2Corinthians 2कुिरिन्थयों2क र न थय १:१ 1 2क र न थय...

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2 कु िरिथयो 1:1 1 2 कु िरिथयो 1:8 2 Corinthians 2 कु िरिथयो अिभवादन 1 पौलुस की ओर स जो परम वर की इछा स मसीह यीशु का िरत ह , और भाई तीमुिथयुस की ओर स परम वर की उस कलीिसया क नाम जो कुिरथुस म ह , और सार अखाया क सब पिव लोगो क नाम: 2 हमार िपता परम वर और भु यीशु मसीह की ओर स तुह अनुह और शाित िमलती रह शाित का परम वर 3 हमार भु यीशु मसीह क परम वर, और िपता का धयवाद हो, जो दया का िपता, और सब कार की शाित का परम वर ह 4 वह हमार सब ल शो म शाित द ता ह ; तािक हम उस शाित क कारण जो परम वर हम द ता ह , उह भी शाित द सक , जो िकसी कार क श म हो 5 यो िक ज स मसीह क दुःख* हमको अिधक होत ह , स ही हमारी शाित म भी मसीह क ारा अिधक सहभागी होत ह 6 यिद हम ल श पात ह , तो यह तुहारी शाित और उार क िलय ह और यिद शाित पात ह , तो यह तुहारी शाित क िलय ह ; िजसक भाव स तुम धीरज क साथ उन ल शो को सह ल त हो, िजह हम भी सहत ह 7 और हमारी आशा तुहार िवषय म द ढ़ ह *; यो िक हम जानत ह , िक तुम ज स दुःखो क स ही शाित क भी सहभागी हो। दुःख स बचाया 8 ह भाइयो , हम नही चाहत िक तुम हमार उस ल श स अनजान रहो, जो आिसया म हम पर पड़ा, िक ऐस भारी बोझ स दब गए

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  • 2 कुिरिन्थयों 1:1 1 2 कुिरिन्थयों 1:8

    2 Corinthians2 कुिरिन्थयों

    अिभवादन1 पौलसु की ओर से जो परमश्े वर की इच्छा से मसीह यीशु

    का प्रिेरत ह,ै और भाई तीमिुथयसु की ओर से परमश्े वर की उसकलीिसया के नाम जो कुिरन्थसु में ह,ै और सारे अखाया के सबपिवत्र लोगों के नाम: 2 हमारे िपता परमश्े वर और प्रभु यीशु मसीहकी ओर से तमु्हें अनगु्रह और शािन्त िमलती रह।े

    शािन्त का परमश्े वर3 हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमश्े वर, और िपता का धन्यवाद

    हो, जो दया का िपता, और सब प्रकार की शािन्त का परमश्े वर ह।ै4 वह हमारे सब क्लशेों मे ं शािन्त दतेा ह;ै तािक हम उस शािन्त केकारण जो परमश्े वर हमें दतेा ह,ै उन्हें भी शािन्त दे सके, जो िकसीप्रकार के क्लशे में हो।ं

    5 क्योिंक जसैे मसीह के दःुख* हमको अिधक होते है,ं वसैे हीहमारी शािन्त में भी मसीह के ारा अिधक सहभागी होते ह।ै 6 यिदहम क्लशे पाते है,ं तो यह तमु्हारी शािन्त और उ ार के िलये है औरयिद शािन्त पाते है,ं तो यह तमु्हारी शािन्त के िलये ह;ै िजसके प्रभावसे तमु धीरज के साथ उन क्लशेों को सह लतेे हो, िजन्हें हम भीसहते है।ं 7 और हमारी आशा तमु्हारे िवषय में दढ़ृ ह*ै; क्योिंक हमजानते है,ं िक तमु जसैे दःुखों के वसैे ही शािन्त के भी सहभागी हो।

    दःुख से बचाया8 हे भाइयो,ं हम नहीं चाहते िक तमु हमारे उस क्लशे से अनजान

    रहो, जो आिसया में हम पर पड़ा, िक ऐसे भारी बोझ से दब गए

  • 2 कुिरिन्थयों 1:9 2 2 कुिरिन्थयों 1:17

    थ,े जो हमारी सामथ्य से बाहर था, यहा ँ तक िक हम जीवन से भीहाथ धो बठेै थ।े 9 वरन् हमने अपने मन में समझ िलया था, िक हमपर मतृ्यु की सजा हो चकुी है िक हम अपना भरोसा न रखे,ं वरन्परमश्े वर का जो मरे हओुं को िजलाता ह।ै 10 उसी ने हमें मतृ्यु केऐसे बड़े संकट से बचाया, और बचाएगा; और उससे हमारी यहआशा ह,ै िक वह आगे को भी बचाता रहगेा।

    11 और तमु भी िमलकर प्राथना के ारा हमारी सहायता करोग,ेिक जो वरदान बहतुों के ारा हमें िमला, उसके कारण बहतु लोगहमारी ओर से धन्यवाद करे।ं

    साफ अंतःकरण12क्योिंक हम अपने िववके की इस गवाही पर घमण्ड करते है,ं

    िक जगत में और िवशषे करके तमु्हारे बीच हमारा चिरत्र परमश्े वरके योग्य ऐसी पिवत्रता और स ाई सिहत था, जो शारीिरक ान सेनही,ं परन्तु परमश्े वर के अनगु्रह के साथ था। 13 हम तमु्हें और कुछनहीं िलखत,े केवल वह जो तमु पढ़ते या मानते भी हो, और मझुेआशा ह,ै िक अन्त तक भी मानते रहोग।े 14 जसैा तमु में से िकतनोंने मान िलया ह,ै िक हम तमु्हारे घमण्ड का कारण ह;ै वसैे तमु भीप्रभु यीशु के िदन हमारे िलये घमण्ड का कारण ठहरोग।े

    यात्रा में पिरवतन15 और इस भरोसे से मैं चाहता था िक पहले तमु्हारे पास

    आऊँ; िक तमु्हें एक और दान िमल।े 16 और तमु्हारे पास से होकरमिकदिुनया को जाऊँ, और िफर मिकदिुनया से तमु्हारे पास आऊँऔर तमु मझुे यहूिदया की ओर कुछ दूर तक पहुचँाओ।

    17 इसिलए मैनंे जो यह इच्छा की थी तो क्या मैनंे चंचलतािदखाई? या जो करना चाहता हू ँ क्या शरीर के अनसुार करनाचाहता हू,ँ िक मैं बात में ‘हा,ँ हा’ँभी क ँ ; और ‘नही,ं नही’ंभी क ँ ?

  • 2 कुिरिन्थयों 1:18 3 2 कुिरिन्थयों 2:418परमश्े वर िव ासयोग्य ह,ै िक हमारे उस वचन में जो तमु से कहा‘हा’ँ और ‘नही’ं दोनों पाए नहीं जात।े

    19 क्योिंक परमश्े वर का पतु्र यीशु मसीह िजसका हमारे ाराअथात् मरेे और िसलवानसु और तीमिुथयसु के ारा तमु्हारे बीच मेंप्रचार हआु; उसमें ‘हा’ँ और ‘नही’ं दोनों न थी; परन्त,ु उसमें ‘हा’ँ ही‘हा’ँ हईु। 20 क्योिंक परमश्े वर की िजतनी प्रित ाए*ँ है,ं वे सब उसीमें ‘हा’ँ के साथ हैं इसिलए उसके ारा आमीन भी हईु, िक हमारेारा परमश्े वर की मिहमा हो।

    21और जो हमें तमु्हारे साथ मसीह में दढ़ृ करता ह,ै और िजस नेहमें अिभषके* िकया वही परमश्े वर ह।ै 22 िजस ने हम पर छाप भीकर दी है और बयाने मे ं आत्मा को हमारे मनों मे ं िदया।

    23मैं परमश्े वर को गवाह करता हू,ँ िक मैं अब तक कुिरन्थसु मेंइसिलए नहीं आया, िक मझुे तमु पर तरस आता था। 24 यह नही,ंिक हम िव ास के िवषय में तमु पर प्रभतुा जताना चाहते है;ं परन्तुतमु्हारे आनन्द में सहायक हैं क्योिंक तमु िव ास ही से िस्थर रहतेहो।

    2अपने प्रमे की पिु करना

    1मैनंे अपने मन में यही ठान िलया था िक िफर तमु्हारे पास उदासहोकर न आऊँ। 2 क्योिंक यिद मैं तमु्हे ं उदास क ँ , तो मझुे आनन्ददनेवेाला कौन होगा, केवल वही िजसको मैनंे उदास िकया?

