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वि-निवनमाण की अन ठी ईरीय योजनम समइड (कै सेट) वि . 1 ( कौन?):- शरीर अलग चीज़ है , आमा अलग चीज़ है और दोन मलकर जीवआमा अाात् जीमवत आमा बनती है। जीमवत आमाका मतलब है शरीर समहत काम करने वाली चैतय शमि। नह तो यह आमा भी काम नह कर सकती और यह शरीर भी नह काम कर सकता। इसका मसाल एक मोटर और ाइवर से मदया हुआ है। जैसे मोटर होती है , ाइवर उसके अदर है तो मोटर चलेगी, ाइवर नह है तो मोटर नह चलेगी। मतलब यह है मक आमा, (एक भाई ने कहा- वायु है ), वायु नह है। पृवी, जल, वायु , अमनऔर आकाश- ये पाच जड़ तव तो अलग मजनसे यह शरीर बना है। इन तव के बने शरीर से आमा मनकल जाती है तो भी शरीर के अदर पाच तव रहते ह। उनको जलाया जाता है या मटी दबाया जाता है। वे तो जड़ तव ; लेमकन आमा उनसे अलग या चीज़ है ? वह मन और बुमि वऱप एक अमत सूम योमतमबाद है , मजसको गीता कहा गया है - ‘‘अणोरणीया समनुमरेत् यः।’’ (गीता 8/9) अाात् अणु से भी अणुऱप बताया। अणु है ; लेमकन योमतमाय है। उस मन-बुमि ऱपी चैतय अणु अनेक जम के कार भरे हुए ह। मन-बुमि को ही आमा कहा जाता है। वेद की एक ऋचा भी बात आई है - मनरेव आमाअाात् मन को ही आमा कहा जाता है। आदमी जब शरीर छोड़ता है अाात् आमा शरीर छोड़ती है तो ऐसे ोड़े ही कहा जाता है मक मन-बुमि रह गई और आमा चली गई। सब कु छ है ; लेमकन मन-बुमि की शमि चली गई अाात् आमा चली गई। तो मन-बुमि की जो पावर है वातव उसका ही सरा नाम आमा है। मन-बुमि इस जम के और पूवा जम के कार भरे हुए ह। कार का मतलब है - अछे -बुरे जो कमा मकए जाते , उन कम का जो भाव बैठ जाता है उसको कहते कारजैसे मकसी पररवार कोई बचा पैदा हुआ, वह कसाइय का पररवार है , बचपन से ही वहा गाय काटी जाती है , उस बचे से , जब बड़ा हो जाए, पूछा जाए मक तुम गाय काटते हो, बड़ा पाप होता है , तो उसकी बुमि नह बैठेगा; यमक उसके कार ऐसे पके हो चुके ह। इसी तरीके से ये कार एक तीसरी चीज़ है। तो मन, बुमि और कार- ये तीन शमिया मल करके आमा कही जाती है। वि . 2 (तीन लोक):- आमा इस सृमि आई कहा से ? ये कीट, पशु , पी, पत गे - वातव ये सब आमाए ह। सबके अदर आमा है। इस मच यह है पृवी और ये सूरज, चाद, मसतारे , आकाशतव। गीता एक ोक आया है , उसम अजु ान को भगवान ने बताया है मक कहा का रहने वाला - ‘‘तद भासयते सूयो शशाङ्को पावकः। यद गवा मनवताते तद धाम परम मम।’’ (गीता 15/6) अाात् जहा सूरज, चाद, मसतार का काश नह पहुचता, जहा अमनका काश नह पहुचता, वह मेरा परे -ते -परे धाम है , जहा का रहने वाला ह। यह ोक इस बात का माण है मक भगवान परमधाम के रहने वाले , सवायापी नह ह। यहा सामबत मकया गया है मक पाच तव की मनया से परे एक और सदा कामशत छठा तुरीया तव है हलोक’, मजसे ेजी कहा जाता है सुीमएबोड’, मुसलमान कहा जाता है अशा ’, ‘‘खुदा अशा रहता है , फशा नह।’’ लेमकन अब तो वे भी सवायापी मानने लगे मक खुदा जरे -2 है। जैनी लोग उसको तुरीया धाममानते ह। तापययह है मक हर धमा उस धाम की

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विशव-निवनरमाण की अनठी ईशवरीय योजनम

lsquoएrsquo समइड (कसट) वितर न 1 (र कौन)-

शरीर अलग चीज़ ह आतमा अलग चीज़ ह और दोनो ममलकर जीवआतमा अराात जीमवत आतमा बनती ह lsquoजीमवत आतमाrsquo का मतलब ह शरीर समहत काम करन वाली चतनय शमि नही तो यह आतमा भी काम नही कर सकती और यह शरीर भी नही काम कर सकता इसका ममसाल एक मोटर और डराइवर स मदया हआ ह जस मोटर होती ह डराइवर उसक अनदर ह तो मोटर चलगी डराइवर नही ह तो मोटर नही चलगी मतलब यह ह मक आतमा (एक भाई न कहा- वाय ह) वाय नही ह पथवी जल वाय अमनन और आकाश- य पााच जड़ ततव तो अलग ह मजनस यह शरीर बना ह इन पच ततवो क बन शरीर म स आतमा मनकल जाती ह तो भी शरीर क अनदर पााच ततव रहत ह उनको जलाया जाता ह या ममटटी म दबाया जाता ह व तो जड़ ततव ह लमकन आतमा उनस अलग कया चीज़ ह वह मन और बमि सवरप एक अमत सकषम जयोमतमबानद ह मजसको गीता म कहा गया ह- lsquolsquoअणोरणीयासमनसमरत यःrsquorsquo (गीता 89) अराात अण स भी अणरप बताया अण ह लमकन जयोमतमाय ह उस मन-बमि रपी चतनय अण म अनक जनमो क ससकार भर हए ह मन-बमि को ही आतमा कहा जाता ह वद की एक ऋचा म भी बात आई ह- lsquoमनरव आतमाrsquo अराात मन को ही आतमा कहा जाता ह आदमी जब शरीर छोड़ता ह अराात आतमा शरीर छोड़ती ह तो ऐस रोड़ ही कहा जाता ह मक मन-बमि रह गई और आतमा चली गई सब कछ ह लमकन मन-बमि की शमि चली गई अराात आतमा चली गई

तो मन-बमि की जो पावर ह वासतव म उसका ही दसरा नाम आतमा ह मन-बमि म इस जनम क और पवा जनमो क ससकार भर हए ह ससकार का मतलब ह- अचछ-बर जो कमा मकए जात ह उन कमो का जो परभाव बठ जाता ह उसको कहत ह lsquoससकारrsquo जस मकसी पररवार म कोई बचचा पदा हआ वह कसाइयो का पररवार ह बचपन स ही वहाा गाय काटी जाती ह उस बचच स जब बड़ा हो जाए पछा जाए मक तम गाय काटत हो बड़ा पाप होता ह तो उसकी बमि म नही बठगा कयोमक उसक ससकार ऐस पकक हो चक ह इसी तरीक स य ससकार एक तीसरी चीज़ ह तो मन बमि और ससकार- य तीन शमियाा ममल करक आतमा कही जाती ह

वितर न 2 (तीन लोक)-

आतमा इस समि म आई कहाा स य कीट पश पकषी पतग- वासतव म य सब आतमाएा ह सबक अनदर आतमा ह इस मचतर म यह ह पथवी और य ह सरज चााद मसतार आकाशततव गीता म एक शलोक आया ह उसम अजान को भगवान न बताया ह मक म कहाा का रहन वाला ह ा- lsquolsquoन तद भासयत सयो न शशाङको न पावकः यद गतवा न मनवतानत तद धाम परम ममrsquorsquo (गीता 156) अराात जहाा सरज चााद मसतारो का परकाश नही पहाचता जहाा अमनन का परकाश नही पहाचता वह मरा पर-त-पर धाम ह जहाा का म रहन वाला ह ा यह शलोक इस बात का परमाण ह मक भगवान परमधाम क रहन वाल ह सवावयापी नही ह यहाा सामबत मकया गया ह मक पााच ततवो की दमनया स पर एक और सदा परकामशत छठा तरीया ततव ह lsquoबरहमलोकrsquo मजस अगरजी म कहा जाता ह lsquoसपरीमएबोडrsquo मसलमानो म कहा जाता ह lsquoअशाrsquo lsquolsquoखदा अशा म रहता ह फशा म नहीrsquorsquo लमकन अब तो व भी सवावयापी मानन लग ह मक खदा जर-2 म ह जनी लोग उसको lsquoतरीया धामrsquo मानत ह तातपया यह ह मक हर धमा म उस धाम की

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मानयता ह हम सब आतमाएा उस परमधाम की रहन वाली ह जहाा पर सपरीम सोल जयोमतमबानद भी ह मजस महनदओ म lsquoमशवrsquo कहत ह व जनम-मरण क चकर स नयार ह बाकी मजतनी भी आतमाएा ह व जनम-मरण क चकर म आ जाती ह परमधाम म उन आतमाओ की मसरमत का करम कया ह मजतना ही इस समि पर आ करक शरषठ कमा करन वाली आतमा ह वह उतना ही पर-त-पर मशव क नज़दीक रहन वाली होगी और मजतन ही मनषकि कमा करन वाली पाटा बजान वाली आतमा ह वह उतना ही नीच की ओर उनकी सखया जासती होती ह दि कमा करन वालो की सखया जासती और शरषठ कमा करन वाली दव आतमाओ की सखया कम जो 33 करोड़ कही जाती ह मजनकी सखया ऊपर की ओर कम होती जाती ह व शरषठ आतमाएा ह सतयग क आमद स जब नई समि का आवरतान होता ह तो सतयग तरता दवापर और कमलयग करमशः परान होत जात ह दमनया की हर चीज़ चार अवसराओ स गजरती ह जस- सतोपरधान बचपन सतोसामानय मकशोर अवसरा रजोपरधान जवानी और (तमोपरधान) बढ़ापा मफर खलास समि का भी यही मनयम ह यह चार अवसराओ स पसार होती ह सतोपरधान समि को lsquoसतयगrsquo कहा जाता ह रजोपरधान को lsquoदवापरrsquo कहा जाता ह और तमोपरधान को lsquoकमलयगrsquo कहा जाता ह बरहमलोक स आतमाओ क उतरन का यही करम ह मक मजतनी शरषठ आतमाएा ह उतना ही शरषठ यग म उतरती ह जो 16 कला समपणा आतमाएा ह व सतयग आमद म उतरती ह जो 14 कला समपणा आतमाएा ह व तरतायग क आमद म उतरती ह जो 8 कला समपणा आतमाएा ह व दवापर म उतरती ह और कमलयग स कलाहीनता शर हो जाती ह कलाहीन आतमाएा मजनका धमा दसरो को दःख दना ही ह मजनक मलए गीता म आया ह- lsquolsquoमढा जनममन जनममनrsquorsquo(गीता 1620) व नारकीय योमन म आकर मगरती ह व नीचतम आतमाएा कमलयग क अनत म आती ह जब सारी ही आतमाएा नीच उतर आती ह मजनको वापस जान का रासता नही ममलता बमकक यही जनम-मरण क चकर म आती रहती ह और शरीर दवारा सख भोगत-2 तामसी बन जाती ह

बीज ह कई बार बोया जाएगा तो उसकी शमि कषीण हो जाती ह परता छोटा फल छोटा वकष छोटा और आखरीन होत-2 वह फल दना ही बनद कर दता ह तो ऐस ही आतमाओ का यह महसाब ह मक जब एक बार ऊपर स नीच आ गई तो व नीच ही उतरती जाती ह आप इस समि क अमतम अधाभाग अराात आज स 2500 वरा पवा की महसरी ल लीमजए दमनया म सख-शामनत दःख और अशामनत क रप म बदलती गई ह या सख-शामनत बढ़ती गई महसरी कया कहती ह जस-2 जनसखया बढ़ती गई ऊपर स आतमाएा उतरती गई तो जनसखया क बढ़न स समि म दःख और अशामनत तो बढ़नी ही बढ़नी ह वह बढ़ती गई एक अमत (end extremity) होती ह मक जब सारी ही आतमाएा नीच उतर आती ह दमनया म कीट पश-पकषी पतगो कीटाण आमद की सखया लगातार बढ़ रही ह दश-मवदश म इतनी कीटनाशक दवाइयाा मछड़की जा रही ह तो भी उनकी सखया म कोई कमी नज़र नही आ रही ह मकखी-मचछरो की सखया म लगातार वमि हो रही ह आमखर य आतमाएा आ कहाा स रही ह

उसका समाधान गीता क अनसार ही ह लमकन सपि मकसी न नही मकया अभी यह बात सपि हो रही ह मक य आतमाएा उस आतम-लोक स आ रही ह और इसी दमनया म 84 क जनम-मरण का चकर काटत हए अपना-2 पाटा बजाती रहती ह वितर न 3 (पररवपतम पररमतरम विि और उनक विवय कतावय)- जब सारी ही आतमाएा आतम-लोक स इस समि पर उतरन को होती ह तब अनत काल स कछ ही पहल परममपता परमातमा मशव इस समि पर आत ह और आ करक इस समि-रपी रगमच की जो हीरो-हीरोइन पाटाधारी आतमाएा

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ह कोई तो होगी अचछ-बर पाटाधारी तो होत ही ह तो इस समि-रपी रगमच पर कोई तो सबस जयादा शरषठ पाटा बजान वाल होग उनको अगरजो म कहा जाता ह- lsquoएडम और ईवrsquo मसलमानो म कहा जाता ह lsquoआदम और हववाrsquo और महनदओ म कहा जाता ह lsquolsquoतवमामददवः पररः पराणः तवमसय मवशवसय पर मनधानमrsquorsquo(गीता 1138) व समि क आमद ह उनकी शरआत मकसी न नही बताई मक व आमदशमि और आमददव कब स ह उनको जनम दन वाला कौन ह मकसी को पता ही नही ह महनद परमपरा म उनको शकर-पावाती और जमनयो म lsquoआमदनार और आमदनामरनीrsquo कहा जाता ह दमखए आप शबदो म मकतना सामय ह पहल दमनया म एक ही धमा रा और एकता री वह एकता तभी आ सकती ह lsquoवसधव कटमबकमrsquo की असली भावना तभी हो सकती ह जबमक सारी दमनया एक ही यगल को अपना मात-मपता मान ल तो व परममपता परमातमा मशव आत ह आ करक इस समि रपी रगमच की हीरो-हीरोइन पाटाधारी आतमाओ (राम-कषण) को उठात ह व 84 क चकर क आमखरी जनम म राम-कषण क रप म नही होत कयोमक 16 कला सपणा कषणनारायण का राजय तो सतयग म रा राम का राजय तरता म रा वही आतमाएा जनम-मरण क चकर म नीच उतरत-2 हमार-आपक रप म कही-न-कही नर रपो म होती ह उन नर रपो म परममपता परमातमा मशव परवश करत ह जस गीता म एक शबद आया ह- lsquoपरविमrsquo(गीता 1154) म परवश करन योनय ह ा कौन व सपरीम सोल मशव जो जनम-मरण क चकर स नयार ह व परवश करक कषण उफा दादा लखराज क दवारा पहल माा का पाटा बजात ह मजसका नाम अपनी भारतीय परमपरा म रखा जाता ह lsquoबरहमाrsquo lsquoबरहrsquo मान बड़ी और lsquoमााrsquo मान माा दमनया म सबस जासती सहन करन वाली माा होती ह परममपता परमातमा भी इस समि पर आकर पहल माा का पाटा परतयकष बजात ह मजसक मलए अपनी भारतीय परमपरा म उनकी ममहमा क गीत गाए ह- lsquolsquoतवमव माता च मपता तवमवrsquorsquo व इतना पयार दत ह इतना पयार दत ह मक जो असर ह व उनस वरदान लन क आदी हो जात ह माा का सवभाव ऐसा होता ह मक कोढ़ी काना कबजा चोर डकत लचचा लफगा बचचा होगा उसको भी अपनी गोद स अलग नही करना चाहगी बाप कहगा- lsquoहट मनकल बाहरrsquo लमकन माा गोद स अलग नही करगी ऐस ही बरहमा का पाटा इस समि पर पहल ह

परममपता परमातमा मशव बरहमा म परवश करक जो वाणी चलात ह उस वाणी का नाम पड़ता ह lsquoमरलीrsquo मरली नाम कयो पड़ा आप और हम जानत ह मक कषण क हार म मरली मदखाई जाती ह तो हमन समझ मलया मक कोई बाास की मरली होगी लमकन यह तो परतीकातमक लाकषमणक और आलकाररक कमवयो की भारा ह जो उनहोन भागवत और महाभारत म मलखी हई ह उसका वासतमवक अरा यह ह मक परममपता परमातमा बरहमा क मख स मान बचचा बमि कषण की सोल क दवारा पहल-2 इस समि पर आकर कमलयग-अत म जो पयार दत ह मीठी वाणी सनात ह वह वाणी इतनी अचछी लगती ह मक जब लोगो को समझ म आ जाती ह मक यह बात कया ह तो उसस जयादा बढ़कर मीठी और सरीली तान सारी दमनयाा म और मकसी की नही लगती इसमलए उसका नाम रखा गया lsquoमधर गीताrsquo गीता अरवा सवाशरषठ गरर जो भारत का सवोपरर गरर ह lsquoसवाशासतर मशरोममण गीताrsquo उसको मरली कहा जाता ह तो परममपता परमातमा आकर बरहमा क तन स काठ की मरली दवारा यह जञान सनात ह माा क रप म व बराहमणो को जनम दत ह शासतरो म मलखा हआ ह मक बरहमा क मख स बराहमण मनकल तो हम समझत ह मक कोई ऐसी कलाकारी माह म होगी जो उनहोन माह स lsquoहआrsquo मकया और बराहमण मनकल पड़ लमकन ऐसा कछ नही होता यही परानी कमलयगी समि होती ह इसी परानी समि म परममपता परमातमा आकर बरहमा क तन म परवश करक बचचा बमि मनषयो दवारा समझन योनय बमसक जञान सनात ह उस जञान को सनकर जो अपन

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जीवन को बनात ह सधारत ह उनही म बराहमणो क ससकार आ जात ह इस परकार बराहमणो की जो बरहमा मख स उतपमरत होती ह उनको lsquoबरहमाकमार या बरहमाकमारीrsquo कहा जाता ह यह नई समि की शरआत की बात ह जो अभी 5000 वरा बाद मफर स पनरावतान हो रही ह

माउट आब स इस काया की शरआत हई मशव गपत रप म आत ह जस गीता म कहा ह- lsquolsquoसाधारण तन म आए हए मझ परममपता परमातमा को दादा लखराज बरहमा जस मढ़ममत लोग पहचान नही पातrsquorsquo तो आपको जो बरहमा का रप मदखाया यह वयमितव परमकटकल म हो चका ह माउट आब म इनक दवारा परममपता परमातमा मशव न नीची कररयो क बराहमणो की सरापना कराई री इनका वासतमवक नाम दादा लखराज ही रा मसध हदराबाद क रहन वाल य मसधी बराहमण र मजनक दवारा यह काया समपनन हआ अभी तो दश-मवदश म ढर सार बरहमाकमारी आशरम खल हए ह 70-75 साल क अदर इतनी ज़बरदसत सरापना करना सामानय आतमा क बस की बात तो नही ह परममपता परमातमा मशव सवय ही कषण की सोल उफा दादा लखराज का नाम lsquoबरहमाrsquo रखत ह और उसक दवारा जब बराहमण धमा की सरापना करत ह तब ढर सार बरहमाकमार-कमाररयाा तयार हो जात ह परममपता परमातमा दखत ह मक इन बराहमण बचचो म ही दो मकसम क बचच पदा हो गए एक रावण कमभकणा मघनाद भी बराहमण र और अपन जीवन म गर वमशषठ मवशवाममतर न भी बराहमणतव अपनाया रा गर वमशषठ मवशवाममतर जसो की सखया रोड़ी हो जाती ह और रावण कमभकणा मघनाद जसो की सखया ढर सारी हो जाती ह यही बात बरहमाकमारी आशरम म भी हई बरहमा की कोख म रस लन स पदा हए जो कखवशावली बरहमा वतस ह उनम ढर सार दि बराहमण पदा हो गए और जो जञान-योग म बरहमामख स जयादा रस लन वाल तयागी-तपसवी ह व रोड़ रह गए अतः कया होता ह परममपता परमातमा को वह शरीर छोड़ दना पड़ता ह कषण वाली सोल माना बरहमा की सोल को शरीर छोड़ दना पड़ता ह उसक बाद सन 69 म परममपता परमातमा मशव राम वाली सशि आतमा म सवारा गपत परवश करत ह कयोमक माता का भी पयार भरा पाटा मशव का ह तो मपता का भी सखत पाटा उनही का ह कहावत ह- टढ़ी उागली मकए बगर घी नही मनकलता अब राम वाली सोल कही-न-कही तो इस समि पर होगी ना तो उस वयमितव म जो मक पहल स ही बरहमाकमार बनी हई होती ह उसम व मशव ही परवश करक अपना काया आरमभ करत ह इस काया क आरमभ होन क बाद रोड़ समय क अनदर ही बरहमाकमारी ससरा म सन 76 स सपि मवभाजन नज़र आता ह जस सभी धमो म हआ- बौमियो म lsquoहीनयानrsquo (और) lsquoमहायानrsquo दो समपरदाय हो गए जमनयो म lsquoशवतामबर और मदगमबरrsquo दो समपरदाय हो गए मसलमानो म lsquoमशया और सननीrsquo दो समपरदाय हो गए मकरमियनस म lsquoरोमन करोमलक और परोटसटटrsquo दो समपरदाय हो गए य दसर-2 जो भी धमा ह उन सबन उस परममपता परमातमा को ही फॉलो मकया

अब जब परममपता परमातमा न आकर नए सनातन धमा की सरापना की तो भी यही परमकरया चली मक बरहमा क शरीर छोड़न क कछ समय क बाद उस बरहमाकमारी आशरम म दो तरह क लोग सपि नज़र आत ह तो आपस म टकराव पदा होता ह बमिजीमवयो की सखया कम होती जाती ह और व अलग हो जात ह तो सघरा तो बढ़गा ही हर धमा म यह सघरा बढ़त-2 चमाउतकरा रप पदा होता ह गरओ का जो बड़ा और पराना रमढ़वादी दमकयानसी वगा ह वह सचचाई को नही पहचानता कयोमक उनको तो गददी ममली हई ह वह माउट आब म अभी भी कामबज़

अमधकार-परापत ह व सचची बात को सनत नही ह आप दखग मक जो कछ भी बरहमा दवारा माउट आब स मरली या वाणी सनाई ह वह वाणी वासतव म अपनी जगह पर शासतरसगत ह लमकन बरहमाकमाररयाा आज भी यह बात

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कह रही ह मक शासतर सब झठ ह और हमार बाबा न जो कछ बोला ह वही सचचा ह लमकन बाबा न जो कछ बोला ह उसका अरा कया ह वह उनह पता ही नही ह और सनन क मलए तयार भी नही ह हर धमा म यह मसरमत पदा होती रही ह इसी तरीक स परममपता परमातमा मशव राम वाली आतमा (जो तरतायग म भी होती ह) जो जनम-मरण क चकर म आत-2 कमलयग-अनत म साधारण मानव तन म होती ह उसम परवश करक शकर क नाम-रप स ससार म धीर-2 परतयकष होना शर होत ह शकर का सखत पाटा ह सखत पाटा क दवारा व बराहमणो क समपरदाय म दो फाड़ कर दत ह- सचच मखवशावली बराहमण और झठ कखवशावली बराहमण मखवशावली वह जो बरहमा क मख स चलाई हई मरली की ही बात मानत ह मकसी दहधारी की बात नही मानत और कखवशावली वह जो बरहमा की कख अराात गोद क पयार को मवशर महतव दत ह मख की चलाई हई मरली को महतव नही दत चनी हई कछ शरषठ आतमाएा मनकलती ह आपन दखा होगा मक शकर जी क बाहो म माला मदखात ह गल म भी कई तरह की मालाएा पड़ी हई ह माला सगठन की मनशानी होती ह एक सनह और दसर जञान क सतर म व मणक रपी आतमाएा मपरोई गई ह उनका सगठन तयार मकया गया ह वह माला रपी सगठन सार ससार म हर धमा म मानयता परापत करता ह मकस रप म आप दखग मसलमानो म भी माला घमाई जाती ह मकरमियनस म भी माला घमाई जाती ह बौिी लोग भी माला घमात ह मसकख लोग भी माला घमात ह यह माला का इतना महतव कया ह जो हर धमा म घमाई जाती ह यह कोई नही जानता बाबा न मरली म बताया ह मक lsquolsquoबचच य माला क जड़ मणक तम तामसी जड़जड़ीभत आतमाओ की यादगार हrsquorsquo जब परममपता परमातमा आत ह तो तम आतमा रपी मणको को इकटठा करत ह और शरषठ आतमाओ का जो माला रपी सगठन तयार होता ह वह सार ससार म तहलकाखलबली मचाता ह पहल भारतवरा म बराहमणो की दमनया क अनदर तहलकाखलबली शर होती ह माला क सगठन म 108 मणक होत ह आप दखग दमनया म आज मखय-मखय 9 धमा फल हए ह महनद धमा तो बहत पराना ह उसम स दो फाड़ ऐस ह- (एक) जो कभी दसर धमा म कनवटा नही होत और दसर ऐस ह मक जो कनवटा होत ही रह मसलमान आए तो मसलमानो म कनवटा हो गए मकरमियनस आए तो मकरमियनस म कनवटा हो गए मसकख आए तो मसकख म कनवटा हो गए तातपया यह ह मक सनातन धमा म दो परकार क वगा हो गए- एक नॉन कनवटड जो कभी कनवटा नही हए भल मकसी भी तरह की कोई परीकषा आई परत अपन धमा को नही छोड़ा दसर वह जो कनवटा होत ही रह एक स दसर धमा म दसर स तीसर धमा म तीसर स चौर धमा म आज स 2500 वरा पहल lsquoइसलाम धमाrsquo आया मफर चौरा lsquoबौि धमाrsquo आया (जो) चीन जापान बरमा मलाया म फला पााचवाा lsquoमकरमियन धमाrsquo आया जो यरोपीय दशो म फला अमररका म फल गया छठा शकराचाया का lsquoसनयास धमाrsquo (लाल-पील-काल-सफद कपड़ पहनकर मनकला) उसक बाद महममद आए मजनहोन इसलाम धमा क फाड़ करक ममतापजा बद करवा दी और lsquoममसलम धमाrsquo फलाया उसक बाद गरनानक आए और उनहोन मसलमानो स टककर लन क मलए भारत क ही अचछ-खास हटट-कटट कम बमि वाल जो सनातन धमा क लोग र उनको कनवटा करक lsquoमसकखrsquo बना मदया और व मसलमानो स मकरमियनस स ज़बदासत टककर लत रह कल ममलाकर अनत म lsquoआया समाजrsquo एक ऐसा धमा आता ह जो सबको आह त करता ह मक तम सब आ करक भारतवरा म इकटठ हो जाओ मकसी भी धमा का हो हम उस महनद बना दग पकक महनदओ न तो कभी मवधममायो को सवीकार नही मकया आयासमामजयो न अपन दश म सब धमो का कचड़ा इकटठा कर मलया एक धमा ऐसा ह lsquoनामसतकवादrsquo जो माला म नमबर ही नही पाता ईशवर की जो शरषठ आतमाओ वाली 108 की माला बनती ह उसम उनका नमबर नही

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लगता व य ह नामसतक (रमशयनस) व न सवगा मानत ह न नका मानत ह न आतमा को मानत ह न परमातमा को मानत ह व कछ नही मानत व अपन नश म आकर ऐटममक एनजी तयार करत ह मक हम ही सब कछ ह हम चाहग तो दमनया को नचाएाग नही तो नि कर दग लमकन व अपन मककड़ जाल म खद ही फा स जात ह आज तो रस मबखर गया और उसस जयादा ऐटममक एनजी अमररका न धारण कर ली ह इस तरीक स दमनया क नवार 9 मखय आमसतक धमा ह इन 9 धमो की चनी हई मखय-2 बारह-2 ( 9 ग 12 = 108 ) आतमाएा परममपता परमातमा इकटठी करत ह सारी समि स चनकर 12 नमा 108 मणक तयार होत ह

आज स 70-75 साल पहल भारतवरा म इतन भगवान नही र आचाया रजनीश भी भगवान जय गरदव भी भगवान सााई बाबा भगवान सतपालजी महाराज भगवान चदरा सवामीजी भगवान- य ढर क ढर भगवान 75 साल पहल र ही नही 70-75 साल क अदर ही य ढर क ढर भगवान पदा हो गए अब भगवान एक होगा या ढर क ढर होग भगवान तो ज़रर एक होगा लमकन महसाब कया ह जब इस समि पर परमधाम छोड़कर सचचा हीरा आता ह तो उसकी भट म ढर सार नकली हीर दमनया क बाज़ार म तयार हो जात ह व नकली हीर चारो तरफ अपना पॉमप एणड शो शोर-शराबा फला दत ह जबलपर म महशयोगी की एक बड़ी भारी मबमकडग बननी री सकड़ो-करोड़ो रपयो की वह मबमकडग तयार होनी री उसम होना कया बस वही सवाहा अब उसस कछ होता रोड़ ही ह 2500 वरा स यह सवाहा-2 होता चला आया कया इसस कोई दमनया का पररवतान होना ह पररवतान कछ भी नही होना ह वह एक बात तो सचची बता दी मक वातावरण शि होता ह परनत बजाय वातावरण शि होन क दमनया और जयादा मबगड़ रही ह (एक भाई न कहा- अमररका स व गोकड का समगमलग करत ह) चलो वह कछ भी हो हमन एक बात बताई मक भगवान ढर क ढर ह लमकन नकली हीर ह और उनम पता नही चल रहा ह मक असली कौन ह ज़रर असली भी ह लमकन पता नही चल रहा ह और उसका परफ यह ह मक भगवान जब आएाग तो नई समि की सरापना क सार-2 परानी समि का मवनाश का सामान भी तयार कराएाग सत धमा की सरापना क सार-2 ढर क ढर जो दि धमा फल हए ह उनका भी मवनाश का काया करत-करात ह lsquolsquoमवनाशाय च दषकतामrsquorsquo (गीता 48) गीता का यह शलोक ही बताता ह परममपता परमातमा जब इस समि पर आत ह तो यह तयारी पहल करात ह सरापना गपत करत ह और मवनाश का काया परतयकष करात ह

रस और अमररका मजनको अपनी भारतीय परमपरा म महाभारत म यादव कहा गया ह बड़-2 धनाढय होत र

बहत शराब पीत र और ऊा ची-2 मबमकडग होती री ऐस जो यादव गरप ह उनहोन कया मकया व र तो यदवशी भगवान कषण क करोल म लमकन उनहोन कया मकया उनक बमि-रपी पट स जो ममसाइकस मनकल उन मसलो स उनहोन आपस म ममलकर-लड़कर अपन सार कल का सहार कर मदया और सारी समि का मवनाश कर मदया लोगो न सरल मसल समझ मलए अब यह तो समझन-2 की मवडबना ह वासतव म ह ममसाइकस की बात जस पट म कोई चीज़ पचाई जाती ह ऐस यह बमि-रपी पट ह कहत ह ना- lsquoतमहार पट म बात नही पचतीrsquo तो कया यह (सरल) पट ह या यह (बमि-रपी) पट ह इस बमि-रपी पट म स व ममसाइकस मनकल उन लोह क मसलो स यह सारी दमनया नि होती ह 70-75 साल क अदर भारी तादाद म यह एनजी भी तयार हो गई समि पर परममपता परमातमा का अवतरण भी हआ और 70-75 साल पहल भारतवरा म महातमा गाधी क टाइम पर सबस जयादा जो आवाज़ लगाई गई री lsquoह पमतत-पावन आओrsquo वह आवाज़ भी लग रही री भारत की 40 करोड़

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जनता गाधीजी क ततवावधान म lsquoरघपमत राघव राजाराम पमतत-पावन सीतारामrsquo की आवाज़ लगा रही री लमकन आवाज़ लगान वालो को यह पता नही चला मक परममपता परमातमा इस समि पर उस समय स ही आ चक ह

कहन का मतलब यह ह मक जब परममपता परमातमा आत ह तो एक तरफ मवनाश की बाजी भी तयार कर दत ह और दसरी तरफ सरापना का काया भी गपत म चलात ह तो इस समय य दोनो काया समपनन हो रह ह- सरापना का काया भी परा होता ह और ऐटममक एनजी भी तयार हो जाती ह मजसका पररम मवसफोट हीरोमशमा-नागासाक़ी म हआ तब जा करक इस समि का एक तरफ मवनाश होता ह और दसरी तरफ वह माला तयार हो जाती ह जो सारी समि की धमासरता और राजय-सरता की बागडोर धीर-2 अपन हारो म ल लती ह आपन जयोमतमरयो की कछ भमवषयवामणयाा सनी होगी जो अकसर करक मनकलती रहती ह 400500 साल पहल क जो जयोमतरी हए ह- कीरो कीर और नसतरडाम आमद इनकी भमवषयवामणयाा मनकली हई ह सभी न 2000 को मददा बनाया लमकन 2000 क आस-पास का जो भी मददा रा वह सारी समि क मवनाश का मददा नही रा वह वासतव म मसफा बराहमणो की दमनया क अनदर आधारमता एव बीजरप आतमाओ की दमनया क मवनाश का मददा ह यह कोई नही जानता यह दमनया एकदम ऐस चटकी म खतम हो जाएगी तो परममपता परमातमा को कौन पहचानगा परममपता परमातमा को पहचानन क मलए टाइम तो चामहए ना

वासतव म यह जो 2000 साल क बाद का पीररयड ह यह बरहमाकमारी आशरम म आमल-चल पररवतान ला दगा बाहर की दमनया म भी रोड़ा-2 पररवतान होगा ऐटममक एनजी का भी रोड़ा-2 मवसफोट होगा लमकन इतना नही होगा मक सारी समि खतम हो जाए अभी मसफा बराहमणो की परानी दमनया का मवनाश होता ह नई दमनया की सरापना होती ह और सब आतमाएा पहल बमियोग स वापस परमधाम म जाती ह मान बराहमणो की दमनया क अनदर जो मवशर आतमाएा ह व इस बात को समझ लती ह मक परममपता परमातमा का साकार रप और कायाकाल कया ह और यह काया कस चल रहा ह यहाा मदखाया गया ह मक जस हम आतमाएा जयोमतमबानद ह वस परममपता परमातमा भी जयोमतमबानद ह जयोमतमबानद का ही बड़ा आकार मशवमलग बनाया जाता ह मजस अपनी भारतीय परमपरा म 12 जयोमतमलिगम क नाम स परमसि मकया गया ह उजजन काशी रामशवरम कदारनार बदरीनार य 12 जयोमतमलिगम बन ह 12 ही कयो 13 कयो नही 11 या 10 कयो नही 9 धमो स चनी हई 12-12 आतमाओ क 9 गरपस होत ह हर धमा म शरषठ आतमाएा तो होती ह ना परममपता परमातमा भी जब आत ह तो सवापररम हर धमा स शरषठ आतमाओ को चनत ह और चनकर उनको पकका सयावशी बराहमण बनात ह

आज की दमनया म वासतव म कोई बराहमण नही रहा (भाई न कहा- आप यह कया कहत ह आप तो बराहमणो की अवहलना करत ह) नही तलसीदास न यह बात रामायण म आज स 400-500 वरा पहल मलखकर छोड़ी ह- lsquoभय वणा सकर सबrsquo सार ही वणा सकर हो गए कोई बराहमण और कोई शदर नही रहा उनहोन 400 साल पहल मलखा रा अब तो हालत बहत खराब हो गई अब तो बहत जयादा वयमभचार फल गया घर-2 म वयमभचार फला हआ ह तो इस समय परममपता परमातमा आकर परजामपता बरहमा दवारा असली बराहमण कल की सरापना कर रह ह आपन सना होगा बराहमणो की 9 कररयाा गाई जाती ह- शामडकय गोतर भारदवाज गोतर कशयप गोतर आमद-2 9 ऋमरयो क आधार पर 9 गोतर गाए जात ह व 9 ऋमर कोई दसर नही ह 9 धमो का परमतमनमधतव करन वाली 9 शरषठ आतमाएा ह जो परममपता परमातमा इस समि स असली बराहमण धमा म चनत ह जो 9 आतमाएा ह उनम स एक सबस शरषठ होगा ना जो सबस शरषठ हआ उसक जो 12 क गरप ह व परममपता परमातमा मशव स इतना

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तादातमय सरामपत करत ह मक उनकी मशव जसी ही सटज बन जाती ह इसमलए तो 12 जयोमतमलिगम आज भी भारतवरा म भगवान क रप म पज जात ह

कहन का मतलब यह हआ मक परममपता परमातमा मशव भी जयोमतमबिद ह ऋमरयो-महमरायो न पजा क मलए उनका बड़ा आकार बना मदया ह वह मनराकारी सटज का परतीक ह मनराकार का मतलब यह ह मक उस सटज म जो 12 ह उनम स एक शकर का रप मजस lsquoरदर अवतारrsquo कहा जाता ह व ऐसी मनराकारी सटज म रहत ह मक जस मक उनका शरीर रपी वसतर ह ही नही नवार इस सटज म रहना अपन को सदव आमतमक सटज म समझना दसरो को आतमा क रप म दखना- ऐसी परमकटस पककी हो जाए उसको कहग lsquoमनराकारी सटजrsquo इमदरयाा जस होत हए भी नही ह जस कहत ह- lsquoदखत हए भी नही दखना सनत हए नही सननाrsquo जस दमनया म मकतनी भी नलामन उड़ रही ह उनक ऊपर कोई असर नही पड़ रहा ह

lsquoबीrsquo समइड

वितर न 4 (सिा आतरमओ कम वपतम एक ह)- वह तो गॉड फादर ह मजसक अलग-2 नाम-रप द मदए ह लमकन अलग-2 नाम-रप होत हए भी एक रप ऐसा ह जो हर धमा म मानयता परापत करता ह कस अपन भारतवरा म जयोमतमलिगम मान जात ह- रामशवरम वगरह कहत ह- राम न भी उपासना की राम को भगवान मानत ह लमकन उपासना मकसकी की मशव की उपासना की तो राम भगवान हए या मशव भगवान हए मशव ही हए ऐस ही गोपशवरम ममदर भी बना हआ ह lsquoगोपrsquo कषण को कहा जाता ह इसस सामबत हो गया मक कषण भगवान नही र वासतव म उनका भी कोई ईशवर ह मजनहोन उनको ऐसा बनाया ऐस ही कदारनार ह बदरीनार ह काशीमवशवनार ह और यह सोमनार ह इन सभी ममदरो म इस बात की यादगार ह मक यहाा उस मनराकार जयोमत को जयोमतमलिगम क रप म माना जाता ह नपाल म पशपमतनार का ममदर ह कमलयग क अत म सभी मनषयमातर पशओ जसा आचरण करन वाल हो जात ह उन पशओ को भी पश स बदर स ममदर लायक बनान वाली वही मनराकार मशवजयोमत ह उसी की यादगार म एक मशवमलग नपाल म भी सरामपत ह

अचछा महनदओ की बात छोड़ दीमजए मसलमान लोग मकका म हज़ (तीरा यातरा) करन जात ह वहाा महममद न दीवाल म एक पतरर लाकर रखा रा उसका नाम उनहोन lsquoसग-ए-असवदrsquo मदया अभी भी जब तक मसलमान लोग उस पतरर का चमबन नही कर लत मसजदा नही माना जाता उनकी हज़ की यातरा परी नही होती इसका मतलब व भी आज तक उस मनराकार को मानत ह हालाामक व पतरर को नही मानत व तो ममतायाा व मशवमलग को तोड़न वाल रह ह उनहोन यहाा भारत म आकर मशवमलगो को तोड़ा ह लमकन वहाा मानत ह बौिी लोग आज भी चीन-जापान म दख जात ह मक व गोल सटल क ऊपर पतरर की बमटया रखत ह और उसक ऊपर दमि एकागर करत ह इसस सामबत होता ह मक व भी उस मनराकार को मानत ह गरनानक न तो कई जगह कहा ह- lsquoएक ओकार मनरकारrsquo lsquoसदगर अकाल मताrsquo व तो मनराकार को मानत ही ह ईसाईयो क धमागरर बाईबल म तो कई जगह मलखा हआ ह- lsquoगॉड इज़ लाइटrsquo अराात परमातमा जयोमत ह कहन का मतलब यह ह मक हर धमा म उस मनराकार जयोमत की मानयता ह अब यह सवाल पदा होता ह मक जब सब धमो म उस एक ही रप की मानयता ह तो सब धमा वाल उस एक ही को परममपता परमातमा का रप कयो नही मानत य अलग-2 रप कयो मान हए ह यह वासतमवकता मकसी की बमि म नही आ रही ह

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वह मनराकार जयोमत जब इस समि पर आती ह तो जो मवशर आतमाएा राम और कषण ह इन दो को चनकर समि क मवनाश और सरापना क काया म ममखया बनाती ह कषण की सोल आखरी जनम म दादा लखराज क रप म मसनध हदराबाद म जनम लती ह और उसम परममपता परमातमा मशव परवश करक पहल परतयकष lsquoबरहमाrsquo क रप म काया करत ह पयार का पाटा बजात ह आप कही भी मकसी भी बरहमाकमारी आशरम म जाएा तो आप कोई भी बरहमाकमार-कमारी स पमछए मक बाबा न कभी मकसी को टढ़ी नज़र स दखा या गलत कवचन कहा या कोई ऐसा ह मजसन बाबा क समपका म पहाचन क बाद यह अनभव मकया हो मक बरहमा बाबा न हमको दःख मदया

परतयक बरहमाकमार-कमारी यही कहगा मक बाबा भल 10 ममनट क मलए ममल हो परनत बाबा न हमको मजतना पयार मदया उतना दमनया म हम मकसी स अनभमत नही हई व र पयार की परमतममता बरहमा बाबा जस अभी भी टीवी म सीररयल आत ह आप दखत होग मक असरो न वरदान ल मलए ह असर लमकन मफर भी माा स वरदान ल मलया वासतव म वह एक रप मदखाया गया ह और इनक ठीक मवपरीत एक दसरा रप राम वाली आतमा ह मजसम कमलयग क अत म परममपता परमातमा परवश करक lsquoशकरrsquo क नाम-रप स परखयात होत ह दखो जस इन कषण का नाम-रप परखयात हआ ह lsquoबरहमाrsquo वस उन राम का नाम-रप परखयात होता ह lsquoशकरrsquo इन दोनो ही शमियो की सहयोगी शमि दो आतमाएा भी ह कषण की सहयोगी शमि ह lsquoराधाrsquo और राम की सहयोगी शमि ह lsquoसीताrsquo इनक वतामान रप क नाम पड़त ह बरहमा की सहयोगी शमि lsquoसरसवतीrsquo और शकर की सहयोगी शमि lsquoपावातीrsquo य वतामान सवरप क नाम ह जब कमलयगी दमनया समापत होती ह नई सतयगी समि रची जाती ह तो चारो आतमाओ क सवभाव-ससकार का समममशरण होता ह अभी तो हर घर म सतरी-परर क ससकार आपस म टकरात ह कोई घर ऐसा नही होगा मजसम ससकार टकराए नही लमकन सबस पहल एक ऐसी भी दमनया परममपता परमातमा न बनाई री मक पहल-2 चार आतमाओ क ससकार ममलकर एक हो गए र व य आतमाएा ह जो समि क हीरो-हीरोइन ह और इन आतमाओ का समममशरण मवषण की भजाओ क रप म मदखाया गया ह कहत ह ना lsquoमर भया न शरीर छोड़ मदया मरी दामहनी भजा टट गईrsquo तो दामहनी भजा रोड़ ही टट गई बमकक जो सहयोगी शमि ह वह चली गई

इसी तरह परममपता परमातमा क काया म दो दामहनी भजा क रप म सहयोगी बनत ह बरहमा-सरसवती मान कषण और राधा य कड़ा-कठोर रप कभी नही अपनात पररवतान क मलए इनहोन हमशा पयार का काम मकया इसमलए इनको परममपता परमातमा न राइट हणड क रप म सवीकार मकया लमकन जब राइट हणड स काम नही मनकलता तो मफर उागली टढ़ी भी की जाती ह व दो रप ह शकर और पावाती आमद शमि चामडा का रप धारण करती ह और शकर परलयकर रप धारण करत ह वह राम (शकर) वाली आतमा सहयोमगनी शमि दवारा परलय मचाती ह शमि का रप धारण मकए बगर रावण कमभकरण मघनाद जस असर पररवतान नही हो सकत इन बराहमणो क अनदर जयादा स जयादा तादाद म ऐस आसरी ततव घस गए जो रावण कमभकरण मघनाद का पाटा बजात ह उनको सधारन क मलए जञान बाण मारन वाली राम की आतमा तयार होती ह बाण कोई दसर नही ह परममपता परमातमा न आकर राम क मख दवारा उनक मलए जो तीखी बात बोली ह उन बातो का अरा ही जञान बाणो का काम करती ह हमको तो व महावाकय पयार लगत ह लमकन उस तरह की जो आसरी बराहमण आतमाएा पररवार म घसी हई ह उनको व बाण लगत ह उनको घाव पदा कर दत ह तो इस तरीक स य जो लव और लॉ क दो रप ह उनम यह तीसरा रप समाया हआ ह जो बरहमा-सरसवती शकर और पावाती रपी चार आतमाओ का समममशरण ही lsquoमवषणrsquo

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कहा जाता ह बाकी ऐसा कोई वयमि ससार म कभी हआ नही ह जो चार भजाओ का रहा हो या 10 मसर का रावण रहा हो 10 मसर क रावण का मतलब ह मक दसो धमा ममल करक ससार म परजाततर राजय का ऐसा बकायद सगठन बनात ह मजसस सारी दमनया मवनाश क कगार पर खड़ी हो जाती ह बाकी परममपता परमातमा न तो आकर राजयोग मसखाकर कायदमसर दवी राजाओ का राजय सरापन मकया रा

परममपता परमातमा जो सकल खोलत ह सदगर कह जात ह तो ज़रर व ऐसी ईशवरीय यमनवमसाटी का वाइस चानसलर बनत होग जहाा व कोई माला रपी सगठन की बड़ी-2 पदमवयाा दकर जात हो दश-मवदश म जनम-जनमातर क जो राजाएा बन ह उन राजाओ को राजाई करन की मवदया उनहोन मसखाई री उसको lsquoराजयोगrsquo कहा जाता ह वह राजयोग परममपता परमातमा गीता जञान क दवारा अभी मसखा रह ह जनम-जनमातर का राजा बना रह ह लौमकक बाप जो होत ह व तो एक जनम की परामपत करात ह वसाा दत ह लमकन यह पारलौमकक बाप जब समि पर आत ह तो अपन आतमा रपी बचचो को अनक जनमो की राजाई दकर जात ह वह अनक जनमो की राजाई अभी दी जा रही ह ससार म अभी कछ ही वरो म ऐसी 108 शरषठ आतमाएा परतयकष होन वाली ह जो सार ससार म तहलकाखलबली मचाएागी और सार ससार की धमा सरता व राजय सरता दोनो की बागडोर अपन हार म ल लगी यही 108 शरषठ आतमाएा आज भी सभी धमो म माला क रप म समरण की जाती ह

जब सारी दमनया माया क पज म फा स जाती ह तब व जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आत ह माया का पजा कोई सतरी नही ह काम करोध लोभ मोह अहकार- य पााच मवकार मनषय क अनदर भर हए ह उन पााचो मवकारो म सारी दमनया जकड़ गई ह आज एक भी मनषय ऐसा नही ह जो इन पााचो मवकारो की जकड़ स बाहर हो जब सारी समि की ऐसी अतयमधक बदतर हालत हो जाती ह तब परममपता परमातमा मशव आत ह मजसकी यादगार म यह lsquoमहामशवरामतरrsquo मनाई जाती ह इस महामशवरामतर म जब परममपता परमातमा मशव आत ह तो दमनया म चारो तरफ अनक धमा फल हए होत ह उन धमो म धमा क नाम पर मवतडावाद जयादा ह जञान कछ भी नही ह जञान क नाम पर अजञान-ही-अजञान सनाया जाता ह और पस व मदखाव को जयादा महतव मदया जाता ह जो धमा की सरापना का काया ह धारणा की बात ह व न क बराबर होती ह तब जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आकर उस अजञान अधकार का मवचछदन करत ह इसमलए उसकी यादगार म भारतवरा म माघ मास को अधारामतर म महामशवरामतर मनाई जाती ह जब आम खरी मास होता ह समि का आम खरी टाइम होता ह कमलयग का अनत होना होता ह तब दमनया म अजञान अधकार चारो तरफ फला रहता ह जस शमिमान सीररयल म आता ह- lsquoअधरा कायम रहगाrsquo असर तो यही चाहत ह मक अधरा कायम रह दमनया अजञान म रह और हम अपना आसरी काम बनाएा तो य काम करोध लोभ मोह अहकार ह असर मजनका ममखया ह काम मवकार उस काम मवकार को परममपता परमातमा आकर सबस पहल शकर क चोल क दवारा भसम करात ह हमन समझ मलया मक काम मवकार कोई दवता का रप होगा उसको lsquoकामदवrsquo नाम द मदया लमकन वासतव म वह कोई अलग स दवता नही होता यह हमार अनदर की ही कपरवमरत कमज़ोरी व मवकमत ह जो उस शकर दव न पहल भसम कर दी भसम करन वालो म नमबरवार होत ह लमकन जो उसको सबस पहल भसम कर लता ह वह बात शकर क मलए मदखात ह उनका जञान का तीसरा नतर खला और काम मवकार भसम हो गया वह कोई बाहर का काम मवकार रोड़ ही रा यह तो अदर की चीज़ री जो उनहोन भसम कर दी नि कर दी जब ममखया भसम होगा तो बाकी य जो चार चोर-डकत ह व तो अपन आप ही भाग जाएाग

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वितर न 5 (विि और िकर)- यहाा मदखाया गया ह मक वासतव म मशव अलग स परममपता ह और शकर अलग आतमा ह गलती क कारण दोनो को ममलाकर एक कर मदया लमकन गलती भी नही ह वासतव म वह हमारी बसमझी हो गई यह बसमझी होन क कारण ही बरहमाकमार-कमाररयाा भी उस बसमझी म फा स हए ह कया बसमझी हो गई मक व सपरीम सोल मशव मनराकार जयोमतमबिद जब इस समि पर आत ह तो इस समि पर आकर मकसी जनसाधारण को ज़रर आप समान बनाएाग व पढ़ाई पढ़ाएाग टीचर का कोई तो सटडट ऐसा मनकलगा जो उनकी परी 100 परसट पढ़ाई को धारण कर ल तो व मनराकार जयोमतमबिद मशव आकर इस शकर क सवरप दवारा ससार म परतयकष होत ह और इस तरह दोनो का तादातमय हो जाता ह आप दखग कोई यह नही कहता ह मक मशव-बरहमा एक ह मशव क सार बरहमा का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार मवषण का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार शकर का ही नाम कयो जड़ता ह इसमलए जड़ता ह मक शकर मशव की याद म इतना तकलीन हो जात ह मक उनको अपन म समामहत कर लत ह अराात बाप समान बन जात ह तो वह समामहत करन की जो मसरमत ह वह lsquoमशव-शकर एक हrsquo- यह मसरमत ससार म परमसि होती ह वासतव म दोनो आतमाएा अलग-2 ह य सपरीम सोल मशव जनम-मरण क चकर म कभी आत ही नही इसमलए lsquoमशवमलगrsquo कहा जाता ह lsquoशकर मलगrsquo नही कहा जाता lsquoमशवरामतरrsquo कही जाती ह lsquoशकर रामतरrsquo नही कही जाती मशव ऐसी चीज़ ह जो मक पाप और पणय स हमशा पर ह और जो दहधारी ह व पाप-पणय क अदर फा सत ह

अब आप दमखए शकर धयान म बठ ह अगर य खद ही परममपता परमातमा का रप होत सपरीम सोल होत तो य मकसका धयान कर रह ह आप परान-2 ममदरो म जाइए आप दखग बीच म मखय सरान पर मशवमलग ह और आस-पास सभी दवताओ क सार शकर की भी ममता रखी हई होती ह इसस कया सामबत हआ मक और मजतन दवताएा ह उन 33 करोड़ दवताओ क बीच म शकर दव-दव महादव तो ज़रर ह लमकन व परममपता परमातमा नही ह व भी उनकी उपासना म सामन बठ हए ह मकसक सामन मशवमलग क सामन तो मनराकार की यादगार मलग रप मशव जयोमतमबिद सपरीम सोल ह और य शकर हीरो पाटाधारी इस समि-रपी रगमच क नायक ह जञानीजनो दवारा जयोमतमबिद मशव को मसफा याद मकया जा सकता ह और भमिमागा म उनका मकरार रर शकर ही मनराकारी सटज म मसरर हो जान कारण बड़ मलग रप म पजा जाता ह

वितर न 6 (पररवपतम पररमतरम सिावयमपी नही)- यहाा यह बताया गया ह मक ईशवर जब समि पर आएाग तो जञान का कोई-न-कोई ऐसा नया पवाइट ज़रर बताएाग मजसम सारी दमनया भरममत हई पड़ी हो ऐसी नई बात ज़रर सनाएाग मजस सारी दमनया न जानती हो बमकक मवपरीत बात ही जानती हो वह बात यह ह मक जब दमनया म चारो तरफ भगवान को ढाढ़ा और कही नही ममला तो लोगो न उनक मलए कहना शर कर मदया- lsquoव तो सवावयापी ह जर-2 म भगवान ह कण-2 म भगवान ह जहाा दखो वहाा भगवान हrsquo लमकन वासतव म गीता का एक शलोक ही इस बात क मलए काफी ह मक lsquolsquoतद धाम परम ममrsquorsquo (कपया गीता का शलोक 156 दमखए) अराात म वहाा परमधाम का रहन वाला ह ा दमनया का सबस शरषठ गरनर गीता ह मजसकी सबस जयादा टीकाएा हई ह उसक एक शलोक म यह बात सामबत हो गई ह गीता म ही एक शबद आया ह lsquoमवभrsquo इस शबद का उनहोन इतना बड़ा अरा कर मदया मक ससार म चारो तरफ यही बात फली हई ह मक व सवावयापक ह वासतव म मवभ का अरा यह ह मक व मवशर रप स हर मनषय आतमा की

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बमि म lsquoभrsquo माना याद क रप म अपना सरान बना लत ह उसका उकटा अरा लगाकर उनहोन परममपता परमातमा को सवावयापी कह मदया

यहाा बात समझाई गई ह मक परममपता परमातमा वासतव म समि पर सवावयापी नही ह गीता और रामायण भी इस बात क परमाण ह गीता व रामायण म मलखा ह मक lsquolsquoजब-जब इस समि पर अधमा का बोलबाला होता ह तब-तब म आता ह ाrsquorsquo lsquoआता ह ाrsquo स सामबत ही हो गया मक व नही र तब तो आए नही तो उनको आन की कया दरकार री दसरी बात अभी-2 आपको गीता का जो शलोक बताया वह पकका सामबत कर रहा ह मक परममपता परमातमा का धाम नाम काम ऊा च त ऊा चा ह मजसका गायन भी ह- lsquoऊा चा तरा धाम ऊा चा तरा नाम

ऊा चा तरा कामrsquo धाम काम नाम- तीनो ही जब ऊा चा ह तो व ऊा चा ही बठग या नीच बठग इस दमनया का भी जो राजा होता ह वह भी ऊा ची गददी पर बठता ह तो हमन परममपता परमातमा को कण-2 म कयो ममला मदया

यहाा मचतर म मदखाया गया ह मक ऋमर ममन सनयासी भाव मवभोर होत ह तो खड़ताल बजाकर कहत ह- lsquoह परभ हम दशान दोrsquo परत जब परवचन करत ह तो कहत ह- lsquoपरमातमा सवावयापी ह आतमा सो परमातमा मशवोऽहम हम परमातमा क रप ह हम ही भगवान हrsquo तो यह बात तका सगत सामबत नही होती एक बात पर पकका रहना चामहए यह कया बात हई कीतान करन लग तो परभजी हम दशान दो अब दशान कहाा स द तमहार अदर जब खद ही भगवान बठ हए ह तम खद ही भगवान क रप हो यहाा यह मदखाया गया ह मक जो परवचन सनन वाल ह व मजस समय गरजी महाराज का परवचन सनत ह तब तो भाव मवभोर होकर कहत ह- lsquoहाा परमातमा सवावयापी ह बहत अचछा जञान सनायाrsquo घर म पहाचत ही भाई भाई की हतया करन लग अब उनह भाई-2 क अदर भगवान नही मदखाई मदए यह मवरोधाभास एकदम इतना कस पदा हो गया

वासतव म सबक अदर अपनी-2 मभनन ससकारो वाली आतमा होती ह परममपता परमातमा उन सबस सवारा अलग ह अपनी भारतीय परमपरा म शकराचाया की मरोलोजी अलग ह और माधवाचाया की मरोलोजी अलग ह माधवाचाया की गीता म बताया गया ह मक lsquoआतमा सब अलग-2 ह और परमातमा उनस अलगrsquo जबमक शकराचाया की गीता म बताया गया ह- lsquoसवि खल इद बरहमrsquo अराात इस दमनया म जो कछ भी दखन म आ रहा ह व सब भगवान का रप ह माधवाचाया न बताया मक lsquoहर आतमा म अलग-2 ससकार हrsquo य आतमाएा गभा म जब शरीर धारण करगी तो य अपना अलग-2 पाटा ही बजाएागी इनका पाटा दसरी आतमा स ममल नही सकता हम हमशा शासतरो म यह ममसाल दत आए ह मक हम सब आतमाएा सागर म बदबदा ह बदबद सब सागर म समा जात ह मान हम उस सागर का अश ह यही कहा ना लमकन हम एक बात भल गए अगर हम बदबद ह हम सागर का अश ह तो सागर म स जो चकल भर पानी हमन ल मलया उसम जो खारपन का गण होगा वही सागर क पानी म भी होना चामहए ना यह पानी हमन पनः उसम ममला मदया दोनो का गण अभी भी एक ही ह लमकन हम सबक अदर य अलग-2 ससकार कस ह यह अलगाव कहाा स आ गया और जनम-जनमातर स यह अलगाव चलता चला आ रहा ह दसरी बात इसका एक और पररहारमनवारण ह- आपन कभी चाहा ह मक हमारी आतमा का जो अमसततव ह वह हमशा क मलए खतम हो जाए कोई चाहता ह अगर हमारी आतमा उस सपरीम सोल मशव म जाकर लीन हो जाए सागर म चकल भर पानी ममला मदया गया तो उसका अमसततव हमशा क मलए खतम हो जाएगा मफर शासतरो म यह बात कहाा स आई- lsquolsquoककप-2 लमग परभ अवतारा जब-2 तरतायग होता ह तब-2 राम का अवतार होता हrsquorsquo

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अजर-अमर तो सभी आतमाएा ह वह बात तो ठीक ह वह एक अलग बात उनका अमसततव उनका ससकार सब अलग-2 ह लमकन हर आतमा का अनक जनमो का जो पाटा ह वह उस जयोमतमबानद रपी आतमा क टप ररकॉडार म भरा हआ ह इस समि-रपी रगमच पर जब कोई भी आतमा उतरगी तो सतयग क आमद स लकर कमलयग क अत तक वह उतन ही जनम लगी मजतना पहल चतयागी म मलया रा अगर राम की आतमा होगी तो हर तरतायग म राम क रप म ही जनम लगी lsquoह कषण नारायणrsquo की आतमा होगी तो वह हर सतयग क आमद म नारायण क रप म ही राजय करगी इस तरह हर जनम म आतमा का शरीर रपी चोला बदलन का पाटा मनमित ह हर 5000 वरा क बाद वह जयो का तयो पनरावतान होता ह

हर आतमा सो परमातमा नही ह सपरीम सोल मशव हमशा अलग ह अगर व भी जनम-मरण क चकर म आन लग तो हमको छड़ान वाला कोई भी नही रहगा उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही की जा सकती कोई आतमा हीरो-हीरोइन पाटाधारी बन सकती ह मवलन व साधारण आतमा का पाटा बजा सकती ह लमकन सपरीम सोल मशव जसा पाटा मकसी का नही ह उनका तो तररया पाटा ह व बार-2 इस समि पर आत भी नही जसा शासतर म मलख मदया ह- lsquoसमभवामम यग-यगrsquo अराात म हर यग म आता ह ा अर हर यग म आत तो दवापर क अत म जब महाभारत यि कराया कषण क रप म परममपता परमातमा आए तो कया पापी कमलयग की सरापना करन क मलए आए र उनको हर यग म आन की कया ज़ररत ह साधारण बाप होता ह वह भी बचचो क मलए मकान तब तयार करता ह जब मकान पराना हो जाता ह उस परान मकान स काम नही चलता जब तक काम चल सकता ह तब तक मरममत कराता रहता ह इस समि-रपी मकान की भी यही हालत ह इबराहीम बि कराइसट गरनानक आमद य धमामपताएा आकर समि की जगह-2 मरममत करत रह मकसी न अरब दश म आकर मरममत की मकसी न यरोपीय दशो म की मकसी न चीन-जापान म की नया मकान तो मकसी न नही बनाया नई समि तो नही बनाई यह मरममत मकतन मदन चलगी कछ समय तक उन धमो का परभाव रहता ह मफर वह खलास आखरीन तो मफर भी उसी सपरीम सोल मशव बाप को जो धमामपताओ क भी बाप ह बापो क भी बाप ह इस समि पर उतरना ही पड़ता ह व आकर इस समि का आमल-चल पररवतान कर दत ह तो व सवावयापी नही ह व तो इस समि पर मकरार रप स हीरो पाटाधारी म परवश करक पाटा बजात ह

आपन lsquoजीज़सrsquo वा lsquoकराइसटrsquo का नाम सना आमखर य दो नाम कयो मकरमियनस लोग मानत ह मक वह वयमि

जो पहल खयामतपरापत नही रा उसका नाम lsquoजीज़सrsquo रा मफर जब खयामतपरापत हो गया तब उसका नाम lsquoकराइसटrsquo पड़ गया इसका रहसय कोई नही जानता यह रहसय परममपता परमातमा मशव आकर बता रह ह मक कोई भी नई आतमा ऊपर स उतरती ह तो मजसम भी परवश करती ह उसका नाम बदल दती ह जस पहल lsquoनरनदरrsquo नाम रा बाद म lsquoमववकाननदrsquo नाम पड़ गया आचाया रजनीश का भी ऐस ही हआ ह पहल यह एक साधारण लकचरर र जब आतमा न परवश मकया तो lsquoआचाया रजनीशrsquo नाम पड़ गया तो हर आतमा जो ऊपर स नीच उतरती ह वह मजसम परवश करती ह उसको कनवटा करक अपन धमा म खीच ल जाती ह और वह आधारमता मजसम परवश मकया वह भारत की ही सनातन धमा की आतमा होती ह ऐस ही दसर-2 धमो म कनवशान या पररवतान हआ भारतवामसयो स ही कनवटा होकर दसर-2 धमा पनप ह और वमि को पाए ह कहन का मतलब यह हआ मक उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही हो सकती हम आतमाओ क मकाबल व हमशा तरीया ह व तो सख भी नही भोगत तो दःख भी नही भोगत व सख-दःख स हमशा ही पर रहन वाल ह हाा यह बात ज़रर ह मक जब व इस समि पर आकर राजयोग मसखात ह तो ऐसी पढ़ाई पढ़ात

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ह मक हम आतमाएा नवार पररारा अनसार इस सटज को परापत कर मक इस समि पर रहत हए भी दःख-सख म रहत हए भी अपनी ऐसी अवसरा बना ल मक दःख क समय हम दःखी न हो और सख क समय हम बहत जयादा परसनन न हो मजसका नाम गीता म lsquoमसरतपरजञrsquo मदया गया ह लमकन हमारी वह अवसरा हमशा क मलए नही रहगी परनत उस मशव की हमशा क मलए रहगी वह सपरीम सोल ह तो मफर आतमा-परमातमा एक कहाा हए

परमातमा सवावयापी कहाा हए सपरीम सोल मशव तो हमशा अलग ही हए

मशव की तलना ऊा च त ऊा च मतरदवो स भी नही की जा सकती इन मतरदवो की यादगार म lsquolsquoझणडा ऊा चा रह हमारा मवजयी मवशव मतरगा पयारा मवशव मवजय करक मदखलावrsquorsquo- यह बोलत तो ह लमकन यह नही जानत ह मक व तीन शरीर रपी वसतर कौन-स ह मजन वसतरो न सार मवशव म तहलकाखलबली मचाई री सार मवशव म मवजय करक मदखलाई री वासतव म व शरीर रपी वसतर lsquoबरहमा मवषण शकरrsquo- य तीन ही ह उनक सकतक रग भी वस ही मदखाए गए ह ऊपर वाला कसररया रग ह शकर- करामत का सचक बीच वाला सफद वसतर सतवगणी मवषण का सचक ह नीच वाला हरा वसतर बरहमा का सचक ह जस गााधीजी कहत रह- lsquoरामराजय आएगा रामराजय आएगाrsquo

बमकक और ही रावण राजय आ गया ऐस ही बरहमा बाबा हमशा मचकलात रह- lsquoरामराजय लाएाग सवगा आएगा

वकणठ आएगा और सवगा आन ही वाला हrsquo अब उस सवगा की जगह बरहमाकमारी आशरमो म रौरव नका बन रहा ह

इसमलए बरहमा की ममतायाा ममदर व पजा नही होती कयोमक तराकमरत बरहमाकमार-कमाररयो न ही बरहमा की दाढ़ी की लाज नही रखी जबमक शकर और मवषण क ममदर और ममतायाा बनाकर आज सार भारतवरा म पजा की जा रही ह

वितर न 7 (सहज रमजयोग)- ससार म अनक परकार क योग परमसि ह जस- भमियोग कमायोग जञानयोग हठयोग राजयोग आमद मकत योग क इन सभी परकारो म सहज राजयोग शरषठामतशरषठ ह योग का अरा ह- समबध या ममलन आजकल योग का तातपया योगासन या हठयोग समझ मलया जाता ह मकनत योगासन स शारीररक सवासथय और कछ सीमा तक मानमसक सवासथय ममल सकता ह लमकन समपणा सख-शामत की परामपत तो कवल राजयोग दवारा ही हो सकती ह

lsquoराजयोगrsquo का अरा ह राजाओ का राजा बनान वाला योग या रहसय भरा योग मनषयातमाएा कई जनमो स दह-अमभमान क दलदल म फा सकर मवनाशी दहधाररयो स योग लगाती आई ह मकत जस तााब वाल दो तारो को जोड़न स उसम मबजली परवामहत होती ह परत रबड़ चढ़ हए तााब क तारो स मबजली का करट नही लगता उसी परकार दह-अमभमानी दहधाररयो स समबध रखन पर अमवनाशी सख-शामत की परामपत नही हो सकती परममपता परमातमा मशव तो इस योग भी नही अमपत सरल शबद म lsquoयादrsquo कहत ह याद करना एक सवाभामवक सरल एव मनरतर परमकरया ह जबमक योग स मकसी मवशर परयास का बोध होता ह जस परममपता परमातमा शरीर म रहत हए भी उसक भान स नयार ह अराात मवदही रहत ह उसी परकार हम भी सवय को अमवनाशी आतमा (न मक परकमत क 5 ततवो स बना दह) समझकर परजामपता बरहमा क दवारा परममपता परमातमा को याद करना ह हमारी दमि म मशव रहना चामहए मातर शव अराात दह नही अतः भगवान को न तो मसफा साकार रप म न तो मसफा मनराकार रप म बमकक भलीभाामत पहचानकर साकार शरीर म परमवि मनराकार को याद करना ह यही ह सचचा राजयोग

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मन वचन एव कमा की पमवतरता परममपता परमातमा स सचचा सनह मदवय गणो की धारणा ईशवरीय जञान शि अनन तरा सचच बराहमणो का सग करन पर आतमा दह-अमभमान दवारा उतपनन पााच मवकारो अराात काम करोध लोभ मोह

अहकार स ममि पाकर अपन मल सवरप अराात सवागण समपनन सवरप म मसरत हो सकती ह परभ को याद करन क मलए अमतवला या बरहममह ता का समय सबस शरषठ ह कयोमक उस समय वातावरण शात तरा शि रहता ह और मन भी जागरत एव परशात होता ह राजयोग क मनतय अभयास स आतमा म पमवतरता शामत धया मनभायता नमरता-जस गणो की धारणा होती ह सार ही आतमा को वयरा मवचारो क फलाव को समटन की शमि सहनशमि समान की शमि अचछ-बर को परखन की शमि सही मनणाय लन की शमि समसयाओ का सामना करन की शमि मवमभनन ससकार वाल मनषयो क सार सहयोग करन की शमि तरा मवसतार को सकीणा करन की शमि आमद आतमा की अि शमियाा परापत होती ह

राजयोग क मनरतर एव दढ़ अभयास स आतमा अपन आमद मधय एव अत की कहानी को तरा इस मवशव म अपन अमदवतीय अनक जनमो क पाटा को जान सकती ह और अपन घर बठ मवशव की आतमाओ को भी शामत एव सख का दान द सकती ह इस परकार हम सव-पररवतान क सार-2 मवशव-पररवतान भी कर सकत ह

बरहमाकमारी मवदयालय (बरमव) और आधयामतमक मवदयालय (आमव) की मशकषाओ म अतर-

बरहमाकमारी मवदयालय शासतरो को मानयता नही दता ह आधयामतमक मवदयालय ईशवरीय वाणी क आधार पर शासतरो को मानयता दता ह

बरमव कषण उफा बरहमा को ही एकमातर गीता का साकार भगवान मानता ह जबमक मख स कहता ह मक कषण गीता क भगवान नही ह

आमव मनराकारी सटज वाल साकार मशव-शकर को परमकटकल म गीता का भगवान मानता ह कषण उफा बरहमा क साकार रप दादा लखराज को गीता का भगवान नही मानता बरमव बरहमा-मवषण-शकर क साकार मचतर तो छपाता ह परत मसफा बरहमा क परमकटकल साकार रप को ही मानयता दता ह मवषण और शकर को इस दमनया स ही उड़ा दता ह जबमक शासतरो व दमनया म भी बरहमा क ममदर ममतायाा और पजा नही मदखाई ह बरहमाकमारी मवदयालय मशव-शकर को तो अलग-2 कहता ह लमकन यह नही बताता मक शासतरो म मशव-शकर को कयो ममला मदया मशव को बरहमा मवषण अरवा अनयानय 33 करोड़ दवताओ क सार कयो नही ममलाया और शकर को ही महादव कयो कहा ह

आमव म उपरोि परशनो का सटीक जवाब ह और तीनो दवताओ क साकार परमकटकल पाटा की सपिता भी ह

बरमव मसफा बरहमा (बरहम+माा) बड़ी माा को ही भगवान का साकार रप मानता ह और अपन को मसफा बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

आमव माा और बाप (परजामपता+बरहमा = एडम और ईव) दोनो को साकार रप म मानता ह और अपन को परजामपता बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

बरमव जञान-योग का मवजञापन करता ह जस- परोजकटर परदशानी पमबलक भारण कॉनर स मल सममलन ररयातरा

मनषयकत सामहतय आमद

आमव मकसी परकार क मवजञापन म मवशवास नही करता

बरमव मसफा मतय क बाद ही ममि-जीवनममि रपी ईशवरीय वस को जीवन का लकषय मानता ह

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आमव जीवन रहत ही लोक और परलोक सावारन का पररारा कराता ह अराात इसी जनम म नर स नारायण और नारी स लकषमी बनान का परम परमसि गीता वमणात उपदश दता ह

बरमव महल मामड़याा अटाररयाा बनाकर 36 परकार क भोग खान म और मसफा झकाझक शवत वसतर पहनन म अपन को शरषठ मानकर चलता ह आमव रहन सहन खान पान पहनाव म सादगी को ही शरषठ मानकर चलता ह बरमव म चदा माागकर वयमिगत वभव और मान-शान बढ़ाना आम बात ह

आमव मकसी परकार क चदा आमद lsquoमाागन स मरना भलाrsquo समझता ह

बरमव मसफा कहता ह मक हम एक धमा एक राजय एक कल एक मत की सरापना करग परत चलन म परा ही मवरोधाभास दखन म आता ह आमव क सदसय परमकटकल म आए हए एकमातर ईशवर की ही शरषठ मत को मानत हए ईशवरीय धारणाओ कायद

कानन को मानन क सार-2 नमबरवार अपन-2 पररारा अनसार चलन का परयास भी करत ह

सममपात बरक परायः सनयामसयो की तरह मठ-पर बनाकर जीवन चलाती ह

आमव क सममपात या गर सममपात सभी सदसय गहसरी जीवन यापन करत ह कयोमक गीता क भगवान सवय बहद क गहसर म रहत हए गहसरी पाणडवो को ही राजयोग मसखात ह सनयामसयो (भीषम दरोणाचाया कपाचाया) को नही

भविषयिमणी

(यहाा उन लोगो की भमवषयवामणयो का वणान मकया गया ह मजनकी भमवषयवामणयाा आज तक सही सामबत हई) -

कमकक पराण - सवततरता क बाद भारत म एक ऐस महापरर का उदय होगा जो वजञामनको का भी वजञामनक होगा वह आतमा और परमातमा क रहसय को परगट करगा आतमजञान उसकी दन होगी उसकी वश-भरा साधारण होगी उसका सवासथय बालको जसा योिाओ की तरह साहसी अमशवनी कमारो की तरह वीर यवा व सनदर शासतरो का परकाणड पमणडत व मानवतावादी होगा उसका मपता ही उस योग साधना की ओर परररत करगा 24 वरा की आय म वह योग की उचच भममका म परवश करगा एणडरसन(अमररका) - अरब राषरो समहत ममसलम बहल राजयो म आपसी करामतयाा और भीरण रिपात होग इस बीच भारतवरा म जनम महापरर का परभाव व परमतषठा बढ़गी यह वयमि इमतहास का सवाशरषठ मसीहा होगा वह एक मानवीय समवधान का मनमााण करगा मजसस सार ससार की एक भारा एक सघीय राजय एक सवोचच नयायपामलका एक झणड की रप-रखा होगी

गरराडा कराईस(हॉलड) - भारत दश म एक ऐस महापरर का जनम हआ ह जो मवशव ककयाण की योजनाएा बनाएगा जलबणा - ससार क सबस समरा वयमि का अवतरण हो चका ह वह सारी दमनया को बदल दगा उसकी आधयामतमक करामत सार मवशव म छा जाएगी एक ओर सघरा होग दसरी ओर एक नई धाममाक करामत उठ खड़ी होगी जो आतमा और परमातमा क नए-2 रहसय को परगट करगी वह महापरर 1962 स पवा जनम ल चका ह उसक अनयायी एक समरा ससरा क रप म परगट होग और धीर-2 सार मवशव म अपना परभाव जमा लग असभव मदखन वाल काया को भी व लोग उस महापरर की कपा स बड़ी सरलता स सपनन करग

परोफसर कीरो - भारत का अभयदय एक सवोचच शमि क रप म हो जाएगा पर उसक मलए उस बहत कठोर सघरा करन पड़ग दखन म यह मसरमत अतयत किदायक होगी पर इस दश म एक फररशता आएगा जो हज़ारो छोट-2

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लोगो को इकटठा करक उनम इतनी आधयामतमक शमि भर दगा मक व लोग बड़-2 बमिजीमवयो की मानयता ममथया मसि कर दग गोपीनार शासतरी - अवतारी महापरर दवारा जबरदसत वचाररक करामत होगी मजसक फलसवरप मशकषण पिमत बदल जाएगी और ऐसी मशकषा का अमवषकार होगा जो वयमि को जीवन जीन की कला परदान करगी जबमक वतामान मशकषा परणाली कवल पट भरन तक ही सीममत ह कमरत आतमजञानहीन बमिजीमवयो स लोगो की घणा होगी और भगभा मवदया रसायन शासतर यतर मवदया खमनज धात चमबक मवदया आमद क नए कषतर की और मवजञान का मवसतार होगा मजसका नततव भारतवरा का एक ऐसा धाममाक सगठन करगा मजसका मागादशाक सवय भगवान होगा धाममाक आशरम जन जागमत क कनदर बनकर काया करग बमप क ितारमन समकमर पमटा क परवत परफ एि पररमणः-

बाप कहाा आत ह- यह भी नही जानत ह जब खद आकर बताव तब पता पड़ कहाा मलखा भी ह मक परमातमा मगधदश म आता ह(मता16876)

शासतरो म मगध दश मलखा ह परनत नॉलज कहाा मसखाई आब म कस आए मदलवाड़ा ममदर भी यहाा परा यादगार ह मजनहोन भी बनाया उनहो की बमि म आया और बठकर बनवाया एकयरट मॉडल तो बना न सक बाप यहाा ही आकर सवा की सदगमत करत ह मगध दश म नही (मता5989 प3 मधय) ऐस बहत बचच ह बाप को परा पहचानत नही ह बाप का अदब(सममान) नही रखत कयोमक बाप कहत ह म साधारण रप म आता ह ा म जो ह ा जसा ह ा मवरला कोई उस रहाब स चलत ह यहाा तो बहत साधारण ह ना ह मकतनी बड़ी असामी आग चल वह भी पहचानग ऐस बाबा को हमन फारकती द दी तकदीर को लकीर लगा दी यह पीछ होगा अभी तो बहत साधारण ह रर ह गपत गपत होन कारण परा पहचान नही सकत ह परा पहचान ल तो कह- बाबा आपक मसवाए दमनया म ह ही कया कोई सदगमत कर न सक (मता151175 प1 आमअ)

यादव और कौरव पास मकतन महल ह तम बचचो को कछ भी नही तीन पर पथवी क भी तमहार नही सब उनहो का ह यह भी गाया हआ ह- मजनको तीन पर पथवी क भी नही ममलत र उनहो की मवजय हई और वह मवशव क मामलक बन गए पाणडव शमिसना गपत ह शासतरो म भी मदखात ह जआ खलत पाणडवो का राजय रा मफर जआ म हराया (म10678 प1 म) भगवान खद कहत ह मझ गाली खानी पड़ती ह सबस जासती गाली म ही खाता ह ा भमिमागा म भी गाली ही दत ह 3 पर पथवी क भी नही ममलत ह मफर भी मकतनी मनरहकारीपन स पाटा बजा रह ह (म6387 प3 अत) बहद का बाप पढ़ात ह परनत बाप ह साधारण तन म पढ़ात भी साधारण रीमत ह इसमलए मनषयो को जाचता नही ह- गॉड फादरली यमनवमसाटी मफर ऐसी होगी बाप कहत ह म ह ा गरीब मनवाज़ गरीबो को ही पढ़ाता ह ा साह कार को ताकत नही पढ़न की उनहो की बमि म तो महल-माड़ी ही होती ह (मता23489 प1 अत) भगवान एक ह उनको ही मात-मपता कहत ह वह आकर एडॉपट करत ह मकतनी गहय बात ह यह नया सकल ह नया पढ़ान वाला ह (मता251088 प3 आ)

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यह नॉलज ह यह ह नई बात नई दमनया क मलए भगवानवाच ह ना भगवान भी नया वाचय भी ह नई वह कहत ह कषण भगवानवाच तम कहत हो मशव भगवानवाच हरक की वाच अपनी-2 ह एक न ममल दसर स (मता15668 प3 आ)

किर वितर न 1 (वतररवता)-

lsquoमशवrsquo का अरा ह- lsquoककयाणकारीrsquo परममपता परमातमा का यह नाम इसमलए ह मक समि-चकर क अत म जब मनषयातमाएा तरा परकमत पमतत एव तमोपरधान बन जाती ह तो परमधाम मनवासी परममपता परमातमा मशव जयोमतमबानद मनषय शरीर का आधार लकर मनषयातमाओ और परकमत दोनो को पावन एव सतोपरधान बनात ह उनक इस कतावय की यादगार म ही मशवरामतर अराात परममपता क शबदो म मशवजयती का तयौहार मनाया जाता ह सपरीम सोल मशव मकसी परर क बीज स या माता क गभा स जनम नही लत व परजामपता दवारा मनषय-समि-रपी वकष क चतनय बीज ह और जनम-मरण तरा कमाबधन रमहत ह अतः व अपना कतावय करन क मलए मकसी साधारण वि मनषय क तन म मदवय परवश करत ह इस ही lsquoपरममपता परमातमा का मदवय अवतरणrsquo कहा जाता ह कयोमक उनका अपना शरीर नही होता ह उनका मदवय कतावय तीन चरणो म समपनन होता ह- सरापना मवनाश और पालना इन तीन कतावयो क मलए व अवयि मसरमत धारण करन वाली तीन साकार दवातमाओ का आधार लत ह व दवातमाएा ह- बरहमा शकर तरा मवषण मनषय-समि-रपी रगमच पर उनक मदवय अवतरण क बाद कौन-सी तीन आतमाएा बरहमा शकर एव मवषण क पातरो का अमभनय करती ह यह जानन क मलए हम सन 1936-37 म परममपता परमातमा क अवतरण स लकर अब तक की घटनाओ को जानना ज़ररी ह

परममपता परमातमा का यह काया सन 193637 म पामकसतान क मसध हदराबाद शहर स परारमभ हआ जब उनहोन दादा लखराज नामक एक मवखयात हीरो क वयापारी को मवषण चतभाज नका की परानी दमनया क मवनाश और सवगा की नई दमनया की सरापना का साकषातकार कराया मकनत व उन मदवय साकषातकारो का अरा समझ न पाए उनहोन अपन गरओ स इसका अरा पछा मकनत भगवान की लीला व दहधारी गर लोग कया समझ मफर व (दादा लखराज) वाराणसी क परकाणड पमणडतो स इसका समाधान पान क मलए गए मकत उनह वहाा भी मनराशा ही हार लगी वहाा भी उनह साकषातकार होत रह मजसकी तसवीर व गगा क घाटो पर बनी दीवारो पर बनात रहत र जब कोई भी उनकी समसया का समाधान न कर सका तो उनह कलकरता म रहन वाल अपन भागीदार (सवकराम) की याद आई उस भागीदार की मनषठा व ईमानदारी स परभामवत होकर ही उनहोन उस अपनी कलकरता मसरत हीरो की दकान की मज़ममवारी सौपी री

अतः दादा लखराज कलकरता गए मकत सीध उस भागीदार को अपन साकषातकारो का वणान करन क बजाय उनहोन अपनी नज़दीकी सबध की माता (अराात छोटी माता) को सनाया और उस माता न दसरी माता को सनाया जो बोलन सनन सनान म मसिहसत री बाद म जब सनन-सनान म मसिहसत माता न परजामपता (भागीदार) को सनाया उसी समय जयोमतमबद परममपता परमातमा मशव न उसी माता और परजामपता (भागीदार) म सार-ही-सार परवश कर मलया और इस परकार उस मसिहसत माता दवारा साकषातकारो का वणान सनन-सनान की परमकरया दवारा lsquoभमिमागाrsquo की तरा भागीदार दवारा जञान समझन-समझान की परमकरया दवारा lsquoजञानमागाrsquo की नीव पड़ गई

इस परकार चामक परममपता मशव न सवापररम उन दोनो माताओ क समकष भागीदार म परवश कर मवशव पररवतान का काया आरमभ मकया इसमलए व मशव जयोमतमबानद ही भमवषय म बरहमा शकर और मवषण- इन मतरदवो दवारा ससार म मतरममता मशव क नाम स परमसि होत ह

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 2: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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मानयता ह हम सब आतमाएा उस परमधाम की रहन वाली ह जहाा पर सपरीम सोल जयोमतमबानद भी ह मजस महनदओ म lsquoमशवrsquo कहत ह व जनम-मरण क चकर स नयार ह बाकी मजतनी भी आतमाएा ह व जनम-मरण क चकर म आ जाती ह परमधाम म उन आतमाओ की मसरमत का करम कया ह मजतना ही इस समि पर आ करक शरषठ कमा करन वाली आतमा ह वह उतना ही पर-त-पर मशव क नज़दीक रहन वाली होगी और मजतन ही मनषकि कमा करन वाली पाटा बजान वाली आतमा ह वह उतना ही नीच की ओर उनकी सखया जासती होती ह दि कमा करन वालो की सखया जासती और शरषठ कमा करन वाली दव आतमाओ की सखया कम जो 33 करोड़ कही जाती ह मजनकी सखया ऊपर की ओर कम होती जाती ह व शरषठ आतमाएा ह सतयग क आमद स जब नई समि का आवरतान होता ह तो सतयग तरता दवापर और कमलयग करमशः परान होत जात ह दमनया की हर चीज़ चार अवसराओ स गजरती ह जस- सतोपरधान बचपन सतोसामानय मकशोर अवसरा रजोपरधान जवानी और (तमोपरधान) बढ़ापा मफर खलास समि का भी यही मनयम ह यह चार अवसराओ स पसार होती ह सतोपरधान समि को lsquoसतयगrsquo कहा जाता ह रजोपरधान को lsquoदवापरrsquo कहा जाता ह और तमोपरधान को lsquoकमलयगrsquo कहा जाता ह बरहमलोक स आतमाओ क उतरन का यही करम ह मक मजतनी शरषठ आतमाएा ह उतना ही शरषठ यग म उतरती ह जो 16 कला समपणा आतमाएा ह व सतयग आमद म उतरती ह जो 14 कला समपणा आतमाएा ह व तरतायग क आमद म उतरती ह जो 8 कला समपणा आतमाएा ह व दवापर म उतरती ह और कमलयग स कलाहीनता शर हो जाती ह कलाहीन आतमाएा मजनका धमा दसरो को दःख दना ही ह मजनक मलए गीता म आया ह- lsquolsquoमढा जनममन जनममनrsquorsquo(गीता 1620) व नारकीय योमन म आकर मगरती ह व नीचतम आतमाएा कमलयग क अनत म आती ह जब सारी ही आतमाएा नीच उतर आती ह मजनको वापस जान का रासता नही ममलता बमकक यही जनम-मरण क चकर म आती रहती ह और शरीर दवारा सख भोगत-2 तामसी बन जाती ह

बीज ह कई बार बोया जाएगा तो उसकी शमि कषीण हो जाती ह परता छोटा फल छोटा वकष छोटा और आखरीन होत-2 वह फल दना ही बनद कर दता ह तो ऐस ही आतमाओ का यह महसाब ह मक जब एक बार ऊपर स नीच आ गई तो व नीच ही उतरती जाती ह आप इस समि क अमतम अधाभाग अराात आज स 2500 वरा पवा की महसरी ल लीमजए दमनया म सख-शामनत दःख और अशामनत क रप म बदलती गई ह या सख-शामनत बढ़ती गई महसरी कया कहती ह जस-2 जनसखया बढ़ती गई ऊपर स आतमाएा उतरती गई तो जनसखया क बढ़न स समि म दःख और अशामनत तो बढ़नी ही बढ़नी ह वह बढ़ती गई एक अमत (end extremity) होती ह मक जब सारी ही आतमाएा नीच उतर आती ह दमनया म कीट पश-पकषी पतगो कीटाण आमद की सखया लगातार बढ़ रही ह दश-मवदश म इतनी कीटनाशक दवाइयाा मछड़की जा रही ह तो भी उनकी सखया म कोई कमी नज़र नही आ रही ह मकखी-मचछरो की सखया म लगातार वमि हो रही ह आमखर य आतमाएा आ कहाा स रही ह

उसका समाधान गीता क अनसार ही ह लमकन सपि मकसी न नही मकया अभी यह बात सपि हो रही ह मक य आतमाएा उस आतम-लोक स आ रही ह और इसी दमनया म 84 क जनम-मरण का चकर काटत हए अपना-2 पाटा बजाती रहती ह वितर न 3 (पररवपतम पररमतरम विि और उनक विवय कतावय)- जब सारी ही आतमाएा आतम-लोक स इस समि पर उतरन को होती ह तब अनत काल स कछ ही पहल परममपता परमातमा मशव इस समि पर आत ह और आ करक इस समि-रपी रगमच की जो हीरो-हीरोइन पाटाधारी आतमाएा

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ह कोई तो होगी अचछ-बर पाटाधारी तो होत ही ह तो इस समि-रपी रगमच पर कोई तो सबस जयादा शरषठ पाटा बजान वाल होग उनको अगरजो म कहा जाता ह- lsquoएडम और ईवrsquo मसलमानो म कहा जाता ह lsquoआदम और हववाrsquo और महनदओ म कहा जाता ह lsquolsquoतवमामददवः पररः पराणः तवमसय मवशवसय पर मनधानमrsquorsquo(गीता 1138) व समि क आमद ह उनकी शरआत मकसी न नही बताई मक व आमदशमि और आमददव कब स ह उनको जनम दन वाला कौन ह मकसी को पता ही नही ह महनद परमपरा म उनको शकर-पावाती और जमनयो म lsquoआमदनार और आमदनामरनीrsquo कहा जाता ह दमखए आप शबदो म मकतना सामय ह पहल दमनया म एक ही धमा रा और एकता री वह एकता तभी आ सकती ह lsquoवसधव कटमबकमrsquo की असली भावना तभी हो सकती ह जबमक सारी दमनया एक ही यगल को अपना मात-मपता मान ल तो व परममपता परमातमा मशव आत ह आ करक इस समि रपी रगमच की हीरो-हीरोइन पाटाधारी आतमाओ (राम-कषण) को उठात ह व 84 क चकर क आमखरी जनम म राम-कषण क रप म नही होत कयोमक 16 कला सपणा कषणनारायण का राजय तो सतयग म रा राम का राजय तरता म रा वही आतमाएा जनम-मरण क चकर म नीच उतरत-2 हमार-आपक रप म कही-न-कही नर रपो म होती ह उन नर रपो म परममपता परमातमा मशव परवश करत ह जस गीता म एक शबद आया ह- lsquoपरविमrsquo(गीता 1154) म परवश करन योनय ह ा कौन व सपरीम सोल मशव जो जनम-मरण क चकर स नयार ह व परवश करक कषण उफा दादा लखराज क दवारा पहल माा का पाटा बजात ह मजसका नाम अपनी भारतीय परमपरा म रखा जाता ह lsquoबरहमाrsquo lsquoबरहrsquo मान बड़ी और lsquoमााrsquo मान माा दमनया म सबस जासती सहन करन वाली माा होती ह परममपता परमातमा भी इस समि पर आकर पहल माा का पाटा परतयकष बजात ह मजसक मलए अपनी भारतीय परमपरा म उनकी ममहमा क गीत गाए ह- lsquolsquoतवमव माता च मपता तवमवrsquorsquo व इतना पयार दत ह इतना पयार दत ह मक जो असर ह व उनस वरदान लन क आदी हो जात ह माा का सवभाव ऐसा होता ह मक कोढ़ी काना कबजा चोर डकत लचचा लफगा बचचा होगा उसको भी अपनी गोद स अलग नही करना चाहगी बाप कहगा- lsquoहट मनकल बाहरrsquo लमकन माा गोद स अलग नही करगी ऐस ही बरहमा का पाटा इस समि पर पहल ह

परममपता परमातमा मशव बरहमा म परवश करक जो वाणी चलात ह उस वाणी का नाम पड़ता ह lsquoमरलीrsquo मरली नाम कयो पड़ा आप और हम जानत ह मक कषण क हार म मरली मदखाई जाती ह तो हमन समझ मलया मक कोई बाास की मरली होगी लमकन यह तो परतीकातमक लाकषमणक और आलकाररक कमवयो की भारा ह जो उनहोन भागवत और महाभारत म मलखी हई ह उसका वासतमवक अरा यह ह मक परममपता परमातमा बरहमा क मख स मान बचचा बमि कषण की सोल क दवारा पहल-2 इस समि पर आकर कमलयग-अत म जो पयार दत ह मीठी वाणी सनात ह वह वाणी इतनी अचछी लगती ह मक जब लोगो को समझ म आ जाती ह मक यह बात कया ह तो उसस जयादा बढ़कर मीठी और सरीली तान सारी दमनयाा म और मकसी की नही लगती इसमलए उसका नाम रखा गया lsquoमधर गीताrsquo गीता अरवा सवाशरषठ गरर जो भारत का सवोपरर गरर ह lsquoसवाशासतर मशरोममण गीताrsquo उसको मरली कहा जाता ह तो परममपता परमातमा आकर बरहमा क तन स काठ की मरली दवारा यह जञान सनात ह माा क रप म व बराहमणो को जनम दत ह शासतरो म मलखा हआ ह मक बरहमा क मख स बराहमण मनकल तो हम समझत ह मक कोई ऐसी कलाकारी माह म होगी जो उनहोन माह स lsquoहआrsquo मकया और बराहमण मनकल पड़ लमकन ऐसा कछ नही होता यही परानी कमलयगी समि होती ह इसी परानी समि म परममपता परमातमा आकर बरहमा क तन म परवश करक बचचा बमि मनषयो दवारा समझन योनय बमसक जञान सनात ह उस जञान को सनकर जो अपन

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जीवन को बनात ह सधारत ह उनही म बराहमणो क ससकार आ जात ह इस परकार बराहमणो की जो बरहमा मख स उतपमरत होती ह उनको lsquoबरहमाकमार या बरहमाकमारीrsquo कहा जाता ह यह नई समि की शरआत की बात ह जो अभी 5000 वरा बाद मफर स पनरावतान हो रही ह

माउट आब स इस काया की शरआत हई मशव गपत रप म आत ह जस गीता म कहा ह- lsquolsquoसाधारण तन म आए हए मझ परममपता परमातमा को दादा लखराज बरहमा जस मढ़ममत लोग पहचान नही पातrsquorsquo तो आपको जो बरहमा का रप मदखाया यह वयमितव परमकटकल म हो चका ह माउट आब म इनक दवारा परममपता परमातमा मशव न नीची कररयो क बराहमणो की सरापना कराई री इनका वासतमवक नाम दादा लखराज ही रा मसध हदराबाद क रहन वाल य मसधी बराहमण र मजनक दवारा यह काया समपनन हआ अभी तो दश-मवदश म ढर सार बरहमाकमारी आशरम खल हए ह 70-75 साल क अदर इतनी ज़बरदसत सरापना करना सामानय आतमा क बस की बात तो नही ह परममपता परमातमा मशव सवय ही कषण की सोल उफा दादा लखराज का नाम lsquoबरहमाrsquo रखत ह और उसक दवारा जब बराहमण धमा की सरापना करत ह तब ढर सार बरहमाकमार-कमाररयाा तयार हो जात ह परममपता परमातमा दखत ह मक इन बराहमण बचचो म ही दो मकसम क बचच पदा हो गए एक रावण कमभकणा मघनाद भी बराहमण र और अपन जीवन म गर वमशषठ मवशवाममतर न भी बराहमणतव अपनाया रा गर वमशषठ मवशवाममतर जसो की सखया रोड़ी हो जाती ह और रावण कमभकणा मघनाद जसो की सखया ढर सारी हो जाती ह यही बात बरहमाकमारी आशरम म भी हई बरहमा की कोख म रस लन स पदा हए जो कखवशावली बरहमा वतस ह उनम ढर सार दि बराहमण पदा हो गए और जो जञान-योग म बरहमामख स जयादा रस लन वाल तयागी-तपसवी ह व रोड़ रह गए अतः कया होता ह परममपता परमातमा को वह शरीर छोड़ दना पड़ता ह कषण वाली सोल माना बरहमा की सोल को शरीर छोड़ दना पड़ता ह उसक बाद सन 69 म परममपता परमातमा मशव राम वाली सशि आतमा म सवारा गपत परवश करत ह कयोमक माता का भी पयार भरा पाटा मशव का ह तो मपता का भी सखत पाटा उनही का ह कहावत ह- टढ़ी उागली मकए बगर घी नही मनकलता अब राम वाली सोल कही-न-कही तो इस समि पर होगी ना तो उस वयमितव म जो मक पहल स ही बरहमाकमार बनी हई होती ह उसम व मशव ही परवश करक अपना काया आरमभ करत ह इस काया क आरमभ होन क बाद रोड़ समय क अनदर ही बरहमाकमारी ससरा म सन 76 स सपि मवभाजन नज़र आता ह जस सभी धमो म हआ- बौमियो म lsquoहीनयानrsquo (और) lsquoमहायानrsquo दो समपरदाय हो गए जमनयो म lsquoशवतामबर और मदगमबरrsquo दो समपरदाय हो गए मसलमानो म lsquoमशया और सननीrsquo दो समपरदाय हो गए मकरमियनस म lsquoरोमन करोमलक और परोटसटटrsquo दो समपरदाय हो गए य दसर-2 जो भी धमा ह उन सबन उस परममपता परमातमा को ही फॉलो मकया

अब जब परममपता परमातमा न आकर नए सनातन धमा की सरापना की तो भी यही परमकरया चली मक बरहमा क शरीर छोड़न क कछ समय क बाद उस बरहमाकमारी आशरम म दो तरह क लोग सपि नज़र आत ह तो आपस म टकराव पदा होता ह बमिजीमवयो की सखया कम होती जाती ह और व अलग हो जात ह तो सघरा तो बढ़गा ही हर धमा म यह सघरा बढ़त-2 चमाउतकरा रप पदा होता ह गरओ का जो बड़ा और पराना रमढ़वादी दमकयानसी वगा ह वह सचचाई को नही पहचानता कयोमक उनको तो गददी ममली हई ह वह माउट आब म अभी भी कामबज़

अमधकार-परापत ह व सचची बात को सनत नही ह आप दखग मक जो कछ भी बरहमा दवारा माउट आब स मरली या वाणी सनाई ह वह वाणी वासतव म अपनी जगह पर शासतरसगत ह लमकन बरहमाकमाररयाा आज भी यह बात

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कह रही ह मक शासतर सब झठ ह और हमार बाबा न जो कछ बोला ह वही सचचा ह लमकन बाबा न जो कछ बोला ह उसका अरा कया ह वह उनह पता ही नही ह और सनन क मलए तयार भी नही ह हर धमा म यह मसरमत पदा होती रही ह इसी तरीक स परममपता परमातमा मशव राम वाली आतमा (जो तरतायग म भी होती ह) जो जनम-मरण क चकर म आत-2 कमलयग-अनत म साधारण मानव तन म होती ह उसम परवश करक शकर क नाम-रप स ससार म धीर-2 परतयकष होना शर होत ह शकर का सखत पाटा ह सखत पाटा क दवारा व बराहमणो क समपरदाय म दो फाड़ कर दत ह- सचच मखवशावली बराहमण और झठ कखवशावली बराहमण मखवशावली वह जो बरहमा क मख स चलाई हई मरली की ही बात मानत ह मकसी दहधारी की बात नही मानत और कखवशावली वह जो बरहमा की कख अराात गोद क पयार को मवशर महतव दत ह मख की चलाई हई मरली को महतव नही दत चनी हई कछ शरषठ आतमाएा मनकलती ह आपन दखा होगा मक शकर जी क बाहो म माला मदखात ह गल म भी कई तरह की मालाएा पड़ी हई ह माला सगठन की मनशानी होती ह एक सनह और दसर जञान क सतर म व मणक रपी आतमाएा मपरोई गई ह उनका सगठन तयार मकया गया ह वह माला रपी सगठन सार ससार म हर धमा म मानयता परापत करता ह मकस रप म आप दखग मसलमानो म भी माला घमाई जाती ह मकरमियनस म भी माला घमाई जाती ह बौिी लोग भी माला घमात ह मसकख लोग भी माला घमात ह यह माला का इतना महतव कया ह जो हर धमा म घमाई जाती ह यह कोई नही जानता बाबा न मरली म बताया ह मक lsquolsquoबचच य माला क जड़ मणक तम तामसी जड़जड़ीभत आतमाओ की यादगार हrsquorsquo जब परममपता परमातमा आत ह तो तम आतमा रपी मणको को इकटठा करत ह और शरषठ आतमाओ का जो माला रपी सगठन तयार होता ह वह सार ससार म तहलकाखलबली मचाता ह पहल भारतवरा म बराहमणो की दमनया क अनदर तहलकाखलबली शर होती ह माला क सगठन म 108 मणक होत ह आप दखग दमनया म आज मखय-मखय 9 धमा फल हए ह महनद धमा तो बहत पराना ह उसम स दो फाड़ ऐस ह- (एक) जो कभी दसर धमा म कनवटा नही होत और दसर ऐस ह मक जो कनवटा होत ही रह मसलमान आए तो मसलमानो म कनवटा हो गए मकरमियनस आए तो मकरमियनस म कनवटा हो गए मसकख आए तो मसकख म कनवटा हो गए तातपया यह ह मक सनातन धमा म दो परकार क वगा हो गए- एक नॉन कनवटड जो कभी कनवटा नही हए भल मकसी भी तरह की कोई परीकषा आई परत अपन धमा को नही छोड़ा दसर वह जो कनवटा होत ही रह एक स दसर धमा म दसर स तीसर धमा म तीसर स चौर धमा म आज स 2500 वरा पहल lsquoइसलाम धमाrsquo आया मफर चौरा lsquoबौि धमाrsquo आया (जो) चीन जापान बरमा मलाया म फला पााचवाा lsquoमकरमियन धमाrsquo आया जो यरोपीय दशो म फला अमररका म फल गया छठा शकराचाया का lsquoसनयास धमाrsquo (लाल-पील-काल-सफद कपड़ पहनकर मनकला) उसक बाद महममद आए मजनहोन इसलाम धमा क फाड़ करक ममतापजा बद करवा दी और lsquoममसलम धमाrsquo फलाया उसक बाद गरनानक आए और उनहोन मसलमानो स टककर लन क मलए भारत क ही अचछ-खास हटट-कटट कम बमि वाल जो सनातन धमा क लोग र उनको कनवटा करक lsquoमसकखrsquo बना मदया और व मसलमानो स मकरमियनस स ज़बदासत टककर लत रह कल ममलाकर अनत म lsquoआया समाजrsquo एक ऐसा धमा आता ह जो सबको आह त करता ह मक तम सब आ करक भारतवरा म इकटठ हो जाओ मकसी भी धमा का हो हम उस महनद बना दग पकक महनदओ न तो कभी मवधममायो को सवीकार नही मकया आयासमामजयो न अपन दश म सब धमो का कचड़ा इकटठा कर मलया एक धमा ऐसा ह lsquoनामसतकवादrsquo जो माला म नमबर ही नही पाता ईशवर की जो शरषठ आतमाओ वाली 108 की माला बनती ह उसम उनका नमबर नही

