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Page 1: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

हक़-हलाल

की

कमाई

x

राधासामी सतससग बास

परकाशकthinspजthinspसीthinspसठीthinspसकटरीराधासामीthinspसतससगthinspबासडराthinspबाबाthinspजमलthinspससहपसजाबthinsp143thinsp204

copy 1981thinsp2009thinspराधासामीthinspसतससगthinspबाससवाधधकारthinspसरधषितthinspthinspthinspthinspपहलाthinspसससकरणthinsp1981thinsp

इककीसाthinspसससकरणthinsp2009

मदरकthinspthinspथॉमसनthinspपरसthinsp(इसधडा)thinspधल

Translated from the Punjabi language edition lsquoHaq Halal di Kamairsquo copy Radha Soami Satsang Beas

Published byJ C Sethi SecretaryRadha Soami Satsang BeasDera Baba Jaimal SinghPunjab 143 204

copy 1981 2009 Radha Soami Satsang BeasAll rights reserved First edition 1981

Twenty first edition 2009

20 19 18 17 16 15 8 7 6 5 4

ISBN 978-81-8466-404-1

Printed in India by Thomson Press (India) Ltd

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दो शबद

ससतमत आधासतमक उननसत का वाहासरक मागग ह इस मागग म सिमगल और पसतर रहिी सासतक आहार तथा ऊच पसतर सचारो का बहत महत ह कोसक सदाचार और िसतकता की सदढ़ िी पर ही रहािी तरककी और िाम क अभास क मज़बत सिल का सिमवाण सका जा सकता ह िक कमाई का परभा आहार सचार तथा आचरण तीिो पर पड़ता ह इससलए ससत-महातमाओस ि िक कमाई अथा हि-हलाल की कमाई को परभपरासत क मागग म अगरसर होि क सलए एक आशक आधार मािा ह ससतो ि सस अपि जीि म इस ससदधात का दढ़तापगक पालि सका ह तथा अपि सशषो को िक कमाई पर गज़ारा करि क सलए सिरसतर साधाि करत रह ह

आशा ह सक इस पससतका स सजजासओस तथा सतसससगो को ससत-महातमाओस क हि-हलाल की कमाई क उपदश पर सचार करि तथा उसक अिसार अपिा जीि ढालि की पररणा समलगी

डरा बाबा जमल सससह सा सससहसज़ला अमतसर (पसजाब) सकटरीजिरी 1994 राधासामी सतससग बास

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पाठको स निदि

बािी का सही उचारण

गरबािी अकसर दखि म आा ह सक सहसदी पाठक शी गर गरनथ सासहब की बािी (गरबािी) का शद उचचारण िही कर पात ह गरबािी मल रप म गरमखी सलसप म सलखी गई ह इसम कई शबदो क असत म हरस इ (स ) और हरस उ ( ) की मातराओस का परोग सका गा ह ह परोग कल वाकरण की दसषट स ह बािी पढ़त सम इि मातराओस का आमतौर पर उचचारण िही सका जाता सहसदी पाठक बड़ परम स गरबािी का पाठ ा गाि करि का ति करत ह लसकि इि मातराओस और कछ अन अपसरसचत सहजजो (सपसलसग) क कारण अिजाि म उचचारण ग़लत हो जाता ह हम शी गर गरनथ सासहब का परा सममाि करत ह हम चाहत ह सक पाठक बािी का उचचारण ग़लत ि कर इससलए गरबािी का रपधातर दिागरी सलसप म करत सम हरस मातराए हटा दी गई ह और अन कछ पसरतगि कर सदए गए ह तासक सहसदी भाषा क पाठक गरबािी का सही उचचारण कर सक

उदाहरण क रप म

मल रप कदरसत पउण पाणी बससतर कदरसत धरती खाक सभ तरी कदरसत तस कासदर करता पाकी िाई पाक िािक हकम असदसर ख रत ताको ताक

पाठको स सिदि | 5

उचचारण रप कदरत पउण पाणी बससतर कदरत धरती खाक सभ तरी कदरत तस कासदर करता पाकी िाई पाक िािक हकम असदर ख रत ताको ताक

हा ह बात सपषट कर दिा आशक ह सक इि मातराओस का परोग पढ़ि म भल ही िही होता लसकि गरबािी म इि मातराओस का वाकरण और अथग की दसषट स सशष महत ह गर सासहबाि क ससदश को असधक गहराई स समझि क इचछक गरबािी का मल रप म अधि कर सकत ह

नहसदी बािीसहसदी बािी म कही-कही lsquoखrsquo णग को lsquoषrsquo सलखा जाता हmdashजस दसष मसरष पसषी लसकि इि शबदो का उचचारण दसख मसरख पसखी सका जाता ह इससलए सही उचचारण की दसषट स इस पसतक म आशकतािसार lsquoषrsquo क सथाि पर lsquoखrsquo णग का परोग सका गा ह

परकाशक

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हक़-हलाल की कमाई

xससतमत कथिी का िही करिी का मागग ह ह अधातम क उचच और पसतर ससदधातो को अमली जामा पहिाि पर और उनह अपि जीि म वाहासरक रप म उतारि पर ज़ोर दता ह ससत-महातमाओस ि िक कमाई की मसहमा की ह और इस बात पर ज़ोर सदा ह सक परमाथग क एक सचच साधक क सलए अपिी सिजी कमाई दसधा िौहा 1 की कमाई अथा हि-हलाल की कमाई 2 बहत ज़ररी ह कहात हः जसा खा अनन सा हो मि अिसचत रप स कमाए हए धि स परात आहार ा भोजि अिसचत सचारो और अिसचत सतिो को जनम दता ह ऐसा आहार मि को सिकषट सचारो तथा ससकलपो का अखाड़ा बिा दता ह सजसक फलसरप परमाथग म उननसत करिा अससभ हो जाता ह अपिी महित की कमाई को तागकर अपिा बोझ दसरो पर डाल दिाल पजा क धि चढ़ा और भट पर पलिाल और चोरी ठगी बईमािी धोख छल आसद दारा पराा धि हसथाि ाल लोग परमाथग म उननसत िही कर सकत चाह ऐस लोग अपि आप को बहत बसदमाि साि ा चतर समझ पर असल म अपि आप को ही धोखा द रह ह

इसी सलए ससत-महातमाओस ि िक कमाई पर ज़ोर सदा ह कहत ह सक मि और आतमा की गाठ बधी हई ह सजस जड़ndashचति की गाठ कहा जाता ह मि की परसति चसचल ह ह पल भर क सलए भी ससथर

1 दसो िाख़िो अथवात अपिी महित की कमाई 2 हक़-हलाल की कमाई=अपिी महित और ईमािदारी स कमाा धि

हि-हलाल की कमाई | 7

ा सिशचल िही रहता और जब तक मि साथ ि द आतमा असतर म चढ़ाई करि म सफल िही हो सकती हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करि स मि की चसचलता को कम करि तथा उसका झका असदर की ओर करि म सहाता समलती ह सजसस अभासी क सलए आधासतमक ातरा त करिा सहज हो जाता ह आधासतमक उननसत का बीज कल महित क सचच और पसतर खत म ही असकसरत हो सकता ह सचच परमाथग म भीख बईमािी और धोख दारा कमाए हए धि क सलए कोई सथाि िही ह

जब कोई रोगी इलाज क सलए डॉकटर क पास जाता ह तो डॉकटर उसक रोग की पहचाि करक उस दाई दता ह साथ ही ह रोगी को दो बात धाि म रखि की सहदात दता ह mdash एक तो ह सक दाई सम पर ली जाए और दसरी ह सक बताए गए परहज़ की पालिा ज़रर की जाए रहासित क षितर म ससत-सतगर अजािता स पीसड़त सससासरो क सलए डॉकटर ा दय बिकर आत ह उनह िाम की दाई दत ह और उसक सिमप गक स ि की ताकीद करत ह साथ ही उनह कछ ज़ररी परहज़ भी बतात ह सजिम स एक ह ह सक पराा हि छीिि ा छल-कपट स धि कमाि स बच और हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा कर

ससत-महातमाओस ि अपि उपदश म सपषट और ज़ोरदार शबदो म हि-हलाल की कमाई पर बल सदा ह परमातमा क भकतो ि सस िक रहिी तथा हि-हलाल की कमाई की सज़सदा समसाल बिकर परमाथग क साधको को जीि म असधक स असधक पसतरता अपिाि की पररणा दी ह हि-हलाल की कमाई स महातमाओस का तातपग उस धि स ह जो सचचाई और िकी क दारा कमाा गा हो सजस पर ना कािि और िसतक दसषट स उपभोग करिाल का हि ा असधकार हो सजस कमाि म दश और समाज क सिमो तथा मािता का हिि ि सका गा हो सजस परात करि क सलए सकसी का िकसाि ि सका गा हो तथा सजसम स पसरार तथा अन भागीदारो को उिका सहससा नाप गक द सदा गा हो

8 | हि-हलाल की कमाई

सनरितसचची और िक कमाई सासतक आहार शभ सचार िक आचरण मासलक क परसमो की ससगत और िाम का अभास ससतमत की परमख आशकताए ह शबद अथा िाम की कमाई आहार सचार और आचार की पसतरता क सहार ही हो सकती ह ससतो ि इस सष की ससतारपगक वाखा की ह ससत िामद ि ससकत अथवात अचछ िसतक कममो दारा की गई कमाई स गज़ारा करि को बहत महत सदा ह ऐसी िक कमाई की मसहमा बतात हए आप कहत ह सक इसस मिष समत अथवात अचछी सिमगल बसद ाला होकर गरमत म रहकर िाम का अभास करि क ोग हो जाता ह और इस परकार ह परमधाम परात कर सकता ह

भित िामदउ ससकत समत भए

गरमत राम कह को को ि बकसठ गए  (1)

ससत िामद ख़द भी परी सज़सदगी छीप और दज़ज़ी का काग करत हए अपिी ईमािदारी की कमाई पर गज़ारा करत रह

गर असगद द जी ि भी सभी गमो क लोगो क सलए िक कमाई क सिम पर ज़ोर सदा ह आपि भी ससकत को धमग का अथवात अधातम म उननसत का आधार बताा ह

कर ससकत धरम कमाइआ (2)

हर सम की तरह गर िािक द जी क सम म भी एक तरफ़ राजा हासकम और असधकारी दसरी तरफ़ पससडत परोसहत मलला तथा िाज़ी और तीसरी तरफ़ वापारी और धिी लोग महित की िक कमाई स दर जा रह थ आम लोगो की रहिी म भी सचचाई और ईमािदारी का अभा होता जा रहा था गर सासहब का धरम को ससकत क साथ जोड़िा बकार बठ लोगो दसरो की कमाई पर ऐश करिालो और ठगी-बईमािी करिालो क सलए एक गसभीर चतािी था और आज भी ह

ससकत | 9

धासमगक िता पराा धि लि म िाज़ी और हासकम सरशत लि म पाप िही समझत थ गर िािक सासहब फ़रमात ह सक तसबीह (माला) फरिाल और ख़दा-ख़दा करिाल लोग जब इिसाफ़ की कसज़ी पर बठत ह तो सरशत खाकर दसरो क हि ा असधकारो को छीि लत ह सद उिस कछ कहा जाए तो धमगपसतको का हाला दकर अपि आप को ठीक सासबत करि का परति करत ह

काजी होए क बह सिआए फर तसबी कर खदाए

ढी 1 ल क हक गाए ज को पछ ता पड़ सणाए (3)

गर सासहब फ़रमात ह सक लोगो क गलो पर छरी चलािाल परोसहत आसद अपि गल म जिऊ पहिकर अपिी पसतरता का सदखाा करत ह हर तरफ़ झठ और छल परधाि ह सचचाई ईमािदारी और धमग पसख लगाकर उड़ गए ह अपि आप को धमवातमा कहिाल परोसहत लोग बईमािी और अना क दारा धि कमािाल लोगो क घरो म जाकर पजा आसद कराकर पराणो म स कथाए सिाकर पाप की कमाई का अनन खात ह

माणस खाण 2 करह सिाज छरी गाइि 3 सति गल ताग 4

सति घर बरहमण परह िाद उनहा सभ आह ओई साद

कडी 5 रास 6 कड़ा ापार कड़ बोल करह आहार

सरम धरम का डरा दर िािक कड़ रसहआ भरपर

मथ सटका तड़ धोती कखाई हथ छरी जगत कासाई 7

िील सतर पसहर होह पराण मलछ धाि ल पजह पराण (4)

1 सरशत अनापगक धि लिा 2 मिष तक का भषिण करिाल अथवात साथग क सलए दसरो को सकसी भी परकार की हासि पहचाि को तार 3 चलािाल 4 जिऊ 5 झठी 6 धि-ससपसति 7 जगत क िसाई सार सससार पर ज़लम करिाल

10 | हि-हलाल की कमाई

गर सासहब फ़रमात ह सक लोग अिक परकार की चोरी ठगी दराचार और झठ क पाप का भार अपि ऊपर लाद जा रह ह

लख चोरीआ लख जारीआ लख कड़ीआ लख गाल

लख ठगीआ पसहिामीआ 1 रात सदिस जीअ िाल (5)

घाल खाए नकछ हथहो दगर िािक सासहब ि राजा परजा पससडत मखग सदाि अिपढ़ सहसद और मसलमाि सभी क सलए ससकत अथा िक कमाई क सिम पर ज़ोर सदा इस परकार आप सचच धमग को मससदरो मससजदो ठाकरदारो सगरजाघरो आसद की चारदीारी स सिकालकर खतो दकािो कचहसरो दफ़तरो ािी मिष क दसिक जीि म ल आए आपि कल उनही लोगो को धासमगक सका और रहािी अभास क ोग मािा जो हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करत ह गर िािक द जी ि सस षमो तक दौलतखधा लोदी क मोदीख़ाि म सचचाई तथा परी ईमािदारी क साथ काम सका और इस कमाई म स खल सदल स ग़रीबो-अिाथो की मदद की बाद म आपि करतारपर म खती की और अपिी िक कमाई पर गज़ारा करत हए ज़ररतमसदो की सहाता भी की आपि सस एक सचच परमाथज़ी का जीसत उदाहरण सथासपत सका तासक आपक उपदश क इस मल पहल mdash िक कमाई mdash क सष म सकसी परकार का कोई भरम ि रह जाए आपि अपिी ाणी म बहत सपषट और सरल शबदो म गरओस पीरो तथा सशषो क सलए सिजी कमाई तथा अपिी सचची और पसतर कमाई पर सिवाह करत हए उसम स ज़ररतमसदो की सहाता करि का आदशग सथासपत सका ह

गर पीर सदाए मसगण जाए ता क मल ि लगीऐ पाए

घाल खाए सकछ हथहो द िािक राह पछाणह स  (6)

1 गत रप स और सछपकर सकए गए पाप

घाल खाए सकछ हथहो द | 11

अथवात अगर कोई गर ा पीर होकर सशषो स मागता सफरता ह तो उसक परो पर कभी ससर िही झकािा चासहए जो महित करक अपिी रोज़ी कमाता हो और उस हि-हलाल की कमाई म स साधससगत की सा करता हो ही परमाथग की राह का सचचा जािकार सचचा गर हो सकता ह

ह सबको पता ह सक गर िािक सासहब ि ऐमिाबाद म मसलक भागो क छतिीस परकार क पकािो को तागकर भाई लालो की कोधर की रोटी को पससद सका कोसक आपको पहल परकार क भोजि म ग़रीब लोगो का ख़ि समला हआ सदखाई सदा तथा दसर परकार क भोजि म हि-हलाल की कमाई का अमत

कबीर सासहब ि अपि सम क अधर और पाखसडी गरओस की आलोचिा करत हए सलखा ह सक लोभश सशषो को लटत ह उिक सशष भी अपि साथग क सलए ही ऐस गरओस क साथ लग रहत ह ऐस लोगो को शधासत कस समल सकती ह आप कहत ह सक ऐस गर पस क पचास समलत ह राम-िाम को बचकर उस अपिी कमाई का साधि बिात ह और ऐस धि स सशषो की सगिती बढ़ाि का ति करत ह

कबीर पर गर सबिा परा ससष ि हो

गर लोभी ससष लालची दिी दाझि हो

गरआ तो ससता भा पसा कर पचास

राम िाम को बसच क कर ससष की आस (7)

कबीर सासहब ि गर तथा सशष दोिो क सलए बहत ऊचा आदशग सथासपत सका ह आप फ़रमात ह सक सशष को चासहए सक अपिा सब कछ गर को अपगण कर द अथवात सब कछ गर का समझकर इसतमाल कर परसत गर को चासहए सक सशष की सई तक को हाथ ि लगाए

ससष तो ऐसा चासह गर को सब कछ द

गर तो ऐसा चासह ससष स कछ ि ल (8)

12 | हि-हलाल की कमाई

कबीर सासहब सपषट कहत ह सक महातमा अपि सशषो का धि साधससगत की सा ा परोपकार म अश ख़चग करा दत ह तासक उिकी कमाई साथगक हो तथा परमाथग क राह पर चलि म सहाक ससद हो परसत सशषो स महातमा सिजी ज़ररतो ा सिजी लाभ क सलए कभी एक पाई भी िही लत

मसर जाऊ माग िही अपि ति क काज

परमारथ क कारि मोसहस ि आ लाज (9)

जसा सक सब जाित ह कबीर सासहब ि जीि भर कपड़ा बिि का काम करक अपिा और अपि पसरार का पालि सका आप जब भी ससतमत क परचार ा सतससग क सलए बाहर जात अपिा करघा साथ ल जात थ

हज़र सामी जी महाराज फ़रमात ह सक ससत-सतगरओस क पास िामभसकत का अखट भसडार होता ह दसिाी धि-दौलत की ओर िज़र उठाकर भी िही दखत अपि सशषो स अपि गज़ार क सलए कभी कछ िही लत हा परमाथग क सलए अपि सशषो स परोपकार ज़रर करात ह

गर िसहस भखा तर धि का उि प धि ह भसकत िाम का

पर तरा उपकार करा भख ास को सदला (10)

आपका अपिा जीि हि-हलाल की कमाई का एक पररणादाक उदाहरण ह छोटी उमर स ही आपका परमातमा की ओर झका था इससलए आप ऐसी िौकरी चाहत थ सजसम साथग और परमाथग दोिो साथ-साथ चल सक आपि बललभगढ़ क राजा क पास फ़ारसी क अधापक क रप म िौकरी की सजसम तीि घसट परसतसदि लगाि पड़त थ उि सदिो राजाओस क कमगचासरो को ति क साथ गज़ार क सलए रसद भी समला करती थी सामी जी महाराज सारी रसद ज़ररतमसदो म बाट सदा करत थ और ति का काफ़ी बड़ा सहससा

पापा बाझहो हो िाही | 13

अपि सपता जी को भज दत थ रोज़ी कमात हए भी आपक मि म पणग राग था

सामी जी महाराज क सपता जी घर क गज़ार क सलए साहकारी सका करत थ सपता जी क दहधात क बाद सामी जी ि सभी िज़गदारो को बलाकर कहा सक जो कोई िज़ज़ की मल रकम चकािा चाह चका द और जो ि लौटािा चाह ह ि लौटाए उनहोि िज़गदारो क सामि िज़ज़ क सार काग़ज़-पतर फाड़ सदए और सद की आमदिी सदा क सलए बसद कर दी

पापा बाझहो हो िाहीससत-महातमा कहत ह सक धि-दौलत पापो क सबिा इकटठी िही होती और असत सम साथ िही जाती गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग धि-दौलत इकटठा करि म खोए हए ह और इस बात पर सचार करि का ति िही करत सक पापो का ऐसा भारी बोझ इकटठा कर रह ह जो अिक लोगो क रहािी सिाश का कारण बि चका ह और अब उिक सिाश का कारण बिगा

इस जर 1 कारण घणी 2 सगती 3 इि जर घणी खआई 4

पापा बाझहो हो िाही मइआ साथ ि जाई (11)

धि जो पाप क सबिा इकटठा िही हो सकता मत क बाद साथ िही जा सकता और परभ की दरगाह म ददगशा का कारण बिता ह ह हमार सलए लाभपरद सकस परकार हो सकता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह सक राजा शासकी असधकारी आसद धि क मोह क अधीि पराी दौलत हसथाकर माा क सष का भसडार इकटठा कर लत ह ासत म लोभ लालच और माा उिको छल लत ह और असत सम उनह म क हाथो चोट सहिी पड़ती ह

1 धि 2 बहत 3 खार हई 4 कमागग पर भटक गई

14 | हि-हलाल की कमाई

भपत राज रसग राए 1 ससचह 2 सबख 3 माइआ 4

कर कर हत धाइद पर दरब 5 चराइआ

पतर कलतर ि ससहह 6 बह परीत लगाइआ

खसदआ ही माइआ धह गई 7 पछतह पछताइआ

जम दर बध मारीअह िािक हर भाइआ (12)

इसी भा को परकट करत हए गर अजगि द जी फ़रमात ह सक राजा महाराजा हासकम शासकी असधकारी और धिी लोग परमातमा का भ तागकर अिक ज़लम करक धि एकसतरत करत ह परसत ह धि-दौलत ह साज़ो-सामाि सब मौत क साथ ही ख़तम हो जाता ह

भपत होए क राज कमाइआ कर कर अिरथ सहाझी 8 माइआ

ससचत ससचत थली कीनही परभ उस त डार 9 अर 10 कउ दीनही

काच गगरीआ असभ मझरीआ 11 गरब गरब उआह मह परीआ 12

सिरभउ होइओ भइआ सिहसगा 13 चीत 14 ि आइओ करता ससगा

लसकर जोड़ कीआ ससबाहा 15

सिकससआ फक 16 त होए गइओ सआहा 17 (13)

हमार मि म हमशा ह सचसता रहती ह सक सद हम बईमािी िही करग तो सससार क काम िही चलग परसत सजि लोगो ि अपि जीि म िकी सचचाई और ईमािदारी स काम सला ह सदा ही कहत ह सक ईमािदारी की कमाई म बहत बरकत अथा सख-समसद ह और परभ सस सकसी ि सकसी परकार उिक सभी काग पणग कर दता ह

1 धिी 2 इकटठा करिा 3 ज़हर 4 माा 5 पराा धि 6 सशास 7 माइआगई=माा धोखा द गई धि जाता रहा 8 ख़रीदी भा परात की 9 लकर 10 दसर को 11 पािी क बीच म 12 उआहपरीआ=बार-बार उसी म सगरता ह अथवात उस बार-बार जनम लिा पड़ता ह 13 सिसशचसत 14 ाद 15 इकटठा सका 16 सास सिकल गई 17 राख हो गा अथवात मर गा

भसखआ भख ि उतरी | 15

ह ठीक ह सक अपिी महित और िक कमाई क दारा कोई वसकत ऐशो इशरत तो िही कर सकता परसत ह कमाई मधास शराब इससदरो क भोगो तथा अन कई परकार क दराचार तथा पापो स बचाती ह ह मि म ससतोष तथा परभ का परम और सशास पदा करती ह और सचच परमाथग की िी तार करती ह

भनखआ भख ि उतरीजो लोग सचच सदल स महसस करत ह सक सचचा और सथाी आिसद िक जीि और परभपरासत म ह परसननतापगक हि-हलाल की कमाई का सिम सीकार करत ह जो लोग आचरण की पसतरता और आसतमक आिसद स पसरसचत ह ा जो इसकी परासत क इचछक ह अिसचत ढसग स की गई कमाई का ताग करत ह इस परकार की कमाई का ताग उनह परमाथगरपी हीर-जाहरात की परासत क सलए ईटो-पतथरो की क़बवािी क समाि परतीत होता ह परसत जो लोग इस आिसद स अिजाि ह और सजनह इस परात करि की कोई चाह िही उनह दसिा क िाशाि भोग और धि-दौलत ही सब कछ परतीत होत ह ह िही जाित सक भोग और अिसचत ढसग स कमाा गा धि लोक और परलोक दोिो म ही उिकी ददगशा का कारण बिता ह अतए मिष को चासहए सक जो कछ अपिी हि-हलाल की कमाई स समल उस पर ससतोष कर तथा भोगो क लालच स बच धि की तषणा असगि क समाि ह जो लकड़ी डालि पर कभी भी शधात िही होती बसलक और भड़क उठती ह गर िािक सासहब कहत ह सक सार सससार का धि भी लालची क मि की भख को िही समटा सकता

भसखआ भख ि उतरी ज बसिा परीआ भार 1 (14)

सफ़ी ससत सरमद लोभ को खारी ा ददगशा का कारण बतात ह कहत ह सक लोभी वसकत ज़हरील सापो स ज़ादा ख़तरिाक ह

1 अथवात सभी लोको की धि-दौलत

16 | हि-हलाल की कमाई

सरमद त सज़ ख़लि हच ारी मतलब

अज़ शाख़-बरहिा साा दारी मतलब

इज़ज़त सज़ ििाअत असत ओ खारी सज़ तमअ

बा इज़ज़ात-खश बाश खारी मतलब (15)

अथवात ऐ सरमद त दसिा स सचच ार की उममीद ि कर सबिा पतिो का पड़ सकसी को भी साा िही द सकता लोभ स अपमाि और ससतोष स सममाि परात होता ह सममाि स जी अपमाि की सज़सदगी का तलबगार ि बि

दसिा तलबधा रा सकह गम-दीिार असत

ब समहरी-ए-शाि ब कद गर सबसार असत

अज़ अिरब-ओ-मार हच असदशा मकि

ज़ी िौम हज़र बकि सकह िश-ओ-ख़ार असत (16)

अथवात दसिा क मताल सोि-चादी क सलए तड़पत ह और एक दसर स दशमिी करि क सलए मशहर ह त सापो और सबचछओस स ि डर लसकि इि माा क परसमो स डर सजिक असदर ज़हर और काट भर पड़ ह

गर अजगि द जी फ़रमात ह सक लोभी सदा लोभ की लहरो म डोलता रहता ह ह ोग-अोग भला-बरा िही दखता ह ार समतरो सग-ससबससधो पजा क ोग माता-सपता तथा अपि इषट को लटि म भी लजजा िही करता

ह लोभा लसपट ससग ससरमोरह असिक लहरी कलोलत 1

धासत जीआ बह परकारस असिक भधात बह डोलत

1 हhellipकलोलत=ह लोभ ति बड़-बड़ सशरोमसण परषो को फसाा ह और तरी अिक लहरो म कीड़ा कर रह ह

दो तरह की सति | 17

िच 1 समतरस िच इसटस िच बाध िच मात सपता त लजा

अकरणस करोत अखादय खादयस 2 असाजस साज समजा 3

तराह तराह सरण सआमी सबगात 4 िािक हर िरहरह 5 (17)

जस-जस मिष की इचछाए परी होती जाती ह स ही और बढ़ती जाती ह उस कभी तसत िही समलती तसत कल ससतोष म ही ह ससतोष क सबिा ि कोई त त हो सकता ह और ि ही सकसी का परमाथग बि सकता ह

सहस खट लख कउ उठ धा 6 सतरपत ि आ माइआ पाछ पा

असिक भोग सबसखआ क 7 कर िह सतरपता खप खप मर

सबिा ससतोख िही कोऊ राज 8 सपि मिोरथ सबरथ 9 सभ काज (18)

इसका ह अथग िही सक गर सासहबाि अथा ससत-महातमा लोगो को आजीसका कमाि अथा सधासासरक उननसत करि स रोकत ह ससत सकसी की उननसत ा सकसी क फलि-फलि क सरद िही होत तो कल ही आगरह करत ह सक आसथगक और सधासासरक उननसत सचचाईपणग और िक उपाो दारा करिी चासहए और हमशा महित सत और ईमािदारी स काम लिा चासहए

ससत-महातमा लोगो को धि और माा क लोभ क परसत इससलए होसशार करत ह सक सधासासरकता ा माा उि पर हाी ि हो जाए और सससार म आि क परभपरासत क असली उददश को ि भल जाए

दो तरह की नतिगर िािक सासहब ि आसा की वार म एक ओर तो सधासासरक सति ाल अससतोषी सकारी परष का िक़शा खीचा ह जो बर कममो म परति

1 ि करि ोग काग करता ह 2 ि खाि ोग चीज़ खाता ह 3 असाज सhellipसमजा=ि बिाि ोग सतओस को बिाता तथा इकटठा करता ह 4 सिती करता ह 5 िरहसर परमातमा 6 सहसhellipधा=हज़ार इकटठा कर लि पर लाख क पीछ दौड़ता ह 7 सषो क 8 तत होता 9 वथग

18 | हि-हलाल की कमाई

होकर अपि जीि को बरबाद कर दता ह और मौत क बाद ातिाए पाता ह दसरी ओर सचची महित तथा िक कमाई करिाल ऐस ससतोषी जी का सचतर परसतत सका ह जो सतगर दारा खीची हई लकीर क असदर रहता ह तथा अकालपरष ा परमसपता परमातमा की भसकत करक सदा क सलए उसस समलाप परात कर लता ह सधासासरक तथा भोगी वसकत की असथा का णगि करत हए आप फ़रमात हthinsp

आपीनह भोग भोग क होए भसमड़ भउर ससधाइआ 1

डा होआ 2 दिीदार गल ससगल 3 घत चलाइआ

अग करणी कीरत ाचीऐ बह लखा कर समझाइआ 4

थाउ ि होी पउदीई 5 हण सणीऐ सकआ रआइआ

मि असध जिम गाइआ (19)

आप ससतोषी और धमवातमा परष का णगि इस परकार करत ह

स कीती ससतोखीई सजनही सचो सच सधआइआ

ओनही मसद पर ि रसखओ 6 कर ससकत 7 धरम कमाइआ

ओनही दिीआ तोड़ बसधिा असि पाणी थोड़ा खाइआ

तस बखसीसी अगला 8 सित द ह चड़ह साइआ 9

सडआई 10 डा पाइआ 11 (20)

साधक का असली ससघषग ही काम कोध लोभ मोह अहसकार आसद सकारो क साथ ह और बईमािी की कमाई सकारो की जड़ ह जब अिसचत

1 भसमडhellipनसधाइआ=शरीर जलकर भसम की ढरी हो जाता ह और आतमा परसथाि कर जाती ह 2 मर गा 3 गल म ज़सजीर 4 अगhellipसमझाइआ=आग (मत क बाद) उसक कममो का सरण उस सिाा जाता ह तथा उसक अिसार आग का जीि सलखा जाता ह 5 थाउhellipपउदीई=मदतो की मार पड़त सम कही सथाि िही समलता अथवात सहारा िही समलता 6 ओनहीरनखओ= ग़लत रासत पर िही गए 7 िक कमाई 8 तसअगला=त उनह और असधक दता ह 9 डह साइआ=बढ़ती रहती ह 10 परभ की दा स 11 परभ को परात कर लता ह

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 2: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

परकाशकthinspजthinspसीthinspसठीthinspसकटरीराधासामीthinspसतससगthinspबासडराthinspबाबाthinspजमलthinspससहपसजाबthinsp143thinsp204

copy 1981thinsp2009thinspराधासामीthinspसतससगthinspबाससवाधधकारthinspसरधषितthinspthinspthinspthinspपहलाthinspसससकरणthinsp1981thinsp

इककीसाthinspसससकरणthinsp2009

मदरकthinspthinspथॉमसनthinspपरसthinsp(इसधडा)thinspधल

Translated from the Punjabi language edition lsquoHaq Halal di Kamairsquo copy Radha Soami Satsang Beas

Published byJ C Sethi SecretaryRadha Soami Satsang BeasDera Baba Jaimal SinghPunjab 143 204

copy 1981 2009 Radha Soami Satsang BeasAll rights reserved First edition 1981

Twenty first edition 2009

20 19 18 17 16 15 8 7 6 5 4

ISBN 978-81-8466-404-1

Printed in India by Thomson Press (India) Ltd

3

दो शबद

ससतमत आधासतमक उननसत का वाहासरक मागग ह इस मागग म सिमगल और पसतर रहिी सासतक आहार तथा ऊच पसतर सचारो का बहत महत ह कोसक सदाचार और िसतकता की सदढ़ िी पर ही रहािी तरककी और िाम क अभास क मज़बत सिल का सिमवाण सका जा सकता ह िक कमाई का परभा आहार सचार तथा आचरण तीिो पर पड़ता ह इससलए ससत-महातमाओस ि िक कमाई अथा हि-हलाल की कमाई को परभपरासत क मागग म अगरसर होि क सलए एक आशक आधार मािा ह ससतो ि सस अपि जीि म इस ससदधात का दढ़तापगक पालि सका ह तथा अपि सशषो को िक कमाई पर गज़ारा करि क सलए सिरसतर साधाि करत रह ह

आशा ह सक इस पससतका स सजजासओस तथा सतसससगो को ससत-महातमाओस क हि-हलाल की कमाई क उपदश पर सचार करि तथा उसक अिसार अपिा जीि ढालि की पररणा समलगी

डरा बाबा जमल सससह सा सससहसज़ला अमतसर (पसजाब) सकटरीजिरी 1994 राधासामी सतससग बास

4

पाठको स निदि

बािी का सही उचारण

गरबािी अकसर दखि म आा ह सक सहसदी पाठक शी गर गरनथ सासहब की बािी (गरबािी) का शद उचचारण िही कर पात ह गरबािी मल रप म गरमखी सलसप म सलखी गई ह इसम कई शबदो क असत म हरस इ (स ) और हरस उ ( ) की मातराओस का परोग सका गा ह ह परोग कल वाकरण की दसषट स ह बािी पढ़त सम इि मातराओस का आमतौर पर उचचारण िही सका जाता सहसदी पाठक बड़ परम स गरबािी का पाठ ा गाि करि का ति करत ह लसकि इि मातराओस और कछ अन अपसरसचत सहजजो (सपसलसग) क कारण अिजाि म उचचारण ग़लत हो जाता ह हम शी गर गरनथ सासहब का परा सममाि करत ह हम चाहत ह सक पाठक बािी का उचचारण ग़लत ि कर इससलए गरबािी का रपधातर दिागरी सलसप म करत सम हरस मातराए हटा दी गई ह और अन कछ पसरतगि कर सदए गए ह तासक सहसदी भाषा क पाठक गरबािी का सही उचचारण कर सक

उदाहरण क रप म

मल रप कदरसत पउण पाणी बससतर कदरसत धरती खाक सभ तरी कदरसत तस कासदर करता पाकी िाई पाक िािक हकम असदसर ख रत ताको ताक

पाठको स सिदि | 5

उचचारण रप कदरत पउण पाणी बससतर कदरत धरती खाक सभ तरी कदरत तस कासदर करता पाकी िाई पाक िािक हकम असदर ख रत ताको ताक

हा ह बात सपषट कर दिा आशक ह सक इि मातराओस का परोग पढ़ि म भल ही िही होता लसकि गरबािी म इि मातराओस का वाकरण और अथग की दसषट स सशष महत ह गर सासहबाि क ससदश को असधक गहराई स समझि क इचछक गरबािी का मल रप म अधि कर सकत ह

नहसदी बािीसहसदी बािी म कही-कही lsquoखrsquo णग को lsquoषrsquo सलखा जाता हmdashजस दसष मसरष पसषी लसकि इि शबदो का उचचारण दसख मसरख पसखी सका जाता ह इससलए सही उचचारण की दसषट स इस पसतक म आशकतािसार lsquoषrsquo क सथाि पर lsquoखrsquo णग का परोग सका गा ह

परकाशक

6

हक़-हलाल की कमाई

xससतमत कथिी का िही करिी का मागग ह ह अधातम क उचच और पसतर ससदधातो को अमली जामा पहिाि पर और उनह अपि जीि म वाहासरक रप म उतारि पर ज़ोर दता ह ससत-महातमाओस ि िक कमाई की मसहमा की ह और इस बात पर ज़ोर सदा ह सक परमाथग क एक सचच साधक क सलए अपिी सिजी कमाई दसधा िौहा 1 की कमाई अथा हि-हलाल की कमाई 2 बहत ज़ररी ह कहात हः जसा खा अनन सा हो मि अिसचत रप स कमाए हए धि स परात आहार ा भोजि अिसचत सचारो और अिसचत सतिो को जनम दता ह ऐसा आहार मि को सिकषट सचारो तथा ससकलपो का अखाड़ा बिा दता ह सजसक फलसरप परमाथग म उननसत करिा अससभ हो जाता ह अपिी महित की कमाई को तागकर अपिा बोझ दसरो पर डाल दिाल पजा क धि चढ़ा और भट पर पलिाल और चोरी ठगी बईमािी धोख छल आसद दारा पराा धि हसथाि ाल लोग परमाथग म उननसत िही कर सकत चाह ऐस लोग अपि आप को बहत बसदमाि साि ा चतर समझ पर असल म अपि आप को ही धोखा द रह ह

इसी सलए ससत-महातमाओस ि िक कमाई पर ज़ोर सदा ह कहत ह सक मि और आतमा की गाठ बधी हई ह सजस जड़ndashचति की गाठ कहा जाता ह मि की परसति चसचल ह ह पल भर क सलए भी ससथर

1 दसो िाख़िो अथवात अपिी महित की कमाई 2 हक़-हलाल की कमाई=अपिी महित और ईमािदारी स कमाा धि

हि-हलाल की कमाई | 7

ा सिशचल िही रहता और जब तक मि साथ ि द आतमा असतर म चढ़ाई करि म सफल िही हो सकती हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करि स मि की चसचलता को कम करि तथा उसका झका असदर की ओर करि म सहाता समलती ह सजसस अभासी क सलए आधासतमक ातरा त करिा सहज हो जाता ह आधासतमक उननसत का बीज कल महित क सचच और पसतर खत म ही असकसरत हो सकता ह सचच परमाथग म भीख बईमािी और धोख दारा कमाए हए धि क सलए कोई सथाि िही ह

जब कोई रोगी इलाज क सलए डॉकटर क पास जाता ह तो डॉकटर उसक रोग की पहचाि करक उस दाई दता ह साथ ही ह रोगी को दो बात धाि म रखि की सहदात दता ह mdash एक तो ह सक दाई सम पर ली जाए और दसरी ह सक बताए गए परहज़ की पालिा ज़रर की जाए रहासित क षितर म ससत-सतगर अजािता स पीसड़त सससासरो क सलए डॉकटर ा दय बिकर आत ह उनह िाम की दाई दत ह और उसक सिमप गक स ि की ताकीद करत ह साथ ही उनह कछ ज़ररी परहज़ भी बतात ह सजिम स एक ह ह सक पराा हि छीिि ा छल-कपट स धि कमाि स बच और हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा कर

ससत-महातमाओस ि अपि उपदश म सपषट और ज़ोरदार शबदो म हि-हलाल की कमाई पर बल सदा ह परमातमा क भकतो ि सस िक रहिी तथा हि-हलाल की कमाई की सज़सदा समसाल बिकर परमाथग क साधको को जीि म असधक स असधक पसतरता अपिाि की पररणा दी ह हि-हलाल की कमाई स महातमाओस का तातपग उस धि स ह जो सचचाई और िकी क दारा कमाा गा हो सजस पर ना कािि और िसतक दसषट स उपभोग करिाल का हि ा असधकार हो सजस कमाि म दश और समाज क सिमो तथा मािता का हिि ि सका गा हो सजस परात करि क सलए सकसी का िकसाि ि सका गा हो तथा सजसम स पसरार तथा अन भागीदारो को उिका सहससा नाप गक द सदा गा हो

8 | हि-हलाल की कमाई

सनरितसचची और िक कमाई सासतक आहार शभ सचार िक आचरण मासलक क परसमो की ससगत और िाम का अभास ससतमत की परमख आशकताए ह शबद अथा िाम की कमाई आहार सचार और आचार की पसतरता क सहार ही हो सकती ह ससतो ि इस सष की ससतारपगक वाखा की ह ससत िामद ि ससकत अथवात अचछ िसतक कममो दारा की गई कमाई स गज़ारा करि को बहत महत सदा ह ऐसी िक कमाई की मसहमा बतात हए आप कहत ह सक इसस मिष समत अथवात अचछी सिमगल बसद ाला होकर गरमत म रहकर िाम का अभास करि क ोग हो जाता ह और इस परकार ह परमधाम परात कर सकता ह

भित िामदउ ससकत समत भए

गरमत राम कह को को ि बकसठ गए  (1)

ससत िामद ख़द भी परी सज़सदगी छीप और दज़ज़ी का काग करत हए अपिी ईमािदारी की कमाई पर गज़ारा करत रह

गर असगद द जी ि भी सभी गमो क लोगो क सलए िक कमाई क सिम पर ज़ोर सदा ह आपि भी ससकत को धमग का अथवात अधातम म उननसत का आधार बताा ह

कर ससकत धरम कमाइआ (2)

हर सम की तरह गर िािक द जी क सम म भी एक तरफ़ राजा हासकम और असधकारी दसरी तरफ़ पससडत परोसहत मलला तथा िाज़ी और तीसरी तरफ़ वापारी और धिी लोग महित की िक कमाई स दर जा रह थ आम लोगो की रहिी म भी सचचाई और ईमािदारी का अभा होता जा रहा था गर सासहब का धरम को ससकत क साथ जोड़िा बकार बठ लोगो दसरो की कमाई पर ऐश करिालो और ठगी-बईमािी करिालो क सलए एक गसभीर चतािी था और आज भी ह

ससकत | 9

धासमगक िता पराा धि लि म िाज़ी और हासकम सरशत लि म पाप िही समझत थ गर िािक सासहब फ़रमात ह सक तसबीह (माला) फरिाल और ख़दा-ख़दा करिाल लोग जब इिसाफ़ की कसज़ी पर बठत ह तो सरशत खाकर दसरो क हि ा असधकारो को छीि लत ह सद उिस कछ कहा जाए तो धमगपसतको का हाला दकर अपि आप को ठीक सासबत करि का परति करत ह

काजी होए क बह सिआए फर तसबी कर खदाए

ढी 1 ल क हक गाए ज को पछ ता पड़ सणाए (3)

गर सासहब फ़रमात ह सक लोगो क गलो पर छरी चलािाल परोसहत आसद अपि गल म जिऊ पहिकर अपिी पसतरता का सदखाा करत ह हर तरफ़ झठ और छल परधाि ह सचचाई ईमािदारी और धमग पसख लगाकर उड़ गए ह अपि आप को धमवातमा कहिाल परोसहत लोग बईमािी और अना क दारा धि कमािाल लोगो क घरो म जाकर पजा आसद कराकर पराणो म स कथाए सिाकर पाप की कमाई का अनन खात ह

माणस खाण 2 करह सिाज छरी गाइि 3 सति गल ताग 4

सति घर बरहमण परह िाद उनहा सभ आह ओई साद

कडी 5 रास 6 कड़ा ापार कड़ बोल करह आहार

सरम धरम का डरा दर िािक कड़ रसहआ भरपर

मथ सटका तड़ धोती कखाई हथ छरी जगत कासाई 7

िील सतर पसहर होह पराण मलछ धाि ल पजह पराण (4)

1 सरशत अनापगक धि लिा 2 मिष तक का भषिण करिाल अथवात साथग क सलए दसरो को सकसी भी परकार की हासि पहचाि को तार 3 चलािाल 4 जिऊ 5 झठी 6 धि-ससपसति 7 जगत क िसाई सार सससार पर ज़लम करिाल

10 | हि-हलाल की कमाई

गर सासहब फ़रमात ह सक लोग अिक परकार की चोरी ठगी दराचार और झठ क पाप का भार अपि ऊपर लाद जा रह ह

लख चोरीआ लख जारीआ लख कड़ीआ लख गाल

लख ठगीआ पसहिामीआ 1 रात सदिस जीअ िाल (5)

घाल खाए नकछ हथहो दगर िािक सासहब ि राजा परजा पससडत मखग सदाि अिपढ़ सहसद और मसलमाि सभी क सलए ससकत अथा िक कमाई क सिम पर ज़ोर सदा इस परकार आप सचच धमग को मससदरो मससजदो ठाकरदारो सगरजाघरो आसद की चारदीारी स सिकालकर खतो दकािो कचहसरो दफ़तरो ािी मिष क दसिक जीि म ल आए आपि कल उनही लोगो को धासमगक सका और रहािी अभास क ोग मािा जो हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करत ह गर िािक द जी ि सस षमो तक दौलतखधा लोदी क मोदीख़ाि म सचचाई तथा परी ईमािदारी क साथ काम सका और इस कमाई म स खल सदल स ग़रीबो-अिाथो की मदद की बाद म आपि करतारपर म खती की और अपिी िक कमाई पर गज़ारा करत हए ज़ररतमसदो की सहाता भी की आपि सस एक सचच परमाथज़ी का जीसत उदाहरण सथासपत सका तासक आपक उपदश क इस मल पहल mdash िक कमाई mdash क सष म सकसी परकार का कोई भरम ि रह जाए आपि अपिी ाणी म बहत सपषट और सरल शबदो म गरओस पीरो तथा सशषो क सलए सिजी कमाई तथा अपिी सचची और पसतर कमाई पर सिवाह करत हए उसम स ज़ररतमसदो की सहाता करि का आदशग सथासपत सका ह

गर पीर सदाए मसगण जाए ता क मल ि लगीऐ पाए

घाल खाए सकछ हथहो द िािक राह पछाणह स  (6)

1 गत रप स और सछपकर सकए गए पाप

घाल खाए सकछ हथहो द | 11

अथवात अगर कोई गर ा पीर होकर सशषो स मागता सफरता ह तो उसक परो पर कभी ससर िही झकािा चासहए जो महित करक अपिी रोज़ी कमाता हो और उस हि-हलाल की कमाई म स साधससगत की सा करता हो ही परमाथग की राह का सचचा जािकार सचचा गर हो सकता ह

ह सबको पता ह सक गर िािक सासहब ि ऐमिाबाद म मसलक भागो क छतिीस परकार क पकािो को तागकर भाई लालो की कोधर की रोटी को पससद सका कोसक आपको पहल परकार क भोजि म ग़रीब लोगो का ख़ि समला हआ सदखाई सदा तथा दसर परकार क भोजि म हि-हलाल की कमाई का अमत

कबीर सासहब ि अपि सम क अधर और पाखसडी गरओस की आलोचिा करत हए सलखा ह सक लोभश सशषो को लटत ह उिक सशष भी अपि साथग क सलए ही ऐस गरओस क साथ लग रहत ह ऐस लोगो को शधासत कस समल सकती ह आप कहत ह सक ऐस गर पस क पचास समलत ह राम-िाम को बचकर उस अपिी कमाई का साधि बिात ह और ऐस धि स सशषो की सगिती बढ़ाि का ति करत ह

कबीर पर गर सबिा परा ससष ि हो

गर लोभी ससष लालची दिी दाझि हो

गरआ तो ससता भा पसा कर पचास

राम िाम को बसच क कर ससष की आस (7)

कबीर सासहब ि गर तथा सशष दोिो क सलए बहत ऊचा आदशग सथासपत सका ह आप फ़रमात ह सक सशष को चासहए सक अपिा सब कछ गर को अपगण कर द अथवात सब कछ गर का समझकर इसतमाल कर परसत गर को चासहए सक सशष की सई तक को हाथ ि लगाए

ससष तो ऐसा चासह गर को सब कछ द

गर तो ऐसा चासह ससष स कछ ि ल (8)

12 | हि-हलाल की कमाई

कबीर सासहब सपषट कहत ह सक महातमा अपि सशषो का धि साधससगत की सा ा परोपकार म अश ख़चग करा दत ह तासक उिकी कमाई साथगक हो तथा परमाथग क राह पर चलि म सहाक ससद हो परसत सशषो स महातमा सिजी ज़ररतो ा सिजी लाभ क सलए कभी एक पाई भी िही लत

मसर जाऊ माग िही अपि ति क काज

परमारथ क कारि मोसहस ि आ लाज (9)

जसा सक सब जाित ह कबीर सासहब ि जीि भर कपड़ा बिि का काम करक अपिा और अपि पसरार का पालि सका आप जब भी ससतमत क परचार ा सतससग क सलए बाहर जात अपिा करघा साथ ल जात थ

हज़र सामी जी महाराज फ़रमात ह सक ससत-सतगरओस क पास िामभसकत का अखट भसडार होता ह दसिाी धि-दौलत की ओर िज़र उठाकर भी िही दखत अपि सशषो स अपि गज़ार क सलए कभी कछ िही लत हा परमाथग क सलए अपि सशषो स परोपकार ज़रर करात ह

गर िसहस भखा तर धि का उि प धि ह भसकत िाम का

पर तरा उपकार करा भख ास को सदला (10)

