिनदरय क भोग रमधर तिवरष सरम लावणयारमयी कचन काया |यह सब कछ जड़ की करीडा ह रम अब तक जान नही पाया ||रम भल सवय क वभव को पर रमरमता रम अटकाया ह |अब तिनरम13ल समयक नीर शिलए मिरमथया रमल धोन आया ह ||ॐ हरी दव-शासS-गरभयः जनरम-जरा-रमतय-तिवनाशाय जल तिनव13 0 सवाहा |1|जड़ चतन की सब परिरणतित परभ अपन अपन रम होती ह |अनकल कह परतितकल कह यह झठी रमन की वभितत ह ||परतितकल सयोगो रम करोमिधत होकर ससार बड़ाया ह |सतपत हदय परभ चदन सरम शीतलता पान आया ह ||ॐ हरी दवशासS गरभयः ससार-ताप-तिवनाशनायचदन तिनव13 0 सवाहा |2|उजजवल ह कठ धवल ह परभ पर स न लगा ह किकशिचत भी | तिफर भी अनकल लग उन पर करता अभिभरमान तिनरतर ही ||जड़ पर झक झक जाता चतन की रमाद13व की खतिडत काया | तिनज शाशवत अकषत तिनमिध पान अब दास चरण रज रम आया ||

ॐ हरी दवशासSगरभयः अकषयपदपरापतय अकषतान तिनव13 0 सवाहा |3|यह पषप सकोरमल तिकतना ह तन रम रमाया कछ शरष नही | तिनज अतर का परभ भद काह औस रम ऋजता का लश नही ||शिचनतन कछ तिफर सभारषण कछ वभितत कछ की कछ होती ह |लपिरता तिनज रम परभ पाऊ जो अतर का कालश धोती ह ||ॐ हरी दवशासSगरभयः कारमबाण-तिवधवसनाय पषप तिनव13 0 सवाहा |4|अब तक अगभिणत जड़ दरवयो स परभ भख न रमरी शात हई |तषणा की खाई खब भारी पर रिरकत रही वह रिरकत रही ||यग यग स इचछा सागर रम परभ गोत खाता आया ह |चरणो रम वयजन अरतिपत कर अनपरम रस पीन आया ह ||ॐ हरी दवशासSगरभयः कषधा-रोग-तिवनाशनाय नवदय तिनव13 0 सवाहा |5|रमर चतयनय सदन रम परभ शिचर वयापत भयकर अमिधयारा |शरत दीप बझा ह करनातिनमिध बीती नही कषटो की कारा ||अतएव परभो यह जञान परतीक सरमरतिपत करन आया ह |तरी अतर लौ स तिनज अतर दीप जलान आया ह ||ॐ हरी दवशासSगरभयः रमोहाधकारतिवनाशनाय दीप तिनव13 0 सवाहा |6|जड़ करम13 घरमाता ह रमझको यह मिरमथया भरातित रही रमरी |रम रागी दवरषी हो लता जब परिरणतित होती ह जड़ की ||यो भाव कररम या भाव रमरण सदिदओ स करता आया ह |तिनज अनपरम गध अनल स परभ पर गध जलान आया ह||ॐ हरी दवशासSगरभयः अषट करम13तिवधवसनाय धप तिनव13 0 सवाहा |7|जग रम जिजसको तिनज कहता रम वह छोड रमझ चल दता ह |रम आकल वयाकल हो लता वयाकल का फल वयाकलता ह|| रम शात तिनराकल चतन ह ह रमशिकतररमा सहचर रमरी |यह रमोह तड़क कर टट पड़ परभ सारथ13क फल पजा तरी||ॐ हरी दवशासSगरभयः रमोकषफलपरापतयफल तिनव13 0 सवाहा |8|कषण भर तिनज रस को पी चतन मिरमथयरमल को धो दता ह |कशामियक भाव तिवनषट तिकय तिनज आननद अरमत पीता ह ||अनपरम सख तब तिवलशिसत होता कवल रतिव जगरमग करता ह |

दश13न बल पण13 परगट होता यह ह अह13नत अवा ह ||यह अरघयय13 सरमप13ण करक परभ तिनज गण का अरघयय13 बनाऊगा| और तिनभिशचत तर सदश परभ अह13नत अवा पाउगा||ॐ हरी दवशासSगरभयः अनरघयय13पदपरापतय अरघययs तिनव13 0 सवाहा |9|

जयरमाला

भव वन रम जी भर घरम चका कण कण को जी भर भर दखा रमग सरम रमग तषणा क पीछ रमझको न मिरमली सच की रखा

(बारह भावना)झठ जग क सपन सार झठी रमन की सब आशाए तन जीवन यौवन अलपिर ह कषण भगर पल रम रमरझाए समराट रमहाबल सनानी उस कषण को टाल सकगा कया अशरण रमत काया रम हरतिरषत तिनज जीवन दल सकगा कयाससार रमहा दख सागर क परभ दखरमय सच आभसोन रम रमझको न मिरमला सच कषणभर भी कचन कामिरमनी परासदोन रमरम एकाकी एकतवा शिलय एकतवा शिलय सब ह आत तन धन को सारथी सरमझा रथा पर य भी छोड चल जातरमर न हए य रम इनस अतित भिभनना अखड तिनराला ह तिनज रम पर स अनयतवा शिलय तिनज सरमरस पीन वाला हजिजसक भिशरनगारोन रम रमरा यह रमहगा जीवन घल जाता अतयनता अशशिच जड़ काया स ईस चतन का कसा नातादिदन रात शभाशभ भावो स रमरा वयापार चला करता रमानस वाणी और काया स आसरव का दवार खला रहताशभ और अशभ की जवाला स झलसा ह रमरा अनतसतल शीतल सरमतिकत तिकरण फट सवर स जाग अनतब13लतिफर तप की शोधक वगनिनह जग करम~ की कतिड़या फट पड़ सवाsग तिनजातरम परदशो स अरमत क तिनझ13र फट पड़हरम छोड चल यह लोक तभी लोकानत तिवराज कषण रम जा तिनज लोक हरमारा वासा हो शोकानत बन तिफर हरमको कयाजाग रमरम दल13भ बोधी परभो दनregतरम सतवर तल जाव बस जञाता दषटा रह जाऊ रमद रमतसर रमोह तिवनश जावशिचर रकषक धरम13 हरमारा हो हो धरम13 हरमारा शिचर सारथी

जग रम न हरमारा कोई रथा हरम भी न रह जग क सारथीचरणो रम आया ह परभवर शीतलता रमझको मिरमल जाव रमरझाई जञानलता रमरी तिनज अनतब13ल स गनिखल जावसोचा करता ह भोगो स बझ जावगी इचछा जवाला परिरणारम तिनकलता ह लतिकन रमानो पावक रम घी डालातर चरणो की पजा स इजिनदरय सख को ही अभिभलारषा अब तक न सरमझ ह पाया परभ सचच सख की भी परिरभारषातरम तो अतिवकारी हो परभवर जग रम रहत जग स नयार अतएव झक तव चरणो रम जग क रमाभिणक रमोती सारसयादवाद रमयी तरी वाणी शभ नय क झरन झरत ह और उस पावन नौका पर लाखो पराणी भाव वारिरमिध तितरत हह गरवर शाशवत सख दश13क यह न=न सवरप तमहारा ह जग की नशवरता का सचचा दिद=दश13न करन वाला हजब जग तिवरषयो रम रच पच कर गातिफल तिनदरा रम सोता हो अरथवा वह शिशव क तिनषकटक परथ रम तिवषकनतक बोटा होहो अध13 तिनशा का सननाटा वन रम वनचारी चरत हो तब शात तिनराकल रमानस तरम तततवो का शिचनतन करत होकरत तप शल नदी तट पर तरतल वरषा13 की झातिड़यो रम सरमता रस पान तिकया करत सख दख दोनो की घतिडयो रमअनतजवा13ला हरती वाणी रमानो झरती हो फAझदिदया भाव बधन तड तड टट पड़ गनिखल जाव अतर की कशिलयातरम सा दानी कया कोई हो जग को द दी जग की तिनमिधया दिदन रात लटाया करत हो सरम शरम की अतिवनशवर रमभिणयाॐ हरी दवशासSगरभयः अनरघयय13पदपरापतय अरघययs तिनव13 0 सवाहा |

ह तिनरम13ल दव तमह परणारम ह जञानदीप आगरम परणारम ह शातित तयाग क रमरतितरमान शिशव परथ परथी गरवर परणारम||

शिसदध पजाऊरधवााधो ररयत सविनद सपर बरहम-सराविCत

गापरिरत-दिदगगतामबज-दल ततसलिध-ततानविनत |अतः पतर-तटषनाहत-रयत हरीकार-सविCत |द रधवारयारयवित रयः स मलिNसभगो रीभ-कणठी-रः ||

ॐ हरी शरी लिसदधचकरालिधपत लिसदधपरमविषठन अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी लिसदधचकरालिधपत लिसदधपरमविषठन अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी लिसदधचकरालिधपत लिसदधपरमविषठन अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

तिनरसतकरम13-समबनध सकषरम तिनतय तिनरारमयरम |वनदऽह पररमातरमानरमरमतत13रमनपदरवरम ||

(लिसदधरयनतर की सथापना कर नदन कर | )

शिसदधौ तिनवासरमनग पररमातरम-गमयहानयादिदभावरतिहत भव-वीत-कायरम |रवापगा-वर-सरो-यरमनोदभवानानीरय13ज कलशगर-वरशिसदध-चकररम ||

ॐ हरी लिसदधचकालिधपतरय लिसदधपरमविषठन जनमजरामतरय विनाशनारय जल विनपामीवित साहा |1|

आननद-कनद-जनक घन-करम13-रमकतसमयकतव-शरम13-गरिररम जननारतितवीतरम |सौरभय-वाशिसत-भव हरिर-चनदनानागनधय13ज परिररमलव13र-शिसदध-चकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन ससार ताप विनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा |2|

सवा13वगाहन-गण ससरमामिध-तिनषठशिसदध सवरप-तिनपण करमल तिवशालरम |सौगनधय-शाशिल-वनशाशिल ndash वराकषतानापजय13ज ndash शशिशतिनभव13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अकषरयपदपरापतरय अकषतान विनपामीवित साहा |3|

तिनतय सवदह- परिररमाणरमनादिदसजञदरवयानपकषरमरमत रमरणादयतीतरम |रमनदार ndash कनद ndash करमलादिद ndash वनतीनापषपय13ज शभतरम ndash व13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन कामबाण विरधवासनारय पषप विनपामीवित साहा |4|

ऊधव13-सवभाव-गरमन सरमनो-वयपतबरहमादिद-बीज-सतिहत गगनावभासरम |कषीरानन-साजय-वटक रसपण13गभreg ndashरतिनतय यज चरवरव13शिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन कषधारोगविनाशनारय नदय विनपामीवित साहा |5|

आतक-शोक-भयरोग-रमद परशानततिनदव13नदव-भाव-धरण रमतिहरमा-तिनवशरम |कप13र-वरतित-बहभिभः कनकावदात ndashदsup2पय13ज रशिचवरव13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन मोहानधकारविनाशनारय दीप विनपामीवित साहा |6|

पशयनसरमसत ndash भवन यगपमिननतानतSकाAय-वसत-तिवरषय तिनतिवड़ ndash परदीपरम |सददरवयगनध ndash घनसार ndash तिवमिरमभिशरतानाधपय13ज परिररमलव13र ndash शिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अCकमदहनारय धप विनपामीवित साहा |7|

शिसदधासरादिदपतित ndash यकष ndash नरनदरचकर ndashधयacuteय शिशव सकल ndash भवय ndash जनः सवनदयरम |नारतिmicroग ndash पग ndash कदली ndash फलनारिरकलःसोऽह यज वरफलव13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन मोकषफलपरापतरय फल विनपामीवित साहा |8|

गनधाढय सपयो रमधवरत-गणः सग वर चनदनपषपौघ तिवरमल सदकषत-चय रमय चर दीपकरम |धप गनधयत ददामिरम तिवतिवध शरषठ फल लबधयशिसदधाना यगपतकररमाय तिवरमल सनोततर वालपिञछतरम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जञानो पयो गतिवरमल तिवशदातरमरपसकषरम-सवभाव-पररम यदननतवीय13रम |करमmiddotघ-ककष-दहन सख-शसयबीजवनद सदा तिनरपरम वर-शिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

Sलोकयशवर-वनदनीय-चरणाः परापः भिशरय शाशवतीयानाराधय तिनरदध-चणड-रमनसः सनतोऽतिप तीरथsकरा |सतसमयकतव-तिवबोध-वीरययय13-तिवशदाऽवयाबाधतादयग13ण-य13कतासतातिनह तोषटवीमिरम सतत शिसदधान तिवशदधोदयान ||

जरयमाला

तिवराग सनातन शात तिनरश तिनरारमय तिनभ13य तिनरम13ल हस |सधारम तिवबोध-तिनधान तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध-सरमह ||

तिवदरिरत-ससतित-भाव तिनरग सरमारमत-परिरत दव तिवसग |अबध करषाय-तिवहीन तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिनवारिरत-दषकतकरम13-तिवपाश सदारमल-कवल-कशिल-तिनवास |भवोदमिध-पारग शात तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

अनत-सखारमत-सागर-धीर कलक-रजो-रमल-भरिर-सरमीर |तिवखलपिणडत-कारम तिवरारम-तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिवकार तिववरजिजत तरजिजतशोक तिवबोध-सनS-तिवलोतिकत-लोक |तिवहार तिवराव तिवरग तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

रजोरमल-खद-तिवरमकत तिवगाS तिनरतर तिनतय सखारमत-पाS |सदश13न राजिजत नारथ तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

नरारमर-वदिदत तिनरम13ल-भाव अनत रमनीशवर पजय तिवहाव |सदोदय तिवशव रमहश तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिवदभ तिवतषण तिवदोरष तिवतिनदर परापरशकर सार तिवतदर |तिवकोप तिवरप तिवशक तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

जरा-रमरणोलपिजझत-वीत-तिवहार तिवचिचतितत तिनरम13ल तिनरहकार |अशिचनतय-चरिरS तिवदप13 तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिववण13 तिवगध तिवरमान तिवलोभ तिवरमाय तिवकाय तिवशबद तिवशोभ |अनाकल कवल सव13 तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

घतता

असरम-सरमयसार चार-चतनय शिचहनपर-परणतित-रमकत पदमनदीनदर-वनदयरम |तिनगनिखल-गण-तिनकत शिसदधचकर तिवशदधसरमरतित नरमतित यो वा सतौतित सोऽभयतित रमशिकतरम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

अविbलल छद

अतिवनाशी अतिवकार पररम-रस-धारम होसरमाधान सव13जञ सहज अभिभरारम हो |शदधबदध अतिवरदध अनादिद अनत होजगत-शिशरोरमभिण शिसदध सदा जयवत हो ||

धयान अगनि=नकर करम13 कलक सब दहतिनतय तिनरजन दव सवरपी हव रह |जञायक जञयाकार रमरमतव तिनवार क |सो पररमातरम शिसदध नरम शिसर नाय क ||

अतिवचल जञान परकाशत गण अननत की खान |धयान धर सो पाइए पररम शिसदध भगवान ||

अतिवनाशी आननद रमय गण परण भगवान |शशिकत तिहय पररमातरमा सकल पदाररथ जान ||

इतरयाशीादः पषपाजलिल भिकषपत |

पच पररममिषट पजा

तितभयोअरिरहत शिसदध आचाय13 नरमनह उपाधयाय ह साध नरमनजय पञच पररम पररमषठी जय भव सागर तारण हार नरमनरमन-वच-काया पव13क करता ह शदध हदय स आहवानन रमरम हदय तिवराजो तितषठ तितषठ समिननकट होह रमर भगवन तिनज आतरमततव की परापतिपत हत ल अषट दरवय करता पजन तव चरणो की पजन स परभ तिनज शिसदध रप का हो दश13न ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पररममिषठन अS अवतर अवतर सवौरषट (आहवाननरम)अS तितषठ तितषठ ठठ(ापन )अS रमरम समिननतिहतो भवभव वरषट (समिननमिधकरण )

रम तो अनादिद स रोगी ह उपचार करान आया ह तरम सरम उजजवलता पान कोउजजवल जल भरकर लाया ह रम जनरम जरा रमत नाश कर ऐसी दो शशिकत हदय सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐहरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पचपररममिषठभयोजनरमजरारमतय तिवनाशनाय जल तिनव13पारमीतित सवाहा ||

ससार ताप रम जल जल कर रमन अगभिणत दःख पाय हतिनज शात सवभाव नही भाया पर क ही गीत सहाए ह शीतल चदन ह भट तमह ससार ताप नाशो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयोससारताप तिवनाशनाय चनदन तिनव13पारमीतित सवाहा ||

दःखरमय अरथाह भव सागर रम रमरी यह नौका भटक रही शभ-अशभ भाव क भवरो रम चतनय तिनज शशिकत अटक रही तदल ह धवल तमह अरतिपत अकषय पद परापत कर सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो

अकषय पद परापतय अकषत तिनव13पारमीतित सवाहा ||

रम कारम वयरथा स घायल हसख की न मिरमली तिकलपिञचत छाया चरणो रम पषप चढ़ाता हतरम को पाकर रमन हरषा13या ह रम कारम भाव तिवधवस कर ऐसा दो शील हदय सवारमीह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो कारमबाण तिवधवसाय पषप तिनव13पारमीतित सवाहा||

रम कषधा रोग स वयाकल ह चारो गतितयो रम भररमाया हजग क सार पदारथ13 पाकर भी तपत नही हो पाया ह नवदय सरमरतिपत करता ह यह कषधा रोग रमटो सवारमीह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो कषधा रोग तिवनाशनाय नवदय तिनव13पारमीतित सवाहा ||

रमोहानध रमहा-अजञानी रम तिनज को पर का कता13 रमाना मिरमथया तरम क कारण रमनतिनज आतरमसवरप न पतिहचाना रम दीप सरमप13ण करता ह रमोहानधकार कषय हो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो रमोहानधकार तिवनाशनाय दीप तिनव13पारमीतित सवाहा ||

करम~ की जवाला धधक रहीससार बढ़ रहा परतित पल सवर स आसरव को रोक तिनज13रा सरभिभ रमहक पल पल रम धप चढ़ा कर अब आठोकरम~ का हनन कर सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो अषटकरम13 तिवधवसनाय धप तिनव13पारमीतित सवाहा||

तिनज आतरमततव का रमनन कर चिचतवन कर तिनज चतन का दो शरदधा जञान चरिरS शरषठसचचा पद रमोकष तिनकतन का उततरम फल चरण चढ़ाता हतिनवा13ण रमहा फल हो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पचपररममिषठभयो रमोकष फल परापताय फल तिनव13पारमीतित सवाहा ||

जल चदन अकषत पषप दीपनवदय धप फल लाया ह अब तक क सशिचत करम~ का रम पज जलान आया ह यह अरघयय13 सरमरतिपत करता हअतिवचल अनरघयय13 पद दो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव भव दःख रमटो अनतया13रमीॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पचपररममिषठभयो अनरघयय13पद परापताय अरघययs तिनव13पारमीतित सवाहा ||जयरमाला जय वीतराग सव13जञ परभोतिनज धयान लीन गणरमय अपार अषटादश दोरष रतिहत जिजनवरअह13नत दव को नरमसकार अतिवकलअतिवकारीअतिवनाशीतिनजरपतिनरजनतिनराकार जय अजर अरमर ह रमशिकतकतभगवत शिसदध को नरमसकार छततीस सगण स तरम रमतिडततिनशचय रतनSय हदय धार ह रमशिकत वध क अनरागीआचाय13 सगर को नरमसकार एकादश अग पव13 चौदह कपाठी गण पचचीस धारबराहयातर रमतिन रमदरा रमहानशरी उपाधयाय को नरमसकार वरत सरमीतित गपतिपत चारिरS परबलवरा=य भावना हदय धार ह दरवय-भाव सयरम रमय रमनवरसव13 साध को नरमसकार बह पणय सयोग मिरमला नरतनजिजनशरत जिजनदव चरण दश13न हो समय=दश13न परापत रमझ तो सफल बन रमानव जीवन तिनज पर का भद जानकार रमतिनज को ही तिनज रम लीन कर अब भद जञान क दवारा रमतिनज आतरम सवय सवाधीन कर तिनज रम रतनSय धारण करतिनज परिरणतित को ही पतिहचान पर परणतित स हो तिवरमख सदातिनज जञान ततव को ही जान जब जञान-जञय-जञाता तिवकAप तजशकलधयान रम धयाऊगा जब चार घातितया कषय करकअरिरहत रमहापद पाऊगा ह तिनभिशचत शिसदध सवपद रमराह परभ कब इसको पाउगा समयक पजा फल पान कोअब तिनजसवभाव रम आऊगा अपन सवरप की परापतिपत हतह परभ रमन की ह पजन तब तक चरणो रम धयान रहजब तक न परापत हो रमशिकत सदन

ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13 साधपञचपररममिषठभयोऽनघ13 पद परापतय रमहाघs तिनव13पारमीतित सवाहा

ह रमगल रप अरमगल हररमगलरमय रमगल गान कर

रमगल रम पररथरम शरषठ रमगलनवकार रमS का धयान कर पषपाजशिल भिकषपत

नवदवता पजाअरिरहत लिसदधाचारय पाठक साध वितरभन नदय ह |

जिजनधम जिजनागम जिजनशवरा मरतित जिजनगरह नदय ह ||

नदता रय मानरय जग म हम सदा अचा कर |

आहन कर थाप रयहा मन म अतल शरदधा धर ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरय-समह

अतर अतर अतर-समोषत आवहान

अतर-वितषठ-वितषठ ठः ठः सथापन

अतर मम-सविहतो-भ-भ-षट सलिVलिधकरण

गगानदी का नीर तिनरम13ल बाहय रमल धोव सदा |

अतर रमलो क कषालन को नीर स पज रमदा ||

नवदवताओ की सदा जो भशिकत स अचा13 कर |

सब शिसजिदध नवतिनमिध रिरजिदध रमगल पाए शिशवकानता वर ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो जनम-जरा मतरय विनाशनारय जल विनपामिमवित साहा |

कपर मिरमभिशरत गध चनदन दह ताप तिनवारता |

तरम पाद पकज पजत रमन ताप तरनत ही वारता || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो ससार-ताप विनाशनारय चनदन विनपामिमवित साहा |

कषीरोदमिध क फन सरम शिसत तनदलो को ल क |

उततरम अखतिडत सौखय हत पज नव सचढाय क || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो अकषरय पद परापतरय अकषत विनपामिमवित साहा |

चपा चरमली कवडा नाना सगममिनधत ल शिलए |

भव क तिवजता आपको पजत सरमन अप13ण तिकय || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो काम-बाण विनाशनारय पषप विनपामिमवित साहा |

पायस रमधर पकवान रमोदक आदिद को भर रथाल रम |

तिनज आतरम अरमत सौखय हत पजह नत भाल रम || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो कषधा-रोग विनाशनारय नरधवारयम विनपामिमवित साहा |

कपर जयोतित जगरमग दीपक शिलया तिनज हारथ रम |

तअ आरती तरम वारती पाऊ सजञान परकाश रम || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो मोह-अनधकार विनाशनारय दीप विनपामिमवित साहा |

दश गध धप अनप सरभिभत अगनि=न रम खऊ सदा |

नीज आतरमगण सौरभ उठ हो करम13 सब रमझस तिवदा || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो अC-कम-दहनारय धप विनपामिमवित साहा |

अगर अरमरख आरम अरमतफल भराऊ रथाल रम |

उततरम अनपरम रमोकष फल क हत पज आज रम || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो महा-मोकष-फल परापतारय विनपामिमवित साहा |

जल गध अकषत पषप चार दीप सधप फलाघ13 ल |

दर रतनSय तिनमिध लाभ यह बस अघ13 स पजत मिरमल || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो अनघ पद परापतारय अघ_ विनपामिमवित साहा |

दोहा-

जलधारा स तिनतय रम जग रम शातित हत |

नव दवो को पजह शरदधा भशिकत सरमत ||

(शानतरय शावितधारा)

नानातिवमिध क सरमन लरमन रम बह हरषा13य |

रम पज नव दवता पषपाजशिल चढ़ाय ||

(दिदवय पषपाजलिल)

जावय-

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो नमः |

(९२७ या १०८ बार )

जरयमाला

शिचलपिचचनतारमणी रतन तीन लोक रम शरषठ हो |

गाऊ गण रमभिणरमाल जयवनत वदो सदा ||

जय जय शरी अरिरहत दव दव हरमार |

जय घातितया को घात सकल जत उबार ||१||

जय जय परशिसदद शिसदध की रम वदना कर |

जय अषट करम13 रमशिकत की रम अच13ना कर ||२||

आचाय13 दव गण छततीस धार रह ह |

दिदकषादी द असखय भवय तार रह ह ||

जवनत उपाधयाय गर जञान क धनी |

सनरमाग13 क उपदश की वरषा13 कर धनी ||३||

जय साध अठाईस गणो धर सदा |

तिनज आतरमा की साधना स चयत न हो कदा ||

य पञच पररम दव सदा वनददय हरमार |

ससार तिवरषय शिसनध स हरम भी उबार ||४||

जिजन धरम13 चकर सदा चलता ही रहगा |

जो इसकी शरण ल वो सदा सलझता ही रहगा ||

इसकी धवतिन तिपयरष का जो पान करग |

भव रोग दर कर वो रमशिकत कानत बनग ||५||

जिजन चतय की जो वदन तिSकाल कर ह |

व शिचतसवरप तिनतय आतरम लाभ कर ह ||

कतितरम अकरतितरम जिजनालयो को जो भज |

व करम13 शS जीत शिशवालय रम जा बस ||६||

नवदवताओ की जो तिनत आराधना कर |

व मरतयराज की भी तो तिवराधना कर ||

रम करम13 शS जीतन क हत ही जज |

समपण13 जञानरमती शिसजिदध हत ही भज ||७||

दोहा-

नव दवो की भशिकतवशकोदिट कोदिट परणारम |

भशिकत का फल रम चह तिनज पद रम तिवशरारम ||८||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो जरयमाला पणाध_ विनपामिमवित साहा |

जो भवय शरदधा भशिकत स नव दवताओ की भशिकत कर |

व सब अरमगल दोरष हर सख शातित रम झला कर ||

नवतिनमिध अतल भणडार ल तिफर रमोकष सख भी पावत |

सख शिसनध रम हो रम=न तिफर यहा पर कभी न आवत ||९||

इतरयाभिशादः

|| पषपाजलिल भिकषपत ||

समयक दश13न पजादोहा

लिसदध अC-गणमरय परगट मN-जी-सोपान |जञान चरिरत जिजह विबन अफल समरयक दश परधान ||ॐ हरी अCाग समरयगदशन अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी अCाग समरयगदशन अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी अCाग समरयगदशन अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

सोरठा ndashनीर सगध अपार तरषा हर रमल छय कर |समय=दश13न सार आठ अग पजौ सदा ||ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय जल विनपामीवित साहा |1|जल कशर घनसार ताप हर शीतल कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय चनदन विनपामीवित साहा |2|अछत अनप तिनहार दारिरद नाश सख भर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय अकषतान विनपामीवित साहा |3|पहप सवास उदार खद हर रमन शशिच कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय पषप विनपामीवित साहा |3|नवज तिवतिवध परकार छधा हर शिरथरता कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय नदय विनपामीवित साहा |5|दीप-जयोतित तरमहार घट पट परकाश रमहा | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय दीप विनपामीवित साहा |6|धप घरान-सखकार रोग तिवघन जड़ता हर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय धप विनपामीवित साहा |7|

शरीफल आदिद तिवरथार तिनहच सर-शिशव-फल कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय फल विनपामीवित साहा |8|जल गधाकषत चार दीप धप फल फल चर |समय=दश13न सार आठ अग पजौ सदा ||ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जरयमालादोहा ndash आप आप तिनहच लख तततव-परीतित वयोहार |रतिहत दोरष पचचीस ह सतिहत अषट गन सार |1|समयक दरशन-रतन गहीज जिजन-वच रम सदह न कीज |इह भव तिवभव-चाह दखदानी पर-भव भोग चह रमत परानी |2|परानी तिगलान न करिर अशशिच लगनिख धररम गर परभ परगनिखय |पर-दोरष ढतिकय धररम तिडगत को सशिरथर कर हरगनिखय |3|चह सघ को वातसAय कीज धररमकी परभावना |गन आठ सो गन आठ लतिहक इहा फर न आवना |4|ॐ हरी अCागसविहत पचविशवित दोषरविहत समरयगदशनारय पणारघयरय_विन 0 |इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

समयक जञान पजादोहा ndash

पच भद जाक परकट जञरय-परकाशन-भान |मोह ndash तपन ndash हर चदरमा सोई समरयक जञान ||ॐ हरी अCविध समरयगजञान अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी अCविध समरयगजञान अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी अCविध समरयगजञान अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

सोरठा ndash नीर सगध अपार तरषा हर रमल छय कर |समय=जञान तिवचार आठभद पजौ सदा ||

ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय जल विनपामीवित साहा |1|जल कशर घनसार ताप हर शीतल कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयरगजञानारय चदन विनपामीवित साहा |2|अछत अनप तिनहार दिदाद नाश सख भर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय अकषतान विनपामीवित साहा |3|पहप सवास उदार खद हर शशिच कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय पषप विनपामीवित साहा |4|नवज तिवतिवध परकार छधा हर शिरथरता कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय नदय विनपामीवित साहा |5|दीप-जयोतित तरम-हार घट-पट परकाश रमहा | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय दीप विनपामीवित साहा |6|धप घरान-सखकर रोग तिवघन जड़ता हर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय धप विनपामीवित साहा |7|शरीफल आदिद तिवरथार तिनहच सर-शिशव फल कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय फल विनपामीवित साहा |8|जल गधाकषत चार दीप धप फल फल चर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जरयमालादोहा ndash आप आप जान तिनयत गरनथ पठन वयौहार |सशय तिवभररम रमोह तिबन अषट अग गनकार ||समयक जञान-रतन रमन भाया आगरम तीजा नन बताया |अकषर शदध अरथ13 पतिहचानो अकषर अररथ उभय सग जानो ||जानो सकाल-पठन जिजनागरम नारम गर न शिछपाइय |तप रीतित गतिह बह रमौन दक तिवनय गण शिचत लाइय ||य आठ भद कररम उछदक जञान-दप13ण दखना |इस जञान ही सो भरत सीझ और सब पटपखना ||ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

समयक चारिरS पजादोहा ndash

विषरय-रोगा औषध महा द-कषारय जल-धार |तीथ_कर जाको धर समरयक चारिरतर सार ||ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतर अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

सोरठा ndash नीर सगनध अपार तरषा हर रमल छय कर |समयक चारिरत सार तरहतिवध पजौ सदा ||ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय जल विनपामीवित साहा |1|जल कशर घनसार ताप हर शीतल कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय चदन विनपामीवित साहा |2|अछत अनप तिनहार दारिरद नाश सख भर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय अकषतान विनपामीवित साहा |3|पहप सवास उदार खद हर शशिच कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय पषप विनपामीवित साहा |4|नवज तिवतिवध परकार छधा हर शिरथरता कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय नदय विनपामीवित साहा |5|दीप-जयोतित तरम-हार घट-पट परकाश रमहा | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय दीप विनपामीवित साहा |6|धप घरान-सखकर रोग तिवघन जड़ता हर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय धप विनपामीवित साहा |7|शरीफल आदिद तिवरथार तिनहच सर-शिशव फल कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय फल विनपामीवित साहा |8|जल गधाकषत चार दीप धप फल फल चर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जरयमाला

दोहा ndashआप आप शिरथर तिनयत नय तप सजरम वयौहार |सव-पर-दया दोनो शिलय तरहतिवध दखहार ||

चौपाई ndashसमयक चारिरत रतन सभालो पाच पाप तजिजक वरत पालो |पचसमिरमतित Sय गपतित गतिहज नरभव सफल करह तन छीज |छीज सदा तन को जतन यह एक सजरम पाशिलय |बह रAयो नरक-तिनगोद रमाही तिवरष-करषायतिन टाशिलय ||शभ कररम जोग सघाट आयो पार हो दिदन जात ह |lsquoदयानतrsquo धररम की नाव बठो शिशवपरी कशलात ह ||ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

समचचरय-जरयमाला

दोहा ndashसमयक दरशन-जञान-वरत इन तिबन रमकतित न होय |अनध पग अर आलसी जद जल दव-लोय || 1|

चौपाई

जाप धयान सशिरथर बन आव ताक कररम-बध कट जाव |तासो शिशव-तितय परीतित बढ़ाव जो समयक रतन-Sय धयाव |2|ताको चह गतित क दख नाही सो न पर भव-सागर रमाही |जनरम-जरा-रमत दोरष मिरमटाव जो समयक रतन-Sय धयाव |3|सोई दश लकषनको साध सो सोलह कारण आराध |सो पररमातरम पद उपजाव जो समयक रतन-Sय धयाव |4|सो शकर-चतिकरपद लई तीन लोक क सख तिवलसई |सो रागादिदक भाव बहाव जो समयक रतन-Sय धयाव |5|सोई लोकालोक तिनहार पररमानद दशा तिवसतार |आप तितर औरन तितरवाव जो समयक रतन-Sय धयाव |6|

दोहा ndashएक सवरप-परकाश तिनज वचन कहयो नकिह जाय |तीन भद वयोहार सब lsquoदयानतrsquo को सखदाय |7|ॐ हरी समरयगदशन समरयगजञान समरयक चारिरतरभरयः महारघयरय_ विनपामीवित साहा

रतनSय पजाचहगवित-फनी-विष-हरण-मभिण दःख-पाक-जल-धार |

भिश-सख-सधा-सरोरी समरयक-तररयी विनहार ||

ॐ हरी समरयक रतनतररय धम अतर अतर अतर सौषट (आवहान जरय)|

अतर वितषठ वितषठ ठ ठ (सथापन जरय) |

अतर मम सलिVविहतो भ भ षट (सविनविहलिधकरण जरय) |

कषीरोदमिध उनहार उजजवल जल अतित सोहनो |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय जनम-जरा-मतरय-विनाशारय जल विन साहा |

चनदन-कसर-गरी परिररमल-रमहा-सरग-रमय |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय भ-आताप-विनाशारय चनदन विन साहा |

तदल-अरमर-शिचतार वासरमती-सखदास क |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय अकषरय-पद-परापतारय अकषत विन साहा |

रमहक फल अपार अली गज जयो रथतित कर |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय काम-बाण-विरधवासनारय पषप विन साहा |

लाड बह तिवसतार चीकन मिरमषट सगध यकत |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय कषधा-रोग-विनाशारय नदय विन साहा |

दीप-रतनरमय सार जोत परकाश जगत रम |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय मोहानधकार-विनाशारय दीप विन साहा |

धप सवास तिवरथार चनदन अगर कपर की |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय अC-कम-दहनारय धप विन साहा |

फल शोभा अमिधकार लौग छआर जायफल |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय महा-मोकष-फल-परापतारय फल विन साहा |

आठ दरब तिनरधार उततरम सो उततरम शिलय |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय अनघ-पद-परापतारय अघ_ विन साहा |

समयक दश13न lsquoजञानrsquo वरत शिशव-रमग तीनो रमयी |

पार उतारन आन lsquoधयानातrsquo पजो वरत सतिहत ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय पणारघयरय_ विन साहा |

आदिदनारथ पजानाभिभरारय मरदवि क ननदन आदिदनाथ सामी महाराज

साथलिसभिदध त आप पधार मरधवारय लोक माविह जिजनराज

इनदरद सब मिमलकर आरय जनम महोतस करन काज

आहवानन सब विलिध मिमल करक अपन कर पज परभ पारय

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदर अतर अतर अतर सौषट

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठ ठ

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट

कषीरोदलिध को उजजल जल ल शरी जिजनर पद पजन जारय

जनम जरा दख मटन कारन लरयारय चढाऊ परभ क पारय

शरी आदिदनाथ क चरणकमल पर बलिल-बलिल जाऊ मन च कारय

ह करणाविनलिध भ दख मटो रयात म पजो परभ पारय

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विनपामीवित साहा

मलरयाविगरिर चनदन दाहविनकनदन कचन झारी म भर लरयारय

शरीजी क चरण चढाो भविजन भ आताप तरत मिमट जारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय ससारतापविनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा

शभशालिल अखविbत सौरभ मविbत परासक जल सौ धोकर लरयारय

शरीजी क चरण चढाो भविजन अकषरयपद को तरत उपारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विनपामीवित साहा

कमल कतकी बल चमली शरी गलाब क पषप मगारय

शरीजी क चरण चढाो भविजन कामबाण तरत विह नलिस जारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विनपामीवित साहा

नज लीना षट-रस भीना शरी जिजनर आग धरारय

थाल भराऊ कषधा नसाऊ जिजन गण गात मन हरषारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विनपामीवित साहा

जगमग जगमग होत दशो दिदश जरयोवित रही मजिनदर म छारय

शरी जी क सनमख करत आरती मोहवितमिमर नास दखदारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय मोहानधकारविनाशनारय दीप विनपामीवित साहा

अगर कपर सगनध मनोहर चनदन कट सगनध मिमलारय

शरी जी क सनमख खरय धपारयन कम जर चहगवित मिमदिट जारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विनपामीवित साहा

शरीफल और बदाम सपारी कला आदिद छहारा लरयारय

महामोकषफल पान कारन लरयारय चढाऊ परभ क पारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय मोकषफलपरापतरय फल विनपामीवित साहा

शलिच विनमल नीर गनध सअकषत पषप चर ल मन हरषारय

दीप धप फल अघ सलकर नाचत ताल मदग बजारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अनघपदपरापतरय अघ_ विनपामीवित साहा

पञचकलरयाणकाघ

सारथ लिसभिदध त चरय मरदी उर आरय

दोज अलिसत आषाढ की जज वितहार पारय

ॐ हरी आषाढक़षणवितीरयारया गभकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

चतदी नौमी दिदना जनमरया शरी भगान

सरपवित उतस अवितकरा म पजौ धरिर रधवारयान

ॐ हरी चतरकषणनमरया जनमकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

तणत ऋभिदध सब छाडिb क तप धारया न जारय

नौमी चतर Acirc असत Acirc कीAcirc जजAcirc वितहार पारय

ॐ हरी चतरकषणनमरया तपकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

फालगन दिद एकादशी उपजरयो कलजञान

इनदर आरय पजा करी म पजो इह थान

ॐ हरी फालगनकषणकादशरया जञानकलरयाणक परापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

माघ चतद भिश कषण की मोकष गरय भगान

भवि जीो को बोलिध क पहच भिशपर थान

ॐ हरी माघकषणचतदशरया मोकषकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

जरयमाला

आदीशवर महाराज Acirc म Acirc विनतीAcirc तमसAcirc कर

चारो गवित क माविह मAcirc दख Acirc पारयो सो सनो

अC कम Acirc मAcirc एकलो रयह दC महादख दत हो

कबह इतर विनगोद म मोक पटकत करत अचत हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ कबहक पटकरयो नरक म जठ जी महादख पारय हो

विनषठर विनरदई नारकी जठ करत परसपर घात हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ नरक तणा दख अब कह जठ करत परसपर घात हो

कोइरयक बारधवारयो खभसरयो पापी द मदगर की मार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

कोइरयक काट करोत सो पापी अगतणी दोरय फाड हो

परभ रयह विलिध दख भगतरया घणा विफर गवित पाई वितररयच हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

विहरणा बकरा बाछला पश दीन गरीब अनाथ हो

पकड कसाई जाल म पापी काट काट तन खारय हो

परभ म ऊट बलद भसा भरयो जाप लादिदरयो भार अपार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

नविह चालरयौ जब विगर परय पापी द सोटन की मार हो

परभ कोइरयक पणरय सजोग स म तो पारयो सग विनास हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

दागना सग रमिम रहयो जठ भोगविन को परकास हो

परभ सग अपसरा रमिम रहयो कर कर अवित अनराग हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

कबहक नदनन विष परभ कबहक नगह माविह हो

परभ रयह विलिधकाल गमारय क विफर माला गई मरझारय हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

द लिथती सब घट गई विफर उपजरयो सोच अपार हो

सोच करत तन खिखर पडयो विफर उपजरयो गरभ म जारय हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ गभतणा दख अब कह जठ सकडाई की ठौर हो

हलन चलन नविह कर सकरयो जठ सघन कीच घनघोर हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

माता खा चरपरोAcirc विफर Acirc लागAcirc तन Acirc सताप Acirc हो

परभ जो जननी तातो भख विफर उपज तन सताप हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

औध मख झलरयो रहयो फर विनकसन कौन उपारय हो

कदिठन-कदिठन कर नीसरयो जस विनसर जतरी म तार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ विफर विनकसत ही धरतरया पडयो विफर लागी भख अपार हो

रोरय-रोरय विबलखरयो घणो दख दन को नविह पार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ दख मटन समरथ धनी रयात लाग वितहार पारय हो

सक अरज कर परभ मोक भदलिध पार उतार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अनघपदपरापतरय महाघ_ विनपामीवित साहा

दोहा

शरीजी की मविहमा अगम ह कोई न पा पार

म मवित अलप अजञान ह कौन कर विसतार

विनती ऋषभ जिजनश की जो पढसी मन लरयारय

सरगो म सशरय नही विनहच भिशपर जारय

चनदरपरभ पजाचारचरन आचरन चरन लिचतहरन लिचनह चर |

चद-चद-तनचरिरत चद थल चहत चतर नर ||

चतक चb चकचरिर चारिर लिचदचकर गनाकर |

चचल चलिलत सरश चलनत चकर-धनरहर ||

चर अचर विहत तारन तरन सनत चहविक लिचर नद शलिच |

जिजनचद चरन चरचरयो चहत लिचतचकोर नलिच रचचिचच रलिच |1|

दोहाः- धनरष डढ़ सौ तग तन रमहासन नपनद |

रमात लकषरमना उर जय रथापौ चद जिजनद |2|

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदर अतर अतर अतर सौषट |

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

गगाहरद तिनररमल नीर हाटक भग भरा |

तरम चरन जजौ वरवीर रमटो जनरम जरा ||

शरी चदरनारथ दतित चद चरनन चद लस |

रमन वच तन जजत अरमद-आतरम-जोतित जग ||

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

शरीखणड कपर सचग कशर रग भरी |

घशिस परासक जल क सग भवआताप हरी ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

तदल शिसत सोरम सरमान सरम लय अतिनयार |

दिदय पज रमनोहर आन तरम पदतर पयार ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

सर दररम क सरमन सरग गमिधत अशिल आव |

ता सो पद पजत चग कारमतिवधा जाव ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

नवज नाना परकार इदिदरय बलकारी |

सो ल पद पजौ सार आकलता-हारी ||

शरी चदरनारथ दतित चद चरनन चद लस |

रमन वच तन जजत अरमद-आतरम-जोतित जग ||

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

तरम भजन दीप सवार तरम दिढग धारत हौ |

रमरम तितमिरमररमोह तिनरवार यह गण याचत हौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

दसगध हतासन रमाकिह ह परभ खवत हौ |

रमरम कररम दषट जरिर जाकिह या त सवत हौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

अतित उततरम फल स रमगाय तरम गण गावत हौ |

पजौ तनरमन हररषाय तिवघन नशावत हौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

सजिज आठो दरब पनीत आठो अग नरमौ |

पजौ अषटरम जिजन रमीत अषटरम अवतिन गरमौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली

कशिल पचरम चत सहात अली गरभागरम रमगल रमोद भली |

हरिर हरतिरषत पजत रमात तिपता हरम धयावत पावत शरम13शिसता ||

ॐ हरी चतरकषणा पचमरयागभमगलविbतारय शरीचनदरपरभजिजननदरारय अरघयरय_ विन0 |1|

कशिल पौरष एकादशिश जनरम लयो तब लोकतिवरष सख रथोक भयो |

सरईश जज तिगरिरशीश तब हरम पजत ह नत शीश अब ||

ॐ हरी पौषकषणकादशरया जनममगल मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |2|

तप ददधर शरीधर आप धरा कशिल पौरष इ=यारशिस पव13 वरा |

तिनज धयान तिवरष लवलीन भय धतिन सो दिदन पजत तिवरघयन गय ||

ॐ हरी पौषकषणकादशरया तपोमगल मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |3|

वर कवल भान उदयोत तिकयो तितहलोकतणो भररम रमट दिदयो |

कशिल फाAगन सपतमिरम इदर जज हरम पजकिह सव13 कलक भज ||

ॐ हरी फालगनकषणा सपतमरया कलजञान मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |4|

शिसत फाAगन सपतमिरम रमशिकत गय गणवत अनत अबाध भय |

हरिर आय जज तितत रमोद धर हरम पजत ही सब पाप हर ||

ॐ हरी फालगनशकला सपतमरया मोकषमगल मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |5|

जरयमाला

दोहाः- ह रमगाद अतिकत चरण तरम गण अगरम अपार |

गणधर स नकिह पार लकिह तौ को वरनत सार |1|

प तरम भगतित रमरम तिहय परर अतित उरमगाय |

तात गाऊ सगण तरम तरम ही होउ सहाय |2|

जय चदर जिजनदर दयातिनधान भवकानन हानन दव पररमान |

जय गरभ जनरम रमगल दिदनद भतिव-जीव तिवकाशन शरम13 कनद |3|

दशलकष पव13 की आय पाय रमनवाशिछत सख भोग जिजनाय |

लगनिख कारण हव जगत उदास चिचतयो अनपरकषा सख तिनवास |4|

तितत लोकातितक बोधयो तिनयोग हरिर शिशतिवका सजिज धरिरयो अभोग |

ताप तरम चदिढ़ जिजनचदराय ताशिछन की शोभा को कहाय |5|

जिजन अग सत शिसत चरमर ढार शिसत छS शीस गल गलक हार |

शिसत रतन जतिड़त भरषण तिवशिचS शिसत चनदर चरण चरच पतिवS |6|

शिसत तनदयतित नाकाधीश आप शिसत शिशतिवका काध धरिर सचाप |

शिसत सजस सरश नरश सव13 शिसत शिचतत रम चिचतत जात पव13 |7|

शिसत चदर नगर त तिनकशिस नारथ शिसत वन रम पहच सकल सारथ |

शिसत शिशला शिशरोरमभिण सवचछ छाह शिसत तप तितत धायAcirc तरम जिजनाह |8|

शिसत पय को पारण पररम सार शिसत चदरदतत दीनो उदार |

शिसत कर रम सो पय धार दत रमानो बाधत भवचिसध सत |9|

रमानो सपणय धारा परतचछ तितत अचरज पन सर तिकय ततचछ |

तिफर जाय गहन शिसत तप करत शिसत कवल जयोतित ज=यो अननत |10|

लतिह सनवसरन रचना रमहान जा क दरसन सब पाप हान |

जह तर अशोक शोभ उतग सब शोक तनो चर परसग |11|

सर सरमन वमिषट नभ त सहात रमन रमनरमरथ तजिज हशिरथयार जात |

बानी जिजनरमख सो गनिखरत सार रमन ततव परकाशन रमकर धार |12|

जह चौसठ चरमर अरमर ढरत रमन सजस रमघ झरिर लतिगय तत |

चिसहासन ह जह करमल जकत रमन शिशव सरवर को करमल शकल |13|

ददभिभ जिजत बाजत रमधर सार रमन कररमजीत को ह नगार |

शिशर छS तिफर Sय शवत वण13 रमन रतन तीन Sय ताप हण13 |14|

तन परभा तनो रमडल सहात भतिव दखत तिनज भव सात सात |

रमन दप13ण दयतित यह जगरमगाय भतिवजन भव रमख दखत स आय |15|

इतयादिद तिवभतित अनक जान बातिहज दीसत रमतिहरमा रमहान |

ता को वरणत नकिह लहत पार तो अतरग को कह सार |16|

अनअत गणतिनजत करिर तिवहार धररमोपदश द भवय तार |

तिफर जोग तिनरोध अघातितहान समरमदरथकी शिलय रमकतितरथान |17|

lsquoवनदावनrsquo वदत शीश नाय तरम जानत हो रमरम उर ज भाय |

ता त का कहौ स बार बार रमनवाशिछत कारज सार सार |18|

जय चद जिजनदा आनदकदा भवभयभजन राज ह |

रागा दिदक दवदा हरिर सब फदा रमकतित रमातिह शिरथतित साज ह |19|

ॐ हरी शरीचनदरपरभजिजनदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

आठो दरब मिरमलाय गाय गण जो भतिवजन जिजनचद जज |

ता क भव-भव क अघ भाज रमशिकतसार सख तातिह सज ||

जरम क Sास मिरमट सब ताक सकल अरमगल दर भज |

lsquoवनदावनrsquo ऐसो लगनिख पजत जा त शिशवपरिर राज रज ||

इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

रमहावीर सवारमीशरीमत ीर हर भपीर भर सखसागर अनाकलताई |

कहरिर अक अरीकरदक नरय हरिर पकवित मौलिल सआई ||म तमको इत थापत हौ परभ भलिN समत विहरय हरषाई |ह करणा-धन-धारक द इहा अब वितषठह शीघरविह आई ||ॐ हरी शरीदधमान जिजननदर अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी शरीदधमान जिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी शरीदधमान जिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

कषीरोदलिधसम शलिच नीर कचन भग भरौ |परभ विग हरो भपीर रयात धार करौ ||शरी ीर महा-अवितीर सनमवित नारयक हो |जरय दधमान गणधीर सनमवितदारयक हो ||ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

रमलयातिगर चनदनसार कसर सग घसौ |परभ भवआताप तिनवार पजत तिहय हलसौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

तदल शिसत-शशिशसरम शदध लीनो रथार भरी |तस पज धरौ अतिवरदध पावौ शिशवनगरी ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

सरतर क सरमन सरमत सरमन सरमन पयार |सो रमनरमरथ भजन हत पजौ पद रथार ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

रसरजजत सजजत सदय रमजजत रथार भरी |पद जजजत रजजत अदय भजजत भख अरी ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

तरमखतिडत रमतिडत नह दीपक नह दीपक जोवत हौ |तरम पदतर ह सखगह भररमतरम खोवत हौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

हरिरचदन अगर कपर चर सगध करा |तरम पदतर खवत भरिर आठो करम13 जरा ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

रिरत फल कल-वरजिजत लाय कचन भरौ |शिशव फलतिहत ह जिजनराय तरम दिढग भट धरौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

जल फल वस सजिज तिहरम रथार तन रमन रमोद धरौ |गण गाऊ भवदमिधतार पजत पाप हरौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली रमोतिह राखो हो शरणा शरी वदध13रमान जिजनरायजी रमोतिह राखो0 |गरभ साढ़ शिसत छटट शिलयो शिरथत तिSशला उर अघ हरना |सर सरपतित तितत सव करी तिनत रम पज भवतरना ||

रमोतिह राखो हो शरणा शरी वदध13रमान जिजनरायजी रमोतिह राखो हो शरणा |ॐ हरी आषाढशकलाषषठया गभमगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |1|

जनरम चत शिसत तरस क दिदन कणडलपर कन वरना |सरतिगरिर सरगर पज रचायो रम पजौ भवहरना |रमोतिह0ॐ हरी चतरशकलातररयोदशरया जनममगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |2|

रमगशिसर अशिसत रमनोहर दशरमी ता दिदन तप आचरना |नपतित कल घर पारन कीनो रम पजौ तरम चरना |रमोतिह0ॐ हरी मागशीषकषणादशमरया तपोमगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |3|

शकल दश वशाख दिदवस अरिर घात चतक कषय करना |कवल लतिह भतिव भवसर तार जजौ चरन सख भरना |रमोतिह0ॐ हरी शाखशकलादशमरया कलजञानमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |4|

कारतितक शयारम अरमावस शिशव तितय पावापर त वरना |गणफतिनवनद जज तितत बहतिवध रम पजौ भयहरना |रमोतिह0ॐ हरी कारतितककषणाअमासरयारया मोकषमगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |5|

जरयमालागणधर अशतिनधर चकरधर हलधर गदाधर वरवदा |अर चापधर तिवदयासधर तितरशलधर सवकिह सदा ||दखहरन आनदभरन तारन तरन चरन रसाल ह |सकरमाल गण रमतिनरमाल उननत भालकी जयरमला ह ||

जय तिSशलानदन हरिरकतवदन जगदानदन चदवर |भवतापतिनकदन तनकनरमदन रतिहत सपदन नयन धर ||

जय कवलभान-कला-सदन भतिव-कोक-तिवकाशन कदवन |जगजीत रमहारिरप रमोहहर रजजञान-दगावर चर कर |1|गभा13दिदक रमगल रमतिडत हो दखदारिरद को तिनत खतिडत हो |जग रमाकिह तमही सतपतिडत हो तरम ही भवभाव-तिवहतिडत हो |2|हरिरवश सरोजन को रतिव हो बलवत रमहत तमही कतिव हो |लतिह कवलधरम13 परकाश तिकयो अबलो सोई रमारग राजतितयो |3|पतिन आप तन गण रमाकिह सही सररम=न रह जिजतन सबही |तितनकी वतिनता गनगावत ह लय-तानतिनसो रमनभावत ह |4|पतिन नाचत रग उरमग-भरी तअ भशिकत तिवरष पग एरम धरी |झनन झनन झनन झनन सर लत तहा तनन तनन |5|घनन घनन घनघट बज दरमद दरमद दरमद मिरमरदग सज |गगनागन-गभ13गता सगता ततता ततता ततता अतता तिवतता |6|धगता धगता गतित बाजत ह सरताल रसालज छाजत ह |सनन सनन सनन नभ रम इकरप अनक ज धारिर भररम |7|तिकननर सर बीन बजावत ह तरमरो जस उजजवल गावत ह |करताल तिवरष करताल धर सरताल तिवशाल ज नाद कर |8|इन आदिद अनक उछाह भरी सरभशिकत कर परभजी तरमरी |तरमही जग जीवन क तिपत हो तरमही तिबनकारनत तिहत हो |9|तरमही सब तिवरघयन तिवनाशन हो तरमही तिनज आनदभासन हो |तरमही शिचतचिचतिततदायक हो जगरमाकिह तमही सब लायक हो |10|तरमर पन रमगल रमाकिह सही जिजय उततरम पनय शिलयो सबही |हरमतो तरमरी शरणागत ह तरमर गन रम रमन पागत ह |11|परभ रमो तिहय आप सदा बशिसय जबलो वस करम13 नही नशिसय |

तबलो तरम धयान तिहय वरतो तबलो शरतचिचतन शिचतत रतो |12|तबलो वरत चारिरत चाहत हो तबलो शभभाव सगाहत हो |तबलो सतसगतित तिनतत रहो तबलो रमरम सजरम शिचतत गहो |13|जबलो नकिह नाश करौ अरिरको शिशव नारिर वरौ सरमता धरिरको |यह दयो तबलो हरमको जिजनजी हरम जाचत ह इतनी सनजी |14|घतताः- शरीवीर जिजनशा नमिरमत सरशा नाग नरशा भगतित भरा |lsquoवनदावनrsquo धयाव तिवघन नशाव वाशिछत पाव शरम13 वरा ||ॐ हरी शरीदधमान जिजननदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

दोहाः- शरी सनरमतित क जगल पद जो पज धरिर परीत |वनदावन सो चतर नर लह रमशिकत नवनीत ||इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

चौबीस जिजन पजावरषभ अजिजत सभ अभीनदन समवित पदम सपास जिजनरारय

चनद पहप शीतल शररयास नमिम ास पज पजिजत सर रारय

विमल अनत धरम जस उजजल शावित कथ अर मडिलल मनारय

मविन सवरत नमिम नमिम पाशव परभ धमान पद पषप चढारय

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन समह अतर अतर अतर सौषट

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन समह अतर वितषठ वितषठ ठ ठ

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन समह अतर मम सलिVविहतो भ भ षट

रमतिनरमन सरम उजजवल नीर परासक गध भरा

भरिर कनक कटोरी धीर दीनी धार धरा

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो जनम जरा मतरय विनाश-नारय जल विनपामिमवित साहा

गोशीर कपर मिरमलाय कसर रग भरी

जिजन चरनन दत चढ़ाय भव आताप हरी

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो भ ताप विनाश-नारय चनदन विनपामिमवित साहा

तदल शिसत सोरम सरमान सनदर अतिनयार

रमकता फल की उनरमान पनज धरौ पयार

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो अकषरय पद पराप-तारय अकषतान विनपामिमवित साहा

वरकज कदब करड सरमन सगध भर

जिजन अगर धरौ गण रमद कारम कलक हर

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो काम बाण विरधवा-सनारय पषप विनपामिमवित साहा

रमन रमोदन रमोदक आदिद सनदर सधय बन

रस परिरत परासक सवाद जजत कषधादिद हन

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो कषधा रोग विनाश नारय नदय विनपामिमवित साहा

तरम खडन दीप जगाय धारो तरम आग

सब तितमिरमर रमोह कषय जाय जञान कला जाग

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो मोहानधकार विनाश-नारय दीप विनपामिमवित साहा

दश गध हताशन रमातिह ह परभ खवत हो

मिरमस धरम कररम जरिर जातिह तरम पद सवत हो

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो अC कम दहनारय धप विनपामिमवित साहा

शशिच पकव सरस फल सार सब ऋत क Aयायो

दखत दग रमन को पयार पजत सख पायो

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो मोकष फल परापतारय विनपामिमवित साहा

जल फल आठो शशिच सार ताको अघ13 करो

तरमको अरपो भव तार भव तरिर रमोकष वरो

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चतरतिशवित तीथ_-करभरयो अनघ पद पराप-तारय अघ_ विनपामिमवित साहा

जरयमाला

शरी रमत तीररथ नारथ पद रमारथ नाय तिहतहत

गाऊ गण रमाला अब अजर अरमर पद दत

जय भव तरम भजन जन रमन कजन रजन दिदन रमतिन सवचछ करा

शिशव रमग परकाशक अरिर-गण नाशक चौबीसौ जिजन राज वरा

जय रिररषभ दव ऋतिरष गन नरमत जय अजिजत जीत वस अरिर तरत

जय सभव भव भय करत चर जय अभिभनदन आनद पर

जय सरमतित सरमतित दायक दयाल जय पदरम पदरम दतित तन रसाल

जय जय सपास भव-पास नाश जय चद चद तन-दतित परकाश

जय पषप-दत दतित-दत सत जय शीतल शीतल गन तिनकत

जय शरय नारथ नत सहस भजज जय वासव पजिजत वास पजज

जय तिवरमल तिवरमल पद दन हार जय जय अनत गन गन अपार

जय धरम13 धरम13 शिशव शरम13 दत जय शातित शातित पषटी करत

जय करथ करथ वादिदक रखय जय अर जिजन वस अरिर छय करय

जय रमलपिAल रमAल हत रमोह रमAल जय रमतिन सवरत वरत शAल दAल

जय नमिरम तिनत वासव-नत सपरम जय नरमी नारथ वररष-चकर-नरम

जय पारस नारथ अनारथ नारथ जय वध13रमान शिशव नगर सारथ

चौबीस जिजनदा आनद कदा पाप तिनकदा सख कारी

तितन-पद जग-चदा उदय अरमदा वासव वदा तिहत धारी

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन-भरयो महारघयरय विनपामिमवित साहा

सोरठा

भशिकत रमशिकत दातार चौबीसौ जिजन-राज-वर

तितन-पद रमन-वच-धार जो पज सो शिशव लह

सोलहकारण भावना पजासोलह कारण भारय तीथ_कर ज भरय |

हरष इनदर अपार मरप ल गरय ||पजा करिर विनज धनरय लखरयो बह चासौ|हमह षोbश कारन भा भासौ ||ॐ हरी दशनविशदधरयादिद षोbशकारणाविन अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी दशनविशदधरयादिद षोbशकारणाविन अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी दशनविशदधरयादिद षोbशकारणाविन अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

कचन-झारी विनरमल नीर पजो जिजनर गन-गभीर|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||दरशविशभिदध भाना भारय सोलह तीथ_कर-पद-दारय|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||

ॐ हरी 1 दशनविशभिदध 2 विनरयसमपVता 3 शीलवरतषनतीचार 4अभीकषणजञानोपरयोग 5 सग 6 शलिNतसतरयाग 7 शलिNतसतप 8 साधसमालिध 9 रयातरयकरण 10 अहद भलिN 11 आचारयभलिN 12 बहशरतभलिN 13 परचनभलिN 14 आशरयकापरिरहाभिण 15 मागपरभाना 16 परचनातसलरय इवितषोbशकारणभरयः जल विनपामीवित साहा |1|

चदन घसौ कपर मिमलारय पजौ शरीजिजनरक पारय |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः ससारतापविनाशनारय चनदन विन0|2|

तदल धल सगध अनप पजौ जिजनर वितह जग-भप|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अकषरय पदपरापतरय अकषतान विन0|3|

फल सगनध मधप-गजार पजौ-जिजनर जग-आधार |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||दरशविशभिदध भाना भारय सोलह तीथ_कर-पद-दारय |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः कामबाणविरधवासनारय पषप विन0|4|

सद नज बहविलिध पकान पजौ शरीजिजनर गणखान|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः कषधारोगविनाशनारय नदय विन0|5|

दीपक-जरयोवित वितमिमर छरयकार पज शरीजिजन कलधार|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः मोहानधकारविनाशनारय दीप विन0|6|

अगर कपर गध शभ खरय शरीजिजनर आग महकरय |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अCकमदहनारय धप विन0|7|

शरीफल आदिद बहत फलसार पजौ जिजन ालिछत-दातार |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः मोकषफलपरापतरय फल विन0|8|

जल फल आठो दर चढारय lsquoदयानतrsquo रत करौ मन लारय|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0|9|

परतरयक भाना क अरघयरय (सरया तईसा)दशन शदध न होत जो लग तो लग जी मिमथरयाती कहा |काल अनत विफर भ म महादःखनको कह पार न पा ||दोष पचीस रविहत गण-अमबलिध समरयगदरशन शदध ठरा |lsquoजञानrsquo कह नर सोविह बडो मिमथरयात तज जिजन-मारग रधवारया ||ॐ हरी दशन विशभिदध भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |1|

द तथा गररारय तथा तप सरयम शील वरतादिदक-धारी |पापक हारक कामक छारक शलरय-विनारक कम-विनारी ||

धम क धीर कषारयक भदक पच परकार ससार क तारी |lsquoजञानrsquo कह विनरयो सखकारक भा धरो मन राखो विचारी ||ॐ हरी विनरयसमपVता भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |2|

शील सदा सखकारक ह अवितचार-विरजिजत विनमल कीज |दान द कर तस स विषानल भत विपशाच पतीज ||शील बडो जग म हलिथरयार ज शीलको उपमा काह की दीज |lsquoजञानrsquo कह नविह शील बराबर तात सदा दढ शील धरीज ||ॐ हरी विनरवितचार शीलवरत भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |3|

जञान सदा जिजनराज को भाविषत आलस छोड पढ जो पढा |ादश दोउ अनकह भद सनाम मती शरवित पचम पा ||चारह भद विनरनतर भाविषत जञान अभीकषण शदध कहा |lsquoजञानrsquo कह शरत भद अनक ज लोकालोक विह परगट दिदखा ||ॐ हरी अभीकषण जञानोपरयोग भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |4|

भरात न तात न पतर कलतर न सगम दजन रय सब खोटो |मजिनदर सनदर कारय सखा सबको हमको इमिम अतर मोटो ||भाउ क भा धरी मन भदन नाविह सग पदारथ छोटो |lsquoजञानrsquo कह भिश-साधन को जसो साह को काम कर ज बणोटो ||ॐ हरी सग भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |5|

पातर चतरतिध दख अनपम दान चतरतिध भास दीज |शलिN-समान अभरयागत को अवित आदर स परभिणपतरय करीज ||दत ज नर दान सपातरविह तास अनकविह कारण सीझ |बोलत lsquoजञानrsquo दविह शभ दान ज भोग सभमिम महासख लीज ||ॐ हरी शलिNतसतरयाग भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |6|

कम कठोर विगरान को विनज शलिN-समान उपोषण कीज |बारह भद तप तप सनदर पाप जलाजलिल काह न दीज ||भा धरी तप घोर करी नर जनम सदा फल काह न लीज |lsquoजञानrsquo कह तप ज नर भात ताक अनकविह पातक छीज ||ॐ हरी शलिNतसतप भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |7|

साधसमालिध करो नर भाक पणरय बडो उपज अघ छीज |साध की सगवित धमको कारण भलिN कर परमारथ सीज ||साधसमालिध कर भ छटत कीरतित-छटा तरलोक म गाज |lsquoजञानrsquo कह रयह साध बडो विगरिरशरग गफा विबच जारय विराज ||ॐ हरी साधसमालिध भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |8|

कम क रयोग वयथा उदरय मविन पग कनत सभषज कीज |विपतत-कफाविनल (ात) सास भगनदर ताप को शल महागद छीज ||भोजन साथ बनारय क औषध पथरय कपथरय विचार क दीज |lsquoजञानrsquo कह विनत यरयातरय कर तस द पतीज ||ॐ हरी रयातरयकरण भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

द सदा अरिरहनत भजो जई दोष अठारा विकरय अवित दरा |पाप पखाल भरय अवित विनमल कम कठोर विकए चकचरा ||दिदवय-अननत-चतCरय शोभिभत घोर मिमथरयानध-विनारण सरा |lsquoजञानrsquo कह जिजनराज अराधो विनरनतर ज गण-मजिनदर परा ||ॐ हरी अहद भलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |10|

दत ही उपदश अनक स आप सदा परमारथ-धारी |दश विदश विहार कर दश धम धर भ-पार- उतारी ||ऐस अचारज भा धरी भज सो भिश चाहत कम विनारी |lsquoजञानrsquo कह गर-भलिN करो नर दखत ही मनमाविह विचारी ||ॐ हरी आचारय भलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |11|

आगम छनद पराण पढात साविहत तक वितक बखान |कावय कथा न नाटक पजन जरयोवितष दयक शासतर परमान ||ऐस बहशरत साध मनीशवर जो मन म दोउ भा न आन |बोलत lsquoजञानrsquo धरी मन सान ज भागरय विशष त जञानविह सान ||ॐ हरी बहशरवितभलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |12|

ादश अग उपाग सदागम ताकी विनरतर भलिN करा |द अनपम चार कह तस अथ भल मन माविह ठरा ||पढ बहभा लिलखो विनज अकषर भलिN करी बविड पज रचा |lsquoजञान कह जिजन आगम-भलिN कर सद-बभिदध बहशरत पा ||ॐ हरी परचनभलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |13|

भा धर समता सब जीस सतोतर पढ मख स मनहारी |कारयोतसग कर मन परीतस दन द-तणो भ तारी ||रधवारयान धरी मद दर करी दोउ बर कर पडकममन भारी |lsquoजञानrsquo कह मविन सो धननत ज दशन जञान चरिरतर उघारी ||ॐ हरी आशरयकापरिरहाभिण भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |14|

जिजन-पजा रच परमारथस जिजन आग नतरय महोतस ठाण |गात गीत बजात ढोल मदगक नाद सधाग बखाण ||सग परवितषठा रच जल-जातरा सद गर को साहमो कर आण |lsquoजञानrsquo कह जिजन माग-परभान भागरय-विशषस जानविह जाण ||ॐ हरी मागपरभाना भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |15|

गौर भा धरो मन स मविन-पग को विनत तसल कीज |शीलक धारक भवय क तारक तास विनरतर सनह धरीज ||धन रयथा विनजबालक को अपन जिजरय छोविड न और पतीज |lsquoजञानrsquo कह भवि लोक सनो जिजन तसल भा धर अघ छीज ||ॐ हरी परचन-ातसलरय भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |16|

जापरय मतर -ॐ हरी दशनविशदधरय नमः ॐ हरी विनरयसमपVतारय नमः ॐ हरी शीलवरतारय नमःॐ हरी अभीकषणजञानोपरयोगारय नमः ॐ हरी सगारय नमः ॐ हरी शलिNतसतरयागारय नमःॐ हरी शलिNतसतपस नमः ॐ हरी साधसमारधवारय नमः ॐ हरी रयातरयकरणारय नमःॐ हरी अहद भकतरय नमः ॐ हरी आचारयभकतरय नमः ॐ हरी बहशरतभकतरय नमःॐ हरी परचनभकतरय नमः ॐ हरी आशरयकापरिरहाणरय नमः ॐ हरी मागपरभानारय नमःॐ हरी परचनातसलरय नमः |16|

जयरमालारषोडश कारण गण कर हर चतरगतित-वास |पाप पणय सब नाशक जञान-भान परकाश||

चौपाई दरश तिवशजिदध धर जो कोई ताको आवागरमन न होई |तिवनय रमहाधार पराणी शिशव-वतिनता की सखी बखानी |1|

शील सदा दढ़ जो नर पाल सो औरनकी आपद टाल |जञानाभयास कर रमनरमाही ताक रमोह-रमहातरम नाही |2|जो सवग-भाव तिवसतार सरग-रमकतित-पद आप तिनहार |दान दय रमन हररष तिवशरष इह भव जस परभव सख पख |3|जो तप तप खप अभिभलारषा चर कररम-शिशखर गर भारषा |साध-सरमामिध सदा रमन लाव तितह जग भोग भोतिग शिशव जाव |4|तिनश-दिदन वयावतय करया सो तिनहच भव-नीर तितरया |जो अरहत-भगतित रमन आन सो जन तिवरषय करषाय न जान |5|जो आचारज-भगतित कर ह सो तिनरम13ल आचार धर ह |बहशरतवत-भगतित जो करई सो नर सपरन शरत धरई |6|परवचन-भगतित कर जो जञाता लह जञान पररमानद-दाता |रषट आवशय काय सो साध सोही रतन-Sय आराध |7|धररम-परभाव कर ज जञानी तितन शिशव-रमारग रीतित तिपछानी |वतसल अग सदा जो धयाव सो तीरथsकर पदवी पाव |8|

दोहाएही सोलह भावना सतिहत धर वरत जोय |दव-इनदर-नर-वदय lsquoदयानतrsquo शिशव-पद होय ||ॐ हरी दश13नतिवशदधयादिद रषोडशकारणभयः पणारघययs तिनव13पारमीतित सवाहा |सनदर रषोडशकारण भावना तिनरम13ल शिचतत सधारक धार |करम13 अनक हन अतित ददध13र जनरम जरा भय रमतय तिनवार ||दःख दरिरदर तिवपभितत हर भव-सागर को पार उतार |lsquoजञानrsquo कह यही रषोडशकारण करम13 तिनवारण शिसदध स धार ||इतयाशीवा13द (पषपाजचिल भिकषपत)

