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िशवलीलामृत िशवलीलामृत िशवलीलामृत िशवलीलामृत अयाय अयाय अयाय अयाय अकरावा अकरावा अकरावा अकरावा गणेशाय नमः ॥ धय धय तेिच जन ॥ जे िशवभजनी परायण ॥ सदा िशवलीलामृत ौवण ॥ अचन सदा िशवाचे ॥१॥ सूत हणे शौनकािदकांित ॥ जे िाधारण भःम चिचती ॥ यांया पुयास नाही िमती॥ िऽजगती तेिच धय ॥२॥ जो सह िा करी धारण ॥ यासी वंिदती शबािद सुरगण ॥ तो शंकरिच याचे दशन ॥ घेता तरती जीव बह ॥३॥ अथवा षोडश षोडश दंडी जाण ॥ बांधावे िा सुलण ॥ िशखेमाजी एक बांधावा पूण ॥ िशवःवप हणवुनी ॥४॥ यावरोिन किरता ःनान ॥ तरी िऽवेणीःनान के यासमान ॥ असो ादश ादश मनगटी पूण ॥ िा बांिधजे आदरे ॥५॥ कंठी बांधावे बीस ॥ मःतकाभोवते चोवीस ॥ सहा सहा कण पुय िवशेष ॥ बांिधता िनदष सवदा ॥६॥ अोरशत माळ ॥ सवदा असावी गळा ॥ एकमुखी िा आगळा ॥ पूिजता भाय िवशेष ॥७॥ पंचमुख षमुख अमुख ॥ चतुदशमुख लआमीकारक ॥ सकळ मंऽ सुफळ देख ॥ िाजप िनय किरता ॥८॥ िनय िापूजन ॥ तरी के ले जािणजे िशवाचन ॥ िामिहमा परम पावन ॥ इितहास ऐका येिवषयी ॥९॥ कामीर देशींचा नृप पावन ॥ नामािभधान भिसेन ॥ िववेकसंपन धान ॥ परम चतुर पंिडत ॥१०॥ जा दायाद भुसुर ॥ धय हणती तोिच राजेर ॥ लाच न घे याय करी साचार ॥ अमाय थोर

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िशवलीलामतिशवलीलामतिशवलीलामतिशवलीलामत – अ�यायअ�यायअ�यायअ�याय अकरावाअकरावाअकरावाअकरावा

