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िशवलीलामतिशवलीलामतिशवलीलामतिशवलीलामत – अ�यायअ�यायअ�यायअ�याय अकरावाअकरावाअकरावाअकरावा
ौीगणशाय नमः ॥
ध�य ध�य तिच जन ॥ ज िशवभजनी परायण ॥ सदा िशवलीलामत ौवण ॥ अच�न सदा िशवाच
॥१॥
सत !हण शौनकािदकाित ॥ ज 'िा)धारण भःम चिच�ती ॥ +या,या प.यास नाही िमती ॥
िऽजगती तिच ध�य ॥२॥
जो सह4 'िा) करी धारण ॥ +यासी विदती शबािद सरगण ॥ तो शकरिच +याच दश�न ॥ घता
तरती जीव बह ॥३॥
अथवा षोडश षोडश दडी जाण ॥ बाधाव 'िा) सल)ण ॥ िशखमाजी एक बाधावा पण� ॥
िशवःव>प !हणवनी ॥४॥
+यावरोिन किरता ःनान ॥ तरी िऽवणीःनान कAयासमान ॥ असो Bादश Bादश मनगटी पण� ॥
'िा) बािधज आदर ॥५॥
कठी बाधाव बHीस ॥ मःतकाभोवत चोवीस ॥ सहा सहा कणI प.य िवशष ॥ बािधता िनदJष
सव�दा ॥६॥
अLोHरशत माळ ॥ सव�दा असावी गळा ॥ एकमखी 'िा) आगळा ॥ पिजता भाOय िवशष ॥७॥
पचमख ष.मख अLमख ॥ चतद�शमख लआमीकारक ॥ सकळ मऽ सफळ दख ॥ 'िा)जप िन+य
किरता ॥८॥
िन+य 'िा)पजन ॥ तरी कल जािणज िशवाच�न ॥ 'िा)मिहमा परम पावन ॥ इितहास ऐका
यिवषयी ॥९॥
कामीर दशीचा नप पावन ॥ नामािभधान भिसन ॥ िववकसप�न धान ॥ परम चतर पिडत
॥१०॥
जा दायाद भसर ॥ ध�य !हणती तोिच राजYर ॥ लाच न घ �याय करी साचार ॥ अमा+य थोर
तोिच प ॥११॥
सदर पितोता मदभािषणी ॥ पव�दH ऐसी लािधज कािमनी ॥ सत सभाग िवBान गणी ॥ िवशष
सकत पािवज ॥१२॥
ग' कपावत सव�\ थोर ॥ िशय \ावत ग'भ^ उदार ॥ व^ा )माशील शा4\ सरस फार ॥
िवशष सकत लािहज ॥१३॥
ौोता सम चतर सावधान ॥ यजमान सा)पी उदार पण� ॥ काया आरोOय सदर कलीन ॥
पव�सकत ा` होय ॥१४॥
असो तो भिसन आिण धान ॥ बहत किरता अनaान ॥ दोघासी झाल नदन ॥ िशवभ^
उपजतािच ॥१५॥
राजपऽ नाम सधम� ॥ धाना+मज तारक नाम ॥ दोघ िशवभ^ िनःसीम ॥ सावधान िशव�यानी
॥१६॥
बाळ होऊिन सदा मळ ॥ अनराग िचHी वराOयशीळ ॥ लौिककसग ीव अमगळ ॥ +याची सगती
नावड +या ॥१७॥
पचवषI दोघ कमर ॥ लविवती व4 अलकार ॥ गजम^माळा मनोहर ॥ नाना कार लविवती
॥१८॥
तव त बाळ दोघजण ॥ सवा�लकारउपाधी टाकन ॥ किरती 'िा) धारण ॥ भःम चिच�ती सवाeगी
॥१९॥
आवड सव�दा एकात ॥ ौवण किरती िशवलीलामत ॥ बोलती िशवनामावळी स+य ॥ पाहाण
िशवपजा सव�दा ॥२०॥
आfय� किरती राव धान ॥ यासी का नावाड व4भषण ॥ किरती 'िा)भःमधारण ॥ सदा ःमरण
िशवाच ॥२१॥
