27th Edition MAY 2019...तथ अस ध रण क य क लय 2015 म v उन ह vभ...

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Transcript of 27th Edition MAY 2019...तथ अस ध रण क य क लय 2015 म v उन ह vभ...

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    पता :

     

      

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

    नकुर्मिणका

    . अटल ि

    2. अटल ि

    3. ईमानद

    4. ज्ञान ध

    5. िदनांकसिमितकॉफमोकमलापपुरस्का

    6. आज त

    7. उबटन

    8. रेल मंतर्

    िसतंबर

    संबंध म

    9. िमलकर

    राजभाषा ि रेल मंतर्ालय

    कमरा नं. 5रेल भवन, रेनई िदल् ली Email : do

     

     

    िबहारी वाजपयेी

    िबहारी वाजपयेी

    दारी – जीने की

    धारा – लघु बौ

    क 16‐09‐2019 ित की 135 व

    ो की गृह पितर्पित ितर्पाठी स्ार िवतरण के दृ

    तक हम ह कोरे –

    - स्वास्थ्य लेख

    तर्ालय (रेलवे बोर से 20 िसतंबम  – एक िरपोटर्

    र दशे का नविन

    िनदशेालय, य (रेलवे बोडर्), 542, रेलवे बोडर् - 110001. [email protected]

    अट

    यी – लेख

    यी जी की किवत

    ी राह- लेख

    ौ कथा

    को आयोिजत बैठक, ई-राज

    तर्का‘अिभ िक्तस्वणर् पदक एव

    दशृ्य

    – किवता

    बोडर्) म िहदी िदबर, 2019 तकटर्

    िनमार्ण कर

    et.gov.in

    टल िबह

    अंक

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    रेलवे बोडर् राजभाषा वैब पििक्त’के पर्वेशांकवं रेलमंतर्ी रा

    िदवस के उपल य

    क आयोिजत राज

     

    हारी वा

    क – 27वा ं

    ाजभाषा कायार्न्ितर्का का िवमोक का िवमोचनाजभाषा रजत

    य म िदनांक 09जभाषा पखवाड़

    ाजपयेी 

    न्वयन मोचन, न एवं पदक

    9 ड़ा के

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    कायर्पालक

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    उन

    संयुक् त

    ससंतो

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    मो. सािबरविर.

    अक्टूबर-िदसं

    संरक्षकवी.के. यादव ध्यक्ष, रेलवे बोडर्

    मनोज पाण्ड ेसदस् य कािमक

    धान सपंादक

    एस.पी. माहीक िनदशेक, स् था.

    सपंादक

    . बरूण कुमारदशेक,राजभाषा

    उप सपंादक नीरू पटनी

    त िनदशेक,राजभा

    सह सपंादक ोष सनसनवाल

    नदशेक, राजभा

    र अली हसन िसअनुवाद अिधकार

    संबर 2019

    (आर)

    ाषा

    ल ाषा

    िसि की, री

     

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    अटल िबहारी वाजपयेी -लेख

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

       

    अटल िबहारी वाजपयेी जी भारत के दसव पर्धानमंतर्ी थे। वे पहले 16 मई से 1जनू 1996 तक, तथा िफर 19 माचर् 1998 से 22 मई 2004 तक भारत के पर्धानमंतर्ी रह।े वे िहदी किव, पतर्कार व एक पर्खर वक्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापक म एक थ,े और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रह।े उन्ह ने लम्बे समय तक राष् टर्धमर्, पा जन्य और वीर अजुर्न आिद रा ीय भावना से ओत-पर्ोत अनेक पतर्-पितर्का का संपादन भी िकया।

    वह चार दशक से भारतीय संसद के सदस्य थ ेऔर लोकसभा, िनचले सदन से दस बार और दो बार राज्य सभा, ऊपरी सदन म चुने गए थे। उन्ह ने 2009 तक (उ र पर्दशे) लखनऊ के िलए संसद सदस्य के रूप म कायर् िकया, तत्प ात स्वास्थ्य संबंधी िचता के कारण सिकर्य राजनीित से सेवािनवृ हुए। अपना जीवन रा ीय स्वयंसेवक संघ के पर्चारक के रूप म आजीवन अिववािहत रहने का संकल्प लेकर पर्ारम्भ करने वाले वाजपेयी रा ीय जनतांितर्क गठबंधन (राजग) सरकार के पहले पर्धानमंतर्ी थ,े िजन्ह ने गैर-काँगर्ेसी पर्धानमंतर्ी पद के 5 साल िबना िकसी समस्या के पूरे िकए। आजीवन अिववािहत रहने का

    संकल्प लेने के कारण इन्ह भीष्मिपतामह भी कहा जाता ह।ै

    उन्ह ने 24 दल के गठबंधन से सरकार बनाई थी िजसम 81 मंतर्ी थे।

    2005 से वे राजनीित से संन्यास ले चुके थे और नई िदल्ली म 6-ए कृष्णामेनन मागर् िस्थत सरकारी आवास म रहते थ े। 16 अगस्त 2018 को एक लम्बी बीमारी के बाद अिखल भारतीय आयुिवज्ञान संस्थान, िदल्ली म शर्ी वाजपेयी का िनधन हो गया। वे जीवन भर भारतीय राजनीित म सिकर्य रह।े

    आरिम्भक जीवन

    उ र पर्दशे म आगरा जनपद के पर्ाचीन स्थान बटे र के मूल िनवासी पिण्डत कृष्ण िबहारी वाजपेयी मध्य पर्दशे की ग्वािलयर िरयासत म अध्यापक थे। वह िशन्द ेकी छावनी म 25 िदसंबर 1924 को बर् मुहूतर् म उनकी सहधिमणी कृष्णा वाजपेयी की कोख से अटल जी का जन्म हुआ था। िपता कृष्ण िबहारी वाजपेयी ग्वािलयर म अध्यापन कायर् तो करते ही थे इसके अितिरक्त वे िहदी व बर्ज भाषा के िस हस्त किव भी थे।

    पुतर् म का के गुण वंशानुगत पिरपाटी से पर्ा हुए। महात्मा रामचन्दर् वीर ारा रिचत अमर कृित "िवजय पताका" पढ़कर अटल जी के जीवन की िदशा ही बदल गयी। अटल जी की बी॰ए॰ की िशक्षा ग्वािलयर के िवक्टोिरया कालेज (वतर्मान म ल मीबाई कालेज) म हुई।

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    छातर् जीवन से वे रा ीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक बने और तभी से रा ीय स्तर की वाद-िववाद पर्ितयोिगता म भाग लेते रह।े

    कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीित शा म एम॰ए॰ की परीक्षा पर्थम शेर्णी म उ ीणर् की। उसके बाद उन्ह ने अपने िपताजी के साथ-साथ कानपुर म ही एल॰एल॰बी॰ की पढ़ाई भी पर्ारंभ की लेिकन उसे बीच म ही िवराम दकेर पूरी िन ा से संघ के कायर् म जुट गये। डॉ॰ श्यामा पर्साद मुखज और पिण्डत दीनदयाल उपाध्याय के िनदशन म राजनीित का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पा जन्य, रा धमर्, दिैनक स्वदशे और वीर अजुर्न जैसे पतर्-पितर्का के सम्पादन का कायर् भी कुशलता-पूवर्क करते रह।े

    सवर्तोमुखी िवकास के िलए िकए गए योगदान तथा असाधारण काय के िलये 2015 म उन्ह भारत र से सम्मािनत िकया गया।

    राजनीितक जीवन

    वह भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वाल म से एक थे और सन् 1938 से 1973 तक वह उसके रा ीय अध्यक्ष भी रह चुके थे। सन् 1952 म उन्ह ने पहली बार लोकसभा चनुाव लड़ा, परन्तु सफलता नह िमली। लिेकन उन्ह ने िहम्मत नह हारी और सन् 1957 म बलरामपुर (िजला गोण्डा, उ र पर्दशे) से जनसंघ के पर्त्याशी के रूप म िवजयी होकर लोकसभा म पहुचँे। सन् 1957 से 1977 तक जनता पाट की स्थापना तक वे बीस वषर् तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रह।े मोरारजी दसेाई की सरकार म सन ् 1977 से 1979 तक िवदशे मतंर्ी रह े और िवदशे म भारत की छिव बनायी।

    1980 म जनता पाट से असन्तु होकर इन्ह ने जनता पाट छोड़ दी और भारतीय जनता पाट की स्थापना म मदद की। 6 अपैर्ल 1980 म बनी भारतीय जनता पाट के अध्यक्ष पद का दाियत्व भी वाजपेयी जी को स पा गया। दो बार राज्यसभा के

    िलए भी िनवार्िचत हुए। लोकतंतर् के सजग पर्हरी अटल िबहारी वाजपेयी ने सन् 1996 म पर्धानमतंर्ी के रूप म दशे की बागडोर संभाली। 19 अपर्ैल 1998 को पुनः पर्धानमंतर्ी पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व म 13 दल की गठबन्धन सरकार ने पाँच वष म दशे के अदंर पर्गित के अनेक आयाम छुए। 

    सन् 2004 म कायर्काल पूरा होने से पहले भयंकर गम म सम्प कराये गये लोकसभा चुनाव म भा॰ज॰पा॰ के नेतृत्व वाले रा ीय जनतांितर्क गठबन्धन (एन॰डी॰ए॰) ने वाजपेयी के नेतृत्व म चुनाव लड़ा और भारत उदय (अंगर्जेी म इिण्डया शाइिनग) का नारा िदया। इस चनुाव म िकसी भी पाट को बहुमत नह िमला। ऐसी िस्थित म वामपंथी दल के समथर्न से काँगर्ेस ने भारत की केन्दर्ीय सरकार पर कायम होने म सफलता पर्ा की और भा॰ज॰पा॰ िवपक्ष म बैठने को मजबूर हुई।

    िक्तगत जीवन

    वाजपेयी अपने पूरे जीवन अिववािहत रह।े उन्ह ने लंबे समय से दोस्त राजकुमारी कौल और बी॰एन॰ कौल की बेटी निमता भ ाचायर् को द क पुतर्ी के रूप म स्वीकार िकया। राजकुमारी कौल की मतृ्यु वषर् 2014 म हो चुकी ह।ै अटल जी के साथ निमता और उनके पित रंजन भ ाचायर् रहते थे। अटल जी िहदी के पर्िस किव भी थे। उनके पर्कािशत काय म कैदी किवराय की कंुडिलया ं शािमल ह, जो 1975-77 आपातकाल म कैद होने के दौरान िलखी गई किवता का संगर्ह था जो एक अमर ज्वाला ह।ै अपनी किवता के संबंध म उन्ह ने िलखा, "मेरी किवता यु का ऐलान ह,ै पराजय की पर्स्तावना नह । यह हारने वाले सैिनक की िनराशा की डर्मबीट नह , जुझते यो ा का जय संकल्प ह।ै यह िनराशा का स्वर नह , आत्मिव ास का जयघोष ह।ै

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    किव के रूप म अटल जी

    अटल िबहारी वाजपेयी राजनीितज्ञ होने के साथ-साथ एक किव भी थे। मेरी इक्यावन किवताएँ अटल जी का पर्िस का संगर्ह ह।ै वाजपेयी जी को का रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण िवरासत म िमले ह। उनके िपता कृष्ण िबहारी वाजपयेी ग्वािलयर िरयासत म अपने समय के जाने-माने किव थ।े वे बर्जभाषा और खड़ी बोली म का रचना करते थे। पािरवािरक वातावरण सािहित्यक एवं का मय होने के कारण उनकी रग म का रक्त-रस अनवरत घूमता रहा ह।ै उनकी सवर्पर्थम किवता ताजमहल थी। इसम शर्ृंगार रस के पेर्म पर्सून न चढ़ाकर "एक शहशंाह न ेबनवा के हस ताजमहल, हम गरीब की मोहब्बत का उड़ाया ह ै मजाक" की तरह उनका भी ध्यान ताजमहल के कारीगर के शोषण पर ही गया। वास्तव म कोई भी किव हृदय कभी किवता से वंिचत नह रह सकता।

    अटल जी ने िकशोर वय म ही एक अद्भुत किवता िलखी थी - ''िहन्द ूतन-मन िहन्द ूजीवन, रग-रग िहन्द ू मेरा पिरचय", िजससे यह पता चलता ह ै िक बचपन से ही उनका रुझान दशे िहत की तरफ था।

    राजनीित के साथ-साथ समि एवं रा के पर्ित उनकी वैयिक्तक संवेदनशीलता आ ोपान्त पर्कट होती ही रही ह।ै उनके संघषर्मय जीवन, पिरवतर्नशील पिरिस्थितयाँ, रा ापी आन्दोलन, जेल-जीवन आिद अनेक आयाम के पर्भाव एवं अनुभूित न ेका म सदवै ही अिभ िक्त पायी। िवख्यात गज़ल गायक जगजीत िसह ने अटल जी की चुिनदा किवता को संगीतब