ौीगणशाय नमः ॥

ध�य ध�य तिच जन ॥ ज िशवभजनी परायण ॥ सदा िशवलीलामत ौवण ॥ अच�न सदा िशवाच

॥१॥

सत !हण शौनकािदकाित ॥ ज 'िा)धारण भःम चिच�ती ॥ +या,या प.यास नाही िमती ॥

िऽजगती तिच ध�य ॥२॥

जो सह4 'िा) करी धारण ॥ +यासी विदती शबािद सरगण ॥ तो शकरिच +याच दश�न ॥ घता

तरती जीव बह ॥३॥

अथवा षोडश षोडश दडी जाण ॥ बाधाव 'िा) सल)ण ॥ िशखमाजी एक बाधावा पण� ॥

िशवःव>प !हणवनी ॥४॥

+यावरोिन किरता ःनान ॥ तरी िऽवणीःनान कAयासमान ॥ असो Bादश Bादश मनगटी पण� ॥

'िा) बािधज आदर ॥५॥

कठी बाधाव बHीस ॥ मःतकाभोवत चोवीस ॥ सहा सहा कणI प.य िवशष ॥ बािधता िनदJष

सव�दा ॥६॥

अLोHरशत माळ ॥ सव�दा असावी गळा ॥ एकमखी 'िा) आगळा ॥ पिजता भाOय िवशष ॥७॥

पचमख ष.मख अLमख ॥ चतद�शमख लआमीकारक ॥ सकळ मऽ सफळ दख ॥ 'िा)जप िन+य

किरता ॥८॥

िन+य 'िा)पजन ॥ तरी कल जािणज िशवाच�न ॥ 'िा)मिहमा परम पावन ॥ इितहास ऐका

यिवषयी ॥९॥

कामीर दशीचा नप पावन ॥ नामािभधान भिसन ॥ िववकसप�न धान ॥ परम चतर पिडत

॥१०॥

जा दायाद भसर ॥ ध�य !हणती तोिच राजYर ॥ लाच न घ �याय करी साचार ॥ अमा+य थोर

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तोिच प ॥११॥

सदर पितोता मदभािषणी ॥ पव�दH ऐसी लािधज कािमनी ॥ सत सभाग िवBान गणी ॥ िवशष

सकत पािवज ॥१२॥

ग' कपावत सव�\ थोर ॥ िशय \ावत ग'भ^ उदार ॥ व^ा )माशील शा4\ सरस फार ॥

िवशष सकत लािहज ॥१३॥

ौोता सम चतर सावधान ॥ यजमान सा)पी उदार पण� ॥ काया आरोOय सदर कलीन ॥

पव�सकत ा` होय ॥१४॥

असो तो भिसन आिण धान ॥ बहत किरता अनaान ॥ दोघासी झाल नदन ॥ िशवभ^

उपजतािच ॥१५॥

राजपऽ नाम सधम� ॥ धाना+मज तारक नाम ॥ दोघ िशवभ^ िनःसीम ॥ सावधान िशव�यानी

॥१६॥

बाळ होऊिन सदा मळ ॥ अनराग िचHी वराOयशीळ ॥ लौिककसग ीव अमगळ ॥ +याची सगती

नावड +या ॥१७॥

पचवषI दोघ कमर ॥ लविवती व4 अलकार ॥ गजम^माळा मनोहर ॥ नाना कार लविवती

॥१८॥

तव त बाळ दोघजण ॥ सवा�लकारउपाधी टाकन ॥ किरती 'िा) धारण ॥ भःम चिच�ती सवाeगी

॥१९॥

आवड सव�दा एकात ॥ ौवण किरती िशवलीलामत ॥ बोलती िशवनामावळी स+य ॥ पाहाण

िशवपजा सव�दा ॥२०॥

आfय� किरती राव धान ॥ यासी का नावाड व4भषण ॥ किरती 'िा)भःमधारण ॥ सदा ःमरण

िशवाच ॥२१॥

िवभित पसोिन 'िा) कािढती ॥ मागती व4 भषण लविवती ॥ त सविच ाiणासी अिप�ती ॥

घती मागती िशवदी)ा ॥२२॥

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िश)ा किरता बहत ॥ परी त न सािडती आपल ोत ॥ राव धान िचतामःत ॥ !हणती कराव काय

