Mrityu Ashtakam

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Transcript of Mrityu Ashtakam

॥ मृ��व�कम् ॥

गा�डपुराणा�तग�तम्सूत उवाच ।

�तो�ं त�सं �व�या�म माक� �डेयन भा�षतम् ।भा�षतम् �तो�म् सव��तो�म् सव�

दामोदरं �प�ोऽ��म �क�ो मृ�युः क�र�य�त ॥१॥

शङ्खच�धरं देवं ����पणम�यम् ।����पणम�यम्

अधोअ�जं �प�ोऽ��म �क�ो मृ�युः क�र�य�त॥ २॥

वराहं वामनं �व�णंु नार�स�हं जनाद�नम् ।जनाद�नम्

माधव�च �प�ोऽ��म �क�ो मृ�युः क�र�य�त ॥३॥

पु�षं पु�कर�े�बीजं पु�यं जग�प�तम् ।जग�प�तम्

लोकनाथं �प�ोऽ��म �क�ो मृ�युः क�र�य�त ॥४॥

सह��शरसं देवं ��ा��ं सनातनम् ।सनातनम्

महायोगं �प�ोऽ��म �क�ो मृ�युः क�र�य�त ॥५॥

भूता�मानं महा�मानं य�यो�नमयो�नजम् ।य�यो�नमयो�नजम्

Mrityu Ashtakam

�व��पं �प�ोऽ��म �क�ो मू�युः क�र�य�त ॥६॥

इ�युद��रतमाक�य� �तो�ं त�य महा�मनः । �तवंत�य

अपयात�ततो मृ�यु�व��णु�तैः �पी�डतः ॥ ७॥इ�त तेन �जतो मृ�युमा�क� �डेयेन धीमता ।�स�े पु�डरीका�े नृ�स�हे ना��त �ल�भम् ॥

�ल�भम् ८॥मृ��व�क�मदं पु�यं मृ�यु�शमनं शुभम् ।शुभम्माक� �डेय�हताथा�य �वयं �व�णु�वाच ह ॥ ९॥इदं यः पठते भ��या ��कालं �नयतं शु�चः ।नाकाले त�य मृ�युः �या�र�या�युतचेतसः ॥

१०॥��प�म�ये पु�षं पुराणं

नारायणं शा�तम�मेयम् ।शा�तम�मेयम्�व�च��य सूया�द�तराजमानं

मृ�यंु स यो�ग �जतवां�तथैव ॥ ११॥इ�त �ीगा�डे महापुराणे माक� �डेयकृतं

मृ��व�क�तो�कत�ं नाम�य����श��र��शततमोऽ�यायः

॥ मृ��व�कम् ॥