    करके एक एल्बम भी िनकाला था।

    उनकी कुछ पर्मखु पर्कािशत रचनाएँ

    रग-रग िहन्द ूमेरा पिरचय मृत्यु या हत्या अमर बिलदान

    (लोक सभा म अटल जी के वक्त का संगर्ह) कैदी किवराय की कंुडिलया ँ संसद म तीन दशक अमर आग ह ै कुछ लेख: कुछ भाषण सेक्युलर वाद राजनीित की रपटीली राह िबन्द ुिबन्द ुिवचार, इत्यािद मेरी इक्यावन किवताएँ

    परुस्कार

    1992: प िवभूषण

    1993: डी िलट (कानपुर िव िव ालय)

    1994: लोकमान्य ितलक पुरस्कार

    1994: शर्े सासंद पुरस्कार

    1994: भारत र पंिडत गोिवद वल्लभ पंत पुरस्कार

    2015 : डी िलट (मध्य पर्दशे भोज मुक्त िव िव ालय)

    2015 : 'फर्ड्स ऑफ बांग्लादशे िलबरेशन वार अवॉडर्', (बांग्लादशे सरकार ारा पर्द )

    2015 : भारतर से सम्मािनत

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    अटल िबहारी वाजपयेी की किवताएं     

    उस रोज़ िदवाली होती ह ै उस रोज़ िदवाली होती ह,ै जब मन म हो मौज-बहार की , चमकाए चमक िसतार की , जब खुिशय के शुभ घेरे ह तन्हाई म भी मेले ह आनंद की आभा होती ह ै, उस रोज़ िदवाली होती ह।ै। जब पेर्म के दीपक जलते ह , सपने जब सच म बदलते ह , मन म हो मधुरता भाव की ,जब लहक फसल चाव की , उत्साह की आभा होती ह ै, उस रोज़ िदवाली होती ह ै।। जब पेर्म से मीत बुलाते ह ,दशु्मन भी गले लगाते ह , जब कह िकसी से वैर न हो , सब अपने ह कोई ग़ैर न हो , अपनत्व की आभा होती ह ै, उस रोज़ िदवाली होती ह।ै। जब तन-मन-जीवन सज जाए , स ाव के बाजे बज जाएं , महकाए खुशबू खुिशय की , मुस्काए चंदिनया सुिधय की , तृि की आभा होती ह ै, उस रोज़ िदवाली होती ह ै।।

    कदम िमलाकर चलना होगा….

    बाधाएं आती ह आएं, िघर पर्लय की घोर घटाएं, पाव के नीचे अंगारे, िसर पर बरस यिद ज्वालाएं, िनज हाथ म हसंते-हसंते, आग लगाकर जलना होगा…… कदम िमलाकर चलना होगा.

    हास्य-रुदन म, तूफान म, अगर असंख्यक बिलदान म, उ ान म, वीरान म, अपमान म, सम्मान म, उ त मस्तक, उभरा सीना, पीड़ा म पलना होगा….. कदम िमलाकर चलना होगा.

    उिजयारे म, अंधकार म, कल कहार म, बीच धार म, घोर घृणा म, पूत प्यार म, क्षिणक जीत म, दीघर् हार म, जीवन के शत-शत आकषर्क, अरमान को ढलना होगा….. कदम िमलाकर चलना होगा.

    सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ, पर्गित िचरंतन कैसा इित अब, सुिस्मत हिषत कैसा शर्म थ, असफल, सफल समान मनोरथ, सब कुछ दकेर कुछ न मांगते, पावस बनकर ढलना होगा….. कदम िमलाकर चलना होगा.

    कुछ कांट से सिज्जत जीवन, पर्खर प्यार से वंिचत यौवन, नीरवता से मुखिरत मधुबन, परिहत अिपत अपना तन-मन, जीवन को शत-शत आहुित म, जलना होगा, गलना होगा.. क़दम िमलाकर चलना होगा.

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    ईमानदारी - जीने की राह -लेख

    भारत हमारा दशे- पावन, सुहावन और मनभावन। अनािदकाल से वैिदक काल होते हुए अब तक इस दशे म ऋिष-मुिनय , महिषय , बुि जीिवय , फकीर एवं िविभ कालजयी मनीिषय ारा ईमानदारी, न्याय और परोपकार हतुे अपना सवर्स्व न्योछावर करने यहां तक िक अपने पर्ाण की आहुित दनेे जैसे अनेकानेक कथानक हमारे समक्ष पर्मुखतया उभरकर आते ह। ईमानदारी और िन ा दशे की रग-रग म और हर िम ी की खुशबू म बसी ह।ै शूर-वीर , समर्ाट और यो ा ारा ईमानदारी, न्यायिपर्यता और िन ा का िनवर्हन करते हुए सब कुछ जानते हुए भी दशे और मातृभूिम की गिरमा को बरकरार रखने के िलए ईमान की वेदी पर स्वयं का बिलदान दनेे वाले भारतविंशय से इितहास भरा पड़ा ह।ै सच्चाई ह ै िक ईमानदारी और कतर् परायणता हमारे दशे की नैसिगक पर्कृित ह ैजो कालांतर म कुछ बाहृय व् यिभचारी और धोखेबाज आकर्मणकािरय तथा िवदिुषय ारा सध लगाने से पर्दिूषत हो गई सी पर्तीत होती ह।ै 

    िन:स् वाथर् और िनष्काम भाव से िजम्मेदािरय का िनवर्हन ही ईमानदारी का ल य ह ै और इसे रोजमरार् की िकर्या-पर्णाली म उतार लेना ही जीवन शैली ह।ै ईमानदारी की सीख माता-िपता से शुरू होकर िशक्षक और अन् य ईमानदार व अनुकरणीय िक्तय के माध्यम से पर्ा होती ह।ै सत् यिनष् ठा  

    एक आंतिरक और स्वाभािवक गुण ह ैिजसके पर्भाव से िक्त पिरवार म, वसाय म, कायर्-क्षेतर् म, समाज म और रा ीय स्तर पर समिपत रहता ह।ै वह दशे भिक्त की भावना से ओत-पर्ोत और सामािजक स ावना से अिभभूत होता ह।ै 