    3 और मैनंे यही बात तमु्हें इसिलए िलखी, िक कहीं ऐसा न हो,िक मरेे आने पर िजनसे मझुे आनन्द िमलना चािहए, मैं उनसे उदासहोऊँ; क्योिंक मझुे तमु सब पर इस बात का भरोसा ह,ै िक जो मरेाआनन्द ह,ै वही तमु सब का भी ह।ै 4 बड़े क्लशे, और मन के क *स,े मैनंे बहतु से आसूँ बहा बहाकर तमु्हें िलखा था इसिलए नही,ं

  • 2 कुिरिन्थयों 2:5 4 2 कुिरिन्थयों 2:15िक तमु उदास हो, परन्तु इसिलए िक तमु उस बड़े प्रमे को जान लो,जो मझुे तमु से ह।ै

    पापी को मा5 और यिद िकसी ने उदास िकया ह,ै तो मझुे ही नहीं वरन् (िक

    उसके साथ बहतु कड़ाई न क ँ ) कुछ-कुछ तमु सब को भी उदासिकया ह।ै (गला. 4:12) 6 ऐसे जन के िलये यह दण्ड जो भाइयों मे ंसे बहतुों ने िदया, बहतु ह।ै 7 इसिलए इससे यह भला है िक उसकाअपराध मा करो; और शािन्त दो, न हो िक ऐसा मनषु्य उदासी मेंडूब जाए। (इिफ. 4:32)

    8इस कारण मैं तमु से िवनती करता हू,ँ िक उसको अपने प्रमे काप्रमाण दो। 9 क्योिंक मैनंे इसिलए भी िलखा था, िक तमु्हें परख लू,ँिक तमु सब बातों के मानने के िलये तयैार हो, िक नही।ं

    10 िजसका तमु कुछ मा करते हो उसे मैं भी मा करता हू,ँक्योिंक मैनंे भी जो कुछ मा िकया ह,ै यिद िकया हो, तो तमु्हारेकारण मसीह की जगह में होकर मा िकया ह।ै 11 िक शतैान* काहम पर दावँ न चल,े क्योिंक हम उसकी यिु यों से अनजान नही।ं

    मिकदिुनया के िलये यात्रा12और जब मैं मसीह का ससुमाचार,सनुाने को त्रोआस में आया,

    और प्रभु ने मरेे िलये एक ार खोल िदया। 13 तो मरेे मन में चनै निमला, इसिलए िक मैनंे अपने भाई तीतसु को नहीं पाया; इसिलएउनसे िवदा होकर मैं मिकदिुनया को चला गया।

    मसीही सवेक—जीवन की सगुन्ध14 परन्तु परमश्े वर का धन्यवाद हो, जो मसीह में सदा हमको

    जय के उत्सव में िलये िफरता ह,ै और अपने ान की सगुन्ध हमारेारा हर जगह फैलाता ह।ै 15 क्योिंक हम परमश्े वर के िनकट उ ारपानवेालो,ं और नाश होनवेालो,ं दोनों के िलये मसीह की सगुन्ध है।ं

  • 2 कुिरिन्थयों 2:16 5 2 कुिरिन्थयों 3:716 िकतनों के िलये तो मरने के िनिम मतृ्युकी गन्ध,और िकतनों

    के िलये जीवन के िनिम जीवन की सगुन्ध,और इन बातों के योग्यकौन ह?ै 17क्योिंक हम उन बहतुों के समान नही,ं जो परमश्े वर केवचन में िमलावट करते है;ं परन्तु मन की स ाई स,े और परमश्े वरकी ओर से परमश्े वर को उपिस्थत जानकर मसीह में बोलते है*ं।

    3मसीही जीिवत पत्र

    1 क्या हम िफर अपनी बड़ाई करने लग?े या हमें िकतनों केसमान िसफािरश की पित्रया ँ तमु्हारे पास लानी या तमु से लनेी है?ं2हमारी पत्री तमु ही हो*,जो हमारे दयों पर िलखी हईु ह,ैऔर उसेसब मनषु्य पहचानते और पढ़ते ह।ै 3 यह प्रगट ह,ै िक तमु मसीहकी पत्री हो, िजसको हमने सवेकों के समान िलखा; और जो स्याहीसे नही,ं परन्तु जीिवते परमश्े वर के आत्मा से पत्थर की पिटयों परनही,ं परन्तु दय की मासँ पी पिटयों पर िलखी ह।ै (िनग. 24:12,ियम. 31:33, यह.े 11:19-20)

    पौलसु की मता4हम मसीह के ारा परमश्े वर पर ऐसा ही भरोसा रखते है।ं 5 यह

    नही,ं िक हम अपने आप से इस योग्य है,ं िक अपनी ओर से िकसीबात का िवचार कर सके; पर हमारी योग्यता परमश्े वर की ओर सेह।ै 6 िजस ने हमें नई वाचा के सवेक होने के योग्य भी िकया, शब्दके सवेक नहीं वरन् आत्मा के; क्योिंक शब्द मारता ह,ै पर आत्मािजलाता ह।ै (िनग. 24:8, ियम. 31:31, ियम. 32:40)

    नई वाचा की मिहमा7 और यिद मतृ्यु की यह वाचा िजसके अ र पत्थरों पर खोदे

    गए थ,े यहा ँ तक तजेोमय हईु, िक मूसा के मुहँ पर के तजे के कारण

  • 2 कुिरिन्थयों 3:8 6 2 कुिरिन्थयों 4:2जो घटता भी जाता था, इस्राएल उसके मुहँ पर दिृ नहीं कर सकतेथ।े 8 तो आत्मा की वाचा और भी तजेोमय क्यों न होगी?

    9 क्योिंक जब दोषी ठहरानवेाली वाचा तजेोमय थी, तो धमीर्ठहरानवेाली वाचा और भी तजेोमय क्यों न होगी? 10 और जोतजेोमय था, वह भी उस तजे के कारण जो उससे बढ़कर तजेोमयथा, कुछ तजेोमय न ठहरा। (िनग. 34:29-30) 11 क्योिंक जब वहजो घटता जाता था तजेोमय था, तो वह जो िस्थर रहगेा, और भीतजेोमय क्यों न होगा?

    12 इसिलए ऐसी आशा रखकर हम साहस के साथ बोलते है।ं13 और मूसा के समान नही,ं िजस ने अपने मुहँ पर परदा डालाथा तािक इस्राएली उस घटनवेाले तजे के अन्त को न दखेे।ं (िनग.34:33,35)

    14 परन्तु वे मितमन्द हो गए, क्योिंक आज तक परुाने िनयम केपढ़ते समय उनके दयों पर वही परदा पड़ा रहता ह;ै पर वह मसीहमें उठ जाता ह।ै 15 और आज तक जब कभी मूसा की पसु्तक पढ़ीजाती ह,ै तो उनके दय पर परदा पड़ा रहता ह।ै 16 परन्तु जब कभीउनका दय प्रभु की ओर िफरेगा, तब वह परदा उठ जाएगा। (िनग.34:34, यशा. 25:7)

    17 प्रभु तो आत्मा ह:ै और जहा ँ कहीं प्रभु का आत्मा है वहा ँस्वतंत्रता ह।ै 18 परन्तु जब हम सब के उघाड़े चहेरे* से प्रभु काप्रताप इस प्रकार प्रगट होता ह,ै िजस प्रकार दपण मे,ं तो प्रभु के ाराजो आत्मा ह,ै हम उसी तजेस्वी प में अंश-अंश कर के बदलतेजाते है।ं

    4ससुमाचार का प्रकाश

    1 इसिलए जब हम पर ऐसी दया हईु, िक हमें यह सवेा िमली,तो हम साहस नहीं छोड़त।े 2 परन्तु हमने लज्जा के गु कामों कोत्याग िदया*,और न चतरुाई से चलत,ेऔर न परमश्े वर के वचन में