आपका अपिा जीि हि-हलाल की कमाई का एक पररणादाक उदाहरण ह छोटी उमर स ही आपका परमातमा की ओर झका था इससलए आप ऐसी िौकरी चाहत थ सजसम साथग और परमाथग दोिो साथ-साथ चल सक आपि बललभगढ़ क राजा क पास फ़ारसी क अधापक क रप म िौकरी की सजसम तीि घसट परसतसदि लगाि पड़त थ उि सदिो राजाओस क कमगचासरो को ति क साथ गज़ार क सलए रसद भी समला करती थी सामी जी महाराज सारी रसद ज़ररतमसदो म बाट सदा करत थ और ति का काफ़ी बड़ा सहससा

पापा बाझहो हो िाही | 13

अपि सपता जी को भज दत थ रोज़ी कमात हए भी आपक मि म पणग राग था

सामी जी महाराज क सपता जी घर क गज़ार क सलए साहकारी सका करत थ सपता जी क दहधात क बाद सामी जी ि सभी िज़गदारो को बलाकर कहा सक जो कोई िज़ज़ की मल रकम चकािा चाह चका द और जो ि लौटािा चाह ह ि लौटाए उनहोि िज़गदारो क सामि िज़ज़ क सार काग़ज़-पतर फाड़ सदए और सद की आमदिी सदा क सलए बसद कर दी

पापा बाझहो हो िाहीससत-महातमा कहत ह सक धि-दौलत पापो क सबिा इकटठी िही होती और असत सम साथ िही जाती गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग धि-दौलत इकटठा करि म खोए हए ह और इस बात पर सचार करि का ति िही करत सक पापो का ऐसा भारी बोझ इकटठा कर रह ह जो अिक लोगो क रहािी सिाश का कारण बि चका ह और अब उिक सिाश का कारण बिगा

इस जर 1 कारण घणी 2 सगती 3 इि जर घणी खआई 4

पापा बाझहो हो िाही मइआ साथ ि जाई (11)

धि जो पाप क सबिा इकटठा िही हो सकता मत क बाद साथ िही जा सकता और परभ की दरगाह म ददगशा का कारण बिता ह ह हमार सलए लाभपरद सकस परकार हो सकता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह सक राजा शासकी असधकारी आसद धि क मोह क अधीि पराी दौलत हसथाकर माा क सष का भसडार इकटठा कर लत ह ासत म लोभ लालच और माा उिको छल लत ह और असत सम उनह म क हाथो चोट सहिी पड़ती ह

1 धि 2 बहत 3 खार हई 4 कमागग पर भटक गई

14 | हि-हलाल की कमाई

भपत राज रसग राए 1 ससचह 2 सबख 3 माइआ 4

कर कर हत धाइद पर दरब 5 चराइआ

पतर कलतर ि ससहह 6 बह परीत लगाइआ

खसदआ ही माइआ धह गई 7 पछतह पछताइआ

जम दर बध मारीअह िािक हर भाइआ (12)

इसी भा को परकट करत हए गर अजगि द जी फ़रमात ह सक राजा महाराजा हासकम शासकी असधकारी और धिी लोग परमातमा का भ तागकर अिक ज़लम करक धि एकसतरत करत ह परसत ह धि-दौलत ह साज़ो-सामाि सब मौत क साथ ही ख़तम हो जाता ह

भपत होए क राज कमाइआ कर कर अिरथ सहाझी 8 माइआ

ससचत ससचत थली कीनही परभ उस त डार 9 अर 10 कउ दीनही

काच गगरीआ असभ मझरीआ 11 गरब गरब उआह मह परीआ 12

सिरभउ होइओ भइआ सिहसगा 13 चीत 14 ि आइओ करता ससगा

लसकर जोड़ कीआ ससबाहा 15

सिकससआ फक 16 त होए गइओ सआहा 17 (13)

हमार मि म हमशा ह सचसता रहती ह सक सद हम बईमािी िही करग तो सससार क काम िही चलग परसत सजि लोगो ि अपि जीि म िकी सचचाई और ईमािदारी स काम सला ह सदा ही कहत ह सक ईमािदारी की कमाई म बहत बरकत अथा सख-समसद ह और परभ सस सकसी ि सकसी परकार उिक सभी काग पणग कर दता ह

1 धिी 2 इकटठा करिा 3 ज़हर 4 माा 5 पराा धि 6 सशास 7 माइआगई=माा धोखा द गई धि जाता रहा 8 ख़रीदी भा परात की 9 लकर 10 दसर को 11 पािी क बीच म 12 उआहपरीआ=बार-बार उसी म सगरता ह अथवात उस बार-बार जनम लिा पड़ता ह 13 सिसशचसत 14 ाद 15 इकटठा सका 16 सास सिकल गई 17 राख हो गा अथवात मर गा

भसखआ भख ि उतरी | 15

ह ठीक ह सक अपिी महित और िक कमाई क दारा कोई वसकत ऐशो इशरत तो िही कर सकता परसत ह कमाई मधास शराब इससदरो क भोगो तथा अन कई परकार क दराचार तथा पापो स बचाती ह ह मि म ससतोष तथा परभ का परम और सशास पदा करती ह और सचच परमाथग की िी तार करती ह

भनखआ भख ि उतरीजो लोग सचच सदल स महसस करत ह सक सचचा और सथाी आिसद िक जीि और परभपरासत म ह परसननतापगक हि-हलाल की कमाई का सिम सीकार करत ह जो लोग आचरण की पसतरता और आसतमक आिसद स पसरसचत ह ा जो इसकी परासत क इचछक ह अिसचत ढसग स की गई कमाई का ताग करत ह इस परकार की कमाई का ताग उनह परमाथगरपी हीर-जाहरात की परासत क सलए ईटो-पतथरो की क़बवािी क समाि परतीत होता ह परसत जो लोग इस आिसद स अिजाि ह और सजनह इस परात करि की कोई चाह िही उनह दसिा क िाशाि भोग और धि-दौलत ही सब कछ परतीत होत ह ह िही जाित सक भोग और अिसचत ढसग स कमाा गा धि लोक और परलोक दोिो म ही उिकी ददगशा का कारण बिता ह अतए मिष को चासहए सक जो कछ अपिी हि-हलाल की कमाई स समल उस पर ससतोष कर तथा भोगो क लालच स बच धि की तषणा असगि क समाि ह जो लकड़ी डालि पर कभी भी शधात िही होती बसलक और भड़क उठती ह गर िािक सासहब कहत ह सक सार सससार का धि भी लालची क मि की भख को िही समटा सकता

भसखआ भख ि उतरी ज बसिा परीआ भार 1 (14)

सफ़ी ससत सरमद लोभ को खारी ा ददगशा का कारण बतात ह कहत ह सक लोभी वसकत ज़हरील सापो स ज़ादा ख़तरिाक ह

1 अथवात सभी लोको की धि-दौलत

16 | हि-हलाल की कमाई

सरमद त सज़ ख़लि हच ारी मतलब

अज़ शाख़-बरहिा साा दारी मतलब

इज़ज़त सज़ ििाअत असत ओ खारी सज़ तमअ

बा इज़ज़ात-खश बाश खारी मतलब (15)

अथवात ऐ सरमद त दसिा स सचच ार की उममीद ि कर सबिा पतिो का पड़ सकसी को भी साा िही द सकता लोभ स अपमाि और ससतोष स सममाि परात होता ह सममाि स जी अपमाि की सज़सदगी का तलबगार ि बि

दसिा तलबधा रा सकह गम-दीिार असत

ब समहरी-ए-शाि ब कद गर सबसार असत

अज़ अिरब-ओ-मार हच असदशा मकि

ज़ी िौम हज़र बकि सकह िश-ओ-ख़ार असत (16)

अथवात दसिा क मताल सोि-चादी क सलए तड़पत ह और एक दसर स दशमिी करि क सलए मशहर ह त सापो और सबचछओस स ि डर लसकि इि माा क परसमो स डर सजिक असदर ज़हर और काट भर पड़ ह

गर अजगि द जी फ़रमात ह सक लोभी सदा लोभ की लहरो म डोलता रहता ह ह ोग-अोग भला-बरा िही दखता ह ार समतरो सग-ससबससधो पजा क ोग माता-सपता तथा अपि इषट को लटि म भी लजजा िही करता

ह लोभा लसपट ससग ससरमोरह असिक लहरी कलोलत 1

धासत जीआ बह परकारस असिक भधात बह डोलत

1 हhellipकलोलत=ह लोभ ति बड़-बड़ सशरोमसण परषो को फसाा ह और तरी अिक लहरो म कीड़ा कर रह ह

दो तरह की सति | 17

िच 1 समतरस िच इसटस िच बाध िच मात सपता त लजा

अकरणस करोत अखादय खादयस 2 असाजस साज समजा 3

तराह तराह सरण सआमी सबगात 4 िािक हर िरहरह 5 (17)

जस-जस मिष की इचछाए परी होती जाती ह स ही और बढ़ती जाती ह उस कभी तसत िही समलती तसत कल ससतोष म ही ह ससतोष क सबिा ि कोई त त हो सकता ह और ि ही सकसी का परमाथग बि सकता ह

सहस खट लख कउ उठ धा 6 सतरपत ि आ माइआ पाछ पा

असिक भोग सबसखआ क 7 कर िह सतरपता खप खप मर

सबिा ससतोख िही कोऊ राज 8 सपि मिोरथ सबरथ 9 सभ काज (18)

इसका ह अथग िही सक गर सासहबाि अथा ससत-महातमा लोगो को आजीसका कमाि अथा सधासासरक उननसत करि स रोकत ह ससत सकसी की उननसत ा सकसी क फलि-फलि क सरद िही होत तो कल ही आगरह करत ह सक आसथगक और सधासासरक उननसत सचचाईपणग और िक उपाो दारा करिी चासहए और हमशा महित सत और ईमािदारी स काम लिा चासहए

ससत-महातमा लोगो को धि और माा क लोभ क परसत इससलए होसशार करत ह सक सधासासरकता ा माा उि पर हाी ि हो जाए और सससार म आि क परभपरासत क असली उददश को ि भल जाए

दो तरह की नतिगर िािक सासहब ि आसा की वार म एक ओर तो सधासासरक सति ाल अससतोषी सकारी परष का िक़शा खीचा ह जो बर कममो म परति

1 ि करि ोग काग करता ह 2 ि खाि ोग चीज़ खाता ह 3 असाज सhellipसमजा=ि बिाि ोग सतओस को बिाता तथा इकटठा करता ह 4 सिती करता ह 5 िरहसर परमातमा 6 सहसhellipधा=हज़ार इकटठा कर लि पर लाख क पीछ दौड़ता ह 7 सषो क 8 तत होता 9 वथग

18 | हि-हलाल की कमाई

होकर अपि जीि को बरबाद कर दता ह और मौत क बाद ातिाए पाता ह दसरी ओर सचची महित तथा िक कमाई करिाल ऐस ससतोषी जी का सचतर परसतत सका ह जो सतगर दारा खीची हई लकीर क असदर रहता ह तथा अकालपरष ा परमसपता परमातमा की भसकत करक सदा क सलए उसस समलाप परात कर लता ह सधासासरक तथा भोगी वसकत की असथा का णगि करत हए आप फ़रमात हthinsp

आपीनह भोग भोग क होए भसमड़ भउर ससधाइआ 1

डा होआ 2 दिीदार गल ससगल 3 घत चलाइआ

अग करणी कीरत ाचीऐ बह लखा कर समझाइआ 4

थाउ ि होी पउदीई 5 हण सणीऐ सकआ रआइआ

मि असध जिम गाइआ (19)

आप ससतोषी और धमवातमा परष का णगि इस परकार करत ह

स कीती ससतोखीई सजनही सचो सच सधआइआ

ओनही मसद पर ि रसखओ 6 कर ससकत 7 धरम कमाइआ

ओनही दिीआ तोड़ बसधिा असि पाणी थोड़ा खाइआ

तस बखसीसी अगला 8 सित द ह चड़ह साइआ 9

सडआई 10 डा पाइआ 11 (20)

साधक का असली ससघषग ही काम कोध लोभ मोह अहसकार आसद सकारो क साथ ह और बईमािी की कमाई सकारो की जड़ ह जब अिसचत

1 भसमडhellipनसधाइआ=शरीर जलकर भसम की ढरी हो जाता ह और आतमा परसथाि कर जाती ह 2 मर गा 3 गल म ज़सजीर 4 अगhellipसमझाइआ=आग (मत क बाद) उसक कममो का सरण उस सिाा जाता ह तथा उसक अिसार आग का जीि सलखा जाता ह 5 थाउhellipपउदीई=मदतो की मार पड़त सम कही सथाि िही समलता अथवात सहारा िही समलता 6 ओनहीरनखओ= ग़लत रासत पर िही गए 7 िक कमाई 8 तसअगला=त उनह और असधक दता ह 9 डह साइआ=बढ़ती रहती ह 10 परभ की दा स 11 परभ को परात कर लता ह

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 3: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

3

दो शबद

ससतमत आधासतमक उननसत का वाहासरक मागग ह इस मागग म सिमगल और पसतर रहिी सासतक आहार तथा ऊच पसतर सचारो का बहत महत ह कोसक सदाचार और िसतकता की सदढ़ िी पर ही रहािी तरककी और िाम क अभास क मज़बत सिल का सिमवाण सका जा सकता ह िक कमाई का परभा आहार सचार तथा आचरण तीिो पर पड़ता ह इससलए ससत-महातमाओस ि िक कमाई अथा हि-हलाल की कमाई को परभपरासत क मागग म अगरसर होि क सलए एक आशक आधार मािा ह ससतो ि सस अपि जीि म इस ससदधात का दढ़तापगक पालि सका ह तथा अपि सशषो को िक कमाई पर गज़ारा करि क सलए सिरसतर साधाि करत रह ह

आशा ह सक इस पससतका स सजजासओस तथा सतसससगो को ससत-महातमाओस क हि-हलाल की कमाई क उपदश पर सचार करि तथा उसक अिसार अपिा जीि ढालि की पररणा समलगी

डरा बाबा जमल सससह सा सससहसज़ला अमतसर (पसजाब) सकटरीजिरी 1994 राधासामी सतससग बास

4

पाठको स निदि

बािी का सही उचारण

गरबािी अकसर दखि म आा ह सक सहसदी पाठक शी गर गरनथ सासहब की बािी (गरबािी) का शद उचचारण िही कर पात ह गरबािी मल रप म गरमखी सलसप म सलखी गई ह इसम कई शबदो क असत म हरस इ (स ) और हरस उ ( ) की मातराओस का परोग सका गा ह ह परोग कल वाकरण की दसषट स ह बािी पढ़त सम इि मातराओस का आमतौर पर उचचारण िही सका जाता सहसदी पाठक बड़ परम स गरबािी का पाठ ा गाि करि का ति करत ह लसकि इि मातराओस और कछ अन अपसरसचत सहजजो (सपसलसग) क कारण अिजाि म उचचारण ग़लत हो जाता ह हम शी गर गरनथ सासहब का परा सममाि करत ह हम चाहत ह सक पाठक बािी का उचचारण ग़लत ि कर इससलए गरबािी का रपधातर दिागरी सलसप म करत सम हरस मातराए हटा दी गई ह और अन कछ पसरतगि कर सदए गए ह तासक सहसदी भाषा क पाठक गरबािी का सही उचचारण कर सक

उदाहरण क रप म

मल रप कदरसत पउण पाणी बससतर कदरसत धरती खाक सभ तरी कदरसत तस कासदर करता पाकी िाई पाक िािक हकम असदसर ख रत ताको ताक

पाठको स सिदि | 5

उचचारण रप कदरत पउण पाणी बससतर कदरत धरती खाक सभ तरी कदरत तस कासदर करता पाकी िाई पाक िािक हकम असदर ख रत ताको ताक

हा ह बात सपषट कर दिा आशक ह सक इि मातराओस का परोग पढ़ि म भल ही िही होता लसकि गरबािी म इि मातराओस का वाकरण और अथग की दसषट स सशष महत ह गर सासहबाि क ससदश को असधक गहराई स समझि क इचछक गरबािी का मल रप म अधि कर सकत ह

नहसदी बािीसहसदी बािी म कही-कही lsquoखrsquo णग को lsquoषrsquo सलखा जाता हmdashजस दसष मसरष पसषी लसकि इि शबदो का उचचारण दसख मसरख पसखी सका जाता ह इससलए सही उचचारण की दसषट स इस पसतक म आशकतािसार lsquoषrsquo क सथाि पर lsquoखrsquo णग का परोग सका गा ह

परकाशक

6

हक़-हलाल की कमाई

xससतमत कथिी का िही करिी का मागग ह ह अधातम क उचच और पसतर ससदधातो को अमली जामा पहिाि पर और उनह अपि जीि म वाहासरक रप म उतारि पर ज़ोर दता ह ससत-महातमाओस ि िक कमाई की मसहमा की ह और इस बात पर ज़ोर सदा ह सक परमाथग क एक सचच साधक क सलए अपिी सिजी कमाई दसधा िौहा 1 की कमाई अथा हि-हलाल की कमाई 2 बहत ज़ररी ह कहात हः जसा खा अनन सा हो मि अिसचत रप स कमाए हए धि स परात आहार ा भोजि अिसचत सचारो और अिसचत सतिो को जनम दता ह ऐसा आहार मि को सिकषट सचारो तथा ससकलपो का अखाड़ा बिा दता ह सजसक फलसरप परमाथग म उननसत करिा अससभ हो जाता ह अपिी महित की कमाई को तागकर अपिा बोझ दसरो पर डाल दिाल पजा क धि चढ़ा और भट पर पलिाल और चोरी ठगी बईमािी धोख छल आसद दारा पराा धि हसथाि ाल लोग परमाथग म उननसत िही कर सकत चाह ऐस लोग अपि आप को बहत बसदमाि साि ा चतर समझ पर असल म अपि आप को ही धोखा द रह ह

इसी सलए ससत-महातमाओस ि िक कमाई पर ज़ोर सदा ह कहत ह सक मि और आतमा की गाठ बधी हई ह सजस जड़ndashचति की गाठ कहा जाता ह मि की परसति चसचल ह ह पल भर क सलए भी ससथर

1 दसो िाख़िो अथवात अपिी महित की कमाई 2 हक़-हलाल की कमाई=अपिी महित और ईमािदारी स कमाा धि

हि-हलाल की कमाई | 7

ा सिशचल िही रहता और जब तक मि साथ ि द आतमा असतर म चढ़ाई करि म सफल िही हो सकती हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करि स मि की चसचलता को कम करि तथा उसका झका असदर की ओर करि म सहाता समलती ह सजसस अभासी क सलए आधासतमक ातरा त करिा सहज हो जाता ह आधासतमक उननसत का बीज कल महित क सचच और पसतर खत म ही असकसरत हो सकता ह सचच परमाथग म भीख बईमािी और धोख दारा कमाए हए धि क सलए कोई सथाि िही ह

जब कोई रोगी इलाज क सलए डॉकटर क पास जाता ह तो डॉकटर उसक रोग की पहचाि करक उस दाई दता ह साथ ही ह रोगी को दो बात धाि म रखि की सहदात दता ह mdash एक तो ह सक दाई सम पर ली जाए और दसरी ह सक बताए गए परहज़ की पालिा ज़रर की जाए रहासित क षितर म ससत-सतगर अजािता स पीसड़त सससासरो क सलए डॉकटर ा दय बिकर आत ह उनह िाम की दाई दत ह और उसक सिमप गक स ि की ताकीद करत ह साथ ही उनह कछ ज़ररी परहज़ भी बतात ह सजिम स एक ह ह सक पराा हि छीिि ा छल-कपट स धि कमाि स बच और हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा कर

ससत-महातमाओस ि अपि उपदश म सपषट और ज़ोरदार शबदो म हि-हलाल की कमाई पर बल सदा ह परमातमा क भकतो ि सस िक रहिी तथा हि-हलाल की कमाई की सज़सदा समसाल बिकर परमाथग क साधको को जीि म असधक स असधक पसतरता अपिाि की पररणा दी ह हि-हलाल की कमाई स महातमाओस का तातपग उस धि स ह जो सचचाई और िकी क दारा कमाा गा हो सजस पर ना कािि और िसतक दसषट स उपभोग करिाल का हि ा असधकार हो सजस कमाि म दश और समाज क सिमो तथा मािता का हिि ि सका गा हो सजस परात करि क सलए सकसी का िकसाि ि सका गा हो तथा सजसम स पसरार तथा अन भागीदारो को उिका सहससा नाप गक द सदा गा हो

8 | हि-हलाल की कमाई

सनरितसचची और िक कमाई सासतक आहार शभ सचार िक आचरण मासलक क परसमो की ससगत और िाम का अभास ससतमत की परमख आशकताए ह शबद अथा िाम की कमाई आहार सचार और आचार की पसतरता क सहार ही हो सकती ह ससतो ि इस सष की ससतारपगक वाखा की ह ससत िामद ि ससकत अथवात अचछ िसतक कममो दारा की गई कमाई स गज़ारा करि को बहत महत सदा ह ऐसी िक कमाई की मसहमा बतात हए आप कहत ह सक इसस मिष समत अथवात अचछी सिमगल बसद ाला होकर गरमत म रहकर िाम का अभास करि क ोग हो जाता ह और इस परकार ह परमधाम परात कर सकता ह

भित िामदउ ससकत समत भए

गरमत राम कह को को ि बकसठ गए  (1)

ससत िामद ख़द भी परी सज़सदगी छीप और दज़ज़ी का काग करत हए अपिी ईमािदारी की कमाई पर गज़ारा करत रह

गर असगद द जी ि भी सभी गमो क लोगो क सलए िक कमाई क सिम पर ज़ोर सदा ह आपि भी ससकत को धमग का अथवात अधातम म उननसत का आधार बताा ह

कर ससकत धरम कमाइआ (2)

हर सम की तरह गर िािक द जी क सम म भी एक तरफ़ राजा हासकम और असधकारी दसरी तरफ़ पससडत परोसहत मलला तथा िाज़ी और तीसरी तरफ़ वापारी और धिी लोग महित की िक कमाई स दर जा रह थ आम लोगो की रहिी म भी सचचाई और ईमािदारी का अभा होता जा रहा था गर सासहब का धरम को ससकत क साथ जोड़िा बकार बठ लोगो दसरो की कमाई पर ऐश करिालो और ठगी-बईमािी करिालो क सलए एक गसभीर चतािी था और आज भी ह

ससकत | 9

धासमगक िता पराा धि लि म िाज़ी और हासकम सरशत लि म पाप िही समझत थ गर िािक सासहब फ़रमात ह सक तसबीह (माला) फरिाल और ख़दा-ख़दा करिाल लोग जब इिसाफ़ की कसज़ी पर बठत ह तो सरशत खाकर दसरो क हि ा असधकारो को छीि लत ह सद उिस कछ कहा जाए तो धमगपसतको का हाला दकर अपि आप को ठीक सासबत करि का परति करत ह

काजी होए क बह सिआए फर तसबी कर खदाए

ढी 1 ल क हक गाए ज को पछ ता पड़ सणाए (3)

गर सासहब फ़रमात ह सक लोगो क गलो पर छरी चलािाल परोसहत आसद अपि गल म जिऊ पहिकर अपिी पसतरता का सदखाा करत ह हर तरफ़ झठ और छल परधाि ह सचचाई ईमािदारी और धमग पसख लगाकर उड़ गए ह अपि आप को धमवातमा कहिाल परोसहत लोग बईमािी और अना क दारा धि कमािाल लोगो क घरो म जाकर पजा आसद कराकर पराणो म स कथाए सिाकर पाप की कमाई का अनन खात ह

माणस खाण 2 करह सिाज छरी गाइि 3 सति गल ताग 4

सति घर बरहमण परह िाद उनहा सभ आह ओई साद

कडी 5 रास 6 कड़ा ापार कड़ बोल करह आहार

सरम धरम का डरा दर िािक कड़ रसहआ भरपर

मथ सटका तड़ धोती कखाई हथ छरी जगत कासाई 7

िील सतर पसहर होह पराण मलछ धाि ल पजह पराण (4)

1 सरशत अनापगक धि लिा 2 मिष तक का भषिण करिाल अथवात साथग क सलए दसरो को सकसी भी परकार की हासि पहचाि को तार 3 चलािाल 4 जिऊ 5 झठी 6 धि-ससपसति 7 जगत क िसाई सार सससार पर ज़लम करिाल

10 | हि-हलाल की कमाई

गर सासहब फ़रमात ह सक लोग अिक परकार की चोरी ठगी दराचार और झठ क पाप का भार अपि ऊपर लाद जा रह ह

लख चोरीआ लख जारीआ लख कड़ीआ लख गाल

लख ठगीआ पसहिामीआ 1 रात सदिस जीअ िाल (5)

घाल खाए नकछ हथहो दगर िािक सासहब ि राजा परजा पससडत मखग सदाि अिपढ़ सहसद और मसलमाि सभी क सलए ससकत अथा िक कमाई क सिम पर ज़ोर सदा इस परकार आप सचच धमग को मससदरो मससजदो ठाकरदारो सगरजाघरो आसद की चारदीारी स सिकालकर खतो दकािो कचहसरो दफ़तरो ािी मिष क दसिक जीि म ल आए आपि कल उनही लोगो को धासमगक सका और रहािी अभास क ोग मािा जो हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करत ह गर िािक द जी ि सस षमो तक दौलतखधा लोदी क मोदीख़ाि म सचचाई तथा परी ईमािदारी क साथ काम सका और इस कमाई म स खल सदल स ग़रीबो-अिाथो की मदद की बाद म आपि करतारपर म खती की और अपिी िक कमाई पर गज़ारा करत हए ज़ररतमसदो की सहाता भी की आपि सस एक सचच परमाथज़ी का जीसत उदाहरण सथासपत सका तासक आपक उपदश क इस मल पहल mdash िक कमाई mdash क सष म सकसी परकार का कोई भरम ि रह जाए आपि अपिी ाणी म बहत सपषट और सरल शबदो म गरओस पीरो तथा सशषो क सलए सिजी कमाई तथा अपिी सचची और पसतर कमाई पर सिवाह करत हए उसम स ज़ररतमसदो की सहाता करि का आदशग सथासपत सका ह

गर पीर सदाए मसगण जाए ता क मल ि लगीऐ पाए

घाल खाए सकछ हथहो द िािक राह पछाणह स  (6)

1 गत रप स और सछपकर सकए गए पाप

घाल खाए सकछ हथहो द | 11

अथवात अगर कोई गर ा पीर होकर सशषो स मागता सफरता ह तो उसक परो पर कभी ससर िही झकािा चासहए जो महित करक अपिी रोज़ी कमाता हो और उस हि-हलाल की कमाई म स साधससगत की सा करता हो ही परमाथग की राह का सचचा जािकार सचचा गर हो सकता ह

ह सबको पता ह सक गर िािक सासहब ि ऐमिाबाद म मसलक भागो क छतिीस परकार क पकािो को तागकर भाई लालो की कोधर की रोटी को पससद सका कोसक आपको पहल परकार क भोजि म ग़रीब लोगो का ख़ि समला हआ सदखाई सदा तथा दसर परकार क भोजि म हि-हलाल की कमाई का अमत

कबीर सासहब ि अपि सम क अधर और पाखसडी गरओस की आलोचिा करत हए सलखा ह सक लोभश सशषो को लटत ह उिक सशष भी अपि साथग क सलए ही ऐस गरओस क साथ लग रहत ह ऐस लोगो को शधासत कस समल सकती ह आप कहत ह सक ऐस गर पस क पचास समलत ह राम-िाम को बचकर उस अपिी कमाई का साधि बिात ह और ऐस धि स सशषो की सगिती बढ़ाि का ति करत ह

कबीर पर गर सबिा परा ससष ि हो

गर लोभी ससष लालची दिी दाझि हो

गरआ तो ससता भा पसा कर पचास

राम िाम को बसच क कर ससष की आस (7)

कबीर सासहब ि गर तथा सशष दोिो क सलए बहत ऊचा आदशग सथासपत सका ह आप फ़रमात ह सक सशष को चासहए सक अपिा सब कछ गर को अपगण कर द अथवात सब कछ गर का समझकर इसतमाल कर परसत गर को चासहए सक सशष की सई तक को हाथ ि लगाए

ससष तो ऐसा चासह गर को सब कछ द

गर तो ऐसा चासह ससष स कछ ि ल (8)

12 | हि-हलाल की कमाई

कबीर सासहब सपषट कहत ह सक महातमा अपि सशषो का धि साधससगत की सा ा परोपकार म अश ख़चग करा दत ह तासक उिकी कमाई साथगक हो तथा परमाथग क राह पर चलि म सहाक ससद हो परसत सशषो स महातमा सिजी ज़ररतो ा सिजी लाभ क सलए कभी एक पाई भी िही लत

मसर जाऊ माग िही अपि ति क काज

परमारथ क कारि मोसहस ि आ लाज (9)

जसा सक सब जाित ह कबीर सासहब ि जीि भर कपड़ा बिि का काम करक अपिा और अपि पसरार का पालि सका आप जब भी ससतमत क परचार ा सतससग क सलए बाहर जात अपिा करघा साथ ल जात थ

हज़र सामी जी महाराज फ़रमात ह सक ससत-सतगरओस क पास िामभसकत का अखट भसडार होता ह दसिाी धि-दौलत की ओर िज़र उठाकर भी िही दखत अपि सशषो स अपि गज़ार क सलए कभी कछ िही लत हा परमाथग क सलए अपि सशषो स परोपकार ज़रर करात ह

गर िसहस भखा तर धि का उि प धि ह भसकत िाम का

पर तरा उपकार करा भख ास को सदला (10)

आपका अपिा जीि हि-हलाल की कमाई का एक पररणादाक उदाहरण ह छोटी उमर स ही आपका परमातमा की ओर झका था इससलए आप ऐसी िौकरी चाहत थ सजसम साथग और परमाथग दोिो साथ-साथ चल सक आपि बललभगढ़ क राजा क पास फ़ारसी क अधापक क रप म िौकरी की सजसम तीि घसट परसतसदि लगाि पड़त थ उि सदिो राजाओस क कमगचासरो को ति क साथ गज़ार क सलए रसद भी समला करती थी सामी जी महाराज सारी रसद ज़ररतमसदो म बाट सदा करत थ और ति का काफ़ी बड़ा सहससा

पापा बाझहो हो िाही | 13

अपि सपता जी को भज दत थ रोज़ी कमात हए भी आपक मि म पणग राग था

सामी जी महाराज क सपता जी घर क गज़ार क सलए साहकारी सका करत थ सपता जी क दहधात क बाद सामी जी ि सभी िज़गदारो को बलाकर कहा सक जो कोई िज़ज़ की मल रकम चकािा चाह चका द और जो ि लौटािा चाह ह ि लौटाए उनहोि िज़गदारो क सामि िज़ज़ क सार काग़ज़-पतर फाड़ सदए और सद की आमदिी सदा क सलए बसद कर दी

पापा बाझहो हो िाहीससत-महातमा कहत ह सक धि-दौलत पापो क सबिा इकटठी िही होती और असत सम साथ िही जाती गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग धि-दौलत इकटठा करि म खोए हए ह और इस बात पर सचार करि का ति िही करत सक पापो का ऐसा भारी बोझ इकटठा कर रह ह जो अिक लोगो क रहािी सिाश का कारण बि चका ह और अब उिक सिाश का कारण बिगा

इस जर 1 कारण घणी 2 सगती 3 इि जर घणी खआई 4

पापा बाझहो हो िाही मइआ साथ ि जाई (11)

धि जो पाप क सबिा इकटठा िही हो सकता मत क बाद साथ िही जा सकता और परभ की दरगाह म ददगशा का कारण बिता ह ह हमार सलए लाभपरद सकस परकार हो सकता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह सक राजा शासकी असधकारी आसद धि क मोह क अधीि पराी दौलत हसथाकर माा क सष का भसडार इकटठा कर लत ह ासत म लोभ लालच और माा उिको छल लत ह और असत सम उनह म क हाथो चोट सहिी पड़ती ह

1 धि 2 बहत 3 खार हई 4 कमागग पर भटक गई

14 | हि-हलाल की कमाई

भपत राज रसग राए 1 ससचह 2 सबख 3 माइआ 4

कर कर हत धाइद पर दरब 5 चराइआ

पतर कलतर ि ससहह 6 बह परीत लगाइआ

खसदआ ही माइआ धह गई 7 पछतह पछताइआ

जम दर बध मारीअह िािक हर भाइआ (12)

इसी भा को परकट करत हए गर अजगि द जी फ़रमात ह सक राजा महाराजा हासकम शासकी असधकारी और धिी लोग परमातमा का भ तागकर अिक ज़लम करक धि एकसतरत करत ह परसत ह धि-दौलत ह साज़ो-सामाि सब मौत क साथ ही ख़तम हो जाता ह

भपत होए क राज कमाइआ कर कर अिरथ सहाझी 8 माइआ

ससचत ससचत थली कीनही परभ उस त डार 9 अर 10 कउ दीनही

काच गगरीआ असभ मझरीआ 11 गरब गरब उआह मह परीआ 12

सिरभउ होइओ भइआ सिहसगा 13 चीत 14 ि आइओ करता ससगा

लसकर जोड़ कीआ ससबाहा 15

सिकससआ फक 16 त होए गइओ सआहा 17 (13)

हमार मि म हमशा ह सचसता रहती ह सक सद हम बईमािी िही करग तो सससार क काम िही चलग परसत सजि लोगो ि अपि जीि म िकी सचचाई और ईमािदारी स काम सला ह सदा ही कहत ह सक ईमािदारी की कमाई म बहत बरकत अथा सख-समसद ह और परभ सस सकसी ि सकसी परकार उिक सभी काग पणग कर दता ह

1 धिी 2 इकटठा करिा 3 ज़हर 4 माा 5 पराा धि 6 सशास 7 माइआगई=माा धोखा द गई धि जाता रहा 8 ख़रीदी भा परात की 9 लकर 10 दसर को 11 पािी क बीच म 12 उआहपरीआ=बार-बार उसी म सगरता ह अथवात उस बार-बार जनम लिा पड़ता ह 13 सिसशचसत 14 ाद 15 इकटठा सका 16 सास सिकल गई 17 राख हो गा अथवात मर गा

भसखआ भख ि उतरी | 15

ह ठीक ह सक अपिी महित और िक कमाई क दारा कोई वसकत ऐशो इशरत तो िही कर सकता परसत ह कमाई मधास शराब इससदरो क भोगो तथा अन कई परकार क दराचार तथा पापो स बचाती ह ह मि म ससतोष तथा परभ का परम और सशास पदा करती ह और सचच परमाथग की िी तार करती ह

भनखआ भख ि उतरीजो लोग सचच सदल स महसस करत ह सक सचचा और सथाी आिसद िक जीि और परभपरासत म ह परसननतापगक हि-हलाल की कमाई का सिम सीकार करत ह जो लोग आचरण की पसतरता और आसतमक आिसद स पसरसचत ह ा जो इसकी परासत क इचछक ह अिसचत ढसग स की गई कमाई का ताग करत ह इस परकार की कमाई का ताग उनह परमाथगरपी हीर-जाहरात की परासत क सलए ईटो-पतथरो की क़बवािी क समाि परतीत होता ह परसत जो लोग इस आिसद स अिजाि ह और सजनह इस परात करि की कोई चाह िही उनह दसिा क िाशाि भोग और धि-दौलत ही सब कछ परतीत होत ह ह िही जाित सक भोग और अिसचत ढसग स कमाा गा धि लोक और परलोक दोिो म ही उिकी ददगशा का कारण बिता ह अतए मिष को चासहए सक जो कछ अपिी हि-हलाल की कमाई स समल उस पर ससतोष कर तथा भोगो क लालच स बच धि की तषणा असगि क समाि ह जो लकड़ी डालि पर कभी भी शधात िही होती बसलक और भड़क उठती ह गर िािक सासहब कहत ह सक सार सससार का धि भी लालची क मि की भख को िही समटा सकता

भसखआ भख ि उतरी ज बसिा परीआ भार 1 (14)

सफ़ी ससत सरमद लोभ को खारी ा ददगशा का कारण बतात ह कहत ह सक लोभी वसकत ज़हरील सापो स ज़ादा ख़तरिाक ह

1 अथवात सभी लोको की धि-दौलत

16 | हि-हलाल की कमाई

सरमद त सज़ ख़लि हच ारी मतलब

अज़ शाख़-बरहिा साा दारी मतलब

इज़ज़त सज़ ििाअत असत ओ खारी सज़ तमअ

बा इज़ज़ात-खश बाश खारी मतलब (15)

अथवात ऐ सरमद त दसिा स सचच ार की उममीद ि कर सबिा पतिो का पड़ सकसी को भी साा िही द सकता लोभ स अपमाि और ससतोष स सममाि परात होता ह सममाि स जी अपमाि की सज़सदगी का तलबगार ि बि

दसिा तलबधा रा सकह गम-दीिार असत

ब समहरी-ए-शाि ब कद गर सबसार असत

अज़ अिरब-ओ-मार हच असदशा मकि

ज़ी िौम हज़र बकि सकह िश-ओ-ख़ार असत (16)

अथवात दसिा क मताल सोि-चादी क सलए तड़पत ह और एक दसर स दशमिी करि क सलए मशहर ह त सापो और सबचछओस स ि डर लसकि इि माा क परसमो स डर सजिक असदर ज़हर और काट भर पड़ ह

गर अजगि द जी फ़रमात ह सक लोभी सदा लोभ की लहरो म डोलता रहता ह ह ोग-अोग भला-बरा िही दखता ह ार समतरो सग-ससबससधो पजा क ोग माता-सपता तथा अपि इषट को लटि म भी लजजा िही करता

ह लोभा लसपट ससग ससरमोरह असिक लहरी कलोलत 1

धासत जीआ बह परकारस असिक भधात बह डोलत

1 हhellipकलोलत=ह लोभ ति बड़-बड़ सशरोमसण परषो को फसाा ह और तरी अिक लहरो म कीड़ा कर रह ह

दो तरह की सति | 17

िच 1 समतरस िच इसटस िच बाध िच मात सपता त लजा

अकरणस करोत अखादय खादयस 2 असाजस साज समजा 3

तराह तराह सरण सआमी सबगात 4 िािक हर िरहरह 5 (17)

जस-जस मिष की इचछाए परी होती जाती ह स ही और बढ़ती जाती ह उस कभी तसत िही समलती तसत कल ससतोष म ही ह ससतोष क सबिा ि कोई त त हो सकता ह और ि ही सकसी का परमाथग बि सकता ह

सहस खट लख कउ उठ धा 6 सतरपत ि आ माइआ पाछ पा

असिक भोग सबसखआ क 7 कर िह सतरपता खप खप मर

सबिा ससतोख िही कोऊ राज 8 सपि मिोरथ सबरथ 9 सभ काज (18)

इसका ह अथग िही सक गर सासहबाि अथा ससत-महातमा लोगो को आजीसका कमाि अथा सधासासरक उननसत करि स रोकत ह ससत सकसी की उननसत ा सकसी क फलि-फलि क सरद िही होत तो कल ही आगरह करत ह सक आसथगक और सधासासरक उननसत सचचाईपणग और िक उपाो दारा करिी चासहए और हमशा महित सत और ईमािदारी स काम लिा चासहए

ससत-महातमा लोगो को धि और माा क लोभ क परसत इससलए होसशार करत ह सक सधासासरकता ा माा उि पर हाी ि हो जाए और सससार म आि क परभपरासत क असली उददश को ि भल जाए

दो तरह की नतिगर िािक सासहब ि आसा की वार म एक ओर तो सधासासरक सति ाल अससतोषी सकारी परष का िक़शा खीचा ह जो बर कममो म परति

1 ि करि ोग काग करता ह 2 ि खाि ोग चीज़ खाता ह 3 असाज सhellipसमजा=ि बिाि ोग सतओस को बिाता तथा इकटठा करता ह 4 सिती करता ह 5 िरहसर परमातमा 6 सहसhellipधा=हज़ार इकटठा कर लि पर लाख क पीछ दौड़ता ह 7 सषो क 8 तत होता 9 वथग

18 | हि-हलाल की कमाई

होकर अपि जीि को बरबाद कर दता ह और मौत क बाद ातिाए पाता ह दसरी ओर सचची महित तथा िक कमाई करिाल ऐस ससतोषी जी का सचतर परसतत सका ह जो सतगर दारा खीची हई लकीर क असदर रहता ह तथा अकालपरष ा परमसपता परमातमा की भसकत करक सदा क सलए उसस समलाप परात कर लता ह सधासासरक तथा भोगी वसकत की असथा का णगि करत हए आप फ़रमात हthinsp

आपीनह भोग भोग क होए भसमड़ भउर ससधाइआ 1

डा होआ 2 दिीदार गल ससगल 3 घत चलाइआ

अग करणी कीरत ाचीऐ बह लखा कर समझाइआ 4

थाउ ि होी पउदीई 5 हण सणीऐ सकआ रआइआ

मि असध जिम गाइआ (19)

आप ससतोषी और धमवातमा परष का णगि इस परकार करत ह

स कीती ससतोखीई सजनही सचो सच सधआइआ

ओनही मसद पर ि रसखओ 6 कर ससकत 7 धरम कमाइआ

ओनही दिीआ तोड़ बसधिा असि पाणी थोड़ा खाइआ

तस बखसीसी अगला 8 सित द ह चड़ह साइआ 9

सडआई 10 डा पाइआ 11 (20)

साधक का असली ससघषग ही काम कोध लोभ मोह अहसकार आसद सकारो क साथ ह और बईमािी की कमाई सकारो की जड़ ह जब अिसचत

1 भसमडhellipनसधाइआ=शरीर जलकर भसम की ढरी हो जाता ह और आतमा परसथाि कर जाती ह 2 मर गा 3 गल म ज़सजीर 4 अगhellipसमझाइआ=आग (मत क बाद) उसक कममो का सरण उस सिाा जाता ह तथा उसक अिसार आग का जीि सलखा जाता ह 5 थाउhellipपउदीई=मदतो की मार पड़त सम कही सथाि िही समलता अथवात सहारा िही समलता 6 ओनहीरनखओ= ग़लत रासत पर िही गए 7 िक कमाई 8 तसअगला=त उनह और असधक दता ह 9 डह साइआ=बढ़ती रहती ह 10 परभ की दा स 11 परभ को परात कर लता ह

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 4: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

4

पाठको स निदि

बािी का सही उचारण

गरबािी अकसर दखि म आा ह सक सहसदी पाठक शी गर गरनथ सासहब की बािी (गरबािी) का शद उचचारण िही कर पात ह गरबािी मल रप म गरमखी सलसप म सलखी गई ह इसम कई शबदो क असत म हरस इ (स ) और हरस उ ( ) की मातराओस का परोग सका गा ह ह परोग कल वाकरण की दसषट स ह बािी पढ़त सम इि मातराओस का आमतौर पर उचचारण िही सका जाता सहसदी पाठक बड़ परम स गरबािी का पाठ ा गाि करि का ति करत ह लसकि इि मातराओस और कछ अन अपसरसचत सहजजो (सपसलसग) क कारण अिजाि म उचचारण ग़लत हो जाता ह हम शी गर गरनथ सासहब का परा सममाि करत ह हम चाहत ह सक पाठक बािी का उचचारण ग़लत ि कर इससलए गरबािी का रपधातर दिागरी सलसप म करत सम हरस मातराए हटा दी गई ह और अन कछ पसरतगि कर सदए गए ह तासक सहसदी भाषा क पाठक गरबािी का सही उचचारण कर सक

उदाहरण क रप म

मल रप कदरसत पउण पाणी बससतर कदरसत धरती खाक सभ तरी कदरसत तस कासदर करता पाकी िाई पाक िािक हकम असदसर ख रत ताको ताक

पाठको स सिदि | 5

उचचारण रप कदरत पउण पाणी बससतर कदरत धरती खाक सभ तरी कदरत तस कासदर करता पाकी िाई पाक िािक हकम असदर ख रत ताको ताक

हा ह बात सपषट कर दिा आशक ह सक इि मातराओस का परोग पढ़ि म भल ही िही होता लसकि गरबािी म इि मातराओस का वाकरण और अथग की दसषट स सशष महत ह गर सासहबाि क ससदश को असधक गहराई स समझि क इचछक गरबािी का मल रप म अधि कर सकत ह

नहसदी बािीसहसदी बािी म कही-कही lsquoखrsquo णग को lsquoषrsquo सलखा जाता हmdashजस दसष मसरष पसषी लसकि इि शबदो का उचचारण दसख मसरख पसखी सका जाता ह इससलए सही उचचारण की दसषट स इस पसतक म आशकतािसार lsquoषrsquo क सथाि पर lsquoखrsquo णग का परोग सका गा ह

परकाशक

6

हक़-हलाल की कमाई

xससतमत कथिी का िही करिी का मागग ह ह अधातम क उचच और पसतर ससदधातो को अमली जामा पहिाि पर और उनह अपि जीि म वाहासरक रप म उतारि पर ज़ोर दता ह ससत-महातमाओस ि िक कमाई की मसहमा की ह और इस बात पर ज़ोर सदा ह सक परमाथग क एक सचच साधक क सलए अपिी सिजी कमाई दसधा िौहा 1 की कमाई अथा हि-हलाल की कमाई 2 बहत ज़ररी ह कहात हः जसा खा अनन सा हो मि अिसचत रप स कमाए हए धि स परात आहार ा भोजि अिसचत सचारो और अिसचत सतिो को जनम दता ह ऐसा आहार मि को सिकषट सचारो तथा ससकलपो का अखाड़ा बिा दता ह सजसक फलसरप परमाथग म उननसत करिा अससभ हो जाता ह अपिी महित की कमाई को तागकर अपिा बोझ दसरो पर डाल दिाल पजा क धि चढ़ा और भट पर पलिाल और चोरी ठगी बईमािी धोख छल आसद दारा पराा धि हसथाि ाल लोग परमाथग म उननसत िही कर सकत चाह ऐस लोग अपि आप को बहत बसदमाि साि ा चतर समझ पर असल म अपि आप को ही धोखा द रह ह

इसी सलए ससत-महातमाओस ि िक कमाई पर ज़ोर सदा ह कहत ह सक मि और आतमा की गाठ बधी हई ह सजस जड़ndashचति की गाठ कहा जाता ह मि की परसति चसचल ह ह पल भर क सलए भी ससथर

1 दसो िाख़िो अथवात अपिी महित की कमाई 2 हक़-हलाल की कमाई=अपिी महित और ईमािदारी स कमाा धि

हि-हलाल की कमाई | 7

ा सिशचल िही रहता और जब तक मि साथ ि द आतमा असतर म चढ़ाई करि म सफल िही हो सकती हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करि स मि की चसचलता को कम करि तथा उसका झका असदर की ओर करि म सहाता समलती ह सजसस अभासी क सलए आधासतमक ातरा त करिा सहज हो जाता ह आधासतमक उननसत का बीज कल महित क सचच और पसतर खत म ही असकसरत हो सकता ह सचच परमाथग म भीख बईमािी और धोख दारा कमाए हए धि क सलए कोई सथाि िही ह

जब कोई रोगी इलाज क सलए डॉकटर क पास जाता ह तो डॉकटर उसक रोग की पहचाि करक उस दाई दता ह साथ ही ह रोगी को दो बात धाि म रखि की सहदात दता ह mdash एक तो ह सक दाई सम पर ली जाए और दसरी ह सक बताए गए परहज़ की पालिा ज़रर की जाए रहासित क षितर म ससत-सतगर अजािता स पीसड़त सससासरो क सलए डॉकटर ा दय बिकर आत ह उनह िाम की दाई दत ह और उसक सिमप गक स ि की ताकीद करत ह साथ ही उनह कछ ज़ररी परहज़ भी बतात ह सजिम स एक ह ह सक पराा हि छीिि ा छल-कपट स धि कमाि स बच और हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा कर

ससत-महातमाओस ि अपि उपदश म सपषट और ज़ोरदार शबदो म हि-हलाल की कमाई पर बल सदा ह परमातमा क भकतो ि सस िक रहिी तथा हि-हलाल की कमाई की सज़सदा समसाल बिकर परमाथग क साधको को जीि म असधक स असधक पसतरता अपिाि की पररणा दी ह हि-हलाल की कमाई स महातमाओस का तातपग उस धि स ह जो सचचाई और िकी क दारा कमाा गा हो सजस पर ना कािि और िसतक दसषट स उपभोग करिाल का हि ा असधकार हो सजस कमाि म दश और समाज क सिमो तथा मािता का हिि ि सका गा हो सजस परात करि क सलए सकसी का िकसाि ि सका गा हो तथा सजसम स पसरार तथा अन भागीदारो को उिका सहससा नाप गक द सदा गा हो