आता ॥२३॥

तो उगवला सकतिमऽ ॥ घरासी आला पराशर ॥ सव विLत ऋषीच भार ॥ अपर सय� तजःवी

॥२४॥

जो कणBपायनाचा जिनता ॥ िऽकाळ\ानी ितसिLकता� ॥ जो विसaाचा नात तlवता ॥

रा)ससऽ जण कल ॥२५॥

जवी मनय वागती अपार ॥ तसिच पवI होत रजनीचर ॥ त िपतकवार समम ॥ जािळल सऽ

क>िनया ॥२६॥

जनमजय सप�सऽ कल ॥ त आिःतक म�यिच राहिवल ॥ पराशरासी पलःतीन ािथ�ल ॥ मग

वाचल रावणािदक ॥२७॥

िवरचीस दटाविन )णमाऽ ॥ ितसिL कली िवYािमऽ ॥ तवी िपतकवार पराशर ॥ वादी जज�र प

कल ॥२८॥

त सागावी समळ कथा ॥ तरी िवःतार होईल मथा ॥ यालागी �विनताथ� बोिलला आता ॥ कळल

पािहज िनधा�र ॥२९॥

ऐसा महाराज पराशर ॥ nयाचा नात होय शक योगीि ॥ तो भिसनाचा कळग' िनधा�र ॥ घरा

आला जाणोनी ॥३०॥

राव धान सामोर धावती ॥ साLाग नमिन घरासी आिणती ॥ षोडशोपचारी पिजती ॥ भाव िचHी

िवशष ॥३१॥

समःता व4 भषण दऊन ॥ राव िवनवी कर जोडन ॥ !हण दोघ कमर राऽिदन ॥ �यान किरती

िशवाच ॥३२॥

नावडती व4 अलकार ॥ 'िा)भःमावरी सदा भर ॥ वराOयशील अणमाऽ ॥ भाषण न किरती

कोणासी ॥३३॥

इिियभोगावरी नाही भर ॥ नावड राजिवलास अणमाऽ ॥ गजवािजयानी समम ॥आ>ढाव

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आवडना ॥३४॥

पढ ह कस राnय किरती ॥ ह आ!हासी गढ पडल िचHी ॥ मग त दोघ कमर आणोिन ग>ती ॥

दाखिवल भिसन ॥३५॥

ग>न पािहल oLीसी ॥ जस िमऽ आिण शशी ॥ तस तजःवी उपमा तयासी ॥ नाही कोठ शोिधता

॥३६॥

यावरी बोल शि^सत ॥ !हण ह का झाल िशवभ^ ॥ याची पव�कथा समःत ॥ ऐक तज सागतो

॥३७॥

पवI कामीर दशात उHम ॥ महापpटण नििमाम ॥ तथील वारागना मनोरम ॥ महानदा नाम

ितयच ॥३८॥

+या मामीचा तोिच भप ॥ पqवीमाजी िनःसीम ःव>प ॥ लिलताकित पाहोिन कदप� ॥ त�मय

होवोिन न+य करी ॥३९॥

जसा उगवला पण�चि ॥ तस ितजवरी िवराज छऽ ॥ रsखिचत यान अपार ॥ भाOया पार नाही

ित,या ॥४०॥

रsमय दडय^ ॥ चामर जीवरी सदा ढळत ॥ मिणमय पादका रsखिचत ॥ चरणी िज,या सव�दा

॥४१॥

िविचऽ वसन िदtय सवास ॥ िहर.मयरsपयeतक राजस ॥ चिरिमसम काश ॥ शuया िजची

अिभनव ॥४२॥

िदtयाभरणी सय^ ॥ अगी सगध िवरािजत ॥ गोमिहषीिखAलार बहत ॥ वाजी गज घरी बहवस

॥४३॥

दास दासी अपार ॥ घरी माता सभाOय सहोदर ॥ िजच गायन ऐकता िक�नर ॥ तटःथ होती

कोिकळा ॥४४॥

िज,या न+याच कौशAय दखोन ॥ सकळ नप डोलिवती मान ॥ ितचा भोगकाम इ,छन ॥ भप

सभाOय यती घरा ॥४५॥

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वया असोन पितोता ॥ निमला जो प'ष तlवता ॥ +याचा िदवस न सरता ॥ इिासही वय नtह