  • 2 कुिरिन्थयों 4:3 7 2 कुिरिन्थयों 4:13िमलावट करते है,ं परन्तु सत्य को प्रगट करके, परमश्े वर के सामनेहर एक मनषु्य के िववके में अपनी भलाई बठैाते है।ं

    3 परन्तु यिद हमारे ससुमाचार पर परदा पड़ा ह,ै तो यह नाशहोनवेालों ही के िलये पड़ा ह।ै 4 और उन अिव ािसयों के िलय,ेिजनकी बिु को इस संसार के ई र* ने अंधी कर दी ह,ै तािकमसीह जो परमश्े वर का प्रित प ह,ै उसके तजेोमय ससुमाचार काप्रकाश उन पर न चमके।

    5 क्योिंक हम अपने को नही,ं परन्तु मसीह यीशु को प्रचार करतेहै,ं िक वह प्रभु ह;ै और उसके िवषय में यह कहते है,ं िक हम यीशुके कारण तमु्हारे सवेक है।ं 6 इसिलए िक परमश्े वर ही ह,ै िजसने कहा, “अंधकार में से ज्योित चमके,” और वही हमारे दयों मे ंचमका, िक परमश्े वर की मिहमा की पहचान की ज्योित यीशु मसीहके चहेरे से प्रकाशमान हो। (यशा. 9:2)

    िम ी के पात्रों मे ं धन7 परन्तु हमारे पास यह धन िम ी के बरतनों मे ं रखा ह,ै िक यह

    असीम सामथ्य हमारी ओर से नही,ं वरन् परमश्े वर ही की ओरसे ठहरे। 8 हम चारों ओर से क्लशे तो भोगते है,ं पर संकट में नहींपड़त;े िन पाय तो है,ं पर िनराश नहीं होत।े 9 सताए तो जाते है;ं परत्यागे नहीं जात;े िगराए तो जाते है,ं पर नाश नहीं होत।े 10 हम यीशुकी मतृ्यु को अपनी दहे में हर समय िलये िफरते है*ं; िक यीशु काजीवन भी हमारी दहे में प्रगट हो।

    11 क्योिंक हम जीते जी सवदा यीशु के कारण मतृ्यु के हाथ मेंसौपंे जाते हैं िक यीशु का जीवन भी हमारे मरनहार शरीर में प्रगटहो। 12 इस कारण मतृ्यु तो हम पर प्रभाव डालती है और जीवन तमुपर।

    13 और इसिलए िक हम में वही िव ास की आत्मा ह,ै “िजसकेिवषय में िलखा ह,ै िक मैनंे िव ास िकया, इसिलए मैं बोला।” (भज.116:10) अतः हम भी िव ास करते है,ं इसिलए बोलते है।ं

  • 2 कुिरिन्थयों 4:14 8 2 कुिरिन्थयों 5:714 क्योिंक हम जानते है,ं िजस ने प्रभु यीशु को िजलाया, वही

    हमें भी यीशु मे ं भागी जानकर िजलाएगा, और तमु्हारे साथ अपनेसामने उपिस्थत करेगा। 15क्योिंक सब वस्तएु ँ तमु्हारे िलये है,ंतािकअनगु्रह बहतुों के ारा अिधक होकर परमश्े वर की मिहमा के िलयेधन्यवाद भी बढ़ाए।

    16इसिलए हम साहस नहीं छोड़त;े य िप हमारा बाहरी मनषु्यत्वनाश भी होता जाता ह,ै तो भी हमारा भीतरी मनषु्यत्व िदन प्रितिदननया होता जाता ह।ै 17 क्योिंक हमारा पल भर का हलका सा क्लशेहमारे िलये बहतु ही महत्वपूण और अनन्त मिहमा उत् पन् न करताजाता ह।ै 18 और हम तो दखेी हईु वस्तओुं को नहीं परन्तु अनदखेीवस्तओुं को दखेते रहते है,ं क्योिंक दखेी हईु वस्तएु ँ थोड़े ही िदनकी है,ं परन्तु अनदखेी वस्तएु ँ सदा बनी रहती है।ं

    5हमारा स्वगीर्य घर

    1क्योिंक हम जानते है,ं िक जब हमारा पथृ्वी पर का डेरा सरीखाघर* िगराया जाएगा तो हमें परमश्े वर कीओर से स्वग पर एक ऐसाभवन िमलगेा, जो हाथों से बना हआु घर नहीं परन्तु िचरस्थाई ह।ै(इब्रा. 9:11,अय्यू. 4:19) 2इसमें तो हम कराहत,ेऔर बड़ी लालसारखते है;ं िक अपने स्वगीर्य घर को पहन ले।ं 3 िक इसके पहनने सेहम नंगे न पाए जाए।ँ

    4 और हम इस डेरे में रहते हएु बोझ से दबे कराहते रहते है;ंक्योिंक हम उतारना नही,ं वरन् और पहनना चाहते है,ं तािक वहजो मरनहार है जीवन में डूब जाए। 5 और िजस ने हमें इसी बात केिलये तयैार िकया है वह परमश्े वर ह,ै िजस ने हमें बयाने मे ं आत्माभी िदया ह।ै

    6 इसिलए हम सदा ढाढ़स बाधँे रहते हैं और यह जानते है;ं िकजब तक हम दहे में रहते है,ं तब तक प्रभु से अलग है।ं 7 क्योिंक

  • 2 कुिरिन्थयों 5:8 9 2 कुिरिन्थयों 5:17

    हम प को दखेकर नही,ं पर िव ास से चलते है।ं 8 इसिलए हमढाढ़स बाधँे रहते है,ं और दहे से अलग होकर प्रभु के साथ रहनाऔर भी उ म समझते है।ं

    मसीह के न्याय आसन9 इस कारण हमारे मन की उमंग यह ह,ै िक चाहे साथ रहे,ं चाहे

    अलग रहें पर हम उसे भाते रहे।ं 10 क्योिंक अवश्य ह,ै िक हम सबका हाल मसीह के न्याय आसन के सामने खलु जाए, िक हर एकव्यि अपन-ेअपने भले बरेु कामों का बदला जो उसने दहे के ारािकए हो,ं पाए। (इिफ. 6:8, म ी 16:27, सभो. 12:14)

    परमश्े वर से मले-िमलाप की सवेा11 इसिलए प्रभु का भय मानकर हम लोगों को समझाते हैं और

    परमश्े वर पर हमारा हाल प्रगट ह;ैऔर मरेी आशा यह ह,ै िक तमु्हारेिववके पर भी प्रगट हआु होगा। 12 हम िफर भी अपनी बड़ाई तमु्हारेसामने नहीं करते वरन् हम अपने िवषय में तमु्हे ं घमण्ड करने काअवसर दतेे है,ं िक तमु उन्हें उ र दे सको, जो मन पर नही,ं वरन्िदखावटी बातों पर घमण्ड करते है।ं

    13 यिद हम बसेधु है,ं तो परमश्े वर के िलय;े और यिद चतैन्य है,ंतो तमु्हारे िलये है।ं 14 क्योिंक मसीह का प्रमे हमें िववश कर दतेाह;ै इसिलए िक हम यह समझते है,ं िक जब एक सब के िलये मरातो सब मर गए। 15 और वह इस िनिम सब के िलये मरा, िक जोजीिवत है,ं वे आगे को अपने िलये न जीएँ परन्तु उसके िलये जोउनके िलये मरा और िफर जी उठा।

    मसीह में नई सिृ16इस कारण अब से हम िकसी को शरीर के अनसुार न समझेगं,े

    और यिद हमने मसीह को भी शरीर के अनसुार जाना था, तो भीअब से उसको ऐसा नहीं जानेगं।े 17 इसिलए यिद कोई मसीह में है

  • 2 कुिरिन्थयों 5:18 10 2 कुिरिन्थयों 6:4तो वह नई सिृ ह:ै परुानी बातें बीत गई है;ं दखेो, वे सब नई होगईं। (यशा. 43:18-19)