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लगता व य ह नामसतक (रमशयनस) व न सवगा मानत ह न नका मानत ह न आतमा को मानत ह न परमातमा को मानत ह व कछ नही मानत व अपन नश म आकर ऐटममक एनजी तयार करत ह मक हम ही सब कछ ह हम चाहग तो दमनया को नचाएाग नही तो नि कर दग लमकन व अपन मककड़ जाल म खद ही फा स जात ह आज तो रस मबखर गया और उसस जयादा ऐटममक एनजी अमररका न धारण कर ली ह इस तरीक स दमनया क नवार 9 मखय आमसतक धमा ह इन 9 धमो की चनी हई मखय-2 बारह-2 ( 9 ग 12 = 108 ) आतमाएा परममपता परमातमा इकटठी करत ह सारी समि स चनकर 12 नमा 108 मणक तयार होत ह

आज स 70-75 साल पहल भारतवरा म इतन भगवान नही र आचाया रजनीश भी भगवान जय गरदव भी भगवान सााई बाबा भगवान सतपालजी महाराज भगवान चदरा सवामीजी भगवान- य ढर क ढर भगवान 75 साल पहल र ही नही 70-75 साल क अदर ही य ढर क ढर भगवान पदा हो गए अब भगवान एक होगा या ढर क ढर होग भगवान तो ज़रर एक होगा लमकन महसाब कया ह जब इस समि पर परमधाम छोड़कर सचचा हीरा आता ह तो उसकी भट म ढर सार नकली हीर दमनया क बाज़ार म तयार हो जात ह व नकली हीर चारो तरफ अपना पॉमप एणड शो शोर-शराबा फला दत ह जबलपर म महशयोगी की एक बड़ी भारी मबमकडग बननी री सकड़ो-करोड़ो रपयो की वह मबमकडग तयार होनी री उसम होना कया बस वही सवाहा अब उसस कछ होता रोड़ ही ह 2500 वरा स यह सवाहा-2 होता चला आया कया इसस कोई दमनया का पररवतान होना ह पररवतान कछ भी नही होना ह वह एक बात तो सचची बता दी मक वातावरण शि होता ह परनत बजाय वातावरण शि होन क दमनया और जयादा मबगड़ रही ह (एक भाई न कहा- अमररका स व गोकड का समगमलग करत ह) चलो वह कछ भी हो हमन एक बात बताई मक भगवान ढर क ढर ह लमकन नकली हीर ह और उनम पता नही चल रहा ह मक असली कौन ह ज़रर असली भी ह लमकन पता नही चल रहा ह और उसका परफ यह ह मक भगवान जब आएाग तो नई समि की सरापना क सार-2 परानी समि का मवनाश का सामान भी तयार कराएाग सत धमा की सरापना क सार-2 ढर क ढर जो दि धमा फल हए ह उनका भी मवनाश का काया करत-करात ह lsquolsquoमवनाशाय च दषकतामrsquorsquo (गीता 48) गीता का यह शलोक ही बताता ह परममपता परमातमा जब इस समि पर आत ह तो यह तयारी पहल करात ह सरापना गपत करत ह और मवनाश का काया परतयकष करात ह

रस और अमररका मजनको अपनी भारतीय परमपरा म महाभारत म यादव कहा गया ह बड़-2 धनाढय होत र

बहत शराब पीत र और ऊा ची-2 मबमकडग होती री ऐस जो यादव गरप ह उनहोन कया मकया व र तो यदवशी भगवान कषण क करोल म लमकन उनहोन कया मकया उनक बमि-रपी पट स जो ममसाइकस मनकल उन मसलो स उनहोन आपस म ममलकर-लड़कर अपन सार कल का सहार कर मदया और सारी समि का मवनाश कर मदया लोगो न सरल मसल समझ मलए अब यह तो समझन-2 की मवडबना ह वासतव म ह ममसाइकस की बात जस पट म कोई चीज़ पचाई जाती ह ऐस यह बमि-रपी पट ह कहत ह ना- lsquoतमहार पट म बात नही पचतीrsquo तो कया यह (सरल) पट ह या यह (बमि-रपी) पट ह इस बमि-रपी पट म स व ममसाइकस मनकल उन लोह क मसलो स यह सारी दमनया नि होती ह 70-75 साल क अदर भारी तादाद म यह एनजी भी तयार हो गई समि पर परममपता परमातमा का अवतरण भी हआ और 70-75 साल पहल भारतवरा म महातमा गाधी क टाइम पर सबस जयादा जो आवाज़ लगाई गई री lsquoह पमतत-पावन आओrsquo वह आवाज़ भी लग रही री भारत की 40 करोड़

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जनता गाधीजी क ततवावधान म lsquoरघपमत राघव राजाराम पमतत-पावन सीतारामrsquo की आवाज़ लगा रही री लमकन आवाज़ लगान वालो को यह पता नही चला मक परममपता परमातमा इस समि पर उस समय स ही आ चक ह

कहन का मतलब यह ह मक जब परममपता परमातमा आत ह तो एक तरफ मवनाश की बाजी भी तयार कर दत ह और दसरी तरफ सरापना का काया भी गपत म चलात ह तो इस समय य दोनो काया समपनन हो रह ह- सरापना का काया भी परा होता ह और ऐटममक एनजी भी तयार हो जाती ह मजसका पररम मवसफोट हीरोमशमा-नागासाक़ी म हआ तब जा करक इस समि का एक तरफ मवनाश होता ह और दसरी तरफ वह माला तयार हो जाती ह जो सारी समि की धमासरता और राजय-सरता की बागडोर धीर-2 अपन हारो म ल लती ह आपन जयोमतमरयो की कछ भमवषयवामणयाा सनी होगी जो अकसर करक मनकलती रहती ह 400500 साल पहल क जो जयोमतरी हए ह- कीरो कीर और नसतरडाम आमद इनकी भमवषयवामणयाा मनकली हई ह सभी न 2000 को मददा बनाया लमकन 2000 क आस-पास का जो भी मददा रा वह सारी समि क मवनाश का मददा नही रा वह वासतव म मसफा बराहमणो की दमनया क अनदर आधारमता एव बीजरप आतमाओ की दमनया क मवनाश का मददा ह यह कोई नही जानता यह दमनया एकदम ऐस चटकी म खतम हो जाएगी तो परममपता परमातमा को कौन पहचानगा परममपता परमातमा को पहचानन क मलए टाइम तो चामहए ना

वासतव म यह जो 2000 साल क बाद का पीररयड ह यह बरहमाकमारी आशरम म आमल-चल पररवतान ला दगा बाहर की दमनया म भी रोड़ा-2 पररवतान होगा ऐटममक एनजी का भी रोड़ा-2 मवसफोट होगा लमकन इतना नही होगा मक सारी समि खतम हो जाए अभी मसफा बराहमणो की परानी दमनया का मवनाश होता ह नई दमनया की सरापना होती ह और सब आतमाएा पहल बमियोग स वापस परमधाम म जाती ह मान बराहमणो की दमनया क अनदर जो मवशर आतमाएा ह व इस बात को समझ लती ह मक परममपता परमातमा का साकार रप और कायाकाल कया ह और यह काया कस चल रहा ह यहाा मदखाया गया ह मक जस हम आतमाएा जयोमतमबानद ह वस परममपता परमातमा भी जयोमतमबानद ह जयोमतमबानद का ही बड़ा आकार मशवमलग बनाया जाता ह मजस अपनी भारतीय परमपरा म 12 जयोमतमलिगम क नाम स परमसि मकया गया ह उजजन काशी रामशवरम कदारनार बदरीनार य 12 जयोमतमलिगम बन ह 12 ही कयो 13 कयो नही 11 या 10 कयो नही 9 धमो स चनी हई 12-12 आतमाओ क 9 गरपस होत ह हर धमा म शरषठ आतमाएा तो होती ह ना परममपता परमातमा भी जब आत ह तो सवापररम हर धमा स शरषठ आतमाओ को चनत ह और चनकर उनको पकका सयावशी बराहमण बनात ह

आज की दमनया म वासतव म कोई बराहमण नही रहा (भाई न कहा- आप यह कया कहत ह आप तो बराहमणो की अवहलना करत ह) नही तलसीदास न यह बात रामायण म आज स 400-500 वरा पहल मलखकर छोड़ी ह- lsquoभय वणा सकर सबrsquo सार ही वणा सकर हो गए कोई बराहमण और कोई शदर नही रहा उनहोन 400 साल पहल मलखा रा अब तो हालत बहत खराब हो गई अब तो बहत जयादा वयमभचार फल गया घर-2 म वयमभचार फला हआ ह तो इस समय परममपता परमातमा आकर परजामपता बरहमा दवारा असली बराहमण कल की सरापना कर रह ह आपन सना होगा बराहमणो की 9 कररयाा गाई जाती ह- शामडकय गोतर भारदवाज गोतर कशयप गोतर आमद-2 9 ऋमरयो क आधार पर 9 गोतर गाए जात ह व 9 ऋमर कोई दसर नही ह 9 धमो का परमतमनमधतव करन वाली 9 शरषठ आतमाएा ह जो परममपता परमातमा इस समि स असली बराहमण धमा म चनत ह जो 9 आतमाएा ह उनम स एक सबस शरषठ होगा ना जो सबस शरषठ हआ उसक जो 12 क गरप ह व परममपता परमातमा मशव स इतना

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तादातमय सरामपत करत ह मक उनकी मशव जसी ही सटज बन जाती ह इसमलए तो 12 जयोमतमलिगम आज भी भारतवरा म भगवान क रप म पज जात ह

कहन का मतलब यह हआ मक परममपता परमातमा मशव भी जयोमतमबिद ह ऋमरयो-महमरायो न पजा क मलए उनका बड़ा आकार बना मदया ह वह मनराकारी सटज का परतीक ह मनराकार का मतलब यह ह मक उस सटज म जो 12 ह उनम स एक शकर का रप मजस lsquoरदर अवतारrsquo कहा जाता ह व ऐसी मनराकारी सटज म रहत ह मक जस मक उनका शरीर रपी वसतर ह ही नही नवार इस सटज म रहना अपन को सदव आमतमक सटज म समझना दसरो को आतमा क रप म दखना- ऐसी परमकटस पककी हो जाए उसको कहग lsquoमनराकारी सटजrsquo इमदरयाा जस होत हए भी नही ह जस कहत ह- lsquoदखत हए भी नही दखना सनत हए नही सननाrsquo जस दमनया म मकतनी भी नलामन उड़ रही ह उनक ऊपर कोई असर नही पड़ रहा ह

lsquoबीrsquo समइड

वितर न 4 (सिा आतरमओ कम वपतम एक ह)- वह तो गॉड फादर ह मजसक अलग-2 नाम-रप द मदए ह लमकन अलग-2 नाम-रप होत हए भी एक रप ऐसा ह जो हर धमा म मानयता परापत करता ह कस अपन भारतवरा म जयोमतमलिगम मान जात ह- रामशवरम वगरह कहत ह- राम न भी उपासना की राम को भगवान मानत ह लमकन उपासना मकसकी की मशव की उपासना की तो राम भगवान हए या मशव भगवान हए मशव ही हए ऐस ही गोपशवरम ममदर भी बना हआ ह lsquoगोपrsquo कषण को कहा जाता ह इसस सामबत हो गया मक कषण भगवान नही र वासतव म उनका भी कोई ईशवर ह मजनहोन उनको ऐसा बनाया ऐस ही कदारनार ह बदरीनार ह काशीमवशवनार ह और यह सोमनार ह इन सभी ममदरो म इस बात की यादगार ह मक यहाा उस मनराकार जयोमत को जयोमतमलिगम क रप म माना जाता ह नपाल म पशपमतनार का ममदर ह कमलयग क अत म सभी मनषयमातर पशओ जसा आचरण करन वाल हो जात ह उन पशओ को भी पश स बदर स ममदर लायक बनान वाली वही मनराकार मशवजयोमत ह उसी की यादगार म एक मशवमलग नपाल म भी सरामपत ह

अचछा महनदओ की बात छोड़ दीमजए मसलमान लोग मकका म हज़ (तीरा यातरा) करन जात ह वहाा महममद न दीवाल म एक पतरर लाकर रखा रा उसका नाम उनहोन lsquoसग-ए-असवदrsquo मदया अभी भी जब तक मसलमान लोग उस पतरर का चमबन नही कर लत मसजदा नही माना जाता उनकी हज़ की यातरा परी नही होती इसका मतलब व भी आज तक उस मनराकार को मानत ह हालाामक व पतरर को नही मानत व तो ममतायाा व मशवमलग को तोड़न वाल रह ह उनहोन यहाा भारत म आकर मशवमलगो को तोड़ा ह लमकन वहाा मानत ह बौिी लोग आज भी चीन-जापान म दख जात ह मक व गोल सटल क ऊपर पतरर की बमटया रखत ह और उसक ऊपर दमि एकागर करत ह इसस सामबत होता ह मक व भी उस मनराकार को मानत ह गरनानक न तो कई जगह कहा ह- lsquoएक ओकार मनरकारrsquo lsquoसदगर अकाल मताrsquo व तो मनराकार को मानत ही ह ईसाईयो क धमागरर बाईबल म तो कई जगह मलखा हआ ह- lsquoगॉड इज़ लाइटrsquo अराात परमातमा जयोमत ह कहन का मतलब यह ह मक हर धमा म उस मनराकार जयोमत की मानयता ह अब यह सवाल पदा होता ह मक जब सब धमो म उस एक ही रप की मानयता ह तो सब धमा वाल उस एक ही को परममपता परमातमा का रप कयो नही मानत य अलग-2 रप कयो मान हए ह यह वासतमवकता मकसी की बमि म नही आ रही ह

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वह मनराकार जयोमत जब इस समि पर आती ह तो जो मवशर आतमाएा राम और कषण ह इन दो को चनकर समि क मवनाश और सरापना क काया म ममखया बनाती ह कषण की सोल आखरी जनम म दादा लखराज क रप म मसनध हदराबाद म जनम लती ह और उसम परममपता परमातमा मशव परवश करक पहल परतयकष lsquoबरहमाrsquo क रप म काया करत ह पयार का पाटा बजात ह आप कही भी मकसी भी बरहमाकमारी आशरम म जाएा तो आप कोई भी बरहमाकमार-कमारी स पमछए मक बाबा न कभी मकसी को टढ़ी नज़र स दखा या गलत कवचन कहा या कोई ऐसा ह मजसन बाबा क समपका म पहाचन क बाद यह अनभव मकया हो मक बरहमा बाबा न हमको दःख मदया

परतयक बरहमाकमार-कमारी यही कहगा मक बाबा भल 10 ममनट क मलए ममल हो परनत बाबा न हमको मजतना पयार मदया उतना दमनया म हम मकसी स अनभमत नही हई व र पयार की परमतममता बरहमा बाबा जस अभी भी टीवी म सीररयल आत ह आप दखत होग मक असरो न वरदान ल मलए ह असर लमकन मफर भी माा स वरदान ल मलया वासतव म वह एक रप मदखाया गया ह और इनक ठीक मवपरीत एक दसरा रप राम वाली आतमा ह मजसम कमलयग क अत म परममपता परमातमा परवश करक lsquoशकरrsquo क नाम-रप स परखयात होत ह दखो जस इन कषण का नाम-रप परखयात हआ ह lsquoबरहमाrsquo वस उन राम का नाम-रप परखयात होता ह lsquoशकरrsquo इन दोनो ही शमियो की सहयोगी शमि दो आतमाएा भी ह कषण की सहयोगी शमि ह lsquoराधाrsquo और राम की सहयोगी शमि ह lsquoसीताrsquo इनक वतामान रप क नाम पड़त ह बरहमा की सहयोगी शमि lsquoसरसवतीrsquo और शकर की सहयोगी शमि lsquoपावातीrsquo य वतामान सवरप क नाम ह जब कमलयगी दमनया समापत होती ह नई सतयगी समि रची जाती ह तो चारो आतमाओ क सवभाव-ससकार का समममशरण होता ह अभी तो हर घर म सतरी-परर क ससकार आपस म टकरात ह कोई घर ऐसा नही होगा मजसम ससकार टकराए नही लमकन सबस पहल एक ऐसी भी दमनया परममपता परमातमा न बनाई री मक पहल-2 चार आतमाओ क ससकार ममलकर एक हो गए र व य आतमाएा ह जो समि क हीरो-हीरोइन ह और इन आतमाओ का समममशरण मवषण की भजाओ क रप म मदखाया गया ह कहत ह ना lsquoमर भया न शरीर छोड़ मदया मरी दामहनी भजा टट गईrsquo तो दामहनी भजा रोड़ ही टट गई बमकक जो सहयोगी शमि ह वह चली गई

इसी तरह परममपता परमातमा क काया म दो दामहनी भजा क रप म सहयोगी बनत ह बरहमा-सरसवती मान कषण और राधा य कड़ा-कठोर रप कभी नही अपनात पररवतान क मलए इनहोन हमशा पयार का काम मकया इसमलए इनको परममपता परमातमा न राइट हणड क रप म सवीकार मकया लमकन जब राइट हणड स काम नही मनकलता तो मफर उागली टढ़ी भी की जाती ह व दो रप ह शकर और पावाती आमद शमि चामडा का रप धारण करती ह और शकर परलयकर रप धारण करत ह वह राम (शकर) वाली आतमा सहयोमगनी शमि दवारा परलय मचाती ह शमि का रप धारण मकए बगर रावण कमभकरण मघनाद जस असर पररवतान नही हो सकत इन बराहमणो क अनदर जयादा स जयादा तादाद म ऐस आसरी ततव घस गए जो रावण कमभकरण मघनाद का पाटा बजात ह उनको सधारन क मलए जञान बाण मारन वाली राम की आतमा तयार होती ह बाण कोई दसर नही ह परममपता परमातमा न आकर राम क मख दवारा उनक मलए जो तीखी बात बोली ह उन बातो का अरा ही जञान बाणो का काम करती ह हमको तो व महावाकय पयार लगत ह लमकन उस तरह की जो आसरी बराहमण आतमाएा पररवार म घसी हई ह उनको व बाण लगत ह उनको घाव पदा कर दत ह तो इस तरीक स य जो लव और लॉ क दो रप ह उनम यह तीसरा रप समाया हआ ह जो बरहमा-सरसवती शकर और पावाती रपी चार आतमाओ का समममशरण ही lsquoमवषणrsquo

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कहा जाता ह बाकी ऐसा कोई वयमि ससार म कभी हआ नही ह जो चार भजाओ का रहा हो या 10 मसर का रावण रहा हो 10 मसर क रावण का मतलब ह मक दसो धमा ममल करक ससार म परजाततर राजय का ऐसा बकायद सगठन बनात ह मजसस सारी दमनया मवनाश क कगार पर खड़ी हो जाती ह बाकी परममपता परमातमा न तो आकर राजयोग मसखाकर कायदमसर दवी राजाओ का राजय सरापन मकया रा

परममपता परमातमा जो सकल खोलत ह सदगर कह जात ह तो ज़रर व ऐसी ईशवरीय यमनवमसाटी का वाइस चानसलर बनत होग जहाा व कोई माला रपी सगठन की बड़ी-2 पदमवयाा दकर जात हो दश-मवदश म जनम-जनमातर क जो राजाएा बन ह उन राजाओ को राजाई करन की मवदया उनहोन मसखाई री उसको lsquoराजयोगrsquo कहा जाता ह वह राजयोग परममपता परमातमा गीता जञान क दवारा अभी मसखा रह ह जनम-जनमातर का राजा बना रह ह लौमकक बाप जो होत ह व तो एक जनम की परामपत करात ह वसाा दत ह लमकन यह पारलौमकक बाप जब समि पर आत ह तो अपन आतमा रपी बचचो को अनक जनमो की राजाई दकर जात ह वह अनक जनमो की राजाई अभी दी जा रही ह ससार म अभी कछ ही वरो म ऐसी 108 शरषठ आतमाएा परतयकष होन वाली ह जो सार ससार म तहलकाखलबली मचाएागी और सार ससार की धमा सरता व राजय सरता दोनो की बागडोर अपन हार म ल लगी यही 108 शरषठ आतमाएा आज भी सभी धमो म माला क रप म समरण की जाती ह

जब सारी दमनया माया क पज म फा स जाती ह तब व जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आत ह माया का पजा कोई सतरी नही ह काम करोध लोभ मोह अहकार- य पााच मवकार मनषय क अनदर भर हए ह उन पााचो मवकारो म सारी दमनया जकड़ गई ह आज एक भी मनषय ऐसा नही ह जो इन पााचो मवकारो की जकड़ स बाहर हो जब सारी समि की ऐसी अतयमधक बदतर हालत हो जाती ह तब परममपता परमातमा मशव आत ह मजसकी यादगार म यह lsquoमहामशवरामतरrsquo मनाई जाती ह इस महामशवरामतर म जब परममपता परमातमा मशव आत ह तो दमनया म चारो तरफ अनक धमा फल हए होत ह उन धमो म धमा क नाम पर मवतडावाद जयादा ह जञान कछ भी नही ह जञान क नाम पर अजञान-ही-अजञान सनाया जाता ह और पस व मदखाव को जयादा महतव मदया जाता ह जो धमा की सरापना का काया ह धारणा की बात ह व न क बराबर होती ह तब जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आकर उस अजञान अधकार का मवचछदन करत ह इसमलए उसकी यादगार म भारतवरा म माघ मास को अधारामतर म महामशवरामतर मनाई जाती ह जब आम खरी मास होता ह समि का आम खरी टाइम होता ह कमलयग का अनत होना होता ह तब दमनया म अजञान अधकार चारो तरफ फला रहता ह जस शमिमान सीररयल म आता ह- lsquoअधरा कायम रहगाrsquo असर तो यही चाहत ह मक अधरा कायम रह दमनया अजञान म रह और हम अपना आसरी काम बनाएा तो य काम करोध लोभ मोह अहकार ह असर मजनका ममखया ह काम मवकार उस काम मवकार को परममपता परमातमा आकर सबस पहल शकर क चोल क दवारा भसम करात ह हमन समझ मलया मक काम मवकार कोई दवता का रप होगा उसको lsquoकामदवrsquo नाम द मदया लमकन वासतव म वह कोई अलग स दवता नही होता यह हमार अनदर की ही कपरवमरत कमज़ोरी व मवकमत ह जो उस शकर दव न पहल भसम कर दी भसम करन वालो म नमबरवार होत ह लमकन जो उसको सबस पहल भसम कर लता ह वह बात शकर क मलए मदखात ह उनका जञान का तीसरा नतर खला और काम मवकार भसम हो गया वह कोई बाहर का काम मवकार रोड़ ही रा यह तो अदर की चीज़ री जो उनहोन भसम कर दी नि कर दी जब ममखया भसम होगा तो बाकी य जो चार चोर-डकत ह व तो अपन आप ही भाग जाएाग

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वितर न 5 (विि और िकर)- यहाा मदखाया गया ह मक वासतव म मशव अलग स परममपता ह और शकर अलग आतमा ह गलती क कारण दोनो को ममलाकर एक कर मदया लमकन गलती भी नही ह वासतव म वह हमारी बसमझी हो गई यह बसमझी होन क कारण ही बरहमाकमार-कमाररयाा भी उस बसमझी म फा स हए ह कया बसमझी हो गई मक व सपरीम सोल मशव मनराकार जयोमतमबिद जब इस समि पर आत ह तो इस समि पर आकर मकसी जनसाधारण को ज़रर आप समान बनाएाग व पढ़ाई पढ़ाएाग टीचर का कोई तो सटडट ऐसा मनकलगा जो उनकी परी 100 परसट पढ़ाई को धारण कर ल तो व मनराकार जयोमतमबिद मशव आकर इस शकर क सवरप दवारा ससार म परतयकष होत ह और इस तरह दोनो का तादातमय हो जाता ह आप दखग कोई यह नही कहता ह मक मशव-बरहमा एक ह मशव क सार बरहमा का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार मवषण का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार शकर का ही नाम कयो जड़ता ह इसमलए जड़ता ह मक शकर मशव की याद म इतना तकलीन हो जात ह मक उनको अपन म समामहत कर लत ह अराात बाप समान बन जात ह तो वह समामहत करन की जो मसरमत ह वह lsquoमशव-शकर एक हrsquo- यह मसरमत ससार म परमसि होती ह वासतव म दोनो आतमाएा अलग-2 ह य सपरीम सोल मशव जनम-मरण क चकर म कभी आत ही नही इसमलए lsquoमशवमलगrsquo कहा जाता ह lsquoशकर मलगrsquo नही कहा जाता lsquoमशवरामतरrsquo कही जाती ह lsquoशकर रामतरrsquo नही कही जाती मशव ऐसी चीज़ ह जो मक पाप और पणय स हमशा पर ह और जो दहधारी ह व पाप-पणय क अदर फा सत ह

अब आप दमखए शकर धयान म बठ ह अगर य खद ही परममपता परमातमा का रप होत सपरीम सोल होत तो य मकसका धयान कर रह ह आप परान-2 ममदरो म जाइए आप दखग बीच म मखय सरान पर मशवमलग ह और आस-पास सभी दवताओ क सार शकर की भी ममता रखी हई होती ह इसस कया सामबत हआ मक और मजतन दवताएा ह उन 33 करोड़ दवताओ क बीच म शकर दव-दव महादव तो ज़रर ह लमकन व परममपता परमातमा नही ह व भी उनकी उपासना म सामन बठ हए ह मकसक सामन मशवमलग क सामन तो मनराकार की यादगार मलग रप मशव जयोमतमबिद सपरीम सोल ह और य शकर हीरो पाटाधारी इस समि-रपी रगमच क नायक ह जञानीजनो दवारा जयोमतमबिद मशव को मसफा याद मकया जा सकता ह और भमिमागा म उनका मकरार रर शकर ही मनराकारी सटज म मसरर हो जान कारण बड़ मलग रप म पजा जाता ह

वितर न 6 (पररवपतम पररमतरम सिावयमपी नही)- यहाा यह बताया गया ह मक ईशवर जब समि पर आएाग तो जञान का कोई-न-कोई ऐसा नया पवाइट ज़रर बताएाग मजसम सारी दमनया भरममत हई पड़ी हो ऐसी नई बात ज़रर सनाएाग मजस सारी दमनया न जानती हो बमकक मवपरीत बात ही जानती हो वह बात यह ह मक जब दमनया म चारो तरफ भगवान को ढाढ़ा और कही नही ममला तो लोगो न उनक मलए कहना शर कर मदया- lsquoव तो सवावयापी ह जर-2 म भगवान ह कण-2 म भगवान ह जहाा दखो वहाा भगवान हrsquo लमकन वासतव म गीता का एक शलोक ही इस बात क मलए काफी ह मक lsquolsquoतद धाम परम ममrsquorsquo (कपया गीता का शलोक 156 दमखए) अराात म वहाा परमधाम का रहन वाला ह ा दमनया का सबस शरषठ गरनर गीता ह मजसकी सबस जयादा टीकाएा हई ह उसक एक शलोक म यह बात सामबत हो गई ह गीता म ही एक शबद आया ह lsquoमवभrsquo इस शबद का उनहोन इतना बड़ा अरा कर मदया मक ससार म चारो तरफ यही बात फली हई ह मक व सवावयापक ह वासतव म मवभ का अरा यह ह मक व मवशर रप स हर मनषय आतमा की

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बमि म lsquoभrsquo माना याद क रप म अपना सरान बना लत ह उसका उकटा अरा लगाकर उनहोन परममपता परमातमा को सवावयापी कह मदया

यहाा बात समझाई गई ह मक परममपता परमातमा वासतव म समि पर सवावयापी नही ह गीता और रामायण भी इस बात क परमाण ह गीता व रामायण म मलखा ह मक lsquolsquoजब-जब इस समि पर अधमा का बोलबाला होता ह तब-तब म आता ह ाrsquorsquo lsquoआता ह ाrsquo स सामबत ही हो गया मक व नही र तब तो आए नही तो उनको आन की कया दरकार री दसरी बात अभी-2 आपको गीता का जो शलोक बताया वह पकका सामबत कर रहा ह मक परममपता परमातमा का धाम नाम काम ऊा च त ऊा चा ह मजसका गायन भी ह- lsquoऊा चा तरा धाम ऊा चा तरा नाम

ऊा चा तरा कामrsquo धाम काम नाम- तीनो ही जब ऊा चा ह तो व ऊा चा ही बठग या नीच बठग इस दमनया का भी जो राजा होता ह वह भी ऊा ची गददी पर बठता ह तो हमन परममपता परमातमा को कण-2 म कयो ममला मदया

यहाा मचतर म मदखाया गया ह मक ऋमर ममन सनयासी भाव मवभोर होत ह तो खड़ताल बजाकर कहत ह- lsquoह परभ हम दशान दोrsquo परत जब परवचन करत ह तो कहत ह- lsquoपरमातमा सवावयापी ह आतमा सो परमातमा मशवोऽहम हम परमातमा क रप ह हम ही भगवान हrsquo तो यह बात तका सगत सामबत नही होती एक बात पर पकका रहना चामहए यह कया बात हई कीतान करन लग तो परभजी हम दशान दो अब दशान कहाा स द तमहार अदर जब खद ही भगवान बठ हए ह तम खद ही भगवान क रप हो यहाा यह मदखाया गया ह मक जो परवचन सनन वाल ह व मजस समय गरजी महाराज का परवचन सनत ह तब तो भाव मवभोर होकर कहत ह- lsquoहाा परमातमा सवावयापी ह बहत अचछा जञान सनायाrsquo घर म पहाचत ही भाई भाई की हतया करन लग अब उनह भाई-2 क अदर भगवान नही मदखाई मदए यह मवरोधाभास एकदम इतना कस पदा हो गया

वासतव म सबक अदर अपनी-2 मभनन ससकारो वाली आतमा होती ह परममपता परमातमा उन सबस सवारा अलग ह अपनी भारतीय परमपरा म शकराचाया की मरोलोजी अलग ह और माधवाचाया की मरोलोजी अलग ह माधवाचाया की गीता म बताया गया ह मक lsquoआतमा सब अलग-2 ह और परमातमा उनस अलगrsquo जबमक शकराचाया की गीता म बताया गया ह- lsquoसवि खल इद बरहमrsquo अराात इस दमनया म जो कछ भी दखन म आ रहा ह व सब भगवान का रप ह माधवाचाया न बताया मक lsquoहर आतमा म अलग-2 ससकार हrsquo य आतमाएा गभा म जब शरीर धारण करगी तो य अपना अलग-2 पाटा ही बजाएागी इनका पाटा दसरी आतमा स ममल नही सकता हम हमशा शासतरो म यह ममसाल दत आए ह मक हम सब आतमाएा सागर म बदबदा ह बदबद सब सागर म समा जात ह मान हम उस सागर का अश ह यही कहा ना लमकन हम एक बात भल गए अगर हम बदबद ह हम सागर का अश ह तो सागर म स जो चकल भर पानी हमन ल मलया उसम जो खारपन का गण होगा वही सागर क पानी म भी होना चामहए ना यह पानी हमन पनः उसम ममला मदया दोनो का गण अभी भी एक ही ह लमकन हम सबक अदर य अलग-2 ससकार कस ह यह अलगाव कहाा स आ गया और जनम-जनमातर स यह अलगाव चलता चला आ रहा ह दसरी बात इसका एक और पररहारमनवारण ह- आपन कभी चाहा ह मक हमारी आतमा का जो अमसततव ह वह हमशा क मलए खतम हो जाए कोई चाहता ह अगर हमारी आतमा उस सपरीम सोल मशव म जाकर लीन हो जाए सागर म चकल भर पानी ममला मदया गया तो उसका अमसततव हमशा क मलए खतम हो जाएगा मफर शासतरो म यह बात कहाा स आई- lsquolsquoककप-2 लमग परभ अवतारा जब-2 तरतायग होता ह तब-2 राम का अवतार होता हrsquorsquo

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अजर-अमर तो सभी आतमाएा ह वह बात तो ठीक ह वह एक अलग बात उनका अमसततव उनका ससकार सब अलग-2 ह लमकन हर आतमा का अनक जनमो का जो पाटा ह वह उस जयोमतमबानद रपी आतमा क टप ररकॉडार म भरा हआ ह इस समि-रपी रगमच पर जब कोई भी आतमा उतरगी तो सतयग क आमद स लकर कमलयग क अत तक वह उतन ही जनम लगी मजतना पहल चतयागी म मलया रा अगर राम की आतमा होगी तो हर तरतायग म राम क रप म ही जनम लगी lsquoह कषण नारायणrsquo की आतमा होगी तो वह हर सतयग क आमद म नारायण क रप म ही राजय करगी इस तरह हर जनम म आतमा का शरीर रपी चोला बदलन का पाटा मनमित ह हर 5000 वरा क बाद वह जयो का तयो पनरावतान होता ह

हर आतमा सो परमातमा नही ह सपरीम सोल मशव हमशा अलग ह अगर व भी जनम-मरण क चकर म आन लग तो हमको छड़ान वाला कोई भी नही रहगा उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही की जा सकती कोई आतमा हीरो-हीरोइन पाटाधारी बन सकती ह मवलन व साधारण आतमा का पाटा बजा सकती ह लमकन सपरीम सोल मशव जसा पाटा मकसी का नही ह उनका तो तररया पाटा ह व बार-2 इस समि पर आत भी नही जसा शासतर म मलख मदया ह- lsquoसमभवामम यग-यगrsquo अराात म हर यग म आता ह ा अर हर यग म आत तो दवापर क अत म जब महाभारत यि कराया कषण क रप म परममपता परमातमा आए तो कया पापी कमलयग की सरापना करन क मलए आए र उनको हर यग म आन की कया ज़ररत ह साधारण बाप होता ह वह भी बचचो क मलए मकान तब तयार करता ह जब मकान पराना हो जाता ह उस परान मकान स काम नही चलता जब तक काम चल सकता ह तब तक मरममत कराता रहता ह इस समि-रपी मकान की भी यही हालत ह इबराहीम बि कराइसट गरनानक आमद य धमामपताएा आकर समि की जगह-2 मरममत करत रह मकसी न अरब दश म आकर मरममत की मकसी न यरोपीय दशो म की मकसी न चीन-जापान म की नया मकान तो मकसी न नही बनाया नई समि तो नही बनाई यह मरममत मकतन मदन चलगी कछ समय तक उन धमो का परभाव रहता ह मफर वह खलास आखरीन तो मफर भी उसी सपरीम सोल मशव बाप को जो धमामपताओ क भी बाप ह बापो क भी बाप ह इस समि पर उतरना ही पड़ता ह व आकर इस समि का आमल-चल पररवतान कर दत ह तो व सवावयापी नही ह व तो इस समि पर मकरार रप स हीरो पाटाधारी म परवश करक पाटा बजात ह

आपन lsquoजीज़सrsquo वा lsquoकराइसटrsquo का नाम सना आमखर य दो नाम कयो मकरमियनस लोग मानत ह मक वह वयमि

जो पहल खयामतपरापत नही रा उसका नाम lsquoजीज़सrsquo रा मफर जब खयामतपरापत हो गया तब उसका नाम lsquoकराइसटrsquo पड़ गया इसका रहसय कोई नही जानता यह रहसय परममपता परमातमा मशव आकर बता रह ह मक कोई भी नई आतमा ऊपर स उतरती ह तो मजसम भी परवश करती ह उसका नाम बदल दती ह जस पहल lsquoनरनदरrsquo नाम रा बाद म lsquoमववकाननदrsquo नाम पड़ गया आचाया रजनीश का भी ऐस ही हआ ह पहल यह एक साधारण लकचरर र जब आतमा न परवश मकया तो lsquoआचाया रजनीशrsquo नाम पड़ गया तो हर आतमा जो ऊपर स नीच उतरती ह वह मजसम परवश करती ह उसको कनवटा करक अपन धमा म खीच ल जाती ह और वह आधारमता मजसम परवश मकया वह भारत की ही सनातन धमा की आतमा होती ह ऐस ही दसर-2 धमो म कनवशान या पररवतान हआ भारतवामसयो स ही कनवटा होकर दसर-2 धमा पनप ह और वमि को पाए ह कहन का मतलब यह हआ मक उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही हो सकती हम आतमाओ क मकाबल व हमशा तरीया ह व तो सख भी नही भोगत तो दःख भी नही भोगत व सख-दःख स हमशा ही पर रहन वाल ह हाा यह बात ज़रर ह मक जब व इस समि पर आकर राजयोग मसखात ह तो ऐसी पढ़ाई पढ़ात

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ह मक हम आतमाएा नवार पररारा अनसार इस सटज को परापत कर मक इस समि पर रहत हए भी दःख-सख म रहत हए भी अपनी ऐसी अवसरा बना ल मक दःख क समय हम दःखी न हो और सख क समय हम बहत जयादा परसनन न हो मजसका नाम गीता म lsquoमसरतपरजञrsquo मदया गया ह लमकन हमारी वह अवसरा हमशा क मलए नही रहगी परनत उस मशव की हमशा क मलए रहगी वह सपरीम सोल ह तो मफर आतमा-परमातमा एक कहाा हए

परमातमा सवावयापी कहाा हए सपरीम सोल मशव तो हमशा अलग ही हए

मशव की तलना ऊा च त ऊा च मतरदवो स भी नही की जा सकती इन मतरदवो की यादगार म lsquolsquoझणडा ऊा चा रह हमारा मवजयी मवशव मतरगा पयारा मवशव मवजय करक मदखलावrsquorsquo- यह बोलत तो ह लमकन यह नही जानत ह मक व तीन शरीर रपी वसतर कौन-स ह मजन वसतरो न सार मवशव म तहलकाखलबली मचाई री सार मवशव म मवजय करक मदखलाई री वासतव म व शरीर रपी वसतर lsquoबरहमा मवषण शकरrsquo- य तीन ही ह उनक सकतक रग भी वस ही मदखाए गए ह ऊपर वाला कसररया रग ह शकर- करामत का सचक बीच वाला सफद वसतर सतवगणी मवषण का सचक ह नीच वाला हरा वसतर बरहमा का सचक ह जस गााधीजी कहत रह- lsquoरामराजय आएगा रामराजय आएगाrsquo

बमकक और ही रावण राजय आ गया ऐस ही बरहमा बाबा हमशा मचकलात रह- lsquoरामराजय लाएाग सवगा आएगा

वकणठ आएगा और सवगा आन ही वाला हrsquo अब उस सवगा की जगह बरहमाकमारी आशरमो म रौरव नका बन रहा ह

इसमलए बरहमा की ममतायाा ममदर व पजा नही होती कयोमक तराकमरत बरहमाकमार-कमाररयो न ही बरहमा की दाढ़ी की लाज नही रखी जबमक शकर और मवषण क ममदर और ममतायाा बनाकर आज सार भारतवरा म पजा की जा रही ह

वितर न 7 (सहज रमजयोग)- ससार म अनक परकार क योग परमसि ह जस- भमियोग कमायोग जञानयोग हठयोग राजयोग आमद मकत योग क इन सभी परकारो म सहज राजयोग शरषठामतशरषठ ह योग का अरा ह- समबध या ममलन आजकल योग का तातपया योगासन या हठयोग समझ मलया जाता ह मकनत योगासन स शारीररक सवासथय और कछ सीमा तक मानमसक सवासथय ममल सकता ह लमकन समपणा सख-शामत की परामपत तो कवल राजयोग दवारा ही हो सकती ह

lsquoराजयोगrsquo का अरा ह राजाओ का राजा बनान वाला योग या रहसय भरा योग मनषयातमाएा कई जनमो स दह-अमभमान क दलदल म फा सकर मवनाशी दहधाररयो स योग लगाती आई ह मकत जस तााब वाल दो तारो को जोड़न स उसम मबजली परवामहत होती ह परत रबड़ चढ़ हए तााब क तारो स मबजली का करट नही लगता उसी परकार दह-अमभमानी दहधाररयो स समबध रखन पर अमवनाशी सख-शामत की परामपत नही हो सकती परममपता परमातमा मशव तो इस योग भी नही अमपत सरल शबद म lsquoयादrsquo कहत ह याद करना एक सवाभामवक सरल एव मनरतर परमकरया ह जबमक योग स मकसी मवशर परयास का बोध होता ह जस परममपता परमातमा शरीर म रहत हए भी उसक भान स नयार ह अराात मवदही रहत ह उसी परकार हम भी सवय को अमवनाशी आतमा (न मक परकमत क 5 ततवो स बना दह) समझकर परजामपता बरहमा क दवारा परममपता परमातमा को याद करना ह हमारी दमि म मशव रहना चामहए मातर शव अराात दह नही अतः भगवान को न तो मसफा साकार रप म न तो मसफा मनराकार रप म बमकक भलीभाामत पहचानकर साकार शरीर म परमवि मनराकार को याद करना ह यही ह सचचा राजयोग

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मन वचन एव कमा की पमवतरता परममपता परमातमा स सचचा सनह मदवय गणो की धारणा ईशवरीय जञान शि अनन तरा सचच बराहमणो का सग करन पर आतमा दह-अमभमान दवारा उतपनन पााच मवकारो अराात काम करोध लोभ मोह

अहकार स ममि पाकर अपन मल सवरप अराात सवागण समपनन सवरप म मसरत हो सकती ह परभ को याद करन क मलए अमतवला या बरहममह ता का समय सबस शरषठ ह कयोमक उस समय वातावरण शात तरा शि रहता ह और मन भी जागरत एव परशात होता ह राजयोग क मनतय अभयास स आतमा म पमवतरता शामत धया मनभायता नमरता-जस गणो की धारणा होती ह सार ही आतमा को वयरा मवचारो क फलाव को समटन की शमि सहनशमि समान की शमि अचछ-बर को परखन की शमि सही मनणाय लन की शमि समसयाओ का सामना करन की शमि मवमभनन ससकार वाल मनषयो क सार सहयोग करन की शमि तरा मवसतार को सकीणा करन की शमि आमद आतमा की अि शमियाा परापत होती ह

राजयोग क मनरतर एव दढ़ अभयास स आतमा अपन आमद मधय एव अत की कहानी को तरा इस मवशव म अपन अमदवतीय अनक जनमो क पाटा को जान सकती ह और अपन घर बठ मवशव की आतमाओ को भी शामत एव सख का दान द सकती ह इस परकार हम सव-पररवतान क सार-2 मवशव-पररवतान भी कर सकत ह

बरहमाकमारी मवदयालय (बरमव) और आधयामतमक मवदयालय (आमव) की मशकषाओ म अतर-

बरहमाकमारी मवदयालय शासतरो को मानयता नही दता ह आधयामतमक मवदयालय ईशवरीय वाणी क आधार पर शासतरो को मानयता दता ह

बरमव कषण उफा बरहमा को ही एकमातर गीता का साकार भगवान मानता ह जबमक मख स कहता ह मक कषण गीता क भगवान नही ह

आमव मनराकारी सटज वाल साकार मशव-शकर को परमकटकल म गीता का भगवान मानता ह कषण उफा बरहमा क साकार रप दादा लखराज को गीता का भगवान नही मानता बरमव बरहमा-मवषण-शकर क साकार मचतर तो छपाता ह परत मसफा बरहमा क परमकटकल साकार रप को ही मानयता दता ह मवषण और शकर को इस दमनया स ही उड़ा दता ह जबमक शासतरो व दमनया म भी बरहमा क ममदर ममतायाा और पजा नही मदखाई ह बरहमाकमारी मवदयालय मशव-शकर को तो अलग-2 कहता ह लमकन यह नही बताता मक शासतरो म मशव-शकर को कयो ममला मदया मशव को बरहमा मवषण अरवा अनयानय 33 करोड़ दवताओ क सार कयो नही ममलाया और शकर को ही महादव कयो कहा ह

आमव म उपरोि परशनो का सटीक जवाब ह और तीनो दवताओ क साकार परमकटकल पाटा की सपिता भी ह

बरमव मसफा बरहमा (बरहम+माा) बड़ी माा को ही भगवान का साकार रप मानता ह और अपन को मसफा बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

आमव माा और बाप (परजामपता+बरहमा = एडम और ईव) दोनो को साकार रप म मानता ह और अपन को परजामपता बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

बरमव जञान-योग का मवजञापन करता ह जस- परोजकटर परदशानी पमबलक भारण कॉनर स मल सममलन ररयातरा

मनषयकत सामहतय आमद

आमव मकसी परकार क मवजञापन म मवशवास नही करता

बरमव मसफा मतय क बाद ही ममि-जीवनममि रपी ईशवरीय वस को जीवन का लकषय मानता ह

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आमव जीवन रहत ही लोक और परलोक सावारन का पररारा कराता ह अराात इसी जनम म नर स नारायण और नारी स लकषमी बनान का परम परमसि गीता वमणात उपदश दता ह

बरमव महल मामड़याा अटाररयाा बनाकर 36 परकार क भोग खान म और मसफा झकाझक शवत वसतर पहनन म अपन को शरषठ मानकर चलता ह आमव रहन सहन खान पान पहनाव म सादगी को ही शरषठ मानकर चलता ह बरमव म चदा माागकर वयमिगत वभव और मान-शान बढ़ाना आम बात ह

आमव मकसी परकार क चदा आमद lsquoमाागन स मरना भलाrsquo समझता ह

बरमव मसफा कहता ह मक हम एक धमा एक राजय एक कल एक मत की सरापना करग परत चलन म परा ही मवरोधाभास दखन म आता ह आमव क सदसय परमकटकल म आए हए एकमातर ईशवर की ही शरषठ मत को मानत हए ईशवरीय धारणाओ कायद

कानन को मानन क सार-2 नमबरवार अपन-2 पररारा अनसार चलन का परयास भी करत ह

सममपात बरक परायः सनयामसयो की तरह मठ-पर बनाकर जीवन चलाती ह

आमव क सममपात या गर सममपात सभी सदसय गहसरी जीवन यापन करत ह कयोमक गीता क भगवान सवय बहद क गहसर म रहत हए गहसरी पाणडवो को ही राजयोग मसखात ह सनयामसयो (भीषम दरोणाचाया कपाचाया) को नही

भविषयिमणी

(यहाा उन लोगो की भमवषयवामणयो का वणान मकया गया ह मजनकी भमवषयवामणयाा आज तक सही सामबत हई) -

कमकक पराण - सवततरता क बाद भारत म एक ऐस महापरर का उदय होगा जो वजञामनको का भी वजञामनक होगा वह आतमा और परमातमा क रहसय को परगट करगा आतमजञान उसकी दन होगी उसकी वश-भरा साधारण होगी उसका सवासथय बालको जसा योिाओ की तरह साहसी अमशवनी कमारो की तरह वीर यवा व सनदर शासतरो का परकाणड पमणडत व मानवतावादी होगा उसका मपता ही उस योग साधना की ओर परररत करगा 24 वरा की आय म वह योग की उचच भममका म परवश करगा एणडरसन(अमररका) - अरब राषरो समहत ममसलम बहल राजयो म आपसी करामतयाा और भीरण रिपात होग इस बीच भारतवरा म जनम महापरर का परभाव व परमतषठा बढ़गी यह वयमि इमतहास का सवाशरषठ मसीहा होगा वह एक मानवीय समवधान का मनमााण करगा मजसस सार ससार की एक भारा एक सघीय राजय एक सवोचच नयायपामलका एक झणड की रप-रखा होगी

गरराडा कराईस(हॉलड) - भारत दश म एक ऐस महापरर का जनम हआ ह जो मवशव ककयाण की योजनाएा बनाएगा जलबणा - ससार क सबस समरा वयमि का अवतरण हो चका ह वह सारी दमनया को बदल दगा उसकी आधयामतमक करामत सार मवशव म छा जाएगी एक ओर सघरा होग दसरी ओर एक नई धाममाक करामत उठ खड़ी होगी जो आतमा और परमातमा क नए-2 रहसय को परगट करगी वह महापरर 1962 स पवा जनम ल चका ह उसक अनयायी एक समरा ससरा क रप म परगट होग और धीर-2 सार मवशव म अपना परभाव जमा लग असभव मदखन वाल काया को भी व लोग उस महापरर की कपा स बड़ी सरलता स सपनन करग

परोफसर कीरो - भारत का अभयदय एक सवोचच शमि क रप म हो जाएगा पर उसक मलए उस बहत कठोर सघरा करन पड़ग दखन म यह मसरमत अतयत किदायक होगी पर इस दश म एक फररशता आएगा जो हज़ारो छोट-2

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लोगो को इकटठा करक उनम इतनी आधयामतमक शमि भर दगा मक व लोग बड़-2 बमिजीमवयो की मानयता ममथया मसि कर दग गोपीनार शासतरी - अवतारी महापरर दवारा जबरदसत वचाररक करामत होगी मजसक फलसवरप मशकषण पिमत बदल जाएगी और ऐसी मशकषा का अमवषकार होगा जो वयमि को जीवन जीन की कला परदान करगी जबमक वतामान मशकषा परणाली कवल पट भरन तक ही सीममत ह कमरत आतमजञानहीन बमिजीमवयो स लोगो की घणा होगी और भगभा मवदया रसायन शासतर यतर मवदया खमनज धात चमबक मवदया आमद क नए कषतर की और मवजञान का मवसतार होगा मजसका नततव भारतवरा का एक ऐसा धाममाक सगठन करगा मजसका मागादशाक सवय भगवान होगा धाममाक आशरम जन जागमत क कनदर बनकर काया करग बमप क ितारमन समकमर पमटा क परवत परफ एि पररमणः-

बाप कहाा आत ह- यह भी नही जानत ह जब खद आकर बताव तब पता पड़ कहाा मलखा भी ह मक परमातमा मगधदश म आता ह(मता16876)

शासतरो म मगध दश मलखा ह परनत नॉलज कहाा मसखाई आब म कस आए मदलवाड़ा ममदर भी यहाा परा यादगार ह मजनहोन भी बनाया उनहो की बमि म आया और बठकर बनवाया एकयरट मॉडल तो बना न सक बाप यहाा ही आकर सवा की सदगमत करत ह मगध दश म नही (मता5989 प3 मधय) ऐस बहत बचच ह बाप को परा पहचानत नही ह बाप का अदब(सममान) नही रखत कयोमक बाप कहत ह म साधारण रप म आता ह ा म जो ह ा जसा ह ा मवरला कोई उस रहाब स चलत ह यहाा तो बहत साधारण ह ना ह मकतनी बड़ी असामी आग चल वह भी पहचानग ऐस बाबा को हमन फारकती द दी तकदीर को लकीर लगा दी यह पीछ होगा अभी तो बहत साधारण ह रर ह गपत गपत होन कारण परा पहचान नही सकत ह परा पहचान ल तो कह- बाबा आपक मसवाए दमनया म ह ही कया कोई सदगमत कर न सक (मता151175 प1 आमअ)

यादव और कौरव पास मकतन महल ह तम बचचो को कछ भी नही तीन पर पथवी क भी तमहार नही सब उनहो का ह यह भी गाया हआ ह- मजनको तीन पर पथवी क भी नही ममलत र उनहो की मवजय हई और वह मवशव क मामलक बन गए पाणडव शमिसना गपत ह शासतरो म भी मदखात ह जआ खलत पाणडवो का राजय रा मफर जआ म हराया (म10678 प1 म) भगवान खद कहत ह मझ गाली खानी पड़ती ह सबस जासती गाली म ही खाता ह ा भमिमागा म भी गाली ही दत ह 3 पर पथवी क भी नही ममलत ह मफर भी मकतनी मनरहकारीपन स पाटा बजा रह ह (म6387 प3 अत) बहद का बाप पढ़ात ह परनत बाप ह साधारण तन म पढ़ात भी साधारण रीमत ह इसमलए मनषयो को जाचता नही ह- गॉड फादरली यमनवमसाटी मफर ऐसी होगी बाप कहत ह म ह ा गरीब मनवाज़ गरीबो को ही पढ़ाता ह ा साह कार को ताकत नही पढ़न की उनहो की बमि म तो महल-माड़ी ही होती ह (मता23489 प1 अत) भगवान एक ह उनको ही मात-मपता कहत ह वह आकर एडॉपट करत ह मकतनी गहय बात ह यह नया सकल ह नया पढ़ान वाला ह (मता251088 प3 आ)

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यह नॉलज ह यह ह नई बात नई दमनया क मलए भगवानवाच ह ना भगवान भी नया वाचय भी ह नई वह कहत ह कषण भगवानवाच तम कहत हो मशव भगवानवाच हरक की वाच अपनी-2 ह एक न ममल दसर स (मता15668 प3 आ)

किर वितर न 1 (वतररवता)-

lsquoमशवrsquo का अरा ह- lsquoककयाणकारीrsquo परममपता परमातमा का यह नाम इसमलए ह मक समि-चकर क अत म जब मनषयातमाएा तरा परकमत पमतत एव तमोपरधान बन जाती ह तो परमधाम मनवासी परममपता परमातमा मशव जयोमतमबानद मनषय शरीर का आधार लकर मनषयातमाओ और परकमत दोनो को पावन एव सतोपरधान बनात ह उनक इस कतावय की यादगार म ही मशवरामतर अराात परममपता क शबदो म मशवजयती का तयौहार मनाया जाता ह सपरीम सोल मशव मकसी परर क बीज स या माता क गभा स जनम नही लत व परजामपता दवारा मनषय-समि-रपी वकष क चतनय बीज ह और जनम-मरण तरा कमाबधन रमहत ह अतः व अपना कतावय करन क मलए मकसी साधारण वि मनषय क तन म मदवय परवश करत ह इस ही lsquoपरममपता परमातमा का मदवय अवतरणrsquo कहा जाता ह कयोमक उनका अपना शरीर नही होता ह उनका मदवय कतावय तीन चरणो म समपनन होता ह- सरापना मवनाश और पालना इन तीन कतावयो क मलए व अवयि मसरमत धारण करन वाली तीन साकार दवातमाओ का आधार लत ह व दवातमाएा ह- बरहमा शकर तरा मवषण मनषय-समि-रपी रगमच पर उनक मदवय अवतरण क बाद कौन-सी तीन आतमाएा बरहमा शकर एव मवषण क पातरो का अमभनय करती ह यह जानन क मलए हम सन 1936-37 म परममपता परमातमा क अवतरण स लकर अब तक की घटनाओ को जानना ज़ररी ह

परममपता परमातमा का यह काया सन 193637 म पामकसतान क मसध हदराबाद शहर स परारमभ हआ जब उनहोन दादा लखराज नामक एक मवखयात हीरो क वयापारी को मवषण चतभाज नका की परानी दमनया क मवनाश और सवगा की नई दमनया की सरापना का साकषातकार कराया मकनत व उन मदवय साकषातकारो का अरा समझ न पाए उनहोन अपन गरओ स इसका अरा पछा मकनत भगवान की लीला व दहधारी गर लोग कया समझ मफर व (दादा लखराज) वाराणसी क परकाणड पमणडतो स इसका समाधान पान क मलए गए मकत उनह वहाा भी मनराशा ही हार लगी वहाा भी उनह साकषातकार होत रह मजसकी तसवीर व गगा क घाटो पर बनी दीवारो पर बनात रहत र जब कोई भी उनकी समसया का समाधान न कर सका तो उनह कलकरता म रहन वाल अपन भागीदार (सवकराम) की याद आई उस भागीदार की मनषठा व ईमानदारी स परभामवत होकर ही उनहोन उस अपनी कलकरता मसरत हीरो की दकान की मज़ममवारी सौपी री

अतः दादा लखराज कलकरता गए मकत सीध उस भागीदार को अपन साकषातकारो का वणान करन क बजाय उनहोन अपनी नज़दीकी सबध की माता (अराात छोटी माता) को सनाया और उस माता न दसरी माता को सनाया जो बोलन सनन सनान म मसिहसत री बाद म जब सनन-सनान म मसिहसत माता न परजामपता (भागीदार) को सनाया उसी समय जयोमतमबद परममपता परमातमा मशव न उसी माता और परजामपता (भागीदार) म सार-ही-सार परवश कर मलया और इस परकार उस मसिहसत माता दवारा साकषातकारो का वणान सनन-सनान की परमकरया दवारा lsquoभमिमागाrsquo की तरा भागीदार दवारा जञान समझन-समझान की परमकरया दवारा lsquoजञानमागाrsquo की नीव पड़ गई

इस परकार चामक परममपता मशव न सवापररम उन दोनो माताओ क समकष भागीदार म परवश कर मवशव पररवतान का काया आरमभ मकया इसमलए व मशव जयोमतमबानद ही भमवषय म बरहमा शकर और मवषण- इन मतरदवो दवारा ससार म मतरममता मशव क नाम स परमसि होत ह

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 3: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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ह कोई तो होगी अचछ-बर पाटाधारी तो होत ही ह तो इस समि-रपी रगमच पर कोई तो सबस जयादा शरषठ पाटा बजान वाल होग उनको अगरजो म कहा जाता ह- lsquoएडम और ईवrsquo मसलमानो म कहा जाता ह lsquoआदम और हववाrsquo और महनदओ म कहा जाता ह lsquolsquoतवमामददवः पररः पराणः तवमसय मवशवसय पर मनधानमrsquorsquo(गीता 1138) व समि क आमद ह उनकी शरआत मकसी न नही बताई मक व आमदशमि और आमददव कब स ह उनको जनम दन वाला कौन ह मकसी को पता ही नही ह महनद परमपरा म उनको शकर-पावाती और जमनयो म lsquoआमदनार और आमदनामरनीrsquo कहा जाता ह दमखए आप शबदो म मकतना सामय ह पहल दमनया म एक ही धमा रा और एकता री वह एकता तभी आ सकती ह lsquoवसधव कटमबकमrsquo की असली भावना तभी हो सकती ह जबमक सारी दमनया एक ही यगल को अपना मात-मपता मान ल तो व परममपता परमातमा मशव आत ह आ करक इस समि रपी रगमच की हीरो-हीरोइन पाटाधारी आतमाओ (राम-कषण) को उठात ह व 84 क चकर क आमखरी जनम म राम-कषण क रप म नही होत कयोमक 16 कला सपणा कषणनारायण का राजय तो सतयग म रा राम का राजय तरता म रा वही आतमाएा जनम-मरण क चकर म नीच उतरत-2 हमार-आपक रप म कही-न-कही नर रपो म होती ह उन नर रपो म परममपता परमातमा मशव परवश करत ह जस गीता म एक शबद आया ह- lsquoपरविमrsquo(गीता 1154) म परवश करन योनय ह ा कौन व सपरीम सोल मशव जो जनम-मरण क चकर स नयार ह व परवश करक कषण उफा दादा लखराज क दवारा पहल माा का पाटा बजात ह मजसका नाम अपनी भारतीय परमपरा म रखा जाता ह lsquoबरहमाrsquo lsquoबरहrsquo मान बड़ी और lsquoमााrsquo मान माा दमनया म सबस जासती सहन करन वाली माा होती ह परममपता परमातमा भी इस समि पर आकर पहल माा का पाटा परतयकष बजात ह मजसक मलए अपनी भारतीय परमपरा म उनकी ममहमा क गीत गाए ह- lsquolsquoतवमव माता च मपता तवमवrsquorsquo व इतना पयार दत ह इतना पयार दत ह मक जो असर ह व उनस वरदान लन क आदी हो जात ह माा का सवभाव ऐसा होता ह मक कोढ़ी काना कबजा चोर डकत लचचा लफगा बचचा होगा उसको भी अपनी गोद स अलग नही करना चाहगी बाप कहगा- lsquoहट मनकल बाहरrsquo लमकन माा गोद स अलग नही करगी ऐस ही बरहमा का पाटा इस समि पर पहल ह

परममपता परमातमा मशव बरहमा म परवश करक जो वाणी चलात ह उस वाणी का नाम पड़ता ह lsquoमरलीrsquo मरली नाम कयो पड़ा आप और हम जानत ह मक कषण क हार म मरली मदखाई जाती ह तो हमन समझ मलया मक कोई बाास की मरली होगी लमकन यह तो परतीकातमक लाकषमणक और आलकाररक कमवयो की भारा ह जो उनहोन भागवत और महाभारत म मलखी हई ह उसका वासतमवक अरा यह ह मक परममपता परमातमा बरहमा क मख स मान बचचा बमि कषण की सोल क दवारा पहल-2 इस समि पर आकर कमलयग-अत म जो पयार दत ह मीठी वाणी सनात ह वह वाणी इतनी अचछी लगती ह मक जब लोगो को समझ म आ जाती ह मक यह बात कया ह तो उसस जयादा बढ़कर मीठी और सरीली तान सारी दमनयाा म और मकसी की नही लगती इसमलए उसका नाम रखा गया lsquoमधर गीताrsquo गीता अरवा सवाशरषठ गरर जो भारत का सवोपरर गरर ह lsquoसवाशासतर मशरोममण गीताrsquo उसको मरली कहा जाता ह तो परममपता परमातमा आकर बरहमा क तन स काठ की मरली दवारा यह जञान सनात ह माा क रप म व बराहमणो को जनम दत ह शासतरो म मलखा हआ ह मक बरहमा क मख स बराहमण मनकल तो हम समझत ह मक कोई ऐसी कलाकारी माह म होगी जो उनहोन माह स lsquoहआrsquo मकया और बराहमण मनकल पड़ लमकन ऐसा कछ नही होता यही परानी कमलयगी समि होती ह इसी परानी समि म परममपता परमातमा आकर बरहमा क तन म परवश करक बचचा बमि मनषयो दवारा समझन योनय बमसक जञान सनात ह उस जञान को सनकर जो अपन

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जीवन को बनात ह सधारत ह उनही म बराहमणो क ससकार आ जात ह इस परकार बराहमणो की जो बरहमा मख स उतपमरत होती ह उनको lsquoबरहमाकमार या बरहमाकमारीrsquo कहा जाता ह यह नई समि की शरआत की बात ह जो अभी 5000 वरा बाद मफर स पनरावतान हो रही ह

माउट आब स इस काया की शरआत हई मशव गपत रप म आत ह जस गीता म कहा ह- lsquolsquoसाधारण तन म आए हए मझ परममपता परमातमा को दादा लखराज बरहमा जस मढ़ममत लोग पहचान नही पातrsquorsquo तो आपको जो बरहमा का रप मदखाया यह वयमितव परमकटकल म हो चका ह माउट आब म इनक दवारा परममपता परमातमा मशव न नीची कररयो क बराहमणो की सरापना कराई री इनका वासतमवक नाम दादा लखराज ही रा मसध हदराबाद क रहन वाल य मसधी बराहमण र मजनक दवारा यह काया समपनन हआ अभी तो दश-मवदश म ढर सार बरहमाकमारी आशरम खल हए ह 70-75 साल क अदर इतनी ज़बरदसत सरापना करना सामानय आतमा क बस की बात तो नही ह परममपता परमातमा मशव सवय ही कषण की सोल उफा दादा लखराज का नाम lsquoबरहमाrsquo रखत ह और उसक दवारा जब बराहमण धमा की सरापना करत ह तब ढर सार बरहमाकमार-कमाररयाा तयार हो जात ह परममपता परमातमा दखत ह मक इन बराहमण बचचो म ही दो मकसम क बचच पदा हो गए एक रावण कमभकणा मघनाद भी बराहमण र और अपन जीवन म गर वमशषठ मवशवाममतर न भी बराहमणतव अपनाया रा गर वमशषठ मवशवाममतर जसो की सखया रोड़ी हो जाती ह और रावण कमभकणा मघनाद जसो की सखया ढर सारी हो जाती ह यही बात बरहमाकमारी आशरम म भी हई बरहमा की कोख म रस लन स पदा हए जो कखवशावली बरहमा वतस ह उनम ढर सार दि बराहमण पदा हो गए और जो जञान-योग म बरहमामख स जयादा रस लन वाल तयागी-तपसवी ह व रोड़ रह गए अतः कया होता ह परममपता परमातमा को वह शरीर छोड़ दना पड़ता ह कषण वाली सोल माना बरहमा की सोल को शरीर छोड़ दना पड़ता ह उसक बाद सन 69 म परममपता परमातमा मशव राम वाली सशि आतमा म सवारा गपत परवश करत ह कयोमक माता का भी पयार भरा पाटा मशव का ह तो मपता का भी सखत पाटा उनही का ह कहावत ह- टढ़ी उागली मकए बगर घी नही मनकलता अब राम वाली सोल कही-न-कही तो इस समि पर होगी ना तो उस वयमितव म जो मक पहल स ही बरहमाकमार बनी हई होती ह उसम व मशव ही परवश करक अपना काया आरमभ करत ह इस काया क आरमभ होन क बाद रोड़ समय क अनदर ही बरहमाकमारी ससरा म सन 76 स सपि मवभाजन नज़र आता ह जस सभी धमो म हआ- बौमियो म lsquoहीनयानrsquo (और) lsquoमहायानrsquo दो समपरदाय हो गए जमनयो म lsquoशवतामबर और मदगमबरrsquo दो समपरदाय हो गए मसलमानो म lsquoमशया और सननीrsquo दो समपरदाय हो गए मकरमियनस म lsquoरोमन करोमलक और परोटसटटrsquo दो समपरदाय हो गए य दसर-2 जो भी धमा ह उन सबन उस परममपता परमातमा को ही फॉलो मकया

अब जब परममपता परमातमा न आकर नए सनातन धमा की सरापना की तो भी यही परमकरया चली मक बरहमा क शरीर छोड़न क कछ समय क बाद उस बरहमाकमारी आशरम म दो तरह क लोग सपि नज़र आत ह तो आपस म टकराव पदा होता ह बमिजीमवयो की सखया कम होती जाती ह और व अलग हो जात ह तो सघरा तो बढ़गा ही हर धमा म यह सघरा बढ़त-2 चमाउतकरा रप पदा होता ह गरओ का जो बड़ा और पराना रमढ़वादी दमकयानसी वगा ह वह सचचाई को नही पहचानता कयोमक उनको तो गददी ममली हई ह वह माउट आब म अभी भी कामबज़

अमधकार-परापत ह व सचची बात को सनत नही ह आप दखग मक जो कछ भी बरहमा दवारा माउट आब स मरली या वाणी सनाई ह वह वाणी वासतव म अपनी जगह पर शासतरसगत ह लमकन बरहमाकमाररयाा आज भी यह बात

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कह रही ह मक शासतर सब झठ ह और हमार बाबा न जो कछ बोला ह वही सचचा ह लमकन बाबा न जो कछ बोला ह उसका अरा कया ह वह उनह पता ही नही ह और सनन क मलए तयार भी नही ह हर धमा म यह मसरमत पदा होती रही ह इसी तरीक स परममपता परमातमा मशव राम वाली आतमा (जो तरतायग म भी होती ह) जो जनम-मरण क चकर म आत-2 कमलयग-अनत म साधारण मानव तन म होती ह उसम परवश करक शकर क नाम-रप स ससार म धीर-2 परतयकष होना शर होत ह शकर का सखत पाटा ह सखत पाटा क दवारा व बराहमणो क समपरदाय म दो फाड़ कर दत ह- सचच मखवशावली बराहमण और झठ कखवशावली बराहमण मखवशावली वह जो बरहमा क मख स चलाई हई मरली की ही बात मानत ह मकसी दहधारी की बात नही मानत और कखवशावली वह जो बरहमा की कख अराात गोद क पयार को मवशर महतव दत ह मख की चलाई हई मरली को महतव नही दत चनी हई कछ शरषठ आतमाएा मनकलती ह आपन दखा होगा मक शकर जी क बाहो म माला मदखात ह गल म भी कई तरह की मालाएा पड़ी हई ह माला सगठन की मनशानी होती ह एक सनह और दसर जञान क सतर म व मणक रपी आतमाएा मपरोई गई ह उनका सगठन तयार मकया गया ह वह माला रपी सगठन सार ससार म हर धमा म मानयता परापत करता ह मकस रप म आप दखग मसलमानो म भी माला घमाई जाती ह मकरमियनस म भी माला घमाई जाती ह बौिी लोग भी माला घमात ह मसकख लोग भी माला घमात ह यह माला का इतना महतव कया ह जो हर धमा म घमाई जाती ह यह कोई नही जानता बाबा न मरली म बताया ह मक lsquolsquoबचच य माला क जड़ मणक तम तामसी जड़जड़ीभत आतमाओ की यादगार हrsquorsquo जब परममपता परमातमा आत ह तो तम आतमा रपी मणको को इकटठा करत ह और शरषठ आतमाओ का जो माला रपी सगठन तयार होता ह वह सार ससार म तहलकाखलबली मचाता ह पहल भारतवरा म बराहमणो की दमनया क अनदर तहलकाखलबली शर होती ह माला क सगठन म 108 मणक होत ह आप दखग दमनया म आज मखय-मखय 9 धमा फल हए ह महनद धमा तो बहत पराना ह उसम स दो फाड़ ऐस ह- (एक) जो कभी दसर धमा म कनवटा नही होत और दसर ऐस ह मक जो कनवटा होत ही रह मसलमान आए तो मसलमानो म कनवटा हो गए मकरमियनस आए तो मकरमियनस म कनवटा हो गए मसकख आए तो मसकख म कनवटा हो गए तातपया यह ह मक सनातन धमा म दो परकार क वगा हो गए- एक नॉन कनवटड जो कभी कनवटा नही हए भल मकसी भी तरह की कोई परीकषा आई परत अपन धमा को नही छोड़ा दसर वह जो कनवटा होत ही रह एक स दसर धमा म दसर स तीसर धमा म तीसर स चौर धमा म आज स 2500 वरा पहल lsquoइसलाम धमाrsquo आया मफर चौरा lsquoबौि धमाrsquo आया (जो) चीन जापान बरमा मलाया म फला पााचवाा lsquoमकरमियन धमाrsquo आया जो यरोपीय दशो म फला अमररका म फल गया छठा शकराचाया का lsquoसनयास धमाrsquo (लाल-पील-काल-सफद कपड़ पहनकर मनकला) उसक बाद महममद आए मजनहोन इसलाम धमा क फाड़ करक ममतापजा बद करवा दी और lsquoममसलम धमाrsquo फलाया उसक बाद गरनानक आए और उनहोन मसलमानो स टककर लन क मलए भारत क ही अचछ-खास हटट-कटट कम बमि वाल जो सनातन धमा क लोग र उनको कनवटा करक lsquoमसकखrsquo बना मदया और व मसलमानो स मकरमियनस स ज़बदासत टककर लत रह कल ममलाकर अनत म lsquoआया समाजrsquo एक ऐसा धमा आता ह जो सबको आह त करता ह मक तम सब आ करक भारतवरा म इकटठ हो जाओ मकसी भी धमा का हो हम उस महनद बना दग पकक महनदओ न तो कभी मवधममायो को सवीकार नही मकया आयासमामजयो न अपन दश म सब धमो का कचड़ा इकटठा कर मलया एक धमा ऐसा ह lsquoनामसतकवादrsquo जो माला म नमबर ही नही पाता ईशवर की जो शरषठ आतमाओ वाली 108 की माला बनती ह उसम उनका नमबर नही

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लगता व य ह नामसतक (रमशयनस) व न सवगा मानत ह न नका मानत ह न आतमा को मानत ह न परमातमा को मानत ह व कछ नही मानत व अपन नश म आकर ऐटममक एनजी तयार करत ह मक हम ही सब कछ ह हम चाहग तो दमनया को नचाएाग नही तो नि कर दग लमकन व अपन मककड़ जाल म खद ही फा स जात ह आज तो रस मबखर गया और उसस जयादा ऐटममक एनजी अमररका न धारण कर ली ह इस तरीक स दमनया क नवार 9 मखय आमसतक धमा ह इन 9 धमो की चनी हई मखय-2 बारह-2 ( 9 ग 12 = 108 ) आतमाएा परममपता परमातमा इकटठी करत ह सारी समि स चनकर 12 नमा 108 मणक तयार होत ह

आज स 70-75 साल पहल भारतवरा म इतन भगवान नही र आचाया रजनीश भी भगवान जय गरदव भी भगवान सााई बाबा भगवान सतपालजी महाराज भगवान चदरा सवामीजी भगवान- य ढर क ढर भगवान 75 साल पहल र ही नही 70-75 साल क अदर ही य ढर क ढर भगवान पदा हो गए अब भगवान एक होगा या ढर क ढर होग भगवान तो ज़रर एक होगा लमकन महसाब कया ह जब इस समि पर परमधाम छोड़कर सचचा हीरा आता ह तो उसकी भट म ढर सार नकली हीर दमनया क बाज़ार म तयार हो जात ह व नकली हीर चारो तरफ अपना पॉमप एणड शो शोर-शराबा फला दत ह जबलपर म महशयोगी की एक बड़ी भारी मबमकडग बननी री सकड़ो-करोड़ो रपयो की वह मबमकडग तयार होनी री उसम होना कया बस वही सवाहा अब उसस कछ होता रोड़ ही ह 2500 वरा स यह सवाहा-2 होता चला आया कया इसस कोई दमनया का पररवतान होना ह पररवतान कछ भी नही होना ह वह एक बात तो सचची बता दी मक वातावरण शि होता ह परनत बजाय वातावरण शि होन क दमनया और जयादा मबगड़ रही ह (एक भाई न कहा- अमररका स व गोकड का समगमलग करत ह) चलो वह कछ भी हो हमन एक बात बताई मक भगवान ढर क ढर ह लमकन नकली हीर ह और उनम पता नही चल रहा ह मक असली कौन ह ज़रर असली भी ह लमकन पता नही चल रहा ह और उसका परफ यह ह मक भगवान जब आएाग तो नई समि की सरापना क सार-2 परानी समि का मवनाश का सामान भी तयार कराएाग सत धमा की सरापना क सार-2 ढर क ढर जो दि धमा फल हए ह उनका भी मवनाश का काया करत-करात ह lsquolsquoमवनाशाय च दषकतामrsquorsquo (गीता 48) गीता का यह शलोक ही बताता ह परममपता परमातमा जब इस समि पर आत ह तो यह तयारी पहल करात ह सरापना गपत करत ह और मवनाश का काया परतयकष करात ह

रस और अमररका मजनको अपनी भारतीय परमपरा म महाभारत म यादव कहा गया ह बड़-2 धनाढय होत र

बहत शराब पीत र और ऊा ची-2 मबमकडग होती री ऐस जो यादव गरप ह उनहोन कया मकया व र तो यदवशी भगवान कषण क करोल म लमकन उनहोन कया मकया उनक बमि-रपी पट स जो ममसाइकस मनकल उन मसलो स उनहोन आपस म ममलकर-लड़कर अपन सार कल का सहार कर मदया और सारी समि का मवनाश कर मदया लोगो न सरल मसल समझ मलए अब यह तो समझन-2 की मवडबना ह वासतव म ह ममसाइकस की बात जस पट म कोई चीज़ पचाई जाती ह ऐस यह बमि-रपी पट ह कहत ह ना- lsquoतमहार पट म बात नही पचतीrsquo तो कया यह (सरल) पट ह या यह (बमि-रपी) पट ह इस बमि-रपी पट म स व ममसाइकस मनकल उन लोह क मसलो स यह सारी दमनया नि होती ह 70-75 साल क अदर भारी तादाद म यह एनजी भी तयार हो गई समि पर परममपता परमातमा का अवतरण भी हआ और 70-75 साल पहल भारतवरा म महातमा गाधी क टाइम पर सबस जयादा जो आवाज़ लगाई गई री lsquoह पमतत-पावन आओrsquo वह आवाज़ भी लग रही री भारत की 40 करोड़

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जनता गाधीजी क ततवावधान म lsquoरघपमत राघव राजाराम पमतत-पावन सीतारामrsquo की आवाज़ लगा रही री लमकन आवाज़ लगान वालो को यह पता नही चला मक परममपता परमातमा इस समि पर उस समय स ही आ चक ह

कहन का मतलब यह ह मक जब परममपता परमातमा आत ह तो एक तरफ मवनाश की बाजी भी तयार कर दत ह और दसरी तरफ सरापना का काया भी गपत म चलात ह तो इस समय य दोनो काया समपनन हो रह ह- सरापना का काया भी परा होता ह और ऐटममक एनजी भी तयार हो जाती ह मजसका पररम मवसफोट हीरोमशमा-नागासाक़ी म हआ तब जा करक इस समि का एक तरफ मवनाश होता ह और दसरी तरफ वह माला तयार हो जाती ह जो सारी समि की धमासरता और राजय-सरता की बागडोर धीर-2 अपन हारो म ल लती ह आपन जयोमतमरयो की कछ भमवषयवामणयाा सनी होगी जो अकसर करक मनकलती रहती ह 400500 साल पहल क जो जयोमतरी हए ह- कीरो कीर और नसतरडाम आमद इनकी भमवषयवामणयाा मनकली हई ह सभी न 2000 को मददा बनाया लमकन 2000 क आस-पास का जो भी मददा रा वह सारी समि क मवनाश का मददा नही रा वह वासतव म मसफा बराहमणो की दमनया क अनदर आधारमता एव बीजरप आतमाओ की दमनया क मवनाश का मददा ह यह कोई नही जानता यह दमनया एकदम ऐस चटकी म खतम हो जाएगी तो परममपता परमातमा को कौन पहचानगा परममपता परमातमा को पहचानन क मलए टाइम तो चामहए ना

वासतव म यह जो 2000 साल क बाद का पीररयड ह यह बरहमाकमारी आशरम म आमल-चल पररवतान ला दगा बाहर की दमनया म भी रोड़ा-2 पररवतान होगा ऐटममक एनजी का भी रोड़ा-2 मवसफोट होगा लमकन इतना नही होगा मक सारी समि खतम हो जाए अभी मसफा बराहमणो की परानी दमनया का मवनाश होता ह नई दमनया की सरापना होती ह और सब आतमाएा पहल बमियोग स वापस परमधाम म जाती ह मान बराहमणो की दमनया क अनदर जो मवशर आतमाएा ह व इस बात को समझ लती ह मक परममपता परमातमा का साकार रप और कायाकाल कया ह और यह काया कस चल रहा ह यहाा मदखाया गया ह मक जस हम आतमाएा जयोमतमबानद ह वस परममपता परमातमा भी जयोमतमबानद ह जयोमतमबानद का ही बड़ा आकार मशवमलग बनाया जाता ह मजस अपनी भारतीय परमपरा म 12 जयोमतमलिगम क नाम स परमसि मकया गया ह उजजन काशी रामशवरम कदारनार बदरीनार य 12 जयोमतमलिगम बन ह 12 ही कयो 13 कयो नही 11 या 10 कयो नही 9 धमो स चनी हई 12-12 आतमाओ क 9 गरपस होत ह हर धमा म शरषठ आतमाएा तो होती ह ना परममपता परमातमा भी जब आत ह तो सवापररम हर धमा स शरषठ आतमाओ को चनत ह और चनकर उनको पकका सयावशी बराहमण बनात ह

आज की दमनया म वासतव म कोई बराहमण नही रहा (भाई न कहा- आप यह कया कहत ह आप तो बराहमणो की अवहलना करत ह) नही तलसीदास न यह बात रामायण म आज स 400-500 वरा पहल मलखकर छोड़ी ह- lsquoभय वणा सकर सबrsquo सार ही वणा सकर हो गए कोई बराहमण और कोई शदर नही रहा उनहोन 400 साल पहल मलखा रा अब तो हालत बहत खराब हो गई अब तो बहत जयादा वयमभचार फल गया घर-2 म वयमभचार फला हआ ह तो इस समय परममपता परमातमा आकर परजामपता बरहमा दवारा असली बराहमण कल की सरापना कर रह ह आपन सना होगा बराहमणो की 9 कररयाा गाई जाती ह- शामडकय गोतर भारदवाज गोतर कशयप गोतर आमद-2 9 ऋमरयो क आधार पर 9 गोतर गाए जात ह व 9 ऋमर कोई दसर नही ह 9 धमो का परमतमनमधतव करन वाली 9 शरषठ आतमाएा ह जो परममपता परमातमा इस समि स असली बराहमण धमा म चनत ह जो 9 आतमाएा ह उनम स एक सबस शरषठ होगा ना जो सबस शरषठ हआ उसक जो 12 क गरप ह व परममपता परमातमा मशव स इतना

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तादातमय सरामपत करत ह मक उनकी मशव जसी ही सटज बन जाती ह इसमलए तो 12 जयोमतमलिगम आज भी भारतवरा म भगवान क रप म पज जात ह

कहन का मतलब यह हआ मक परममपता परमातमा मशव भी जयोमतमबिद ह ऋमरयो-महमरायो न पजा क मलए उनका बड़ा आकार बना मदया ह वह मनराकारी सटज का परतीक ह मनराकार का मतलब यह ह मक उस सटज म जो 12 ह उनम स एक शकर का रप मजस lsquoरदर अवतारrsquo कहा जाता ह व ऐसी मनराकारी सटज म रहत ह मक जस मक उनका शरीर रपी वसतर ह ही नही नवार इस सटज म रहना अपन को सदव आमतमक सटज म समझना दसरो को आतमा क रप म दखना- ऐसी परमकटस पककी हो जाए उसको कहग lsquoमनराकारी सटजrsquo इमदरयाा जस होत हए भी नही ह जस कहत ह- lsquoदखत हए भी नही दखना सनत हए नही सननाrsquo जस दमनया म मकतनी भी नलामन उड़ रही ह उनक ऊपर कोई असर नही पड़ रहा ह

lsquoबीrsquo समइड

वितर न 4 (सिा आतरमओ कम वपतम एक ह)- वह तो गॉड फादर ह मजसक अलग-2 नाम-रप द मदए ह लमकन अलग-2 नाम-रप होत हए भी एक रप ऐसा ह जो हर धमा म मानयता परापत करता ह कस अपन भारतवरा म जयोमतमलिगम मान जात ह- रामशवरम वगरह कहत ह- राम न भी उपासना की राम को भगवान मानत ह लमकन उपासना मकसकी की मशव की उपासना की तो राम भगवान हए या मशव भगवान हए मशव ही हए ऐस ही गोपशवरम ममदर भी बना हआ ह lsquoगोपrsquo कषण को कहा जाता ह इसस सामबत हो गया मक कषण भगवान नही र वासतव म उनका भी कोई ईशवर ह मजनहोन उनको ऐसा बनाया ऐस ही कदारनार ह बदरीनार ह काशीमवशवनार ह और यह सोमनार ह इन सभी ममदरो म इस बात की यादगार ह मक यहाा उस मनराकार जयोमत को जयोमतमलिगम क रप म माना जाता ह नपाल म पशपमतनार का ममदर ह कमलयग क अत म सभी मनषयमातर पशओ जसा आचरण करन वाल हो जात ह उन पशओ को भी पश स बदर स ममदर लायक बनान वाली वही मनराकार मशवजयोमत ह उसी की यादगार म एक मशवमलग नपाल म भी सरामपत ह

अचछा महनदओ की बात छोड़ दीमजए मसलमान लोग मकका म हज़ (तीरा यातरा) करन जात ह वहाा महममद न दीवाल म एक पतरर लाकर रखा रा उसका नाम उनहोन lsquoसग-ए-असवदrsquo मदया अभी भी जब तक मसलमान लोग उस पतरर का चमबन नही कर लत मसजदा नही माना जाता उनकी हज़ की यातरा परी नही होती इसका मतलब व भी आज तक उस मनराकार को मानत ह हालाामक व पतरर को नही मानत व तो ममतायाा व मशवमलग को तोड़न वाल रह ह उनहोन यहाा भारत म आकर मशवमलगो को तोड़ा ह लमकन वहाा मानत ह बौिी लोग आज भी चीन-जापान म दख जात ह मक व गोल सटल क ऊपर पतरर की बमटया रखत ह और उसक ऊपर दमि एकागर करत ह इसस सामबत होता ह मक व भी उस मनराकार को मानत ह गरनानक न तो कई जगह कहा ह- lsquoएक ओकार मनरकारrsquo lsquoसदगर अकाल मताrsquo व तो मनराकार को मानत ही ह ईसाईयो क धमागरर बाईबल म तो कई जगह मलखा हआ ह- lsquoगॉड इज़ लाइटrsquo अराात परमातमा जयोमत ह कहन का मतलब यह ह मक हर धमा म उस मनराकार जयोमत की मानयता ह अब यह सवाल पदा होता ह मक जब सब धमो म उस एक ही रप की मानयता ह तो सब धमा वाल उस एक ही को परममपता परमातमा का रप कयो नही मानत य अलग-2 रप कयो मान हए ह यह वासतमवकता मकसी की बमि म नही आ रही ह

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वह मनराकार जयोमत जब इस समि पर आती ह तो जो मवशर आतमाएा राम और कषण ह इन दो को चनकर समि क मवनाश और सरापना क काया म ममखया बनाती ह कषण की सोल आखरी जनम म दादा लखराज क रप म मसनध हदराबाद म जनम लती ह और उसम परममपता परमातमा मशव परवश करक पहल परतयकष lsquoबरहमाrsquo क रप म काया करत ह पयार का पाटा बजात ह आप कही भी मकसी भी बरहमाकमारी आशरम म जाएा तो आप कोई भी बरहमाकमार-कमारी स पमछए मक बाबा न कभी मकसी को टढ़ी नज़र स दखा या गलत कवचन कहा या कोई ऐसा ह मजसन बाबा क समपका म पहाचन क बाद यह अनभव मकया हो मक बरहमा बाबा न हमको दःख मदया

परतयक बरहमाकमार-कमारी यही कहगा मक बाबा भल 10 ममनट क मलए ममल हो परनत बाबा न हमको मजतना पयार मदया उतना दमनया म हम मकसी स अनभमत नही हई व र पयार की परमतममता बरहमा बाबा जस अभी भी टीवी म सीररयल आत ह आप दखत होग मक असरो न वरदान ल मलए ह असर लमकन मफर भी माा स वरदान ल मलया वासतव म वह एक रप मदखाया गया ह और इनक ठीक मवपरीत एक दसरा रप राम वाली आतमा ह मजसम कमलयग क अत म परममपता परमातमा परवश करक lsquoशकरrsquo क नाम-रप स परखयात होत ह दखो जस इन कषण का नाम-रप परखयात हआ ह lsquoबरहमाrsquo वस उन राम का नाम-रप परखयात होता ह lsquoशकरrsquo इन दोनो ही शमियो की सहयोगी शमि दो आतमाएा भी ह कषण की सहयोगी शमि ह lsquoराधाrsquo और राम की सहयोगी शमि ह lsquoसीताrsquo इनक वतामान रप क नाम पड़त ह बरहमा की सहयोगी शमि lsquoसरसवतीrsquo और शकर की सहयोगी शमि lsquoपावातीrsquo य वतामान सवरप क नाम ह जब कमलयगी दमनया समापत होती ह नई सतयगी समि रची जाती ह तो चारो आतमाओ क सवभाव-ससकार का समममशरण होता ह अभी तो हर घर म सतरी-परर क ससकार आपस म टकरात ह कोई घर ऐसा नही होगा मजसम ससकार टकराए नही लमकन सबस पहल एक ऐसी भी दमनया परममपता परमातमा न बनाई री मक पहल-2 चार आतमाओ क ससकार ममलकर एक हो गए र व य आतमाएा ह जो समि क हीरो-हीरोइन ह और इन आतमाओ का समममशरण मवषण की भजाओ क रप म मदखाया गया ह कहत ह ना lsquoमर भया न शरीर छोड़ मदया मरी दामहनी भजा टट गईrsquo तो दामहनी भजा रोड़ ही टट गई बमकक जो सहयोगी शमि ह वह चली गई

इसी तरह परममपता परमातमा क काया म दो दामहनी भजा क रप म सहयोगी बनत ह बरहमा-सरसवती मान कषण और राधा य कड़ा-कठोर रप कभी नही अपनात पररवतान क मलए इनहोन हमशा पयार का काम मकया इसमलए इनको परममपता परमातमा न राइट हणड क रप म सवीकार मकया लमकन जब राइट हणड स काम नही मनकलता तो मफर उागली टढ़ी भी की जाती ह व दो रप ह शकर और पावाती आमद शमि चामडा का रप धारण करती ह और शकर परलयकर रप धारण करत ह वह राम (शकर) वाली आतमा सहयोमगनी शमि दवारा परलय मचाती ह शमि का रप धारण मकए बगर रावण कमभकरण मघनाद जस असर पररवतान नही हो सकत इन बराहमणो क अनदर जयादा स जयादा तादाद म ऐस आसरी ततव घस गए जो रावण कमभकरण मघनाद का पाटा बजात ह उनको सधारन क मलए जञान बाण मारन वाली राम की आतमा तयार होती ह बाण कोई दसर नही ह परममपता परमातमा न आकर राम क मख दवारा उनक मलए जो तीखी बात बोली ह उन बातो का अरा ही जञान बाणो का काम करती ह हमको तो व महावाकय पयार लगत ह लमकन उस तरह की जो आसरी बराहमण आतमाएा पररवार म घसी हई ह उनको व बाण लगत ह उनको घाव पदा कर दत ह तो इस तरीक स य जो लव और लॉ क दो रप ह उनम यह तीसरा रप समाया हआ ह जो बरहमा-सरसवती शकर और पावाती रपी चार आतमाओ का समममशरण ही lsquoमवषणrsquo

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कहा जाता ह बाकी ऐसा कोई वयमि ससार म कभी हआ नही ह जो चार भजाओ का रहा हो या 10 मसर का रावण रहा हो 10 मसर क रावण का मतलब ह मक दसो धमा ममल करक ससार म परजाततर राजय का ऐसा बकायद सगठन बनात ह मजसस सारी दमनया मवनाश क कगार पर खड़ी हो जाती ह बाकी परममपता परमातमा न तो आकर राजयोग मसखाकर कायदमसर दवी राजाओ का राजय सरापन मकया रा

परममपता परमातमा जो सकल खोलत ह सदगर कह जात ह तो ज़रर व ऐसी ईशवरीय यमनवमसाटी का वाइस चानसलर बनत होग जहाा व कोई माला रपी सगठन की बड़ी-2 पदमवयाा दकर जात हो दश-मवदश म जनम-जनमातर क जो राजाएा बन ह उन राजाओ को राजाई करन की मवदया उनहोन मसखाई री उसको lsquoराजयोगrsquo कहा जाता ह वह राजयोग परममपता परमातमा गीता जञान क दवारा अभी मसखा रह ह जनम-जनमातर का राजा बना रह ह लौमकक बाप जो होत ह व तो एक जनम की परामपत करात ह वसाा दत ह लमकन यह पारलौमकक बाप जब समि पर आत ह तो अपन आतमा रपी बचचो को अनक जनमो की राजाई दकर जात ह वह अनक जनमो की राजाई अभी दी जा रही ह ससार म अभी कछ ही वरो म ऐसी 108 शरषठ आतमाएा परतयकष होन वाली ह जो सार ससार म तहलकाखलबली मचाएागी और सार ससार की धमा सरता व राजय सरता दोनो की बागडोर अपन हार म ल लगी यही 108 शरषठ आतमाएा आज भी सभी धमो म माला क रप म समरण की जाती ह

जब सारी दमनया माया क पज म फा स जाती ह तब व जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आत ह माया का पजा कोई सतरी नही ह काम करोध लोभ मोह अहकार- य पााच मवकार मनषय क अनदर भर हए ह उन पााचो मवकारो म सारी दमनया जकड़ गई ह आज एक भी मनषय ऐसा नही ह जो इन पााचो मवकारो की जकड़ स बाहर हो जब सारी समि की ऐसी अतयमधक बदतर हालत हो जाती ह तब परममपता परमातमा मशव आत ह मजसकी यादगार म यह lsquoमहामशवरामतरrsquo मनाई जाती ह इस महामशवरामतर म जब परममपता परमातमा मशव आत ह तो दमनया म चारो तरफ अनक धमा फल हए होत ह उन धमो म धमा क नाम पर मवतडावाद जयादा ह जञान कछ भी नही ह जञान क नाम पर अजञान-ही-अजञान सनाया जाता ह और पस व मदखाव को जयादा महतव मदया जाता ह जो धमा की सरापना का काया ह धारणा की बात ह व न क बराबर होती ह तब जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आकर उस अजञान अधकार का मवचछदन करत ह इसमलए उसकी यादगार म भारतवरा म माघ मास को अधारामतर म महामशवरामतर मनाई जाती ह जब आम खरी मास होता ह समि का आम खरी टाइम होता ह कमलयग का अनत होना होता ह तब दमनया म अजञान अधकार चारो तरफ फला रहता ह जस शमिमान सीररयल म आता ह- lsquoअधरा कायम रहगाrsquo असर तो यही चाहत ह मक अधरा कायम रह दमनया अजञान म रह और हम अपना आसरी काम बनाएा तो य काम करोध लोभ मोह अहकार ह असर मजनका ममखया ह काम मवकार उस काम मवकार को परममपता परमातमा आकर सबस पहल शकर क चोल क दवारा भसम करात ह हमन समझ मलया मक काम मवकार कोई दवता का रप होगा उसको lsquoकामदवrsquo नाम द मदया लमकन वासतव म वह कोई अलग स दवता नही होता यह हमार अनदर की ही कपरवमरत कमज़ोरी व मवकमत ह जो उस शकर दव न पहल भसम कर दी भसम करन वालो म नमबरवार होत ह लमकन जो उसको सबस पहल भसम कर लता ह वह बात शकर क मलए मदखात ह उनका जञान का तीसरा नतर खला और काम मवकार भसम हो गया वह कोई बाहर का काम मवकार रोड़ ही रा यह तो अदर की चीज़ री जो उनहोन भसम कर दी नि कर दी जब ममखया भसम होगा तो बाकी य जो चार चोर-डकत ह व तो अपन आप ही भाग जाएाग

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वितर न 5 (विि और िकर)- यहाा मदखाया गया ह मक वासतव म मशव अलग स परममपता ह और शकर अलग आतमा ह गलती क कारण दोनो को ममलाकर एक कर मदया लमकन गलती भी नही ह वासतव म वह हमारी बसमझी हो गई यह बसमझी होन क कारण ही बरहमाकमार-कमाररयाा भी उस बसमझी म फा स हए ह कया बसमझी हो गई मक व सपरीम सोल मशव मनराकार जयोमतमबिद जब इस समि पर आत ह तो इस समि पर आकर मकसी जनसाधारण को ज़रर आप समान बनाएाग व पढ़ाई पढ़ाएाग टीचर का कोई तो सटडट ऐसा मनकलगा जो उनकी परी 100 परसट पढ़ाई को धारण कर ल तो व मनराकार जयोमतमबिद मशव आकर इस शकर क सवरप दवारा ससार म परतयकष होत ह और इस तरह दोनो का तादातमय हो जाता ह आप दखग कोई यह नही कहता ह मक मशव-बरहमा एक ह मशव क सार बरहमा का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार मवषण का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार शकर का ही नाम कयो जड़ता ह इसमलए जड़ता ह मक शकर मशव की याद म इतना तकलीन हो जात ह मक उनको अपन म समामहत कर लत ह अराात बाप समान बन जात ह तो वह समामहत करन की जो मसरमत ह वह lsquoमशव-शकर एक हrsquo- यह मसरमत ससार म परमसि होती ह वासतव म दोनो आतमाएा अलग-2 ह य सपरीम सोल मशव जनम-मरण क चकर म कभी आत ही नही इसमलए lsquoमशवमलगrsquo कहा जाता ह lsquoशकर मलगrsquo नही कहा जाता lsquoमशवरामतरrsquo कही जाती ह lsquoशकर रामतरrsquo नही कही जाती मशव ऐसी चीज़ ह जो मक पाप और पणय स हमशा पर ह और जो दहधारी ह व पाप-पणय क अदर फा सत ह

अब आप दमखए शकर धयान म बठ ह अगर य खद ही परममपता परमातमा का रप होत सपरीम सोल होत तो य मकसका धयान कर रह ह आप परान-2 ममदरो म जाइए आप दखग बीच म मखय सरान पर मशवमलग ह और आस-पास सभी दवताओ क सार शकर की भी ममता रखी हई होती ह इसस कया सामबत हआ मक और मजतन दवताएा ह उन 33 करोड़ दवताओ क बीच म शकर दव-दव महादव तो ज़रर ह लमकन व परममपता परमातमा नही ह व भी उनकी उपासना म सामन बठ हए ह मकसक सामन मशवमलग क सामन तो मनराकार की यादगार मलग रप मशव जयोमतमबिद सपरीम सोल ह और य शकर हीरो पाटाधारी इस समि-रपी रगमच क नायक ह जञानीजनो दवारा जयोमतमबिद मशव को मसफा याद मकया जा सकता ह और भमिमागा म उनका मकरार रर शकर ही मनराकारी सटज म मसरर हो जान कारण बड़ मलग रप म पजा जाता ह

वितर न 6 (पररवपतम पररमतरम सिावयमपी नही)- यहाा यह बताया गया ह मक ईशवर जब समि पर आएाग तो जञान का कोई-न-कोई ऐसा नया पवाइट ज़रर बताएाग मजसम सारी दमनया भरममत हई पड़ी हो ऐसी नई बात ज़रर सनाएाग मजस सारी दमनया न जानती हो बमकक मवपरीत बात ही जानती हो वह बात यह ह मक जब दमनया म चारो तरफ भगवान को ढाढ़ा और कही नही ममला तो लोगो न उनक मलए कहना शर कर मदया- lsquoव तो सवावयापी ह जर-2 म भगवान ह कण-2 म भगवान ह जहाा दखो वहाा भगवान हrsquo लमकन वासतव म गीता का एक शलोक ही इस बात क मलए काफी ह मक lsquolsquoतद धाम परम ममrsquorsquo (कपया गीता का शलोक 156 दमखए) अराात म वहाा परमधाम का रहन वाला ह ा दमनया का सबस शरषठ गरनर गीता ह मजसकी सबस जयादा टीकाएा हई ह उसक एक शलोक म यह बात सामबत हो गई ह गीता म ही एक शबद आया ह lsquoमवभrsquo इस शबद का उनहोन इतना बड़ा अरा कर मदया मक ससार म चारो तरफ यही बात फली हई ह मक व सवावयापक ह वासतव म मवभ का अरा यह ह मक व मवशर रप स हर मनषय आतमा की

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बमि म lsquoभrsquo माना याद क रप म अपना सरान बना लत ह उसका उकटा अरा लगाकर उनहोन परममपता परमातमा को सवावयापी कह मदया

यहाा बात समझाई गई ह मक परममपता परमातमा वासतव म समि पर सवावयापी नही ह गीता और रामायण भी इस बात क परमाण ह गीता व रामायण म मलखा ह मक lsquolsquoजब-जब इस समि पर अधमा का बोलबाला होता ह तब-तब म आता ह ाrsquorsquo lsquoआता ह ाrsquo स सामबत ही हो गया मक व नही र तब तो आए नही तो उनको आन की कया दरकार री दसरी बात अभी-2 आपको गीता का जो शलोक बताया वह पकका सामबत कर रहा ह मक परममपता परमातमा का धाम नाम काम ऊा च त ऊा चा ह मजसका गायन भी ह- lsquoऊा चा तरा धाम ऊा चा तरा नाम

ऊा चा तरा कामrsquo धाम काम नाम- तीनो ही जब ऊा चा ह तो व ऊा चा ही बठग या नीच बठग इस दमनया का भी जो राजा होता ह वह भी ऊा ची गददी पर बठता ह तो हमन परममपता परमातमा को कण-2 म कयो ममला मदया

यहाा मचतर म मदखाया गया ह मक ऋमर ममन सनयासी भाव मवभोर होत ह तो खड़ताल बजाकर कहत ह- lsquoह परभ हम दशान दोrsquo परत जब परवचन करत ह तो कहत ह- lsquoपरमातमा सवावयापी ह आतमा सो परमातमा मशवोऽहम हम परमातमा क रप ह हम ही भगवान हrsquo तो यह बात तका सगत सामबत नही होती एक बात पर पकका रहना चामहए यह कया बात हई कीतान करन लग तो परभजी हम दशान दो अब दशान कहाा स द तमहार अदर जब खद ही भगवान बठ हए ह तम खद ही भगवान क रप हो यहाा यह मदखाया गया ह मक जो परवचन सनन वाल ह व मजस समय गरजी महाराज का परवचन सनत ह तब तो भाव मवभोर होकर कहत ह- lsquoहाा परमातमा सवावयापी ह बहत अचछा जञान सनायाrsquo घर म पहाचत ही भाई भाई की हतया करन लग अब उनह भाई-2 क अदर भगवान नही मदखाई मदए यह मवरोधाभास एकदम इतना कस पदा हो गया