॥४६॥

परम िशवभ^ िवvयात ॥ दानशील उदार बहत ॥ सोमवार दोषोत ॥ िशवराऽ करी नमसी

॥४७॥

अ�नछऽ सदा चालवीत ॥ िन+य ल)िऽदळ िशव पिजत ॥ ाiणहःत अwत ॥ अिभषक करवी

िशवासी ॥४८॥

याचक मनी ज ज इ,छीत ॥ त त महानदा परवीत ॥ कोिट िलग करवीत ॥ ौावणमासी अ+यादर

॥४९॥

ऐक भिसना सावधान ॥ कxकट मक� ट पािळल ीतीक>न ॥ +या,या गळा 'िा) बाधोन ॥ नाच

िशकिवल कौतक ॥५०॥

आपल ज का न+यागार ॥ तथ िशविलग ःथािपल सदर ॥ कxकट मक� ट +यासमोर ॥ तथyिच बाधी

ीतीन ॥५१॥

करी िशवलीलामतपराणौवण ॥ तही ऐकती दोघजण ॥ सवyिच महानदा करी गायन ॥ न+य करी

िशवापढ ॥५२॥

महानदा +यासी सोडन ॥ न+य करवी कौतकक>न ॥ +या,या गळा कपाळी जाण ॥ िवभित चचI

ःवहःत ॥५३॥

एव ित,या सगतीक>न ॥ +यासही घडतस िशवभजन ॥ असो ितच सlव पाहावयालागोन ॥

सदािशव पातला ॥५४॥

सौदागराचा वष धिरला ॥ महानद,या सदना आला ॥ +याच ःव>प दखोिन त अबला ॥ त�मय

झाली तधवा ॥५५॥

पजा करोिन ःवहःतकी ॥ +यासी बसिवल रsमचकी ॥ तो पqवीमोलाच हःतकी ॥ ककण

+या,या दिखल ॥५६॥

दखता गली त�मय होऊन ॥ !हण ःवगIची वःत वाट पण� ॥ िवYक!या�न िनिम�ली जाण ॥

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मानवी कत�+व ह नtह ॥५७॥

सौदागर त काढन ॥ ित,या हःतकी घातल ककण ॥ यरी होवोिन आनदघन ॥ नम करी तयासी

॥५८॥

पqवीच मोल ह ककण ॥ मीिह बHीस ल)णी पि{ण ॥ तीन िदवस सपण� ॥ दासी तमची झाल मी

॥५९॥

तयासी त मानल ॥ सवyिच +यान िदtयिलग कािढल ॥ सय� भहिन आगळ ॥ तज विण�ल नवजाय

॥६०॥

िलग दखोिन त वळी ॥ महानदा त�मय झाली ॥ !हण जय जय चिमौळी ॥ !हणोनी वदी िलगात

॥६१॥

!हण या िलगा,या भव>नी ॥ कोिट ककण टाकावी ओवाळनी ॥ सौदागर !हण महानदलागनी ॥

िलग ठवी जतन ह ॥६२॥

!हण या िलगापाशी माझा ाण ॥ भगल की गल दOध होऊन ॥ तरी मी अिOनवश करीन ॥

महाकठीण ोत माझ ॥६३॥

यरीन अवय !हणोन ॥ ठिवल न+यागारी नऊन ॥ मग दोघ किरती शयन ॥ रsखिचत मचकी

॥६४॥

ितच कस आह सlव ॥ धय� पाह सदािशव ॥ भ^ तारावया अिभनव ॥ कौतकचिरऽ दाखवी ॥६५॥

+या,या आ\क>न ॥ न+यशाळस लागला अOन ॥ जन धावो लागल चहकडोन ॥ एकिच हाक

जाहली ॥६६॥

तीस सावध करी मदनारी ॥ !हण अिOन लागला ऊठ लवकरी ॥ यरी उठली घाबरी ॥ तव

वाता+मज चतला ॥६७॥

तशामाजी उडी घालन ॥ कठपाश +याच काढन ॥ कxकट मक� ट िदधल सोडन ॥ गल पळोन

वनाती ॥६८॥

न+यशाळा भःम झाली समम ॥ मग शात झाला स`कर ॥ यावरी पस सौदागर ॥ महानदित

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तधवा ॥६९॥

माझ िदtयिलग आह की जतन ॥ महानदा घाबरी ऐकोन ॥ व)ःःथळ घत बडवन ॥ !हण

िदtयिलग दOध झाल ॥७०॥

सौदागर बोल वचन ॥ नमाचा आिज दसरा िदन ॥ मी आपला दतो ाण ॥ िलगाकारण तजवरी

॥७१॥

मग िऽचरण चतिवला ॥ आकाशपथ जाती nवाळा ॥ सौदागर िस} झाला ॥ समीप आला कडा,या

॥७२॥

अितलाघवी उमारग ॥ जो भ^जनभवभग ॥ उडी घातली सवग ॥ ॐनमःिशवाय !हणवनी ॥७३॥

ऐस दखता महानदा ॥ बोलािवल सव� iवदा ॥ लटिवली सव� सपदा ॥ कोशसमवत सव�ही ॥७४॥

अYशाळा गजशाळा सपण� ॥ सव� सपिHसिहत करी गहदान ॥ महानदन ःनान क>न ॥ भःम

अगी चिच�ल ॥७५॥

'िा) सवाeगी लऊन ॥ दयी िचितल िशव�यान ॥ हर हर िशव !हणवन ॥ उडी िनःशक घातली

॥७६॥

सय�िबब िनघ उदयाचळी ॥ तसा गटला कपाळमौळी ॥ दशभज पचवदन चिमौळी ॥ सकटी पाळी

भ^ात ॥७७॥

माथा जटाचा भार ॥ ततीयनऽी वYानर ॥ िशरी झळझळ वाह नीर ॥ भयकर महाजोगी ॥७८॥

चिकळा तयाच िशरी ॥ नीळकठ खpवागधारी ॥ भःम चिच�ल शरीरी ॥ गजचम� पाघरला ॥७९॥

नसलास tयायाबर ॥ गळा मनयमडाच हार ॥ सवाeग विLत फिणवर ॥ दशभजा िमरिवती ॥८०॥

वरचवरी कदक झलीत ॥ तवी दहा भजा पसरोनी अकःमात ॥ महानदसी झलिन धरीत ॥

दयकमली परमा+मा ॥८१॥

!हण जाहलो मी सस�न ॥ महानद माग वरदान ॥ ती !हण ह नगर उ}>न ॥ िवमानी बसवी

दयाळा ॥८२॥

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माताबधसमवत ॥ महानदा िवमानी बसत ॥ िदtय>प पावोिन +विरत ॥ नगरासमवत चालली