िवभित पसोिन 'िा) कािढती ॥ मागती व4 भषण लविवती ॥ त सविच ाiणासी अिप�ती ॥
घती मागती िशवदी)ा ॥२२॥
िश)ा किरता बहत ॥ परी त न सािडती आपल ोत ॥ राव धान िचतामःत ॥ !हणती कराव काय
आता ॥२३॥
तो उगवला सकतिमऽ ॥ घरासी आला पराशर ॥ सव विLत ऋषीच भार ॥ अपर सय� तजःवी
॥२४॥
जो कणBपायनाचा जिनता ॥ िऽकाळ\ानी ितसिLकता� ॥ जो विसaाचा नात तlवता ॥
रा)ससऽ जण कल ॥२५॥
जवी मनय वागती अपार ॥ तसिच पवI होत रजनीचर ॥ त िपतकवार समम ॥ जािळल सऽ
क>िनया ॥२६॥
जनमजय सप�सऽ कल ॥ त आिःतक म�यिच राहिवल ॥ पराशरासी पलःतीन ािथ�ल ॥ मग
वाचल रावणािदक ॥२७॥
िवरचीस दटाविन )णमाऽ ॥ ितसिL कली िवYािमऽ ॥ तवी िपतकवार पराशर ॥ वादी जज�र प
कल ॥२८॥
त सागावी समळ कथा ॥ तरी िवःतार होईल मथा ॥ यालागी �विनताथ� बोिलला आता ॥ कळल
पािहज िनधा�र ॥२९॥
ऐसा महाराज पराशर ॥ nयाचा नात होय शक योगीि ॥ तो भिसनाचा कळग' िनधा�र ॥ घरा
आला जाणोनी ॥३०॥
राव धान सामोर धावती ॥ साLाग नमिन घरासी आिणती ॥ षोडशोपचारी पिजती ॥ भाव िचHी
िवशष ॥३१॥
समःता व4 भषण दऊन ॥ राव िवनवी कर जोडन ॥ !हण दोघ कमर राऽिदन ॥ �यान किरती
िशवाच ॥३२॥
नावडती व4 अलकार ॥ 'िा)भःमावरी सदा भर ॥ वराOयशील अणमाऽ ॥ भाषण न किरती
कोणासी ॥३३॥
इिियभोगावरी नाही भर ॥ नावड राजिवलास अणमाऽ ॥ गजवािजयानी समम ॥आ>ढाव
आवडना ॥३४॥
पढ ह कस राnय किरती ॥ ह आ!हासी गढ पडल िचHी ॥ मग त दोघ कमर आणोिन ग>ती ॥
दाखिवल भिसन ॥३५॥
ग>न पािहल oLीसी ॥ जस िमऽ आिण शशी ॥ तस तजःवी उपमा तयासी ॥ नाही कोठ शोिधता
॥३६॥
यावरी बोल शि^सत ॥ !हण ह का झाल िशवभ^ ॥ याची पव�कथा समःत ॥ ऐक तज सागतो
॥३७॥
पवI कामीर दशात उHम ॥ महापpटण नििमाम ॥ तथील वारागना मनोरम ॥ महानदा नाम
ितयच ॥३८॥
+या मामीचा तोिच भप ॥ पqवीमाजी िनःसीम ःव>प ॥ लिलताकित पाहोिन कदप� ॥ त�मय
होवोिन न+य करी ॥३९॥
जसा उगवला पण�चि ॥ तस ितजवरी िवराज छऽ ॥ रsखिचत यान अपार ॥ भाOया पार नाही
ित,या ॥४०॥
रsमय दडय^ ॥ चामर जीवरी सदा ढळत ॥ मिणमय पादका रsखिचत ॥ चरणी िज,या सव�दा
॥४१॥
िविचऽ वसन िदtय सवास ॥ िहर.मयरsपयeतक राजस ॥ चिरिमसम काश ॥ शuया िजची
अिभनव ॥४२॥
िदtयाभरणी सय^ ॥ अगी सगध िवरािजत ॥ गोमिहषीिखAलार बहत ॥ वाजी गज घरी बहवस
॥४३॥
दास दासी अपार ॥ घरी माता सभाOय सहोदर ॥ िजच गायन ऐकता िक�नर ॥ तटःथ होती