    18 और सब बातें परमश्े वर की ओर से है*ं, िजस ने मसीह केारा अपने साथ हमारा मले िमलाप कर िलया, और मले िमलापकी सवेा हमें सौपं दी ह।ै 19 अथात् परमश्े वर ने मसीह में होकरअपने साथ संसार का मले िमलाप कर िलया, और उनके अपराधोंका दोष उन पर नहीं लगाया और उसने मले िमलाप का वचन हमेंसौपं िदया ह।ै

    20 इसिलए हम मसीह के राजदूत है;ं मानो परमश्े वर हमारे ारासमझाता ह:ै हम मसीह की ओर से िनवदेन करते है,ं िक परमश्े वरके साथ मले िमलाप कर लो। (इिफ. 6:10, मला. 2:7) 21जो पाप सेअ ात था, उसी को उसने हमारे िलये पाप ठहराया, िक हम उसमेंहोकर परमश्े वर की धािमकता बन जाए।ँ

    6सवेकाई के अनभुव

    1 हम जो परमश्े वर के सहकमीर् हैं यह भी समझाते है,ं िकपरमश्े वर का अनगु्रह जो तमु पर हआु, व्यथ न रहने दो। 2 क्योिंकवह तो कहता ह,ै“अपनी प्रस ता के समय मैनंे तरेी सनु ली,और उ ार के िदन* मैनंे तरेी, सहायता की।”दखेो; अभी प्रस ता का समय ह;ै दखेो, अभी उ ार का िदन ह।ै(यशा. 49:8)

    पौलसु की किठनाईया ँ3 हम िकसी बात में ठोकर खाने का कोई भी अवसर नहीं दते,े

    िक हमारी सवेा पर कोई दोष न आए।4परन्तु हर बात में परमश्े वर के सवेकों के समान अपने सद्गणुों

    को प्रगट करते है,ं बड़े धयै स,े क्लशेों स,े दिरद्रता स,े संकटों स,े

  • 2 कुिरिन्थयों 6:5 11 2 कुिरिन्थयों 6:175 कोड़े खाने स,े कैद होने स,े हु ड़ों स,े पिरश्रम स,े जागते रहने स,ेउपवास करने स,े 6 पिवत्रता स,े ान स,े धीरज स,े कृपालतुा स,ेपिवत्र आत्मा स।े 7 स े प्रमे स,े सत्य के वचन स,े परमश्े वर कीसामथ्य स;े धािमकता के हिथयारों से जो दािहन,े बाएँ है,ं

    8आदरऔर िनरादर स,ेदनुामऔर सनुाम स,ेय िप भरमानवेालोंके जसैे मालूम होते हैं तो भी स े है।ं 9 अनजानों के सदशृ्य है;ं तोभी प्रिस है;ं मरते हओुं के समान हैं और दखेो जीिवत है;ं मारखानवेालों के सदशृ हैं परन्तु प्राण से मारे नहीं जात।े (1 कुिर. 4:9,भज. 118:18) 10शोक करनवेालों के समान है,ं परन्तु सवदा आनन्दकरते है,ं कंगालों के समान है,ं परन्तु बहतुों को धनवान बना दतेेहै*ं; ऐसे हैं जसैे हमारे पास कुछ नहीं िफर भी सब कुछ रखते है।ं

    11 हे कुिरिन्थयो,ं हमने खलुकर तमु से बातें की है,ं हमारा दयतमु्हारी ओर खलुा हआु ह।ै 12तमु्हारे िलये हमारे मन में कुछ संकोचनही,ं पर तमु्हारे ही मनों मे ं संकोच ह।ै 13 पर अपने ब े जानकर तमुसे कहता हू,ँ िक तमु भी उसके बदले में अपना दय खोल दो।

    हम परमश्े वर के मिन्दर है14 अिव ािसयों के साथ असमान जूए में न जतुो*, क्योिंक

    धािमकता और अधम का क्या मले जोल? या ज्योितऔर अंधकारकी क्या संगित? 15और मसीह का बिलयाल के साथ क्या लगाव?या िव ासी के साथ अिव ासी का क्या नाता? 16 और मूरतों केसाथ परमश्े वर के मिन्दर का क्या सम्बन्ध? क्योिंक हम तो जीिवतेपरमश्े वर के मिन्दर है;ं जसैा परमश्े वर ने कहा है“मैं उनमें बसूगँा और उनमें चला िफरा क ँ गा;और मैं उनका परमश्े वर हूगँा,और वे मरेे लोग होगं।े” (लवै्य. 26:11-12, ियम. 32:38, यह.े 37:27)

    17 इसिलए प्रभु कहता ह,ै“उनके बीच में से िनकलो

  • 2 कुिरिन्थयों 6:18 12 2 कुिरिन्थयों 7:7और अलग रहो;और अशु वस्तु को मत छूओ,तो मैं तमु्हे ं ग्रहण क ँ गा; (यशा. 52:11, ियम. 51:45)18और तमु्हारा िपता हूगँा,और तमु मरेे बटेे और बिेटया ँ होगं;ेयह सवशि मान प्रभु परमश्े वर का वचन ह।ै” (2 शमू. 7:14, यशा.43:6, होशे 1:10)

    71 हे प्यारों जब िक ये प्रित ाएँ हमें िमली है,ं तो आओ, हम अपने

    आप को शरीर और आत्मा की सब मिलनता से शु करे,ं औरपरमश्े वर का भय रखते हएु पिवत्रता को िस करे।ं

    आनन्द और प ाताप2हमें अपने दय में जगह दो: हमने न िकसी से अन्याय िकया, न

    िकसी को िबगाड़ा, और न िकसी को ठगा। 3 मैं तमु्हे ं दोषी ठहरानेके िलये यह नहीं कहता* क्योिंक मैं पहले ही कह चूका हू,ँ िक तमुहमारे दय में ऐसे बस गए हो िक हम तमु्हारे साथ मरने जीने केिलये तयैार है।ं 4 मैं तमु से बहतु साहस के साथ बोल रहा हू,ँ मझुेतमु पर बड़ा घमण्ड ह:ै मैं शािन्त से भर गया हू;ँ अपने सारे क्लशेमें मैं आनन्द से अित भरपूर रहता हू।ँ

    5क्योिंक जब हम मिकदिुनया मेंआए,तब भी हमारे शरीर को चनैनहीं िमला,परन्तु हम चारोंओर से क्लशे पाते थ;ेबाहर लड़ाइया ँथी,ंभीतर भयंकर बातें थी। 6 तो भी दीनों को शािन्त दनेवेाले परमश्े वरने तीतसु के आने से हमको शािन्त दी। 7 और न केवल उसके आनेसे परन्तु उसकी उस शािन्त से भी, जो उसको तमु्हारी ओर से िमलीथी; और उसने तमु्हारी लालसा, और तमु्हारे दःुख और मरेे िलयेतमु्हारी धनु का समाचार हमें सनुाया, िजससे मझुे और भी आनन्दहआु।

  • 2 कुिरिन्थयों 7:8 13 2 कुिरिन्थयों 7:158 क्योिंक य िप मैनंे अपनी पत्री से तमु्हें शोिकत िकया, परन्तु

    उससे पछताता नहीं जसैा िक पहले पछताता था क्योिंक मैं दखेताहू,ँ िक उस पत्री से तमु्हें शोक तो हआु परन्तु वह थोड़ी दरे के िलयेथा। 9 अब मैं आनिन्दत हू ँ पर इसिलए नहीं िक तमु को शोक पहुचँावरन् इसिलए िक तमु ने उस शोक के कारण मन िफराया, क्योिंकतमु्हारा शोक परमश्े वर की इच्छा के अनसुार था, िक हमारी ओरसे तमु्हें िकसी बात में हािन न पहुचँ।े 10 क्योिंक परमश्े वर-भि काशोक* ऐसा प ाताप उत् पन् न करता ह;ै िजसका पिरणाम उ ार हैऔर िफर उससे पछताना नहीं पड़ता: परन्तु सांसािरक शोक मतृ्युउत् पन् न करता ह।ै