॥८३॥

पावली सकळ िशवपदी ॥ जथ नाही आिधtयाधी ॥ )धातषािवरिहत िऽश}ी ॥ भदबि} कची तथ

॥८४॥

नाही काम बोध BB दःख ॥ मद म+सर नाही िनःशक ॥ जथीच गोड उदक ॥ अमताहिन कोिटगण

॥८५॥

जथ सरत>ची वन अपार ॥ सरभीची बहत िखAलार ॥ िचतामणीची धवलागार ॥ भ^ाकारण

िनिम�ली ॥८६॥

जथ वोसणता बोलती िशवदास ॥ त त ा` होय तयास ॥ िशवपद सव�दा अिवनाश ॥ महानदा तथ

पावली ॥८७॥

ह कथा परम सरस ॥ पराशर साग भिसनास ॥ !हण ह कमर दोघ िनःशष ॥ कxकट मक� ट पव�च

॥८८॥

कठी 'िा)धारण ॥ भाळी िवभित चच�न ॥ +यािच पव�प.यक>न ॥ सधम� तारक उपजल ॥८९॥

ह पढ राnय करतील िनदJष ॥ बHीस ल)णी डोळस ॥ िशवभजनी लािवती बहतास ॥ उ}िरतील

त!हात ॥९०॥

अमा+यसिहत भिसन ॥ ग>सी घाली लोटागण ॥ !हण इतकन मी ध�य ॥ सपऽ उदरी ज�मल

॥९१॥

भिसन बोलत पढती ॥ ह राnय िकती वष� किरती ॥ आययमाण िकती ॥ सागा यथाथ� ग'वया�

॥९२॥

बहत किरता नवस ॥ एवढािच पऽ आ!हास ॥ परम ियकर राजस ॥ ाणाहिन आवड बह ॥९३॥

तम,या आगमनक>न ॥ ःवामी मज समाधान ॥ तरी या पऽाच आययमाण ॥ सागा ःवामी

मज तlवता ॥९४॥

ऋिष !हण मी स+य बोलन दख ॥ परी त!हासी ऐकता वाटल दःख ॥ ह सभा सकिळक ॥

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दःखाण�वी पडल प ॥९५॥

+ययसoश बोलाव वचन ॥ ना तरी आगास यत मख�पण ॥ त!हा वाटल िवषाहन ॥ िवशष ऐसी त

गोLी ॥९६॥

भिसन !हण स+य वचन ॥ बोलावया न करावा अनमान ॥ तरी त�या पऽासी बारा वष� पण� ॥

झाली असता जाणपा ॥९७॥

आजपासोिन सातव िदवशी ॥ म+य पावल या समयासी ॥ राव ऐकता धरणीसी ॥ म,छा� यऊिन

पिडयला ॥९८॥

अमा+यासिहत +या ःथानी ॥ दःखाOनीत गल आहाळोनी ॥ अतःपरी सकळ कािमनी ॥ आकात

किरती आबोश ॥९९॥

क>िनया हाहाकार ॥ व)ःःथळ िपटी नपवर ॥ मग रायासी पराशर ॥ सावध करोिन गोL साग

॥१००॥

नपौaा न सोडी धीर ॥ ऐक एक सागतो िवचार ॥ ज पचभत नtहती समम ॥ शिशिमऽ नtहत त

॥१॥

नtहता मायामय िवकार ॥ कवळ iमय साचार ॥ तथ झाल ःफरणजागर ॥ अह i !हणोिनया

॥२॥

त �विन माया स+य ॥ तथोिन जाहल महHlव ॥ मग िऽिवध अहकार होत ॥ िशवइ,छक>िनया

॥३॥

सlवाश िनिम�ला पीतवसन ॥ रजाश सिLकता� ििहण ॥ तमाश 'ि पिरपण� ॥ सग�िःथ+यत

करिवता ॥४॥

िवधीसी !हण सिL रची पण� ॥ य> !हण मज नाही \ान ॥ मग िशव तयालागन ॥ चारी वद

उपदिशल ॥५॥

चह वदाच सार पण� ॥ तो हा 'िा�याय परम पावन ॥ +याहिन िवशष ग� \ान ॥ भवनऽयी असना

॥६॥

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बहत करी हा जतन ॥ +याहिन आिणक थोर नाही साधन ॥ हा 'िा�याय िशव>प !हणन ॥