ननदीशवर दिदप पजासरब पर म बडो अढाई पर ह |

ननदीशवर सर जाविह लरय ास दरब ह ||

हम शलिN सो नाविह इहा करी थापना |

पज जिजनगरह-परवितमा ह विहत आपना ||

ॐ हरी शरी-ननदीशवर-ीप ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमा-समह

अतर अतर अतर सौषट | अतर वितषठ ठ ठ | अतर मम सलिVविहतो भभ षट |

कचन रमभिण रमय शरगार तीररथ-नीर भरा |

तितह धार दई तिनरवार जारमन रमरण जरा ||

ननदीशवर-शरीजिजन-धारम बावन पज करो |

वस दिदन परतितरमा अभिभरारम आनद-भाव धरो ||

ननदीशवर दवीप रमहान चारो दिदशिश सोह |

बावन जिजन रमजिनदर जान सरनर रमन रमोह ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो जनम-जरा-मतरय विनाशनारय जल विनपामीवित साहा |

भव-तप-हर शीतल वाससो चनदन नाही |

परभ यह गण कीज साच आयो तरम ठाही || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो ससार-ताप-विनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा |

उततरम अकषत जिजनराज पज धर सोह |

सब जीत अकष सरमाज तरम सरम अर को ह || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो अकषरय-पद-परापतारय अकषत विनपामीवित साहा |

तरम कारम तिवनाशक दव धयाऊ फलनसौ |

लह शील लचछरमी एव छट सलनससौ || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो काम-बाण विरधवासनारय पषप विनपामीवित साहा |

नवज इजिनदरय बलकार सो तरमन चरा |

चर तरम दिढग सोह सार अचरज ह परा || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो कषधा-रोग विनाशनारय नदय विनपामीवित साहा |

दीपक की जयोतित-परकाश तरम तन रमातिह लस |

टट कररमन की राश जञान-कणी दरश || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो मोहानधकार विनाशनारय दीप विनपामीवित साहा |

कषणागर-धप-सवास दश-दिदशिश नारिर वर |

अतित हरष13 भाव परकाश रमानो नतय कर || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो अCकम दहनारय धप विनपामीवित साहा |

बह तिवमिध फल ल तितह काल आननद नाचत ह |

तरम शिशव फल दह दयाल ततिह हरम जाचत ह || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो महा-मोकष-फल परापतारय फल विनपामीवित साहा |

यह अरघ तिकयो तिनज-हत तरमको अरपत हो |

lsquoधानतrsquo तिकजयो शिशव खत भमिरम सरमप13त हो || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो अनघ-पद-परापतारय अघ_ विनपामीवित साहा |

जरयमाला

कारतितक फालगन साढक अनत आठ दिदन माविह |

ननदीशवर सर जात ह हम पज इह ठाही ||

एक सौ Sसठ कोडी जोजन रमहा |

लाख चौरशिसया एक दिदश रम लहा ||

आठरमो दवीप ननदीशवर भासवर |

भौन बावन परतितरमा नरमो सखकर ||

चार दिदशिश चार अनजनतिगरी राजही |

सहस चौरशिसया एक दिदश छाजातिह ||

ढोल सरम गोल ऊपर तल सनदर || भौन ||

इक इक चार दिदशिश चार शभ बावरी |

एक इक लाख जोजन अरमल-जल भरी ||

चह दिदशा चार वन लाख जोजन वर || भौन ||

सोल वापीन रममिध सोल तिगरी दमिधरमख |

सहस दश रमहा जोजन लखत ही सख ||

बावरी कौन दो रमातिह दो रतितकर || भौन ||

शल बततीस एक सहस जोजन कह |

चार सोल मिरमल सव13 बावन लह ||

एक इक सीस पर एक जिजनरमजिनदर || भौन ||

तिबमब अठ एक सौ रतनरमयी सोहही |

दव दवी सरव नयन रमन रमोहही ||

पाच स धनरष तारम पदम-आसन पर || भौन ||

लाल-नख-रमख नयन शयारम अर शवत ह |

शयारम-रग भौह शिसर-कश छतिव दत ह ||

वचन बोलत रमनो हसत कालरष हररम || भौन ||

कोदिट-शशिश भान दतित-तज शिछप जात ह |

रमहा-वराग-परिरणारम ठहरात ह ||

वचन नकिह कह लगनिख होत समयक धर |

भौन बावन परतितरमा नरमो सखकर ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो जरयमाला पणाघ_ विनपामीवित साहा |

ननदीशवर ीप अघ

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प पभि म उततर दभिकषण चार अनजनविगरी सोलह दलिधमख बततीस रवितकर बान पत डिसथत बान जिजनचतरयालरयभरयो पाच हजार छह सौ सोलह जिजन विबमबभरयो पणाघ_ विनपामीवित साहा |

ननदीशवर-जिजन धारम परतितरमा-रमतिहरमा को कह |

lsquoधानतrsquo लीनो नारम यही भगतित शिशव-सख कर ||

इतरयाभिशाद || पषपाजलिल भिकषपत ||

पचरमर पजातीथ_करोक नहन ndash जलत भरय तीरथ शमदा

तात परदचछन दत सर ndash गन पच मरन की सदा |दो जललिध ढाई ीप म सब गनत-मल विराजहीपजौ असी जिजनधाम ndash परवितमा होविह सख दख भाजही ||

ॐ हरी पचमरसमबनधिनध अससी जिजनचतरयालरयसथजिजनपरवितमा-समह अतर अतर अतरसौषट |ॐ हरी पचमरसमबनधिनध अससी जिजनचतरयालरयसथजिजनपरवितमा-समह अतर वितषठ वितषठ ठः

ठः |ॐ हरी पचमरसमबनधिनध अससी जिजनचतरयालरयसथजिजनपरवितमा-समह अतर मम सलिVविहतो भ भ पषट

शीतल-मिरमषट-सवास मिरमलाय जल सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||पाचो रमर असी जिजनधारम सब परतितरमा जी को करौ परणारम |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||ॐ हरी सदशन-विजरय-अचल-मनदर-विदयनमालिल-पचमरसमबनधिनध-जिजनचतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः जल विनमीवित साहा |1|

जल कशर करपर मिरमलाय गध सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः चनदनविन0 साहा |2|

अरमल अखड सगध सहाय अचछत सो पजौ जिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः अकषतान विन0 साहा |3|

वरन अनक रह रमहकाय फल सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः पषप विन0 साहा |4|

रमन वाशिछत बह तरत बनाय चर सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः नदय विन0 |5|

तरम-हर उजजवल जयोतित जगाय दीप सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः दीप विन0 साहा |6|

खऊ अगर अरमल अमिधकाय धपसो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः धप विन0 साहा |7|

सरस सवण13 सगध सभाय फलसो पजौ शरी जिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः फल विन0 साहा |8|

आठ दरबरमय अरघ बनाय lsquoदयानतrsquo पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||पाचो रमर असी जिजन धारम सब परतितरमा जी को करौ परणारम |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः अरघयरय_ विन0 साहा |9|

जरयमालापररथरम सदश13न-सवामिरम तिवजय अचल रमदर कहा |तिवदयनरमाली नामिरम पच रमर जग रम परगट ||

पररथरम सदश13न रमर तिवराज भदर शाल वन भ पर छाज |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |1|ऊपर पच-शतकपर सोह नदन-वन दखत रमन रमोह |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |2|साढ़ बासठ सहस ऊचाई वन सरमनस शोभ अमिधकाई |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |3|ऊचा जोजन सहस-छतीस पाणडक-वन सोह तिगरिर-सीस |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |4|चारो रमर सरमान बखान भ पर भदरशाल चह जान |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |5|ऊच पाच शतक पर भाख चारो नदनवन अभिभलाख |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |6|साढ़ पचपन सहस उतगा वन सोरमनस चार बहरगा |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |7|उचच अठाइस सहस बताय पाडक चारो वन शभ गाय |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |8|सर नर चारन वदन आव सो शोभा हरम किकह रमख गाव |चतयालय अससी सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |9|

दोहा -पच रमर की आरती पढ़ सन जो कोय |lsquoदयानतrsquo फल जान परभ तरत रमहासख होय ||ॐ हरी पचमरसमबनधिनध जिजनचतरयालरयसथ जिजनविबमबभरयः पणारघयरय_ विन0 साहा |इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

शातितनारथ पजा

रया भ कानन म चतरानन पाप पनानन घरी हमरी |

आतम जानन मानन ठानन बान न होन दई सठ मरी ||

तामद भानन आपविह हो रयह छान न आन न आनन टरी |

आन गही शरनागत को अब शरीपतजी पत राखह मरी ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदर अतर अतर अतर सौषट |

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

तिहरमतिगरिर गतगगा धार अभगा परासक सगा भरिर भगा |

जर-जनरम-रमतगा नाशिश अघगा पजिज पदगा रमद किहगा ||

शरी शापतिनत जिजनश नतशकरश वरषचकरश चकरश |

हतिन अरिरचकरश ह गनधश दयाऽरमतश रमकरश ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

वर बावन चनदन कदली ननदन घन आननदन सतिहत घसौ |

भवताप तिनकनदन ऐराननदन वदिद अरमदन चरन बसौ ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

तिहरमकर करिर लजजत रमलय ससजजत अचछत जजजत भरिर रथारी |

दखदारिरद गजजत सदपद सजजत भवभय भजजत अतितभारी ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

रमदार सरोज कदली जोज पज भरोज रमलयभर |

भरिर कचनरथारी तरमदिढग धारी रमदनतिवदारी धीरधर ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

पकवान नवीन पावन कीन रषटरस भीन सखदाई |

रमनरमोदन हार छधा तिवदार आग धार गनगाई ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

तरम जञान परकाश भररमतरम नाश जञय तिवकास सखरास |

दीपक उजिजयारा यात धारा रमोह तिनवारा तिनज भास ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

चनदन करपर करिर वर चर पावक भर रमातिह जर |

तस धरम उड़ाव नाचत जाव अशिल गजाव रमधर सर ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

बादारम खजर दातिड़रम पर किनबक भर ल आयो |

ता सो पद जजजौशिशवफल सजजौ तिनजरस रजजौ उरमगायो ||

शरी शापतिनत जिजनश नतशकरश वरषचकरश चकरश |

हतिन अरिरचकरश ह गनधश दयाऽरमतश रमकरश ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

वस दरवय सवारी तरम दिढग धारी आननदकारी दग-पयारी |

तरम हो भव तारी करनाधारी या त रथारी शरनारी ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली

छनदः- अशिसत सातय भादव जातिनय गरभ रमगल ता दिदन रमातिनय |

सशिच तिकयो जननी पद चच13न हरम कर इत य पद अच13न ||

ॐ हरी भादरपदकषणा सपतमरया गभमगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |1|

जनरम जठ चतद13शिश शयारम ह सकल इनदर स आगत धारम ह |

गजपर गज-साजिज सब तब तिगरिर जज इत रम जजिजहो अब ||

ॐ हरी जरयषठकषणाचतदशरया जनममगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |2|

भव शरीर सभोग असार ह इमिरम तिवचार तब तप धार ह |

भररमर चौदशिश जठ सहावनी धररम हत जजौ गन पावनी ||

ॐ हरी जरयषठकषणाचतदशरया तपोमगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |3|

शकलपौरष दश सखरास ह पररम-कवल-जञान परकाश ह |

भवसरमदर उधारन दव की हरम कर तिनत रमगल सवकी ||

ॐ हरी पौषशकलादशमरया कलजञानमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |4|

अशिसत चौदशिश जठ हन अरी तिगरिर सरमदरथकी शिशव-तितय वरी |

सकल इनदर जज तितत आय क हरम जज इत रमसतक नाय क ||

ॐ हरी जरयषठकषणाचतदशरया मोकषमगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |5|

जरयमाला

शापतिनत शापतिनतगन रमतिडत सदा जातिह धयावत सपतिडत सदा |

रम तितनह भगत रमतिडत सदा पजिजहौ कलरष हतिडत सदा ||

रमोचछ हत तरम ही दयाल हो ह जिजनश गन रतन रमाल हो |

रम अब सगन-दारम ही धरौ धयावत तरत रमशिकत-तितय वरौ ||

जय शापतिनतनारथ शिचदरपराज भवसागर रम अदभत जहाज |

तरम तजिज सरवाररथशिसजिदध रथान सरवाररथजत गजपर रमहान |1|

तितत जनरम शिलयो आननद धार हरिर ततशिछन आयो राजदवार |

इनदरानी जाय परसतित रथान तरम को कर रम ल हररष रमान |2|

हरिर गोद दय सो रमोदधार शिसर चरमर अरमर ढारत अपार |

तिगरिरराज जाय तितत शिशला पाड ता प रथापयो अभिभरषक रमाड |3|

तत पचरम उदमिध तनो स वारिर सर कर कर करिर Aयाय उदार |

तब इनदर सहसकर करिर अननद तरम शिसर धारा ढारयो सरमनद |4|

अघ घघ धतिन होत घोर भभभभ भभ धध धध कलश शोर |

दरमदरम दरमदरम बाजत रमदग झन नन नन नन नन नपरग |5|

तन नन नन नन नन तनन तान घन नन नन घटा करत धवान |

तारथई रथई रथई रथई सचाल जत नाचत नावत तरमकिह भाल |6|

चट चट चट अटपट नटत नाट झट झट झट हट नट रथट तिवराट |

इमिरम नाचत राचत भगतित रग सर लत जहा आननद सग |7|

इतयादिद अतल रमगल स ठाठ तितत बनयो जहा सर तिगरिर तिवराट |

पतिन करिर तिनयोग तिपतसदन आय हरिर सौपयो तरम तितत वदध रथाय |8|

पतिन राजरमाकिह लतिह चकररतन भो=यो छहखणड करिर धररम जतन |

पतिन तप धरिर कवल रिरजिदध पाय भतिव जीवतिन को शिशवरमग बताय |9|

शिशवपर पहच तरम ह जिजनश गण-रमतिडत अतल अननत भरष |

रम धयावत हौ तिनत शीश नाय हरमरी भवबाधा हर जिजनाय |10|

सवक अपनो तिनज जान जान करणा करिर भौभय भान भान |

यह तिवघन रमल तर खड खड शिचतशिचपतिनतत आननद रमड रमड |11|

छनदः- शरीशापतिनत रमहता शिशवतितयकता सगन अनता भगवता |

भव भररमन हननता सौखय अननता दातार तारनवनता ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

शापतिनतनारथ जिजन क पदपकज जो भतिव पज रमन वच काय |

जनरम जनरम क पातक ता क ततशिछन तजिज क जाय पलाय ||

रमनवाशिछत सख पाव सो नर बाच भगतितभाव अतित लाय |

ता त lsquoवनदावनrsquo तिनत वद जा त शिशवपरराज कराय ||

इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

सपाशव13नारथ पजाजरय जरय जिजविनद गविनद इनद नरिरद गन लिचतन कर |

तन हरीहर मनसम हरत मन लखत उर आननद भर ||नप सपरवितषठ रिरषठ इC मविहषठ भिशC पथी विपररया |वितन ननदक पद नद नद अमद थापत जतविकररया ||ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदर अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

उजजल जल शलिच गध मिमलारय कचनझारी भरकर लारय |दरया विनलिध हो जरय जगबध दरया विनलिध हो ||तम पद पजौ मनचकारय द सपारस भिशपररारय |दरया विनलिध हो जरय जगबध दरया विनलिध हो ||ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

रमलयातिगर चदन घशिस सार लीनो भवतप भजनहार |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

दवजीर सखदास अखड उजजवल जलछाशिलत शिसत रमड |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

परासक सरमन सगमिधत सार गजत अशिल रमकरधवजहार |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

छधाहरण नवज वर लाय हरौ वदनी तमह चढ़ाय |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

जवशिलत दीप भरकरिर नवनीत तरम दिढग धारत हौ जगरमीत |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

दशतिवमिध गनध हताशन रमाकिह खवत करर कररम जरिर जाकिह |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम पद पजौ रमनवचकाय दव सपारस शिशवपरराय |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

शरीफल कला आदिद अनप ल तरम अगर धरौ शिशवभप |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

आठो दरब साजिज गनगाय नाचत राचत भगतित बढ़ाय |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0

ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयालीसकल भादव छटठ स जातिनय गरभ रमगल ता दिदन रमातिनय |करत सव शची रशिच रमात की अरघ लय जजौ वस भात की ||ॐ हरी भादरपदशकलाषषठीदिदन गभमगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |1|

सकल जठ दवादशिश जनरमय सकल जीव स आननद तनरमय |तिSदशराज जज तिगरिरराजजी हरम जज पद रमगल साजजी ||ॐ हरी जरयषठशकलाादशरया जनममगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |2|

जनरम क तितशिरथ प शरीधर न धरी तप सरमसत पररमादन को हरी |नप रमहनदर दिदयो पय भाव सौ हरम जज इत शरीपद चाव सो ||ॐ हरी जरयषठशकलाादशरया तपोमगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |3|

भररमर फागन छटठ सहावनो पररम कवलजञान लहावनो |सरमवसन13 तिवरष वरष भागनिखयो हरम जज पद आननद चाखनो ||ॐ हरी फालगनकषणा षषठीदिदन कलजञानपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |4|

अशिसत फागन सातय पावनो सकल करम13 तिकयो छय भावनो |तिगरिर सरमदरथकी शिशव जात ह जजत ही सब तिवरघयन तिवलात ह ||ॐ हरी फालगनकषणा सपतमीदिदन मोकषमगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |5|

जयरमालादोहाः- तग अग धन दोय सौ शोभा सागरचनद |मिरमथयातपहर सगनकर जय सपास सखकद |1|

जयतित जिजनराज शिशवराज तिहतहत हो |पररम वराग आननद भरिर दत हो ||

गभ13 क पव13 रषटरमास धनदव न |नगर तिनररमातिप वाराणसी सव रम |2|गगन सो रतन की धार बह वररषही |कोतिड़ Sअदध13 Sवार सब हररषही ||तात क सदन गनवदन रचना रची |रमात की सव13तिवमिध करत सवा शची |3|भयो जब जनरम तब इनदर-आसन चAयो |होय चतिकत तब तरिरत अवमिधत लगनिख भAयो ||सपत पग जाय शिशर नाय वनदन करी |चलन उरम=यो तब रमातिन धतिन धतिन घरी |4|सात तिवमिध सन गज वरषभ ररथ बाज ल |गनधरव नतयकारी सब साज ल ||गशिलत रमद गणड ऐरावती साजिजयो |लचछ जोजन सतन वदन सत राजिजयो |5|वदन वसदनत परतितदनत सरवर भर |ता स रममिध शतक पनबीस करमशिलतिन खर ||करमशिलनी रमधय पनवीस फल करमल |करमल-परतित-करमल रमह एक सौ आठ दल |6|सव13दल कोड़ शतबीस पररमान ज |ता स पर अपछरा नचकिह जतरमान ज ||तततता तततता तिवततता तारथई |धगतता धगतता धगतता रम लई |7|धरत पग सनन नन सनन नन गगन रम |नपर झनन नन झनन नन पगन रम ||नचत इतयादिद कई भातित सो रमगन रम |कई तितत बजत बाज रमधर पगन रम |8|कई दरम दरम ददरम दरम रमदगतिन धन |कई झAलरिर झनन झझनन झझन ||कई ससागरत सारतिग ससागर सर |कई बीना पटह बशिस बाज रमधर |9|कई तनतन तनन तनन तान पर |शदध उचचारिर सर कई पाठ फर ||

कइ झतिक झतिक तिफर चकर सी भामिरमनी |धगगता धगगता परम13 शोभा बनी |10|कई शिछन तिनकट शिछन दर शिछन रथल-लघ |धरत वतिकरयक परभाव सो तन सभग ||कई करताल-करताल तल रम धन |तत तिवतत घन सतिरषरिर जात बाज रमन |11|इनदर आदिदक सकल साज सग धारिरक |आय पर तीन फरी करी पयार त ||सशिचय तब जाय परसतरथल रमोद रम |रमात करिर नीद लीनो तमह गोद रम |12|आन-तिगरवान नारथकिह दिदयो हारथ रम |छS अर चरमर वर हरिर करत रमारथ रम ||चढ़ गजराज जिजनराज गन जातिपयो |जाय तिगरिरराज पाडक शिशला रथातिपयो |13|लय पचरम उदमिध-उदक कर कर सरतिन |सरन कलशतिन भर सतिहत चरचिचत परतिन ||सहस अर आठ शिशर कलश ढार जब |अघघ घघ घघघ घघ भभभ भभ भौ तब |14|धधध धध धधध धध धतिन रमधर होत ह |भवय जन हस क हरस उदयोत ह ||भयो इमिरम नहौन तब सकल गन रग रम |पोशिछ शरगार कीनो शची अग रम |15|आतिन तिपतसदन शिशश सौतिप हरिर रथल गयो |बाल वय तरन लतिह राज सख भोतिगयो ||भोग तज जोग गतिह चार अरिर को हन |धारिर कवल पररम धररम दइ तिवध भन |16|नाशिश अरिर शरष शिशवरथान वासी भय |जञानदग अरिर शरष शिशवरथान वासी भय |दीन जन की करण सन लीजिजय |धररम क ननद को पार अब कीजिजय |17|घतता13ः- जय करनाधारी शिशवतिहतकारी तारन तरन जिजहाजा हो |

सवत तिनत वनद रमनआनद भवभय रमटनकाजा हो |18|ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

दोहाः- शरी सपाशव13 पदजगल जो जज पढ़ यह पाठ |अनरमोद सो चतर नर पाव आननद ठाठ ||इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

शीतलनारथ पजाशीतलनाथ नमौ धरिर हाथ स माथ जिजनहो भ गाथ मिमटारय |

अचरयत त चरयत मात सननद क ननद भरय पर बददल आरय ||

श इकषाक विकरयो जिजन भविषत भवयन को भ पार लगारय |

ऐस कपाविनलिध क पद पकज थापत हौ विहरय हष बढारय ||

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदर अतर अतर अतर सौषट |

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

दवापगा स वर वारिर तिवशदध लायो

भगार हरम भरिर भशिकत तिहय बढ़ायो |

रागादिददोरष रमल रमद13न हत यवा

चचAElig पदाबज तव शीतलनारथ दवा ||

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

शरीखड सार वर ककरम गारिर लीनो |

क सग सवचछ मिघशिस भशिकत तिहय धरीनो ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

रमकता-सरमान शिसत तदल सार राज |

धारत पज कशिलकज सरमसत भाज |रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

शरी कतकी पररमख पषप अदोरष लायो |

नौरग जग करिर भग स रग पायो ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

नवदय सार चर चार सवारिर लायो |

जाबनद-परभतित भाजन शीश नायो ||

रागादिददोरष रमल रमदद13न हत यवा |

चचAElig पदाबज तव शीतलनारथ दवा ||

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

सनह परपरिरत सदीपक जोतित राज |

सनह परपरिरत तिहय जजतऽघ भाज ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

कषणागर पररमख गध हताश रमाही |

खवौ तवागर वसकरम13 जरत जाही ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

तिनमबामर कक13 दिट स दातिड़रम आदिद धारा |

सौवण13-गध फल सार सपकव पयारा ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

शभ शरी-फलादिद वस परासक दरवय साज |

नाच रच रमचत बजजत सजज बाज ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली

आठ वदी चत सगभ13 रमाही आय परभ रमगलरप रथाही |

सव शची रमात अनक भवा चचAElig सदा शीतलनारथ दवा ||

ॐ हरी चतरकषणाऽCमरया गभमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |1|

शरी रमाघ की दवादशिश शयारम जायो भलोक रम रमगल सार आयो |

शलनदर प इनदर फतिननदर जजज रम धयान धारौ भवदःख भजज ||

ॐ हरी माघकषणा ादशरया जनममगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |2|

शरी रमाघ की दवादशिश शयारम जानो वरा=य पायो भवभाव हानो |

धयायो शिचदाननद तिनवार रमोहा चचAElig सदा चन13 तिनवारिर कोहा ||

ॐ हरी माघकषणा ादशरया तपोमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |3|

चतद13शी पौरष वदी सहायो ताही दिदना कवल लबधिबध पायो |

शोभ सरमोसतय बखातिन धरमs चचौ सदा शीतल परम13 शरमs ||

ॐ हरी पौषकषणाचतदशरया कल जञानमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |4|

कवार की आठ शदध बदधा भय रमहा रमोकष सरप शदधा |

समरमद त शीतलनारथ सवारमी गनाकर ता स पद नरमारमी ||

ॐ हरी आभिशवनशकलाऽCमरया मोकषमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |5|

जरयमाला

आप अनत गनाकर राज वसततिवकाशन भान सरमाज |

रम यह जातिन गही शरना ह रमोह रमहारिरप को हरना ह |1|

दोहाः- हरम वरन तन तग धन-नवव अतित अभिभरारम |

सर तर अक तिनहारिर पद पतिन पतिन करौ परणारम |2|

जय शीतलनारथ जिजननद वर भव दाह दवानल रमघझर |

दख-भभत-भजन वजर सरम भव सागर नागर-पोत-परम |3|

कह-रमान-रमयागद-लोभ हर अरिर तिवरघयन गयद रमकिगद वर |

वरष-वारिरधवषटन समिषटतिहत परदमिषट तिवनाशन सषट तिपत |4|

सरमवसरत सजत राजत हो उपरमा अभिभरारम तिवराजत हो |

वर बारह भद सभा शिरथत को तितत धरम13 बखातिन तिकयो तिहत को |5|

पहल रमतिह शरी गणराज रज दतितय रमतिह कAपसरी ज सज |

तिSतितय गणनी गन भरिर धर चवरथ तितय जोतितरष जोतित भर |6|

तितय-किवतरनी पन रम गतिनय छह रम भवनसर तितय भतिनय |

भवनश दशो शिरथत सततरम ह वस-किवतर उततरम ह |7|

नव रम नभजोतितरष पच भर दश रम दिदतिवदव सरमसत खर |

नरवनद इकादश रम तिनवस अर बारह रम पश सव13 लस |8|

तजिज वर पररमोद धर सब ही सरमता रस रम=न लस तब ही |

धतिन दिदवय सन तजिज रमोहरमल गनराज असी धरिर जञानबल |9|

सबक तिहत तततव बखान कर करना-रमन-रजिजत शरम13 भर |

वरन रषटदरवय तन जिजतन वर भद तिवराजत ह तिततन |10|

पतिन धयान उभ शिशवहत रमना इक धरम13 दती सकल अधना |

तितत धरम13 सधयान तणो गतिनयो दशभद लख भररम को हतिनयो |11|

पहलोरिर नाश अपाय सही दतितयो जिजन बन उपाया गही |

तिSतित जीवतिवरष तिनजधयावन ह चवरथो स अजीव ररमावन ह |12|

पनरमो स उद बलटारन ह छहरमो अरिर-राग-तिनवारन ह |

भव तयागन चिचतन सपतरम ह वसरमो जिजतलोभ न आतरम ह |13|

नवरमो जिजन की धतिन सीस धर दशरमो जिजनभातिरषत हत कर |

इमिरम धरम13 तणो दश भद भनयो पतिन शकलतणो चद यरम गनयो |14|

सपरथकत-तिवतक13 -तिवचार सही सइकतव-तिवतक13 -तिवचार गही |

पतिन सकषरमतिकरया-परतितपात कही तिवपरीत-तिकरया-तिनरवतत लही |15|

इन आदिदक सव13 परकाश तिकयो भतिव जीवनको शिशव सवग13 दिदयो |

पतिन रमोकषतिवहार तिकयो जिजनजी सखसागर रम=न शिचर गनजी |16|

अब रम शरना पकरी तरमरी समिध लह दयातिनमिध जी हरमरी |

भव वयामिध तिनवार करो अब ही रमतित ढील करो सख दयो सब ही |17|

शीतल जिजन धयाऊ भगतित बढ़ाऊ जयो रतनSय तिनमिध पाऊ |

भवदद नशाऊ शिशवरथल जाऊ फर न भव वन रम आऊ |18|

दिदढ़ररथ सत शरीरमान पचकAयाणक धारी

तितन पद जगपदम जो जज भशिकतधारी |

सहजसख धन धानय दीघ13 सौभा=य पाव

अनकररम अरिर दाह रमोकष को सो शिसधाव ||

इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

कतितरम अकतितरम जिजन चतयालयकतरयाकवितरम-चार-चतरय-विनलरयान विनतरय वितरलोकी-गतान

द भान-वयतर-दयवितरान सगामराासगान |सदगधाकषत-पषप-दाम-चरकः सददीपधपः फलरनीरादय रयज परणमरय भिशरसा दषकमणा शातरय ||

ॐ हरी वितरलोक समबनधिनध कवितरमाकवितरम-चतरयालरयभरयः अरघयरय_ विन 0 साहा

षष-षानतर-पतष नदीशवर रयाविन च मदरष |रयावित चतरयारयतनाविन लोक साभिण द जिजनपगाना ||

अविन ndash तल ndash गताना कवितरमाकवितरमाणान ndash भन ndash गताना दिदवय ndash माविनकाना |इह मनज ndash कताना दराजारचिचतानाजिजनर ndash विनलरयाना भातोऽह समरामिम ||

जब-धातविक-पषकरादध-सधा-कषतर तररय रय भाःचनदराभोज-भिशखविb-कणठ-कनक-परागघनाभा जिजनाः |समरयगजञान-चरिरतर-लकषण-धरा दगधाCकमनधनाः |भतानागत-तमान-समरय तभरयो-जिजनभरयो-नमः ||

शरीमन मरौ कलादरौ रजत-विगरिरर शालमलौ जबकषकषार चतरयकष रवितकर रलिचक कbल मानषाक |इषाकारऽनजनादरौ दलिध-मख-भिशखर वयनतर सगलोकजरयोवितलकऽभिभद भन मविहतल रयाविन चतरयालरयाविन ||

ौ कदद-तषार-हार-धलौ ाविदरनील-परभौौ बधक-सम-परभौ जिजनषौ ौ च विपररयगपरभौ |

शषाः षोbश जनम-मतरय-रविहताः सतपत-हम-परभाःत सजञान-दिदाकराः सरनताः लिसदधिदध पररयचछत नः ||

ॐ हरी कवितरमाकवितरम- चतरयालरय समबनधिनध चतरविशवित जिजनविबमबभरयोऽरघयरय_ विनपामीवित साहा ||

इचछामिम भलिN

इचछामिरम भत चइयभभितत काओस=गो कओ तससालोचउ |अहलोय तितरिरयलोय उडढलोयममिमरम तिकदिटटरमातिकदिटटरमाभिणजाभिण जिजणचइयाभिण ताभिण सववाभिण तीसतिव लोयसभवणवाशिसय वाण-किवतर-जोयशिसय-कपपवाशिसय भिततचउतिवहा दवाः सपरिरवारा दिदववण गधण दिदववण पफफणदिदववण धवण दिदववण चणणण दिदववण वासणदिदववण णहाणण भिणचचकाल अचचतित पजजतित वदतित णरमससतित |अहरमतिव इह सतो ततथ सताइ भिणचचकाल अचचमिरम पजजमिरमवदामिरम णरमससामिरम | दकखकखओ कमरमकखओ बोतिहलाहोसगइगरमण सरमातिहरमरण जिजणगणसपतती होउ रमजझ |अरथ पौवा13मिहनक-रमाधयामिहनक-आपरामिहनक-दववदनाया-पवा13चाया13नकररमण सकल-करम13-कषयारथs भावपजा-वदना-सतव-सरमतशरीपचरमहागर-भचिकत कायोतसगs करोमयहरम ||

(इस परकार आशीवा13द रप पषपाजशिल कषपण कर)

जाव अरिरहताण भयवताण पजजवास करमिरमताव काय पावकमरम दचचरिरय वोससरामिरम |णरमो अरिरहताण णरमो शिसदधाण णरमो आइरिरयाण |णरमो उवजझायाण णरमो लोए सववसाहण ||

(नौ बार णरमोकार रमS 27 शवासोचछवासो रम जाप कर)

शातित पाठशावितनाथ मख शभिश उनहारी शीलगणवरत सरयमधारी

लखन एक सौ आठ विराज विनरखत नरयन कमल दल लाज

पचम चकरतordf पदधारी सोलम तीथ_कर सखकारी

इनदर नरनदर पजरय जिजननारयक नमो शावितविहत शावित विधारयक

दिदवय विटप पहपन की रषा ददभिभ आसन ाणी सरसा

छतर चमर भामbल भारी रय त परावितहारय मनहारी

शावित जिजनश शावित सखदाई जगत पजरय पजो लिसरनाई

परम शावित दीज हम सबको पढ जिजनह पविन चार सघ को

पज जिजनह मकटहार विकरीट लाक इनदरादिदद अर पजरयपदाबज जाक

सो शावितनाथ र श जगतपरदीप मर लिलए करह शावित सदा अनप

सपजको को परवितपालको को रयतीनको को रयवितनारयको को

राजा परजा राषटर सदश को ल कीज सखी ह जिजन शावित को द

हो सारी परजा को सख बलरयत हो धमधारी नरशा

हो रषा समरय प वितलभर न रह वयालिधरयो का अनदशा

हो चोरी न जारी ससमरय परत हो न दषकाल भारी

सार ही दश धार जिजनर षको जो सदा सौखरयकारी

घावित कम जिजन नाश करिर पारयो कलराज

शावित करो त जगत म षभादिदक जिजनराज

(तीन बार शावित धारा द)

शासतरो का हो पठन सखदा लाभ ततसगवित का

सततो का सजस कहक दोष ढाक सभी का

बोल परयार चन विहतक आपका रप रधवारयाऊ

तौलौ सऊ चरण जिजनक मोकष जौलौ न पाऊ

तब पद मर विहरय म मम विहरय तर पनीत चरणो म

तबलौ लीन रहौ परभ जबलौ पारया न मलिN पद मन

अकषर पद मातरा स दविषत जो कछ कहा गरया मझस

कषमा करो परभ सो सब करणा करिरपविन छडाह भदःख स

ह जगबनध जिजनशवर पाऊ तब चरण शरण बलिलहारी

मरणसमालिध सदलभ कमreg का कषरय सबोध सखकारी

(पषपाजलिल कषपण)

(रयहा नौ बार णमोकार मतर का जाप कर)

शातित तिवधान पजाशरी शानविनतनाथ विधान भाषा (विहनदी)

परसताना

अरिरहनत जिजनशवर की अनपम छवि शानविनत सधा धर क उर म

भिशनाथ विनरजन कमजरयी बन जारय बस परभ भिशपर म१

मविननाथ तपोविनलिध सरिर सधी तपलीन रह विनत ही न म

शरत-जञान-सधा बरसात ह गर पाठकनद सभवयन म २

रतनतररय की लिचर जरयोवित जग तप-जाला कम विनाश कर

भ-भोग शरीर विरN सदा इजिनदररय सख की नविह आश कर ३

गनधकटी म विराजिजत परभ ह दिदवय रधवाविन उनकी तो खिखरी

गणराज न गथ क जञान-समन ादश अगो की माल री ४

मगलमरय लोक जिजनोततम ह मगलमरय लिसदध सनातन ह

मगलमरय सरिर सतत धनी मगलमरय पाठक क गन ह ५

मगलमरय ह साध जन जञान सधा रस लीन

जिजन परणीत र धम ह मगलमरय साधीन ६

सब ीपो क मरधवारय म जमब ीप अनप

लण नीर-विनलिध सतजहा खावितका-रप ७

पीछ धातविक-ीप ह दवितरय ीप शरवित सार

कालोदलिध चह ओर ह परिरखा क उनहार ८

पषकर नामक ीप ह कालोदलिध क पार

ताको आधौ भाग ल ढाई ीप समहार ९

ढाई ीप वितरकाल क असखरयात जिजनराज

नदनीरय ज लोक क नदो धम जहाज १०

चनदरकला सम जरयोवित मनोहर अग परभ क राजत ह

पदम पनीत-परभा-सम उजजल दह मनोजञ विराजत ह

कणठ-मरयर सकञचन नीरद तलरय सशोभिभत अग विभा

तीथशवर चौबीस अलौविककरप-विमगध सरनदरसभा ११

भत भविषरयत तमान क चौबीसो जिजनराज

रतनतररय स भविषत अनपमजग म रह विराज १२

अरिरहनत लिसदध वितरलोक पजिजत धमरधवाज आचारय को

मविननद क भिशकषापरदारयकपजरयपाठक आरय को १३

उन साधओ को जो विनरनतर जञान-रधवारयान-परीन ह

तप शानविनत की शलिच साधना म जो सदा तललीन ह १४

करक परणाम वितररयोग स म शानविनतनाथ विधान को

परारभ करता ह बढान भलिN-शरदधा-जञान को १५

लोक क सब गणधरो को भलिN शरदधा भा स

कनदकनदादिदक दिदगमबर मविनरो को चा स १६

करता परणाम विनरय सविहत म धम की हो विनत विजरय

विनरतिरघयन हो रयह पाठ परा ह रयही मरी विनरय १७

शानविनतनाथ भगान क गण ह अपरमपार

ाचसपवित णन कर तो भी पारय न पार १८

शानविनतनाथ विधान का फल

रयह शानविनतनाथ विधान विकसन कब कहा करयो कर विकरया

फल परानविपत जो उसको हई नरभ सफल उसन विकरया १

ततानत उसका म परसग सविहत रयहा णन कर

कलरयाण हो सनकर जगत का रधवारयान रयह मन म धर २

भरत-कषतर क आरय-खणb म भारत भ विखरयात सदश

मथरा नगर हा का शासक सरयश का वितलक नरश ३

राजनीवित म विनपण नरयारयविपररय ीर परजा का पालक भप

साम-दाम क दणb भद स शासन-सचालक अनरप ४

एक बार जब दरयोग स दरतिपाक न विकरया परकोप

गराम दता न करोलिधत होविकरया उपदर शानविनत विलोप ५

महाभरयकर वयालिध विषम अवित फलाई जब विकVर न

दिदन-परवितदिदन अवितपरबल ग स लोग लग परवितदिदन मरन ६

रोग परताडिbत हो जनता अर शासक न मथरा छोडी

वयाधी न कालकपाण लिलए सब जन की विहममत तोडी ७

शकल तररयोदशी क दिदन सहसा सठ समवित हा आए

बादल षा दख सत मन म अवित ही हषाए ८

मथरा नगरी म परश कर मिमल नही तहा नर-नारी

सनी नगरी दख- समवित तब हए दखिखत मन म भारी ९

दख जिजनालरय पज जिजनशवर मविन नारयक क रयग नद

दशन नदन भलिN विनरय कर विनज मन म अवित आननद १०

परशन विकरया तब सठ समवित न नाथ उपारय बता दीज

होगी शानविनत मनीशवर कस विलिधपक समझा दीज ११

चारण ऋभिदधधारी मविनर कह चन अवित सखदाई

शानविनतनाथ जिजन शानविनत विधारयक पज रचो मन हषाई १२

मतरोचचार ॐ नमोऽहत भगत शरी शानविनतनाथारय ॐ हरा हरी हर हरौ हर अ लिस आ उ सा अमकसरय सपदर शानतिनत लकषमीलाभ च कर कर नम (साहा)

विधान क जाप मतर का फल

इस मनतर राज क जपन स मन शदध शानत हो जाता ह

होत ह विरघयन विनC सभी शभ पणरयकोष भर जाता ह १३

धन समपवित अलिधकार परापत हो रयह तो ह साधारण बात

मन मजिनदर म जञान सरय का होता उजजल दिदवय परभात १४

विधान का समरय

इसका विलिध विधान ह भवयो सनो शदध मन स धर रधवारयान

सोलह दिदसी शकलपकष मपरथमदिदस स करो विधान १५

जिजन पजा क प रयनतर का ससथापन पजन शभ कारय

सहसमनतर का जाप करो विनतषोbसदिदन तक सविलिध सआरय १६

पजा क महा विधान म दीप धप फल पषप सगनध

भलिNभारयत करो समरतिपतअशभकम का होरय न बनध १७

शरी शानविनतनाथ सतन

ससार सागर म भटकत पराभिणरयो को ह परभो

आपक ही रयग चरणशभ शरण द सकत विभो

दाानविगन दख-सनताप की सतर ध-ध जल रही

अनराग मारया मोह की छलना विनरनतर छल रही १

करोलिधत भजगम क bस बह पराभिणरयो क गातर म

गारडी-विदया परशम करती ह रयथा कषण मातर म

परभ आपक चरणामबजो का रधवारयान करत भलिN स

सब विरघयन बाधाए विलरयहोती विनजातम शलिN स २

तपत सण क तलरय आप क दिदवय चरण का विनमल रधवारयान

भ-सागर म पड पराभिणरयो क तारण विहत बनता रयान

गीता छद

जरयो रयामिमनी क घन-वितमिमर म लपत भ-आलोक हो

उदयद दिदाकर रडिशमरया करती परकाभिशत लोक को ३

जब तक नही होता उदरय रवि रडिशम का ससार म

तब तक कमलशरी सपत रहती ह सतत कासार म

जब तक नही होती कपा भगान क रयगचरण की

तब तक नही रयह टटती जजीर जीन-मरण की ४

समरथ लोक-अलोक क विजञान म जिजनर परभो

तररयछतर की सषमा विराजिजत जञान म दिदनकर परभो

हो पापकषरय कषणमातर म पदपदम क गणगान स

दपानध लिसह-गजनदर भाग सहज जिजनक रधवारयान स ५

परतरयष ला क ललिलत उजजल दिदाकर सा विमल

जिजननाथ भा-मणbल तमहारा सोहता सरणिणम कमल

दिदवयागनाओ क नरयन मन कर परफडिललत मोहता

तरलोकरय क तम-तोम को करता विदरिरत सोहता ६

बाधारविहत शाशवत विनराकल अनरयतम सख समपदा

नाथ क चरणारविनदो क समागम स सदा

परापत करत भN जन ह भलिN क आधार स

आ रय करया रयदिद पार हो ससार ndash पाराार स ७

ह शानविनतनाथ जिजननदर तर भN विनत पात कपा

भदख स सनतपत जन क हत बन जाती परपा

दर होत दख-दारण नाथ की शभ भलिN स

जरयो घनवितमिमर ह दर होता रविविकरण की शलिN स ८

शरी शानविनतनाथ जिजननदर क इस ससतन को भा स

जो भवयजन पढत विनरनतर ह विनरय स चा स

परिरणाम उनक हो विमल सब विरघयन बाधाए टल

कलरयाण मजिनदर क पलिथक मलिN क पथ पर चल९

विधान परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन ndash मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

सण कलश म जल ल जो विनत जिजन पद पजन करत ह

विन रय ही राजवितलक कीअनमोल समपदा रत ह १

ॐ हरा हरी हर हरौ हर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय जनम जरा मतरय विनाशनारय जल विनपामीवित साहा

कशर कपर चनदन ारा जिजनर क चरणो का अचन

जो करत ह सगreg तक म सरभिभत होत ह उनक तन २

ॐ भरा भरी भर भरौ भर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय ससारताप विनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा

परभ क चरण कमल की पजा विनमल अकषत स करत

कामद सा पा शरीर दीघ आरय जीन धरत ३

ॐ मरा मरी मर मरौ मर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अकषरय पद परापतरय अकषतान विनपामीवित साहा

जो कनद चमली क ारा करत परभ पद पङकज- पजन

पषपोततर विमान ारा समपण सफल करत जीन ४

ॐ रा री र रौ र जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय कामबाण-विरधवानारय पषप विनपामीवित साहा

उजजल सण पातर म लकर सदय पक नदय विमल

अरतिपत करत परभ चरणो म पा जात कलप कष क फल ५

ॐ घरा घरी घर घरौ घर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय कषधारोग विनाशनारय नदय विनपामीवित साहा

उजजल कपर दीप ारा जिजनर की सौमरय आरती स

उदभालिसत कल जोवित जग उसम सनदीपत भारती स ६

ॐ ा ी ौ जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विनपामीवित साहा

चनदन कपर धप ारा जिजनर की शभर अचना स

पाऊ विनरोगतन कानविनतमरयी परभ की विनभिश रयाम नदना स ७

ॐ शरा शरी शर शरौ शर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अCकम विनाशनारय धप विनपामीवित साहा

शरीफल कदली इतरयादिदक स शरी जिजनक चरणो का पजन

मनालिछत फल पात ह पजन जो करत ह भवि जन ८

ॐ खरा खरी खर खरौ खर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय मोकषफल परापतरय फल विनपामीवित साहा

अC दरवय मरय अघररय विमल ल शानविनतनाथ परभ का पजन

करत ह जो भवय शतनदरो स जिनदत हो दिदवय चरण ९

ॐ अ हरा लिस हरी आ हर उ हरौ सा हर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपद परापतरय अघररय विनपामीवित साहा

जरयमाला

जञानरप ओकार नमसत हरी मरधवारय परभ शानविनत नमसत

सनातकरतिष अरिरहनत नमसत दरया धम-परिरपण नमसत१

एकानक-सरप नमसत शरी मचचकराधीश नमसत

शानविनत दीनविपत भिश रप नमसत जञान गभ विनज रप नमसत२

नाना भाषा बोध नमसत आशा पाश विहीन नमसत

पान-गण गण गीत नमसत अC कम-विरधवास नमसत ३

तीथ_कर पद पत नमसत पर सकलप- विहीन नमसत

मलिN ध क कनत नमसत समरयक चारिरत दकष नमसत ४

आतम सभा लीन नमसत रतनतररय- सरयN नमसत

आतम बोध परिरपण नमसत उभरय लोक सखदारय नमसत ५

करणा सागर नाथ नमसत ाणी विशव विहतारय नमसत

शानविनतनाथ परमश नमसत तीवर गरल-हर दकष नमसत ६

करश अतस नमसत ऋविष लिचत हरतिषत करण नमसत

कल करमकारिर जिजननदर नमसतसदा विलिचतर सरप नमसत ७

हरी बीज रशामिरय नमसत धीर ीर भननदर नमसत

विरघयनविनाशक शानविनत नमसत पराभिण नाथ त नाम नमसत ८

भरय हता विनभordfक नमसत दिदवय धनी भिश रप नमसत

धम धरधर धीर नमसत विनज चतनरय लीन नमसत ९

शानविनत जिजनाCक को जो भविजन धार विनतरय हदरय म

सख समपवित ऐशवरय परापत हो सशरय नही विजरय म १०

ॐ हरी जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

परथम लरय पजा परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तबकषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

ह बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन१

ॐ हरी अशोकतरसतपरावितहारय-मचचिणbतारय अशोकतररयNपदपरदारय हमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

भ बीजाकषर का आशररय लकरता शानविनतनाथ पजन २

ॐ हरी सरपषपविCसतपरावितहारय मचचिणbतारय सरपषपविCरयNपदपरदारय भमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

म बीजाकषर का आशररय लकरता शानविनतनाथ पजन३

ॐ हरी दिदवयरधवाविनसतपरावितहारय मचचिणbतारय दिदवयरधवाविनरयNपदपरदारय ममलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

र बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन ४

ॐ हरी चामरोततोलनसतपरावितहारय मचचिणbतारय चामरोततोलनरयNपदपरदारय मलवररय_ बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

घ बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन५

ॐ हरी लिसहासनसतपरावितहारय मचचिणbतारय लिसहासनरयNपदपरदारय रघयमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

झ बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन६

ॐ हरी भामbलसतपरावितहारय मचचिणbतारय भामbलरयNपदपरदारय झमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

स बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन ७

ॐ हरी दनदभिभसतपरावितहारय मचचिणbतारय दनदभिभरयNपदपरदारय समलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

ख बीजाकषर का आशररय लकरता शानविनतनाथ पजन८

ॐ हरी छतरतररयसतपरावितहारय मचचिणbतारय छतरतररयरयNपदपरदारय खमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

ह भ म र घ झ स ख बीजरयत णन कर भरपर

सतोतर अघररय स पजत विरघयन ग हो दर ९

ॐ हरी अCपरावितहारय सविहतारय अCबीजमbनमचचिणbतारय सविरघयनशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय पणाघररय विनपामीवित साहा

वितीरय लरय पजा परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

भलिN भा रयत परभ पजन को इनदर जिजनालरय जा

तीथ_कर पदी क कारण शरी जिजनक गण गा

शरी जिजन परभ क पद पङकज की पजा इनदर रचा

दशन जञान अननत सखामत बल विकरम पा १

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमानस अहतपरमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अC कम स मN विनरजन लिसदध सरपी राज

कषामिरयक समरयक आदिद गणोततम सीमातीत विराज

भत भविषरयत तमान क लिसदध अननत विनरजन

विनजसरप म लीन परभ का करता पजन दन २

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमान सलिसदध-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पञचाचार- विभविषत गरर आतम-जरयोवित जगा

जञान तपो विनलिध कम दलन को रधवारयान-कठार उठा

शानविनत सधाकर की शलिच शीतल रडिशम-परकाश परसार

सघ चतरतिध क अलिधनारयक काम-महारिरप मार३

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमान-साचारय-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझतविनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

ादश अग विभविषत मविनर पाठक साध सधी क

मान विमदन करत विनमद आतम सधा रस पी क

रधवारयाना-रधवारयरयन विनरनतर जिजनक भिश-साधन दशा

इCा-विनC सरयोग विरयोग हष-विषाद नशा ४

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद- तमान-सपाठक-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जञान रधवारयान तप लीन विनरनतर समता-सादक रयोगी

विषरयातीत-सरप जिजतजिनदररयआतम सरस क भोगी

रधवारयान कपाण लिलए मविन रयोगी कम-महारिरप मार

गण Ÿोणी रयत कर विनजरा विनज गण रप विचार ५

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमान-ससाध-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पचचीस दोषो स रविहत अCाङग समरयग दशनम

अहनत आगम गररो काम करो विनत अचनम ६

ॐ हरी जगदापविनाशनहत शदधसमरयकतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान-बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

ादशाङग जिजननदर-ाणी जञान ndash दोष ndash विरजिजतम

समरयखिगभविषत आतम जरयोवित परकाश को शत नदनम ७

ॐ हरी जगदापविनाशनहत शदधसमरयजञानामलतर-खणbोडिजझत-विनदान-बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

गनविपतरया तररय समिमवित पाचो और पञच महावरतम

तरह परकार चरिरतर समरयक का करो म पजनम ८

ॐ हरी जगदापविनाशनहत शदधसमरयकताचारिरतरामलतर-खणbोडिजझत-विनदान-बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जञानारणी पञच परकवितरया परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी ९

ॐ हरी जञानारण-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

दशनारणी कम परकवित न परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी१०

ॐ हरी दशनारण-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

दनीरय विलिध सखदख दारयक परभ न उभरय विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी११

ॐ हरी दनीरय-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अCा-विशवित परकवित मोह की परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १२

ॐ हरी परचणbमोहनीरय-कमबध-बधनकत सवित ततकम-विपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

आरय कम की परकवित चार ह परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १३

ॐ हरी आरय-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनत नाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नाम कम की परकवित नवित तररय परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १४

ॐ हरी नाम-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनत नाथारय अघररय विनपामीवित साहा

गोतर कम की परकवित शभाशभ परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागरपजो पद अविनाशी १५

ॐ हरी गोतर-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अनतरारय विलिध पञच परकवितरया परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १६

ॐ हरी अतरारय-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

दशन जञान चरण स भविषत पञच परम पद पाऊ

शानविनतनाथ जिजन क चरणो म विनत परवित अघ चढाऊ १७

ॐ हरी पचपरमविषठ-पदपरदारय दशन-जञान-चारिरतर-कारकारय अCकमविनारणारय शरीशानविनतनाथारय पणाघररय विनपामीवित साहा

ततीरय लरय पजा परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

विनज-परिरार सविहत असरो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा १

ॐ हरी असरकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत नागो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा २

ॐ हरी नागकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत विदयत क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ३

ॐ हरी विदयतकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत सपण क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ४

ॐ हरी सपणकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत पाक क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ५

ॐ हरी अनविगनकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत मारत क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ६

ॐ हरी ातकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत मघो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ७

ॐ हरी सतविनतकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत सागर क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ८

ॐ हरी उदलिधकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत ीपो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ९

ॐ हरी ीपकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत दिदकसर क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १०

ॐ हरी दिदककमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत विकVर क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ११

ॐ हरी विकVरनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विकमपरषो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १२

ॐ हरी विकमपरषनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

महोरगो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १३

ॐ हरी महोरगनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

गध क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १४

ॐ हरी गनधनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

रयकषसरो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १५

ॐ हरी रयकषनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

राकषसगण क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १६

ॐ हरी राकषसनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भतसरो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १७

ॐ हरी भतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

सरविपशाच क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १८

ॐ हरी विपशाचनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जरयोवितविषरयो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १९

ॐ हरी चदरनामकनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जरयोवितविषद परतीनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २०

ॐ हरी भासकरनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इदरामर सौधम सग क भN जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा २१

ॐ हरी सौधमनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इदरामर ईशान सग क भN जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २२

ॐ हरी ईशाननदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

सनत सग क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २३

ॐ हरी सनतकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इनदरामर माहनदर सग क भN जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २४

ॐ हरी माहनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

बरहमसग क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २५

ॐ हरी बरहमनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लानत क सर इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २६

ॐ हरी लानतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शकर सग क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २७

ॐ हरी शकरनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथपदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शतारनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २८

ॐ हरी शतारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

आनतनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २९

ॐ हरी आनतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराणतनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ३०

ॐ हरी पराणतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

आरणनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ३१

ॐ हरी आरणनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अचरयतनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ३२

ॐ हरी अचरयतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

बततीस इनदरो स परपजिजत शानविनतनाथ जिजनश को

परिरपण अघ चढारय पाऊह परभो भिशलोक को ३३

ॐ हरी चतरणिणकारयदनदरपजिजतारय शरीशानविनतनाथारय पणाघररय विनपामीवित साहा

चतथ लरय पजा परारभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

सतवितलका छद

मन क विकार सब नाशन हत तरी

पजा परशात करती लगती न दरी

ह शानविनतनाथ भगन भतापहारी

सादर परणाम तमको अघ नाशकारी १

ॐ हरी मानलिसक विकारोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

ाणी पररयतनकत दोष विनारन को

पजा समथ भविजनम सधारन को

ह शानविनतनाथ भगन भतापहारी

सादर परणाम तमको अघ नाशकारी २

ॐ हरी ाचविनक विकारोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

कारया कठार कत पाप परणाशकारी

अचन सशN सतर परदोषहारी

ह शानविनतनाथ भगन भतापहारी

सादर परणाम तमको अघ नाशकारी ३

ॐ हरी कामिरयक-पापोदभोपदरविनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

राजरयशरी पर गह नाश सो होरय उपदर भारी

उनक नाशन हत परभ की पजा मगलकारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ४

ॐ हरी राज-लकषमी-पर-गह-पदभरCोद-भोपदर-विनारकारय शरी शानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पपारजिजत कम उदरय सो घोर विपलितत सता

लकषमी हीन दरिरदरी नर विनत तीवर महा दख पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ५

ॐ हरी दारिरदरोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भीम भगदर कC जलोदर आदिदक रोग घनर

वयालिध उपदर कम विनाशन हत जजो पद तर

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ६

ॐ हरी भीम-भगदर-गलिलतकषठ-गलम-जलोदर-रN-विपतत-कफ-ात-सफोटकादयप-दर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इC विरयोग अविनC रयोग स जी महा दख पा

विनज परिरणवित को भल मोही आत रौदर उपजा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ७

ॐ हरी इCविरयोगाविनCसरयोगोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विनज सना ा पर सना कत घोर उपदर आ

धमाराधन रधवारयान विमख तब पराभिण महा दख पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ८

ॐ हरी सचकर-परचकरोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

नाना आरयध दह विनाशक घोर उपदर आ

आत रौदर की परिरणवित वयाप कोई नही बचा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ९

ॐ हरी विविधारयधोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जलचर पराणी दC नकर औ मतसरय महा भरयकारी

कम उदरय जल बीच सतावयाकल हो नरनारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १०

ॐ हरी दCजलचरजीोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

न पत क मरधवारय चतषपद लिसह गजादिदक परानी

आकरामक न विनतरय सता कर दC मनमानी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ११

ॐ हरी वयाघर-लिसह-गजादिदक-न-पत-ालिसशवापदादयपदर-विनारकारय शरीशानविनत नाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भचर खचर करर जी कत तीवर उपदर आ

आशापाश बधा रयह पराणी परपरणवित लिलपटा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार १२

ॐ हरी भचर-गगनचर-करर-जीोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भीम भजगम भि क भीषण घोर विषल पराणी

विषम हलाहल दत दशन स पीडिbत हो जग पराणी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १३

ॐ हरी वयाल-भि कादिद-विष-ददरधरोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नख शगादिदक तीकषण विषल जीो क दखकारी

कम असाता पररिरत पराणी भगत दख अवित भारी

शानविनतनाथ क पद पकज जोमन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १४

ॐ हरी दCजी-पद-कर-नखोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

न पशओ क दाढ सीग नख अवित विकराल घनर

चच तb दतादिदक कत दख घोर असाता घर

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १५

ॐ हरी चच-तb-दाढ-कटकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

दाानल न मरधवारय भरयकर खग मग कष जला

जी असाता कमदरय स घोर महा दख पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार१६

ॐ हरी दाानलोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

घोर परचb पन का दजरय ग भरयकर धा

सागर मरधवारय परचb लहर की भीम भर लहरा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १७

ॐ हरी परचणb-पनोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नौका पोत सफोट उदलिध म दारण दख परदाता

सागर मरधवारय पतन जब हो कम विपाक असाता

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १८

ॐ हरी नौका-सफोट-पतनोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

न पत भमbल मरधवारय उदिदत उपदर भारी

परभ पजा स दर सभी हो फल हो मगलकारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १९

ॐ हरी न-नग-मदिदनी-भरयकरोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

सरिरता सागर कप सरोर झील जलाशरय ापी

इनक उपसगreg स रकषण पाता पीडिbत पराणी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २०

ॐ हरी नदी-सरोरानधिEcirc-कप-हदोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विदयतपात भरयकर षा ओला पाला पानी

द विपाक अनक उपदर पीडा की मनमानी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २१

ॐ हरी विदयतपातादिद-भीमामब-षटयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

रयदधसथल क मरधवारय शतर दल श अनक चला

कम असात अकाल मरण दख सब ही पराणी पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २२

ॐ हरी सगराम-सथलादिदविनकटोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

bाविकविन शाविकविन भत परत अर चोर विपशाच घनर

कमreg क परिरपाक विषम सो रहत विनशदिदन घर

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २३

ॐ हरी bाविकनी-शाविकनी-भत-विपशाचादिदभरय विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

उचचाटन सममोहन थमभन घोर उपदर आ

विदया दC विविध रपो म आकर विनतरय सता

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २४

ॐ हरी मोहन-सतमभनोचचाटन-परमख-दCविदयोपदर विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

दC नगरह कत पीडाए कम उदरय स आ

अजञानी मिमथरयाती मरख कगर कद मना

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २५

ॐ हरी दCगरहादयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लोह शखला क दढ बधन अग उपाग दखा

पीडिbत जी महा दख पाकर हाहाकार मचा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २६

ॐ हरी शखलादयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अलप आरय कत कम रयोग स जनम मरण दख भारी

मन म वयापत परचb विकलता दखिखरया सब ससारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २७

ॐ हरी अलपमतरयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कम उदरय दरणिभकष उपदर अVाभा सता

जठरानल की भीषण जाला पराणी को विबलखा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २८

ॐ हरी दरणिभकषोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अतरारय रयह लाभ विरोधी कम उदरय जब आ

वयापारादिदक भिदध न हो धन समपलितत नशा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २९

ॐ हरी वयापारभिदध-रविहतरयोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

सबधी परिरार भरात सत बन अकारण बरी

घोर उपदर कर विनरतर वयाप विपद घनरी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ३०

ॐ हरी बधतोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अकटमबी सतान विबना विनत अवित सकलभिशत हो

मिमथरया मोह उदरय स पररिरत पराणी रो धो

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ३१

ॐ हरी अकटमबतोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पाप उदरय अपकीरतित दखद हो आकलता उपजा

मन सताप महा दख जाला सब सख शानविनत जला

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ३२

ॐ हरी अपकीतररयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विशव विहतारय उदार भाना विनमल मगलकारी

समरयकदशन जञान चरिरत रयह हो सद विहतकारी

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३३

ॐ हरी समपणकलरयाण-मगलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लिचतामभिण क तलरय लाभपरद शानविनत परभ को रधवारया

कर अचना विनतरय चा स अवितशरय शभ फल पा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३४

ॐ हरी लिचतामभिणसमान-लिचवितत-फलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कलपकष क समफल दाता पाप-ताप विनशारय

शानविनत जिजनशवर का आराधन शभ मगल महकाए

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३५

ॐ हरी कलपकषोपमकचचिलपताथ-फलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कामधन क तलरय अनपम स मनोरथ दाता

रयही अचना मगलकारी सख आनद परदाता

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३६

ॐ हरी कामधनपमकामनापण-फलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

परम समजजल रधवारयान धर तो मट पथ की बाधा

रयही अचना मगलकारी हर लती दख बाधा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३७

ॐ हरी परमोजजल-धमरधवारयान-बाधारविहतारय-अनदयबोधपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

तरलोकरय क सब पराभिणरयो को नतर का उतस कर

मनलिसज सदश सौनदरय पा जो परभ पजा कर

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३८

ॐ हरी कामदसरपपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कपर चदन अगर पकज तलरय सरभिभत दह हो

रयदिद शानविनत जिजन की अचना म अमल विन ल नह हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३९

ॐ हरी सगलिधतशरीरपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भवयामबजो को विनत परफडिललतनाथ का भामणbलम

रवि रडिशमत करता परकाभिशत शानविनतजिजन गणमbलम

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४०

ॐ हरी तरलोकरयनाथाहलाद-कारक-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कषीर सागर की समजजल अमल लहरो स धल

दता गात विनरतर आपक सदगण विमल

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४१

ॐ हरी परमोजजल-गणगण-सविहत-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

ाचसपवित क तलरय विनमल विशद-परवितभादामिरयविन

आपकी ह अचना जरयो परणिणमा की चादनी

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४२

ॐ हरी ाचसपवितसमान-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नविनलिध चतदश रतन का सामिमत जो चकरश को

नर द इदर नरनदर दिदत पजता तीथश को

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरीशानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४३

ॐ हरी चकररतित-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपद-परापतरय अघररय विनपामीवित साहा

दोनो कलो की कीरतित को विनज गण विभविषत जो कर

मलिN रमा रती उनह जो शानविनतजिजन पजा कर

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४४

ॐ हरी उभरयकल-कमल-विकासन-परवितविषठत-गणमचचिणbतारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अचना शभभा स अरिरहत की जो विनत कर

शराकोततम वरतधरन सद बभिदध को नर र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४५

ॐ हरी शराक-सततकरण-बभिदधपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शारदी न जरयोतसना सम कीरतित का विसतार हो

परभ अचना ही मातर इक जो पराण का आधार हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४६

ॐ हरी परमोजजल-कीरतितपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कलरयाण कतररी राज लकषमी धनद सम नर र

जिजन राज की शभ भाना स जो सतत पजा कर

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४७

ॐ हरी कलरयाणकर-राजधनदसम-लकषमीपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

वितरय_च नारक भ कभी जिजन भN को मिमलता नही

नर द भ शभ लोक म परभ भN पात हर कही

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४८

ॐ हरी नरक-वितरय_च-गवितरविहत-नर-सर-गवितसविहत-भपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भाना षोbश विमल परभ अचना स परापत हो

तीथ_कर पदी मिमल जिजसस विक विन रय आपत हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४९

ॐ हरी षोbशकारण-भाना-साधन-बलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

लोक दलभ सपन सोलह नाथ माता दखती

एक जननी पद परस पजा सविहत अलोकती

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५०

ॐ हरी जिजनजननी-तलरयकजननी-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

तीथश न सर शल पर होता विशद अभिभषक ह

जिजन अचना का हदरय जिजनक परकट विमल विक ह

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश कीम विनत कर आराधना ५१

ॐ हरी मरभिशखर-सनानरयN-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

ससार भोग शरीर स विनद दीकषा दारयकम

नर जनम परभ की अचना स मिमल शभभिश कारकम

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५२

ॐ हरी लिसदधसाभिकष-दीकषाकारिर-भपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजन चदर क सालोक शासन क असीम परभा स

सहनन जर षभ तथा नाराच पजन भा स

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५३

ॐ हरी जरषभनाराच-सहनन-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

रतनतररयामत स विभविषत रधवारयान क उपरयोग स

विनमल रयथा विखरयात हो जिजन अचना क रयोग स

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५४

ॐ हरी रयथाखरयात-रतनतररयाचरण-रयN-बलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विनज रधवारयान म तललीन आतम साद अमत चख सक

तीथश शानविनत जिजनश पजन स विनजातम लख सक

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५५

ॐ हरी सातम-रधवारयानामत-सादसविहत-भपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

राजती बारह सभा जिजन समसरण सदा

तरलोकरय पवित की अचना स परापत होती सख परदा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५६

ॐ हरी समसरण-विभवित-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजनराज परभ की दिदवय रधवाविन दिदनरात म चौबार हो

जिजसका शरण कर भविक को कलरय अपरपार हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५७

ॐ हरी सतकलजञान-विभवित-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अC कमreg स रविहत गण अC रयत परमातमा

विनभरय विनरजन लिसदध पद पाता सधी धमातमा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५८

ॐ हरी विनरजन-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लिचतत को आनद दती नाथ की दिदवयाचना

परभ क पजारी की कर सर लोक म सर दना

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५९

ॐ हरी लिचदानद-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजनक विमल मखचदर स अमतचन अनपम झर

तरलोकरय की विनलिधरया सकल परभ क पजारी को र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६०

ॐ हरी चनानद-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजननाथ क तन की अलौविकक दिदवय अण अण की परभा

दखकर होती परफडिललत हष स बारह सभा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६१

ॐ हरी कारयानद-करण-समथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

साथ गreg का परशाधक नाथ मनसा लिचतनम

तीथश की दिदवयाचना का ह महत अवितशरय फलम

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश कीम विनत कर आराधना ६२

ॐ हरी अथग-लिसभिदध-साधन-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

परभ क गणो का ससतन विनज ाभिण ीणा स कर

काम ग परसालिधनी उतकC मविहमा को र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना६३

ॐ हरी कामग-लिसभिदध-साधन-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

जिजननाथ पजा स सफल विनज दह को जो नर कर

आ रय करया रयदिद मोकष लकषमी को सहज ही र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६४

ॐ हरी मोकष-परषाथ-लिसभिदध-साधन-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विनरचिलपत शरी जिजनराज चौसठ ऋभिदधरयो क नाथ ह

शत इदर क झकत सतत पद पकजो म माथ ह

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश कीम विनत कर आराधना ६५

ॐ हरी चतषविषठ-ऋभिदधसमानागारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शत एक विशवित तीथकर जिजनचदर की पजा करो

विरघयनौघ क शानतरयथ म पणाघररय चरणो म धरो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६६

ॐ हरी शतकिशवित-कोषठ-सथाविपतारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अरिरहत क अवितरिरN कोई ह नही जग म शरण

ससार सागर म परभ क चरण ह तारण तारण

इतीCपराथना कता पषपाजिल भिकषपत

(विनमनाविकत मतर का १०८ बार जाप रया आहवितरया द)

ॐ हरी जगचछानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय नम सपदर-शानतिनत कर कर साहा

जरयमाला

शानविनतनाथ भगान क गण ह अपरपार

विनराधार ससार म भNो क आधार १

पचम शरी चकरीश ह ादश रवितनाथ

षोbश तीथश को सदा नाऊ माथ २

पदधरिर छनद

जरय शानविनत परभो लिचदरपराज जग जल विनलिध म अदभत जहाज

जरय कम विनाशक शानविनतनाथ जरय विरघयन विनाशक शानविनतनाथ

जरय गण ारिरलिध ह शानविनतनाथ जरय मलिNध क पराणनाथ

जरय आतम विहतकर शानविनतनाथ जरय कम विनाशक शानविनतनाथ

जरय पाप विनाशक शानविनतनाथ भनतररय-जञारयक शानविनतनाथ

जरय समरयक दारयक शानविनतनाथ भिशमाग-विधारयक शानविनतनाथ

जरय भगहभजन शानविनतनाथ जरय अलख विनरजन शानविनतनाथ

जरय ऐरासत शरी शानविनतनाथ वितरभनतराता विहत शानविनतनाथ

जरय शानविनतनाथ भिश क दारयक जरय विहत-सदशक अघहारक

जरय जनम-जरा-मत-सहारक जरय रोगशोक हर सखदारयक

भिश सख क साधन शानविनतनाथ भ भरय क भजक शानविनतनाथ

जरय मानबली क मद मदक जरय शानविनतनाथ गण गणधक

कमreg क दख सहारक हो भरय भत विपशाच विनारक हो

नगरहकत बाधा दर करो वयालादिद विपवित चकचर करो

जरय भवय सरोज दिदाकर हो जरय भिश सख पदम परभाकर हो

भवि जीन तारण कारण हो शरी शानविनतनाथ भिश नारयक हो

ॐ हरी जगचछानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय जरयमाला-पणाघररय विनपामीवित साहा

नम

ॐ हरी शरीमनत भगनत कपालसनत शरीषभादिद ndash महाीरपरयनत-चतरविशवित -तीथङक iuml रपरमद आदयाना आदय जमबीप भरतकषतर आरयखणb helliphelliphelliphelliphelliphelliphellipनानविमन नगरhelliphelliphelliphelliphellipमासानामततमhelliphellip मास शभपकष helliphellipवितथौhelliphellip ासरhelliphellip मनरयारयिरयका-शराक-शराविकाणा सकलकमकषरयाथ_ अनघपदपरापतरय समपणाघररय विनपामीवित साहा

चतरतिवश तीरथsकर सवतित पाठशरीषभो नः सचचिसत सचचिसत शरीअजिजतः |

शरीसभः सचचिसतसचचिसत शरीअभिभनदनः |शरीसमवितः सचचिसत सचचिसत शरीपदमपरभः |शरीसपाशवः सचचिसत सचचिसत शरीचनदरपरभः |शरीपषपदतः सचचिसत सचचिसत शरीशीतलः |शरी शररयानसः सचचिसत सचचिसत शरीासपजरयः | शरीविमल सचचिसत सचचिसत शरीअनतः |शरीधमः सचचिसत सचचिसत शरीशानविनतः |शरीकथः सचचिसत सचचिसत शरीअरहनाथः |शरीमडिललः सचचिसत सचचिसत शरीमविनसवरतः |शरीनमिमः सचचिसत सचचिसत शरीनमिमनाथः |शरीपाशवः सचचिसत सचचिसत शरीदधमानः |

इवित शरीचतरविशवित तीथ_कर-सचचिसत मगल विधान पषपाजलिल भिकषपामिम |

तिनवा13ण काडदोहा

ीतराग दौ सदा भासविहत लिसरनारयकह काb विनाण की भाषा सगम बनारय

अCापद आदीशवर सामी बास पजरय चपापरनामीनमिमनाथसामी विगरनार दो भा भगवित उरधार १

चरम तीथ_कर चरम शरीर पाापरी सामी महाीरभिशखर सममद जिजनसर बीस भा सविहत दौ विनशदीस २

रदतरारय रइद मविनद सारयरदतत आदिदगणदनगरतारर मविन उठकोविb दौ भा सविहत करजोविड ३

शरी विगरनार भिशखर विखरयात कोविb बहततर अर सौ सातसब परदमन कमार भारय अविनरदध आदिद नम तस पारय ४