कोिकळा ॥४४॥
िज,या न+याच कौशAय दखोन ॥ सकळ नप डोलिवती मान ॥ ितचा भोगकाम इ,छन ॥ भप
सभाOय यती घरा ॥४५॥
वया असोन पितोता ॥ निमला जो प'ष तlवता ॥ +याचा िदवस न सरता ॥ इिासही वय नtह
॥४६॥
परम िशवभ^ िवvयात ॥ दानशील उदार बहत ॥ सोमवार दोषोत ॥ िशवराऽ करी नमसी
॥४७॥
अ�नछऽ सदा चालवीत ॥ िन+य ल)िऽदळ िशव पिजत ॥ ाiणहःत अwत ॥ अिभषक करवी
िशवासी ॥४८॥
याचक मनी ज ज इ,छीत ॥ त त महानदा परवीत ॥ कोिट िलग करवीत ॥ ौावणमासी अ+यादर
॥४९॥
ऐक भिसना सावधान ॥ कxकट मक� ट पािळल ीतीक>न ॥ +या,या गळा 'िा) बाधोन ॥ नाच
िशकिवल कौतक ॥५०॥
आपल ज का न+यागार ॥ तथ िशविलग ःथािपल सदर ॥ कxकट मक� ट +यासमोर ॥ तथyिच बाधी
ीतीन ॥५१॥
करी िशवलीलामतपराणौवण ॥ तही ऐकती दोघजण ॥ सवyिच महानदा करी गायन ॥ न+य करी
िशवापढ ॥५२॥
महानदा +यासी सोडन ॥ न+य करवी कौतकक>न ॥ +या,या गळा कपाळी जाण ॥ िवभित चचI
ःवहःत ॥५३॥
एव ित,या सगतीक>न ॥ +यासही घडतस िशवभजन ॥ असो ितच सlव पाहावयालागोन ॥
सदािशव पातला ॥५४॥
सौदागराचा वष धिरला ॥ महानद,या सदना आला ॥ +याच ःव>प दखोिन त अबला ॥ त�मय
झाली तधवा ॥५५॥
पजा करोिन ःवहःतकी ॥ +यासी बसिवल रsमचकी ॥ तो पqवीमोलाच हःतकी ॥ ककण
+या,या दिखल ॥५६॥
दखता गली त�मय होऊन ॥ !हण ःवगIची वःत वाट पण� ॥ िवYक!या�न िनिम�ली जाण ॥
मानवी कत�+व ह नtह ॥५७॥
सौदागर त काढन ॥ ित,या हःतकी घातल ककण ॥ यरी होवोिन आनदघन ॥ नम करी तयासी
॥५८॥
पqवीच मोल ह ककण ॥ मीिह बHीस ल)णी पि{ण ॥ तीन िदवस सपण� ॥ दासी तमची झाल मी
॥५९॥
तयासी त मानल ॥ सवyिच +यान िदtयिलग कािढल ॥ सय� भहिन आगळ ॥ तज विण�ल नवजाय
॥६०॥
िलग दखोिन त वळी ॥ महानदा त�मय झाली ॥ !हण जय जय चिमौळी ॥ !हणोनी वदी िलगात
॥६१॥
!हण या िलगा,या भव>नी ॥ कोिट ककण टाकावी ओवाळनी ॥ सौदागर !हण महानदलागनी ॥
िलग ठवी जतन ह ॥६२॥
!हण या िलगापाशी माझा ाण ॥ भगल की गल दOध होऊन ॥ तरी मी अिOनवश करीन ॥
महाकठीण ोत माझ ॥६३॥
यरीन अवय !हणोन ॥ ठिवल न+यागारी नऊन ॥ मग दोघ किरती शयन ॥ रsखिचत मचकी
॥६४॥
ितच कस आह सlव ॥ धय� पाह सदािशव ॥ भ^ तारावया अिभनव ॥ कौतकचिरऽ दाखवी ॥६५॥
+या,या आ\क>न ॥ न+यशाळस लागला अOन ॥ जन धावो लागल चहकडोन ॥ एकिच हाक
जाहली ॥६६॥
तीस सावध करी मदनारी ॥ !हण अिOन लागला ऊठ लवकरी ॥ यरी उठली घाबरी ॥ तव