ौीशकर ःवय बोल ॥७॥

ज 'िा�याय ऐकती पढती ॥ +या,या दश�न जीव उ}रती ॥ मग कमलोwव एकाती ॥ स`पऽा साग

'ि हा ॥८॥

मग सादाय ऋषीपासोन ॥ भतली आला अ�याय जाण ॥ थोर जप तप \ान ॥ +याहिन अ�य

नसिच ॥९॥

जो हा अ�याय जप सपण� ॥ +याचिन दश�न तीथ� पावन ॥ ःवगIच दव दश�न ॥ +याच घऊ इि,छती

॥११०॥

जप तप िशवाच�न ॥ याहिन थोर नाही जाण ॥ 'िमिहमा अगाध पण� ॥ िकती !हणोिन वणा�वा

॥११॥

'िमिहमा वाढला फार ॥ ओस पिडल भानपऽनगर ॥ पाश सोडोिन यमिककर ॥ िरत िहडो लागल

॥१२॥

मग यम िविधलागी पसोन ॥ अभि^क+या िनिम�ली दा'ण ॥ ितण कतक� वादी भदी ल)न ॥

+या,या दयी सचरली ॥१३॥

+यासी म+सर वाढिवला िवशष ॥ वाट करावा िशवBष ॥ तण त जावोिन यमपरीस महानरकी पडल

सदा ॥१४॥

यम साग दताती ॥ िशवBषी ज पापमती ॥ त अAपायषी होती ॥ नाना रीती जाचणी करा ॥१५॥

िशव थोर िवण लहान ॥ हिर िवशष हर गौण ॥ ऐस !हणती ज +यालागन ॥ आणोिन नरकी

घालाव ॥१६॥

'िा�याय नावड nयासी ॥ कभीपाकी घालाव +यासी ॥ 'िानaान आययासी ॥ वि} होय िनधा�र

॥१७॥

याकिरता भिसन अवधारी ॥ अयत 'िावत�न करी ॥ िशवावरी अिभषकधार धरी ॥ म+य दरी होय

साच ॥१८॥

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अथवा शतघट ःथापन ॥ िदtयव)ाच पAलव आणन ॥ 'ि उदक अिभमऽन ॥ अिभिषचन पऽा

करी ॥१९॥

िन+य दहा सह4आवत�न पण� ॥ )ोणीपाळा करी स`िदन ॥ राय धिरल oढ चरण ॥ स�द होवोिन

बोलत ॥१२०॥

सकळऋिषरsमिडतपदक ॥ ःवामी त +यात मvय नायक ॥ काळ म+य भय शोक ॥ ग' र)ी

+यापासिन ॥२१॥

तरी +वा आचाय�+व कराव पण� ॥ तजसव ज आहत ाiण ॥आणीक सागती त बोलावन ॥

आतािच आिणतो आरभी ॥२२॥

मग सह4 िव बोलावन ॥ nयाची 'िानaानी भि^ पण� ॥ �यास�यानय^ पढन ॥ ग>पासन ज

आल ॥२३॥

परदारा आिण परधन ॥ nयाची वमनाहिन नीच पण� ॥ िवर^ सशील गिलया ाण ॥ दL ितमह

न घती ॥२४॥

ज शापानमहसमथ� ॥ सामqयJ चालो न दती िमऽरथ ॥ िकवा सा)ात उमानाथ ॥ पढ आणोिन

उभा किरती ॥२५॥

ऐस ल)णय^ ाiण ॥ बसला tयासिपता घऊन ॥ सह4 घट माडन ॥ अिभमऽोिन ःथािपल

॥२६॥

ःवध�नीच सिलल भरल पण� ॥ +यात आपAलव घालन ॥ 'िघोष गिज��नल ाiण ॥ अनaान

िदtय मािडल ॥२७॥

शा4सvया झाल िदवस ॥ सातव िदवशी म�या�ी आला चडाश ॥ म+यसमय यता धरणीस ॥ बाळ

मि,छ�त पिडयला ॥२८॥

एक महत� िनचिLत ॥ चलनवलन रािहल समःत ॥ परम घाबरला नपनाथ ॥ ग' दत नाभीकारा

॥२९॥

'िोदक िशपन ॥ सावध कला राजनदन ॥ +यासी पसती वत�मान ॥ वत�ल तिच सागत ॥१३०॥

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एक काळप'ष भयानक थोर ॥ ऊ�व� जटा कपाळी शyदर ॥ िवबाळ दाढा भयकर ॥ नऽ