    11 अतः दखेो, इसी बात से िक तमु्हें परमश्े वर-भि का शोकहआु; तमु में िकतनी उत्साह, प्रत्यु र, िरस, भय, लालसा, धनु औरपलटा लनेे का िवचार उत् पन् न हआु? तमु ने सब प्रकार से यह िसकर िदखाया, िक तमु इस बात में िनदोर्ष हो। 12 िफर मैनंे जो तमु्हारेपास िलखा था, वह न तो उसके कारण िलखा, िजस ने अन्यायिकया, और न उसके कारण िजस पर अन्याय िकया गया, परन्तुइसिलए िक तमु्हारी उ जेना जो हमारे िलये ह,ै वह परमश्े वर केसामने तमु पर प्रगट हो जाए।

    13 इसिलए हमें शािन्त हईु;और हमारी इस शािन्त के साथ तीतसु के आनन्द के कारणऔर

    भी आनन्द हआु क्योिंक उसका जी तमु सब के कारण हरा भराहो गया ह।ै 14 क्योिंक यिद मैनंे उसके सामने तमु्हारे िवषय में कुछघमण्ड िदखाया, तो लिज्जत नहीं हआु, परन्तु जसैे हमने तमु से सबबातें सच-सच कह दी थी,ं वसैे ही हमारा घमण्ड िदखाना तीतसु केसामने भी सच िनकला।

    15 जब उसको तमु सब के आ ाकारी होने का स्मरण आता ह,ैिक कैसे तमु ने डरते और कापँते हएु उससे भेटं की; तो उसका प्रमे

  • 2 कुिरिन्थयों 7:16 14 2 कुिरिन्थयों 8:10तमु्हारी ओर और भी बढ़ता जाता ह।ै 16 मैं आनन्द करता हू,ँ िकतमु्हारी ओर से मझुे हर बात में भरोसा होता ह।ै

    8उदारतापूवक दान दनेा

    1अब हे भाइयो,ं हम तमु्हें परमश्े वर के उस अनगु्रह का समाचारदतेे है,ं जो मिकदिुनया की कलीिसयाओं पर हआु ह।ै 2 िक क्लशेकी बड़ी परी ा में उनके बड़े आनन्द*और भारी कंगालपन के बढ़जाने से उनकी उदारता बहतु बढ़ गई।

    3 और उनके िवषय में मरेी यह गवाही ह,ै िक उन्होनंे अपनीसामथ्य भर वरन् सामथ्य से भी बाहर मन से िदया। 4 और इस दानमें और पिवत्र लोगों की सवेा में भागी होने के अनगु्रह के िवषयमें हम से बार-बार बहतु िवनती की। 5 और जसैी हमने आशा कीथी, वसैी ही नही,ं वरन् उन्होनंे प्रभु को, िफर परमश्े वर की इच्छासे हमको भी अपने आपको दे िदया।

    6इसिलए हमने तीतसु को समझाया, िक जसैा उसने पहलेआरम्भिकया था, वसैा ही तमु्हारे बीच में इस दान के काम को पूरा भी करल।े 7पर जसैे हर बात में अथात् िव ास,वचन, ानऔर सब प्रकारके यत्न मे,ं और उस प्रमे मे,ं जो हम से रखते हो, बढ़ते जाते हो, वसैेही इस दान के काम में भी बढ़ते जाओ।

    मसीह हमारा नमूना8मैं आ ा की रीित पर तो नही*ं, परन्तुऔरों के उत्साह से तमु्हारे

    प्रमे की स ाई को परखने के िलये कहता हू।ँ 9 तमु हमारे प्रभु यीशुमसीह का अनगु्रह जानते हो, िक वह धनी होकर भी तमु्हारे िलयेकंगाल बन गया तािक उसके कंगाल हो जाने से तमु धनी हो जाओ।

    10 और इस बात में मरेा िवचार यही ह:ै यह तमु्हारे िलये अच्छाह;ै जो एक वष से न तो केवल इस काम को करने ही मे,ं परन्तु

  • 2 कुिरिन्थयों 8:11 15 2 कुिरिन्थयों 8:21इस बात के चाहने मे ं भी प्रथम हएु थ।े 11 इसिलए अब यह कामपूरा करो; िक िजस प्रकार इच्छा करने मे ं तमु तयैार थ,े वसैा हीअपनी-अपनी पूजँी के अनसुार पूरा भी करो। 12 क्योिंक यिद मनकी तयैारी हो तो दान उसके अनसुार ग्रहण भी होता है जो उसकेपास है न िक उसके अनसुार जो उसके पास नही।ं

    13यह नहीं िक औरों को चनै और तमु को क्लशे िमल।े 14 परन्तुबराबरी के िवचार से इस समय तमु्हारी बढ़ती उनकी घटी में कामआए, तािक उनकी बढ़ती भी तमु्हारी घटी में कामआए, िक बराबरीहो जाए। 15 जसैा िलखा ह,ै“िजसने बहतु बटोरा उसका कुछ अिधक न िनकलाऔर िजस ने थोड़ा बटोरा उसका कुछ कम न िनकला।” (िनग.

    16:18)

    तीतसु का कुिरन्थसु को भजेा जाना16 परमश्े वर का धन्यवाद हो, िजसने तमु्हारे िलये वही उत्साह

    तीतसु के दय में डाल िदया ह।ै 17 िक उसने हमारा समझाना मानिलया वरन् बहतु उत्साही होकर वह अपनी इच्छा से तमु्हारे पासगया ह।ै

    18 और हमने उसके साथ उस भाई को भजेा है िजसका नामससुमाचार के िवषय में सब कलीिसया में फैला हआु ह;ै 19 औरइतना ही नही,ं परन्तु वह कलीिसया ारा ठहराया भी गया िक इसदान के काम के िलये हमारे साथ जाए और हम यह सवेा इसिलएकरते है,ं िक प्रभु की मिहमा और हमारे मन की तयैारी प्रगट होजाए।

    20 हम इस बात में चौकस रहते है,ं िक इस उदारता के काम केिवषय में िजसकी सवेा हम करते है,ंकोई हम पर दोष न लगाने पाए।21 क्योिंक जो बातें केवल प्रभु ही के िनकट नही,ं परन्तु मनषु्यों केिनकट भी भली हैं हम उनकी िचन्ता करते है।ं

  • 2 कुिरिन्थयों 8:22 16 2 कुिरिन्थयों 9:622 और हमने उसके साथ अपने भाई को भजेा ह,ै िजसको हमने

    बार-बार परख के बहतु बातों मे ं उत्साही पाया ह;ै परन्तु अब तमुपर उसको बड़ा भरोसा ह,ै इस कारण वह और भी अिधक उत्साहीह।ै 23 यिद कोई तीतसु के िवषय में पूछे, तो वह मरेा साथी, औरतमु्हारे िलये मरेा सहकमीर् ह,ै और यिद हमारे भाइयों के िवषय मेंपूछे, तो वे कलीिसयाओं के भजेे हएु और मसीह की मिहमा है।ं24 अतः अपना प्रमे और हमारा वह घमण्ड जो तमु्हारे िवषय में हैकलीिसयाओं के सामने उन्हें िस करके िदखाओ।

    9मदद की प्ररेणा

    1 अब उस सवेा के िवषय में जो पिवत्र लोगों के िलये की जातीह,ै मझुे तमु को िलखना अवश्य नही।ं 2 क्योिंक मैं तमु्हारे मन कीतयैारी को जानता हू,ँ िजसके कारण मैं तमु्हारे िवषय में मिकदिुनयोंके सामने घमण्ड िदखाता हू,ँ िक अखाया के लोग एक वष से तयैारहएु है,ं और तमु्हारे उत्साह ने और बहतुों को भी उभारा ह।ै

    3 परन्तु मैनंे भाइयों को इसिलए भजेा ह,ै िक हमने जो घमण्डतमु्हारे िवषय में िदखाया, वह इस बात में व्यथ न ठहरे; परन्तु जसैामैनंे कहा; वसैे ही तमु तयैार हो रहो। 4 ऐसा न हो, िक यिद कोईमिकदनुी मरेे साथ आए, और तमु्हें तयैार न पाए, तो क्या जाने,ंइस भरोसे के कारण हम (यह नहीं कहते िक तमु) लिज्जत हो।ं5 इसिलए मैनंे भाइयों से यह िवनती करना अवश्य समझा िक वेपहले से तमु्हारे पास जाए,ँ और तमु्हारी उदारता का फल िजसकेिवषय में पहले से वचन िदया गया था, तयैार कर रखे,ं िक यह दबावसे नहीं परन्तु उदारता के फल की तरह तयैार हो।

    अच्छे दान दाता6 परन्तु बात तो यह ह,ै िक जो थोड़ा बोता है वह थोड़ा काटगेा

    भी; और जो बहतु बोता ह,ै वह बहतु काटगेा। (नीित. 11:24, नीित.