वाता+मज चतला ॥६७॥
तशामाजी उडी घालन ॥ कठपाश +याच काढन ॥ कxकट मक� ट िदधल सोडन ॥ गल पळोन
वनाती ॥६८॥
न+यशाळा भःम झाली समम ॥ मग शात झाला स`कर ॥ यावरी पस सौदागर ॥ महानदित
तधवा ॥६९॥
माझ िदtयिलग आह की जतन ॥ महानदा घाबरी ऐकोन ॥ व)ःःथळ घत बडवन ॥ !हण
िदtयिलग दOध झाल ॥७०॥
सौदागर बोल वचन ॥ नमाचा आिज दसरा िदन ॥ मी आपला दतो ाण ॥ िलगाकारण तजवरी
॥७१॥
मग िऽचरण चतिवला ॥ आकाशपथ जाती nवाळा ॥ सौदागर िस} झाला ॥ समीप आला कडा,या
॥७२॥
अितलाघवी उमारग ॥ जो भ^जनभवभग ॥ उडी घातली सवग ॥ ॐनमःिशवाय !हणवनी ॥७३॥
ऐस दखता महानदा ॥ बोलािवल सव� iवदा ॥ लटिवली सव� सपदा ॥ कोशसमवत सव�ही ॥७४॥
अYशाळा गजशाळा सपण� ॥ सव� सपिHसिहत करी गहदान ॥ महानदन ःनान क>न ॥ भःम
अगी चिच�ल ॥७५॥
'िा) सवाeगी लऊन ॥ दयी िचितल िशव�यान ॥ हर हर िशव !हणवन ॥ उडी िनःशक घातली
॥७६॥
सय�िबब िनघ उदयाचळी ॥ तसा गटला कपाळमौळी ॥ दशभज पचवदन चिमौळी ॥ सकटी पाळी
भ^ात ॥७७॥
माथा जटाचा भार ॥ ततीयनऽी वYानर ॥ िशरी झळझळ वाह नीर ॥ भयकर महाजोगी ॥७८॥
चिकळा तयाच िशरी ॥ नीळकठ खpवागधारी ॥ भःम चिच�ल शरीरी ॥ गजचम� पाघरला ॥७९॥
नसलास tयायाबर ॥ गळा मनयमडाच हार ॥ सवाeग विLत फिणवर ॥ दशभजा िमरिवती ॥८०॥
वरचवरी कदक झलीत ॥ तवी दहा भजा पसरोनी अकःमात ॥ महानदसी झलिन धरीत ॥
दयकमली परमा+मा ॥८१॥
!हण जाहलो मी सस�न ॥ महानद माग वरदान ॥ ती !हण ह नगर उ}>न ॥ िवमानी बसवी
दयाळा ॥८२॥
माताबधसमवत ॥ महानदा िवमानी बसत ॥ िदtय>प पावोिन +विरत ॥ नगरासमवत चालली
॥८३॥
पावली सकळ िशवपदी ॥ जथ नाही आिधtयाधी ॥ )धातषािवरिहत िऽश}ी ॥ भदबि} कची तथ
॥८४॥
नाही काम बोध BB दःख ॥ मद म+सर नाही िनःशक ॥ जथीच गोड उदक ॥ अमताहिन कोिटगण
॥८५॥
जथ सरत>ची वन अपार ॥ सरभीची बहत िखAलार ॥ िचतामणीची धवलागार ॥ भ^ाकारण
िनिम�ली ॥८६॥
जथ वोसणता बोलती िशवदास ॥ त त ा` होय तयास ॥ िशवपद सव�दा अिवनाश ॥ महानदा तथ
पावली ॥८७॥
ह कथा परम सरस ॥ पराशर साग भिसनास ॥ !हण ह कमर दोघ िनःशष ॥ कxकट मक� ट पव�च
॥८८॥
कठी 'िा)धारण ॥ भाळी िवभित चच�न ॥ +यािच पव�प.यक>न ॥ सधम� तारक उपजल ॥८९॥
ह पढ राnय करतील िनदJष ॥ बHीस ल)णी डोळस ॥ िशवभजनी लािवती बहतास ॥ उ}िरतील
त!हात ॥९०॥