8 | हि-हलाल की कमाई

सनरितसचची और िक कमाई सासतक आहार शभ सचार िक आचरण मासलक क परसमो की ससगत और िाम का अभास ससतमत की परमख आशकताए ह शबद अथा िाम की कमाई आहार सचार और आचार की पसतरता क सहार ही हो सकती ह ससतो ि इस सष की ससतारपगक वाखा की ह ससत िामद ि ससकत अथवात अचछ िसतक कममो दारा की गई कमाई स गज़ारा करि को बहत महत सदा ह ऐसी िक कमाई की मसहमा बतात हए आप कहत ह सक इसस मिष समत अथवात अचछी सिमगल बसद ाला होकर गरमत म रहकर िाम का अभास करि क ोग हो जाता ह और इस परकार ह परमधाम परात कर सकता ह

भित िामदउ ससकत समत भए

गरमत राम कह को को ि बकसठ गए  (1)

ससत िामद ख़द भी परी सज़सदगी छीप और दज़ज़ी का काग करत हए अपिी ईमािदारी की कमाई पर गज़ारा करत रह

गर असगद द जी ि भी सभी गमो क लोगो क सलए िक कमाई क सिम पर ज़ोर सदा ह आपि भी ससकत को धमग का अथवात अधातम म उननसत का आधार बताा ह

कर ससकत धरम कमाइआ (2)

हर सम की तरह गर िािक द जी क सम म भी एक तरफ़ राजा हासकम और असधकारी दसरी तरफ़ पससडत परोसहत मलला तथा िाज़ी और तीसरी तरफ़ वापारी और धिी लोग महित की िक कमाई स दर जा रह थ आम लोगो की रहिी म भी सचचाई और ईमािदारी का अभा होता जा रहा था गर सासहब का धरम को ससकत क साथ जोड़िा बकार बठ लोगो दसरो की कमाई पर ऐश करिालो और ठगी-बईमािी करिालो क सलए एक गसभीर चतािी था और आज भी ह

ससकत | 9

धासमगक िता पराा धि लि म िाज़ी और हासकम सरशत लि म पाप िही समझत थ गर िािक सासहब फ़रमात ह सक तसबीह (माला) फरिाल और ख़दा-ख़दा करिाल लोग जब इिसाफ़ की कसज़ी पर बठत ह तो सरशत खाकर दसरो क हि ा असधकारो को छीि लत ह सद उिस कछ कहा जाए तो धमगपसतको का हाला दकर अपि आप को ठीक सासबत करि का परति करत ह

काजी होए क बह सिआए फर तसबी कर खदाए

ढी 1 ल क हक गाए ज को पछ ता पड़ सणाए (3)

गर सासहब फ़रमात ह सक लोगो क गलो पर छरी चलािाल परोसहत आसद अपि गल म जिऊ पहिकर अपिी पसतरता का सदखाा करत ह हर तरफ़ झठ और छल परधाि ह सचचाई ईमािदारी और धमग पसख लगाकर उड़ गए ह अपि आप को धमवातमा कहिाल परोसहत लोग बईमािी और अना क दारा धि कमािाल लोगो क घरो म जाकर पजा आसद कराकर पराणो म स कथाए सिाकर पाप की कमाई का अनन खात ह

माणस खाण 2 करह सिाज छरी गाइि 3 सति गल ताग 4

सति घर बरहमण परह िाद उनहा सभ आह ओई साद

कडी 5 रास 6 कड़ा ापार कड़ बोल करह आहार

सरम धरम का डरा दर िािक कड़ रसहआ भरपर

मथ सटका तड़ धोती कखाई हथ छरी जगत कासाई 7

िील सतर पसहर होह पराण मलछ धाि ल पजह पराण (4)

1 सरशत अनापगक धि लिा 2 मिष तक का भषिण करिाल अथवात साथग क सलए दसरो को सकसी भी परकार की हासि पहचाि को तार 3 चलािाल 4 जिऊ 5 झठी 6 धि-ससपसति 7 जगत क िसाई सार सससार पर ज़लम करिाल

10 | हि-हलाल की कमाई

गर सासहब फ़रमात ह सक लोग अिक परकार की चोरी ठगी दराचार और झठ क पाप का भार अपि ऊपर लाद जा रह ह

लख चोरीआ लख जारीआ लख कड़ीआ लख गाल

लख ठगीआ पसहिामीआ 1 रात सदिस जीअ िाल (5)

घाल खाए नकछ हथहो दगर िािक सासहब ि राजा परजा पससडत मखग सदाि अिपढ़ सहसद और मसलमाि सभी क सलए ससकत अथा िक कमाई क सिम पर ज़ोर सदा इस परकार आप सचच धमग को मससदरो मससजदो ठाकरदारो सगरजाघरो आसद की चारदीारी स सिकालकर खतो दकािो कचहसरो दफ़तरो ािी मिष क दसिक जीि म ल आए आपि कल उनही लोगो को धासमगक सका और रहािी अभास क ोग मािा जो हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करत ह गर िािक द जी ि सस षमो तक दौलतखधा लोदी क मोदीख़ाि म सचचाई तथा परी ईमािदारी क साथ काम सका और इस कमाई म स खल सदल स ग़रीबो-अिाथो की मदद की बाद म आपि करतारपर म खती की और अपिी िक कमाई पर गज़ारा करत हए ज़ररतमसदो की सहाता भी की आपि सस एक सचच परमाथज़ी का जीसत उदाहरण सथासपत सका तासक आपक उपदश क इस मल पहल mdash िक कमाई mdash क सष म सकसी परकार का कोई भरम ि रह जाए आपि अपिी ाणी म बहत सपषट और सरल शबदो म गरओस पीरो तथा सशषो क सलए सिजी कमाई तथा अपिी सचची और पसतर कमाई पर सिवाह करत हए उसम स ज़ररतमसदो की सहाता करि का आदशग सथासपत सका ह

गर पीर सदाए मसगण जाए ता क मल ि लगीऐ पाए

घाल खाए सकछ हथहो द िािक राह पछाणह स  (6)

1 गत रप स और सछपकर सकए गए पाप

घाल खाए सकछ हथहो द | 11

अथवात अगर कोई गर ा पीर होकर सशषो स मागता सफरता ह तो उसक परो पर कभी ससर िही झकािा चासहए जो महित करक अपिी रोज़ी कमाता हो और उस हि-हलाल की कमाई म स साधससगत की सा करता हो ही परमाथग की राह का सचचा जािकार सचचा गर हो सकता ह

ह सबको पता ह सक गर िािक सासहब ि ऐमिाबाद म मसलक भागो क छतिीस परकार क पकािो को तागकर भाई लालो की कोधर की रोटी को पससद सका कोसक आपको पहल परकार क भोजि म ग़रीब लोगो का ख़ि समला हआ सदखाई सदा तथा दसर परकार क भोजि म हि-हलाल की कमाई का अमत

कबीर सासहब ि अपि सम क अधर और पाखसडी गरओस की आलोचिा करत हए सलखा ह सक लोभश सशषो को लटत ह उिक सशष भी अपि साथग क सलए ही ऐस गरओस क साथ लग रहत ह ऐस लोगो को शधासत कस समल सकती ह आप कहत ह सक ऐस गर पस क पचास समलत ह राम-िाम को बचकर उस अपिी कमाई का साधि बिात ह और ऐस धि स सशषो की सगिती बढ़ाि का ति करत ह

कबीर पर गर सबिा परा ससष ि हो

गर लोभी ससष लालची दिी दाझि हो

गरआ तो ससता भा पसा कर पचास

राम िाम को बसच क कर ससष की आस (7)

कबीर सासहब ि गर तथा सशष दोिो क सलए बहत ऊचा आदशग सथासपत सका ह आप फ़रमात ह सक सशष को चासहए सक अपिा सब कछ गर को अपगण कर द अथवात सब कछ गर का समझकर इसतमाल कर परसत गर को चासहए सक सशष की सई तक को हाथ ि लगाए

ससष तो ऐसा चासह गर को सब कछ द

गर तो ऐसा चासह ससष स कछ ि ल (8)

12 | हि-हलाल की कमाई

कबीर सासहब सपषट कहत ह सक महातमा अपि सशषो का धि साधससगत की सा ा परोपकार म अश ख़चग करा दत ह तासक उिकी कमाई साथगक हो तथा परमाथग क राह पर चलि म सहाक ससद हो परसत सशषो स महातमा सिजी ज़ररतो ा सिजी लाभ क सलए कभी एक पाई भी िही लत

मसर जाऊ माग िही अपि ति क काज

परमारथ क कारि मोसहस ि आ लाज (9)

जसा सक सब जाित ह कबीर सासहब ि जीि भर कपड़ा बिि का काम करक अपिा और अपि पसरार का पालि सका आप जब भी ससतमत क परचार ा सतससग क सलए बाहर जात अपिा करघा साथ ल जात थ

हज़र सामी जी महाराज फ़रमात ह सक ससत-सतगरओस क पास िामभसकत का अखट भसडार होता ह दसिाी धि-दौलत की ओर िज़र उठाकर भी िही दखत अपि सशषो स अपि गज़ार क सलए कभी कछ िही लत हा परमाथग क सलए अपि सशषो स परोपकार ज़रर करात ह

गर िसहस भखा तर धि का उि प धि ह भसकत िाम का

पर तरा उपकार करा भख ास को सदला (10)

आपका अपिा जीि हि-हलाल की कमाई का एक पररणादाक उदाहरण ह छोटी उमर स ही आपका परमातमा की ओर झका था इससलए आप ऐसी िौकरी चाहत थ सजसम साथग और परमाथग दोिो साथ-साथ चल सक आपि बललभगढ़ क राजा क पास फ़ारसी क अधापक क रप म िौकरी की सजसम तीि घसट परसतसदि लगाि पड़त थ उि सदिो राजाओस क कमगचासरो को ति क साथ गज़ार क सलए रसद भी समला करती थी सामी जी महाराज सारी रसद ज़ररतमसदो म बाट सदा करत थ और ति का काफ़ी बड़ा सहससा

पापा बाझहो हो िाही | 13

अपि सपता जी को भज दत थ रोज़ी कमात हए भी आपक मि म पणग राग था

सामी जी महाराज क सपता जी घर क गज़ार क सलए साहकारी सका करत थ सपता जी क दहधात क बाद सामी जी ि सभी िज़गदारो को बलाकर कहा सक जो कोई िज़ज़ की मल रकम चकािा चाह चका द और जो ि लौटािा चाह ह ि लौटाए उनहोि िज़गदारो क सामि िज़ज़ क सार काग़ज़-पतर फाड़ सदए और सद की आमदिी सदा क सलए बसद कर दी

पापा बाझहो हो िाहीससत-महातमा कहत ह सक धि-दौलत पापो क सबिा इकटठी िही होती और असत सम साथ िही जाती गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग धि-दौलत इकटठा करि म खोए हए ह और इस बात पर सचार करि का ति िही करत सक पापो का ऐसा भारी बोझ इकटठा कर रह ह जो अिक लोगो क रहािी सिाश का कारण बि चका ह और अब उिक सिाश का कारण बिगा

इस जर 1 कारण घणी 2 सगती 3 इि जर घणी खआई 4

पापा बाझहो हो िाही मइआ साथ ि जाई (11)

धि जो पाप क सबिा इकटठा िही हो सकता मत क बाद साथ िही जा सकता और परभ की दरगाह म ददगशा का कारण बिता ह ह हमार सलए लाभपरद सकस परकार हो सकता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह सक राजा शासकी असधकारी आसद धि क मोह क अधीि पराी दौलत हसथाकर माा क सष का भसडार इकटठा कर लत ह ासत म लोभ लालच और माा उिको छल लत ह और असत सम उनह म क हाथो चोट सहिी पड़ती ह

1 धि 2 बहत 3 खार हई 4 कमागग पर भटक गई

14 | हि-हलाल की कमाई

भपत राज रसग राए 1 ससचह 2 सबख 3 माइआ 4

कर कर हत धाइद पर दरब 5 चराइआ

पतर कलतर ि ससहह 6 बह परीत लगाइआ

खसदआ ही माइआ धह गई 7 पछतह पछताइआ

जम दर बध मारीअह िािक हर भाइआ (12)

इसी भा को परकट करत हए गर अजगि द जी फ़रमात ह सक राजा महाराजा हासकम शासकी असधकारी और धिी लोग परमातमा का भ तागकर अिक ज़लम करक धि एकसतरत करत ह परसत ह धि-दौलत ह साज़ो-सामाि सब मौत क साथ ही ख़तम हो जाता ह

भपत होए क राज कमाइआ कर कर अिरथ सहाझी 8 माइआ

ससचत ससचत थली कीनही परभ उस त डार 9 अर 10 कउ दीनही

काच गगरीआ असभ मझरीआ 11 गरब गरब उआह मह परीआ 12

सिरभउ होइओ भइआ सिहसगा 13 चीत 14 ि आइओ करता ससगा

लसकर जोड़ कीआ ससबाहा 15

सिकससआ फक 16 त होए गइओ सआहा 17 (13)

हमार मि म हमशा ह सचसता रहती ह सक सद हम बईमािी िही करग तो सससार क काम िही चलग परसत सजि लोगो ि अपि जीि म िकी सचचाई और ईमािदारी स काम सला ह सदा ही कहत ह सक ईमािदारी की कमाई म बहत बरकत अथा सख-समसद ह और परभ सस सकसी ि सकसी परकार उिक सभी काग पणग कर दता ह

1 धिी 2 इकटठा करिा 3 ज़हर 4 माा 5 पराा धि 6 सशास 7 माइआगई=माा धोखा द गई धि जाता रहा 8 ख़रीदी भा परात की 9 लकर 10 दसर को 11 पािी क बीच म 12 उआहपरीआ=बार-बार उसी म सगरता ह अथवात उस बार-बार जनम लिा पड़ता ह 13 सिसशचसत 14 ाद 15 इकटठा सका 16 सास सिकल गई 17 राख हो गा अथवात मर गा

भसखआ भख ि उतरी | 15

ह ठीक ह सक अपिी महित और िक कमाई क दारा कोई वसकत ऐशो इशरत तो िही कर सकता परसत ह कमाई मधास शराब इससदरो क भोगो तथा अन कई परकार क दराचार तथा पापो स बचाती ह ह मि म ससतोष तथा परभ का परम और सशास पदा करती ह और सचच परमाथग की िी तार करती ह

भनखआ भख ि उतरीजो लोग सचच सदल स महसस करत ह सक सचचा और सथाी आिसद िक जीि और परभपरासत म ह परसननतापगक हि-हलाल की कमाई का सिम सीकार करत ह जो लोग आचरण की पसतरता और आसतमक आिसद स पसरसचत ह ा जो इसकी परासत क इचछक ह अिसचत ढसग स की गई कमाई का ताग करत ह इस परकार की कमाई का ताग उनह परमाथगरपी हीर-जाहरात की परासत क सलए ईटो-पतथरो की क़बवािी क समाि परतीत होता ह परसत जो लोग इस आिसद स अिजाि ह और सजनह इस परात करि की कोई चाह िही उनह दसिा क िाशाि भोग और धि-दौलत ही सब कछ परतीत होत ह ह िही जाित सक भोग और अिसचत ढसग स कमाा गा धि लोक और परलोक दोिो म ही उिकी ददगशा का कारण बिता ह अतए मिष को चासहए सक जो कछ अपिी हि-हलाल की कमाई स समल उस पर ससतोष कर तथा भोगो क लालच स बच धि की तषणा असगि क समाि ह जो लकड़ी डालि पर कभी भी शधात िही होती बसलक और भड़क उठती ह गर िािक सासहब कहत ह सक सार सससार का धि भी लालची क मि की भख को िही समटा सकता

भसखआ भख ि उतरी ज बसिा परीआ भार 1 (14)

सफ़ी ससत सरमद लोभ को खारी ा ददगशा का कारण बतात ह कहत ह सक लोभी वसकत ज़हरील सापो स ज़ादा ख़तरिाक ह

1 अथवात सभी लोको की धि-दौलत

16 | हि-हलाल की कमाई

सरमद त सज़ ख़लि हच ारी मतलब

अज़ शाख़-बरहिा साा दारी मतलब

इज़ज़त सज़ ििाअत असत ओ खारी सज़ तमअ

बा इज़ज़ात-खश बाश खारी मतलब (15)

अथवात ऐ सरमद त दसिा स सचच ार की उममीद ि कर सबिा पतिो का पड़ सकसी को भी साा िही द सकता लोभ स अपमाि और ससतोष स सममाि परात होता ह सममाि स जी अपमाि की सज़सदगी का तलबगार ि बि

दसिा तलबधा रा सकह गम-दीिार असत

ब समहरी-ए-शाि ब कद गर सबसार असत

अज़ अिरब-ओ-मार हच असदशा मकि

ज़ी िौम हज़र बकि सकह िश-ओ-ख़ार असत (16)

अथवात दसिा क मताल सोि-चादी क सलए तड़पत ह और एक दसर स दशमिी करि क सलए मशहर ह त सापो और सबचछओस स ि डर लसकि इि माा क परसमो स डर सजिक असदर ज़हर और काट भर पड़ ह

गर अजगि द जी फ़रमात ह सक लोभी सदा लोभ की लहरो म डोलता रहता ह ह ोग-अोग भला-बरा िही दखता ह ार समतरो सग-ससबससधो पजा क ोग माता-सपता तथा अपि इषट को लटि म भी लजजा िही करता

ह लोभा लसपट ससग ससरमोरह असिक लहरी कलोलत 1

धासत जीआ बह परकारस असिक भधात बह डोलत

1 हhellipकलोलत=ह लोभ ति बड़-बड़ सशरोमसण परषो को फसाा ह और तरी अिक लहरो म कीड़ा कर रह ह

दो तरह की सति | 17

िच 1 समतरस िच इसटस िच बाध िच मात सपता त लजा

अकरणस करोत अखादय खादयस 2 असाजस साज समजा 3

तराह तराह सरण सआमी सबगात 4 िािक हर िरहरह 5 (17)

जस-जस मिष की इचछाए परी होती जाती ह स ही और बढ़ती जाती ह उस कभी तसत िही समलती तसत कल ससतोष म ही ह ससतोष क सबिा ि कोई त त हो सकता ह और ि ही सकसी का परमाथग बि सकता ह

सहस खट लख कउ उठ धा 6 सतरपत ि आ माइआ पाछ पा

असिक भोग सबसखआ क 7 कर िह सतरपता खप खप मर

सबिा ससतोख िही कोऊ राज 8 सपि मिोरथ सबरथ 9 सभ काज (18)

इसका ह अथग िही सक गर सासहबाि अथा ससत-महातमा लोगो को आजीसका कमाि अथा सधासासरक उननसत करि स रोकत ह ससत सकसी की उननसत ा सकसी क फलि-फलि क सरद िही होत तो कल ही आगरह करत ह सक आसथगक और सधासासरक उननसत सचचाईपणग और िक उपाो दारा करिी चासहए और हमशा महित सत और ईमािदारी स काम लिा चासहए

ससत-महातमा लोगो को धि और माा क लोभ क परसत इससलए होसशार करत ह सक सधासासरकता ा माा उि पर हाी ि हो जाए और सससार म आि क परभपरासत क असली उददश को ि भल जाए

दो तरह की नतिगर िािक सासहब ि आसा की वार म एक ओर तो सधासासरक सति ाल अससतोषी सकारी परष का िक़शा खीचा ह जो बर कममो म परति

1 ि करि ोग काग करता ह 2 ि खाि ोग चीज़ खाता ह 3 असाज सhellipसमजा=ि बिाि ोग सतओस को बिाता तथा इकटठा करता ह 4 सिती करता ह 5 िरहसर परमातमा 6 सहसhellipधा=हज़ार इकटठा कर लि पर लाख क पीछ दौड़ता ह 7 सषो क 8 तत होता 9 वथग

18 | हि-हलाल की कमाई

होकर अपि जीि को बरबाद कर दता ह और मौत क बाद ातिाए पाता ह दसरी ओर सचची महित तथा िक कमाई करिाल ऐस ससतोषी जी का सचतर परसतत सका ह जो सतगर दारा खीची हई लकीर क असदर रहता ह तथा अकालपरष ा परमसपता परमातमा की भसकत करक सदा क सलए उसस समलाप परात कर लता ह सधासासरक तथा भोगी वसकत की असथा का णगि करत हए आप फ़रमात हthinsp

आपीनह भोग भोग क होए भसमड़ भउर ससधाइआ 1

डा होआ 2 दिीदार गल ससगल 3 घत चलाइआ

अग करणी कीरत ाचीऐ बह लखा कर समझाइआ 4

थाउ ि होी पउदीई 5 हण सणीऐ सकआ रआइआ

मि असध जिम गाइआ (19)

आप ससतोषी और धमवातमा परष का णगि इस परकार करत ह

स कीती ससतोखीई सजनही सचो सच सधआइआ

ओनही मसद पर ि रसखओ 6 कर ससकत 7 धरम कमाइआ

ओनही दिीआ तोड़ बसधिा असि पाणी थोड़ा खाइआ

तस बखसीसी अगला 8 सित द ह चड़ह साइआ 9

सडआई 10 डा पाइआ 11 (20)

साधक का असली ससघषग ही काम कोध लोभ मोह अहसकार आसद सकारो क साथ ह और बईमािी की कमाई सकारो की जड़ ह जब अिसचत

1 भसमडhellipनसधाइआ=शरीर जलकर भसम की ढरी हो जाता ह और आतमा परसथाि कर जाती ह 2 मर गा 3 गल म ज़सजीर 4 अगhellipसमझाइआ=आग (मत क बाद) उसक कममो का सरण उस सिाा जाता ह तथा उसक अिसार आग का जीि सलखा जाता ह 5 थाउhellipपउदीई=मदतो की मार पड़त सम कही सथाि िही समलता अथवात सहारा िही समलता 6 ओनहीरनखओ= ग़लत रासत पर िही गए 7 िक कमाई 8 तसअगला=त उनह और असधक दता ह 9 डह साइआ=बढ़ती रहती ह 10 परभ की दा स 11 परभ को परात कर लता ह

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 5: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

पाठको स सिदि | 5

उचचारण रप कदरत पउण पाणी बससतर कदरत धरती खाक सभ तरी कदरत तस कासदर करता पाकी िाई पाक िािक हकम असदर ख रत ताको ताक

हा ह बात सपषट कर दिा आशक ह सक इि मातराओस का परोग पढ़ि म भल ही िही होता लसकि गरबािी म इि मातराओस का वाकरण और अथग की दसषट स सशष महत ह गर सासहबाि क ससदश को असधक गहराई स समझि क इचछक गरबािी का मल रप म अधि कर सकत ह

नहसदी बािीसहसदी बािी म कही-कही lsquoखrsquo णग को lsquoषrsquo सलखा जाता हmdashजस दसष मसरष पसषी लसकि इि शबदो का उचचारण दसख मसरख पसखी सका जाता ह इससलए सही उचचारण की दसषट स इस पसतक म आशकतािसार lsquoषrsquo क सथाि पर lsquoखrsquo णग का परोग सका गा ह

परकाशक

6

हक़-हलाल की कमाई

xससतमत कथिी का िही करिी का मागग ह ह अधातम क उचच और पसतर ससदधातो को अमली जामा पहिाि पर और उनह अपि जीि म वाहासरक रप म उतारि पर ज़ोर दता ह ससत-महातमाओस ि िक कमाई की मसहमा की ह और इस बात पर ज़ोर सदा ह सक परमाथग क एक सचच साधक क सलए अपिी सिजी कमाई दसधा िौहा 1 की कमाई अथा हि-हलाल की कमाई 2 बहत ज़ररी ह कहात हः जसा खा अनन सा हो मि अिसचत रप स कमाए हए धि स परात आहार ा भोजि अिसचत सचारो और अिसचत सतिो को जनम दता ह ऐसा आहार मि को सिकषट सचारो तथा ससकलपो का अखाड़ा बिा दता ह सजसक फलसरप परमाथग म उननसत करिा अससभ हो जाता ह अपिी महित की कमाई को तागकर अपिा बोझ दसरो पर डाल दिाल पजा क धि चढ़ा और भट पर पलिाल और चोरी ठगी बईमािी धोख छल आसद दारा पराा धि हसथाि ाल लोग परमाथग म उननसत िही कर सकत चाह ऐस लोग अपि आप को बहत बसदमाि साि ा चतर समझ पर असल म अपि आप को ही धोखा द रह ह

इसी सलए ससत-महातमाओस ि िक कमाई पर ज़ोर सदा ह कहत ह सक मि और आतमा की गाठ बधी हई ह सजस जड़ndashचति की गाठ कहा जाता ह मि की परसति चसचल ह ह पल भर क सलए भी ससथर

1 दसो िाख़िो अथवात अपिी महित की कमाई 2 हक़-हलाल की कमाई=अपिी महित और ईमािदारी स कमाा धि

हि-हलाल की कमाई | 7

ा सिशचल िही रहता और जब तक मि साथ ि द आतमा असतर म चढ़ाई करि म सफल िही हो सकती हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करि स मि की चसचलता को कम करि तथा उसका झका असदर की ओर करि म सहाता समलती ह सजसस अभासी क सलए आधासतमक ातरा त करिा सहज हो जाता ह आधासतमक उननसत का बीज कल महित क सचच और पसतर खत म ही असकसरत हो सकता ह सचच परमाथग म भीख बईमािी और धोख दारा कमाए हए धि क सलए कोई सथाि िही ह

जब कोई रोगी इलाज क सलए डॉकटर क पास जाता ह तो डॉकटर उसक रोग की पहचाि करक उस दाई दता ह साथ ही ह रोगी को दो बात धाि म रखि की सहदात दता ह mdash एक तो ह सक दाई सम पर ली जाए और दसरी ह सक बताए गए परहज़ की पालिा ज़रर की जाए रहासित क षितर म ससत-सतगर अजािता स पीसड़त सससासरो क सलए डॉकटर ा दय बिकर आत ह उनह िाम की दाई दत ह और उसक सिमप गक स ि की ताकीद करत ह साथ ही उनह कछ ज़ररी परहज़ भी बतात ह सजिम स एक ह ह सक पराा हि छीिि ा छल-कपट स धि कमाि स बच और हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा कर

ससत-महातमाओस ि अपि उपदश म सपषट और ज़ोरदार शबदो म हि-हलाल की कमाई पर बल सदा ह परमातमा क भकतो ि सस िक रहिी तथा हि-हलाल की कमाई की सज़सदा समसाल बिकर परमाथग क साधको को जीि म असधक स असधक पसतरता अपिाि की पररणा दी ह हि-हलाल की कमाई स महातमाओस का तातपग उस धि स ह जो सचचाई और िकी क दारा कमाा गा हो सजस पर ना कािि और िसतक दसषट स उपभोग करिाल का हि ा असधकार हो सजस कमाि म दश और समाज क सिमो तथा मािता का हिि ि सका गा हो सजस परात करि क सलए सकसी का िकसाि ि सका गा हो तथा सजसम स पसरार तथा अन भागीदारो को उिका सहससा नाप गक द सदा गा हो

8 | हि-हलाल की कमाई

सनरितसचची और िक कमाई सासतक आहार शभ सचार िक आचरण मासलक क परसमो की ससगत और िाम का अभास ससतमत की परमख आशकताए ह शबद अथा िाम की कमाई आहार सचार और आचार की पसतरता क सहार ही हो सकती ह ससतो ि इस सष की ससतारपगक वाखा की ह ससत िामद ि ससकत अथवात अचछ िसतक कममो दारा की गई कमाई स गज़ारा करि को बहत महत सदा ह ऐसी िक कमाई की मसहमा बतात हए आप कहत ह सक इसस मिष समत अथवात अचछी सिमगल बसद ाला होकर गरमत म रहकर िाम का अभास करि क ोग हो जाता ह और इस परकार ह परमधाम परात कर सकता ह

भित िामदउ ससकत समत भए

गरमत राम कह को को ि बकसठ गए  (1)

ससत िामद ख़द भी परी सज़सदगी छीप और दज़ज़ी का काग करत हए अपिी ईमािदारी की कमाई पर गज़ारा करत रह

गर असगद द जी ि भी सभी गमो क लोगो क सलए िक कमाई क सिम पर ज़ोर सदा ह आपि भी ससकत को धमग का अथवात अधातम म उननसत का आधार बताा ह

कर ससकत धरम कमाइआ (2)

हर सम की तरह गर िािक द जी क सम म भी एक तरफ़ राजा हासकम और असधकारी दसरी तरफ़ पससडत परोसहत मलला तथा िाज़ी और तीसरी तरफ़ वापारी और धिी लोग महित की िक कमाई स दर जा रह थ आम लोगो की रहिी म भी सचचाई और ईमािदारी का अभा होता जा रहा था गर सासहब का धरम को ससकत क साथ जोड़िा बकार बठ लोगो दसरो की कमाई पर ऐश करिालो और ठगी-बईमािी करिालो क सलए एक गसभीर चतािी था और आज भी ह

ससकत | 9

धासमगक िता पराा धि लि म िाज़ी और हासकम सरशत लि म पाप िही समझत थ गर िािक सासहब फ़रमात ह सक तसबीह (माला) फरिाल और ख़दा-ख़दा करिाल लोग जब इिसाफ़ की कसज़ी पर बठत ह तो सरशत खाकर दसरो क हि ा असधकारो को छीि लत ह सद उिस कछ कहा जाए तो धमगपसतको का हाला दकर अपि आप को ठीक सासबत करि का परति करत ह

काजी होए क बह सिआए फर तसबी कर खदाए

ढी 1 ल क हक गाए ज को पछ ता पड़ सणाए (3)

गर सासहब फ़रमात ह सक लोगो क गलो पर छरी चलािाल परोसहत आसद अपि गल म जिऊ पहिकर अपिी पसतरता का सदखाा करत ह हर तरफ़ झठ और छल परधाि ह सचचाई ईमािदारी और धमग पसख लगाकर उड़ गए ह अपि आप को धमवातमा कहिाल परोसहत लोग बईमािी और अना क दारा धि कमािाल लोगो क घरो म जाकर पजा आसद कराकर पराणो म स कथाए सिाकर पाप की कमाई का अनन खात ह

माणस खाण 2 करह सिाज छरी गाइि 3 सति गल ताग 4

सति घर बरहमण परह िाद उनहा सभ आह ओई साद

कडी 5 रास 6 कड़ा ापार कड़ बोल करह आहार

सरम धरम का डरा दर िािक कड़ रसहआ भरपर

मथ सटका तड़ धोती कखाई हथ छरी जगत कासाई 7

िील सतर पसहर होह पराण मलछ धाि ल पजह पराण (4)

1 सरशत अनापगक धि लिा 2 मिष तक का भषिण करिाल अथवात साथग क सलए दसरो को सकसी भी परकार की हासि पहचाि को तार 3 चलािाल 4 जिऊ 5 झठी 6 धि-ससपसति 7 जगत क िसाई सार सससार पर ज़लम करिाल

10 | हि-हलाल की कमाई

गर सासहब फ़रमात ह सक लोग अिक परकार की चोरी ठगी दराचार और झठ क पाप का भार अपि ऊपर लाद जा रह ह

लख चोरीआ लख जारीआ लख कड़ीआ लख गाल

लख ठगीआ पसहिामीआ 1 रात सदिस जीअ िाल (5)

घाल खाए नकछ हथहो दगर िािक सासहब ि राजा परजा पससडत मखग सदाि अिपढ़ सहसद और मसलमाि सभी क सलए ससकत अथा िक कमाई क सिम पर ज़ोर सदा इस परकार आप सचच धमग को मससदरो मससजदो ठाकरदारो सगरजाघरो आसद की चारदीारी स सिकालकर खतो दकािो कचहसरो दफ़तरो ािी मिष क दसिक जीि म ल आए आपि कल उनही लोगो को धासमगक सका और रहािी अभास क ोग मािा जो हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करत ह गर िािक द जी ि सस षमो तक दौलतखधा लोदी क मोदीख़ाि म सचचाई तथा परी ईमािदारी क साथ काम सका और इस कमाई म स खल सदल स ग़रीबो-अिाथो की मदद की बाद म आपि करतारपर म खती की और अपिी िक कमाई पर गज़ारा करत हए ज़ररतमसदो की सहाता भी की आपि सस एक सचच परमाथज़ी का जीसत उदाहरण सथासपत सका तासक आपक उपदश क इस मल पहल mdash िक कमाई mdash क सष म सकसी परकार का कोई भरम ि रह जाए आपि अपिी ाणी म बहत सपषट और सरल शबदो म गरओस पीरो तथा सशषो क सलए सिजी कमाई तथा अपिी सचची और पसतर कमाई पर सिवाह करत हए उसम स ज़ररतमसदो की सहाता करि का आदशग सथासपत सका ह

गर पीर सदाए मसगण जाए ता क मल ि लगीऐ पाए

घाल खाए सकछ हथहो द िािक राह पछाणह स  (6)

1 गत रप स और सछपकर सकए गए पाप

घाल खाए सकछ हथहो द | 11

अथवात अगर कोई गर ा पीर होकर सशषो स मागता सफरता ह तो उसक परो पर कभी ससर िही झकािा चासहए जो महित करक अपिी रोज़ी कमाता हो और उस हि-हलाल की कमाई म स साधससगत की सा करता हो ही परमाथग की राह का सचचा जािकार सचचा गर हो सकता ह

ह सबको पता ह सक गर िािक सासहब ि ऐमिाबाद म मसलक भागो क छतिीस परकार क पकािो को तागकर भाई लालो की कोधर की रोटी को पससद सका कोसक आपको पहल परकार क भोजि म ग़रीब लोगो का ख़ि समला हआ सदखाई सदा तथा दसर परकार क भोजि म हि-हलाल की कमाई का अमत

कबीर सासहब ि अपि सम क अधर और पाखसडी गरओस की आलोचिा करत हए सलखा ह सक लोभश सशषो को लटत ह उिक सशष भी अपि साथग क सलए ही ऐस गरओस क साथ लग रहत ह ऐस लोगो को शधासत कस समल सकती ह आप कहत ह सक ऐस गर पस क पचास समलत ह राम-िाम को बचकर उस अपिी कमाई का साधि बिात ह और ऐस धि स सशषो की सगिती बढ़ाि का ति करत ह

कबीर पर गर सबिा परा ससष ि हो

गर लोभी ससष लालची दिी दाझि हो

गरआ तो ससता भा पसा कर पचास

राम िाम को बसच क कर ससष की आस (7)

कबीर सासहब ि गर तथा सशष दोिो क सलए बहत ऊचा आदशग सथासपत सका ह आप फ़रमात ह सक सशष को चासहए सक अपिा सब कछ गर को अपगण कर द अथवात सब कछ गर का समझकर इसतमाल कर परसत गर को चासहए सक सशष की सई तक को हाथ ि लगाए

ससष तो ऐसा चासह गर को सब कछ द

गर तो ऐसा चासह ससष स कछ ि ल (8)

12 | हि-हलाल की कमाई

कबीर सासहब सपषट कहत ह सक महातमा अपि सशषो का धि साधससगत की सा ा परोपकार म अश ख़चग करा दत ह तासक उिकी कमाई साथगक हो तथा परमाथग क राह पर चलि म सहाक ससद हो परसत सशषो स महातमा सिजी ज़ररतो ा सिजी लाभ क सलए कभी एक पाई भी िही लत

मसर जाऊ माग िही अपि ति क काज

परमारथ क कारि मोसहस ि आ लाज (9)

जसा सक सब जाित ह कबीर सासहब ि जीि भर कपड़ा बिि का काम करक अपिा और अपि पसरार का पालि सका आप जब भी ससतमत क परचार ा सतससग क सलए बाहर जात अपिा करघा साथ ल जात थ

हज़र सामी जी महाराज फ़रमात ह सक ससत-सतगरओस क पास िामभसकत का अखट भसडार होता ह दसिाी धि-दौलत की ओर िज़र उठाकर भी िही दखत अपि सशषो स अपि गज़ार क सलए कभी कछ िही लत हा परमाथग क सलए अपि सशषो स परोपकार ज़रर करात ह

गर िसहस भखा तर धि का उि प धि ह भसकत िाम का

पर तरा उपकार करा भख ास को सदला (10)

आपका अपिा जीि हि-हलाल की कमाई का एक पररणादाक उदाहरण ह छोटी उमर स ही आपका परमातमा की ओर झका था इससलए आप ऐसी िौकरी चाहत थ सजसम साथग और परमाथग दोिो साथ-साथ चल सक आपि बललभगढ़ क राजा क पास फ़ारसी क अधापक क रप म िौकरी की सजसम तीि घसट परसतसदि लगाि पड़त थ उि सदिो राजाओस क कमगचासरो को ति क साथ गज़ार क सलए रसद भी समला करती थी सामी जी महाराज सारी रसद ज़ररतमसदो म बाट सदा करत थ और ति का काफ़ी बड़ा सहससा

पापा बाझहो हो िाही | 13

अपि सपता जी को भज दत थ रोज़ी कमात हए भी आपक मि म पणग राग था

सामी जी महाराज क सपता जी घर क गज़ार क सलए साहकारी सका करत थ सपता जी क दहधात क बाद सामी जी ि सभी िज़गदारो को बलाकर कहा सक जो कोई िज़ज़ की मल रकम चकािा चाह चका द और जो ि लौटािा चाह ह ि लौटाए उनहोि िज़गदारो क सामि िज़ज़ क सार काग़ज़-पतर फाड़ सदए और सद की आमदिी सदा क सलए बसद कर दी

पापा बाझहो हो िाहीससत-महातमा कहत ह सक धि-दौलत पापो क सबिा इकटठी िही होती और असत सम साथ िही जाती गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग धि-दौलत इकटठा करि म खोए हए ह और इस बात पर सचार करि का ति िही करत सक पापो का ऐसा भारी बोझ इकटठा कर रह ह जो अिक लोगो क रहािी सिाश का कारण बि चका ह और अब उिक सिाश का कारण बिगा

इस जर 1 कारण घणी 2 सगती 3 इि जर घणी खआई 4

पापा बाझहो हो िाही मइआ साथ ि जाई (11)

धि जो पाप क सबिा इकटठा िही हो सकता मत क बाद साथ िही जा सकता और परभ की दरगाह म ददगशा का कारण बिता ह ह हमार सलए लाभपरद सकस परकार हो सकता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह सक राजा शासकी असधकारी आसद धि क मोह क अधीि पराी दौलत हसथाकर माा क सष का भसडार इकटठा कर लत ह ासत म लोभ लालच और माा उिको छल लत ह और असत सम उनह म क हाथो चोट सहिी पड़ती ह

1 धि 2 बहत 3 खार हई 4 कमागग पर भटक गई

14 | हि-हलाल की कमाई

भपत राज रसग राए 1 ससचह 2 सबख 3 माइआ 4

कर कर हत धाइद पर दरब 5 चराइआ

पतर कलतर ि ससहह 6 बह परीत लगाइआ

खसदआ ही माइआ धह गई 7 पछतह पछताइआ

जम दर बध मारीअह िािक हर भाइआ (12)

इसी भा को परकट करत हए गर अजगि द जी फ़रमात ह सक राजा महाराजा हासकम शासकी असधकारी और धिी लोग परमातमा का भ तागकर अिक ज़लम करक धि एकसतरत करत ह परसत ह धि-दौलत ह साज़ो-सामाि सब मौत क साथ ही ख़तम हो जाता ह

भपत होए क राज कमाइआ कर कर अिरथ सहाझी 8 माइआ

ससचत ससचत थली कीनही परभ उस त डार 9 अर 10 कउ दीनही

काच गगरीआ असभ मझरीआ 11 गरब गरब उआह मह परीआ 12

सिरभउ होइओ भइआ सिहसगा 13 चीत 14 ि आइओ करता ससगा

लसकर जोड़ कीआ ससबाहा 15

सिकससआ फक 16 त होए गइओ सआहा 17 (13)

हमार मि म हमशा ह सचसता रहती ह सक सद हम बईमािी िही करग तो सससार क काम िही चलग परसत सजि लोगो ि अपि जीि म िकी सचचाई और ईमािदारी स काम सला ह सदा ही कहत ह सक ईमािदारी की कमाई म बहत बरकत अथा सख-समसद ह और परभ सस सकसी ि सकसी परकार उिक सभी काग पणग कर दता ह

1 धिी 2 इकटठा करिा 3 ज़हर 4 माा 5 पराा धि 6 सशास 7 माइआगई=माा धोखा द गई धि जाता रहा 8 ख़रीदी भा परात की 9 लकर 10 दसर को 11 पािी क बीच म 12 उआहपरीआ=बार-बार उसी म सगरता ह अथवात उस बार-बार जनम लिा पड़ता ह 13 सिसशचसत 14 ाद 15 इकटठा सका 16 सास सिकल गई 17 राख हो गा अथवात मर गा

भसखआ भख ि उतरी | 15

ह ठीक ह सक अपिी महित और िक कमाई क दारा कोई वसकत ऐशो इशरत तो िही कर सकता परसत ह कमाई मधास शराब इससदरो क भोगो तथा अन कई परकार क दराचार तथा पापो स बचाती ह ह मि म ससतोष तथा परभ का परम और सशास पदा करती ह और सचच परमाथग की िी तार करती ह

भनखआ भख ि उतरीजो लोग सचच सदल स महसस करत ह सक सचचा और सथाी आिसद िक जीि और परभपरासत म ह परसननतापगक हि-हलाल की कमाई का सिम सीकार करत ह जो लोग आचरण की पसतरता और आसतमक आिसद स पसरसचत ह ा जो इसकी परासत क इचछक ह अिसचत ढसग स की गई कमाई का ताग करत ह इस परकार की कमाई का ताग उनह परमाथगरपी हीर-जाहरात की परासत क सलए ईटो-पतथरो की क़बवािी क समाि परतीत होता ह परसत जो लोग इस आिसद स अिजाि ह और सजनह इस परात करि की कोई चाह िही उनह दसिा क िाशाि भोग और धि-दौलत ही सब कछ परतीत होत ह ह िही जाित सक भोग और अिसचत ढसग स कमाा गा धि लोक और परलोक दोिो म ही उिकी ददगशा का कारण बिता ह अतए मिष को चासहए सक जो कछ अपिी हि-हलाल की कमाई स समल उस पर ससतोष कर तथा भोगो क लालच स बच धि की तषणा असगि क समाि ह जो लकड़ी डालि पर कभी भी शधात िही होती बसलक और भड़क उठती ह गर िािक सासहब कहत ह सक सार सससार का धि भी लालची क मि की भख को िही समटा सकता

भसखआ भख ि उतरी ज बसिा परीआ भार 1 (14)

सफ़ी ससत सरमद लोभ को खारी ा ददगशा का कारण बतात ह कहत ह सक लोभी वसकत ज़हरील सापो स ज़ादा ख़तरिाक ह

1 अथवात सभी लोको की धि-दौलत

16 | हि-हलाल की कमाई

सरमद त सज़ ख़लि हच ारी मतलब

अज़ शाख़-बरहिा साा दारी मतलब

इज़ज़त सज़ ििाअत असत ओ खारी सज़ तमअ

बा इज़ज़ात-खश बाश खारी मतलब (15)

अथवात ऐ सरमद त दसिा स सचच ार की उममीद ि कर सबिा पतिो का पड़ सकसी को भी साा िही द सकता लोभ स अपमाि और ससतोष स सममाि परात होता ह सममाि स जी अपमाि की सज़सदगी का तलबगार ि बि

दसिा तलबधा रा सकह गम-दीिार असत

ब समहरी-ए-शाि ब कद गर सबसार असत

अज़ अिरब-ओ-मार हच असदशा मकि

ज़ी िौम हज़र बकि सकह िश-ओ-ख़ार असत (16)

अथवात दसिा क मताल सोि-चादी क सलए तड़पत ह और एक दसर स दशमिी करि क सलए मशहर ह त सापो और सबचछओस स ि डर लसकि इि माा क परसमो स डर सजिक असदर ज़हर और काट भर पड़ ह

गर अजगि द जी फ़रमात ह सक लोभी सदा लोभ की लहरो म डोलता रहता ह ह ोग-अोग भला-बरा िही दखता ह ार समतरो सग-ससबससधो पजा क ोग माता-सपता तथा अपि इषट को लटि म भी लजजा िही करता

ह लोभा लसपट ससग ससरमोरह असिक लहरी कलोलत 1

धासत जीआ बह परकारस असिक भधात बह डोलत

1 हhellipकलोलत=ह लोभ ति बड़-बड़ सशरोमसण परषो को फसाा ह और तरी अिक लहरो म कीड़ा कर रह ह

दो तरह की सति | 17

िच 1 समतरस िच इसटस िच बाध िच मात सपता त लजा

अकरणस करोत अखादय खादयस 2 असाजस साज समजा 3

तराह तराह सरण सआमी सबगात 4 िािक हर िरहरह 5 (17)

जस-जस मिष की इचछाए परी होती जाती ह स ही और बढ़ती जाती ह उस कभी तसत िही समलती तसत कल ससतोष म ही ह ससतोष क सबिा ि कोई त त हो सकता ह और ि ही सकसी का परमाथग बि सकता ह

सहस खट लख कउ उठ धा 6 सतरपत ि आ माइआ पाछ पा

असिक भोग सबसखआ क 7 कर िह सतरपता खप खप मर

सबिा ससतोख िही कोऊ राज 8 सपि मिोरथ सबरथ 9 सभ काज (18)

इसका ह अथग िही सक गर सासहबाि अथा ससत-महातमा लोगो को आजीसका कमाि अथा सधासासरक उननसत करि स रोकत ह ससत सकसी की उननसत ा सकसी क फलि-फलि क सरद िही होत तो कल ही आगरह करत ह सक आसथगक और सधासासरक उननसत सचचाईपणग और िक उपाो दारा करिी चासहए और हमशा महित सत और ईमािदारी स काम लिा चासहए

ससत-महातमा लोगो को धि और माा क लोभ क परसत इससलए होसशार करत ह सक सधासासरकता ा माा उि पर हाी ि हो जाए और सससार म आि क परभपरासत क असली उददश को ि भल जाए

दो तरह की नतिगर िािक सासहब ि आसा की वार म एक ओर तो सधासासरक सति ाल अससतोषी सकारी परष का िक़शा खीचा ह जो बर कममो म परति

1 ि करि ोग काग करता ह 2 ि खाि ोग चीज़ खाता ह 3 असाज सhellipसमजा=ि बिाि ोग सतओस को बिाता तथा इकटठा करता ह 4 सिती करता ह 5 िरहसर परमातमा 6 सहसhellipधा=हज़ार इकटठा कर लि पर लाख क पीछ दौड़ता ह 7 सषो क 8 तत होता 9 वथग

18 | हि-हलाल की कमाई

होकर अपि जीि को बरबाद कर दता ह और मौत क बाद ातिाए पाता ह दसरी ओर सचची महित तथा िक कमाई करिाल ऐस ससतोषी जी का सचतर परसतत सका ह जो सतगर दारा खीची हई लकीर क असदर रहता ह तथा अकालपरष ा परमसपता परमातमा की भसकत करक सदा क सलए उसस समलाप परात कर लता ह सधासासरक तथा भोगी वसकत की असथा का णगि करत हए आप फ़रमात हthinsp

आपीनह भोग भोग क होए भसमड़ भउर ससधाइआ 1

डा होआ 2 दिीदार गल ससगल 3 घत चलाइआ

अग करणी कीरत ाचीऐ बह लखा कर समझाइआ 4

थाउ ि होी पउदीई 5 हण सणीऐ सकआ रआइआ

मि असध जिम गाइआ (19)

आप ससतोषी और धमवातमा परष का णगि इस परकार करत ह

स कीती ससतोखीई सजनही सचो सच सधआइआ

ओनही मसद पर ि रसखओ 6 कर ससकत 7 धरम कमाइआ

ओनही दिीआ तोड़ बसधिा असि पाणी थोड़ा खाइआ

तस बखसीसी अगला 8 सित द ह चड़ह साइआ 9

सडआई 10 डा पाइआ 11 (20)

साधक का असली ससघषग ही काम कोध लोभ मोह अहसकार आसद सकारो क साथ ह और बईमािी की कमाई सकारो की जड़ ह जब अिसचत

1 भसमडhellipनसधाइआ=शरीर जलकर भसम की ढरी हो जाता ह और आतमा परसथाि कर जाती ह 2 मर गा 3 गल म ज़सजीर 4 अगhellipसमझाइआ=आग (मत क बाद) उसक कममो का सरण उस सिाा जाता ह तथा उसक अिसार आग का जीि सलखा जाता ह 5 थाउhellipपउदीई=मदतो की मार पड़त सम कही सथाि िही समलता अथवात सहारा िही समलता 6 ओनहीरनखओ= ग़लत रासत पर िही गए 7 िक कमाई 8 तसअगला=त उनह और असधक दता ह 9 डह साइआ=बढ़ती रहती ह 10 परभ की दा स 11 परभ को परात कर लता ह

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 6: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