    हम पद, योग्यता और बड़प्पन की परवाह िकए िबना स्वच्छ चिरतर् का पिरचय दनेा चािहए और इस जीवन म धारण करना चािहए। यह सुख-शिक्त और अमन-चैन की सही मायने म कंुजी ह।ै इितहास साक्षी ह ैिक महाभारत व रामायण काल से इतर चाणक् य और अशोक जैसे महान पर्तापी हिस्तय से लेकर न्यूटन, आइंस् टीन, अबर्ाहम िलकन, लाल बहादरु शा ी, महात्मा गांधी, िलयो टॉलस्टॉय, मािटन लूथर िकग जैसे महान िक्तय ने ईमानदारी के साथ-साथ मानवता को समिपत अपना जीवन अिपत कर िदया और इन सपूत को दिुनया कभी भुला नह पाएगी। 

    ईमानदारी जीवन को सरल, बोझमुक्त और समाज म जीने का मकसद िसखाती ह।ै यह आत्मिव ास, सहनशिक्त, िवषम पिरिस्थितय से जूझने की असीिमत क्षमता दतेी ह ै िजसे कोई बीमारी, थकान, िनराशा, अवसाद, िचता या मानिसक तनाव बाधा नह पहुचंा सकती। ईमानदार िक्त चिरतर्वान, िवश् वासपातर् और नैितकता िवकिसत करता ह ै और उसकी संपूणर् िकर्या-पर्णाली एक खुली िकताब की तरह होती ह।ै

       

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    िजस िदन िक्त के जीवन म वह घड़ी आ जाए, जीवन के पर्त्येक के्षतर् म सफलता उसके कदम चूमेगी, समाज का उत्थान होगा और सच्चे रा का िनमार्ण होगा। ईमानदारी ई र का अमूल्य उपहार ह ैजो हर मुिश्कल का सामना करने की शिक्त दतेा ह ैऔर पर्ित ा से जीने का हक दतेा ह।ै िक्त से समि और ऐसी िवचारधारा रा को अगर्णी बनाने म कारगर िस होती ह।ै ईमानदारी पर्त्येक

    िक्त का सवर्शर्े हिथयार ह ैजो अभयता से जुड़ा हुआ ह ैऔर उसकी सफलता का सोपान ह।ै 

    फर्किलन के अनुसार “ ईमानदारी सवर्शर्े नीित ह ै ” अथार्त् ईमानदारी जीवन म सफलता पर्ाि के िलए सबसे अच्छा उपकरण ह।ै एक अच्छे नागिरक के िलए समाज, पिरवार और अिधकािरक स् तर पर भी इसे सुदढ़ृ और िटकाऊ िरश्ते के िलए रीढ़ की ह ी कहा जा सकता ह ैजो िवकिसत समाज व रा के िनमार्ण के िलए आवश्यक ह।ै मूलत:  ईमानदारी असीिमत सुख-शािन्त और आनंद का सर्ोत ह ै िजससे िक्त म आत्म-संतुि , आत्म-सम्मान और आत्मिव ास की उत्पि होती ह।ै यह सनातन सत्य ह ै िक उच्च से अधम तक, महात् मा से दरुात् मा तक और सक्षम से अक्षम तक सभी ईमानदार िक्त को ही अपनाना चाहते ह। ईमानदारी से मुख् य तात् पयर् ह ै िक कभी भी िकसी तरह का कोई अनुिचत लाभ पाने की तम ा का पिरत्याग कर दनेा। यह हम अद्भुत और असीिमत ईश् वरीय शिक्त पर्दान करता ह ैिजससे हमारे आचरण और चिरतर् को ऐसा संबल िमलता ह ै िक जीवन सुरिक्षत और बेहतर बन जाता ह।ै 

    िक्त के साथ-साथ पिरवार, समाज और रा का िवकास होता ह।ै अनन् त संभावना का ार खुल जाता ह ै और पर्गित का मागर् पर्शस्त होता ह।ै ईमानदारी िक्त को आंतिरक रूप से मिस्तष् क को शांत कर मन और आत्मा के बीच संतुलन कायम करता ह।ै ईमानदारी की तुलना म धन-दौलत इत्यािद तुच्छ ह क्य िक आंतिरक तुि और मानिसक शिक्त िसफर् ईमानदारी से ही पर्ा हो सकती ह।ै ईमानदारी से अलौिकक ऊजार् का संचार होता ह।ै 

    इितहास गवाह ह ै िक हमारे दशे म सच्चिरतर्ता का सदवै िमसाल पेश िकया ह ै और पिरणामस्वरूप हमारी संस्कृित को सव पिर रहने का गौरव पर्ा ह।ै हमारी िदनचयार्, िवचारधारा और संस्कार म ईमानदारी और िन ा कूट-कूट कर भरी ह ैपरंतु किपतय संस्कारहीन और स्वाथर् भावना से गर्िसत मु ी भर लोग ारा क्षणभंगरु लाभ के िलए पूरे सामािजक पिरवेश और माहौल को दिूषत कर िदया जाता ह।ै 

    मनसावाचाकमर्णा इस कुरीित को सदा के िलए समूल उखाड़ फकने और अपने दशे के िन ावान नागिरक की गिरमामयी छिव को पुनस्थार्िपत करने के िलए हम पूणर्त: पर्ितब ह।  

    रेलवे म िमशन सत्यिन ा की शुरुआत हो चुकी ह ै िजसके तहत कायर्-संस्कृित को बेहतर, पारदश , सावर्जिनक सूचना का िवकेन् दर्ीकरण, उपभोक् ता के िलए सृजनात् मक पर्भाव िकर्या-पर्णाली तंतर् म रोचक रुझान और सदाचरण शािमल ह। 

     

       

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    सावर्जिनक जीवन म नैितकता, ईमानदारी और सत् यिनष् ठा जैसे िवषय को पर्थम पंिक्त म रखा गया ह।ै सभी अिधकािरय और कमर्चािरय को सही आचरण और सत्यिन ा का अनुपालन करते हुए िनजी और सावर्जिनक जीवन म उच् च मानक स्थािपत करने और नैितकता के िनवर्हन के साथ-साथ जनता म भी जागरूकता फैलाने का दाियत्व स पा गया ह।ै 

    ‐ शिश मोहन पाण् डेय कायर्पालक िनदशेक/सतकर् ता (इंजी.) 