अमा+यसिहत भिसन ॥ ग>सी घाली लोटागण ॥ !हण इतकन मी ध�य ॥ सपऽ उदरी ज�मल
॥९१॥
भिसन बोलत पढती ॥ ह राnय िकती वष� किरती ॥ आययमाण िकती ॥ सागा यथाथ� ग'वया�
॥९२॥
बहत किरता नवस ॥ एवढािच पऽ आ!हास ॥ परम ियकर राजस ॥ ाणाहिन आवड बह ॥९३॥
तम,या आगमनक>न ॥ ःवामी मज समाधान ॥ तरी या पऽाच आययमाण ॥ सागा ःवामी
मज तlवता ॥९४॥
ऋिष !हण मी स+य बोलन दख ॥ परी त!हासी ऐकता वाटल दःख ॥ ह सभा सकिळक ॥
दःखाण�वी पडल प ॥९५॥
+ययसoश बोलाव वचन ॥ ना तरी आगास यत मख�पण ॥ त!हा वाटल िवषाहन ॥ िवशष ऐसी त
गोLी ॥९६॥
भिसन !हण स+य वचन ॥ बोलावया न करावा अनमान ॥ तरी त�या पऽासी बारा वष� पण� ॥
झाली असता जाणपा ॥९७॥
आजपासोिन सातव िदवशी ॥ म+य पावल या समयासी ॥ राव ऐकता धरणीसी ॥ म,छा� यऊिन
पिडयला ॥९८॥
अमा+यासिहत +या ःथानी ॥ दःखाOनीत गल आहाळोनी ॥ अतःपरी सकळ कािमनी ॥ आकात
किरती आबोश ॥९९॥
क>िनया हाहाकार ॥ व)ःःथळ िपटी नपवर ॥ मग रायासी पराशर ॥ सावध करोिन गोL साग
॥१००॥
नपौaा न सोडी धीर ॥ ऐक एक सागतो िवचार ॥ ज पचभत नtहती समम ॥ शिशिमऽ नtहत त
॥१॥
नtहता मायामय िवकार ॥ कवळ iमय साचार ॥ तथ झाल ःफरणजागर ॥ अह i !हणोिनया
॥२॥
त �विन माया स+य ॥ तथोिन जाहल महHlव ॥ मग िऽिवध अहकार होत ॥ िशवइ,छक>िनया
॥३॥
सlवाश िनिम�ला पीतवसन ॥ रजाश सिLकता� ििहण ॥ तमाश 'ि पिरपण� ॥ सग�िःथ+यत
करिवता ॥४॥
िवधीसी !हण सिL रची पण� ॥ य> !हण मज नाही \ान ॥ मग िशव तयालागन ॥ चारी वद
उपदिशल ॥५॥
चह वदाच सार पण� ॥ तो हा 'िा�याय परम पावन ॥ +याहिन िवशष ग� \ान ॥ भवनऽयी असना
॥६॥
बहत करी हा जतन ॥ +याहिन आिणक थोर नाही साधन ॥ हा 'िा�याय िशव>प !हणन ॥
ौीशकर ःवय बोल ॥७॥
ज 'िा�याय ऐकती पढती ॥ +या,या दश�न जीव उ}रती ॥ मग कमलोwव एकाती ॥ स`पऽा साग
'ि हा ॥८॥
मग सादाय ऋषीपासोन ॥ भतली आला अ�याय जाण ॥ थोर जप तप \ान ॥ +याहिन अ�य
नसिच ॥९॥
जो हा अ�याय जप सपण� ॥ +याचिन दश�न तीथ� पावन ॥ ःवगIच दव दश�न ॥ +याच घऊ इि,छती
॥११०॥
जप तप िशवाच�न ॥ याहिन थोर नाही जाण ॥ 'िमिहमा अगाध पण� ॥ िकती !हणोिन वणा�वा
॥११॥
'िमिहमा वाढला फार ॥ ओस पिडल भानपऽनगर ॥ पाश सोडोिन यमिककर ॥ िरत िहडो लागल
॥१२॥
मग यम िविधलागी पसोन ॥ अभि^क+या िनिम�ली दा'ण ॥ ितण कतक� वादी भदी ल)न ॥
+या,या दयी सचरली ॥१३॥