रामचदर क सत ीर लाbनरिरद आदिद गण धीरपाचकोविड मविन मलिN मझार पााविगरिर बदौ विनरधार ५

पाb तीन दरविb राजान आठकोविड मविन मलिNपरयानशरी शतरजरय विगरिर क सीस भा सविहत दौ विनशदीस ६

ज बलभदर मलिN म गए आठकोविड मविन औरह भरयशरी गजपथ भिशखर सविशाल वितनक चरण नम वितह काल ७

राम हण सगरी सbील गगाखरय नीलमहानीलकोविड विनणरयान मलिN परयान तगीविगरी दौ धरिररधवारयान ८

नग अनग कमार सजान पाच कोविड अर अध परमानमलिN गए सोनाविगरिर शीश त दौ वितरभनपवित इस ९

राण क सत आदिदकमार मलिN गए रातट सारकोविड पच अर लाख पचास त दौ धरिर परम हलास १०

रा नदी लिसदधरकट पभि म दिदशा दह जहा छट चकरी दश कामकमार उठकोविड दौ भपार ११

बडानी बडनरयर सचग दभिकषण दिदभिश विगरिरचल उतगइदरजीत अर कभ ज कण त दौ भसागर तण १२

सरण भदर आदिद मविन चार पााविगरिरर भिशखर मझारचलना नदी तीर क पास मलिN गरय बदौ विनत तास १३

फलहोडी बडगराम अनप पभि म दिदशा दरोणविगरिर रपगर दततादिद मविनसर जहा मलिN गए बदौ विनत तहा १४

बाली महाबाली मविन दोरय नागकमार मिमल तररय होरय

शरी अCापद मलिN मझार त बदौ विनतसरत सभार १५

अचलापर की दशा ईसान जहा मढविगरिर नाम परधानसाड तीन कोविड मविनरारय वितनक चरण नम लिचतलारय १६

शसथल न क दिढग होरय पभि म दिदशा कनथविगरिर सोरयकलभषण दिदभिशभषण नाम वितनक चरणविन कर परणाम १७

जशरथराजा क सत कह दश कलिलग पाच सो लहकोदिटभिशला मविनकोदिट परमान दन कर जौर जगपान १८

समसरण शरी पाशवजिजनदर रलिसदीविगरिर नरयनानदरदततादिद पच ऋविषराज त दौ विनत धरम जिजहाज १९

सठ सदशन पटना जान मथरा स जमब विनाणचरम कलिल पचमकाल त दौ विनत दीनदरयाल २०

तीन लोक क तीरथ जहा विनत परवित दन कीज तहामनचकारय सविहत लिसरनारय दन करविह भविक गणगारय २१

सत सतरहसो इकताल आभिशवन सदी दशमी सविशालlsquoभरयाrsquo दन करविह वितरकाल जरय विनाण काb गणमाल २२

सवयमभ सतोS किहदीसवयभसतोS-भारषा

रमल (ससकत) रचना आचाय13 सरमतभदरभारषा (तिहनदी) अनवाद कतिवशरी दयानतरायतिवदवानो योतिगयो और तयागी-तपबधिसवयो क पजय सवारमी आचाय13 सरमतभदर सोतसाह रमतिन जीवन वयतीत कर रह रथ उस सरमय असाता वदनीय करम13 क परबल उदय स उनह lsquoभसरमकrsquo नारम का रमहारोग हो गया रमतिनचया13 क दौरान इस रोग का शरमन होना असभव जानकर उनहोन अपन गर स सAलखना धारण करन की आजञा चाही| गर रमहाराज न कहा तिक आप क दवारा जिजन-शासन की तिवशरष परभावना होनी ह सAलखना का सरमय अभी नही आया हरोग-शरमन हत पौमिषटक भोजन की आजञा लकर आपन दिदगमबर वरष का तयाग तिकया और काची रम रमशिलन वरषधारी दिदगमबर रह राजा न उनह सही-सही परिरचय बतान क शिलए कहा सरमतभदर न कहा तिक रम आचाय13 ह शासSारचिरथयो रम शरषठ ह पलपिणडत ह जयोतितरषी ह वदय ह कतिव ह रमातिSक-तातिSक ह ह राजन इस सपण13 पथवी रम रम आजञा शिसदध ह अमिधक कया कह शिसदध सारसवत ह और अब आपक समरमख जन-वादी खड़ा ह जिजसकी शशिकत हो रमझस शासSारथ13 कर लउनहोन चौबीस तीरथक13 रो का सतवन शर तिकया जब व आठव तीरथsकर चनदरपरभ का सतवन कर रह रथ तब चनदरपरभ भगवान की रमरतित परकट हो गरइ13इ सतवन पण13 हआ यह सतवन lsquoसवयभसतोSrsquo क नारम स परशिसदध ह यह करथा बर नमिरमदतत करथाकोश क आधार पर ह

(चौपारइ13इ छनद)राजतिवरष जगलतिन सख तिकयो राजतयाग भतिव शिशवपद शिलयो |सवयबोध सवयभ भगवान वद आदिदनारथ गणखान ||१||

इनदर कषीरसागर जल लाय रमर नहवाय गाय बजाय |रमदन तिवनाशक सख करतार वद अजिजत अजिजत-पदकार ||२||

शकलधयान करिर कररम तिवनाशिश घातित-अघातित सकल दख राशिश |लहयो रमकतितपद सख अतिवकार वद सभव भव-दख टार ||३||

रमाता पभिशचरम रयन रमझार सपन दख सोलह सार |भप-पशिछ फल सतिन हररषाय वद अभिभनदन रमन लाय ||४||

सब कवादवादी सरदार जीत सयादवाद-धतिन धार |जनधररम-परकाशक सवारम सरमतितदव पद करह परणारम ||५||

गभ13 अगाऊ धनपतित आय करी नगर-शोभा अमिधकाय |बरस रतन पचदश-रमास नरम पदरमपरभ सख की राश ||६||

इनदर फणीनदर नरनदर तिSकाल बानी सतिन-सतिन होकिह खशाल |दवादश सभा जञान-दातार नरम सपारसनारथ तिनहार ||७||

सगन शिछयाशिलस ह तरम रमाकिह दोरष-अठारह कोऊ नाकिह |रमोह-रमहातरम-नाशक दीप नरम चदरपरभ राख सरमीप ||८||

दवादशतिवध तप कररम तिवनाश तरहतिवध-चारिरS परकाश |तिनज अतिनचछ भतिव इचछकदान वद पषपदत रमन-आन ||९||

भतिव-सखदाय सरग त आय दशतिवमिध धररम कहयो जिजनराय |आप-सरमान सबतिन सख दह वद शीतल धरम13-सनह ||१०||

सरमता-सधा कोप-तिवरष-नाश दवादशाग-वानी परकाश |चार सघ-आनद-दातार नरम शरयास जिजनशवर सार ||११||

रतनSय शिसरा रमकटा तिवसाला सोभ काता सगना रमभिण रमाला रमशिकतनारा भतता13 भगवान वासपजय वद धारा धयाना 12

पररम सरमामिध-सवरप जिजनश जञानी-धयानी तिहत-उपदश |करम13 नाशिश शिशव-सख-तिवलसत वद तिवरमलनारथ भगवत ||१३||

अतर-बातिहर परिरगरह टारिर पररम दिदगबर-वरत को धारिर |सव13जीव-तिहत-राह दिदखाय नरम अनत वचन रमनलाय ||१४||

सात तततव पचासतितकाय नव-पदारथ13 छह दरवय बताय |लोक अलोक सकल परकाश वद धरम13नारथ अतिवनाश ||१५||

पचरम चकरवरतित तिनमिधभोग कारमदव दवादशरम रमनोग |शातितकरण सोलरम-जिजनराय शातितनारथ वद हररषाय ||१६ ||

बह रथतित कर हररष नकिह होय किनद दोरष गह नकिह कोय |शीलवान परबरहम-सवरप वद करथनारथ शिशवभप ||१७||

दवादश-गण पज सखदाय रथतित-वदना कर अमिधकाय |जाकी तिनज-रथतित कबह न होय वद अर जिजनवर-पद दोय ||१८||

परभव रतनSय-अनराग इहभव बयाह-सरमय वराग |बाल-बरहम-परन-वरत धार वद रमलपिAलनारथ जिजनसार ||१९||

तिबन उपदश सवय वराग रथतित लोकात कर पग लाग |नरम शिसदध कतिह सब वरत लकिह वद रमतिनसवरत वरत दकिह ||२०||

शरावक तिवदयावत तिनहार भगतित-भाव सो दिदयो अहार |बरसी रतन-राशिश ततकाल वद नमिरम परभ दीनदयाल ||२१||

सब जीवतिन की बदी छोतिड़ राग-दवरष दव-बधन तोर |राजल तजिज शिशव-तितय सो मिरमल नमिरमनारथ वद सख तिनल ||२२||

दतय तिकयो उपसग13 अपार धयान दगनिख आयो फतिनधार |गयो करमठ-शठ रमख कर शयारम नरम रमरसरम पारस सवारम ||२३||

भव-सागर त जीव अपार धररम-पोत रम धर तिनहार |डबत काढ़ दया-तिवचार वदध13रमान वद बह-बार ||२४||

(दोहा)चौबीसो पद-करमल-जग वद रमन वच काय |lsquoदयानतrsquo पढ़ सन सदा सो परभ कयो न सहाय |

दिदपतरयौहार ससकवित और सभरयता क परतीक ह तथा उनका समबनध भी पराचीन महततपण घटनाओ स जbा हआ ह| दीपाली हमार दश का परलिसदध तरयौहार ह| सभी लोग इस परम और उतसाह स मनात ह| इसस कई धम की कथारय जbी ह| कहा जाता ह विक मरयादा परषोततम शरी राम चनदर जी ारा दशहर क दिदन राण का ध करक इस दिदन अरयोरधवारया पधार थ पर विानो का मत ह विक इसका कोई शासतरीरय आधार नही ह| इसी दिदन शरी कषण जी न नरकासर का ध विकरया था| सतरही शताबदी म लिसखो क छठ गर शरी हरगोविबनद लिसह जी मगल बादशाह की कद स छट थ| इसी दिदन उVसी शताबदी म आरय समाज क ससथापक सामी दरयानद सरसती न तथा सामी रामकषण परम हस न शरीर तरयाग विकरया था| इस परकार सभी धम म अपनी-अपनी मानरयतानसार इस वितलिथ का महतत ह| मगर इस प का सीधा और सचचा समबनध जन धम क 24 तीथ_कर भगन महाीर सामी जी स ह| कारतितक कषण अमासरया की सपरभात की शभ बला म भगन महाीर सामी न चारो अघवितरया कमreg को भी नC करक विनाण परापत विकरया था| भगान क विनाण कलरयाणक की इनदरादिद न आकर बड धम धाम स पजा की थी| समराट शरभिणक आदिद नरनदरो न भी अपनी परजा क साथ महान विनाणोतस मनारया था| तभी स रयह प मनारया जाता ह| जन धम विकसी जावित ण सपरदारय रया पथ विशष का नाम नही ह करयोविक जन धम का परवितपादन करन ाल सभी 24 तीथ_कर कषवितररय थ और उनक अलिधकाश भिशषरय बराहमण थ| जन धम उस सत सरप का परवितपादन करता ह जो अनादिदकाल स ह और अनतकाल तक रहगा| जन धम पराणी मातर का धम ह| तीथ_कर महाीर न मान जीन की परतरयक विकररया को अविहसा क माप दb ारा मापा ह| एक जनम की साधना स कोई तीथ_कर नही बन सकता रयह तो अनक भो की साधना का फल ह| इस पद को पाना कोई साधारण बात नही इसक लिलए आतमा का पण विकास और परम विशभिदध आशरयक ह| भगान महाीर का सनदश कल विशववयापी ही नही अविपत साजाविनक और सकालिलक भी ह| उनक सनदश को हम रयदिद सकषप म कह तो विचारो म अनकात ाणी म सरयादाद आचरण म अविहसा और वयहार म अपरिरगरह क रप म वयN कर सकत ह|

इस पनीत भारत सधरा पर अबस 2600 ष पहल विबहार क कणbलपर गराम म माता वितरशला (विपररयकरिरणी) की ककषी स भगान महाीर न जनम लिलरया था| घर म रहत हए भी धमान सामी अतरयत विनरचिलपत रहत थ| कभी-कभी भोजन करत चलत विफरत हए भी अनतासतत म विनमगन हए परतीत होत थ| जब सामामिरयक म होत थ तो उनकी विनशछल शात मदरा दखत ही बनती थी| अपन जीन म उनहोन अविहसा विशवमतरी और आतमोदधार का उतकC आदश उपडिसथत विकरया था| ह आजनम बरहमचारी रह 30 ष की भरी जानी म उनहोन दीकषा ली| 12 ष की कठोर साधना क उपरात दधर तपकर 42 ष की आरय म आतमा क परबल शतर चार घावितरया कम का नाश कर लोका लोक परकाशक कल जञान परापत कर लिलरया और भवय जीो को दिदवय-रधवानी ारा आतमा क उदधार का माग बतारया| 72 ष की आरय क अत म कारतितक कषण अमासरया को परात काल मोकष लकषमी को परापत विकरया| उसी दिदन शाम को भगान क परथम गणधर शरी गौतम सामी को कल जञान परापत हआ था| तब दो न आकर कल जञान रपी लकषमी की पजा की थी| गणनाम ईशा = गणश गणधरा रय दोनो परयारयाची नाम गौतम सामी क ही ह| तब स इन दोनो आतमाओ महाीर सामी और गौतम सामी की समवित म रयह दीपाली प समसत भारत ष म मनारया जाता ह| भगान महाीर सामी क विनाण क उपलकषरय म लोग परातकाल सतवित पाठ पढत ह| मजिनदर जी म जाकर विनाण पजा विनाण काb महाीराCक पढकर विनाण लाb चढात ह| अपन घरो को खब सजात ह परसपर मिमतरो और समबनधिनधरयो म मिमठाई बाटत ह| सरधवारया क समरय पजरय गौतम सामी क कल जञान कलरयाणक की खशी म जलती दीपो की पलिNरयो स घर क अनदर और बाहर रौशनी करत ह| भजन आरती करक भगान क गणो का गान करत ह| सचची लकषमी तो आतमा क गणो का पण विकास कल जञान हो जाना तथा मोकष परानविपत ही ह| हम उस दिदन महाीर सामी गौतम सामी और कल जञान रपी लकषमी की पजा करनी चाविहए| इन गणो की पजा करन स रपरया पसा आदिद सासारिरक लकषमी परापत होना तो साधारण सी बात ह| जन धम अविहसा परधान धम ह| इस धम क अनसार धारयिमक प की तो बात ही करया लौविकक कारय म भी विहसा को कोई सथान नही ह| लोग तो आवितशबाजी छbाकर दिदाली मनात ह मगर इस कारय म असखरयात जीो की विहसा होना साभाविक ही ह| अत इस दिदन महाीर भगान क विनाण कलरयाणक क पान असर पर आवितशबाजी छbाना पणतरया बद होना चाविहए| अविहसा परमोधम रयतोधम सतोजरय

कछ लोग इस पवितर दिदन जआ खलत ह रयह मिमथरयात पोषक कपरथा तथा अधारयिमक परवित ह| हम शासतरानसार समरयक दशन को पC करन ाली विकररयाओ ारा दीपाली मनानी चाविहए| इस उपरयN उददशरय को बहत लोग जानकार भी रपरयो-पसो की पजा करत ह रयह उनकी विनतात भल ह| उनह रयह ासतविक रहसरय को समझ लना चाविहए विक धन का लाभ तो लाभ अनतरारय कम क कषरयोपशरय स होता ह और लाभतरारय कम का कषरयोपषम शभ विकररयाओ स ही हो सकता ह| रपरया पसो की पजा स नही| दीपाली हमारा राषटरीरय प ह सभी का तरयौहार ह अत हम इस प को बडी शरदधा और भलिN स मनाना चाविहए| दीपाली प कस मनारय -

परात काल सनानादिद करक पवितर सतर पहनकर जिजननदर द क मदिदर जी म परीार क साथ पहचकर जिजननदर द की पजा दना करनी चाविहए| भगान महाीर सामी की पजन करक विनाण काb पढन क बाद महाीर सामी क मोकष कलरयाणक का अघ बोलकर विनाण लाb अघ सविहत चढाना चाविहए|

सरसवती पजादोहा

जनम जरा मत कषरय कर हर कनरय जb रीवित

भ सगरसो ल वितर पज जिजन च परीवित

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसतरय पषपाजलिल विनपामीवित साहा

छीरो दमिध गगा तिवरमल तरगा सशिलल अभगा सख सगा

भरिर कचन झारी धारी तिनकारी तरषा तिनवारी तिहत चगा

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती-दवय जल विनपामीवित साहा

कर-पर रमगाया चनदन आया कशर लाया रग भरी

शारत-पद वदो रमन अभिभनदो पाप तिनकदो दाह हरी

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय चदनम विनपामीवित साहा

सख दास करमोद धारक रमोद अतित अन रमोद चद-सरम

बह भशिकत बढ़ाई कीरतित गाई होह सहाई रमात रमरम

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय अकषतान विनपामीवित साहा

बह फल सवास तिवरमल परकाश आनद रास लाय धर

रमरम कारम मिरमटायो शील बढ़ायो सख उपजायो दोरष हर

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय पषप विनपामीवित साहा

पकवान बनाया बह धत लाया सब तिवध भाया मिरमषठ रमहा

पज रथतित गाऊ परीतित बढ़ाऊ कषधा नशाऊ हरष13 लहा

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय नरधवारयम विनपामीवित साहा

कर दीपक जोत तन कषय होत जयोतित उदोत तरमकिह चढ़

तरम हो परकाशक भररम तिवनाशक हरम घट भासक जञान बढ़

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय दीप विनपामीवित साहा

शभ गध दशोकर पाव करम धर धप रमनोहर खवत ह

सब पाप जलावपणय करमाव दास कहाव सवत ह

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय धपम विनपामीवित साहा

बादारम छहारी लोग सपारी शरी फल भारी Aयावत ह

रमन वाशिछत दाता रमट असाता तरम गन रमाता धयावत ह

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय फलम विनपामीवित साहा

नयनन सख कारी रमद गन धारी उजजवल भारी रमोल धर

शभ गध समहारा वसन तिनहारा तरम तन धारा जञान कर

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय अरघयरयम विनपामीवित साहा

जल चदन अकषत फल चर अर दीप धप अतित फल लाव

पजा को ठानत जो तरम जानत सो नर दयानत सख पाव

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय अरघयरयम विनपामीवित साहा

जयरमाला

सोरठा

ओकार धवतिन सार दवाद-शाग वाणी तिवरमल

नरमो भशिकत उर धार जञान कर जड़ता हर

पहलो आचा रग बखानो पद अषटा-दश सहस पररमानो

दजो सS कत अभिभलारष पद छततीस सहस गर भारष

तीजो ठाना अग सजान सहस बयाशिलस पद सरधान

चौरथो सरम वायाग तिनहार चौसठ सहस लाख इक धाररम

पचरम वयाखया परजञपतिपत दरस दोय लाख अटठाइस सहस

छटठो जञात करथा तिवसतार पाच लाख छपपन हजजार

सपतरम उपास काधय नग सततर सहस =यार लख भग

अषटरम अत कत दस ईस सहस अठाइस लाख तईस

नवरम अनततर दश सतिवशाल लाख बानव सहस चवाल

दशरम परशन वयाकरण तिवचार लाख तितरानव सोल हजार

=यारस सS तिवपाक स भाख एक कोड चौरासी लाख

चार कोतिड़ अर पदरह लाख दो हजार सब पद गर शाख

दवादश दमिषट वाद पन भद इक सो आठ कोतिड़ पन वद

अड़सठ लाख सहस छपपन ह सतिहत पच पद मिरमथया हन ह

इक सौ बारह कोतिड़ बखानो लाख तितरासी ऊपर जानो

ठावन सहस पच अमिधकान दवादश अग सव13 पद रमान

साढ़ इकावन आठ तिह लाख सहस चरासी छह सौ भाख

साढ़ इकीस शलोक बताय एक एक पद क य गाय

दोहा

जा बानी क जञान त सझ लोक अलोक

जञानत जग जय-वत हो सदा दत ह धोक

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय महारघयरयम विनपामीवित साहा

अघा13वलीविरधवारयमान बीस तीथ_कर अघ

जल फल आठो दरवय अरघ कर परीवित धरी हगणधर इनदरनह त थवित परी न करी ह दयानत सक जानक (हो) जगत लह विनकार

सीमधर जिजन आदिद द बीस विदह मझार शरी जिजनराज हो भ तारण तरण जहाज

ॐ हरी विदयमानविशविततीथ_करभरयः अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 1

कवितम-अकवितम चतरयालरय अघ

कतयाकतिSरम-चार-चतय-तिनलयान तिनतय तिSलोकी-गतानवद भावन-वयतर-दयतितवरान सवगा13रमरावासगान सदगधाकषत-पषप-दारम-चरकः सददीपधपः फलरनीरादयशच यज परणमय शिशरसा दषकरम13णा शातय

ॐ हरी वितरलोक समबनधिनध कवितरमाकवितरम-चतरयालरयभरयः अरघयरय_ विनपामीवित साहा 2

लिसदध परमषठी अघ

गनधाढय सपयो रमधवरत-गणः सग वर चनदन पषपौघ तिवरमल सदकषत-चय रमय चर दीपकरम धप गनधयत ददामिरम तिवतिवध शरषठ फल लबधय शिसदधाना यगपतकररमाय तिवरमल सनोततर वालपिञछतरम

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 3

तीस चौबीसी का अघ

दरवय आठो ज लीना ह अघ13 कर रम नवीना ह

पजता पाप छीना ह भानरमल जोड़ तिकना ह

दीप अढ़ाई सरस राज कषS दस ता तिवरष छाज

सातशत बीस जिजनराज पजता पाप सब भाज

ॐ हरी पञचभरत-पचरात-समबनधी-दशकषतरानतगत-भत-भविषरयत-तमान-समबनधी-तीस-चौबीसी क सात सौ बीस जिजनदरभरयो-अघयम विनपामिमवित साहा 4

शरी आदिदनाथ जी अघ

शशिच तिनरम13ल नीर गध सअकषत पषप चर ल रमन हरषा13य

दीप धप फल अघ13 सलकर नाचत ताल रमदग बजाय

शरी आदिदनारथ क चरण करमल पर बशिल बशिल जाऊ रमन वच काय

ह करणातिनमिध भव दःख रमटो यात रम पजो परभ पाय

ॐ हरी शरी आदिदनाथजिजननदरारय अनघपदपरापतारय अघ_ विनपामिमवित साहा 5

शरी अजिजतनाथ जी अघ

जलफल सब सजज बाजत बजज गनगनरजज रमनरमजज तअ पदजगरमजज सजजन जजज त भवभजज तिनजकजज शरी अजिजत जिजनश नतनाकश चकरधरश ख=गश रमनवाशिछतदाता तिSभवनSाता पजौ खयाता ज=गश ॐ हरी शरीअजिजतनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 6

शरी समभनाथ जी अघ

जल चदन तदल परसन चर दीप धप फल अघ13 तिकया तरमको अरपौ भाव भगतितधर ज ज ज शिशव ररमतिन तिपया सभव जिजन क चरन चरचत सब आकलता मिरमट जाव तिनज तिनमिध जञान दरश सख वीरज तिनराबाध भतिवजन पाव ॐ हरी शरीसभनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 7

शरी अभिभननदन नाथ जी अघ

अषट दरवय सवारिर सनदर सजस गाय रसाल ही नचत रजत जजौ चरन जग नाय नाय सभाल ही कलरषताप तिनकद शरीअभिभननद अनपरम चनद ह पद वद वनद जज परभ भवदद फद तिनकद ह ॐ हरी शरीअभिभननदन जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 8

शरी समवितनाथ जी अघ

जल चदन तदल परसन चर दीप धप फल सकल मिरमलाय नाशिच राशिच शिशरनाय सरमरचौ जय जय जय 2 जिजनराय हरिरहर वदिदत पापतिनकदिदत सरमतितनारथ तिSभवनक राय

तरम पद पदम सदम शिशवदायक जजत रमदिदतरमन उदिदत सभाय ॐ हरी शरीसमवितनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 9

शरी पदमपरभ जी अघ

जल फल आदिद मिरमलाय गाय गन भगतित भाव उरमगाय जजौ तरमकिह शिशवतितय वर जिजनवर आवागरमन मिरमटाय रमन वचन तन Sयधार दत ही जनरम-जरा-रमत जाय पजौ भाव सो शरी पदरमनारथ पद-सार पजौ भाव सो ॐ हरी शरीपदमपरभजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 10

शरी सपाशवनाथ जी अघ

आठो दरब साजिज गनगाय नाचत राचत भगतित बढ़ाय दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो तरम पद पजौ रमनवचकाय दव सपारस शिशवपरराय दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 11

शरी चदरपरभ जी अघ

सजिज आठो दरब पनीत आठो अग नरमौ

पजौ अषटरम जिजन रमीत अषटरम अवतिन गरमौ

शरी चदरनारथ दतित चद चरनन चद लस

रमन वच तन जजत अरमद-आतरम-जोतित जग

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 12

शरी पषपदत जी अघ

जल फल सकल मिरमलाय रमनोहर रमनवचतन हलसाय

तरम पद पजौ परीतित लाय क जय जय तिSभवनराय

रमरी अरज सनीज पषपदनत जिजनराय रमरी अरज सनीज

ॐ हरी शरीपषपदनत जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 13

शरी शीतलनाथ जी अघ

शभ शरी-फलादिद वस परासक दरवय साज

नाच रच रमचत बजजत सजज बाज रागादिददोरष रमल रमदद13न हत यवा

चचAElig पदाबज तव शीतलनारथ दवा

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 14

शरी शररयासनाथ जी अघ

जलरमलय तदल सरमनचर अर दीप धप फलावली

करिर अरघ चरचौ चरन जग परभ रमोतिह तार उतावली

शरयासनारथ जिजननद तिSभवन वनद आननदकनद ह

दखदद फद तिनकद परनचनद जोतितअरमद ह

ॐ हरी शरीशररयासनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 15

शरी ासपजरय जी अघ

जल फल दरव मिरमलाय गाय गन आठो अग नरमाई

शिशवपदराज हत ह शरीपतित तिनकट धरौ यह लाई

वासपजय वसपज-तनज-पद वासव सवत आई

बाल बरहमचारी लगनिख जिजन को शिशव तितय सनरमख धाई

ॐ हरी शरीासपजरयजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 16

शरी विमलनाथ जी अघ

आठो दरब सवार रमनसखदायक पावन

जजौ अरघ भर रथार तिवरमल तिवरमल शिशवतितय ररमण

ॐ हरी शरीविमलनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 17

शरी अननतनाथ जी अघ

शशिच नीर चनदन शाशिलशदन सरमन चर दीवा धरौ

अर धप फल जत अरघ करिर करजोरजग तिवनतित करौ

जगपज पररम पनीत रमीत अनत सत सहावनो

शिशव कत वत रमहत धयावौ भरत वनत नशावनो

ॐ हरी शरीअनतनाथजिजनदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 18

शरी धमनाथ जी अघ

आठो दरब साज शशिच शिचतहर हरतिरष हरतिरष गनगाई

बाजत दरमदरम दरम रमदग गत नाचत ता रथई रथाई

पररमधररम-शरम-ररमन धररम-जिजन अशरन शरन तिनहारी

पजौ पाय गाय गन सनदर नाचौ द द तारी

ॐ हरी शरीधमनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 19

शरी शावितनाथ जी अघ

वस दरवय सवारी तरम दिढग धारी आननदकारी दग-पयारी

तरम हो भव तारी करनाधारी या त रथारी शरनारी

शरी शापतिनत जिजनश नतशकरश वरषचकरश चकरश

हतिन अरिरचकरश ह गनधश दयाऽरमतश रमकरश

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 20

शरी कनथनाथ जी अघ

जल चदन तदल परसन चर दीप धप लरी

फलजत जनन करौ रमन सख धरिर हरो जगत फरी

करथ सन अरज दास करी नारथ सन अरज दासकरी

भवशिसनध पयAcirc हौ नारथ तिनकारो बाह पकर रमरी

ॐ हरी शरीकथनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 21

शरी अरहनाथ जी अघ

सशिच सवचछ पटीर गधगहीर तदलशीर पषप-चर

वर दीप धप आनदरप ल फल भप अघ13 कर

परभ दीन दयाल अरिरकल काल तिवरद तिवशाल सकरमाल

हरिर रमरम जजाल ह जगपाल अरगन रमाल वरभाल

ॐ हरी शरीअरहनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 22

शरी मडिललनाथ जी अघ

जल फल अरघ मिरमलाय गाय गन पजौ भगतित बढ़ाई

शिशवपदराज हत ह शरीधर शरन गहो रम आई

राग-दोरष-रमद-रमोह हरन को तरम ही हो वरवीरा

यात शरन गही जगपतितजी वतिग हरो भवपीरा

ॐ हरी शरीमडिललनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 23

शरी मविनसवरतनाथ जी अघ

जलगध आदिद मिरमलाय आठो दरब अरघ सजौ वरौ

पजौ चरन रज भगतितजत जात जगत सागर तरौ

शिशवसारथ करत सनारथ सवरतनारथ रमतिनगन रमाल ह

तस चरन आननदभरन तारन तरन तिवरद तिवशाल ह

ॐ हरी शरीमविनसवरतजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 24

शरी नमिमनाथ जी अघ

जल फलादिद मिरमलाय रमनोहर अरघ धारत ही भवभय हर जजत हौ नमिरम क गण गाय क जगपदामबज परीतित लगाय क ॐ हरी शरीनमिमनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 25

शरी नमिमनाथ जी अघ

जल फल आदिद साज शशिच लीन आठो दरब मिरमलाय अषटरम शिछतित क राज कारन को जजौ अग वस नाय

दाता रमोकष क शरीनमिरमनारथ जिजनराय दाता0 ॐ हरी शरीनमिमनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 26

शरी पाशवनाथ जी अघ

नीर गध अकषतान पषप चार लीजिजय दीप धप शरीफलादिद अघ13 त जजीजिजय

पाशव13नारथ दव सव आपकी कर सदा दीजिजए तिनवास रमोकष भशिलय नही कदा ॐ हरी शरीपाशवनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 27

शरी महाीर सामी जी अघ

जल फल वस सजिज तिहरम रथार तन रमन रमोद धरौ गण गाऊ भवदमिधतार पजत पाप हरौ

शरी वीर रमहा-अतितवीर सनरमतित नायक हो जय वदध13रमान गणधीर सनरमतितदायक हो ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 28

शरी बाहबली सामी जी अघ

ह शदध तिनराकल शिसदधो सरम भवलोक हरमारा वासा ना

रिरप रागर दवरष लग पीछ यात शिशवपद को पाया ना

तिनज क गण तिनज रम पान को परभ अघ13 सजोकर लाया ह

ह बाहबली तरम चरणो रम सख समपतित पान आया ह

ॐ हरी शरी-बाहबली-जिजननदरारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 29

पञच बालरयवित जी अघ

सजिज वसतिवमिध दरवय रमनोजञ अरघ बनावत ह

वसकरम13 अनादिद सयोग तातिह नशावत ह

शरी वास-पजय-रमAली-नरम पारस वीर अती

नरम रमन-वच-तन धरी पररम पाचो बालयतित

ॐ हरी शरी-पचबालरयवित-तीथ_करभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 30

सोलहकारण भाना अघ

जल फल आठो दरव चढ़ाय lsquoदयानतrsquo वरत करौ रमन लायपररम गर हो जय जय नारथ पररम गर हो

दरशतिवशजिदध भावना भाय सोलह तीरथsकर-पद-दायपररम गर हो जय जय नारथ पररम गर हो

ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित 31

पचमर जी अघ

आठ दरबरमय अरघ बनाय lsquoदयानतrsquo पजौ शरीजिजनराय रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय पाचो रमर असी जिजन धारम सब परतितरमा जी को करौ परणारम रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः अरघयरय_ विनपामीवित साहा 32

ननदीशवर ीप अघ

यह अरघ तिकयो तिनजहत तरमको अरपत हो

धानत तिकजयो शिशवखत भमिरम सरमरपत हो

ननदीशवर शरीजिजनधारम बावन पज करो

वस दिदन परतितरमा अभिभरारम आनद भाव धरो

(ननदीशवर दीप रमहान चारो दिदशिश सोह

बावन जिजन रमजिनदर जान सर-नर-रमन-रमोह )

ॐ हरी शरी-ननदीशवर-ीप प-पभि मोततर-दभिकषण-दिदश -पचास-जिजनालरय-डिसथत जिजन परवितमाभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 33

दशलकषण धम अघ

आठो दरब सवार धानत अमिधक उछाह सो

भाव-आताप तिनवारदस लचछन पजो सदा

ॐ हरी शरी-उततम-कषमादिद-दशलकषण-धमारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 34

रतनतररय अघ

आठ दरब तिनराधार उततरम सो उततरम तिकय

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज

ॐ हरी शरी-समरयग-रतनतररयारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 35

सपतरतिष अघ

जल गध अकषत पषप चरवर दीप धप स लावना

फल लशिलत आठो दरवय मिरमभिशरत अघ13 कीज पावना

रमनवादिद चारिरSऋजिदध धारक रमतिनन की पजा कर

ता कर पातक हर सार सकल आनद तिवसतर

ॐ हरी शरी-मनादिदसपतरतिषभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 36

विनाण कषतर जी अघ

जल गध अकषत पषप चर फल दीप धपायन धरौ

धानत करो तिनरभय जगत सो जोर कर तिवनती करौ

समरमदिदगरिर तिगरनार चपा पावापर कलाश को

पजो सदा चौबीस जिजन तिनवा13ण भमिरम तिनवास को

ॐ हरी शरी-चतरविश-तीथ_कर-विनाण-कषतरभरयो अघ विनापमिमवित साहा 37

शरी सममद भिशखर जी अघ

जल गधाकषत फल स नवज लीजिजय

दीप धप फल अघ13 स लकर चढ़ाइए

पजो शिशखर समरमद स रमन वच काय ज

नरकादिद दःख टर अचल पद पाय ज

ॐ हरी शरी-सममद-भिशखर-लिसदधकषतर-पत बीस-तीथ_कर-आदिद-असखरयात-मविन-मलिN-परापतारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 38

सरसती (जिजनाणी) जी अघ

जलचनदन अकषत फल चर चत दीप धप अतित फल लावपजा को ठानत जो तरम जानत सो नर दयानत सखपाव

तीरथsकर की धवतिन गनधर न सतिन अग रच चतिन जञानरमईसो जिजनवर वानी शिशवसखदानी तिSभवन पजय भईऊ हरी शरी जिजनमखोदभभसरसतीदवय अरधवारयम विनपामीवित साहा 39

शरी ऋविषमbल अघ

जल फलादिदक दरवय लकर अघ13 सनदर कर शिलया

ससार रोग तिनवार भगवन वारिर तरम पद रम दिदया

जहा सभग ऋतिरषरमडल तिवराज पजी रमन वाच तन सदा

तितस रमनोवाशिछत मिरमळत सब सख सवपन रम दःख नतिह कदा

ॐ हरी शरी-सपदर-विनाशन-समथारय ऋविषमbलारय अरघयम विनापमिमवित साहा 40

शरी भरतशवर सामी जी अघ

भरतशवर रमहाराज रथारा गण गाऊ

रथा घर रम ही वराग चरणो रम धयाऊ

रम अषट दरवय ल आय पजा क शिलए

रम पजा भाव रचाय भव भव दःख हर

ॐ हरी शरी भरतशवरारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 41

शरी गौतम सामी जी अघ

भरतशवर रमहाराज रथारा गण गाऊ

रथा घर रम ही वराग चरणो रम धयाऊ

रम अषट दरवय ल आय पजा क शिलए

रम पजा भाव रचाय भव भव दःख हर

ॐ हरी शरी महाीर-समिमन गौतमादिद-एकादश-गणधरभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 42

शरी जमब सामी जी अघ

रमरथरा चौरासी धारम स तिनवा13ण गय

रम पज जमबसवारमी अतितरम रमोकष गए

ॐ हरी शरी जमब-सामी-मलिN-परापतारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 43

अतरारयनाशरय अघ

लाभ की अतराय क वश जीव सख ना लह

जो कर कषट उतपात सगर करम13वस तिवररथा रह

नही जोर वाको चल इक शिछन दीन सौ जग रम तिफर

अरहत शिसदधस अधर धरिरक लाभ यौ करम13 कौ हर

ऊ हरी लाभातरारयकम रविहताभरयाम अहतलिसदध परमविषठभरयाम अरघयरयम विनपामीवित साहा 44

शरी मानसतभ जी अघ

जल गनधादिद दरवय मिरमलाकर तिनज तिनज पजो चाव रम

रमान सतमभ प बठ भगवन उनको पज भाव स

ॐ हरी शरी मान-सतमभोपरिर-विराजमान-चतमख-जिजनविबमबभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 45

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मतर ह रय ऐसा जिजसन ओhellip लाखो को तारा इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

पच परमषठी क गणो को परचारताhellip२ धम विशष को रय नही ह दलारता रय महामतर ह ओhellip तारण हारा इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

मनोरमा सती का शील था बचारयाhellip२ महामतर का रय णन गरथो न गारया ऐस महामतर को ओhellip नदन हमारा इसीलिलरय परयारा आचारय जी स

पजा पादिठकापजा पीदिठका

पजा पीदिठका -जो पजा स पतिहला कहा जाता ह उस पजा पीदिठका कहत ह

ॐ जय जय जय नरमोऽसत नरमोऽसत नरमोऽसत

अरथ13 -ॐ = अरिरहत -अ +शिसदध भगवान का अशरीरी -अ+आचाय13 (अ)=आ + उपाधयाय (उ)=अ+साध (रमतिन) (रम) अरथा13त पञच पररमषठी की जय हो जयहो जयहोनरमसकार हो नरमसकार हो नरमसकार हो

जय और नरमसकार तीन बार रमन वचन काय स करत ह

णरमो अरिरहताणणरमो शिसदधाण णरमो आयरिरया ण णरमो उवजझायाण= णरमो लोए सवव साहण

अरथ13-

णरमो अरिरहताण-अरिरहतो को नरमसकार हो

णरमो शिसदधाण-शिसदधो को नरमसकार हो

णरमो आयरिरयाण-आचाय~ को नरमसकार हो

णरमो उवजझायाण=उपाधयायो को नरमसकार हो

णरमो लोए सवव साहण-लोक क सब तिनगर13नथ दिदगबर साध को नरमसकार हो

अब स लगभग १८००- १९०० वरष13 पव13 आचाय13 पषपदत जी और आचाय13 भतबशिल जी न रमहान गरनथ रषट खणडगरम की रचना करत सरमय आचाय13 पषपदत रमहाराज जी न उसक पररथरम रमगलाचारण क रप रम इस आय13खड गारथा को शिलखा ह वहा पर णरमो अरिरहताण शिलखा ह (न तिक अरहताण अरहताण) इसशिलए यही रमलपाठ हयही बोलना चातिहए यह रमहा रमS सब दखो को हरन वाला ह इसस पव13 पञच पररमषठी की वदना तो होती होगी तिकनत इस णरमोकार रमS की गारथा क रप रम नही होत होगी

ॐ हरी अनादिदरमलरमSभयो नरम(पषपाजशिल भिकषपत )

अरथ13- इस अनादिद रमल रमS को हरम नरमसकार करत हअजशिल रम पषप (पील चावल)लकर उनका कषपण करत ह अरथा13त तिवशव शातित की रमनोकारमना करता ह

चततारिर दणडक

चततारिर रमगल अरिरहता रमगल शिसदधा रमगल साह रमगल कवशिल पणणततो धमरमो रमगल

अरथ13 -चार रमगल कारी ह -अरिरहत भगवान रमगलकारी हशिसदध भगवान रमगलकारी ह तिनगर13नथ जन दिदगबर साध पररमषठी रमगलकारी ह और कवशिल भगवान दवारा कहा बताया धरम13 रमगलकारी ह रमगलकारी ndash सख दन वाला हआतरमा स लग करम13 बधो को नषट करन वाल य ही चार ह

चततारिर लोगततरमाअरिरहता लोगततरमाशिसदधा लोगततरमासाह लोगततरमाकवशिल पणणततो धमरमो लोगततरमो

अरथ13 -य चार लोक रम उततरमसव13शरषठ ह-अरिरहत भगवान लोक रम उततरम हशिसदध भगवान लोक रम उततरम हतिन- ग13ररथ दिदगबर जन साध लोक रम उततरम हकवशिल भगवान की दिदवय धवतिन दवारा बताया गया धरम13 लोक रम उततरम ह

चततारिर सरण पववजजामिरम- इन चारो की शरण को परापत होता ह

अरिरहनत सरण पववजजामिरम-अरिरहत भगवान की शरण को परापत होता ह

शिसदध सरण पववजजामिरम- शिसदध भगवान की शरण को परापत होता ह

साह सरण पववजजामिरम -तिनगर13नथ दिदगबर जन साध की शरण को परापत होता ह

कवशिलपणणतत धमरम सरण पववजजामिरम -कवशिल भगवान दवारा कह गय धरम13 को परापत होता ह

ॐ नरमोऽहsत सवहा (पषपाजशिल भिकषपत)

अरथ13- रम अरिरहत भगवान को सरमरतिपत करता ह तिवशव शातित की भावना स पषप अरतिपत करत ह

अपतिवS पतिवSो वा सलपितो दलपिोऽतिप वा

धयायतपच-नरमसकार सव13पापः पररमचयत १

शबदारथ13 ndash

अपतिवS-अपतिवS होपतिवSो-पतिवS होवा सलपितो-अचछी लपितित रम होदलपिोऽतिप-बरी लपितित रम होवा धयायतपच-नरमसकार-पञच नरमसकार रमS का धयान करन ससव13पापः-सरमसत पापो सपररमचयत-छट जाता ह

अरथ13-पतिवS और अपतिवSअचछी या बरी तिकसी भी अवा रमपञच नरमसकार रमS का धयान करन स सरमसत पाप नषट हो जात ह

अपतिवSः पतिवSो वा सवा13ा गतोऽतिप वा

यः सरमरत पररमातरमान स बाहयाभयतर शशिच २

शबदारथ13 -अपतिवSः-अपतिवS हो पतिवSो वा-पतिवS होसवा13ा-सब अवाओ को परापत हआ हो गतोऽतिप-गतितरमान हो वा यः -जोसरमरत -सरमरण करता हपररमातरमान -पररमातरमा णरमोकार रमS पञच पररममिषठयो कास -वह बाहया-बाहय अभयतर-आतरिरक शशिच-पतिवS हो जाता ह

अरथ13- अपतिवS अरथवा पतिवS हो गतितरमान हो तिकसी भी अवा को परापत हआ जो पररमातरमाणरमोकार रमS पञच पररममिषठयो का सरमरण करता वह बाहय और अतरग स पतिवS हो जाता ह

तिवशरष-

१-णरमोकार रमS की रचना कब हई

अब स लगभग १८००- १९०० वरष13 पव13 आचाय13 पषपदत जी और आचाय13 भतबशिल जी न रमहान गरनथ रषट खणडगरम की रचना करत सरमय आचाय13 पषपदत रमहाराज जी न उसक पररथरम रमगलाचारण क रप रम इस गारथा को रचा हइसस पव13 पञच पररमषठी की वदना तिकसी अनय रप रम होती होगी

२-चततारिर दडक तिकतना पराचीन ह

इसकी पराचीनता क तिवरषय रम कोई उAलख शासSो रम यही मिरमलता हयह गणधर दव क सरमय स ही परचलन रम ह ऐसा परतीत होता ह तिक इसक रशिचयता परणता गणधर दव ही हो

३-णरमो कार रमS बोलन का सरमय ndash

कही जा रह होघर रम परवश कर रह होसोन स पव13परातउठन क बाद कोई याSा परारमभ करत सरमयअसव हो तो लट लटसभी अवाओ रम णरमो कार रमS बोलचिचतन कर सकत ह रमरीज को हॉबधिटल ल जात सरमय इस रमS का चिचतवन कर

४-कया रमतिहलाय अशजिदध क दिदनो रम णरमो कार रमS बोल सकती ह

नही बोल भी नही सकती और जप भी नही सकती लट लट धयानचिचतवन रमन रम कर सकती ह

राकश करमार जन

आभार -पतिडत रतन लाल जन बनाड़ा

जन रमतिन

रषटखडगरम की रचना आचाय13 पषपदनत-भतवली दवारा रषट खणडागरम रचना ndash तिगरनार पव13त की चनदरगफा रम

आचाय13 पषपदनत-भतवली ndash गणधराचाय13 क पशचात अग-पव~ क एक दश जञाता धरसन हए य सौराषटर दश तिगरिरनार क सरमीप उज13यनत पव13त की चनदरगफा रम तिनवास करत रथ य परवादी

रप हाशिरथयो क सरमह का रमदनाश करन क शिलए शरषठ चिसह क सरमान रथ अषटाग रमहातिनमिरमतत क पारगारमी और शिलतिप शासS क जञाता रथ वत13रमान रम उपलबध शरत की रकषा का सवा13मिधक शरय इनही को परापत ह कहा जारथ ह तिक परवचन-वतसल धरसनाचाय13 न अग शरत क तिवचछदन हो जान क भय स रमतिहरमा नगरी रम सममिमरमशिलत दभिकषणा परथ क आचाय~ क पास एक पS भजा पS रम शिलख गए धरसन क आदश को सवीकार कर उन आचाय~ न शासS क अरथ13 को गरहण और धारण करन रम सरमरथ13 तिवतिवध परकार क चारिरS स उजजवल और तिनरम13ल तिवनय स तिवभतिरषत शील रपी रमाता क धारी सवा भावी दश कल जातित स शदध सरमसत कलाओ क पारगारमी एव आजञाकारी दो साधओ को आधर दश की वनया नदी क तट स रवाना तिकया इन दोनो रमतिनयो क रमाग13 रम आत सरमय धरसनाचाय13 न रातिS क तिपछल भाग रम सवपन रम कनदपषप चनदररमा और शख क सरमान शवत वण13 क दो बलो क अपन चरणो रम परणारम करत दखा परातः काल उकत दोनो साधओ क आन पर धरसनाचाय13 न उन दोनो की परीकषा ली और जब आचाय13 को उनकी यो=यता पर तिवशवास हो गया तब उनहोन अपना शरतोपदश दना परारभ तिकया जो आरषाढ़ शकला एकादशी को सरमापत हआ गर धरसन न इन दोनो शिशषयो का नारम पषपदनत और भतबली रखा गर क आदश स य शिशषय तिगरनार स चलकर अकलशवर आय और वही उनहोन वरषा13काल वयतीत तिकया अननतर पषपदनत आचाय13 बनवास दश को और भतबली तमिरमल दश की ओर चल गएपषपदनत न जिजनपाशिलत को दीकषा दकर उसक अधयापन हत सत पररपणा तक क सSो की रचना की और उनहोन उन सSो को सशोधनारथ13 भतबली क पास भज दिदया भतबशिल न जिजनपाशिलत क पास उन सSो को दखकर पषपदनत आचाय13 को अAपाय जानकर रमहाकरम13 परकतित पाहड का तिवचछन ना हो जाय इस धयय स आग दरवयपररमाणादिद आगरम की रचना की इन दोनो आचाय~ दवारा रशिचत गरनथ रषट खणडागरम कहलाता ह इस गरनथ की सतपररपणा क १७७ सS पषपदनत न और शरष सरमसत सS भतवली क दवारा रशिचत ह अतएव यह षट ह तिक शरत वयाखयाता धरसन ह और रचमियता पषपदनत तरथा भतबशिलइन आचाय~ क सरमय क समबनध रम तिनभिशचत रप स तो जञात नही ह पर इनदर-ननदी कत शरतावतार रम लोहाचाय13 क पशचात तिवनयदतत शरीदतत शिशवदतत और अह13दतत इन चार आरातीय -आचाय~ का उAलख मिरमलता ह और ततपशचात अह13द बशिल का तरथा अह13द बशिल क अननतर धरसनाचाय13 का नारम आता ह इनदरनजिनद क अनसार कनदकनद रषट खणडागरम क टीकाकार ह अतः पषपदनत और भतबशिल का सरमय कनदकनद क पव13 ह तिवदवानो न अनक पषट पररमाणो क आधार पर शिसदध तिकया ह तिक रषट खणडागरम की रचना पररथरम शती रम होनी चातिहएरषट खणडागरम (छकखडागरम) सS ndash इस आगरम गरनथ रम छह खणड ह- जीवटठाण खददाबध बधसामिरमतततिवचय वदना व=गणा और रमहाबनध इस गरनथ का तिवरषय सतोS बारहव दमिषटवाद शरताग क अनतग13त तिदवतीय पव13 आगरायणीय क चयनलबधिबध नारमक पञचरम अमिधकार क चतरथ13

पाहड़ करम13 परकतित को रमाना जाता हरषट खणडागरम जनागरम का एक रमहान गरनथ ह इसरम करम13 शिसदधात को तिवभिभनन दमिषट स सरमझान का शलाघनीय परयास तिकया गया ह

दव शासर गर पजा

कवल रतिव तिकरणो स जिजसका समपण13 परकाशिशत ह अतर |उस शरी जिजनवाणी रम होता तततवो का सदरतरम दश13न ||सददश13न बोध चरण परथ पर अतिवरल जो बड़त ह रमतिन गण |उन दव पररम आगरम गर को शत शत वदन शत शत वदन||ॐ हरी दव-शासS-गर-सरमह अS अवतर अवतर सवौरषट| अS तितषठ तितषठ ठः ठः |अS रमरम समिननतिहतो भव भव वरषट |इजिनदरय क भोग रमधर तिवरष सरम लावणयारमयी कचन काया |यह सब कछ जड़ की करीडा ह रम अब तक जान नही पाया ||रम भल सवय क वभव को पर रमरमता रम अटकाया ह |अब तिनरम13ल समयक नीर शिलए मिरमथया रमल धोन आया ह ||ॐ हरी दव-शासS-गरभयः जनरम-जरा-रमतय-तिवनाशाय जल तिनव13 0 सवाहा |1|जड़ चतन की सब परिरणतित परभ अपन अपन रम होती ह |अनकल कह परतितकल कह यह झठी रमन की वभितत ह ||परतितकल सयोगो रम करोमिधत होकर ससार बड़ाया ह |सतपत हदय परभ चदन सरम शीतलता पान आया ह ||ॐ हरी दवशासS गरभयः ससार-ताप-तिवनाशनायचदन तिनव13 0 सवाहा |2|उजजवल ह कठ धवल ह परभ पर स न लगा ह किकशिचत भी | तिफर भी अनकल लग उन पर करता अभिभरमान तिनरतर ही ||जड़ पर झक झक जाता चतन की रमाद13व की खतिडत काया | तिनज शाशवत अकषत तिनमिध पान अब दास चरण रज रम आया ||

ॐ हरी दवशासSगरभयः अकषयपदपरापतय अकषतान तिनव13 0 सवाहा |3|यह पषप सकोरमल तिकतना ह तन रम रमाया कछ शरष नही | तिनज अतर का परभ भद काह औस रम ऋजता का लश नही ||शिचनतन कछ तिफर सभारषण कछ वभितत कछ की कछ होती ह |लपिरता तिनज रम परभ पाऊ जो अतर का कालश धोती ह ||ॐ हरी दवशासSगरभयः कारमबाण-तिवधवसनाय पषप तिनव13 0 सवाहा |4|अब तक अगभिणत जड़ दरवयो स परभ भख न रमरी शात हई |तषणा की खाई खब भारी पर रिरकत रही वह रिरकत रही ||यग यग स इचछा सागर रम परभ गोत खाता आया ह |चरणो रम वयजन अरतिपत कर अनपरम रस पीन आया ह ||ॐ हरी दवशासSगरभयः कषधा-रोग-तिवनाशनाय नवदय तिनव13 0 सवाहा |5|रमर चतयनय सदन रम परभ शिचर वयापत भयकर अमिधयारा |शरत दीप बझा ह करनातिनमिध बीती नही कषटो की कारा ||अतएव परभो यह जञान परतीक सरमरतिपत करन आया ह |तरी अतर लौ स तिनज अतर दीप जलान आया ह ||ॐ हरी दवशासSगरभयः रमोहाधकारतिवनाशनाय दीप तिनव13 0 सवाहा |6|जड़ करम13 घरमाता ह रमझको यह मिरमथया भरातित रही रमरी |रम रागी दवरषी हो लता जब परिरणतित होती ह जड़ की ||यो भाव कररम या भाव रमरण सदिदओ स करता आया ह |तिनज अनपरम गध अनल स परभ पर गध जलान आया ह||ॐ हरी दवशासSगरभयः अषट करम13तिवधवसनाय धप तिनव13 0 सवाहा |7|जग रम जिजसको तिनज कहता रम वह छोड रमझ चल दता ह |रम आकल वयाकल हो लता वयाकल का फल वयाकलता ह|| रम शात तिनराकल चतन ह ह रमशिकतररमा सहचर रमरी |यह रमोह तड़क कर टट पड़ परभ सारथ13क फल पजा तरी||ॐ हरी दवशासSगरभयः रमोकषफलपरापतयफल तिनव13 0 सवाहा |8|कषण भर तिनज रस को पी चतन मिरमथयरमल को धो दता ह |कशामियक भाव तिवनषट तिकय तिनज आननद अरमत पीता ह ||अनपरम सख तब तिवलशिसत होता कवल रतिव जगरमग करता ह |

दश13न बल पण13 परगट होता यह ह अह13नत अवा ह ||यह अरघयय13 सरमप13ण करक परभ तिनज गण का अरघयय13 बनाऊगा| और तिनभिशचत तर सदश परभ अह13नत अवा पाउगा||ॐ हरी दवशासSगरभयः अनरघयय13पदपरापतय अरघययs तिनव13 0 सवाहा |9|

जयरमाला

भव वन रम जी भर घरम चका कण कण को जी भर भर दखा रमग सरम रमग तषणा क पीछ रमझको न मिरमली सच की रखा

(बारह भावना)झठ जग क सपन सार झठी रमन की सब आशाए तन जीवन यौवन अलपिर ह कषण भगर पल रम रमरझाए समराट रमहाबल सनानी उस कषण को टाल सकगा कया अशरण रमत काया रम हरतिरषत तिनज जीवन दल सकगा कयाससार रमहा दख सागर क परभ दखरमय सच आभसोन रम रमझको न मिरमला सच कषणभर भी कचन कामिरमनी परासदोन रमरम एकाकी एकतवा शिलय एकतवा शिलय सब ह आत तन धन को सारथी सरमझा रथा पर य भी छोड चल जातरमर न हए य रम इनस अतित भिभनना अखड तिनराला ह तिनज रम पर स अनयतवा शिलय तिनज सरमरस पीन वाला हजिजसक भिशरनगारोन रम रमरा यह रमहगा जीवन घल जाता अतयनता अशशिच जड़ काया स ईस चतन का कसा नातादिदन रात शभाशभ भावो स रमरा वयापार चला करता रमानस वाणी और काया स आसरव का दवार खला रहताशभ और अशभ की जवाला स झलसा ह रमरा अनतसतल शीतल सरमतिकत तिकरण फट सवर स जाग अनतब13लतिफर तप की शोधक वगनिनह जग करम~ की कतिड़या फट पड़ सवाsग तिनजातरम परदशो स अरमत क तिनझ13र फट पड़हरम छोड चल यह लोक तभी लोकानत तिवराज कषण रम जा तिनज लोक हरमारा वासा हो शोकानत बन तिफर हरमको कयाजाग रमरम दल13भ बोधी परभो दनregतरम सतवर तल जाव बस जञाता दषटा रह जाऊ रमद रमतसर रमोह तिवनश जावशिचर रकषक धरम13 हरमारा हो हो धरम13 हरमारा शिचर सारथी

जग रम न हरमारा कोई रथा हरम भी न रह जग क सारथीचरणो रम आया ह परभवर शीतलता रमझको मिरमल जाव रमरझाई जञानलता रमरी तिनज अनतब13ल स गनिखल जावसोचा करता ह भोगो स बझ जावगी इचछा जवाला परिरणारम तिनकलता ह लतिकन रमानो पावक रम घी डालातर चरणो की पजा स इजिनदरय सख को ही अभिभलारषा अब तक न सरमझ ह पाया परभ सचच सख की भी परिरभारषातरम तो अतिवकारी हो परभवर जग रम रहत जग स नयार अतएव झक तव चरणो रम जग क रमाभिणक रमोती सारसयादवाद रमयी तरी वाणी शभ नय क झरन झरत ह और उस पावन नौका पर लाखो पराणी भाव वारिरमिध तितरत हह गरवर शाशवत सख दश13क यह न=न सवरप तमहारा ह जग की नशवरता का सचचा दिद=दश13न करन वाला हजब जग तिवरषयो रम रच पच कर गातिफल तिनदरा रम सोता हो अरथवा वह शिशव क तिनषकटक परथ रम तिवषकनतक बोटा होहो अध13 तिनशा का सननाटा वन रम वनचारी चरत हो तब शात तिनराकल रमानस तरम तततवो का शिचनतन करत होकरत तप शल नदी तट पर तरतल वरषा13 की झातिड़यो रम सरमता रस पान तिकया करत सख दख दोनो की घतिडयो रमअनतजवा13ला हरती वाणी रमानो झरती हो फAझदिदया भाव बधन तड तड टट पड़ गनिखल जाव अतर की कशिलयातरम सा दानी कया कोई हो जग को द दी जग की तिनमिधया दिदन रात लटाया करत हो सरम शरम की अतिवनशवर रमभिणयाॐ हरी दवशासSगरभयः अनरघयय13पदपरापतय अरघययs तिनव13 0 सवाहा |

ह तिनरम13ल दव तमह परणारम ह जञानदीप आगरम परणारम ह शातित तयाग क रमरतितरमान शिशव परथ परथी गरवर परणारम||

शिसदध पजाऊरधवााधो ररयत सविनद सपर बरहम-सराविCत

गापरिरत-दिदगगतामबज-दल ततसलिध-ततानविनत |अतः पतर-तटषनाहत-रयत हरीकार-सविCत |द रधवारयारयवित रयः स मलिNसभगो रीभ-कणठी-रः ||

ॐ हरी शरी लिसदधचकरालिधपत लिसदधपरमविषठन अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी लिसदधचकरालिधपत लिसदधपरमविषठन अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी लिसदधचकरालिधपत लिसदधपरमविषठन अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

तिनरसतकरम13-समबनध सकषरम तिनतय तिनरारमयरम |वनदऽह पररमातरमानरमरमतत13रमनपदरवरम ||

(लिसदधरयनतर की सथापना कर नदन कर | )

शिसदधौ तिनवासरमनग पररमातरम-गमयहानयादिदभावरतिहत भव-वीत-कायरम |रवापगा-वर-सरो-यरमनोदभवानानीरय13ज कलशगर-वरशिसदध-चकररम ||

ॐ हरी लिसदधचकालिधपतरय लिसदधपरमविषठन जनमजरामतरय विनाशनारय जल विनपामीवित साहा |1|

आननद-कनद-जनक घन-करम13-रमकतसमयकतव-शरम13-गरिररम जननारतितवीतरम |सौरभय-वाशिसत-भव हरिर-चनदनानागनधय13ज परिररमलव13र-शिसदध-चकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन ससार ताप विनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा |2|

सवा13वगाहन-गण ससरमामिध-तिनषठशिसदध सवरप-तिनपण करमल तिवशालरम |सौगनधय-शाशिल-वनशाशिल ndash वराकषतानापजय13ज ndash शशिशतिनभव13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अकषरयपदपरापतरय अकषतान विनपामीवित साहा |3|

तिनतय सवदह- परिररमाणरमनादिदसजञदरवयानपकषरमरमत रमरणादयतीतरम |रमनदार ndash कनद ndash करमलादिद ndash वनतीनापषपय13ज शभतरम ndash व13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन कामबाण विरधवासनारय पषप विनपामीवित साहा |4|

ऊधव13-सवभाव-गरमन सरमनो-वयपतबरहमादिद-बीज-सतिहत गगनावभासरम |कषीरानन-साजय-वटक रसपण13गभreg ndashरतिनतय यज चरवरव13शिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन कषधारोगविनाशनारय नदय विनपामीवित साहा |5|

आतक-शोक-भयरोग-रमद परशानततिनदव13नदव-भाव-धरण रमतिहरमा-तिनवशरम |कप13र-वरतित-बहभिभः कनकावदात ndashदsup2पय13ज रशिचवरव13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन मोहानधकारविनाशनारय दीप विनपामीवित साहा |6|

पशयनसरमसत ndash भवन यगपमिननतानतSकाAय-वसत-तिवरषय तिनतिवड़ ndash परदीपरम |सददरवयगनध ndash घनसार ndash तिवमिरमभिशरतानाधपय13ज परिररमलव13र ndash शिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अCकमदहनारय धप विनपामीवित साहा |7|

शिसदधासरादिदपतित ndash यकष ndash नरनदरचकर ndashधयacuteय शिशव सकल ndash भवय ndash जनः सवनदयरम |नारतिmicroग ndash पग ndash कदली ndash फलनारिरकलःसोऽह यज वरफलव13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन मोकषफलपरापतरय फल विनपामीवित साहा |8|

गनधाढय सपयो रमधवरत-गणः सग वर चनदनपषपौघ तिवरमल सदकषत-चय रमय चर दीपकरम |धप गनधयत ददामिरम तिवतिवध शरषठ फल लबधयशिसदधाना यगपतकररमाय तिवरमल सनोततर वालपिञछतरम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जञानो पयो गतिवरमल तिवशदातरमरपसकषरम-सवभाव-पररम यदननतवीय13रम |करमmiddotघ-ककष-दहन सख-शसयबीजवनद सदा तिनरपरम वर-शिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

Sलोकयशवर-वनदनीय-चरणाः परापः भिशरय शाशवतीयानाराधय तिनरदध-चणड-रमनसः सनतोऽतिप तीरथsकरा |सतसमयकतव-तिवबोध-वीरययय13-तिवशदाऽवयाबाधतादयग13ण-य13कतासतातिनह तोषटवीमिरम सतत शिसदधान तिवशदधोदयान ||

जरयमाला

तिवराग सनातन शात तिनरश तिनरारमय तिनभ13य तिनरम13ल हस |सधारम तिवबोध-तिनधान तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध-सरमह ||

तिवदरिरत-ससतित-भाव तिनरग सरमारमत-परिरत दव तिवसग |अबध करषाय-तिवहीन तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिनवारिरत-दषकतकरम13-तिवपाश सदारमल-कवल-कशिल-तिनवास |भवोदमिध-पारग शात तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

अनत-सखारमत-सागर-धीर कलक-रजो-रमल-भरिर-सरमीर |तिवखलपिणडत-कारम तिवरारम-तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिवकार तिववरजिजत तरजिजतशोक तिवबोध-सनS-तिवलोतिकत-लोक |तिवहार तिवराव तिवरग तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

रजोरमल-खद-तिवरमकत तिवगाS तिनरतर तिनतय सखारमत-पाS |सदश13न राजिजत नारथ तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

नरारमर-वदिदत तिनरम13ल-भाव अनत रमनीशवर पजय तिवहाव |सदोदय तिवशव रमहश तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिवदभ तिवतषण तिवदोरष तिवतिनदर परापरशकर सार तिवतदर |तिवकोप तिवरप तिवशक तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

जरा-रमरणोलपिजझत-वीत-तिवहार तिवचिचतितत तिनरम13ल तिनरहकार |अशिचनतय-चरिरS तिवदप13 तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिववण13 तिवगध तिवरमान तिवलोभ तिवरमाय तिवकाय तिवशबद तिवशोभ |अनाकल कवल सव13 तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

घतता

असरम-सरमयसार चार-चतनय शिचहनपर-परणतित-रमकत पदमनदीनदर-वनदयरम |तिनगनिखल-गण-तिनकत शिसदधचकर तिवशदधसरमरतित नरमतित यो वा सतौतित सोऽभयतित रमशिकतरम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

अविbलल छद

अतिवनाशी अतिवकार पररम-रस-धारम होसरमाधान सव13जञ सहज अभिभरारम हो |शदधबदध अतिवरदध अनादिद अनत होजगत-शिशरोरमभिण शिसदध सदा जयवत हो ||

धयान अगनि=नकर करम13 कलक सब दहतिनतय तिनरजन दव सवरपी हव रह |जञायक जञयाकार रमरमतव तिनवार क |सो पररमातरम शिसदध नरम शिसर नाय क ||

अतिवचल जञान परकाशत गण अननत की खान |धयान धर सो पाइए पररम शिसदध भगवान ||

अतिवनाशी आननद रमय गण परण भगवान |शशिकत तिहय पररमातरमा सकल पदाररथ जान ||

इतरयाशीादः पषपाजलिल भिकषपत |

पच पररममिषट पजा

तितभयोअरिरहत शिसदध आचाय13 नरमनह उपाधयाय ह साध नरमनजय पञच पररम पररमषठी जय भव सागर तारण हार नरमनरमन-वच-काया पव13क करता ह शदध हदय स आहवानन रमरम हदय तिवराजो तितषठ तितषठ समिननकट होह रमर भगवन तिनज आतरमततव की परापतिपत हत ल अषट दरवय करता पजन तव चरणो की पजन स परभ तिनज शिसदध रप का हो दश13न ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पररममिषठन अS अवतर अवतर सवौरषट (आहवाननरम)अS तितषठ तितषठ ठठ(ापन )अS रमरम समिननतिहतो भवभव वरषट (समिननमिधकरण )

रम तो अनादिद स रोगी ह उपचार करान आया ह तरम सरम उजजवलता पान कोउजजवल जल भरकर लाया ह रम जनरम जरा रमत नाश कर ऐसी दो शशिकत हदय सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐहरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पचपररममिषठभयोजनरमजरारमतय तिवनाशनाय जल तिनव13पारमीतित सवाहा ||

ससार ताप रम जल जल कर रमन अगभिणत दःख पाय हतिनज शात सवभाव नही भाया पर क ही गीत सहाए ह शीतल चदन ह भट तमह ससार ताप नाशो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयोससारताप तिवनाशनाय चनदन तिनव13पारमीतित सवाहा ||

दःखरमय अरथाह भव सागर रम रमरी यह नौका भटक रही शभ-अशभ भाव क भवरो रम चतनय तिनज शशिकत अटक रही तदल ह धवल तमह अरतिपत अकषय पद परापत कर सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो

अकषय पद परापतय अकषत तिनव13पारमीतित सवाहा ||

रम कारम वयरथा स घायल हसख की न मिरमली तिकलपिञचत छाया चरणो रम पषप चढ़ाता हतरम को पाकर रमन हरषा13या ह रम कारम भाव तिवधवस कर ऐसा दो शील हदय सवारमीह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो कारमबाण तिवधवसाय पषप तिनव13पारमीतित सवाहा||

रम कषधा रोग स वयाकल ह चारो गतितयो रम भररमाया हजग क सार पदारथ13 पाकर भी तपत नही हो पाया ह नवदय सरमरतिपत करता ह यह कषधा रोग रमटो सवारमीह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो कषधा रोग तिवनाशनाय नवदय तिनव13पारमीतित सवाहा ||

रमोहानध रमहा-अजञानी रम तिनज को पर का कता13 रमाना मिरमथया तरम क कारण रमनतिनज आतरमसवरप न पतिहचाना रम दीप सरमप13ण करता ह रमोहानधकार कषय हो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो रमोहानधकार तिवनाशनाय दीप तिनव13पारमीतित सवाहा ||

करम~ की जवाला धधक रहीससार बढ़ रहा परतित पल सवर स आसरव को रोक तिनज13रा सरभिभ रमहक पल पल रम धप चढ़ा कर अब आठोकरम~ का हनन कर सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो अषटकरम13 तिवधवसनाय धप तिनव13पारमीतित सवाहा||

तिनज आतरमततव का रमनन कर चिचतवन कर तिनज चतन का दो शरदधा जञान चरिरS शरषठसचचा पद रमोकष तिनकतन का उततरम फल चरण चढ़ाता हतिनवा13ण रमहा फल हो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पचपररममिषठभयो रमोकष फल परापताय फल तिनव13पारमीतित सवाहा ||

जल चदन अकषत पषप दीपनवदय धप फल लाया ह अब तक क सशिचत करम~ का रम पज जलान आया ह यह अरघयय13 सरमरतिपत करता हअतिवचल अनरघयय13 पद दो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव भव दःख रमटो अनतया13रमीॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पचपररममिषठभयो अनरघयय13पद परापताय अरघययs तिनव13पारमीतित सवाहा ||जयरमाला जय वीतराग सव13जञ परभोतिनज धयान लीन गणरमय अपार अषटादश दोरष रतिहत जिजनवरअह13नत दव को नरमसकार अतिवकलअतिवकारीअतिवनाशीतिनजरपतिनरजनतिनराकार जय अजर अरमर ह रमशिकतकतभगवत शिसदध को नरमसकार छततीस सगण स तरम रमतिडततिनशचय रतनSय हदय धार ह रमशिकत वध क अनरागीआचाय13 सगर को नरमसकार एकादश अग पव13 चौदह कपाठी गण पचचीस धारबराहयातर रमतिन रमदरा रमहानशरी उपाधयाय को नरमसकार वरत सरमीतित गपतिपत चारिरS परबलवरा=य भावना हदय धार ह दरवय-भाव सयरम रमय रमनवरसव13 साध को नरमसकार बह पणय सयोग मिरमला नरतनजिजनशरत जिजनदव चरण दश13न हो समय=दश13न परापत रमझ तो सफल बन रमानव जीवन तिनज पर का भद जानकार रमतिनज को ही तिनज रम लीन कर अब भद जञान क दवारा रमतिनज आतरम सवय सवाधीन कर तिनज रम रतनSय धारण करतिनज परिरणतित को ही पतिहचान पर परणतित स हो तिवरमख सदातिनज जञान ततव को ही जान जब जञान-जञय-जञाता तिवकAप तजशकलधयान रम धयाऊगा जब चार घातितया कषय करकअरिरहत रमहापद पाऊगा ह तिनभिशचत शिसदध सवपद रमराह परभ कब इसको पाउगा समयक पजा फल पान कोअब तिनजसवभाव रम आऊगा अपन सवरप की परापतिपत हतह परभ रमन की ह पजन तब तक चरणो रम धयान रहजब तक न परापत हो रमशिकत सदन

ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13 साधपञचपररममिषठभयोऽनघ13 पद परापतय रमहाघs तिनव13पारमीतित सवाहा

ह रमगल रप अरमगल हररमगलरमय रमगल गान कर

रमगल रम पररथरम शरषठ रमगलनवकार रमS का धयान कर पषपाजशिल भिकषपत

नवदवता पजाअरिरहत लिसदधाचारय पाठक साध वितरभन नदय ह |

जिजनधम जिजनागम जिजनशवरा मरतित जिजनगरह नदय ह ||

नदता रय मानरय जग म हम सदा अचा कर |

आहन कर थाप रयहा मन म अतल शरदधा धर ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरय-समह