        

    ज्ञान धारा – लघ ुबौ कथा

    एक बार भगवान बु से उनके िशष्य आनंद ने पूछा- ‘भगवन्! जब आप पर्वचन दतेे ह तो सुनने वाले नीचे बैठते ह और आप ऊंचे आसन पर बैठते ह, ऐसा क्य ?’ भगवान बु बोले- ‘ये बताओ िक पानी झरने के ऊपर खड़े होकर िपया जाता ह ैया नीचे जाकर?’ आनंद ने उ र िदया- ‘झरने का पानी ऊंचाई से िगरता ह.ै अतः उसके नीचे जाकर ही पानी िपया जा सकता ह.ै’ भगवान बु ने कहा- ‘तो िफर यिद प्यासे को संतु करना ह ैतो झरने को ऊंचाई से ही बहना होगा न?’ आनंद ने ‘हां म उ र िदया.’ यह सुनकर भगवान बु बोले- ‘आनंद! ठीक इसी तरह यिद तुम्ह िकसी से कुछ पाना ह ैतो स्वयं को नीचे लाकर ही पर्ा कर सकते हो और तुम्ह दनेे के िलए दाता को भी ऊपर खड़ा होना होगा. यिद तुम समपर्ण के िलए तैयार हो तो तुम एक ऐसे सागर म बदल जाओग,े जो ज्ञान की सभी धारा को अपने म समेट लतेा ह.ै’

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

       

     

     

     

       

               

     

       

     

       

     

     

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    िदनाकं 16‐09‐2019 को आयोिजत रेलव ेबोडर् राजभाषा कायार्न्वयन सिमित की 135 व बैठक के दशृ्य

       

       

    िदनांक 16.9.2019  को रेलवे बोडर् राजभाषा कायार्न्वयन सिमित की 135  व बैठक आयोिजत की गई िजसम रेलवे बोडर् और उपकर्म के 56 अिधकािरय ने भाग िलया और बैठक म रेलटेल कायार्लय के अिधकारी ने रेलटेल कायार्लय की अपने कायर् संबंधी पर्स्तुित भी दी. इसके अितिरक्त  ‘ई-राजभाषा’ की पितर्का के 26व अंक का िवमोचन िकया गया और कॉफमो की गृह-पितर्का “अिभ िक्त” पर्वेशांक का िवमोचन भी िकया गया. 

     इस दौरान राजभाषा

    कायार्न्वयन के के्षतर् म िकए गए उत्कृ एवं सराहनीय कायर् के िलए भारतीय रेल रा ीय अकादमी, वडोदरा के महािनदशेक शर्ी पर्दीप कुमार को कमलापित ितर्पाठी राजभाषा स्वणर् पदक तथा रेलवे बोडर् सिहत रेल /उत्पादन कारखान आिद के विर पर्शासिनक गर्ेड एवं उनसे ऊपर के स्तर के 30  अन्य अिधकािरय को रेल मंतर्ी राजभाषा रजत पदक से सम्मािनत िकया गया.

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    िदनाकं 16‐09‐2019 को आयोिजत रेलव ेबोडर् राजभाषा कायार्न्वयन सिमित की 135 व बैठक के दशृ्य…

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

       

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

    ई-राजभाषा वैब पितर्का के 26 व अकं का िवमोचन

    रेलटेल ारा पॉवर पॉइंट पर्स्तिुत 

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    कॉफमो की गहृ पितर्का‘अिभ िक्त’के पर्वशेाकं का िवमोचन

    कमलापित ितर्पाठी स्वणर् पदक एव ं रेलमतंर्ी राजभाषा रजत पदक परुस्कार िवतरण के दशृ्य

     

     

       

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    कमलापित ितर्पाठी स्वणर् पदक एव ं रेलमतंर्ी राजभाषा रजत पदक परुस्कार िवतरण के दशृ्य 

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    किवता-

    आज तक हम ह कोरे 

    वो तराने भला क्या िलखग ेजो कभी गुनगनुाए नह ह।

    गम उनको क्या महसूस होगी धूप म जो नहाए नह ह।

    रोये उनके िलए कोई कैसे उनको िरश्ते ही भाये नह ह।

    कोई हसंना उन्ह क्या िसखाये आज तक वो मुस्कराए नह ह।

    वो क्या रोशन करगे जहा ंको जो कभी िझलिमलाए नह ह।

    क्या पता जख्म का ददर् क्या ह ैचोट िदल पे जो खाये नह ह।

    घात का उनको खतरा हो कैसे यार िजन्ह ने बनाये नह ह।

    इसिलए आज तक हम ह कोरे आप होली म आये नह ह।

    कैसे सावन म गाय तर ुम संग सावन िबताए नह ह।

    डॉ. िवभा खरे नन्दपरुा, झासंी

     

     

      

     

                                                                                                                      

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    मौसम म पिरवतर्न, तेज हवा, धूल/पर्दषूण से त्वचा िनरंतर पर्भािवत होती रहती ह,ै ऐसे म उसकी उिचत दखेभाल न की जाए तो असमय ही चेहरे की त्वचा झुिरय व झाइय का िशकार होने लगती ह। उबटन से त्वचा कांितमय बनती ह,ै तभी तो शादी के 1 माह पहले से ही दलु्हन को रोज उबटन लगाया जाता रहा ह।ै उबटन के पर्योग से त्वचा म नमी व चमक बनी रहती ह,ै वह मृत त्वचा को हटा कर त्वचा को नई ताजगी पर्दान करता ह।ै उबटन के पर्योग से त्वचा का रक्त-संचार सुचारू होने लगता ह,ै क्य िक इसके उतारने म त्वचा की मािलश/मसाज हो जाती ह ैऔर चेहरे के रंग म िनखार आता ह।ै ज्यादातर उबटन म हल्दी का पर्योग िकया जाता ह,ै अतः त्वचा, कई रोग से बची रहती ह।ै

    अनेक लाभ होने के बावजूद, उबटन का पर्योग हमेशा अपनी त्वचा के अनुरूप ही करना चािहए। सूखी त्वचा के िलए कभी ख े फल जैसे न बू, संतरे का रस पर्योग नह करना चािहए। िवशेष ध्यान दनेे वाली बात ह ैिक उबटन के िलए इस्तेमाल की जाने वाली सामगर्ी, आप की त्वचा के अनुकूल हो, तािक आपको िकसी एलज का सामना ना करना पड़े। साथ ही जब उबटन को स्कर्ब कर, तो हलके हाथ से कर, ताकत के साथ उबटन को न छुड़ाएं। ऐसा करने से त्वचा क्षितगर्स्त हो सकती ह,ै उस पर रैशेज पड़ सकते ह। हलके हाथ से गोलाई म घुमाते हुए उबटन को उतारना चािहए।