खािदरागासारख ॥३१॥

तो मज घऊिन जात असता ॥ चौघ प'ष धावोिन आल तlवता ॥ पचवदन दशभज +याची

सा!यता ॥ कमळभवाडी दजी नस ॥३२॥

त तज जस गभःती ॥ िदगततम सहािरती ॥ भःम अगी tयायाबर िदसती ॥ दश हःती आयध

॥३३॥

त महाराज यऊन ॥ मज सोडिवल तोडोिन बधन ॥ +या काळप'षासी ध>न ॥ करीत ताडण गल त

॥३४॥

ऐस पऽमखीच ऐकता उHर ॥ भिसन करी जयजयकार ॥ ाiणासी घाली नमःकार ॥ आनदाौ

नऽी आल ॥३५॥

अगी रोमाच दाटल ॥ मग िवचरणी गडबडा लोळ ॥ िशवनाम गज�त तय वळ ॥ दव समन वष�ती

॥३६॥

अनक वा�ाच गजर ॥ डक गज� अव�यात थोर ॥ मखBयाची महासःवर ॥ मदगवा� गज�ती

॥३७॥

अनक वा�ाच गजर ॥ िशवलीला गाती अपार ॥ ौगभग काहाळ थोर ॥ सनया अपार वाजती

॥३८॥

चिानना धडकती भरी ॥ नाद न माय नभोदरी ॥ असो भिसन यावरी िविधय^ होम करीतस

॥३९॥

षसस अ�न शोिभवत ॥ अलकार िदtय व4 दत ॥ अमोिलक वःत अwत ॥ आणोिन अपI

ाiणासी ॥१४०॥

दि)णलागी भाडार ॥ म^ कली राजyि ॥ !हण आवड िततक भरा एकसर ॥ माग पढ पाह नका

॥४१॥

सव� याचक कल त ॥ पर पर हिच ऐिकली मात ॥ धनभार झाला बहत ॥ !हणोिन सािडती ठायी

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ठायी ॥४२॥

ाiण दती मऽा)ता ॥ िवजय कAयाण हो तिझया सता ॥ ऐसा अित आनद होत असता ॥ तो

अwत वत�ल ॥४३॥

वसत यत सगधवनी ॥ की काशी)ऽावरी ःवध�नी ॥ की Yतो+पल मडानी ॥ रमण िलग अिज�च

॥४४॥

की िनद�वासी सापड िचतामणी ॥ की )िधतापढ )ीराि�ध य धावनी ॥ तसा कमलोwवनदन त

)णी ॥ नारदमनी पातला ॥४५॥

वाAमीक स+यवतीनदन ॥ औHानपादीकयाध दयरs ॥ ह िशय nयाच िऽभवनी जाण ॥ व� ज

का सवाeत ॥४६॥

जो चतःषिLकळावीण िनम�ळ ॥ चतद�शीचा करतळामळ ॥ nयाच ःव>प पाहता कवळ ॥

नारायण दसरा की ॥४७॥

ह कमळभवाड मोडोनी ॥ पनःसिL करणार मागतनी ॥ अ�याय िवलोिकता नयनी ॥ दड ताडील

शबािदका ॥४८॥

तो नारद दखोिन तिच )णी ॥ कडातिन मित�मत िनघ अOनी ॥ दि)णिOन गाह�प+य आहवनी ॥

उभ ठाकल दखता ॥४९॥

पराशरािद सकळ ाiण ॥ धानासिहत भिसन ॥ धावोिन धिरती चरण ॥ iानद उचबळल

॥१५०॥

िदtय गध िदtय समनी ॥ षोडशोपचार पिजला नारदमनी ॥ राव उभा ठाक कर जोडोनी ॥ !हण

ःवामी अतीिियिLा त ॥५१॥

िऽभवनी गमन सव� तझ ॥ काही दिखल साग अपव� ॥ नारद !हण मागI यता िशव ॥ दत चौघ

दिखल ॥५२॥

दशभज पचवदन ॥ ितही म+य नला बाधोन ॥ त�या पऽाच चकिवल मरण ॥ 'िानaान ध�य कल

॥५३॥

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तव पऽर)णाथ� त वळा ॥ िशव वीरभिमvय पाठिवला ॥ मज दखता म+यसी पस लागला ॥