  • 2 कुिरिन्थयों 9:7 17 2 कुिरिन्थयों 10:122:9) 7हर एक जन जसैा मन में ठाने वसैा ही दान करे; न कुढ़-कुढ़के,और न दबाव स,े क्योिंक परमश्े वर हष से दनेवेाले से प्रमे रखताह।ै (व्य. 18:10, नीित. 22:9, नीित. 11:25)

    8 परमश्े वर सब प्रकार का अनगु्रह तमु्हें बहतुायत से दे सकताह*ै। िजससे हर बात मेंऔर हर समय,सब कुछ,जो तमु्हेंआवश्यकहो, तमु्हारे पास रह,े और हर एक भले काम के िलये तमु्हारे पासबहतु कुछ हो। 9 जसैा िलखा ह,ै“उसने िबखरेा, उसने गरीबों को दान िदया,उसकी धािमकता सदा बनी रहगेी।” (भज. 112:9)

    10 अतः जो बोनवेाले को बीज, और भोजन के िलये रोटी दतेाहै वह तमु्हें बीज दगेा, और उसे फलवन्त करेगा; और तमु्हारेधािमकता के फलों को बढ़ाएगा। (यशा. 55:10, होशे 10:12) 11तमुहर बात में सब प्रकार की उदारता के िलये जो हमारे ारा परमश्े वरका धन्यवाद करवाती ह,ै धनवान िकए जाओ।

    12 क्योिंक इस सवेा के पूरा करने स,े न केवल पिवत्र लोगों कीघिटया ँ पूरी होती है,ं परन्तु लोगों की ओर से परमश्े वर का बहतुधन्यवाद होता ह।ै 13 क्योिंक इस सवेा को प्रमाण स्वीकार कर वेपरमश्े वर की मिहमा प्रगट करते है*ं, िक तमु मसीह के ससुमाचारको मान कर उसके अधीन रहते हो, और उनकी, और सब कीसहायता करने मे ं उदारता प्रगट करते रहते हो। 14 और वे तमु्हारेिलये प्राथना करते है;ं और इसिलए िक तमु पर परमश्े वर का बड़ाही अनगु्रह ह*ै, तमु्हारी लालसा करते रहते है।ं 15 परमश्े वर कोउसके उस दान के िलये जो वणन से बाहर ह,ै धन्यवाद हो।

    10आित्मक यु

    1मैं वही पौलसु जो तमु्हारे सामने दीन हू,ँ परन्तु पीठ पीछे तमु्हारीओर साहस करता हू;ँ तमु को मसीह की नम्रता, और कोमलता* के

  • 2 कुिरिन्थयों 10:2 18 2 कुिरिन्थयों 10:11कारण समझाता हू।ँ 2 मैं यह िवनती करता हू,ँ िक तमु्हारे सामने मझुेिनभय होकर साहस करना न पड़े; जसैा मैं िकतनों पर जो हमकोशरीर के अनसुार चलनवेाले समझते है,ं वीरता िदखाने का िवचारकरता हू।ँ

    3 क्योिंक य िप हम शरीर में चलते िफरते है,ं तो भी शरीर केअनसुार नहीं लड़त।े 4 क्योिंक हमारी लड़ाई के हिथयार शारीिरकनही,ं पर गढ़ों को ढा दनेे के िलये परमश्े वर के ारा सामथीर् है।ं

    5 हम कल्पनाओं को, और हर एक ऊँची बात को, जो परमश्े वरकी पहचान के िवरोध में उठती ह,ै खण्डन करते है;ं और हर एकभावना को कैद करके मसीह का आ ाकारी बना दतेे है।ं 6 औरतयैार रहते हैं िक जब तमु्हारा आ ा मानना पूरा हो जाए, तो हर एकप्रकार के आ ा न मानने का पलटा ले।ं

    पौलसु के अिधकार7तमु इन्हीं बातों को दखेते हो,जोआखँों के सामने है,ंयिद िकसी

    का अपने पर यह भरोसा हो, िक मैं मसीह का हू,ँ तो वह यह भीजान ल,े िक जसैा वह मसीह का ह,ै वसैे ही हम भी है।ं 8 क्योिंकयिद मैं उस अिधकार के िवषय में और भी घमण्ड िदखाऊँ, जो प्रभुने तमु्हारे िबगाड़ने के िलये नहीं पर बनाने के िलये हमें िदया ह,ै तोलिज्जत न हूगँा।

    9 यह मैं इसिलए कहता हू,ँ िक पित्रयों के ारा तमु्हें डरानवेालान ठह ँ । 10 क्योिंक वे कहते है,ं “उसकी पित्रया ँ तो गम्भीर औरप्रभावशाली है;ं परन्तु जब दखेते है,ं तो कहते है वह दहे का िनबलऔर व व्य में हलका जान पड़ता ह।ै”

    11 इसिलए जो ऐसा कहता ह,ै िक वह यह समझ रख,े िक जसैेपीठ पीछे पित्रयों मे ं हमारे वचन है,ंवसैे ही तमु्हारे सामने हमारे कामभी होगं।े

    पौलसु के अिधकार की सीमाएँ

  • 2 कुिरिन्थयों 10:12 19 2 कुिरिन्थयों 11:212 क्योिंक हमें यह साहस नहीं िक हम अपने आप को उनके

    साथ िगने,ं या उनसे अपने को िमलाए,ँ जो अपनी प्रशंसा करते है,ंऔर अपने आप को आपस में नाप तौलकर एक दूसरे से तलुनाकरके मूख ठहरते है।ं

    13 हम तो सीमा से बाहर घमण्ड कदािप न करेगं,े परन्तु उसीसीमा तक जो परमश्े वर ने हमारे िलये ठहरा दी ह,ै और उसमें तमुभी आ गए हो और उसी के अनसुार घमण्ड भी करेगं।े 14 क्योिंकहम अपनी सीमा से बाहर अपने आप को बढ़ाना नहीं चाहत,े जसैेिक तमु तक न पहुचँने की दशा में होता, वरन् मसीह का ससुमाचारसनुाते हएु तमु तक पहुचँ चकेु है।ं

    15और हम सीमा से बाहरऔरों के पिरश्रम पर घमण्ड नहीं करत;ेपरन्तु हमें आशा ह,ै िक ज्यो-ंज्यों तमु्हारा िव ास बढ़ता जाएगात्यो-ंत्यों हम अपनी सीमा के अनसुार तमु्हारे कारण और भी बढ़तेजाएगँ।े 16 िक हम तमु्हारी सीमा से आगे बढ़कर ससुमाचार सनुाए,ँऔर यह नही,ं िक हम औरों की सीमा के भीतर बने बनाए कामोंपर घमण्ड करे।ं17 परन्तु जो घमण्ड करे, वह प्रभु पर घमण्ड करे।ं (1 कुिर. 1:31,

    ियम. 9:24)18क्योिंक जो अपनी बड़ाई करता ह,ैवह नही,ं परन्तु िजसकी बड़ाईप्रभु करता ह,ै वही ग्रहण िकया जाता ह।ै

    11उनके िव ासयोग्यता के िलये िचन्ता

    1यिद तमु मरेी थोड़ी मूखता सह लतेे तो क्या ही भला होता; हा,ँमरेी सह भी लतेे हो। 2क्योिंक मैं तमु्हारे िवषय में ई रीय धनु लगाएरहता हू,ँ इसिलए िक मैनंे एक ही पु ष से तमु्हारी बात लगाई ह,ैिक तमु्हें पिवत्र कँुवारी के समान मसीह को सौपं दू।ँ

  • 2 कुिरिन्थयों 11:3 20 2 कुिरिन्थयों 11:133 परन्तु मैं डरता हू ँ िक जसैे सापँ ने अपनी चतरुाई से हव्वा को