      िविभ पर्कार के घरेलू उबटन बनाने की िविध:-

    1. केल ेका उबटन बनाने की िविध - एक केला लेकर उसका गूदा अच्छी तरह मसल कर िलसिलसा बनाकर उसम दो चम्मच गुलाब जल, दो बंूद इतर्, खस-खस तथा चार बंूद िग्लसरीन िमलाकर एक साफ शीशी म भर कर रख ल। आपकी त्वचा सूखी हो, तो मेकअप करने से पहले चेहरे पर कर्ीम की तरह लगाकर मािलश कर। सूख जाने पर गुनगुने पानी से धो ल। यह फेस पैक सात से बीस िदन तक बनाकर रखा जा सकता ह।ै यिद िबगड़ने/खराब होने की आशंका हो तो गुलाब जल और िमला लेना चािहए।

    2. आलू का उबटन बनान ेकी िविध - यिद आपके चेहरे पर चेचक या मुंहास के दाग या झाइयाँ आिद ह तो

    आलू पीसकर, तीन बंूद िग्लसरीन, िसरका, गुलाब का अकर् िमलाकर फेस पैक बना ल। इसे तीन िमनट तक चेहरे पर अच्छी तरह मसल-मसल कर लगाएँ। यह चेहरे के दाग तथा झाइय से चमत्कािरक रूप से मुिक्त िदला सकता ह।ै इसे कुछ िदन धैयर्पूवर्क लगातार पर्योग करना चािहये।

    उबटन

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    मुलतानी िम ी से उबटन बनाने की िविध - मुलतानी िम ी का एक टुकड़ा लेकर उसे बहुत ही बारीक पीस कर पाउडर के समान बना ल। अब इस पाउडर म इतना पानी िमलाय िक इस पाउडर की लुगदी (पेस्ट) बन जाए। अब इस पेस्ट को चेहरे पर लगाय। पन्दर्ह िमनट सूखने द। िफर गुनगुने पानी से धो ल। यह िकर्या स ाह म दो बार की जाए तो चेहरे पर ताजगी बनी रहगेी।

     

    4. मसरू की दाल से उबटन बनाने की िविध - मसूर की दाल रात को िभगो कर सुबह बारीक पीस कर, इसम एक छोटा चम्मच दही (फट कर) िमलाकर, चेहरे पर लगाय। सूखने पर गुनगुने पानी से धो ल। 5. सोयाबीन और मसूर की दाल पर्त्येक 3-3 चम्मच, रात को पानी म िभगो द। सुबह कच्चे दधू म पीसकर चेहरे पर लगाय। चेहरा चमक उठेगा।

    6. मसूर की दाल घी म भूनकर तथा पीस कर रख लीिजये। सवेरे-शाम एक चम्मच दाल और दो चम्मच दधू िमलाकर चेहरे पर लगाइये। चेहरा थोड़े ही िदन म सुन्दर एवं कोमल हो जायेगा।

    7. धुली हुई मसूर की दाल त्वचा के रोम-रोम म रमी हुई गंदगी को साफ करने म सक्षम होती ह।ै थोड़ी-सी मसूर की दाल, गुलाब की सूखी पंखुिड़याँ और चन्दन का चुटकी भर चूरा, दधू म (रातभर) िभगोकर फूल जाने पर, पीस कर चेहरे पर हल्के-हल्के हाथ से अच्छी तरह लगाय और मसल-मसल कर उसे छुड़ा ल। इसके बाद घण्टे भर तक हल्की धूप म चेहरे को रख। बाद म गुनगुने पानी से धो डाल। इससे गम म त्वचा को ठण्डक पहुचँती ह।ै

    8. मूली से उबटन बनाने की िविध - ताजा मूली के टुकड़े पीस ल। इसे िनचोड़ कर कपड़े से छान कर रस िनकाल ल। इस रस म बराबर का मक्खन िमला ल, लोशन तैयार ह।ै नहाने से पहले रोजाना चेहरे पर इस लोशन का लेप कीिजए। जल्दी ही आपकी त्वचा म िनखार आ जायेगा।

    9. चावल से उबटन बनाने की िविध -चावल का आटा लेकर लोई बना ल। इसम एक चुटकी चन्दन का चूरा, एक चुटकी िपसी हुई हल्दी, दो चम्मच गुलाब जल डालकर खूब अच्छी तरह फटने के बाद, आधा घंटे के िलए धूप म रख द। मेकअप करने से आधा घंटा पहले चेहरे पर लगाय और अच्छी तरह मलते रह। बाद म हल्के गुनगुने पानीसे धोकर अच्छी तरह मेकअप कर ल चेहरे का सौन्दयर् एक नयी छिव ही छिव उभारेगा। 10. पपीते का उबटन बनाने की िविध - पपीते से पर्ा रासायिनक तत्त्व त्वचा की तैलीय परत को हटाने म सक्षम ह।ै अच्छी तरह पके हुए पपीते का गूदा लेकर अच्छी तरह पेस्ट बना ल, 15 िमनट तक गूद ेका पेस्ट चेहरे पर मसल कर कुछ दरे बाद गुनगुने पानी से धो ल। यिद त्वचा रूखी हो तो पपीते के गूद ेम गुलाब जल, चन्दन का बुरादा तथा हल्दी िमलाकर उबटन बना कर लगाय। इसको बाद म ठण्डे पानी से धो लेना चािहए।

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       11. गाजर से उबटन बनाने की िविध - गाजर को पीसकर उसका रस िनचोड़ ल या रस िनकालकर उसम चन्दन का बुरादा, गुलाब जल तथा बेसन िमलाकर पेस्ट बना ल। इसको चेहरे पर अच्छी तरह लगाकर मसल लेना चािहए। साद ेपानी से धो ल।

    12. सेब का उबटन - सेब का थोड़ा-सा गूदा लेकर उसम बेसन, चन्दन का पाउडर, हल्दी िमलाकर पेस्ट बना ल। इसको चेहरे पर हल्के-हल्के हाथ से लगाकर मािलश करनी चािहए।झुिरय , मुँहास व दाग आिद छुड़ाने के िलए इसका पर्योग काफी लाभकर रहता ह।ै

    13. दाग-धब्ब के िलए पैक - एक बड़े चम्मच बेसन म आधा चम्मच हल्दी, दो चम्मच संतरे के िछलक का िपसा हुआ पाउडर, एक चम्मच दही व एक चम्मच दधू, एक चम्मच गुलाब जल, न बू का रस, एक चम्मच नािरयल का तेल डाल कर अच्छी तरह फट ल। चेहरे पर लगाकर सूखने तक लगाये रख, िफर धो डाल। दो महीने तक, हफ्ते म 3 से 4 बार यह पैक लगाने से हर तरह के दाग, धब्बे दरू होने लगते ह।