अतर अतर अतर-समोषत आवहान

अतर-वितषठ-वितषठ ठः ठः सथापन

अतर मम-सविहतो-भ-भ-षट सलिVलिधकरण

गगानदी का नीर तिनरम13ल बाहय रमल धोव सदा |

अतर रमलो क कषालन को नीर स पज रमदा ||

नवदवताओ की सदा जो भशिकत स अचा13 कर |

सब शिसजिदध नवतिनमिध रिरजिदध रमगल पाए शिशवकानता वर ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो जनम-जरा मतरय विनाशनारय जल विनपामिमवित साहा |

कपर मिरमभिशरत गध चनदन दह ताप तिनवारता |

तरम पाद पकज पजत रमन ताप तरनत ही वारता || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो ससार-ताप विनाशनारय चनदन विनपामिमवित साहा |

कषीरोदमिध क फन सरम शिसत तनदलो को ल क |

उततरम अखतिडत सौखय हत पज नव सचढाय क || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो अकषरय पद परापतरय अकषत विनपामिमवित साहा |

चपा चरमली कवडा नाना सगममिनधत ल शिलए |

भव क तिवजता आपको पजत सरमन अप13ण तिकय || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो काम-बाण विनाशनारय पषप विनपामिमवित साहा |

पायस रमधर पकवान रमोदक आदिद को भर रथाल रम |

तिनज आतरम अरमत सौखय हत पजह नत भाल रम || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो कषधा-रोग विनाशनारय नरधवारयम विनपामिमवित साहा |

कपर जयोतित जगरमग दीपक शिलया तिनज हारथ रम |

तअ आरती तरम वारती पाऊ सजञान परकाश रम || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो मोह-अनधकार विनाशनारय दीप विनपामिमवित साहा |

दश गध धप अनप सरभिभत अगनि=न रम खऊ सदा |

नीज आतरमगण सौरभ उठ हो करम13 सब रमझस तिवदा || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो अC-कम-दहनारय धप विनपामिमवित साहा |

अगर अरमरख आरम अरमतफल भराऊ रथाल रम |

उततरम अनपरम रमोकष फल क हत पज आज रम || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो महा-मोकष-फल परापतारय विनपामिमवित साहा |

जल गध अकषत पषप चार दीप सधप फलाघ13 ल |

दर रतनSय तिनमिध लाभ यह बस अघ13 स पजत मिरमल || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो अनघ पद परापतारय अघ_ विनपामिमवित साहा |

दोहा-

जलधारा स तिनतय रम जग रम शातित हत |

नव दवो को पजह शरदधा भशिकत सरमत ||

(शानतरय शावितधारा)

नानातिवमिध क सरमन लरमन रम बह हरषा13य |

रम पज नव दवता पषपाजशिल चढ़ाय ||

(दिदवय पषपाजलिल)

जावय-

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो नमः |

(९२७ या १०८ बार )

जरयमाला

शिचलपिचचनतारमणी रतन तीन लोक रम शरषठ हो |

गाऊ गण रमभिणरमाल जयवनत वदो सदा ||

जय जय शरी अरिरहत दव दव हरमार |

जय घातितया को घात सकल जत उबार ||१||

जय जय परशिसदद शिसदध की रम वदना कर |

जय अषट करम13 रमशिकत की रम अच13ना कर ||२||

आचाय13 दव गण छततीस धार रह ह |

दिदकषादी द असखय भवय तार रह ह ||

जवनत उपाधयाय गर जञान क धनी |

सनरमाग13 क उपदश की वरषा13 कर धनी ||३||

जय साध अठाईस गणो धर सदा |

तिनज आतरमा की साधना स चयत न हो कदा ||

य पञच पररम दव सदा वनददय हरमार |

ससार तिवरषय शिसनध स हरम भी उबार ||४||

जिजन धरम13 चकर सदा चलता ही रहगा |

जो इसकी शरण ल वो सदा सलझता ही रहगा ||

इसकी धवतिन तिपयरष का जो पान करग |

भव रोग दर कर वो रमशिकत कानत बनग ||५||

जिजन चतय की जो वदन तिSकाल कर ह |

व शिचतसवरप तिनतय आतरम लाभ कर ह ||

कतितरम अकरतितरम जिजनालयो को जो भज |

व करम13 शS जीत शिशवालय रम जा बस ||६||

नवदवताओ की जो तिनत आराधना कर |

व मरतयराज की भी तो तिवराधना कर ||

रम करम13 शS जीतन क हत ही जज |

समपण13 जञानरमती शिसजिदध हत ही भज ||७||

दोहा-

नव दवो की भशिकतवशकोदिट कोदिट परणारम |

भशिकत का फल रम चह तिनज पद रम तिवशरारम ||८||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो जरयमाला पणाध_ विनपामिमवित साहा |

जो भवय शरदधा भशिकत स नव दवताओ की भशिकत कर |

व सब अरमगल दोरष हर सख शातित रम झला कर ||

नवतिनमिध अतल भणडार ल तिफर रमोकष सख भी पावत |

सख शिसनध रम हो रम=न तिफर यहा पर कभी न आवत ||९||

इतरयाभिशादः

|| पषपाजलिल भिकषपत ||

समयक दश13न पजादोहा

लिसदध अC-गणमरय परगट मN-जी-सोपान |जञान चरिरत जिजह विबन अफल समरयक दश परधान ||ॐ हरी अCाग समरयगदशन अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी अCाग समरयगदशन अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी अCाग समरयगदशन अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

सोरठा ndashनीर सगध अपार तरषा हर रमल छय कर |समय=दश13न सार आठ अग पजौ सदा ||ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय जल विनपामीवित साहा |1|जल कशर घनसार ताप हर शीतल कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय चनदन विनपामीवित साहा |2|अछत अनप तिनहार दारिरद नाश सख भर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय अकषतान विनपामीवित साहा |3|पहप सवास उदार खद हर रमन शशिच कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय पषप विनपामीवित साहा |3|नवज तिवतिवध परकार छधा हर शिरथरता कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय नदय विनपामीवित साहा |5|दीप-जयोतित तरमहार घट पट परकाश रमहा | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय दीप विनपामीवित साहा |6|धप घरान-सखकार रोग तिवघन जड़ता हर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय धप विनपामीवित साहा |7|

शरीफल आदिद तिवरथार तिनहच सर-शिशव-फल कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय फल विनपामीवित साहा |8|जल गधाकषत चार दीप धप फल फल चर |समय=दश13न सार आठ अग पजौ सदा ||ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जरयमालादोहा ndash आप आप तिनहच लख तततव-परीतित वयोहार |रतिहत दोरष पचचीस ह सतिहत अषट गन सार |1|समयक दरशन-रतन गहीज जिजन-वच रम सदह न कीज |इह भव तिवभव-चाह दखदानी पर-भव भोग चह रमत परानी |2|परानी तिगलान न करिर अशशिच लगनिख धररम गर परभ परगनिखय |पर-दोरष ढतिकय धररम तिडगत को सशिरथर कर हरगनिखय |3|चह सघ को वातसAय कीज धररमकी परभावना |गन आठ सो गन आठ लतिहक इहा फर न आवना |4|ॐ हरी अCागसविहत पचविशवित दोषरविहत समरयगदशनारय पणारघयरय_विन 0 |इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

समयक जञान पजादोहा ndash

पच भद जाक परकट जञरय-परकाशन-भान |मोह ndash तपन ndash हर चदरमा सोई समरयक जञान ||ॐ हरी अCविध समरयगजञान अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी अCविध समरयगजञान अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी अCविध समरयगजञान अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

सोरठा ndash नीर सगध अपार तरषा हर रमल छय कर |समय=जञान तिवचार आठभद पजौ सदा ||

ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय जल विनपामीवित साहा |1|जल कशर घनसार ताप हर शीतल कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयरगजञानारय चदन विनपामीवित साहा |2|अछत अनप तिनहार दिदाद नाश सख भर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय अकषतान विनपामीवित साहा |3|पहप सवास उदार खद हर शशिच कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय पषप विनपामीवित साहा |4|नवज तिवतिवध परकार छधा हर शिरथरता कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय नदय विनपामीवित साहा |5|दीप-जयोतित तरम-हार घट-पट परकाश रमहा | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय दीप विनपामीवित साहा |6|धप घरान-सखकर रोग तिवघन जड़ता हर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय धप विनपामीवित साहा |7|शरीफल आदिद तिवरथार तिनहच सर-शिशव फल कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय फल विनपामीवित साहा |8|जल गधाकषत चार दीप धप फल फल चर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जरयमालादोहा ndash आप आप जान तिनयत गरनथ पठन वयौहार |सशय तिवभररम रमोह तिबन अषट अग गनकार ||समयक जञान-रतन रमन भाया आगरम तीजा नन बताया |अकषर शदध अरथ13 पतिहचानो अकषर अररथ उभय सग जानो ||जानो सकाल-पठन जिजनागरम नारम गर न शिछपाइय |तप रीतित गतिह बह रमौन दक तिवनय गण शिचत लाइय ||य आठ भद कररम उछदक जञान-दप13ण दखना |इस जञान ही सो भरत सीझ और सब पटपखना ||ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

समयक चारिरS पजादोहा ndash

विषरय-रोगा औषध महा द-कषारय जल-धार |तीथ_कर जाको धर समरयक चारिरतर सार ||ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतर अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

सोरठा ndash नीर सगनध अपार तरषा हर रमल छय कर |समयक चारिरत सार तरहतिवध पजौ सदा ||ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय जल विनपामीवित साहा |1|जल कशर घनसार ताप हर शीतल कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय चदन विनपामीवित साहा |2|अछत अनप तिनहार दारिरद नाश सख भर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय अकषतान विनपामीवित साहा |3|पहप सवास उदार खद हर शशिच कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय पषप विनपामीवित साहा |4|नवज तिवतिवध परकार छधा हर शिरथरता कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय नदय विनपामीवित साहा |5|दीप-जयोतित तरम-हार घट-पट परकाश रमहा | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय दीप विनपामीवित साहा |6|धप घरान-सखकर रोग तिवघन जड़ता हर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय धप विनपामीवित साहा |7|शरीफल आदिद तिवरथार तिनहच सर-शिशव फल कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय फल विनपामीवित साहा |8|जल गधाकषत चार दीप धप फल फल चर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जरयमाला

दोहा ndashआप आप शिरथर तिनयत नय तप सजरम वयौहार |सव-पर-दया दोनो शिलय तरहतिवध दखहार ||

चौपाई ndashसमयक चारिरत रतन सभालो पाच पाप तजिजक वरत पालो |पचसमिरमतित Sय गपतित गतिहज नरभव सफल करह तन छीज |छीज सदा तन को जतन यह एक सजरम पाशिलय |बह रAयो नरक-तिनगोद रमाही तिवरष-करषायतिन टाशिलय ||शभ कररम जोग सघाट आयो पार हो दिदन जात ह |lsquoदयानतrsquo धररम की नाव बठो शिशवपरी कशलात ह ||ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

समचचरय-जरयमाला

दोहा ndashसमयक दरशन-जञान-वरत इन तिबन रमकतित न होय |अनध पग अर आलसी जद जल दव-लोय || 1|

चौपाई

जाप धयान सशिरथर बन आव ताक कररम-बध कट जाव |तासो शिशव-तितय परीतित बढ़ाव जो समयक रतन-Sय धयाव |2|ताको चह गतित क दख नाही सो न पर भव-सागर रमाही |जनरम-जरा-रमत दोरष मिरमटाव जो समयक रतन-Sय धयाव |3|सोई दश लकषनको साध सो सोलह कारण आराध |सो पररमातरम पद उपजाव जो समयक रतन-Sय धयाव |4|सो शकर-चतिकरपद लई तीन लोक क सख तिवलसई |सो रागादिदक भाव बहाव जो समयक रतन-Sय धयाव |5|सोई लोकालोक तिनहार पररमानद दशा तिवसतार |आप तितर औरन तितरवाव जो समयक रतन-Sय धयाव |6|

दोहा ndashएक सवरप-परकाश तिनज वचन कहयो नकिह जाय |तीन भद वयोहार सब lsquoदयानतrsquo को सखदाय |7|ॐ हरी समरयगदशन समरयगजञान समरयक चारिरतरभरयः महारघयरय_ विनपामीवित साहा

रतनSय पजाचहगवित-फनी-विष-हरण-मभिण दःख-पाक-जल-धार |

भिश-सख-सधा-सरोरी समरयक-तररयी विनहार ||

ॐ हरी समरयक रतनतररय धम अतर अतर अतर सौषट (आवहान जरय)|

अतर वितषठ वितषठ ठ ठ (सथापन जरय) |

अतर मम सलिVविहतो भ भ षट (सविनविहलिधकरण जरय) |

कषीरोदमिध उनहार उजजवल जल अतित सोहनो |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय जनम-जरा-मतरय-विनाशारय जल विन साहा |

चनदन-कसर-गरी परिररमल-रमहा-सरग-रमय |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय भ-आताप-विनाशारय चनदन विन साहा |

तदल-अरमर-शिचतार वासरमती-सखदास क |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय अकषरय-पद-परापतारय अकषत विन साहा |

रमहक फल अपार अली गज जयो रथतित कर |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय काम-बाण-विरधवासनारय पषप विन साहा |

लाड बह तिवसतार चीकन मिरमषट सगध यकत |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय कषधा-रोग-विनाशारय नदय विन साहा |

दीप-रतनरमय सार जोत परकाश जगत रम |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय मोहानधकार-विनाशारय दीप विन साहा |

धप सवास तिवरथार चनदन अगर कपर की |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय अC-कम-दहनारय धप विन साहा |

फल शोभा अमिधकार लौग छआर जायफल |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय महा-मोकष-फल-परापतारय फल विन साहा |

आठ दरब तिनरधार उततरम सो उततरम शिलय |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय अनघ-पद-परापतारय अघ_ विन साहा |

समयक दश13न lsquoजञानrsquo वरत शिशव-रमग तीनो रमयी |

पार उतारन आन lsquoधयानातrsquo पजो वरत सतिहत ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय पणारघयरय_ विन साहा |

आदिदनारथ पजानाभिभरारय मरदवि क ननदन आदिदनाथ सामी महाराज

साथलिसभिदध त आप पधार मरधवारय लोक माविह जिजनराज

इनदरद सब मिमलकर आरय जनम महोतस करन काज

आहवानन सब विलिध मिमल करक अपन कर पज परभ पारय

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदर अतर अतर अतर सौषट

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठ ठ

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट

कषीरोदलिध को उजजल जल ल शरी जिजनर पद पजन जारय

जनम जरा दख मटन कारन लरयारय चढाऊ परभ क पारय

शरी आदिदनाथ क चरणकमल पर बलिल-बलिल जाऊ मन च कारय

ह करणाविनलिध भ दख मटो रयात म पजो परभ पारय

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विनपामीवित साहा

मलरयाविगरिर चनदन दाहविनकनदन कचन झारी म भर लरयारय

शरीजी क चरण चढाो भविजन भ आताप तरत मिमट जारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय ससारतापविनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा

शभशालिल अखविbत सौरभ मविbत परासक जल सौ धोकर लरयारय

शरीजी क चरण चढाो भविजन अकषरयपद को तरत उपारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विनपामीवित साहा

कमल कतकी बल चमली शरी गलाब क पषप मगारय

शरीजी क चरण चढाो भविजन कामबाण तरत विह नलिस जारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विनपामीवित साहा

नज लीना षट-रस भीना शरी जिजनर आग धरारय

थाल भराऊ कषधा नसाऊ जिजन गण गात मन हरषारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विनपामीवित साहा

जगमग जगमग होत दशो दिदश जरयोवित रही मजिनदर म छारय

शरी जी क सनमख करत आरती मोहवितमिमर नास दखदारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय मोहानधकारविनाशनारय दीप विनपामीवित साहा

अगर कपर सगनध मनोहर चनदन कट सगनध मिमलारय

शरी जी क सनमख खरय धपारयन कम जर चहगवित मिमदिट जारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विनपामीवित साहा

शरीफल और बदाम सपारी कला आदिद छहारा लरयारय

महामोकषफल पान कारन लरयारय चढाऊ परभ क पारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय मोकषफलपरापतरय फल विनपामीवित साहा

शलिच विनमल नीर गनध सअकषत पषप चर ल मन हरषारय

दीप धप फल अघ सलकर नाचत ताल मदग बजारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अनघपदपरापतरय अघ_ विनपामीवित साहा

पञचकलरयाणकाघ

सारथ लिसभिदध त चरय मरदी उर आरय

दोज अलिसत आषाढ की जज वितहार पारय

ॐ हरी आषाढक़षणवितीरयारया गभकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

चतदी नौमी दिदना जनमरया शरी भगान

सरपवित उतस अवितकरा म पजौ धरिर रधवारयान

ॐ हरी चतरकषणनमरया जनमकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

तणत ऋभिदध सब छाडिb क तप धारया न जारय

नौमी चतर Acirc असत Acirc कीAcirc जजAcirc वितहार पारय

ॐ हरी चतरकषणनमरया तपकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

फालगन दिद एकादशी उपजरयो कलजञान

इनदर आरय पजा करी म पजो इह थान

ॐ हरी फालगनकषणकादशरया जञानकलरयाणक परापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

माघ चतद भिश कषण की मोकष गरय भगान

भवि जीो को बोलिध क पहच भिशपर थान

ॐ हरी माघकषणचतदशरया मोकषकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

जरयमाला

आदीशवर महाराज Acirc म Acirc विनतीAcirc तमसAcirc कर

चारो गवित क माविह मAcirc दख Acirc पारयो सो सनो

अC कम Acirc मAcirc एकलो रयह दC महादख दत हो

कबह इतर विनगोद म मोक पटकत करत अचत हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ कबहक पटकरयो नरक म जठ जी महादख पारय हो

विनषठर विनरदई नारकी जठ करत परसपर घात हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ नरक तणा दख अब कह जठ करत परसपर घात हो

कोइरयक बारधवारयो खभसरयो पापी द मदगर की मार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

कोइरयक काट करोत सो पापी अगतणी दोरय फाड हो

परभ रयह विलिध दख भगतरया घणा विफर गवित पाई वितररयच हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

विहरणा बकरा बाछला पश दीन गरीब अनाथ हो

पकड कसाई जाल म पापी काट काट तन खारय हो

परभ म ऊट बलद भसा भरयो जाप लादिदरयो भार अपार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

नविह चालरयौ जब विगर परय पापी द सोटन की मार हो

परभ कोइरयक पणरय सजोग स म तो पारयो सग विनास हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

दागना सग रमिम रहयो जठ भोगविन को परकास हो

परभ सग अपसरा रमिम रहयो कर कर अवित अनराग हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

कबहक नदनन विष परभ कबहक नगह माविह हो

परभ रयह विलिधकाल गमारय क विफर माला गई मरझारय हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

द लिथती सब घट गई विफर उपजरयो सोच अपार हो

सोच करत तन खिखर पडयो विफर उपजरयो गरभ म जारय हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ गभतणा दख अब कह जठ सकडाई की ठौर हो

हलन चलन नविह कर सकरयो जठ सघन कीच घनघोर हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

माता खा चरपरोAcirc विफर Acirc लागAcirc तन Acirc सताप Acirc हो

परभ जो जननी तातो भख विफर उपज तन सताप हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

औध मख झलरयो रहयो फर विनकसन कौन उपारय हो

कदिठन-कदिठन कर नीसरयो जस विनसर जतरी म तार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ विफर विनकसत ही धरतरया पडयो विफर लागी भख अपार हो

रोरय-रोरय विबलखरयो घणो दख दन को नविह पार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ दख मटन समरथ धनी रयात लाग वितहार पारय हो

सक अरज कर परभ मोक भदलिध पार उतार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अनघपदपरापतरय महाघ_ विनपामीवित साहा

दोहा

शरीजी की मविहमा अगम ह कोई न पा पार

म मवित अलप अजञान ह कौन कर विसतार

विनती ऋषभ जिजनश की जो पढसी मन लरयारय

सरगो म सशरय नही विनहच भिशपर जारय

चनदरपरभ पजाचारचरन आचरन चरन लिचतहरन लिचनह चर |

चद-चद-तनचरिरत चद थल चहत चतर नर ||

चतक चb चकचरिर चारिर लिचदचकर गनाकर |

चचल चलिलत सरश चलनत चकर-धनरहर ||

चर अचर विहत तारन तरन सनत चहविक लिचर नद शलिच |

जिजनचद चरन चरचरयो चहत लिचतचकोर नलिच रचचिचच रलिच |1|

दोहाः- धनरष डढ़ सौ तग तन रमहासन नपनद |

रमात लकषरमना उर जय रथापौ चद जिजनद |2|

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदर अतर अतर अतर सौषट |

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

गगाहरद तिनररमल नीर हाटक भग भरा |

तरम चरन जजौ वरवीर रमटो जनरम जरा ||

शरी चदरनारथ दतित चद चरनन चद लस |

रमन वच तन जजत अरमद-आतरम-जोतित जग ||

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

शरीखणड कपर सचग कशर रग भरी |

घशिस परासक जल क सग भवआताप हरी ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

तदल शिसत सोरम सरमान सरम लय अतिनयार |

दिदय पज रमनोहर आन तरम पदतर पयार ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

सर दररम क सरमन सरग गमिधत अशिल आव |

ता सो पद पजत चग कारमतिवधा जाव ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

नवज नाना परकार इदिदरय बलकारी |

सो ल पद पजौ सार आकलता-हारी ||

शरी चदरनारथ दतित चद चरनन चद लस |

रमन वच तन जजत अरमद-आतरम-जोतित जग ||

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

तरम भजन दीप सवार तरम दिढग धारत हौ |

रमरम तितमिरमररमोह तिनरवार यह गण याचत हौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

दसगध हतासन रमाकिह ह परभ खवत हौ |

रमरम कररम दषट जरिर जाकिह या त सवत हौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

अतित उततरम फल स रमगाय तरम गण गावत हौ |

पजौ तनरमन हररषाय तिवघन नशावत हौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

सजिज आठो दरब पनीत आठो अग नरमौ |

पजौ अषटरम जिजन रमीत अषटरम अवतिन गरमौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली

कशिल पचरम चत सहात अली गरभागरम रमगल रमोद भली |

हरिर हरतिरषत पजत रमात तिपता हरम धयावत पावत शरम13शिसता ||

ॐ हरी चतरकषणा पचमरयागभमगलविbतारय शरीचनदरपरभजिजननदरारय अरघयरय_ विन0 |1|

कशिल पौरष एकादशिश जनरम लयो तब लोकतिवरष सख रथोक भयो |

सरईश जज तिगरिरशीश तब हरम पजत ह नत शीश अब ||

ॐ हरी पौषकषणकादशरया जनममगल मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |2|

तप ददधर शरीधर आप धरा कशिल पौरष इ=यारशिस पव13 वरा |

तिनज धयान तिवरष लवलीन भय धतिन सो दिदन पजत तिवरघयन गय ||

ॐ हरी पौषकषणकादशरया तपोमगल मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |3|

वर कवल भान उदयोत तिकयो तितहलोकतणो भररम रमट दिदयो |

कशिल फाAगन सपतमिरम इदर जज हरम पजकिह सव13 कलक भज ||

ॐ हरी फालगनकषणा सपतमरया कलजञान मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |4|

शिसत फाAगन सपतमिरम रमशिकत गय गणवत अनत अबाध भय |

हरिर आय जज तितत रमोद धर हरम पजत ही सब पाप हर ||

ॐ हरी फालगनशकला सपतमरया मोकषमगल मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |5|

जरयमाला

दोहाः- ह रमगाद अतिकत चरण तरम गण अगरम अपार |

गणधर स नकिह पार लकिह तौ को वरनत सार |1|

प तरम भगतित रमरम तिहय परर अतित उरमगाय |

तात गाऊ सगण तरम तरम ही होउ सहाय |2|

जय चदर जिजनदर दयातिनधान भवकानन हानन दव पररमान |

जय गरभ जनरम रमगल दिदनद भतिव-जीव तिवकाशन शरम13 कनद |3|

दशलकष पव13 की आय पाय रमनवाशिछत सख भोग जिजनाय |

लगनिख कारण हव जगत उदास चिचतयो अनपरकषा सख तिनवास |4|

तितत लोकातितक बोधयो तिनयोग हरिर शिशतिवका सजिज धरिरयो अभोग |

ताप तरम चदिढ़ जिजनचदराय ताशिछन की शोभा को कहाय |5|

जिजन अग सत शिसत चरमर ढार शिसत छS शीस गल गलक हार |

शिसत रतन जतिड़त भरषण तिवशिचS शिसत चनदर चरण चरच पतिवS |6|

शिसत तनदयतित नाकाधीश आप शिसत शिशतिवका काध धरिर सचाप |

शिसत सजस सरश नरश सव13 शिसत शिचतत रम चिचतत जात पव13 |7|

शिसत चदर नगर त तिनकशिस नारथ शिसत वन रम पहच सकल सारथ |

शिसत शिशला शिशरोरमभिण सवचछ छाह शिसत तप तितत धायAcirc तरम जिजनाह |8|

शिसत पय को पारण पररम सार शिसत चदरदतत दीनो उदार |

शिसत कर रम सो पय धार दत रमानो बाधत भवचिसध सत |9|

रमानो सपणय धारा परतचछ तितत अचरज पन सर तिकय ततचछ |

तिफर जाय गहन शिसत तप करत शिसत कवल जयोतित ज=यो अननत |10|

लतिह सनवसरन रचना रमहान जा क दरसन सब पाप हान |

जह तर अशोक शोभ उतग सब शोक तनो चर परसग |11|

सर सरमन वमिषट नभ त सहात रमन रमनरमरथ तजिज हशिरथयार जात |

बानी जिजनरमख सो गनिखरत सार रमन ततव परकाशन रमकर धार |12|

जह चौसठ चरमर अरमर ढरत रमन सजस रमघ झरिर लतिगय तत |

चिसहासन ह जह करमल जकत रमन शिशव सरवर को करमल शकल |13|

ददभिभ जिजत बाजत रमधर सार रमन कररमजीत को ह नगार |

शिशर छS तिफर Sय शवत वण13 रमन रतन तीन Sय ताप हण13 |14|

तन परभा तनो रमडल सहात भतिव दखत तिनज भव सात सात |

रमन दप13ण दयतित यह जगरमगाय भतिवजन भव रमख दखत स आय |15|

इतयादिद तिवभतित अनक जान बातिहज दीसत रमतिहरमा रमहान |

ता को वरणत नकिह लहत पार तो अतरग को कह सार |16|

अनअत गणतिनजत करिर तिवहार धररमोपदश द भवय तार |

तिफर जोग तिनरोध अघातितहान समरमदरथकी शिलय रमकतितरथान |17|

lsquoवनदावनrsquo वदत शीश नाय तरम जानत हो रमरम उर ज भाय |

ता त का कहौ स बार बार रमनवाशिछत कारज सार सार |18|

जय चद जिजनदा आनदकदा भवभयभजन राज ह |

रागा दिदक दवदा हरिर सब फदा रमकतित रमातिह शिरथतित साज ह |19|

ॐ हरी शरीचनदरपरभजिजनदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

आठो दरब मिरमलाय गाय गण जो भतिवजन जिजनचद जज |

ता क भव-भव क अघ भाज रमशिकतसार सख तातिह सज ||

जरम क Sास मिरमट सब ताक सकल अरमगल दर भज |

lsquoवनदावनrsquo ऐसो लगनिख पजत जा त शिशवपरिर राज रज ||

इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

रमहावीर सवारमीशरीमत ीर हर भपीर भर सखसागर अनाकलताई |

कहरिर अक अरीकरदक नरय हरिर पकवित मौलिल सआई ||म तमको इत थापत हौ परभ भलिN समत विहरय हरषाई |ह करणा-धन-धारक द इहा अब वितषठह शीघरविह आई ||ॐ हरी शरीदधमान जिजननदर अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी शरीदधमान जिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी शरीदधमान जिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

कषीरोदलिधसम शलिच नीर कचन भग भरौ |परभ विग हरो भपीर रयात धार करौ ||शरी ीर महा-अवितीर सनमवित नारयक हो |जरय दधमान गणधीर सनमवितदारयक हो ||ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

रमलयातिगर चनदनसार कसर सग घसौ |परभ भवआताप तिनवार पजत तिहय हलसौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

तदल शिसत-शशिशसरम शदध लीनो रथार भरी |तस पज धरौ अतिवरदध पावौ शिशवनगरी ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

सरतर क सरमन सरमत सरमन सरमन पयार |सो रमनरमरथ भजन हत पजौ पद रथार ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

रसरजजत सजजत सदय रमजजत रथार भरी |पद जजजत रजजत अदय भजजत भख अरी ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

तरमखतिडत रमतिडत नह दीपक नह दीपक जोवत हौ |तरम पदतर ह सखगह भररमतरम खोवत हौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

हरिरचदन अगर कपर चर सगध करा |तरम पदतर खवत भरिर आठो करम13 जरा ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

रिरत फल कल-वरजिजत लाय कचन भरौ |शिशव फलतिहत ह जिजनराय तरम दिढग भट धरौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

जल फल वस सजिज तिहरम रथार तन रमन रमोद धरौ |गण गाऊ भवदमिधतार पजत पाप हरौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली रमोतिह राखो हो शरणा शरी वदध13रमान जिजनरायजी रमोतिह राखो0 |गरभ साढ़ शिसत छटट शिलयो शिरथत तिSशला उर अघ हरना |सर सरपतित तितत सव करी तिनत रम पज भवतरना ||

रमोतिह राखो हो शरणा शरी वदध13रमान जिजनरायजी रमोतिह राखो हो शरणा |ॐ हरी आषाढशकलाषषठया गभमगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |1|

जनरम चत शिसत तरस क दिदन कणडलपर कन वरना |सरतिगरिर सरगर पज रचायो रम पजौ भवहरना |रमोतिह0ॐ हरी चतरशकलातररयोदशरया जनममगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |2|

रमगशिसर अशिसत रमनोहर दशरमी ता दिदन तप आचरना |नपतित कल घर पारन कीनो रम पजौ तरम चरना |रमोतिह0ॐ हरी मागशीषकषणादशमरया तपोमगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |3|

शकल दश वशाख दिदवस अरिर घात चतक कषय करना |कवल लतिह भतिव भवसर तार जजौ चरन सख भरना |रमोतिह0ॐ हरी शाखशकलादशमरया कलजञानमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |4|

कारतितक शयारम अरमावस शिशव तितय पावापर त वरना |गणफतिनवनद जज तितत बहतिवध रम पजौ भयहरना |रमोतिह0ॐ हरी कारतितककषणाअमासरयारया मोकषमगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |5|

जरयमालागणधर अशतिनधर चकरधर हलधर गदाधर वरवदा |अर चापधर तिवदयासधर तितरशलधर सवकिह सदा ||दखहरन आनदभरन तारन तरन चरन रसाल ह |सकरमाल गण रमतिनरमाल उननत भालकी जयरमला ह ||

जय तिSशलानदन हरिरकतवदन जगदानदन चदवर |भवतापतिनकदन तनकनरमदन रतिहत सपदन नयन धर ||

जय कवलभान-कला-सदन भतिव-कोक-तिवकाशन कदवन |जगजीत रमहारिरप रमोहहर रजजञान-दगावर चर कर |1|गभा13दिदक रमगल रमतिडत हो दखदारिरद को तिनत खतिडत हो |जग रमाकिह तमही सतपतिडत हो तरम ही भवभाव-तिवहतिडत हो |2|हरिरवश सरोजन को रतिव हो बलवत रमहत तमही कतिव हो |लतिह कवलधरम13 परकाश तिकयो अबलो सोई रमारग राजतितयो |3|पतिन आप तन गण रमाकिह सही सररम=न रह जिजतन सबही |तितनकी वतिनता गनगावत ह लय-तानतिनसो रमनभावत ह |4|पतिन नाचत रग उरमग-भरी तअ भशिकत तिवरष पग एरम धरी |झनन झनन झनन झनन सर लत तहा तनन तनन |5|घनन घनन घनघट बज दरमद दरमद दरमद मिरमरदग सज |गगनागन-गभ13गता सगता ततता ततता ततता अतता तिवतता |6|धगता धगता गतित बाजत ह सरताल रसालज छाजत ह |सनन सनन सनन नभ रम इकरप अनक ज धारिर भररम |7|तिकननर सर बीन बजावत ह तरमरो जस उजजवल गावत ह |करताल तिवरष करताल धर सरताल तिवशाल ज नाद कर |8|इन आदिद अनक उछाह भरी सरभशिकत कर परभजी तरमरी |तरमही जग जीवन क तिपत हो तरमही तिबनकारनत तिहत हो |9|तरमही सब तिवरघयन तिवनाशन हो तरमही तिनज आनदभासन हो |तरमही शिचतचिचतिततदायक हो जगरमाकिह तमही सब लायक हो |10|तरमर पन रमगल रमाकिह सही जिजय उततरम पनय शिलयो सबही |हरमतो तरमरी शरणागत ह तरमर गन रम रमन पागत ह |11|परभ रमो तिहय आप सदा बशिसय जबलो वस करम13 नही नशिसय |

तबलो तरम धयान तिहय वरतो तबलो शरतचिचतन शिचतत रतो |12|तबलो वरत चारिरत चाहत हो तबलो शभभाव सगाहत हो |तबलो सतसगतित तिनतत रहो तबलो रमरम सजरम शिचतत गहो |13|जबलो नकिह नाश करौ अरिरको शिशव नारिर वरौ सरमता धरिरको |यह दयो तबलो हरमको जिजनजी हरम जाचत ह इतनी सनजी |14|घतताः- शरीवीर जिजनशा नमिरमत सरशा नाग नरशा भगतित भरा |lsquoवनदावनrsquo धयाव तिवघन नशाव वाशिछत पाव शरम13 वरा ||ॐ हरी शरीदधमान जिजननदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

दोहाः- शरी सनरमतित क जगल पद जो पज धरिर परीत |वनदावन सो चतर नर लह रमशिकत नवनीत ||इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

चौबीस जिजन पजावरषभ अजिजत सभ अभीनदन समवित पदम सपास जिजनरारय

चनद पहप शीतल शररयास नमिम ास पज पजिजत सर रारय

विमल अनत धरम जस उजजल शावित कथ अर मडिलल मनारय

मविन सवरत नमिम नमिम पाशव परभ धमान पद पषप चढारय

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन समह अतर अतर अतर सौषट

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन समह अतर वितषठ वितषठ ठ ठ

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन समह अतर मम सलिVविहतो भ भ षट

रमतिनरमन सरम उजजवल नीर परासक गध भरा

भरिर कनक कटोरी धीर दीनी धार धरा

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो जनम जरा मतरय विनाश-नारय जल विनपामिमवित साहा

गोशीर कपर मिरमलाय कसर रग भरी

जिजन चरनन दत चढ़ाय भव आताप हरी

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो भ ताप विनाश-नारय चनदन विनपामिमवित साहा

तदल शिसत सोरम सरमान सनदर अतिनयार

रमकता फल की उनरमान पनज धरौ पयार

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो अकषरय पद पराप-तारय अकषतान विनपामिमवित साहा

वरकज कदब करड सरमन सगध भर

जिजन अगर धरौ गण रमद कारम कलक हर

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो काम बाण विरधवा-सनारय पषप विनपामिमवित साहा

रमन रमोदन रमोदक आदिद सनदर सधय बन

रस परिरत परासक सवाद जजत कषधादिद हन

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो कषधा रोग विनाश नारय नदय विनपामिमवित साहा

तरम खडन दीप जगाय धारो तरम आग

सब तितमिरमर रमोह कषय जाय जञान कला जाग

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो मोहानधकार विनाश-नारय दीप विनपामिमवित साहा

दश गध हताशन रमातिह ह परभ खवत हो

मिरमस धरम कररम जरिर जातिह तरम पद सवत हो

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो अC कम दहनारय धप विनपामिमवित साहा

शशिच पकव सरस फल सार सब ऋत क Aयायो

दखत दग रमन को पयार पजत सख पायो

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो मोकष फल परापतारय विनपामिमवित साहा

जल फल आठो शशिच सार ताको अघ13 करो

तरमको अरपो भव तार भव तरिर रमोकष वरो

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चतरतिशवित तीथ_-करभरयो अनघ पद पराप-तारय अघ_ विनपामिमवित साहा

जरयमाला

शरी रमत तीररथ नारथ पद रमारथ नाय तिहतहत

गाऊ गण रमाला अब अजर अरमर पद दत

जय भव तरम भजन जन रमन कजन रजन दिदन रमतिन सवचछ करा

शिशव रमग परकाशक अरिर-गण नाशक चौबीसौ जिजन राज वरा

जय रिररषभ दव ऋतिरष गन नरमत जय अजिजत जीत वस अरिर तरत

जय सभव भव भय करत चर जय अभिभनदन आनद पर

जय सरमतित सरमतित दायक दयाल जय पदरम पदरम दतित तन रसाल

जय जय सपास भव-पास नाश जय चद चद तन-दतित परकाश

जय पषप-दत दतित-दत सत जय शीतल शीतल गन तिनकत

जय शरय नारथ नत सहस भजज जय वासव पजिजत वास पजज

जय तिवरमल तिवरमल पद दन हार जय जय अनत गन गन अपार

जय धरम13 धरम13 शिशव शरम13 दत जय शातित शातित पषटी करत

जय करथ करथ वादिदक रखय जय अर जिजन वस अरिर छय करय

जय रमलपिAल रमAल हत रमोह रमAल जय रमतिन सवरत वरत शAल दAल

जय नमिरम तिनत वासव-नत सपरम जय नरमी नारथ वररष-चकर-नरम

जय पारस नारथ अनारथ नारथ जय वध13रमान शिशव नगर सारथ

चौबीस जिजनदा आनद कदा पाप तिनकदा सख कारी

तितन-पद जग-चदा उदय अरमदा वासव वदा तिहत धारी

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन-भरयो महारघयरय विनपामिमवित साहा

सोरठा

भशिकत रमशिकत दातार चौबीसौ जिजन-राज-वर

तितन-पद रमन-वच-धार जो पज सो शिशव लह

सोलहकारण भावना पजासोलह कारण भारय तीथ_कर ज भरय |

हरष इनदर अपार मरप ल गरय ||पजा करिर विनज धनरय लखरयो बह चासौ|हमह षोbश कारन भा भासौ ||ॐ हरी दशनविशदधरयादिद षोbशकारणाविन अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी दशनविशदधरयादिद षोbशकारणाविन अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी दशनविशदधरयादिद षोbशकारणाविन अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

कचन-झारी विनरमल नीर पजो जिजनर गन-गभीर|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||दरशविशभिदध भाना भारय सोलह तीथ_कर-पद-दारय|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||

ॐ हरी 1 दशनविशभिदध 2 विनरयसमपVता 3 शीलवरतषनतीचार 4अभीकषणजञानोपरयोग 5 सग 6 शलिNतसतरयाग 7 शलिNतसतप 8 साधसमालिध 9 रयातरयकरण 10 अहद भलिN 11 आचारयभलिN 12 बहशरतभलिN 13 परचनभलिN 14 आशरयकापरिरहाभिण 15 मागपरभाना 16 परचनातसलरय इवितषोbशकारणभरयः जल विनपामीवित साहा |1|

चदन घसौ कपर मिमलारय पजौ शरीजिजनरक पारय |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः ससारतापविनाशनारय चनदन विन0|2|

तदल धल सगध अनप पजौ जिजनर वितह जग-भप|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अकषरय पदपरापतरय अकषतान विन0|3|

फल सगनध मधप-गजार पजौ-जिजनर जग-आधार |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||दरशविशभिदध भाना भारय सोलह तीथ_कर-पद-दारय |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः कामबाणविरधवासनारय पषप विन0|4|

सद नज बहविलिध पकान पजौ शरीजिजनर गणखान|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः कषधारोगविनाशनारय नदय विन0|5|

दीपक-जरयोवित वितमिमर छरयकार पज शरीजिजन कलधार|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः मोहानधकारविनाशनारय दीप विन0|6|

अगर कपर गध शभ खरय शरीजिजनर आग महकरय |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अCकमदहनारय धप विन0|7|

शरीफल आदिद बहत फलसार पजौ जिजन ालिछत-दातार |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः मोकषफलपरापतरय फल विन0|8|

जल फल आठो दर चढारय lsquoदयानतrsquo रत करौ मन लारय|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0|9|

परतरयक भाना क अरघयरय (सरया तईसा)दशन शदध न होत जो लग तो लग जी मिमथरयाती कहा |काल अनत विफर भ म महादःखनको कह पार न पा ||दोष पचीस रविहत गण-अमबलिध समरयगदरशन शदध ठरा |lsquoजञानrsquo कह नर सोविह बडो मिमथरयात तज जिजन-मारग रधवारया ||ॐ हरी दशन विशभिदध भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |1|

द तथा गररारय तथा तप सरयम शील वरतादिदक-धारी |पापक हारक कामक छारक शलरय-विनारक कम-विनारी ||

धम क धीर कषारयक भदक पच परकार ससार क तारी |lsquoजञानrsquo कह विनरयो सखकारक भा धरो मन राखो विचारी ||ॐ हरी विनरयसमपVता भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |2|

शील सदा सखकारक ह अवितचार-विरजिजत विनमल कीज |दान द कर तस स विषानल भत विपशाच पतीज ||शील बडो जग म हलिथरयार ज शीलको उपमा काह की दीज |lsquoजञानrsquo कह नविह शील बराबर तात सदा दढ शील धरीज ||ॐ हरी विनरवितचार शीलवरत भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |3|

जञान सदा जिजनराज को भाविषत आलस छोड पढ जो पढा |ादश दोउ अनकह भद सनाम मती शरवित पचम पा ||चारह भद विनरनतर भाविषत जञान अभीकषण शदध कहा |lsquoजञानrsquo कह शरत भद अनक ज लोकालोक विह परगट दिदखा ||ॐ हरी अभीकषण जञानोपरयोग भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |4|

भरात न तात न पतर कलतर न सगम दजन रय सब खोटो |मजिनदर सनदर कारय सखा सबको हमको इमिम अतर मोटो ||भाउ क भा धरी मन भदन नाविह सग पदारथ छोटो |lsquoजञानrsquo कह भिश-साधन को जसो साह को काम कर ज बणोटो ||ॐ हरी सग भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |5|

पातर चतरतिध दख अनपम दान चतरतिध भास दीज |शलिN-समान अभरयागत को अवित आदर स परभिणपतरय करीज ||दत ज नर दान सपातरविह तास अनकविह कारण सीझ |बोलत lsquoजञानrsquo दविह शभ दान ज भोग सभमिम महासख लीज ||ॐ हरी शलिNतसतरयाग भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |6|

कम कठोर विगरान को विनज शलिN-समान उपोषण कीज |बारह भद तप तप सनदर पाप जलाजलिल काह न दीज ||भा धरी तप घोर करी नर जनम सदा फल काह न लीज |lsquoजञानrsquo कह तप ज नर भात ताक अनकविह पातक छीज ||ॐ हरी शलिNतसतप भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |7|

साधसमालिध करो नर भाक पणरय बडो उपज अघ छीज |साध की सगवित धमको कारण भलिN कर परमारथ सीज ||साधसमालिध कर भ छटत कीरतित-छटा तरलोक म गाज |lsquoजञानrsquo कह रयह साध बडो विगरिरशरग गफा विबच जारय विराज ||ॐ हरी साधसमालिध भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |8|

कम क रयोग वयथा उदरय मविन पग कनत सभषज कीज |विपतत-कफाविनल (ात) सास भगनदर ताप को शल महागद छीज ||भोजन साथ बनारय क औषध पथरय कपथरय विचार क दीज |lsquoजञानrsquo कह विनत यरयातरय कर तस द पतीज ||ॐ हरी रयातरयकरण भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

द सदा अरिरहनत भजो जई दोष अठारा विकरय अवित दरा |पाप पखाल भरय अवित विनमल कम कठोर विकए चकचरा ||दिदवय-अननत-चतCरय शोभिभत घोर मिमथरयानध-विनारण सरा |lsquoजञानrsquo कह जिजनराज अराधो विनरनतर ज गण-मजिनदर परा ||ॐ हरी अहद भलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |10|

दत ही उपदश अनक स आप सदा परमारथ-धारी |दश विदश विहार कर दश धम धर भ-पार- उतारी ||ऐस अचारज भा धरी भज सो भिश चाहत कम विनारी |lsquoजञानrsquo कह गर-भलिN करो नर दखत ही मनमाविह विचारी ||ॐ हरी आचारय भलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |11|

आगम छनद पराण पढात साविहत तक वितक बखान |कावय कथा न नाटक पजन जरयोवितष दयक शासतर परमान ||ऐस बहशरत साध मनीशवर जो मन म दोउ भा न आन |बोलत lsquoजञानrsquo धरी मन सान ज भागरय विशष त जञानविह सान ||ॐ हरी बहशरवितभलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |12|

ादश अग उपाग सदागम ताकी विनरतर भलिN करा |द अनपम चार कह तस अथ भल मन माविह ठरा ||पढ बहभा लिलखो विनज अकषर भलिN करी बविड पज रचा |lsquoजञान कह जिजन आगम-भलिN कर सद-बभिदध बहशरत पा ||ॐ हरी परचनभलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |13|

भा धर समता सब जीस सतोतर पढ मख स मनहारी |कारयोतसग कर मन परीतस दन द-तणो भ तारी ||रधवारयान धरी मद दर करी दोउ बर कर पडकममन भारी |lsquoजञानrsquo कह मविन सो धननत ज दशन जञान चरिरतर उघारी ||ॐ हरी आशरयकापरिरहाभिण भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |14|

जिजन-पजा रच परमारथस जिजन आग नतरय महोतस ठाण |गात गीत बजात ढोल मदगक नाद सधाग बखाण ||सग परवितषठा रच जल-जातरा सद गर को साहमो कर आण |lsquoजञानrsquo कह जिजन माग-परभान भागरय-विशषस जानविह जाण ||ॐ हरी मागपरभाना भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |15|

गौर भा धरो मन स मविन-पग को विनत तसल कीज |शीलक धारक भवय क तारक तास विनरतर सनह धरीज ||धन रयथा विनजबालक को अपन जिजरय छोविड न और पतीज |lsquoजञानrsquo कह भवि लोक सनो जिजन तसल भा धर अघ छीज ||ॐ हरी परचन-ातसलरय भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |16|

जापरय मतर -ॐ हरी दशनविशदधरय नमः ॐ हरी विनरयसमपVतारय नमः ॐ हरी शीलवरतारय नमःॐ हरी अभीकषणजञानोपरयोगारय नमः ॐ हरी सगारय नमः ॐ हरी शलिNतसतरयागारय नमःॐ हरी शलिNतसतपस नमः ॐ हरी साधसमारधवारय नमः ॐ हरी रयातरयकरणारय नमःॐ हरी अहद भकतरय नमः ॐ हरी आचारयभकतरय नमः ॐ हरी बहशरतभकतरय नमःॐ हरी परचनभकतरय नमः ॐ हरी आशरयकापरिरहाणरय नमः ॐ हरी मागपरभानारय नमःॐ हरी परचनातसलरय नमः |16|

जयरमालारषोडश कारण गण कर हर चतरगतित-वास |पाप पणय सब नाशक जञान-भान परकाश||

चौपाई दरश तिवशजिदध धर जो कोई ताको आवागरमन न होई |तिवनय रमहाधार पराणी शिशव-वतिनता की सखी बखानी |1|

शील सदा दढ़ जो नर पाल सो औरनकी आपद टाल |जञानाभयास कर रमनरमाही ताक रमोह-रमहातरम नाही |2|जो सवग-भाव तिवसतार सरग-रमकतित-पद आप तिनहार |दान दय रमन हररष तिवशरष इह भव जस परभव सख पख |3|जो तप तप खप अभिभलारषा चर कररम-शिशखर गर भारषा |साध-सरमामिध सदा रमन लाव तितह जग भोग भोतिग शिशव जाव |4|तिनश-दिदन वयावतय करया सो तिनहच भव-नीर तितरया |जो अरहत-भगतित रमन आन सो जन तिवरषय करषाय न जान |5|जो आचारज-भगतित कर ह सो तिनरम13ल आचार धर ह |बहशरतवत-भगतित जो करई सो नर सपरन शरत धरई |6|परवचन-भगतित कर जो जञाता लह जञान पररमानद-दाता |रषट आवशय काय सो साध सोही रतन-Sय आराध |7|धररम-परभाव कर ज जञानी तितन शिशव-रमारग रीतित तिपछानी |वतसल अग सदा जो धयाव सो तीरथsकर पदवी पाव |8|

दोहाएही सोलह भावना सतिहत धर वरत जोय |दव-इनदर-नर-वदय lsquoदयानतrsquo शिशव-पद होय ||ॐ हरी दश13नतिवशदधयादिद रषोडशकारणभयः पणारघययs तिनव13पारमीतित सवाहा |सनदर रषोडशकारण भावना तिनरम13ल शिचतत सधारक धार |करम13 अनक हन अतित ददध13र जनरम जरा भय रमतय तिनवार ||दःख दरिरदर तिवपभितत हर भव-सागर को पार उतार |lsquoजञानrsquo कह यही रषोडशकारण करम13 तिनवारण शिसदध स धार ||इतयाशीवा13द (पषपाजचिल भिकषपत)

ननदीशवर दिदप पजासरब पर म बडो अढाई पर ह |

ननदीशवर सर जाविह लरय ास दरब ह ||

हम शलिN सो नाविह इहा करी थापना |

पज जिजनगरह-परवितमा ह विहत आपना ||

ॐ हरी शरी-ननदीशवर-ीप ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमा-समह

अतर अतर अतर सौषट | अतर वितषठ ठ ठ | अतर मम सलिVविहतो भभ षट |

कचन रमभिण रमय शरगार तीररथ-नीर भरा |

तितह धार दई तिनरवार जारमन रमरण जरा ||

ननदीशवर-शरीजिजन-धारम बावन पज करो |

वस दिदन परतितरमा अभिभरारम आनद-भाव धरो ||

ननदीशवर दवीप रमहान चारो दिदशिश सोह |

बावन जिजन रमजिनदर जान सरनर रमन रमोह ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो जनम-जरा-मतरय विनाशनारय जल विनपामीवित साहा |

भव-तप-हर शीतल वाससो चनदन नाही |

परभ यह गण कीज साच आयो तरम ठाही || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो ससार-ताप-विनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा |

उततरम अकषत जिजनराज पज धर सोह |

सब जीत अकष सरमाज तरम सरम अर को ह || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो अकषरय-पद-परापतारय अकषत विनपामीवित साहा |

तरम कारम तिवनाशक दव धयाऊ फलनसौ |

लह शील लचछरमी एव छट सलनससौ || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो काम-बाण विरधवासनारय पषप विनपामीवित साहा |

नवज इजिनदरय बलकार सो तरमन चरा |

चर तरम दिढग सोह सार अचरज ह परा || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो कषधा-रोग विनाशनारय नदय विनपामीवित साहा |

दीपक की जयोतित-परकाश तरम तन रमातिह लस |

टट कररमन की राश जञान-कणी दरश || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो मोहानधकार विनाशनारय दीप विनपामीवित साहा |

कषणागर-धप-सवास दश-दिदशिश नारिर वर |

अतित हरष13 भाव परकाश रमानो नतय कर || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो अCकम दहनारय धप विनपामीवित साहा |

बह तिवमिध फल ल तितह काल आननद नाचत ह |

तरम शिशव फल दह दयाल ततिह हरम जाचत ह || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो महा-मोकष-फल परापतारय फल विनपामीवित साहा |

यह अरघ तिकयो तिनज-हत तरमको अरपत हो |

lsquoधानतrsquo तिकजयो शिशव खत भमिरम सरमप13त हो || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो अनघ-पद-परापतारय अघ_ विनपामीवित साहा |

जरयमाला

कारतितक फालगन साढक अनत आठ दिदन माविह |

ननदीशवर सर जात ह हम पज इह ठाही ||

एक सौ Sसठ कोडी जोजन रमहा |

लाख चौरशिसया एक दिदश रम लहा ||

आठरमो दवीप ननदीशवर भासवर |

भौन बावन परतितरमा नरमो सखकर ||

चार दिदशिश चार अनजनतिगरी राजही |

सहस चौरशिसया एक दिदश छाजातिह ||

ढोल सरम गोल ऊपर तल सनदर || भौन ||

इक इक चार दिदशिश चार शभ बावरी |

एक इक लाख जोजन अरमल-जल भरी ||

चह दिदशा चार वन लाख जोजन वर || भौन ||

सोल वापीन रममिध सोल तिगरी दमिधरमख |

सहस दश रमहा जोजन लखत ही सख ||

बावरी कौन दो रमातिह दो रतितकर || भौन ||

शल बततीस एक सहस जोजन कह |

चार सोल मिरमल सव13 बावन लह ||

एक इक सीस पर एक जिजनरमजिनदर || भौन ||

तिबमब अठ एक सौ रतनरमयी सोहही |

दव दवी सरव नयन रमन रमोहही ||

पाच स धनरष तारम पदम-आसन पर || भौन ||

लाल-नख-रमख नयन शयारम अर शवत ह |

शयारम-रग भौह शिसर-कश छतिव दत ह ||

वचन बोलत रमनो हसत कालरष हररम || भौन ||

कोदिट-शशिश भान दतित-तज शिछप जात ह |

रमहा-वराग-परिरणारम ठहरात ह ||

वचन नकिह कह लगनिख होत समयक धर |

भौन बावन परतितरमा नरमो सखकर ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो जरयमाला पणाघ_ विनपामीवित साहा |

ननदीशवर ीप अघ

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प पभि म उततर दभिकषण चार अनजनविगरी सोलह दलिधमख बततीस रवितकर बान पत डिसथत बान जिजनचतरयालरयभरयो पाच हजार छह सौ सोलह जिजन विबमबभरयो पणाघ_ विनपामीवित साहा |

ननदीशवर-जिजन धारम परतितरमा-रमतिहरमा को कह |

lsquoधानतrsquo लीनो नारम यही भगतित शिशव-सख कर ||

इतरयाभिशाद || पषपाजलिल भिकषपत ||

पचरमर पजातीथ_करोक नहन ndash जलत भरय तीरथ शमदा

तात परदचछन दत सर ndash गन पच मरन की सदा |दो जललिध ढाई ीप म सब गनत-मल विराजहीपजौ असी जिजनधाम ndash परवितमा होविह सख दख भाजही ||

ॐ हरी पचमरसमबनधिनध अससी जिजनचतरयालरयसथजिजनपरवितमा-समह अतर अतर अतरसौषट |ॐ हरी पचमरसमबनधिनध अससी जिजनचतरयालरयसथजिजनपरवितमा-समह अतर वितषठ वितषठ ठः

ठः |ॐ हरी पचमरसमबनधिनध अससी जिजनचतरयालरयसथजिजनपरवितमा-समह अतर मम सलिVविहतो भ भ पषट

शीतल-मिरमषट-सवास मिरमलाय जल सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||पाचो रमर असी जिजनधारम सब परतितरमा जी को करौ परणारम |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||ॐ हरी सदशन-विजरय-अचल-मनदर-विदयनमालिल-पचमरसमबनधिनध-जिजनचतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः जल विनमीवित साहा |1|

जल कशर करपर मिरमलाय गध सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः चनदनविन0 साहा |2|

अरमल अखड सगध सहाय अचछत सो पजौ जिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः अकषतान विन0 साहा |3|

वरन अनक रह रमहकाय फल सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः पषप विन0 साहा |4|

रमन वाशिछत बह तरत बनाय चर सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः नदय विन0 |5|

तरम-हर उजजवल जयोतित जगाय दीप सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः दीप विन0 साहा |6|

खऊ अगर अरमल अमिधकाय धपसो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः धप विन0 साहा |7|

सरस सवण13 सगध सभाय फलसो पजौ शरी जिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः फल विन0 साहा |8|

आठ दरबरमय अरघ बनाय lsquoदयानतrsquo पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||पाचो रमर असी जिजन धारम सब परतितरमा जी को करौ परणारम |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः अरघयरय_ विन0 साहा |9|

जरयमालापररथरम सदश13न-सवामिरम तिवजय अचल रमदर कहा |तिवदयनरमाली नामिरम पच रमर जग रम परगट ||

पररथरम सदश13न रमर तिवराज भदर शाल वन भ पर छाज |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |1|ऊपर पच-शतकपर सोह नदन-वन दखत रमन रमोह |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |2|साढ़ बासठ सहस ऊचाई वन सरमनस शोभ अमिधकाई |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |3|ऊचा जोजन सहस-छतीस पाणडक-वन सोह तिगरिर-सीस |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |4|चारो रमर सरमान बखान भ पर भदरशाल चह जान |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |5|ऊच पाच शतक पर भाख चारो नदनवन अभिभलाख |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |6|साढ़ पचपन सहस उतगा वन सोरमनस चार बहरगा |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |7|उचच अठाइस सहस बताय पाडक चारो वन शभ गाय |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |8|सर नर चारन वदन आव सो शोभा हरम किकह रमख गाव |चतयालय अससी सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |9|

दोहा -पच रमर की आरती पढ़ सन जो कोय |lsquoदयानतrsquo फल जान परभ तरत रमहासख होय ||ॐ हरी पचमरसमबनधिनध जिजनचतरयालरयसथ जिजनविबमबभरयः पणारघयरय_ विन0 साहा |इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

शातितनारथ पजा

रया भ कानन म चतरानन पाप पनानन घरी हमरी |

आतम जानन मानन ठानन बान न होन दई सठ मरी ||

तामद भानन आपविह हो रयह छान न आन न आनन टरी |

आन गही शरनागत को अब शरीपतजी पत राखह मरी ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदर अतर अतर अतर सौषट |

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

तिहरमतिगरिर गतगगा धार अभगा परासक सगा भरिर भगा |

जर-जनरम-रमतगा नाशिश अघगा पजिज पदगा रमद किहगा ||

शरी शापतिनत जिजनश नतशकरश वरषचकरश चकरश |

हतिन अरिरचकरश ह गनधश दयाऽरमतश रमकरश ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

वर बावन चनदन कदली ननदन घन आननदन सतिहत घसौ |

भवताप तिनकनदन ऐराननदन वदिद अरमदन चरन बसौ ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

तिहरमकर करिर लजजत रमलय ससजजत अचछत जजजत भरिर रथारी |

दखदारिरद गजजत सदपद सजजत भवभय भजजत अतितभारी ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

रमदार सरोज कदली जोज पज भरोज रमलयभर |

भरिर कचनरथारी तरमदिढग धारी रमदनतिवदारी धीरधर ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

पकवान नवीन पावन कीन रषटरस भीन सखदाई |

रमनरमोदन हार छधा तिवदार आग धार गनगाई ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

तरम जञान परकाश भररमतरम नाश जञय तिवकास सखरास |

दीपक उजिजयारा यात धारा रमोह तिनवारा तिनज भास ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

चनदन करपर करिर वर चर पावक भर रमातिह जर |

तस धरम उड़ाव नाचत जाव अशिल गजाव रमधर सर ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

बादारम खजर दातिड़रम पर किनबक भर ल आयो |

ता सो पद जजजौशिशवफल सजजौ तिनजरस रजजौ उरमगायो ||

शरी शापतिनत जिजनश नतशकरश वरषचकरश चकरश |

हतिन अरिरचकरश ह गनधश दयाऽरमतश रमकरश ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

वस दरवय सवारी तरम दिढग धारी आननदकारी दग-पयारी |

तरम हो भव तारी करनाधारी या त रथारी शरनारी ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली

छनदः- अशिसत सातय भादव जातिनय गरभ रमगल ता दिदन रमातिनय |

सशिच तिकयो जननी पद चच13न हरम कर इत य पद अच13न ||

ॐ हरी भादरपदकषणा सपतमरया गभमगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |1|

जनरम जठ चतद13शिश शयारम ह सकल इनदर स आगत धारम ह |

गजपर गज-साजिज सब तब तिगरिर जज इत रम जजिजहो अब ||

ॐ हरी जरयषठकषणाचतदशरया जनममगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |2|

भव शरीर सभोग असार ह इमिरम तिवचार तब तप धार ह |

भररमर चौदशिश जठ सहावनी धररम हत जजौ गन पावनी ||

ॐ हरी जरयषठकषणाचतदशरया तपोमगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |3|

शकलपौरष दश सखरास ह पररम-कवल-जञान परकाश ह |

भवसरमदर उधारन दव की हरम कर तिनत रमगल सवकी ||

ॐ हरी पौषशकलादशमरया कलजञानमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |4|

अशिसत चौदशिश जठ हन अरी तिगरिर सरमदरथकी शिशव-तितय वरी |

सकल इनदर जज तितत आय क हरम जज इत रमसतक नाय क ||

ॐ हरी जरयषठकषणाचतदशरया मोकषमगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |5|

जरयमाला

शापतिनत शापतिनतगन रमतिडत सदा जातिह धयावत सपतिडत सदा |

रम तितनह भगत रमतिडत सदा पजिजहौ कलरष हतिडत सदा ||

रमोचछ हत तरम ही दयाल हो ह जिजनश गन रतन रमाल हो |

रम अब सगन-दारम ही धरौ धयावत तरत रमशिकत-तितय वरौ ||

जय शापतिनतनारथ शिचदरपराज भवसागर रम अदभत जहाज |

तरम तजिज सरवाररथशिसजिदध रथान सरवाररथजत गजपर रमहान |1|

तितत जनरम शिलयो आननद धार हरिर ततशिछन आयो राजदवार |

इनदरानी जाय परसतित रथान तरम को कर रम ल हररष रमान |2|

हरिर गोद दय सो रमोदधार शिसर चरमर अरमर ढारत अपार |

तिगरिरराज जाय तितत शिशला पाड ता प रथापयो अभिभरषक रमाड |3|

तत पचरम उदमिध तनो स वारिर सर कर कर करिर Aयाय उदार |

तब इनदर सहसकर करिर अननद तरम शिसर धारा ढारयो सरमनद |4|

अघ घघ धतिन होत घोर भभभभ भभ धध धध कलश शोर |

दरमदरम दरमदरम बाजत रमदग झन नन नन नन नन नपरग |5|

तन नन नन नन नन तनन तान घन नन नन घटा करत धवान |

तारथई रथई रथई रथई सचाल जत नाचत नावत तरमकिह भाल |6|

चट चट चट अटपट नटत नाट झट झट झट हट नट रथट तिवराट |

इमिरम नाचत राचत भगतित रग सर लत जहा आननद सग |7|

इतयादिद अतल रमगल स ठाठ तितत बनयो जहा सर तिगरिर तिवराट |

पतिन करिर तिनयोग तिपतसदन आय हरिर सौपयो तरम तितत वदध रथाय |8|

पतिन राजरमाकिह लतिह चकररतन भो=यो छहखणड करिर धररम जतन |

पतिन तप धरिर कवल रिरजिदध पाय भतिव जीवतिन को शिशवरमग बताय |9|

शिशवपर पहच तरम ह जिजनश गण-रमतिडत अतल अननत भरष |

रम धयावत हौ तिनत शीश नाय हरमरी भवबाधा हर जिजनाय |10|

सवक अपनो तिनज जान जान करणा करिर भौभय भान भान |

यह तिवघन रमल तर खड खड शिचतशिचपतिनतत आननद रमड रमड |11|

छनदः- शरीशापतिनत रमहता शिशवतितयकता सगन अनता भगवता |

भव भररमन हननता सौखय अननता दातार तारनवनता ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

शापतिनतनारथ जिजन क पदपकज जो भतिव पज रमन वच काय |

जनरम जनरम क पातक ता क ततशिछन तजिज क जाय पलाय ||

रमनवाशिछत सख पाव सो नर बाच भगतितभाव अतित लाय |

ता त lsquoवनदावनrsquo तिनत वद जा त शिशवपरराज कराय ||

इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

सपाशव13नारथ पजाजरय जरय जिजविनद गविनद इनद नरिरद गन लिचतन कर |

तन हरीहर मनसम हरत मन लखत उर आननद भर ||नप सपरवितषठ रिरषठ इC मविहषठ भिशC पथी विपररया |वितन ननदक पद नद नद अमद थापत जतविकररया ||ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदर अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

उजजल जल शलिच गध मिमलारय कचनझारी भरकर लारय |दरया विनलिध हो जरय जगबध दरया विनलिध हो ||तम पद पजौ मनचकारय द सपारस भिशपररारय |दरया विनलिध हो जरय जगबध दरया विनलिध हो ||ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

रमलयातिगर चदन घशिस सार लीनो भवतप भजनहार |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

दवजीर सखदास अखड उजजवल जलछाशिलत शिसत रमड |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

परासक सरमन सगमिधत सार गजत अशिल रमकरधवजहार |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

छधाहरण नवज वर लाय हरौ वदनी तमह चढ़ाय |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

जवशिलत दीप भरकरिर नवनीत तरम दिढग धारत हौ जगरमीत |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

दशतिवमिध गनध हताशन रमाकिह खवत करर कररम जरिर जाकिह |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम पद पजौ रमनवचकाय दव सपारस शिशवपरराय |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

शरीफल कला आदिद अनप ल तरम अगर धरौ शिशवभप |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

आठो दरब साजिज गनगाय नाचत राचत भगतित बढ़ाय |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0

ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयालीसकल भादव छटठ स जातिनय गरभ रमगल ता दिदन रमातिनय |करत सव शची रशिच रमात की अरघ लय जजौ वस भात की ||ॐ हरी भादरपदशकलाषषठीदिदन गभमगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |1|

सकल जठ दवादशिश जनरमय सकल जीव स आननद तनरमय |तिSदशराज जज तिगरिरराजजी हरम जज पद रमगल साजजी ||ॐ हरी जरयषठशकलाादशरया जनममगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |2|

जनरम क तितशिरथ प शरीधर न धरी तप सरमसत पररमादन को हरी |नप रमहनदर दिदयो पय भाव सौ हरम जज इत शरीपद चाव सो ||ॐ हरी जरयषठशकलाादशरया तपोमगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |3|

भररमर फागन छटठ सहावनो पररम कवलजञान लहावनो |सरमवसन13 तिवरष वरष भागनिखयो हरम जज पद आननद चाखनो ||ॐ हरी फालगनकषणा षषठीदिदन कलजञानपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |4|

अशिसत फागन सातय पावनो सकल करम13 तिकयो छय भावनो |तिगरिर सरमदरथकी शिशव जात ह जजत ही सब तिवरघयन तिवलात ह ||ॐ हरी फालगनकषणा सपतमीदिदन मोकषमगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |5|

जयरमालादोहाः- तग अग धन दोय सौ शोभा सागरचनद |मिरमथयातपहर सगनकर जय सपास सखकद |1|

जयतित जिजनराज शिशवराज तिहतहत हो |पररम वराग आननद भरिर दत हो ||

गभ13 क पव13 रषटरमास धनदव न |नगर तिनररमातिप वाराणसी सव रम |2|गगन सो रतन की धार बह वररषही |कोतिड़ Sअदध13 Sवार सब हररषही ||तात क सदन गनवदन रचना रची |रमात की सव13तिवमिध करत सवा शची |3|भयो जब जनरम तब इनदर-आसन चAयो |होय चतिकत तब तरिरत अवमिधत लगनिख भAयो ||सपत पग जाय शिशर नाय वनदन करी |चलन उरम=यो तब रमातिन धतिन धतिन घरी |4|सात तिवमिध सन गज वरषभ ररथ बाज ल |गनधरव नतयकारी सब साज ल ||गशिलत रमद गणड ऐरावती साजिजयो |लचछ जोजन सतन वदन सत राजिजयो |5|वदन वसदनत परतितदनत सरवर भर |ता स रममिध शतक पनबीस करमशिलतिन खर ||करमशिलनी रमधय पनवीस फल करमल |करमल-परतित-करमल रमह एक सौ आठ दल |6|सव13दल कोड़ शतबीस पररमान ज |ता स पर अपछरा नचकिह जतरमान ज ||तततता तततता तिवततता तारथई |धगतता धगतता धगतता रम लई |7|धरत पग सनन नन सनन नन गगन रम |नपर झनन नन झनन नन पगन रम ||नचत इतयादिद कई भातित सो रमगन रम |कई तितत बजत बाज रमधर पगन रम |8|कई दरम दरम ददरम दरम रमदगतिन धन |कई झAलरिर झनन झझनन झझन ||कई ससागरत सारतिग ससागर सर |कई बीना पटह बशिस बाज रमधर |9|कई तनतन तनन तनन तान पर |शदध उचचारिर सर कई पाठ फर ||

कइ झतिक झतिक तिफर चकर सी भामिरमनी |धगगता धगगता परम13 शोभा बनी |10|कई शिछन तिनकट शिछन दर शिछन रथल-लघ |धरत वतिकरयक परभाव सो तन सभग ||कई करताल-करताल तल रम धन |तत तिवतत घन सतिरषरिर जात बाज रमन |11|इनदर आदिदक सकल साज सग धारिरक |आय पर तीन फरी करी पयार त ||सशिचय तब जाय परसतरथल रमोद रम |रमात करिर नीद लीनो तमह गोद रम |12|आन-तिगरवान नारथकिह दिदयो हारथ रम |छS अर चरमर वर हरिर करत रमारथ रम ||चढ़ गजराज जिजनराज गन जातिपयो |जाय तिगरिरराज पाडक शिशला रथातिपयो |13|लय पचरम उदमिध-उदक कर कर सरतिन |सरन कलशतिन भर सतिहत चरचिचत परतिन ||सहस अर आठ शिशर कलश ढार जब |अघघ घघ घघघ घघ भभभ भभ भौ तब |14|धधध धध धधध धध धतिन रमधर होत ह |भवय जन हस क हरस उदयोत ह ||भयो इमिरम नहौन तब सकल गन रग रम |पोशिछ शरगार कीनो शची अग रम |15|आतिन तिपतसदन शिशश सौतिप हरिर रथल गयो |बाल वय तरन लतिह राज सख भोतिगयो ||भोग तज जोग गतिह चार अरिर को हन |धारिर कवल पररम धररम दइ तिवध भन |16|नाशिश अरिर शरष शिशवरथान वासी भय |जञानदग अरिर शरष शिशवरथान वासी भय |दीन जन की करण सन लीजिजय |धररम क ननद को पार अब कीजिजय |17|घतता13ः- जय करनाधारी शिशवतिहतकारी तारन तरन जिजहाजा हो |

सवत तिनत वनद रमनआनद भवभय रमटनकाजा हो |18|ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

दोहाः- शरी सपाशव13 पदजगल जो जज पढ़ यह पाठ |अनरमोद सो चतर नर पाव आननद ठाठ ||इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

