हहल स्टेशन - columbia.edu Station_Hindi.pdf · पाा कक सेहत औ...

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अनुवादक : डॉ. आफ़ताब अहमद यायाता, हहदी-उदू, कोलबबया बववबवालय, यदयॉकहल टेशन मुताक़ अहमद यदसुफ़ी उन बदनो हमाू के होशोहवास पर हल-टेशन बुरी तरह सवार था। लेककन हमारा हाल उनसे भी यादा ख़ता था। इसहलए कक हम पर हमाू अपने भाबवत होशोहवास और हल-टेशन समेत सवार थे। जान मुहकल मे थी। उठते-बैठते, सोते-जागते इसी की चचाू, इसी का भजन। आ यह क वे सरकारी ख़चू पर दो बदन के हलए कोयटा हो आए थे और अब इस पर मचले थे कक हम बबना वेतन का अवकाश लेकर उनके साथ वहा गुार आए, जैसा कक गरहमयो मे कराची के शोरफ़ा (कुलीनो) और बड़े लोगो का दतदर है। हमने कहा: “सच पदछो तो हम इसीहलए वहा जाना नही चाहते कक हजन लोगो के साए से हम कराची मे साल भर बचते किरते है, वे सब मई-जदन मे वहा जमा हो जाते है।” बोले, “ठीक कहते हो। मगर ख़ुदा के बदे! अपनी सेहत तो देखो। तुमहे अपने बाल-बचचो पर तरस नही आता? कब तक हकीम डॉटरो का पेट पालते रहोगे? वहा पचते ही बबना दवा के चाक़-चौबद हो जाओगे। पानी मे दवा का असर है” और (मुकुराते ए) “ककसी-कसी बदन मा भी वैसा ही। य भी जो समय पहाड़ पर गुरे, उ से घटाया नही जाता। मखी, मचछर का नाम नही। कीचड़ ढढे से नही हमलती। इसहलए कक पानी की सत कक़लत है। लोगो की तदुरती का हाल तुमहे या बताऊ। हजसे देखो, गालो से गुलाबी रग टपका पड़ रहा है। अभी बपछले साल वहा एक मी ने अपताल का उदघाटन कया तो तीन बदन पहले एक मरी को कराची से बुलवाना पड़ा और उसकी बनगरानी पर चार बड़े डॉटर लगाए गए कक कही वह उदघाटन समारोह से पहले ही वथ न हो जाए।” हमने कहा, “आबोहवा अपनी जगह लेकन हम दवा के बबना ख़ुद को नॉमूल महसदस नही करते।” बोले, “इसकी कफ़ न करो। कोयटा मे आख बद करके ककसी भी बाार मे चले जाओ, हर तीसरदुकान दवाओ की हमलेगी और हर ददसरी दुकान तददरी रोबटयो की।” पदछा, “और पहली दकान?” बोले, “उसमे उन दुकानो के हलए साइन-बोडू तैयार कये जाते है।” हमने कहा, “लेकन कराची की तरह वहा क़दम-क़दम पर डॉटर कहा? आजकल तो बग़ैर डॉटर की मदद के आदमी मर भी नही सकता।” कहने लगे, “छोड़ो भी! फ़ीू बीमाररयो के हलए तो यदनानी दवाए रामबाण होती है।”

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