    बहकाया,वसैे ही तमु्हारे मन उस िसधाईऔर पिवत्रता से जो मसीहके साथ होनी चािहए कहीं भ्र न िकए जाए।ँ (1 िथस्स. 3:5, उत्प.3:13) 4 यिद कोई तमु्हारे पास आकर, िकसी दूसरे यीशु को प्रचारकरे, िजसका प्रचार हमने नहीं िकया या कोईऔरआत्मा तमु्हें िमल;ेजो पहले न िमला था; या और कोई ससुमाचार िजसे तमु ने पहले नमाना था, तो तमु्हारा सहना ठीक होता।

    पौलसु और झूठे प्रिेरत5 मैं तो समझता हू,ँ िक मैं िकसी बात में बड़े से बड़े प्रिेरतों से

    कम नहीं हू।ँ 6 यिद मैं व व्य में अनाड़ी हू,ँ तो भी ान में नही;ं वरन्हमने इसको हर बात में सब पर तमु्हारे िलये प्रगट िकया ह।ै

    7 क्या इसमें मैनंे कुछ पाप िकया; िक मैनंे तमु्हे ं परमश्े वर काससुमाचार सेतं-मेतं सनुाया; और अपने आप को नीचा िकया, िकतमु ऊँचे हो जाओ? 8 मैनंे और कलीिसयाओं को लूटा अथात् मैनंेउनसे मजदूरी ली, तािक तमु्हारी सवेा क ँ । 9और जब तमु्हारे साथथा, और मझुे घटी हईु, तो मैनंे िकसी पर भार नहीं डाला, क्योिंकभाइयों न,े मिकदिुनया से आकर मरेी घटी को पूरी की: और मैनंे हरबात में अपने आप को तमु पर भार बनने से रोका,और रोके रहूगँा।

    10 मसीह की स ाई मझु में ह,ै तो अखाया दशे में कोई मझुे इसघमण्ड से न रोकेगा। 11 िकस िलय?े क्या इसिलए िक मैं तमु से प्रमेनहीं रखता? परमश्े वर यह जानता ह।ै

    12परन्तु जो मैं करता हू,ँवही करता रहूगँा; िक जो लोग दावँ ढूढ़ँतेहै,ं उन्हें मैं दावँ पाने न दू,ँ तािक िजस बात में वे घमण्ड करते है,ंउसमें वे हमारे ही समान ठहरे।ं 13 क्योिंक ऐसे लोग झूठे प्रिेरत,औरछल से काम करनवेाल,े और मसीह के प्रिेरतों का प धरनवेालेहै।ं

  • 2 कुिरिन्थयों 11:14 21 2 कुिरिन्थयों 11:2614 और यह कुछ अचम्भे की बात नहीं क्योिंक शतैान आप भी

    ज्योितमय स्वगदूत का प धारण करता ह।ै 15 इसिलए यिद उसकेसवेक भी धािमकता के सवेकों जसैा प धरे,ं तो कुछ बड़ी बातनही,ं परन्तु उनका अन्त उनके कामों के अनसुार होगा।

    मसीह के िलये दःुख उठाना16 मैं िफर कहता हू,ँ कोई मझुे मूख न समझ;े नहीं तो मूख ही

    समझकर मरेी सह लो, तािक थोड़ा सा मैं भी घमण्ड कर सकँू।17 इस बधेड़क में जो कुछ मैं कहता हू ँ वह प्रभु की आ ा केअनसुार* नहीं पर मानो मूखता से ही कहता हू।ँ 18 जब िक बहतुलोग शरीर के अनसुार घमण्ड करते है,ं तो मैं भी घमण्ड क ँ गा।

    19 तमु तो समझदार होकर आनन्द से मूखोर्ं की सह लतेे हो।20 क्योिंक जब तमु्हें कोई दास बना लतेा ह*ै, या खा जाता ह,ै याफँसा लतेा ह,ै या अपने आप को बड़ा बनाता ह,ै या तमु्हारे मुहँ परथप्पड़ मारता ह,ै तो तमु सह लतेे हो। 21 मरेा कहना अनादर कीरीित पर ह,ै मानो िक हम िनबल से थ;े परन्तु िजस िकसी बात मेंकोई साहस करता ह,ै मैं मूखता से कहता हू ँ तो मैं भी साहस करताहू।ँ

    22 क्या वे ही इब्रानी है?ं मैं भी हू।ँ क्या वे ही इस्राएली है?ं मैंभी हू;ँ क्या वे ही अब्राहम के वंश के है?ं मैं भी हू।ँ 23 क्या वे हीमसीह के सवेक है?ं (मैं पागल के समान कहता हू)ँ मैं उनसे बढ़करहू!ँ अिधक पिरश्रम करने मे;ं बार-बार कैद होने मे;ं कोड़े खाने मे;ंबार-बार मतृ्यु के जोिखमों मे।ं

    24 पाचँ बार मैनंे यहूिदयों के हाथ से उनतालीस कोड़े खाए।25 तीन बार मैनंे बेतंे ं खाई; एक बार पत्थराव िकया गया; तीन बारजहाज िजन पर मैं चढ़ा था, टूट गए; एक रात िदन मैनंे समदु्र मेंकाटा। 26 मैं बार-बार यात्राओं मे;ं निदयों के जोिखमों मे;ं डाकुओं

  • 2 कुिरिन्थयों 11:27 22 2 कुिरिन्थयों 12:5के जोिखमों मे;ं अपने जाितवालों से जोिखमों मे;ं अन्यजाितयों सेजोिखमों मे;ं नगरों मे ं के जोिखमों मे;ं जंगल के जोिखमों मे;ं समदु्र केजोिखमों मे;ं झूठे भाइयों के बीच जोिखमों मे ं रहा;

    27 पिरश्रम और क मे;ं बार-बार जागते रहने मे;ं भूख-प्यास मे;ंबार-बार उपवास करने मे;ं जाड़े मे;ं उघाड़े रहने मे।ं 28 और अन्यबातों को छोड़कर िजनका वणन मैं नहीं करता सब कलीिसयाओंकी िचन्ता प्रितिदन मझुे दबाती ह।ै 29 िकसकी िनबलता से मैं िनबलनहीं होता? िकस के पाप में िगरने से मरेा जी नहीं दःुखता?

    30यिद घमण्ड करना अवश्य ह,ै तो मैं अपनी िनबलता की बातोंपर घमण्ड क ँ गा। 31 प्रभु यीशु का परमश्े वर और िपता जो सदाधन्य ह,ै जानता ह,ै िक मैं झूठ नहीं बोलता।

    32 दिमश्क में अिरतास राजा की ओर से जो राज्यपाल था, उसनेमरेे पकड़ने को दिमिश्कयों के नगर पर पहरा बठैा रखा था। 33औरमैं टोकरे में िखड़की से होकर दीवार पर से उतारा गया, और उसकेहाथ से बच िनकला।

    12पौलसु को िदव्य दशन

    1 य िप घमण्ड करना तो मरेे िलये ठीक नही,ं िफर भी करनापड़ता ह;ै पर मैं प्रभु के िदए हएु दशनों और प्रकशनों की चचाक ँ गा। 2 मैं मसीह में एक मनषु्य को जानता हू,ँ चौदह वष हएु िकन जाने दहेसिहत, न जाने दहेरिहत, परमश्े वर जानता ह,ै ऐसा मनषु्यतीसरे स्वग तक उठा िलया गया।

    3 मैं ऐसे मनषु्य को जानता हू ँ न जाने दहेसिहत, न जाने दहेरिहतपरमश्े वर ही जानता ह।ै 4 िक स्वगलोक पर उठा िलया गया, औरऐसी बातें सनुी ं जो कहने की नही;ं और िजनका मुहँ मे ं लाना मनषु्यको उिचत नही।ं 5 ऐसे मनषु्य पर तो मैं घमण्ड क ँ गा, परन्तु अपनेपर अपनी िनबलताओंको छोड़,अपने िवषय में घमण्ड न क ँ गा।

  • 2 कुिरिन्थयों 12:6 23 2 कुिरिन्थयों 12:146 क्योिंक यिद मैं घमण्ड करना चाहू ँ भी तो मूख न हूगँा, क्योिंक