6

हक़-हलाल की कमाई

xससतमत कथिी का िही करिी का मागग ह ह अधातम क उचच और पसतर ससदधातो को अमली जामा पहिाि पर और उनह अपि जीि म वाहासरक रप म उतारि पर ज़ोर दता ह ससत-महातमाओस ि िक कमाई की मसहमा की ह और इस बात पर ज़ोर सदा ह सक परमाथग क एक सचच साधक क सलए अपिी सिजी कमाई दसधा िौहा 1 की कमाई अथा हि-हलाल की कमाई 2 बहत ज़ररी ह कहात हः जसा खा अनन सा हो मि अिसचत रप स कमाए हए धि स परात आहार ा भोजि अिसचत सचारो और अिसचत सतिो को जनम दता ह ऐसा आहार मि को सिकषट सचारो तथा ससकलपो का अखाड़ा बिा दता ह सजसक फलसरप परमाथग म उननसत करिा अससभ हो जाता ह अपिी महित की कमाई को तागकर अपिा बोझ दसरो पर डाल दिाल पजा क धि चढ़ा और भट पर पलिाल और चोरी ठगी बईमािी धोख छल आसद दारा पराा धि हसथाि ाल लोग परमाथग म उननसत िही कर सकत चाह ऐस लोग अपि आप को बहत बसदमाि साि ा चतर समझ पर असल म अपि आप को ही धोखा द रह ह

इसी सलए ससत-महातमाओस ि िक कमाई पर ज़ोर सदा ह कहत ह सक मि और आतमा की गाठ बधी हई ह सजस जड़ndashचति की गाठ कहा जाता ह मि की परसति चसचल ह ह पल भर क सलए भी ससथर

1 दसो िाख़िो अथवात अपिी महित की कमाई 2 हक़-हलाल की कमाई=अपिी महित और ईमािदारी स कमाा धि

हि-हलाल की कमाई | 7

ा सिशचल िही रहता और जब तक मि साथ ि द आतमा असतर म चढ़ाई करि म सफल िही हो सकती हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करि स मि की चसचलता को कम करि तथा उसका झका असदर की ओर करि म सहाता समलती ह सजसस अभासी क सलए आधासतमक ातरा त करिा सहज हो जाता ह आधासतमक उननसत का बीज कल महित क सचच और पसतर खत म ही असकसरत हो सकता ह सचच परमाथग म भीख बईमािी और धोख दारा कमाए हए धि क सलए कोई सथाि िही ह

जब कोई रोगी इलाज क सलए डॉकटर क पास जाता ह तो डॉकटर उसक रोग की पहचाि करक उस दाई दता ह साथ ही ह रोगी को दो बात धाि म रखि की सहदात दता ह mdash एक तो ह सक दाई सम पर ली जाए और दसरी ह सक बताए गए परहज़ की पालिा ज़रर की जाए रहासित क षितर म ससत-सतगर अजािता स पीसड़त सससासरो क सलए डॉकटर ा दय बिकर आत ह उनह िाम की दाई दत ह और उसक सिमप गक स ि की ताकीद करत ह साथ ही उनह कछ ज़ररी परहज़ भी बतात ह सजिम स एक ह ह सक पराा हि छीिि ा छल-कपट स धि कमाि स बच और हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा कर

ससत-महातमाओस ि अपि उपदश म सपषट और ज़ोरदार शबदो म हि-हलाल की कमाई पर बल सदा ह परमातमा क भकतो ि सस िक रहिी तथा हि-हलाल की कमाई की सज़सदा समसाल बिकर परमाथग क साधको को जीि म असधक स असधक पसतरता अपिाि की पररणा दी ह हि-हलाल की कमाई स महातमाओस का तातपग उस धि स ह जो सचचाई और िकी क दारा कमाा गा हो सजस पर ना कािि और िसतक दसषट स उपभोग करिाल का हि ा असधकार हो सजस कमाि म दश और समाज क सिमो तथा मािता का हिि ि सका गा हो सजस परात करि क सलए सकसी का िकसाि ि सका गा हो तथा सजसम स पसरार तथा अन भागीदारो को उिका सहससा नाप गक द सदा गा हो

8 | हि-हलाल की कमाई

सनरितसचची और िक कमाई सासतक आहार शभ सचार िक आचरण मासलक क परसमो की ससगत और िाम का अभास ससतमत की परमख आशकताए ह शबद अथा िाम की कमाई आहार सचार और आचार की पसतरता क सहार ही हो सकती ह ससतो ि इस सष की ससतारपगक वाखा की ह ससत िामद ि ससकत अथवात अचछ िसतक कममो दारा की गई कमाई स गज़ारा करि को बहत महत सदा ह ऐसी िक कमाई की मसहमा बतात हए आप कहत ह सक इसस मिष समत अथवात अचछी सिमगल बसद ाला होकर गरमत म रहकर िाम का अभास करि क ोग हो जाता ह और इस परकार ह परमधाम परात कर सकता ह

भित िामदउ ससकत समत भए

गरमत राम कह को को ि बकसठ गए  (1)

ससत िामद ख़द भी परी सज़सदगी छीप और दज़ज़ी का काग करत हए अपिी ईमािदारी की कमाई पर गज़ारा करत रह

गर असगद द जी ि भी सभी गमो क लोगो क सलए िक कमाई क सिम पर ज़ोर सदा ह आपि भी ससकत को धमग का अथवात अधातम म उननसत का आधार बताा ह

कर ससकत धरम कमाइआ (2)

हर सम की तरह गर िािक द जी क सम म भी एक तरफ़ राजा हासकम और असधकारी दसरी तरफ़ पससडत परोसहत मलला तथा िाज़ी और तीसरी तरफ़ वापारी और धिी लोग महित की िक कमाई स दर जा रह थ आम लोगो की रहिी म भी सचचाई और ईमािदारी का अभा होता जा रहा था गर सासहब का धरम को ससकत क साथ जोड़िा बकार बठ लोगो दसरो की कमाई पर ऐश करिालो और ठगी-बईमािी करिालो क सलए एक गसभीर चतािी था और आज भी ह

ससकत | 9

धासमगक िता पराा धि लि म िाज़ी और हासकम सरशत लि म पाप िही समझत थ गर िािक सासहब फ़रमात ह सक तसबीह (माला) फरिाल और ख़दा-ख़दा करिाल लोग जब इिसाफ़ की कसज़ी पर बठत ह तो सरशत खाकर दसरो क हि ा असधकारो को छीि लत ह सद उिस कछ कहा जाए तो धमगपसतको का हाला दकर अपि आप को ठीक सासबत करि का परति करत ह

काजी होए क बह सिआए फर तसबी कर खदाए

ढी 1 ल क हक गाए ज को पछ ता पड़ सणाए (3)

गर सासहब फ़रमात ह सक लोगो क गलो पर छरी चलािाल परोसहत आसद अपि गल म जिऊ पहिकर अपिी पसतरता का सदखाा करत ह हर तरफ़ झठ और छल परधाि ह सचचाई ईमािदारी और धमग पसख लगाकर उड़ गए ह अपि आप को धमवातमा कहिाल परोसहत लोग बईमािी और अना क दारा धि कमािाल लोगो क घरो म जाकर पजा आसद कराकर पराणो म स कथाए सिाकर पाप की कमाई का अनन खात ह

माणस खाण 2 करह सिाज छरी गाइि 3 सति गल ताग 4

सति घर बरहमण परह िाद उनहा सभ आह ओई साद

कडी 5 रास 6 कड़ा ापार कड़ बोल करह आहार

सरम धरम का डरा दर िािक कड़ रसहआ भरपर

मथ सटका तड़ धोती कखाई हथ छरी जगत कासाई 7

िील सतर पसहर होह पराण मलछ धाि ल पजह पराण (4)

1 सरशत अनापगक धि लिा 2 मिष तक का भषिण करिाल अथवात साथग क सलए दसरो को सकसी भी परकार की हासि पहचाि को तार 3 चलािाल 4 जिऊ 5 झठी 6 धि-ससपसति 7 जगत क िसाई सार सससार पर ज़लम करिाल

10 | हि-हलाल की कमाई

गर सासहब फ़रमात ह सक लोग अिक परकार की चोरी ठगी दराचार और झठ क पाप का भार अपि ऊपर लाद जा रह ह

लख चोरीआ लख जारीआ लख कड़ीआ लख गाल

लख ठगीआ पसहिामीआ 1 रात सदिस जीअ िाल (5)

घाल खाए नकछ हथहो दगर िािक सासहब ि राजा परजा पससडत मखग सदाि अिपढ़ सहसद और मसलमाि सभी क सलए ससकत अथा िक कमाई क सिम पर ज़ोर सदा इस परकार आप सचच धमग को मससदरो मससजदो ठाकरदारो सगरजाघरो आसद की चारदीारी स सिकालकर खतो दकािो कचहसरो दफ़तरो ािी मिष क दसिक जीि म ल आए आपि कल उनही लोगो को धासमगक सका और रहािी अभास क ोग मािा जो हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करत ह गर िािक द जी ि सस षमो तक दौलतखधा लोदी क मोदीख़ाि म सचचाई तथा परी ईमािदारी क साथ काम सका और इस कमाई म स खल सदल स ग़रीबो-अिाथो की मदद की बाद म आपि करतारपर म खती की और अपिी िक कमाई पर गज़ारा करत हए ज़ररतमसदो की सहाता भी की आपि सस एक सचच परमाथज़ी का जीसत उदाहरण सथासपत सका तासक आपक उपदश क इस मल पहल mdash िक कमाई mdash क सष म सकसी परकार का कोई भरम ि रह जाए आपि अपिी ाणी म बहत सपषट और सरल शबदो म गरओस पीरो तथा सशषो क सलए सिजी कमाई तथा अपिी सचची और पसतर कमाई पर सिवाह करत हए उसम स ज़ररतमसदो की सहाता करि का आदशग सथासपत सका ह

गर पीर सदाए मसगण जाए ता क मल ि लगीऐ पाए

घाल खाए सकछ हथहो द िािक राह पछाणह स  (6)

1 गत रप स और सछपकर सकए गए पाप

घाल खाए सकछ हथहो द | 11

अथवात अगर कोई गर ा पीर होकर सशषो स मागता सफरता ह तो उसक परो पर कभी ससर िही झकािा चासहए जो महित करक अपिी रोज़ी कमाता हो और उस हि-हलाल की कमाई म स साधससगत की सा करता हो ही परमाथग की राह का सचचा जािकार सचचा गर हो सकता ह

ह सबको पता ह सक गर िािक सासहब ि ऐमिाबाद म मसलक भागो क छतिीस परकार क पकािो को तागकर भाई लालो की कोधर की रोटी को पससद सका कोसक आपको पहल परकार क भोजि म ग़रीब लोगो का ख़ि समला हआ सदखाई सदा तथा दसर परकार क भोजि म हि-हलाल की कमाई का अमत

कबीर सासहब ि अपि सम क अधर और पाखसडी गरओस की आलोचिा करत हए सलखा ह सक लोभश सशषो को लटत ह उिक सशष भी अपि साथग क सलए ही ऐस गरओस क साथ लग रहत ह ऐस लोगो को शधासत कस समल सकती ह आप कहत ह सक ऐस गर पस क पचास समलत ह राम-िाम को बचकर उस अपिी कमाई का साधि बिात ह और ऐस धि स सशषो की सगिती बढ़ाि का ति करत ह

कबीर पर गर सबिा परा ससष ि हो

गर लोभी ससष लालची दिी दाझि हो

गरआ तो ससता भा पसा कर पचास

राम िाम को बसच क कर ससष की आस (7)

कबीर सासहब ि गर तथा सशष दोिो क सलए बहत ऊचा आदशग सथासपत सका ह आप फ़रमात ह सक सशष को चासहए सक अपिा सब कछ गर को अपगण कर द अथवात सब कछ गर का समझकर इसतमाल कर परसत गर को चासहए सक सशष की सई तक को हाथ ि लगाए

ससष तो ऐसा चासह गर को सब कछ द

गर तो ऐसा चासह ससष स कछ ि ल (8)

12 | हि-हलाल की कमाई

कबीर सासहब सपषट कहत ह सक महातमा अपि सशषो का धि साधससगत की सा ा परोपकार म अश ख़चग करा दत ह तासक उिकी कमाई साथगक हो तथा परमाथग क राह पर चलि म सहाक ससद हो परसत सशषो स महातमा सिजी ज़ररतो ा सिजी लाभ क सलए कभी एक पाई भी िही लत

मसर जाऊ माग िही अपि ति क काज

परमारथ क कारि मोसहस ि आ लाज (9)

जसा सक सब जाित ह कबीर सासहब ि जीि भर कपड़ा बिि का काम करक अपिा और अपि पसरार का पालि सका आप जब भी ससतमत क परचार ा सतससग क सलए बाहर जात अपिा करघा साथ ल जात थ

हज़र सामी जी महाराज फ़रमात ह सक ससत-सतगरओस क पास िामभसकत का अखट भसडार होता ह दसिाी धि-दौलत की ओर िज़र उठाकर भी िही दखत अपि सशषो स अपि गज़ार क सलए कभी कछ िही लत हा परमाथग क सलए अपि सशषो स परोपकार ज़रर करात ह

गर िसहस भखा तर धि का उि प धि ह भसकत िाम का

पर तरा उपकार करा भख ास को सदला (10)

आपका अपिा जीि हि-हलाल की कमाई का एक पररणादाक उदाहरण ह छोटी उमर स ही आपका परमातमा की ओर झका था इससलए आप ऐसी िौकरी चाहत थ सजसम साथग और परमाथग दोिो साथ-साथ चल सक आपि बललभगढ़ क राजा क पास फ़ारसी क अधापक क रप म िौकरी की सजसम तीि घसट परसतसदि लगाि पड़त थ उि सदिो राजाओस क कमगचासरो को ति क साथ गज़ार क सलए रसद भी समला करती थी सामी जी महाराज सारी रसद ज़ररतमसदो म बाट सदा करत थ और ति का काफ़ी बड़ा सहससा

पापा बाझहो हो िाही | 13

अपि सपता जी को भज दत थ रोज़ी कमात हए भी आपक मि म पणग राग था

सामी जी महाराज क सपता जी घर क गज़ार क सलए साहकारी सका करत थ सपता जी क दहधात क बाद सामी जी ि सभी िज़गदारो को बलाकर कहा सक जो कोई िज़ज़ की मल रकम चकािा चाह चका द और जो ि लौटािा चाह ह ि लौटाए उनहोि िज़गदारो क सामि िज़ज़ क सार काग़ज़-पतर फाड़ सदए और सद की आमदिी सदा क सलए बसद कर दी

पापा बाझहो हो िाहीससत-महातमा कहत ह सक धि-दौलत पापो क सबिा इकटठी िही होती और असत सम साथ िही जाती गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग धि-दौलत इकटठा करि म खोए हए ह और इस बात पर सचार करि का ति िही करत सक पापो का ऐसा भारी बोझ इकटठा कर रह ह जो अिक लोगो क रहािी सिाश का कारण बि चका ह और अब उिक सिाश का कारण बिगा

इस जर 1 कारण घणी 2 सगती 3 इि जर घणी खआई 4

पापा बाझहो हो िाही मइआ साथ ि जाई (11)

धि जो पाप क सबिा इकटठा िही हो सकता मत क बाद साथ िही जा सकता और परभ की दरगाह म ददगशा का कारण बिता ह ह हमार सलए लाभपरद सकस परकार हो सकता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह सक राजा शासकी असधकारी आसद धि क मोह क अधीि पराी दौलत हसथाकर माा क सष का भसडार इकटठा कर लत ह ासत म लोभ लालच और माा उिको छल लत ह और असत सम उनह म क हाथो चोट सहिी पड़ती ह

1 धि 2 बहत 3 खार हई 4 कमागग पर भटक गई

14 | हि-हलाल की कमाई

भपत राज रसग राए 1 ससचह 2 सबख 3 माइआ 4

कर कर हत धाइद पर दरब 5 चराइआ

पतर कलतर ि ससहह 6 बह परीत लगाइआ

खसदआ ही माइआ धह गई 7 पछतह पछताइआ

जम दर बध मारीअह िािक हर भाइआ (12)

इसी भा को परकट करत हए गर अजगि द जी फ़रमात ह सक राजा महाराजा हासकम शासकी असधकारी और धिी लोग परमातमा का भ तागकर अिक ज़लम करक धि एकसतरत करत ह परसत ह धि-दौलत ह साज़ो-सामाि सब मौत क साथ ही ख़तम हो जाता ह

भपत होए क राज कमाइआ कर कर अिरथ सहाझी 8 माइआ

ससचत ससचत थली कीनही परभ उस त डार 9 अर 10 कउ दीनही

काच गगरीआ असभ मझरीआ 11 गरब गरब उआह मह परीआ 12

सिरभउ होइओ भइआ सिहसगा 13 चीत 14 ि आइओ करता ससगा

लसकर जोड़ कीआ ससबाहा 15

सिकससआ फक 16 त होए गइओ सआहा 17 (13)

हमार मि म हमशा ह सचसता रहती ह सक सद हम बईमािी िही करग तो सससार क काम िही चलग परसत सजि लोगो ि अपि जीि म िकी सचचाई और ईमािदारी स काम सला ह सदा ही कहत ह सक ईमािदारी की कमाई म बहत बरकत अथा सख-समसद ह और परभ सस सकसी ि सकसी परकार उिक सभी काग पणग कर दता ह

1 धिी 2 इकटठा करिा 3 ज़हर 4 माा 5 पराा धि 6 सशास 7 माइआगई=माा धोखा द गई धि जाता रहा 8 ख़रीदी भा परात की 9 लकर 10 दसर को 11 पािी क बीच म 12 उआहपरीआ=बार-बार उसी म सगरता ह अथवात उस बार-बार जनम लिा पड़ता ह 13 सिसशचसत 14 ाद 15 इकटठा सका 16 सास सिकल गई 17 राख हो गा अथवात मर गा

भसखआ भख ि उतरी | 15

ह ठीक ह सक अपिी महित और िक कमाई क दारा कोई वसकत ऐशो इशरत तो िही कर सकता परसत ह कमाई मधास शराब इससदरो क भोगो तथा अन कई परकार क दराचार तथा पापो स बचाती ह ह मि म ससतोष तथा परभ का परम और सशास पदा करती ह और सचच परमाथग की िी तार करती ह

भनखआ भख ि उतरीजो लोग सचच सदल स महसस करत ह सक सचचा और सथाी आिसद िक जीि और परभपरासत म ह परसननतापगक हि-हलाल की कमाई का सिम सीकार करत ह जो लोग आचरण की पसतरता और आसतमक आिसद स पसरसचत ह ा जो इसकी परासत क इचछक ह अिसचत ढसग स की गई कमाई का ताग करत ह इस परकार की कमाई का ताग उनह परमाथगरपी हीर-जाहरात की परासत क सलए ईटो-पतथरो की क़बवािी क समाि परतीत होता ह परसत जो लोग इस आिसद स अिजाि ह और सजनह इस परात करि की कोई चाह िही उनह दसिा क िाशाि भोग और धि-दौलत ही सब कछ परतीत होत ह ह िही जाित सक भोग और अिसचत ढसग स कमाा गा धि लोक और परलोक दोिो म ही उिकी ददगशा का कारण बिता ह अतए मिष को चासहए सक जो कछ अपिी हि-हलाल की कमाई स समल उस पर ससतोष कर तथा भोगो क लालच स बच धि की तषणा असगि क समाि ह जो लकड़ी डालि पर कभी भी शधात िही होती बसलक और भड़क उठती ह गर िािक सासहब कहत ह सक सार सससार का धि भी लालची क मि की भख को िही समटा सकता

भसखआ भख ि उतरी ज बसिा परीआ भार 1 (14)

सफ़ी ससत सरमद लोभ को खारी ा ददगशा का कारण बतात ह कहत ह सक लोभी वसकत ज़हरील सापो स ज़ादा ख़तरिाक ह

1 अथवात सभी लोको की धि-दौलत

16 | हि-हलाल की कमाई

सरमद त सज़ ख़लि हच ारी मतलब

अज़ शाख़-बरहिा साा दारी मतलब

इज़ज़त सज़ ििाअत असत ओ खारी सज़ तमअ

बा इज़ज़ात-खश बाश खारी मतलब (15)

अथवात ऐ सरमद त दसिा स सचच ार की उममीद ि कर सबिा पतिो का पड़ सकसी को भी साा िही द सकता लोभ स अपमाि और ससतोष स सममाि परात होता ह सममाि स जी अपमाि की सज़सदगी का तलबगार ि बि

दसिा तलबधा रा सकह गम-दीिार असत

ब समहरी-ए-शाि ब कद गर सबसार असत

अज़ अिरब-ओ-मार हच असदशा मकि

ज़ी िौम हज़र बकि सकह िश-ओ-ख़ार असत (16)

अथवात दसिा क मताल सोि-चादी क सलए तड़पत ह और एक दसर स दशमिी करि क सलए मशहर ह त सापो और सबचछओस स ि डर लसकि इि माा क परसमो स डर सजिक असदर ज़हर और काट भर पड़ ह

गर अजगि द जी फ़रमात ह सक लोभी सदा लोभ की लहरो म डोलता रहता ह ह ोग-अोग भला-बरा िही दखता ह ार समतरो सग-ससबससधो पजा क ोग माता-सपता तथा अपि इषट को लटि म भी लजजा िही करता

ह लोभा लसपट ससग ससरमोरह असिक लहरी कलोलत 1

धासत जीआ बह परकारस असिक भधात बह डोलत

1 हhellipकलोलत=ह लोभ ति बड़-बड़ सशरोमसण परषो को फसाा ह और तरी अिक लहरो म कीड़ा कर रह ह

दो तरह की सति | 17

िच 1 समतरस िच इसटस िच बाध िच मात सपता त लजा

अकरणस करोत अखादय खादयस 2 असाजस साज समजा 3

तराह तराह सरण सआमी सबगात 4 िािक हर िरहरह 5 (17)

जस-जस मिष की इचछाए परी होती जाती ह स ही और बढ़ती जाती ह उस कभी तसत िही समलती तसत कल ससतोष म ही ह ससतोष क सबिा ि कोई त त हो सकता ह और ि ही सकसी का परमाथग बि सकता ह

सहस खट लख कउ उठ धा 6 सतरपत ि आ माइआ पाछ पा

असिक भोग सबसखआ क 7 कर िह सतरपता खप खप मर

सबिा ससतोख िही कोऊ राज 8 सपि मिोरथ सबरथ 9 सभ काज (18)

इसका ह अथग िही सक गर सासहबाि अथा ससत-महातमा लोगो को आजीसका कमाि अथा सधासासरक उननसत करि स रोकत ह ससत सकसी की उननसत ा सकसी क फलि-फलि क सरद िही होत तो कल ही आगरह करत ह सक आसथगक और सधासासरक उननसत सचचाईपणग और िक उपाो दारा करिी चासहए और हमशा महित सत और ईमािदारी स काम लिा चासहए

ससत-महातमा लोगो को धि और माा क लोभ क परसत इससलए होसशार करत ह सक सधासासरकता ा माा उि पर हाी ि हो जाए और सससार म आि क परभपरासत क असली उददश को ि भल जाए

दो तरह की नतिगर िािक सासहब ि आसा की वार म एक ओर तो सधासासरक सति ाल अससतोषी सकारी परष का िक़शा खीचा ह जो बर कममो म परति

1 ि करि ोग काग करता ह 2 ि खाि ोग चीज़ खाता ह 3 असाज सhellipसमजा=ि बिाि ोग सतओस को बिाता तथा इकटठा करता ह 4 सिती करता ह 5 िरहसर परमातमा 6 सहसhellipधा=हज़ार इकटठा कर लि पर लाख क पीछ दौड़ता ह 7 सषो क 8 तत होता 9 वथग

18 | हि-हलाल की कमाई

होकर अपि जीि को बरबाद कर दता ह और मौत क बाद ातिाए पाता ह दसरी ओर सचची महित तथा िक कमाई करिाल ऐस ससतोषी जी का सचतर परसतत सका ह जो सतगर दारा खीची हई लकीर क असदर रहता ह तथा अकालपरष ा परमसपता परमातमा की भसकत करक सदा क सलए उसस समलाप परात कर लता ह सधासासरक तथा भोगी वसकत की असथा का णगि करत हए आप फ़रमात हthinsp

आपीनह भोग भोग क होए भसमड़ भउर ससधाइआ 1

डा होआ 2 दिीदार गल ससगल 3 घत चलाइआ

अग करणी कीरत ाचीऐ बह लखा कर समझाइआ 4

थाउ ि होी पउदीई 5 हण सणीऐ सकआ रआइआ

मि असध जिम गाइआ (19)

आप ससतोषी और धमवातमा परष का णगि इस परकार करत ह

स कीती ससतोखीई सजनही सचो सच सधआइआ

ओनही मसद पर ि रसखओ 6 कर ससकत 7 धरम कमाइआ

ओनही दिीआ तोड़ बसधिा असि पाणी थोड़ा खाइआ

तस बखसीसी अगला 8 सित द ह चड़ह साइआ 9

सडआई 10 डा पाइआ 11 (20)

साधक का असली ससघषग ही काम कोध लोभ मोह अहसकार आसद सकारो क साथ ह और बईमािी की कमाई सकारो की जड़ ह जब अिसचत

1 भसमडhellipनसधाइआ=शरीर जलकर भसम की ढरी हो जाता ह और आतमा परसथाि कर जाती ह 2 मर गा 3 गल म ज़सजीर 4 अगhellipसमझाइआ=आग (मत क बाद) उसक कममो का सरण उस सिाा जाता ह तथा उसक अिसार आग का जीि सलखा जाता ह 5 थाउhellipपउदीई=मदतो की मार पड़त सम कही सथाि िही समलता अथवात सहारा िही समलता 6 ओनहीरनखओ= ग़लत रासत पर िही गए 7 िक कमाई 8 तसअगला=त उनह और असधक दता ह 9 डह साइआ=बढ़ती रहती ह 10 परभ की दा स 11 परभ को परात कर लता ह

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 7: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

हि-हलाल की कमाई | 7

ा सिशचल िही रहता और जब तक मि साथ ि द आतमा असतर म चढ़ाई करि म सफल िही हो सकती हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करि स मि की चसचलता को कम करि तथा उसका झका असदर की ओर करि म सहाता समलती ह सजसस अभासी क सलए आधासतमक ातरा त करिा सहज हो जाता ह आधासतमक उननसत का बीज कल महित क सचच और पसतर खत म ही असकसरत हो सकता ह सचच परमाथग म भीख बईमािी और धोख दारा कमाए हए धि क सलए कोई सथाि िही ह

जब कोई रोगी इलाज क सलए डॉकटर क पास जाता ह तो डॉकटर उसक रोग की पहचाि करक उस दाई दता ह साथ ही ह रोगी को दो बात धाि म रखि की सहदात दता ह mdash एक तो ह सक दाई सम पर ली जाए और दसरी ह सक बताए गए परहज़ की पालिा ज़रर की जाए रहासित क षितर म ससत-सतगर अजािता स पीसड़त सससासरो क सलए डॉकटर ा दय बिकर आत ह उनह िाम की दाई दत ह और उसक सिमप गक स ि की ताकीद करत ह साथ ही उनह कछ ज़ररी परहज़ भी बतात ह सजिम स एक ह ह सक पराा हि छीिि ा छल-कपट स धि कमाि स बच और हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा कर

ससत-महातमाओस ि अपि उपदश म सपषट और ज़ोरदार शबदो म हि-हलाल की कमाई पर बल सदा ह परमातमा क भकतो ि सस िक रहिी तथा हि-हलाल की कमाई की सज़सदा समसाल बिकर परमाथग क साधको को जीि म असधक स असधक पसतरता अपिाि की पररणा दी ह हि-हलाल की कमाई स महातमाओस का तातपग उस धि स ह जो सचचाई और िकी क दारा कमाा गा हो सजस पर ना कािि और िसतक दसषट स उपभोग करिाल का हि ा असधकार हो सजस कमाि म दश और समाज क सिमो तथा मािता का हिि ि सका गा हो सजस परात करि क सलए सकसी का िकसाि ि सका गा हो तथा सजसम स पसरार तथा अन भागीदारो को उिका सहससा नाप गक द सदा गा हो

8 | हि-हलाल की कमाई

सनरितसचची और िक कमाई सासतक आहार शभ सचार िक आचरण मासलक क परसमो की ससगत और िाम का अभास ससतमत की परमख आशकताए ह शबद अथा िाम की कमाई आहार सचार और आचार की पसतरता क सहार ही हो सकती ह ससतो ि इस सष की ससतारपगक वाखा की ह ससत िामद ि ससकत अथवात अचछ िसतक कममो दारा की गई कमाई स गज़ारा करि को बहत महत सदा ह ऐसी िक कमाई की मसहमा बतात हए आप कहत ह सक इसस मिष समत अथवात अचछी सिमगल बसद ाला होकर गरमत म रहकर िाम का अभास करि क ोग हो जाता ह और इस परकार ह परमधाम परात कर सकता ह

भित िामदउ ससकत समत भए

गरमत राम कह को को ि बकसठ गए  (1)

ससत िामद ख़द भी परी सज़सदगी छीप और दज़ज़ी का काग करत हए अपिी ईमािदारी की कमाई पर गज़ारा करत रह

गर असगद द जी ि भी सभी गमो क लोगो क सलए िक कमाई क सिम पर ज़ोर सदा ह आपि भी ससकत को धमग का अथवात अधातम म उननसत का आधार बताा ह

कर ससकत धरम कमाइआ (2)

हर सम की तरह गर िािक द जी क सम म भी एक तरफ़ राजा हासकम और असधकारी दसरी तरफ़ पससडत परोसहत मलला तथा िाज़ी और तीसरी तरफ़ वापारी और धिी लोग महित की िक कमाई स दर जा रह थ आम लोगो की रहिी म भी सचचाई और ईमािदारी का अभा होता जा रहा था गर सासहब का धरम को ससकत क साथ जोड़िा बकार बठ लोगो दसरो की कमाई पर ऐश करिालो और ठगी-बईमािी करिालो क सलए एक गसभीर चतािी था और आज भी ह

ससकत | 9

धासमगक िता पराा धि लि म िाज़ी और हासकम सरशत लि म पाप िही समझत थ गर िािक सासहब फ़रमात ह सक तसबीह (माला) फरिाल और ख़दा-ख़दा करिाल लोग जब इिसाफ़ की कसज़ी पर बठत ह तो सरशत खाकर दसरो क हि ा असधकारो को छीि लत ह सद उिस कछ कहा जाए तो धमगपसतको का हाला दकर अपि आप को ठीक सासबत करि का परति करत ह

काजी होए क बह सिआए फर तसबी कर खदाए

ढी 1 ल क हक गाए ज को पछ ता पड़ सणाए (3)

गर सासहब फ़रमात ह सक लोगो क गलो पर छरी चलािाल परोसहत आसद अपि गल म जिऊ पहिकर अपिी पसतरता का सदखाा करत ह हर तरफ़ झठ और छल परधाि ह सचचाई ईमािदारी और धमग पसख लगाकर उड़ गए ह अपि आप को धमवातमा कहिाल परोसहत लोग बईमािी और अना क दारा धि कमािाल लोगो क घरो म जाकर पजा आसद कराकर पराणो म स कथाए सिाकर पाप की कमाई का अनन खात ह

माणस खाण 2 करह सिाज छरी गाइि 3 सति गल ताग 4

सति घर बरहमण परह िाद उनहा सभ आह ओई साद

कडी 5 रास 6 कड़ा ापार कड़ बोल करह आहार

सरम धरम का डरा दर िािक कड़ रसहआ भरपर

मथ सटका तड़ धोती कखाई हथ छरी जगत कासाई 7

िील सतर पसहर होह पराण मलछ धाि ल पजह पराण (4)

1 सरशत अनापगक धि लिा 2 मिष तक का भषिण करिाल अथवात साथग क सलए दसरो को सकसी भी परकार की हासि पहचाि को तार 3 चलािाल 4 जिऊ 5 झठी 6 धि-ससपसति 7 जगत क िसाई सार सससार पर ज़लम करिाल

10 | हि-हलाल की कमाई

गर सासहब फ़रमात ह सक लोग अिक परकार की चोरी ठगी दराचार और झठ क पाप का भार अपि ऊपर लाद जा रह ह

लख चोरीआ लख जारीआ लख कड़ीआ लख गाल

लख ठगीआ पसहिामीआ 1 रात सदिस जीअ िाल (5)

घाल खाए नकछ हथहो दगर िािक सासहब ि राजा परजा पससडत मखग सदाि अिपढ़ सहसद और मसलमाि सभी क सलए ससकत अथा िक कमाई क सिम पर ज़ोर सदा इस परकार आप सचच धमग को मससदरो मससजदो ठाकरदारो सगरजाघरो आसद की चारदीारी स सिकालकर खतो दकािो कचहसरो दफ़तरो ािी मिष क दसिक जीि म ल आए आपि कल उनही लोगो को धासमगक सका और रहािी अभास क ोग मािा जो हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करत ह गर िािक द जी ि सस षमो तक दौलतखधा लोदी क मोदीख़ाि म सचचाई तथा परी ईमािदारी क साथ काम सका और इस कमाई म स खल सदल स ग़रीबो-अिाथो की मदद की बाद म आपि करतारपर म खती की और अपिी िक कमाई पर गज़ारा करत हए ज़ररतमसदो की सहाता भी की आपि सस एक सचच परमाथज़ी का जीसत उदाहरण सथासपत सका तासक आपक उपदश क इस मल पहल mdash िक कमाई mdash क सष म सकसी परकार का कोई भरम ि रह जाए आपि अपिी ाणी म बहत सपषट और सरल शबदो म गरओस पीरो तथा सशषो क सलए सिजी कमाई तथा अपिी सचची और पसतर कमाई पर सिवाह करत हए उसम स ज़ररतमसदो की सहाता करि का आदशग सथासपत सका ह

गर पीर सदाए मसगण जाए ता क मल ि लगीऐ पाए

घाल खाए सकछ हथहो द िािक राह पछाणह स  (6)

1 गत रप स और सछपकर सकए गए पाप

घाल खाए सकछ हथहो द | 11

अथवात अगर कोई गर ा पीर होकर सशषो स मागता सफरता ह तो उसक परो पर कभी ससर िही झकािा चासहए जो महित करक अपिी रोज़ी कमाता हो और उस हि-हलाल की कमाई म स साधससगत की सा करता हो ही परमाथग की राह का सचचा जािकार सचचा गर हो सकता ह

ह सबको पता ह सक गर िािक सासहब ि ऐमिाबाद म मसलक भागो क छतिीस परकार क पकािो को तागकर भाई लालो की कोधर की रोटी को पससद सका कोसक आपको पहल परकार क भोजि म ग़रीब लोगो का ख़ि समला हआ सदखाई सदा तथा दसर परकार क भोजि म हि-हलाल की कमाई का अमत

कबीर सासहब ि अपि सम क अधर और पाखसडी गरओस की आलोचिा करत हए सलखा ह सक लोभश सशषो को लटत ह उिक सशष भी अपि साथग क सलए ही ऐस गरओस क साथ लग रहत ह ऐस लोगो को शधासत कस समल सकती ह आप कहत ह सक ऐस गर पस क पचास समलत ह राम-िाम को बचकर उस अपिी कमाई का साधि बिात ह और ऐस धि स सशषो की सगिती बढ़ाि का ति करत ह

कबीर पर गर सबिा परा ससष ि हो

गर लोभी ससष लालची दिी दाझि हो

गरआ तो ससता भा पसा कर पचास

राम िाम को बसच क कर ससष की आस (7)

कबीर सासहब ि गर तथा सशष दोिो क सलए बहत ऊचा आदशग सथासपत सका ह आप फ़रमात ह सक सशष को चासहए सक अपिा सब कछ गर को अपगण कर द अथवात सब कछ गर का समझकर इसतमाल कर परसत गर को चासहए सक सशष की सई तक को हाथ ि लगाए

ससष तो ऐसा चासह गर को सब कछ द

गर तो ऐसा चासह ससष स कछ ि ल (8)

12 | हि-हलाल की कमाई

कबीर सासहब सपषट कहत ह सक महातमा अपि सशषो का धि साधससगत की सा ा परोपकार म अश ख़चग करा दत ह तासक उिकी कमाई साथगक हो तथा परमाथग क राह पर चलि म सहाक ससद हो परसत सशषो स महातमा सिजी ज़ररतो ा सिजी लाभ क सलए कभी एक पाई भी िही लत

मसर जाऊ माग िही अपि ति क काज

परमारथ क कारि मोसहस ि आ लाज (9)

जसा सक सब जाित ह कबीर सासहब ि जीि भर कपड़ा बिि का काम करक अपिा और अपि पसरार का पालि सका आप जब भी ससतमत क परचार ा सतससग क सलए बाहर जात अपिा करघा साथ ल जात थ

हज़र सामी जी महाराज फ़रमात ह सक ससत-सतगरओस क पास िामभसकत का अखट भसडार होता ह दसिाी धि-दौलत की ओर िज़र उठाकर भी िही दखत अपि सशषो स अपि गज़ार क सलए कभी कछ िही लत हा परमाथग क सलए अपि सशषो स परोपकार ज़रर करात ह

गर िसहस भखा तर धि का उि प धि ह भसकत िाम का

पर तरा उपकार करा भख ास को सदला (10)

आपका अपिा जीि हि-हलाल की कमाई का एक पररणादाक उदाहरण ह छोटी उमर स ही आपका परमातमा की ओर झका था इससलए आप ऐसी िौकरी चाहत थ सजसम साथग और परमाथग दोिो साथ-साथ चल सक आपि बललभगढ़ क राजा क पास फ़ारसी क अधापक क रप म िौकरी की सजसम तीि घसट परसतसदि लगाि पड़त थ उि सदिो राजाओस क कमगचासरो को ति क साथ गज़ार क सलए रसद भी समला करती थी सामी जी महाराज सारी रसद ज़ररतमसदो म बाट सदा करत थ और ति का काफ़ी बड़ा सहससा

पापा बाझहो हो िाही | 13

अपि सपता जी को भज दत थ रोज़ी कमात हए भी आपक मि म पणग राग था

सामी जी महाराज क सपता जी घर क गज़ार क सलए साहकारी सका करत थ सपता जी क दहधात क बाद सामी जी ि सभी िज़गदारो को बलाकर कहा सक जो कोई िज़ज़ की मल रकम चकािा चाह चका द और जो ि लौटािा चाह ह ि लौटाए उनहोि िज़गदारो क सामि िज़ज़ क सार काग़ज़-पतर फाड़ सदए और सद की आमदिी सदा क सलए बसद कर दी

पापा बाझहो हो िाहीससत-महातमा कहत ह सक धि-दौलत पापो क सबिा इकटठी िही होती और असत सम साथ िही जाती गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग धि-दौलत इकटठा करि म खोए हए ह और इस बात पर सचार करि का ति िही करत सक पापो का ऐसा भारी बोझ इकटठा कर रह ह जो अिक लोगो क रहािी सिाश का कारण बि चका ह और अब उिक सिाश का कारण बिगा

इस जर 1 कारण घणी 2 सगती 3 इि जर घणी खआई 4

पापा बाझहो हो िाही मइआ साथ ि जाई (11)

धि जो पाप क सबिा इकटठा िही हो सकता मत क बाद साथ िही जा सकता और परभ की दरगाह म ददगशा का कारण बिता ह ह हमार सलए लाभपरद सकस परकार हो सकता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह सक राजा शासकी असधकारी आसद धि क मोह क अधीि पराी दौलत हसथाकर माा क सष का भसडार इकटठा कर लत ह ासत म लोभ लालच और माा उिको छल लत ह और असत सम उनह म क हाथो चोट सहिी पड़ती ह

1 धि 2 बहत 3 खार हई 4 कमागग पर भटक गई

14 | हि-हलाल की कमाई

भपत राज रसग राए 1 ससचह 2 सबख 3 माइआ 4

कर कर हत धाइद पर दरब 5 चराइआ

पतर कलतर ि ससहह 6 बह परीत लगाइआ

खसदआ ही माइआ धह गई 7 पछतह पछताइआ

जम दर बध मारीअह िािक हर भाइआ (12)

इसी भा को परकट करत हए गर अजगि द जी फ़रमात ह सक राजा महाराजा हासकम शासकी असधकारी और धिी लोग परमातमा का भ तागकर अिक ज़लम करक धि एकसतरत करत ह परसत ह धि-दौलत ह साज़ो-सामाि सब मौत क साथ ही ख़तम हो जाता ह

भपत होए क राज कमाइआ कर कर अिरथ सहाझी 8 माइआ

ससचत ससचत थली कीनही परभ उस त डार 9 अर 10 कउ दीनही

काच गगरीआ असभ मझरीआ 11 गरब गरब उआह मह परीआ 12

सिरभउ होइओ भइआ सिहसगा 13 चीत 14 ि आइओ करता ससगा

लसकर जोड़ कीआ ससबाहा 15

सिकससआ फक 16 त होए गइओ सआहा 17 (13)

हमार मि म हमशा ह सचसता रहती ह सक सद हम बईमािी िही करग तो सससार क काम िही चलग परसत सजि लोगो ि अपि जीि म िकी सचचाई और ईमािदारी स काम सला ह सदा ही कहत ह सक ईमािदारी की कमाई म बहत बरकत अथा सख-समसद ह और परभ सस सकसी ि सकसी परकार उिक सभी काग पणग कर दता ह

1 धिी 2 इकटठा करिा 3 ज़हर 4 माा 5 पराा धि 6 सशास 7 माइआगई=माा धोखा द गई धि जाता रहा 8 ख़रीदी भा परात की 9 लकर 10 दसर को 11 पािी क बीच म 12 उआहपरीआ=बार-बार उसी म सगरता ह अथवात उस बार-बार जनम लिा पड़ता ह 13 सिसशचसत 14 ाद 15 इकटठा सका 16 सास सिकल गई 17 राख हो गा अथवात मर गा

भसखआ भख ि उतरी | 15

ह ठीक ह सक अपिी महित और िक कमाई क दारा कोई वसकत ऐशो इशरत तो िही कर सकता परसत ह कमाई मधास शराब इससदरो क भोगो तथा अन कई परकार क दराचार तथा पापो स बचाती ह ह मि म ससतोष तथा परभ का परम और सशास पदा करती ह और सचच परमाथग की िी तार करती ह

भनखआ भख ि उतरीजो लोग सचच सदल स महसस करत ह सक सचचा और सथाी आिसद िक जीि और परभपरासत म ह परसननतापगक हि-हलाल की कमाई का सिम सीकार करत ह जो लोग आचरण की पसतरता और आसतमक आिसद स पसरसचत ह ा जो इसकी परासत क इचछक ह अिसचत ढसग स की गई कमाई का ताग करत ह इस परकार की कमाई का ताग उनह परमाथगरपी हीर-जाहरात की परासत क सलए ईटो-पतथरो की क़बवािी क समाि परतीत होता ह परसत जो लोग इस आिसद स अिजाि ह और सजनह इस परात करि की कोई चाह िही उनह दसिा क िाशाि भोग और धि-दौलत ही सब कछ परतीत होत ह ह िही जाित सक भोग और अिसचत ढसग स कमाा गा धि लोक और परलोक दोिो म ही उिकी ददगशा का कारण बिता ह अतए मिष को चासहए सक जो कछ अपिी हि-हलाल की कमाई स समल उस पर ससतोष कर तथा भोगो क लालच स बच धि की तषणा असगि क समाि ह जो लकड़ी डालि पर कभी भी शधात िही होती बसलक और भड़क उठती ह गर िािक सासहब कहत ह सक सार सससार का धि भी लालची क मि की भख को िही समटा सकता

भसखआ भख ि उतरी ज बसिा परीआ भार 1 (14)

सफ़ी ससत सरमद लोभ को खारी ा ददगशा का कारण बतात ह कहत ह सक लोभी वसकत ज़हरील सापो स ज़ादा ख़तरिाक ह

1 अथवात सभी लोको की धि-दौलत

16 | हि-हलाल की कमाई

सरमद त सज़ ख़लि हच ारी मतलब

अज़ शाख़-बरहिा साा दारी मतलब

इज़ज़त सज़ ििाअत असत ओ खारी सज़ तमअ

बा इज़ज़ात-खश बाश खारी मतलब (15)

अथवात ऐ सरमद त दसिा स सचच ार की उममीद ि कर सबिा पतिो का पड़ सकसी को भी साा िही द सकता लोभ स अपमाि और ससतोष स सममाि परात होता ह सममाि स जी अपमाि की सज़सदगी का तलबगार ि बि

दसिा तलबधा रा सकह गम-दीिार असत

ब समहरी-ए-शाि ब कद गर सबसार असत

अज़ अिरब-ओ-मार हच असदशा मकि

ज़ी िौम हज़र बकि सकह िश-ओ-ख़ार असत (16)

अथवात दसिा क मताल सोि-चादी क सलए तड़पत ह और एक दसर स दशमिी करि क सलए मशहर ह त सापो और सबचछओस स ि डर लसकि इि माा क परसमो स डर सजिक असदर ज़हर और काट भर पड़ ह

गर अजगि द जी फ़रमात ह सक लोभी सदा लोभ की लहरो म डोलता रहता ह ह ोग-अोग भला-बरा िही दखता ह ार समतरो सग-ससबससधो पजा क ोग माता-सपता तथा अपि इषट को लटि म भी लजजा िही करता

ह लोभा लसपट ससग ससरमोरह असिक लहरी कलोलत 1

धासत जीआ बह परकारस असिक भधात बह डोलत

1 हhellipकलोलत=ह लोभ ति बड़-बड़ सशरोमसण परषो को फसाा ह और तरी अिक लहरो म कीड़ा कर रह ह

दो तरह की सति | 17

िच 1 समतरस िच इसटस िच बाध िच मात सपता त लजा

अकरणस करोत अखादय खादयस 2 असाजस साज समजा 3

तराह तराह सरण सआमी सबगात 4 िािक हर िरहरह 5 (17)

जस-जस मिष की इचछाए परी होती जाती ह स ही और बढ़ती जाती ह उस कभी तसत िही समलती तसत कल ससतोष म ही ह ससतोष क सबिा ि कोई त त हो सकता ह और ि ही सकसी का परमाथग बि सकता ह

सहस खट लख कउ उठ धा 6 सतरपत ि आ माइआ पाछ पा

असिक भोग सबसखआ क 7 कर िह सतरपता खप खप मर

सबिा ससतोख िही कोऊ राज 8 सपि मिोरथ सबरथ 9 सभ काज (18)

इसका ह अथग िही सक गर सासहबाि अथा ससत-महातमा लोगो को आजीसका कमाि अथा सधासासरक उननसत करि स रोकत ह ससत सकसी की उननसत ा सकसी क फलि-फलि क सरद िही होत तो कल ही आगरह करत ह सक आसथगक और सधासासरक उननसत सचचाईपणग और िक उपाो दारा करिी चासहए और हमशा महित सत और ईमािदारी स काम लिा चासहए

ससत-महातमा लोगो को धि और माा क लोभ क परसत इससलए होसशार करत ह सक सधासासरकता ा माा उि पर हाी ि हो जाए और सससार म आि क परभपरासत क असली उददश को ि भल जाए

दो तरह की नतिगर िािक सासहब ि आसा की वार म एक ओर तो सधासासरक सति ाल अससतोषी सकारी परष का िक़शा खीचा ह जो बर कममो म परति

1 ि करि ोग काग करता ह 2 ि खाि ोग चीज़ खाता ह 3 असाज सhellipसमजा=ि बिाि ोग सतओस को बिाता तथा इकटठा करता ह 4 सिती करता ह 5 िरहसर परमातमा 6 सहसhellipधा=हज़ार इकटठा कर लि पर लाख क पीछ दौड़ता ह 7 सषो क 8 तत होता 9 वथग

18 | हि-हलाल की कमाई

होकर अपि जीि को बरबाद कर दता ह और मौत क बाद ातिाए पाता ह दसरी ओर सचची महित तथा िक कमाई करिाल ऐस ससतोषी जी का सचतर परसतत सका ह जो सतगर दारा खीची हई लकीर क असदर रहता ह तथा अकालपरष ा परमसपता परमातमा की भसकत करक सदा क सलए उसस समलाप परात कर लता ह सधासासरक तथा भोगी वसकत की असथा का णगि करत हए आप फ़रमात हthinsp

आपीनह भोग भोग क होए भसमड़ भउर ससधाइआ 1

डा होआ 2 दिीदार गल ससगल 3 घत चलाइआ

अग करणी कीरत ाचीऐ बह लखा कर समझाइआ 4

थाउ ि होी पउदीई 5 हण सणीऐ सकआ रआइआ

मि असध जिम गाइआ (19)