वासतव म सबक अदर अपनी-2 मभनन ससकारो वाली आतमा होती ह परममपता परमातमा उन सबस सवारा अलग ह अपनी भारतीय परमपरा म शकराचाया की मरोलोजी अलग ह और माधवाचाया की मरोलोजी अलग ह माधवाचाया की गीता म बताया गया ह मक lsquoआतमा सब अलग-2 ह और परमातमा उनस अलगrsquo जबमक शकराचाया की गीता म बताया गया ह- lsquoसवि खल इद बरहमrsquo अराात इस दमनया म जो कछ भी दखन म आ रहा ह व सब भगवान का रप ह माधवाचाया न बताया मक lsquoहर आतमा म अलग-2 ससकार हrsquo य आतमाएा गभा म जब शरीर धारण करगी तो य अपना अलग-2 पाटा ही बजाएागी इनका पाटा दसरी आतमा स ममल नही सकता हम हमशा शासतरो म यह ममसाल दत आए ह मक हम सब आतमाएा सागर म बदबदा ह बदबद सब सागर म समा जात ह मान हम उस सागर का अश ह यही कहा ना लमकन हम एक बात भल गए अगर हम बदबद ह हम सागर का अश ह तो सागर म स जो चकल भर पानी हमन ल मलया उसम जो खारपन का गण होगा वही सागर क पानी म भी होना चामहए ना यह पानी हमन पनः उसम ममला मदया दोनो का गण अभी भी एक ही ह लमकन हम सबक अदर य अलग-2 ससकार कस ह यह अलगाव कहाा स आ गया और जनम-जनमातर स यह अलगाव चलता चला आ रहा ह दसरी बात इसका एक और पररहारमनवारण ह- आपन कभी चाहा ह मक हमारी आतमा का जो अमसततव ह वह हमशा क मलए खतम हो जाए कोई चाहता ह अगर हमारी आतमा उस सपरीम सोल मशव म जाकर लीन हो जाए सागर म चकल भर पानी ममला मदया गया तो उसका अमसततव हमशा क मलए खतम हो जाएगा मफर शासतरो म यह बात कहाा स आई- lsquolsquoककप-2 लमग परभ अवतारा जब-2 तरतायग होता ह तब-2 राम का अवतार होता हrsquorsquo

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अजर-अमर तो सभी आतमाएा ह वह बात तो ठीक ह वह एक अलग बात उनका अमसततव उनका ससकार सब अलग-2 ह लमकन हर आतमा का अनक जनमो का जो पाटा ह वह उस जयोमतमबानद रपी आतमा क टप ररकॉडार म भरा हआ ह इस समि-रपी रगमच पर जब कोई भी आतमा उतरगी तो सतयग क आमद स लकर कमलयग क अत तक वह उतन ही जनम लगी मजतना पहल चतयागी म मलया रा अगर राम की आतमा होगी तो हर तरतायग म राम क रप म ही जनम लगी lsquoह कषण नारायणrsquo की आतमा होगी तो वह हर सतयग क आमद म नारायण क रप म ही राजय करगी इस तरह हर जनम म आतमा का शरीर रपी चोला बदलन का पाटा मनमित ह हर 5000 वरा क बाद वह जयो का तयो पनरावतान होता ह

हर आतमा सो परमातमा नही ह सपरीम सोल मशव हमशा अलग ह अगर व भी जनम-मरण क चकर म आन लग तो हमको छड़ान वाला कोई भी नही रहगा उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही की जा सकती कोई आतमा हीरो-हीरोइन पाटाधारी बन सकती ह मवलन व साधारण आतमा का पाटा बजा सकती ह लमकन सपरीम सोल मशव जसा पाटा मकसी का नही ह उनका तो तररया पाटा ह व बार-2 इस समि पर आत भी नही जसा शासतर म मलख मदया ह- lsquoसमभवामम यग-यगrsquo अराात म हर यग म आता ह ा अर हर यग म आत तो दवापर क अत म जब महाभारत यि कराया कषण क रप म परममपता परमातमा आए तो कया पापी कमलयग की सरापना करन क मलए आए र उनको हर यग म आन की कया ज़ररत ह साधारण बाप होता ह वह भी बचचो क मलए मकान तब तयार करता ह जब मकान पराना हो जाता ह उस परान मकान स काम नही चलता जब तक काम चल सकता ह तब तक मरममत कराता रहता ह इस समि-रपी मकान की भी यही हालत ह इबराहीम बि कराइसट गरनानक आमद य धमामपताएा आकर समि की जगह-2 मरममत करत रह मकसी न अरब दश म आकर मरममत की मकसी न यरोपीय दशो म की मकसी न चीन-जापान म की नया मकान तो मकसी न नही बनाया नई समि तो नही बनाई यह मरममत मकतन मदन चलगी कछ समय तक उन धमो का परभाव रहता ह मफर वह खलास आखरीन तो मफर भी उसी सपरीम सोल मशव बाप को जो धमामपताओ क भी बाप ह बापो क भी बाप ह इस समि पर उतरना ही पड़ता ह व आकर इस समि का आमल-चल पररवतान कर दत ह तो व सवावयापी नही ह व तो इस समि पर मकरार रप स हीरो पाटाधारी म परवश करक पाटा बजात ह

आपन lsquoजीज़सrsquo वा lsquoकराइसटrsquo का नाम सना आमखर य दो नाम कयो मकरमियनस लोग मानत ह मक वह वयमि

जो पहल खयामतपरापत नही रा उसका नाम lsquoजीज़सrsquo रा मफर जब खयामतपरापत हो गया तब उसका नाम lsquoकराइसटrsquo पड़ गया इसका रहसय कोई नही जानता यह रहसय परममपता परमातमा मशव आकर बता रह ह मक कोई भी नई आतमा ऊपर स उतरती ह तो मजसम भी परवश करती ह उसका नाम बदल दती ह जस पहल lsquoनरनदरrsquo नाम रा बाद म lsquoमववकाननदrsquo नाम पड़ गया आचाया रजनीश का भी ऐस ही हआ ह पहल यह एक साधारण लकचरर र जब आतमा न परवश मकया तो lsquoआचाया रजनीशrsquo नाम पड़ गया तो हर आतमा जो ऊपर स नीच उतरती ह वह मजसम परवश करती ह उसको कनवटा करक अपन धमा म खीच ल जाती ह और वह आधारमता मजसम परवश मकया वह भारत की ही सनातन धमा की आतमा होती ह ऐस ही दसर-2 धमो म कनवशान या पररवतान हआ भारतवामसयो स ही कनवटा होकर दसर-2 धमा पनप ह और वमि को पाए ह कहन का मतलब यह हआ मक उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही हो सकती हम आतमाओ क मकाबल व हमशा तरीया ह व तो सख भी नही भोगत तो दःख भी नही भोगत व सख-दःख स हमशा ही पर रहन वाल ह हाा यह बात ज़रर ह मक जब व इस समि पर आकर राजयोग मसखात ह तो ऐसी पढ़ाई पढ़ात

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ह मक हम आतमाएा नवार पररारा अनसार इस सटज को परापत कर मक इस समि पर रहत हए भी दःख-सख म रहत हए भी अपनी ऐसी अवसरा बना ल मक दःख क समय हम दःखी न हो और सख क समय हम बहत जयादा परसनन न हो मजसका नाम गीता म lsquoमसरतपरजञrsquo मदया गया ह लमकन हमारी वह अवसरा हमशा क मलए नही रहगी परनत उस मशव की हमशा क मलए रहगी वह सपरीम सोल ह तो मफर आतमा-परमातमा एक कहाा हए

परमातमा सवावयापी कहाा हए सपरीम सोल मशव तो हमशा अलग ही हए

मशव की तलना ऊा च त ऊा च मतरदवो स भी नही की जा सकती इन मतरदवो की यादगार म lsquolsquoझणडा ऊा चा रह हमारा मवजयी मवशव मतरगा पयारा मवशव मवजय करक मदखलावrsquorsquo- यह बोलत तो ह लमकन यह नही जानत ह मक व तीन शरीर रपी वसतर कौन-स ह मजन वसतरो न सार मवशव म तहलकाखलबली मचाई री सार मवशव म मवजय करक मदखलाई री वासतव म व शरीर रपी वसतर lsquoबरहमा मवषण शकरrsquo- य तीन ही ह उनक सकतक रग भी वस ही मदखाए गए ह ऊपर वाला कसररया रग ह शकर- करामत का सचक बीच वाला सफद वसतर सतवगणी मवषण का सचक ह नीच वाला हरा वसतर बरहमा का सचक ह जस गााधीजी कहत रह- lsquoरामराजय आएगा रामराजय आएगाrsquo

बमकक और ही रावण राजय आ गया ऐस ही बरहमा बाबा हमशा मचकलात रह- lsquoरामराजय लाएाग सवगा आएगा

वकणठ आएगा और सवगा आन ही वाला हrsquo अब उस सवगा की जगह बरहमाकमारी आशरमो म रौरव नका बन रहा ह

इसमलए बरहमा की ममतायाा ममदर व पजा नही होती कयोमक तराकमरत बरहमाकमार-कमाररयो न ही बरहमा की दाढ़ी की लाज नही रखी जबमक शकर और मवषण क ममदर और ममतायाा बनाकर आज सार भारतवरा म पजा की जा रही ह

वितर न 7 (सहज रमजयोग)- ससार म अनक परकार क योग परमसि ह जस- भमियोग कमायोग जञानयोग हठयोग राजयोग आमद मकत योग क इन सभी परकारो म सहज राजयोग शरषठामतशरषठ ह योग का अरा ह- समबध या ममलन आजकल योग का तातपया योगासन या हठयोग समझ मलया जाता ह मकनत योगासन स शारीररक सवासथय और कछ सीमा तक मानमसक सवासथय ममल सकता ह लमकन समपणा सख-शामत की परामपत तो कवल राजयोग दवारा ही हो सकती ह

lsquoराजयोगrsquo का अरा ह राजाओ का राजा बनान वाला योग या रहसय भरा योग मनषयातमाएा कई जनमो स दह-अमभमान क दलदल म फा सकर मवनाशी दहधाररयो स योग लगाती आई ह मकत जस तााब वाल दो तारो को जोड़न स उसम मबजली परवामहत होती ह परत रबड़ चढ़ हए तााब क तारो स मबजली का करट नही लगता उसी परकार दह-अमभमानी दहधाररयो स समबध रखन पर अमवनाशी सख-शामत की परामपत नही हो सकती परममपता परमातमा मशव तो इस योग भी नही अमपत सरल शबद म lsquoयादrsquo कहत ह याद करना एक सवाभामवक सरल एव मनरतर परमकरया ह जबमक योग स मकसी मवशर परयास का बोध होता ह जस परममपता परमातमा शरीर म रहत हए भी उसक भान स नयार ह अराात मवदही रहत ह उसी परकार हम भी सवय को अमवनाशी आतमा (न मक परकमत क 5 ततवो स बना दह) समझकर परजामपता बरहमा क दवारा परममपता परमातमा को याद करना ह हमारी दमि म मशव रहना चामहए मातर शव अराात दह नही अतः भगवान को न तो मसफा साकार रप म न तो मसफा मनराकार रप म बमकक भलीभाामत पहचानकर साकार शरीर म परमवि मनराकार को याद करना ह यही ह सचचा राजयोग

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मन वचन एव कमा की पमवतरता परममपता परमातमा स सचचा सनह मदवय गणो की धारणा ईशवरीय जञान शि अनन तरा सचच बराहमणो का सग करन पर आतमा दह-अमभमान दवारा उतपनन पााच मवकारो अराात काम करोध लोभ मोह

अहकार स ममि पाकर अपन मल सवरप अराात सवागण समपनन सवरप म मसरत हो सकती ह परभ को याद करन क मलए अमतवला या बरहममह ता का समय सबस शरषठ ह कयोमक उस समय वातावरण शात तरा शि रहता ह और मन भी जागरत एव परशात होता ह राजयोग क मनतय अभयास स आतमा म पमवतरता शामत धया मनभायता नमरता-जस गणो की धारणा होती ह सार ही आतमा को वयरा मवचारो क फलाव को समटन की शमि सहनशमि समान की शमि अचछ-बर को परखन की शमि सही मनणाय लन की शमि समसयाओ का सामना करन की शमि मवमभनन ससकार वाल मनषयो क सार सहयोग करन की शमि तरा मवसतार को सकीणा करन की शमि आमद आतमा की अि शमियाा परापत होती ह

राजयोग क मनरतर एव दढ़ अभयास स आतमा अपन आमद मधय एव अत की कहानी को तरा इस मवशव म अपन अमदवतीय अनक जनमो क पाटा को जान सकती ह और अपन घर बठ मवशव की आतमाओ को भी शामत एव सख का दान द सकती ह इस परकार हम सव-पररवतान क सार-2 मवशव-पररवतान भी कर सकत ह

बरहमाकमारी मवदयालय (बरमव) और आधयामतमक मवदयालय (आमव) की मशकषाओ म अतर-

बरहमाकमारी मवदयालय शासतरो को मानयता नही दता ह आधयामतमक मवदयालय ईशवरीय वाणी क आधार पर शासतरो को मानयता दता ह

बरमव कषण उफा बरहमा को ही एकमातर गीता का साकार भगवान मानता ह जबमक मख स कहता ह मक कषण गीता क भगवान नही ह

आमव मनराकारी सटज वाल साकार मशव-शकर को परमकटकल म गीता का भगवान मानता ह कषण उफा बरहमा क साकार रप दादा लखराज को गीता का भगवान नही मानता बरमव बरहमा-मवषण-शकर क साकार मचतर तो छपाता ह परत मसफा बरहमा क परमकटकल साकार रप को ही मानयता दता ह मवषण और शकर को इस दमनया स ही उड़ा दता ह जबमक शासतरो व दमनया म भी बरहमा क ममदर ममतायाा और पजा नही मदखाई ह बरहमाकमारी मवदयालय मशव-शकर को तो अलग-2 कहता ह लमकन यह नही बताता मक शासतरो म मशव-शकर को कयो ममला मदया मशव को बरहमा मवषण अरवा अनयानय 33 करोड़ दवताओ क सार कयो नही ममलाया और शकर को ही महादव कयो कहा ह

आमव म उपरोि परशनो का सटीक जवाब ह और तीनो दवताओ क साकार परमकटकल पाटा की सपिता भी ह

बरमव मसफा बरहमा (बरहम+माा) बड़ी माा को ही भगवान का साकार रप मानता ह और अपन को मसफा बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

आमव माा और बाप (परजामपता+बरहमा = एडम और ईव) दोनो को साकार रप म मानता ह और अपन को परजामपता बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

बरमव जञान-योग का मवजञापन करता ह जस- परोजकटर परदशानी पमबलक भारण कॉनर स मल सममलन ररयातरा

मनषयकत सामहतय आमद

आमव मकसी परकार क मवजञापन म मवशवास नही करता

बरमव मसफा मतय क बाद ही ममि-जीवनममि रपी ईशवरीय वस को जीवन का लकषय मानता ह

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आमव जीवन रहत ही लोक और परलोक सावारन का पररारा कराता ह अराात इसी जनम म नर स नारायण और नारी स लकषमी बनान का परम परमसि गीता वमणात उपदश दता ह

बरमव महल मामड़याा अटाररयाा बनाकर 36 परकार क भोग खान म और मसफा झकाझक शवत वसतर पहनन म अपन को शरषठ मानकर चलता ह आमव रहन सहन खान पान पहनाव म सादगी को ही शरषठ मानकर चलता ह बरमव म चदा माागकर वयमिगत वभव और मान-शान बढ़ाना आम बात ह

आमव मकसी परकार क चदा आमद lsquoमाागन स मरना भलाrsquo समझता ह

बरमव मसफा कहता ह मक हम एक धमा एक राजय एक कल एक मत की सरापना करग परत चलन म परा ही मवरोधाभास दखन म आता ह आमव क सदसय परमकटकल म आए हए एकमातर ईशवर की ही शरषठ मत को मानत हए ईशवरीय धारणाओ कायद

कानन को मानन क सार-2 नमबरवार अपन-2 पररारा अनसार चलन का परयास भी करत ह

सममपात बरक परायः सनयामसयो की तरह मठ-पर बनाकर जीवन चलाती ह

आमव क सममपात या गर सममपात सभी सदसय गहसरी जीवन यापन करत ह कयोमक गीता क भगवान सवय बहद क गहसर म रहत हए गहसरी पाणडवो को ही राजयोग मसखात ह सनयामसयो (भीषम दरोणाचाया कपाचाया) को नही

भविषयिमणी

(यहाा उन लोगो की भमवषयवामणयो का वणान मकया गया ह मजनकी भमवषयवामणयाा आज तक सही सामबत हई) -

कमकक पराण - सवततरता क बाद भारत म एक ऐस महापरर का उदय होगा जो वजञामनको का भी वजञामनक होगा वह आतमा और परमातमा क रहसय को परगट करगा आतमजञान उसकी दन होगी उसकी वश-भरा साधारण होगी उसका सवासथय बालको जसा योिाओ की तरह साहसी अमशवनी कमारो की तरह वीर यवा व सनदर शासतरो का परकाणड पमणडत व मानवतावादी होगा उसका मपता ही उस योग साधना की ओर परररत करगा 24 वरा की आय म वह योग की उचच भममका म परवश करगा एणडरसन(अमररका) - अरब राषरो समहत ममसलम बहल राजयो म आपसी करामतयाा और भीरण रिपात होग इस बीच भारतवरा म जनम महापरर का परभाव व परमतषठा बढ़गी यह वयमि इमतहास का सवाशरषठ मसीहा होगा वह एक मानवीय समवधान का मनमााण करगा मजसस सार ससार की एक भारा एक सघीय राजय एक सवोचच नयायपामलका एक झणड की रप-रखा होगी

गरराडा कराईस(हॉलड) - भारत दश म एक ऐस महापरर का जनम हआ ह जो मवशव ककयाण की योजनाएा बनाएगा जलबणा - ससार क सबस समरा वयमि का अवतरण हो चका ह वह सारी दमनया को बदल दगा उसकी आधयामतमक करामत सार मवशव म छा जाएगी एक ओर सघरा होग दसरी ओर एक नई धाममाक करामत उठ खड़ी होगी जो आतमा और परमातमा क नए-2 रहसय को परगट करगी वह महापरर 1962 स पवा जनम ल चका ह उसक अनयायी एक समरा ससरा क रप म परगट होग और धीर-2 सार मवशव म अपना परभाव जमा लग असभव मदखन वाल काया को भी व लोग उस महापरर की कपा स बड़ी सरलता स सपनन करग

परोफसर कीरो - भारत का अभयदय एक सवोचच शमि क रप म हो जाएगा पर उसक मलए उस बहत कठोर सघरा करन पड़ग दखन म यह मसरमत अतयत किदायक होगी पर इस दश म एक फररशता आएगा जो हज़ारो छोट-2

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लोगो को इकटठा करक उनम इतनी आधयामतमक शमि भर दगा मक व लोग बड़-2 बमिजीमवयो की मानयता ममथया मसि कर दग गोपीनार शासतरी - अवतारी महापरर दवारा जबरदसत वचाररक करामत होगी मजसक फलसवरप मशकषण पिमत बदल जाएगी और ऐसी मशकषा का अमवषकार होगा जो वयमि को जीवन जीन की कला परदान करगी जबमक वतामान मशकषा परणाली कवल पट भरन तक ही सीममत ह कमरत आतमजञानहीन बमिजीमवयो स लोगो की घणा होगी और भगभा मवदया रसायन शासतर यतर मवदया खमनज धात चमबक मवदया आमद क नए कषतर की और मवजञान का मवसतार होगा मजसका नततव भारतवरा का एक ऐसा धाममाक सगठन करगा मजसका मागादशाक सवय भगवान होगा धाममाक आशरम जन जागमत क कनदर बनकर काया करग बमप क ितारमन समकमर पमटा क परवत परफ एि पररमणः-

बाप कहाा आत ह- यह भी नही जानत ह जब खद आकर बताव तब पता पड़ कहाा मलखा भी ह मक परमातमा मगधदश म आता ह(मता16876)

शासतरो म मगध दश मलखा ह परनत नॉलज कहाा मसखाई आब म कस आए मदलवाड़ा ममदर भी यहाा परा यादगार ह मजनहोन भी बनाया उनहो की बमि म आया और बठकर बनवाया एकयरट मॉडल तो बना न सक बाप यहाा ही आकर सवा की सदगमत करत ह मगध दश म नही (मता5989 प3 मधय) ऐस बहत बचच ह बाप को परा पहचानत नही ह बाप का अदब(सममान) नही रखत कयोमक बाप कहत ह म साधारण रप म आता ह ा म जो ह ा जसा ह ा मवरला कोई उस रहाब स चलत ह यहाा तो बहत साधारण ह ना ह मकतनी बड़ी असामी आग चल वह भी पहचानग ऐस बाबा को हमन फारकती द दी तकदीर को लकीर लगा दी यह पीछ होगा अभी तो बहत साधारण ह रर ह गपत गपत होन कारण परा पहचान नही सकत ह परा पहचान ल तो कह- बाबा आपक मसवाए दमनया म ह ही कया कोई सदगमत कर न सक (मता151175 प1 आमअ)

यादव और कौरव पास मकतन महल ह तम बचचो को कछ भी नही तीन पर पथवी क भी तमहार नही सब उनहो का ह यह भी गाया हआ ह- मजनको तीन पर पथवी क भी नही ममलत र उनहो की मवजय हई और वह मवशव क मामलक बन गए पाणडव शमिसना गपत ह शासतरो म भी मदखात ह जआ खलत पाणडवो का राजय रा मफर जआ म हराया (म10678 प1 म) भगवान खद कहत ह मझ गाली खानी पड़ती ह सबस जासती गाली म ही खाता ह ा भमिमागा म भी गाली ही दत ह 3 पर पथवी क भी नही ममलत ह मफर भी मकतनी मनरहकारीपन स पाटा बजा रह ह (म6387 प3 अत) बहद का बाप पढ़ात ह परनत बाप ह साधारण तन म पढ़ात भी साधारण रीमत ह इसमलए मनषयो को जाचता नही ह- गॉड फादरली यमनवमसाटी मफर ऐसी होगी बाप कहत ह म ह ा गरीब मनवाज़ गरीबो को ही पढ़ाता ह ा साह कार को ताकत नही पढ़न की उनहो की बमि म तो महल-माड़ी ही होती ह (मता23489 प1 अत) भगवान एक ह उनको ही मात-मपता कहत ह वह आकर एडॉपट करत ह मकतनी गहय बात ह यह नया सकल ह नया पढ़ान वाला ह (मता251088 प3 आ)

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यह नॉलज ह यह ह नई बात नई दमनया क मलए भगवानवाच ह ना भगवान भी नया वाचय भी ह नई वह कहत ह कषण भगवानवाच तम कहत हो मशव भगवानवाच हरक की वाच अपनी-2 ह एक न ममल दसर स (मता15668 प3 आ)

किर वितर न 1 (वतररवता)-

lsquoमशवrsquo का अरा ह- lsquoककयाणकारीrsquo परममपता परमातमा का यह नाम इसमलए ह मक समि-चकर क अत म जब मनषयातमाएा तरा परकमत पमतत एव तमोपरधान बन जाती ह तो परमधाम मनवासी परममपता परमातमा मशव जयोमतमबानद मनषय शरीर का आधार लकर मनषयातमाओ और परकमत दोनो को पावन एव सतोपरधान बनात ह उनक इस कतावय की यादगार म ही मशवरामतर अराात परममपता क शबदो म मशवजयती का तयौहार मनाया जाता ह सपरीम सोल मशव मकसी परर क बीज स या माता क गभा स जनम नही लत व परजामपता दवारा मनषय-समि-रपी वकष क चतनय बीज ह और जनम-मरण तरा कमाबधन रमहत ह अतः व अपना कतावय करन क मलए मकसी साधारण वि मनषय क तन म मदवय परवश करत ह इस ही lsquoपरममपता परमातमा का मदवय अवतरणrsquo कहा जाता ह कयोमक उनका अपना शरीर नही होता ह उनका मदवय कतावय तीन चरणो म समपनन होता ह- सरापना मवनाश और पालना इन तीन कतावयो क मलए व अवयि मसरमत धारण करन वाली तीन साकार दवातमाओ का आधार लत ह व दवातमाएा ह- बरहमा शकर तरा मवषण मनषय-समि-रपी रगमच पर उनक मदवय अवतरण क बाद कौन-सी तीन आतमाएा बरहमा शकर एव मवषण क पातरो का अमभनय करती ह यह जानन क मलए हम सन 1936-37 म परममपता परमातमा क अवतरण स लकर अब तक की घटनाओ को जानना ज़ररी ह

परममपता परमातमा का यह काया सन 193637 म पामकसतान क मसध हदराबाद शहर स परारमभ हआ जब उनहोन दादा लखराज नामक एक मवखयात हीरो क वयापारी को मवषण चतभाज नका की परानी दमनया क मवनाश और सवगा की नई दमनया की सरापना का साकषातकार कराया मकनत व उन मदवय साकषातकारो का अरा समझ न पाए उनहोन अपन गरओ स इसका अरा पछा मकनत भगवान की लीला व दहधारी गर लोग कया समझ मफर व (दादा लखराज) वाराणसी क परकाणड पमणडतो स इसका समाधान पान क मलए गए मकत उनह वहाा भी मनराशा ही हार लगी वहाा भी उनह साकषातकार होत रह मजसकी तसवीर व गगा क घाटो पर बनी दीवारो पर बनात रहत र जब कोई भी उनकी समसया का समाधान न कर सका तो उनह कलकरता म रहन वाल अपन भागीदार (सवकराम) की याद आई उस भागीदार की मनषठा व ईमानदारी स परभामवत होकर ही उनहोन उस अपनी कलकरता मसरत हीरो की दकान की मज़ममवारी सौपी री

अतः दादा लखराज कलकरता गए मकत सीध उस भागीदार को अपन साकषातकारो का वणान करन क बजाय उनहोन अपनी नज़दीकी सबध की माता (अराात छोटी माता) को सनाया और उस माता न दसरी माता को सनाया जो बोलन सनन सनान म मसिहसत री बाद म जब सनन-सनान म मसिहसत माता न परजामपता (भागीदार) को सनाया उसी समय जयोमतमबद परममपता परमातमा मशव न उसी माता और परजामपता (भागीदार) म सार-ही-सार परवश कर मलया और इस परकार उस मसिहसत माता दवारा साकषातकारो का वणान सनन-सनान की परमकरया दवारा lsquoभमिमागाrsquo की तरा भागीदार दवारा जञान समझन-समझान की परमकरया दवारा lsquoजञानमागाrsquo की नीव पड़ गई

इस परकार चामक परममपता मशव न सवापररम उन दोनो माताओ क समकष भागीदार म परवश कर मवशव पररवतान का काया आरमभ मकया इसमलए व मशव जयोमतमबानद ही भमवषय म बरहमा शकर और मवषण- इन मतरदवो दवारा ससार म मतरममता मशव क नाम स परमसि होत ह

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 4: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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जीवन को बनात ह सधारत ह उनही म बराहमणो क ससकार आ जात ह इस परकार बराहमणो की जो बरहमा मख स उतपमरत होती ह उनको lsquoबरहमाकमार या बरहमाकमारीrsquo कहा जाता ह यह नई समि की शरआत की बात ह जो अभी 5000 वरा बाद मफर स पनरावतान हो रही ह

माउट आब स इस काया की शरआत हई मशव गपत रप म आत ह जस गीता म कहा ह- lsquolsquoसाधारण तन म आए हए मझ परममपता परमातमा को दादा लखराज बरहमा जस मढ़ममत लोग पहचान नही पातrsquorsquo तो आपको जो बरहमा का रप मदखाया यह वयमितव परमकटकल म हो चका ह माउट आब म इनक दवारा परममपता परमातमा मशव न नीची कररयो क बराहमणो की सरापना कराई री इनका वासतमवक नाम दादा लखराज ही रा मसध हदराबाद क रहन वाल य मसधी बराहमण र मजनक दवारा यह काया समपनन हआ अभी तो दश-मवदश म ढर सार बरहमाकमारी आशरम खल हए ह 70-75 साल क अदर इतनी ज़बरदसत सरापना करना सामानय आतमा क बस की बात तो नही ह परममपता परमातमा मशव सवय ही कषण की सोल उफा दादा लखराज का नाम lsquoबरहमाrsquo रखत ह और उसक दवारा जब बराहमण धमा की सरापना करत ह तब ढर सार बरहमाकमार-कमाररयाा तयार हो जात ह परममपता परमातमा दखत ह मक इन बराहमण बचचो म ही दो मकसम क बचच पदा हो गए एक रावण कमभकणा मघनाद भी बराहमण र और अपन जीवन म गर वमशषठ मवशवाममतर न भी बराहमणतव अपनाया रा गर वमशषठ मवशवाममतर जसो की सखया रोड़ी हो जाती ह और रावण कमभकणा मघनाद जसो की सखया ढर सारी हो जाती ह यही बात बरहमाकमारी आशरम म भी हई बरहमा की कोख म रस लन स पदा हए जो कखवशावली बरहमा वतस ह उनम ढर सार दि बराहमण पदा हो गए और जो जञान-योग म बरहमामख स जयादा रस लन वाल तयागी-तपसवी ह व रोड़ रह गए अतः कया होता ह परममपता परमातमा को वह शरीर छोड़ दना पड़ता ह कषण वाली सोल माना बरहमा की सोल को शरीर छोड़ दना पड़ता ह उसक बाद सन 69 म परममपता परमातमा मशव राम वाली सशि आतमा म सवारा गपत परवश करत ह कयोमक माता का भी पयार भरा पाटा मशव का ह तो मपता का भी सखत पाटा उनही का ह कहावत ह- टढ़ी उागली मकए बगर घी नही मनकलता अब राम वाली सोल कही-न-कही तो इस समि पर होगी ना तो उस वयमितव म जो मक पहल स ही बरहमाकमार बनी हई होती ह उसम व मशव ही परवश करक अपना काया आरमभ करत ह इस काया क आरमभ होन क बाद रोड़ समय क अनदर ही बरहमाकमारी ससरा म सन 76 स सपि मवभाजन नज़र आता ह जस सभी धमो म हआ- बौमियो म lsquoहीनयानrsquo (और) lsquoमहायानrsquo दो समपरदाय हो गए जमनयो म lsquoशवतामबर और मदगमबरrsquo दो समपरदाय हो गए मसलमानो म lsquoमशया और सननीrsquo दो समपरदाय हो गए मकरमियनस म lsquoरोमन करोमलक और परोटसटटrsquo दो समपरदाय हो गए य दसर-2 जो भी धमा ह उन सबन उस परममपता परमातमा को ही फॉलो मकया

अब जब परममपता परमातमा न आकर नए सनातन धमा की सरापना की तो भी यही परमकरया चली मक बरहमा क शरीर छोड़न क कछ समय क बाद उस बरहमाकमारी आशरम म दो तरह क लोग सपि नज़र आत ह तो आपस म टकराव पदा होता ह बमिजीमवयो की सखया कम होती जाती ह और व अलग हो जात ह तो सघरा तो बढ़गा ही हर धमा म यह सघरा बढ़त-2 चमाउतकरा रप पदा होता ह गरओ का जो बड़ा और पराना रमढ़वादी दमकयानसी वगा ह वह सचचाई को नही पहचानता कयोमक उनको तो गददी ममली हई ह वह माउट आब म अभी भी कामबज़

अमधकार-परापत ह व सचची बात को सनत नही ह आप दखग मक जो कछ भी बरहमा दवारा माउट आब स मरली या वाणी सनाई ह वह वाणी वासतव म अपनी जगह पर शासतरसगत ह लमकन बरहमाकमाररयाा आज भी यह बात

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कह रही ह मक शासतर सब झठ ह और हमार बाबा न जो कछ बोला ह वही सचचा ह लमकन बाबा न जो कछ बोला ह उसका अरा कया ह वह उनह पता ही नही ह और सनन क मलए तयार भी नही ह हर धमा म यह मसरमत पदा होती रही ह इसी तरीक स परममपता परमातमा मशव राम वाली आतमा (जो तरतायग म भी होती ह) जो जनम-मरण क चकर म आत-2 कमलयग-अनत म साधारण मानव तन म होती ह उसम परवश करक शकर क नाम-रप स ससार म धीर-2 परतयकष होना शर होत ह शकर का सखत पाटा ह सखत पाटा क दवारा व बराहमणो क समपरदाय म दो फाड़ कर दत ह- सचच मखवशावली बराहमण और झठ कखवशावली बराहमण मखवशावली वह जो बरहमा क मख स चलाई हई मरली की ही बात मानत ह मकसी दहधारी की बात नही मानत और कखवशावली वह जो बरहमा की कख अराात गोद क पयार को मवशर महतव दत ह मख की चलाई हई मरली को महतव नही दत चनी हई कछ शरषठ आतमाएा मनकलती ह आपन दखा होगा मक शकर जी क बाहो म माला मदखात ह गल म भी कई तरह की मालाएा पड़ी हई ह माला सगठन की मनशानी होती ह एक सनह और दसर जञान क सतर म व मणक रपी आतमाएा मपरोई गई ह उनका सगठन तयार मकया गया ह वह माला रपी सगठन सार ससार म हर धमा म मानयता परापत करता ह मकस रप म आप दखग मसलमानो म भी माला घमाई जाती ह मकरमियनस म भी माला घमाई जाती ह बौिी लोग भी माला घमात ह मसकख लोग भी माला घमात ह यह माला का इतना महतव कया ह जो हर धमा म घमाई जाती ह यह कोई नही जानता बाबा न मरली म बताया ह मक lsquolsquoबचच य माला क जड़ मणक तम तामसी जड़जड़ीभत आतमाओ की यादगार हrsquorsquo जब परममपता परमातमा आत ह तो तम आतमा रपी मणको को इकटठा करत ह और शरषठ आतमाओ का जो माला रपी सगठन तयार होता ह वह सार ससार म तहलकाखलबली मचाता ह पहल भारतवरा म बराहमणो की दमनया क अनदर तहलकाखलबली शर होती ह माला क सगठन म 108 मणक होत ह आप दखग दमनया म आज मखय-मखय 9 धमा फल हए ह महनद धमा तो बहत पराना ह उसम स दो फाड़ ऐस ह- (एक) जो कभी दसर धमा म कनवटा नही होत और दसर ऐस ह मक जो कनवटा होत ही रह मसलमान आए तो मसलमानो म कनवटा हो गए मकरमियनस आए तो मकरमियनस म कनवटा हो गए मसकख आए तो मसकख म कनवटा हो गए तातपया यह ह मक सनातन धमा म दो परकार क वगा हो गए- एक नॉन कनवटड जो कभी कनवटा नही हए भल मकसी भी तरह की कोई परीकषा आई परत अपन धमा को नही छोड़ा दसर वह जो कनवटा होत ही रह एक स दसर धमा म दसर स तीसर धमा म तीसर स चौर धमा म आज स 2500 वरा पहल lsquoइसलाम धमाrsquo आया मफर चौरा lsquoबौि धमाrsquo आया (जो) चीन जापान बरमा मलाया म फला पााचवाा lsquoमकरमियन धमाrsquo आया जो यरोपीय दशो म फला अमररका म फल गया छठा शकराचाया का lsquoसनयास धमाrsquo (लाल-पील-काल-सफद कपड़ पहनकर मनकला) उसक बाद महममद आए मजनहोन इसलाम धमा क फाड़ करक ममतापजा बद करवा दी और lsquoममसलम धमाrsquo फलाया उसक बाद गरनानक आए और उनहोन मसलमानो स टककर लन क मलए भारत क ही अचछ-खास हटट-कटट कम बमि वाल जो सनातन धमा क लोग र उनको कनवटा करक lsquoमसकखrsquo बना मदया और व मसलमानो स मकरमियनस स ज़बदासत टककर लत रह कल ममलाकर अनत म lsquoआया समाजrsquo एक ऐसा धमा आता ह जो सबको आह त करता ह मक तम सब आ करक भारतवरा म इकटठ हो जाओ मकसी भी धमा का हो हम उस महनद बना दग पकक महनदओ न तो कभी मवधममायो को सवीकार नही मकया आयासमामजयो न अपन दश म सब धमो का कचड़ा इकटठा कर मलया एक धमा ऐसा ह lsquoनामसतकवादrsquo जो माला म नमबर ही नही पाता ईशवर की जो शरषठ आतमाओ वाली 108 की माला बनती ह उसम उनका नमबर नही

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लगता व य ह नामसतक (रमशयनस) व न सवगा मानत ह न नका मानत ह न आतमा को मानत ह न परमातमा को मानत ह व कछ नही मानत व अपन नश म आकर ऐटममक एनजी तयार करत ह मक हम ही सब कछ ह हम चाहग तो दमनया को नचाएाग नही तो नि कर दग लमकन व अपन मककड़ जाल म खद ही फा स जात ह आज तो रस मबखर गया और उसस जयादा ऐटममक एनजी अमररका न धारण कर ली ह इस तरीक स दमनया क नवार 9 मखय आमसतक धमा ह इन 9 धमो की चनी हई मखय-2 बारह-2 ( 9 ग 12 = 108 ) आतमाएा परममपता परमातमा इकटठी करत ह सारी समि स चनकर 12 नमा 108 मणक तयार होत ह

आज स 70-75 साल पहल भारतवरा म इतन भगवान नही र आचाया रजनीश भी भगवान जय गरदव भी भगवान सााई बाबा भगवान सतपालजी महाराज भगवान चदरा सवामीजी भगवान- य ढर क ढर भगवान 75 साल पहल र ही नही 70-75 साल क अदर ही य ढर क ढर भगवान पदा हो गए अब भगवान एक होगा या ढर क ढर होग भगवान तो ज़रर एक होगा लमकन महसाब कया ह जब इस समि पर परमधाम छोड़कर सचचा हीरा आता ह तो उसकी भट म ढर सार नकली हीर दमनया क बाज़ार म तयार हो जात ह व नकली हीर चारो तरफ अपना पॉमप एणड शो शोर-शराबा फला दत ह जबलपर म महशयोगी की एक बड़ी भारी मबमकडग बननी री सकड़ो-करोड़ो रपयो की वह मबमकडग तयार होनी री उसम होना कया बस वही सवाहा अब उसस कछ होता रोड़ ही ह 2500 वरा स यह सवाहा-2 होता चला आया कया इसस कोई दमनया का पररवतान होना ह पररवतान कछ भी नही होना ह वह एक बात तो सचची बता दी मक वातावरण शि होता ह परनत बजाय वातावरण शि होन क दमनया और जयादा मबगड़ रही ह (एक भाई न कहा- अमररका स व गोकड का समगमलग करत ह) चलो वह कछ भी हो हमन एक बात बताई मक भगवान ढर क ढर ह लमकन नकली हीर ह और उनम पता नही चल रहा ह मक असली कौन ह ज़रर असली भी ह लमकन पता नही चल रहा ह और उसका परफ यह ह मक भगवान जब आएाग तो नई समि की सरापना क सार-2 परानी समि का मवनाश का सामान भी तयार कराएाग सत धमा की सरापना क सार-2 ढर क ढर जो दि धमा फल हए ह उनका भी मवनाश का काया करत-करात ह lsquolsquoमवनाशाय च दषकतामrsquorsquo (गीता 48) गीता का यह शलोक ही बताता ह परममपता परमातमा जब इस समि पर आत ह तो यह तयारी पहल करात ह सरापना गपत करत ह और मवनाश का काया परतयकष करात ह

रस और अमररका मजनको अपनी भारतीय परमपरा म महाभारत म यादव कहा गया ह बड़-2 धनाढय होत र

बहत शराब पीत र और ऊा ची-2 मबमकडग होती री ऐस जो यादव गरप ह उनहोन कया मकया व र तो यदवशी भगवान कषण क करोल म लमकन उनहोन कया मकया उनक बमि-रपी पट स जो ममसाइकस मनकल उन मसलो स उनहोन आपस म ममलकर-लड़कर अपन सार कल का सहार कर मदया और सारी समि का मवनाश कर मदया लोगो न सरल मसल समझ मलए अब यह तो समझन-2 की मवडबना ह वासतव म ह ममसाइकस की बात जस पट म कोई चीज़ पचाई जाती ह ऐस यह बमि-रपी पट ह कहत ह ना- lsquoतमहार पट म बात नही पचतीrsquo तो कया यह (सरल) पट ह या यह (बमि-रपी) पट ह इस बमि-रपी पट म स व ममसाइकस मनकल उन लोह क मसलो स यह सारी दमनया नि होती ह 70-75 साल क अदर भारी तादाद म यह एनजी भी तयार हो गई समि पर परममपता परमातमा का अवतरण भी हआ और 70-75 साल पहल भारतवरा म महातमा गाधी क टाइम पर सबस जयादा जो आवाज़ लगाई गई री lsquoह पमतत-पावन आओrsquo वह आवाज़ भी लग रही री भारत की 40 करोड़

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जनता गाधीजी क ततवावधान म lsquoरघपमत राघव राजाराम पमतत-पावन सीतारामrsquo की आवाज़ लगा रही री लमकन आवाज़ लगान वालो को यह पता नही चला मक परममपता परमातमा इस समि पर उस समय स ही आ चक ह

कहन का मतलब यह ह मक जब परममपता परमातमा आत ह तो एक तरफ मवनाश की बाजी भी तयार कर दत ह और दसरी तरफ सरापना का काया भी गपत म चलात ह तो इस समय य दोनो काया समपनन हो रह ह- सरापना का काया भी परा होता ह और ऐटममक एनजी भी तयार हो जाती ह मजसका पररम मवसफोट हीरोमशमा-नागासाक़ी म हआ तब जा करक इस समि का एक तरफ मवनाश होता ह और दसरी तरफ वह माला तयार हो जाती ह जो सारी समि की धमासरता और राजय-सरता की बागडोर धीर-2 अपन हारो म ल लती ह आपन जयोमतमरयो की कछ भमवषयवामणयाा सनी होगी जो अकसर करक मनकलती रहती ह 400500 साल पहल क जो जयोमतरी हए ह- कीरो कीर और नसतरडाम आमद इनकी भमवषयवामणयाा मनकली हई ह सभी न 2000 को मददा बनाया लमकन 2000 क आस-पास का जो भी मददा रा वह सारी समि क मवनाश का मददा नही रा वह वासतव म मसफा बराहमणो की दमनया क अनदर आधारमता एव बीजरप आतमाओ की दमनया क मवनाश का मददा ह यह कोई नही जानता यह दमनया एकदम ऐस चटकी म खतम हो जाएगी तो परममपता परमातमा को कौन पहचानगा परममपता परमातमा को पहचानन क मलए टाइम तो चामहए ना

वासतव म यह जो 2000 साल क बाद का पीररयड ह यह बरहमाकमारी आशरम म आमल-चल पररवतान ला दगा बाहर की दमनया म भी रोड़ा-2 पररवतान होगा ऐटममक एनजी का भी रोड़ा-2 मवसफोट होगा लमकन इतना नही होगा मक सारी समि खतम हो जाए अभी मसफा बराहमणो की परानी दमनया का मवनाश होता ह नई दमनया की सरापना होती ह और सब आतमाएा पहल बमियोग स वापस परमधाम म जाती ह मान बराहमणो की दमनया क अनदर जो मवशर आतमाएा ह व इस बात को समझ लती ह मक परममपता परमातमा का साकार रप और कायाकाल कया ह और यह काया कस चल रहा ह यहाा मदखाया गया ह मक जस हम आतमाएा जयोमतमबानद ह वस परममपता परमातमा भी जयोमतमबानद ह जयोमतमबानद का ही बड़ा आकार मशवमलग बनाया जाता ह मजस अपनी भारतीय परमपरा म 12 जयोमतमलिगम क नाम स परमसि मकया गया ह उजजन काशी रामशवरम कदारनार बदरीनार य 12 जयोमतमलिगम बन ह 12 ही कयो 13 कयो नही 11 या 10 कयो नही 9 धमो स चनी हई 12-12 आतमाओ क 9 गरपस होत ह हर धमा म शरषठ आतमाएा तो होती ह ना परममपता परमातमा भी जब आत ह तो सवापररम हर धमा स शरषठ आतमाओ को चनत ह और चनकर उनको पकका सयावशी बराहमण बनात ह

आज की दमनया म वासतव म कोई बराहमण नही रहा (भाई न कहा- आप यह कया कहत ह आप तो बराहमणो की अवहलना करत ह) नही तलसीदास न यह बात रामायण म आज स 400-500 वरा पहल मलखकर छोड़ी ह- lsquoभय वणा सकर सबrsquo सार ही वणा सकर हो गए कोई बराहमण और कोई शदर नही रहा उनहोन 400 साल पहल मलखा रा अब तो हालत बहत खराब हो गई अब तो बहत जयादा वयमभचार फल गया घर-2 म वयमभचार फला हआ ह तो इस समय परममपता परमातमा आकर परजामपता बरहमा दवारा असली बराहमण कल की सरापना कर रह ह आपन सना होगा बराहमणो की 9 कररयाा गाई जाती ह- शामडकय गोतर भारदवाज गोतर कशयप गोतर आमद-2 9 ऋमरयो क आधार पर 9 गोतर गाए जात ह व 9 ऋमर कोई दसर नही ह 9 धमो का परमतमनमधतव करन वाली 9 शरषठ आतमाएा ह जो परममपता परमातमा इस समि स असली बराहमण धमा म चनत ह जो 9 आतमाएा ह उनम स एक सबस शरषठ होगा ना जो सबस शरषठ हआ उसक जो 12 क गरप ह व परममपता परमातमा मशव स इतना

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तादातमय सरामपत करत ह मक उनकी मशव जसी ही सटज बन जाती ह इसमलए तो 12 जयोमतमलिगम आज भी भारतवरा म भगवान क रप म पज जात ह

कहन का मतलब यह हआ मक परममपता परमातमा मशव भी जयोमतमबिद ह ऋमरयो-महमरायो न पजा क मलए उनका बड़ा आकार बना मदया ह वह मनराकारी सटज का परतीक ह मनराकार का मतलब यह ह मक उस सटज म जो 12 ह उनम स एक शकर का रप मजस lsquoरदर अवतारrsquo कहा जाता ह व ऐसी मनराकारी सटज म रहत ह मक जस मक उनका शरीर रपी वसतर ह ही नही नवार इस सटज म रहना अपन को सदव आमतमक सटज म समझना दसरो को आतमा क रप म दखना- ऐसी परमकटस पककी हो जाए उसको कहग lsquoमनराकारी सटजrsquo इमदरयाा जस होत हए भी नही ह जस कहत ह- lsquoदखत हए भी नही दखना सनत हए नही सननाrsquo जस दमनया म मकतनी भी नलामन उड़ रही ह उनक ऊपर कोई असर नही पड़ रहा ह

lsquoबीrsquo समइड

वितर न 4 (सिा आतरमओ कम वपतम एक ह)- वह तो गॉड फादर ह मजसक अलग-2 नाम-रप द मदए ह लमकन अलग-2 नाम-रप होत हए भी एक रप ऐसा ह जो हर धमा म मानयता परापत करता ह कस अपन भारतवरा म जयोमतमलिगम मान जात ह- रामशवरम वगरह कहत ह- राम न भी उपासना की राम को भगवान मानत ह लमकन उपासना मकसकी की मशव की उपासना की तो राम भगवान हए या मशव भगवान हए मशव ही हए ऐस ही गोपशवरम ममदर भी बना हआ ह lsquoगोपrsquo कषण को कहा जाता ह इसस सामबत हो गया मक कषण भगवान नही र वासतव म उनका भी कोई ईशवर ह मजनहोन उनको ऐसा बनाया ऐस ही कदारनार ह बदरीनार ह काशीमवशवनार ह और यह सोमनार ह इन सभी ममदरो म इस बात की यादगार ह मक यहाा उस मनराकार जयोमत को जयोमतमलिगम क रप म माना जाता ह नपाल म पशपमतनार का ममदर ह कमलयग क अत म सभी मनषयमातर पशओ जसा आचरण करन वाल हो जात ह उन पशओ को भी पश स बदर स ममदर लायक बनान वाली वही मनराकार मशवजयोमत ह उसी की यादगार म एक मशवमलग नपाल म भी सरामपत ह

अचछा महनदओ की बात छोड़ दीमजए मसलमान लोग मकका म हज़ (तीरा यातरा) करन जात ह वहाा महममद न दीवाल म एक पतरर लाकर रखा रा उसका नाम उनहोन lsquoसग-ए-असवदrsquo मदया अभी भी जब तक मसलमान लोग उस पतरर का चमबन नही कर लत मसजदा नही माना जाता उनकी हज़ की यातरा परी नही होती इसका मतलब व भी आज तक उस मनराकार को मानत ह हालाामक व पतरर को नही मानत व तो ममतायाा व मशवमलग को तोड़न वाल रह ह उनहोन यहाा भारत म आकर मशवमलगो को तोड़ा ह लमकन वहाा मानत ह बौिी लोग आज भी चीन-जापान म दख जात ह मक व गोल सटल क ऊपर पतरर की बमटया रखत ह और उसक ऊपर दमि एकागर करत ह इसस सामबत होता ह मक व भी उस मनराकार को मानत ह गरनानक न तो कई जगह कहा ह- lsquoएक ओकार मनरकारrsquo lsquoसदगर अकाल मताrsquo व तो मनराकार को मानत ही ह ईसाईयो क धमागरर बाईबल म तो कई जगह मलखा हआ ह- lsquoगॉड इज़ लाइटrsquo अराात परमातमा जयोमत ह कहन का मतलब यह ह मक हर धमा म उस मनराकार जयोमत की मानयता ह अब यह सवाल पदा होता ह मक जब सब धमो म उस एक ही रप की मानयता ह तो सब धमा वाल उस एक ही को परममपता परमातमा का रप कयो नही मानत य अलग-2 रप कयो मान हए ह यह वासतमवकता मकसी की बमि म नही आ रही ह

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वह मनराकार जयोमत जब इस समि पर आती ह तो जो मवशर आतमाएा राम और कषण ह इन दो को चनकर समि क मवनाश और सरापना क काया म ममखया बनाती ह कषण की सोल आखरी जनम म दादा लखराज क रप म मसनध हदराबाद म जनम लती ह और उसम परममपता परमातमा मशव परवश करक पहल परतयकष lsquoबरहमाrsquo क रप म काया करत ह पयार का पाटा बजात ह आप कही भी मकसी भी बरहमाकमारी आशरम म जाएा तो आप कोई भी बरहमाकमार-कमारी स पमछए मक बाबा न कभी मकसी को टढ़ी नज़र स दखा या गलत कवचन कहा या कोई ऐसा ह मजसन बाबा क समपका म पहाचन क बाद यह अनभव मकया हो मक बरहमा बाबा न हमको दःख मदया

परतयक बरहमाकमार-कमारी यही कहगा मक बाबा भल 10 ममनट क मलए ममल हो परनत बाबा न हमको मजतना पयार मदया उतना दमनया म हम मकसी स अनभमत नही हई व र पयार की परमतममता बरहमा बाबा जस अभी भी टीवी म सीररयल आत ह आप दखत होग मक असरो न वरदान ल मलए ह असर लमकन मफर भी माा स वरदान ल मलया वासतव म वह एक रप मदखाया गया ह और इनक ठीक मवपरीत एक दसरा रप राम वाली आतमा ह मजसम कमलयग क अत म परममपता परमातमा परवश करक lsquoशकरrsquo क नाम-रप स परखयात होत ह दखो जस इन कषण का नाम-रप परखयात हआ ह lsquoबरहमाrsquo वस उन राम का नाम-रप परखयात होता ह lsquoशकरrsquo इन दोनो ही शमियो की सहयोगी शमि दो आतमाएा भी ह कषण की सहयोगी शमि ह lsquoराधाrsquo और राम की सहयोगी शमि ह lsquoसीताrsquo इनक वतामान रप क नाम पड़त ह बरहमा की सहयोगी शमि lsquoसरसवतीrsquo और शकर की सहयोगी शमि lsquoपावातीrsquo य वतामान सवरप क नाम ह जब कमलयगी दमनया समापत होती ह नई सतयगी समि रची जाती ह तो चारो आतमाओ क सवभाव-ससकार का समममशरण होता ह अभी तो हर घर म सतरी-परर क ससकार आपस म टकरात ह कोई घर ऐसा नही होगा मजसम ससकार टकराए नही लमकन सबस पहल एक ऐसी भी दमनया परममपता परमातमा न बनाई री मक पहल-2 चार आतमाओ क ससकार ममलकर एक हो गए र व य आतमाएा ह जो समि क हीरो-हीरोइन ह और इन आतमाओ का समममशरण मवषण की भजाओ क रप म मदखाया गया ह कहत ह ना lsquoमर भया न शरीर छोड़ मदया मरी दामहनी भजा टट गईrsquo तो दामहनी भजा रोड़ ही टट गई बमकक जो सहयोगी शमि ह वह चली गई

इसी तरह परममपता परमातमा क काया म दो दामहनी भजा क रप म सहयोगी बनत ह बरहमा-सरसवती मान कषण और राधा य कड़ा-कठोर रप कभी नही अपनात पररवतान क मलए इनहोन हमशा पयार का काम मकया इसमलए इनको परममपता परमातमा न राइट हणड क रप म सवीकार मकया लमकन जब राइट हणड स काम नही मनकलता तो मफर उागली टढ़ी भी की जाती ह व दो रप ह शकर और पावाती आमद शमि चामडा का रप धारण करती ह और शकर परलयकर रप धारण करत ह वह राम (शकर) वाली आतमा सहयोमगनी शमि दवारा परलय मचाती ह शमि का रप धारण मकए बगर रावण कमभकरण मघनाद जस असर पररवतान नही हो सकत इन बराहमणो क अनदर जयादा स जयादा तादाद म ऐस आसरी ततव घस गए जो रावण कमभकरण मघनाद का पाटा बजात ह उनको सधारन क मलए जञान बाण मारन वाली राम की आतमा तयार होती ह बाण कोई दसर नही ह परममपता परमातमा न आकर राम क मख दवारा उनक मलए जो तीखी बात बोली ह उन बातो का अरा ही जञान बाणो का काम करती ह हमको तो व महावाकय पयार लगत ह लमकन उस तरह की जो आसरी बराहमण आतमाएा पररवार म घसी हई ह उनको व बाण लगत ह उनको घाव पदा कर दत ह तो इस तरीक स य जो लव और लॉ क दो रप ह उनम यह तीसरा रप समाया हआ ह जो बरहमा-सरसवती शकर और पावाती रपी चार आतमाओ का समममशरण ही lsquoमवषणrsquo

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कहा जाता ह बाकी ऐसा कोई वयमि ससार म कभी हआ नही ह जो चार भजाओ का रहा हो या 10 मसर का रावण रहा हो 10 मसर क रावण का मतलब ह मक दसो धमा ममल करक ससार म परजाततर राजय का ऐसा बकायद सगठन बनात ह मजसस सारी दमनया मवनाश क कगार पर खड़ी हो जाती ह बाकी परममपता परमातमा न तो आकर राजयोग मसखाकर कायदमसर दवी राजाओ का राजय सरापन मकया रा

परममपता परमातमा जो सकल खोलत ह सदगर कह जात ह तो ज़रर व ऐसी ईशवरीय यमनवमसाटी का वाइस चानसलर बनत होग जहाा व कोई माला रपी सगठन की बड़ी-2 पदमवयाा दकर जात हो दश-मवदश म जनम-जनमातर क जो राजाएा बन ह उन राजाओ को राजाई करन की मवदया उनहोन मसखाई री उसको lsquoराजयोगrsquo कहा जाता ह वह राजयोग परममपता परमातमा गीता जञान क दवारा अभी मसखा रह ह जनम-जनमातर का राजा बना रह ह लौमकक बाप जो होत ह व तो एक जनम की परामपत करात ह वसाा दत ह लमकन यह पारलौमकक बाप जब समि पर आत ह तो अपन आतमा रपी बचचो को अनक जनमो की राजाई दकर जात ह वह अनक जनमो की राजाई अभी दी जा रही ह ससार म अभी कछ ही वरो म ऐसी 108 शरषठ आतमाएा परतयकष होन वाली ह जो सार ससार म तहलकाखलबली मचाएागी और सार ससार की धमा सरता व राजय सरता दोनो की बागडोर अपन हार म ल लगी यही 108 शरषठ आतमाएा आज भी सभी धमो म माला क रप म समरण की जाती ह

जब सारी दमनया माया क पज म फा स जाती ह तब व जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आत ह माया का पजा कोई सतरी नही ह काम करोध लोभ मोह अहकार- य पााच मवकार मनषय क अनदर भर हए ह उन पााचो मवकारो म सारी दमनया जकड़ गई ह आज एक भी मनषय ऐसा नही ह जो इन पााचो मवकारो की जकड़ स बाहर हो जब सारी समि की ऐसी अतयमधक बदतर हालत हो जाती ह तब परममपता परमातमा मशव आत ह मजसकी यादगार म यह lsquoमहामशवरामतरrsquo मनाई जाती ह इस महामशवरामतर म जब परममपता परमातमा मशव आत ह तो दमनया म चारो तरफ अनक धमा फल हए होत ह उन धमो म धमा क नाम पर मवतडावाद जयादा ह जञान कछ भी नही ह जञान क नाम पर अजञान-ही-अजञान सनाया जाता ह और पस व मदखाव को जयादा महतव मदया जाता ह जो धमा की सरापना का काया ह धारणा की बात ह व न क बराबर होती ह तब जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आकर उस अजञान अधकार का मवचछदन करत ह इसमलए उसकी यादगार म भारतवरा म माघ मास को अधारामतर म महामशवरामतर मनाई जाती ह जब आम खरी मास होता ह समि का आम खरी टाइम होता ह कमलयग का अनत होना होता ह तब दमनया म अजञान अधकार चारो तरफ फला रहता ह जस शमिमान सीररयल म आता ह- lsquoअधरा कायम रहगाrsquo असर तो यही चाहत ह मक अधरा कायम रह दमनया अजञान म रह और हम अपना आसरी काम बनाएा तो य काम करोध लोभ मोह अहकार ह असर मजनका ममखया ह काम मवकार उस काम मवकार को परममपता परमातमा आकर सबस पहल शकर क चोल क दवारा भसम करात ह हमन समझ मलया मक काम मवकार कोई दवता का रप होगा उसको lsquoकामदवrsquo नाम द मदया लमकन वासतव म वह कोई अलग स दवता नही होता यह हमार अनदर की ही कपरवमरत कमज़ोरी व मवकमत ह जो उस शकर दव न पहल भसम कर दी भसम करन वालो म नमबरवार होत ह लमकन जो उसको सबस पहल भसम कर लता ह वह बात शकर क मलए मदखात ह उनका जञान का तीसरा नतर खला और काम मवकार भसम हो गया वह कोई बाहर का काम मवकार रोड़ ही रा यह तो अदर की चीज़ री जो उनहोन भसम कर दी नि कर दी जब ममखया भसम होगा तो बाकी य जो चार चोर-डकत ह व तो अपन आप ही भाग जाएाग

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वितर न 5 (विि और िकर)- यहाा मदखाया गया ह मक वासतव म मशव अलग स परममपता ह और शकर अलग आतमा ह गलती क कारण दोनो को ममलाकर एक कर मदया लमकन गलती भी नही ह वासतव म वह हमारी बसमझी हो गई यह बसमझी होन क कारण ही बरहमाकमार-कमाररयाा भी उस बसमझी म फा स हए ह कया बसमझी हो गई मक व सपरीम सोल मशव मनराकार जयोमतमबिद जब इस समि पर आत ह तो इस समि पर आकर मकसी जनसाधारण को ज़रर आप समान बनाएाग व पढ़ाई पढ़ाएाग टीचर का कोई तो सटडट ऐसा मनकलगा जो उनकी परी 100 परसट पढ़ाई को धारण कर ल तो व मनराकार जयोमतमबिद मशव आकर इस शकर क सवरप दवारा ससार म परतयकष होत ह और इस तरह दोनो का तादातमय हो जाता ह आप दखग कोई यह नही कहता ह मक मशव-बरहमा एक ह मशव क सार बरहमा का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार मवषण का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार शकर का ही नाम कयो जड़ता ह इसमलए जड़ता ह मक शकर मशव की याद म इतना तकलीन हो जात ह मक उनको अपन म समामहत कर लत ह अराात बाप समान बन जात ह तो वह समामहत करन की जो मसरमत ह वह lsquoमशव-शकर एक हrsquo- यह मसरमत ससार म परमसि होती ह वासतव म दोनो आतमाएा अलग-2 ह य सपरीम सोल मशव जनम-मरण क चकर म कभी आत ही नही इसमलए lsquoमशवमलगrsquo कहा जाता ह lsquoशकर मलगrsquo नही कहा जाता lsquoमशवरामतरrsquo कही जाती ह lsquoशकर रामतरrsquo नही कही जाती मशव ऐसी चीज़ ह जो मक पाप और पणय स हमशा पर ह और जो दहधारी ह व पाप-पणय क अदर फा सत ह

अब आप दमखए शकर धयान म बठ ह अगर य खद ही परममपता परमातमा का रप होत सपरीम सोल होत तो य मकसका धयान कर रह ह आप परान-2 ममदरो म जाइए आप दखग बीच म मखय सरान पर मशवमलग ह और आस-पास सभी दवताओ क सार शकर की भी ममता रखी हई होती ह इसस कया सामबत हआ मक और मजतन दवताएा ह उन 33 करोड़ दवताओ क बीच म शकर दव-दव महादव तो ज़रर ह लमकन व परममपता परमातमा नही ह व भी उनकी उपासना म सामन बठ हए ह मकसक सामन मशवमलग क सामन तो मनराकार की यादगार मलग रप मशव जयोमतमबिद सपरीम सोल ह और य शकर हीरो पाटाधारी इस समि-रपी रगमच क नायक ह जञानीजनो दवारा जयोमतमबिद मशव को मसफा याद मकया जा सकता ह और भमिमागा म उनका मकरार रर शकर ही मनराकारी सटज म मसरर हो जान कारण बड़ मलग रप म पजा जाता ह

वितर न 6 (पररवपतम पररमतरम सिावयमपी नही)- यहाा यह बताया गया ह मक ईशवर जब समि पर आएाग तो जञान का कोई-न-कोई ऐसा नया पवाइट ज़रर बताएाग मजसम सारी दमनया भरममत हई पड़ी हो ऐसी नई बात ज़रर सनाएाग मजस सारी दमनया न जानती हो बमकक मवपरीत बात ही जानती हो वह बात यह ह मक जब दमनया म चारो तरफ भगवान को ढाढ़ा और कही नही ममला तो लोगो न उनक मलए कहना शर कर मदया- lsquoव तो सवावयापी ह जर-2 म भगवान ह कण-2 म भगवान ह जहाा दखो वहाा भगवान हrsquo लमकन वासतव म गीता का एक शलोक ही इस बात क मलए काफी ह मक lsquolsquoतद धाम परम ममrsquorsquo (कपया गीता का शलोक 156 दमखए) अराात म वहाा परमधाम का रहन वाला ह ा दमनया का सबस शरषठ गरनर गीता ह मजसकी सबस जयादा टीकाएा हई ह उसक एक शलोक म यह बात सामबत हो गई ह गीता म ही एक शबद आया ह lsquoमवभrsquo इस शबद का उनहोन इतना बड़ा अरा कर मदया मक ससार म चारो तरफ यही बात फली हई ह मक व सवावयापक ह वासतव म मवभ का अरा यह ह मक व मवशर रप स हर मनषय आतमा की

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बमि म lsquoभrsquo माना याद क रप म अपना सरान बना लत ह उसका उकटा अरा लगाकर उनहोन परममपता परमातमा को सवावयापी कह मदया

यहाा बात समझाई गई ह मक परममपता परमातमा वासतव म समि पर सवावयापी नही ह गीता और रामायण भी इस बात क परमाण ह गीता व रामायण म मलखा ह मक lsquolsquoजब-जब इस समि पर अधमा का बोलबाला होता ह तब-तब म आता ह ाrsquorsquo lsquoआता ह ाrsquo स सामबत ही हो गया मक व नही र तब तो आए नही तो उनको आन की कया दरकार री दसरी बात अभी-2 आपको गीता का जो शलोक बताया वह पकका सामबत कर रहा ह मक परममपता परमातमा का धाम नाम काम ऊा च त ऊा चा ह मजसका गायन भी ह- lsquoऊा चा तरा धाम ऊा चा तरा नाम

ऊा चा तरा कामrsquo धाम काम नाम- तीनो ही जब ऊा चा ह तो व ऊा चा ही बठग या नीच बठग इस दमनया का भी जो राजा होता ह वह भी ऊा ची गददी पर बठता ह तो हमन परममपता परमातमा को कण-2 म कयो ममला मदया

यहाा मचतर म मदखाया गया ह मक ऋमर ममन सनयासी भाव मवभोर होत ह तो खड़ताल बजाकर कहत ह- lsquoह परभ हम दशान दोrsquo परत जब परवचन करत ह तो कहत ह- lsquoपरमातमा सवावयापी ह आतमा सो परमातमा मशवोऽहम हम परमातमा क रप ह हम ही भगवान हrsquo तो यह बात तका सगत सामबत नही होती एक बात पर पकका रहना चामहए यह कया बात हई कीतान करन लग तो परभजी हम दशान दो अब दशान कहाा स द तमहार अदर जब खद ही भगवान बठ हए ह तम खद ही भगवान क रप हो यहाा यह मदखाया गया ह मक जो परवचन सनन वाल ह व मजस समय गरजी महाराज का परवचन सनत ह तब तो भाव मवभोर होकर कहत ह- lsquoहाा परमातमा सवावयापी ह बहत अचछा जञान सनायाrsquo घर म पहाचत ही भाई भाई की हतया करन लग अब उनह भाई-2 क अदर भगवान नही मदखाई मदए यह मवरोधाभास एकदम इतना कस पदा हो गया

वासतव म सबक अदर अपनी-2 मभनन ससकारो वाली आतमा होती ह परममपता परमातमा उन सबस सवारा अलग ह अपनी भारतीय परमपरा म शकराचाया की मरोलोजी अलग ह और माधवाचाया की मरोलोजी अलग ह माधवाचाया की गीता म बताया गया ह मक lsquoआतमा सब अलग-2 ह और परमातमा उनस अलगrsquo जबमक शकराचाया की गीता म बताया गया ह- lsquoसवि खल इद बरहमrsquo अराात इस दमनया म जो कछ भी दखन म आ रहा ह व सब भगवान का रप ह माधवाचाया न बताया मक lsquoहर आतमा म अलग-2 ससकार हrsquo य आतमाएा गभा म जब शरीर धारण करगी तो य अपना अलग-2 पाटा ही बजाएागी इनका पाटा दसरी आतमा स ममल नही सकता हम हमशा शासतरो म यह ममसाल दत आए ह मक हम सब आतमाएा सागर म बदबदा ह बदबद सब सागर म समा जात ह मान हम उस सागर का अश ह यही कहा ना लमकन हम एक बात भल गए अगर हम बदबद ह हम सागर का अश ह तो सागर म स जो चकल भर पानी हमन ल मलया उसम जो खारपन का गण होगा वही सागर क पानी म भी होना चामहए ना यह पानी हमन पनः उसम ममला मदया दोनो का गण अभी भी एक ही ह लमकन हम सबक अदर य अलग-2 ससकार कस ह यह अलगाव कहाा स आ गया और जनम-जनमातर स यह अलगाव चलता चला आ रहा ह दसरी बात इसका एक और पररहारमनवारण ह- आपन कभी चाहा ह मक हमारी आतमा का जो अमसततव ह वह हमशा क मलए खतम हो जाए कोई चाहता ह अगर हमारी आतमा उस सपरीम सोल मशव म जाकर लीन हो जाए सागर म चकल भर पानी ममला मदया गया तो उसका अमसततव हमशा क मलए खतम हो जाएगा मफर शासतरो म यह बात कहाा स आई- lsquolsquoककप-2 लमग परभ अवतारा जब-2 तरतायग होता ह तब-2 राम का अवतार होता हrsquorsquo

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अजर-अमर तो सभी आतमाएा ह वह बात तो ठीक ह वह एक अलग बात उनका अमसततव उनका ससकार सब अलग-2 ह लमकन हर आतमा का अनक जनमो का जो पाटा ह वह उस जयोमतमबानद रपी आतमा क टप ररकॉडार म भरा हआ ह इस समि-रपी रगमच पर जब कोई भी आतमा उतरगी तो सतयग क आमद स लकर कमलयग क अत तक वह उतन ही जनम लगी मजतना पहल चतयागी म मलया रा अगर राम की आतमा होगी तो हर तरतायग म राम क रप म ही जनम लगी lsquoह कषण नारायणrsquo की आतमा होगी तो वह हर सतयग क आमद म नारायण क रप म ही राजय करगी इस तरह हर जनम म आतमा का शरीर रपी चोला बदलन का पाटा मनमित ह हर 5000 वरा क बाद वह जयो का तयो पनरावतान होता ह

हर आतमा सो परमातमा नही ह सपरीम सोल मशव हमशा अलग ह अगर व भी जनम-मरण क चकर म आन लग तो हमको छड़ान वाला कोई भी नही रहगा उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही की जा सकती कोई आतमा हीरो-हीरोइन पाटाधारी बन सकती ह मवलन व साधारण आतमा का पाटा बजा सकती ह लमकन सपरीम सोल मशव जसा पाटा मकसी का नही ह उनका तो तररया पाटा ह व बार-2 इस समि पर आत भी नही जसा शासतर म मलख मदया ह- lsquoसमभवामम यग-यगrsquo अराात म हर यग म आता ह ा अर हर यग म आत तो दवापर क अत म जब महाभारत यि कराया कषण क रप म परममपता परमातमा आए तो कया पापी कमलयग की सरापना करन क मलए आए र उनको हर यग म आन की कया ज़ररत ह साधारण बाप होता ह वह भी बचचो क मलए मकान तब तयार करता ह जब मकान पराना हो जाता ह उस परान मकान स काम नही चलता जब तक काम चल सकता ह तब तक मरममत कराता रहता ह इस समि-रपी मकान की भी यही हालत ह इबराहीम बि कराइसट गरनानक आमद य धमामपताएा आकर समि की जगह-2 मरममत करत रह मकसी न अरब दश म आकर मरममत की मकसी न यरोपीय दशो म की मकसी न चीन-जापान म की नया मकान तो मकसी न नही बनाया नई समि तो नही बनाई यह मरममत मकतन मदन चलगी कछ समय तक उन धमो का परभाव रहता ह मफर वह खलास आखरीन तो मफर भी उसी सपरीम सोल मशव बाप को जो धमामपताओ क भी बाप ह बापो क भी बाप ह इस समि पर उतरना ही पड़ता ह व आकर इस समि का आमल-चल पररवतान कर दत ह तो व सवावयापी नही ह व तो इस समि पर मकरार रप स हीरो पाटाधारी म परवश करक पाटा बजात ह

आपन lsquoजीज़सrsquo वा lsquoकराइसटrsquo का नाम सना आमखर य दो नाम कयो मकरमियनस लोग मानत ह मक वह वयमि

जो पहल खयामतपरापत नही रा उसका नाम lsquoजीज़सrsquo रा मफर जब खयामतपरापत हो गया तब उसका नाम lsquoकराइसटrsquo पड़ गया इसका रहसय कोई नही जानता यह रहसय परममपता परमातमा मशव आकर बता रह ह मक कोई भी नई आतमा ऊपर स उतरती ह तो मजसम भी परवश करती ह उसका नाम बदल दती ह जस पहल lsquoनरनदरrsquo नाम रा बाद म lsquoमववकाननदrsquo नाम पड़ गया आचाया रजनीश का भी ऐस ही हआ ह पहल यह एक साधारण लकचरर र जब आतमा न परवश मकया तो lsquoआचाया रजनीशrsquo नाम पड़ गया तो हर आतमा जो ऊपर स नीच उतरती ह वह मजसम परवश करती ह उसको कनवटा करक अपन धमा म खीच ल जाती ह और वह आधारमता मजसम परवश मकया वह भारत की ही सनातन धमा की आतमा होती ह ऐस ही दसर-2 धमो म कनवशान या पररवतान हआ भारतवामसयो स ही कनवटा होकर दसर-2 धमा पनप ह और वमि को पाए ह कहन का मतलब यह हआ मक उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही हो सकती हम आतमाओ क मकाबल व हमशा तरीया ह व तो सख भी नही भोगत तो दःख भी नही भोगत व सख-दःख स हमशा ही पर रहन वाल ह हाा यह बात ज़रर ह मक जब व इस समि पर आकर राजयोग मसखात ह तो ऐसी पढ़ाई पढ़ात

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ह मक हम आतमाएा नवार पररारा अनसार इस सटज को परापत कर मक इस समि पर रहत हए भी दःख-सख म रहत हए भी अपनी ऐसी अवसरा बना ल मक दःख क समय हम दःखी न हो और सख क समय हम बहत जयादा परसनन न हो मजसका नाम गीता म lsquoमसरतपरजञrsquo मदया गया ह लमकन हमारी वह अवसरा हमशा क मलए नही रहगी परनत उस मशव की हमशा क मलए रहगी वह सपरीम सोल ह तो मफर आतमा-परमातमा एक कहाा हए

परमातमा सवावयापी कहाा हए सपरीम सोल मशव तो हमशा अलग ही हए

मशव की तलना ऊा च त ऊा च मतरदवो स भी नही की जा सकती इन मतरदवो की यादगार म lsquolsquoझणडा ऊा चा रह हमारा मवजयी मवशव मतरगा पयारा मवशव मवजय करक मदखलावrsquorsquo- यह बोलत तो ह लमकन यह नही जानत ह मक व तीन शरीर रपी वसतर कौन-स ह मजन वसतरो न सार मवशव म तहलकाखलबली मचाई री सार मवशव म मवजय करक मदखलाई री वासतव म व शरीर रपी वसतर lsquoबरहमा मवषण शकरrsquo- य तीन ही ह उनक सकतक रग भी वस ही मदखाए गए ह ऊपर वाला कसररया रग ह शकर- करामत का सचक बीच वाला सफद वसतर सतवगणी मवषण का सचक ह नीच वाला हरा वसतर बरहमा का सचक ह जस गााधीजी कहत रह- lsquoरामराजय आएगा रामराजय आएगाrsquo

बमकक और ही रावण राजय आ गया ऐस ही बरहमा बाबा हमशा मचकलात रह- lsquoरामराजय लाएाग सवगा आएगा

वकणठ आएगा और सवगा आन ही वाला हrsquo अब उस सवगा की जगह बरहमाकमारी आशरमो म रौरव नका बन रहा ह

इसमलए बरहमा की ममतायाा ममदर व पजा नही होती कयोमक तराकमरत बरहमाकमार-कमाररयो न ही बरहमा की दाढ़ी की लाज नही रखी जबमक शकर और मवषण क ममदर और ममतायाा बनाकर आज सार भारतवरा म पजा की जा रही ह

वितर न 7 (सहज रमजयोग)- ससार म अनक परकार क योग परमसि ह जस- भमियोग कमायोग जञानयोग हठयोग राजयोग आमद मकत योग क इन सभी परकारो म सहज राजयोग शरषठामतशरषठ ह योग का अरा ह- समबध या ममलन आजकल योग का तातपया योगासन या हठयोग समझ मलया जाता ह मकनत योगासन स शारीररक सवासथय और कछ सीमा तक मानमसक सवासथय ममल सकता ह लमकन समपणा सख-शामत की परामपत तो कवल राजयोग दवारा ही हो सकती ह

lsquoराजयोगrsquo का अरा ह राजाओ का राजा बनान वाला योग या रहसय भरा योग मनषयातमाएा कई जनमो स दह-अमभमान क दलदल म फा सकर मवनाशी दहधाररयो स योग लगाती आई ह मकत जस तााब वाल दो तारो को जोड़न स उसम मबजली परवामहत होती ह परत रबड़ चढ़ हए तााब क तारो स मबजली का करट नही लगता उसी परकार दह-अमभमानी दहधाररयो स समबध रखन पर अमवनाशी सख-शामत की परामपत नही हो सकती परममपता परमातमा मशव तो इस योग भी नही अमपत सरल शबद म lsquoयादrsquo कहत ह याद करना एक सवाभामवक सरल एव मनरतर परमकरया ह जबमक योग स मकसी मवशर परयास का बोध होता ह जस परममपता परमातमा शरीर म रहत हए भी उसक भान स नयार ह अराात मवदही रहत ह उसी परकार हम भी सवय को अमवनाशी आतमा (न मक परकमत क 5 ततवो स बना दह) समझकर परजामपता बरहमा क दवारा परममपता परमातमा को याद करना ह हमारी दमि म मशव रहना चामहए मातर शव अराात दह नही अतः भगवान को न तो मसफा साकार रप म न तो मसफा मनराकार रप म बमकक भलीभाामत पहचानकर साकार शरीर म परमवि मनराकार को याद करना ह यही ह सचचा राजयोग

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मन वचन एव कमा की पमवतरता परममपता परमातमा स सचचा सनह मदवय गणो की धारणा ईशवरीय जञान शि अनन तरा सचच बराहमणो का सग करन पर आतमा दह-अमभमान दवारा उतपनन पााच मवकारो अराात काम करोध लोभ मोह

अहकार स ममि पाकर अपन मल सवरप अराात सवागण समपनन सवरप म मसरत हो सकती ह परभ को याद करन क मलए अमतवला या बरहममह ता का समय सबस शरषठ ह कयोमक उस समय वातावरण शात तरा शि रहता ह और मन भी जागरत एव परशात होता ह राजयोग क मनतय अभयास स आतमा म पमवतरता शामत धया मनभायता नमरता-जस गणो की धारणा होती ह सार ही आतमा को वयरा मवचारो क फलाव को समटन की शमि सहनशमि समान की शमि अचछ-बर को परखन की शमि सही मनणाय लन की शमि समसयाओ का सामना करन की शमि मवमभनन ससकार वाल मनषयो क सार सहयोग करन की शमि तरा मवसतार को सकीणा करन की शमि आमद आतमा की अि शमियाा परापत होती ह

राजयोग क मनरतर एव दढ़ अभयास स आतमा अपन आमद मधय एव अत की कहानी को तरा इस मवशव म अपन अमदवतीय अनक जनमो क पाटा को जान सकती ह और अपन घर बठ मवशव की आतमाओ को भी शामत एव सख का दान द सकती ह इस परकार हम सव-पररवतान क सार-2 मवशव-पररवतान भी कर सकत ह

बरहमाकमारी मवदयालय (बरमव) और आधयामतमक मवदयालय (आमव) की मशकषाओ म अतर-

बरहमाकमारी मवदयालय शासतरो को मानयता नही दता ह आधयामतमक मवदयालय ईशवरीय वाणी क आधार पर शासतरो को मानयता दता ह

बरमव कषण उफा बरहमा को ही एकमातर गीता का साकार भगवान मानता ह जबमक मख स कहता ह मक कषण गीता क भगवान नही ह

आमव मनराकारी सटज वाल साकार मशव-शकर को परमकटकल म गीता का भगवान मानता ह कषण उफा बरहमा क साकार रप दादा लखराज को गीता का भगवान नही मानता बरमव बरहमा-मवषण-शकर क साकार मचतर तो छपाता ह परत मसफा बरहमा क परमकटकल साकार रप को ही मानयता दता ह मवषण और शकर को इस दमनया स ही उड़ा दता ह जबमक शासतरो व दमनया म भी बरहमा क ममदर ममतायाा और पजा नही मदखाई ह बरहमाकमारी मवदयालय मशव-शकर को तो अलग-2 कहता ह लमकन यह नही बताता मक शासतरो म मशव-शकर को कयो ममला मदया मशव को बरहमा मवषण अरवा अनयानय 33 करोड़ दवताओ क सार कयो नही ममलाया और शकर को ही महादव कयो कहा ह

आमव म उपरोि परशनो का सटीक जवाब ह और तीनो दवताओ क साकार परमकटकल पाटा की सपिता भी ह

बरमव मसफा बरहमा (बरहम+माा) बड़ी माा को ही भगवान का साकार रप मानता ह और अपन को मसफा बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

आमव माा और बाप (परजामपता+बरहमा = एडम और ईव) दोनो को साकार रप म मानता ह और अपन को परजामपता बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

बरमव जञान-योग का मवजञापन करता ह जस- परोजकटर परदशानी पमबलक भारण कॉनर स मल सममलन ररयातरा

मनषयकत सामहतय आमद

आमव मकसी परकार क मवजञापन म मवशवास नही करता

बरमव मसफा मतय क बाद ही ममि-जीवनममि रपी ईशवरीय वस को जीवन का लकषय मानता ह

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आमव जीवन रहत ही लोक और परलोक सावारन का पररारा कराता ह अराात इसी जनम म नर स नारायण और नारी स लकषमी बनान का परम परमसि गीता वमणात उपदश दता ह

बरमव महल मामड़याा अटाररयाा बनाकर 36 परकार क भोग खान म और मसफा झकाझक शवत वसतर पहनन म अपन को शरषठ मानकर चलता ह आमव रहन सहन खान पान पहनाव म सादगी को ही शरषठ मानकर चलता ह बरमव म चदा माागकर वयमिगत वभव और मान-शान बढ़ाना आम बात ह

आमव मकसी परकार क चदा आमद lsquoमाागन स मरना भलाrsquo समझता ह

बरमव मसफा कहता ह मक हम एक धमा एक राजय एक कल एक मत की सरापना करग परत चलन म परा ही मवरोधाभास दखन म आता ह आमव क सदसय परमकटकल म आए हए एकमातर ईशवर की ही शरषठ मत को मानत हए ईशवरीय धारणाओ कायद

कानन को मानन क सार-2 नमबरवार अपन-2 पररारा अनसार चलन का परयास भी करत ह

सममपात बरक परायः सनयामसयो की तरह मठ-पर बनाकर जीवन चलाती ह

आमव क सममपात या गर सममपात सभी सदसय गहसरी जीवन यापन करत ह कयोमक गीता क भगवान सवय बहद क गहसर म रहत हए गहसरी पाणडवो को ही राजयोग मसखात ह सनयामसयो (भीषम दरोणाचाया कपाचाया) को नही

भविषयिमणी

(यहाा उन लोगो की भमवषयवामणयो का वणान मकया गया ह मजनकी भमवषयवामणयाा आज तक सही सामबत हई) -

कमकक पराण - सवततरता क बाद भारत म एक ऐस महापरर का उदय होगा जो वजञामनको का भी वजञामनक होगा वह आतमा और परमातमा क रहसय को परगट करगा आतमजञान उसकी दन होगी उसकी वश-भरा साधारण होगी उसका सवासथय बालको जसा योिाओ की तरह साहसी अमशवनी कमारो की तरह वीर यवा व सनदर शासतरो का परकाणड पमणडत व मानवतावादी होगा उसका मपता ही उस योग साधना की ओर परररत करगा 24 वरा की आय म वह योग की उचच भममका म परवश करगा एणडरसन(अमररका) - अरब राषरो समहत ममसलम बहल राजयो म आपसी करामतयाा और भीरण रिपात होग इस बीच भारतवरा म जनम महापरर का परभाव व परमतषठा बढ़गी यह वयमि इमतहास का सवाशरषठ मसीहा होगा वह एक मानवीय समवधान का मनमााण करगा मजसस सार ससार की एक भारा एक सघीय राजय एक सवोचच नयायपामलका एक झणड की रप-रखा होगी

गरराडा कराईस(हॉलड) - भारत दश म एक ऐस महापरर का जनम हआ ह जो मवशव ककयाण की योजनाएा बनाएगा जलबणा - ससार क सबस समरा वयमि का अवतरण हो चका ह वह सारी दमनया को बदल दगा उसकी आधयामतमक करामत सार मवशव म छा जाएगी एक ओर सघरा होग दसरी ओर एक नई धाममाक करामत उठ खड़ी होगी जो आतमा और परमातमा क नए-2 रहसय को परगट करगी वह महापरर 1962 स पवा जनम ल चका ह उसक अनयायी एक समरा ससरा क रप म परगट होग और धीर-2 सार मवशव म अपना परभाव जमा लग असभव मदखन वाल काया को भी व लोग उस महापरर की कपा स बड़ी सरलता स सपनन करग

परोफसर कीरो - भारत का अभयदय एक सवोचच शमि क रप म हो जाएगा पर उसक मलए उस बहत कठोर सघरा करन पड़ग दखन म यह मसरमत अतयत किदायक होगी पर इस दश म एक फररशता आएगा जो हज़ारो छोट-2

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लोगो को इकटठा करक उनम इतनी आधयामतमक शमि भर दगा मक व लोग बड़-2 बमिजीमवयो की मानयता ममथया मसि कर दग गोपीनार शासतरी - अवतारी महापरर दवारा जबरदसत वचाररक करामत होगी मजसक फलसवरप मशकषण पिमत बदल जाएगी और ऐसी मशकषा का अमवषकार होगा जो वयमि को जीवन जीन की कला परदान करगी जबमक वतामान मशकषा परणाली कवल पट भरन तक ही सीममत ह कमरत आतमजञानहीन बमिजीमवयो स लोगो की घणा होगी और भगभा मवदया रसायन शासतर यतर मवदया खमनज धात चमबक मवदया आमद क नए कषतर की और मवजञान का मवसतार होगा मजसका नततव भारतवरा का एक ऐसा धाममाक सगठन करगा मजसका मागादशाक सवय भगवान होगा धाममाक आशरम जन जागमत क कनदर बनकर काया करग बमप क ितारमन समकमर पमटा क परवत परफ एि पररमणः-

बाप कहाा आत ह- यह भी नही जानत ह जब खद आकर बताव तब पता पड़ कहाा मलखा भी ह मक परमातमा मगधदश म आता ह(मता16876)

शासतरो म मगध दश मलखा ह परनत नॉलज कहाा मसखाई आब म कस आए मदलवाड़ा ममदर भी यहाा परा यादगार ह मजनहोन भी बनाया उनहो की बमि म आया और बठकर बनवाया एकयरट मॉडल तो बना न सक बाप यहाा ही आकर सवा की सदगमत करत ह मगध दश म नही (मता5989 प3 मधय) ऐस बहत बचच ह बाप को परा पहचानत नही ह बाप का अदब(सममान) नही रखत कयोमक बाप कहत ह म साधारण रप म आता ह ा म जो ह ा जसा ह ा मवरला कोई उस रहाब स चलत ह यहाा तो बहत साधारण ह ना ह मकतनी बड़ी असामी आग चल वह भी पहचानग ऐस बाबा को हमन फारकती द दी तकदीर को लकीर लगा दी यह पीछ होगा अभी तो बहत साधारण ह रर ह गपत गपत होन कारण परा पहचान नही सकत ह परा पहचान ल तो कह- बाबा आपक मसवाए दमनया म ह ही कया कोई सदगमत कर न सक (मता151175 प1 आमअ)

यादव और कौरव पास मकतन महल ह तम बचचो को कछ भी नही तीन पर पथवी क भी तमहार नही सब उनहो का ह यह भी गाया हआ ह- मजनको तीन पर पथवी क भी नही ममलत र उनहो की मवजय हई और वह मवशव क मामलक बन गए पाणडव शमिसना गपत ह शासतरो म भी मदखात ह जआ खलत पाणडवो का राजय रा मफर जआ म हराया (म10678 प1 म) भगवान खद कहत ह मझ गाली खानी पड़ती ह सबस जासती गाली म ही खाता ह ा भमिमागा म भी गाली ही दत ह 3 पर पथवी क भी नही ममलत ह मफर भी मकतनी मनरहकारीपन स पाटा बजा रह ह (म6387 प3 अत) बहद का बाप पढ़ात ह परनत बाप ह साधारण तन म पढ़ात भी साधारण रीमत ह इसमलए मनषयो को जाचता नही ह- गॉड फादरली यमनवमसाटी मफर ऐसी होगी बाप कहत ह म ह ा गरीब मनवाज़ गरीबो को ही पढ़ाता ह ा साह कार को ताकत नही पढ़न की उनहो की बमि म तो महल-माड़ी ही होती ह (मता23489 प1 अत) भगवान एक ह उनको ही मात-मपता कहत ह वह आकर एडॉपट करत ह मकतनी गहय बात ह यह नया सकल ह नया पढ़ान वाला ह (मता251088 प3 आ)

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यह नॉलज ह यह ह नई बात नई दमनया क मलए भगवानवाच ह ना भगवान भी नया वाचय भी ह नई वह कहत ह कषण भगवानवाच तम कहत हो मशव भगवानवाच हरक की वाच अपनी-2 ह एक न ममल दसर स (मता15668 प3 आ)

किर वितर न 1 (वतररवता)-

lsquoमशवrsquo का अरा ह- lsquoककयाणकारीrsquo परममपता परमातमा का यह नाम इसमलए ह मक समि-चकर क अत म जब मनषयातमाएा तरा परकमत पमतत एव तमोपरधान बन जाती ह तो परमधाम मनवासी परममपता परमातमा मशव जयोमतमबानद मनषय शरीर का आधार लकर मनषयातमाओ और परकमत दोनो को पावन एव सतोपरधान बनात ह उनक इस कतावय की यादगार म ही मशवरामतर अराात परममपता क शबदो म मशवजयती का तयौहार मनाया जाता ह सपरीम सोल मशव मकसी परर क बीज स या माता क गभा स जनम नही लत व परजामपता दवारा मनषय-समि-रपी वकष क चतनय बीज ह और जनम-मरण तरा कमाबधन रमहत ह अतः व अपना कतावय करन क मलए मकसी साधारण वि मनषय क तन म मदवय परवश करत ह इस ही lsquoपरममपता परमातमा का मदवय अवतरणrsquo कहा जाता ह कयोमक उनका अपना शरीर नही होता ह उनका मदवय कतावय तीन चरणो म समपनन होता ह- सरापना मवनाश और पालना इन तीन कतावयो क मलए व अवयि मसरमत धारण करन वाली तीन साकार दवातमाओ का आधार लत ह व दवातमाएा ह- बरहमा शकर तरा मवषण मनषय-समि-रपी रगमच पर उनक मदवय अवतरण क बाद कौन-सी तीन आतमाएा बरहमा शकर एव मवषण क पातरो का अमभनय करती ह यह जानन क मलए हम सन 1936-37 म परममपता परमातमा क अवतरण स लकर अब तक की घटनाओ को जानना ज़ररी ह

परममपता परमातमा का यह काया सन 193637 म पामकसतान क मसध हदराबाद शहर स परारमभ हआ जब उनहोन दादा लखराज नामक एक मवखयात हीरो क वयापारी को मवषण चतभाज नका की परानी दमनया क मवनाश और सवगा की नई दमनया की सरापना का साकषातकार कराया मकनत व उन मदवय साकषातकारो का अरा समझ न पाए उनहोन अपन गरओ स इसका अरा पछा मकनत भगवान की लीला व दहधारी गर लोग कया समझ मफर व (दादा लखराज) वाराणसी क परकाणड पमणडतो स इसका समाधान पान क मलए गए मकत उनह वहाा भी मनराशा ही हार लगी वहाा भी उनह साकषातकार होत रह मजसकी तसवीर व गगा क घाटो पर बनी दीवारो पर बनात रहत र जब कोई भी उनकी समसया का समाधान न कर सका तो उनह कलकरता म रहन वाल अपन भागीदार (सवकराम) की याद आई उस भागीदार की मनषठा व ईमानदारी स परभामवत होकर ही उनहोन उस अपनी कलकरता मसरत हीरो की दकान की मज़ममवारी सौपी री

अतः दादा लखराज कलकरता गए मकत सीध उस भागीदार को अपन साकषातकारो का वणान करन क बजाय उनहोन अपनी नज़दीकी सबध की माता (अराात छोटी माता) को सनाया और उस माता न दसरी माता को सनाया जो बोलन सनन सनान म मसिहसत री बाद म जब सनन-सनान म मसिहसत माता न परजामपता (भागीदार) को सनाया उसी समय जयोमतमबद परममपता परमातमा मशव न उसी माता और परजामपता (भागीदार) म सार-ही-सार परवश कर मलया और इस परकार उस मसिहसत माता दवारा साकषातकारो का वणान सनन-सनान की परमकरया दवारा lsquoभमिमागाrsquo की तरा भागीदार दवारा जञान समझन-समझान की परमकरया दवारा lsquoजञानमागाrsquo की नीव पड़ गई

इस परकार चामक परममपता मशव न सवापररम उन दोनो माताओ क समकष भागीदार म परवश कर मवशव पररवतान का काया आरमभ मकया इसमलए व मशव जयोमतमबानद ही भमवषय म बरहमा शकर और मवषण- इन मतरदवो दवारा ससार म मतरममता मशव क नाम स परमसि होत ह

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 5: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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कह रही ह मक शासतर सब झठ ह और हमार बाबा न जो कछ बोला ह वही सचचा ह लमकन बाबा न जो कछ बोला ह उसका अरा कया ह वह उनह पता ही नही ह और सनन क मलए तयार भी नही ह हर धमा म यह मसरमत पदा होती रही ह इसी तरीक स परममपता परमातमा मशव राम वाली आतमा (जो तरतायग म भी होती ह) जो जनम-मरण क चकर म आत-2 कमलयग-अनत म साधारण मानव तन म होती ह उसम परवश करक शकर क नाम-रप स ससार म धीर-2 परतयकष होना शर होत ह शकर का सखत पाटा ह सखत पाटा क दवारा व बराहमणो क समपरदाय म दो फाड़ कर दत ह- सचच मखवशावली बराहमण और झठ कखवशावली बराहमण मखवशावली वह जो बरहमा क मख स चलाई हई मरली की ही बात मानत ह मकसी दहधारी की बात नही मानत और कखवशावली वह जो बरहमा की कख अराात गोद क पयार को मवशर महतव दत ह मख की चलाई हई मरली को महतव नही दत चनी हई कछ शरषठ आतमाएा मनकलती ह आपन दखा होगा मक शकर जी क बाहो म माला मदखात ह गल म भी कई तरह की मालाएा पड़ी हई ह माला सगठन की मनशानी होती ह एक सनह और दसर जञान क सतर म व मणक रपी आतमाएा मपरोई गई ह उनका सगठन तयार मकया गया ह वह माला रपी सगठन सार ससार म हर धमा म मानयता परापत करता ह मकस रप म आप दखग मसलमानो म भी माला घमाई जाती ह मकरमियनस म भी माला घमाई जाती ह बौिी लोग भी माला घमात ह मसकख लोग भी माला घमात ह यह माला का इतना महतव कया ह जो हर धमा म घमाई जाती ह यह कोई नही जानता बाबा न मरली म बताया ह मक lsquolsquoबचच य माला क जड़ मणक तम तामसी जड़जड़ीभत आतमाओ की यादगार हrsquorsquo जब परममपता परमातमा आत ह तो तम आतमा रपी मणको को इकटठा करत ह और शरषठ आतमाओ का जो माला रपी सगठन तयार होता ह वह सार ससार म तहलकाखलबली मचाता ह पहल भारतवरा म बराहमणो की दमनया क अनदर तहलकाखलबली शर होती ह माला क सगठन म 108 मणक होत ह आप दखग दमनया म आज मखय-मखय 9 धमा फल हए ह महनद धमा तो बहत पराना ह उसम स दो फाड़ ऐस ह- (एक) जो कभी दसर धमा म कनवटा नही होत और दसर ऐस ह मक जो कनवटा होत ही रह मसलमान आए तो मसलमानो म कनवटा हो गए मकरमियनस आए तो मकरमियनस म कनवटा हो गए मसकख आए तो मसकख म कनवटा हो गए तातपया यह ह मक सनातन धमा म दो परकार क वगा हो गए- एक नॉन कनवटड जो कभी कनवटा नही हए भल मकसी भी तरह की कोई परीकषा आई परत अपन धमा को नही छोड़ा दसर वह जो कनवटा होत ही रह एक स दसर धमा म दसर स तीसर धमा म तीसर स चौर धमा म आज स 2500 वरा पहल lsquoइसलाम धमाrsquo आया मफर चौरा lsquoबौि धमाrsquo आया (जो) चीन जापान बरमा मलाया म फला पााचवाा lsquoमकरमियन धमाrsquo आया जो यरोपीय दशो म फला अमररका म फल गया छठा शकराचाया का lsquoसनयास धमाrsquo (लाल-पील-काल-सफद कपड़ पहनकर मनकला) उसक बाद महममद आए मजनहोन इसलाम धमा क फाड़ करक ममतापजा बद करवा दी और lsquoममसलम धमाrsquo फलाया उसक बाद गरनानक आए और उनहोन मसलमानो स टककर लन क मलए भारत क ही अचछ-खास हटट-कटट कम बमि वाल जो सनातन धमा क लोग र उनको कनवटा करक lsquoमसकखrsquo बना मदया और व मसलमानो स मकरमियनस स ज़बदासत टककर लत रह कल ममलाकर अनत म lsquoआया समाजrsquo एक ऐसा धमा आता ह जो सबको आह त करता ह मक तम सब आ करक भारतवरा म इकटठ हो जाओ मकसी भी धमा का हो हम उस महनद बना दग पकक महनदओ न तो कभी मवधममायो को सवीकार नही मकया आयासमामजयो न अपन दश म सब धमो का कचड़ा इकटठा कर मलया एक धमा ऐसा ह lsquoनामसतकवादrsquo जो माला म नमबर ही नही पाता ईशवर की जो शरषठ आतमाओ वाली 108 की माला बनती ह उसम उनका नमबर नही

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लगता व य ह नामसतक (रमशयनस) व न सवगा मानत ह न नका मानत ह न आतमा को मानत ह न परमातमा को मानत ह व कछ नही मानत व अपन नश म आकर ऐटममक एनजी तयार करत ह मक हम ही सब कछ ह हम चाहग तो दमनया को नचाएाग नही तो नि कर दग लमकन व अपन मककड़ जाल म खद ही फा स जात ह आज तो रस मबखर गया और उसस जयादा ऐटममक एनजी अमररका न धारण कर ली ह इस तरीक स दमनया क नवार 9 मखय आमसतक धमा ह इन 9 धमो की चनी हई मखय-2 बारह-2 ( 9 ग 12 = 108 ) आतमाएा परममपता परमातमा इकटठी करत ह सारी समि स चनकर 12 नमा 108 मणक तयार होत ह

आज स 70-75 साल पहल भारतवरा म इतन भगवान नही र आचाया रजनीश भी भगवान जय गरदव भी भगवान सााई बाबा भगवान सतपालजी महाराज भगवान चदरा सवामीजी भगवान- य ढर क ढर भगवान 75 साल पहल र ही नही 70-75 साल क अदर ही य ढर क ढर भगवान पदा हो गए अब भगवान एक होगा या ढर क ढर होग भगवान तो ज़रर एक होगा लमकन महसाब कया ह जब इस समि पर परमधाम छोड़कर सचचा हीरा आता ह तो उसकी भट म ढर सार नकली हीर दमनया क बाज़ार म तयार हो जात ह व नकली हीर चारो तरफ अपना पॉमप एणड शो शोर-शराबा फला दत ह जबलपर म महशयोगी की एक बड़ी भारी मबमकडग बननी री सकड़ो-करोड़ो रपयो की वह मबमकडग तयार होनी री उसम होना कया बस वही सवाहा अब उसस कछ होता रोड़ ही ह 2500 वरा स यह सवाहा-2 होता चला आया कया इसस कोई दमनया का पररवतान होना ह पररवतान कछ भी नही होना ह वह एक बात तो सचची बता दी मक वातावरण शि होता ह परनत बजाय वातावरण शि होन क दमनया और जयादा मबगड़ रही ह (एक भाई न कहा- अमररका स व गोकड का समगमलग करत ह) चलो वह कछ भी हो हमन एक बात बताई मक भगवान ढर क ढर ह लमकन नकली हीर ह और उनम पता नही चल रहा ह मक असली कौन ह ज़रर असली भी ह लमकन पता नही चल रहा ह और उसका परफ यह ह मक भगवान जब आएाग तो नई समि की सरापना क सार-2 परानी समि का मवनाश का सामान भी तयार कराएाग सत धमा की सरापना क सार-2 ढर क ढर जो दि धमा फल हए ह उनका भी मवनाश का काया करत-करात ह lsquolsquoमवनाशाय च दषकतामrsquorsquo (गीता 48) गीता का यह शलोक ही बताता ह परममपता परमातमा जब इस समि पर आत ह तो यह तयारी पहल करात ह सरापना गपत करत ह और मवनाश का काया परतयकष करात ह

रस और अमररका मजनको अपनी भारतीय परमपरा म महाभारत म यादव कहा गया ह बड़-2 धनाढय होत र

बहत शराब पीत र और ऊा ची-2 मबमकडग होती री ऐस जो यादव गरप ह उनहोन कया मकया व र तो यदवशी भगवान कषण क करोल म लमकन उनहोन कया मकया उनक बमि-रपी पट स जो ममसाइकस मनकल उन मसलो स उनहोन आपस म ममलकर-लड़कर अपन सार कल का सहार कर मदया और सारी समि का मवनाश कर मदया लोगो न सरल मसल समझ मलए अब यह तो समझन-2 की मवडबना ह वासतव म ह ममसाइकस की बात जस पट म कोई चीज़ पचाई जाती ह ऐस यह बमि-रपी पट ह कहत ह ना- lsquoतमहार पट म बात नही पचतीrsquo तो कया यह (सरल) पट ह या यह (बमि-रपी) पट ह इस बमि-रपी पट म स व ममसाइकस मनकल उन लोह क मसलो स यह सारी दमनया नि होती ह 70-75 साल क अदर भारी तादाद म यह एनजी भी तयार हो गई समि पर परममपता परमातमा का अवतरण भी हआ और 70-75 साल पहल भारतवरा म महातमा गाधी क टाइम पर सबस जयादा जो आवाज़ लगाई गई री lsquoह पमतत-पावन आओrsquo वह आवाज़ भी लग रही री भारत की 40 करोड़