+यासी म+सर वाढिवला िवशष ॥ वाट करावा िशवBष ॥ तण त जावोिन यमपरीस महानरकी पडल
सदा ॥१४॥
यम साग दताती ॥ िशवBषी ज पापमती ॥ त अAपायषी होती ॥ नाना रीती जाचणी करा ॥१५॥
िशव थोर िवण लहान ॥ हिर िवशष हर गौण ॥ ऐस !हणती ज +यालागन ॥ आणोिन नरकी
घालाव ॥१६॥
'िा�याय नावड nयासी ॥ कभीपाकी घालाव +यासी ॥ 'िानaान आययासी ॥ वि} होय िनधा�र
॥१७॥
याकिरता भिसन अवधारी ॥ अयत 'िावत�न करी ॥ िशवावरी अिभषकधार धरी ॥ म+य दरी होय
साच ॥१८॥
अथवा शतघट ःथापन ॥ िदtयव)ाच पAलव आणन ॥ 'ि उदक अिभमऽन ॥ अिभिषचन पऽा
करी ॥१९॥
िन+य दहा सह4आवत�न पण� ॥ )ोणीपाळा करी स`िदन ॥ राय धिरल oढ चरण ॥ स�द होवोिन
बोलत ॥१२०॥
सकळऋिषरsमिडतपदक ॥ ःवामी त +यात मvय नायक ॥ काळ म+य भय शोक ॥ ग' र)ी
+यापासिन ॥२१॥
तरी +वा आचाय�+व कराव पण� ॥ तजसव ज आहत ाiण ॥आणीक सागती त बोलावन ॥
आतािच आिणतो आरभी ॥२२॥
मग सह4 िव बोलावन ॥ nयाची 'िानaानी भि^ पण� ॥ �यास�यानय^ पढन ॥ ग>पासन ज
आल ॥२३॥
परदारा आिण परधन ॥ nयाची वमनाहिन नीच पण� ॥ िवर^ सशील गिलया ाण ॥ दL ितमह
न घती ॥२४॥
ज शापानमहसमथ� ॥ सामqयJ चालो न दती िमऽरथ ॥ िकवा सा)ात उमानाथ ॥ पढ आणोिन
उभा किरती ॥२५॥
ऐस ल)णय^ ाiण ॥ बसला tयासिपता घऊन ॥ सह4 घट माडन ॥ अिभमऽोिन ःथािपल
॥२६॥
ःवध�नीच सिलल भरल पण� ॥ +यात आपAलव घालन ॥ 'िघोष गिज��नल ाiण ॥ अनaान
िदtय मािडल ॥२७॥
शा4सvया झाल िदवस ॥ सातव िदवशी म�या�ी आला चडाश ॥ म+यसमय यता धरणीस ॥ बाळ
मि,छ�त पिडयला ॥२८॥
एक महत� िनचिLत ॥ चलनवलन रािहल समःत ॥ परम घाबरला नपनाथ ॥ ग' दत नाभीकारा
॥२९॥
'िोदक िशपन ॥ सावध कला राजनदन ॥ +यासी पसती वत�मान ॥ वत�ल तिच सागत ॥१३०॥
एक काळप'ष भयानक थोर ॥ ऊ�व� जटा कपाळी शyदर ॥ िवबाळ दाढा भयकर ॥ नऽ
खािदरागासारख ॥३१॥
तो मज घऊिन जात असता ॥ चौघ प'ष धावोिन आल तlवता ॥ पचवदन दशभज +याची
सा!यता ॥ कमळभवाडी दजी नस ॥३२॥
त तज जस गभःती ॥ िदगततम सहािरती ॥ भःम अगी tयायाबर िदसती ॥ दश हःती आयध
॥३३॥
त महाराज यऊन ॥ मज सोडिवल तोडोिन बधन ॥ +या काळप'षासी ध>न ॥ करीत ताडण गल त
॥३४॥
ऐस पऽमखीच ऐकता उHर ॥ भिसन करी जयजयकार ॥ ाiणासी घाली नमःकार ॥ आनदाौ
नऽी आल ॥३५॥
अगी रोमाच दाटल ॥ मग िवचरणी गडबडा लोळ ॥ िशवनाम गज�त तय वळ ॥ दव समन वष�ती
॥३६॥
अनक वा�ाच गजर ॥ डक गज� अव�यात थोर ॥ मखBयाची महासःवर ॥ मदगवा� गज�ती
