आयुर्वेदिक दोहे

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आआआआआआआआआआ आआआआ ( आआआआआ आआ आआआ आआआ आआआआ आआआआ आआआ आआ आआ आआआआ आआआ आआआ आआआ ) 1. आआआआ आआआआ आआ आआआआ , आआआआ आआ आआआआआआआ आआआ आआआआआआ , आआआआ।। 2. आआआआआआ आआआआआ आआआआ आआ , आआआआआ आआआआ आआआ आआआआ आआआआ आआआ आआआआ आआआ आआआ , आआआ आआआआ आआआआआआआआ 3. आआआआआआ आ आआआआआआ , आआआआ आआ - आआ आआआआआआ आआआआआ आआआ आआआआ आआ , आआआआआआ।। 4. आआआआआ आआआआ आआआआआआ , आआ आआ आआआ आआआआआआ आआआ आआआआ आआआआ आआआआआ , आआआ आआआ आआआआआआ 5. आआआआआ आआआआआ आआआआ आआ , आआआआ आआआआ आआआआआआ आआआ - आआआ आआआ आआ आआआआ , आआआ आआआआ आ आआआआआ 6. आआआआ आआ आआ आआआआआआ , आआआआआआआआआआआआआ आआआ आआआ आआआआआआ आआ , आआआ आआआ आआआआआआआआ 7. आआआआआ आआआआआआ आआ , आआआ , आआआआ आआआ आआआआआ आआआ आआआआआ आआआआ आआ , आआ आआ आआआआ आआआआआ 8. आआ आआआआ आआ आआआ आआ , आआआ आआआआ आआ आआआआ आआआ आआआ आआ आआआ आआ , आआआ आआआ आआआआआआआआ 9. आआआ आआआआआआआ आआआआआ आआ , आआआआआ आआआ आआआआआआ आआआआआ आआआ आआआ आआआ , आआ आआ आआआआ आआआआआ 10. आआआआ आआ आआआआआ आआ आआ , आआ आआआआआ आआ आआआआआआ आआआ आआआ आआआ आआआ आआआआआ , आआआआ आआ आआआआआआ 11. आआ आआआआआ आआ आआआआआ आआ , आआआआआआ आआआ आआ आआआआ आआआआ आआआआ आआआ आआआ , आआआ आआ आआआआ आआआआआ 12. आआआ आआ आआआआआ आआ , आआआआ आआआ आआआआआआ आआआआ आआ आआआआ आआ , आआआआ आआआआआआआआ आआआआआ 13. आआआ आआआआआ आआ आआआआ , आआआआआ आआ आ आआआआ आआ आआआआआ आआ आआआआआआ , आआआआ आआ आआआआआआ 14. आआ आआआआ आआआआआआ आआ , आआआआ आआ आआआआआआ आआआआ आआआ आआआ आआआ आआआ , आआआआ आआ आ आआआआआआआ 15. आआआआ आआ आआ आआआआआआ , आआआ आआआ आआआ आआआआआआ आआआआआआ आआआआ आआआआ , आआआआ आआ आआआआआआ 16. आआआआ आआआआआआ आआआ आआआ , आआआआआआआ आआआ आआ आआआआ आआ - आआ आआआआ आआआआ , आआआआ आआआआ आआआआ 17. आआआआ आआआआआ आआआ आआ , आआआआ आआआ आआआआआ आआआआ आआआआआआ आआआ आआ , आआआआ आआआआ आआआआ

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Page 1: आयुर्वेदिक दोहे

आयुर्वे�दि�क �ोहे (कृपया आप लोग इसे कॉपी करके कही रख ले ताकिक आगे काम आये )

1.जहाँ कहीं भी आपको,काँटा कोइ लग जाय।दूधी पीस लगाइये, काँटा बाहर आय।।

2.मिमश्री कत्था तकि'क सा,चूसें मुँह में डाल।मुँह में छाले हों अगर,दूर होंय तत्काल।।