िशवसत ऐका त ॥५४॥

त कोणा,या आ\व>न ॥आणीत होतासी भिसननदन ॥ +यासी दहा सह4 वष� पण� ॥ आयय

अस िनfय ॥५५॥

तो साव�भौम होईल तlवता ॥ 'िमिहम तज ठाऊक अःता ॥ िशवमया�दा उAलघिन तlवता ॥ कसा

आणीत होतासी ॥५६॥

मग िचऽग`ा पस सय�नदन ॥ पिऽका पािहली वाचन ॥ तव BादशवषI म+यिच�ह ॥ गडातर थोर

होत ॥५७॥

त मह+प.य िनरसिन सहज ॥ दहा सह4 वष� कराव राnय ॥ मग तो सय�नदन महाराज ॥

ःवापराध कLी बह ॥५८॥

मग उभा ठाकिन कतात ॥ कर जोडोिन ःतवन करीत ॥ ह अपणा�धव िहमनगजामात ॥ अपराध न

कळत घडला हा ॥५९॥

ऐस नारद सागता त )णी ॥ राय पायावरी घातली लोळणी ॥ आणीक सह4 'ि क>नी ॥

महो+साह करीतस ॥१६०॥

शत'ि किरता िनःशष ॥ शतायषी होय तो प'ष ॥ हा अ�याय पढता िनदJष ॥ तो िशव>प यािच

दही ॥६१॥

तो यथिच झाला म^ ॥ +या,या तीथ� तरती बहत ॥ असो यावरी iसत ॥ अतधा�न पावला ॥६२॥

आनदमय शि^नदन ॥ राय शतप{ धन दऊन ॥ तोषिवला ग' सपण� ॥ ऋषीसिहत जाता झाला

॥६३॥

ह भिसन आvयान ज पढती ॥ +यासी होय आयय सतती ॥ +यासी काळ न बाध अती ॥ वदोिन

नती िशवपदा ॥६४॥

दशशत किपलादान ॥ ऐकता पढता घड प.य ॥ कल असल अभआयभ)ण ॥ सरापान iह+या

॥६५॥

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एव महापापपव�त तlवता ॥ भःम होती ौवण किरता ॥ हा अ�याय िऽकाळ वािचता ॥ गडातर दर

होती ॥६६॥

यावरी किलयगी िनःशष ॥ िशवकीत�नाचा मिहमा िवशष ॥ आययहीन लोकास ॥ अनaान हिच

िनधा�र ॥६७॥

मग तो राव भिसन ॥ सधम� पऽासी राnय दऊन ॥ यवराnय तारकालागन ॥ दता झाला त काळी

॥६८॥

मग धानासमवग राव जाणा ॥ जाता झाला तपोवना ॥ िशवअनaान 'िा�याना ॥ किरता महा'ि

तोषला ॥६९॥

िवमानी बसविन +विरत ॥ राव धान नल िमरिवत ॥ िविधलोकी वकठी वास बहत ॥

ःव,छक>िन रािहल ॥१७०॥

शवटी िशवपदासी पावन ॥ रािहल िशव>प होऊन ॥ हा अकरावा अ�याय जाण ॥ ःव>प एकादश

'िाच ॥७१॥

हा अ�याय किरता ौवण ॥ एकादश 'ि समाधान ॥ की हा कAपिम सपण� ॥ इि,छल फळ दणार

॥७२॥

म+यजयजप 'िानaन ॥ +यासी न बाधी महपीडा िव�न ॥ िपशाचबाधा रोग दा'ण ॥ न बाधीच

सव�थाही ॥७३॥

यथ जो मानील अिवYास ॥ तो होईल अAपायषी तामस ॥ ह िनदी तो चाडाळ िनःशष ॥ +याचा

िवटाळ न tहावा ॥७४॥

+यासी सवोिन वाझ झाली माता ॥ +याची सगती न धरावी तlवता ॥ +यासी सभाषण किरता ॥

महापातक जािणज ॥७५॥

त आपAया गहासी न आणाव ॥ आपण +या,या सदनासी न जाव ॥ त +यजाव जीवभाव ॥ जवी

सशील िहसकगह ॥७६॥

जो +य) भि)तो िवष ॥ ज मख� बसती +याच प^ीस ॥ +यासी म+य आला या गोLीस ॥ सदह

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काही असना ॥७७॥

असो सव�भाव िनिfत ॥ अखड पहाव िशवलीलामत ॥ ह न घड तरी +विरत ॥ हा अ�याय तरी

वाचावा ॥७८॥

या अ�यायाच किरता अनaान ॥ तयासी िन+य 'ि कAयाच प.य ॥ +याच घरी अनिदन ॥

iानद गटल ॥७९॥

अपणा� दया�जिमिलद ॥ ौीधरःवामी तो iानद ॥ जो जगदानदमळकद ॥ अभग न िवट

कालऽयी ॥१८०॥

िशवलीलामत मथ चड ॥ ःकदपराण iोHरखड ॥ पिरसोत सnजन अखड ॥ एकादशा�याय

गोड हा ॥१८१॥

इित एकादशोऽ�यायः समा`ः ॥११॥

॥ौीसाबसदािशवाप�णमःत॥