आप ससतोषी और धमवातमा परष का णगि इस परकार करत ह

स कीती ससतोखीई सजनही सचो सच सधआइआ

ओनही मसद पर ि रसखओ 6 कर ससकत 7 धरम कमाइआ

ओनही दिीआ तोड़ बसधिा असि पाणी थोड़ा खाइआ

तस बखसीसी अगला 8 सित द ह चड़ह साइआ 9

सडआई 10 डा पाइआ 11 (20)

साधक का असली ससघषग ही काम कोध लोभ मोह अहसकार आसद सकारो क साथ ह और बईमािी की कमाई सकारो की जड़ ह जब अिसचत

1 भसमडhellipनसधाइआ=शरीर जलकर भसम की ढरी हो जाता ह और आतमा परसथाि कर जाती ह 2 मर गा 3 गल म ज़सजीर 4 अगhellipसमझाइआ=आग (मत क बाद) उसक कममो का सरण उस सिाा जाता ह तथा उसक अिसार आग का जीि सलखा जाता ह 5 थाउhellipपउदीई=मदतो की मार पड़त सम कही सथाि िही समलता अथवात सहारा िही समलता 6 ओनहीरनखओ= ग़लत रासत पर िही गए 7 िक कमाई 8 तसअगला=त उनह और असधक दता ह 9 डह साइआ=बढ़ती रहती ह 10 परभ की दा स 11 परभ को परात कर लता ह

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 8: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

8 | हि-हलाल की कमाई

सनरितसचची और िक कमाई सासतक आहार शभ सचार िक आचरण मासलक क परसमो की ससगत और िाम का अभास ससतमत की परमख आशकताए ह शबद अथा िाम की कमाई आहार सचार और आचार की पसतरता क सहार ही हो सकती ह ससतो ि इस सष की ससतारपगक वाखा की ह ससत िामद ि ससकत अथवात अचछ िसतक कममो दारा की गई कमाई स गज़ारा करि को बहत महत सदा ह ऐसी िक कमाई की मसहमा बतात हए आप कहत ह सक इसस मिष समत अथवात अचछी सिमगल बसद ाला होकर गरमत म रहकर िाम का अभास करि क ोग हो जाता ह और इस परकार ह परमधाम परात कर सकता ह

भित िामदउ ससकत समत भए

गरमत राम कह को को ि बकसठ गए  (1)

ससत िामद ख़द भी परी सज़सदगी छीप और दज़ज़ी का काग करत हए अपिी ईमािदारी की कमाई पर गज़ारा करत रह

गर असगद द जी ि भी सभी गमो क लोगो क सलए िक कमाई क सिम पर ज़ोर सदा ह आपि भी ससकत को धमग का अथवात अधातम म उननसत का आधार बताा ह

कर ससकत धरम कमाइआ (2)

हर सम की तरह गर िािक द जी क सम म भी एक तरफ़ राजा हासकम और असधकारी दसरी तरफ़ पससडत परोसहत मलला तथा िाज़ी और तीसरी तरफ़ वापारी और धिी लोग महित की िक कमाई स दर जा रह थ आम लोगो की रहिी म भी सचचाई और ईमािदारी का अभा होता जा रहा था गर सासहब का धरम को ससकत क साथ जोड़िा बकार बठ लोगो दसरो की कमाई पर ऐश करिालो और ठगी-बईमािी करिालो क सलए एक गसभीर चतािी था और आज भी ह

ससकत | 9

धासमगक िता पराा धि लि म िाज़ी और हासकम सरशत लि म पाप िही समझत थ गर िािक सासहब फ़रमात ह सक तसबीह (माला) फरिाल और ख़दा-ख़दा करिाल लोग जब इिसाफ़ की कसज़ी पर बठत ह तो सरशत खाकर दसरो क हि ा असधकारो को छीि लत ह सद उिस कछ कहा जाए तो धमगपसतको का हाला दकर अपि आप को ठीक सासबत करि का परति करत ह

काजी होए क बह सिआए फर तसबी कर खदाए

ढी 1 ल क हक गाए ज को पछ ता पड़ सणाए (3)

गर सासहब फ़रमात ह सक लोगो क गलो पर छरी चलािाल परोसहत आसद अपि गल म जिऊ पहिकर अपिी पसतरता का सदखाा करत ह हर तरफ़ झठ और छल परधाि ह सचचाई ईमािदारी और धमग पसख लगाकर उड़ गए ह अपि आप को धमवातमा कहिाल परोसहत लोग बईमािी और अना क दारा धि कमािाल लोगो क घरो म जाकर पजा आसद कराकर पराणो म स कथाए सिाकर पाप की कमाई का अनन खात ह

माणस खाण 2 करह सिाज छरी गाइि 3 सति गल ताग 4

सति घर बरहमण परह िाद उनहा सभ आह ओई साद

कडी 5 रास 6 कड़ा ापार कड़ बोल करह आहार

सरम धरम का डरा दर िािक कड़ रसहआ भरपर

मथ सटका तड़ धोती कखाई हथ छरी जगत कासाई 7

िील सतर पसहर होह पराण मलछ धाि ल पजह पराण (4)

1 सरशत अनापगक धि लिा 2 मिष तक का भषिण करिाल अथवात साथग क सलए दसरो को सकसी भी परकार की हासि पहचाि को तार 3 चलािाल 4 जिऊ 5 झठी 6 धि-ससपसति 7 जगत क िसाई सार सससार पर ज़लम करिाल

10 | हि-हलाल की कमाई

गर सासहब फ़रमात ह सक लोग अिक परकार की चोरी ठगी दराचार और झठ क पाप का भार अपि ऊपर लाद जा रह ह

लख चोरीआ लख जारीआ लख कड़ीआ लख गाल

लख ठगीआ पसहिामीआ 1 रात सदिस जीअ िाल (5)

घाल खाए नकछ हथहो दगर िािक सासहब ि राजा परजा पससडत मखग सदाि अिपढ़ सहसद और मसलमाि सभी क सलए ससकत अथा िक कमाई क सिम पर ज़ोर सदा इस परकार आप सचच धमग को मससदरो मससजदो ठाकरदारो सगरजाघरो आसद की चारदीारी स सिकालकर खतो दकािो कचहसरो दफ़तरो ािी मिष क दसिक जीि म ल आए आपि कल उनही लोगो को धासमगक सका और रहािी अभास क ोग मािा जो हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करत ह गर िािक द जी ि सस षमो तक दौलतखधा लोदी क मोदीख़ाि म सचचाई तथा परी ईमािदारी क साथ काम सका और इस कमाई म स खल सदल स ग़रीबो-अिाथो की मदद की बाद म आपि करतारपर म खती की और अपिी िक कमाई पर गज़ारा करत हए ज़ररतमसदो की सहाता भी की आपि सस एक सचच परमाथज़ी का जीसत उदाहरण सथासपत सका तासक आपक उपदश क इस मल पहल mdash िक कमाई mdash क सष म सकसी परकार का कोई भरम ि रह जाए आपि अपिी ाणी म बहत सपषट और सरल शबदो म गरओस पीरो तथा सशषो क सलए सिजी कमाई तथा अपिी सचची और पसतर कमाई पर सिवाह करत हए उसम स ज़ररतमसदो की सहाता करि का आदशग सथासपत सका ह

गर पीर सदाए मसगण जाए ता क मल ि लगीऐ पाए

घाल खाए सकछ हथहो द िािक राह पछाणह स  (6)

1 गत रप स और सछपकर सकए गए पाप

घाल खाए सकछ हथहो द | 11

अथवात अगर कोई गर ा पीर होकर सशषो स मागता सफरता ह तो उसक परो पर कभी ससर िही झकािा चासहए जो महित करक अपिी रोज़ी कमाता हो और उस हि-हलाल की कमाई म स साधससगत की सा करता हो ही परमाथग की राह का सचचा जािकार सचचा गर हो सकता ह

ह सबको पता ह सक गर िािक सासहब ि ऐमिाबाद म मसलक भागो क छतिीस परकार क पकािो को तागकर भाई लालो की कोधर की रोटी को पससद सका कोसक आपको पहल परकार क भोजि म ग़रीब लोगो का ख़ि समला हआ सदखाई सदा तथा दसर परकार क भोजि म हि-हलाल की कमाई का अमत

कबीर सासहब ि अपि सम क अधर और पाखसडी गरओस की आलोचिा करत हए सलखा ह सक लोभश सशषो को लटत ह उिक सशष भी अपि साथग क सलए ही ऐस गरओस क साथ लग रहत ह ऐस लोगो को शधासत कस समल सकती ह आप कहत ह सक ऐस गर पस क पचास समलत ह राम-िाम को बचकर उस अपिी कमाई का साधि बिात ह और ऐस धि स सशषो की सगिती बढ़ाि का ति करत ह

कबीर पर गर सबिा परा ससष ि हो

गर लोभी ससष लालची दिी दाझि हो

गरआ तो ससता भा पसा कर पचास

राम िाम को बसच क कर ससष की आस (7)

कबीर सासहब ि गर तथा सशष दोिो क सलए बहत ऊचा आदशग सथासपत सका ह आप फ़रमात ह सक सशष को चासहए सक अपिा सब कछ गर को अपगण कर द अथवात सब कछ गर का समझकर इसतमाल कर परसत गर को चासहए सक सशष की सई तक को हाथ ि लगाए

ससष तो ऐसा चासह गर को सब कछ द

गर तो ऐसा चासह ससष स कछ ि ल (8)

12 | हि-हलाल की कमाई

कबीर सासहब सपषट कहत ह सक महातमा अपि सशषो का धि साधससगत की सा ा परोपकार म अश ख़चग करा दत ह तासक उिकी कमाई साथगक हो तथा परमाथग क राह पर चलि म सहाक ससद हो परसत सशषो स महातमा सिजी ज़ररतो ा सिजी लाभ क सलए कभी एक पाई भी िही लत

मसर जाऊ माग िही अपि ति क काज

परमारथ क कारि मोसहस ि आ लाज (9)

जसा सक सब जाित ह कबीर सासहब ि जीि भर कपड़ा बिि का काम करक अपिा और अपि पसरार का पालि सका आप जब भी ससतमत क परचार ा सतससग क सलए बाहर जात अपिा करघा साथ ल जात थ

हज़र सामी जी महाराज फ़रमात ह सक ससत-सतगरओस क पास िामभसकत का अखट भसडार होता ह दसिाी धि-दौलत की ओर िज़र उठाकर भी िही दखत अपि सशषो स अपि गज़ार क सलए कभी कछ िही लत हा परमाथग क सलए अपि सशषो स परोपकार ज़रर करात ह

गर िसहस भखा तर धि का उि प धि ह भसकत िाम का

पर तरा उपकार करा भख ास को सदला (10)

आपका अपिा जीि हि-हलाल की कमाई का एक पररणादाक उदाहरण ह छोटी उमर स ही आपका परमातमा की ओर झका था इससलए आप ऐसी िौकरी चाहत थ सजसम साथग और परमाथग दोिो साथ-साथ चल सक आपि बललभगढ़ क राजा क पास फ़ारसी क अधापक क रप म िौकरी की सजसम तीि घसट परसतसदि लगाि पड़त थ उि सदिो राजाओस क कमगचासरो को ति क साथ गज़ार क सलए रसद भी समला करती थी सामी जी महाराज सारी रसद ज़ररतमसदो म बाट सदा करत थ और ति का काफ़ी बड़ा सहससा

पापा बाझहो हो िाही | 13

अपि सपता जी को भज दत थ रोज़ी कमात हए भी आपक मि म पणग राग था

सामी जी महाराज क सपता जी घर क गज़ार क सलए साहकारी सका करत थ सपता जी क दहधात क बाद सामी जी ि सभी िज़गदारो को बलाकर कहा सक जो कोई िज़ज़ की मल रकम चकािा चाह चका द और जो ि लौटािा चाह ह ि लौटाए उनहोि िज़गदारो क सामि िज़ज़ क सार काग़ज़-पतर फाड़ सदए और सद की आमदिी सदा क सलए बसद कर दी

पापा बाझहो हो िाहीससत-महातमा कहत ह सक धि-दौलत पापो क सबिा इकटठी िही होती और असत सम साथ िही जाती गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग धि-दौलत इकटठा करि म खोए हए ह और इस बात पर सचार करि का ति िही करत सक पापो का ऐसा भारी बोझ इकटठा कर रह ह जो अिक लोगो क रहािी सिाश का कारण बि चका ह और अब उिक सिाश का कारण बिगा

इस जर 1 कारण घणी 2 सगती 3 इि जर घणी खआई 4

पापा बाझहो हो िाही मइआ साथ ि जाई (11)

धि जो पाप क सबिा इकटठा िही हो सकता मत क बाद साथ िही जा सकता और परभ की दरगाह म ददगशा का कारण बिता ह ह हमार सलए लाभपरद सकस परकार हो सकता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह सक राजा शासकी असधकारी आसद धि क मोह क अधीि पराी दौलत हसथाकर माा क सष का भसडार इकटठा कर लत ह ासत म लोभ लालच और माा उिको छल लत ह और असत सम उनह म क हाथो चोट सहिी पड़ती ह

1 धि 2 बहत 3 खार हई 4 कमागग पर भटक गई

14 | हि-हलाल की कमाई

भपत राज रसग राए 1 ससचह 2 सबख 3 माइआ 4

कर कर हत धाइद पर दरब 5 चराइआ

पतर कलतर ि ससहह 6 बह परीत लगाइआ

खसदआ ही माइआ धह गई 7 पछतह पछताइआ

जम दर बध मारीअह िािक हर भाइआ (12)

इसी भा को परकट करत हए गर अजगि द जी फ़रमात ह सक राजा महाराजा हासकम शासकी असधकारी और धिी लोग परमातमा का भ तागकर अिक ज़लम करक धि एकसतरत करत ह परसत ह धि-दौलत ह साज़ो-सामाि सब मौत क साथ ही ख़तम हो जाता ह

भपत होए क राज कमाइआ कर कर अिरथ सहाझी 8 माइआ

ससचत ससचत थली कीनही परभ उस त डार 9 अर 10 कउ दीनही

काच गगरीआ असभ मझरीआ 11 गरब गरब उआह मह परीआ 12

सिरभउ होइओ भइआ सिहसगा 13 चीत 14 ि आइओ करता ससगा

लसकर जोड़ कीआ ससबाहा 15

सिकससआ फक 16 त होए गइओ सआहा 17 (13)

हमार मि म हमशा ह सचसता रहती ह सक सद हम बईमािी िही करग तो सससार क काम िही चलग परसत सजि लोगो ि अपि जीि म िकी सचचाई और ईमािदारी स काम सला ह सदा ही कहत ह सक ईमािदारी की कमाई म बहत बरकत अथा सख-समसद ह और परभ सस सकसी ि सकसी परकार उिक सभी काग पणग कर दता ह

1 धिी 2 इकटठा करिा 3 ज़हर 4 माा 5 पराा धि 6 सशास 7 माइआगई=माा धोखा द गई धि जाता रहा 8 ख़रीदी भा परात की 9 लकर 10 दसर को 11 पािी क बीच म 12 उआहपरीआ=बार-बार उसी म सगरता ह अथवात उस बार-बार जनम लिा पड़ता ह 13 सिसशचसत 14 ाद 15 इकटठा सका 16 सास सिकल गई 17 राख हो गा अथवात मर गा

भसखआ भख ि उतरी | 15

ह ठीक ह सक अपिी महित और िक कमाई क दारा कोई वसकत ऐशो इशरत तो िही कर सकता परसत ह कमाई मधास शराब इससदरो क भोगो तथा अन कई परकार क दराचार तथा पापो स बचाती ह ह मि म ससतोष तथा परभ का परम और सशास पदा करती ह और सचच परमाथग की िी तार करती ह

भनखआ भख ि उतरीजो लोग सचच सदल स महसस करत ह सक सचचा और सथाी आिसद िक जीि और परभपरासत म ह परसननतापगक हि-हलाल की कमाई का सिम सीकार करत ह जो लोग आचरण की पसतरता और आसतमक आिसद स पसरसचत ह ा जो इसकी परासत क इचछक ह अिसचत ढसग स की गई कमाई का ताग करत ह इस परकार की कमाई का ताग उनह परमाथगरपी हीर-जाहरात की परासत क सलए ईटो-पतथरो की क़बवािी क समाि परतीत होता ह परसत जो लोग इस आिसद स अिजाि ह और सजनह इस परात करि की कोई चाह िही उनह दसिा क िाशाि भोग और धि-दौलत ही सब कछ परतीत होत ह ह िही जाित सक भोग और अिसचत ढसग स कमाा गा धि लोक और परलोक दोिो म ही उिकी ददगशा का कारण बिता ह अतए मिष को चासहए सक जो कछ अपिी हि-हलाल की कमाई स समल उस पर ससतोष कर तथा भोगो क लालच स बच धि की तषणा असगि क समाि ह जो लकड़ी डालि पर कभी भी शधात िही होती बसलक और भड़क उठती ह गर िािक सासहब कहत ह सक सार सससार का धि भी लालची क मि की भख को िही समटा सकता

भसखआ भख ि उतरी ज बसिा परीआ भार 1 (14)

सफ़ी ससत सरमद लोभ को खारी ा ददगशा का कारण बतात ह कहत ह सक लोभी वसकत ज़हरील सापो स ज़ादा ख़तरिाक ह

1 अथवात सभी लोको की धि-दौलत

16 | हि-हलाल की कमाई

सरमद त सज़ ख़लि हच ारी मतलब

अज़ शाख़-बरहिा साा दारी मतलब

इज़ज़त सज़ ििाअत असत ओ खारी सज़ तमअ

बा इज़ज़ात-खश बाश खारी मतलब (15)

अथवात ऐ सरमद त दसिा स सचच ार की उममीद ि कर सबिा पतिो का पड़ सकसी को भी साा िही द सकता लोभ स अपमाि और ससतोष स सममाि परात होता ह सममाि स जी अपमाि की सज़सदगी का तलबगार ि बि

दसिा तलबधा रा सकह गम-दीिार असत

ब समहरी-ए-शाि ब कद गर सबसार असत

अज़ अिरब-ओ-मार हच असदशा मकि

ज़ी िौम हज़र बकि सकह िश-ओ-ख़ार असत (16)

अथवात दसिा क मताल सोि-चादी क सलए तड़पत ह और एक दसर स दशमिी करि क सलए मशहर ह त सापो और सबचछओस स ि डर लसकि इि माा क परसमो स डर सजिक असदर ज़हर और काट भर पड़ ह

गर अजगि द जी फ़रमात ह सक लोभी सदा लोभ की लहरो म डोलता रहता ह ह ोग-अोग भला-बरा िही दखता ह ार समतरो सग-ससबससधो पजा क ोग माता-सपता तथा अपि इषट को लटि म भी लजजा िही करता

ह लोभा लसपट ससग ससरमोरह असिक लहरी कलोलत 1

धासत जीआ बह परकारस असिक भधात बह डोलत

1 हhellipकलोलत=ह लोभ ति बड़-बड़ सशरोमसण परषो को फसाा ह और तरी अिक लहरो म कीड़ा कर रह ह

दो तरह की सति | 17

िच 1 समतरस िच इसटस िच बाध िच मात सपता त लजा

अकरणस करोत अखादय खादयस 2 असाजस साज समजा 3

तराह तराह सरण सआमी सबगात 4 िािक हर िरहरह 5 (17)

जस-जस मिष की इचछाए परी होती जाती ह स ही और बढ़ती जाती ह उस कभी तसत िही समलती तसत कल ससतोष म ही ह ससतोष क सबिा ि कोई त त हो सकता ह और ि ही सकसी का परमाथग बि सकता ह

सहस खट लख कउ उठ धा 6 सतरपत ि आ माइआ पाछ पा

असिक भोग सबसखआ क 7 कर िह सतरपता खप खप मर

सबिा ससतोख िही कोऊ राज 8 सपि मिोरथ सबरथ 9 सभ काज (18)

इसका ह अथग िही सक गर सासहबाि अथा ससत-महातमा लोगो को आजीसका कमाि अथा सधासासरक उननसत करि स रोकत ह ससत सकसी की उननसत ा सकसी क फलि-फलि क सरद िही होत तो कल ही आगरह करत ह सक आसथगक और सधासासरक उननसत सचचाईपणग और िक उपाो दारा करिी चासहए और हमशा महित सत और ईमािदारी स काम लिा चासहए

ससत-महातमा लोगो को धि और माा क लोभ क परसत इससलए होसशार करत ह सक सधासासरकता ा माा उि पर हाी ि हो जाए और सससार म आि क परभपरासत क असली उददश को ि भल जाए

दो तरह की नतिगर िािक सासहब ि आसा की वार म एक ओर तो सधासासरक सति ाल अससतोषी सकारी परष का िक़शा खीचा ह जो बर कममो म परति

1 ि करि ोग काग करता ह 2 ि खाि ोग चीज़ खाता ह 3 असाज सhellipसमजा=ि बिाि ोग सतओस को बिाता तथा इकटठा करता ह 4 सिती करता ह 5 िरहसर परमातमा 6 सहसhellipधा=हज़ार इकटठा कर लि पर लाख क पीछ दौड़ता ह 7 सषो क 8 तत होता 9 वथग

18 | हि-हलाल की कमाई

होकर अपि जीि को बरबाद कर दता ह और मौत क बाद ातिाए पाता ह दसरी ओर सचची महित तथा िक कमाई करिाल ऐस ससतोषी जी का सचतर परसतत सका ह जो सतगर दारा खीची हई लकीर क असदर रहता ह तथा अकालपरष ा परमसपता परमातमा की भसकत करक सदा क सलए उसस समलाप परात कर लता ह सधासासरक तथा भोगी वसकत की असथा का णगि करत हए आप फ़रमात हthinsp

आपीनह भोग भोग क होए भसमड़ भउर ससधाइआ 1

डा होआ 2 दिीदार गल ससगल 3 घत चलाइआ

अग करणी कीरत ाचीऐ बह लखा कर समझाइआ 4

थाउ ि होी पउदीई 5 हण सणीऐ सकआ रआइआ

मि असध जिम गाइआ (19)

आप ससतोषी और धमवातमा परष का णगि इस परकार करत ह

स कीती ससतोखीई सजनही सचो सच सधआइआ

ओनही मसद पर ि रसखओ 6 कर ससकत 7 धरम कमाइआ

ओनही दिीआ तोड़ बसधिा असि पाणी थोड़ा खाइआ

तस बखसीसी अगला 8 सित द ह चड़ह साइआ 9

सडआई 10 डा पाइआ 11 (20)

साधक का असली ससघषग ही काम कोध लोभ मोह अहसकार आसद सकारो क साथ ह और बईमािी की कमाई सकारो की जड़ ह जब अिसचत

1 भसमडhellipनसधाइआ=शरीर जलकर भसम की ढरी हो जाता ह और आतमा परसथाि कर जाती ह 2 मर गा 3 गल म ज़सजीर 4 अगhellipसमझाइआ=आग (मत क बाद) उसक कममो का सरण उस सिाा जाता ह तथा उसक अिसार आग का जीि सलखा जाता ह 5 थाउhellipपउदीई=मदतो की मार पड़त सम कही सथाि िही समलता अथवात सहारा िही समलता 6 ओनहीरनखओ= ग़लत रासत पर िही गए 7 िक कमाई 8 तसअगला=त उनह और असधक दता ह 9 डह साइआ=बढ़ती रहती ह 10 परभ की दा स 11 परभ को परात कर लता ह

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 9: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

ससकत | 9

धासमगक िता पराा धि लि म िाज़ी और हासकम सरशत लि म पाप िही समझत थ गर िािक सासहब फ़रमात ह सक तसबीह (माला) फरिाल और ख़दा-ख़दा करिाल लोग जब इिसाफ़ की कसज़ी पर बठत ह तो सरशत खाकर दसरो क हि ा असधकारो को छीि लत ह सद उिस कछ कहा जाए तो धमगपसतको का हाला दकर अपि आप को ठीक सासबत करि का परति करत ह

काजी होए क बह सिआए फर तसबी कर खदाए

ढी 1 ल क हक गाए ज को पछ ता पड़ सणाए (3)

गर सासहब फ़रमात ह सक लोगो क गलो पर छरी चलािाल परोसहत आसद अपि गल म जिऊ पहिकर अपिी पसतरता का सदखाा करत ह हर तरफ़ झठ और छल परधाि ह सचचाई ईमािदारी और धमग पसख लगाकर उड़ गए ह अपि आप को धमवातमा कहिाल परोसहत लोग बईमािी और अना क दारा धि कमािाल लोगो क घरो म जाकर पजा आसद कराकर पराणो म स कथाए सिाकर पाप की कमाई का अनन खात ह

माणस खाण 2 करह सिाज छरी गाइि 3 सति गल ताग 4

सति घर बरहमण परह िाद उनहा सभ आह ओई साद

कडी 5 रास 6 कड़ा ापार कड़ बोल करह आहार

सरम धरम का डरा दर िािक कड़ रसहआ भरपर

मथ सटका तड़ धोती कखाई हथ छरी जगत कासाई 7

िील सतर पसहर होह पराण मलछ धाि ल पजह पराण (4)

1 सरशत अनापगक धि लिा 2 मिष तक का भषिण करिाल अथवात साथग क सलए दसरो को सकसी भी परकार की हासि पहचाि को तार 3 चलािाल 4 जिऊ 5 झठी 6 धि-ससपसति 7 जगत क िसाई सार सससार पर ज़लम करिाल

10 | हि-हलाल की कमाई

गर सासहब फ़रमात ह सक लोग अिक परकार की चोरी ठगी दराचार और झठ क पाप का भार अपि ऊपर लाद जा रह ह

लख चोरीआ लख जारीआ लख कड़ीआ लख गाल

लख ठगीआ पसहिामीआ 1 रात सदिस जीअ िाल (5)

घाल खाए नकछ हथहो दगर िािक सासहब ि राजा परजा पससडत मखग सदाि अिपढ़ सहसद और मसलमाि सभी क सलए ससकत अथा िक कमाई क सिम पर ज़ोर सदा इस परकार आप सचच धमग को मससदरो मससजदो ठाकरदारो सगरजाघरो आसद की चारदीारी स सिकालकर खतो दकािो कचहसरो दफ़तरो ािी मिष क दसिक जीि म ल आए आपि कल उनही लोगो को धासमगक सका और रहािी अभास क ोग मािा जो हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करत ह गर िािक द जी ि सस षमो तक दौलतखधा लोदी क मोदीख़ाि म सचचाई तथा परी ईमािदारी क साथ काम सका और इस कमाई म स खल सदल स ग़रीबो-अिाथो की मदद की बाद म आपि करतारपर म खती की और अपिी िक कमाई पर गज़ारा करत हए ज़ररतमसदो की सहाता भी की आपि सस एक सचच परमाथज़ी का जीसत उदाहरण सथासपत सका तासक आपक उपदश क इस मल पहल mdash िक कमाई mdash क सष म सकसी परकार का कोई भरम ि रह जाए आपि अपिी ाणी म बहत सपषट और सरल शबदो म गरओस पीरो तथा सशषो क सलए सिजी कमाई तथा अपिी सचची और पसतर कमाई पर सिवाह करत हए उसम स ज़ररतमसदो की सहाता करि का आदशग सथासपत सका ह

गर पीर सदाए मसगण जाए ता क मल ि लगीऐ पाए

घाल खाए सकछ हथहो द िािक राह पछाणह स  (6)

1 गत रप स और सछपकर सकए गए पाप

घाल खाए सकछ हथहो द | 11

अथवात अगर कोई गर ा पीर होकर सशषो स मागता सफरता ह तो उसक परो पर कभी ससर िही झकािा चासहए जो महित करक अपिी रोज़ी कमाता हो और उस हि-हलाल की कमाई म स साधससगत की सा करता हो ही परमाथग की राह का सचचा जािकार सचचा गर हो सकता ह

ह सबको पता ह सक गर िािक सासहब ि ऐमिाबाद म मसलक भागो क छतिीस परकार क पकािो को तागकर भाई लालो की कोधर की रोटी को पससद सका कोसक आपको पहल परकार क भोजि म ग़रीब लोगो का ख़ि समला हआ सदखाई सदा तथा दसर परकार क भोजि म हि-हलाल की कमाई का अमत

कबीर सासहब ि अपि सम क अधर और पाखसडी गरओस की आलोचिा करत हए सलखा ह सक लोभश सशषो को लटत ह उिक सशष भी अपि साथग क सलए ही ऐस गरओस क साथ लग रहत ह ऐस लोगो को शधासत कस समल सकती ह आप कहत ह सक ऐस गर पस क पचास समलत ह राम-िाम को बचकर उस अपिी कमाई का साधि बिात ह और ऐस धि स सशषो की सगिती बढ़ाि का ति करत ह

कबीर पर गर सबिा परा ससष ि हो

गर लोभी ससष लालची दिी दाझि हो

गरआ तो ससता भा पसा कर पचास

राम िाम को बसच क कर ससष की आस (7)

कबीर सासहब ि गर तथा सशष दोिो क सलए बहत ऊचा आदशग सथासपत सका ह आप फ़रमात ह सक सशष को चासहए सक अपिा सब कछ गर को अपगण कर द अथवात सब कछ गर का समझकर इसतमाल कर परसत गर को चासहए सक सशष की सई तक को हाथ ि लगाए

ससष तो ऐसा चासह गर को सब कछ द

गर तो ऐसा चासह ससष स कछ ि ल (8)

12 | हि-हलाल की कमाई

कबीर सासहब सपषट कहत ह सक महातमा अपि सशषो का धि साधससगत की सा ा परोपकार म अश ख़चग करा दत ह तासक उिकी कमाई साथगक हो तथा परमाथग क राह पर चलि म सहाक ससद हो परसत सशषो स महातमा सिजी ज़ररतो ा सिजी लाभ क सलए कभी एक पाई भी िही लत

मसर जाऊ माग िही अपि ति क काज

परमारथ क कारि मोसहस ि आ लाज (9)

जसा सक सब जाित ह कबीर सासहब ि जीि भर कपड़ा बिि का काम करक अपिा और अपि पसरार का पालि सका आप जब भी ससतमत क परचार ा सतससग क सलए बाहर जात अपिा करघा साथ ल जात थ

हज़र सामी जी महाराज फ़रमात ह सक ससत-सतगरओस क पास िामभसकत का अखट भसडार होता ह दसिाी धि-दौलत की ओर िज़र उठाकर भी िही दखत अपि सशषो स अपि गज़ार क सलए कभी कछ िही लत हा परमाथग क सलए अपि सशषो स परोपकार ज़रर करात ह

गर िसहस भखा तर धि का उि प धि ह भसकत िाम का

पर तरा उपकार करा भख ास को सदला (10)

आपका अपिा जीि हि-हलाल की कमाई का एक पररणादाक उदाहरण ह छोटी उमर स ही आपका परमातमा की ओर झका था इससलए आप ऐसी िौकरी चाहत थ सजसम साथग और परमाथग दोिो साथ-साथ चल सक आपि बललभगढ़ क राजा क पास फ़ारसी क अधापक क रप म िौकरी की सजसम तीि घसट परसतसदि लगाि पड़त थ उि सदिो राजाओस क कमगचासरो को ति क साथ गज़ार क सलए रसद भी समला करती थी सामी जी महाराज सारी रसद ज़ररतमसदो म बाट सदा करत थ और ति का काफ़ी बड़ा सहससा

पापा बाझहो हो िाही | 13

अपि सपता जी को भज दत थ रोज़ी कमात हए भी आपक मि म पणग राग था

सामी जी महाराज क सपता जी घर क गज़ार क सलए साहकारी सका करत थ सपता जी क दहधात क बाद सामी जी ि सभी िज़गदारो को बलाकर कहा सक जो कोई िज़ज़ की मल रकम चकािा चाह चका द और जो ि लौटािा चाह ह ि लौटाए उनहोि िज़गदारो क सामि िज़ज़ क सार काग़ज़-पतर फाड़ सदए और सद की आमदिी सदा क सलए बसद कर दी

पापा बाझहो हो िाहीससत-महातमा कहत ह सक धि-दौलत पापो क सबिा इकटठी िही होती और असत सम साथ िही जाती गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग धि-दौलत इकटठा करि म खोए हए ह और इस बात पर सचार करि का ति िही करत सक पापो का ऐसा भारी बोझ इकटठा कर रह ह जो अिक लोगो क रहािी सिाश का कारण बि चका ह और अब उिक सिाश का कारण बिगा

इस जर 1 कारण घणी 2 सगती 3 इि जर घणी खआई 4

पापा बाझहो हो िाही मइआ साथ ि जाई (11)

धि जो पाप क सबिा इकटठा िही हो सकता मत क बाद साथ िही जा सकता और परभ की दरगाह म ददगशा का कारण बिता ह ह हमार सलए लाभपरद सकस परकार हो सकता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह सक राजा शासकी असधकारी आसद धि क मोह क अधीि पराी दौलत हसथाकर माा क सष का भसडार इकटठा कर लत ह ासत म लोभ लालच और माा उिको छल लत ह और असत सम उनह म क हाथो चोट सहिी पड़ती ह

1 धि 2 बहत 3 खार हई 4 कमागग पर भटक गई

14 | हि-हलाल की कमाई

भपत राज रसग राए 1 ससचह 2 सबख 3 माइआ 4

कर कर हत धाइद पर दरब 5 चराइआ

पतर कलतर ि ससहह 6 बह परीत लगाइआ

खसदआ ही माइआ धह गई 7 पछतह पछताइआ

जम दर बध मारीअह िािक हर भाइआ (12)

इसी भा को परकट करत हए गर अजगि द जी फ़रमात ह सक राजा महाराजा हासकम शासकी असधकारी और धिी लोग परमातमा का भ तागकर अिक ज़लम करक धि एकसतरत करत ह परसत ह धि-दौलत ह साज़ो-सामाि सब मौत क साथ ही ख़तम हो जाता ह

भपत होए क राज कमाइआ कर कर अिरथ सहाझी 8 माइआ

ससचत ससचत थली कीनही परभ उस त डार 9 अर 10 कउ दीनही

काच गगरीआ असभ मझरीआ 11 गरब गरब उआह मह परीआ 12

सिरभउ होइओ भइआ सिहसगा 13 चीत 14 ि आइओ करता ससगा

लसकर जोड़ कीआ ससबाहा 15

सिकससआ फक 16 त होए गइओ सआहा 17 (13)

हमार मि म हमशा ह सचसता रहती ह सक सद हम बईमािी िही करग तो सससार क काम िही चलग परसत सजि लोगो ि अपि जीि म िकी सचचाई और ईमािदारी स काम सला ह सदा ही कहत ह सक ईमािदारी की कमाई म बहत बरकत अथा सख-समसद ह और परभ सस सकसी ि सकसी परकार उिक सभी काग पणग कर दता ह

1 धिी 2 इकटठा करिा 3 ज़हर 4 माा 5 पराा धि 6 सशास 7 माइआगई=माा धोखा द गई धि जाता रहा 8 ख़रीदी भा परात की 9 लकर 10 दसर को 11 पािी क बीच म 12 उआहपरीआ=बार-बार उसी म सगरता ह अथवात उस बार-बार जनम लिा पड़ता ह 13 सिसशचसत 14 ाद 15 इकटठा सका 16 सास सिकल गई 17 राख हो गा अथवात मर गा

भसखआ भख ि उतरी | 15

ह ठीक ह सक अपिी महित और िक कमाई क दारा कोई वसकत ऐशो इशरत तो िही कर सकता परसत ह कमाई मधास शराब इससदरो क भोगो तथा अन कई परकार क दराचार तथा पापो स बचाती ह ह मि म ससतोष तथा परभ का परम और सशास पदा करती ह और सचच परमाथग की िी तार करती ह

भनखआ भख ि उतरीजो लोग सचच सदल स महसस करत ह सक सचचा और सथाी आिसद िक जीि और परभपरासत म ह परसननतापगक हि-हलाल की कमाई का सिम सीकार करत ह जो लोग आचरण की पसतरता और आसतमक आिसद स पसरसचत ह ा जो इसकी परासत क इचछक ह अिसचत ढसग स की गई कमाई का ताग करत ह इस परकार की कमाई का ताग उनह परमाथगरपी हीर-जाहरात की परासत क सलए ईटो-पतथरो की क़बवािी क समाि परतीत होता ह परसत जो लोग इस आिसद स अिजाि ह और सजनह इस परात करि की कोई चाह िही उनह दसिा क िाशाि भोग और धि-दौलत ही सब कछ परतीत होत ह ह िही जाित सक भोग और अिसचत ढसग स कमाा गा धि लोक और परलोक दोिो म ही उिकी ददगशा का कारण बिता ह अतए मिष को चासहए सक जो कछ अपिी हि-हलाल की कमाई स समल उस पर ससतोष कर तथा भोगो क लालच स बच धि की तषणा असगि क समाि ह जो लकड़ी डालि पर कभी भी शधात िही होती बसलक और भड़क उठती ह गर िािक सासहब कहत ह सक सार सससार का धि भी लालची क मि की भख को िही समटा सकता

भसखआ भख ि उतरी ज बसिा परीआ भार 1 (14)

सफ़ी ससत सरमद लोभ को खारी ा ददगशा का कारण बतात ह कहत ह सक लोभी वसकत ज़हरील सापो स ज़ादा ख़तरिाक ह

1 अथवात सभी लोको की धि-दौलत

16 | हि-हलाल की कमाई

सरमद त सज़ ख़लि हच ारी मतलब

अज़ शाख़-बरहिा साा दारी मतलब

इज़ज़त सज़ ििाअत असत ओ खारी सज़ तमअ

बा इज़ज़ात-खश बाश खारी मतलब (15)

अथवात ऐ सरमद त दसिा स सचच ार की उममीद ि कर सबिा पतिो का पड़ सकसी को भी साा िही द सकता लोभ स अपमाि और ससतोष स सममाि परात होता ह सममाि स जी अपमाि की सज़सदगी का तलबगार ि बि

दसिा तलबधा रा सकह गम-दीिार असत

ब समहरी-ए-शाि ब कद गर सबसार असत

अज़ अिरब-ओ-मार हच असदशा मकि

ज़ी िौम हज़र बकि सकह िश-ओ-ख़ार असत (16)

अथवात दसिा क मताल सोि-चादी क सलए तड़पत ह और एक दसर स दशमिी करि क सलए मशहर ह त सापो और सबचछओस स ि डर लसकि इि माा क परसमो स डर सजिक असदर ज़हर और काट भर पड़ ह

गर अजगि द जी फ़रमात ह सक लोभी सदा लोभ की लहरो म डोलता रहता ह ह ोग-अोग भला-बरा िही दखता ह ार समतरो सग-ससबससधो पजा क ोग माता-सपता तथा अपि इषट को लटि म भी लजजा िही करता

ह लोभा लसपट ससग ससरमोरह असिक लहरी कलोलत 1

धासत जीआ बह परकारस असिक भधात बह डोलत

1 हhellipकलोलत=ह लोभ ति बड़-बड़ सशरोमसण परषो को फसाा ह और तरी अिक लहरो म कीड़ा कर रह ह

दो तरह की सति | 17

िच 1 समतरस िच इसटस िच बाध िच मात सपता त लजा

अकरणस करोत अखादय खादयस 2 असाजस साज समजा 3

तराह तराह सरण सआमी सबगात 4 िािक हर िरहरह 5 (17)

जस-जस मिष की इचछाए परी होती जाती ह स ही और बढ़ती जाती ह उस कभी तसत िही समलती तसत कल ससतोष म ही ह ससतोष क सबिा ि कोई त त हो सकता ह और ि ही सकसी का परमाथग बि सकता ह

सहस खट लख कउ उठ धा 6 सतरपत ि आ माइआ पाछ पा

असिक भोग सबसखआ क 7 कर िह सतरपता खप खप मर

सबिा ससतोख िही कोऊ राज 8 सपि मिोरथ सबरथ 9 सभ काज (18)

इसका ह अथग िही सक गर सासहबाि अथा ससत-महातमा लोगो को आजीसका कमाि अथा सधासासरक उननसत करि स रोकत ह ससत सकसी की उननसत ा सकसी क फलि-फलि क सरद िही होत तो कल ही आगरह करत ह सक आसथगक और सधासासरक उननसत सचचाईपणग और िक उपाो दारा करिी चासहए और हमशा महित सत और ईमािदारी स काम लिा चासहए

ससत-महातमा लोगो को धि और माा क लोभ क परसत इससलए होसशार करत ह सक सधासासरकता ा माा उि पर हाी ि हो जाए और सससार म आि क परभपरासत क असली उददश को ि भल जाए

दो तरह की नतिगर िािक सासहब ि आसा की वार म एक ओर तो सधासासरक सति ाल अससतोषी सकारी परष का िक़शा खीचा ह जो बर कममो म परति

1 ि करि ोग काग करता ह 2 ि खाि ोग चीज़ खाता ह 3 असाज सhellipसमजा=ि बिाि ोग सतओस को बिाता तथा इकटठा करता ह 4 सिती करता ह 5 िरहसर परमातमा 6 सहसhellipधा=हज़ार इकटठा कर लि पर लाख क पीछ दौड़ता ह 7 सषो क 8 तत होता 9 वथग

18 | हि-हलाल की कमाई

होकर अपि जीि को बरबाद कर दता ह और मौत क बाद ातिाए पाता ह दसरी ओर सचची महित तथा िक कमाई करिाल ऐस ससतोषी जी का सचतर परसतत सका ह जो सतगर दारा खीची हई लकीर क असदर रहता ह तथा अकालपरष ा परमसपता परमातमा की भसकत करक सदा क सलए उसस समलाप परात कर लता ह सधासासरक तथा भोगी वसकत की असथा का णगि करत हए आप फ़रमात हthinsp

आपीनह भोग भोग क होए भसमड़ भउर ससधाइआ 1

डा होआ 2 दिीदार गल ससगल 3 घत चलाइआ

अग करणी कीरत ाचीऐ बह लखा कर समझाइआ 4

थाउ ि होी पउदीई 5 हण सणीऐ सकआ रआइआ

मि असध जिम गाइआ (19)

आप ससतोषी और धमवातमा परष का णगि इस परकार करत ह

स कीती ससतोखीई सजनही सचो सच सधआइआ

ओनही मसद पर ि रसखओ 6 कर ससकत 7 धरम कमाइआ

ओनही दिीआ तोड़ बसधिा असि पाणी थोड़ा खाइआ

तस बखसीसी अगला 8 सित द ह चड़ह साइआ 9

सडआई 10 डा पाइआ 11 (20)

साधक का असली ससघषग ही काम कोध लोभ मोह अहसकार आसद सकारो क साथ ह और बईमािी की कमाई सकारो की जड़ ह जब अिसचत

1 भसमडhellipनसधाइआ=शरीर जलकर भसम की ढरी हो जाता ह और आतमा परसथाि कर जाती ह 2 मर गा 3 गल म ज़सजीर 4 अगhellipसमझाइआ=आग (मत क बाद) उसक कममो का सरण उस सिाा जाता ह तथा उसक अिसार आग का जीि सलखा जाता ह 5 थाउhellipपउदीई=मदतो की मार पड़त सम कही सथाि िही समलता अथवात सहारा िही समलता 6 ओनहीरनखओ= ग़लत रासत पर िही गए 7 िक कमाई 8 तसअगला=त उनह और असधक दता ह 9 डह साइआ=बढ़ती रहती ह 10 परभ की दा स 11 परभ को परात कर लता ह

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 10: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

10 | हि-हलाल की कमाई

गर सासहब फ़रमात ह सक लोग अिक परकार की चोरी ठगी दराचार और झठ क पाप का भार अपि ऊपर लाद जा रह ह

लख चोरीआ लख जारीआ लख कड़ीआ लख गाल

लख ठगीआ पसहिामीआ 1 रात सदिस जीअ िाल (5)

घाल खाए नकछ हथहो दगर िािक सासहब ि राजा परजा पससडत मखग सदाि अिपढ़ सहसद और मसलमाि सभी क सलए ससकत अथा िक कमाई क सिम पर ज़ोर सदा इस परकार आप सचच धमग को मससदरो मससजदो ठाकरदारो सगरजाघरो आसद की चारदीारी स सिकालकर खतो दकािो कचहसरो दफ़तरो ािी मिष क दसिक जीि म ल आए आपि कल उनही लोगो को धासमगक सका और रहािी अभास क ोग मािा जो हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करत ह गर िािक द जी ि सस षमो तक दौलतखधा लोदी क मोदीख़ाि म सचचाई तथा परी ईमािदारी क साथ काम सका और इस कमाई म स खल सदल स ग़रीबो-अिाथो की मदद की बाद म आपि करतारपर म खती की और अपिी िक कमाई पर गज़ारा करत हए ज़ररतमसदो की सहाता भी की आपि सस एक सचच परमाथज़ी का जीसत उदाहरण सथासपत सका तासक आपक उपदश क इस मल पहल mdash िक कमाई mdash क सष म सकसी परकार का कोई भरम ि रह जाए आपि अपिी ाणी म बहत सपषट और सरल शबदो म गरओस पीरो तथा सशषो क सलए सिजी कमाई तथा अपिी सचची और पसतर कमाई पर सिवाह करत हए उसम स ज़ररतमसदो की सहाता करि का आदशग सथासपत सका ह

गर पीर सदाए मसगण जाए ता क मल ि लगीऐ पाए

घाल खाए सकछ हथहो द िािक राह पछाणह स  (6)

1 गत रप स और सछपकर सकए गए पाप

घाल खाए सकछ हथहो द | 11

अथवात अगर कोई गर ा पीर होकर सशषो स मागता सफरता ह तो उसक परो पर कभी ससर िही झकािा चासहए जो महित करक अपिी रोज़ी कमाता हो और उस हि-हलाल की कमाई म स साधससगत की सा करता हो ही परमाथग की राह का सचचा जािकार सचचा गर हो सकता ह

ह सबको पता ह सक गर िािक सासहब ि ऐमिाबाद म मसलक भागो क छतिीस परकार क पकािो को तागकर भाई लालो की कोधर की रोटी को पससद सका कोसक आपको पहल परकार क भोजि म ग़रीब लोगो का ख़ि समला हआ सदखाई सदा तथा दसर परकार क भोजि म हि-हलाल की कमाई का अमत

कबीर सासहब ि अपि सम क अधर और पाखसडी गरओस की आलोचिा करत हए सलखा ह सक लोभश सशषो को लटत ह उिक सशष भी अपि साथग क सलए ही ऐस गरओस क साथ लग रहत ह ऐस लोगो को शधासत कस समल सकती ह आप कहत ह सक ऐस गर पस क पचास समलत ह राम-िाम को बचकर उस अपिी कमाई का साधि बिात ह और ऐस धि स सशषो की सगिती बढ़ाि का ति करत ह

कबीर पर गर सबिा परा ससष ि हो

गर लोभी ससष लालची दिी दाझि हो

गरआ तो ससता भा पसा कर पचास

राम िाम को बसच क कर ससष की आस (7)

कबीर सासहब ि गर तथा सशष दोिो क सलए बहत ऊचा आदशग सथासपत सका ह आप फ़रमात ह सक सशष को चासहए सक अपिा सब कछ गर को अपगण कर द अथवात सब कछ गर का समझकर इसतमाल कर परसत गर को चासहए सक सशष की सई तक को हाथ ि लगाए

ससष तो ऐसा चासह गर को सब कछ द

गर तो ऐसा चासह ससष स कछ ि ल (8)

12 | हि-हलाल की कमाई

कबीर सासहब सपषट कहत ह सक महातमा अपि सशषो का धि साधससगत की सा ा परोपकार म अश ख़चग करा दत ह तासक उिकी कमाई साथगक हो तथा परमाथग क राह पर चलि म सहाक ससद हो परसत सशषो स महातमा सिजी ज़ररतो ा सिजी लाभ क सलए कभी एक पाई भी िही लत

मसर जाऊ माग िही अपि ति क काज

परमारथ क कारि मोसहस ि आ लाज (9)

जसा सक सब जाित ह कबीर सासहब ि जीि भर कपड़ा बिि का काम करक अपिा और अपि पसरार का पालि सका आप जब भी ससतमत क परचार ा सतससग क सलए बाहर जात अपिा करघा साथ ल जात थ

हज़र सामी जी महाराज फ़रमात ह सक ससत-सतगरओस क पास िामभसकत का अखट भसडार होता ह दसिाी धि-दौलत की ओर िज़र उठाकर भी िही दखत अपि सशषो स अपि गज़ार क सलए कभी कछ िही लत हा परमाथग क सलए अपि सशषो स परोपकार ज़रर करात ह

गर िसहस भखा तर धि का उि प धि ह भसकत िाम का

पर तरा उपकार करा भख ास को सदला (10)