    14. संतरे के िछलके से उबटन बनाने की िविध -100 गर्ाम संतरे के िछलके छाया म सुखा कर महीन पीस ल। इतनी ही मातर्ा म बाजरे का आटा, 10 गर्ाम हल्दी, थोड़ा-सा न बू का रस-इन सब को एक साथ िमलाकर पानी म आटे की तरह गंूध ल, और इसे चेहरे पर मल।

    15. दही से उबटन बनाने की िविध - दही म बेसन िमलाकर चेहरे पर लगा ल, सूखने के बाद ठंडे पानी से धो डािलए। त्वचा पर धूप का कुपर्भाव (Sunburn) भी दही के पर्योग से दरू हो जाता ह।ै चेहरे को साफ करने के िलए दही या नारंगी का रस िमलाकर पर्योग िकया जाये तो यह एक अच्छा िक्लजर (िक्लिजग िमल्क) की तरह ही कायर् करता ह।ै दही के पर्योग से त्वचा म िनखार आता ह।ै मुँहास के िलए दही म चावल का आटा िमलाकर लगाया जाये तो मुँहासे काफी जल्दी ठीक हो जाते ह।

    16. डीप क्लीिन्जग मास्क - एक बड़ा चम्मच चने के आटे म थोड़ा-सा दधू िमलाकर इस लेप की चेहरे पर मािलश कर। मािलश करने से त्वचा के भीतर गहरी धंसी गन्दगी बाहर आ जाएगी और त्वचा साफ हो जायेगी। मास्क लगाने के 20 िमनट बाद छुड़ाय। इसके बाद दो घण्टे तक मेकअप नह कर। मास्क स ाह म दो बार लगाय।

    पर्ाकृितक सामगर्ी से बने मास्क हािनकारक नह होते। मास्क लगाने के बाद चेहरे पर हल्के हाथ से गोल-गोल मािलश कर, इससे रक्त-संचार बढ़ता ह ैऔर त्वचा स्वस्थ, दागरिहत व कांितमय होने लगती ह।ै

    सिरता कुकरेजा, सहायक अनभुाग अिधकारी, रेलवे बोडर् 

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    रेल मतंर्ालय (रेलवे बोडर्) म िहदी िदवस के उपल य म िदनाकं 09 िसतंबर स े20 िसतंबर, 2019 तक आयोिजत राजभाषा पखवाड़ा के संबंध म – एक िरपोटर् 

     

    रेल मंतर्ालय (रेलवे बोडर्) म िहदी िदवस के उपल य म िदनांक 09 िसतंबर से 20 िसतंबर,  2019  तक राजभाषा पखवाड़ा का सफलतापूवर्क आयोजन िकया गया। इस दौरान बोडर् कायार्लय के अिधकािरय /कमर्चािरय म राजभाषा के पर्ित अिभरुिच उत् पन् न करने के उ ेश् य से िविभन् न  कायर्कर्म यथा -  िहदी िनबंध पर्ितयोिगता, िहदी वाक् पर्ितयोिगता, िहदी िटप् पण एवं पर्ारूप लेखन पर्ितयोिगता, िहदी कायर्शाला एवं संगोष् ठी तथा अंताक्षरी पर्ितयोिगता का सफलतापूवर्क आयोजन िकया गया, िजसम बोडर् कायार्लय के अिधकािरय /कमर्चािरय ने बढ़‐चढ़ कर िहस् सा  िलया।  

        

     

    िहदी िनबधं पर्ितयोिगता: राजभाषा पखवाड़े की शुरूआत 09 िसतंबर, 2019 को "िहदी िनबधं पर्ितयोिगता" के साथ हुई, िजसम 'जल सरंक्षण - आवश् यकता और उपाय' और 'भारत की तकनीकी पर्गित म रेल की भूिमका' जैसे िवषय िहदी म िनबंध लेखन के िलए रखे गए।  

       

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    िहदी िटप् पण एव ंपर्ारूप लखेन पर्ितयोिगता  इसी कड़ी म, 11 िसतंबर, 2019 को "िहदी

    िटप् पण एवं पर्ारूप लखेन पर्ितयोिगता" का आयोजन िकया गया िजसम बोडर् कायार्लय के  14 अिधकािरय /कमर्चािरय ने उत् साहपूवर्क भाग िलया। 

      

     

      

        िहदी वाक् पर्ितयोिगता 12 िसतंबर,  2019 को 'िहदी िफल् म और

    भारतीय रेल'  तथा  'स् वच् छ रेल - स् वच् छ भारत' जैसे िवषय पर 'िहदी वाक् पर्ितयोिगता' का आयोजन िकया गया िजसम बोडर् कायार्लय के 6 अिधकािरय / कमर्चािरय ने भाग िलया।

     

      

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         िहदी कायर्शाला  13 िसतंबर, 2019 को बोडर् कायार्लय के अिधकािरय /कमर्चािरय के िलए "िहदी कायर्शाला" का आयोजन िकया गया िजसम िनदशेक, राजभाषा ने राजभाषा एव ंराष् टर्भाषा तथा अनवुाद आिद के बारे म व् याख् यान िदया।  

        रेलव ेबोडर् राजभाषा कायार्न्वयन सिमित की बठैक   16  िसतंबर, 2019  को बोडर् कायार्लय म रेलवे बोडर् राजभाषा कायार्न्वयन सिमित की 135 व बैठक का  आयोजन िकया गया 

       

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    तकनीकी सगंो ी 17 िसतंबर, 2019 को बोडर् कायार्लय के अिधकािरय /कमर्चािरय के िलए "कम् प् यटूर स ेसबंिंधत िहदी म

    तकनीकी सिुवधाएं" िवषय पर िहदी कायर्शाला का आयोजन िकया गया िजसम विरष् ठ पतर्कार एवं कम् प् यूटरिवशेषज्ञ डॉ. बालेन् द ुशमार् 'दाधीच' ने संबंिधत िवषय पर अपना व् याख् यान िदया एवं भाषा पर्ौ ोिगकी के के्षतर् महो रही अ तन जानकािरय स ेयुक् त एक कम् प् यूटर पर्स् तुतीकरण िकया, िजसे पर्ितभािगय ारा काफी ज्ञानवधर्कएवं उपयोगी बताया गया।  

     अतंाक्षरी पर्ितयोिगता 18 िसतंबर, 2019 को बोडर् कायार्लय के अिधकािरय /कमर्चािरय के िलए 'अतंाक्षरी पर्ितयोिगता' का