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जनता गाधीजी क ततवावधान म lsquoरघपमत राघव राजाराम पमतत-पावन सीतारामrsquo की आवाज़ लगा रही री लमकन आवाज़ लगान वालो को यह पता नही चला मक परममपता परमातमा इस समि पर उस समय स ही आ चक ह

कहन का मतलब यह ह मक जब परममपता परमातमा आत ह तो एक तरफ मवनाश की बाजी भी तयार कर दत ह और दसरी तरफ सरापना का काया भी गपत म चलात ह तो इस समय य दोनो काया समपनन हो रह ह- सरापना का काया भी परा होता ह और ऐटममक एनजी भी तयार हो जाती ह मजसका पररम मवसफोट हीरोमशमा-नागासाक़ी म हआ तब जा करक इस समि का एक तरफ मवनाश होता ह और दसरी तरफ वह माला तयार हो जाती ह जो सारी समि की धमासरता और राजय-सरता की बागडोर धीर-2 अपन हारो म ल लती ह आपन जयोमतमरयो की कछ भमवषयवामणयाा सनी होगी जो अकसर करक मनकलती रहती ह 400500 साल पहल क जो जयोमतरी हए ह- कीरो कीर और नसतरडाम आमद इनकी भमवषयवामणयाा मनकली हई ह सभी न 2000 को मददा बनाया लमकन 2000 क आस-पास का जो भी मददा रा वह सारी समि क मवनाश का मददा नही रा वह वासतव म मसफा बराहमणो की दमनया क अनदर आधारमता एव बीजरप आतमाओ की दमनया क मवनाश का मददा ह यह कोई नही जानता यह दमनया एकदम ऐस चटकी म खतम हो जाएगी तो परममपता परमातमा को कौन पहचानगा परममपता परमातमा को पहचानन क मलए टाइम तो चामहए ना

वासतव म यह जो 2000 साल क बाद का पीररयड ह यह बरहमाकमारी आशरम म आमल-चल पररवतान ला दगा बाहर की दमनया म भी रोड़ा-2 पररवतान होगा ऐटममक एनजी का भी रोड़ा-2 मवसफोट होगा लमकन इतना नही होगा मक सारी समि खतम हो जाए अभी मसफा बराहमणो की परानी दमनया का मवनाश होता ह नई दमनया की सरापना होती ह और सब आतमाएा पहल बमियोग स वापस परमधाम म जाती ह मान बराहमणो की दमनया क अनदर जो मवशर आतमाएा ह व इस बात को समझ लती ह मक परममपता परमातमा का साकार रप और कायाकाल कया ह और यह काया कस चल रहा ह यहाा मदखाया गया ह मक जस हम आतमाएा जयोमतमबानद ह वस परममपता परमातमा भी जयोमतमबानद ह जयोमतमबानद का ही बड़ा आकार मशवमलग बनाया जाता ह मजस अपनी भारतीय परमपरा म 12 जयोमतमलिगम क नाम स परमसि मकया गया ह उजजन काशी रामशवरम कदारनार बदरीनार य 12 जयोमतमलिगम बन ह 12 ही कयो 13 कयो नही 11 या 10 कयो नही 9 धमो स चनी हई 12-12 आतमाओ क 9 गरपस होत ह हर धमा म शरषठ आतमाएा तो होती ह ना परममपता परमातमा भी जब आत ह तो सवापररम हर धमा स शरषठ आतमाओ को चनत ह और चनकर उनको पकका सयावशी बराहमण बनात ह

आज की दमनया म वासतव म कोई बराहमण नही रहा (भाई न कहा- आप यह कया कहत ह आप तो बराहमणो की अवहलना करत ह) नही तलसीदास न यह बात रामायण म आज स 400-500 वरा पहल मलखकर छोड़ी ह- lsquoभय वणा सकर सबrsquo सार ही वणा सकर हो गए कोई बराहमण और कोई शदर नही रहा उनहोन 400 साल पहल मलखा रा अब तो हालत बहत खराब हो गई अब तो बहत जयादा वयमभचार फल गया घर-2 म वयमभचार फला हआ ह तो इस समय परममपता परमातमा आकर परजामपता बरहमा दवारा असली बराहमण कल की सरापना कर रह ह आपन सना होगा बराहमणो की 9 कररयाा गाई जाती ह- शामडकय गोतर भारदवाज गोतर कशयप गोतर आमद-2 9 ऋमरयो क आधार पर 9 गोतर गाए जात ह व 9 ऋमर कोई दसर नही ह 9 धमो का परमतमनमधतव करन वाली 9 शरषठ आतमाएा ह जो परममपता परमातमा इस समि स असली बराहमण धमा म चनत ह जो 9 आतमाएा ह उनम स एक सबस शरषठ होगा ना जो सबस शरषठ हआ उसक जो 12 क गरप ह व परममपता परमातमा मशव स इतना

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तादातमय सरामपत करत ह मक उनकी मशव जसी ही सटज बन जाती ह इसमलए तो 12 जयोमतमलिगम आज भी भारतवरा म भगवान क रप म पज जात ह

कहन का मतलब यह हआ मक परममपता परमातमा मशव भी जयोमतमबिद ह ऋमरयो-महमरायो न पजा क मलए उनका बड़ा आकार बना मदया ह वह मनराकारी सटज का परतीक ह मनराकार का मतलब यह ह मक उस सटज म जो 12 ह उनम स एक शकर का रप मजस lsquoरदर अवतारrsquo कहा जाता ह व ऐसी मनराकारी सटज म रहत ह मक जस मक उनका शरीर रपी वसतर ह ही नही नवार इस सटज म रहना अपन को सदव आमतमक सटज म समझना दसरो को आतमा क रप म दखना- ऐसी परमकटस पककी हो जाए उसको कहग lsquoमनराकारी सटजrsquo इमदरयाा जस होत हए भी नही ह जस कहत ह- lsquoदखत हए भी नही दखना सनत हए नही सननाrsquo जस दमनया म मकतनी भी नलामन उड़ रही ह उनक ऊपर कोई असर नही पड़ रहा ह

lsquoबीrsquo समइड

वितर न 4 (सिा आतरमओ कम वपतम एक ह)- वह तो गॉड फादर ह मजसक अलग-2 नाम-रप द मदए ह लमकन अलग-2 नाम-रप होत हए भी एक रप ऐसा ह जो हर धमा म मानयता परापत करता ह कस अपन भारतवरा म जयोमतमलिगम मान जात ह- रामशवरम वगरह कहत ह- राम न भी उपासना की राम को भगवान मानत ह लमकन उपासना मकसकी की मशव की उपासना की तो राम भगवान हए या मशव भगवान हए मशव ही हए ऐस ही गोपशवरम ममदर भी बना हआ ह lsquoगोपrsquo कषण को कहा जाता ह इसस सामबत हो गया मक कषण भगवान नही र वासतव म उनका भी कोई ईशवर ह मजनहोन उनको ऐसा बनाया ऐस ही कदारनार ह बदरीनार ह काशीमवशवनार ह और यह सोमनार ह इन सभी ममदरो म इस बात की यादगार ह मक यहाा उस मनराकार जयोमत को जयोमतमलिगम क रप म माना जाता ह नपाल म पशपमतनार का ममदर ह कमलयग क अत म सभी मनषयमातर पशओ जसा आचरण करन वाल हो जात ह उन पशओ को भी पश स बदर स ममदर लायक बनान वाली वही मनराकार मशवजयोमत ह उसी की यादगार म एक मशवमलग नपाल म भी सरामपत ह

अचछा महनदओ की बात छोड़ दीमजए मसलमान लोग मकका म हज़ (तीरा यातरा) करन जात ह वहाा महममद न दीवाल म एक पतरर लाकर रखा रा उसका नाम उनहोन lsquoसग-ए-असवदrsquo मदया अभी भी जब तक मसलमान लोग उस पतरर का चमबन नही कर लत मसजदा नही माना जाता उनकी हज़ की यातरा परी नही होती इसका मतलब व भी आज तक उस मनराकार को मानत ह हालाामक व पतरर को नही मानत व तो ममतायाा व मशवमलग को तोड़न वाल रह ह उनहोन यहाा भारत म आकर मशवमलगो को तोड़ा ह लमकन वहाा मानत ह बौिी लोग आज भी चीन-जापान म दख जात ह मक व गोल सटल क ऊपर पतरर की बमटया रखत ह और उसक ऊपर दमि एकागर करत ह इसस सामबत होता ह मक व भी उस मनराकार को मानत ह गरनानक न तो कई जगह कहा ह- lsquoएक ओकार मनरकारrsquo lsquoसदगर अकाल मताrsquo व तो मनराकार को मानत ही ह ईसाईयो क धमागरर बाईबल म तो कई जगह मलखा हआ ह- lsquoगॉड इज़ लाइटrsquo अराात परमातमा जयोमत ह कहन का मतलब यह ह मक हर धमा म उस मनराकार जयोमत की मानयता ह अब यह सवाल पदा होता ह मक जब सब धमो म उस एक ही रप की मानयता ह तो सब धमा वाल उस एक ही को परममपता परमातमा का रप कयो नही मानत य अलग-2 रप कयो मान हए ह यह वासतमवकता मकसी की बमि म नही आ रही ह

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वह मनराकार जयोमत जब इस समि पर आती ह तो जो मवशर आतमाएा राम और कषण ह इन दो को चनकर समि क मवनाश और सरापना क काया म ममखया बनाती ह कषण की सोल आखरी जनम म दादा लखराज क रप म मसनध हदराबाद म जनम लती ह और उसम परममपता परमातमा मशव परवश करक पहल परतयकष lsquoबरहमाrsquo क रप म काया करत ह पयार का पाटा बजात ह आप कही भी मकसी भी बरहमाकमारी आशरम म जाएा तो आप कोई भी बरहमाकमार-कमारी स पमछए मक बाबा न कभी मकसी को टढ़ी नज़र स दखा या गलत कवचन कहा या कोई ऐसा ह मजसन बाबा क समपका म पहाचन क बाद यह अनभव मकया हो मक बरहमा बाबा न हमको दःख मदया

परतयक बरहमाकमार-कमारी यही कहगा मक बाबा भल 10 ममनट क मलए ममल हो परनत बाबा न हमको मजतना पयार मदया उतना दमनया म हम मकसी स अनभमत नही हई व र पयार की परमतममता बरहमा बाबा जस अभी भी टीवी म सीररयल आत ह आप दखत होग मक असरो न वरदान ल मलए ह असर लमकन मफर भी माा स वरदान ल मलया वासतव म वह एक रप मदखाया गया ह और इनक ठीक मवपरीत एक दसरा रप राम वाली आतमा ह मजसम कमलयग क अत म परममपता परमातमा परवश करक lsquoशकरrsquo क नाम-रप स परखयात होत ह दखो जस इन कषण का नाम-रप परखयात हआ ह lsquoबरहमाrsquo वस उन राम का नाम-रप परखयात होता ह lsquoशकरrsquo इन दोनो ही शमियो की सहयोगी शमि दो आतमाएा भी ह कषण की सहयोगी शमि ह lsquoराधाrsquo और राम की सहयोगी शमि ह lsquoसीताrsquo इनक वतामान रप क नाम पड़त ह बरहमा की सहयोगी शमि lsquoसरसवतीrsquo और शकर की सहयोगी शमि lsquoपावातीrsquo य वतामान सवरप क नाम ह जब कमलयगी दमनया समापत होती ह नई सतयगी समि रची जाती ह तो चारो आतमाओ क सवभाव-ससकार का समममशरण होता ह अभी तो हर घर म सतरी-परर क ससकार आपस म टकरात ह कोई घर ऐसा नही होगा मजसम ससकार टकराए नही लमकन सबस पहल एक ऐसी भी दमनया परममपता परमातमा न बनाई री मक पहल-2 चार आतमाओ क ससकार ममलकर एक हो गए र व य आतमाएा ह जो समि क हीरो-हीरोइन ह और इन आतमाओ का समममशरण मवषण की भजाओ क रप म मदखाया गया ह कहत ह ना lsquoमर भया न शरीर छोड़ मदया मरी दामहनी भजा टट गईrsquo तो दामहनी भजा रोड़ ही टट गई बमकक जो सहयोगी शमि ह वह चली गई

इसी तरह परममपता परमातमा क काया म दो दामहनी भजा क रप म सहयोगी बनत ह बरहमा-सरसवती मान कषण और राधा य कड़ा-कठोर रप कभी नही अपनात पररवतान क मलए इनहोन हमशा पयार का काम मकया इसमलए इनको परममपता परमातमा न राइट हणड क रप म सवीकार मकया लमकन जब राइट हणड स काम नही मनकलता तो मफर उागली टढ़ी भी की जाती ह व दो रप ह शकर और पावाती आमद शमि चामडा का रप धारण करती ह और शकर परलयकर रप धारण करत ह वह राम (शकर) वाली आतमा सहयोमगनी शमि दवारा परलय मचाती ह शमि का रप धारण मकए बगर रावण कमभकरण मघनाद जस असर पररवतान नही हो सकत इन बराहमणो क अनदर जयादा स जयादा तादाद म ऐस आसरी ततव घस गए जो रावण कमभकरण मघनाद का पाटा बजात ह उनको सधारन क मलए जञान बाण मारन वाली राम की आतमा तयार होती ह बाण कोई दसर नही ह परममपता परमातमा न आकर राम क मख दवारा उनक मलए जो तीखी बात बोली ह उन बातो का अरा ही जञान बाणो का काम करती ह हमको तो व महावाकय पयार लगत ह लमकन उस तरह की जो आसरी बराहमण आतमाएा पररवार म घसी हई ह उनको व बाण लगत ह उनको घाव पदा कर दत ह तो इस तरीक स य जो लव और लॉ क दो रप ह उनम यह तीसरा रप समाया हआ ह जो बरहमा-सरसवती शकर और पावाती रपी चार आतमाओ का समममशरण ही lsquoमवषणrsquo

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कहा जाता ह बाकी ऐसा कोई वयमि ससार म कभी हआ नही ह जो चार भजाओ का रहा हो या 10 मसर का रावण रहा हो 10 मसर क रावण का मतलब ह मक दसो धमा ममल करक ससार म परजाततर राजय का ऐसा बकायद सगठन बनात ह मजसस सारी दमनया मवनाश क कगार पर खड़ी हो जाती ह बाकी परममपता परमातमा न तो आकर राजयोग मसखाकर कायदमसर दवी राजाओ का राजय सरापन मकया रा

परममपता परमातमा जो सकल खोलत ह सदगर कह जात ह तो ज़रर व ऐसी ईशवरीय यमनवमसाटी का वाइस चानसलर बनत होग जहाा व कोई माला रपी सगठन की बड़ी-2 पदमवयाा दकर जात हो दश-मवदश म जनम-जनमातर क जो राजाएा बन ह उन राजाओ को राजाई करन की मवदया उनहोन मसखाई री उसको lsquoराजयोगrsquo कहा जाता ह वह राजयोग परममपता परमातमा गीता जञान क दवारा अभी मसखा रह ह जनम-जनमातर का राजा बना रह ह लौमकक बाप जो होत ह व तो एक जनम की परामपत करात ह वसाा दत ह लमकन यह पारलौमकक बाप जब समि पर आत ह तो अपन आतमा रपी बचचो को अनक जनमो की राजाई दकर जात ह वह अनक जनमो की राजाई अभी दी जा रही ह ससार म अभी कछ ही वरो म ऐसी 108 शरषठ आतमाएा परतयकष होन वाली ह जो सार ससार म तहलकाखलबली मचाएागी और सार ससार की धमा सरता व राजय सरता दोनो की बागडोर अपन हार म ल लगी यही 108 शरषठ आतमाएा आज भी सभी धमो म माला क रप म समरण की जाती ह

जब सारी दमनया माया क पज म फा स जाती ह तब व जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आत ह माया का पजा कोई सतरी नही ह काम करोध लोभ मोह अहकार- य पााच मवकार मनषय क अनदर भर हए ह उन पााचो मवकारो म सारी दमनया जकड़ गई ह आज एक भी मनषय ऐसा नही ह जो इन पााचो मवकारो की जकड़ स बाहर हो जब सारी समि की ऐसी अतयमधक बदतर हालत हो जाती ह तब परममपता परमातमा मशव आत ह मजसकी यादगार म यह lsquoमहामशवरामतरrsquo मनाई जाती ह इस महामशवरामतर म जब परममपता परमातमा मशव आत ह तो दमनया म चारो तरफ अनक धमा फल हए होत ह उन धमो म धमा क नाम पर मवतडावाद जयादा ह जञान कछ भी नही ह जञान क नाम पर अजञान-ही-अजञान सनाया जाता ह और पस व मदखाव को जयादा महतव मदया जाता ह जो धमा की सरापना का काया ह धारणा की बात ह व न क बराबर होती ह तब जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आकर उस अजञान अधकार का मवचछदन करत ह इसमलए उसकी यादगार म भारतवरा म माघ मास को अधारामतर म महामशवरामतर मनाई जाती ह जब आम खरी मास होता ह समि का आम खरी टाइम होता ह कमलयग का अनत होना होता ह तब दमनया म अजञान अधकार चारो तरफ फला रहता ह जस शमिमान सीररयल म आता ह- lsquoअधरा कायम रहगाrsquo असर तो यही चाहत ह मक अधरा कायम रह दमनया अजञान म रह और हम अपना आसरी काम बनाएा तो य काम करोध लोभ मोह अहकार ह असर मजनका ममखया ह काम मवकार उस काम मवकार को परममपता परमातमा आकर सबस पहल शकर क चोल क दवारा भसम करात ह हमन समझ मलया मक काम मवकार कोई दवता का रप होगा उसको lsquoकामदवrsquo नाम द मदया लमकन वासतव म वह कोई अलग स दवता नही होता यह हमार अनदर की ही कपरवमरत कमज़ोरी व मवकमत ह जो उस शकर दव न पहल भसम कर दी भसम करन वालो म नमबरवार होत ह लमकन जो उसको सबस पहल भसम कर लता ह वह बात शकर क मलए मदखात ह उनका जञान का तीसरा नतर खला और काम मवकार भसम हो गया वह कोई बाहर का काम मवकार रोड़ ही रा यह तो अदर की चीज़ री जो उनहोन भसम कर दी नि कर दी जब ममखया भसम होगा तो बाकी य जो चार चोर-डकत ह व तो अपन आप ही भाग जाएाग

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वितर न 5 (विि और िकर)- यहाा मदखाया गया ह मक वासतव म मशव अलग स परममपता ह और शकर अलग आतमा ह गलती क कारण दोनो को ममलाकर एक कर मदया लमकन गलती भी नही ह वासतव म वह हमारी बसमझी हो गई यह बसमझी होन क कारण ही बरहमाकमार-कमाररयाा भी उस बसमझी म फा स हए ह कया बसमझी हो गई मक व सपरीम सोल मशव मनराकार जयोमतमबिद जब इस समि पर आत ह तो इस समि पर आकर मकसी जनसाधारण को ज़रर आप समान बनाएाग व पढ़ाई पढ़ाएाग टीचर का कोई तो सटडट ऐसा मनकलगा जो उनकी परी 100 परसट पढ़ाई को धारण कर ल तो व मनराकार जयोमतमबिद मशव आकर इस शकर क सवरप दवारा ससार म परतयकष होत ह और इस तरह दोनो का तादातमय हो जाता ह आप दखग कोई यह नही कहता ह मक मशव-बरहमा एक ह मशव क सार बरहमा का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार मवषण का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार शकर का ही नाम कयो जड़ता ह इसमलए जड़ता ह मक शकर मशव की याद म इतना तकलीन हो जात ह मक उनको अपन म समामहत कर लत ह अराात बाप समान बन जात ह तो वह समामहत करन की जो मसरमत ह वह lsquoमशव-शकर एक हrsquo- यह मसरमत ससार म परमसि होती ह वासतव म दोनो आतमाएा अलग-2 ह य सपरीम सोल मशव जनम-मरण क चकर म कभी आत ही नही इसमलए lsquoमशवमलगrsquo कहा जाता ह lsquoशकर मलगrsquo नही कहा जाता lsquoमशवरामतरrsquo कही जाती ह lsquoशकर रामतरrsquo नही कही जाती मशव ऐसी चीज़ ह जो मक पाप और पणय स हमशा पर ह और जो दहधारी ह व पाप-पणय क अदर फा सत ह

अब आप दमखए शकर धयान म बठ ह अगर य खद ही परममपता परमातमा का रप होत सपरीम सोल होत तो य मकसका धयान कर रह ह आप परान-2 ममदरो म जाइए आप दखग बीच म मखय सरान पर मशवमलग ह और आस-पास सभी दवताओ क सार शकर की भी ममता रखी हई होती ह इसस कया सामबत हआ मक और मजतन दवताएा ह उन 33 करोड़ दवताओ क बीच म शकर दव-दव महादव तो ज़रर ह लमकन व परममपता परमातमा नही ह व भी उनकी उपासना म सामन बठ हए ह मकसक सामन मशवमलग क सामन तो मनराकार की यादगार मलग रप मशव जयोमतमबिद सपरीम सोल ह और य शकर हीरो पाटाधारी इस समि-रपी रगमच क नायक ह जञानीजनो दवारा जयोमतमबिद मशव को मसफा याद मकया जा सकता ह और भमिमागा म उनका मकरार रर शकर ही मनराकारी सटज म मसरर हो जान कारण बड़ मलग रप म पजा जाता ह

वितर न 6 (पररवपतम पररमतरम सिावयमपी नही)- यहाा यह बताया गया ह मक ईशवर जब समि पर आएाग तो जञान का कोई-न-कोई ऐसा नया पवाइट ज़रर बताएाग मजसम सारी दमनया भरममत हई पड़ी हो ऐसी नई बात ज़रर सनाएाग मजस सारी दमनया न जानती हो बमकक मवपरीत बात ही जानती हो वह बात यह ह मक जब दमनया म चारो तरफ भगवान को ढाढ़ा और कही नही ममला तो लोगो न उनक मलए कहना शर कर मदया- lsquoव तो सवावयापी ह जर-2 म भगवान ह कण-2 म भगवान ह जहाा दखो वहाा भगवान हrsquo लमकन वासतव म गीता का एक शलोक ही इस बात क मलए काफी ह मक lsquolsquoतद धाम परम ममrsquorsquo (कपया गीता का शलोक 156 दमखए) अराात म वहाा परमधाम का रहन वाला ह ा दमनया का सबस शरषठ गरनर गीता ह मजसकी सबस जयादा टीकाएा हई ह उसक एक शलोक म यह बात सामबत हो गई ह गीता म ही एक शबद आया ह lsquoमवभrsquo इस शबद का उनहोन इतना बड़ा अरा कर मदया मक ससार म चारो तरफ यही बात फली हई ह मक व सवावयापक ह वासतव म मवभ का अरा यह ह मक व मवशर रप स हर मनषय आतमा की

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बमि म lsquoभrsquo माना याद क रप म अपना सरान बना लत ह उसका उकटा अरा लगाकर उनहोन परममपता परमातमा को सवावयापी कह मदया

यहाा बात समझाई गई ह मक परममपता परमातमा वासतव म समि पर सवावयापी नही ह गीता और रामायण भी इस बात क परमाण ह गीता व रामायण म मलखा ह मक lsquolsquoजब-जब इस समि पर अधमा का बोलबाला होता ह तब-तब म आता ह ाrsquorsquo lsquoआता ह ाrsquo स सामबत ही हो गया मक व नही र तब तो आए नही तो उनको आन की कया दरकार री दसरी बात अभी-2 आपको गीता का जो शलोक बताया वह पकका सामबत कर रहा ह मक परममपता परमातमा का धाम नाम काम ऊा च त ऊा चा ह मजसका गायन भी ह- lsquoऊा चा तरा धाम ऊा चा तरा नाम

ऊा चा तरा कामrsquo धाम काम नाम- तीनो ही जब ऊा चा ह तो व ऊा चा ही बठग या नीच बठग इस दमनया का भी जो राजा होता ह वह भी ऊा ची गददी पर बठता ह तो हमन परममपता परमातमा को कण-2 म कयो ममला मदया

यहाा मचतर म मदखाया गया ह मक ऋमर ममन सनयासी भाव मवभोर होत ह तो खड़ताल बजाकर कहत ह- lsquoह परभ हम दशान दोrsquo परत जब परवचन करत ह तो कहत ह- lsquoपरमातमा सवावयापी ह आतमा सो परमातमा मशवोऽहम हम परमातमा क रप ह हम ही भगवान हrsquo तो यह बात तका सगत सामबत नही होती एक बात पर पकका रहना चामहए यह कया बात हई कीतान करन लग तो परभजी हम दशान दो अब दशान कहाा स द तमहार अदर जब खद ही भगवान बठ हए ह तम खद ही भगवान क रप हो यहाा यह मदखाया गया ह मक जो परवचन सनन वाल ह व मजस समय गरजी महाराज का परवचन सनत ह तब तो भाव मवभोर होकर कहत ह- lsquoहाा परमातमा सवावयापी ह बहत अचछा जञान सनायाrsquo घर म पहाचत ही भाई भाई की हतया करन लग अब उनह भाई-2 क अदर भगवान नही मदखाई मदए यह मवरोधाभास एकदम इतना कस पदा हो गया

वासतव म सबक अदर अपनी-2 मभनन ससकारो वाली आतमा होती ह परममपता परमातमा उन सबस सवारा अलग ह अपनी भारतीय परमपरा म शकराचाया की मरोलोजी अलग ह और माधवाचाया की मरोलोजी अलग ह माधवाचाया की गीता म बताया गया ह मक lsquoआतमा सब अलग-2 ह और परमातमा उनस अलगrsquo जबमक शकराचाया की गीता म बताया गया ह- lsquoसवि खल इद बरहमrsquo अराात इस दमनया म जो कछ भी दखन म आ रहा ह व सब भगवान का रप ह माधवाचाया न बताया मक lsquoहर आतमा म अलग-2 ससकार हrsquo य आतमाएा गभा म जब शरीर धारण करगी तो य अपना अलग-2 पाटा ही बजाएागी इनका पाटा दसरी आतमा स ममल नही सकता हम हमशा शासतरो म यह ममसाल दत आए ह मक हम सब आतमाएा सागर म बदबदा ह बदबद सब सागर म समा जात ह मान हम उस सागर का अश ह यही कहा ना लमकन हम एक बात भल गए अगर हम बदबद ह हम सागर का अश ह तो सागर म स जो चकल भर पानी हमन ल मलया उसम जो खारपन का गण होगा वही सागर क पानी म भी होना चामहए ना यह पानी हमन पनः उसम ममला मदया दोनो का गण अभी भी एक ही ह लमकन हम सबक अदर य अलग-2 ससकार कस ह यह अलगाव कहाा स आ गया और जनम-जनमातर स यह अलगाव चलता चला आ रहा ह दसरी बात इसका एक और पररहारमनवारण ह- आपन कभी चाहा ह मक हमारी आतमा का जो अमसततव ह वह हमशा क मलए खतम हो जाए कोई चाहता ह अगर हमारी आतमा उस सपरीम सोल मशव म जाकर लीन हो जाए सागर म चकल भर पानी ममला मदया गया तो उसका अमसततव हमशा क मलए खतम हो जाएगा मफर शासतरो म यह बात कहाा स आई- lsquolsquoककप-2 लमग परभ अवतारा जब-2 तरतायग होता ह तब-2 राम का अवतार होता हrsquorsquo

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अजर-अमर तो सभी आतमाएा ह वह बात तो ठीक ह वह एक अलग बात उनका अमसततव उनका ससकार सब अलग-2 ह लमकन हर आतमा का अनक जनमो का जो पाटा ह वह उस जयोमतमबानद रपी आतमा क टप ररकॉडार म भरा हआ ह इस समि-रपी रगमच पर जब कोई भी आतमा उतरगी तो सतयग क आमद स लकर कमलयग क अत तक वह उतन ही जनम लगी मजतना पहल चतयागी म मलया रा अगर राम की आतमा होगी तो हर तरतायग म राम क रप म ही जनम लगी lsquoह कषण नारायणrsquo की आतमा होगी तो वह हर सतयग क आमद म नारायण क रप म ही राजय करगी इस तरह हर जनम म आतमा का शरीर रपी चोला बदलन का पाटा मनमित ह हर 5000 वरा क बाद वह जयो का तयो पनरावतान होता ह

हर आतमा सो परमातमा नही ह सपरीम सोल मशव हमशा अलग ह अगर व भी जनम-मरण क चकर म आन लग तो हमको छड़ान वाला कोई भी नही रहगा उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही की जा सकती कोई आतमा हीरो-हीरोइन पाटाधारी बन सकती ह मवलन व साधारण आतमा का पाटा बजा सकती ह लमकन सपरीम सोल मशव जसा पाटा मकसी का नही ह उनका तो तररया पाटा ह व बार-2 इस समि पर आत भी नही जसा शासतर म मलख मदया ह- lsquoसमभवामम यग-यगrsquo अराात म हर यग म आता ह ा अर हर यग म आत तो दवापर क अत म जब महाभारत यि कराया कषण क रप म परममपता परमातमा आए तो कया पापी कमलयग की सरापना करन क मलए आए र उनको हर यग म आन की कया ज़ररत ह साधारण बाप होता ह वह भी बचचो क मलए मकान तब तयार करता ह जब मकान पराना हो जाता ह उस परान मकान स काम नही चलता जब तक काम चल सकता ह तब तक मरममत कराता रहता ह इस समि-रपी मकान की भी यही हालत ह इबराहीम बि कराइसट गरनानक आमद य धमामपताएा आकर समि की जगह-2 मरममत करत रह मकसी न अरब दश म आकर मरममत की मकसी न यरोपीय दशो म की मकसी न चीन-जापान म की नया मकान तो मकसी न नही बनाया नई समि तो नही बनाई यह मरममत मकतन मदन चलगी कछ समय तक उन धमो का परभाव रहता ह मफर वह खलास आखरीन तो मफर भी उसी सपरीम सोल मशव बाप को जो धमामपताओ क भी बाप ह बापो क भी बाप ह इस समि पर उतरना ही पड़ता ह व आकर इस समि का आमल-चल पररवतान कर दत ह तो व सवावयापी नही ह व तो इस समि पर मकरार रप स हीरो पाटाधारी म परवश करक पाटा बजात ह

आपन lsquoजीज़सrsquo वा lsquoकराइसटrsquo का नाम सना आमखर य दो नाम कयो मकरमियनस लोग मानत ह मक वह वयमि

जो पहल खयामतपरापत नही रा उसका नाम lsquoजीज़सrsquo रा मफर जब खयामतपरापत हो गया तब उसका नाम lsquoकराइसटrsquo पड़ गया इसका रहसय कोई नही जानता यह रहसय परममपता परमातमा मशव आकर बता रह ह मक कोई भी नई आतमा ऊपर स उतरती ह तो मजसम भी परवश करती ह उसका नाम बदल दती ह जस पहल lsquoनरनदरrsquo नाम रा बाद म lsquoमववकाननदrsquo नाम पड़ गया आचाया रजनीश का भी ऐस ही हआ ह पहल यह एक साधारण लकचरर र जब आतमा न परवश मकया तो lsquoआचाया रजनीशrsquo नाम पड़ गया तो हर आतमा जो ऊपर स नीच उतरती ह वह मजसम परवश करती ह उसको कनवटा करक अपन धमा म खीच ल जाती ह और वह आधारमता मजसम परवश मकया वह भारत की ही सनातन धमा की आतमा होती ह ऐस ही दसर-2 धमो म कनवशान या पररवतान हआ भारतवामसयो स ही कनवटा होकर दसर-2 धमा पनप ह और वमि को पाए ह कहन का मतलब यह हआ मक उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही हो सकती हम आतमाओ क मकाबल व हमशा तरीया ह व तो सख भी नही भोगत तो दःख भी नही भोगत व सख-दःख स हमशा ही पर रहन वाल ह हाा यह बात ज़रर ह मक जब व इस समि पर आकर राजयोग मसखात ह तो ऐसी पढ़ाई पढ़ात

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ह मक हम आतमाएा नवार पररारा अनसार इस सटज को परापत कर मक इस समि पर रहत हए भी दःख-सख म रहत हए भी अपनी ऐसी अवसरा बना ल मक दःख क समय हम दःखी न हो और सख क समय हम बहत जयादा परसनन न हो मजसका नाम गीता म lsquoमसरतपरजञrsquo मदया गया ह लमकन हमारी वह अवसरा हमशा क मलए नही रहगी परनत उस मशव की हमशा क मलए रहगी वह सपरीम सोल ह तो मफर आतमा-परमातमा एक कहाा हए

परमातमा सवावयापी कहाा हए सपरीम सोल मशव तो हमशा अलग ही हए

मशव की तलना ऊा च त ऊा च मतरदवो स भी नही की जा सकती इन मतरदवो की यादगार म lsquolsquoझणडा ऊा चा रह हमारा मवजयी मवशव मतरगा पयारा मवशव मवजय करक मदखलावrsquorsquo- यह बोलत तो ह लमकन यह नही जानत ह मक व तीन शरीर रपी वसतर कौन-स ह मजन वसतरो न सार मवशव म तहलकाखलबली मचाई री सार मवशव म मवजय करक मदखलाई री वासतव म व शरीर रपी वसतर lsquoबरहमा मवषण शकरrsquo- य तीन ही ह उनक सकतक रग भी वस ही मदखाए गए ह ऊपर वाला कसररया रग ह शकर- करामत का सचक बीच वाला सफद वसतर सतवगणी मवषण का सचक ह नीच वाला हरा वसतर बरहमा का सचक ह जस गााधीजी कहत रह- lsquoरामराजय आएगा रामराजय आएगाrsquo

बमकक और ही रावण राजय आ गया ऐस ही बरहमा बाबा हमशा मचकलात रह- lsquoरामराजय लाएाग सवगा आएगा

वकणठ आएगा और सवगा आन ही वाला हrsquo अब उस सवगा की जगह बरहमाकमारी आशरमो म रौरव नका बन रहा ह

इसमलए बरहमा की ममतायाा ममदर व पजा नही होती कयोमक तराकमरत बरहमाकमार-कमाररयो न ही बरहमा की दाढ़ी की लाज नही रखी जबमक शकर और मवषण क ममदर और ममतायाा बनाकर आज सार भारतवरा म पजा की जा रही ह

वितर न 7 (सहज रमजयोग)- ससार म अनक परकार क योग परमसि ह जस- भमियोग कमायोग जञानयोग हठयोग राजयोग आमद मकत योग क इन सभी परकारो म सहज राजयोग शरषठामतशरषठ ह योग का अरा ह- समबध या ममलन आजकल योग का तातपया योगासन या हठयोग समझ मलया जाता ह मकनत योगासन स शारीररक सवासथय और कछ सीमा तक मानमसक सवासथय ममल सकता ह लमकन समपणा सख-शामत की परामपत तो कवल राजयोग दवारा ही हो सकती ह

lsquoराजयोगrsquo का अरा ह राजाओ का राजा बनान वाला योग या रहसय भरा योग मनषयातमाएा कई जनमो स दह-अमभमान क दलदल म फा सकर मवनाशी दहधाररयो स योग लगाती आई ह मकत जस तााब वाल दो तारो को जोड़न स उसम मबजली परवामहत होती ह परत रबड़ चढ़ हए तााब क तारो स मबजली का करट नही लगता उसी परकार दह-अमभमानी दहधाररयो स समबध रखन पर अमवनाशी सख-शामत की परामपत नही हो सकती परममपता परमातमा मशव तो इस योग भी नही अमपत सरल शबद म lsquoयादrsquo कहत ह याद करना एक सवाभामवक सरल एव मनरतर परमकरया ह जबमक योग स मकसी मवशर परयास का बोध होता ह जस परममपता परमातमा शरीर म रहत हए भी उसक भान स नयार ह अराात मवदही रहत ह उसी परकार हम भी सवय को अमवनाशी आतमा (न मक परकमत क 5 ततवो स बना दह) समझकर परजामपता बरहमा क दवारा परममपता परमातमा को याद करना ह हमारी दमि म मशव रहना चामहए मातर शव अराात दह नही अतः भगवान को न तो मसफा साकार रप म न तो मसफा मनराकार रप म बमकक भलीभाामत पहचानकर साकार शरीर म परमवि मनराकार को याद करना ह यही ह सचचा राजयोग

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मन वचन एव कमा की पमवतरता परममपता परमातमा स सचचा सनह मदवय गणो की धारणा ईशवरीय जञान शि अनन तरा सचच बराहमणो का सग करन पर आतमा दह-अमभमान दवारा उतपनन पााच मवकारो अराात काम करोध लोभ मोह

अहकार स ममि पाकर अपन मल सवरप अराात सवागण समपनन सवरप म मसरत हो सकती ह परभ को याद करन क मलए अमतवला या बरहममह ता का समय सबस शरषठ ह कयोमक उस समय वातावरण शात तरा शि रहता ह और मन भी जागरत एव परशात होता ह राजयोग क मनतय अभयास स आतमा म पमवतरता शामत धया मनभायता नमरता-जस गणो की धारणा होती ह सार ही आतमा को वयरा मवचारो क फलाव को समटन की शमि सहनशमि समान की शमि अचछ-बर को परखन की शमि सही मनणाय लन की शमि समसयाओ का सामना करन की शमि मवमभनन ससकार वाल मनषयो क सार सहयोग करन की शमि तरा मवसतार को सकीणा करन की शमि आमद आतमा की अि शमियाा परापत होती ह

राजयोग क मनरतर एव दढ़ अभयास स आतमा अपन आमद मधय एव अत की कहानी को तरा इस मवशव म अपन अमदवतीय अनक जनमो क पाटा को जान सकती ह और अपन घर बठ मवशव की आतमाओ को भी शामत एव सख का दान द सकती ह इस परकार हम सव-पररवतान क सार-2 मवशव-पररवतान भी कर सकत ह

बरहमाकमारी मवदयालय (बरमव) और आधयामतमक मवदयालय (आमव) की मशकषाओ म अतर-

बरहमाकमारी मवदयालय शासतरो को मानयता नही दता ह आधयामतमक मवदयालय ईशवरीय वाणी क आधार पर शासतरो को मानयता दता ह

बरमव कषण उफा बरहमा को ही एकमातर गीता का साकार भगवान मानता ह जबमक मख स कहता ह मक कषण गीता क भगवान नही ह

आमव मनराकारी सटज वाल साकार मशव-शकर को परमकटकल म गीता का भगवान मानता ह कषण उफा बरहमा क साकार रप दादा लखराज को गीता का भगवान नही मानता बरमव बरहमा-मवषण-शकर क साकार मचतर तो छपाता ह परत मसफा बरहमा क परमकटकल साकार रप को ही मानयता दता ह मवषण और शकर को इस दमनया स ही उड़ा दता ह जबमक शासतरो व दमनया म भी बरहमा क ममदर ममतायाा और पजा नही मदखाई ह बरहमाकमारी मवदयालय मशव-शकर को तो अलग-2 कहता ह लमकन यह नही बताता मक शासतरो म मशव-शकर को कयो ममला मदया मशव को बरहमा मवषण अरवा अनयानय 33 करोड़ दवताओ क सार कयो नही ममलाया और शकर को ही महादव कयो कहा ह

आमव म उपरोि परशनो का सटीक जवाब ह और तीनो दवताओ क साकार परमकटकल पाटा की सपिता भी ह

बरमव मसफा बरहमा (बरहम+माा) बड़ी माा को ही भगवान का साकार रप मानता ह और अपन को मसफा बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

आमव माा और बाप (परजामपता+बरहमा = एडम और ईव) दोनो को साकार रप म मानता ह और अपन को परजामपता बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

बरमव जञान-योग का मवजञापन करता ह जस- परोजकटर परदशानी पमबलक भारण कॉनर स मल सममलन ररयातरा

मनषयकत सामहतय आमद

आमव मकसी परकार क मवजञापन म मवशवास नही करता

बरमव मसफा मतय क बाद ही ममि-जीवनममि रपी ईशवरीय वस को जीवन का लकषय मानता ह

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आमव जीवन रहत ही लोक और परलोक सावारन का पररारा कराता ह अराात इसी जनम म नर स नारायण और नारी स लकषमी बनान का परम परमसि गीता वमणात उपदश दता ह

बरमव महल मामड़याा अटाररयाा बनाकर 36 परकार क भोग खान म और मसफा झकाझक शवत वसतर पहनन म अपन को शरषठ मानकर चलता ह आमव रहन सहन खान पान पहनाव म सादगी को ही शरषठ मानकर चलता ह बरमव म चदा माागकर वयमिगत वभव और मान-शान बढ़ाना आम बात ह

आमव मकसी परकार क चदा आमद lsquoमाागन स मरना भलाrsquo समझता ह

बरमव मसफा कहता ह मक हम एक धमा एक राजय एक कल एक मत की सरापना करग परत चलन म परा ही मवरोधाभास दखन म आता ह आमव क सदसय परमकटकल म आए हए एकमातर ईशवर की ही शरषठ मत को मानत हए ईशवरीय धारणाओ कायद

कानन को मानन क सार-2 नमबरवार अपन-2 पररारा अनसार चलन का परयास भी करत ह

सममपात बरक परायः सनयामसयो की तरह मठ-पर बनाकर जीवन चलाती ह

आमव क सममपात या गर सममपात सभी सदसय गहसरी जीवन यापन करत ह कयोमक गीता क भगवान सवय बहद क गहसर म रहत हए गहसरी पाणडवो को ही राजयोग मसखात ह सनयामसयो (भीषम दरोणाचाया कपाचाया) को नही

भविषयिमणी

(यहाा उन लोगो की भमवषयवामणयो का वणान मकया गया ह मजनकी भमवषयवामणयाा आज तक सही सामबत हई) -

कमकक पराण - सवततरता क बाद भारत म एक ऐस महापरर का उदय होगा जो वजञामनको का भी वजञामनक होगा वह आतमा और परमातमा क रहसय को परगट करगा आतमजञान उसकी दन होगी उसकी वश-भरा साधारण होगी उसका सवासथय बालको जसा योिाओ की तरह साहसी अमशवनी कमारो की तरह वीर यवा व सनदर शासतरो का परकाणड पमणडत व मानवतावादी होगा उसका मपता ही उस योग साधना की ओर परररत करगा 24 वरा की आय म वह योग की उचच भममका म परवश करगा एणडरसन(अमररका) - अरब राषरो समहत ममसलम बहल राजयो म आपसी करामतयाा और भीरण रिपात होग इस बीच भारतवरा म जनम महापरर का परभाव व परमतषठा बढ़गी यह वयमि इमतहास का सवाशरषठ मसीहा होगा वह एक मानवीय समवधान का मनमााण करगा मजसस सार ससार की एक भारा एक सघीय राजय एक सवोचच नयायपामलका एक झणड की रप-रखा होगी

गरराडा कराईस(हॉलड) - भारत दश म एक ऐस महापरर का जनम हआ ह जो मवशव ककयाण की योजनाएा बनाएगा जलबणा - ससार क सबस समरा वयमि का अवतरण हो चका ह वह सारी दमनया को बदल दगा उसकी आधयामतमक करामत सार मवशव म छा जाएगी एक ओर सघरा होग दसरी ओर एक नई धाममाक करामत उठ खड़ी होगी जो आतमा और परमातमा क नए-2 रहसय को परगट करगी वह महापरर 1962 स पवा जनम ल चका ह उसक अनयायी एक समरा ससरा क रप म परगट होग और धीर-2 सार मवशव म अपना परभाव जमा लग असभव मदखन वाल काया को भी व लोग उस महापरर की कपा स बड़ी सरलता स सपनन करग

परोफसर कीरो - भारत का अभयदय एक सवोचच शमि क रप म हो जाएगा पर उसक मलए उस बहत कठोर सघरा करन पड़ग दखन म यह मसरमत अतयत किदायक होगी पर इस दश म एक फररशता आएगा जो हज़ारो छोट-2

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लोगो को इकटठा करक उनम इतनी आधयामतमक शमि भर दगा मक व लोग बड़-2 बमिजीमवयो की मानयता ममथया मसि कर दग गोपीनार शासतरी - अवतारी महापरर दवारा जबरदसत वचाररक करामत होगी मजसक फलसवरप मशकषण पिमत बदल जाएगी और ऐसी मशकषा का अमवषकार होगा जो वयमि को जीवन जीन की कला परदान करगी जबमक वतामान मशकषा परणाली कवल पट भरन तक ही सीममत ह कमरत आतमजञानहीन बमिजीमवयो स लोगो की घणा होगी और भगभा मवदया रसायन शासतर यतर मवदया खमनज धात चमबक मवदया आमद क नए कषतर की और मवजञान का मवसतार होगा मजसका नततव भारतवरा का एक ऐसा धाममाक सगठन करगा मजसका मागादशाक सवय भगवान होगा धाममाक आशरम जन जागमत क कनदर बनकर काया करग बमप क ितारमन समकमर पमटा क परवत परफ एि पररमणः-

बाप कहाा आत ह- यह भी नही जानत ह जब खद आकर बताव तब पता पड़ कहाा मलखा भी ह मक परमातमा मगधदश म आता ह(मता16876)

शासतरो म मगध दश मलखा ह परनत नॉलज कहाा मसखाई आब म कस आए मदलवाड़ा ममदर भी यहाा परा यादगार ह मजनहोन भी बनाया उनहो की बमि म आया और बठकर बनवाया एकयरट मॉडल तो बना न सक बाप यहाा ही आकर सवा की सदगमत करत ह मगध दश म नही (मता5989 प3 मधय) ऐस बहत बचच ह बाप को परा पहचानत नही ह बाप का अदब(सममान) नही रखत कयोमक बाप कहत ह म साधारण रप म आता ह ा म जो ह ा जसा ह ा मवरला कोई उस रहाब स चलत ह यहाा तो बहत साधारण ह ना ह मकतनी बड़ी असामी आग चल वह भी पहचानग ऐस बाबा को हमन फारकती द दी तकदीर को लकीर लगा दी यह पीछ होगा अभी तो बहत साधारण ह रर ह गपत गपत होन कारण परा पहचान नही सकत ह परा पहचान ल तो कह- बाबा आपक मसवाए दमनया म ह ही कया कोई सदगमत कर न सक (मता151175 प1 आमअ)

यादव और कौरव पास मकतन महल ह तम बचचो को कछ भी नही तीन पर पथवी क भी तमहार नही सब उनहो का ह यह भी गाया हआ ह- मजनको तीन पर पथवी क भी नही ममलत र उनहो की मवजय हई और वह मवशव क मामलक बन गए पाणडव शमिसना गपत ह शासतरो म भी मदखात ह जआ खलत पाणडवो का राजय रा मफर जआ म हराया (म10678 प1 म) भगवान खद कहत ह मझ गाली खानी पड़ती ह सबस जासती गाली म ही खाता ह ा भमिमागा म भी गाली ही दत ह 3 पर पथवी क भी नही ममलत ह मफर भी मकतनी मनरहकारीपन स पाटा बजा रह ह (म6387 प3 अत) बहद का बाप पढ़ात ह परनत बाप ह साधारण तन म पढ़ात भी साधारण रीमत ह इसमलए मनषयो को जाचता नही ह- गॉड फादरली यमनवमसाटी मफर ऐसी होगी बाप कहत ह म ह ा गरीब मनवाज़ गरीबो को ही पढ़ाता ह ा साह कार को ताकत नही पढ़न की उनहो की बमि म तो महल-माड़ी ही होती ह (मता23489 प1 अत) भगवान एक ह उनको ही मात-मपता कहत ह वह आकर एडॉपट करत ह मकतनी गहय बात ह यह नया सकल ह नया पढ़ान वाला ह (मता251088 प3 आ)

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यह नॉलज ह यह ह नई बात नई दमनया क मलए भगवानवाच ह ना भगवान भी नया वाचय भी ह नई वह कहत ह कषण भगवानवाच तम कहत हो मशव भगवानवाच हरक की वाच अपनी-2 ह एक न ममल दसर स (मता15668 प3 आ)

किर वितर न 1 (वतररवता)-

lsquoमशवrsquo का अरा ह- lsquoककयाणकारीrsquo परममपता परमातमा का यह नाम इसमलए ह मक समि-चकर क अत म जब मनषयातमाएा तरा परकमत पमतत एव तमोपरधान बन जाती ह तो परमधाम मनवासी परममपता परमातमा मशव जयोमतमबानद मनषय शरीर का आधार लकर मनषयातमाओ और परकमत दोनो को पावन एव सतोपरधान बनात ह उनक इस कतावय की यादगार म ही मशवरामतर अराात परममपता क शबदो म मशवजयती का तयौहार मनाया जाता ह सपरीम सोल मशव मकसी परर क बीज स या माता क गभा स जनम नही लत व परजामपता दवारा मनषय-समि-रपी वकष क चतनय बीज ह और जनम-मरण तरा कमाबधन रमहत ह अतः व अपना कतावय करन क मलए मकसी साधारण वि मनषय क तन म मदवय परवश करत ह इस ही lsquoपरममपता परमातमा का मदवय अवतरणrsquo कहा जाता ह कयोमक उनका अपना शरीर नही होता ह उनका मदवय कतावय तीन चरणो म समपनन होता ह- सरापना मवनाश और पालना इन तीन कतावयो क मलए व अवयि मसरमत धारण करन वाली तीन साकार दवातमाओ का आधार लत ह व दवातमाएा ह- बरहमा शकर तरा मवषण मनषय-समि-रपी रगमच पर उनक मदवय अवतरण क बाद कौन-सी तीन आतमाएा बरहमा शकर एव मवषण क पातरो का अमभनय करती ह यह जानन क मलए हम सन 1936-37 म परममपता परमातमा क अवतरण स लकर अब तक की घटनाओ को जानना ज़ररी ह

परममपता परमातमा का यह काया सन 193637 म पामकसतान क मसध हदराबाद शहर स परारमभ हआ जब उनहोन दादा लखराज नामक एक मवखयात हीरो क वयापारी को मवषण चतभाज नका की परानी दमनया क मवनाश और सवगा की नई दमनया की सरापना का साकषातकार कराया मकनत व उन मदवय साकषातकारो का अरा समझ न पाए उनहोन अपन गरओ स इसका अरा पछा मकनत भगवान की लीला व दहधारी गर लोग कया समझ मफर व (दादा लखराज) वाराणसी क परकाणड पमणडतो स इसका समाधान पान क मलए गए मकत उनह वहाा भी मनराशा ही हार लगी वहाा भी उनह साकषातकार होत रह मजसकी तसवीर व गगा क घाटो पर बनी दीवारो पर बनात रहत र जब कोई भी उनकी समसया का समाधान न कर सका तो उनह कलकरता म रहन वाल अपन भागीदार (सवकराम) की याद आई उस भागीदार की मनषठा व ईमानदारी स परभामवत होकर ही उनहोन उस अपनी कलकरता मसरत हीरो की दकान की मज़ममवारी सौपी री

अतः दादा लखराज कलकरता गए मकत सीध उस भागीदार को अपन साकषातकारो का वणान करन क बजाय उनहोन अपनी नज़दीकी सबध की माता (अराात छोटी माता) को सनाया और उस माता न दसरी माता को सनाया जो बोलन सनन सनान म मसिहसत री बाद म जब सनन-सनान म मसिहसत माता न परजामपता (भागीदार) को सनाया उसी समय जयोमतमबद परममपता परमातमा मशव न उसी माता और परजामपता (भागीदार) म सार-ही-सार परवश कर मलया और इस परकार उस मसिहसत माता दवारा साकषातकारो का वणान सनन-सनान की परमकरया दवारा lsquoभमिमागाrsquo की तरा भागीदार दवारा जञान समझन-समझान की परमकरया दवारा lsquoजञानमागाrsquo की नीव पड़ गई

इस परकार चामक परममपता मशव न सवापररम उन दोनो माताओ क समकष भागीदार म परवश कर मवशव पररवतान का काया आरमभ मकया इसमलए व मशव जयोमतमबानद ही भमवषय म बरहमा शकर और मवषण- इन मतरदवो दवारा ससार म मतरममता मशव क नाम स परमसि होत ह

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 6: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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लगता व य ह नामसतक (रमशयनस) व न सवगा मानत ह न नका मानत ह न आतमा को मानत ह न परमातमा को मानत ह व कछ नही मानत व अपन नश म आकर ऐटममक एनजी तयार करत ह मक हम ही सब कछ ह हम चाहग तो दमनया को नचाएाग नही तो नि कर दग लमकन व अपन मककड़ जाल म खद ही फा स जात ह आज तो रस मबखर गया और उसस जयादा ऐटममक एनजी अमररका न धारण कर ली ह इस तरीक स दमनया क नवार 9 मखय आमसतक धमा ह इन 9 धमो की चनी हई मखय-2 बारह-2 ( 9 ग 12 = 108 ) आतमाएा परममपता परमातमा इकटठी करत ह सारी समि स चनकर 12 नमा 108 मणक तयार होत ह

आज स 70-75 साल पहल भारतवरा म इतन भगवान नही र आचाया रजनीश भी भगवान जय गरदव भी भगवान सााई बाबा भगवान सतपालजी महाराज भगवान चदरा सवामीजी भगवान- य ढर क ढर भगवान 75 साल पहल र ही नही 70-75 साल क अदर ही य ढर क ढर भगवान पदा हो गए अब भगवान एक होगा या ढर क ढर होग भगवान तो ज़रर एक होगा लमकन महसाब कया ह जब इस समि पर परमधाम छोड़कर सचचा हीरा आता ह तो उसकी भट म ढर सार नकली हीर दमनया क बाज़ार म तयार हो जात ह व नकली हीर चारो तरफ अपना पॉमप एणड शो शोर-शराबा फला दत ह जबलपर म महशयोगी की एक बड़ी भारी मबमकडग बननी री सकड़ो-करोड़ो रपयो की वह मबमकडग तयार होनी री उसम होना कया बस वही सवाहा अब उसस कछ होता रोड़ ही ह 2500 वरा स यह सवाहा-2 होता चला आया कया इसस कोई दमनया का पररवतान होना ह पररवतान कछ भी नही होना ह वह एक बात तो सचची बता दी मक वातावरण शि होता ह परनत बजाय वातावरण शि होन क दमनया और जयादा मबगड़ रही ह (एक भाई न कहा- अमररका स व गोकड का समगमलग करत ह) चलो वह कछ भी हो हमन एक बात बताई मक भगवान ढर क ढर ह लमकन नकली हीर ह और उनम पता नही चल रहा ह मक असली कौन ह ज़रर असली भी ह लमकन पता नही चल रहा ह और उसका परफ यह ह मक भगवान जब आएाग तो नई समि की सरापना क सार-2 परानी समि का मवनाश का सामान भी तयार कराएाग सत धमा की सरापना क सार-2 ढर क ढर जो दि धमा फल हए ह उनका भी मवनाश का काया करत-करात ह lsquolsquoमवनाशाय च दषकतामrsquorsquo (गीता 48) गीता का यह शलोक ही बताता ह परममपता परमातमा जब इस समि पर आत ह तो यह तयारी पहल करात ह सरापना गपत करत ह और मवनाश का काया परतयकष करात ह

रस और अमररका मजनको अपनी भारतीय परमपरा म महाभारत म यादव कहा गया ह बड़-2 धनाढय होत र

बहत शराब पीत र और ऊा ची-2 मबमकडग होती री ऐस जो यादव गरप ह उनहोन कया मकया व र तो यदवशी भगवान कषण क करोल म लमकन उनहोन कया मकया उनक बमि-रपी पट स जो ममसाइकस मनकल उन मसलो स उनहोन आपस म ममलकर-लड़कर अपन सार कल का सहार कर मदया और सारी समि का मवनाश कर मदया लोगो न सरल मसल समझ मलए अब यह तो समझन-2 की मवडबना ह वासतव म ह ममसाइकस की बात जस पट म कोई चीज़ पचाई जाती ह ऐस यह बमि-रपी पट ह कहत ह ना- lsquoतमहार पट म बात नही पचतीrsquo तो कया यह (सरल) पट ह या यह (बमि-रपी) पट ह इस बमि-रपी पट म स व ममसाइकस मनकल उन लोह क मसलो स यह सारी दमनया नि होती ह 70-75 साल क अदर भारी तादाद म यह एनजी भी तयार हो गई समि पर परममपता परमातमा का अवतरण भी हआ और 70-75 साल पहल भारतवरा म महातमा गाधी क टाइम पर सबस जयादा जो आवाज़ लगाई गई री lsquoह पमतत-पावन आओrsquo वह आवाज़ भी लग रही री भारत की 40 करोड़

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जनता गाधीजी क ततवावधान म lsquoरघपमत राघव राजाराम पमतत-पावन सीतारामrsquo की आवाज़ लगा रही री लमकन आवाज़ लगान वालो को यह पता नही चला मक परममपता परमातमा इस समि पर उस समय स ही आ चक ह

कहन का मतलब यह ह मक जब परममपता परमातमा आत ह तो एक तरफ मवनाश की बाजी भी तयार कर दत ह और दसरी तरफ सरापना का काया भी गपत म चलात ह तो इस समय य दोनो काया समपनन हो रह ह- सरापना का काया भी परा होता ह और ऐटममक एनजी भी तयार हो जाती ह मजसका पररम मवसफोट हीरोमशमा-नागासाक़ी म हआ तब जा करक इस समि का एक तरफ मवनाश होता ह और दसरी तरफ वह माला तयार हो जाती ह जो सारी समि की धमासरता और राजय-सरता की बागडोर धीर-2 अपन हारो म ल लती ह आपन जयोमतमरयो की कछ भमवषयवामणयाा सनी होगी जो अकसर करक मनकलती रहती ह 400500 साल पहल क जो जयोमतरी हए ह- कीरो कीर और नसतरडाम आमद इनकी भमवषयवामणयाा मनकली हई ह सभी न 2000 को मददा बनाया लमकन 2000 क आस-पास का जो भी मददा रा वह सारी समि क मवनाश का मददा नही रा वह वासतव म मसफा बराहमणो की दमनया क अनदर आधारमता एव बीजरप आतमाओ की दमनया क मवनाश का मददा ह यह कोई नही जानता यह दमनया एकदम ऐस चटकी म खतम हो जाएगी तो परममपता परमातमा को कौन पहचानगा परममपता परमातमा को पहचानन क मलए टाइम तो चामहए ना

वासतव म यह जो 2000 साल क बाद का पीररयड ह यह बरहमाकमारी आशरम म आमल-चल पररवतान ला दगा बाहर की दमनया म भी रोड़ा-2 पररवतान होगा ऐटममक एनजी का भी रोड़ा-2 मवसफोट होगा लमकन इतना नही होगा मक सारी समि खतम हो जाए अभी मसफा बराहमणो की परानी दमनया का मवनाश होता ह नई दमनया की सरापना होती ह और सब आतमाएा पहल बमियोग स वापस परमधाम म जाती ह मान बराहमणो की दमनया क अनदर जो मवशर आतमाएा ह व इस बात को समझ लती ह मक परममपता परमातमा का साकार रप और कायाकाल कया ह और यह काया कस चल रहा ह यहाा मदखाया गया ह मक जस हम आतमाएा जयोमतमबानद ह वस परममपता परमातमा भी जयोमतमबानद ह जयोमतमबानद का ही बड़ा आकार मशवमलग बनाया जाता ह मजस अपनी भारतीय परमपरा म 12 जयोमतमलिगम क नाम स परमसि मकया गया ह उजजन काशी रामशवरम कदारनार बदरीनार य 12 जयोमतमलिगम बन ह 12 ही कयो 13 कयो नही 11 या 10 कयो नही 9 धमो स चनी हई 12-12 आतमाओ क 9 गरपस होत ह हर धमा म शरषठ आतमाएा तो होती ह ना परममपता परमातमा भी जब आत ह तो सवापररम हर धमा स शरषठ आतमाओ को चनत ह और चनकर उनको पकका सयावशी बराहमण बनात ह

आज की दमनया म वासतव म कोई बराहमण नही रहा (भाई न कहा- आप यह कया कहत ह आप तो बराहमणो की अवहलना करत ह) नही तलसीदास न यह बात रामायण म आज स 400-500 वरा पहल मलखकर छोड़ी ह- lsquoभय वणा सकर सबrsquo सार ही वणा सकर हो गए कोई बराहमण और कोई शदर नही रहा उनहोन 400 साल पहल मलखा रा अब तो हालत बहत खराब हो गई अब तो बहत जयादा वयमभचार फल गया घर-2 म वयमभचार फला हआ ह तो इस समय परममपता परमातमा आकर परजामपता बरहमा दवारा असली बराहमण कल की सरापना कर रह ह आपन सना होगा बराहमणो की 9 कररयाा गाई जाती ह- शामडकय गोतर भारदवाज गोतर कशयप गोतर आमद-2 9 ऋमरयो क आधार पर 9 गोतर गाए जात ह व 9 ऋमर कोई दसर नही ह 9 धमो का परमतमनमधतव करन वाली 9 शरषठ आतमाएा ह जो परममपता परमातमा इस समि स असली बराहमण धमा म चनत ह जो 9 आतमाएा ह उनम स एक सबस शरषठ होगा ना जो सबस शरषठ हआ उसक जो 12 क गरप ह व परममपता परमातमा मशव स इतना

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तादातमय सरामपत करत ह मक उनकी मशव जसी ही सटज बन जाती ह इसमलए तो 12 जयोमतमलिगम आज भी भारतवरा म भगवान क रप म पज जात ह

कहन का मतलब यह हआ मक परममपता परमातमा मशव भी जयोमतमबिद ह ऋमरयो-महमरायो न पजा क मलए उनका बड़ा आकार बना मदया ह वह मनराकारी सटज का परतीक ह मनराकार का मतलब यह ह मक उस सटज म जो 12 ह उनम स एक शकर का रप मजस lsquoरदर अवतारrsquo कहा जाता ह व ऐसी मनराकारी सटज म रहत ह मक जस मक उनका शरीर रपी वसतर ह ही नही नवार इस सटज म रहना अपन को सदव आमतमक सटज म समझना दसरो को आतमा क रप म दखना- ऐसी परमकटस पककी हो जाए उसको कहग lsquoमनराकारी सटजrsquo इमदरयाा जस होत हए भी नही ह जस कहत ह- lsquoदखत हए भी नही दखना सनत हए नही सननाrsquo जस दमनया म मकतनी भी नलामन उड़ रही ह उनक ऊपर कोई असर नही पड़ रहा ह

lsquoबीrsquo समइड

वितर न 4 (सिा आतरमओ कम वपतम एक ह)- वह तो गॉड फादर ह मजसक अलग-2 नाम-रप द मदए ह लमकन अलग-2 नाम-रप होत हए भी एक रप ऐसा ह जो हर धमा म मानयता परापत करता ह कस अपन भारतवरा म जयोमतमलिगम मान जात ह- रामशवरम वगरह कहत ह- राम न भी उपासना की राम को भगवान मानत ह लमकन उपासना मकसकी की मशव की उपासना की तो राम भगवान हए या मशव भगवान हए मशव ही हए ऐस ही गोपशवरम ममदर भी बना हआ ह lsquoगोपrsquo कषण को कहा जाता ह इसस सामबत हो गया मक कषण भगवान नही र वासतव म उनका भी कोई ईशवर ह मजनहोन उनको ऐसा बनाया ऐस ही कदारनार ह बदरीनार ह काशीमवशवनार ह और यह सोमनार ह इन सभी ममदरो म इस बात की यादगार ह मक यहाा उस मनराकार जयोमत को जयोमतमलिगम क रप म माना जाता ह नपाल म पशपमतनार का ममदर ह कमलयग क अत म सभी मनषयमातर पशओ जसा आचरण करन वाल हो जात ह उन पशओ को भी पश स बदर स ममदर लायक बनान वाली वही मनराकार मशवजयोमत ह उसी की यादगार म एक मशवमलग नपाल म भी सरामपत ह

अचछा महनदओ की बात छोड़ दीमजए मसलमान लोग मकका म हज़ (तीरा यातरा) करन जात ह वहाा महममद न दीवाल म एक पतरर लाकर रखा रा उसका नाम उनहोन lsquoसग-ए-असवदrsquo मदया अभी भी जब तक मसलमान लोग उस पतरर का चमबन नही कर लत मसजदा नही माना जाता उनकी हज़ की यातरा परी नही होती इसका मतलब व भी आज तक उस मनराकार को मानत ह हालाामक व पतरर को नही मानत व तो ममतायाा व मशवमलग को तोड़न वाल रह ह उनहोन यहाा भारत म आकर मशवमलगो को तोड़ा ह लमकन वहाा मानत ह बौिी लोग आज भी चीन-जापान म दख जात ह मक व गोल सटल क ऊपर पतरर की बमटया रखत ह और उसक ऊपर दमि एकागर करत ह इसस सामबत होता ह मक व भी उस मनराकार को मानत ह गरनानक न तो कई जगह कहा ह- lsquoएक ओकार मनरकारrsquo lsquoसदगर अकाल मताrsquo व तो मनराकार को मानत ही ह ईसाईयो क धमागरर बाईबल म तो कई जगह मलखा हआ ह- lsquoगॉड इज़ लाइटrsquo अराात परमातमा जयोमत ह कहन का मतलब यह ह मक हर धमा म उस मनराकार जयोमत की मानयता ह अब यह सवाल पदा होता ह मक जब सब धमो म उस एक ही रप की मानयता ह तो सब धमा वाल उस एक ही को परममपता परमातमा का रप कयो नही मानत य अलग-2 रप कयो मान हए ह यह वासतमवकता मकसी की बमि म नही आ रही ह

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वह मनराकार जयोमत जब इस समि पर आती ह तो जो मवशर आतमाएा राम और कषण ह इन दो को चनकर समि क मवनाश और सरापना क काया म ममखया बनाती ह कषण की सोल आखरी जनम म दादा लखराज क रप म मसनध हदराबाद म जनम लती ह और उसम परममपता परमातमा मशव परवश करक पहल परतयकष lsquoबरहमाrsquo क रप म काया करत ह पयार का पाटा बजात ह आप कही भी मकसी भी बरहमाकमारी आशरम म जाएा तो आप कोई भी बरहमाकमार-कमारी स पमछए मक बाबा न कभी मकसी को टढ़ी नज़र स दखा या गलत कवचन कहा या कोई ऐसा ह मजसन बाबा क समपका म पहाचन क बाद यह अनभव मकया हो मक बरहमा बाबा न हमको दःख मदया

परतयक बरहमाकमार-कमारी यही कहगा मक बाबा भल 10 ममनट क मलए ममल हो परनत बाबा न हमको मजतना पयार मदया उतना दमनया म हम मकसी स अनभमत नही हई व र पयार की परमतममता बरहमा बाबा जस अभी भी टीवी म सीररयल आत ह आप दखत होग मक असरो न वरदान ल मलए ह असर लमकन मफर भी माा स वरदान ल मलया वासतव म वह एक रप मदखाया गया ह और इनक ठीक मवपरीत एक दसरा रप राम वाली आतमा ह मजसम कमलयग क अत म परममपता परमातमा परवश करक lsquoशकरrsquo क नाम-रप स परखयात होत ह दखो जस इन कषण का नाम-रप परखयात हआ ह lsquoबरहमाrsquo वस उन राम का नाम-रप परखयात होता ह lsquoशकरrsquo इन दोनो ही शमियो की सहयोगी शमि दो आतमाएा भी ह कषण की सहयोगी शमि ह lsquoराधाrsquo और राम की सहयोगी शमि ह lsquoसीताrsquo इनक वतामान रप क नाम पड़त ह बरहमा की सहयोगी शमि lsquoसरसवतीrsquo और शकर की सहयोगी शमि lsquoपावातीrsquo य वतामान सवरप क नाम ह जब कमलयगी दमनया समापत होती ह नई सतयगी समि रची जाती ह तो चारो आतमाओ क सवभाव-ससकार का समममशरण होता ह अभी तो हर घर म सतरी-परर क ससकार आपस म टकरात ह कोई घर ऐसा नही होगा मजसम ससकार टकराए नही लमकन सबस पहल एक ऐसी भी दमनया परममपता परमातमा न बनाई री मक पहल-2 चार आतमाओ क ससकार ममलकर एक हो गए र व य आतमाएा ह जो समि क हीरो-हीरोइन ह और इन आतमाओ का समममशरण मवषण की भजाओ क रप म मदखाया गया ह कहत ह ना lsquoमर भया न शरीर छोड़ मदया मरी दामहनी भजा टट गईrsquo तो दामहनी भजा रोड़ ही टट गई बमकक जो सहयोगी शमि ह वह चली गई

इसी तरह परममपता परमातमा क काया म दो दामहनी भजा क रप म सहयोगी बनत ह बरहमा-सरसवती मान कषण और राधा य कड़ा-कठोर रप कभी नही अपनात पररवतान क मलए इनहोन हमशा पयार का काम मकया इसमलए इनको परममपता परमातमा न राइट हणड क रप म सवीकार मकया लमकन जब राइट हणड स काम नही मनकलता तो मफर उागली टढ़ी भी की जाती ह व दो रप ह शकर और पावाती आमद शमि चामडा का रप धारण करती ह और शकर परलयकर रप धारण करत ह वह राम (शकर) वाली आतमा सहयोमगनी शमि दवारा परलय मचाती ह शमि का रप धारण मकए बगर रावण कमभकरण मघनाद जस असर पररवतान नही हो सकत इन बराहमणो क अनदर जयादा स जयादा तादाद म ऐस आसरी ततव घस गए जो रावण कमभकरण मघनाद का पाटा बजात ह उनको सधारन क मलए जञान बाण मारन वाली राम की आतमा तयार होती ह बाण कोई दसर नही ह परममपता परमातमा न आकर राम क मख दवारा उनक मलए जो तीखी बात बोली ह उन बातो का अरा ही जञान बाणो का काम करती ह हमको तो व महावाकय पयार लगत ह लमकन उस तरह की जो आसरी बराहमण आतमाएा पररवार म घसी हई ह उनको व बाण लगत ह उनको घाव पदा कर दत ह तो इस तरीक स य जो लव और लॉ क दो रप ह उनम यह तीसरा रप समाया हआ ह जो बरहमा-सरसवती शकर और पावाती रपी चार आतमाओ का समममशरण ही lsquoमवषणrsquo

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कहा जाता ह बाकी ऐसा कोई वयमि ससार म कभी हआ नही ह जो चार भजाओ का रहा हो या 10 मसर का रावण रहा हो 10 मसर क रावण का मतलब ह मक दसो धमा ममल करक ससार म परजाततर राजय का ऐसा बकायद सगठन बनात ह मजसस सारी दमनया मवनाश क कगार पर खड़ी हो जाती ह बाकी परममपता परमातमा न तो आकर राजयोग मसखाकर कायदमसर दवी राजाओ का राजय सरापन मकया रा

परममपता परमातमा जो सकल खोलत ह सदगर कह जात ह तो ज़रर व ऐसी ईशवरीय यमनवमसाटी का वाइस चानसलर बनत होग जहाा व कोई माला रपी सगठन की बड़ी-2 पदमवयाा दकर जात हो दश-मवदश म जनम-जनमातर क जो राजाएा बन ह उन राजाओ को राजाई करन की मवदया उनहोन मसखाई री उसको lsquoराजयोगrsquo कहा जाता ह वह राजयोग परममपता परमातमा गीता जञान क दवारा अभी मसखा रह ह जनम-जनमातर का राजा बना रह ह लौमकक बाप जो होत ह व तो एक जनम की परामपत करात ह वसाा दत ह लमकन यह पारलौमकक बाप जब समि पर आत ह तो अपन आतमा रपी बचचो को अनक जनमो की राजाई दकर जात ह वह अनक जनमो की राजाई अभी दी जा रही ह ससार म अभी कछ ही वरो म ऐसी 108 शरषठ आतमाएा परतयकष होन वाली ह जो सार ससार म तहलकाखलबली मचाएागी और सार ससार की धमा सरता व राजय सरता दोनो की बागडोर अपन हार म ल लगी यही 108 शरषठ आतमाएा आज भी सभी धमो म माला क रप म समरण की जाती ह

जब सारी दमनया माया क पज म फा स जाती ह तब व जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आत ह माया का पजा कोई सतरी नही ह काम करोध लोभ मोह अहकार- य पााच मवकार मनषय क अनदर भर हए ह उन पााचो मवकारो म सारी दमनया जकड़ गई ह आज एक भी मनषय ऐसा नही ह जो इन पााचो मवकारो की जकड़ स बाहर हो जब सारी समि की ऐसी अतयमधक बदतर हालत हो जाती ह तब परममपता परमातमा मशव आत ह मजसकी यादगार म यह lsquoमहामशवरामतरrsquo मनाई जाती ह इस महामशवरामतर म जब परममपता परमातमा मशव आत ह तो दमनया म चारो तरफ अनक धमा फल हए होत ह उन धमो म धमा क नाम पर मवतडावाद जयादा ह जञान कछ भी नही ह जञान क नाम पर अजञान-ही-अजञान सनाया जाता ह और पस व मदखाव को जयादा महतव मदया जाता ह जो धमा की सरापना का काया ह धारणा की बात ह व न क बराबर होती ह तब जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आकर उस अजञान अधकार का मवचछदन करत ह इसमलए उसकी यादगार म भारतवरा म माघ मास को अधारामतर म महामशवरामतर मनाई जाती ह जब आम खरी मास होता ह समि का आम खरी टाइम होता ह कमलयग का अनत होना होता ह तब दमनया म अजञान अधकार चारो तरफ फला रहता ह जस शमिमान सीररयल म आता ह- lsquoअधरा कायम रहगाrsquo असर तो यही चाहत ह मक अधरा कायम रह दमनया अजञान म रह और हम अपना आसरी काम बनाएा तो य काम करोध लोभ मोह अहकार ह असर मजनका ममखया ह काम मवकार उस काम मवकार को परममपता परमातमा आकर सबस पहल शकर क चोल क दवारा भसम करात ह हमन समझ मलया मक काम मवकार कोई दवता का रप होगा उसको lsquoकामदवrsquo नाम द मदया लमकन वासतव म वह कोई अलग स दवता नही होता यह हमार अनदर की ही कपरवमरत कमज़ोरी व मवकमत ह जो उस शकर दव न पहल भसम कर दी भसम करन वालो म नमबरवार होत ह लमकन जो उसको सबस पहल भसम कर लता ह वह बात शकर क मलए मदखात ह उनका जञान का तीसरा नतर खला और काम मवकार भसम हो गया वह कोई बाहर का काम मवकार रोड़ ही रा यह तो अदर की चीज़ री जो उनहोन भसम कर दी नि कर दी जब ममखया भसम होगा तो बाकी य जो चार चोर-डकत ह व तो अपन आप ही भाग जाएाग

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वितर न 5 (विि और िकर)- यहाा मदखाया गया ह मक वासतव म मशव अलग स परममपता ह और शकर अलग आतमा ह गलती क कारण दोनो को ममलाकर एक कर मदया लमकन गलती भी नही ह वासतव म वह हमारी बसमझी हो गई यह बसमझी होन क कारण ही बरहमाकमार-कमाररयाा भी उस बसमझी म फा स हए ह कया बसमझी हो गई मक व सपरीम सोल मशव मनराकार जयोमतमबिद जब इस समि पर आत ह तो इस समि पर आकर मकसी जनसाधारण को ज़रर आप समान बनाएाग व पढ़ाई पढ़ाएाग टीचर का कोई तो सटडट ऐसा मनकलगा जो उनकी परी 100 परसट पढ़ाई को धारण कर ल तो व मनराकार जयोमतमबिद मशव आकर इस शकर क सवरप दवारा ससार म परतयकष होत ह और इस तरह दोनो का तादातमय हो जाता ह आप दखग कोई यह नही कहता ह मक मशव-बरहमा एक ह मशव क सार बरहमा का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार मवषण का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार शकर का ही नाम कयो जड़ता ह इसमलए जड़ता ह मक शकर मशव की याद म इतना तकलीन हो जात ह मक उनको अपन म समामहत कर लत ह अराात बाप समान बन जात ह तो वह समामहत करन की जो मसरमत ह वह lsquoमशव-शकर एक हrsquo- यह मसरमत ससार म परमसि होती ह वासतव म दोनो आतमाएा अलग-2 ह य सपरीम सोल मशव जनम-मरण क चकर म कभी आत ही नही इसमलए lsquoमशवमलगrsquo कहा जाता ह lsquoशकर मलगrsquo नही कहा जाता lsquoमशवरामतरrsquo कही जाती ह lsquoशकर रामतरrsquo नही कही जाती मशव ऐसी चीज़ ह जो मक पाप और पणय स हमशा पर ह और जो दहधारी ह व पाप-पणय क अदर फा सत ह

अब आप दमखए शकर धयान म बठ ह अगर य खद ही परममपता परमातमा का रप होत सपरीम सोल होत तो य मकसका धयान कर रह ह आप परान-2 ममदरो म जाइए आप दखग बीच म मखय सरान पर मशवमलग ह और आस-पास सभी दवताओ क सार शकर की भी ममता रखी हई होती ह इसस कया सामबत हआ मक और मजतन दवताएा ह उन 33 करोड़ दवताओ क बीच म शकर दव-दव महादव तो ज़रर ह लमकन व परममपता परमातमा नही ह व भी उनकी उपासना म सामन बठ हए ह मकसक सामन मशवमलग क सामन तो मनराकार की यादगार मलग रप मशव जयोमतमबिद सपरीम सोल ह और य शकर हीरो पाटाधारी इस समि-रपी रगमच क नायक ह जञानीजनो दवारा जयोमतमबिद मशव को मसफा याद मकया जा सकता ह और भमिमागा म उनका मकरार रर शकर ही मनराकारी सटज म मसरर हो जान कारण बड़ मलग रप म पजा जाता ह

वितर न 6 (पररवपतम पररमतरम सिावयमपी नही)- यहाा यह बताया गया ह मक ईशवर जब समि पर आएाग तो जञान का कोई-न-कोई ऐसा नया पवाइट ज़रर बताएाग मजसम सारी दमनया भरममत हई पड़ी हो ऐसी नई बात ज़रर सनाएाग मजस सारी दमनया न जानती हो बमकक मवपरीत बात ही जानती हो वह बात यह ह मक जब दमनया म चारो तरफ भगवान को ढाढ़ा और कही नही ममला तो लोगो न उनक मलए कहना शर कर मदया- lsquoव तो सवावयापी ह जर-2 म भगवान ह कण-2 म भगवान ह जहाा दखो वहाा भगवान हrsquo लमकन वासतव म गीता का एक शलोक ही इस बात क मलए काफी ह मक lsquolsquoतद धाम परम ममrsquorsquo (कपया गीता का शलोक 156 दमखए) अराात म वहाा परमधाम का रहन वाला ह ा दमनया का सबस शरषठ गरनर गीता ह मजसकी सबस जयादा टीकाएा हई ह उसक एक शलोक म यह बात सामबत हो गई ह गीता म ही एक शबद आया ह lsquoमवभrsquo इस शबद का उनहोन इतना बड़ा अरा कर मदया मक ससार म चारो तरफ यही बात फली हई ह मक व सवावयापक ह वासतव म मवभ का अरा यह ह मक व मवशर रप स हर मनषय आतमा की

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बमि म lsquoभrsquo माना याद क रप म अपना सरान बना लत ह उसका उकटा अरा लगाकर उनहोन परममपता परमातमा को सवावयापी कह मदया

यहाा बात समझाई गई ह मक परममपता परमातमा वासतव म समि पर सवावयापी नही ह गीता और रामायण भी इस बात क परमाण ह गीता व रामायण म मलखा ह मक lsquolsquoजब-जब इस समि पर अधमा का बोलबाला होता ह तब-तब म आता ह ाrsquorsquo lsquoआता ह ाrsquo स सामबत ही हो गया मक व नही र तब तो आए नही तो उनको आन की कया दरकार री दसरी बात अभी-2 आपको गीता का जो शलोक बताया वह पकका सामबत कर रहा ह मक परममपता परमातमा का धाम नाम काम ऊा च त ऊा चा ह मजसका गायन भी ह- lsquoऊा चा तरा धाम ऊा चा तरा नाम

ऊा चा तरा कामrsquo धाम काम नाम- तीनो ही जब ऊा चा ह तो व ऊा चा ही बठग या नीच बठग इस दमनया का भी जो राजा होता ह वह भी ऊा ची गददी पर बठता ह तो हमन परममपता परमातमा को कण-2 म कयो ममला मदया

यहाा मचतर म मदखाया गया ह मक ऋमर ममन सनयासी भाव मवभोर होत ह तो खड़ताल बजाकर कहत ह- lsquoह परभ हम दशान दोrsquo परत जब परवचन करत ह तो कहत ह- lsquoपरमातमा सवावयापी ह आतमा सो परमातमा मशवोऽहम हम परमातमा क रप ह हम ही भगवान हrsquo तो यह बात तका सगत सामबत नही होती एक बात पर पकका रहना चामहए यह कया बात हई कीतान करन लग तो परभजी हम दशान दो अब दशान कहाा स द तमहार अदर जब खद ही भगवान बठ हए ह तम खद ही भगवान क रप हो यहाा यह मदखाया गया ह मक जो परवचन सनन वाल ह व मजस समय गरजी महाराज का परवचन सनत ह तब तो भाव मवभोर होकर कहत ह- lsquoहाा परमातमा सवावयापी ह बहत अचछा जञान सनायाrsquo घर म पहाचत ही भाई भाई की हतया करन लग अब उनह भाई-2 क अदर भगवान नही मदखाई मदए यह मवरोधाभास एकदम इतना कस पदा हो गया

वासतव म सबक अदर अपनी-2 मभनन ससकारो वाली आतमा होती ह परममपता परमातमा उन सबस सवारा अलग ह अपनी भारतीय परमपरा म शकराचाया की मरोलोजी अलग ह और माधवाचाया की मरोलोजी अलग ह माधवाचाया की गीता म बताया गया ह मक lsquoआतमा सब अलग-2 ह और परमातमा उनस अलगrsquo जबमक शकराचाया की गीता म बताया गया ह- lsquoसवि खल इद बरहमrsquo अराात इस दमनया म जो कछ भी दखन म आ रहा ह व सब भगवान का रप ह माधवाचाया न बताया मक lsquoहर आतमा म अलग-2 ससकार हrsquo य आतमाएा गभा म जब शरीर धारण करगी तो य अपना अलग-2 पाटा ही बजाएागी इनका पाटा दसरी आतमा स ममल नही सकता हम हमशा शासतरो म यह ममसाल दत आए ह मक हम सब आतमाएा सागर म बदबदा ह बदबद सब सागर म समा जात ह मान हम उस सागर का अश ह यही कहा ना लमकन हम एक बात भल गए अगर हम बदबद ह हम सागर का अश ह तो सागर म स जो चकल भर पानी हमन ल मलया उसम जो खारपन का गण होगा वही सागर क पानी म भी होना चामहए ना यह पानी हमन पनः उसम ममला मदया दोनो का गण अभी भी एक ही ह लमकन हम सबक अदर य अलग-2 ससकार कस ह यह अलगाव कहाा स आ गया और जनम-जनमातर स यह अलगाव चलता चला आ रहा ह दसरी बात इसका एक और पररहारमनवारण ह- आपन कभी चाहा ह मक हमारी आतमा का जो अमसततव ह वह हमशा क मलए खतम हो जाए कोई चाहता ह अगर हमारी आतमा उस सपरीम सोल मशव म जाकर लीन हो जाए सागर म चकल भर पानी ममला मदया गया तो उसका अमसततव हमशा क मलए खतम हो जाएगा मफर शासतरो म यह बात कहाा स आई- lsquolsquoककप-2 लमग परभ अवतारा जब-2 तरतायग होता ह तब-2 राम का अवतार होता हrsquorsquo

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अजर-अमर तो सभी आतमाएा ह वह बात तो ठीक ह वह एक अलग बात उनका अमसततव उनका ससकार सब अलग-2 ह लमकन हर आतमा का अनक जनमो का जो पाटा ह वह उस जयोमतमबानद रपी आतमा क टप ररकॉडार म भरा हआ ह इस समि-रपी रगमच पर जब कोई भी आतमा उतरगी तो सतयग क आमद स लकर कमलयग क अत तक वह उतन ही जनम लगी मजतना पहल चतयागी म मलया रा अगर राम की आतमा होगी तो हर तरतायग म राम क रप म ही जनम लगी lsquoह कषण नारायणrsquo की आतमा होगी तो वह हर सतयग क आमद म नारायण क रप म ही राजय करगी इस तरह हर जनम म आतमा का शरीर रपी चोला बदलन का पाटा मनमित ह हर 5000 वरा क बाद वह जयो का तयो पनरावतान होता ह

हर आतमा सो परमातमा नही ह सपरीम सोल मशव हमशा अलग ह अगर व भी जनम-मरण क चकर म आन लग तो हमको छड़ान वाला कोई भी नही रहगा उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही की जा सकती कोई आतमा हीरो-हीरोइन पाटाधारी बन सकती ह मवलन व साधारण आतमा का पाटा बजा सकती ह लमकन सपरीम सोल मशव जसा पाटा मकसी का नही ह उनका तो तररया पाटा ह व बार-2 इस समि पर आत भी नही जसा शासतर म मलख मदया ह- lsquoसमभवामम यग-यगrsquo अराात म हर यग म आता ह ा अर हर यग म आत तो दवापर क अत म जब महाभारत यि कराया कषण क रप म परममपता परमातमा आए तो कया पापी कमलयग की सरापना करन क मलए आए र उनको हर यग म आन की कया ज़ररत ह साधारण बाप होता ह वह भी बचचो क मलए मकान तब तयार करता ह जब मकान पराना हो जाता ह उस परान मकान स काम नही चलता जब तक काम चल सकता ह तब तक मरममत कराता रहता ह इस समि-रपी मकान की भी यही हालत ह इबराहीम बि कराइसट गरनानक आमद य धमामपताएा आकर समि की जगह-2 मरममत करत रह मकसी न अरब दश म आकर मरममत की मकसी न यरोपीय दशो म की मकसी न चीन-जापान म की नया मकान तो मकसी न नही बनाया नई समि तो नही बनाई यह मरममत मकतन मदन चलगी कछ समय तक उन धमो का परभाव रहता ह मफर वह खलास आखरीन तो मफर भी उसी सपरीम सोल मशव बाप को जो धमामपताओ क भी बाप ह बापो क भी बाप ह इस समि पर उतरना ही पड़ता ह व आकर इस समि का आमल-चल पररवतान कर दत ह तो व सवावयापी नही ह व तो इस समि पर मकरार रप स हीरो पाटाधारी म परवश करक पाटा बजात ह

आपन lsquoजीज़सrsquo वा lsquoकराइसटrsquo का नाम सना आमखर य दो नाम कयो मकरमियनस लोग मानत ह मक वह वयमि

जो पहल खयामतपरापत नही रा उसका नाम lsquoजीज़सrsquo रा मफर जब खयामतपरापत हो गया तब उसका नाम lsquoकराइसटrsquo पड़ गया इसका रहसय कोई नही जानता यह रहसय परममपता परमातमा मशव आकर बता रह ह मक कोई भी नई आतमा ऊपर स उतरती ह तो मजसम भी परवश करती ह उसका नाम बदल दती ह जस पहल lsquoनरनदरrsquo नाम रा बाद म lsquoमववकाननदrsquo नाम पड़ गया आचाया रजनीश का भी ऐस ही हआ ह पहल यह एक साधारण लकचरर र जब आतमा न परवश मकया तो lsquoआचाया रजनीशrsquo नाम पड़ गया तो हर आतमा जो ऊपर स नीच उतरती ह वह मजसम परवश करती ह उसको कनवटा करक अपन धमा म खीच ल जाती ह और वह आधारमता मजसम परवश मकया वह भारत की ही सनातन धमा की आतमा होती ह ऐस ही दसर-2 धमो म कनवशान या पररवतान हआ भारतवामसयो स ही कनवटा होकर दसर-2 धमा पनप ह और वमि को पाए ह कहन का मतलब यह हआ मक उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही हो सकती हम आतमाओ क मकाबल व हमशा तरीया ह व तो सख भी नही भोगत तो दःख भी नही भोगत व सख-दःख स हमशा ही पर रहन वाल ह हाा यह बात ज़रर ह मक जब व इस समि पर आकर राजयोग मसखात ह तो ऐसी पढ़ाई पढ़ात

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ह मक हम आतमाएा नवार पररारा अनसार इस सटज को परापत कर मक इस समि पर रहत हए भी दःख-सख म रहत हए भी अपनी ऐसी अवसरा बना ल मक दःख क समय हम दःखी न हो और सख क समय हम बहत जयादा परसनन न हो मजसका नाम गीता म lsquoमसरतपरजञrsquo मदया गया ह लमकन हमारी वह अवसरा हमशा क मलए नही रहगी परनत उस मशव की हमशा क मलए रहगी वह सपरीम सोल ह तो मफर आतमा-परमातमा एक कहाा हए

परमातमा सवावयापी कहाा हए सपरीम सोल मशव तो हमशा अलग ही हए

मशव की तलना ऊा च त ऊा च मतरदवो स भी नही की जा सकती इन मतरदवो की यादगार म lsquolsquoझणडा ऊा चा रह हमारा मवजयी मवशव मतरगा पयारा मवशव मवजय करक मदखलावrsquorsquo- यह बोलत तो ह लमकन यह नही जानत ह मक व तीन शरीर रपी वसतर कौन-स ह मजन वसतरो न सार मवशव म तहलकाखलबली मचाई री सार मवशव म मवजय करक मदखलाई री वासतव म व शरीर रपी वसतर lsquoबरहमा मवषण शकरrsquo- य तीन ही ह उनक सकतक रग भी वस ही मदखाए गए ह ऊपर वाला कसररया रग ह शकर- करामत का सचक बीच वाला सफद वसतर सतवगणी मवषण का सचक ह नीच वाला हरा वसतर बरहमा का सचक ह जस गााधीजी कहत रह- lsquoरामराजय आएगा रामराजय आएगाrsquo

बमकक और ही रावण राजय आ गया ऐस ही बरहमा बाबा हमशा मचकलात रह- lsquoरामराजय लाएाग सवगा आएगा

वकणठ आएगा और सवगा आन ही वाला हrsquo अब उस सवगा की जगह बरहमाकमारी आशरमो म रौरव नका बन रहा ह

इसमलए बरहमा की ममतायाा ममदर व पजा नही होती कयोमक तराकमरत बरहमाकमार-कमाररयो न ही बरहमा की दाढ़ी की लाज नही रखी जबमक शकर और मवषण क ममदर और ममतायाा बनाकर आज सार भारतवरा म पजा की जा रही ह

वितर न 7 (सहज रमजयोग)- ससार म अनक परकार क योग परमसि ह जस- भमियोग कमायोग जञानयोग हठयोग राजयोग आमद मकत योग क इन सभी परकारो म सहज राजयोग शरषठामतशरषठ ह योग का अरा ह- समबध या ममलन आजकल योग का तातपया योगासन या हठयोग समझ मलया जाता ह मकनत योगासन स शारीररक सवासथय और कछ सीमा तक मानमसक सवासथय ममल सकता ह लमकन समपणा सख-शामत की परामपत तो कवल राजयोग दवारा ही हो सकती ह

lsquoराजयोगrsquo का अरा ह राजाओ का राजा बनान वाला योग या रहसय भरा योग मनषयातमाएा कई जनमो स दह-अमभमान क दलदल म फा सकर मवनाशी दहधाररयो स योग लगाती आई ह मकत जस तााब वाल दो तारो को जोड़न स उसम मबजली परवामहत होती ह परत रबड़ चढ़ हए तााब क तारो स मबजली का करट नही लगता उसी परकार दह-अमभमानी दहधाररयो स समबध रखन पर अमवनाशी सख-शामत की परामपत नही हो सकती परममपता परमातमा मशव तो इस योग भी नही अमपत सरल शबद म lsquoयादrsquo कहत ह याद करना एक सवाभामवक सरल एव मनरतर परमकरया ह जबमक योग स मकसी मवशर परयास का बोध होता ह जस परममपता परमातमा शरीर म रहत हए भी उसक भान स नयार ह अराात मवदही रहत ह उसी परकार हम भी सवय को अमवनाशी आतमा (न मक परकमत क 5 ततवो स बना दह) समझकर परजामपता बरहमा क दवारा परममपता परमातमा को याद करना ह हमारी दमि म मशव रहना चामहए मातर शव अराात दह नही अतः भगवान को न तो मसफा साकार रप म न तो मसफा मनराकार रप म बमकक भलीभाामत पहचानकर साकार शरीर म परमवि मनराकार को याद करना ह यही ह सचचा राजयोग

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मन वचन एव कमा की पमवतरता परममपता परमातमा स सचचा सनह मदवय गणो की धारणा ईशवरीय जञान शि अनन तरा सचच बराहमणो का सग करन पर आतमा दह-अमभमान दवारा उतपनन पााच मवकारो अराात काम करोध लोभ मोह

अहकार स ममि पाकर अपन मल सवरप अराात सवागण समपनन सवरप म मसरत हो सकती ह परभ को याद करन क मलए अमतवला या बरहममह ता का समय सबस शरषठ ह कयोमक उस समय वातावरण शात तरा शि रहता ह और मन भी जागरत एव परशात होता ह राजयोग क मनतय अभयास स आतमा म पमवतरता शामत धया मनभायता नमरता-जस गणो की धारणा होती ह सार ही आतमा को वयरा मवचारो क फलाव को समटन की शमि सहनशमि समान की शमि अचछ-बर को परखन की शमि सही मनणाय लन की शमि समसयाओ का सामना करन की शमि मवमभनन ससकार वाल मनषयो क सार सहयोग करन की शमि तरा मवसतार को सकीणा करन की शमि आमद आतमा की अि शमियाा परापत होती ह

राजयोग क मनरतर एव दढ़ अभयास स आतमा अपन आमद मधय एव अत की कहानी को तरा इस मवशव म अपन अमदवतीय अनक जनमो क पाटा को जान सकती ह और अपन घर बठ मवशव की आतमाओ को भी शामत एव सख का दान द सकती ह इस परकार हम सव-पररवतान क सार-2 मवशव-पररवतान भी कर सकत ह

बरहमाकमारी मवदयालय (बरमव) और आधयामतमक मवदयालय (आमव) की मशकषाओ म अतर-

बरहमाकमारी मवदयालय शासतरो को मानयता नही दता ह आधयामतमक मवदयालय ईशवरीय वाणी क आधार पर शासतरो को मानयता दता ह

बरमव कषण उफा बरहमा को ही एकमातर गीता का साकार भगवान मानता ह जबमक मख स कहता ह मक कषण गीता क भगवान नही ह

आमव मनराकारी सटज वाल साकार मशव-शकर को परमकटकल म गीता का भगवान मानता ह कषण उफा बरहमा क साकार रप दादा लखराज को गीता का भगवान नही मानता बरमव बरहमा-मवषण-शकर क साकार मचतर तो छपाता ह परत मसफा बरहमा क परमकटकल साकार रप को ही मानयता दता ह मवषण और शकर को इस दमनया स ही उड़ा दता ह जबमक शासतरो व दमनया म भी बरहमा क ममदर ममतायाा और पजा नही मदखाई ह बरहमाकमारी मवदयालय मशव-शकर को तो अलग-2 कहता ह लमकन यह नही बताता मक शासतरो म मशव-शकर को कयो ममला मदया मशव को बरहमा मवषण अरवा अनयानय 33 करोड़ दवताओ क सार कयो नही ममलाया और शकर को ही महादव कयो कहा ह

आमव म उपरोि परशनो का सटीक जवाब ह और तीनो दवताओ क साकार परमकटकल पाटा की सपिता भी ह

बरमव मसफा बरहमा (बरहम+माा) बड़ी माा को ही भगवान का साकार रप मानता ह और अपन को मसफा बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

आमव माा और बाप (परजामपता+बरहमा = एडम और ईव) दोनो को साकार रप म मानता ह और अपन को परजामपता बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

बरमव जञान-योग का मवजञापन करता ह जस- परोजकटर परदशानी पमबलक भारण कॉनर स मल सममलन ररयातरा

मनषयकत सामहतय आमद

आमव मकसी परकार क मवजञापन म मवशवास नही करता

बरमव मसफा मतय क बाद ही ममि-जीवनममि रपी ईशवरीय वस को जीवन का लकषय मानता ह

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आमव जीवन रहत ही लोक और परलोक सावारन का पररारा कराता ह अराात इसी जनम म नर स नारायण और नारी स लकषमी बनान का परम परमसि गीता वमणात उपदश दता ह

बरमव महल मामड़याा अटाररयाा बनाकर 36 परकार क भोग खान म और मसफा झकाझक शवत वसतर पहनन म अपन को शरषठ मानकर चलता ह आमव रहन सहन खान पान पहनाव म सादगी को ही शरषठ मानकर चलता ह बरमव म चदा माागकर वयमिगत वभव और मान-शान बढ़ाना आम बात ह

आमव मकसी परकार क चदा आमद lsquoमाागन स मरना भलाrsquo समझता ह

बरमव मसफा कहता ह मक हम एक धमा एक राजय एक कल एक मत की सरापना करग परत चलन म परा ही मवरोधाभास दखन म आता ह आमव क सदसय परमकटकल म आए हए एकमातर ईशवर की ही शरषठ मत को मानत हए ईशवरीय धारणाओ कायद

कानन को मानन क सार-2 नमबरवार अपन-2 पररारा अनसार चलन का परयास भी करत ह

सममपात बरक परायः सनयामसयो की तरह मठ-पर बनाकर जीवन चलाती ह

आमव क सममपात या गर सममपात सभी सदसय गहसरी जीवन यापन करत ह कयोमक गीता क भगवान सवय बहद क गहसर म रहत हए गहसरी पाणडवो को ही राजयोग मसखात ह सनयामसयो (भीषम दरोणाचाया कपाचाया) को नही

भविषयिमणी

(यहाा उन लोगो की भमवषयवामणयो का वणान मकया गया ह मजनकी भमवषयवामणयाा आज तक सही सामबत हई) -

कमकक पराण - सवततरता क बाद भारत म एक ऐस महापरर का उदय होगा जो वजञामनको का भी वजञामनक होगा वह आतमा और परमातमा क रहसय को परगट करगा आतमजञान उसकी दन होगी उसकी वश-भरा साधारण होगी उसका सवासथय बालको जसा योिाओ की तरह साहसी अमशवनी कमारो की तरह वीर यवा व सनदर शासतरो का परकाणड पमणडत व मानवतावादी होगा उसका मपता ही उस योग साधना की ओर परररत करगा 24 वरा की आय म वह योग की उचच भममका म परवश करगा एणडरसन(अमररका) - अरब राषरो समहत ममसलम बहल राजयो म आपसी करामतयाा और भीरण रिपात होग इस बीच भारतवरा म जनम महापरर का परभाव व परमतषठा बढ़गी यह वयमि इमतहास का सवाशरषठ मसीहा होगा वह एक मानवीय समवधान का मनमााण करगा मजसस सार ससार की एक भारा एक सघीय राजय एक सवोचच नयायपामलका एक झणड की रप-रखा होगी

गरराडा कराईस(हॉलड) - भारत दश म एक ऐस महापरर का जनम हआ ह जो मवशव ककयाण की योजनाएा बनाएगा जलबणा - ससार क सबस समरा वयमि का अवतरण हो चका ह वह सारी दमनया को बदल दगा उसकी आधयामतमक करामत सार मवशव म छा जाएगी एक ओर सघरा होग दसरी ओर एक नई धाममाक करामत उठ खड़ी होगी जो आतमा और परमातमा क नए-2 रहसय को परगट करगी वह महापरर 1962 स पवा जनम ल चका ह उसक अनयायी एक समरा ससरा क रप म परगट होग और धीर-2 सार मवशव म अपना परभाव जमा लग असभव मदखन वाल काया को भी व लोग उस महापरर की कपा स बड़ी सरलता स सपनन करग

परोफसर कीरो - भारत का अभयदय एक सवोचच शमि क रप म हो जाएगा पर उसक मलए उस बहत कठोर सघरा करन पड़ग दखन म यह मसरमत अतयत किदायक होगी पर इस दश म एक फररशता आएगा जो हज़ारो छोट-2

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लोगो को इकटठा करक उनम इतनी आधयामतमक शमि भर दगा मक व लोग बड़-2 बमिजीमवयो की मानयता ममथया मसि कर दग गोपीनार शासतरी - अवतारी महापरर दवारा जबरदसत वचाररक करामत होगी मजसक फलसवरप मशकषण पिमत बदल जाएगी और ऐसी मशकषा का अमवषकार होगा जो वयमि को जीवन जीन की कला परदान करगी जबमक वतामान मशकषा परणाली कवल पट भरन तक ही सीममत ह कमरत आतमजञानहीन बमिजीमवयो स लोगो की घणा होगी और भगभा मवदया रसायन शासतर यतर मवदया खमनज धात चमबक मवदया आमद क नए कषतर की और मवजञान का मवसतार होगा मजसका नततव भारतवरा का एक ऐसा धाममाक सगठन करगा मजसका मागादशाक सवय भगवान होगा धाममाक आशरम जन जागमत क कनदर बनकर काया करग बमप क ितारमन समकमर पमटा क परवत परफ एि पररमणः-