शीतलनारथ पजाशीतलनाथ नमौ धरिर हाथ स माथ जिजनहो भ गाथ मिमटारय |

अचरयत त चरयत मात सननद क ननद भरय पर बददल आरय ||

श इकषाक विकरयो जिजन भविषत भवयन को भ पार लगारय |

ऐस कपाविनलिध क पद पकज थापत हौ विहरय हष बढारय ||

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदर अतर अतर अतर सौषट |

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

दवापगा स वर वारिर तिवशदध लायो

भगार हरम भरिर भशिकत तिहय बढ़ायो |

रागादिददोरष रमल रमद13न हत यवा

चचAElig पदाबज तव शीतलनारथ दवा ||

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

शरीखड सार वर ककरम गारिर लीनो |

क सग सवचछ मिघशिस भशिकत तिहय धरीनो ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

रमकता-सरमान शिसत तदल सार राज |

धारत पज कशिलकज सरमसत भाज |रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

शरी कतकी पररमख पषप अदोरष लायो |

नौरग जग करिर भग स रग पायो ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

नवदय सार चर चार सवारिर लायो |

जाबनद-परभतित भाजन शीश नायो ||

रागादिददोरष रमल रमदद13न हत यवा |

चचAElig पदाबज तव शीतलनारथ दवा ||

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

सनह परपरिरत सदीपक जोतित राज |

सनह परपरिरत तिहय जजतऽघ भाज ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

कषणागर पररमख गध हताश रमाही |

खवौ तवागर वसकरम13 जरत जाही ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

तिनमबामर कक13 दिट स दातिड़रम आदिद धारा |

सौवण13-गध फल सार सपकव पयारा ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

शभ शरी-फलादिद वस परासक दरवय साज |

नाच रच रमचत बजजत सजज बाज ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली

आठ वदी चत सगभ13 रमाही आय परभ रमगलरप रथाही |

सव शची रमात अनक भवा चचAElig सदा शीतलनारथ दवा ||

ॐ हरी चतरकषणाऽCमरया गभमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |1|

शरी रमाघ की दवादशिश शयारम जायो भलोक रम रमगल सार आयो |

शलनदर प इनदर फतिननदर जजज रम धयान धारौ भवदःख भजज ||

ॐ हरी माघकषणा ादशरया जनममगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |2|

शरी रमाघ की दवादशिश शयारम जानो वरा=य पायो भवभाव हानो |

धयायो शिचदाननद तिनवार रमोहा चचAElig सदा चन13 तिनवारिर कोहा ||

ॐ हरी माघकषणा ादशरया तपोमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |3|

चतद13शी पौरष वदी सहायो ताही दिदना कवल लबधिबध पायो |

शोभ सरमोसतय बखातिन धरमs चचौ सदा शीतल परम13 शरमs ||

ॐ हरी पौषकषणाचतदशरया कल जञानमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |4|

कवार की आठ शदध बदधा भय रमहा रमोकष सरप शदधा |

समरमद त शीतलनारथ सवारमी गनाकर ता स पद नरमारमी ||

ॐ हरी आभिशवनशकलाऽCमरया मोकषमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |5|

जरयमाला

आप अनत गनाकर राज वसततिवकाशन भान सरमाज |

रम यह जातिन गही शरना ह रमोह रमहारिरप को हरना ह |1|

दोहाः- हरम वरन तन तग धन-नवव अतित अभिभरारम |

सर तर अक तिनहारिर पद पतिन पतिन करौ परणारम |2|

जय शीतलनारथ जिजननद वर भव दाह दवानल रमघझर |

दख-भभत-भजन वजर सरम भव सागर नागर-पोत-परम |3|

कह-रमान-रमयागद-लोभ हर अरिर तिवरघयन गयद रमकिगद वर |

वरष-वारिरधवषटन समिषटतिहत परदमिषट तिवनाशन सषट तिपत |4|

सरमवसरत सजत राजत हो उपरमा अभिभरारम तिवराजत हो |

वर बारह भद सभा शिरथत को तितत धरम13 बखातिन तिकयो तिहत को |5|

पहल रमतिह शरी गणराज रज दतितय रमतिह कAपसरी ज सज |

तिSतितय गणनी गन भरिर धर चवरथ तितय जोतितरष जोतित भर |6|

तितय-किवतरनी पन रम गतिनय छह रम भवनसर तितय भतिनय |

भवनश दशो शिरथत सततरम ह वस-किवतर उततरम ह |7|

नव रम नभजोतितरष पच भर दश रम दिदतिवदव सरमसत खर |

नरवनद इकादश रम तिनवस अर बारह रम पश सव13 लस |8|

तजिज वर पररमोद धर सब ही सरमता रस रम=न लस तब ही |

धतिन दिदवय सन तजिज रमोहरमल गनराज असी धरिर जञानबल |9|

सबक तिहत तततव बखान कर करना-रमन-रजिजत शरम13 भर |

वरन रषटदरवय तन जिजतन वर भद तिवराजत ह तिततन |10|

पतिन धयान उभ शिशवहत रमना इक धरम13 दती सकल अधना |

तितत धरम13 सधयान तणो गतिनयो दशभद लख भररम को हतिनयो |11|

पहलोरिर नाश अपाय सही दतितयो जिजन बन उपाया गही |

तिSतित जीवतिवरष तिनजधयावन ह चवरथो स अजीव ररमावन ह |12|

पनरमो स उद बलटारन ह छहरमो अरिर-राग-तिनवारन ह |

भव तयागन चिचतन सपतरम ह वसरमो जिजतलोभ न आतरम ह |13|

नवरमो जिजन की धतिन सीस धर दशरमो जिजनभातिरषत हत कर |

इमिरम धरम13 तणो दश भद भनयो पतिन शकलतणो चद यरम गनयो |14|

सपरथकत-तिवतक13 -तिवचार सही सइकतव-तिवतक13 -तिवचार गही |

पतिन सकषरमतिकरया-परतितपात कही तिवपरीत-तिकरया-तिनरवतत लही |15|

इन आदिदक सव13 परकाश तिकयो भतिव जीवनको शिशव सवग13 दिदयो |

पतिन रमोकषतिवहार तिकयो जिजनजी सखसागर रम=न शिचर गनजी |16|

अब रम शरना पकरी तरमरी समिध लह दयातिनमिध जी हरमरी |

भव वयामिध तिनवार करो अब ही रमतित ढील करो सख दयो सब ही |17|

शीतल जिजन धयाऊ भगतित बढ़ाऊ जयो रतनSय तिनमिध पाऊ |

भवदद नशाऊ शिशवरथल जाऊ फर न भव वन रम आऊ |18|

दिदढ़ररथ सत शरीरमान पचकAयाणक धारी

तितन पद जगपदम जो जज भशिकतधारी |

सहजसख धन धानय दीघ13 सौभा=य पाव

अनकररम अरिर दाह रमोकष को सो शिसधाव ||

इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

कतितरम अकतितरम जिजन चतयालयकतरयाकवितरम-चार-चतरय-विनलरयान विनतरय वितरलोकी-गतान

द भान-वयतर-दयवितरान सगामराासगान |सदगधाकषत-पषप-दाम-चरकः सददीपधपः फलरनीरादय रयज परणमरय भिशरसा दषकमणा शातरय ||

ॐ हरी वितरलोक समबनधिनध कवितरमाकवितरम-चतरयालरयभरयः अरघयरय_ विन 0 साहा

षष-षानतर-पतष नदीशवर रयाविन च मदरष |रयावित चतरयारयतनाविन लोक साभिण द जिजनपगाना ||

अविन ndash तल ndash गताना कवितरमाकवितरमाणान ndash भन ndash गताना दिदवय ndash माविनकाना |इह मनज ndash कताना दराजारचिचतानाजिजनर ndash विनलरयाना भातोऽह समरामिम ||

जब-धातविक-पषकरादध-सधा-कषतर तररय रय भाःचनदराभोज-भिशखविb-कणठ-कनक-परागघनाभा जिजनाः |समरयगजञान-चरिरतर-लकषण-धरा दगधाCकमनधनाः |भतानागत-तमान-समरय तभरयो-जिजनभरयो-नमः ||

शरीमन मरौ कलादरौ रजत-विगरिरर शालमलौ जबकषकषार चतरयकष रवितकर रलिचक कbल मानषाक |इषाकारऽनजनादरौ दलिध-मख-भिशखर वयनतर सगलोकजरयोवितलकऽभिभद भन मविहतल रयाविन चतरयालरयाविन ||

ौ कदद-तषार-हार-धलौ ाविदरनील-परभौौ बधक-सम-परभौ जिजनषौ ौ च विपररयगपरभौ |

शषाः षोbश जनम-मतरय-रविहताः सतपत-हम-परभाःत सजञान-दिदाकराः सरनताः लिसदधिदध पररयचछत नः ||

ॐ हरी कवितरमाकवितरम- चतरयालरय समबनधिनध चतरविशवित जिजनविबमबभरयोऽरघयरय_ विनपामीवित साहा ||

इचछामिम भलिN

इचछामिरम भत चइयभभितत काओस=गो कओ तससालोचउ |अहलोय तितरिरयलोय उडढलोयममिमरम तिकदिटटरमातिकदिटटरमाभिणजाभिण जिजणचइयाभिण ताभिण सववाभिण तीसतिव लोयसभवणवाशिसय वाण-किवतर-जोयशिसय-कपपवाशिसय भिततचउतिवहा दवाः सपरिरवारा दिदववण गधण दिदववण पफफणदिदववण धवण दिदववण चणणण दिदववण वासणदिदववण णहाणण भिणचचकाल अचचतित पजजतित वदतित णरमससतित |अहरमतिव इह सतो ततथ सताइ भिणचचकाल अचचमिरम पजजमिरमवदामिरम णरमससामिरम | दकखकखओ कमरमकखओ बोतिहलाहोसगइगरमण सरमातिहरमरण जिजणगणसपतती होउ रमजझ |अरथ पौवा13मिहनक-रमाधयामिहनक-आपरामिहनक-दववदनाया-पवा13चाया13नकररमण सकल-करम13-कषयारथs भावपजा-वदना-सतव-सरमतशरीपचरमहागर-भचिकत कायोतसगs करोमयहरम ||

(इस परकार आशीवा13द रप पषपाजशिल कषपण कर)

जाव अरिरहताण भयवताण पजजवास करमिरमताव काय पावकमरम दचचरिरय वोससरामिरम |णरमो अरिरहताण णरमो शिसदधाण णरमो आइरिरयाण |णरमो उवजझायाण णरमो लोए सववसाहण ||

(नौ बार णरमोकार रमS 27 शवासोचछवासो रम जाप कर)

शातित पाठशावितनाथ मख शभिश उनहारी शीलगणवरत सरयमधारी

लखन एक सौ आठ विराज विनरखत नरयन कमल दल लाज

पचम चकरतordf पदधारी सोलम तीथ_कर सखकारी

इनदर नरनदर पजरय जिजननारयक नमो शावितविहत शावित विधारयक

दिदवय विटप पहपन की रषा ददभिभ आसन ाणी सरसा

छतर चमर भामbल भारी रय त परावितहारय मनहारी

शावित जिजनश शावित सखदाई जगत पजरय पजो लिसरनाई

परम शावित दीज हम सबको पढ जिजनह पविन चार सघ को

पज जिजनह मकटहार विकरीट लाक इनदरादिदद अर पजरयपदाबज जाक

सो शावितनाथ र श जगतपरदीप मर लिलए करह शावित सदा अनप

सपजको को परवितपालको को रयतीनको को रयवितनारयको को

राजा परजा राषटर सदश को ल कीज सखी ह जिजन शावित को द

हो सारी परजा को सख बलरयत हो धमधारी नरशा

हो रषा समरय प वितलभर न रह वयालिधरयो का अनदशा

हो चोरी न जारी ससमरय परत हो न दषकाल भारी

सार ही दश धार जिजनर षको जो सदा सौखरयकारी

घावित कम जिजन नाश करिर पारयो कलराज

शावित करो त जगत म षभादिदक जिजनराज

(तीन बार शावित धारा द)

शासतरो का हो पठन सखदा लाभ ततसगवित का

सततो का सजस कहक दोष ढाक सभी का

बोल परयार चन विहतक आपका रप रधवारयाऊ

तौलौ सऊ चरण जिजनक मोकष जौलौ न पाऊ

तब पद मर विहरय म मम विहरय तर पनीत चरणो म

तबलौ लीन रहौ परभ जबलौ पारया न मलिN पद मन

अकषर पद मातरा स दविषत जो कछ कहा गरया मझस

कषमा करो परभ सो सब करणा करिरपविन छडाह भदःख स

ह जगबनध जिजनशवर पाऊ तब चरण शरण बलिलहारी

मरणसमालिध सदलभ कमreg का कषरय सबोध सखकारी

(पषपाजलिल कषपण)

(रयहा नौ बार णमोकार मतर का जाप कर)

शातित तिवधान पजाशरी शानविनतनाथ विधान भाषा (विहनदी)

परसताना

अरिरहनत जिजनशवर की अनपम छवि शानविनत सधा धर क उर म

भिशनाथ विनरजन कमजरयी बन जारय बस परभ भिशपर म१

मविननाथ तपोविनलिध सरिर सधी तपलीन रह विनत ही न म

शरत-जञान-सधा बरसात ह गर पाठकनद सभवयन म २

रतनतररय की लिचर जरयोवित जग तप-जाला कम विनाश कर

भ-भोग शरीर विरN सदा इजिनदररय सख की नविह आश कर ३

गनधकटी म विराजिजत परभ ह दिदवय रधवाविन उनकी तो खिखरी

गणराज न गथ क जञान-समन ादश अगो की माल री ४

मगलमरय लोक जिजनोततम ह मगलमरय लिसदध सनातन ह

मगलमरय सरिर सतत धनी मगलमरय पाठक क गन ह ५

मगलमरय ह साध जन जञान सधा रस लीन

जिजन परणीत र धम ह मगलमरय साधीन ६

सब ीपो क मरधवारय म जमब ीप अनप

लण नीर-विनलिध सतजहा खावितका-रप ७

पीछ धातविक-ीप ह दवितरय ीप शरवित सार

कालोदलिध चह ओर ह परिरखा क उनहार ८

पषकर नामक ीप ह कालोदलिध क पार

ताको आधौ भाग ल ढाई ीप समहार ९

ढाई ीप वितरकाल क असखरयात जिजनराज

नदनीरय ज लोक क नदो धम जहाज १०

चनदरकला सम जरयोवित मनोहर अग परभ क राजत ह

पदम पनीत-परभा-सम उजजल दह मनोजञ विराजत ह

कणठ-मरयर सकञचन नीरद तलरय सशोभिभत अग विभा

तीथशवर चौबीस अलौविककरप-विमगध सरनदरसभा ११

भत भविषरयत तमान क चौबीसो जिजनराज

रतनतररय स भविषत अनपमजग म रह विराज १२

अरिरहनत लिसदध वितरलोक पजिजत धमरधवाज आचारय को

मविननद क भिशकषापरदारयकपजरयपाठक आरय को १३

उन साधओ को जो विनरनतर जञान-रधवारयान-परीन ह

तप शानविनत की शलिच साधना म जो सदा तललीन ह १४

करक परणाम वितररयोग स म शानविनतनाथ विधान को

परारभ करता ह बढान भलिN-शरदधा-जञान को १५

लोक क सब गणधरो को भलिN शरदधा भा स

कनदकनदादिदक दिदगमबर मविनरो को चा स १६

करता परणाम विनरय सविहत म धम की हो विनत विजरय

विनरतिरघयन हो रयह पाठ परा ह रयही मरी विनरय १७

शानविनतनाथ भगान क गण ह अपरमपार

ाचसपवित णन कर तो भी पारय न पार १८

शानविनतनाथ विधान का फल

रयह शानविनतनाथ विधान विकसन कब कहा करयो कर विकरया

फल परानविपत जो उसको हई नरभ सफल उसन विकरया १

ततानत उसका म परसग सविहत रयहा णन कर

कलरयाण हो सनकर जगत का रधवारयान रयह मन म धर २

भरत-कषतर क आरय-खणb म भारत भ विखरयात सदश

मथरा नगर हा का शासक सरयश का वितलक नरश ३

राजनीवित म विनपण नरयारयविपररय ीर परजा का पालक भप

साम-दाम क दणb भद स शासन-सचालक अनरप ४

एक बार जब दरयोग स दरतिपाक न विकरया परकोप

गराम दता न करोलिधत होविकरया उपदर शानविनत विलोप ५

महाभरयकर वयालिध विषम अवित फलाई जब विकVर न

दिदन-परवितदिदन अवितपरबल ग स लोग लग परवितदिदन मरन ६

रोग परताडिbत हो जनता अर शासक न मथरा छोडी

वयाधी न कालकपाण लिलए सब जन की विहममत तोडी ७

शकल तररयोदशी क दिदन सहसा सठ समवित हा आए

बादल षा दख सत मन म अवित ही हषाए ८

मथरा नगरी म परश कर मिमल नही तहा नर-नारी

सनी नगरी दख- समवित तब हए दखिखत मन म भारी ९

दख जिजनालरय पज जिजनशवर मविन नारयक क रयग नद

दशन नदन भलिN विनरय कर विनज मन म अवित आननद १०

परशन विकरया तब सठ समवित न नाथ उपारय बता दीज

होगी शानविनत मनीशवर कस विलिधपक समझा दीज ११

चारण ऋभिदधधारी मविनर कह चन अवित सखदाई

शानविनतनाथ जिजन शानविनत विधारयक पज रचो मन हषाई १२

मतरोचचार ॐ नमोऽहत भगत शरी शानविनतनाथारय ॐ हरा हरी हर हरौ हर अ लिस आ उ सा अमकसरय सपदर शानतिनत लकषमीलाभ च कर कर नम (साहा)

विधान क जाप मतर का फल

इस मनतर राज क जपन स मन शदध शानत हो जाता ह

होत ह विरघयन विनC सभी शभ पणरयकोष भर जाता ह १३

धन समपवित अलिधकार परापत हो रयह तो ह साधारण बात

मन मजिनदर म जञान सरय का होता उजजल दिदवय परभात १४

विधान का समरय

इसका विलिध विधान ह भवयो सनो शदध मन स धर रधवारयान

सोलह दिदसी शकलपकष मपरथमदिदस स करो विधान १५

जिजन पजा क प रयनतर का ससथापन पजन शभ कारय

सहसमनतर का जाप करो विनतषोbसदिदन तक सविलिध सआरय १६

पजा क महा विधान म दीप धप फल पषप सगनध

भलिNभारयत करो समरतिपतअशभकम का होरय न बनध १७

शरी शानविनतनाथ सतन

ससार सागर म भटकत पराभिणरयो को ह परभो

आपक ही रयग चरणशभ शरण द सकत विभो

दाानविगन दख-सनताप की सतर ध-ध जल रही

अनराग मारया मोह की छलना विनरनतर छल रही १

करोलिधत भजगम क bस बह पराभिणरयो क गातर म

गारडी-विदया परशम करती ह रयथा कषण मातर म

परभ आपक चरणामबजो का रधवारयान करत भलिN स

सब विरघयन बाधाए विलरयहोती विनजातम शलिN स २

तपत सण क तलरय आप क दिदवय चरण का विनमल रधवारयान

भ-सागर म पड पराभिणरयो क तारण विहत बनता रयान

गीता छद

जरयो रयामिमनी क घन-वितमिमर म लपत भ-आलोक हो

उदयद दिदाकर रडिशमरया करती परकाभिशत लोक को ३

जब तक नही होता उदरय रवि रडिशम का ससार म

तब तक कमलशरी सपत रहती ह सतत कासार म

जब तक नही होती कपा भगान क रयगचरण की

तब तक नही रयह टटती जजीर जीन-मरण की ४

समरथ लोक-अलोक क विजञान म जिजनर परभो

तररयछतर की सषमा विराजिजत जञान म दिदनकर परभो

हो पापकषरय कषणमातर म पदपदम क गणगान स

दपानध लिसह-गजनदर भाग सहज जिजनक रधवारयान स ५

परतरयष ला क ललिलत उजजल दिदाकर सा विमल

जिजननाथ भा-मणbल तमहारा सोहता सरणिणम कमल

दिदवयागनाओ क नरयन मन कर परफडिललत मोहता

तरलोकरय क तम-तोम को करता विदरिरत सोहता ६

बाधारविहत शाशवत विनराकल अनरयतम सख समपदा

नाथ क चरणारविनदो क समागम स सदा

परापत करत भN जन ह भलिN क आधार स

आ रय करया रयदिद पार हो ससार ndash पाराार स ७

ह शानविनतनाथ जिजननदर तर भN विनत पात कपा

भदख स सनतपत जन क हत बन जाती परपा

दर होत दख-दारण नाथ की शभ भलिN स

जरयो घनवितमिमर ह दर होता रविविकरण की शलिN स ८

शरी शानविनतनाथ जिजननदर क इस ससतन को भा स

जो भवयजन पढत विनरनतर ह विनरय स चा स

परिरणाम उनक हो विमल सब विरघयन बाधाए टल

कलरयाण मजिनदर क पलिथक मलिN क पथ पर चल९

विधान परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन ndash मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

सण कलश म जल ल जो विनत जिजन पद पजन करत ह

विन रय ही राजवितलक कीअनमोल समपदा रत ह १

ॐ हरा हरी हर हरौ हर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय जनम जरा मतरय विनाशनारय जल विनपामीवित साहा

कशर कपर चनदन ारा जिजनर क चरणो का अचन

जो करत ह सगreg तक म सरभिभत होत ह उनक तन २

ॐ भरा भरी भर भरौ भर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय ससारताप विनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा

परभ क चरण कमल की पजा विनमल अकषत स करत

कामद सा पा शरीर दीघ आरय जीन धरत ३

ॐ मरा मरी मर मरौ मर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अकषरय पद परापतरय अकषतान विनपामीवित साहा

जो कनद चमली क ारा करत परभ पद पङकज- पजन

पषपोततर विमान ारा समपण सफल करत जीन ४

ॐ रा री र रौ र जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय कामबाण-विरधवानारय पषप विनपामीवित साहा

उजजल सण पातर म लकर सदय पक नदय विमल

अरतिपत करत परभ चरणो म पा जात कलप कष क फल ५

ॐ घरा घरी घर घरौ घर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय कषधारोग विनाशनारय नदय विनपामीवित साहा

उजजल कपर दीप ारा जिजनर की सौमरय आरती स

उदभालिसत कल जोवित जग उसम सनदीपत भारती स ६

ॐ ा ी ौ जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विनपामीवित साहा

चनदन कपर धप ारा जिजनर की शभर अचना स

पाऊ विनरोगतन कानविनतमरयी परभ की विनभिश रयाम नदना स ७

ॐ शरा शरी शर शरौ शर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अCकम विनाशनारय धप विनपामीवित साहा

शरीफल कदली इतरयादिदक स शरी जिजनक चरणो का पजन

मनालिछत फल पात ह पजन जो करत ह भवि जन ८

ॐ खरा खरी खर खरौ खर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय मोकषफल परापतरय फल विनपामीवित साहा

अC दरवय मरय अघररय विमल ल शानविनतनाथ परभ का पजन

करत ह जो भवय शतनदरो स जिनदत हो दिदवय चरण ९

ॐ अ हरा लिस हरी आ हर उ हरौ सा हर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपद परापतरय अघररय विनपामीवित साहा

जरयमाला

जञानरप ओकार नमसत हरी मरधवारय परभ शानविनत नमसत

सनातकरतिष अरिरहनत नमसत दरया धम-परिरपण नमसत१

एकानक-सरप नमसत शरी मचचकराधीश नमसत

शानविनत दीनविपत भिश रप नमसत जञान गभ विनज रप नमसत२

नाना भाषा बोध नमसत आशा पाश विहीन नमसत

पान-गण गण गीत नमसत अC कम-विरधवास नमसत ३

तीथ_कर पद पत नमसत पर सकलप- विहीन नमसत

मलिN ध क कनत नमसत समरयक चारिरत दकष नमसत ४

आतम सभा लीन नमसत रतनतररय- सरयN नमसत

आतम बोध परिरपण नमसत उभरय लोक सखदारय नमसत ५

करणा सागर नाथ नमसत ाणी विशव विहतारय नमसत

शानविनतनाथ परमश नमसत तीवर गरल-हर दकष नमसत ६

करश अतस नमसत ऋविष लिचत हरतिषत करण नमसत

कल करमकारिर जिजननदर नमसतसदा विलिचतर सरप नमसत ७

हरी बीज रशामिरय नमसत धीर ीर भननदर नमसत

विरघयनविनाशक शानविनत नमसत पराभिण नाथ त नाम नमसत ८

भरय हता विनभordfक नमसत दिदवय धनी भिश रप नमसत

धम धरधर धीर नमसत विनज चतनरय लीन नमसत ९

शानविनत जिजनाCक को जो भविजन धार विनतरय हदरय म

सख समपवित ऐशवरय परापत हो सशरय नही विजरय म १०

ॐ हरी जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

परथम लरय पजा परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तबकषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

ह बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन१

ॐ हरी अशोकतरसतपरावितहारय-मचचिणbतारय अशोकतररयNपदपरदारय हमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

भ बीजाकषर का आशररय लकरता शानविनतनाथ पजन २

ॐ हरी सरपषपविCसतपरावितहारय मचचिणbतारय सरपषपविCरयNपदपरदारय भमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

म बीजाकषर का आशररय लकरता शानविनतनाथ पजन३

ॐ हरी दिदवयरधवाविनसतपरावितहारय मचचिणbतारय दिदवयरधवाविनरयNपदपरदारय ममलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

र बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन ४

ॐ हरी चामरोततोलनसतपरावितहारय मचचिणbतारय चामरोततोलनरयNपदपरदारय मलवररय_ बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

घ बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन५

ॐ हरी लिसहासनसतपरावितहारय मचचिणbतारय लिसहासनरयNपदपरदारय रघयमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

झ बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन६

ॐ हरी भामbलसतपरावितहारय मचचिणbतारय भामbलरयNपदपरदारय झमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

स बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन ७

ॐ हरी दनदभिभसतपरावितहारय मचचिणbतारय दनदभिभरयNपदपरदारय समलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

ख बीजाकषर का आशररय लकरता शानविनतनाथ पजन८

ॐ हरी छतरतररयसतपरावितहारय मचचिणbतारय छतरतररयरयNपदपरदारय खमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

ह भ म र घ झ स ख बीजरयत णन कर भरपर

सतोतर अघररय स पजत विरघयन ग हो दर ९

ॐ हरी अCपरावितहारय सविहतारय अCबीजमbनमचचिणbतारय सविरघयनशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय पणाघररय विनपामीवित साहा

वितीरय लरय पजा परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

भलिN भा रयत परभ पजन को इनदर जिजनालरय जा

तीथ_कर पदी क कारण शरी जिजनक गण गा

शरी जिजन परभ क पद पङकज की पजा इनदर रचा

दशन जञान अननत सखामत बल विकरम पा १

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमानस अहतपरमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अC कम स मN विनरजन लिसदध सरपी राज

कषामिरयक समरयक आदिद गणोततम सीमातीत विराज

भत भविषरयत तमान क लिसदध अननत विनरजन

विनजसरप म लीन परभ का करता पजन दन २

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमान सलिसदध-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पञचाचार- विभविषत गरर आतम-जरयोवित जगा

जञान तपो विनलिध कम दलन को रधवारयान-कठार उठा

शानविनत सधाकर की शलिच शीतल रडिशम-परकाश परसार

सघ चतरतिध क अलिधनारयक काम-महारिरप मार३

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमान-साचारय-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझतविनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

ादश अग विभविषत मविनर पाठक साध सधी क

मान विमदन करत विनमद आतम सधा रस पी क

रधवारयाना-रधवारयरयन विनरनतर जिजनक भिश-साधन दशा

इCा-विनC सरयोग विरयोग हष-विषाद नशा ४

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद- तमान-सपाठक-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जञान रधवारयान तप लीन विनरनतर समता-सादक रयोगी

विषरयातीत-सरप जिजतजिनदररयआतम सरस क भोगी

रधवारयान कपाण लिलए मविन रयोगी कम-महारिरप मार

गण Ÿोणी रयत कर विनजरा विनज गण रप विचार ५

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमान-ससाध-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पचचीस दोषो स रविहत अCाङग समरयग दशनम

अहनत आगम गररो काम करो विनत अचनम ६

ॐ हरी जगदापविनाशनहत शदधसमरयकतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान-बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

ादशाङग जिजननदर-ाणी जञान ndash दोष ndash विरजिजतम

समरयखिगभविषत आतम जरयोवित परकाश को शत नदनम ७

ॐ हरी जगदापविनाशनहत शदधसमरयजञानामलतर-खणbोडिजझत-विनदान-बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

गनविपतरया तररय समिमवित पाचो और पञच महावरतम

तरह परकार चरिरतर समरयक का करो म पजनम ८

ॐ हरी जगदापविनाशनहत शदधसमरयकताचारिरतरामलतर-खणbोडिजझत-विनदान-बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जञानारणी पञच परकवितरया परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी ९

ॐ हरी जञानारण-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

दशनारणी कम परकवित न परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी१०

ॐ हरी दशनारण-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

दनीरय विलिध सखदख दारयक परभ न उभरय विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी११

ॐ हरी दनीरय-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अCा-विशवित परकवित मोह की परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १२

ॐ हरी परचणbमोहनीरय-कमबध-बधनकत सवित ततकम-विपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

आरय कम की परकवित चार ह परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १३

ॐ हरी आरय-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनत नाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नाम कम की परकवित नवित तररय परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १४

ॐ हरी नाम-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनत नाथारय अघररय विनपामीवित साहा

गोतर कम की परकवित शभाशभ परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागरपजो पद अविनाशी १५

ॐ हरी गोतर-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अनतरारय विलिध पञच परकवितरया परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १६

ॐ हरी अतरारय-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

दशन जञान चरण स भविषत पञच परम पद पाऊ

शानविनतनाथ जिजन क चरणो म विनत परवित अघ चढाऊ १७

ॐ हरी पचपरमविषठ-पदपरदारय दशन-जञान-चारिरतर-कारकारय अCकमविनारणारय शरीशानविनतनाथारय पणाघररय विनपामीवित साहा

ततीरय लरय पजा परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

विनज-परिरार सविहत असरो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा १

ॐ हरी असरकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत नागो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा २

ॐ हरी नागकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत विदयत क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ३

ॐ हरी विदयतकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत सपण क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ४

ॐ हरी सपणकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत पाक क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ५

ॐ हरी अनविगनकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत मारत क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ६

ॐ हरी ातकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत मघो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ७

ॐ हरी सतविनतकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत सागर क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ८

ॐ हरी उदलिधकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत ीपो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ९

ॐ हरी ीपकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत दिदकसर क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १०

ॐ हरी दिदककमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत विकVर क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ११

ॐ हरी विकVरनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विकमपरषो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १२

ॐ हरी विकमपरषनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

महोरगो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १३

ॐ हरी महोरगनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

गध क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १४

ॐ हरी गनधनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

रयकषसरो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १५

ॐ हरी रयकषनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

राकषसगण क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १६

ॐ हरी राकषसनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भतसरो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १७

ॐ हरी भतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

सरविपशाच क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १८

ॐ हरी विपशाचनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जरयोवितविषरयो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १९

ॐ हरी चदरनामकनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जरयोवितविषद परतीनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २०

ॐ हरी भासकरनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इदरामर सौधम सग क भN जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा २१

ॐ हरी सौधमनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इदरामर ईशान सग क भN जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २२

ॐ हरी ईशाननदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

सनत सग क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २३

ॐ हरी सनतकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इनदरामर माहनदर सग क भN जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २४

ॐ हरी माहनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

बरहमसग क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २५

ॐ हरी बरहमनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लानत क सर इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २६

ॐ हरी लानतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शकर सग क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २७

ॐ हरी शकरनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथपदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शतारनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २८

ॐ हरी शतारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

आनतनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २९

ॐ हरी आनतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराणतनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ३०

ॐ हरी पराणतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

आरणनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ३१

ॐ हरी आरणनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अचरयतनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ३२

ॐ हरी अचरयतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

बततीस इनदरो स परपजिजत शानविनतनाथ जिजनश को

परिरपण अघ चढारय पाऊह परभो भिशलोक को ३३

ॐ हरी चतरणिणकारयदनदरपजिजतारय शरीशानविनतनाथारय पणाघररय विनपामीवित साहा

चतथ लरय पजा परारभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

सतवितलका छद

मन क विकार सब नाशन हत तरी

पजा परशात करती लगती न दरी

ह शानविनतनाथ भगन भतापहारी

सादर परणाम तमको अघ नाशकारी १

ॐ हरी मानलिसक विकारोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

ाणी पररयतनकत दोष विनारन को

पजा समथ भविजनम सधारन को

ह शानविनतनाथ भगन भतापहारी

सादर परणाम तमको अघ नाशकारी २

ॐ हरी ाचविनक विकारोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

कारया कठार कत पाप परणाशकारी

अचन सशN सतर परदोषहारी

ह शानविनतनाथ भगन भतापहारी

सादर परणाम तमको अघ नाशकारी ३

ॐ हरी कामिरयक-पापोदभोपदरविनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

राजरयशरी पर गह नाश सो होरय उपदर भारी

उनक नाशन हत परभ की पजा मगलकारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ४

ॐ हरी राज-लकषमी-पर-गह-पदभरCोद-भोपदर-विनारकारय शरी शानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पपारजिजत कम उदरय सो घोर विपलितत सता

लकषमी हीन दरिरदरी नर विनत तीवर महा दख पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ५

ॐ हरी दारिरदरोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भीम भगदर कC जलोदर आदिदक रोग घनर

वयालिध उपदर कम विनाशन हत जजो पद तर

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ६

ॐ हरी भीम-भगदर-गलिलतकषठ-गलम-जलोदर-रN-विपतत-कफ-ात-सफोटकादयप-दर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इC विरयोग अविनC रयोग स जी महा दख पा

विनज परिरणवित को भल मोही आत रौदर उपजा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ७

ॐ हरी इCविरयोगाविनCसरयोगोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विनज सना ा पर सना कत घोर उपदर आ

धमाराधन रधवारयान विमख तब पराभिण महा दख पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ८

ॐ हरी सचकर-परचकरोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

नाना आरयध दह विनाशक घोर उपदर आ

आत रौदर की परिरणवित वयाप कोई नही बचा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ९

ॐ हरी विविधारयधोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जलचर पराणी दC नकर औ मतसरय महा भरयकारी

कम उदरय जल बीच सतावयाकल हो नरनारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १०

ॐ हरी दCजलचरजीोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

न पत क मरधवारय चतषपद लिसह गजादिदक परानी

आकरामक न विनतरय सता कर दC मनमानी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ११

ॐ हरी वयाघर-लिसह-गजादिदक-न-पत-ालिसशवापदादयपदर-विनारकारय शरीशानविनत नाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भचर खचर करर जी कत तीवर उपदर आ

आशापाश बधा रयह पराणी परपरणवित लिलपटा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार १२

ॐ हरी भचर-गगनचर-करर-जीोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भीम भजगम भि क भीषण घोर विषल पराणी

विषम हलाहल दत दशन स पीडिbत हो जग पराणी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १३

ॐ हरी वयाल-भि कादिद-विष-ददरधरोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नख शगादिदक तीकषण विषल जीो क दखकारी

कम असाता पररिरत पराणी भगत दख अवित भारी

शानविनतनाथ क पद पकज जोमन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १४

ॐ हरी दCजी-पद-कर-नखोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

न पशओ क दाढ सीग नख अवित विकराल घनर

चच तb दतादिदक कत दख घोर असाता घर

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १५

ॐ हरी चच-तb-दाढ-कटकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

दाानल न मरधवारय भरयकर खग मग कष जला

जी असाता कमदरय स घोर महा दख पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार१६

ॐ हरी दाानलोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

घोर परचb पन का दजरय ग भरयकर धा

सागर मरधवारय परचb लहर की भीम भर लहरा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १७

ॐ हरी परचणb-पनोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नौका पोत सफोट उदलिध म दारण दख परदाता

सागर मरधवारय पतन जब हो कम विपाक असाता

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १८

ॐ हरी नौका-सफोट-पतनोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

न पत भमbल मरधवारय उदिदत उपदर भारी

परभ पजा स दर सभी हो फल हो मगलकारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १९

ॐ हरी न-नग-मदिदनी-भरयकरोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

सरिरता सागर कप सरोर झील जलाशरय ापी

इनक उपसगreg स रकषण पाता पीडिbत पराणी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २०

ॐ हरी नदी-सरोरानधिEcirc-कप-हदोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विदयतपात भरयकर षा ओला पाला पानी

द विपाक अनक उपदर पीडा की मनमानी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २१

ॐ हरी विदयतपातादिद-भीमामब-षटयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

रयदधसथल क मरधवारय शतर दल श अनक चला

कम असात अकाल मरण दख सब ही पराणी पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २२

ॐ हरी सगराम-सथलादिदविनकटोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

bाविकविन शाविकविन भत परत अर चोर विपशाच घनर

कमreg क परिरपाक विषम सो रहत विनशदिदन घर

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २३

ॐ हरी bाविकनी-शाविकनी-भत-विपशाचादिदभरय विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

उचचाटन सममोहन थमभन घोर उपदर आ

विदया दC विविध रपो म आकर विनतरय सता

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २४

ॐ हरी मोहन-सतमभनोचचाटन-परमख-दCविदयोपदर विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

दC नगरह कत पीडाए कम उदरय स आ

अजञानी मिमथरयाती मरख कगर कद मना

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २५

ॐ हरी दCगरहादयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लोह शखला क दढ बधन अग उपाग दखा

पीडिbत जी महा दख पाकर हाहाकार मचा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २६

ॐ हरी शखलादयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अलप आरय कत कम रयोग स जनम मरण दख भारी

मन म वयापत परचb विकलता दखिखरया सब ससारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २७

ॐ हरी अलपमतरयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कम उदरय दरणिभकष उपदर अVाभा सता

जठरानल की भीषण जाला पराणी को विबलखा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २८

ॐ हरी दरणिभकषोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अतरारय रयह लाभ विरोधी कम उदरय जब आ

वयापारादिदक भिदध न हो धन समपलितत नशा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २९

ॐ हरी वयापारभिदध-रविहतरयोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

सबधी परिरार भरात सत बन अकारण बरी

घोर उपदर कर विनरतर वयाप विपद घनरी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ३०

ॐ हरी बधतोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अकटमबी सतान विबना विनत अवित सकलभिशत हो

मिमथरया मोह उदरय स पररिरत पराणी रो धो

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ३१

ॐ हरी अकटमबतोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पाप उदरय अपकीरतित दखद हो आकलता उपजा

मन सताप महा दख जाला सब सख शानविनत जला

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ३२

ॐ हरी अपकीतररयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विशव विहतारय उदार भाना विनमल मगलकारी

समरयकदशन जञान चरिरत रयह हो सद विहतकारी

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३३

ॐ हरी समपणकलरयाण-मगलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लिचतामभिण क तलरय लाभपरद शानविनत परभ को रधवारया

कर अचना विनतरय चा स अवितशरय शभ फल पा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३४

ॐ हरी लिचतामभिणसमान-लिचवितत-फलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कलपकष क समफल दाता पाप-ताप विनशारय

शानविनत जिजनशवर का आराधन शभ मगल महकाए

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३५

ॐ हरी कलपकषोपमकचचिलपताथ-फलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कामधन क तलरय अनपम स मनोरथ दाता

रयही अचना मगलकारी सख आनद परदाता

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३६

ॐ हरी कामधनपमकामनापण-फलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

परम समजजल रधवारयान धर तो मट पथ की बाधा

रयही अचना मगलकारी हर लती दख बाधा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३७

ॐ हरी परमोजजल-धमरधवारयान-बाधारविहतारय-अनदयबोधपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

तरलोकरय क सब पराभिणरयो को नतर का उतस कर

मनलिसज सदश सौनदरय पा जो परभ पजा कर

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३८

ॐ हरी कामदसरपपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कपर चदन अगर पकज तलरय सरभिभत दह हो

रयदिद शानविनत जिजन की अचना म अमल विन ल नह हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३९

ॐ हरी सगलिधतशरीरपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भवयामबजो को विनत परफडिललतनाथ का भामणbलम

रवि रडिशमत करता परकाभिशत शानविनतजिजन गणमbलम

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४०

ॐ हरी तरलोकरयनाथाहलाद-कारक-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कषीर सागर की समजजल अमल लहरो स धल

दता गात विनरतर आपक सदगण विमल

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४१

ॐ हरी परमोजजल-गणगण-सविहत-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

ाचसपवित क तलरय विनमल विशद-परवितभादामिरयविन

आपकी ह अचना जरयो परणिणमा की चादनी

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४२

ॐ हरी ाचसपवितसमान-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नविनलिध चतदश रतन का सामिमत जो चकरश को

नर द इदर नरनदर दिदत पजता तीथश को

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरीशानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४३

ॐ हरी चकररतित-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपद-परापतरय अघररय विनपामीवित साहा

दोनो कलो की कीरतित को विनज गण विभविषत जो कर

मलिN रमा रती उनह जो शानविनतजिजन पजा कर

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४४

ॐ हरी उभरयकल-कमल-विकासन-परवितविषठत-गणमचचिणbतारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अचना शभभा स अरिरहत की जो विनत कर

शराकोततम वरतधरन सद बभिदध को नर र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४५

ॐ हरी शराक-सततकरण-बभिदधपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शारदी न जरयोतसना सम कीरतित का विसतार हो

परभ अचना ही मातर इक जो पराण का आधार हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४६

ॐ हरी परमोजजल-कीरतितपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कलरयाण कतररी राज लकषमी धनद सम नर र

जिजन राज की शभ भाना स जो सतत पजा कर

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४७

ॐ हरी कलरयाणकर-राजधनदसम-लकषमीपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

वितरय_च नारक भ कभी जिजन भN को मिमलता नही

नर द भ शभ लोक म परभ भN पात हर कही

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४८

ॐ हरी नरक-वितरय_च-गवितरविहत-नर-सर-गवितसविहत-भपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भाना षोbश विमल परभ अचना स परापत हो

तीथ_कर पदी मिमल जिजसस विक विन रय आपत हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४९

ॐ हरी षोbशकारण-भाना-साधन-बलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

लोक दलभ सपन सोलह नाथ माता दखती

एक जननी पद परस पजा सविहत अलोकती

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५०

ॐ हरी जिजनजननी-तलरयकजननी-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

तीथश न सर शल पर होता विशद अभिभषक ह

जिजन अचना का हदरय जिजनक परकट विमल विक ह

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश कीम विनत कर आराधना ५१

ॐ हरी मरभिशखर-सनानरयN-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

ससार भोग शरीर स विनद दीकषा दारयकम

नर जनम परभ की अचना स मिमल शभभिश कारकम

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५२

ॐ हरी लिसदधसाभिकष-दीकषाकारिर-भपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजन चदर क सालोक शासन क असीम परभा स

सहनन जर षभ तथा नाराच पजन भा स

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५३

ॐ हरी जरषभनाराच-सहनन-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

रतनतररयामत स विभविषत रधवारयान क उपरयोग स

विनमल रयथा विखरयात हो जिजन अचना क रयोग स

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५४

ॐ हरी रयथाखरयात-रतनतररयाचरण-रयN-बलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विनज रधवारयान म तललीन आतम साद अमत चख सक

तीथश शानविनत जिजनश पजन स विनजातम लख सक

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५५

ॐ हरी सातम-रधवारयानामत-सादसविहत-भपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

राजती बारह सभा जिजन समसरण सदा

तरलोकरय पवित की अचना स परापत होती सख परदा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५६

ॐ हरी समसरण-विभवित-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजनराज परभ की दिदवय रधवाविन दिदनरात म चौबार हो

जिजसका शरण कर भविक को कलरय अपरपार हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५७

ॐ हरी सतकलजञान-विभवित-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अC कमreg स रविहत गण अC रयत परमातमा

विनभरय विनरजन लिसदध पद पाता सधी धमातमा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५८

ॐ हरी विनरजन-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लिचतत को आनद दती नाथ की दिदवयाचना

परभ क पजारी की कर सर लोक म सर दना

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५९

ॐ हरी लिचदानद-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजनक विमल मखचदर स अमतचन अनपम झर

तरलोकरय की विनलिधरया सकल परभ क पजारी को र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६०

ॐ हरी चनानद-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजननाथ क तन की अलौविकक दिदवय अण अण की परभा

दखकर होती परफडिललत हष स बारह सभा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६१

ॐ हरी कारयानद-करण-समथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

साथ गreg का परशाधक नाथ मनसा लिचतनम

तीथश की दिदवयाचना का ह महत अवितशरय फलम

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश कीम विनत कर आराधना ६२

ॐ हरी अथग-लिसभिदध-साधन-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

परभ क गणो का ससतन विनज ाभिण ीणा स कर

काम ग परसालिधनी उतकC मविहमा को र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना६३

ॐ हरी कामग-लिसभिदध-साधन-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

जिजननाथ पजा स सफल विनज दह को जो नर कर

आ रय करया रयदिद मोकष लकषमी को सहज ही र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६४

ॐ हरी मोकष-परषाथ-लिसभिदध-साधन-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विनरचिलपत शरी जिजनराज चौसठ ऋभिदधरयो क नाथ ह

शत इदर क झकत सतत पद पकजो म माथ ह

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश कीम विनत कर आराधना ६५

ॐ हरी चतषविषठ-ऋभिदधसमानागारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शत एक विशवित तीथकर जिजनचदर की पजा करो

विरघयनौघ क शानतरयथ म पणाघररय चरणो म धरो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६६

ॐ हरी शतकिशवित-कोषठ-सथाविपतारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अरिरहत क अवितरिरN कोई ह नही जग म शरण

ससार सागर म परभ क चरण ह तारण तारण

इतीCपराथना कता पषपाजिल भिकषपत

(विनमनाविकत मतर का १०८ बार जाप रया आहवितरया द)

ॐ हरी जगचछानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय नम सपदर-शानतिनत कर कर साहा

जरयमाला

शानविनतनाथ भगान क गण ह अपरपार

विनराधार ससार म भNो क आधार १

पचम शरी चकरीश ह ादश रवितनाथ

षोbश तीथश को सदा नाऊ माथ २

पदधरिर छनद

जरय शानविनत परभो लिचदरपराज जग जल विनलिध म अदभत जहाज

जरय कम विनाशक शानविनतनाथ जरय विरघयन विनाशक शानविनतनाथ

जरय गण ारिरलिध ह शानविनतनाथ जरय मलिNध क पराणनाथ

जरय आतम विहतकर शानविनतनाथ जरय कम विनाशक शानविनतनाथ

जरय पाप विनाशक शानविनतनाथ भनतररय-जञारयक शानविनतनाथ

जरय समरयक दारयक शानविनतनाथ भिशमाग-विधारयक शानविनतनाथ

जरय भगहभजन शानविनतनाथ जरय अलख विनरजन शानविनतनाथ

जरय ऐरासत शरी शानविनतनाथ वितरभनतराता विहत शानविनतनाथ

जरय शानविनतनाथ भिश क दारयक जरय विहत-सदशक अघहारक

जरय जनम-जरा-मत-सहारक जरय रोगशोक हर सखदारयक

भिश सख क साधन शानविनतनाथ भ भरय क भजक शानविनतनाथ

जरय मानबली क मद मदक जरय शानविनतनाथ गण गणधक

कमreg क दख सहारक हो भरय भत विपशाच विनारक हो

नगरहकत बाधा दर करो वयालादिद विपवित चकचर करो

जरय भवय सरोज दिदाकर हो जरय भिश सख पदम परभाकर हो

भवि जीन तारण कारण हो शरी शानविनतनाथ भिश नारयक हो

ॐ हरी जगचछानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय जरयमाला-पणाघररय विनपामीवित साहा

नम

ॐ हरी शरीमनत भगनत कपालसनत शरीषभादिद ndash महाीरपरयनत-चतरविशवित -तीथङक iuml रपरमद आदयाना आदय जमबीप भरतकषतर आरयखणb helliphelliphelliphelliphelliphelliphellipनानविमन नगरhelliphelliphelliphelliphellipमासानामततमhelliphellip मास शभपकष helliphellipवितथौhelliphellip ासरhelliphellip मनरयारयिरयका-शराक-शराविकाणा सकलकमकषरयाथ_ अनघपदपरापतरय समपणाघररय विनपामीवित साहा

चतरतिवश तीरथsकर सवतित पाठशरीषभो नः सचचिसत सचचिसत शरीअजिजतः |

शरीसभः सचचिसतसचचिसत शरीअभिभनदनः |शरीसमवितः सचचिसत सचचिसत शरीपदमपरभः |शरीसपाशवः सचचिसत सचचिसत शरीचनदरपरभः |शरीपषपदतः सचचिसत सचचिसत शरीशीतलः |शरी शररयानसः सचचिसत सचचिसत शरीासपजरयः | शरीविमल सचचिसत सचचिसत शरीअनतः |शरीधमः सचचिसत सचचिसत शरीशानविनतः |शरीकथः सचचिसत सचचिसत शरीअरहनाथः |शरीमडिललः सचचिसत सचचिसत शरीमविनसवरतः |शरीनमिमः सचचिसत सचचिसत शरीनमिमनाथः |शरीपाशवः सचचिसत सचचिसत शरीदधमानः |

इवित शरीचतरविशवित तीथ_कर-सचचिसत मगल विधान पषपाजलिल भिकषपामिम |

तिनवा13ण काडदोहा

ीतराग दौ सदा भासविहत लिसरनारयकह काb विनाण की भाषा सगम बनारय

अCापद आदीशवर सामी बास पजरय चपापरनामीनमिमनाथसामी विगरनार दो भा भगवित उरधार १

चरम तीथ_कर चरम शरीर पाापरी सामी महाीरभिशखर सममद जिजनसर बीस भा सविहत दौ विनशदीस २

रदतरारय रइद मविनद सारयरदतत आदिदगणदनगरतारर मविन उठकोविb दौ भा सविहत करजोविड ३

शरी विगरनार भिशखर विखरयात कोविb बहततर अर सौ सातसब परदमन कमार भारय अविनरदध आदिद नम तस पारय ४

रामचदर क सत ीर लाbनरिरद आदिद गण धीरपाचकोविड मविन मलिN मझार पााविगरिर बदौ विनरधार ५

पाb तीन दरविb राजान आठकोविड मविन मलिNपरयानशरी शतरजरय विगरिर क सीस भा सविहत दौ विनशदीस ६

ज बलभदर मलिN म गए आठकोविड मविन औरह भरयशरी गजपथ भिशखर सविशाल वितनक चरण नम वितह काल ७

राम हण सगरी सbील गगाखरय नीलमहानीलकोविड विनणरयान मलिN परयान तगीविगरी दौ धरिररधवारयान ८

नग अनग कमार सजान पाच कोविड अर अध परमानमलिN गए सोनाविगरिर शीश त दौ वितरभनपवित इस ९

राण क सत आदिदकमार मलिN गए रातट सारकोविड पच अर लाख पचास त दौ धरिर परम हलास १०

रा नदी लिसदधरकट पभि म दिदशा दह जहा छट चकरी दश कामकमार उठकोविड दौ भपार ११

बडानी बडनरयर सचग दभिकषण दिदभिश विगरिरचल उतगइदरजीत अर कभ ज कण त दौ भसागर तण १२

सरण भदर आदिद मविन चार पााविगरिरर भिशखर मझारचलना नदी तीर क पास मलिN गरय बदौ विनत तास १३

फलहोडी बडगराम अनप पभि म दिदशा दरोणविगरिर रपगर दततादिद मविनसर जहा मलिN गए बदौ विनत तहा १४

बाली महाबाली मविन दोरय नागकमार मिमल तररय होरय

शरी अCापद मलिN मझार त बदौ विनतसरत सभार १५

अचलापर की दशा ईसान जहा मढविगरिर नाम परधानसाड तीन कोविड मविनरारय वितनक चरण नम लिचतलारय १६

शसथल न क दिढग होरय पभि म दिदशा कनथविगरिर सोरयकलभषण दिदभिशभषण नाम वितनक चरणविन कर परणाम १७

जशरथराजा क सत कह दश कलिलग पाच सो लहकोदिटभिशला मविनकोदिट परमान दन कर जौर जगपान १८

समसरण शरी पाशवजिजनदर रलिसदीविगरिर नरयनानदरदततादिद पच ऋविषराज त दौ विनत धरम जिजहाज १९

सठ सदशन पटना जान मथरा स जमब विनाणचरम कलिल पचमकाल त दौ विनत दीनदरयाल २०

तीन लोक क तीरथ जहा विनत परवित दन कीज तहामनचकारय सविहत लिसरनारय दन करविह भविक गणगारय २१

सत सतरहसो इकताल आभिशवन सदी दशमी सविशालlsquoभरयाrsquo दन करविह वितरकाल जरय विनाण काb गणमाल २२

सवयमभ सतोS किहदीसवयभसतोS-भारषा

रमल (ससकत) रचना आचाय13 सरमतभदरभारषा (तिहनदी) अनवाद कतिवशरी दयानतरायतिवदवानो योतिगयो और तयागी-तपबधिसवयो क पजय सवारमी आचाय13 सरमतभदर सोतसाह रमतिन जीवन वयतीत कर रह रथ उस सरमय असाता वदनीय करम13 क परबल उदय स उनह lsquoभसरमकrsquo नारम का रमहारोग हो गया रमतिनचया13 क दौरान इस रोग का शरमन होना असभव जानकर उनहोन अपन गर स सAलखना धारण करन की आजञा चाही| गर रमहाराज न कहा तिक आप क दवारा जिजन-शासन की तिवशरष परभावना होनी ह सAलखना का सरमय अभी नही आया हरोग-शरमन हत पौमिषटक भोजन की आजञा लकर आपन दिदगमबर वरष का तयाग तिकया और काची रम रमशिलन वरषधारी दिदगमबर रह राजा न उनह सही-सही परिरचय बतान क शिलए कहा सरमतभदर न कहा तिक रम आचाय13 ह शासSारचिरथयो रम शरषठ ह पलपिणडत ह जयोतितरषी ह वदय ह कतिव ह रमातिSक-तातिSक ह ह राजन इस सपण13 पथवी रम रम आजञा शिसदध ह अमिधक कया कह शिसदध सारसवत ह और अब आपक समरमख जन-वादी खड़ा ह जिजसकी शशिकत हो रमझस शासSारथ13 कर लउनहोन चौबीस तीरथक13 रो का सतवन शर तिकया जब व आठव तीरथsकर चनदरपरभ का सतवन कर रह रथ तब चनदरपरभ भगवान की रमरतित परकट हो गरइ13इ सतवन पण13 हआ यह सतवन lsquoसवयभसतोSrsquo क नारम स परशिसदध ह यह करथा बर नमिरमदतत करथाकोश क आधार पर ह

(चौपारइ13इ छनद)राजतिवरष जगलतिन सख तिकयो राजतयाग भतिव शिशवपद शिलयो |सवयबोध सवयभ भगवान वद आदिदनारथ गणखान ||१||

इनदर कषीरसागर जल लाय रमर नहवाय गाय बजाय |रमदन तिवनाशक सख करतार वद अजिजत अजिजत-पदकार ||२||

शकलधयान करिर कररम तिवनाशिश घातित-अघातित सकल दख राशिश |लहयो रमकतितपद सख अतिवकार वद सभव भव-दख टार ||३||

रमाता पभिशचरम रयन रमझार सपन दख सोलह सार |भप-पशिछ फल सतिन हररषाय वद अभिभनदन रमन लाय ||४||

सब कवादवादी सरदार जीत सयादवाद-धतिन धार |जनधररम-परकाशक सवारम सरमतितदव पद करह परणारम ||५||

गभ13 अगाऊ धनपतित आय करी नगर-शोभा अमिधकाय |बरस रतन पचदश-रमास नरम पदरमपरभ सख की राश ||६||

इनदर फणीनदर नरनदर तिSकाल बानी सतिन-सतिन होकिह खशाल |दवादश सभा जञान-दातार नरम सपारसनारथ तिनहार ||७||

सगन शिछयाशिलस ह तरम रमाकिह दोरष-अठारह कोऊ नाकिह |रमोह-रमहातरम-नाशक दीप नरम चदरपरभ राख सरमीप ||८||

दवादशतिवध तप कररम तिवनाश तरहतिवध-चारिरS परकाश |तिनज अतिनचछ भतिव इचछकदान वद पषपदत रमन-आन ||९||

भतिव-सखदाय सरग त आय दशतिवमिध धररम कहयो जिजनराय |आप-सरमान सबतिन सख दह वद शीतल धरम13-सनह ||१०||

सरमता-सधा कोप-तिवरष-नाश दवादशाग-वानी परकाश |चार सघ-आनद-दातार नरम शरयास जिजनशवर सार ||११||

रतनSय शिसरा रमकटा तिवसाला सोभ काता सगना रमभिण रमाला रमशिकतनारा भतता13 भगवान वासपजय वद धारा धयाना 12

पररम सरमामिध-सवरप जिजनश जञानी-धयानी तिहत-उपदश |करम13 नाशिश शिशव-सख-तिवलसत वद तिवरमलनारथ भगवत ||१३||

अतर-बातिहर परिरगरह टारिर पररम दिदगबर-वरत को धारिर |सव13जीव-तिहत-राह दिदखाय नरम अनत वचन रमनलाय ||१४||

सात तततव पचासतितकाय नव-पदारथ13 छह दरवय बताय |लोक अलोक सकल परकाश वद धरम13नारथ अतिवनाश ||१५||

पचरम चकरवरतित तिनमिधभोग कारमदव दवादशरम रमनोग |शातितकरण सोलरम-जिजनराय शातितनारथ वद हररषाय ||१६ ||

बह रथतित कर हररष नकिह होय किनद दोरष गह नकिह कोय |शीलवान परबरहम-सवरप वद करथनारथ शिशवभप ||१७||

दवादश-गण पज सखदाय रथतित-वदना कर अमिधकाय |जाकी तिनज-रथतित कबह न होय वद अर जिजनवर-पद दोय ||१८||

परभव रतनSय-अनराग इहभव बयाह-सरमय वराग |बाल-बरहम-परन-वरत धार वद रमलपिAलनारथ जिजनसार ||१९||

तिबन उपदश सवय वराग रथतित लोकात कर पग लाग |नरम शिसदध कतिह सब वरत लकिह वद रमतिनसवरत वरत दकिह ||२०||

शरावक तिवदयावत तिनहार भगतित-भाव सो दिदयो अहार |बरसी रतन-राशिश ततकाल वद नमिरम परभ दीनदयाल ||२१||

सब जीवतिन की बदी छोतिड़ राग-दवरष दव-बधन तोर |राजल तजिज शिशव-तितय सो मिरमल नमिरमनारथ वद सख तिनल ||२२||

दतय तिकयो उपसग13 अपार धयान दगनिख आयो फतिनधार |गयो करमठ-शठ रमख कर शयारम नरम रमरसरम पारस सवारम ||२३||

भव-सागर त जीव अपार धररम-पोत रम धर तिनहार |डबत काढ़ दया-तिवचार वदध13रमान वद बह-बार ||२४||

(दोहा)चौबीसो पद-करमल-जग वद रमन वच काय |lsquoदयानतrsquo पढ़ सन सदा सो परभ कयो न सहाय |

दिदपतरयौहार ससकवित और सभरयता क परतीक ह तथा उनका समबनध भी पराचीन महततपण घटनाओ स जbा हआ ह| दीपाली हमार दश का परलिसदध तरयौहार ह| सभी लोग इस परम और उतसाह स मनात ह| इसस कई धम की कथारय जbी ह| कहा जाता ह विक मरयादा परषोततम शरी राम चनदर जी ारा दशहर क दिदन राण का ध करक इस दिदन अरयोरधवारया पधार थ पर विानो का मत ह विक इसका कोई शासतरीरय आधार नही ह| इसी दिदन शरी कषण जी न नरकासर का ध विकरया था| सतरही शताबदी म लिसखो क छठ गर शरी हरगोविबनद लिसह जी मगल बादशाह की कद स छट थ| इसी दिदन उVसी शताबदी म आरय समाज क ससथापक सामी दरयानद सरसती न तथा सामी रामकषण परम हस न शरीर तरयाग विकरया था| इस परकार सभी धम म अपनी-अपनी मानरयतानसार इस वितलिथ का महतत ह| मगर इस प का सीधा और सचचा समबनध जन धम क 24 तीथ_कर भगन महाीर सामी जी स ह| कारतितक कषण अमासरया की सपरभात की शभ बला म भगन महाीर सामी न चारो अघवितरया कमreg को भी नC करक विनाण परापत विकरया था| भगान क विनाण कलरयाणक की इनदरादिद न आकर बड धम धाम स पजा की थी| समराट शरभिणक आदिद नरनदरो न भी अपनी परजा क साथ महान विनाणोतस मनारया था| तभी स रयह प मनारया जाता ह| जन धम विकसी जावित ण सपरदारय रया पथ विशष का नाम नही ह करयोविक जन धम का परवितपादन करन ाल सभी 24 तीथ_कर कषवितररय थ और उनक अलिधकाश भिशषरय बराहमण थ| जन धम उस सत सरप का परवितपादन करता ह जो अनादिदकाल स ह और अनतकाल तक रहगा| जन धम पराणी मातर का धम ह| तीथ_कर महाीर न मान जीन की परतरयक विकररया को अविहसा क माप दb ारा मापा ह| एक जनम की साधना स कोई तीथ_कर नही बन सकता रयह तो अनक भो की साधना का फल ह| इस पद को पाना कोई साधारण बात नही इसक लिलए आतमा का पण विकास और परम विशभिदध आशरयक ह| भगान महाीर का सनदश कल विशववयापी ही नही अविपत साजाविनक और सकालिलक भी ह| उनक सनदश को हम रयदिद सकषप म कह तो विचारो म अनकात ाणी म सरयादाद आचरण म अविहसा और वयहार म अपरिरगरह क रप म वयN कर सकत ह|

इस पनीत भारत सधरा पर अबस 2600 ष पहल विबहार क कणbलपर गराम म माता वितरशला (विपररयकरिरणी) की ककषी स भगान महाीर न जनम लिलरया था| घर म रहत हए भी धमान सामी अतरयत विनरचिलपत रहत थ| कभी-कभी भोजन करत चलत विफरत हए भी अनतासतत म विनमगन हए परतीत होत थ| जब सामामिरयक म होत थ तो उनकी विनशछल शात मदरा दखत ही बनती थी| अपन जीन म उनहोन अविहसा विशवमतरी और आतमोदधार का उतकC आदश उपडिसथत विकरया था| ह आजनम बरहमचारी रह 30 ष की भरी जानी म उनहोन दीकषा ली| 12 ष की कठोर साधना क उपरात दधर तपकर 42 ष की आरय म आतमा क परबल शतर चार घावितरया कम का नाश कर लोका लोक परकाशक कल जञान परापत कर लिलरया और भवय जीो को दिदवय-रधवानी ारा आतमा क उदधार का माग बतारया| 72 ष की आरय क अत म कारतितक कषण अमासरया को परात काल मोकष लकषमी को परापत विकरया| उसी दिदन शाम को भगान क परथम गणधर शरी गौतम सामी को कल जञान परापत हआ था| तब दो न आकर कल जञान रपी लकषमी की पजा की थी| गणनाम ईशा = गणश गणधरा रय दोनो परयारयाची नाम गौतम सामी क ही ह| तब स इन दोनो आतमाओ महाीर सामी और गौतम सामी की समवित म रयह दीपाली प समसत भारत ष म मनारया जाता ह| भगान महाीर सामी क विनाण क उपलकषरय म लोग परातकाल सतवित पाठ पढत ह| मजिनदर जी म जाकर विनाण पजा विनाण काb महाीराCक पढकर विनाण लाb चढात ह| अपन घरो को खब सजात ह परसपर मिमतरो और समबनधिनधरयो म मिमठाई बाटत ह| सरधवारया क समरय पजरय गौतम सामी क कल जञान कलरयाणक की खशी म जलती दीपो की पलिNरयो स घर क अनदर और बाहर रौशनी करत ह| भजन आरती करक भगान क गणो का गान करत ह| सचची लकषमी तो आतमा क गणो का पण विकास कल जञान हो जाना तथा मोकष परानविपत ही ह| हम उस दिदन महाीर सामी गौतम सामी और कल जञान रपी लकषमी की पजा करनी चाविहए| इन गणो की पजा करन स रपरया पसा आदिद सासारिरक लकषमी परापत होना तो साधारण सी बात ह| जन धम अविहसा परधान धम ह| इस धम क अनसार धारयिमक प की तो बात ही करया लौविकक कारय म भी विहसा को कोई सथान नही ह| लोग तो आवितशबाजी छbाकर दिदाली मनात ह मगर इस कारय म असखरयात जीो की विहसा होना साभाविक ही ह| अत इस दिदन महाीर भगान क विनाण कलरयाणक क पान असर पर आवितशबाजी छbाना पणतरया बद होना चाविहए| अविहसा परमोधम रयतोधम सतोजरय

कछ लोग इस पवितर दिदन जआ खलत ह रयह मिमथरयात पोषक कपरथा तथा अधारयिमक परवित ह| हम शासतरानसार समरयक दशन को पC करन ाली विकररयाओ ारा दीपाली मनानी चाविहए| इस उपरयN उददशरय को बहत लोग जानकार भी रपरयो-पसो की पजा करत ह रयह उनकी विनतात भल ह| उनह रयह ासतविक रहसरय को समझ लना चाविहए विक धन का लाभ तो लाभ अनतरारय कम क कषरयोपशरय स होता ह और लाभतरारय कम का कषरयोपषम शभ विकररयाओ स ही हो सकता ह| रपरया पसो की पजा स नही| दीपाली हमारा राषटरीरय प ह सभी का तरयौहार ह अत हम इस प को बडी शरदधा और भलिN स मनाना चाविहए| दीपाली प कस मनारय -

परात काल सनानादिद करक पवितर सतर पहनकर जिजननदर द क मदिदर जी म परीार क साथ पहचकर जिजननदर द की पजा दना करनी चाविहए| भगान महाीर सामी की पजन करक विनाण काb पढन क बाद महाीर सामी क मोकष कलरयाणक का अघ बोलकर विनाण लाb अघ सविहत चढाना चाविहए|

सरसवती पजादोहा

जनम जरा मत कषरय कर हर कनरय जb रीवित

भ सगरसो ल वितर पज जिजन च परीवित

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसतरय पषपाजलिल विनपामीवित साहा

छीरो दमिध गगा तिवरमल तरगा सशिलल अभगा सख सगा

भरिर कचन झारी धारी तिनकारी तरषा तिनवारी तिहत चगा

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती-दवय जल विनपामीवित साहा

कर-पर रमगाया चनदन आया कशर लाया रग भरी

शारत-पद वदो रमन अभिभनदो पाप तिनकदो दाह हरी

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय चदनम विनपामीवित साहा

सख दास करमोद धारक रमोद अतित अन रमोद चद-सरम

बह भशिकत बढ़ाई कीरतित गाई होह सहाई रमात रमरम

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय अकषतान विनपामीवित साहा

बह फल सवास तिवरमल परकाश आनद रास लाय धर

रमरम कारम मिरमटायो शील बढ़ायो सख उपजायो दोरष हर

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय पषप विनपामीवित साहा

पकवान बनाया बह धत लाया सब तिवध भाया मिरमषठ रमहा

पज रथतित गाऊ परीतित बढ़ाऊ कषधा नशाऊ हरष13 लहा

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय नरधवारयम विनपामीवित साहा

कर दीपक जोत तन कषय होत जयोतित उदोत तरमकिह चढ़

तरम हो परकाशक भररम तिवनाशक हरम घट भासक जञान बढ़

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय दीप विनपामीवित साहा

शभ गध दशोकर पाव करम धर धप रमनोहर खवत ह

सब पाप जलावपणय करमाव दास कहाव सवत ह

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय धपम विनपामीवित साहा

बादारम छहारी लोग सपारी शरी फल भारी Aयावत ह

रमन वाशिछत दाता रमट असाता तरम गन रमाता धयावत ह

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय फलम विनपामीवित साहा

नयनन सख कारी रमद गन धारी उजजवल भारी रमोल धर

शभ गध समहारा वसन तिनहारा तरम तन धारा जञान कर

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय अरघयरयम विनपामीवित साहा

जल चदन अकषत फल चर अर दीप धप अतित फल लाव

पजा को ठानत जो तरम जानत सो नर दयानत सख पाव

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय अरघयरयम विनपामीवित साहा

जयरमाला

सोरठा

ओकार धवतिन सार दवाद-शाग वाणी तिवरमल

नरमो भशिकत उर धार जञान कर जड़ता हर

पहलो आचा रग बखानो पद अषटा-दश सहस पररमानो

दजो सS कत अभिभलारष पद छततीस सहस गर भारष

तीजो ठाना अग सजान सहस बयाशिलस पद सरधान

चौरथो सरम वायाग तिनहार चौसठ सहस लाख इक धाररम

पचरम वयाखया परजञपतिपत दरस दोय लाख अटठाइस सहस

छटठो जञात करथा तिवसतार पाच लाख छपपन हजजार

सपतरम उपास काधय नग सततर सहस =यार लख भग

अषटरम अत कत दस ईस सहस अठाइस लाख तईस

नवरम अनततर दश सतिवशाल लाख बानव सहस चवाल

दशरम परशन वयाकरण तिवचार लाख तितरानव सोल हजार

=यारस सS तिवपाक स भाख एक कोड चौरासी लाख

चार कोतिड़ अर पदरह लाख दो हजार सब पद गर शाख

दवादश दमिषट वाद पन भद इक सो आठ कोतिड़ पन वद

अड़सठ लाख सहस छपपन ह सतिहत पच पद मिरमथया हन ह

इक सौ बारह कोतिड़ बखानो लाख तितरासी ऊपर जानो

ठावन सहस पच अमिधकान दवादश अग सव13 पद रमान

साढ़ इकावन आठ तिह लाख सहस चरासी छह सौ भाख

साढ़ इकीस शलोक बताय एक एक पद क य गाय

दोहा

जा बानी क जञान त सझ लोक अलोक

जञानत जग जय-वत हो सदा दत ह धोक

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय महारघयरयम विनपामीवित साहा

अघा13वलीविरधवारयमान बीस तीथ_कर अघ

जल फल आठो दरवय अरघ कर परीवित धरी हगणधर इनदरनह त थवित परी न करी ह दयानत सक जानक (हो) जगत लह विनकार

सीमधर जिजन आदिद द बीस विदह मझार शरी जिजनराज हो भ तारण तरण जहाज

ॐ हरी विदयमानविशविततीथ_करभरयः अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 1

कवितम-अकवितम चतरयालरय अघ

कतयाकतिSरम-चार-चतय-तिनलयान तिनतय तिSलोकी-गतानवद भावन-वयतर-दयतितवरान सवगा13रमरावासगान सदगधाकषत-पषप-दारम-चरकः सददीपधपः फलरनीरादयशच यज परणमय शिशरसा दषकरम13णा शातय