आपका अपिा जीि हि-हलाल की कमाई का एक पररणादाक उदाहरण ह छोटी उमर स ही आपका परमातमा की ओर झका था इससलए आप ऐसी िौकरी चाहत थ सजसम साथग और परमाथग दोिो साथ-साथ चल सक आपि बललभगढ़ क राजा क पास फ़ारसी क अधापक क रप म िौकरी की सजसम तीि घसट परसतसदि लगाि पड़त थ उि सदिो राजाओस क कमगचासरो को ति क साथ गज़ार क सलए रसद भी समला करती थी सामी जी महाराज सारी रसद ज़ररतमसदो म बाट सदा करत थ और ति का काफ़ी बड़ा सहससा

पापा बाझहो हो िाही | 13

अपि सपता जी को भज दत थ रोज़ी कमात हए भी आपक मि म पणग राग था

सामी जी महाराज क सपता जी घर क गज़ार क सलए साहकारी सका करत थ सपता जी क दहधात क बाद सामी जी ि सभी िज़गदारो को बलाकर कहा सक जो कोई िज़ज़ की मल रकम चकािा चाह चका द और जो ि लौटािा चाह ह ि लौटाए उनहोि िज़गदारो क सामि िज़ज़ क सार काग़ज़-पतर फाड़ सदए और सद की आमदिी सदा क सलए बसद कर दी

पापा बाझहो हो िाहीससत-महातमा कहत ह सक धि-दौलत पापो क सबिा इकटठी िही होती और असत सम साथ िही जाती गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग धि-दौलत इकटठा करि म खोए हए ह और इस बात पर सचार करि का ति िही करत सक पापो का ऐसा भारी बोझ इकटठा कर रह ह जो अिक लोगो क रहािी सिाश का कारण बि चका ह और अब उिक सिाश का कारण बिगा

इस जर 1 कारण घणी 2 सगती 3 इि जर घणी खआई 4

पापा बाझहो हो िाही मइआ साथ ि जाई (11)

धि जो पाप क सबिा इकटठा िही हो सकता मत क बाद साथ िही जा सकता और परभ की दरगाह म ददगशा का कारण बिता ह ह हमार सलए लाभपरद सकस परकार हो सकता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह सक राजा शासकी असधकारी आसद धि क मोह क अधीि पराी दौलत हसथाकर माा क सष का भसडार इकटठा कर लत ह ासत म लोभ लालच और माा उिको छल लत ह और असत सम उनह म क हाथो चोट सहिी पड़ती ह

1 धि 2 बहत 3 खार हई 4 कमागग पर भटक गई

14 | हि-हलाल की कमाई

भपत राज रसग राए 1 ससचह 2 सबख 3 माइआ 4

कर कर हत धाइद पर दरब 5 चराइआ

पतर कलतर ि ससहह 6 बह परीत लगाइआ

खसदआ ही माइआ धह गई 7 पछतह पछताइआ

जम दर बध मारीअह िािक हर भाइआ (12)

इसी भा को परकट करत हए गर अजगि द जी फ़रमात ह सक राजा महाराजा हासकम शासकी असधकारी और धिी लोग परमातमा का भ तागकर अिक ज़लम करक धि एकसतरत करत ह परसत ह धि-दौलत ह साज़ो-सामाि सब मौत क साथ ही ख़तम हो जाता ह

भपत होए क राज कमाइआ कर कर अिरथ सहाझी 8 माइआ

ससचत ससचत थली कीनही परभ उस त डार 9 अर 10 कउ दीनही

काच गगरीआ असभ मझरीआ 11 गरब गरब उआह मह परीआ 12

सिरभउ होइओ भइआ सिहसगा 13 चीत 14 ि आइओ करता ससगा

लसकर जोड़ कीआ ससबाहा 15

सिकससआ फक 16 त होए गइओ सआहा 17 (13)

हमार मि म हमशा ह सचसता रहती ह सक सद हम बईमािी िही करग तो सससार क काम िही चलग परसत सजि लोगो ि अपि जीि म िकी सचचाई और ईमािदारी स काम सला ह सदा ही कहत ह सक ईमािदारी की कमाई म बहत बरकत अथा सख-समसद ह और परभ सस सकसी ि सकसी परकार उिक सभी काग पणग कर दता ह

1 धिी 2 इकटठा करिा 3 ज़हर 4 माा 5 पराा धि 6 सशास 7 माइआगई=माा धोखा द गई धि जाता रहा 8 ख़रीदी भा परात की 9 लकर 10 दसर को 11 पािी क बीच म 12 उआहपरीआ=बार-बार उसी म सगरता ह अथवात उस बार-बार जनम लिा पड़ता ह 13 सिसशचसत 14 ाद 15 इकटठा सका 16 सास सिकल गई 17 राख हो गा अथवात मर गा

भसखआ भख ि उतरी | 15

ह ठीक ह सक अपिी महित और िक कमाई क दारा कोई वसकत ऐशो इशरत तो िही कर सकता परसत ह कमाई मधास शराब इससदरो क भोगो तथा अन कई परकार क दराचार तथा पापो स बचाती ह ह मि म ससतोष तथा परभ का परम और सशास पदा करती ह और सचच परमाथग की िी तार करती ह

भनखआ भख ि उतरीजो लोग सचच सदल स महसस करत ह सक सचचा और सथाी आिसद िक जीि और परभपरासत म ह परसननतापगक हि-हलाल की कमाई का सिम सीकार करत ह जो लोग आचरण की पसतरता और आसतमक आिसद स पसरसचत ह ा जो इसकी परासत क इचछक ह अिसचत ढसग स की गई कमाई का ताग करत ह इस परकार की कमाई का ताग उनह परमाथगरपी हीर-जाहरात की परासत क सलए ईटो-पतथरो की क़बवािी क समाि परतीत होता ह परसत जो लोग इस आिसद स अिजाि ह और सजनह इस परात करि की कोई चाह िही उनह दसिा क िाशाि भोग और धि-दौलत ही सब कछ परतीत होत ह ह िही जाित सक भोग और अिसचत ढसग स कमाा गा धि लोक और परलोक दोिो म ही उिकी ददगशा का कारण बिता ह अतए मिष को चासहए सक जो कछ अपिी हि-हलाल की कमाई स समल उस पर ससतोष कर तथा भोगो क लालच स बच धि की तषणा असगि क समाि ह जो लकड़ी डालि पर कभी भी शधात िही होती बसलक और भड़क उठती ह गर िािक सासहब कहत ह सक सार सससार का धि भी लालची क मि की भख को िही समटा सकता

भसखआ भख ि उतरी ज बसिा परीआ भार 1 (14)

सफ़ी ससत सरमद लोभ को खारी ा ददगशा का कारण बतात ह कहत ह सक लोभी वसकत ज़हरील सापो स ज़ादा ख़तरिाक ह

1 अथवात सभी लोको की धि-दौलत

16 | हि-हलाल की कमाई

सरमद त सज़ ख़लि हच ारी मतलब

अज़ शाख़-बरहिा साा दारी मतलब

इज़ज़त सज़ ििाअत असत ओ खारी सज़ तमअ

बा इज़ज़ात-खश बाश खारी मतलब (15)

अथवात ऐ सरमद त दसिा स सचच ार की उममीद ि कर सबिा पतिो का पड़ सकसी को भी साा िही द सकता लोभ स अपमाि और ससतोष स सममाि परात होता ह सममाि स जी अपमाि की सज़सदगी का तलबगार ि बि

दसिा तलबधा रा सकह गम-दीिार असत

ब समहरी-ए-शाि ब कद गर सबसार असत

अज़ अिरब-ओ-मार हच असदशा मकि

ज़ी िौम हज़र बकि सकह िश-ओ-ख़ार असत (16)

अथवात दसिा क मताल सोि-चादी क सलए तड़पत ह और एक दसर स दशमिी करि क सलए मशहर ह त सापो और सबचछओस स ि डर लसकि इि माा क परसमो स डर सजिक असदर ज़हर और काट भर पड़ ह

गर अजगि द जी फ़रमात ह सक लोभी सदा लोभ की लहरो म डोलता रहता ह ह ोग-अोग भला-बरा िही दखता ह ार समतरो सग-ससबससधो पजा क ोग माता-सपता तथा अपि इषट को लटि म भी लजजा िही करता

ह लोभा लसपट ससग ससरमोरह असिक लहरी कलोलत 1

धासत जीआ बह परकारस असिक भधात बह डोलत

1 हhellipकलोलत=ह लोभ ति बड़-बड़ सशरोमसण परषो को फसाा ह और तरी अिक लहरो म कीड़ा कर रह ह

दो तरह की सति | 17

िच 1 समतरस िच इसटस िच बाध िच मात सपता त लजा

अकरणस करोत अखादय खादयस 2 असाजस साज समजा 3

तराह तराह सरण सआमी सबगात 4 िािक हर िरहरह 5 (17)

जस-जस मिष की इचछाए परी होती जाती ह स ही और बढ़ती जाती ह उस कभी तसत िही समलती तसत कल ससतोष म ही ह ससतोष क सबिा ि कोई त त हो सकता ह और ि ही सकसी का परमाथग बि सकता ह

सहस खट लख कउ उठ धा 6 सतरपत ि आ माइआ पाछ पा

असिक भोग सबसखआ क 7 कर िह सतरपता खप खप मर

सबिा ससतोख िही कोऊ राज 8 सपि मिोरथ सबरथ 9 सभ काज (18)

इसका ह अथग िही सक गर सासहबाि अथा ससत-महातमा लोगो को आजीसका कमाि अथा सधासासरक उननसत करि स रोकत ह ससत सकसी की उननसत ा सकसी क फलि-फलि क सरद िही होत तो कल ही आगरह करत ह सक आसथगक और सधासासरक उननसत सचचाईपणग और िक उपाो दारा करिी चासहए और हमशा महित सत और ईमािदारी स काम लिा चासहए

ससत-महातमा लोगो को धि और माा क लोभ क परसत इससलए होसशार करत ह सक सधासासरकता ा माा उि पर हाी ि हो जाए और सससार म आि क परभपरासत क असली उददश को ि भल जाए

दो तरह की नतिगर िािक सासहब ि आसा की वार म एक ओर तो सधासासरक सति ाल अससतोषी सकारी परष का िक़शा खीचा ह जो बर कममो म परति

1 ि करि ोग काग करता ह 2 ि खाि ोग चीज़ खाता ह 3 असाज सhellipसमजा=ि बिाि ोग सतओस को बिाता तथा इकटठा करता ह 4 सिती करता ह 5 िरहसर परमातमा 6 सहसhellipधा=हज़ार इकटठा कर लि पर लाख क पीछ दौड़ता ह 7 सषो क 8 तत होता 9 वथग

18 | हि-हलाल की कमाई

होकर अपि जीि को बरबाद कर दता ह और मौत क बाद ातिाए पाता ह दसरी ओर सचची महित तथा िक कमाई करिाल ऐस ससतोषी जी का सचतर परसतत सका ह जो सतगर दारा खीची हई लकीर क असदर रहता ह तथा अकालपरष ा परमसपता परमातमा की भसकत करक सदा क सलए उसस समलाप परात कर लता ह सधासासरक तथा भोगी वसकत की असथा का णगि करत हए आप फ़रमात हthinsp

आपीनह भोग भोग क होए भसमड़ भउर ससधाइआ 1

डा होआ 2 दिीदार गल ससगल 3 घत चलाइआ

अग करणी कीरत ाचीऐ बह लखा कर समझाइआ 4

थाउ ि होी पउदीई 5 हण सणीऐ सकआ रआइआ

मि असध जिम गाइआ (19)

आप ससतोषी और धमवातमा परष का णगि इस परकार करत ह

स कीती ससतोखीई सजनही सचो सच सधआइआ

ओनही मसद पर ि रसखओ 6 कर ससकत 7 धरम कमाइआ

ओनही दिीआ तोड़ बसधिा असि पाणी थोड़ा खाइआ

तस बखसीसी अगला 8 सित द ह चड़ह साइआ 9

सडआई 10 डा पाइआ 11 (20)

साधक का असली ससघषग ही काम कोध लोभ मोह अहसकार आसद सकारो क साथ ह और बईमािी की कमाई सकारो की जड़ ह जब अिसचत

1 भसमडhellipनसधाइआ=शरीर जलकर भसम की ढरी हो जाता ह और आतमा परसथाि कर जाती ह 2 मर गा 3 गल म ज़सजीर 4 अगhellipसमझाइआ=आग (मत क बाद) उसक कममो का सरण उस सिाा जाता ह तथा उसक अिसार आग का जीि सलखा जाता ह 5 थाउhellipपउदीई=मदतो की मार पड़त सम कही सथाि िही समलता अथवात सहारा िही समलता 6 ओनहीरनखओ= ग़लत रासत पर िही गए 7 िक कमाई 8 तसअगला=त उनह और असधक दता ह 9 डह साइआ=बढ़ती रहती ह 10 परभ की दा स 11 परभ को परात कर लता ह

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 11: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

घाल खाए सकछ हथहो द | 11

अथवात अगर कोई गर ा पीर होकर सशषो स मागता सफरता ह तो उसक परो पर कभी ससर िही झकािा चासहए जो महित करक अपिी रोज़ी कमाता हो और उस हि-हलाल की कमाई म स साधससगत की सा करता हो ही परमाथग की राह का सचचा जािकार सचचा गर हो सकता ह

ह सबको पता ह सक गर िािक सासहब ि ऐमिाबाद म मसलक भागो क छतिीस परकार क पकािो को तागकर भाई लालो की कोधर की रोटी को पससद सका कोसक आपको पहल परकार क भोजि म ग़रीब लोगो का ख़ि समला हआ सदखाई सदा तथा दसर परकार क भोजि म हि-हलाल की कमाई का अमत

कबीर सासहब ि अपि सम क अधर और पाखसडी गरओस की आलोचिा करत हए सलखा ह सक लोभश सशषो को लटत ह उिक सशष भी अपि साथग क सलए ही ऐस गरओस क साथ लग रहत ह ऐस लोगो को शधासत कस समल सकती ह आप कहत ह सक ऐस गर पस क पचास समलत ह राम-िाम को बचकर उस अपिी कमाई का साधि बिात ह और ऐस धि स सशषो की सगिती बढ़ाि का ति करत ह

कबीर पर गर सबिा परा ससष ि हो

गर लोभी ससष लालची दिी दाझि हो

गरआ तो ससता भा पसा कर पचास

राम िाम को बसच क कर ससष की आस (7)

कबीर सासहब ि गर तथा सशष दोिो क सलए बहत ऊचा आदशग सथासपत सका ह आप फ़रमात ह सक सशष को चासहए सक अपिा सब कछ गर को अपगण कर द अथवात सब कछ गर का समझकर इसतमाल कर परसत गर को चासहए सक सशष की सई तक को हाथ ि लगाए

ससष तो ऐसा चासह गर को सब कछ द

गर तो ऐसा चासह ससष स कछ ि ल (8)

12 | हि-हलाल की कमाई

कबीर सासहब सपषट कहत ह सक महातमा अपि सशषो का धि साधससगत की सा ा परोपकार म अश ख़चग करा दत ह तासक उिकी कमाई साथगक हो तथा परमाथग क राह पर चलि म सहाक ससद हो परसत सशषो स महातमा सिजी ज़ररतो ा सिजी लाभ क सलए कभी एक पाई भी िही लत

मसर जाऊ माग िही अपि ति क काज

परमारथ क कारि मोसहस ि आ लाज (9)

जसा सक सब जाित ह कबीर सासहब ि जीि भर कपड़ा बिि का काम करक अपिा और अपि पसरार का पालि सका आप जब भी ससतमत क परचार ा सतससग क सलए बाहर जात अपिा करघा साथ ल जात थ

हज़र सामी जी महाराज फ़रमात ह सक ससत-सतगरओस क पास िामभसकत का अखट भसडार होता ह दसिाी धि-दौलत की ओर िज़र उठाकर भी िही दखत अपि सशषो स अपि गज़ार क सलए कभी कछ िही लत हा परमाथग क सलए अपि सशषो स परोपकार ज़रर करात ह

गर िसहस भखा तर धि का उि प धि ह भसकत िाम का

पर तरा उपकार करा भख ास को सदला (10)

आपका अपिा जीि हि-हलाल की कमाई का एक पररणादाक उदाहरण ह छोटी उमर स ही आपका परमातमा की ओर झका था इससलए आप ऐसी िौकरी चाहत थ सजसम साथग और परमाथग दोिो साथ-साथ चल सक आपि बललभगढ़ क राजा क पास फ़ारसी क अधापक क रप म िौकरी की सजसम तीि घसट परसतसदि लगाि पड़त थ उि सदिो राजाओस क कमगचासरो को ति क साथ गज़ार क सलए रसद भी समला करती थी सामी जी महाराज सारी रसद ज़ररतमसदो म बाट सदा करत थ और ति का काफ़ी बड़ा सहससा

पापा बाझहो हो िाही | 13

अपि सपता जी को भज दत थ रोज़ी कमात हए भी आपक मि म पणग राग था

सामी जी महाराज क सपता जी घर क गज़ार क सलए साहकारी सका करत थ सपता जी क दहधात क बाद सामी जी ि सभी िज़गदारो को बलाकर कहा सक जो कोई िज़ज़ की मल रकम चकािा चाह चका द और जो ि लौटािा चाह ह ि लौटाए उनहोि िज़गदारो क सामि िज़ज़ क सार काग़ज़-पतर फाड़ सदए और सद की आमदिी सदा क सलए बसद कर दी

पापा बाझहो हो िाहीससत-महातमा कहत ह सक धि-दौलत पापो क सबिा इकटठी िही होती और असत सम साथ िही जाती गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग धि-दौलत इकटठा करि म खोए हए ह और इस बात पर सचार करि का ति िही करत सक पापो का ऐसा भारी बोझ इकटठा कर रह ह जो अिक लोगो क रहािी सिाश का कारण बि चका ह और अब उिक सिाश का कारण बिगा

इस जर 1 कारण घणी 2 सगती 3 इि जर घणी खआई 4

पापा बाझहो हो िाही मइआ साथ ि जाई (11)

धि जो पाप क सबिा इकटठा िही हो सकता मत क बाद साथ िही जा सकता और परभ की दरगाह म ददगशा का कारण बिता ह ह हमार सलए लाभपरद सकस परकार हो सकता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह सक राजा शासकी असधकारी आसद धि क मोह क अधीि पराी दौलत हसथाकर माा क सष का भसडार इकटठा कर लत ह ासत म लोभ लालच और माा उिको छल लत ह और असत सम उनह म क हाथो चोट सहिी पड़ती ह

1 धि 2 बहत 3 खार हई 4 कमागग पर भटक गई

14 | हि-हलाल की कमाई

भपत राज रसग राए 1 ससचह 2 सबख 3 माइआ 4

कर कर हत धाइद पर दरब 5 चराइआ

पतर कलतर ि ससहह 6 बह परीत लगाइआ

खसदआ ही माइआ धह गई 7 पछतह पछताइआ

जम दर बध मारीअह िािक हर भाइआ (12)

इसी भा को परकट करत हए गर अजगि द जी फ़रमात ह सक राजा महाराजा हासकम शासकी असधकारी और धिी लोग परमातमा का भ तागकर अिक ज़लम करक धि एकसतरत करत ह परसत ह धि-दौलत ह साज़ो-सामाि सब मौत क साथ ही ख़तम हो जाता ह

भपत होए क राज कमाइआ कर कर अिरथ सहाझी 8 माइआ

ससचत ससचत थली कीनही परभ उस त डार 9 अर 10 कउ दीनही

काच गगरीआ असभ मझरीआ 11 गरब गरब उआह मह परीआ 12

सिरभउ होइओ भइआ सिहसगा 13 चीत 14 ि आइओ करता ससगा

लसकर जोड़ कीआ ससबाहा 15

सिकससआ फक 16 त होए गइओ सआहा 17 (13)

हमार मि म हमशा ह सचसता रहती ह सक सद हम बईमािी िही करग तो सससार क काम िही चलग परसत सजि लोगो ि अपि जीि म िकी सचचाई और ईमािदारी स काम सला ह सदा ही कहत ह सक ईमािदारी की कमाई म बहत बरकत अथा सख-समसद ह और परभ सस सकसी ि सकसी परकार उिक सभी काग पणग कर दता ह

1 धिी 2 इकटठा करिा 3 ज़हर 4 माा 5 पराा धि 6 सशास 7 माइआगई=माा धोखा द गई धि जाता रहा 8 ख़रीदी भा परात की 9 लकर 10 दसर को 11 पािी क बीच म 12 उआहपरीआ=बार-बार उसी म सगरता ह अथवात उस बार-बार जनम लिा पड़ता ह 13 सिसशचसत 14 ाद 15 इकटठा सका 16 सास सिकल गई 17 राख हो गा अथवात मर गा

भसखआ भख ि उतरी | 15

ह ठीक ह सक अपिी महित और िक कमाई क दारा कोई वसकत ऐशो इशरत तो िही कर सकता परसत ह कमाई मधास शराब इससदरो क भोगो तथा अन कई परकार क दराचार तथा पापो स बचाती ह ह मि म ससतोष तथा परभ का परम और सशास पदा करती ह और सचच परमाथग की िी तार करती ह

भनखआ भख ि उतरीजो लोग सचच सदल स महसस करत ह सक सचचा और सथाी आिसद िक जीि और परभपरासत म ह परसननतापगक हि-हलाल की कमाई का सिम सीकार करत ह जो लोग आचरण की पसतरता और आसतमक आिसद स पसरसचत ह ा जो इसकी परासत क इचछक ह अिसचत ढसग स की गई कमाई का ताग करत ह इस परकार की कमाई का ताग उनह परमाथगरपी हीर-जाहरात की परासत क सलए ईटो-पतथरो की क़बवािी क समाि परतीत होता ह परसत जो लोग इस आिसद स अिजाि ह और सजनह इस परात करि की कोई चाह िही उनह दसिा क िाशाि भोग और धि-दौलत ही सब कछ परतीत होत ह ह िही जाित सक भोग और अिसचत ढसग स कमाा गा धि लोक और परलोक दोिो म ही उिकी ददगशा का कारण बिता ह अतए मिष को चासहए सक जो कछ अपिी हि-हलाल की कमाई स समल उस पर ससतोष कर तथा भोगो क लालच स बच धि की तषणा असगि क समाि ह जो लकड़ी डालि पर कभी भी शधात िही होती बसलक और भड़क उठती ह गर िािक सासहब कहत ह सक सार सससार का धि भी लालची क मि की भख को िही समटा सकता

भसखआ भख ि उतरी ज बसिा परीआ भार 1 (14)

सफ़ी ससत सरमद लोभ को खारी ा ददगशा का कारण बतात ह कहत ह सक लोभी वसकत ज़हरील सापो स ज़ादा ख़तरिाक ह

1 अथवात सभी लोको की धि-दौलत

16 | हि-हलाल की कमाई

सरमद त सज़ ख़लि हच ारी मतलब

अज़ शाख़-बरहिा साा दारी मतलब

इज़ज़त सज़ ििाअत असत ओ खारी सज़ तमअ

बा इज़ज़ात-खश बाश खारी मतलब (15)

अथवात ऐ सरमद त दसिा स सचच ार की उममीद ि कर सबिा पतिो का पड़ सकसी को भी साा िही द सकता लोभ स अपमाि और ससतोष स सममाि परात होता ह सममाि स जी अपमाि की सज़सदगी का तलबगार ि बि

दसिा तलबधा रा सकह गम-दीिार असत

ब समहरी-ए-शाि ब कद गर सबसार असत

अज़ अिरब-ओ-मार हच असदशा मकि

ज़ी िौम हज़र बकि सकह िश-ओ-ख़ार असत (16)

अथवात दसिा क मताल सोि-चादी क सलए तड़पत ह और एक दसर स दशमिी करि क सलए मशहर ह त सापो और सबचछओस स ि डर लसकि इि माा क परसमो स डर सजिक असदर ज़हर और काट भर पड़ ह

गर अजगि द जी फ़रमात ह सक लोभी सदा लोभ की लहरो म डोलता रहता ह ह ोग-अोग भला-बरा िही दखता ह ार समतरो सग-ससबससधो पजा क ोग माता-सपता तथा अपि इषट को लटि म भी लजजा िही करता

ह लोभा लसपट ससग ससरमोरह असिक लहरी कलोलत 1

धासत जीआ बह परकारस असिक भधात बह डोलत

1 हhellipकलोलत=ह लोभ ति बड़-बड़ सशरोमसण परषो को फसाा ह और तरी अिक लहरो म कीड़ा कर रह ह

दो तरह की सति | 17

िच 1 समतरस िच इसटस िच बाध िच मात सपता त लजा

अकरणस करोत अखादय खादयस 2 असाजस साज समजा 3

तराह तराह सरण सआमी सबगात 4 िािक हर िरहरह 5 (17)

जस-जस मिष की इचछाए परी होती जाती ह स ही और बढ़ती जाती ह उस कभी तसत िही समलती तसत कल ससतोष म ही ह ससतोष क सबिा ि कोई त त हो सकता ह और ि ही सकसी का परमाथग बि सकता ह

सहस खट लख कउ उठ धा 6 सतरपत ि आ माइआ पाछ पा

असिक भोग सबसखआ क 7 कर िह सतरपता खप खप मर

सबिा ससतोख िही कोऊ राज 8 सपि मिोरथ सबरथ 9 सभ काज (18)

इसका ह अथग िही सक गर सासहबाि अथा ससत-महातमा लोगो को आजीसका कमाि अथा सधासासरक उननसत करि स रोकत ह ससत सकसी की उननसत ा सकसी क फलि-फलि क सरद िही होत तो कल ही आगरह करत ह सक आसथगक और सधासासरक उननसत सचचाईपणग और िक उपाो दारा करिी चासहए और हमशा महित सत और ईमािदारी स काम लिा चासहए

ससत-महातमा लोगो को धि और माा क लोभ क परसत इससलए होसशार करत ह सक सधासासरकता ा माा उि पर हाी ि हो जाए और सससार म आि क परभपरासत क असली उददश को ि भल जाए

दो तरह की नतिगर िािक सासहब ि आसा की वार म एक ओर तो सधासासरक सति ाल अससतोषी सकारी परष का िक़शा खीचा ह जो बर कममो म परति

1 ि करि ोग काग करता ह 2 ि खाि ोग चीज़ खाता ह 3 असाज सhellipसमजा=ि बिाि ोग सतओस को बिाता तथा इकटठा करता ह 4 सिती करता ह 5 िरहसर परमातमा 6 सहसhellipधा=हज़ार इकटठा कर लि पर लाख क पीछ दौड़ता ह 7 सषो क 8 तत होता 9 वथग

18 | हि-हलाल की कमाई

होकर अपि जीि को बरबाद कर दता ह और मौत क बाद ातिाए पाता ह दसरी ओर सचची महित तथा िक कमाई करिाल ऐस ससतोषी जी का सचतर परसतत सका ह जो सतगर दारा खीची हई लकीर क असदर रहता ह तथा अकालपरष ा परमसपता परमातमा की भसकत करक सदा क सलए उसस समलाप परात कर लता ह सधासासरक तथा भोगी वसकत की असथा का णगि करत हए आप फ़रमात हthinsp

आपीनह भोग भोग क होए भसमड़ भउर ससधाइआ 1

डा होआ 2 दिीदार गल ससगल 3 घत चलाइआ

अग करणी कीरत ाचीऐ बह लखा कर समझाइआ 4

थाउ ि होी पउदीई 5 हण सणीऐ सकआ रआइआ

मि असध जिम गाइआ (19)

आप ससतोषी और धमवातमा परष का णगि इस परकार करत ह

स कीती ससतोखीई सजनही सचो सच सधआइआ

ओनही मसद पर ि रसखओ 6 कर ससकत 7 धरम कमाइआ

ओनही दिीआ तोड़ बसधिा असि पाणी थोड़ा खाइआ

तस बखसीसी अगला 8 सित द ह चड़ह साइआ 9

सडआई 10 डा पाइआ 11 (20)

साधक का असली ससघषग ही काम कोध लोभ मोह अहसकार आसद सकारो क साथ ह और बईमािी की कमाई सकारो की जड़ ह जब अिसचत

1 भसमडhellipनसधाइआ=शरीर जलकर भसम की ढरी हो जाता ह और आतमा परसथाि कर जाती ह 2 मर गा 3 गल म ज़सजीर 4 अगhellipसमझाइआ=आग (मत क बाद) उसक कममो का सरण उस सिाा जाता ह तथा उसक अिसार आग का जीि सलखा जाता ह 5 थाउhellipपउदीई=मदतो की मार पड़त सम कही सथाि िही समलता अथवात सहारा िही समलता 6 ओनहीरनखओ= ग़लत रासत पर िही गए 7 िक कमाई 8 तसअगला=त उनह और असधक दता ह 9 डह साइआ=बढ़ती रहती ह 10 परभ की दा स 11 परभ को परात कर लता ह

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 12: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

12 | हि-हलाल की कमाई

कबीर सासहब सपषट कहत ह सक महातमा अपि सशषो का धि साधससगत की सा ा परोपकार म अश ख़चग करा दत ह तासक उिकी कमाई साथगक हो तथा परमाथग क राह पर चलि म सहाक ससद हो परसत सशषो स महातमा सिजी ज़ररतो ा सिजी लाभ क सलए कभी एक पाई भी िही लत

मसर जाऊ माग िही अपि ति क काज

परमारथ क कारि मोसहस ि आ लाज (9)

जसा सक सब जाित ह कबीर सासहब ि जीि भर कपड़ा बिि का काम करक अपिा और अपि पसरार का पालि सका आप जब भी ससतमत क परचार ा सतससग क सलए बाहर जात अपिा करघा साथ ल जात थ

हज़र सामी जी महाराज फ़रमात ह सक ससत-सतगरओस क पास िामभसकत का अखट भसडार होता ह दसिाी धि-दौलत की ओर िज़र उठाकर भी िही दखत अपि सशषो स अपि गज़ार क सलए कभी कछ िही लत हा परमाथग क सलए अपि सशषो स परोपकार ज़रर करात ह

गर िसहस भखा तर धि का उि प धि ह भसकत िाम का

पर तरा उपकार करा भख ास को सदला (10)

आपका अपिा जीि हि-हलाल की कमाई का एक पररणादाक उदाहरण ह छोटी उमर स ही आपका परमातमा की ओर झका था इससलए आप ऐसी िौकरी चाहत थ सजसम साथग और परमाथग दोिो साथ-साथ चल सक आपि बललभगढ़ क राजा क पास फ़ारसी क अधापक क रप म िौकरी की सजसम तीि घसट परसतसदि लगाि पड़त थ उि सदिो राजाओस क कमगचासरो को ति क साथ गज़ार क सलए रसद भी समला करती थी सामी जी महाराज सारी रसद ज़ररतमसदो म बाट सदा करत थ और ति का काफ़ी बड़ा सहससा

पापा बाझहो हो िाही | 13

अपि सपता जी को भज दत थ रोज़ी कमात हए भी आपक मि म पणग राग था

सामी जी महाराज क सपता जी घर क गज़ार क सलए साहकारी सका करत थ सपता जी क दहधात क बाद सामी जी ि सभी िज़गदारो को बलाकर कहा सक जो कोई िज़ज़ की मल रकम चकािा चाह चका द और जो ि लौटािा चाह ह ि लौटाए उनहोि िज़गदारो क सामि िज़ज़ क सार काग़ज़-पतर फाड़ सदए और सद की आमदिी सदा क सलए बसद कर दी

पापा बाझहो हो िाहीससत-महातमा कहत ह सक धि-दौलत पापो क सबिा इकटठी िही होती और असत सम साथ िही जाती गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग धि-दौलत इकटठा करि म खोए हए ह और इस बात पर सचार करि का ति िही करत सक पापो का ऐसा भारी बोझ इकटठा कर रह ह जो अिक लोगो क रहािी सिाश का कारण बि चका ह और अब उिक सिाश का कारण बिगा

इस जर 1 कारण घणी 2 सगती 3 इि जर घणी खआई 4

पापा बाझहो हो िाही मइआ साथ ि जाई (11)

धि जो पाप क सबिा इकटठा िही हो सकता मत क बाद साथ िही जा सकता और परभ की दरगाह म ददगशा का कारण बिता ह ह हमार सलए लाभपरद सकस परकार हो सकता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह सक राजा शासकी असधकारी आसद धि क मोह क अधीि पराी दौलत हसथाकर माा क सष का भसडार इकटठा कर लत ह ासत म लोभ लालच और माा उिको छल लत ह और असत सम उनह म क हाथो चोट सहिी पड़ती ह

1 धि 2 बहत 3 खार हई 4 कमागग पर भटक गई

14 | हि-हलाल की कमाई

भपत राज रसग राए 1 ससचह 2 सबख 3 माइआ 4

कर कर हत धाइद पर दरब 5 चराइआ

पतर कलतर ि ससहह 6 बह परीत लगाइआ

खसदआ ही माइआ धह गई 7 पछतह पछताइआ

जम दर बध मारीअह िािक हर भाइआ (12)

इसी भा को परकट करत हए गर अजगि द जी फ़रमात ह सक राजा महाराजा हासकम शासकी असधकारी और धिी लोग परमातमा का भ तागकर अिक ज़लम करक धि एकसतरत करत ह परसत ह धि-दौलत ह साज़ो-सामाि सब मौत क साथ ही ख़तम हो जाता ह

भपत होए क राज कमाइआ कर कर अिरथ सहाझी 8 माइआ

ससचत ससचत थली कीनही परभ उस त डार 9 अर 10 कउ दीनही

काच गगरीआ असभ मझरीआ 11 गरब गरब उआह मह परीआ 12

सिरभउ होइओ भइआ सिहसगा 13 चीत 14 ि आइओ करता ससगा

लसकर जोड़ कीआ ससबाहा 15

सिकससआ फक 16 त होए गइओ सआहा 17 (13)

हमार मि म हमशा ह सचसता रहती ह सक सद हम बईमािी िही करग तो सससार क काम िही चलग परसत सजि लोगो ि अपि जीि म िकी सचचाई और ईमािदारी स काम सला ह सदा ही कहत ह सक ईमािदारी की कमाई म बहत बरकत अथा सख-समसद ह और परभ सस सकसी ि सकसी परकार उिक सभी काग पणग कर दता ह

1 धिी 2 इकटठा करिा 3 ज़हर 4 माा 5 पराा धि 6 सशास 7 माइआगई=माा धोखा द गई धि जाता रहा 8 ख़रीदी भा परात की 9 लकर 10 दसर को 11 पािी क बीच म 12 उआहपरीआ=बार-बार उसी म सगरता ह अथवात उस बार-बार जनम लिा पड़ता ह 13 सिसशचसत 14 ाद 15 इकटठा सका 16 सास सिकल गई 17 राख हो गा अथवात मर गा

भसखआ भख ि उतरी | 15

ह ठीक ह सक अपिी महित और िक कमाई क दारा कोई वसकत ऐशो इशरत तो िही कर सकता परसत ह कमाई मधास शराब इससदरो क भोगो तथा अन कई परकार क दराचार तथा पापो स बचाती ह ह मि म ससतोष तथा परभ का परम और सशास पदा करती ह और सचच परमाथग की िी तार करती ह

भनखआ भख ि उतरीजो लोग सचच सदल स महसस करत ह सक सचचा और सथाी आिसद िक जीि और परभपरासत म ह परसननतापगक हि-हलाल की कमाई का सिम सीकार करत ह जो लोग आचरण की पसतरता और आसतमक आिसद स पसरसचत ह ा जो इसकी परासत क इचछक ह अिसचत ढसग स की गई कमाई का ताग करत ह इस परकार की कमाई का ताग उनह परमाथगरपी हीर-जाहरात की परासत क सलए ईटो-पतथरो की क़बवािी क समाि परतीत होता ह परसत जो लोग इस आिसद स अिजाि ह और सजनह इस परात करि की कोई चाह िही उनह दसिा क िाशाि भोग और धि-दौलत ही सब कछ परतीत होत ह ह िही जाित सक भोग और अिसचत ढसग स कमाा गा धि लोक और परलोक दोिो म ही उिकी ददगशा का कारण बिता ह अतए मिष को चासहए सक जो कछ अपिी हि-हलाल की कमाई स समल उस पर ससतोष कर तथा भोगो क लालच स बच धि की तषणा असगि क समाि ह जो लकड़ी डालि पर कभी भी शधात िही होती बसलक और भड़क उठती ह गर िािक सासहब कहत ह सक सार सससार का धि भी लालची क मि की भख को िही समटा सकता

भसखआ भख ि उतरी ज बसिा परीआ भार 1 (14)

सफ़ी ससत सरमद लोभ को खारी ा ददगशा का कारण बतात ह कहत ह सक लोभी वसकत ज़हरील सापो स ज़ादा ख़तरिाक ह

1 अथवात सभी लोको की धि-दौलत

16 | हि-हलाल की कमाई

सरमद त सज़ ख़लि हच ारी मतलब

अज़ शाख़-बरहिा साा दारी मतलब

इज़ज़त सज़ ििाअत असत ओ खारी सज़ तमअ

बा इज़ज़ात-खश बाश खारी मतलब (15)

अथवात ऐ सरमद त दसिा स सचच ार की उममीद ि कर सबिा पतिो का पड़ सकसी को भी साा िही द सकता लोभ स अपमाि और ससतोष स सममाि परात होता ह सममाि स जी अपमाि की सज़सदगी का तलबगार ि बि

दसिा तलबधा रा सकह गम-दीिार असत

ब समहरी-ए-शाि ब कद गर सबसार असत

अज़ अिरब-ओ-मार हच असदशा मकि

ज़ी िौम हज़र बकि सकह िश-ओ-ख़ार असत (16)

अथवात दसिा क मताल सोि-चादी क सलए तड़पत ह और एक दसर स दशमिी करि क सलए मशहर ह त सापो और सबचछओस स ि डर लसकि इि माा क परसमो स डर सजिक असदर ज़हर और काट भर पड़ ह

गर अजगि द जी फ़रमात ह सक लोभी सदा लोभ की लहरो म डोलता रहता ह ह ोग-अोग भला-बरा िही दखता ह ार समतरो सग-ससबससधो पजा क ोग माता-सपता तथा अपि इषट को लटि म भी लजजा िही करता

ह लोभा लसपट ससग ससरमोरह असिक लहरी कलोलत 1

धासत जीआ बह परकारस असिक भधात बह डोलत

1 हhellipकलोलत=ह लोभ ति बड़-बड़ सशरोमसण परषो को फसाा ह और तरी अिक लहरो म कीड़ा कर रह ह

दो तरह की सति | 17

िच 1 समतरस िच इसटस िच बाध िच मात सपता त लजा

अकरणस करोत अखादय खादयस 2 असाजस साज समजा 3

तराह तराह सरण सआमी सबगात 4 िािक हर िरहरह 5 (17)

जस-जस मिष की इचछाए परी होती जाती ह स ही और बढ़ती जाती ह उस कभी तसत िही समलती तसत कल ससतोष म ही ह ससतोष क सबिा ि कोई त त हो सकता ह और ि ही सकसी का परमाथग बि सकता ह

सहस खट लख कउ उठ धा 6 सतरपत ि आ माइआ पाछ पा

असिक भोग सबसखआ क 7 कर िह सतरपता खप खप मर

सबिा ससतोख िही कोऊ राज 8 सपि मिोरथ सबरथ 9 सभ काज (18)

इसका ह अथग िही सक गर सासहबाि अथा ससत-महातमा लोगो को आजीसका कमाि अथा सधासासरक उननसत करि स रोकत ह ससत सकसी की उननसत ा सकसी क फलि-फलि क सरद िही होत तो कल ही आगरह करत ह सक आसथगक और सधासासरक उननसत सचचाईपणग और िक उपाो दारा करिी चासहए और हमशा महित सत और ईमािदारी स काम लिा चासहए

ससत-महातमा लोगो को धि और माा क लोभ क परसत इससलए होसशार करत ह सक सधासासरकता ा माा उि पर हाी ि हो जाए और सससार म आि क परभपरासत क असली उददश को ि भल जाए

दो तरह की नतिगर िािक सासहब ि आसा की वार म एक ओर तो सधासासरक सति ाल अससतोषी सकारी परष का िक़शा खीचा ह जो बर कममो म परति

1 ि करि ोग काग करता ह 2 ि खाि ोग चीज़ खाता ह 3 असाज सhellipसमजा=ि बिाि ोग सतओस को बिाता तथा इकटठा करता ह 4 सिती करता ह 5 िरहसर परमातमा 6 सहसhellipधा=हज़ार इकटठा कर लि पर लाख क पीछ दौड़ता ह 7 सषो क 8 तत होता 9 वथग

18 | हि-हलाल की कमाई

होकर अपि जीि को बरबाद कर दता ह और मौत क बाद ातिाए पाता ह दसरी ओर सचची महित तथा िक कमाई करिाल ऐस ससतोषी जी का सचतर परसतत सका ह जो सतगर दारा खीची हई लकीर क असदर रहता ह तथा अकालपरष ा परमसपता परमातमा की भसकत करक सदा क सलए उसस समलाप परात कर लता ह सधासासरक तथा भोगी वसकत की असथा का णगि करत हए आप फ़रमात हthinsp

आपीनह भोग भोग क होए भसमड़ भउर ससधाइआ 1

डा होआ 2 दिीदार गल ससगल 3 घत चलाइआ

अग करणी कीरत ाचीऐ बह लखा कर समझाइआ 4

थाउ ि होी पउदीई 5 हण सणीऐ सकआ रआइआ

मि असध जिम गाइआ (19)

आप ससतोषी और धमवातमा परष का णगि इस परकार करत ह

स कीती ससतोखीई सजनही सचो सच सधआइआ

ओनही मसद पर ि रसखओ 6 कर ससकत 7 धरम कमाइआ

ओनही दिीआ तोड़ बसधिा असि पाणी थोड़ा खाइआ

तस बखसीसी अगला 8 सित द ह चड़ह साइआ 9

सडआई 10 डा पाइआ 11 (20)

साधक का असली ससघषग ही काम कोध लोभ मोह अहसकार आसद सकारो क साथ ह और बईमािी की कमाई सकारो की जड़ ह जब अिसचत

1 भसमडhellipनसधाइआ=शरीर जलकर भसम की ढरी हो जाता ह और आतमा परसथाि कर जाती ह 2 मर गा 3 गल म ज़सजीर 4 अगhellipसमझाइआ=आग (मत क बाद) उसक कममो का सरण उस सिाा जाता ह तथा उसक अिसार आग का जीि सलखा जाता ह 5 थाउhellipपउदीई=मदतो की मार पड़त सम कही सथाि िही समलता अथवात सहारा िही समलता 6 ओनहीरनखओ= ग़लत रासत पर िही गए 7 िक कमाई 8 तसअगला=त उनह और असधक दता ह 9 डह साइआ=बढ़ती रहती ह 10 परभ की दा स 11 परभ को परात कर लता ह

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 13: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

पापा बाझहो हो िाही | 13

अपि सपता जी को भज दत थ रोज़ी कमात हए भी आपक मि म पणग राग था

सामी जी महाराज क सपता जी घर क गज़ार क सलए साहकारी सका करत थ सपता जी क दहधात क बाद सामी जी ि सभी िज़गदारो को बलाकर कहा सक जो कोई िज़ज़ की मल रकम चकािा चाह चका द और जो ि लौटािा चाह ह ि लौटाए उनहोि िज़गदारो क सामि िज़ज़ क सार काग़ज़-पतर फाड़ सदए और सद की आमदिी सदा क सलए बसद कर दी

पापा बाझहो हो िाहीससत-महातमा कहत ह सक धि-दौलत पापो क सबिा इकटठी िही होती और असत सम साथ िही जाती गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग धि-दौलत इकटठा करि म खोए हए ह और इस बात पर सचार करि का ति िही करत सक पापो का ऐसा भारी बोझ इकटठा कर रह ह जो अिक लोगो क रहािी सिाश का कारण बि चका ह और अब उिक सिाश का कारण बिगा

इस जर 1 कारण घणी 2 सगती 3 इि जर घणी खआई 4

पापा बाझहो हो िाही मइआ साथ ि जाई (11)

धि जो पाप क सबिा इकटठा िही हो सकता मत क बाद साथ िही जा सकता और परभ की दरगाह म ददगशा का कारण बिता ह ह हमार सलए लाभपरद सकस परकार हो सकता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह सक राजा शासकी असधकारी आसद धि क मोह क अधीि पराी दौलत हसथाकर माा क सष का भसडार इकटठा कर लत ह ासत म लोभ लालच और माा उिको छल लत ह और असत सम उनह म क हाथो चोट सहिी पड़ती ह

1 धि 2 बहत 3 खार हई 4 कमागग पर भटक गई

14 | हि-हलाल की कमाई

भपत राज रसग राए 1 ससचह 2 सबख 3 माइआ 4

कर कर हत धाइद पर दरब 5 चराइआ

पतर कलतर ि ससहह 6 बह परीत लगाइआ

खसदआ ही माइआ धह गई 7 पछतह पछताइआ

जम दर बध मारीअह िािक हर भाइआ (12)

इसी भा को परकट करत हए गर अजगि द जी फ़रमात ह सक राजा महाराजा हासकम शासकी असधकारी और धिी लोग परमातमा का भ तागकर अिक ज़लम करक धि एकसतरत करत ह परसत ह धि-दौलत ह साज़ो-सामाि सब मौत क साथ ही ख़तम हो जाता ह

भपत होए क राज कमाइआ कर कर अिरथ सहाझी 8 माइआ

ससचत ससचत थली कीनही परभ उस त डार 9 अर 10 कउ दीनही

काच गगरीआ असभ मझरीआ 11 गरब गरब उआह मह परीआ 12

सिरभउ होइओ भइआ सिहसगा 13 चीत 14 ि आइओ करता ससगा

लसकर जोड़ कीआ ससबाहा 15

सिकससआ फक 16 त होए गइओ सआहा 17 (13)

हमार मि म हमशा ह सचसता रहती ह सक सद हम बईमािी िही करग तो सससार क काम िही चलग परसत सजि लोगो ि अपि जीि म िकी सचचाई और ईमािदारी स काम सला ह सदा ही कहत ह सक ईमािदारी की कमाई म बहत बरकत अथा सख-समसद ह और परभ सस सकसी ि सकसी परकार उिक सभी काग पणग कर दता ह

1 धिी 2 इकटठा करिा 3 ज़हर 4 माा 5 पराा धि 6 सशास 7 माइआगई=माा धोखा द गई धि जाता रहा 8 ख़रीदी भा परात की 9 लकर 10 दसर को 11 पािी क बीच म 12 उआहपरीआ=बार-बार उसी म सगरता ह अथवात उस बार-बार जनम लिा पड़ता ह 13 सिसशचसत 14 ाद 15 इकटठा सका 16 सास सिकल गई 17 राख हो गा अथवात मर गा

भसखआ भख ि उतरी | 15

ह ठीक ह सक अपिी महित और िक कमाई क दारा कोई वसकत ऐशो इशरत तो िही कर सकता परसत ह कमाई मधास शराब इससदरो क भोगो तथा अन कई परकार क दराचार तथा पापो स बचाती ह ह मि म ससतोष तथा परभ का परम और सशास पदा करती ह और सचच परमाथग की िी तार करती ह

भनखआ भख ि उतरीजो लोग सचच सदल स महसस करत ह सक सचचा और सथाी आिसद िक जीि और परभपरासत म ह परसननतापगक हि-हलाल की कमाई का सिम सीकार करत ह जो लोग आचरण की पसतरता और आसतमक आिसद स पसरसचत ह ा जो इसकी परासत क इचछक ह अिसचत ढसग स की गई कमाई का ताग करत ह इस परकार की कमाई का ताग उनह परमाथगरपी हीर-जाहरात की परासत क सलए ईटो-पतथरो की क़बवािी क समाि परतीत होता ह परसत जो लोग इस आिसद स अिजाि ह और सजनह इस परात करि की कोई चाह िही उनह दसिा क िाशाि भोग और धि-दौलत ही सब कछ परतीत होत ह ह िही जाित सक भोग और अिसचत ढसग स कमाा गा धि लोक और परलोक दोिो म ही उिकी ददगशा का कारण बिता ह अतए मिष को चासहए सक जो कछ अपिी हि-हलाल की कमाई स समल उस पर ससतोष कर तथा भोगो क लालच स बच धि की तषणा असगि क समाि ह जो लकड़ी डालि पर कभी भी शधात िही होती बसलक और भड़क उठती ह गर िािक सासहब कहत ह सक सार सससार का धि भी लालची क मि की भख को िही समटा सकता

भसखआ भख ि उतरी ज बसिा परीआ भार 1 (14)

सफ़ी ससत सरमद लोभ को खारी ा ददगशा का कारण बतात ह कहत ह सक लोभी वसकत ज़हरील सापो स ज़ादा ख़तरिाक ह