    आयोजन िकया गया, िजसम 15 टीम ने भाग िलया। इस पर्ितयोिगता के माध् यम से िहदी शब् द ज्ञान को बढ़ावादनेे के साथ-साथ िहदी गान एवं िहदी दोह के जिरए लोग म िहदी भाषा एवं इसके सािहत् य म रूिच बढ़ान ेकाउल् लेखनीय पर्यास िकया गया। हॉल म उपिस्थत सभी शर्ोता ने इसकी भरपूर सराहना की। गान की पंिक्तयकी सस् वर अदायगी के कारण अिधकािरय /कमर्चािरय ने इस कायर्कर्म का भरपूर आनंद उठाया।   

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    परुस्कार िवतरण, किव सम्मलेन एव ंसमापन 

    राजभाषा पखवाड़ा-2019 का समापन समारोह 20.09.2019 को रेल भवन के सम् मेलन कक्ष म आयोिजत िकया गया, िजसम माननीय सदस् य (कािमक) शर्ी मनोज पाण् डे जी मुख् य अितिथ के रुप म पधारे तथा कायर्पालक िनदशेक, स् थापना (आर.) शर्ी एस.पी. माही जी और कई अन् य उच् च अिधकारी भी उपिस्थत हुए।  

     

     कायर्पालक िनदशेक, स् थापना (आर.) शर्ी एस.पी. माही जी ने अपने स् वागत संबोधन म कहा िक भारतीय रेल िहदी के पर्योग-पर्सार के िलए सदवै सजग रही ह ैऔर इसका पर्योग भारतीय रेल के हर के्षतर् म दखेने को िमलता ह,ै चाह ेस् टेशन पर लग ेबोडर् ह , उ ोषणाएं ह ,  आरक्षण चाटर् हो या िफर पदनाम बैज ह । राजभाषा के पर्योग-पर्सार को बढ़ाने के कायर्कर्म पूरे वषर् चलते रहते ह लेिकन 'राजभाषा पखवाड़ा' मनाना हमारे िलए उत् सव से कम नह ह।ै  

    तत् पश् चात् माननीय सदस् य (कािमक) शर्ी मनोज पाण् डे जी ने िविभन् न पर्ितयोिगता के पुरस् कार िवजेता को पर्माण-पतर् तथा नकद पुरस् कार पर्दान िकए। अपने संबोधन म उन् ह ने कहा िक भारतीय रेल और िहदी का संबंध अटूट ह।ै िजस तरह भारतीय रेल दशे के िविभन् न पर्ांत को जोड़ती ह,ै ठीक वैसे ही िहदी ने दशे के करोड़ लोग के बीच भावात् मक एकता बनाए रखने म अपनी अहम भूिमका िनभाई ह।ै भारतीय रेल िहदी के पर्योग-पर्सार के िलए सजग ह ैऔर िनरंतर सजग रहगेी। 

       राजभाषा पखवाड़े के समापन समारोह के अवसर पर एक भव् य किव सम् मेलन का भी आयोजन िकया गया, िजसम शर्ी महशे गगर् “बेधड़क”, डॉ. कीित काल,े शर्ी िदनेश बावरा, डॉ. सुरेश अवस् थी तथा   शर्ी पवन आगरी जैसे नामचीन किवय ने भाग िलया और अपनी किवता /रचना के जिरए सम् मेलन कक्ष म उपिस्थत शर्ोता का भरपूर मनोरंजन करके उनका मन मोह िलया।   

     

     

     

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     पुरस् कार िवतरण एवं समापन समारोह का संचालन शर्ीमती नीरु पटनी, संयुक् त िनदशेक,

    राजभाषा ारा िकया गया तथा िनदशेक, राजभाषा डॉ. बरुण कुमार ारा िदए गए धन् यवाद ज्ञापन से राजभाषा पखवाड़ा संपन् न हुआ।                                        ********  

     

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    िमलकर दशे का नविनमार्ण कर 

      आओ भारतवासी िमलकर दशे का नविनमार्ण कर दशे का सर हो गवर् से ऊंचा यह अपना अरमान कर पूरब- पि म उ र दिक्षण म फैली यह मातृभूिम वसंुधरा मां भारती की संतान सभी हम स ाव का ह ै सदा पैगाम भरा संकट के जब जब क्षण ह आय अपर्ण अपना शीश िकया बंगाली, गुजराती, िबहारी ना हो भारतीयता का मान कर आओ भारतवासी िमलकर दशे का नविनमार्ण कर दशे का सर हो गवर् से ऊंचा यह अपना अरमान कर अनेक भाषा का संगम अलग अलग ह संस्कृितयाँ आओ सब पुष्प िमलजुलकर पुष्पगुच्छ का िनमार्ण कर आओ भारतवासी िमलकर दशे का नविनमार्ण कर दशे का सर हो गवर् से ऊंचा यह अपना अरमान कर एक-दसूरे के राज्य म जाएं सािहत्य कला का अलख जलाएँ छातर् और संस्कृितय का आपस म गठजोड़ बनाएँ सीख और िसखाएँ हम स्वयं को और ज्ञानवान बनाएँ भावनात्मक बंधन हो ऐसा खंिडत कोई कर ना पाये आओ भारतवासी िमलकर दशे का नविनमार्ण कर दशे का सर हो गवर् से ऊंचा यह अपना अरमान कर ऋिषय -मुिनय की यह धरती समृ िवरासत से ह ैये भरावैज्ञािनक दिृ कोण हो अपना वैचािरक सामंजस्य बनाएँ

       जन आंदोलन खड़ा हो ऐसा रा को जो मजबूत बनाएँ आओ भारतवासी िमलकर दशे का नविनमार्ण कर दशे का सर हो गवर् से ऊंचा यह अपना अरमान कर जब समुन्दर् म हो संगम की बारी अपनी ही पहचान भूलाएँ संगिठत होकर रह सदा हम सवर्धमर् समभाव अपनाएँ संकीणर्ता का भाव त्याग कर भारत को सुदढृ बनाएँ आओ भारतवासी िमलकर दशे का नविनमार्ण कर दशे का सर हो गवर् से ऊंचा यह अपना अरमान कर

    बुज़ुग और मिहला को भी क्य न हम सम्मान िदलाएँ िशिक्षत कर बेिटय को और मनमोहक मुस्कान फैलाएँ

    आओ भारतवासी िमलकर दशे का नविनमार्ण कर दशे का सर हो गवर् से ऊंचा यह अपना अरमान कर

    कमर्योगी हो हर युवा हमारा शर्म,कौशल,योग का ऐसी िदया जलाएँ रौशन कर द े िव मानस को और िव गुरु भारत िफर कहलाए

    िवजय कुमार यादव कायर् अध्ययन िनरीक्षक

    पूव र सीमा रेलवे, मालीगाँव