ॐ हरी वितरलोक समबनधिनध कवितरमाकवितरम-चतरयालरयभरयः अरघयरय_ विनपामीवित साहा 2

लिसदध परमषठी अघ

गनधाढय सपयो रमधवरत-गणः सग वर चनदन पषपौघ तिवरमल सदकषत-चय रमय चर दीपकरम धप गनधयत ददामिरम तिवतिवध शरषठ फल लबधय शिसदधाना यगपतकररमाय तिवरमल सनोततर वालपिञछतरम

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 3

तीस चौबीसी का अघ

दरवय आठो ज लीना ह अघ13 कर रम नवीना ह

पजता पाप छीना ह भानरमल जोड़ तिकना ह

दीप अढ़ाई सरस राज कषS दस ता तिवरष छाज

सातशत बीस जिजनराज पजता पाप सब भाज

ॐ हरी पञचभरत-पचरात-समबनधी-दशकषतरानतगत-भत-भविषरयत-तमान-समबनधी-तीस-चौबीसी क सात सौ बीस जिजनदरभरयो-अघयम विनपामिमवित साहा 4

शरी आदिदनाथ जी अघ

शशिच तिनरम13ल नीर गध सअकषत पषप चर ल रमन हरषा13य

दीप धप फल अघ13 सलकर नाचत ताल रमदग बजाय

शरी आदिदनारथ क चरण करमल पर बशिल बशिल जाऊ रमन वच काय

ह करणातिनमिध भव दःख रमटो यात रम पजो परभ पाय

ॐ हरी शरी आदिदनाथजिजननदरारय अनघपदपरापतारय अघ_ विनपामिमवित साहा 5

शरी अजिजतनाथ जी अघ

जलफल सब सजज बाजत बजज गनगनरजज रमनरमजज तअ पदजगरमजज सजजन जजज त भवभजज तिनजकजज शरी अजिजत जिजनश नतनाकश चकरधरश ख=गश रमनवाशिछतदाता तिSभवनSाता पजौ खयाता ज=गश ॐ हरी शरीअजिजतनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 6

शरी समभनाथ जी अघ

जल चदन तदल परसन चर दीप धप फल अघ13 तिकया तरमको अरपौ भाव भगतितधर ज ज ज शिशव ररमतिन तिपया सभव जिजन क चरन चरचत सब आकलता मिरमट जाव तिनज तिनमिध जञान दरश सख वीरज तिनराबाध भतिवजन पाव ॐ हरी शरीसभनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 7

शरी अभिभननदन नाथ जी अघ

अषट दरवय सवारिर सनदर सजस गाय रसाल ही नचत रजत जजौ चरन जग नाय नाय सभाल ही कलरषताप तिनकद शरीअभिभननद अनपरम चनद ह पद वद वनद जज परभ भवदद फद तिनकद ह ॐ हरी शरीअभिभननदन जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 8

शरी समवितनाथ जी अघ

जल चदन तदल परसन चर दीप धप फल सकल मिरमलाय नाशिच राशिच शिशरनाय सरमरचौ जय जय जय 2 जिजनराय हरिरहर वदिदत पापतिनकदिदत सरमतितनारथ तिSभवनक राय

तरम पद पदम सदम शिशवदायक जजत रमदिदतरमन उदिदत सभाय ॐ हरी शरीसमवितनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 9

शरी पदमपरभ जी अघ

जल फल आदिद मिरमलाय गाय गन भगतित भाव उरमगाय जजौ तरमकिह शिशवतितय वर जिजनवर आवागरमन मिरमटाय रमन वचन तन Sयधार दत ही जनरम-जरा-रमत जाय पजौ भाव सो शरी पदरमनारथ पद-सार पजौ भाव सो ॐ हरी शरीपदमपरभजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 10

शरी सपाशवनाथ जी अघ

आठो दरब साजिज गनगाय नाचत राचत भगतित बढ़ाय दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो तरम पद पजौ रमनवचकाय दव सपारस शिशवपरराय दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 11

शरी चदरपरभ जी अघ

सजिज आठो दरब पनीत आठो अग नरमौ

पजौ अषटरम जिजन रमीत अषटरम अवतिन गरमौ

शरी चदरनारथ दतित चद चरनन चद लस

रमन वच तन जजत अरमद-आतरम-जोतित जग

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 12

शरी पषपदत जी अघ

जल फल सकल मिरमलाय रमनोहर रमनवचतन हलसाय

तरम पद पजौ परीतित लाय क जय जय तिSभवनराय

रमरी अरज सनीज पषपदनत जिजनराय रमरी अरज सनीज

ॐ हरी शरीपषपदनत जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 13

शरी शीतलनाथ जी अघ

शभ शरी-फलादिद वस परासक दरवय साज

नाच रच रमचत बजजत सजज बाज रागादिददोरष रमल रमदद13न हत यवा

चचAElig पदाबज तव शीतलनारथ दवा

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 14

शरी शररयासनाथ जी अघ

जलरमलय तदल सरमनचर अर दीप धप फलावली

करिर अरघ चरचौ चरन जग परभ रमोतिह तार उतावली

शरयासनारथ जिजननद तिSभवन वनद आननदकनद ह

दखदद फद तिनकद परनचनद जोतितअरमद ह

ॐ हरी शरीशररयासनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 15

शरी ासपजरय जी अघ

जल फल दरव मिरमलाय गाय गन आठो अग नरमाई

शिशवपदराज हत ह शरीपतित तिनकट धरौ यह लाई

वासपजय वसपज-तनज-पद वासव सवत आई

बाल बरहमचारी लगनिख जिजन को शिशव तितय सनरमख धाई

ॐ हरी शरीासपजरयजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 16

शरी विमलनाथ जी अघ

आठो दरब सवार रमनसखदायक पावन

जजौ अरघ भर रथार तिवरमल तिवरमल शिशवतितय ररमण

ॐ हरी शरीविमलनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 17

शरी अननतनाथ जी अघ

शशिच नीर चनदन शाशिलशदन सरमन चर दीवा धरौ

अर धप फल जत अरघ करिर करजोरजग तिवनतित करौ

जगपज पररम पनीत रमीत अनत सत सहावनो

शिशव कत वत रमहत धयावौ भरत वनत नशावनो

ॐ हरी शरीअनतनाथजिजनदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 18

शरी धमनाथ जी अघ

आठो दरब साज शशिच शिचतहर हरतिरष हरतिरष गनगाई

बाजत दरमदरम दरम रमदग गत नाचत ता रथई रथाई

पररमधररम-शरम-ररमन धररम-जिजन अशरन शरन तिनहारी

पजौ पाय गाय गन सनदर नाचौ द द तारी

ॐ हरी शरीधमनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 19

शरी शावितनाथ जी अघ

वस दरवय सवारी तरम दिढग धारी आननदकारी दग-पयारी

तरम हो भव तारी करनाधारी या त रथारी शरनारी

शरी शापतिनत जिजनश नतशकरश वरषचकरश चकरश

हतिन अरिरचकरश ह गनधश दयाऽरमतश रमकरश

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 20

शरी कनथनाथ जी अघ

जल चदन तदल परसन चर दीप धप लरी

फलजत जनन करौ रमन सख धरिर हरो जगत फरी

करथ सन अरज दास करी नारथ सन अरज दासकरी

भवशिसनध पयAcirc हौ नारथ तिनकारो बाह पकर रमरी

ॐ हरी शरीकथनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 21

शरी अरहनाथ जी अघ

सशिच सवचछ पटीर गधगहीर तदलशीर पषप-चर

वर दीप धप आनदरप ल फल भप अघ13 कर

परभ दीन दयाल अरिरकल काल तिवरद तिवशाल सकरमाल

हरिर रमरम जजाल ह जगपाल अरगन रमाल वरभाल

ॐ हरी शरीअरहनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 22

शरी मडिललनाथ जी अघ

जल फल अरघ मिरमलाय गाय गन पजौ भगतित बढ़ाई

शिशवपदराज हत ह शरीधर शरन गहो रम आई

राग-दोरष-रमद-रमोह हरन को तरम ही हो वरवीरा

यात शरन गही जगपतितजी वतिग हरो भवपीरा

ॐ हरी शरीमडिललनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 23

शरी मविनसवरतनाथ जी अघ

जलगध आदिद मिरमलाय आठो दरब अरघ सजौ वरौ

पजौ चरन रज भगतितजत जात जगत सागर तरौ

शिशवसारथ करत सनारथ सवरतनारथ रमतिनगन रमाल ह

तस चरन आननदभरन तारन तरन तिवरद तिवशाल ह

ॐ हरी शरीमविनसवरतजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 24

शरी नमिमनाथ जी अघ

जल फलादिद मिरमलाय रमनोहर अरघ धारत ही भवभय हर जजत हौ नमिरम क गण गाय क जगपदामबज परीतित लगाय क ॐ हरी शरीनमिमनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 25

शरी नमिमनाथ जी अघ

जल फल आदिद साज शशिच लीन आठो दरब मिरमलाय अषटरम शिछतित क राज कारन को जजौ अग वस नाय

दाता रमोकष क शरीनमिरमनारथ जिजनराय दाता0 ॐ हरी शरीनमिमनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 26

शरी पाशवनाथ जी अघ

नीर गध अकषतान पषप चार लीजिजय दीप धप शरीफलादिद अघ13 त जजीजिजय

पाशव13नारथ दव सव आपकी कर सदा दीजिजए तिनवास रमोकष भशिलय नही कदा ॐ हरी शरीपाशवनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 27

शरी महाीर सामी जी अघ

जल फल वस सजिज तिहरम रथार तन रमन रमोद धरौ गण गाऊ भवदमिधतार पजत पाप हरौ

शरी वीर रमहा-अतितवीर सनरमतित नायक हो जय वदध13रमान गणधीर सनरमतितदायक हो ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 28

शरी बाहबली सामी जी अघ

ह शदध तिनराकल शिसदधो सरम भवलोक हरमारा वासा ना

रिरप रागर दवरष लग पीछ यात शिशवपद को पाया ना

तिनज क गण तिनज रम पान को परभ अघ13 सजोकर लाया ह

ह बाहबली तरम चरणो रम सख समपतित पान आया ह

ॐ हरी शरी-बाहबली-जिजननदरारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 29

पञच बालरयवित जी अघ

सजिज वसतिवमिध दरवय रमनोजञ अरघ बनावत ह

वसकरम13 अनादिद सयोग तातिह नशावत ह

शरी वास-पजय-रमAली-नरम पारस वीर अती

नरम रमन-वच-तन धरी पररम पाचो बालयतित

ॐ हरी शरी-पचबालरयवित-तीथ_करभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 30

सोलहकारण भाना अघ

जल फल आठो दरव चढ़ाय lsquoदयानतrsquo वरत करौ रमन लायपररम गर हो जय जय नारथ पररम गर हो

दरशतिवशजिदध भावना भाय सोलह तीरथsकर-पद-दायपररम गर हो जय जय नारथ पररम गर हो

ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित 31

पचमर जी अघ

आठ दरबरमय अरघ बनाय lsquoदयानतrsquo पजौ शरीजिजनराय रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय पाचो रमर असी जिजन धारम सब परतितरमा जी को करौ परणारम रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः अरघयरय_ विनपामीवित साहा 32

ननदीशवर ीप अघ

यह अरघ तिकयो तिनजहत तरमको अरपत हो

धानत तिकजयो शिशवखत भमिरम सरमरपत हो

ननदीशवर शरीजिजनधारम बावन पज करो

वस दिदन परतितरमा अभिभरारम आनद भाव धरो

(ननदीशवर दीप रमहान चारो दिदशिश सोह

बावन जिजन रमजिनदर जान सर-नर-रमन-रमोह )

ॐ हरी शरी-ननदीशवर-ीप प-पभि मोततर-दभिकषण-दिदश -पचास-जिजनालरय-डिसथत जिजन परवितमाभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 33

दशलकषण धम अघ

आठो दरब सवार धानत अमिधक उछाह सो

भाव-आताप तिनवारदस लचछन पजो सदा

ॐ हरी शरी-उततम-कषमादिद-दशलकषण-धमारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 34

रतनतररय अघ

आठ दरब तिनराधार उततरम सो उततरम तिकय

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज

ॐ हरी शरी-समरयग-रतनतररयारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 35

सपतरतिष अघ

जल गध अकषत पषप चरवर दीप धप स लावना

फल लशिलत आठो दरवय मिरमभिशरत अघ13 कीज पावना

रमनवादिद चारिरSऋजिदध धारक रमतिनन की पजा कर

ता कर पातक हर सार सकल आनद तिवसतर

ॐ हरी शरी-मनादिदसपतरतिषभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 36

विनाण कषतर जी अघ

जल गध अकषत पषप चर फल दीप धपायन धरौ

धानत करो तिनरभय जगत सो जोर कर तिवनती करौ

समरमदिदगरिर तिगरनार चपा पावापर कलाश को

पजो सदा चौबीस जिजन तिनवा13ण भमिरम तिनवास को

ॐ हरी शरी-चतरविश-तीथ_कर-विनाण-कषतरभरयो अघ विनापमिमवित साहा 37

शरी सममद भिशखर जी अघ

जल गधाकषत फल स नवज लीजिजय

दीप धप फल अघ13 स लकर चढ़ाइए

पजो शिशखर समरमद स रमन वच काय ज

नरकादिद दःख टर अचल पद पाय ज

ॐ हरी शरी-सममद-भिशखर-लिसदधकषतर-पत बीस-तीथ_कर-आदिद-असखरयात-मविन-मलिN-परापतारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 38

सरसती (जिजनाणी) जी अघ

जलचनदन अकषत फल चर चत दीप धप अतित फल लावपजा को ठानत जो तरम जानत सो नर दयानत सखपाव

तीरथsकर की धवतिन गनधर न सतिन अग रच चतिन जञानरमईसो जिजनवर वानी शिशवसखदानी तिSभवन पजय भईऊ हरी शरी जिजनमखोदभभसरसतीदवय अरधवारयम विनपामीवित साहा 39

शरी ऋविषमbल अघ

जल फलादिदक दरवय लकर अघ13 सनदर कर शिलया

ससार रोग तिनवार भगवन वारिर तरम पद रम दिदया

जहा सभग ऋतिरषरमडल तिवराज पजी रमन वाच तन सदा

तितस रमनोवाशिछत मिरमळत सब सख सवपन रम दःख नतिह कदा

ॐ हरी शरी-सपदर-विनाशन-समथारय ऋविषमbलारय अरघयम विनापमिमवित साहा 40

शरी भरतशवर सामी जी अघ

भरतशवर रमहाराज रथारा गण गाऊ

रथा घर रम ही वराग चरणो रम धयाऊ

रम अषट दरवय ल आय पजा क शिलए

रम पजा भाव रचाय भव भव दःख हर

ॐ हरी शरी भरतशवरारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 41

शरी गौतम सामी जी अघ

भरतशवर रमहाराज रथारा गण गाऊ

रथा घर रम ही वराग चरणो रम धयाऊ

रम अषट दरवय ल आय पजा क शिलए

रम पजा भाव रचाय भव भव दःख हर

ॐ हरी शरी महाीर-समिमन गौतमादिद-एकादश-गणधरभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 42

शरी जमब सामी जी अघ

रमरथरा चौरासी धारम स तिनवा13ण गय

रम पज जमबसवारमी अतितरम रमोकष गए

ॐ हरी शरी जमब-सामी-मलिN-परापतारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 43

अतरारयनाशरय अघ

लाभ की अतराय क वश जीव सख ना लह

जो कर कषट उतपात सगर करम13वस तिवररथा रह

नही जोर वाको चल इक शिछन दीन सौ जग रम तिफर

अरहत शिसदधस अधर धरिरक लाभ यौ करम13 कौ हर

ऊ हरी लाभातरारयकम रविहताभरयाम अहतलिसदध परमविषठभरयाम अरघयरयम विनपामीवित साहा 44

शरी मानसतभ जी अघ

जल गनधादिद दरवय मिरमलाकर तिनज तिनज पजो चाव रम

रमान सतमभ प बठ भगवन उनको पज भाव स

ॐ हरी शरी मान-सतमभोपरिर-विराजमान-चतमख-जिजनविबमबभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 45

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णरमो शिसदधाण-शिसदधो को नरमसकार हो

णरमो आयरिरयाण-आचाय~ को नरमसकार हो

णरमो उवजझायाण=उपाधयायो को नरमसकार हो

णरमो लोए सवव साहण-लोक क सब तिनगर13नथ दिदगबर साध को नरमसकार हो

अब स लगभग १८००- १९०० वरष13 पव13 आचाय13 पषपदत जी और आचाय13 भतबशिल जी न रमहान गरनथ रषट खणडगरम की रचना करत सरमय आचाय13 पषपदत रमहाराज जी न उसक पररथरम रमगलाचारण क रप रम इस आय13खड गारथा को शिलखा ह वहा पर णरमो अरिरहताण शिलखा ह (न तिक अरहताण अरहताण) इसशिलए यही रमलपाठ हयही बोलना चातिहए यह रमहा रमS सब दखो को हरन वाला ह इसस पव13 पञच पररमषठी की वदना तो होती होगी तिकनत इस णरमोकार रमS की गारथा क रप रम नही होत होगी

ॐ हरी अनादिदरमलरमSभयो नरम(पषपाजशिल भिकषपत )

अरथ13- इस अनादिद रमल रमS को हरम नरमसकार करत हअजशिल रम पषप (पील चावल)लकर उनका कषपण करत ह अरथा13त तिवशव शातित की रमनोकारमना करता ह

चततारिर दणडक

चततारिर रमगल अरिरहता रमगल शिसदधा रमगल साह रमगल कवशिल पणणततो धमरमो रमगल

अरथ13 -चार रमगल कारी ह -अरिरहत भगवान रमगलकारी हशिसदध भगवान रमगलकारी ह तिनगर13नथ जन दिदगबर साध पररमषठी रमगलकारी ह और कवशिल भगवान दवारा कहा बताया धरम13 रमगलकारी ह रमगलकारी ndash सख दन वाला हआतरमा स लग करम13 बधो को नषट करन वाल य ही चार ह

चततारिर लोगततरमाअरिरहता लोगततरमाशिसदधा लोगततरमासाह लोगततरमाकवशिल पणणततो धमरमो लोगततरमो

अरथ13 -य चार लोक रम उततरमसव13शरषठ ह-अरिरहत भगवान लोक रम उततरम हशिसदध भगवान लोक रम उततरम हतिन- ग13ररथ दिदगबर जन साध लोक रम उततरम हकवशिल भगवान की दिदवय धवतिन दवारा बताया गया धरम13 लोक रम उततरम ह

चततारिर सरण पववजजामिरम- इन चारो की शरण को परापत होता ह

अरिरहनत सरण पववजजामिरम-अरिरहत भगवान की शरण को परापत होता ह

शिसदध सरण पववजजामिरम- शिसदध भगवान की शरण को परापत होता ह

साह सरण पववजजामिरम -तिनगर13नथ दिदगबर जन साध की शरण को परापत होता ह

कवशिलपणणतत धमरम सरण पववजजामिरम -कवशिल भगवान दवारा कह गय धरम13 को परापत होता ह

ॐ नरमोऽहsत सवहा (पषपाजशिल भिकषपत)

अरथ13- रम अरिरहत भगवान को सरमरतिपत करता ह तिवशव शातित की भावना स पषप अरतिपत करत ह

अपतिवS पतिवSो वा सलपितो दलपिोऽतिप वा

धयायतपच-नरमसकार सव13पापः पररमचयत १

शबदारथ13 ndash

अपतिवS-अपतिवS होपतिवSो-पतिवS होवा सलपितो-अचछी लपितित रम होदलपिोऽतिप-बरी लपितित रम होवा धयायतपच-नरमसकार-पञच नरमसकार रमS का धयान करन ससव13पापः-सरमसत पापो सपररमचयत-छट जाता ह

अरथ13-पतिवS और अपतिवSअचछी या बरी तिकसी भी अवा रमपञच नरमसकार रमS का धयान करन स सरमसत पाप नषट हो जात ह

अपतिवSः पतिवSो वा सवा13ा गतोऽतिप वा

यः सरमरत पररमातरमान स बाहयाभयतर शशिच २

शबदारथ13 -अपतिवSः-अपतिवS हो पतिवSो वा-पतिवS होसवा13ा-सब अवाओ को परापत हआ हो गतोऽतिप-गतितरमान हो वा यः -जोसरमरत -सरमरण करता हपररमातरमान -पररमातरमा णरमोकार रमS पञच पररममिषठयो कास -वह बाहया-बाहय अभयतर-आतरिरक शशिच-पतिवS हो जाता ह

अरथ13- अपतिवS अरथवा पतिवS हो गतितरमान हो तिकसी भी अवा को परापत हआ जो पररमातरमाणरमोकार रमS पञच पररममिषठयो का सरमरण करता वह बाहय और अतरग स पतिवS हो जाता ह

तिवशरष-

१-णरमोकार रमS की रचना कब हई

अब स लगभग १८००- १९०० वरष13 पव13 आचाय13 पषपदत जी और आचाय13 भतबशिल जी न रमहान गरनथ रषट खणडगरम की रचना करत सरमय आचाय13 पषपदत रमहाराज जी न उसक पररथरम रमगलाचारण क रप रम इस गारथा को रचा हइसस पव13 पञच पररमषठी की वदना तिकसी अनय रप रम होती होगी

२-चततारिर दडक तिकतना पराचीन ह

इसकी पराचीनता क तिवरषय रम कोई उAलख शासSो रम यही मिरमलता हयह गणधर दव क सरमय स ही परचलन रम ह ऐसा परतीत होता ह तिक इसक रशिचयता परणता गणधर दव ही हो

३-णरमो कार रमS बोलन का सरमय ndash

कही जा रह होघर रम परवश कर रह होसोन स पव13परातउठन क बाद कोई याSा परारमभ करत सरमयअसव हो तो लट लटसभी अवाओ रम णरमो कार रमS बोलचिचतन कर सकत ह रमरीज को हॉबधिटल ल जात सरमय इस रमS का चिचतवन कर

४-कया रमतिहलाय अशजिदध क दिदनो रम णरमो कार रमS बोल सकती ह

नही बोल भी नही सकती और जप भी नही सकती लट लट धयानचिचतवन रमन रम कर सकती ह

राकश करमार जन

आभार -पतिडत रतन लाल जन बनाड़ा

जन रमतिन

रषटखडगरम की रचना आचाय13 पषपदनत-भतवली दवारा रषट खणडागरम रचना ndash तिगरनार पव13त की चनदरगफा रम

आचाय13 पषपदनत-भतवली ndash गणधराचाय13 क पशचात अग-पव~ क एक दश जञाता धरसन हए य सौराषटर दश तिगरिरनार क सरमीप उज13यनत पव13त की चनदरगफा रम तिनवास करत रथ य परवादी

रप हाशिरथयो क सरमह का रमदनाश करन क शिलए शरषठ चिसह क सरमान रथ अषटाग रमहातिनमिरमतत क पारगारमी और शिलतिप शासS क जञाता रथ वत13रमान रम उपलबध शरत की रकषा का सवा13मिधक शरय इनही को परापत ह कहा जारथ ह तिक परवचन-वतसल धरसनाचाय13 न अग शरत क तिवचछदन हो जान क भय स रमतिहरमा नगरी रम सममिमरमशिलत दभिकषणा परथ क आचाय~ क पास एक पS भजा पS रम शिलख गए धरसन क आदश को सवीकार कर उन आचाय~ न शासS क अरथ13 को गरहण और धारण करन रम सरमरथ13 तिवतिवध परकार क चारिरS स उजजवल और तिनरम13ल तिवनय स तिवभतिरषत शील रपी रमाता क धारी सवा भावी दश कल जातित स शदध सरमसत कलाओ क पारगारमी एव आजञाकारी दो साधओ को आधर दश की वनया नदी क तट स रवाना तिकया इन दोनो रमतिनयो क रमाग13 रम आत सरमय धरसनाचाय13 न रातिS क तिपछल भाग रम सवपन रम कनदपषप चनदररमा और शख क सरमान शवत वण13 क दो बलो क अपन चरणो रम परणारम करत दखा परातः काल उकत दोनो साधओ क आन पर धरसनाचाय13 न उन दोनो की परीकषा ली और जब आचाय13 को उनकी यो=यता पर तिवशवास हो गया तब उनहोन अपना शरतोपदश दना परारभ तिकया जो आरषाढ़ शकला एकादशी को सरमापत हआ गर धरसन न इन दोनो शिशषयो का नारम पषपदनत और भतबली रखा गर क आदश स य शिशषय तिगरनार स चलकर अकलशवर आय और वही उनहोन वरषा13काल वयतीत तिकया अननतर पषपदनत आचाय13 बनवास दश को और भतबली तमिरमल दश की ओर चल गएपषपदनत न जिजनपाशिलत को दीकषा दकर उसक अधयापन हत सत पररपणा तक क सSो की रचना की और उनहोन उन सSो को सशोधनारथ13 भतबली क पास भज दिदया भतबशिल न जिजनपाशिलत क पास उन सSो को दखकर पषपदनत आचाय13 को अAपाय जानकर रमहाकरम13 परकतित पाहड का तिवचछन ना हो जाय इस धयय स आग दरवयपररमाणादिद आगरम की रचना की इन दोनो आचाय~ दवारा रशिचत गरनथ रषट खणडागरम कहलाता ह इस गरनथ की सतपररपणा क १७७ सS पषपदनत न और शरष सरमसत सS भतवली क दवारा रशिचत ह अतएव यह षट ह तिक शरत वयाखयाता धरसन ह और रचमियता पषपदनत तरथा भतबशिलइन आचाय~ क सरमय क समबनध रम तिनभिशचत रप स तो जञात नही ह पर इनदर-ननदी कत शरतावतार रम लोहाचाय13 क पशचात तिवनयदतत शरीदतत शिशवदतत और अह13दतत इन चार आरातीय -आचाय~ का उAलख मिरमलता ह और ततपशचात अह13द बशिल का तरथा अह13द बशिल क अननतर धरसनाचाय13 का नारम आता ह इनदरनजिनद क अनसार कनदकनद रषट खणडागरम क टीकाकार ह अतः पषपदनत और भतबशिल का सरमय कनदकनद क पव13 ह तिवदवानो न अनक पषट पररमाणो क आधार पर शिसदध तिकया ह तिक रषट खणडागरम की रचना पररथरम शती रम होनी चातिहएरषट खणडागरम (छकखडागरम) सS ndash इस आगरम गरनथ रम छह खणड ह- जीवटठाण खददाबध बधसामिरमतततिवचय वदना व=गणा और रमहाबनध इस गरनथ का तिवरषय सतोS बारहव दमिषटवाद शरताग क अनतग13त तिदवतीय पव13 आगरायणीय क चयनलबधिबध नारमक पञचरम अमिधकार क चतरथ13

पाहड़ करम13 परकतित को रमाना जाता हरषट खणडागरम जनागरम का एक रमहान गरनथ ह इसरम करम13 शिसदधात को तिवभिभनन दमिषट स सरमझान का शलाघनीय परयास तिकया गया ह

दव शासर गर पजा

कवल रतिव तिकरणो स जिजसका समपण13 परकाशिशत ह अतर |उस शरी जिजनवाणी रम होता तततवो का सदरतरम दश13न ||सददश13न बोध चरण परथ पर अतिवरल जो बड़त ह रमतिन गण |उन दव पररम आगरम गर को शत शत वदन शत शत वदन||ॐ हरी दव-शासS-गर-सरमह अS अवतर अवतर सवौरषट| अS तितषठ तितषठ ठः ठः |अS रमरम समिननतिहतो भव भव वरषट |इजिनदरय क भोग रमधर तिवरष सरम लावणयारमयी कचन काया |यह सब कछ जड़ की करीडा ह रम अब तक जान नही पाया ||रम भल सवय क वभव को पर रमरमता रम अटकाया ह |अब तिनरम13ल समयक नीर शिलए मिरमथया रमल धोन आया ह ||ॐ हरी दव-शासS-गरभयः जनरम-जरा-रमतय-तिवनाशाय जल तिनव13 0 सवाहा |1|जड़ चतन की सब परिरणतित परभ अपन अपन रम होती ह |अनकल कह परतितकल कह यह झठी रमन की वभितत ह ||परतितकल सयोगो रम करोमिधत होकर ससार बड़ाया ह |सतपत हदय परभ चदन सरम शीतलता पान आया ह ||ॐ हरी दवशासS गरभयः ससार-ताप-तिवनाशनायचदन तिनव13 0 सवाहा |2|उजजवल ह कठ धवल ह परभ पर स न लगा ह किकशिचत भी | तिफर भी अनकल लग उन पर करता अभिभरमान तिनरतर ही ||जड़ पर झक झक जाता चतन की रमाद13व की खतिडत काया | तिनज शाशवत अकषत तिनमिध पान अब दास चरण रज रम आया ||

ॐ हरी दवशासSगरभयः अकषयपदपरापतय अकषतान तिनव13 0 सवाहा |3|यह पषप सकोरमल तिकतना ह तन रम रमाया कछ शरष नही | तिनज अतर का परभ भद काह औस रम ऋजता का लश नही ||शिचनतन कछ तिफर सभारषण कछ वभितत कछ की कछ होती ह |लपिरता तिनज रम परभ पाऊ जो अतर का कालश धोती ह ||ॐ हरी दवशासSगरभयः कारमबाण-तिवधवसनाय पषप तिनव13 0 सवाहा |4|अब तक अगभिणत जड़ दरवयो स परभ भख न रमरी शात हई |तषणा की खाई खब भारी पर रिरकत रही वह रिरकत रही ||यग यग स इचछा सागर रम परभ गोत खाता आया ह |चरणो रम वयजन अरतिपत कर अनपरम रस पीन आया ह ||ॐ हरी दवशासSगरभयः कषधा-रोग-तिवनाशनाय नवदय तिनव13 0 सवाहा |5|रमर चतयनय सदन रम परभ शिचर वयापत भयकर अमिधयारा |शरत दीप बझा ह करनातिनमिध बीती नही कषटो की कारा ||अतएव परभो यह जञान परतीक सरमरतिपत करन आया ह |तरी अतर लौ स तिनज अतर दीप जलान आया ह ||ॐ हरी दवशासSगरभयः रमोहाधकारतिवनाशनाय दीप तिनव13 0 सवाहा |6|जड़ करम13 घरमाता ह रमझको यह मिरमथया भरातित रही रमरी |रम रागी दवरषी हो लता जब परिरणतित होती ह जड़ की ||यो भाव कररम या भाव रमरण सदिदओ स करता आया ह |तिनज अनपरम गध अनल स परभ पर गध जलान आया ह||ॐ हरी दवशासSगरभयः अषट करम13तिवधवसनाय धप तिनव13 0 सवाहा |7|जग रम जिजसको तिनज कहता रम वह छोड रमझ चल दता ह |रम आकल वयाकल हो लता वयाकल का फल वयाकलता ह|| रम शात तिनराकल चतन ह ह रमशिकतररमा सहचर रमरी |यह रमोह तड़क कर टट पड़ परभ सारथ13क फल पजा तरी||ॐ हरी दवशासSगरभयः रमोकषफलपरापतयफल तिनव13 0 सवाहा |8|कषण भर तिनज रस को पी चतन मिरमथयरमल को धो दता ह |कशामियक भाव तिवनषट तिकय तिनज आननद अरमत पीता ह ||अनपरम सख तब तिवलशिसत होता कवल रतिव जगरमग करता ह |

दश13न बल पण13 परगट होता यह ह अह13नत अवा ह ||यह अरघयय13 सरमप13ण करक परभ तिनज गण का अरघयय13 बनाऊगा| और तिनभिशचत तर सदश परभ अह13नत अवा पाउगा||ॐ हरी दवशासSगरभयः अनरघयय13पदपरापतय अरघययs तिनव13 0 सवाहा |9|

जयरमाला

भव वन रम जी भर घरम चका कण कण को जी भर भर दखा रमग सरम रमग तषणा क पीछ रमझको न मिरमली सच की रखा

(बारह भावना)झठ जग क सपन सार झठी रमन की सब आशाए तन जीवन यौवन अलपिर ह कषण भगर पल रम रमरझाए समराट रमहाबल सनानी उस कषण को टाल सकगा कया अशरण रमत काया रम हरतिरषत तिनज जीवन दल सकगा कयाससार रमहा दख सागर क परभ दखरमय सच आभसोन रम रमझको न मिरमला सच कषणभर भी कचन कामिरमनी परासदोन रमरम एकाकी एकतवा शिलय एकतवा शिलय सब ह आत तन धन को सारथी सरमझा रथा पर य भी छोड चल जातरमर न हए य रम इनस अतित भिभनना अखड तिनराला ह तिनज रम पर स अनयतवा शिलय तिनज सरमरस पीन वाला हजिजसक भिशरनगारोन रम रमरा यह रमहगा जीवन घल जाता अतयनता अशशिच जड़ काया स ईस चतन का कसा नातादिदन रात शभाशभ भावो स रमरा वयापार चला करता रमानस वाणी और काया स आसरव का दवार खला रहताशभ और अशभ की जवाला स झलसा ह रमरा अनतसतल शीतल सरमतिकत तिकरण फट सवर स जाग अनतब13लतिफर तप की शोधक वगनिनह जग करम~ की कतिड़या फट पड़ सवाsग तिनजातरम परदशो स अरमत क तिनझ13र फट पड़हरम छोड चल यह लोक तभी लोकानत तिवराज कषण रम जा तिनज लोक हरमारा वासा हो शोकानत बन तिफर हरमको कयाजाग रमरम दल13भ बोधी परभो दनregतरम सतवर तल जाव बस जञाता दषटा रह जाऊ रमद रमतसर रमोह तिवनश जावशिचर रकषक धरम13 हरमारा हो हो धरम13 हरमारा शिचर सारथी

जग रम न हरमारा कोई रथा हरम भी न रह जग क सारथीचरणो रम आया ह परभवर शीतलता रमझको मिरमल जाव रमरझाई जञानलता रमरी तिनज अनतब13ल स गनिखल जावसोचा करता ह भोगो स बझ जावगी इचछा जवाला परिरणारम तिनकलता ह लतिकन रमानो पावक रम घी डालातर चरणो की पजा स इजिनदरय सख को ही अभिभलारषा अब तक न सरमझ ह पाया परभ सचच सख की भी परिरभारषातरम तो अतिवकारी हो परभवर जग रम रहत जग स नयार अतएव झक तव चरणो रम जग क रमाभिणक रमोती सारसयादवाद रमयी तरी वाणी शभ नय क झरन झरत ह और उस पावन नौका पर लाखो पराणी भाव वारिरमिध तितरत हह गरवर शाशवत सख दश13क यह न=न सवरप तमहारा ह जग की नशवरता का सचचा दिद=दश13न करन वाला हजब जग तिवरषयो रम रच पच कर गातिफल तिनदरा रम सोता हो अरथवा वह शिशव क तिनषकटक परथ रम तिवषकनतक बोटा होहो अध13 तिनशा का सननाटा वन रम वनचारी चरत हो तब शात तिनराकल रमानस तरम तततवो का शिचनतन करत होकरत तप शल नदी तट पर तरतल वरषा13 की झातिड़यो रम सरमता रस पान तिकया करत सख दख दोनो की घतिडयो रमअनतजवा13ला हरती वाणी रमानो झरती हो फAझदिदया भाव बधन तड तड टट पड़ गनिखल जाव अतर की कशिलयातरम सा दानी कया कोई हो जग को द दी जग की तिनमिधया दिदन रात लटाया करत हो सरम शरम की अतिवनशवर रमभिणयाॐ हरी दवशासSगरभयः अनरघयय13पदपरापतय अरघययs तिनव13 0 सवाहा |

ह तिनरम13ल दव तमह परणारम ह जञानदीप आगरम परणारम ह शातित तयाग क रमरतितरमान शिशव परथ परथी गरवर परणारम||

शिसदध पजाऊरधवााधो ररयत सविनद सपर बरहम-सराविCत

गापरिरत-दिदगगतामबज-दल ततसलिध-ततानविनत |अतः पतर-तटषनाहत-रयत हरीकार-सविCत |द रधवारयारयवित रयः स मलिNसभगो रीभ-कणठी-रः ||

ॐ हरी शरी लिसदधचकरालिधपत लिसदधपरमविषठन अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी लिसदधचकरालिधपत लिसदधपरमविषठन अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी लिसदधचकरालिधपत लिसदधपरमविषठन अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

तिनरसतकरम13-समबनध सकषरम तिनतय तिनरारमयरम |वनदऽह पररमातरमानरमरमतत13रमनपदरवरम ||

(लिसदधरयनतर की सथापना कर नदन कर | )

शिसदधौ तिनवासरमनग पररमातरम-गमयहानयादिदभावरतिहत भव-वीत-कायरम |रवापगा-वर-सरो-यरमनोदभवानानीरय13ज कलशगर-वरशिसदध-चकररम ||

ॐ हरी लिसदधचकालिधपतरय लिसदधपरमविषठन जनमजरामतरय विनाशनारय जल विनपामीवित साहा |1|

आननद-कनद-जनक घन-करम13-रमकतसमयकतव-शरम13-गरिररम जननारतितवीतरम |सौरभय-वाशिसत-भव हरिर-चनदनानागनधय13ज परिररमलव13र-शिसदध-चकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन ससार ताप विनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा |2|

सवा13वगाहन-गण ससरमामिध-तिनषठशिसदध सवरप-तिनपण करमल तिवशालरम |सौगनधय-शाशिल-वनशाशिल ndash वराकषतानापजय13ज ndash शशिशतिनभव13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अकषरयपदपरापतरय अकषतान विनपामीवित साहा |3|

तिनतय सवदह- परिररमाणरमनादिदसजञदरवयानपकषरमरमत रमरणादयतीतरम |रमनदार ndash कनद ndash करमलादिद ndash वनतीनापषपय13ज शभतरम ndash व13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन कामबाण विरधवासनारय पषप विनपामीवित साहा |4|

ऊधव13-सवभाव-गरमन सरमनो-वयपतबरहमादिद-बीज-सतिहत गगनावभासरम |कषीरानन-साजय-वटक रसपण13गभreg ndashरतिनतय यज चरवरव13शिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन कषधारोगविनाशनारय नदय विनपामीवित साहा |5|

आतक-शोक-भयरोग-रमद परशानततिनदव13नदव-भाव-धरण रमतिहरमा-तिनवशरम |कप13र-वरतित-बहभिभः कनकावदात ndashदsup2पय13ज रशिचवरव13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन मोहानधकारविनाशनारय दीप विनपामीवित साहा |6|

पशयनसरमसत ndash भवन यगपमिननतानतSकाAय-वसत-तिवरषय तिनतिवड़ ndash परदीपरम |सददरवयगनध ndash घनसार ndash तिवमिरमभिशरतानाधपय13ज परिररमलव13र ndash शिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अCकमदहनारय धप विनपामीवित साहा |7|

शिसदधासरादिदपतित ndash यकष ndash नरनदरचकर ndashधयacuteय शिशव सकल ndash भवय ndash जनः सवनदयरम |नारतिmicroग ndash पग ndash कदली ndash फलनारिरकलःसोऽह यज वरफलव13रशिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन मोकषफलपरापतरय फल विनपामीवित साहा |8|

गनधाढय सपयो रमधवरत-गणः सग वर चनदनपषपौघ तिवरमल सदकषत-चय रमय चर दीपकरम |धप गनधयत ददामिरम तिवतिवध शरषठ फल लबधयशिसदधाना यगपतकररमाय तिवरमल सनोततर वालपिञछतरम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जञानो पयो गतिवरमल तिवशदातरमरपसकषरम-सवभाव-पररम यदननतवीय13रम |करमmiddotघ-ककष-दहन सख-शसयबीजवनद सदा तिनरपरम वर-शिसदधचकररम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

Sलोकयशवर-वनदनीय-चरणाः परापः भिशरय शाशवतीयानाराधय तिनरदध-चणड-रमनसः सनतोऽतिप तीरथsकरा |सतसमयकतव-तिवबोध-वीरययय13-तिवशदाऽवयाबाधतादयग13ण-य13कतासतातिनह तोषटवीमिरम सतत शिसदधान तिवशदधोदयान ||

जरयमाला

तिवराग सनातन शात तिनरश तिनरारमय तिनभ13य तिनरम13ल हस |सधारम तिवबोध-तिनधान तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध-सरमह ||

तिवदरिरत-ससतित-भाव तिनरग सरमारमत-परिरत दव तिवसग |अबध करषाय-तिवहीन तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिनवारिरत-दषकतकरम13-तिवपाश सदारमल-कवल-कशिल-तिनवास |भवोदमिध-पारग शात तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

अनत-सखारमत-सागर-धीर कलक-रजो-रमल-भरिर-सरमीर |तिवखलपिणडत-कारम तिवरारम-तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिवकार तिववरजिजत तरजिजतशोक तिवबोध-सनS-तिवलोतिकत-लोक |तिवहार तिवराव तिवरग तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

रजोरमल-खद-तिवरमकत तिवगाS तिनरतर तिनतय सखारमत-पाS |सदश13न राजिजत नारथ तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

नरारमर-वदिदत तिनरम13ल-भाव अनत रमनीशवर पजय तिवहाव |सदोदय तिवशव रमहश तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिवदभ तिवतषण तिवदोरष तिवतिनदर परापरशकर सार तिवतदर |तिवकोप तिवरप तिवशक तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

जरा-रमरणोलपिजझत-वीत-तिवहार तिवचिचतितत तिनरम13ल तिनरहकार |अशिचनतय-चरिरS तिवदप13 तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

तिववण13 तिवगध तिवरमान तिवलोभ तिवरमाय तिवकाय तिवशबद तिवशोभ |अनाकल कवल सव13 तिवरमोह परसीद तिवशदध सशिसदध सरमह ||

घतता

असरम-सरमयसार चार-चतनय शिचहनपर-परणतित-रमकत पदमनदीनदर-वनदयरम |तिनगनिखल-गण-तिनकत शिसदधचकर तिवशदधसरमरतित नरमतित यो वा सतौतित सोऽभयतित रमशिकतरम ||

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

अविbलल छद

अतिवनाशी अतिवकार पररम-रस-धारम होसरमाधान सव13जञ सहज अभिभरारम हो |शदधबदध अतिवरदध अनादिद अनत होजगत-शिशरोरमभिण शिसदध सदा जयवत हो ||

धयान अगनि=नकर करम13 कलक सब दहतिनतय तिनरजन दव सवरपी हव रह |जञायक जञयाकार रमरमतव तिनवार क |सो पररमातरम शिसदध नरम शिसर नाय क ||

अतिवचल जञान परकाशत गण अननत की खान |धयान धर सो पाइए पररम शिसदध भगवान ||

अतिवनाशी आननद रमय गण परण भगवान |शशिकत तिहय पररमातरमा सकल पदाररथ जान ||

इतरयाशीादः पषपाजलिल भिकषपत |

पच पररममिषट पजा

तितभयोअरिरहत शिसदध आचाय13 नरमनह उपाधयाय ह साध नरमनजय पञच पररम पररमषठी जय भव सागर तारण हार नरमनरमन-वच-काया पव13क करता ह शदध हदय स आहवानन रमरम हदय तिवराजो तितषठ तितषठ समिननकट होह रमर भगवन तिनज आतरमततव की परापतिपत हत ल अषट दरवय करता पजन तव चरणो की पजन स परभ तिनज शिसदध रप का हो दश13न ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पररममिषठन अS अवतर अवतर सवौरषट (आहवाननरम)अS तितषठ तितषठ ठठ(ापन )अS रमरम समिननतिहतो भवभव वरषट (समिननमिधकरण )

रम तो अनादिद स रोगी ह उपचार करान आया ह तरम सरम उजजवलता पान कोउजजवल जल भरकर लाया ह रम जनरम जरा रमत नाश कर ऐसी दो शशिकत हदय सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐहरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पचपररममिषठभयोजनरमजरारमतय तिवनाशनाय जल तिनव13पारमीतित सवाहा ||

ससार ताप रम जल जल कर रमन अगभिणत दःख पाय हतिनज शात सवभाव नही भाया पर क ही गीत सहाए ह शीतल चदन ह भट तमह ससार ताप नाशो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयोससारताप तिवनाशनाय चनदन तिनव13पारमीतित सवाहा ||

दःखरमय अरथाह भव सागर रम रमरी यह नौका भटक रही शभ-अशभ भाव क भवरो रम चतनय तिनज शशिकत अटक रही तदल ह धवल तमह अरतिपत अकषय पद परापत कर सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो

अकषय पद परापतय अकषत तिनव13पारमीतित सवाहा ||

रम कारम वयरथा स घायल हसख की न मिरमली तिकलपिञचत छाया चरणो रम पषप चढ़ाता हतरम को पाकर रमन हरषा13या ह रम कारम भाव तिवधवस कर ऐसा दो शील हदय सवारमीह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो कारमबाण तिवधवसाय पषप तिनव13पारमीतित सवाहा||

रम कषधा रोग स वयाकल ह चारो गतितयो रम भररमाया हजग क सार पदारथ13 पाकर भी तपत नही हो पाया ह नवदय सरमरतिपत करता ह यह कषधा रोग रमटो सवारमीह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो कषधा रोग तिवनाशनाय नवदय तिनव13पारमीतित सवाहा ||

रमोहानध रमहा-अजञानी रम तिनज को पर का कता13 रमाना मिरमथया तरम क कारण रमनतिनज आतरमसवरप न पतिहचाना रम दीप सरमप13ण करता ह रमोहानधकार कषय हो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो रमोहानधकार तिवनाशनाय दीप तिनव13पारमीतित सवाहा ||

करम~ की जवाला धधक रहीससार बढ़ रहा परतित पल सवर स आसरव को रोक तिनज13रा सरभिभ रमहक पल पल रम धप चढ़ा कर अब आठोकरम~ का हनन कर सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पच पचपररममिषठभयो अषटकरम13 तिवधवसनाय धप तिनव13पारमीतित सवाहा||

तिनज आतरमततव का रमनन कर चिचतवन कर तिनज चतन का दो शरदधा जञान चरिरS शरषठसचचा पद रमोकष तिनकतन का उततरम फल चरण चढ़ाता हतिनवा13ण रमहा फल हो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभ भव दःख रमटो अनतया13रमी ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पचपररममिषठभयो रमोकष फल परापताय फल तिनव13पारमीतित सवाहा ||

जल चदन अकषत पषप दीपनवदय धप फल लाया ह अब तक क सशिचत करम~ का रम पज जलान आया ह यह अरघयय13 सरमरतिपत करता हअतिवचल अनरघयय13 पद दो सवारमी ह पच पररम पररमषठी परभभव भव दःख रमटो अनतया13रमीॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13साध पचपररममिषठभयो अनरघयय13पद परापताय अरघययs तिनव13पारमीतित सवाहा ||जयरमाला जय वीतराग सव13जञ परभोतिनज धयान लीन गणरमय अपार अषटादश दोरष रतिहत जिजनवरअह13नत दव को नरमसकार अतिवकलअतिवकारीअतिवनाशीतिनजरपतिनरजनतिनराकार जय अजर अरमर ह रमशिकतकतभगवत शिसदध को नरमसकार छततीस सगण स तरम रमतिडततिनशचय रतनSय हदय धार ह रमशिकत वध क अनरागीआचाय13 सगर को नरमसकार एकादश अग पव13 चौदह कपाठी गण पचचीस धारबराहयातर रमतिन रमदरा रमहानशरी उपाधयाय को नरमसकार वरत सरमीतित गपतिपत चारिरS परबलवरा=य भावना हदय धार ह दरवय-भाव सयरम रमय रमनवरसव13 साध को नरमसकार बह पणय सयोग मिरमला नरतनजिजनशरत जिजनदव चरण दश13न हो समय=दश13न परापत रमझ तो सफल बन रमानव जीवन तिनज पर का भद जानकार रमतिनज को ही तिनज रम लीन कर अब भद जञान क दवारा रमतिनज आतरम सवय सवाधीन कर तिनज रम रतनSय धारण करतिनज परिरणतित को ही पतिहचान पर परणतित स हो तिवरमख सदातिनज जञान ततव को ही जान जब जञान-जञय-जञाता तिवकAप तजशकलधयान रम धयाऊगा जब चार घातितया कषय करकअरिरहत रमहापद पाऊगा ह तिनभिशचत शिसदध सवपद रमराह परभ कब इसको पाउगा समयक पजा फल पान कोअब तिनजसवभाव रम आऊगा अपन सवरप की परापतिपत हतह परभ रमन की ह पजन तब तक चरणो रम धयान रहजब तक न परापत हो रमशिकत सदन

ॐ हरी अरिरहत शिसदध आचाय13 उपाधयाय सव13 साधपञचपररममिषठभयोऽनघ13 पद परापतय रमहाघs तिनव13पारमीतित सवाहा

ह रमगल रप अरमगल हररमगलरमय रमगल गान कर

रमगल रम पररथरम शरषठ रमगलनवकार रमS का धयान कर पषपाजशिल भिकषपत

नवदवता पजाअरिरहत लिसदधाचारय पाठक साध वितरभन नदय ह |

जिजनधम जिजनागम जिजनशवरा मरतित जिजनगरह नदय ह ||

नदता रय मानरय जग म हम सदा अचा कर |

आहन कर थाप रयहा मन म अतल शरदधा धर ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरय-समह

अतर अतर अतर-समोषत आवहान

अतर-वितषठ-वितषठ ठः ठः सथापन

अतर मम-सविहतो-भ-भ-षट सलिVलिधकरण

गगानदी का नीर तिनरम13ल बाहय रमल धोव सदा |

अतर रमलो क कषालन को नीर स पज रमदा ||

नवदवताओ की सदा जो भशिकत स अचा13 कर |

सब शिसजिदध नवतिनमिध रिरजिदध रमगल पाए शिशवकानता वर ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो जनम-जरा मतरय विनाशनारय जल विनपामिमवित साहा |

कपर मिरमभिशरत गध चनदन दह ताप तिनवारता |

तरम पाद पकज पजत रमन ताप तरनत ही वारता || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो ससार-ताप विनाशनारय चनदन विनपामिमवित साहा |

कषीरोदमिध क फन सरम शिसत तनदलो को ल क |

उततरम अखतिडत सौखय हत पज नव सचढाय क || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो अकषरय पद परापतरय अकषत विनपामिमवित साहा |

चपा चरमली कवडा नाना सगममिनधत ल शिलए |

भव क तिवजता आपको पजत सरमन अप13ण तिकय || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो काम-बाण विनाशनारय पषप विनपामिमवित साहा |

पायस रमधर पकवान रमोदक आदिद को भर रथाल रम |

तिनज आतरम अरमत सौखय हत पजह नत भाल रम || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो कषधा-रोग विनाशनारय नरधवारयम विनपामिमवित साहा |

कपर जयोतित जगरमग दीपक शिलया तिनज हारथ रम |

तअ आरती तरम वारती पाऊ सजञान परकाश रम || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो मोह-अनधकार विनाशनारय दीप विनपामिमवित साहा |

दश गध धप अनप सरभिभत अगनि=न रम खऊ सदा |

नीज आतरमगण सौरभ उठ हो करम13 सब रमझस तिवदा || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो अC-कम-दहनारय धप विनपामिमवित साहा |

अगर अरमरख आरम अरमतफल भराऊ रथाल रम |

उततरम अनपरम रमोकष फल क हत पज आज रम || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो महा-मोकष-फल परापतारय विनपामिमवित साहा |

जल गध अकषत पषप चार दीप सधप फलाघ13 ल |

दर रतनSय तिनमिध लाभ यह बस अघ13 स पजत मिरमल || नव ||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो अनघ पद परापतारय अघ_ विनपामिमवित साहा |

दोहा-

जलधारा स तिनतय रम जग रम शातित हत |

नव दवो को पजह शरदधा भशिकत सरमत ||

(शानतरय शावितधारा)

नानातिवमिध क सरमन लरमन रम बह हरषा13य |

रम पज नव दवता पषपाजशिल चढ़ाय ||

(दिदवय पषपाजलिल)

जावय-

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो नमः |

(९२७ या १०८ बार )

जरयमाला

शिचलपिचचनतारमणी रतन तीन लोक रम शरषठ हो |

गाऊ गण रमभिणरमाल जयवनत वदो सदा ||

जय जय शरी अरिरहत दव दव हरमार |

जय घातितया को घात सकल जत उबार ||१||

जय जय परशिसदद शिसदध की रम वदना कर |

जय अषट करम13 रमशिकत की रम अच13ना कर ||२||

आचाय13 दव गण छततीस धार रह ह |

दिदकषादी द असखय भवय तार रह ह ||

जवनत उपाधयाय गर जञान क धनी |

सनरमाग13 क उपदश की वरषा13 कर धनी ||३||

जय साध अठाईस गणो धर सदा |

तिनज आतरमा की साधना स चयत न हो कदा ||

य पञच पररम दव सदा वनददय हरमार |

ससार तिवरषय शिसनध स हरम भी उबार ||४||

जिजन धरम13 चकर सदा चलता ही रहगा |

जो इसकी शरण ल वो सदा सलझता ही रहगा ||

इसकी धवतिन तिपयरष का जो पान करग |

भव रोग दर कर वो रमशिकत कानत बनग ||५||

जिजन चतय की जो वदन तिSकाल कर ह |

व शिचतसवरप तिनतय आतरम लाभ कर ह ||

कतितरम अकरतितरम जिजनालयो को जो भज |

व करम13 शS जीत शिशवालय रम जा बस ||६||

नवदवताओ की जो तिनत आराधना कर |

व मरतयराज की भी तो तिवराधना कर ||

रम करम13 शS जीतन क हत ही जज |

समपण13 जञानरमती शिसजिदध हत ही भज ||७||

दोहा-

नव दवो की भशिकतवशकोदिट कोदिट परणारम |

भशिकत का फल रम चह तिनज पद रम तिवशरारम ||८||

ॐ हरी अरहत-लिसदध-आचारय-उपारधवारयारय-ससाध-जिजनधम-जिजनागम-जिजनचतरय-चतरयालरयभरयो जरयमाला पणाध_ विनपामिमवित साहा |

जो भवय शरदधा भशिकत स नव दवताओ की भशिकत कर |

व सब अरमगल दोरष हर सख शातित रम झला कर ||

नवतिनमिध अतल भणडार ल तिफर रमोकष सख भी पावत |

सख शिसनध रम हो रम=न तिफर यहा पर कभी न आवत ||९||

इतरयाभिशादः

|| पषपाजलिल भिकषपत ||

समयक दश13न पजादोहा

लिसदध अC-गणमरय परगट मN-जी-सोपान |जञान चरिरत जिजह विबन अफल समरयक दश परधान ||ॐ हरी अCाग समरयगदशन अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी अCाग समरयगदशन अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी अCाग समरयगदशन अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

सोरठा ndashनीर सगध अपार तरषा हर रमल छय कर |समय=दश13न सार आठ अग पजौ सदा ||ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय जल विनपामीवित साहा |1|जल कशर घनसार ताप हर शीतल कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय चनदन विनपामीवित साहा |2|अछत अनप तिनहार दारिरद नाश सख भर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय अकषतान विनपामीवित साहा |3|पहप सवास उदार खद हर रमन शशिच कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय पषप विनपामीवित साहा |3|नवज तिवतिवध परकार छधा हर शिरथरता कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय नदय विनपामीवित साहा |5|दीप-जयोतित तरमहार घट पट परकाश रमहा | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय दीप विनपामीवित साहा |6|धप घरान-सखकार रोग तिवघन जड़ता हर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय धप विनपामीवित साहा |7|

शरीफल आदिद तिवरथार तिनहच सर-शिशव-फल कर | समय 0ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय फल विनपामीवित साहा |8|जल गधाकषत चार दीप धप फल फल चर |समय=दश13न सार आठ अग पजौ सदा ||ॐ हरी अCाग समरयगदशनारय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जरयमालादोहा ndash आप आप तिनहच लख तततव-परीतित वयोहार |रतिहत दोरष पचचीस ह सतिहत अषट गन सार |1|समयक दरशन-रतन गहीज जिजन-वच रम सदह न कीज |इह भव तिवभव-चाह दखदानी पर-भव भोग चह रमत परानी |2|परानी तिगलान न करिर अशशिच लगनिख धररम गर परभ परगनिखय |पर-दोरष ढतिकय धररम तिडगत को सशिरथर कर हरगनिखय |3|चह सघ को वातसAय कीज धररमकी परभावना |गन आठ सो गन आठ लतिहक इहा फर न आवना |4|ॐ हरी अCागसविहत पचविशवित दोषरविहत समरयगदशनारय पणारघयरय_विन 0 |इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

समयक जञान पजादोहा ndash

पच भद जाक परकट जञरय-परकाशन-भान |मोह ndash तपन ndash हर चदरमा सोई समरयक जञान ||ॐ हरी अCविध समरयगजञान अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी अCविध समरयगजञान अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी अCविध समरयगजञान अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

सोरठा ndash नीर सगध अपार तरषा हर रमल छय कर |समय=जञान तिवचार आठभद पजौ सदा ||

ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय जल विनपामीवित साहा |1|जल कशर घनसार ताप हर शीतल कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयरगजञानारय चदन विनपामीवित साहा |2|अछत अनप तिनहार दिदाद नाश सख भर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय अकषतान विनपामीवित साहा |3|पहप सवास उदार खद हर शशिच कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय पषप विनपामीवित साहा |4|नवज तिवतिवध परकार छधा हर शिरथरता कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय नदय विनपामीवित साहा |5|दीप-जयोतित तरम-हार घट-पट परकाश रमहा | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय दीप विनपामीवित साहा |6|धप घरान-सखकर रोग तिवघन जड़ता हर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय धप विनपामीवित साहा |7|शरीफल आदिद तिवरथार तिनहच सर-शिशव फल कर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय फल विनपामीवित साहा |8|जल गधाकषत चार दीप धप फल फल चर | समय=जञान 0ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जरयमालादोहा ndash आप आप जान तिनयत गरनथ पठन वयौहार |सशय तिवभररम रमोह तिबन अषट अग गनकार ||समयक जञान-रतन रमन भाया आगरम तीजा नन बताया |अकषर शदध अरथ13 पतिहचानो अकषर अररथ उभय सग जानो ||जानो सकाल-पठन जिजनागरम नारम गर न शिछपाइय |तप रीतित गतिह बह रमौन दक तिवनय गण शिचत लाइय ||य आठ भद कररम उछदक जञान-दप13ण दखना |इस जञान ही सो भरत सीझ और सब पटपखना ||ॐ हरी अCविध समरयगजञानारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

समयक चारिरS पजादोहा ndash

विषरय-रोगा औषध महा द-कषारय जल-धार |तीथ_कर जाको धर समरयक चारिरतर सार ||ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतर अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

सोरठा ndash नीर सगनध अपार तरषा हर रमल छय कर |समयक चारिरत सार तरहतिवध पजौ सदा ||ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय जल विनपामीवित साहा |1|जल कशर घनसार ताप हर शीतल कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय चदन विनपामीवित साहा |2|अछत अनप तिनहार दारिरद नाश सख भर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय अकषतान विनपामीवित साहा |3|पहप सवास उदार खद हर शशिच कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय पषप विनपामीवित साहा |4|नवज तिवतिवध परकार छधा हर शिरथरता कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय नदय विनपामीवित साहा |5|दीप-जयोतित तरम-हार घट-पट परकाश रमहा | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय दीप विनपामीवित साहा |6|धप घरान-सखकर रोग तिवघन जड़ता हर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय धप विनपामीवित साहा |7|शरीफल आदिद तिवरथार तिनहच सर-शिशव फल कर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय फल विनपामीवित साहा |8|जल गधाकषत चार दीप धप फल फल चर | समयक0ॐ तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

जरयमाला

दोहा ndashआप आप शिरथर तिनयत नय तप सजरम वयौहार |सव-पर-दया दोनो शिलय तरहतिवध दखहार ||

चौपाई ndashसमयक चारिरत रतन सभालो पाच पाप तजिजक वरत पालो |पचसमिरमतित Sय गपतित गतिहज नरभव सफल करह तन छीज |छीज सदा तन को जतन यह एक सजरम पाशिलय |बह रAयो नरक-तिनगोद रमाही तिवरष-करषायतिन टाशिलय ||शभ कररम जोग सघाट आयो पार हो दिदन जात ह |lsquoदयानतrsquo धररम की नाव बठो शिशवपरी कशलात ह ||ॐ हरी तररयोदशविध समरयक चारिरतरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

समचचरय-जरयमाला

दोहा ndashसमयक दरशन-जञान-वरत इन तिबन रमकतित न होय |अनध पग अर आलसी जद जल दव-लोय || 1|

चौपाई

जाप धयान सशिरथर बन आव ताक कररम-बध कट जाव |तासो शिशव-तितय परीतित बढ़ाव जो समयक रतन-Sय धयाव |2|ताको चह गतित क दख नाही सो न पर भव-सागर रमाही |जनरम-जरा-रमत दोरष मिरमटाव जो समयक रतन-Sय धयाव |3|सोई दश लकषनको साध सो सोलह कारण आराध |सो पररमातरम पद उपजाव जो समयक रतन-Sय धयाव |4|सो शकर-चतिकरपद लई तीन लोक क सख तिवलसई |सो रागादिदक भाव बहाव जो समयक रतन-Sय धयाव |5|सोई लोकालोक तिनहार पररमानद दशा तिवसतार |आप तितर औरन तितरवाव जो समयक रतन-Sय धयाव |6|

दोहा ndashएक सवरप-परकाश तिनज वचन कहयो नकिह जाय |तीन भद वयोहार सब lsquoदयानतrsquo को सखदाय |7|ॐ हरी समरयगदशन समरयगजञान समरयक चारिरतरभरयः महारघयरय_ विनपामीवित साहा

रतनSय पजाचहगवित-फनी-विष-हरण-मभिण दःख-पाक-जल-धार |

भिश-सख-सधा-सरोरी समरयक-तररयी विनहार ||

ॐ हरी समरयक रतनतररय धम अतर अतर अतर सौषट (आवहान जरय)|

अतर वितषठ वितषठ ठ ठ (सथापन जरय) |

अतर मम सलिVविहतो भ भ षट (सविनविहलिधकरण जरय) |

कषीरोदमिध उनहार उजजवल जल अतित सोहनो |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय जनम-जरा-मतरय-विनाशारय जल विन साहा |

चनदन-कसर-गरी परिररमल-रमहा-सरग-रमय |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय भ-आताप-विनाशारय चनदन विन साहा |

तदल-अरमर-शिचतार वासरमती-सखदास क |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय अकषरय-पद-परापतारय अकषत विन साहा |

रमहक फल अपार अली गज जयो रथतित कर |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय काम-बाण-विरधवासनारय पषप विन साहा |

लाड बह तिवसतार चीकन मिरमषट सगध यकत |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय कषधा-रोग-विनाशारय नदय विन साहा |

दीप-रतनरमय सार जोत परकाश जगत रम |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय मोहानधकार-विनाशारय दीप विन साहा |

धप सवास तिवरथार चनदन अगर कपर की |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय अC-कम-दहनारय धप विन साहा |

फल शोभा अमिधकार लौग छआर जायफल |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय महा-मोकष-फल-परापतारय फल विन साहा |

आठ दरब तिनरधार उततरम सो उततरम शिलय |

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय अनघ-पद-परापतारय अघ_ विन साहा |

समयक दश13न lsquoजञानrsquo वरत शिशव-रमग तीनो रमयी |

पार उतारन आन lsquoधयानातrsquo पजो वरत सतिहत ||

ॐ हरी समरयक-रतनातरारय पणारघयरय_ विन साहा |

आदिदनारथ पजानाभिभरारय मरदवि क ननदन आदिदनाथ सामी महाराज

साथलिसभिदध त आप पधार मरधवारय लोक माविह जिजनराज

इनदरद सब मिमलकर आरय जनम महोतस करन काज

आहवानन सब विलिध मिमल करक अपन कर पज परभ पारय

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदर अतर अतर अतर सौषट

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठ ठ

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट

कषीरोदलिध को उजजल जल ल शरी जिजनर पद पजन जारय

जनम जरा दख मटन कारन लरयारय चढाऊ परभ क पारय

शरी आदिदनाथ क चरणकमल पर बलिल-बलिल जाऊ मन च कारय

ह करणाविनलिध भ दख मटो रयात म पजो परभ पारय

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विनपामीवित साहा

मलरयाविगरिर चनदन दाहविनकनदन कचन झारी म भर लरयारय

शरीजी क चरण चढाो भविजन भ आताप तरत मिमट जारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय ससारतापविनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा

शभशालिल अखविbत सौरभ मविbत परासक जल सौ धोकर लरयारय

शरीजी क चरण चढाो भविजन अकषरयपद को तरत उपारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विनपामीवित साहा

कमल कतकी बल चमली शरी गलाब क पषप मगारय

शरीजी क चरण चढाो भविजन कामबाण तरत विह नलिस जारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विनपामीवित साहा

नज लीना षट-रस भीना शरी जिजनर आग धरारय

थाल भराऊ कषधा नसाऊ जिजन गण गात मन हरषारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विनपामीवित साहा

जगमग जगमग होत दशो दिदश जरयोवित रही मजिनदर म छारय

शरी जी क सनमख करत आरती मोहवितमिमर नास दखदारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय मोहानधकारविनाशनारय दीप विनपामीवित साहा

अगर कपर सगनध मनोहर चनदन कट सगनध मिमलारय

शरी जी क सनमख खरय धपारयन कम जर चहगवित मिमदिट जारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विनपामीवित साहा

शरीफल और बदाम सपारी कला आदिद छहारा लरयारय

महामोकषफल पान कारन लरयारय चढाऊ परभ क पारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय मोकषफलपरापतरय फल विनपामीवित साहा

शलिच विनमल नीर गनध सअकषत पषप चर ल मन हरषारय

दीप धप फल अघ सलकर नाचत ताल मदग बजारयशरी०

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अनघपदपरापतरय अघ_ विनपामीवित साहा

पञचकलरयाणकाघ

सारथ लिसभिदध त चरय मरदी उर आरय

दोज अलिसत आषाढ की जज वितहार पारय

ॐ हरी आषाढक़षणवितीरयारया गभकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

चतदी नौमी दिदना जनमरया शरी भगान

सरपवित उतस अवितकरा म पजौ धरिर रधवारयान

ॐ हरी चतरकषणनमरया जनमकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

तणत ऋभिदध सब छाडिb क तप धारया न जारय

नौमी चतर Acirc असत Acirc कीAcirc जजAcirc वितहार पारय

ॐ हरी चतरकषणनमरया तपकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

फालगन दिद एकादशी उपजरयो कलजञान

इनदर आरय पजा करी म पजो इह थान

ॐ हरी फालगनकषणकादशरया जञानकलरयाणक परापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

माघ चतद भिश कषण की मोकष गरय भगान

भवि जीो को बोलिध क पहच भिशपर थान

ॐ हरी माघकषणचतदशरया मोकषकलरयाणकपरापतारय शरीआदिदनाथजिजननदरारय अघ_ विनपामीवित साहा

जरयमाला

आदीशवर महाराज Acirc म Acirc विनतीAcirc तमसAcirc कर

चारो गवित क माविह मAcirc दख Acirc पारयो सो सनो

अC कम Acirc मAcirc एकलो रयह दC महादख दत हो

कबह इतर विनगोद म मोक पटकत करत अचत हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ कबहक पटकरयो नरक म जठ जी महादख पारय हो

विनषठर विनरदई नारकी जठ करत परसपर घात हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ नरक तणा दख अब कह जठ करत परसपर घात हो

कोइरयक बारधवारयो खभसरयो पापी द मदगर की मार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

कोइरयक काट करोत सो पापी अगतणी दोरय फाड हो

परभ रयह विलिध दख भगतरया घणा विफर गवित पाई वितररयच हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

विहरणा बकरा बाछला पश दीन गरीब अनाथ हो

पकड कसाई जाल म पापी काट काट तन खारय हो

परभ म ऊट बलद भसा भरयो जाप लादिदरयो भार अपार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

नविह चालरयौ जब विगर परय पापी द सोटन की मार हो

परभ कोइरयक पणरय सजोग स म तो पारयो सग विनास हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

दागना सग रमिम रहयो जठ भोगविन को परकास हो

परभ सग अपसरा रमिम रहयो कर कर अवित अनराग हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

कबहक नदनन विष परभ कबहक नगह माविह हो

परभ रयह विलिधकाल गमारय क विफर माला गई मरझारय हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

द लिथती सब घट गई विफर उपजरयो सोच अपार हो

सोच करत तन खिखर पडयो विफर उपजरयो गरभ म जारय हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ गभतणा दख अब कह जठ सकडाई की ठौर हो

हलन चलन नविह कर सकरयो जठ सघन कीच घनघोर हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

माता खा चरपरोAcirc विफर Acirc लागAcirc तन Acirc सताप Acirc हो

परभ जो जननी तातो भख विफर उपज तन सताप हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

औध मख झलरयो रहयो फर विनकसन कौन उपारय हो

कदिठन-कदिठन कर नीसरयो जस विनसर जतरी म तार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ विफर विनकसत ही धरतरया पडयो विफर लागी भख अपार हो

रोरय-रोरय विबलखरयो घणो दख दन को नविह पार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

परभ दख मटन समरथ धनी रयात लाग वितहार पारय हो

सक अरज कर परभ मोक भदलिध पार उतार हो

महारी दीनतणी सन ीनती टक

ॐ हरी शरीआदिदनाथजिजननदरारय अनघपदपरापतरय महाघ_ विनपामीवित साहा

दोहा

शरीजी की मविहमा अगम ह कोई न पा पार

म मवित अलप अजञान ह कौन कर विसतार

विनती ऋषभ जिजनश की जो पढसी मन लरयारय

सरगो म सशरय नही विनहच भिशपर जारय

चनदरपरभ पजाचारचरन आचरन चरन लिचतहरन लिचनह चर |

चद-चद-तनचरिरत चद थल चहत चतर नर ||

चतक चb चकचरिर चारिर लिचदचकर गनाकर |

चचल चलिलत सरश चलनत चकर-धनरहर ||

चर अचर विहत तारन तरन सनत चहविक लिचर नद शलिच |

जिजनचद चरन चरचरयो चहत लिचतचकोर नलिच रचचिचच रलिच |1|

दोहाः- धनरष डढ़ सौ तग तन रमहासन नपनद |

रमात लकषरमना उर जय रथापौ चद जिजनद |2|

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदर अतर अतर अतर सौषट |

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

गगाहरद तिनररमल नीर हाटक भग भरा |

तरम चरन जजौ वरवीर रमटो जनरम जरा ||

शरी चदरनारथ दतित चद चरनन चद लस |

रमन वच तन जजत अरमद-आतरम-जोतित जग ||

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

शरीखणड कपर सचग कशर रग भरी |

घशिस परासक जल क सग भवआताप हरी ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

तदल शिसत सोरम सरमान सरम लय अतिनयार |

दिदय पज रमनोहर आन तरम पदतर पयार ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

सर दररम क सरमन सरग गमिधत अशिल आव |

ता सो पद पजत चग कारमतिवधा जाव ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