1 अथवात सभी लोको की धि-दौलत

16 | हि-हलाल की कमाई

सरमद त सज़ ख़लि हच ारी मतलब

अज़ शाख़-बरहिा साा दारी मतलब

इज़ज़त सज़ ििाअत असत ओ खारी सज़ तमअ

बा इज़ज़ात-खश बाश खारी मतलब (15)

अथवात ऐ सरमद त दसिा स सचच ार की उममीद ि कर सबिा पतिो का पड़ सकसी को भी साा िही द सकता लोभ स अपमाि और ससतोष स सममाि परात होता ह सममाि स जी अपमाि की सज़सदगी का तलबगार ि बि

दसिा तलबधा रा सकह गम-दीिार असत

ब समहरी-ए-शाि ब कद गर सबसार असत

अज़ अिरब-ओ-मार हच असदशा मकि

ज़ी िौम हज़र बकि सकह िश-ओ-ख़ार असत (16)

अथवात दसिा क मताल सोि-चादी क सलए तड़पत ह और एक दसर स दशमिी करि क सलए मशहर ह त सापो और सबचछओस स ि डर लसकि इि माा क परसमो स डर सजिक असदर ज़हर और काट भर पड़ ह

गर अजगि द जी फ़रमात ह सक लोभी सदा लोभ की लहरो म डोलता रहता ह ह ोग-अोग भला-बरा िही दखता ह ार समतरो सग-ससबससधो पजा क ोग माता-सपता तथा अपि इषट को लटि म भी लजजा िही करता

ह लोभा लसपट ससग ससरमोरह असिक लहरी कलोलत 1

धासत जीआ बह परकारस असिक भधात बह डोलत

1 हhellipकलोलत=ह लोभ ति बड़-बड़ सशरोमसण परषो को फसाा ह और तरी अिक लहरो म कीड़ा कर रह ह

दो तरह की सति | 17

िच 1 समतरस िच इसटस िच बाध िच मात सपता त लजा

अकरणस करोत अखादय खादयस 2 असाजस साज समजा 3

तराह तराह सरण सआमी सबगात 4 िािक हर िरहरह 5 (17)

जस-जस मिष की इचछाए परी होती जाती ह स ही और बढ़ती जाती ह उस कभी तसत िही समलती तसत कल ससतोष म ही ह ससतोष क सबिा ि कोई त त हो सकता ह और ि ही सकसी का परमाथग बि सकता ह

सहस खट लख कउ उठ धा 6 सतरपत ि आ माइआ पाछ पा

असिक भोग सबसखआ क 7 कर िह सतरपता खप खप मर

सबिा ससतोख िही कोऊ राज 8 सपि मिोरथ सबरथ 9 सभ काज (18)

इसका ह अथग िही सक गर सासहबाि अथा ससत-महातमा लोगो को आजीसका कमाि अथा सधासासरक उननसत करि स रोकत ह ससत सकसी की उननसत ा सकसी क फलि-फलि क सरद िही होत तो कल ही आगरह करत ह सक आसथगक और सधासासरक उननसत सचचाईपणग और िक उपाो दारा करिी चासहए और हमशा महित सत और ईमािदारी स काम लिा चासहए

ससत-महातमा लोगो को धि और माा क लोभ क परसत इससलए होसशार करत ह सक सधासासरकता ा माा उि पर हाी ि हो जाए और सससार म आि क परभपरासत क असली उददश को ि भल जाए

दो तरह की नतिगर िािक सासहब ि आसा की वार म एक ओर तो सधासासरक सति ाल अससतोषी सकारी परष का िक़शा खीचा ह जो बर कममो म परति

1 ि करि ोग काग करता ह 2 ि खाि ोग चीज़ खाता ह 3 असाज सhellipसमजा=ि बिाि ोग सतओस को बिाता तथा इकटठा करता ह 4 सिती करता ह 5 िरहसर परमातमा 6 सहसhellipधा=हज़ार इकटठा कर लि पर लाख क पीछ दौड़ता ह 7 सषो क 8 तत होता 9 वथग

18 | हि-हलाल की कमाई

होकर अपि जीि को बरबाद कर दता ह और मौत क बाद ातिाए पाता ह दसरी ओर सचची महित तथा िक कमाई करिाल ऐस ससतोषी जी का सचतर परसतत सका ह जो सतगर दारा खीची हई लकीर क असदर रहता ह तथा अकालपरष ा परमसपता परमातमा की भसकत करक सदा क सलए उसस समलाप परात कर लता ह सधासासरक तथा भोगी वसकत की असथा का णगि करत हए आप फ़रमात हthinsp

आपीनह भोग भोग क होए भसमड़ भउर ससधाइआ 1

डा होआ 2 दिीदार गल ससगल 3 घत चलाइआ

अग करणी कीरत ाचीऐ बह लखा कर समझाइआ 4

थाउ ि होी पउदीई 5 हण सणीऐ सकआ रआइआ

मि असध जिम गाइआ (19)

आप ससतोषी और धमवातमा परष का णगि इस परकार करत ह

स कीती ससतोखीई सजनही सचो सच सधआइआ

ओनही मसद पर ि रसखओ 6 कर ससकत 7 धरम कमाइआ

ओनही दिीआ तोड़ बसधिा असि पाणी थोड़ा खाइआ

तस बखसीसी अगला 8 सित द ह चड़ह साइआ 9

सडआई 10 डा पाइआ 11 (20)

साधक का असली ससघषग ही काम कोध लोभ मोह अहसकार आसद सकारो क साथ ह और बईमािी की कमाई सकारो की जड़ ह जब अिसचत

1 भसमडhellipनसधाइआ=शरीर जलकर भसम की ढरी हो जाता ह और आतमा परसथाि कर जाती ह 2 मर गा 3 गल म ज़सजीर 4 अगhellipसमझाइआ=आग (मत क बाद) उसक कममो का सरण उस सिाा जाता ह तथा उसक अिसार आग का जीि सलखा जाता ह 5 थाउhellipपउदीई=मदतो की मार पड़त सम कही सथाि िही समलता अथवात सहारा िही समलता 6 ओनहीरनखओ= ग़लत रासत पर िही गए 7 िक कमाई 8 तसअगला=त उनह और असधक दता ह 9 डह साइआ=बढ़ती रहती ह 10 परभ की दा स 11 परभ को परात कर लता ह

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 14: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

14 | हि-हलाल की कमाई

भपत राज रसग राए 1 ससचह 2 सबख 3 माइआ 4

कर कर हत धाइद पर दरब 5 चराइआ

पतर कलतर ि ससहह 6 बह परीत लगाइआ

खसदआ ही माइआ धह गई 7 पछतह पछताइआ

जम दर बध मारीअह िािक हर भाइआ (12)

इसी भा को परकट करत हए गर अजगि द जी फ़रमात ह सक राजा महाराजा हासकम शासकी असधकारी और धिी लोग परमातमा का भ तागकर अिक ज़लम करक धि एकसतरत करत ह परसत ह धि-दौलत ह साज़ो-सामाि सब मौत क साथ ही ख़तम हो जाता ह

भपत होए क राज कमाइआ कर कर अिरथ सहाझी 8 माइआ

ससचत ससचत थली कीनही परभ उस त डार 9 अर 10 कउ दीनही

काच गगरीआ असभ मझरीआ 11 गरब गरब उआह मह परीआ 12

सिरभउ होइओ भइआ सिहसगा 13 चीत 14 ि आइओ करता ससगा

लसकर जोड़ कीआ ससबाहा 15

सिकससआ फक 16 त होए गइओ सआहा 17 (13)

हमार मि म हमशा ह सचसता रहती ह सक सद हम बईमािी िही करग तो सससार क काम िही चलग परसत सजि लोगो ि अपि जीि म िकी सचचाई और ईमािदारी स काम सला ह सदा ही कहत ह सक ईमािदारी की कमाई म बहत बरकत अथा सख-समसद ह और परभ सस सकसी ि सकसी परकार उिक सभी काग पणग कर दता ह

1 धिी 2 इकटठा करिा 3 ज़हर 4 माा 5 पराा धि 6 सशास 7 माइआगई=माा धोखा द गई धि जाता रहा 8 ख़रीदी भा परात की 9 लकर 10 दसर को 11 पािी क बीच म 12 उआहपरीआ=बार-बार उसी म सगरता ह अथवात उस बार-बार जनम लिा पड़ता ह 13 सिसशचसत 14 ाद 15 इकटठा सका 16 सास सिकल गई 17 राख हो गा अथवात मर गा

भसखआ भख ि उतरी | 15

ह ठीक ह सक अपिी महित और िक कमाई क दारा कोई वसकत ऐशो इशरत तो िही कर सकता परसत ह कमाई मधास शराब इससदरो क भोगो तथा अन कई परकार क दराचार तथा पापो स बचाती ह ह मि म ससतोष तथा परभ का परम और सशास पदा करती ह और सचच परमाथग की िी तार करती ह

भनखआ भख ि उतरीजो लोग सचच सदल स महसस करत ह सक सचचा और सथाी आिसद िक जीि और परभपरासत म ह परसननतापगक हि-हलाल की कमाई का सिम सीकार करत ह जो लोग आचरण की पसतरता और आसतमक आिसद स पसरसचत ह ा जो इसकी परासत क इचछक ह अिसचत ढसग स की गई कमाई का ताग करत ह इस परकार की कमाई का ताग उनह परमाथगरपी हीर-जाहरात की परासत क सलए ईटो-पतथरो की क़बवािी क समाि परतीत होता ह परसत जो लोग इस आिसद स अिजाि ह और सजनह इस परात करि की कोई चाह िही उनह दसिा क िाशाि भोग और धि-दौलत ही सब कछ परतीत होत ह ह िही जाित सक भोग और अिसचत ढसग स कमाा गा धि लोक और परलोक दोिो म ही उिकी ददगशा का कारण बिता ह अतए मिष को चासहए सक जो कछ अपिी हि-हलाल की कमाई स समल उस पर ससतोष कर तथा भोगो क लालच स बच धि की तषणा असगि क समाि ह जो लकड़ी डालि पर कभी भी शधात िही होती बसलक और भड़क उठती ह गर िािक सासहब कहत ह सक सार सससार का धि भी लालची क मि की भख को िही समटा सकता

भसखआ भख ि उतरी ज बसिा परीआ भार 1 (14)

सफ़ी ससत सरमद लोभ को खारी ा ददगशा का कारण बतात ह कहत ह सक लोभी वसकत ज़हरील सापो स ज़ादा ख़तरिाक ह

1 अथवात सभी लोको की धि-दौलत

16 | हि-हलाल की कमाई

सरमद त सज़ ख़लि हच ारी मतलब

अज़ शाख़-बरहिा साा दारी मतलब

इज़ज़त सज़ ििाअत असत ओ खारी सज़ तमअ

बा इज़ज़ात-खश बाश खारी मतलब (15)

अथवात ऐ सरमद त दसिा स सचच ार की उममीद ि कर सबिा पतिो का पड़ सकसी को भी साा िही द सकता लोभ स अपमाि और ससतोष स सममाि परात होता ह सममाि स जी अपमाि की सज़सदगी का तलबगार ि बि

दसिा तलबधा रा सकह गम-दीिार असत

ब समहरी-ए-शाि ब कद गर सबसार असत

अज़ अिरब-ओ-मार हच असदशा मकि

ज़ी िौम हज़र बकि सकह िश-ओ-ख़ार असत (16)

अथवात दसिा क मताल सोि-चादी क सलए तड़पत ह और एक दसर स दशमिी करि क सलए मशहर ह त सापो और सबचछओस स ि डर लसकि इि माा क परसमो स डर सजिक असदर ज़हर और काट भर पड़ ह

गर अजगि द जी फ़रमात ह सक लोभी सदा लोभ की लहरो म डोलता रहता ह ह ोग-अोग भला-बरा िही दखता ह ार समतरो सग-ससबससधो पजा क ोग माता-सपता तथा अपि इषट को लटि म भी लजजा िही करता

ह लोभा लसपट ससग ससरमोरह असिक लहरी कलोलत 1

धासत जीआ बह परकारस असिक भधात बह डोलत

1 हhellipकलोलत=ह लोभ ति बड़-बड़ सशरोमसण परषो को फसाा ह और तरी अिक लहरो म कीड़ा कर रह ह

दो तरह की सति | 17

िच 1 समतरस िच इसटस िच बाध िच मात सपता त लजा

अकरणस करोत अखादय खादयस 2 असाजस साज समजा 3

तराह तराह सरण सआमी सबगात 4 िािक हर िरहरह 5 (17)

जस-जस मिष की इचछाए परी होती जाती ह स ही और बढ़ती जाती ह उस कभी तसत िही समलती तसत कल ससतोष म ही ह ससतोष क सबिा ि कोई त त हो सकता ह और ि ही सकसी का परमाथग बि सकता ह

सहस खट लख कउ उठ धा 6 सतरपत ि आ माइआ पाछ पा

असिक भोग सबसखआ क 7 कर िह सतरपता खप खप मर

सबिा ससतोख िही कोऊ राज 8 सपि मिोरथ सबरथ 9 सभ काज (18)

इसका ह अथग िही सक गर सासहबाि अथा ससत-महातमा लोगो को आजीसका कमाि अथा सधासासरक उननसत करि स रोकत ह ससत सकसी की उननसत ा सकसी क फलि-फलि क सरद िही होत तो कल ही आगरह करत ह सक आसथगक और सधासासरक उननसत सचचाईपणग और िक उपाो दारा करिी चासहए और हमशा महित सत और ईमािदारी स काम लिा चासहए

ससत-महातमा लोगो को धि और माा क लोभ क परसत इससलए होसशार करत ह सक सधासासरकता ा माा उि पर हाी ि हो जाए और सससार म आि क परभपरासत क असली उददश को ि भल जाए

दो तरह की नतिगर िािक सासहब ि आसा की वार म एक ओर तो सधासासरक सति ाल अससतोषी सकारी परष का िक़शा खीचा ह जो बर कममो म परति

1 ि करि ोग काग करता ह 2 ि खाि ोग चीज़ खाता ह 3 असाज सhellipसमजा=ि बिाि ोग सतओस को बिाता तथा इकटठा करता ह 4 सिती करता ह 5 िरहसर परमातमा 6 सहसhellipधा=हज़ार इकटठा कर लि पर लाख क पीछ दौड़ता ह 7 सषो क 8 तत होता 9 वथग

18 | हि-हलाल की कमाई

होकर अपि जीि को बरबाद कर दता ह और मौत क बाद ातिाए पाता ह दसरी ओर सचची महित तथा िक कमाई करिाल ऐस ससतोषी जी का सचतर परसतत सका ह जो सतगर दारा खीची हई लकीर क असदर रहता ह तथा अकालपरष ा परमसपता परमातमा की भसकत करक सदा क सलए उसस समलाप परात कर लता ह सधासासरक तथा भोगी वसकत की असथा का णगि करत हए आप फ़रमात हthinsp

आपीनह भोग भोग क होए भसमड़ भउर ससधाइआ 1

डा होआ 2 दिीदार गल ससगल 3 घत चलाइआ

अग करणी कीरत ाचीऐ बह लखा कर समझाइआ 4

थाउ ि होी पउदीई 5 हण सणीऐ सकआ रआइआ

मि असध जिम गाइआ (19)

आप ससतोषी और धमवातमा परष का णगि इस परकार करत ह

स कीती ससतोखीई सजनही सचो सच सधआइआ

ओनही मसद पर ि रसखओ 6 कर ससकत 7 धरम कमाइआ

ओनही दिीआ तोड़ बसधिा असि पाणी थोड़ा खाइआ

तस बखसीसी अगला 8 सित द ह चड़ह साइआ 9

सडआई 10 डा पाइआ 11 (20)

साधक का असली ससघषग ही काम कोध लोभ मोह अहसकार आसद सकारो क साथ ह और बईमािी की कमाई सकारो की जड़ ह जब अिसचत

1 भसमडhellipनसधाइआ=शरीर जलकर भसम की ढरी हो जाता ह और आतमा परसथाि कर जाती ह 2 मर गा 3 गल म ज़सजीर 4 अगhellipसमझाइआ=आग (मत क बाद) उसक कममो का सरण उस सिाा जाता ह तथा उसक अिसार आग का जीि सलखा जाता ह 5 थाउhellipपउदीई=मदतो की मार पड़त सम कही सथाि िही समलता अथवात सहारा िही समलता 6 ओनहीरनखओ= ग़लत रासत पर िही गए 7 िक कमाई 8 तसअगला=त उनह और असधक दता ह 9 डह साइआ=बढ़ती रहती ह 10 परभ की दा स 11 परभ को परात कर लता ह

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 15: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

भसखआ भख ि उतरी | 15

ह ठीक ह सक अपिी महित और िक कमाई क दारा कोई वसकत ऐशो इशरत तो िही कर सकता परसत ह कमाई मधास शराब इससदरो क भोगो तथा अन कई परकार क दराचार तथा पापो स बचाती ह ह मि म ससतोष तथा परभ का परम और सशास पदा करती ह और सचच परमाथग की िी तार करती ह

भनखआ भख ि उतरीजो लोग सचच सदल स महसस करत ह सक सचचा और सथाी आिसद िक जीि और परभपरासत म ह परसननतापगक हि-हलाल की कमाई का सिम सीकार करत ह जो लोग आचरण की पसतरता और आसतमक आिसद स पसरसचत ह ा जो इसकी परासत क इचछक ह अिसचत ढसग स की गई कमाई का ताग करत ह इस परकार की कमाई का ताग उनह परमाथगरपी हीर-जाहरात की परासत क सलए ईटो-पतथरो की क़बवािी क समाि परतीत होता ह परसत जो लोग इस आिसद स अिजाि ह और सजनह इस परात करि की कोई चाह िही उनह दसिा क िाशाि भोग और धि-दौलत ही सब कछ परतीत होत ह ह िही जाित सक भोग और अिसचत ढसग स कमाा गा धि लोक और परलोक दोिो म ही उिकी ददगशा का कारण बिता ह अतए मिष को चासहए सक जो कछ अपिी हि-हलाल की कमाई स समल उस पर ससतोष कर तथा भोगो क लालच स बच धि की तषणा असगि क समाि ह जो लकड़ी डालि पर कभी भी शधात िही होती बसलक और भड़क उठती ह गर िािक सासहब कहत ह सक सार सससार का धि भी लालची क मि की भख को िही समटा सकता

भसखआ भख ि उतरी ज बसिा परीआ भार 1 (14)

सफ़ी ससत सरमद लोभ को खारी ा ददगशा का कारण बतात ह कहत ह सक लोभी वसकत ज़हरील सापो स ज़ादा ख़तरिाक ह

1 अथवात सभी लोको की धि-दौलत

16 | हि-हलाल की कमाई

सरमद त सज़ ख़लि हच ारी मतलब

अज़ शाख़-बरहिा साा दारी मतलब

इज़ज़त सज़ ििाअत असत ओ खारी सज़ तमअ

बा इज़ज़ात-खश बाश खारी मतलब (15)

अथवात ऐ सरमद त दसिा स सचच ार की उममीद ि कर सबिा पतिो का पड़ सकसी को भी साा िही द सकता लोभ स अपमाि और ससतोष स सममाि परात होता ह सममाि स जी अपमाि की सज़सदगी का तलबगार ि बि

दसिा तलबधा रा सकह गम-दीिार असत

ब समहरी-ए-शाि ब कद गर सबसार असत

अज़ अिरब-ओ-मार हच असदशा मकि

ज़ी िौम हज़र बकि सकह िश-ओ-ख़ार असत (16)

अथवात दसिा क मताल सोि-चादी क सलए तड़पत ह और एक दसर स दशमिी करि क सलए मशहर ह त सापो और सबचछओस स ि डर लसकि इि माा क परसमो स डर सजिक असदर ज़हर और काट भर पड़ ह

गर अजगि द जी फ़रमात ह सक लोभी सदा लोभ की लहरो म डोलता रहता ह ह ोग-अोग भला-बरा िही दखता ह ार समतरो सग-ससबससधो पजा क ोग माता-सपता तथा अपि इषट को लटि म भी लजजा िही करता

ह लोभा लसपट ससग ससरमोरह असिक लहरी कलोलत 1

धासत जीआ बह परकारस असिक भधात बह डोलत

1 हhellipकलोलत=ह लोभ ति बड़-बड़ सशरोमसण परषो को फसाा ह और तरी अिक लहरो म कीड़ा कर रह ह

दो तरह की सति | 17

िच 1 समतरस िच इसटस िच बाध िच मात सपता त लजा

अकरणस करोत अखादय खादयस 2 असाजस साज समजा 3

तराह तराह सरण सआमी सबगात 4 िािक हर िरहरह 5 (17)

जस-जस मिष की इचछाए परी होती जाती ह स ही और बढ़ती जाती ह उस कभी तसत िही समलती तसत कल ससतोष म ही ह ससतोष क सबिा ि कोई त त हो सकता ह और ि ही सकसी का परमाथग बि सकता ह

सहस खट लख कउ उठ धा 6 सतरपत ि आ माइआ पाछ पा

असिक भोग सबसखआ क 7 कर िह सतरपता खप खप मर

सबिा ससतोख िही कोऊ राज 8 सपि मिोरथ सबरथ 9 सभ काज (18)

इसका ह अथग िही सक गर सासहबाि अथा ससत-महातमा लोगो को आजीसका कमाि अथा सधासासरक उननसत करि स रोकत ह ससत सकसी की उननसत ा सकसी क फलि-फलि क सरद िही होत तो कल ही आगरह करत ह सक आसथगक और सधासासरक उननसत सचचाईपणग और िक उपाो दारा करिी चासहए और हमशा महित सत और ईमािदारी स काम लिा चासहए

ससत-महातमा लोगो को धि और माा क लोभ क परसत इससलए होसशार करत ह सक सधासासरकता ा माा उि पर हाी ि हो जाए और सससार म आि क परभपरासत क असली उददश को ि भल जाए

दो तरह की नतिगर िािक सासहब ि आसा की वार म एक ओर तो सधासासरक सति ाल अससतोषी सकारी परष का िक़शा खीचा ह जो बर कममो म परति

1 ि करि ोग काग करता ह 2 ि खाि ोग चीज़ खाता ह 3 असाज सhellipसमजा=ि बिाि ोग सतओस को बिाता तथा इकटठा करता ह 4 सिती करता ह 5 िरहसर परमातमा 6 सहसhellipधा=हज़ार इकटठा कर लि पर लाख क पीछ दौड़ता ह 7 सषो क 8 तत होता 9 वथग

18 | हि-हलाल की कमाई

होकर अपि जीि को बरबाद कर दता ह और मौत क बाद ातिाए पाता ह दसरी ओर सचची महित तथा िक कमाई करिाल ऐस ससतोषी जी का सचतर परसतत सका ह जो सतगर दारा खीची हई लकीर क असदर रहता ह तथा अकालपरष ा परमसपता परमातमा की भसकत करक सदा क सलए उसस समलाप परात कर लता ह सधासासरक तथा भोगी वसकत की असथा का णगि करत हए आप फ़रमात हthinsp

आपीनह भोग भोग क होए भसमड़ भउर ससधाइआ 1

डा होआ 2 दिीदार गल ससगल 3 घत चलाइआ

अग करणी कीरत ाचीऐ बह लखा कर समझाइआ 4

थाउ ि होी पउदीई 5 हण सणीऐ सकआ रआइआ

मि असध जिम गाइआ (19)

आप ससतोषी और धमवातमा परष का णगि इस परकार करत ह

स कीती ससतोखीई सजनही सचो सच सधआइआ

ओनही मसद पर ि रसखओ 6 कर ससकत 7 धरम कमाइआ

ओनही दिीआ तोड़ बसधिा असि पाणी थोड़ा खाइआ

तस बखसीसी अगला 8 सित द ह चड़ह साइआ 9

सडआई 10 डा पाइआ 11 (20)

साधक का असली ससघषग ही काम कोध लोभ मोह अहसकार आसद सकारो क साथ ह और बईमािी की कमाई सकारो की जड़ ह जब अिसचत

1 भसमडhellipनसधाइआ=शरीर जलकर भसम की ढरी हो जाता ह और आतमा परसथाि कर जाती ह 2 मर गा 3 गल म ज़सजीर 4 अगhellipसमझाइआ=आग (मत क बाद) उसक कममो का सरण उस सिाा जाता ह तथा उसक अिसार आग का जीि सलखा जाता ह 5 थाउhellipपउदीई=मदतो की मार पड़त सम कही सथाि िही समलता अथवात सहारा िही समलता 6 ओनहीरनखओ= ग़लत रासत पर िही गए 7 िक कमाई 8 तसअगला=त उनह और असधक दता ह 9 डह साइआ=बढ़ती रहती ह 10 परभ की दा स 11 परभ को परात कर लता ह

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 16: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

16 | हि-हलाल की कमाई

सरमद त सज़ ख़लि हच ारी मतलब

अज़ शाख़-बरहिा साा दारी मतलब

इज़ज़त सज़ ििाअत असत ओ खारी सज़ तमअ

बा इज़ज़ात-खश बाश खारी मतलब (15)

अथवात ऐ सरमद त दसिा स सचच ार की उममीद ि कर सबिा पतिो का पड़ सकसी को भी साा िही द सकता लोभ स अपमाि और ससतोष स सममाि परात होता ह सममाि स जी अपमाि की सज़सदगी का तलबगार ि बि

दसिा तलबधा रा सकह गम-दीिार असत

ब समहरी-ए-शाि ब कद गर सबसार असत

अज़ अिरब-ओ-मार हच असदशा मकि

ज़ी िौम हज़र बकि सकह िश-ओ-ख़ार असत (16)

अथवात दसिा क मताल सोि-चादी क सलए तड़पत ह और एक दसर स दशमिी करि क सलए मशहर ह त सापो और सबचछओस स ि डर लसकि इि माा क परसमो स डर सजिक असदर ज़हर और काट भर पड़ ह

गर अजगि द जी फ़रमात ह सक लोभी सदा लोभ की लहरो म डोलता रहता ह ह ोग-अोग भला-बरा िही दखता ह ार समतरो सग-ससबससधो पजा क ोग माता-सपता तथा अपि इषट को लटि म भी लजजा िही करता

ह लोभा लसपट ससग ससरमोरह असिक लहरी कलोलत 1

धासत जीआ बह परकारस असिक भधात बह डोलत

1 हhellipकलोलत=ह लोभ ति बड़-बड़ सशरोमसण परषो को फसाा ह और तरी अिक लहरो म कीड़ा कर रह ह

दो तरह की सति | 17

िच 1 समतरस िच इसटस िच बाध िच मात सपता त लजा

अकरणस करोत अखादय खादयस 2 असाजस साज समजा 3

तराह तराह सरण सआमी सबगात 4 िािक हर िरहरह 5 (17)

जस-जस मिष की इचछाए परी होती जाती ह स ही और बढ़ती जाती ह उस कभी तसत िही समलती तसत कल ससतोष म ही ह ससतोष क सबिा ि कोई त त हो सकता ह और ि ही सकसी का परमाथग बि सकता ह

सहस खट लख कउ उठ धा 6 सतरपत ि आ माइआ पाछ पा

असिक भोग सबसखआ क 7 कर िह सतरपता खप खप मर

सबिा ससतोख िही कोऊ राज 8 सपि मिोरथ सबरथ 9 सभ काज (18)

इसका ह अथग िही सक गर सासहबाि अथा ससत-महातमा लोगो को आजीसका कमाि अथा सधासासरक उननसत करि स रोकत ह ससत सकसी की उननसत ा सकसी क फलि-फलि क सरद िही होत तो कल ही आगरह करत ह सक आसथगक और सधासासरक उननसत सचचाईपणग और िक उपाो दारा करिी चासहए और हमशा महित सत और ईमािदारी स काम लिा चासहए

ससत-महातमा लोगो को धि और माा क लोभ क परसत इससलए होसशार करत ह सक सधासासरकता ा माा उि पर हाी ि हो जाए और सससार म आि क परभपरासत क असली उददश को ि भल जाए

दो तरह की नतिगर िािक सासहब ि आसा की वार म एक ओर तो सधासासरक सति ाल अससतोषी सकारी परष का िक़शा खीचा ह जो बर कममो म परति

1 ि करि ोग काग करता ह 2 ि खाि ोग चीज़ खाता ह 3 असाज सhellipसमजा=ि बिाि ोग सतओस को बिाता तथा इकटठा करता ह 4 सिती करता ह 5 िरहसर परमातमा 6 सहसhellipधा=हज़ार इकटठा कर लि पर लाख क पीछ दौड़ता ह 7 सषो क 8 तत होता 9 वथग

18 | हि-हलाल की कमाई

होकर अपि जीि को बरबाद कर दता ह और मौत क बाद ातिाए पाता ह दसरी ओर सचची महित तथा िक कमाई करिाल ऐस ससतोषी जी का सचतर परसतत सका ह जो सतगर दारा खीची हई लकीर क असदर रहता ह तथा अकालपरष ा परमसपता परमातमा की भसकत करक सदा क सलए उसस समलाप परात कर लता ह सधासासरक तथा भोगी वसकत की असथा का णगि करत हए आप फ़रमात हthinsp

आपीनह भोग भोग क होए भसमड़ भउर ससधाइआ 1

डा होआ 2 दिीदार गल ससगल 3 घत चलाइआ

अग करणी कीरत ाचीऐ बह लखा कर समझाइआ 4

थाउ ि होी पउदीई 5 हण सणीऐ सकआ रआइआ

मि असध जिम गाइआ (19)

आप ससतोषी और धमवातमा परष का णगि इस परकार करत ह

स कीती ससतोखीई सजनही सचो सच सधआइआ

ओनही मसद पर ि रसखओ 6 कर ससकत 7 धरम कमाइआ

ओनही दिीआ तोड़ बसधिा असि पाणी थोड़ा खाइआ

तस बखसीसी अगला 8 सित द ह चड़ह साइआ 9

सडआई 10 डा पाइआ 11 (20)

साधक का असली ससघषग ही काम कोध लोभ मोह अहसकार आसद सकारो क साथ ह और बईमािी की कमाई सकारो की जड़ ह जब अिसचत

1 भसमडhellipनसधाइआ=शरीर जलकर भसम की ढरी हो जाता ह और आतमा परसथाि कर जाती ह 2 मर गा 3 गल म ज़सजीर 4 अगhellipसमझाइआ=आग (मत क बाद) उसक कममो का सरण उस सिाा जाता ह तथा उसक अिसार आग का जीि सलखा जाता ह 5 थाउhellipपउदीई=मदतो की मार पड़त सम कही सथाि िही समलता अथवात सहारा िही समलता 6 ओनहीरनखओ= ग़लत रासत पर िही गए 7 िक कमाई 8 तसअगला=त उनह और असधक दता ह 9 डह साइआ=बढ़ती रहती ह 10 परभ की दा स 11 परभ को परात कर लता ह

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 17: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

दो तरह की सति | 17

िच 1 समतरस िच इसटस िच बाध िच मात सपता त लजा

अकरणस करोत अखादय खादयस 2 असाजस साज समजा 3

तराह तराह सरण सआमी सबगात 4 िािक हर िरहरह 5 (17)

जस-जस मिष की इचछाए परी होती जाती ह स ही और बढ़ती जाती ह उस कभी तसत िही समलती तसत कल ससतोष म ही ह ससतोष क सबिा ि कोई त त हो सकता ह और ि ही सकसी का परमाथग बि सकता ह

सहस खट लख कउ उठ धा 6 सतरपत ि आ माइआ पाछ पा

असिक भोग सबसखआ क 7 कर िह सतरपता खप खप मर

सबिा ससतोख िही कोऊ राज 8 सपि मिोरथ सबरथ 9 सभ काज (18)

इसका ह अथग िही सक गर सासहबाि अथा ससत-महातमा लोगो को आजीसका कमाि अथा सधासासरक उननसत करि स रोकत ह ससत सकसी की उननसत ा सकसी क फलि-फलि क सरद िही होत तो कल ही आगरह करत ह सक आसथगक और सधासासरक उननसत सचचाईपणग और िक उपाो दारा करिी चासहए और हमशा महित सत और ईमािदारी स काम लिा चासहए

ससत-महातमा लोगो को धि और माा क लोभ क परसत इससलए होसशार करत ह सक सधासासरकता ा माा उि पर हाी ि हो जाए और सससार म आि क परभपरासत क असली उददश को ि भल जाए

दो तरह की नतिगर िािक सासहब ि आसा की वार म एक ओर तो सधासासरक सति ाल अससतोषी सकारी परष का िक़शा खीचा ह जो बर कममो म परति

1 ि करि ोग काग करता ह 2 ि खाि ोग चीज़ खाता ह 3 असाज सhellipसमजा=ि बिाि ोग सतओस को बिाता तथा इकटठा करता ह 4 सिती करता ह 5 िरहसर परमातमा 6 सहसhellipधा=हज़ार इकटठा कर लि पर लाख क पीछ दौड़ता ह 7 सषो क 8 तत होता 9 वथग

18 | हि-हलाल की कमाई

होकर अपि जीि को बरबाद कर दता ह और मौत क बाद ातिाए पाता ह दसरी ओर सचची महित तथा िक कमाई करिाल ऐस ससतोषी जी का सचतर परसतत सका ह जो सतगर दारा खीची हई लकीर क असदर रहता ह तथा अकालपरष ा परमसपता परमातमा की भसकत करक सदा क सलए उसस समलाप परात कर लता ह सधासासरक तथा भोगी वसकत की असथा का णगि करत हए आप फ़रमात हthinsp

आपीनह भोग भोग क होए भसमड़ भउर ससधाइआ 1

डा होआ 2 दिीदार गल ससगल 3 घत चलाइआ

अग करणी कीरत ाचीऐ बह लखा कर समझाइआ 4

थाउ ि होी पउदीई 5 हण सणीऐ सकआ रआइआ

मि असध जिम गाइआ (19)

आप ससतोषी और धमवातमा परष का णगि इस परकार करत ह

स कीती ससतोखीई सजनही सचो सच सधआइआ

ओनही मसद पर ि रसखओ 6 कर ससकत 7 धरम कमाइआ

ओनही दिीआ तोड़ बसधिा असि पाणी थोड़ा खाइआ

तस बखसीसी अगला 8 सित द ह चड़ह साइआ 9

सडआई 10 डा पाइआ 11 (20)

साधक का असली ससघषग ही काम कोध लोभ मोह अहसकार आसद सकारो क साथ ह और बईमािी की कमाई सकारो की जड़ ह जब अिसचत

1 भसमडhellipनसधाइआ=शरीर जलकर भसम की ढरी हो जाता ह और आतमा परसथाि कर जाती ह 2 मर गा 3 गल म ज़सजीर 4 अगhellipसमझाइआ=आग (मत क बाद) उसक कममो का सरण उस सिाा जाता ह तथा उसक अिसार आग का जीि सलखा जाता ह 5 थाउhellipपउदीई=मदतो की मार पड़त सम कही सथाि िही समलता अथवात सहारा िही समलता 6 ओनहीरनखओ= ग़लत रासत पर िही गए 7 िक कमाई 8 तसअगला=त उनह और असधक दता ह 9 डह साइआ=बढ़ती रहती ह 10 परभ की दा स 11 परभ को परात कर लता ह

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 18: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

18 | हि-हलाल की कमाई

होकर अपि जीि को बरबाद कर दता ह और मौत क बाद ातिाए पाता ह दसरी ओर सचची महित तथा िक कमाई करिाल ऐस ससतोषी जी का सचतर परसतत सका ह जो सतगर दारा खीची हई लकीर क असदर रहता ह तथा अकालपरष ा परमसपता परमातमा की भसकत करक सदा क सलए उसस समलाप परात कर लता ह सधासासरक तथा भोगी वसकत की असथा का णगि करत हए आप फ़रमात हthinsp

आपीनह भोग भोग क होए भसमड़ भउर ससधाइआ 1

डा होआ 2 दिीदार गल ससगल 3 घत चलाइआ

अग करणी कीरत ाचीऐ बह लखा कर समझाइआ 4

थाउ ि होी पउदीई 5 हण सणीऐ सकआ रआइआ

मि असध जिम गाइआ (19)

आप ससतोषी और धमवातमा परष का णगि इस परकार करत ह

स कीती ससतोखीई सजनही सचो सच सधआइआ

ओनही मसद पर ि रसखओ 6 कर ससकत 7 धरम कमाइआ

ओनही दिीआ तोड़ बसधिा असि पाणी थोड़ा खाइआ

तस बखसीसी अगला 8 सित द ह चड़ह साइआ 9

सडआई 10 डा पाइआ 11 (20)

साधक का असली ससघषग ही काम कोध लोभ मोह अहसकार आसद सकारो क साथ ह और बईमािी की कमाई सकारो की जड़ ह जब अिसचत

1 भसमडhellipनसधाइआ=शरीर जलकर भसम की ढरी हो जाता ह और आतमा परसथाि कर जाती ह 2 मर गा 3 गल म ज़सजीर 4 अगhellipसमझाइआ=आग (मत क बाद) उसक कममो का सरण उस सिाा जाता ह तथा उसक अिसार आग का जीि सलखा जाता ह 5 थाउhellipपउदीई=मदतो की मार पड़त सम कही सथाि िही समलता अथवात सहारा िही समलता 6 ओनहीरनखओ= ग़लत रासत पर िही गए 7 िक कमाई 8 तसअगला=त उनह और असधक दता ह 9 डह साइआ=बढ़ती रहती ह 10 परभ की दा स 11 परभ को परात कर लता ह

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

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ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 19: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

दो तरह की सति | 19

ढसग स धि परात सका जाता ह तो ऐस धि क साथ ऐब और पाप अपि आप ही आ जात ह कोई सरला भागशाली जी ही उिस बच सकता ह सष-सकार ऐब और पाप जीो को सगराि तथा उिकी रहािी उननसत को िषट करि क सलए मि और माा दारा सबछाा गा एक ज़बरदसत जाल ह इसक सपरीत हि-हलाल की कमाई सबर ससतोष सहिशीलता तथा परभ की रज़ा अथा मौज को सीकार करि की भािा पदा करती ह ह जी को मि और माा की टक तागकर परमातमा की शरण म आि का बल परदाि करती ह जो लोग बईमािी दारा पसा इकटठा करि म अपिी चतराई ा सलाित समझत ह असल म रत की दीार खड़ी कर रह ह परमाथज़ी की बसदमािी ोगता और चतराई तो िक कमाई म ही ह कोसक जो लोग बाहर दसिाी लोभ स ऊपर िही उठ सकत असदर मि और माा क अिक धोखो और परलोभिो का भी सामिा िही कर सक ग

आसतसरक रहािी मागग म ऋसदा-सससदा परमाथज़ी की शसकत िषट करि क सलए अिक परकार क लालच और परलोभि दती ह जो लोग बाहर क परलोभिो क सामि दढ़ िही रहत असदर क परलोभिो का भी मिाबला िही कर सकत पराए धि तथा अिीसत ा हर-फर की कमाई का लोभ जी को रहासित की बादशाहत स दर रखि क सलए माा दारा खड़ा सका गा चतर ठग ह इससलए परमाथज़ी को इसस हमशा साधाि रहिा चासहए

सचच अभासी को इस भरम स सिकलि का ति करिा चासहए सक दाि-पण आसद जस शभ कमग पापो को धो सकत ह कबीर सासहब ऐस वसकत की सति पर आशचग परकट करत ह जो असहरि की चोरी करक सई का दाि दता ह और सफर आशा करता ह सक ऐस दाि क फलसरप भगाि समल जाए

असहरि 1 की चोरी कर कर सई का दाि

ऊचा चसढ़ कर दखता कसतक दर समाि (21)

1 ह लोहा सजस पर लोहार लोह को पीटता ह

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 20: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

20 | हि-हलाल की कमाई

गर िािक सासहब फ़रमात ह सक लोग पहल चोरी ठगी धोखा हरा-फरी आसद दारा पराा धि इकटठा करत ह और बाद म सपता दादा आसद क सिसमति दाि-पण हि ज शाद आसद करत ह परसत ह िही जाित सक परभ की दरगाह म ह चोरी और अिीसत का धि पहचाि सला जाएगा और उनह पण क फल क सथाि पर सज़ा भोगिी पड़गी गर सासहब सपषट करत ह सक परभ की दरगाह म कल हि-हलाल की कमाई म स सदए दाि का शभ फल समलता ह चोरी ठगी तथा बईमािी की कमाई म स सकए गए अथा मत क बाद दसरो दारा सकए गए दाि-पण आसद का िही

ज मोहाका 1 घर मह घर मह 2 सपतरी द

अग 3 सत ससञाणीऐ 4 सपतरी चोर कर

ढीअह हथ दलाल क मसफी एह कर 5

िािक अग सो समल ज खट घाल द (22)

परमसर थ डनर रससत दाद दाल जी ि आजीि धसि का वसा करत हए ईमािदारी क साथ अपिा सिवाह सका और साथ ही परमाथग की साधिा की आप सशषो और अभाससो को उपदश दत ह सक मिष को अपि कममो का लखा अश दिा पड़ता ह इससलए हर बर कमग स बचिा चासहए लि-दि और वहार म सचचाई और िीत साफ़ होिी चासहए इस सिम को तोड़िा ज़हर पीि क समाि ह सजसस मिष की रहासित िषट हो जाती ह

डसर र डसर परमसर थ डसर र

लखा ल भसर भसर द ता थ बरा ि कसर र

1 चोर 2 (सकसी क) घर म चोरी कर 3 परलोक म 4 चोरी की सत पहचाि ली जाएगी 5 ढीअहhellipकर=ह ना सका जाएगा सक कमग कराि ाल पससडत क हाथ काट जाएग

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 21: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

परमसर थ डसर र | 21

साचा लीजी साचा दीजी साचा सौदा कीजी र

साचा राखी झठा िाखी सबष िा पीजी र 1 (23)

ससत दसरा सासहब (सबहाराल) पराए माल क सलए ललचािाल को चतािी दत ह सक जो मिष कई उपाो दारा पराा माल हसथा लता ह और लाखो का सामी बि जाता ह मौत क सम उसस ह माल सछि जाता ह और उस मदतो क हाथो ातिाए सहिी पड़ती ह

बह सबसध माल सबरािी हसरा पसा लाख बटोर

जाकर माल त छीसि लीनहौ घचि लाग कोर (24)

साई बललशाह पराा हि छीििाल को साधाि करत ह सक ऐसा करक ह कममो का भारी बोझ इकटठा कर रहा ह का ह िही जािता सक उस दोबारा जनम लकर ह िज़ग चकािा पड़गा इस तरह ह मिष-जीि की अिमोल बाज़ी जए म हार रहा ह और लाखो का खत वथग ही लटा रहा ह

हक पराा जातो िाही

खा कर भार उठागा

फर िा आकर बदला दस

लाखी 2 खत लटा गा

दाअ 3 ला क सच जग द जए

सजति दम हरा गा (25)

आप उि लोगो को सधककारत ह जो ईशर स षिमा मागकर और सदख़ोरी स तोबा करक सफर सदख़ोरी करत ह ा जो अपिी धमगपसतको की िसम खाकर कहत ह सक आग स पराा माल िही हसथाएग लसकि मौिा तलाश करक उस सफर हसथा लत ह

1 ताग दो 2 लाखो का बहमल 3 दा

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 22: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

22 | हि-हलाल की कमाई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार 1

कसी तौबा ह एह ार

सा द क ल साई

ाधधा दी तस बाज़ी लाई

मसलमािी एह सकथो आई

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार

सजतथ िा जािा ओथ जाएस

माल पराा मह धर खाएस

कड़ सकताबधा ससर त चाएस

एह तरा इतबार

सिति पढ़िा एस इसतग़फ़ार

कसी तौबा ह एह ार (26)

गर पीर हामा ता भरबाइबल म परा ा हि छीिि की मिाही की गई ह सट पॉल ि अपि एक पतर म सलखा हः सबको उिका हि दो सजिक टकस तमहार सज़मम ह उनह टकस दो और सजिका लगाि दिा ह उनह लगाि दो (27) मज़दरो का हि छीििाल को इस परकार चता िी दी गई ह mdash lsquoदखो उि मज़दरो की ओर सजनहोि तमहार खत काट ह और सजिकी मज़दरी तमि धोख स छीि ली ह पकार करत ह और उिकी चीख़ मासलक तक पहच गई ह (अथवात परमातमा उिकी पकार अिसिी िही कर सकता और तमह सज़ा दगा) rsquo (28)

दस धमवादशो (टन कमाडमटस) म स एक ह हः तम चोरी िही करोग (29) एक अन कमाडमट क अिसारः पड़ोसी की सकसी भी चीज़ की इचछा करिा तक मिा ह (30)

1 ईशर स पापो की षिमा ाचिा करिा

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 23: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

गर पीर हामा ता भर | 23

क़राि शरीफ़ म भी कहा गा ह सक एक-दसर का धि धोख स मत छीिो और ि हासकमो को सरशत दो (31) एक अन सथाि पर फ़रमाा गा हः जब तोलि लगो परा तोलो और ठीक तराज़ स तोलो (32)

असल म पराए धि और अिसचत ढसग स कमाए धि का लालच इतिा परबल होता ह सक साधारण जी तो का कई परमाथज़ी परष भी इसक लोभ स िही बच पात हम सोचत ह सक पसा सजस तरह स भी कमाा जा सक कमा ल और सफर थोड़ा-बहत साधससगत की सा म ख़चग कर द सजसस अपि आप ही सब कछ ठीक हो जाएगा ह ठीक ह सक ि दि स दिा अचछा ह कोसक इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह सष-सकार बीमारी मिददम आसद म लगिाला धि िक काम म लगता ह धीर-धीर िक कमाई करि की पररणा और शसकत समलती ह और जी ग़लत मागग स हटकर ठीक मागग की ओर परति होता ह परसत जो लाभ िक और पसतर कमाई म स परमाथग म लगाए धि का होता ह उसका मिाबला िही सका जा सकता हज़र महाराज साि सससह जी कहा करत थ सक सतससगी भजि-ससमरि चाह कम कर लसकि बर कममो बईमािी की कमाई तथा धोख और छल स ज़रर बच कोसक भजि की कमी सकसी ि सकसी सम परी हो सकती ह परसत ठगी छल कपट और बईमािी तो परमाथग की जड़ ही काट दत ह और पराए धि का सहसाब चकाि क सलए जी को दोबारा जनम भी लिा पड़ सकता ह गर िािक सासहब ि पराए हि को छीििा सहसदओस क सलए गा तथा मसलमािो क सलए सअर का मधास खाि क समाि बताा ह आप फ़रमात ह सक परभ की दरगाह म सतगर अपि सशष का पषि तभी लत ह तभी उसकी सहमात करत ह सद ह उिकी खीची हई लकीर म रहता ह और मरदार ािी पराए धि स बचता ह

हक पराइआ िािका उस सअर उस गा

गर पीर हामा ता भर जा मरदार ि खाए (33)

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 24: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

24 | हि-हलाल की कमाई

ससकख इसतहास बताता ह सक गरघर दारा दशमधाश जमा करि क सलए सिकत मससद 1 mdash सजिको शर म उिक परम शदा और सा-भा क सलए मससद बिाा जाता था mdash सम बीति क साथ ख़द इस दशमधाश का उपभोग करि लग पसरणामसरप उिका आचरण सगर गा उिकी सशष होि की ऊची और पसतर भािा जाती रही और अिक परकार की करीसतो क सशकार भी हो गए हालत हा तक पहच गई सक गर गोसबनद सससह जी को उिक सरद बहत कठोर िदम उठाि पड़ और उिक साथ हर परकार का मलजोल और लि-दि बसद करिा पड़ा ासत म स ा ा भट क धि का सही उपोग भी कोई पणग महातमा ही कर सकता ह कबीर सासहब फ़रमात ह

गर सबि माला फरता गर सबि करता दाि

गर सबि सब सिसफल गा बझौ बद पराि (34)

दाि सकप गक दिा चासहए ऐस लोगो को दाि दिा उसचत िही ह जो दाि स परात धि को शराब आसद म ख़चग करत ह ऐसा दाि जी क बसधि का कारण बिता ह परसत परमातमा क साथ अभद हो चक महातमाओस क सझा क अिसार लोकसहत म लगाा गा धि परमाथग म सहाक होता ह गर अमरदास जी फ़रमात ह

ति मि धि सभ सउप गर कउ हकम मससिऐ पाईऐ (35)

गरमत पणग जािी सतगर क बताए मागग और आदश पर चलि का िाम ह ह ससदधात पणग गर क सशष की ससपणग रहिी पर लाग होता ह और दाि-पण आसद का सष भी इसम शासमल ह परससद आधासतमक कस भाई गरदास जी फ़रमात ह

गरससखी दा करम एह गर फरमाए गर ससख करणा (36)

1 आमदिी का दसा भाग इकटठा करिाला असधकारी

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 25: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