॥३७॥
अनक वा�ाच गजर ॥ िशवलीला गाती अपार ॥ ौगभग काहाळ थोर ॥ सनया अपार वाजती
॥३८॥
चिानना धडकती भरी ॥ नाद न माय नभोदरी ॥ असो भिसन यावरी िविधय^ होम करीतस
॥३९॥
षसस अ�न शोिभवत ॥ अलकार िदtय व4 दत ॥ अमोिलक वःत अwत ॥ आणोिन अपI
ाiणासी ॥१४०॥
दि)णलागी भाडार ॥ म^ कली राजyि ॥ !हण आवड िततक भरा एकसर ॥ माग पढ पाह नका
॥४१॥
सव� याचक कल त ॥ पर पर हिच ऐिकली मात ॥ धनभार झाला बहत ॥ !हणोिन सािडती ठायी
ठायी ॥४२॥
ाiण दती मऽा)ता ॥ िवजय कAयाण हो तिझया सता ॥ ऐसा अित आनद होत असता ॥ तो
अwत वत�ल ॥४३॥
वसत यत सगधवनी ॥ की काशी)ऽावरी ःवध�नी ॥ की Yतो+पल मडानी ॥ रमण िलग अिज�च
॥४४॥
की िनद�वासी सापड िचतामणी ॥ की )िधतापढ )ीराि�ध य धावनी ॥ तसा कमलोwवनदन त
)णी ॥ नारदमनी पातला ॥४५॥
वाAमीक स+यवतीनदन ॥ औHानपादीकयाध दयरs ॥ ह िशय nयाच िऽभवनी जाण ॥ व� ज
का सवाeत ॥४६॥
जो चतःषिLकळावीण िनम�ळ ॥ चतद�शीचा करतळामळ ॥ nयाच ःव>प पाहता कवळ ॥
नारायण दसरा की ॥४७॥
ह कमळभवाड मोडोनी ॥ पनःसिL करणार मागतनी ॥ अ�याय िवलोिकता नयनी ॥ दड ताडील
शबािदका ॥४८॥
तो नारद दखोिन तिच )णी ॥ कडातिन मित�मत िनघ अOनी ॥ दि)णिOन गाह�प+य आहवनी ॥
उभ ठाकल दखता ॥४९॥
पराशरािद सकळ ाiण ॥ धानासिहत भिसन ॥ धावोिन धिरती चरण ॥ iानद उचबळल
॥१५०॥
िदtय गध िदtय समनी ॥ षोडशोपचार पिजला नारदमनी ॥ राव उभा ठाक कर जोडोनी ॥ !हण
ःवामी अतीिियिLा त ॥५१॥
िऽभवनी गमन सव� तझ ॥ काही दिखल साग अपव� ॥ नारद !हण मागI यता िशव ॥ दत चौघ
दिखल ॥५२॥
दशभज पचवदन ॥ ितही म+य नला बाधोन ॥ त�या पऽाच चकिवल मरण ॥ 'िानaान ध�य कल
॥५३॥
तव पऽर)णाथ� त वळा ॥ िशव वीरभिमvय पाठिवला ॥ मज दखता म+यसी पस लागला ॥
िशवसत ऐका त ॥५४॥
त कोणा,या आ\व>न ॥आणीत होतासी भिसननदन ॥ +यासी दहा सह4 वष� पण� ॥ आयय
अस िनfय ॥५५॥
तो साव�भौम होईल तlवता ॥ 'िमिहम तज ठाऊक अःता ॥ िशवमया�दा उAलघिन तlवता ॥ कसा
आणीत होतासी ॥५६॥
मग िचऽग`ा पस सय�नदन ॥ पिऽका पािहली वाचन ॥ तव BादशवषI म+यिच�ह ॥ गडातर थोर
होत ॥५७॥
त मह+प.य िनरसिन सहज ॥ दहा सह4 वष� कराव राnय ॥ मग तो सय�नदन महाराज ॥
ःवापराध कLी बह ॥५८॥
मग उभा ठाकिन कतात ॥ कर जोडोिन ःतवन करीत ॥ ह अपणा�धव िहमनगजामात ॥ अपराध न
कळत घडला हा ॥५९॥