नवज नाना परकार इदिदरय बलकारी |

सो ल पद पजौ सार आकलता-हारी ||

शरी चदरनारथ दतित चद चरनन चद लस |

रमन वच तन जजत अरमद-आतरम-जोतित जग ||

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

तरम भजन दीप सवार तरम दिढग धारत हौ |

रमरम तितमिरमररमोह तिनरवार यह गण याचत हौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

दसगध हतासन रमाकिह ह परभ खवत हौ |

रमरम कररम दषट जरिर जाकिह या त सवत हौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

अतित उततरम फल स रमगाय तरम गण गावत हौ |

पजौ तनरमन हररषाय तिवघन नशावत हौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

सजिज आठो दरब पनीत आठो अग नरमौ |

पजौ अषटरम जिजन रमीत अषटरम अवतिन गरमौ ||शरी0

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली

कशिल पचरम चत सहात अली गरभागरम रमगल रमोद भली |

हरिर हरतिरषत पजत रमात तिपता हरम धयावत पावत शरम13शिसता ||

ॐ हरी चतरकषणा पचमरयागभमगलविbतारय शरीचनदरपरभजिजननदरारय अरघयरय_ विन0 |1|

कशिल पौरष एकादशिश जनरम लयो तब लोकतिवरष सख रथोक भयो |

सरईश जज तिगरिरशीश तब हरम पजत ह नत शीश अब ||

ॐ हरी पौषकषणकादशरया जनममगल मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |2|

तप ददधर शरीधर आप धरा कशिल पौरष इ=यारशिस पव13 वरा |

तिनज धयान तिवरष लवलीन भय धतिन सो दिदन पजत तिवरघयन गय ||

ॐ हरी पौषकषणकादशरया तपोमगल मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |3|

वर कवल भान उदयोत तिकयो तितहलोकतणो भररम रमट दिदयो |

कशिल फाAगन सपतमिरम इदर जज हरम पजकिह सव13 कलक भज ||

ॐ हरी फालगनकषणा सपतमरया कलजञान मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |4|

शिसत फाAगन सपतमिरम रमशिकत गय गणवत अनत अबाध भय |

हरिर आय जज तितत रमोद धर हरम पजत ही सब पाप हर ||

ॐ हरी फालगनशकला सपतमरया मोकषमगल मविbतारय शरीचनदर 0 जिज0 अरघयरय_ विन0 |5|

जरयमाला

दोहाः- ह रमगाद अतिकत चरण तरम गण अगरम अपार |

गणधर स नकिह पार लकिह तौ को वरनत सार |1|

प तरम भगतित रमरम तिहय परर अतित उरमगाय |

तात गाऊ सगण तरम तरम ही होउ सहाय |2|

जय चदर जिजनदर दयातिनधान भवकानन हानन दव पररमान |

जय गरभ जनरम रमगल दिदनद भतिव-जीव तिवकाशन शरम13 कनद |3|

दशलकष पव13 की आय पाय रमनवाशिछत सख भोग जिजनाय |

लगनिख कारण हव जगत उदास चिचतयो अनपरकषा सख तिनवास |4|

तितत लोकातितक बोधयो तिनयोग हरिर शिशतिवका सजिज धरिरयो अभोग |

ताप तरम चदिढ़ जिजनचदराय ताशिछन की शोभा को कहाय |5|

जिजन अग सत शिसत चरमर ढार शिसत छS शीस गल गलक हार |

शिसत रतन जतिड़त भरषण तिवशिचS शिसत चनदर चरण चरच पतिवS |6|

शिसत तनदयतित नाकाधीश आप शिसत शिशतिवका काध धरिर सचाप |

शिसत सजस सरश नरश सव13 शिसत शिचतत रम चिचतत जात पव13 |7|

शिसत चदर नगर त तिनकशिस नारथ शिसत वन रम पहच सकल सारथ |

शिसत शिशला शिशरोरमभिण सवचछ छाह शिसत तप तितत धायAcirc तरम जिजनाह |8|

शिसत पय को पारण पररम सार शिसत चदरदतत दीनो उदार |

शिसत कर रम सो पय धार दत रमानो बाधत भवचिसध सत |9|

रमानो सपणय धारा परतचछ तितत अचरज पन सर तिकय ततचछ |

तिफर जाय गहन शिसत तप करत शिसत कवल जयोतित ज=यो अननत |10|

लतिह सनवसरन रचना रमहान जा क दरसन सब पाप हान |

जह तर अशोक शोभ उतग सब शोक तनो चर परसग |11|

सर सरमन वमिषट नभ त सहात रमन रमनरमरथ तजिज हशिरथयार जात |

बानी जिजनरमख सो गनिखरत सार रमन ततव परकाशन रमकर धार |12|

जह चौसठ चरमर अरमर ढरत रमन सजस रमघ झरिर लतिगय तत |

चिसहासन ह जह करमल जकत रमन शिशव सरवर को करमल शकल |13|

ददभिभ जिजत बाजत रमधर सार रमन कररमजीत को ह नगार |

शिशर छS तिफर Sय शवत वण13 रमन रतन तीन Sय ताप हण13 |14|

तन परभा तनो रमडल सहात भतिव दखत तिनज भव सात सात |

रमन दप13ण दयतित यह जगरमगाय भतिवजन भव रमख दखत स आय |15|

इतयादिद तिवभतित अनक जान बातिहज दीसत रमतिहरमा रमहान |

ता को वरणत नकिह लहत पार तो अतरग को कह सार |16|

अनअत गणतिनजत करिर तिवहार धररमोपदश द भवय तार |

तिफर जोग तिनरोध अघातितहान समरमदरथकी शिलय रमकतितरथान |17|

lsquoवनदावनrsquo वदत शीश नाय तरम जानत हो रमरम उर ज भाय |

ता त का कहौ स बार बार रमनवाशिछत कारज सार सार |18|

जय चद जिजनदा आनदकदा भवभयभजन राज ह |

रागा दिदक दवदा हरिर सब फदा रमकतित रमातिह शिरथतित साज ह |19|

ॐ हरी शरीचनदरपरभजिजनदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

आठो दरब मिरमलाय गाय गण जो भतिवजन जिजनचद जज |

ता क भव-भव क अघ भाज रमशिकतसार सख तातिह सज ||

जरम क Sास मिरमट सब ताक सकल अरमगल दर भज |

lsquoवनदावनrsquo ऐसो लगनिख पजत जा त शिशवपरिर राज रज ||

इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

रमहावीर सवारमीशरीमत ीर हर भपीर भर सखसागर अनाकलताई |

कहरिर अक अरीकरदक नरय हरिर पकवित मौलिल सआई ||म तमको इत थापत हौ परभ भलिN समत विहरय हरषाई |ह करणा-धन-धारक द इहा अब वितषठह शीघरविह आई ||ॐ हरी शरीदधमान जिजननदर अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी शरीदधमान जिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी शरीदधमान जिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

कषीरोदलिधसम शलिच नीर कचन भग भरौ |परभ विग हरो भपीर रयात धार करौ ||शरी ीर महा-अवितीर सनमवित नारयक हो |जरय दधमान गणधीर सनमवितदारयक हो ||ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

रमलयातिगर चनदनसार कसर सग घसौ |परभ भवआताप तिनवार पजत तिहय हलसौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

तदल शिसत-शशिशसरम शदध लीनो रथार भरी |तस पज धरौ अतिवरदध पावौ शिशवनगरी ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

सरतर क सरमन सरमत सरमन सरमन पयार |सो रमनरमरथ भजन हत पजौ पद रथार ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

रसरजजत सजजत सदय रमजजत रथार भरी |पद जजजत रजजत अदय भजजत भख अरी ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

तरमखतिडत रमतिडत नह दीपक नह दीपक जोवत हौ |तरम पदतर ह सखगह भररमतरम खोवत हौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

हरिरचदन अगर कपर चर सगध करा |तरम पदतर खवत भरिर आठो करम13 जरा ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

रिरत फल कल-वरजिजत लाय कचन भरौ |शिशव फलतिहत ह जिजनराय तरम दिढग भट धरौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

जल फल वस सजिज तिहरम रथार तन रमन रमोद धरौ |गण गाऊ भवदमिधतार पजत पाप हरौ ||शरीवीर 0ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली रमोतिह राखो हो शरणा शरी वदध13रमान जिजनरायजी रमोतिह राखो0 |गरभ साढ़ शिसत छटट शिलयो शिरथत तिSशला उर अघ हरना |सर सरपतित तितत सव करी तिनत रम पज भवतरना ||

रमोतिह राखो हो शरणा शरी वदध13रमान जिजनरायजी रमोतिह राखो हो शरणा |ॐ हरी आषाढशकलाषषठया गभमगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |1|

जनरम चत शिसत तरस क दिदन कणडलपर कन वरना |सरतिगरिर सरगर पज रचायो रम पजौ भवहरना |रमोतिह0ॐ हरी चतरशकलातररयोदशरया जनममगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |2|

रमगशिसर अशिसत रमनोहर दशरमी ता दिदन तप आचरना |नपतित कल घर पारन कीनो रम पजौ तरम चरना |रमोतिह0ॐ हरी मागशीषकषणादशमरया तपोमगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |3|

शकल दश वशाख दिदवस अरिर घात चतक कषय करना |कवल लतिह भतिव भवसर तार जजौ चरन सख भरना |रमोतिह0ॐ हरी शाखशकलादशमरया कलजञानमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |4|

कारतितक शयारम अरमावस शिशव तितय पावापर त वरना |गणफतिनवनद जज तितत बहतिवध रम पजौ भयहरना |रमोतिह0ॐ हरी कारतितककषणाअमासरयारया मोकषमगलमविbतारय शरीमहा0 अरघयरय_ विन0 साहा |5|

जरयमालागणधर अशतिनधर चकरधर हलधर गदाधर वरवदा |अर चापधर तिवदयासधर तितरशलधर सवकिह सदा ||दखहरन आनदभरन तारन तरन चरन रसाल ह |सकरमाल गण रमतिनरमाल उननत भालकी जयरमला ह ||

जय तिSशलानदन हरिरकतवदन जगदानदन चदवर |भवतापतिनकदन तनकनरमदन रतिहत सपदन नयन धर ||

जय कवलभान-कला-सदन भतिव-कोक-तिवकाशन कदवन |जगजीत रमहारिरप रमोहहर रजजञान-दगावर चर कर |1|गभा13दिदक रमगल रमतिडत हो दखदारिरद को तिनत खतिडत हो |जग रमाकिह तमही सतपतिडत हो तरम ही भवभाव-तिवहतिडत हो |2|हरिरवश सरोजन को रतिव हो बलवत रमहत तमही कतिव हो |लतिह कवलधरम13 परकाश तिकयो अबलो सोई रमारग राजतितयो |3|पतिन आप तन गण रमाकिह सही सररम=न रह जिजतन सबही |तितनकी वतिनता गनगावत ह लय-तानतिनसो रमनभावत ह |4|पतिन नाचत रग उरमग-भरी तअ भशिकत तिवरष पग एरम धरी |झनन झनन झनन झनन सर लत तहा तनन तनन |5|घनन घनन घनघट बज दरमद दरमद दरमद मिरमरदग सज |गगनागन-गभ13गता सगता ततता ततता ततता अतता तिवतता |6|धगता धगता गतित बाजत ह सरताल रसालज छाजत ह |सनन सनन सनन नभ रम इकरप अनक ज धारिर भररम |7|तिकननर सर बीन बजावत ह तरमरो जस उजजवल गावत ह |करताल तिवरष करताल धर सरताल तिवशाल ज नाद कर |8|इन आदिद अनक उछाह भरी सरभशिकत कर परभजी तरमरी |तरमही जग जीवन क तिपत हो तरमही तिबनकारनत तिहत हो |9|तरमही सब तिवरघयन तिवनाशन हो तरमही तिनज आनदभासन हो |तरमही शिचतचिचतिततदायक हो जगरमाकिह तमही सब लायक हो |10|तरमर पन रमगल रमाकिह सही जिजय उततरम पनय शिलयो सबही |हरमतो तरमरी शरणागत ह तरमर गन रम रमन पागत ह |11|परभ रमो तिहय आप सदा बशिसय जबलो वस करम13 नही नशिसय |

तबलो तरम धयान तिहय वरतो तबलो शरतचिचतन शिचतत रतो |12|तबलो वरत चारिरत चाहत हो तबलो शभभाव सगाहत हो |तबलो सतसगतित तिनतत रहो तबलो रमरम सजरम शिचतत गहो |13|जबलो नकिह नाश करौ अरिरको शिशव नारिर वरौ सरमता धरिरको |यह दयो तबलो हरमको जिजनजी हरम जाचत ह इतनी सनजी |14|घतताः- शरीवीर जिजनशा नमिरमत सरशा नाग नरशा भगतित भरा |lsquoवनदावनrsquo धयाव तिवघन नशाव वाशिछत पाव शरम13 वरा ||ॐ हरी शरीदधमान जिजननदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

दोहाः- शरी सनरमतित क जगल पद जो पज धरिर परीत |वनदावन सो चतर नर लह रमशिकत नवनीत ||इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

चौबीस जिजन पजावरषभ अजिजत सभ अभीनदन समवित पदम सपास जिजनरारय

चनद पहप शीतल शररयास नमिम ास पज पजिजत सर रारय

विमल अनत धरम जस उजजल शावित कथ अर मडिलल मनारय

मविन सवरत नमिम नमिम पाशव परभ धमान पद पषप चढारय

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन समह अतर अतर अतर सौषट

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन समह अतर वितषठ वितषठ ठ ठ

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन समह अतर मम सलिVविहतो भ भ षट

रमतिनरमन सरम उजजवल नीर परासक गध भरा

भरिर कनक कटोरी धीर दीनी धार धरा

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो जनम जरा मतरय विनाश-नारय जल विनपामिमवित साहा

गोशीर कपर मिरमलाय कसर रग भरी

जिजन चरनन दत चढ़ाय भव आताप हरी

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो भ ताप विनाश-नारय चनदन विनपामिमवित साहा

तदल शिसत सोरम सरमान सनदर अतिनयार

रमकता फल की उनरमान पनज धरौ पयार

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो अकषरय पद पराप-तारय अकषतान विनपामिमवित साहा

वरकज कदब करड सरमन सगध भर

जिजन अगर धरौ गण रमद कारम कलक हर

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो काम बाण विरधवा-सनारय पषप विनपामिमवित साहा

रमन रमोदन रमोदक आदिद सनदर सधय बन

रस परिरत परासक सवाद जजत कषधादिद हन

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो कषधा रोग विनाश नारय नदय विनपामिमवित साहा

तरम खडन दीप जगाय धारो तरम आग

सब तितमिरमर रमोह कषय जाय जञान कला जाग

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो मोहानधकार विनाश-नारय दीप विनपामिमवित साहा

दश गध हताशन रमातिह ह परभ खवत हो

मिरमस धरम कररम जरिर जातिह तरम पद सवत हो

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो अC कम दहनारय धप विनपामिमवित साहा

शशिच पकव सरस फल सार सब ऋत क Aयायो

दखत दग रमन को पयार पजत सख पायो

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरा-तभरयो मोकष फल परापतारय विनपामिमवित साहा

जल फल आठो शशिच सार ताको अघ13 करो

तरमको अरपो भव तार भव तरिर रमोकष वरो

चौबीसौ शरी जिजन चनद आननद कनद सही

पद जजत हरत भव फनद पावत रमोकष रमही

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चतरतिशवित तीथ_-करभरयो अनघ पद पराप-तारय अघ_ विनपामिमवित साहा

जरयमाला

शरी रमत तीररथ नारथ पद रमारथ नाय तिहतहत

गाऊ गण रमाला अब अजर अरमर पद दत

जय भव तरम भजन जन रमन कजन रजन दिदन रमतिन सवचछ करा

शिशव रमग परकाशक अरिर-गण नाशक चौबीसौ जिजन राज वरा

जय रिररषभ दव ऋतिरष गन नरमत जय अजिजत जीत वस अरिर तरत

जय सभव भव भय करत चर जय अभिभनदन आनद पर

जय सरमतित सरमतित दायक दयाल जय पदरम पदरम दतित तन रसाल

जय जय सपास भव-पास नाश जय चद चद तन-दतित परकाश

जय पषप-दत दतित-दत सत जय शीतल शीतल गन तिनकत

जय शरय नारथ नत सहस भजज जय वासव पजिजत वास पजज

जय तिवरमल तिवरमल पद दन हार जय जय अनत गन गन अपार

जय धरम13 धरम13 शिशव शरम13 दत जय शातित शातित पषटी करत

जय करथ करथ वादिदक रखय जय अर जिजन वस अरिर छय करय

जय रमलपिAल रमAल हत रमोह रमAल जय रमतिन सवरत वरत शAल दAल

जय नमिरम तिनत वासव-नत सपरम जय नरमी नारथ वररष-चकर-नरम

जय पारस नारथ अनारथ नारथ जय वध13रमान शिशव नगर सारथ

चौबीस जिजनदा आनद कदा पाप तिनकदा सख कारी

तितन-पद जग-चदा उदय अरमदा वासव वदा तिहत धारी

ॐ हरी शरी ष-भादिद ीरात चत-रतिशवित जिजन-भरयो महारघयरय विनपामिमवित साहा

सोरठा

भशिकत रमशिकत दातार चौबीसौ जिजन-राज-वर

तितन-पद रमन-वच-धार जो पज सो शिशव लह

सोलहकारण भावना पजासोलह कारण भारय तीथ_कर ज भरय |

हरष इनदर अपार मरप ल गरय ||पजा करिर विनज धनरय लखरयो बह चासौ|हमह षोbश कारन भा भासौ ||ॐ हरी दशनविशदधरयादिद षोbशकारणाविन अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी दशनविशदधरयादिद षोbशकारणाविन अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी दशनविशदधरयादिद षोbशकारणाविन अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

कचन-झारी विनरमल नीर पजो जिजनर गन-गभीर|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||दरशविशभिदध भाना भारय सोलह तीथ_कर-पद-दारय|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||

ॐ हरी 1 दशनविशभिदध 2 विनरयसमपVता 3 शीलवरतषनतीचार 4अभीकषणजञानोपरयोग 5 सग 6 शलिNतसतरयाग 7 शलिNतसतप 8 साधसमालिध 9 रयातरयकरण 10 अहद भलिN 11 आचारयभलिN 12 बहशरतभलिN 13 परचनभलिN 14 आशरयकापरिरहाभिण 15 मागपरभाना 16 परचनातसलरय इवितषोbशकारणभरयः जल विनपामीवित साहा |1|

चदन घसौ कपर मिमलारय पजौ शरीजिजनरक पारय |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः ससारतापविनाशनारय चनदन विन0|2|

तदल धल सगध अनप पजौ जिजनर वितह जग-भप|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अकषरय पदपरापतरय अकषतान विन0|3|

फल सगनध मधप-गजार पजौ-जिजनर जग-आधार |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||दरशविशभिदध भाना भारय सोलह तीथ_कर-पद-दारय |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो ||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः कामबाणविरधवासनारय पषप विन0|4|

सद नज बहविलिध पकान पजौ शरीजिजनर गणखान|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः कषधारोगविनाशनारय नदय विन0|5|

दीपक-जरयोवित वितमिमर छरयकार पज शरीजिजन कलधार|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः मोहानधकारविनाशनारय दीप विन0|6|

अगर कपर गध शभ खरय शरीजिजनर आग महकरय |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अCकमदहनारय धप विन0|7|

शरीफल आदिद बहत फलसार पजौ जिजन ालिछत-दातार |परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः मोकषफलपरापतरय फल विन0|8|

जल फल आठो दर चढारय lsquoदयानतrsquo रत करौ मन लारय|परम गर हो जरय जरय नाथ परम गर हो||दरश||ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0|9|

परतरयक भाना क अरघयरय (सरया तईसा)दशन शदध न होत जो लग तो लग जी मिमथरयाती कहा |काल अनत विफर भ म महादःखनको कह पार न पा ||दोष पचीस रविहत गण-अमबलिध समरयगदरशन शदध ठरा |lsquoजञानrsquo कह नर सोविह बडो मिमथरयात तज जिजन-मारग रधवारया ||ॐ हरी दशन विशभिदध भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |1|

द तथा गररारय तथा तप सरयम शील वरतादिदक-धारी |पापक हारक कामक छारक शलरय-विनारक कम-विनारी ||

धम क धीर कषारयक भदक पच परकार ससार क तारी |lsquoजञानrsquo कह विनरयो सखकारक भा धरो मन राखो विचारी ||ॐ हरी विनरयसमपVता भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |2|

शील सदा सखकारक ह अवितचार-विरजिजत विनमल कीज |दान द कर तस स विषानल भत विपशाच पतीज ||शील बडो जग म हलिथरयार ज शीलको उपमा काह की दीज |lsquoजञानrsquo कह नविह शील बराबर तात सदा दढ शील धरीज ||ॐ हरी विनरवितचार शीलवरत भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |3|

जञान सदा जिजनराज को भाविषत आलस छोड पढ जो पढा |ादश दोउ अनकह भद सनाम मती शरवित पचम पा ||चारह भद विनरनतर भाविषत जञान अभीकषण शदध कहा |lsquoजञानrsquo कह शरत भद अनक ज लोकालोक विह परगट दिदखा ||ॐ हरी अभीकषण जञानोपरयोग भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |4|

भरात न तात न पतर कलतर न सगम दजन रय सब खोटो |मजिनदर सनदर कारय सखा सबको हमको इमिम अतर मोटो ||भाउ क भा धरी मन भदन नाविह सग पदारथ छोटो |lsquoजञानrsquo कह भिश-साधन को जसो साह को काम कर ज बणोटो ||ॐ हरी सग भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |5|

पातर चतरतिध दख अनपम दान चतरतिध भास दीज |शलिN-समान अभरयागत को अवित आदर स परभिणपतरय करीज ||दत ज नर दान सपातरविह तास अनकविह कारण सीझ |बोलत lsquoजञानrsquo दविह शभ दान ज भोग सभमिम महासख लीज ||ॐ हरी शलिNतसतरयाग भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |6|

कम कठोर विगरान को विनज शलिN-समान उपोषण कीज |बारह भद तप तप सनदर पाप जलाजलिल काह न दीज ||भा धरी तप घोर करी नर जनम सदा फल काह न लीज |lsquoजञानrsquo कह तप ज नर भात ताक अनकविह पातक छीज ||ॐ हरी शलिNतसतप भानरय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |7|

साधसमालिध करो नर भाक पणरय बडो उपज अघ छीज |साध की सगवित धमको कारण भलिN कर परमारथ सीज ||साधसमालिध कर भ छटत कीरतित-छटा तरलोक म गाज |lsquoजञानrsquo कह रयह साध बडो विगरिरशरग गफा विबच जारय विराज ||ॐ हरी साधसमालिध भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |8|

कम क रयोग वयथा उदरय मविन पग कनत सभषज कीज |विपतत-कफाविनल (ात) सास भगनदर ताप को शल महागद छीज ||भोजन साथ बनारय क औषध पथरय कपथरय विचार क दीज |lsquoजञानrsquo कह विनत यरयातरय कर तस द पतीज ||ॐ हरी रयातरयकरण भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |9|

द सदा अरिरहनत भजो जई दोष अठारा विकरय अवित दरा |पाप पखाल भरय अवित विनमल कम कठोर विकए चकचरा ||दिदवय-अननत-चतCरय शोभिभत घोर मिमथरयानध-विनारण सरा |lsquoजञानrsquo कह जिजनराज अराधो विनरनतर ज गण-मजिनदर परा ||ॐ हरी अहद भलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |10|

दत ही उपदश अनक स आप सदा परमारथ-धारी |दश विदश विहार कर दश धम धर भ-पार- उतारी ||ऐस अचारज भा धरी भज सो भिश चाहत कम विनारी |lsquoजञानrsquo कह गर-भलिN करो नर दखत ही मनमाविह विचारी ||ॐ हरी आचारय भलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |11|

आगम छनद पराण पढात साविहत तक वितक बखान |कावय कथा न नाटक पजन जरयोवितष दयक शासतर परमान ||ऐस बहशरत साध मनीशवर जो मन म दोउ भा न आन |बोलत lsquoजञानrsquo धरी मन सान ज भागरय विशष त जञानविह सान ||ॐ हरी बहशरवितभलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |12|

ादश अग उपाग सदागम ताकी विनरतर भलिN करा |द अनपम चार कह तस अथ भल मन माविह ठरा ||पढ बहभा लिलखो विनज अकषर भलिN करी बविड पज रचा |lsquoजञान कह जिजन आगम-भलिN कर सद-बभिदध बहशरत पा ||ॐ हरी परचनभलिN भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |13|

भा धर समता सब जीस सतोतर पढ मख स मनहारी |कारयोतसग कर मन परीतस दन द-तणो भ तारी ||रधवारयान धरी मद दर करी दोउ बर कर पडकममन भारी |lsquoजञानrsquo कह मविन सो धननत ज दशन जञान चरिरतर उघारी ||ॐ हरी आशरयकापरिरहाभिण भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |14|

जिजन-पजा रच परमारथस जिजन आग नतरय महोतस ठाण |गात गीत बजात ढोल मदगक नाद सधाग बखाण ||सग परवितषठा रच जल-जातरा सद गर को साहमो कर आण |lsquoजञानrsquo कह जिजन माग-परभान भागरय-विशषस जानविह जाण ||ॐ हरी मागपरभाना भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |15|

गौर भा धरो मन स मविन-पग को विनत तसल कीज |शीलक धारक भवय क तारक तास विनरतर सनह धरीज ||धन रयथा विनजबालक को अपन जिजरय छोविड न और पतीज |lsquoजञानrsquo कह भवि लोक सनो जिजन तसल भा धर अघ छीज ||ॐ हरी परचन-ातसलरय भानारय नमः अरघयरय_ विनपामीवित साहा |16|

जापरय मतर -ॐ हरी दशनविशदधरय नमः ॐ हरी विनरयसमपVतारय नमः ॐ हरी शीलवरतारय नमःॐ हरी अभीकषणजञानोपरयोगारय नमः ॐ हरी सगारय नमः ॐ हरी शलिNतसतरयागारय नमःॐ हरी शलिNतसतपस नमः ॐ हरी साधसमारधवारय नमः ॐ हरी रयातरयकरणारय नमःॐ हरी अहद भकतरय नमः ॐ हरी आचारयभकतरय नमः ॐ हरी बहशरतभकतरय नमःॐ हरी परचनभकतरय नमः ॐ हरी आशरयकापरिरहाणरय नमः ॐ हरी मागपरभानारय नमःॐ हरी परचनातसलरय नमः |16|

जयरमालारषोडश कारण गण कर हर चतरगतित-वास |पाप पणय सब नाशक जञान-भान परकाश||

चौपाई दरश तिवशजिदध धर जो कोई ताको आवागरमन न होई |तिवनय रमहाधार पराणी शिशव-वतिनता की सखी बखानी |1|

शील सदा दढ़ जो नर पाल सो औरनकी आपद टाल |जञानाभयास कर रमनरमाही ताक रमोह-रमहातरम नाही |2|जो सवग-भाव तिवसतार सरग-रमकतित-पद आप तिनहार |दान दय रमन हररष तिवशरष इह भव जस परभव सख पख |3|जो तप तप खप अभिभलारषा चर कररम-शिशखर गर भारषा |साध-सरमामिध सदा रमन लाव तितह जग भोग भोतिग शिशव जाव |4|तिनश-दिदन वयावतय करया सो तिनहच भव-नीर तितरया |जो अरहत-भगतित रमन आन सो जन तिवरषय करषाय न जान |5|जो आचारज-भगतित कर ह सो तिनरम13ल आचार धर ह |बहशरतवत-भगतित जो करई सो नर सपरन शरत धरई |6|परवचन-भगतित कर जो जञाता लह जञान पररमानद-दाता |रषट आवशय काय सो साध सोही रतन-Sय आराध |7|धररम-परभाव कर ज जञानी तितन शिशव-रमारग रीतित तिपछानी |वतसल अग सदा जो धयाव सो तीरथsकर पदवी पाव |8|

दोहाएही सोलह भावना सतिहत धर वरत जोय |दव-इनदर-नर-वदय lsquoदयानतrsquo शिशव-पद होय ||ॐ हरी दश13नतिवशदधयादिद रषोडशकारणभयः पणारघययs तिनव13पारमीतित सवाहा |सनदर रषोडशकारण भावना तिनरम13ल शिचतत सधारक धार |करम13 अनक हन अतित ददध13र जनरम जरा भय रमतय तिनवार ||दःख दरिरदर तिवपभितत हर भव-सागर को पार उतार |lsquoजञानrsquo कह यही रषोडशकारण करम13 तिनवारण शिसदध स धार ||इतयाशीवा13द (पषपाजचिल भिकषपत)

ननदीशवर दिदप पजासरब पर म बडो अढाई पर ह |

ननदीशवर सर जाविह लरय ास दरब ह ||

हम शलिN सो नाविह इहा करी थापना |

पज जिजनगरह-परवितमा ह विहत आपना ||

ॐ हरी शरी-ननदीशवर-ीप ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमा-समह

अतर अतर अतर सौषट | अतर वितषठ ठ ठ | अतर मम सलिVविहतो भभ षट |

कचन रमभिण रमय शरगार तीररथ-नीर भरा |

तितह धार दई तिनरवार जारमन रमरण जरा ||

ननदीशवर-शरीजिजन-धारम बावन पज करो |

वस दिदन परतितरमा अभिभरारम आनद-भाव धरो ||

ननदीशवर दवीप रमहान चारो दिदशिश सोह |

बावन जिजन रमजिनदर जान सरनर रमन रमोह ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो जनम-जरा-मतरय विनाशनारय जल विनपामीवित साहा |

भव-तप-हर शीतल वाससो चनदन नाही |

परभ यह गण कीज साच आयो तरम ठाही || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो ससार-ताप-विनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा |

उततरम अकषत जिजनराज पज धर सोह |

सब जीत अकष सरमाज तरम सरम अर को ह || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो अकषरय-पद-परापतारय अकषत विनपामीवित साहा |

तरम कारम तिवनाशक दव धयाऊ फलनसौ |

लह शील लचछरमी एव छट सलनससौ || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो काम-बाण विरधवासनारय पषप विनपामीवित साहा |

नवज इजिनदरय बलकार सो तरमन चरा |

चर तरम दिढग सोह सार अचरज ह परा || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो कषधा-रोग विनाशनारय नदय विनपामीवित साहा |

दीपक की जयोतित-परकाश तरम तन रमातिह लस |

टट कररमन की राश जञान-कणी दरश || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो मोहानधकार विनाशनारय दीप विनपामीवित साहा |

कषणागर-धप-सवास दश-दिदशिश नारिर वर |

अतित हरष13 भाव परकाश रमानो नतय कर || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो अCकम दहनारय धप विनपामीवित साहा |

बह तिवमिध फल ल तितह काल आननद नाचत ह |

तरम शिशव फल दह दयाल ततिह हरम जाचत ह || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो महा-मोकष-फल परापतारय फल विनपामीवित साहा |

यह अरघ तिकयो तिनज-हत तरमको अरपत हो |

lsquoधानतrsquo तिकजयो शिशव खत भमिरम सरमप13त हो || नदी ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो अनघ-पद-परापतारय अघ_ विनपामीवित साहा |

जरयमाला

कारतितक फालगन साढक अनत आठ दिदन माविह |

ननदीशवर सर जात ह हम पज इह ठाही ||

एक सौ Sसठ कोडी जोजन रमहा |

लाख चौरशिसया एक दिदश रम लहा ||

आठरमो दवीप ननदीशवर भासवर |

भौन बावन परतितरमा नरमो सखकर ||

चार दिदशिश चार अनजनतिगरी राजही |

सहस चौरशिसया एक दिदश छाजातिह ||

ढोल सरम गोल ऊपर तल सनदर || भौन ||

इक इक चार दिदशिश चार शभ बावरी |

एक इक लाख जोजन अरमल-जल भरी ||

चह दिदशा चार वन लाख जोजन वर || भौन ||

सोल वापीन रममिध सोल तिगरी दमिधरमख |

सहस दश रमहा जोजन लखत ही सख ||

बावरी कौन दो रमातिह दो रतितकर || भौन ||

शल बततीस एक सहस जोजन कह |

चार सोल मिरमल सव13 बावन लह ||

एक इक सीस पर एक जिजनरमजिनदर || भौन ||

तिबमब अठ एक सौ रतनरमयी सोहही |

दव दवी सरव नयन रमन रमोहही ||

पाच स धनरष तारम पदम-आसन पर || भौन ||

लाल-नख-रमख नयन शयारम अर शवत ह |

शयारम-रग भौह शिसर-कश छतिव दत ह ||

वचन बोलत रमनो हसत कालरष हररम || भौन ||

कोदिट-शशिश भान दतित-तज शिछप जात ह |

रमहा-वराग-परिरणारम ठहरात ह ||

वचन नकिह कह लगनिख होत समयक धर |

भौन बावन परतितरमा नरमो सखकर ||

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प-पभि म-उततर-दभिकषण-दिदश ी-पचाश-डिजजनालरयसथ-जिजन-परवितमाभरयो जरयमाला पणाघ_ विनपामीवित साहा |

ननदीशवर ीप अघ

ॐ हरी शरी ननदीशवरीप प पभि म उततर दभिकषण चार अनजनविगरी सोलह दलिधमख बततीस रवितकर बान पत डिसथत बान जिजनचतरयालरयभरयो पाच हजार छह सौ सोलह जिजन विबमबभरयो पणाघ_ विनपामीवित साहा |

ननदीशवर-जिजन धारम परतितरमा-रमतिहरमा को कह |

lsquoधानतrsquo लीनो नारम यही भगतित शिशव-सख कर ||

इतरयाभिशाद || पषपाजलिल भिकषपत ||

पचरमर पजातीथ_करोक नहन ndash जलत भरय तीरथ शमदा

तात परदचछन दत सर ndash गन पच मरन की सदा |दो जललिध ढाई ीप म सब गनत-मल विराजहीपजौ असी जिजनधाम ndash परवितमा होविह सख दख भाजही ||

ॐ हरी पचमरसमबनधिनध अससी जिजनचतरयालरयसथजिजनपरवितमा-समह अतर अतर अतरसौषट |ॐ हरी पचमरसमबनधिनध अससी जिजनचतरयालरयसथजिजनपरवितमा-समह अतर वितषठ वितषठ ठः

ठः |ॐ हरी पचमरसमबनधिनध अससी जिजनचतरयालरयसथजिजनपरवितमा-समह अतर मम सलिVविहतो भ भ पषट

शीतल-मिरमषट-सवास मिरमलाय जल सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||पाचो रमर असी जिजनधारम सब परतितरमा जी को करौ परणारम |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||ॐ हरी सदशन-विजरय-अचल-मनदर-विदयनमालिल-पचमरसमबनधिनध-जिजनचतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः जल विनमीवित साहा |1|

जल कशर करपर मिरमलाय गध सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः चनदनविन0 साहा |2|

अरमल अखड सगध सहाय अचछत सो पजौ जिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः अकषतान विन0 साहा |3|

वरन अनक रह रमहकाय फल सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः पषप विन0 साहा |4|

रमन वाशिछत बह तरत बनाय चर सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः नदय विन0 |5|

तरम-हर उजजवल जयोतित जगाय दीप सो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः दीप विन0 साहा |6|

खऊ अगर अरमल अमिधकाय धपसो पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः धप विन0 साहा |7|

सरस सवण13 सगध सभाय फलसो पजौ शरी जिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय || पाचो0ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः फल विन0 साहा |8|

आठ दरबरमय अरघ बनाय lsquoदयानतrsquo पजौ शरीजिजनराय |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||पाचो रमर असी जिजन धारम सब परतितरमा जी को करौ परणारम |रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ||ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः अरघयरय_ विन0 साहा |9|

जरयमालापररथरम सदश13न-सवामिरम तिवजय अचल रमदर कहा |तिवदयनरमाली नामिरम पच रमर जग रम परगट ||

पररथरम सदश13न रमर तिवराज भदर शाल वन भ पर छाज |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |1|ऊपर पच-शतकपर सोह नदन-वन दखत रमन रमोह |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |2|साढ़ बासठ सहस ऊचाई वन सरमनस शोभ अमिधकाई |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |3|ऊचा जोजन सहस-छतीस पाणडक-वन सोह तिगरिर-सीस |चतयालय चारो सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |4|चारो रमर सरमान बखान भ पर भदरशाल चह जान |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |5|ऊच पाच शतक पर भाख चारो नदनवन अभिभलाख |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |6|साढ़ पचपन सहस उतगा वन सोरमनस चार बहरगा |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |7|उचच अठाइस सहस बताय पाडक चारो वन शभ गाय |चतयालय सोलह सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |8|सर नर चारन वदन आव सो शोभा हरम किकह रमख गाव |चतयालय अससी सखकारी रमन वच तन वदना हरमारी |9|

दोहा -पच रमर की आरती पढ़ सन जो कोय |lsquoदयानतrsquo फल जान परभ तरत रमहासख होय ||ॐ हरी पचमरसमबनधिनध जिजनचतरयालरयसथ जिजनविबमबभरयः पणारघयरय_ विन0 साहा |इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

शातितनारथ पजा

रया भ कानन म चतरानन पाप पनानन घरी हमरी |

आतम जानन मानन ठानन बान न होन दई सठ मरी ||

तामद भानन आपविह हो रयह छान न आन न आनन टरी |

आन गही शरनागत को अब शरीपतजी पत राखह मरी ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदर अतर अतर अतर सौषट |

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

तिहरमतिगरिर गतगगा धार अभगा परासक सगा भरिर भगा |

जर-जनरम-रमतगा नाशिश अघगा पजिज पदगा रमद किहगा ||

शरी शापतिनत जिजनश नतशकरश वरषचकरश चकरश |

हतिन अरिरचकरश ह गनधश दयाऽरमतश रमकरश ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

वर बावन चनदन कदली ननदन घन आननदन सतिहत घसौ |

भवताप तिनकनदन ऐराननदन वदिद अरमदन चरन बसौ ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

तिहरमकर करिर लजजत रमलय ससजजत अचछत जजजत भरिर रथारी |

दखदारिरद गजजत सदपद सजजत भवभय भजजत अतितभारी ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

रमदार सरोज कदली जोज पज भरोज रमलयभर |

भरिर कचनरथारी तरमदिढग धारी रमदनतिवदारी धीरधर ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

पकवान नवीन पावन कीन रषटरस भीन सखदाई |

रमनरमोदन हार छधा तिवदार आग धार गनगाई ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

तरम जञान परकाश भररमतरम नाश जञय तिवकास सखरास |

दीपक उजिजयारा यात धारा रमोह तिनवारा तिनज भास ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

चनदन करपर करिर वर चर पावक भर रमातिह जर |

तस धरम उड़ाव नाचत जाव अशिल गजाव रमधर सर ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

बादारम खजर दातिड़रम पर किनबक भर ल आयो |

ता सो पद जजजौशिशवफल सजजौ तिनजरस रजजौ उरमगायो ||

शरी शापतिनत जिजनश नतशकरश वरषचकरश चकरश |

हतिन अरिरचकरश ह गनधश दयाऽरमतश रमकरश ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

वस दरवय सवारी तरम दिढग धारी आननदकारी दग-पयारी |

तरम हो भव तारी करनाधारी या त रथारी शरनारी ||शरी0

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली

छनदः- अशिसत सातय भादव जातिनय गरभ रमगल ता दिदन रमातिनय |

सशिच तिकयो जननी पद चच13न हरम कर इत य पद अच13न ||

ॐ हरी भादरपदकषणा सपतमरया गभमगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |1|

जनरम जठ चतद13शिश शयारम ह सकल इनदर स आगत धारम ह |

गजपर गज-साजिज सब तब तिगरिर जज इत रम जजिजहो अब ||

ॐ हरी जरयषठकषणाचतदशरया जनममगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |2|

भव शरीर सभोग असार ह इमिरम तिवचार तब तप धार ह |

भररमर चौदशिश जठ सहावनी धररम हत जजौ गन पावनी ||

ॐ हरी जरयषठकषणाचतदशरया तपोमगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |3|

शकलपौरष दश सखरास ह पररम-कवल-जञान परकाश ह |

भवसरमदर उधारन दव की हरम कर तिनत रमगल सवकी ||

ॐ हरी पौषशकलादशमरया कलजञानमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |4|

अशिसत चौदशिश जठ हन अरी तिगरिर सरमदरथकी शिशव-तितय वरी |

सकल इनदर जज तितत आय क हरम जज इत रमसतक नाय क ||

ॐ हरी जरयषठकषणाचतदशरया मोकषमगलमविbतारय शरीशानविनत0 अरघयरय_ विन0 साहा |5|

जरयमाला

शापतिनत शापतिनतगन रमतिडत सदा जातिह धयावत सपतिडत सदा |

रम तितनह भगत रमतिडत सदा पजिजहौ कलरष हतिडत सदा ||

रमोचछ हत तरम ही दयाल हो ह जिजनश गन रतन रमाल हो |

रम अब सगन-दारम ही धरौ धयावत तरत रमशिकत-तितय वरौ ||

जय शापतिनतनारथ शिचदरपराज भवसागर रम अदभत जहाज |

तरम तजिज सरवाररथशिसजिदध रथान सरवाररथजत गजपर रमहान |1|

तितत जनरम शिलयो आननद धार हरिर ततशिछन आयो राजदवार |

इनदरानी जाय परसतित रथान तरम को कर रम ल हररष रमान |2|

हरिर गोद दय सो रमोदधार शिसर चरमर अरमर ढारत अपार |

तिगरिरराज जाय तितत शिशला पाड ता प रथापयो अभिभरषक रमाड |3|

तत पचरम उदमिध तनो स वारिर सर कर कर करिर Aयाय उदार |

तब इनदर सहसकर करिर अननद तरम शिसर धारा ढारयो सरमनद |4|

अघ घघ धतिन होत घोर भभभभ भभ धध धध कलश शोर |

दरमदरम दरमदरम बाजत रमदग झन नन नन नन नन नपरग |5|

तन नन नन नन नन तनन तान घन नन नन घटा करत धवान |

तारथई रथई रथई रथई सचाल जत नाचत नावत तरमकिह भाल |6|

चट चट चट अटपट नटत नाट झट झट झट हट नट रथट तिवराट |

इमिरम नाचत राचत भगतित रग सर लत जहा आननद सग |7|

इतयादिद अतल रमगल स ठाठ तितत बनयो जहा सर तिगरिर तिवराट |

पतिन करिर तिनयोग तिपतसदन आय हरिर सौपयो तरम तितत वदध रथाय |8|

पतिन राजरमाकिह लतिह चकररतन भो=यो छहखणड करिर धररम जतन |

पतिन तप धरिर कवल रिरजिदध पाय भतिव जीवतिन को शिशवरमग बताय |9|

शिशवपर पहच तरम ह जिजनश गण-रमतिडत अतल अननत भरष |

रम धयावत हौ तिनत शीश नाय हरमरी भवबाधा हर जिजनाय |10|

सवक अपनो तिनज जान जान करणा करिर भौभय भान भान |

यह तिवघन रमल तर खड खड शिचतशिचपतिनतत आननद रमड रमड |11|

छनदः- शरीशापतिनत रमहता शिशवतितयकता सगन अनता भगवता |

भव भररमन हननता सौखय अननता दातार तारनवनता ||

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

शापतिनतनारथ जिजन क पदपकज जो भतिव पज रमन वच काय |

जनरम जनरम क पातक ता क ततशिछन तजिज क जाय पलाय ||

रमनवाशिछत सख पाव सो नर बाच भगतितभाव अतित लाय |

ता त lsquoवनदावनrsquo तिनत वद जा त शिशवपरराज कराय ||

इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

सपाशव13नारथ पजाजरय जरय जिजविनद गविनद इनद नरिरद गन लिचतन कर |

तन हरीहर मनसम हरत मन लखत उर आननद भर ||नप सपरवितषठ रिरषठ इC मविहषठ भिशC पथी विपररया |वितन ननदक पद नद नद अमद थापत जतविकररया ||ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदर अतर अतर अतर सौषट |ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

उजजल जल शलिच गध मिमलारय कचनझारी भरकर लारय |दरया विनलिध हो जरय जगबध दरया विनलिध हो ||तम पद पजौ मनचकारय द सपारस भिशपररारय |दरया विनलिध हो जरय जगबध दरया विनलिध हो ||ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

रमलयातिगर चदन घशिस सार लीनो भवतप भजनहार |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

दवजीर सखदास अखड उजजवल जलछाशिलत शिसत रमड |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

परासक सरमन सगमिधत सार गजत अशिल रमकरधवजहार |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

छधाहरण नवज वर लाय हरौ वदनी तमह चढ़ाय |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

जवशिलत दीप भरकरिर नवनीत तरम दिढग धारत हौ जगरमीत |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

दशतिवमिध गनध हताशन रमाकिह खवत करर कररम जरिर जाकिह |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम पद पजौ रमनवचकाय दव सपारस शिशवपरराय |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

शरीफल कला आदिद अनप ल तरम अगर धरौ शिशवभप |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

आठो दरब साजिज गनगाय नाचत राचत भगतित बढ़ाय |दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ||तरम 0

ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयालीसकल भादव छटठ स जातिनय गरभ रमगल ता दिदन रमातिनय |करत सव शची रशिच रमात की अरघ लय जजौ वस भात की ||ॐ हरी भादरपदशकलाषषठीदिदन गभमगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |1|

सकल जठ दवादशिश जनरमय सकल जीव स आननद तनरमय |तिSदशराज जज तिगरिरराजजी हरम जज पद रमगल साजजी ||ॐ हरी जरयषठशकलाादशरया जनममगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |2|

जनरम क तितशिरथ प शरीधर न धरी तप सरमसत पररमादन को हरी |नप रमहनदर दिदयो पय भाव सौ हरम जज इत शरीपद चाव सो ||ॐ हरी जरयषठशकलाादशरया तपोमगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |3|

भररमर फागन छटठ सहावनो पररम कवलजञान लहावनो |सरमवसन13 तिवरष वरष भागनिखयो हरम जज पद आननद चाखनो ||ॐ हरी फालगनकषणा षषठीदिदन कलजञानपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |4|

अशिसत फागन सातय पावनो सकल करम13 तिकयो छय भावनो |तिगरिर सरमदरथकी शिशव जात ह जजत ही सब तिवरघयन तिवलात ह ||ॐ हरी फालगनकषणा सपतमीदिदन मोकषमगलपरापतारय शरीसपाशव 0 अरघयरय_ विन0 |5|

जयरमालादोहाः- तग अग धन दोय सौ शोभा सागरचनद |मिरमथयातपहर सगनकर जय सपास सखकद |1|

जयतित जिजनराज शिशवराज तिहतहत हो |पररम वराग आननद भरिर दत हो ||

गभ13 क पव13 रषटरमास धनदव न |नगर तिनररमातिप वाराणसी सव रम |2|गगन सो रतन की धार बह वररषही |कोतिड़ Sअदध13 Sवार सब हररषही ||तात क सदन गनवदन रचना रची |रमात की सव13तिवमिध करत सवा शची |3|भयो जब जनरम तब इनदर-आसन चAयो |होय चतिकत तब तरिरत अवमिधत लगनिख भAयो ||सपत पग जाय शिशर नाय वनदन करी |चलन उरम=यो तब रमातिन धतिन धतिन घरी |4|सात तिवमिध सन गज वरषभ ररथ बाज ल |गनधरव नतयकारी सब साज ल ||गशिलत रमद गणड ऐरावती साजिजयो |लचछ जोजन सतन वदन सत राजिजयो |5|वदन वसदनत परतितदनत सरवर भर |ता स रममिध शतक पनबीस करमशिलतिन खर ||करमशिलनी रमधय पनवीस फल करमल |करमल-परतित-करमल रमह एक सौ आठ दल |6|सव13दल कोड़ शतबीस पररमान ज |ता स पर अपछरा नचकिह जतरमान ज ||तततता तततता तिवततता तारथई |धगतता धगतता धगतता रम लई |7|धरत पग सनन नन सनन नन गगन रम |नपर झनन नन झनन नन पगन रम ||नचत इतयादिद कई भातित सो रमगन रम |कई तितत बजत बाज रमधर पगन रम |8|कई दरम दरम ददरम दरम रमदगतिन धन |कई झAलरिर झनन झझनन झझन ||कई ससागरत सारतिग ससागर सर |कई बीना पटह बशिस बाज रमधर |9|कई तनतन तनन तनन तान पर |शदध उचचारिर सर कई पाठ फर ||

कइ झतिक झतिक तिफर चकर सी भामिरमनी |धगगता धगगता परम13 शोभा बनी |10|कई शिछन तिनकट शिछन दर शिछन रथल-लघ |धरत वतिकरयक परभाव सो तन सभग ||कई करताल-करताल तल रम धन |तत तिवतत घन सतिरषरिर जात बाज रमन |11|इनदर आदिदक सकल साज सग धारिरक |आय पर तीन फरी करी पयार त ||सशिचय तब जाय परसतरथल रमोद रम |रमात करिर नीद लीनो तमह गोद रम |12|आन-तिगरवान नारथकिह दिदयो हारथ रम |छS अर चरमर वर हरिर करत रमारथ रम ||चढ़ गजराज जिजनराज गन जातिपयो |जाय तिगरिरराज पाडक शिशला रथातिपयो |13|लय पचरम उदमिध-उदक कर कर सरतिन |सरन कलशतिन भर सतिहत चरचिचत परतिन ||सहस अर आठ शिशर कलश ढार जब |अघघ घघ घघघ घघ भभभ भभ भौ तब |14|धधध धध धधध धध धतिन रमधर होत ह |भवय जन हस क हरस उदयोत ह ||भयो इमिरम नहौन तब सकल गन रग रम |पोशिछ शरगार कीनो शची अग रम |15|आतिन तिपतसदन शिशश सौतिप हरिर रथल गयो |बाल वय तरन लतिह राज सख भोतिगयो ||भोग तज जोग गतिह चार अरिर को हन |धारिर कवल पररम धररम दइ तिवध भन |16|नाशिश अरिर शरष शिशवरथान वासी भय |जञानदग अरिर शरष शिशवरथान वासी भय |दीन जन की करण सन लीजिजय |धररम क ननद को पार अब कीजिजय |17|घतता13ः- जय करनाधारी शिशवतिहतकारी तारन तरन जिजहाजा हो |

सवत तिनत वनद रमनआनद भवभय रमटनकाजा हो |18|ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय पणारघयरय_ विनपामीवित साहा |

दोहाः- शरी सपाशव13 पदजगल जो जज पढ़ यह पाठ |अनरमोद सो चतर नर पाव आननद ठाठ ||इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

शीतलनारथ पजाशीतलनाथ नमौ धरिर हाथ स माथ जिजनहो भ गाथ मिमटारय |

अचरयत त चरयत मात सननद क ननद भरय पर बददल आरय ||

श इकषाक विकरयो जिजन भविषत भवयन को भ पार लगारय |

ऐस कपाविनलिध क पद पकज थापत हौ विहरय हष बढारय ||

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदर अतर अतर अतर सौषट |

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदर अतर वितषठ वितषठ ठः ठः |

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदर अतर मम सलिVविहतो भ भ षट |

दवापगा स वर वारिर तिवशदध लायो

भगार हरम भरिर भशिकत तिहय बढ़ायो |

रागादिददोरष रमल रमद13न हत यवा

चचAElig पदाबज तव शीतलनारथ दवा ||

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय जनमजरामतरयविनाशनारय जल विन0 साहा |1|

शरीखड सार वर ककरम गारिर लीनो |

क सग सवचछ मिघशिस भशिकत तिहय धरीनो ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय भातापविनाशनारय चनदन विन0 साहा |2|

रमकता-सरमान शिसत तदल सार राज |

धारत पज कशिलकज सरमसत भाज |रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अकषरयपदपरापतरय अकषतान विन0 साहा |3|

शरी कतकी पररमख पषप अदोरष लायो |

नौरग जग करिर भग स रग पायो ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय कामबाणविरधवासनारय पषप विन0 साहा |4|

नवदय सार चर चार सवारिर लायो |

जाबनद-परभतित भाजन शीश नायो ||

रागादिददोरष रमल रमदद13न हत यवा |

चचAElig पदाबज तव शीतलनारथ दवा ||

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय कषधारोगविनाशनारय नदय विन0 साहा |5|

सनह परपरिरत सदीपक जोतित राज |

सनह परपरिरत तिहय जजतऽघ भाज ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विन0 साहा |6|

कषणागर पररमख गध हताश रमाही |

खवौ तवागर वसकरम13 जरत जाही ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अCकमदहनारय धप विन0 साहा |7|

तिनमबामर कक13 दिट स दातिड़रम आदिद धारा |

सौवण13-गध फल सार सपकव पयारा ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय मोकषफल परापतरय फल विन0 साहा |8|

शभ शरी-फलादिद वस परासक दरवय साज |

नाच रच रमचत बजजत सजज बाज ||रागा0

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय अरघयरय_ विन0 साहा |9|

पच कलरयाणक अरघयरयाली

आठ वदी चत सगभ13 रमाही आय परभ रमगलरप रथाही |

सव शची रमात अनक भवा चचAElig सदा शीतलनारथ दवा ||

ॐ हरी चतरकषणाऽCमरया गभमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |1|

शरी रमाघ की दवादशिश शयारम जायो भलोक रम रमगल सार आयो |

शलनदर प इनदर फतिननदर जजज रम धयान धारौ भवदःख भजज ||

ॐ हरी माघकषणा ादशरया जनममगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |2|

शरी रमाघ की दवादशिश शयारम जानो वरा=य पायो भवभाव हानो |

धयायो शिचदाननद तिनवार रमोहा चचAElig सदा चन13 तिनवारिर कोहा ||

ॐ हरी माघकषणा ादशरया तपोमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |3|

चतद13शी पौरष वदी सहायो ताही दिदना कवल लबधिबध पायो |

शोभ सरमोसतय बखातिन धरमs चचौ सदा शीतल परम13 शरमs ||

ॐ हरी पौषकषणाचतदशरया कल जञानमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |4|

कवार की आठ शदध बदधा भय रमहा रमोकष सरप शदधा |

समरमद त शीतलनारथ सवारमी गनाकर ता स पद नरमारमी ||

ॐ हरी आभिशवनशकलाऽCमरया मोकषमगलमविbतारय शरीशीतल 0 अरघयरय_ विन0 |5|

जरयमाला

आप अनत गनाकर राज वसततिवकाशन भान सरमाज |

रम यह जातिन गही शरना ह रमोह रमहारिरप को हरना ह |1|

दोहाः- हरम वरन तन तग धन-नवव अतित अभिभरारम |

सर तर अक तिनहारिर पद पतिन पतिन करौ परणारम |2|

जय शीतलनारथ जिजननद वर भव दाह दवानल रमघझर |

दख-भभत-भजन वजर सरम भव सागर नागर-पोत-परम |3|

कह-रमान-रमयागद-लोभ हर अरिर तिवरघयन गयद रमकिगद वर |

वरष-वारिरधवषटन समिषटतिहत परदमिषट तिवनाशन सषट तिपत |4|

सरमवसरत सजत राजत हो उपरमा अभिभरारम तिवराजत हो |

वर बारह भद सभा शिरथत को तितत धरम13 बखातिन तिकयो तिहत को |5|

पहल रमतिह शरी गणराज रज दतितय रमतिह कAपसरी ज सज |

तिSतितय गणनी गन भरिर धर चवरथ तितय जोतितरष जोतित भर |6|

तितय-किवतरनी पन रम गतिनय छह रम भवनसर तितय भतिनय |

भवनश दशो शिरथत सततरम ह वस-किवतर उततरम ह |7|

नव रम नभजोतितरष पच भर दश रम दिदतिवदव सरमसत खर |

नरवनद इकादश रम तिनवस अर बारह रम पश सव13 लस |8|

तजिज वर पररमोद धर सब ही सरमता रस रम=न लस तब ही |

धतिन दिदवय सन तजिज रमोहरमल गनराज असी धरिर जञानबल |9|

सबक तिहत तततव बखान कर करना-रमन-रजिजत शरम13 भर |

वरन रषटदरवय तन जिजतन वर भद तिवराजत ह तिततन |10|

पतिन धयान उभ शिशवहत रमना इक धरम13 दती सकल अधना |

तितत धरम13 सधयान तणो गतिनयो दशभद लख भररम को हतिनयो |11|

पहलोरिर नाश अपाय सही दतितयो जिजन बन उपाया गही |

तिSतित जीवतिवरष तिनजधयावन ह चवरथो स अजीव ररमावन ह |12|

पनरमो स उद बलटारन ह छहरमो अरिर-राग-तिनवारन ह |

भव तयागन चिचतन सपतरम ह वसरमो जिजतलोभ न आतरम ह |13|

नवरमो जिजन की धतिन सीस धर दशरमो जिजनभातिरषत हत कर |

इमिरम धरम13 तणो दश भद भनयो पतिन शकलतणो चद यरम गनयो |14|

सपरथकत-तिवतक13 -तिवचार सही सइकतव-तिवतक13 -तिवचार गही |

पतिन सकषरमतिकरया-परतितपात कही तिवपरीत-तिकरया-तिनरवतत लही |15|

इन आदिदक सव13 परकाश तिकयो भतिव जीवनको शिशव सवग13 दिदयो |

पतिन रमोकषतिवहार तिकयो जिजनजी सखसागर रम=न शिचर गनजी |16|

अब रम शरना पकरी तरमरी समिध लह दयातिनमिध जी हरमरी |

भव वयामिध तिनवार करो अब ही रमतित ढील करो सख दयो सब ही |17|

शीतल जिजन धयाऊ भगतित बढ़ाऊ जयो रतनSय तिनमिध पाऊ |

भवदद नशाऊ शिशवरथल जाऊ फर न भव वन रम आऊ |18|

दिदढ़ररथ सत शरीरमान पचकAयाणक धारी

तितन पद जगपदम जो जज भशिकतधारी |

सहजसख धन धानय दीघ13 सौभा=य पाव

अनकररम अरिर दाह रमोकष को सो शिसधाव ||

इतरयाशीादः (पषपाजलिल भिकषपत)

कतितरम अकतितरम जिजन चतयालयकतरयाकवितरम-चार-चतरय-विनलरयान विनतरय वितरलोकी-गतान

द भान-वयतर-दयवितरान सगामराासगान |सदगधाकषत-पषप-दाम-चरकः सददीपधपः फलरनीरादय रयज परणमरय भिशरसा दषकमणा शातरय ||

ॐ हरी वितरलोक समबनधिनध कवितरमाकवितरम-चतरयालरयभरयः अरघयरय_ विन 0 साहा

षष-षानतर-पतष नदीशवर रयाविन च मदरष |रयावित चतरयारयतनाविन लोक साभिण द जिजनपगाना ||

अविन ndash तल ndash गताना कवितरमाकवितरमाणान ndash भन ndash गताना दिदवय ndash माविनकाना |इह मनज ndash कताना दराजारचिचतानाजिजनर ndash विनलरयाना भातोऽह समरामिम ||

जब-धातविक-पषकरादध-सधा-कषतर तररय रय भाःचनदराभोज-भिशखविb-कणठ-कनक-परागघनाभा जिजनाः |समरयगजञान-चरिरतर-लकषण-धरा दगधाCकमनधनाः |भतानागत-तमान-समरय तभरयो-जिजनभरयो-नमः ||

शरीमन मरौ कलादरौ रजत-विगरिरर शालमलौ जबकषकषार चतरयकष रवितकर रलिचक कbल मानषाक |इषाकारऽनजनादरौ दलिध-मख-भिशखर वयनतर सगलोकजरयोवितलकऽभिभद भन मविहतल रयाविन चतरयालरयाविन ||

ौ कदद-तषार-हार-धलौ ाविदरनील-परभौौ बधक-सम-परभौ जिजनषौ ौ च विपररयगपरभौ |

शषाः षोbश जनम-मतरय-रविहताः सतपत-हम-परभाःत सजञान-दिदाकराः सरनताः लिसदधिदध पररयचछत नः ||

ॐ हरी कवितरमाकवितरम- चतरयालरय समबनधिनध चतरविशवित जिजनविबमबभरयोऽरघयरय_ विनपामीवित साहा ||

इचछामिम भलिN

इचछामिरम भत चइयभभितत काओस=गो कओ तससालोचउ |अहलोय तितरिरयलोय उडढलोयममिमरम तिकदिटटरमातिकदिटटरमाभिणजाभिण जिजणचइयाभिण ताभिण सववाभिण तीसतिव लोयसभवणवाशिसय वाण-किवतर-जोयशिसय-कपपवाशिसय भिततचउतिवहा दवाः सपरिरवारा दिदववण गधण दिदववण पफफणदिदववण धवण दिदववण चणणण दिदववण वासणदिदववण णहाणण भिणचचकाल अचचतित पजजतित वदतित णरमससतित |अहरमतिव इह सतो ततथ सताइ भिणचचकाल अचचमिरम पजजमिरमवदामिरम णरमससामिरम | दकखकखओ कमरमकखओ बोतिहलाहोसगइगरमण सरमातिहरमरण जिजणगणसपतती होउ रमजझ |अरथ पौवा13मिहनक-रमाधयामिहनक-आपरामिहनक-दववदनाया-पवा13चाया13नकररमण सकल-करम13-कषयारथs भावपजा-वदना-सतव-सरमतशरीपचरमहागर-भचिकत कायोतसगs करोमयहरम ||

(इस परकार आशीवा13द रप पषपाजशिल कषपण कर)

जाव अरिरहताण भयवताण पजजवास करमिरमताव काय पावकमरम दचचरिरय वोससरामिरम |णरमो अरिरहताण णरमो शिसदधाण णरमो आइरिरयाण |णरमो उवजझायाण णरमो लोए सववसाहण ||

(नौ बार णरमोकार रमS 27 शवासोचछवासो रम जाप कर)

शातित पाठशावितनाथ मख शभिश उनहारी शीलगणवरत सरयमधारी

लखन एक सौ आठ विराज विनरखत नरयन कमल दल लाज

पचम चकरतordf पदधारी सोलम तीथ_कर सखकारी

इनदर नरनदर पजरय जिजननारयक नमो शावितविहत शावित विधारयक

दिदवय विटप पहपन की रषा ददभिभ आसन ाणी सरसा

छतर चमर भामbल भारी रय त परावितहारय मनहारी

शावित जिजनश शावित सखदाई जगत पजरय पजो लिसरनाई

परम शावित दीज हम सबको पढ जिजनह पविन चार सघ को

पज जिजनह मकटहार विकरीट लाक इनदरादिदद अर पजरयपदाबज जाक

सो शावितनाथ र श जगतपरदीप मर लिलए करह शावित सदा अनप

सपजको को परवितपालको को रयतीनको को रयवितनारयको को

राजा परजा राषटर सदश को ल कीज सखी ह जिजन शावित को द

हो सारी परजा को सख बलरयत हो धमधारी नरशा

हो रषा समरय प वितलभर न रह वयालिधरयो का अनदशा

हो चोरी न जारी ससमरय परत हो न दषकाल भारी

सार ही दश धार जिजनर षको जो सदा सौखरयकारी

घावित कम जिजन नाश करिर पारयो कलराज

शावित करो त जगत म षभादिदक जिजनराज

(तीन बार शावित धारा द)

शासतरो का हो पठन सखदा लाभ ततसगवित का

सततो का सजस कहक दोष ढाक सभी का

बोल परयार चन विहतक आपका रप रधवारयाऊ

तौलौ सऊ चरण जिजनक मोकष जौलौ न पाऊ

तब पद मर विहरय म मम विहरय तर पनीत चरणो म

तबलौ लीन रहौ परभ जबलौ पारया न मलिN पद मन

अकषर पद मातरा स दविषत जो कछ कहा गरया मझस

कषमा करो परभ सो सब करणा करिरपविन छडाह भदःख स

ह जगबनध जिजनशवर पाऊ तब चरण शरण बलिलहारी

मरणसमालिध सदलभ कमreg का कषरय सबोध सखकारी

(पषपाजलिल कषपण)

(रयहा नौ बार णमोकार मतर का जाप कर)

शातित तिवधान पजाशरी शानविनतनाथ विधान भाषा (विहनदी)

परसताना

अरिरहनत जिजनशवर की अनपम छवि शानविनत सधा धर क उर म

भिशनाथ विनरजन कमजरयी बन जारय बस परभ भिशपर म१

मविननाथ तपोविनलिध सरिर सधी तपलीन रह विनत ही न म

शरत-जञान-सधा बरसात ह गर पाठकनद सभवयन म २

रतनतररय की लिचर जरयोवित जग तप-जाला कम विनाश कर

भ-भोग शरीर विरN सदा इजिनदररय सख की नविह आश कर ३

गनधकटी म विराजिजत परभ ह दिदवय रधवाविन उनकी तो खिखरी

गणराज न गथ क जञान-समन ादश अगो की माल री ४

मगलमरय लोक जिजनोततम ह मगलमरय लिसदध सनातन ह

मगलमरय सरिर सतत धनी मगलमरय पाठक क गन ह ५

मगलमरय ह साध जन जञान सधा रस लीन

जिजन परणीत र धम ह मगलमरय साधीन ६

सब ीपो क मरधवारय म जमब ीप अनप

लण नीर-विनलिध सतजहा खावितका-रप ७

पीछ धातविक-ीप ह दवितरय ीप शरवित सार

कालोदलिध चह ओर ह परिरखा क उनहार ८

पषकर नामक ीप ह कालोदलिध क पार

ताको आधौ भाग ल ढाई ीप समहार ९

ढाई ीप वितरकाल क असखरयात जिजनराज

नदनीरय ज लोक क नदो धम जहाज १०

चनदरकला सम जरयोवित मनोहर अग परभ क राजत ह

पदम पनीत-परभा-सम उजजल दह मनोजञ विराजत ह

कणठ-मरयर सकञचन नीरद तलरय सशोभिभत अग विभा

तीथशवर चौबीस अलौविककरप-विमगध सरनदरसभा ११

भत भविषरयत तमान क चौबीसो जिजनराज

रतनतररय स भविषत अनपमजग म रह विराज १२

अरिरहनत लिसदध वितरलोक पजिजत धमरधवाज आचारय को

मविननद क भिशकषापरदारयकपजरयपाठक आरय को १३

उन साधओ को जो विनरनतर जञान-रधवारयान-परीन ह

तप शानविनत की शलिच साधना म जो सदा तललीन ह १४

करक परणाम वितररयोग स म शानविनतनाथ विधान को

परारभ करता ह बढान भलिN-शरदधा-जञान को १५

लोक क सब गणधरो को भलिN शरदधा भा स

कनदकनदादिदक दिदगमबर मविनरो को चा स १६

करता परणाम विनरय सविहत म धम की हो विनत विजरय

विनरतिरघयन हो रयह पाठ परा ह रयही मरी विनरय १७

शानविनतनाथ भगान क गण ह अपरमपार

ाचसपवित णन कर तो भी पारय न पार १८

शानविनतनाथ विधान का फल

रयह शानविनतनाथ विधान विकसन कब कहा करयो कर विकरया

फल परानविपत जो उसको हई नरभ सफल उसन विकरया १

ततानत उसका म परसग सविहत रयहा णन कर

कलरयाण हो सनकर जगत का रधवारयान रयह मन म धर २

भरत-कषतर क आरय-खणb म भारत भ विखरयात सदश

मथरा नगर हा का शासक सरयश का वितलक नरश ३

राजनीवित म विनपण नरयारयविपररय ीर परजा का पालक भप

साम-दाम क दणb भद स शासन-सचालक अनरप ४

एक बार जब दरयोग स दरतिपाक न विकरया परकोप

गराम दता न करोलिधत होविकरया उपदर शानविनत विलोप ५

महाभरयकर वयालिध विषम अवित फलाई जब विकVर न

दिदन-परवितदिदन अवितपरबल ग स लोग लग परवितदिदन मरन ६

रोग परताडिbत हो जनता अर शासक न मथरा छोडी

वयाधी न कालकपाण लिलए सब जन की विहममत तोडी ७

शकल तररयोदशी क दिदन सहसा सठ समवित हा आए

बादल षा दख सत मन म अवित ही हषाए ८

मथरा नगरी म परश कर मिमल नही तहा नर-नारी

सनी नगरी दख- समवित तब हए दखिखत मन म भारी ९

दख जिजनालरय पज जिजनशवर मविन नारयक क रयग नद

दशन नदन भलिN विनरय कर विनज मन म अवित आननद १०

परशन विकरया तब सठ समवित न नाथ उपारय बता दीज

होगी शानविनत मनीशवर कस विलिधपक समझा दीज ११

चारण ऋभिदधधारी मविनर कह चन अवित सखदाई

शानविनतनाथ जिजन शानविनत विधारयक पज रचो मन हषाई १२

मतरोचचार ॐ नमोऽहत भगत शरी शानविनतनाथारय ॐ हरा हरी हर हरौ हर अ लिस आ उ सा अमकसरय सपदर शानतिनत लकषमीलाभ च कर कर नम (साहा)

विधान क जाप मतर का फल

इस मनतर राज क जपन स मन शदध शानत हो जाता ह

होत ह विरघयन विनC सभी शभ पणरयकोष भर जाता ह १३

धन समपवित अलिधकार परापत हो रयह तो ह साधारण बात

मन मजिनदर म जञान सरय का होता उजजल दिदवय परभात १४

विधान का समरय

इसका विलिध विधान ह भवयो सनो शदध मन स धर रधवारयान

सोलह दिदसी शकलपकष मपरथमदिदस स करो विधान १५

जिजन पजा क प रयनतर का ससथापन पजन शभ कारय

सहसमनतर का जाप करो विनतषोbसदिदन तक सविलिध सआरय १६

पजा क महा विधान म दीप धप फल पषप सगनध

भलिNभारयत करो समरतिपतअशभकम का होरय न बनध १७

शरी शानविनतनाथ सतन

ससार सागर म भटकत पराभिणरयो को ह परभो

आपक ही रयग चरणशभ शरण द सकत विभो

दाानविगन दख-सनताप की सतर ध-ध जल रही

अनराग मारया मोह की छलना विनरनतर छल रही १

करोलिधत भजगम क bस बह पराभिणरयो क गातर म

गारडी-विदया परशम करती ह रयथा कषण मातर म

परभ आपक चरणामबजो का रधवारयान करत भलिN स

सब विरघयन बाधाए विलरयहोती विनजातम शलिN स २

तपत सण क तलरय आप क दिदवय चरण का विनमल रधवारयान

भ-सागर म पड पराभिणरयो क तारण विहत बनता रयान

गीता छद

जरयो रयामिमनी क घन-वितमिमर म लपत भ-आलोक हो

उदयद दिदाकर रडिशमरया करती परकाभिशत लोक को ३

जब तक नही होता उदरय रवि रडिशम का ससार म

तब तक कमलशरी सपत रहती ह सतत कासार म

जब तक नही होती कपा भगान क रयगचरण की

तब तक नही रयह टटती जजीर जीन-मरण की ४

समरथ लोक-अलोक क विजञान म जिजनर परभो

तररयछतर की सषमा विराजिजत जञान म दिदनकर परभो

हो पापकषरय कषणमातर म पदपदम क गणगान स

दपानध लिसह-गजनदर भाग सहज जिजनक रधवारयान स ५

परतरयष ला क ललिलत उजजल दिदाकर सा विमल

जिजननाथ भा-मणbल तमहारा सोहता सरणिणम कमल

दिदवयागनाओ क नरयन मन कर परफडिललत मोहता

तरलोकरय क तम-तोम को करता विदरिरत सोहता ६

बाधारविहत शाशवत विनराकल अनरयतम सख समपदा

नाथ क चरणारविनदो क समागम स सदा

परापत करत भN जन ह भलिN क आधार स

आ रय करया रयदिद पार हो ससार ndash पाराार स ७

ह शानविनतनाथ जिजननदर तर भN विनत पात कपा

भदख स सनतपत जन क हत बन जाती परपा

दर होत दख-दारण नाथ की शभ भलिN स

जरयो घनवितमिमर ह दर होता रविविकरण की शलिN स ८

शरी शानविनतनाथ जिजननदर क इस ससतन को भा स

जो भवयजन पढत विनरनतर ह विनरय स चा स

परिरणाम उनक हो विमल सब विरघयन बाधाए टल

कलरयाण मजिनदर क पलिथक मलिN क पथ पर चल९

विधान परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन ndash मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