गर पीर हामा ता भर | 25

पससडत परोसहत महसत भाई मलला पादरी तथा मससदरो मससजदो गरदारो सतससग घरो आसद क परबसधक भी इस भरम का सशकार हो जात ह सक दाि का धि ऐश आराम और सलास का बहत आसाि साधि ह इस भािा को सजतिी जलदी ताग सदा जाए अचछा ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक गहसथ और दसिादार लोग अिक कामिाए मि म रखकर दाि दत ह साध कहलािाल जो लोग समझत ह सक इस पराए धि को हज़म कर लग अपि आप को धोखा द रह ह

सगरही का टकड़ा बरा दो दो आगल दात

भजि कर तो ऊबर िातर काढ़ आत (37)

गर गोसबनद सससह क सष म परससद ह सक उनहोि एक बार सा और भट का बहत-सा धि िदी म सफस का सदा लसकि अपि ज़ररतमसद सशषो को िही सदा कारण पछ जाि पर आपि फ़रमाा सक चढ़ा का धि ज़हर क समाि होता ह सशष सतगर क बट-बसटो क समाि होत ह और कोई भी सपता अपि बचचो को ज़हर िही सखला सकता

गर अमरदास जी फ़रमात ह सक ोगी लोग घर-घर सभषिा मागत सफरत ह ह भल जात ह सक इस तरह परात सकए हए पस-पस और दाि-दाि का सहसाब दिा पड़ता ह पहल तो दसिा का कसथत ताग कर दिा और सफर उसी दसिा क आग हाथ फलािा ि बसदमतिा की सिशािी ह ि ोग की गर सासहब कहत ह सक घर-घर मागि का िाम ोग ा फ़िीरी िही ह जो लोग पराए धि और दाि पर सिभगर रहत ह मिष-चोल और साध क भष दोिो पर दाग़ लगात ह सधासासरक आशा-तषणा स ऊपर उठकर कल िाम की ाचिा करिाल ही सचच साध और फ़िीर होत ह और ही अपि मिष-जनम को सफल करत ह

जोगी होा जग भा घर घर भीसखआ लउ

दरगह लखा मसगीऐ सकस सकस उतर दउ  (38)

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 26: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

26 | हि-हलाल की कमाई

दरसी को जाणसी सरला को दरस

ज घर घर हसढ 1 मसगदा सधग जीण सधग स  ज आसा असदसा तज रह गरमख सभसखआ िाउ 2सतस क चरि पखालीअह 3 िािक हउ बसलहार जाउ  (39)

दाद सासहब फ़रमात ह सक परमातमा क सचच भकत ि तीथग-सथािो और िो म जाकर रहत ह ि वरत आसद बसहमगखी सकाओस म उलझत ह और ि कभी भीख मागत ह सससार स कोई आशा िही रखत

तीरथ बरत ि बिखसड बासा मासग ि खाइ िही जग आसा  (40)

पलट सासहब बड़ ज़ोरदार शबदो म कहत ह सक सजि बराहमणो और पसडो ि दो और पराणो का टीका करक लोगो को समझाि क बहाि अपिी दकाि चला रखी ह बाहर स तो बड़ धमवातमा सदखाई दत ह पर ासत म उिका मि माा क हाथो सबका हआ ह

बद पराि पससडत बाच करता अपिी दकाि ह जी

अरथ को बसझ क टीका कर माा म मि सबकाि ह जी (41)

हसस ग ि घोघीससतो क जीि का सचतरण करत हए पलट सासहब उिकी ऊची रहिी की ओर ससकत करत हए फ़रमात ह सक ससतो का जीि धीरज सबर ससतोष स पसरपणग होता ह उिक मि म दसिा की कोई चाह िही होती सजस परकार हसस कभी घोघ िही चगत और शर कभी घास िही खात उसी परकार ससतजि कभी सभषिा िही मागत

1 सफरता ह भटकता ह 2 िाम की सभषिा 3 धोइए

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 27: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

हसस चग ि घोघी | 27

सोई ससत होइ जा रह जो ऐसी रहिी

मख स बोल साच कर कछ उजजल करिी helliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphelliphellip

मि म कर सतोष तसिक िा कबह लाग  (42)

भीख ि माग ससत जि कसह ग पलटदास

हसस चग िा घोघी सससह चर ि घास (43)

पलट सासहब ि आट-दाल की दकाि करक सिवाह सका कभी सकसी क आग हाथ िही फलाए और ि सकसी स कोई भट सीकार की

हज़रत सलताि बाह ि भी सदािो और हासफ़ज़ो की आलोचिा करत हए कहा ह सक अपिी सदतिा पर गग तो बहत करत ह लसकि उस गली-गली बचत सफरत ह उिक लोक और परलोक दोिो िषट हो जात ह

पढ़ पढ़ आसलम करि तकबबर 1 हासफ़ज़ 2 करि डाई ह

गसलधा द सच सफरि सिमाण बग़ल सकताबधा चाई ह

सजतथ खण चसगा चोखा पढ़ि कलाम साई ह

दोही जहािी मटठ 3 सजनहधा खाधी च कमाई ह (44)

सपषट ह सक धमगपसतको क जाि को इस तरह रोज़ी का साधि बिा लिा ससत-महातमाओस की दसषट म हि-हलाल की कमाई िही ह लोगो स पस लकर उिक सलए ऊच सर म सकसी धमगगरसथ का पाठ करिा ा उसकी वाखा करिा तो उनह धोखा दिा ह लटिा ह कोसक इसस उनह कोई पण-लाभ िही होता इस परकार की अपसतर कमाई भीख की कमाई ा पराा धि छीिकर की गई कमाई स बहतर िही ह

1 घमसड 2 सजनह क़राि ज़बािी ाद हो 3 ठग गए लट गए

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

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परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 28: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

28 | हि-हलाल की कमाई

िाम बचकर अपिी रोज़ी कमाि की भी ससतो ि सखत मिाही की ह िाम सदा जाता ह इस बचा िही जाता हज़र महाराज चरि सससह जी सतससग म अकसर फ़रमाा करत थ सक िाम की दौलत ससतो को मफ़त समलती ह और उस मफ़त ही दत ह गर िािक द जी फ़रमात ह सक जो िाम को बचत ह उिक जीि को सधककार ह उिकी परमाथग की खती उजड़ जाती ह और असत सम म साथ ल जाि क सलए उिक पास कछ भी िही रह जाता सचच शम क सबिा परमातमा की दरगाह म कभी माि परात िही होता

सरिग सतिा का जीसआ ज सलख सलख चह िाउ

खती सजि की उजड़ खलाड़ सकआ थाउ 1

सच सरम 2 बाहर अग लहह ि दाद 3 (45)

सपषट ह सक गर िािक द जी क अिसार िाम का बचिा महित करिा िही ह इस िक ा हि-हलाल की कमाई िही कहा जा सकता कछ लोग परमाथग का मागग बताि सतससग करि तथा िाम दि क बदल सजजासओस स भट दसषिणा फ़ीस आसद लत ह परसत सचच ससत-महातमाओस ि ऐसी कमाई को सिसदा ोग कहा ह ऐस लोग अपिी आधासतमक परासत तो खो ही बठत ह उिक अिाी भी ऐस गरओस स कोई लाभ परात िही करत

महाि सफ़ी दरश बाबा फ़रीद क बार म सभी जाित ह सक उिका जीि सादगी पसतरता सबर और ससतोष का जीता-जागता दषटधात ह आपक सशष जसगल म स लकसड़ा काटकर अपिा गज़ारा सका करत थ आपि अपि सशषो को कठोर सहदात दी हई थी सक अगर लसगर म सकसी चीज़ की कमी आ जाए तो उसक सबिा गज़ारा कर लिा लसकि

1 खलाडhellipथाउ=उिक खत म फ़सल का ढर िही लग सकता 2 शम 3 अगhellipदाद=परभ की दरगाह म उसकी कोई िदर िही होगी

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 29: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

हसस चग ि घोघी | 29

सकसी क आग हाथ ि फलािा आप दसरो पर सिभगर होि क बजा मौत को बहतर समझत थ

फरीदा बार पराइऐ बसणा सधाई मझ ि दह

ज त ए रखसी जीउ सरीरहो लह (46)

अथवात ऐ मासलक मझ अपिी इचछा परी करि क सलए पराए दर पर ि जािा पड़ इसस अचछा तो ह होगा सक मझ मौत द द

आप फ़रमात ह सक अपिी कमाई स मिष को सद सादा ा मामली खािा समल तो भी उस ससतषट रहिा चासहए दसरो क सासदषट भोजि को दखकर ललचािा िही चासहए

रखी सखी खाए क ठसढा पाणी पीउ

फरीदा दख पराई चोपड़ी िा तरसाए जीउ (47)

एक बार एक फ़िीर साई शरफ़ददीि ि हज़र महाराज साि सससह जी की स ा म बड़ी दीिता क साथ िामदाि क सलए पराथगिा की उसि गल म कफ़िी डाली हई थी और ह लोगो क दाि पर गज़ारा करता था हज़र ि उस िाम दि स इिकार कर सदा उसक अज़ग करि पर हज़र महाराज जी ि फ़रमाा lsquoिाम क अभास क सलए हि-हलाल की कमाई ज़ररी ह जो शखस अपिी रोटी आप िही कमाता उस िाम दि स का फ़ादाrsquo दसर सदि साई ि कफ़िी उतार दी साधारण कपड़ पहि सलए और कलहाड़ी लकर लकड़ी काटि का काम शर कर सदा इस पर हज़र ि उस िाम दकर अपिी ससगत म शासमल कर सला हज़र महाराज साि सससह जी मौलािा रम का ह कलाम अकसर सिाा करत थ सजसम मौलािा ि फ़रमाा ह सक ख़दा की इबादत क सलए हि-हलाल की रोटी ज़ररी ह हराम की रोटी स दख और कषट पदा होत ह हि-हलाल की रोटी स इिसाि म ख़दा का िर परी ऊचाई पर पहचता ह हि-हलाल की रोटी स बसदगी का शौि और परभ स

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 30: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

30 | हि-हलाल की कमाई

समलाप का पकका इरादा पदा होता ह परभ का जाि और बोध पदा होता ह इसस हद म कोमलता और परभपरम उतपनन होता ह सजस रोटी स तझ अपि असदर ईषवा अजािता और आलस पदा होत सदखाई द उस त हराम की रोटी समझ 1

ससतो क निजी तितातएक िही अिक पणग ससतो क उपदश तथा उिक जीि क तिधात हमार सामि ह ससत िामद जी ि सारी उमर कपड़ रगकर और ससलकर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका ससत रसदास जी ि जीि भर जसता गाठ-गाठकर अपिा सिवाह सका हालासक राजा पीपा तथा म ाड़ की रािी मीराबाई आपक सशषो म स थ एक बार मीराबाई एक िीमती हीरा ज़बरदसती आपकी झोपड़ी म छोड़ती हई आपस कह गई सक इस बचकर आराम स सज़सदगी बसर कर आप ह जो जसता गाठि का काम करक अपिा गज़ारा करत ह इसक कारण मझ लोगो क ताि सिि पड़त ह और बड़ी शमग महसस होती ह पर काफ़ी सम क बाद ह जब सफर अपि गरद स समलि आई तो दखा सक ही झोपड़ी ह और ही जसता गाठि का काम जारी ह हीरा ही पड़ा था जहा ह रख गई थी उस हराि और दखी दखकर रसदास जी ि कहा सक बटी मझ जो कछ भी समला ह जसता गाठ-गाठकर गज़ारा करत हए ही समला ह अगर तझ मर पास आि म शमग महसस होती ह तो घर बठ ही भजि-ससमरि कर सला कर

ससत रसदास जी ि अपिी ाणी म िक कमाई क सष को कई पहलओस स सपषट सका ह सबस पहल आप हमार इस भरम को दर करत ह सक परमातमा की भसकत कल घर-बार का ताग करक जसगलो

1 बहर-ताअत लक़मए बाद हलाल ता ि अफ़ज़ाद तरा रसजो-मलाल (48)

लकमए क-आ िर अफ़ज़दो-कमाल आ ब द आदवा अज़ कसब-हलाल (49)

ज़ाद अज़ लकमा हलाल अनदर दहा मल सख़दमत अज़म-रफ़ति आ जहा (50)

इलमो-सहकमत ज़ाद अज़ लक़मा हलाल इशको-सरक़ित ज़ाद अज़ लक़मा हलाल च सज़ लक़माए त हसद बीिी दाम सजहलो-ग़फ़लत ज़ाद आ रा दा हराम (51)

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 31: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

ससतो क सिजी तिधात | 31

पहाड़ो गफाओस आसद म सछपकर अथा हठ-कममो क दारा ही की जा सकती ह आप फ़रमात ह सक सजस वसकत को एक राम और दसर सचच शम पर भरोसा ह उसका जीि सफल ह गहसथ म रहत हए मिष को िाम का अभास करिा चासहए घर को तागकर ि म भटकि का कोई फ़ादा िही ह बसलक िक कमाई करत हए घर म रहत हए अभास करि स घर बठ ही परभ का समलाप हो सकता ह

एक भरोसो राम को अर भरोसो सतिकार 1 सफल होइह जीिा कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (52)

गरहसहस रहह ससत करम करह हरदम सचसतह ओसकार

lsquoरसदासrsquo हमारो बधाधला हइ कल िाम अधार (53)

िक कमाई जउ करसह गरह तसज बि िसहस जा

lsquoरसदासrsquo हमारो राम रा गह मससह समसलसह आ (54)

महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म कई बार समझात थ सक घर-बार का ताग कर दि स हमार मि म मासलक की भसकत का ज़ादा शौि पदा िही हो जाता और ि ही इस परकार क ताग दारा जीि की मल आशकताए mdash रोटी कपड़ा और ससर पर छत mdash ख़तम हो सकती ह जसगल म भी पट रोटी मागता ह ति ढकि क सलए कपड की ज़ररत पड़ती ह और ससर पर सकसी छत ा छाा की घर-बार तागकर हम अपिा बोझ ख़द उठाि क बदल दसरो पर ा समाज पर डाल दत ह

ससत िामद ससत रसदास ससत कबीर और गर िािक सासहब ि सपषट रप स समझाा ह सक मिष सससार का कामकाज करत हए भी परभ क िाम का ससमरि कर सकता ह ससत रसदास जी फ़रमात ह सक जो परमी अपि हाथ काग की ओर तथा हद परभ की ओर लगाए रखता ह परभ सस ऐस भकत क घर जा पहचत ह

1 सचचा शम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 32: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

32 | हि-हलाल की कमाई

सजहा भज हसर िाम सित हतथ करसहस सित काम

lsquoरसदासrsquo भए सिहसचसत हम मम सचसत करग राम (55)

सजहबा सो ओसकार जप हतथि सो कर कार

राम समलसहस घर आइ कर कसह lsquoरसदासrsquo सबचार (56)

ससत िामद जी भी कहत ह सक म कपड़ रगि और सीि म लगा रहता ह परसत परभ क िाम को एक षिण क सलए भी िही भलता

रधागि रधागउ सीि सीउ राम िाम सबि घरीअ ि जीउ  (57)

िामद जी अपि भकत को समझात हए कहत ह सक ह सतरलोचि हाथ-परो स शम करत हए अपिा सचति परमसपता परमातमा म लगाए रखो

िामा कह सतलोचिा मख त राम ससमहाल

हाथ पाउ कर काम सभ चीत सिरसजि िाल  (58)

पर धि पर दारा परहरीिामद जी का कथि ह सक जो वसकत पराए धि और पराी सतरी स दर रहता ह परमातमा उसक सिकट बसता ह

पर धि पर दारा परहरी ता क सिकट बस िरहरी  (59)

ही बात पाची शताबदी म सलखी िीसत-कथाओस की परससद सससकत पसतक पसचतसतर म इि शबदो म वकत की गई ह

माततपरदाशससत परदरवासण लोषटत

आतमतसगभतासि पशसत स पशसत (60)

अथवात बसदमाि ही ह जो पराी सतरी को माता क समाि पराए धि को ढल क समाि तथा सब परासणो को अपि समाि समझता हो

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 33: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

िक कमाई | 33

शर की तरह ज़लम करक अपिी रोज़ी कमािाल वसकत को िामद जी ि महाठग कहा ह

सससघच भोजि जो िर जाि ऐस ही ठगदउ बखाि  (61)

िक कमाईससतो ि ह सचार भी बलप गक परकट सका ह सक पसरशम का जासत-पासत स कोई ससबसध िही ह और कोई भी वसा छोटा ा सिमि िही ह सजस भी सदाचारपणग काग क दारा हम ईमािदारी क साथ अपिी जीसका कमा सक ही काम अचछा ह और रहािी तरककी म हमारी सहाता करता ह गर रसदास जी ि ससकसरत ा िक कमाई को इतिा महत सदा ह सक आपि सकत को ही सचचा धमग सचची शधासत का सोत और भसागर स पार होि क सलए सरल तथा उतिम साधि मािा ह आप कहत ह सक परमाथग क परमी को शम को ही ईशर माित हए िक कमाई म लग रहिा चासहए ऐसा सकत मिष क रहािी अभास म सहाक होकर उस परभपरासत क मागग पर दढ़तापगक चलि की पररणा दता ह

lsquoरसदासrsquo हौ सिज हतथसहस राखौ रधाबी आर

ससकसरत ही मम धरम ह तारगा भ पार (62)

सम कउ ईसर जासि क जउ पजसह सदि रि

lsquoरसदासrsquo सतनहसह सससार मसह सदा समलसह सख चि (63)

परसत आप सपषट करत ह सक कल शम ही काफ़ी िही ह शम का िक और पसतर होिा भी अतसत आशक ह सजिक पास धमग अथा िीसतपणग शमसाधिा (हि-हलाल की कमाई) और परभभसकत का दोहरा साधि होता ह उिकी कमाई और उिकी साधिा फलीभत होती ह और उिका जीि सफल होता ह

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 34: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

34 | हि-हलाल की कमाई

धरम करम दोइ एक ह समसझ लह मि मासहस

धरम सबिा जौ करम ह lsquoरसदासrsquo ि सख सतस मधासह  (64)

lsquoरसदासrsquo सम कसर खाइसह जौ लौ पार बसा

िक कमाई जउ करइ कबहस ि सिहफल जा  (65)

परभ भगसत सम साधिा जग मसह सजनहसहस पास

सतनहसहस जीि सफल भो सति भाख lsquoरसदासrsquo  (66)

गर सासहबाि ि पसरशम करि िक कमाई करि और िाम जपि क साथ-साथ अपि कमाए धि का बाटकर उपभोग करि पर भी ज़ोर सदा ह अन कई धममो तथा धमगपसतको म अपिी िक कमाई म स दशमधाश परमाथग म ख़चग करि का उपदश सदा गा ह सजस दाल दाता ि सब कछ सदा ह उसकी बखशी हई कमाई म स कछ असश उसक सिसमति ख़चग करिा उसका शकािा अदा करि तथा उसक परसत अपिी कतजता परकट करि का एक ढसग ह इसस धि का मोह घटता ह कमाई सफल होती ह कममो का बोझ हलका होता ह और परमाथग म उननसत होती ह कबीर सासहब फ़रमात ह सक सद घर म पसा बढ़ जाए तो ह लगभग ऐसा ही ह जस िा म पािी बढ़ जाता ह तथा उसक डबि का भ होता ह सजस परकार िा म बठा वसकत दोिो हाथो स उलीचकर पािी बाहर सिकालता ह इसी परकार बसदमाि वसकत को भी चासहए सक बढ़त हए धि म स मकत हसत ज़ररतमसदो पर ख़चग कर

जो जल बाढ़ िा म घर म बाढ़ दाम

दोऊ हाथ उलीसच सह सजजि कौ काम  (67)

दाि दिा अचछा ह अपिी कमाई म स औरो को बाटकर उस कमाई का उपोग करिा अचछा ह परसत ऐस दाि तथा बाटि का आधार िकी और ईमािदारी की कमाई होिी चासहए धोख बईमािी ा लट की कमाई िही

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 35: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

िक कमाई | 35

ससत िामद जी रसदास जी कबीर सासहब तथा गर सासहबाि की समसाल तो कछ दर की ह परसत आज क सम म भी बाबा जमल सससह जी महाराज हज़र महाराज साि सससह जी सरदार बहादर जगत सससह जी महाराज तथा महाराज चरि सससह जी की समसाल हमार सामि ह बाबा जमल सससह जी ि सामी जी महाराज स आगरा म िामदाि परात सका सतगर की दा-महर स थोड़ सम म ही आपको ससत गसत परात हो गई आपि सामी जी महाराज स सिती की सक म बािी सारा जीि आपक चरणो म सबतािा चाहता ह सामी जी महाराज ि ख़द सारी उमर हि-हलाल की कमाई करत हए साधससगत की मफ़त स ा की थी आपि बाबा जी महाराज क सामि भी ही आदशग रखत हए फ़रमाा lsquoसतससगी को सससार म साथग और परमाथग दोिो कमाि चासहए अगर ताग म रहोग तो पराा अनन खािा पड़गा माथा टकि और स ा करिाल तमहारी कमाई लट लग अपि गज़ार क सलए अभासी को कोई ि कोई काम करिा चासहए भजि-ससमरि म तरककी क सलए हि-हलाल की कमाई स गज़र करिा ज़ररी ह rsquo (68) सतगर क आदश का पालि करत हए बाबा जी महाराज फ़ौज म भरती हो गए बतिीस साल तक फ़ौज म िौकरी करक अपिा गज़ारा सका तथा बािी सारा जीि अपिी पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की सा म सबताा

िकी तथा हि-हलाल की कमाई क सष म बाबा जी महाराज एक पतर म सलखत ह

मिष ि अपि हि की कमाई छोड़कर दसर का हि

फ़रब (धोख) स खािा अचछा समझा ह ह िही समझा

सक जो मासलक ि मझ सदा ह सो मर खाि क सलए सदा

ह सो म िौ सहसस ख़द खाऊ और दसा सहससा मरा िही

ह मर पदा करि ाल मासलक का ह मरा उसक साथ िरार

(ादा) ह सक म अपिी कमाई म स दसा सहससा मासलक

को दगा ह इस मिष ि िही समझा ह जो-जो इसि

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 36: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

36 | हि-हलाल की कमाई

बड़ाई पाई तो-तो इसि अपि स जो छोट ा अदि थ ज़ोर

ा ठगी स उिकी कमाई खािा अचछा समझा और अपिी

कमाई ा तो जमा की ा फ़ज़ल ख़चग कर दी ऐस बर काग

करक सजिका खाा था उिका आग जाकर ज़रर चकािा

भी था सो जनम ल-लकर ह चकाा ढोर पश गधा

बि-बिकर जी इससलए ह समझ लो सक अपिी हि की

कमाई क ससा कभी सकसी का िही खािा चासहए ह

परमाथग की पहली सीढ़ी ह चाह सारी दसिा का राजा हो

तब भी मिष को अपि हि की अपि हाथो कमाई करक

खािी चासहए सो अपिी िौकरी हि की कमाई करो

आप भी खाओ औरो को भी दो घरालो को भी दो और

थाशसकत साधससगत को भी दो  (69)

इसी ऊच पसतर आदशग पर हज़र महाराज साि सससह जी सारी उमर दढ़तापगक चलत रह आप फ़ौज क इसजीसिसरसग सभाग म सब-सडसज़िल अफ़सर थ आपि परी लगि और महित क साथ िौकरी करत हए ईमािदारी की समसाल िाम की और अपिी िक कमाई म स खल सदल स साध-ससतो की सा म धि ख़चग सका जब आप कोहमरी म सिकत थ तब आपका घर साधओस और ज़ररतमसदो की स ा क सलए परससद था बाबा जी महाराज स िामदाि लि क बाद अपिी कमाई म स सजतिा पसा बाबा जी महाराज का हकम होता अपि तथा पसरार क ख़चग क सलए रखकर बािी सारा ति बाबा जी महाराज क पास साधससगत की सा क सलए भज दत थ बाबा जी महाराज आपकी हि-हलाल की कमाई ससगत पर ख़चग करक बहत परसनन होत थ बाबा जी महाराज दारा महाराज साि सससह जी को सलख पतरो स पता चलता ह सक डर म पहला कआ शर-शर की कई इमारत तथा सामीबाग़ आगरा म बाबा जी ि जो कमर बिाए हज़र की िक कमाई स बि थ

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 37: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

िक कमाई | 37

ससत दरदशज़ी होत ह महाराज साि सससह जी ि बाराल (समसटगमरी और लालपर का एक असश) भाग म अचछी उपजाऊ ज़मीि खरीदि क सलए बाबा जी महाराज स आजा मागी परसत बाबा जी महाराज ि आजा िही दी बाबा जी महाराज ि फ़रमाा सक तमहारी हि-हलाल की कमाई ह ह बार कई बार बसी ह और कई बार उजड़ी ह म तमको ऐस सथाि पर ज़मीि सदलाऊगा जहा स तमह और तमहार पसरार को कभी उजड़िा ि पड़ तथा तमहारी पीसढ़ा आराम क साथ गज़ारा करती हई साधससगत की स ा कर सक

हज़र महाराज जी ि फ़ौज की िौकरी स सरटार होि क बाद ससरसा क िज़दीक ऐसी भसम ससत भा म ख़रीद ली जहा उस सम ससफ़ग रत ही रत थी बाबा जी महाराज क चिो का महत और भा उस सम परकट हआ जब बार का इलािा पासकसताि म चला गा तथा ससरसा क इलाि म िहर पहचि क कारण हा की धरती बहत उपजाऊ सासबत हई

हज़र महाराज साि सससह जी ि अपिी सरकारी िौकरी पर अपिा तथा अपि पसरार का गज़ारा सका तथा स ा-सिसति और गरपद को सभालि क बाद अपिी पशि तथा खती की आमदिी स अपिा तथा अपि पसरार का पालि-पोषण सका आप जब तरितारि जात थ तो परा कोसढ़ो क आशम म जाकर कोसढ़ो को समठाई बाटत और आशम क सलए कछ दाि भी दत थ हज़र महाराज जी सकसी स कछ लत िही थ ससफ़ग दिा ही जाित थ सजस परकार एक सपता अपि बचचो को परम क साथ ईिाम दता ह इसी परकार आपक सदए हए रप कई सतसससगो ि अभी तक ार क साथ सभालकर रख हए ह सतरह ससतसबर 1947 को असोज की ससकधासत (पहली तारीख़) का सतससग था सतससग की समासत पर हज़र ि फ़रमाा lsquoमि सारी उमर अपिी हि-हलाल की कमाई पर गज़ारा करक बाबा जी महाराज क हकम की तामील की ह ससगत का एक पसा भी कभी अपि सिजी काम म इसतमाल िही सका बसलक सतससग स अपि सिजी काम क सलए बतौर िज़ग भी कभी

38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

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38 | हि-हलाल की कमाई

कछ िही सला बाहर सतससग करि जाि क सलए डर की मोटर का इसतमाल ज़रर सका ह ा हो सकता ह सक कभी बाग़ स सबज़ी लकर बीबी रली 1 ि बिा ली हो इि दोिो क सलए म ससगत स माफ़ी मागता ह मझ सकसी स अगर कछ लिा ह तो ह छोड़ता ह अगर सकसी का मझ कछ दिा हो तो ह बता द और ल ल rsquo हज़र ि सफर फ़रमाा lsquoसजस सकसी को मि कभी कछ िमग-गमग कहा हो ह मझ माफ़ कर द rsquo सतगर क मखारससद स चि सिकर सारी ससगत की आख भर आई कोसक ह एक परकार स सतगर की ओर स घोषणा थी सक अपिा काग पणग करक परमधाम जा रह ह

एक सदि डर म हज़र ि एक सादार शी गोपाल सससह लटठा को चालीस रप सदए और फ़रमाा lsquoकई साल पहल मर दफ़तर म एक अदगली था उसि रप मर पास रख थ एक बार ह छटटी लकर गा और सफर लौटकर िही आा म उसका रासता दखता रहा उसक सरशतदारो और ासरसो की बहत तलाश की सक रपा उसक बाल-बचचो को द द मगर कोई पता ि चला अब रप रा सासहब मसशीराम (जो उस सम डर म सकटरी थ) को द दो सक स ा म जमा कर ल rsquo

सतगर हज़र महाराज चरि सससह जी जो महाराज साि सससह जी क पौतर थ बतात थ सक एक बार हज़र बड़ महाराज जी ि आपको तथा आपक छोट भाई सरदार परषोतिम सससह को बलाकर कहा lsquoदखो बटा मि जब भी हाथ बढ़ाा ह तो कछ दि क सलए ही बढ़ाा ह कभी भी लि क सलए हाथ िही फलाा तम भी हमशा इसी उसल पर िाम रहिा rsquo

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी राजकी कसष सदयाल (लालपर) म ाइस सपरससीपल थ आप अपि ख़चग क सलए कछ रप

1 बीबी रली सिरसतर हज़र महाराज साि सससह जी तथा उिक पसरार की सा करती रही हज़र महाराज जी का खािा भी आप ही बिाती थी

िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

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िक कमाई | 39

रखकर अपि ति का बािी सारा असश ग़रीब सदयासथगो तथा ज़ररतमसद सरशतदारो म बाट दत थ कई ग़रीब सदयासथगो को तो अपिी पढ़ाई क दौराि ह पता भी ि लग सका सक हर महीि उिकी फ़ीस कौि द रहा ह एक सदयाथज़ी को तो आपि आग पढ़ि क सलए अपि ख़चग स सलात तक भजा आपि सारी उमर अपिी कमाई तथा पशि पर गज़ारा करत हए साधससगत की मफ़त स ा की

सरदार बहादर महाराज जगत सससह जी क सम तक राधासामी सतससग बास की चल तथा अचल ससपसति का काफ़ी ससतार हो चका था सतगर महाराज चरि सससह जी ि 1957 म lsquoराधासामी सतससग बासrsquo िामक एक टरसट सथासपत करक लाखो रप की परमाथज़ी ससपसति जो ससत-सतगर होि क िात उिक सिजी िाम पर थी टरसट क िाम कर दी अब इस परकार डर म आिाली स ा भट आसद सब टरसट म जमा होती ह और डर क सतगर क िाम पर परमाथज़ी ससपसति का एक पसा भी िही ह टरसट की सथापिा स पहल भी डर क सकसी ससत-सतगर ि स ा की रासश म स एक पाई भी कभी अपि सलए ख़चग िही की थी

सतगर क रप म कागभार सभालि स पहल महाराज चरि सससह जी ससरसा म कालत करत थ और बाद म आपका ख़चग अपि सिजी फ़ामग की आमदिी स चलता रहा सतससग क परबसध क साथ सिकट तथा दर का ससबसध रखिाल सभी सतसससगो को इस बात का वसकतगत जाि ह सक महाराज जी का अपिा तथा अपि पसरार का ही िही बसलक कई स ादारो का ख़चग भी आपकी सिजी आमदिी स होता था इसक साथ ही आप हर साल भारी मातरा म अिाज गड़ शककर आसद सामाि अपि फ़ामग स लसगर की स ा क सलए दत रह तथा गत रप स भी कई परकार स सतसससगो की तथा डर की आसथगक सहाता करत रह

ऐस महाि ससत-सतगरओस क ऊच रहािी जाि क साथ-साथ उिकी िक तथा सिमगल रहिी सिषकाम स ा तथा अिपम ईमािदारी ि उनह आज क ग म दश-सदश क बड़ी बारीिी स खोज-पड़ताल करिाल सजजासओस म लोकसपर बिाि म बहत बड़ा ोगदाि सदा ह

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 40: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

40 | हि-हलाल की कमाई

मि मर भल कपट ि कीजससतमत का ह मल ससदधात ह सक जी को जगत म बाधकर रखिाली चीज़ उसक कमग ही ह और उस दसरो स ली हई पाई-पाई का सहसाब दिा पड़ता ह सरदार बहादर महाराज जी फ़रमाा करत थ सक अगर अिाज का एक दािा भी पड़ोसी क खत स आपक खसलहाि म अिजाि म आ गा ह तो उसका भी िज़ग चकािा पड़गा जब अिजाि म होिाल कममो पर ह सिम लाग होता ह तो जाि-बझकर की हई चोरी ठगी धोखबाज़ी बईमािी हरा-फरी आसद का फल का होगा कबीर सासहब कहत ह सक हमार ससबसधी हमारी बईमािी की कमाई खा-पीकर अपिी-अपिी राह चल जात ह और अपि सकए कममो का लखा हम ख़द चकािा पड़ता ह

बह परपसच कर पर धि सलआ सत दारा पह आि लटा

मि मर भल कपट ि कीज असत सिबरा तर जीअ पह लीज  (70)

सतसससगो तथा सजजासओस को अचछी तरह समझ लिा चासहए सक कमग और फल का सिम अटल ह और कममो का सहसाब रखिाली शसकत इतिी होसशार और समथग ह सक उस कभी धोखा िही सदा जा सकता कममो का सहसाब तो ऋसषो मसिो अतारो पग़सबरो तक को चकािा पड़ता ह साधारण मिषो की तो हसती ही का ह गर अजगि द जी कममो का सहसाब रखिाली इस अचक शसकत को चतर बसिए िसाई आसद क समाि सिदगी बतात ह आप कहत ह सक जी को उसक पाप-कममो की सज़ा क सलए बरी तरह पीटा जाता ह तथा सतलो क समाि कोलह म पीसा जाता ह लोग समझत ह सक धोखा हरा-फरी चोरी ठगी आसद क दारा पराा धि हसथात सम हम कोई दख ा सि िही रहा ह परसत हम ह िही जाित सक ह मासलक हमार असदर बठा हमार परतक काग परतक कमग और करतत को सिरसतर दख रहा ह उसको हमार ऐबो और पापो की सज़ा दि क सलए सकसी कील

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

Page 41: हक़-हलाल की कमाई - rssb.org Halal Ki Kamai.pdf · का अभा् होता जा रहा था । गुरु सासहब का धरम

मि मर भल कपट ि कीज | 41

दलील ा गाह की ज़ररत िही ह और ि ही उसक फ़सल क सरद सकसी परकार की आपसति और अपील क सलए कोई गसजाइश ह

पाप करदड़ सरपर 1 मठ 2 अजराईल 3 फड़ फड़ कठ

दोजक 4 पाए ससरजणहार लखा मसग बाणीआ 5

ससग ि कोई भईआ बबा 6 माल जोबि धि छोड ञसा 7

करण करीम ि जातो करता सतल पीड़ सजउ घाणीआ

खस खस लदा सत पराई ख सण तर िाल खदाई 8

दिीआ लब पइआ खात 9 असदर अगली गल 10 ि जाणीआ

जम जम मर मर सफर जसम बहत सजाए पइआ दस लसम 11

सजि कीता सतस ि जाणी असधा ता दख सह पराणीआ  (71)

हज़र महाराज चरि सससह जी अपि सतससगो म गरबािी क दो शबद हर मसदर एह सरीर ह सगआि रति परगट होए  (72) हर मसदर एह जगत ह गर सबि घोरसधार thinsp(73) की वाखा करत हए अकसर फ़रमात थ सक कहि को तो हम भी गर सासहबाि क जस ही कह दत ह सक परमातमा हमार असदर बठा ह तथा सससार क पति-पति कण-कण म वात ह परसत हम ह िही सोचत सक हम कहत का ह और करत का ह सजस दकाि पर पाच साल का बचचा बठा हो हम हा स दस पस की पससल उठाि का साहस िही कर सकत सजस खत की रखाली क सलए दस साल का बचचा खड़ा हो हम उसम स एक ख़रबज़ा तोड़ि का हौसला िही करत परसत उस परमातमा को हासज़र-िासज़र कहत हए दसिा म हम कौि-कौि सी ठगी चोरी बईमािी आसद बर कमग िही करत

1 ज़रर अश 2 लट गए बरबाद हए 3 मससलम धमगगरसथो क अिसार मौत का फ़सरशता मराज 4 िरक 5 अथवात धमगराज जो कममो क लख क अिसार ना करता ह 6 बहि 7 चला जाता ह 8 खhellipखदाई=ख़दा तमहार सभी कामो को दख और सि रहा ह 9 खडड म 10 अथवात आग क जनमो का अथा मत क बाद का हाल 11 जनम-मरण क लसब चक म

42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

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42 | हि-हलाल की कमाई

आप फ़रमात थ सक िाम की कमाई तो बहत ऊची और पसतर बात ह सद गर सासहब क उपदश की कल इतिी-सी बात ही हमार हद म बठ जाए सक ह कलमासलक सचमच हमारी हर करतत को दख रहा ह और हम सचमच ही अपि हर कमग का फल भगतिा पड़ता ह तो सससार की हालत ही बदल जाए कोसक ह समझ लि क बाद हम सकसी परकार की सहससा और बईमािी अना और अिाचार की ओर जाि का सचार तक ि कर सक ग गर अजगि द जी फ़रमात हthinsp

सिकट बझ सो बरा सकउ कर (74)

अथवात जो वसकत उस परमातमा को अपि पास सिरसतर मौजद समझता ह ह कोई भी अिसचत काग िही कर सकता

हम चासहए सक िाम की कमाई क दारा अपि सपछल कममो का सहसाब चकता करि का ति कर तथा आग क सलए हि-हलाल की िक कमाई तथा ईमािदारी स गज़ारा कर तासक हमार कममो का बोझ और असधक ि बढ़

43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

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परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

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43

ससदभभ सी(1) आसद गरनथ प 718(2) आसद गरनथ प 467(3) आसद गरनथ प 951(4) आसद गरनथ प 471(5) आसद गरनथ प 471(6) आसद गरनथ प 1245(7) कबीर साखी-ससगरह प 12-13(8) कबीर साखी-ससगरह प 17(9) कबीर साखी-ससगरह प 139(10) सारबचि ससगरह 16143-44(11) आसद गरनथ प 417(12) आसद गरनथ प 1245(13) आसद गरनथ प 391-392(14) आसद गरनथ प 1(15) रबाईात-ए-सरमद रबाई 25(16) रबाईात-ए-सरमद रबाई 30(17) आसद गरनथ प 1358(18) आसद गरनथ प 278-279(19) आसद गरनथ प 464(20) आसद गरनथ प 466-467(21) साखी-गरसथ प 264(22) आसद गरनथ प 472(23) दाद दाल की बािी

भाग 2 प 153(24) दसरा गरनथाली

भाग 1 प 153(25) साई बललशाह प 332(26) साई बललशाह प 51(27) बाइबल(28) बाइबल(29) बाइबल एकसोडस 2015(30) बाइबल एकसोडस 2017(31) क़राि 2188(32) क़राि 1735(33) आसद गरनथ प 141(34) कबीर साखी-ससगरह प15(35) आसद गरनथ प 918(36) ारधा भाई गरदास 2810(37) साखी-गरसथ प 179

(38) आसद गरनथ प 1089(39) आसद गरनथ प 550(40) दाद दाल की बािी भाग 2 प 81(41) पलट सासहब की बािी

भाग 2 झलिा 59(42) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 27(43) पलट सासहब की बािी भाग 1 कस 240(44) हज़रत सलताि बाह बत 31(45) आसद गरनथ प 1245(46) आसद गरनथ प 1380(47) आसद गरनथ प 1379(48) मसिी ब अली िलनदर प 17(49) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(50) मसिी मौलािा रम(51) मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 प 187(52) रसदास दशगि पद 102(53) रसदास दशगि पद 101(54) रसदास दशगि पद 100(55) रसदास दशगि पद 114(56) रसदास दशगि पद 99(57) आसद गरनथ प 485(58) आसद गरनथ प 1375-76(59) आसद गरनथ प 1163(60) पसचतसतर प 102 शलोक 63(61) आसद गरनथ प 485(62) रसदास दशगि पद 117(63) रसदास दशगि पद 116(64) रसदास दशगि पद 119(65) रसदास दशगि पद 115(66) रसदास दशगि पद 118(67) कबीर साखी-ससगरह प 72(68) उपदश राधासामी प 49-50(69) परमाथज़ी पतर भाग 1 पतर िस 75(70) आसद गरनथ प 656(71) आसद गरनथ प 1019-20(72) आसद गरनथ प 1346(73) आसद गरनथ प 1346(74) आसद गरनथ प 1139

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ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

To order books on the internet please visit wwwrssborgभारत म सकताब ख़रीदि क सल कपा िीच सलख पत पर सलख

राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

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44

ससदभभ गसथ

नहसदी

कबीर कबीर साखी-गरनथ पस महाराज राघदास जी (टीकाकार) छटा

सससकरण ाराणसी बाब बजिाथ परसाद बकसलर 2004

कबीर कबीर साखी-ससगरह भाग 1-2 दसा सससकरण इलाहाबाद  बलीसडर

सपरससटसग कसग 1996

क़राि शरीफ़ मतजगम  बरहासश (अिादक) सोलहा सससकरण लखिऊ 

लखिऊ सकताबघर 2004

कपाल सससह lsquoख़ाकrsquo हज़रत सलताि बाह  परथम सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2002

जमल सससह जी बाबा परमाथज़ी पतर भाग 1 सतरहा सससकरण बास

राधासामी सतससग बास 2003

दसरा सासहब (सबहाराल) दसरागरनथाली परथम भाग डॉधमज़नदर बहमचारी

शासतरी परथम सससकरण पटिा सबहार-राषटरभाषा-पसरषद   1954

दाद सासहब दाद दाल की बािी भाग 2 इलाहाबाद बलीसडर सपरससटसग

कसग 2009

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 1 तरहा सससकरण इलाहाबाद 

बलीसडर सपरससटसग कसग 1993

पलट सासहब पलट सासहब की बािी भाग 2 इलाहाबाद  बलीसडर सपरससटसग

कसग 1995

बाह  सलताि अबात-सलताि बाह  मसलक टििदीि लाहौर  फ़ज़लदीि 1915

बललशाह कसललात-बललशाह डॉ फ़कीर महममद फ़कीर लाहौर 

इसनतशारत-पसजाबी अदाबी अकदमी 1970

ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

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ससदभग गरसथ | 45

रसदास रसदास दशगि डॉ बणीपरसाद शमवा (ससपादक) परथम सससकरण

चसडीगढ़ शी गर रसदास सससथाि 1973

रमी जलालददीि मसिी मौलािा रम दफ़तर 1 मौलािा िाज़ी सजजाद

हसि (अि) सदलली  सबरसग सकताब घर 1974-76

ीर सससघ भाई ारधा भाई गरदास जी (सटीक) िौी बार िी सदलली  भाई

ीर सससघ सासहत सदि 1977

सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी शी गर गरनथ सासहब (सनथा सचीआस)

भाग 1-2 अमतसर  सशरोमसण गरदारा परबनधक कमटी 1999

सहगल मिमोहि उपदश राधासामी आठा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2006

सामी जी महाराज सारबचि ससगरह पनदरहा सससकरण बास राधासामी

सतससग बास 2008

फ़ारसी

ब अली शाह िलनदर मसिी ब अली शाह िलनदर सदलली क़तब

खननाह िज़ीसराह 1962

English

Holy Bible King James Version Tennessee Broadman amp Holman Publishers 1996

Hertel Johannes Dr (translater) The Panchtantra 1st ed Harvard Oriental

Series Cambridge Massachusetts The Harvard University Press 1915

Persian-English

Fazl Mahmud Asiri Rubaiyat-i-Sarmad Shantiniketan Visva-Bharti 1950

46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

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46

परमाथभ ससबसधी पसतक

राधासामी परपरासारबचि राधासामी ासतगक mdash हज़र सामी जी महाराजसारबचि ससगरह mdash हज़र सामी जी महाराज

परमाथज़ी पतर भाग 1 mdash बाबा जमल सससह जी

गरमत सार mdash महाराज साि सससह जीगरमत ससदानत भाग 1 2 mdash महाराज साि सससह जीपरमाथज़ी पतर भाग 2 mdash महाराज साि सससह जीपरभात का परकाश mdash महाराज साि सससह जीसनतमत परकाश भाग 1 स 5 mdash महाराज साि सससह जी सनतमत ससदानत mdash महाराज साि सससह जी

आतम-जाि mdash महाराज जगत सससह जीरहािी फल mdash महाराज जगत सससह जी

जीज़स काइसट का उपदश भाग 1 (सट जॉि) mdash महाराज चरि सससह जीजीज़स काइसट का उपदश भाग 2 (सट मथ) mdash महाराज चरि सससह जीजीत मसरए भजल तसरए mdash महाराज चरि सससह जीसदव परकाश mdash महाराज चरि सससह जीपरकाश की खोज mdash महाराज चरि सससह जीपारस स पारस mdash महाराज चरि सससह जीसतससग ससगरह भाग 1 स 6 mdash महाराज चरि सससह जीसनतमत दशगि mdash महाराज चरि सससह जीससत-मागग mdash महाराज चरि सससह जीससत ससाद भाग 1 2 3 mdash महाराज चरि सससह जी

अधातम मागग mdash जसलि जॉिसिअिमोल ख़ज़ािा mdash शासनत सठीअनतर की आाज़ mdash सी डबल सडसगअमत िाम mdash मसहनदर सससह जोशीअमत चि mdash ससकसलत

परमाथग ससबसधी पसतक | 47

उपदश राधासामी mdash सहगल शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारीसजजासओस क सलए mdash टी आर शसगारीधरती पर सगग mdash दसराईलाल कपरिाम-ससदानत mdash शसगारी lsquoख़ाकrsquo भणडारी सहगलपरमाथग पसरच mdash हकटर एसपॉणडा डसबि परम की सरासत (फ़ोटो ऐलबम)मागग की खोज म mdash फ़लोरा ई डमरा सतगर mdash जसलि पी जॉिसिरहािी डारी भाग 1 2 mdash रा सासहब मसशीरामसनतमत सचार mdash टी आर शसगारी कपाल सससह lsquoख़ािrsquoसनत-सनदश mdash शासनत सठीसनत समागम mdash दसराई लाल कपरहउ जीा िाम सधआए mdash हकटर एसपॉणडा डसबिहि-हलाल की कमाई mdash टी आर शसगारीहससा हीरा मोती चगिा mdash टी आर शसगारी

रहानी परपराकासमल दरश शाह लतीफ़ mdash टी आर शसगारीगर अजगि द mdash मसहनदर सससह जोशीगर िािक का रहािी उपदश mdash ज आर परीतलसी सासहब mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीिाम-भसकत गोसामी तलसीदास mdash क एि उपाधा पसचािि उपाधापरम पारस गर रसदास mdash क एि उपाधापलट सासहब mdash राजनदर कमार सठी आर सी बहलबोल शख़ फ़रीद mdash टी आर शसगारीभाई गरदास mdash मसहनदर सससह जोशीमीरा परम-दीािी mdash ीरनदर कमार सठीशमस तबरीज़ी mdash फ़रीदा मसलकीसनत कबीर mdash शासनत सठीसनत चरिदास mdash टी आर शसगारीसनत तकाराम mdash चनदराती राजाडसनत दसरा (सबहाराल) mdash क एि उपाधासनत दाद दाल mdash क एि उपाधासनत िामद mdash जिक परी ीरनदर कमार सठी टी आर शसगारीससत रजजब mdash जिक गोरािीसरमद शहीद mdash टी आर शसगारी पी एस lsquoआलमrsquo

48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

वशव धममो म आधातमकताअिसद सासहब mdash टी आर शसगारीआसा की ार mdash टी आर शसगारीजप जी सासहब mdash टी आर शसगारीजि धमग सार सनदश mdash क एि उपाधासितिम की ासणा और सलोक महला ९ mdash टी आर शसगारीपरमाथज़ी सासखाबौदधमग उतपसति और सकास mdash क एि उपाधारामचसरतमािस का सनदश mdash एस एम परसादशबद की मसहमा क शबद mdash महाराज साि सससह जीससध गोसट और बारह माहा mdash टी आर शसगारी सखमिी mdash टी आर शसगारी

शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

बचचो क तल पसतकएक िर त सभ जग उपजआ mdash सकटोसरा जोनज़आतमा का सफ़र mdash सकटोसरा जोनज़

ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

To order books on the internet please visit wwwrssborgभारत म सकताब ख़रीदि क सल कपा िीच सलख पत पर सलख

राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

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परमाथग ससबसधी पसतक | 47

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48 | हि-हलाल की कमाई

सहजोबाई और दाबाईmdashपरभपरम का रप mdash टी आर शसगारीसाई बललशाह mdash जिक परी टी आर शसगारीसससध की सतरणी mdash जिक गोरािीहज़रत सलताि बाह mdash कपाल सससह lsquoख़ाकrsquoसबिती और पराथगिा क शबद mdash ससकसलत ससतो की बािी mdash ससकसलत

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शाकाहार वजनषण भोजि भाग 1 2

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ववध वषिारी को असधकार दो mdash लीिा चाला

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राधासामी सतससग बासबी ए ी सडससटरबशि सटर 5 गर रसदास मागगपसा रोड िई सदलली 110005

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