    सच बोलूगँा; तो भी क जाता हू,ँ ऐसा न हो, िक जसैा कोई मझुेदखेता ह,ै या मझुसे सनुता ह,ै मझुे उससे बढ़कर समझ।े

    शरीर में काटँा7और इसिलए िक मैं प्रकशनों की बहतुायत से फूल न जाऊँ, मरेे

    शरीर में एक काटँा चभुाया गया अथात् शतैान का एक दूत िक मझुेघूसँे मारे तािक मैं फूल न जाऊँ। (गला. 4:13, अय्यू. 2:6)

    8 इसके िवषय में मैनंे प्रभु से तीन बार िवनती की, िक मझुसे यहदूर हो जाए। 9 और उसने मझुसे कहा, “मरेा अनगु्रह तरेे िलये बहतुह;ै क्योिंक मरेी सामथ्य िनबलता में िस होती ह।ै*” इसिलए मैंबड़े आनन्द से अपनी िनबलताओं पर घमण्ड क ँ गा, िक मसीहकी सामथ्य मझु पर छाया करती रह।े 10 इस कारण मैं मसीह केिलये िनबलताओ,ं और िनन्दाओं मे,ं और दिरद्रता मे,ं और उपद्रवोंमे,ं और संकटों मे,ं प्रसन् न हू;ँ क्योिंक जब मैं िनबल होता हू,ँ तभीबलवन्त होता हू।ँ

    एक प्रिेरत के ल ण11 मैं मूख तो बना, परन्तु तमु ही ने मझुसे यह बरबस करवाया:

    तमु्हें तो मरेी प्रशंसा करनी चािहए थी, क्योिंक य िप मैं कुछ भीनही,ं िफर भी उन बड़े से बड़े प्रिेरतों से िकसी बात में कम नहींहू।ँ 12 प्रिेरत के ल ण भी तमु्हारे बीच सब प्रकार के धीरज सिहतिचन्हो,ं और अद्भतु कामो,ं और सामथ्य के कामों से िदखाए गए।13 तमु कौन सी बात में और कलीिसयाओं से कम थ,े केवल इसमेंिक मैनंे तमु पर अपना भार न रखा मरेा यह अन्याय मा करो।

    कलीिसया के िलये प्रमे14अब, मैं तीसरी बार तमु्हारे पास आने को तयैार हू,ँ और मैं तमु

    पर कोई भार न रखूगँा; क्योिंक मैं तमु्हारी सम्पि नही,ं वरन् तमु ही

  • 2 कुिरिन्थयों 12:15 24 2 कुिरिन्थयों 13:2को चाहता हू।ँ क्योिंक ब ों को माता-िपता के िलये धन बटोरना नचािहए, पर माता-िपता को ब ों के िलय।े 15मैं तमु्हारी आत्माओं केिलये बहतु आनन्द से खच क ँ गा, वरन् आप भी खच हो जाऊँगाक्या िजतना बढ़कर मैं तमु से प्रमे रखता हू,ँ उतना ही घटकर तमुमझुसे प्रमे रखोग?े

    16 ऐसा हो सकता ह,ै िक मैनंे तमु पर बोझ नहीं डाला, परन्तुचतरुाई से तमु्हें धोखा दकेर फँसा िलया। 17 भला, िजन्हें मैनंे तमु्हारेपास भजेा, क्या उनमें से िकसी के ारा मैनंे छल करके तमु से कुछले िलया? 18 मैनंे तीतसु को समझाकर उसके साथ उस भाई कोभजेा, तो क्या तीतसु ने छल करके तमु से कुछ िलया? क्या हमएक ही आत्मा के चलाए न चल?े क्या एक ही माग पर न चल?े

    19तमु अभी तक समझ रहे होगंे िक हम तमु्हारे सामने प्रत्यु र देरहे है,ं हम तो परमश्े वर को उपिस्थत जानकर मसीह में बोलते है,ंऔर हे िप्रयो,ं सब बातें तमु्हारी उ ित ही के िलये कहते है।ं

    20 क्योिंक मझुे डर ह,ै कहीं ऐसा न हो, िक मैं आकर जसैाचाहता हू,ँ वसैा तमु्हें न पाऊँ; और मझुे भी जसैा तमु नहीं चाहतेवसैा ही पाओ, िक तमु में झगड़ा,डाह,क्रोध, िवरोध, ईष्या,चगुली,अिभमान और बखड़ेे हो।ं 21 और कहीं ऐसा न हो िक जब मैं वापसआऊँगा,मरेा परमश्े वर मझुे अपमािनत करेऔर मझुे बहतुों के िलयेिफर शोक करना पड़े, िजन्होनंे पहले पाप िकया था, और उस गंदेकाम, और व्यिभचार, और लचुपन स,े जो उन्होनंे िकया, मन नहींिफराया।

    13अिन्तम चतेावनी

    1अब तीसरी बार तमु्हारे पासआता हू:ँ दो या तीन गवाहों के मुहँसे हर एक बात ठहराई जाएगी। (व्य. 19:15) 2 जसैे मैं जब दूसरीबार तमु्हारे साथ था, वसैे ही अब दूर रहते हएु उन लोगों से िजन्होनंे

  • 2 कुिरिन्थयों 13:3 25 2 कुिरिन्थयों 13:13पहले पाप िकया, और अन्य सब लोगों से अब पहले से कह दतेाहू,ँ िक यिद मैं िफर आऊँगा, तो नहीं छोडूगँा।

    3तमु तो इसका प्रमाण चाहते हो, िक मसीह मझु में बोलता ह,ैजोतमु्हारे िलये िनबल नही;ं परन्तु तमु में सामथीर् ह।ै 4 वह िनबलता केकारण कू्रस पर चढ़ाया तो गया, िफर भी परमश्े वर की सामथ्य सेजीिवत ह,ै हम भी तो उसमें िनबल है;ं परन्तु परमश्े वर की सामथ्यसे जो तमु्हारे िलये ह,ै उसके साथ जीएगँ।े

    5 अपने आप को परखो, िक िव ास में हो िक नही;ं अपने आपको जाचँो*, क्या तमु अपने िवषय में यह नहीं जानत,े िक यीशु मसीहतमु में ह?ै नहीं तो तमु िनकम्मे िनकले हो। 6 पर मरेी आशा ह,ै िकतमु जान लोग,े िक हम िनकम्मे नही।ं

    7 और हम अपने परमश्े वर से प्राथना करते है,ं िक तमु कोईबरुाई न करो*; इसिलए नही,ं िक हम खरे दखे पड़ंे, पर इसिलए िकतमु भलाई करो, चाहे हम िनकम्मे ही ठहरे।ं 8 क्योिंक हम सत्य केिवरोध में कुछ नहीं कर सकत,े पर सत्य के िलये ही कर सकते है।ं

    9जब हम िनबल है,ं और तमु बलवन्त हो, तो हम आनिन्दत होतेहै,ं और यह प्राथना भी करते है,ं िक तमु िस हो जाओ। 10 इसकारण मैं तमु्हारे पीठ पीछे ये बातें िलखता हू,ँ िक उपिस्थत होकरमझुे उस अिधकार के अनसुार िजसे प्रभु ने िबगाड़ने के िलये नहींपर बनाने के िलये मझुे िदया ह,ै कड़ाई से कुछ करना न पड़े।

    शभुकामनाएँ और आशीवाद11 अतः हे भाइयो,ं आनिन्दत रहो; िस बनते जाओ; धयै रखो;

    एक ही मन रखो; मले से रहो*, और प्रमे और शािन्त का दातापरमश्े वर तमु्हारे साथ होगा। 12 एक दूसरे को पिवत्र चमु्बन सेनमस्कार करो।

    13सब पिवत्र लोग तमु्हें नमस्कार कहते है।ं

  • 2 कुिरिन्थयों 13:14 26 2 कुिरिन्थयों 13:1414प्रभु यीशु मसीह का अनगु्रहऔर परमश्े वर का प्रमेऔर पिवत्र

    आत्मा की सहभािगता तमु सब के साथ होती रह।े

  • 27पिवत्र बाइिबल

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    2 कुरिन्थियों