ऐस नारद सागता त )णी ॥ राय पायावरी घातली लोळणी ॥ आणीक सह4 'ि क>नी ॥
महो+साह करीतस ॥१६०॥
शत'ि किरता िनःशष ॥ शतायषी होय तो प'ष ॥ हा अ�याय पढता िनदJष ॥ तो िशव>प यािच
दही ॥६१॥
तो यथिच झाला म^ ॥ +या,या तीथ� तरती बहत ॥ असो यावरी iसत ॥ अतधा�न पावला ॥६२॥
आनदमय शि^नदन ॥ राय शतप{ धन दऊन ॥ तोषिवला ग' सपण� ॥ ऋषीसिहत जाता झाला
॥६३॥
ह भिसन आvयान ज पढती ॥ +यासी होय आयय सतती ॥ +यासी काळ न बाध अती ॥ वदोिन
नती िशवपदा ॥६४॥
दशशत किपलादान ॥ ऐकता पढता घड प.य ॥ कल असल अभआयभ)ण ॥ सरापान iह+या
॥६५॥
एव महापापपव�त तlवता ॥ भःम होती ौवण किरता ॥ हा अ�याय िऽकाळ वािचता ॥ गडातर दर
होती ॥६६॥
यावरी किलयगी िनःशष ॥ िशवकीत�नाचा मिहमा िवशष ॥ आययहीन लोकास ॥ अनaान हिच
िनधा�र ॥६७॥
मग तो राव भिसन ॥ सधम� पऽासी राnय दऊन ॥ यवराnय तारकालागन ॥ दता झाला त काळी
॥६८॥
मग धानासमवग राव जाणा ॥ जाता झाला तपोवना ॥ िशवअनaान 'िा�याना ॥ किरता महा'ि
तोषला ॥६९॥
िवमानी बसविन +विरत ॥ राव धान नल िमरिवत ॥ िविधलोकी वकठी वास बहत ॥
ःव,छक>िन रािहल ॥१७०॥
शवटी िशवपदासी पावन ॥ रािहल िशव>प होऊन ॥ हा अकरावा अ�याय जाण ॥ ःव>प एकादश
'िाच ॥७१॥
हा अ�याय किरता ौवण ॥ एकादश 'ि समाधान ॥ की हा कAपिम सपण� ॥ इि,छल फळ दणार
॥७२॥
म+यजयजप 'िानaन ॥ +यासी न बाधी महपीडा िव�न ॥ िपशाचबाधा रोग दा'ण ॥ न बाधीच
सव�थाही ॥७३॥
यथ जो मानील अिवYास ॥ तो होईल अAपायषी तामस ॥ ह िनदी तो चाडाळ िनःशष ॥ +याचा
िवटाळ न tहावा ॥७४॥
+यासी सवोिन वाझ झाली माता ॥ +याची सगती न धरावी तlवता ॥ +यासी सभाषण किरता ॥
महापातक जािणज ॥७५॥
त आपAया गहासी न आणाव ॥ आपण +या,या सदनासी न जाव ॥ त +यजाव जीवभाव ॥ जवी
सशील िहसकगह ॥७६॥
जो +य) भि)तो िवष ॥ ज मख� बसती +याच प^ीस ॥ +यासी म+य आला या गोLीस ॥ सदह
काही असना ॥७७॥
असो सव�भाव िनिfत ॥ अखड पहाव िशवलीलामत ॥ ह न घड तरी +विरत ॥ हा अ�याय तरी
वाचावा ॥७८॥
या अ�यायाच किरता अनaान ॥ तयासी िन+य 'ि कAयाच प.य ॥ +याच घरी अनिदन ॥
iानद गटल ॥७९॥
अपणा� दया�जिमिलद ॥ ौीधरःवामी तो iानद ॥ जो जगदानदमळकद ॥ अभग न िवट
कालऽयी ॥१८०॥
िशवलीलामत मथ चड ॥ ःकदपराण iोHरखड ॥ पिरसोत सnजन अखड ॥ एकादशा�याय
गोड हा ॥१८१॥
इित एकादशोऽ�यायः समा`ः ॥११॥
॥ौीसाबसदािशवाप�णमःत॥