3.पौ�ी'ा औ इलायची, लीजै �ो-�ो ग्राम।खायें उसे उबाल कर, उल्टी से आराम।।

4.छिछलका लेंय इलायची,�ो या ती' किगराम।छिसर ��8 मँुह सूज'ा, लगा होय आराम।।

5.अण्डी पत्ता र्वेृंत पर, चु'ा तकि'क मिमलाय।बार-बार कितल पर मि<से,कितल बाहर आ जाय।।

6.गाजर का रस पीजिजये, आर्वेश्कता'ुसार।सभी जगह उपलब्ध यह,दूर करे अकितसार।।

7.खट्टा �ामिमड़ रस, �ही,गाजर शाक पकाय।दूर करेगा अश8 को,जो भी इसको खाय।।

8.रस अ'ार की कली का,'ाक बँू� �ो डाल।खू' बहे जो 'ाक से, बं� होय तत्काल।।

9.भू' मु'क्का शुद्ध <ी,सैंधा 'मक मिमलाय।चक्कर आ'ा बं� हों,जो भी इसको खाय।।

10.मूली की शाखों का रस,ले कि'काल सौ ग्राम।ती' बार दि�' में किपयें, पथरी से आराम।।

11.�ो चम्मच रस प्याज की,मिमश्री सँग पी जाय।पथरी केर्वेल बीस दि�',में गल बाहर जाय।।

12.आधा कप अंगूर रस, केसर जरा मिमलाय।पथरी से आराम हो, रोगी प्रकितदि�' खाय।।

13.स�ा करेला रस किपये,सुबहा हो औ शाम।�ो चम्मच की मात्रा, पथरी से आराम।।

14.एक डेढ़ अ'ुपात कप, पालक रस चौलाइ।ची'ी सँग लें बीस दि�',पथरी �े ' दि�खाइ।।

15.खीरे का रस लीजिजये,कुछ दि�' तीस ग्राम।लगातार सेर्वे' करें, पथरी से आराम।।

16.बैग' भुता8 बीज किब',पन्द्रह दि�' गर खाय।गल-गल करके आपकी,पथरी बाहर आय।।

17.लेकर कुलथी �ाल को,पतली मगर ब'ाय।इसको कि'यमिमत खाय तो,पथरी बाहर आय।।

18.�ामिमड़(अ'ार) छिछलका सुखाकर,पीसे चूर ब'ाय।सुबह-शाम जल डाल कम, पी मुँह ब�बू जाय।।

19. चू'ा <ी और शह� को, ले सम भाग मिमलाय।

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किबचू्छ को किर्वेष दूर हो, इसको यदि� लगाय।।

20. गरम 'ीर को कीजिजये, उसमें शह� मिमलाय।ती' बार दि�' लीजिजये, तो जुकाम मिमट जाय।।

21. अ�रक रस मधु(शह�) भाग सम, करें अगर उपयोग।दूर आपसे होयगा, कफ औ खाँसी रोग।।

22. ताजे तुलसी-पत्र का, पीजे रस �स ग्राम।पेट ��8 से पायँगे, कुछ पल का आराम।।

23.बहुत सहज उपचार है, यदि� आग जल जाय।मींगी पीस कपास की, फौर' जले लगाय।।

24.रुई जलाकर भस्म कर, र्वेहाँ करें भुरकार्वे।जल्�ी ही आराम हो, होय जहाँ पर <ार्वे।।

25.'ीम-पत्र के चूर्ण8 मैं, अजर्वेाय' इक ग्राम।गुर्ण संग पीजै पेट के, कीड़ों से आराम।।

26.�ो-�ो चम्मच शह� औ, रस ले 'ीम का पात।रोग पीछिलया दूर हो, उठे किपये जो प्रात।।

27.मिमश्री के संग पीजिजये, रस ये पत्ते 'ीम।पेंछिचश के ये रोग में, काम ' कोई हकीम।।

28.हरड बहेडा आँर्वेला चौथी 'ीम किगलोय,पंचम जीरा डालकर सुमिमर' काया होय॥