बाप कहाा आत ह- यह भी नही जानत ह जब खद आकर बताव तब पता पड़ कहाा मलखा भी ह मक परमातमा मगधदश म आता ह(मता16876)

शासतरो म मगध दश मलखा ह परनत नॉलज कहाा मसखाई आब म कस आए मदलवाड़ा ममदर भी यहाा परा यादगार ह मजनहोन भी बनाया उनहो की बमि म आया और बठकर बनवाया एकयरट मॉडल तो बना न सक बाप यहाा ही आकर सवा की सदगमत करत ह मगध दश म नही (मता5989 प3 मधय) ऐस बहत बचच ह बाप को परा पहचानत नही ह बाप का अदब(सममान) नही रखत कयोमक बाप कहत ह म साधारण रप म आता ह ा म जो ह ा जसा ह ा मवरला कोई उस रहाब स चलत ह यहाा तो बहत साधारण ह ना ह मकतनी बड़ी असामी आग चल वह भी पहचानग ऐस बाबा को हमन फारकती द दी तकदीर को लकीर लगा दी यह पीछ होगा अभी तो बहत साधारण ह रर ह गपत गपत होन कारण परा पहचान नही सकत ह परा पहचान ल तो कह- बाबा आपक मसवाए दमनया म ह ही कया कोई सदगमत कर न सक (मता151175 प1 आमअ)

यादव और कौरव पास मकतन महल ह तम बचचो को कछ भी नही तीन पर पथवी क भी तमहार नही सब उनहो का ह यह भी गाया हआ ह- मजनको तीन पर पथवी क भी नही ममलत र उनहो की मवजय हई और वह मवशव क मामलक बन गए पाणडव शमिसना गपत ह शासतरो म भी मदखात ह जआ खलत पाणडवो का राजय रा मफर जआ म हराया (म10678 प1 म) भगवान खद कहत ह मझ गाली खानी पड़ती ह सबस जासती गाली म ही खाता ह ा भमिमागा म भी गाली ही दत ह 3 पर पथवी क भी नही ममलत ह मफर भी मकतनी मनरहकारीपन स पाटा बजा रह ह (म6387 प3 अत) बहद का बाप पढ़ात ह परनत बाप ह साधारण तन म पढ़ात भी साधारण रीमत ह इसमलए मनषयो को जाचता नही ह- गॉड फादरली यमनवमसाटी मफर ऐसी होगी बाप कहत ह म ह ा गरीब मनवाज़ गरीबो को ही पढ़ाता ह ा साह कार को ताकत नही पढ़न की उनहो की बमि म तो महल-माड़ी ही होती ह (मता23489 प1 अत) भगवान एक ह उनको ही मात-मपता कहत ह वह आकर एडॉपट करत ह मकतनी गहय बात ह यह नया सकल ह नया पढ़ान वाला ह (मता251088 प3 आ)

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यह नॉलज ह यह ह नई बात नई दमनया क मलए भगवानवाच ह ना भगवान भी नया वाचय भी ह नई वह कहत ह कषण भगवानवाच तम कहत हो मशव भगवानवाच हरक की वाच अपनी-2 ह एक न ममल दसर स (मता15668 प3 आ)

किर वितर न 1 (वतररवता)-

lsquoमशवrsquo का अरा ह- lsquoककयाणकारीrsquo परममपता परमातमा का यह नाम इसमलए ह मक समि-चकर क अत म जब मनषयातमाएा तरा परकमत पमतत एव तमोपरधान बन जाती ह तो परमधाम मनवासी परममपता परमातमा मशव जयोमतमबानद मनषय शरीर का आधार लकर मनषयातमाओ और परकमत दोनो को पावन एव सतोपरधान बनात ह उनक इस कतावय की यादगार म ही मशवरामतर अराात परममपता क शबदो म मशवजयती का तयौहार मनाया जाता ह सपरीम सोल मशव मकसी परर क बीज स या माता क गभा स जनम नही लत व परजामपता दवारा मनषय-समि-रपी वकष क चतनय बीज ह और जनम-मरण तरा कमाबधन रमहत ह अतः व अपना कतावय करन क मलए मकसी साधारण वि मनषय क तन म मदवय परवश करत ह इस ही lsquoपरममपता परमातमा का मदवय अवतरणrsquo कहा जाता ह कयोमक उनका अपना शरीर नही होता ह उनका मदवय कतावय तीन चरणो म समपनन होता ह- सरापना मवनाश और पालना इन तीन कतावयो क मलए व अवयि मसरमत धारण करन वाली तीन साकार दवातमाओ का आधार लत ह व दवातमाएा ह- बरहमा शकर तरा मवषण मनषय-समि-रपी रगमच पर उनक मदवय अवतरण क बाद कौन-सी तीन आतमाएा बरहमा शकर एव मवषण क पातरो का अमभनय करती ह यह जानन क मलए हम सन 1936-37 म परममपता परमातमा क अवतरण स लकर अब तक की घटनाओ को जानना ज़ररी ह

परममपता परमातमा का यह काया सन 193637 म पामकसतान क मसध हदराबाद शहर स परारमभ हआ जब उनहोन दादा लखराज नामक एक मवखयात हीरो क वयापारी को मवषण चतभाज नका की परानी दमनया क मवनाश और सवगा की नई दमनया की सरापना का साकषातकार कराया मकनत व उन मदवय साकषातकारो का अरा समझ न पाए उनहोन अपन गरओ स इसका अरा पछा मकनत भगवान की लीला व दहधारी गर लोग कया समझ मफर व (दादा लखराज) वाराणसी क परकाणड पमणडतो स इसका समाधान पान क मलए गए मकत उनह वहाा भी मनराशा ही हार लगी वहाा भी उनह साकषातकार होत रह मजसकी तसवीर व गगा क घाटो पर बनी दीवारो पर बनात रहत र जब कोई भी उनकी समसया का समाधान न कर सका तो उनह कलकरता म रहन वाल अपन भागीदार (सवकराम) की याद आई उस भागीदार की मनषठा व ईमानदारी स परभामवत होकर ही उनहोन उस अपनी कलकरता मसरत हीरो की दकान की मज़ममवारी सौपी री

अतः दादा लखराज कलकरता गए मकत सीध उस भागीदार को अपन साकषातकारो का वणान करन क बजाय उनहोन अपनी नज़दीकी सबध की माता (अराात छोटी माता) को सनाया और उस माता न दसरी माता को सनाया जो बोलन सनन सनान म मसिहसत री बाद म जब सनन-सनान म मसिहसत माता न परजामपता (भागीदार) को सनाया उसी समय जयोमतमबद परममपता परमातमा मशव न उसी माता और परजामपता (भागीदार) म सार-ही-सार परवश कर मलया और इस परकार उस मसिहसत माता दवारा साकषातकारो का वणान सनन-सनान की परमकरया दवारा lsquoभमिमागाrsquo की तरा भागीदार दवारा जञान समझन-समझान की परमकरया दवारा lsquoजञानमागाrsquo की नीव पड़ गई

इस परकार चामक परममपता मशव न सवापररम उन दोनो माताओ क समकष भागीदार म परवश कर मवशव पररवतान का काया आरमभ मकया इसमलए व मशव जयोमतमबानद ही भमवषय म बरहमा शकर और मवषण- इन मतरदवो दवारा ससार म मतरममता मशव क नाम स परमसि होत ह

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 7: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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जनता गाधीजी क ततवावधान म lsquoरघपमत राघव राजाराम पमतत-पावन सीतारामrsquo की आवाज़ लगा रही री लमकन आवाज़ लगान वालो को यह पता नही चला मक परममपता परमातमा इस समि पर उस समय स ही आ चक ह

कहन का मतलब यह ह मक जब परममपता परमातमा आत ह तो एक तरफ मवनाश की बाजी भी तयार कर दत ह और दसरी तरफ सरापना का काया भी गपत म चलात ह तो इस समय य दोनो काया समपनन हो रह ह- सरापना का काया भी परा होता ह और ऐटममक एनजी भी तयार हो जाती ह मजसका पररम मवसफोट हीरोमशमा-नागासाक़ी म हआ तब जा करक इस समि का एक तरफ मवनाश होता ह और दसरी तरफ वह माला तयार हो जाती ह जो सारी समि की धमासरता और राजय-सरता की बागडोर धीर-2 अपन हारो म ल लती ह आपन जयोमतमरयो की कछ भमवषयवामणयाा सनी होगी जो अकसर करक मनकलती रहती ह 400500 साल पहल क जो जयोमतरी हए ह- कीरो कीर और नसतरडाम आमद इनकी भमवषयवामणयाा मनकली हई ह सभी न 2000 को मददा बनाया लमकन 2000 क आस-पास का जो भी मददा रा वह सारी समि क मवनाश का मददा नही रा वह वासतव म मसफा बराहमणो की दमनया क अनदर आधारमता एव बीजरप आतमाओ की दमनया क मवनाश का मददा ह यह कोई नही जानता यह दमनया एकदम ऐस चटकी म खतम हो जाएगी तो परममपता परमातमा को कौन पहचानगा परममपता परमातमा को पहचानन क मलए टाइम तो चामहए ना

वासतव म यह जो 2000 साल क बाद का पीररयड ह यह बरहमाकमारी आशरम म आमल-चल पररवतान ला दगा बाहर की दमनया म भी रोड़ा-2 पररवतान होगा ऐटममक एनजी का भी रोड़ा-2 मवसफोट होगा लमकन इतना नही होगा मक सारी समि खतम हो जाए अभी मसफा बराहमणो की परानी दमनया का मवनाश होता ह नई दमनया की सरापना होती ह और सब आतमाएा पहल बमियोग स वापस परमधाम म जाती ह मान बराहमणो की दमनया क अनदर जो मवशर आतमाएा ह व इस बात को समझ लती ह मक परममपता परमातमा का साकार रप और कायाकाल कया ह और यह काया कस चल रहा ह यहाा मदखाया गया ह मक जस हम आतमाएा जयोमतमबानद ह वस परममपता परमातमा भी जयोमतमबानद ह जयोमतमबानद का ही बड़ा आकार मशवमलग बनाया जाता ह मजस अपनी भारतीय परमपरा म 12 जयोमतमलिगम क नाम स परमसि मकया गया ह उजजन काशी रामशवरम कदारनार बदरीनार य 12 जयोमतमलिगम बन ह 12 ही कयो 13 कयो नही 11 या 10 कयो नही 9 धमो स चनी हई 12-12 आतमाओ क 9 गरपस होत ह हर धमा म शरषठ आतमाएा तो होती ह ना परममपता परमातमा भी जब आत ह तो सवापररम हर धमा स शरषठ आतमाओ को चनत ह और चनकर उनको पकका सयावशी बराहमण बनात ह

आज की दमनया म वासतव म कोई बराहमण नही रहा (भाई न कहा- आप यह कया कहत ह आप तो बराहमणो की अवहलना करत ह) नही तलसीदास न यह बात रामायण म आज स 400-500 वरा पहल मलखकर छोड़ी ह- lsquoभय वणा सकर सबrsquo सार ही वणा सकर हो गए कोई बराहमण और कोई शदर नही रहा उनहोन 400 साल पहल मलखा रा अब तो हालत बहत खराब हो गई अब तो बहत जयादा वयमभचार फल गया घर-2 म वयमभचार फला हआ ह तो इस समय परममपता परमातमा आकर परजामपता बरहमा दवारा असली बराहमण कल की सरापना कर रह ह आपन सना होगा बराहमणो की 9 कररयाा गाई जाती ह- शामडकय गोतर भारदवाज गोतर कशयप गोतर आमद-2 9 ऋमरयो क आधार पर 9 गोतर गाए जात ह व 9 ऋमर कोई दसर नही ह 9 धमो का परमतमनमधतव करन वाली 9 शरषठ आतमाएा ह जो परममपता परमातमा इस समि स असली बराहमण धमा म चनत ह जो 9 आतमाएा ह उनम स एक सबस शरषठ होगा ना जो सबस शरषठ हआ उसक जो 12 क गरप ह व परममपता परमातमा मशव स इतना

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तादातमय सरामपत करत ह मक उनकी मशव जसी ही सटज बन जाती ह इसमलए तो 12 जयोमतमलिगम आज भी भारतवरा म भगवान क रप म पज जात ह

कहन का मतलब यह हआ मक परममपता परमातमा मशव भी जयोमतमबिद ह ऋमरयो-महमरायो न पजा क मलए उनका बड़ा आकार बना मदया ह वह मनराकारी सटज का परतीक ह मनराकार का मतलब यह ह मक उस सटज म जो 12 ह उनम स एक शकर का रप मजस lsquoरदर अवतारrsquo कहा जाता ह व ऐसी मनराकारी सटज म रहत ह मक जस मक उनका शरीर रपी वसतर ह ही नही नवार इस सटज म रहना अपन को सदव आमतमक सटज म समझना दसरो को आतमा क रप म दखना- ऐसी परमकटस पककी हो जाए उसको कहग lsquoमनराकारी सटजrsquo इमदरयाा जस होत हए भी नही ह जस कहत ह- lsquoदखत हए भी नही दखना सनत हए नही सननाrsquo जस दमनया म मकतनी भी नलामन उड़ रही ह उनक ऊपर कोई असर नही पड़ रहा ह

lsquoबीrsquo समइड

वितर न 4 (सिा आतरमओ कम वपतम एक ह)- वह तो गॉड फादर ह मजसक अलग-2 नाम-रप द मदए ह लमकन अलग-2 नाम-रप होत हए भी एक रप ऐसा ह जो हर धमा म मानयता परापत करता ह कस अपन भारतवरा म जयोमतमलिगम मान जात ह- रामशवरम वगरह कहत ह- राम न भी उपासना की राम को भगवान मानत ह लमकन उपासना मकसकी की मशव की उपासना की तो राम भगवान हए या मशव भगवान हए मशव ही हए ऐस ही गोपशवरम ममदर भी बना हआ ह lsquoगोपrsquo कषण को कहा जाता ह इसस सामबत हो गया मक कषण भगवान नही र वासतव म उनका भी कोई ईशवर ह मजनहोन उनको ऐसा बनाया ऐस ही कदारनार ह बदरीनार ह काशीमवशवनार ह और यह सोमनार ह इन सभी ममदरो म इस बात की यादगार ह मक यहाा उस मनराकार जयोमत को जयोमतमलिगम क रप म माना जाता ह नपाल म पशपमतनार का ममदर ह कमलयग क अत म सभी मनषयमातर पशओ जसा आचरण करन वाल हो जात ह उन पशओ को भी पश स बदर स ममदर लायक बनान वाली वही मनराकार मशवजयोमत ह उसी की यादगार म एक मशवमलग नपाल म भी सरामपत ह

अचछा महनदओ की बात छोड़ दीमजए मसलमान लोग मकका म हज़ (तीरा यातरा) करन जात ह वहाा महममद न दीवाल म एक पतरर लाकर रखा रा उसका नाम उनहोन lsquoसग-ए-असवदrsquo मदया अभी भी जब तक मसलमान लोग उस पतरर का चमबन नही कर लत मसजदा नही माना जाता उनकी हज़ की यातरा परी नही होती इसका मतलब व भी आज तक उस मनराकार को मानत ह हालाामक व पतरर को नही मानत व तो ममतायाा व मशवमलग को तोड़न वाल रह ह उनहोन यहाा भारत म आकर मशवमलगो को तोड़ा ह लमकन वहाा मानत ह बौिी लोग आज भी चीन-जापान म दख जात ह मक व गोल सटल क ऊपर पतरर की बमटया रखत ह और उसक ऊपर दमि एकागर करत ह इसस सामबत होता ह मक व भी उस मनराकार को मानत ह गरनानक न तो कई जगह कहा ह- lsquoएक ओकार मनरकारrsquo lsquoसदगर अकाल मताrsquo व तो मनराकार को मानत ही ह ईसाईयो क धमागरर बाईबल म तो कई जगह मलखा हआ ह- lsquoगॉड इज़ लाइटrsquo अराात परमातमा जयोमत ह कहन का मतलब यह ह मक हर धमा म उस मनराकार जयोमत की मानयता ह अब यह सवाल पदा होता ह मक जब सब धमो म उस एक ही रप की मानयता ह तो सब धमा वाल उस एक ही को परममपता परमातमा का रप कयो नही मानत य अलग-2 रप कयो मान हए ह यह वासतमवकता मकसी की बमि म नही आ रही ह

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वह मनराकार जयोमत जब इस समि पर आती ह तो जो मवशर आतमाएा राम और कषण ह इन दो को चनकर समि क मवनाश और सरापना क काया म ममखया बनाती ह कषण की सोल आखरी जनम म दादा लखराज क रप म मसनध हदराबाद म जनम लती ह और उसम परममपता परमातमा मशव परवश करक पहल परतयकष lsquoबरहमाrsquo क रप म काया करत ह पयार का पाटा बजात ह आप कही भी मकसी भी बरहमाकमारी आशरम म जाएा तो आप कोई भी बरहमाकमार-कमारी स पमछए मक बाबा न कभी मकसी को टढ़ी नज़र स दखा या गलत कवचन कहा या कोई ऐसा ह मजसन बाबा क समपका म पहाचन क बाद यह अनभव मकया हो मक बरहमा बाबा न हमको दःख मदया

परतयक बरहमाकमार-कमारी यही कहगा मक बाबा भल 10 ममनट क मलए ममल हो परनत बाबा न हमको मजतना पयार मदया उतना दमनया म हम मकसी स अनभमत नही हई व र पयार की परमतममता बरहमा बाबा जस अभी भी टीवी म सीररयल आत ह आप दखत होग मक असरो न वरदान ल मलए ह असर लमकन मफर भी माा स वरदान ल मलया वासतव म वह एक रप मदखाया गया ह और इनक ठीक मवपरीत एक दसरा रप राम वाली आतमा ह मजसम कमलयग क अत म परममपता परमातमा परवश करक lsquoशकरrsquo क नाम-रप स परखयात होत ह दखो जस इन कषण का नाम-रप परखयात हआ ह lsquoबरहमाrsquo वस उन राम का नाम-रप परखयात होता ह lsquoशकरrsquo इन दोनो ही शमियो की सहयोगी शमि दो आतमाएा भी ह कषण की सहयोगी शमि ह lsquoराधाrsquo और राम की सहयोगी शमि ह lsquoसीताrsquo इनक वतामान रप क नाम पड़त ह बरहमा की सहयोगी शमि lsquoसरसवतीrsquo और शकर की सहयोगी शमि lsquoपावातीrsquo य वतामान सवरप क नाम ह जब कमलयगी दमनया समापत होती ह नई सतयगी समि रची जाती ह तो चारो आतमाओ क सवभाव-ससकार का समममशरण होता ह अभी तो हर घर म सतरी-परर क ससकार आपस म टकरात ह कोई घर ऐसा नही होगा मजसम ससकार टकराए नही लमकन सबस पहल एक ऐसी भी दमनया परममपता परमातमा न बनाई री मक पहल-2 चार आतमाओ क ससकार ममलकर एक हो गए र व य आतमाएा ह जो समि क हीरो-हीरोइन ह और इन आतमाओ का समममशरण मवषण की भजाओ क रप म मदखाया गया ह कहत ह ना lsquoमर भया न शरीर छोड़ मदया मरी दामहनी भजा टट गईrsquo तो दामहनी भजा रोड़ ही टट गई बमकक जो सहयोगी शमि ह वह चली गई

इसी तरह परममपता परमातमा क काया म दो दामहनी भजा क रप म सहयोगी बनत ह बरहमा-सरसवती मान कषण और राधा य कड़ा-कठोर रप कभी नही अपनात पररवतान क मलए इनहोन हमशा पयार का काम मकया इसमलए इनको परममपता परमातमा न राइट हणड क रप म सवीकार मकया लमकन जब राइट हणड स काम नही मनकलता तो मफर उागली टढ़ी भी की जाती ह व दो रप ह शकर और पावाती आमद शमि चामडा का रप धारण करती ह और शकर परलयकर रप धारण करत ह वह राम (शकर) वाली आतमा सहयोमगनी शमि दवारा परलय मचाती ह शमि का रप धारण मकए बगर रावण कमभकरण मघनाद जस असर पररवतान नही हो सकत इन बराहमणो क अनदर जयादा स जयादा तादाद म ऐस आसरी ततव घस गए जो रावण कमभकरण मघनाद का पाटा बजात ह उनको सधारन क मलए जञान बाण मारन वाली राम की आतमा तयार होती ह बाण कोई दसर नही ह परममपता परमातमा न आकर राम क मख दवारा उनक मलए जो तीखी बात बोली ह उन बातो का अरा ही जञान बाणो का काम करती ह हमको तो व महावाकय पयार लगत ह लमकन उस तरह की जो आसरी बराहमण आतमाएा पररवार म घसी हई ह उनको व बाण लगत ह उनको घाव पदा कर दत ह तो इस तरीक स य जो लव और लॉ क दो रप ह उनम यह तीसरा रप समाया हआ ह जो बरहमा-सरसवती शकर और पावाती रपी चार आतमाओ का समममशरण ही lsquoमवषणrsquo

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कहा जाता ह बाकी ऐसा कोई वयमि ससार म कभी हआ नही ह जो चार भजाओ का रहा हो या 10 मसर का रावण रहा हो 10 मसर क रावण का मतलब ह मक दसो धमा ममल करक ससार म परजाततर राजय का ऐसा बकायद सगठन बनात ह मजसस सारी दमनया मवनाश क कगार पर खड़ी हो जाती ह बाकी परममपता परमातमा न तो आकर राजयोग मसखाकर कायदमसर दवी राजाओ का राजय सरापन मकया रा

परममपता परमातमा जो सकल खोलत ह सदगर कह जात ह तो ज़रर व ऐसी ईशवरीय यमनवमसाटी का वाइस चानसलर बनत होग जहाा व कोई माला रपी सगठन की बड़ी-2 पदमवयाा दकर जात हो दश-मवदश म जनम-जनमातर क जो राजाएा बन ह उन राजाओ को राजाई करन की मवदया उनहोन मसखाई री उसको lsquoराजयोगrsquo कहा जाता ह वह राजयोग परममपता परमातमा गीता जञान क दवारा अभी मसखा रह ह जनम-जनमातर का राजा बना रह ह लौमकक बाप जो होत ह व तो एक जनम की परामपत करात ह वसाा दत ह लमकन यह पारलौमकक बाप जब समि पर आत ह तो अपन आतमा रपी बचचो को अनक जनमो की राजाई दकर जात ह वह अनक जनमो की राजाई अभी दी जा रही ह ससार म अभी कछ ही वरो म ऐसी 108 शरषठ आतमाएा परतयकष होन वाली ह जो सार ससार म तहलकाखलबली मचाएागी और सार ससार की धमा सरता व राजय सरता दोनो की बागडोर अपन हार म ल लगी यही 108 शरषठ आतमाएा आज भी सभी धमो म माला क रप म समरण की जाती ह

जब सारी दमनया माया क पज म फा स जाती ह तब व जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आत ह माया का पजा कोई सतरी नही ह काम करोध लोभ मोह अहकार- य पााच मवकार मनषय क अनदर भर हए ह उन पााचो मवकारो म सारी दमनया जकड़ गई ह आज एक भी मनषय ऐसा नही ह जो इन पााचो मवकारो की जकड़ स बाहर हो जब सारी समि की ऐसी अतयमधक बदतर हालत हो जाती ह तब परममपता परमातमा मशव आत ह मजसकी यादगार म यह lsquoमहामशवरामतरrsquo मनाई जाती ह इस महामशवरामतर म जब परममपता परमातमा मशव आत ह तो दमनया म चारो तरफ अनक धमा फल हए होत ह उन धमो म धमा क नाम पर मवतडावाद जयादा ह जञान कछ भी नही ह जञान क नाम पर अजञान-ही-अजञान सनाया जाता ह और पस व मदखाव को जयादा महतव मदया जाता ह जो धमा की सरापना का काया ह धारणा की बात ह व न क बराबर होती ह तब जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आकर उस अजञान अधकार का मवचछदन करत ह इसमलए उसकी यादगार म भारतवरा म माघ मास को अधारामतर म महामशवरामतर मनाई जाती ह जब आम खरी मास होता ह समि का आम खरी टाइम होता ह कमलयग का अनत होना होता ह तब दमनया म अजञान अधकार चारो तरफ फला रहता ह जस शमिमान सीररयल म आता ह- lsquoअधरा कायम रहगाrsquo असर तो यही चाहत ह मक अधरा कायम रह दमनया अजञान म रह और हम अपना आसरी काम बनाएा तो य काम करोध लोभ मोह अहकार ह असर मजनका ममखया ह काम मवकार उस काम मवकार को परममपता परमातमा आकर सबस पहल शकर क चोल क दवारा भसम करात ह हमन समझ मलया मक काम मवकार कोई दवता का रप होगा उसको lsquoकामदवrsquo नाम द मदया लमकन वासतव म वह कोई अलग स दवता नही होता यह हमार अनदर की ही कपरवमरत कमज़ोरी व मवकमत ह जो उस शकर दव न पहल भसम कर दी भसम करन वालो म नमबरवार होत ह लमकन जो उसको सबस पहल भसम कर लता ह वह बात शकर क मलए मदखात ह उनका जञान का तीसरा नतर खला और काम मवकार भसम हो गया वह कोई बाहर का काम मवकार रोड़ ही रा यह तो अदर की चीज़ री जो उनहोन भसम कर दी नि कर दी जब ममखया भसम होगा तो बाकी य जो चार चोर-डकत ह व तो अपन आप ही भाग जाएाग

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वितर न 5 (विि और िकर)- यहाा मदखाया गया ह मक वासतव म मशव अलग स परममपता ह और शकर अलग आतमा ह गलती क कारण दोनो को ममलाकर एक कर मदया लमकन गलती भी नही ह वासतव म वह हमारी बसमझी हो गई यह बसमझी होन क कारण ही बरहमाकमार-कमाररयाा भी उस बसमझी म फा स हए ह कया बसमझी हो गई मक व सपरीम सोल मशव मनराकार जयोमतमबिद जब इस समि पर आत ह तो इस समि पर आकर मकसी जनसाधारण को ज़रर आप समान बनाएाग व पढ़ाई पढ़ाएाग टीचर का कोई तो सटडट ऐसा मनकलगा जो उनकी परी 100 परसट पढ़ाई को धारण कर ल तो व मनराकार जयोमतमबिद मशव आकर इस शकर क सवरप दवारा ससार म परतयकष होत ह और इस तरह दोनो का तादातमय हो जाता ह आप दखग कोई यह नही कहता ह मक मशव-बरहमा एक ह मशव क सार बरहमा का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार मवषण का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार शकर का ही नाम कयो जड़ता ह इसमलए जड़ता ह मक शकर मशव की याद म इतना तकलीन हो जात ह मक उनको अपन म समामहत कर लत ह अराात बाप समान बन जात ह तो वह समामहत करन की जो मसरमत ह वह lsquoमशव-शकर एक हrsquo- यह मसरमत ससार म परमसि होती ह वासतव म दोनो आतमाएा अलग-2 ह य सपरीम सोल मशव जनम-मरण क चकर म कभी आत ही नही इसमलए lsquoमशवमलगrsquo कहा जाता ह lsquoशकर मलगrsquo नही कहा जाता lsquoमशवरामतरrsquo कही जाती ह lsquoशकर रामतरrsquo नही कही जाती मशव ऐसी चीज़ ह जो मक पाप और पणय स हमशा पर ह और जो दहधारी ह व पाप-पणय क अदर फा सत ह

अब आप दमखए शकर धयान म बठ ह अगर य खद ही परममपता परमातमा का रप होत सपरीम सोल होत तो य मकसका धयान कर रह ह आप परान-2 ममदरो म जाइए आप दखग बीच म मखय सरान पर मशवमलग ह और आस-पास सभी दवताओ क सार शकर की भी ममता रखी हई होती ह इसस कया सामबत हआ मक और मजतन दवताएा ह उन 33 करोड़ दवताओ क बीच म शकर दव-दव महादव तो ज़रर ह लमकन व परममपता परमातमा नही ह व भी उनकी उपासना म सामन बठ हए ह मकसक सामन मशवमलग क सामन तो मनराकार की यादगार मलग रप मशव जयोमतमबिद सपरीम सोल ह और य शकर हीरो पाटाधारी इस समि-रपी रगमच क नायक ह जञानीजनो दवारा जयोमतमबिद मशव को मसफा याद मकया जा सकता ह और भमिमागा म उनका मकरार रर शकर ही मनराकारी सटज म मसरर हो जान कारण बड़ मलग रप म पजा जाता ह

वितर न 6 (पररवपतम पररमतरम सिावयमपी नही)- यहाा यह बताया गया ह मक ईशवर जब समि पर आएाग तो जञान का कोई-न-कोई ऐसा नया पवाइट ज़रर बताएाग मजसम सारी दमनया भरममत हई पड़ी हो ऐसी नई बात ज़रर सनाएाग मजस सारी दमनया न जानती हो बमकक मवपरीत बात ही जानती हो वह बात यह ह मक जब दमनया म चारो तरफ भगवान को ढाढ़ा और कही नही ममला तो लोगो न उनक मलए कहना शर कर मदया- lsquoव तो सवावयापी ह जर-2 म भगवान ह कण-2 म भगवान ह जहाा दखो वहाा भगवान हrsquo लमकन वासतव म गीता का एक शलोक ही इस बात क मलए काफी ह मक lsquolsquoतद धाम परम ममrsquorsquo (कपया गीता का शलोक 156 दमखए) अराात म वहाा परमधाम का रहन वाला ह ा दमनया का सबस शरषठ गरनर गीता ह मजसकी सबस जयादा टीकाएा हई ह उसक एक शलोक म यह बात सामबत हो गई ह गीता म ही एक शबद आया ह lsquoमवभrsquo इस शबद का उनहोन इतना बड़ा अरा कर मदया मक ससार म चारो तरफ यही बात फली हई ह मक व सवावयापक ह वासतव म मवभ का अरा यह ह मक व मवशर रप स हर मनषय आतमा की

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बमि म lsquoभrsquo माना याद क रप म अपना सरान बना लत ह उसका उकटा अरा लगाकर उनहोन परममपता परमातमा को सवावयापी कह मदया

यहाा बात समझाई गई ह मक परममपता परमातमा वासतव म समि पर सवावयापी नही ह गीता और रामायण भी इस बात क परमाण ह गीता व रामायण म मलखा ह मक lsquolsquoजब-जब इस समि पर अधमा का बोलबाला होता ह तब-तब म आता ह ाrsquorsquo lsquoआता ह ाrsquo स सामबत ही हो गया मक व नही र तब तो आए नही तो उनको आन की कया दरकार री दसरी बात अभी-2 आपको गीता का जो शलोक बताया वह पकका सामबत कर रहा ह मक परममपता परमातमा का धाम नाम काम ऊा च त ऊा चा ह मजसका गायन भी ह- lsquoऊा चा तरा धाम ऊा चा तरा नाम

ऊा चा तरा कामrsquo धाम काम नाम- तीनो ही जब ऊा चा ह तो व ऊा चा ही बठग या नीच बठग इस दमनया का भी जो राजा होता ह वह भी ऊा ची गददी पर बठता ह तो हमन परममपता परमातमा को कण-2 म कयो ममला मदया

यहाा मचतर म मदखाया गया ह मक ऋमर ममन सनयासी भाव मवभोर होत ह तो खड़ताल बजाकर कहत ह- lsquoह परभ हम दशान दोrsquo परत जब परवचन करत ह तो कहत ह- lsquoपरमातमा सवावयापी ह आतमा सो परमातमा मशवोऽहम हम परमातमा क रप ह हम ही भगवान हrsquo तो यह बात तका सगत सामबत नही होती एक बात पर पकका रहना चामहए यह कया बात हई कीतान करन लग तो परभजी हम दशान दो अब दशान कहाा स द तमहार अदर जब खद ही भगवान बठ हए ह तम खद ही भगवान क रप हो यहाा यह मदखाया गया ह मक जो परवचन सनन वाल ह व मजस समय गरजी महाराज का परवचन सनत ह तब तो भाव मवभोर होकर कहत ह- lsquoहाा परमातमा सवावयापी ह बहत अचछा जञान सनायाrsquo घर म पहाचत ही भाई भाई की हतया करन लग अब उनह भाई-2 क अदर भगवान नही मदखाई मदए यह मवरोधाभास एकदम इतना कस पदा हो गया

वासतव म सबक अदर अपनी-2 मभनन ससकारो वाली आतमा होती ह परममपता परमातमा उन सबस सवारा अलग ह अपनी भारतीय परमपरा म शकराचाया की मरोलोजी अलग ह और माधवाचाया की मरोलोजी अलग ह माधवाचाया की गीता म बताया गया ह मक lsquoआतमा सब अलग-2 ह और परमातमा उनस अलगrsquo जबमक शकराचाया की गीता म बताया गया ह- lsquoसवि खल इद बरहमrsquo अराात इस दमनया म जो कछ भी दखन म आ रहा ह व सब भगवान का रप ह माधवाचाया न बताया मक lsquoहर आतमा म अलग-2 ससकार हrsquo य आतमाएा गभा म जब शरीर धारण करगी तो य अपना अलग-2 पाटा ही बजाएागी इनका पाटा दसरी आतमा स ममल नही सकता हम हमशा शासतरो म यह ममसाल दत आए ह मक हम सब आतमाएा सागर म बदबदा ह बदबद सब सागर म समा जात ह मान हम उस सागर का अश ह यही कहा ना लमकन हम एक बात भल गए अगर हम बदबद ह हम सागर का अश ह तो सागर म स जो चकल भर पानी हमन ल मलया उसम जो खारपन का गण होगा वही सागर क पानी म भी होना चामहए ना यह पानी हमन पनः उसम ममला मदया दोनो का गण अभी भी एक ही ह लमकन हम सबक अदर य अलग-2 ससकार कस ह यह अलगाव कहाा स आ गया और जनम-जनमातर स यह अलगाव चलता चला आ रहा ह दसरी बात इसका एक और पररहारमनवारण ह- आपन कभी चाहा ह मक हमारी आतमा का जो अमसततव ह वह हमशा क मलए खतम हो जाए कोई चाहता ह अगर हमारी आतमा उस सपरीम सोल मशव म जाकर लीन हो जाए सागर म चकल भर पानी ममला मदया गया तो उसका अमसततव हमशा क मलए खतम हो जाएगा मफर शासतरो म यह बात कहाा स आई- lsquolsquoककप-2 लमग परभ अवतारा जब-2 तरतायग होता ह तब-2 राम का अवतार होता हrsquorsquo

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अजर-अमर तो सभी आतमाएा ह वह बात तो ठीक ह वह एक अलग बात उनका अमसततव उनका ससकार सब अलग-2 ह लमकन हर आतमा का अनक जनमो का जो पाटा ह वह उस जयोमतमबानद रपी आतमा क टप ररकॉडार म भरा हआ ह इस समि-रपी रगमच पर जब कोई भी आतमा उतरगी तो सतयग क आमद स लकर कमलयग क अत तक वह उतन ही जनम लगी मजतना पहल चतयागी म मलया रा अगर राम की आतमा होगी तो हर तरतायग म राम क रप म ही जनम लगी lsquoह कषण नारायणrsquo की आतमा होगी तो वह हर सतयग क आमद म नारायण क रप म ही राजय करगी इस तरह हर जनम म आतमा का शरीर रपी चोला बदलन का पाटा मनमित ह हर 5000 वरा क बाद वह जयो का तयो पनरावतान होता ह

हर आतमा सो परमातमा नही ह सपरीम सोल मशव हमशा अलग ह अगर व भी जनम-मरण क चकर म आन लग तो हमको छड़ान वाला कोई भी नही रहगा उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही की जा सकती कोई आतमा हीरो-हीरोइन पाटाधारी बन सकती ह मवलन व साधारण आतमा का पाटा बजा सकती ह लमकन सपरीम सोल मशव जसा पाटा मकसी का नही ह उनका तो तररया पाटा ह व बार-2 इस समि पर आत भी नही जसा शासतर म मलख मदया ह- lsquoसमभवामम यग-यगrsquo अराात म हर यग म आता ह ा अर हर यग म आत तो दवापर क अत म जब महाभारत यि कराया कषण क रप म परममपता परमातमा आए तो कया पापी कमलयग की सरापना करन क मलए आए र उनको हर यग म आन की कया ज़ररत ह साधारण बाप होता ह वह भी बचचो क मलए मकान तब तयार करता ह जब मकान पराना हो जाता ह उस परान मकान स काम नही चलता जब तक काम चल सकता ह तब तक मरममत कराता रहता ह इस समि-रपी मकान की भी यही हालत ह इबराहीम बि कराइसट गरनानक आमद य धमामपताएा आकर समि की जगह-2 मरममत करत रह मकसी न अरब दश म आकर मरममत की मकसी न यरोपीय दशो म की मकसी न चीन-जापान म की नया मकान तो मकसी न नही बनाया नई समि तो नही बनाई यह मरममत मकतन मदन चलगी कछ समय तक उन धमो का परभाव रहता ह मफर वह खलास आखरीन तो मफर भी उसी सपरीम सोल मशव बाप को जो धमामपताओ क भी बाप ह बापो क भी बाप ह इस समि पर उतरना ही पड़ता ह व आकर इस समि का आमल-चल पररवतान कर दत ह तो व सवावयापी नही ह व तो इस समि पर मकरार रप स हीरो पाटाधारी म परवश करक पाटा बजात ह

आपन lsquoजीज़सrsquo वा lsquoकराइसटrsquo का नाम सना आमखर य दो नाम कयो मकरमियनस लोग मानत ह मक वह वयमि

जो पहल खयामतपरापत नही रा उसका नाम lsquoजीज़सrsquo रा मफर जब खयामतपरापत हो गया तब उसका नाम lsquoकराइसटrsquo पड़ गया इसका रहसय कोई नही जानता यह रहसय परममपता परमातमा मशव आकर बता रह ह मक कोई भी नई आतमा ऊपर स उतरती ह तो मजसम भी परवश करती ह उसका नाम बदल दती ह जस पहल lsquoनरनदरrsquo नाम रा बाद म lsquoमववकाननदrsquo नाम पड़ गया आचाया रजनीश का भी ऐस ही हआ ह पहल यह एक साधारण लकचरर र जब आतमा न परवश मकया तो lsquoआचाया रजनीशrsquo नाम पड़ गया तो हर आतमा जो ऊपर स नीच उतरती ह वह मजसम परवश करती ह उसको कनवटा करक अपन धमा म खीच ल जाती ह और वह आधारमता मजसम परवश मकया वह भारत की ही सनातन धमा की आतमा होती ह ऐस ही दसर-2 धमो म कनवशान या पररवतान हआ भारतवामसयो स ही कनवटा होकर दसर-2 धमा पनप ह और वमि को पाए ह कहन का मतलब यह हआ मक उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही हो सकती हम आतमाओ क मकाबल व हमशा तरीया ह व तो सख भी नही भोगत तो दःख भी नही भोगत व सख-दःख स हमशा ही पर रहन वाल ह हाा यह बात ज़रर ह मक जब व इस समि पर आकर राजयोग मसखात ह तो ऐसी पढ़ाई पढ़ात

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ह मक हम आतमाएा नवार पररारा अनसार इस सटज को परापत कर मक इस समि पर रहत हए भी दःख-सख म रहत हए भी अपनी ऐसी अवसरा बना ल मक दःख क समय हम दःखी न हो और सख क समय हम बहत जयादा परसनन न हो मजसका नाम गीता म lsquoमसरतपरजञrsquo मदया गया ह लमकन हमारी वह अवसरा हमशा क मलए नही रहगी परनत उस मशव की हमशा क मलए रहगी वह सपरीम सोल ह तो मफर आतमा-परमातमा एक कहाा हए

परमातमा सवावयापी कहाा हए सपरीम सोल मशव तो हमशा अलग ही हए

मशव की तलना ऊा च त ऊा च मतरदवो स भी नही की जा सकती इन मतरदवो की यादगार म lsquolsquoझणडा ऊा चा रह हमारा मवजयी मवशव मतरगा पयारा मवशव मवजय करक मदखलावrsquorsquo- यह बोलत तो ह लमकन यह नही जानत ह मक व तीन शरीर रपी वसतर कौन-स ह मजन वसतरो न सार मवशव म तहलकाखलबली मचाई री सार मवशव म मवजय करक मदखलाई री वासतव म व शरीर रपी वसतर lsquoबरहमा मवषण शकरrsquo- य तीन ही ह उनक सकतक रग भी वस ही मदखाए गए ह ऊपर वाला कसररया रग ह शकर- करामत का सचक बीच वाला सफद वसतर सतवगणी मवषण का सचक ह नीच वाला हरा वसतर बरहमा का सचक ह जस गााधीजी कहत रह- lsquoरामराजय आएगा रामराजय आएगाrsquo

बमकक और ही रावण राजय आ गया ऐस ही बरहमा बाबा हमशा मचकलात रह- lsquoरामराजय लाएाग सवगा आएगा

वकणठ आएगा और सवगा आन ही वाला हrsquo अब उस सवगा की जगह बरहमाकमारी आशरमो म रौरव नका बन रहा ह

इसमलए बरहमा की ममतायाा ममदर व पजा नही होती कयोमक तराकमरत बरहमाकमार-कमाररयो न ही बरहमा की दाढ़ी की लाज नही रखी जबमक शकर और मवषण क ममदर और ममतायाा बनाकर आज सार भारतवरा म पजा की जा रही ह

वितर न 7 (सहज रमजयोग)- ससार म अनक परकार क योग परमसि ह जस- भमियोग कमायोग जञानयोग हठयोग राजयोग आमद मकत योग क इन सभी परकारो म सहज राजयोग शरषठामतशरषठ ह योग का अरा ह- समबध या ममलन आजकल योग का तातपया योगासन या हठयोग समझ मलया जाता ह मकनत योगासन स शारीररक सवासथय और कछ सीमा तक मानमसक सवासथय ममल सकता ह लमकन समपणा सख-शामत की परामपत तो कवल राजयोग दवारा ही हो सकती ह

lsquoराजयोगrsquo का अरा ह राजाओ का राजा बनान वाला योग या रहसय भरा योग मनषयातमाएा कई जनमो स दह-अमभमान क दलदल म फा सकर मवनाशी दहधाररयो स योग लगाती आई ह मकत जस तााब वाल दो तारो को जोड़न स उसम मबजली परवामहत होती ह परत रबड़ चढ़ हए तााब क तारो स मबजली का करट नही लगता उसी परकार दह-अमभमानी दहधाररयो स समबध रखन पर अमवनाशी सख-शामत की परामपत नही हो सकती परममपता परमातमा मशव तो इस योग भी नही अमपत सरल शबद म lsquoयादrsquo कहत ह याद करना एक सवाभामवक सरल एव मनरतर परमकरया ह जबमक योग स मकसी मवशर परयास का बोध होता ह जस परममपता परमातमा शरीर म रहत हए भी उसक भान स नयार ह अराात मवदही रहत ह उसी परकार हम भी सवय को अमवनाशी आतमा (न मक परकमत क 5 ततवो स बना दह) समझकर परजामपता बरहमा क दवारा परममपता परमातमा को याद करना ह हमारी दमि म मशव रहना चामहए मातर शव अराात दह नही अतः भगवान को न तो मसफा साकार रप म न तो मसफा मनराकार रप म बमकक भलीभाामत पहचानकर साकार शरीर म परमवि मनराकार को याद करना ह यही ह सचचा राजयोग

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मन वचन एव कमा की पमवतरता परममपता परमातमा स सचचा सनह मदवय गणो की धारणा ईशवरीय जञान शि अनन तरा सचच बराहमणो का सग करन पर आतमा दह-अमभमान दवारा उतपनन पााच मवकारो अराात काम करोध लोभ मोह

अहकार स ममि पाकर अपन मल सवरप अराात सवागण समपनन सवरप म मसरत हो सकती ह परभ को याद करन क मलए अमतवला या बरहममह ता का समय सबस शरषठ ह कयोमक उस समय वातावरण शात तरा शि रहता ह और मन भी जागरत एव परशात होता ह राजयोग क मनतय अभयास स आतमा म पमवतरता शामत धया मनभायता नमरता-जस गणो की धारणा होती ह सार ही आतमा को वयरा मवचारो क फलाव को समटन की शमि सहनशमि समान की शमि अचछ-बर को परखन की शमि सही मनणाय लन की शमि समसयाओ का सामना करन की शमि मवमभनन ससकार वाल मनषयो क सार सहयोग करन की शमि तरा मवसतार को सकीणा करन की शमि आमद आतमा की अि शमियाा परापत होती ह

राजयोग क मनरतर एव दढ़ अभयास स आतमा अपन आमद मधय एव अत की कहानी को तरा इस मवशव म अपन अमदवतीय अनक जनमो क पाटा को जान सकती ह और अपन घर बठ मवशव की आतमाओ को भी शामत एव सख का दान द सकती ह इस परकार हम सव-पररवतान क सार-2 मवशव-पररवतान भी कर सकत ह

बरहमाकमारी मवदयालय (बरमव) और आधयामतमक मवदयालय (आमव) की मशकषाओ म अतर-

बरहमाकमारी मवदयालय शासतरो को मानयता नही दता ह आधयामतमक मवदयालय ईशवरीय वाणी क आधार पर शासतरो को मानयता दता ह

बरमव कषण उफा बरहमा को ही एकमातर गीता का साकार भगवान मानता ह जबमक मख स कहता ह मक कषण गीता क भगवान नही ह

आमव मनराकारी सटज वाल साकार मशव-शकर को परमकटकल म गीता का भगवान मानता ह कषण उफा बरहमा क साकार रप दादा लखराज को गीता का भगवान नही मानता बरमव बरहमा-मवषण-शकर क साकार मचतर तो छपाता ह परत मसफा बरहमा क परमकटकल साकार रप को ही मानयता दता ह मवषण और शकर को इस दमनया स ही उड़ा दता ह जबमक शासतरो व दमनया म भी बरहमा क ममदर ममतायाा और पजा नही मदखाई ह बरहमाकमारी मवदयालय मशव-शकर को तो अलग-2 कहता ह लमकन यह नही बताता मक शासतरो म मशव-शकर को कयो ममला मदया मशव को बरहमा मवषण अरवा अनयानय 33 करोड़ दवताओ क सार कयो नही ममलाया और शकर को ही महादव कयो कहा ह

आमव म उपरोि परशनो का सटीक जवाब ह और तीनो दवताओ क साकार परमकटकल पाटा की सपिता भी ह

बरमव मसफा बरहमा (बरहम+माा) बड़ी माा को ही भगवान का साकार रप मानता ह और अपन को मसफा बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

आमव माा और बाप (परजामपता+बरहमा = एडम और ईव) दोनो को साकार रप म मानता ह और अपन को परजामपता बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

बरमव जञान-योग का मवजञापन करता ह जस- परोजकटर परदशानी पमबलक भारण कॉनर स मल सममलन ररयातरा

मनषयकत सामहतय आमद

आमव मकसी परकार क मवजञापन म मवशवास नही करता

बरमव मसफा मतय क बाद ही ममि-जीवनममि रपी ईशवरीय वस को जीवन का लकषय मानता ह

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आमव जीवन रहत ही लोक और परलोक सावारन का पररारा कराता ह अराात इसी जनम म नर स नारायण और नारी स लकषमी बनान का परम परमसि गीता वमणात उपदश दता ह

बरमव महल मामड़याा अटाररयाा बनाकर 36 परकार क भोग खान म और मसफा झकाझक शवत वसतर पहनन म अपन को शरषठ मानकर चलता ह आमव रहन सहन खान पान पहनाव म सादगी को ही शरषठ मानकर चलता ह बरमव म चदा माागकर वयमिगत वभव और मान-शान बढ़ाना आम बात ह

आमव मकसी परकार क चदा आमद lsquoमाागन स मरना भलाrsquo समझता ह

बरमव मसफा कहता ह मक हम एक धमा एक राजय एक कल एक मत की सरापना करग परत चलन म परा ही मवरोधाभास दखन म आता ह आमव क सदसय परमकटकल म आए हए एकमातर ईशवर की ही शरषठ मत को मानत हए ईशवरीय धारणाओ कायद

कानन को मानन क सार-2 नमबरवार अपन-2 पररारा अनसार चलन का परयास भी करत ह

सममपात बरक परायः सनयामसयो की तरह मठ-पर बनाकर जीवन चलाती ह

आमव क सममपात या गर सममपात सभी सदसय गहसरी जीवन यापन करत ह कयोमक गीता क भगवान सवय बहद क गहसर म रहत हए गहसरी पाणडवो को ही राजयोग मसखात ह सनयामसयो (भीषम दरोणाचाया कपाचाया) को नही

भविषयिमणी

(यहाा उन लोगो की भमवषयवामणयो का वणान मकया गया ह मजनकी भमवषयवामणयाा आज तक सही सामबत हई) -

कमकक पराण - सवततरता क बाद भारत म एक ऐस महापरर का उदय होगा जो वजञामनको का भी वजञामनक होगा वह आतमा और परमातमा क रहसय को परगट करगा आतमजञान उसकी दन होगी उसकी वश-भरा साधारण होगी उसका सवासथय बालको जसा योिाओ की तरह साहसी अमशवनी कमारो की तरह वीर यवा व सनदर शासतरो का परकाणड पमणडत व मानवतावादी होगा उसका मपता ही उस योग साधना की ओर परररत करगा 24 वरा की आय म वह योग की उचच भममका म परवश करगा एणडरसन(अमररका) - अरब राषरो समहत ममसलम बहल राजयो म आपसी करामतयाा और भीरण रिपात होग इस बीच भारतवरा म जनम महापरर का परभाव व परमतषठा बढ़गी यह वयमि इमतहास का सवाशरषठ मसीहा होगा वह एक मानवीय समवधान का मनमााण करगा मजसस सार ससार की एक भारा एक सघीय राजय एक सवोचच नयायपामलका एक झणड की रप-रखा होगी

गरराडा कराईस(हॉलड) - भारत दश म एक ऐस महापरर का जनम हआ ह जो मवशव ककयाण की योजनाएा बनाएगा जलबणा - ससार क सबस समरा वयमि का अवतरण हो चका ह वह सारी दमनया को बदल दगा उसकी आधयामतमक करामत सार मवशव म छा जाएगी एक ओर सघरा होग दसरी ओर एक नई धाममाक करामत उठ खड़ी होगी जो आतमा और परमातमा क नए-2 रहसय को परगट करगी वह महापरर 1962 स पवा जनम ल चका ह उसक अनयायी एक समरा ससरा क रप म परगट होग और धीर-2 सार मवशव म अपना परभाव जमा लग असभव मदखन वाल काया को भी व लोग उस महापरर की कपा स बड़ी सरलता स सपनन करग

परोफसर कीरो - भारत का अभयदय एक सवोचच शमि क रप म हो जाएगा पर उसक मलए उस बहत कठोर सघरा करन पड़ग दखन म यह मसरमत अतयत किदायक होगी पर इस दश म एक फररशता आएगा जो हज़ारो छोट-2

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लोगो को इकटठा करक उनम इतनी आधयामतमक शमि भर दगा मक व लोग बड़-2 बमिजीमवयो की मानयता ममथया मसि कर दग गोपीनार शासतरी - अवतारी महापरर दवारा जबरदसत वचाररक करामत होगी मजसक फलसवरप मशकषण पिमत बदल जाएगी और ऐसी मशकषा का अमवषकार होगा जो वयमि को जीवन जीन की कला परदान करगी जबमक वतामान मशकषा परणाली कवल पट भरन तक ही सीममत ह कमरत आतमजञानहीन बमिजीमवयो स लोगो की घणा होगी और भगभा मवदया रसायन शासतर यतर मवदया खमनज धात चमबक मवदया आमद क नए कषतर की और मवजञान का मवसतार होगा मजसका नततव भारतवरा का एक ऐसा धाममाक सगठन करगा मजसका मागादशाक सवय भगवान होगा धाममाक आशरम जन जागमत क कनदर बनकर काया करग बमप क ितारमन समकमर पमटा क परवत परफ एि पररमणः-

बाप कहाा आत ह- यह भी नही जानत ह जब खद आकर बताव तब पता पड़ कहाा मलखा भी ह मक परमातमा मगधदश म आता ह(मता16876)

शासतरो म मगध दश मलखा ह परनत नॉलज कहाा मसखाई आब म कस आए मदलवाड़ा ममदर भी यहाा परा यादगार ह मजनहोन भी बनाया उनहो की बमि म आया और बठकर बनवाया एकयरट मॉडल तो बना न सक बाप यहाा ही आकर सवा की सदगमत करत ह मगध दश म नही (मता5989 प3 मधय) ऐस बहत बचच ह बाप को परा पहचानत नही ह बाप का अदब(सममान) नही रखत कयोमक बाप कहत ह म साधारण रप म आता ह ा म जो ह ा जसा ह ा मवरला कोई उस रहाब स चलत ह यहाा तो बहत साधारण ह ना ह मकतनी बड़ी असामी आग चल वह भी पहचानग ऐस बाबा को हमन फारकती द दी तकदीर को लकीर लगा दी यह पीछ होगा अभी तो बहत साधारण ह रर ह गपत गपत होन कारण परा पहचान नही सकत ह परा पहचान ल तो कह- बाबा आपक मसवाए दमनया म ह ही कया कोई सदगमत कर न सक (मता151175 प1 आमअ)

यादव और कौरव पास मकतन महल ह तम बचचो को कछ भी नही तीन पर पथवी क भी तमहार नही सब उनहो का ह यह भी गाया हआ ह- मजनको तीन पर पथवी क भी नही ममलत र उनहो की मवजय हई और वह मवशव क मामलक बन गए पाणडव शमिसना गपत ह शासतरो म भी मदखात ह जआ खलत पाणडवो का राजय रा मफर जआ म हराया (म10678 प1 म) भगवान खद कहत ह मझ गाली खानी पड़ती ह सबस जासती गाली म ही खाता ह ा भमिमागा म भी गाली ही दत ह 3 पर पथवी क भी नही ममलत ह मफर भी मकतनी मनरहकारीपन स पाटा बजा रह ह (म6387 प3 अत) बहद का बाप पढ़ात ह परनत बाप ह साधारण तन म पढ़ात भी साधारण रीमत ह इसमलए मनषयो को जाचता नही ह- गॉड फादरली यमनवमसाटी मफर ऐसी होगी बाप कहत ह म ह ा गरीब मनवाज़ गरीबो को ही पढ़ाता ह ा साह कार को ताकत नही पढ़न की उनहो की बमि म तो महल-माड़ी ही होती ह (मता23489 प1 अत) भगवान एक ह उनको ही मात-मपता कहत ह वह आकर एडॉपट करत ह मकतनी गहय बात ह यह नया सकल ह नया पढ़ान वाला ह (मता251088 प3 आ)

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यह नॉलज ह यह ह नई बात नई दमनया क मलए भगवानवाच ह ना भगवान भी नया वाचय भी ह नई वह कहत ह कषण भगवानवाच तम कहत हो मशव भगवानवाच हरक की वाच अपनी-2 ह एक न ममल दसर स (मता15668 प3 आ)

किर वितर न 1 (वतररवता)-

lsquoमशवrsquo का अरा ह- lsquoककयाणकारीrsquo परममपता परमातमा का यह नाम इसमलए ह मक समि-चकर क अत म जब मनषयातमाएा तरा परकमत पमतत एव तमोपरधान बन जाती ह तो परमधाम मनवासी परममपता परमातमा मशव जयोमतमबानद मनषय शरीर का आधार लकर मनषयातमाओ और परकमत दोनो को पावन एव सतोपरधान बनात ह उनक इस कतावय की यादगार म ही मशवरामतर अराात परममपता क शबदो म मशवजयती का तयौहार मनाया जाता ह सपरीम सोल मशव मकसी परर क बीज स या माता क गभा स जनम नही लत व परजामपता दवारा मनषय-समि-रपी वकष क चतनय बीज ह और जनम-मरण तरा कमाबधन रमहत ह अतः व अपना कतावय करन क मलए मकसी साधारण वि मनषय क तन म मदवय परवश करत ह इस ही lsquoपरममपता परमातमा का मदवय अवतरणrsquo कहा जाता ह कयोमक उनका अपना शरीर नही होता ह उनका मदवय कतावय तीन चरणो म समपनन होता ह- सरापना मवनाश और पालना इन तीन कतावयो क मलए व अवयि मसरमत धारण करन वाली तीन साकार दवातमाओ का आधार लत ह व दवातमाएा ह- बरहमा शकर तरा मवषण मनषय-समि-रपी रगमच पर उनक मदवय अवतरण क बाद कौन-सी तीन आतमाएा बरहमा शकर एव मवषण क पातरो का अमभनय करती ह यह जानन क मलए हम सन 1936-37 म परममपता परमातमा क अवतरण स लकर अब तक की घटनाओ को जानना ज़ररी ह

परममपता परमातमा का यह काया सन 193637 म पामकसतान क मसध हदराबाद शहर स परारमभ हआ जब उनहोन दादा लखराज नामक एक मवखयात हीरो क वयापारी को मवषण चतभाज नका की परानी दमनया क मवनाश और सवगा की नई दमनया की सरापना का साकषातकार कराया मकनत व उन मदवय साकषातकारो का अरा समझ न पाए उनहोन अपन गरओ स इसका अरा पछा मकनत भगवान की लीला व दहधारी गर लोग कया समझ मफर व (दादा लखराज) वाराणसी क परकाणड पमणडतो स इसका समाधान पान क मलए गए मकत उनह वहाा भी मनराशा ही हार लगी वहाा भी उनह साकषातकार होत रह मजसकी तसवीर व गगा क घाटो पर बनी दीवारो पर बनात रहत र जब कोई भी उनकी समसया का समाधान न कर सका तो उनह कलकरता म रहन वाल अपन भागीदार (सवकराम) की याद आई उस भागीदार की मनषठा व ईमानदारी स परभामवत होकर ही उनहोन उस अपनी कलकरता मसरत हीरो की दकान की मज़ममवारी सौपी री

अतः दादा लखराज कलकरता गए मकत सीध उस भागीदार को अपन साकषातकारो का वणान करन क बजाय उनहोन अपनी नज़दीकी सबध की माता (अराात छोटी माता) को सनाया और उस माता न दसरी माता को सनाया जो बोलन सनन सनान म मसिहसत री बाद म जब सनन-सनान म मसिहसत माता न परजामपता (भागीदार) को सनाया उसी समय जयोमतमबद परममपता परमातमा मशव न उसी माता और परजामपता (भागीदार) म सार-ही-सार परवश कर मलया और इस परकार उस मसिहसत माता दवारा साकषातकारो का वणान सनन-सनान की परमकरया दवारा lsquoभमिमागाrsquo की तरा भागीदार दवारा जञान समझन-समझान की परमकरया दवारा lsquoजञानमागाrsquo की नीव पड़ गई

इस परकार चामक परममपता मशव न सवापररम उन दोनो माताओ क समकष भागीदार म परवश कर मवशव पररवतान का काया आरमभ मकया इसमलए व मशव जयोमतमबानद ही भमवषय म बरहमा शकर और मवषण- इन मतरदवो दवारा ससार म मतरममता मशव क नाम स परमसि होत ह

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

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तादातमय सरामपत करत ह मक उनकी मशव जसी ही सटज बन जाती ह इसमलए तो 12 जयोमतमलिगम आज भी भारतवरा म भगवान क रप म पज जात ह

कहन का मतलब यह हआ मक परममपता परमातमा मशव भी जयोमतमबिद ह ऋमरयो-महमरायो न पजा क मलए उनका बड़ा आकार बना मदया ह वह मनराकारी सटज का परतीक ह मनराकार का मतलब यह ह मक उस सटज म जो 12 ह उनम स एक शकर का रप मजस lsquoरदर अवतारrsquo कहा जाता ह व ऐसी मनराकारी सटज म रहत ह मक जस मक उनका शरीर रपी वसतर ह ही नही नवार इस सटज म रहना अपन को सदव आमतमक सटज म समझना दसरो को आतमा क रप म दखना- ऐसी परमकटस पककी हो जाए उसको कहग lsquoमनराकारी सटजrsquo इमदरयाा जस होत हए भी नही ह जस कहत ह- lsquoदखत हए भी नही दखना सनत हए नही सननाrsquo जस दमनया म मकतनी भी नलामन उड़ रही ह उनक ऊपर कोई असर नही पड़ रहा ह

lsquoबीrsquo समइड

वितर न 4 (सिा आतरमओ कम वपतम एक ह)- वह तो गॉड फादर ह मजसक अलग-2 नाम-रप द मदए ह लमकन अलग-2 नाम-रप होत हए भी एक रप ऐसा ह जो हर धमा म मानयता परापत करता ह कस अपन भारतवरा म जयोमतमलिगम मान जात ह- रामशवरम वगरह कहत ह- राम न भी उपासना की राम को भगवान मानत ह लमकन उपासना मकसकी की मशव की उपासना की तो राम भगवान हए या मशव भगवान हए मशव ही हए ऐस ही गोपशवरम ममदर भी बना हआ ह lsquoगोपrsquo कषण को कहा जाता ह इसस सामबत हो गया मक कषण भगवान नही र वासतव म उनका भी कोई ईशवर ह मजनहोन उनको ऐसा बनाया ऐस ही कदारनार ह बदरीनार ह काशीमवशवनार ह और यह सोमनार ह इन सभी ममदरो म इस बात की यादगार ह मक यहाा उस मनराकार जयोमत को जयोमतमलिगम क रप म माना जाता ह नपाल म पशपमतनार का ममदर ह कमलयग क अत म सभी मनषयमातर पशओ जसा आचरण करन वाल हो जात ह उन पशओ को भी पश स बदर स ममदर लायक बनान वाली वही मनराकार मशवजयोमत ह उसी की यादगार म एक मशवमलग नपाल म भी सरामपत ह

अचछा महनदओ की बात छोड़ दीमजए मसलमान लोग मकका म हज़ (तीरा यातरा) करन जात ह वहाा महममद न दीवाल म एक पतरर लाकर रखा रा उसका नाम उनहोन lsquoसग-ए-असवदrsquo मदया अभी भी जब तक मसलमान लोग उस पतरर का चमबन नही कर लत मसजदा नही माना जाता उनकी हज़ की यातरा परी नही होती इसका मतलब व भी आज तक उस मनराकार को मानत ह हालाामक व पतरर को नही मानत व तो ममतायाा व मशवमलग को तोड़न वाल रह ह उनहोन यहाा भारत म आकर मशवमलगो को तोड़ा ह लमकन वहाा मानत ह बौिी लोग आज भी चीन-जापान म दख जात ह मक व गोल सटल क ऊपर पतरर की बमटया रखत ह और उसक ऊपर दमि एकागर करत ह इसस सामबत होता ह मक व भी उस मनराकार को मानत ह गरनानक न तो कई जगह कहा ह- lsquoएक ओकार मनरकारrsquo lsquoसदगर अकाल मताrsquo व तो मनराकार को मानत ही ह ईसाईयो क धमागरर बाईबल म तो कई जगह मलखा हआ ह- lsquoगॉड इज़ लाइटrsquo अराात परमातमा जयोमत ह कहन का मतलब यह ह मक हर धमा म उस मनराकार जयोमत की मानयता ह अब यह सवाल पदा होता ह मक जब सब धमो म उस एक ही रप की मानयता ह तो सब धमा वाल उस एक ही को परममपता परमातमा का रप कयो नही मानत य अलग-2 रप कयो मान हए ह यह वासतमवकता मकसी की बमि म नही आ रही ह

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वह मनराकार जयोमत जब इस समि पर आती ह तो जो मवशर आतमाएा राम और कषण ह इन दो को चनकर समि क मवनाश और सरापना क काया म ममखया बनाती ह कषण की सोल आखरी जनम म दादा लखराज क रप म मसनध हदराबाद म जनम लती ह और उसम परममपता परमातमा मशव परवश करक पहल परतयकष lsquoबरहमाrsquo क रप म काया करत ह पयार का पाटा बजात ह आप कही भी मकसी भी बरहमाकमारी आशरम म जाएा तो आप कोई भी बरहमाकमार-कमारी स पमछए मक बाबा न कभी मकसी को टढ़ी नज़र स दखा या गलत कवचन कहा या कोई ऐसा ह मजसन बाबा क समपका म पहाचन क बाद यह अनभव मकया हो मक बरहमा बाबा न हमको दःख मदया

परतयक बरहमाकमार-कमारी यही कहगा मक बाबा भल 10 ममनट क मलए ममल हो परनत बाबा न हमको मजतना पयार मदया उतना दमनया म हम मकसी स अनभमत नही हई व र पयार की परमतममता बरहमा बाबा जस अभी भी टीवी म सीररयल आत ह आप दखत होग मक असरो न वरदान ल मलए ह असर लमकन मफर भी माा स वरदान ल मलया वासतव म वह एक रप मदखाया गया ह और इनक ठीक मवपरीत एक दसरा रप राम वाली आतमा ह मजसम कमलयग क अत म परममपता परमातमा परवश करक lsquoशकरrsquo क नाम-रप स परखयात होत ह दखो जस इन कषण का नाम-रप परखयात हआ ह lsquoबरहमाrsquo वस उन राम का नाम-रप परखयात होता ह lsquoशकरrsquo इन दोनो ही शमियो की सहयोगी शमि दो आतमाएा भी ह कषण की सहयोगी शमि ह lsquoराधाrsquo और राम की सहयोगी शमि ह lsquoसीताrsquo इनक वतामान रप क नाम पड़त ह बरहमा की सहयोगी शमि lsquoसरसवतीrsquo और शकर की सहयोगी शमि lsquoपावातीrsquo य वतामान सवरप क नाम ह जब कमलयगी दमनया समापत होती ह नई सतयगी समि रची जाती ह तो चारो आतमाओ क सवभाव-ससकार का समममशरण होता ह अभी तो हर घर म सतरी-परर क ससकार आपस म टकरात ह कोई घर ऐसा नही होगा मजसम ससकार टकराए नही लमकन सबस पहल एक ऐसी भी दमनया परममपता परमातमा न बनाई री मक पहल-2 चार आतमाओ क ससकार ममलकर एक हो गए र व य आतमाएा ह जो समि क हीरो-हीरोइन ह और इन आतमाओ का समममशरण मवषण की भजाओ क रप म मदखाया गया ह कहत ह ना lsquoमर भया न शरीर छोड़ मदया मरी दामहनी भजा टट गईrsquo तो दामहनी भजा रोड़ ही टट गई बमकक जो सहयोगी शमि ह वह चली गई

इसी तरह परममपता परमातमा क काया म दो दामहनी भजा क रप म सहयोगी बनत ह बरहमा-सरसवती मान कषण और राधा य कड़ा-कठोर रप कभी नही अपनात पररवतान क मलए इनहोन हमशा पयार का काम मकया इसमलए इनको परममपता परमातमा न राइट हणड क रप म सवीकार मकया लमकन जब राइट हणड स काम नही मनकलता तो मफर उागली टढ़ी भी की जाती ह व दो रप ह शकर और पावाती आमद शमि चामडा का रप धारण करती ह और शकर परलयकर रप धारण करत ह वह राम (शकर) वाली आतमा सहयोमगनी शमि दवारा परलय मचाती ह शमि का रप धारण मकए बगर रावण कमभकरण मघनाद जस असर पररवतान नही हो सकत इन बराहमणो क अनदर जयादा स जयादा तादाद म ऐस आसरी ततव घस गए जो रावण कमभकरण मघनाद का पाटा बजात ह उनको सधारन क मलए जञान बाण मारन वाली राम की आतमा तयार होती ह बाण कोई दसर नही ह परममपता परमातमा न आकर राम क मख दवारा उनक मलए जो तीखी बात बोली ह उन बातो का अरा ही जञान बाणो का काम करती ह हमको तो व महावाकय पयार लगत ह लमकन उस तरह की जो आसरी बराहमण आतमाएा पररवार म घसी हई ह उनको व बाण लगत ह उनको घाव पदा कर दत ह तो इस तरीक स य जो लव और लॉ क दो रप ह उनम यह तीसरा रप समाया हआ ह जो बरहमा-सरसवती शकर और पावाती रपी चार आतमाओ का समममशरण ही lsquoमवषणrsquo

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कहा जाता ह बाकी ऐसा कोई वयमि ससार म कभी हआ नही ह जो चार भजाओ का रहा हो या 10 मसर का रावण रहा हो 10 मसर क रावण का मतलब ह मक दसो धमा ममल करक ससार म परजाततर राजय का ऐसा बकायद सगठन बनात ह मजसस सारी दमनया मवनाश क कगार पर खड़ी हो जाती ह बाकी परममपता परमातमा न तो आकर राजयोग मसखाकर कायदमसर दवी राजाओ का राजय सरापन मकया रा

परममपता परमातमा जो सकल खोलत ह सदगर कह जात ह तो ज़रर व ऐसी ईशवरीय यमनवमसाटी का वाइस चानसलर बनत होग जहाा व कोई माला रपी सगठन की बड़ी-2 पदमवयाा दकर जात हो दश-मवदश म जनम-जनमातर क जो राजाएा बन ह उन राजाओ को राजाई करन की मवदया उनहोन मसखाई री उसको lsquoराजयोगrsquo कहा जाता ह वह राजयोग परममपता परमातमा गीता जञान क दवारा अभी मसखा रह ह जनम-जनमातर का राजा बना रह ह लौमकक बाप जो होत ह व तो एक जनम की परामपत करात ह वसाा दत ह लमकन यह पारलौमकक बाप जब समि पर आत ह तो अपन आतमा रपी बचचो को अनक जनमो की राजाई दकर जात ह वह अनक जनमो की राजाई अभी दी जा रही ह ससार म अभी कछ ही वरो म ऐसी 108 शरषठ आतमाएा परतयकष होन वाली ह जो सार ससार म तहलकाखलबली मचाएागी और सार ससार की धमा सरता व राजय सरता दोनो की बागडोर अपन हार म ल लगी यही 108 शरषठ आतमाएा आज भी सभी धमो म माला क रप म समरण की जाती ह

जब सारी दमनया माया क पज म फा स जाती ह तब व जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आत ह माया का पजा कोई सतरी नही ह काम करोध लोभ मोह अहकार- य पााच मवकार मनषय क अनदर भर हए ह उन पााचो मवकारो म सारी दमनया जकड़ गई ह आज एक भी मनषय ऐसा नही ह जो इन पााचो मवकारो की जकड़ स बाहर हो जब सारी समि की ऐसी अतयमधक बदतर हालत हो जाती ह तब परममपता परमातमा मशव आत ह मजसकी यादगार म यह lsquoमहामशवरामतरrsquo मनाई जाती ह इस महामशवरामतर म जब परममपता परमातमा मशव आत ह तो दमनया म चारो तरफ अनक धमा फल हए होत ह उन धमो म धमा क नाम पर मवतडावाद जयादा ह जञान कछ भी नही ह जञान क नाम पर अजञान-ही-अजञान सनाया जाता ह और पस व मदखाव को जयादा महतव मदया जाता ह जो धमा की सरापना का काया ह धारणा की बात ह व न क बराबर होती ह तब जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आकर उस अजञान अधकार का मवचछदन करत ह इसमलए उसकी यादगार म भारतवरा म माघ मास को अधारामतर म महामशवरामतर मनाई जाती ह जब आम खरी मास होता ह समि का आम खरी टाइम होता ह कमलयग का अनत होना होता ह तब दमनया म अजञान अधकार चारो तरफ फला रहता ह जस शमिमान सीररयल म आता ह- lsquoअधरा कायम रहगाrsquo असर तो यही चाहत ह मक अधरा कायम रह दमनया अजञान म रह और हम अपना आसरी काम बनाएा तो य काम करोध लोभ मोह अहकार ह असर मजनका ममखया ह काम मवकार उस काम मवकार को परममपता परमातमा आकर सबस पहल शकर क चोल क दवारा भसम करात ह हमन समझ मलया मक काम मवकार कोई दवता का रप होगा उसको lsquoकामदवrsquo नाम द मदया लमकन वासतव म वह कोई अलग स दवता नही होता यह हमार अनदर की ही कपरवमरत कमज़ोरी व मवकमत ह जो उस शकर दव न पहल भसम कर दी भसम करन वालो म नमबरवार होत ह लमकन जो उसको सबस पहल भसम कर लता ह वह बात शकर क मलए मदखात ह उनका जञान का तीसरा नतर खला और काम मवकार भसम हो गया वह कोई बाहर का काम मवकार रोड़ ही रा यह तो अदर की चीज़ री जो उनहोन भसम कर दी नि कर दी जब ममखया भसम होगा तो बाकी य जो चार चोर-डकत ह व तो अपन आप ही भाग जाएाग

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वितर न 5 (विि और िकर)- यहाा मदखाया गया ह मक वासतव म मशव अलग स परममपता ह और शकर अलग आतमा ह गलती क कारण दोनो को ममलाकर एक कर मदया लमकन गलती भी नही ह वासतव म वह हमारी बसमझी हो गई यह बसमझी होन क कारण ही बरहमाकमार-कमाररयाा भी उस बसमझी म फा स हए ह कया बसमझी हो गई मक व सपरीम सोल मशव मनराकार जयोमतमबिद जब इस समि पर आत ह तो इस समि पर आकर मकसी जनसाधारण को ज़रर आप समान बनाएाग व पढ़ाई पढ़ाएाग टीचर का कोई तो सटडट ऐसा मनकलगा जो उनकी परी 100 परसट पढ़ाई को धारण कर ल तो व मनराकार जयोमतमबिद मशव आकर इस शकर क सवरप दवारा ससार म परतयकष होत ह और इस तरह दोनो का तादातमय हो जाता ह आप दखग कोई यह नही कहता ह मक मशव-बरहमा एक ह मशव क सार बरहमा का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार मवषण का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार शकर का ही नाम कयो जड़ता ह इसमलए जड़ता ह मक शकर मशव की याद म इतना तकलीन हो जात ह मक उनको अपन म समामहत कर लत ह अराात बाप समान बन जात ह तो वह समामहत करन की जो मसरमत ह वह lsquoमशव-शकर एक हrsquo- यह मसरमत ससार म परमसि होती ह वासतव म दोनो आतमाएा अलग-2 ह य सपरीम सोल मशव जनम-मरण क चकर म कभी आत ही नही इसमलए lsquoमशवमलगrsquo कहा जाता ह lsquoशकर मलगrsquo नही कहा जाता lsquoमशवरामतरrsquo कही जाती ह lsquoशकर रामतरrsquo नही कही जाती मशव ऐसी चीज़ ह जो मक पाप और पणय स हमशा पर ह और जो दहधारी ह व पाप-पणय क अदर फा सत ह

अब आप दमखए शकर धयान म बठ ह अगर य खद ही परममपता परमातमा का रप होत सपरीम सोल होत तो य मकसका धयान कर रह ह आप परान-2 ममदरो म जाइए आप दखग बीच म मखय सरान पर मशवमलग ह और आस-पास सभी दवताओ क सार शकर की भी ममता रखी हई होती ह इसस कया सामबत हआ मक और मजतन दवताएा ह उन 33 करोड़ दवताओ क बीच म शकर दव-दव महादव तो ज़रर ह लमकन व परममपता परमातमा नही ह व भी उनकी उपासना म सामन बठ हए ह मकसक सामन मशवमलग क सामन तो मनराकार की यादगार मलग रप मशव जयोमतमबिद सपरीम सोल ह और य शकर हीरो पाटाधारी इस समि-रपी रगमच क नायक ह जञानीजनो दवारा जयोमतमबिद मशव को मसफा याद मकया जा सकता ह और भमिमागा म उनका मकरार रर शकर ही मनराकारी सटज म मसरर हो जान कारण बड़ मलग रप म पजा जाता ह

वितर न 6 (पररवपतम पररमतरम सिावयमपी नही)- यहाा यह बताया गया ह मक ईशवर जब समि पर आएाग तो जञान का कोई-न-कोई ऐसा नया पवाइट ज़रर बताएाग मजसम सारी दमनया भरममत हई पड़ी हो ऐसी नई बात ज़रर सनाएाग मजस सारी दमनया न जानती हो बमकक मवपरीत बात ही जानती हो वह बात यह ह मक जब दमनया म चारो तरफ भगवान को ढाढ़ा और कही नही ममला तो लोगो न उनक मलए कहना शर कर मदया- lsquoव तो सवावयापी ह जर-2 म भगवान ह कण-2 म भगवान ह जहाा दखो वहाा भगवान हrsquo लमकन वासतव म गीता का एक शलोक ही इस बात क मलए काफी ह मक lsquolsquoतद धाम परम ममrsquorsquo (कपया गीता का शलोक 156 दमखए) अराात म वहाा परमधाम का रहन वाला ह ा दमनया का सबस शरषठ गरनर गीता ह मजसकी सबस जयादा टीकाएा हई ह उसक एक शलोक म यह बात सामबत हो गई ह गीता म ही एक शबद आया ह lsquoमवभrsquo इस शबद का उनहोन इतना बड़ा अरा कर मदया मक ससार म चारो तरफ यही बात फली हई ह मक व सवावयापक ह वासतव म मवभ का अरा यह ह मक व मवशर रप स हर मनषय आतमा की

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बमि म lsquoभrsquo माना याद क रप म अपना सरान बना लत ह उसका उकटा अरा लगाकर उनहोन परममपता परमातमा को सवावयापी कह मदया

यहाा बात समझाई गई ह मक परममपता परमातमा वासतव म समि पर सवावयापी नही ह गीता और रामायण भी इस बात क परमाण ह गीता व रामायण म मलखा ह मक lsquolsquoजब-जब इस समि पर अधमा का बोलबाला होता ह तब-तब म आता ह ाrsquorsquo lsquoआता ह ाrsquo स सामबत ही हो गया मक व नही र तब तो आए नही तो उनको आन की कया दरकार री दसरी बात अभी-2 आपको गीता का जो शलोक बताया वह पकका सामबत कर रहा ह मक परममपता परमातमा का धाम नाम काम ऊा च त ऊा चा ह मजसका गायन भी ह- lsquoऊा चा तरा धाम ऊा चा तरा नाम

ऊा चा तरा कामrsquo धाम काम नाम- तीनो ही जब ऊा चा ह तो व ऊा चा ही बठग या नीच बठग इस दमनया का भी जो राजा होता ह वह भी ऊा ची गददी पर बठता ह तो हमन परममपता परमातमा को कण-2 म कयो ममला मदया

यहाा मचतर म मदखाया गया ह मक ऋमर ममन सनयासी भाव मवभोर होत ह तो खड़ताल बजाकर कहत ह- lsquoह परभ हम दशान दोrsquo परत जब परवचन करत ह तो कहत ह- lsquoपरमातमा सवावयापी ह आतमा सो परमातमा मशवोऽहम हम परमातमा क रप ह हम ही भगवान हrsquo तो यह बात तका सगत सामबत नही होती एक बात पर पकका रहना चामहए यह कया बात हई कीतान करन लग तो परभजी हम दशान दो अब दशान कहाा स द तमहार अदर जब खद ही भगवान बठ हए ह तम खद ही भगवान क रप हो यहाा यह मदखाया गया ह मक जो परवचन सनन वाल ह व मजस समय गरजी महाराज का परवचन सनत ह तब तो भाव मवभोर होकर कहत ह- lsquoहाा परमातमा सवावयापी ह बहत अचछा जञान सनायाrsquo घर म पहाचत ही भाई भाई की हतया करन लग अब उनह भाई-2 क अदर भगवान नही मदखाई मदए यह मवरोधाभास एकदम इतना कस पदा हो गया

वासतव म सबक अदर अपनी-2 मभनन ससकारो वाली आतमा होती ह परममपता परमातमा उन सबस सवारा अलग ह अपनी भारतीय परमपरा म शकराचाया की मरोलोजी अलग ह और माधवाचाया की मरोलोजी अलग ह माधवाचाया की गीता म बताया गया ह मक lsquoआतमा सब अलग-2 ह और परमातमा उनस अलगrsquo जबमक शकराचाया की गीता म बताया गया ह- lsquoसवि खल इद बरहमrsquo अराात इस दमनया म जो कछ भी दखन म आ रहा ह व सब भगवान का रप ह माधवाचाया न बताया मक lsquoहर आतमा म अलग-2 ससकार हrsquo य आतमाएा गभा म जब शरीर धारण करगी तो य अपना अलग-2 पाटा ही बजाएागी इनका पाटा दसरी आतमा स ममल नही सकता हम हमशा शासतरो म यह ममसाल दत आए ह मक हम सब आतमाएा सागर म बदबदा ह बदबद सब सागर म समा जात ह मान हम उस सागर का अश ह यही कहा ना लमकन हम एक बात भल गए अगर हम बदबद ह हम सागर का अश ह तो सागर म स जो चकल भर पानी हमन ल मलया उसम जो खारपन का गण होगा वही सागर क पानी म भी होना चामहए ना यह पानी हमन पनः उसम ममला मदया दोनो का गण अभी भी एक ही ह लमकन हम सबक अदर य अलग-2 ससकार कस ह यह अलगाव कहाा स आ गया और जनम-जनमातर स यह अलगाव चलता चला आ रहा ह दसरी बात इसका एक और पररहारमनवारण ह- आपन कभी चाहा ह मक हमारी आतमा का जो अमसततव ह वह हमशा क मलए खतम हो जाए कोई चाहता ह अगर हमारी आतमा उस सपरीम सोल मशव म जाकर लीन हो जाए सागर म चकल भर पानी ममला मदया गया तो उसका अमसततव हमशा क मलए खतम हो जाएगा मफर शासतरो म यह बात कहाा स आई- lsquolsquoककप-2 लमग परभ अवतारा जब-2 तरतायग होता ह तब-2 राम का अवतार होता हrsquorsquo

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अजर-अमर तो सभी आतमाएा ह वह बात तो ठीक ह वह एक अलग बात उनका अमसततव उनका ससकार सब अलग-2 ह लमकन हर आतमा का अनक जनमो का जो पाटा ह वह उस जयोमतमबानद रपी आतमा क टप ररकॉडार म भरा हआ ह इस समि-रपी रगमच पर जब कोई भी आतमा उतरगी तो सतयग क आमद स लकर कमलयग क अत तक वह उतन ही जनम लगी मजतना पहल चतयागी म मलया रा अगर राम की आतमा होगी तो हर तरतायग म राम क रप म ही जनम लगी lsquoह कषण नारायणrsquo की आतमा होगी तो वह हर सतयग क आमद म नारायण क रप म ही राजय करगी इस तरह हर जनम म आतमा का शरीर रपी चोला बदलन का पाटा मनमित ह हर 5000 वरा क बाद वह जयो का तयो पनरावतान होता ह

हर आतमा सो परमातमा नही ह सपरीम सोल मशव हमशा अलग ह अगर व भी जनम-मरण क चकर म आन लग तो हमको छड़ान वाला कोई भी नही रहगा उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही की जा सकती कोई आतमा हीरो-हीरोइन पाटाधारी बन सकती ह मवलन व साधारण आतमा का पाटा बजा सकती ह लमकन सपरीम सोल मशव जसा पाटा मकसी का नही ह उनका तो तररया पाटा ह व बार-2 इस समि पर आत भी नही जसा शासतर म मलख मदया ह- lsquoसमभवामम यग-यगrsquo अराात म हर यग म आता ह ा अर हर यग म आत तो दवापर क अत म जब महाभारत यि कराया कषण क रप म परममपता परमातमा आए तो कया पापी कमलयग की सरापना करन क मलए आए र उनको हर यग म आन की कया ज़ररत ह साधारण बाप होता ह वह भी बचचो क मलए मकान तब तयार करता ह जब मकान पराना हो जाता ह उस परान मकान स काम नही चलता जब तक काम चल सकता ह तब तक मरममत कराता रहता ह इस समि-रपी मकान की भी यही हालत ह इबराहीम बि कराइसट गरनानक आमद य धमामपताएा आकर समि की जगह-2 मरममत करत रह मकसी न अरब दश म आकर मरममत की मकसी न यरोपीय दशो म की मकसी न चीन-जापान म की नया मकान तो मकसी न नही बनाया नई समि तो नही बनाई यह मरममत मकतन मदन चलगी कछ समय तक उन धमो का परभाव रहता ह मफर वह खलास आखरीन तो मफर भी उसी सपरीम सोल मशव बाप को जो धमामपताओ क भी बाप ह बापो क भी बाप ह इस समि पर उतरना ही पड़ता ह व आकर इस समि का आमल-चल पररवतान कर दत ह तो व सवावयापी नही ह व तो इस समि पर मकरार रप स हीरो पाटाधारी म परवश करक पाटा बजात ह

आपन lsquoजीज़सrsquo वा lsquoकराइसटrsquo का नाम सना आमखर य दो नाम कयो मकरमियनस लोग मानत ह मक वह वयमि

जो पहल खयामतपरापत नही रा उसका नाम lsquoजीज़सrsquo रा मफर जब खयामतपरापत हो गया तब उसका नाम lsquoकराइसटrsquo पड़ गया इसका रहसय कोई नही जानता यह रहसय परममपता परमातमा मशव आकर बता रह ह मक कोई भी नई आतमा ऊपर स उतरती ह तो मजसम भी परवश करती ह उसका नाम बदल दती ह जस पहल lsquoनरनदरrsquo नाम रा बाद म lsquoमववकाननदrsquo नाम पड़ गया आचाया रजनीश का भी ऐस ही हआ ह पहल यह एक साधारण लकचरर र जब आतमा न परवश मकया तो lsquoआचाया रजनीशrsquo नाम पड़ गया तो हर आतमा जो ऊपर स नीच उतरती ह वह मजसम परवश करती ह उसको कनवटा करक अपन धमा म खीच ल जाती ह और वह आधारमता मजसम परवश मकया वह भारत की ही सनातन धमा की आतमा होती ह ऐस ही दसर-2 धमो म कनवशान या पररवतान हआ भारतवामसयो स ही कनवटा होकर दसर-2 धमा पनप ह और वमि को पाए ह कहन का मतलब यह हआ मक उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही हो सकती हम आतमाओ क मकाबल व हमशा तरीया ह व तो सख भी नही भोगत तो दःख भी नही भोगत व सख-दःख स हमशा ही पर रहन वाल ह हाा यह बात ज़रर ह मक जब व इस समि पर आकर राजयोग मसखात ह तो ऐसी पढ़ाई पढ़ात

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ह मक हम आतमाएा नवार पररारा अनसार इस सटज को परापत कर मक इस समि पर रहत हए भी दःख-सख म रहत हए भी अपनी ऐसी अवसरा बना ल मक दःख क समय हम दःखी न हो और सख क समय हम बहत जयादा परसनन न हो मजसका नाम गीता म lsquoमसरतपरजञrsquo मदया गया ह लमकन हमारी वह अवसरा हमशा क मलए नही रहगी परनत उस मशव की हमशा क मलए रहगी वह सपरीम सोल ह तो मफर आतमा-परमातमा एक कहाा हए

परमातमा सवावयापी कहाा हए सपरीम सोल मशव तो हमशा अलग ही हए

मशव की तलना ऊा च त ऊा च मतरदवो स भी नही की जा सकती इन मतरदवो की यादगार म lsquolsquoझणडा ऊा चा रह हमारा मवजयी मवशव मतरगा पयारा मवशव मवजय करक मदखलावrsquorsquo- यह बोलत तो ह लमकन यह नही जानत ह मक व तीन शरीर रपी वसतर कौन-स ह मजन वसतरो न सार मवशव म तहलकाखलबली मचाई री सार मवशव म मवजय करक मदखलाई री वासतव म व शरीर रपी वसतर lsquoबरहमा मवषण शकरrsquo- य तीन ही ह उनक सकतक रग भी वस ही मदखाए गए ह ऊपर वाला कसररया रग ह शकर- करामत का सचक बीच वाला सफद वसतर सतवगणी मवषण का सचक ह नीच वाला हरा वसतर बरहमा का सचक ह जस गााधीजी कहत रह- lsquoरामराजय आएगा रामराजय आएगाrsquo

बमकक और ही रावण राजय आ गया ऐस ही बरहमा बाबा हमशा मचकलात रह- lsquoरामराजय लाएाग सवगा आएगा

वकणठ आएगा और सवगा आन ही वाला हrsquo अब उस सवगा की जगह बरहमाकमारी आशरमो म रौरव नका बन रहा ह

इसमलए बरहमा की ममतायाा ममदर व पजा नही होती कयोमक तराकमरत बरहमाकमार-कमाररयो न ही बरहमा की दाढ़ी की लाज नही रखी जबमक शकर और मवषण क ममदर और ममतायाा बनाकर आज सार भारतवरा म पजा की जा रही ह

वितर न 7 (सहज रमजयोग)- ससार म अनक परकार क योग परमसि ह जस- भमियोग कमायोग जञानयोग हठयोग राजयोग आमद मकत योग क इन सभी परकारो म सहज राजयोग शरषठामतशरषठ ह योग का अरा ह- समबध या ममलन आजकल योग का तातपया योगासन या हठयोग समझ मलया जाता ह मकनत योगासन स शारीररक सवासथय और कछ सीमा तक मानमसक सवासथय ममल सकता ह लमकन समपणा सख-शामत की परामपत तो कवल राजयोग दवारा ही हो सकती ह

lsquoराजयोगrsquo का अरा ह राजाओ का राजा बनान वाला योग या रहसय भरा योग मनषयातमाएा कई जनमो स दह-अमभमान क दलदल म फा सकर मवनाशी दहधाररयो स योग लगाती आई ह मकत जस तााब वाल दो तारो को जोड़न स उसम मबजली परवामहत होती ह परत रबड़ चढ़ हए तााब क तारो स मबजली का करट नही लगता उसी परकार दह-अमभमानी दहधाररयो स समबध रखन पर अमवनाशी सख-शामत की परामपत नही हो सकती परममपता परमातमा मशव तो इस योग भी नही अमपत सरल शबद म lsquoयादrsquo कहत ह याद करना एक सवाभामवक सरल एव मनरतर परमकरया ह जबमक योग स मकसी मवशर परयास का बोध होता ह जस परममपता परमातमा शरीर म रहत हए भी उसक भान स नयार ह अराात मवदही रहत ह उसी परकार हम भी सवय को अमवनाशी आतमा (न मक परकमत क 5 ततवो स बना दह) समझकर परजामपता बरहमा क दवारा परममपता परमातमा को याद करना ह हमारी दमि म मशव रहना चामहए मातर शव अराात दह नही अतः भगवान को न तो मसफा साकार रप म न तो मसफा मनराकार रप म बमकक भलीभाामत पहचानकर साकार शरीर म परमवि मनराकार को याद करना ह यही ह सचचा राजयोग

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मन वचन एव कमा की पमवतरता परममपता परमातमा स सचचा सनह मदवय गणो की धारणा ईशवरीय जञान शि अनन तरा सचच बराहमणो का सग करन पर आतमा दह-अमभमान दवारा उतपनन पााच मवकारो अराात काम करोध लोभ मोह

अहकार स ममि पाकर अपन मल सवरप अराात सवागण समपनन सवरप म मसरत हो सकती ह परभ को याद करन क मलए अमतवला या बरहममह ता का समय सबस शरषठ ह कयोमक उस समय वातावरण शात तरा शि रहता ह और मन भी जागरत एव परशात होता ह राजयोग क मनतय अभयास स आतमा म पमवतरता शामत धया मनभायता नमरता-जस गणो की धारणा होती ह सार ही आतमा को वयरा मवचारो क फलाव को समटन की शमि सहनशमि समान की शमि अचछ-बर को परखन की शमि सही मनणाय लन की शमि समसयाओ का सामना करन की शमि मवमभनन ससकार वाल मनषयो क सार सहयोग करन की शमि तरा मवसतार को सकीणा करन की शमि आमद आतमा की अि शमियाा परापत होती ह

राजयोग क मनरतर एव दढ़ अभयास स आतमा अपन आमद मधय एव अत की कहानी को तरा इस मवशव म अपन अमदवतीय अनक जनमो क पाटा को जान सकती ह और अपन घर बठ मवशव की आतमाओ को भी शामत एव सख का दान द सकती ह इस परकार हम सव-पररवतान क सार-2 मवशव-पररवतान भी कर सकत ह

बरहमाकमारी मवदयालय (बरमव) और आधयामतमक मवदयालय (आमव) की मशकषाओ म अतर-

बरहमाकमारी मवदयालय शासतरो को मानयता नही दता ह आधयामतमक मवदयालय ईशवरीय वाणी क आधार पर शासतरो को मानयता दता ह

बरमव कषण उफा बरहमा को ही एकमातर गीता का साकार भगवान मानता ह जबमक मख स कहता ह मक कषण गीता क भगवान नही ह

आमव मनराकारी सटज वाल साकार मशव-शकर को परमकटकल म गीता का भगवान मानता ह कषण उफा बरहमा क साकार रप दादा लखराज को गीता का भगवान नही मानता बरमव बरहमा-मवषण-शकर क साकार मचतर तो छपाता ह परत मसफा बरहमा क परमकटकल साकार रप को ही मानयता दता ह मवषण और शकर को इस दमनया स ही उड़ा दता ह जबमक शासतरो व दमनया म भी बरहमा क ममदर ममतायाा और पजा नही मदखाई ह बरहमाकमारी मवदयालय मशव-शकर को तो अलग-2 कहता ह लमकन यह नही बताता मक शासतरो म मशव-शकर को कयो ममला मदया मशव को बरहमा मवषण अरवा अनयानय 33 करोड़ दवताओ क सार कयो नही ममलाया और शकर को ही महादव कयो कहा ह

आमव म उपरोि परशनो का सटीक जवाब ह और तीनो दवताओ क साकार परमकटकल पाटा की सपिता भी ह

बरमव मसफा बरहमा (बरहम+माा) बड़ी माा को ही भगवान का साकार रप मानता ह और अपन को मसफा बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

आमव माा और बाप (परजामपता+बरहमा = एडम और ईव) दोनो को साकार रप म मानता ह और अपन को परजामपता बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

बरमव जञान-योग का मवजञापन करता ह जस- परोजकटर परदशानी पमबलक भारण कॉनर स मल सममलन ररयातरा

मनषयकत सामहतय आमद

आमव मकसी परकार क मवजञापन म मवशवास नही करता

बरमव मसफा मतय क बाद ही ममि-जीवनममि रपी ईशवरीय वस को जीवन का लकषय मानता ह

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आमव जीवन रहत ही लोक और परलोक सावारन का पररारा कराता ह अराात इसी जनम म नर स नारायण और नारी स लकषमी बनान का परम परमसि गीता वमणात उपदश दता ह

बरमव महल मामड़याा अटाररयाा बनाकर 36 परकार क भोग खान म और मसफा झकाझक शवत वसतर पहनन म अपन को शरषठ मानकर चलता ह आमव रहन सहन खान पान पहनाव म सादगी को ही शरषठ मानकर चलता ह बरमव म चदा माागकर वयमिगत वभव और मान-शान बढ़ाना आम बात ह

आमव मकसी परकार क चदा आमद lsquoमाागन स मरना भलाrsquo समझता ह

बरमव मसफा कहता ह मक हम एक धमा एक राजय एक कल एक मत की सरापना करग परत चलन म परा ही मवरोधाभास दखन म आता ह आमव क सदसय परमकटकल म आए हए एकमातर ईशवर की ही शरषठ मत को मानत हए ईशवरीय धारणाओ कायद

कानन को मानन क सार-2 नमबरवार अपन-2 पररारा अनसार चलन का परयास भी करत ह

सममपात बरक परायः सनयामसयो की तरह मठ-पर बनाकर जीवन चलाती ह

आमव क सममपात या गर सममपात सभी सदसय गहसरी जीवन यापन करत ह कयोमक गीता क भगवान सवय बहद क गहसर म रहत हए गहसरी पाणडवो को ही राजयोग मसखात ह सनयामसयो (भीषम दरोणाचाया कपाचाया) को नही

भविषयिमणी

(यहाा उन लोगो की भमवषयवामणयो का वणान मकया गया ह मजनकी भमवषयवामणयाा आज तक सही सामबत हई) -

कमकक पराण - सवततरता क बाद भारत म एक ऐस महापरर का उदय होगा जो वजञामनको का भी वजञामनक होगा वह आतमा और परमातमा क रहसय को परगट करगा आतमजञान उसकी दन होगी उसकी वश-भरा साधारण होगी उसका सवासथय बालको जसा योिाओ की तरह साहसी अमशवनी कमारो की तरह वीर यवा व सनदर शासतरो का परकाणड पमणडत व मानवतावादी होगा उसका मपता ही उस योग साधना की ओर परररत करगा 24 वरा की आय म वह योग की उचच भममका म परवश करगा एणडरसन(अमररका) - अरब राषरो समहत ममसलम बहल राजयो म आपसी करामतयाा और भीरण रिपात होग इस बीच भारतवरा म जनम महापरर का परभाव व परमतषठा बढ़गी यह वयमि इमतहास का सवाशरषठ मसीहा होगा वह एक मानवीय समवधान का मनमााण करगा मजसस सार ससार की एक भारा एक सघीय राजय एक सवोचच नयायपामलका एक झणड की रप-रखा होगी

गरराडा कराईस(हॉलड) - भारत दश म एक ऐस महापरर का जनम हआ ह जो मवशव ककयाण की योजनाएा बनाएगा जलबणा - ससार क सबस समरा वयमि का अवतरण हो चका ह वह सारी दमनया को बदल दगा उसकी आधयामतमक करामत सार मवशव म छा जाएगी एक ओर सघरा होग दसरी ओर एक नई धाममाक करामत उठ खड़ी होगी जो आतमा और परमातमा क नए-2 रहसय को परगट करगी वह महापरर 1962 स पवा जनम ल चका ह उसक अनयायी एक समरा ससरा क रप म परगट होग और धीर-2 सार मवशव म अपना परभाव जमा लग असभव मदखन वाल काया को भी व लोग उस महापरर की कपा स बड़ी सरलता स सपनन करग

परोफसर कीरो - भारत का अभयदय एक सवोचच शमि क रप म हो जाएगा पर उसक मलए उस बहत कठोर सघरा करन पड़ग दखन म यह मसरमत अतयत किदायक होगी पर इस दश म एक फररशता आएगा जो हज़ारो छोट-2

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लोगो को इकटठा करक उनम इतनी आधयामतमक शमि भर दगा मक व लोग बड़-2 बमिजीमवयो की मानयता ममथया मसि कर दग गोपीनार शासतरी - अवतारी महापरर दवारा जबरदसत वचाररक करामत होगी मजसक फलसवरप मशकषण पिमत बदल जाएगी और ऐसी मशकषा का अमवषकार होगा जो वयमि को जीवन जीन की कला परदान करगी जबमक वतामान मशकषा परणाली कवल पट भरन तक ही सीममत ह कमरत आतमजञानहीन बमिजीमवयो स लोगो की घणा होगी और भगभा मवदया रसायन शासतर यतर मवदया खमनज धात चमबक मवदया आमद क नए कषतर की और मवजञान का मवसतार होगा मजसका नततव भारतवरा का एक ऐसा धाममाक सगठन करगा मजसका मागादशाक सवय भगवान होगा धाममाक आशरम जन जागमत क कनदर बनकर काया करग बमप क ितारमन समकमर पमटा क परवत परफ एि पररमणः-

बाप कहाा आत ह- यह भी नही जानत ह जब खद आकर बताव तब पता पड़ कहाा मलखा भी ह मक परमातमा मगधदश म आता ह(मता16876)

शासतरो म मगध दश मलखा ह परनत नॉलज कहाा मसखाई आब म कस आए मदलवाड़ा ममदर भी यहाा परा यादगार ह मजनहोन भी बनाया उनहो की बमि म आया और बठकर बनवाया एकयरट मॉडल तो बना न सक बाप यहाा ही आकर सवा की सदगमत करत ह मगध दश म नही (मता5989 प3 मधय) ऐस बहत बचच ह बाप को परा पहचानत नही ह बाप का अदब(सममान) नही रखत कयोमक बाप कहत ह म साधारण रप म आता ह ा म जो ह ा जसा ह ा मवरला कोई उस रहाब स चलत ह यहाा तो बहत साधारण ह ना ह मकतनी बड़ी असामी आग चल वह भी पहचानग ऐस बाबा को हमन फारकती द दी तकदीर को लकीर लगा दी यह पीछ होगा अभी तो बहत साधारण ह रर ह गपत गपत होन कारण परा पहचान नही सकत ह परा पहचान ल तो कह- बाबा आपक मसवाए दमनया म ह ही कया कोई सदगमत कर न सक (मता151175 प1 आमअ)

यादव और कौरव पास मकतन महल ह तम बचचो को कछ भी नही तीन पर पथवी क भी तमहार नही सब उनहो का ह यह भी गाया हआ ह- मजनको तीन पर पथवी क भी नही ममलत र उनहो की मवजय हई और वह मवशव क मामलक बन गए पाणडव शमिसना गपत ह शासतरो म भी मदखात ह जआ खलत पाणडवो का राजय रा मफर जआ म हराया (म10678 प1 म) भगवान खद कहत ह मझ गाली खानी पड़ती ह सबस जासती गाली म ही खाता ह ा भमिमागा म भी गाली ही दत ह 3 पर पथवी क भी नही ममलत ह मफर भी मकतनी मनरहकारीपन स पाटा बजा रह ह (म6387 प3 अत) बहद का बाप पढ़ात ह परनत बाप ह साधारण तन म पढ़ात भी साधारण रीमत ह इसमलए मनषयो को जाचता नही ह- गॉड फादरली यमनवमसाटी मफर ऐसी होगी बाप कहत ह म ह ा गरीब मनवाज़ गरीबो को ही पढ़ाता ह ा साह कार को ताकत नही पढ़न की उनहो की बमि म तो महल-माड़ी ही होती ह (मता23489 प1 अत) भगवान एक ह उनको ही मात-मपता कहत ह वह आकर एडॉपट करत ह मकतनी गहय बात ह यह नया सकल ह नया पढ़ान वाला ह (मता251088 प3 आ)