सण कलश म जल ल जो विनत जिजन पद पजन करत ह

विन रय ही राजवितलक कीअनमोल समपदा रत ह १

ॐ हरा हरी हर हरौ हर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय जनम जरा मतरय विनाशनारय जल विनपामीवित साहा

कशर कपर चनदन ारा जिजनर क चरणो का अचन

जो करत ह सगreg तक म सरभिभत होत ह उनक तन २

ॐ भरा भरी भर भरौ भर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय ससारताप विनाशनारय चनदन विनपामीवित साहा

परभ क चरण कमल की पजा विनमल अकषत स करत

कामद सा पा शरीर दीघ आरय जीन धरत ३

ॐ मरा मरी मर मरौ मर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अकषरय पद परापतरय अकषतान विनपामीवित साहा

जो कनद चमली क ारा करत परभ पद पङकज- पजन

पषपोततर विमान ारा समपण सफल करत जीन ४

ॐ रा री र रौ र जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय कामबाण-विरधवानारय पषप विनपामीवित साहा

उजजल सण पातर म लकर सदय पक नदय विमल

अरतिपत करत परभ चरणो म पा जात कलप कष क फल ५

ॐ घरा घरी घर घरौ घर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय कषधारोग विनाशनारय नदय विनपामीवित साहा

उजजल कपर दीप ारा जिजनर की सौमरय आरती स

उदभालिसत कल जोवित जग उसम सनदीपत भारती स ६

ॐ ा ी ौ जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय मोहानधकार विनाशनारय दीप विनपामीवित साहा

चनदन कपर धप ारा जिजनर की शभर अचना स

पाऊ विनरोगतन कानविनतमरयी परभ की विनभिश रयाम नदना स ७

ॐ शरा शरी शर शरौ शर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अCकम विनाशनारय धप विनपामीवित साहा

शरीफल कदली इतरयादिदक स शरी जिजनक चरणो का पजन

मनालिछत फल पात ह पजन जो करत ह भवि जन ८

ॐ खरा खरी खर खरौ खर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय मोकषफल परापतरय फल विनपामीवित साहा

अC दरवय मरय अघररय विमल ल शानविनतनाथ परभ का पजन

करत ह जो भवय शतनदरो स जिनदत हो दिदवय चरण ९

ॐ अ हरा लिस हरी आ हर उ हरौ सा हर जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपद परापतरय अघररय विनपामीवित साहा

जरयमाला

जञानरप ओकार नमसत हरी मरधवारय परभ शानविनत नमसत

सनातकरतिष अरिरहनत नमसत दरया धम-परिरपण नमसत१

एकानक-सरप नमसत शरी मचचकराधीश नमसत

शानविनत दीनविपत भिश रप नमसत जञान गभ विनज रप नमसत२

नाना भाषा बोध नमसत आशा पाश विहीन नमसत

पान-गण गण गीत नमसत अC कम-विरधवास नमसत ३

तीथ_कर पद पत नमसत पर सकलप- विहीन नमसत

मलिN ध क कनत नमसत समरयक चारिरत दकष नमसत ४

आतम सभा लीन नमसत रतनतररय- सरयN नमसत

आतम बोध परिरपण नमसत उभरय लोक सखदारय नमसत ५

करणा सागर नाथ नमसत ाणी विशव विहतारय नमसत

शानविनतनाथ परमश नमसत तीवर गरल-हर दकष नमसत ६

करश अतस नमसत ऋविष लिचत हरतिषत करण नमसत

कल करमकारिर जिजननदर नमसतसदा विलिचतर सरप नमसत ७

हरी बीज रशामिरय नमसत धीर ीर भननदर नमसत

विरघयनविनाशक शानविनत नमसत पराभिण नाथ त नाम नमसत ८

भरय हता विनभordfक नमसत दिदवय धनी भिश रप नमसत

धम धरधर धीर नमसत विनज चतनरय लीन नमसत ९

शानविनत जिजनाCक को जो भविजन धार विनतरय हदरय म

सख समपवित ऐशवरय परापत हो सशरय नही विजरय म १०

ॐ हरी जगदापविनाशनारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

परथम लरय पजा परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तबकषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

ह बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन१

ॐ हरी अशोकतरसतपरावितहारय-मचचिणbतारय अशोकतररयNपदपरदारय हमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

भ बीजाकषर का आशररय लकरता शानविनतनाथ पजन २

ॐ हरी सरपषपविCसतपरावितहारय मचचिणbतारय सरपषपविCरयNपदपरदारय भमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

म बीजाकषर का आशररय लकरता शानविनतनाथ पजन३

ॐ हरी दिदवयरधवाविनसतपरावितहारय मचचिणbतारय दिदवयरधवाविनरयNपदपरदारय ममलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

र बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन ४

ॐ हरी चामरोततोलनसतपरावितहारय मचचिणbतारय चामरोततोलनरयNपदपरदारय मलवररय_ बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

घ बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन५

ॐ हरी लिसहासनसतपरावितहारय मचचिणbतारय लिसहासनरयNपदपरदारय रघयमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

झ बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन६

ॐ हरी भामbलसतपरावितहारय मचचिणbतारय भामbलरयNपदपरदारय झमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

स बीजाकषर का आशररय ल करता शानविनतनाथ पजन ७

ॐ हरी दनदभिभसतपरावितहारय मचचिणbतारय दनदभिभरयNपदपरदारय समलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराभिण मातर की बाधाओ क हता कतरता कम दलन

ख बीजाकषर का आशररय लकरता शानविनतनाथ पजन८

ॐ हरी छतरतररयसतपरावितहारय मचचिणbतारय छतरतररयरयNपदपरदारय खमलवररय बीजारय सपदरशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

ह भ म र घ झ स ख बीजरयत णन कर भरपर

सतोतर अघररय स पजत विरघयन ग हो दर ९

ॐ हरी अCपरावितहारय सविहतारय अCबीजमbनमचचिणbतारय सविरघयनशानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय पणाघररय विनपामीवित साहा

वितीरय लरय पजा परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

भलिN भा रयत परभ पजन को इनदर जिजनालरय जा

तीथ_कर पदी क कारण शरी जिजनक गण गा

शरी जिजन परभ क पद पङकज की पजा इनदर रचा

दशन जञान अननत सखामत बल विकरम पा १

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमानस अहतपरमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अC कम स मN विनरजन लिसदध सरपी राज

कषामिरयक समरयक आदिद गणोततम सीमातीत विराज

भत भविषरयत तमान क लिसदध अननत विनरजन

विनजसरप म लीन परभ का करता पजन दन २

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमान सलिसदध-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पञचाचार- विभविषत गरर आतम-जरयोवित जगा

जञान तपो विनलिध कम दलन को रधवारयान-कठार उठा

शानविनत सधाकर की शलिच शीतल रडिशम-परकाश परसार

सघ चतरतिध क अलिधनारयक काम-महारिरप मार३

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमान-साचारय-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझतविनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

ादश अग विभविषत मविनर पाठक साध सधी क

मान विमदन करत विनमद आतम सधा रस पी क

रधवारयाना-रधवारयरयन विनरनतर जिजनक भिश-साधन दशा

इCा-विनC सरयोग विरयोग हष-विषाद नशा ४

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद- तमान-सपाठक-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जञान रधवारयान तप लीन विनरनतर समता-सादक रयोगी

विषरयातीत-सरप जिजतजिनदररयआतम सरस क भोगी

रधवारयान कपाण लिलए मविन रयोगी कम-महारिरप मार

गण Ÿोणी रयत कर विनजरा विनज गण रप विचार ५

ॐ हरी जगदापविनाशनहत भरतरात-विदहादिद-शतक-सपतवित-कषतरारय खणb भत- भविषरयद-तमान-ससाध-परमविषठ-पदपकज सनमवित-सदभकतरयपतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पचचीस दोषो स रविहत अCाङग समरयग दशनम

अहनत आगम गररो काम करो विनत अचनम ६

ॐ हरी जगदापविनाशनहत शदधसमरयकतामलतर-खणbोडिजझत-विनदान-बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

ादशाङग जिजननदर-ाणी जञान ndash दोष ndash विरजिजतम

समरयखिगभविषत आतम जरयोवित परकाश को शत नदनम ७

ॐ हरी जगदापविनाशनहत शदधसमरयजञानामलतर-खणbोडिजझत-विनदान-बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

गनविपतरया तररय समिमवित पाचो और पञच महावरतम

तरह परकार चरिरतर समरयक का करो म पजनम ८

ॐ हरी जगदापविनाशनहत शदधसमरयकताचारिरतरामलतर-खणbोडिजझत-विनदान-बधनारय कतजरयारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जञानारणी पञच परकवितरया परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी ९

ॐ हरी जञानारण-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

दशनारणी कम परकवित न परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी१०

ॐ हरी दशनारण-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

दनीरय विलिध सखदख दारयक परभ न उभरय विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी११

ॐ हरी दनीरय-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अCा-विशवित परकवित मोह की परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १२

ॐ हरी परचणbमोहनीरय-कमबध-बधनकत सवित ततकम-विपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

आरय कम की परकवित चार ह परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १३

ॐ हरी आरय-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनत नाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नाम कम की परकवित नवित तररय परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १४

ॐ हरी नाम-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनत नाथारय अघररय विनपामीवित साहा

गोतर कम की परकवित शभाशभ परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागरपजो पद अविनाशी १५

ॐ हरी गोतर-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अनतरारय विलिध पञच परकवितरया परभ न स विनाशी

शानविनत जिजनश दरया क सागर पजो पद अविनाशी १६

ॐ हरी अतरारय-कमबध-बधनकत सवित ततकमविपाकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

दशन जञान चरण स भविषत पञच परम पद पाऊ

शानविनतनाथ जिजन क चरणो म विनत परवित अघ चढाऊ १७

ॐ हरी पचपरमविषठ-पदपरदारय दशन-जञान-चारिरतर-कारकारय अCकमविनारणारय शरीशानविनतनाथारय पणाघररय विनपामीवित साहा

ततीरय लरय पजा परारमभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

विनज-परिरार सविहत असरो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा १

ॐ हरी असरकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत नागो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा २

ॐ हरी नागकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत विदयत क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ३

ॐ हरी विदयतकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत सपण क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ४

ॐ हरी सपणकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत पाक क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ५

ॐ हरी अनविगनकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत मारत क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ६

ॐ हरी ातकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत मघो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ७

ॐ हरी सतविनतकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत सागर क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ८

ॐ हरी उदलिधकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत ीपो क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा ९

ॐ हरी ीपकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत दिदकसर क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १०

ॐ हरी दिदककमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विनज-परिरार सविहत विकVर क इनदर जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ११

ॐ हरी विकVरनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विकमपरषो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १२

ॐ हरी विकमपरषनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

महोरगो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १३

ॐ हरी महोरगनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

गध क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १४

ॐ हरी गनधनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

रयकषसरो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १५

ॐ हरी रयकषनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

राकषसगण क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १६

ॐ हरी राकषसनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भतसरो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १७

ॐ हरी भतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

सरविपशाच क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १८

ॐ हरी विपशाचनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जरयोवितविषरयो क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा १९

ॐ हरी चदरनामकनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जरयोवितविषद परतीनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २०

ॐ हरी भासकरनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इदरामर सौधम सग क भN जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज की पजा विनतरय रचा २१

ॐ हरी सौधमनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इदरामर ईशान सग क भN जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २२

ॐ हरी ईशाननदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

सनत सग क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २३

ॐ हरी सनतकमारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इनदरामर माहनदर सग क भN जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २४

ॐ हरी माहनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

बरहमसग क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २५

ॐ हरी बरहमनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लानत क सर इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २६

ॐ हरी लानतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शकर सग क इनदर सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २७

ॐ हरी शकरनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथपदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शतारनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २८

ॐ हरी शतारनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

आनतनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा २९

ॐ हरी आनतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पराणतनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ३०

ॐ हरी पराणतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

आरणनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ३१

ॐ हरी आरणनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अचरयतनदर शभभा सविहत परिरार जिजनालरय आ

शानविनतपरभ क पद पङकज कीपजा विनतरय रचा ३२

ॐ हरी अचरयतनदरण सपरिरारसविहतन पादपदमारचिचतारय-जिजननाथारय तथ पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपदपरापतरय अघररय विनपामीवित साहा

बततीस इनदरो स परपजिजत शानविनतनाथ जिजनश को

परिरपण अघ चढारय पाऊह परभो भिशलोक को ३३

ॐ हरी चतरणिणकारयदनदरपजिजतारय शरीशानविनतनाथारय पणाघररय विनपामीवित साहा

चतथ लरय पजा परारभ

ह शानविनतपरभो ह शानविनतपरभो मर मन-मजिनदर म आओ

अघगविनाशन-हत परभो विनज शानतदिदवयछवि दशाओ१

कमreg क बनधन खलत ह परभ नाम विनरनतर जपन स

भ-भोग-शरीर विनशवर तब कषणभगर लगत सपन स २

नरजनम सफल हो जाता ह जब रधवारयान हदरय म आता ह

आतमसरप म लीन हआ भ-सागर स तर जाता ह ३

ॐ हरी सकमबनधन विमN सकलविरघयन शानविनतकर मगलपरद पचमचकरशवर ादशकामद अCपरावितहारयसरयN षोbशतीथङकर शरीशानविनतनाथ भगन अतर अतर अतर सौषट इतरयाहवाननम अतर वितषठ वितषठ ठ ठ सथापनम अतर मम सलिVविहतो भ भ षट सलिVलिधकरणम पषपाजलिल भिकषपत

सतवितलका छद

मन क विकार सब नाशन हत तरी

पजा परशात करती लगती न दरी

ह शानविनतनाथ भगन भतापहारी

सादर परणाम तमको अघ नाशकारी १

ॐ हरी मानलिसक विकारोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

ाणी पररयतनकत दोष विनारन को

पजा समथ भविजनम सधारन को

ह शानविनतनाथ भगन भतापहारी

सादर परणाम तमको अघ नाशकारी २

ॐ हरी ाचविनक विकारोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

कारया कठार कत पाप परणाशकारी

अचन सशN सतर परदोषहारी

ह शानविनतनाथ भगन भतापहारी

सादर परणाम तमको अघ नाशकारी ३

ॐ हरी कामिरयक-पापोदभोपदरविनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

राजरयशरी पर गह नाश सो होरय उपदर भारी

उनक नाशन हत परभ की पजा मगलकारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ४

ॐ हरी राज-लकषमी-पर-गह-पदभरCोद-भोपदर-विनारकारय शरी शानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पपारजिजत कम उदरय सो घोर विपलितत सता

लकषमी हीन दरिरदरी नर विनत तीवर महा दख पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ५

ॐ हरी दारिरदरोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भीम भगदर कC जलोदर आदिदक रोग घनर

वयालिध उपदर कम विनाशन हत जजो पद तर

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ६

ॐ हरी भीम-भगदर-गलिलतकषठ-गलम-जलोदर-रN-विपतत-कफ-ात-सफोटकादयप-दर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

इC विरयोग अविनC रयोग स जी महा दख पा

विनज परिरणवित को भल मोही आत रौदर उपजा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ७

ॐ हरी इCविरयोगाविनCसरयोगोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विनज सना ा पर सना कत घोर उपदर आ

धमाराधन रधवारयान विमख तब पराभिण महा दख पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ८

ॐ हरी सचकर-परचकरोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

नाना आरयध दह विनाशक घोर उपदर आ

आत रौदर की परिरणवित वयाप कोई नही बचा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार ९

ॐ हरी विविधारयधोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जलचर पराणी दC नकर औ मतसरय महा भरयकारी

कम उदरय जल बीच सतावयाकल हो नरनारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १०

ॐ हरी दCजलचरजीोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

न पत क मरधवारय चतषपद लिसह गजादिदक परानी

आकरामक न विनतरय सता कर दC मनमानी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ११

ॐ हरी वयाघर-लिसह-गजादिदक-न-पत-ालिसशवापदादयपदर-विनारकारय शरीशानविनत नाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भचर खचर करर जी कत तीवर उपदर आ

आशापाश बधा रयह पराणी परपरणवित लिलपटा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिNध क कत जिजनशवरलोकालोक विनहार १२

ॐ हरी भचर-गगनचर-करर-जीोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भीम भजगम भि क भीषण घोर विषल पराणी

विषम हलाहल दत दशन स पीडिbत हो जग पराणी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १३

ॐ हरी वयाल-भि कादिद-विष-ददरधरोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नख शगादिदक तीकषण विषल जीो क दखकारी

कम असाता पररिरत पराणी भगत दख अवित भारी

शानविनतनाथ क पद पकज जोमन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १४

ॐ हरी दCजी-पद-कर-नखोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

न पशओ क दाढ सीग नख अवित विकराल घनर

चच तb दतादिदक कत दख घोर असाता घर

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १५

ॐ हरी चच-तb-दाढ-कटकोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

दाानल न मरधवारय भरयकर खग मग कष जला

जी असाता कमदरय स घोर महा दख पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार१६

ॐ हरी दाानलोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

घोर परचb पन का दजरय ग भरयकर धा

सागर मरधवारय परचb लहर की भीम भर लहरा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १७

ॐ हरी परचणb-पनोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नौका पोत सफोट उदलिध म दारण दख परदाता

सागर मरधवारय पतन जब हो कम विपाक असाता

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १८

ॐ हरी नौका-सफोट-पतनोदभोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

न पत भमbल मरधवारय उदिदत उपदर भारी

परभ पजा स दर सभी हो फल हो मगलकारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार १९

ॐ हरी न-नग-मदिदनी-भरयकरोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

सरिरता सागर कप सरोर झील जलाशरय ापी

इनक उपसगreg स रकषण पाता पीडिbत पराणी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २०

ॐ हरी नदी-सरोरानधिEcirc-कप-हदोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विदयतपात भरयकर षा ओला पाला पानी

द विपाक अनक उपदर पीडा की मनमानी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २१

ॐ हरी विदयतपातादिद-भीमामब-षटयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

रयदधसथल क मरधवारय शतर दल श अनक चला

कम असात अकाल मरण दख सब ही पराणी पा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २२

ॐ हरी सगराम-सथलादिदविनकटोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

bाविकविन शाविकविन भत परत अर चोर विपशाच घनर

कमreg क परिरपाक विषम सो रहत विनशदिदन घर

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २३

ॐ हरी bाविकनी-शाविकनी-भत-विपशाचादिदभरय विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

उचचाटन सममोहन थमभन घोर उपदर आ

विदया दC विविध रपो म आकर विनतरय सता

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २४

ॐ हरी मोहन-सतमभनोचचाटन-परमख-दCविदयोपदर विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

दC नगरह कत पीडाए कम उदरय स आ

अजञानी मिमथरयाती मरख कगर कद मना

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २५

ॐ हरी दCगरहादयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लोह शखला क दढ बधन अग उपाग दखा

पीडिbत जी महा दख पाकर हाहाकार मचा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २६

ॐ हरी शखलादयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अलप आरय कत कम रयोग स जनम मरण दख भारी

मन म वयापत परचb विकलता दखिखरया सब ससारी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २७

ॐ हरी अलपमतरयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कम उदरय दरणिभकष उपदर अVाभा सता

जठरानल की भीषण जाला पराणी को विबलखा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २८

ॐ हरी दरणिभकषोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अतरारय रयह लाभ विरोधी कम उदरय जब आ

वयापारादिदक भिदध न हो धन समपलितत नशा

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार २९

ॐ हरी वयापारभिदध-रविहतरयोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

सबधी परिरार भरात सत बन अकारण बरी

घोर उपदर कर विनरतर वयाप विपद घनरी

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ३०

ॐ हरी बधतोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अकटमबी सतान विबना विनत अवित सकलभिशत हो

मिमथरया मोह उदरय स पररिरत पराणी रो धो

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ३१

ॐ हरी अकटमबतोपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

पाप उदरय अपकीरतित दखद हो आकलता उपजा

मन सताप महा दख जाला सब सख शानविनत जला

शानविनतनाथ क पद पकज जो मन मजिनदर म धार

मलिN ध क कत जिजनशवर लोकालोक विनहार ३२

ॐ हरी अपकीतररयपदर-विनारकारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

विशव विहतारय उदार भाना विनमल मगलकारी

समरयकदशन जञान चरिरत रयह हो सद विहतकारी

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३३

ॐ हरी समपणकलरयाण-मगलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लिचतामभिण क तलरय लाभपरद शानविनत परभ को रधवारया

कर अचना विनतरय चा स अवितशरय शभ फल पा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३४

ॐ हरी लिचतामभिणसमान-लिचवितत-फलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कलपकष क समफल दाता पाप-ताप विनशारय

शानविनत जिजनशवर का आराधन शभ मगल महकाए

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३५

ॐ हरी कलपकषोपमकचचिलपताथ-फलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कामधन क तलरय अनपम स मनोरथ दाता

रयही अचना मगलकारी सख आनद परदाता

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३६

ॐ हरी कामधनपमकामनापण-फलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

परम समजजल रधवारयान धर तो मट पथ की बाधा

रयही अचना मगलकारी हर लती दख बाधा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३७

ॐ हरी परमोजजल-धमरधवारयान-बाधारविहतारय-अनदयबोधपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

तरलोकरय क सब पराभिणरयो को नतर का उतस कर

मनलिसज सदश सौनदरय पा जो परभ पजा कर

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३८

ॐ हरी कामदसरपपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कपर चदन अगर पकज तलरय सरभिभत दह हो

रयदिद शानविनत जिजन की अचना म अमल विन ल नह हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ३९

ॐ हरी सगलिधतशरीरपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भवयामबजो को विनत परफडिललतनाथ का भामणbलम

रवि रडिशमत करता परकाभिशत शानविनतजिजन गणमbलम

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४०

ॐ हरी तरलोकरयनाथाहलाद-कारक-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कषीर सागर की समजजल अमल लहरो स धल

दता गात विनरतर आपक सदगण विमल

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४१

ॐ हरी परमोजजल-गणगण-सविहत-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

ाचसपवित क तलरय विनमल विशद-परवितभादामिरयविन

आपकी ह अचना जरयो परणिणमा की चादनी

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४२

ॐ हरी ाचसपवितसमान-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

नविनलिध चतदश रतन का सामिमत जो चकरश को

नर द इदर नरनदर दिदत पजता तीथश को

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरीशानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४३

ॐ हरी चकररतित-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अनघररयपद-परापतरय अघररय विनपामीवित साहा

दोनो कलो की कीरतित को विनज गण विभविषत जो कर

मलिN रमा रती उनह जो शानविनतजिजन पजा कर

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४४

ॐ हरी उभरयकल-कमल-विकासन-परवितविषठत-गणमचचिणbतारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अचना शभभा स अरिरहत की जो विनत कर

शराकोततम वरतधरन सद बभिदध को नर र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४५

ॐ हरी शराक-सततकरण-बभिदधपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शारदी न जरयोतसना सम कीरतित का विसतार हो

परभ अचना ही मातर इक जो पराण का आधार हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४६

ॐ हरी परमोजजल-कीरतितपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

कलरयाण कतररी राज लकषमी धनद सम नर र

जिजन राज की शभ भाना स जो सतत पजा कर

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४७

ॐ हरी कलरयाणकर-राजधनदसम-लकषमीपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

वितरय_च नारक भ कभी जिजन भN को मिमलता नही

नर द भ शभ लोक म परभ भN पात हर कही

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४८

ॐ हरी नरक-वितरय_च-गवितरविहत-नर-सर-गवितसविहत-भपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

भाना षोbश विमल परभ अचना स परापत हो

तीथ_कर पदी मिमल जिजसस विक विन रय आपत हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ४९

ॐ हरी षोbशकारण-भाना-साधन-बलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

लोक दलभ सपन सोलह नाथ माता दखती

एक जननी पद परस पजा सविहत अलोकती

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५०

ॐ हरी जिजनजननी-तलरयकजननी-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

तीथश न सर शल पर होता विशद अभिभषक ह

जिजन अचना का हदरय जिजनक परकट विमल विक ह

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश कीम विनत कर आराधना ५१

ॐ हरी मरभिशखर-सनानरयN-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

ससार भोग शरीर स विनद दीकषा दारयकम

नर जनम परभ की अचना स मिमल शभभिश कारकम

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५२

ॐ हरी लिसदधसाभिकष-दीकषाकारिर-भपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजन चदर क सालोक शासन क असीम परभा स

सहनन जर षभ तथा नाराच पजन भा स

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५३

ॐ हरी जरषभनाराच-सहनन-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

रतनतररयामत स विभविषत रधवारयान क उपरयोग स

विनमल रयथा विखरयात हो जिजन अचना क रयोग स

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५४

ॐ हरी रयथाखरयात-रतनतररयाचरण-रयN-बलपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विनज रधवारयान म तललीन आतम साद अमत चख सक

तीथश शानविनत जिजनश पजन स विनजातम लख सक

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५५

ॐ हरी सातम-रधवारयानामत-सादसविहत-भपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

राजती बारह सभा जिजन समसरण सदा

तरलोकरय पवित की अचना स परापत होती सख परदा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५६

ॐ हरी समसरण-विभवित-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजनराज परभ की दिदवय रधवाविन दिदनरात म चौबार हो

जिजसका शरण कर भविक को कलरय अपरपार हो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५७

ॐ हरी सतकलजञान-विभवित-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अC कमreg स रविहत गण अC रयत परमातमा

विनभरय विनरजन लिसदध पद पाता सधी धमातमा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५८

ॐ हरी विनरजन-पदपरदारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

लिचतत को आनद दती नाथ की दिदवयाचना

परभ क पजारी की कर सर लोक म सर दना

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ५९

ॐ हरी लिचदानद-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजनक विमल मखचदर स अमतचन अनपम झर

तरलोकरय की विनलिधरया सकल परभ क पजारी को र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६०

ॐ हरी चनानद-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

जिजननाथ क तन की अलौविकक दिदवय अण अण की परभा

दखकर होती परफडिललत हष स बारह सभा

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६१

ॐ हरी कारयानद-करण-समथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

साथ गreg का परशाधक नाथ मनसा लिचतनम

तीथश की दिदवयाचना का ह महत अवितशरय फलम

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश कीम विनत कर आराधना ६२

ॐ हरी अथग-लिसभिदध-साधन-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

परभ क गणो का ससतन विनज ाभिण ीणा स कर

काम ग परसालिधनी उतकC मविहमा को र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना६३

ॐ हरी कामग-लिसभिदध-साधन-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

जिजननाथ पजा स सफल विनज दह को जो नर कर

आ रय करया रयदिद मोकष लकषमी को सहज ही र

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६४

ॐ हरी मोकष-परषाथ-लिसभिदध-साधन-करणसमथारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विन साहा

विनरचिलपत शरी जिजनराज चौसठ ऋभिदधरयो क नाथ ह

शत इदर क झकत सतत पद पकजो म माथ ह

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश कीम विनत कर आराधना ६५

ॐ हरी चतषविषठ-ऋभिदधसमानागारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

शत एक विशवित तीथकर जिजनचदर की पजा करो

विरघयनौघ क शानतरयथ म पणाघररय चरणो म धरो

तीथश चविकर अनग पद भविषत परभ की अचना

शरी शानविनतनाथ जिजनश की म विनत कर आराधना ६६

ॐ हरी शतकिशवित-कोषठ-सथाविपतारय शरीशानविनतनाथारय अघररय विनपामीवित साहा

अरिरहत क अवितरिरN कोई ह नही जग म शरण

ससार सागर म परभ क चरण ह तारण तारण

इतीCपराथना कता पषपाजिल भिकषपत

(विनमनाविकत मतर का १०८ बार जाप रया आहवितरया द)

ॐ हरी जगचछानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय नम सपदर-शानतिनत कर कर साहा

जरयमाला

शानविनतनाथ भगान क गण ह अपरपार

विनराधार ससार म भNो क आधार १

पचम शरी चकरीश ह ादश रवितनाथ

षोbश तीथश को सदा नाऊ माथ २

पदधरिर छनद

जरय शानविनत परभो लिचदरपराज जग जल विनलिध म अदभत जहाज

जरय कम विनाशक शानविनतनाथ जरय विरघयन विनाशक शानविनतनाथ

जरय गण ारिरलिध ह शानविनतनाथ जरय मलिNध क पराणनाथ

जरय आतम विहतकर शानविनतनाथ जरय कम विनाशक शानविनतनाथ

जरय पाप विनाशक शानविनतनाथ भनतररय-जञारयक शानविनतनाथ

जरय समरयक दारयक शानविनतनाथ भिशमाग-विधारयक शानविनतनाथ

जरय भगहभजन शानविनतनाथ जरय अलख विनरजन शानविनतनाथ

जरय ऐरासत शरी शानविनतनाथ वितरभनतराता विहत शानविनतनाथ

जरय शानविनतनाथ भिश क दारयक जरय विहत-सदशक अघहारक

जरय जनम-जरा-मत-सहारक जरय रोगशोक हर सखदारयक

भिश सख क साधन शानविनतनाथ भ भरय क भजक शानविनतनाथ

जरय मानबली क मद मदक जरय शानविनतनाथ गण गणधक

कमreg क दख सहारक हो भरय भत विपशाच विनारक हो

नगरहकत बाधा दर करो वयालादिद विपवित चकचर करो

जरय भवय सरोज दिदाकर हो जरय भिश सख पदम परभाकर हो

भवि जीन तारण कारण हो शरी शानविनतनाथ भिश नारयक हो

ॐ हरी जगचछानविनतकरारय शरीशानविनतनाथारय जरयमाला-पणाघररय विनपामीवित साहा

नम

ॐ हरी शरीमनत भगनत कपालसनत शरीषभादिद ndash महाीरपरयनत-चतरविशवित -तीथङक iuml रपरमद आदयाना आदय जमबीप भरतकषतर आरयखणb helliphelliphelliphelliphelliphelliphellipनानविमन नगरhelliphelliphelliphelliphellipमासानामततमhelliphellip मास शभपकष helliphellipवितथौhelliphellip ासरhelliphellip मनरयारयिरयका-शराक-शराविकाणा सकलकमकषरयाथ_ अनघपदपरापतरय समपणाघररय विनपामीवित साहा

चतरतिवश तीरथsकर सवतित पाठशरीषभो नः सचचिसत सचचिसत शरीअजिजतः |

शरीसभः सचचिसतसचचिसत शरीअभिभनदनः |शरीसमवितः सचचिसत सचचिसत शरीपदमपरभः |शरीसपाशवः सचचिसत सचचिसत शरीचनदरपरभः |शरीपषपदतः सचचिसत सचचिसत शरीशीतलः |शरी शररयानसः सचचिसत सचचिसत शरीासपजरयः | शरीविमल सचचिसत सचचिसत शरीअनतः |शरीधमः सचचिसत सचचिसत शरीशानविनतः |शरीकथः सचचिसत सचचिसत शरीअरहनाथः |शरीमडिललः सचचिसत सचचिसत शरीमविनसवरतः |शरीनमिमः सचचिसत सचचिसत शरीनमिमनाथः |शरीपाशवः सचचिसत सचचिसत शरीदधमानः |

इवित शरीचतरविशवित तीथ_कर-सचचिसत मगल विधान पषपाजलिल भिकषपामिम |

तिनवा13ण काडदोहा

ीतराग दौ सदा भासविहत लिसरनारयकह काb विनाण की भाषा सगम बनारय

अCापद आदीशवर सामी बास पजरय चपापरनामीनमिमनाथसामी विगरनार दो भा भगवित उरधार १

चरम तीथ_कर चरम शरीर पाापरी सामी महाीरभिशखर सममद जिजनसर बीस भा सविहत दौ विनशदीस २

रदतरारय रइद मविनद सारयरदतत आदिदगणदनगरतारर मविन उठकोविb दौ भा सविहत करजोविड ३

शरी विगरनार भिशखर विखरयात कोविb बहततर अर सौ सातसब परदमन कमार भारय अविनरदध आदिद नम तस पारय ४

रामचदर क सत ीर लाbनरिरद आदिद गण धीरपाचकोविड मविन मलिN मझार पााविगरिर बदौ विनरधार ५

पाb तीन दरविb राजान आठकोविड मविन मलिNपरयानशरी शतरजरय विगरिर क सीस भा सविहत दौ विनशदीस ६

ज बलभदर मलिN म गए आठकोविड मविन औरह भरयशरी गजपथ भिशखर सविशाल वितनक चरण नम वितह काल ७

राम हण सगरी सbील गगाखरय नीलमहानीलकोविड विनणरयान मलिN परयान तगीविगरी दौ धरिररधवारयान ८

नग अनग कमार सजान पाच कोविड अर अध परमानमलिN गए सोनाविगरिर शीश त दौ वितरभनपवित इस ९

राण क सत आदिदकमार मलिN गए रातट सारकोविड पच अर लाख पचास त दौ धरिर परम हलास १०

रा नदी लिसदधरकट पभि म दिदशा दह जहा छट चकरी दश कामकमार उठकोविड दौ भपार ११

बडानी बडनरयर सचग दभिकषण दिदभिश विगरिरचल उतगइदरजीत अर कभ ज कण त दौ भसागर तण १२

सरण भदर आदिद मविन चार पााविगरिरर भिशखर मझारचलना नदी तीर क पास मलिN गरय बदौ विनत तास १३

फलहोडी बडगराम अनप पभि म दिदशा दरोणविगरिर रपगर दततादिद मविनसर जहा मलिN गए बदौ विनत तहा १४

बाली महाबाली मविन दोरय नागकमार मिमल तररय होरय

शरी अCापद मलिN मझार त बदौ विनतसरत सभार १५

अचलापर की दशा ईसान जहा मढविगरिर नाम परधानसाड तीन कोविड मविनरारय वितनक चरण नम लिचतलारय १६

शसथल न क दिढग होरय पभि म दिदशा कनथविगरिर सोरयकलभषण दिदभिशभषण नाम वितनक चरणविन कर परणाम १७

जशरथराजा क सत कह दश कलिलग पाच सो लहकोदिटभिशला मविनकोदिट परमान दन कर जौर जगपान १८

समसरण शरी पाशवजिजनदर रलिसदीविगरिर नरयनानदरदततादिद पच ऋविषराज त दौ विनत धरम जिजहाज १९

सठ सदशन पटना जान मथरा स जमब विनाणचरम कलिल पचमकाल त दौ विनत दीनदरयाल २०

तीन लोक क तीरथ जहा विनत परवित दन कीज तहामनचकारय सविहत लिसरनारय दन करविह भविक गणगारय २१

सत सतरहसो इकताल आभिशवन सदी दशमी सविशालlsquoभरयाrsquo दन करविह वितरकाल जरय विनाण काb गणमाल २२

सवयमभ सतोS किहदीसवयभसतोS-भारषा

रमल (ससकत) रचना आचाय13 सरमतभदरभारषा (तिहनदी) अनवाद कतिवशरी दयानतरायतिवदवानो योतिगयो और तयागी-तपबधिसवयो क पजय सवारमी आचाय13 सरमतभदर सोतसाह रमतिन जीवन वयतीत कर रह रथ उस सरमय असाता वदनीय करम13 क परबल उदय स उनह lsquoभसरमकrsquo नारम का रमहारोग हो गया रमतिनचया13 क दौरान इस रोग का शरमन होना असभव जानकर उनहोन अपन गर स सAलखना धारण करन की आजञा चाही| गर रमहाराज न कहा तिक आप क दवारा जिजन-शासन की तिवशरष परभावना होनी ह सAलखना का सरमय अभी नही आया हरोग-शरमन हत पौमिषटक भोजन की आजञा लकर आपन दिदगमबर वरष का तयाग तिकया और काची रम रमशिलन वरषधारी दिदगमबर रह राजा न उनह सही-सही परिरचय बतान क शिलए कहा सरमतभदर न कहा तिक रम आचाय13 ह शासSारचिरथयो रम शरषठ ह पलपिणडत ह जयोतितरषी ह वदय ह कतिव ह रमातिSक-तातिSक ह ह राजन इस सपण13 पथवी रम रम आजञा शिसदध ह अमिधक कया कह शिसदध सारसवत ह और अब आपक समरमख जन-वादी खड़ा ह जिजसकी शशिकत हो रमझस शासSारथ13 कर लउनहोन चौबीस तीरथक13 रो का सतवन शर तिकया जब व आठव तीरथsकर चनदरपरभ का सतवन कर रह रथ तब चनदरपरभ भगवान की रमरतित परकट हो गरइ13इ सतवन पण13 हआ यह सतवन lsquoसवयभसतोSrsquo क नारम स परशिसदध ह यह करथा बर नमिरमदतत करथाकोश क आधार पर ह

(चौपारइ13इ छनद)राजतिवरष जगलतिन सख तिकयो राजतयाग भतिव शिशवपद शिलयो |सवयबोध सवयभ भगवान वद आदिदनारथ गणखान ||१||

इनदर कषीरसागर जल लाय रमर नहवाय गाय बजाय |रमदन तिवनाशक सख करतार वद अजिजत अजिजत-पदकार ||२||

शकलधयान करिर कररम तिवनाशिश घातित-अघातित सकल दख राशिश |लहयो रमकतितपद सख अतिवकार वद सभव भव-दख टार ||३||

रमाता पभिशचरम रयन रमझार सपन दख सोलह सार |भप-पशिछ फल सतिन हररषाय वद अभिभनदन रमन लाय ||४||

सब कवादवादी सरदार जीत सयादवाद-धतिन धार |जनधररम-परकाशक सवारम सरमतितदव पद करह परणारम ||५||

गभ13 अगाऊ धनपतित आय करी नगर-शोभा अमिधकाय |बरस रतन पचदश-रमास नरम पदरमपरभ सख की राश ||६||

इनदर फणीनदर नरनदर तिSकाल बानी सतिन-सतिन होकिह खशाल |दवादश सभा जञान-दातार नरम सपारसनारथ तिनहार ||७||

सगन शिछयाशिलस ह तरम रमाकिह दोरष-अठारह कोऊ नाकिह |रमोह-रमहातरम-नाशक दीप नरम चदरपरभ राख सरमीप ||८||

दवादशतिवध तप कररम तिवनाश तरहतिवध-चारिरS परकाश |तिनज अतिनचछ भतिव इचछकदान वद पषपदत रमन-आन ||९||

भतिव-सखदाय सरग त आय दशतिवमिध धररम कहयो जिजनराय |आप-सरमान सबतिन सख दह वद शीतल धरम13-सनह ||१०||

सरमता-सधा कोप-तिवरष-नाश दवादशाग-वानी परकाश |चार सघ-आनद-दातार नरम शरयास जिजनशवर सार ||११||

रतनSय शिसरा रमकटा तिवसाला सोभ काता सगना रमभिण रमाला रमशिकतनारा भतता13 भगवान वासपजय वद धारा धयाना 12

पररम सरमामिध-सवरप जिजनश जञानी-धयानी तिहत-उपदश |करम13 नाशिश शिशव-सख-तिवलसत वद तिवरमलनारथ भगवत ||१३||

अतर-बातिहर परिरगरह टारिर पररम दिदगबर-वरत को धारिर |सव13जीव-तिहत-राह दिदखाय नरम अनत वचन रमनलाय ||१४||

सात तततव पचासतितकाय नव-पदारथ13 छह दरवय बताय |लोक अलोक सकल परकाश वद धरम13नारथ अतिवनाश ||१५||

पचरम चकरवरतित तिनमिधभोग कारमदव दवादशरम रमनोग |शातितकरण सोलरम-जिजनराय शातितनारथ वद हररषाय ||१६ ||

बह रथतित कर हररष नकिह होय किनद दोरष गह नकिह कोय |शीलवान परबरहम-सवरप वद करथनारथ शिशवभप ||१७||

दवादश-गण पज सखदाय रथतित-वदना कर अमिधकाय |जाकी तिनज-रथतित कबह न होय वद अर जिजनवर-पद दोय ||१८||

परभव रतनSय-अनराग इहभव बयाह-सरमय वराग |बाल-बरहम-परन-वरत धार वद रमलपिAलनारथ जिजनसार ||१९||

तिबन उपदश सवय वराग रथतित लोकात कर पग लाग |नरम शिसदध कतिह सब वरत लकिह वद रमतिनसवरत वरत दकिह ||२०||

शरावक तिवदयावत तिनहार भगतित-भाव सो दिदयो अहार |बरसी रतन-राशिश ततकाल वद नमिरम परभ दीनदयाल ||२१||

सब जीवतिन की बदी छोतिड़ राग-दवरष दव-बधन तोर |राजल तजिज शिशव-तितय सो मिरमल नमिरमनारथ वद सख तिनल ||२२||

दतय तिकयो उपसग13 अपार धयान दगनिख आयो फतिनधार |गयो करमठ-शठ रमख कर शयारम नरम रमरसरम पारस सवारम ||२३||

भव-सागर त जीव अपार धररम-पोत रम धर तिनहार |डबत काढ़ दया-तिवचार वदध13रमान वद बह-बार ||२४||

(दोहा)चौबीसो पद-करमल-जग वद रमन वच काय |lsquoदयानतrsquo पढ़ सन सदा सो परभ कयो न सहाय |

दिदपतरयौहार ससकवित और सभरयता क परतीक ह तथा उनका समबनध भी पराचीन महततपण घटनाओ स जbा हआ ह| दीपाली हमार दश का परलिसदध तरयौहार ह| सभी लोग इस परम और उतसाह स मनात ह| इसस कई धम की कथारय जbी ह| कहा जाता ह विक मरयादा परषोततम शरी राम चनदर जी ारा दशहर क दिदन राण का ध करक इस दिदन अरयोरधवारया पधार थ पर विानो का मत ह विक इसका कोई शासतरीरय आधार नही ह| इसी दिदन शरी कषण जी न नरकासर का ध विकरया था| सतरही शताबदी म लिसखो क छठ गर शरी हरगोविबनद लिसह जी मगल बादशाह की कद स छट थ| इसी दिदन उVसी शताबदी म आरय समाज क ससथापक सामी दरयानद सरसती न तथा सामी रामकषण परम हस न शरीर तरयाग विकरया था| इस परकार सभी धम म अपनी-अपनी मानरयतानसार इस वितलिथ का महतत ह| मगर इस प का सीधा और सचचा समबनध जन धम क 24 तीथ_कर भगन महाीर सामी जी स ह| कारतितक कषण अमासरया की सपरभात की शभ बला म भगन महाीर सामी न चारो अघवितरया कमreg को भी नC करक विनाण परापत विकरया था| भगान क विनाण कलरयाणक की इनदरादिद न आकर बड धम धाम स पजा की थी| समराट शरभिणक आदिद नरनदरो न भी अपनी परजा क साथ महान विनाणोतस मनारया था| तभी स रयह प मनारया जाता ह| जन धम विकसी जावित ण सपरदारय रया पथ विशष का नाम नही ह करयोविक जन धम का परवितपादन करन ाल सभी 24 तीथ_कर कषवितररय थ और उनक अलिधकाश भिशषरय बराहमण थ| जन धम उस सत सरप का परवितपादन करता ह जो अनादिदकाल स ह और अनतकाल तक रहगा| जन धम पराणी मातर का धम ह| तीथ_कर महाीर न मान जीन की परतरयक विकररया को अविहसा क माप दb ारा मापा ह| एक जनम की साधना स कोई तीथ_कर नही बन सकता रयह तो अनक भो की साधना का फल ह| इस पद को पाना कोई साधारण बात नही इसक लिलए आतमा का पण विकास और परम विशभिदध आशरयक ह| भगान महाीर का सनदश कल विशववयापी ही नही अविपत साजाविनक और सकालिलक भी ह| उनक सनदश को हम रयदिद सकषप म कह तो विचारो म अनकात ाणी म सरयादाद आचरण म अविहसा और वयहार म अपरिरगरह क रप म वयN कर सकत ह|

इस पनीत भारत सधरा पर अबस 2600 ष पहल विबहार क कणbलपर गराम म माता वितरशला (विपररयकरिरणी) की ककषी स भगान महाीर न जनम लिलरया था| घर म रहत हए भी धमान सामी अतरयत विनरचिलपत रहत थ| कभी-कभी भोजन करत चलत विफरत हए भी अनतासतत म विनमगन हए परतीत होत थ| जब सामामिरयक म होत थ तो उनकी विनशछल शात मदरा दखत ही बनती थी| अपन जीन म उनहोन अविहसा विशवमतरी और आतमोदधार का उतकC आदश उपडिसथत विकरया था| ह आजनम बरहमचारी रह 30 ष की भरी जानी म उनहोन दीकषा ली| 12 ष की कठोर साधना क उपरात दधर तपकर 42 ष की आरय म आतमा क परबल शतर चार घावितरया कम का नाश कर लोका लोक परकाशक कल जञान परापत कर लिलरया और भवय जीो को दिदवय-रधवानी ारा आतमा क उदधार का माग बतारया| 72 ष की आरय क अत म कारतितक कषण अमासरया को परात काल मोकष लकषमी को परापत विकरया| उसी दिदन शाम को भगान क परथम गणधर शरी गौतम सामी को कल जञान परापत हआ था| तब दो न आकर कल जञान रपी लकषमी की पजा की थी| गणनाम ईशा = गणश गणधरा रय दोनो परयारयाची नाम गौतम सामी क ही ह| तब स इन दोनो आतमाओ महाीर सामी और गौतम सामी की समवित म रयह दीपाली प समसत भारत ष म मनारया जाता ह| भगान महाीर सामी क विनाण क उपलकषरय म लोग परातकाल सतवित पाठ पढत ह| मजिनदर जी म जाकर विनाण पजा विनाण काb महाीराCक पढकर विनाण लाb चढात ह| अपन घरो को खब सजात ह परसपर मिमतरो और समबनधिनधरयो म मिमठाई बाटत ह| सरधवारया क समरय पजरय गौतम सामी क कल जञान कलरयाणक की खशी म जलती दीपो की पलिNरयो स घर क अनदर और बाहर रौशनी करत ह| भजन आरती करक भगान क गणो का गान करत ह| सचची लकषमी तो आतमा क गणो का पण विकास कल जञान हो जाना तथा मोकष परानविपत ही ह| हम उस दिदन महाीर सामी गौतम सामी और कल जञान रपी लकषमी की पजा करनी चाविहए| इन गणो की पजा करन स रपरया पसा आदिद सासारिरक लकषमी परापत होना तो साधारण सी बात ह| जन धम अविहसा परधान धम ह| इस धम क अनसार धारयिमक प की तो बात ही करया लौविकक कारय म भी विहसा को कोई सथान नही ह| लोग तो आवितशबाजी छbाकर दिदाली मनात ह मगर इस कारय म असखरयात जीो की विहसा होना साभाविक ही ह| अत इस दिदन महाीर भगान क विनाण कलरयाणक क पान असर पर आवितशबाजी छbाना पणतरया बद होना चाविहए| अविहसा परमोधम रयतोधम सतोजरय

कछ लोग इस पवितर दिदन जआ खलत ह रयह मिमथरयात पोषक कपरथा तथा अधारयिमक परवित ह| हम शासतरानसार समरयक दशन को पC करन ाली विकररयाओ ारा दीपाली मनानी चाविहए| इस उपरयN उददशरय को बहत लोग जानकार भी रपरयो-पसो की पजा करत ह रयह उनकी विनतात भल ह| उनह रयह ासतविक रहसरय को समझ लना चाविहए विक धन का लाभ तो लाभ अनतरारय कम क कषरयोपशरय स होता ह और लाभतरारय कम का कषरयोपषम शभ विकररयाओ स ही हो सकता ह| रपरया पसो की पजा स नही| दीपाली हमारा राषटरीरय प ह सभी का तरयौहार ह अत हम इस प को बडी शरदधा और भलिN स मनाना चाविहए| दीपाली प कस मनारय -

परात काल सनानादिद करक पवितर सतर पहनकर जिजननदर द क मदिदर जी म परीार क साथ पहचकर जिजननदर द की पजा दना करनी चाविहए| भगान महाीर सामी की पजन करक विनाण काb पढन क बाद महाीर सामी क मोकष कलरयाणक का अघ बोलकर विनाण लाb अघ सविहत चढाना चाविहए|

सरसवती पजादोहा

जनम जरा मत कषरय कर हर कनरय जb रीवित

भ सगरसो ल वितर पज जिजन च परीवित

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसतरय पषपाजलिल विनपामीवित साहा

छीरो दमिध गगा तिवरमल तरगा सशिलल अभगा सख सगा

भरिर कचन झारी धारी तिनकारी तरषा तिनवारी तिहत चगा

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती-दवय जल विनपामीवित साहा

कर-पर रमगाया चनदन आया कशर लाया रग भरी

शारत-पद वदो रमन अभिभनदो पाप तिनकदो दाह हरी

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय चदनम विनपामीवित साहा

सख दास करमोद धारक रमोद अतित अन रमोद चद-सरम

बह भशिकत बढ़ाई कीरतित गाई होह सहाई रमात रमरम

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय अकषतान विनपामीवित साहा

बह फल सवास तिवरमल परकाश आनद रास लाय धर

रमरम कारम मिरमटायो शील बढ़ायो सख उपजायो दोरष हर

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय पषप विनपामीवित साहा

पकवान बनाया बह धत लाया सब तिवध भाया मिरमषठ रमहा

पज रथतित गाऊ परीतित बढ़ाऊ कषधा नशाऊ हरष13 लहा

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय नरधवारयम विनपामीवित साहा

कर दीपक जोत तन कषय होत जयोतित उदोत तरमकिह चढ़

तरम हो परकाशक भररम तिवनाशक हरम घट भासक जञान बढ़

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय दीप विनपामीवित साहा

शभ गध दशोकर पाव करम धर धप रमनोहर खवत ह

सब पाप जलावपणय करमाव दास कहाव सवत ह

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय धपम विनपामीवित साहा

बादारम छहारी लोग सपारी शरी फल भारी Aयावत ह

रमन वाशिछत दाता रमट असाता तरम गन रमाता धयावत ह

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय फलम विनपामीवित साहा

नयनन सख कारी रमद गन धारी उजजवल भारी रमोल धर

शभ गध समहारा वसन तिनहारा तरम तन धारा जञान कर

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय अरघयरयम विनपामीवित साहा

जल चदन अकषत फल चर अर दीप धप अतित फल लाव

पजा को ठानत जो तरम जानत सो नर दयानत सख पाव

तीरथsकर की धवतिन गण धर न सतिन अग रच चतिन जञान रमई

सो जिजनवर वानी शिशव सख दानी तिSभवन-रमानी पजय भई

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय अरघयरयम विनपामीवित साहा

जयरमाला

सोरठा

ओकार धवतिन सार दवाद-शाग वाणी तिवरमल

नरमो भशिकत उर धार जञान कर जड़ता हर

पहलो आचा रग बखानो पद अषटा-दश सहस पररमानो

दजो सS कत अभिभलारष पद छततीस सहस गर भारष

तीजो ठाना अग सजान सहस बयाशिलस पद सरधान

चौरथो सरम वायाग तिनहार चौसठ सहस लाख इक धाररम

पचरम वयाखया परजञपतिपत दरस दोय लाख अटठाइस सहस

छटठो जञात करथा तिवसतार पाच लाख छपपन हजजार

सपतरम उपास काधय नग सततर सहस =यार लख भग

अषटरम अत कत दस ईस सहस अठाइस लाख तईस

नवरम अनततर दश सतिवशाल लाख बानव सहस चवाल

दशरम परशन वयाकरण तिवचार लाख तितरानव सोल हजार

=यारस सS तिवपाक स भाख एक कोड चौरासी लाख

चार कोतिड़ अर पदरह लाख दो हजार सब पद गर शाख

दवादश दमिषट वाद पन भद इक सो आठ कोतिड़ पन वद

अड़सठ लाख सहस छपपन ह सतिहत पच पद मिरमथया हन ह

इक सौ बारह कोतिड़ बखानो लाख तितरासी ऊपर जानो

ठावन सहस पच अमिधकान दवादश अग सव13 पद रमान

साढ़ इकावन आठ तिह लाख सहस चरासी छह सौ भाख

साढ़ इकीस शलोक बताय एक एक पद क य गाय

दोहा

जा बानी क जञान त सझ लोक अलोक

जञानत जग जय-वत हो सदा दत ह धोक

ॐ हरी शरी जिजन मखोदभ सरसती दवय महारघयरयम विनपामीवित साहा

अघा13वलीविरधवारयमान बीस तीथ_कर अघ

जल फल आठो दरवय अरघ कर परीवित धरी हगणधर इनदरनह त थवित परी न करी ह दयानत सक जानक (हो) जगत लह विनकार

सीमधर जिजन आदिद द बीस विदह मझार शरी जिजनराज हो भ तारण तरण जहाज

ॐ हरी विदयमानविशविततीथ_करभरयः अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 1

कवितम-अकवितम चतरयालरय अघ

कतयाकतिSरम-चार-चतय-तिनलयान तिनतय तिSलोकी-गतानवद भावन-वयतर-दयतितवरान सवगा13रमरावासगान सदगधाकषत-पषप-दारम-चरकः सददीपधपः फलरनीरादयशच यज परणमय शिशरसा दषकरम13णा शातय

ॐ हरी वितरलोक समबनधिनध कवितरमाकवितरम-चतरयालरयभरयः अरघयरय_ विनपामीवित साहा 2

लिसदध परमषठी अघ

गनधाढय सपयो रमधवरत-गणः सग वर चनदन पषपौघ तिवरमल सदकषत-चय रमय चर दीपकरम धप गनधयत ददामिरम तिवतिवध शरषठ फल लबधय शिसदधाना यगपतकररमाय तिवरमल सनोततर वालपिञछतरम

ॐ हरी शरीलिसदधचकरालिधपतरय लिसदधपरमविषठन अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 3

तीस चौबीसी का अघ

दरवय आठो ज लीना ह अघ13 कर रम नवीना ह

पजता पाप छीना ह भानरमल जोड़ तिकना ह

दीप अढ़ाई सरस राज कषS दस ता तिवरष छाज

सातशत बीस जिजनराज पजता पाप सब भाज

ॐ हरी पञचभरत-पचरात-समबनधी-दशकषतरानतगत-भत-भविषरयत-तमान-समबनधी-तीस-चौबीसी क सात सौ बीस जिजनदरभरयो-अघयम विनपामिमवित साहा 4

शरी आदिदनाथ जी अघ

शशिच तिनरम13ल नीर गध सअकषत पषप चर ल रमन हरषा13य

दीप धप फल अघ13 सलकर नाचत ताल रमदग बजाय

शरी आदिदनारथ क चरण करमल पर बशिल बशिल जाऊ रमन वच काय

ह करणातिनमिध भव दःख रमटो यात रम पजो परभ पाय

ॐ हरी शरी आदिदनाथजिजननदरारय अनघपदपरापतारय अघ_ विनपामिमवित साहा 5

शरी अजिजतनाथ जी अघ

जलफल सब सजज बाजत बजज गनगनरजज रमनरमजज तअ पदजगरमजज सजजन जजज त भवभजज तिनजकजज शरी अजिजत जिजनश नतनाकश चकरधरश ख=गश रमनवाशिछतदाता तिSभवनSाता पजौ खयाता ज=गश ॐ हरी शरीअजिजतनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 6

शरी समभनाथ जी अघ

जल चदन तदल परसन चर दीप धप फल अघ13 तिकया तरमको अरपौ भाव भगतितधर ज ज ज शिशव ररमतिन तिपया सभव जिजन क चरन चरचत सब आकलता मिरमट जाव तिनज तिनमिध जञान दरश सख वीरज तिनराबाध भतिवजन पाव ॐ हरी शरीसभनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 7

शरी अभिभननदन नाथ जी अघ

अषट दरवय सवारिर सनदर सजस गाय रसाल ही नचत रजत जजौ चरन जग नाय नाय सभाल ही कलरषताप तिनकद शरीअभिभननद अनपरम चनद ह पद वद वनद जज परभ भवदद फद तिनकद ह ॐ हरी शरीअभिभननदन जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 8

शरी समवितनाथ जी अघ

जल चदन तदल परसन चर दीप धप फल सकल मिरमलाय नाशिच राशिच शिशरनाय सरमरचौ जय जय जय 2 जिजनराय हरिरहर वदिदत पापतिनकदिदत सरमतितनारथ तिSभवनक राय

तरम पद पदम सदम शिशवदायक जजत रमदिदतरमन उदिदत सभाय ॐ हरी शरीसमवितनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 9

शरी पदमपरभ जी अघ

जल फल आदिद मिरमलाय गाय गन भगतित भाव उरमगाय जजौ तरमकिह शिशवतितय वर जिजनवर आवागरमन मिरमटाय रमन वचन तन Sयधार दत ही जनरम-जरा-रमत जाय पजौ भाव सो शरी पदरमनारथ पद-सार पजौ भाव सो ॐ हरी शरीपदमपरभजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 10

शरी सपाशवनाथ जी अघ

आठो दरब साजिज गनगाय नाचत राचत भगतित बढ़ाय दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो तरम पद पजौ रमनवचकाय दव सपारस शिशवपरराय दया तिनमिध हो जय जगबध दया तिनमिध हो ॐ हरी शरीसपाशवनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 11

शरी चदरपरभ जी अघ

सजिज आठो दरब पनीत आठो अग नरमौ

पजौ अषटरम जिजन रमीत अषटरम अवतिन गरमौ

शरी चदरनारथ दतित चद चरनन चद लस

रमन वच तन जजत अरमद-आतरम-जोतित जग

ॐ हरी शरीचनदरपरभ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 12

शरी पषपदत जी अघ

जल फल सकल मिरमलाय रमनोहर रमनवचतन हलसाय

तरम पद पजौ परीतित लाय क जय जय तिSभवनराय

रमरी अरज सनीज पषपदनत जिजनराय रमरी अरज सनीज

ॐ हरी शरीपषपदनत जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 13

शरी शीतलनाथ जी अघ

शभ शरी-फलादिद वस परासक दरवय साज

नाच रच रमचत बजजत सजज बाज रागादिददोरष रमल रमदद13न हत यवा

चचAElig पदाबज तव शीतलनारथ दवा

ॐ हरी शरीशीतलनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 14

शरी शररयासनाथ जी अघ

जलरमलय तदल सरमनचर अर दीप धप फलावली

करिर अरघ चरचौ चरन जग परभ रमोतिह तार उतावली

शरयासनारथ जिजननद तिSभवन वनद आननदकनद ह

दखदद फद तिनकद परनचनद जोतितअरमद ह

ॐ हरी शरीशररयासनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 15

शरी ासपजरय जी अघ

जल फल दरव मिरमलाय गाय गन आठो अग नरमाई

शिशवपदराज हत ह शरीपतित तिनकट धरौ यह लाई

वासपजय वसपज-तनज-पद वासव सवत आई

बाल बरहमचारी लगनिख जिजन को शिशव तितय सनरमख धाई

ॐ हरी शरीासपजरयजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 16

शरी विमलनाथ जी अघ

आठो दरब सवार रमनसखदायक पावन

जजौ अरघ भर रथार तिवरमल तिवरमल शिशवतितय ररमण

ॐ हरी शरीविमलनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 17

शरी अननतनाथ जी अघ

शशिच नीर चनदन शाशिलशदन सरमन चर दीवा धरौ

अर धप फल जत अरघ करिर करजोरजग तिवनतित करौ

जगपज पररम पनीत रमीत अनत सत सहावनो

शिशव कत वत रमहत धयावौ भरत वनत नशावनो

ॐ हरी शरीअनतनाथजिजनदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 18

शरी धमनाथ जी अघ

आठो दरब साज शशिच शिचतहर हरतिरष हरतिरष गनगाई

बाजत दरमदरम दरम रमदग गत नाचत ता रथई रथाई

पररमधररम-शरम-ररमन धररम-जिजन अशरन शरन तिनहारी

पजौ पाय गाय गन सनदर नाचौ द द तारी

ॐ हरी शरीधमनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 19

शरी शावितनाथ जी अघ

वस दरवय सवारी तरम दिढग धारी आननदकारी दग-पयारी

तरम हो भव तारी करनाधारी या त रथारी शरनारी

शरी शापतिनत जिजनश नतशकरश वरषचकरश चकरश

हतिन अरिरचकरश ह गनधश दयाऽरमतश रमकरश

ॐ हरी शरीशानविनतनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 20

शरी कनथनाथ जी अघ

जल चदन तदल परसन चर दीप धप लरी

फलजत जनन करौ रमन सख धरिर हरो जगत फरी

करथ सन अरज दास करी नारथ सन अरज दासकरी

भवशिसनध पयAcirc हौ नारथ तिनकारो बाह पकर रमरी

ॐ हरी शरीकथनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 21

शरी अरहनाथ जी अघ

सशिच सवचछ पटीर गधगहीर तदलशीर पषप-चर

वर दीप धप आनदरप ल फल भप अघ13 कर

परभ दीन दयाल अरिरकल काल तिवरद तिवशाल सकरमाल

हरिर रमरम जजाल ह जगपाल अरगन रमाल वरभाल

ॐ हरी शरीअरहनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 22

शरी मडिललनाथ जी अघ

जल फल अरघ मिरमलाय गाय गन पजौ भगतित बढ़ाई

शिशवपदराज हत ह शरीधर शरन गहो रम आई

राग-दोरष-रमद-रमोह हरन को तरम ही हो वरवीरा

यात शरन गही जगपतितजी वतिग हरो भवपीरा

ॐ हरी शरीमडिललनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 23

शरी मविनसवरतनाथ जी अघ

जलगध आदिद मिरमलाय आठो दरब अरघ सजौ वरौ

पजौ चरन रज भगतितजत जात जगत सागर तरौ

शिशवसारथ करत सनारथ सवरतनारथ रमतिनगन रमाल ह

तस चरन आननदभरन तारन तरन तिवरद तिवशाल ह

ॐ हरी शरीमविनसवरतजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 24

शरी नमिमनाथ जी अघ

जल फलादिद मिरमलाय रमनोहर अरघ धारत ही भवभय हर जजत हौ नमिरम क गण गाय क जगपदामबज परीतित लगाय क ॐ हरी शरीनमिमनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 25

शरी नमिमनाथ जी अघ

जल फल आदिद साज शशिच लीन आठो दरब मिरमलाय अषटरम शिछतित क राज कारन को जजौ अग वस नाय

दाता रमोकष क शरीनमिरमनारथ जिजनराय दाता0 ॐ हरी शरीनमिमनाथजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 26

शरी पाशवनाथ जी अघ

नीर गध अकषतान पषप चार लीजिजय दीप धप शरीफलादिद अघ13 त जजीजिजय

पाशव13नारथ दव सव आपकी कर सदा दीजिजए तिनवास रमोकष भशिलय नही कदा ॐ हरी शरीपाशवनाथ जिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 27

शरी महाीर सामी जी अघ

जल फल वस सजिज तिहरम रथार तन रमन रमोद धरौ गण गाऊ भवदमिधतार पजत पाप हरौ

शरी वीर रमहा-अतितवीर सनरमतित नायक हो जय वदध13रमान गणधीर सनरमतितदायक हो ॐ हरी शरीमहाीरजिजननदरारय अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित साहा 28

शरी बाहबली सामी जी अघ

ह शदध तिनराकल शिसदधो सरम भवलोक हरमारा वासा ना

रिरप रागर दवरष लग पीछ यात शिशवपद को पाया ना

तिनज क गण तिनज रम पान को परभ अघ13 सजोकर लाया ह

ह बाहबली तरम चरणो रम सख समपतित पान आया ह

ॐ हरी शरी-बाहबली-जिजननदरारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 29

पञच बालरयवित जी अघ

सजिज वसतिवमिध दरवय रमनोजञ अरघ बनावत ह

वसकरम13 अनादिद सयोग तातिह नशावत ह

शरी वास-पजय-रमAली-नरम पारस वीर अती

नरम रमन-वच-तन धरी पररम पाचो बालयतित

ॐ हरी शरी-पचबालरयवित-तीथ_करभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 30

सोलहकारण भाना अघ

जल फल आठो दरव चढ़ाय lsquoदयानतrsquo वरत करौ रमन लायपररम गर हो जय जय नारथ पररम गर हो

दरशतिवशजिदध भावना भाय सोलह तीरथsकर-पद-दायपररम गर हो जय जय नारथ पररम गर हो

ॐ हरी दशनविशदधरयादिदषोbशकारणभरयः अनरघयरयपदपरापतरय-अरघयरय_ विनपामीवित 31

पचमर जी अघ

आठ दरबरमय अरघ बनाय lsquoदयानतrsquo पजौ शरीजिजनराय रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय पाचो रमर असी जिजन धारम सब परतितरमा जी को करौ परणारम रमहासख होय दख नारथ पररम सख होय ॐ हरी पचमरसमबनधिनध-जिजन चतरयालरयसथ-जिजनविबमबभरयः अरघयरय_ विनपामीवित साहा 32

ननदीशवर ीप अघ

यह अरघ तिकयो तिनजहत तरमको अरपत हो

धानत तिकजयो शिशवखत भमिरम सरमरपत हो

ननदीशवर शरीजिजनधारम बावन पज करो

वस दिदन परतितरमा अभिभरारम आनद भाव धरो

(ननदीशवर दीप रमहान चारो दिदशिश सोह

बावन जिजन रमजिनदर जान सर-नर-रमन-रमोह )

ॐ हरी शरी-ननदीशवर-ीप प-पभि मोततर-दभिकषण-दिदश -पचास-जिजनालरय-डिसथत जिजन परवितमाभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 33

दशलकषण धम अघ

आठो दरब सवार धानत अमिधक उछाह सो

भाव-आताप तिनवारदस लचछन पजो सदा

ॐ हरी शरी-उततम-कषमादिद-दशलकषण-धमारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 34

रतनतररय अघ

आठ दरब तिनराधार उततरम सो उततरम तिकय

जनरम-रोग तिनरवार समयक रतनSय भज

ॐ हरी शरी-समरयग-रतनतररयारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 35

सपतरतिष अघ

जल गध अकषत पषप चरवर दीप धप स लावना

फल लशिलत आठो दरवय मिरमभिशरत अघ13 कीज पावना

रमनवादिद चारिरSऋजिदध धारक रमतिनन की पजा कर

ता कर पातक हर सार सकल आनद तिवसतर

ॐ हरी शरी-मनादिदसपतरतिषभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 36

विनाण कषतर जी अघ

जल गध अकषत पषप चर फल दीप धपायन धरौ

धानत करो तिनरभय जगत सो जोर कर तिवनती करौ

समरमदिदगरिर तिगरनार चपा पावापर कलाश को

पजो सदा चौबीस जिजन तिनवा13ण भमिरम तिनवास को

ॐ हरी शरी-चतरविश-तीथ_कर-विनाण-कषतरभरयो अघ विनापमिमवित साहा 37

शरी सममद भिशखर जी अघ

जल गधाकषत फल स नवज लीजिजय

दीप धप फल अघ13 स लकर चढ़ाइए

पजो शिशखर समरमद स रमन वच काय ज

नरकादिद दःख टर अचल पद पाय ज

ॐ हरी शरी-सममद-भिशखर-लिसदधकषतर-पत बीस-तीथ_कर-आदिद-असखरयात-मविन-मलिN-परापतारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 38

सरसती (जिजनाणी) जी अघ

जलचनदन अकषत फल चर चत दीप धप अतित फल लावपजा को ठानत जो तरम जानत सो नर दयानत सखपाव

तीरथsकर की धवतिन गनधर न सतिन अग रच चतिन जञानरमईसो जिजनवर वानी शिशवसखदानी तिSभवन पजय भईऊ हरी शरी जिजनमखोदभभसरसतीदवय अरधवारयम विनपामीवित साहा 39

शरी ऋविषमbल अघ

जल फलादिदक दरवय लकर अघ13 सनदर कर शिलया

ससार रोग तिनवार भगवन वारिर तरम पद रम दिदया

जहा सभग ऋतिरषरमडल तिवराज पजी रमन वाच तन सदा

तितस रमनोवाशिछत मिरमळत सब सख सवपन रम दःख नतिह कदा

ॐ हरी शरी-सपदर-विनाशन-समथारय ऋविषमbलारय अरघयम विनापमिमवित साहा 40

शरी भरतशवर सामी जी अघ

भरतशवर रमहाराज रथारा गण गाऊ

रथा घर रम ही वराग चरणो रम धयाऊ

रम अषट दरवय ल आय पजा क शिलए

रम पजा भाव रचाय भव भव दःख हर

ॐ हरी शरी भरतशवरारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 41

शरी गौतम सामी जी अघ

भरतशवर रमहाराज रथारा गण गाऊ

रथा घर रम ही वराग चरणो रम धयाऊ

रम अषट दरवय ल आय पजा क शिलए

रम पजा भाव रचाय भव भव दःख हर

ॐ हरी शरी महाीर-समिमन गौतमादिद-एकादश-गणधरभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 42

शरी जमब सामी जी अघ

रमरथरा चौरासी धारम स तिनवा13ण गय

रम पज जमबसवारमी अतितरम रमोकष गए

ॐ हरी शरी जमब-सामी-मलिN-परापतारय अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 43

अतरारयनाशरय अघ

लाभ की अतराय क वश जीव सख ना लह

जो कर कषट उतपात सगर करम13वस तिवररथा रह

नही जोर वाको चल इक शिछन दीन सौ जग रम तिफर

अरहत शिसदधस अधर धरिरक लाभ यौ करम13 कौ हर

ऊ हरी लाभातरारयकम रविहताभरयाम अहतलिसदध परमविषठभरयाम अरघयरयम विनपामीवित साहा 44

शरी मानसतभ जी अघ

जल गनधादिद दरवय मिरमलाकर तिनज तिनज पजो चाव रम

रमान सतमभ प बठ भगवन उनको पज भाव स

ॐ हरी शरी मान-सतमभोपरिर-विराजमान-चतमख-जिजनविबमबभरयो अनघपदपरापतरय अरघयम विनापमिमवित साहा 45

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