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यह नॉलज ह यह ह नई बात नई दमनया क मलए भगवानवाच ह ना भगवान भी नया वाचय भी ह नई वह कहत ह कषण भगवानवाच तम कहत हो मशव भगवानवाच हरक की वाच अपनी-2 ह एक न ममल दसर स (मता15668 प3 आ)

किर वितर न 1 (वतररवता)-

lsquoमशवrsquo का अरा ह- lsquoककयाणकारीrsquo परममपता परमातमा का यह नाम इसमलए ह मक समि-चकर क अत म जब मनषयातमाएा तरा परकमत पमतत एव तमोपरधान बन जाती ह तो परमधाम मनवासी परममपता परमातमा मशव जयोमतमबानद मनषय शरीर का आधार लकर मनषयातमाओ और परकमत दोनो को पावन एव सतोपरधान बनात ह उनक इस कतावय की यादगार म ही मशवरामतर अराात परममपता क शबदो म मशवजयती का तयौहार मनाया जाता ह सपरीम सोल मशव मकसी परर क बीज स या माता क गभा स जनम नही लत व परजामपता दवारा मनषय-समि-रपी वकष क चतनय बीज ह और जनम-मरण तरा कमाबधन रमहत ह अतः व अपना कतावय करन क मलए मकसी साधारण वि मनषय क तन म मदवय परवश करत ह इस ही lsquoपरममपता परमातमा का मदवय अवतरणrsquo कहा जाता ह कयोमक उनका अपना शरीर नही होता ह उनका मदवय कतावय तीन चरणो म समपनन होता ह- सरापना मवनाश और पालना इन तीन कतावयो क मलए व अवयि मसरमत धारण करन वाली तीन साकार दवातमाओ का आधार लत ह व दवातमाएा ह- बरहमा शकर तरा मवषण मनषय-समि-रपी रगमच पर उनक मदवय अवतरण क बाद कौन-सी तीन आतमाएा बरहमा शकर एव मवषण क पातरो का अमभनय करती ह यह जानन क मलए हम सन 1936-37 म परममपता परमातमा क अवतरण स लकर अब तक की घटनाओ को जानना ज़ररी ह

परममपता परमातमा का यह काया सन 193637 म पामकसतान क मसध हदराबाद शहर स परारमभ हआ जब उनहोन दादा लखराज नामक एक मवखयात हीरो क वयापारी को मवषण चतभाज नका की परानी दमनया क मवनाश और सवगा की नई दमनया की सरापना का साकषातकार कराया मकनत व उन मदवय साकषातकारो का अरा समझ न पाए उनहोन अपन गरओ स इसका अरा पछा मकनत भगवान की लीला व दहधारी गर लोग कया समझ मफर व (दादा लखराज) वाराणसी क परकाणड पमणडतो स इसका समाधान पान क मलए गए मकत उनह वहाा भी मनराशा ही हार लगी वहाा भी उनह साकषातकार होत रह मजसकी तसवीर व गगा क घाटो पर बनी दीवारो पर बनात रहत र जब कोई भी उनकी समसया का समाधान न कर सका तो उनह कलकरता म रहन वाल अपन भागीदार (सवकराम) की याद आई उस भागीदार की मनषठा व ईमानदारी स परभामवत होकर ही उनहोन उस अपनी कलकरता मसरत हीरो की दकान की मज़ममवारी सौपी री

अतः दादा लखराज कलकरता गए मकत सीध उस भागीदार को अपन साकषातकारो का वणान करन क बजाय उनहोन अपनी नज़दीकी सबध की माता (अराात छोटी माता) को सनाया और उस माता न दसरी माता को सनाया जो बोलन सनन सनान म मसिहसत री बाद म जब सनन-सनान म मसिहसत माता न परजामपता (भागीदार) को सनाया उसी समय जयोमतमबद परममपता परमातमा मशव न उसी माता और परजामपता (भागीदार) म सार-ही-सार परवश कर मलया और इस परकार उस मसिहसत माता दवारा साकषातकारो का वणान सनन-सनान की परमकरया दवारा lsquoभमिमागाrsquo की तरा भागीदार दवारा जञान समझन-समझान की परमकरया दवारा lsquoजञानमागाrsquo की नीव पड़ गई

इस परकार चामक परममपता मशव न सवापररम उन दोनो माताओ क समकष भागीदार म परवश कर मवशव पररवतान का काया आरमभ मकया इसमलए व मशव जयोमतमबानद ही भमवषय म बरहमा शकर और मवषण- इन मतरदवो दवारा ससार म मतरममता मशव क नाम स परमसि होत ह

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 9: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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वह मनराकार जयोमत जब इस समि पर आती ह तो जो मवशर आतमाएा राम और कषण ह इन दो को चनकर समि क मवनाश और सरापना क काया म ममखया बनाती ह कषण की सोल आखरी जनम म दादा लखराज क रप म मसनध हदराबाद म जनम लती ह और उसम परममपता परमातमा मशव परवश करक पहल परतयकष lsquoबरहमाrsquo क रप म काया करत ह पयार का पाटा बजात ह आप कही भी मकसी भी बरहमाकमारी आशरम म जाएा तो आप कोई भी बरहमाकमार-कमारी स पमछए मक बाबा न कभी मकसी को टढ़ी नज़र स दखा या गलत कवचन कहा या कोई ऐसा ह मजसन बाबा क समपका म पहाचन क बाद यह अनभव मकया हो मक बरहमा बाबा न हमको दःख मदया

परतयक बरहमाकमार-कमारी यही कहगा मक बाबा भल 10 ममनट क मलए ममल हो परनत बाबा न हमको मजतना पयार मदया उतना दमनया म हम मकसी स अनभमत नही हई व र पयार की परमतममता बरहमा बाबा जस अभी भी टीवी म सीररयल आत ह आप दखत होग मक असरो न वरदान ल मलए ह असर लमकन मफर भी माा स वरदान ल मलया वासतव म वह एक रप मदखाया गया ह और इनक ठीक मवपरीत एक दसरा रप राम वाली आतमा ह मजसम कमलयग क अत म परममपता परमातमा परवश करक lsquoशकरrsquo क नाम-रप स परखयात होत ह दखो जस इन कषण का नाम-रप परखयात हआ ह lsquoबरहमाrsquo वस उन राम का नाम-रप परखयात होता ह lsquoशकरrsquo इन दोनो ही शमियो की सहयोगी शमि दो आतमाएा भी ह कषण की सहयोगी शमि ह lsquoराधाrsquo और राम की सहयोगी शमि ह lsquoसीताrsquo इनक वतामान रप क नाम पड़त ह बरहमा की सहयोगी शमि lsquoसरसवतीrsquo और शकर की सहयोगी शमि lsquoपावातीrsquo य वतामान सवरप क नाम ह जब कमलयगी दमनया समापत होती ह नई सतयगी समि रची जाती ह तो चारो आतमाओ क सवभाव-ससकार का समममशरण होता ह अभी तो हर घर म सतरी-परर क ससकार आपस म टकरात ह कोई घर ऐसा नही होगा मजसम ससकार टकराए नही लमकन सबस पहल एक ऐसी भी दमनया परममपता परमातमा न बनाई री मक पहल-2 चार आतमाओ क ससकार ममलकर एक हो गए र व य आतमाएा ह जो समि क हीरो-हीरोइन ह और इन आतमाओ का समममशरण मवषण की भजाओ क रप म मदखाया गया ह कहत ह ना lsquoमर भया न शरीर छोड़ मदया मरी दामहनी भजा टट गईrsquo तो दामहनी भजा रोड़ ही टट गई बमकक जो सहयोगी शमि ह वह चली गई

इसी तरह परममपता परमातमा क काया म दो दामहनी भजा क रप म सहयोगी बनत ह बरहमा-सरसवती मान कषण और राधा य कड़ा-कठोर रप कभी नही अपनात पररवतान क मलए इनहोन हमशा पयार का काम मकया इसमलए इनको परममपता परमातमा न राइट हणड क रप म सवीकार मकया लमकन जब राइट हणड स काम नही मनकलता तो मफर उागली टढ़ी भी की जाती ह व दो रप ह शकर और पावाती आमद शमि चामडा का रप धारण करती ह और शकर परलयकर रप धारण करत ह वह राम (शकर) वाली आतमा सहयोमगनी शमि दवारा परलय मचाती ह शमि का रप धारण मकए बगर रावण कमभकरण मघनाद जस असर पररवतान नही हो सकत इन बराहमणो क अनदर जयादा स जयादा तादाद म ऐस आसरी ततव घस गए जो रावण कमभकरण मघनाद का पाटा बजात ह उनको सधारन क मलए जञान बाण मारन वाली राम की आतमा तयार होती ह बाण कोई दसर नही ह परममपता परमातमा न आकर राम क मख दवारा उनक मलए जो तीखी बात बोली ह उन बातो का अरा ही जञान बाणो का काम करती ह हमको तो व महावाकय पयार लगत ह लमकन उस तरह की जो आसरी बराहमण आतमाएा पररवार म घसी हई ह उनको व बाण लगत ह उनको घाव पदा कर दत ह तो इस तरीक स य जो लव और लॉ क दो रप ह उनम यह तीसरा रप समाया हआ ह जो बरहमा-सरसवती शकर और पावाती रपी चार आतमाओ का समममशरण ही lsquoमवषणrsquo

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कहा जाता ह बाकी ऐसा कोई वयमि ससार म कभी हआ नही ह जो चार भजाओ का रहा हो या 10 मसर का रावण रहा हो 10 मसर क रावण का मतलब ह मक दसो धमा ममल करक ससार म परजाततर राजय का ऐसा बकायद सगठन बनात ह मजसस सारी दमनया मवनाश क कगार पर खड़ी हो जाती ह बाकी परममपता परमातमा न तो आकर राजयोग मसखाकर कायदमसर दवी राजाओ का राजय सरापन मकया रा

परममपता परमातमा जो सकल खोलत ह सदगर कह जात ह तो ज़रर व ऐसी ईशवरीय यमनवमसाटी का वाइस चानसलर बनत होग जहाा व कोई माला रपी सगठन की बड़ी-2 पदमवयाा दकर जात हो दश-मवदश म जनम-जनमातर क जो राजाएा बन ह उन राजाओ को राजाई करन की मवदया उनहोन मसखाई री उसको lsquoराजयोगrsquo कहा जाता ह वह राजयोग परममपता परमातमा गीता जञान क दवारा अभी मसखा रह ह जनम-जनमातर का राजा बना रह ह लौमकक बाप जो होत ह व तो एक जनम की परामपत करात ह वसाा दत ह लमकन यह पारलौमकक बाप जब समि पर आत ह तो अपन आतमा रपी बचचो को अनक जनमो की राजाई दकर जात ह वह अनक जनमो की राजाई अभी दी जा रही ह ससार म अभी कछ ही वरो म ऐसी 108 शरषठ आतमाएा परतयकष होन वाली ह जो सार ससार म तहलकाखलबली मचाएागी और सार ससार की धमा सरता व राजय सरता दोनो की बागडोर अपन हार म ल लगी यही 108 शरषठ आतमाएा आज भी सभी धमो म माला क रप म समरण की जाती ह

जब सारी दमनया माया क पज म फा स जाती ह तब व जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आत ह माया का पजा कोई सतरी नही ह काम करोध लोभ मोह अहकार- य पााच मवकार मनषय क अनदर भर हए ह उन पााचो मवकारो म सारी दमनया जकड़ गई ह आज एक भी मनषय ऐसा नही ह जो इन पााचो मवकारो की जकड़ स बाहर हो जब सारी समि की ऐसी अतयमधक बदतर हालत हो जाती ह तब परममपता परमातमा मशव आत ह मजसकी यादगार म यह lsquoमहामशवरामतरrsquo मनाई जाती ह इस महामशवरामतर म जब परममपता परमातमा मशव आत ह तो दमनया म चारो तरफ अनक धमा फल हए होत ह उन धमो म धमा क नाम पर मवतडावाद जयादा ह जञान कछ भी नही ह जञान क नाम पर अजञान-ही-अजञान सनाया जाता ह और पस व मदखाव को जयादा महतव मदया जाता ह जो धमा की सरापना का काया ह धारणा की बात ह व न क बराबर होती ह तब जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आकर उस अजञान अधकार का मवचछदन करत ह इसमलए उसकी यादगार म भारतवरा म माघ मास को अधारामतर म महामशवरामतर मनाई जाती ह जब आम खरी मास होता ह समि का आम खरी टाइम होता ह कमलयग का अनत होना होता ह तब दमनया म अजञान अधकार चारो तरफ फला रहता ह जस शमिमान सीररयल म आता ह- lsquoअधरा कायम रहगाrsquo असर तो यही चाहत ह मक अधरा कायम रह दमनया अजञान म रह और हम अपना आसरी काम बनाएा तो य काम करोध लोभ मोह अहकार ह असर मजनका ममखया ह काम मवकार उस काम मवकार को परममपता परमातमा आकर सबस पहल शकर क चोल क दवारा भसम करात ह हमन समझ मलया मक काम मवकार कोई दवता का रप होगा उसको lsquoकामदवrsquo नाम द मदया लमकन वासतव म वह कोई अलग स दवता नही होता यह हमार अनदर की ही कपरवमरत कमज़ोरी व मवकमत ह जो उस शकर दव न पहल भसम कर दी भसम करन वालो म नमबरवार होत ह लमकन जो उसको सबस पहल भसम कर लता ह वह बात शकर क मलए मदखात ह उनका जञान का तीसरा नतर खला और काम मवकार भसम हो गया वह कोई बाहर का काम मवकार रोड़ ही रा यह तो अदर की चीज़ री जो उनहोन भसम कर दी नि कर दी जब ममखया भसम होगा तो बाकी य जो चार चोर-डकत ह व तो अपन आप ही भाग जाएाग

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वितर न 5 (विि और िकर)- यहाा मदखाया गया ह मक वासतव म मशव अलग स परममपता ह और शकर अलग आतमा ह गलती क कारण दोनो को ममलाकर एक कर मदया लमकन गलती भी नही ह वासतव म वह हमारी बसमझी हो गई यह बसमझी होन क कारण ही बरहमाकमार-कमाररयाा भी उस बसमझी म फा स हए ह कया बसमझी हो गई मक व सपरीम सोल मशव मनराकार जयोमतमबिद जब इस समि पर आत ह तो इस समि पर आकर मकसी जनसाधारण को ज़रर आप समान बनाएाग व पढ़ाई पढ़ाएाग टीचर का कोई तो सटडट ऐसा मनकलगा जो उनकी परी 100 परसट पढ़ाई को धारण कर ल तो व मनराकार जयोमतमबिद मशव आकर इस शकर क सवरप दवारा ससार म परतयकष होत ह और इस तरह दोनो का तादातमय हो जाता ह आप दखग कोई यह नही कहता ह मक मशव-बरहमा एक ह मशव क सार बरहमा का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार मवषण का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार शकर का ही नाम कयो जड़ता ह इसमलए जड़ता ह मक शकर मशव की याद म इतना तकलीन हो जात ह मक उनको अपन म समामहत कर लत ह अराात बाप समान बन जात ह तो वह समामहत करन की जो मसरमत ह वह lsquoमशव-शकर एक हrsquo- यह मसरमत ससार म परमसि होती ह वासतव म दोनो आतमाएा अलग-2 ह य सपरीम सोल मशव जनम-मरण क चकर म कभी आत ही नही इसमलए lsquoमशवमलगrsquo कहा जाता ह lsquoशकर मलगrsquo नही कहा जाता lsquoमशवरामतरrsquo कही जाती ह lsquoशकर रामतरrsquo नही कही जाती मशव ऐसी चीज़ ह जो मक पाप और पणय स हमशा पर ह और जो दहधारी ह व पाप-पणय क अदर फा सत ह

अब आप दमखए शकर धयान म बठ ह अगर य खद ही परममपता परमातमा का रप होत सपरीम सोल होत तो य मकसका धयान कर रह ह आप परान-2 ममदरो म जाइए आप दखग बीच म मखय सरान पर मशवमलग ह और आस-पास सभी दवताओ क सार शकर की भी ममता रखी हई होती ह इसस कया सामबत हआ मक और मजतन दवताएा ह उन 33 करोड़ दवताओ क बीच म शकर दव-दव महादव तो ज़रर ह लमकन व परममपता परमातमा नही ह व भी उनकी उपासना म सामन बठ हए ह मकसक सामन मशवमलग क सामन तो मनराकार की यादगार मलग रप मशव जयोमतमबिद सपरीम सोल ह और य शकर हीरो पाटाधारी इस समि-रपी रगमच क नायक ह जञानीजनो दवारा जयोमतमबिद मशव को मसफा याद मकया जा सकता ह और भमिमागा म उनका मकरार रर शकर ही मनराकारी सटज म मसरर हो जान कारण बड़ मलग रप म पजा जाता ह

वितर न 6 (पररवपतम पररमतरम सिावयमपी नही)- यहाा यह बताया गया ह मक ईशवर जब समि पर आएाग तो जञान का कोई-न-कोई ऐसा नया पवाइट ज़रर बताएाग मजसम सारी दमनया भरममत हई पड़ी हो ऐसी नई बात ज़रर सनाएाग मजस सारी दमनया न जानती हो बमकक मवपरीत बात ही जानती हो वह बात यह ह मक जब दमनया म चारो तरफ भगवान को ढाढ़ा और कही नही ममला तो लोगो न उनक मलए कहना शर कर मदया- lsquoव तो सवावयापी ह जर-2 म भगवान ह कण-2 म भगवान ह जहाा दखो वहाा भगवान हrsquo लमकन वासतव म गीता का एक शलोक ही इस बात क मलए काफी ह मक lsquolsquoतद धाम परम ममrsquorsquo (कपया गीता का शलोक 156 दमखए) अराात म वहाा परमधाम का रहन वाला ह ा दमनया का सबस शरषठ गरनर गीता ह मजसकी सबस जयादा टीकाएा हई ह उसक एक शलोक म यह बात सामबत हो गई ह गीता म ही एक शबद आया ह lsquoमवभrsquo इस शबद का उनहोन इतना बड़ा अरा कर मदया मक ससार म चारो तरफ यही बात फली हई ह मक व सवावयापक ह वासतव म मवभ का अरा यह ह मक व मवशर रप स हर मनषय आतमा की

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बमि म lsquoभrsquo माना याद क रप म अपना सरान बना लत ह उसका उकटा अरा लगाकर उनहोन परममपता परमातमा को सवावयापी कह मदया

यहाा बात समझाई गई ह मक परममपता परमातमा वासतव म समि पर सवावयापी नही ह गीता और रामायण भी इस बात क परमाण ह गीता व रामायण म मलखा ह मक lsquolsquoजब-जब इस समि पर अधमा का बोलबाला होता ह तब-तब म आता ह ाrsquorsquo lsquoआता ह ाrsquo स सामबत ही हो गया मक व नही र तब तो आए नही तो उनको आन की कया दरकार री दसरी बात अभी-2 आपको गीता का जो शलोक बताया वह पकका सामबत कर रहा ह मक परममपता परमातमा का धाम नाम काम ऊा च त ऊा चा ह मजसका गायन भी ह- lsquoऊा चा तरा धाम ऊा चा तरा नाम

ऊा चा तरा कामrsquo धाम काम नाम- तीनो ही जब ऊा चा ह तो व ऊा चा ही बठग या नीच बठग इस दमनया का भी जो राजा होता ह वह भी ऊा ची गददी पर बठता ह तो हमन परममपता परमातमा को कण-2 म कयो ममला मदया

यहाा मचतर म मदखाया गया ह मक ऋमर ममन सनयासी भाव मवभोर होत ह तो खड़ताल बजाकर कहत ह- lsquoह परभ हम दशान दोrsquo परत जब परवचन करत ह तो कहत ह- lsquoपरमातमा सवावयापी ह आतमा सो परमातमा मशवोऽहम हम परमातमा क रप ह हम ही भगवान हrsquo तो यह बात तका सगत सामबत नही होती एक बात पर पकका रहना चामहए यह कया बात हई कीतान करन लग तो परभजी हम दशान दो अब दशान कहाा स द तमहार अदर जब खद ही भगवान बठ हए ह तम खद ही भगवान क रप हो यहाा यह मदखाया गया ह मक जो परवचन सनन वाल ह व मजस समय गरजी महाराज का परवचन सनत ह तब तो भाव मवभोर होकर कहत ह- lsquoहाा परमातमा सवावयापी ह बहत अचछा जञान सनायाrsquo घर म पहाचत ही भाई भाई की हतया करन लग अब उनह भाई-2 क अदर भगवान नही मदखाई मदए यह मवरोधाभास एकदम इतना कस पदा हो गया

वासतव म सबक अदर अपनी-2 मभनन ससकारो वाली आतमा होती ह परममपता परमातमा उन सबस सवारा अलग ह अपनी भारतीय परमपरा म शकराचाया की मरोलोजी अलग ह और माधवाचाया की मरोलोजी अलग ह माधवाचाया की गीता म बताया गया ह मक lsquoआतमा सब अलग-2 ह और परमातमा उनस अलगrsquo जबमक शकराचाया की गीता म बताया गया ह- lsquoसवि खल इद बरहमrsquo अराात इस दमनया म जो कछ भी दखन म आ रहा ह व सब भगवान का रप ह माधवाचाया न बताया मक lsquoहर आतमा म अलग-2 ससकार हrsquo य आतमाएा गभा म जब शरीर धारण करगी तो य अपना अलग-2 पाटा ही बजाएागी इनका पाटा दसरी आतमा स ममल नही सकता हम हमशा शासतरो म यह ममसाल दत आए ह मक हम सब आतमाएा सागर म बदबदा ह बदबद सब सागर म समा जात ह मान हम उस सागर का अश ह यही कहा ना लमकन हम एक बात भल गए अगर हम बदबद ह हम सागर का अश ह तो सागर म स जो चकल भर पानी हमन ल मलया उसम जो खारपन का गण होगा वही सागर क पानी म भी होना चामहए ना यह पानी हमन पनः उसम ममला मदया दोनो का गण अभी भी एक ही ह लमकन हम सबक अदर य अलग-2 ससकार कस ह यह अलगाव कहाा स आ गया और जनम-जनमातर स यह अलगाव चलता चला आ रहा ह दसरी बात इसका एक और पररहारमनवारण ह- आपन कभी चाहा ह मक हमारी आतमा का जो अमसततव ह वह हमशा क मलए खतम हो जाए कोई चाहता ह अगर हमारी आतमा उस सपरीम सोल मशव म जाकर लीन हो जाए सागर म चकल भर पानी ममला मदया गया तो उसका अमसततव हमशा क मलए खतम हो जाएगा मफर शासतरो म यह बात कहाा स आई- lsquolsquoककप-2 लमग परभ अवतारा जब-2 तरतायग होता ह तब-2 राम का अवतार होता हrsquorsquo

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अजर-अमर तो सभी आतमाएा ह वह बात तो ठीक ह वह एक अलग बात उनका अमसततव उनका ससकार सब अलग-2 ह लमकन हर आतमा का अनक जनमो का जो पाटा ह वह उस जयोमतमबानद रपी आतमा क टप ररकॉडार म भरा हआ ह इस समि-रपी रगमच पर जब कोई भी आतमा उतरगी तो सतयग क आमद स लकर कमलयग क अत तक वह उतन ही जनम लगी मजतना पहल चतयागी म मलया रा अगर राम की आतमा होगी तो हर तरतायग म राम क रप म ही जनम लगी lsquoह कषण नारायणrsquo की आतमा होगी तो वह हर सतयग क आमद म नारायण क रप म ही राजय करगी इस तरह हर जनम म आतमा का शरीर रपी चोला बदलन का पाटा मनमित ह हर 5000 वरा क बाद वह जयो का तयो पनरावतान होता ह

हर आतमा सो परमातमा नही ह सपरीम सोल मशव हमशा अलग ह अगर व भी जनम-मरण क चकर म आन लग तो हमको छड़ान वाला कोई भी नही रहगा उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही की जा सकती कोई आतमा हीरो-हीरोइन पाटाधारी बन सकती ह मवलन व साधारण आतमा का पाटा बजा सकती ह लमकन सपरीम सोल मशव जसा पाटा मकसी का नही ह उनका तो तररया पाटा ह व बार-2 इस समि पर आत भी नही जसा शासतर म मलख मदया ह- lsquoसमभवामम यग-यगrsquo अराात म हर यग म आता ह ा अर हर यग म आत तो दवापर क अत म जब महाभारत यि कराया कषण क रप म परममपता परमातमा आए तो कया पापी कमलयग की सरापना करन क मलए आए र उनको हर यग म आन की कया ज़ररत ह साधारण बाप होता ह वह भी बचचो क मलए मकान तब तयार करता ह जब मकान पराना हो जाता ह उस परान मकान स काम नही चलता जब तक काम चल सकता ह तब तक मरममत कराता रहता ह इस समि-रपी मकान की भी यही हालत ह इबराहीम बि कराइसट गरनानक आमद य धमामपताएा आकर समि की जगह-2 मरममत करत रह मकसी न अरब दश म आकर मरममत की मकसी न यरोपीय दशो म की मकसी न चीन-जापान म की नया मकान तो मकसी न नही बनाया नई समि तो नही बनाई यह मरममत मकतन मदन चलगी कछ समय तक उन धमो का परभाव रहता ह मफर वह खलास आखरीन तो मफर भी उसी सपरीम सोल मशव बाप को जो धमामपताओ क भी बाप ह बापो क भी बाप ह इस समि पर उतरना ही पड़ता ह व आकर इस समि का आमल-चल पररवतान कर दत ह तो व सवावयापी नही ह व तो इस समि पर मकरार रप स हीरो पाटाधारी म परवश करक पाटा बजात ह

आपन lsquoजीज़सrsquo वा lsquoकराइसटrsquo का नाम सना आमखर य दो नाम कयो मकरमियनस लोग मानत ह मक वह वयमि

जो पहल खयामतपरापत नही रा उसका नाम lsquoजीज़सrsquo रा मफर जब खयामतपरापत हो गया तब उसका नाम lsquoकराइसटrsquo पड़ गया इसका रहसय कोई नही जानता यह रहसय परममपता परमातमा मशव आकर बता रह ह मक कोई भी नई आतमा ऊपर स उतरती ह तो मजसम भी परवश करती ह उसका नाम बदल दती ह जस पहल lsquoनरनदरrsquo नाम रा बाद म lsquoमववकाननदrsquo नाम पड़ गया आचाया रजनीश का भी ऐस ही हआ ह पहल यह एक साधारण लकचरर र जब आतमा न परवश मकया तो lsquoआचाया रजनीशrsquo नाम पड़ गया तो हर आतमा जो ऊपर स नीच उतरती ह वह मजसम परवश करती ह उसको कनवटा करक अपन धमा म खीच ल जाती ह और वह आधारमता मजसम परवश मकया वह भारत की ही सनातन धमा की आतमा होती ह ऐस ही दसर-2 धमो म कनवशान या पररवतान हआ भारतवामसयो स ही कनवटा होकर दसर-2 धमा पनप ह और वमि को पाए ह कहन का मतलब यह हआ मक उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही हो सकती हम आतमाओ क मकाबल व हमशा तरीया ह व तो सख भी नही भोगत तो दःख भी नही भोगत व सख-दःख स हमशा ही पर रहन वाल ह हाा यह बात ज़रर ह मक जब व इस समि पर आकर राजयोग मसखात ह तो ऐसी पढ़ाई पढ़ात

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ह मक हम आतमाएा नवार पररारा अनसार इस सटज को परापत कर मक इस समि पर रहत हए भी दःख-सख म रहत हए भी अपनी ऐसी अवसरा बना ल मक दःख क समय हम दःखी न हो और सख क समय हम बहत जयादा परसनन न हो मजसका नाम गीता म lsquoमसरतपरजञrsquo मदया गया ह लमकन हमारी वह अवसरा हमशा क मलए नही रहगी परनत उस मशव की हमशा क मलए रहगी वह सपरीम सोल ह तो मफर आतमा-परमातमा एक कहाा हए

परमातमा सवावयापी कहाा हए सपरीम सोल मशव तो हमशा अलग ही हए

मशव की तलना ऊा च त ऊा च मतरदवो स भी नही की जा सकती इन मतरदवो की यादगार म lsquolsquoझणडा ऊा चा रह हमारा मवजयी मवशव मतरगा पयारा मवशव मवजय करक मदखलावrsquorsquo- यह बोलत तो ह लमकन यह नही जानत ह मक व तीन शरीर रपी वसतर कौन-स ह मजन वसतरो न सार मवशव म तहलकाखलबली मचाई री सार मवशव म मवजय करक मदखलाई री वासतव म व शरीर रपी वसतर lsquoबरहमा मवषण शकरrsquo- य तीन ही ह उनक सकतक रग भी वस ही मदखाए गए ह ऊपर वाला कसररया रग ह शकर- करामत का सचक बीच वाला सफद वसतर सतवगणी मवषण का सचक ह नीच वाला हरा वसतर बरहमा का सचक ह जस गााधीजी कहत रह- lsquoरामराजय आएगा रामराजय आएगाrsquo

बमकक और ही रावण राजय आ गया ऐस ही बरहमा बाबा हमशा मचकलात रह- lsquoरामराजय लाएाग सवगा आएगा

वकणठ आएगा और सवगा आन ही वाला हrsquo अब उस सवगा की जगह बरहमाकमारी आशरमो म रौरव नका बन रहा ह

इसमलए बरहमा की ममतायाा ममदर व पजा नही होती कयोमक तराकमरत बरहमाकमार-कमाररयो न ही बरहमा की दाढ़ी की लाज नही रखी जबमक शकर और मवषण क ममदर और ममतायाा बनाकर आज सार भारतवरा म पजा की जा रही ह

वितर न 7 (सहज रमजयोग)- ससार म अनक परकार क योग परमसि ह जस- भमियोग कमायोग जञानयोग हठयोग राजयोग आमद मकत योग क इन सभी परकारो म सहज राजयोग शरषठामतशरषठ ह योग का अरा ह- समबध या ममलन आजकल योग का तातपया योगासन या हठयोग समझ मलया जाता ह मकनत योगासन स शारीररक सवासथय और कछ सीमा तक मानमसक सवासथय ममल सकता ह लमकन समपणा सख-शामत की परामपत तो कवल राजयोग दवारा ही हो सकती ह

lsquoराजयोगrsquo का अरा ह राजाओ का राजा बनान वाला योग या रहसय भरा योग मनषयातमाएा कई जनमो स दह-अमभमान क दलदल म फा सकर मवनाशी दहधाररयो स योग लगाती आई ह मकत जस तााब वाल दो तारो को जोड़न स उसम मबजली परवामहत होती ह परत रबड़ चढ़ हए तााब क तारो स मबजली का करट नही लगता उसी परकार दह-अमभमानी दहधाररयो स समबध रखन पर अमवनाशी सख-शामत की परामपत नही हो सकती परममपता परमातमा मशव तो इस योग भी नही अमपत सरल शबद म lsquoयादrsquo कहत ह याद करना एक सवाभामवक सरल एव मनरतर परमकरया ह जबमक योग स मकसी मवशर परयास का बोध होता ह जस परममपता परमातमा शरीर म रहत हए भी उसक भान स नयार ह अराात मवदही रहत ह उसी परकार हम भी सवय को अमवनाशी आतमा (न मक परकमत क 5 ततवो स बना दह) समझकर परजामपता बरहमा क दवारा परममपता परमातमा को याद करना ह हमारी दमि म मशव रहना चामहए मातर शव अराात दह नही अतः भगवान को न तो मसफा साकार रप म न तो मसफा मनराकार रप म बमकक भलीभाामत पहचानकर साकार शरीर म परमवि मनराकार को याद करना ह यही ह सचचा राजयोग

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मन वचन एव कमा की पमवतरता परममपता परमातमा स सचचा सनह मदवय गणो की धारणा ईशवरीय जञान शि अनन तरा सचच बराहमणो का सग करन पर आतमा दह-अमभमान दवारा उतपनन पााच मवकारो अराात काम करोध लोभ मोह

अहकार स ममि पाकर अपन मल सवरप अराात सवागण समपनन सवरप म मसरत हो सकती ह परभ को याद करन क मलए अमतवला या बरहममह ता का समय सबस शरषठ ह कयोमक उस समय वातावरण शात तरा शि रहता ह और मन भी जागरत एव परशात होता ह राजयोग क मनतय अभयास स आतमा म पमवतरता शामत धया मनभायता नमरता-जस गणो की धारणा होती ह सार ही आतमा को वयरा मवचारो क फलाव को समटन की शमि सहनशमि समान की शमि अचछ-बर को परखन की शमि सही मनणाय लन की शमि समसयाओ का सामना करन की शमि मवमभनन ससकार वाल मनषयो क सार सहयोग करन की शमि तरा मवसतार को सकीणा करन की शमि आमद आतमा की अि शमियाा परापत होती ह

राजयोग क मनरतर एव दढ़ अभयास स आतमा अपन आमद मधय एव अत की कहानी को तरा इस मवशव म अपन अमदवतीय अनक जनमो क पाटा को जान सकती ह और अपन घर बठ मवशव की आतमाओ को भी शामत एव सख का दान द सकती ह इस परकार हम सव-पररवतान क सार-2 मवशव-पररवतान भी कर सकत ह

बरहमाकमारी मवदयालय (बरमव) और आधयामतमक मवदयालय (आमव) की मशकषाओ म अतर-

बरहमाकमारी मवदयालय शासतरो को मानयता नही दता ह आधयामतमक मवदयालय ईशवरीय वाणी क आधार पर शासतरो को मानयता दता ह

बरमव कषण उफा बरहमा को ही एकमातर गीता का साकार भगवान मानता ह जबमक मख स कहता ह मक कषण गीता क भगवान नही ह

आमव मनराकारी सटज वाल साकार मशव-शकर को परमकटकल म गीता का भगवान मानता ह कषण उफा बरहमा क साकार रप दादा लखराज को गीता का भगवान नही मानता बरमव बरहमा-मवषण-शकर क साकार मचतर तो छपाता ह परत मसफा बरहमा क परमकटकल साकार रप को ही मानयता दता ह मवषण और शकर को इस दमनया स ही उड़ा दता ह जबमक शासतरो व दमनया म भी बरहमा क ममदर ममतायाा और पजा नही मदखाई ह बरहमाकमारी मवदयालय मशव-शकर को तो अलग-2 कहता ह लमकन यह नही बताता मक शासतरो म मशव-शकर को कयो ममला मदया मशव को बरहमा मवषण अरवा अनयानय 33 करोड़ दवताओ क सार कयो नही ममलाया और शकर को ही महादव कयो कहा ह

आमव म उपरोि परशनो का सटीक जवाब ह और तीनो दवताओ क साकार परमकटकल पाटा की सपिता भी ह

बरमव मसफा बरहमा (बरहम+माा) बड़ी माा को ही भगवान का साकार रप मानता ह और अपन को मसफा बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

आमव माा और बाप (परजामपता+बरहमा = एडम और ईव) दोनो को साकार रप म मानता ह और अपन को परजामपता बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

बरमव जञान-योग का मवजञापन करता ह जस- परोजकटर परदशानी पमबलक भारण कॉनर स मल सममलन ररयातरा

मनषयकत सामहतय आमद

आमव मकसी परकार क मवजञापन म मवशवास नही करता

बरमव मसफा मतय क बाद ही ममि-जीवनममि रपी ईशवरीय वस को जीवन का लकषय मानता ह

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आमव जीवन रहत ही लोक और परलोक सावारन का पररारा कराता ह अराात इसी जनम म नर स नारायण और नारी स लकषमी बनान का परम परमसि गीता वमणात उपदश दता ह

बरमव महल मामड़याा अटाररयाा बनाकर 36 परकार क भोग खान म और मसफा झकाझक शवत वसतर पहनन म अपन को शरषठ मानकर चलता ह आमव रहन सहन खान पान पहनाव म सादगी को ही शरषठ मानकर चलता ह बरमव म चदा माागकर वयमिगत वभव और मान-शान बढ़ाना आम बात ह

आमव मकसी परकार क चदा आमद lsquoमाागन स मरना भलाrsquo समझता ह

बरमव मसफा कहता ह मक हम एक धमा एक राजय एक कल एक मत की सरापना करग परत चलन म परा ही मवरोधाभास दखन म आता ह आमव क सदसय परमकटकल म आए हए एकमातर ईशवर की ही शरषठ मत को मानत हए ईशवरीय धारणाओ कायद

कानन को मानन क सार-2 नमबरवार अपन-2 पररारा अनसार चलन का परयास भी करत ह

सममपात बरक परायः सनयामसयो की तरह मठ-पर बनाकर जीवन चलाती ह

आमव क सममपात या गर सममपात सभी सदसय गहसरी जीवन यापन करत ह कयोमक गीता क भगवान सवय बहद क गहसर म रहत हए गहसरी पाणडवो को ही राजयोग मसखात ह सनयामसयो (भीषम दरोणाचाया कपाचाया) को नही

भविषयिमणी

(यहाा उन लोगो की भमवषयवामणयो का वणान मकया गया ह मजनकी भमवषयवामणयाा आज तक सही सामबत हई) -

कमकक पराण - सवततरता क बाद भारत म एक ऐस महापरर का उदय होगा जो वजञामनको का भी वजञामनक होगा वह आतमा और परमातमा क रहसय को परगट करगा आतमजञान उसकी दन होगी उसकी वश-भरा साधारण होगी उसका सवासथय बालको जसा योिाओ की तरह साहसी अमशवनी कमारो की तरह वीर यवा व सनदर शासतरो का परकाणड पमणडत व मानवतावादी होगा उसका मपता ही उस योग साधना की ओर परररत करगा 24 वरा की आय म वह योग की उचच भममका म परवश करगा एणडरसन(अमररका) - अरब राषरो समहत ममसलम बहल राजयो म आपसी करामतयाा और भीरण रिपात होग इस बीच भारतवरा म जनम महापरर का परभाव व परमतषठा बढ़गी यह वयमि इमतहास का सवाशरषठ मसीहा होगा वह एक मानवीय समवधान का मनमााण करगा मजसस सार ससार की एक भारा एक सघीय राजय एक सवोचच नयायपामलका एक झणड की रप-रखा होगी

गरराडा कराईस(हॉलड) - भारत दश म एक ऐस महापरर का जनम हआ ह जो मवशव ककयाण की योजनाएा बनाएगा जलबणा - ससार क सबस समरा वयमि का अवतरण हो चका ह वह सारी दमनया को बदल दगा उसकी आधयामतमक करामत सार मवशव म छा जाएगी एक ओर सघरा होग दसरी ओर एक नई धाममाक करामत उठ खड़ी होगी जो आतमा और परमातमा क नए-2 रहसय को परगट करगी वह महापरर 1962 स पवा जनम ल चका ह उसक अनयायी एक समरा ससरा क रप म परगट होग और धीर-2 सार मवशव म अपना परभाव जमा लग असभव मदखन वाल काया को भी व लोग उस महापरर की कपा स बड़ी सरलता स सपनन करग

परोफसर कीरो - भारत का अभयदय एक सवोचच शमि क रप म हो जाएगा पर उसक मलए उस बहत कठोर सघरा करन पड़ग दखन म यह मसरमत अतयत किदायक होगी पर इस दश म एक फररशता आएगा जो हज़ारो छोट-2

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लोगो को इकटठा करक उनम इतनी आधयामतमक शमि भर दगा मक व लोग बड़-2 बमिजीमवयो की मानयता ममथया मसि कर दग गोपीनार शासतरी - अवतारी महापरर दवारा जबरदसत वचाररक करामत होगी मजसक फलसवरप मशकषण पिमत बदल जाएगी और ऐसी मशकषा का अमवषकार होगा जो वयमि को जीवन जीन की कला परदान करगी जबमक वतामान मशकषा परणाली कवल पट भरन तक ही सीममत ह कमरत आतमजञानहीन बमिजीमवयो स लोगो की घणा होगी और भगभा मवदया रसायन शासतर यतर मवदया खमनज धात चमबक मवदया आमद क नए कषतर की और मवजञान का मवसतार होगा मजसका नततव भारतवरा का एक ऐसा धाममाक सगठन करगा मजसका मागादशाक सवय भगवान होगा धाममाक आशरम जन जागमत क कनदर बनकर काया करग बमप क ितारमन समकमर पमटा क परवत परफ एि पररमणः-

बाप कहाा आत ह- यह भी नही जानत ह जब खद आकर बताव तब पता पड़ कहाा मलखा भी ह मक परमातमा मगधदश म आता ह(मता16876)

शासतरो म मगध दश मलखा ह परनत नॉलज कहाा मसखाई आब म कस आए मदलवाड़ा ममदर भी यहाा परा यादगार ह मजनहोन भी बनाया उनहो की बमि म आया और बठकर बनवाया एकयरट मॉडल तो बना न सक बाप यहाा ही आकर सवा की सदगमत करत ह मगध दश म नही (मता5989 प3 मधय) ऐस बहत बचच ह बाप को परा पहचानत नही ह बाप का अदब(सममान) नही रखत कयोमक बाप कहत ह म साधारण रप म आता ह ा म जो ह ा जसा ह ा मवरला कोई उस रहाब स चलत ह यहाा तो बहत साधारण ह ना ह मकतनी बड़ी असामी आग चल वह भी पहचानग ऐस बाबा को हमन फारकती द दी तकदीर को लकीर लगा दी यह पीछ होगा अभी तो बहत साधारण ह रर ह गपत गपत होन कारण परा पहचान नही सकत ह परा पहचान ल तो कह- बाबा आपक मसवाए दमनया म ह ही कया कोई सदगमत कर न सक (मता151175 प1 आमअ)

यादव और कौरव पास मकतन महल ह तम बचचो को कछ भी नही तीन पर पथवी क भी तमहार नही सब उनहो का ह यह भी गाया हआ ह- मजनको तीन पर पथवी क भी नही ममलत र उनहो की मवजय हई और वह मवशव क मामलक बन गए पाणडव शमिसना गपत ह शासतरो म भी मदखात ह जआ खलत पाणडवो का राजय रा मफर जआ म हराया (म10678 प1 म) भगवान खद कहत ह मझ गाली खानी पड़ती ह सबस जासती गाली म ही खाता ह ा भमिमागा म भी गाली ही दत ह 3 पर पथवी क भी नही ममलत ह मफर भी मकतनी मनरहकारीपन स पाटा बजा रह ह (म6387 प3 अत) बहद का बाप पढ़ात ह परनत बाप ह साधारण तन म पढ़ात भी साधारण रीमत ह इसमलए मनषयो को जाचता नही ह- गॉड फादरली यमनवमसाटी मफर ऐसी होगी बाप कहत ह म ह ा गरीब मनवाज़ गरीबो को ही पढ़ाता ह ा साह कार को ताकत नही पढ़न की उनहो की बमि म तो महल-माड़ी ही होती ह (मता23489 प1 अत) भगवान एक ह उनको ही मात-मपता कहत ह वह आकर एडॉपट करत ह मकतनी गहय बात ह यह नया सकल ह नया पढ़ान वाला ह (मता251088 प3 आ)

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यह नॉलज ह यह ह नई बात नई दमनया क मलए भगवानवाच ह ना भगवान भी नया वाचय भी ह नई वह कहत ह कषण भगवानवाच तम कहत हो मशव भगवानवाच हरक की वाच अपनी-2 ह एक न ममल दसर स (मता15668 प3 आ)

किर वितर न 1 (वतररवता)-

lsquoमशवrsquo का अरा ह- lsquoककयाणकारीrsquo परममपता परमातमा का यह नाम इसमलए ह मक समि-चकर क अत म जब मनषयातमाएा तरा परकमत पमतत एव तमोपरधान बन जाती ह तो परमधाम मनवासी परममपता परमातमा मशव जयोमतमबानद मनषय शरीर का आधार लकर मनषयातमाओ और परकमत दोनो को पावन एव सतोपरधान बनात ह उनक इस कतावय की यादगार म ही मशवरामतर अराात परममपता क शबदो म मशवजयती का तयौहार मनाया जाता ह सपरीम सोल मशव मकसी परर क बीज स या माता क गभा स जनम नही लत व परजामपता दवारा मनषय-समि-रपी वकष क चतनय बीज ह और जनम-मरण तरा कमाबधन रमहत ह अतः व अपना कतावय करन क मलए मकसी साधारण वि मनषय क तन म मदवय परवश करत ह इस ही lsquoपरममपता परमातमा का मदवय अवतरणrsquo कहा जाता ह कयोमक उनका अपना शरीर नही होता ह उनका मदवय कतावय तीन चरणो म समपनन होता ह- सरापना मवनाश और पालना इन तीन कतावयो क मलए व अवयि मसरमत धारण करन वाली तीन साकार दवातमाओ का आधार लत ह व दवातमाएा ह- बरहमा शकर तरा मवषण मनषय-समि-रपी रगमच पर उनक मदवय अवतरण क बाद कौन-सी तीन आतमाएा बरहमा शकर एव मवषण क पातरो का अमभनय करती ह यह जानन क मलए हम सन 1936-37 म परममपता परमातमा क अवतरण स लकर अब तक की घटनाओ को जानना ज़ररी ह

परममपता परमातमा का यह काया सन 193637 म पामकसतान क मसध हदराबाद शहर स परारमभ हआ जब उनहोन दादा लखराज नामक एक मवखयात हीरो क वयापारी को मवषण चतभाज नका की परानी दमनया क मवनाश और सवगा की नई दमनया की सरापना का साकषातकार कराया मकनत व उन मदवय साकषातकारो का अरा समझ न पाए उनहोन अपन गरओ स इसका अरा पछा मकनत भगवान की लीला व दहधारी गर लोग कया समझ मफर व (दादा लखराज) वाराणसी क परकाणड पमणडतो स इसका समाधान पान क मलए गए मकत उनह वहाा भी मनराशा ही हार लगी वहाा भी उनह साकषातकार होत रह मजसकी तसवीर व गगा क घाटो पर बनी दीवारो पर बनात रहत र जब कोई भी उनकी समसया का समाधान न कर सका तो उनह कलकरता म रहन वाल अपन भागीदार (सवकराम) की याद आई उस भागीदार की मनषठा व ईमानदारी स परभामवत होकर ही उनहोन उस अपनी कलकरता मसरत हीरो की दकान की मज़ममवारी सौपी री

अतः दादा लखराज कलकरता गए मकत सीध उस भागीदार को अपन साकषातकारो का वणान करन क बजाय उनहोन अपनी नज़दीकी सबध की माता (अराात छोटी माता) को सनाया और उस माता न दसरी माता को सनाया जो बोलन सनन सनान म मसिहसत री बाद म जब सनन-सनान म मसिहसत माता न परजामपता (भागीदार) को सनाया उसी समय जयोमतमबद परममपता परमातमा मशव न उसी माता और परजामपता (भागीदार) म सार-ही-सार परवश कर मलया और इस परकार उस मसिहसत माता दवारा साकषातकारो का वणान सनन-सनान की परमकरया दवारा lsquoभमिमागाrsquo की तरा भागीदार दवारा जञान समझन-समझान की परमकरया दवारा lsquoजञानमागाrsquo की नीव पड़ गई

इस परकार चामक परममपता मशव न सवापररम उन दोनो माताओ क समकष भागीदार म परवश कर मवशव पररवतान का काया आरमभ मकया इसमलए व मशव जयोमतमबानद ही भमवषय म बरहमा शकर और मवषण- इन मतरदवो दवारा ससार म मतरममता मशव क नाम स परमसि होत ह

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

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कहा जाता ह बाकी ऐसा कोई वयमि ससार म कभी हआ नही ह जो चार भजाओ का रहा हो या 10 मसर का रावण रहा हो 10 मसर क रावण का मतलब ह मक दसो धमा ममल करक ससार म परजाततर राजय का ऐसा बकायद सगठन बनात ह मजसस सारी दमनया मवनाश क कगार पर खड़ी हो जाती ह बाकी परममपता परमातमा न तो आकर राजयोग मसखाकर कायदमसर दवी राजाओ का राजय सरापन मकया रा

परममपता परमातमा जो सकल खोलत ह सदगर कह जात ह तो ज़रर व ऐसी ईशवरीय यमनवमसाटी का वाइस चानसलर बनत होग जहाा व कोई माला रपी सगठन की बड़ी-2 पदमवयाा दकर जात हो दश-मवदश म जनम-जनमातर क जो राजाएा बन ह उन राजाओ को राजाई करन की मवदया उनहोन मसखाई री उसको lsquoराजयोगrsquo कहा जाता ह वह राजयोग परममपता परमातमा गीता जञान क दवारा अभी मसखा रह ह जनम-जनमातर का राजा बना रह ह लौमकक बाप जो होत ह व तो एक जनम की परामपत करात ह वसाा दत ह लमकन यह पारलौमकक बाप जब समि पर आत ह तो अपन आतमा रपी बचचो को अनक जनमो की राजाई दकर जात ह वह अनक जनमो की राजाई अभी दी जा रही ह ससार म अभी कछ ही वरो म ऐसी 108 शरषठ आतमाएा परतयकष होन वाली ह जो सार ससार म तहलकाखलबली मचाएागी और सार ससार की धमा सरता व राजय सरता दोनो की बागडोर अपन हार म ल लगी यही 108 शरषठ आतमाएा आज भी सभी धमो म माला क रप म समरण की जाती ह

जब सारी दमनया माया क पज म फा स जाती ह तब व जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आत ह माया का पजा कोई सतरी नही ह काम करोध लोभ मोह अहकार- य पााच मवकार मनषय क अनदर भर हए ह उन पााचो मवकारो म सारी दमनया जकड़ गई ह आज एक भी मनषय ऐसा नही ह जो इन पााचो मवकारो की जकड़ स बाहर हो जब सारी समि की ऐसी अतयमधक बदतर हालत हो जाती ह तब परममपता परमातमा मशव आत ह मजसकी यादगार म यह lsquoमहामशवरामतरrsquo मनाई जाती ह इस महामशवरामतर म जब परममपता परमातमा मशव आत ह तो दमनया म चारो तरफ अनक धमा फल हए होत ह उन धमो म धमा क नाम पर मवतडावाद जयादा ह जञान कछ भी नही ह जञान क नाम पर अजञान-ही-अजञान सनाया जाता ह और पस व मदखाव को जयादा महतव मदया जाता ह जो धमा की सरापना का काया ह धारणा की बात ह व न क बराबर होती ह तब जञानसया परममपता परमातमा इस समि पर आकर उस अजञान अधकार का मवचछदन करत ह इसमलए उसकी यादगार म भारतवरा म माघ मास को अधारामतर म महामशवरामतर मनाई जाती ह जब आम खरी मास होता ह समि का आम खरी टाइम होता ह कमलयग का अनत होना होता ह तब दमनया म अजञान अधकार चारो तरफ फला रहता ह जस शमिमान सीररयल म आता ह- lsquoअधरा कायम रहगाrsquo असर तो यही चाहत ह मक अधरा कायम रह दमनया अजञान म रह और हम अपना आसरी काम बनाएा तो य काम करोध लोभ मोह अहकार ह असर मजनका ममखया ह काम मवकार उस काम मवकार को परममपता परमातमा आकर सबस पहल शकर क चोल क दवारा भसम करात ह हमन समझ मलया मक काम मवकार कोई दवता का रप होगा उसको lsquoकामदवrsquo नाम द मदया लमकन वासतव म वह कोई अलग स दवता नही होता यह हमार अनदर की ही कपरवमरत कमज़ोरी व मवकमत ह जो उस शकर दव न पहल भसम कर दी भसम करन वालो म नमबरवार होत ह लमकन जो उसको सबस पहल भसम कर लता ह वह बात शकर क मलए मदखात ह उनका जञान का तीसरा नतर खला और काम मवकार भसम हो गया वह कोई बाहर का काम मवकार रोड़ ही रा यह तो अदर की चीज़ री जो उनहोन भसम कर दी नि कर दी जब ममखया भसम होगा तो बाकी य जो चार चोर-डकत ह व तो अपन आप ही भाग जाएाग

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वितर न 5 (विि और िकर)- यहाा मदखाया गया ह मक वासतव म मशव अलग स परममपता ह और शकर अलग आतमा ह गलती क कारण दोनो को ममलाकर एक कर मदया लमकन गलती भी नही ह वासतव म वह हमारी बसमझी हो गई यह बसमझी होन क कारण ही बरहमाकमार-कमाररयाा भी उस बसमझी म फा स हए ह कया बसमझी हो गई मक व सपरीम सोल मशव मनराकार जयोमतमबिद जब इस समि पर आत ह तो इस समि पर आकर मकसी जनसाधारण को ज़रर आप समान बनाएाग व पढ़ाई पढ़ाएाग टीचर का कोई तो सटडट ऐसा मनकलगा जो उनकी परी 100 परसट पढ़ाई को धारण कर ल तो व मनराकार जयोमतमबिद मशव आकर इस शकर क सवरप दवारा ससार म परतयकष होत ह और इस तरह दोनो का तादातमय हो जाता ह आप दखग कोई यह नही कहता ह मक मशव-बरहमा एक ह मशव क सार बरहमा का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार मवषण का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार शकर का ही नाम कयो जड़ता ह इसमलए जड़ता ह मक शकर मशव की याद म इतना तकलीन हो जात ह मक उनको अपन म समामहत कर लत ह अराात बाप समान बन जात ह तो वह समामहत करन की जो मसरमत ह वह lsquoमशव-शकर एक हrsquo- यह मसरमत ससार म परमसि होती ह वासतव म दोनो आतमाएा अलग-2 ह य सपरीम सोल मशव जनम-मरण क चकर म कभी आत ही नही इसमलए lsquoमशवमलगrsquo कहा जाता ह lsquoशकर मलगrsquo नही कहा जाता lsquoमशवरामतरrsquo कही जाती ह lsquoशकर रामतरrsquo नही कही जाती मशव ऐसी चीज़ ह जो मक पाप और पणय स हमशा पर ह और जो दहधारी ह व पाप-पणय क अदर फा सत ह

अब आप दमखए शकर धयान म बठ ह अगर य खद ही परममपता परमातमा का रप होत सपरीम सोल होत तो य मकसका धयान कर रह ह आप परान-2 ममदरो म जाइए आप दखग बीच म मखय सरान पर मशवमलग ह और आस-पास सभी दवताओ क सार शकर की भी ममता रखी हई होती ह इसस कया सामबत हआ मक और मजतन दवताएा ह उन 33 करोड़ दवताओ क बीच म शकर दव-दव महादव तो ज़रर ह लमकन व परममपता परमातमा नही ह व भी उनकी उपासना म सामन बठ हए ह मकसक सामन मशवमलग क सामन तो मनराकार की यादगार मलग रप मशव जयोमतमबिद सपरीम सोल ह और य शकर हीरो पाटाधारी इस समि-रपी रगमच क नायक ह जञानीजनो दवारा जयोमतमबिद मशव को मसफा याद मकया जा सकता ह और भमिमागा म उनका मकरार रर शकर ही मनराकारी सटज म मसरर हो जान कारण बड़ मलग रप म पजा जाता ह

वितर न 6 (पररवपतम पररमतरम सिावयमपी नही)- यहाा यह बताया गया ह मक ईशवर जब समि पर आएाग तो जञान का कोई-न-कोई ऐसा नया पवाइट ज़रर बताएाग मजसम सारी दमनया भरममत हई पड़ी हो ऐसी नई बात ज़रर सनाएाग मजस सारी दमनया न जानती हो बमकक मवपरीत बात ही जानती हो वह बात यह ह मक जब दमनया म चारो तरफ भगवान को ढाढ़ा और कही नही ममला तो लोगो न उनक मलए कहना शर कर मदया- lsquoव तो सवावयापी ह जर-2 म भगवान ह कण-2 म भगवान ह जहाा दखो वहाा भगवान हrsquo लमकन वासतव म गीता का एक शलोक ही इस बात क मलए काफी ह मक lsquolsquoतद धाम परम ममrsquorsquo (कपया गीता का शलोक 156 दमखए) अराात म वहाा परमधाम का रहन वाला ह ा दमनया का सबस शरषठ गरनर गीता ह मजसकी सबस जयादा टीकाएा हई ह उसक एक शलोक म यह बात सामबत हो गई ह गीता म ही एक शबद आया ह lsquoमवभrsquo इस शबद का उनहोन इतना बड़ा अरा कर मदया मक ससार म चारो तरफ यही बात फली हई ह मक व सवावयापक ह वासतव म मवभ का अरा यह ह मक व मवशर रप स हर मनषय आतमा की

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बमि म lsquoभrsquo माना याद क रप म अपना सरान बना लत ह उसका उकटा अरा लगाकर उनहोन परममपता परमातमा को सवावयापी कह मदया

यहाा बात समझाई गई ह मक परममपता परमातमा वासतव म समि पर सवावयापी नही ह गीता और रामायण भी इस बात क परमाण ह गीता व रामायण म मलखा ह मक lsquolsquoजब-जब इस समि पर अधमा का बोलबाला होता ह तब-तब म आता ह ाrsquorsquo lsquoआता ह ाrsquo स सामबत ही हो गया मक व नही र तब तो आए नही तो उनको आन की कया दरकार री दसरी बात अभी-2 आपको गीता का जो शलोक बताया वह पकका सामबत कर रहा ह मक परममपता परमातमा का धाम नाम काम ऊा च त ऊा चा ह मजसका गायन भी ह- lsquoऊा चा तरा धाम ऊा चा तरा नाम

ऊा चा तरा कामrsquo धाम काम नाम- तीनो ही जब ऊा चा ह तो व ऊा चा ही बठग या नीच बठग इस दमनया का भी जो राजा होता ह वह भी ऊा ची गददी पर बठता ह तो हमन परममपता परमातमा को कण-2 म कयो ममला मदया

यहाा मचतर म मदखाया गया ह मक ऋमर ममन सनयासी भाव मवभोर होत ह तो खड़ताल बजाकर कहत ह- lsquoह परभ हम दशान दोrsquo परत जब परवचन करत ह तो कहत ह- lsquoपरमातमा सवावयापी ह आतमा सो परमातमा मशवोऽहम हम परमातमा क रप ह हम ही भगवान हrsquo तो यह बात तका सगत सामबत नही होती एक बात पर पकका रहना चामहए यह कया बात हई कीतान करन लग तो परभजी हम दशान दो अब दशान कहाा स द तमहार अदर जब खद ही भगवान बठ हए ह तम खद ही भगवान क रप हो यहाा यह मदखाया गया ह मक जो परवचन सनन वाल ह व मजस समय गरजी महाराज का परवचन सनत ह तब तो भाव मवभोर होकर कहत ह- lsquoहाा परमातमा सवावयापी ह बहत अचछा जञान सनायाrsquo घर म पहाचत ही भाई भाई की हतया करन लग अब उनह भाई-2 क अदर भगवान नही मदखाई मदए यह मवरोधाभास एकदम इतना कस पदा हो गया

वासतव म सबक अदर अपनी-2 मभनन ससकारो वाली आतमा होती ह परममपता परमातमा उन सबस सवारा अलग ह अपनी भारतीय परमपरा म शकराचाया की मरोलोजी अलग ह और माधवाचाया की मरोलोजी अलग ह माधवाचाया की गीता म बताया गया ह मक lsquoआतमा सब अलग-2 ह और परमातमा उनस अलगrsquo जबमक शकराचाया की गीता म बताया गया ह- lsquoसवि खल इद बरहमrsquo अराात इस दमनया म जो कछ भी दखन म आ रहा ह व सब भगवान का रप ह माधवाचाया न बताया मक lsquoहर आतमा म अलग-2 ससकार हrsquo य आतमाएा गभा म जब शरीर धारण करगी तो य अपना अलग-2 पाटा ही बजाएागी इनका पाटा दसरी आतमा स ममल नही सकता हम हमशा शासतरो म यह ममसाल दत आए ह मक हम सब आतमाएा सागर म बदबदा ह बदबद सब सागर म समा जात ह मान हम उस सागर का अश ह यही कहा ना लमकन हम एक बात भल गए अगर हम बदबद ह हम सागर का अश ह तो सागर म स जो चकल भर पानी हमन ल मलया उसम जो खारपन का गण होगा वही सागर क पानी म भी होना चामहए ना यह पानी हमन पनः उसम ममला मदया दोनो का गण अभी भी एक ही ह लमकन हम सबक अदर य अलग-2 ससकार कस ह यह अलगाव कहाा स आ गया और जनम-जनमातर स यह अलगाव चलता चला आ रहा ह दसरी बात इसका एक और पररहारमनवारण ह- आपन कभी चाहा ह मक हमारी आतमा का जो अमसततव ह वह हमशा क मलए खतम हो जाए कोई चाहता ह अगर हमारी आतमा उस सपरीम सोल मशव म जाकर लीन हो जाए सागर म चकल भर पानी ममला मदया गया तो उसका अमसततव हमशा क मलए खतम हो जाएगा मफर शासतरो म यह बात कहाा स आई- lsquolsquoककप-2 लमग परभ अवतारा जब-2 तरतायग होता ह तब-2 राम का अवतार होता हrsquorsquo

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अजर-अमर तो सभी आतमाएा ह वह बात तो ठीक ह वह एक अलग बात उनका अमसततव उनका ससकार सब अलग-2 ह लमकन हर आतमा का अनक जनमो का जो पाटा ह वह उस जयोमतमबानद रपी आतमा क टप ररकॉडार म भरा हआ ह इस समि-रपी रगमच पर जब कोई भी आतमा उतरगी तो सतयग क आमद स लकर कमलयग क अत तक वह उतन ही जनम लगी मजतना पहल चतयागी म मलया रा अगर राम की आतमा होगी तो हर तरतायग म राम क रप म ही जनम लगी lsquoह कषण नारायणrsquo की आतमा होगी तो वह हर सतयग क आमद म नारायण क रप म ही राजय करगी इस तरह हर जनम म आतमा का शरीर रपी चोला बदलन का पाटा मनमित ह हर 5000 वरा क बाद वह जयो का तयो पनरावतान होता ह

हर आतमा सो परमातमा नही ह सपरीम सोल मशव हमशा अलग ह अगर व भी जनम-मरण क चकर म आन लग तो हमको छड़ान वाला कोई भी नही रहगा उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही की जा सकती कोई आतमा हीरो-हीरोइन पाटाधारी बन सकती ह मवलन व साधारण आतमा का पाटा बजा सकती ह लमकन सपरीम सोल मशव जसा पाटा मकसी का नही ह उनका तो तररया पाटा ह व बार-2 इस समि पर आत भी नही जसा शासतर म मलख मदया ह- lsquoसमभवामम यग-यगrsquo अराात म हर यग म आता ह ा अर हर यग म आत तो दवापर क अत म जब महाभारत यि कराया कषण क रप म परममपता परमातमा आए तो कया पापी कमलयग की सरापना करन क मलए आए र उनको हर यग म आन की कया ज़ररत ह साधारण बाप होता ह वह भी बचचो क मलए मकान तब तयार करता ह जब मकान पराना हो जाता ह उस परान मकान स काम नही चलता जब तक काम चल सकता ह तब तक मरममत कराता रहता ह इस समि-रपी मकान की भी यही हालत ह इबराहीम बि कराइसट गरनानक आमद य धमामपताएा आकर समि की जगह-2 मरममत करत रह मकसी न अरब दश म आकर मरममत की मकसी न यरोपीय दशो म की मकसी न चीन-जापान म की नया मकान तो मकसी न नही बनाया नई समि तो नही बनाई यह मरममत मकतन मदन चलगी कछ समय तक उन धमो का परभाव रहता ह मफर वह खलास आखरीन तो मफर भी उसी सपरीम सोल मशव बाप को जो धमामपताओ क भी बाप ह बापो क भी बाप ह इस समि पर उतरना ही पड़ता ह व आकर इस समि का आमल-चल पररवतान कर दत ह तो व सवावयापी नही ह व तो इस समि पर मकरार रप स हीरो पाटाधारी म परवश करक पाटा बजात ह

आपन lsquoजीज़सrsquo वा lsquoकराइसटrsquo का नाम सना आमखर य दो नाम कयो मकरमियनस लोग मानत ह मक वह वयमि

जो पहल खयामतपरापत नही रा उसका नाम lsquoजीज़सrsquo रा मफर जब खयामतपरापत हो गया तब उसका नाम lsquoकराइसटrsquo पड़ गया इसका रहसय कोई नही जानता यह रहसय परममपता परमातमा मशव आकर बता रह ह मक कोई भी नई आतमा ऊपर स उतरती ह तो मजसम भी परवश करती ह उसका नाम बदल दती ह जस पहल lsquoनरनदरrsquo नाम रा बाद म lsquoमववकाननदrsquo नाम पड़ गया आचाया रजनीश का भी ऐस ही हआ ह पहल यह एक साधारण लकचरर र जब आतमा न परवश मकया तो lsquoआचाया रजनीशrsquo नाम पड़ गया तो हर आतमा जो ऊपर स नीच उतरती ह वह मजसम परवश करती ह उसको कनवटा करक अपन धमा म खीच ल जाती ह और वह आधारमता मजसम परवश मकया वह भारत की ही सनातन धमा की आतमा होती ह ऐस ही दसर-2 धमो म कनवशान या पररवतान हआ भारतवामसयो स ही कनवटा होकर दसर-2 धमा पनप ह और वमि को पाए ह कहन का मतलब यह हआ मक उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही हो सकती हम आतमाओ क मकाबल व हमशा तरीया ह व तो सख भी नही भोगत तो दःख भी नही भोगत व सख-दःख स हमशा ही पर रहन वाल ह हाा यह बात ज़रर ह मक जब व इस समि पर आकर राजयोग मसखात ह तो ऐसी पढ़ाई पढ़ात

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ह मक हम आतमाएा नवार पररारा अनसार इस सटज को परापत कर मक इस समि पर रहत हए भी दःख-सख म रहत हए भी अपनी ऐसी अवसरा बना ल मक दःख क समय हम दःखी न हो और सख क समय हम बहत जयादा परसनन न हो मजसका नाम गीता म lsquoमसरतपरजञrsquo मदया गया ह लमकन हमारी वह अवसरा हमशा क मलए नही रहगी परनत उस मशव की हमशा क मलए रहगी वह सपरीम सोल ह तो मफर आतमा-परमातमा एक कहाा हए

परमातमा सवावयापी कहाा हए सपरीम सोल मशव तो हमशा अलग ही हए

मशव की तलना ऊा च त ऊा च मतरदवो स भी नही की जा सकती इन मतरदवो की यादगार म lsquolsquoझणडा ऊा चा रह हमारा मवजयी मवशव मतरगा पयारा मवशव मवजय करक मदखलावrsquorsquo- यह बोलत तो ह लमकन यह नही जानत ह मक व तीन शरीर रपी वसतर कौन-स ह मजन वसतरो न सार मवशव म तहलकाखलबली मचाई री सार मवशव म मवजय करक मदखलाई री वासतव म व शरीर रपी वसतर lsquoबरहमा मवषण शकरrsquo- य तीन ही ह उनक सकतक रग भी वस ही मदखाए गए ह ऊपर वाला कसररया रग ह शकर- करामत का सचक बीच वाला सफद वसतर सतवगणी मवषण का सचक ह नीच वाला हरा वसतर बरहमा का सचक ह जस गााधीजी कहत रह- lsquoरामराजय आएगा रामराजय आएगाrsquo

बमकक और ही रावण राजय आ गया ऐस ही बरहमा बाबा हमशा मचकलात रह- lsquoरामराजय लाएाग सवगा आएगा

वकणठ आएगा और सवगा आन ही वाला हrsquo अब उस सवगा की जगह बरहमाकमारी आशरमो म रौरव नका बन रहा ह

इसमलए बरहमा की ममतायाा ममदर व पजा नही होती कयोमक तराकमरत बरहमाकमार-कमाररयो न ही बरहमा की दाढ़ी की लाज नही रखी जबमक शकर और मवषण क ममदर और ममतायाा बनाकर आज सार भारतवरा म पजा की जा रही ह

वितर न 7 (सहज रमजयोग)- ससार म अनक परकार क योग परमसि ह जस- भमियोग कमायोग जञानयोग हठयोग राजयोग आमद मकत योग क इन सभी परकारो म सहज राजयोग शरषठामतशरषठ ह योग का अरा ह- समबध या ममलन आजकल योग का तातपया योगासन या हठयोग समझ मलया जाता ह मकनत योगासन स शारीररक सवासथय और कछ सीमा तक मानमसक सवासथय ममल सकता ह लमकन समपणा सख-शामत की परामपत तो कवल राजयोग दवारा ही हो सकती ह

lsquoराजयोगrsquo का अरा ह राजाओ का राजा बनान वाला योग या रहसय भरा योग मनषयातमाएा कई जनमो स दह-अमभमान क दलदल म फा सकर मवनाशी दहधाररयो स योग लगाती आई ह मकत जस तााब वाल दो तारो को जोड़न स उसम मबजली परवामहत होती ह परत रबड़ चढ़ हए तााब क तारो स मबजली का करट नही लगता उसी परकार दह-अमभमानी दहधाररयो स समबध रखन पर अमवनाशी सख-शामत की परामपत नही हो सकती परममपता परमातमा मशव तो इस योग भी नही अमपत सरल शबद म lsquoयादrsquo कहत ह याद करना एक सवाभामवक सरल एव मनरतर परमकरया ह जबमक योग स मकसी मवशर परयास का बोध होता ह जस परममपता परमातमा शरीर म रहत हए भी उसक भान स नयार ह अराात मवदही रहत ह उसी परकार हम भी सवय को अमवनाशी आतमा (न मक परकमत क 5 ततवो स बना दह) समझकर परजामपता बरहमा क दवारा परममपता परमातमा को याद करना ह हमारी दमि म मशव रहना चामहए मातर शव अराात दह नही अतः भगवान को न तो मसफा साकार रप म न तो मसफा मनराकार रप म बमकक भलीभाामत पहचानकर साकार शरीर म परमवि मनराकार को याद करना ह यही ह सचचा राजयोग

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मन वचन एव कमा की पमवतरता परममपता परमातमा स सचचा सनह मदवय गणो की धारणा ईशवरीय जञान शि अनन तरा सचच बराहमणो का सग करन पर आतमा दह-अमभमान दवारा उतपनन पााच मवकारो अराात काम करोध लोभ मोह

अहकार स ममि पाकर अपन मल सवरप अराात सवागण समपनन सवरप म मसरत हो सकती ह परभ को याद करन क मलए अमतवला या बरहममह ता का समय सबस शरषठ ह कयोमक उस समय वातावरण शात तरा शि रहता ह और मन भी जागरत एव परशात होता ह राजयोग क मनतय अभयास स आतमा म पमवतरता शामत धया मनभायता नमरता-जस गणो की धारणा होती ह सार ही आतमा को वयरा मवचारो क फलाव को समटन की शमि सहनशमि समान की शमि अचछ-बर को परखन की शमि सही मनणाय लन की शमि समसयाओ का सामना करन की शमि मवमभनन ससकार वाल मनषयो क सार सहयोग करन की शमि तरा मवसतार को सकीणा करन की शमि आमद आतमा की अि शमियाा परापत होती ह

राजयोग क मनरतर एव दढ़ अभयास स आतमा अपन आमद मधय एव अत की कहानी को तरा इस मवशव म अपन अमदवतीय अनक जनमो क पाटा को जान सकती ह और अपन घर बठ मवशव की आतमाओ को भी शामत एव सख का दान द सकती ह इस परकार हम सव-पररवतान क सार-2 मवशव-पररवतान भी कर सकत ह

बरहमाकमारी मवदयालय (बरमव) और आधयामतमक मवदयालय (आमव) की मशकषाओ म अतर-

बरहमाकमारी मवदयालय शासतरो को मानयता नही दता ह आधयामतमक मवदयालय ईशवरीय वाणी क आधार पर शासतरो को मानयता दता ह

बरमव कषण उफा बरहमा को ही एकमातर गीता का साकार भगवान मानता ह जबमक मख स कहता ह मक कषण गीता क भगवान नही ह

आमव मनराकारी सटज वाल साकार मशव-शकर को परमकटकल म गीता का भगवान मानता ह कषण उफा बरहमा क साकार रप दादा लखराज को गीता का भगवान नही मानता बरमव बरहमा-मवषण-शकर क साकार मचतर तो छपाता ह परत मसफा बरहमा क परमकटकल साकार रप को ही मानयता दता ह मवषण और शकर को इस दमनया स ही उड़ा दता ह जबमक शासतरो व दमनया म भी बरहमा क ममदर ममतायाा और पजा नही मदखाई ह बरहमाकमारी मवदयालय मशव-शकर को तो अलग-2 कहता ह लमकन यह नही बताता मक शासतरो म मशव-शकर को कयो ममला मदया मशव को बरहमा मवषण अरवा अनयानय 33 करोड़ दवताओ क सार कयो नही ममलाया और शकर को ही महादव कयो कहा ह

आमव म उपरोि परशनो का सटीक जवाब ह और तीनो दवताओ क साकार परमकटकल पाटा की सपिता भी ह

बरमव मसफा बरहमा (बरहम+माा) बड़ी माा को ही भगवान का साकार रप मानता ह और अपन को मसफा बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

आमव माा और बाप (परजामपता+बरहमा = एडम और ईव) दोनो को साकार रप म मानता ह और अपन को परजामपता बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

बरमव जञान-योग का मवजञापन करता ह जस- परोजकटर परदशानी पमबलक भारण कॉनर स मल सममलन ररयातरा

मनषयकत सामहतय आमद

आमव मकसी परकार क मवजञापन म मवशवास नही करता

बरमव मसफा मतय क बाद ही ममि-जीवनममि रपी ईशवरीय वस को जीवन का लकषय मानता ह

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आमव जीवन रहत ही लोक और परलोक सावारन का पररारा कराता ह अराात इसी जनम म नर स नारायण और नारी स लकषमी बनान का परम परमसि गीता वमणात उपदश दता ह

बरमव महल मामड़याा अटाररयाा बनाकर 36 परकार क भोग खान म और मसफा झकाझक शवत वसतर पहनन म अपन को शरषठ मानकर चलता ह आमव रहन सहन खान पान पहनाव म सादगी को ही शरषठ मानकर चलता ह बरमव म चदा माागकर वयमिगत वभव और मान-शान बढ़ाना आम बात ह

आमव मकसी परकार क चदा आमद lsquoमाागन स मरना भलाrsquo समझता ह

बरमव मसफा कहता ह मक हम एक धमा एक राजय एक कल एक मत की सरापना करग परत चलन म परा ही मवरोधाभास दखन म आता ह आमव क सदसय परमकटकल म आए हए एकमातर ईशवर की ही शरषठ मत को मानत हए ईशवरीय धारणाओ कायद

कानन को मानन क सार-2 नमबरवार अपन-2 पररारा अनसार चलन का परयास भी करत ह

सममपात बरक परायः सनयामसयो की तरह मठ-पर बनाकर जीवन चलाती ह

आमव क सममपात या गर सममपात सभी सदसय गहसरी जीवन यापन करत ह कयोमक गीता क भगवान सवय बहद क गहसर म रहत हए गहसरी पाणडवो को ही राजयोग मसखात ह सनयामसयो (भीषम दरोणाचाया कपाचाया) को नही

भविषयिमणी

(यहाा उन लोगो की भमवषयवामणयो का वणान मकया गया ह मजनकी भमवषयवामणयाा आज तक सही सामबत हई) -

कमकक पराण - सवततरता क बाद भारत म एक ऐस महापरर का उदय होगा जो वजञामनको का भी वजञामनक होगा वह आतमा और परमातमा क रहसय को परगट करगा आतमजञान उसकी दन होगी उसकी वश-भरा साधारण होगी उसका सवासथय बालको जसा योिाओ की तरह साहसी अमशवनी कमारो की तरह वीर यवा व सनदर शासतरो का परकाणड पमणडत व मानवतावादी होगा उसका मपता ही उस योग साधना की ओर परररत करगा 24 वरा की आय म वह योग की उचच भममका म परवश करगा एणडरसन(अमररका) - अरब राषरो समहत ममसलम बहल राजयो म आपसी करामतयाा और भीरण रिपात होग इस बीच भारतवरा म जनम महापरर का परभाव व परमतषठा बढ़गी यह वयमि इमतहास का सवाशरषठ मसीहा होगा वह एक मानवीय समवधान का मनमााण करगा मजसस सार ससार की एक भारा एक सघीय राजय एक सवोचच नयायपामलका एक झणड की रप-रखा होगी

गरराडा कराईस(हॉलड) - भारत दश म एक ऐस महापरर का जनम हआ ह जो मवशव ककयाण की योजनाएा बनाएगा जलबणा - ससार क सबस समरा वयमि का अवतरण हो चका ह वह सारी दमनया को बदल दगा उसकी आधयामतमक करामत सार मवशव म छा जाएगी एक ओर सघरा होग दसरी ओर एक नई धाममाक करामत उठ खड़ी होगी जो आतमा और परमातमा क नए-2 रहसय को परगट करगी वह महापरर 1962 स पवा जनम ल चका ह उसक अनयायी एक समरा ससरा क रप म परगट होग और धीर-2 सार मवशव म अपना परभाव जमा लग असभव मदखन वाल काया को भी व लोग उस महापरर की कपा स बड़ी सरलता स सपनन करग

परोफसर कीरो - भारत का अभयदय एक सवोचच शमि क रप म हो जाएगा पर उसक मलए उस बहत कठोर सघरा करन पड़ग दखन म यह मसरमत अतयत किदायक होगी पर इस दश म एक फररशता आएगा जो हज़ारो छोट-2

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लोगो को इकटठा करक उनम इतनी आधयामतमक शमि भर दगा मक व लोग बड़-2 बमिजीमवयो की मानयता ममथया मसि कर दग गोपीनार शासतरी - अवतारी महापरर दवारा जबरदसत वचाररक करामत होगी मजसक फलसवरप मशकषण पिमत बदल जाएगी और ऐसी मशकषा का अमवषकार होगा जो वयमि को जीवन जीन की कला परदान करगी जबमक वतामान मशकषा परणाली कवल पट भरन तक ही सीममत ह कमरत आतमजञानहीन बमिजीमवयो स लोगो की घणा होगी और भगभा मवदया रसायन शासतर यतर मवदया खमनज धात चमबक मवदया आमद क नए कषतर की और मवजञान का मवसतार होगा मजसका नततव भारतवरा का एक ऐसा धाममाक सगठन करगा मजसका मागादशाक सवय भगवान होगा धाममाक आशरम जन जागमत क कनदर बनकर काया करग बमप क ितारमन समकमर पमटा क परवत परफ एि पररमणः-

बाप कहाा आत ह- यह भी नही जानत ह जब खद आकर बताव तब पता पड़ कहाा मलखा भी ह मक परमातमा मगधदश म आता ह(मता16876)

शासतरो म मगध दश मलखा ह परनत नॉलज कहाा मसखाई आब म कस आए मदलवाड़ा ममदर भी यहाा परा यादगार ह मजनहोन भी बनाया उनहो की बमि म आया और बठकर बनवाया एकयरट मॉडल तो बना न सक बाप यहाा ही आकर सवा की सदगमत करत ह मगध दश म नही (मता5989 प3 मधय) ऐस बहत बचच ह बाप को परा पहचानत नही ह बाप का अदब(सममान) नही रखत कयोमक बाप कहत ह म साधारण रप म आता ह ा म जो ह ा जसा ह ा मवरला कोई उस रहाब स चलत ह यहाा तो बहत साधारण ह ना ह मकतनी बड़ी असामी आग चल वह भी पहचानग ऐस बाबा को हमन फारकती द दी तकदीर को लकीर लगा दी यह पीछ होगा अभी तो बहत साधारण ह रर ह गपत गपत होन कारण परा पहचान नही सकत ह परा पहचान ल तो कह- बाबा आपक मसवाए दमनया म ह ही कया कोई सदगमत कर न सक (मता151175 प1 आमअ)

यादव और कौरव पास मकतन महल ह तम बचचो को कछ भी नही तीन पर पथवी क भी तमहार नही सब उनहो का ह यह भी गाया हआ ह- मजनको तीन पर पथवी क भी नही ममलत र उनहो की मवजय हई और वह मवशव क मामलक बन गए पाणडव शमिसना गपत ह शासतरो म भी मदखात ह जआ खलत पाणडवो का राजय रा मफर जआ म हराया (म10678 प1 म) भगवान खद कहत ह मझ गाली खानी पड़ती ह सबस जासती गाली म ही खाता ह ा भमिमागा म भी गाली ही दत ह 3 पर पथवी क भी नही ममलत ह मफर भी मकतनी मनरहकारीपन स पाटा बजा रह ह (म6387 प3 अत) बहद का बाप पढ़ात ह परनत बाप ह साधारण तन म पढ़ात भी साधारण रीमत ह इसमलए मनषयो को जाचता नही ह- गॉड फादरली यमनवमसाटी मफर ऐसी होगी बाप कहत ह म ह ा गरीब मनवाज़ गरीबो को ही पढ़ाता ह ा साह कार को ताकत नही पढ़न की उनहो की बमि म तो महल-माड़ी ही होती ह (मता23489 प1 अत) भगवान एक ह उनको ही मात-मपता कहत ह वह आकर एडॉपट करत ह मकतनी गहय बात ह यह नया सकल ह नया पढ़ान वाला ह (मता251088 प3 आ)

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यह नॉलज ह यह ह नई बात नई दमनया क मलए भगवानवाच ह ना भगवान भी नया वाचय भी ह नई वह कहत ह कषण भगवानवाच तम कहत हो मशव भगवानवाच हरक की वाच अपनी-2 ह एक न ममल दसर स (मता15668 प3 आ)

किर वितर न 1 (वतररवता)-

lsquoमशवrsquo का अरा ह- lsquoककयाणकारीrsquo परममपता परमातमा का यह नाम इसमलए ह मक समि-चकर क अत म जब मनषयातमाएा तरा परकमत पमतत एव तमोपरधान बन जाती ह तो परमधाम मनवासी परममपता परमातमा मशव जयोमतमबानद मनषय शरीर का आधार लकर मनषयातमाओ और परकमत दोनो को पावन एव सतोपरधान बनात ह उनक इस कतावय की यादगार म ही मशवरामतर अराात परममपता क शबदो म मशवजयती का तयौहार मनाया जाता ह सपरीम सोल मशव मकसी परर क बीज स या माता क गभा स जनम नही लत व परजामपता दवारा मनषय-समि-रपी वकष क चतनय बीज ह और जनम-मरण तरा कमाबधन रमहत ह अतः व अपना कतावय करन क मलए मकसी साधारण वि मनषय क तन म मदवय परवश करत ह इस ही lsquoपरममपता परमातमा का मदवय अवतरणrsquo कहा जाता ह कयोमक उनका अपना शरीर नही होता ह उनका मदवय कतावय तीन चरणो म समपनन होता ह- सरापना मवनाश और पालना इन तीन कतावयो क मलए व अवयि मसरमत धारण करन वाली तीन साकार दवातमाओ का आधार लत ह व दवातमाएा ह- बरहमा शकर तरा मवषण मनषय-समि-रपी रगमच पर उनक मदवय अवतरण क बाद कौन-सी तीन आतमाएा बरहमा शकर एव मवषण क पातरो का अमभनय करती ह यह जानन क मलए हम सन 1936-37 म परममपता परमातमा क अवतरण स लकर अब तक की घटनाओ को जानना ज़ररी ह

परममपता परमातमा का यह काया सन 193637 म पामकसतान क मसध हदराबाद शहर स परारमभ हआ जब उनहोन दादा लखराज नामक एक मवखयात हीरो क वयापारी को मवषण चतभाज नका की परानी दमनया क मवनाश और सवगा की नई दमनया की सरापना का साकषातकार कराया मकनत व उन मदवय साकषातकारो का अरा समझ न पाए उनहोन अपन गरओ स इसका अरा पछा मकनत भगवान की लीला व दहधारी गर लोग कया समझ मफर व (दादा लखराज) वाराणसी क परकाणड पमणडतो स इसका समाधान पान क मलए गए मकत उनह वहाा भी मनराशा ही हार लगी वहाा भी उनह साकषातकार होत रह मजसकी तसवीर व गगा क घाटो पर बनी दीवारो पर बनात रहत र जब कोई भी उनकी समसया का समाधान न कर सका तो उनह कलकरता म रहन वाल अपन भागीदार (सवकराम) की याद आई उस भागीदार की मनषठा व ईमानदारी स परभामवत होकर ही उनहोन उस अपनी कलकरता मसरत हीरो की दकान की मज़ममवारी सौपी री

अतः दादा लखराज कलकरता गए मकत सीध उस भागीदार को अपन साकषातकारो का वणान करन क बजाय उनहोन अपनी नज़दीकी सबध की माता (अराात छोटी माता) को सनाया और उस माता न दसरी माता को सनाया जो बोलन सनन सनान म मसिहसत री बाद म जब सनन-सनान म मसिहसत माता न परजामपता (भागीदार) को सनाया उसी समय जयोमतमबद परममपता परमातमा मशव न उसी माता और परजामपता (भागीदार) म सार-ही-सार परवश कर मलया और इस परकार उस मसिहसत माता दवारा साकषातकारो का वणान सनन-सनान की परमकरया दवारा lsquoभमिमागाrsquo की तरा भागीदार दवारा जञान समझन-समझान की परमकरया दवारा lsquoजञानमागाrsquo की नीव पड़ गई

इस परकार चामक परममपता मशव न सवापररम उन दोनो माताओ क समकष भागीदार म परवश कर मवशव पररवतान का काया आरमभ मकया इसमलए व मशव जयोमतमबानद ही भमवषय म बरहमा शकर और मवषण- इन मतरदवो दवारा ससार म मतरममता मशव क नाम स परमसि होत ह

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 11: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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वितर न 5 (विि और िकर)- यहाा मदखाया गया ह मक वासतव म मशव अलग स परममपता ह और शकर अलग आतमा ह गलती क कारण दोनो को ममलाकर एक कर मदया लमकन गलती भी नही ह वासतव म वह हमारी बसमझी हो गई यह बसमझी होन क कारण ही बरहमाकमार-कमाररयाा भी उस बसमझी म फा स हए ह कया बसमझी हो गई मक व सपरीम सोल मशव मनराकार जयोमतमबिद जब इस समि पर आत ह तो इस समि पर आकर मकसी जनसाधारण को ज़रर आप समान बनाएाग व पढ़ाई पढ़ाएाग टीचर का कोई तो सटडट ऐसा मनकलगा जो उनकी परी 100 परसट पढ़ाई को धारण कर ल तो व मनराकार जयोमतमबिद मशव आकर इस शकर क सवरप दवारा ससार म परतयकष होत ह और इस तरह दोनो का तादातमय हो जाता ह आप दखग कोई यह नही कहता ह मक मशव-बरहमा एक ह मशव क सार बरहमा का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार मवषण का नाम कयो नही जड़ा मशव क सार शकर का ही नाम कयो जड़ता ह इसमलए जड़ता ह मक शकर मशव की याद म इतना तकलीन हो जात ह मक उनको अपन म समामहत कर लत ह अराात बाप समान बन जात ह तो वह समामहत करन की जो मसरमत ह वह lsquoमशव-शकर एक हrsquo- यह मसरमत ससार म परमसि होती ह वासतव म दोनो आतमाएा अलग-2 ह य सपरीम सोल मशव जनम-मरण क चकर म कभी आत ही नही इसमलए lsquoमशवमलगrsquo कहा जाता ह lsquoशकर मलगrsquo नही कहा जाता lsquoमशवरामतरrsquo कही जाती ह lsquoशकर रामतरrsquo नही कही जाती मशव ऐसी चीज़ ह जो मक पाप और पणय स हमशा पर ह और जो दहधारी ह व पाप-पणय क अदर फा सत ह

अब आप दमखए शकर धयान म बठ ह अगर य खद ही परममपता परमातमा का रप होत सपरीम सोल होत तो य मकसका धयान कर रह ह आप परान-2 ममदरो म जाइए आप दखग बीच म मखय सरान पर मशवमलग ह और आस-पास सभी दवताओ क सार शकर की भी ममता रखी हई होती ह इसस कया सामबत हआ मक और मजतन दवताएा ह उन 33 करोड़ दवताओ क बीच म शकर दव-दव महादव तो ज़रर ह लमकन व परममपता परमातमा नही ह व भी उनकी उपासना म सामन बठ हए ह मकसक सामन मशवमलग क सामन तो मनराकार की यादगार मलग रप मशव जयोमतमबिद सपरीम सोल ह और य शकर हीरो पाटाधारी इस समि-रपी रगमच क नायक ह जञानीजनो दवारा जयोमतमबिद मशव को मसफा याद मकया जा सकता ह और भमिमागा म उनका मकरार रर शकर ही मनराकारी सटज म मसरर हो जान कारण बड़ मलग रप म पजा जाता ह

वितर न 6 (पररवपतम पररमतरम सिावयमपी नही)- यहाा यह बताया गया ह मक ईशवर जब समि पर आएाग तो जञान का कोई-न-कोई ऐसा नया पवाइट ज़रर बताएाग मजसम सारी दमनया भरममत हई पड़ी हो ऐसी नई बात ज़रर सनाएाग मजस सारी दमनया न जानती हो बमकक मवपरीत बात ही जानती हो वह बात यह ह मक जब दमनया म चारो तरफ भगवान को ढाढ़ा और कही नही ममला तो लोगो न उनक मलए कहना शर कर मदया- lsquoव तो सवावयापी ह जर-2 म भगवान ह कण-2 म भगवान ह जहाा दखो वहाा भगवान हrsquo लमकन वासतव म गीता का एक शलोक ही इस बात क मलए काफी ह मक lsquolsquoतद धाम परम ममrsquorsquo (कपया गीता का शलोक 156 दमखए) अराात म वहाा परमधाम का रहन वाला ह ा दमनया का सबस शरषठ गरनर गीता ह मजसकी सबस जयादा टीकाएा हई ह उसक एक शलोक म यह बात सामबत हो गई ह गीता म ही एक शबद आया ह lsquoमवभrsquo इस शबद का उनहोन इतना बड़ा अरा कर मदया मक ससार म चारो तरफ यही बात फली हई ह मक व सवावयापक ह वासतव म मवभ का अरा यह ह मक व मवशर रप स हर मनषय आतमा की

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बमि म lsquoभrsquo माना याद क रप म अपना सरान बना लत ह उसका उकटा अरा लगाकर उनहोन परममपता परमातमा को सवावयापी कह मदया

यहाा बात समझाई गई ह मक परममपता परमातमा वासतव म समि पर सवावयापी नही ह गीता और रामायण भी इस बात क परमाण ह गीता व रामायण म मलखा ह मक lsquolsquoजब-जब इस समि पर अधमा का बोलबाला होता ह तब-तब म आता ह ाrsquorsquo lsquoआता ह ाrsquo स सामबत ही हो गया मक व नही र तब तो आए नही तो उनको आन की कया दरकार री दसरी बात अभी-2 आपको गीता का जो शलोक बताया वह पकका सामबत कर रहा ह मक परममपता परमातमा का धाम नाम काम ऊा च त ऊा चा ह मजसका गायन भी ह- lsquoऊा चा तरा धाम ऊा चा तरा नाम

ऊा चा तरा कामrsquo धाम काम नाम- तीनो ही जब ऊा चा ह तो व ऊा चा ही बठग या नीच बठग इस दमनया का भी जो राजा होता ह वह भी ऊा ची गददी पर बठता ह तो हमन परममपता परमातमा को कण-2 म कयो ममला मदया

यहाा मचतर म मदखाया गया ह मक ऋमर ममन सनयासी भाव मवभोर होत ह तो खड़ताल बजाकर कहत ह- lsquoह परभ हम दशान दोrsquo परत जब परवचन करत ह तो कहत ह- lsquoपरमातमा सवावयापी ह आतमा सो परमातमा मशवोऽहम हम परमातमा क रप ह हम ही भगवान हrsquo तो यह बात तका सगत सामबत नही होती एक बात पर पकका रहना चामहए यह कया बात हई कीतान करन लग तो परभजी हम दशान दो अब दशान कहाा स द तमहार अदर जब खद ही भगवान बठ हए ह तम खद ही भगवान क रप हो यहाा यह मदखाया गया ह मक जो परवचन सनन वाल ह व मजस समय गरजी महाराज का परवचन सनत ह तब तो भाव मवभोर होकर कहत ह- lsquoहाा परमातमा सवावयापी ह बहत अचछा जञान सनायाrsquo घर म पहाचत ही भाई भाई की हतया करन लग अब उनह भाई-2 क अदर भगवान नही मदखाई मदए यह मवरोधाभास एकदम इतना कस पदा हो गया

वासतव म सबक अदर अपनी-2 मभनन ससकारो वाली आतमा होती ह परममपता परमातमा उन सबस सवारा अलग ह अपनी भारतीय परमपरा म शकराचाया की मरोलोजी अलग ह और माधवाचाया की मरोलोजी अलग ह माधवाचाया की गीता म बताया गया ह मक lsquoआतमा सब अलग-2 ह और परमातमा उनस अलगrsquo जबमक शकराचाया की गीता म बताया गया ह- lsquoसवि खल इद बरहमrsquo अराात इस दमनया म जो कछ भी दखन म आ रहा ह व सब भगवान का रप ह माधवाचाया न बताया मक lsquoहर आतमा म अलग-2 ससकार हrsquo य आतमाएा गभा म जब शरीर धारण करगी तो य अपना अलग-2 पाटा ही बजाएागी इनका पाटा दसरी आतमा स ममल नही सकता हम हमशा शासतरो म यह ममसाल दत आए ह मक हम सब आतमाएा सागर म बदबदा ह बदबद सब सागर म समा जात ह मान हम उस सागर का अश ह यही कहा ना लमकन हम एक बात भल गए अगर हम बदबद ह हम सागर का अश ह तो सागर म स जो चकल भर पानी हमन ल मलया उसम जो खारपन का गण होगा वही सागर क पानी म भी होना चामहए ना यह पानी हमन पनः उसम ममला मदया दोनो का गण अभी भी एक ही ह लमकन हम सबक अदर य अलग-2 ससकार कस ह यह अलगाव कहाा स आ गया और जनम-जनमातर स यह अलगाव चलता चला आ रहा ह दसरी बात इसका एक और पररहारमनवारण ह- आपन कभी चाहा ह मक हमारी आतमा का जो अमसततव ह वह हमशा क मलए खतम हो जाए कोई चाहता ह अगर हमारी आतमा उस सपरीम सोल मशव म जाकर लीन हो जाए सागर म चकल भर पानी ममला मदया गया तो उसका अमसततव हमशा क मलए खतम हो जाएगा मफर शासतरो म यह बात कहाा स आई- lsquolsquoककप-2 लमग परभ अवतारा जब-2 तरतायग होता ह तब-2 राम का अवतार होता हrsquorsquo

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अजर-अमर तो सभी आतमाएा ह वह बात तो ठीक ह वह एक अलग बात उनका अमसततव उनका ससकार सब अलग-2 ह लमकन हर आतमा का अनक जनमो का जो पाटा ह वह उस जयोमतमबानद रपी आतमा क टप ररकॉडार म भरा हआ ह इस समि-रपी रगमच पर जब कोई भी आतमा उतरगी तो सतयग क आमद स लकर कमलयग क अत तक वह उतन ही जनम लगी मजतना पहल चतयागी म मलया रा अगर राम की आतमा होगी तो हर तरतायग म राम क रप म ही जनम लगी lsquoह कषण नारायणrsquo की आतमा होगी तो वह हर सतयग क आमद म नारायण क रप म ही राजय करगी इस तरह हर जनम म आतमा का शरीर रपी चोला बदलन का पाटा मनमित ह हर 5000 वरा क बाद वह जयो का तयो पनरावतान होता ह

हर आतमा सो परमातमा नही ह सपरीम सोल मशव हमशा अलग ह अगर व भी जनम-मरण क चकर म आन लग तो हमको छड़ान वाला कोई भी नही रहगा उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही की जा सकती कोई आतमा हीरो-हीरोइन पाटाधारी बन सकती ह मवलन व साधारण आतमा का पाटा बजा सकती ह लमकन सपरीम सोल मशव जसा पाटा मकसी का नही ह उनका तो तररया पाटा ह व बार-2 इस समि पर आत भी नही जसा शासतर म मलख मदया ह- lsquoसमभवामम यग-यगrsquo अराात म हर यग म आता ह ा अर हर यग म आत तो दवापर क अत म जब महाभारत यि कराया कषण क रप म परममपता परमातमा आए तो कया पापी कमलयग की सरापना करन क मलए आए र उनको हर यग म आन की कया ज़ररत ह साधारण बाप होता ह वह भी बचचो क मलए मकान तब तयार करता ह जब मकान पराना हो जाता ह उस परान मकान स काम नही चलता जब तक काम चल सकता ह तब तक मरममत कराता रहता ह इस समि-रपी मकान की भी यही हालत ह इबराहीम बि कराइसट गरनानक आमद य धमामपताएा आकर समि की जगह-2 मरममत करत रह मकसी न अरब दश म आकर मरममत की मकसी न यरोपीय दशो म की मकसी न चीन-जापान म की नया मकान तो मकसी न नही बनाया नई समि तो नही बनाई यह मरममत मकतन मदन चलगी कछ समय तक उन धमो का परभाव रहता ह मफर वह खलास आखरीन तो मफर भी उसी सपरीम सोल मशव बाप को जो धमामपताओ क भी बाप ह बापो क भी बाप ह इस समि पर उतरना ही पड़ता ह व आकर इस समि का आमल-चल पररवतान कर दत ह तो व सवावयापी नही ह व तो इस समि पर मकरार रप स हीरो पाटाधारी म परवश करक पाटा बजात ह

आपन lsquoजीज़सrsquo वा lsquoकराइसटrsquo का नाम सना आमखर य दो नाम कयो मकरमियनस लोग मानत ह मक वह वयमि

जो पहल खयामतपरापत नही रा उसका नाम lsquoजीज़सrsquo रा मफर जब खयामतपरापत हो गया तब उसका नाम lsquoकराइसटrsquo पड़ गया इसका रहसय कोई नही जानता यह रहसय परममपता परमातमा मशव आकर बता रह ह मक कोई भी नई आतमा ऊपर स उतरती ह तो मजसम भी परवश करती ह उसका नाम बदल दती ह जस पहल lsquoनरनदरrsquo नाम रा बाद म lsquoमववकाननदrsquo नाम पड़ गया आचाया रजनीश का भी ऐस ही हआ ह पहल यह एक साधारण लकचरर र जब आतमा न परवश मकया तो lsquoआचाया रजनीशrsquo नाम पड़ गया तो हर आतमा जो ऊपर स नीच उतरती ह वह मजसम परवश करती ह उसको कनवटा करक अपन धमा म खीच ल जाती ह और वह आधारमता मजसम परवश मकया वह भारत की ही सनातन धमा की आतमा होती ह ऐस ही दसर-2 धमो म कनवशान या पररवतान हआ भारतवामसयो स ही कनवटा होकर दसर-2 धमा पनप ह और वमि को पाए ह कहन का मतलब यह हआ मक उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही हो सकती हम आतमाओ क मकाबल व हमशा तरीया ह व तो सख भी नही भोगत तो दःख भी नही भोगत व सख-दःख स हमशा ही पर रहन वाल ह हाा यह बात ज़रर ह मक जब व इस समि पर आकर राजयोग मसखात ह तो ऐसी पढ़ाई पढ़ात

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ह मक हम आतमाएा नवार पररारा अनसार इस सटज को परापत कर मक इस समि पर रहत हए भी दःख-सख म रहत हए भी अपनी ऐसी अवसरा बना ल मक दःख क समय हम दःखी न हो और सख क समय हम बहत जयादा परसनन न हो मजसका नाम गीता म lsquoमसरतपरजञrsquo मदया गया ह लमकन हमारी वह अवसरा हमशा क मलए नही रहगी परनत उस मशव की हमशा क मलए रहगी वह सपरीम सोल ह तो मफर आतमा-परमातमा एक कहाा हए

परमातमा सवावयापी कहाा हए सपरीम सोल मशव तो हमशा अलग ही हए

मशव की तलना ऊा च त ऊा च मतरदवो स भी नही की जा सकती इन मतरदवो की यादगार म lsquolsquoझणडा ऊा चा रह हमारा मवजयी मवशव मतरगा पयारा मवशव मवजय करक मदखलावrsquorsquo- यह बोलत तो ह लमकन यह नही जानत ह मक व तीन शरीर रपी वसतर कौन-स ह मजन वसतरो न सार मवशव म तहलकाखलबली मचाई री सार मवशव म मवजय करक मदखलाई री वासतव म व शरीर रपी वसतर lsquoबरहमा मवषण शकरrsquo- य तीन ही ह उनक सकतक रग भी वस ही मदखाए गए ह ऊपर वाला कसररया रग ह शकर- करामत का सचक बीच वाला सफद वसतर सतवगणी मवषण का सचक ह नीच वाला हरा वसतर बरहमा का सचक ह जस गााधीजी कहत रह- lsquoरामराजय आएगा रामराजय आएगाrsquo

बमकक और ही रावण राजय आ गया ऐस ही बरहमा बाबा हमशा मचकलात रह- lsquoरामराजय लाएाग सवगा आएगा

वकणठ आएगा और सवगा आन ही वाला हrsquo अब उस सवगा की जगह बरहमाकमारी आशरमो म रौरव नका बन रहा ह

इसमलए बरहमा की ममतायाा ममदर व पजा नही होती कयोमक तराकमरत बरहमाकमार-कमाररयो न ही बरहमा की दाढ़ी की लाज नही रखी जबमक शकर और मवषण क ममदर और ममतायाा बनाकर आज सार भारतवरा म पजा की जा रही ह

वितर न 7 (सहज रमजयोग)- ससार म अनक परकार क योग परमसि ह जस- भमियोग कमायोग जञानयोग हठयोग राजयोग आमद मकत योग क इन सभी परकारो म सहज राजयोग शरषठामतशरषठ ह योग का अरा ह- समबध या ममलन आजकल योग का तातपया योगासन या हठयोग समझ मलया जाता ह मकनत योगासन स शारीररक सवासथय और कछ सीमा तक मानमसक सवासथय ममल सकता ह लमकन समपणा सख-शामत की परामपत तो कवल राजयोग दवारा ही हो सकती ह

lsquoराजयोगrsquo का अरा ह राजाओ का राजा बनान वाला योग या रहसय भरा योग मनषयातमाएा कई जनमो स दह-अमभमान क दलदल म फा सकर मवनाशी दहधाररयो स योग लगाती आई ह मकत जस तााब वाल दो तारो को जोड़न स उसम मबजली परवामहत होती ह परत रबड़ चढ़ हए तााब क तारो स मबजली का करट नही लगता उसी परकार दह-अमभमानी दहधाररयो स समबध रखन पर अमवनाशी सख-शामत की परामपत नही हो सकती परममपता परमातमा मशव तो इस योग भी नही अमपत सरल शबद म lsquoयादrsquo कहत ह याद करना एक सवाभामवक सरल एव मनरतर परमकरया ह जबमक योग स मकसी मवशर परयास का बोध होता ह जस परममपता परमातमा शरीर म रहत हए भी उसक भान स नयार ह अराात मवदही रहत ह उसी परकार हम भी सवय को अमवनाशी आतमा (न मक परकमत क 5 ततवो स बना दह) समझकर परजामपता बरहमा क दवारा परममपता परमातमा को याद करना ह हमारी दमि म मशव रहना चामहए मातर शव अराात दह नही अतः भगवान को न तो मसफा साकार रप म न तो मसफा मनराकार रप म बमकक भलीभाामत पहचानकर साकार शरीर म परमवि मनराकार को याद करना ह यही ह सचचा राजयोग

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मन वचन एव कमा की पमवतरता परममपता परमातमा स सचचा सनह मदवय गणो की धारणा ईशवरीय जञान शि अनन तरा सचच बराहमणो का सग करन पर आतमा दह-अमभमान दवारा उतपनन पााच मवकारो अराात काम करोध लोभ मोह

अहकार स ममि पाकर अपन मल सवरप अराात सवागण समपनन सवरप म मसरत हो सकती ह परभ को याद करन क मलए अमतवला या बरहममह ता का समय सबस शरषठ ह कयोमक उस समय वातावरण शात तरा शि रहता ह और मन भी जागरत एव परशात होता ह राजयोग क मनतय अभयास स आतमा म पमवतरता शामत धया मनभायता नमरता-जस गणो की धारणा होती ह सार ही आतमा को वयरा मवचारो क फलाव को समटन की शमि सहनशमि समान की शमि अचछ-बर को परखन की शमि सही मनणाय लन की शमि समसयाओ का सामना करन की शमि मवमभनन ससकार वाल मनषयो क सार सहयोग करन की शमि तरा मवसतार को सकीणा करन की शमि आमद आतमा की अि शमियाा परापत होती ह

राजयोग क मनरतर एव दढ़ अभयास स आतमा अपन आमद मधय एव अत की कहानी को तरा इस मवशव म अपन अमदवतीय अनक जनमो क पाटा को जान सकती ह और अपन घर बठ मवशव की आतमाओ को भी शामत एव सख का दान द सकती ह इस परकार हम सव-पररवतान क सार-2 मवशव-पररवतान भी कर सकत ह

बरहमाकमारी मवदयालय (बरमव) और आधयामतमक मवदयालय (आमव) की मशकषाओ म अतर-

बरहमाकमारी मवदयालय शासतरो को मानयता नही दता ह आधयामतमक मवदयालय ईशवरीय वाणी क आधार पर शासतरो को मानयता दता ह

बरमव कषण उफा बरहमा को ही एकमातर गीता का साकार भगवान मानता ह जबमक मख स कहता ह मक कषण गीता क भगवान नही ह

आमव मनराकारी सटज वाल साकार मशव-शकर को परमकटकल म गीता का भगवान मानता ह कषण उफा बरहमा क साकार रप दादा लखराज को गीता का भगवान नही मानता बरमव बरहमा-मवषण-शकर क साकार मचतर तो छपाता ह परत मसफा बरहमा क परमकटकल साकार रप को ही मानयता दता ह मवषण और शकर को इस दमनया स ही उड़ा दता ह जबमक शासतरो व दमनया म भी बरहमा क ममदर ममतायाा और पजा नही मदखाई ह बरहमाकमारी मवदयालय मशव-शकर को तो अलग-2 कहता ह लमकन यह नही बताता मक शासतरो म मशव-शकर को कयो ममला मदया मशव को बरहमा मवषण अरवा अनयानय 33 करोड़ दवताओ क सार कयो नही ममलाया और शकर को ही महादव कयो कहा ह

आमव म उपरोि परशनो का सटीक जवाब ह और तीनो दवताओ क साकार परमकटकल पाटा की सपिता भी ह

बरमव मसफा बरहमा (बरहम+माा) बड़ी माा को ही भगवान का साकार रप मानता ह और अपन को मसफा बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

आमव माा और बाप (परजामपता+बरहमा = एडम और ईव) दोनो को साकार रप म मानता ह और अपन को परजामपता बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

बरमव जञान-योग का मवजञापन करता ह जस- परोजकटर परदशानी पमबलक भारण कॉनर स मल सममलन ररयातरा

मनषयकत सामहतय आमद

आमव मकसी परकार क मवजञापन म मवशवास नही करता

बरमव मसफा मतय क बाद ही ममि-जीवनममि रपी ईशवरीय वस को जीवन का लकषय मानता ह

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आमव जीवन रहत ही लोक और परलोक सावारन का पररारा कराता ह अराात इसी जनम म नर स नारायण और नारी स लकषमी बनान का परम परमसि गीता वमणात उपदश दता ह

बरमव महल मामड़याा अटाररयाा बनाकर 36 परकार क भोग खान म और मसफा झकाझक शवत वसतर पहनन म अपन को शरषठ मानकर चलता ह आमव रहन सहन खान पान पहनाव म सादगी को ही शरषठ मानकर चलता ह बरमव म चदा माागकर वयमिगत वभव और मान-शान बढ़ाना आम बात ह

आमव मकसी परकार क चदा आमद lsquoमाागन स मरना भलाrsquo समझता ह

बरमव मसफा कहता ह मक हम एक धमा एक राजय एक कल एक मत की सरापना करग परत चलन म परा ही मवरोधाभास दखन म आता ह आमव क सदसय परमकटकल म आए हए एकमातर ईशवर की ही शरषठ मत को मानत हए ईशवरीय धारणाओ कायद

कानन को मानन क सार-2 नमबरवार अपन-2 पररारा अनसार चलन का परयास भी करत ह

सममपात बरक परायः सनयामसयो की तरह मठ-पर बनाकर जीवन चलाती ह

आमव क सममपात या गर सममपात सभी सदसय गहसरी जीवन यापन करत ह कयोमक गीता क भगवान सवय बहद क गहसर म रहत हए गहसरी पाणडवो को ही राजयोग मसखात ह सनयामसयो (भीषम दरोणाचाया कपाचाया) को नही

भविषयिमणी

(यहाा उन लोगो की भमवषयवामणयो का वणान मकया गया ह मजनकी भमवषयवामणयाा आज तक सही सामबत हई) -

कमकक पराण - सवततरता क बाद भारत म एक ऐस महापरर का उदय होगा जो वजञामनको का भी वजञामनक होगा वह आतमा और परमातमा क रहसय को परगट करगा आतमजञान उसकी दन होगी उसकी वश-भरा साधारण होगी उसका सवासथय बालको जसा योिाओ की तरह साहसी अमशवनी कमारो की तरह वीर यवा व सनदर शासतरो का परकाणड पमणडत व मानवतावादी होगा उसका मपता ही उस योग साधना की ओर परररत करगा 24 वरा की आय म वह योग की उचच भममका म परवश करगा एणडरसन(अमररका) - अरब राषरो समहत ममसलम बहल राजयो म आपसी करामतयाा और भीरण रिपात होग इस बीच भारतवरा म जनम महापरर का परभाव व परमतषठा बढ़गी यह वयमि इमतहास का सवाशरषठ मसीहा होगा वह एक मानवीय समवधान का मनमााण करगा मजसस सार ससार की एक भारा एक सघीय राजय एक सवोचच नयायपामलका एक झणड की रप-रखा होगी

गरराडा कराईस(हॉलड) - भारत दश म एक ऐस महापरर का जनम हआ ह जो मवशव ककयाण की योजनाएा बनाएगा जलबणा - ससार क सबस समरा वयमि का अवतरण हो चका ह वह सारी दमनया को बदल दगा उसकी आधयामतमक करामत सार मवशव म छा जाएगी एक ओर सघरा होग दसरी ओर एक नई धाममाक करामत उठ खड़ी होगी जो आतमा और परमातमा क नए-2 रहसय को परगट करगी वह महापरर 1962 स पवा जनम ल चका ह उसक अनयायी एक समरा ससरा क रप म परगट होग और धीर-2 सार मवशव म अपना परभाव जमा लग असभव मदखन वाल काया को भी व लोग उस महापरर की कपा स बड़ी सरलता स सपनन करग

परोफसर कीरो - भारत का अभयदय एक सवोचच शमि क रप म हो जाएगा पर उसक मलए उस बहत कठोर सघरा करन पड़ग दखन म यह मसरमत अतयत किदायक होगी पर इस दश म एक फररशता आएगा जो हज़ारो छोट-2

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लोगो को इकटठा करक उनम इतनी आधयामतमक शमि भर दगा मक व लोग बड़-2 बमिजीमवयो की मानयता ममथया मसि कर दग गोपीनार शासतरी - अवतारी महापरर दवारा जबरदसत वचाररक करामत होगी मजसक फलसवरप मशकषण पिमत बदल जाएगी और ऐसी मशकषा का अमवषकार होगा जो वयमि को जीवन जीन की कला परदान करगी जबमक वतामान मशकषा परणाली कवल पट भरन तक ही सीममत ह कमरत आतमजञानहीन बमिजीमवयो स लोगो की घणा होगी और भगभा मवदया रसायन शासतर यतर मवदया खमनज धात चमबक मवदया आमद क नए कषतर की और मवजञान का मवसतार होगा मजसका नततव भारतवरा का एक ऐसा धाममाक सगठन करगा मजसका मागादशाक सवय भगवान होगा धाममाक आशरम जन जागमत क कनदर बनकर काया करग बमप क ितारमन समकमर पमटा क परवत परफ एि पररमणः-

बाप कहाा आत ह- यह भी नही जानत ह जब खद आकर बताव तब पता पड़ कहाा मलखा भी ह मक परमातमा मगधदश म आता ह(मता16876)

शासतरो म मगध दश मलखा ह परनत नॉलज कहाा मसखाई आब म कस आए मदलवाड़ा ममदर भी यहाा परा यादगार ह मजनहोन भी बनाया उनहो की बमि म आया और बठकर बनवाया एकयरट मॉडल तो बना न सक बाप यहाा ही आकर सवा की सदगमत करत ह मगध दश म नही (मता5989 प3 मधय) ऐस बहत बचच ह बाप को परा पहचानत नही ह बाप का अदब(सममान) नही रखत कयोमक बाप कहत ह म साधारण रप म आता ह ा म जो ह ा जसा ह ा मवरला कोई उस रहाब स चलत ह यहाा तो बहत साधारण ह ना ह मकतनी बड़ी असामी आग चल वह भी पहचानग ऐस बाबा को हमन फारकती द दी तकदीर को लकीर लगा दी यह पीछ होगा अभी तो बहत साधारण ह रर ह गपत गपत होन कारण परा पहचान नही सकत ह परा पहचान ल तो कह- बाबा आपक मसवाए दमनया म ह ही कया कोई सदगमत कर न सक (मता151175 प1 आमअ)

यादव और कौरव पास मकतन महल ह तम बचचो को कछ भी नही तीन पर पथवी क भी तमहार नही सब उनहो का ह यह भी गाया हआ ह- मजनको तीन पर पथवी क भी नही ममलत र उनहो की मवजय हई और वह मवशव क मामलक बन गए पाणडव शमिसना गपत ह शासतरो म भी मदखात ह जआ खलत पाणडवो का राजय रा मफर जआ म हराया (म10678 प1 म) भगवान खद कहत ह मझ गाली खानी पड़ती ह सबस जासती गाली म ही खाता ह ा भमिमागा म भी गाली ही दत ह 3 पर पथवी क भी नही ममलत ह मफर भी मकतनी मनरहकारीपन स पाटा बजा रह ह (म6387 प3 अत) बहद का बाप पढ़ात ह परनत बाप ह साधारण तन म पढ़ात भी साधारण रीमत ह इसमलए मनषयो को जाचता नही ह- गॉड फादरली यमनवमसाटी मफर ऐसी होगी बाप कहत ह म ह ा गरीब मनवाज़ गरीबो को ही पढ़ाता ह ा साह कार को ताकत नही पढ़न की उनहो की बमि म तो महल-माड़ी ही होती ह (मता23489 प1 अत) भगवान एक ह उनको ही मात-मपता कहत ह वह आकर एडॉपट करत ह मकतनी गहय बात ह यह नया सकल ह नया पढ़ान वाला ह (मता251088 प3 आ)

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यह नॉलज ह यह ह नई बात नई दमनया क मलए भगवानवाच ह ना भगवान भी नया वाचय भी ह नई वह कहत ह कषण भगवानवाच तम कहत हो मशव भगवानवाच हरक की वाच अपनी-2 ह एक न ममल दसर स (मता15668 प3 आ)

किर वितर न 1 (वतररवता)-

lsquoमशवrsquo का अरा ह- lsquoककयाणकारीrsquo परममपता परमातमा का यह नाम इसमलए ह मक समि-चकर क अत म जब मनषयातमाएा तरा परकमत पमतत एव तमोपरधान बन जाती ह तो परमधाम मनवासी परममपता परमातमा मशव जयोमतमबानद मनषय शरीर का आधार लकर मनषयातमाओ और परकमत दोनो को पावन एव सतोपरधान बनात ह उनक इस कतावय की यादगार म ही मशवरामतर अराात परममपता क शबदो म मशवजयती का तयौहार मनाया जाता ह सपरीम सोल मशव मकसी परर क बीज स या माता क गभा स जनम नही लत व परजामपता दवारा मनषय-समि-रपी वकष क चतनय बीज ह और जनम-मरण तरा कमाबधन रमहत ह अतः व अपना कतावय करन क मलए मकसी साधारण वि मनषय क तन म मदवय परवश करत ह इस ही lsquoपरममपता परमातमा का मदवय अवतरणrsquo कहा जाता ह कयोमक उनका अपना शरीर नही होता ह उनका मदवय कतावय तीन चरणो म समपनन होता ह- सरापना मवनाश और पालना इन तीन कतावयो क मलए व अवयि मसरमत धारण करन वाली तीन साकार दवातमाओ का आधार लत ह व दवातमाएा ह- बरहमा शकर तरा मवषण मनषय-समि-रपी रगमच पर उनक मदवय अवतरण क बाद कौन-सी तीन आतमाएा बरहमा शकर एव मवषण क पातरो का अमभनय करती ह यह जानन क मलए हम सन 1936-37 म परममपता परमातमा क अवतरण स लकर अब तक की घटनाओ को जानना ज़ररी ह

परममपता परमातमा का यह काया सन 193637 म पामकसतान क मसध हदराबाद शहर स परारमभ हआ जब उनहोन दादा लखराज नामक एक मवखयात हीरो क वयापारी को मवषण चतभाज नका की परानी दमनया क मवनाश और सवगा की नई दमनया की सरापना का साकषातकार कराया मकनत व उन मदवय साकषातकारो का अरा समझ न पाए उनहोन अपन गरओ स इसका अरा पछा मकनत भगवान की लीला व दहधारी गर लोग कया समझ मफर व (दादा लखराज) वाराणसी क परकाणड पमणडतो स इसका समाधान पान क मलए गए मकत उनह वहाा भी मनराशा ही हार लगी वहाा भी उनह साकषातकार होत रह मजसकी तसवीर व गगा क घाटो पर बनी दीवारो पर बनात रहत र जब कोई भी उनकी समसया का समाधान न कर सका तो उनह कलकरता म रहन वाल अपन भागीदार (सवकराम) की याद आई उस भागीदार की मनषठा व ईमानदारी स परभामवत होकर ही उनहोन उस अपनी कलकरता मसरत हीरो की दकान की मज़ममवारी सौपी री

अतः दादा लखराज कलकरता गए मकत सीध उस भागीदार को अपन साकषातकारो का वणान करन क बजाय उनहोन अपनी नज़दीकी सबध की माता (अराात छोटी माता) को सनाया और उस माता न दसरी माता को सनाया जो बोलन सनन सनान म मसिहसत री बाद म जब सनन-सनान म मसिहसत माता न परजामपता (भागीदार) को सनाया उसी समय जयोमतमबद परममपता परमातमा मशव न उसी माता और परजामपता (भागीदार) म सार-ही-सार परवश कर मलया और इस परकार उस मसिहसत माता दवारा साकषातकारो का वणान सनन-सनान की परमकरया दवारा lsquoभमिमागाrsquo की तरा भागीदार दवारा जञान समझन-समझान की परमकरया दवारा lsquoजञानमागाrsquo की नीव पड़ गई

इस परकार चामक परममपता मशव न सवापररम उन दोनो माताओ क समकष भागीदार म परवश कर मवशव पररवतान का काया आरमभ मकया इसमलए व मशव जयोमतमबानद ही भमवषय म बरहमा शकर और मवषण- इन मतरदवो दवारा ससार म मतरममता मशव क नाम स परमसि होत ह

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

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बमि म lsquoभrsquo माना याद क रप म अपना सरान बना लत ह उसका उकटा अरा लगाकर उनहोन परममपता परमातमा को सवावयापी कह मदया

यहाा बात समझाई गई ह मक परममपता परमातमा वासतव म समि पर सवावयापी नही ह गीता और रामायण भी इस बात क परमाण ह गीता व रामायण म मलखा ह मक lsquolsquoजब-जब इस समि पर अधमा का बोलबाला होता ह तब-तब म आता ह ाrsquorsquo lsquoआता ह ाrsquo स सामबत ही हो गया मक व नही र तब तो आए नही तो उनको आन की कया दरकार री दसरी बात अभी-2 आपको गीता का जो शलोक बताया वह पकका सामबत कर रहा ह मक परममपता परमातमा का धाम नाम काम ऊा च त ऊा चा ह मजसका गायन भी ह- lsquoऊा चा तरा धाम ऊा चा तरा नाम

ऊा चा तरा कामrsquo धाम काम नाम- तीनो ही जब ऊा चा ह तो व ऊा चा ही बठग या नीच बठग इस दमनया का भी जो राजा होता ह वह भी ऊा ची गददी पर बठता ह तो हमन परममपता परमातमा को कण-2 म कयो ममला मदया

यहाा मचतर म मदखाया गया ह मक ऋमर ममन सनयासी भाव मवभोर होत ह तो खड़ताल बजाकर कहत ह- lsquoह परभ हम दशान दोrsquo परत जब परवचन करत ह तो कहत ह- lsquoपरमातमा सवावयापी ह आतमा सो परमातमा मशवोऽहम हम परमातमा क रप ह हम ही भगवान हrsquo तो यह बात तका सगत सामबत नही होती एक बात पर पकका रहना चामहए यह कया बात हई कीतान करन लग तो परभजी हम दशान दो अब दशान कहाा स द तमहार अदर जब खद ही भगवान बठ हए ह तम खद ही भगवान क रप हो यहाा यह मदखाया गया ह मक जो परवचन सनन वाल ह व मजस समय गरजी महाराज का परवचन सनत ह तब तो भाव मवभोर होकर कहत ह- lsquoहाा परमातमा सवावयापी ह बहत अचछा जञान सनायाrsquo घर म पहाचत ही भाई भाई की हतया करन लग अब उनह भाई-2 क अदर भगवान नही मदखाई मदए यह मवरोधाभास एकदम इतना कस पदा हो गया

वासतव म सबक अदर अपनी-2 मभनन ससकारो वाली आतमा होती ह परममपता परमातमा उन सबस सवारा अलग ह अपनी भारतीय परमपरा म शकराचाया की मरोलोजी अलग ह और माधवाचाया की मरोलोजी अलग ह माधवाचाया की गीता म बताया गया ह मक lsquoआतमा सब अलग-2 ह और परमातमा उनस अलगrsquo जबमक शकराचाया की गीता म बताया गया ह- lsquoसवि खल इद बरहमrsquo अराात इस दमनया म जो कछ भी दखन म आ रहा ह व सब भगवान का रप ह माधवाचाया न बताया मक lsquoहर आतमा म अलग-2 ससकार हrsquo य आतमाएा गभा म जब शरीर धारण करगी तो य अपना अलग-2 पाटा ही बजाएागी इनका पाटा दसरी आतमा स ममल नही सकता हम हमशा शासतरो म यह ममसाल दत आए ह मक हम सब आतमाएा सागर म बदबदा ह बदबद सब सागर म समा जात ह मान हम उस सागर का अश ह यही कहा ना लमकन हम एक बात भल गए अगर हम बदबद ह हम सागर का अश ह तो सागर म स जो चकल भर पानी हमन ल मलया उसम जो खारपन का गण होगा वही सागर क पानी म भी होना चामहए ना यह पानी हमन पनः उसम ममला मदया दोनो का गण अभी भी एक ही ह लमकन हम सबक अदर य अलग-2 ससकार कस ह यह अलगाव कहाा स आ गया और जनम-जनमातर स यह अलगाव चलता चला आ रहा ह दसरी बात इसका एक और पररहारमनवारण ह- आपन कभी चाहा ह मक हमारी आतमा का जो अमसततव ह वह हमशा क मलए खतम हो जाए कोई चाहता ह अगर हमारी आतमा उस सपरीम सोल मशव म जाकर लीन हो जाए सागर म चकल भर पानी ममला मदया गया तो उसका अमसततव हमशा क मलए खतम हो जाएगा मफर शासतरो म यह बात कहाा स आई- lsquolsquoककप-2 लमग परभ अवतारा जब-2 तरतायग होता ह तब-2 राम का अवतार होता हrsquorsquo

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अजर-अमर तो सभी आतमाएा ह वह बात तो ठीक ह वह एक अलग बात उनका अमसततव उनका ससकार सब अलग-2 ह लमकन हर आतमा का अनक जनमो का जो पाटा ह वह उस जयोमतमबानद रपी आतमा क टप ररकॉडार म भरा हआ ह इस समि-रपी रगमच पर जब कोई भी आतमा उतरगी तो सतयग क आमद स लकर कमलयग क अत तक वह उतन ही जनम लगी मजतना पहल चतयागी म मलया रा अगर राम की आतमा होगी तो हर तरतायग म राम क रप म ही जनम लगी lsquoह कषण नारायणrsquo की आतमा होगी तो वह हर सतयग क आमद म नारायण क रप म ही राजय करगी इस तरह हर जनम म आतमा का शरीर रपी चोला बदलन का पाटा मनमित ह हर 5000 वरा क बाद वह जयो का तयो पनरावतान होता ह

हर आतमा सो परमातमा नही ह सपरीम सोल मशव हमशा अलग ह अगर व भी जनम-मरण क चकर म आन लग तो हमको छड़ान वाला कोई भी नही रहगा उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही की जा सकती कोई आतमा हीरो-हीरोइन पाटाधारी बन सकती ह मवलन व साधारण आतमा का पाटा बजा सकती ह लमकन सपरीम सोल मशव जसा पाटा मकसी का नही ह उनका तो तररया पाटा ह व बार-2 इस समि पर आत भी नही जसा शासतर म मलख मदया ह- lsquoसमभवामम यग-यगrsquo अराात म हर यग म आता ह ा अर हर यग म आत तो दवापर क अत म जब महाभारत यि कराया कषण क रप म परममपता परमातमा आए तो कया पापी कमलयग की सरापना करन क मलए आए र उनको हर यग म आन की कया ज़ररत ह साधारण बाप होता ह वह भी बचचो क मलए मकान तब तयार करता ह जब मकान पराना हो जाता ह उस परान मकान स काम नही चलता जब तक काम चल सकता ह तब तक मरममत कराता रहता ह इस समि-रपी मकान की भी यही हालत ह इबराहीम बि कराइसट गरनानक आमद य धमामपताएा आकर समि की जगह-2 मरममत करत रह मकसी न अरब दश म आकर मरममत की मकसी न यरोपीय दशो म की मकसी न चीन-जापान म की नया मकान तो मकसी न नही बनाया नई समि तो नही बनाई यह मरममत मकतन मदन चलगी कछ समय तक उन धमो का परभाव रहता ह मफर वह खलास आखरीन तो मफर भी उसी सपरीम सोल मशव बाप को जो धमामपताओ क भी बाप ह बापो क भी बाप ह इस समि पर उतरना ही पड़ता ह व आकर इस समि का आमल-चल पररवतान कर दत ह तो व सवावयापी नही ह व तो इस समि पर मकरार रप स हीरो पाटाधारी म परवश करक पाटा बजात ह

आपन lsquoजीज़सrsquo वा lsquoकराइसटrsquo का नाम सना आमखर य दो नाम कयो मकरमियनस लोग मानत ह मक वह वयमि

जो पहल खयामतपरापत नही रा उसका नाम lsquoजीज़सrsquo रा मफर जब खयामतपरापत हो गया तब उसका नाम lsquoकराइसटrsquo पड़ गया इसका रहसय कोई नही जानता यह रहसय परममपता परमातमा मशव आकर बता रह ह मक कोई भी नई आतमा ऊपर स उतरती ह तो मजसम भी परवश करती ह उसका नाम बदल दती ह जस पहल lsquoनरनदरrsquo नाम रा बाद म lsquoमववकाननदrsquo नाम पड़ गया आचाया रजनीश का भी ऐस ही हआ ह पहल यह एक साधारण लकचरर र जब आतमा न परवश मकया तो lsquoआचाया रजनीशrsquo नाम पड़ गया तो हर आतमा जो ऊपर स नीच उतरती ह वह मजसम परवश करती ह उसको कनवटा करक अपन धमा म खीच ल जाती ह और वह आधारमता मजसम परवश मकया वह भारत की ही सनातन धमा की आतमा होती ह ऐस ही दसर-2 धमो म कनवशान या पररवतान हआ भारतवामसयो स ही कनवटा होकर दसर-2 धमा पनप ह और वमि को पाए ह कहन का मतलब यह हआ मक उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही हो सकती हम आतमाओ क मकाबल व हमशा तरीया ह व तो सख भी नही भोगत तो दःख भी नही भोगत व सख-दःख स हमशा ही पर रहन वाल ह हाा यह बात ज़रर ह मक जब व इस समि पर आकर राजयोग मसखात ह तो ऐसी पढ़ाई पढ़ात

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ह मक हम आतमाएा नवार पररारा अनसार इस सटज को परापत कर मक इस समि पर रहत हए भी दःख-सख म रहत हए भी अपनी ऐसी अवसरा बना ल मक दःख क समय हम दःखी न हो और सख क समय हम बहत जयादा परसनन न हो मजसका नाम गीता म lsquoमसरतपरजञrsquo मदया गया ह लमकन हमारी वह अवसरा हमशा क मलए नही रहगी परनत उस मशव की हमशा क मलए रहगी वह सपरीम सोल ह तो मफर आतमा-परमातमा एक कहाा हए

परमातमा सवावयापी कहाा हए सपरीम सोल मशव तो हमशा अलग ही हए

मशव की तलना ऊा च त ऊा च मतरदवो स भी नही की जा सकती इन मतरदवो की यादगार म lsquolsquoझणडा ऊा चा रह हमारा मवजयी मवशव मतरगा पयारा मवशव मवजय करक मदखलावrsquorsquo- यह बोलत तो ह लमकन यह नही जानत ह मक व तीन शरीर रपी वसतर कौन-स ह मजन वसतरो न सार मवशव म तहलकाखलबली मचाई री सार मवशव म मवजय करक मदखलाई री वासतव म व शरीर रपी वसतर lsquoबरहमा मवषण शकरrsquo- य तीन ही ह उनक सकतक रग भी वस ही मदखाए गए ह ऊपर वाला कसररया रग ह शकर- करामत का सचक बीच वाला सफद वसतर सतवगणी मवषण का सचक ह नीच वाला हरा वसतर बरहमा का सचक ह जस गााधीजी कहत रह- lsquoरामराजय आएगा रामराजय आएगाrsquo

बमकक और ही रावण राजय आ गया ऐस ही बरहमा बाबा हमशा मचकलात रह- lsquoरामराजय लाएाग सवगा आएगा

वकणठ आएगा और सवगा आन ही वाला हrsquo अब उस सवगा की जगह बरहमाकमारी आशरमो म रौरव नका बन रहा ह

इसमलए बरहमा की ममतायाा ममदर व पजा नही होती कयोमक तराकमरत बरहमाकमार-कमाररयो न ही बरहमा की दाढ़ी की लाज नही रखी जबमक शकर और मवषण क ममदर और ममतायाा बनाकर आज सार भारतवरा म पजा की जा रही ह

वितर न 7 (सहज रमजयोग)- ससार म अनक परकार क योग परमसि ह जस- भमियोग कमायोग जञानयोग हठयोग राजयोग आमद मकत योग क इन सभी परकारो म सहज राजयोग शरषठामतशरषठ ह योग का अरा ह- समबध या ममलन आजकल योग का तातपया योगासन या हठयोग समझ मलया जाता ह मकनत योगासन स शारीररक सवासथय और कछ सीमा तक मानमसक सवासथय ममल सकता ह लमकन समपणा सख-शामत की परामपत तो कवल राजयोग दवारा ही हो सकती ह

lsquoराजयोगrsquo का अरा ह राजाओ का राजा बनान वाला योग या रहसय भरा योग मनषयातमाएा कई जनमो स दह-अमभमान क दलदल म फा सकर मवनाशी दहधाररयो स योग लगाती आई ह मकत जस तााब वाल दो तारो को जोड़न स उसम मबजली परवामहत होती ह परत रबड़ चढ़ हए तााब क तारो स मबजली का करट नही लगता उसी परकार दह-अमभमानी दहधाररयो स समबध रखन पर अमवनाशी सख-शामत की परामपत नही हो सकती परममपता परमातमा मशव तो इस योग भी नही अमपत सरल शबद म lsquoयादrsquo कहत ह याद करना एक सवाभामवक सरल एव मनरतर परमकरया ह जबमक योग स मकसी मवशर परयास का बोध होता ह जस परममपता परमातमा शरीर म रहत हए भी उसक भान स नयार ह अराात मवदही रहत ह उसी परकार हम भी सवय को अमवनाशी आतमा (न मक परकमत क 5 ततवो स बना दह) समझकर परजामपता बरहमा क दवारा परममपता परमातमा को याद करना ह हमारी दमि म मशव रहना चामहए मातर शव अराात दह नही अतः भगवान को न तो मसफा साकार रप म न तो मसफा मनराकार रप म बमकक भलीभाामत पहचानकर साकार शरीर म परमवि मनराकार को याद करना ह यही ह सचचा राजयोग

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मन वचन एव कमा की पमवतरता परममपता परमातमा स सचचा सनह मदवय गणो की धारणा ईशवरीय जञान शि अनन तरा सचच बराहमणो का सग करन पर आतमा दह-अमभमान दवारा उतपनन पााच मवकारो अराात काम करोध लोभ मोह

अहकार स ममि पाकर अपन मल सवरप अराात सवागण समपनन सवरप म मसरत हो सकती ह परभ को याद करन क मलए अमतवला या बरहममह ता का समय सबस शरषठ ह कयोमक उस समय वातावरण शात तरा शि रहता ह और मन भी जागरत एव परशात होता ह राजयोग क मनतय अभयास स आतमा म पमवतरता शामत धया मनभायता नमरता-जस गणो की धारणा होती ह सार ही आतमा को वयरा मवचारो क फलाव को समटन की शमि सहनशमि समान की शमि अचछ-बर को परखन की शमि सही मनणाय लन की शमि समसयाओ का सामना करन की शमि मवमभनन ससकार वाल मनषयो क सार सहयोग करन की शमि तरा मवसतार को सकीणा करन की शमि आमद आतमा की अि शमियाा परापत होती ह

राजयोग क मनरतर एव दढ़ अभयास स आतमा अपन आमद मधय एव अत की कहानी को तरा इस मवशव म अपन अमदवतीय अनक जनमो क पाटा को जान सकती ह और अपन घर बठ मवशव की आतमाओ को भी शामत एव सख का दान द सकती ह इस परकार हम सव-पररवतान क सार-2 मवशव-पररवतान भी कर सकत ह

बरहमाकमारी मवदयालय (बरमव) और आधयामतमक मवदयालय (आमव) की मशकषाओ म अतर-

बरहमाकमारी मवदयालय शासतरो को मानयता नही दता ह आधयामतमक मवदयालय ईशवरीय वाणी क आधार पर शासतरो को मानयता दता ह

बरमव कषण उफा बरहमा को ही एकमातर गीता का साकार भगवान मानता ह जबमक मख स कहता ह मक कषण गीता क भगवान नही ह

आमव मनराकारी सटज वाल साकार मशव-शकर को परमकटकल म गीता का भगवान मानता ह कषण उफा बरहमा क साकार रप दादा लखराज को गीता का भगवान नही मानता बरमव बरहमा-मवषण-शकर क साकार मचतर तो छपाता ह परत मसफा बरहमा क परमकटकल साकार रप को ही मानयता दता ह मवषण और शकर को इस दमनया स ही उड़ा दता ह जबमक शासतरो व दमनया म भी बरहमा क ममदर ममतायाा और पजा नही मदखाई ह बरहमाकमारी मवदयालय मशव-शकर को तो अलग-2 कहता ह लमकन यह नही बताता मक शासतरो म मशव-शकर को कयो ममला मदया मशव को बरहमा मवषण अरवा अनयानय 33 करोड़ दवताओ क सार कयो नही ममलाया और शकर को ही महादव कयो कहा ह

आमव म उपरोि परशनो का सटीक जवाब ह और तीनो दवताओ क साकार परमकटकल पाटा की सपिता भी ह

बरमव मसफा बरहमा (बरहम+माा) बड़ी माा को ही भगवान का साकार रप मानता ह और अपन को मसफा बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

आमव माा और बाप (परजामपता+बरहमा = एडम और ईव) दोनो को साकार रप म मानता ह और अपन को परजामपता बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

बरमव जञान-योग का मवजञापन करता ह जस- परोजकटर परदशानी पमबलक भारण कॉनर स मल सममलन ररयातरा

मनषयकत सामहतय आमद

आमव मकसी परकार क मवजञापन म मवशवास नही करता

बरमव मसफा मतय क बाद ही ममि-जीवनममि रपी ईशवरीय वस को जीवन का लकषय मानता ह

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आमव जीवन रहत ही लोक और परलोक सावारन का पररारा कराता ह अराात इसी जनम म नर स नारायण और नारी स लकषमी बनान का परम परमसि गीता वमणात उपदश दता ह

बरमव महल मामड़याा अटाररयाा बनाकर 36 परकार क भोग खान म और मसफा झकाझक शवत वसतर पहनन म अपन को शरषठ मानकर चलता ह आमव रहन सहन खान पान पहनाव म सादगी को ही शरषठ मानकर चलता ह बरमव म चदा माागकर वयमिगत वभव और मान-शान बढ़ाना आम बात ह

आमव मकसी परकार क चदा आमद lsquoमाागन स मरना भलाrsquo समझता ह

बरमव मसफा कहता ह मक हम एक धमा एक राजय एक कल एक मत की सरापना करग परत चलन म परा ही मवरोधाभास दखन म आता ह आमव क सदसय परमकटकल म आए हए एकमातर ईशवर की ही शरषठ मत को मानत हए ईशवरीय धारणाओ कायद

कानन को मानन क सार-2 नमबरवार अपन-2 पररारा अनसार चलन का परयास भी करत ह

सममपात बरक परायः सनयामसयो की तरह मठ-पर बनाकर जीवन चलाती ह

आमव क सममपात या गर सममपात सभी सदसय गहसरी जीवन यापन करत ह कयोमक गीता क भगवान सवय बहद क गहसर म रहत हए गहसरी पाणडवो को ही राजयोग मसखात ह सनयामसयो (भीषम दरोणाचाया कपाचाया) को नही

भविषयिमणी

(यहाा उन लोगो की भमवषयवामणयो का वणान मकया गया ह मजनकी भमवषयवामणयाा आज तक सही सामबत हई) -

कमकक पराण - सवततरता क बाद भारत म एक ऐस महापरर का उदय होगा जो वजञामनको का भी वजञामनक होगा वह आतमा और परमातमा क रहसय को परगट करगा आतमजञान उसकी दन होगी उसकी वश-भरा साधारण होगी उसका सवासथय बालको जसा योिाओ की तरह साहसी अमशवनी कमारो की तरह वीर यवा व सनदर शासतरो का परकाणड पमणडत व मानवतावादी होगा उसका मपता ही उस योग साधना की ओर परररत करगा 24 वरा की आय म वह योग की उचच भममका म परवश करगा एणडरसन(अमररका) - अरब राषरो समहत ममसलम बहल राजयो म आपसी करामतयाा और भीरण रिपात होग इस बीच भारतवरा म जनम महापरर का परभाव व परमतषठा बढ़गी यह वयमि इमतहास का सवाशरषठ मसीहा होगा वह एक मानवीय समवधान का मनमााण करगा मजसस सार ससार की एक भारा एक सघीय राजय एक सवोचच नयायपामलका एक झणड की रप-रखा होगी

गरराडा कराईस(हॉलड) - भारत दश म एक ऐस महापरर का जनम हआ ह जो मवशव ककयाण की योजनाएा बनाएगा जलबणा - ससार क सबस समरा वयमि का अवतरण हो चका ह वह सारी दमनया को बदल दगा उसकी आधयामतमक करामत सार मवशव म छा जाएगी एक ओर सघरा होग दसरी ओर एक नई धाममाक करामत उठ खड़ी होगी जो आतमा और परमातमा क नए-2 रहसय को परगट करगी वह महापरर 1962 स पवा जनम ल चका ह उसक अनयायी एक समरा ससरा क रप म परगट होग और धीर-2 सार मवशव म अपना परभाव जमा लग असभव मदखन वाल काया को भी व लोग उस महापरर की कपा स बड़ी सरलता स सपनन करग

परोफसर कीरो - भारत का अभयदय एक सवोचच शमि क रप म हो जाएगा पर उसक मलए उस बहत कठोर सघरा करन पड़ग दखन म यह मसरमत अतयत किदायक होगी पर इस दश म एक फररशता आएगा जो हज़ारो छोट-2

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लोगो को इकटठा करक उनम इतनी आधयामतमक शमि भर दगा मक व लोग बड़-2 बमिजीमवयो की मानयता ममथया मसि कर दग गोपीनार शासतरी - अवतारी महापरर दवारा जबरदसत वचाररक करामत होगी मजसक फलसवरप मशकषण पिमत बदल जाएगी और ऐसी मशकषा का अमवषकार होगा जो वयमि को जीवन जीन की कला परदान करगी जबमक वतामान मशकषा परणाली कवल पट भरन तक ही सीममत ह कमरत आतमजञानहीन बमिजीमवयो स लोगो की घणा होगी और भगभा मवदया रसायन शासतर यतर मवदया खमनज धात चमबक मवदया आमद क नए कषतर की और मवजञान का मवसतार होगा मजसका नततव भारतवरा का एक ऐसा धाममाक सगठन करगा मजसका मागादशाक सवय भगवान होगा धाममाक आशरम जन जागमत क कनदर बनकर काया करग बमप क ितारमन समकमर पमटा क परवत परफ एि पररमणः-

बाप कहाा आत ह- यह भी नही जानत ह जब खद आकर बताव तब पता पड़ कहाा मलखा भी ह मक परमातमा मगधदश म आता ह(मता16876)

शासतरो म मगध दश मलखा ह परनत नॉलज कहाा मसखाई आब म कस आए मदलवाड़ा ममदर भी यहाा परा यादगार ह मजनहोन भी बनाया उनहो की बमि म आया और बठकर बनवाया एकयरट मॉडल तो बना न सक बाप यहाा ही आकर सवा की सदगमत करत ह मगध दश म नही (मता5989 प3 मधय) ऐस बहत बचच ह बाप को परा पहचानत नही ह बाप का अदब(सममान) नही रखत कयोमक बाप कहत ह म साधारण रप म आता ह ा म जो ह ा जसा ह ा मवरला कोई उस रहाब स चलत ह यहाा तो बहत साधारण ह ना ह मकतनी बड़ी असामी आग चल वह भी पहचानग ऐस बाबा को हमन फारकती द दी तकदीर को लकीर लगा दी यह पीछ होगा अभी तो बहत साधारण ह रर ह गपत गपत होन कारण परा पहचान नही सकत ह परा पहचान ल तो कह- बाबा आपक मसवाए दमनया म ह ही कया कोई सदगमत कर न सक (मता151175 प1 आमअ)

यादव और कौरव पास मकतन महल ह तम बचचो को कछ भी नही तीन पर पथवी क भी तमहार नही सब उनहो का ह यह भी गाया हआ ह- मजनको तीन पर पथवी क भी नही ममलत र उनहो की मवजय हई और वह मवशव क मामलक बन गए पाणडव शमिसना गपत ह शासतरो म भी मदखात ह जआ खलत पाणडवो का राजय रा मफर जआ म हराया (म10678 प1 म) भगवान खद कहत ह मझ गाली खानी पड़ती ह सबस जासती गाली म ही खाता ह ा भमिमागा म भी गाली ही दत ह 3 पर पथवी क भी नही ममलत ह मफर भी मकतनी मनरहकारीपन स पाटा बजा रह ह (म6387 प3 अत) बहद का बाप पढ़ात ह परनत बाप ह साधारण तन म पढ़ात भी साधारण रीमत ह इसमलए मनषयो को जाचता नही ह- गॉड फादरली यमनवमसाटी मफर ऐसी होगी बाप कहत ह म ह ा गरीब मनवाज़ गरीबो को ही पढ़ाता ह ा साह कार को ताकत नही पढ़न की उनहो की बमि म तो महल-माड़ी ही होती ह (मता23489 प1 अत) भगवान एक ह उनको ही मात-मपता कहत ह वह आकर एडॉपट करत ह मकतनी गहय बात ह यह नया सकल ह नया पढ़ान वाला ह (मता251088 प3 आ)

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यह नॉलज ह यह ह नई बात नई दमनया क मलए भगवानवाच ह ना भगवान भी नया वाचय भी ह नई वह कहत ह कषण भगवानवाच तम कहत हो मशव भगवानवाच हरक की वाच अपनी-2 ह एक न ममल दसर स (मता15668 प3 आ)

किर वितर न 1 (वतररवता)-

lsquoमशवrsquo का अरा ह- lsquoककयाणकारीrsquo परममपता परमातमा का यह नाम इसमलए ह मक समि-चकर क अत म जब मनषयातमाएा तरा परकमत पमतत एव तमोपरधान बन जाती ह तो परमधाम मनवासी परममपता परमातमा मशव जयोमतमबानद मनषय शरीर का आधार लकर मनषयातमाओ और परकमत दोनो को पावन एव सतोपरधान बनात ह उनक इस कतावय की यादगार म ही मशवरामतर अराात परममपता क शबदो म मशवजयती का तयौहार मनाया जाता ह सपरीम सोल मशव मकसी परर क बीज स या माता क गभा स जनम नही लत व परजामपता दवारा मनषय-समि-रपी वकष क चतनय बीज ह और जनम-मरण तरा कमाबधन रमहत ह अतः व अपना कतावय करन क मलए मकसी साधारण वि मनषय क तन म मदवय परवश करत ह इस ही lsquoपरममपता परमातमा का मदवय अवतरणrsquo कहा जाता ह कयोमक उनका अपना शरीर नही होता ह उनका मदवय कतावय तीन चरणो म समपनन होता ह- सरापना मवनाश और पालना इन तीन कतावयो क मलए व अवयि मसरमत धारण करन वाली तीन साकार दवातमाओ का आधार लत ह व दवातमाएा ह- बरहमा शकर तरा मवषण मनषय-समि-रपी रगमच पर उनक मदवय अवतरण क बाद कौन-सी तीन आतमाएा बरहमा शकर एव मवषण क पातरो का अमभनय करती ह यह जानन क मलए हम सन 1936-37 म परममपता परमातमा क अवतरण स लकर अब तक की घटनाओ को जानना ज़ररी ह

परममपता परमातमा का यह काया सन 193637 म पामकसतान क मसध हदराबाद शहर स परारमभ हआ जब उनहोन दादा लखराज नामक एक मवखयात हीरो क वयापारी को मवषण चतभाज नका की परानी दमनया क मवनाश और सवगा की नई दमनया की सरापना का साकषातकार कराया मकनत व उन मदवय साकषातकारो का अरा समझ न पाए उनहोन अपन गरओ स इसका अरा पछा मकनत भगवान की लीला व दहधारी गर लोग कया समझ मफर व (दादा लखराज) वाराणसी क परकाणड पमणडतो स इसका समाधान पान क मलए गए मकत उनह वहाा भी मनराशा ही हार लगी वहाा भी उनह साकषातकार होत रह मजसकी तसवीर व गगा क घाटो पर बनी दीवारो पर बनात रहत र जब कोई भी उनकी समसया का समाधान न कर सका तो उनह कलकरता म रहन वाल अपन भागीदार (सवकराम) की याद आई उस भागीदार की मनषठा व ईमानदारी स परभामवत होकर ही उनहोन उस अपनी कलकरता मसरत हीरो की दकान की मज़ममवारी सौपी री

अतः दादा लखराज कलकरता गए मकत सीध उस भागीदार को अपन साकषातकारो का वणान करन क बजाय उनहोन अपनी नज़दीकी सबध की माता (अराात छोटी माता) को सनाया और उस माता न दसरी माता को सनाया जो बोलन सनन सनान म मसिहसत री बाद म जब सनन-सनान म मसिहसत माता न परजामपता (भागीदार) को सनाया उसी समय जयोमतमबद परममपता परमातमा मशव न उसी माता और परजामपता (भागीदार) म सार-ही-सार परवश कर मलया और इस परकार उस मसिहसत माता दवारा साकषातकारो का वणान सनन-सनान की परमकरया दवारा lsquoभमिमागाrsquo की तरा भागीदार दवारा जञान समझन-समझान की परमकरया दवारा lsquoजञानमागाrsquo की नीव पड़ गई

इस परकार चामक परममपता मशव न सवापररम उन दोनो माताओ क समकष भागीदार म परवश कर मवशव पररवतान का काया आरमभ मकया इसमलए व मशव जयोमतमबानद ही भमवषय म बरहमा शकर और मवषण- इन मतरदवो दवारा ससार म मतरममता मशव क नाम स परमसि होत ह

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

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अजर-अमर तो सभी आतमाएा ह वह बात तो ठीक ह वह एक अलग बात उनका अमसततव उनका ससकार सब अलग-2 ह लमकन हर आतमा का अनक जनमो का जो पाटा ह वह उस जयोमतमबानद रपी आतमा क टप ररकॉडार म भरा हआ ह इस समि-रपी रगमच पर जब कोई भी आतमा उतरगी तो सतयग क आमद स लकर कमलयग क अत तक वह उतन ही जनम लगी मजतना पहल चतयागी म मलया रा अगर राम की आतमा होगी तो हर तरतायग म राम क रप म ही जनम लगी lsquoह कषण नारायणrsquo की आतमा होगी तो वह हर सतयग क आमद म नारायण क रप म ही राजय करगी इस तरह हर जनम म आतमा का शरीर रपी चोला बदलन का पाटा मनमित ह हर 5000 वरा क बाद वह जयो का तयो पनरावतान होता ह

हर आतमा सो परमातमा नही ह सपरीम सोल मशव हमशा अलग ह अगर व भी जनम-मरण क चकर म आन लग तो हमको छड़ान वाला कोई भी नही रहगा उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही की जा सकती कोई आतमा हीरो-हीरोइन पाटाधारी बन सकती ह मवलन व साधारण आतमा का पाटा बजा सकती ह लमकन सपरीम सोल मशव जसा पाटा मकसी का नही ह उनका तो तररया पाटा ह व बार-2 इस समि पर आत भी नही जसा शासतर म मलख मदया ह- lsquoसमभवामम यग-यगrsquo अराात म हर यग म आता ह ा अर हर यग म आत तो दवापर क अत म जब महाभारत यि कराया कषण क रप म परममपता परमातमा आए तो कया पापी कमलयग की सरापना करन क मलए आए र उनको हर यग म आन की कया ज़ररत ह साधारण बाप होता ह वह भी बचचो क मलए मकान तब तयार करता ह जब मकान पराना हो जाता ह उस परान मकान स काम नही चलता जब तक काम चल सकता ह तब तक मरममत कराता रहता ह इस समि-रपी मकान की भी यही हालत ह इबराहीम बि कराइसट गरनानक आमद य धमामपताएा आकर समि की जगह-2 मरममत करत रह मकसी न अरब दश म आकर मरममत की मकसी न यरोपीय दशो म की मकसी न चीन-जापान म की नया मकान तो मकसी न नही बनाया नई समि तो नही बनाई यह मरममत मकतन मदन चलगी कछ समय तक उन धमो का परभाव रहता ह मफर वह खलास आखरीन तो मफर भी उसी सपरीम सोल मशव बाप को जो धमामपताओ क भी बाप ह बापो क भी बाप ह इस समि पर उतरना ही पड़ता ह व आकर इस समि का आमल-चल पररवतान कर दत ह तो व सवावयापी नही ह व तो इस समि पर मकरार रप स हीरो पाटाधारी म परवश करक पाटा बजात ह

आपन lsquoजीज़सrsquo वा lsquoकराइसटrsquo का नाम सना आमखर य दो नाम कयो मकरमियनस लोग मानत ह मक वह वयमि

जो पहल खयामतपरापत नही रा उसका नाम lsquoजीज़सrsquo रा मफर जब खयामतपरापत हो गया तब उसका नाम lsquoकराइसटrsquo पड़ गया इसका रहसय कोई नही जानता यह रहसय परममपता परमातमा मशव आकर बता रह ह मक कोई भी नई आतमा ऊपर स उतरती ह तो मजसम भी परवश करती ह उसका नाम बदल दती ह जस पहल lsquoनरनदरrsquo नाम रा बाद म lsquoमववकाननदrsquo नाम पड़ गया आचाया रजनीश का भी ऐस ही हआ ह पहल यह एक साधारण लकचरर र जब आतमा न परवश मकया तो lsquoआचाया रजनीशrsquo नाम पड़ गया तो हर आतमा जो ऊपर स नीच उतरती ह वह मजसम परवश करती ह उसको कनवटा करक अपन धमा म खीच ल जाती ह और वह आधारमता मजसम परवश मकया वह भारत की ही सनातन धमा की आतमा होती ह ऐस ही दसर-2 धमो म कनवशान या पररवतान हआ भारतवामसयो स ही कनवटा होकर दसर-2 धमा पनप ह और वमि को पाए ह कहन का मतलब यह हआ मक उस सपरीम सोल मशव की तलना हम आतमाओ स नही हो सकती हम आतमाओ क मकाबल व हमशा तरीया ह व तो सख भी नही भोगत तो दःख भी नही भोगत व सख-दःख स हमशा ही पर रहन वाल ह हाा यह बात ज़रर ह मक जब व इस समि पर आकर राजयोग मसखात ह तो ऐसी पढ़ाई पढ़ात

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ह मक हम आतमाएा नवार पररारा अनसार इस सटज को परापत कर मक इस समि पर रहत हए भी दःख-सख म रहत हए भी अपनी ऐसी अवसरा बना ल मक दःख क समय हम दःखी न हो और सख क समय हम बहत जयादा परसनन न हो मजसका नाम गीता म lsquoमसरतपरजञrsquo मदया गया ह लमकन हमारी वह अवसरा हमशा क मलए नही रहगी परनत उस मशव की हमशा क मलए रहगी वह सपरीम सोल ह तो मफर आतमा-परमातमा एक कहाा हए

परमातमा सवावयापी कहाा हए सपरीम सोल मशव तो हमशा अलग ही हए

मशव की तलना ऊा च त ऊा च मतरदवो स भी नही की जा सकती इन मतरदवो की यादगार म lsquolsquoझणडा ऊा चा रह हमारा मवजयी मवशव मतरगा पयारा मवशव मवजय करक मदखलावrsquorsquo- यह बोलत तो ह लमकन यह नही जानत ह मक व तीन शरीर रपी वसतर कौन-स ह मजन वसतरो न सार मवशव म तहलकाखलबली मचाई री सार मवशव म मवजय करक मदखलाई री वासतव म व शरीर रपी वसतर lsquoबरहमा मवषण शकरrsquo- य तीन ही ह उनक सकतक रग भी वस ही मदखाए गए ह ऊपर वाला कसररया रग ह शकर- करामत का सचक बीच वाला सफद वसतर सतवगणी मवषण का सचक ह नीच वाला हरा वसतर बरहमा का सचक ह जस गााधीजी कहत रह- lsquoरामराजय आएगा रामराजय आएगाrsquo

बमकक और ही रावण राजय आ गया ऐस ही बरहमा बाबा हमशा मचकलात रह- lsquoरामराजय लाएाग सवगा आएगा

वकणठ आएगा और सवगा आन ही वाला हrsquo अब उस सवगा की जगह बरहमाकमारी आशरमो म रौरव नका बन रहा ह

इसमलए बरहमा की ममतायाा ममदर व पजा नही होती कयोमक तराकमरत बरहमाकमार-कमाररयो न ही बरहमा की दाढ़ी की लाज नही रखी जबमक शकर और मवषण क ममदर और ममतायाा बनाकर आज सार भारतवरा म पजा की जा रही ह

वितर न 7 (सहज रमजयोग)- ससार म अनक परकार क योग परमसि ह जस- भमियोग कमायोग जञानयोग हठयोग राजयोग आमद मकत योग क इन सभी परकारो म सहज राजयोग शरषठामतशरषठ ह योग का अरा ह- समबध या ममलन आजकल योग का तातपया योगासन या हठयोग समझ मलया जाता ह मकनत योगासन स शारीररक सवासथय और कछ सीमा तक मानमसक सवासथय ममल सकता ह लमकन समपणा सख-शामत की परामपत तो कवल राजयोग दवारा ही हो सकती ह

lsquoराजयोगrsquo का अरा ह राजाओ का राजा बनान वाला योग या रहसय भरा योग मनषयातमाएा कई जनमो स दह-अमभमान क दलदल म फा सकर मवनाशी दहधाररयो स योग लगाती आई ह मकत जस तााब वाल दो तारो को जोड़न स उसम मबजली परवामहत होती ह परत रबड़ चढ़ हए तााब क तारो स मबजली का करट नही लगता उसी परकार दह-अमभमानी दहधाररयो स समबध रखन पर अमवनाशी सख-शामत की परामपत नही हो सकती परममपता परमातमा मशव तो इस योग भी नही अमपत सरल शबद म lsquoयादrsquo कहत ह याद करना एक सवाभामवक सरल एव मनरतर परमकरया ह जबमक योग स मकसी मवशर परयास का बोध होता ह जस परममपता परमातमा शरीर म रहत हए भी उसक भान स नयार ह अराात मवदही रहत ह उसी परकार हम भी सवय को अमवनाशी आतमा (न मक परकमत क 5 ततवो स बना दह) समझकर परजामपता बरहमा क दवारा परममपता परमातमा को याद करना ह हमारी दमि म मशव रहना चामहए मातर शव अराात दह नही अतः भगवान को न तो मसफा साकार रप म न तो मसफा मनराकार रप म बमकक भलीभाामत पहचानकर साकार शरीर म परमवि मनराकार को याद करना ह यही ह सचचा राजयोग

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मन वचन एव कमा की पमवतरता परममपता परमातमा स सचचा सनह मदवय गणो की धारणा ईशवरीय जञान शि अनन तरा सचच बराहमणो का सग करन पर आतमा दह-अमभमान दवारा उतपनन पााच मवकारो अराात काम करोध लोभ मोह

अहकार स ममि पाकर अपन मल सवरप अराात सवागण समपनन सवरप म मसरत हो सकती ह परभ को याद करन क मलए अमतवला या बरहममह ता का समय सबस शरषठ ह कयोमक उस समय वातावरण शात तरा शि रहता ह और मन भी जागरत एव परशात होता ह राजयोग क मनतय अभयास स आतमा म पमवतरता शामत धया मनभायता नमरता-जस गणो की धारणा होती ह सार ही आतमा को वयरा मवचारो क फलाव को समटन की शमि सहनशमि समान की शमि अचछ-बर को परखन की शमि सही मनणाय लन की शमि समसयाओ का सामना करन की शमि मवमभनन ससकार वाल मनषयो क सार सहयोग करन की शमि तरा मवसतार को सकीणा करन की शमि आमद आतमा की अि शमियाा परापत होती ह

राजयोग क मनरतर एव दढ़ अभयास स आतमा अपन आमद मधय एव अत की कहानी को तरा इस मवशव म अपन अमदवतीय अनक जनमो क पाटा को जान सकती ह और अपन घर बठ मवशव की आतमाओ को भी शामत एव सख का दान द सकती ह इस परकार हम सव-पररवतान क सार-2 मवशव-पररवतान भी कर सकत ह

बरहमाकमारी मवदयालय (बरमव) और आधयामतमक मवदयालय (आमव) की मशकषाओ म अतर-

बरहमाकमारी मवदयालय शासतरो को मानयता नही दता ह आधयामतमक मवदयालय ईशवरीय वाणी क आधार पर शासतरो को मानयता दता ह

बरमव कषण उफा बरहमा को ही एकमातर गीता का साकार भगवान मानता ह जबमक मख स कहता ह मक कषण गीता क भगवान नही ह

आमव मनराकारी सटज वाल साकार मशव-शकर को परमकटकल म गीता का भगवान मानता ह कषण उफा बरहमा क साकार रप दादा लखराज को गीता का भगवान नही मानता बरमव बरहमा-मवषण-शकर क साकार मचतर तो छपाता ह परत मसफा बरहमा क परमकटकल साकार रप को ही मानयता दता ह मवषण और शकर को इस दमनया स ही उड़ा दता ह जबमक शासतरो व दमनया म भी बरहमा क ममदर ममतायाा और पजा नही मदखाई ह बरहमाकमारी मवदयालय मशव-शकर को तो अलग-2 कहता ह लमकन यह नही बताता मक शासतरो म मशव-शकर को कयो ममला मदया मशव को बरहमा मवषण अरवा अनयानय 33 करोड़ दवताओ क सार कयो नही ममलाया और शकर को ही महादव कयो कहा ह

आमव म उपरोि परशनो का सटीक जवाब ह और तीनो दवताओ क साकार परमकटकल पाटा की सपिता भी ह

बरमव मसफा बरहमा (बरहम+माा) बड़ी माा को ही भगवान का साकार रप मानता ह और अपन को मसफा बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

आमव माा और बाप (परजामपता+बरहमा = एडम और ईव) दोनो को साकार रप म मानता ह और अपन को परजामपता बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

बरमव जञान-योग का मवजञापन करता ह जस- परोजकटर परदशानी पमबलक भारण कॉनर स मल सममलन ररयातरा

मनषयकत सामहतय आमद

आमव मकसी परकार क मवजञापन म मवशवास नही करता

बरमव मसफा मतय क बाद ही ममि-जीवनममि रपी ईशवरीय वस को जीवन का लकषय मानता ह

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आमव जीवन रहत ही लोक और परलोक सावारन का पररारा कराता ह अराात इसी जनम म नर स नारायण और नारी स लकषमी बनान का परम परमसि गीता वमणात उपदश दता ह

बरमव महल मामड़याा अटाररयाा बनाकर 36 परकार क भोग खान म और मसफा झकाझक शवत वसतर पहनन म अपन को शरषठ मानकर चलता ह आमव रहन सहन खान पान पहनाव म सादगी को ही शरषठ मानकर चलता ह बरमव म चदा माागकर वयमिगत वभव और मान-शान बढ़ाना आम बात ह

आमव मकसी परकार क चदा आमद lsquoमाागन स मरना भलाrsquo समझता ह

बरमव मसफा कहता ह मक हम एक धमा एक राजय एक कल एक मत की सरापना करग परत चलन म परा ही मवरोधाभास दखन म आता ह आमव क सदसय परमकटकल म आए हए एकमातर ईशवर की ही शरषठ मत को मानत हए ईशवरीय धारणाओ कायद

कानन को मानन क सार-2 नमबरवार अपन-2 पररारा अनसार चलन का परयास भी करत ह

सममपात बरक परायः सनयामसयो की तरह मठ-पर बनाकर जीवन चलाती ह

आमव क सममपात या गर सममपात सभी सदसय गहसरी जीवन यापन करत ह कयोमक गीता क भगवान सवय बहद क गहसर म रहत हए गहसरी पाणडवो को ही राजयोग मसखात ह सनयामसयो (भीषम दरोणाचाया कपाचाया) को नही

भविषयिमणी

(यहाा उन लोगो की भमवषयवामणयो का वणान मकया गया ह मजनकी भमवषयवामणयाा आज तक सही सामबत हई) -

कमकक पराण - सवततरता क बाद भारत म एक ऐस महापरर का उदय होगा जो वजञामनको का भी वजञामनक होगा वह आतमा और परमातमा क रहसय को परगट करगा आतमजञान उसकी दन होगी उसकी वश-भरा साधारण होगी उसका सवासथय बालको जसा योिाओ की तरह साहसी अमशवनी कमारो की तरह वीर यवा व सनदर शासतरो का परकाणड पमणडत व मानवतावादी होगा उसका मपता ही उस योग साधना की ओर परररत करगा 24 वरा की आय म वह योग की उचच भममका म परवश करगा एणडरसन(अमररका) - अरब राषरो समहत ममसलम बहल राजयो म आपसी करामतयाा और भीरण रिपात होग इस बीच भारतवरा म जनम महापरर का परभाव व परमतषठा बढ़गी यह वयमि इमतहास का सवाशरषठ मसीहा होगा वह एक मानवीय समवधान का मनमााण करगा मजसस सार ससार की एक भारा एक सघीय राजय एक सवोचच नयायपामलका एक झणड की रप-रखा होगी

गरराडा कराईस(हॉलड) - भारत दश म एक ऐस महापरर का जनम हआ ह जो मवशव ककयाण की योजनाएा बनाएगा जलबणा - ससार क सबस समरा वयमि का अवतरण हो चका ह वह सारी दमनया को बदल दगा उसकी आधयामतमक करामत सार मवशव म छा जाएगी एक ओर सघरा होग दसरी ओर एक नई धाममाक करामत उठ खड़ी होगी जो आतमा और परमातमा क नए-2 रहसय को परगट करगी वह महापरर 1962 स पवा जनम ल चका ह उसक अनयायी एक समरा ससरा क रप म परगट होग और धीर-2 सार मवशव म अपना परभाव जमा लग असभव मदखन वाल काया को भी व लोग उस महापरर की कपा स बड़ी सरलता स सपनन करग

परोफसर कीरो - भारत का अभयदय एक सवोचच शमि क रप म हो जाएगा पर उसक मलए उस बहत कठोर सघरा करन पड़ग दखन म यह मसरमत अतयत किदायक होगी पर इस दश म एक फररशता आएगा जो हज़ारो छोट-2

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लोगो को इकटठा करक उनम इतनी आधयामतमक शमि भर दगा मक व लोग बड़-2 बमिजीमवयो की मानयता ममथया मसि कर दग गोपीनार शासतरी - अवतारी महापरर दवारा जबरदसत वचाररक करामत होगी मजसक फलसवरप मशकषण पिमत बदल जाएगी और ऐसी मशकषा का अमवषकार होगा जो वयमि को जीवन जीन की कला परदान करगी जबमक वतामान मशकषा परणाली कवल पट भरन तक ही सीममत ह कमरत आतमजञानहीन बमिजीमवयो स लोगो की घणा होगी और भगभा मवदया रसायन शासतर यतर मवदया खमनज धात चमबक मवदया आमद क नए कषतर की और मवजञान का मवसतार होगा मजसका नततव भारतवरा का एक ऐसा धाममाक सगठन करगा मजसका मागादशाक सवय भगवान होगा धाममाक आशरम जन जागमत क कनदर बनकर काया करग बमप क ितारमन समकमर पमटा क परवत परफ एि पररमणः-

बाप कहाा आत ह- यह भी नही जानत ह जब खद आकर बताव तब पता पड़ कहाा मलखा भी ह मक परमातमा मगधदश म आता ह(मता16876)

शासतरो म मगध दश मलखा ह परनत नॉलज कहाा मसखाई आब म कस आए मदलवाड़ा ममदर भी यहाा परा यादगार ह मजनहोन भी बनाया उनहो की बमि म आया और बठकर बनवाया एकयरट मॉडल तो बना न सक बाप यहाा ही आकर सवा की सदगमत करत ह मगध दश म नही (मता5989 प3 मधय) ऐस बहत बचच ह बाप को परा पहचानत नही ह बाप का अदब(सममान) नही रखत कयोमक बाप कहत ह म साधारण रप म आता ह ा म जो ह ा जसा ह ा मवरला कोई उस रहाब स चलत ह यहाा तो बहत साधारण ह ना ह मकतनी बड़ी असामी आग चल वह भी पहचानग ऐस बाबा को हमन फारकती द दी तकदीर को लकीर लगा दी यह पीछ होगा अभी तो बहत साधारण ह रर ह गपत गपत होन कारण परा पहचान नही सकत ह परा पहचान ल तो कह- बाबा आपक मसवाए दमनया म ह ही कया कोई सदगमत कर न सक (मता151175 प1 आमअ)

यादव और कौरव पास मकतन महल ह तम बचचो को कछ भी नही तीन पर पथवी क भी तमहार नही सब उनहो का ह यह भी गाया हआ ह- मजनको तीन पर पथवी क भी नही ममलत र उनहो की मवजय हई और वह मवशव क मामलक बन गए पाणडव शमिसना गपत ह शासतरो म भी मदखात ह जआ खलत पाणडवो का राजय रा मफर जआ म हराया (म10678 प1 म) भगवान खद कहत ह मझ गाली खानी पड़ती ह सबस जासती गाली म ही खाता ह ा भमिमागा म भी गाली ही दत ह 3 पर पथवी क भी नही ममलत ह मफर भी मकतनी मनरहकारीपन स पाटा बजा रह ह (म6387 प3 अत) बहद का बाप पढ़ात ह परनत बाप ह साधारण तन म पढ़ात भी साधारण रीमत ह इसमलए मनषयो को जाचता नही ह- गॉड फादरली यमनवमसाटी मफर ऐसी होगी बाप कहत ह म ह ा गरीब मनवाज़ गरीबो को ही पढ़ाता ह ा साह कार को ताकत नही पढ़न की उनहो की बमि म तो महल-माड़ी ही होती ह (मता23489 प1 अत) भगवान एक ह उनको ही मात-मपता कहत ह वह आकर एडॉपट करत ह मकतनी गहय बात ह यह नया सकल ह नया पढ़ान वाला ह (मता251088 प3 आ)

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यह नॉलज ह यह ह नई बात नई दमनया क मलए भगवानवाच ह ना भगवान भी नया वाचय भी ह नई वह कहत ह कषण भगवानवाच तम कहत हो मशव भगवानवाच हरक की वाच अपनी-2 ह एक न ममल दसर स (मता15668 प3 आ)

किर वितर न 1 (वतररवता)-

lsquoमशवrsquo का अरा ह- lsquoककयाणकारीrsquo परममपता परमातमा का यह नाम इसमलए ह मक समि-चकर क अत म जब मनषयातमाएा तरा परकमत पमतत एव तमोपरधान बन जाती ह तो परमधाम मनवासी परममपता परमातमा मशव जयोमतमबानद मनषय शरीर का आधार लकर मनषयातमाओ और परकमत दोनो को पावन एव सतोपरधान बनात ह उनक इस कतावय की यादगार म ही मशवरामतर अराात परममपता क शबदो म मशवजयती का तयौहार मनाया जाता ह सपरीम सोल मशव मकसी परर क बीज स या माता क गभा स जनम नही लत व परजामपता दवारा मनषय-समि-रपी वकष क चतनय बीज ह और जनम-मरण तरा कमाबधन रमहत ह अतः व अपना कतावय करन क मलए मकसी साधारण वि मनषय क तन म मदवय परवश करत ह इस ही lsquoपरममपता परमातमा का मदवय अवतरणrsquo कहा जाता ह कयोमक उनका अपना शरीर नही होता ह उनका मदवय कतावय तीन चरणो म समपनन होता ह- सरापना मवनाश और पालना इन तीन कतावयो क मलए व अवयि मसरमत धारण करन वाली तीन साकार दवातमाओ का आधार लत ह व दवातमाएा ह- बरहमा शकर तरा मवषण मनषय-समि-रपी रगमच पर उनक मदवय अवतरण क बाद कौन-सी तीन आतमाएा बरहमा शकर एव मवषण क पातरो का अमभनय करती ह यह जानन क मलए हम सन 1936-37 म परममपता परमातमा क अवतरण स लकर अब तक की घटनाओ को जानना ज़ररी ह

परममपता परमातमा का यह काया सन 193637 म पामकसतान क मसध हदराबाद शहर स परारमभ हआ जब उनहोन दादा लखराज नामक एक मवखयात हीरो क वयापारी को मवषण चतभाज नका की परानी दमनया क मवनाश और सवगा की नई दमनया की सरापना का साकषातकार कराया मकनत व उन मदवय साकषातकारो का अरा समझ न पाए उनहोन अपन गरओ स इसका अरा पछा मकनत भगवान की लीला व दहधारी गर लोग कया समझ मफर व (दादा लखराज) वाराणसी क परकाणड पमणडतो स इसका समाधान पान क मलए गए मकत उनह वहाा भी मनराशा ही हार लगी वहाा भी उनह साकषातकार होत रह मजसकी तसवीर व गगा क घाटो पर बनी दीवारो पर बनात रहत र जब कोई भी उनकी समसया का समाधान न कर सका तो उनह कलकरता म रहन वाल अपन भागीदार (सवकराम) की याद आई उस भागीदार की मनषठा व ईमानदारी स परभामवत होकर ही उनहोन उस अपनी कलकरता मसरत हीरो की दकान की मज़ममवारी सौपी री

अतः दादा लखराज कलकरता गए मकत सीध उस भागीदार को अपन साकषातकारो का वणान करन क बजाय उनहोन अपनी नज़दीकी सबध की माता (अराात छोटी माता) को सनाया और उस माता न दसरी माता को सनाया जो बोलन सनन सनान म मसिहसत री बाद म जब सनन-सनान म मसिहसत माता न परजामपता (भागीदार) को सनाया उसी समय जयोमतमबद परममपता परमातमा मशव न उसी माता और परजामपता (भागीदार) म सार-ही-सार परवश कर मलया और इस परकार उस मसिहसत माता दवारा साकषातकारो का वणान सनन-सनान की परमकरया दवारा lsquoभमिमागाrsquo की तरा भागीदार दवारा जञान समझन-समझान की परमकरया दवारा lsquoजञानमागाrsquo की नीव पड़ गई

इस परकार चामक परममपता मशव न सवापररम उन दोनो माताओ क समकष भागीदार म परवश कर मवशव पररवतान का काया आरमभ मकया इसमलए व मशव जयोमतमबानद ही भमवषय म बरहमा शकर और मवषण- इन मतरदवो दवारा ससार म मतरममता मशव क नाम स परमसि होत ह

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

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ह मक हम आतमाएा नवार पररारा अनसार इस सटज को परापत कर मक इस समि पर रहत हए भी दःख-सख म रहत हए भी अपनी ऐसी अवसरा बना ल मक दःख क समय हम दःखी न हो और सख क समय हम बहत जयादा परसनन न हो मजसका नाम गीता म lsquoमसरतपरजञrsquo मदया गया ह लमकन हमारी वह अवसरा हमशा क मलए नही रहगी परनत उस मशव की हमशा क मलए रहगी वह सपरीम सोल ह तो मफर आतमा-परमातमा एक कहाा हए

परमातमा सवावयापी कहाा हए सपरीम सोल मशव तो हमशा अलग ही हए

मशव की तलना ऊा च त ऊा च मतरदवो स भी नही की जा सकती इन मतरदवो की यादगार म lsquolsquoझणडा ऊा चा रह हमारा मवजयी मवशव मतरगा पयारा मवशव मवजय करक मदखलावrsquorsquo- यह बोलत तो ह लमकन यह नही जानत ह मक व तीन शरीर रपी वसतर कौन-स ह मजन वसतरो न सार मवशव म तहलकाखलबली मचाई री सार मवशव म मवजय करक मदखलाई री वासतव म व शरीर रपी वसतर lsquoबरहमा मवषण शकरrsquo- य तीन ही ह उनक सकतक रग भी वस ही मदखाए गए ह ऊपर वाला कसररया रग ह शकर- करामत का सचक बीच वाला सफद वसतर सतवगणी मवषण का सचक ह नीच वाला हरा वसतर बरहमा का सचक ह जस गााधीजी कहत रह- lsquoरामराजय आएगा रामराजय आएगाrsquo

बमकक और ही रावण राजय आ गया ऐस ही बरहमा बाबा हमशा मचकलात रह- lsquoरामराजय लाएाग सवगा आएगा

वकणठ आएगा और सवगा आन ही वाला हrsquo अब उस सवगा की जगह बरहमाकमारी आशरमो म रौरव नका बन रहा ह

इसमलए बरहमा की ममतायाा ममदर व पजा नही होती कयोमक तराकमरत बरहमाकमार-कमाररयो न ही बरहमा की दाढ़ी की लाज नही रखी जबमक शकर और मवषण क ममदर और ममतायाा बनाकर आज सार भारतवरा म पजा की जा रही ह

वितर न 7 (सहज रमजयोग)- ससार म अनक परकार क योग परमसि ह जस- भमियोग कमायोग जञानयोग हठयोग राजयोग आमद मकत योग क इन सभी परकारो म सहज राजयोग शरषठामतशरषठ ह योग का अरा ह- समबध या ममलन आजकल योग का तातपया योगासन या हठयोग समझ मलया जाता ह मकनत योगासन स शारीररक सवासथय और कछ सीमा तक मानमसक सवासथय ममल सकता ह लमकन समपणा सख-शामत की परामपत तो कवल राजयोग दवारा ही हो सकती ह

lsquoराजयोगrsquo का अरा ह राजाओ का राजा बनान वाला योग या रहसय भरा योग मनषयातमाएा कई जनमो स दह-अमभमान क दलदल म फा सकर मवनाशी दहधाररयो स योग लगाती आई ह मकत जस तााब वाल दो तारो को जोड़न स उसम मबजली परवामहत होती ह परत रबड़ चढ़ हए तााब क तारो स मबजली का करट नही लगता उसी परकार दह-अमभमानी दहधाररयो स समबध रखन पर अमवनाशी सख-शामत की परामपत नही हो सकती परममपता परमातमा मशव तो इस योग भी नही अमपत सरल शबद म lsquoयादrsquo कहत ह याद करना एक सवाभामवक सरल एव मनरतर परमकरया ह जबमक योग स मकसी मवशर परयास का बोध होता ह जस परममपता परमातमा शरीर म रहत हए भी उसक भान स नयार ह अराात मवदही रहत ह उसी परकार हम भी सवय को अमवनाशी आतमा (न मक परकमत क 5 ततवो स बना दह) समझकर परजामपता बरहमा क दवारा परममपता परमातमा को याद करना ह हमारी दमि म मशव रहना चामहए मातर शव अराात दह नही अतः भगवान को न तो मसफा साकार रप म न तो मसफा मनराकार रप म बमकक भलीभाामत पहचानकर साकार शरीर म परमवि मनराकार को याद करना ह यही ह सचचा राजयोग

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मन वचन एव कमा की पमवतरता परममपता परमातमा स सचचा सनह मदवय गणो की धारणा ईशवरीय जञान शि अनन तरा सचच बराहमणो का सग करन पर आतमा दह-अमभमान दवारा उतपनन पााच मवकारो अराात काम करोध लोभ मोह

अहकार स ममि पाकर अपन मल सवरप अराात सवागण समपनन सवरप म मसरत हो सकती ह परभ को याद करन क मलए अमतवला या बरहममह ता का समय सबस शरषठ ह कयोमक उस समय वातावरण शात तरा शि रहता ह और मन भी जागरत एव परशात होता ह राजयोग क मनतय अभयास स आतमा म पमवतरता शामत धया मनभायता नमरता-जस गणो की धारणा होती ह सार ही आतमा को वयरा मवचारो क फलाव को समटन की शमि सहनशमि समान की शमि अचछ-बर को परखन की शमि सही मनणाय लन की शमि समसयाओ का सामना करन की शमि मवमभनन ससकार वाल मनषयो क सार सहयोग करन की शमि तरा मवसतार को सकीणा करन की शमि आमद आतमा की अि शमियाा परापत होती ह

राजयोग क मनरतर एव दढ़ अभयास स आतमा अपन आमद मधय एव अत की कहानी को तरा इस मवशव म अपन अमदवतीय अनक जनमो क पाटा को जान सकती ह और अपन घर बठ मवशव की आतमाओ को भी शामत एव सख का दान द सकती ह इस परकार हम सव-पररवतान क सार-2 मवशव-पररवतान भी कर सकत ह

बरहमाकमारी मवदयालय (बरमव) और आधयामतमक मवदयालय (आमव) की मशकषाओ म अतर-

बरहमाकमारी मवदयालय शासतरो को मानयता नही दता ह आधयामतमक मवदयालय ईशवरीय वाणी क आधार पर शासतरो को मानयता दता ह

बरमव कषण उफा बरहमा को ही एकमातर गीता का साकार भगवान मानता ह जबमक मख स कहता ह मक कषण गीता क भगवान नही ह

आमव मनराकारी सटज वाल साकार मशव-शकर को परमकटकल म गीता का भगवान मानता ह कषण उफा बरहमा क साकार रप दादा लखराज को गीता का भगवान नही मानता बरमव बरहमा-मवषण-शकर क साकार मचतर तो छपाता ह परत मसफा बरहमा क परमकटकल साकार रप को ही मानयता दता ह मवषण और शकर को इस दमनया स ही उड़ा दता ह जबमक शासतरो व दमनया म भी बरहमा क ममदर ममतायाा और पजा नही मदखाई ह बरहमाकमारी मवदयालय मशव-शकर को तो अलग-2 कहता ह लमकन यह नही बताता मक शासतरो म मशव-शकर को कयो ममला मदया मशव को बरहमा मवषण अरवा अनयानय 33 करोड़ दवताओ क सार कयो नही ममलाया और शकर को ही महादव कयो कहा ह

आमव म उपरोि परशनो का सटीक जवाब ह और तीनो दवताओ क साकार परमकटकल पाटा की सपिता भी ह

बरमव मसफा बरहमा (बरहम+माा) बड़ी माा को ही भगवान का साकार रप मानता ह और अपन को मसफा बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

आमव माा और बाप (परजामपता+बरहमा = एडम और ईव) दोनो को साकार रप म मानता ह और अपन को परजामपता बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

बरमव जञान-योग का मवजञापन करता ह जस- परोजकटर परदशानी पमबलक भारण कॉनर स मल सममलन ररयातरा

मनषयकत सामहतय आमद

आमव मकसी परकार क मवजञापन म मवशवास नही करता

बरमव मसफा मतय क बाद ही ममि-जीवनममि रपी ईशवरीय वस को जीवन का लकषय मानता ह

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आमव जीवन रहत ही लोक और परलोक सावारन का पररारा कराता ह अराात इसी जनम म नर स नारायण और नारी स लकषमी बनान का परम परमसि गीता वमणात उपदश दता ह

बरमव महल मामड़याा अटाररयाा बनाकर 36 परकार क भोग खान म और मसफा झकाझक शवत वसतर पहनन म अपन को शरषठ मानकर चलता ह आमव रहन सहन खान पान पहनाव म सादगी को ही शरषठ मानकर चलता ह बरमव म चदा माागकर वयमिगत वभव और मान-शान बढ़ाना आम बात ह

आमव मकसी परकार क चदा आमद lsquoमाागन स मरना भलाrsquo समझता ह

बरमव मसफा कहता ह मक हम एक धमा एक राजय एक कल एक मत की सरापना करग परत चलन म परा ही मवरोधाभास दखन म आता ह आमव क सदसय परमकटकल म आए हए एकमातर ईशवर की ही शरषठ मत को मानत हए ईशवरीय धारणाओ कायद

कानन को मानन क सार-2 नमबरवार अपन-2 पररारा अनसार चलन का परयास भी करत ह

सममपात बरक परायः सनयामसयो की तरह मठ-पर बनाकर जीवन चलाती ह

आमव क सममपात या गर सममपात सभी सदसय गहसरी जीवन यापन करत ह कयोमक गीता क भगवान सवय बहद क गहसर म रहत हए गहसरी पाणडवो को ही राजयोग मसखात ह सनयामसयो (भीषम दरोणाचाया कपाचाया) को नही

भविषयिमणी

(यहाा उन लोगो की भमवषयवामणयो का वणान मकया गया ह मजनकी भमवषयवामणयाा आज तक सही सामबत हई) -

कमकक पराण - सवततरता क बाद भारत म एक ऐस महापरर का उदय होगा जो वजञामनको का भी वजञामनक होगा वह आतमा और परमातमा क रहसय को परगट करगा आतमजञान उसकी दन होगी उसकी वश-भरा साधारण होगी उसका सवासथय बालको जसा योिाओ की तरह साहसी अमशवनी कमारो की तरह वीर यवा व सनदर शासतरो का परकाणड पमणडत व मानवतावादी होगा उसका मपता ही उस योग साधना की ओर परररत करगा 24 वरा की आय म वह योग की उचच भममका म परवश करगा एणडरसन(अमररका) - अरब राषरो समहत ममसलम बहल राजयो म आपसी करामतयाा और भीरण रिपात होग इस बीच भारतवरा म जनम महापरर का परभाव व परमतषठा बढ़गी यह वयमि इमतहास का सवाशरषठ मसीहा होगा वह एक मानवीय समवधान का मनमााण करगा मजसस सार ससार की एक भारा एक सघीय राजय एक सवोचच नयायपामलका एक झणड की रप-रखा होगी

गरराडा कराईस(हॉलड) - भारत दश म एक ऐस महापरर का जनम हआ ह जो मवशव ककयाण की योजनाएा बनाएगा जलबणा - ससार क सबस समरा वयमि का अवतरण हो चका ह वह सारी दमनया को बदल दगा उसकी आधयामतमक करामत सार मवशव म छा जाएगी एक ओर सघरा होग दसरी ओर एक नई धाममाक करामत उठ खड़ी होगी जो आतमा और परमातमा क नए-2 रहसय को परगट करगी वह महापरर 1962 स पवा जनम ल चका ह उसक अनयायी एक समरा ससरा क रप म परगट होग और धीर-2 सार मवशव म अपना परभाव जमा लग असभव मदखन वाल काया को भी व लोग उस महापरर की कपा स बड़ी सरलता स सपनन करग

परोफसर कीरो - भारत का अभयदय एक सवोचच शमि क रप म हो जाएगा पर उसक मलए उस बहत कठोर सघरा करन पड़ग दखन म यह मसरमत अतयत किदायक होगी पर इस दश म एक फररशता आएगा जो हज़ारो छोट-2

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लोगो को इकटठा करक उनम इतनी आधयामतमक शमि भर दगा मक व लोग बड़-2 बमिजीमवयो की मानयता ममथया मसि कर दग गोपीनार शासतरी - अवतारी महापरर दवारा जबरदसत वचाररक करामत होगी मजसक फलसवरप मशकषण पिमत बदल जाएगी और ऐसी मशकषा का अमवषकार होगा जो वयमि को जीवन जीन की कला परदान करगी जबमक वतामान मशकषा परणाली कवल पट भरन तक ही सीममत ह कमरत आतमजञानहीन बमिजीमवयो स लोगो की घणा होगी और भगभा मवदया रसायन शासतर यतर मवदया खमनज धात चमबक मवदया आमद क नए कषतर की और मवजञान का मवसतार होगा मजसका नततव भारतवरा का एक ऐसा धाममाक सगठन करगा मजसका मागादशाक सवय भगवान होगा धाममाक आशरम जन जागमत क कनदर बनकर काया करग बमप क ितारमन समकमर पमटा क परवत परफ एि पररमणः-

बाप कहाा आत ह- यह भी नही जानत ह जब खद आकर बताव तब पता पड़ कहाा मलखा भी ह मक परमातमा मगधदश म आता ह(मता16876)

शासतरो म मगध दश मलखा ह परनत नॉलज कहाा मसखाई आब म कस आए मदलवाड़ा ममदर भी यहाा परा यादगार ह मजनहोन भी बनाया उनहो की बमि म आया और बठकर बनवाया एकयरट मॉडल तो बना न सक बाप यहाा ही आकर सवा की सदगमत करत ह मगध दश म नही (मता5989 प3 मधय) ऐस बहत बचच ह बाप को परा पहचानत नही ह बाप का अदब(सममान) नही रखत कयोमक बाप कहत ह म साधारण रप म आता ह ा म जो ह ा जसा ह ा मवरला कोई उस रहाब स चलत ह यहाा तो बहत साधारण ह ना ह मकतनी बड़ी असामी आग चल वह भी पहचानग ऐस बाबा को हमन फारकती द दी तकदीर को लकीर लगा दी यह पीछ होगा अभी तो बहत साधारण ह रर ह गपत गपत होन कारण परा पहचान नही सकत ह परा पहचान ल तो कह- बाबा आपक मसवाए दमनया म ह ही कया कोई सदगमत कर न सक (मता151175 प1 आमअ)

यादव और कौरव पास मकतन महल ह तम बचचो को कछ भी नही तीन पर पथवी क भी तमहार नही सब उनहो का ह यह भी गाया हआ ह- मजनको तीन पर पथवी क भी नही ममलत र उनहो की मवजय हई और वह मवशव क मामलक बन गए पाणडव शमिसना गपत ह शासतरो म भी मदखात ह जआ खलत पाणडवो का राजय रा मफर जआ म हराया (म10678 प1 म) भगवान खद कहत ह मझ गाली खानी पड़ती ह सबस जासती गाली म ही खाता ह ा भमिमागा म भी गाली ही दत ह 3 पर पथवी क भी नही ममलत ह मफर भी मकतनी मनरहकारीपन स पाटा बजा रह ह (म6387 प3 अत) बहद का बाप पढ़ात ह परनत बाप ह साधारण तन म पढ़ात भी साधारण रीमत ह इसमलए मनषयो को जाचता नही ह- गॉड फादरली यमनवमसाटी मफर ऐसी होगी बाप कहत ह म ह ा गरीब मनवाज़ गरीबो को ही पढ़ाता ह ा साह कार को ताकत नही पढ़न की उनहो की बमि म तो महल-माड़ी ही होती ह (मता23489 प1 अत) भगवान एक ह उनको ही मात-मपता कहत ह वह आकर एडॉपट करत ह मकतनी गहय बात ह यह नया सकल ह नया पढ़ान वाला ह (मता251088 प3 आ)

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यह नॉलज ह यह ह नई बात नई दमनया क मलए भगवानवाच ह ना भगवान भी नया वाचय भी ह नई वह कहत ह कषण भगवानवाच तम कहत हो मशव भगवानवाच हरक की वाच अपनी-2 ह एक न ममल दसर स (मता15668 प3 आ)

किर वितर न 1 (वतररवता)-

lsquoमशवrsquo का अरा ह- lsquoककयाणकारीrsquo परममपता परमातमा का यह नाम इसमलए ह मक समि-चकर क अत म जब मनषयातमाएा तरा परकमत पमतत एव तमोपरधान बन जाती ह तो परमधाम मनवासी परममपता परमातमा मशव जयोमतमबानद मनषय शरीर का आधार लकर मनषयातमाओ और परकमत दोनो को पावन एव सतोपरधान बनात ह उनक इस कतावय की यादगार म ही मशवरामतर अराात परममपता क शबदो म मशवजयती का तयौहार मनाया जाता ह सपरीम सोल मशव मकसी परर क बीज स या माता क गभा स जनम नही लत व परजामपता दवारा मनषय-समि-रपी वकष क चतनय बीज ह और जनम-मरण तरा कमाबधन रमहत ह अतः व अपना कतावय करन क मलए मकसी साधारण वि मनषय क तन म मदवय परवश करत ह इस ही lsquoपरममपता परमातमा का मदवय अवतरणrsquo कहा जाता ह कयोमक उनका अपना शरीर नही होता ह उनका मदवय कतावय तीन चरणो म समपनन होता ह- सरापना मवनाश और पालना इन तीन कतावयो क मलए व अवयि मसरमत धारण करन वाली तीन साकार दवातमाओ का आधार लत ह व दवातमाएा ह- बरहमा शकर तरा मवषण मनषय-समि-रपी रगमच पर उनक मदवय अवतरण क बाद कौन-सी तीन आतमाएा बरहमा शकर एव मवषण क पातरो का अमभनय करती ह यह जानन क मलए हम सन 1936-37 म परममपता परमातमा क अवतरण स लकर अब तक की घटनाओ को जानना ज़ररी ह

परममपता परमातमा का यह काया सन 193637 म पामकसतान क मसध हदराबाद शहर स परारमभ हआ जब उनहोन दादा लखराज नामक एक मवखयात हीरो क वयापारी को मवषण चतभाज नका की परानी दमनया क मवनाश और सवगा की नई दमनया की सरापना का साकषातकार कराया मकनत व उन मदवय साकषातकारो का अरा समझ न पाए उनहोन अपन गरओ स इसका अरा पछा मकनत भगवान की लीला व दहधारी गर लोग कया समझ मफर व (दादा लखराज) वाराणसी क परकाणड पमणडतो स इसका समाधान पान क मलए गए मकत उनह वहाा भी मनराशा ही हार लगी वहाा भी उनह साकषातकार होत रह मजसकी तसवीर व गगा क घाटो पर बनी दीवारो पर बनात रहत र जब कोई भी उनकी समसया का समाधान न कर सका तो उनह कलकरता म रहन वाल अपन भागीदार (सवकराम) की याद आई उस भागीदार की मनषठा व ईमानदारी स परभामवत होकर ही उनहोन उस अपनी कलकरता मसरत हीरो की दकान की मज़ममवारी सौपी री

अतः दादा लखराज कलकरता गए मकत सीध उस भागीदार को अपन साकषातकारो का वणान करन क बजाय उनहोन अपनी नज़दीकी सबध की माता (अराात छोटी माता) को सनाया और उस माता न दसरी माता को सनाया जो बोलन सनन सनान म मसिहसत री बाद म जब सनन-सनान म मसिहसत माता न परजामपता (भागीदार) को सनाया उसी समय जयोमतमबद परममपता परमातमा मशव न उसी माता और परजामपता (भागीदार) म सार-ही-सार परवश कर मलया और इस परकार उस मसिहसत माता दवारा साकषातकारो का वणान सनन-सनान की परमकरया दवारा lsquoभमिमागाrsquo की तरा भागीदार दवारा जञान समझन-समझान की परमकरया दवारा lsquoजञानमागाrsquo की नीव पड़ गई

इस परकार चामक परममपता मशव न सवापररम उन दोनो माताओ क समकष भागीदार म परवश कर मवशव पररवतान का काया आरमभ मकया इसमलए व मशव जयोमतमबानद ही भमवषय म बरहमा शकर और मवषण- इन मतरदवो दवारा ससार म मतरममता मशव क नाम स परमसि होत ह

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 15: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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मन वचन एव कमा की पमवतरता परममपता परमातमा स सचचा सनह मदवय गणो की धारणा ईशवरीय जञान शि अनन तरा सचच बराहमणो का सग करन पर आतमा दह-अमभमान दवारा उतपनन पााच मवकारो अराात काम करोध लोभ मोह

अहकार स ममि पाकर अपन मल सवरप अराात सवागण समपनन सवरप म मसरत हो सकती ह परभ को याद करन क मलए अमतवला या बरहममह ता का समय सबस शरषठ ह कयोमक उस समय वातावरण शात तरा शि रहता ह और मन भी जागरत एव परशात होता ह राजयोग क मनतय अभयास स आतमा म पमवतरता शामत धया मनभायता नमरता-जस गणो की धारणा होती ह सार ही आतमा को वयरा मवचारो क फलाव को समटन की शमि सहनशमि समान की शमि अचछ-बर को परखन की शमि सही मनणाय लन की शमि समसयाओ का सामना करन की शमि मवमभनन ससकार वाल मनषयो क सार सहयोग करन की शमि तरा मवसतार को सकीणा करन की शमि आमद आतमा की अि शमियाा परापत होती ह

राजयोग क मनरतर एव दढ़ अभयास स आतमा अपन आमद मधय एव अत की कहानी को तरा इस मवशव म अपन अमदवतीय अनक जनमो क पाटा को जान सकती ह और अपन घर बठ मवशव की आतमाओ को भी शामत एव सख का दान द सकती ह इस परकार हम सव-पररवतान क सार-2 मवशव-पररवतान भी कर सकत ह

बरहमाकमारी मवदयालय (बरमव) और आधयामतमक मवदयालय (आमव) की मशकषाओ म अतर-

बरहमाकमारी मवदयालय शासतरो को मानयता नही दता ह आधयामतमक मवदयालय ईशवरीय वाणी क आधार पर शासतरो को मानयता दता ह

बरमव कषण उफा बरहमा को ही एकमातर गीता का साकार भगवान मानता ह जबमक मख स कहता ह मक कषण गीता क भगवान नही ह

आमव मनराकारी सटज वाल साकार मशव-शकर को परमकटकल म गीता का भगवान मानता ह कषण उफा बरहमा क साकार रप दादा लखराज को गीता का भगवान नही मानता बरमव बरहमा-मवषण-शकर क साकार मचतर तो छपाता ह परत मसफा बरहमा क परमकटकल साकार रप को ही मानयता दता ह मवषण और शकर को इस दमनया स ही उड़ा दता ह जबमक शासतरो व दमनया म भी बरहमा क ममदर ममतायाा और पजा नही मदखाई ह बरहमाकमारी मवदयालय मशव-शकर को तो अलग-2 कहता ह लमकन यह नही बताता मक शासतरो म मशव-शकर को कयो ममला मदया मशव को बरहमा मवषण अरवा अनयानय 33 करोड़ दवताओ क सार कयो नही ममलाया और शकर को ही महादव कयो कहा ह

आमव म उपरोि परशनो का सटीक जवाब ह और तीनो दवताओ क साकार परमकटकल पाटा की सपिता भी ह

बरमव मसफा बरहमा (बरहम+माा) बड़ी माा को ही भगवान का साकार रप मानता ह और अपन को मसफा बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

आमव माा और बाप (परजामपता+बरहमा = एडम और ईव) दोनो को साकार रप म मानता ह और अपन को परजामपता बरहमाकमार-कमारी कहलाता ह

बरमव जञान-योग का मवजञापन करता ह जस- परोजकटर परदशानी पमबलक भारण कॉनर स मल सममलन ररयातरा

मनषयकत सामहतय आमद

आमव मकसी परकार क मवजञापन म मवशवास नही करता

बरमव मसफा मतय क बाद ही ममि-जीवनममि रपी ईशवरीय वस को जीवन का लकषय मानता ह

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आमव जीवन रहत ही लोक और परलोक सावारन का पररारा कराता ह अराात इसी जनम म नर स नारायण और नारी स लकषमी बनान का परम परमसि गीता वमणात उपदश दता ह

बरमव महल मामड़याा अटाररयाा बनाकर 36 परकार क भोग खान म और मसफा झकाझक शवत वसतर पहनन म अपन को शरषठ मानकर चलता ह आमव रहन सहन खान पान पहनाव म सादगी को ही शरषठ मानकर चलता ह बरमव म चदा माागकर वयमिगत वभव और मान-शान बढ़ाना आम बात ह

आमव मकसी परकार क चदा आमद lsquoमाागन स मरना भलाrsquo समझता ह

बरमव मसफा कहता ह मक हम एक धमा एक राजय एक कल एक मत की सरापना करग परत चलन म परा ही मवरोधाभास दखन म आता ह आमव क सदसय परमकटकल म आए हए एकमातर ईशवर की ही शरषठ मत को मानत हए ईशवरीय धारणाओ कायद

कानन को मानन क सार-2 नमबरवार अपन-2 पररारा अनसार चलन का परयास भी करत ह

सममपात बरक परायः सनयामसयो की तरह मठ-पर बनाकर जीवन चलाती ह

आमव क सममपात या गर सममपात सभी सदसय गहसरी जीवन यापन करत ह कयोमक गीता क भगवान सवय बहद क गहसर म रहत हए गहसरी पाणडवो को ही राजयोग मसखात ह सनयामसयो (भीषम दरोणाचाया कपाचाया) को नही

भविषयिमणी

(यहाा उन लोगो की भमवषयवामणयो का वणान मकया गया ह मजनकी भमवषयवामणयाा आज तक सही सामबत हई) -

कमकक पराण - सवततरता क बाद भारत म एक ऐस महापरर का उदय होगा जो वजञामनको का भी वजञामनक होगा वह आतमा और परमातमा क रहसय को परगट करगा आतमजञान उसकी दन होगी उसकी वश-भरा साधारण होगी उसका सवासथय बालको जसा योिाओ की तरह साहसी अमशवनी कमारो की तरह वीर यवा व सनदर शासतरो का परकाणड पमणडत व मानवतावादी होगा उसका मपता ही उस योग साधना की ओर परररत करगा 24 वरा की आय म वह योग की उचच भममका म परवश करगा एणडरसन(अमररका) - अरब राषरो समहत ममसलम बहल राजयो म आपसी करामतयाा और भीरण रिपात होग इस बीच भारतवरा म जनम महापरर का परभाव व परमतषठा बढ़गी यह वयमि इमतहास का सवाशरषठ मसीहा होगा वह एक मानवीय समवधान का मनमााण करगा मजसस सार ससार की एक भारा एक सघीय राजय एक सवोचच नयायपामलका एक झणड की रप-रखा होगी

गरराडा कराईस(हॉलड) - भारत दश म एक ऐस महापरर का जनम हआ ह जो मवशव ककयाण की योजनाएा बनाएगा जलबणा - ससार क सबस समरा वयमि का अवतरण हो चका ह वह सारी दमनया को बदल दगा उसकी आधयामतमक करामत सार मवशव म छा जाएगी एक ओर सघरा होग दसरी ओर एक नई धाममाक करामत उठ खड़ी होगी जो आतमा और परमातमा क नए-2 रहसय को परगट करगी वह महापरर 1962 स पवा जनम ल चका ह उसक अनयायी एक समरा ससरा क रप म परगट होग और धीर-2 सार मवशव म अपना परभाव जमा लग असभव मदखन वाल काया को भी व लोग उस महापरर की कपा स बड़ी सरलता स सपनन करग

परोफसर कीरो - भारत का अभयदय एक सवोचच शमि क रप म हो जाएगा पर उसक मलए उस बहत कठोर सघरा करन पड़ग दखन म यह मसरमत अतयत किदायक होगी पर इस दश म एक फररशता आएगा जो हज़ारो छोट-2

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लोगो को इकटठा करक उनम इतनी आधयामतमक शमि भर दगा मक व लोग बड़-2 बमिजीमवयो की मानयता ममथया मसि कर दग गोपीनार शासतरी - अवतारी महापरर दवारा जबरदसत वचाररक करामत होगी मजसक फलसवरप मशकषण पिमत बदल जाएगी और ऐसी मशकषा का अमवषकार होगा जो वयमि को जीवन जीन की कला परदान करगी जबमक वतामान मशकषा परणाली कवल पट भरन तक ही सीममत ह कमरत आतमजञानहीन बमिजीमवयो स लोगो की घणा होगी और भगभा मवदया रसायन शासतर यतर मवदया खमनज धात चमबक मवदया आमद क नए कषतर की और मवजञान का मवसतार होगा मजसका नततव भारतवरा का एक ऐसा धाममाक सगठन करगा मजसका मागादशाक सवय भगवान होगा धाममाक आशरम जन जागमत क कनदर बनकर काया करग बमप क ितारमन समकमर पमटा क परवत परफ एि पररमणः-

बाप कहाा आत ह- यह भी नही जानत ह जब खद आकर बताव तब पता पड़ कहाा मलखा भी ह मक परमातमा मगधदश म आता ह(मता16876)

शासतरो म मगध दश मलखा ह परनत नॉलज कहाा मसखाई आब म कस आए मदलवाड़ा ममदर भी यहाा परा यादगार ह मजनहोन भी बनाया उनहो की बमि म आया और बठकर बनवाया एकयरट मॉडल तो बना न सक बाप यहाा ही आकर सवा की सदगमत करत ह मगध दश म नही (मता5989 प3 मधय) ऐस बहत बचच ह बाप को परा पहचानत नही ह बाप का अदब(सममान) नही रखत कयोमक बाप कहत ह म साधारण रप म आता ह ा म जो ह ा जसा ह ा मवरला कोई उस रहाब स चलत ह यहाा तो बहत साधारण ह ना ह मकतनी बड़ी असामी आग चल वह भी पहचानग ऐस बाबा को हमन फारकती द दी तकदीर को लकीर लगा दी यह पीछ होगा अभी तो बहत साधारण ह रर ह गपत गपत होन कारण परा पहचान नही सकत ह परा पहचान ल तो कह- बाबा आपक मसवाए दमनया म ह ही कया कोई सदगमत कर न सक (मता151175 प1 आमअ)

यादव और कौरव पास मकतन महल ह तम बचचो को कछ भी नही तीन पर पथवी क भी तमहार नही सब उनहो का ह यह भी गाया हआ ह- मजनको तीन पर पथवी क भी नही ममलत र उनहो की मवजय हई और वह मवशव क मामलक बन गए पाणडव शमिसना गपत ह शासतरो म भी मदखात ह जआ खलत पाणडवो का राजय रा मफर जआ म हराया (म10678 प1 म) भगवान खद कहत ह मझ गाली खानी पड़ती ह सबस जासती गाली म ही खाता ह ा भमिमागा म भी गाली ही दत ह 3 पर पथवी क भी नही ममलत ह मफर भी मकतनी मनरहकारीपन स पाटा बजा रह ह (म6387 प3 अत) बहद का बाप पढ़ात ह परनत बाप ह साधारण तन म पढ़ात भी साधारण रीमत ह इसमलए मनषयो को जाचता नही ह- गॉड फादरली यमनवमसाटी मफर ऐसी होगी बाप कहत ह म ह ा गरीब मनवाज़ गरीबो को ही पढ़ाता ह ा साह कार को ताकत नही पढ़न की उनहो की बमि म तो महल-माड़ी ही होती ह (मता23489 प1 अत) भगवान एक ह उनको ही मात-मपता कहत ह वह आकर एडॉपट करत ह मकतनी गहय बात ह यह नया सकल ह नया पढ़ान वाला ह (मता251088 प3 आ)

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यह नॉलज ह यह ह नई बात नई दमनया क मलए भगवानवाच ह ना भगवान भी नया वाचय भी ह नई वह कहत ह कषण भगवानवाच तम कहत हो मशव भगवानवाच हरक की वाच अपनी-2 ह एक न ममल दसर स (मता15668 प3 आ)

किर वितर न 1 (वतररवता)-

lsquoमशवrsquo का अरा ह- lsquoककयाणकारीrsquo परममपता परमातमा का यह नाम इसमलए ह मक समि-चकर क अत म जब मनषयातमाएा तरा परकमत पमतत एव तमोपरधान बन जाती ह तो परमधाम मनवासी परममपता परमातमा मशव जयोमतमबानद मनषय शरीर का आधार लकर मनषयातमाओ और परकमत दोनो को पावन एव सतोपरधान बनात ह उनक इस कतावय की यादगार म ही मशवरामतर अराात परममपता क शबदो म मशवजयती का तयौहार मनाया जाता ह सपरीम सोल मशव मकसी परर क बीज स या माता क गभा स जनम नही लत व परजामपता दवारा मनषय-समि-रपी वकष क चतनय बीज ह और जनम-मरण तरा कमाबधन रमहत ह अतः व अपना कतावय करन क मलए मकसी साधारण वि मनषय क तन म मदवय परवश करत ह इस ही lsquoपरममपता परमातमा का मदवय अवतरणrsquo कहा जाता ह कयोमक उनका अपना शरीर नही होता ह उनका मदवय कतावय तीन चरणो म समपनन होता ह- सरापना मवनाश और पालना इन तीन कतावयो क मलए व अवयि मसरमत धारण करन वाली तीन साकार दवातमाओ का आधार लत ह व दवातमाएा ह- बरहमा शकर तरा मवषण मनषय-समि-रपी रगमच पर उनक मदवय अवतरण क बाद कौन-सी तीन आतमाएा बरहमा शकर एव मवषण क पातरो का अमभनय करती ह यह जानन क मलए हम सन 1936-37 म परममपता परमातमा क अवतरण स लकर अब तक की घटनाओ को जानना ज़ररी ह

परममपता परमातमा का यह काया सन 193637 म पामकसतान क मसध हदराबाद शहर स परारमभ हआ जब उनहोन दादा लखराज नामक एक मवखयात हीरो क वयापारी को मवषण चतभाज नका की परानी दमनया क मवनाश और सवगा की नई दमनया की सरापना का साकषातकार कराया मकनत व उन मदवय साकषातकारो का अरा समझ न पाए उनहोन अपन गरओ स इसका अरा पछा मकनत भगवान की लीला व दहधारी गर लोग कया समझ मफर व (दादा लखराज) वाराणसी क परकाणड पमणडतो स इसका समाधान पान क मलए गए मकत उनह वहाा भी मनराशा ही हार लगी वहाा भी उनह साकषातकार होत रह मजसकी तसवीर व गगा क घाटो पर बनी दीवारो पर बनात रहत र जब कोई भी उनकी समसया का समाधान न कर सका तो उनह कलकरता म रहन वाल अपन भागीदार (सवकराम) की याद आई उस भागीदार की मनषठा व ईमानदारी स परभामवत होकर ही उनहोन उस अपनी कलकरता मसरत हीरो की दकान की मज़ममवारी सौपी री

अतः दादा लखराज कलकरता गए मकत सीध उस भागीदार को अपन साकषातकारो का वणान करन क बजाय उनहोन अपनी नज़दीकी सबध की माता (अराात छोटी माता) को सनाया और उस माता न दसरी माता को सनाया जो बोलन सनन सनान म मसिहसत री बाद म जब सनन-सनान म मसिहसत माता न परजामपता (भागीदार) को सनाया उसी समय जयोमतमबद परममपता परमातमा मशव न उसी माता और परजामपता (भागीदार) म सार-ही-सार परवश कर मलया और इस परकार उस मसिहसत माता दवारा साकषातकारो का वणान सनन-सनान की परमकरया दवारा lsquoभमिमागाrsquo की तरा भागीदार दवारा जञान समझन-समझान की परमकरया दवारा lsquoजञानमागाrsquo की नीव पड़ गई

इस परकार चामक परममपता मशव न सवापररम उन दोनो माताओ क समकष भागीदार म परवश कर मवशव पररवतान का काया आरमभ मकया इसमलए व मशव जयोमतमबानद ही भमवषय म बरहमा शकर और मवषण- इन मतरदवो दवारा ससार म मतरममता मशव क नाम स परमसि होत ह

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 16: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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आमव जीवन रहत ही लोक और परलोक सावारन का पररारा कराता ह अराात इसी जनम म नर स नारायण और नारी स लकषमी बनान का परम परमसि गीता वमणात उपदश दता ह

बरमव महल मामड़याा अटाररयाा बनाकर 36 परकार क भोग खान म और मसफा झकाझक शवत वसतर पहनन म अपन को शरषठ मानकर चलता ह आमव रहन सहन खान पान पहनाव म सादगी को ही शरषठ मानकर चलता ह बरमव म चदा माागकर वयमिगत वभव और मान-शान बढ़ाना आम बात ह

आमव मकसी परकार क चदा आमद lsquoमाागन स मरना भलाrsquo समझता ह

बरमव मसफा कहता ह मक हम एक धमा एक राजय एक कल एक मत की सरापना करग परत चलन म परा ही मवरोधाभास दखन म आता ह आमव क सदसय परमकटकल म आए हए एकमातर ईशवर की ही शरषठ मत को मानत हए ईशवरीय धारणाओ कायद

कानन को मानन क सार-2 नमबरवार अपन-2 पररारा अनसार चलन का परयास भी करत ह

सममपात बरक परायः सनयामसयो की तरह मठ-पर बनाकर जीवन चलाती ह

आमव क सममपात या गर सममपात सभी सदसय गहसरी जीवन यापन करत ह कयोमक गीता क भगवान सवय बहद क गहसर म रहत हए गहसरी पाणडवो को ही राजयोग मसखात ह सनयामसयो (भीषम दरोणाचाया कपाचाया) को नही

भविषयिमणी

(यहाा उन लोगो की भमवषयवामणयो का वणान मकया गया ह मजनकी भमवषयवामणयाा आज तक सही सामबत हई) -

कमकक पराण - सवततरता क बाद भारत म एक ऐस महापरर का उदय होगा जो वजञामनको का भी वजञामनक होगा वह आतमा और परमातमा क रहसय को परगट करगा आतमजञान उसकी दन होगी उसकी वश-भरा साधारण होगी उसका सवासथय बालको जसा योिाओ की तरह साहसी अमशवनी कमारो की तरह वीर यवा व सनदर शासतरो का परकाणड पमणडत व मानवतावादी होगा उसका मपता ही उस योग साधना की ओर परररत करगा 24 वरा की आय म वह योग की उचच भममका म परवश करगा एणडरसन(अमररका) - अरब राषरो समहत ममसलम बहल राजयो म आपसी करामतयाा और भीरण रिपात होग इस बीच भारतवरा म जनम महापरर का परभाव व परमतषठा बढ़गी यह वयमि इमतहास का सवाशरषठ मसीहा होगा वह एक मानवीय समवधान का मनमााण करगा मजसस सार ससार की एक भारा एक सघीय राजय एक सवोचच नयायपामलका एक झणड की रप-रखा होगी

गरराडा कराईस(हॉलड) - भारत दश म एक ऐस महापरर का जनम हआ ह जो मवशव ककयाण की योजनाएा बनाएगा जलबणा - ससार क सबस समरा वयमि का अवतरण हो चका ह वह सारी दमनया को बदल दगा उसकी आधयामतमक करामत सार मवशव म छा जाएगी एक ओर सघरा होग दसरी ओर एक नई धाममाक करामत उठ खड़ी होगी जो आतमा और परमातमा क नए-2 रहसय को परगट करगी वह महापरर 1962 स पवा जनम ल चका ह उसक अनयायी एक समरा ससरा क रप म परगट होग और धीर-2 सार मवशव म अपना परभाव जमा लग असभव मदखन वाल काया को भी व लोग उस महापरर की कपा स बड़ी सरलता स सपनन करग

परोफसर कीरो - भारत का अभयदय एक सवोचच शमि क रप म हो जाएगा पर उसक मलए उस बहत कठोर सघरा करन पड़ग दखन म यह मसरमत अतयत किदायक होगी पर इस दश म एक फररशता आएगा जो हज़ारो छोट-2

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लोगो को इकटठा करक उनम इतनी आधयामतमक शमि भर दगा मक व लोग बड़-2 बमिजीमवयो की मानयता ममथया मसि कर दग गोपीनार शासतरी - अवतारी महापरर दवारा जबरदसत वचाररक करामत होगी मजसक फलसवरप मशकषण पिमत बदल जाएगी और ऐसी मशकषा का अमवषकार होगा जो वयमि को जीवन जीन की कला परदान करगी जबमक वतामान मशकषा परणाली कवल पट भरन तक ही सीममत ह कमरत आतमजञानहीन बमिजीमवयो स लोगो की घणा होगी और भगभा मवदया रसायन शासतर यतर मवदया खमनज धात चमबक मवदया आमद क नए कषतर की और मवजञान का मवसतार होगा मजसका नततव भारतवरा का एक ऐसा धाममाक सगठन करगा मजसका मागादशाक सवय भगवान होगा धाममाक आशरम जन जागमत क कनदर बनकर काया करग बमप क ितारमन समकमर पमटा क परवत परफ एि पररमणः-

बाप कहाा आत ह- यह भी नही जानत ह जब खद आकर बताव तब पता पड़ कहाा मलखा भी ह मक परमातमा मगधदश म आता ह(मता16876)

शासतरो म मगध दश मलखा ह परनत नॉलज कहाा मसखाई आब म कस आए मदलवाड़ा ममदर भी यहाा परा यादगार ह मजनहोन भी बनाया उनहो की बमि म आया और बठकर बनवाया एकयरट मॉडल तो बना न सक बाप यहाा ही आकर सवा की सदगमत करत ह मगध दश म नही (मता5989 प3 मधय) ऐस बहत बचच ह बाप को परा पहचानत नही ह बाप का अदब(सममान) नही रखत कयोमक बाप कहत ह म साधारण रप म आता ह ा म जो ह ा जसा ह ा मवरला कोई उस रहाब स चलत ह यहाा तो बहत साधारण ह ना ह मकतनी बड़ी असामी आग चल वह भी पहचानग ऐस बाबा को हमन फारकती द दी तकदीर को लकीर लगा दी यह पीछ होगा अभी तो बहत साधारण ह रर ह गपत गपत होन कारण परा पहचान नही सकत ह परा पहचान ल तो कह- बाबा आपक मसवाए दमनया म ह ही कया कोई सदगमत कर न सक (मता151175 प1 आमअ)

यादव और कौरव पास मकतन महल ह तम बचचो को कछ भी नही तीन पर पथवी क भी तमहार नही सब उनहो का ह यह भी गाया हआ ह- मजनको तीन पर पथवी क भी नही ममलत र उनहो की मवजय हई और वह मवशव क मामलक बन गए पाणडव शमिसना गपत ह शासतरो म भी मदखात ह जआ खलत पाणडवो का राजय रा मफर जआ म हराया (म10678 प1 म) भगवान खद कहत ह मझ गाली खानी पड़ती ह सबस जासती गाली म ही खाता ह ा भमिमागा म भी गाली ही दत ह 3 पर पथवी क भी नही ममलत ह मफर भी मकतनी मनरहकारीपन स पाटा बजा रह ह (म6387 प3 अत) बहद का बाप पढ़ात ह परनत बाप ह साधारण तन म पढ़ात भी साधारण रीमत ह इसमलए मनषयो को जाचता नही ह- गॉड फादरली यमनवमसाटी मफर ऐसी होगी बाप कहत ह म ह ा गरीब मनवाज़ गरीबो को ही पढ़ाता ह ा साह कार को ताकत नही पढ़न की उनहो की बमि म तो महल-माड़ी ही होती ह (मता23489 प1 अत) भगवान एक ह उनको ही मात-मपता कहत ह वह आकर एडॉपट करत ह मकतनी गहय बात ह यह नया सकल ह नया पढ़ान वाला ह (मता251088 प3 आ)

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यह नॉलज ह यह ह नई बात नई दमनया क मलए भगवानवाच ह ना भगवान भी नया वाचय भी ह नई वह कहत ह कषण भगवानवाच तम कहत हो मशव भगवानवाच हरक की वाच अपनी-2 ह एक न ममल दसर स (मता15668 प3 आ)

किर वितर न 1 (वतररवता)-

lsquoमशवrsquo का अरा ह- lsquoककयाणकारीrsquo परममपता परमातमा का यह नाम इसमलए ह मक समि-चकर क अत म जब मनषयातमाएा तरा परकमत पमतत एव तमोपरधान बन जाती ह तो परमधाम मनवासी परममपता परमातमा मशव जयोमतमबानद मनषय शरीर का आधार लकर मनषयातमाओ और परकमत दोनो को पावन एव सतोपरधान बनात ह उनक इस कतावय की यादगार म ही मशवरामतर अराात परममपता क शबदो म मशवजयती का तयौहार मनाया जाता ह सपरीम सोल मशव मकसी परर क बीज स या माता क गभा स जनम नही लत व परजामपता दवारा मनषय-समि-रपी वकष क चतनय बीज ह और जनम-मरण तरा कमाबधन रमहत ह अतः व अपना कतावय करन क मलए मकसी साधारण वि मनषय क तन म मदवय परवश करत ह इस ही lsquoपरममपता परमातमा का मदवय अवतरणrsquo कहा जाता ह कयोमक उनका अपना शरीर नही होता ह उनका मदवय कतावय तीन चरणो म समपनन होता ह- सरापना मवनाश और पालना इन तीन कतावयो क मलए व अवयि मसरमत धारण करन वाली तीन साकार दवातमाओ का आधार लत ह व दवातमाएा ह- बरहमा शकर तरा मवषण मनषय-समि-रपी रगमच पर उनक मदवय अवतरण क बाद कौन-सी तीन आतमाएा बरहमा शकर एव मवषण क पातरो का अमभनय करती ह यह जानन क मलए हम सन 1936-37 म परममपता परमातमा क अवतरण स लकर अब तक की घटनाओ को जानना ज़ररी ह

परममपता परमातमा का यह काया सन 193637 म पामकसतान क मसध हदराबाद शहर स परारमभ हआ जब उनहोन दादा लखराज नामक एक मवखयात हीरो क वयापारी को मवषण चतभाज नका की परानी दमनया क मवनाश और सवगा की नई दमनया की सरापना का साकषातकार कराया मकनत व उन मदवय साकषातकारो का अरा समझ न पाए उनहोन अपन गरओ स इसका अरा पछा मकनत भगवान की लीला व दहधारी गर लोग कया समझ मफर व (दादा लखराज) वाराणसी क परकाणड पमणडतो स इसका समाधान पान क मलए गए मकत उनह वहाा भी मनराशा ही हार लगी वहाा भी उनह साकषातकार होत रह मजसकी तसवीर व गगा क घाटो पर बनी दीवारो पर बनात रहत र जब कोई भी उनकी समसया का समाधान न कर सका तो उनह कलकरता म रहन वाल अपन भागीदार (सवकराम) की याद आई उस भागीदार की मनषठा व ईमानदारी स परभामवत होकर ही उनहोन उस अपनी कलकरता मसरत हीरो की दकान की मज़ममवारी सौपी री

अतः दादा लखराज कलकरता गए मकत सीध उस भागीदार को अपन साकषातकारो का वणान करन क बजाय उनहोन अपनी नज़दीकी सबध की माता (अराात छोटी माता) को सनाया और उस माता न दसरी माता को सनाया जो बोलन सनन सनान म मसिहसत री बाद म जब सनन-सनान म मसिहसत माता न परजामपता (भागीदार) को सनाया उसी समय जयोमतमबद परममपता परमातमा मशव न उसी माता और परजामपता (भागीदार) म सार-ही-सार परवश कर मलया और इस परकार उस मसिहसत माता दवारा साकषातकारो का वणान सनन-सनान की परमकरया दवारा lsquoभमिमागाrsquo की तरा भागीदार दवारा जञान समझन-समझान की परमकरया दवारा lsquoजञानमागाrsquo की नीव पड़ गई

इस परकार चामक परममपता मशव न सवापररम उन दोनो माताओ क समकष भागीदार म परवश कर मवशव पररवतान का काया आरमभ मकया इसमलए व मशव जयोमतमबानद ही भमवषय म बरहमा शकर और मवषण- इन मतरदवो दवारा ससार म मतरममता मशव क नाम स परमसि होत ह

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

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लोगो को इकटठा करक उनम इतनी आधयामतमक शमि भर दगा मक व लोग बड़-2 बमिजीमवयो की मानयता ममथया मसि कर दग गोपीनार शासतरी - अवतारी महापरर दवारा जबरदसत वचाररक करामत होगी मजसक फलसवरप मशकषण पिमत बदल जाएगी और ऐसी मशकषा का अमवषकार होगा जो वयमि को जीवन जीन की कला परदान करगी जबमक वतामान मशकषा परणाली कवल पट भरन तक ही सीममत ह कमरत आतमजञानहीन बमिजीमवयो स लोगो की घणा होगी और भगभा मवदया रसायन शासतर यतर मवदया खमनज धात चमबक मवदया आमद क नए कषतर की और मवजञान का मवसतार होगा मजसका नततव भारतवरा का एक ऐसा धाममाक सगठन करगा मजसका मागादशाक सवय भगवान होगा धाममाक आशरम जन जागमत क कनदर बनकर काया करग बमप क ितारमन समकमर पमटा क परवत परफ एि पररमणः-

बाप कहाा आत ह- यह भी नही जानत ह जब खद आकर बताव तब पता पड़ कहाा मलखा भी ह मक परमातमा मगधदश म आता ह(मता16876)

शासतरो म मगध दश मलखा ह परनत नॉलज कहाा मसखाई आब म कस आए मदलवाड़ा ममदर भी यहाा परा यादगार ह मजनहोन भी बनाया उनहो की बमि म आया और बठकर बनवाया एकयरट मॉडल तो बना न सक बाप यहाा ही आकर सवा की सदगमत करत ह मगध दश म नही (मता5989 प3 मधय) ऐस बहत बचच ह बाप को परा पहचानत नही ह बाप का अदब(सममान) नही रखत कयोमक बाप कहत ह म साधारण रप म आता ह ा म जो ह ा जसा ह ा मवरला कोई उस रहाब स चलत ह यहाा तो बहत साधारण ह ना ह मकतनी बड़ी असामी आग चल वह भी पहचानग ऐस बाबा को हमन फारकती द दी तकदीर को लकीर लगा दी यह पीछ होगा अभी तो बहत साधारण ह रर ह गपत गपत होन कारण परा पहचान नही सकत ह परा पहचान ल तो कह- बाबा आपक मसवाए दमनया म ह ही कया कोई सदगमत कर न सक (मता151175 प1 आमअ)

यादव और कौरव पास मकतन महल ह तम बचचो को कछ भी नही तीन पर पथवी क भी तमहार नही सब उनहो का ह यह भी गाया हआ ह- मजनको तीन पर पथवी क भी नही ममलत र उनहो की मवजय हई और वह मवशव क मामलक बन गए पाणडव शमिसना गपत ह शासतरो म भी मदखात ह जआ खलत पाणडवो का राजय रा मफर जआ म हराया (म10678 प1 म) भगवान खद कहत ह मझ गाली खानी पड़ती ह सबस जासती गाली म ही खाता ह ा भमिमागा म भी गाली ही दत ह 3 पर पथवी क भी नही ममलत ह मफर भी मकतनी मनरहकारीपन स पाटा बजा रह ह (म6387 प3 अत) बहद का बाप पढ़ात ह परनत बाप ह साधारण तन म पढ़ात भी साधारण रीमत ह इसमलए मनषयो को जाचता नही ह- गॉड फादरली यमनवमसाटी मफर ऐसी होगी बाप कहत ह म ह ा गरीब मनवाज़ गरीबो को ही पढ़ाता ह ा साह कार को ताकत नही पढ़न की उनहो की बमि म तो महल-माड़ी ही होती ह (मता23489 प1 अत) भगवान एक ह उनको ही मात-मपता कहत ह वह आकर एडॉपट करत ह मकतनी गहय बात ह यह नया सकल ह नया पढ़ान वाला ह (मता251088 प3 आ)

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यह नॉलज ह यह ह नई बात नई दमनया क मलए भगवानवाच ह ना भगवान भी नया वाचय भी ह नई वह कहत ह कषण भगवानवाच तम कहत हो मशव भगवानवाच हरक की वाच अपनी-2 ह एक न ममल दसर स (मता15668 प3 आ)

किर वितर न 1 (वतररवता)-

lsquoमशवrsquo का अरा ह- lsquoककयाणकारीrsquo परममपता परमातमा का यह नाम इसमलए ह मक समि-चकर क अत म जब मनषयातमाएा तरा परकमत पमतत एव तमोपरधान बन जाती ह तो परमधाम मनवासी परममपता परमातमा मशव जयोमतमबानद मनषय शरीर का आधार लकर मनषयातमाओ और परकमत दोनो को पावन एव सतोपरधान बनात ह उनक इस कतावय की यादगार म ही मशवरामतर अराात परममपता क शबदो म मशवजयती का तयौहार मनाया जाता ह सपरीम सोल मशव मकसी परर क बीज स या माता क गभा स जनम नही लत व परजामपता दवारा मनषय-समि-रपी वकष क चतनय बीज ह और जनम-मरण तरा कमाबधन रमहत ह अतः व अपना कतावय करन क मलए मकसी साधारण वि मनषय क तन म मदवय परवश करत ह इस ही lsquoपरममपता परमातमा का मदवय अवतरणrsquo कहा जाता ह कयोमक उनका अपना शरीर नही होता ह उनका मदवय कतावय तीन चरणो म समपनन होता ह- सरापना मवनाश और पालना इन तीन कतावयो क मलए व अवयि मसरमत धारण करन वाली तीन साकार दवातमाओ का आधार लत ह व दवातमाएा ह- बरहमा शकर तरा मवषण मनषय-समि-रपी रगमच पर उनक मदवय अवतरण क बाद कौन-सी तीन आतमाएा बरहमा शकर एव मवषण क पातरो का अमभनय करती ह यह जानन क मलए हम सन 1936-37 म परममपता परमातमा क अवतरण स लकर अब तक की घटनाओ को जानना ज़ररी ह

परममपता परमातमा का यह काया सन 193637 म पामकसतान क मसध हदराबाद शहर स परारमभ हआ जब उनहोन दादा लखराज नामक एक मवखयात हीरो क वयापारी को मवषण चतभाज नका की परानी दमनया क मवनाश और सवगा की नई दमनया की सरापना का साकषातकार कराया मकनत व उन मदवय साकषातकारो का अरा समझ न पाए उनहोन अपन गरओ स इसका अरा पछा मकनत भगवान की लीला व दहधारी गर लोग कया समझ मफर व (दादा लखराज) वाराणसी क परकाणड पमणडतो स इसका समाधान पान क मलए गए मकत उनह वहाा भी मनराशा ही हार लगी वहाा भी उनह साकषातकार होत रह मजसकी तसवीर व गगा क घाटो पर बनी दीवारो पर बनात रहत र जब कोई भी उनकी समसया का समाधान न कर सका तो उनह कलकरता म रहन वाल अपन भागीदार (सवकराम) की याद आई उस भागीदार की मनषठा व ईमानदारी स परभामवत होकर ही उनहोन उस अपनी कलकरता मसरत हीरो की दकान की मज़ममवारी सौपी री

अतः दादा लखराज कलकरता गए मकत सीध उस भागीदार को अपन साकषातकारो का वणान करन क बजाय उनहोन अपनी नज़दीकी सबध की माता (अराात छोटी माता) को सनाया और उस माता न दसरी माता को सनाया जो बोलन सनन सनान म मसिहसत री बाद म जब सनन-सनान म मसिहसत माता न परजामपता (भागीदार) को सनाया उसी समय जयोमतमबद परममपता परमातमा मशव न उसी माता और परजामपता (भागीदार) म सार-ही-सार परवश कर मलया और इस परकार उस मसिहसत माता दवारा साकषातकारो का वणान सनन-सनान की परमकरया दवारा lsquoभमिमागाrsquo की तरा भागीदार दवारा जञान समझन-समझान की परमकरया दवारा lsquoजञानमागाrsquo की नीव पड़ गई

इस परकार चामक परममपता मशव न सवापररम उन दोनो माताओ क समकष भागीदार म परवश कर मवशव पररवतान का काया आरमभ मकया इसमलए व मशव जयोमतमबानद ही भमवषय म बरहमा शकर और मवषण- इन मतरदवो दवारा ससार म मतरममता मशव क नाम स परमसि होत ह

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 18: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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यह नॉलज ह यह ह नई बात नई दमनया क मलए भगवानवाच ह ना भगवान भी नया वाचय भी ह नई वह कहत ह कषण भगवानवाच तम कहत हो मशव भगवानवाच हरक की वाच अपनी-2 ह एक न ममल दसर स (मता15668 प3 आ)

किर वितर न 1 (वतररवता)-

lsquoमशवrsquo का अरा ह- lsquoककयाणकारीrsquo परममपता परमातमा का यह नाम इसमलए ह मक समि-चकर क अत म जब मनषयातमाएा तरा परकमत पमतत एव तमोपरधान बन जाती ह तो परमधाम मनवासी परममपता परमातमा मशव जयोमतमबानद मनषय शरीर का आधार लकर मनषयातमाओ और परकमत दोनो को पावन एव सतोपरधान बनात ह उनक इस कतावय की यादगार म ही मशवरामतर अराात परममपता क शबदो म मशवजयती का तयौहार मनाया जाता ह सपरीम सोल मशव मकसी परर क बीज स या माता क गभा स जनम नही लत व परजामपता दवारा मनषय-समि-रपी वकष क चतनय बीज ह और जनम-मरण तरा कमाबधन रमहत ह अतः व अपना कतावय करन क मलए मकसी साधारण वि मनषय क तन म मदवय परवश करत ह इस ही lsquoपरममपता परमातमा का मदवय अवतरणrsquo कहा जाता ह कयोमक उनका अपना शरीर नही होता ह उनका मदवय कतावय तीन चरणो म समपनन होता ह- सरापना मवनाश और पालना इन तीन कतावयो क मलए व अवयि मसरमत धारण करन वाली तीन साकार दवातमाओ का आधार लत ह व दवातमाएा ह- बरहमा शकर तरा मवषण मनषय-समि-रपी रगमच पर उनक मदवय अवतरण क बाद कौन-सी तीन आतमाएा बरहमा शकर एव मवषण क पातरो का अमभनय करती ह यह जानन क मलए हम सन 1936-37 म परममपता परमातमा क अवतरण स लकर अब तक की घटनाओ को जानना ज़ररी ह

परममपता परमातमा का यह काया सन 193637 म पामकसतान क मसध हदराबाद शहर स परारमभ हआ जब उनहोन दादा लखराज नामक एक मवखयात हीरो क वयापारी को मवषण चतभाज नका की परानी दमनया क मवनाश और सवगा की नई दमनया की सरापना का साकषातकार कराया मकनत व उन मदवय साकषातकारो का अरा समझ न पाए उनहोन अपन गरओ स इसका अरा पछा मकनत भगवान की लीला व दहधारी गर लोग कया समझ मफर व (दादा लखराज) वाराणसी क परकाणड पमणडतो स इसका समाधान पान क मलए गए मकत उनह वहाा भी मनराशा ही हार लगी वहाा भी उनह साकषातकार होत रह मजसकी तसवीर व गगा क घाटो पर बनी दीवारो पर बनात रहत र जब कोई भी उनकी समसया का समाधान न कर सका तो उनह कलकरता म रहन वाल अपन भागीदार (सवकराम) की याद आई उस भागीदार की मनषठा व ईमानदारी स परभामवत होकर ही उनहोन उस अपनी कलकरता मसरत हीरो की दकान की मज़ममवारी सौपी री

अतः दादा लखराज कलकरता गए मकत सीध उस भागीदार को अपन साकषातकारो का वणान करन क बजाय उनहोन अपनी नज़दीकी सबध की माता (अराात छोटी माता) को सनाया और उस माता न दसरी माता को सनाया जो बोलन सनन सनान म मसिहसत री बाद म जब सनन-सनान म मसिहसत माता न परजामपता (भागीदार) को सनाया उसी समय जयोमतमबद परममपता परमातमा मशव न उसी माता और परजामपता (भागीदार) म सार-ही-सार परवश कर मलया और इस परकार उस मसिहसत माता दवारा साकषातकारो का वणान सनन-सनान की परमकरया दवारा lsquoभमिमागाrsquo की तरा भागीदार दवारा जञान समझन-समझान की परमकरया दवारा lsquoजञानमागाrsquo की नीव पड़ गई

इस परकार चामक परममपता मशव न सवापररम उन दोनो माताओ क समकष भागीदार म परवश कर मवशव पररवतान का काया आरमभ मकया इसमलए व मशव जयोमतमबानद ही भमवषय म बरहमा शकर और मवषण- इन मतरदवो दवारा ससार म मतरममता मशव क नाम स परमसि होत ह

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 19: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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कछ समय क बाद दादा लखराज न भागीदार और नज़दीकी सबध की माता (छोटी माता) क परमकटकल पाटा और अनभव स अपन वतामान जनम क पाटा lsquoबरहमाrsquo क सवरप और भमवषय सतयग म कषण क रप म पररम महाराजकमार क सवरप को भी पहचान मलया इस घटनाओ क अनसार परममपता परमातमा का कायाकषतर एव पररवार पहल मसध हदराबाद मफर कलकरता और ततपिात कराची म सरानानतररत हआ जहाा पहल कछ वरो तक मसध हदराबाद म भागीदार दवारा और मफर कराची म माताओ क दवारा परममपता न जञान और राजयोग की मशकषा दी परारमभ म यह पररवार lsquoओम मडलीrsquo क नाम स जाना जाता रा कयोमक ओम की धवमन लगात ही सभी धयान म चल जात र तरा वकणठ और कषण का साकषातकार करत र सयोगवश सन 1946-47 तक परममपता परमातमा क इस अलौमकक पररवार क तीन सदसयो- भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता का दहावसान हो गया ततपिात परममपता न दादा लखराज क दवारा मवशव पररवतान का काया जारी रखा उस समय मौजद कनया-माताओ म एक ओमराध नामक कनया भी री मजनहोन अपन वतामान जनम क lsquoसरसवतीrsquo नामक पाटा का और भमवषय सतयग म राधा क रप म पररम महाराजकमारी क सवरप का भी मनिय कर मलया सन 1951 म यह पररवार पामकसतान स माउणट आब (राजसरान) को सरानानतररत हआ इसी दौरान ओम मडली का नाम बरहमाकमारी ईशवरीय मवशवमवदयालय पड़ा और परचार-परसार आरमभ मकया जयोमतमबिद मशव न दादा लखराज (उफा बरहमा) क शरीर म परवश कर सन 1951 स 18 जनवरी 1969 तक जो महावाकय उचचार उनह lsquoजञान मरलीrsquo कहा जाता ह सन 1947 स 196568 तक बरक ओमराध एव दादा लखराज न जगदमबा और परजामपता बरहमा क कायावाहक पातरो का अमभनय मकया 18 जनवरी 1969 म दादा लखराज क दहावसान क बाद बरक परकाशममण न इस ससरा की बागडोर समभाली और उनक दहावसान क बाद वतामान समय उनक सरान पर दादी जानकी दश-मवदश म फली इस ससरा की मखय सचामलका ह बरहमाकमारी ससरा क सदसयो न समझा मक परममपता मशव का अब कोई साकार माधयम नही रहा और हम ही सवगा की सरापना करनी ह मात-मपता क रप म परमातम पालना क मबना इस ईशवरीय पररवार की वही मसरमत हो गई जस मक लौमकक दमनया म मात-मपता क दहावसान पर अनार बचचो की होती ह ससरा क सदसयो की सखया म तो उरतरोरतर वमि हई मकनत उनकी गणवरता वह नही री जो ससरा क शरआत क वरो म परमातम पालना पान वाल वतसो की री मजस परकार बर वयमियो क सग स मनषय खराब हो जाता ह उसी परकार सदा पावन एव ककयाणकारी मशव क साकार सार क मबना पमतत आतमाएा पावन भी नही बन सकती अतः दादा लखराज बरहमा क दहावसान क पिात समि पर सवगा सरापन करन क अपन अधर कतावय को परा करन क मलए परममपता परमातमा न पनः उनही आतमाओ का आधार मलया मजनह आमद (सन 1936-37) म चना रा वही भागीदार आमद माता तरा नज़दीकी सबध की माता मजनक दवारा यह परमातम काया आरमभ हआ रा और मजनका सन 1946-47 स पहल दहावसान हो गया रा पनः अपन अगल जनम या शरीर म मभनन नाम-रप क सार इस बरहमाकमारी ससरा क सदसय बनत ह भागीदार की आतमा पनः फराखाबाद मजल की कायमगज तहसील म जनम लती ह आमद माता मदकली म जनम लती ह और नज़दीकी सबध की माता अहमदाबाद म बरहमाकमारी बनन क बाद अरीका म मसरत बरहमाकमारी सवाकनदरो की परभारी बनती ह (नोटः- माउणट आब स उचचाररत मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर ऐसी उपररवमणात मानयता आधयामतमक मवदयालय क सभी मजजञासओ की ह)

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

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सन 1969 म वह बरहमाकमारी बहन अहमदाबाद क पालड़ी सवाकनदर म उस फराखाबादी वयमि को बरहमाकमारी ससरा दवारा परमतपामदत परारममक (बमसक) जञान दन क मनममरत बनती ह मकनत व उनकी ईशवरीय जञान समबनधी शकाओ का समाधान नही कर पाती ससरा क मखयालय म रहन वाल वररषठ भाई-बहन भी इसम मवफल रह और उस बहन न शकाओ क समाधान हत उनह उन सभी जञान मरमलयो की ममदरत परमतयाा द दी जो परममपता मशव न दादा लखराज बरहमा क दवारा उचचारी री

सन 1969 स ही परममपता मशव न उस फरखााबादी क शरीर म गपत रप स परवश करना परारमभ कर मदया रा मकनत उसको इसका आभास न रा परममपता की जञान मरमलयो का गहन अधययन करत-2 उनको मशव जयोमतमबानद की परवशता होन क कारण न कवल अपनी शकाओ का समाधान ममला अमपत बरहमा की वाणी मरमलयो म मछप गहय रहसय भी उनकी बमि म सपि होन लग उनह सन 1969 क बाद परममपता मशव क साकार पातर समि क आमद मधय और अत क रहसय पर परा मनिय हो गया इसक बाद उनहोन सन 1976 (बाप क परतयकषता वरा) स इस अधययन क दवारा परापत जञान बरहमाकमार-कमाररयो को सनाना परारमभ मकया न बरहमाकमारी बहनो और न ही ससरा क तराकमरत वररषठ भाई-बहनो न उनक मनषकरा को सवीकार मकया बमकक उनह उसस रोकन क परयास जोर-शोर स शर कर मदए मकनत परममपता मशव को तो समि पर परतयकष होना ही रा

मदकली म यमना मकनार क सवाकनदरो म कछ बरहमाकमार-कमाररयो को उनक दवारा मदए गए जञान क आधार पर यह मनिय हो गया मक यह मकसी मनषय का सनाया गया जञान नही अमपत सवय परममपता मशव (इनक तन) दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान ह मजसक दवारा ही मवशव का पररवतान होना ह इस परकार परममपता क मकरार रर की अलौमकक बराहमणो की दमनया म सन 76 स मदकली म परतयकषता परारमभ हई इस मकरार रर क दवारा मदए गए ईशवरीय जञान क आधार पर बरहमाकमार-कमाररयाा यह समझन लग मक परममपता मशव ही परजामपता (शकर) का पाटा बजा रह ह मजनहोन आमद (सन 1936-37) म छोटी व बड़ी माता एव दादा लखराज की बमि म जञान का बीजारोपण मकया रा और अब अत म बरहमा क मख स मनकली मरमलयो की टीचर क रप म वयाखया दवारा मफर स अमवनाशी सख-शामत का वसाा द रह ह सार ही उि मदकली म जनमी कनया मजनहोन आमद म माता क रप म आमद दवी या जगदमबा या आमद बरहमा का पाटा बजाया रा अब पनः जगदमबा या बरहमा (बड़ी माा) का पाटा बजा रही ह वासतव म दादा लखराज बरहमा की आतमा ही उनम परवश कर यह पाटा बजाती ह और आमद-अत म पाटा बजान वाली नज़दीकी सबध की माता जो मपछल जनम म सन 1942-47 क बीच म कछ समय क मलए परमातम पररवार की पालना का आधार बनी री अब मनकट भमवषय म वषणवी दवी क रप म इस एडवास जञान को सार मवशव म फलान क मनममरत बनगी तरा परजामपता क सार मवनाश क पहल और बाद म भी वषणवी दवी या मवषण (अराात लकषमी-नारायण) क रप म पालना का पाटा बजाएगी इस परकार उपयाि तीन आतमाएा ही आमद म और अब अत म भी बरहमा शकर और मवषण क रप म मनराकार परममपता मशव क तीन मदवय कतावयो- lsquoनई दमनया की सरापना बराहमणो की परानी दमनया (बरहमाकमारी मवदयालय) का मवनाश तरा नई दवी दमनया की पालनाrsquo क मनममरत बनती ह सवि-िकर-

परातन काल स मनषय न अपन जनम स पवा और मतय क पिात की कहानी को जानन का भरसक परयास मकया ह और कई तरह स इस वमणात मकया ह वासतव म परममपता परमातमा क अनसार यह मनषय समि-चकर आतमाओ

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 21: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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और परकमत का एक अदभत नाटक ह मजसकी हर 5000 वरा क बाद पनरावमरत होती ह 5000 वरा क इस समि-चकर म परतयक आतमा इस समि-रपी रगमच पर आकर य शरीर रपी वसतर धारण कर मभनन-2 भममका अदा करती ह

इस समि-रपी नाटक को कालकरमानसार चार यगो म बााटा गया ह- सतयग तरतायग दवापरयग तरा कमलयग परतयक यग की आय 1250 वरा की होती ह सतयग और तरतायग को ममलाकर lsquoसवगाrsquo कहा जाता ह तरा दवापरयग और कमलयग को ममलाकर lsquoनका rsquo कहा जाता ह सवगा और नका इसी समि पर होत ह न मक आकाश या पाताल म अदवतवादी दवताओ क सतयग और तरतायग म इस समि पर एक धमा एक राजय एक भारा आमद होन तरा दह-अमभमान न होन क कारण सदा सख शामत और पमवतरता होती ह सतयग व तरतायग म आमद सनातन दवी-दवता धमा रा मजसम हर आतमा मदवयगण समपनन होन क कारण दवी-दवता कहलाती री सतयग का पहला महाराजकमार शरी कषण और पहली महाराजकमारी शरी राध री जो बड़ होकर शरी लकषमी व शरी नारायण क रप म राजय करत ह मजनकी 8 गमददयाा चलती ह उसक बाद तरतायग म शरी सीता व शरी राम का राजय होता ह मजनकी 12 गमददयाा चलती ह मकत सवगा म कषण क सार कस या राम क सार रावण नही होता दवापरयग स दवता धमा की रजोगणी अवसरा परारमभ हो जाती ह दव आतमाएा दह-अमभमान म आकर मवकारी एव दःखी बन जाती ह और इसीमलए भगवान को पकारना आरमभ करती ह दव आतमाएा (जो अब महनद कहलाती ह) मशवमलग तरा अनय दवताओ की पजा परारमभ कर दती ह चामक व उसी समय अचानक समपणा पमतत तरा दःखी नही बनती ह इसमलए परममपता परमातमा सवय उनह पावन बनान नही आत ह अमपत उनक सरान पर कछ शमिशाली आतमाएा आती ह जो यराशमि समि पर शामत सरापन करती ह मकत परी तरह सफल नही होती सवापररम (अराात आज स 2500 वरा पवा) इबराहीम की आतमा आकर इसलाम धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा क पिात बि की आतमा बौि धमा की सरापना करती ह इसक 250 वरा पिात (अराात आज स 2000 वरा पहल) ईसा मसीह की आतमा आकर ईसाई धमा की सरापना करती ह

उपयाि तीन दवतवादी धमा दवापरयग म ही सरापन होत ह मकत इन चार परमख धमो स ही कमलयग म अनकानक धमा मठ पर आमद का परचार-परसार हो जाता ह जस सनयास धमा ममसलम धमा मसकख धमा आया समाज नामसतकवाद आमद कमलयग आत-2 दवता धमा (जो महनद धमा कहलाता ह) की तमोपरधान अवसरा हो जाती ह इसी परकार हर धमा की परतयक आतमा भी समि पर जनम स लकर कमलयग अनत तक सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह जब कमलयग अत म इस समि की सभी आतमाएा धमा भरि और कमा भरि बन जाती ह तब सभी धमामपताओ क भी मपता सवय परममपता परमातमा मशव का मदवय अवतरण होता ह मजसका वणान lsquoमतरममताrsquo क पाठ म मकया गया ह उनक अवतरण काल सतयग-आमद और कमलयग-अत को lsquoसगमयगrsquo कहा जाता ह जब परममपता मशव हम आतमाओ को उरतम-स-उरतम दवी-दवता बनान क मलए जञान और राजयोग की मशकषा परदान करत ह तरा ममि और जीवनममि का ईशवरीय जनममसि अमधकार दत ह बाकी यगो क सकरमण काल को भी सगम कह सकत ह मकनत वहाा आतमाओ की मगरती कला होती ह और मसफा कमलयग तरा सतयग क सगम पर ही आतमाओ की चढ़ती कला होती ह इसमलए इस lsquoपररोरतम सगमयगrsquo कहा जाता ह भारत क पराचीन धमा शासतरो म चार यगो का तो वणान ह मकनत पररोरतम सगमयग का उकलख नही ह यमद सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की तलना सवणा रजत तामर तरा लौह स कर तो सगमयग हीर समान शरषठ यग ह कयोमक इस यग म सवय परममपता

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

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परमातमा समि पर अवतररत होकर आतमाओ को कौड़ी स हीरा बनात ह इसक मलए व सवापररम परजामपता बरहमा म परवश होकर आमद मपता एव आमद माता को परतयकष करत ह (जसा मक पहल क अधयायो म बताया गया ह) और उनक मख स जञान सनाकर बरहमाकमार-कमाररयो को परजामपता बरहमा मखवशावली बराहमण भी बनाया जाता ह जो जञान और राजयोग क अभयास स lsquoबराहमण सो दवताrsquo बनत ह

इस सगमयग की एक मवशरता यह ह मक इसम पर 5000 वरा की शमटग या ररहसाल होती ह यह शमटग या ररहसाल का काया सन 1936-37 स सपरीम सोल मशव क अवतरण क पिात लगभग 100 वरा चलता ह मजस परकार 5000 वरा क डरामा म आतमाएा सतोपरधान सतोसामानय रजो और तमोपरधान अवसरा स गजरती ह उसी परकार परममपता सन 1936-37 स मजस अलौमकक बराहमण पररवार की रचना करत ह और मजनकी अवसरा को सतोपरधान बनात ह वही लगभग 80 वरो म सतोपरधान स सतोसामानय सतोसामानय स रजोपरधान और रजो स तमोपरधान अवसरा तक पहाच जाता ह इस परकार सगमयग क मधयात तक अराात सन 2000 स 2003-04 तक परममपता परमातमा मशव दवारा रच गए बराहमण पररवार म जञानयि सककपो क आधार पर चतयागी की शमटग होती ह इस शमटग म डायरकट परममपता परमातमा क परमत और उनक जञान क परमत न०वार सभी बराहमणो को सशय आन लगता ह दह-अमभमान बढ़ जान क कारण मदवय गणो की धारणा क सरान पर अवगणो का ऐसा राजय सरामपत हो जाता ह मक मनराकार मशव क साकार रर को ही पमतत मवकारी और भरिाचारी मसि करन का परयास मकया जान लगता ह परनत अत म पनः परममपता परमातमा क मदवय जञान और राजयोग क दवारा परममपता मशव की तरा जगदमबा-जगतमपता की परतयकषता होती ह तरा समपणा बराहमणो की दमनया एक सतर म बाध जाती ह

इस परकार सगमयग म ही सतयग तरता दवापर तरा कमलयग की नीव पड़ती ह जनसखया की दमि स भी पर 5000 वरा क नाटक म आतमाओ क पथवी पर अवतरण अरवा जञान म आन की नीव भी सगमयग म ही पड़ती ह सगम पर ईशवर का सदश मजस-2 आतमा को मजतना शीघर परापत होता ह वह 5000 वरा क डरामा म भी परमधाम स उतना ही शीघर आकर पहल-2 सख मफर अपन-2 कमाानसार दःख भोगती ह जस सन 1990 म तरतायगी शमटग खतम होन तक लगभग 10 करोड़ दव आतमाओ को सदश ममल चका रा अराात उतनी आतमाएा 5000 वरा क डरामा म तरतायग क अत तक पथवी पर जनम ल लती ह

जनसाधारण यह समझत ह मक इस बरहमाकमारी आशरम का जञान शासतरो स मल नही खाता मकनत ऐसा नही ह कवल मरमलयो क गहयारा को समझन की आवशयकता ह जस शासतरो म सतयग की आय तरतायग स अमधक और तरता की आय दवापरयग स अमधक बताई जाती ह इस सदभा म वस तो 5000 वरा क मवशाल डरामा म हर यग की आय समान अराात 1250 वरा ह मकनत सगमयग म इन यगो की शमटग क दौरान हर य ग की शमटग की अवमध अलग-2 होती ह जस सगमयग म वासतमवक सतयगी शमटग म 16 वरा की अवमध तरता की शमटग म 12 वरा की अवमध स अमधक ह और तरता की शमटग की अवमध 8 वरा की दवापरयगी शमटग की अवमध स अमधक ह इसी परकार गीता जस शासतरो म हर यग म भगवान क अवतररत होन की जो बात कही गई ह वह वासतव म सगमयग म ही चार यगो की शमटग क अत म उनक परतयकषता रपी जनम का यादगार ह 5000 वरा क डरामा म तो मशव भगवान हर यग म अवतार नही लत मकनत सगमयग म हर यग की शमटग क दौरान व परतयकष और गपत होत रहत ह इस परकार शासतरो की हर बात परममपता मशव क बरहमा दवारा सगमयग पर उचचार गए महावाकयो स मल ज़रर रखती ह

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 23: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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उपयाि चचाा स यह सपि ह मक मनषय समि का चकर कस मफरता ह और मकस परकार चारो यगो की नीव सगमयग म ही पड़ती ह

किर वितर न 2 (लकषरी-नमरमयण)-

आज क समसयाओ भर यग म मनषय को अपन जीवन क लकषय का पता नही ह वजञामनक आमवषकारो क चलत मनषय न ककपनातीत परगमत की ह लमकन मफर भी वह सनति नही ह आधमनक मशकषा मानव को डॉकटर इजीमनयर वकील वजञामनक नता या वयापारी तो बना दती ह मकनत उस सचची एव सरायी सख-शामनत की परामपत नही करा सकती अकपकामलक सख-शामनत पान की जकदबाज़ी म मनषय या तो मवरय मवकारो म फा स जाता ह या मफर भौमतक सखो स मवरि होकर सनयासी बन जाता ह मकनत सचची सख-शामनत न तो मवरय मवकारो स और न ही सनयास स परापत होती ह वह तो कवल गहसर जीवन वयतीत करत हए ईशवरीय जञान एव राजयोग दवारा ही परापत की जा सकती ह इसी सचची सख-शामत एव पमवतरता स पररपणा जीवन का परमतमनमधतव करन वाल शरी लकषमी और शरी नारायण एव उनकी मदवय रचना को ही इस मचतर म मचमतरत मकया गया ह दादा लखराज बरहमा दवारा मदवय साकषातकारो क आधार पर बनवाए गए चार मखय मचतरो म यह लकषमी-नारायण का मचतर भी शाममल ह इस मचतर म वतामान मनषय-जीवन क लकषय अराात lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo को मचमतरत मकया गया ह

मचतर क ऊपरी भाग म जयोमतमबानद रचमयता मशव एव उनकी सकषम रचना बरहमा मवषण एव शकर को दशााया गया ह मजनक बार म इस पसतक म बता मदया गया ह मक य तीनो ही सवगा की सरापना पालना एव परानी दमनया क मवनाश अराात परममपता परमातमा क तीन मदवय कतावयो क मनममरत बनत ह जबमक मतरममता क नीच सगमयग म लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होन वाली आतमाओ और सतयग म उनक दवी सनतान क रप म जनम लन वाल शरी राध और शरी कषण को मचमतरत मकया गया ह मचतर क शीराक म lsquoसवगा क रचमयताrsquo स अमभपराय लकषमी-नारायण ह न मक मशव कयोमक सगमयग पर जयोमतमबानद मशव स तो कवल जञान का मनराकारी वसाा ममलता ह सगमयग म परममपता परमातमा क जञान को सवाामधक धारण करन वाली दो सवाशरषठ आतमाएा शरी लकषमी एव शरी नारायण क रप म परतयकष होती ह तरा मवनाश क बाद जब सतयग का आरमभ होता ह तब उनक दवारा दादा लखराज बरहमा एव ओमराध सरसवती की आतमाएा ही शरी कषण एव शरी राध क रप म जनम लती ह

मचतर क मधय भाग म मलखा गया ह मक lsquoसतयगी दवी सवराजय आपका ईशवरीय जनम मसि अमधकार हrsquo अराात मजस परकार मवशव क मात-मपता सगमयग पर परममपता मशव का मदया गया जञान धारण कर नर स नारायण और नारी स लकषमी बनत ह उसी परकार हर मनषय यह जञान धारण कर इसी जनम म दवी-दवता बन सकत ह लमकन इस जनम म दवी-दवता बनन का यह अरा नही मक हम मचतर म दशााए गए लकषमी-नारायण की भाामत आभरण और वसतरामद परापत कर लग यह आभरणामद वासतव म मदवयगणो क परतीक ह मचतर म सगमयगी लकषमी-नारायण क चारो ओर जो परकाश मदखाया गया ह वह वासतव म ईशवरीय जञान एव पमवतरता की लाइट ह मकनत सतयग म इनक दवारा जो आतमाएा राध-कषण क रप म जनम लगी उनक कवल मसर क पीछ लाइट का ताज मदखाया गया ह जो मक पमवतरता का सचक ह कयोमक मवनाश क बाद परममपता परमातमा का मदया गया समि क आमद मधय और अत का जञान परायः लोप हो जाता ह

यहाा एक और बात मवचारणीय ह मक मचतर म दशााए गए सगमयगी लकषमी-नारायण मवशव महारानी व मवशव महाराजन होग कयोमक अततः सार मवशवधमो की आतमाएा उनको अपना मात-मपता मान लगी मकनत मवनाश क बाद मनषयो का ससार कवल भारत तक सीममत रह जाएगा कयोमक अनय सभी धमाखणड 2500 वरो क मलए समदर म समा जाएाग

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 24: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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मवनाश क बाद सतयग म लकषमी-नारायण क सनतान क रप म जनम लन वाल राध-कषण कवल भारत क 9 लाख दवी-दवताओ क मलए महाराजकमार व महाराजकमारी बनग सार मवशव क मलए नही हालाामक यही राध-कषण बड़ होन पर लकषमी-नारायण का टाइटल (उपामध) धारण करग परत व मवशव महाराजा या मवशव महारानी नही कहला सकत कयोमक मवनाश क बाद मवशव की अमधकतर आतमाएा परमधाम लौट चकी होगी अतः सगमयगी लकषमी-नारायण ही सचच लकषमी-नारायण ह इनही सतयनारायण की करा आज भी भारत क हर घर म सनी जाती ह जो झठी दमनया क झठ जञान की बातो स मकाबला करत ह सतयग म हर मनषय दवी-दवता कहलाएगा तरा सवागण समपनन 16 कला समपणा समपणा मनमवाकारी मयाादा पररोरतम एव डबल अमहसक होगा जसा मक मचतर म सपि ह वहाा परकमत ही हर परकार स अपन सवामी अराात दवी-दवताओ की सवा करगी वहाा सदव सदाबहार मौसम होगा न महसक जीव-जनतओ का डर होगा न ही महसक मनषय का आतमा और शरीर दोनो ही पमवतर सनदर और मनरोगी होन क कारण न वहाा डॉकटरो की ज़ररत होगी न शरीर रपी वसतर को सजान क मलए मकसी बाहय साधनो की मचतर म मदखाया गया ह मक कषण की दमि राध पर ह और राध की दमि कषण पर ह यह वासतव म सतयग और तरतायग म दवी-दवताओ क बीच अखणड एव अवयमभचारी परम का परतीक ह वतामान कमलयगी वातावरण क मवपरीत सवगा म अवयमभचारी पयार होता ह अनक दहधाररयो स समबनध नही होता इसकी नीव सगमयग पर ही पड़ती ह जब दवी-दवता बनन वाली आतमाएा ईशवरीय जञान परापत करन क बाद परममपता स अवयमभचारी समबनध जोड़ती ह इस मचतर क मधय म lsquoईशवरीय जनम मसि अमधकारrsquo की बात कही गई ह अराात परममपता मशव सगमयग पर इसी जनम म हम दवी-दवता बनात ह अराात आतमा और शरीर दोनो को ही पमवतर बनात ह मनकट भमवषय म इस कमलयगी समि क मवनाश स पवा ईशवरीय जञान एव राजयोग स आतमाएा तो पमवतर बनगी ही लमकन मवनाश क बाद दवी-दवता बनन वाल जो मनषय बचग उनक शरीर भी उसी परकार कचन काया वाल बन जाएाग मजस परकार सपा एक खाल छोड़ कर दसरी खाल धारण करता ह

अतः अब जबमक सगमयग क हीर तकय समय म परममपता मशव परजामपता बरहमा क माधयम स ईशवरीय जञान एव राजयोग की मशकषा परदान कर रह ह तो हमारा कतावय ह मक हम भी घर-गहसर म रहत हए lsquoनर स नारायण और नारी स लकषमीrsquo बनन का पररारा कर

किर वितर न 3 (कलपिकष)-

समि-रपी ककपवकष एक अनोखा वकष ह कयोमक अनय वकष की भाामत इस वकष का बीज नीच नही बमकक ऊपर की ओर ह परजामपता बरहमा दवारा मनषय-समि-रपी वकष क अमवनाशी और चतनय बीज और कोई नही सवय परममपता परमातमा मशव ही ह जो परमधामी सटज म रहत ह और उनकी रचना नीच की ओर ह मनराकारी आतमाओ का बाप परममपता मशव साकारी मनषयो का बाप परजामपता बरहमा क मख कमल दवारा कहत ह मक lsquolsquoम इस समि-रपी ककपवकष का अमवनाशी बीजरप ह ा और जस सामानय बीज म वकष का सार समाया होता ह उसी परकार मझम इस समि-रपी वकष क आमद मधय और अत का जञान ह जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो म ही आकर सतय जञान एव राजयोग दवारा मफर नए मसर स इसका बीजारोपण करता ह ा या सपमलग लगाता ह ाrsquorsquo मचतर म इस उकट वकष को मातर समझन क मलए सीध रप म मदखाया गया ह इसम सबस नीच कमलयग क अत और सतयग क आरमभ का सगम मदखाया गया ह कमलयग अत म जब यह वकष जजारीभत हो जाता ह तो सवय परममपता मशव जो इसक बीजरप ह व आमद सनातन दवी-दवता धमा की सपमलग लगान क मलए परजामपता बरहमा क तन म परवश कर उनक मख कमल स समि क आमद मधय और अत का गीता जञान और राजयोग की

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

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मशकषा दत ह इस जञान स जगदमबा और मखवशावली पमवतर बराहमणो की रचना होती ह मजनह lsquoपरजामपता बरहमाकमार-बरहमाकमाररयाा या मशवशमि पाडवrsquo भी कहत ह ककप क अत म मशव भगवान क इस अवतरण समय को ही lsquoसगमयग या गीता यगrsquo कहत ह सगमयग क बाद सतयग और उसक पिात तरतायग का आरमभ होता ह मजसको भारत क इमतहास का सवणायग और रजतयग कहा जा सकता ह कयोमक परतयक मनषय दवी-दवता होता ह जसा मक समि-चकर क अधयाय म बताया गया ह मक सतयग म सयावशी लकषमी-नारायण एव उनक वशजो का तरा तरतायग म चदरवशी सीता-राम एव उनक वशजो का अटल अखड मनमवाघन सख-शामतमय राजय चलता ह वहाा कवल एक आमद सनातन दवी-दवता धमा होता ह जो मक मकसी परकार क बाहय आडमबरो स रमहत मदवय गण समपनन जीवन जीन का एक मागा रा आज की पररमसरमत क मवपरीत वहाा धमा और राजय का अलग-2 अमसततव नही रा दोनो सरताएा (धमा सरता और राजय सरता) लकषमी-नारायण और सीता-राम क हारो म ही री इसमलए न वहाा मतरी की आवशयकता री न राजगर की न नयायाधीश की और न सनापमत की न वहाा डॉकटर र और न वकील

कयोमक वहाा मवकारो का नाम-मनशान नही रा सवगा म कवल एक राजय एक धमा एक मत एक भारा और एक कल रा और यह सवगा कवल भारत म ही रा या दसर शबदो म भारत ही मवशव रा कयोमक अनय भखड समदर म समाए हए र उस भारत को ही वकणठ बमहशत या हमवन कहा जाता ह ककपवकष की इस अवमध को उसकी आमद कहा जा सकता ह

इसक पिात जब आतमामभमानी दवताएा दहभान म आकर वाममागा की ओर परसरान करत ह अराात मवकारी बन जात ह तब दवापरयग या ककपवकष का मधय भाग आरमभ होता ह दवताएा कमाभरि और धमाभरि हो जात ह दवी-दवता धमा क रचमयता को भल हए य भारतवासी lsquoमहदrsquo कहलान लगत ह ऐस समय पर परमधाम स एक धमामपता इबराहीम की आतमा मकसी भारतीय मनषय म परवश कर इसलाम धमा की सरापना करती ह मकत पमवतरता को मानयता न दन क कारण इस धमा क अनयामययो को पमिम की ओर पलायन करना पड़ता ह जहाा दवापरयग क परारमभ क सार ही इसलामी धमाखड अरब दश समदर स ऊपर आ चका होता ह इबराहीम क बाद कई धमागर (परोफट) हए मजनम स एक ईसा मसीह (जीज़स कराइसट) न आज स 2000 वरा पवा ईसाई (मकरमियन) धमा की सरापना की वासतव म कराइसट की आतमा भी इबराहीम की भाामत परमधाम स आकर मकसी मनषय (जीज़स) म परवश कर अपन धमा की सरापना करती ह यह धमा यरोप म मवकमसत होता ह मजस मकरमियन धमा खड कह सकत ह इधर भारत म दवापरयग क परारममभक 250 वरा क बाद परमधाम स महातमा बि की आतमा आकर मसिारा नामक राजकमार म परवश कर बौि धमा की सरापना करती ह हालाामक यह धमा परारमभ म भारत म मवकमसत होता ह मकत जकद ही यहाा उसका पतन हो जाता ह और इसका मवकास भारत क उरतरपवा म मसरत दशो म होता ह मजस चीन-जापानामद बौिी धमाखड कह सकत ह दवापरयग क अमतम भाग म अराात ईसा पिात छठी शताबदी म भारत म धाममाक अशामत या कलह-कलश को ममटान क मलए परमधाम स एक धमामपता का आगमन होता ह वह वासतव म शकराचाया की आतमा ही री जो एक 8 वरीय बालक क तन म परवश कर सनयास धमा की सरापना करती ह हालाामक उनक पहल भी बौि मभकष घरबार छोड़ मठो म रहत र मकत वहाा मभकष और मभकषमणयाा एक सार रहत र इसमलए उनह पणा सनयासी नही कहग

इसक पिात ककपवकष क अमतम भाग अराात कमलयग का परारमभ होता ह जहाा अकप अवमध म अनक धमो एव मत-मतानतरो की सरापना होती ह और इसक फलसवरप मनषयातमाएा आमसतक स लगभग नामसतक बनन लग जाती

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 26: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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ह दवापर क अत और कमलयग क परारमभ म जहाा एक ओर अरब दशो म हजरत मोहममद दवारा ममसलम धमा की सरापना होती ह उसक मकाबल भारत म (आज स लगभग 500 वरा पवा) गरनानक दवारा मसकख धमा की सरापना होती ह कमलयग क अमतम 200300 वरो म एक ओर भारत म सवामी दयानद सरसवती दवारा आया समाज नामक धमा की सरापना होती ह तो दसरी ओर रस म लमनन-सटामलन दवारा नामसतक धमा या सामयवाद की सरापना होती ह हालाामक लमनन स पवा भी सामयवादी मवचारधारा का परारमभ हआ रा मकत वासतव म सवापररम जनसरता कवल लमनन को ही ममली मजनहोन रस म राजाई का अत कर मदया रा अतः व ही नामसतक धमा क वासतमवक ससरापक ह इसक अलावा कमलयग म कई छोट-2 मत-मतातरो मठो आमद की सरापना हई दवापरयग स अनक धमो क चकरो म मफरत-2 मनषयातमाएा कलाहीन गणहीन और लगभग नामसतक बन जाती ह तब कमलयग क अमतम समय म सवय मनराकार मशव एक साधारण मनषय क तन म आकर मनषय समि स हर धमा की चनी हई आतमाओ को एकतर करक उनह राजयोग मसखाकर एक माला म मपरोत ह परममपता परमातमा कहत ह मक lsquolsquoम ही दवापरयग स अतयाचार सहती आ रही भारत की माताओ और कनयाओ को आकर जञान अमत का कलश दता ह ाrsquorsquo भारत की इनही शमियो या जञान-गगाओ तरा उनक यगल मणको को वजयती माला क रप म मचतर म दशााया गया ह इस माला म लाल फल क रप म सवय परममपता मशव ह तरा पररम यगल मणक ह इस समि क मात-मपता अराात जगदमबा और जगतमपता (या परजामपता) जो अभी समि पर काया कर रह ह इस माला म नामसतक धमा को छोड़कर 9 मखय धमो की मखय आतमाएा ह जो परममपता परमातमा क काया म मवशर सहयोगी बनती ह इसमलए उन धमो क अनयायी मकसी और बाहयाडमबरो को लकर आपस म कयो न लड़ पर हरक यह माला ज़रर जपत ह चामक नामसतक धमा न आतमा न परमातमा और न परमातम जञान को मानता ह इसमलए इस माला म उस कोई सरान नही ममलता

जहाा दवी-दवता सनातन धमा की नीव सवय मनराकार परममपता परमातमा रखत ह वही अनय धमो की नीव दहधारी धमामपताएा रखत ह चामक परममपता मशव इस समि क रचमयता ह अतः व दवी-दवता धमा की नीव रखन क मलए सभी मनषयो म शरषठ परजामपता का आधार लत ह बाकी धमामपताएा अपनी-2 शमि क अनसार नमबरवार मनषयो का आधार लत ह धमा सरापन करन क बाद हर धमामपता एव उनकी आधारमता आतमा अपन-2 धमा म ही पनजानम लती रहती ह और सगमयग परारमभ होत ही हर धमा की आधारमता आतमा परममपता मशव स जञान परापत कर बराहमण अराात बरहमापतर बन जाती ह मकत उन धमो क धमामपताएा सगमयग क अत म इन आधारमता आतमाओ क दवारा जञान परापत कर उनको पहचानत और शमि परापत करत ह और जब सगमयग म हर धमा की आधारमता आतमाएा ह तो ज़रर उनको जनम दन वाली बीजरप आतमाएा भी होती ह कयोमक जड़ो स भी शमिशाली बीज होत ह सगमयग म जो बराहमण आतमाएा दादा लखराज (टाइटलधारी परजामपता बरहमा) दवारा सनाए गए बमसक जञान को ही सवोपरर मानत ह और धारण करत ह व ह lsquoआधारमता आतमाएाrsquo और जो बमसक जञान क सार-2 परजामपता बरहमा बनाम शकर दवारा सनाए गए गहय जञान (एडवास जञान) को भी पहल-2 समझत और धारण करत ह व ह lsquoबीजरप आतमाएाrsquo

इस परकार ककपवकष का यह मचतर एक अनठा मचतर ह जो अपन आप म मवशव क सभी धमो क इमतहास को समाए हए ह मजस पहचान कर मनषयातमाओ को परममपता परमातमा स ममि-जीवनममि का वसाा ममलता ह

किर वितर न 4 (सीढ़ी)-

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 27: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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जञामनयो महातमाओ और दाशामनको न परातन समय स ही मनषय क जनम स पवा और मतय क बाद क रहसयो को जानन का बहत परयास मकया ह चामक इसलाम और मकरमियन धमो म आतमा क पवा जनमो को मानयता नही दी गई ह इसमलए उन धमाखणडो क सामहतय या धाममाक पसतको म इस मवरय पर कोई चचाा नही की गई ह मकत भारत म पवाजनम की मानयता समदयो स रही ह इसमलए इसस समबमधत गररो या पसतको की कोई कमी नही ह मकत कवल एक भल क कारण भारतवासी अपन सवमणाम इमतहास और मवशव की अनक सभयताओ और धमो क उदभव एव मवकास म अपन योगदान को भल गए ह वह भल ह दह-अमभमान क कारण यह समझना मक आतमा 84 लाख योमनयो म जनम लती ह मफर भी भगवान क अवतरण एव मनषयो क पवाजनमो को मानयता दन क कारण ही भारत आज मशव भगवान की कमाभमम बना ह

परममपता मशव ही आकर मनषय आतमाओ को उनक अनक जनमो की कहानी सनात ह चामक व ही जनम-मरण क चकर स नयार ह और मतरकालदशी ह व आकर सबस पहल इस भरम को ममटात ह मक मनषयातमा अपन कमाानसार मनषय क रप म ही पनजानम लती ह न मक पश-पमकषयो क रप म चामक भारत ही सार मवशव की सभयताओ ससकमतयो और धमो का उदगम सरल ह इसमलए व परममपता मशव आकर पहल भारत क उतरान और पतन की ही कहानी सनात ह मशव भगवानवाच ह मक lsquolsquoमनषयातमा इस 5000 वरा क डरामा म या समि-चकर म अमधक स अमधक 84 जनम लती ह न मक 84 लाख योमनयो म भरमण करती हrsquorsquo जसा मक पहल अधयाय म सपि मकया गया ह

अब भारत कौन ह कया समदर एव महमालय स मघर इस भखड को ही भारत कहग नही भारत तो वासतव म यह शरषठामतशरषठ आतमा (या परम आतमा) ह जो मक भारतीय सभयता एव ससकमत का परमतमनमधतव करती ह भारत माता ह तो ज़रर मपता भी होना चामहए कयोमक भारत म तो कवल यगल रप का गायन व पजन होता ह यही भारत माता एव मपता 5000 वरा क इस नाटक क आरमभ म लकषमी-नारायण र अतः इस मचतर म समि क मात-मपता और उनक सार हम बचचो क 84 जनमो की कहानी बताई गई ह सतयग क आमद म महाराजकमार एव महाराजकमारी क रप म शरी कषण एव शरी राध सगमयगी लकषमी-नारायण क यहाा जनम लत ह और बड़ होन पर सवयवर क बाद उनह भी लकषमी-नारायण की उपामध ममल जाती ह इस परकार सगमयगी लकषमी-नारायण क अलावा सतयग म लना की 8 गमददयाा (पीमढ़याा) चलती ह जो lsquoसयावशीrsquo पीमढ़याा कहलाती ह मकत वहाा कषण क सार न तो कस होता ह न ही भागवत म वमणात चररतर और न ही महाभारत का यि घमटत होता ह कयोमक भगवान मशव दवारा सरामपत सवगा म दःख-अशामत का नामोमनशान नही होता वासतव म य सभी कराएा सकषम रप म सगमयग म घटती ह और दवापरयग म कराओ क रप म मागादशान हत ऋमरयो दवारा मलखी जाती ह

सतयग क अमतम लना की सनतानो को राजय करन का परारबध परापत नही होता कयोमक उनहोन सगमयग म परा पररारा नही मकया रा अतः राजय की बागडोर शरी सीता-राम नामक दवताओ क हार म आ जाती ह मजसक सार ही तरतायग एव lsquoचदरवशrsquo का परारमभ होता ह तरतायग म दवताएा 12 जनम लत ह इसमलए यहाा शरी सीता-राम की 12 गमददयाा चलती ह जस सतयग म कषण क सार कस नही होता ह उसी परकार यहाा राम क सार रावण नही होता भागवत और महाभारत की भाामत रामायण की घटनाएा भी सकषम रप म सगम पर घटती ह जो बाद म रामायण की करा क रप म दवापरयग म मलखी जाती ह रावण-राजय अराात पााच मवकारो का राजय तो दवापरयग म आरमभ होता ह तरतायग क आमद म भारत की जनसखया लगभग 2 करोड़ होती ह और इस यग क अत तक 9-10 करोड़ तक पहाच जाती ह तरता क आरमभ म दवताएा 14 कला समपणा होत ह लमकन 12

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 28: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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जनम लत-लत 6 कलाएा और घट जाती ह य कलाएा वासतव म आमतमक मसरमत की मवमभनन अवसराएा ह जो चदरमा की भाामत सतयग स कमलयग तक घटती और मसफा सगमयग क शमटग काल म बढ़ती ह तरतायग भी 1250 वरा का होता ह मकत यहाा सतयग की तलना म 4 जनम अमधक लन क कारण उसक अनपात म आय एव सख भी कम होता ह सतयग एव तरतायग को ममलाकर lsquoराम-राजयrsquo कहा जाता ह कयोमक जो आतमाएा सवमणाम सगमयग पर लकषमी-नारायण क रप म परतयकष होती ह वही तरतायग म पररम सीता-राम का भी पाटा बजाती ह

तरतायग क अत म जब आतमा म कवल 8 कलाएा रह जाती ह तब सभी आतमाएा कछ-न-कछ दह-अमभमान म आ जाती ह इसी क सार सवगा की अवमध समापत होकर lsquoरावण-राजयrsquo या नका का समय या दवापरयग परारमभ होता ह दवापरयग भी 1250 वरा का होता ह मजसम आतमाएा 21 जनम लती ह दह-अमभमान म आत ही दवताएा साधारण मनषय बन जात ह और काम करोधामद पच मवकारो क वशीभत होकर दःख एव अशामत क दलदल म फा स जात ह दवापर स अमधकतर कमा मवकमा होत ह कयोमक दह-अमभमान म कमा मकए जात ह इस परकार दवापरयग स कमाबधनो का एक मसलमसला परारमभ हो जाता ह जो सगमयग क अत म समापत होता ह दवापर स पाप कमो क कारण दःखी मनषय शामत और सख क मलए भगवान का आशरय लत ह सनातन धमा की आतमाएा सवापररम ममदरो का मनमााण कर मशवमलग क रप म उनकी अवयमभचारी पजा परारमभ करती ह मजनहोन उनह सगमयग पर दवी-दवता बनाया रा इस यग क आरमभ म राजा मवकरमामदतय दवारा मनममात सोमनार ममदर इसका साकषी ह वस ससार भर म खदाइयो म दवापरयगीन मशवमलग या शकर की ननन ममतायाा पाई गई ह बाद म भारतवासी अपन ही पमवतर रप अराात सतयगी दवी-दवताओ की पजा करना परारमभ करत ह सवापररम शरी लकषमी-नारायण क ममदर तरा ततपिात शरी सीता एव शरी राम क ममदर बनवाए जात ह जसा मक मचतर म सपि ह मक दवताओ की यगल रप म पजा करन वाल ताजधारी ह जबमक कषण की मसगल पजा करन वालो को ताज नसीब नही होता इसस भारत म माता क रप म दवी को न मदया जान वाला सममान एव उसका पररणाम सपि होता ह दवापरयग क परारमभ म कछ ही समय बाद भारत म ऋमरयो दवारा शासतरो की रचना का काया परारमभ होता ह जस- भगवदगीता वद उपमनरद रामायण महाभारत आमद जसा मक ककपवकष क मचतर म बताया गया ह मक दवापरयग स अनय धमो की सरापना भी परारमभ हो जाती ह चामक इस मचतर म भारत क 84 जनमो की कहानी का ही मचतरण ह इसमलए यहाा अनय धमो क उदभव और मवकास की चचाा नही की जा रही ह दवापरयग स ही भारत म मवदशी आकरमणकाररयो का आगमन और भारत पर उनका दषपरभाव आरमभ हो जाता ह सबस पहल तो भारतवासी अपन धमा का नाम ही भल जात ह और मवदमशयो दवारा मदया गया नाम lsquoमहद धमाrsquo ही परचमलत हो जाता ह

कमलयग का परारमभ होत ही महद धमा म भमि भी वयमभचारी बनन लगती ह अराात एक मशव की भमि स आरमभ होकर अब वह हज़ारो-करोड़ो दवी-दवताओ की पजा म पररवमतात हो जाती ह पश योमनयो क रप म दवताओ की भमि तरा पड़-पौधो एव जड़ वसतओ की पजा भी परचमलत हो जाती ह यहाा तक मक पच ततवो क बन दहधाररयो की भी पजा परारमभ हो जाती ह वयमभचारी भमि क सार अधमवशवास करीमतयाा और अराहीन रीमत-रसम ररवाज़ भी भारतीय समाज म वयापत हो जात ह दवी-दवताओ की भवय पजा कर उनह पानी म डबो दना भी अराहीन ररवाज़ो का ही एक उदाहरण ह भारत म धमा क पतन क सार ही मनषयो क चररतर का पतन भी कमलयग अत तक चरम सीमा पर पहाच जाता ह अमधकतर मनषय धमाभरि कमाभरि और नामसतक बन जात ह धमासरता और राजयसरता दोनो का ही पतन हो जाता ह कमलयग म मनषयातमाएा 42 जनम लती ह इसमलए एक ओर जहाा जनसखया बढ़ती ह तो दसरी ओर आय कम हो जाती ह रोग शोक एव अशामत बढ़ जाती ह मकसी

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 29: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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समय सोन की मचमड़या कहलान वाला भारत अनय दशो तरा अतरााषरीय ससरानो स आमराक सहायता माागन की मसरमत तक पहाच जाता ह खास भारत एव आम मवशव क इस पतन को जब वद शासतर गर या धमामपताएा नही रोक पात तब परममपता मशव को मवशव का उिार करन क मलए भारत भमम पर अवतररत होना पड़ता ह 5000 वरा क इस डरामा क अत म भगवान एक साधारण वि मानव क तन म परवश कर गीता जञान एव राजयोग की मशकषा स भारत को सवगा बनात ह जहाा भगवान को पहचानकर पमवतर बनन वाली मवशव की शरषठ आतमाएा एकमतरत होती ह उनक अवतरण का यह समय lsquoसगमयगrsquo कहलाता ह मजसक अत म मवनाश क पिात भारत क अलावा सभी धमाखड 2500 वरो क मलए समदर म समा जात ह महामवनाश क बाद अमधकतर आतमाएा सज़ाएा खाकर पमवतर होकर उस मनराकार क सार परमधाम लौट जाती ह मकत कछ शरषठ आतमाएा भारत खड म बच जाती ह जो मक दवताई समि का आरमभ करती ह य बीजरप साढ़ चार लाख आतमाएा अपन बचचो समहत पर 84 जनम लती ह परत उसक बाद जो आतमाएा परमधाम स उतरकर आती ह व कालकरमानसार कम जनम लती जाती ह भारत क आधयामतमक पतन क सार-2 मवशव का भी पतन होता ह मकत भारत की तलना म मवदशी उतना अमधक दःखी तरा पमतत नही बनत ह कयोमक उनका पाटा इस समि म दवापरयग स परारमभ होता ह भारतवासी सतयग म मजतन शरषठ और पावन बनत ह कमलयग अत तक उतन ही अमधक भरि तरा पमतत बन जात ह इसमलए कमलयग अत म जब महामवनाश होगा तब मवदशी तो अण बमबो की मवधवसकारी शमि क चलत अमधक दःख अनभव मकए मबना कछ ही कषणो म शरीर छोड़ दग मकत भारतवासी मजनक पापो का खाता अमधक ह व लमब समय तक दःख-ददा एव पिाताप का अनभव करत हए पराकमतक आपदाओ एव गह यि दवारा पापो को मवशर रप स ममटाकर परमधाम लौटग परत मवनाश की इस मवभीमरका क बीच परममपता परमातमा का अलौमकक पररवार अतीमनदरय सख-शामत का उसी परकार अनभव करगा जस मक भि परहलाद की करा म परमसि ह

जो आतमाएा मतरममता मशव भगवानवाच को समझकर पमवतर बनगी व पनः मनषय स दवता बनगी और भारत म सतयगी सवगा का शभारमभ करगी मकत जो जानकर भी अनजान रहगी और पापो का बोझ राजयोग की परमकरया स नही ममटाएागी व अण यि मवशव यि पराकमतक आपदाओ महसक यि एव (धमाराज की सज़ाओ) आमद क दवारा पापो का मवनाश कर परमधाम लौटगी तरा अपन समय पर पनः अगल ककप म अपना पाटा बजान आएागी इस परकार भारत क 84 जनमो की इस कहानी की हर 5000 वरा बाद पनरावमरत होती रहती ह गीता क मनराकार भगवान मशव-शकर भोलनार या साकार शरी कषण की आतमा उफा दादा लखराज

भारतीयो क मलए ढाई हज़ार साल स जीवन क हर कषतर म मागादशाक का काया करन वाली शरीमदभगवदगीता सवा शासतर मशरोममण ह इस बात म कोई सदह नही ह मकत भारत क इमतहास म इसी गीता पर मजतन मवदवानो और आचायो न टीकाएा मलखी ह उतनी शायद मकसी और शासतर पर नही मलखी गई होगी जो यह मसि करता ह मक यह शासतर ऐसा अनठा ह मक मनषयो दवारा मवमभनन परकार स की गई इसकी वयाखया न सार मनषयो को कभी सति नही मकया ह मकसी न सच ही कहा ह- lsquolsquoक जान कमव या क जान रमवrsquorsquo मकसी कमवता की सही वयाखया उसका रचनाकार अराात कमव ही कर सकता ह अरवा जञान सया रमव भगवान कर सकता ह बाकी मजतन भी मनषय उस कमवता की मजतनी भी वयाखयाएा कर वह मकसी न मकसी दमिकोण स अधरी ही होगी जन सामानय क मन म तो यही बात बठा दी गई ह मक गीता क जञानदाता शरी कषण र मजनहोन दवापरयग म करकषतर की रणभमम म रर पर मवराजमान होकर अजान को गीता का उपदश मदया रा मकत आधयामतमक और ऐमतहामसक दमिकोण स दख तो गीता मकसन मकसको कब कहाा और कस सनाई री- य सार ही परशन मववादासपद

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 30: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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ह सवापररम परशन तो यही उठता ह मक गीता मकसन और मकसको सनाई री गीता और सतयनारायण की करा यह मसि करती ह मक भगवान तो साधारण बढ़ और अनभवी मनषय क रप म परकट होत ह

गीता म ही मलखा हआ ह- अिजमनवतत रम रढम रमनषी तनरमवितर पर भमिरजमनततो रर भतरहशवरर (गीतम 911)

सार ही यह भी मलखा हआ ह मक ईशवर तो अजनमा अभोिा और अवयि ह अजोऽमप सननवययातमा भतानामीशवरोऽमप सन

परकवत सिमरविषठमय समभिममयमतररमययम (गीतम 46)

यो रमरजरनमवि ि िवि लोकरहशवरर असरढः स रतयष सिापमपः पररचयत (गीतम 103)

गीता म उसी आमद-अनामद परर की सतमत की गई ह तरि िमदय परष परपदय यतः परिविः परसतम परमणी (गीतम 154)

-अराात म उस आमद-अनामद परर मशवशकर को परणाम करता ह ा मजसस इस ससार वकष की आमद परवमरत हई ह

गीता का वह आमद परर सवय बता रहा ह अहरमविवहा ििमनम रहषीणम ि सिािः (गीतम 102)

-अराात म ही दवो और महमरायो सबका आमद (दव महादव) ह ा उसी न पराचीनकाल म कमायोग की वह परमसि मनषठा परचमलत की री मजसक कारण भारत को जन परमपरानसार भी कमाभमम की सजञा ममली ह मनषठा परा परोिा मयानघ कमायोगन योमगनाम (गीता 33)

यहाा धयान रह मक गीता का जञान शरी कषण न नही मदया रा अमपत उसी आमद-अनामद परर न गहसरधमा की मशकषा क मलए गहसर अजान को सहज राजयोग मसखान क हत मदया रा इस बार म अमधक मवसतार म न जाकर परकरणवश कछ परमसि इमतहासकारो क उिरण परसतत करत ह- होपमकनस का मवचार ह- lsquolsquo(गीता का) अब जो कषणपरधान रप ममलता ह वह पहल कोई मवषणपरधान कमवता री और इसस भी पहल वह कोई एक मनससमपरदाय रचना रीrsquorsquo (ररलीजनस ऑफ इमणडया (1608) पषठ 386) ररलीमजयस मलटरचर ऑफ इमणडया (1620) पषठ 12-14 पर फका हार न मलखा ह- lsquolsquoयह (गीता) एक परानी पदय उपमनरद ह जो मक समभवतः शवताशवतरोपमनरद क बाद मलखी गई ह और मजस मकसी कमव न कषणवाद क समरान क मलए ईसवी सन क बाद वतामान रप म ढाल मदया हrsquorsquo गव क अनसार- lsquolsquoभगवदगीता पहल एक साखय-योग समबनधी गरर रा मजसम बाद म कषणवासदव पजा पिमत आ ममली और ईपवा तीसरी शताबदी म इसका मलममलाप कषण को मवषण का रप मानकर वमदक परमपरा क सार मबठा मदया गया मल रचना ईसवी पवा 200 म मलखी गई री और इसका वतामान रप ईसा की दसरी शताबदी म मकसी वदानत क अनयायी दवारा तयार मकया गया हrsquorsquo होकटज मन गीता को सवशवरवादी कमवता का बाद म मवषणपरधान बनाया गया रप मानता ह कीर का भी मवशवास ह मक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपमनरद री परनत बाद म उस कषण पजा क अनकल ढाल मदया गया -(राधाकषणन lsquoगीताrsquo की भममका पषठ 17 स उित) साकारी सटजधारी कषण का तो माा क गभा स जनम हआ रा उनहोन जीवन क सभी सखो का भोग मकया गर सदीपनी स मशकषा परापत की उनह अमधकतर बाकयावसरा म ही मदखाया गया ह इसमलए सारा ससार उनह अपन मपता

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

ओरिमवत

Page 31: 1 ( ?):- - pbks.info written materials/books/anoothybarihindi.pdf · विश्व-निवनर्माण की अनoठm ईश्व^ ^xजनम ‘ए’ समइड

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क रप म सवीकार नही कर सकता दसरी बात पौरामणक कराओ म परमसि ह मक दवापरयग म गीता शरी कषण न कवल अजान को एक रर पर मवराजमान होकर सनाई मकत यह भी परमसि ह मक महमरा वयास न महाभारत शासतर की रचना की जो मक जन-जन तक ससकत म पहाची ऐमतहामसक दमि स य तथय मववादासपद ह वासतव म गीता ह तो सवा शासतर मशरोममण मकत वह दवापरयग म नही अमपत 5000 वरा क चतयागी मनषय समि-रपी चकर म कमलयग क अत और सतयग की आमद अराात पररोरतम सगमयग म सनाई गई री मजसकी अभी पनरावमरत हो रही ह यमद गीता दवापरयग म ही सनाई गई री तो मफर पापी कमलयग कस आ गया भगवान क अवतरण क पिात तो सतयग आना चामहए रा न मक महापापी कमलयग और गीता सनाई जाती ह सगमयग म जबमक समि पर सार धमा धमाावलबी और अपन-2 अमतम जनमो म उन धमो क धमामपता भी मवदयमान होत ह

तभी तो गीता म कहा गया ह- lsquolsquoसवा धमो का तयाग कर मझ एक परममपता परमातमा की शरण म आ जानाrsquorsquo सिािरमातपररतयजय रमरक िरण वरज अह तिम सिापमपभयो रोकषवयषयमवर रम ििः (गीतम 1866)

महनदओ क पारमपररक दमिकोण स तो जब दवापरयग म गीता सनाई गई री तब ममसलम मसकख आमद धमा तो नही र मफर गीता म उि शलोक कस आ गया और भगवान दवारा गीता कोई ससकत जसी कमठन भारा म नही सनाई गई री वह तो सवा साधारण को समझ म आन वाली भारा जस महनदी म ही सनाई जा रही ह ऐमतहामसक दमि स भी दख तो ससकत कभी जन साधारण की भारा नही रही ह मफर सवा साधारण मानरी तन म आए हए भगवान भला ऐसी मकलि भारा का परयोग कस कर सकत ह सार ही गीता शरी कषण जस आकराक रग-रप वाल तरा पनजानम क चकर म आन वाल मकसी साकारी राजकमार क दवारा नही अमपत अजनमा अभोिा मनराकार भगवान मशव दवारा कमलयग क अत म मकसी साधारण मनषय तन-परजामपता बरहमा क दवारा कवल एक अजान को नही अमपत अजान जस कई अनय गहमसरयो को मदया जा रहा ह गीता म मलखा ह- lsquolsquoह अजान त अपन जनमो को नही जानता म तझ तर अनक जनमो की कहानी सनाता ह ाrsquorsquo बहवन र वयतीतमवन जतरमवन ति िमजान तमतयह िि सिमावण न ति ितथ परतप (गीतम 45)

मकत जो कषण सवय जनम और मरण क चकर म आन वाल ह व अनय मनषयातमाओ को सचची ममि और जीवनममि का वसाा कस द सकत ह और उनक जनमो की कहानी कस सना सकत ह इसस मसि होता ह मक अनक जनमो की कहानी साकारी शरी कषण दवारा नही अमपत अजनमा परममपता परमातमा मशव दवारा सनाई जाती ह जो मक गीता या अमरकरा क रप म परमसि ह गीता क सबध म उपयाि मत जो मक आम धारणा स पणातया मभनन ह बरहमाकमारी ससरा क सार-2 कमपला उरतर परदश मसरत आधयामतमक ईशवरीय मवशवमवदयालय का भी यही मत ह मक सन 1936-37 स परारभ हए सगमयग पर मनराकार भगवान मशव दवारा अपन अमत साधारण साकार मनषय रर क दवारा सनाया गया ईशवरीय जञान मजस lsquoमरलीrsquo कहा जाता ह वही सचची गीता ह मजसक आधार पर ढाई हज़ार साल बाद परारभ होन वाल दवापरयग म ससकत की गीता मलखी जाएगी हालाामक बरहमाकमारी ससरा यह तो मानती ह मक मनराकार मशव ही गीता क भगवान ह मकत व दादा लखराज बरहमा उफा कषण की आतमा को ही ससार भर म भगवान क साकार माधयम क रप म परचार और परसार कर रही ह जबमक यह सवामवमदत ह मक दादा लखराज का तो सवगीय सरापना क पहल ही सन

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

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1969 म ही दहावसान हो चका ह मफर भला व सार मवशव क मपता अराात परजामपता बरहमा कस कहला सकत ह

कायावाहक बरहमा दादा लखराज क मख क दवारा सनाई गई जञान मरमलयो म मनराकार परममपता परमातमा मशव न गीता एव गीता जञानदाता क सबध म मनमनमलमखत महावाकय उचचार ह- lsquolsquoयह ह नई दमनया क मलए नया जञान दन वाला एक ही बाप ह कषण यह जञान नही दता कषण को पमतत-पावन नही कहा जाता पमतत-पावन तो एक ही परममपता परमातमा ह जो पनजानम रमहत ह और गीता म नाम डाल मदया ह- कषण का जो पर 84 जनम लत हrsquorsquo (मता281087 प2 आ)

lsquolsquoअब गीता को जनम मकसन मदया ह यह ह टॉमपक (गीता) जयनती कहत ह तो ज़रर जनम भी हआ ना उनको जब कहत ह शरीमद भगवत गीता जयनती तो ज़रर उनको जनम दन वाला भी चामहए ना सब कहत ह शरीकषण भगवानवाच तो मफर शरीकषण पहल आता गीता पीछ हो जाती अब गीता का रचमयता ज़रर चामहए अगर शरीकषण को कहत तो पहल शरीकषण गीता पीछ आनी चामहए परनत शरीकषण तो छोटा बचचा रा (वह बचचाबमि कषण उफा बरहमा तो अपन साकषातकारो क गहयारा को ही नही समझ सका) वह गीता सना न सक यह मसि करना होगा मक (सचची) गीता (माता) को जनम दन वाला कौन यह ह गहय बात भारत म कछ रोला ह सो इसी बात पर ह कषण (उफा बरहमा) तो जनम लता ह माता क गभा स वह तो सतयग का मपरनस हrsquorsquo (मता241188 प1 आ)

lsquolsquoशरीकषण को वकषपमत नही कहग (वह तो समि वकष का पहला परता ह) परममपता परमातमा ही (परजामपता दवारा) मनषय समि का बीजरप मकरयटर ह कषण (उफा बरहमा) को मकरयटर नही कहग वह तो मसफा दवीगण वाला मनषय हrsquorsquo (मता22288 प1 म) lsquolsquoकषण तो सबका (बीजरप) फादर नही हrsquorsquo (मता30998 प2 आ)

lsquolsquoकषण (उफा बरहमा) को सभी आतमाओ का (बीजरप) बाप नही कहग आतमाओ का बाप परममपता परमातमा (परजामपता दवारा) कहत ह मक मामकम याद करोrsquorsquo (मता13988 प3 अत)

बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत मतरममता मशव क मचतर म दादा लखराज को बरहमा क रप म मचमतरत मकया गया ह मकत सन 1969 म दादा लखराज क मनधन क पिात कौन-सी मनषयातमाएा शकर तरा मवषण की भममका अदा करगी इसकी उनह जानकारी नही ह इसमलए शकर तरा मवषण क सरान पर वही मतरममता बरहमा क भमिमागीय मचतर मदखाए गए ह माउट आब स चलाई गई मरमलयो और अवयि वामणयो क आधार पर आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक सन 1969 क बाद स मनराकार परममपता परमातमा मशव एक और साकार मनषय रर मशव-शकर भोलनार क दवारा सभी मनषयातमाओ को गीता का सचचा जञान द रह ह तरा सहज राजयोग मसखा रह ह मजसस हर अजान रपी आतमा मनषय स न०वार पररारा अनसार दवता बन सक इस बात क परमाण दादा लखराज क दवारा सनाई गई अनकशः जञान मरमलयो म ही मौजद ह मजनह बरहमाकमारी ससरा क सरपरसत अपनी गददी खो जान क डर स सवीकार करन को तयार नही ह बरहमाकमारी ससरा तरा आधयामतमक मवदयालय का मानना ह मक दादा लखराज की आतमा ही आन वाल सतयग म शरी कषण क रप म जनम लगी मकत बरहमाकमारी ससरा दवारा दादा लखराज को गीता जञानदाता मशव क साकार माधयम क रप म परचार-परसार मकया जाना सवय उनक मख दवारा सनाई गई जञान मरमलयो को नकारन का काया ह दादा लखराज तो कवल सन 1951 स 69 तक भगवान मशव क lsquoटमपररी मनषय ररrsquo बन मजस दौरान उनहोन

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

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बरहमाकमार-कमाररयो को एक माा का पयार मदया और उनक दवारा उचचार गए भगवान मशव क महावाकय गीता म बरहमाकमार-कमाररयो क बीच परमसि हए मकत सन 1951 स पहल तरा सन 1969 म उनक मनधन क पिात इस बहत ईशवरीय काया का बीड़ा उनक पवा जनम की भागीदार वाली आतमा न उठाया ह जो मक वतामान समय मनराकार मशव क मकरार साकार माधयम अराात महादव मशव-शकर की भममका अदा कर रही ह और भमवषय सवमणाम सगमयग म सतयनारायण क रप म और अगल 1250 वरा बाद परारभ होन वाल तरतायग म शरी राम की भममका अदा करगी भगवान मशव न दादा लखराज क दवारा गीता का जञान अराात मरली सनाई ज़रर री मकत उसम मछप गढ़ रहसयो का उदघाटन अपन वतामान मकरार रर क दवारा वतामान समय कर रह ह जस आम महनदओ दवारा अजञानवश भोलनार मशव-शकर क सरान पर आकराक शरीकषण को गीता जञानदाता मान मलया गया ह उसी परकार बरहमाकमारी ससरा दवारा अजञानवश साधारण शकर या राम वाली आतमा क सरान पर आकराक शरीर वाल धनाढय दादा लखराज अराात कषण वाली आतमा को गीता जञानदाता मान मलया गया ह बरहमाकमारी ससरा दवारा परकामशत जञान मरमलयो म भी मशवबाबा स पहल दादा लखराज (मपताशरी) का नाम डाल मदया गया ह यही वह एकज भल ह मजसक कारण चतयागी समि-चकर म दवापरयग स भमिमागा म ससकत की गीता क रचमयता क रप म मशव-शकर क सरान पर शरी कषण का नाम डाल मदया गया ह ससकत गीता म भगवान क मलए दी गई अवयि अजनमा अभोिा आमद की सजञाएा वासतव म मशव-शकर पर हद और बहद म लाग होती ह न मक शरीकषण पर lsquolsquoबाप कहत ह मक गीता का भगवान म ह ा गीता माता रची मशवबाबा न जनम मलया कषण (उफा बरहमा) न उनक सार राध और सब आ जात ह पहल ह ही बराहमण बाप कहत ह कौन मढ़ममत ह हमारा नाम-मनशान (लाश) ही गम कर मदया मफर मझ ही आकर बताना पड़ता ह मक गीता का भगवान म मशव परमातमा ह ा मन गीता रची गीता स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तमन मफर बाप क बदल बचच का नाम डाल मदया यह ह बड़ी भलrsquorsquo (म131288

प2 अत) lsquolsquoरदर (शकर) स कषण (उफा बरहमा) बचचा पदा हआ तो उसम बाप क बदल बचच का नाम डाल मदयाrsquorsquo (मता29388 प1 अत) lsquolsquoगीता ह माई-बाप गीता को माता कहा जाता ह और कोई पसतक को माता नही कहत इनका नाम ही ह- गीता माता अचछा उनको मकसन रचा पहल-2 परर सतरी को एडॉपट करत ह नाrsquorsquo(मता28988 प2 आ) (तो ज़रर मशव भोलनार न यजञ क आमद म भी गीता माता क उपरानत टाइटलधारी दादा लखराज बरहमा को ही 18 अधयायी गीता माता क रप म एडॉपट मकया) lsquolsquoसारा मदार गीता को करकट करान पर ह गीता खणडन होन (क) कारण भगवान की हसती गम हो गई हrsquorsquo (मता9388 प2 म)

lsquolsquoएक ही शरीमत भगवत गीता क भगवान स ही भारत को माखन ममलता ह शरीमत भगवत गीता को भी खणडन मकया हआ ह जो जञानसागर पमतत-पावन मनराकार परममपता परमातमा क बदल शरीकषण (उफा साकार बरहमा) का नाम (मपताशरी) डाल खणडन कर छाछ बना मदया हrsquorsquo (मता311078 प2 म) lsquolsquoगीता तो ह सभी शासतरो की मात-मपता ऐस नही मक मसफा भारत क शासतरो की मात-मपता ह नही जो भी बड़ त बड़ (करान-बाईबलामद) शासतर दमनया म ह सभी की मात-मपता हrsquorsquo (मता5283 प1 म) lsquolsquoवह ह सवगा का रचमयता सबका सहायक कषण (उफा बरहमा) तो सवय रचना ह बगीच का फसटाकलास फल हrsquorsquo (मता5283 प1 म) यही वह एकज भल ह मजसक कारण भारत दश की दगामत हई ह गीता खमणडत हो गई ह और सभी धमाशासतरो की माता होन क बावजद भी गीता को अनय धमाावलमबयो दवारा सवीकार नही मकया जाता ह इसी कारण अलग-2 मवदवानो दवारा गीता

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

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की अलग-2 वयाखया की गई ह शकराचाया न उसी गीता क आधार पर आतमा और परमातमा को एक (अदवत) मसि मकया जबमक माधवाचाया न आतमा और परमातमा को मभनन (दवत) मसि मकया गीता म काम मवकार को महाशतर की सजञा दी गई ह दमनया वाल इस बात को इसमलए सवीकार नही करत कयोमक गीता क तराकमरत (झठ) रचमयता शरी कषण (उफा बरहमा) की 8 पमतनयाा और 16108 गोमपयाा शासतरो म परमसि ह यमद गीता जञान दाता क रप म महादव मशव-शकर का नाम आया होता तो ससार काम महाशतर वाली बात को सहज सवीकार कर लता कयोमक शकर तो एक पतनीवरता या कामदव को भसम करन वाल क रप म परमसि ह शासतरो का ही उदाहरण ल तो सतयनारायण की करा म साधारण बढ़ मानव क रप म आए भगवान को पहचाना नही जाता भारत म गीता की मानयता माता क रप म भी ह मकत भगवान मशव दवारा वतामान समय मदए जा रह ईशवरीय जञान म इस बात का भी सपिीकरण मदया गया ह मक गीता कवल जञान का परतीक पसतक ही नही अमपत एक चतनय मनषयातमा का भी परतीक ह जो मक वतामान सगमयग म ईशवरीय पररवार की पालना करन क मलए परजामपता क सार (भारतमाता और) जगदबा की भममका भी अदा कर रही ह इनह ही महनद धमा म आमददव-आमददवी मसलमानो म आदम-हववा ईसाइयो म एडम-ईव तरा जमनयो म आमदनार-आमदनामरनी क रप म जाना जाता ह अतः उपयाि बातो को धयान म रखत हए यमद बालक शरीकषण (दादा लखराज बरहमा) क सरान पर मपता मशव-शकर को गीता जञानदाता क रप म परसतत मकया जाए तो गीता को सार मवशव की आतमाओ क दवारा भगवान की वाणी क रप म सहज सवीकार कर मलया जाएगा lsquolsquoभगवान न गीता कब सनाई ज़रर सभी धमा (सवाधमाानपररतयजय अराात महनद-ममसलम-ईसाई आमद) होन चामहए सभी धमो क मलए वासतव म एक गीता ह मखय सब धमा वालो को मानना चामहए सभी धमो की गीता दवारा सदगमत करन बाप आया हआ ह गीता बाप की उचचारी हई ह उसम बाप (परजामपता) क बदल बचच का नाम डाल ममशकलात कर दी हrsquorsquo (मता21293 प1 मधयात) तम जानत हो भोलानार कषण (उफा बरहमा) को नही कहा जा सकता भिो का रखवाला कषण नही भगवान को कहा जाता ह पहल-2 तो गीता का भगवान मसि करना पड़ गीता का भगवान भोलानार ही ह

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